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माताजी आनंद व,ृ दावनी एक व/र1ठ भ4त, 5श78का और मायापरु म= संक?

त@न ह/रनाम समह


ू क?
सदCय हD।

मेरा सझ
ु ाव है Iक आप म= से हर कोई अपने बहुमN
ू य समय म= से केवल पांच 5मनट कुछ ऐसा पढ़ने म=
लगाए जो वाCतव म= जीवन बदलने वाला हो सकता है । अगर आप इसे अभी नहWं पढ़ सकते तो इसे सेव
कर ल= और बाद म= पढ़= । यह कहानी भि4त और कृ1ण चेतना के माग@ के बारे म= आपक? समझ को Zे/रत
करने, उ\थान करने और गहरा करने क? 8मता रखती है ।
🙏🙏🙏✨🙏🙏🙏
माताजी आनंद व,ृ दावनी:

हरे कृ1ण, `Zय भ4तa।

कृपया मेरा `वनb Zणाम Cवीकार कर= ।

cील Zभप
ु ाद क? जय हो!

हाल हW म= , भ4तa ने मझ
ु से मेरे म\ृ य-ु dनकट अनभ
ु व(dनयर डेथ ए4सपी/रयंस – Near Death
Experience) और भगवान जग,नाथ क? दया क? कहानी साझा करने के 5लए कहा। इस5लए, उनके
आशीवा@द से, अब मD इस अनभ
ु व का सं8ेप म= वण@न करने का Zयास कvंगा, यह आशा करते हुए Iक यह
Iकसी क? मदद कर सकता है जैसे इसने मेरW मदद क?।

यह जनवरW 2020 म= हुआ जब हम यहां मायापरु म= रह रहे थे। मD Cप1ट कर दं ू Iक मD परू W तरह से CवCथ
था और dनकट भ`व1य म= मरने क? मेरW कोई योजना नहWं थी। वाCतव म= , उस दौरान, मायापरु
अCपताल म= एक भ4त था िजसक? दे खभाल करने के 5लए मDने Cवेxछा से काम Iकया था। मDने सोचा
Iक मD उसक? सेवा कर सकता हूं और मौत का ठyक से सामना करने का कुछ अनभ
ु व Zाzत कर सकता हूं,
वह अनभ
ु व जो 20-30 वष| म= मेरे 5लए उपयोगी हो सकता है ... मझ
ु े नहWं पता था Iक }यट
ू W के अपने
dनधा@/रत •दन पर, मD खद
ु को बगल के कमरे म= बेहोश पाऊंगा, मझ
ु े खद
ु प`व• नाम क? आव‚यकता
होगी।

लेIकन जैसा Iक, मौत काफ? अZ\या5शत vप से आ सकती है , तब भी जब हम अxछे CवाC„य म= हa


और इसक? आशंका न हो। उन •दनa मDने बहुत अ…धक तनाव का अनभ
ु व Iकया, िजसके कारण मD बीमार
पड़ गया। कई •दनa तक मझ
ु े उिNटयाँ होने लगीं और मD खा-पी नहWं सका।

तीन •दनa के बाद, मेरे र4त म= इले4ˆोलाइट का Cतर काफ? कम हो गया, िजससे असहनीय दद@ होने
लगा और बार-बार चेतना खोने लगी। मझ
ु े पहले हमारे मायापरु अCपताल ले जाया गया और Iफर
राणाघाट के एक ि4लdनक म= Cथानांत/रत कर •दया गया। बाद म= , मझ
ु े पता चला Iक पोटे 5शयम और
मैŠनी5शयम क? कमी से Iकसी ‹यि4त क? सभी मांसपे5शयa और अंगa का प8ाघात हो सकता है । मDने
खद
ु को ऐसी िCथdत म= पाया जहां मेरे शरWर क? सभी Zणा5लयाँ बंद हो रहW थीं: मेरा Œदय र4त पंप नहWं
कर सका, पाचन तं• बंद हो गया, `वषा4त पदाथ@ मेरे र4त म= Zवेश कर गए, और मेरे फेफड़a को सांस
लेने म= क•ठनाई हो रहW थी। मD हाँफ रहा था, दद@ से छटपटा रहा था और सोचने म= असमथ@ था 4यaIक
`वषा4त पदाथ| ने मेरे मिCत1क को Zभा`वत Iकया था। मD परू W तरह से घबरा गया था, यह महसस

करते हुए Iक यह अंत हो सकता है । धंध
ु लW धंध
ु के बीच मझ
ु े याद आया Iक मझ
ु े Iकसी को बल
ु ाना है ,
कुछ कहना है , लेIकन मेरा •दमाग काम नहWं कर रहा है , इस5लए मझ
ु े याद नहWं आ रहा Iक Iकसे बल
ु ाऊं।
वे भयानक घंटे थे, असहनीय दद@ और चेतना खोने के बीच झल
ू रहे थे।

