Usne Kaha Tha - Chandradhar Sharma 'Guleri'

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" उसने कहा था - चन्द्रधर शर्ाा 'गऱ

ु ेरी' "

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े़
फड़े-फड़े शहयों क़े इक्क़े-गाडी वारों की जफान क़े कोडों स़े जजनकी ऩीठ छिर गई है औय कान ऩक गए हैं, उनस़े हभायी
प्राथथना है कक अभत
ृ सय क़े फम्फू कार्थ वारों की फोरी का भयहभ रगाव़े। जफकक फड़े शहयों की चौडी सडको ऩय घोड़े की
ऩीठ को चाफझक स़े धन झ त़े हझए इक्क़े वाऱे कबी घोड़े की नानी स़े अऩना छनकर् मौन-संफंध जथथय कयत़े हैं, कबी उसक़े गझप्त
गझह्म अंगो स़े डाक्र्य को रजाऩे वारा ऩरयचम ददखात़े हैं, कबी याह चरत़े ऩैदरों की आँखो क़े न होऩे ऩय तयस खात़े
हैं, कबी उनक़े ऩैयो की अंगलझ रमों क़े ऩोयों की चींथकय अऩऩे ही को सतामा हझआ फतात़े हैं औय संसाय बय की ग्राछन औय
ऺोब क़े अवताय फऩे नाक की सीध चऱे जात़े हैं, तफ अभत ृ सय भें उनकी बफयादयी वाऱे तंग चक्कयदाय गलरमों भ़े हय
एक रडढी वाऱे क़े लरए ठहय कय सब्र का सभझद्र उभडा कय-- फचो खारसाजी, हर्ो बाईज', ठहयना बाई, आऩे दो राराजी,
हर्ो फािा कहत़े हझए सप़ेद प़ेर्ों , खच्चयों औय फतको, गन्ऩे औय खोभच़े औय बाय़े वारों क़े जंगर स़े याह ख़ेत़े हैं । क्मा
भजार है कक जी औय साहफ बफना सझऩे ककसी को हर्ना ऩड़े। मह फात नही कक उनकी जीब चरती ही नही, चरती है
ऩय भीठी िझयी की तयह भहीन भाय कयती हझई। मदद कोई फदझ ़िमा फाय-फाय चचर्ौनी द़े ऩे ऩय बी रीक स़े नही हर्ती तो उनकी
वचनावरी क़े म़े नभूऩे हैं-- हर् जा जीण़े जोचगए, हर् जा कयभाँ वालरए, हर् जा, ऩझत्ां प्मारयए. फच जा रम्फी वालरए।
सभजटर् भ़े इसका अथथ हैं कक तू जीऩे मोग्म है , तू बाग्मोंवारी है , ऩझत्रो को प्मायी है , रम्फी उभय त़ेय़े साभऩे है , तू क्मों
भ़ेय़े ऩदहमो क़े नीच़े आना चाहती है ? फच जा। ऐस़े फम्फू काय्र् वारों क़े फीच भ़े होकय एक रडका औय एक रडकी चौक
की दक
झ ान ऩय आ लभऱे। उसक़े फारों औय इसक़े ढीऱे सझथऩे स़े जान ऩडता था कक दोनो लसख हैं। वह अऩऩे भाभा क़े
क़ेश धोऩे क़े लरए दही ऱेऩे आमा था औय मह यसोई क़े लरए फडडमाँ। दक
झ ानदाय एक ऩयद़े शी स़े गथ
झ यहा था, जो स़ेय
बय गीऱे ऩाऩडो की गड्डी चगऩे बफना हर्ता न था।

-- त़ेया घय कहाँ है ?

-- भगय़े भ़े। ...औय त़ेया?

-- भाँझ़े भ़े, महाँ कहाँ यहती है ?

