Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 48

शिक्षा

भारत में बच्चों और बचपन पर शोध


B.A Prog. Semester 3rd
Important Questions
with Answer

NOTES
Where every problem
is solved of your study.
Manish Verma Notes, EduTech Private Limited provides notes and guidance for students to
prepare for CBSE, NIOS, DU, SOL, NCWEB, IGNOU & All Universities. the sole aim to initiate,
enable and empower individuals to grow up to be extraordinary professionals.

Mr. Manish Verma (M.A, B.Ed., Teaching experience of DU, SOL, NCWEB, IGNOU Students
through my YouTube channel more than 8 years ago

We Help you Dream, Achieve & Succeed. Joined us millions of students.

Manish Verma YouTube Channel - The Fastest, Easiest, and most fun way to study From
Class 9th to 12th CBSE, NIOS, & Graduation DU SOL, IGNOU, NCWEB ( UGC Syllabus )

Vision: Helping DU, SOL, NCWEB, IGNOU Students pass their degree in the fastest time possible
with great marks. To enable them to achieve their dream job, business success, dream life - partner
and lead a fulfilled life. Making them global citizens contributing to creating a better world.

Mission: Our aim is not merely to penetrate the markets to expand the reach of our notes, but to
understand the contemporary educational needs of DU, SOL, NCWEB, IGNOU students and fulfil
those needs with our Best in Class Products/Services.

We provide , DU, SOL, NCWEB, IGNOU Notes, Important Question with Answer for the
final exams, Solved Assignments. And Online Classes. Subscribe to our YouTube channel.

I am extremely enjoying this YouTube journey. I am overwhelmed with the love I have received from
you all. There is no hard-and-fast rule that defines the path to success in the social media world.
Going an extra mile and putting all your heart never goes unnoticed.
Delighted, grateful and full of joy, thanks to each one for the love and appreciation. Long way to go!
Love to all - By Manish Verma
+91- 8368259468
contact@manishvermanotes.com
New Delhi
manishvermanotes.com

MANISH VERMA
BEST
AWARD
1

भारत म� बच्च� और बचपन पर शोध

अनक्र
ु म

पाठ 1

बच्च� के बारे म� प�रप्रे�य का �नमार्ण

पाठ 2

अनुदैघ्यर् (लौ�गटू�डनल) और अनुप्रस्थ (क्रॉस-सेक्शनल) अध्ययन

पाठ 3

केस स्टडी �व�ध

पाठ 4

आकड़े संकलन के साधन के रूप म� अवलोकन, सा�ात्कार और डायर�

पाठ 5

बच्च� क� द�ु नया क� खोज के �लए उपकरण के रूप म� तस्वीर� और �चत्र

पाठ 6

अनस
ु ंधान �रपोटर् लेखन

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
2

प्रश्न 1. – बाल मनो�व�ान पर केस स्टडी का क्या योगदान है ?

उ�र – बाल मनो�व�ान :-

बाल मनो�व�ान सामान्य मनो�व�ान क� एक �वशेष शाखा है जो बच्च� के �वकास और

व्यवहार पर क��द्रत है । बाल मनो�व�ान म� �श�ा मनो�व�ान का भी अध्ययन होता है जो

स्कूल जाने वाले बच्च� के शार��रक, संवेगात्मक, सं�ानात्मक और सामािजक �वकास का

अध्ययन करता है ।

संदभर् के आयु, �लंग, नस्ल, समस्या, बुद्�धम�ा, सामािजक स्तर, आ�थर्क िस्थ�त आ�द के

संदभर् म� , �व�भन्न श्रे�णय� के अंतगर्त सारणीबद्ध उपलब्ध ह�, कुछ श्रे�णयाँ �व�भन्न कारक�

के परस्पर संबंध पर आधा�रत हो सकती है ।

1. पेशेवर�, �च�कत्सा, �श�ा, �कशोर अपराधी, और कई अन्य सामािजक �व�ान� के �ेत्र म�

काम करते हुए, बहुत मह�वपूणर् �नष्कषर् केस स्टडी के माध्यम से उपलब्ध कराए गए ह�।

ू यांकन के �लए, केस स्टडी एक मह�वपण


2. प्रग�त के मल् ू र् �व�ध है । वांछनीय प�रवतर्न के

�लए अपनाए गए उपाय� क� प्रभावका�रता को केवल एक केस स्टडी के माध्यम से जाना जा

सकता है । उदाहरण के �लए, दस से कम उम्र का एक लड़का है , िजसे एक आदत-िक्ल�नक

म� संद�भर्त �कया जाता है , जहाँ वह िक्ल�नक द्वारा व्यविस्थत कुछ उपाय� से गज


ु रता है ।

अब, मल्
ू यांकन करने के �लए �क क्या प�रवतर्न आया है , और प�रवतर्न क� मात्रा क्या है ,

शोधकतर् को उम्र के �व�भन्न चरण� म� बच्चे का अध्ययन करना होगा, माता-�पता, �श�क�

और अन्य संबं�धत स्रोत� से भी प�रवतर्न� क� �रपोटर् मांगी जा सकती है ।

ु ाय� म� मौजद
3. अलग-अलग प�रवार�, क�ाओं, स्कूल� और समद ू ा समह
ू पैटनर्, केस स्टडी के

तर�के के माध्यम से उ�चत तर�के से अध्ययन �कया जा सकता है । इस�लए इस संबंध म�

इस �व�ध का बहुत बड़ा योगदान है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
3

4. व्यावसा�यक पाठ्यक्रम� को �नद� श के उद्दे श्य के �लए �वशाल सामग्री क� आवश्यकता

होती है , जो कवल केस स्टडी के प�रणामस्वरूप उपलब्ध हुई है । वास्तव म� , मनो�व�ान पर

अ�धकांश पस्
ु तक� का एक �हस्सा-सामािजक, आपरा�धक या शै��क. �च�कत्सा या प्रबंधन,

केस स्टडीज के �नष्कष� से बना है

5. सांिख्यक�य प�रणाम� के �चत्रण और सत्यापन के �लए केस स्टडीज के �नष्कषर् बहुत

मददगार है । उदाहरण के �लए, �वस्तत


ृ मामले इ�तहास म� जड़
ु वा समानता से संबं�धत कई

मह�वपूणर् तथ्य सामने. आए ह�, एक साथ पाले गए जड़


ु वाँ बच्च� को एक साथ जड़
ु वाँ बच्च�

को पाला गया, गैर-जड़


ु वाँ भाई-बहन� को एक साथ पाला गया और इसके अलावा, असंबं�धत

बच्च� को एक साथ पाला गया, और सामान्य रूप से। जनसंख्या एक साथ, वे सािख्यक�य

प�रणाम� के पूरक है ।

6. ऐसे ब्यूरो या एज��सयाँ ह� िजन्ह� पेशेवर� और सरकार� �वभाग� के �लए मह�वपूणर् �नष्कष�

के �लए काम पर रखा जाता है । ये �नष्कषर् आम तौर पर केस स्टडी के प�रणाम होते ह�।

केस स्टडी के प�रणाम पुस्तक-रूप म� प्रका�शत �कए जाते ह�, क्य��क वे सामान्यीकरण तैयार

करने म� बहुत सहायक होते ह�। केस. स्टडी क� �रप�ट� के रूप म� �ान का बहुत उपयोगी

शर�र उपलब्ध है । बाल मनो�व�ान के �ेत्र म� , �वशेष रूप से, और सामान्य रूप से �श�ा

और सामािजक �ेत्र� म� , सांिख्यक�य और प्रायो�गक अध्ययन� क� इतनी मह�वपूणर् भ�ू मका

नह�ं है , जैसा �क वे भौ�तक �व�ान� म� करते ह�, जहाँ समस्या प्रबंधक�य या अन्य

व्यावहा�रक पहलओ
ु ं से संबं�धत हो सकती है ।

�नष्कषर्:-

सामािजक �व�ान के मामले म� , उद्दे श्य होता है , न केवल कुछ तथ्य� को प्रकट करना, जैसा

�क भौ�तक �व�ान� म� होता है , ले�कन संबं�धत सामािजक संस्था को अ�धक प्रभावी तर�के

से काम करने के �लए ,ता�क वां�छत ला�य प्राप्त �कया जा सके।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
4

बाल मनो�व�ान के �ेत्र म� शोधकतार्ओं को, बच्चे या �कशोर से संबं�धत �व�भन्न �ेत्र� म�

�कए गए प्रयास� के प�रणाम� से बचना होगा। �ेत्र एक बाल मागर्दशर्न िक्ल�नक हो सकता

है , एक मनो�च�कत्सक, एक समाजशास्त्री या एक सामािजक कायर्कतार् के काम से संबं�धत

संस्था। इस तरह के एक शोधकतार् घर, स्कूल एक मनोरं जक कायर्क्रम या संसाधन� के �लए

एक बाल प्लेम�ट एज�सी का उपयोग कर सकते ह�।

प्रश्न 2. – जनसंचार तथा बच्चे क� �श�ा पर इसके प्रभाव के रे खा�कत क�िजए?

उ�र - प्रभावशाल� �श�ा एवं �श�ण के �लये माध्यम क� आवश्यकता होती है । सामान्यतः

शै��क सम्प्रेषण के भौ�तक साधन� को जनसंचार कहा जाता है ; जैसे-पुस्तक�, छपी हुई

सामग्री, कम्प्यूटर, स्लाइड, टे प, �फल्म एवं रे �डयो आ�द । जनसंचार साधन� के द्वारा

मनष्ु य अपने �वचार� का आदान-प्रदान करता है तथा नवीन �ान को जनसाधारण तक

पहुँचाता है ।

जब सम्प्रेषण व्यिक्तय� म� आमने-सामने होता है तो हम इिन्द्रय� का प्रयोग करते ह� तथा

सम्प्रेषणकतार् को तुरन्त पष्ृ ठपोषण �मल जाता है । दृश्य-श्रव्य �श�ण साधन व्यिक्त के

सम्प्रेषण का आधार ह�। जब सम्प्रेषण �कसी जनसंचार माध्यम और व्यिक्त के बीच होता है

तो हम उसे मास मी�डया (Mass Media) कहते ह� अथार्त ् वह सम्प्रेषण साधन, िजसम�

व्यिक्त क� अनुपिस्थ�त म� छपी हुई सामग्री, रे �डयो अथवा दृश्य-श्रव्य सामग्री (दरू दशर्न)

द्वारा सम्प्रेषण होता है जनसंचार कहलाते ह�।

इन साधन� के माध्यम से एक समय म� अन�गनत (Uncounted) व्यिक्तय� के साथ

एकतरफा सम्प्रेषण होता है अथार्त ् सम्प्रेषणकतार् को पष्ृ ठ- पोषण प्राप्त नह�ं होता। जनसंचार

के इन माध्यम� को �श�ा के प्रभावी कारक के रूप म� इस प्रकार स्पष्ट �कया जा सकता है -

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
5

1.शै��क रे �डयो (Educational Radio)- आधु�नक संचार के सभी माध्यम� म� रे �डयो सवर्-

सल
ु भ माध्यम है । भारत म� 99% से अ�धक जनसंख्या म� यह माध्यम अपनी पहुँच रखता

है । इटल� �नवासी जी. मारकोनी ने 19वीं शताब्द� म� इसका आ�वष्कार �कया था। यह रे �डयो

�वद्युत चम्
ु बकत्व के �सद्धान्त पर कायर् करता है । रे �डयो वतर्मान समय म� जनसंचार का

सबसे �मतव्ययी साधन है , इस कारण यह �व�भन्न आयु वग� तथा दरू -दराज के �ेत्र म�

अपनी पहुँच रखता है । इसक� सवर्-सल


ु भता तथा उपयो�गता को दे खते हुए शै��क उद्दे श्य� के

�लये इसका अ�धक प्रयोग हो रहा है ।

रे �डयो के प्रयोग से एक कुशल तथा प्रभावशाल� �श�क को बहुत अ�धक व्यिक्त अथवा

�वद्याथ� एक साथ श्रवण तथा मनन कर सकते ह�, जब�क क�ागत �श�ण म� कुछ 40-60

छात्र ह� लाभ प्राप्त कर सकते ह�। इसके अ�त�रक्त रे �डयो के माध्यम से कायर्क्रम का

प्रसारण रु�चकर लगता है क्य��क इसका प्रसारण अनुभवी व्यिक्तय� क� सहायता से �कया

जाता है । इस प्रकार रे �डयो के माध्यम से अनद


ु े शन प्रदान करने से �वद्याथ� म� अ�धगम के

प्र�त एक नवीन उत्साह उत्पन्न होता है ।

रे �डयो प्रसारण के माध्यम से �वद्याथ� म� शब्द� के प्रयोग, एकाग्रता, स�


ू मता से श्रवण करना

तथा उत्साह� वातार्लाप म� वद्


ृ �ध होती है । अत: इसे औपचा�रक तथा अनौपचा�रक दोन� ह�

प्रकार क� �श�ा के �वकास के �लये प्रयोग �कया जाता है । रे �डयो के माध्यमसे�वद्या�थर्य�

तथा �वद्यालय के साथ-साथ अन्य व्यिक्त भीजैसे-सामािजक कायर्कतार्, व�रष्ठ नाग�रक,

स्वस्थ कम�, अ�श��त तथा म�हलाएँ इत्या�द लाभािन्वत होते ह�। रे �डयो कायर्क्रम� से शै��क

अवसर� क� स्थापना एवं उनके �वस्तार म� सहायता प्राप्त होती है । इन सभी कारण� से भारत

म� भी शै��क रे �डयो का उपयोग हो रहा है ।

2.शै��क दरू दशर्न - बीसवीं शताब्द� के उ�राद्र्ध तथा इक्क�सव� शताब्द� के प्रथम दशक म�

सच
ू ना माध्यम� ने �नःसन्दे ह मानव तथा मानव के जीवन को पूणरू
र् प से प�रव�तर्त कर

