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● यरू ोपीय कंपनियों का भारत आगमन
● 18वीं सदी के मध्य का भारत
● बंगाल में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना
● ब्रिटिश साम्राज्यवाद का स्वरूप
● सामाजिक-धार्मिक सध
ु ार आंदोलन

E
● 1857 की क्रांति के पर्व
ू वर्ती विद्रोह
● 1857 का विद्रोह तथा 1858 के बाद ब्रिटिश नीति में परिवर्तन

V
● कांग्रेस की स्थापना के पर्व
ू वर्ती संगठन तथा घटनाक्रम
● भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना तथा संबंधित पक्ष
● भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन तथा इसके विभिन्न चरण
LI
● प्रमख
ु गैर-कांग्रेसी संगठन एवं आंदोलन

प्रमख
ु घटनाक्रम
K

❖ स्वदे शी आंदोलन
❖ अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति
❖ मस्लि
ु म लीग
M

❖ साइमन कमीशन
❖ गोलमेज सम्मेलन
❖ कम्यन
ु ल अवार्ड
❖ पन
ू ा पैक्ट
❖ आजाद हिन्द फौज
❖ वेवल योजना
❖ एटली योजना
❖ कैबिनेट मिशन योजना

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❖ माउं टबेटन योजना
❖ भारत का विभाजन
● कंपनी के शासन काल के दौरान पारित विभिन्न एक्ट
● ब्रिटिश क्राउन के काल के दौरान पारित अधिनियम
● कंपनी के शासन काल के प्रमख
ु गवर्नर जनरल
● ब्रिटिश क्राउन के काल के प्रमख
ु गवर्नर जनरल
● ब्रिटिश शासन का आर्थिक प्रभाव
● ब्रिटिश शासन का सामाजिक प्रभाव
● ब्रिटिश शासन का राजनीतिक प्रभाव

E
● ब्रिटिश शासन का धार्मिक-सांस्कृतिक प्रभाव
● ब्रिटिश काल में शिक्षा व्यवस्था

V
● ब्रिटिश काल में प्रैस की स्वतंत्रता
● स्वतंत्रता के बाद दे शी रियासतों का एकीकरण
LI
○ रियासतों के एकीकरण की नीति एवं सिद्धांत
○ एकीकरण की प्रमख
ु चन
ु ौतियाँ तथा समाधान
○ रियासतों के एकीकरण में सरदार पटे ल की भमि
ू का
K

स्वतंत्रता के बाद दे शी रियासतों का एकीकरण

● रियासतों के एकीकरण की नीति एवं सिद्धांत


● एकीकरण की प्रमख
ु चन
ु ौतियाँ तथा समाधान
M

● रियासतों के एकीकरण में सरदार पटे ल की भमि


ू का

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V E
LI
K
M

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यरू ोपीय कंपनियों का भारत आगमन

यरू ोपियनों के आगमन के समय भारत की तत्कालीन परिस्थितियां

● 15वीं सदी के अंत तथा 16वीं सदी के प्रारं भ में भारत में व्यापारिक
उद्दे श्यों से यरू ोपीय कंपनियों का भारत में प्रवेश प्रारं भ हुआ। इस समय
भारत में दिल्ली सल्तनत का काल था।
● उत्तरवर्ती दिल्ली सल्तनत तथा पर्व
ू वर्ती मग
ु ल काल में केंद्रीय सत्ता के
मजबत
ू होने के कारण यरू ोपीय कंपनियों ने केवल अपने व्यापारिक हितों
को महत्व दिया।

E
● पानीपत के प्रथम यद्
ु ध (21 अप्रैल, 1526) में इब्राहिम लोदी पराजय के
बाद जहां एक ओर दिल्ली सल्तनत के स्थान पर मग
ु ल सत्ता का विकास
हुआ,
● वहीं दस
ू री ओर पर्तV
ु गाल, डच, डेनिस, की कंपनियां भी अपने व्यापारिक
हितों को विकसित करने के लिए क्षेत्रीय संघर्ष में संलग्न हो गई।
LI
● जिस समय भारत अपने मध्यकाल में जबकि यरू ोप अपने आधनि
ु क काल
में था। इसी क्रम में यरू ोपियनों द्वारा नवीन भौगोलिक खोजें की जाने
लगी, ताकि अपने व्यापार को वैश्विक स्तर पर प्रसारित किया जा सके।
K

● इसी क्रम में यरू ोपियनों द्वारा नवीन भौगोलिक खोजें की जाने लगी, ताकि
अपने व्यापार को वैश्विक स्तर पर प्रसारित किया जा सके।
● इसी क्रम में यरू ोपीय दे शों द्वारा भारत की जलीय मार्ग के माध्यम से
M

खोज के प्रयास प्रारं भ


● उल्लेखनीय है कि प्राचीन काल से ही भारत और यरू ोपीय दे शों के मध्य
स्थलीय मार्गों के माध्यम से व्यापारिक संबंध थे।
● किंतु 14-15वीं सदी में इन स्थलीय व्यापारिक मार्गों में बाधाएं उत्पन्न
होने लगी, जिस कारण यरू ोपियनों द्वारा भारत एवं पर्वी
ू दे शों के साथ
व्यापार हे तु नवीन जलीय मार्गों की खोज की जाने लगी।

यरू ोपीय दे शों द्वारा नवीन जलीय मार्गों की खोज क्यों ?

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● कुस्तन
ु तनि
ु या पर अरबों का अधिकार
● यरू ोपियनों द्वारा नई भौगोलिक खोजें
● जहाजरानी एवं नौ-परिवहन का विकास

कुस्तन
ु तनि
ु या पर अरबों का अधिकार

● पहले कुस्तन
ु तनि
ु या (आधनि
ु क इस्तांबल
ु ) यरू ोप के पर्वी
ू भाग में तर्की
ु के
अंतर्गत था। किंतु 1453 में मध्य एशिया के अरबों ने कुस्तन
ु तनि
ु या पर
अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
● इस कारण पर्वी
ू एशिया (भारत) और यरू ोपीय दे शों के बीच व्यापार का

E
स्थलीय मार्ग अवरुद्ध हो गया।
● उल्लेखनीय है कि कुस्तन
ु तनि
ु या रूम सागर (भम
ू ध्य सागर के निकट)
तथा काला सागर के मध्य स्थित एक महत्वपर्ण
ू स्थल मार्ग था। साथ ही

● अर्थात कुस्तन
V
यरू ोप को एशिया से जोड़ने वाला एक मात्र स्थलीय मार्ग था।
ु तनि
ु या का आधा हिस्सा यरू ोप जबकि शेष आधा हिस्सा
LI
एशिया महाद्वीप में स्थित था।
K
M

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E
यरू ोपियनों द्वारा नई भौगोलिक खोजें

V
● व्यापार के स्थलीय मार्ग में अवरोध आने तथा पन
यरू ोपीय दे शों, विशेषकर पर्त
ु र्जागरण के कारण
ु गाल तथा स्पेन द्वारा नई भौगोलिक खोजें की
LI
जाने लगी ताकि व्यापार को पन
ु ः प्रारं भ किया जा सके।
● भाग्यवश इस समय पर्त
ु गाल का शासन हे नरी के अधीन था जोकि एक
खोजी प्रवत्ति
ृ के व्यक्ति थे।
K

● हे नरी द्वारा समद्र


ु ी व्यापार को प्रोत्साहन दे ने के लिए दिशा सच
ू क यंत्र के
निर्माण को प्रोत्साहन दे ने के साथ ही नक्षत्रों की गणना करने वाली कई
सचि
ू यों का निर्माण → इसी कारण इन्हें ‘द नेविगेटर’ के उपनाम से
M

संबोधित किया जाता है ।


● इन दिशा सच
ू क यंत्रों की सहायता से यरू ोपीय व्यापारी समद्र
ु ी मार्ग के
माध्यम से विदे शी व्यापार के लिए प्रेरित हुए। साथ ही हे नरी ने विदे शी
व्यापार के लिए व्यापारिक कंपनियों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की।

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जहाजरानी एवं नौ-परिवहन का उच्च स्तर पर विकास

● यरू ोप में 15वीं शताब्दी में जहाजरानी एवं नौ-परिवहन का उच्च स्तर पर
विकास हुआ।
● पर्त
ु गाल जैसे दे श द्वारा निजी व्यापारियों को भी समद्र
ु ी जहाजों के निर्माण
के लिए प्रोत्साहित किया ताकि समद्र
ु ी व्यापार को गति प्रदान की जा सके।
● इस प्रकार नौ-परिवहन के विकास ने भी पर्वी
ू दे शों के साथ यरू ोपीयन दे शों
के समद्र
ु ी संपर्क को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया।

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यरू ोपियनों के भारत आगमन का उद्दे श्य

● यरू ोपीय कंपनियों के भारत आगमन का मख्


ु य उद्दे श्य मसालों का व्यापार
था।
● भारत में आकर यरू ोपीय कंपनियों ने विभिन्न स्थानों पर अपनी
व्यापारिक बस्तियां स्थापित की।
● हालांकि यह बस्तियां अथवा फैक्ट्री उत्पादन के केंद्र नहीं थे, बल्कि केवल
भंडारगह
ृ थे।

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● यहां पर वस्तओ
ु ं एवं मसालों आदि का संग्रह कर उन्हें यरू ोप भेजा जाता
था। यह बस्तियां किलेबंद क्षेत्र की तरह होती थीं जिनमें वस्तओ
ु ं के
भंडारण के अलावा कार्यालय एवं व्यापारियों के आवास गह
ृ भी होते थे।
● उल्लेखनीय है कि भारत में बस्तियों के निर्माण की यह कला पर्त
ु गालियों
द्वारा मल
ू तः इटली के व्यापारियों से प्राप्त की गई थी, जिसे बाद में अन्य
यरू ोपीय कंपनियों ने भी अनस
ु रण किया।

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K

भारत में पर्त


ु गालियों का आगमन

पर्त
ु गालियों के भारत आगमन के उद्दे श्य
M

● अरबों के व्यापारिक प्रभाव को समाप्त करना


● मसालों के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना
● भारत में ईसाई धर्म का प्रसार करना

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वास्को-डी-गामा

● तत्कालीन राजकुमार मैनए


ु ल प्रथम के आह्वान पर पर्त
ु गाली व्यापारी एवं
K

नाविक वास्को-डी-गामा द्वारा मई, 1498 में भारत की खोज की गई।


● वास्को-डी-गामा गज
ु राती व्यापारी अब्दल
ु मजीद की सहायता से केप ऑफ
गुड होप होते हुए कालीकट तट पर स्थित कथाकडाबू नामक स्थान पर
M

पहुंचा।
● 1500 ई. में पेड्रो अल्वारे ज कैब्राल भारत आने वाला दस
ू रा पर्त
ु गाली
व्यापारी
● 1502 में वास्को-डि-गामा पन
ु ः भारत आया
● वास्को-डि-गामा जब पर्त
ु गाल वापिस लौटा तो उसने भारत से लेकर गए
मसालों को 60 गुना अधिक मल्
ू य पर बेचा।
● इससे अन्य पर्त
ु गाली व्यापारी भी भारत आगमन के लिए आकर्षित

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● उल्लेखनीय है कि केप ऑफ गुड होप की खोज पर्त
ु गाली नाविक
बार्थोलोम्यू द्वारा की गई थी। कालीकट के राजा जमोरिन ने
वास्को-डी-गामा का स्वागत किया। हालांकि भारत में पहले से ही
विद्यमान अरब व्यापारियों द्वारा जमोरिन के इस कदम का विरोध किया
गया।
● इस प्रकार पर्त
ु गाली व्यापारियों के भारत आगमन का क्रम प्रारं भ
● इस प्रकार मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से व्यापारिक संबंध स्थापित
करने वाले पर्त
ु गाली
● फलस्वरूप 1503 में पर्त
ु गालियों ने कोचीन में अपनी पहली व्यापारिक

E
कोठी की स्थापना
● पर्त
ु गालियों के भारत में प्रथम दर्ग
ु (भारत में प्रथम यरू ोपीय दर्ग
ु भी) का
निर्माण अल्बक
कोचीन में
V
ु र्क (इस समय वह गवर्नर नहीं थे) द्वारा 1503 ई. में
LI
फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा (1505)

● अपनी व्यापारिक गतिविधियों को कुशलतापर्व


ू क संचालित करने के लिए
फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा को 1505 ई. में भारत में पहला पर्त
ु गाली गवर्नर
K

नियक्
ु त किया गया।
● 1509 ई. में फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा ने दीव पर अधिकार स्थापित कर
लिया।
M

● साथ ही अल्मेडा ने हिंद महासागर के व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करने


के लिए ब्लू वाटर पॉलिसी अथवा शांत जल की नीति को अपनाया।

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E
● वस्तत
ु ः यह अल्मेडा की दरू दृष्टि का परिणाम था कि उसने तत्कालीन
भारतीय शासकों के विपरीत समद्र
ु ी व्यापार के महत्व को समझा।
● इस समय पर्त V
ु गालियों का प्रमख
ु उद्दे श्य शांतिपर्व
ू क व्यापार करना और
भारत में मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करना था।
LI
● परं तु ब्लू वॉटर पॉलिसी ने समद्र
ु ी क्षेत्र में पर्त
ु गालियों की व्यापारिक
महत्वाकांक्षा को बढ़ा दिया।
● अब पर्त
ु गाली कंपनी ने भारत और यरू ोप के मध्य होने वाले समस्त समद्र
ु ी
K

व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने की रणनीति अपनाई।

अल्बक
ु र्क (1509)
M

● फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा के बाद 1509 ई. में अल्बक


ु र्क भारत में पर्त
ु गाली
गवर्नर बनकर आया। अल्बक
ु र्क को भारत में पर्त
ु गाली साम्राज्य का
वास्तविक संस्थापक माना जाता है । अल्बक
ु र्क ने जहां एक ओर पर्त
ु गाली
शक्ति को भारत में बढ़ाया।
● वहीं दस
ू री ओर भारतीय और पर्त
ु गाली संबंधों की आधारशिला भी निर्मित
की।
● अल्बक
ु र्क ने भारतीयों को भी पर्त
ु गाली सेना में छोटे पदों पर भर्ती किया।

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● निम्न वर्गीय पर्त
ु गालियों को भारतीय स्त्रियों से विवाह करने हे तु प्रेरित
किया, ताकि भारत में पर्त
ु गाली बस्तियां बसाई जा सके एवं सग
ु मतापर्व
ू क
व्यापार किया जा सके। अल्बक
ु र्क ने कोचीन के क्षेत्र में सती प्रथा पर भी
रोक लगाई।
● 1510 ई. में अल्बक
ु र्क ने बीजापरु के शासक आदिलशाह यस
ू फ
ु से सैन्य
अभियान के माध्यम से गोवा जीत लिया। इसके अलावा अल्बक
ु र्क ने
1511 में दक्षिण-पर्व
ू एशिया के महत्वपर्ण
ू क्षेत्र मलक्का तथा 1515 में
फारस की खाड़ी के तट पर स्थित हॉर्मूज समद्र
ु ी क्षेत्र पर भी नियंत्रण कर
लिया।

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K
M

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E
नीन-ू डी-कुन्हा (1529)

में पर्त
V
● नीन-ू डी-कुन्हा 1529 ई. में भारत में गवर्नर बनकर आया। कुन्हा ने भारत
ु गाली राजधानी कोचीन को गोवा स्थानांतरित किया।
LI
कुन्हा द्वारा स्थापित पर्त
ु गाली बस्तियां

1. सैन्थोम (मद्रास)
2. हुगली (बंगाल)
K

3. दीव (काठियावाड़)

भारत में पर्त


ु गालियों की फैक्ट्रियों की स्थापना
M

● कोचीन (1503)
● कन्नरू (1505)
● गोवा (1510)
● चटगांव और सतगांव (1534)
● दीव (1535)
● दमन (1559)

यरू ोपीय शक्तियों में सर्वप्रथम पर्त


ु गाली व्यापारियों ने भारत में सामद्रि
ु क
व्यापारिक केंद्र स्थापित किए। 1632 ई. में मग
ु ल सम्राट शाहजहां ने हुगली में

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पर्त
ु गाली बस्तियों को पर्ण
ू तः नष्ट करने का आदे श दिया क्योंकि पर्त
ु गालियों
द्वारा हुगली को बंगाल की खाड़ी में समद्र
ु ी लट
ू पाट के उद्दे श्य से प्रयक्
ु त किया
जाने लगा।

पांडिचेरी

● पांडिचेरी पर कब्जा करने वाली पहली यरू ोपीय शक्ति पर्त


ु गाली थे।
पांडिचेरी में सर्वप्रथम पर्त
ु गालियों ने अपना उपनिवेश स्थापित किया।
● हालांकि इसके बाद डचों ने भी पांडिचेरी में अपनी व्यापारिक कोठियों की
स्थापना की।

E
● 1673 ई. में फ्रांसीसियों ने भी पांडिचेरी में अपनी पहली व्यापारिक बस्ती
स्थापित की।
● अंततः 1793 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को पर्ण
ू तः अपने नियंत्रण में ले
V
लिया। किंतु 1783 ई. की पेरिस की संधि के तहत पांडिचेरी को पन
फ्रांसीसियों को सौंप दिया गया।
ु ः
LI
कार्ट्ज-आर्मेडा काफिला पद्धति

● पर्त
ु गालियों ने जब भारत के तटवर्ती क्षेत्रों सहित हिंद महासागर में स्थिति
मजबत
ू कर ली तो कार्टज-आर्मेडा काफिला पद्धति का अनस
ु रण किया
K

गया।
● हालांकि इस पद्धति को औपचारिक रूप से कब और किस गवर्नर द्वारा
M

प्रारं भ किया, इसका उल्लेख नहीं मिलता है ।


● इस पद्धति के तहत पर्त
ु गालियों ने भारतीय तथा अरब व्यापारियों के
समद्र
ु ी जहाजों को बिना परमिट (कार्ट्ज) के अरब सागर में प्रवेश करने पर
प्रतिबंध लगा दिया।

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LI
● इस पद्धति के माध्यम से न केवल पर्त
ु गालियों की समद्र
ु ी क्षेत्र में
सर्वोच्चता स्थापित हो गई बल्कि गोला-बारूद एवं काली मिर्च पर प्रतिबंध
लगाने से व्यापारिक एवं सामरिक सरु क्षा भी प्राप्त हो गई।
K

● यह परमिट प्रणाली इतनी सदृ


ु ढ थी कि स्वयं मग
ु ल सम्राट अकबर के
जहाजों को भी अरब सागर में प्रवेश करने के लिए परमिट की आवश्यकता
होती थी।
M

पर्त
ु गालियों की भारत में सफलता के कारण

● पर्त
ु गाली शासन द्वारा सहयोग एवं समर्थन
● नौसेना क्षमता
● कुशल एवं योग्य गवर्नर
● तटवर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण को प्राथमिकता
● ब्लू वाटर पॉलिसी
● भारतीय शासकों की अयोग्यता एवं अदरू दर्शिता

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पर्त
ु गालियों की भारत में असफलता के कारण

● भारतीय जनता के प्रति असहिष्णत


ु ा की नीति का अनस
ु रण करना
● ईसाई धर्म का प्रसार करना
● पर्त
ु गालियों द्वारा नए उपनिवेश ब्राजील की खोज करना
● अन्य यरू ोपीय कंपनियों से प्रतिस्पर्द्धा
● भारत से प्राप्त लाभ का पन
ु ः निवेश नहीं करना
● पर्त
ु गाल में सोने-चांदी और तांबे की आपर्ति
ू में कमी होना
● पर्त
ु गालियों द्वारा भारत में व्यापार करने के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली
या भारत से प्राप्त धन का प्रयोग नहीं किया जाता था बल्कि इस हे तु

E
पर्त
ु गाली स्वयं अपने दे श से सोना, चांदी और तांबा इत्यादि लाते थे।
● कालांतर में पर्त
ु गालियों की यह नीति उनकी भारत में असफलता का एक

पर्त
प्रमख
ु कारण बनी। V
ु गालियों की भारत को दे न
LI
● भारत में तंबाकू, गन्ना, अनानास, पपीता, आलू तथा मक्के की कृषि को
प्रारं भ करने का श्रेय पर्त
ु गालियों को
● भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में कैथोलिक ईसाई धर्म का प्रसार
K

● भारत और एशिया में ईसाई धर्म का प्रसार करने वाले पर्त


ु गाली पहले
● गोवा, दमन एवं दीव जैसे क्षेत्रों में आकर्षक चर्चों का निर्माण
M

● 1556 में गोवा में भारत की पहली प्रिंटिग


ं प्रैस की स्थापना
● समद्र
ु ी व्यापारिक महत्व का परिचय
● समद्र
ु ी जहाज निर्माण का परिचय
● भारत में गोथिक / विक्टोरियन स्थापत्य कला का विकास

गोथिक / विक्टोरियन स्थापत्य कला

● ऊँची तिकोना इमारतें


● पतले-नक
ु ीले एवं एक से अधिक शिखर
● इमारतों में बड़ी-बड़ी खिड़कियां

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● इमारतों के निर्माण में पहली बार स्टील और लोहे का प्रयोग
● इंजीनियरिंग के मानकों पर आधारित

● पर्त
V E
ु गाल सबसे पहले भारत आए और सबसे अंत में भारत से गए।
LI
औपचारिक रूप से गोवा, दमन और दीव 1961 तक पर्त
ु गाली सरकार के
अधीन रहे ।

भारत में डचों का आगमन


K

● डच मल
ू तः नीदरलैंड और हॉलैंड के निवासी थे। पर्त
ु गालियों के बाद भारत
में व्यापारिक उद्दे श्यों के लिए आने के क्रम में दस
ू रा स्थान डचों का था।
भारत में वस्त्रों के निर्यात सर्वप्रथम डचों को ही जाता है ।
M

● पर्त
ु गालियों के आगमन के लगभग सौ वर्ष बाद डच पहली बार भारत में
आए। इसका एक प्रमख
ु कारण यह था कि डचों ने इससे पहले इंडोनेशिया
में अपनी व्यापारिक गतिविधियों को प्राथमिकता दी। 1595 ई. में डचों का
भारत में प्रथम दल कार्नेलियस हाउट मैन के नेतत्ृ व में भारत आया था।
● इस डच व्यापारिक कंपनी का मल
ू नाम यन
ू ाइटे ड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ़
नीदरलैंड था, जो कई छोटी-छोटी व्यापारिक कंपनियों का एकीकरण थी।

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डचों ने बाटविया (इंडोनेशिया) को अपना मख्
ु यालय बनाया था और भारत
स्थित डच कंपनी इसी मख्
ु यालय के अंतर्गत थी।
● डच ईस्ट इंडिया कंपनी का डच सरकार का नियंत्रण था और कंपनी द्वारा
भारत में की जाने वाली सभी संधियां डच सरकार के नाम से ही की जाती
थी।
● हालांकि डच कंपनी को यद्
ु ध एवं संधि तथा क्षेत्र का विस्तार करने की
शक्ति सरकार द्वारा प्राप्त थी।
● 1605 में डचों ने आंध्र प्रदे श के मछलीपट्टनम में अपनी पहली फैक्ट्री
स्थापित की।

E
● डचों की बंगाल में पहली कंपनी पीपली में 1627 ई. में स्थापित हुई थी।
● इसके कुछ ही दिनों बाद डच पीपली से बालासोर चले गए।

V
● बंगाल में डचों ने 1635 ई. से लेकर 1656 ई. तक हुगली में कारखाने का
संचालन किया।
LI
● 1656 ई. के बाद हुगली के ही एक गांव चिनसरु ा में 1653 ई. में स्थापित
फैक्ट्री डचों के व्यापार का मख्
ु य केंद्र बन गई।
● 17वीं सदी की समाप्ति तक डच कंपनियां कासिम बाजार, पटना, ढाका,
मालदा, बालासोर, बारं गोर, जग
ु दिया, फतवा इत्यादि स्थानों पर स्थापित
K

हो चक
ु ी थीं।

भारत में अंग्रेजों का आगमन


M

● 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना


● कंपनी का औपचारिक नाम द गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेंट ऑफ ट्रे डिग

इन टू द ईस्ट इंडीज
● कंपनी का गठन मल
ू तः पर्वी
ू दे शों के साथ व्यापार के संदर्भ में
● कंपनी का मल
ू उद्दे श्य पर्व
ू के साथ मसालों और काली मिर्च का व्यापार
करना
● महारानी एलिजाबेथ प्रथम 15 वर्षीय व्यापारिक अनम
ु ति (एकाधिकार)

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● एकाधिकार का तात्पर्य यह था कि ब्रिटे न से कोई अन्य सरकारी अथवा
निजी कंपनी पर्व
ू (विशेषकर भारत के साथ) व्यापार नहीं कर सकती थी
● हालांकि 1603 ई. में महारानी एलिजाबेथ की मत्ृ यु के बाद सम्राट जेम्स
प्रथम ने 1609 ई. में कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को अनिश्चित काल
के लिए बढ़ा दिया।
● 1608 में कैप्टन हॉकिंस के नेतत्ृ व में में एक दल सरू त पहुंचा
● 1613 में जहांगीर द्वारा कंपनी को सरू त में व्यापारिक कोठी स्थापित
करने की अनम
ु ति
● जबकि 1611 में बिना अनम
ु ति के मछलीपट्टनम में अस्थायी व्यापारिक

E
कोठी की स्थापना
● सरू त की व्यापारिक कोठी का नेतत्ृ व थॉमस एल्वर्ड को सौंपा गया।

V
● कंपनी भारत से मसालों के साथ ही सत
चाय का निर्यात करने लगी।
ू , नील, पोटै शियम नाइट्रे ट तथा
LI
● इस समय कंपनी की पंज
ू ी का आधार व्यापारिक पंज
ू ी थी। कंपनी चांदी के
माध्यम से भारत में भग
ु तान करती थी।
● इसी क्रम में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1623 ई. तक सरू त,
मछलीपट्टनम, भड़ौच, अहमदाबाद और आगरा में अपनी व्यापारिक
K

कोठियां स्थापित कर ली।


● अंग्रेजों की बढ़ती व्यापारिक गतिविधियों के कारण पर्त
ु गालियों के साथ
M

उनका संघर्ष होना स्वाभाविक था।


● किंतु इस समय तक अंग्रेजों की नौसेना क्षमता पर्त
ु गालियों की तल
ु ना में
बढ़ चक
ु ी थी।
● अतः 1620 में नौसेना यद्
ु ध में अंग्रेजों ने पर्त
ु गालियों को पराजित कर
दिया।
● 1698 ई. में बंगाल के सब
ू ेदार अजीमोशान ने अंग्रेजों को सत
ु ानाती,
गोविंदपरु , कालीकट की जमींदारी प्रदान की। इन्हीं स्थानों को मिलाकर

