Professional Documents
Culture Documents
MVA 020 Block-2 - INDIAN RENAISSANCE BENGAL SCHOOL
MVA 020 Block-2 - INDIAN RENAISSANCE BENGAL SCHOOL
भारतीय का प रचय
एमवीए पुनजागरण काल
दशन और य कला कू ल
इं दरा गांधी रा ीय मु व व ालय
खंड
यू नट
यु नट
अव न नाथ टै गोर और श य
इकाई
इकाई
पाय नयर कलाकार और उनक कला अ यास
Machine Translated by Google
य श ाथ
पछले खंड म हम चार कला व ालय क ापना के बारे म जान चुके ह ज ह शु म औ ो गक कला व ालय
के प म ना मत कया गया था। अं ेज के लए बेहतर राज व उ प करने के लए इन कू ल को मु य प से
ा पत कया गया था और द तावेज के प म उ े य पारंप रक कला और श प के नमाण म शा मल कु शल
भारतीय कारीगर को ो सा हत करना और श त करना था य क वदे श म ह त न मत चीज क भारी मांग
थी। इन कू ल को ा ट् समैन क ज रत को पूरा करने के लए कलाकार को वन त व ान के े म पुरात व
के े म या ट मी डया के लए रकॉड बनाए रखने के लए और मोटे तौर पर कहा गया जीवन के हर े म
कलाकार क ज रत थी। श ा के े म वकास के साथ ही कु शल कलाकार क मांग भी उसी अनुपात म बढ़
है। इस संदभ म यह उ लेख करना मह वपूण है क कलाकार का पेशा हमारे दे श म हमेशा ऊं चा रखा गया था
इस लए टै गोर प रवार के सद य गगन नाथ टै गोर और यो त र नाथ टै गोर म कू ल ऑफ इंड यल आट
कलक ा से नातक करने वाले श य म से थे। बाद म। कू ल का नाम बदल दया।
य श ाथ तरह इकाई म अब न नाथ टै गोर और उनके छा के बाद उभरे कलाकार से आपका प रचय कराया
जाएगा। इन कलाकार ने बंगाल कू ल परंपरा पर भाव डाला और बंगाल कू ल क सरी पीढ़ के कलाकार के
प म जाने जाते ह। मॉडन आट ऑफ इं डया पा म के इस खंड क चौथी इकाई म आप पाय नयर कलाकार
के अ त कलाकार और उनक कला अ यास के बारे म जानगे।
भारतीय का प रचय
इकाई भारतीय का प रचय पुनजागरण काल
पुनजागरण काल
. उ े य
. सीखने के प रणाम
. प रचय
. बंगाल कू ल क वशेषता
. आइए सं ेप कर
. अपनी ग त क जाँच कर
. उ े य
इस इकाई के उ े य ह
. सीखने के प रणाम
. प रचय
. भारतीय पुनजागरण का उ व
पुनजागरण का पहला चरण म ययुगीनता से आधु नकतावाद म प रवतन से जुड़ा था और राजा राम मोहन राय को इस
प रवतन का सबसे भावशाली तपादक कहा जा सकता है। उ ह भारतीय पुनजागरण का जनक माना जाता था जो
धा मक सामा जक शै क आ थक और राजनी तक सुधार लाए। अं ेज के शासन म रहते ए उ ह ने ढ़वाद ह
सं कृ त क सीमा को बढ़ाया और भारतीय समाज म बदलाव क वकालत क । म रव नाथ टै गोर के दादा
ारकानाथ टै गोर के साथ राम मोहन राय ने सभा क ापना क जो बाद म समाज का सामा जक घटक बन
गया।
कई अ य सुधारक ने भारतीय दशन और सं कृ त का समथन कया है जैसे ववेक ानंद दयानंद सर वती ई र चं
व ासागर। इसने भारतीय म अपनी सं कृ त म गव और व ास क भावना पैदा क । म हला श ा को बढ़ावा दया
गया है और बा लका व ालय का नमाण कया गया है। म हला के लए यहां तक क उ श ण महा व ालय
क भी ापना क गई है और इसके प रणाम व प क उ त ई है
Machine Translated by Google
भारतीय का प रचय
लड़ कय के लए श ा। परमहंस मंडली ाथना समाज आय समाज राम कृ ण मशन और अ य सामा जक धा मक
पुनजागरण काल
आंदोलन ने रा ीय चेतना पैदा करने म मदद क और रा वाद के वकास का माग श त कया।
लॉड कजन के आने से पहले म वदे शी आंदोलन शु आ और बंगाल को बांटने का वचार चल रहा था। जब
लॉड कजन म कलक ा प ंचे तो उ ह ने नगम के सद य के प म नवा चत मूल भारतीय क सं या को कम
करने के लए कदम उठाए। उ ह ने भारतीय पर नयं ण पाने के लए कलक ा व व ालय क शास नक स म त
से भारतीय को भी तबं धत कर दया। इसके अलावा उ ह ने टश वरोधी भावना के सार को रोकने के लए बंगाल
को वभा जत कया। इसने भारतीय को आहत कया और म रव नाथ टै गोर ऋ ष अर बदो ववेक ानंद स टर
नवे दता काकु ज़ो ओकाकु रा अब न नाथ टै गोर और कई अ य लोग के नेतृ व म बंगा भंगा के खलाफ एक खुला
आंदोलन शु आ।
भारतीय और यूरोपीय शैली से समझौता करने वाले पहले मह वपूण कलाकार राजा र व वमा थे। उ ह ने न के वल खुद
को एक औप नवे शक स न कलाकार के पम तुत कया ब क रा वाद को बढ़ावा दए बना यूरोपीय तरीके से
च भी च त कए। वह यूरोपीय कलाकार से बेहद े रत थे और उ ह ने भारतीय पौरा णक च म यथाथवाद क
उनक शैली का पालन कया। कई कला समी क कलाकार और सुधारक ने उनक आलोचना क ज ह ने इस
प मी शैली का वरोध कया। यह राजा र व वमा और टश कला व ालय ारा चा रत शै णक कला शै लय के
खलाफ एक अवांट गाड और रा वाद आंदोलन का उदय आ। व शता द के म य म बंगाल म आंदोलन शु आ
जसे अ सर बंगाल पुनजागरण या बंगाल कू ल के प म जाना जाता है। वह सां कृ तक तेज तरारता और धा मक
पुन ानवाद का दौर था जसने पूरे दे श क कला मक संवेदना को भा वत कया। बंगाल पुनजागरण को रव नाथ
टै गोर ारा उ े जत कया गया था और उसके बाद अब न नाथ टै गोर स टर नवे दता गगन नाथ टै गोर नंदलाल
बोस अ सत हलदर और कई अ य लोग ने इसका अनुसरण कया।
हावेल अब न नाथ टै गोर रव नाथ टै गोर यह आंदोलन कलक ा म उ प आ और बाद म प मी भाव के खलाफ
एक आवाज के प म पूरे दे श म फै ल गया।
अब हम मुख अ त ईबी हैवेल स टर नवे दता और आनंद क टश कु मार वामी क चचा करगे जनक भारतीय कला
के पुन ार म मह वपूण भू मका थी।
ईबी हैवेल
भारतीय पुनजागरण के मुख अ त म से एक अन ट बनफ हैवेल थे ज ह ईबी हैवेल के नाम से जाना जाता था।
से उ ह ने एक दशक तक गवनमट कू ल ऑफ़ आट म ास के सपल के प म काय कया और फर कलक ा
के गवनमट कू ल ऑफ़ आट कलक ा म सेवा करने के लए प ंचे और अब न नाथ टै गोर रव नाथ टै गोर और गगन नाथ
टै गोर से मले। अव न नाथ के साथ उ ह ने भारतीय मू य के आधार पर कला और कला श ा क एक शैली वक सत
करने क को शश क जसने बंगाल कू ल ऑफ आट क ापना म योगदान दया। आधु नक भारतीय कला के वकास म
ईबी हैवेल का मह वपूण ान है। वह पहले थे ज ह ने अं ेज ारा भारत म प टग क अकाद मक शैली को बढ़ावा
दे ने क आलोचना क थी। जब वे गवनमट कॉलेज ऑफ आट कलक ा म थे तो उ ह ने छा को मुगल लघु च क
नकल करने के लए ो सा हत कया जो उनका मानना था क प म के भौ तकवाद के वपरीत भारत के आ या मक
मू य को दशाता है। हैवेल को अब न नाथ का भारी समथन मला जो खुद मुगल कला से ेरणा लेक र प टग बनाते ह।
हेवेल ने अपनी पु तक और लेख न के मा यम से भारतीय कला के व भ पहलु को नया के सामने पेश कया और
इसे त ा दलाई। उ ह ने पाया क यूरोपीय कला श ा णाली से े रत भारतीय कलाकार और छा ने भारतीय कला
क उपे ा क और प मी कला को अपनाया। वरो धय समथक और प मी दे श के बीच हेवेल ने एक स े कला ेमी
क तरह भारतीय कला क सराहना क । उ ह ने यह भी अपनी राय द क भारतीय कलाकार को प मी कला के बजाय
अजंता राजपूत और मुगल करना चा हए।
स टर नवे दता
दो त ए नेज़ र कु क जो र कन के अनुयायी थे ने उ ह कला के लए े रत कया। कला पर नवे दता के लेख न म भारतीय का प रचय
पुनजागरण काल
र क नयन वचार का भी त बब है जसने उ ह कला को जीवन से जोड़ने के लए भा वत कया।
म वामी ववेक ानंद के साथ उ र भारत क अपनी या ा के दौरान स टर नवे दता ने भारतीय कला म च
लेना शु कया। उ ह ने वामी ववेक ानंद के योगदान के साथ शकागो म भारतीय कला और श प पर एक ा यान
दया। म वह ईबी हैवेल से मल और उन दोन ने एक सरे के साथ कला पर अपने वचार का आदान दान
