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बात अठन्नी की Questions and Answers


Class 10 Sahitya Sagar
17 Dec, 2020
ICSE Solutions for पाठ 1 बात अठन्नी की (Baat Athanni ki)
Class 10 Hindi Sahitya Sagar

ICSE Solutions for बात अठन्नी की by Sudarshan

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


(i) वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विवास सश्वा
नहीं करते पर मुझपर यहाँ कभी
किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं मिलेगा।”
उपर्युक्त वाक्य के वक्ता का परिचय दें।

उपर्युक्त वाक्य का वक्ता इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर रसीला है। वह सालों से
इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकर है।

(ii) वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विवास सश्वा
नहीं करते पर मुझपर यहाँ
कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं
मिलेगा।”
रसीला बार-बार किससे, कौन-सी और क्यों प्रार्थना करता था?

उत्तर :
रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर था। वह सालों से इंजीनियर बाबू जगतसिंह के
यहाँ नौकर था। उसे दस रूपए वेतन मिलता था। गाँव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की
और दो लड़के थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था। इसी कारण वह बार-बार अपने
मालिक इंजीनियर बाबू जगतसिंह से अपना वेतन बढ़ाने की प्रार्थना करता था।

(iii) वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विवास सश्वा
नहीं करते पर मुझपर यहाँ
कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं
मिलेगा।”
वेतन की बात पर इंजीनियर बाबू जगतसिंह का जवाब क्या होता था?

रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर था। वह सालों से इंजीनियर बाबू जगतसिंह के
यहाँ नौकर था। उसे दस रूपए वेतन मिलता था। गाँव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की
और दो लड़के थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था। इसी कारण वह बार-बार अपने
मालिक इंजीनियर बाबू जगतसिंह से अपना वेतन बढ़ाने की माँग करता था। परंतु हर बार
इंजीनियर साहब का यही जवाब होता था कि वे रसीला की तनख्वाह नहीं बढ़ाएँगे यदि उसे
यहाँ से ज्यादा और कोई तनख्वाह देता है तो वह बेशक जा सकता है।

(iv) वह सोचता, ”यहाँ इतने सालों से हूँ। अमीर लोग नौकरों पर विवास सश्वा
नहीं करते पर मुझपर यहाँ
कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यहाँ से जाऊँ तो शायद कोई ग्यारह-बारह दे दे, पर ऐसा आदर नहीं
मिलेगा।”
तनख्वाह न बढ़ाने के बावजूद रसीला नौकरी क्यों नहीं छोड़ना चाहता था?
रसीला बार-बार अपने मालिक से तनख्वाह बढ़ाने की माँग करता था और हर बार उसकी
माँग ठुकरा दी जाती थी परंतु इस सबके बावजूद रसीला यह नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था
क्योंकि वह जानता था कि अमीर लोग किसी पर विवास सश्वा
नहीं करते हैं। यहाँ पर रसीला
सालों से नौकरी कर रहा था और कभी किसी ने उस पर संदेह नहीं किया था। दूसरी जगह
भले उसे यहाँ से ज्यादा तनख्वाह मिले पर इस घर जैसा आदर नहीं मिलेगा।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) पहले तो रसीला छिपाता रहा। फिर रमजान ने कहा, ”कोई बात नहीं है, तो खाओ सौगंध।”
उपर्युक्त वाक्य के वक्ता तथा श्रोता का परिचय दें।

उपर्युक्त वाक्य का वक्ता ज़िला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन का चौकीदार मियाँ रमजान हैं
और वक्ता उनके पड़ोसी इंजीनियर बाबू जगतसिंह का नौकर रसीला है। दोनों बड़े ही
अच्छे मित्र थे।

(ii) पहले तो रसीला छिपाता रहा। फिर रमजान ने कहा, ”कोई बात नहीं है, तो खाओ सौगंध।”
वक्ता श्रोता को सौगंध खाने के लिए क्यों कहता है?

एक दिन रमजान ने रसीला को बहुत ही उदास देखा। रमजान ने अपने मित्र रसीला की उदासी
का कारण जानना चाहा परंतु रसीला उससे छिपाता रहा तब रमजान ने उसकी उदासी का कारण
जानने के लिए उसे सौगंध खाने के लिए कहा।

(iii) पहले तो रसीला छिपाता रहा। फिर रमजान ने कहा, ”कोई बात नहीं है, तो खाओ सौगंध।”
श्रोता की उदासी का कारण क्या था?

श्रोता रसीला का परिवार गाँव में रहता था। उसके परिवार में बूढ़े पिता, पत्नी और तीन
बच्चे थे। इन सबका भार उसी के कंधों पर था और रसीला को मासिक तनख्वाह मात्र दस
रुपए मिलती थी पूरे पैसे भेजने के बाद भी घर का गुजारा नहीं हो पाता था उसपर गाँव से
ख़त आया था कि बच्चे बीमार है पैसे भेजो। रसीला के पास गाँव भेजने के लिए पैसे
नहीं थे और यही उसकी उदासी का कारण था।
(iv) पहले तो रसीला छिपाता रहा। फिर रमजान ने कहा, ”कोई बात नहीं है, तो खाओ सौगंध।”
वक्ता ने श्रोता की परेशानी का क्या हल सुझाया?

वक्ता ने श्रोता की परे नीनी


शा
का यह हल सुझाया कि वह सालों से अपने मालिक के यहाँ काम
कर रहा है तो वह अपने मालिक से कुछ रुपए पेशगी के क्यों नहीं माँग लेता?

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) भैया गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी कमाई से कोठियों में रहते
हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।”
यहाँ पर किस गुनाह की बात की जा रही है?

यहाँ पर रमजान और रसीला अपने-अपने मालिकों के रिवततश्वलेने वाले गुनाह की बात


कर रहे हैं। रसीला ने जब रमजान को बताया कि उसके मालिक जगत सिंह ने पाँच सौ रूपए
की रिवततश्वली है। तो इस पर रमजान ने कहा यह तो कुछ भी नहीं उसके मालिक शेख साहब तो
जगत सिंह के भी गुरु हैं, उन्होंने भी आज ही एक शिकार फाँसा है हजार से कम में शेख
साहब नहीं मानेंगे।
इस प्रकार यहाँ पर मालिकों के रिवततश्वके गुनाह की चर्चा की जा रही है।

(ii) भैया गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी कमाई से कोठियों में रहते
हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।”
उपर्युक्त कथन रमजान ने रसीला से क्यों कहा?

रमजान और रसीला दोनों ही नौकर थे। दिन रात परिरममश्रकरने के बाद भी बड़ी मुकिल लश्कि
से उनका गुजारा होता था। रसीला के मालिक तो बार-बार प्रार्थना करने के बाद भी उसका
वेतन बढ़ाने के लिए तैयार नहीं थे। दोनों यह बात भी जानते थे कि उनके मालिक
रिवततश्वसे बहुत पैसा कमाते हैं। इसी बात की चर्चा करते समय रमजान ने उपर्युक्त कथन
कहे।

(iii) भैया गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी कमाई से कोठियों में रहते
हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।”
ऐसी कमाई से क्या तात्पर्य है?
प्रस्तुत पाठ में सी कमाई से तात्पर्य रिवततश्वसे है। यहाँ पर स्पष्ट किया गया है कि किस
प्रकार सफेदपोश लोग ही इस कार्य में लिप्त रहते हैं। अच्छा ख़ासा वेतन मिलने के
बाद भी इनकी लालच की भूख मिटती नहीं है और रिवततश्वको कमाई का एक और जरिया बना
लेते हैं। इसके विपरीत परिरममश्रकरने वाला दाल-रोटी का जुगाड़ भी नहीं कर पाता और
सदैव कष्ट में ही रहता है।

(iv) भैया गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी कमाई से कोठियों में रहते
हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।”
रमजान की उपर्युक्त बात सुनकर रसीला के मन में क्या विचार आया?

रमजान की उपर्युक्त बात सुनकर यह आया कि सालों से वह इंजीनियर जगत बाबू के यहाँ
काम कर रहा है इस बीच इस घर में उसके हाथ के नीचे से सैकड़ों रूपए निकल गए पर
कभी उसका धर्म और नियत नहीं बिगड़ी। एक-एक आना भी उड़ाता तो काफी रकम जुड़ जाती।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) "यह इंसाफ नहीं अँधेर है। सिर्फ़ एक अठन्नी की ही तो बात थी!”
रसीला का मुकदमा किसके सामने पेश हुआ?

रसीला का मुकदमा इंजीनियर जगत सिंह के पड़ोसी शेख सलीमुद्दीन ज़िला मजिस्ट्रेट की
अदालत में पेश हुआ।

(ii) "यह इंसाफ नहीं अँधेर है। सिर्फ़ एक अठन्नी की ही तो बात थी!”
रसीला पर किस आरोप पर किसने मुकदमा दायर किया था?

रसीला वर्षों से इंजीनियर जगत सिंह का नौकर था। उसने कभी कोई बेईमानी नहीं की थी।
परंतु इस बार भूलवश अपना अठन्नी का कर्ज चुकाने के लिए उसने अपने मालिक के लिए
पाँच रूपए की जगह साढ़े चार रुपए की मिठाई खरीदी और बची अठन्नी रमजान को देकर
अपना कर्ज चुका दिया और इसी आरोप में रसीला के ऊपर इंजीनियर जगत सिंह ने मुकदमा
दायर कर दिया था।

(iii) "यह इंसाफ नहीं अँधेर है। सिर्फ़ एक अठन्नी की ही तो बात थी!”
रसीला को अपने किस अपराध के लिए कितनी सजा हुई?

रसीला ने अपने मालिक के लिए पाँच रुपए के बदले साढ़े चार रूपए की मिठाई खरीदी और
बची अठन्नी से अपना कर्ज चुका दिया। यही मामूली अपराध रसीला से हो गया था। इसलिए
रसीला को केवल अठन्नी की चोरी करने के अपराध में छह महीने के कारावास की सजा
हुई।

(iv) "यह इंसाफ नहीं अँधेर है। सिर्फ़ एक अठन्नी की ही तो बात थी!”
उपर्युक्त उक्ति का क्या कारण था स्पष्ट कीजिए।

रमजान ज़िला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन का चौकीदार था और वह रसीला का बहुत ही अच्छा


मित्र था। जब ज़िला मजिस्ट्रेट अठन्नी के मामूली अपराध के लिए उसे छह महीने की
सजा सुनाते हैं तो रमजान का क्रोध उबल पड़ता है क्योंकि वह जानता था कि फैसला करने
तखोरश्व
वाले शेख साहब और आरोप लगाने वाले जगत बाबू दोनों स्वयं बहुत बड़े रिवतखोर
अपराधी हैं लेकिन उनका अपराध दबा होने के कारण वे सभ्य कहलाते हैं और एक गरीब
को मामूली अपराध के लिए इतनी बड़ी सजा दी जाती है इसी करण रामजान के मुँह से
उपर्युक्त उक्ति निकलती है।

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कु हराम मचा हुआ है।
बड़े सबेरे किसकी नींद किस कारणवश खुली?

बड़े सबेरे श्यामू की नींद घर में मचे कोहराम के कारण खुली।

(ii) उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कु हराम मचा हुआ है।
श्यामू ने उठने के बाद क्या देखा?

उत्तर :
उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसके घर में कु हराम मचा हुआ है उसकी माँ ऊपर से नीचे तक
एक कपड़ा ओढ़े हुए कं बल पर भूमि शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे, घेरकर बैठे बड़े करुण ढंग से विलाप कर
रहे हैं।

(iii) उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कु हराम मचा हुआ है।
श्यामू ने उपद्रव क्यों मचाया?

उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा कि उसके घर में कु हराम मचा हुआ है। उसकी माँ ऊपर से नीचे
तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कं बल पर भूमि शयन कर रही है और घर के सब लोग उसे, घेरकर बैठे बड़े करुण ढंग से विलाप
कर रहे हैं। उसके बाद जब उसकी माँ की श्मशान ले जाने के लिए ले जाने लगे तो श्यामू ने अपनी माँ को रोकने के लिए
बड़ा उपद्रव मचाया।

(iv) उस दिन बड़े सबेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कु हराम मचा हुआ है।
श्यामू को सत्य का पता किस प्रकार चला?

श्यामू अबोध बालक होने के कारण बड़े बुद्धिमान गुरुजनों ने उससे उसकी माँ की मृत्यु की बात यह कहकर छिपाई कि
उसकी माँ मामा के यहाँ गई है परंतु जैसा कि कहा जाता है असत्य के आवरण में सत्य बहुत समय तक छिपा नहीं रह
सकता ठीक उसी प्रकार श्यामू जब अपने हमउम्र दोस्तों के साथ खेलने जाता तो उनके मुख से यह बात उजागर हो गई
कि उसकी माँ राम के यहाँ गई है और इस तरह श्यामू को पता चल ही गया कि उसकी माँ की मृत्यु हो गई है।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) व र्षा के अ नं तर ए क दो दि न में ही पृ थ् वी के ऊप र का पा नी तो अ गो च र हो जा ता है , परंतु


भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शो क
जाकर बस गया था।
उपर्युक्त कथन किससे संबंधित है? उसका परिचय दें।

उपर्युक्त कथन इस कहानी के मुख्य पात्र श्यामू से संबंधित है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है। वह इतना अबोध
बालक है कि सत्य और असत्य के ज्ञान से अपरिचित होने के कारण अपनी माँ की मृत्यु की बात भी नहीं समझ पाता। उसे
लगता है उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग की डोर के सहारे नीचे ला सकता है।

(ii) वर्षा के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु
भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शो क
जाकर बस गया था।
उपर्युक्त पंक्तियों का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ यह है कि श्यामू अपनी माँ की मृत्यु के बाद बहुत रोता था और उसे चुप कराने के लिए घर के
बुद्‌धिमान गुरुजनों ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसकी माँ उसके मामा के यहाँ गई है। लेकिन आस-पास के मित्रों से
उसे इस सत्य का पता चलता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है। इस प्रकार बहुत दिन तक रोते रहने के बाद उसका
रुदन तो शांत हो जाता है लेकिन माँ के वियोग की पीड़ा उसके हृदय में शोक बनकर बस जाता है।

(iii) वर्षा के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु
भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शो क
जाकर बस गया था।
नन्हें बालक के लिए माँ का वियोग सबसे बड़ा वियोग होता है स्पष्ट करें।

अबोध बालकों का सारा संसार अपनी माँ के आस-पास ही घूमता रहता है। उनके लिए माँ से बढ़कर कु छ भी नहीं होता।
बालक की माँ बिना बोले ही उसकी सारी बातें समझ लेती है। साथ ही बालकों का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक और
संवेदनशील होता है और वे मातृ-वि यो ग की पी ड़ा को सह न न हीं कर पा ते हैं ।औ र वै से भी माँ का
स्थान इस संसार में कोई नहीं ले सकता इसलिए अपनी माँ को खोना एक बालक के लिए सबसे बड़ा वियोग होता है।

(iv) वर्षा के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु
भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शो क
जाकर बस गया था।
श्यामू अकसर शून्य में क्यों ताका करता था?

अबोध बालक होने के कारण श्यायामू


अपनी माँ की मृत्यु की वास्तविकता से अपरिचित था।
बड़ों के समझाने पर उसे लगता था कि उसकी माँ उसके मामा के पास गईं हैं लेकिन हमउम्र के बच्चों से उसे पता चलता
है कि उसकी माँ राम के पास गई है। वह पहले अपनी माँ के लिए बहुत रोता था परंतु धीरे उसका रोना तो कम हो गया
परंतु फिर भी उसकी माँ नहीं लौटी अत:श्यामू अकसर अपनी माँ के वियोग दुःख को सहन न कर पाने के कारण शून्य में
ताका करता था।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।
किसका ह्रदय क्यों खिल उठा?
श्यामू अपनी माँ के जाने के बाद हमेशा दुखी रहा करता था। उसके हमउम्र बच्चों के अनुसार उसकी माँ राम के पास गई
है इसलिए वह प्राय: शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता था। एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी
और श्यामू ने सोचा कि पतंग की डोर को ऊपर रामजी के घर भेजकर वह अपनी माँ को वापस बुला लेगा और यही
सोचकर उसका ह्रदय खिल उठा।

(ii) एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।
श्यामू ने कौन-सी चीज किस उद्देश्य से मँगवाई थी?

श्यामू ने एक दिन आसमान में एक पतंग उड़ती देखी तो उसके मन में यह विचार आया कि वह पतंग के सहारे अपनी माँ को
रामजी के घर से वापस ले आएगा। इस तरह अपनी माँ को रामजी के घर से पुन:प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए
उसने भोला से पतंग और रस्सी मँगवाई।

(iii) एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।
इस कार्य में उसकी मदद किसने की उसका परिचय दें।

पश्यामू की माँ को रामजी के घर से लाने में श्यामू की मदद भोला ने की।


भोला उसका समवयस्क साथी था। वह सुखिया दासी का पुत्र था। भोला चतुर समझदार था परंतु छोटा होने के कारण
डरपोक भी था इसलिए विश्वेश्वर के डाँटने पर उसने चोरी संबंधित सारी बात उगल दी। वह भी श्यामू की तरह मासूम और
भावुक बालक है।

(iv) एक दिन उसने ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।
अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए श्यामू ने पैसों की व्यवस्था किस प्रकार की?

श्यामू अपनी माँ को रामजी के घर से लाने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए पहले अपने पिता से पतंग दिलवाने की प्रार्थना करता
है परंतु जब उसके पिता उसे पतंग नहीं दिलवाते हैं तो वह खूँटी पर रखे पिता के कोट से चवन्नी चुरा लेता है और भोला से
कहकर पतंग और डोर की व्यवस्था करता है। इस प्रकार अपनी माँ को वापस लाने के लिए वह चोरी करने से भी नहीं
हिचकिचाता।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) विवेवरह श्वेतबुद्धि


श्व होकर वही खड़े हो गए उन्होंने फटी पतंग उठाकर देखी उस चिपके
हुए कागज़ पर लिखा हुआ था-काकी।
भोला ने श्यामू की योजना में क्या कमी बताई?
भोला श्यामू से अधिक समझदार था। उसे श्यामू का उसकी माँ को लाने का सुझाव पसंद तो आया परंतु भोला ने श्यामू को
बताया कि पतंग की डोर पतली होने के कारण टूट सकती है। इस कार्य के लिए उन्हें मोटी रस्सी की आवश्यकता होगी।
इस प्रकार भोला ने श्यामू की योजना में डोर के पतले होने की कमी बताई।

(ii) विवेवरह श्वेतबुद्धि


श्व होकर वही खड़े हो गए उन्होंने फटी पतंग उठाकर देखी उस
चिपके हुए कागज़ पर लिखा हुआ था-काकी।
श्यामू को रात भर नींद क्यों नहीं आई?

भोला द्वारा जब उसकी माँ को लाने की योजना में मोटी रस्सी की कमी बताई गई तो उसके सामने अब मोटी रस्सी लाने की
कठिनता आ गई क्योंकि रस्सी खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे और घर में भी ऐसा कोई नहीं था जो इस कार्य में
उसकी मदद करता और यही सब सोचकर श्यामू को चिंता के मारे रात-भर नींद नहीं आई।

(iii) विवेवरह श्वेतबुद्धि


श्व होकर वही खड़े हो गए उन्होंने फटी पतंग उठाकर देखी उस
चिपके हुए कागज़ पर लिखा हुआ था-काकी।
श्यामू पतंग पर किससे, क्या लिखवाता है और क्यों?

श्यामू लिखना नहीं जानता था इसलिए उसने जवाहर भैया से काकी लिखवाने में मदद माँगी। काकी लिखवाने का श्यामू
का यह उद्देश्य था कि यदि चिट पर काकी लिखा होगा तो पतंग सीधे उसकी काकी के पास ही पहुँच जाएगी।

(iv) विवेवरह श्वेतबुद्धि


श्व होकर वही खड़े हो गए उन्होंने फटी पतंग उठाकर देखी उस
चिपके हुए कागज़ पर लिखा हुआ था-काकी।
श्वधि होकर क्यों खड़े रह गए?
विवेवरह श्वेतबुद्‌

विवेवरअ श्वेपनीश्व कोट की जेब से एक रूपए की चोरी का पता लगाने जब भोला और श्यायामू
के
पास पहुँचते हैं तो उन्हें भोला से सच्चाई का पता चलता है कि श्यामू ने ही एक रूपए की चोरी की है। इस पर वे बहुत
अधिक क्रोधित हो उठते है और क्रोधवश श्यायामू
को धमकाने और मारने के बाद पतंग फाड़
देते हैं। लेकिन जब उन्हें भोला द्‌वारा यह पता चलता है कि श्यामू इस पतंग के द्‌वारा काकी को राम के यहाँ से नीचे लाना
चाहता है, सुनकर विश्वेश्वर हतबुद्‌धि होकर वहीं खड़े रह जाते हैं।
श्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

धर्मराज यह भूमि किसी की, नहीं क्रीत है दासी,


हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,
काओंशंसे जीवन।
बाधा-रहित विकास, मुक्त आ काओं
लेकिन विघ्न अनेक सभी इस पथ पर अड़े हुए हैं,
मानवता की राह रोककर पर्वत अड़े हुए हैं।
न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव-मानव को,
चैन कहाँ धरती पर तब तक शांति कहाँ इस भव को।

(i) कवि ने भूमि के लिए किस शब्द का प्रयोग किया हैं और क्यों?

