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स्वत्व रक्षा
स्वत्व रक्षा
(सदाबहार कहानियाँ)
ग) आप कैसे कह सकते हैं कि घोड़ा अपने अधिकारों के प्रति सचेत था ? उदाहरण दे कर स्पष्ट करें |
उत्तर- घोड़ा नियमित रूप से प्रसन्नता पर्व
ू क मीर साहब को कचहरी पहुँचा दिया करता था| उसे अपने
रविवार के शांति निवास से प्रेम था | मीर साहब रविवार को घोड़े को मलते, नहलाते और तैराते थे | इससे
घोड़े को हार्दिक आनंद प्राप्त होता था | इस दिन वह छप्पर की शीतल छाँव में हरी- हरी दब
ू खाने का
आनंद उठाता था| इसलिए रविवार को आराम करना वह अपना हक समझता था| इस प्रकार घोड़े के इस
हाव-भाव को दे खकर हम कह सकते हैं कि घोड़ा अपने अधिकारों के प्रति सचेत था|
घ) मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति कैसा था?
उत्तर- मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति बहुत ही क्रूर था| मश
ंु ी जी के बेटे की बारात में जब
घोड़े ने चलने से मना किया तो उस पर कई चाबक
ु लगाए गए जिससे उसके नथन
ु ों से खन
ू बहने लगा|
उसकी पँछ
ू के पास एक जलता हुआ कंु दा जलाया गया जिससे उसकी पँछ
ू जल गई| दो पहिया गाड़ी में
धोखे से घोड़े के दोनों अगले पैर रखवाए गए और गाड़ी को लोगों से खींचवाया गया जिससे घोड़े के
पिछले पैरों में घाव हो गया| इस प्रकार मश
ंु ी जी के घर के लोगों का व्यवहार घोड़े के प्रति बड़ा ही
अन्यायपर्ण
ू था|
समाप्त