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जड़ व चेतन में क्या असमानता है? जीव व निर्जीव क्या है?

जीव इनसे सम्बन्ध क्यों रखता है?

वैसे तो जड़ और चेतन को अलग अलग अर्थो में देखा जा सकता है पर आपके प्रन श्नके अनुसार इसका
अर्थ — निम्न है

शरीर जड़ है , नशवर है और आत्मा चेतन ! अविना शहै शरीर के भीतर जो आत्मा है, उसी परम ऊर्जा का अंश
है /इस ऊर्जा के बिना इसा शरीर का कोई अस्तित्व ही नहीं है /

सजीव और निर्जीव - सजीव — सजीव वह है जो अपना भोजन करते है श्वाश लेते है चलते फिरते है
जैसे - पेड़ ,मनुष्य जिव जंतु /

निर्जीव - वो जो नहीं श्वाश लेते है नहीं चलते फिरते है नहीं खाना कहते है यह सब निर्जीव ही है
आत्मा सजीव और इसके जाने के बाद शरीर निर्जीव में बदल जाते है

जड़ व चेतन में क्या असमानता है? जीव व निर्जीव क्या है? जीव इनके साथ सम्बन्ध क्यों रखता है?

जड़ और चेतन दो प्रमुख भौतिक अवस्थाएं हैं जो प्राणियों और प्रकृति में पाई जाती हैं। इनमें
असमानता है:

1. जड़: जड़ वस्तुओं में जीवन की कोई चेतना या ज्ञान नहीं होता है। जड़ पदार्थ स्थायी
होते हैं और उनमें स्वतंत्र क्रियाएं नहीं होती हैं। उदाहरण के रूप में, पत्थर, मिट्टी,
पहाड़ आदि जड़ पदार्थ हैं।
2. चेतन: चेतन पदार्थों में जीवन की चेतना या ज्ञान होता है। चेतना जीवन की पहचान
और संचालन करने की क्षमता होती है। चेतन पदार्थ सक्रिय होते हैं और अपनी
क्रियाओं को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित कर सकते हैं। जीव चेतन पदार्थ होते हैं।
जीव और निर्जीव दो प्रमुख शब्द हैं जो चेतन और जड़ को व्यक्त करने के लिए उपयोग होते हैं:

1. जीव: जीव चेतन पदार्थ होते हैं जिनमें जीवन होता है। ये जीव ज्ञान, चेतना,
लता
संवेदन लता , प्रजनन, विकास और स्वतंत्रता की क्षमता रखते हैं।
शी

जड़ व चेतन में क्या असमानता है? जीव व निर्जीव क्या है? जीव इनके साथ सम्बन्ध क्यों रखता है?

जड़ और चेतन दो प्रमुख भौतिक अवस्थाएं हैं जो प्राणियों और प्रकृति में पाई जाती हैं। इनमें
असमानता है:

1. जड़: जड़ वस्तुओं में जीवन की कोई चेतना या ज्ञान नहीं होता है। जड़ पदार्थ स्थायी
होते हैं और उनमें स्वतंत्र क्रियाएं नहीं होती हैं। उदाहरण के रूप में, पत्थर, मिट्टी,
पहाड़ आदि जड़ पदार्थ हैं।
2. चेतन: चेतन पदार्थों में जीवन की चेतना या ज्ञान होता है। चेतना जीवन की पहचान
और संचालन करने की क्षमता होती है। चेतन पदार्थ सक्रिय होते हैं और अपनी
क्रियाओं को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित कर सकते हैं। जीव चेतन पदार्थ होते हैं।
जीव और निर्जीव दो प्रमुख शब्द हैं जो चेतन और जड़ को व्यक्त करने के लिए उपयोग होते हैं:

1. जीव: जीव चेतन पदार्थ होते हैं जिनमें जीवन होता है। ये जीव ज्ञान, चेतना,
लता
संवेदन लता , प्रजनन, विकास और स्वतंत्रता की क्षमता रखते हैं।
शी
चेतन, अचेतन और अवचेतन मन में क्या अंतर है?

चेतन मन- जब हम कोई कार्य सक्रिय अवस्था में रहकर करते है तब उसे हम चेतन मन कहते हैं। याने
हमारा माइंड उस समय पूरी तरह एक्टिव होता है। चेतन मन को हम एक्टिव माइंड भी कह सकते हैं। जब हम
कोई कार्य को पहली बार सीखते या करने की को शिशश करते है तो उस समय हमारा मन पूरी तरह चेतन अवस्था
में होता है या पूरी तरह एक्टिव होता है। हमारा पूरा ध्यान उस कार्य के प्रति हो जाता है। यही चेतन मन
हैं।

अचेतन मन- यह मन का लगभग 90% हिस्सा है जिसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती।
यह मन की स्वस्थ एवं अस्वस्थ क्रियाओं पर प्रभाव डालता है। इसका बोध व्यक्ति को आने वाले सपनो से
हो सकता हैं।

अवचेतन मन - जब हम कोई कार्य को बिना डर या झिझक के कर लेते हैं या करते हैं जिसमें किसी
प्रकार का कोई दबाव या झिझक नहीं होता है यही अवचेतन मन होता है। उदाहरण के तौर पर जब आप गाड़ी
चलाना सीख जाते है तो बिना डर, भय के कोई भी रास्ते में चला लेते हैं उस समय कोई झिझक नहीं होती
हैं यही अवचेतन मन हैं।

किंगलेखक ने 413 जवाब दिए हैं और उनके जवाबों को 6.2 लाख बार देखा गया है5 वर्ष

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चेतन, अचेतन और अवचेतन मन में क्या अंतर है?

दुनिया में दिखाई देने वाली हर चीज़, हर वस्तु के तीन आयाम होते हैं। यह तीन आयाम हैं - लंबाई,
चौड़ाई और गहराई। हमारा मन भी त्रिआयामी है। हमारे मन के तीन आयाम चेतन, अचेतन और अवचेतन
हैं। मन की संरचना भी किसी भौतिक पदार्थ की भांति ही है बस फर्क इतना है कि मन सूक्ष्म होता है इसलिए
दिखाई नहीं देता है जबकि भौतिक पदार्थ स्थूल होते हैं इसलिए दिखाई पड़ते हैं।

हमारा सामान्य जीवन क्रम मन की चेतन अवस्था से संबंधित होता है। हमारी दिनचर्या से जुड़े सभी कार्य
चेतन मन से संचालित होते हैं। हमारी नींद व सपनों का संबंध अचेतन मन से है जब हम सो जाते हैं
तब हमारा अचेतन मन जाग्रत रहता है। मन का अवचेतन स्तर अत्यधिक सूक्ष्म है जिसका संबंध ध्यान,
आंनद और निस्वार्थ भावना से होता है।

लकायशा
मन की संरचना काफी हद तक समुद्र में डूबी हुई वि लकाय बर्फ की चट्टान के जैसी होती है जिसका कुछ
हिस्सा सतह के ऊपर होता है जिसे हम देख पाते हैं हालांकि यह संपूर्ण चट्टान का बहुत छोटा हिस्सा
होता है इसे हम चेतन मन कह सकते हैं।

बर्फीली चट्टान का शेष भाग पानी में डूबा रहता है। इसे हम तब तक नहीं देख पाते हैं जब तक हम स्वयं
गहराई में न जाएं। चट्टान के इस हिस्से की तुलना अचेतन मन से की जा सकती है। कठिन होता है
अचेतन तक पहुंच पाना।

इन दो हिस्सों के अतिरिक्त बर्फीली चट्टान का एक हिस्सा वाष्प बन जाता है और आकाश में छोटे-छोटे
बादल बनकर मंडराने लगता है। यही अवचेतन मन है। उस बादल तक पहुंच पाना करीब - करीब असंभव है
यही कारण है कि ध्यान कठिन है और समाधि दुसाध्य है।

जागरण व चिंतन की घटनाएं चेतन मन में सम्पन्न होती रहती हैं। जब हम गहरी नींद में होते हैं और
चेतन मन शांत होता है जाता है तब अचेतन मन क्रिया ललशी
होता है। जब अवचेतन मन भी शून्य हो जाता है
तब अतिचेतन में प्रवेश मिलता है हालांकि यह अवस्था बिरलों को ही प्राप्त हो पाती है
और उनके जवाबों को 6.9 लाख बार देखा गया है4 वर्ष

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अचेतन और अवचेतन मनन में क्या अंतर है?
मन को तीन भागों में बांटा जा सकता है-

1. चेतन मन (Conscious Mind)


2. अवचेतन मन (Subconscious Mind)
3. अचेतन मन या बेहोश मन (Unconscioys Mind)
हम तीनों के बारे में थोड़ा- थोड़ा उदाहरण के साथ जान लेते हैं -

चेतन मन (Conscious Mind)

चेतन मन हमारा सक्रिय दिमाग (Active Mind) होता है जिसे हम हमारी सक्रीय अवस्था कहते है जिससे हम
हमारे सोच विचार तर्क से कोई भी निर्णय लेते है कार्य करते है।

जैसे उदाहरण के लिए - हम पहली बार ड्राइविंग सीखते है तो हमारा पूरा ध्यान हमारे कार पर ही होता है।
इस तरह हमारा चेतन मन काम करता है,जो कुछ हमारे साथ हो रहा है,जो हम अभी देख रहे है,महसूस कर
रहे है ये सब चेतन मन के उदाहरण है।

अवचेतन मन (Sub-Conscious Mind)-

कुछ समय बाद काफी अभ्यास कर लेने पर जब


हम कार चलाते है तब कार चलाते-चलाते
फोन पर बाते करना,गाना सुनाना ये सब
क्रियाए एक साथ बिना झिझक के करते
है,क्यों की ये सब क्रियाएं हमारे अवचेतन
मन से होती है।
हमारा चेतन मन जिस किसी भी बात को जान
लेता है जिस बात पे विवास सश्वा
कर लेता है
चाहे फिर वो बात अच्छी हो या बुरी आप का
अवचेतन मन उसे हकीकत में ढल लेता है।

अवचेतन मन सोच विचार तर्क नहीं कर सकता।


हमारी समझ हमारी मान्यता का सीधा असर
अवचेतन मन पे होता है, हमारी सफलता
हमारे असफलता का सीधा जुड़ाव अवचेतन मन
से ही है
अवचेतन मन एक बच्चे के मन के जैसा होता
जिस रूप में आप उसे ढल देंगे वो उसी रूप
में बन जायेगा।

इस तरह हमारा अवचेतन मन


एक Autopilotsystem की तरह काम करता है,
ये एक program की तरह है, पर
इसकी Operating हमारे चेतन मन(conscious
mind) द्वारा होती है।

अचेतन मन (Unconscious Mind) -

अचेतन मन में ऐसी प्रक्रियाएँ होती हैं जो स्वतः


घटित होती हैं और आत्मनिरीक्षण के लिए उपलब्ध
नहीं होती हैं, और इसमें विचार प्रक्रियाएँ, यादें,
रुचियाँ और प्रेरणाएँ शामिल होती हैं।

इस प्रकार अचेतन मन को सपने और स्वचालित


विचारों के स्रोत के रूप में देखा जा सकता है (जो
बिना किसी स्पष्ट कारण के दिखाई देते हैं), भूली हुई यादों का भंडार (जो बाद के समय में चेतना के लिए
सुलभ हो सकता है)।

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क्या है चेतन और अवचेतन मन, और यह कैसे काम करता है?

