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Modern History Hindi
Modern History Hindi
E
● 1857 की क्रांति के पर्व
ू वर्ती विद्रोह
● 1857 का विद्रोह तथा 1858 के बाद ब्रिटिश नीति में परिवर्तन
V
● कांग्रेस की स्थापना के पर्व
ू वर्ती संगठन तथा घटनाक्रम
● भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना तथा संबंधित पक्ष
● भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन तथा इसके विभिन्न चरण
LI
● प्रमख
ु गैर-कांग्रेसी संगठन एवं आंदोलन
प्रमख
ु घटनाक्रम
K
❖ स्वदे शी आंदोलन
❖ अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति
❖ मस्लि
ु म लीग
M
❖ साइमन कमीशन
❖ गोलमेज सम्मेलन
❖ कम्यन
ु ल अवार्ड
❖ पन
ू ा पैक्ट
❖ आजाद हिन्द फौज
❖ वेवल योजना
❖ एटली योजना
❖ कैबिनेट मिशन योजना
E
● ब्रिटिश शासन का धार्मिक-सांस्कृतिक प्रभाव
● ब्रिटिश काल में शिक्षा व्यवस्था
V
● ब्रिटिश काल में प्रैस की स्वतंत्रता
● स्वतंत्रता के बाद दे शी रियासतों का एकीकरण
LI
○ रियासतों के एकीकरण की नीति एवं सिद्धांत
○ एकीकरण की प्रमख
ु चन
ु ौतियाँ तथा समाधान
○ रियासतों के एकीकरण में सरदार पटे ल की भमि
ू का
K
● 15वीं सदी के अंत तथा 16वीं सदी के प्रारं भ में भारत में व्यापारिक
उद्दे श्यों से यरू ोपीय कंपनियों का भारत में प्रवेश प्रारं भ हुआ। इस समय
भारत में दिल्ली सल्तनत का काल था।
● उत्तरवर्ती दिल्ली सल्तनत तथा पर्व
ू वर्ती मग
ु ल काल में केंद्रीय सत्ता के
मजबत
ू होने के कारण यरू ोपीय कंपनियों ने केवल अपने व्यापारिक हितों
को महत्व दिया।
E
● पानीपत के प्रथम यद्
ु ध (21 अप्रैल, 1526) में इब्राहिम लोदी पराजय के
बाद जहां एक ओर दिल्ली सल्तनत के स्थान पर मग
ु ल सत्ता का विकास
हुआ,
● वहीं दस
ू री ओर पर्तV
ु गाल, डच, डेनिस, की कंपनियां भी अपने व्यापारिक
हितों को विकसित करने के लिए क्षेत्रीय संघर्ष में संलग्न हो गई।
LI
● जिस समय भारत अपने मध्यकाल में जबकि यरू ोप अपने आधनि
ु क काल
में था। इसी क्रम में यरू ोपियनों द्वारा नवीन भौगोलिक खोजें की जाने
लगी, ताकि अपने व्यापार को वैश्विक स्तर पर प्रसारित किया जा सके।
K
● इसी क्रम में यरू ोपियनों द्वारा नवीन भौगोलिक खोजें की जाने लगी, ताकि
अपने व्यापार को वैश्विक स्तर पर प्रसारित किया जा सके।
● इसी क्रम में यरू ोपीय दे शों द्वारा भारत की जलीय मार्ग के माध्यम से
M
कुस्तन
ु तनि
ु या पर अरबों का अधिकार
● पहले कुस्तन
ु तनि
ु या (आधनि
ु क इस्तांबल
ु ) यरू ोप के पर्वी
ू भाग में तर्की
ु के
अंतर्गत था। किंतु 1453 में मध्य एशिया के अरबों ने कुस्तन
ु तनि
ु या पर
अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
● इस कारण पर्वी
ू एशिया (भारत) और यरू ोपीय दे शों के बीच व्यापार का
E
स्थलीय मार्ग अवरुद्ध हो गया।
● उल्लेखनीय है कि कुस्तन
ु तनि
ु या रूम सागर (भम
ू ध्य सागर के निकट)
तथा काला सागर के मध्य स्थित एक महत्वपर्ण
ू स्थल मार्ग था। साथ ही
● अर्थात कुस्तन
V