कया। उसके बाद नवे दता ने कई कला समी ाएँ और साथ ही हैवेल क पु तक के लए प रचय भी लखे।
आनंद क टश कु मार वामी मुख कला इ तहासकार म से एक थे जनका ब आयामी लेख न मु य प से य कला
स दयशा सा ह य धम और भाषा पर क त था। ीलंक ा म त मल पता और यूरोपीय मां के घर ज मे उ ह ने अपने
पता के असाम यक नधन के कारण अपने ारं भक वष इं लड म बताए। उ ह ने लंदन से अपनी श ा पूरी क और
म सीलोन सोशल रफॉम सोसाइट क ापना क । सोसायट पारंप रक कला और श प के साथ साथ
सामा जक मू य और सं कृ त के संर ण और पुन ार के लए सम पत थी। हालां क वह आधा यूरोपीय था ले कन
चल रही टश व ा के बारे म अ तरह से जानता था जसने ीलंक ा क स दय पुरानी जीवनशैली क आदत
परंपरा ावसा यक कौशल और श प कौशल को बबाद कर दया था।
कु मार वामी म पहली बार भारत आए और टै गोर प रवार के करीबी बन गए। उ ह ने कलक ा म भारतीय कला
पर कई ा यान दए और समाज सुधारक से भी भा वत ए। उ ह ने वदे शी आंदोलन म भाग लया और म
म ास म कला और वदे शी पु तक भी का शत क । उ ह ने पूरे दे श क या ा क भूली ई कला और श प क खोज
क और कला कू ल को भुला दया। उ ह ने राजपूत और पहाड़ी च पर भी शोध कया और म राजपूत कला
शैली पर दो स च इकाइयाँ का शत क और नया के सामने भारतीय लघु परंपरा को उजागर कया।
Machine Translated by Google
अव न नाथ टै गोर और उनके श य के नरंतर यास के बावजूद बंगाल कू ल शैली क मा यता और ग त ब त धीमी
थी। इस लए बंगाल कला शैली क ओर लोग का यान आक षत करने के लए गगन नाथ टै गोर और ईबी हैवेल ने
म इं डयन सोसाइट ऑफ ओ रएंटल आट् स क ापना क । समाज के सं ापक सद य थे जनम
यूरोपीय थे और सफ भारतीय थे और सोसायट के पहले अ य लॉड कचनर थे। यूरोपीय सद य म ईबी हैवेल
एके कु मार वामी सर जॉन वुडरोफ पस ाउन जेपी मुलर हो मवुड एन. ल ट रै नी आ द शा मल थे और भारतीय
ओसी थे।
गंगोली अब न नाथ टै गोर नंदलाल बोस अ सत कु मार हलदर और समर नाथ गु ता।
वकट पा शैल नाथ डे क दशनी लगाई गई। इस दशनी ने बंगाल कला शैली के च को कलक ा क आम जनता
के सामने रखा और लोग म एक जागृ त पैदा क । बंगाल से शु होकर भारतीय कला का पुनजागरण दे श के कोने कोने
म आ। व भ कला क बॉ बे म ास लखनऊ द ली पंज ाब जयपुर गुज रात और हैदराबाद म शु कए गए थे।
ए शयाईवाद। ओकाकु रा काकु ज़ो म कलक ा प ंचे और भारतीय पुन ानवा दय एके कु मार वामी स टर भारतीय का प रचय
पुनजागरण काल
नवे दता और अब न नाथ टै गोर से मले। ओकाकु रा के दशन और सु र पूव च कला को पुनज वत करने के यास
ने अब न नाथ के दमाग को गहराई से आकार दया। तीन मुख अवधारणा पर आधा रत ा य वचार का ओकाकु रा
कोण जो परंपरा मौ लकता और कृ त है। अब न नाथ ओकाकु रा से गहराई से े रत थे और उ ह ने जापानी
स दयशा और तकनीक को अपने हाथ म ले लया जो रचना म सरल और जै वक आकृ तय पर जोर दे ती है।
ओकाकु रा वापस जापान चले गए और अपने छा योकोयामा ताइकन और ह शदा शुनसो को कलक ा भेज दया।
अब न नाथ को योकोयामा ताइकन ारा वॉश तकनीक से प र चत कराया गया य क उ ह ने दे ख ा क ताइकन
आकृ तय को नरम करने के लए पानी म डू बा आ एक बड़ा श के साथ अपने च पर जाते ह। इसने अब न नाथ
को इस तकनीक को संशो धत करने के लए े रत कया और के वल श का उपयोग करने के बजाय उ ह ने अपनी पूरी
प टग को पानी म डु बोना शु कर दया। इस तकनीक म ारं भक प टग म से एक द वाली थी जसम
अब न नाथ क व श शैली थी जो अपने प और कृ तवाद के व तार म पुराने काय क थी। जापानी तकनीक के
साथ अब न नाथ शैली का यह म ण कलाकार के लए एक महान प रवतन के प म काय करता है। म
वदे शी ां त के चरमो कष पर अव न नाथ ने अपनी सबसे लोक य प टग भारत माता का नमाण कया जसे अब
वदे शी आंदोलन का तीक च ह माना जाता है। अब न नाथ ने कु छ स च जैसे द डेथ ऑफ शाहजहाँ द एंड
ऑफ द जन और उमर ख याम क ृंख ला के साथ कु छ धुंधले और बादल वाले प र य को धोने क तकनीक म
च त कया। अब न नाथ के साथ बंगाल के कई अ य कू ल कलाकार ओकाकु रा से भा वत थे और उ ह ने अपने
च म जापानी धोने क तकनीक को शा मल कया।
. बंगाल कू ल क वशेषताएं
अजंता मुगल राज ानी और पहाड़ी च कला क शैली का भाव सुंदर नाजुक और प र कृ त आकृ तय के
मा यम से बनाई गई लय के साथ प से दखाई दे रहा था।
बंगाल कू ल प टग म भावशाली रंग संयोजन है। इस शैली म सी मत मंद और मुलायम रंग योजना का उपयोग
कया गया था। वाटर कलस का योग चरम पर था ले कन बाद म तड़के ने इसक जगह ले ली। स ाव और
आ या मक भाव उ प करने के लए धोने क तकनीक का इ तेमाल कया गया था।
एक शानदार भाव पैदा करने के लए च म काश और छाया को कु शलता से उजागर कया गया और
फोटो ा फक यथाथवाद पर जोर समा त हो गया।
बंगाल कू ल के कई तावक थे ज ह भारतीय कला म द गज माना जाता था। अब न नाथ के अलावा इस समूह म
उनके भाई गगन नाथ टै गोर शा मल ह जनके साथ उ ह ने म इं डयन सोसाइट ऑफ ओ रएंटल आट क
ापना क । इन दोन के अलावा इस कू ल के अ य मुख कलाकार अब न नाथ के पहले दो छा नंदलाल बोस और
सुर नाथ गांगुली थे।
इनके बाद अ सत कु मार हलदर त नाथ मजूमदार समर नाथ गु ता शैल नाथ डे शारदा चरण उ कल दे वी साद
रॉय चौधरी मुकु ल डे और के वकट पा ने बंगाल कू ल के नाम से जाने जाने वाले इस आधु नक कला आंदोलन क
पहली लहर का त न ध व कया।
अव न नाथ टै गोर के ये श य पूरे भारत म फै ले और कई कला व ालय खोले। नंदलाल बोस शां त नके तन के मु खया
बने समर नाथ गु त और अ सत कु मार हलदर लाहौर गए। जयपुर और मैसूर म शैल नाथ डे और के . वकट पा मुख
थे। दे वी साद राय चौधरी ने म ास पर अ धकार कर लया और मुकु ल डे कलक ा चले गए। शारदा चरण उ कल प टग
सखाने के लए द ली गए और इलाहाबाद म त नाथ मजूमदार ने मु खया का पद संभाला।
. हम सारां शत कर
अं ेज ारा भारत म यूरोपीय कला परंपरा के सार ने भारतीय कला और स दयशा क नया म आंदोलन क लहर
पैदा कर द । कई दाश नक और कलाकार ने रव नाथ टै गोर ईबी हैवेल स टर नवे दता अर बदो एके कु मार वामी
अब न नाथ टै गोर स हत भारतीय कला और सं कृ त क र ा करना शु कया। हैवेल स टर नवे दता और एके
कु मार वामी ने भारतीय कला परंपरा के पुन ार म मह वपूण भू मका नभाई और एक रा वाद स दयशा ा पत
करने का सामू हक उ े य था। उ ह ने समृ भारतीय वरासत को पूरी नया म फै लाने के लए भारतीय कला
स दयशा और सं कृ त पर कई कताब लखी थ । इसने अब न नाथ टै गोर और ईबी हैवेल ारा वक सत बंगाल
कू ल के प म जानी जाने वाली कला क एक नई शैली का माग श त कया।
भारतीय का प रचय
इस शैली के अजंता मुगल और राज ानी च कला शैली थे। बंगाल कू ल प टग के मु य वषय ऐ तहा सक
पुनजागरण काल
घटनाएं पौरा णक कथाएं और सामा जक जीवन ह। बंगाल कू ल के मुख कलाकार अब न नाथ टै गोर गगन नाथ
टै गोर नंदलाल बोस सुर नाथ गांगुली अ सत कु मार हलदर त नाथ मजूमदार समर नाथ गु ता शैल नाथ डे
शारदा चरण उ कल और के वकट पा ह।
. अपनी ग त क जांच कर
...................
...................
...................
...................
...................
भारत के आ या मक जागरण म कला क या भू मका है जसे पुन ानवाद के नाम से भी जाना जाता है
अपने श द म लख।
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
Machine Translated by Google
...................
...................
...................
...................