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
6

�दया। इस प�रवतर्न म� सबसे अ�धक योगदान संचार माध्यम; जैसे-दरू संचार सेवाओं तथा

दरू दशर्न सेवाओं के कारण सम्भव हुआ। इस समयकाल म� इन तकनीक� सेवाओं ने इतनी

प्रग�त क� है । सम्पण
ू र् �वश्व एक वैिश्वक ग्राम के रूप म� ह� प�रव�तर्त हो गया है । अब मानव

के �लये द�ू रय� (Distances) का कोई अ�धक मह�व नह�ं रह गया है ।

य�द व्यिक्त �वश्व के एक कोने से दस


ू रे कोने म� जाये तो वह कुछ ह� घण्ट� से पहुँच सकता

है तथा य�द वह �वश्व के �कसी भी अन्य भाग म� उपिस्थत अपने �मत्र अथवा सम्बन्धी से

वातार्लाप करना चाहे तो वह ऐसा पलक झपकते ह� कर सकता है । अत: यह कहना त�नक

भी अनु�चत नह�ं होगा �क आधु�नक सम्प्रेषण माध्यम� ने मानव के जीवन म� क्रािन्तकार�

प�रवतर्न उत्पन्न कर �दया है ।

जब मानवीय जीवन का प्रत्येक प� आध�ु नक संचार माध्यम से सकारात्मक रूप से प्रभा�वत

है तो �श�ा का �ेत्र इससे कैसे अप्रभा�वत रह सकता है वतर्मान समय म� �श�ा के �ेत्र म�

दरू दशर्न अपना पण


ू र् योगदान प्रदान कर रहा है । दरू दशर्न को शै��क कायर्�ेत्र म� कायर् करने

के कारण शै��क दरू दशर्न भी कहा जाता है ।

वस्तत
ु ः शै��क दरू दशर्न एक ऐसी व्यवस्था है , िजसके अन्तगर्त एक केन्द्र�य अ�भकरण के

द्वारा �न�मर्त कायर्क्रम� के माध्यम से �व�भन्न पाठ्य वस्तुओं से सम्बिन्धत अ�धगम

सामग्री प्रस्तुत तथा प्रसा�रत क� जाती है । दरू दशर्न शै��क प्रसारण� के �लये एक मह�वपूणर्

तथा प्रभावशाल� माध्यम �सद्ध हो चुका है क्य��क इसम� जन�श�ा के �ेत्र क� अ�धकांश

बाधाओं का समाधान प्रदान करने क� �मता है । अब तो ट�.वी. चैनल पर �श�ा सम्बन्धी

सीधा प्रसारण �दखाया जाने लगा है ।

प्रायः औपचा�रक तथा अनौपचा�रक दोन� ह� प्रकार क� �श�ा दरू दशर्न के माध्यम से प्रदान

क� जा सकती है । इसके प्रयोग से सम्पण


ू र् दे श अथवा �वश्व को एक क�ा के रूप म�

प�रव�तर्त �कया जा सकता है तथा एक व्यिक्त अपने �नवास स्थान पर ह� क�ा म� अध्ययनं

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
7

का अनुभव प्राप्त कर सकता है । दरू दशर्न, �श�ा के �लये तो एक वरदान �सद्ध हुआ है

क्य��क इसने का �नवर्हन �कया है । इस प्रणाल� क� अनेक सीमाओं को पार करके इसे अ�धक

प्रभावी बनाने म� मह�वपण


ू र् भ�ू मका

3.बहु-माध्यमीय शै��क कायर्क्रम एवं इसका क�ा म� उपयोग - मल्ट�-मी�डया एक तकनीक

है जो वतर्मान म� आध�ु नक कम्प्यट


ू र का एक आवश्यक अंग बन चक
ु ा है । पव
ू र् म� मल्ट�-

मी�डया का अथर् संचार के �व�भन्न साधन� के �मले-जल


ु े स्वरूप से लगाया जाता था, �कन्तु

सच
ू ना प्रौद्यो�गक� के �ेत्र म� इस शब्द का अथर् एक ह� कम्प्यूटर पर टे क्स्ट, ग्रा�फक्स,

एमीनेशन, आ�डयो, वी�डयो इत्या�द स�ु वधाओं के प्राप्त होने से लगाया जाता है । मल्ट�-

मी�डया तकनीक से युक्त कम्प्यूटर� पर टे ल��वजन के कायर्क्रम ऑनलाइन भी दे खे जा सकते

ह� तथा संगीत भी सन
ु ा जा सकता है । सी. डी. लगाकर �व�भन्न �वषय� क� जानकार� ल� जा

सकती है एवं उन्ह� तुरन्त सरु ��त (Save) भी �कया जा सकता है ।

आम व्यिक्तगत कम्प्यट
ू र� क� तल ू र� म� ध्व�न ब्लास्टर काडर्,
ु ना म� मल्ट�-मी�डया कम्प्यट

स्पीकर, माइक्रोफोन एवं काम्पैक्ट �डस्क ड्राइव सिम्म�लत ह�। िजन्ह� संयक्
ु त रूप से मल्ट�-

मी�डया �कट कहा जाता है । मल्ट�-मी�डया कम्प्यट


ू र म� सॉफ्टवेयर के रूप म� मल्ट�-मी�डया

प्रोग्राम का प्रयोग �कया जाता है , िजसे सी. डी. रोम कहा जाता है । उत्पादन सच
ू ना मनोरं जन

�श�ा तथा सज
ृ नात्मक काय� म� मल्ट�-मी�डया का अत्य�धक उपयोग है ।

मल्ट�-मी�डया प्रोग्राम दो प्रकार के हो सकते ह�। ल��नयर एवं इण्टरएिक्टव प्रोग्राम� म� �वषय

क� प्रस्तु�त एक बँधे बँधाये रूप म� होती है । इसम� उपभोक्ता का कोई हस्त�ेप नह�ं होता,

जब�क इण्टरएिक्टव प्रोग्राम� म� उपभोक्ता हस्त�ेप कर सकता है । मल्ट�-मी�डया क� �डिजटल

तकनीक ने �श�ा एवं मनोरं जन के �ेत्र म� अत्य�धक क्रािन्त पैदा कर रखी है । �फल्म� तथा

�व�ापन �फल्म� म� काल्प�नक दृश्य� को वास्त�वक रूप म� प्रस्तत


ु �कया जाना आज मल्ट�-

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
8

मी�डया के कारण ह� सम्भव हुआ है । बहुच�चर्त �फल्म (जरु ा�सक पाकर्) के अ�धकांश दृश्य

इसी तकनीक द्वारा तैयार �कये गये ह�।

ू र का �ान बहुत मह�वपण


�श�ा म� कम्प्यट ू र् हो गया है । आपको �कसी भी �वषय पर �श�ण

सामग्री गूगल पर सचर् कर तुरन्त उपलब्ध हो जाती है एवं कम्प्यूटर द्वारा स्माटर् क्लास का

संचालन भी होने लगा है िजससे बालक म� पढ़ाई के साथ-साथ उत्साह का भी संचार होता है ।

कुछ �वद्वान� का मानना है �क वतर्मान समय म� संचार साधन� के प्रयोग के द्वारा क�ा

�श�ण का कायर्क्रम तैयार �कया जाता है । प्राथ�मक स्तर पर अनेक प्रकार के मनोरं जक

कायर्क्रम तैयार �कये जाते ह� िजनम� छात्र� का मनोरं जन भी होता है तथा उनको �ान भी

प्राप्त होता है । उदाहरणाथर्, �व�ान �वषय के �ान म� प�रवेशीय स्वच्छता एवं व्यिक्तगत

स्वच्छता सम्बन्धी �कसी कायर्क्रम का प्रसारण �कया जा रहा है ।

ु रहे ह�, इसम� अपनी शंकाओं का समाधान भी वह


छात्र उस कायर्क्रम को दे ख रहे ह� तथा सन

फोन लाइन के माध्यम से कायर्क्रम के बीच-बीच म� प्रश्न पछ


ू कर कर सकते ह�। इस प्रकार

क� व्यवस्था से छात्र� को प�रवेशीय एवं शार��रक स्वच्छता को �ान सम्भव हो जाता है ।

इसी प्रकार के अनेक कायर्क्रम ऐसे भी ह� जो �क कम्प्यट


ू र, दरू दशर्न एवं इण्टरनेट के माध्यम

से सम्पन्न होते ह� तथा िजनका प्रयोग क�ा-क� �श�ण म� �कया जा सकता है । क�ा-क�

�श�ण म� इनका प्रयोग �नम्न�ल�खत रूप म� �कया जा सकता है -

1. इनके माध्यम से �व�भन्न प्रकार के �वषय� का �ान सजीव रूप से क�ा म� कराया जा

सकता है तथा िजन कायर्क्रम� को उपिस्थत होकर छात्र नह�ं दे ख सकता है उन कायर्क्रम�

को वह इस व्यवस्था के द्वारा दे ख सकता है ।

2. इन कायर्क्रम� के माध्यम से छात्र� को �व�भन्न �वद्वान� के �वचार क�ा-क� म� ह� प्राप्त

हो जाते ह� तथा कॉन्फ्रेन्स के माध्यम से वे अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
9

3. बहुमाध्यमीय कायर्क्रम� के माध्यम से क�ा �श�ण को प्रभावी एवं रु�चपूणर् बनाया जा

सकता है क्य��क ये कायर्क्रम छात्र� क� रु�च एवं योग्यता को ध्यान म� रखकर बनाये

जाते ह�।

4. इन कायर्क्रम� के माध्यम से छात्र� के अ�धगम स्तर को उच्च बनाया जा सकता है

क्य��क इसम� �वषयवस्तु का सजीव �चत्रण प्रस्तत


ु �कया जाता है ।

5. बहुमाध्यमीय शै��क कायर्क्रम� म� संचार साधन� का प्रयोग सम्भव होता है िजससे छात्र�

क� इन कायर्क्रम� के प्र�त �वशेष रु�च होती है िजससे क�ा �श�ण प्रभावी रूप से

सम्पन्न होता है ।

6. बहुमाध्यमीय कायर्क्रम म� �श�ण सत्र


ू � का ध्यान रखा जाता है । ये कायर्क्रम �वषयवस्तु

को सरल से क�ठन क� ओर तथा सामान्य से �व�शष्ट क� ओर �श�ण सत्र


ू � का ध्यान

रखते हुए प्रस्तुत �कये जाते ह�।

प्रश्न 3. – शोध �रपोटर् के प्रारूप पर �वसतत


ृ �टप्पणी �ल�खए?

उ�र – शोध �रपोटर् के प्रारूप :-

व्यापक अथर् मे शोध अ�भकल्प या शोध प्रारूप या शोध प्ररचना (�रसचर् �डजाइनय) �कसी

आनुभ�वक अध्ययन को आरं भ करने के पूवर् उसको सम्पन्न करने क� सम्पूणर् प्र�क्रया क�

पूवर् सो�चत एवं �नयोिजत रूपरे खा है ।

ू रे शब्द� मे, यह �कसी शोध अध्ययन को सम्पन्न करने क� पूवर् �न�मर्त योजना है अथार्त ्
दस

अनुसध
ं ान-अध्ययन �कस प्रकार सम्पन्न �कया जाना है उसक� पूवर् संरचनात्मक रूपरे खा है ।

ु ार " सामािजक अनस


पी. व्ह�. यंग के अनस ु ध
ं ान एक वै�ा�नक योजना है , िजसका उद्दे श्य

ता�कर्क एवं क्रमबद्ध पद्ध�तय� द्वारा नवीन एवं पूराने तथ्य� क� खोज एवं उसमे पाये जाने

वाले अनक्र
ु म�, अंत:सम्बंध�, कायर्कारण-व्याख्या का �वश्लेषण करना है ।"

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
10

सामान्य अथ� मे " प्रारूप " शब्द का प्रयोग �कसी रूपरे खा के �लए होता है । अथार्त ् यह

�कसी भी कायर् को प्रारं भ करने के पूवर् �न�मर्त कायर् है जो कायर् के दौरान उत्पन्न होने वाल�

समस्याओं के �नयंत्रण और समाधान के उद्दे श्य से तैयार �कया जाता है ।

एकाफ के अनुसार " �नणर्य कायार्िन्वत करने क� िस्थ�त आने के पूवर् ह� �नणर्य करने क�

प्र�क्रया को प्ररचना कहते है ।"

शोध �रपोटर् के प्रारूप क� �वशेषताएं :-

शोध प्ररचना क� �वशेषताएं इस प्रकार है --

1. अनुसध
ं ान अ�भकल्प का �नमार्ण अनस
ु ध
ं ान कायर् आरं भ करने से पूवर् �कया जाता है ।

2. अनुसध
ं ान प्रारूप शोधकायर् के �लए रूपरे खा का �नमार्ण करना होता है । यह शोध का

प्रथम चरण कहलाता है ।

3. अनुसध
ं ान प्रारूप सामािजक घटनाओं का सरल�करण करता है ।

4. शोध प्रारूप शोधकतार् के �लए एक पथ-प्रदशर्क क� भ�ू मका �नभाता है िजसके प्रयोग से

हम� शोध क� �निश्चत �दशा का �ान होता है ।

5. शोध प्ररचना शोधकायर् मे आने वाल� बाधाओं का दरू कर शोध कायर् को सरल करता है ।

6. अनुसध
ं ान प्रारूप के �नमार्ण से शोध कायर् सी�मत समय, धन और श्रम मे पूणर् होता है ,

िजससे समय, धन और श्रम मे बचत होती है ।

7. अनुसध
ं ान प्रारूप शोध समस्या पर आधा�रत होता है ।

8. शोधकतार् अनुसध
ं ान प्रारूप से शोधकायर् के अ�धकतम उद्दे श्य� को प्राप्त करने मे सफल

होता है ।

9. अनुसध
ं ान प्रारूप शोध कायर् मे प�रिस्थ�तय� को �नयं�त्रत कर शोध कायर् को सरल बनाता

है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
11

10. अनुसध
ं ान प्रारूप शोध कायर् का प्रारूप है , इससे शोधकायर् मे सत्यता, प्रामा�णकता और

