गृहस्थों के 81 उन्नति हेतु

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गृह क उ त म हेतभ

ु तू ८१ याय

गृह के लये ९ अमृत, ९ तु दान, ९ कम, ९ न दतकम, ९

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गु तकाय, ९ का यकाय, ९ सफलकाय, ९ न फलकाय, और

ail
९ अदे य व तु ह; यही नव नवक अथात् ८१ या गृह क
उ त करनेवाली है -

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सुधा नव गृह य ईष ाना न वै नव ।
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नव कमा ण च तथा वकमा ण नवैव तु ॥
ा न नवा या न का या न पुननव ।
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सफला न नवा या न न फला न नवैव तु ॥


अदे या न नवा या न व तुजाता न सवदा ।
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नवका नव न द ा गृह ो तकारकाः ॥


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गृह हेतु ९ अमृत


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इनम स नके आनेपर (१) मन, (२) ने , ( ३) मुख, और (४)


वचनको सौ य रखना, (५) उसको दे खकर उठना, (६) उससे
as

आनेका योजन पृछना, (७ ) उससे य वचन बोलना, (८)


भोजना द ारा उसक सेवा करना और (९) उसको कु छ रतक
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661
प च
ं ाना, ये ९ अमृत ह-
सुधाव तू न व या म व श े गृहमागते ।
मन मु ुखं वाचं सौ यं द वा चतु यम् ॥

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अ यु ानं ततो ग े पृ ालापः या वतः ।

ail
उपासनमनु या काया येता न न यशः॥

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गृह ारा द ९ तु दान
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अ यागतके आनेपर उसको (१) भू म, (२) जल और (३)
कु शासन दे ना; (४) उसका पैर धोना, (५) उसको उबटनलगाना,
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(६) उसको वास ान दे ना, (७) श या दे ना (८) यथाश कु छ


भोजन कराना और (९) अ यागतको म या जल दे ना; ये ९
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तु दान ह-
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ईष ाना न चा या न भू मराप तृणा न च ।


vv

पादशौचं तथा य आ यः शयना न च ॥ ६ ॥


क ा थाश ना यान गृहे वसेत् ।
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सृ लं चा थने दे यमेता य प सदा गृहे ॥ ७ ॥


अव य करणीय ९ न यकम
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661
(१) स या, (२) नान, (३) जप, (४) होम, (५) वेदपाठ, (६)
दे वपूजा, (७) व लवै दे व, (८) श के अनुसार शा तपूवक
अ त थसेवा करना और (९) पतर, दे व, मनु य, द र , अनाथ,
तप वी, गु , माता और पताको यथायो य वभागकरके भोजन

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दे ना, ये ९ कम ह-

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स या नानं जपो होमः वा यायो दे वताचनम् ।

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वै दे वं मा त यमु धृ या प च श तः ॥
पतृदेवमनु याणां द नानाथतप वनाम् ।
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शु मातृ पतृणां च सं वभागो यथाथतः॥
एता न नव कमा ण वकमा ण तथा पुनः ।
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न दत ९ कम
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(१) झूठबोलना, (२) पर ीसे गमन करना, (३) अभ यभ ण


करना, (४) अग यागमन, (५) नह पीनेयो य व तुको पीना, (६)
vv

चोरी करना, (७) हसा करना, (८) वेदबा काम करना और (९)
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स या आ द कमसे अलग रहना; ये ९ न दत कम ह; इनको


याग दे वे-

आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661
अनृतं परदारा तथाभ य य भ णम् ॥
अग यागमनापेयपानं तेयं च हसनम् ।
अनौतकमाचरणं मै ं धमब ह कृ तम् ॥

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नवैता न वकमा ण ता न सवा ण वेजयत् ॥

ail
गु त रखने यो य ९ बात

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(१) अव ा, (२) धन, (३) घरका छ , (४) म , (५)
मैथनु कम, (६) औषधका नाम, (७) तप या, (८) दान और (९)
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अपमान; ये ९ सदा गु त र खे-
आयु व ं गृह ं म ो मैथनु भेषजे ॥
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तपो दानापमाने च नव गो या न सवदा ।


गृह ारा का य ९ काय
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(१) ऋणदान,(२) ऋणशोध,(३)व तुदान, (४)अ ययन, (५)


sa

व तु व य, (६) क यादान, (७)वृषो सग, ८)गु त पाप और (९)


vv

अ न दनीय काय; ये९ काय गृह का शत करे।।


ायो यमृणशु दाना ययन व याः ॥
as

क यादानं वृषो सग रहः पापमकु सनम् ।


का या न नवैता न गृह ा मण तथा ॥
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661
९ सफल काय
(१) माता (२) पता, (३) गु (४) म (५) न मनु य, (६)
उपकारीमनु य, (७) द र , (८) अनाथ और (९) स नमनु य,
इन ९ को दे ना सफल काय है-

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ail
माता प ोमुरौ म े वनीते चोपका र ण ।
द नानाथ व श षे ु द ं च सफलं भवेत् ॥

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जनको ९ दे ना न फलकाय
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(१) धूत, (२) ब द , (३) म ल, (४) कु वै , (५) कपट , (६)
मूख, (७) छली, (८) चारण और (९) चोर; इन ९ को दे ना
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न फल है-
धूत ब द न म ले च कु वै े कतवे शठे ।
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चाटु चारणचोरे यो द ं भव त न फलम् ॥


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आप कालम भी अदे य ९ वषय


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(१)सवसाधारणको व तु, (२) माँगकर लाई ई व तु (३)


अ य ारा रखा आ कसी अ य मनु यका धरोहर, (४)
ब नक व तु, (५) भाया, ( ६ ) ीका धन, (७) जो
आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661
एकके घर र खा हो और उसनेभी अ यके घर रख दया होय वह
, (८) गनाकर कसीका र खा आ धरोहर और ( ९) वंश
रहते ए अपना सव व; ये ९ कारक व तु आप कालम भी
कसीको नह दे ना चा हये; जो इन व तु को कसीको दे ताहै

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वह मूख है और ाय करनेयो य है।

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सामा यं या चतं यासमा धरा त नम् ।
अ वा हतं च नः पे ं सव वं चा वये स त ॥
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आप व प न दे या न नव व तू न सवदा ।
यो ददा त स मूव तु ाय ने यु यते ॥
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जो मनु य इन ८१ या को जानता है वह मनु य म े है;


दोन लोक म नी त उसके साथ रहतीहै-
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नव नवकवे ा च मनु यो धप तनृणाम् ।


sa

इह लोके पर ा प नी त तं नैव मु च त ॥
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आ द शंकर वै दक व ा सं ान
रभाष : 9044016661

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