-- अतयलसंह की फैठक भें , वह भ़ेय़े भाभा होत़े हैं।

-- भैं बी भाभा क़े आमा हूँ, उनका घय गझरु फाजाय भ़े है ।

इतऩे भ़े दक
झ ानदाय छनफर्ा औय इनका सौदा द़े ऩे रगा। सौदा ऱेकय दोनो साथ-साथ चऱे। कझि दयू जाकय रडक़े ऩे भझसकया
कय ऩूिा-- त़ेयी कझडभाई हो गई? इस ऩय रडकी कझि आँख़े च़िाकय 'धत ्' कहकय दौड गई औय रडका भँह
झ द़े खता यह
गमा।

दस
ू य़े तीसय़े ददन सब्जी वाऱे क़े महाँ, मा दध
ू वाऱे क़े महाँ अकथभात ् दोनो लभर जात़े। भहीना बय मही हार यहा। दो-तीन
फाय रडक़े ऩे कपय ऩूिा-- त़ेय़े कझडभाई हो गई? औय उत्य भें वही 'धत ्' लभरा। एक ददन जफ कपय रडक़े ऩे वैसी ही हँसी
भ़े चच़िाऩे क़े लरए ऩि
ू ा तो रडकी रडक़े की संबावना क़े ववरुद्ध फोरी-- हाँ, हो गई।
-- कफ?

-- कर, द़े खत़े नही मह य़े शभ स़े कढा हझआ सारू। ... रडकी बाग गई।

रडक़े ऩे घय की सीध री। याथत़े भ़े एक रडक़े को भोयी भ़े ढक़ेर ददमा, एक िाफडी वाऱे की ददन बय की कभाई खोई,
एक कझत़्े को ऩत्थय भाया औय गोबी वाऱे ठ़े ऱे भ़े दध
ू उं ड़ेर ददमा। साभऩे नहा कय आती हझई ककसी वैटणवी स़े र्कया कय
अन्ध़े की उऩाचध ऩाई। तफ कहीं घय ऩहझँचा।

-- होश भ़े आओ। कमाभत आमी है औय रऩर्न साहफ की वदी ऩहन कय आमी है ।

-- क्मा? -- रऩचन साहफ मा तो भाय़े गम़े हैं मा कैद हो गम़े हैं। उनकी वदी ऩहन कय कोई जभथन आमा है । सूफ़ेदाय ऩे
इसका भँह
झ नही द़े खा। भैऩे द़े खा है , औय फातें की हैं। सौहया साफ़ उदथ ू फोरता है , ऩय ककताफी उदथ ।ू औय भझझ़े ऩीऩे को
लसगय़े र् ददमा है ।

-- तो अफ? -- अफ भाय़े गए। धोखा है । सूफ़ेदाय कीचड भ़े चक्कय कार्त़े कपयें ग़े औय महाँ खाई ऩय धावा होगा उधय उन
ऩय खर झ ़े भ़े धावा होगा। उठो, एक काभ कयो। ऩरर्न भ़े ऩैयो क़े छनशान द़े खत़े-द़े खत़े दौड जाओ। अबी फहझत दयू न गम़े
होंग़े। सूफ़ेदाय स़े कहो कक एकदभ रौर् आवें। खंदक की फात झूठ है । चऱे जाओ, खंदक क़े ऩीि़े स़े ही छनकर जाओ।
ऩत्ा तक न खड
झ क़े। द़े य भत कयो।'

-- हझकझभ तो मह है कक महीं...

-- ऐसी तैसी हझकझभ की! भ़ेया हझकझभ है ... जभादाय रहनालसंह जो इस वक्त महाँ सफस़े फडा अफ़सय है , उसका हझकझभ है ।
भैं रऩर्न साहफ की ख़फय ऱेता हूँ।

