Bhutiya Haveli Ki Kahani

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Title: रात की भूतिया गलियों में (In the Haunted Alleys of the Night)

एक रात का समय था, जब गाँव के बड़े हीरामंदी और उसके आस-पास के छोटे गाँवों में अजीब घटनाएं घटने
लगी थीं। लोग कहते थे कि रात के समय गाँव की गलियों में कु छ अजीब सी आवाज़ें सुनाई देतीं थीं, और कई
बार किसी न किसी ने किसी अजनबी की सांस महसूस की थी।

एक रात, एक युवक नाम सुरज को अपने दोस्तों के साथ रात के समय गाँव की गलियों में घूमने का मन
हुआ। वे लोगों की बातों में न मानते हुए, उन्होंने दिनभर के अध्ययन के बाद रात के समय गाँव की गलियों में
चलने का निर्णय किया।

गाँव की गलियों में चलते हुए, उन्हें लगा कि कु छ अजीब सा महसूस हो रहा है। धीरे -धीरे उनकी चाल थम गई
जब उन्होंने गली के कोने में एक पुराने हावड़ी को देखा। हावड़ी के द्वार पर एक विचित्र चिन्ह था, जिसमें एक
वृक्ष की छाया में एक भूतिया चेहरा बना था।

सुरज के दोस्तों ने कहा, "यहाँ रहने में दर्द हो सकता है , यह जगह भूतिया लग रही है।"

लेकिन सुरज ने उनकी बातों को नजरअंदाज़ करते हुए कहा, "कु छ नहीं होगा, हम यहाँ से जाकर आए हैं।"

वे हावड़ी के अंदर चले गए, और वहाँ से अजीब चीखने की आवाज़ें सुनाई देने लगीं। सुरज और उसके दोस्तों ने
एक कमरे में आवाज़ों का पीछा किया, जहाँ से वह बड़े चौंके से एक भूतिया बच्चा उनके सामने खड़ा हुआ।

वह बच्चा अपने डरावने आवाज़ों में बोला, "तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था। अब तुम भी इस हावड़ी का हिस्सा
बन गए हो।"

सुरज और उसके दोस्तों ने डर के साथ कहा, "हम यहाँ से जाते हैं, कृ पया हमें छोड़ दो।"

बच्चा हंसते हुए बोला, "अब तो बहुत देर हो चुकी है।"

उसके बाद, भूतिया बच्चा अचानक गायब हो गया। सुरज और उसके दोस्त तत्काल हावड़ी से बाहर निकले और
गाँव की ओर दौड़ने लगे।
गाँव पहुंचकर, वे लोगों को सब कु छ बताने के लिए

उत्साहित हो गए। लेकिन किसी ने उनकी बातों को सच नहीं माना।

कु छ दिनों बाद, गाँव में और भी अजीब घटनाएं होने लगीं। लोग कहते थे कि रात के समय हावड़ी से अजीब
आवाज़ें आने लगीं हैं, और कु छ लोगों ने भूतिया बच्चे को भी देखा।

एक रात, गाँव के मुख्य सरदार ने निर्णय लिया कि वह और कु छ लोग उस हावड़ी में जाएंगे और देखेंगे कि
क्या सचमुच अजीब चीजें हो रहीं हैं। सुरज भी उनमें एक था।

हावड़ी में पहुंचकर, वे लोग एक विचित्र आवाज़ सुनने लगे। वे आगे बढ़ते हुए एक कमरे में पहुंचे, जहाँ से उन्हें
अजीब दृश्य नजर आया।

कमरे में एक बड़ा साया था, और उसके साथ ही एक भूतिया चेहरा था। वह चेहरा सुरज के दोस्तों को पहचानते
हुए बोला, "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

सरदार ने उत्तर दिया, "हम सिर्फ यहाँ आकर यह देखने आए हैं कि क्या सचमुच कु छ अजीब है।"

उसके बाद, भूतिया चेहरा हंसते हुए बोला, "तुम लोग अब तक समझ नहीं पाए हो कि यहाँ कु छ अजीब नहीं है।
मैं बस एक बाल बच्चा हूँ जो इस हावड़ी में अके ला रहता हूँ। लेकिन लोगों की डरावनी कहानियाँ मुझे भी
भूतिया बना देती हैं।"

सरदार और उसके साथियों को बच्चा ने हंसते हुए हावड़ी से बाहर निकाल दिया। उन्होंने गाँव के लोगों को
सच्चाई बताई और उन्हें समझाया कि हावड़ी में कु छ भी भयंकर नहीं है।

इसके बाद, गाँव के लोग रात के समय हावड़ी के पास जाने से डरना बंद कर दिया। सुरज और उसके दोस्तों ने
भी समझा कि किसी चीज का डरने का कोई कारण नहीं है , और वे भी अब रात के समय हावड़ी के पास जाने
से डरना बंद कर दिया।
इस घटना के बाद, गाँव के लोगों ने समझा कि कभी-कभी हमारी सोच से बाहर की चीजों को भयंकर बना देता
है , और हमें इसे समझना चाहिए। गाँव में अब रात के समय की गलियों में डरावनी कहानियाँ सुनने की बजाय,
लोग अब अपने घरों में खुशी

से रहने लगे।

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