दोस्तों आज के इस जवाब में आपको चेतन और अवचेतन मन 🧠 के बारे में विस्तार से पढने को
मिलेगा| इस जवाब में आप क्या सीखेगे

1. Conscious और Subconscious mind क्या है ?


2. इन दोनों दिमाग का क्या काम होता है ?
3. इसको कैसे हम अपने फायदे के लिए use कर सकते है ?
Conscious mind क्या है ?

Conscious mind =आप present समय में जो भी thought सोचते है ,वो सब आप अपने conscious mind से
सोचते है |जैसे:- आप इस जवाब को पढ़ रहे है ,तो आप के मन में इस समय जितने भी thought आ रहे
है ,वो सब Conscious thought होते है |

और इस mind को हम आसानी से control कर सकते है |लेकिन हमारा अवचेतन मन ऐसा नही है

Subconscious mind(अवचेतन मन ) क्या है ?

Subconscious mind = Subconscious mind हमारे दिमाग का वो हिस्सा होता है जिसमे हमारी लाइफ की
पुरानी मेमोरीज स्टोर रहती है |आपके के जिंदगी में जो भी चीजे आपके साथ हुई है चाहे वो अच्छी हो
या बुरी ,वो सब इस mind में स्टोर रहती है ,जिसे हम programming कहते है यानी कोई भी इंसान कैसा
होता है ,वो निर्भर करता है की उनकी कैसे प्रोग्राम किया गया है |

जो यदि आपको पहले से प्रोग्राम किया गया है की आप एक आलसी व्यक्ति है ,तो आप कभी भी किसी काम
को productive तरीके से नही पूरा कर सकते क्युकी आपका दिमाग इसको करने के लिए आपको allow नही
करेगा ,ये आपको अलग -अलग प्रकार की excuse को देगा ताकि आप उनको न करे |

और एक survey में पता चला है की हम अपने दिन में जितने भी काम करते है ,उसमे से 90 % + काम हम
अपने Subconscious mind से करते है यानी जो चीजे हमारे अन्दर पहले से प्रोग्राम है उसके
हम कोई काम करते है |
अनु ररशा
इसलिए आपने सुना होगा ,यदि आप अपने जिंदगी में सफल होना चाहते है ,तो आपको अपने mind को
control करना होगा ,आपको पॉजिटिव सोचना होगा .ऐसा इसलिए कहा जाता है ,ताकि हमारे subconscious mind
में अच्छी चीजे स्टोर हो |

तो अब हमे समझ आ गया की क्यों हमे अच्छा सोचना चाहिए ,लेकिन हमारे मन में जो पुरानी चीजे भरी है
उसको कैसे निकाल सकते है ?

तो यदि आप अपने दिमाग की पुरानी प्रोग्रामिंग को बदलना चाहते है ,तो इसके लिए ये जरुर है की आप
जाने की ये दोनों दिमाग कैसे काम करते है |

Conscious और Subconscious mind कैसे काम करता है ?

तो Subconscious mind के function को समझने के लिए ,आप इसको एक गार्डन की तरह समझ सकते है
जहा हर प्रकार के plant ग्रो करते है .आप इस गार्डन के मालिक है ,जो अपने Conscious mind से किसी
बीज को इस गार्डन में plant कर सकते है .ये जो बीज है ,वो कुछ और नही बल्कि आपके thought है जो
आप अपने conscious mind में पुरे दिन सोचते है .आप जिस thought पर ज्यादा फोकस करते है यानी
जिसको दिन में कई बार सोचते है ,वो thought इस गार्डन में ग्रो कर रहे है और फिर धीरे -धीरे आपके
Subconscious mind में plant हो जाते है |

तो यदि आप पुरे दिन सोचते है ,मैं एक आलसी व्यक्ति हूँ ,तो आप कहा से productive बन सकते है क्युकी
आप एक तरीके से अपने दिमाग को बता रहे है कि आप एक आलसी है .तो ये आपको आलसी कैसे बन
सकते है उस प्रकार की suggestion देगा |

और Subconscious mind के बारे में एक गजब का fact है की "इसको ये नही पता की कौन चीज गलत है
और कौन सी सही "बस आप जो चीजे इसको कई बार अपने Conscious mind से कहते है वो उसको सही बनाना
शुरू कर देता है |

तो यदि आप आलसी से productive या shy से confident बनाना चाहते है ,तो आपको उस प्रकार के बीज को
लगातार बोना होगा जिससे आप productive या confident बने |शुरू में इसको करना थोडा कठिन होता है
,लेकिन आप जैसे -जैसे किसी thought को एक दिन में कई बार रिपीट करते है ,तो आपकी पुरानी
प्रोग्रामिंग बदलना शुरू होने लगती है |

इसलिए हम subconscious mind की तुलना एक गार्डन से करते है क्युकी इसमें आप जिस प्रकार के बीज
को बोते है ,उसको ये ग्रो करता है चाहे वो सही का बीज हो या गलत का .अब ये आपके ऊपर निर्भर करता
है की आप किस प्रकार के बीज अपने दिमाग में बोते है |

मैं आ शकरता हूँ ,आपको ये जवाब अच्छा लगा होगा |इसको upvote 👍जरुर करिए और इसी तरीके के जवाब को
पढने के लिए ,आप मुझे follow कर सकते है |

चेतन और अचेतन मन क्या है?

चेतन और अचेतन मन :-

मन हमारे लिये आज भी एक अबुझ पहेली के रुप में हमें बारम्बार आचम्भित करता रहता हैं । मन जिसका
आस्तित्व कोई भी सिध्द नहिं कर पाया फिर भी उसके सम्पुर्ण अस्तित्व को आज हर तरफ स्विकारा गया हैं ।

शरीर में दिल तथा दिमाग के अलावा भी एक और अद्रय श्य हिस्से को मान्यता हैं जो दिल दिमाग पर भी कई बार
श्रेष्ठ हो जाता हैं जिसे मन कहते हैं । मन को तिन विभागों में बाँटा गया हैं,

 कॉन्सियस माइंड (Conscious Mind) - चेतन मन


 सबकॉन्सियस माइंड (Sub-Conscious Mind) - अवचेतन मन
 अन्-कॉन्सियस माइंड (Un-Conscious Mind) - बेहोश या बेसुध मन
●● चेतन मन [Conscious Mind] और अवचेतन [Sub-Conscious Mind] ●●

इनका अर्थ तथा इनका कार्य भी इनके नामों के अनुरुप ही हैं ।

● चेतन मन - मन का वह हिस्सा जो चेतन या जागृत रहता हैं । यह वह हिस्सा हैं जो हमारे दिमाग के सजग
अवस्था में कार्यरत रहता हैं ।हमारा पूरा ध्यान उस कार्य के प्रति हो जाता है । यही चेतन मन हैं । जब
हम कोई कार्य सक्रिय अवस्था में रहकर करते है तब उसे हम चेतन मन का कार्य कहते हैं । जैसे कोई
भी सकारात्मक या नकारात्मक निर्णय लेना । सही गलत में भेद कर पाना । कार्य के लिये प्रेरित होना ।
और सारी घटनाओं की आपको समझ कराता हैं । यह मन तब तक ही कार्य करता हैं जब तक हम जागृत अवस्था
में होते हैं जब हम सो जाते हैं यह मन कार्य करना रोक देता हैं ।

जैसे - आप किसी काम में व्यस्त होने के बावजूद आपको किसी को अपना नाम लेते सुनते है तब आप
अपना कार्य करते हुए भी जिसने आपका नाम लिया उसकी बातें सुनने की को शिशश
करते हैं । यहां आपका
चेतन मन कार्य कर रहा होता हैं ।

● अचेतन मन - हमारे मन का लगभग 90% हिस्सा अवचेतन मन द्वारा व्याप्त होता हैं । इसका स्वभाव
सुक्ष्मता से कार्य करना होता हैं इसलिये इसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती ।
अवचेतन मन सबसे ज्यादा ताकादवर माना जाता है । यह हमारे विचारों के सम्प्रेषण को अनुभव तथा
संस्कार के रुप में ग्रहण करता हैं । अवचेतन मन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्व प्राप्त
हैं । अवचेतन मन का पूर्ण इस्तेमाल आजतक कोई नहीं कर पाया है । साधू सन्त तथा जो लोग किसी खास
बुलन्दियों को छू लेते हैं वे इसी के इस्तेमाल से ही कामियाब इन्सान बनते हैं ।

हर चिज के पिछे छुपे राज को जानने की शक्ती होती हैं अवचेतन मन में । यह हमें तब भी सहायता
प्रदान करता हैं जब हम निद्रा में होते हैं । मन का यह हिस्सा उस ब्रहमाण्डिय उर्जा से जुड़ा हुआ होता
हैं जिनमें चमत्कार जैसी चिजों का भी विज्ञान छिपा होता हैं । इस मन को जागृत कर लेने से इन्सान
ब्रह्मान्दिय ज्ञान उर्जा तकनिक का ज्ञाता बन जाता हैं । यह आपको आपके अनुभव जनित संस्कारों के
द्वारा हर स्थूल सूक्ष्म घटनाओं में सजगता प्रदान करता हैं ।

चेतन, अचेतन और अवचेतन मन में क्या अंतर है?