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जॉब चारनॉक ने कलकत्ता में फोर्ट विलियम (1781) की स्थापना की
जिसका प्रथम अध्यक्ष चार्ल्स आयर था।
● 1717 ई. में मग
ु ल सम्राट फर्रु खसियर द्वारा अंग्रेजों को दस्तक नामक
एक शाही फरमान जारी किया गया जिसके तहत ब्रिटिश कंपनी को समस्त
बंगाल में बिना कोई शल्
ु क दिए व्यापार करने की अनम
ु ति प्रदान की गई।
● ब्रिटिश ईस्ट इंडिया द्वारा भारत में पहली अनौपचारिक व्यापारिक कोठी
की स्थापना 1611 में मछलीपट्टनम में
● ब्रिटिश ईस्ट इंडिया द्वारा भारत में पहली औपचारिक व्यापारिक कोठी की
स्थापना 1613 में सरू त में

E
● फ्रांसीसियों द्वारा भी भारत में अपना सबसे पहला कारखाना 1668 में
सरू त में

V भारत में डेनिश का आगमन

● 1616 में डेनिश व्यापारिक कंपनी का भारत आगमन


LI
● 1620 में त्रावणकोर (तंजौर) में पहली व्यापारिक कोठी की स्थापना
● इसके लंबे समय के बाद 1676 में बंगाल के सेरामपरु में दस
ू री कोठी की
स्थापना
K

● डेनिश कंपनी ने भारत में व्यापारिक उद्दे श्यों को अधिक प्राथमिकता नहीं
दी,
● क्योंकि एक तो यह अत्यंत छोटी निजी व्यापारिक कंपनी थी और दस
ू रा
M

भारत में व्यापार का इन्हें अधिक लाभ प्राप्त नहीं हुआ।


● अंततः 1745 में अपनी सभी भारतीय व्यापारिक कोठियां ब्रिटिश ईस्ट
इंडिया कंपनी को बेच दी

फ्रांसीसियों का भारत आगमन

● वर्ष 1664 में फ्रांस के तत्कालीन सम्राट लई


ु 14वें के वित्त मंत्री कोल्बर्ट ने
एक फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना

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● एक सरकारी कंपनी, जिसका उद्दे श्य पर्वी
ू दे शों, विशेषकर भारत के साथ
व्यापार करना
● फ्रांसीसी व्यापारिक कंपनी के भारत में दे री से आने का एक लाभ यह हुआ
कि कंपनी को भारत में अपनी व्यापारिक कोठी स्थापित करने के लिए
अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा।
● क्योंकि इस समय तक केंद्रीय मग
ु ल सत्ता का पतन प्रारं भ हो चक
ु ा था;
● दस
ू री ओर यरू ोपीय कंपनियों द्वारा भारत में व्यापारिक कोठियों की
स्थापना करना एक सामान्य बिंद ु हो गया था।
● फ्रांसीसी कंपनी ने 1668 में अपनी पहली व्यापारिक कोठी सरू त में

E
स्थापना → इस कोठी का नेतत्ृ व फेसिस कैरो को सौंपा गया
● 1669 में अगली व्यापारिक कोठी मछलीपट्टनम में स्थापित

V
● शीघ्र ही फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारिक कंपनी प्रतिस्पर्द्धी और परस्पर
संघर्ष का आधार निर्मित
LI
● क्योंकि इस समय तक केंद्रीय मग
ु ल सत्ता का पतन प्रारं भ
● दस
ू री ओर फ्रांसीसी कंपनी एक सरकारी कंपनी थी और उसे सरकार द्वारा
सहायता
● अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस की स्थिति तल
ु नात्मक रूप से अन्य यरू ोपीयन
K

दे शों से सदृ
ु ढ़

भारत की आंतरिक परिस्थितियों में हस्तक्षेप


M

● दोनों कंपनियों के बीच संघर्ष का एक प्रमख


ु कारण भारत की आंतरिक
परिस्थितियों में भी हस्तक्षेप करना
● 1707 ई. में औरं गजेब की मत्ृ यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों के काल में
भारत की आंतरिक स्थिति अत्यंत कमजोर एवं अव्यवस्थित
● यह संक्रमणकालीन दौर था जब क्षेत्रीय शासकों द्वारा स्वयं को स्वतंत्र
करने की प्रवत्ति
ृ प्रारं भ हो चक
ु ी थी तथा क्षेत्रीय स्तर पर सत्ता हे तु गट
ु बंदी
प्रारं भ हो गई थी।

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● किंतु स्थानीय शासकों द्वारा सत्ता प्राप्त करने हे तु ब्रिटिश अथवा फ्रांसीसी
सैन्य शक्ति एवं समर्थन की आवश्यकता थी।
● अतः दोनों व्यापारिक कंपनियों का गठजोड़ क्षेत्रीय शासकों के साथ प्रारं भ
हो गया।
● इसी क्रम में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और फ्रांसीसी कंपनी के बीच
कर्नाटक के तीन यद्
ु ध होते हैं, जिनमें अंतिम रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया
कंपनी की निर्णायक जीत होती है ।

कर्नाटक यद्
ु ध

E
● भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच लड़े गए यद्
ु धों को कर्नाटक
यद्
ु धों के नाम से जाना जाता है ।
● कर्नाटक का प्रथम यद्
ु ध → 1746-48

● कर्नाटक का तत
V
● कर्नाटक का द्वितीय यद्
ृ ीय यद्
ु ध → 1750-52
ु ध → 1758-63
LI
● प्रथम कर्नाटक यद्
ु ध → एक्स ला चैपल की संधि से अंत
● द्वितीय कर्नाटक यद्
ु ध → अनिर्णायक यद्
ु ध
● तत
ृ ीय कर्नाटक यद्
ु ध → पेरिस की संधि से अंत
K

प्रथम कर्नाटक यद्


ु ध (1746–1748)

● ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार के यद्


ु ध के साथ आरं भ
M

● गह
ृ सरकारों के आदे श के बावजद
ू दोनों कंपनियों के बीच 1746 ई. में
भारत में भी यद्
ु ध शरू

● अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतत्ृ व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों
का अधिग्रहण करना यद्
ु ध का तात्कालिक कारण
● यरू ोप में ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार यद्
ु ध की समाप्ति एक्स ला शापेल की
संधि (1748 ई.) से हुई
● प्रभावस्वरूप भारत में भी यद्
ु ध समाप्त

कर्नाटक का दस
ू रा यद्
ु ध (1749-1754)

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● मख्
ु य कारण : कर्नाटक के नवाब के पद के लिए संघर्ष
● कर्नाटक के नवाब के लिए फ्रांसीसियों ने चांद साहब का समर्थन किया वहीं
अंग्रेजों ने अनवरुद्दीन का समर्थन किया।
● दक्कन के सब
ू ेदार के लिए फ्रांसीसियों ने मज
ु फ्फर जंग का समर्थन किया
वहीं अंग्रेजों ने नासिर जंग का समर्थन किया।
● चांद साहब एवं फ्रांसीसी सेना ने संयक्
ु त रूप से अनवरुद्दीन को हरा दिया।
● चांद साहब कर्नाटक का नवाब एवं मज
ु फ्फर जंग दक्कन का सब
ू ेदार बन
गया।
● अनिर्णायक यद्
ु ध

E
तत
ृ ीय कर्नाटक यद्
ु ध (1758-63)

● 1756 ई. में यरू ोप में सप्तवर्षीय संघर्ष के आरम्भ होते ही भारत में अंग्रेज

● इस यद्
V
एवं फ्रांसीसियों के बीच शांति समाप्त हो गयी।
ु ध में अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित किया।
LI
● इस यद्
ु ध में हार के बाद भारत में फ्रांसीसियों का अस्तित्व लगभग
समाप्त हो गया।

भारत में फ्रांसीसियों के हार के कारण


K

● फ्रांसीसी कंपनी सरकारी थी। इसके लाभ एवं हानि के प्रति कंपनी के
डायरे क्टर उदासीन
M

● यरू ोप में संघर्ष में फ्रांसीसियों का उलझे रहना


● भारत में कंपनी की गतिविधियों पर अधिक ध्यान न दे ना
● अंग्रेजों का बंगाल पर नियंत्रण था जहां से अंग्रेजों का अपार धन की प्राप्ति
हुई,
● जबकि फ्रांसीसियों के पास पाण्डिचेरी एवं अन्य ऐसे स्थान थे जहां से
सीमित सीमा में धन प्राप्त होता था
● अंग्रेजी कंपनी का राजनैतिक तथा सैनिक नेतत्ृ व फ्रांसीसी कंपनी की
अपेक्षा अधिक उत्तम था।

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● फ्रांसीसियों की पराजय का एक प्रमख
ु कारण उनकी कमजोर नौसेना थी।
वॉल्टे यर के अनस
ु ार ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार यद्
ु ध के समय फ्रांस की
जलशक्ति का इतना नक
ु सान हुआ कि सप्तवर्षीय यद्
ु ध के समय फ्रांस के
पास एक भी जलपोत नहीं था। दस
ू री ओर, अंग्रेजों के पास एक शक्तिशाली
एवं सक्षम सेना थी।

भारत में ब्रिटिश सफलता के कारण

उत्कृष्ट हथियार

● 18वीं शताब्दी में भारतीयों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले हथियार बेहद

E
धीमे और भारी थे जबकि अंग्रेजों द्वारा प्रयोग की जाने वाली यरू ोपीय
बंदक
ू ें एवं तोपें इन भारतीय हथियारों के बजाय अत्यंत उत्कृष्ट थीं।
● सैन्य अनश
V
ु ासन & कंपनी की विभिन्न इकाइयों में समन्वय
● कुशल नेतत्ृ व → क्लाइव, हे स्टिंग्स, मन
कुशल नेतत्ृ वकर्ता
ु रो, आयरकूट जैसे प्रथम श्रेणी के
LI
● वित्तीय सदृ
ु ढ़ता
● राष्ट्रवादी भावना

फ्रांसिस डूप्ले
K

● डूप्ले फ्रांसीस ईस्ट कम्पनी की व्यापारिक सेवा में भारत आया और उसे
1731 ई. में चंद्रनगर का गवर्नर बनाया गया।
M

● डूप्ले की कार्यकुशलता को दे खते हुए उसे 1741 में अधिक महत्वपर्ण


ू क्षेत्र
पांडिचेरी का गवर्नर बना दिया, जहां वह 1754 तक अपने पद पर रहा।
● किंतु बाद में त्रिचनापल्ली में फ्रांसीसी कंपनी की पराजय होने के बाद
1754 में डूप्ले को वापिस फ्रांस बल
ु ा लिया गया।
● दरअसल, 1754 में यद्यपि फ्रांसीसी कंपनी एक प्रकार से विजयी रही,
किंतु अनवरुद्दीन का पत्र
ु महु म्मद अली इस यद्
ु ध में बच गया था और
उसने त्रिचनापल्ली में शरण ले ली।

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● कर्नाटक के प्रारं भिक दोनों यद्
ु धों में डूप्ले ने महत्वपर्ण
ू नेतत्ृ व करते हुए
फ्रांसीसी कंपनी को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया पर विजय दिलाई थी।
● किंतु डूप्ले ने अपने कार्यकाल के दौरान दो बड़ी भल
ू ें की।
● पहली भल
ू : उसने फ्रांसीसी कंपनी के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को
निजी व्यापार करने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी, जिससे कंपनी की
प्रशासनिक एवं व्यापारिक व्यवस्था में असंतल
ु न उत्पन्न हो गया।
● दस
ू रा : डूप्ले ने दक्षिण भारत की ओर अपना अधिक ध्यान केंद्रित किया,
किंतु इसके लिए उसके पास कोई ठोस एवं सदृ
ु ढ़ नीति नहीं थी।
● इसके अलावा डूप्ले दक्षिण भारतीय के प्रांतीय राजाओं के आंतरिक संघर्ष

E
में अधिक हस्तक्षेप करने के कारण उलझ गया था।
● इस कारण वह किसी एक विशेष प्रदे श पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर
पाया।
V
● यही कारण था कि अंततः डूप्ले को 1754 में वापिस बल
ु ा लिया गया।
LI
● वस्तत
ु ः राजनीतिक हस्तक्षेप कर आर्थिक लाभ प्राप्त करने की अवधारणा
का सत्र
ू पात मल
ू तः डूप्ले द्वारा → दक्षिण भारतीय राज्यों के संदर्भ में
सहायक संधि विकसित → हालांकि वह उसका प्रयोग नहीं कर पाया।
● भारत में सहायक संधि को विकसित एवं सव्ु यवस्थित प्रयोग लार्ड वेलेजली
K

(1798) द्वारा
● डूप्ले प्रथम यरू ोपीय था जिसने भ-ू क्षेत्र अर्जित करने के उद्दे श्य से भारतीय
M

राजाओं के झगड़ों में भाग लेने की नीति आरं भ की।


● डूप्ले ने पहली बार यरू ोपीय सेना को भारतीय राजदरबारों में भारतीय व्यय
पर नियक्
ु त करवाया
● पहली बार यरू ोपीय हितों के लिए भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप किया और
भारत में यरू ोपीय साम्राज्य की नींव रखी।

FACT

● वास्कोडिगामा भारत आने वाला प्रथम यरू ोपीय यात्रा

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● पेड्रो अल्वारे ज केबाल भारत आने वाला द्वितीय पर्त
ु गाली
● फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा भारत का प्रथम पर्त
ु गाली गवर्नर
● जॉन मिल्डेन हाल भारत आने वाला प्रथम ब्रिटिश नागरिक
● कैप्टन हॉकिन्स प्रथम अंग्रेज दत
ू जिसने सम्राट जहांगीर से भें ट
● गैरोल्ड अंगियार बम्बई का वास्तविक संस्थापक
● जॉब चॉरनाक कोलकाता का संस्थापक
● चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम, 1781 (कोलकाता) का प्रथम प्रशासक

18वीं सदी के मध्य का भारत

E
भारतीय परिप्रेक्ष्य

● 1707 में औरं गजेब की मत्ृ यु के बाद केंद्रीय मग


ु ल सत्ता का कमजोर होना
● परवर्ती मग
अभाव V
ु ल शासकों में योग्यता, दरू दर्शिता एवं कूटनीतिक समझ का

● बंगाल, अवध, है दराबाद तथा मैसरू राज्यों का अनौपचारिक रूप से केंद्रीय


LI
सत्ता के नियंत्रण से मक्
ु त होना
● फलस्वरूप राजनीतिक एकता का विखंडन एवं विभिन्न स्वघोषित स्वतंत्र
प्रदे शों के मध्य राजनीतिक एवं साम्राज्य विस्तार को लेकर संघर्ष
K

भारतीय परिप्रेक्ष्य में यरू ोपीय कंपनियां

● दस
ू री ओर भारत में विद्यमान यरू ोपीय कंपनियों के बीच भी अपनी
M

स्थिति को मजबत
ू करने के लिए निरं तर संघर्ष
● कर्नाटक के तत
ृ ीय यद्
ु ध में फ्रांसीसी कंपनी पर ईस्ट इंडिया कंपनी की
निर्णायक जीत
● फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में एक प्रमख
ु एवं शक्तिशाली
कंपनी के रूप में स्थापित, जिसका अब कोई यरू ोपीय प्रतिद्वंद्वी भारत में
शेष नहीं

भारतीय परिप्रेक्ष्य एवं ईस्ट इंडिया कंपनी

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● केंद्रीय मजबत
ू सत्ता के अभाव में बंगाल एवं अवध जैसे प्रदे शों को परस्पर
शक्ति संघर्ष में व्यस्त होना
● इसी दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के राजनीतिक मामलों में
हस्तक्षेप का क्रम भी प्रारं भ, ताकि अपने व्यापारिक हितों को अधिकाधिक
प्रसारित किया जा सके

बंगाल में ब्रिटिश शक्ति का विस्तार एवं सदृ


ु ढ़ीकरण

अंग्रेजों ने बंगाल को ही क्यों चन


ु ा?

● हुग्ली नदी के रूप में श्रेष्ठ व्यापारिक जलमार्ग

E
● आर्थिक दृष्टि से बंगाल संपन्न
● फ्रांसीसी कंपनी से प्रतिस्पर्द्धा कम, क्योंकि फ्रांसीसी कंपनी का मख्
ु य

V
व्यापारिक केन्द्र दक्षिण भारत के तटवर्ती राज्य थे
● अनक
ु ू ल राजनीतिक परिस्थितियाँ जो धीरे -धीरे और अनक

प्लासी का यद्
ु ध
ु ू ल होती गईं
LI
● 1707 में औरं गजेब की मत्ृ यु ⇒ अलीवर्दी ⇒ बंगाल का स्वतंत्र नवाब
● अलीवर्दी खां की मत्ृ यु तथा सिराजद्
ु दौला के विरूद्ध षड़यंत्र
K

● 23 जन
ू , 1757 : ईस्ट इंडिया कंपनी और सिराजद्
ु दौला के मध्य प्लासी
का यद्
ु ध
● मीर जाफर की जगह उसका दामाद मीर कासिम का बंगाल का नवाब ⇒
M

बंगाल की दस
ू री क्रांति

ब्लैक होल की घटना

● ब्लैक होल की घटना 20 जन


ू , 1756 को घटित हुई।
● इस छोटी सी कोठरी में सिराजद्
ु दौला ने 146 अंग्रेज को बंद कर दिया था।
● जीवित रहने वालों में से हाॅलवेल को इस घटना का रचयिता माना जाता है ।
● ब्लैक होल की घटना को इतिहासकारों ने संदिग्ध माना है ।

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बक्सर का यद् V
ु ध : 23 अक्टूबर, 1764

● मीर कासिम, अवध का नवाब शज


E
ु ाउद्दौला तथा मग
ु ल सम्राट शाह आलम
LI
द्वितीय
● इलाहाबाद की संधि (1765) के फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल,
बिहार और उड़ीसा की दीवानी का अधिकार प्राप्त
K

● अवध में कंपनी के व्यापार को कर से छूट


● अवध को कंपनी द्वारा सैन्य सहायता दे ना, इससे अवध सैन्य दृष्टिकोण
M

से पर्ण
ू तः कंपनी पर निर्भर हो गया।

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E
● बक्सर के यद्
ु ध के समय वेन्सीटार्ट कंपनी का गवर्नर था।
● बक्सर यद्
(1765-67)। V
ु ध के बाद पन
ु ः राबर्ट क्लाइव को बंगाल का गवर्नर बनाया गया

● क्लाइव ने ही इलाहाबाद की संधि पर हस्ताक्षर किए थे।


LI
● 53 लाख रूपये वार्षिक के बदले कंपनी को निजामत (फौजदारी) संबंधी
अधिकार प्राप्त
● दीवानी वसल
ू ने हे तु बंगाल में मह
ु म्मद रजा खां, बिहार में शिताब राय तथा
K

उड़ीसा में राय दर्ल


ु भ की नियक्ति

● इस प्रकार क्लाइव द्वारा बंगाल के संबंध में द्वैध शासन का प्रारं भ
M

यह द्वैध शासन दो अर्थों में

● पहला अर्थ : दीवानी का अधिकार कंपनी को जबकि निजामत संबंधी कार्यों


का दायित्व मग
ु ल सम्राट और बंगाल के नवाब पर
● दस
ू रा अर्थ : दीवानी और निजामत के संबंध में वास्तविक शक्ति कंपनी के
पास, किंतु औपचारिक रूप से दोनों कार्य मग
ु ल सम्राट के नाम पर

द्वैध शासन की समाप्ति

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● द्वैध शासन की कमियों और विफलताओं को दे खते हुए में संचालक
समिति ने निर्देश दिया कि कंपनी स्वयं दीवानी वसल
ू े।
● 1772 में वाॅरेन हे स्टिंग्स के बंगाल का गवर्नर नियक्
ु त होते ही द्वैध शासन
का अंत हो गया।
● कंपनी ने स्वयं दीवानी वसल
ू ने के बजाय बंगाल मे मोहम्मद रजा खाँ,
बिहार में राजा शिताबराय तथा उड़ीसा में राय दर्ल
ु भ को नियक्
ु त कर दिया,
जो दीवानी वसल
ू कर कंपनी को जमा करवा दे ते थे।

किंतु दस
ू री ओर कंपनी की आर्थिक स्थिति कमजोर एवं 1772 तक कंपनी पर
लगभग 60 लाख पौण्ड का ऋण, क्योंकि-

E
● कंपनी द्वारा ब्रिटिश सरकार को प्रतिवर्ष 4 लाख पौण्ड की अदायगी, ताकि
कंपनी अपने हितों को संरक्षित रख सके और ब्रिटिश सरकार का उस पर
न्यन V
ू तम नियंत्रण और हस्तक्षेप रह सके
● कंपनी द्वारा अपने भागीदारों को लाभांश को 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर
LI
12.5 प्रतिशत करना अर्थात ् लगभग दोगुना करना
● कंपनी के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को निजी व्यापार की अनम
ु ति
● कंपनी के कर्मचारियों में भ्रष्टाचार
K

● बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा से अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं होना (1770 में
बंगाल में भीषण अकाल का पड़ना)
● कंपनी के सैन्य खर्च में वद्
ृ धि, क्योंकि कंपनी को मराठों आदि क्षेत्रीय
M

शक्तियों से अपने क्षेत्र की सरु क्षा करने हे तु अपनी सेना को मजबत


ू बनाना
आवश्यक था
● पहले आंग्ल-मैसरू यद्
ु ध (है दर अली और ईस्ट इंडिया कम्पनी,
1767-1769) के कारण कंपनी के खर्च में वद्
ृ धि
● डच लोगों द्वारा चाय की तस्करी के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी को
अमेरिका के साथ चाय के व्यापार में भी घाटा होना

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ू , किंतु
● निष्कर्षतः कंपनी के कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति तो मजबत
कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब
● कंपनी के कर्मचारियों द्वारा इंग्लैंड में धनी होकर लौटने से वहां के
अभिजात्य वर्ग में उनके प्रति ईर्ष्या का मनोभाव
● जबकि इंग्लैंड के जनमानस में यह भावना प्रचलित की कंपनी की आर्थिक
स्थिति अत्यंत मजबत

● इधर, अपनी आर्थिक स्थिति को सध
ु ारने हे तु कंपनी को ऋण की
आवश्यकता थी
● कंपनी ने बैंक ऑफ इंग्लैंड से दस लाख पौण्ड के ऋण की मांग की

E
● किंतु इस समय ब्रिटे न के प्रधानमंत्री लार्ड नॉर्थ ने कंपनी के इस अनरु ोध
को ब्रिटिश पार्लियामें ट में भेजा

V
● ब्रिटिश पार्लियामें ट द्वारा इस संबंध में दो समितियों का गठन : सेलेक्ट
कमेटी & सीक्रेट कमेटी
LI
● सीक्रेट कमेटी द्वारा कंपनी के संदर्भ में व्यापक असंगतियों की जांच की
गई, जबकि सेलेक्ट कमेटी द्वारा कंपनी पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण
की बात कही गई
● अंततः 1773 में ब्रिटिश पार्लियामें ट में दो अधिनियम पारित हुए
K

● एक अधिनियम के तहत कंपनी को 4 प्रतिशत की ब्याज दर सशर्त 14


लाख पौण्ड का ऋण दिया गया, जबकि दस
ू रा अधिनियम 1773 का
M

रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट था

1773 का रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट तथा कंपनी पर नियंत्रण

उद्दे श्य

● कंपनी पर ब्रिटिश पार्लियामेण्ट का नियंत्रण स्थापित करना


● संचालन समिति की संरचना में परिवर्तन करना
● कंपनी के व्यापारिक ढ़ाँचे को राजनीतिक कार्यों के संचालन के योग्य
बनाना

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● संचालक समिति : कंपनी के बड़े शेयरधारकों का एक समह
ू , जो कंपनी के
संबंध में नियम आदि बनाता था

रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट के प्रावधान

● कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरे क्टर्स की संरचना में परिवर्तन


● गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल के पद का सज
ृ न
● गवर्नर जनरल ऑफ बंगाल की सहायता हे तु चार सदस्यीय परिषद
● वाॅरेन हे स्टिंग्स को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल
● चार सदस्य : बारवेल, क्लेवरिंग, फ्रांसिस व माॅन्सन

E
● गवर्नर जनरल सहित परिषद द्वारा बहुमत के आधार पर निर्णय
● कोरम : तीन
● गवर्नर जनरल को परिषद में केवल मत बराबर होने की स्थिति में ही
V
निर्णायक मत दे ने का अधिकार
● परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित
LI
● भविष्यवर्ती नियक्ति
ु यां कंपनी द्वारा
● सप्र
ु ीम कोर्ट की स्थापना का प्रावधान
● गठन : 1774 में कलकत्ता में
K

● एक मख्
ु य न्यायाधीश (लार्ड एलीज इम्पे) + तीन अन्य न्यायाधीश
(चेम्बर्स, लिमैस्टर, हाइड)
● कंपनी के कर्मचारियों के निजी व्यापार पर प्रतिबंध
M

● कंपनी के कर्मचारियों द्वारा उपहार, भें ट पर प्रतिबंध


● पहली बार ब्रिटिश कैबिनेट को भारतीय मामलों के नियंत्रण का अधिकार
● डायरे क्टर्स को वित्त विभाग एवं सचिव के सम्मख
ु सैनिक एवं असैनिक
सभी प्रशासनिक पत्र-व्यवहार को प्रस्तत
ु करने का प्रावधान

1781 का संशोधन अधिनियम

● अन्य नाम : बंगाल ज्यडि


ू शियरी एक्ट, 1781

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● मख्
ु य उद्दे श्य : 1773 के रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट के संबंध में अधिक स्पष्टता
लाना
● कंपनी के पदाधिकारी अपने पद की दायित्वों के निर्वहन के दौरान किए गए
शासकीय कार्य के लिए सप्र
ु ीम कोर्ट में जवाबदे ह नहीं
● कलकत्ता की सभी जनता को सप्र
ु ीम कोर्ट के न्यायिक क्षेत्राधिकार के
अंतर्गत कर दिया
● सप्र
ु ीम कोर्ट द्वारा आदे श लागू करते भारतीयों की धार्मिक और सामाजिक
परं पराओं को ध्यान में रखना चाहिए
● सरकार द्वारा नियम-कानन
ू बनाते हुए समय भारतीय सामाजिक-धार्मिक

E
पष्ृ ठभमि
ू को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए
● गवर्नर-जनरल और उसकी काउं सिल द्वारा बनाए गए कानन
ू ों को सप्र
ु ीम

V
कोर्ट के पास पंजीकृत कराने की आवश्यकता समाप्त

पिट्स इंडिया एक्ट, 1784


LI
● पिट्स इंडिया एक्ट का नाम इंग्लैंड के प्रधान मंत्री विलियम पिट के नाम
पर
● बम्बई तथा मद्रास प्रांतों में बंगाल के गवर्नर जनरल जैसी व्यवस्था लागू;
K

किंतु इन दोनों प्रांतों को बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन


● गवर्नर जनरल की परिषद के सदस्यों का आकार चार से घटाकर तीन कर
दिया गया
M

● कंपनी के व्यापारिक और राजनीतिक कार्यों में पथ


ृ क्करण
● बोर्ड ऑफ कंट्रोल - राजनीतिक मामलों पर नियंत्रण
● कोर्ट ऑफ डायरे क्टर्स - व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण
● पहली बार कंपनी के अधीन क्षेत्र को ब्रिटिश आधिपत्य क्षेत्र कहा गया
● सपरिषद गवर्नर जनरल और सप्र
ु ीम कोर्ट के संबंध में स्पष्ट क्षेत्राधिकार
का वर्गीकरण