�वश्वसनीयता आती है ।

11. शोध प्ररचना का सामािजक शोध से प्रत्य� संबध


ं होता है ।

12. अनुसध
ं ान अ�भकल्प अध्ययन पद्ध�तय� और अनुसध
ं ान उद्दे श्य�, दोन� को जोड़ता है ।

13. अनस
ु ध
ं ान अ�भकल्प सामािजक शोध क� ज�टल प्रकृ�त को सरल बनाता है तथा मानव

श्रम क� बचत करता है ।

14. अनुसध
ं ान अ�भकल्प सामािजक अनुसध
ं ानकतार्ओं को �दशा प्रदान करता है ।

शोध �रपोटर् के प्रारूप के चरण:-

1. समस्या क� व्याख्या: -

सवर्प्रथम शोधकतार् को अध्ययन क� जाने वाल� समस्या क� व्याख्या करनी चा�हए। इसके

अंतगर्त हमे चय�नत �वषय को बहुत ह� स्पष्ट तथा बार�क� के साथ समझना चा�हए। इस

हे तु अध्ययन तथा उपलब्ध सा�हत्य आ�द का अध्ययन करना चा�हए।

2. अनुसध
ं ान प्रारूप क� रूपरे खा: -

अनस
ु ध
ं ान कायर् के द्�वतीय चरण मे यह �निश्चत करना आवश्यक होता है �क शोधकायर्

�कस प्रकार से �कया जायेगा? शोधकायर् का �ेत्र क्या होगा? शोध के उद्दे श्य कैसे प्राप्त

�कये जाय�गे।

3. �नदशर्न क� योजना: -

शोधकायर् हे तु चय�नत क� गई समस्या के �लए तथ्य� का संकलन करते समय हमे सदै व

सावधानी रखनी चा�हए िजससे �क तथ्य संकलन द्वारा सम्पण


ू र् समह
ू या समह
ू का

प्र�त�न�धत्व हो सके। इस�लए शोध हे तु एक �निश्चत आकार का �नदशर् और �नदशर् प्राप्त

करने हे तु उपयक्
ु त पद्ध�त क� योजना बनाना बहुत जरूर� होता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
12

4. तथ्य संग्रहण: -

अध्ययनकतार् को शोध के �लए �नदशर्न का चयन होने के पश्चात अपनी चय�नत समस्या के

�लए तथ्य� का संग्रहण करना पड़ता है । यह कायर् अनस


ु च
ू ी, प्रश्नावल�, सा�ात्कार, वैयिक्तक

अध्ययन आ�द पद्ध�तय� के माध्यम से �कया जाता है । इसके �लए हमे अपने अध्ययन क�

प्रकृ�त को समझना आवश्यक होता है िजससे �क समग्र मे से उ�चत �नदश� से सह� तथ्य

प्राप्त �कये जा सक�।

5. तथ्य� का �वश्लेषण: -

अध्ययन �ेत्र से प्राप्त �कये गये तथ्य, प्राथ�मक सामग्री कहलाते है । तथ्य संग्रहण द्वारा

प्राप्त प्राथ�मक सामग्री को अं�तम रूप से सत्य व उपयोगी नह� माना जा सकता है क्य��क

इसमे कई प्रकार क� अशुद्�धयां या असावधा�नयाँ रह जाती है अतः प्रथा�मक सामग्री को

संग्रह�त करने के बाद तथ्य� का �वश्लेषण �कया जाता है िजससे �बखर� हुई अथवा फैल� हुई

तथ्य सामग्री को व्यविस्थत करने के साथ ह� साथ, तथ्य� क� समानता या असमानता भी

स्पष्ट हो जाती है ।

6. �रपोटर् तैयार करना: -

शोधकायर् हे तु एक�त्रत तथ्य� के �वश्लेषण के बाद प्र�तवेदन का �नमार्ण करना बहुत ह�

महत्वपूणर् कायर् है । इसका उद्दे श्य अध्ययन के सम्पूणर् �नष्कष� से सम्बं�धत व्यिक्तय� को

प्र�श��त करना होता है अतः प्र�तवेदन तैयार करते समय हमे �नम्न�ल�खत बात� को ध्यान

मे रखनी चा�हए--

1. समस्या क� प्रकृ�त स्पष्ट हो।

2. अध्ययन �व�धय�, साधन�, उद्दे श्य�, आ�द का स्पष्ट तथा स�वस्तार �ववरण हो।

3. �वचार� तथा भाषा-सम्बन्धी स्पष्टता एवं सग


ु मता हो।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
13

4. प्र�तवेदन मे सार�णय�, �चत्र�, आलेख� तथा मान�चत्र� आ�द का सम�ु चत प्रयोग हो।

5. �नष्कषर् तथा सझ
ु ाव भी �दये जाने चा�हए।

7. नई समस्या क� व्याख्या: -

शोध समस्या का अध्ययन कर प्र�तवेदन दे ते हुए �नष्कषर् तथा सझ


ु ाव प्रस्तुत �कये जाते है ।

इसके साथ ह� शोध समस्या के �वश्लेषण के साथ ह� हमे इससे उत्पन्न होने वाल� नई

समस्याओं क� भी व्याख्या करनी चा�हए, िजससे शोध के �लए नये �वषय एवं नई समस्या

क� व्याख्या क� जा सके।

प्रश्न 4.– बाल �वकास अध्ययन क� प्रमख


ु पद्ध�तय� क� चचार् क�िजए?

उ�र - बाल-मनो�व�ान क� अध्ययन: -

जो बच्च� के �वकास और व्यवहार पर क��द्रत है । बाल मनो�व�ान म� जन्म से �कशोरावस्था

तक के बच्च� का अध्ययन होता है । बाल मनो�व�ान म� �श�ा मनो�व�ान का भी अध्ययन

होता है जो स्कूल जाने वाले बच्च� के शार��रक, संवेगात्मक, सं�ानात्मक और सामािजक

�वकास का अध्ययन करता है ।

बाल �वकास अध्ययन क� प्रमख


ु पद्ध�तय�: -

बाल-मनो�व�ान का अध्ययन करने के �लए मनोवै�ा�नक� ने कई �व�धय� का �वकास �कया

है । इन �व�धय� से जो प�रणाम प्राप्त होते ह�, उन्ह� �वश्वसनीय तथा वैध कहा जा सकता है ।

बाल मनो�व�ान क� अध्ययन �व�धयाँ �नम्न प्रकार ह�-

1. �नयिन्त्रत �नर��ण �व�ध - �नयिन्त्रत �नर��ण �व�ध बालक के �नजी व्यवहार का अंकन

करने म� सहायक होती है । इसम� �नर��णक�ार् चैक�लस्ट या �सम्पटन शीट के द्वारा

बालक के व्यवहार का अंकन करता है । इस �व�ध क� अनेक प्र�व�धय� म� से मख्


ु य इस

प्रकार ह�

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
14

ु ा�यक सव��ण – इस �व�ध द्वारा �कसी समद


(a) सामद ु ाय म� रहने वाले बालक� का अध्ययन

�कया जाता है । इससे �कसी �वशेष समद


ु ाय के बालक� म� �वशेष व्यवहार क्य� उत्पन्न होता

है , यह अन्य समद
ु ाय� के बालक� के व्यवहार से क्य� �भन्न होता है , क� जानकार� �मलती

है ।

(b) चैक-�लस्ट – यह बालक� के �व�भन्न प्रकार के �वकास तथा व्यवहार� क� एक सच


ू ी होती

है । इस सच
ू ी म� �दये गये पद� के अनुसार जाँच करके ह� व्यवहार तथा �वकास का �नर��ण

�कया जाता है ।

(c) प�रिस्थ�त �वश्लेषण – �व�भन्न प�रिस्थ�तय� म� घटने वाले बालक के व्यवहार का

अध्ययन इस �व�ध द्वारा �कया जाता है । माता-�पता, �श�क, साथी, समद


ु ाय आ�द सभी

प�� के साथ बालक के व्यवहार म� क्य� �भन्नता पाई जाती है , इस बात क� जानकार� उन

प�रिस्थ�तय� का �वश्लेषण करने से होती है , िजनम� �न�दर् ष्ट व्यवहार �कया जाता है ।

(d) समय �नद� शन – इस �व�ध द्वारा �कसी �नधार्�रत समय म� बालक के �वकास तथा

व्यवहार का �नर��ण �कया जाता है । एक वषर् म� अनेक बालक� के शार��रक �वकास म�

�भन्नता तथा उसके कारक� क� जानकार� इस �व�ध से हो जाती है ।

उपयक्
ुर् त चार� प्र�व�धय� क� सीमाएँ इस प्रकार ह�-

• इन �व�धय� द्वारा एक साथ बहुत से बालक� का अध्ययन नह�ं �कया जा सकता।

• इनका प्रयोग प्र�श��त व्यिक्त ह� कर सकते ह�।

• इन �व�धय� का प्रयोग करते समय वातावरण को �नयिन्त्रत करने म� क�ठनाई आती है ।

2. प्रश्नावल� �व�ध- �व�भन्न प्रश्न� के उ�र बालक� से प्राप्त �कये जाते ह�। उनके उ�र� के

अध्ययन पर बालक के �वकास का अध्ययन �कया जाता है । जी० स्टे लने हॉल ने सवर्प्रथम

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
15

123 प्रश्न� क� सच
ू ी बोस्टन स्कूल के बच्च� का अध्ययन करने के �लए तैयार क�। पाइल्स,

स्टोल्ज आ�द ने भी इस �व�ध का आश्रय �लया। इस �व�ध क� सीमाएँ इस प्रकार ह�-

• बच्चे प्रश्न� का भाव क�ठन भाषा होने के कारण समझ नह�ं पाते,

• काम (Sex) सम्बन्धी प्रश्न� के उ�र नह�ं �मल पाते,

• जानबझ
ू कर गलत उ�र आ जाते ह�,

• माता-�पता प�पातपूणर् उ�र दे ते ह�।

ृ ान्त �व�ध- इस �व�ध द्वारा बालक� के जीवन-क्रम का लेखा-जोखा सतकर्तापूवक


3. जीवन व� र्

रखा जाता है । बालक के जन्म के समय होने वाल� घटनाओं का संकलन �कया जाता है ।

माता-�पता, अ�भभावक तथा �रश्तेदार� से बालक के बारे म� सच


ू ना मांगी जाती है । 1885 ई०

म� प्रेयर ने जमर्नी म� इस �व�ध का प्रयोग �कया था।

4. मनोभौ�तक� �व�ध– मनोभौ�तक� �व�ध द्वारा मन तथा शर�र के सम्बन्ध� के आधार पर

व्यवहार का अध्ययन �कया जाता है । शर�र के �वकास के साथ-साथ शर�र क� अन्य

मान�सक शिक्तय� का �वकास भी होता है । इसी अध्ययन पर �बने ने बद्


ु �ध-लिब्ध क�

कल्पना क� तथा मान�सक आयु का �वचार प्र�तस्था�पत �कया।

इसी �व�ध म� उद्द�पन, अनु�क्रया के मध्य होने वाले सम्बन्ध� का अध्ययन �कया जाता है ।

�कसी भी उद्दे श्य से शर�र तथा व्यवहार म� क्या प�रवतर्न होते ह�, यह जानना ह� इस �व�ध

का उद्दे श्य है । इस �व�ध के द्वारा प्राणी क� अवसीमा क� सत्यता को जानने का प्रयास

�कया जाता है ।

5. आत्म�नष्ठ अंकन �व�ध- आत्म�नष्ठ अंकन �व�ध म� बालक के अनौपचा�रक व्यवहार का

अध्ययन �कया जाता है । इससे बालक के बारे म� �व�भन्न मह�वपूणर् सच


ू नाय� प्राप्त होती ह�।

यह �व�ध सरल है तथा इससे प्राप्त सच


ू नाओं का उपयोग तल
ु ना करने म� �कया जाता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
16

6. �च�कत्सात्मक �व�ध– �च�कत्सात्मक �व�ध साधारणतया �व�शष्ट अ�धगम, व्यिक्तत्व या

आचरण सम्बन्धी ज�टल प्रिन्थय� के अध्ययन के �लए काम म� लाई जाती है और उसम�

�वचाराधीन समस्या के अनक


ु ू ल �व�वध िक्ल�नकल कायर् पद्ध�तयाँ तथा प्र�व�धयाँ इस्तेमाल

क� जाती ह�। उनका ल�य इस बात को पहचानना अथवा मालम


ू करना होता है �क उनम�

ग्रिन्थ �कन कारण� से पैदा हुई है , और पात्र को क्या सहायता द� जानी चा�हये? बालक� म�

कभी-कभी असामान्य व्यवहार पाया जाता है । य�द इस असामान्य व्यवहार का समय रहते

उपचार नह�ं �कया जाता तो उसम� मान�सक �व��प्तता �वक�सत होने लगती है ।

�च�कत्सात्मक �व�ध द्वारा ह� ऐसे बालक� का उपचार �कया जाता है ।

7. सांिख्यक� �व�ध- सांिख्यक� �व�ध से प्राप्त आँकड़� का �वश्लेषण �कया जाता है तथा

प�रणाम� क� �वश्वसनीयता तथा वैधता क� जाँच क� जाती है ।

8. प्रयोगात्मक �व�ध- प्रयोगात्मक �व�ध का उपयोग �नयोिजत वातावरण म� बालक� के

�वकास के अध्ययन म� �कया जाता है । इस �व�ध म� एक वगर् �नयिन्त्रत रहता है और एक

प्रयोगात्मक दोन� वग� से प्राप्त प�रणाम� क� तुलना क� जाती है । यह �व�ध मनोवै�ा�नक,

�वश्वसनीय तथा वैध है ।

प्रश्न 5. – अनुदैघ्यर् बनाम पार के अनुभागीय अध्ययन� पर चचार् कर� ?