कपूर गीता. जब आधु नकतावाद था भारत म समकालीन सां कृ तक अ यास पर नबंध। तु लका बु स ।
भारतीय का प रचय
इकाई अव न नाथ टै गोर और पुनजागरण काल
चेल
. उ े य
. सीखने के प रणाम
. प रचय
. नंदलाल बोस
. अ सत कु मार हलदार
. के . वकट पा
. त नाथ मजूमदार
. योग कर
. अपनी ग त क जाँच कर
. उ े य
इस इकाई के उ े य ह
. सीखने के प रणाम
. प रचय
भारतीय पुनजागरण बंगाल तुत इकाई के मा यम से हम भारतीय कला के पुनजागरण आंदोलन म बंगाल कू ल के स कलाकार अब न नाथ
कू ल
टै गोर के कला मक वैभव मह व और भू मका का अ ययन करगे। इसके साथ ही नंदलाल बोस अ सत कु मार हलदर
के . वकट पा त नाथ मजूमदार जैसे च कार और अब न नाथ टै गोर के मुख श य के जीवन से संबं धत
बु नयाद ान के अलावा कला मक वकास के व भ चरण को समझकर आप अपने ान म वृ करगे। आपको इन
कलाकार उनक कला शैली तकनीक और उनके स काय के बारे म बु नयाद जानकारी मलेगी। बंगाल कू ल के
इन कलाकार के बारे म जानकर आप भारतीय कला इ तहास का ान ा त कर सकगे। इन सभी च कार के
सकारा मक पहलु के अलावा हम व भ व ान और आलोचक ारा क गई आलोचना को भी जानगे।
म बंगाल के जोरासांक ो म ज मे अब न नाथ टै गोर बंगाल च कला शैली और कला के पुन ार आंदोलन के
वतक और क ब रहे ह। स नोर गलहाड से कला का ारं भक श ण ा त करने के बाद अब न नाथ एक
यूरोपीय च कार चा स एल. पामर के टू डयो म गए और से तक दो वष के लए च प टग का
श ण ा त कया। उ ह ने ारकानाथ टै गोर और रव नाथ टै गोर के च बनाए। उनके च और इस समय के अ य
च राजा र व वमा क शैली से भा वत थे। तक उ ह ने ऑइल पट मी डयम म काम कया। उनके च बंगाल
क प का साधना म का शत ए थे। वह अब न नाथ ने चंडीदास कु छ प ट स जो चंडीदास के लेख न पर
आधा रत ह तक कृ णलीला च माला के वषय पर च त क ये प टग राजपूत कला शैली
से भा वत थ ।
अव न नाथ टै गोर ने इं डयन सोसाइट ऑफ ओ रएंटल आट क ापना क और मुख थे। वे भारतीय कला म
वदे शी मू य के सबसे बड़े समथक थे। च कार होने के साथ साथ वे बां ला म बाल सा ह य के यात लेख क भी थे।
उ ह अबन ठाकु र के नाम से भी जाना जाता था और उनक कताब जैसे राजकहानी बुडो अंगला नालक खरेर
पुतुल का बंगाली बाल सा ह य म मह वपूण ान है। भारत म टश कला व ालय म प मी च कला शैली के
भाव को रोकने के लए उ ह ने मुगल और राजपूत शैली के च म आधु नकता लाने का यास कया जससे
Machine Translated by Google
कला क एक नई भारतीय शैली का उदय आ जसे द बंगाल कू ल ऑफ आट के नाम से जाना जाता है। अव न नाथ क कला को सफलता अब न नाथ टै गोर और
मलने लगी और टश कला सं ान म इसे रा वाद भारतीय कला के नाम से ो सा हत कया जाने लगा। चेल
अपने अंदर के कलाकार के बारे म उ ह ने कहा म ब त घबरा गया था. मेरे दल म एक तरह क इ ा पैदा होती है जसे म अनुभव तो कर
सकता था ले कन नह कर सकता था। अव न नाथ ारा र चत कृ ण लीला ंख ला को कला जगत म वशेष योगदान माना जाता है।
इस ृंख ला क प टग या म उ ह ने कला के साथ आ मा क नकटता का अनुभव कया। वे कहते थे जैसे ही म अपनी आँख बंद करता
ँ च मन म तैरते ह पूण प रंग रेख ा आकृ त आ द के साथ। म तुरंत एक श उठाता और उन य को च त करना शु कर दे ता।
अव न नाथ क प टग कला और आ मा के म ण और व श ता को दशाती ह।
ोत https en.wikipedia.org wiki Abanindranath Tagore media File The Passing of Shah Jahan.jpg
Machine Translated by Google
जो उनक खा सयत बन गया। के बाद बनाई गई प टग म भारत माता छव रव नाथ टै गोर के अब न नाथ टै गोर और
नाटक च ांगधा पर आधा रत ब ीस प टग उमर ख याम क बैयां पर आधा रत एक च माला से चेल
म टश लेडी हे रगम अजंता क भ च के साथ साथ न दलाल बोस अ सत कु मार हलदर आ द ारा नकल
का काम कया गया जो अब न नाथ टै गोर के श य थे। इस तरह अब न नाथ ने अजंता कला शैली से संपक कया।
राजपूत मुगल और अजंता जैसी शै लय जापान चीन क शै लय और यूरोपीय प मी कला क तकनीक भारतीय
सोच और वहार ारा उदार और सुधारवाद कोण के साथ अब न नाथ ारा एक नई कला शैली क ापना क गई
जसे बाद म बंगाल च कला शैली के प म जाना जाने लगा। इस शैली के च को रंग क कोमलता गेय रेख ांक न और
व श भारतीयता के अंश क वशेषता है।
अव न नाथ के च क वशेषता अव न नाथ ने भी भारतीय इ तहास और पौरा णक कथा से ेरणा ली। अव न नाथ
हमेशा एक का प नक च कार थे और अ सर पौरा णक रोमां टक आ या मक और ऐ तहा सक साम ी पर च त होते
थे। उनके च म भारतीयता के भाव त व ह। उनके च के वषय व तृत ह। अ धकांश वषय सं कृ त क वता और
इ तहास पुराण पर आधा रत ह और कु छ वषय सामा य जीवन पर आधा रत ह। उनक प ट स म एक आकषक और
रह यमयी माहौल बनाया गया है। अ सर प टग म आकृ तय और प को रेख ां कत या ओवरलैप कया जाता है जससे
च क सतह पर एक रह यमय भाव पड़ता है।
भारतीय पुनजागरण बंगाल भारतीय कला शै लय म अब न नाथ क च के बावजूद उनके च म उपल भारतीयता आलोचना का वषय रही
कू ल
है। उनक कला के वषय पूण तः भारतीय ह। उनक कला कई शै लय को जोड़ती है। व भ आलोचक ने अब न नाथ
क कला के मह व को समान नह माना। म आनंद के कु मार वामी ने उनके च क आलोचना करते ए कहा
क उनके च के रंग म अ ता और धुंधली है जससे च के वषय को समझना मु कल हो जाता है।
य प उनम अ तशयो है। कमजोर रेख ाएं ह और रंग गहरे रंग के दखते ह। म आचर ने यह भी कहा क
अब न नाथ क पं याँ अघुलनशील ह अ आकृ तयाँ ह रंग फ के पड़ गए ह। उनका मानना था क इन सबका
कारण च ण क कमजोर तकनीक है। इन सभी आलोचना के अलावा अ य कलाकार ने अब न नाथ और उनक
कला को महान बताया।
. नंदलाल बोस
म नंदलाल बोस ने कलक ा कला व ालय म वेश लया कला का अ यास कया
Machine Translated by Google
अपने गु अव न नाथ टै गोर क दे ख रेख म। उ ह ने रामायण महाका पर आधा रत ाइंग भी शु क जसम सती अब न नाथ टै गोर और
छव को इं डयन सोसाइट ऑफ ओ रएंटल आट क पहली कला दशनी म स मा नत कया गया। चेल
अब न नाथ के श य नंदलाल बोस अपने समय के एक तभाशाली और सफल च कार थे। उनके च अजंता कला क
आ मा को दशाते ह। उनक पं य म बल वाह और लय का अ त सम वय है। अजंता प ट स से े रत होकर नंदलाल एक
गत और अ भनव प और शैली बनाने म सफल रहे। नंदलाल बोस क कला धम दशन और अ या म से प रपूण
थी। उनके च भी ेम और प व ता के तीक ह। नंदलाल बोस ने सं वधान क मूल त तैयार क ।
रा ीय वतं ता आंदोलन का भी उनक कला पर भाव पड़ा। उ ह ने महा मा गांधी का आदमकद च बनाया जो ब त स
आ। क अव ध के दौरान लेडी ह रगम क अ य ता म अजंता के च क तयां बनाने के लए उ ह अब न नाथ
टै गोर ारा स पा गया था जसे नंदलाल बोस और अ य कलाकार ने कु शलता से पूरा कया था। म अजंता क तरह
उ ह ने भी बाग गुफ ा च का अ ययन और अनुक रण कया। म शां त नके तन से सेवा नवृ होने के बाद भी उ ह ने
कला का नमाण जारी रखा। अजंता के भ च से भा वत होकर भी नंदलाल बोस क कला मौ लक है। वषय के च ण
के साथ साथ नंदलाल बोस महा मा गांधी के रा ापी आंदोलन से भी े रत थे और उ ह ने इ ह वषय पर आधा रत च कारी
भी क थी। नंदलाल ने कां ेस के व भ अ धवेशन के पंडाल के लए पो टर भी बनाए।
नंदलाल बोस के च के च ण म भारतीय च कला क अपे ा भारतीय मू तकला का भाव अ धक दखाई दे ता है। उनके
ारा च त भारतीय दे वता ाचीन मू तय के पक और अनुपात पर आधा रत तीत होते ह। उ ह ने हमेशा भारतीय कला
परंपरा म च त कया और कसी भी नई और अप र चत प त म काम करने का यास नह कया। जीवन भर योगा मक
रहने के बावजूद उ ह ने अपनी परंपरा से री नह बनाई जब क उनके कई समकालीन अपनी परंपरा पर प टग जारी नह रख
सके और उ ह ने इस बदलाव को वीकार कर लया। नंदलाल के च के आकार और प म ता है जो मजबूत रेख ा से
बंधे ह।
नंदलाल बोस के च के वषय भारतीय पारंप रक इ तहास के साथ साथ पौरा णक कथाएँ भी रहे ह। नंदलाल बोस मथक म
व ास करते थे और
Machine Translated by Google
भारतीय पुनजागरण बंगाल मथक के च कार। ह महाका महाभारत वृह ाला अजुन ु डा च ांगधा क भू म म अजुन
कू ल
आ द म व णत कहा नय के साथ साथ शोक त उमा पर आधा रत अ य ह शा पर आधा रत उनके च
गंगावतरण तपो न उमा वै णववाद आधा रत काय चैत य का क तन य चैत य महा भु राधा वरह
कुं ज म राधा आ द।
सुज ाता बु का याग महा ान संघ म । महाभारत पर आधा रत प टग ह ु डा बृह ाला अब न नाथ टै गोर और
चेल
पाथसारथी छ व अ भम यु वध वै णववाद वषय पर आधा रत काय पुरी के समु तट पर चैत य राधा
वराह राधा कुं ज और अ य वषय आधा रत रचनाएँ गृह हारा बुल हरमुख गंगो ी आ द मुख
कृ तयाँ ह। उनक अ य स प टग दांडी माच संथाल क या आ द ह। प टग और कला श ण के अलावा नंदलाल
बोस ने तीन कताब भी लख पावली श पा कला और श प चचा ।
सबसे पहले महाका इसे सती उमा के तप रामचं प रनय अ ह या भी म त ा कौरव पांडव शतरंज खेलने
कृ ण और अजुन कु े धृतरा और गांधारी के च म दे ख ा जा सकता है।