हमारे माइंड के तीन अलग अलग प्रकार होते है-

 कॉन्सियस माइंड (Conscious Mind)- चेतन मन


 सबकॉन्सियस माइंड (Sub-Conscious Mind) - अवचेतन मन
 अन्न-कॉन्सियस माइंड (Un-Conscious Mind) - बेहोश या बेसुध मन
इन तीनों में सबसे ज्यादा पावरफुल सबकॉन्सियस माइंड होता है। सबकॉन्सियस माइंड का पूर्ण इस्तेमाल
आजतक कोई नहीं कर पाया है। जितने भी कामयाब लोग गुजरे है या अभी जीवित है वो सभी लोग आम लोगों
से ज्यादा अपने सबकॉन्सियस माइंड का इस्तेमाल करते है। इसीलिए वो कामयाबी की बुलंदियों तक
पहुँचते है।

हम अपने माइंड के इन अलग अलग प्रकार को आइस-बर्ग के एक उदहारण से समझ सकते है -

समुन्द्र में पानी पर तैरती बड़ी बर्फ की चट्टान को आइस-बर्ग कहते है। आइस-बर्ग को पानी पर तैरता
देख हमें ऐसा प्रतीत होता है जैसे बर्फ पानी पर तैर रहा है और उसका साइज भी लगभग उतना ही है
जितना हम देख पा रहे है। लेकिन सच्चाई ये है के जो आइस-बर्ग का हिस्सा हम देख पा रहे है वो मात्र
उस आइस-बर्ग का 10% ही है बाकी 90% तो पानी के भीतर है।

1. कॉन्सियस माइंड - अपनी दिनचर्या में हम जो भी सोचते है, महसूस करते है वो सभी कॉन्सियस माइंड
द्वारा होता है। ये हमारे कुल माइंड का मात्र १०% ही होता है ठीक आइस-बर्ग के ऊपरी हिस्से की तरह।
एक्टिव माइंड ही कॉन्सियस माइंड होता है। जो हजारों विचार दिनभर में हमारे माइंड आते है, चाहे वो
पॉजिटिव हो या नेगेटिव, लॉजिक, डिसीज़न लेना, सोचने के बाद कोई भी एक्ननक्श लेना आदि सभी कॉन्सियस
माइंड के द्वारा किये जाते है। कॉन्सियस माइंड तभी तक एक्टिव रहता है जब तक हम जागते है। हमारे
सोने के बाद कॉन्सियस माइंड भी शांत हो जाता है।
2. अन्न-कॉन्सियस माइंड - बेहो शके समय अन्न-कॉन्सियस माइंड की स्टेट होती है।
3. सब-कॉन्सियस माइंड - अवचेतन मन: अपनी लाइफ में हम जो भी करते है वो सब अवचेतन मन की वजह
से ही करते है। अपने अवचेतन मन का इस्तेमाल करके हम जो कुछ भी सीखते है वही हम ज़िन्दगी भर
करते रहते है।

जिंदगी में व्यक्ति जो भी बड़ा काम करता है वो सिर्फ और सिर्फ अपने अवचेतन मन के कारण करता है।
जिस भी इंसान ने अपने अवचेतन मन पर काबू कर लिया उसके लिए कोई भी बड़ा काम मुकिल लश्कि नहीं होता।
कोई भी बड़े काम की हम प्लानिंग तो कर लेते है लेकिन जब उसी काम की शुरुआत करते है तो बड़ी
मुकिलेंलें श्कि
आती है। लेकिन उस स्तिथि में अगर हमने को शिशशकरनी छोड़ दी तो हमने अपने अवचेतन मन
को प्राप्त ही नहीं किया। लेकिन उस मुकिल लश्कि
परिस्तिथि में अगर हम फुल फीलिंग्स के साथ लगे रहते है
तो हम अपने अवचेन मन को प्राप्त कर लेते है। धीरे धीरे वही चीज़ हमें आसान लगने लगती है और
एक दिन हम उसे पा ही लेते है।

या है2 वर्ष

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चेतन और अवचेतन मन का रहस्य क्या है?

चेतन मन का रहस्य

मन की सक्रिय अवस्था चेतन मन कहलाती है, जिसमें हमें पता होता है कि हम जो भी काम कर रहे हैं
उसका परिणाम क्या होगा? जो कुछ भी हमारे साथ हो रहा है या जो हम महसूस करते हैं, ये हमारे चेतन मन
के कारण है।

अवचेतन मन का रहस्य

मन की वह अवस्था अवचेतन मन कहलाती है जिसमें मन सोच-विचार नहीं कर सकता है। अवचेतन मन एक


बालमन जैसा होता है जिसे हम अपनी मर्जी के अनुसार ढाल सकते हैं। हमारी सफलता या असफलता के
लिए अवचेतन मन जिम्मेदार होता है।

अवचेतन मन के द्वारा ही चमत्कार होता है, अवचेतन मन के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति सफलता हासिल कर
सकता है, जो लोग सच्चे होते हैं अवचेतन मन उन्हें सफलता प्रदान करता है, यह बात इस उत्तर का मूल
स्रोत है, इसको प्रत्येक व्यक्ति को इस बात को प्रत्येक व्यक्ति को गांठ बांध लेना चाहिए,

अब आप सोच रहे होंगे कि मैं अपने प्रति कैसा झूठा हो सकता हूं अथवा कोई भी व्यक्ति स्वयं के प्रति
बेईमान कैसे हो सकता है इसकी चर्चा आगे के उत्तरों में करेंगे क्योंकि यही अवचेतन मन का रहस्य
है..

चेतन और अवचेतन मन क्या है ?? What is Conscious and Subconscious Mind in Hindi?

चेतन मन (Conscious mind) - चेतन मन हमारा Active Mind जिसे हम हमारी सक्रीय अवस्था कहते है जिससे
हम हमारे सोच विचार तर्क से कोई भी निर्णय लेते है कार्य करते है
जब कोई काम हम पहली बार सीखते या करते है तो हम बहोत सचेत हो कर करते है हम डरे हुए होते है
जैसे उदाहरण के लिए हम पहली बार ड्राइविंग सीखते है तो हमारे पूरा ध्यान हमारे कार पर ही होता है
और कही नहीं होता हमरा चेतन मन Adjust नहीं हो पता और इसलिए कोई भी काम पहली बार करते समय हम
confused और डरे हुए होते है इस तरह हमारा चेतन मन काम करता है,जो कुछ हमारे साथ हो रहा है,जो हम
अभी देख रहे है,महसूस कर रहे है ये सब चेतन मन के उदाहरण है

२)अवचेतन मन (Sub Conscious Mind)-जब हम दूसरी या तीसरी बार कार चलाते है तब कार चलाते-चलाते
Phone पर बाते करना,गाना सुनाना ये सब क्रियाए एकसाथ बिना झिजक के करते है,क्यों की ये सब क्रियाएं
हमारे अवचेतन मन से होती है।
आप का चेतन मन जिस किसी भी बात को जान लेता है जिस बात पे विवास सश्वा कर लेता है चाहे फिर वो बात
अच्छी हो या बुरी Positive ho ya Negative आप का अवचेतन मन उसे हकीकत में ढल लेता है,आप का
अवचेतन मन सोच विचार तर्क नहीं कर सकता। हमारी समझ हमारी मान्यता का सीधा असर अवचेतन मन पे
होता है, हमारी सफलता हमारे असफलता का सीधा connection अवचेतन मन से ही है
अवचेतन मन एक बच्चे के मन के जैसा होता जिस रूप में आप उसे ढल देंगे वो उसी रूप में बन जायेगा

बचपन में हमारे अवचेतन मन को बहोत सारे नकारत्मक सुझाव Negative Suggestion दिए जाते है जिस के
वजह से हम आज सफल नहीं हो पाते क्यों की हमारे अवचेतन मन ने बचपन कुछ नियम बना लीये होते है

उदाहरण के लिए जैसे बचपन में हमें कोई बोल देता है की तुझसे ये काम नहीं होगा तू कभी 1st Number
से पास नहीं होगा,ये Negative suggestion हमें दिए जाते है इसका सीधा असर हमारे अवचेतन मन पर हो
जाता है , जैसा कोई बच्चा बचपन में सबसे जादा विवास सश्वाअपने माता-पिता पर करता है वो जो बोलेंगे
उसे ही वो सच मानता है और आँख बंद कर के विवास सश्वा करता है अवचेतन मन (Sub Conscious Mind)Same ऐसा
ही है

तो अब आप समझ ही गए होगे की हमारा अवचेतन मन एक Autopilot system की तरह काम करता है, ये एक
program की तरह है पर इसे Operating हमारे चेतन मन (conscious mind) द्वारा होती है।

हमारी सफलता, लक्ष्य प्राप्ति या फिर सम्पूर्ण विकास के लिए हमारा अवचेतन मन (Sub Conscious Mind)
जिम्मेदार होता है

जब हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण हो जाते है, तो लक्ष्य हमारे अवचेतन मन (Sub Conscious Mind)में
जाकर बैठ जाता है आपका अवचेतन मन हमे शसंतुलन में रहता है। हो सकता है की आप का चेतन
मन(Conscious Mind) संतुलन में न हो तब ये वही करता है जो आप का अवचेतन मन (Sub Conscious Mind)
सोच रहा हो, अवचेतन मन (Sub Conscious Mind) के सहयोग बिना कोई भी आदमी Confused होगा दुविधा में
होगा निर्णय की स्थिति में नहीं होगा यदि। यदि अवचेतन मन (Sub Conscious Mind) में लक्ष्य गहरा बैठ
गया हो तो आप सही तरीके से काम करते है और लक्ष्य की और बढ़ते है।

ज्योतिष की क्ति का दोहन: अपने अवचेतन मन को अनलॉक करना

परिचय

मानव मस्तिष्क एक वि ललशा


और जटिल परिदृश्य है, जिसमें चेतन और अवचेतन दोनों क्षेत्र शामिल
हैं। जबकि चेतन मन हमारे तार्किक तर्क और रोजमर्रा के निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार है, अवचेतन
सों
मन हमारे विवासों , भावनाओं और व्यवहार के गहरे पैटर्न की कुंजी रखता है। ज्योतिष, आकाशीय
श्वा
गतिविधियों और मानव जीवन पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने की प्राचीन प्रथा, अवचेतन मन को समझने और
नियंत्रित करने में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। 2000 शब्दों के इस ज्योतिष ब्लॉग में, हम
ज्योतिष और अवचेतन मन के बीच संबंध का पता लगाएंगे, साथ ही व्यक्तिगत विकास और परिवर्तन के लिए इस
संबंध का उपयोग कैसे करें, इस पर व्यावहारिक सुझाव भी प्रदान करेंगे।

अवचेतन मन और उसके रहस्य

इससे पहले कि हम ज्योतिष और अवचेतन मन के अंतर्संबंध में उतरें, आइए सबसे पहले अवचेतन की
गहरी समझ हासिल करें।

1.1 अवचेतन मन क्या है?