उ�र - अनुदैघ्यर् (लॉ�गटू�डनल) अध्ययन :-

जब बच्च� के एक ह� समह
ू का अध्ययन लंबी समयाव�ध म� �कया जाना हो, िजसे दे खा जा

सके �क कैसे वे एक चरण से दस


ू रे चरण म� प्रग�त करते ह�, उस समय अनुदैघ्यर् अध्ययन

का उपयोग �कया जाता है । इस �व�ध म� समय क� एक �वस्ता�रत अव�ध म� �वषय� के एक

ह� नमन
ू े का अध्ययन �कया जाता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
17

हम यह भी कह सकते ह� �क अनुदैघ्यर् अध्ययन म� समय क� एक �वस्ता�रत अव�ध म� डेटा

इकट्ठा �कया जाता है , जहाँ एक ह� उ�रदाता से �व�भन्न समय पर �नधार्�रत �बंदओ


ु ं पर

क्रमबद्ध आकड़े एक�त्रत �कए जाते ह�। इस प्रकार का अध्ययन समय के साथ �कसी �वषय

या मद
ु दे क� ग�तशीलता का अध्ययन करने के �लए बेहद उपयोगी होता है । अनुदैघ्यर्

अध्ययन क� सामान्य �वशेषताएँ इस प्रकार ह�:

• समय क� �वस्ता�रत अव�ध म� एकल न्यायदशर्।

• लंबी समया�व�ध के साथ समान व्यिक्तय� क� तुलना करने म� स�म होता है ।

• स�
ू म स्तर का �वश्लेषण संभव है ।

अनुदैघ्यर् अध्ययन के प्रकार: -

अर� (Ary), जकेब्स (Jacobs), सोर� स� (sorensen) और रज़ावीह (2010) के अनस


ु ार

अनुदैघ्यर् अध्ययन म� तीन प्रमख


ु �डज़ाइन का प्रयोग �कया जाता है : पैनल अध्ययन, प्रव�ृ �

अध्ययन और कोहाटर् अनस


ु ध
ं ान। िजनका �ववरण इस प्रकार है : -

1. पैनल अध्ययन - एक पैनल अध्ययन म� समान �वषय� का अध्ययन समय क� एक

�वस्ता�रत अव�ध म� कई बार �कया जाता है । उदाहरण के �लए प्राथ�मक स्कूल के बच्च� म�

बद�धलिब्ध (IQ) के �वकास का अध्ययन करने वाला शोधकतार् पहल� क�ा के छात्र� के

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
18

नमन
ू े का चयन करके उनका आई क्यू पर��ण करे गा तथा उसी समह
ू के छात्र� का क्रमबद्ध

रूप से अगल� क�ा म� भी पर��ण �कया जाएगा। इस प्रकार हर साल पर��ण के आधार पर

समय के साथ छात्र� के बौद्�धक �वकास का आकलन �कया जाएगा।

2. ट्र� ड स्टडीज - ट्र� ड स्टडी पैनल अध्ययन से अलग होती है िजसम� सामान्य आबाद� से

�व�भन्न व्यिक्त र�डम्ल� चन


ु े जाते ह� और इन समह
ू � का समय क� अव�ध के अंतराल पर

अध्ययन �कया जाता है । शोधकतार् द्वारा लगातार ट्र� ड के अध्ययन से प्राप्त आकड़� क� जाँच

करने से �वषय के व्यवहार म� होने वाले प�रवतर्न के पैटनर् को पहचाना जा सकता है , िजससे

भ�वष्य म� होने वाल� संभावनाओं क� भ�वष्यवाणी क� जा सकती है ।

3. कोहाटर् अध्ययन - प्रव�ृ � अध्ययन म� �व�भन्न व्यिक्तय� को यादृिच्छक रूप से एक ह�

सामान्य आबाद� से तैयार �कया और समय क� अव�ध म� अंतराल पर उनको अध्ययन म�

सम्म�लत �कया जाता है । हालाँ�क कोहाटर् या दल अध्ययन म� एक �व�शष्ट आबाद� का एक

�निश्चत समयाव�ध तक �नर��ण �कया जाता है , परं तु उस समह


ू म� से कुछ चय�नत

सदस्य� पर ह� अध्ययन होता है । इसका मतलब यह है �क समह


ू के कुछ सदस्य� को हर

बार शा�मल नह�ं �कया जाता है ।

अनुदैध्यर् अध्ययन क� शिक्तयाँ:

• यह व्यिक्तय� के गहन अध्ययन के �लए अनुम�त दे ता है , क्य��क अन्वेषक �व�भन्न

स्तर� पर समान �वषय� से डेटा जमा करता है ।

• यह मानव के वद्
ृ �ध और �वकास से संबं�धत �कए जाने वाले शोध काय� म� मदद करता

है ।

• यह कारण संबंध� क� स्थापना और �वश्वसनीय अन्मान बनाने के �लए उपयोगी होता

• है ।

• यह �वस्ता�रत समय सीमा के �लए लाभकार� होता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
19

• यह चर क� एक �वस्तत
ृ श्रंख
ृ ला को समझने के �लए गहराई और व्यापक अध्ययनक�

अनुम�त दे ता है

• यह न्यायदशर् त्र�ु ट (sampling error) को कम करता है क्य��क इस अध्ययन म� एक ह�

न्यायदशर् रहता है ।

• यह हस्त�ेप करने के �लए स्पष्ट �सफा�रश� प्रदान करने म� मदद करता है ।

• यह अतीत के बजाय समकाल�न रूप से आकड़े इकट्ठा करता है ।

अनुदैध्यर् अध्ययन क� सीमाएँ:

• यह अ�धक समय लेने वाल� और महँगी �व�ध है , क्य��क इस प्र�क्रया म� शोधकतार् को एक

लंबी अव�ध तक न्यायदशर् के साथ रहना पड़ता है और उनके साथ सहयोग को बनाए रखना

पड़ता है ।

• यह �व�ध शोधकतार् से लंबी अव�ध तक प्र�तबद्धता क� माँग करती है ।

• �वस्ता�रत अव�ध के �लए �वषय� के साथ सहयोग बनाए रखना मिु श्कल है ।

• �श�ा के �ेत्र म� �वद्या�थर्य�, कमर्चा�रय�, �श�ण �व�धय� आ�द म� होने वाले �नरं तर

प�रवतर्न� के कारण अनद


ु ै घ्यर् अध्ययन के संगठन म� काफ� समस्याएँ पैदा होती ह�।

• समय के साथ चय�नत स�पल क� �कसी भी कारणवश अनपलब्ध होने क� संभावना रहती है ।

• इस अध्ययन म� �नयंत्रण प्रभाव� क� संभावना बनी रहती है , क्य��क एक ह� न्यायदशर् का

बार-बार सा�ात्कार लेने से उनका व्यवहार भी प्रभा�वत होता है ।

अनुप्रस्थ अध्ययन:-

जब �व�भन्न बच्च� म� �वकास के �व�भन्न चरण� का एक ह� समय म� अध्ययन �कया जाता

है तो उसे अनुप्रस्थ (क्रॉस-सेक्शनल) अध्ययन कहते ह�।

अनद
ु ै घ्यर् और अनप्र
ु स्थ अध्ययन के बीच मख्
ु य अंतर यह है �क अनद
ु ै घ्यर् अध्ययन म� बच्च�

ू का क्रमबद्ध तर�के से, एक लंबी समय अव�ध म� अध्ययन �कया जाता है ,


के एक ह� समह

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
20

जब�क अनुप्रस्थ अध्ययन म� बच्च� के �व�भन्न समह


ू � का एक समय म� अध्ययन �कया

जाता है । अनुप्रस्थ अध्ययन क� प्रमख


ु �वशेषताएँ इस प्रकार ह�:

• बड़े पैमाने पर और प्र�त�न�ध न्यायदशर्।

• एक समय म� न्यायदशर् का �व�भन्न समह


ू � का प्र�त�न�धत्व करना।

• इस �व�ध म� �व�भन्न समह


ू � म� एक ह� समय म� तल
ु ना करना संभव है ।

• इस �व�ध म� स्थूल-स्तर (�वस्तत


ृ ) का �वश्लेषण �कया जा सकता है ।

अनुप्रस्थ अध्ययन क� शिक्तयाँ:-

• जब हम �व�भन्न चरण� म� �व�शष्ट बच्च� क� �वशेषताओं को जानना चाहते ह�, तो इस

तकनीक के साथ बड़े नमन


ू े प्राप्त करने क� अ�धक संभावना के कारण क्रॉस सेक्शनल

�व�ध को प्राथ�मकता द� जाती है ।

• जब हम हर प�रवतर्न का अध्ययन करना चाहते ह�, तो अन्दै ध्यर् �व�ध को प्राथ�मकता द�

जाती है क्य��क यह एक ह� �वषय के �वकास का अध्ययन करता है ।

• अनुप्रस्थ अध्ययन कम महँगे होते ह�, क्य��क इसे पूरा करने के �लए वष� क�

आवश्यकता नह�ं होती है ।

• अनुप्रस्थ अध्ययन तुलनात्मक रूप से जल्द� पूरे �कए जा सकते ह�।

• इसम� �नयंत्रण प्रभाव सी�मत होता है क्य��क न्यायदशर् केवल एक बार भाग लेते ह�।

• इसम� भागीदार� के अभाव क� संभावना अ�धक होती है क्य��क न्यायदशर् अध्ययन म� एक

ह� समय के �लए भाग लेते ह�।

• यह अध्ययन एक समय म� जनसंख्या क� �वस्तत


ृ �वशेषताओं का अ�भलेख तैयार करने

म� उपयोगी है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
21

अनुप्रस्थ अध्ययन क� सीमाएँ:-

• इस �व�ध म� स�पल समह


ू � के मध्य अंतर क� संभावना रहती है , िजसके कारण प�रणाम

पव
ू ार्ग्रह से प्रभा�वत हो सकते ह�।

• इस �व�ध म� अकसर बाहर� चर� द्वारा जनसंख्या और न्यायदशर् के बीच अंतर होने क�

संभावना बनी रहती है ।

• अनुप्रस्थ अध्ययन म� न्यायदशर् का चयन करना क�ठन कायर् है क्य��क प्रत्येक आयु स्तर

पर �व�भन्न �वषय को शा�मल �कया जाता है , िजनक� तुलना नह�ं क� जा सकती।

• यह कायर्-कारण संबंध� के �वश्लेषण क� अनुम�त नह�ं दे ता है ।

• यह �वकास या प�रवतर्न म� व्यिक्तगत �व�वधताओं और उनके मह�व क� व्याख्या करने

म� असमथर् है ।

• डेटा संग्रह के प्रत्येक दौर म� नमन


ू � क� पूर� तरह से तुलना नह�ं हो सकती है , क्य��क

इस �व�ध म� �व�भन्न नमन


ू � का उपयोग �कया जाता है ।

• इस �व�ध म� एक ह� चर क� चूक, अध्ययन के प�रणाम� को काफ� कमजोर कर सकती

है ।

• यह �व�ध समय के साथ बदलती सामािजक प्र�क्रयाओं क� सच


ू ी बनाने म� असमथर् है ।

प्रश्न 6. – बच्च� को समझने के �लए केस स्टडी तर�के क� �वशेषताओं क� व्याख्या क�रए?

उसके �व�भन्न लाभ� और क�मय� क� चचार् क�रए?

उ�र - केस स्टडी �व�ध क� प�रभाषाएँ :-

ु ार, 'केस स्टडी एक सामािजक इकाई के जीवन क� खोज और �वश्लेषण


पी.वी. यंग के अनस

करने का एक तर�का है - वह इकाई एक व्यिक्त, एक प�रवार, संस्था, सांस्कृ�तक समह


ू , या

ु ाय हो सकता है ।'
यहाँ तक �क एक परू ा समद

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
22

म�रयम के अनुसार, “एक केस स्टडी एक से�टंग या एक ह� �वषय के दस्तावेज� का, एकल

धरोहर या एक �वशेष घटना का �वस्तत


ृ पर��ण है ।

ु ार, 'केस स्टडी एक पद्ध�तगत �वकल्प नह�ं है , बिल्क यह क्या अध्ययन


स्टे क के अनस

�कया जाना है का �वकल्प है ।"

मील और हुबेमन ु ार, “एक केस का अध्ययन एक घटना क� जाँच है जो �क एक


र् के अनस

�व�शष्ट संदभर् के भीतर घ�टत होती है ।"

ु ार, 'केस स्टडी �रसचर् एक शोध रणनी�त के रूप म� �डजाइन, डेटा संग्रह
�पन के अनस

तकनीक� और डेटा �वश्लेषण के �व�शष्ट दृिष्टकोण� को कवर करने वाल� एक सवर्व्यापी

�व�ध है ।"

ु ार, 'केस स्टडी �रसचर् एक शोध रणनी�त के रूप म� �डजाइन, डेटा संग्रह
�यन के अनस

तकनीक� और डेटा �वश्लेषण के �व�शष्ट दृिष्टकोण� को कवर करने वाल� एक सवर्व्यापी

�व�ध है ।'

केस स्टडी �व�ध क� �वशेषताएं:-

उपरोक्त प�रभाषाओं के आधार पर केस स्टडी �व�ध क� �वशेषताएँ इस प्रकार ह�:-

• यह �व�ध �कसी घटना का अध्ययन करने के �लए एक गुणात्मक और समय दृिष्टकोण

है ।

• यह �व�ध एक इकाई का गहन �ववरण प्रदान करती है । यह एक इकाई, एक व्यिक्त,

• एक समह
ू , एक साइट, एक वगर्, एक नी�त, एक कायर्क्रम, एक प्र�क्रया, एक संस्था या

एक समद
ु ाय हो सकता है ।

• इसम� आमतौर पर समय के साथ डेटा संग्रह के कई स्रोत शा�मल होते ह�।

• यह एक सवर्व्यापी अनस
ु ध
ं ान �व�ध है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
23

