Hindi Mobile Murli (21 February 2024)

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21-02-2024 प्रात: मुरली ओम्

शान्ति "बापदादा" मधुबन


“मीठे बच्चे - ज्ञान की तलवार में
योग का जौहर चाहहए तब ही
हवजय होगी, ज्ञान में योग का
जौहर है तो उसका असर जरूर
होगा”
प्रश्न:- तुम खुदा के पै गम्बर हो, तुम्हें
सारी दु ननया को कौन-सा पैगाम
दे ना है ?
उत्तर:- सारी दु ननया को पैगाम दो
नक खुदा ने कहा है - तुम सब
अपने को आत्मा समझो, दे ह-
अनिमान छोडो, एक मुझ बाप को
याद करो तो तुम्हारे नसर से पापोों
का बोझा उतर जायेगा। एक बाप
की याद से तुम पावन बन जायेंगे।
अिमुुखी बच्चे ही ऐसा पैगाम सिी
को दे सकते हैं ।
ओम् शान्ति। बाप ने समझाया है
कि िोई भी मनुष्य मात्र, किर चाहे
दै वी गुण वाला हो या आसुरी गुण
वाला हो, उनिो भगवान नहीीं िह
सिते। यह तो बच्चे जानते हैं -
दै वीगुण वाले होते हैं सतयुग में ,
आसुरी गुण वाले होते हैं िकलयुग में
इसकलए बाबा ने कलखत भी बनाई है
कि दै वीगुण वाले हो या आसुरी गुण
वाले ? सतयुगी हो या िकलयुगी?
यह बातें बडी मुश्किल से मनुष्योीं
िो समझ में आती हैं । तुम सीढी
पर बहुत अच्छी रीकत समझा सिते
हो। तुम्हारे ज्ञान िे बाण बहुत
अच्छे हैं , परन्तु उसमें जौहर
चाकहए। जैसे तलवार में भी जौहर
होता है । िोई बहुत तीखे जौहर
वाले होते हैं । जैसे गु रू गोकवन्दकसींह
िी तलवार कवलायत चली गई। उस
तलवार िो ले िर पररक्रमा दे ते हैं ।
बहुत साि रखते हैं । िोई दो पैसे
िी तलवार भी होती है , कजसमें
जौहर होता है , वह बहुत तीखी
होती है । उनिा दाम बहुत होता
है । बच्चोीं में भी ऐसे हैं । िोई में ज्ञान
बहुत है , योग िा जौहर िम है । जो
बाीं धेले हैं , गरीब हैं वह किवबाबा
िो बहुत याद िरते हैं । उनमें ज्ञान
िम है , योग िा जौहर बहुत है ।
वह तमोप्रधान से सतोप्रधान बन रहे
हैं । जैसे एि अजुु न-भील िा भी
कमसाल कदखाते हैं । अजुुन से भी
भील तीखा हो गया - बाण मारने
में। अजुुन अर्ाु त् जो घर में रहते हैं ,
रोज़ सुनते हैं । उनसे बाहर रहने
वाले तीखे हो जाते हैं । कजनमें ज्ञान
िा जौहर है उनिे आगे वह भरी
ढोते हैं । िहें गे भावी। िोई िेल
होते हैं वा दे वाला मारते हैं तो
नसीब पर हार् रखते हैं । ज्ञान िे
सार् योग िा जौहर भी जरूर
चाकहए। जौहर नहीीं तो गोया
िुक्कड-ज्ञानी हैं । बच्चे भी िील
िरते हैं । िोई िा पकत में , िोई िा
किसमें प्यार होता है । ज्ञान में बहुत
तीखे होते लेकिन अन्दर श्कखटश्कखट
रहती है । यहााँ तो कबल्कुल साधारण
रहना है ।
सब-िुछ दे खते हुए जैसे दे खते ही
नहीीं। एि बाप से ही प्रीत है । तब
तो गाया जाता है िम िार डे ...
आकिस आकद में िाम िरते भी
बुश्कि में याद रहे कि मैं आत्मा हाँ ।
बाबा ने िरमान किया है कि मुझे
याद िरते रहो। भश्कि मागु में भी
िामिाज िरते िोई न िोई इष्ट
दे वता िो याद िरते रहते हैं । वह
तो है पत्थर िा बु त। उनमें आत्मा
तो है नहीीं। लक्ष्मी-नारायण भी पूजे
जाते हैं । वह भी पत्थर िी मूकतु है
ना। बोलो इनिी आत्मा िहााँ है ?
