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•प्रमाण, भावों और काल के मुतात्रबक संभोग किया की व्यवस्र्ा करना।

•प्रततभेद।

•आशलंगन।

•चुंबन प्रकार।

•नखच्छे दन-प्रकार।

•दं तच्छे दन-प्रकार।

•अलग-अलग प्रदे शों के लोगों की अलग-अलग प्रववृ त्तयां।

•संभोग के प्रकार।

•ववधचत्र प्रकार के ववशशष्ि रत।

•मुट्ठी मारना।

•अलग-अलग स्रोकों से पैदा हुई सी-सी करना।

•र्कने के बाद पुरुष का स्त्री के समान व्यवहार करना।

•पुरुष का पास आना।

•औपररष्िक (मुखमैर्ुन)।

•संभोग किया की शुरुआत और आखखरी में कत्तमव्य।

•उत्तेजना के प्रकार।

•प्रणय कलह।

इस अधधकरण के अंतगमत यह 17 प्रकरण हदए गए हैं और 10 अध्याय हैं।

इस दसरे अधधकरण का नाम साम्प्रयोधगक है। सम्प्रयोग से मतलब यहां संभोग से हैं।
कामसत्र का ग्रंर् होने की वजह से इस ग्रंर् में यह खासतौर से बताया गया है पुरुष अर्म, धमम
और काम नामक तीनों वगों की प्राजतत के शलए जस्त्रयसाधयत अर्ामत स्त्री को प्रातत करें ।
आचायम वात्स्यायन स्त्री को पाने का सबसे बडा लक्ष्य संभोग को ही मानते हैं। लेककन जब

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