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जय श्री कृ ष्णा तो आज 1 जनवरी को हम जा

रहे हैं महेश्वर वहां पर हमारी दूसरी जो

बहने हैं वह भी आ रहे हैं वह लोग अपने

अपने शहरों से आ रहे हैं और हम इंदौर से

जा रहे हैं हमें नहीं पता था कि भाई

ट्रकों का भी कु छ ऐसा कु छ चल रहा है तो

सुबह सुबह पेट्रोल तो मिल गया हमको

पेट्रोल लेकर और इंदौर से हम चल पड़े सबसे

पहले तो इंदौर में जो हमारी बहन रहती है

उन बहन का छोटा बेटा है और ये बड़ा बेटा

है कृ ष्णा कृ ष्णा जय शी कृ ष्णा राधे राधे

अरे वाह इसको तो आप जानते ही होंगे नटखट

अर्चना जय श्री कृ ष्णा हम लोग साथ में ही

जा रहे हैं महेश्वर बस अब रेडी है तैयार

हैं जैसे ही जिया जी आ जाएंगे तो फिर हम

लोग निकलते हैं तो राजवाड़ा में हमारी बहन

रहती है वहां से हम निकले तो अनपूर्ण

मंदिर के सामने से यहां से जाना होता है

अनपूर्ण मंदिर अंदर बहुत सुंदर है लेकिन

अभी क्योंकि हमको जाना है इसलिए हम वहां

का नहीं बना रहे हैं रास्ते में हमने देखा

इंदौर से जब बाहर हो रहे थे कि भाई यहां

तो बहुत भीड़ लगी हुई है जाम लगा हुआ है

तो तुरंत हमने यह निर्णय लिया कि दूसरे

रास्ते से महेश्वर चलते हैं फिर हम पाताल

पानी की तरफ होते हुए महेश्वर की तरफ बढ़

गए और महेश्वर क्योंकि जाना ही था क्योंकि

दूसरे जो हमारी बहन और जीजाजी लोग थे उनको

हमने बुलवा ही लिया था वो दूसरी जगह से आई

रहते तो हमको तो जाना ही था कहीं से भी तो


हमने अंदर ही अंदर फिर यहां पर जाम गेट है

यह जाम गेट जो है हमें ऐसा लगता है कि

अहिल्या बाई जब महेश्वर की ओर जाते थे तो

यहां पर विश्राम करने के लिए होगा यहां पर

एक चौकी बनाई थी उन्होंने बाकी और कथाएं

बहुत सारी हैं कि भाई ये चौकी थी जहां पर

सुरक्षा के लिए बनाया था यह गेट पर यह तो

विश्राम के लिए ही होगा क्योंकि बहुत सारे

मार्ग हैं जिनमें से यह मार्ग पर अगर इतना

सब कु छ किया है तो जरूर यह विश्राम करने

के लिए होगा कि यहां पर वह अपने सैनिकों

के साथ विश्राम करते होंगे और फिर आगे

बढ़ते होंगे क्योंकि पहले के समय में

महेश्वर पहले के समय में अगर देखो आप कि

घोड़ा गाड़ी से या रथ से जाने में तो बहुत

दूरी दूरी होती थी पर यह है बहुत सुंदर

जगह जाम गेट जो है तो यहां रास्ते में

बहुत ऊं चे ऊं चे पहाड़ है जैसे आपने

उत्तराखंड में देखे होंगे ऐसे ही

बड़े-बड़े पहाड़ है यहां पर इस रास्ते से

हम पहली बार महेश्वर गए क्योंकि मेन

रास्ता था वो तो ट्रक जाम की वजह से जो

उनका चक्का जाम किया हुआ था उससे बंद था

इसलिए हम यहां अंदर-अंदर गए थे तो बहुत ही

बढ़िया जगह थी महेश्वर पहुंचने के बाद

हमारा जो भांजा है उसको वही बिस्किट और

चिप्स वगैरह लेने की इच्छा हो गई तो उसने

लिया फिर यहां से हम आगे चढ़ ले यहां पे

कु छ आश्रम है पुराने बहुत पुराने आश्रम है


ये हम श्रीराम कु टी जो है सियाराम बाबा की

श्रीराम कु टी जो है महेश्वर में हम इस तरफ

से जाते हैं क्योंकि यहां ट्रैफिक कम होता

है यहां प भीड़भाड़ ज्यादा नहीं होती है