अवचेतन मन हमारे विचारों, भावनाओं और व्यवहारों का छिपा हुआ पावरहाउस है। यह हमारी जागरूकता की
सतह के नीचे काम करता है, हमारे सचेत नियंत्रण के बिना हमारे कार्यों और प्रतिक्रियाओं को प्रभावित
सों
करता है। दिमाग का यह हिस्सा यादों, विवासों श्वा
और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को संग्रहीत करने के लिए
जिम्मेदार है, जिनमें से कई बचपन और प्रारंभिक जीवन के अनुभवों के दौरान बनते हैं। अवचेतन मन
शांत समुद्र की सतह के नीचे वि ललशा महासागर की तरह है - इसमें अपार शक्ति और क्षमता है, जो
अन्वेषण और दोहन की प्रतीक्षा कर रही है।

1.2 अवचेतन को समझने में ज्योतिष की भूमिका

ज्योतिष, एक प्रतीकात्मक भाषा जो आकाशीय पिंडों की स्थिति और गतिविधियों की व्याख्या करती है, अवचेतन
मन पर एक अद्वितीय दृष्टिकोण प्रदान करती है। जन्म कुंडली, जिसे नेटल चार्ट भी कहा जाता है, किसी
व्यक्ति के जन्म के समय ब्रह्मांड का एक स्नैप;टटशॉ है। यह चार्ट किसी के व्यक्तित्व, झुकाव और
संभावित जीवन पथ के ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करता है, और यह अवचेतन मन की कार्यप्रणाली में
गहन अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।

नेटल चार्ट और अवचेतन पैटर्न

2.1 नेटल चार्ट: अवचेतन का एक मानचित्र

ज्योतिष के मूल में जन्म कुंडली निहित है, जो किसी व्यक्ति के जन्म के सही समय और स्थान पर आकाश
का एक नक् क्शा है। यह चार्ट बारह घरों में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक घर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों
ष्
का प्रतिनिधित्व करता है, और दस ग्रह हैं, जिनमें से प्रत्येक वि ष्टटशि
गुणों और ऊर्जा का प्रतीक है। घरों के
भीतर इन खगोलीय पिंडों की स्थिति और एक-दूसरे से उनके पहलू प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अद्वितीय ज्योतिषीय
फिंगरप्रिंट बनाते हैं।

2.2 नेटल चार्ट में अवचेतन पैटर्न की पहचान करना

जन्मजात चार्ट अवचेतन पैटर्न और प्रवृत्तियों को प्रकट कर सकता है जो हमारे विचारों, भावनाओं और
व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, चार्ट में चंद्रमा का स्थान हमारी भावनात्मक प्रकृ ति और
आंतरिक जरूरतों को दर्शाता है, जो सुरक्षा और भावनात्मक पूर्ति के लिए हमारी अवचेतन इच्छाओं पर प्रकाश
डालता है। इसी तरह, चार्ट में नेपच्यून की स्थिति उन क्षेत्रों को इंगित कर सकती है जहां हम आत्म-
धोखे या आदर्शवाद से ग्रस्त हैं, जो हमारे अवचेतन मन में संभावित अंधे धब्बों की ओर इ रारा शा
करता
है।

2.3 केस स्टडी: अवचेतन पैटर्न की जांच

ज्योतिष और अवचेतन मन के बीच संबंध को स्पष्ट करने के लिए, आइए एक काल्पनिक मामले का
अध्ययन करें। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति का सूर्य आठवें घर में है, जो परिवर्तन, पुनर्जनन और छिपी हुई
प्रेरणाओं से जुड़ा है। यह प्लेसमेंट बताता है कि उनकी सचेतन पहचान (सूर्य) गहन परिवर्तन और व्यक्तिगत विकास
के लिए अवचेतन इच्छाओं से निकटता से जुड़ी हुई है। अपने जन्म कुंडली के इस पहलू की खोज करके,
वे अपने अवचेतन प्रेरणाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं और व्यक्तिगत परिवर्तन के लिए उनका उपयोग
कैसे करें।

ष्
सर्वरेष्ठ ठश्रेज्योतिषी - ज्योतिषी से ऑनलाइन चैट करें

ज्योतिष और आत्म-अन्वेषण

3.1 ज्योतिष के माध्यम से आत्म-अन्वेषण

ज्योतिष आत्म-अन्वेषण और आत्म-जागरूकता के लिए एक मूल्यवान उपकरण प्रदान करता है। अपनी जन्म
कुंडली का अध्ययन करके और ग्रहों, रा यों योंशि
और घरों के प्रतीकवाद को समझकर, आप अपने अवचेतन मन
की गहरी परतों में अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया ज्ञानवर्धक और सशक्त दोनों हो सकती है,
क्योंकि यह आपको छिपे हुए पैटर्न और विवासों सोंश्वा
को उजागर करने की अनुमति देती है जो आपको जीवन के
विभिन्न पहलुओं में रोक सकती हैं।
3.2 आत्म-अन्वेषण की तकनीकें

ज्योतिष के माध्यम से आत्म-अन्वेषण की यात्रा शुरू करने के लिए, निम्नलिखित तकनीकों पर विचार करें:

3.2.1 जर्नलिंग: जब आप अपनी जन्म कुंडली का अध्ययन करते हैं तो अपने विचारों, भावनाओं और
टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने के लिए एक जर्नल रखें। उभरने वाले किसी भी पैटर्न या अंतर्दृष्टि पर ध्यान
दें।

3.2.2 ध्यान: चेतन मन को शांत करने और अपने अवचेतन की गहरी परतों तक पहुंचने के लिए ध्यान को अपनी
ष्
दैनिक दिनचर्या में शामिल करें। स्पष्टता प्राप्त करने के लिए ध्यान के दौरान अपने चार्ट के वि ष्टटशि
पहलुओं पर
ध्यान केंद्रित करें।

3.2.3 ज्योतिषी से परामर्श: एक पेशेवर ज्योतिषी से मार्गदर्नर्श


न लें जो आपके जन्म चार्ट की व्यक्तिगत व्याख्या
प्रदान कर सकता है और अवचेतन पैटर्न को उजागर करने में आपकी सहायता कर सकता है।

धारा 4: ज्योतिष और अवचेतन उपचार

4.1 अवचेतन घावों को ठीक करना

हमारे कई अवचेतन पैटर्न पिछले आघातों और घावों से आकार लेते हैं। इन घावों की पहचान करने और उपचार
प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए ज्योतिष एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। "घायल मरहम लगाने वाले"
क्षुद्रग्रह चिरोन की स्थिति और आपके जन्म चार्ट में अन्य प्रासंगिक पहलुओं की जांच करके, आप उन
क्षेत्रों में अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं जहां आप अनसुलझे दर्द और आघात ले सकते हैं।

4.2 ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष अवचेतन मन को ठीक करने और बदलने के लिए कई उपचार और तकनीकें प्रदान करता है:

4.2.1 चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण अक्सर छिपी हुई भावनाओं और पैटर्न को सतह पर लाते हैं। उन ग्रहणों पर
ध्यान दें जो आपकी जन्म कुंडली में ग्रहों या घरों को सक्रिय करते हैं, क्योंकि वे उपचार और रिहाई के
अवसर प्रदान कर सकते हैं।

4.2.2 चिरोन हीलिंग: अपने चार्ट में इस क्षुद्रग्रह के स्थान से जुड़े गहरे घावों और पैटर्न को
संबोधित करने के लिए चिरोन हीलिंग में अनुभवी ज्योतिषी या चिकित्सक के साथ काम करें।

4.2.3 आंतरिक बाल कार्य: ज्योतिष आपको अपने आंतरिक बच्चे से जुड़ने और यह समझने में मदद कर
सकता है कि शुरुआती अनुभवों ने आपके अवचेतन विवासों सोंश्वा
और व्यवहारों को कैसे आकार दिया है। अपने
भीतर के बच्चे का पोषण और उपचार करके, आप गहरा परिवर्तन ला सकते हैं।

ज्योतिष के साथ अपनी इच्छाओं को प्रकट करना

5.1 आकर्षण का नियम और ज्योतिष

आकर्षण का नियम सिखाता है कि हमारे विचार और विवास सश्वा हमारी वास्तविकता को आकार देते हैं। ज्योतिष
हमें हमारे चेतन इरादों को हमारी अवचेतन इच्छाओं के साथ संरेखित करने में मदद कर सकता
है, जिससे अभिव्यक्ति प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जाती है।

5.2 अभिव्यक्ति के लिए व्यावहारिक सुझाव

अभिव्यक्ति के लिए ज्योतिष की शक्ति का उपयोग करने के लिए, इन व्यावहारिक युक्तियों पर विचार करें:
5.2.1 अमावस्या अनुष्ठान: अमावस्या इरादे स्थापित करने के लिए आदर्श समय है। जीवन के उन क्षेत्रों
की पहचान करने के लिए अपने जन्म कुंडली का उपयोग करें जहां आप परिवर्तन प्रकट करना चाहते हैं और
अमावस्या चरण के दौरान अनुष्ठान या प्रतिज्ञान करना चाहते हैं।

5.2.2 पुष्टिकरण: वैयक्तिकृत प्रतिज्ञान बनाएं जो आपके जन्म कुंडली की ऊर्जा के अनुरूप हों। उदाहरण के लिए,
यदि आपका शुक्र दूसरे घर में है, तो आप पुष्टि कर सकते हैं, "मैं वित्तीय प्रचुरता और भौतिक सुरक्षा को आकर्षित
करता हूं।"

5.2.3 विज़ुअलाइज़ेशन: अपनी जन्म कुंडली पर ध्यान करते हुए अपने वांछित परिणामों की कल्पना
करें। उन सकारात्मक परिवर्तनों की कल्पना करें जिन्हें आप प्रकट करना चाहते हैं और अपने लक्ष्यों से
जुड़ी भावनाओं को महसूस करें।