• यह �व�ध �वषय के पूणर् व्यवहार तथा उन व्यवहार� से संबं�धत पयार्वरण और उसक�

पष्ृ ठभ�ू म क� व्याख्या प्रदान करती है ।

• यह �व�ध गागले से संबं�धत प्रासं�गक घटनाओं का कालानक्र


ु �मक समद्
ृ ध और ज्वलंत

�ववरण प्रदान करती है ।

• यह केस से जड़
ु ी सभी प्रासं�गक �व�शष्ट घटनाओं पर प्रकाश डालती है ।

• इसम� शोधकतार् अ�भन्न रूप से केस म� शा�मल होता है ।

• यह कारण-कारक� के पारस्प�रक अंतर-संबंध क� जाँच करती है ।

• यह �व�ध संबं�धत इकाई के व्यवहार पैटने का स्पष्ट रूप से अध्ययन करती है न �क

अप्रत्य� और अमत
ू र् दृिष्टकोण से।

केस स्टडी के लाभ :-

केस स्टडी �व�ध के कई फायदे ह� जो उपरोक्त व�णर्त �व�भन्न �वशेषताओं का अनुसरण

करते ह�:

• यह �व�ध वैचा�रक स्पष्टता म� मदद करती है ।

• यह घटना के �लए नई अंतईिष्ट दे ती है ।

• यह ज�टलताओं क� जाँच क� अनुम�त दे ती है ।

• यह वातावरण को समग्रता म� समझने क� अनुम�त दे ती है ।

• यह पाठक को संबं�धत इकाई के व्यवहार पैटनर् को समझने म� मदद करती है ।

• यह नए �सद्धांत� के �नमार्ण, अवधारणाओं को �वक�सत करने या �वस्ता�रत करने, और

संबं�धत अवधारणाओं के बीच सीमाओं क� खोज करने म� मदद करती है ।

• यह समग्र �वस्तार प्रदान करता है और कई दृिष्टकोण के समावेश क� अनुम�त दे ता

• इसम� सामािजक तंत्र का �ववरण दे ने क� �मता है , िजसम� यह स्पष्ट होता है �क एक

कारक दस
ू र� को कैसे प्रभा�वत करता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
24

• इसम� ज�टलता को पहचानने, समय और स्थान के साथ प्र�क्रयाओं का पता लगाने क�

�मता है ।

• यह एक पण
ू र् अनस
ु ध
ं ान ट�म के �बना एक ह� शोधकतार् द्वारा �कया जा सकता है ।

• यह डेटा संग्रहण के �लए कई उपकरण� का उपयोग करता है , जो डेटा �त्रभज


ु ीकरण म�

मदद करता है ।

• यह �व�ध व्यिक्तगत अनुभव� को वास्त�वक और प्रबुद्ध रूप म� �रकॉडर् करने म� मदद

करती है , जो अकसर अन्य तकनीक� का उपयोग करने वाले अ�धकांश कुशल शोधकतार्ओं

का ध्यान आक�षर्त करती है ।

केस स्टडी के क�मयां :-

एक केस स्टडी म� �नम्न�ल�खत क�मयां होती ह�:

• इस �व�ध द्वारा �नष्प�ता से शोध करना मिु श्कल है ।

• इसम� अ�धक समय लगता है ।

• इसका उपयोग केवल सी�मत लोग� पर �कया जा सकता है ।

• हालां�क इस अध्ययन म� बहुत गहराई हो सकती है परं तु अ�नवायर् रूप से इस अध्ययन

म� �वस्तार का अभाव है ।

• यह �व�ध शोधकतार् क� पूवार्ग्रह क� संभावना से ग्र�सत है क्य��क शोधकतार् अपनी धारणा

द्वारा तय करता है �क �कस व्यवहार को अं�कत करना है और �कस व्यवहार को

नजरअंदाज करना है ।

• इस अध्ययन म� जानकार� क� कमी क� भी संभावना है क्यो�क कई बार माता-�पता और

�रश्तेदार केस या व्यिक्त क� कमजोर� का उल्लेख करना पसंद नह�ं करते ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
25

• इस �व�ध म� प�रणाम सामान्यीकरण करने योग्य नह�ं हो सकते ह� क्य��क एक व्यिक्त

या एक सामािजक इकाई क� ग�तशीलता दस


ू र� क� ग�तशीलता से बहुत कम संबंध रखती

है ।

प्रश्न 7. – बच्च� पर शोध करने के �लए सा�ात्कार तर�के क� �वशेषताओं क� व्याख्या

क�रए? पेश आने वाल� चन


ु ौ�तय� क� चचार् क�रए?

उ�र – सा�ात्कार :-

सा�ात्कार एक �निश्चत उद्दे श्य क� पू�तर् के �लए आयोिजत �वचार� का आदान-प्रदान है ।

सा�ात्कार चयन का प्रमख


ु साधन है । सा�ात्कार क� तकनीक मे सा�ात्कार लेने वाला तथा

आवेदक आमने-सामने बैठकर मौ�खक �वचार-�वमशर् करते है ।

सा�ात्कार क� प�रभाषा :-

पौ�लन यंग के अनुसार, " सा�ात्कार एक व्यविस्थत �व�ध मानी जा सकती है िजसके द्वारा

एक व्यिक्त एक ' अपे�ाकृत अजनबी के आन्त�रक जीवन से न्यन


ू ा�धक कल्पनात्मक रूप से

प्रवेश करता है ।"

सी. ए. मोजर, " एक सव��ण सा�ात्कार, सा�ात्कारक�ार् तथा उ�रदाता के मध्य एक

वातार्लाप है , िजसका उद्दे श्य उ�रदाता से �निश्चत सच


ू ना प्राप्त करना होता ह�।"

परमार, "सा�ात्कार दो व्यिक्तय� मे एक सामािजक िस्थ�त बनाता है , िजनमे �न�हत

मनोवै�ा�नक प्र�क्रया के �लए यह आवश्यक है �क दोन� व्यिक्त परस्पर प्र�तउ�र करते रह� ,

यद्य�प सा�ात्कार के सामािजक खोज के उद्दे श्य मे सम्बं�धत दल� से बहुत �भन्न उ�र

प्राप्त होते है ।"

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
26

�सन पाओ य�ग, "सा�ात्कार �ेत्रीय कायर् क� एक ऐसी प्र�व�ध है जो �क एक व्यिक्त या

व्यिक्तय� के व्यवहार क� �नगरानी करने, कथन� को अं�कत करने व सामािजक या साम�ू हक

अन्तः �क्रया के वास्त�वक प�रणाम� का �नर��ण करने के �लए प्रयोग मे ल� जाती ह�।"

एम. एन. बस,ु " एक सा�ात्कार को कुछ �वषय� को लेकर व्यिक्तय� के आमने-सामने का

�मलन कहा जा सकता है ।

बच्च� पर शोध करने के �लए सा�ात्कार तर�के क� �वशेषताओं ह�--

1. सा�ात्कार मे अनुसध
ं ानकतार् और सच
ू नादाता के बीच आमने-सामने के संबंध प्रत्य� रूप

से स्था�पत होते है ।

2. इस पद्ध�त के द्वारा अनुसध


ं ान के �लए अनुसध
ं ानकतार् और सच
ू नादाता के बीच

व्यिक्तगत सम्पकर् का होना अ�नवायर् ह�।

3. सा�ात्कार सामािजक अनुसध


ं ान क� एक पद्ध�त है ।

4. सा�ात्कार पद्ध�त द्वारा सामािजक जीवन और सामािजक घटनाओं के बारे मे जानकार�

प्राप्त क� जाती है ।

5. यह जानकार� व्यिक्तगत सम्पकर् और वातार्लाप के द्वारा प्राप्त क� जाती है ।

6. इस वातार्लाप के �लए दो या दो से अ�धक व्यिक्तय� का होना जरूर� ह�।

7. सा�ात्कार मे इस वातार्लाप का एक �वशेष उद्दे श्य होता है ।

बच्च� पर शोध करने के �लए सा�ात्कार पेश आने वाल� चुनौ�तय� ह�—

स्म�ृ त पर �नभर्रता - सा�ात्कार म� सामान्यतः सच


ू नाओं को सा�ात्कार करते समय �लख

पाना संभव नह�ं होता, अतः सा�ात्कार के बाद प्राप्त सच


ू नाएँ �लखने म� अनेक मह�वपण
ू र्

तथ्य� के दोषपूणर् स्म�ृ त क कारण छूटने क� संभावना बनी रहती है । य�द �कसी भत
ू काल�न

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
27

घटना का अध्ययन �कया जा रहा है तो जरूरा नह�ं है �क उस घटना से प्रभा�वत व्यिक्त

उसका �ववरण ज्य�-का-त्य� दे ह� सके।

ू य� म� �भन्नता - य�द अनस


मल् ु ध
ं ानकतार् तथा सच
ू नादाता क� सामािजक पष्ृ ठभ�ू म म� काफ�

अतर है (जैसा�क अ�धकतर होता है ,) दोन� क� घटना के बारे म� पथ


ृ क् दृिष्टकोण ह� तो

सा�ात्कार द्वारा प्राप्त सच


ू नाओं क� स्वाभा�वकता तथा �वश्वसनीयता प्रभा�वत हो सकती है ।

ू नाएँ - सा�ात्कार द्वारा प्राप्त सच


अनावश्यक सच ू नाओं म� बहुत-सी बात� तो अनावश्यक होती

ह� । क्य��क सच
ू नादाता अनेक बात� को बढ़ा-चढ़ा कर बताता है तथा अनेक असंबं�धत बात�

बताता है । सच
ू नादाता पर आ�श्रत होने के कारण कई बार अनुसध
ं ानकतार् को अनावश्यक बात�

भी सन
ु नी पड़ती है ।

व्यिक्तगत प�पात - सा�ात्कार म� व्यिक्तगत अ�भन�त अथवा प�पात क� संभावना

अत्य�धक रहती है क्य��क सच


ू नादाता द्वारा बताई गई सच
ू ना को केवल अनुसध
ं ानकतार् ह�

जानता है तथा य�द वह चाहे तो प्राप्त सच


ू ना एवं आँकड़� को अपने दृिष्टकोण के अनरू
ु प

बनाकर प्रस्तुत करत सकता है । साथ ह�, य�द सचनादाता के मनोभाव अनुसध
ं ानकतार्ओं को

प्रभा�वत कर द� तो वह उसके द्वारा द� गई सच


ू नाओं को उसके प� मे तोड़-मरोड़ कर

प्रस्तुत कर सकता है ।

ह�नता क� भावना - अ�धकतर सा�ात्कार� म� सूचनादाता अनुसध


ं ानकतार् के व्यिक्तत्व तथा

समस्या के बारे म� उसके �ान से इतना अ�धक प्रभा�वत हो जाता है �क उसम� ह�नता क�

भावना आ जाती है । िजसके कारण वह सच


ू नाएँ बढ़ा-चढ़ा कर दे ता है ता�क उनक� ह�न

भावनाएँ प्रकट न हो सक�। इससे सचनाओं क� �वश्वसनीयता प्रभा�वत होती है ।

सा�ात्कारदाताओं पर �नभर्रता - सा�ात्कार प्र�व�ध म� अनुसध


ं ानकतार् को केवल सा�ात्कार

दाताओं पर ह� �नभर्र रहना पड़ता है । उनसे सा�ात्कार का समय लेना तथा सा�ात्कार हे त

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
28

उन्ह� तैयार करना एक क�ठन कायर् है । साथ ह�, अपने जीवन से संबं�धत व्यिक्तगत बात�

सच
ू नादाता अजनबी अनुसध
ं ानकतार् के सामने प्रकट नह�ं दे ना चाहता।

व्यिक्त�नष्ठा क� संभावना - सा�ात्कार प्र�व�ध म� व्यिक्त�नष्ठा क� संभावना बनी रहती है

क्य��क सा�ात्कारकतार् को सा�ात्कार करने एवं सच


ू ना को लेखबद्ध करने म� समय का

अंतर हो जाने के कारण सा�ात्कारकतार् के �लए सच


ू नादाता द्वारा द� गई सच
ू नाओं को उसी

रूप म� याद रख पाना संभव नह�ं हो पाता।

प्र�श��त सा�ात्कारकतार्ओं क� समस्या - सा�ात्कार िजतनी सरल प्र�क्रया लगती है वास्तव

म� यह व्यवहार म� उतनी ह� ज�टल प्र�क्रया है । इसम� सा�ात्कारकतार् का कुशल, अनुभवी,

लगनवान, बद्
ु �धमान, मनोवै�ा�नक दृिष्ट से कुशल तथा अनुसध
ं ान क� दृिष्ट से प्र�श��त

होना अ�नवायर् है । सामान्यतः प्र�श��त सा�ात्कारकतार्ओं का �मलना एक क�ठन कायर् है ।

य�द अप्र�श��त कायर्कतार्ओं को इस कायर् के �लए �नयुक्त कर �लया जाए तो सच


ू नाओं क�

�वश्वसनीयता प्रभा�वत हो सकती है । साथ ह�, अगर सा�ात्कारकतार् अनस


ु ध
ं ान के बीच म� ह�

अपना कायर् अपूणर् छोड़कर चला जाता है और उसक� जगह �कसी दस


ू रे व्यिक्त को �नयुक्त

करना पड़े तो भी सच
ू नाओं म� काफ� अंतर हो सकता है ।

अ�धक खच�ल� - सा�ात्कार म� प्रत्येक सच


ू नादाता से समय एवं स्थान तय करने तथा �फर

सा�ात्कार करने के �लए अनुसध


ं ानकतार् को व्यिक्तगत संपकर् स्था�पत करना पड़ता है । अतः

यह प्र�व�ध अन्य प्र�व�धय� क� अपे�ा अ�धक खच�ल� है । य�द सच


ू नादाता अ�धक व्यापक

�ेत्र के फैले हुए ह� तो उनम� संपकर् स्था�पत करना और भी क�ठन एवं खच�ला हो सकता है ।

�नष्कषर् :-

सा�ात्कार प्रणाल� क� उपादे यता सी�मत होते हुए भी यह सामािजक अनुसध


ं ान क� एक

महत्वपण
ू र् उपयोगी पद्ध�त है । इस पद्ध�त के द्वारा हम व्यिक्तगत अमत
ू र् घटनाओं का

अध्ययन कर सकते है । उक्त अध्ययन से आलपोटर् का यह कथन सत्य प्रतीत होता है ," य�द

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
29

हम जानना चाहते है �क लोग क्या सोचते करते है ? क्या अनुभव करते है ? तथा क्या याद

रखते है ? तथा उनक� भावनाएं और प्रेरणाय� क्या है ? तो उनसे क्य� नह� पूछते!! इस प्रकार

हम दे खते है �क सा�ात्कार पद्ध�त सवार्�धक प्राकृ�तक प्रणाल� है । इसमे सच


ू नादाता से

अनुसध
ं ानकतार् का आमने-सामने का संबध रहता है तथा सच
ू नाय� अ�धकतम रूप म� सवर्श्रेष्ठ

प्राप्त होती है । इसके द्वारा व्यिक्तगत तथ्य� का भी संकलन सरलता से �कया जा सकता।

प्रश्न 8. – कारण बताएँ क� आपका बच्चा फोटोग्राफ� क्य� सीखे ?