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भारत में औपनिवेशिक काल में केवल दो ही अधिनियमों में ब्रिटिश सरकार
द्वारा साम्राज्य के विस्तार की नीति को घोषित रूप से अस्वीकार

● पिट्स इंडिया एक्ट, 1784


● भारत शासन अधिनियम, 1858

रॉबर्ट क्लाइव

क्लाइव दो बार भारत में गवर्नर बनकर आया।

● प्रथम कार्यकाल (1757-1760)


● द्वितीय कार्यकाल (1765-1772)

E
क्लाइव की प्रमख
ु उपलब्धियां

● बंगाल में शोरे के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त किया।


V
● डचों को हराने में महत्वपर्ण
ू भमि
ू का निभाई।
● है दराबाद में फ्रांसीसी प्रभाव को समाप्त किया।
LI
● कूटनीतिक सझ
ू बझ
ू द्वारा के यद्
ु ध में जीत प्राप्त की।
● बंगाल में द्वैध शासन प्रणाली को लागू किया।
● कम्पनी के कर्मचारियों के निजी व्यापार को बंद करने का आदे श दिया।
K

● भारत में डाक-व्यवस्था की शरु


ु आत भी क्लाइव ने की थी।
● क्लाइव ने भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
● कंपनी को व्यापारिक प्रतिष्ठान से राजनीतिक इकाई के रूप में स्थापित
M

किया।

कार्नवालिस

● 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट बंगाल में कंपनी के शासन को मजबत


ू बनाने
का परू ा आधार प्रदान कर दिया था।
● 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट पारित होने के बाद लाॅर्ड कार्नवालिस बंगाल
का गवर्नर जनरल बनकर आया।

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● कार्नवालिस ने पलि
ु स-अधीक्षक (superintendent of police) पद का
सज
ृ न
● व्यापार बोर्ड का पन
ु र्गठन किया
● कॉर्नवॉलिस कोड के माध्यम से कार्यपालिका तथा न्यायपालिका शक्तियों
का पथ
ृ क्करण

कार्नवालिस कोड

● कॉर्नवॉलिस कोड 1793 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अधिनियमित


कानन
ू ों का एक समह
ू था।

E
● इसमें नागरिक और आपराधिक कानन
ू दोनों को शामिल किया गया था।
● कोड संहिता में शासन, पलि
ु सिंग और न्यायिक और नागरिक प्रशासन के
महत्वपर्ण
ू प्रावधान थे।

भमि
ू का स्थायी बंदोबस्त
V
● जमींदारी प्रथा, जागीरदारी प्रथा, मालगुजारी प्रथा, बीसवेदारी प्रथा
LI
● राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष सर जॉन शोर तथा रिकार्ड-कीपर जेम्स ग्रांट की
सहायता से
● 1790 में 10 वर्ष के लिए, किंतु 1793 में स्थायी
K

● तत्कालीन ब्रिटिश भारत की लगभग 19% भमि


ू पर लागू
● बंगाल, बिहार, उड़ीसा, वाराणसी तथा उत्तरी कर्नाटक
M

● भ-ू राजस्व की एक स्थायी दर लागू


● 10/11 भाग सरकारी कोष में जमा जबकि शेष 1/11 जमींदार को
● सर्या
ू स्त का नियम

रै य्यतवाडी व्यवस्था

● प्रत्येक पंजीकृत भमि


ू दार भमि
ू का स्वामी, जो सरकार को लगान दे ने के
लिए उत्तरदायी
● 1792 ई. में टॉमस मन
ु रो द्वारा मद्रास के 'बारामहल' जिले में लागू

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● आगरा में अलेक्जेंडर रीड द्वारा लागू
● मद्रास तथा बम्बई (वर्तमान मम्
ु बई) एवं असम के अधिकांश भागों में लागू
● लगभग 51 प्रतिशत भमि

● रै यत / किसानों को भमि
ू का मालिकाना हक

महालवाड़ी बंदोबस्त

● महालवाड़ी व्यवस्था का प्रस्ताव सर्वप्रथम हॉल्ट मैकेंजी द्वारा


● भमि
ू पर ग्राम समद
ु ाय का सामहि
ू क अधिकार
● समद
ु ाय के सदस्य अलग-अलग या संयक्
ु त रूप से लगान की अदायगी

E
● उत्तर प्रदे श, मध्य प्रदे श तथा पंजाब में लागू
● ब्रिटिश भारत की भमि
ू का लगभग 30% भाग
● लगान की दर कुल उपज का 80%
V
● इलाहाबाद की संधि से बंगाल की दीवानी प्राप्त करने के बाद वारे न
हे स्टिंग्स ने 1772 में बंगाल में फार्मिंग सिस्टम (इजारे दारी प्रथा) की
LI
शरु
ु आत की।
● फार्मिंग सिस्टम के तहत का भमि
ू को लगान वसल
ू ी हे तु ठे के पर दिये जाने
से कालांतर में बंगाल पर बरु ा प्रभाव पड़ा।
K

● इससे किसानों का शोषण बढा और वे भख


ु मरी तक पहुंच गए।
● इसके बाद कार्नवालिस के समय लागू स्थायी बंदोबस्त ने स्थिति को और
अत्यधिक गंभीर बना दिया।
M

● इस व्यवस्था के अंतर्गत लगान की वसल


ू ी कठोरता से की जाती थी तथा
लगान की दर भी काफी ऊंची थी।
● इसका परिणाम यह हुआ कि कृषक महाजनों के चंगुल में फंसता गया जो
कालांतर में महाजन और किसानों के मध्य संघर्ष का कारण बना।
● महालवाड़ी व्यवस्था भी असफल हुई, क्योंकि इसमें लगान का निर्धारण
अनम
ु ान पर आधारित था।

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● इसके कारण कंपनी के कर्मचारियों में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया, कंपनी को
लगान वसल
ू ी पर लगान से अधिक खर्च करना पड़ता था।
● ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में चंकि
ू भारत में ब्रिटे न की औद्योगिक
आवश्यकताओं को ही ध्यान में रखकर फसलें उगाई जाती थी, इसलिए
खाद्यान्नों की भारी कमी होने लगी और अकाल पड़ने लगे।
● कंपनी शासन से पर्व
ू भारत में पड़ने वाले अकाल का कारण धन का अभाव
न होकर यातायात के साधनों का अभाव होता था।
● लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में पड़ने वाले अकाल के लिए ब्रिटिश
औद्योगिक एवं कृषि नीति जिम्मेदार थी।

E
● खाद्यान्न की कमी के कारण 1866-67 में उड़ीसा में पड़े भयंकर अकाल
को 19वी सदी के अकालों में आपदा का महासागर कहा जाता है ।

● जल
V
● इसके अलावा इस काल में कंपनी ने ददनी व्यवस्था को प्रारं भ किया।
ु ाहों पर अपने दबाव को प्रभावपर्ण
ू बनाने के लिए कंपनी ने पेशगी रुपए
LI
दे ने की प्रथा चलाई जिसे ‘ददनी प्रथा’ कहते थे।
● इसके तहत कंपनी के कर्मचारी जल
ु ाहों को पेशगी दे ते थे और बदले में एक
शर्तनामा लिखवा लेते थे कि वह निश्चित तिथि पर, निश्चित मात्रा में और
निश्चित मल्
ू य पर कपड़ा दे दें गे।
K

ददनी व्यवस्था

आलोच्य काल
M

● 1765 से लेकर 1798 तक


● कंपनी की भारत में भमि
ू का व्यापारिक से राजनीतिक इकाई के रूप में
परिवर्तित
● फलस्वरूप विभिन्न प्रकार के परिवर्तन एवं प्रयोग
● भारत में राजनीतिक-प्रशासनिक उत्तरदायित्व ग्रहण करते हुए व्यापारिक
हितों का प्रसार

ब्रिटिश साम्राज्यवाद

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● अर्थ / Meaning
● स्वरूप / Nature
● प्रतिक्रिया / Reaction

साम्राज्यवाद (Imperialism)

एक राष्ट्र द्वारा दस
ू रे राष्ट्र के प्रति आक्रामक व्यवहार

● प्रत्यक्ष साम्राज्यवाद
● अप्रत्यक्ष साम्राज्यवाद

आर्थिक शोषण ⇒ उपनिवेशवाद

E
उपनिवेशवाद

जब कोई दे श आने आर्थिक हितों की पर्ति


ू के लिए किसी दस
ू रे दे श पर राजनीतिक
V
नियंत्रण स्थापित करता है

नव-उपनिवेशवाद
LI
जब कोई दे श दस
ू रे दे श पर बिना अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित किए उसका
आर्थिक शोषण अपने हितों के अनक
ु ू ल करता है

ब्रिटिश साम्राज्यवाद का स्वरूप


K

● वाणिज्यवाद
○ 1757-1813
M

● मक्
ु त व्यापार
○ 1813-1857
● वित्तीय साम्राज्यवाद
○ 1858-1947

वाणिज्यवाद (1757-1813)

प्रकृति

● मल
ू तः संरक्षणवादी स्वरूप

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● कंपनी द्वारा अपने आर्थिक एवं वाणिज्यिक हितों को संरक्षित करने की
दिशा में प्रयास
● भारत में मौजद
ू फ्रांस जैसी विदे शी व्यापारिक कंपनियों से प्रतिस्पर्द्धा
● भारतीय शासकों से अधिकाधिक व्यापारिक लाभ एवं अधिकार प्राप्त करने
का प्रयत्न

उद्दे श्य

● भारत के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना


● राजनीति प्रभाव स्थापित कर राजस्व प्राप्त करना

E
परिणाम

● भारतीय व्यापार पर पर्ण


ू त: आधिपत्य
● भारत की लट
V
ू और इंग्लैंड में पंज
● इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति
ू ी संचय
LI
कृषि एवं उद्योगों पर प्रभाव

● कृषि और उद्योगों का परं परागत भारतीय ढांचा नष्ट


● औपनिवेशिक हितों से प्रेरित भ-ू राजस्व का निर्धारण एवं वसल
ू ी
K

● खाद्यान्न फसलों को प्राथमिकता, फलतः भारत में भारी अकाल


● जल
ु ाहों के संदर्भ में ददनी व्यवस्था का प्रारं भ

समाज पर प्रभाव
M

● भारत के सामाजिक अहस्तक्षेप की नीति


● 1813 तक भारत में ईसाई मिशनरियों के प्रवेश पर प्रतिबंध
● किंतु राजस्व व्यवस्था का कुशल संचालन एवं प्रशासनिक-न्यायिक
व्यवस्था लागू करना
● अतः भारतीय समाज एवं संस्कृति के अध्ययन की आवश्यकता
● 1780 में कलकत्ता मदरसा
● 1791 में बनारस संस्कृत कॉलेज

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● 1784 में एशियाटिक सोसायटी
● फलस्वरूप अंग्रेजों का प्राचीन भारतीय समाज के अध्ययन के प्रति
आकर्षण → प्राच्यवाद (Orientalism) → प्राचीन काल में भारत पश्चिमी
समाजों की तल
ु ना में अत्यधिक उन्नत, सस
ु ंस्कृत एवं विकसित

प्रशासन पर प्रभाव

● कंपनी का स्वरूप अब व्यापारिक के साथ राजनीतिक भी


● 1773 का रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट तथा 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
● कंपनी के प्रशासन को विनियमित करने हे तु

E
● कंपनी का प्रमख
ु उद्दे श्य भारत में स्थायी शासन प्राप्त करना
● अतः भारत में पलि
ु स व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, भ-ू राजस्व व्यवस्था के
संबंध में प्रावधान

अवधारणा

● विश्व व्यापार असीमित


V
LI
● प्रत्येक दे श के पास विदे शी व्यापार में अधिकतम हिस्सेदारी प्राप्त करने
का पर्याप्त अवसर
● विश्व व्यापार का अधिकतम लाभ तभी जब संरक्षणवाद समाप्त
K

● 1813 का चार्टर एक्ट

1813 का चार्टर एक्ट


M

● कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार समाप्त


● चाय और चीन के साथ व्यापार को छोड़कर
● भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता
● भारत के ब्रिटिश क्षेत्रों में विज्ञान एवं साहित्य के विकास के लिए प्रति वर्ष
एक लाख रूपया कंपनी खर्च करे गी

प्रकृति

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● भारत को कच्चे माल के स्रोत तथा इंग्लैंड निर्मित उत्पादों हे तु बाजार के
रूप में विकसित करना
● भारतीय समाज का पश्चिमी सभ्यता के अनस
ु ार का रूपांतरण
● भारतीय समाज में हस्तक्षेप एवं सध
ु ारों की नीति का अनस
ु रण
● विधि के शासन के माध्यम से सामाजिक-धार्मिक सध
ु ार संबंधी कानन

लागू
● सती प्रथा, कन्या भ्रण
ू हत्या, नर बलि पर प्रतिबंध

कृषि तथा उद्योग धंधों पर प्रभाव

E
● ब्रिटे न स्थित उद्योगों के कच्चे माल के स्रोत के रूप में वाणिज्यिक फसलों
के उत्पादन पर बल
● कृषि में सध
ु ारों हे तु कोई ठोस प्रयास नहीं
V
● खाद्यान्न फसलों की उपेक्षा
● प्रतिस्पर्द्धा से बाहर होने के कारण हस्तशिल्प एवं लघु उद्योग धंधे नष्ट
LI
● फलस्वरूप कृषि पर दबाव में वद्
ृ धि

समाज पर प्रभाव

● पश्चिमी सभ्यता का अंधानक


ु रण
K

● जिज्ञासु प्रवत्ति

● ब्रिटिश संस्कृति का प्रसार
M

● भारतीय समाज का विभाजन

1858 के बाद भारत में पंज


ू ी निवेश की प्रक्रिया प्रारं भ

● 19वीं सदी के पर्वा


ू र्द्ध में ब्रिटे न में श्रमिक आंदोलन
● समाजवाद का बढ़ता प्रभाव
● जर्मनी एवं फ्रांस चन
ु ौती
● परं तु निवेश से पर्व
ू ब्रिटिश शासन भारत में एक स्थाई शासन व्यवस्था की
अपेक्षा

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● रिपन, एल्गिन, कर्जन द्वारा भारत में पैतक
ृ निरं कुशता की स्थापना

विचारधारा

● दे शी रियासतें
○ 1857 से पहले
○ 1857 के बाद
● ब्रिटिश प्रांत

1857 से पहले

● वाणिज्यवाद

E
● कंपनी शासन
● एकाधिकार

V
● बाह्य एवं आंतरिक प्रतिस्पर्द्धा नहीं

किंतु 1860 के बाद


LI
● भारत को बाजार के रूप में विकसित करने की आवश्यकता
● किंतु इस हे तु भारतीयों में क्रय क्षमता उत्पन्न करना आवश्यक
● फलस्वरूप भारत में कृषि तथा औद्योगिक सध
ु ार
K

● 1858 के घोषणा पत्र में रियासतों की सरु क्षा का उत्तरदायित्व ब्रिटिश क्राउन
के हाथ में
● फलस्वरूप दे शी रियासतों के शासक पहले से अधिक निरं कुश एवं
M

प्रतिक्रियावादी
● कालांतर में ब्रिटिश शासन द्वारा दे शी रियासतों का राष्ट्रवादी आंदोलन के
विरूद्ध उपयोग
● रियासतों की प्रजा द्वारा निरं कुशता से संघर्ष करने के लिए प्रजामंडल
आंदोलन
● लेकिन प्रारं भ में प्रजामंडल आंदोलनों को कांग्रेस से सहयोग नहीं

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● 1936 के बाद पं. जवाहर लाल नेहरू, सभ
ु ाष चंद्र बोस तथा समाजवादियों
के दबाव में समर्थन
● त्रिपरु ी अधिवेशन (1939) → पहली बार कांग्रेस द्वारा प्रजामंडल आंदोलन
भी राष्ट्रवादी आंदोलन में शामिल
● दे श के विभाजन के बाद सरदार पटे ल द्वारा दे शी रियासतों का एकीकरण
● भारतीय संघ में सम्मिलित

ब्रिटिश प्रांत

शहरी वर्ग

E
● नव जमींदार
● अंग्रेजों की दे न
● लगान वसल
V
ू ी ⇒ प्रशासनिक सहायता
● अंग्रेजी शिक्षा ⇒ निष्ठावान सामाजिक वर्ग
● निचले स्तर पर वैचारिक वर्चस्व
LI
● अंग्रेजों से जड़
ु े हुए हित ⇒ ब्रिटिश शासन दै वीय उपहार

जमींदार वर्ग की चन
ु ौतियां
K

● संपत्ति की सरु क्षा


● करों का प्रश्न
● सिविल सेवाओं की भर्ती
M

जमींदार वर्ग की चन
ु ौतियाँ

● दबाव
● संगठन
○ भमि
ू धारकों की समिति, 1938
○ ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन, 1851
● राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारं भिक दौर में जमींदारों द्वारा कांग्रेस की स्थापना
में आर्थिक सहायता

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● क्योंकि नरमपंथी मांगों का स्वरूप मख्
ु यतः जमींदारों की मांगों के अनरू
ु प
● नरमपंथी आंदोलन की मांगे जमींदार वर्ग के हितों के विरूद्ध बिल्कुल भी
नहीं

कांग्रेस की प्रारं भिक माँगे

● शासन में भारतीयों की भागीदारी


● नमक-कर में कमी
● सैनिक व्यय में कमी
● सिविल सेवाओं की भर्ती परीक्षा भारत में

E
● परं तु कांग्रेस में जनसहभागिता की वद्
ृ धि से कांग्रेस की मांगों के स्वरूप में
परिवर्तन
● स्वराज, लोकतंत्र, अधिकारों संबंधी मांगे अब राष्ट्रीय मांगें
V
● फलतः जमींदार वर्ग द्वारा कांग्रेस से दरू ी
● क्योंकि जमींदारों के विशेषाधिकारों एवं प्रतिष्ठा पर संकट
LI
● ब्रिटिश सरकार द्वारा भी दरू ी बढ़ाने में भमि
ू का
● अब ब्रिटिश सरकार द्वारा जमींदारों को अधिक संरक्षण और समर्थन
● ताकि जमींदार वर्ग का प्रयोग राष्ट्रवादी आंदोलन में एक अवरोधक के रूप
K

में
● अतः जमींदार वर्ग का हिंद ू महासभा एवं मस्लि
ु म लीग जैसे दक्षिणपंथी
संगठनों की ओर झक
ु ाव
M

पंज
ू ीपति वर्ग की राष्ट्रवादी आंदोलन में भमि
ू का

● सद
ू खोर/महाजन
● व्यापारी वर्ग
● उद्योगपति

सद
ू खोर / महाजन

● ब्रिटिश शासन से संरक्षण

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● प्रतिरोध नहीं करें गे

व्यापारी वर्ग

● ब्रिटिश राज का विदे शी व्यापार


● भारत और ब्रिटे न के बीच मध्यस्थ
● प्रतिरोध नहीं करें गे

उद्योगपति

● पंज
ू ी का प्रबंधन
● तकनीक

E
● कुशल मानव संसाधन
● हित ब्रिटिश शासन के विरोधी

● इसके बावजद
V
● प्रारं भ में उद्योगपतियों का ब्रिटिश शासन से अंतर्विरोध
ू ब्रिटिश शासन का प्रत्यक्ष विरोध नहीं
● हालांकि उद्योगपतियों द्वारा राष्ट्रवादी आंदोलन को नैतिक समर्थन
LI
● स्वदे शी आंदोलन (1905), होमरूल आंदोलन (1915), असहयोग आंदोलन
(1920)
K

1930 तक पंज
ू ीपति वर्ग के अंतर्गत दो नवीन प्रवत्ति
ृ यों का उदय

● भारत में कम्यनि


ु स्ट आंदोलन का विकास होना
● गांधीजी का भारतीय जनता के हितों एवं ब्रिटिश शासन के बीच मध्यस्थ
M

के रूप में उभरना


● फलस्वरूप उद्योगपतियों का झुकाव कांग्रेस की तरफ

मजदरू वर्ग

● भारत का मजदरू वर्ग यरू ोप के समान स्थाई वर्ग के रूप में नहीं
● अतः भारतीय मजदरू वर्ग में चेतना का अभाव

यद्यपि मजदरू वर्ग का पंज


ू ीपति वर्ग के विरूद्ध आंदोलन

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● किंतु मजदरू वर्ग की प्राथमिकता में सदै व राष्ट्रीय आंदोलन
○ तिलक की गिरफ्तारी के विरूद्ध जन हड़ताल
○ असहयोग आंदोलन में गांधीजी का समर्थन

1920 के बाद मजदरू आंदोलनों को संगठित-प्रेरित करने में कम्यनि


ु स्टों एवं
क्रांतिकारियों की महत्वपर्ण
ू भमि
ू का

● परं तु कम्यनि
ु स्ट मजदरू आंदोलनों को जन क्रांति के रूप में विकसित नहीं
कर सके
● इस कारण मजदरू वर्ग में गांधीवादी आंदोलन अधिक महत्वपर्ण
ू रूप से

E
प्रकट

मध्यम वर्ग ⇒ ब्रिटिश साम्राज्य की दे न

मक्
ु त व्यापार

● प्रशासन
V
LI
● न्याय
● सेना & पलि
ु स
● आधनि
ु क शिक्षा
K

आधनि
ु क शिक्षा

● पश्चिमी सभ्यता का अंधानक


ु रण
● जिज्ञासु प्रवत्ति
M

जातिवादी आंदोलन

जाति प्रथा हिंद ू धर्म में व्याप्त कुरीति थी जो न केवल अपमानजनक, अमानवीय
और जन्मजात असमानता के जनतंत्र विरोधी सिद्धांत पर आधारित थी बल्कि
सामाजिक विघटन का कारण भी थी।

उदय का मल
ू कारण

निचली जातियों में सामाजिक आर्थिक चेतना

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उदय के कारण

● ब्रिटिश शासन
● मिशनरी
● भारत में नगरीकरण की प्रवत्ति

● धर्म सध
ु ार आंदोलन (Already Done)
● पश्चिमी शिक्षा प्रणाली का प्रसार
● अंग्रेजों द्वारा एक समान दण्ड संहिता (IPC), 1861 तथा दण्ड प्रक्रिया
संहिता (CrPC), 1872 लागू किया जाना
● राष्ट्रीय जागरण का उदय

E
● समता पर आधारित आधनि
ु क राजनीतिक विचारों का प्रसार
● रे लों का विस्तार

स्वरूप एवं प्रकृति

● 19वीं सदी
V
LI
● सध
ु ारवादी
● गोपाल बाबा वलंगकर & ज्योतिबा फुले

गोपाल बाबा वलंगकर


K

● मल
ू नाम गोपाल कृष्ण
● एक समाज सध
ु ारक
M

● छुआछूत मिटाने और अस्पश्ृ य समझे जाने वाले लोगों के कल्याण के लिए


‘विटाल-विध्वंसक’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन

ज्योतिबा फुले

● भारत में निम्न जातियों के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण ⇒ शिक्षा से


वंचित
● इससे इन जातियों के अंदर नीति एवं चरित्र का निर्माण नहीं हो सका
● स्त्री शिक्षा एवं निम्न जातियों की शिक्षा के लिए व्यापक प्रयास

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● हिंद ू धर्म में व्याप्त अन्य कुरीतियों जैसे अंधविश्वास, कर्मकांड, विवाह में
अत्यधिक खर्च इत्यादि का विरोध
● विधवा पन
ु र्विवाह को भी प्रोत्साहित करने का प्रयास

19वीं सदी

● सध
ु ारवादी
● गोपाल बाबा वलंगकर & ज्योतिबा फुले

रामास्वामी नायकर पेरियार

● आत्मसम्मान आंदोलन

E
● 1920 में दक्षिण भारत में प्रारम्भ
● हिन्द ू रूढ़िवादिता का खंडन

चेतना लाना
V
● आंदोलन का उद्दे श्य धर्म, जाति और परु ोहितवाद के विरुद्ध समाज में

● वर्ष 1925 में एक समाचार पत्र ‘कुदी-अरास’ु निकाला


LI
श्री नारायण गुरु

● केरल में एझवा जाति से संबंध


K

● ‘श्री नारायण धर्म परिपालन योगम ्’ नामक संस्था की स्थापना


● गांधीजी की चतर्व
ु र्ण व्यवस्था में विश्वास रखने के लिए आलोचना
● चतर्व
ु र्ण व्यवस्था ही जाति तथा अस्पश्ृ यता के लिये उत्तरदायी
M

टी.एम. नायकर

● न्याय दल (Justice Party) के संस्थापक


● अस्पश्ृ यता के विरुद्ध अभियान

कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनका सध


ु ार नहीं हो सकता, उनका केवल अंत ही करना
होता है । परु ोहितवाद एक ऐसा ही तत्व है ।

डॉ. अंबेडकर

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● दलित हिंदओ
ु ं से अलग संप्रदाय
● दलितों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व
● दलितों के लिए सांप्रदायिक निर्वाचन की मांग
● 1928 की नेहरू रिपोर्ट में जब दलितों की समस्या को शिक्षा से जोड़कर
दे खा गया तो बहिष्कृत भारत नामक एक लेख लिखा
● 1930-31 के प्रथम एवं द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में अंबेडकर ने
बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1924) से भाग लिया
● 1936 में इन्होंने इंडियन लेबर पार्टी का गठन किया

गांधीजी बनाम अंबेडकर

E
समानता के तत्व

V
दोनों भविष्य के भारत तथा एक समतायक्
ु त समाज की संकल्पना करते हैं, ताकि
समाज के सबसे निचले पायदान के लोगों को गरिमामय जीवन प्रदान किया जा
सके।
LI
अंतर

● गांधीजी एक व्यावहारिक आदर्शवादी थे, जिनके लिए राजनीतिक


K

स्वतंत्रता ही सामाजिक स्वतंत्रता की नींव थी


● गांधीजी का मानना था कि एक बार ब्रिटिश राज से भारत आजाद हो
जाएगा तो अपने स्वराज में भारतीय समाज की आंतरिक कुरीतियों को
M

आसानी से दरू किया जा सकेगा।


● जबकि अंबेडकर अति-समतावादी थे, जिनके अनस
ु ार भारत में राजनीतिक
स्वतंत्रता से पहले समतावादी समाज की स्थापना आवश्यक है और यह
ब्रिटिशकाल के दौरान ही होना चाहिए।
● गांधीजी के लिए राजनीति एक आरं भिक पक्ष था, जिसके माध्यम से
जनता शासन में सहभागी बनती है और अपने हितों के लिए निर्णय लेती
है ।

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● राजनीति के माध्यम से ही जनता अपनी न्यन
ू तम आवश्यकताओं की पर्ति