निष्कर्ष
ज्योतिष अवचेतन मन को समझने और नियंत्रित करने का एक गहन उपकरण है। अपनी जन्म कुंडली की
खोज करके, अवचेतन पैटर्न की पहचान करके, और आत्म-अन्वेषण और उपचार के लिए ज्योतिषीय अंतर्दृष्टि
का उपयोग करके, आप अपने दिमाग की छिपी हुई शक्ति का लाभ उठा सकते हैं। चाहे आप व्यक्तिगत विकास,
उपचार, या अभिव्यक्ति चाहते हों, ज्योतिष अवचेतन मन का उपयोग करने और आपकी पूरी क्षमता को
अनलॉक करने के लिए एक अद्वितीय और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। सितारों के दिव्य ज्ञान को
अपनाएं, और आत्म-खोज और सशक्तिकरण की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू करें।

जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति जुंगियन "व्यक्तिगत अचेतन" का प्रतीक है जहां पिछले जन्मों की
यादें संग्रहीत होती हैं। यह इस बात का संकेत है कि किसी व्यक्ति का जन्म किस प्रकार के परिवार में
हुआ है और परिणामस्वरूप उसके प्रारंभिक जीवन में क्या अनुभव हुए हैं। यह हमारे अस्तित्व को तब तक
सक्षम बनाता है जब तक हम माता-पिता के नियंत्रण से दूर आत्मनिर्भर नहीं बन जाते।

सूर्य दिखाता है कि इस जीवनकाल में कौन से नए आध्यात्मिक सबक सीखे जा रहे हैं - जो आमतौर पर 30
साल की उम्र के बाद शुरू होता है जब हम "अपना काम करने" के लिए अधिक स्वतंत्र होते हैं।

मुझे वर्तमान में अपनी जन्म कुंडली व्याख्याओं से 90% या अधिक सटीकता की रिपोर्ट मिल रही है
जिसमें यह सिद्धांत शामिल है।

कौन सा ग्रह या ग्रह युति या भाव बताता है कि आपके पास मानसिक दिमाग है?

मानसिक मन एक दोधारी तलवार है. यदि आप इसे अच्छे उद्देय श्य


के लिए लगा सकते हैं तो यह एक संपत्ति
साबित हो सकती है अन्यथा आम तौर पर यह आत्म-विनाशकारी होती है।

राहु युति चंद्रमा एक मानसिक दिमाग का सबसे प्रमुख संकेत है, खासकर अगर इसका संबंध 8 वें या 12 वें
घर से हो।

सूर्य चंद्रमा बुध एक और युति है जो एक मानसिक दिमाग का कारण बन सकती है लेकिन यहां व्यक्ति बहुत
मजबूत दिमाग वाला हो जाता है और जीवन में मानसिक रूप से बहुत पीड़ित होता है।

हमे शयाद रखें - पीड़ा मानसिक है।

चंद्रमा के साथ प्रतिगामी बुध सबसे खराब स्थिति है और एक मानसिक दिमाग को सामने लाता है।

चंद्रमा और वक्री मंगल के साथ वक्री शुक्र एक और युति है जो यौन क्रियाओं में अत्यधिक मानसिक शक्ति
लाती है। व्यक्ति बिना ज्यादा सोचे-समझे सेक्स में उतर जाता है और हमे शनए-नए सेक्स आसन
आजमाने में लगा रहता है। ऐसा कहा जाता है कि कामसूत्र के लेखक वात्स्यायन ने लगभग 84 यौन आसन
सूचीबद्ध किए हैं, लेकिन शुक्र चंद्रमा मंगल की युति वाले व्यक्ति के लिए यह भी पर्याप्त नहीं है - वे नए
यौन आसन तलाशते रहते हैं - बिस्तर का साथी ऐसे व्यक्ति को मानसिक कह सकता है, हालांकि यह कैसे
होता है वे हमे शसेक्स में रुचि रखते हैं और सेक्स के बारे में बहुत सोचते हैं। हालांकि रितोंश्तों
में ब्रेकअप और धोखा उनकी जिंदगी में हमे शहोता रहता है। लेकिन वे अपनी यौन खोज जारी रखते
हैं - उन्हें जितना संभव हो उतना सेक्स का आनंद लेने के लिए बनाया जाता है!

चंद्रमा के साथ बुध का वक्री होना भी एक मानसिक व्यक्ति का अच्छा संकेत है।

मूलतः जब भी बुध वक्री होता है, जब भी चंद्रमा राहु के साथ होता है, जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ होता है
(अमावस्या का जन्म), जब भी लग्न स्वामी वक्री होता है - याद रखें कि आप एक मानसिक व्यक्ति के साथ काम
कर रहे हैं।

हमने जो सीखा है उसे लागू करना, बनाम अंतर्निहित ज्ञान।

जब अचेतन और अवचेतन मन की बात आती है, तो हम वास्तव में दो बहुत अलग चीजों के बारे में बात कर
रहे होते हैं। अचेतन मन की घटनाएँ उस प्रक्रिया को संदर्भित करती हैं जिसमें हमने सीधे जानकारी
डाउनलोड की है; यह स्वचालित और अनियंत्रित है. दूसरी ओर, अवचेतन मन पिछले अनुभवों के आधार पर
स्थितियों पर सबक और परिणाम लागू करता है। जब हम सक्रिय रूप से लगे रहते हैं तो हमारा चेतन मन
काम करता है।

अचेतन सिद्धांतों का संक्षिप्त परिचय

अचेतन प्रक्रियाएं ज्ञान, अंतर्ज्ञान, भावनाओं, संवेदनाओं या यहां तक कि साई को संदर्भित करती हैं,
जिसे लोग अनुभव करते हैं। ये अक्सर अस्पष्ट होते हैं, मात्रा निर्धारित करना कठिन होता है, केवल
क्वांटम सिद्धांत के माध्यम से ही समझा जाता है।

कई संज्ञानात्मक मनोवैज्ञानिकों ने इसे हमारे चेतन मन का "छाया पक्ष" होने का दावा किया है और
करते भी हैं। शब्द "अचेतन" (शाब्दिक अर्थ चेतन के विपरीत) का पहला प्रयोग 1800 के दशक की शु#रुआत में हुआ था।
इसमें सम्मोहित रूप से प्रेरित व्यवहार का संदर्भ दिया गया है जिसे सम्मोहित व्यक्ति समझा नहीं सकते।
चूँकि उनके व्यवहार की व्याख्या नहीं की जा सकी, इसलिए यह माना गया कि यह किसी तरह से आकस्मिक या
के था। अचेतन की तुलना "अनजाने" से करने से अचेतन शो धको एक आलंकारिक बक्से में
बिना उद्देय श्य
बंद कर दिया गया है। एक प्रन श्नशो धकर्ताओंको लगातार परे नकशा र रहा है:

यदि ये प्रक्रियाएँ उद्देश्यपूर्ण नहीं हैं, तो फिर हमारे लिए उपलब्ध ही क्यों हैं?

ज्योतिष में अचेतन मन

कई ज्योतिषी हमारी अचेतन प्रक्रियाओं के सुराग के लिए बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून की ओर
देखते हैं। आपने देखा होगा कि ये व्यक्तिगत ग्रहों के विपरीत, बाहरी या पीढ़ीगत ग्रह हैं। यह तब समझ में
आता है जब हम प्रत्येक ग्रह के अर्थ पर विचार करते हैं - जिसे आप मेरे इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल पर पा
सकते हैं!

जब हम उन सीमाओं, कल्पनाओं, विद्रोह, विस्तार पर विचार करते हैं जिनकी हमारी आत्माएं इस जीवनकाल
में मांग करती हैं और उनकी आवयकता होतीश्य है, तो हम अचेतन मार्गदर्न
केर्श लिए अपने पिछले जीवन
के अनुभवों का संकेत दे रहे हैं। अक्सर, हम यह जानने के लिए कि हमें "क्या करना चाहिए" पुरानी पीढ़ी
के अनुभवों की ओर भी देखते हैं। हमें अपने पूर्वजों से बहुत सारा ज्ञान और डेटा विरासत में मिला
है, जिसका अधिकांश हिस्सा हमारे डीएनए में रहता है। हम किसी तरह से अपनी विरासत में मिली
बुद्धिमत्ता का उपयोग करना चाहते हैं।

जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं और परिपक्व होने लगते हैं, हमारी मूल्य प्रणालियाँ नई अभिव्यक्तियाँ
लेती हैं। जबकि समाज अक्सर औपचारिकता और अनुरूपता के लिए दबाव डालता है, स्वस्थ दिमाग और
अहंकार अंततः अपने रास्ते पर चलना सीख जाते हैं।

आपके अवचेतन मन का संक्षिप्त विवरण

जब हम सीखने की प्रक्रिया में होते हैं तो हमारा चेतन मन सक्रिय हो जाता है। एक बार जब हम कुछ नया
सीख लेते हैं, तो यह डेटा हमारे अवचेतन मन में "संग्रहीत" हो जाता है।

चूँकि हम विकल्प चुनने के लिए यादें और अनुभव जुटाते हैं, इसलिए हम अपने लिए बहुत सारे मानसिक
कार्य करने के लिए अपने अवचेतन मन पर निर्भर रहते हैं। और ऐसा ही होता है. अक्सर, हमारे निर्णय
अवचेतन स्थान में होते हैं - जो दिलचस्प बात यह है कि यह हमारे सपनों और सपनों के परिदृय श्य
पर भी शासन
करता है। यह बताता है कि हम सोते समय कठिन परिस्थितियों या भावनाओं पर बार-बार "काम" क्यों करते हैं।
यही कारण है कि वह "अंदर की आवाज़" हमारे लिए इतनी प्रभाव ली
हैशा।

ज्योतिष की अवचेतन प्रक्रियाओं की व्याख्या

ज्योतिष में, हम अपने अवचेतन मन के प्रतिनिधित्व के लिए बुध और चंद्रमा को देखते हैं। चंद्रमा को
अक्सर "माँ" या हमारे जीवन का "पोषण" पक्ष के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, बुध (जो संचार और
विचारों को नियंत्रित करता है) हमारे विचार पैटर्न और हम खुद को कैसे व्यक्त करते हैं, को योग्य
बनाता है। चाहे वह मौखिक हो, लिखित हो, गाया गया हो, चिल्लाया गया हो। हमारे मन की अवचेतन
प्रक्रियाओं के प्रति जागरूकता लाना आत्मा को ठीक करने की दि शामें पहला कदम है। हानिकारक विचारों,
व्यवहारों और मुकाबला तंत्र को साफ़ करना निचित
रूप श्चि से आवयकहै।
श्य

जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि युवावस्था में हमारा पालन-पोषण कैसे हुआ या नहीं हुआ, तो हम उस
आधार को समझना शु#रू कर सकते हैं जिसके लिए हम सोचते हैं, और खुद से बात करते हैं। हमारी मानसिक
प्रक्रियाओं के इस पहलू को पुनः प्राप्त करने से महान उपचार हो सकता है, लेकिन साथ ही बहुत अधिक दबाव
और रहस्योद्घाटन भी हो सकता है। हमारे दिमाग की क्षमताओं का स्वामित्व शक्ति ली
हैशा।

उपचार के लिए ज्योतिष का उपयोग करने की युक्तियाँ

सबसे पहली बात, अपने लिए एक जन्म कुंडली बनाएं या एक ऐप डाउनलोड करें जो इसे आपके लिए बनाएगा।
मेरे पास इस ब्लॉग पोस्ट में कुछ संसाधन उपलब्ध हैं । देखें कि आपका चंद्रमा और बुध किस रा शि
में
और किस घर में स्थित हैं। आप इस ब्लॉग में और इस ब्लॉग में भी जान सकते हैं कि घर का अर्थ क्या है
। इसके अतिरिक्त, देखें कि आपका नेपच्यून, शनि, यूरेनस और बृहस्पति किन घरों में आते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि आप पाते हैं कि आपका चंद्रमा कुंभ रा शि में आता है (मेरी
में और बुध तुला रा शि
तरह!) तो आपको भावनाओं से अलगाव की भावना हो सकती है, लेकिन मौखिक संचार के माध्यम से जुड़ने
की जबरदस्त आवयकता है।श्य मेरा काम यह समझना रहा है कि मैं भावनाओं से अलग होकर अपने शब्दों से
दूसरों को खुश करने पर ध्यान क्यों केंद्रित करता हूं। इन अवचेतन प्रक्रियाओं के कौन से हिस्से मेरे
काम नहीं आते, यह जानना संतुष्टिदायक भी है और कठिन भी।

उसके शी र्षपर, मकर रा शि


में मेरा नेपच्यून और यूरेनस, कुंभ रा शि
में शनि और कन्या रा शि
में बृहस्पति के
साथ, विकास की मांग करते हैं। कार्डिनल और फिक्स्ड ऊर्जाएं मेरे चार्ट पर शा सनकरती हैं, जिसमें
परिवर्तन लगुण
शी हर जगह बिखरे हुए हैं। इसका मतलब यह है कि शु#रुआत और दृढ़ता से जुड़े विषय मेरी
अचेतन प्रक्रियाओं में चलेंगे।

यह ध्यान देने योग्य ज्योतिष है कि कोई भी दो मनुष्य एक जैसे नहीं होते (यहां तक कि जुड़वां
बच्चे भी अलग-अलग व्यवहार करते हैं)। हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि इन असमानताओं के लिए
कौन से कारक जिम्मेदार हैं।

मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक मनुष्य के दोषों और व्यवहार को तभी समझ पाते हैं जब कुछ
अभिव्यक्तियों को देखा जाता है और उन्हें बताया जाता है। सक्षम और सर्वरेष्ठ ष्ठश्रे ज्योतिषी
भविष्यवाणी कर सकते हैं कि किस प्रकार की अभिव्यक्तियाँ घटित हो सकती हैं। यह जन्म के समय ग्रहों
और जीवन के बाद की अवधि में उनके पारगमन के अध्ययन के माध्यम से किया जा रहा है । इस
उद्देय श्य
के लिए पश्चिमी लोग उन्नत कुंडलियों की ओर रुख करते हैं, जबकि भारतीय ज्योतिषी विभिन्न
ग्रहों की दशा-अंतर्द शतंत्र का सावधानीपूर्वक अध्ययन करते हैं। यह एकमात्र भारतीय प्रणाली है जो
जीवन की व्यापक रेखाओं और दीर्घायु में घटनाओं को इंगित करने में मदद कर सकती है।

सक्षम ज्योतिषी किसी व्यक्ति को होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पूर्वानुमान भी लगा सकते हैं। ये
सुविधाएं वैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों और चिकित्सकों के पास उपलब्ध नहीं
हैं। इस धरती पर कोई भी चिकित्सक सटीक रूप से यह नहीं बता सकता कि निकट भविष्य में किसी नवजात
शिशु को किस प्रकार की बीमारियाँ होने की संभावना है। ज्योतिष वास्तव में इस मामले में हमारी मदद
कर सकता है और यदि हम कुछ निवारक उपाय करते हैं, तो हम कई खतरनाक बीमारियों से बच सकते
हैं (या कम से कम इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं)। चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक मानसिक विकारों का
कारण नहीं समझ पाते। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इन रोगों को मुख्य रूप से लग्न, चतुर्थ भाव (सुख स्थान), पंचम
भाव (बुद्धि), चंद्रमा ( मन ) और बुध (बुद्धि का प्रतीक) की पीड़ा से नहीं देखा जाता है। यदि बुध या लग्न या
चंद्रमा की शक्तिशाली पीड़ा पर राहु का संपर्क हो, तो कोई भी निचित तश्चि
हो सकता है कि किसी भी चिकित्सा
उपचार से कोई फायदा नहीं होगा। सच कहें तो, ज्योतिषीय ज्ञान का वर्तमान स्तर हमें यह बताने में
सक्षम नहीं कर सकता है कि किसी का पागलपन (उदासीनता, उन्माद, हिस्टीरिया, मिर्गी, सिज़ोफ्रेनिया,
भूलने की बीमारी, मूर्खता, विकृति, जुनून और पागलपन) मानसिक या मस्तिष्क विकार के कारण है या
नहीं। इस लेख में मैं अब बताऊंगा कि ज्योतिष हमें मन की आंतरिक संरचना और मानव स्वभाव को
समझने में कैसे मदद कर सकता है।

दिमाग

नरी
ऑक्सफोर्ड डिक्नरी क्श
के अनुसार मन का अर्थ इच्छा और भावना के माध्यम से चेतना का स्थान है। यह
स्थान मस्तिष्क में स्थित है। मस्तिष्क और दिमाग एक जैसे नहीं हैं लेकिन असंबद्ध भी नहीं
हैं। वास्तव में, वे आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। मानव शरीर में मस्तिष्क नियंत्रक के रूप
में कार्य करता है जबकि अन्य अंग भावना, इच्छा आदि को नियंत्रित करते हैं। मन को चार प्रमुख भागों
में विभाजित किया गया है: सुपर-चेतन मन (9 वां घर); अचेतन मन (छठा घर); अवचेतन मन (आठवां घर)
और चेतन मन (पहला घर) या सतर्क दिमाग (तीसरा घर)। अतिचेतन मन का नकारात्मक भाग निचला मन है।

मेरे शोध से पता चला है कि जब निचला दिमाग अच्छी तरह से विकसित होता है (यानी अपराधियों के
मामले में) तो सुपर इंटेलिजेंस संकाय समृद्ध नहीं होता है।

जब हम जागते हैं तब चेतन मन काम करता है। लेकिन अवचेतन मन जाग्रत और सुषुप्ति दोनों अवस्थाओं
में कार्य करता है। जागृत स्थिति में, अवचेतन की कार्यप्रणाली चेतन मन द्वारा निर्दे ततशिऔर सही
होती है। चेतन मन कार्रवाई कर सकता है; यह जब चाहे तब स्मृति जगा सकता है; यह किसी निचित तश्चि
उद्देय श्य
के प्रति सक्रिय रूप से सोच सकता है।

यह अनुमान लगाया गया है कि अवचेतन मन में जितनी मात्रा संग्रहित की जा सकती है वह चेतन मन की
तुलना में कई गुना अधिक है। मन अपने अवचेतन में विचारों की परत दर परत जमा करता रहता
है। अधूरी ख्वाहि शAयहीं दफ़न हैं। वे दिवास्वप्न, रात्रिस्वप्न, दुःस्वप्न, भय, तीव्र भय या भय में रहते
हैं। वास्तव में, लोकप्रिय बोलचाल में, अवचेतन की तुलना में चेतन मन को अक्सर हिम लशै ल से जोड़ा
जाता है - हिमखंड का वह भाग जो समुद्र में नहीं है, चेतन मन का प्रतिनिधित्व करता है और छिपा हुआ
भाग अवचेतन मन का प्रतिनिधित्व करता है। अवचेतन मन संकेतों, ध्वनियों, भावनाओं और छापों को भी
संग्रहीत कर सकता है; लेकिन भले ही यह चेतन मन की तरह सक्रिय नहीं है, अवचेतन मन किसी व्यक्ति
की सोच और व्यवहार में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

कई मनोचिकित्सकों का मानना है कि किसी व्यक्ति के शुरुआती वर्षों - जन्म से लेकर लगभग पांच साल तक -
के दौरान अवचेतन मन में बनी और संग्रहीत धारणा ही किसी व्यक्ति के जीवन भर के कार्यों को
निर्धारित करती है। इन शुरुआती दिनों में, दिमाग न केवल एक कंप्यूटर की तरह होता है, जो सभी दृश्य चीजों
को संग्रहित करता है। ये प्रारंभिक संग्रहीत प्रभाव किसी व्यक्ति के अंतिम जीवन में उसके कार्यों में
एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।

यही कारण है कि माता-पिता को अपने बच्चों के जीवन के अत्यंत महत्वपूर्ण प्रारंभिक वर्षों के दौरान
उनके पालन-पोषण पर सामाजिक ध्यान देना चाहिए।

षषण
मनोविलेण श्ले
का अधिकांश कार्य अवचेतन मन से संबंधित होता है, क्योंकि अवचेतन मन का अध्ययन
करके वे अपने रोगी के व्यवहार के कारणों का पता लगाने में सक्षम होते हैं। जबकि अवचेतन मन
का अध्ययन (स्वप्न विलेषषण
ण श्लेअवचेतन मन के महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करता है) अनुसंधान के
अपेक्षाकृत नए क्षेत्र तक है, यह सुझाव देने के लिए मजबूत संकेत हैं कि भविष्य में, किसी व्यक्ति
के कार्यों और व्यवहार का पता लगाया जा सकता है और सुधार किया जा सकता है। अवचेतन का बेहतर
ज्ञान।