आसानी से यहां पे जो है आप जा सकते हो यह

है श्रीराम कु टी है यहां पर ये इस तरफ से

हम आते हैं यहां पर शरद पूर्णिमा पर

भंडारा भी होता है जिसमें हमने पिछली बार

वीडियो बनाया था कि हम आए थे इस बार तो इस

साल तो नहीं आ पाए पिछली बार आए थे जब

बताया था हमने महेश्वर के घाट प शिवलिंग

बहुत सारे हैं मतलब सैकड़ों में है

शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग बहुत

सारे शिव भक्तो जो यहां आके कु छ कु छ समय

तक जिन्होंने निवास किया होगा तो साधु

संतों ने निवास किया हो उन्होंने यहां पर

शिवलिंग स्थापित कर दिए और क्योंकि

अहिल्याबाई के बाद से लेकर अब तक महेश्वर

जो है व शिवजी की पूजा में बहुत ही ज्यादा

अच्छा स्थान माना गया है नर्मदा जी का घाट

है तो इसलिए यहां पे लोगों ने अलग-अलग समय

पर शिवलिंग स्थापित कर दिए तो पूरे घाट प

जगह जगह शिवलिंग मिलेंगे जितने भी चबूतरे

जैसे आपको दिख रहे है ना नर्मदा जी के

किनारे पर य सब पर शिवलिंग रखे हुए सब पर

शिवलिंग स्थापित है यह मंदिर था पहले छोटा

सा लेकिन देखो अब इसको भी कितना सुंदर बना

दिया हनुमान जी का मंदिर है यह अब बहुत

सुंदर बन गया पहले छोटा सा था जाली बनी

हुई थी बस उसी में बैठ के लोग भजन कीर्तन


करते थे लेकिन अब बहुत सुंदर मंदिर बना

दिया यह देखो आपको दिखाते हैं थोड़ा पास

में जाके यहां पे जितने भी चबूतरे थे इन

सभी पर शिवलिंग स्थापित कर दिए हैं

हालांकि ये बनाए क्यों जाते थे पहले के

समय में जब पानी का स्तर ऊपर नीचे होता था

तो स्नान करने के लिए कि पानी का स्तर जब

बारिश में ऊपर होता जाए होता जाए तो यह एक

प्रकार की स्टेप बनाई जाती थी कि यहां प

स्नान हो सकता है यहां प स्नान हो सकता है

यहां प स्नान हो सकता है तो ये ऊपर नीचे

स्टेप बनाई जा सकती थी बनाई थी जहां पे

बैठकर पूजन पाठ करवाए जाते थे जैसे कि कोई

श्राद्ध वगैरह करवाना चाहे तो उन सब चीजों

के लिए था लेकिन सभी जगह लोगों ने शिवलिंग

स्थापित कर दिए ऐसे कुं ड बने हुए हैं

इनमें से पानी निकासी की व्यवस्था है आप

अभिषेक करोगे तो पानी निकल जाएगा और ऐसी

चीजें भी है जो बच्चों को बहुत पसंद आती

है बच्चों को इन सब चीजों का बड़ा शौक है

कहीं भी जाते हैं तो और देसी जो चीजें

होती हैं जैसे कि देख रहे हो आप इसमें दिख

रही हैय इन चीजों का अपना ही एक लगाव होता

है लोगों का कि भाई कहीं भी जा तो ऐसी

चीजें ज्यादा अच्छी है जाए इसके की कोई

वीआईपी चीजें आप क देखो देखो कितने सुंदर

शिवलिंग स्थापित है नंदी और शिवलिंग

जगह-जगह है महेश्वर में जितने भी मंदिर इन

में बहुत ही बारीकी से काम किया गया है


इसमें हम अलग से वीडियो बनाक बताएंगे कि

देखो इसमें क्या-क्या बताया गया है कि

कौन-कौन सी चीजें शुभ होती है कौन-कौन सी

चीजें घर में पवित्र होती हैं यहां देखो

आप द्वारपाल दिखाई देंगे आपको द्वार पर

द्वारपाल दिखाई देंगे झरोके यानी कि जो

खिड़कियां होती है ना वो झरोखे के यहां प

आकृ तियां बनाई गई है यहां पे शेर और यहां

पर बैल बनाया गया है शेर और हाथी बनाए गए

हैं यहां पर कमल के फू ल बनाए गए हैं तो