यरू ोप को एशिया से जोड़ने वाला एक मात्र स्थलीय मार्ग था।
ु तनि
ु या का आधा हिस्सा यरू ोप जबकि शेष आधा हिस्सा
LI
एशिया महाद्वीप में स्थित था।
K
M
V
● व्यापार के स्थलीय मार्ग में अवरोध आने तथा पन
यरू ोपीय दे शों, विशेषकर पर्त
ु र्जागरण के कारण
ु गाल तथा स्पेन द्वारा नई भौगोलिक खोजें की
LI
जाने लगी ताकि व्यापार को पन
ु ः प्रारं भ किया जा सके।
● भाग्यवश इस समय पर्त
ु गाल का शासन हे नरी के अधीन था जोकि एक
खोजी प्रवत्ति
ृ के व्यक्ति थे।
K
● यरू ोप में 15वीं शताब्दी में जहाजरानी एवं नौ-परिवहन का उच्च स्तर पर
विकास हुआ।
● पर्त
ु गाल जैसे दे श द्वारा निजी व्यापारियों को भी समद्र
ु ी जहाजों के निर्माण
के लिए प्रोत्साहित किया ताकि समद्र
ु ी व्यापार को गति प्रदान की जा सके।
● इस प्रकार नौ-परिवहन के विकास ने भी पर्वी
ू दे शों के साथ यरू ोपीयन दे शों
के समद्र
ु ी संपर्क को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया।
V E
LI
K
पर्त
ु गालियों के भारत आगमन के उद्दे श्य
M
पहुंचा।
● 1500 ई. में पेड्रो अल्वारे ज कैब्राल भारत आने वाला दस
ू रा पर्त
ु गाली
व्यापारी
● 1502 में वास्को-डि-गामा पन
ु ः भारत आया
● वास्को-डि-गामा जब पर्त
ु गाल वापिस लौटा तो उसने भारत से लेकर गए
मसालों को 60 गुना अधिक मल्
ू य पर बेचा।
● इससे अन्य पर्त
ु गाली व्यापारी भी भारत आगमन के लिए आकर्षित
E
कोठी की स्थापना
● पर्त
ु गालियों के भारत में प्रथम दर्ग
ु (भारत में प्रथम यरू ोपीय दर्ग
ु भी) का
निर्माण अल्बक
कोचीन में
V
ु र्क (इस समय वह गवर्नर नहीं थे) द्वारा 1503 ई. में
LI
फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा (1505)
नियक्
ु त किया गया।
● 1509 ई. में फ्रांसिस्को-डी-अल्मेडा ने दीव पर अधिकार स्थापित कर
लिया।
M
अल्बक
ु र्क (1509)
M
V E
LI
K
M
में पर्त
V
● नीन-ू डी-कुन्हा 1529 ई. में भारत में गवर्नर बनकर आया। कुन्हा ने भारत
ु गाली राजधानी कोचीन को गोवा स्थानांतरित किया।
LI
कुन्हा द्वारा स्थापित पर्त
ु गाली बस्तियां
1. सैन्थोम (मद्रास)
2. हुगली (बंगाल)
K
3. दीव (काठियावाड़)
● कोचीन (1503)
● कन्नरू (1505)
● गोवा (1510)
● चटगांव और सतगांव (1534)
● दीव (1535)
● दमन (1559)
पांडिचेरी
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● 1673 ई. में फ्रांसीसियों ने भी पांडिचेरी में अपनी पहली व्यापारिक बस्ती
स्थापित की।
● अंततः 1793 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को पर्ण
ू तः अपने नियंत्रण में ले
V
लिया। किंतु 1783 ई. की पेरिस की संधि के तहत पांडिचेरी को पन
फ्रांसीसियों को सौंप दिया गया।
ु ः
LI
कार्ट्ज-आर्मेडा काफिला पद्धति
● पर्त
ु गालियों ने जब भारत के तटवर्ती क्षेत्रों सहित हिंद महासागर में स्थिति
मजबत
ू कर ली तो कार्टज-आर्मेडा काफिला पद्धति का अनस
ु रण किया
K
गया।
● हालांकि इस पद्धति को औपचारिक रूप से कब और किस गवर्नर द्वारा
M
पर्त
ु गालियों की भारत में सफलता के कारण
