Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 8

इ�े हदीस - हदीस क� िक��

और हदीस क� िकताबे
मौलाना मुह�द इमरान कासमी िबज्ञानवी.
एक हज़ार मु�खब हदीसे बुखारी, मु�ीम, �म�ात शरीफ �ह�ी.

िबि��ा�हरर् हमािनरर्�हम
इ�े हदीस सीखने वाले के �लए कुछ आदाब
{1} हदीस के इ� सही और खा�लस िन�त के साथ िसफर्
अ�ाह क� रजा के �लए हािसल करे .
{2} हदीस के इ� नाम कमाने और दिु नया के मकसदो के
�लए हरगीज हािसल ना करे वरना कुछ फायदा ना होगा.
{3} अ�ाह से दआ
ू करते रहे क� इस मुबारक इ� के हािसल
होने म� अ�ाह क� तौफ�क हािसल रहे, हालात द�
ु � रहे,
कोई �कावट और मुि�ल पेश ना-आए और अ�ाह हदीस
के समझने म� खुसूसी मदद फरमाते रहे और खातीमा इमान के
साथ हो.
{4} रोजाना कुछ ना कुछ वकत या िजतना �ादा मु�क�न हो
हदीस के इ� हािसल करने के �लए ज�र खचर् करे, बेहतर ये
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 1 of 8
है क� िकसी मोताबर और परहेजगार उ�ाद
क� शािगद� भी इि�यार करे .
{5} उ�ाद क� बहुत �ादा इ�त करे और
जो हदीस पढे या सुने उस पर अमल करने क�
को�शश भी करे .
{6} हदीस के इ� को �ादा से �ादा फैलाए और जो बात
मालूम ना हो वह� आपनी राई से हरिगज ना बताए, ब�� ये
कहे क� म� नही जानता.
{7} इ� के हािसल करने म� शमर् ना करे, जब भी कोई बात
समझ म� ना आए तो अपने उ�ाद या िकसी और आलीम से
पूछले और हर हदीस अ�ी तरह समझे.
{8} हदीस के इ� हािसल करने म� हदीस क� मशहूर वा
मोताबर िकताबे ‘बुखारी’ और ‘मु�ीम’ को तरजीह दे .

हदीस क� प�रभाषा
{1} कौली हदीस - रसूलु�ाह‫ ﷺ‬का फरमान.
{2} फैली हदीस - रसूलु�ाह‫ ﷺ‬का अमल.
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 2 of 8
{3} तकरीरी हदीस - रसूलु�ाह‫ ﷺ‬क�
इजाजत. तकरीरी हदीस उससे कहते हे क�
रसूलु�ाह‫ ﷺ‬क� मौजूदगी म� कोई काम
िकया गया हो, या कोई बात कही गई हो और
आप उस पर खामोश रहे हो या मना ना िकया हो.
{4} और रसूलु�ाह‫ ﷺ‬क� िसफात हु�लया, अखलाक,
िकरदार “सीफती हदीस” कहलाती है.

हदीस क� िक�� (सं�क्ष�ता के साथ)


{1} सही - िजसके तमाम रावी (�रवायत करने वाले ) मोतबर,
परहेजगार और कािबले ए�तबार याददा� के मा�लक हो और
सनद मु�िसल हो. (मु�िसल के मायने ‘लगातार’ के हे, यानी
सनद शु� से आ�खर तक �मली हुई हो, बीच से कोई रावी
गायब ना हो).
{2} हसन - िजसके रावी सही हदीस के रािवय� के मुकाबले म�
हािफजे (याददा�) म� तो कम हो, बािक शत� (मोतबर,
परहेजगार और सनद मु�िसल होने म� ) सही हदीस वाली
मौजूद हो.
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 3 of 8
{3} मरफूआ - िजस हदीस म� िकसी सहाबी
ने रसूलु�ाह‫ ﷺ‬का नाम लेकर हदीस बयान
क� हो, वह मरफूअ कहलाती हे.
{4} मौकूफ - िजस हदीस म� िकसी सहाबी ने
रसूलु�ाह‫ ﷺ‬का नाम �लए बगैर हदीस बयान क� हो या अपने
खयाल का इजहार िकया हो वह मौकूफ कहलाती हे.
{5} आहाड - िजस हदीस के रावी तादाद म� मुतवा�तर हदीसो
के रािवय� से कम हो वह आहाड कहलाती हे, आहाड क� तीन
िक�े हे,
१) 'मशहूर' िजस हदीस के रावी हर जमाने म� दो से �ादा रहे
हो.
२) 'अजीज' िजसके रावी हर जमाने म� कम से कम दो रहे हो.
३) 'गरीब' िजस हदीस का रावी हर जमाने म� कम से कम एक
रहा हो, और हर रावी मोतबर, परहेजगार, कािबले ए�तबार
याददा� का मा�लक रहा हो और सनद मु�िसल हो.
{6} मुतवा�तर - िजस हदीस के रावी हर जमाने म� इतने हो
िज�ा झूठ पर इकट्ठे होना मुि�कन ना हो.
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 4 of 8
{7} मकबूल - िजस हदीस के रािवय� क�
�दयानत (ईमानदारी) और स�ाई त�ीम
हो वह हदीस मकबूल कहलाती हे.
{8} गैर मकबूल - िजस हदीस के रािवय� क�
�दयानत और स�ाई गैर यक�नी हो वह गैर मकबूल कहलाती
हे.
{9} जईफ - िजस हदीस म� ना तो सही हदीस क� शत� मौजूद
हो और ना ही हसन क�. यानी िजस हदीस के रािवय� म� कोई
रावी कमफहम, कमजोर हािफजे वाला हो या सनद म� एक या
�ादा रावी छू ट गए हो.
{10} मौजूअ (मनगढत) - िजस हदीस का (कोई एक भी)
रावी क�ाब हो. ‘क�ाब’ उस रावी को कहते हे िज�े हदीस
पाक म� झूठ बोलना सािबत हो चूका हो.