चौथा ऋतुए ं और यौहार इस भाग म प ा ना तर पूज ा और शाम वसंत रात ी म वसंत योहार पवत कोहरे क
प टग लगाई जा सकती ह।
पांचवां सामा य जीवन आधा रत ाम झोपड़ी चांडा लका दो म हलाएं संथाल म हलाएं सारंगी वंदना सपेरा आ द।
छठा राजनी तक इस ेण ी म भारतीय वतं ता आंदोलन से संबं धत प टग शा मल ह जैसे महा मा गांधी का दांडी
माच आ द।
सातव पो ट सीएफ एं यूज के एन मजूमदार वीरेन गो वामी हरेन मुख ज अ ल ग फार खान के च च को
इस ेण ी म गना जा सकता है।
Machine Translated by Google
भारतीय पुनजागरण बंगाल आठवां जीव पेड़ और वन त इस ेण ी म पाइन शेर ऊं ट लोमड़ी जावा फू ल ट ा े बड भस झुंड एक गधा आ द
कू ल
जैसे च रखे जा सकते ह।
नौवां कृ त और जलीय य इसम प ट स पारसनाथ हल हरमुख गंगो ी गंगा नद म नाव जलधारा म मछली आ द को
रखा जा सकता है।
. अ सत कु मार हलदर
अ सत कु मार हलदर क कृ तय म च कला और क वता दोन का अ त मेल दे ख ने को मलता है। अ सत कु मार हलदर
भारतीय कला बंगाल के पुनजागरण काल म एक स और मह वपूण कलाकार थे और अब न नाथ टै गोर के मुख श य
म से एक थे। इस दौरान उ ह ने उ को ट क प टग बनाई। हलदर का ज म सतंबर को कोलकाता म आ था। उ ह
बचपन से ही कला और च कला म च थी। साल क उ म उ ह ारा सलाह द गई थी
ोत https bit.ly aw mJ
Machine Translated by Google
लंदन के मश र आ कटे ट लयोनाड जे न स। कलक ा आट कू ल म अपनी श ा पूरी करने के बाद उ ह ने तक वहां अब न नाथ टै गोर और
ाचाय के पद पर काम कया। रव नाथ टै गोर के मागदशन और इ ा से उ ह ने म शां त नके तन म कला भवन क चेल
ापना क थी। म अ सत कु मार हलदर ने काम करना शु कया। महाराजा कू ल ऑफ आट् स जयपुर के व र श क
के प म और बाद म म वे लखनऊ कू ल ऑफ आट् स के आचाय बने। मउह टश सरकार से स मान मला।
के बीच हलदर ने नंदलाल बोस जैसे च कार के साथ लेडी हे रगम क अ य ता वाली ट म म अजंता च क
तयां तैयार क । इसी तरह उ ह ने म जोगीमारा के च का अनुक रण भी कया। म उ ह ने वाघ गुफ ा च का
अ ययन और नरी ण कया और म इन च के च भी बनाए।
हलदर क प ट स भारत और वदे श म द शत क ग और अंतररा ीय कला जगत म उनक एक अलग पहचान थी। उ ह लंदन
म रॉयल सोसाइट ऑफ आट् स ारा फे लो शप से भी स मा नत कया गया था। उ ह ने भारतीय च के वग करण को समझने
के लए टश सं हालय म स कला शंसक लॉरेन वनयन क सहायता क । अ सत कु मार हलदर ने बाल मनोरंज न
ल लत कला और दशन जैसे वषय पर बां ला और अं ेज ी भाषा म से अ धक पु तक लखी ह। उनक कु छ स पु तक
ह भारतीय सं कृ त गौतम गाथा भारतीय च कला। बंगाली म उनक व भ पु तक जैसे अजंता अजंता क गुफ ा का
एक या ा वृ ांत हो डेर ग पो हो जनजा त का जीवन और सं कृ त बाग गुहा और रामगढ़ बाग गुफ ा का या ा वृ ांत
आ द। उनक ारं भक प टग म ह भ च शैली। उ ह ने वाटर कलर टे रा और ऑयल कलर मी डयम म काम कया।
उनक पं याँ गेय और ह और उनम संगीत और रोमांस क भावना है। उनके च म ग तशील गीता मकता है जैसे अजंता
च ण रंग योजना का एक अ त सामंज य। इसके अलावा उ ह ने ल लत कला म कई नए और सफल योग भी कए। उ ह ने
मेघ त ऋतुस हार उमर ख याम अनटाइट राधा कृ ण छव और रामायण जैसे कई वषय पर व भ च पु तक
क रचना क । उनके स च म से एक चौराहे पर रोमां टक और रह यमय अ भ के सामंज य को दशाता है जसम
माया लोक क तरह मायावी आकृ तयाँ यमान और अ य तीत होती ह। यह प टग लकड़ी पर लाह को वा नश करके तड़के
क तकनीक से बनाई गई है।
. के . वकट पा
के . वकट पा ने ाचीन भारतीय सं कृ त से ेरणा लेक र भारत क कला परंपरा को एक नया आयाम दया। वकट पा ने अजंता
मुगल और कांगड़ा कलाम के सम वय से अपनी कला क रचना क । भारत क पौरा णक कथा म पा का अ त च ण
वकट पा ारा कु शलता से कया गया अ यंत भावशाली है। म उ ह ने मैसूर म अपना आट टू डयो खोला। उ ह भारत
क गौरवशाली परंपरा सां कृ तक वरासत भाषा योहार आ द का ब त शौक था
Machine Translated by Google
राम के पास याचना क मु ा म बैठ सीता का च ण है। उनके चेहरे पर डर का एक छोटा सा भाव भी है। ऊपर
बादल म रावण को दशाया गया है।
इस पूरी प टग म राजपूत शैली क रचना मक वशेषताएं ह।
उनक उ कृ प टग जैसे अधनारी र और बंगाल लो रकन को अंतररा ीय तर पर या त मली। उनक प टग अधनारी र अब न नाथ टै गोर और
चेल
म सु व त रेख ाएं सू मता कोमलता रंग योजना और आकषक सुंदरता है और इन गुण के लए व यात है। उनके च
म राज ानी और मुगल शैली क झलक मलती है। उनके च का मूल वषय अ सर महाभारत और रामायण जैसे महाका
पर आधा रत रहा है। उनक स प टग सेतुबंध ह।
उनक ारं भक और स रचना म शंक राचाय महा शवरा श य के साथ बु दमयंती आ द शा मल ह जसम
वकट पा ने अपनी रचना मक क पना का पूरा उपयोग कया है। उनके च क रेख ाएँ ब त संतु लत ह इस लए रंग भी सुंदर
ह। उनक प टग अधनारी र को भारत और वदे श म काफ शंसा मली। इस प टग के बारे म सीतारमैया ने भी लखा है
अधनारी र एक सुंदर च त कृ त है। इसम महीन रेख ा और रंग रता के साथ साथ प टग क सू मता और उ कृ ता है।
इस प टग म भगवान क छ व उभरी है जो अभी तक कसी च या प र क आकृ त म नह दे ख ी गई है। उनके च म
रेख ा का सु दर योग आ है। रंग नरम होते ह और उनका भाव शंसनीय होता है। वकट पा च कला म सू म बनावट
और ला ल य पर अ धक यान दे ते थे। इसी कारण उनक कृ तय म आकषण के साथ एक गहरा राग भी दखाई दे ता है जो हम
स मो हत कर लेता है। रामायण और महाभारत वषय पर उनके च पहले व णत सभी वशेषता को दशाते ह।
साथ ही उ ह ने शानदार वजअलाइज़ेशन कौशल के साथ प र य को कु शलता से च त कया है। उनक रचना म रंग
योजना और छाया काश व ा म परफे न आया है। वकट पा का य च ण ला ल य द शत करता है। इन च के
अलावा वकट पा ने भी कु शलता से ला टर पर उभारकर मू तयां उके री ह। इस कृ त का एक उदाहरण रामायण क कथा
ृंख ला है जो उनक उ कृ कृ त है और लगभग फ ट लंबी है। यह काम मैसूर के राजमहल अंबा वलास पैलेस म बनाया
गया है। इस तरह के अ य काय म बु राम ने सीता को अपनी अंगूठ भेज ना राम का ववाह मारीच क मृ यु रावण का
जटायु से यु लंक ा का दहन ोण ने पांडव को तीरंदाजी सखाना एकल शकुं तला शव का तांडव आ द शा मल ह।
वकट पा स म ह। अपने काय म पा को उनके पूण च र और दे व व के साथ च त करने के लए।
भारतीय कला और उसके वकास को एक नया आयाम दे ने म वकट पा का अमू य योगदान उ लेख नीय है। म ल लत
कला अकादमी ने उ ह अपना सद य चुनकर स मा नत कया। इसके अलावा उ ह कई अ य सं ान से भी स मा नत कया
गया। के . वकट पा को कला जगत म वा भमान के तीक के प म जाना जाता है। उनके व क इस ढ़ता ने उ ह कु छ
लोग के बीच भी अलोक य बना दया जो उनक कला को अपनी आव यकता के अनुसार मोड़ने या वकृ त करने म मा हर ह।
. तजनाथ मजूमदार
भारतीय पुनजागरण बंगाल मजूमदार ने कलक ा कू ल ऑफ आट् स से श ा ा त करने के बाद इं डयन सोसाइट ऑफ ओ रएंटल आट म अपना
कू ल
श ण काय कया। बाद म उ ह ने कू ल ऑफ आट् स एंड ा ट लखनऊ म ा याता के प म काम करना जारी
रखा। मजूमदार क प टग क मु य तकनीक धोने क तकनीक थी साथ ही उ ह ने टे रा तकनीक म भी काम करना
बंद नह कया। त नाथ मजूमदार के च क मानवीय आकृ तय म भारतीय सौ दय का त व मौ लक रहा है। उनके
च म पतली लंबी शारी रक संरचनाएं उदास आंख भावशाली च के साथ आकषक के श व यास दखाई दे ते ह।
पं य म ग त उनक वशेषता रही है। वे अपने च म सु दर वातावरण बनाने म सदै व सफल रहे।
मजूमदार ारा च त व भ वषय के अलावा पौरा णक और धा मक वषय उनके पसंद दा थे जनम ह महाका
रामायण महाभारत और कृ ण लीला जैसे वषय शा मल थे। त नाथ मजूमदार ने बंगाल के महान संत चैत य
महा भु के आ या मक जीवन पर आधा रत च ृंख ला भी बनाई। उनक रचना म मु य पांक न कसी भी प
पर आधा रत तीत नह होते ब क भावना क अभ का त न ध व करते तीत होते ह। उनके च म
बगनी पीले और हरे रंग का काश फै ला आ एक रह यमय य भाव पैदा करता है।
मजूमदार क प टग कोलकाता सं हालय भारत कला भवन वाराणसी नेशनल गैलरी ऑफ मॉडन आट नई द ली म
संर त ह। त नाथ मजूमदार आधु नक भारतीय कला के मह वपूण और तभाशाली कलाकार म से एक थे
ज ह ने
Machine Translated by Google
कला जगत म मह वपूण योगदान दया। उनक कु छ स प टग ह ल मी बो धस व प पा ण अ सरा डां सग ऑन अब न नाथ टै गोर और
चेल
लाउड् स वूमन ल कग लावर ी चैत य और बासुदेव सरबोथौम ी चैत य मी टग रामानंद रॉय ुव तारा रास लीला
छव राधा और कृ ण आ द। .
. आइए सारांश कर
इस इकाई का अ ययन करने के बाद हम बंगाल के कला आंदोलन म अव न नाथ टै गोर क कला मक वशेषता के मह व
को दे ख सकते ह साथ ही उनके ारा कए गए यास से बंगाल कला एक नए आयाम पर प ंच गई। हम अव न नाथ टै गोर
क मुख कलाकृ तय के बारे म जानकारी मली। हम उनके मुख श य जैसे नंदलाल बोस अ सत कु मार हलदर के .