● पर्त
ु गाली शासन द्वारा सहयोग एवं समर्थन
● नौसेना क्षमता
● कुशल एवं योग्य गवर्नर
● तटवर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण को प्राथमिकता
● ब्लू वाटर पॉलिसी
● भारतीय शासकों की अयोग्यता एवं अदरू दर्शिता
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पर्त
ु गाली स्वयं अपने दे श से सोना, चांदी और तांबा इत्यादि लाते थे।
● कालांतर में पर्त
ु गालियों की यह नीति उनकी भारत में असफलता का एक
पर्त
प्रमख
ु कारण बनी। V
ु गालियों की भारत को दे न
LI
● भारत में तंबाकू, गन्ना, अनानास, पपीता, आलू तथा मक्के की कृषि को
प्रारं भ करने का श्रेय पर्त
ु गालियों को
● भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में कैथोलिक ईसाई धर्म का प्रसार
K
● पर्त
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ु गाल सबसे पहले भारत आए और सबसे अंत में भारत से गए।
LI
औपचारिक रूप से गोवा, दमन और दीव 1961 तक पर्त
ु गाली सरकार के
अधीन रहे ।
● डच मल
ू तः नीदरलैंड और हॉलैंड के निवासी थे। पर्त
ु गालियों के बाद भारत
में व्यापारिक उद्दे श्यों के लिए आने के क्रम में दस
ू रा स्थान डचों का था।
भारत में वस्त्रों के निर्यात सर्वप्रथम डचों को ही जाता है ।
M
● पर्त
ु गालियों के आगमन के लगभग सौ वर्ष बाद डच पहली बार भारत में
आए। इसका एक प्रमख
ु कारण यह था कि डचों ने इससे पहले इंडोनेशिया
में अपनी व्यापारिक गतिविधियों को प्राथमिकता दी। 1595 ई. में डचों का
भारत में प्रथम दल कार्नेलियस हाउट मैन के नेतत्ृ व में भारत आया था।
● इस डच व्यापारिक कंपनी का मल
ू नाम यन
ू ाइटे ड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ़
नीदरलैंड था, जो कई छोटी-छोटी व्यापारिक कंपनियों का एकीकरण थी।
E
● डचों की बंगाल में पहली कंपनी पीपली में 1627 ई. में स्थापित हुई थी।
● इसके कुछ ही दिनों बाद डच पीपली से बालासोर चले गए।
V
● बंगाल में डचों ने 1635 ई. से लेकर 1656 ई. तक हुगली में कारखाने का
संचालन किया।
LI
● 1656 ई. के बाद हुगली के ही एक गांव चिनसरु ा में 1653 ई. में स्थापित
फैक्ट्री डचों के व्यापार का मख्
ु य केंद्र बन गई।
● 17वीं सदी की समाप्ति तक डच कंपनियां कासिम बाजार, पटना, ढाका,
मालदा, बालासोर, बारं गोर, जग
ु दिया, फतवा इत्यादि स्थानों पर स्थापित
K
हो चक
ु ी थीं।
E
कोठी की स्थापना
● सरू त की व्यापारिक कोठी का नेतत्ृ व थॉमस एल्वर्ड को सौंपा गया।
V
● कंपनी भारत से मसालों के साथ ही सत
चाय का निर्यात करने लगी।
ू , नील, पोटै शियम नाइट्रे ट तथा
LI
● इस समय कंपनी की पंज
ू ी का आधार व्यापारिक पंज
ू ी थी। कंपनी चांदी के
माध्यम से भारत में भग
ु तान करती थी।
● इसी क्रम में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1623 ई. तक सरू त,
मछलीपट्टनम, भड़ौच, अहमदाबाद और आगरा में अपनी व्यापारिक
K
E
● फ्रांसीसियों द्वारा भी भारत में अपना सबसे पहला कारखाना 1668 में
सरू त में
