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Sundarabaahustavam
Sundarabaahustavam
Á Á सु रबाहु वः Á Á
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Sunder Kidāmbi
Á Á सु रबाहु वः Á Á
श्रीव च मश्रे ो नम उ मधीमहे Á
यदु य यीक े या म लसूत्रताम् ÁÁ
श्रीम ौ हिरचरणौ समा श्रतोऽहं
श्रीरामावरजमुनी ल बोधः Á
नभ क त इह सु रोरुबाहुं
ो े त रण वलोकना भलाषी Á Á 1 ÁÁ
सु रायतभुजं भजामहे
वृक्षष मयम द्रमा श्रतम् Á
यत्र सुप्र थतनूपुरापगा
तीथर्म थर्तफलप्रदं वदुः Á Á 2 ÁÁ
चत् िरतगा मनी चन म म ालसा
चत् लत व ला चन फे नला सारवा Á
पत प कल चत् व्रज त नूपुरा ा नदी
सुसु रभुजा यं मधु नपीय म ा यथा Á Á 3 Á Á
नजकुलपजटायुष गृध्राः
कुलपते गजा गजे ना ः Á Á 11 ÁÁ
वकुळधरसर ती वष
ररसभावयुतासु क र षु Á
द्रव त दृषद प प्रस गाना -
ह वनशैलतटीषु सु र Á Á 12 Á Á
भृ गाय त हंसताल नभृतं तत् पु ती को कला -
ऽ ु ाय थ व त जमुखादास्रं मधु ते Á
नस् मताः कुर ततयः शीतं शलासैकतं
साया े कल यत्र सु रभुज न् वन ाधरे Á Á 13 ÁÁ
पीता रं वरदशीतलदृ पातम्
आजानुल भुजमायतकणर्पाशम् Á
श्रीम हावन गर नवासदीक्षं
ल ीधरं कम प व ु ममा वर ु Á Á 14 ÁÁ
ज नजीवना य वमु यो यतो
जगता म त श्रु त शर ु गीयते Á
त ददं सम दुिरतैकभेषजं
वनशैलस वमहं भजे महः Á Á 15 ÁÁ
सद्ब्र ा पदै यी शर स यो नायायणो ा तथा
ा ातो ग तसा ल वषयान बोधोज् लै ः Á
न ु ा दकम तीयममृतं तं पु र केक्षणं
प्रारूढ श्रयमाश्रमे वन गरे ः कु ो दतं सु रम् Á Á 16 Á Á
अ तप तताव ध म हमानुभवप्रभवत् -
सुखकृत न र जलधी यत न दशम् Á
प्र तभटमेव हेय नकर सदाऽप्र तमं
हिर मह सु रा मुपया म वना द्रतटे Á Á 23 ÁÁ
सदा षा ु ा ैः पृथुलबल वज्ञानशकन -
प्रभावीय यरव ध वधुरैरे धतदशम् Á
द्रम
ु ोम ाभृ िरसरमहो ानमु दतं
प्रप ऽे ारूढ श्रय मममहं सु रभुजम् Á Á 24 ÁÁ
सौशी ा श्रतव ल मृदुतासौहादर्सा ाजर्वैः
धैयर् य ै र्सुवीयर्शौयर्कृ ततागा ीयर्चातुयर्कैः Á
सौ य तसौकुमायर्समतालाव मु ैगुर्णैः
देवः श्रीतरुष शैल नलये न ं तः सु रः Á Á 25 ÁÁ
ये े क गुण वप्रुड प वै लोको रं ाश्रयं
कुय त् तादृशवैभवैरग णतै नर् ीमभूमा तैः Á
न ै दर् गुणै तोऽ धकशुभ ैका दा ाश्रयैः
इ ं सु रबाहुम शरणं यातो वनाद्री रम् Á Á 26 ÁÁ
सदा सम ं जगदीक्षते ह यः
प्र क्षदृ ा युगप व ु ा तः Á
स ईदृशज्ञान न ध नर् ध ु नः
संहा द्रकु ेषु चका सु रः Á Á 27 ÁÁ
ऐ यर्तेजोबलवीयर्श यः
क दृ धाः सु रबाहुसंश्रयाः Á
योऽसौ जगज्ज लय त क्रयाः
स तोऽ ादुपक य जः Á Á 28 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः
अ पादमर व लोचनं
प पा णतलम नप्रभम् Á
सु रोरुभुज म राप तं
व षीय वरदं वना द्रगम् Á Á 33 ÁÁ
कनकमरकता नद्रवाणां
मथनसमु तसारमेलनो म् Á
जय त कम परूपम तेजो
वन गिरन नसु रोरुबाहोः Á Á 34 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः
कं नु यं ा वभूषणं भवन्
असावल ार इतीिरतो जनैः Á
व र् ुबालद्रम
ु ष म तं
वनाचलं वा पिरतः प्रसाधयन् Á Á 35 ÁÁ
सुख श नर् ैः कुसुमसुकुमारा सुखदैः
सुसौग ै दर् ाभरणगण द ायुधगणैः Á
अल ायः सव नर्ग दतमल ार इ त यः
समा ानं ध े स वन गिरनाथोऽ ु शरणम् Á Á 36 ÁÁ
मकुटमकुटमालो ंसचूडाललाम -
लक तलकमालाकु लै ः सो र्पु ्र ःै Á
म णवरवनमालाहारकेयूरक ैः
तुल सकटकका ीनूपुरा ै भूषैः Á Á 37 Á Á
जु ा मीक ल द स ु भं
धृतो र्पु ्र ं वलस शेषकम् Á
भू ा ललाटं वपुलं वराजते
वना द्रनाथ समु ्र त श्रयः Á Á 41 ÁÁ
सुचारुचाप य वभ्रमं भ्रुवोः
युगं सुनेत्रा सहस्रपत्रयोः Á
उपा गं वा मधुपावल युगं
वराजते सु रबाहुसंश्रयम् Á Á 42 ÁÁ
अदीघर्मप्रेमदुघं क्षणोज् लं
नचोरम ः करण प ताम् Á
अनु म ं नु कथं नदशर्नं
वना द्रनाथ वशालयोदृर्शोः Á Á 43 ÁÁ
प्रश्ोत ेमसारामृतरसचुलकप्रक्रमप्र क्रया ां
व क्ष ालो कतो मर्प्रसरणमु षत ा का ाजना ाम् Á
व ो प्रवृ तलयकरणैका शा क्रया ां
देवोऽल ारनामा वन गिर नलयो वीक्षतामीक्षणा ाम् Á Á 44 ÁÁ
प्रेमामृतौघपिरवा हमहा क्ष स ु
म े प्रब समुद तसेतुक ा Á
ऋ ी सुसु रभुज वभा त नासा
क द्रम ु ाङ्कुर नभा वनशैलभतुर्ः Á Á 45 ÁÁ
ाभा षता धकन नभ न र्
म तामृतपिरस्रवसं वा म् Á
आभा त वद्रम
ु समाधरमा म
देव सु रभुज वना द्रभतुर्ः Á Á 46 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः
सागरा रतमालकानन
ामल र्य उदारपीवराः Á
शेषभोगपिरभोगभा गनः
त भा वन गर शतुभुर्जाः Á Á 53 ÁÁ
अहमह मकाभाजो गोवधर्नो ृ तनमर् ण
प्रमथन वधाव ेलर् प्रब सम क्रयाः Á
अ भमतबहूभावाः का ा भर णस मे
वन गिरपतेब हाः शु सु रदोहर्रेः Á Á 54 ÁÁ
श्रीम ना द्रप तपा णतला यु म्
आरूढयो वर्मलश रथा यो ु Á
एकोऽ मा श्रत इवो मराजहंसः
प प्रयोऽक इव त मतो तीयः Á Á 55 ÁÁ
ल ाः पदं कौ ुभसं ृ तं च
श्रीव भू म वर्मलं वशालम् Á
वभा त वक्षो वनमालयाऽऽ ं
वना द्रनाथ सुसु र Á Á 56 ÁÁ
सौ य मृतसारपूरपिरवाहावतर्गत यतं
यातः क विर स वनभू ोजस ू तभूः Á
ना भः शु त कु कु नभ नभ त न वर्धू -
ु ष शैलवसतेरारूढल ा हरे ः Á Á 57 Á Á
स ु द्रम
सु र कल सु रबाहोः
श्रीमहातरुवनाचलभतुर्ः Á
ह ! यत्र नवस जग
प्रा पतक्र शम त नु म म् Á Á 58 ÁÁ
प दु मधुकैटभक टौ
ह ह युगलाभसुवृ ौ Á
राजतः क्रमकृशौ च सदूरू
सु र वनभूधरभतुर्ः Á Á 59 ÁÁ