करती है ।
● जबकि अंबेडकर के लिए राजनीति एक शक्ति संघर्ष है , जिसमें
शक्तिशाली समद
ु ाय कमजोर समद
ु ाय पर अपनी सत्ता स्थापित कर दे गा।
● गांधीजी के अनस
ु ार वर्ण व्यवस्था सही है क्योंकि यह श्रम विभाजन की
प्रक्रिया पर आधारित है एवं इससे व्यक्ति को ईश्वर के साथ जड़
ु ाव का
पर्याप्त समय मिल जाता है ।
● जबकि अंबेडकर वर्ण व्यवस्था को कमजोर वर्ग के शोषण की वास्तविक
जड़ मानते हैं जो मानवीय स्वतंत्रता एवं समानता में सबसे बडी बाधा है ।

E
वर्ण-व्यवस्था पर गांधी व अंबेडकर के मतभेद

● गांधी जी वर्ण-व्यवस्था के प्रबल समर्थक थे।


V
● उनका मानना था कि वर्ण-व्यवस्था समाज के लिये उपयोगी है , इससे
श्रम-विभाजन एवं विशेषीकरण को बढ़ावा मिलता है ।
LI
● वहीं अंबेडकर वर्ण-व्यवस्था के कट्टर आलोचक थे।
● अंबेडकर के अनस
ु ार, वर्ण-व्यवस्था अवैज्ञानिक, अमानवीय,
अलोकतांत्रिक, अनैतिक, अन्यायपर्ण
ू एवं शोषणकारी सामाजिक योजना
K

है ।
● गांधी जी का मानना था कि छुआछूत का वर्ण-व्यवस्था से सीधा संबंध नहीं
है । छुआछूत वर्ण-व्यवस्था की अनिवार्य विकृति न होकर बाह्य विकृति है ,
M

अतः छुआछूत समाप्त करने हे तु वर्ण-व्यवस्था में रचनात्मक सध


ु ार की
आवश्यकता है ।
● अम्बेडकर के अनस
ु ार, अस्पश्ृ यता या अस्पश्ृ यता वर्ण व्यवस्था का
अनिवार्य परिणाम है ।
● इसलिए वर्ण व्यवस्था को समाप्त किए बिना अस्पश्ृ यता को दरू नहीं
किया जा सकता है ।

निष्कर्ष

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● यद्यपि गांधीजी और अंबेडकर के मध्य पिछडे वर्गों के उत्थान को लेकर
मतभेद था, किंतु यह मतभेद मात्र वैचारिक था।
● वस्तत
ु ः दोनों ही नेता भारतीय समाज में सध
ु ारों, अधिकारों और उत्थान के
पक्षधर थे।

शिक्षा

● चेतना उत्पन्न करना


● आत्म संपन्नता का भाव पैदा करना
● रोजगार के अवसर बढ़ाना

E
● निर्भरता समाप्त करना

कानन

सरु क्षा

● मानसिक सरु क्षा


V
LI
● शारीरिक सरु क्षा

कानन

अधिकार
K

● शासन में अधिकार


● प्रशासन में अधिकार
M

● मंदिर में प्रवेश का अधिकार

सामाजिक-धार्मिक सध
ु ार आंदोलन

● प्रारम्भ में 1813 तक कंपनी प्रशासन ने भारत के सामाजिक, धार्मिक एवं


सांस्कृतिक मामलों में अहस्तक्षेप की नीति का पालन किया।
● क्योंकि वे सदै व इस बात से आशंकित थे कि इन मामलों में हस्तक्षेप करने
से रूढ़िवादी भारतीय लोग कंपनी की सत्ता के लिए खतरा उत्पन्न कर
सकते हैं।

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● परन्तु 1813 ई. के बाद ब्रिटिश शासन ने अपने औद्योगिक हितों एवं
व्यापारिक लाभ के लिए सीमित हस्तक्षेप प्रारं भ कर दिया।
● परिणामस्वरूप में सामाजिक एवं धार्मिक सध
ु ार आंदोलनों का जन्म हुआ।

उदय के कारण

● 19वीं सदी को भारत में धार्मिक एवं सामाजिक पन


ु र्जागरण की सदी
● पाश्चात्य शिक्षा पद्धति से आधनि
ु क तत्कालीन यव
ु ा चिन्तनशील
● शिक्षित बद्
ु धिजीवियों का तर्क वाद एवं मानवतावाद के मल्
ू यों से परिचय
● जिज्ञासु शिक्षित बद्
ु धिजीवी भारतीय समाज का मल्
ू यांकन करने में सक्षम

E
● आधनि
ु क प्रेस एवं संचार से बद्
ु धिजीवियों के मध्य वैचारिक आदान-प्रदान
● यरू ोपीयन स्त्री आंदोलनों, दास आंदोलनों एवं लोकतांत्रिक आंदोलनों से
परिचय
V
● सामाजिक जागरूकता बढी + बद्
ु धिजीवी समाज सध
ु ारों की तरफ प्रेरित
● मिशनरियों के आगमन से भारतीय अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित
LI
हुए

प्रकृति (Nature)

● पाश्चात्यवादी
K

● पन
ु रुत्थानवादी
● यथास्थितिवादी
M

पाश्चात्यवादी

● आधनि
ु कता
● विज्ञानवाद
● तर्क वाद
● आधनि
ु क शिक्षा
● मानवतावाद & उदार लोकतंत्र
● विधि का शासन

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● सहभागिता ⇒ नागरिक अधिकार
● विचार-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता + प्रेस की स्वतंत्रता

विज्ञानवाद

● किसी भी घटना का मल्


ू यांकन प्रयोग एवं परीक्षणों के आधार पर ही होना
चाहिए।
● अतः पाश्चात्यवादी अंधविश्वासों एवं सामाजिक कुरीतियों का विज्ञान एवं
तर्क के आधार पर खंडन करते थे।

मानवतावाद

E
● मानवतावाद से तात्पर्य है कि मनष्ु य जन्म से अपनी गरिमा का पात्र होता
है एवं उसके कुछ प्राकृतिक अधिकार होते हैं।

V
● अतः समाज में किसी भी प्रकार कृत्रिम भेदभाव को स्वीकार नहीं किया
जाना चाहिए।
LI
विषयवस्तु

● धर्म
● शिक्षा
K

● समद
ु ाय

विषय वस्तु ⇒ धर्म


M

● बहुदेववाद का विरोध
● मर्ति
ू पज ू ा का विरोध
● अंधविश्वास का खंडन

विषय वस्तु ⇒ शिक्षा

● विज्ञानवाद
● उच्च वर्ग के नियंत्रण को समाप्त करना

अंधविश्वास का खंडन

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पन
ु रुत्थानवादी

● प्राचीन श्रेष्ठता
● पश्चिमीकरण का विरोध
● अतीत का महिमामंडन
● मध्यकाल की बरु ाई (विशेषकर मग
ु ल काल की)

विषयवस्तु

● धर्म
● शिक्षा

E
● समद
ु ाय

पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन

V
● दयानंद सरस्वती और आर्य समाज
● दे वबंद आंदोलन
LI
● प्रार्थना समाज

पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन

● मख्
ु यतः पाश्चात्यवादी लेकिन अंशतः पर्न
ु त्थान
K

● राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज


● हे नरी विवियन डेरोजियो और यव
ु ा बंगाल आंदोलन
● अलीगढ़ आंदोलन
M

● अहमदिया आंदोलन

पन
ु रूत्थानवादी एवं यथास्थितिवाद के मध्य

● थियोसोफिकल सोसाइटी और एनी बेसट


ें
● वहाबी आंदोलन
● टीटू मीर का आंदोलन

ू , किंतु मख्
तीनों प्रकृति मौजद ु यतः पन
ु रूत्थानवादी

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● रामकृष्ण मिशन

यथास्थितिवादी आंदोलन

● धर्म सभा
● दे व समाज
● फराजी आंदोलन

पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन

दयानंद सरस्वती और आर्य समाज

● 1875 में स्थापना

E
● संस्थापक : दयानंद सरस्वती
● उद्दे श्य : सध
ु ार के माध्यम से हिंद ू धर्म को मजबत
ू करना

V
● हिंद ू धर्म में व्याप्त बरु ाइयों का विद्रोह
● वेदों की ओर लौट चलो का नारा
LI
● अस्पश्ृ यता, बाल विवाह, अर्थहीन रिवाजों, बहुदेववाद और मर्ति
ू पज ू ा का
विद्रोह

दे वबंद आंदोलन
K

● आंदोलन की शरु
ु आत वर्ष 1866 में सहारनपरु जिले (संयक्
ु त प्रांत) के
दारुल उलम
ू (इस्लामिक शैक्षणिक केंद्र), दे वबंद में मस्लि
ु म उलेमाओं
द्वारा
M

● मोहम्मद कासिम नानोत्वी और राशिद अहमद गंगोही द्वारा


● कुरान और हदीस के आधार पर इस्लाम के वास्तविक सार की शिक्षा दे ना
● विदे शी शासकों के खिलाफ जिहाद की भावना को जीवित रखना

प्रार्थना समाज

● केशव चंद्र की प्रेरणा से


● मंब
ु ई में 1867 में आत्माराम पांडुरं ग द्वारा
● प्रमख
ु सदस्य : आर.सी. भंडारकर और महादे व गोविंद रानाडे

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● बाल विवाह, विधवा विवाह, स्त्रियों की उपेक्षा, विदे श यात्रा पर प्रतिबंध
जैसे सामाजिक नियमों का विरोध
● अंतरजातीय भोजन, अंतरजातीय विवाह, विधवा पन
ु र्विवाह और महिलाओं
एवं दलित वर्गों की स्थिति में सध
ु ार

चार सत्र
ू ी सामाजिक एजेंडा

● जाति व्यवस्था की अस्वीकृति


● महिला शिक्षा
● विधवा पन
ु र्विवाह

E
● परु
ु षों और महिलाओं दोनों के लिये शादी की उम्र बढ़ाना

महादे व गोविंद रानाडे

● विधवा पन
● पन
V
ु र्विवाह संघ और डेक्कन एजक
ू ा सार्वजनिक सभा की भी स्थापना
● धार्मिक सध
ु ार & सामाजिक सध
ु े शन सोसाइटी के संस्थापक

ु ार अविभाज्य ⇒ यदि धार्मिक विचार


LI
कठोर होते तो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में कोई सफलता
नहीं
K

मख्
ु यतः पाश्चात्यवादी लेकिन अंशतः पर्न
ु त्थान

राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज

● भारतीय नवजागरण के अग्रदत



M

● पहले भारतीय, जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक और


सामाजिक बरु ाइयों को दरू करने के लिए आंदोलन किया
● पश्चिमी शिक्षा ही भारतीयों में वैज्ञानिक मानसिकता का विकास करे गी
● स्वतंत्रता, समानता एवं बंधत्ु व जैसे मानवीय मल्
ू यों से परिचित कराएगी
● वेदांत (उपनिषदों) के दर्शन में कट्टर विश्वास
● वेदों और उपनिषदों का बंगाली में अनव
ु ाद
● 1829 में एक नए धार्मिक समाज की स्थापना : अट्टमिया सभा

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● अट्टमिया सभा बाद में ब्रह्म समाज
● तर्क वाद और वेदों के दर्शन के दोहरे स्तंभों पर आधारित
● मानवीय गरिमा पर जोर
● मर्ति
ू पज ू ा, सती प्रथा, जाति व्यवस्था की आलोचना

हे नरी विवियन डेरोजियो और यव


ु ा बंगाल आंदोलन

● 1817 में राजा राममोहन राय द्वारा हिंद ू कॉलेज की स्थापना


● हिंद ू कॉलेज की सध
ु ारवादी आंदोलन को आगे बढ़ाने में महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
● इस कॉलेज में विकसित सध
ु ारवादी आंदोलन का नाम यंग बंगाल आंदोलन

E
● हिंद ू समाज में सध
ु ारों के लिए कट्टरवादी आंदोलन
● आंदोलन के नेता इस कॉलेज के शिक्षक हे नरी विवियन डेरोजियो (पिता
पर्त
ु गाली और मां भारतीय)

● डेरोजियो के अनय
V
● डेरोजियो स्वतंत्रता, समानता और बंधत्ु व के विचारों से प्रभावित
ु ायियों : Derozians
LI
● छात्रों को तर्क संगत और स्वतंत्र रूप से सोचने, अधिकार, समता और
स्वतंत्रता के लिए प्रेरित
● धार्मिक संस्कारों और अनष्ु ठानों की निंदा
K

● महिलाओं की स्थिति में सामाजिक बरु ाइयों, महिला शिक्षा और सध


ु ार के
उन्मल
ू न के लिए छात्रों को प्रेरित
M

अलीगढ़ आंदोलन

● सैयद अहमद खान (1817-1899)


● मस
ु लमानों के बीच सबसे महत्वपर्ण
ू सामाजिक-धार्मिक आंदोलन
● मस
ु लमानों को पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करने और सरकारी सेवा लेने की
सलाह
● 1862 में विज्ञान और अन्य विषयों पर अंग्रेजी पस्
ु तकों का उर्दू में अनव
ु ाद
करने के लिए साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना

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● अलीगढ़ इंस्टीट्यट
ू गजट, सर सैयद द्वारा प्रकाशित एक पत्रिका-
साइंटिफिक सोसाइटी का एक अंग
● तहज़ीब उल अखलाक : सर सैयद द्वारा प्रकाशित पत्रिका
● मोहम्मडन ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना (1875)
● बाद में अलीगढ़ मस्लि
ु म विश्वविद्यालय
● पर्दा प्रणाली, बहुविवाह और तीन तलाक की मस्लि
ु म प्रणाली के खिलाफ
अभियान
● तर्क हीन सामाजिक रीति-रिवाजों को समाप्त करने पर बल
● ब्रिटिश सरकार के सहयोग से मस
ु लमानों का हित सबसे अच्छा होगा

E
अहमदिया आंदोलन

● अहमदिया इस्लाम का एक संप्रदाय, जिसकी उत्पत्ति भारत में

थे।
V
● इस संप्रदाय के नेता स्वयं को हजरत मह
ु म्मद ही तरह का अवतार मानते
LI
● अहमदिया आंदोलन की स्थापना 1889 में मिर्जा गुलाम अहमद
● उद्दे श्य : भारतीय मस
ु लमानों के बीच पश्चिमी शिक्षा का प्रसार
● आंदोलन ब्रह्म समाज के समान उदारवादी मल्
ू यों पर आधारित
K

● जिहाद (गैर-मस
ु लमानों के खिलाफ यद्
ु ध) का विरोध
● मस्जिद (धर्म) को राज्य से अलग करने के साथ मानवाधिकार और
सहिष्णत
ु ा में विश्वास
M

पन
ु रूत्थानवादी एवं यथास्थितिवाद के मध्य

थियोसोफिकल सोसाइटी और एनी बेसट


ें

● 1875 में मैडम ब्लावत्स्की (रूसी) और कर्नल ओलकोट (अमेरिकी)


द्वारा अमेरिका में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना
● थियोसोफी = थियोस + सोफिया (ग्रीक भाषा) = भारतीय सफ
ू ीवाद अथवा
भक्तिवाद के समकक्ष
● 1879 में मख्
ु यालय मंब
ु ई में स्थानांतरित

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● 1882 में अड्यार (चेन्नई) में स्थानांतरित
● 1893 में आई आयरिश महिला एनी बेसट
ें की इस आंदोलन में महत्वपर्ण

भमि
ू का

थियोसोफिकल सोसाइटी के तीन उद्दे श्य

● जाति-धर्म, नर और नारी, वर्ण तथा रं गभेद से रहित मानवता के विश्व


बंधत्ु व का केन्द्र स्थापित करना
● तल
ु नात्मक धर्म, दर्शन और विज्ञान के अध्ययन को प्रोत्साहन दे ना
● प्रकृति के अज्ञात नियमों तथा मानव में अन्तर्निहित शक्तियों का

E
अनस
ु ंधान करना

वहाबी आंदोलन

● 1830 में
● सैयद अहमद बरे लवी
V
● वलीउल्लाह आंदोलन के नाम से भी
LI
● आंदोलन कुरान और हदीस की शिक्षाओं पर आधारित
● आंदोलन का लक्ष्य इस्लाम में सध
ु ार लाना
● प्रारं भ में आंदोलन पंजाब में सिखों के खिलाफ निर्देशित
K

● लेकिन पंजाब के ब्रिटिश विलय (वर्ष 1849) के बाद आंदोलन को अंग्रेज़ों के


खिलाफ
M

● 1831 में बरे लवी की मत्ृ यु


● बिहार में एनायत अली और विलायत अली तथा बंगाल में तीतम
ू ीर और
दद
ु ू मियां द्वारा नेतत्ृ व
● आंदोलन का प्रमख
ु केंद्र पटना

टीटू मीर का आंदोलन

● वहाबी आंदोलन के संस्थापक सैयद अहमद बरे लवी के शिष्य ⇒ मीर


निसार अली ⇒ टीटू मीर के नाम से प्रसिद्ध

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● टीटू मीर ने वहाबवाद को अपनाया और शरीयत की वकालत की।
● उन्होंने बंगाल के मस्लि
ु म किसानों को ज़मींदारों के खिलाफ संगठित
किया, जो ज़्यादातर हिंद ू थे।

ू , किंतु मख्
तीनों प्रकृति मौजद ु यतः पन
ु रूत्थानवादी

रामकृष्ण मिशन

● स्वामी विवेकानंद
● स्थापना 1897 में अपने गरु
ु रामकृष्ण परमहं स की स्मति
ृ में
● भारतीय समाज की कुरीतियों को उपनिषदों के माध्यम से दरू करने का

E
प्रयास
● आर्य समाज की तरह रामकृष्ण आंदोलन स्वधर्म, स्वदे शी, स्वभाषा के
पक्षधर

सिखों में धार्मिक सध


ु ार
V
LI
● 19वीं शताब्दी के अंत में , जब अमत
ृ सर में खालसा कॉलेज की शरु
ु आत
● सिंह सभा (1870) के प्रयासों और ब्रिटिश समर्थन से खालसा कॉलेज की
स्थापना वर्ष 1892 में अमत
ृ सर में
K

● गुरुमख
ु ी, सिख शिक्षा और पंजाबी साहित्य को समग्र रूप से बढ़ावा
● 1920 के बाद जब पंजाब में अकाली आंदोलन का उदय सिख सध
ु ार
आंदोलन ने गति पकड़ी।
M

● अकालियों का मख्
ु य उद्दे श्य गुरुद्वारों के प्रबंधन में सध
ु ार करना जो
पज
ु ारियों या महं तों के नियंत्रण में थे

पारसियों में धार्मिक सध


ु ार

● मजदायसन सभा
● 1851 में बंबई में स्थापना
● नौरोजी फरदन
ु जी, दादाभाई नौरोजी और एस.एस. बंगाली द्वारा

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● पारसियों के बीच सामाजिक-धार्मिक सध
ु ारों के उद्दे श्य से रस्त गोफ्तार
नामक एक पत्रिका
● धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त रूढ़िवादिता के खिलाफ अभियान चलाया
● लड़कियों की शादी, शिक्षा तथा विशेष रूप से महिलाओं की सामाजिक
स्थिति के संबंध में पारसी सामाजिक रीति-रिवाजों के आधनि
ु कीकरण की
पहल की।
● फलस्वरूप समय के साथ पारसी समाज भारतीय समाज का सबसे
पाश्चात्य वर्ग

यथास्थितिवादी आंदोलन

E
धर्म सभा

V
● स्थापना राजा राधाकांत दे व
● सती प्रथा के समर्थन में 1830 में
● इनका मानना कि ब्रिटिश भारतीयों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे
LI
हैं तथा भारतीय संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।

दे व समाज
K

● 1887 में स्थापना


● संस्थापक : शिव नारायण अग्निहोत्री
● मख्
ु य उद्दे श्य : आत्मा की शद्
ु धि, गरु
ु की श्रेष्ठता की स्थापना एवं अच्छे
M

मानवीय कार्य करना


● प्रसिद्ध पस्
ु तक : दे व शास्त्र

फराजी आंदोलन

● हाजी शरीयतल्
ु ला द्वारा 1818 में स्थापना
● कार्यक्षेत्र : पर्वी
ू बंगाल

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● उद्दे श्य : मस
ु लमानों के बीच मौजद
ू सामाजिक विचारों या गैर-इस्लामी
प्रथाओं का उन्मल
ू न करना & मस
ु लमान के रूप में कर्तव्यों के प्रति उनका
ध्यान आकर्षित करना
● वर्ष 1840 के बाद से दद
ू ू मियाँ के नेतत्ृ व में यह आंदोलन क्रांतिकारी बन
गया।
● फराजी आंदोलन ने जमींदारों से लड़ने के लिए एक अर्द्धसैनिक बल का
गठन किया, जिसमें ज्यादातर हिंद ू थे,
● हालांकि नील की खेती करने वालों के अलावा कुछ मस्लि
ु म ज़मींदार भी
थे।

E
● दद
ू ू मियाँ ने अपने अनय
ु ायियों से लगान नहीं दे ने को कहा।
● संगठन ने अपनी खद
ु की कानन
ू ी अदालतें भी स्थापित की।
● 1847 में दद
V
ू ू मियाँ की गिरफ्तारी ने आंदोलन को कमजोर कर दिया।
LI
K
M

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1857 की क्रांति के पर्व
ू वर्ती विद्रोह

V E
LI
K
M

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E
1857 की क्रांति के पर्व
ू वर्ती विद्रोह

सन्यासी विद्रोह V
● आंदोलन का समय : 1770-1820
LI
● स्थान : बंगाल
● विद्रोहकारी : सन्यासी शंकराचार्य के अनय
ु ायी
● आंदोलन का कारण : हिन्द,ू नागा और गिरी के सशस्त्र सन्यासियों का
K

तीर्थ यात्रा पर प्रतिबंध लगाना


● परिणाम : विद्रोह को दबा दिया गया
● विद्रोह का प्रारं भिक कारण तीर्थ यात्रा पर लगाया जाने वाला कर
M

● बाद में इस आंदोलन में बेदखली से प्रभावित किसान, विघटित सिपाही,


सत्ताच्यत
ु जमींदार एवं धार्मिक नेता भी शामिल
● विद्रोह के प्रमख
ु नेता : मस
ू ा शाह, अंजर शाह, दे वी चौधरी एवं भवानी
पाठक
● विद्रोह को कथानक बनाकर बंकिम चन्द्र चटर्जी ने आनन्द मठ उपन्यास
लिखा

मिदनापरु एवं धालभम


ू में विद्रोह

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● 1772 में अंग्रेजों द्वारा मिदनापरु में नवीन भ-ू राजस्व व्यवस्था लागू
● जमींदारों को उनकी जमींदारी के अधिकारों से वंचित कर दिया गया
● विद्रोह के प्रमख
ु नेता: दामोदर सिंह एवं जगन्नाथ धाल

मोआमरिया विद्रोह (1769-99)

● असम के अहोम राजाओं की सत्ता के विरूद्ध


● मोआमरिया निम्न जाति के किसान
● अनिरुद्ध दे व की शिक्षाओं का पालन करते थे
● अहोम राजा यद्यपि इस विद्रोह से बचने में सफल रहे , किंतु उनकी स्थिति

E
कमजोर हो गई
● शीघ्र ही ब्रिटिश शासन का आधिपत्य

V
गोरखपरु , बस्ती एवं बहराइच में नागरिक विद्रोह (1781)

● वारे न हे स्टिंग्स ने मराठाओं एवं मैसरू के यद्


अवध में मेजर एलेक्जेंडर को इजारे दार नियक्
ु धों का खर्च परू ा करने के लिए
ु त किया
LI
● गोरखपरु एवं बहराइच के लिए 22 लाख रूपये वार्षिक इजारे की राशि
निर्धारित
● फलस्वरूप किसानों एवं जमींदारों ने विद्रोह कर दिया
K

● विद्रोह को अंततः कुचल दिया गया

विजियनगरम के राजा का विद्रोह


M

● 1758 में कंपनी और विजियनगरम के शासक आनंद गजपतिराजू के बीच


उत्तरी सरकार से फ्रांसीसियों को खदे ड़ने के लिए एक सफल संधि
● कंपनी ने विजियनगरम के अगले राजा विजयरामराजू से तीन लाख रूपये
की मांग की और उसे अपनी सेना समाप्त करने की बात कही।
● किंतु विजयरामराजू ने अपने समर्थकों की सहायता से विद्रोह कर दिया
● 1793 में राजा को बंदी बना लिया गया

अवध में नागरिक विद्रोह (1799)

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● वजीर अली खान, अवध का चौथा नवाब; अंग्रेजों की सहायता से सिंहासन
पर बैठा
● जल्द ही अंग्रेजों ने उसकी जगह उसके चाचा सादत अली खान द्वितीय को
नवाब बना दिया
● वजीर अली खान ने अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह कर दिया, शीघ्र ही उसे बंदी
बना लिया गया

गंजम एवं गम
ु सरु में विद्रोह (1800, 1835-37)

● उत्तरी सरकार के क्षेत्र में

E
● गंजम जिले में गुमसरु के जमींदार श्रीकर भंज ने 1797 में राजस्व दे ने से
मना कर दिया।
● 1800 में श्रीकर ने खल
ु कर अंग्रेजों का विद्रोह किया
● श्रीकर भंज के पत्र V
ु धनंजय भंज ने भी अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया
● किंतु 1815 में उन्हें बंदी बना लिया गया।
LI
ु ः अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया किंतु अंग्रेजों ने इसे दबा
● धनंजय ने पन
दिया।
● 1835 में धनंजय की मत्ृ यु के फलस्वरूप विद्रोह समाप्त
K

पलामू में विद्रोह अथवा चेर विद्रोह

● बिहार के पलामू जिले में स्थानीय राजा एवं कंपनी के द्वारा जब


M

जागीरदारों (चेरों) से जमीन छीनी जाने लगी


● तब वहां के जागीरदारों ने विद्रोह कर दिया
● 1800 में आरं भ हुआ यह विद्रोह 1802 तक चला
● नेतत्ृ वकर्ता : भष
ू ण सिंह

पोलिगार का विद्रोह (1795-1805)

● ब्रिटिश सरकार ने तमिलनाडु क्षेत्र में नई भमि


ू कर व्यवस्था को लागू किया
था।

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● जिसके विरोध में 1801 ई. में स्थानीय पॉलीगारों ने वी पी कट्टाबोम्मन
के नेतत्ृ व में विद्रोह किया
● यह विद्रोह 1856 ई. तक अनवरत चलता रहा।
● भारतीय इतिहास में यह सबसे समय तक चलने वाला विद्रोह था।

दीवान वेलू थम्पी का विद्रोह

● दीवान वेलु थम्पी विद्रोह का नेता दीवान वेलथ


ू ंपी थे।
● 1808 ई. में त्रावणकोर के राजा को लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि के लिए
विवश किया,

E
● परं तु राजा ने संधि की शर्तों से असहमति व्यक्त ​करते हुए सहायक कर
दे ने में आनाकानी की, जिससे अंग्रेजों का व्यवहार कठोर हो गया।

बरे ली में असंतोष, 1816


V
● विद्रोह का तात्कालिक कारण पलि
क्रोध को भड़का दिया।
ु स कर को थोपना जिसने नागरिकों के
LI
● यह मामला उस समय धार्मिक बन गया, जब मफ्
ु ती मोहम्मद एवाज, एक
सम्मानित वद्
ृ ध व्यक्ति, ने मार्च 1866 में शहर के मजिस्ट्रे ट को एक
याचिका प्रस्तत
ु की।
K