उ�र – बच्चे का सबसे पहला �वद्यालय उसका घर और सबसे पहले गरु


ु उसके माता-�पता

होते ह� �शशु शुरूआती अवस्था म� अपने माता-�पता से ह� सार� �क्रयाएँ सीखता है और अपना

�ान अिजर्त करता है ।

माता-�पता न �सफर् बच्च� को अच्छ� �श�ा दे ते ह� बिल्क सह�-गलत क� पहचान कराते हुए

बच्च� का स्व�णर्म भ�वष्य बनाने का भी काम करते ह�। बच्चे माता-�पता का मागर्दशर्न

पाकर सभी क�ठनाईय� पर �वजय पाते हुए सपने को साकार करते ह�। दरअसल माता-�पता

के व्यवहार और �क्रयाओं का उनके बच्च� का सीधा प्रभाव पड़ता है । य�द घर म� कुछ गलत

होता है तो बच्चे गलत सीखते ह�। इसी तरह य�द घर का वातावरण सह� होता है तो बच्च�

को अच्छ� �श�ा �मलती है । इस�लए सबसे पहले माता-�पता क� भ�ू मका बहुत ह� मह�वपूणर्

होती है ।

माता-�पता के रूप म� आप जैसा कर� गे, आपके बच्चे वैसा ह� सीखने क� 'को�शश कर� गे। य�द

ुं र बनाना चाहते ह�, अपने सपन� क� सच कर �दखाना


आप अपने बच्चे के भ�वष्य को सद

चाहते ह� तो यह बहुत जरूर� है �क आप बच्च� के �लए एक राल मॉडल बन� । बच्च� कर

�दखाना चाहते ह� तो यह बहुत जरूर� है �क आप बच्च� के �लए एक रोल मॉडल बन� । बच्च�

के सामने स्वयं एक बेहतर उदाहरण बन� ता�क इसका सकारात्मक प्रभाव आपके बच्चे पर

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
30

पड़े। आइए जानते ह� �क माता-�पता के रूप म� आप साधारण बात� को भी �कस तरह से

बेहतर बना सकते ह� और बच्च� के �लए एक रोल मॉडल बन सकते ह�।

न केवल फोटोग्राफ� आपके बच्च� के �लए एक मजेदार शौक है , बिल्क यह �वशेष �ण� को

हमेशा के �लए पकड़ने का एक तर�का है और इसके स्वास्थ्य और �वकास संबंधी लाभ ह�।

वषर् 2016 क� �रपोटर् के अनस


ु ार, दस म� से केवल चार प्र�तभा�गय� ने खद
ु को �नमार्ता के

रूप म� पहचाना। यह संख्या प्रत्येक पीढ़� के साथ बढ़ रह� है ले�कन रचनात्मकता का पोषण

एक मह�वपूणर् प्र�क्रया है । कई अध्ययन� ने समझाया है �क एक बच्चे के रूप म� सीखने के

�लए दृश्य कला एक मह�वपूणर् कौशल क्य� है और हमने आपको �दखाने के �लए इस ब्लॉग

पोस्ट को संक�लत �कया है ।

ृ �ध - 2017 म� 1.2 �ट्र�लयन से अ�धक तस्वीर� ल� गई, जो प्र�त


1. दृश्य संचार क� वद्

व्यिक्त प्र�त वषर् लगभग 160 तस्वीर� (स्टे �टस्टा) काम करती ह�। 2018 म� ल� गई तस्वीर�

क� मात्रा केवल ऐप्स के रूप म� बढ़ती है क्य��क इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे ऐप सोशल

मी�डया पर हावी रहते ह�। एक अन्य �वशालकाय, ऐप्स म� 1 �ब�लयन से अ�धक उपयोगकतार्

ह� जो सभी इंटरनेट उपयोगकतार्ओं म� से एक �तहाई ह�।

सोशल मी�डया पर इस तरह क� �नभर्रता के साथ, मनोरम दृश्य� को लेने म� स�म होना

हमारे समाज का एक एक मह�वपूणर् �हस्सा है । ले�कन तस्वीर� म� वद्


ृ �ध न केवल न्यूजफ�ड

से संबं�धत है । माक��टंग �डिजटल दायरे म� बदल रह� है और इसम� �चत्र और वी�डय� बहुत

बड़ी भ�ू मका �नभाते ह�। इस वषर् किस्मथ) के आधार पर �वपणन संचार का 84 प्र�तशत

दृश्यमान होने क� उम्मीद है । संचार म� यह बदलाव प्र�त�क्रयाओं से आता है जो �चत्र और

वी�डय� ऑनलाइन प्राप्त करते ह�। फोटो के साथ सामग्री को �बना बीटाहाउस) क� तुलना म�

94 प्र�तशत अ�धक दृश्य �मलत ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
31

46 फ�सद� माक�टसर् अब कहते ह� �क योगाफ� उनक� माक��टंग रणनी�त के �लए मह�वपूणर्

ह�। कई अध्ययन �कए गए ह� जो बताते ह� �क कैसे . सो के रूप म� , एक दस


ू रे के 1/10 से

कम समय म� एक दृश्य दजर् करते ह�, िजसे इस वाक्य (बीटाहॉस) ने क� तल


ु ना म� कम

प्रसंस्करण समय क� आवश्यकता होती है । �वय� और वी�डय� पर इस नई �मल� �नभर्रता का

मतबल है �क उद्योग अभी ओर भ�वष्य म� और रचनाकार� को बल


ु ाता है । फोटोग्राफ�.एक

और भी मह�वपूणर् कौशल बनता जा रहा है और अ�धक क� संभावनाएँ पैदा करता है ।

2. फोटोग्राफ� हस्तांतरणीय कौशल प्रदान करता है - फोटोग्राफ� एक बटन पर िक्लक करने

और एक तस्वीर लेने क� तुलना म� बहुत अ�धक है । एक फोटोग्राफ� के रूप म� आपके द्वारा

सीखे गए कई कौशल वास्त�वक जीवन म� स्थानांत�रत �कए जा सकते ह�। एक दृश्य कला के

रूप म� , फोटोग्राफ� बच्च� को प�रिस्थ�तय� का �वश्लेषण और �नर��ण करना �सखाती है

(Parents.Com) । तस्वीर लेते समय, आपको अपने आस-पास के वातावरण के बारे म� पता

होना चा�हए और शॉट म� क्या अच्छा लगेगा और क्या नह�ं। �वश्लेषण करने क� यह �मता

एक फोटोग्राफर को पयर्वे�क बनने क� अनुम�त दे ती है ।

फोटोग्राफ� जैसे शौक बच्च� को उनक� ठ�क मोटर और दृश्य स्था�नक कौशल �वक�सत करने

म� मदद करते ह�। कला म� शा�मल होना एक छात्र क� तुलना म� अ�धक शै��णक उपलिब्धय�

को प्राप्त करने के �लए वै�ा�नक रूप से �सद्ध �कया गया है जो इसम� शा�मल नह�ं है । इस

मामले को �दखाया गया है क्य��क कला प्र�तभा�गय� को ध्यान म� रखने क� �मता का

�वस्तार करती है । (पे�प्रक)। कलात्मक ग�त�व�धय� ने भी आत्म�वश्वास और उच्च आत्म

सम्मान म� वद्
ृ �ध क� है । िजससे उच्च शै��णक उपलिब्धयाँ हो समती है

कुल �मलाकर, कला और यहाँ तक क� फोटोग्राफ� �वशेष रूप से जीवन भर हस्तांतरणीय

कौशल प्रदान करती है जो नौकर� �मलने म� सहायक होती ले�कन सामान्य रूप से जीवन म�

भी। हर नौकर� के �लए �कसी ऐसे व्यिक्त क� जरूरत होती है जो एक कशल समस्या

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
32

समाधानकतार् या रचनात्मक �वचारक हो। कला बस उन गण


ु � को आने के �लए प्रोत्सा�हत

करती है ।

3. रचनात्मकता व्यक्त करना - रचनात्मकता को व्यक्त करने के �लए हर दस


ू रे दृश्य कला

क� तरह फोटोग्राफ� एक शानदार आउटलेट है । रचनात्मकता उद्यमशीलता के उपक्रम� और

नए �वचार� के �नमार्ण का एक प्रमख


ु घटक है । �नय�मत रूप से रचनात्मक होने से, नए

�वचार� को तैयार करना और आपके �लए आसानी से बॉक्स के बारे म� सोचना आसान होता

है । बोस्टन कंसिल्टं ग ग्रुप ने पाया �क �क्रए�ट�वट� एक नंबर क� अ�नवायर्ता है िजसे मैनेज

करने वाले मैनेजर दे खते ह�।

कला बच्च� को यह भी �सखाती है �क गल�तयाँ करने से अक्सर कुछ बेहतर हो सकता है या

कम से कम �व�भन्न तर�क� से समस्याओं को कैसे हल �कया जा सकता है । कला अक्सर

�वचार� और भावनाओं को संप्रे�षत करने के �लए एक आदशर् आउटलेट है िजसे आप आमतौर

पर के साथ संघषर् कर� गे। फोटोग्राफ� आपको एक तस्वीर के माध्यम से एक कहानी बताने क�

अनुम�त दे ती है और आप जो �चत्र लेते ह� वह कभी-कभी ऐसा हो सकता है जैसा �क आप

बताते ह� �क आप क्या �चत्र नह�ं लेते ह�। हालां�क रचनात्मकता कल्पनशीलता को भी प्रे�रत

करती है , यह पुनरुत्थान को प्रोत्सा�हत करती है और एक कायर् नै�तकता स्था�पत करने का

एक शानदार तर�का है । सबसे मह�वपणर् बात कला ' का �नमार्ण आपको उन चीज� पर काम

क� अनुम�त दे ता है िजन्ह� आप प्यार करते ह� और प�रणाम के �बना रचनात्मक हो सकते

ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
33

प्रश्न 9. – बालक� के संवेगात्मक �वकास म� स्कूल एंव हम – उम्र बालक� क� भ�ू मका क�

�ववेचना क�िजए?

उ�र – �वकास अपने सामान्य रूप से आयु बढ़ने के साथ-साथ होने वाले प�रवतर्न� का ह�

दस
ू रा नाम है । इस दृिष्टकोण से संवेगात्मक �वकास म� �नम्न प्रकार के प�रवतर्न दे खने को

�मलते ह�

(अ) जन्म के पश्चात ् बच्चे म� धीरे -धीरे �व�भन्न संवेग� का जन्म होता रहता है ।

(ब) बचपन म� संवेग� को जागत


ृ करने वाले उद्द�पक क� प्रव�ृ � म� भी बाद म� पयार्प्त अन्तर

आता चला आता है ।

(स) संवेग� के अ�भव्यक्त करने का ढं ग भी प�रव�तर्त हो जाता है ।

इन सब प�रवतर्न� को ध्यान म� रखते हुए संवेगात्मक �वकास म� स्थल


ू एवं हम उग्र बालक�

को भ�ू मका �नम्न प्रकार ह�

1. बच्च� क� संवेगात्मक शिक्तय� के उ�चत प्रकाशन और अ�भव्यिक्त के �लए उन्ह�

पाठान्तर �क्रयाओं तथा रोचक �क्रयाओं के माध्यम से उ�चत अवसर प्रदान �कये जाने

चा�हए।

2. पाठयक्रम और अध्यापक �व�धयाँ यथेष्ट रूप म� प�रवतर्नशील, प्रग�तशील और

बालकेिन्द्रत होनी चा�हए।

3. बालक� को अपने अध्यापक� से पयार्प्त स्नेह और सहयोग �मलना चा�हए। प्रत्येक अवस्था

म� बालक� के स्वा�भमान का ध्यान रखा जाना चा�हए तथा भल


ू कर भी उनका अपमान एवं

अवहे लना नह�ं क� जानी च�हये । जहाँ तक हो सके अध्यापक� को बच्चे क� सभी प्रकार क�

संवेगात्मक आवश्यकताओं क� प�तर् के �लए पूरा-पूरा प्रत्यन करना चा�हए।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
34