वकट पा त नाथ मजूमदार उनके जीवन कला मक वशेषता तकनीक और उनक मह वपूण कलाकृ तय के बारे म
पता चला। इन सभी मुख कलाकार ारा कए गए यास ने भारतीय कला म पुनजागरण युग क शु आत म मह वपूण
भू मका नभाई। इन कलाकार ने प मी शैली को आंख पर प बांधकर भारतीय कला के मूल त व के साथ भारतीय कला
म योगदान दया।
. अपनी ग त क जांच कर
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
Machine Translated by Google
अ वनाश बहा र वमा भारतीय च कला का इ तहास। बरेली काश बुक डपो
डॉ. नैन भटनागर डॉ. जगद श चं के श बंगाल शैली क च कला द ली वशेष काशन
अब न नाथ टै गोर और
इकाई सरी पीढ़ के कलाकार चेल
बंगाल कू ल के
. उ े य
. सीखने के प रणाम
. प रचय
. आइए सं ेप कर
. अपनी ग त क जाँच कर
. संदभ और सुझ ाई गई री डग
. उ े य
इस इकाई के उ े य ह
. सीखने के प रणाम
. प रचय
भारतीय पुनजागरण बंगाल ानीय भाव वाली कला उभरती है। इसके जवाब म ी ईबी हैवेल क ेरणा और यास से बंगाल कू ल क
कू ल
आधार शला एक भ संरचना के प म वक सत ई है जसम ठाकु र प रवार का मह वपूण योगदान दे ख ा जा सकता
है।
व सद के उ राध म हीनता और गरीबी से पैदा ई उदासीनता के कारण भारत आंदोलन से जगमगा उठा इसी म
म रा ीय तर पर कला के प म एक मह वपूण आंदोलन का उदय आ जसके प रणाम व प भारत का वकास
आ। कला और उसम नई आशा का प रचय संभव है। यह कला आंदोलन बंगाल कू ल के ाचाय के अधीन बदल
गया जसक व तृत चचा लॉक क व भ इकाइय के मा यम से क गई है और इस इकाई के मा यम से हम
बंगाल कू ल के सरी पीढ़ के कलाकार को जानते ह। ले कन इस सरी पीढ़ को समझने के लए उनके पूवज यानी
कलाकार क पहली पीढ़ क चचा ज री है.
पहली पीढ़ के कलाकार क इस ट म ने अजंता बाग गुफ ा और अ य कला ल का दौरा कया और वदे शी कला
क कृ त को दे ख ा और इससे ेरणा लेक र उ ह ने इन ाचीन कला प क नकल भी बनाई। इस कार अब न नाथ
टै गोर और उनके कलाकार क ट म क से नई कला जागरण क लहर का व तार आ है ले कन भारतीय और
चरम भारतीयता क वचारधारा म खचाव क भावना थी जो हमेशा आलोचना का वषय बनी रही। साथ ही समाज
और समय क आव यकता के कारण दे श म कला व ालय क ापना ई और कला श क क आव यकता पर भी
बल दया जाने लगा। इस त य के कारण बंगाल कू ल का सार संभव हो गया। ये कू ल दए गए
Machine Translated by Google
अं ेज ी सरकार ारा वशेष ो साहन और संर ण और बंगाल कू ल के कई उ लेख नीय कलाकार को भारत के सरी पीढ़ के कलाकार
बंगाल कू ल
वभ ांत म त इन कला व ालय म धाना यापक और श क के प म नयु कया गया था। नंदलाल बोस
शां त नके तन म कला वभाग के अ य चुने गए अ सत कु मार हलदर लखनऊ कला व ालय के अ य बने और
समर नाथ गु ता लाहौर म कला व ालय के अ य बने और इसी म म दे वी साद राय चौधरी कला व ालय के
अ य बने म ास म। कू ल और उनम र य क मांग के अनुसार इस ृंख ला का म बढ़ता ही गया।
शारदा चरण उ कल द ली गए के के वकट पा मैसूर गए शैल नाथ डे जयपुर गए और त नाथ मजूमदार कला
श ण के लए इलाहाबाद व व ालय गए। इस कार अ य च कार ने भी व भ ांत का मण कर इस जागृ त
को फै लाने का काय करने वाले अव न नाथ के माग का चार सार करना जारी रखा। कला जगत म आधु नकता का
वेश भी धीरे धीरे होने लगा।
कु छ समय बाद अव न नाथ और उनक पहली पीढ़ के कलाकार क ट म के संयु यास ने एक नया आकार लेना
शु कर दया। समय क प रवतनशीलता और आधु नकता के कारण इस दल क वचारधारा अ धक समय तक जी वत
नह रही और सरी पीढ़ म आकर बदल गई थी।
ाचीन परंपरा से संबं धत पुराण महाका और कला अवशेष से े रत होकर बंगाल कू ल के तहत नए बदलाव
का अ यास पानी के रंग और वभाव क धोने क तकनीक के मा यम से कया गया था। इस शैली के बारे म डॉ ग रराज
कशोर अ वाल लखते ह इस शैली म कई घ टया प टग बनाई ग । ाचीन कला से ेरणा लेने का दावा करते ए भी
यह ाचीन परंपरा क नज व त बनी रही।
हमारे अपने वचार हो सकते ह ले कन हम बंगाल कू ल के उस पहलू को नह भूलना चा हए जसम अव न नाथ टै गोर
गगन नाथ टै गोर नंदलाल बोस के . वकट पा आ द क कला को भी वदे श म भारतीय कला क लहर द गई है और
जहां ये कलाकार और उनके प ट स को स मा नत कया गया। अं ेज ी शासन के बंधन और क आ मा के
गत वाथ और अंधकार क चचा करते ए अब न नाथ टै गोर बंगाल शैली क क मय और उनके कारण को
तुत करते ह हम भारतीय वषय को के वल अपनी बाहरी अ भ य के साथ च त करते ह। हम खुश नह ह
य क न कोई मु कान है और न ही खुशी क अनुभू त। हमारी आ मा म अंधेरा है य क हम वतं नह ह। तो यह
माना जा सकता है क भारत म श त वग प मी और अं ेज ी सं कृ त से अ धक भा वत और े रत था। उ ह ने
अपनी सां कृ तक वरासत क समृ को नह पहचाना और इसे मह व दे ने से परहेज कया ले कन ऐसी त म भी
एक कला आंदोलन चलाना जसक मु य वशेषता इसक वदे शी परंपरा और पुरातनता को आ मसात करना और
एक नई दशा दे ना था एक साह सक और सराहनीय था कदम। प रणाम व प नवो दत कलाकार क एक ट म बनाने
और सरी और तीसरी पीढ़ को जगाने और भारत के व भ ांत म कला व ालय के मा यम से इस वचारधारा को
फै लाने का यास कया गया। आधु नकतावाद और उससे जुड़े आंदोलन का सार अ धक ापक हो गया ले कन
बंगाल कू ल या पुनजागरण काल लंबे समय तक जी वत नह रह सका।
Machine Translated by Google
बंगाल कू ल के कलाकार क पहली पीढ़ ारा भारत के व भ े म कला सखाई गई। ले कन पहली पीढ़ क
वचारधारा अब न नाथ टै गोर के सामने ही लगभग समा त हो चुक थी। जससे सरी पीढ़ के कलाकार का कोण
ां तकारी प क ओर बढ़ रहा था जो बदलते युग के कारण भी तकसंगत वाभा वक और आव यक था जसके
मा यम से कलाकार ने नई अंत और अ भ क गत शैली वक सत क । वाद गत तीक का
समावेश सामा जक राजनी तक सां कृ तक पहलू और रोमांस इस काल म दे ख ने को मलते रहे। योग और तकनीक
पर जोर दे ने के साथ उनके च के वषय नए संयोजन के प म उभरे। कलाकार के अपने आ या मक अनुभव और
तीका मक और रह यमय प म कला मक सुंदरता ने व और का ा मक क पना का उपयोग करके मानवीय और
सामा जक अनुभव का पता लगाया। इससे यह स आ क येक कलाकार क शैली का वकास आ है और नए
योग से कलाकार और उसक कला को एक वतं शैली के प म भी जाना जाता है। मह वपूण त य यह सामने
आया क भारतीय कला म सामू हक कोण नह ब क अंतरंग कोण दखाई दे ता था।
बीसी सा याल
म वभाजन के बाद उ ह द ली आना पड़ा जहाँ उ ह ने अ य कलाकार के साथ मलकर द ली श पी सरी पीढ़ के कलाकार
बंगाल कू ल
च नामक एक कलाकार समूह क ापना क ।
बीसी सा याल और उनके समकालीन बंगाली कलाकार ने भारतीय आधु नक कला आंदोलन के ारं भक चरण
म अ णी भू मका नभाई। बीसी सा याल ने भारतीय समकालीन युवा कलाकार पर एक अ मट छाप छोड़ी और
वे सा याल के व और कला मकता से ब त भा वत ए। सा याल को एक तरह से भारतीय कला जगत
का सेतु भी कहा जा सकता है य क उ ह ने अपनी कला म ाचीन सं कृ त को समकालीन कला से प र चत
कराना जारी रखा और छा और समकालीन कलाकार के लए माग श त कया। उनक कला का वकास
ग तशील चतन से आ जसम गरीबी उपे त खानाबदोश और समाज के त चतन और उसम कट होने
वाले वषय के ाकृ तक य का च ण कया गया है।
सा याल क कृ तय म ाकृ तक वातावरण के साथ साथ दे हाती प रवेश भी झलकता था। उ ह ने तेल और पानी
के रंग म मुख ता से काम कया है।
इस कार ाण नाथ मागो अपनी तकनीक और वषय को दे ख ते ह उ ह ने अपने ऊजावान श ोक से
च कला क एक अनूठ शैली वक सत क है जो उनक रचना को एक जीवंतता दान करती है जो अ य
कलाकार के जल रंग च म नह मलती है। उनके च म एक वशेष आकषण और ताजगी है और च म
भी सहजता प रल त होती है। सा याल ने अपने ाकृ तक य क चचा करते ए कहा मेरे दमाग म कु छ
नह होता है ले कन जब मेरा तू लका ेरणा के नीचे दौड़ने लगती है तो पहाड़ पहाड़ बादल पेड़ खेत और
फु टपाथ का प अवसर के अनुसार आकार लेता है और ज द ही ती तू लका के हार वा त वक य से भी
अ धक सुंदर य को सामने लाते ह।
भारतीय पुनजागरण बंगाल एक अलग रा ता वक सत कया और उ ह ने ठाकु र शैली का प र मी अ यास करने के बजाय प से
कू ल
काम कया ले कन फर भी उनके काम म नंदलाल बोस का भाव दे ख ा जा सकता है।