● डेनिश कंपनी ने भारत में व्यापारिक उद्दे श्यों को अधिक प्राथमिकता नहीं
दी,
● क्योंकि एक तो यह अत्यंत छोटी निजी व्यापारिक कंपनी थी और दस
ू रा
M
E
स्थापना → इस कोठी का नेतत्ृ व फेसिस कैरो को सौंपा गया
● 1669 में अगली व्यापारिक कोठी मछलीपट्टनम में स्थापित
V
● शीघ्र ही फ्रांसीसी और ब्रिटिश व्यापारिक कंपनी प्रतिस्पर्द्धी और परस्पर
संघर्ष का आधार निर्मित
LI
● क्योंकि इस समय तक केंद्रीय मग
ु ल सत्ता का पतन प्रारं भ
● दस
ू री ओर फ्रांसीसी कंपनी एक सरकारी कंपनी थी और उसे सरकार द्वारा
सहायता
● अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस की स्थिति तल
ु नात्मक रूप से अन्य यरू ोपीयन
K
दे शों से सदृ
ु ढ़
कर्नाटक यद्
ु ध
E
● भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच लड़े गए यद्
ु धों को कर्नाटक
यद्
ु धों के नाम से जाना जाता है ।
● कर्नाटक का प्रथम यद्
ु ध → 1746-48
● कर्नाटक का तत
V
● कर्नाटक का द्वितीय यद्
ृ ीय यद्
ु ध → 1750-52
ु ध → 1758-63
LI
● प्रथम कर्नाटक यद्
ु ध → एक्स ला चैपल की संधि से अंत
● द्वितीय कर्नाटक यद्
ु ध → अनिर्णायक यद्
ु ध
● तत
ृ ीय कर्नाटक यद्
ु ध → पेरिस की संधि से अंत
K
● गह
ृ सरकारों के आदे श के बावजद
ू दोनों कंपनियों के बीच 1746 ई. में
भारत में भी यद्
ु ध शरू
ु
● अंग्रेज कैप्टन बर्नेट के नेतत्ृ व में अंग्रेजी सेना द्वारा कुछ फ्रांसीसी जहाजों
का अधिग्रहण करना यद्
ु ध का तात्कालिक कारण
● यरू ोप में ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार यद्
ु ध की समाप्ति एक्स ला शापेल की
संधि (1748 ई.) से हुई
● प्रभावस्वरूप भारत में भी यद्
ु ध समाप्त
कर्नाटक का दस
ू रा यद्
ु ध (1749-1754)
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तत
ृ ीय कर्नाटक यद्
ु ध (1758-63)
● 1756 ई. में यरू ोप में सप्तवर्षीय संघर्ष के आरम्भ होते ही भारत में अंग्रेज
● इस यद्
V
एवं फ्रांसीसियों के बीच शांति समाप्त हो गयी।
ु ध में अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को पराजित किया।
LI
● इस यद्
ु ध में हार के बाद भारत में फ्रांसीसियों का अस्तित्व लगभग
समाप्त हो गया।
● फ्रांसीसी कंपनी सरकारी थी। इसके लाभ एवं हानि के प्रति कंपनी के
डायरे क्टर उदासीन
M
उत्कृष्ट हथियार
● 18वीं शताब्दी में भारतीयों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले हथियार बेहद
E
धीमे और भारी थे जबकि अंग्रेजों द्वारा प्रयोग की जाने वाली यरू ोपीय
बंदक
ू ें एवं तोपें इन भारतीय हथियारों के बजाय अत्यंत उत्कृष्ट थीं।
● सैन्य अनश
V
ु ासन & कंपनी की विभिन्न इकाइयों में समन्वय
● कुशल नेतत्ृ व → क्लाइव, हे स्टिंग्स, मन
कुशल नेतत्ृ वकर्ता
ु रो, आयरकूट जैसे प्रथम श्रेणी के
LI
● वित्तीय सदृ
ु ढ़ता
● राष्ट्रवादी भावना
फ्रांसिस डूप्ले
K
● डूप्ले फ्रांसीस ईस्ट कम्पनी की व्यापारिक सेवा में भारत आया और उसे
1731 ई. में चंद्रनगर का गवर्नर बनाया गया।
M
E
में अधिक हस्तक्षेप करने के कारण उलझ गया था।