हम सोच सकते हD Iक हम बौ•…धक vप से कृ1ण को याद कर सकते हD 4यaIक हम कभी-कभी अपने


जीवनकाल के दौरान ऐसा करते हD। हालाँIक, जैसा Iक मेरे अनभ
ु व ने मझ
ु े •दखाया, म\ृ यु के दौरान,
हमारW ब•
ु …ध बंद हो जाती है , और केवल हमारा मन हW रह जाता है । हम जबरदCती Iकसी चीज़ के बारे
म= नहWं सोच सकते; बिNक, हमारा मन हम= उस ओर ले जाता है जो हमारे जीवन म= हम= सबसे अ…धक
`Zय था, िजसे हम अपना आcय मानते थे। तो, 23 वष| क? साधना के बाद, म\ृ यु के 8ण म= , मD घबरा
गया, और मेरा मन कृ1ण के नहWं, बिNक मेरW माँ के `वचारa से भर गया। मझ
ु े याद आया Iक कैसे
उ,हaने मेरW बचपन क? बीमा/रयa के दौरान आराम Zदान Iकया था, और उन 8णa म= , जब मझ
ु े होश
आया, मDने बस अपनी माँ को पक
ु ारा, भगवान के बारे म= परू W तरह से भल
ू कर। मेरW चेतना क? गहराई म= ,
मझ
ु े पता था Iक मझ
ु े Iकसी और को कॉल करने क? ज़vरत है , लेIकन अ\य…धक दद@ के कारण, मझ
ु े याद
नहWं आ रहा था Iक Iकसे कॉल कvँ या 4या कहूँ।

उस समय, डॉ4टरa ने मझ
ु े स…ू चत Iकया Iक मD म\ृ यु के कगार पर था और Iकसी भी 8ण मर सकता हूँ।
यह खबर कजाIकCतान म= भ4तa को दW गई, जहां र`ववार का एक काय@‘म हो रहा था। मेरे जीवन के
डर से, दयालु भ4तa ने तीन घंटे का क?त@न शv
ु Iकया, और कृ1ण से मेरW मदद करने क? Zाथ@ना क?।
उनक? Zाथ@नाओं के मा’यम से, कृ1ण ने मझ
ु पर अपनी दया बरसाई। प`व• नाम भौdतक Cथान तक हW
सी5मत नहWं है , और कजाIकCतान म= उनका क?त@न राणाघाट के अCपताल म= मझ
ु तक इस Zकार
पहुंचा:

एक बार Iफर, मझ
ु े होश आया और मDने तेज दद@ के कारण चीख या कराह dनकालW। उसी समय, एक
भारतीय नस@ मेरW ओर झक
ु ? और स“ती से बोलW, 'तम
ु 4यa रो रहे हो? बस हरे कृ1ण का जाप करते रहो!'

जैसा Iक मझ
ु े बाद म= ठyक होने के बाद पता चला, यह नस@ एक मिु Cलम थी, और जब मझ
ु े अCपताल से
छु”टW 5मलW तो उसने मझ
ु से cील Zभप
ु ाद क? Iकताब= लेने से भी इनकार कर •दया। जब मDने उससे पछ
ू ा
Iक उसने मझ
ु े गहन …चIक\सा इकाई म= हरे कृ1ण का जाप करने क? सलाह 4यa दW, तो उसने कंधे
उचकाए और कहा, 'मझ
ु े नहWं पता।'

Iकसी तरह, उसके होठa से 'हरे कृ1ण' श•द सन


ु कर बहुत राहत 5मलW। आ–ख़रकार मझ
ु े याद आ गया Iक
म\ृ यु के समय 4या जपना चा•हए। अपनी सारW ताकत इक”ठा करके, मDने 'हरे कृ1ण' का जाप करने का
Zयास Iकया, लेIकन दभ
ु ा@Šय से, बोलने क? मांसपे5शयa स•हत मेरW सभी मांसपे5शयां परू W तरह से
dनि1‘य हो ग˜, और मD केवल अCप1ट vप से बड़बड़ा सका। मD ठyक से 'हरे कृ1ण!' का जाप नहWं कर
सका! इसने मझ
ु े dनराशा म= डाल •दया, और जब मD ”यब
ू a और न5लकाओं से dघरे ™बCतर पर छटपटा
रहा था तो मेरW आँखa से आँसू बह रहे थे।