अब तुम समझते हो जरूर िोई
नाम-रूप में है । अब तुम किर
योगबल से पावन दे वता बन रहे हो।
एम ऑब्जेक्ट भी है । दू सरी बात,
बाप समझाते हैं ज्ञान सागर और
ज्ञान गींगायें इस पु रुषोत्तम सींगमयुग
पर ही होते हैं । बस, एि ही समय
पर होते हैं । ज्ञान सागर आते ही हैं
िल्प िे इस पुरुषोत्तम सींगमयुग
पर। ज्ञान सागर है कनरािार
परमकपता परमात्मा किव। उनिो
िरीर जरूर चाकहए, जो बात भी
िर सिे। बािी पानी िी तो बात
ही नहीीं। यह तुमिो ज्ञान कमलता ही
है सींगमयुग पर। बािी सबिे पास
है भश्कि। भश्कि मागु वाले गींगा िे
पानी िो भी पूजते रहते हैं । पकतत-
पावन तो एि ही बाप है । वह आते
ही एि बार हैं , जब पुरानी दु कनया
बदलनी है । अब यह किसिो
समझाने में बुश्कि भी चाकहए।
एिान्त में कवचार सागर मींर्न
िरना पडे । क्या कलखें जो मनुष्य
समझ जायें कि ज्ञान सागर
परमकपता परमात्मा एि किव ही
हैं । वह जब आते हैं उनिे बच्चे जो
ब्रह्मािुमार-िुमाररयााँ बनते हैं , वह
ज्ञान धारण िर ज्ञान गींगायें बनते
हैं । अनेि ज्ञान गींगायें हैं जो ज्ञान
सुनाते रहते हैं । वो ही सद्गकत िर
सिते हैं । पानी में स्नान िरने से
पावन नहीीं बन सिते। ज्ञान होता
ही है सींगम पर। यह समझाने िी
युश्कि चाकहए। बडा अन्तमुुख
चाकहए। िरीर िा भान छोड अपने
िो आत्मा समझना है । इस समय
िहें गे हम पुरुषार्ी हैं , याद िरते -
िरते जब पाप खत्म होींगे तब
लडाई िुरू होगी, जब ति सबिो
पैगाम कमल जाये। पैगाम अर्वा
मैसेज तो किवबाबा ही दे ते हैं । खुदा
िो पैगम्बर िहते हैं ना। तुम
सबिो यह पैगाम पहुाँ चाते हो कि
अपने िो आत्मा समझ परमकपता
परमात्मा िे सार् योग लगाओ तो
बाप प्रकतज्ञा िरते हैं कि तुम्हारे
जन्म-जन्मान्तर िे पाप िट
जायेंगे। यह तो बाप ब्रह्मा मुख से
बैठ समझाते हैं । पानी िी गींगा क्या
समझायेगी। बेहद िा बाप बेहद िे
बच्चोीं िो समझाते हैं - तुम सतयुग
में कितने सु खी सम्पकत्तवान र्े ,
अभी दु :खी िींगाल बन पडे हो। यह
है बेहद िी बात। बािी यह कचत्र
आकद सब भश्कि मागु िे हैं । यह
भश्किमागु िी सामग्री भी बननी है ।
िास्त्र पढना, पूजा िरना यह
भश्कि है ना। मैं र्ोडे ही िास्त्र आकद
पढाता हाँ । मैं तो तुम पकततोीं िो
पावन बनाने िे कलए ज्ञान सुनाता हाँ
कि अपने िो आत्मा समझो। अभी
आत्मा और िरीर दोनोीं ही पकतत
हैं । अब बाप िो याद िरो तो तुम
यह दे वता बन जायें गे। दे ह िे सवु
पुराने सम्बश्कियोीं से ममत्व कमट
जाये । गाते भी हैं आप आयेंगे तो
हम और िोई िी नहीीं सुनेंगे, एि
आप से ही सब सम्बि जोडें गे और
सब दे हधाररयोीं िो भूल जायेंगे।
अब बाप तुमिो अपना वायदा याद
िराते हैं । बाप िहते हैं मेरे सार्
योग लगाने से ही तुम्हारे कविमु
कवनाि होींगे। तुम नई दु कनया िे
माकलि बन जायें गे। यह है एम
ऑब्जेक्ट। राजाओीं िे सार् प्रजा
भी जरूर बननी है । राजाओीं िो
दास-दाकसयााँ भी चाकहए। बाप सब
बातें समझाते रहते हैं । अच्छी तरह
योग में नहीीं रहें गे, दै वी गुण धारण
नहीीं िरें गे तो ऊींच पद िैसे पायेंगे?
