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Hindi Oral Essay
Hindi Oral Essay
मन है। इसीलिए कहते हैं, मन के जीते जीत, मन के हारे हार। तो मन को स्वस्थ रखना है, तो तन
को भी स्वस्थ रखना ही होगा।
जैसे मनुष्य की उम्र बढ़ती जाती है, उसके अंदरुनी और बाहरी शारीरिक अंगों की कार्य करने की
क्षमता कम होने लगती है। नवजात शिशु कु छ नहीं जानता है, उसे कोई कु छ नहीं बताता है फिर भी
वह अपने हिसाब से हाथ-पैर फें कते रहता है। रोना-हंसना-किलकारी मारना सब उसके एक्सरसाइज
हैं। परंतु हम जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं, दुनिया से शरमाने लगते हैं, हमारी शारीरिक गतिविधियां
कम होने लगती है। हम शरीर से जरूरत भर ही काम लेते हैं। वहीं, खेतों में काम करने वाले किसान,
उम्र के अंतिम पड़ाव पर आकर भी अपने काम कर लेते हैं। हमारे पूर्वज अक्सर कहा करते थे, अपना
काम स्वयं करो। शायद इसीलिए घर की स्त्रियों के लिए गृहिणी शब्द बना। परंतु आज तो घर का
सारा काम आयाएं करती हैं। गृहिणियां तो 40-45 की उम्र के बाद बीमार होने लगती हैं। मांस-पेशियां
जकड़ने लगती हैं। बढ़ती उम्र में यह समस्या और भी तेजी से जोर पकड़ती है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी 68 वर्ष की उम्र में फिट हैं। अपने इसी अनुभव को वह
पूरे देश को बताकर जागरूकता का आह्वान करते हैं। कहने का उद्देश्य है कि अगर हम नियमित रूप
से व्यायाम करें और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे तो बीमारी हमें जकड़ नहीं पाएगी। हम स्वस्थ
रहेंगे तो हमारा राष्ट्र भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने संस्कृ त की एक उक्ति को उद्धृत करते हुआ कहा है -
‘शरीरमाद्यम खलु धर्म साधनम’ और ‘तंदुरुस्ती हजार नियामत’ हमारी संस्कृ ति के मूलमंत्र रहे हैं।
हमें फिटनेस को अपने परिवार, समाज और देश की सफलता का मानक बनाना होगा। ‘मैं फिट तो
इंडिया फिट’ और ‘बॉडी फिट तो माइंड फिट’ भी इसके लिए अच्छे सूत्र साबित हो सकते हैं।’