● स्थिति उस समय अधिक बिगड़ गई जब पलि


ु स ने टै क्स एकत्रित करते
समय एक महिला को घायल कर दिया।
M

● इस घटना ने मफ्
ु ती और पलि
ु स के पक्षकारों के बीच खन
ू ी संघर्ष को
प्रोत्साहित किया।
● अप्रैल 1816 में , उपद्रवियों ने बरे ली के प्रांतीय न्यायालय के न्यायाधीश
लीसेस्टर के पत्र
ु की हत्या कर दी।
● उपद्रव को भारी सैन्य बल तैनात करके दबाया जा सका।

कूका विद्रोह

● शरु
ु आत पंजाब में 1860-1870 ई. में 'भगत जवाहर मल' द्वारा

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● वहाबी विद्रोह की भाँति 'कूका विद्रोह' का भी आरं भिक स्वरूप धार्मिक
● प्रारम्भ में विद्रोह का उद्दे श्य सिख धर्म में प्रचलित बरु ाइयों को दरू करना
● किन्तु बाद में यह राजनीतिक विद्रोह के रूप में परिवर्तित
● सामान्य उद्दे श्य अंग्रेज़ों को दे श से बाहर निकालना
● अंग्रेजों ने 1872 में इसके एक नेता 'रामसिंह' को रं गून निर्वासित कर दिया
और आंदोलन पर नियंत्रण पा लिया गया।

नायक विद्रोह

● बंगाल में मिदनापरु जिले में हुआ यह विद्रोह उन रै यतों (नायक) ने किया

E
था, जिन पर कम्पनी बढ़ी हुई दर से लगान चक
ु ाने के लिए दबाव डाल रही
दी।
● 1806 ई. में कंपनी ने इन रै यतों की जमीन भी जब्त कर ली थी।
V
● नायकों ने इसके विरोध में कम्पनी के खिलाफ छापामार यद्
दिया, जो 1816 तक चला।
ु ध शरू
ु कर
LI
● विद्रोह का नेतत्ृ व अचल सिंह ने किया

1857 की क्रांति

1857 की क्रांति के कारण


K

● भारत का आर्थिक शोषण


● दोषपर्ण
ू भ-ू राजस्व व्यवस्था
M

● किसानों की आर्थिक दर्दु शा


● भारतीयों के साथ भेदभाव
● सरकारी नौकरियों से भारतीयों को वंचित रखना
● तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतस

● साम्राज्यवादी हितों से प्रेरित आर्थिक नीति
● पाश्चात्य संस्कृति का प्रसार
● वेलेजली की सहायक संधि
● डलहौजी की राज्य हड़प की नीति

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लार्ड वेलेजली की सहायक संधि

● एक प्रकार की मैत्री संधि


● 1798-1805 के दौरान
● लॉर्ड वेलेजली
● दे शी राज्यों के साथ संबंध बनाने के लिये प्रयोग
● बड़े राज्य अपने खर्चे पर अंग्रेजी सेना को अपने राज्य में रखेंगे
● उन राज्यों को अपने दरबार में एक अंग्रेज रे जीडेंट रखना होगा
● कंपनी राज्य की बाहरी शत्रओ
ु ं से तो रक्षा करे गी
● परं तु राज्य के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे गी।

E
वस्तत
ु ः इस संधि के दो प्रमख
ु उद्दे श्य थे

V
● भारत को नेपोलियन के हस्तक्षेप से सरु क्षित रखना
● भारत में साम्राज्य विस्तार करना

डलहौजी की राज्य हड़प की नीति


LI
● भारतीय दे शी रियासतों के संदर्भ में लार्ड डलहौजी
● नीति का उद्दे श्य साम्राज्य विस्तार
K

● नीति के तहत भारत के जिन दे शी रियासतों के शासकों के कोई पत्र


ु नहीं,
उन्हें पत्र
ु गोद लेने की अनम
ु ति नहीं
● डलहौजी ने इस नीति से सतारा (1848), जैतपरु एवं संभलपरु (1849),
M

उदयपरु (1852), झांसी (1853) और नागपरु (1854) को कंपनी साम्राज्य


में मिला लिया।

1857 की क्रांति के सामाजिक और धार्मिक कारण

● सती-प्रथा उन्मल
ू न अधिनियम (1829)
● हिन्द-ू विधवा पन
ु र्विवाह अधिनियम (1856)
● धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम (1905) ⇒ धर्म परिवर्तन करने के कारण
किसी भी पत्र
ु को उसके पिता की संपत्ति से वंचित नहीं

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● ईसाई मिशनरियों को भारत में प्रवेश करने और धर्म प्रचार करने की
अनम
ु ति

1857 की क्रांति के सैन्य कारण

● जनरल सर्विस एन्लिस्टमें ट एक्ट, 1856 ⇒ सिपाहियों को आवश्यकता


पड़ने पर समद्र
ु पार करना अनिवार्य
● डाक कार्यालय अधिनियम, 1854 ⇒ सिपाहियों को मिलने वाली मफ्
ु त
डाक सवि
ु धा भी वापस

1857 की क्रांति के आर्थिक कारण

E
● ब्रिटिश शासन ने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया।
● कृषि के वाणिज्यीकरण ने कृषक-वर्ग पर बोझ को बढ़ा दिया।
● मक्
V
ु त व्यापार नीति को अपनाने, उद्योगों की स्थापना को हतोत्साहित
करने और धन के बहिर्गमन आदि कारकों ने अर्थव्यवस्था को परू ी तरह से
नष्ट कर दिया।
LI
क्रांति का प्रारं भ

● बैरकपरु छावनी के 34वी बटालियन के मंगल पांडे


K

● चर्बीयक्
ु त कारतस
ू ों के प्रयोग से इंकार
● 29 मार्च 1857 ⇒ मंगल पांडे ने आदे श दे ने वाले अधिकारियों को गोली
मार दी
M

● 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी


● क्रांति का प्रारं भ 10 मई मेरठ की छावनी से 20 वीं बटालियन द्वारा
● 12 मई : दिल्ली पर अधिकार और बहादरु शाह जफर को क्रांति का नेता
घोषित

विद्रोह के प्रमख
ु केंद्र

● मग
ु ल सम्राट बहादरु शाह जफर द्वारा औपचारिक केंद्रीय नेतत्ृ व
● विद्रोह का वास्तविक नेतत्ृ व जनरल बख्त खां द्वारा

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● कानपरु में अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पत्र
ु नाना साहे ब
● लखनऊ में बेगम हजरत महल
● रोहिलखंड में खान बहादरु ⇒ स्वयं को बरे ली का सम्राट घोषित कर दिया
● बिहार की जगदीशपरु रियासत में जमींदार कंु वर सिंह
● फैजाबाद में मौलवी अहमदल्
ु ला
● झांसी में गंगाधर राव की विधवा रानी लक्ष्मीबाई
● कानपरु में तात्या टोपे + कानपरु में नाना साहे ब ने स्वयं को पेशवा घोषित
कर दिया
● तात्या टोपे एवं लक्ष्मीबाई ने मिलकर ग्वालियर की ओर प्रस्थान

E
● हालांकि जन
ू , 1858 तक ग्वालियर पन
ु ः अंग्रेजों के हाथ में
● फर्रु खाबाद : नवाब तफज्जल
ु हुसन

● सल्
V
ु तानपरु : शहीद हसन
● संबलपरु : सरु ें द्र साई
LI
● हरियाणा : राव तल
ु ाराम
● मथरु ा : दे वी सिंह
● मेरठ : कदम सिंह
● रायपरु : नारायण सिंह
K

● मंदसौर : शहजादा हुमायंू फिरोजशाह

शाह मल
M

● उत्तरप्रदे श के बागपत के बड़ौत परगना का एक ग्रामीण


● रात में गांव-गांव जाकर 84 गांवों के मखि
ु याओं एवं किसानों को संगठित
किया
● 1857 में शाहमल की एक अंग्रेज अधिकारी डनलप द्वारा हत्या

नोट

● 1857 का विद्रोह लगभग एक वर्ष से अधिक समय तक चला


● जल
ु ाई 1858 तक पर्ण
ू तः शांत

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विद्रोह में लोगों की सहभागिता

● सिपाहियों के विद्रोह को समाज के लगभग सभी वर्गों का समर्थन


● विशेषकर उत्तर-पश्चिमी प्रांतों तथा अवध का
● एक आकलन के अनस
ु ार अवध में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले लगभग
1.5 लाख में से 1 लाख आम नागरिक

विद्रोह का दमन

● तत्कालीन वायसराय लार्ड कैनिंग


● जनरल नील के नेतत्ृ व में बनारस और इलाहाबाद में विद्रोह का दमन

E
● जनरल एनसन द्वारा फिरोजपरु , जालंधर, फुलवर, अंबाला में विद्रोह का
दमन

कब्जा

अंग्रेज जनरल
V
● जनरल निकोलस के नेतत्ृ व में 20 सितंबर, 1857 को दिल्ली पर पन
ु ः
LI
● दिल्ली : लेफ्टिनेंट विलोबी, जॉन निकलसन & हडसन
● कानपरु : सर व्हीलर, कोलिन कैम्पबेल
K

● झांसी : सर व्हू रोज


● बनारस : कर्नल जेम्स नील
● लखनऊ : हे नरी लारें स, ब्रिगेडियर इंग्लिश, हे नरी, है वलॉक, जेम्स आउट्रम,
M

सर कॉलिन कैम्पबेल

विद्रोह असफल क्यों हुआ ?

● विद्रोह में सभी वर्गों का न होना


● एक संगठित एवं एकबद्ध विचारधारा का अभाव
● निश्चित समय की प्रतीक्षा न करना
● दे शी राजाओं का दे शद्रोही रूख
● सांप्रदायिकता का खेल

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संपर्ण
ू दे श में प्रसारित न होना

● पटियाला, सिंध एवं अन्य सिख सरदार, कश्मीर के महाराज, ग्वालियर के


सिंधिया और इंदौर के होल्कर विद्रोह में शामिल नहीं हुए
● अधिकतर दक्षिण भारत विद्रोह से दरू रहा
● एक आकलन के अनस
ु ार कुलक्षेत्र का एक-चौथाई और कुल जनसंख्या का
दसवां हिस्सा इस विद्रोह से प्रभावित नहीं हुआ
● शस्त्रास्त्रों का अभाव
● सहायक साधनों का अभाव
● सैनिक संख्या में अंतर

E
विद्रोह की प्रकृति

V
● जेड राबर्टस : सिपाही विद्रोह
● सर जॉन लारें स : गाय की चर्बी से उत्पन्न सैनिक असंतोष
● एडवर्ड थॉम्पसन एवं जी. टी. गैरेट : सिपाही विद्रोह अथवा अनधिकृत
LI
राजाओं तथा जमींदारों का अनियोजित प्रयत्न अथवा सीमित
किसान-यद्
ु ध
● विलियम हॉवर्ड रसेल : धार्मिक यद्
ु ध
K

● आर. सी. मजम


ू दार : सैनिक विद्रोह से बढ़कर कुछ नहीं
● जेम्स आउट्रम : मस्
ु लमानों का षड़यंत्र
M

● पं. जवाहर लाल नेहरू : स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए भारतीय जनता का


संगठित संग्राम
● जस्टिस मेकार्की : भारतीयों का अंग्रेजों के विरूद्ध धार्मिक, सैनिक
शक्तियों के साथ राष्ट्रीय अस्मिता के लिए लड़ा गया यद्
ु ध
● विनायक दामोदर सावरकर : स्वधर्म और राजस्व के लिए लड़ा गया
राष्ट्रीय संघर्ष
● सैयद अतहर अब्बास रिजवी : भारत की पवित्र भमि
ू से विदे शी शासन को
उखाड़ फेंकने का प्रयास

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● विपिन चंद्र : विदे शी शासन से राष्ट्र का मक्
ु त कराने का दे शभक्तिपर्ण

प्रयास
● बेंजामिन डिजरायली : सचेत संयोग से उपजा राष्ट्रीय विद्रोह
● जान ब्रस
ू नार्टन : सैनिक विद्रोह न होकर नागरिक विद्रोह
● एस. एस. सेन : आरं भिक स्वरूप सैनिक विद्रोह, किंतु बाद में राजनीतिक
स्वरूप धारण कर लिया

विद्रोह के परिणाम

● भारत शासन अधिनियम, 1858

E
● भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन के पास
● भारत के लिए राजकीय सचिव की नियक्ति

● सेना में यरू ोपियनों की संख्या में वद्
ृ धि
V
● भारतीय सैनिकों की जाति, समद
ु ाय तथा क्षेत्र के आधार पर रे जीमें ट
● सेना विलय योजना, 1861 ⇒ कंपनी के यरू ोपीय सैनिकों ब्रिटिश क्राउन
LI
के अधीन
● यरू ोपीय सेना का समय-समय पर दौरा करने की लिंक्ड बटालियन योजना
● फूट डालो और राज करो की नीति
K

● दे शी रियासतों की विलय की नीति का त्याग


● क्षेत्र विस्तार की नीति का त्याग
● भारतीयों की सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने की
M

घोषणा
● भ-ू पतियों, जमींदारों एवं राजकुमारों के संरक्षण की नीति का अनस
ु रण
● भमि
ू के लिए निर्धारित लगान और समय की गारं टी के लिए एक नवीन
कृषि नीति
● स्थानीय सरकारों को करारोपण की कुछ मदों को सौंपकर वित्तीय व्यवस्था
का विकेंद्रीकरण
● पाश्चात्य संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाली शिक्षा नीति का अनस
ु रण

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1857 की क्रांति के परिणाम भारतीयों के पक्ष में

● आत्मबल में वद्


ृ धि
● राजनीतिक जागति

● संगठन की प्रेरणा
● एकता की प्रेरणा
● स्वतंत्रता आंदोलन को नई दृष्टि

कांग्रेस की स्थापना के पर्व


ू वर्ती संगठन

1857-1885 में भारतीय राजनीतिक मंच पर राष्ट्रवादी आंदोलन का धरातल

E
निर्मित

● 1857 की क्रांति से पर्व


ू स्थापित हुए संगठन

कांग्रेस के पर्व
V
● 1857 की क्रांति के पश्चात ् स्थापित हुए संगठन

ू वर्ती संगठनों की प्रकृति


LI
● प्रारं भिक काल में संस्थाओं का स्वरूप क्षेत्रीय अथवा स्थानीय
● उद्दे श्य सीमित रूप में स्वार्थी हितों से चालित
● ब्रिटिश सांसद और भारत में कंपनी प्रशासन के सामने प्रार्थना-पत्रों के
K

माध्यम से मांग

बंग भाषा प्रकाशक सभा


M

● 1836 में स्थापित


● राजा राममोहन राय के अनय
ु ायी गौरी शंकर तरका-बागीश द्वारा
● बंगाल में स्थापित प्रथम राजनीतिक संगठन
● सरकार की नीतियों से संबंधित मामलों की समीक्षा

लैंड होल्डर्स सोसाइटी

● 1838 में स्थापित


● बंगाल के जमींदारों द्वारा स्थापना

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● द्वारकानाथ टै गोर, राजा राधाकांत दे व, राजा काली कृष्ण ठाकुर
● भमि
ू के अतिक्रमण व अपहरण का विरोध करना
● मात्र जमींदारों के हितों की रक्षा करना
● इस प्रकार का यह पहला संगठित राजनीतिक प्रयास

बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी

● 1843 में स्थापित


● गैर-सरकारी ब्रिटिशों का भी प्रतिनिधित्व
● जॉर्ज थॉमसन अध्यक्ष तथा प्यारी चन्द्र मित्र सचिव

E
● आम जनता के हितों की रक्षा करना तथा बढ़ावा दे ना
● जमींदारी प्रथा की आलोचना

● 1851 में स्थापित


V
ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन

● लैंड होल्डर्स सोसाइटी एवं बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी के विलय से


LI
● अध्यक्ष राधाकांत दे व तथा सचिव दे वेन्द्रनाथ टै गोर
● बंगाल में इसे भारतवर्षीय सभा के नाम से जाना गया
● हिन्द ू पेट्रियट नामक पत्रिका
K

● 1860 में आयकर लागू करने का विरोध

मद्रास नेटिव एसोसिएशन


M

● 13 जल
ु ाई, 1852 को स्थापित
● ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की शाखा के रूप में
● मद्रास में गजल
ु ू लक्ष्मी नरसच
ु ेट्टी द्वारा स्थापित
● सी. वाई. मद
ु लियार अध्यक्ष और वी. रामानज
ु ाचारी सचिव

ईस्ट इंडिया एसोसिएशन

● दादा भाई नौरोजी द्वारा 1866 ई. में स्थापना


● लंदन में राजनीतिक प्रचार करने के उद्दे श्य से

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● भारतवासियों की समस्याओं और मांगों से ब्रिटे न को अवगत कराना
● भारतवासियों के पक्ष में इंग्लैंड में जनसमर्थन तैयार करना

पन
ू ा सार्वजनिक सभा

● स्थापना 2 अप्रैल, 1870 को महादे व गोविंद रानाडे ने


● सरकार और जनता के बीच मध्यस्थता कायम करने के लिए
● भवानराव श्रीनिवासराव संस्था के प्रथम अध्यक्ष
● तिलक, गोपाल हरि दे शमख
ु , महर्षि अण्णासाहे ब पटवर्धन अध्यक्ष
● सभा द्वारा स्वदे शी आंदोलन चलाने में पहल

E
इंडियन लीग

● 1875 में शिशिर कुमार घोष द्वारा स्थापना

● मख्
V
● 1876 में इसी संस्था का स्थान इंडियन एसोसिएशन ने ले लिया
● कांग्रेस की पर्व
ू वर्ती संस्थाओं में एक
ु य नेतत्ृ वकर्ता सरु े न्द्रनाथ बनर्जी एवं आनंद मोहन बोस
LI
इंडियन एसोसिएशन

● 1876 में स्थापित


K

● सरु े न्द्रनाथ बनर्जी तथा आनंद बोस द्वारा


● भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पर्व
ू गामी संस्था

इंडियन एसोसिएशन ⇒ प्रमख


ु उद्दे श्य
M

● भारत में जनमत तैयार करना


● हिन्द-ू मस्लि
ु म जनसंपर्क की स्थापना करना
● सार्वजनिक कार्यक्रम के आधार पर लोगों को संगठित करना
● सिविल सेवा के भारतीयकरण के पक्ष में मत तैयार करना

मद्रास महाजन सभा

● 1884 में स्थापित

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● वी. राघवाचारी, जी. सब्र
ु मण्यम, आनंद चारलू द्वारा
● विधान परिषदों का विस्तार
● भारतीयों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दे ना
● न्यायपालिका का राजस्व एकत्रित करने वाली संस्थाओं (कार्यपालिका) से
पथ
ृ क्करण
● कृषकों की दयनीय स्थिति में सध
ु ार लाना

बम्बई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन

● 1885 में बंबई में स्थापित

E
● फिरोजशाह मेहता, के.टी. तैलंग और बदरुद्दीन तैयबजी द्वारा
● आम जनता को राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना
● प्रशासन संबंधी सध
ु ार को याचनाओं के जरिये ब्रिटिश प्रशासन के सामने
रखना V
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
LI
● 1 मार्च, 1883 को ए.ओ. ह्यम
ू ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों के
नाम एक पत्र लिखा → सबसे मिलजल
ु कर स्वाधीनता के लिए प्रयत्न
करने की अपील
K

● इस अपील का शिक्षित भारतीयों पर प्रभाव


● एक अखिल भारतीय संगठन की आवश्यकता महसस

M

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

● 28 दिसम्बर 1885 को 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ


● भारतीय राष्ट्रीय संघ का पहला अधिवेशन
● बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में
● दरअसल भारतीय राष्ट्रीय संघ का नाम ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
● कांग्रेस के संस्थापक : महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए. ओ. ह्यम

● पहला अध्यक्ष : व्योमेश चन्द्र बनर्जी

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● तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन

सेफ्टी वाल्व थ्योरी

● लाला लाजपत राय


● 'यंग इंडिया' पत्र में प्रस्तत

● कांग्रेस 'डफरिन' के दिमाग की उपज

क्या वास्तव में कांग्रेस सेफ्टी वाल्व थी ?

● हालांकि यह सत्य है कि कांग्रेस की स्थापना के पीछे वास्तविक मंशा


ब्रिटिश शासन की थी।

E
● किंतु इसका यह तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि कांग्रेस ब्रिटिश
औपनिवेशिक हितों की पोषक अथवा समर्थक थी।

V
● दादाभाई नौरोजी, सरु ें द्रनाथ बनर्जी जैसे व्यक्तियों का समह
ू उस समय
स्वयं चाहता था कि इस प्रकार के एक राष्ट्रीय स्तर के संगठन की स्थापना
की जाए, जो परू े भारतीयों की मांगों को ब्रिटिश सरकार के समक्ष प्रभावी
LI
ढं ग से प्रस्तत
ु कर सके।
● कांग्रेस के प्रारं भिक नेता इस बात से भलीभांति परिचित थे कि क्षेत्रीय
संगठनों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार से अपनी मांगे नहीं मनवाई जा
K

सकती हैं।
● पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त होने के कारण यह नेता अखिल स्तर पर राजनीतिक
M

संगठन के महत्व एवं भमि


ू का से अवगत थे।
● इसके अलावा प्रारं भिक वर्षों में कांग्रेस की मांगें इसलिए उदार थी, क्योंकि
संगठन अभी अपनी शैशवावस्था में था और कांग्रेस इतनी सदृ
ु ढ एवं
व्यवस्थित नहीं हुई थी कि ब्रिटिश सरकार का प्रत्यक्ष तौर पर प्रतिरोध कर
सके।
● निष्कर्ष तौर पर हम कह सकते हैं कि किसी भी संगठन की प्रकृति का
अंदाजा उसके संस्थापकों के दृष्टिकोण के बजाय संगठन की कार्यप्रणाली
के आधार पर लगाना अधिक उचित है ।

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● इस आधार पर कांग्रेस को कहना बिल्कुल भी उचित नहीं है , क्योंकि आगे
चलकर कांग्रेस ने ही भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को नेतत्ृ व प्रदान किया
और संपर्ण
ू भारत के जनमत की अभिव्यक्ति का माध्यम बनी।

भारत में नरमपंथी आंदोलन

भारत में नरमपंथी आंदोलन (1885-1905)

● कांग्रेस की स्थापना के प्रारं भिक वर्षों का नेतत्ृ व उदारवादी नेताओं द्वारा


इसलिए इस काल को उदारवादी काल कहा जाता है ।
● प्रमख
ु नेता ⇒ दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, दानिश वाचा,

E
व्योमेश चन्द्र बनर्जी, सरु े न्द्र नाथ बनर्जी, रास बिहारी बोस, पंडित
मदनमोहन मालवीय

विचारधारा
V
● ब्रिटिश शासन प्रगतिशील शासन
LI
● लोकतांत्रिक शासन
● जनसहभागिता का तत्व
● विधि का शासन & नागरिक अधिकार
K

● अवसर की समता तथा स्वतंत्रता


● विज्ञानवाद और तर्क वाद पर आधारित आधनि
ु क समाज
● आधनि
ु क अर्थव्यवस्था ⇒ औद्योगीकरण को बढ़ावा
M

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धन निर्गमन का सिद्धांत

E
● भारत से धन का ब्रिटे न की तरफ एकरे खीय रूप से प्रवाहित होना
● दादाभाई नौरोजी : ‘Poverty and Un-British Rule in India’ (1901)

गोखले
V
● आर. सी. दत्त, महादे व गोविन्द रानाडे, सब्र
ु मण्यम अय्यर, गोपाल कृष्ण
LI
धन निर्गमन के स्त्रोत

● ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारियों का वेतन, भत्ते और पें शन


● बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल एवं बोर्ड ऑफ़ डायरे क्टर्स का वेतन व भत्ते
K

● 1858 के बाद कंपनी की सारी दे नदारियां


● निजी व्यापार से प्राप्त लाभ
M

● साम्राज्यवाद के विस्तार हे तु भारतीय सेना का उपयोग


● सैन्य एवं सिविल सेवाओं से संबंधित वेतन एंव खर्च
● सार्वजनिक ऋण पर ब्याज

भारत में नरमपंथियों की मांगें

● विधान परिषदों का विस्तार किया जाए


● सिविल सेवा परीक्षा परीक्षा की न्यन
ू तम आयु में वद्
ृ धि की जाए
● परीक्षा का भारत और इंग्लैंड में का आयोजन हो

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● वायसराय तथा गवर्नर की कार्यकारिणी में भारतीयों को अधिक
प्रतिनिधित्व

नरम दल की कार्यप्रणाली

● ब्रिटिश शासन को बनाए रखने के पक्ष में , किन्तु भारत के अनरू


ु प सध
ु ारों
के साथ
● पाश्चात्य शिक्षा का समर्थन, क्रमिक सध
ु ारों में विश्वास
● प्रार्थना-पत्रों, प्रतिनिधि मंडलों के माध्यम से अपनी बातें सरकार तक
पहुँचाना

E
● ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग में विश्वास
● 1888 में व्योमेश चंद्र बनर्जी को कांग्रेस के एजेंट के रूप में लंदन में भेजा
गया
V
● 1888 में ही लंदन में ‘ब्रिटिश काॅमनवेल्थ ऑफ इंडियन एसोसिएशन’ की
स्थापना ⇒ अध्यक्ष विलियम एवं सचिव डिग्वी
LI
● संगठन का उद्दे श्य भारतीय मांगों को ब्रिटिश जनता एवं ब्रिटिश
पार्लियामें ट के समक्ष प्रस्तत
ु करना
● प्रार्थना-पत्र, याचिका एवं निवेदन के माध्यम से भारत सरकार के समक्ष
K

संवध
ै ानिक सध
ु ारों की मांग
● दस
ू री तरफ ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर भारतीय समाज को आधनि
ु क
बनाने का सक्रिय प्रयास
M

● ‘प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं’ का नारा

ब्रिटिश प्रतिक्रिया

● 1885 से 1888 तक ब्रिटिश राज कांग्रेस को शिक्षित बद्


ु धिजीवियों को एक
संगठन मानती थी, जो स्वयं को बौद्धिक वाद-विवाद तथा समाज सध
ु ार
तक सीमित रखेगी।
● इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी कांग्रेस के सम्मेलनों में भाग लेने
की अनम
ु ति

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● 1886 के कलकत्ता अधिवेशन में तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन
रात्रिभोज पर आमंत्रित तथा ‘राजभक्त’ की उपाधि दी।
● 1888 के नरमपंथियों ने अब इस मंच का उपयोग धन-निर्गमन के
सिद्धांत की व्याख्या करने एवं ब्रिटिश शासन के औपनिवेशिक चरित्र को
उभारने के लिए
● प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं’ जैसे नारों के माध्यम से ब्रिटिश शासन पर
दबाव बनाने का भी प्रयास
● फलस्वरूप ब्रिटिश राज और कांग्रेस के मध्य अंतराल ⇒ ब्रिटिश सरकार
कांग्रेस को ‘राजद्रोही ब्राह्मणों’ का संगठन करार दे ने लगी