● इस कारण वह किसी एक विशेष प्रदे श पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर
पाया।
V
● यही कारण था कि अंततः डूप्ले को 1754 में वापिस बल
ु ा लिया गया।
LI
● वस्तत
ु ः राजनीतिक हस्तक्षेप कर आर्थिक लाभ प्राप्त करने की अवधारणा
का सत्र
ू पात मल
ू तः डूप्ले द्वारा → दक्षिण भारतीय राज्यों के संदर्भ में
सहायक संधि विकसित → हालांकि वह उसका प्रयोग नहीं कर पाया।
● भारत में सहायक संधि को विकसित एवं सव्ु यवस्थित प्रयोग लार्ड वेलेजली
K
(1798) द्वारा
● डूप्ले प्रथम यरू ोपीय था जिसने भ-ू क्षेत्र अर्जित करने के उद्दे श्य से भारतीय
M
FACT
E
भारतीय परिप्रेक्ष्य
● दस
ू री ओर भारत में विद्यमान यरू ोपीय कंपनियों के बीच भी अपनी
M
स्थिति को मजबत
ू करने के लिए निरं तर संघर्ष
● कर्नाटक के तत
ृ ीय यद्
ु ध में फ्रांसीसी कंपनी पर ईस्ट इंडिया कंपनी की
निर्णायक जीत
● फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में एक प्रमख
ु एवं शक्तिशाली
कंपनी के रूप में स्थापित, जिसका अब कोई यरू ोपीय प्रतिद्वंद्वी भारत में
शेष नहीं
E
● आर्थिक दृष्टि से बंगाल संपन्न
● फ्रांसीसी कंपनी से प्रतिस्पर्द्धा कम, क्योंकि फ्रांसीसी कंपनी का मख्
ु य
V
व्यापारिक केन्द्र दक्षिण भारत के तटवर्ती राज्य थे
● अनक
ु ू ल राजनीतिक परिस्थितियाँ जो धीरे -धीरे और अनक
प्लासी का यद्
ु ध
ु ू ल होती गईं
LI
● 1707 में औरं गजेब की मत्ृ यु ⇒ अलीवर्दी ⇒ बंगाल का स्वतंत्र नवाब
● अलीवर्दी खां की मत्ृ यु तथा सिराजद्
ु दौला के विरूद्ध षड़यंत्र
K
● 23 जन
ू , 1757 : ईस्ट इंडिया कंपनी और सिराजद्
ु दौला के मध्य प्लासी
का यद्
ु ध
● मीर जाफर की जगह उसका दामाद मीर कासिम का बंगाल का नवाब ⇒
M
बंगाल की दस
ू री क्रांति
से पर्ण
ू तः कंपनी पर निर्भर हो गया।
किंतु दस
ू री ओर कंपनी की आर्थिक स्थिति कमजोर एवं 1772 तक कंपनी पर
लगभग 60 लाख पौण्ड का ऋण, क्योंकि-
E
● कंपनी द्वारा ब्रिटिश सरकार को प्रतिवर्ष 4 लाख पौण्ड की अदायगी, ताकि
कंपनी अपने हितों को संरक्षित रख सके और ब्रिटिश सरकार का उस पर
न्यन V
ू तम नियंत्रण और हस्तक्षेप रह सके
● कंपनी द्वारा अपने भागीदारों को लाभांश को 6.25 प्रतिशत से बढ़ाकर
LI
12.5 प्रतिशत करना अर्थात ् लगभग दोगुना करना
● कंपनी के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को निजी व्यापार की अनम
ु ति
● कंपनी के कर्मचारियों में भ्रष्टाचार
K
● बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा से अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं होना (1770 में
बंगाल में भीषण अकाल का पड़ना)
● कंपनी के सैन्य खर्च में वद्
ृ धि, क्योंकि कंपनी को मराठों आदि क्षेत्रीय
M
E
● किंतु इस समय ब्रिटे न के प्रधानमंत्री लार्ड नॉर्थ ने कंपनी के इस अनरु ोध
को ब्रिटिश पार्लियामें ट में भेजा
V
● ब्रिटिश पार्लियामें ट द्वारा इस संबंध में दो समितियों का गठन : सेलेक्ट
कमेटी & सीक्रेट कमेटी
LI
