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Kavita Geet - कविता और गीत का सुंदर संग्रह
Kavita Geet - कविता और गीत का सुंदर संग्रह
सुंग्रह
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आज आपलोगो के ललये कुछ चु ल िंदा गीत, कलिता (Kavita Geet) ले कर आये है लज के माध्यम
से आप इसको पढकर बहुत ज्यादा सुखा ुभि महसूस कर सकते है | ये कलिताये और गीत
उस जमा े के है जब लोग अप ी भाि ाओ और अप े दु ख, ददद और प्रेम को एक गीलतका
के माध्यम से पेश करते है उन्ही मे से कुछ प्रचललत कलियो द्वारा कृत कुछ कलिताओ का
सिंकल ले कर आये है |
गीत (Geet)
पछु आ हिा चली।
तपते शहर गािं ि, घर-आिं ग, व्याकुल पशु पक्षी र, लगररि ।
आग उगलती आई गमी, सचमु च बहुत खली। पछु आ हिा चली।
आया जलता जेठ मही , त से बह े लगा पसी ा।
लद की ीिंद रात से ज्यादा मु झको लगी भली | पछु आ हिा चली|
खखले ताल मे कमल रिं गीले , कुछ है लाल, श्वेत कुछ पीले |
द्वारे गिंध लु टाती लिर बेला की खखली कली| पछु आ हिा चली|
पाके आम पक गई लीची, बच्चो से भर उठी बगीची|
उठते राग ब्याह के, बाजे, बजते गली – गली | पछु आ हिा चली|
अििं सरीखा दाह भरा लद , दु पहर के सन्नाटे का लछ |
बीत, आओ चले पाकद मे , दे खो शाम धली|| पछु आ हिा चली|
गीत – 2