E
1905 का बंगाल विभाजन

● तत्कालीन बंगाल प्रांत में आधनि


ु क बंगाल दे श, प. बंगाल, बिहार और
उड़ीसा सम्मिलित V
● विभाजन के निर्णय की घोषणा जल
ु ाई 1905 को भारत के तत्कालीन
LI
वायसराय कर्जन द्वारा
● विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी

बंगाल के विभाजन के तीन मख्


ु य कारण
K

1. बंगाल एक बड़ा प्रांत → कुशल एवं प्रभावी प्रशासन संचालित करने में
कठिनाई
M

2. अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो की नीति’ ⇒ ग्रेस को ब्राह्मणों का


संगठन घोषित करने तथा हिंद-ू मस्लि
ु म के मध्य सांप्रदायिक अंतराल को बढाने
के उद्दे श्य से ⇒ पर्वी
ू बंगाल में मस
ु लमान और जबकि पश्चिम बंगाल में हिन्द ू
बहुमत में

3. बंगाल इस समय राष्ट्रवादी आंदोलन के केंद्र बिंद ु के रूप में

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V E
LI
K
M

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V E
LI
बंगाल विभाजन के विरूद्ध प्रतिक्रिया

● सर्वप्रथम बंगाल विभाजन के कारण ही स्वदे शी, बहिष्कार, ‘निष्क्रिय


K

प्रतिरोध’
● विदे शी वस्त्रों की होली
● 1906 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की स्थापना
M

● स्त्रियों की सक्रिय भागीदारी


● उग्र राष्ट्रवाद का विकास

बंगाल विभाजन और कांग्रेस

● कांग्रेस में खल
ु कर मतभेद
● नरमपंथी चाहते थे कि बंगाल विभाजन के विरूद्ध चलाए जा रहे आंदोलन
को सिर्फ बंगाल तक ही सीमित रखा जाए,

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● जबकि गरमपंथी नेता बंग-भंग आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर संचालित
करना चाहते थे।

बंगाल विभाजन का रद्द करना

● दिसंबर, 1911 को दिल्ली में एक विशाल दरबार का आयोजन


● ब्रिटे न की महारानी तथा सम्राट जॉर्ज पंचम उपस्थित
● बंगाल के विभाजन को रद्द कर दिया गया
● बिहार एवं उड़ीसा को 1905 की घोषणा के अनरू
ु प अलग ही रहने दिया

अहरार आंदोलन

E
● 1906 में बंगाल के राष्ट्रवादी मस
ु लमानों द्वारा प्रारं भ
● संस्थापक : मौलाना हबीब
● लक्ष्य : मस
● प्रमख
V
ु लमानों को राष्ट्रवादी आंदोलन से जोड़ना
ु नेता: मौलाना मोहम्मद अली, हकीम अजमल खां, मौलाना जफर
अली खान, इसन इमाम
LI
कांग्रेस का विभाजन

विभाजन का मख्
ु य आधार : वैचारिक अंतराल
K

● गरमपंथी नरमपंथियों की याचिका की नीति के स्थान पर सक्रिय संघर्ष का


समर्थन कर रहे थे, वहीं नरमपंथी नेता अपनी परु ानी नीति का ही
अनस
ु रण करना चाहते थे
M

विभाजन का क्रियान्वयन

● बनारस अधिवेशन (1905) ⇒ अध्यक्ष : गोपाल कृष्ण गोखले ⇒ तिलक


ने नरमपंथियों की ‘याचना की नीति’ का कड़ा विरोध किया
● बंगाल विभाजन (1905)
● 1906 में अध्यक्ष पद को लेकर कलकत्ता अधिवेशन में एक बार पन
ु ः
मतभेद ⇒, बाल गंगाधर तिलक या लाला लाजपत राय (गरमपंथी नेता)
जबकि डा. रास बिहारी घोष (नरमपंथी) ⇒ अन्त में दादा भाई नौरोजी

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● इस अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रथम बार 'स्वराज' की बात कही
● गरमपंथी 1907 का अधिवेशन नागपरु में आयोजित कराना चाहते थे और
बाल गंगाधर तिलक या लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे,
● परन्तु नरमपंथी अधिवेशन सरू त में आयोजित कराना चाहते थे तथा
स्थानीय नेता को अध्यक्ष बनाने से मना किया
● रासबिहारी घोष अध्यक्ष घोषित
● अंततः कांग्रेस का आधिकारिक तौर पर नरमपंथी और गरमपंथी में
विभाजन
● कांग्रेस के विभाजन में ब्रिटिश सरकार की भमि
ू का ⇒ ब्रिटिश सरकार

E
द्वारा नरमपंथियों को अधिक महत्व दिया जाना

भारत में गरमपंथी आंदोलन (1906-1919)

उदय के कारण V
● आंतरिक परिस्थितियाँ
LI
○ तात्कालिक कारण
● बाह्य परिस्थितियाँ

तात्कालिक कारण
K

● लार्ड कर्जन (1899-1905)


● पैतक
ृ निरं कुशता
M

कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियाँ

● कलकत्ता कारपोरे शन एक्ट (1899) : निगमों के चन


ु ावों में सरकार की
भमि
ू का बढा दी
● विश्वविद्यालय एक्ट (1904) : विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियंत्रण
बढाने का प्रयत्न
● ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट (1904) : प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया
गया

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● 1905 में बंगाल का विभाजन

कर्जन के सकारात्मक कार्य

● सर कॉलिन स्कॉट की अध्यक्षता में सिंचाई विभाग में सध


ु ार के लिये
आयोग
● पहली बार कृषि विभाग की स्थापना
● अकाल में राजस्व माफी जैसी व्यवस्था का प्रारं भ
● व्यापक पैमाने पर सिंचाई साधनों का विकास ⇒ 30 लाख हे क्टे यर भमि

सिंचित क्षेत्र में परिवर्तित

E
● सहकारिता समिति अधिनियम ⇒ ग्रामीण जनता के लिए प्राथमिक ऋण
की व्यवस्था
● रे लवे, यातायात तथा संचार साधनों का सबसे तीव्र गति से विकास

उदय के कारण

● आंतरिक परिस्थितियाँ
V
LI
○ तात्कालिक कारण
● बाह्य परिस्थितियाँ
● अंग्रेजों की अजेयता की अवधारणा खंडित
K

● आयरलैंड, तर्की
ु तथा दक्षिण अफ्रीका के बोअर यद्
ु ध में साम्राज्यवादी
शक्तियों के विरूद्ध सफलता
M

● भारतीयों में भी यह भावना प्रचलित कि यदि संगठित होकर अंग्रेजों का


विरोध किया जाए तो निश्चित तौर पर ही उन्हें भारत से हटाया जा सकता
है

आंदोलन की विचारधारा

● ब्रिटिश साम्राज्य का स्वरूप शोषणकारी


● यह शोषण आर्थिक एवं सांस्कृतिक दोनों रूपों में

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● सांस्कृतिक शोषण ⇒ भारतीयों की पहचान को समाप्त करने की ब्रिटिश
नीति

राष्ट्रीय आंदोलन का उद्दे श्य

● स्वराज

स्वराज

● स्वशासन
● सांस्कृतिक स्वराज
● धार्मिक स्वराज

E
● राजनीतिक स्वराज

1. स्वशासन ⇒ लंबे संघर्ष की प्रक्रिया

V
● भारत को राष्ट्र के रूप में संगठित करना
● भारत को आत्मनिर्भर बनाना
LI
2. सांस्कृतिक स्वराज

पाश्चात्य संस्कृति से मक्ति


3. धार्मिक स्वराज
K

ईसाइयत से मक्ति

4. राजनीतिक स्वराज
M

White Man Burden से मक्ति


स्वराज ⇒ स्वधर्म

● शक्ति की आराधना
● गीता का निष्काम कर्म
● भारतीय भमि
ू का मानवीकरण

शक्ति की आराधना

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दर्गा
ु पज ू ा, शिवाजी उत्सव, गणेश उत्सव

गीता का निष्काम कर्म

अधर्म पर धर्म विजय के लिए प्राणों की भी आहुति

भारतीय भमि
ू का मानवीकरण

भारत की माता की अवधारणा

क्रांतिकारी राष्ट्रवाद (1908-1914)

क्रांतिकारी राष्ट्रवाद

E
● उदय
● विचारधारा एवं रणनीति

उदय

● यव
V
ु ा वर्ग की नरमपंथियों पर आस्था नहीं
LI
● ब्रिटिश दमनकारी नीतियों से आक्रोश
● आयरलैंड के क्रांतिकारियों से प्रेरणा
● जापान द्वारा रूस को हराए जाने से ‘गोरों’ की अपराजेयता की अवधारणा
खंडित
K

● यव
ु ा वर्ग ने क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का मार्ग चन
ु ा

क्रांतिकारी राष्ट्रवादियों की विचारधारा ⇒ हिंद ू पन


ु ः उत्थानवाद
M

● दीर्घकालिक रणनीति
● अल्पकालिक रणनीति

दीर्घकालिक रणनीति

● ब्रिटिश सत्ता की समाप्ति हे तु 1857 की क्रांति जैसा सशस्त्र विद्रोह


● अभिनव भारत, यग
ु ांतर तथा संध्या जैसी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम
से चेतना का विकास

अल्पकालिक रणनीति

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● बम, पिस्तौल जैसे विकल्पों का प्रयोग
● निरं कुश अंग्रेज अधिकारियों की हत्या
● ब्रिटिश सत्ता में भय की भावना
● भारतीयों में राष्ट्रवाद
● व्यक्तिगत आत्मोत्सर्ग अर्थात ् प्राणों की आहुति

ब्रिटिश प्रतिक्रिया

● लार्ड मार्ले (भारत सचिव)


● लार्ड मिंटो-II

E
लार्ड मार्ले (भारत सचिव)

● गरमपंथियों के प्रति दमन की नीति

V
● नरमपंथियों के प्रति समझौते की नीति (1909 का अधिनियम)
● क्रांतिकारियों के प्रति उन्मल
ू न की नीति
LI
लार्ड मार्ले (भारत सचिव)

● गरमपंथियों के प्रति दमन की नीति


● नरमपंथियों के प्रति समझौते की नीति (1909 का अधिनियम)
K

● क्रांतिकारियों के प्रति उन्मल


ू न की नीति

लार्ड मिंटो-II
M

प्रतिदोलक सिद्धांत का अनस


ु रण

लार्ड मिंटो-II

● प्रतिदोलक सिद्धांत का अनस


ु रण
● हिंद ू बनाम मस्लि
ु म के रूप में सांप्रदायिकता की भावना का विस्तार करना
● ब्रिटिश सरकार द्वारा 1906 में मस्लि
ु म लीग की स्थापना में सहायता
● 1909 में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली का विस्तार

प्रतिदोलक सिद्धांत

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इसके अंतर्गत हिंद ू बनाम मस्लि
ु म के रूप में सांप्रदायिकता की भावना का
विस्तार करना सम्मिलित था। इस हे तु ब्रिटिश सरकार द्वारा 1906 में मस्लि
ु म
लीग की स्थापना में सहायता की गई तथा 1909 में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली
का विस्तार किया गया।

चरमपंथियों का मल्
ू यांकन

● यद्यपि यह सत्य है कि गरमपंथियों ने हिंद ू धर्म के प्रति ही अधिक ध्यान


केंद्रित किया, जिस कारण वे मस्लि
ु म वर्ग को विश्वास में लेने में असफल
रहे ।

E
● किंतु गरमपंथियों का सांप्रदायिकता का प्रसार करना उद्दे श्य नहीं था
बल्कि वह भारत की प्राचीन गौरवमयी सभ्यता एवं संस्कृति के माध्यम से
दे शवासियों को ब्रिटिश शासन के विरूद्ध संगठित करना चाहते थे। इस
V
क्रम में उन्हें सफलता भी मिली।
● किंतु यह कहना अनचि
ु त है कि गरमपंथियों की नीतियों एवं कार्यपद्धति
LI
के कारण मस्लि
ु म वर्ग राष्ट्रवादी आंदोलन से दरू रहा।
● दरअसल, यह अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की कुटिल नीति का
परिणाम था, जिसका अनप
ु ालन वह अन्य औपनिवेशिक दे शों में भी कर
K

चक
ु े थे।
● हालांकि गरमपंथियों ने अंग्रेजों के समक्ष यह कमजोर कड़ी अवश्य
उपस्थित कर दी।
M

● इसके बावजद
ू राष्ट्रवादी आंदोलन में गरमपंथियों की महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
रही। उन्होंने बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा, स्वदे शी जैसे माध्यमों से ब्रिटिश
शासन पर दबाव बनाया।
● गरमपंथियों की कार्यप्रणाली की ही विशेषता थी कि बंग-भंग आंदोलन में
पहली बार महिलायें भी खल
ु कर शामिल हुई जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश
सरकार को 1911 में बंगाल के विभाजन की योजना को वापिस लेना पड़ा।

मस्लि
ु म लीग की स्थापना एवं प्रथम विश्वयद्
ु ध की रणनीति

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लीग का मल
ू नाम 'अखिल भारतीय मस्लि
ु म लीग'

● ढाका के नवाब सलीमल्


ु ला ख़ाँ के नेतत्ृ व में 30 दिसंबर, 1906 ई. को ढाका
में स्थापना
● सलीमल्
ु ला ख़ाँ 'मस्लि
ु म लीग' के संस्थापक व अध्यक्ष
● प्रथम अधिवेशन के अध्यक्ष मश्ु ताक हुसन

● उद्दे श्य : मस्लि
ु मों में ब्रिटिश सरकार के प्रति भक्ति व मस्लि
ु मों के
अधिकारों की रक्षा

प्रथम विश्व यद्


ु ध की राजनीति

E
भारतीय प्रतिक्रिया

● शर्त-रहित समर्थन
● शर्त-सहित समर्थन
V
● अवसर का लाभ उठाना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष प्रारं भ करना
LI
लखनऊ समझौता (1916)

● कांग्रेस का एकीकरण
● कांग्रेस और मस्लि
ु म लीग समझौता
K

अध्यक्षता : नरमपंथी नेता अम्बिका चरण मजम


ू दार

लखनऊ समझौते के प्रावधान


M

● कांग्रेस ने 1909 में मस्लि


ु मों के लिए प्रारं भ की गई सांप्रदायिक निर्वाचन
पद्धति को मान्यता प्रदान कर दी
● जब तक दोनों समद
ु ाय तैयार न हो, संयक्
ु त निर्वाचन का मद्
ु दा नहीं
उठाया जाए
● जहां मस्लि
ु म बहुसंख्यक हो, वहां विधायिका में मस्लि
ु मों को कम सीटें
और जहां मस्लि
ु म अल्पसंख्यक हों, वहां उन्हें अधिक सीटें प्रदान की जाए
● केंद्रीय विधायिका में एक-तिहाई सीटें मस्लि
ु मों के लिए आरक्षित की जाए
● मस्लि
ु म लीग कांग्रेस के साथ मिलकर स्वशासन की मांग रखेगी

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नरमपंथी समझौता क्यों चाहते थे ?

● नरमपंथी महसस
ू कर रहे थे कि कांग्रेस धीरे -धीरे एक निष्क्रिय संगठन में
बदल रही है और उसका जनाधार संकुचित होता जा रहा है । तत्कालीन
परिस्थितियों में उन्हें यद्
ु ध के बाद नई संवध
ै ानिक रियायतें मिलने की
उम्मीद थी।
● ऐसे में होमरूल आंदोलन के रूप में वे एक वैधानिक आंदोलन में शामिल
होकर ब्रिटिश सरकार से और अधिक रियायतें प्राप्त कर सकते थे। साथ ही
इस समय गरमपंथियों के सबसे विरोधी नेता फिरोजशाह मेहता की भी
मत्ृ यु हो चक
ु ी थी।

E
गरमपंथी समझौता क्यों चाहते थे ?

V
गरमपंथी जानते थे कि कांग्रेस जनांदोलन का प्रतीक बन चक
बड़े आंदोलन को चलाने के लिए संगठन बहुत अधिक महत्वपर्ण
इससे ब्रिटिश दमन से भी बचा जा सकेगा।
ु ी है । अतः किसी भी
ू होता है और
LI
ब्रिटिश सरकार की घोषणा

● तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड लॉयड जार्ज


K

● यद्
ु ध के बाद भारतीयों को आत्मनिर्णयन का अधिकार दिया जाएगा
● क्योंकि ब्रिटिश सरकार भारतीयों का यद्
ु ध में सहयोग प्राप्त करना चाहती
थी
M

● इसी क्रम में 1915 में बाल गंगाधर तिलक और एनीबीसेंट के द्वारा
होमरूल आंदोलन प्रारं भ

होमरूल लीग

● एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन


● स्वशासन (डोमिनियन) की मांग

आंदोलन प्रारम्भ होने के उत्तरदायी कारक

● सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए दबाव डालना आवश्यक

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● मार्ले-मिंटो सध
ु ार
● प्रथम विश्व यद्
ु ध की क्षतिपर्ति
ू के लिये भारतीयों पर भारी कर + महं गाई
● यद्
ु ध के पश्चात ् श्वेतों की अजेयता का भ्रम टूटना
● जन
ू 1914 में बाल गंगाधर तिलक जेल से रिहा ⇒ सअ
ु वसर की तलाश
● 1896 में आयरलैण्ड की थियोसोफिस्ट महिला ऐनी बेसट
ें का भारत आना

Note

● 1915 से 1916 के मध्य दो होम रूल लीगों की स्थापना


● 'पण
ु े होम रूल लीग' की स्थापना ⇒ बाल गंगाधर तिलक

E
● 'मद्रास होमरूल लीग' की स्थापना ⇒ एनी बेसट
ें
● तिलक तथा एनी बेसट
ें ने आपसी टकराव की संभावना को दरू करने के
लिये पथ
ृ क-पथ
ृ क लीग स्थापित करने का निर्णय लिया

तिलक की होमरूल लीग V


● अप्रैल 1916 में स्थापना
LI
● पहली होमरूल मीटिंग बेलगाम में
● मख्
ु यालय : पन
ू ा
● शाखायें : महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रांत एवं बरार
K

● छः शाखाओं में संगठित

बेसट
ें की होमरूल लीग
M

● सितम्बर, 1916 में मद्रास (अब चेन्नई) में स्थापना


● लगभग परू े भारत में शाखायें (200 +)
● लीग का संगठन सचिव : जार्ज अरूंडेल
● बी.एम. वाडिया एवं सी. पी. रामास्वामी अय्यर की भी भमि
ू का

होमरूल लीग आंदोलन के कार्यक्रम

● भारतीयों में राजनीतिक शिक्षा

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● प्रमख
ु राष्ट्रवादी नेताओं ने लीग की सदस्यता ग्रहण की : मोतीलाल नेहरू,
जवाहरलाल नेहरू, भल
ू ाभाई दे साई, चितरं जन दास, के.एम. मंश
ु ी, बी.
चक्रवर्ती, सैफुद्दीन फिचल,ू मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना,
तेज बहादरु सप्रू एवं लाला लाजपत राय

परिणाम

● जन
ू 1917 में एनी बेसट
ें एवं उनके सहयोगी बी.पी. वाडिया एवं जार्ज
अरुं डेल गिरफ्तार
● सर एस. सब्र
ु ह्मण्यम अय्यर ⇒ अपनी 'सर' की उपाधि त्याग दी

E
● तिलक ⇒ सरकारी दमन के विरोध में अहिंसात्मक प्रतिरोध कार्यक्रम
प्रारम्भ करने की वकालत
● 20 अगस्त 1917 को भारत सचिव मांटेग्यू के माध्यम से ब्रिटिश सरकार
ने की घोषणा ⇒ यद्V
ु ध के बाद भारत में स्वायत्त संस्थाओं के क्रमिक
विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी।
LI
आंदोलन धीमा पड़ने के कारण

● प्रभावी संगठन का अभाव


● उदारवादी सध
ु ारों का आश्वासन दे ने तथा बेसट
ें को जेल से रिहा करने पर
K

ही संतष्ु ट
● बेसट
ें द्वारा आंदोलन को योग्य नेतत्ृ व प्रदान कर पाने की अक्षमता
M

● महात्मा गांधी के उत्थान और सत्याग्रह, अहिंसा, सविनय अवज्ञा को


जनसमर्थन
● गांधीजी ⇒ अप्रैल, 1920 में होमरूल की अध्यक्षता स्वीकार
● अक्टूबर 1920 में बॉम्बे में गांधीजी ने नाम बदलकर 'स्वराज्य सभा कर
दिया

1919 का भारत शासन अधिनियम (मांटेग्य-ू चेम्सफोर्ड)

● शिक्षा, संपत्ति एवं कर के आधार वोट दे ने का अधिकार

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● सिखों, भारतीय ईसाईयों, आंग्ल-भारतीयों के लिए सांप्रदायिक निर्वाचन
● प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा प्रांतों में आंशिक उत्तरदायी सरकार की स्थापना
● प्रांतीय विधानमंडलों में दोहरा शासन अर्थात ् हस्तांतरित और आरक्षित
विषय
● लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान
● राज्यों का बजट केंद्र से अलग

भारतीय राजनीति में गांधीजी का प्रवेश

● गांधीजी 1915 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण

E
गोखले के आमंत्रण पर 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे ।
● इससे पर्व
ू गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों की नस्लवादी नीति के
खिलाफ कुछ सफल आंदोलन कर चक
ु े थे।
V
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी

● 1893 में गांधीजी एक मक


ु दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में
LI
गए। यह मक
ु दमा भारतीय फर्म दादा अब्दल्
ु ला एंड कंपनी से संबंधित था।
● दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान गांधी ने अश्वेतों और भारतीयों के प्रति
नस्लीय भेदभाव को अनभ
ु व किया, जिसके कारण उन्होंने नस्लीय
K

भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया।


● महात्मा गांधी का पहला अहिंसात्मक सत्याग्रह अभियान सितंबर, 1907
M

में किया गया।


● 1907 में ट्रांसवाल एशियाटिक अध्यादे श पारित किया गया, जिसके तहत
सभी भारतीयों को अफ्रीका में अपनी पहचान का पंजीकरण करवाना
अनिवार्य था।
● 1913 में दक्षिण अफ्रीका के सप्र
ु ीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय के द्वारा उन
सभी शादियों को रद्द घोषित कर दिया जो कि ईसाई धर्म विधि से नहीं हुई
थी और जिनका विवाह कार्यालय में पंजीकरण नहीं हुआ था।

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● दस
ू रे शब्दों में इस निर्णय के द्वारा समस्त हिन्द-ू मस्लि
ु म और पारसी
शादियाँ अवैध हो गयी और इस प्रकार इन शादियों से उत्पन्न संतान भी
अवैध हो जानी थी।
● 6 नवम्बर, 1913 के दिन गांधी जी ने एक सत्याग्रह यात्रा प्रारं भ की।
अंततः निर्णय को सप्र
ु ीम कोर्ट ने वापिस ले लिया।

कांग्रेस का गांधीवादी चरण (1919-1947)

गांधीजी के प्रारं भिक क्षेत्रीय आंदोलन

● चंपारण आंदोलन (1917)

E
● अहमदाबाद मिल आंदोलन (1918)
● खेडा आंदोलन (1918)

V
चंपारण का सत्याग्रह (1917)

● सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारण जिले में 1917 में
LI
● ज़मीन के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना : तिनकाठिया
पद्धति
● 19वीं सदी के अंत में जर्मनी में रासायनिक रं गों (डाई) का विकास हो गया,
K

जिसने नील को बाजार से प्रतिस्थापित कर दिया।


● फलतः नील की खेती घाटे का सौदा बन चक
ु ी थी।
● राजकुमार शक्
ु ल का गांधीजी को चम्पारण बल
ु ाने का फैसला;
M

● गांधीजी, राजेंद्र प्रसाद, मज़हरुल-हक, जे. बी. कृपलानी, नरहरि पारिख


और महादे व दे साई

अहमदाबाद मजदरू ों की हड़ताल (1918)

● अहमदाबाद में मजदरू ों और मिल मालिक विवाद


● मज़दरू ों को मज़दरू ी में 35 प्रतिशत वद्
ृ धि की मांग
● आमरण अनशन
● मिल मालिक मज़दरू ी 35% बढ़ाने पर सहमत

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खेड़ा सत्याग्रह (1918)

● गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की फसल चौपट


● सरकार ने लगान छोड़ने से इनकार कर दिया
● सरदार पटे ल किसान-संघर्ष के दौरान गांधीजी के अनय
ु ायी बने

खिलाफत आंदोलन

V E
LI
● तर्की
ु का सल्
ु तान मस
ु लमानों का धार्मिक गुरू
● प्रथम विश्वयद्
ु ध में तर्की
ु द्वारा जर्मनी का साथ
K

● तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लायड जार्ज ⇒ भारतीय मस


ु लमानों को झूठा
आश्वासन
M

● किंतु यद्
ु ध के बाद वर्साय की संधि (1919) द्वारा तर्की
ु का विभाजन
● मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली द्वारा अखिल भारतीय खिलाफत
समिति का गठन

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

● गांधीजी कांग्रेस को मस
ु लमानों का समर्थन करना चाहिए
● क्योंकि खिलाफत के मद्
ु दे पर हिंद-ू मस्लि
ु म एकता
● किंतु तिलक इसके विरूद्ध

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● क्योंकि खिलाफत एक धार्मिक मद्
ु दा
● किंतु इसी बीच तिलक की मत्ृ यु
● गांधीजी द्वारा अखिल भारतीय खिलाफत समिति की अध्यक्षता (1919)
● असहयोग एवं बहिष्कार की रणनीति का समर्थन

खिलाफत आंदोलन की असफलता

● 1922 में तर्की


ु का सल्
ु तान सत्ता से वंचित
● मस्
ु तफा कमाल पाशा तर्की
ु का नया सल्
ु तान
● प्रगतिशील विचारों का समर्थक

E
● तर्की
ु एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित
● अतः खलीफा का मद्
ु दा अप्रासंगिक

खिलाफत आंदोलन

सकारात्मक पक्ष
V
LI
● व्यापक जनभागीदारी
● हिंद-ू मस्लि
ु म एकता का प्रदर्शन

नकारात्मक पक्ष
K

● धार्मिक आधार पर आंदोलन का संचालन


● हिंद-ू मस्लि
ु म वैचारिक अंतराल
● मस
ु लमानों में कांग्रेस के प्रति नकारात्मक धारणा विकसित
M

● अंग्रेजों द्वारा इस धारणा को और पोषित

रौलट एक्ट, 1919

जस्टिस सिडनी रौलट समिति की सिफारिशों के आधार पर / Based on the


recommendations of the Justice Sydney Rowlatt Committee

● अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम, 1919


● राजद्रोह के आधार पर बिना मक
ु दमा चलाए गिरफ्तारी का प्रावधान

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● राजद्रोह संबंधी सामग्री के प्रकाशन पर भी रोक
● घोषित लक्ष्य : आतंकवादी गतिविधियों को रोकना
● मल
ू उद्दे श्य : राष्ट्रवादी आंदोलन का कुचलना