तभी मDने एक डॉ4टर क? आवाज सन


ु ी जो नस@ को संबो…धत करते हुए पछ
ू रहW थी Iक मD कौन हूं। उ,हaने
जवाब •दया, 'वह इCकॉन से हD।' और Iफर, चम\का/रक vप से, डॉ4टर मेरे बगल म= बैठ गए और गाना
शv
ु कर •दया, 'हे कृ1ण, कšणा 5संध,ु दWना बंधु जगत पथे, गो`पश, गो`पका कांता, राधा कांता
नमCतत
ु !े ' और Iफर उ,हaने 'हरे कृ1ण' का जाप करना शv
ु कर •दया।

इस Zकार, कजाIकCतान म= भ4तa का क?त@न राणाघाट के अCपताल म= उनके मा’यम से मेरे 5लए
Zकट हुआ। इस ‹यि4त के Zdत अ\य…धक कृत›ता महसस
ू करते हुए, साथ हW अपने मख
ू त
@ ापण
ू @ जीवन
और आ‘ामक मं•ोxचार के 5लए गहरा प‚चाताप करते हुए, मDने अपना शरWर छोड़ •दया।
मD भयभीत था 4यaIक मझ
ु े एहसास हुआ Iक मD परW8ा म= परू W तरह असफल हो गया हूँ। मDने मन म=
सोचा, 'मD Iकतना मख
ू @ हूं जो जीवन भर प`व• नाम के साथ इतना सतहW ‹यवहार करता रहा।'

मDने अपने आप को डांटा! और उसी 8ण, मDने अचानक अपने दे वताओं को दे खा िजनक? मD 23 वष| से
पज
ू ा कर रहा था: जग,नाथ, बलदे व और सभ
ु œा। बलदे व और सभ
ु œा दरू W पर थे, और मD केवल उनक?
छाया को अCप1ट vप से दे ख सकता था। लेIकन भगवान जग,नाथ बहुत करWब खड़े थे और Cप1ट vप
से •दखाई दे रहे थे। अचानक, मDने दे खा Iक भगवान जग,नाथ के सभी `व•ह वाCतव म= एक हW भगवान
थे जो कई vपa म= Zकट हुए थे। तब मDने उ,ह= मन1ु य जैसे vप म= दे खा। वह भगवान जग,नाथ थे,
लेIकन साथ हW, वह Cवयं कृ1ण भी थे। उसके हाथ और पैर, संद
ु र आकृdत और सीधी मœ
ु ा थी। उनक?
\वचा सन के फूल क? तरह नीलW थी और उनका चेहरा बहुत आकष@क था, बड़ी-बड़ी आँख= और
रहCयमयी कोमल मC
ु कान थी। उ,हaने कुछ नहWं कहा, लेIकन अचानक, उ,हaने मझ
ु े उस 8ण से मेरा
परू ा जीवन •दखाया जब मD इCकॉन म= शा5मल हुआ और कृ1ण चेतना का अžयास करना शv
ु Iकया।

मेरा परू ा जीवन एक IफNम क? रWल क? तरह मेरW आंखa के सामने से गज


ु र गया, और मDने दे खा Iक इस
परू W IफNम के दौरान, जब मDने `व5भ,न भ5ू मकाएँ dनभा˜, भगवान जग,नाथ मेरW भौdतक आँखa से
अŸ‚य होकर, मेरे बगल म= खड़े थे। उस पल, मD सदमे म= था, यह महसस
ू करते हुए Iक जब से मDने उनका
नाम जपना शv
ु Iकया है तब से कृ1ण ने मझ
ु े एक पल के 5लए भी नहWं छोड़ा है । जब भी मD अकेला
महसस
ू करता था और अपनी समCयाओं से अ5भभत
ू होता था, वह खतरनाक प/रिCथdतयa म= मेरW र8ा
करते हुए हमेशा वहाँ मौजद
ू रहता था।

जब मDने अपने दे श म= मस
ु लमानa को उपदे श दे ना शv
ु Iकया, तो उनके धा5म@क नेताओं ने मेरा 5सर
काटने क? धमक? दW और लगातार मेरा पीछा Iकया। आ–ख़रकार, उ,हaने मझ
ु े अकेला छोड़ •दया, और
मझ
ु े लगा Iक मD उनसे dछपने म= कामयाब हो गया हूँ, लेIकन यह पता चला Iक जग,नाथ ने मझ
ु े उनके
हमलa से बचाया। कई बार मझ
ु े वै›ाdनक हलकa म= उपदे श दे ने के कारण कारावास क? सजा का सामना
करना पड़ा और मD यह सोचकर डर से मर रहा था Iक कृ1ण ने मझ
ु े छोड़ •दया है और यह मेरे 5लए अंत
है । लेIकन अंत म= , उ,हaने मझ
ु े भी छोड़ •दया, और जैसा Iक मझ
ु े बाद म= पता चला, मेरे मामले म=
शा5मल सभी अ…धका/रयa को उनके पदa से बखा@Cत कर •दया गया।