बहुत सारी चीजें ऐसी होती है जो लोगों को

पता नहीं होता कि भाई ये घर में ये

आकृ तियां घर में होनी चाहिए इनसे पवित्रता

आती है तो वह चीज हम आपको अलग से वीडियो

में बताएंगे विस्तार से उसके लिए अलग से

बड़ा वीडियो बनाई देखो द्वार कितना सुंदर

है इसमें द्वार में बहुत ही ये जो झरोके

बनाए जाते हैं ना दोनों साइड आपको खिड़की

जैसे दिख रहे हैं द्वारपालों के ऊपर ये

पवित्रता के लिए बनाए जाते हैं और पहले के

समय में इनकी संख्या बताई जाती थी कि अंदर

की तरफ कितने झरों के प शुभ रहेंगे और

बाहर की तरफ कितने झरों के शुभ रहेंगे ऐसा

बताया जाता था तो यह जो द्वार दिख रहा है

आपको देख सकते हैं यहां बाजू में कमरे

जैसा भी दिख रहा है इसमें यहां पर अंदर से

सुरक्षा के लिए जो व्यक्ति नियुक्त किया

जाता होगा वह यहां पे अंदर रुकते होंगे

कमरे जैसा है जो य सोने के लिए यहां पे और

यह ऊपर जो आप निशान देख रहे हैं यहां पे


दरवाजे फिट किए जाते थे लकड़ी के

बड़े-बड़े भारी दरवाजे इसमें फिट किए जाते

थे कि इसको अंदर से बंद कर दिया जाए तो

ऐसा नहीं था कि कोई भी अंदर कहीं कभी रात

में प्रवेश कर जाए जब राजा महाराजा जब

जीवित रहे होंगे उनका शासन होगा उस समय की

बात है कि सुरक्षा की द दृष्टि से इसको

रात में बंद कर दिया जाता था और हमेशा

इसको आप देख सकते हैं लाइट के लिए यहां पे

दिया लगाने के लिए भी है दिया लगाने के

लिए ताक बोलते हैं इनको गांव में ताक बनाए

हुए हैं कि इनमें दिए लगाए जाते थे उजाले

के लिए तो यह व्यवस्था की जाती थी और

इसमें स्टेप बनाई जाती है जगह-जगह पे यानी

कि पानी अगर बारिश का ऊपर तक आए भी तो और

ऊपर आप चले जाएं इस प्रकार देखो जगह-जगह

द्वारपाल बनाए गए हैं ये ऊपर कमल का खिला

हुआ फू ल का यहां पे दृश्य दिख रहा है तो

पवित्रता को देखते हुए ऐसी बहुत सारी

चीजें हैं जो आपको पता होना चाहिए जो ऐसे

स्थानों प जाकर आप देख सकते हैं कि भाई

कौन-कौन सी चीजों का उपयोग किया जाता था

पहले के समय में अभी तो लोगों को उतना

ज्ञान नहीं है पर देख सकते हैं आप कि यहां

प अगर बारीकी से देखेंगे तो समझ में आएगा

कि क्या-क्या चीजें दिखाई गई है यहां पे

बहुत सारे अस्त्रों से जानवरों को यानी कि

जो जंगली जानवर थे उनको मारते हुए भी

दिखाया गया कि पहले के समय पे कौन-कौन से


अस्त्रों से मारा जाता था वो मूर्तियों

में दिखाया गया है कि हाथ में पकड़ने का

कौन सा अस्त्र है वो वीडियो अलग से बना के

आपको बताएंगे कि कौन से से क्या होता था

यह जो स्थान है ये इस स्थान पर भी ये पूजन

का स्थान नहीं है यहां पे ऐसा लिखा हुआ है

देखा हमने कि यहां पे बाल काटे जाते थे

जैसे कि मान लो कि जो राजा महाराजा हुआ

करते थे तो उनके बाल काटने के लिए छतरी

बनाई थी कि छतरी में बाल बाल काटे जाते थे

या फिर मुंडन कराया जाता था जैसे कोई यहां

प पूजा पाठ कराने के लिए आया तो उनका

मुंडन कराया जाता था तो ऐसी चीज लिखी हुई

चीज है वहां पर हम अपनी तरफ से नहीं कह

रहे हैं लिखा हुआ है यह घाट बहुत लंबा है

महेश्वर का घाट बहुत लंबा है तो यहां पर