कवि ने भूमि के लिए ‘क्रीत दासी’ शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि किसी की क्रीत (खरीदी
हुई) दासी नहीं है। इस पर सबका समान रूप से अधिकार है।

(ii) धरती पर शांति के लिए क्या आवयककश्य


है?

उत्तर :
धरती पर शांति के लिए सभी मनुष्य को समान रूप से सुख-सुविधाएँ मिलनी आवयककश्य
है।

(iii) भीष्म पितामह युधिष्ठिर को किस नाम से बुलाते है? क्यों?

भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ‘धर्मराज’ नाम से बुलाते है क्योंकि वह सदैव न्याय का पक्ष
लेता है और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देता।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – क्रीत, जन्मना, समीरण, भव, मुक्त, सुलभ।

क्रीत: खरीदी हुई


जन्मना: जन्म से
समीरण: वायु
भव: संसार
मुक्त: स्वतंत्र
सुलभ: आसानी से प्राप्त

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जब तक मनुज-मनुज का यह सुख भाग नहीं सम होगा,


शमित न होगा कोलाहल, संघर्ष नहीं कम होगा।
उसे भूल वह फँसा परस्पर ही शंका में भय में,
लगा हुआ केवल अपने में और भोग-संचय में।
प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर,
भोग सकें जो उन्हें जगत में कहाँ अभी इतने नर?
सब हो सकते तुष्ट, एक-सा सुख पर सकते हैं;
चाहें तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते हैं,

(i) ‘प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

रवने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का वि ललशा


प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि ईवर
भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य इसका उचित उपयोग करें तो यह साधन कभी भी कम नहीं पड़
सकते।

(ii) मानव का विकास कब संभव होगा?

कमानव के विकास के पथ पर अनेक प्रकार की मुसीबतें उसकी राह रोके खड़ी रहती है
तथा वि ललशा
पर्वत भी राह रोके खड़े रहता है। मनुष्य जब इन सब विपत्तियों को पार कर
आगे बढ़ेगा तभी उसका विकास संभव होगा।

(iii) किस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है?

ईश्वर ने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का वि ललशा


भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य इसका
उचित उपयोग करें तो यह साधन कभी भी कम नहीं पड़ सकते। सभी लोग सुखी
होंगे। इस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – शमित, विकीर्ण, कोलाहल, विघ्न, चैन, पल।


शमित: शांत
विकीर्ण: बिखरे हुए
कोलाहल: शोर
विघ्न: रूकावट
चैन: शांति
पल: क्षण

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्र सनिक


अ शा
धिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य
चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है,बल्कि उसके
भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे?

हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कं पनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर
नेताजी की मूर्ति लगी थी।

(ii) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्र सनिक


अ शा
धिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य
चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि
उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
कस्बे का वर्णन कीजिए।

उत्तर :
कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कु छ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक
ही बाज़ार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कू ल, एक लड़कियों का स्कू ल, एक सीमेंट का कारखाना, दो ओपन एयर
सिनेमाघर और एक नगरपालिका थी।

(iii) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्र सनिक


अ शा
धिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य
चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि
उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
नगरपालिका के कार्यों के बारे में बताइए।

उस कस्बे नगरपालिका थी तो कु छ-न कु छ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कु छ पेशाबघर
बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मलेन करवा दिया।

(iv) इसी नगरपालिका के उत्साही बोर्ड या प्र सनिक


अ शा
धिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य
चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि
उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में।
शहर के मुख्य बाज़ार में प्रतिमा किसने लगवाईं थी और उस प्रतिमा की क्या विशेषता थी?

शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने नेताजी
सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी थी।
उस मूर्ति की विशेषता यह थी कि मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फु ट ऊँ ची
और सुंदर थी। नेताजी फौजी वर्दी में सुंदर लगते थे। मूर्ति को देखते ही ‘दिल्ली चलो’ और तुम मुझे खून दो… आदि याद
आने लगते थे। के वल एक चीज की कसर थी जो देखते ही खटकती थी नेताजी की आँख पर संगमरमर चश्मा नहीं था
बल्कि उसके स्थान पर सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।

(v) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कै से जाता है?
प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

प्रस्तुत कथन के वक्ता हालदार साहब हैं। वे अत्यंत भावुक और संवेदनशील होने के साथ एक देशभक्त भी हैं। उन्हें
देशभक्तों का मज़ाक उड़ाया जाना पसंद नहीं है। वे कै प्टन की देशभावना के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखते हैं।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कै से जाता है?
प्रस्तुत कथन के श्रोता का परिचय दें।

प्रस्तुत कथन का श्रोता पानवाला है। पानवाला पूरी की पूरी पान की दुकान है, सड़क के चौराहे के किनारे उसकी पान की
दुकान है। वह काला तथा मोटा है, उसकी तोंद भी निकली हुई है, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे हैं। वह एक तरफ़
ग्राहक के लिए पान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा है। पान खाने के कारण
उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। स्वभाव से वह मजाकिया है। वह बातें बनाने में माहिर है।

(ii) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कै से जाता है?
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को क्या आदत पड़ गई थी?
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान
से देखने की आदत पड़ गई थी।

(iv) वाह भाई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा हर बार बदल कै से जाता है?
मूर्ति का चश्मा हर-बार कौन और क्यों बदल देता था?

मूर्ति का चश्मा हर-बार कै प्टन बदल देता था। कै प्टन असलियत में एक गरीब चश्मेवाला था। उसकी कोई दुकान नहीं
थी। फे री लगाकर वह अपने चश्मे बेचता था। जब उसका कोई ग्राहक नेताजी की मूर्ति पर लगे फ्रेम की माँग करता तो
कै प्टन मूर्ति पर अन्य फ्रेम लगाकर वह फ्रेम अपने ग्राहक को बेच देता। इसी कारणवश मूर्ति पर कोई स्थाई फ्रेम नहीं रहता
था।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा
कहाँ गया?”
प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से क्या तात्पर्य है?

प्रस्तुत कथन में नेताजी का ओरिजिनल चश्मा से तात्पर्य नेताजी के बार-बार बदलने वाले फ्रेम से है। मूर्तिकार ने नेताजी
की मूर्ति बनाते समय चश्मा नहीं बनाया था। नेताजी बिना चश्मे के यह बात एक गरीब देशभक्त चश्मेवाले कै प्टन को पसंद
नहीं आती थी इसलिए वह नेताजी की मूर्ति पर उसके पास उपलब्ध फ्रेमों से एक फ्रेम लगा देता था।

(ii) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा
कहाँ गया?”
मूर्तिकार कौन था और उसने मूर्ति का चश्मा क्यों नहीं बनाया था?

मूर्तिकार उसी कस्बे के स्थानीय विद्यालय का मास्टर मोतीलाल था। मूर्ति बनाने के बाद शायद वह यह तय नहीं कर पाया
होगा कि पत्थर से पारदर्शी चश्मा कै से बनाया जाये या फिर उसने पारदर्शी चश्मा बनाने की कोशिश की होगी मगर उसमें
असफल रहा होगा।

(iii) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा
कहाँ गया?”
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”कै प्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी
प्रतिक्रिया लिखिए।

पानवाले ने कै प्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। जो कि अति गैर जिम्मेदाराना और दुर्भाग्यपूर्ण वक्तव्य है। कै प्टन में एक
सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी वर्ग में नहीं है। वह भले ही लँगड़ा है
पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। अत: कै प्टन पानवाले से अधिक
सक्रिय तथा विवेकशील तथा देशभक्त है।

(iv) “लेकिन भाई! एक बात समझ नहीं आई।” हालदार साहब ने पानवाले से फिर पूछा, “नेताजी का ओरिजिनल चश्मा
कहाँ गया?”
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कै प्टन क्यों कहते थे?

चश्मेवाला कभी सेनानी नहीं रहा परन्तु चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति
सम्मान था। वह अपनी ओर से एक चश्मा नेताजी की मूर्ति पर अवश्य लगाता था उसकी इसी भावना को देखकर लोग उसे
कै प्टन कहते थे।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?

करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक
बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा
लगाने वाला कै प्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए
हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।

(i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

कै प्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कै प्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो
नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में
सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।
(iii) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
मूर्ति पर सरकं डे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

मूर्ति पर लगे सरकं डे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए
सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकं डे का चश्मा भी
भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।

(iv) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकं डे का चश्मा पहनाया। यह बात
उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो
परंतु वही देशभक्ति सरकं डे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।

ICSE Solutions for अपना-अपना भाग्य by Jainendra


Kumar

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही
थी। मैंने कहा – “होगा कोई”

(i) लेखक किसके साथ कहाँ बैठा था?

लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देय श्य
घूमने
के बाद एक बेंच पर बैठे थे?

(ii) बादलों का लेखक ने कैसा वर्णन किया है?

उत्तर :
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देय श्य
घूमने
के बाद एक बेंच पर बैठे थे। उस समय संध्या धीरे-धीरे उतर रही थी। रुई के रे शकी
तरह बादल लेखक के सिर को छूते हुए निकल रहे थे। हल्के प्रकाश और अँधियारी से
रंग कर कभी बादल नीले दिखते, तो कभी सफ़ेद और फिर कभी जरा लाल रंग में बदल
जाते।

(iii) लेखक ने नैनीताल की उस संध्या में कुहरे की सफेदी में क्या देखा?

लेखक ने उस शाम एक दस-बारह वर्षीय बच्चे को देखा जो नंगे पैर, नंगे सिर और एक
मैली कमीज लटकाए चला आ रहा था। उसकी चाल से कुछ भी समझ पाना लेखक को असंभव
सा लग रहा था क्योंकि उसके पैर सीधे नहीं पड़ रहे थे। उस बालक का रंग गोरा था परंतु
मैल खाने से काला पड़ गया था, ऑंखें अच्छी, बड़ी पर सूनी थी माथा ऐसा था जैसे अभी
से झुरियों आ गईं हो।

(iv) लेखक और मित्र ने उस बालक के विषय में कौन-सी बातें जानी?

नैनीताल की संध्या के समय लेखक और उसके मित्र जब एक बेंच पर बैठे थे तो उनकी


र्
मुलाकात एक दस-बारह वर्षीय बालक से होती है। दोनों को आचर्ययश्चहोता है कि इतनी ठंड
में यह बालक बाहर क्या कर रहा है। वे उससे तरह-तरह के प्रन श्नकरते हैं। उससे
उन्हें पता चलता है कि वो कोई पास की दुकान पर काम करता था और उसे काम के बदले में
एक रूपया और जूठा खाना मिलता था।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या
अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”

(i) उपर्युक्त अवतरण में किस की बात की जा रही है?

उपर्युक्त अवतरण में एक दस-बारह वर्षीय पहाड़ी बालक की बात की जा रही है।

(ii) प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

प्रस्तुत कथन के वक्ता लेखक के वकील मित्र हैं और साथ ही होटल के मालिक भी हैं।

(iii) लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास क्यों ले गए?

लेखक को रास्ते में एक दस-बारह वर्षीय बालक मिला जिसके पास कोई काम और रहने की
जगह नहीं थी। लेखक के एक वकील मित्र थे जिन्हें अपने होटल के लिए एक नौकर की
कता
आवयकता श्य
थी इसलिए लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास ले गए।

(iv) वकील साहब उस बच्चे को नौकर क्यों नहीं रखना चाहते थे?

वकील उस बच्चे को नौकर इसलिए नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वे और लेखक दोनों ही
उस बच्चे के बारे में कुछ जानते नहीं थे। साथ ही वकील साहब को यह लगता था कि
पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान और अवगुणों से भरे होते हैं। यदि उन्होंने ने किसी ऐरे गैरे
को नौकर रख लिया और वह अगले दिन वह चीजों को लेकर चंपत हो गया तो। इस तरह भविष्य
काशंके कारण वकील साहब ने उस बच्चे को नौकरी पर नहीं रखा।
में चोरी की आ का

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी
चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृ ति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे
कफ़न का प्रबंध कर दिया था।

(i) यहाँ पर गरीब किसे और क्यों संबोधित किया गया है?

यहाँ पर गरीब उस पहाड़ी बालक को संबोधित किया गया, जो कल रात ठंड के कारण मर गया
था। उस बालक के कई भाई-बहन थे। पिता के पास कोई काम न था घर में हमे शभूख पसरी
रहती थी इसलिए वह बालक घर से भाग आया था यहाँ आकर भी दिनभर काम के बाद जूठा खाना
और एक रूपया ही नसीब होता था।
(ii) लड़के की मृत्यु का क्या कारण था?
लड़का अपनी घर की गरीबी से तंग आकर काम की तलाश में नैनीताल भाग कर आया था।
यहाँ पर आकर उसे एक दुकान में काम मिल गया था परंतु किसी कारणवश उसका काम छूट
जाता है और उसके पास रहने की कोई जगह नहीं रहती है। उस दिन बहुत अधिक ठंड थी और
उसके पास कपड़ों के नाम पर एक फटी कमीज थी इसी कारण उसे रात सड़क के किनारे एक
पेड़ के नीचे बितानी पड़ी और अत्यधिक ठंड होने के कारण उस लड़के की मृत्यु हो गई।

(iii) ‘दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृ ति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर
दिया था’- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
प्रस्तुत पंक्ति का आशय सामान्य जनमानस की संवेदन-शून्यता और स्वार्थ भावना से है। एक
पहाड़ी बालक गरीबी के कारण ठंड से ठिठुरकर मर जाता है। परंतु प्रकृति ने उसके तन पर
बर्फ की हल्की चादर बिछाकर मानो उसके लिए कफ़न का इंतजाम कर दिया। जिसे देखकर ऐसा
लगता था मानो प्रकृति मनुष्य की बेहयाई को ढँक रही हो।

(iv) ‘अपना अपना भाग्य’ कहानी के उद्देय श्य


पर विचार कीजिए।
प्रस्तुत कहानी का उद्देय श्य न्
यता
आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, संवेदनन्यता शूऔर
आर्थिक विषमता को उजागर करना है। आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है।
निर्धन की सहायता करने की अपेक्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मुक्ति पा लेते
हैं। हर कोई अपनी सामजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। किसी को अन्य के दुःख से
कुछ लेना-देना नहीं होता।
TagsClass 10 Hindi

ICSE Solutions for अपना-अपना भाग्य by Jainendra


Kumar
प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मैंने देखा कि कुहरे की सफेदी में कुछ ही हाथ दूर से एक काली-सी मूर्ति हमारी तरफ आ रही
थी। मैंने कहा – “होगा कोई”

(i) लेखक किसके साथ कहाँ बैठा था?

लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देय श्य
घूमने
के बाद एक बेंच पर बैठे थे?

(ii) बादलों का लेखक ने कैसा वर्णन किया है?

उत्तर :
लेखक अपने मित्र के साथ नैनीताल में संध्या के समय बहुत देर तक निरुद्देय श्य
घूमने
के बाद एक बेंच पर बैठे थे। उस समय संध्या धीरे-धीरे उतर रही थी। रुई के रे शकी
तरह बादल लेखक के सिर को छूते हुए निकल रहे थे। हल्के प्रकाश और अँधियारी से
रंग कर कभी बादल नीले दिखते, तो कभी सफ़ेद और फिर कभी जरा लाल रंग में बदल
जाते।

(iii) लेखक ने नैनीताल की उस संध्या में कुहरे की सफेदी में क्या देखा?

लेखक ने उस शाम एक दस-बारह वर्षीय बच्चे को देखा जो नंगे पैर, नंगे सिर और एक
मैली कमीज लटकाए चला आ रहा था। उसकी चाल से कुछ भी समझ पाना लेखक को असंभव
सा लग रहा था क्योंकि उसके पैर सीधे नहीं पड़ रहे थे। उस बालक का रंग गोरा था परंतु
मैल खाने से काला पड़ गया था, ऑंखें अच्छी, बड़ी पर सूनी थी माथा ऐसा था जैसे अभी
से झुरियों आ गईं हो।
(iv) लेखक और मित्र ने उस बालक के विषय में कौन-सी बातें जानी?

नैनीताल की संध्या के समय लेखक और उसके मित्र जब एक बेंच पर बैठे थे तो उनकी


र्
मुलाकात एक दस-बारह वर्षीय बालक से होती है। दोनों को आचर्ययश्चहोता है कि इतनी ठंड
में यह बालक बाहर क्या कर रहा है। वे उससे तरह-तरह के प्रन श्नकरते हैं। उससे
उन्हें पता चलता है कि वो कोई पास की दुकान पर काम करता था और उसे काम के बदले में
एक रूपया और जूठा खाना मिलता था।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“अजी ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में अवगुण छिपे रहते हैं – आप भी क्या
अजीब हैं उठा लाए कहीं से-लो जी यह नौकर लो।”

(i) उपर्युक्त अवतरण में किस की बात की जा रही है?

उपर्युक्त अवतरण में एक दस-बारह वर्षीय पहाड़ी बालक की बात की जा रही है।

(ii) प्रस्तुत कथन के वक्ता का परिचय दें।

प्रस्तुत कथन के वक्ता लेखक के वकील मित्र हैं और साथ ही होटल के मालिक भी हैं।

(iii) लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास क्यों ले गए?

लेखक को रास्ते में एक दस-बारह वर्षीय बालक मिला जिसके पास कोई काम और रहने की
जगह नहीं थी। लेखक के एक वकील मित्र थे जिन्हें अपने होटल के लिए एक नौकर की
कता
आवयकता श्य
थी इसलिए लेखक उस बच्चे को वकील साहब के पास ले गए।

(iv) वकील साहब उस बच्चे को नौकर क्यों नहीं रखना चाहते थे?

वकील उस बच्चे को नौकर इसलिए नहीं रखना चाहते थे क्योंकि वे और लेखक दोनों ही
उस बच्चे के बारे में कुछ जानते नहीं थे। साथ ही वकील साहब को यह लगता था कि
पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान और अवगुणों से भरे होते हैं। यदि उन्होंने ने किसी ऐरे गैरे
को नौकर रख लिया और वह अगले दिन वह चीजों को लेकर चंपत हो गया तो। इस तरह भविष्य
काशंके कारण वकील साहब ने उस बच्चे को नौकरी पर नहीं रखा।
में चोरी की आ का

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


पर बतलाने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की-सी
चादर चिपक गई थी, मानो दुनिया की बेहयाई ढँकनेके लिए प्रकृ ति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे
कफ़न का प्रबंध कर दिया था।

(i) यहाँ पर गरीब किसे और क्यों संबोधित किया गया है?

यहाँ पर गरीब उस पहाड़ी बालक को संबोधित किया गया, जो कल रात ठंड के कारण मर गया
था। उस बालक के कई भाई-बहन थे। पिता के पास कोई काम न था घर में हमे शभूख पसरी
रहती थी इसलिए वह बालक घर से भाग आया था यहाँ आकर भी दिनभर काम के बाद जूठा खाना
और एक रूपया ही नसीब होता था।

(ii) लड़के की मृत्यु का क्या कारण था?