और यह भगवान जग,नाथ क? सरु 8ा भी थी! एक रात, एक पागल ने मझ


ु पर हमला Iकया, लेIकन
अचानक, एक भारW भरकम म•हला अंधेरे से dनकलW और जोर-जोर से …चNलाते हुए उसे भगा •दया। यह
भी कृ1ण क? सरु 8ा थी. दस
ू रW बार, जब मD Iफर से कारावास का सामना कर रहा था, मD परू W रात डर के
मारे रोता रहा। भगवान जग,नाथ मेरे सपने म= आए और मझ
ु े •दखाया Iक सब कुछ ठyक हो जाएगा।
और ये सच dनकला.
अपने परू े जीवन पर `वचार करते हुए, मD समझ गया Iक भगवान कृ1ण अपने भ4तa को कभी नहWं
छोड़ते, चाहे हमारे `पछले पापa के कारण हम= Iकसी भी प/रिCथdत का सामना करना पड़े। यहां तक Iक
जब हम परू W तरह से अकेले, असहाय और असहाय महसस
ू करते हD, तब भी कृ1ण हमेशा हमारे साथ
खड़े रहते हD, अŸ‚य तरWकa से हमारW र8ा करते हD।

इसके अलावा, जब मेरे अिCत\व का टे प चल रहा था, तब कृ1ण ने मेरे जीवन के सबसे मह\वपण
ू @ पहलू
का खल
ु ासा Iकया: उ,हaने मझ
ु े •दखाया Iक सबसे मह\वपण
ू @ 8ण वे क?त@न थे िजनम= मDने भाग 5लया
था। यह आ‚चय@ क? बात थी 4यaIक मDने जीवन भर हर क?त@न को `वCतार से दे खा िजसम= मDने जप
Iकया, यहां तक Iक केवल 3-4 भ4तa के साथ भी। उ,हaने मझ
ु े यह नहWं •दखाया Iक मD Iकसे मह\वपण
ू @
भौdतक घटनाएँ मानता हूँ, बिNक यह बताया Iक उनके 5लए और एक आ\मा के vप म= मेरे 5लए 4या
मह\वपण
ू @ था: प`व• नामa का संय4
ु त जप। Z\येक क?त@न के दौरान, जप करने वाले भ4तa से सन
ु हरे ,
नीले और गल
ु ाबी रं ग क? उ वल ऊजा@ क? धाराएँ उठyं और परू े ¡¢मांड को भरते हुए Cवग@ तक पहुँच
ग˜। यह अजीब था Iक भ4तa के एक छोटे से समह
ू •वारा Iकए गए छोटे क?त@न म= भी इतनी
अ`व‚वसनीय शि4त कैसे थी। प`व• नाम असीम vप से शि4तशालW है , और इसका जप करने का
हमारा Zयास कृ1ण को बहुत `Zय है !

इस वैकिNपक वाCत`वकता से अपने जीवन का अवलोकन करने से मD परू W तरह `वCमय और आनंद म=
डूब गया। Iफर, यह सब ख़\म हो गया। मD अजा5मल क? तरह, एक और मौका पाने के 5लए अपने शरWर
म= लौट आया - भगवान के प`व• नाम को अलग ढं ग से दे खने का मौका।

शायद, कृ1ण और उनके भ4तa क? दया से, मेरे सभी अनथ@ और भौdतक चेतना कृ1ण के प`व• नाम क?
शि4त से श•
ु ध हो जाएंगे, और मD इसे ईमानदारW और श•
ु ध vप से जपना सीखंग
ू ा।

अब, मD प`व• नाम पर उनके कई dनद¤ शa और ‹या“यानa के 5लए अपने आ’याि\मक 5श8क, cील
5शवराम Cवामी के Zdत अपना आभार ‹य4त करना चाहता हूं; मझ
ु े Zdत•दन ’यानपव
ू क
@ और
ईमानदारW से जप करने के 5लए Zे/रत करने के 5लए ज,मा1टमी Zभु को ध,यवाद; िजवनाथ Zभु और
ह/रनाम के भ4तa को संक?त@न म= भाग लेने के दै dनक अवसर के 5लए; इCकॉन म= आ’याि\मक 5श8कa
के 5लए, जो प`व• नाम क? म•हमा करते हD और कृ1ण कथा सन
ु ाते हD; और, सबसे मह\वपण
ू ,@ cील
Zभप
ु ाद को, िज,हaने …गरW हुई आ\माओं पर सबसे बड़ी दया क?।

हरे कृ1णा!

माताजी आनंद व,ृ दावनी.


🙏🙏🙏

>>>>> अ•े`षत संदेश

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