-- ऩय महाँ तो तझभ आठ ही हो।

-- आठ नही, दस राख। एक एक अकालरमा लसख सवा राख क़े फयाफय होता है । चऱे जाओ।

रौर्कय खाई क़े भझहाऩे ऩय रहनालसंह दीवाय स़े चचऩक गमा। उसऩे द़े खा कक रऩर्न साहफ ऩे ज़ेफ स़े फ़ेर क़े फयाफय तीन
गोऱे छनकाऱे। तीनों को जगह-जगह खंदक की दीवायों भ़े घझस़ेड ददमा औय तीनों भ़े एक ताय सा फाँध ददमा। ताय क़े आग़े
सूत की गझत्थी थी, जजस़े लसगडी क़े ऩास यखा। फाहय की तयप जाकय एक ददमासराई जराकय गझत्थी यखऩे... बफजरी की
तयह दोनों हाथों स़े उरर्ी फन्दक
ू को उठाकय रहनालसंह ऩे साहफ की कझहनी ऩय तानकय द़े भाया । धभाक़े क़े साथ साहफ
क़े हाथ स़े ददमासराई चगय ऩडी । रहनालसंह ऩे एक कझन्दा साहफ की गदथ न ऩय भाया औय साहफ 'आँख! भीन गाट्र्' कहत़े
हझए चचत हो गम़े। रहनालसंह ऩे तीनो गोऱे फीनकय खंदक क़े फाहय पेंक़े औय साहफ को घसीर्कय लसगडी क़े ऩास लरर्ामा।
ज़ेफों की तराशी री। तीन-चाय लरफ़ाफ़़े औय एक डामयी छनकार कय उन्ह़े अऩनी ज़ेफ क़े हवाऱे ककमा।
साहफ की भूच्िाथ हर्ी। रहना लसह हँसकय फोरा-- क्मो, रऩर्न साहफ, लभजाज कैसा है ? आज भैंऩे फहझत फातें सीखीं ।
मह सीखा कक लसख लसगय़े र् ऩीत़े हैं । मह सीखा कक जगाधयी क़े जजऱे भ़े नीरगामें होती हैं औय उनक़े दो पझर् चाय इंच
क़े सींग होत़े हैं । मह सीखा कक भझसरभान खानसाभा भूछतथमो ऩय जर चढात़े हैं औय रऩर्न साहफ खोत़े ऩय चढत़े हैं
। ऩय मह तो कहो, ऐसी साफ़ उदथ ू कहाँ स़े सीख आम़े? हभाय़े रऩर्न साहफ तो बफना 'डैभ' क़े ऩाँच रफ़्ज बी नही फोरा
कयत़े थ़े ।

रहनालसंह ऩे ऩतरून की ज़ेफों की तराशी नही री थी। साहफ ऩे भानो जाड़े स़े फचऩे क़े लरए दोनो हाथ ज़ेफो भ़े डाऱे।
रहनालसंह कहता गमा-- चाराक तो फड़े हो, ऩय भाँझ़े का रहना इतऩे फयस रऩर्न साहफ क़े साथ यहा है । उस़े चकभा
द़े ऩे क़े लरए चाय आँख़े चादहएँ। तीन भहीऩे हझए एक तझकी भौरवी भ़ेय़े गाँव भ़े आमा था। औयतो को फच्च़े होऩे का ताफीज
फाँर्ता था औय फच्चो को दवाई द़े ता था। चौधयी क़े फड क़े नीच़े भंजा बफिाकय हझक्का ऩीता यहता था औय कहता था कक
जभथनी वाऱे फड़े ऩंडडत हैं। व़ेद ऩ़ि-ऩ़ि कय उसभ़े स़े ववभान चराऩे की ववद्मा जान गम़े हैं। गौ को नही भायत़े। दहन्दथ
झ तान
भ़े आ जामेंग़े तो गोहत्मा फन्द कय द़े ग़े। भंडी क़े फछनमो को फहकाता था कक डाकखाऩे स़े रुऩम़े छनकार रो, सयकाय का
याज्म जाऩे वारा है । डाक फाफू ऩोल्हू याभ बी डय गमा था। भैऩे भल्
झ रा की दाढी भंड
ू दी थी औय गाँव स़े फाहय छनकारकय
कहा था कक जो भ़ेय़े गाँव भ़े अफ ऩैय यखा तो -- साहफ की ज़ेफ भ़े स़े वऩथतौर चरा औय रहना की जाँघ भ़े गोरी रगी।
इधय रहना की ह़े नयी भादर्थ न क़े दो फ़ामयो ऩे साहफ की कऩार-किमा कय दी।

धडाका सझनकय सफ दौड आम़े।

फोधा चचल्रामा-- क्मा है ?

रहनालसंह भ़े उस़े तो मह कह कय सझरा ददमा कक 'एक हडका कझत्ा आमा था, भाय ददमा' औय औयो स़े सफ हार कह ददमा।
फंदक
ू ़े ऱेकय सफ तैमाय हो गम़े । रहना ऩे साफ़ा पाड कय घाव क़े दोनो तयप ऩट्दर्माँ कसकय फांधी । घाव भाँस भ़े ही
था। ऩट्दर्मो क़े कसऩे स़े रह
ू फन्द हो गमा।