लड़का अपनी घर की गरीबी से तंग आकर काम की तलाश में नैनीताल भाग कर आया था।
यहाँ पर आकर उसे एक दुकान में काम मिल गया था परंतु किसी कारणवश उसका काम छूट
जाता है और उसके पास रहने की कोई जगह नहीं रहती है। उस दिन बहुत अधिक ठंड थी और
उसके पास कपड़ों के नाम पर एक फटी कमीज थी इसी कारण उसे रात सड़क के किनारे एक
पेड़ के नीचे बितानी पड़ी और अत्यधिक ठंड होने के कारण उस लड़के की मृत्यु हो गई।

(iii) ‘दुनिया की बेहयाई ढँकने के लिए प्रकृ ति ने शव के लिए सफ़ेद और ठंडे कफ़न का प्रबंध कर
दिया था’- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रस्तुत पंक्ति का आशय सामान्य जनमानस की संवेदन-शून्यता और स्वार्थ भावना से है। एक


पहाड़ी बालक गरीबी के कारण ठंड से ठिठुरकर मर जाता है। परंतु प्रकृति ने उसके तन पर
बर्फ की हल्की चादर बिछाकर मानो उसके लिए कफ़न का इंतजाम कर दिया। जिसे देखकर ऐसा
लगता था मानो प्रकृति मनुष्य की बेहयाई को ढँक रही हो।

(iv) ‘अपना अपना भाग्य’ कहानी के उद्देय श्य


पर विचार कीजिए।

प्रस्तुत कहानी का उद्देय श्य न्


यता
आज के समाज में व्याप्त स्वार्थपरता, संवेदनन्यता शूऔर
आर्थिक विषमता को उजागर करना है। आज के समाज में परोपकारिता का अभाव हो गया है।
निर्धन की सहायता करने की अपेक्षा सब उसे अपना-अपना भाग्य कहकर मुक्ति पा लेते
हैं। हर कोई अपनी सामजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। किसी को अन्य के दुःख से
कुछ लेना-देना नहीं होता।

ICSE Solutions for बड़े घर की बेटी by Premchand
र लिखिए :
प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्त
यह इसलिए नहीं कि उसे अपने सास-ससुर, देवर या जेठ आदि से घृणा थी बल्कि उसका विचार था
कि यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को
नष्ट करने की अपेक्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाय।

(i) बेनी माधव के कितने पुत्र थे उनका परिचय दें।

बेनी माधव के दो बेटे थे बड़े का नाम श्रीकं ठ था। उसने बहुत दिनों के परिरममश्रऔर
उद्योग के बाद बी.ए. की डिग्री प्राप्त की थी और इस समय वह एक दफ़्तर में नौकर था।
छोटा लड़का लाल बिहारी सिंह दोहरे बदन का सजीला जवान था।

(ii) श्रीकं ठ कैसे विचारों के व्यक्ति थे?

श्रीकं ठ बी.ए. इस अंग्रेजी डिग्री के अधिपति होने पर भी पाचात्यत्


यश्चा
सामजिक प्रथाओं के
ष प्रेमी न थे, बल्कि वे बहुधा बड़े जोर से उसकी निंदा और तिरस्कार किया करते
वि षशे
थे। वे प्राचीन सभ्यता का गुणगान उनकी प्रकृति का प्रधान अंग था। सम्मिलित कुंटुब के तो
वे एक मात्र उपासक थे। आजकल स्त्रियों में मिलजुलकर रहने में जो अरुचि थी श्रीकं ठ
उसे जाति और समाज के लिए हानिकारक समझते थे।

(iii) गाँव की स्त्रियाँ श्रीकं ठ की निंदक क्यों थीं?

श्रीकं ठ स्त्रियों में मिलजुलकर रहने में जो अरुचि थी उसे जाति और समाज के लिए
हानिकारक समझते थे। वे प्राचीन सभ्यता का गुणगान और सम्मिलित कुंटुब के उपासक थे।
इसलिए गाँव की स्त्रियाँ श्रीकं ठ की निंदक थीं। कोई-कोई तो उन्हें अपना शत्रु समझने में भी
संकोच नहीं करती थीं।

(iv) आनंदी की सम्मिलित कुंटुब के बारे में राय अपने पति से अलग क्यों थी?

आनंदी स्वभाव से बड़ी अच्छी स्त्री थी। वह घर के सभी लोगों का सम्मान और आदर करती
थी परंतु उसकी राय संयुक्त परिवार के बारे में अपने पति से ज़रा अलग थी। उसके
अनुसार यदि बहुत कुछ समझौता करने पर भी परिवार के साथ निर्वाह करना मुकिल लश्कि
हो तो
अलग हो जाना ही बेहतर है।

प्रश्न ख:निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“लालबिहारी को भावज की यह ढिठाई बुरी मालूम हुई तिनकर बोला मैके में तो जैसे घी की
नदियाँ बहती हो। स्त्रियाँ गालियाँ सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर उससे मैके की निंदा
नहीं सही जाती।”

(i) आनंदी और उसके देवर के बीच झगड़े का क्या कारण था?

आनंदी ने सारा पावभर घी मांस पकाने में उपयोग कर दिया था जिसके कारण दाल में घी
नहीं था। दाल में घी का न होना ही उनके झगड़े का कारण था।

(ii) लालबिहारी के किस कथन से आनंदी को दुःख पहुँचा और क्यों?

घी की बात को लेकर लालबिहारी ने अपनी भाभी को ताना मार दिया कि जैसे उनके मायके
में घी को नदियाँ बहती हैं और यही आनंदी के दुःख का कारण था क्योंकि आनंदी बड़े घर
की बेटी थी उसके यहाँ किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी।

(iii) उपर्युक्त संवाद का प्रसंग स्पष्ट कीजिए?

आनंदी बड़े घर की बेटी होने के कारण किफायत नहीं जानती थी इसलिए आनंदी ने हांडी
का सारा घी मांस पकाने में उपयोग कर दिया जिसके कारण दाल में डालने के लिए घी
नहीं बचा और इसी कारणवश देवर और भाभी में झगडा हो जाता है।

(iv) स्त्रियाँ गालियाँ सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर उससे मैके की निंदा नहीं सही जाती
से क्या तात्पर्य है?

उपर्युक्त संवाद से तात्पर्य स्त्री आत्मगौरव से है। भले ही स्त्रियों की शादी हो जाए,
काम के सिलसिले में उन्हें दूसरे शहर और घर में रहना पड़े, सफलता के शिखर को छू
लें परंतु मायका ऐसा संवेदन ललशी
विषय है जिसे स्त्री कभी भी छोड़ नहीं पाती है। वे सब
कुछ सह लेगी लेकिन कभी भी अपने माता-पिता और मायके की बुराई नहीं सुन सकती।

प्रश्न ग:निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:


इलाहबाद का अनुभव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजुएट इस बात को न समझ सका। उसे डिबेटिंग – क्लब
में अपनी बात पर अड़ने की आदत थी, इन हथकंडों की उसे क्या खबर?

(iv) यहाँ पर इलाहबाद का अनुभव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजुएट किसे संबोधित किया जा रहा है और
वह क्या नहीं समझ पा रहा था?
यहाँ पर बेनी माधव सिंह के के बड़े पुत्र श्रीकं ठ को अनुभव रहित झल्लाया हुआ ग्रेजुएट
संबोधित किया जा रहा है।
श्रीकं ठ अपनी पत्नी की शिकायत पर अपने पिता के सामने घर से अलग हो जाने का प्रस्ताव
रखता है। जिस समय वह ये बातें करता है वहाँ पर गाँव के अन्य लोग भी उपस्थित होते
हैं। बेनी माधव अनुभवी होने के कारण घर के मामलों को घर में ही सुलझाना चाहते थे
और यही बात श्रीकं ठ को समझ नहीं आ रही थी। पिता के समझाने पर भी वह लोगों के सामने
घर से अलग होने की बात दोहरा रहा था।

(ii) बेनी माधव सिंह ने अपने बेटे का क्रोध शांत करने के लिए क्या किया?

अनुभवी बेनी माधव सिंह ने अपने बेटे का क्रोध शांत करने के लिए कहा कि वे उसकी
बातों से सहमत है श्रीकं ठ जो चाहे कर सकते हैं क्योंकि उनके छोटे बेटे से अपराध तो
हो ही गया है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बुद्धिमान लोग मूर्खों की बात पर ध्यान नहीं
देते। लालबिहारी बेसमझ लड़का है उससे जो भी भूल हुई है उसे श्रीकं ठ बड़ा होने के
नाते माफ़ कर दे।

(iii) गाँव के लोग बेनी माधव सिंह के घर आकर क्यों बैठ गए थे?

गाँव में कुछ कुटिल मनुष्य ऐसे भी थे जो बेनी माधव सिंह के संयुक्त परिवार और परिवार
की नीतिपूर्ण गति से जलते थे उन्हें जब पता चला कि अपनी पत्नी की खातिर श्रीकं ठ अपने
पिता से लड़ने चला है तो कोई हुक्का पीने, कोई लगान की रसीद दिखाने के बहाने बेनी
माधव सिंह के घर जमा होने लगे।

(iv) उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

श्रीकं ठ क्रोधित होने के कारण अपने पिता से सबके सामने लड़ पड़ते हैं। पिता नहीं
चाहते थे कि घर की बात बाहर वालों को पता चले परंतु श्रीकं ठ अनुभवी पिता की बातें नहीं
समझ पाता और लोगों के सामने ही पिता से बहस करने लगता है। उपर्युक्त कथन श्रीकं ठ की
इसी नासमझी को बताने के लिया कहा गया है।

प्रश्न घ:निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


बेनी माधव बाहर से आ रहे थे। दोनों भाईयों को गले मिलते देखकर आनंद से पुलकित हो गए और
बोल उठे, बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं। बिगड़ता हुआ काम बना लेती हैं।”

(i) आनंदी की शिकायत का क्या परिणाम हुआ?


आनंदी का अपने देवर के साथ दाल में घी न डालने पर झगड़ा हो गया था और गुस्से में
उसके देवर ने आनंदी पर खड़ाऊँ फेंककर दे मारी थी। आनंदी ने इस बात की शिकायत जब
अपने पति श्रीकं ठ से की तो वह गुस्से से आग-बबूला हो गया और पिता के सामने जाकर घर
से अलग होने की बात कह डाली।

(ii) दी को अपनी बात का पछतावा क्यों हुआ?

आनंदी ने गुस्से में आकर अपने पति से शिकायत तो कर दी परंतु दयालु व संस्कारी स्वभाव
की होने के कारण मन-ही-मन अपनी बात पर पछताने भी लगती है कि क्यों उसने अपने पर
काबू नहीं रखा और व्यर्थ में घर में इतना बड़ा उपद्रव खड़ा कर दिया।

(iii) निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :बेनी माधव बाहर से आ रहे थे।
दोनों भाईयों को गले मिलते देखकर आनंद से पुलकित हो गए और बोल उठे, बड़े घर की बेटियाँ
ऐसी ही होती हैं। बिगड़ता हुआ काम बना लेती हैं।”

आनंदी का देवर जब घर छोड़कर जाने लगा तो स्वयं आनंदी ने आगे बढ़कर अपने देवर
ता
को रोक लिया और अपने किए पर पचाताप पश्चा
करने लगी। आनंदी ने अपने अपमान को भूलकर
दोनों भाईयों में सुलह करवा दी थी। अत: बिगड़े हुए काम को बना देने के कारण बेनी
माधव ने आनंदी को बड़े घर की बेटी कहा।

(iv) ‘बड़े घर की बेटी’ कहानी का उद्देय श्य


स्पष्ट करें।

इस काहनी के माध्यम से लेखक ने स्पष्ट किया है कि किसी भी घर में पारिवारिक शांति और


सामंजस्य बनाए रखने में घर की स्त्रियों की अहम् भूमिका होती है। घर की स्त्रियों अपनी
समझदारी से टूटते और बिखरते परिवारों को भी जोड़ सकती है। साथ की लेखक ने संयुक्त
परिवारों की उपयोगिता को भी इस कहानी के माध्यम से सिद्ध किया है।

CSE Solutions for पाठ 14 संदेह (Sandeh) Class 10 Hindi


Sahitya Sagar
प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
“तुमसे अपराध होगा? यह क्या कह रही हो? मैं रोता हूँ, इसमें मेरी ही भूल है। प्रायश्चित करने
का यह ढंग नहीं, यह मैं धीरे-धीरे समझ रहा हूँ, किंतु करूँ क्या? यह मन नहीं मानता।”

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण का वक्ता रामनिहाल है। जो कि श्रोता श्यामा के यहाँ ही रहता है। श्यामा एक
विधवा, समझदार और चरित्रवान महिला है।

(ii) श्रोता के वक्ता के बारे में क्या विचार हैं?

उत्तर :
शश्रोता अर्थात् रामनिहाल के वक्ता श्यामा के बारे में बड़े उच्च विचार है।
रामनिहाल श्यामा के स्वभाव से अभिभूत है। वह जिस प्रकार से अपने वैधव्य का जीवन जी
रही है। वह रामनिहाल की नज़र में काबिले तारीफ़ है। वह श्यामा की सहृदयता और मानवता
के कारण उसे अपना शुभ चिंतक, मित्र और रक्षक समझता है।

(iii) क्या वाकई में वक्ता से कोई अपराध हो गया था?

नहीं, वक्ता से कोई अपराध नहीं हुआ था।


रामनिहाल अपना सामान बांधें लगातार रोये जा रहा था। अत: वक्ता यह जानना चाह रही थी
कि कहीं उससे तो कोई भूल नहीं हो गई जिसके कारण रामनिहाल इस तरह से रोये जा रहा
था।

(iv) रामनिहाल के रोने का कारण क्या है?

रामनिहाल को लगता है कि उससे कोई बड़ी भूल हो गई है और जिसका उसे प्रायचित तश्चि
करना
पड़ेगा और इसी भूल के संदर्भ में वह रो रहा है।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


मेरी महत्त्वकांक्षा, मेरे उन्नति ललशी
विचार मुझे बराबर दौड़ाते रहे। मैं अपनी कुशलता से
अपने भाग्य को धोखा देता रहा। यह भी मेरा पेट भर देता था। कभी-कभी मुझे ऐसा मालूम होता है
कि यह दाँव बैठा कि मैं अपने-आप पर विजयी हुआ और मैं सुखी होकर संतुष्ट होकर चैन से
संसार के एक कोने में बैठ जाऊँगा, किंतु वह मृग मरीचिका थी।”

(i) यहाँ पर किसके बारे में बात की जा रही है?


यहाँ पर स्वयं रामनिहाल अपने विषय में बातचीत कर रहा है। अपने जीवन में अति
महत्त्वाकांक्षी होने के कारण एक जगह टिक नहीं पाया। हर समय सामान अपनी पीठ पर
लादे घूमता रहा।

(ii) रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा उससे क्या करवाती रही?

रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा और उसके उन्नति ललशी


विचार उसे बराबर दौड़ाते रहे। वह
बड़ी कुशलतापूर्वक अपने भाग्य को धोखा देता रहा और अपना निर्वाह करता रहा।

(iii) प्रस्तुत पंक्तियों का क्या आशय है?

प्रस्तुत पंक्तियों का आशय मनुष्य की कभी भी न पूरी होने वाली इच्छाओं से हैं। मनुष्य
हमे शअपनी हर इच्छा को अंतिम इच्छा समझता है और सोचता है कि बस यह पूरी हो जाय तो
वह चैन की साँस लें। परंतु हर एक खत्म होने वाली इच्छा के बाद एक नई इच्छा का जन्म
होता है और इसके साथ ही मनुष्य का असंतोष भी बढ़ता जाता है।

(iv) प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से क्या तात्पर्य है?

प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से तात्पर्य इंसान की कभी भी खत्म होने वाली इच्छाओं
से है। रामनिहाल हमे शसोचता था कि एक दिन वह संतुष्ट होकर कोने में बैठ जाएगा
लेकिन ऐसा कभी भी संभव नहीं हो पाया।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


मनोरमा घबरा उठी। उसने कहा – “चुप रहिए, आपकी तबीयत बिगड़ – रही है, शांत हो जाइए!”

(i) कौन, किसे और क्यों शांत रहने के लिए कह रहा है?

यहाँ पर मनोरमा अपने पति मोहनबाबू को शांत रहने के लिए कह रही है।
नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू उत्तेजित हो जाते हैं और अजनबी
रामनिहाल के सामने कुछ भी कहने लगते हैं इसलिए उनकी पत्नी मनोरमा चाहती है कि
उसके पति शांत रहे।

(ii) मोहनबाबू कौन हैं और वे क्यों परेशान हैं?

मोहनबाबू रामनिहाल के दफ़्तर के मालिक थे।


मोहनबाबू को संदेह था कि उनकी पत्नी मनोरमा और दफ़्तर में काम करने वाले उनके
निकट संबंधी बृजकि ररशो
मिलकर उसके खिलाफ़ षडयंत्र रच रहे और उन्हें पागल साबित
कर रहे हैं। इसलिए मोहनबाबू परे ननशा
करने की को निशश थे।

(iii) मोहनबाबू का किससे और क्यों मतभेद था?

मोहनबाबू का अपनी पत्नी से वैचारिक स्तर पर मतभेद था। मोहनबाबू किसी भी विचार को
निक रूप से प्रकट करते थे जिसे उनकी पत्नी समझ नहीं पाती थी और यही उनके
दार्निकर्श
मतभेद का कारण था।

(iv) मोहनबाबू मनोरमा से माफ़ी क्यों माँगते हैं?

नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू का अपनी पत्नी से मतभेद हो जाता है
और जिसके परिणास्वरूप वे अपनी पत्नी पर संदेह करते हैं ये बात अजनबी रामनिहाल
के सामने प्रकट कर देते हैं। जब मोहनबाबू थोड़ा शांत हो जाते हैं तो उन्हें अपनी
गलती का अहसास हो जाता है तब वे अपनी पत्नी से माफ़ी माँगते हैं।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


रामनिहाल हत बुद्धि अपराधी – श्यामा को देखने लगा, जैसे उसे कहीं भागने की राह न हो।

(i) रामनिहाल ने श्यामा क्या बताया?

रामनिहाल ने श्यामा को बताया कि बृजकि ररशो


बाबू चाहते हैं कि अदालत मोहनबाबू को पागल
करार कर दे और उन्हें मोहनबाबू का निकट संबंधी होने के कारण सारी संपत्ति का
प्रबंधक बना दे।

(ii) रामनिहाल किस संदेह से ग्रसित था?

रामनिहाल इस संदेह से ग्रसित था कि मनोरमा उसे प्यार करती है और इसलिए बार-बार


उसे पत्र लिख कर बुला रही है।

(iii) रामनिहाल हत बुद्धि क्यों हो गया?

रामनिहाल अभी तक यह संदेह कर रहा था कि मनोरमा उससे प्यार करती है और इसलिए बार-
बार पत्र लिखकर उसे बुला रही है पर जब श्यामा ने रामनिहाल को बताया कि वह एक दुखिया
स्त्री है जो बृजकि ररशो
जैसे कपटी व्यक्ति के कारण उसकी सहायता चाहती है।
यह सुनकर रामनिहाल हत बुद्धि हो गया।
इस तरह जब श्यामा ने रामनिहाल के व्यर्थ के संदेह का निराकरण कर दिया तो रामनिहाल हत
बुद्धि हो गया।

(iv) अंत में श्यामा ने रामनिहाल को क्या सुझाव दिया?

रामनिहाल की सारी बातें सुनने के बाद श्यामा यह जान गई कि रामनिहाल व्यर्थ के संदेह
के कारण परे ननशा
है। तब श्यामा ने उसके संदेह का निराकरण किया और रामनिहाल को सुझाव
दिया कि मनोरमा एक दुखिया स्त्री है और रामनिहाल को उसकी सहायता करनी चाहिए।
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ICSE Solutions for जामुन का पेड़ by Krishna Chander

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।”

(i) जामुन का पेड़ कहाँ लगा हुआ था और उसके गिरने का क्या कारण था?

जामुन का पेड़ सेक्रेटेरियट के लॉन में लगा हुआ था। एक रात बड़े जोर की आँधी आती
है जिसके कारण जामुन का पेड़ गिर पड़ता है।

(ii) उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है? वो दुखी क्यों है?

उत्तर :
उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक क्लर्क है, जो इस समय
जामुन के पेड़ के गिर पड़ने से दुखी है क्योंकि ये जामुन का पेड़ अत्यंत फलदार और
रसीला था।

(iii) उपर्युक्त संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

उपर्युक्त संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के गिरने के संदर्भ
में आए हैं। सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा
और उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह होने पर जब माली ने उसे देखा तो क्लर्क को
बताया और इस तरह से वहाँ पर एक भीड़ इकट्ठी हो गई और उस समय जामुन के पेड़ को
देखकर उपर्युक्त संवाद कहा गया है।

(iv) इससे लोगों की किस मानसिकता का पता चलता है?

न्
उपर्युक्त संवाद से हमें लोगों की संवेदनन्ययशूहोती मानसिकता का पता चलता है। जामुन
के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे
वे उस पेड़ के लगे जामुनों को याद कर शोक प्रकट करते हैं जिससे पता चलता है कि
न्
किस प्रकार लोग स्वार्थी और संवेदनन्ययशूहोते जा रहे हैं।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”

(i) जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग तक कैसे पहुँचा?

सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके
नीचे एक आदमी दब गया। वह पेड़ कृषि विभाग के अंतर्गत था परंतु कृषि विभाग ने उसके
फलदार पेड़ होने के कारण जामुन के पेड़ का मामला हार्टीकल्चर विभाग को भेज दिया।

(ii) हार्टीकल्चर विभाग ने जामुन के पेड़ काटने से मना क्यों किया?