जलियांवाला बाग हत्याकांड, 1919

● 6 अप्रैल 1919
● अमत
ृ सर के लोकप्रिय नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. किचलू की गिरफ्तारी
तथा रौलट एक्ट के विरोध शांतिपर्ण
ू आंदोलन

E
● जनरल डायर
● अंग्रेजी सरकार द्वारा हं टर कमेटी का गठन

V
● रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी 'नाइट' की उपाधि लौटा दी
● उधम सिंह (अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद) ⇒ लेफ्टिनेंट गवर्नर
माइकल ओ डायर की हत्या ⇒ 1940 में फांसी
LI
हं टर आयोग / डिस ्ऑर्डर इंक्वायरी कमेटी

● 14 अक्टूबर, 1919
K

● भारत सचिव एडविन मांटेग्यू द्वारा गठन


● अध्यक्ष : विलियम हं टर (स्कॉटलैंड के भत
ू पर्व
ू सॉलिसिटर जनरल और
कॉलेज ऑफ जस्टिस के सीनेटर)
M

● तीन भारतीय भी सदस्य ⇒ चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ा, पंडित जगत


नारायण, सल्
ु तान अहमद खान
● कांग्रेस द्वारा मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में एक गैर-आधिकारिक
समिति

असहयोग आंदोलन

● सितम्बर 1920 ⇒ कलकत्ता के कांग्रेस के विशेष अधिवेशन


● अध्यक्ष : लाला लाजपत राय

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● ब्रिटिश सरकार के साथ असहयोग का प्रस्ताव
● पहली बार भारत में विदे शी शासन के विरुद्ध सीधी कार्यवाही करने का
प्रस्ताव पारित
● आन्दोलन का उद्दे श्य सरकार के साथ सहयोग न करके कार्यवाही में बाधा
उपस्थित करना
● दिसंबर, 1920 ⇒ नागपरु कांग्रेस अधिवेशन ⇒ असहयोग और स्वराज्य
लक्ष्य के रूप में स्वीकार

असहयोग आंदोलन का क्रियान्वयन

E
● गांधीजी एवं अली बंधओ
ु ं (मौलाना शौकत अली & मौलाना मोहम्मद अली)
द्वारा राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान
● विदे शी कपड़े एवं प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन का बहिष्कार
● ताड़ी की दक V
ु ान पर धरना
● तिलक स्वराज कोष ⇒ 1 करोड़ से भी अधिक धन इकठ्ठा
LI
चौरी-चौरा कांड (4 फरवरी 1922)

● मार्च, 1922 में गांधीजी गिरफ्तार


● गांधीजी को 6 वर्ष के कारावास की सजा
K

● किंतु स्वास्थ्य संबंधी कारणों से गांधीजी को फरवरी, 1924 में रिहा


● गांधीजी द्वारा आंदोलन स्थगित
M

स्वराज दल

● 1923 में इलाहाबाद में ‘स्वराज दल’ की स्थापना


● सितंबर, 1923 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन
● स्वराज पार्टी को कांग्रेस द्वारा मान्यता
● उद्दे श्य : विधानमंडलों में प्रवेश कर असहयोग की नीति को लागू करना
● 1923 में हुए चन
ु ावों में स्वराज दल को अत्यधिक सफलता
● केंद्रीय विधानमंडल में स्वराज दल के नेता मोतीलाल नेहरू

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● द्वैध शासन की जांच के लिए अलेक्जेंडर मड्
ु डिमैन की अध्यक्षता में एक
समिति
● 1925 में चितरं जन दास मंश
ु ी की मत्ृ यु के कारण स्वराज दल कमजोर

साइमन कमीशन

● सात ब्रिटिश सांसदो का समह



● गठन : 8 नवंबर 1927
● भारत में संविधान सध
ु ारों के अध्ययन के लिए गठन
● कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन

E
● तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टे नली बाल्डविन (कंजर्वेटिव पार्टी)
● सभी सदस्य अंग्रेज
● लाहौर ⇒ लाला लाजपत राय ⇒ लाठीचार्ज
V
● भगत सिंह, चंद्रशेखर जैसे क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की
हत्या
LI
साइमन कमीशन का विरोध करने वाले संगठन

कांग्रेस, किसान मजदरू पार्टी, लिबरल फेडरे शन, हिंद ू महासभा, मस्लि
ु म लीग
K

साइमन कमीशन की रिपोर्ट

● जन
ू , 1930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित
● भारत में संघीय व्यवस्था
M

● प्रांतों में द्वैध शासन समाप्त


● प्रांतों के गवर्नरों को विशेष शक्तियां
● कम से कम 10 या 15% जनसंख्या को वोट दे ने का अधिकार
● सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को कायम रखा जाए
● हर दस वर्ष बाद भारत की संवध
ै ानिक प्रगति की जांच की पद्धति को
समाप्त
● लचीला संविधान निर्मित किया जाना चाहिए जो स्वतः विकसित हो

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नेहरू रिपोर्ट

● मई, 1928 में सर्वदलीय सम्मेलन


● भारत के भावी संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय
समिति नियक्
ु त
● अली इमाम, बोस, एम.एस.एनी, मंगल सिंह, शोएब कुरै शी, जी.आई.
प्रधान तथा तेज बहादरु सप्रू
● अगस्त, 1928 को रिपोर्ट प्रस्तत

नेहरू रिपोर्ट की प्रमख


ु बातें

E
● तात्कालिक रूप से भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाए।
● केंद्र एवं प्रांतों में पर्ण
ू उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जाए।

V
● गवर्नर जनरल तथा गवर्नरों की कार्यकारिणी (वर्तमान कार्यपालिका) को
विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनाया जाए।
● भारत में संघीय व्यवस्था लागू की जाए और संघीय आधार पर शक्तियों
LI
का केंद्र और प्रांतों में विभाजन किया जाए।
● अवशिष्ट शक्तियां केंद्र सरकार को सौंपी जाए।
● अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए गारं टी प्रदान की जाए
K

(एक प्रकार से मल
ू अधिकार)
● केंद्रीय विधानमंडल के रूप में संसद का गठन किया जाए, जिसमें ब्रिटे न
M

का सम्राट तथा दो अन्य सदन हों।


● भारत सरकार की विधायी शक्तियाँ संसद के पास रहें ।
● प्रतिनिधि सभा (निम्न सदन) तथा प्रांतीय विधानसभाओं का चन
ु ाव
व्यस्क मताधिकार पर किया जाए
● प्रत्येक उस व्यक्ति को मत दे ने का अधिकार हो, जिसकी आयु 22 वर्ष हो
तथा जो किसी कानन
ू के अधीन मतदान करने के लिए अयोग्य घोषित न
किया गया हो।

नेहरू रिपोर्ट को ब्रिटिश सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया

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● नेहरू रिपोर्ट पर ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
● भारत अभी डोमिनियन स्टे टस अथवा स्वराज्य के लिए परू ी तरह से तैयार
नहीं

दिसंबर, 1928 कलकत्ता अधिवेशन

● ब्रिटिश सरकार 31 दिसंबर, 1929 तक इस रिपोर्ट को स्वीकार कर नहीं


करती है तो कांग्रेस द्वारा औपनिवेशिक स्वराज्य के बजाय ‘पर्ण
ू स्वतंत्रता’
की मांग प्रस्तत

● कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारं भ कर दे गी

E
पर्ण
ू स्वाधीनता का प्रस्ताव

● दिसंबर, 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन; अध्यक्ष पं. जवाहरलाल


नेहरू
● पर्ण
V
ू स्वाधीनता का प्रस्ताव पारित
● 26 जनवरी, 1930 ⇒ लाहौर में रावी नदी ⇒ कांग्रेस के सदस्यों द्वारा
LI
पर्ण
ू स्वाधीनता की शपथ

सविनय अवज्ञा आंदोलन


K

● फरवरी 1930 ⇒ महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आंदोलन शरू


ु करने
की बागडोर
● आंदोलन शरू
ु करने से पहले अंतिम रूप से गांधीजी की लार्ड इरविन के
M

सामने 11 मांगे

सामान्य हित से संबंधित मद्


ु दे

1. सिविल सेवाओं तथा सेना के व्यय में 50% तक की कमी

2. नशीली वस्तओ
ु ं के विक्रय पर पर्ण
ू रोक

3. गप्ु तचर विभाग (CID) पर सार्वजनिक नियंत्रण

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4. शस्त्र कानन
ू में परिवर्तन + भारतीयों को आत्मरक्षा हे तु हथियार रखने का
लाइसेंस

5. सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए

6. डाक आरक्षण बिल पास किया जाए

विशिष्ट बर्जु
ु आ वर्ग की मांगें

7. रुपये की विनिमय दर घटाई जाए

8. रक्षात्मक शल्
ु क लगाए जाए तथा विदे शी कपड़ों का आयात नियंत्रित

E
9. तटीय यातायात रक्षा विधेयक पास किया जाए

किसानों से संबंधित

10. लगान में 50% की कमी


V
11. नमक कर एवं नमक पर सरकारी एकाधिकार से समाप्त
LI
सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमख
ु कारण

● नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया जाना


● गांधी जी की मांगों को अस्वीकार करना
K

● क्रांतिकारियों की बढ़ती हिंसक गतिविधियां भी एक कारण


● चौरी-चौरा कांड के बाद आई राजनीतिक हताशा को दरू करना
M

आंदोलन का प्रारं भ ⇒ दांडी मार्च

● 12 मार्च, 1930 से 6 अप्रैल, 1930 तक


● नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के विरूद्ध कर प्रतिरोध और अहिंसक विरोध
के प्रत्यक्ष कार्रवाई अभियान के रूप में
● 12 मार्च को साबरमती से अरब सागर (दांडी के तटीय शहर तक) तक यात्रा
● 6 अप्रैल, 1930 को दांडी में गांधी जी ने सांकेतिक रूप से नमक कानन

तोड़ा

आंदोलन का कार्यक्रम

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● नमक कानन
ू तथा ब्रिटिश कानन
ू ों का उल्लंघन
● कानन
ू ी अदालतों, सरकारी स्कूलों, कॉलेजों एवं सरकारी समारोहों का
बहिष्कार करना
● भ-ू राजस्व, लगान तथा अन्य करों की अदायगी पर रोक
● शराब तथा अन्य मादक पदार्थों की दक
ु ानों पर शांतिपर्ण
ू धरना
● विदे शी वस्तए
ु ं एवं कपड़ों का बहिष्कार
● सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र

आंदोलन की प्रगति

E
● सरोजिनी नायडू द्वारा बंबई से धरसना पर 2,500 लोगों का नेतत्ृ व
● अमेरिकी वेब मिलर द्वारा घटना का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन
● तमिलनाडु में सी. राजगोपालाचारी द्वारा नमक यात्रा
V
● मालाबार में के. केलप्पड़ द्वारा नमक यात्रा
● उड़ीसा में गोपचंद्र बंधु चौधरी के नेतत्ृ व में बालासोर, कटक और परु ी में
LI
आंदोलन
● खान अब्दल
ु खां के नेतत्ृ व में गठित खद
ु ाई खिदमतगार या लाल कुर्ती
आंदोलन
K

● बिहार में चौकीदारी नामक कर की अदायगी नहीं का आंदोलन

गांधी-इरविन समझौता
M

● 5 मार्च 1931 को
● तेज बहादरु सप्रू तथा एम. आर. जयकर की महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
● लंदन द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के पर्व

● महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के बीच
● एक राजनैतिक समझौता

समझौते के प्रमख
ु बिंद ु

● सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई

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● भारतीयों को समद्र
ु किनारे नमक बनाने का अधिकार
● शराब तथा विदे शी कपड़ों की दक
ु ानों पर धरने का अधिकार
● कांग्रेस द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित
● द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी पर सहमति
● ब्रिटिश समान का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार नहीं

कांग्रेस का कराची अधिवेशन, 1931

● अध्यक्ष : वल्लभभाई पटे ल


● गांधी-इरविन समझौते को अनम
ु ोदित

E
प्रथम गोलमेज सम्मेलन

● (नवंबर 1930 - जनवरी 1931) पहली ऐसी वार्ता, जिसमें ब्रिटिश शासकों

बहिष्कार; मस्लि
लिया

V
द्वारा भारतीयों को बराबर का दर्जा; कांग्रेस द्वारा सम्मेलन का
म लीग, हिन्द ू मह्रासभातथा भारतीय रजवाड़ों ने में भाग
LI
● सम्मेलन में सम्मिलित सभी दलों के प्रतिनिधि केवल अपने व्यक्तिगत
हितों के पोषण में प्रयासरत ⇒ प्रथम गोलमेज सम्मेलन निरर्थक
K

दस
ू रा गोलमेज सम्मेलन

● 7 सितम्बर, 1931 से 1 दिसम्बर, 1931 तक गाँधी जी आधिकारिक रूप


से कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि सांप्रदायिक समस्या के कारण यह
M

सम्मेलन भी निरर्थक
● सम्मेलन में सम्मिलित सभी दलों के प्रतिनिधि केवल अपने व्यक्तिगत
हितों के पोषण में प्रयासरत ⇒ प्रथम गोलमेज सम्मेलन निरर्थक

तत
ृ ीय गोलमेज सम्मेलन

● 17 नवम्बर 1932 से 24 दिसम्बर 1932 तक ब्रिटे न की लेबर पार्टी और


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भाग नहीं लिया जिन्ना ने हिस्सा नहीं लिया

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● भीम राव अम्बेडकर, तेज बहादरु सप्रू और बीकानेर महाराजा गंगा सिंह ने
तीनो सम्मेलनो मे भाग लिया।
● तीनों गोलमेज सम्मेलनों की सिफारिशों के आधार (सैमअ
ु ल होअर के
पर्यवेक्षण में ) पर एक श्वेत पत्र जारी
● श्वेत पत्र पर विचार करने के लिए लॉर्ड लिनलिथगो की अध्यक्षता में
ब्रिटिश संसद द्वारा एक संयक्
ु त समिति गठित
● लिनोलिथो की सिफारिशों में कुछ संशोधन कर 1935 का भारत सरकार
अधिनियम पारित

1935 का भारत शासन अधिनियम

E
● अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान
● लिखित रूप से केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन
V
● प्रांतों में द्वैध शासन की समाप्ति
● प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना
LI
● प्रांतों में द्विसदनीय विधायिका

सांप्रदायिक पंचाट, 1932

● ब्रिटिश प्रधानमंत्री रै म्जे मैक्डोनल्ड


K

● 16 अगस्त, 1932
● साम्प्रदायिक निर्णय
M

● दलितों के लिए पथ
ृ क निर्वाचन का प्रावधान
● गांधीजी द्वारा पन
ू ा की यरवदा जेल से आमरण अनशन प्रारं भ

1928 में साइमन कमीशन ने भी माना था कि भारत के शोषित समाज को शासन


में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

पन
ू ा समझौता, 1932

● 26 सितम्बर, 1932
● गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के मध्य

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● मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और सी. गोपालाचारी के प्रयासों
से
● दलितों के लिए पथ
ृ क निर्वाचन प्रणाली को अंबेडकर द्वारा अस्वीकार
● किंतु विधानमंडल में दलितों के लिए कुछ स्थानों का आरक्षण

व्यक्तिगत सत्याग्रह (अक्टूबर 1940)

● 1940 के अंत में कांग्रेस ने एक बार पन


ु ः गांधीजी से कमान संभालने का
आग्रह
● व्यक्तिगत आधार पर सीमित सत्याग्रह प्रारम्भ करने का निश्चय

E
● 17 अक्टूबर 1940 को विनोबा भावे पहले सत्याग्रही; जवाहरलाल नेहरू
दस
ू रे
● इसी बीच 1942 में क्रिप्स मिशन भारत भेजा

क्रिप्स प्रस्ताव, 1942 V


● कैबिनेट मंत्री ⇒ सर स्टै फोर्ड क्रिप्स
LI
● भारत को पर्ण
ू स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टे ट्स का दर्जा
● एक भारतीय संघ की स्थापना
● नए संविधान के निर्माण हे तु संविधान निर्मात्री परिषद का गठन
K

● दे शी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन की जगह मनोनयन की


व्यवस्था,
M

● प्रांतों को भारतीय संघ में सम्मिलित होने अथवा पथ


ृ क होने की स्वतंत्रता

क्रिप्स मिशन क्यों असफल ?

● पर्ण
ू स्वराज्य के स्थान पर डोमिनियन स्ट्टे स
● मस्लि
ु म लीग द्वारा भी अस्वीकार, क्योंकि अलग दे श के गठन की मांग
अस्वीकृत
● गांधीजी ⇒ क्रिप्स प्रस्ताव पोस्ट डेटड चैक

भारत छोड़ो आंदोलन

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● द्वितीय विश्वयद्
ु ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ
● उद्दे श्य : भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना
● गांधीजी द्वारा करो या मरो का नारा

एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको दे ता हूँ। इसे आप अपने ह्रदय में अंकित कर लें
और अपनी हर सांस में उसे अभिव्यक्त करें । यह मंत्र है - ‘करो या मरो’। अपने
इस प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करें गे या फिर जान दे दें गे।

भारत छोड़ो आंदोलन के कारण

● क्रिप्स प्रस्तावों की असफलता

E
● भारत पर जापान के आक्रमण का भय
● सिंगापरु तथा बर्मा में ब्रिटे न की पराजय

● द्वितीय विश्वयद् V
● भारतीय शरणार्थियों से अंग्रेजों द्वारा प्रजातीय भेदभाव
ु ध के कारण मध्यम वर्ग में असंतोष

अंग्रेजों भारत को जापान के लिए मत छोड़ो बल्कि भारत को भारतीयों के लिए


LI
छोड़ दो।

भारत छोड़ो प्रस्ताव


K

● 14 जल
ु ाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा प्रस्ताव पारित
● 8 अगस्त 1942 को बंबई बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पारित
● इसलिए भारत छोड़ो आंदोलन का अन्य नाम: अगस्त प्रस्ताव
M

● लक्ष्य : भारत से ब्रिटिश साम्राज्‍य को समाप्त करना


● तत्कालीन गवर्नर जनरल : लिनलिथगो

भारत छोड़ो आंदोलन की असफलता के कारण

● आंदोलन से पर्व
ू ही बड़े कांग्रेसी नेता गिरफ्तार
● इसलिए आंदोलन की सस्
ु पष्ट रूपरे खा और कार्यक्रम नहीं
● हालांकि स्वाभाविक रूप से आंदोलन एक जनांदोलन
● कांग्रेस को छोड़कर किसी दल की हिस्सेदारी नहीं

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● श्रमिक वर्ग की हिस्सेदारी का अभाव

● हालांकि भारत छोडो आंदोलन अपने पर्ण


ू स्वतंत्रता के निर्धारित लक्ष्य को
प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाया तथा सांगठनिक नेतत्ृ व, पर्व
ू निर्धारित
योजना, आंदोलनकारियों में एकता तथा प्रमख
ु राजनीतिक दलों के
सहयोग के अभाव के कारण यह आंदोलन असफल हो गया।
● किंतु इसके बावजद
ू इस आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश सरकार पर भारत
को स्वतंत्र करने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनने लगा, जो संभवतः इस

E
आंदोलन की सबसे बडी उपलब्धि थी।

वेवल योजना (1945)

V
● 1943 में भारत का वायसराय वेवल
● 1945 में वेवल द्वारा एक योजना प्रस्तत
ु : वेवल योजना
○ सभी प्रांतों में उत्तरदायी सरकारें स्थापित की जाएगी
LI
○ भारत का संविधान स्वंय भारतीय बनाएंगे

शिमला सम्मेलन (1945)


K

● योजना पर चर्चा करने के लिए वेवल द्वारा कांग्रेस तथा मस्लि


ु म लीग का
एक सम्मेलन
● कांग्रेस द्वारा योजना स्वीकार, क्योंकि भारतीयों का संविधान स्वयं
M

भारतीय द्वारा
● मस्लि
ु म लीग द्वारा योजना अस्वीकार क्योंकि पाकिस्तान के गठन का
उल्लेख नहीं

ब्रिटे न में सत्ता का परिवर्तन तथा भारत में चन


ु ाव (1945)

● 1945 में ब्रिटे न में आम चन


ु ावों में मजदरू दल (सध
ु ारवादी) को बहुमत
● चर्चिल के स्थान पर एटली ब्रिटे न के प्रधानमंत्री
● भारत में भी 1945 के अंत में केंद्रीय विधानसभा के चन
ु ाव

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● कांग्रेस को सामान्य सीटों तथा लीग को मस
ु लमानों के लिए आरक्षित
स्थानों पर जीत

सैनिक विद्रोह

● औपनिवेशिक शासन के विरूद्ध आक्रोश एवं राष्ट्रवाद की भावना सेना


तक भी
● भारतीय नौ-सेना तथा वायु सेना के एक भाग द्वारा विद्रोह (1945)
● फरवरी, 1946 ⇒ रॉयल इंडियन नेवी सैनिकों के द्वारा भख
ू हड़ताल
● इस हड़ताल का एक अन्य नाम : स्लो डाउन

E
● अर्थात ् नौसैनिक अपने कार्यों को धीरे -धीरे परू ा करें गे

कैबिनेट मिशन (1946)

V
● तीन सदस्य पैथिक लारे न्स, सर स्टे फोर्ड क्रिप्स तथा एलेक्जेण्डर
○ भारत में संवध
ै ानिक सध
ु ारों की रूपरे खा निर्मित करना
○ केन्द्र में एक अस्थायी सरकार की स्थापना करना
LI
कैबिनेट मिशन योजना की प्रमख
ु बातें

● भारत एक संघ ⇒ ब्रिटिश भारत के सभी प्रांत + भारत की दे शी रियासतें


K

● प्रांतों को पर्ण
ू स्वायत्तता
● विदे शी मामले, प्रतिरक्षा तथा संचार केन्द्रीय सरकार के अधीन
● अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित
M

● भारत के भावी संविधान का निर्माण करने के लिए एक संविधान सभा का


गठन
● संविधान सभा का गठन प्रांतीय विधान सभाओं तथा दे शी रियासतों के
प्रतिनिधियों के द्वारा

कांग्रेस एवं मस्लि


ु म लीग की प्रतिक्रिया

● कांग्रेस द्वारा कैबिनेट मिशन की योजना स्वीकार


● क्योंकि उत्तरदायी सरकार की स्थापना की बात

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● पाकिस्तान के गठन की मांग अस्वीकार
● मस्लि
ु म लीग द्वारा मिशन की योजना स्वीकार
● क्योंकि केंद्र सरकार में भागीदारी का अवसर प्राप्त
● केवल कांग्रेस द्वारा केंे द्र में सरकार बनाना लीग के हितों के विपरीत

अंतरिम सरकार, 1946

● मस्लि
ु म लीग के प्रतिनिधि : लियाकत अली (वित्त मंत्री)
● किंतु लीग और कांग्रेस में मतभेद
● अतः 16 अगस्त, 1946 लीग द्वारा सीधी कार्यवाही का निश्चय

E
● ताकि पाकिस्तान के गठन की मांग को स्वीकृत करवाया जा सके
● बंगाल में लीग के मख्
ु यमंत्री सह
ु ारवर्दी द्वारा इस दिन छुट्टी घोषित
● ब्रिटिश सरकार द्वारा लीग को अप्रत्यक्ष सहयोग और समर्थन

एटली की घोषणा (1947)


V फलस्वरूप सांप्रदायिक दं गे
LI
● भारत में बढते सांप्रदायिक दं गों तथा अंतर्राष्ट्रीय दबाव के मद्दे नजर
ब्रिटे न के प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी, 1947 को घोषणा कि
K

● जन
ू 1948 तक ब्रिटिश सरकार भारत को आजाद कर दे गी।

माउण्टबेटन योजना अथवा भारत के विभाजन की योजना

● लार्ड माउं टबेटन ने भारत आने के बाद अनभ


ु व किया कि कांग्रेस संयक्
ु त
M

भारत चाहती है । मस्लि


ु म लीग विभाजित भारत (पाकिस्तान) चाहती है ,
अतः दोनों में समझौता असंभव है ।
● दे श में सांप्रदायिक वातावरण बहुत की खराब हो चक
ु ी थी। परू े दे श में
जगह-जगह पर हिन्द-ू मस्लि
ु म दं गे हो रहे थे।
● गांधीजी द्वारा भारत के विभाजन की सहमति दे ने के बाद माउं टबेटन ने 3
जन
ू , 1947 को भारत विभाजन की योजना प्रकाशित कर दी, जिसे
माउं टबेटन योजना कहते हैं।

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मैं विभाजन का आरं भ से ही विरोधी रहा हूँ, किन्तु अब परिस्थिति ऐसी उत्पन्न
हो गई है , कि दस
ू रा कोई रास्ता नहीं है ।

जब अंतरिम सरकार में आने के बाद मझ


ु े यह पर्ण
ू अनभ
ु व हो गया कि राजनैतिक
विभाग के षड्यंत्रों द्वारा भारत के हितों को बङी हानि पहुँच रही है , तो मझ
ु े
विश्वास हो गया कि, जितनी जल्दी हम अंग्रेजों से छुटकारा पा लें उतना ही
अच्छा है /

भारत शासन अधिनियम, 1947

E
● वायसराय केंद्र का जबकि राज्यों के गवर्नरों को राज्य का संवध
ै ानिक
प्रमख
ु घोषित
● संवध
ै ानिक प्रमख
करें गे
V
ु मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह के अनस

● भारत पर ब्रिटिश संप्रभत्त


ु ा की समाप्ति की घोषणा
ु ार कार्य
LI
● भारत तथा पाकिस्तान नामक दो संप्रभु राज्यों के गठन का प्रावधान

भारतीय स्वतंत्रता में सहायक तत्व


K

● राष्ट्रवादी आंदोलनों का प्रभाव


● ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सैनिक विद्रोह
● कांग्रेस द्वारा भारत-विभाजन की मांग स्वीकार करना
M

● ब्रिटे न की आर्थिक स्थिति कमजोर होना


● ब्रिटे न में लेबर पार्टी की उदारवादी सरकार
● चीन जैसे दे शों का अंतर्राष्ट्रीय दबाव

दे शी राज्यों के प्रति कंपनी एवं ब्रिटिश सरकार की नीति

1. सरु क्षित घेरे की नीति (1757-1813)

2. अधीनस्थ अलगाव की नीति (1813-1858)

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3. अधीनस्थ एकीकरण की नीति (1858-1906)

4. अधीनस्थ सहयोग की नीति (1906-1947)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन

V E
LI
K
M

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V E
LI
K
M

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V E
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K
M

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V E
LI
K
M

● पहला अधिवेशन 1885 में , व्योमेश चंद्र बनर्जी द्वारा अध्यक्षता


● पहले मस्लि
ु म अध्यक्ष : बदरुद्दीन तैय्यबजी 1887 में मद्रास अधिवेशन

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● कांग्रेस के पहले ब्रिटिश अध्यक्ष : जॉर्ज यल
ू , 1888 में इलाहाबाद
अधिवेशन
● 1896 कलकत्ता अधिवेशन, अध्यक्ष : रहीमतल्
ु ला सयानी, पहली बार
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम
● 1901 कलकत्ता अधिवेशन, अध्यक्ष : डी. ई. वाचा., गांधीजी की पहली
उपस्थिति
● 1907 का सरू त अधिवेशन, अध्यक्षत रास बिहारी घोष, कांग्रेस का
विभाजन
● 1901 का कलकत्ता अधिवेशन, अध्यक्ष बी. एन. धर, पहली बार

