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Ashok Kumar Jain v. UoI W.P. (C) No.

546/2000 [Now renamed as "In


Re: Article 334 of the Constitution"
“Constitutional Bench matter on Reservation in Parliament and Assembly Seats”

• सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित

जातत (एससी) और अनुसूचित जनजातत (एसर्ी) समुदायों के ललए प्रदान ककए गए

आरक्षण को िुनौती दे ने िाले कई मामलों की सुनिाई 21 निंबर 2023 को तय

की।

• यह मामला 79िें संिैधातनक संशोधन अचधतनयम, 1999/ संविधान के अनुच्छे द 334 की िैधता

को िुनौती से संबंचधत है, जजसने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लोइंडियन समुदाय,

अनुसूचित जातत और अनस


ु ूचित जनजातत को आरक्षण है/
• यह प्रािधान शुरू में 10 िर्षों के ललए लागू ककया जाना था। हालााँकक, इसे 8िें संशोधन

द्िारा 1970 तक बढा ददया गया था। आरक्षण की अिचध को 23वें , 45वें , 62वें

और 79िें संशोधन द्िारा क्रमशः 1980, 1990, 2000 और 2010 तक बढा ददया

गया था। 95वें संशोधन द्िारा आरक्षण की अिचध को 2020 तक बढा ददया गया।

104वें संशोधन द्िारा आरक्षण की अिचध को 2030 तक बढा ददया गया।

• यह मामला िर्षट 2000 में स्िीकार ककया गया था कक उपरोक्त संशोधन संविधान के अनुच्छे द 14

के तहत समानता के अचधकार का उल्लंघन करता है क्योंकक यह बार-बार आरक्षण को बढाता है ,

जो उन लोगों के समान प्रतततनचधत्ि और लोकतांत्रिक अचधकारों को कमजोर करता है जो

आरक्षक्षत समुदायों से संबंचधत नहीं हैं। .

• 2003 में सुप्रीम कोर्ट की एक डििीजन बेंि ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ के पास

भेज ददया।

• 2009 में , संसद ने छठी बार अनुच्छे द 334 में संशोधन ककया और एससी/एसर्ी और एंग्लो-

इंडियन समुदायों के ललए आरक्षण को 10 साल की अिचध के ललए और बढा ददया

• िुनाि के समय यह राजनीततक और सामाजजक रूप से संिेदनशील मुद्दा बन सकता है , इसललए

मैं इस पर गौर करने का विनम्र अनुरोध करता हूं


Important Issue:-
• अनुसूचित जातत आयोग और अनुसूचित जनजातत आयोग इस याचिका में पक्षकार नहीं हैं,

इसललए यह अनुरोध ककया जाता है कक इन आयोगों को एससी और एसर्ी समुदायों की ओर से


प्रभािी सुनिाई और तकट के ललए याचिका में पक्षकार होना िादहए।
• आगे दलील दी गई है कक यदद इन आयोग को पक्षकार नहीं बनाया गया, तो विपक्षी दल इसे मुद्दा

बनाएंगे और सिोच्ि न्यायालय के समक्ष जानबूझकर मामले पर प्रभािी ढं ग से बहस नहीं करने

के ललए मोदी सरकार को दोर्षी ठहराएंग।े

• इस मामले में , अंततम बहस 21 निंबर को शुरू होगी और राजस्थान में 25 निंबर को िुनाि होना

है, इसललए समय बहुत संिद


े नशील है और मीडिया और विपक्ष मोदी सरकार पर न्यातयक मागट

के माध्यम से व्यिजस्थत और अप्रत्यक्ष रूप से आरक्षण को हर्ाने का आरोप लगाएगा, इसललए

यह बेहतर है, जहााँ तक संभि हो मामले को लर्काना है/

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