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!! श्रीमन्नारायणचरणौ शरणं प्रपद्ये !!

नवतारा चक्र
ब्रजेश पाठक ज्यौततषाचायय
हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान
Mob.- +91 9341014225.
नवतारा चक्र (अश्विनी नक्षत्र)
जन्म सम्पत श्ववपत् क्षेम प्रत्यरी साधक श्वनधन श्वमत्र अश्वतश्वमत्र

अश्विनी भरणी कृश्वत्तका रोश्वहणी मग


ृ श्वशरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा

मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त श्वचत्रा स्वाती श्ववशाखा अनुराधा ज्येष्ठा

मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धश्वनष्ठा शतश्वभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कश्वतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, श्ववपत् , प्रत्यरी, और श्वनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, श्वमत्र और अश्वतश्वमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यश्वद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता श्वमलना श्वनश्वित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में श्वकए गए कायों का श्ववफल होना श्वनश्वित है ।
➢ अशुभ ताराओं के श्ववंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के श्ववंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योश्वतश्ववयज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (भरणी नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा

प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती अतिनी

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (कृत्तिका नक्षत्र)
जन्म सम्पत त्तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक त्तनधन त्तमत्र अत्ततत्तमत्र

कृत्तिका रोत्तहणी मग
ृ त्तशरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी

उ.फाल्गुनी हस्त त्तचत्रा स्वाती त्तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़

उिराषाढ़ श्रवण धत्तनष्ठा शतत्तभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती अत्तिनी भरणी

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कत्ततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, त्तवपत् , प्रत्यरी, और त्तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, त्तमत्र और अत्ततत्तमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यत्तद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता त्तमलना त्तनत्तित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में त्तकए गए कायों का त्तवफल होना त्तनत्तित है ।
➢ अशुभ ताराओं के त्तवंशोिरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के त्तवंशोिरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योत्ततत्तवयज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (रोहिणी नक्षत्र)
जन्म सम्पत हवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक हनधन हमत्र अहतहमत्र

रोहिणी मग
ृ हशरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी

िस्त हचत्रा स्वाती हवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़

श्रवण धहनष्ठा शतहभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती अहिनी भरणी कृहत्तका

नवतारा चक्र के प्रयोग िे तु कहतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप िी फल प्रदान करती िैं ।
➢ जन्म, हवपत् , प्रत्यरी, और हनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती िैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, हमत्र और अहतहमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती िैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यहद आप अपनी शुभ तारा में करते िैं तो सफलता हमलना हनहित िै ।
➢ अपने अशुभ तारा में हकए गए कायों का हवफल िोना हनहित िै ।
➢ अशुभ ताराओं के हवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के हवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ िोती िै ।

सौजन्य – िररिर ज्योहतहवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (मग
ृ शिरा नक्षत्र)
जन्म सम्पत शवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक शनधन शमत्र अशतशमत्र

मग
ृ शिरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त

शचत्रा स्वाती शविाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण

धशनष्ठा ितशभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती अशिनी भरणी कृशत्तका रोशहणी

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कशतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, शवपत् , प्रत्यरी, और शनधन ताराएँ अिुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, शमत्र और अशतशमत्र ताराएँ िुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी िुभकायय यशद आप अपनी िुभ तारा में करते हैं तो सफलता शमलना शनशित है ।
➢ अपने अिुभ तारा में शकए गए कायों का शवफल होना शनशित है ।
➢ अिुभ ताराओं के शवंिोत्तरी दिेि की दिा भी अिुभ तथा िुभ ताराओं के शवंिोत्तरी दिेि की दिा भी िुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योशतशवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (आर्द्ाा नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

आर्द्ाा पुनवा सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा

स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाा षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा

शततभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकाया यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवा ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र ( पुनवव सु नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

पुनवव सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती

तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाव षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा

प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राव

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायव यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवव ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र ( पुष्य नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा

अनुराधा ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद

उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र ( अश्ले षा नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा

ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद

रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र ( मघा नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा

मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती

अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र ( प.ू फाल्गुनी नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी

भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (उ.फाल्गुनी नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़

उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी

कृतत्तका रोतहणी मग
ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (हस्त नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़

श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका

रोतहणी मग
ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (चचत्रा नक्षत्र)
जन्म सम्पत चवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक चनधन चमत्र अचतचमत्र

चचत्रा स्वाती चवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण

धचनष्ठा शतचभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अचिनी भरणी कृचत्तका रोचहणी

मग
ृ चशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कचतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, चवपत् , प्रत्यरी, और चनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, चमत्र और अचतचमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यचद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता चमलना चनचित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में चकए गए कायों का चवफल होना चनचित है ।
➢ अशुभ ताराओं के चवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के चवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योचतचवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (स्वाती नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा

शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा

आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (ववशाखा नक्षत्र)
जन्म सम्पत ववपत् क्षेम प्रत्यरी साधक वनधन वमत्र अवतवमत्र

ववशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धवनष्ठा शतवभषा

प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अविनी भरणी कृवत्तका रोवहणी मग


ृ वशरा आद्राय

पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त वचत्रा स्वाती

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कवतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, ववपत् , प्रत्यरी, और वनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, वमत्र और अवतवमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यवद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता वमलना वनवित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में वकए गए कायों का ववफल होना वनवित है ।
➢ अशुभ ताराओं के ववंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के ववंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योवतववय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (अनुराधा नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

अनुराधा ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद

उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु

पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (ज्येष्ठा नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद

रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य

अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (मल
ू नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती

अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा

मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (पवू ाा षाढ़ नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

पवू ाा षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी

भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राा पुनवा सु पुष्य अश्ले षा मघा

प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकाया यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवा ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (उत्तराषाढ़ नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी

कृतत्तका रोतहणी मग
ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी

उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (श्रवण नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका

रोतहणी मग
ृ तशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी

हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (धननष्ठा नक्षत्र)
जन्म सम्पत नवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक ननधन नमत्र अनतनमत्र

धननष्ठा शतनभषा प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अनिनी भरणी कृनत्तका रोनहणी

मग
ृ नशरा आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त

नचत्रा स्वाती नवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कनतपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, नवपत् , प्रत्यरी, और ननधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, नमत्र और अनतनमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यनद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता नमलना नननित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में नकए गए कायों का नवफल होना नननित है ।
➢ अशुभ ताराओं के नवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के नवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योनतनवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (शतभिषा नक्षत्र)
जन्म सम्पत भवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक भनधन भमत्र अभतभमत्र

शतभिषा प.ू िाद्रपद उ.िाद्रपद रे वती अभिनी िरणी कृभत्तका रोभहणी मग


ृ भशरा

आद्राय पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त भचत्रा

स्वाती भवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धभनष्ठा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कभतपय सत्र


ू -
➢ ये सिी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, भवपत् , प्रत्यरी, और भनधन ताराएँ अशुि मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, भमत्र और अभतभमत्र ताराएँ शुि मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई िी शुिकायय यभद आप अपनी शुि तारा में करते हैं तो सफलता भमलना भनभित है ।
➢ अपने अशुि तारा में भकए गए कायों का भवफल होना भनभित है ।
➢ अशुि ताराओं के भवंशोत्तरी दशेश की दशा िी अशुि तथा शुि ताराओं के भवंशोत्तरी दशेश की दशा िी शुि होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योभतभवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (प.ू भाद्रपद नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

प.ू भाद्रपद उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय

पुनवय सु पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती

तवशाखा अनुराधा ज्येष्ठा मल


ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (उ.भाद्रपद नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

उ.भाद्रपद रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आद्राय पुनवय सु

पुष्य अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा

अनुराधा ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भाद्रपद

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.


नवतारा चक्र (रे वती नक्षत्र)
जन्म सम्पत तवपत् क्षेम प्रत्यरी साधक तनधन तमत्र अतततमत्र

रे वती अतिनी भरणी कृतत्तका रोतहणी मग


ृ तशरा आर्द्ाय पुनवय सु पुष्य

अश्ले षा मघा प.ू फाल्गुनी उ.फाल्गुनी हस्त तचत्रा स्वाती तवशाखा अनुराधा

ज्येष्ठा मल
ू पवू ाय षाढ़ उत्तराषाढ़ श्रवण धतनष्ठा शततभषा प.ू भार्द्पद उ.भार्द्पद

नवतारा चक्र के प्रयोग हे तु कततपय सत्र


ू -
➢ ये सभी ताराएँ नामानुरुप ही फल प्रदान करती हैं ।
➢ जन्म, तवपत् , प्रत्यरी, और तनधन ताराएँ अशुभ मानी जाती हैं ।
➢ सम्पत, क्षेम, साधक, तमत्र और अतततमत्र ताराएँ शुभ मानी जाती हैं ।
➢ अपना कोई भी शुभकायय यतद आप अपनी शुभ तारा में करते हैं तो सफलता तमलना तनतित है ।
➢ अपने अशुभ तारा में तकए गए कायों का तवफल होना तनतित है ।
➢ अशुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी अशुभ तथा शुभ ताराओं के तवंशोत्तरी दशेश की दशा भी शुभ होती है ।

सौजन्य – हररहर ज्योतततवय ज्ञान संस्थान, Mob.- +91 9341014225.

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