4. बालक� के संवेग� को संय�मत एवं प्र�श��त करने के �लए अध्यापक द्वारा उपयक्
ु त

�व�धय� का प्रयोग �कया जाना चा�हए। जैसे भी हो बच्चे के संवेगात्मक तनाव को समाप्त

करने क� चेष्टा क� जानी चा�हए तथा उसके अन्दर �कसी भी प्रकार क� अनावश्यक मान�सक

ग्रं�थय� और �वकार� को पनपने का अवसर नह�ं �दया जाना चा�हए।

5. धा�मर्क और नै�तक �श�ा को �वद्यालय कायर्क्रम म� मह�वपण


ू र् स्थान �दया जाना

चा�हए। जहाँ तक हा सके 'सादा जीवन उच्च �वचार' को बच्च� के जीवन का एक मूल मंत्र

बनाया जाना चा�हए।

6. अध्यापक बच्च� के �लए आदशर् होते ह� वे उनके हर आचरण का अनकरण: ह�। अतः

अध्यापक का स्वयं अपना उदाहरण प्रस्तुत कर बालक� को संवेगात्मक रूप से अ�धक

संत�ु लत और संय�मत बनाने का प्रयत्न करना चा�हए।

7. बच्च� को संतु�लत सामािजक �वकास क� और भी पूरा-पूरा ध्यान �दया जाना चा�हए।

उन्ह� अपनी �मत्र-मंडल�, वय समह


ू तथा सामािजक प�रवेश म� उ�चत स्थान �मलना चा�हए।

8. अध्यापक� द्वारा बालक� का सेवगात्मक व्यवहार सामान्य है या असामान्य है , इस बात

का अच्छ� तरह से अध्ययन �कया जाना चा�हए। व्यिक्त क� सहायता हो तो समय से पहले

योग्य व्यिक्तय� क� सहायता लेकर उसके �नराकरण और रोकथाम के �लए पूरा प्रत्यन करना

चा�हए।

9. सीखने क� प्र�क्रया म� संवेग� क� रचनात्मक भ�ू मका क� ओर भी अध्यापक का रहना

आवश्यक है । संतु�लत और संय�मत संवेगात्मक व्यवहार और भावनाएँ न केवल शार��रक

�वकास वे �लए एक अमल्


ू य टॉ�नक का कायर् करती है । बिल्क �ान और कौशल अिजर्त करने

के �लए भी उ�चत वातावरण का �नमार्ण करती है । अतः अध्यापक� क� �वद्या�थर्य� को �श�ा

ग्रहण कराने म� संवेगात्मक रूप से स�क्रय साझीदार बनने का प्रयत्न करना चा�हए। ' खाल�

�दमाग शैतान का घर माना जाता है बेकार बैठे हुए, मन गलत रास्त� पर भटकता है । अतः

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
35

�कसी उपयोगी कायर् म� लगे रहकर शार��रक या मान�सक रूप से व्यस्त रहना संवेग� को

�नयं�त्रत संय�मत करने का एक अच्छा साधन बन सकता है ।

माता-�पता, अन्य प�रजन� तथा �मत्र-मंडल� के द्वारा उसके साथ �कया जाने वाला व्यवहार

भी उसके संवेगात्मक �वकास को प्रभा�वत करता है । अशां�त कलह, लड़ाई-झगड़े से युक्त

पा�रवा�रक वातावरण, क्रोध , भय, �चंता, ईष्यार् आ�द कल�ु षत संवेग� को ह� जन्म दे सकते

ह�। जब�क प्रेम, दया, सहानुभ�ू त और आत्म-सम्मान से भरपूर वातावरण द्वारा बच्चे म�

उ�चत और अनुकूल संवेग अपनी जड़ जमाते है ।

�नष्कषर् :-

सामािजक �वकास और संवेगात्मक �वकास का भी आपस म� गहरा संबंध है । बच्चा िजतना

अ�धक सामािजक होगा, संवेगात्मक रूप से यह उतना ह� प�रपक्व और संयमशील बनेगा,

सामािजक रूप से अ�वक�सत अथवा अपे��त बच्च� को अपने संवेगात्मक समायोजन म�

बहुत क�ठनाइय� का समाना करना पड़ता है । समाजीकरण क� प्र�क्रया म� बच्च� का ठ�क-ठाक

संवेगात्मक �वकास और संवेगात्मक व्यवहार अपे��त है । उसका पोषण बच्चे म� उ�चत

सामािजक गण
ु � के �वकास पर भी �नभर्र करता है और इस दृिष्ट से सामािजक �वकास

संवेगात्मक �वकास को प्रभा�वत करने म� पूर�-पूर� भ�ू मका �नभाता है ।

अच्छे -बुरे संवेग तथा उसक� आदत� इन्ह�ं से प्रभा�वत होती ह�। एक साहसी और �नभर्य जा�त

या समद
ु ाय म� पैदा होने वाले अथवा ऐसे वातावरण म� पलने वाले बच्चे म� भी साहस और

�नभर्रता के गण
ु आ जाना स्वाभा�वक ह� है । िजस समाज म� लोग शीघ्र ह� उ�ेिजत होकर

गल�-गलौच और मारपीट करते रहते ह� उनके बच्चे भी अनायास ऐसी ह� संवेगात्मक

कमजो�रय� के �शकार हो जाते ह�। भय, ईष्यार्, क्रोध, प्रेम, सहानुभ�ू त, दया आ�द सभी तरह

के अच्छे और बरु े संवेगात्मक गण


ु अच्छे और बरु सामािजक प�रवेश के ह� प�रणाम होते ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
36

बालक� को समय-समय पर सहायता और प्रोत्साहन दे ना चा�हए ता�क वे दस


ू रे बालक� से

ताल-मेल रख� और �मत्र बनाएँ उनके प्र�त सद्भाव रख� , उनसे सभी ईष्यार् न कर� । �मत्र-मंडल�

उन्ह� घ�नष्ठता दे गी। �मत्र उन्ह� कृपालु व अच्छे संस्कार� वाला व्यिक्त बनाएँगे। दस
ू र� के

प्र�त अच्छे व्यवहार रखने तथा उन्ह� पसंद करने से उनक� सामान्य अ�भरू�चयाँ रखने से

समायोजन� म� सध
ु ार होता है । जब �मत्र� से बातचीत हो और रु�चयाँ अनेक हो तो �मत्र-

मंडल� का �वस्तार होता जायेगा।

व्यिक्तगत और सामािजक दोन� ह� प्रकार के कारक बच्चे के संवेगात्मक �वकास को प्रभा�वत

करने म� कोई कसर नह�ं छोड़ते। अत: बच्चे के संवेगात्मक �वकास का यथा�व�ध बनाए रखने

म� स्कूल व �मत्र दोन� ह� प्रकार के कारक� का �वशेष प्रकार से ध्यान रखा जाना चा�हए।

प्रश्न 10. – बच्च� का �वकासशील डेटा कलेक्शन कैसे काम करता है ?

उ�र - हम डेटा को ग्राफ और चाटर् और जानकार� के बड़े संग्रह के रूप म� सोच सकते ह�,

ले�कन वास्तव म� जीवन एक प्रकार का डेटा-एक�त्रत करने का प्रयास है । इसके सरलतम

स्तर पर, डेटा वह जानकार� है िजसे हम एकत्र करते ह�

जानबझ
ू कर या अन्यथा - हमारे आस-पास क� द�ु नया के बारे म� �श�क इस प्राकृ�तक �मता

क� कैसे अ�धक स्पष्ट कर सकते ह� और इस प्रकार बच्च� के �लए अ�धक उपयोगी हो सकते

ह�।

बच्च� का �वकासशील डेटा संग्रह - जन्म से पहले ह� हमारा �दमाग लगातार जानकार�

इकट्ठा और व्यविस्थत करता है । गभर् म� , बच्च� अपनी माँ क� आवाज (स्वर, लय और

तनाव) के अ�भयोग पर जानकार� संग्र�हत करते ह�। �फर, नवजात �शशओ


ु ं के रूप म� , वे

अंतर करते ह� और �कसी अन्य म�हला को उसक� आवाज पसंद करते ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
37

बच्चे और बच्चे लगातार अपने आस-पास क� द�ु नया के बारे म� आंकड़े ले रहे ह�। वे इस डेटा

का उपयोग करते ह�-अक्सर अनजाने म� -कई तर�क� से वे सीखते ह� �क �कन वस्तुओं को

स्पशर् नह�ं करना है (य�द वस्तु भाप बन रह� है , एक ओवन से आई है , या धप


ू म� बैठ� है ),

और �कन ग�त�व�धय� के �लए उन्ह� (मैर�-गो राउं ड या िस्वंग्ससेट पर खेलना) क�

आवश्यकता होती है ।

उनक� भाषा के �वकास पर �वचार कर� । छोटे बच्चे सीखते ह� खेल के माध्यम से, टॉडलसर्

और प्री-स्कूल सीखते ह� �क घूमने वाले आकार के सॉटर् र के टुकड़े अक्सर सॉटर् र म� बेहतर

�फट होते ह�। उन्ह� पता चलता है �क नीले और पीले रं ग के �मश्रण से हरे रं ग का रं ग

�नकलता है , और य�द वे कई रं ग� को जोड़ते रहते ह�, तो वे भरू े रं ग के होते ह�।

पव
ू स्
र् कूल� क�ा म� डेटा संग्रह को समझना-उनके आस-पास क� द�ु नया को समझना और आने

वाल� सच
ू नाओं को छांटना बच्च� के �लए एक सहज �मता हो सकती है । ले�कन आमतौर

पर वे इस प्र�क्रया के बारे म� नह�ं जानते ह�। �श�क� के पास अपने �नपटान म� शिक्तशाल�

डेटा संग्रह और प्रबंधन उपकरन� को पहचानने बच्च� क� सहायता करने का मह�वपूणर् काम

है । क�ा क� ग�त�व�धय� का �नमार्ण करते समय यह ध्यान रखना अच्छा होता है �क एक

पी-स्कल के �वकास और साखन का डेटा एकत्र करना है ।

प्रीस्कूल क�ा म� डेटा संग्रह और डेटा म� शा�मल मह�वपूणर् अवधारणाएँ क्या ह�, और �श�क

डेटा के ग�णत का समथर्न कैसे कर सकते ह� ? डेटाडेस के बारे म� बच्चे क्या जानते ह� और

क्या जानना चाहते ह�, उन अंत�न�हर्त अवधारणाओं के बारे म� िजन्ह� बच्च� को इकट्ठा करने

के �लए उन आंकड़� का उपयोग करने क� आवश्यकता होती है , जो वे उन सवाल� को

समझने के �लए, िजनका वे जवाब दे ने क� को�शश कर रहे ह�, डेटा का प्र�त�न�धत्व करने के

�लए, और अंत म� , इसक� व्याख्या करने के �लए।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
38

अंततः, उपयोगी होने के �लए डेटा को व्यविस्थत, वग�कृत और क्रमबद्ध करना होगा। बच्चे

पहले से ह� कम उम्र म� इस ग�त�व�ध म� लगे हुए ह�। इस बात पर ध्यान दे ना �क बच्चे

�कस प्रकार वस्तओ


ु ं को छांटते ह�, उन्ह� एक अलग तर�के से क्रमबद्ध करने के �लए कहते

ह�, और उन्ह� यह बताने के �लए प्रे�रत करते ह� �क वे �कस तरह से हल करते ह� �क �श�क

इन प्रमख
ु कौशल के �वकास का समथर्न कर सकते ह�।

�कसी भी प्रश्न को समझना - प्रश्न को समझना सरल लगता है , है ना? �फर भी प्रश्न को

समझना मह�वपूणर् है �क क्या जानकार� एकत्र क� जाए। एक उदाहरण क� कल्पना कर� जो

स्थानीय पाक� के बारे म� बच्च� क� िज�ासा के साथ करना है । क्या हम जानना चाहते ह�

�क पड़ोस या शहर म� �कतने पाकर् ह� ? �कतने बच्चे पाक� म� जाते ह� ? वे �कतन अलग-

अलग पाक� म� जाते ह� ? बच्च� के सबसे लोक�प्रय पाकर् ? इन सभी को �व�भन्न प्रकार क�

जानकार� क� आवश्यकता होती है (हालां�क सभी पाक� के बारे म� )।

बच्च� को यह पता लगाने म� मदद करने के �लए �क वे क्या पता लगाना चाहते ह�, सवाल

करने के �लए उपयोग कर� । बहुत मह�वपूणर् बात, हमेशा उन सवाल� का जवाब द� जो बच्च�

के संदभर् म� प्रासं�गक है और वे उनके रोजमरार् के जीवन म� जड़


ु ते ह�।

प्रश्न 11.- अगर आपको शहर� स्लम म� रहने वाल� �कशो�रय� का सा�ात्कार करना दै �नक

जीवन के �व�भन्न पहलओ


ु ं को समझने के �लए तो आप क्या-क्या पड़�गे?

उ�र - अगर हम� शहर� स्लम म� रहने वाल� �कशो�रय� का सा�ात्कार करना ह� तो हम

उनके और जीवन के �व�भन्न पहलओ


ु ं को समझने के �लए �नम्न�ल�खत प्रश्न पूछेगे -

1. उनक� पा�रवा�रक, आ�थर्क तथा सामािजक िस्थ�त कैसी है ?

2. �कशोरावस्था म� उनक� शार��रक आवश्यकताओं के अनुरूप क्या उनके पयार्प्त तथा

ु त भोजन �मलता है ?
पौ�शक से यक्

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
39

3. पा�रवा�रक, सामािजक/समद
ु ाय स्तर पर क्या उन्ह� ल��गक भेदभाव का सामना करना पडा

है ? य�द हाँ, तो वह �कस स्तर तक उनको प्रभा�वत कर रहा है ।

4. �कशोरावस्था म� आने वाले शार��रक बदलाव� क� �श�ा उन्ह� प्राप्त हुई है , य�द हुई है तो

वह �कस माध्यम से यह �श�ा प्राप्त कर रह� ह�?

5. क्या उनके स्लम म� पयार्प्त �च�कत्सीय स�ु वधा समय पर उपलब्ध हो जाती हैं?

6. क्या �श�ा के माध्यम से �कशो�रय� को आत्म�नभर्र बनाने के �लए �कसी व्यवस्सा�यक

�वषय या �ेत्र का प्र�श�ण �दया गया है ?

7. �श�ा के साथ आप �कस प्रकार अपना, प�रवार, समद


ु ाय तथा राष्ट्र के चहुंमख
ु ी �वकास

म� योगदान दे सकती ह�?

8. सरकार द्वारा चलायी जाने वाल� कल्याणकार� योजनाओं क� जानकार� �कतनी है तथा

इन योजनाओं से वे �कस स्तर तक लाभािन्वत हो सकती ह�?

9. इन योजनाओं के कायार्न्वयन हे तु उनके �ेत्र म� �कतना प्रयास �कया गया है ?