घर में िोई न िोई बात पर झगडा
िलह होती है ना। बाप कलख दे ते हैं
तुम्हारे घर में िलह है इसकलए ज्ञान
ठहरता नहीीं। बाबा पूछते हैं स्त्री
पुरुष दोनोीं ठीि चलते हैं ? चलन
बडी अच्छी चाकहए। क्रोध िा अींि
भी न रहे । अब तो दु कनया में
कितना हीं गामा और अिाश्कन्त है ।
तुम्हारे में बहुत ज्ञान-योग में तीखे
हो जायेंगे तो और भी बहुत याद
िरने लग पडें गे। तुम्हारी प्रैश्कक्टस
भी अच्छी हो जायेगी और बुश्कि भी
कविाल हो जायेगी।
बाबा िो छोटे कचत्र इतने पसन्द
नहीीं आते हैं । सब बडे -बडे कचत्र
होीं। बाहर मुख्य स्र्ानोीं पर रखो।
जैसे नाटि िे बडे -बडे कचत्र रखते
हैं ना। अच्छे -अच्छे कचत्र बनाओ जो
कबल्कुल खराब न होीं। सीढी भी
बहुत बडी-बडी बनािर ऐसी जगह
रखो जो सबिी नज़र पडे । सीट
पर ही रीं ग आकद ऐसा मजबूत हो
जो पानी वा धूप में खराब न हो।
मुख्य स्र्ानोीं पर रख दो या िहााँ
एग्जीवीिन होती है तो मुख्य बडे
दो तीन कचत्र ही िािी हैं । यह
गोला भी वास्तव में दीवार कजतना
बनना चाकहए। भल 8-10 आदमी
उठािर रखें। िोई भी दू र से दे खे
तो एिदम क्लीयर मालूम पड
जाये । सतयुग में तो और सब इतने
धमु होते नहीीं। वह तो आते ही बाद
में हैं । पहले तो स्वगु में बहुत र्ोडे
मनुष्य होते हैं । अब स्वगु है या निु
- तुम इस पर बहुत अच्छी तरह
समझा सिते हो। जो आये उनिो
समझाते रहो। बडे -बडे कचत्र होीं।
िैसे पाण्डवोीं िे बडे -बडे बुत
बनाते हैं । तुम भी पाण्डव हो ना।
किवबाबा तो सींगम पर पढाते हैं ।
वह श्रीिृष्ण है सतयुग िा िर्स्ु
कप्रन्स, तुम समझाते -समझाते
अपनी राजाई स्र्ापन िर ले ते हो।
िोई पढते-पढते छोड दे ते हैं ।
स्कूल में भी िोई नहीीं पढ सिते हैं
तो पढाई छोड दे ते हैं । यहााँ भी
बहुत हैं कजन्ोींने पढाई िो छोड
कदया है किर वह स्वगु में नहीीं
आयेंगे क्या? मैं कवश्व िा माकलि,
मेरे से िोई दो अक्षर भी सुनें तो भी
स्वगु में जरूर आयेंगे। आगे
चलिर ढे र सुनेंगे। यह सारी
राजधानी स्र्ापन होती है , िल्प
पहले कमसल। बच्चे समझते हैं हमने
अनेि बार राज्य कलया है , किर
गींवाया है । हीरे जैसा र्े किर िौडी
जैसा बने हैं । भारत हीरे कमसल र्ा।
अभी किर क्या हुआ है ? भारत तो
वो ही होगा ना। इस सींगम िो
पुरुषोत्तम युग िहा जाता है । उत्तम
से उत्तम पुरुष भी हैं । बािी सब हैं
िकनष्ट। जो पू ज्य र्े वही किर
पुजारी बने हैं । 84 जन्म ले ते हैं । वह
िरीर भी खत्म हो गये , आत्मा भी
तमोप्रधान हो गई। जब सतोप्रधान
हैं तब तो पूजते ही नहीीं। चै तन्य में
हैं । अब तुम किवबाबा िो चैतन्य में
याद िरते हो। किर पुजारी बनेंगे
तो पत्थर िो पूजेंगे। अब बाबा
चैतन्य है ना। किर उनिी ही पत्थर
िी मूकतु बनािर पूजते रहते हैं ।
रावण राज्य में भश्कि िुरू होती है ।
आत्मायें वो ही हैं , कभन्न-कभन्न िरीर
धारण िरती आयी हैं । नीचे कगरने
से ही भश्कि िुरू होती है । बाबा
किर आिर ज्ञान दे ते है तो कदन
िुरू हो जाता है । ब्राह्मण सो दे वता
बन जाते हैं । अब तो दे वता नहीीं
िहें गे। ब्रह्मा तो सतयुग में होता
नहीीं। यहााँ ब्रह्मा तपस्या िर रहे हैं ।
मनुष्य है ना। किवबाबा िो किव ही
िहा जाता है । इनमें है तो भी किव-
बाबा िहें गे। दू सरा िोई नाम नहीीं
रखा जाता, इनमें किवबाबा आते
हैं । वह ज्ञान िा सागर है , इस ब्रह्मा
तन द्वारा ज्ञान दे ते हैं । तो कचत्र आकद