● सीक्रेट कमेटी द्वारा कंपनी के संदर्भ में व्यापक असंगतियों की जांच की
गई, जबकि सेलेक्ट कमेटी द्वारा कंपनी पर ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण
की बात कही गई
● अंततः 1773 में ब्रिटिश पार्लियामें ट में दो अधिनियम पारित हुए
K
रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट था
1773 का रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट तथा कंपनी पर नियंत्रण
उद्दे श्य
रे ग्यल
ु ेटिग
ं एक्ट के प्रावधान
E
● गवर्नर जनरल सहित परिषद द्वारा बहुमत के आधार पर निर्णय
● कोरम : तीन
● गवर्नर जनरल को परिषद में केवल मत बराबर होने की स्थिति में ही
V
निर्णायक मत दे ने का अधिकार
● परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित
LI
● भविष्यवर्ती नियक्ति
ु यां कंपनी द्वारा
● सप्र
ु ीम कोर्ट की स्थापना का प्रावधान
● गठन : 1774 में कलकत्ता में
K
● एक मख्
ु य न्यायाधीश (लार्ड एलीज इम्पे) + तीन अन्य न्यायाधीश
(चेम्बर्स, लिमैस्टर, हाइड)
● कंपनी के कर्मचारियों के निजी व्यापार पर प्रतिबंध
M
E
पष्ृ ठभमि
ू को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए
● गवर्नर-जनरल और उसकी काउं सिल द्वारा बनाए गए कानन
ू ों को सप्र
ु ीम
V
कोर्ट के पास पंजीकृत कराने की आवश्यकता समाप्त
रॉबर्ट क्लाइव
E
क्लाइव की प्रमख
ु उपलब्धियां
किया।
कार्नवालिस
कार्नवालिस कोड
E
● इसमें नागरिक और आपराधिक कानन
ू दोनों को शामिल किया गया था।
● कोड संहिता में शासन, पलि
ु सिंग और न्यायिक और नागरिक प्रशासन के
महत्वपर्ण
ू प्रावधान थे।
भमि
ू का स्थायी बंदोबस्त
V
● जमींदारी प्रथा, जागीरदारी प्रथा, मालगुजारी प्रथा, बीसवेदारी प्रथा
LI
● राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष सर जॉन शोर तथा रिकार्ड-कीपर जेम्स ग्रांट की
सहायता से
● 1790 में 10 वर्ष के लिए, किंतु 1793 में स्थायी
K
रै य्यतवाडी व्यवस्था
महालवाड़ी बंदोबस्त
E
● उत्तर प्रदे श, मध्य प्रदे श तथा पंजाब में लागू
● ब्रिटिश भारत की भमि
ू का लगभग 30% भाग
● लगान की दर कुल उपज का 80%
V
● इलाहाबाद की संधि से बंगाल की दीवानी प्राप्त करने के बाद वारे न
हे स्टिंग्स ने 1772 में बंगाल में फार्मिंग सिस्टम (इजारे दारी प्रथा) की
LI
शरु
ु आत की।
● फार्मिंग सिस्टम के तहत का भमि
ू को लगान वसल
ू ी हे तु ठे के पर दिये जाने
से कालांतर में बंगाल पर बरु ा प्रभाव पड़ा।
K
E
● खाद्यान्न की कमी के कारण 1866-67 में उड़ीसा में पड़े भयंकर अकाल
को 19वी सदी के अकालों में आपदा का महासागर कहा जाता है ।
● जल
V
● इसके अलावा इस काल में कंपनी ने ददनी व्यवस्था को प्रारं भ किया।
ु ाहों पर अपने दबाव को प्रभावपर्ण
ू बनाने के लिए कंपनी ने पेशगी रुपए
LI
दे ने की प्रथा चलाई जिसे ‘ददनी प्रथा’ कहते थे।
● इसके तहत कंपनी के कर्मचारी जल
ु ाहों को पेशगी दे ते थे और बदले में एक
शर्तनामा लिखवा लेते थे कि वह निश्चित तिथि पर, निश्चित मात्रा में और
निश्चित मल्
ू य पर कपड़ा दे दें गे।
K
ददनी व्यवस्था
