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Grade 8 Jan Notes
Grade 8 Jan Notes
पाठ- आत्मववश्वास
शब्दाथथ + वाक्य
१. अभागा – भाग्र् ीन/ बदककस्मत
िाक्र् :- मो न ब ु त अभागा ै , हदन-रात मे नत के बाद भी ि दौड़ में प्रथम न ीिं आ सका |
२. प्रतियोगगिा – मक
ु ाबला
िाक्र् :- मारे स्कूल में प्रनतिषा खेलकूद के प्रनतर्ोगगता का आर्ोजन ककर्ा जाता ै |
३. ववश्वववख्याि - सिंसार में प्रशसद्ध
िाक्र् :- भारतीर् खखलाड़ी मैरी कॉम एक विश्िविख्र्ात बॉक्सर ैं |
४. अखंड – जजसके टुकड़े न ो
िाक्र् :- भारत के लौ पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटे ल अखिंड भारत के ननमााता थे |
५. रहस्य – भेद , नछपी ु ई बात
िाक्र् :- गचत्तौड़गढ़ के ककले में कई र्द्ध
ु ों का र स्र् नछपा ु आ ै |
प्रश्न - उत्िर
प्र०१. मानि जीिन में सफलता की प ली शता क्र्ा ै ?
उ०. मानि जीिन में सफलता की प ली शता ै – अविचल श्रद्धा |
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प्र०२. एकाग्रता से नष्ट ोती ै |
उ०. दवु िधा
प्र०३. जीिन के उतार- चढ़ाि से घबराकर मनुष्र् ककन लोगों की तर ो जाता ै और क्र्ों ?
उ०. जीिन के उतार- चढ़ाि से घबराकर मनुष्र् उन लोगों की तर ो जाता ै , जो कूड़ाघरों के पास कुसी
लगाकर बैठ जाते ैं और श र की गिंदगी को गाली दे ता ैं | क्र्ोकक ऐसे लोग मेशा उतार की बातें सोचते
ैं और ननराशाजनक बातें करते ैं |
प्र०४. पािंडिों की विजर् का र स्र् क्र्ा था ?
उ०. पािंडिों की विजर् का र स्र् कृष्ण द्िारा उन् ें हदर्ा गर्ा आत्मविश्िास था | उन् ोंने पूरे आत्मविश्िास
के साथ अजन
ुा को र्द्ध
ु करने के शलए प्रेररत ककर्ा और र् विश्िास हदलार्ा कक जीत अिश्र् सत्र् की ोगी
और पािंडि ी विजर्ी ोंगे |
प्र०५. लेखक के शमत्र बिंदक
ू धारी सज्जन के चरणों में गगरकर क्र्ों गगड़गगड़ा र े थे ?
उ०. लेखक के शमत्र बिंदक
ू धारी सज्जन के चरणों में गगरकर इसशलए गगड़गगड़ा र े थे क्र्ोंकक उन् ें र्
आशिंका थी कक भेड़ड़र्ा उनकी पत्नी को खा जाएगा | िे बिंदक
ू धारी सज्जन से अपनी पत्नी की रक्षा करने के
शलए गगड़गगड़ा र े थे | जब बिंदक
ू धारी सज्जन ने ि ााँ जाकर दे खा तो ि ााँ भेड़ड़र्ा न ीिं कुत्ता था | असल
में लेखक के शमत्र भर् के कारण आत्मविश्िास ीन ो गए थे | अतः िे कुत्ते को भेड़ड़र्ा समझ बैठे |
प्र०६. आत्मगौरि और आत्मविश्िास की सुरक्षा के शलए नीनतिचन क्र्ा सुझाि दे ता ै ?
उ० जो विजर्ी ोना चा ता ै , उसे आत्मगौरि और आत्मविश्िास दोनों पर डटे र ना चाह ए | विजर्माला
उसी के गले में पड़ती ै जो अपनी पूरी ताकत के साथ छलााँग लगाता ै और खतरों से खेलता ै | में
भूलना न चाह ए कक जो ड़बड़ाके र जाता ै, ि र जाता ै | जो ीमत करता ै, ि मुजश्कलों को पार
कर लेता ै |
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