इतऩे भ़े सत्य जभथन चचल्राकय खाई भ़े घझस ऩड़े। लसखो की फंदक
ू ो की फाढ ऩे ऩहऱे धाव़े को योका। दस
ू य़े को योका। ऩय
महाँ थ़े आठ (रहना लसंह तक-तक कय भाय यहा था। वह खडा था औऱ ऱेऱ्े हझए थ़े) औय व़े सत्य । अऩऩे भझदाथ बाईमों
क़े शयीय ऩय च़िकय जभथन आग़े घझस़े आत़े थ़े । थोड़े लभनर्ो भें व़े... अचानक आवाज आमी -- 'वाह गरु
झ जी की पतह !
वाहगरु
झ दी का खारसा!' औय धडाधड फंदक
ू ो क़े पामय जभथनो की ऩीठ ऩय ऩडऩे रग़े। ऐन भौक़े ऩय जभथन दो चक्कों क़े
ऩार्ों क़े फीच भ़े आ गए। ऩीि़े स़े सूफ़ेदाय हजायालसंह क़े जवान आग फयसात़े थ़े औय साभऩे स़े रहनालसंह क़े साचथमों
क़े संगीन चर यह़े थ़े। ऩास आऩे ऩय ऩीि़े वारो ऩे बी संगीन वऩयोना शझरु कय ददमा ।

एक ककरकायी औय-- 'अकार लसक्खाँ दी पौज आमी। वाह गझरु जी दी पतह! वाह गझरु जी दी खारसा! सत् लसयी अकार
ऩरु
झ ष! ' औय रडाई ख़तभ हो गई। छतयसठ जभथन मा तो ख़ेत यह़े थ़े मा कयाह यह़े थ़े। लसक्खो भें ऩन्द्रह क़े प्राण गए।
सूफ़ेदाय क़े दादहऩे कन्ध़े भ़े स़े गोरी आय ऩाय छनकर गमी। रहनालसंह की ऩसरी भ़े एक गोरी रगी। उसऩे घाव को खंदक
की गीरी लभट्र्ी स़े ऩूय लरमा। औय फाकी का साफ़ा कसकय कभय फन्द की तयह रऩ़ेर् लरमा। ककसी को ख़फय नही हझई
कक रहना क़े दस
ू या घाव -- बायी घाव -- रगा है । रडाई क़े सभम चांद छनकर आमा था। ऐसा चांद जजसक़े प्रकाश स़े
संथकृत कववमो का ददमा हझआ 'ऺमी' नाभ साथथक होता है । औय हवा ऐसी चर यही थी जैसी कक फाणबट्र् की बाषा भ़े
'दं तवीणो ऩद़े शाचामथ' कहराती। वजीयालसंह कह यहा था कक कैस़े भन-भनबय फ्ांस की बूलभ भ़ेय़े फर्
ू ो स़े चचऩक यही थी
जफ भैं दौडा दौडा सूफ़ेदाय क़े ऩीि़े गमा था। सूफ़ेदाय रहनालसह स़े साया हार सझन औय कागजात ऩाकय उसकी तझयन्त फझद्चध
को सयाह यह़े थ़े औय कय यह़े थ़े कक तू न होता तो आज सफ भाय़े जात़े। इस रडाई की आवाज़ तीन भीर दादहनी ओय
की खाई वारों ऩे सन
झ री थी। उन्होऩे ऩीि़े ऱ्े लरफ़ोन कय ददमा था। वहाँ स़े झर्ऩर् दो डाक् र्य औय दो फीभाय ढोऩे की
गाडडमाँ चरी, जो कोई ड़ेढ घंऱ्े क़े अन्दय अन्दय आ ऩहझँची। पील्ड अथऩतार नज़दीक था। सझफह होत़े-होत़े वहाँ ऩहझँच
जाएंग़े, इसलरए भाभूरी ऩट्र्ी फांधकय एक गाडी भ़े घामर लरर्ाम़े गए औय दस
ू यी भ़े राशें यखी गईं। सूफ़ेदाय ऩे रहनालसह
की जाँघ भ़े ऩट्र्ी फंधवानी चाही। फोधलसंह ज्वय स़े फयाथ यहा था। ऩय उसऩे मह कह कय र्ार ददमा कक थोडा घाव है ,
सव़ेय़े द़े खा जाम़ेगा। वह गाडी भ़े लरर्ामा गमा। रहना को िोडकय सूफ़ेदाय जात़े नही थ़े। मह द़े ख रहना ऩे कहा-- तझम्ह़े
फोधा की कसभ हैं औय सफ
ू ़ेदायनी जी की सौगन्द है तो इस गाडी भ़े न चऱे जाओ।

-- औय तझभ?