हार्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटेरी का कहना था कि उनका विभाग आज जहाँ पेड़ लगाओ की


स्कीम ऊँचें स्तर पर चला रही है वहाँ पर जामुन के इस फलदार पेड़ को काटने की अनुमति
उसके विभाग द्वारा कभी भी नहीं दी जा सकती।

(iii) उपर्युक्त कथन से हमें लोगों की किस मानसिकता का पता चलता है?

न्
उपर्युक्त कथन से हमें लोगों की संवेदनन्ययशूहोती मानसिकता का पता चलता है। जामुन
के पेड़ के पास खड़ी भीड़ को उसके नीचे दबे व्यक्ति से कोई सहानुभूति नहीं होती उल्टे
वे उस व्यक्ति का मजाक उड़ाते हैं। वे ये भी नहीं सोचते कि इस तरह के मजाक से
व्यक्ति को कितनी तकलीफ हो रही होगी कि जब आप किसी जिंदा व्यक्ति को काटने की बात कर
रहे हो।
(iv) अब क्या किया जाए? इस पर एक मनचले ने कहा –
“अगर पेड़ नहीं काटा जा सकता तो इस आदमी को ही काटकर निकाल लिया जाए।”
प्रस्तुत अवतरण का संदर्भ स्पष्ट करें।
सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगा पेड़ आँधी के कारण रात में गिर पड़ा और उसके
नीचे एक आदमी दब गया। और उस पेड़ को हार्टीकल्चर विभाग ने काटने से मना कर दिया
तब उपर्युक्त संवाद वहाँ पर खड़े एक मनचले और असंवेदन ललशी
आदमी द्वारा कहा गया
है।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


“मगर एक आदमी की जान का सवाल है।”

(i) उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

जब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी, कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उन्हें पेड़ काटने
से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए
करण यह था, कि इस पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था।
अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध सदा के लिए
बिगड़ सकते थे। इसी बात के संदर्भ में एक क्लर्क ने चिल्लाते हुए इस कथन को कहा।

(ii) विदेश विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म क्यों दिया?

पेड़ को दस वर्ष पूर्व पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियट के लॉन में


लगाया था। अब यदि इस पेड़ को काटा गया तो पिटोनिया सरकार से हमारे देश के संबंध
सदा के लिए बिगड़ सकते थे। इस कारण विदेश विभाग ने पेड़ न काटने का हुक्म दिया।

(iii) अंत में पेड़ काटने की अनुमति कैसे मिलती है?

विदेश विभाग अंत में फाइल लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुँचते हैं। प्रधानमंत्री सारी
अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर पर लेते हुए उस पेड़ को काटने की अनुमति दे
देते हैं। अत: इस प्रकार फाइलें कई विभागों से गुजरते हुए अंत में जाकर
प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत होती है।

(iv) क्या अंत में उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकाल लिया जाता है? यदि नहीं तो क्यों स्पष्ट
करें।

नहीं, अंत में उस व्यक्ति को पेड़ के नीचे से निकाल लिया जाता है क्योंकि सरकारी
विभाग के अधिकारी जामुन के पेड़ को हटाने तथा उस व्यक्ति को बचाने की बजाए फाइलें
बनाने तथा उन फाइलों को अलग-अलग विभागों में पहुँचाने में लगे हुए थे और अंत
में जब तक फैसला आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


सुनते हो? आज तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव
और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी…।

(i) यहाँ पर किस फाइल की बात की जा रही है?

सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगे जामुन के पेड़ के नीचे एक व्यक्ति कई दिन से दबा
पड़ा रहता है और उसे वहाँ से निकालने के लिए विभिन्न विभागों से संपर्क किया जाता
है और अंत में बात प्रधानमंत्री तक पहुँचती है और उस पेड़ को काटने का निर्णय किया
जाता है यहाँ पर इसी फाइल के पूर्ण हो जाने से संबंधित बात की जा रही है।

(ii) दबे हुए व्यक्ति को इतने दिन पेड़ के नीचे से क्यों नहीं निकाला गया?

यहाँ पर सरकारी विभाग की अकर्मण्यता की और ध्यान खींचा गया है कि किस तरह हर एक


विभाग अपनी जिम्म्मेदारी से मुकर रहा था। हर एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे विभाग
के मत्थे मढ़ने पर लगा हुआ था। इसी कारणवश दबे हुए व्यक्ति को इतने दिन पेड़ के नीचे
से नहीं निकाला गया।

(iii) उपर्युक्त कथन का वक्ता कौन है उसका परिचय दें।

उपर्युक्त कथन का वक्ता सेक्रेटेरियेट में काम करने वाला एक माली है इसी ने सबसे
पहले कवि के पेड़ के नीचे दबे होने की बात बताई थी। पूरी कहानी में चपरासी ही
अकेला ऐसा व्यक्ति था जिसे कवि के प्रति सहानुभूति और चिंता थी।

(iv) प्रस्तुत कथन का आशय स्पष्ट करें।

प्रस्तुत कथन का आशय सरकारी विभागों की अकर्मण्यता से है। यहाँ पर लेखक के कहने
का तात्पर्य यह है कि लोग कितने असंवेदन ललशी
हो गए है किसी को भी पेड़ के नीचे दबे
व्यक्ति के बारे में चिंता नहीं थी। सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे थे
और पेड़ को न हटवाने का दोष एक दूसरे पर मढ़ रहे थे और सरकारी विभागों की इस देरी
की वजह से उस आदमी की मौत हो जाती है।
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प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।

(i) कवि के पैरों में कैसी गति भरी पड़ी है?

कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है।

(ii) कवि दर-दर क्यों खड़ा नहीं होना चाहता?

उत्तर :
कता
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवयकता श्य
है।

(iii) कवि का रास्ता आसानी से कैसे कट गया?

कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें
सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


गति, प्रबल, विराम, मंज़िल

गति – चाल
प्रबल – रफ्तार
विराम – आराम
मंज़िल – लक्ष्य
प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जीवन अपूर्ण लिए हुए


पाता कभी खोता कभी
आ शनिराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।
-प्रहार में
इस विशद विव श्व
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।

(i) मनुष्य जीवन में किससे घिरा रहता है?

मनुष्य जीवन में आ शऔर निरा शसे घिरा रहता है।

(ii) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?

मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आ श
और निरा शसे घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है।

(iii) ‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।

कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के
आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता
फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम

अपूर्ण – जो पूरा न हो
आठों याम – आठ पहर
विशद – बड़े
वाम – विरुद्ध

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मैं पूर्णता की खोज में


दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है

(i) जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का
आशय स्पष्ट करें।

लता
उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गति लता शी
से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते
हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह
अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना
चाहिए।

(ii) प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?

प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-
दर भटकता है।

(iii) शब्दार्थ लिखिए –


रोड़ा, निराशा, अभिराम

रोड़ा – बाधा
निरा श– दुःख
अभिराम – सुंदर

(iv) ‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?

जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के
अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता
है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं
का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर
आगे बढ़ते हैं।

ICSE Solutions for भेड़ें और भेड़िए by Hari Shankar


Parsai

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का
स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।

(i) पशु समाज में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन क्यों आया?

ओंशुको ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच गए हैं, जहाँ उन्हें


एक बार वन के पओं
एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी
चाहिए। इस प्रकार प श6समाज में प्रजातंत्र की स्थापना का ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन आया।

(ii) प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से क्या आशय है?

उत्तर :
प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से आशय प्रजातंत्र की स्थापना से है। एक
ओंशुको ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच, जहाँ उन्हें एक अच्छी
बार वन के पओं
शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए।

(iii) पशु समाज में हर्ष की लहर क्यों दौड़ पड़ी?


प श6समाज ने जब प्रजातंत्र की स्थापना की बात सोची तो उन्हें लगा कि अब उनके जीवन
में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आ जाएगा इसलिए प श6में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।

(iv) प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों में कौन-सी आ एँ


एँशा
जागने लगी?

प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों को लगा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा। वे


उनके प्रतिनिधियों से कानून बनवाएँगे कि कोई जीवधारी किसी को न सताएँ, न मारे। सब
जिएँ और जीने दें का पालन करेंगे। उनका समाज शांति, बंधुत्व और सहयोग पर आधारित
होगा।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी
है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे,
जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”

(i) भेड़ियों ने यह क्यों सोचा कि अब संकटकाल आ गया है?

वन – प्रदेश में भेड़ों और अन्य छोटे पओं


ओंशुको मिलाकर उनकी संख्या नब्बे प्रतिशत
थी इसलिए यदि प्रजातंत्र की स्थापना होती है तो वहाँ भेड़ों का ही राज होगा और यदि
भेड़ों ने यह कानून बना दिया कि कोई प श6किसी को न मारे तो भेड़िये को खाना कैसे
मिलेगा। इसलिए भेड़ियों ने सोचा कि प्रजातंत्र की स्थापना से उनपर संकटकाल आ गया
है।

(ii) प्रस्तुत अवतरण में भेड़ें और भेड़िये किसका प्रतीक हैं?

प्रस्तुत अवतरण में भेड़ सामान्य जनता का प्रतीक है। जो कपटी नेताओं के झांसे में
आकर चुनावों के दौरान इन नेताओं को चुनकर यह सोचते हैं कि ये नेता इनका भला
करेंगे।
वही दूसरी ओर भेड़िये उन राजनीतिज्ञों का प्रतीक हैं जो सामान्य जनता को अपनी
चिकनी-चुपड़ी बातों में फँसाकर अपना स्वार्थ साधते हैं।

(iii) सियार ने भेड़ियों को सरकस में जाने की सलाह क्यों दी?

वन-प्रदेश में भेड़ों की संख्या अधिक थी और यदि प्रजातंत्र की स्थापना हो गई तो


भेड़ियों के पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था इसलिए सियार ने भेड़ियों को
सरकस में जाने की सलाह दी।

(iv) भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात मानने का निश्चय क्यों किया?

प्रजातंत्र की खबर से भेड़िये बड़े परे ननशा


थे। उन्हें इससे बचाने का कोई उपाय
नहीं सूझ रहा था। ऐसे समय में बूढ़े सियार ने जब उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई कि वह
कोई न कोई योजना बनाकर भेड़ियों की मदद कर देगा तो भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात
मानने का निचययश्चकिया।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”

(i) बूढ़े सियार ने सियारों को क्यों रंगा?

बूढ़े सियार ने भेड़ियों का चुनाव-प्रचार तथा भेड़ों को भ्रमित और गुमराह करने के


लिए सियारों को रंगा था।
वन-प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना से भेड़िये डर गए थे तब भेड़ियों की रक्षा
करने के लिए बूढ़े सियार ने एक योजना बनाई जिसके अंतर्गत उसे भेड़ियों का प्रचार
करना था और भेड़ों को यह विवास सश्वा
दिलाना था कि भेड़ों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार
भेड़िये ही है अपनी इस योजना को सफल बनाने के लिए ही उसने सियारों को रंगा था।

(ii) तीनों सियारों का परिचय किस प्रकार दिया गया?

अपनी योजना को सफल बनाने के लिए सियार ने तीन सियारों को क्रम< श\


पीले, नीले और
हरे में रंग दिया और भेड़ों के सामने उनका परिचय इस प्रकार दिया कि पीले रंगवाला
सियार विद्वान, विचारक, कवि और लेखक है, नीले रंगवाले सियार को नेता और स्वर्ग का
पत्रकार बताया गया और वहीँ हरे रंगवाले सियार को धर्मगुरु का प्रतीक बताया गया।

(iii) बूढ़े सियार ने भेड़िये का रूप क्यों बदला और उसे क्या सलाह दी?

अपनी योजना को सफल बनाने के लिए बूढ़े सियार ने अपने साथियों को रंगने के बाद
भेड़िये के रूप को भी बदला।
भेड़िये का रूप बदलने के बाद बूढ़े सियार ने उसे तीन बातें याद रखने की सलाह दी कि
वह अपनी हिंसक आँखों को ऊपर न उठाए, हमे शजमीन की ओर ही देखें और कुछ न बोलें
और सब से जरुरी बात सभा में बहुत-सी भेड़ें आएगी गलती से उनपर हमला न कर बैठना।

(iv) पहले भेड़ें क्यों भागने लगीं?

बूढ़े सियार ने एक संत के आने की खबर पूरे वन-प्रदेश में फैला रही थी इसलिए उसको
देखने के लिए भेड़ें बड़ी संख्या में सभा-स्थल पर मौजूद थीं। पर जब उन्होंने अपने
सामने संत के रूप में भेड़िये को देखा तो वे डर के मारे भागने लगीं।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

और, जब पंचायत में भेड़ों के हितों की रक्षा के लिए भेड़िये प्रतिनिधि बनकर गए।

(i) प्रस्तुत पाठ में सियार किसके प्रतीक हैं?

प्रस्तुत पाठ में सियार चापलूस व्यक्तियों के प्रतीक हैं। ये सियार मौकापरस्त होते
हैं। ये अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीतिज्ञों की हाँ में हाँ मिलाते हैं और
जनता को हमे शगुमराह करने की को निशश
करते हैं।

(ii) प्रस्तुत पाठ में बूढ़े सियार की वि षताएँशे


षताएँबताएँ।

प्रस्तुत पाठ में बूढ़ा सियार बड़ा ही चतुर, स्वार्थी, धूर्त और अनुभवी भेड़ियों का चापलूस
है। अपने अनुभव के आधार पर वह भेड़ियों की मदद कर उनकी नज़रों में आदरणीय बन
जाता है और बिना कुछ करे उसे भेड़ियों द्वारा बचा हुआ मांस खाने को मिल जाता है।

(iii) चुनाव जीतने के बाद भेड़ियों ने पहला कानून क्या बनाया?

चुनाव जीतने के बाद भेड़ियों ने पहला कानून यह बनाया कि रोज सुबह नातेश्ते
में उन्हें
भेड़ का मुलायम बच्चा खाने को दिया जाए, दोपहर के भोजन में एक पूरी भेड़ तथा शाम को
स्वास्थ्य के ख्याल से कम खाना चाहिए, इसलिए आधी भेड़ दी जाए।

(iv) ‘भेड़ और भेड़िये’ कहानी द्वारा हमें क्या संदेश मिलता है?

‘भेड़ और भेड़िये’ कहानी हमें राजनीतिज्ञों के षडयंत्रों तथा अपने चुनाव के


अधिकार के सही प्रयोग करने का संदेश देता है। भोली-भाली जनता को नेता और उनके
चापलूस मिलकर गुमराह करते रहते हैं अत: जनता की चाहिए कि वे सतर्क और सावधान
रहकर अपने अधिकारों का प्रयोग करें।
TagsClass 10 Hindi

ICSE Solutions for दो कलाकार by Mannu Bhandari

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

“मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नज़र आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही
है।”

(i) उपर्युक्त अवतरण की वक्ता और श्रोता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण की वक्ता अरुणा और श्रोता चित्रा है। ये दोनों अभिन्न सहेलियाँ हैं।
अरुणा और चित्रा पिछले छः वर्षों से छात्रावास में एक साथ रहते हैं। चित्रा एक
चित्रकार है और अरुणा को लोगों की सेवा करने में आनंद मिलता है।

(ii) चित्रा का अरुणा को नींद में से जगाने का क्या उद्देय श्य


है?

उत्तर :
चित्रा एक चित्रकार है और अरुणा उसकी मित्र अभी-अभी कुछ समय पहले उसने एक चित्र
पूरा किया था जिसे वह अपनी मित्र अरुणा को दिखाना चाहती थी इसलिए चित्रा ने अरुणा को
नींद से जगा दिया।

(iii) अरुणा ने चित्र को घनचक्कर क्यों कहा?

चित्रा ने अरुणा को जब चित्र दिखाया तो तो उसमें सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब
एक-दूसरे पर चढ़ रहे थे। मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी गई हो। इसलिए अरुणा ने उस
चित्र को घनचक्कर कहा।

(iv) चित्रा ने उस चित्र को किसका प्रतीक कहा और क्यों?

चित्रा ने उस चित्र को कन्फ्यूजन का प्रतीक का प्रतीक कहा क्योंकि उस चित्र में सड़क,
आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक-दूसरे पर चढ़ रहे थे।
प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कागज़ पर इन निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय दो-चार की जिंदगी क्यों नहीं बना देती! तेरे
पास सामर्थ्य है, साधन हैं!”

(i) उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

चित्रा चाय पर अरुणा का इंतजार कर रही होती है। इतने में अरुणा का आगमन होता है और
चित्रा उसे बताती है कि उसके पिता का पत्र आया है जिसमें आगे की पढ़ाई के लिए
उसे विदेश जाने की अनुमति मिल गई है। उस समय आपसी बातचीत के दौरान अरुणा चित्रा
से उपर्युक्त कथन कहती है।

(ii) उपर्युक्त कथन का तात्पर्य स्पष्ट करें।

उपर्युक्त कथन से अरुणा का तात्पर्य चित्रा के असंवेदन ललशी


होने से है। चित्रा
चित्रकार होने के नाते केवल अपने चित्रों के बारे में ही सोचती रहती है। दुनिया
में बड़ी-से-बड़ी घटना क्यों न घट जाय यदि चित्रा को उसमें चित्रकारी के लिए मॉडल
नहीं मिलता तो उसके लिए वह घटना बेमानी होती है।

(iii) अरुणा ने आवेश में आकर यह क्यों कहा कि किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न
रहने दें।

चित्रा दुनिया से कोई मतलब नहीं रखती थी। वह बस चौबीसों घंटे अपने रंग और
तूलिकाओं में डूबी रहती थी। दुनिया में कितनी भी बड़ी घटना घट जाए, पर यदि उसमें
चित्रा के चित्र के लिए कोई आइडिया नहीं तो वह उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती थी।
वह हर जगह, हर चीज में अपने चित्रों के लिए मॉडल ढूंढा करती थी। इसलिए अरुणा ने
आवेश में आकर यह कहा कि किस काम की ऐसी कला जो आदमी को आदमी न रहने दें।

(iv) अरुणा उपर्युक्त कथन द्वारा चित्रा को क्या कहना चाहती है?

अरुणा उपर्युक्त कथन द्वारा चित्रा को कहना चाहती है कि वह अमीर पिता की बेटी है उसके
पास साधनों और पैसे की कोई कमी नहीं है अत: वह उन साधनों से किसी की जिंदगी सँवार
सकती है।
प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

“आज चित्रा को जाना था। अरुणा सवेरे से ही उसका सारा सामान ठीक कर रही थी।”

(i) चित्रा को कहाँ और क्यों जाना था?

चित्रा को चित्रकला के संबंध में विदेश जाना था।

(ii) चित्रा को घर लौटने में देर क्यों हुई?

चित्रा को चित्रकला के संबंध में विदेश जाना था इसलिए वह अपने गुरु से मिल कर घर
लौट रही थी। घर लौटते समय उसने देखा कि पेड़ के नीचे एक भिखारिन मरी पड़ी थी और
उसके दोनों बच्चे उसके सूखे हुए शरीर से चिपक कर बुरी तरह रो रहे थे। उस दृय श्य
को
चित्रा अपने केनवास पर उतारने लग गई इसलिए उसे घर लौटने में देर हो गई।

(iii) चित्रा को कितने बजे जाना था और उसकी आँखें किसे ढूँढ रही थी?

चित्रा को शाम की पाँच बजे की गाड़ी से जाना था और उसकी आँखें उसकी मित्र अरुणा को
ढूँढ रही थी।

(iv) विदेश में उसके किस चित्र को अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार मिल चुका था?

चित्रा ने भिखारिन और उसके शरीर से चिपके उसके बच्चों का चित्र बनाया था जिसे
उसने अनाथ शीर्षक दिया था। विदेश में उसका यही अनाथ शीर्षक वाला चित्र अनेक
प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुका था।

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

“कुछ नहीं… मैं…सोच रही थी कि….” पर शब्द शायद उसके विचारों में खो गए।

(i) अनेक प्रतियोगिताओं में चित्रा का कौन-सा चित्र प्रथम पुरस्कार पा चुका था?

चित्रा जब भारत में थी तब उसने एक चित्र बनाया था। उस चित्र में एक


भिखारिन मरी पड़ी थी और उसके दो बच्चे उसके सूखे शरीर से चिपककर बुरी
तरह रो रहे थे। इस चित्र को चित्रा ने ‘अनाथ’ शीर्षक दिया था। चित्रा के इसी
चित्र को अनेक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिल चुका था।
(ii) भिखारिन के दोनों बच्चों का क्या हुआ?