भी बडी समझ से बनाने हैं । इसमें
कलखत ही िाम में आती है । पकतत-
पावन पानी िा सागर या पानी िी
नकदयााँ हैं ? वा ज्ञान सागर और
उनसे कनिली हुइ ज्ञान गींगायें
ब्रह्मािुमार-िुमाररयााँ हैं ? इनिो ही
बाप ज्ञान दे ते हैं । ब्रह्मा द्वारा जो
ब्राह्मण बनते हैं वो ही किर दे वता
बनते हैं । कवराट रूप िा कचत्र भी
बहुत बडा कदखाना है । यह है मुख्य
कचत्र।
बाबा समझाते हैं - मीठे बच्चे , तुम्हें
अपनी कसकवल बुश्कि बनानी है । जब
बाबा दे खते हैं कि इनिी कक्रकमनल
आई है तो समझ जाते हैं यह चल
नहीीं सिेंगे। तुम्हारी आत्मा अब
कत्रिालदिी बनती है , यह िोई
कवरला समझते हैं । बहुत बुद्धू हैं ।
बाप िो िारिती दे दे ते हैं । यह तो
बच्चे समझते हैं कि राजधानी
स्र्ापन हो रही है । उसमें सब
चाकहए। कपछाडी में सब साक्षात्कार
होींगे। िर्स्ु क्लास दास-दाकसयााँ भी
बनेंगी। िर्स्ु क्लास दासी िृष्ण िी
पालना िरे गी। बतुन साि िरने
वाली, खाना श्कखलाने वाली, सिाई
िरने वाली सब होींगी। यहााँ से ही
कनिलेंगी। िर्स्ु नम्बर वाली जरूर
अच्छा पद पायेगी। वह भासना
आती है । बाबा िो बच्चोीं से भासना
आती है यह बहुत अच्छी मुरली
चलाते हैं , परन्तु योग िम है । िोई
स्त्री, पु रुष से भी तीखी हो जाती है ।
एि ज्ञान में है , िहते हैं बाबा दू सरा
पकहया ठीि नहीीं है । एि-दो िो
सावधान िरना है । प्रवृकत्त मागु है
ना। जोडी एि जैसी चाकहए। आप
समान बनाना है । कपछाडी में तुम
दु कनया िो ही भूल जायेंगे। समझते
हो ना कि हम हीं स हैं , यह बगु ला है ।
किसमें िोई अवगुण, किसमें िोई।
चटाभेटी भी चलती है । मेहनत
बहुत है । है भी बहुत सहज।
सेिण्ड में जीवनमुश्कि। कबगर
िौडी खचु ऊींच से ऊींच पद पा
सिते हैं । गरीब जो हैं वह अच्छी
सकवुस िरते रहते हैं । यह तो पता
है ना कि िौन-िौन खाली हार्
आये हैं । बहुत िुछ ले आने वाले
आज हैं नहीीं और गरीब बहुत ऊींच
मतुबा पा रहे हैं । अच्छा!
मीठे -मीठे कसिीलधे बच्चोीं प्रकत
मात-कपता बापदादा िा यादप्यार
और गु डमॉकनिंग। रूहानी बाप िी
रूहानी बच्चोीं िो नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान तलवार में याद िा जौहर
भरने िे कलए िमु िरते
अन्तमुुखी बन अभ्यास िरना है
कि मैं आत्मा हाँ । मु झ आत्मा िो
बाप िा िरमान है कि कनरन्तर
मुझे याद िरो। एि बाप से
सच्ची प्रीत रखो। दे ह और दे ह
िे सम्बश्कियोीं से ममत्व कनिाल
दो।
2) प्रवृकत्त में रहते एि-दो िो
सावधान िर हीं स बन ऊींच पद
लेना है । क्रोध िा अींि भी
कनिाल दे ना है , अपनी कसकवल
बुश्कि बनानी है ।
वरदान:- साक्षी हो कमेन्द्रियोों से
कमम कराने वाले कतामपन के
भान से मुक्त, अशरीरी भव
जब चाहो शरीर में आओ और जब
चाहो अशरीरी बन जाओ। कोई
कमु करना है तो कमेन्तियोों का
आधार लो लेनकन आधार लेने वाली
मैं आत्मा हूँ , यह नहीों िूले, करने
वाली नहीों हूँ , कराने वाली हूँ । जैसे
दू सरोों से काम कराते हो तो उस
समय अपने को अलग समझते हो,
वैसे साक्षी हो कमे न्तियोों से कमु
कराओ, तो कताु पन के िान से
मुक्त अशरीरी बन जायेंगे। कमु के
बीच-बीच में एक दो नमनट िी
अशरीरी होने का अभ्यास करो तो
लास्ट समय में बहुत मदद नमलेगी।
स्लोगन:- नवश्व राजन बनना है तो
नवश्व को सकाश दे ने वाले बनो।
ओम् शान्ति।

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