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जुलूस

प्रेमचंद
●●प्रेमचन्द का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस
शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था।
●●आपके पिता का नाम अजायब राय था।
●● वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम
करते थे
●●धनपतराय की उम्र जब के वल आठ साल की थी तो
माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के
अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना
धनपतराय को करना पड़ा।
●● पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण
बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका।
●● जीवन गरीबी में ही पला।
●●कहा जाता है कि आपके घर में भयंकर गरीबी थी
●●पहनने के लिए कपड़े न होते थे और न ही खाने के
लिए पर्याप्त भोजन मिलता था।
●● इन सबके अलावा घर में सौतेली माँ का व्यवहार
भी हालत को खस्ता करने वाला था।
.
पात्र :-

 शम्भुनाथ- दुकानदार
 दीनदयाल- दुकानदार
 मैकू -चप्पल बेचनेवाला
 बीरबल सिंह- दरोगा ( पुलिस )
 इब्राहिम अली-आज़ादी के दीवाने
 कै लाश :-इब्राहिम अली के दल का व्यक्ति ( जो
इब्राहिम को शहर से आती आक्रामक भीड़ के
बारे मे बतलाता हैँ )
 मिट्ठन बाई- दरोगा बीरबल सिंह की पत्नी, ( पति
के अंग्रेजों के प्रति सेवा भाव के विरुद्ध )
 युवतियाँ- जो जुलुस मे सम्मिलित हैँ और
बीरबल सिंह पर तंज कस्ती हैँ
 वृद्धा- वृद्धा ने आँखें चढ़ा कर कहा-मेरी कोख में
ऐसा बालक जन्मा होता, तो उसकी गर्दन मरोड़
देती!
 स्वराजी :- जो जुलुस मे सम्मिलित हैँ
इसका नाम हैँ :
 जुलुस :- लोगो का समूह जो किसी
विशेष उदेश्य
की प्राप्ति के लिए एकत्रित होता हैँ,
और एक स्थान से अपने गतंव्य
स्थान
तक उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए चलता
हैँ,,

 जुलुस धरना प्रदर्शन से भिन्न


हैँ,जिसका उद्देश्य दूकानें लूटने या
मोटरें तोड़ने नहीं हैं। बल्कि मकसद
इससे कहीं ऊँ चा है।
.
इस कहानी मे दो जलूसों का वर्णन हैँ :-

 स्वराज का जुलुस :-यह पेट के भक्तों, किराये


के टट्टुओं का दल न था। यह स्वाधीनता के
सच्चे स्वयंसेवकों का, आजादी के दीवानों का
संगठित दल था-अपनी जिम्मेदारियों को खूब
समझता था |

 इब्राहिम अली के जनाजे का जलूस जिसमे
लाखो मनुष्य के कं ठो से वंदेमातरम् का जय
घोष हो रहा था. बच्चे,जवान, बूढ़े, और
महिलाएं सभी इस जलूस मे सम्मिलित
हुए,वह स्वराज्य के उत्सव का जुलूस था, यह
एक शहीद के मातम का।

 स्थान / दृश्य - नगर का माल रोड, बीरबल
सिंह का कमरा, गंगा की ओर जाने वाली
सड़क, गंगा का किनारा
.
इब्राहिम अली की आकांशय :-

 1. स्वराज

 2.हमारे भाई-बंद ऐसे हुक्मों की तामील करने


से साफ
इन्कार कर दें, जिनकी मंशा महज कौम को
गुलामी की
जंजीरों में जकड़े रखना है। ( संघर्ष अपने ही
भाइयों से है,
जिनके हित परिस्थितियों के कारण हमारे हितों
से भिन्न हैं।
हमें उनसे वैर नहीं करना है )

3.उनकी लाश को गंगा में नहला कर दफन


किया जाय और मजार पर स्वराज्य का झंडा
खड़ा किया जाय |

.
मूल संवेदना
 यह कहानी संबंधी माड्यूलर के दूसरे
पाठ्यक्रम 'प्रेमचंद की कहानियाँ' का
तीसरा खण्ड. है। ... 'जुलूस' और
'समर-यात्रा' स्वाधीनता आंदोलन
संबंधी प्रेमचंद की. सबसे ... मूल नाम
उस औपनिवेशिक सरकार की सेवा मे
थे, जिसने उनकी भावना की
अभिव्यक्ति ... आमदनी ईश्वर देता
है, उसी से उसकी बरकत होती है, तुम
स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या ... इस
बेगार में मानवीय संवेदना का तनिक.
.
जुलूस कहानी का प्रतिपाद्य
.इब्राहिम अली गाँधीजी से प्रभावित है।
'हम
दुकानें लूटने या मोटरें तोडने नहीं
निकले हैं'
इब्राहिम अली के इस कथन से उनपर
गाँधीजी
के अहिंसा तत्व का स्पष्ट प्रभाव देखने
को
मिलते हैं। इब्राहिम अली बहु त ही
साहसी है
और निडर भी। इसलिए बीरबलसिंह के
हु क्म से वह डरते नहीं।
.
PPT BY :
1) AYUSHI
KAUSHIK
758
.

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