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चोल प्रशासन

चोल शासन का सर्ााधिक महत्र्पर् ू ा पक्ष उसकी शासन व्यर्स्था थी जिसमें प्रबल केंद्रीय ननयत्र् के साथ ही बहुत अधिक
मा्ा में स्थानीय स्र्ायत्तता भी थी।

राजा
1. केन्द्द्रीय प्रशासन में सर्ााधिक महत्त्र्पर्
ू ा व्यजतत रािा था
2. शासन का स्र्रूप राितत्ात्मक
3.रािा चक्रर्नतागल, त्र्लोक सम्राट िैसी उपाधियात ग्रहर् करते थे े्
4. ज्येष्ठता के आिार पर उतराधिकार का प्रचलन था
5.भव्य राज्याभभषेक का आयोिन ककया िाता थ
6.मतदिरोंंत में सम्राट की मनू तायात स्थापपत की िाती थी
7.न्द्यायय व्यर्स्था का प्रमुख रािा ही होता था
8.िाभमाकक मामलों में रािपरु ोदहत का परामशा लेते थे
अधिकारी तंत्र
1. एक पर्स्तत ृ अधिकारी तत् था
2. केंद्रीय अधिकाररयों की कई श्रेणर्यात थी
3. पेरूिानाम- उच्च स्तरीय अधिकारी
4. भशरूिनाम- ननम्न स्तरीय अधिकारी
5. उडनकुट्टम- रािा के ननिी सहायक
6. र्ेडतै कर- रािा के व्यजततगत अतगरक्षक
7. अधिकाररयों के पि अनुर्ातभशक थे
8. र्ेतन के रूप में भूखतड दिए िाते थे
सैन्य संगठन
1. सेना के मुख्य अतग थे- पैिल सेना, अश्र्ारोही, हजस्त िल
2. चोलों के पास एक शजततशाली नौसेना भी थी
3. रािा सेना का प्रिान होता था
4. प्रमुख सैननक अधिकारी- नायक, सेनापनत,महािातडनायक
5. चोल सेना में सभी र्र्ों के लोग शाभमल थे
राजस्व व्यवस्था
1. राज्य की आय का प्रमुख सािन भूभमकर था
2. भभू मकर ग्राम सभाएत र्सल ू करती थीत
3. चोल शासकों ने समस्त भूभम की माप कराई तथा उत्पािकता के आिार पर कर का ननिाारर् ककया
4. 1/3 दहस्सा कर के रूप में भलया िाता था, लेककन समय- समय पर कर में पन ु ननािाारर् भी होता था
5. भूभम कर के अनतररतत व्यापाररक र्स्तुओ,त व्यर्सायों, र्नों, उत्सर्ों इत्यादि पर भी कर लगाए िाते थे
6. करों के प्रकार- ित डम, र्रर, आयाम, कडमै, पेपर्र इत्यादि
7. र्ररतपोतगकक- रािस्र् पर्भाग का प्रमख ु अधिकारी
प्रशासननक ववभाग
मंडलम
1. प्रातत को मतडलम कहा िाता था
2. मतडलम का प्रशासन रािघराने से सतबधत ित व्यजतत िे खते थे
3. इनके प्रमख ु को मतडलेश्र्र कहा िाता था
4. मतडलों की अपनी सेना तथा न्द्यायालय थी
5. कालाततर में मतडलम के शासक का पि र्तशानग ु त हो गया
वलनाद ु
1. र्लनाि ु एक प्रशासननक इकाई थी जिसका पर्कास चोल काल में हुआ था
2. इसकी तल ु ना र्तामान समय के कभमश्नरी से की िा सकती है
नाडु
1. नाडु लगान र्सूली से सतबधत ित इकाई थी जिसकी तुलना आि के जिला से की िा सकती है
2. नाडु र्गाई- प्रशासननक अधिकारी
3. टोंडर्ान- लगान र्सल ू ने र्ाला अधिकारी
4. नाडु की सभा को नत्तार कहते थे
5. नात्तार सभा का मख्ु य काया भू रािस्र्, न्द्यानयक काया, मतदिरों इत्यादि का प्रबतिन िे खना था
स्थानीय स्वशासन
उत्तर मेरुर से प्राप्त पराततक प्रथम के 919 तथा 921 ईस्र्ी के िो अभभलेखों से चोल कालीन स्थानीय
स्र्शासन के बारे में पता चलता है । चोल प्रशासन की सबसे महत्र्पर् ू ा पर्शेषता ग्राम स्तर पर स्थानीय
स्र्ायतता की व्यर्स्था थी। इसके भलए पर्भभन्द्न ग्रामों में स्थानीय प्रशासन का काम प्रनतननधि सतस्थाओत
के माध्यम से सतचाभलत होता था। ये तीन प्रकार की थीत।

उर
1. इसका अजस्तत्र् प्राचीन बजस्तयों अथर्ा नगरो में िे खने को भमलता था
2. यह सर्ासािारर् की सभा थी
3. बडे गातर् में िो उरों का अजस्तत्र् भी िे खने को भमलता था
4. गातर् के र्यस्क करिाता इसके सिस्य होते थे
5. गर्म- उर की कायासभमनत
सभा/महासभा
1. सभा अग्रहार (ब्राह्मर्ों को िान में दिए गए ग्राम) ग्रामों में अजस्तत्र् में थे
2. ऐसे ग्रामों में मख्
ु यत पर्द्र्ान ब्राह्मर् ननर्ास करते थे
3. सभा में केर्ल ब्राह्मर् ही सिस्य होते थे
4. सभा, उर की तुलना में ज्यािा सतगदठत होते थे
5. महासभा, सभा की हीत र्ह ृ त सभा थी
6. र्ारीयाम- सभा की कायासभमनत
7. सिस्यों का चन ु ार् ग्रामर्ाभसयों द्र्ारा शै क्षणर्क , आधथाक एर्त नैनतक आिार पर की िाती थी
8. ग्रामसभा को बहुत सारे अधिकार प्राप्त थे। कर लगाना, कर र्सूलना, बेगार लेने का भी अधिकार था
9. न्द्याय व्यर्स्था, बैंककतग काया भी इसके जिम्मे था
10. रािस्र् र्सल ू ी, भसचत ाई, उपर्नों, तालाब, आर्ागमन के सािनों की िे खरे ख
11. अकाल तथा अन्द्य सतकटों के समय ग्रामर्ाभसयों की सहायता करना
12. मतदिरों, भशक्षर् सतस्थानों, िान गह ृ ों इत्यादि की व्यर्स्था िे खना
नगरम तथा समह

1. नगरम मल ू तः व्यापाररयों की प्रशासननक सभा थी
2. महत्त्र्पर्
ू ा व्यापाररक केन्द्द्रों में नगरम का गठन स्थानीय सभा के रूप में होता था
3. नगरम की प्रशासननक व्यर्स्था में मुख्य रूप से व्यापाररयों को हीत सजम्मभलत ककया िाता था
4. समह ू - समह ू ों का गठन पर्शेष उद्िे श्य की पनू ता के भलए ककया िाता था
5. कुछ प्रमुख समूह- र्लातज्या र(व्यापाररक समूह), माननग्रमाम (व्यापाररक समूह), मूल परुदियार (
मतदिर का प्रबतिन)
डॉ प्रशातत कुमार
इनतहास पर्भाग
टी पी एस कॉलेि, पटना
पाटभलप् ु पर्श्र्पर्द्यालय

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