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वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी में-1-15
वात्स्यायन का कामसूत्र हिन्दी में-1-15
•प्रततभेद।
•आशलंगन।
•चुंबन प्रकार।
•नखच्छे दन-प्रकार।
•संभोग के प्रकार।
•मुट्ठी मारना।
•औपररष्िक (मुखमैर्ुन)।
•उत्तेजना के प्रकार।
•प्रणय कलह।
इस दसरे अधधकरण का नाम साम्प्रयोधगक है। सम्प्रयोग से मतलब यहां संभोग से हैं।
कामसत्र का ग्रंर् होने की वजह से इस ग्रंर् में यह खासतौर से बताया गया है पुरुष अर्म, धमम
और काम नामक तीनों वगों की प्राजतत के शलए जस्त्रयसाधयत अर्ामत स्त्री को प्रातत करें ।
आचायम वात्स्यायन स्त्री को पाने का सबसे बडा लक्ष्य संभोग को ही मानते हैं। लेककन जब