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स्वत्व-रक्षा

(सदाबहार कहानियाँ)

प्रश्नों के उत्तर दें |

क) मीर साहब कौन थे और उन्होंने घोड़ा क्यों खरीदा ?


उत्तर- मीर साहब कचहरी में काम करते थे| शहर के बाहर उनका मकान था| रोज घर से कचहरी तक
जाने के लिए उन्हें तीन मील की दरू ी तय करनी पड़ती थी| इसलिए घर से कचहरी और कचहरी से घर तक
आने-जाने के लिए उन्होंने एक घोड़ा खरीदा|

ख) घोड़े में क्या विशेषताएँ थीं ?


उत्तर- घोड़े में कोई ऐब न था पर उसमें आत्मसम्मान की मात्रा अधिक थी| उसे, उसकी इच्छा के विरुद्ध
अपमानसच
ू क काम में लगाना कठिन था| रविवार के दिन को वह विश्राम का दिन मानता था | मीर साहब
की सेवा से प्रसन्न होने के कारण भोजन की मात्रा कम होने पर भी वह संतष्ु ट जान पड़ता था | वह बड़ा ही
स्वामिभक्त था| वह नियमित रूप से मीर साहब को प्रसन्नता पर्व
ू क कचहरी पहुँचा दिया करता था|
उसकी चाल में आत्मिक संतोष था| दौड़ना वह अपनी स्वाभाविक गंभीरता के प्रतिकूल समझता था|

ग) आप कैसे कह सकते हैं कि घोड़ा अपने अधिकारों के प्रति सचेत था ? उदाहरण दे कर स्पष्ट करें |
उत्तर- घोड़ा नियमित रूप से प्रसन्नता पर्व
ू क मीर साहब को कचहरी पहुँचा दिया करता था| उसे अपने
रविवार के शांति निवास से प्रेम था | मीर साहब रविवार को घोड़े को मलते, नहलाते और तैराते थे | इससे
घोड़े को हार्दिक आनंद प्राप्त होता था | इस दिन वह छप्पर की शीतल छाँव में हरी- हरी दब
ू खाने का
आनंद उठाता था| इसलिए रविवार को आराम करना वह अपना हक समझता था| इस प्रकार घोड़े के इस
हाव-भाव को दे खकर हम कह सकते हैं कि घोड़ा अपने अधिकारों के प्रति सचेत था|

घ) मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति कैसा था?
उत्तर- मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति बहुत ही क्रूर था| मश
ंु ी जी के बेटे की बारात में जब
घोड़े ने चलने से मना किया तो उस पर कई चाबक
ु लगाए गए जिससे उसके नथन
ु ों से खन
ू बहने लगा|
उसकी पँछ
ू के पास एक जलता हुआ कंु दा जलाया गया जिससे उसकी पँछ
ू जल गई| दो पहिया गाड़ी में
धोखे से घोड़े के दोनों अगले पैर रखवाए गए और गाड़ी को लोगों से खींचवाया गया जिससे घोड़े के
पिछले पैरों में घाव हो गया| इस प्रकार मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति बड़ा ही
अन्यायपर्ण
ू था|

ड.) इस कथन का तात्पर्य स्पष्ट करें - वह परू ा सत्याग्रही था|


उत्तर- सत्याग्रही अर्थात- सत्य के लिए आग्रह करनेवाला | सच्चाई के लिए, अपने हक के लिए लड़ना |
घोड़ा जानता था कि रविवार का दिन उसके आराम का दिन है , इस दिन वह किसी भी कीमत पर बेगारी
नहीं करे गा| मश
ंु ी जी ने अपने बेटे के विवाह के लिए घोड़े को कई प्रकार के लालच दिए पर जब वह न
माना तब उस पर चाबक
ु बरसाए गए | उसकी पँछ
ू के पास जलता हुआ कंु दा जलाया गया| इतनी
यंत्रणाओं के बावजद
ू घोड़ा टस- से- मस नहीं हुआ| इससे हम कह सकते हैं कि वह परू ा सत्याग्रही था |

च)अंत में जीत किसकी हुई ? कैसे?


उत्तर- अंत में जीत घोड़े की हुई| मश
ंु ी जी ने अपने बेटे की बारात के लिए घोड़े को कई प्रकार के लालच
दिए पर जब घोड़ा न माना तब उसे कई यंत्रणाएँ दी गई | इसके बावजद
ू वह अपनी दृढ़- प्रतिज्ञा पर अड़ा
रहा| विवाह का मह
ु ू र्त टल गया था और अब पैदल चलने के सिवाय मश
ंु ी जी के पास और कोई उपाय न
था|

छ) मानव स्वभाव में यह हरकत दर्गु


ु ण मानी जाएगी - क्यों और कैसे?
उत्तर- मनष्ु य एक सामाजिक प्राणी है | उसे समाज के नियमों का पालन करना पड़ता है , समाज में उसे
मिल -जल
ु कर रहना पड़ता है | एक- दस
ू रे की मदद करनी पड़ती है | अगर मानव स्वभाव में घोड़े का यह
अड़ियल गण
ु आ जाए तो वह समाज से दरू हो जाएगा सभी उससे अपना संबध
ं तोड़ दें गे |

समाप्त

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