ाण नाथ मागो अपने काम के वषय के बारे म मानते ह क वनोद बहारी मुख ज जो सा ह यक चय म
समृ ह उनम गहरी बौ क ज ासा थी इस लए उ ह ने कला का गहराई से व ेषण कया है। उनक कृ तय
क सं या कम है ले कन उनम प र कृ त सौ दय है। उनक रचना म जीवंत और समृ रै खक लय है जो
बंगाल के लोक जीवन क सादगी से े रत है। उ ह ने मथक और अ य कहा नय को च त करने के बजाय
रोजमरा क जदगी से वषय को चुना। दै नक जीवन से संबं धत मुख ज के च के वषय और ह के और
यूनतम रंग का योग उनके वषय को ब त मह व दे ता है जसम मूल आकृ तय ने रेख ा के मा यम से
आकार लया।
आलोचक ारा यह भी कया गया है क उनके च म बहने वाली मोट रेख ाएँ कलक ा क बाज़ार
प टग के कु छ त व क याद दलाती ह। पीएन
मागो को लगता है क अपनी आंत रक आव यकता के कारण वह तेज ी से पट करता है ता क पहले से ही यान
म रखी गई पूरी त वीर को प र कृ त शैलीगत आकृ तय म महसूस कया जा सके । यही कारण है क उनके
रचना मक काय पक ह और सुलेख न आकषण के गुण को द शत करते ह। यह बात एक आधु नक कलाकार
क सभी तय और मनोदशा को ब त ही मह वपूण और दलच तरीके से पकड़ने क श को दशाती है।
भारतीय कला परंपरा म बनोद बहारी मुख ज का योगदान अतुलनीय है। उनक रचना म भावा मकता क
अपे ा च ा मक त व रेख ा रंग प बनावट आ द को अ धक मह व दया गया है। उनक कला व भ कला
प म दखाई दे ती है जैसे क भ च कोलाज लकड़ब घा और सुलेख आ द।
मुख ज ने न के वल भारतीय आधु नक कला का माग श त कया ब क इस कला आंदोलन को वाय ता दान
करने म भी मह वपूण भू मका नभाई।
Machine Translated by Google
राज ान के एक ामीण इलाके म ज मे जसे बालेर कहा जाता है वजयवग य क कला श ा जयपुर के महाराजा
कू ल ऑफ आट एंड ा ट म ई। जहां उ ह ने बंगाल कू ल के स च कार शैल नाथ डे का वशेष स मान ा त
कया। से तक रामगोपाल ने राज ान कू ल ऑफ आट म मुख पद को सुशो भत करना जारी रखा।
बना कसी संक ण दायरे म उनके कला प और उसके वषय को भारतीय पारंप रक पुराण इ तहास धम सा ह य
लोक कथा सां कृ तक और सामा जक सरोकार से संद भत कया जाता है। उनक रचना म का प नक भाव के
मा यम से उनके वषय साकार होते ह। उनक कला बंगाल शैली राज ानी शैली और अजंता भ च कला शैली म
तीन शै लय का एक करण स होता है। वजयवग य कागज के साथ साथ रेशम पर भी पट करते ह। राधा कृ ण
संगीत मंडली नृ य सतार वादन गपशप पशु सेवा आ द उनक जीवंत कला या ा के मु य वषय ह।
उदयपुर के कांक रोली नामक ान म ज म जोशी को भल के च े के नाम से जाना जाता है। उनक उ श ा
अब न नाथ टै गोर और नंदलाल बोस के मागदशन म शां त नके तन से ई। इसके बाद उ ह ने उदयपुर के व ा भवन म
अ यापन काय कया है।
जोशी क कला म भील नारी बंज ारे डां गया घ ड़या लोहार गड़ रया आ द दखाई दे ते ह। उनक रचना म मानव
आकृ तयाँ अ भू म म मुख थ ।
इनके बारे म जोशी वयं कहते ह उनके जीवन क श शौय भ व वधता शीतल मांसलता और आनंद ने मुझ े
भा वत कया है और मुझ े इन मानव आकृ तय को हर से च त करने म ब त आनंद आया। गोवधन लाल जोशी
ने अपनी रचना म चमक ले रंग का कु शलतापूवक योग कया है।
भारतीय पुनजागरण बंगाल उनके च म संदभ और पौरा णक सा ह य भी मले ह। बाबा को कई पुर कार मले मु य प से राज ान ल लत
कू ल
कला अकादमी ारा कला वद पुर कार और रा ीय ल लत कला अकादमी नई द ली से फै लो शप AIFACS
गैलरी ारा एक पुर कार व म कला दशनी म वण पदक
आ द।
के सीएस प ण कर
बमल दासगु ता
बमल दास ने अपना बचपन बंगाल के बेरहामपुर म बताया। उनके च म वहां का ाकृ तक वातावरण भावशाली
प से दखाई दे ता है। बमल ने कॉलेज ऑफ आट् स एंड ा ट् स कोलकाता से कला म ड लोमा ा त कया।
म वे पढ़ाई के लए यूरोप गए। उसके बाद उ ह ने तक कला कॉलेज नई द ली म पढ़ाया था।
म ल लत कला अकादमी ारा बमल दास को फे लो भी चुना गया था। उनक कायशैली पारंप रक कला से
अलग है।
दे वक नंदन शमा
राज ान के अलवर म ज म दे वक नंदन शमा ने कला गु शैल नाथ डे के नदशन म जयपुर के महाराजा कू ल
ऑफ आट म कला क बारी कयां सीख और उनक प त का भाव दे वक नंदन क कृ तय म भी दखाई दे ता है।
अपनी कला का और व तार करने के लए दे वक नंदन शमा ने बनोद बहारी मुख ज और नंदलाल बोस क दे ख रेख
म शां त नके तन म े को क तकनीक का अ ययन कया। बाद म उ ह ने बन ली व ापीठ राज ान म पढ़ाया
था।
दे वक नंदन शमा के च के वषय को पारंप रक पौरा णक और सां कृ तक डजाइन के साथ जोड़ा गया है। जसम
सामा जक प रवेश पशु प य का च ण मुख ता से दखाई दे ता है। उनके च के मु य तीक मोर ह ज ह कई
प मु ा और भाव म च त कया गया है। उनका यादातर काम वाश एंड टे रा तकनीक म होता था। मु य
च ढोला मा बैलगाड़ी क या ा नान गर गट मयूर वालस कृ ण कबूतर व ाम आ द ह। दे वक नंदन को
व भ पुर कार से स मा नत कया गया है। कला म उनके योगदान के लए उ ह व व ालय अनुदान आयोग ारा
ोफे सर एमे रटस क उपा ध से स मा नत कया गया था।
के जी सु यम
ोत https indianexpress.com article lifestyle art and culture kg subramanyan feminism लग violence
inequality women the feminine principle
रणबीर सह ब
प म बंगाल म बांकु रा नामक ान म ज मे राम ककर क कला श ा व भारती व व ालय शां त नके तन म
पूरी ई और नंदलाल बोस जैसे कला वशेष का उ ह वशेष यान मला। उनका अ ययन पारंप रक प से बंगाल
कू ल क कला शैली के तहत पूरा आ। उ ह ेरणा मली
Machine Translated by Google
भारतीय पुनजागरण बंगाल घनवाद और अ तयथाथवाद। ाण नाथ मागो उनके बारे म लखते ह राम ककर बैज सं ां त युग से बनोद बहारी
कू ल
जैसे कलाकार थे जब भारतीय कला पारंप रक से आधु नक कला म वेश कर रही थी उ ह ने अपने व और
प रवेश के अनुसार अपनी अनूठ शैली बनाई।
ोत https en.wikipedia.org wiki Ramkinkar Baij media File Santal Family CE Ramkinkar Baij
Santiniketan .JPG
उनक कला व मयकारी ऊजा और जीवन श से भरी है। उनक मू त के पांक न अ यंत ग तशील दखाई दे ते
ह जसम वकास क ग त कू ट कू ट कर भरी ई है। राम ककर का वशेष गुण है उनक मू तयाँ वतं प से
ा पत और खुले आकाश के नीचे न मत होती ह जैसे क उनक स मू त संथाल प रवार । ऐसा लगता है
क इस मू तकला म एक वशेष आभा है जसम उ साह और जीवंतता पूण है। उ ह ने कहा दे वता क मू तयां
बनाने से पहले उ ह मन म स मानजनक ान द।
बंगाल कू ल
दोष का ज म ढाका वतमान म बां लादे श म म आ था। उनक कला श ा कोलकाता लखनऊ चे ई
पे रस और लंदन जैसे व भ ान म ई। उ ह हर यम रॉय चौधरी और दे वी साद रॉय चौधरी जैसे स
कला गु का समथन मला। कोलकाता कू ल ऑफ आट से कला क श ा ा त करते ए उ ह ने ढ़वाद
परंपरा के खलाफ जाकर कोलकाता ुप नामक एक नए समूह क ापना क । म उ ह कला
महा व ालय कोलकाता म श क के प म भी नयु कया गया था।
उनक मू त मु य प से कां य प र और टे राकोटा से बनी है। उनके यूरोप दौरे के दौरान ा त कला का
अनुभव उनके काय म अ य धक संवेदनशील प के प म प रल त होता है। उनके च म आकार और
भाव कहानी क साम ी क तुलना म अ धक मुख त व पाए जाते ह। इसके साथ ही दोष क रचना म
बंगाल के आम लोग के जीवन खद और नीरस प र तय और के भीषण यु के त व को उनक
रचना म यथाथवाद शैली म दशाया गया है। बाद म कला अ यास के दौरान उनक गत भावना और
शैली त होने लगी जो यथाथवाद कला के वपरीत थी। कालांतर म उनका कला श प यथाथवाद से अमूतता
म ानांत रत हो गया जसम अनुपात और संतुलन को मजबूत कया जाता है और प रप वता को समे कत
कया जाता है।
दोष हेनरी मूर से भा वत तीत होता है और उसक कलाकृ त पक और लंबवत तीत होती है।
रॉय चौधरी को रॉयल सोसाइट ऑफ आट् स लंदन से फे लो शप मली और वह वहां फे लो भी थे। इसी मम
आगे बढ़ते ए म दोष को रा ीय आधु नक कला सं हालय नई द ली म यूरेटर नयु कया गया।
उह म बंगाल सरकार ारा अब न नाथ टै गोर पुर कार से भी स मा नत कया गया था।
शंख ो चौधरी
बहार म ज म सांख ो चौधरी क कला क श ा तक कला भवन शां त नके तन कोलकाता म ई
और स मू तकार राम ककर बैज उनके कला गु थे जनक मदद से उ ह ने मू तकला क बारी कयां सीख ।
शंख ो चौधरी के बारे म कहा जाता है क वह हमारे इ तहास म एक ऐसे युग के कलाकार ह जब एक तरफ परंपरा