जब किसी व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना होता है तो जागने का समय उसके अवचेतन मन में अंकित
रहता है और समय आने पर व्यक्ति बिल्कुल सही समय पर उठ जाता है। चेतन मन स्पष्ट रूप से सो रहा है
लेकिन अवचेतन मन काम पर है। चेतन और अवचेतन मन के बीच सटीक संबंध अभी भी स्पष्ट नहीं है
और इस अत्यंत महत्वपूर्ण और दिलचस्प विषय पर अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।

चेतन स्तर पर मन में अहंकार की भावना होती है। मन भी उच्च स्तर पर कार्य करता है। सुपर चेतना वह
स्थिति है जब अहंकार की भावना पूरी तरह से अनुपस्थित होती है और वह समाधि की स्थिति में चली
जाती है। मन का अतिचेतन तल अपनी शुद्ध अवस्था में मन है। एक प्रकार से यह आत्मा के समान है। श्री
रामकृष्ण ने कहा है, 'जो शुद्ध मन है, वह शुद्ध बुद्धि भी है, जो फिर से शुद्ध आत्मा है।' योग या ध्यान के
माध्यम से अवचेतन, अचेतन और चेतन मन को नियंत्रित किया जा सकता है ।

द्
धता
यम, नियम और प्राणायाम जैसी योग की प्रारंभिक तकनीकें अ#द्धता शुको दूर करके और व्यर्थ को मजबूत करके
उच्च स्तर की चेतना उत्पन्न कर सकती हैं। योगाभ्यास न केवल बड़ी मात्रा में बंधी हुई ऊर्जा को मुक्त
करता है बल्कि भावनात्मक और मानसिक विराम मश्राभी देता है। यह हमें अपने शरीर और दिमाग पर बेहतर
नियंत्रण प्रदान करता है। योग की प्रत्येक गतिविधि और वस्तु पूरी तरह से प्राकृ तिक है, केवल मानव क्षमता के
विकास के लिए बनाई गई है। यह अनु सन सनशालाता है और मन और शरीर को स्वास्थ्य और खु शकी ओर
नियंत्रित करता है । यदि मन अ#द्ध द् धशुहै तो कर्म भी अ#द्ध
द्
धशुहोंगे और कष्ट भी होंगे। इसलिए यह सबसे
महत्वपूर्ण है कि मन और शरीर को शुद्ध रखा जाए।

ध्यान के माध्यम से मानसिक केंद्र या चक्र खुलते हैं। मूलाधार चक्र अचेतन का स्थान है, और
स्वाधिष्ठान चक्र अवचेतन का स्थान है। ध्यान में ये सभी पिछले कर्म और अनुभव सुलभ हो जाते
हैं। मंत्र का निरंतर अभ्यास कर्मों को शुद्ध और विघटित करता है। सुपर चेतना तक वे लोग पहुंच सकते
हैं जिन्होंने अन्य तीन स्तरों पर अपने दिमाग को नियंत्रित किया है
मन और व्यक्तिगत गुणों का ज्योतिषीय अध्ययन
फलशि
रा फल
सुचित्रा दास
स्
ज्योतिष स्त्र त्
रशा
कुंडली के अध्ययन के माध्यम से किसी व्यक्ति के सभी छिपे हुए लक्षणों को
उजागर कर सकता है और भविष्यवाणी कर सकता है कि किसी व्यक्ति को खुद को कैसे तैयार
किया जा सकता है, आजीविका कमाने के तरीके और साधन, व्यवसाय, जीवनसाथी, बच्चों, माता-
पिता, भाई-बहन, दोस्तों के साथ संबंध, साझेदार वगैरह और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी
की समग्र पसंद-नापसंद। यह एक सर्वोत्कृ ष्ट विज्ञान है और जीवन के सभी पहलुओं पर ध्यान
केंद्रित कर सकता है। इस धरती पर हमारी प्रत्येक क्रिया को नियंत्रित करने में मन ही
सर्वशक्तिमान है। यह मन ही है, जो एक पवित्र व्यक्ति या एक खूंखार अपराधी, धोखेबाज, बेवफा
आदि को जन्म देता है। यहां नीचे कुछ झलकियां दी गई हैं कि कैसे ज्योतिष मन को सुलझाने
और कार्रवाई के संभावित पाठ्यक्रम में सर्वशक्तिमान उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है।
किसी के अपने जीवन में अनुसरण करने की संभावना है। मन की भूमिका मन चेतना का केंद्र
है और मस्तिष्क का वह भाग है, जो सोचने, जानने, महसूस करने, इच्छा, दृढ़ संकल्प आदि के
कार्य करता है और इस प्रकार जीवन में हमारे सभी कार्यों को नियंत्रित करता है और
परिवर्तन लाने में भी सक्षम है। जीवन में समय-समय पर बदलती और सम्मोहक परिस्थितियों के
अनुसार हमारे सोचने का तरीका। परिवर्तन और रूपान्तरण ग्रहों की परस्पर क्रिया के कारण भी
होते हैं।
ए गए चार प्रमुख भागों में विभाजित
मन को हमारी कुंडली के निम्नलिखित भावों द्वारा दर् एर्शा
किया गया है।
पहला घंटा या लग्न सचेत और सतर्क मन
छठा घर _ बेसुध दिमाग
आठवां घर _ अवचेतन मन
9 वां घर अति चेतन मन
तीसरा घर _ निचला मन - 9 वें घर द्वारा दर्शाया गया अति चेतन मन
का नकारात्मक पहलू
12 वाँ घर अचेतन मन (छठा घर) और अवचेतन मन (आठवां
घर) का छिपा हुआ भाग जो किसी के जीवन में बुरे
विचारों और विध्वंसक अंतर्धारा को प्रकट करता
है।

Mind is pided into four major pisions represented by the following houses of our horoscope.
1st hour or Ascendant Conscious and alert mind
6th house Unconscious mind
8th house Sub conscious mind
9th house Super conscious mind
3rd house Lower mind – negative aspect of super conscious
mind represented by the 9th house
12th house Hidden part of unconscious mind (6th house) and sub
conscious mind (8th house) which reveals the evil
thoughts and subversive undercurrent in one’s life

ए गए उपरोक्त लक्षण हमारे पात्रों के माध्यम


हमारी कुंडली के व्यक्तिगत घरों द्वारा दर् एर्शा
से निम्नलिखित तरीके से परिलक्षित होते हैं।  प्रथम भाव या चेतन मन का प्रतिनिधित्व
करने वाला लग्न हमारे मन में अहंकार और ईर्ष्या का स्थान है।  छठा घर, जो हमारे अचेतन
मन का प्रतिनिधित्व करता है, चेतन मन को पता चले बिना ही नियमित कार्य करते रहते
ताहै। छठा घर मानवता के छह शत्रुओं का भी प्रतिनिधित्व
हैं। इसलिए छठा भाव सेवा को दर् तार्शा
करता है। वासना (काम), क्रोध (क्रोध), लोभ (लोभ), मोह (मोह), अहंकार (मादा) और ईर्ष्या
(मत्सर्य)।  यदि लग्न मजबूत है और अनुकूल ग्रहों से प्रभावित है, तो छठे घर द्वारा दर् एर्शा