-- भ़ेय़े लरए वहाँ ऩहझँचकय गाडी ब़ेज द़े ना। औय जभथन भझदो क़े लरए बी तो गाडडमाँ आती होगीं। भ़ेया हार फझया नही हैं।
द़े खत़े नही भैं खडा हूँ? वजीयालसंह भ़ेय़े ऩास है ही।

-- अच्िा, ऩय...

-- फोधा गाडी ऩय ऱेर् गमा। बरा, आऩ बी च़ि आओ। सझछनए तो, सूफ़ेदायनी होयाँ को चचट्ठी लरखो तो भ़ेया भत्था ऱ्े कना
लरख द़े ना।

-- औय जफ घय जाओ तो कह द़े ना कक भझझ स़े जो उन्होऩे कहा था, वह भैंऩे कय ददमा।

गाडडमाँ चर ऩडी थीं। सूफ़ेदाय ऩे च़ित़े-च़ित़े रहना का हाथ ऩकडकय कहा-- तूऩे भ़ेय़े औय फोधा क़े प्राण फचाम़े हैं। लरखना
कैसा? साथ ही घय चरेंग़े। अऩनी सफ
ू ़ेदायनी स़े तू ही कह द़े ना। उसऩे क्मा कहा था?

-- अफ आऩ गाडी ऩय च़ि जाओ। भैऩे जो कहा, वह लरख द़े ना औय कह बी द़े ना।

गाडी क़े जात़े ही रहना ऱेर् गमा। --वजीया, ऩानी वऩरा द़े औय भ़ेया कभयफन्द खोर द़े । तय हो यहा है ।

भत्ृ मझ क़े कझि सभम ऩहऱे थभछृ त फहझत साफ़ हो जाती है । जन्भबय की घर्नाएँ एक-एक कयक़े साभऩे आती हैं। साय़े दृश्मो
क़े यं ग साफ़ होत़े है , सभम की धन्
झ ध बफल्कझर उन ऩय स़े हर् जाती है । रहनालसंह फायह वषथ का है । अभत
ृ सय भ़े भाभा
क़े महाँ आमा हझआ है । दहीवाऱे क़े महाँ, सब्जीवाऱे क़े महाँ, हय कहीं उस़े आठ सार की रडकी लभर जाती है । जफ वह
ऩूिता है कक त़ेयी कझडभाई हो गई? तफ वह 'धत ्' कहकय बाग जाती है । एक ददन उसऩे वैस़े ही ऩि ू ा तो उसऩे कहा--हाँ,
कर हो गमी, द़े खत़े नही, मह य़े शभ क़े पूरों वारा सारू? मह सन
झ त़े ही रहनालसंह को द्झ ख हझआ। िोध हझआ । क्मों हझआ?

-- वजीयालसंह ऩानी वऩरा द़े ।


ऩच्चीस वषथ फीत गम़े। अफ रहनालसंह नं. 77 याइफ़ल्स भ़े जभादाय हो गमा है । उस आठ वषथ की कन्मा का ध्मान ही
न यहा, न भारूभ वह कबी लभरी थी मा नही। सात ददन की िझट्र्ी ऱेकय ज़भीन क़े भझकदभ़े की ऩैयवी कयऩे वह घय
गमा। वहाँ य़े जीभें र् क़े अफ़सय की चचट्ठी लभरी। पौयन चऱे आओ। साथ ही सूफ़ेदाय हजायालसंह की चचट्ठी लभरी कक भैं
औय फोधालसंह बी राभ ऩय जात़े हैं, रौर्त़े हझए हभाय़े घय होत़े आना। साथ चरेंग़े।

सूफ़ेदाय का घय याथत़े भें ऩडता था औय सूफ़ेदाय उस़े फहझत चाहता था। रहनालसंह सूफ़ेदाय क़े महाँ ऩहझँचा। जफ चरऩे रग़े
े़
तफ सूफ़ेदाय फ़ेड़े भ़े छनकर कय आमा। फोरा-- रहनालसंह, सूफ़ेदायनी तझभको जानती है । फर झ ाती है । जा लभर आ।

रहनालसंह बीतय ऩहझँचा। सफ ू ़ेदायनी भझझ ़े जानती है ? कफ स़े? य़े जीभें र् क़े क्वार्थ यों भ़े तो कबी सफ
ू ़ेदाय क़े घय क़े रोग यह़े
नहीं। दयवाज़़े ऩय जाकय 'भत्था ऱ्े कना' कहा। असीस सझनी। रहनालसंह चऩ झ ।

-- भझझ़े ऩहचाना?