और आधु नक वचार के बीच संघष था और सरी ओर इनका सं ेषण भी हो रहा था। उनक रचना पारंप रक
मू तकला के सार डजाइन क लय के साथ साथ वतमान समय के स दय शा ीय आदश के अनु प शु प
को अपनाने के लए एक अनूठा संबंध रखती है। उ ह ने व भ साम य और शै लय म काम कया है। उनक
कलाकृ त म आधु नकता क एक झलक दे ख ने को मलती है जसम घन व आयतन मान और सम ता का
समावेश भावशाली प से दखाई दे ता है जो भावना मक और का प नक तीकवाद को दशाता है।
Machine Translated by Google
सांख ो क अ धकांश कलाकृ तयाँ लकड़ी और प र म बनी ह जसके लए उ ह ने लकड़ी के श प म कु छ अलग धातु
या अ य साम ी जोड़ने जैसे आधु नक योग कए ह इसी तरह प र क मू त म लकड़ी या धातु के कसी न कसी प
को जोड़ना। यह संयोजन उनक कला म आधु नकता क ओर संके त करता है। उ ह ने अपनी कलाकृ त म पूरक साम ी
के प म व भ साम य जैसे धातु क लेट क ा धातु सीमट आ द का उपयोग कया।
सांख ो चौधरी क मू तय म सरल रेख ा का योग मुख ता से दखाई दे ता है। यह आयत वगाकार और ऊ वाधर
रेख ा और वषम आकृ तय जैसे वृ ाकार और गैर ऋणा मक े के प म दखाई दे ता है। इन पं य और संके त
के मा यम से वह दशक को उस नराकार श का दशन कराना चाहता है जो आकाश क ओर इशारा करती ई
दखाई दे ती है।
धनराज भगत
लाहौर म पैदा ए धनराज भगत ने आट कॉलेज लाहौर से कला म ड लोमा पूरा कया। उ ह ने कॉलेज ऑफ आट् स यू
के वभाग के मुख के प म भी काय कया
Machine Translated by Google
स कला शंसक एस कृ णा ने भगत के बारे म अपने वचार का उ लेख कया और कहा मने हमेशा भगत को
समकालीन भारतीय मू तकला क ग त का तीक माना है। य द हम भगत के मू त श प का यानपूवक अ ययन कर
जो क काफ बड़ी सं या म ह तो यह महसूस कया जाएगा क इनके मा यम से हम मू तकला े के उतार चढ़ाव
वचार और साम य म योग सर के वचार के भाव को आ मसात करने के बारे म जानगे। दे श और अपने भीतर
आव यक अंत वरोध और खोज का अ ययन कर रहे ह। यह जसने ब त या ा क है गु त प से काम कर रहा
है खुली आँख से प रवेश को दे ख रहा है और अक पनीय संभावना क खोज कर रहा है।
सोमनाथ होरे
उनके बारे म यात लेख क मागो लखते ह क हालाँ क होरे ने कागज पर सांके तक घाव बनाए ह फर कांसे म
घाव कए ह ले कन ा फक ट के बजाय बेसहारा भूख े और द लत के त उनक क णा का अंतर उनके मू तयां
अ धक भावशाली ह।
सोमनाथ के ा फक ट के साथ साथ उनक मू तकला भी आधु नकता को प रभा षत करती तीत होती है। इस
आधु नक मू तकार को कसके ारा प भूषण से स मा नत कया गया है
Machine Translated by Google
मीरा मुख ज
. हम सारां शत कर बंगाल कू ल
इस तरह हम पाते ह क आधु नकता को वा तव म एक बदलती वृ कहा जा सकता है जो नरंतर नए भाव को लेक र
चलती है। साथ ही यह आधु नक धारणा को समा हत करते ए अपने प म कई आयाम के साथ चलता है। इसी कारण
अब न नाथ टै गोर को भी उन लोग म माना जाता है ज ह आधु नक भारतीय च कला म पुनजागरण लाने का ेय दया
जाता है।
बंगाल कू ल के कलाकार क सरी पीढ़ इस पथ क ओर उ मुख थी और उनके मा यम से भारतीय कला आधु नकता
के वचार के साथ वै क मंच पर उभरी। सरी पीढ़ के कलाकार के मत से यह कहा जा सकता है क आधु नक कलाकार
़ढवा दता से बाहर नकलकर वयं को नई वृ यां दान कर चुक ा है। यह न ववाद प से वीकार कया जाना चा हए
क शहरीकरण ने आधु नक धारणा को भी दशा द है।
. अपनी ग त क जाँच कर
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
Machine Translated by Google
अ वाल डॉ. आरए कला वलास भारतीय छा कला का वकास अंतरा ीय काशन गृह मेरठ
कपूर गीता. आधु नकतावाद कब था भारत म समकालीन सां कृ तक अ यास पर नबंध। नई द ली तू लका
.
वमा अ वनाश बहा र भारतीय च कला का इ तहास काश बुक डपो बरेली
वाच त गैरोला भारतीय च कला का सं कार इ तहास लोक भारती काशन इलाहाबाद
अ यास
. उ े य
. सीखने के प रणाम
. प रचय
. अमृता शेर गल
. अमृता शेर गल क प ट स
. रव नाथ टै गोर
. रव नाथ टै गोर क प टग
. जा मनी रॉय
. जै मनी रॉय क प टग
. आइए सं ेप कर
. अपनी ग त क जाँच कर
. संदभ और आगे क री डग
. उ े य
इस इकाई के उ े य ह
चार अ णी कलाकार अमृता शेर गल जै मनी रॉय गगन नाथ टै गोर और रव नाथ टै गोर के बारे म पूछ।
. सीखने के प रणाम
पछली इकाइय म आपने पढ़ा क कस कार के बाद भारत म टश शासन क ापना के साथ कला
व ालय क ापना ई और भारतीय कला प र य पर यूरोपीय भाव ापक प से महसूस कया गया। हालां क
उ ीसव शता द के अंत म श ण के तरीके पर गंभीर आलोचना ई य क मु य प से नधा रत पा म मु य
प से कला पु तक और शा ीय यूरोपीय मू तय के ला टर का ट से ली गई यूरोपीय कला क तय क तलप
बनाने के लए था। नतीजतन इन कू ल से नकाले गए अ धकांश छा म उनके यूरोपीय समक क तकनीक
द ता का अभाव था। उनके काम यूरोपीय शैली के खराब ु प थे। आपने यह भी दे ख ा है क इस समय के
आसपास यूरोपीय तकनीक का इ तेमाल करने वाला सबसे शं सत कलाकार कला व ालय से नह था ब क मु य
प से एक व सखाया कलाकार राजा र व वमा था। कै नवास और ओले ाफ पर तेल क नई तकनीक म उ ह ने
भारतीय आदश जीवन और का च ण कया। तकनीक खा मय के बावजूद रंग के उनके शानदार उपयोग और
वषय क का ा मक तु त ने उनके समकालीन को भारतीय और टश कु लीन और आम लोग दोन को मं मु ध
कर दया।
सद के अंत म पारंप रक भारतीय कला के लए शंसा क लहर आई जसक पहले नए शासक यानी अं ेज ने नदा
क थी। अजंता के भ च क खोज ा यवाद रा ीय शैली के तपादक बनने और वदे शी आंदोलन ने आधु नक
कला म एक भारतीय मुहावरे क खोज को ग त दान क । इस नए प र य म अव न नाथ टै गोर और उनके अनुयायी
रा ीय शैली के मुख तपादक बन गए।
. अमृता शेर गल
उसके मन। वह मु य प से ामीण भारतीय म हला के उदास जीवन का त न ध व करने वाले च के लए जानी अ णी कलाकार और उनक कला
अ यास
जाती ह। भारत म उनक या ा ने उ ह भारतीय कला क उ कृ कृ तय से अवगत कराया। उनक प रप व रचनाएँ
अजंता भ च मैटचरी भ च मुगल लघु और पहाड़ी च कला से भा वत थ ।
उ ह ने अपने काम म तीन चौथाई चेहर कोणीय भूरे शरीर और कठोर छाया के साथ अजंता के ल बी आकृ तय के
साथ गौगुइन के सरलीकृ त प को जोड़ा।
यह संलयन भारतीय कला प र य म एक नई तकनीक अ भ लेक र आया जो शेर गल के लए व श थी। उसने
शंसनीय ता के साथ ोफाइल म चेहरे ख चे। परेख ा को सामने लाने के लए उसने मॉड लग का सहारा लेने के
बजाय वपरीत पृ भू म का इ तेमाल कया। उनका काम सम स ाव दखाता है। वह सीधी रोशनी और का ट शैडो के
इ तेमाल से बचती थ । ले कन रंग क तानवाला ताकत से काश ब त भावी ढं ग से सुझ ाया जाता है। शेर गल क एक
सीमा यह थी क उसने जीवन से च नह बनाया इसके बजाय वह यादातर अपने नौकर के मॉडल का इ तेमाल
करती थी।
उनके च म भारतीय वषय वशेष प से म हला को फ क आँख से च त कया गया था। उनके ख चे ए
चेहर पर शेर गल ने इ तीफे और नराशा क अ भ को दशाया। आपको यह दे ख ना दलच होगा क जब उसने
खुद को च त कया तो उसने खुद को अपनी त के नयं ण म एक आ म व ास से भरी पेशेवर म हला के पम
च त कया।
. अमृता शेर गल क प ट स
पो ट इं ेश न ट शैली के पैची शवक के बावजूद शेर गल महीन कपड़े का म पैदा करने म कामयाब रहे।
बड़ी सादगी सी मत रंग पैलेट और अ तसू मवाद के साथ शेर गल ने एक उ ेज क क पना तैयार क । अ णी कलाकार और उनक कला
अ यास
अमृता शेर गल पहली ऐसी कलाकार थ ज ह ने एक म हला के जीवन म इ ा ख और अके लेपन को बाहर
नकाला। यह पथ वतक काय है। आप दे ख सकते ह शेर गल ने चारपाई से एक मजबूत वकण बनाया था जहां लाल
सलवार कमीज और प ा पहने एक म हला को उस पर लेटे ए दखाया गया है। लाल टांग से जगमगाती चारपाई
दशक क नगाह मु य नायक क ओर ख चती है। उसक महद से सजी हथेली और लाल बद उसक वैवा हक त
को दशाती है। उसके कटे ए पैर अधूरे यौन इ ा का संके त दे ते ह।
एक म हला के जीवन म बो रयत और हताशा का संके त बूढ़ औरत ने हाथ म पंख ा लेक र आगे बढ़ाया है। उसका नचला
सर नराशा और भा य के त समपण का संके त दे ता है। इस काम म उ ह ने नंगे ज री सामान यानी पानी का घड़ा
और कोने म रखे गलास के साथ इंट रयर दखाया है.