यौवनवृषककुदो ेद नभं नतरां
भा त वभोरुभयं जानु शुभाकृ तकम् Á
सु रभुजना ो म रम थता ेः
च नवन वलस रवृषभपतेः Á Á 60 Á Á
अ ो चे त नर क्षणहादर्भाव -
प्रेमानुभावमधुरप्रणयप्रभावः Á
आजस्रन तर द रसानुभू तः
ां प्रेयसीं रम यता वनशैलनाथः Á Á 71 ÁÁ
सु र वनशैलवा सनो
भोगमेव नजभोगमाभजन् Á
शेष एष इ त शेषताकृतेः
प्री तमान हप तः नाम न Á Á 72 ÁÁ
वाहनासन वतानचामरात्
याकृ तः खगप त यीमयः Á
न दा र तरे व य वै
ेष सु रभुजो वना द्रगः Á Á 73 ÁÁ
वना द्रनाथ सुसु र वै
प्रभु श ा थ से स तः Á
सम लोकैकधुर रः सदा
कटाक्षवी ोऽ च सवर्कमर्सु Á Á 74 ÁÁ
छत्रचामरमुखाः पिर दाः
सूरयः पिरजना नै गाः Á
सु रोरुभुज म ते सदा
ज्ञानश मुख न स ण ु ाः Á Á 75 ÁÁ
ारनाथगणनाथत जाः
पािरष पदभा गन था Á
मामका गुरवः पुरातनाः
सु रं वनमहीध्रगं श्रताः Á Á 76 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः
हे ! सु रै कतरज न कृ भावे
े मातरौ च पतरौ च कुले अ प े Á
एकक्षणादनुगृहीतवतः फलं ते
नीला कुले न सदृशी कल रु णी च Á Á 107 ÁÁ
ं ह सु र ! यदा न यः
पूतना नमधा दा नु कम् Á
जीणर्मेव जठरे पयो वषं
दुजर्रं वद तदा ना सह Á Á 108 ÁÁ
आ श्रतेषु सुलभो भवन् भवान्
म र्तां य द जगाम सु र ! Á
अ ु नाम तदुलूखले कयद्
दामब इ त कं तदाऽरुदः Á Á 109 ÁÁ
सु रोरुभुज ! न न न -
ं भवन् भ्रमर वभ्रमालकः Á
म रे षु नवनीतत जं
व वी धयमुत चूचुरः Á Á 110 ÁÁ
का लय फणतां शर ु मे
स द शखर मेव वा Á
व जु वनशैल सु र !
दा युगम पर्तं ययोः Á Á 111 ÁÁ
गू हत म हमाऽ प सु र !
ं व्रजे क म त शक्रमाक्रमीः Á
स रात्रमदधा कं गिरं
पृ त सुहृदः कमक्रुधः Á Á 112 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः
हे न न न ! सुसु र सु रा !
बृ ावने वहरत व व वी भः Á
वेणु नश्रवणत रु भ दा वै
सग्राव भजर्तु वलायमहो ! व ल े Á Á 113 ÁÁ
गायं गायं वन गिरपते ! ं ह बृ ावना ः
गोपीस ै वर्हर स यदा सु र ूढबाहो Á
रासार ो वबहु वधप्रेम सीम नीनां
चेत ेत व च तु तदा कां दशाम भूताम् Á Á 114 ÁÁ
इ तं न म षतं च तावकं
र म त ु म त प्रय रम् Á
तेन कंसमुखक टशासनं
सु रा कम प प्रश ते Á Á 115 ÁÁ
वाराणसीदहन पौ ्र कभौमभ -
क द्रम ु ाहरणश रजृ णा ाः Á
अ ा भारतबलक्रथनादय े
क्र डाः सुसु रभुज ! श्रवणामृता न Á Á 116 ÁÁ
ं ह सु र ! वना द्रनाथ ! हे
वे टा यमहीध्र मूधर् न Á
देवसे वतपदा ुज यः
सं श्रते इह त से सदा Á Á 117 ÁÁ
ह शैल नलयो भवन् भवान्
सा तं वरदराजसा यः Á
इ मथर्मनुक या ददद्
व मेव दयते ह सु र ! Á Á 118 ÁÁ
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प वे सु रबाहु वः