पहले के समय में बड़े-बड़े आयोजन भी होते

होंगे तभी तो इतना लंबा घाट है यानी कि

देखो यहां पे श्राद्ध पिंड की व्यवस्था भी

वहां पे सब कु छ थी अब ये है भोजनालय वहीं

पे एक बांके बिहारी भोजनालय है बांके

बिहारी मंदिर भी है उनके ही प्रांगण में

ये भोजनालय है जो कि बहुत 170 की यहां पे

थाली मिलती है पवित्र थाली सात्विक थाली

है और आप अगर महेश्वर जाते हैं तो ये

बांके बिहारी मंदिर है वहीं पे बिल्कु ल

घाट में वहीं घाट में ही बीच में गली है

वहां अंदर जाते हैं ना तो बांके बिहारी

वहां प मंदिर और वहीं पे यहां प भोजन की

व्यवस्था है तो हमारे यहां पे जियाजी लोग


आए थे तीन जियाजी उनके बच्चे हमारी तीन

बहने तो सभी हमलोग बहुत सारे लोग हो गए थे

बच्चों को मिलाकर हम बहुत सारे लोग हो गए

थे तो सभी लोगों ने यहां प भोजन किया था

बहुत ही अच्छा स्थान था सात्विक भोजन था

और बहुत अच्छा यहां का वातावरण भी है तो

आप आए तो बांके बिहारी जी के दर्शन करें

और यहीं पर भोजन पाए आप 0 में बहुत ही

भोजन मिला पवित्र भोजन व आनंद आ गया यहां

पर हम पहली बार भोजन किया हमने इसके पहले

हम घर से बना हुआ लेकर जाते थे पहली बार

हमने य किया तोय प्रांगण था वहा पर

जन्मदिन भी था हमारा तो वही पर बैठकर

हमारे परिवार ने या

बन जन्मदिन मनाया के क वगर तो काटते नहीं

है मिठाईया ही एक दूसरे को खिला के

जन्मदिन मना लिया उसके बाद घाट पर निकल गए

घाट पर निकलते निकलते फिर जो वहां का महल

है महल में हम देखने क्या जाते हैं यहां

के वही कलाकृ ति है कि पहले के समय में

क्या वहां का संस्कृ ति थी क्या क्या चीज

दिखाई गई है वहां के दृश्य में मूर्तियों

में वातावरण जो होता है ना पहले के समय का

बहुत शांति प्रदान करता है राजा महाराजा

के समय प भी कितना सात्विक माहौल हुआ करता

था भोजन की व्यवस्था वहां प आप अंदर जाकर

देखो तो आपको कु छ अलग से कु छ नहीं मिलेगा

कोई भोजन का कोई बड़ा कक्ष नहीं मिलेगा

मतलब पहले के समय प भी वही एक गरीब भी


जैसे चूल्हे पर बना खाता था बड़े से बड़े

राजा महाराजा के यहां की रसोई भी चूहा ही

पर बनती थी तो बहुत ही अच्छा ये चीजें

आपको वहा जाकर अनुभव होती है ये मंदिर है

वहीं पे ऊपर मंदिर है हालाकि ये अहिल्या

बाई के मृत्य होने के बाद जब स्वर्गवासी

हो चुकी थ उसके बाद बनाया गया था उनकी

स्मृति में उनकी सासने ही बनवाया था ये

पूरा महल ब्राग और ये पुराना घर जो सामने

दिख रहा है अहि भाई का ये उन्होंने खुद

बनाया था जब अपनी राजधानी उन्होंने शिफ्ट

की थी इंदौर से महेश्वर की थी क्योंकि

उनके जो ससुर थे उनका स्वर्गवास हो चुका

था तो बहुत सारे जो होते ना पारिवारिक

विद्रोह करने वाले दिक्कतें पैदा करने

वाले इसलिए उन्होंने शांतिपूर्ण मा नर्मदा

के किनारे उन्होंने अपना राजधानी को यहां

पर ले आए और यहीं पर फिर महेश्वर जो है

महेश्वरी साड़ी आपने सुना होगा तो महेश्वर

उनको कारखाने जो थे कपड़ों के य चढ़ पाए

और अपनी शिव भक्ति वो करती थी तो ऐसा कहा

जाता है कि जो अहिल्या बाई थी वो मा