. जै मनी रॉय
इस भाग म आप जै मनी रॉय क कलाकृ तय के बारे म जानगे जनक कला के साथ जुड़ाव उनके सभी समकालीन
से अलग था। साम ी वषय व तु और औपचा रक भाषा का उनका उपयोग जसे उ ह ने तक वक सत
कया था न तो कला व ालय क अकाद मक शैली और न ही अब न नाथ क पुन ानवाद शैली से उधार लया
गया था ब क बंगाल क लोक कला जैसे प ा च कालीघाट और बांकु रा जले म उनके गांव क टे राकोटा कला।
एक सरल ले कन श शाली शैली म रॉय ने कला व ालय और ा यवा दय क वचारधारा के अ यापन को
चुनौती द ।
इसी तरह उनके रंग ानीय प से उपल साम य से तैयार कए गए थे। लोक य पौरा णक कथा रोजमरा क
जदगी प य जानवर और बंगाली कहावत क कहा नय ने उनक वषय व तु बनाई। उ ह ने अ य परंपरा के
लए अपनी शैली क उपयु ता क जांच करने के लए ईसाई वषय के साथ भी योग कया। एक साधारण शैली म
उ ह ने अ भ ंज क क पना का नमाण कया जो उनके सुख दायक शांत के लए जानी जाती थी। उनके च ने उनके
उ वल काश के साथ काइरो कोरो और यथाथवाद मॉड लग के त उपे ा दखाई।
आप पाएंगे क उ ह ने लोक कला म दे ख े जाने वाले अनाव यक अलंक रण और सजावट तामझाम को भी समा त कर
दया है। उनक आ म व ासी रेख ा ने आव यक जै वक प को सामने लाया और उनके काय म एक गीता मक गुण
जोड़ा। ारंभ म जै मनी रॉय ने छ व को रचना के क म रखा। धीरे धीरे उसके आंक ड़े े म तक प ंचते ह और अंत म
े म से परे। उनके काम म कालातीतता का गुण है। वह मूल रेख ा और रंग म दान क गई लय और डजाइन क एकता
के मा यम से वा त वक स च प को बनाने म सफल रहे।
Machine Translated by Google
इस काम को दे खए यहाँ जै मनी रॉय ने एक माँ को अपने ब े क मदद करते ए दखाया है जब वह ाथना कर रहा
होता है। ववेक पूण रेख ाएं चपटा प और भाववाद प र य म ा पत म के रंग पैलेट का उपयोग उनके गत
मुहावरे क खोज म उनके पहले चरण के योग क वशेषताएं ह। उनक पं य म आप लय दे ख सकते ह. कृ त म
का ा मक गुण है।
Machine Translated by Google
जा मनी रॉय ने कृ ण से संबं धत कई प टग बना । यहाँ हम दे ख ते ह क जै मनी रॉय ने अपनी रचना म कतनी
खूबसूरती से एकता ा त क । एक सपाट पृ भू म के खलाफ जै मनी रॉय ने एक अ भ ंज क कृ त बनाई जसम
यशोदा को गाय को ध पलाने के अपने दै नक काम म लगा आ दखाया गया है जब क बाल कृ ण अपनी माँ को गले
लगा रहे ह। उ ह ने कृ ण को नीले रंग म च त करने म पारंप रक तमा का पालन कया। उनक बो वी पग लाइन
काम के गीतकार को जोड़ती ह।
च . तीन पुज ारन जै मनी रॉय पेपर बोड पर टे रा नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडन
कला
Machine Translated by Google
. रव नाथ टै गोर
आप जानते ही ह गे क रव नाथ टै गोर एक महान क व थे। वह सा ह य म त त महान पुर कार ा त करने वाले
पहले गैर यूरोपीय थे। या आप जानते ह क टै गोर कला म अवंत गाड के च कार और तावक भी थे रव नाथ
टै गोर ने अपने जीवन म ब त दे र से प टग शु क जब वे साठ के दशक के उ राध म प ंचे। उ ह ने एक जला शैली
वक सत क जो पहले आधु नक भारतीय कला म नह दे ख ी गई थी। यही कारण है क हम उ ह एक अ णी कलाकार
के प म मानते ह। क व क कला मक या ा उनक नोटबुक म शु ई जहां उ ह ने दलच डू डल बनाकर ॉस
आउट टे ट को छपाना शु कया। कला म उनक च क खोज अजट ना के लेख क व टो रया ओका ो ने
म क थी जब क व पे रस म थे। आप यह नोट करना चाहगे क प मी कला जगत म इस समय के आसपास आ दम
अ तयथाथवाद और बाल कला क काफ मांग थी। टै गोर कला इन वृ य के लए एक उ लेख नीय समानता थी
इसके अलावा एक महान पुर कार वजेता क व और रदश के प म उनक त ा ने अंतररा ीय जनता का त काल
यान आक षत कया। उनके व के इस अ ात पहलू से वे हैरान थे। रात रात उ ह अपनी कलाकृ तय के लए
सफलता मली। उनक दश नयां यूरोप अमे रका और भारत म आयो जत क ग । समी ाएं का शत क ग और
आलोचक ने उनके काय क गुण व ा के बारे म अनुकू ल प से लखा।
रव नाथ टै गोर के वषय म रह यमय मानव चेहरे जानवर प र य का प नक इमारत ेमी आ द शा मल थे। याही
के एक सरल मा यम के साथ उ ह ने ऐसे काय का नमाण कया जो रह य जीवन श और अपार ऊजा का आ ान
करते थे। उनक वाहमयी लयब रेख ाएँ ब जैसी तकनीक सरलता ने आधु नक भारतीय कला को तनधव
का एक नया तरीका दया।
. रव नाथ टै गोर क प टग
इस काम को दे ख और शीषक पर वचार कर। या आप जानते ह क टै गोर क अ धकांश कलाकृ तय का शीषक नह अ णी कलाकार और उनक कला
अ यास
था टै गोर ने शायद रह य का एक त व जोड़ने के लए अपने काय को बना शीषक के रखा। काम का वतमान शीषक
सं हालय ारा आम जनता के लए काम को और अ धक समझने यो य बनाने के लए जोड़ा गया था। इस काम को
यान से दे खए यहां प ी का लगता है ले कन हाथ पैर प ी के ह। अपनी फै ली ई भुज ा आगे क हरकत और
उड़ते ए कपड़ से वह ऐसा लग रहा है जैसे कोई च कर लगा रही हो। यही कारण है क सं हालय ने इसे एक नृ य
म हला के प म ना मत कया है। ले कन जरा सो चए वह कहां नाच रही है हम नह जानते। पृ भू म को दे ख
छायांक न के मा यम से टै गोर ने गहराई बनाई जो पृ भू म को कोहरे जैसी गुण व ा दान करती है।
हम जो दे ख सकते ह उससे परे कु छ है। उनक कृ तय म रह य का भाव है। वह डाक और लाइट कं ा ट बनाने म मा हर
थे।
ोत https thewire.in the arts rabindranath tagores paintings reveal his quest for the
नया से परे श द
भारतीय पुनजागरण बंगाल जीव पेड़ और लता आ द। डू ड लग उनके जीवन के लगभग अंत तक उनक कला मक या ा का एक मह वपूण पहलू
कू ल
बना रहा।
गगन नाथ यू ब ट योग रह य लय और गीतकार बनाने के लए उनक रचना म काश और छाया क खोज के
बारे म अ धक थे। उ ह ने अपनी रचना क योजना बनाने म ब त यान दया। काले भूरे और सफे द रंग म कं ा ट के
उपयोग के मा यम से अंत र के उनके वभाजन ने उनके यू ब ट च पर एक नाटक य भाव डाला। उनके काम म
आप जन आकषक गुण पर यान दगे उनम से एक वह सू म अंतर था जो वह वा त वक और अस य े के बीच
दखाता है। उनके काय क यह परी कथा सा ह य और रंगमंच म उनक च के कारण है। उ ह ने रव नाथ टै गोर के
नाटक के लए मंच और वेशभूषा भी डजाइन क ।
Machine Translated by Google
गगन नाथ का एक और मह वपूण योगदान उनके कै रके चर थे जो शहरी जीवन और सामा जक कु री तय के पाखंड पर अ णी कलाकार और उनक कला
अ यास
ं य के प म थे। आप उनक कलाकृ तय के मा यम से दे ख गे क वे एक ब मुख ी कलाकार थे ज ह ने व भ
मा यम और शैली म काम कया। चाहे उनक प ट स ह ट ह या कै रके चर ह वे भारतीय कला प र य म एक
नया आनंददायक पा म लेक र आए।
. क प टग और लथो ाफ
गगन नाथ टै गोर
गगन नाथ टै गोर के इस काम पर यान द। यह अ य धक नाटक य है। दलच बात यह है क गगन नाथ ने के वल
तीन रंग का उपयोग करके नाटक य भाव हा सल कया सफे द काला और लाल। मंच पर जैसे य सामने आता है।
दशक रचना का ह सा बन जाता है और उसे अ भू म से एक सु वधाजनक ब दया जाता है जो एक थएटर म दशक
का ान तीत होता है। लाल रंग का एक व तार आँख को मु य य क ओर ख चता है जहाँ एक राजकु मारी जसे
मुकु ट ारा दशाया गया है संभवतः कै द म दखाया गया है।
गगन नाथ ने बंगाली भ लोक यानी प मी श त भारतीय अ भजात वग के पाखंड पर ट पणी करने के लए ंय
क एक ृंख ला क । यहाँ हम दे ख ते ह क एक बंगाली स न ज द से प मी कपड़ म बदल रहे थे जब एक े न के
गाड ने उ ह पकड़ लया।
वह न त प से धोती कु ता के अपने भारतीय प रधान म अ धक सहज थे हालां क सावज नक प से वे प मी
साहब के प म दखना चाहते थे। अपनी भारतीय पहचान को छपाने के लए आदमी क ज दबाजी का सुझ ाव उसके
खुले सूटके स म बखरे ए कपड़े एक पैर मोजे के साथ और सरा नंगे से है। उनका सगार फर से प मी जीवन शैली
क उनक बेवजह नकल करने का संके त है।
Machine Translated by Google
. अपनी ग त क जाँच कर
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
...................
Machine Translated by Google
भारतीय पुनजागरण बंगाल गगन नाथ टै गोर के क ह दो कै रके चर क चचा कर जो म हला के च ण से संबं धत ह
कू ल
...................
...................
...................
...................
...................
असाइनमट II हमारे वतमान समाज म मौजूद कसी भी सामा जक बुराई पर ट पणी करने के लए एक कै रके चर बनाएं।
जै मनी रॉय क कला। कलक ा बड़ला एके डमी ऑफ आट एंड क चर और जै मनी रॉय ज म शता द समारोह स म त
।
https thewire.in the arts rabindranath tagores paintings reveal his quest for the world
beyond words माच को ए सेस कया गया