-- नहीं।

-- 'त़ेयी कझडभाई हो गमी? ... धत ्... कर हो गमी... द़े खत़े नही, य़े शभी फूर्ों वारा सारू... अभत
ृ सय भें ...

बावों की र्कयाहर् स़े भूच्िाथ खर


झ ी। कयवर् फदरी। ऩसरी का घाव फह छनकरा।

-- वजीयालसंह, ऩानी वऩरा -- उसऩे कहा था ।

थवप्न चर यहा हैं । सूफ़ेदायनी कह यही है -- भैऩे त़ेय़े को आत़े ही ऩहचान लरमा। एक काभ कहती हूँ। भ़ेय़े तो बाग पूर्
गए। सयकाय ऩे फहादयझ ी का खखताफ ददमा है , रामरऩझय भ़े ज़भीन दी है , आज नभकहरारी का भौका आमा है । ऩय सयकाय
ऩे हभ तीलभमो की एक घघरयमा ऩरर्न क्मो न फना दी जो भै बी सफ
ू ़ेदायजी क़े साथ चरी जाती? एक फ़ेर्ा है । पौज
भ़े बयती हझए उस़े एक ही वषथ हझआ। उसक़े ऩीि़े चाय औय हझए, ऩय एक बी नही जजमा । सूफ़ेदायनी योऩे रगी-- अफ दोनों
जात़े हैं । भ़ेय़े बाग! तझम्हें माद है , एक ददन र्ाँग़े वाऱे का घोडा दहीवाऱे की दक
झ ान क़े ऩास बफगड गमा था। तझभऩे उस
ददन भ़ेय़े प्राण फचाम़े थ़े। आऩ घोडो की रातो ऩय चऱे गम़े थ़े। औय भझझ़े उठाकय दक
झ ान क़े तख्त क़े ऩास खडा कय ददमा
था। ऐस़े ही इन दोनों को फचाना। मह भ़ेयी लबऺा है । तझम्हाय़े आग़े भैं आँचर ऩसायती हूँ।

योती-योती सूफ़ेदायनी ओफयी भ़े चरी गमी। रहनालसंह बी आँसू ऩोिता हझआ फाहय आमा।

-- वजीयालसंह, ऩानी वऩरा -- उसऩे कहा था।

रहना का लसय अऩनी गोद भ़े यख़े वजीयालसंह फैठा है । जफ भांगता है , तफ ऩानी वऩरा द़े ता है । आध घंऱ्े तक रहना कपय
चऩ
झ यहा, कपय फोरा-- कौन? कीयतलसंह?
वजीया ऩे कझि सभझकय कहा-- हाँ।

-- बइमा, भझझ़े औय ऊँचा कय ऱे। अऩऩे ऩट्र् ऩय भ़ेया लसय यख ऱे।

वजीया ऩे वैसा ही ककमा ।

-- हाँ, अफ ठीक है । ऩानी वऩरा द़े । फस। अफ क़े हाड भ़े मह आभ खफ


ू पऱेगा। चाचा-बतीजा दोनों महीीँ फैठकय आभ
खाना। जजतना फडा त़ेया बतीजा है उतना ही फडा मह आभ, जजस भहीऩे उसका जन्भ हझआ था उसी भहीऩे भैऩे इस़े रगामा
था।

वजीयालसंह क़े आँसू र्ऩ-र्ऩ र्ऩक यह़े थ़े। कझि ददन ऩीि़े रोगों ऩे अख़फायो भें ऩ़िा---

फ्ांस औय फ़ेरजजमभ-- 67वीं सूची-- भैदान भ़े घावों स़े भया -- न. 77 लसख याइपल्स जभादाय रहनालसंह ।
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" उसने कहा था - चन्द््रधर शर्ाा 'गऱ


ु ेरी' "

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Editing and Uploading by:


र्यंक सक्सैना (Mayank Saxena)
आगरा, उत्तर प्रदे श, भारत (AGRA, Uttar Pradesh, INDIA)

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