नर्मदा से निकले हु पत्थरों से शिवलिंग

बना

बनाकर अपने पूजन स्थान मेंक और फिर वो

पूजन करती यहां प घर भी उनका आप देखेंगे

तो वैसा ही है जैसा एक गरीब व्यक्ति का

होता है जैसे गांव में हमने आपको घर बताए

थे ना वैसे ही लकड़ी के खंबे वैसे ही छत

वैसे ही सब कु छ तो घर उनका भी इतनी बड़ी


रानी महारानी जो पूरे देश में अलग अलग

उन्होंने मंदिर बनवाए काशी में विश्वनाथ

मंदिर भी उन्होने बनवाया देवी ने और उनका

खुद का घर इतना साधारण लकड़ी और मिट्टी और

वैसा ही उन चीजों से बना जो साधारण व का

घर बनता है तो उसको घूमने के बाद फिर हम

वापस घट प आ गए यहां पर बहनों के साथ

भांजे और

भांजयांग है एक भांजी आई थी और बाकी भांजी

तो यहां पर देखो छोटे छोटे मंदिर मा

नर्मदा के

अंदर

और पहली बार आए य

पर दूर ले जाकर नाव से कक ट और सुंदर

दिखता है तो वो भी फिर हमने घुमाया चलो वो

भी आप लो तो और अच्छा लगेगा य जगह जगह

मंदिर है इसलिए आपको य बहुत ही अच्छा लगता

है जितनी शाम होती जाती है उतना अच्छा

लगता है तो हमको भी य शाम हो गई जाने का

समय आ गया था तो चलो भा अब दीपदान कर देते

हैं उसके बाद घर चल देते हैं क्योंकि

दीपदान करो मा नर्मदा में इससे अच्छा और

क्या हो सकता है वो भी शाम का समय तो भाई

शाम के समय पर अपने पित्रों के लिए अपने

देवी देवताओं कु ल देवी कु ल देवताओं सभी के

लिए दीप दान करो माता को अर्पण करो इस

अच्छा और क्या सगता था तो हमने भी फिर य

दीपदान के लिए जो है कु छ ने तो दिए अपने

घर से लेकर आए थे कु छ दिए यहां पर मिलते


भी है तो हमने यही से ज्योत ले ली थी उसके

बाद फिर यहां पर दीपदान जिसको जितने करना

है कोई पांच करे कोई 11 करे जिस को 21 करे

जिसको जसे जितने करने हो महत्व दीपदान का

होता है संख्या कासे फर्क नहीं पड़ता तो

यहां पर हमारे दीदी जिया जी हमरी जो बहने

हैं उन्होंने भांजे भांजी सभी ने यहां प

फिर दीप दान किया एक एक एक एक करके सभी ने

य प दीप दान किया दीप दान का तो जैसा हमने

कई बार कहा है कि करना चाहिए कहीं भी आप

अच्छे स्थान पर जाओ तो दीपदान का बहुत

महत्व होता है दीपदान करना ही चाहिए तो

यहां पर भी दीपदान कर रहे हैं सभी लोग

एक-एक करके स्नान का वीडियो नहीं बनाया

स्नान क्योंकि अलग-अलग समय पे किया था कभ

किसी के बच्चे कब कू द गए पानी में किसी के

कब कू द गए हम लोग ऊपर गए थे तब आधे जो लोग

ऊपर नहीं गए थे वो लोग पहले ही स्नान कर

लिए वो लोग पहले ही कू द गए फिर यहां पे

मिठाई खिलाकर जन्मदिन मना लिया सब लोगों

ने के क की प्रथा है नहीं हमारे यहां पे

के क वगैरह का तो है ही नहीं काटते वाटते

नहीं है तो मिठाई खिला के सब लोगों ने आपस

में जन्मदिन मना लिया वहीं पर जयकारे लगा

लिए माता के मा नर्मदा के जयरा शेरावाली

का बोल साचे दरबार की

जय

मा हैप बर्थडे टू यू तो यह थे हमारे

परिवार के कु छ व्यक्तिगत पल सात्विक रूप

से जन्मदिन मनाया साधारण तरीके से फिर


मिलते हैं आपसे अगले वीडियो में अपने

आध्यात्म की चर्चा में जय श्री कृ ष्णा

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