चित्रा ने अरुणा को भिखारिन और उसके दो बच्चों के बारे में बताया। अरुणा


ने तुरंत भिखारिन के दोनों बच्चों को अपने घर ले आईं और उन्हें गोद
लेकर उनका पालन-पोषण करने लगी। इस तरह अरुणा जैसी संवेदन ललशी
व्यक्ति
के कारण उन दो अनाथ बच्चों को घर, परिवार, मान-सम्मान और प्यार मिला।

(iii) अरुणा और चित्रा में से महान कलाकार कौन है और क्यों?

अरुणा और चित्रा में से महान कलाकार अरुणा है क्योंकि चित्रा ने केवल


ख्याति प्राप्त करने के उद्देय श्य
से चित्र बनाया और पर अरुणा ने बिना किसी
स्वार्थ के उन बच्चों को अपनाया। चित्रा के लिए वे बच्चे केवल चित्र के
मॉडल मात्र थे परंतु वहीँ दूसरी ओर अरुणा के सामने उनके भविष्य का प्रन श्न
था जिसे उसने सँवारा।

(iv) ‘दो कलाकार’ कहानी का उद्देय श्य


स्पष्ट कीजिए।

‘दो कलाकार’ कहानी अत्यंत मर्मस्पर् र्शी


कहानी है। इस कहानी द्वारा लेखिका ने
यह समझाने का प्रयास किया है कि निर्धन और असहाय लोगों की मदद करनी
चाहिए। इस कहानी द्वारा सच्चे कलाकार की परिभाषा को भी परिभाषित करने का
प्रयास किया गया है। लेखिका के अनुसार सच्चा कलाकार वह होता है जो समाज
के साथ सहानुभूति औ p र सरोकार रखता हो।

Poems
17 Dec, 2020

ICSE Solutions for साखी by Kabir Das

प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पायँ।


बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोबिंद दियौ बताय॥
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि॥

(i) कबीर के गुरु के प्रति दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

कबीरदास ने गुरु का स्थान ईश्वर से श्रेष्ठ माना है। कबीर कहते है जब गुरु और गोविंद
(भगवान) दोनों एक साथ खडे हो तो गुरु के श्रीचरणों मे शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रुपी
न करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गुरु ज्ञान प्रदान करते हैं, सत्य
प्रसाद से गोविंद का दर्नर्श
के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, मोह-माया से मुक्त कराते हैं।

(ii) कबीर के अनुसार कौन परमात्मा से मिलने का रास्ता दिखाता है?

उत्तर :
कबीर के अनुसार गुरु परमात्मा से मिलने का रास्ता दिखाता है।

(iii) ‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।’ – का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

इस पंक्ति द्वारा कबीर का कहते है कि जब तक यह मानता था कि ‘मैं हूँ’, तब तक मेरे


सामने हरि नहीं थे। और अब हरि आ प्रगटे, तो मैं नहीं रहा। अँधेरा और उजाला एक
साथ, एक ही समय, कैसे रह सकते हैं? जब तक मनुष्य में अज्ञान रुपी अंधकार छाया है
वह ईश्वर को नहीं पा सकता अर्थात् अहंकार और ईश्वर का साथ-साथ रहना नामुमकिन है। यह
भावना दूर होते ही वह ईश्वर को पा लेता है।

(iv) यहाँ पर ‘मैं’ और ‘हरि’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?

यहाँ पर ‘मैं’ और ‘हरि’ शब्द का प्रयोग क्रम< श\


अहंकार और परमात्मा के लिए किया है।

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।


ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय॥
पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहार।
ताते ये चाकी भली, पीस खाय संसार॥
सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बरनाय।
सब धरती कागद करौं, हरि गुन लिखा न जाय।।
(i) शब्दों के अर्थ लिखिए –
पाहन, पहार, मसि, बनराय

पाहन: पत्थर
पहार: पहाड़
मसि: स्याही
बनराय: वन

(ii) ‘पाहन पूजे हरि मिले’ – दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।

इस दोहे द्वारा कवि ने मूर्ति-पूजा जैसे बाह्य आडंबर का विरोध किया है। कबीर मूर्ति पूजा
के स्थान पर घर की चक्की को पूजने कहते है जिससे अन्न पीसकर खाते है।

(iii) “ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय” – पंक्ति में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

शप्रस्तुत पंक्ति में कबीरदास ने मुसलमानों के धार्मिक आडंबर पर व्यंग्य किया है। एक
मौलवी कंकड़-पत्थर जोड़कर मस्जिद बना लेता है और रोज़ सुबह उस पर चढ़कर ज़ोर-ज़ोर
से बाँग (अजान) देकर अपने ईश्वर को पुकारता है जैसे कि वह बहरा हो। कबीरदास शांत मन
से भक्ति करने के लिए कहते हैं।

(iv) कबीर की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।

कबीर साधु-सन्यासियों की संगति में रहते थे। इस कारण उनकी भाषा में अनेक भाषाओँ
तथा बोलियों के शब्द पाए जाते हैं। कबीर की भाषा में भोजपुरी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी,
पंजाबी, खड़ी बोली, उर्दू और फ़ारसी के शब्द घुल-मिल गए हैं। अत: विद्वानों ने उनकी
भाषा को सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी कहा है।

ICSE Solutions for गिरिधर की कुंडलियाँ by Giridhar


Kavi Rai

प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग।
गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग।।
तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारे।
दुश्मन दावागीर होय, तिनहूँ को झारै।।
कह गिरिधर कविराय, सुनो हे दूर के बाठी।
सब हथियार छाँडि, हाथ महँ लीजै लाठी।।
कमरी थोरे दाम की, बहुतै आवै काम।
खासा मलमल वाफ्ता, उनकर राखै मान॥
उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।
बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै॥
कह ‘गिरिधर कविराय’, मिलत है थोरे दमरी।
सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी॥

(i) लाठी से क्या-क्या लाभ होते हैं?

लाठी संकट के समय हमारी सहायता करती है। गहरी नदी और नाले को पार करते समय
मददगार साबित होती है। यदि कोई कुत्ता हमारे ऊपर झपटे तो लाठी से हम अपना बचाव कर
सकते हैं। अगर हमें दुमननश्म
धमकाने की को निशश
करे तो लाठी के द्वारा हम अपना बचाव कर
सकते हैं। लाठी गहराई मापने के काम आती है।

(ii) ‘बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै’ – पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
इस पंक्ति का भाव यह है कि कंबल को बाँधकर उसकी छोटी-सी गठरी बनाकर अपने पास रख
सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर रात में उसे बिछाकर सो सकते हैं।

(iii) कमरी की किन-किन वि षताओंशे


षताओं का उल्लेख किया गया है?

कंबल (कमरी) बहुत ही सस्ते दामों में मिलता है। यह हमारे ओढ़ने तथा बिछाने के काम
आता है। कंबल को बाँधकर उसकी छोटी-सी गठरी बनाकर अपने पास रख सकते हैं और
ज़रूरत पड़ने पर रात में उसे बिछाकर सो सकते हैं।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – कमरी, बकुचा, मोट, दमरी

कमरी: काला कंबल


बकुचा: छोटी गठरी
मोट: गठरी
दमरी: दाम, मूल्य

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय।


जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय॥
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥
कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के।
बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥
साँई सब संसार में, मतलब का व्यवहार।
जब लग पैसा गाँठ में, तब लग ताको यार॥
तब लग ताको यार, यार संग ही संग डोले।
पैसा रहे न पास, यार मुख से नहिं बोले॥
कह गिरिधर कविराय जगत यहि लेखा भाई।
करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोई साँई॥

(i) ‘गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय’ – पंक्ति का भावार्थ लिखिए।

प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी
व्यक्ति को हजारों लोग स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज
में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

(ii) कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि क्या स्पष्ट करते हैं?

कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि कहते है कि जिस प्रकार कौवा और कोयल रूप-रंग
में समान होते हैं किन्तु दोनों की वाणी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है। कोयल की वाणी
मधुर होने के कारण वह सबको प्रिय है। वहीं दूसरी ओर कौवा अपनी कर्कश वाणी के कारण
सभी को अप्रिय है। अत: कवि कहते हैं कि बिना गुणों के समाज में व्यक्ति का कोई नहीं।
इसलिए हमें अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

(iii) संसार में किस प्रकार का व्यवहार प्रचलित है?

कवि कहते हैं कि संसार में बिना स्वार्थ के कोई किसी का सगा-संबंधी नहीं होता। सब
अपने मतलब के लिए ही व्यवहार रखते हैं। अत:इस संसार में मतलब का व्यवहार
प्रचलित है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


काग, बेगरजी, विरला, सहस

काग: कौवा
बेगरजी: नि:स्वार्थ
विरला: बहुत कम मिलनेवाला
सहस: हजार

प्रश्न ग: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

रहिए लटपट काटि दिन, बरु घामे माँ सोय।


छाँह न बाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय॥
जो तरु पतरो होय, एक दिन धोखा देहैं।
जा दिन बहै बयारि, टूटि तब जर से जैहैं॥
कह गिरिधर कविराय छाँह मोटे की गहिए।
पाती सब झरि जायँ, तऊ छाया में रहिए॥
पानी बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़े दाम।
दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम॥
यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै।
पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै॥
कह गिरिधर कविराय, बड़ेन की याही बानी।
चलिए चाल सुचाल, राखिए अपना पानी॥
राजा के दरबार में, जैये समया पाय।
साँई तहाँ न बैठिये, जहँ कोउ देय उठाय॥
जहँ कोउ देय उठाय, बोल अनबोले रहिए।
हँसिये नहीं हहाय, बात पूछे ते कहिए॥
कह गिरिधर कविराय समय सों कीजै काजा।
अति आतुर नहिं होय, बहुरि अनखैहैं राजा॥

(i) कैसे पेड़ की छाया में रहना चाहिए और कैसे पेड़ की छाया में नहीं?

कवि के अनुसार हमें हमें सदैव मोटे और पुराने पेड़ों की छाया में आराम करना
चाहिए क्योंकि उसके पत्ते झड़ जाने के बावज़ूद भी वह हमें शीतल छाया प्रदान करते
हैं। हमें पतले पेड़ की छाया में कभी नहीं बैठना चाहिए क्योंकि वह आँधी-तूफ़ान के
आने पर टूट कर हमें नुकसान पहुँचा सकते हैं।

(ii) ‘पानी बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़े दाम। दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानो काम॥’- पंक्ति का
आशय स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त पंक्ति का आय यह है कि जिस प्रकार नाव में पानी भरने से नाव डूबने का
खतरा बढ़ जाता है। सी स्थिति में हम दोनों हाथ से नाव का पानी बाहर फेंकने लगते
है। ठीक वैसे ही घर में धन बढ़ जाने पर हमें दोनों हाथों से दान करना चाहिए।

(iii) कवि कैसे स्थान पर न बैठने की सलाह देते हैं?

कवि हमें किसी स्थान पर सोच समझकर बैठने की सलाह देते है वे कहते है कि हमें
ऐसे स्थान पर नहीं बैठना चाहिए जहाँ से किसी के द्वारा उठाए जाने का अंदे शहो।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – बयारि, घाम, जर, दाय

बयारि: हवा
घाम: धूप
जर: जड़
दाय: रुपया-पैसा
TagsClass 10 Hindi

ICSE Solutions for पाठ 6 स्वर्ग बना सकते हैं Poem


(Swarg Bana Sakte Hai) Class 10 Hindi Sahitya Sagar

ICSE Solutions for स्वर्ग बना सकते हैं by Ramdhari


Singh Dinkar

प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

ध र्म रा ज य ह भू मि कि सी की , नहीं क्रीत है दासी,


हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,
बाधा-रहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।
लेकिन विघ्न अनेक सभी इस पथ पर अड़े हुए हैं,
मानवता की राह रोककर पर्वत अड़े हुए हैं।
न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव-मानव को,
चैन कहाँ धरती पर तब तक शांति कहाँ इस भव को।

(i) कवि ने भूमि के लिए किस शब्द का प्रयोग किया हैं और क्यों?

कवि ने भूमि के लिए ‘क्रीत दासी’ शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि किसी की क्रीत (खरीदी हुई) दासी नहीं है। इस पर
सबका समान रूप से अधिकार है।

(ii) धरती पर शां तिके लिए क्या आवयकहै


श्य ?

उत्तर :
धरती पर शांति के लिए सभी मनुष्य को समान रूप से सुख-सुविधाएँ मिलनी आवश्यक है।

(iii) भीष्म पितामह युधिष्ठिर को किस नाम से बुलाते है? क्यों?

भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ‘धर्मराज’ नाम से बुलाते है क्योंकि वह सदैव न्याय का पक्ष लेता है और कभी किसी के साथ
अन्याय नहीं होने देता।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – क्रीत, जन्मना, समीरण, भव, मुक्त, सुलभ।

क्रीत: खरीदी हुई


ज न् म ना : जन्म से
समीरण: वायु
भव: संसार
मुक्त: स्वतंत्र
सुलभ: आसानी से प्राप्त

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जब तक मनुज-मनुज का यह सुख भाग नहीं सम होगा,


शमित न होगा कोलाहल, संघर्ष नहीं कम होगा।
उसे भूल वह फँ सा परस्पर ही शंका में भय में,
लगा हुआ के वल अपने में और भोग-संचय में।
प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर,
भोग सकें जो उन्हें जगत में कहाँ अभी इतने नर?
सब हो सकते तुष्ट, एक-सा सुख पर सकते हैं;
चाहें तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते हैं,

(i) ‘प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि ईश्वर ने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का विशाल भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य
इसका उचित उपयोग करें तो यह साधन कभी भी कम नहीं पड़ सकते।

(ii) मानव का विकास कब संभव होगा?

कमानव के विकास के पथ पर अनेक प्रकार की मुसीबतें उसकी राह रोके खड़ी रहती है तथा विशाल पर्वत भी राह रोके
खड़े रहता है। मनुष्य जब इन सब विपत्तियों को पार कर आगे बढ़ेगा तभी उसका विकास संभव होगा।

(iii) किस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है?

ईश्वर ने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का विशाल भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य इसका उचित उपयोग करें तो यह
साधन कभी भी कम नहीं पड़ सकते। सभी लोग सुखी
होंगे। इस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – शमित, विकीर्ण, कोलाहल, विघ्न, चैन, पल।

शमित: शांत
विकीर्ण: बिखरे हुए
कोलाहल: शोर
विघ्न: रूकावट
चैन: शांति
पल: क्षण

ICSE Solutions for वह जन्मभूमि मेरी by Sohanlal


Dwivedi

प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।
ऊँ चा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है,
नीचे चरण तले झुक, नित सिंधु झूमता है।
गंगा यमुना त्रिवेणी नदियाँ लहर रही हैं,
जगमग छटा निराली पग-पग छहर रही है।
वह पुण्य भूमि मेरी, वह स्वर्ण भूमि मेरी।

(i) कवि किस भूमि की बात कर रहा है?

कवि अपनी जन्मभूमि भारतमाता की बात कर रहा है।

(ii) कवि ने हिमालय के बारे में क्या कहा है?

उत्तर :
कवि कहते है कि हिमालय इतना ऊँचा है मानो आसमान को चूम रहा है। वह हमारे भारत की
रक्षा करता है।

(iii) त्रिवेणी नदियों के नाम लिखिए।

गंगा, यमुना और सरस्वती त्रिवेणी नदियाँ है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए :


मातृभूमि, सिंधु, नित, पुण्य भूमि

मातृभूमि: जन्म भूमि


सिंधु: समुद्र
नित: प्रतिदिन
पुण्य भूमि: पवित्र भूमि

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।


झरने अनेक झरते जिसकी पहाड़ियों में,
चिड़िया चहक रही हैं, हो मस्त झाड़ियों में।
अमराइयाँ घनी हैं कोयल पुकारती है,
बहती मलय पवन है, तन मन सँवारती है।
वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी।

(i) कवि ने भारत के लिए किन-किन वि षणोंशे


षणों का प्रयोग किया है?

षणों
पकवि ने भारत के लिए जन्मभूमि, मातृभूमि, धर्मभूमि तथा कर्मभूमि वि षणोंशे
का प्रयोग किया
है।

(ii) झरने कहाँ झरते हैं?

पझरने भारत माता की पवित्र पहाड़ियों पर झरते हैं।

(iii) भारत की हवा कैसी है? उसका हम पर क्या प्रभाव होता है?

भारत में बहने वाली हवा सुगंधित है। यह हमारे तन-मन को सँवारती है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए :


अमराइयाँ, मलय, पवन

अमराइयाँ: आम के पेड़ों के बाग


मलय: पर्वत का नाम
पवन: हवा

प्रश्न ग: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।


जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृ ष्ण ने सुनाई, वं शपुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।

(i) कवि भारत की भूमि को पावन क्यों मानते हैं?

पकवि भारत की भूमि को पावन मानते हैं क्योंकि यहाँ राम, सीता, श्रीकृ ष्ण तथा गौतम जैसे
महान अवतार अवतरित हुए थे।
(ii) गौतम कौन थे? उन्होंने क्या उपदेश दिया था?

गौतम बौद्ध धर्म चलाने वाले महापुरुष थे। उन्होंने जीवों पर दया रखने का उपदेश दिया।

(iii) ‘श्रीकृ ष्ण ने सुनाई, वं शपुनीत गीता’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि यह वहीं पवन भारत भूमि है जहाँ भगवान श्रीकृ ष्ण ने
जन्म लिया था। गोकुल और मथुरा की गोपियों को अपनी मुरली की धुन से मोहित कर दिया था
तथा कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

प्रश्न ग: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

वह जन्मभूमि मेरी वह मातृभूमि मेरी।


जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,
श्रीकृ ष्ण ने सुनाई, वं शपुनीत गीता।
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,
जग को दया सिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्ध-भूमि मेरी, वह बुद्ध-भूमि मेरी।
वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी।

(i) शब्दार्थ लिखिए :


, पुनीत, जंग
रघुपति, वं श

रघुपति: भगवान श्री राम


: बांसुरी
वं श
पुनीत: पवित्र
जंग: संसार

ICSE Solutions for मेघ आए by Sarveshwar Dayal Saxena


प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।


आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।

(i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है
जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं।
नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-
पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।

(ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर
कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र
से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।

(iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?

कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत
दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद
आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना

बन ठन के: सज-धज के
बाँकी चितवन: तिरछी नजर
पाहुन: अतिथि
ठिठकना: सहम जाना

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अरु श्रुढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।

(i) ‘क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी, क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ – पंक्ति का आशय
स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ


नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह
क्षमा याचना करने लगती है।

(ii) लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में से देखा क्योंकि एक तो वह बादल को


देखने के लिए व्याकुल हो रही थी और दूसरी ओर वह बादलों के देरी से आने के कारण
रूठी हुई भी थी।

(iii) कवि ने पीपल के पेड़ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है और क्यों?

कवि ने पीपल के पेड़ के लिए ‘बूढ़े’ शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि पीपल का पेड़
दीर्घजीवी होता है। जिस प्रकार गाँव में मेहमान आने पर बड़े-बूढ़े आगे बढ़कर उसका
अभिवादन करते हैं वैसे ही मेघ रूपी दामाद के आने पर गाँव के बुजुर्ग पीपल का पेड़
आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – बरस, सुधि, अकुलाई, ढरके

बरस: वर्ष
सुधि: सुध
अकुलाई: व्याकुल
ढरके: ढलकना

18 Dec, 2020
ICSE Solutions for पाठ 11 सूर के पद Poem (Sur ke Pad)
Class 10 Hindi Sahitya Sagar

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जसोदा हरि पालने झुलावै।


हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहे न आनि सुवावै।
तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै॥
इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरै गावै।
जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै॥

(i) कौन किसको सुलाने का प्रयास कर रहा है?

प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने माता य दादा


शो त किया है।
का कृष्ण के प्रति प्यार को प्रदर् तर्शि
यहाँ पर माता य दादा
शो
कृष्ण को सुलाने का प्रयास कर रही है।

(ii) यशोदा बालक कृष्ण को सुलाने के लिए क्या-क्या यत्न कर रही है?

उत्तर :
य दादा
शो
जी बालक कृष्ण को सुलाने के लिए पलने में झुला रही हैं। कभी प्यार करके
पुचकारती हैं और लोरी गाती रहती है।

(iii) कृष्ण को सोता हुआ जानकर यशोदा क्या करती हैं?

कृष्ण को सोते समझकर य दादा


शो
माता चुप हो जाती हैं और दूसरी गोपियों को भी संकेत करके
समझाती हैं कि वे सब भी चुप रहे।

(iv) सूरदास के अनुसार यशोदा कौन-सा सुख पा रही हैं?

सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं तथा मुनियों के लिये भी दुर्लभ है, वही श्याम को
बालरूप में पाकर लालन-पालन तथा प्यार करने का सुख य दादा
शो
प्राप्त कर रही हैं।
प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

खीजत जात माखन खात।


अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात॥
कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात।
कबहुँ झुक कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात॥
कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात।
सूर हरि की निरखि सोभा, निमिष तजत न मात॥

(i) इस दोहे में सूरदास जी ने क्या वर्णन किया है?

इस दोहे में सूरदास जी ने श्रीकृ ष्ण के अनुपम बाल सौन्दर्य का वर्णन किया है।

(ii) बाल कृष्ण कैसे चलते हैं?

बाल कृष्ण घुटनों के बल चलते हैं। उनके पैरों में घुंघरुओं की आवाज़ आती है।

(iii) बाल कृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

बाल कृष्ण बहुत सुंदर हैं। उनके नेत्र सुंदर हैं, भौंहें टेढ़ी हैं तथा वे बार-बार
जम्हाई ले रहे हैं। उनका शरीर धूल में सना है।

(iv) बाल कृष्ण कैसी जबान में बोलते हैं?

बाल कृष्ण तोतली जबान में बोलते हैं।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।


जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥
सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।
ह्वै हौं पूत नंद बाबा को, तेरौ सुत न कहैहौं॥
आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥
तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥
सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥

(i) उपर्युक्त पद का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त पद महाकवि सूरदास द्वारा रचित है। इस पद में बाल कृष्ण अपनी य दादा
शो
माता से चंद्रमा रूपी खिलौना लेने की हठ कर रहे हैं उसका वर्णन किया गया
है।

(ii) अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को क्या-क्या कह रहे हैं?

अपनी हठ पूरी न होने पर बाल कृष्ण अपनी माता को कहते हैं कि जब तक उन्हें
चाँद रूपी खिलौना नहीं मिल जाता तब तक वह न तो भोजन ग्रहण करेंगे, न चोटी
गुँथवाएगे, न मोतियों की माला पहनेंगे, न उनकी गोद में आएँगे, न ही नंद
बाबा और य दादा
शो
माता के बेटे कहलाएँगे।

(iii) यशोदा माता श्रीकृ ष्ण को मनाने के लिए क्या कहती है?

य दादा
शो
माता श्रीकृ ष्ण को मनाने के लिए उनके कान में कहती है, तुम ध्यान से
सुनो। कहीं बलराम न सुन ले। तुम तो मेरे चंदा हो और में तुम्हारे लिए सुंदर
दुल्हन लाऊँगी।

(iv) माँ यशोदा की बात सुनकर श्रीकृ ष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई?

माँ य दादा
शो
की बात सुनकर श्रीकृ ष्ण कहते हैं माता तुझको मेरी सौगन्ध। तुम मुझे
अभी ब्याहने चलो।

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

ऐसो कौ उदार जग माहीं।


बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर, राम सरस कोउ नाहीं॥
जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी।
सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी॥
जो संपति दस सीस अरप करि रावन सिव पहँ लीन्हीं।
सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच सहित हरि दीन्ही॥
तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो।
तौ भजु राम, काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो॥

(i) तुलसीदासजी किसके भजन के लिए कह रहे हैं?

तुलसीदासजी भगवान श्री राम के भजन के लिए कह रहे हैं।

(ii) श्री राम ने परम गति किस-किस को प्रदान की?

उत्तर :
श्री राम ने जटायु जैसे सामान्य गीध पक्षी और शबरी जैसी सामान्य स्त्री को परम गति
प्रदान की।

(iii) रावण को कैसे वैभव प्राप्त हुआ?

रावण ने भगवान शंकर को अपने दस सिर अर्पण करके वैभव की प्राप्ति की।

(iv) राम ने कौन-सी संपत्ति विभीषण को दे दी?

रावण ने जो संपत्ति अपने दस सिर अर्पण करके प्राप्त की थी उसे श्री राम ने अत्यंत
संकोच के साथ विभीषण को दे दी।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जाके प्रिय न राम वैदेही


तजिए ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही।
सो छोड़िये
तज्यो पिता प्रहलाद, विभीषन बंधु, भरत महतारी।
बलिगुरु तज्यो कंत ब्रजबनितन्हि, भये मुद मंगलकारी।
नाते नेह राम के मनियत सुहृद सुसेव्य जहां लौं।
अंजन कहां आंखि जेहि फूटै, बहुतक कहौं कहां लौं।
तुलसी सो सब भांति परमहित पूज्य प्रान ते प्यारो।
जासों हाय सनेह राम-पद, एतोमतो हमारो।।

(i) कवि के अनुसार हमें किसका त्याग करना चाहिए?


कवि के अनुसार जिन लोगों के प्रिय राम-जानकी जी नहीं है उनका त्याग करना चाहिए।

(ii) उदाहरण देकर लिखिए किन लोगों ने भगवान के प्यार में अपनों को त्यागा।

प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यक पुपु


शि
को, विभीषण ने अपने भाई रावण को, बलि ने अपने गुरु
शुक्राचार्य को और ब्रज की गोपियों ने अपने-अपने पतियों को भगवान प्राप्ति को बाधक
समझकर त्याग दिया।

(iii) जिस अंजन को लगाने से आँखें फूट जाएँ क्या वो काम का होता है?

नहीं जिस अंजन को लगाने से आँखें फूट जाएँ वो किसी काम का नहीं होता है।

(iv) उपर्युक्त पद द्वारा तुलसीदास क्या संदेश दे रहे हैं?

उपर्युक्त पद द्वारा तुलसीदास श्री राम की भक्ति का संदेश दे रहे है। तथा भगवान प्राप्ति
के लिए त्याग करने को भी प्रेरित कर रहे हैं।

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ICSE Solutions for भिक्षुक by Tripathi 'Nirala'

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

वह आता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकु टिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
मुँह फटी पुरानी झोली का फै लाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फै लाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
औ र दा हि ना दया -दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।

(i) भिक्षुक लोगों से क्या माँग रहा है?


भिक्षुक लोगों से अपनी क्षुधा शान्त करने के लिए मुट्ठी दो मुट्ठी अनाज माँग रहा है।

(ii) भिक्षुक की झोली कै सी है?

उत्तर :
भिक्षुक की झोली फटी-पुरानी है।

(iii) इन पंक्तियों के आधार पर भिक्षुक की दीन द शा


का वर्णन कीजिये?

भिक्षुक कितना दुर्बल है, इसका सहज ही अनुमान उसका पेट और पीठ देखकर लगाया जा सकता है। काफी समय से
भोजन न मिलने के कारण उसके पेट-पीठ एक जैसे हो चुके हैं। वह बुढ़ापे और दुर्बलता के कारण लाठी के सहारे चल रहा
है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – टूक, पथ, लकू टिया

टूक: टुकड़े
पथ: रास्ता
लकू टिया: लाठी, लाठिया

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

भूख से सूख ओंठ जब जाते


दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!

(i) भिक्षुक के आँसुओं के घूँट पी जाने का क्या कारण है?

भिक्षुक भूख के मारे व्याकु ल है, साथ में उसके बच्चे भी हैं। भिक्षुक शरीर से भी दुर्बल है। भीख में जब उसे कु छ नहीं
मिलता तब वह आँसुओं के घूँट पी जाता है।

(ii) भूख मिटाने की विवशता उनसे क्या करवाती है?

भिक्षुक को जब कु छ नहीं मिलता तो वे जूठी पत्तलें चाटने के लिए विवश हो जाते हैं। जूठी पत्तलों में जो कु छ थोड़ा बहुत
अन्न बचा था वे उसी को खाकर अपनी भूख शां तकरने का प्रयास करते हैं।

(iii) ‘और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।

पउपर्युक्त पंक्ति का आशय भूख की विवशता से है। भिक्षुक जब सड़क पर खड़े होकर जूठी पत्तलों को चाटकर अपनी
भूख को मिटाने का प्रयास कर रहे थे तब सड़क के कु त्ते भी उन्हीं पत्तलों को पाने के लिए भिक्षुक पर झपट पड़े थे।
(iv) शब्दार्थ लिखिए – ओंठ, सड़क, कु त्ते, झ प ट, आँसू, विधाता

ओंठ: ओष्ठ
सड़क: मार्ग
कु त्ते: श्वान
झ प ट : छि न ना
आँसू: अरु श्रु
विधाता: ईश्वर

ICSE Solutions for चलना हमारा काम है by Shivmangal


Singh ‘Suman’

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

गति प्रबल पैरों में भरी


फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।

(i) कवि के पैरों में कैसी गति भरी पड़ी है?

कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है।

(ii) कवि दर-दर क्यों खड़ा नहीं होना चाहता?

उत्तर :
कता
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवयकता श्य
है।
(iii) कवि का रास्ता आसानी से कैसे कट गया?

कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें
सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


गति, प्रबल, विराम, मंज़िल

गति – चाल
प्रबल – रफ्तार
विराम – आराम
मंज़िल – लक्ष्य

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जीवन अपूर्ण लिए हुए


पाता कभी खोता कभी
आ शनिराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है,
चलना हमारा काम है।
-प्रहार में
इस विशद विव श्व
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।

(i) मनुष्य जीवन में किससे घिरा रहता है?

मनुष्य जीवन में आ शऔर निरा शसे घिरा रहता है।

(ii) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?

मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आ श
और निरा शसे घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है।

(iii) ‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।

कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के
आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता
फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम

अपूर्ण – जो पूरा न हो
आठों याम – आठ पहर
विशद – बड़े
वाम – विरुद्ध

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मैं पूर्णता की खोज में


दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोडा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रूकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है

(i) जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का
आशय स्पष्ट करें।
लता
उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गति लता शी
से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते
हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह
अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना
चाहिए।

(ii) प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?

प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-
दर भटकता है।

(iii) शब्दार्थ लिखिए –


रोड़ा, निराशा, अभिराम

रोड़ा – बाधा
निरा श– दुःख
अभिराम – सुंदर

(iv) ‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?

जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के
अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता
है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं
का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर
आगे बढ़ते हैं।

CSE Solutions for पाठ 18 मातृ मंदिर की ओर Poem (Matri
Mandir ki Or) Class 10 Hindi Sahitya Sagar

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उ|त्तर लिखिए :

व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,


चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा….
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।

(i) किसका हृदय व्यथित है?

कवयित्री का हृदय व्यथित है।

(ii) कवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए क्या करना चाहती है?

उत्तर :
कवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए मातृ मंदिर जाना चाहती है।

(iii) मातृ मंदिर का मार्ग कैसा है?

मातृ मंदिर का मार्ग दुर्गम है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


व्यथित, नयन-जल, दुर्गम

व्यथित – दुखी
नयन-जल – आँसू
दुर्गम – जहाँ जाना कठिन हो

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मार्ग के बाधक पहरेदार


सुना है ऊँ चे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो ,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।

(i) मार्ग के बाधक कौन है?

मार्ग के बाधक पहरेदार है।

(ii) कवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?

कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह
भगवान से सहायता माँग रही है।

(iii) ‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ – आशय स्पष्ट कीजिए।

कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,

सोपान – सीढ़ियाँ
शीघ्रता – जल्दी
दुर्बल – कमजोर

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।


देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।

(i) कवयित्री क्यों जल्दी से आगे बढ़ना चाहती है?

कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है तथा
वाद्य भी सुनाई दे रहे है इसलिए वे मातृ भूमि के चरणों में जाना चाहती है।

(ii) कवयित्री माँ को क्या सुनाना चाहती है?

कवयित्री माँ को फरियाद सुनाना चाहती है।

(iii) कहाँ से पुकार हो रही है?

मातृ-वेदी पर से पुकार हो रही है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


स्फूर्ति, फरियाद

स्फूर्ति – उत्तेजना
फरियाद – याचना

प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कलेजा माँ का, मैं संतान


करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको हे भगवान।

(i) ‘कलेजा माँ का, मैं संतान करेगी दोषों पर अभिमान।’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।

कवयित्री कहती है कि माँ का हृदय उदार होता है वह अपने संतान के दोषों पर


ध्यान नहीं देती। उसे अपने संतान पर गर्व होता है।

(ii) कवयित्री किसके लिए तैयार है?

कवयित्री मरने के लिए तैयार है।

(iii) कवयित्री किस पथ पर बढ़ना चाहती है?

कवयित्री मातृभूमि की रक्षा में बलिदान के पथ पर बढ़ना चाहती है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए –


अत्याचार, मातृ-मंदिर

अत्याचार – जुल्म
मातृ-मंदिर – माता की मंदिर जिस मंदिर में विराजमान है

Long Answer

ICSE Solutions for संस्कार और भावना by Vishu


Prabhakar

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

अपराध और किसका है। सब मुझी को दोष देते हैं। मिसरानी कह रही थी बहू किसी की भी हो, पर अपने प्राण देकर
उसने पति को बचा लिया।
(i) यहाँ पर किसके कौन-से अपराध की बात हो रही है?

यहाँ पर अतुल और अविनाश की माँ खुद के रुढ़िवादी विचारों तथा जात-पात के संस्कारों को मानने के अपराध की बात
कर रही है।

(ii) माँ ने अविनाश की बहू को क्यों नहीं अपनाया? समझाकर लिखिए।

उत्तर :
माँ एक हिन्दू वृद्‌धा है। वे हिन्दू समाज की रूढ़िवादी संस्कारों से ग्रस्त हैं। वे संस्कारों की दास हैं। एक मध्यम परिवार में
अपने पुराने संस्कारों की रक्षा करना धर्म माना जाता है। माँ भी वहीं करना चाहती थी।
उसका बड़ा बेटा अविनाश अपनी माँ की इच्छा के विरुद्‌ध एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह कर आयापरन्तु माँ
ने अपनी रूढ़िवादी मानसिकता के कारण विजातीय बहू को नहीं अपनाया।

(iii) बहू ने किसे और किस बीमारी से प्राण देकर बचा लिया?

बहू ने अपने पति अविनाश को हैजे की बीमारी से प्राण देकर बचा लिया। हैजे की बीमारी को छुआ-छूत की बीमारी
माना जाता है।

(iv) बहू किसकी, कौन और किस जाति की थी?

बहू अविनाश की पत्नी थी जो की विजातीय (बंगाली) महिला थी।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

काश कि मैं निर्मम हो सकती, काश कि मैं संस्कारों की दासता से मुक्त हो पाती तो कु ल धर्म और जाति का भूत मुझे तंग न
करता और मैं अपने बेटे से न बिछुड़ती। स्वयं उसने मुझसे कहा था, संस्कारों की दासता सबसे भयंकर शत्रु है।

(i) कौन संस्कारों की दासता से मुक्त होने में विफल रहा और क्यों?

यहाँ पर अतुल और अविनाश की माँ हिन्दू समाज की रूढ़िवादी संस्कारों से ग्रस्त हैं। वे संस्कारों की दास हैं। एक मध्यम
परिवार में अपने पुराने संस्कारों की रक्षा करना धर्म माना जाता है। इसलिए माँ संस्कारों की दासता से मुक्त होने में विफल
रही।

(ii) माँ ने अपने विचारों के प्रति क्या पश्चाताप किया है?


माँ ने अपने रूढ़ीवादी विचारों के कारण अपने बेटे-बहू से बिछड़ने का पश्चाताप किया है।

(iii) अतुल और उमा माँ के किस निर्णय से प्रसन्न हैं?

जब माँ को अविनाश की पत्नी की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना
से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू को कु छ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा। माँ को पता है कि
अविनाश को बचाने की शक्ति केवल उसी में है। इसलिए वह प्राचीन संस्कारों के बाँध को
तोड़कर अपने बेटे के पास जाना चाहती है। इस प्रकार बेटे की घर वापसी के निर्णय से अतुल और उमा प्रसन्न हैं।

(iv) अविनाश की वधू का चरित्र-चित्रण कीजिए।

अविनाश की वधू बहुत भोली और प्यारी थी, जो उसे एक बार देख लेता उसके रूप पर
मंत्रमुग्ध हो जाता। बड़ी-बड़ी काली आँखें उनमें शैशव की भोली मुस्कराहट उसके रूप तथा बड़ों के प्रति आदर के भाव ने
अतुल और उमा को प्रभावित किया।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


जिन बातों का हम प्राण देकर भी विरोध करने को तैयार रहते हैं। एक समय आता है, जब चाहे किसी कारण से भी हो, हम
उन्हीं बातों को चुपचाप स्वीकार कर लेते हैं।

(i) अविनाश का अपने परिवार वालों से किस बात पर विरोध था?

अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। किसी ने इस विवाह का समर्थन नहीं किया।
अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया।

(ii) माँ की मनोवृत्ति बदलने में अतुल और उमा ने क्या भूमिका निभाई?

अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध
किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ की इस रुढ़िवादी मनोवृत्ति को बदलने में अतुल और उमा ने भरपूर प्रयास
किया। उन दोनों ने अविनाश की पत्नी के गुणों तथा विचारों से माँ को अवगत करवाया अतुल ने ही अपनी माँ को अविनाश
की बहू को अपनाने के लिए प्रेरित किया। अतुल ने के द्वारा ही माँ को पता चलता है कि किस प्रकार उनकी बहू ने अपने
प्राणों की परवाह न करके अविनाश की जान बचाई और अब बहू स्वयं बीमार है। इसलिए जब माँ को अविनाश की पत्नी की
बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि बहू
को कु छ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा।
इस प्रकार अतुल और उमा के सम्मिलित प्रयास से माँ अपनी बहू को अपना लेती है।
(iii) अतुल का चरित्र-चित्रण कीजिए।

अतुल एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। वह माँ का छोटा पुत्र है। वह प्राचीन संस्कारों को
मानते हुए आधुनिकता में यकीन रखने वाला एक प्रगतिशील नवयुवक है। वह माँ का आज्ञाकारी पुत्र होते हुए भी माँ की
गलत बातों का विरोध भी करता है। वह अपनी माँ से अपने बड़े भाई को विजातीय स्त्री से विवाह करने पर न अपनाने का
भी विरोध करता है। अतुल संयुक्त परिवार में विश्वास रखता है। उसमें भ्रातृत्व की भावना है। वह अपने बड़े भाई का
सम्मान करता है।

(iv) एकांकी का सारांश लिखिए।

विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित “संस्कार और भावना” एकांकी में भारतीय हिंदू परिवार के
पुराने संस्कारों से जकड़ी हुई रूढ़िवादिता तथा आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चों के बीच संघर्ष की चेतना को चित्रित
किया गया है।
अविनाश ने एक विजातीय (बंगाली) कन्या से विवाह किया था। किसी ने इस विवाह का समर्थन नहीं किया।
अविनाश की माँ ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया और उसको घर से निकाल दिया। माँ
अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग
रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।
एक बार जब माँ को पता चला कि अविनाश को प्राणघातक हैजे की बीमारी हुई थी और बहू ने अपने पति अविनाश को प्राण
देकर बचा लिया। अब वह खुद बीमार है परंतु अविनाश में उसे बचाने की ताकत नहीं है। जब माँ को अविनाश की पत्नी
की बीमारी की सूचना मिलती है तब उसका हृदय मातृत्व की भावना से भर उठता है। उसे इस बात का आभास है कि यदि
बहू को कु छ हो गया तो अविनाश नहीं बचेगा। तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों
के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने का निश्चय करती है।

ICSE Solutions for बहू की विदा by Vinod Rastogi

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मेरे नाम पर जो धब्बा लगा, मेरी शान को जो ठेस पहुँची, भरी बिरादरी में जो हँसी हुई, उस
करारी चोट का घाव आज भी हरा है। जाओ, कह देना अपनी माँ से कि अगर बेटी की विदा करना
चाहती हो तो पहले उस घाव के लिए मरहम भेजें।
(i) वक्ता और श्रोता कौन है?

वक्ता जीवन लाल, कमला के ससुर है और श्रोता प्रमोद है जो अपनी बहन कमला की विदा के
लिए उसके ससुराल आया है।

(ii) वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर :
यहाँ वक्ता जीवन लाल है। जीवन लाल अत्यंत लोभी, लालची और असंवेदन ललशी
व्यक्ति है।

(iii) जीवनलाल के अनुसार किस वजह से उनके नाम पर धब्बा लगा है?

जीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी हैसियत के
हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहेज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा
है।

(iv) ‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

यहाँ पर ‘घाव के लिए मरहम भेजने’ का आशय दहेज से है। जीवन लाल शादी में कम
दहेज मिलने के घाव को पाँच हजार रूपी मरहम देकर दूर करने कहते हैं।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

अब शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हो। कुछ देर पहले तो …

(i) इस कथन की वक्ता का चरित्र चित्रण कीजिए।

इस कथन की वक्ता राजेवरीरी


श्वहै। यह जीवन लाल की पत्नी है। वह एक नेक दिल औरत है।
धैर्यवान तथा ममता की मूर्ति है। वह अन्याय का विरोध करती है। वह अपने पति जीवन
लाल की उपर्युक्त कथन द्वारा आँखें खोल देती है।

(ii) शराफत और इन्सानियत की दुहाई कौन दे रहा है? क्यों?

जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहा है क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी
बेटी गौरी के ससुराल वालों उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न
करके उसे अपमानित किया
(iii) वक्ता ने श्रोता की किस बात के लिए आलोचना की?

वक्ता राजेवरीरी
श्वने अपने पति जीवन लाल की लोभी प्रवृत्ति और दोगले व्यवहार के लिए
उसकी आलोचना की। क्योंकि दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के
उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने
पर जीवन लाल जीवन लाल शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते है। जबकि खुद अपनी बहू को
दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं करते और
अपमानित करते हैं।

(iv) वक्ता ने श्रोता की आँखे किस प्रकार खोली?

दहेज देने के बावजूद उसकी बेटी गौरी के ससुराल वालों के उसे दहेज कम पड़ने की
वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे अपमानित करने पर जीवन लाल जीवन लाल
शराफत और इन्सानियत की दुहाई देते हैं। तब वक्ता राजेवरीरी
श्वने अपने पति जीवन लाल
की आँखें खोलने के लिए कहा अब तुम शराफत और इन्सानियत की दुहाई दे रहे हो जबकि
खुद अपनी बहू को दहेज के पाँच हजार कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा नहीं
करते और अपमानित कर रहे हो।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है, बेटा।


अरे, खड़ी-खड़ी हमारा मुँह क्या ताक रहो हो? अन्दर जाकर तैयारी क्यों नहीं करती है? बहू
की विदा नहीं करनी है क्या?

(i) ‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता का क्या अभिप्राय है?

‘कभी-कभी चोट भी मरहम का काम कर जाती है’ कथन से वक्ता जीवन लाल का यह अभिप्राय
है कि बहू भी बेटी होती है और इस बात का उन्हें अहसास हो गया है।

(ii) वक्ता की बेटी के ससुराल वालों के किस काम से उनकी आँखें खुलीं?

वक्ता जीवन लाल अपनी बेटी गौरी के ससुरालवालों को दहेज देने के बावजूद उसके
ससुराल वालों ने उसे दहेज कम पड़ने की वजह से उसके भाई के साथ विदा न करके उसे
अपमानित करने पर जीवन लाल की आँखें खुलीं।
(iii) उपर्युक्त कथन का श्रोता और उसकी बहन पर क्या प्रतिक्रिया हुई?

उपर्युक्त कथन को सुनकर प्रमोद मुस्करा कर अपने जीजा रमेश की ओर देखने लगा तथा
उसकी बहन कमला खु शके आँसू पोंछती हुई अंदर चली गई।

(iv) क्या स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है? अपने विचार
लिखिए।

जी हाँ, स्त्री शिक्षा दहेज प्रथा को समाप्त करने में सहायक हो सकती है। शिक्षा से बेटियाँ
खुद आत्मनिर्भर बनेंगी। समाज में बेटा-बेटी का फर्क मिट जाएगा तथा वे अपने
अधिकार एंव अत्याचारों के प्रति सजग रहेंगी।
TagsClass 10 Hindi

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ
कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।

(i) महाराणा लाखा ने प्रतिज्ञा क्यों ली?

मेवाड़ नरेश महाराणा लाखा ने सेनापति अभी सिंह से बूँदी के राव हेमू के पास यह
संदेश भिजवाया कि बूँदी मेवाड़ की अधीनता स्वीकार करे ताकि राजपूतों की असंगठित शक्ति
को संगठित करके एक सूत्र में बाँधा जा सके, परंतु राव ने यह कहकर प्रस्ताव अस्वीकार
कर दिया कि बूँदी महाराणाओं का आदर तो करता है, पर स्वतंत्र रहना चाहता है। हम शक्ति
सनशा
नहीं प्रेम का अनु सन करना चाहते हैं। यह सुन कर राणा लाख प्रतिज्ञा करते हैं।

(ii) किसका वंशज क्या प्रतिज्ञा करता है?

उत्तर :
महारावल बाप्पा का वंशज महाराणा लाखा प्रतिज्ञा करते है कि ‘जब तक बूँदी के दुर्ग में
ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।’

(iii) किसके पौरुष की परीक्षा का दिन आ गया?

मेवाड़ के सैनिकों के लिये युद्ध-भूमि में वीरता दिखाने की परीक्षा का दिन आ गया।
(iv) महाराणा लाखा जनसभा में क्यों नहीं जाना चाहते?

मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा को नीमरा के युद्ध के मैदान में बूँदी के राव हेमू से
पराजित होकर भागना पड़ा, इसलिए अपने को धिक्कारते हैं, और आत्मग्लानि अनुभव
करने के कारण जनसभा में भी नहीं जाना चाहते।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान
की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।

(i) महाराणा ने किसके सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया?

महाराणा ने चारणी सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया।

(ii) नकली दुर्ग क्यों बनवाया गया?

महाराणा लाखा ने गुस्से में यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक वे बूँदी के दुर्ग में ससैन्य


प्रवेश नहीं करेंगे, अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगे। चारिणी ने उन्हें सलाह दी कि वे
नकली दुर्ग का विध्वंस करके अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण कर ले। महाराणा ने यह प्रस्ताव
स्वीकार किया क्योंकि वे हाड़ाओं को उनकी उदण्डता का दंड देना चाहते थे तथा अपने
व्रत का भी पालन करना चाहते थे।

(iii) महाराणा की प्रतिज्ञा विवेकहीन क्यों थी?

महाराणा ने बिना सोचे समझे प्रतिज्ञा की थी इसलिए यह विवेकहीन थी।

(iv) ‘मातृभूमि का मान’ एकांकी शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

प्रस्तुत एकांकी ‘मातृभूमि का मान’ शीर्षक सार्थक है क्योंकि यहाँ मातृभूमि के मान के लिए ही
महाराणा लाखा, बूँदी के नरेश तथा वीर सिंह लड़ते है तथा वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि
बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :


वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे
सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें
बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक
का बदला दिया है।

(i) वीरसिंह की मातृभूमि कौन-सी थी और वह मेवाड़ में क्यों रहता था?

वीरसिंह की मातृभूमि बूँदी थी। वह मेवाड़ में इसलिए रहता था क्योंकि वह महाराणा लाखा की
सेना नौकरी
करता था।

(ii) वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम किस तरह दिखाया?

वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने साथियों के साथ
प्रतिज्ञा ली कि प्राणों के होते हुए हम इस नकली दुर्ग पर मेवाड़ की राज्य पताका को
स्थापित न होने देंगे तथा दुर्ग की रक्षा के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

(iii) वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को क्या सिखा दिया?

वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को जन्मभूमि का मान करना सिखा दिया।

(iv) ‘मातृभूमि का मान’ एकांकी का उद्देय श्य


स्पष्ट कीजिए।

इस एकांकी में यह दिखाया गया है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए क्या-क्या बलिदान नहीं
करना पड़ता, यहाँ तक कि प्राणों का बलिदान भी करना पड़ता है। इस एकांकी में वीर सिंह
के माध्यम से यह बताया गया है कि राजपूत किसी भी सूरत में अपनी मातृभूमि को किसी के
अधीन नहीं देख सकते हैं इसलिए राजपूत अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की भी
परवाह नहीं करते हैं। इस पूरी एकांकी में राजपूतों की मातृभूमि के प्रति ऐसी ही एकनिष्ठा
याहै।
को दर् यार्शा

ICSE Solutions for सूखी डाली by Upendra Nath "Ashka"


प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

इस फ़र्नी च र पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को
कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।

(i) उपर्युक्त अवतरण का वक्ता कौन है और इस समय वह किससे और क्यों बहस कर रहा है?

उपर्युक्त अवतरण का वक्ता परेश है जो कि तहसीलदार है। इस समय वह अपनी पत्नी बेला
से फ़र्नीचर के बाबत बहस कर रहा है।
बेला पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारधारा को मानने वाली स्त्री है। वह घर के पुराने
फ़र्नीचर को बदलना चाहती है और इसलिए वह इस बात पर अपने पति परेश से बहस करती
है।

(ii) श्रोता बेला के मायके और ससुराल में क्या अंतर है?

उत्तर :
बेला जो की घर की छोटी बहू है, बड़े घर से ताल्लुक रखती है। घर की इकलौती लड़की होने
के कारण उसे अपने घर में बहुत अधिक लाड़-प्यार, मान सम्मान और स्वच्छंद वातावरण
मिला था। उसके विपरीत उसका ससुराल एक संयुक्त परिवार था जो घर के दादाजी की
छत्रछाया में जीता था। यहाँ के लोग सभी पुराने संस्कारों में ढले हैं।

(iii) बेला की फ़र्नीचर के बारे क्या राय थी?

बेला बड़ी घर की एकलौती बेटी होने के कारण अपने मायके में लाड़-प्यार से पली-बढ़ी
थी। यहाँ ससुराल में सभी पुराने संस्कारों को मानने वाले थे अत:घर की कोई भी चीज को
बदलना नहीं चाहते थे। बेला की राय में कमरे का फ़र्नीचर सड़ा-गला और टूटा-फूटा है
और वह इस प्रकार के फ़र्नीचर को अपने कमरे में रखने की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थी।

(iv) घर के फ़र्नीचर के बारे में वक्ता की राय क्या थी और वह उसे क्यों नहीं बदलना चाहता
था?

वक्ता परेश पढ़ा-लिखा और तहसीलदार पद को प्राप्त किया युवक है परंतु संयुक्त परिवार
में रहने के कारण उसे घर के माहौल के साथ ताल-मेल बिठाकर कार्य करना होता है।
उसकी पत्नी बेला को कमरे का फ़र्नीचर टूटा-पुराना और सड़ा-गला लगता है तो इस पर वक्ता
कहता है कि यह वही फ़र्नीचर है जिस पर उसके दादा, पिता और चाचा बैठा करते थे।
उन्होंने तो कभी फ़र्नीचर की ऐसी शिकायत नहीं की और यदि इस फ़र्नीचर को वह कमरे में न
रखे तो उसके परिवार इसे ठीक नहीं समझेंगे। अत:वक्ता अपने कमरे का फ़र्नीचर
बदलना नहीं चाहता था।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच
भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है,
फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता घर के सबसे मुख्य सदस्य मूलराज परिवार के मुखिया हैं। वे
संयुक्त परिवार के ताने-बाने में विवास सश्वा
रखते हैं। वे 72 वर्षीय हैं। परिवार के सभी
तासे अपने परिवार को
लोग उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने अपनी सूझ-बुझ और दूरदर् तार्शि
एक वट वृक्ष की भांति बाँध रखा है।

(ii) उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय है कि जैसे ही कोई समस्या खड़ी होती है तुरंत उस
समस्या का समाधान कर देना चाहिए अन्यथा बाद समस्या बड़ी गंभीर हो जाती है और फिर
वह समस्या हल नहीं होती। यहाँ पर वक्ता का संकेत परेश की पत्नी बेला की समस्या की
ओर है। वक्ता का मानना है कि छोटी बहू बेला की यदि कोई शिकायत है तो जल्द ही उसका
निदान कर देना चाहिए।

(iii) घर की छोटी बहू की समस्या क्या है?

क्षि
घर की छोटी बहू संपन्न कुल की सु क्षिततशि
लड़की है। उसके घर और यहाँ के वातावरण में
काफी अंतर होने के कारण वह घर के पारिवारिक सदस्यों के साथ ताल-मेल बैठाने में
दिक्कत महसूस कर रही है। वहीँ घर के सदस्य उसे गर्वीली और अभिमानी समझते हैं और
उसकी निंदा और उपहास करते रहते हैं। इसी कारण घर में अलगाव की नौबत आ चुकी है।

(iv) वक्ता ने समस्या का क्या समाधान सुझाया?

घर को अलगाव से बचाने के लिए वक्ता ने घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाया कि उन


सभी को किस प्रकार से छोटी बहू के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने सभी को समझाया
कि घर के सभी सदस्यों को छोटी बहू से ज्ञानार्जन करना चाहिए न कि उसकी बातों का
मज़ाक उड़ाना चाहिए। इस प्रकार दादाजी की बातों का घर के सभी सदस्यों पर असर पड़ा
और धीरे-धीरे छोटी बहू को भी बात समझ आ गई और वह मिलजुलकर घर के सदस्यों के साथ
रहने लगी।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि
पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…

(i) उपर्युक्त अवतरण की वक्ता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण की वक्ता मूलराज परिवार की छोटी बहू बेला है। वह एक संपन्न घराने की
क्षि
सु क्षिततशि
लड़की है। ससुराल के पुराने संस्कार और पारिवारिक सदस्यों से पहले वह
सामंजस्य नहीं बैठा पाती है परंतु अंत में वह परिवार के सदस्यों के साथ मिलजुलकर
रहने लगती है।

(ii) घर के सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल कैसे जाता है?

छोटी बहू हर समय अपने मायके की ही तारीफ़ करती रहती है। इस कारण घर के सभी सदस्य
उसे अभिमानी समझते हैं और उसकी बातों पर हँसते रहते हैं परंतु जब घर के दादाजी
द्वारा उन्हें समझाया जाता है तब घर के सभी सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल
जाता है।

(iii) उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है?

उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय उसे अधिक दिए जाने वाले मान-सम्मान से हैं। दादाजी
के समझाने पर परिवार के सदस्यों का व्यवहार इस हद तक बदल गया कि वे उसे जरूरत से
ज्यादा सम्मान देने लगे जिसके कारण वह अपने आप को घर में उपेक्षित समझने लगी।
पर इसके साथ ही उसे अपनी भूल का अहसास भी होने लगता है कि ऐसे व्यवहार के लिए वह
खुद भी दोषी है।

(iv) वक्ता की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए।

क्षि
बेला एक सु क्षिततशि
लड़की है। उसे अपने प्रति परिवार का बदला व्यवहार अच्छा नहीं
लगता पर जब उसे पता चलता है कि घर का हर-एक सदस्य परिवार को अलगाव से बचाने के
लिए दादाजी की आज्ञा का पालन कर रहा है तो उसे अपनी भूल समझ आती है कि वह भी इस
परिवार का ही एक अंग है। क्यों न वह भी पहल करे और परिवार के साथ मिलजुलकर रहें
और उपर्युक्त कथन वक्ता की इसी पारिवारिक जुड़ाव और मन की व्यथा का वर्णन करता है।
TagsClass 10 Hindi

ICSE Solutions for सूखी डाली by Upendra Nath "Ashka"

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

इस फ़र्नीचर पर हमारे बाप-दादा बैठते थे, पिता बैठते थे, चाचा बैठते थे। उन लोगों को
कभी शर्म नहीं आई, उन्होंने कभी फ़र्नीचर के सड़े-गले होने की शिकायत नहीं की।

(i) उपर्युक्त अवतरण का वक्ता कौन है और इस समय वह किससे और क्यों बहस कर रहा है?

उपर्युक्त अवतरण का वक्ता परेश है जो कि तहसीलदार है। इस समय वह अपनी पत्नी बेला
से फ़र्नीचर के बाबत बहस कर रहा है।
बेला पढ़ी-लिखी और आधुनिक विचारधारा को मानने वाली स्त्री है। वह घर के पुराने
फ़र्नीचर को बदलना चाहती है और इसलिए वह इस बात पर अपने पति परेश से बहस करती
है।

(ii) श्रोता बेला के मायके और ससुराल में क्या अंतर है?

उत्तर :
बेला जो की घर की छोटी बहू है, बड़े घर से ताल्लुक रखती है। घर की इकलौती लड़की होने
के कारण उसे अपने घर में बहुत अधिक लाड़-प्यार, मान सम्मान और स्वच्छंद वातावरण
मिला था। उसके विपरीत उसका ससुराल एक संयुक्त परिवार था जो घर के दादाजी की
छत्रछाया में जीता था। यहाँ के लोग सभी पुराने संस्कारों में ढले हैं।

(iii) बेला की फ़र्नीचर के बारे क्या राय थी?

बेला बड़ी घर की एकलौती बेटी होने के कारण अपने मायके में लाड़-प्यार से पली-बढ़ी
थी। यहाँ ससुराल में सभी पुराने संस्कारों को मानने वाले थे अत:घर की कोई भी चीज को
बदलना नहीं चाहते थे। बेला की राय में कमरे का फ़र्नीचर सड़ा-गला और टूटा-फूटा है
और वह इस प्रकार के फ़र्नीचर को अपने कमरे में रखने की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थी।

(iv) घर के फ़र्नीचर के बारे में वक्ता की राय क्या थी और वह उसे क्यों नहीं बदलना चाहता
था?

वक्ता परेश पढ़ा-लिखा और तहसीलदार पद को प्राप्त किया युवक है परंतु संयुक्त परिवार
में रहने के कारण उसे घर के माहौल के साथ ताल-मेल बिठाकर कार्य करना होता है।
उसकी पत्नी बेला को कमरे का फ़र्नीचर टूटा-पुराना और सड़ा-गला लगता है तो इस पर वक्ता
कहता है कि यह वही फ़र्नीचर है जिस पर उसके दादा, पिता और चाचा बैठा करते थे।
उन्होंने तो कभी फ़र्नीचर की ऐसी शिकायत नहीं की और यदि इस फ़र्नीचर को वह कमरे में न
रखे तो उसके परिवार इसे ठीक नहीं समझेंगे। अत:वक्ता अपने कमरे का फ़र्नीचर
बदलना नहीं चाहता था।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

मुझे किसी ने बताया तक नहीं। यदि कोई शिकायत थी तो उसे मिटा देना चाहिए था। हल्की सी खरोंच
भी, यदि उस तत्काल दवाई न लगा दी जाए, बढ़कर एक घाव बन जाती और घाव नासूर हो जाता है,
फिर लाख मरहम लगाओ ठीक नहीं होता।

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता घर के सबसे मुख्य सदस्य मूलराज परिवार के मुखिया हैं। वे
संयुक्त परिवार के ताने-बाने में विवास सश्वा
रखते हैं। वे 72 वर्षीय हैं। परिवार के सभी
तासे अपने परिवार को
लोग उनका सम्मान करते हैं। उन्होंने अपनी सूझ-बुझ और दूरदर् तार्शि
एक वट वृक्ष की भांति बाँध रखा है।

(ii) उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय है कि जैसे ही कोई समस्या खड़ी होती है तुरंत उस
समस्या का समाधान कर देना चाहिए अन्यथा बाद समस्या बड़ी गंभीर हो जाती है और फिर
वह समस्या हल नहीं होती। यहाँ पर वक्ता का संकेत परेश की पत्नी बेला की समस्या की
ओर है। वक्ता का मानना है कि छोटी बहू बेला की यदि कोई शिकायत है तो जल्द ही उसका
निदान कर देना चाहिए।

(iii) घर की छोटी बहू की समस्या क्या है?


क्षि
घर की छोटी बहू संपन्न कुल की सु क्षिततशि
लड़की है। उसके घर और यहाँ के वातावरण में
काफी अंतर होने के कारण वह घर के पारिवारिक सदस्यों के साथ ताल-मेल बैठाने में
दिक्कत महसूस कर रही है। वहीँ घर के सदस्य उसे गर्वीली और अभिमानी समझते हैं और
उसकी निंदा और उपहास करते रहते हैं। इसी कारण घर में अलगाव की नौबत आ चुकी है।

(iv) वक्ता ने समस्या का क्या समाधान सुझाया?

घर को अलगाव से बचाने के लिए वक्ता ने घर के सभी सदस्यों को बुलाकर समझाया कि उन


सभी को किस प्रकार से छोटी बहू के साथ व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने सभी को समझाया
कि घर के सभी सदस्यों को छोटी बहू से ज्ञानार्जन करना चाहिए न कि उसकी बातों का
मज़ाक उड़ाना चाहिए। इस प्रकार दादाजी की बातों का घर के सभी सदस्यों पर असर पड़ा
और धीरे-धीरे छोटी बहू को भी बात समझ आ गई और वह मिलजुलकर घर के सदस्यों के साथ
रहने लगी।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

दादाजी, आप पेड़ से किसी डाली का टूटकर अलग होना पसंद नहीं करे, पर क्या आप यह चाहेंगे कि
पेड़ से लगी-लगी वह डाल सूखकर मुरझा जाय…

(i) उपर्युक्त अवतरण की वक्ता का परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण की वक्ता मूलराज परिवार की छोटी बहू बेला है। वह एक संपन्न घराने की
क्षि
सु क्षिततशि
लड़की है। ससुराल के पुराने संस्कार और पारिवारिक सदस्यों से पहले वह
सामंजस्य नहीं बैठा पाती है परंतु अंत में वह परिवार के सदस्यों के साथ मिलजुलकर
रहने लगती है।

(ii) घर के सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल कैसे जाता है?