10. क्या �श�ा के माध्यम से उनके जीवन म� कुछ प�रवतर्न हुए ह�?

11. क्या घर, समद


ु ाय के लोग� से उन्ह� �श�ा आ�द के �वषय म� पयार्प्त सहयोग �मल रहा

है ?

12. स्लम म� �वद्यमान समस्याओं का हल वे �कस प्रकार कर सकती ह�? य�द उन्ह� पयार्प्त

अवसर प्रदान �कए जाएं तो?

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
40

प्रश्न 12. – �नम्न�ल�खत पर �टप्पणी �ल�खए ?

(क)प्र�तभावान और सजर्नशील बच्चे

(ख) धीमी ग�त से सीखने वाले बच्च� क� पहचान

उ�र – (क) प्र�तभावान और सजर्नशील बच्चे :-

प्र�तभाशाल� बालक :-

वैसे बालक जो अपनी श्रेष्ठ �मता एवं �क्रयात्मक योग्यता के बल पर शै��क उपलिब्धय� म�

�वद्यालय स्तर पर उच्च स्थान प्राप्त करते ह� या �कसी �वशेष �ेत्र, जैसे- ग�णत, कला,

�व�ान, सज
ृ नात्मक लेखन इत्या�द म� उच्च स्तर�य प्र�तभा रखते ह�, प्र�तभाशाल� बालक� क�

श्रेणी म� आते ह�। ऐसे बालक� क� पहचान के बाद उनके �लए �वशेष क�ाओं क� व्यवस्था

द्वारा उनक� प्र�तभा म� �नखार लाने का प्रयास �कया जाता है ।

प्र�तभाशाल� बालक� क� �नम्न�ल�खत �वशेषताओं के आधार पर उनक� पहचान आसानी से

क� जा सकती है

• कोई भी पाठ आसानी से सीखना

• बद्
ु �ध एवं व्यावहा�रक �ान का उपयोग

• सामान्य बालक� से अ�धक करना

• �वशाल शब्दकोष

• मान�सक प्र�क्रया म� तीव्रता

• अपने सा�थय� क� तुलना म� अ�धक �ान

• क�ठन मान�सक काय� को भी आसानी से करने म� स�म

• मौ�लक �चन्तन क� �मता

• सामान्य �ान क� श्रेष्ठता

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
41

• �कसी प्रश्न का उ�र शीघ्र दे ने क� को�शश करना

• सामान्य अध्ययन म� रू�च

• अत्यन्त िज�ासु प्रव�ृ त

• आश्चयर्जनक अन्तदृर्िष्ट का प्रमाण

• पाठ्य�वषय� म� अत्य�धक रू�च या रू�च

• �वद्यालय के काय� के प्र�त बहुधा उदासीनता

• उच्च बुद्�ध-लिब्ध (130 से 170 तक) )

• रू�चय� का �ेत्र �वस्तत


प्र�तभाशाल� बालक� क� �श�ा:-

• प्र�तभाशाल� बालक� के �लए �वशेष �श�ा क� आवश्यकता पड़ती है । ऐसे बालक� को

�श��त करने �लए अध्यापक� का भी �वशेष रूप से प्र�श��त रहना अ�नवायर् है ।

• �श�क� को चा�हए �क वे प्र�तभाशाल� बालक� को उनक� योग्यताओं या प्र�तभाओं को

�वक�सत करने का पूरा-पूरा अवसर उपलब्ध कराएँ।

• प्र�तभाशाल� बालक पाठ्यक्रम को समझने म� सामान्य बालक� से कम समय लेते ह�। इस

बचे हुए समय म� उन्ह� �कसी और सज


ृ नात्मक कायर् म� व्यस्त कर दे ना चा�हए।

• आवश्यकता पड़ने पर �व�शष्ट बालक� के �लए �वशेष स्कूल एवं क�ाओं क� भी व्यवस्था

करनी पड़ती है । उनके �लए पुस्तकालय म� भी उनक� रू�च के अनुकूल व्यवस्था क� जानी

चा�हए।

• है �वगहस्ट्र के अनस
ु ार, "प्र�तभाशाल� बालक� के �लए �श�ा का सफल कायर्क्रम वह� हो

सकता है िजसका उद्दे श्य उनक� �व�भन्न योग्यताओं का �वकास करना हो।”

• इस कथन के अनस
ु ार, प्र�तभाशाल� बालक� क� �श�ा व्यवस्था इस प्रकार होनी चा�हए

• सामान्य रूप से क�ोन्न�त - �श�क का व्यिक्तगत ध्यान

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
42

• सामान्य बालक� के साथ �श�ा - पाठ्यक्रम-सहगामी �क्रयाओं का आयोजन

• नेतत्ृ व का प्र�श�ण - �वशेष व �वस्तत


ृ पाठ्यक्रम

• संस्कृ�त क� �श�ा - �वशेष अध्ययन क� स�ु वधाएँ

• सामािजक अनुभव� के अवसर - व्यिक्तत्व का पूणर् �वकास

सज
ृ नात्मक बालक :-

• जेम्स ड्रेवर के अनुसार "अ�नवायर् रूप से �कसी नई वस्तु का सज


ृ न करना ह�

सज
ृ नात्मकता है ।"

• रॉबटर् फ्रास्ट के अनुसार, "मौ�लकता क्या है । यह मक्


ु त साहचयर् है । जब क�वता क�

पंिक्तयाँ या उसके �वचार आपको उद्वे�लत करते ह�, साधारणीकरण के �लए बाध्य करते

ह�। यह दो वस्तओ
ु ं का सम्बन्ध होता है , परन्तु साहचयर् को दे खने क� कामना आप नह�ं

करते ह�, आप तो उसका आनन्द उठाते ह�। "

• �गलफोडर् ने सज
ृ नात्मक के तत्व �नम्न प्रकार के बताए ह�

• तात्का�लक िस्थ�त से परे जाने क� योग्यता जो व्यिक्त वतर्मान प�रिस्थ�तय� से हटकर,

उससे आगे क� सोचता है और अपने �चन्तन को मत


ू र् रूप दे ता है , उसम� सज
ृ नात्मक

तत्व पाया जाता है ।

• समस्या क� पुनव्यार्ख्या सज
ृ नात्मकता का एक तत्व समस्या क� पुनव्यार्ख्या है ।

• सामंजस्य

• जो बालक तथा व्यिक्त असामान्य �कन्तु प्रासं�गक �वचार तथा तथ्य� के साथ समन्वय

स्था�पत करते ह� वे सज
ृ नात्मक कहलाते ह�।

• अन्य के �वचार� म� प�रवतर्न

• ऐसे व्यिक्तय� म� भी सज
ृ नात्मकता �वद्यमान रहती है , जो तकर्, �चन्तन तथा प्रमाण

द्वारा दस
ू रे व्यिक्तय� के �वचार� म� प�रवतर्न कर दे ते

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
43

• मनो�वश्लेषणात्मक, साहचयर्वाद, अन्तः दृिष्टवाद एवं अिस्तत्ववाद �सद्धान्त� का

सम्बन्ध सज
ृ नात्मकता से है ।

सज
ृ नात्मकता क� पहचान

• सज
ृ नशील बालक� म� मौ�लकता के दशर्न होते ह�।

• सज
ृ नशील बालक� का दृिष्टकोण सामान्य व्यिक्तय� से अलग होता है

• स्वतन्त्र �नणर्य �मता सज


ृ नशीलता क� पहचान है , जो व्यिक्त �कसी समस्या के प्र�त

�नणर्य लेने म� स्वतन्त्र होता है तो वह सज


ृ नात्मक समझा जाता है ।

• प�रहास�प्रयता भी सज
ृ नात्मकता क� पहचान है । सज
ृ नात्मक बालक� म� हँ सी-मजाक क�

प्रव�ृ � पाई जाती है ।

• उत्सक
ु ता भी सज
ृ नात्मकता का एक आवश्यक तत्व है ।

• सज
ृ नशील बालक� म� संवेदनशीलता अ�धक पाई जाती ह�।

• सज
ृ नशील बालक� म� स्वाय�ता का भाव पाया जाता है ।

सज
ृ नात्मकता के पर��ण :-

• सज
ृ नात्मकता क� पहचान के �लए �नरन्तरता, लोचनीयता, मौ�लकता तथा �वस्तार का

मापन एवं पर��ण �कया जाता ह�।

• प्रमख
ु पर��ण इस प्रकार ह�

• �चत्रप�ू तर् पर��ण �चत्रपू�तर् पर��ण म� अपूणर् �चत्र� को पूरा करना पड़ता है ।

• प्रोडक्ट इम्यरू वमेन्ट टास्क चूने के �खलौन� द्वारा �वचार� को लेखबद्ध करके

सज
ृ नात्मकता पर बल �दया जाता है ।

• व�
ृ पर��ण इस पर��ण म� व�
ृ म� �चत्र बनाए जाते ह�।

• ट�न के �डब्बे खाल� �डब्ब� से नवीन वस्तओ


ु ं का सज
ृ न कराया जाता ह�।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
44

सज
ृ नात्मकता का �वकास

• �श�क को चा�हए �क बालक� म� सज


ृ नात्मकता का �वकास करने के �लए �नम्न�ल�खत

उपाय कर�

• तथ्य� का अ�धगम समस्या को हल करने म� कौन-कौन-से तथ्य� को �लखाया जाए,

�श�क को इस बात का ध्यान रखना चा�हए

• मौ�लकता �श�क को चा�हए �क वह तथ्य� के आधार पर मौ�लकता के दशर्न कराए।

• मल्
ू यांकन बालक� म� अपन मल्
ू यांकन स्वयं करने क� प्रव�ृ � का �वकास करना चा�हए।

• समस्या के स्तर� क� पहचान समस्या के स्तर� को पहचानकर उसे दरू करना चा�हए।

• जाँच बालक� म� जाँच करने क� कुशलता का अजर्न कराया जाए।

• पाठ्य-सहगामी �क्रयाएँ �वद्यालय म� बुले�टन बोडर्, मैग्जीन, पुस्तकालय, वाद-�ववाद,

खेल-कूद, स्काउ�टंग, एनसीसी आ�द �क्रयाओं द्वारा नवीन उद्भावनाओं का �वकास करना

चा�हए।

(ख)धीमी ग�त से सीखने वाले बच्च� क� पहचान :-

प्र�श�ु यह भी स्पष्ट कर� �क घीमीग�त से सीखने वाले बच्च� क� पहचान क� �नम्न�ल�खत

�व�धयाँ ह� -

1. �नर��ण प्र�व�ध- �वद्यालय म� प्रवेश के उपरान्त �श�क साधारण ढं ग या अनौपचा�रक

तर�के के उनके �व�भन्न �क्रयाकलाप� का अवलोकन कर सकते ह�।

2. एकल अध्ययन �व�ध- इस ऐ�तहा�सक शोध प्र�व�ध के अन्तगर्त अध्यापक द्वारा बच्चे के

जन्म से वतर्मान तक क� �व�भन्न सच


ू नाओं का उसके �मत्र�, �रश्तेदार�, प�रवार� के माध्यम

से सच
ू ना एक�त्रत कर उसे �वद्यालय� के अ�भलेख� का �मलान कर �नदान �कया जाता है

तथा सध
ु ार भी �कया जाता है

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/
45

3. �च�कत्सा पर��ण- बच्च� से सम्बिन्धत सच


ू ना से उसके शार��रक बा�धता क� जानकार�

नह�ं हो पाती है । अतएव उसक� �च�कत्सक�य जाँच कराकर पता लगाया जा सकता ह�।

4. शै��क पर��ण- धीमी ग�त से सीखने वाले बच्च� का जब �वद्यालय म� प्रवेश कराया

जाता है तो वह अपनी आयुवगर् के बच्च� के साथ �श�ा ग्रहण करने म� क�ठनाई का अनुभव

करता है । यह शै��क पर��ण� म� कम अंक प्राप्त करता है । इसके अ�त�रक्त ऐसे बच्च� क�

वतर्नी, भाषा, बोधगम्यता, आ�द भी कम होती है ।

5. व्यिक्तत्व पर��ण– व्यिक्तत्व पर��ण� से बच्चे के सामािजक, मनोवै�ा�नक तथा

सवेगांत्मक गण
ु � का बोध होता है तथा इनके अचतेन मिस्तक का भी पता चल जाता है

क्य��क अचेतन मिस्तक उनके व्यवहार� को भी �नयिन्त्रत करता है । व्यवहार� एवं समायोजन

�मता क� कमी से इनका पता लग जाता है ।

6. बुद्�ध पर��ण- धीमीग�त से सीखने वाले बच्च� क� पहचान के दो मानदण्ड माने जाते ह�।

(1)शै��क उपलिब्ध (2) मान�सक स्तर । मान�सक स्तर के �लए प्रमा�णक बद्
ु �ध पर��ण

का प्रयोग करना चा�हए। �कसी एक बुद्�ध पर��ण के आधार पर पहचान करना अ�धक

साथर्क नह�ं होगा। इस�लए शािब्दक बद्


ु �ध पर��ा, अशािब्दक बद्
ु �ध पर��ा तथा �क्रयात्मक

बुद्�ध पर��ा का उपयोग करने पर अ�धक �वश्वसनीय बुद्�ध स्तर प्राप्त कर इनक� पहचान

क� जा सकेगी।

7. अन्य मनोवै�ा�नक पर��ण- मनोवै�ा�नक पर��ण कई प्रकार के होते ह�। इनम� �लखना,

पढ़ना तथा भाषा के कौशल� का पर��ण �कया जाता है और �नदानात्मक पर��ण भी प्रयुक्त

�कये जाते ह�। इन पर��ण� के आधार पर यह पता चलता है �क धीमीग�त से सीखने वाले

बच्च� क� प्रकृ�त �कस प्रकार है और �नदानात्मक पर��ण� से कारण� का पता चलता है ।

िजसके आधार पर इनका सध


ु ार �कया जाता है ।

All Rights Reserved © Manish Verma, For more Notes visit https://www.manishvermanotes.com/

You might also like