हदीस क� िकताबो क� इि�लाहे (सं�क्ष�ता के साथ)


{1} िसहाहे िस�ा - हदीस क� 6 मशहूर िकताबे- "बुखारी,
मु�ीम, अबू दाऊद, �तम�ज़ी, नसाई और इबने माजा" को
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 5 of 8
‘िसहाहे िस�ा’ कहा जाता हे.
{2} जामे - िजस हदीस म� इ�ाम से
मुताि�क तमाम मबा�हस, अक�दे,
अहकाम, तफसीर, िफतन (िफतनो का बयान),
आदाबे ज�त, दोजख वगैरह के हालात मौजूद हो वह जामे
कहलाती हे. मसलन 'अ�हीह बुखारी', '�तम�ज़ी'.
{3} सुनन - िजस िकताब म� िसफर् अहकाम के मुताि�क
हदीसे जमा क� गई हो वह ‘सुनन’ कहलाती हे, मसलन ‘सुनन
अबू दाऊद’, ‘सुनन नसाई’.
{4} मुसनद - िजस िकताब म� हर सहाबी क� हदीसे तरतीब
वार इकट्ठी कर दी गई हो वह ‘मुसनद’ कहलाती हे, मसलन
‘मुसनद अहमद’.
{5} मु�खरज - िजस िकताब म� एक िकताब क� हदीसे
िकसी दस
ू री सनद से �रवायत क� जाए वह ‘मु�खरज’
कहलाती हे, मसलन ‘मु�खरजुल इ�ाईली अलल बुखारी’.
{6} मु�दरक - िजस िकताब म� एक मुह�द्दस क� कायम क�
हुई शत� के मुतािबक वोह हदीसे जमा क� जाए जो उस मुह�द्दस
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 6 of 8
ने अपनी िकताब म� दजर् ना क� हो, वह
‘मु�दरक’ कहलाती हे, मसलन ‘मु�दरक
हािकम’.

“बुखारी शरीफ म� सारी हदीसे सही हे और आज तक


तमाम मुह�द्दसीन का इस पर इ��फाक (एक राई) हे ”.

अ�ाह का फरमान हे तजुर्मा


सूरह 49, आयत 6 ए मो�मनो ! अगर तु�े कोई फािसक
(बदकार, व गैर मोतबर आदमी) खबर दे तो तुम उ�� अ�ी
तरह तहक�क कर �लया करो.

रसूलु�ाह‫ ﷺ‬का फरमान हे


{1} अ�ाह उस श�स को तारो ताजा रखे (यानी खुश हाल
रखे और इ�त व स�ान इनायत फरमाए) िजसने मुझसे
कोई हदीस सुनी िफर उ�ो आगे पहुंचा �दया जैसा क� सुना
था. (�तम�ज़ी)
MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 7 of 8
{2} जब आदमी मर जाता हे उ�े अमल का
सवाब �क जाता हे, मगर तीन अमलो का
सवाब बाक� और जारी रहता हे सदका-ए-
जा�रया, वह इ� िज�े नफा हािसल िकया
जाए, और नेक औलाद जो उ�े �लए दआ
ु करे . (मु�ीम)
{3} जो श�स इ� हािसल करने के �लए िकसी रा�े पर चला,
अ�ाह उ�े �लए ज�त का रा�ा आसान करेगा. (मु�ीम)

MAKTAB ASHRAF ए PDF �ा�र या कोई भाषा का अदब नह� है. 8 of 8

You might also like