छोटी बहू हर समय अपने मायके की ही तारीफ़ करती रहती है। इस कारण घर के सभी सदस्य
उसे अभिमानी समझते हैं और उसकी बातों पर हँसते रहते हैं परंतु जब घर के दादाजी
द्वारा उन्हें समझाया जाता है तब घर के सभी सदस्यों का व्यवहार छोटी बहू के प्रति बदल
जाता है।

(iii) उपर्युक्त कथन से वक्ता का क्या आशय है?


उपर्युक्त कथन से वक्ता का आशय उसे अधिक दिए जाने वाले मान-सम्मान से हैं। दादाजी
के समझाने पर परिवार के सदस्यों का व्यवहार इस हद तक बदल गया कि वे उसे जरूरत से
ज्यादा सम्मान देने लगे जिसके कारण वह अपने आप को घर में उपेक्षित समझने लगी।
पर इसके साथ ही उसे अपनी भूल का अहसास भी होने लगता है कि ऐसे व्यवहार के लिए वह
खुद भी दोषी है।

(iv) वक्ता की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए।

क्षि
बेला एक सु क्षिततशि
लड़की है। उसे अपने प्रति परिवार का बदला व्यवहार अच्छा नहीं
लगता पर जब उसे पता चलता है कि घर का हर-एक सदस्य परिवार को अलगाव से बचाने के
लिए दादाजी की आज्ञा का पालन कर रहा है तो उसे अपनी भूल समझ आती है कि वह भी इस
परिवार का ही एक अंग है। क्यों न वह भी पहल करे और परिवार के साथ मिलजुलकर रहें
और उपर्युक्त कथन वक्ता की इसी पारिवारिक जुड़ाव और मन की व्यथा का वर्णन करता है।

ICSE Solutions for महाभारत की एक साँझ by Bharat
Bhusan Agrawal

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें
मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता कौन है? उनका परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता धृतराष्ट्र हैं। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। वे कौरवों
के पिता हैं। दुर्योधन उनका जेष्ठ पुत्र हैं। इस समय वे अपने मंत्री संजय के सामने
अपनी व्यथा को प्रकट कर रहे हैं।

(ii) यहाँ पर श्रोता कौन है? वह वक्ता को क्या सलाह देता है और क्यों?

उत्तर :
यहाँ पर श्रोता धृतराष्ट्र का मंत्री है। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। अपनी दिव्य दृष्टि की
सहायता से वे धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का वर्णन बताते रहते हैं। इस समय वे
धृतराष्ट्र को शांत रहने की सलाह देते हैं। संजय के अनुसार जो हो चुका है उस पर शोक
करना व्यर्थ है।
(iii) यहाँ पर भीषण विष फल किस ओर संकेत करता है स्पष्ट कीजिए।

यहाँ पर धृतराष्ट्र के अति पुत्र-मोह से उपजे महाभारत के युद्ध की ओर संकेत किया गया
है। पुत्र-स्नेह के कारण दुर्योधन की हर अनुचित माँगों और हरकतों को धृतराष्ट्र ने
उचित माना। धृतराष्ट्र ने पुत्र-मोह में बड़ों की सलाह, राजनैतिक कर्तव्य आदि सबको
नकारते हुए अपने पुत्र को सबसे अहम् स्थान दिया और जिसकी परिणिति महाभारत के भीषण
युद्ध में हुई।

(iv) पुत्र-मोह से क्या तात्पर्य है?

पुत्र-मोह से यहाँ तात्पर्य अंधे प्रेम से है। धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन से
अंधा प्रेम करते थे इसलिए वे उसकी जायज नाजायज सभी माँगों को पूरा करते थे। इसी
कारणवश दुर्योधन बचपन से दंभी और अहंकारी होता गया।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए!
उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना
शांत न होगा।

(i) दुर्योधन अपनी प्राण रक्षा के लिए क्या करता है?

महाभारत के युद्ध में सभी मारे जाते हैं केवल एक अकेला दुर्योधन बचता है। युद्ध तब
तक समाप्त नहीं माना जा सकता था जब तक कि दुर्योधन मारा नहीं जाता। इस समय दुर्योधन
घायल अवस्था में है और अपने प्राण बचाने के लिए द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता
है।

(ii) उपर्युक्त कथन किसका का है? कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उपर्युक्त कथन भीम का है। प्रस्तुत कथन का संदर्भ दुर्योधन को सरोवर से बाहर निकालने
का है। दुर्योधन
महाभारत के युद्ध में घायल हो जाता है और भागकर द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता
है। वह उसमें से बाहर नहीं निकलता है। तब उसे सरोवर से बाहर निकालने के लिए भीम
उसे उपर्युक्त कथन कहकर ललकारता है।
(iii) उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने युधिष्ठिर को क्या उत्तर दिया?

उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह सभी बातों को भली-भाँति जानता है


लेकिन वह थककर चूर हो चुका है। उसकी सेना भी तितर-बितर हो गई है, उसका कवच फट गया
है और उसके सारे शस्त्रास्त्र चूक गए हैं। उसे समय चाहिए और उसने भी पांडवों को तेरह
वर्ष का समय दिया था।

(iv) ‘घृत देकर उभारा है’ से क्या तात्पर्य है स्पष्ट करें।

घृत उभारा है से तात्पर्य दुर्योधन की ईर्ष्या से है। भीम दुर्योधन से कहता है कि वर्षों से
तुमने इस ईर्ष्या का बीज बोया है तो अब फसल तो तुम्हें ही काटनी होगी। कितनों को उसने इस
ईर्ष्या रूपी अग्नि में जलाया है लेकिन आज स्वयं उन आग की लपटों से बचना चाहता है।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का
तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता के बारे में बताइए।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता युधिष्ठिर और श्रोता दुर्योधन है। इस समय वक्ता युधिष्ठिर
मरणासन्न श्रोता दुर्योधन को शांति प्रदान करने के उद्देय श्य
से आए हैं। इस समय दोनों के
मध्य उचित अनुचित विचारों पर वार्तालाप चल रहा है।

(ii) उपर्युक्त अवतरण में किस अधिकार की बात की जा रही है?

उपर्युक्त अवतरण में राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी के संदर्भ में बात की जा रही
है। यहाँ पर युधिष्ठिर का कहना है कि राज्य पर उनका वास्तविक अधिकार था यह जानते हुए
भी दुर्योधन यह मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ और इस कारण परिवार में ईर्ष्या और
और झगड़े बढ़कर अंत में महाभारत के युद्ध में तब्दील हो गए।

(iii) प्रस्तुत एकांकी का उद्देय श्य


लिखिए।
प्रस्तुत एकांकी का उद्देय श्य
यह है कि आप चाहे कितने भी कूटनीतिज्ञ, बलवान और
बुद्धिमान क्यों न हो परंतु यदि आप का रास्ता धर्म का नहीं है तो आपका अंत होना निचित तश्चि
लता
है। साथ यह एकांकी मनुष्य को त्याग और सहन लता शी
का पाठ भी पढ़ाती है। यही वे दो मुख्य
कारण थे जिसके अभाव में महाभारत का युद्ध लड़ा गया। इसके अतिरिक्त इस एकांकी का
एक और उद्देय श्य
यह भी दिखाना था कि इस युद्ध के लिए कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष
बराबर जिम्मेदार थे।

(iv) महाभारत के युद्ध से हमें कौन-सी सीख मिलती है?

महाभारत का युद्ध तो शुरू से लेकर अंत तक सीखों से ही भरा पड़ा हैं परंतु मुख्य रूप से
यह युद्ध हमें यह सीख देता है कि कभी भी पारिवारिक धन-संपत्ति के लिए अपने ही
भाईयों से ईर्ष्या और वैमनस्य नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लड़ाई-झगड़े में
जीत कर भी हार ही होती है।

ICSE Solutions for महाभारत की एक साँझ by Bharat


Bhusan Agrawal

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

कह नहीं सकता संजय किसके पापों का परिणाम है, किसकी भूल थी जिसका भीषण विष फल हमें
मिला। ओह! क्या पुत्र-मोह अपराध है, पाप है? क्या मैंने कभी भी…कभी भी…

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता कौन है? उनका परिचय दें।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता धृतराष्ट्र हैं। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे। वे कौरवों
के पिता हैं। दुर्योधन उनका जेष्ठ पुत्र हैं। इस समय वे अपने मंत्री संजय के सामने
अपनी व्यथा को प्रकट कर रहे हैं।

(ii) यहाँ पर श्रोता कौन है? वह वक्ता को क्या सलाह देता है और क्यों?

उत्तर :
यहाँ पर श्रोता धृतराष्ट्र का मंत्री है। उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। अपनी दिव्य दृष्टि की
सहायता से वे धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का वर्णन बताते रहते हैं। इस समय वे
धृतराष्ट्र को शांत रहने की सलाह देते हैं। संजय के अनुसार जो हो चुका है उस पर शोक
करना व्यर्थ है।

(iii) यहाँ पर भीषण विष फल किस ओर संकेत करता है स्पष्ट कीजिए।


यहाँ पर धृतराष्ट्र के अति पुत्र-मोह से उपजे महाभारत के युद्ध की ओर संकेत किया गया
है। पुत्र-स्नेह के कारण दुर्योधन की हर अनुचित माँगों और हरकतों को धृतराष्ट्र ने
उचित माना। धृतराष्ट्र ने पुत्र-मोह में बड़ों की सलाह, राजनैतिक कर्तव्य आदि सबको
नकारते हुए अपने पुत्र को सबसे अहम् स्थान दिया और जिसकी परिणिति महाभारत के भीषण
युद्ध में हुई।

(iv) पुत्र-मोह से क्या तात्पर्य है?

पुत्र-मोह से यहाँ तात्पर्य अंधे प्रेम से है। धृतराष्ट्र अपने जेष्ठ पुत्र दुर्योधन से
अंधा प्रेम करते थे इसलिए वे उसकी जायज नाजायज सभी माँगों को पूरा करते थे। इसी
कारणवश दुर्योधन बचपन से दंभी और अहंकारी होता गया।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जिस कालाग्नि को तूने वर्षों घृत देकर उभारा है, उसकी लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए!
उसके घेरे से तू क्यों बचना चाहता है? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना
शांत न होगा।

(i) दुर्योधन अपनी प्राण रक्षा के लिए क्या करता है?


महाभारत के युद्ध में सभी मारे जाते हैं केवल एक अकेला दुर्योधन बचता है। युद्ध तब
तक समाप्त नहीं माना जा सकता था जब तक कि दुर्योधन मारा नहीं जाता। इस समय दुर्योधन
घायल अवस्था में है और अपने प्राण बचाने के लिए द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता
है।

(ii) उपर्युक्त कथन किसका का है? कथन का संदर्भ स्पष्ट करें।

उपर्युक्त कथन भीम का है। प्रस्तुत कथन का संदर्भ दुर्योधन को सरोवर से बाहर निकालने
का है। दुर्योधन
महाभारत के युद्ध में घायल हो जाता है और भागकर द्वैतवन के सरोवर में छिप जाता
है। वह उसमें से बाहर नहीं निकलता है। तब उसे सरोवर से बाहर निकालने के लिए भीम
उसे उपर्युक्त कथन कहकर ललकारता है।

(iii) उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने युधिष्ठिर को क्या उत्तर दिया?

उपर्युक्त कथन का दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह सभी बातों को भली-भाँति जानता है


लेकिन वह थककर चूर हो चुका है। उसकी सेना भी तितर-बितर हो गई है, उसका कवच फट गया
है और उसके सारे शस्त्रास्त्र चूक गए हैं। उसे समय चाहिए और उसने भी पांडवों को तेरह
वर्ष का समय दिया था।

(iv) ‘घृत देकर उभारा है’ से क्या तात्पर्य है स्पष्ट करें।

घृत उभारा है से तात्पर्य दुर्योधन की ईर्ष्या से है। भीम दुर्योधन से कहता है कि वर्षों से
तुमने इस ईर्ष्या का बीज बोया है तो अब फसल तो तुम्हें ही काटनी होगी। कितनों को उसने इस
ईर्ष्या रूपी अग्नि में जलाया है लेकिन आज स्वयं उन आग की लपटों से बचना चाहता है।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जिस राज्य पर रत्ती भर भी अधिकार नहीं था, उसी को पाने के लिए तुमने युद्ध ठाना, यह स्वार्थ का
तांडव नृत्य नहीं तो और क्या है? भला किस न्याय से तुम राज्याधिकार की माँग करते थे?

(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता के बारे में बताइए।

उपर्युक्त अवतरण के वक्ता युधिष्ठिर और श्रोता दुर्योधन है। इस समय वक्ता युधिष्ठिर
मरणासन्न श्रोता दुर्योधन को शांति प्रदान करने के उद्देय श्य
से आए हैं। इस समय दोनों के
मध्य उचित अनुचित विचारों पर वार्तालाप चल रहा है।

(ii) उपर्युक्त अवतरण में किस अधिकार की बात की जा रही है?

उपर्युक्त अवतरण में राज्य के वास्तविक उत्तराधिकारी के संदर्भ में बात की जा रही
है। यहाँ पर युधिष्ठिर का कहना है कि राज्य पर उनका वास्तविक अधिकार था यह जानते हुए
भी दुर्योधन यह मानने के लिए कभी तैयार नहीं हुआ और इस कारण परिवार में ईर्ष्या और
और झगड़े बढ़कर अंत में महाभारत के युद्ध में तब्दील हो गए।

(iii) प्रस्तुत एकांकी का उद्देय श्य


लिखिए।

प्रस्तुत एकांकी का उद्देय श्य


यह है कि आप चाहे कितने भी कूटनीतिज्ञ, बलवान और
बुद्धिमान क्यों न हो परंतु यदि आप का रास्ता धर्म का नहीं है तो आपका अंत होना निचित तश्चि
लता
है। साथ यह एकांकी मनुष्य को त्याग और सहन लता शी
का पाठ भी पढ़ाती है। यही वे दो मुख्य
कारण थे जिसके अभाव में महाभारत का युद्ध लड़ा गया। इसके अतिरिक्त इस एकांकी का
एक और उद्देय श्य
यह भी दिखाना था कि इस युद्ध के लिए कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष
बराबर जिम्मेदार थे।
(iv) महाभारत के युद्ध से हमें कौन-सी सीख मिलती है?

महाभारत का युद्ध तो शुरू से लेकर अंत तक सीखों से ही भरा पड़ा हैं परंतु मुख्य रूप से
यह युद्ध हमें यह सीख देता है कि कभी भी पारिवारिक धन-संपत्ति के लिए अपने ही
भाईयों से ईर्ष्या और वैमनस्य नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के लड़ाई-झगड़े में
जीत कर भी हार ही होती है।

ICSE Solutions for पाठ 6 दीपदान (Deepdan) Class 10 Hindi


एकांकी संचय

ICSE Solutions for दीपदान by Ram Kumar Verma

प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय
भी तुम्हें डस सकते हैं।’

(i) वक्ता कौन है? उसका परिचय दीजिए।

वक्ता पन्ना धाय है। वह स्वर्गीय महाराणा साँगा की स्वामिभक्त सेविका है। वह
कर्तव्यनिष्ठ तथा आदर्भारतीय नारी है। वह हमे शकुँवर की सुरक्षा का ध्यान रखती है।

(ii) श्रोता कौन है? उसका वक्ता से क्या संबंध है?

उत्तर :
श्रोता स्वर्गीय महाराणा साँगा का सबसे छोटा पुत्र है। उसकी माँ की मृत्यु के पचात तश्चा
से
पन्ना धाय जोकि महाराज की सेविका थी उसने उसे माँ की तरह पाला।

(iii) वक्ता के उपर्युक्त कथन कहने के पीछे क्या कारण था?

महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी
आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को
राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना
बनाने लगा। इस वजह से कुँवर उदय सिंह की जान को खतरा बढ़ जाने से पन्ना धाय ने
उपर्युक्त कथन कहा।

(iv) वक्ता श्रोता की सुरक्षा के प्रति चिंतित क्यों रहती थी?

वक्ता पन्ना धाय एक देशभक्त राजपूतनी थी तथा अपने राजा के उत्तराधिकारी की रक्षा
करना वह परम कर्तव्य समझती थी। महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन
का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई
पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे
वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। इसलिए पन्ना धाय कुँवर उदय सिंह की सुरक्षा को
लेकर चिंतित रहती थी।

प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा
बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे
होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच
नाचेंगी।

(i) यहाँ किसे पहाड़ कहा गया है? क्यों?

यहाँ धाय माँ पन्ना को पहाड़ कहा गया है क्योंकि उनमें ईमानदारी और देशभक्ति की भावना
कूट-कूट कर भरी है। जैसे एक पहाड़ अपने देश की सुरक्षा करता है वैसे ही पन्ना धाय भी
अपने स्वर्गीय राजा के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए पहाड़ बनकर खड़ी
है।

(ii) उपर्युक्त कथन किसने किससे कहा? इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उपर्युक्त कथन रावल सरूप सिंह की पुत्री सोना ने धाय माँ पन्ना से कहा। इसका अर्थ यह है
कि धाय माँ पन्ना बनवीर सिंह के साथ मिल जाए तथा अपने कर्तव्य कुँवर उदयसिंह की
रक्षा से मुँह मोड़ ले।

(iii) ‘तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे’ का क्या तात्पर्य है?

सोना पन्ना धाय को अपनी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा


छोड़कर बनवीर के साथ मिल जाने की सलाह दे रही है।
(iv) दीपदान उत्सव का आयोजन किसने और क्यों किया?

दीपदान उत्सव उत्सव का आयोजन महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने
किया जिसे राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था। उसने सोचा प्रजाजन दीपदान
उत्सव के नाचगाने में मग्न होगे तब कुँवर उदय सिंह को मारकर वह सत्ता हासिल कर
सकता है।

प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी
होगी।

(i) उपयुक्त वाक्य का प्रसंग स्पष्ट करें।

उपर्युक्त वाक्य बनवीर धाय पन्ना से कहता है जब वह कुँवर को मारने जाता है और पन्ना
उन्हें रोकने का प्रयास करती है। पन्ना उसे कहती है कि मैं कुँवर को लेकर संन्यासिनी
बन जाऊँगी, तुम ताज रख लो कुँवर के प्राण बक्क्शदो।

(ii) पन्ना ने कुँवर को सुरक्षित स्थान पर किस तरह पहुँचाया?

पन्ना धाय को जैसे ही बनवीर के षडयंत्र का पता चला वैसे ही पन्ना ने सोये हुए कुँवर
को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।

(iii) पन्ना ने क्या बलिदान दिया?

पन्ना ने कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर
पहुँचाया। उसके बाद कुँवर के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया और उसका मुँह
कपड़े से ढँक दिया। जब बलवीर कुँवर को मारने आया उसने चंदन को कुँवर समझकर मार
डाला। इस प्रकार पन्ना ने देशधर्म के लिए अपनी ममता की बलि चढ़ा दी।

(iv) प्रस्तुत एकांकी का सार लिखिए।

महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी
आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को
राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना
बनाने लगा।
पन्ना धाय स्वर्गीय महाराणा साँगा की स्वामिभक्त सेविका है। वह कर्तव्यनिष्ठ तथा आदर्
भारतीय नारी है। वह हमे शकुँवर की सुरक्षा का ध्यान रखती है।
सोना पन्ना धाय को अपनी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा
छोड़कर बनवीर के साथ मिल जाने की सलाह दे रही है। परंतु वह नहीं मानती।
बनवीर ने दीपदान उत्सव का आयोजन किया। उसने सोचा प्रजाजन दीपदान उत्सव के
नाचगाने में मग्न होगे तब कुँवर उदय सिंह को मारकर वह सत्ता हासिल कर सकता है।
तभी किसी ने पन्ना को यह खबर दी और पन्ना ने कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के
टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उसके बाद कुँवर के स्थान पर अपने पुत्र
चंदन को सुला दिया और उसका मुँह कपड़े से ढँक दिया। जब बलवीर कुँवर को मारने आया
उसने चंदन को कुँवर समझकर मार डाला। इस प्रकार पन्ना ने देशधर्म के लिए अपनी
ममता की बलि चढ़ा दी।

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