गए सभी बुरे लक्षण नियंत्रण में रहते हैं, लेकिन यदि छठा घर लग्न से मजबूत है, तो ये
बुरे लक्षण जातक पर हावी हो जाते हैं और उससे सभी गलत काम करवाते हैं। ज़िंदगी। 
चेतन मन जागते समय कार्य करता है, लेकिन अवचेतन मन हर समय कार्य करता है। यह
चेतन मन से कई गुना ज्यादा याद रखता है। यह दिन/रात के सपनों, भय, भय आदि के रूप में
विचारों और इच्छाओं की परतों को परत दर परत जमा करता है और व्यक्ति की सोच, कार्य और
व्यवहार में चेतन मन को लगातार पोषण देता रहता है।  एक मजबूत लग्न और 10 वां घर
ए गए अवचेतन मन के इनपुट को सही और संशोधित करता रहता है।  एक
छठे घर द्वारा दर् एर्शा
मजबूत और पीड़ित आठवां घर (अवचेतन मन) सभी दुखों और संकटों का कारण बनता है। 
अतिचेतन मन (नवम भाव) अपने शुद्धतम रूप में मन है। श्री रामकृष्ण ने कहा है, "शुद्ध मन ही शुद्ध
बुद्धि और शुद्ध आत्मा है"। यह भाग्य और धर्म को अच्छी तरह से जोड़ता है। इसके ठीक
यागया निचला मन है, जहां शुद्ध मन सांसारिक
विपरीत कुंडली के तीसरे घर द्वारा दर् यार्शा
द्
इच्छाओं की अ#द्धता धता शुऔर धूल से ढका हुआ है, जो किसी व्यक्ति के नियंत्रण से परे
परिस्थितियों से उत्पन्न हुआ है। लोभ और माया का संचय नवम भाव द्वारा सूचित शुद्ध मन को ढँक
देता है।  तीसरे, छठे और आठवें घर की ताकत अच्छे लोगों के लिए भी मजबूत होनी
चाहिए ताकि उन्हें साहस, वीरता (तीसरे घर के क्षेत्र में), प्रतिकूल परिस्थितियों को वश
में करने के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता की शक्ति मिल सके (छठे और छठे घर के क्षेत्र में)
आठवां घर)। लेकिन, जब ये घर लग्न के स्वामी और कर्म के दसवें घर से मजबूत हो जाते
हैं या ये घर (3,6,8) बुरी तरह पीड़ित होते हैं, तो एक भ्रष्ट या अपराधी का उदय होता है। 
चेतना के स्तर में परिवर्तन के साथ, एक व्यक्ति की धारणा और संचालन के तरीके में भारी
बदलाव आता है। जैसे ही नवम भाव द्वारा दर् यार्शा यागया चेतना का स्तर ऊं चा उठेगा, सभी
मतभेद स्वतः ही गायब हो जाएंगे।  कमजोर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति वाले व्यक्ति की
चेतना का स्तर निम्न होता है और वह आसानी से बहक जाता है। जबकि उच्च चेतना वाले
व्यक्ति को पहाड़ को भी तिल का ताड़ बनाने की आन्तरिक शक्ति मिल जाती है। इस प्रकार,
ज्योतिषियों द्वारा दोनों ग्रहों और बृहस्पति के साथ नौवें घर को बहुत अधिक महत्व दिया
जाता है। जैसे-जैसे चेतना जागृत होती है, घृणा, ईर्ष्या, बदला, अहंकार आदि जैसी
बाधाएं दूर हो जाती हैं।
किसी की मानसिकता को आकार देने में मूल ग्रहों की भूमिका
1. कुंडली में मजबूत सूर्य जातक को नेक दिमाग वाला, गौरवान्वित बनाता है। वह हमे शसभी
नीच, घृणित, गुप्त और गुप्त कार्यों का विरोध करता है। मैंने कुछ सरकारी अधिकारियों की
कुण्डलियाँ देखी हैं जिनमें मजबूत लेकिन पीड़ित सूर्य उनमें अहंकार पैदा कर रहा
है। यह सच है कि सूर्य ने उन्हें सरकारी तंत्र में ऊंचे पद पर पहुंचाया, लेकिन साथ ही
उनमें अहंकार भी भर दिया। बढ़ा हुआ अहंकार किसी को शर्मनाक स्थिति में पहुंचा सकता है
क्योंकि से व्यक्ति को दूसरों को कम आंकने और खुद को श्रेष्ठ समझने की आदत होती है। ऐसे लोग
अपने बढ़े हुए लालच और परपीड़क अहंकार को पूरा करने के लिए जानबूझकर या अनजाने
में दूसरों को अनावयककश्य रूप से अपमानित करके सर्वशक्तिमान ईवर रश्वके दरबार में कई दुष्कर्म
करते हैं। वैसे तो, एक मजबूत लेकिन अप्रभावित सूर्य का स्वागत है, जबकि एक पीड़ित सूर्य
कुंडली में सबसे अवांछित चीज है। पीड़ित सूर्य नीच मानसिकता को बढ़ावा देता है जबकि
अप्रभावित और मजबूत सूर्य व्यापक मानसिकता उत्पन्न करता है। 2. चंद्रमा मन का स्वामी है
और जातक को तर्क शक्ति देता है। यह व्यक्ति को आम लोगों के लिए सोचने की अनुमति देता
है और उसे स्वभाव से सहानुभूतिपूर्ण बनाता है। जब यह पीड़ित हो जाता है तो व्यक्ति को नीच और
भ्रष्ट बना देता है। 3. बुध बुद्धि का ग्रह है, लेकिन शनि और राहु से पीड़ित होने पर यह विकृत
बुद्धि देता है और व्यक्ति को धोखेबाज और चालबाज बनाता है। 4. बृहस्पति एक देवदार ग्रह
है जो तर्क, ज्ञान, आ शऔर अवसरों को दर् तार्शा ताहै। जब बृहस्पति गंभीर पीड़ा में होता है,
तो जातक निरा शसे ग्रस्त हो जाता है और धोखेबाज, तस्कर या ठग बन जाता है। 5. मंगल
पतन का कारण बनता है और शुक्र पतन से उबरता है। जब कुंडली के कुछ घरों में मंगल और
शुक्र की युति होती है तो व्यक्ति अत्यधिक कामुक हो जाता है, जो हमे शसेक्स के लिए तरसता
रहता है। मजबूत शुक्र वाला जातक महान गुणों का प्रतीक होता है और दूसरों से बिल्कुल अलग
होता है। पीड़ित होने पर यह मनुष्य के प#त्व त्वशुको बाहर लाता है और शारीरिक इच्छाओं की
लालसा को बढ़ाता है। 6. शनि उच्च और निम्न के बीच एक सेतु का काम करता है, लेकिन आम
तौर पर अन्य ग्रहों की पीड़ा का कारण बनता है जिससे प्रतिकूल परिणाम मिलते हैं। यही
स्थिति राहु और केतु के साथ भी है क्योंकि वे भी अन्य ग्रहों को पीड़ित करते हैं और
प्रतिकूल परिणाम देते हैं।
चित्रण और केस अध्ययन (1) चंद्रास्वामी उर्फ एनसी जैन सत्ता के वैविक कश्वि गलियारे में
अपनी चालाकी भरी रणनीति और कई गुप्त हथियारों के सौदे (मंगल-शनि का प्रभाव) के लिए
कुख्यात हो गए, जिन्होंने इस प्रक्रिया में भारी संपत्ति अर्जित की थी। उनकी कुंडली में,
उनका 8 वां स्वामी शनि हानिकारक रा शिश
सिंह में धन के दूसरे घर में है, 8 वें घर (घोटालों का
घर) और 11 वें (लाभ का घर) पर दृष्टि डाल रहा है, जो संदिग्ध तरीकों से धन की प्राप्ति को
ताहै। इंदु लग्न मिथुन है जिसका स्वामी बुध उच्च का है और वर्गोत्तम तीसरे (निम्न मन
दर् तार्शा
का घर) में केतु के साथ युति में है। इस प्रकार, तीसरे घर का प्रतिनिधित्व करने वाला
उसका निचला दिमाग संदिग्ध तरीकों से पैसा कमाने में तेजी से फला-फूला। अतिचेतन मन का
नौवां घर भी अत्यधिक पीड़ित है और इसका स्वामी कमजोर है। गलत कार्य करने से रोकने
वाला देव ग्रह बृहस्पति अपनी कुंडली में शैशव अवस्था में, शत्रु रा शिशमें, पीड़ित एवं नीच
रा शिश
में होने के कारण अत्यंत निर्बल है।
(2) चार्ल्स शोभराज की कुंडली में, जो अपनी कुख्याति के लिए जाने जाते हैं, उनका षष्ठेश
मंगल लग्न में राहु और शनि के बीच स्थित है, जो छठे भाव में चोरी, धोखाधड़ी, ईर्ष्या आदि
के प्रतिकूल संके त दे रहा है। बृहस्पति, राहु के साथ मिलकर गुरु चांडाल योग बना रहा
है। अति चेतन मन का नौवां घर और उसका स्वामी पीड़ित है। ऐसे सभी ग्रहों के प्रभाव ने उसे
विवेकहीन बना दिया।
(3) पामेला बोर्डेस की कुंडली में, 4 थे, 5 वें और 9 वें स्वामी पीड़ित हैं जो उन्हें
ही
दि हीन नशा
प्रतिभा प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, शुक्र मंगल की मूलत्रिकोण रा शिशमें स्थित
है और सभी चतुर्थां श'पर पाप ग्रहों का कब्जा है। एक समय में उन्होंने श्रीमती मार्गरेट
थैचर की ब्रिटिश सरकार को बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था। उसका बृहस्पति शनि की रा शिश
में है और राहु के नक्षत्र में है, जिससे बृहस्पति चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में
समन्वयित करने में असहाय है। कभी-कभी ज्योतिषीय विसंगतियाँ किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व
में समाज के लिए लाभकारी प्रकृति की छुपी हुई प्रतिभा होने के बावजूद उसे बदनाम कर
देती हैं। उचित समय पर उचित ज्योतिषीय उपाय किसी के जीवन में सकारात्मक गुणों को सामने
लाने और बुरे लक्षणों को दूर रखने में मदद करते हैं।

वैदिक ज्योतिष के माध्यम से मन को समझना


मन को सबसे शक्तिशाली चीजों में से एक कहा जाता है, जिसे यदि नियंत्रित किया जाए, तो यह आपको
अत्यधिक शक्ति और आगे बढ़ने की प्रवृत्ति प्रदान कर सकता है। यह मन या "मस्तिष्क" है जिस पर आपको एक
मजबूत व्यक्तित्व पाने के लिए विजय प्राप्त करनी चाहिए। नियंत्रित मन और शक्ति वाला व्यक्ति व्यक्तित्व के
से गुण प्रदर्शित कर सकता है जो जीवन में साहस और अनु सन सनशाको दर्शाते हैं। हालाँकि बहुत से लोग मन और
मस्तिष्क को भ्रमित कर सकते हैं, ये दोनों एक ही चीजें नहीं हैं, लेकिन पूरी तरह से असंबंधित भी नहीं
हैं। मस्तिष्क आपकी भावनाओं और अनुभूतियों का नियंत्रक है। दूसरी ओर, वैदिक ज्योतिष के अनुसार मन
को चार मुख्य भागों में बांटा गया है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मन का विभाजन


 9 वां घर या अति-चेतन मन (निचला मन यहां एक उप-समूह है, जो अति-चेतन मन का नकारात्मक हिस्सा है)
 छठा घर या अचेतन मन
 आठवां घर या अवचेतन मन
 पहला भाव या चेतन मन और तीसरा भाव या सचेत मन

आपराधिक प्रवृत्ति या व्यक्तित्व वाले लोगों के मामले में, निचला दिमाग ठीक से विकसित होता है, जबकि सुपर
इंटेलिजेंस बिल्कुल भी विकसित नहीं होता है।
पहला घर या तीसरा घर जहां हम पूर्ण रूप से सचेत होते हैं , व्यक्ति के जागने पर क्रिया ललशी
रहता है। जब हम सो रहे होते हैं
तब भी आठवां घर या अवचेतन मन काम कर रहा होता है । जब आप जागते हैं, तो आपके अवचेतन मन की
कार्यप्रणाली को चेतन मन द्वारा सुधारा या सोचा जाता है। चेतन मन कार्य करने या स्मरण करने में
सक्षम है और सक्रिय रूप से किसी चीज़ पर विचार कर सकता है।
हालाँकि, आपका अवचेतन मन जो जानकारी संग्रहीत कर सकता है वह चेतन मस्तिष्क में संग्रहीत
जानकारी से असंख्य गुना अधिक है। एक व्यक्ति का अवचेतन मन छिपी हुई इच्छाओं, भय, भय, बुरे
सपने, रात के सपने, सपने और तीव्र भय को भी संग्रहीत करता है। यह छापों, भावनाओं और संकेतों
को संग्रहीत करने में भी सक्षम है। एक गैर-सक्रिय भाग होने के बावजूद, अवचेतन मन अभी भी
किसी व्यक्ति के व्यवहार या सोच को निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।
वैदिक ज्योतिष के माध्यम से मन को समझकर , व्यक्ति विचार प्रक्रिया को सुधार सकता है और जीवन में
सकारात्मक बदलाव ला सकता है। अत: यहां ज्योतिष शास्त्र की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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