E
जन-गण-मन का गायन
● 1916 का लखनऊ अधिवेशन, अध्यक्ष ए. सी. मजम
ू दार, कांग्रेस तथा लीग
एकीकरण
V
● 1917 का कलकत्ता अधिवेशन, पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसट
ें
LI
● 1924 का बेलगाम अधिवेश, गांधीजी की अध्यक्षता में एकमात्र अधिवेशन
● 1925 का कानपरु अधिवेशन, पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी
नायडु
● 1937 का फैजपरु अधिवेशन, गांव में होने वाला पहला अधिवेशन, अध्यक्ष
K

जवाहर लाल नेहरू


● 1941 से 1945 तक कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं, क्योंकि राजनीतिक
M

उत्तेजना का दौर
● 1946 का मेरठ अधिवेशन, अध्यक्ष जे. बी. कृपलानी, स्वतंत्रता से पर्व
ू का
अंतिम अधिवेशन

ब्रिटिश काल में प्रमख


ु समाचार पत्र

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V E
LI
K
M

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E
प्रमख
ु पस्
ु तकें

महात्मा गांधी की प्रमख

● सत्य के प्रयोग
V
ु पस्
ु तकें
LI
● रामनाम
● मेरे सपनों का भारत
● दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
● गीता बोध
K

● हिंद स्वराज
● Songs from Prisons
M

जवाहर लाल नेहरू की प्रमख


ु पस्
ु तकें

● पिता के पत्र : पत्र


ु ी के नाम
● विश्व इतिहास की झलक
● मेरी कहानी
● राजनीति से दरू
● इतिहास के महापरु
ु ष
● राष्ट्रपिता

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डॉ. अंबेडकर की प्रमख
ु पस्
ु तकें

● मल
ू नायक (साप्ताहिक)
● बहिष्कृत भारत (साप्ताहिक)
● भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
● भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
● ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
● रुपये की समस्या: उद्भव और समाधान
● ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्यद
ु य

E
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रमख
ु पस्
ु तकें

● बापू के कदमों में बाबू


● इण्डिया डिवाइडेड
V
● सत्याग्रह ऐट चम्पारण
● गांधी जी की दे न
LI
● भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र

नेता जी सभ
ु ाष चंद्र बोस
K

● जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में


● पिता : जानकीनाथ बोस
● माता : प्रभावती दत्त बोस
M

● बोस की जयंती 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाई जाती है ।


● विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना
आध्यात्मिक गुरु मानते थे।
● राजनीतिक गरु
ु चितरं जन दास
● वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरं जन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित
समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार संभाला।
● उन्होंने बिना शर्त स्वराज (Unqualified Swaraj) अर्थात ् स्वतंत्रता का
समर्थन किया और मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट (Motilal Nehru Report) का

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विरोध किया जिसमें भारत के लिये डोमिनियन के दर्जे की बात कही गई
थी।
● उन्होंने वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष
1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन तथा गांधी-इरविन समझौते
पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया।
● वर्ष 1930 में उन्हें कलकत्ता का मेयर चन
ु ा गया, उसी वर्ष उन्हें अखिल
भारतीय ट्रे ड यनि
ू यन कॉन्ग्रेस (All India Trade Union Congress-
AITUC) का अध्यक्ष भी चन
ु ा गया।
● बोस वर्ष 1938 में हरिपरु ा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

E
● वर्ष 1939 में त्रिपरु ी (Tripuri) में उन्होंने गांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि
सीतारमैय्या (Pattabhi Sitaramayya) के खिलाफ फिर से अध्यक्ष पद
का चन
ु ाव जीता।
V
● उन्होंने एक नई पार्टी 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की।
LI
● इसका उद्दे श्य अपने गह
ृ राज्य बंगाल में राजनीतिक वामपंथ और प्रमख

समर्थन आधार को मज़बत
ू करना था।
● भारतीय राष्ट्रीय सेना
● बोस ने पेशावर और अफगानिस्तान के रास्ते बर्लिन भागने का प्रबंध
K

किया।
● वह जापान से बर्मा पहुँचे और वहाँ भारतीय राष्ट्रीय सेना को संगठित
M

किया ताकि जापान की मदद से भारत को आज़ाद कराया जा सके।


● व्यावहारिक रूप से सैन्य इकाई के रूप में इंडियन नेशनल आर्मी का गठन
1942 में कैप्टे न मोहन सिंह द्वारा प्रारं भ कर दी गयी थी।
● उन्होंने 'जय हिंद' और 'दिल्ली चलो' जैसे प्रसिद्ध नारे दिये।
● बोस ने बर्लिन में स्वतंत्र भारत केंद्र की स्थापना की और यद्
ु ध के लिये
भारतीय कैदियों से भारतीय सेना का गठन किया, जिन्होंने एक्सिस
शक्तियों (धरु ी राष्ट्र- जर्मनी इटली और जापान) द्वारा बंदी बनाए जाने से
पहले उत्तरी अफ्रीका में अंग्रेज़ों के लिये लड़ाई लड़ी थी।

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● आज़ाद हिंद रे डियो का आरं भ नेताजी सभ
ु ाष चन्द्र बोस के नेतत्त्ृ व में 1942
में जर्मनी में किया गया था।
● इस रे डियो का उद्दे श्य भारतीयों को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता प्राप्त करने हे तु
संघर्ष करने के लिये प्रचार-प्रसार करना था।
● इस रे डियो पर बोस ने 6 जल
ु ाई, 1944 को महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' के
रूप में संबोधित किया।
● वर्ष 1945 में ताइवान में विमान दर्घ
ु टनाग्रस्त में उनकी मत्ृ यु
● हालाँकि अभी भी उनकी मत्ृ यु रहस्मयी

भारतीय राजनीति में गांधीजी का प्रवेश

E
● गांधीजी 1915 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण
गोखले के आमंत्रण पर 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे ।
● इससे पर्व V
ू गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों की नस्लवादी नीति के
खिलाफ कुछ सफल आंदोलन कर चक
ु े थे।
LI
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी

● 1893 में गांधीजी एक मक


ु दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में
गए। यह मक
ु दमा भारतीय फर्म दादा अब्दल्
ु ला एंड कंपनी से संबंधित था।
K

● दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान गांधी ने अश्वेतों और भारतीयों के प्रति


नस्लीय भेदभाव को अनभ
ु व किया, जिसके कारण उन्होंने नस्लीय
M

भेदभाव से लड़ने का निर्णय लिया।


● महात्मा गांधी का पहला अहिंसात्मक सत्याग्रह अभियान सितंबर, 1907
में किया गया।
● 1907 में ट्रांसवाल एशियाटिक अध्यादे श पारित किया गया, जिसके तहत
सभी भारतीयों को अफ्रीका में अपनी पहचान का पंजीकरण करवाना
अनिवार्य था।

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● 1913 में दक्षिण अफ्रीका के सप्र
ु ीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय के द्वारा उन
सभी शादियों को रद्द घोषित कर दिया जो कि ईसाई धर्म विधि से नहीं हुई
थी और जिनका विवाह कार्यालय में पंजीकरण नहीं हुआ था।
● दस
ू रे शब्दों में इस निर्णय के द्वारा समस्त हिन्द-ू मस्लि
ु म और पारसी
शादियाँ अवैध हो गयी और इस प्रकार इन शादियों से उत्पन्न संतान भी
अवैध हो जानी थी।
● 6 नवम्बर, 1913 के दिन गांधी जी ने एक सत्याग्रह यात्रा प्रारं भ की।
अंततः निर्णय को सप्र
ु ीम कोर्ट ने वापिस ले लिया।

गांधीजी अफ्रीका से भारत वापिस

E
● 9 जनवरी, 1915 → महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदे श वापस आये
थे।
V
● भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया
जाता है ।
LI
● गांधीजी जब अफ्रीका से भारत वापिस आए थे तो नरमपंथियों एवं
गरमपंथियों के मध्य वैचारिक अंतराल व्यापत था और राष्ट्रवादी आंदोलन
नेतत्ृ व के संकट से गुजर रहा था।
K

● इसी समय गांधीजी के राजनीतिक गुरू गोपालकृष्ण गोखले के सझ


ु ाव पर
गांधीजी ने भारत भ्रमण के माध्यम से भारत की तात्कालीन राजनीतिक
परिस्थितियों को समझने का प्रयत्न किया।
M

● इस क्रम में गांधीजी द्वारा तीन सफल सत्याग्रह आंदोलन किए जाते हैं,
जिससे भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में गांधीवादी चरण की शरू
ु आत होती
है , जिसकी चर्चा में हम पर्व
ू में कर चक
ु े हैं।
● गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका फीनिक्स आश्रम की स्थापना की थी, जहां
रहकर वे आंदोलन का संचालन करते थे। उनके साथ जो लोग थे, वे
सादगीपर्ण
ू तरीके से जीवन-यापन करते थे।
● 1910 में गांधीजी ने जोहानिसबर्ग में टॉलस्टॉय फॉर्म की स्थापना की।

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● इस फॉर्म को गांधीजी के वास्तक
ु ार मित्र हरमन कालेनबाख ने दान में
दिया था।
● इस फार्म का नाम रूसी विचारक लियो टॉलस्टॉय के नाम पर रखा गया।

साबरमती आश्रम

भारत में प्रथम आश्रम 25 मई 1915 को अहमदाबाद में साबरमती नदी के


किनारे स्थापित किया गया। इसे हरिजन आश्रम भी कहा जाता है , जो
1917-1930 तक गांधी का घर था। मल
ू रूप से इसे सत्याग्रह आश्रम कहा जाता
था।

E
भितिहरवा आश्रम

नील आंदोलन के दौरान यह आश्रम गांधीजी द्वारा 27 अप्रैल 1917 को गांधी

V
पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांव में स्थापित किया गया। भितिहरवा के मठ के
बाबा रामनारायण दास ने गांधी को आश्रम के लिए जमीन उपलब्ध कराई।
LI
सेवाग्राम आश्रम

सेवाग्राम आश्रम गांधी द्वारा स्थापित अंतिम महत्वपर्ण


ू आश्रम है जो महाराष्ट्र
के नागपरु में स्थित है । आश्रम के लिए जमनालाल बजाज ने जमीन उपलब्ध
K

कराई थी। आश्रम 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन और उसके बाद अंग्रेजी दासता
से मक्ति
ु का प्रमख
ु अहिंसात्मक केंद्र रहा।

क्रांतिकारी आंदोलन
M

क्रांतिकारी आंदोलन के उदय के कारण

● यव
ु ाओं में राष्ट्रवाद → दे शवासियों में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने में
योगदान दे ने वाला सबसे महत्वपर्ण
ू कारक ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों
का 'आर्थिक शोषण' और बंगाल का विभाजन था।
● उदारवादी और उग्रवादी कांग्रेस की विफलता → स्वदे शी और बहिष्कार
आंदोलन का पतन तात्कालिक कारण
● यव
ु ाओं की क्रांतिकारी ऊर्जा का दोहन करने में नेतत्ृ व की विफलता

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● सरकारी दमन

क्रान्तिकारियों की कार्य-प्रणाली

● पत्रों की सहायता से प्रचार द्वारा शिक्षित लोगों के मष्तिष्क में दासता के


प्रति घण
ृ ा उत्पन्न करना
● संगीत, नाटक एवं साहित्य के द्वारा बेकारी और भख
ू से त्रस्त लोगों को
निडर बनाकर उनमें मातभ
ृ मि
ू और स्वतंत्रता का प्रेम भरना
● बम बनाना, बंदक
ू आदि चोरी से उपलब्ध करना तथा विदे शों से शस्त्र प्राप्त
करना

E
● चन्दा, दान तथा क्रांतिकारी डकैतियों द्वारा व्यय के लिए धन का प्रबंध
करना

V
महाराष्ट्र में क्रान्तिकारी अभियान

● प्रथम क्रांतिकारी संगठन 1896-97 में पन


बालकृष्ण हरि चापेकर द्वारा स्थापित
ू ा में दामोदर हरि चापेकर और
LI
● इसका नाम ‘व्यायाम मंडल’ था
● इस गुट के द्वारा रै ण्ड और एमहर्स्ट नामक दो अंग्रेज अधिकारियों की
हत्या की गयी
K

● यह यरू ोपीयों की प्रथम राजनीतिक हत्या


● शासक वर्ग ने अंग्रजों के विरुद्ध टिप्पणी लिखने के लिए तिलक को
M

उत्तरदायी ठहराकर 18 मास की सजा दी


● 1918 की विद्रोह समिति की रिपोर्ट में यह कहा गया था कि भारत में
क्रांतिकारी आन्दोलन का प्रथम आभास महाराष्ट्र में मिलता है , विशेषकर
पन
ू ा जिले के चितपावन ब्राह्मणों में
● ये ब्राह्मण महाराष्ट्र के शासक पेशवाओं के वंशज थे
● उल्लेखनीय है कि चापेकर बन्धु तथा तिलक चितपावन ब्राह्मण ही थे.

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● गणेश दामोदर सावरकरसावरकर ने 1904 में नासिक में ‘मित्रमेला’ नाम
से एक संस्था आरं भ की थी → शीघ्र ही एक गप्ु त सभा ‘अभिनव भारत’ में
परिवर्तित हो गयी
● इस संस्था ने अपने उद्दे श्य की पर्ति
ू के लिए विदे शों से अस्त्र-शस्त्र
मंगवाया और बम बनाने का काम रूस के सहायता से किया
● गणेश दामोदर सावरकर को भारत से निर्वासित कर दिया गया
● जिला मजिस्ट्रे ट जैक्सन की हत्या के आरोप में दामोदर सावरकर सहित
अनेक व्यक्तियों पर ‘नासिक षड्यंत्र’ केस चलाया गया → भारत से
आजीवन निर्वासित कर ‘कालापानी’ की सजा

E
● बाद में सरकार की दमनात्मक नीति एवं धन की कमी के कारण महाराष्ट्र
में क्रांतिकारी आन्दोलन शांत हो गया

V
बंगाल में क्रांतिकारी आन्दोलन

● मार्च, 1902 को कलकत्ता के वकील प्रमथनाथ मित्रा ने अनश


ु ीलन समिति
LI
की स्थापना की।
● इसका नेतत्ृ व श्री अरबिंदो घोष के छोटे भाई बरिंद्र कुमार घोष ने किया था।
● 1905 में बारीन्द्र वफ
ु मार घोष ने ‘भवानी मंदिर’ नामक की पस्ति
ु का
K

प्रकाशित कर क्रांतिकारी आन्दोलन को बढ़ावा दिया


● इसके पश्चात ् ‘वर्तमान रणनीति’ नामक पस्ति
ु का प्रकाशित की
● 6 दिसम्बर, 1907 को मिदनापरु के पास गवर्नर लॉर्ड हार्डिंग्ज की गाड़ी को
M

उड़ाने का प्रयास किया गया।


● 30 अप्रैल, 1908 को खद
ु ीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी द्वारा मजफ्फरपरु
के जज किंग्सफोर्ड की हत्या का प्रयास किया गया।
● प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली और खद
ु ीराम बोस को फाँसी दे दी
गई।
● इसके बाद एक और घटना घटी, जो 'अलीपरु केस' के नाम से प्रसिद्ध है ।
● इस काण्ड में 39 क्रान्तिकारी पकड़े गए, जिनमें अरविन्द घोष भी थे।

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● 12 फरवरी, 1910 को केस के निर्णय में अरविन्द घोष तथा उनके कुछ
साथी छोड़ दिए गए, किन्तु शेष को कठोर दण्ड दिया गया।

विदे शों में क्रांतिकारी संगठन एवं कार्य

● विदे शों में क्रांतिकारी आन्दोलन के प्रसार का श्रेय श्यामजी कृष्ण वर्मा →
लंदन में इन्होंने 1905 में ‘इंडिया होमरूल सोसाइटी’ की स्थापना
● इंडियन सोशियोलॉजिस्ट नामक पत्र निकालकर भारत में स्वराज्य प्राप्ति
को अपना उद्दे श्य बताया
● लंदन में ‘इंडिया हाउस’ की भी स्थापना की जो क्रांतिकारी गतिविधियों का

E
केन्द्र था
● जल
ु ाई 1909 ई. में लंदन में ही मदन लाल ढींगरा ने भारत सचिव के
ए.डी.सी., कनर्ल सर विलियम कर्जन वाइली को गोली मार दी, ढ़ींगरा को
फाँसी दे दी गयी

गदर आंदोलन
V
LI
● स्थापना : 1913 में सेन फ्रांसिस्को में लाला हरदयाल के प्रयासों से
● अमेरिका और कनाडा के भारतीय
● यह पार्टी ‘हिन्दस्
ु तान ग़दर’ नामक पत्र भी निकालती थी जो उर्दू और
K

पंजाबी में छपता था।


● उद्दे श्य : सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से भारत को अंग्रेज़ी दासता से मक्ति

M

दिलाना
● यद्यपि गदर आंदोलन अपने उद्दे श्यों की प्राप्ति में पर्ण
ू तः सफल नहीं
माना जाता तथापि यह समतावादी एवं जनतंत्रवादी मल्
ू यों पर आधारित
था।

क्रांतिकारी आन्दोलन का दस
ू रा चरण

● असहयोग आंदोलन के असफल होने से क्रांतिकारियों में पन


ु ः उग्रता आयी

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● इस काल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस समय यह समझा गया कि
एक अखिल भारतीय सगंठन होने तथा अधिक उत्तम तालमेल होने से
अच्छा परिणाम निकल सकता है
● अत: समस्त क्रांतिकारी दलों का अक्टूबर 1924 में कानपरु में एक
सम्मेलन
● सम्मेलन में सचिन्द्र नाथ सान्याल, जगदीश चन्द्र चटर्जी तथा राम प्रसाद
बिस्मिल जैसे परु ाने क्रांतिकारी तथा भगत सिंह, सख
ु दे व, भगवती चरण
वोहरा तथा चन्द्रशेखर आजाद एवं राजगरु
ु जैसे नये क्रांतिकारी ने भाग
लिया

E
● इस अखिल भारतीय सम्मेलन के परिणामस्वरूप ‘भारत गणतंत्र समिति
या सेना’ (Hindustan Republican Association or Army) का जन्म
हुआ
V
● इसकी शाखाएं बिहार, य.ू पी., दिल्ली, पंजाब, मद्रास आदि जगहों पर
LI
स्थापित
● इस दल के तीन प्रमख
ु आदर्श
● भारतीय जनता में गांधीजी की अहिंसावाद की नीतियों की निरर्थकता के
प्रति जागति
ृ उत्पन्न करना
K

● पर्ण
ू स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष कार्यवाही तथा लोगों को क्रांति के
लिए तैयार करना
M

● अंग्रेजी साम्राज्यवाद के स्थान पर समाजवादी विचारधारा से प्रेरित भारत


में संघीय गणतंत्रा की स्थापना करना
● अपने उद्दे श्यों की पर्ति
ू के लिए संस्था ने हथियार बनाने और सरकारी
खजाने लट
ू ने की भी योजना बनायी
● संस्था का प्रथम महत्त्वपर्ण
ू कार्य काकोरी की ट्रे न डकैती
● इस ट्रे न द्वारा अंग्रेजी खजाना ले जाया जा रहा था
● 9 अगस्त 1925 की रात चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक
उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और रौशन सिंह ने लट
ू लिया

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● परं तु वे जल्द ही पकड़े गये
● ‘काकोरी षड्यंत्र’ का मकुदमा चलाकर राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक
उल्ला को 1925 में फाँसी
● 1928 ई. में चन्द्रशेखर आजाद द्वारा ‘हिन्दस्
ु तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन
एसोसिसएशन’
● 1928 में ही भगत सिंह, चन्द्रशेखर और राजगरु
ु ने लाहौर के सहायक
पलि
ु स कप्तान सांडर्स की हत्या → साइमन विरोधी प्रदर्शन के समय
सांडर्स के द्वारा ही लाठी चलवायी गयी थी जिसमें लाजपत राय की मत्ृ यु
हो गयी थी

E
● अप्रैल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में केन्द्रीय विधान
सभा में बम फेंका, जिसका उद्दे श्य था ‘बहरी सरकार को आवाज सन
ु ाना

V
● बम फेंकने के बाद दोनों ने ही अपनी गिरफ्तारी दी
● भगत सिंह, राजगुरु और सख
ु दे व को 23 मार्च, 1931 को फाँसी
LI
● 1930 में सर्य
ू सेन ने चटगांव के शस्त्रागार पर आक्रमण कर अनेक अंग्रेज
अधिकारियों की हत्या कर दी
● इस अभियान में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया
● सर्य
ू सेन ने चटगांव में ही अपने आप को प्रांतीय स्वतंत्र भारत सरकार का
K

प्रधान भी घोषित किया → सर्य


ू सेन को 1933 ई. में फाँसी

क्रांतिकारी आन्दोलन की असफलता


M

● केन्द्रीय संगठन का अभाव


● मध्यम वर्ग के शिक्षित लोगों तक ही सीमित
● अंग्रेजी सरकार का दमन चक्र
● अस्त्र-शस्त्र का अभाव
● महात्मा गांधी का भारतीय राजनीति तथा जनता पर प्रभाव

दे शी रियासतों का एकीकरण

बटलर समिति

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1927 में भारत सरकार और भारतीय राज्यों के बीच संबंधों की जांच करने के
लिए ‘इंडियन स्टे ट्स कमेटी’ नियक्
ु त की गई जिसका अध्यक्ष सर हरकोर्ट बटलर
था, इसलिए इसे बटलर समिति भी कहते हैं।

समिति ने निम्नलिखित सिफारिशें प्रस्तत


ु की-

● रियासतों के साथ व्यवहार करते समय वायसराय ब्रिटिश क्राउन का


प्रतिनिधित्व बने न कि सपरिषद गवर्नर जनरल का।
● दे शी रियासतों के प्रशासन में हस्तक्षेप वायसराय के निर्णय पर छोड़ दिया
जाए।

E
● दे शी रियासतों व ब्रिटिश सरकार के मध्य जो विवाद हैं, उनकी जांच के
लिए विशेष समितियां नियक्ति
ु की जाए।

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स्वतंत्रता के समय की रियासतों की स्थिति

भारत की स्वाधीनता से पर्व


ू दे श में 562 दे शी रियासतें थी। समस्त भारत का 2/5
क्षेत्र तथा 1/4 जनसंख्या इन रियासतों में निवास करती थी। प्रशासन, क्षेत्रफल,
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जनसंख्या और वित्तीय संसाधनों की दृष्टि से इन रियासतों में भारी असमानता
थी।
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सरदार पटे ल और दे शी रियासतें

● 5 जल
ु ाई, 1947 को अंतरिम सरकार के गह
ृ मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटे ल
के निर्देशन में राज्य मंत्रालय की स्थापना की गई और उन्हें भारत की ओर
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से दे शी नरे शों के साथ बातचीत करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया।

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● 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया। भारत के विभाजन के समय
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खैरपरु , बहावलपरु आदि रियासतें पाकिस्तान में सम्मिलित हो गई और


शेष भारत में रह गई।
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● दे शी राज्यों के भारतीय संघ में शामिल होने के लिए प्रक्रिया तय कर दी


गई। राज्यों को दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने का सझ
ु ाव दिया गया।
1. इंस्ट्रूमें ट ऑफ एक्सेशन
2. स्टैंडस्टिल एग्रीमें ट
● इंस्ट्रूमें ट ऑफ एक्सेशन दस्तावेज पर हस्ताक्षर करके कोई भी नरे श
भारतीय संघ में सम्मिलित हो सकता था, परं तु उसके लिए प्रतिरक्षा,
विदे शी मामले और यातायात एवं संचार व्यवस्था का उत्तरदायित्व संघीय
सरकार को सौंपना जरूरी था।

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● स्टैंडस्टिल एग्रीमें ट के अनस
ु ार अंग्रेजी साम्राज्य में केन्द्रीय सरकार की जो
स्थिति थी, अब उसके स्थान पर संघीय व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार की
व्यावहारिक स्थिति को मान्यता प्रदान करना था।
● सरदार पटे ल के प्रयत्नों से जन
ू ागढ़ (सौराष्ट्र), है दराबाद (दक्षिण भारत)
और जम्म-ू कश्मीर के अतिरिक्त सभी दे शी रियासतें भारतीय संघ में
मिलने और भारतीय संघ को कुछ विषय दे ने तथा संविधान को मानने के
लिए तैयार हो गयी।

है दराबाद रियासत का भारत में विलय

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18 सितंबर, 1948 को मेजर जनरल चौधरी ने है दराबाद के सैनिक गवर्नर का पद


संभाला और है दराबाद को भारतीय संघ में शामिल कर लिया गया।
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जन
ू ागढ़ का भारत में विलय

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● सितंबर, 1947 में जन
ू ागढ़ ने पाकिस्तान में शामिल होने के लिए सहमति
प्रदान कर दी। V
● किंतु यहां की जनता भारत में शामिल होना चाहती थी, जिसके लिए नवाब
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सहमत नहीं था।
● अंततः बढ़ते दबाव को दे खकर नवाब पाकिस्तान भाग गया और अंततः
फरवरी, 1948 में जनमत संग्रह के माध्यम से जन
ू ागढ़ रियासत को
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भारतीय संघ में मिला लिया गया।

जम्म-ू कश्मीर की समस्या


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● दे श के एकीकरण के क्रम में जम्म-ू कश्मीर की समस्या सबसे अधिक


विकट थी। इस राज्य का शासक हिंद ू था, किंतु बहुसंख्यक जनता मस्लि
ु म
थी और इसकी सीमाएं भारत और पाकिस्तान दोनों से मिली हुई थी।
● इसलिए कश्मीर के डोगरा शासक ने भारत और पाकिस्तान में शामिल होने
के बजाय पथ
ृ क और स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया।
● किंतु जिन्ना कश्मीर की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक महत्व और मस्लि
ु म
बहुल जनसंख्या के कारण उसे पाकिस्तान में शामिल करना चाहता था।

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● पाकिस्तान ने हिंसक और सैन्य कूटनीति का सहारा लिया तथा
उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत के कबाइलियों को सहायता एवं समर्थन प्रदान
कर 22 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण करवा दिया।
● अतः इस विकट परिस्थिति में कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने
भारत सरकार से सैन्य सहायता का अनरु ोध किया तथा कश्मीर के भारत
में विलय के लिए सहमत हो गया।
● संविधान लागू होने के बाद अनच्
ु छे द 370 के माध्यम से जम्म-ू कश्मीर को
विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया, किंतु हाल ही भारत की संसद
द्वारा पारित जम्म-ू कश्मीर पन
ु र्गठन अधिनियम, 2019 से अनच्
ु छे द 370

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में बदलाव करते हुए जम्म-ू कश्मीर को प्रदान विशिष्ट राज्य का दर्जा का
समाप्त करते हुए इसे एक केंद्र-शासित प्रदे श बना दिया गया है ।

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