आलोच्य काल
M
ब्रिटिश साम्राज्यवाद
साम्राज्यवाद (Imperialism)
एक राष्ट्र द्वारा दस
ू रे राष्ट्र के प्रति आक्रामक व्यवहार
● प्रत्यक्ष साम्राज्यवाद
● अप्रत्यक्ष साम्राज्यवाद
E
उपनिवेशवाद
नव-उपनिवेशवाद
LI
जब कोई दे श दस
ू रे दे श पर बिना अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित किए उसका
आर्थिक शोषण अपने हितों के अनक
ु ू ल करता है
● वाणिज्यवाद
○ 1757-1813
M
● मक्
ु त व्यापार
○ 1813-1857
● वित्तीय साम्राज्यवाद
○ 1858-1947
वाणिज्यवाद (1757-1813)
प्रकृति
● मल
ू तः संरक्षणवादी स्वरूप
उद्दे श्य
E
परिणाम
समाज पर प्रभाव
M
प्रशासन पर प्रभाव
E
● कंपनी का प्रमख
ु उद्दे श्य भारत में स्थायी शासन प्राप्त करना
● अतः भारत में पलि
ु स व्यवस्था, न्याय व्यवस्था, भ-ू राजस्व व्यवस्था के
संबंध में प्रावधान
अवधारणा
प्रकृति
E
● ब्रिटे न स्थित उद्योगों के कच्चे माल के स्रोत के रूप में वाणिज्यिक फसलों
के उत्पादन पर बल
● कृषि में सध
ु ारों हे तु कोई ठोस प्रयास नहीं
V
● खाद्यान्न फसलों की उपेक्षा
● प्रतिस्पर्द्धा से बाहर होने के कारण हस्तशिल्प एवं लघु उद्योग धंधे नष्ट
LI
● फलस्वरूप कृषि पर दबाव में वद्
ृ धि
समाज पर प्रभाव
● जिज्ञासु प्रवत्ति
ृ
● ब्रिटिश संस्कृति का प्रसार
M
विचारधारा
● दे शी रियासतें
○ 1857 से पहले
○ 1857 के बाद
● ब्रिटिश प्रांत
1857 से पहले
● वाणिज्यवाद
E
● कंपनी शासन
● एकाधिकार
V
● बाह्य एवं आंतरिक प्रतिस्पर्द्धा नहीं
● 1858 के घोषणा पत्र में रियासतों की सरु क्षा का उत्तरदायित्व ब्रिटिश क्राउन
के हाथ में
● फलस्वरूप दे शी रियासतों के शासक पहले से अधिक निरं कुश एवं
M
प्रतिक्रियावादी
● कालांतर में ब्रिटिश शासन द्वारा दे शी रियासतों का राष्ट्रवादी आंदोलन के
विरूद्ध उपयोग
● रियासतों की प्रजा द्वारा निरं कुशता से संघर्ष करने के लिए प्रजामंडल
आंदोलन
● लेकिन प्रारं भ में प्रजामंडल आंदोलनों को कांग्रेस से सहयोग नहीं
ब्रिटिश प्रांत
शहरी वर्ग
E
● नव जमींदार
● अंग्रेजों की दे न
● लगान वसल
V
ू ी ⇒ प्रशासनिक सहायता
● अंग्रेजी शिक्षा ⇒ निष्ठावान सामाजिक वर्ग
● निचले स्तर पर वैचारिक वर्चस्व
LI
● अंग्रेजों से जड़
ु े हुए हित ⇒ ब्रिटिश शासन दै वीय उपहार
जमींदार वर्ग की चन
ु ौतियां
K
जमींदार वर्ग की चन
ु ौतियाँ
● दबाव
● संगठन
○ भमि
ू धारकों की समिति, 1938
○ ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन, 1851
● राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रारं भिक दौर में जमींदारों द्वारा कांग्रेस की स्थापना
में आर्थिक सहायता
E
● परं तु कांग्रेस में जनसहभागिता की वद्
ृ धि से कांग्रेस की मांगों के स्वरूप में
परिवर्तन
● स्वराज, लोकतंत्र, अधिकारों संबंधी मांगे अब राष्ट्रीय मांगें
V
● फलतः जमींदार वर्ग द्वारा कांग्रेस से दरू ी
● क्योंकि जमींदारों के विशेषाधिकारों एवं प्रतिष्ठा पर संकट
LI
● ब्रिटिश सरकार द्वारा भी दरू ी बढ़ाने में भमि
ू का
● अब ब्रिटिश सरकार द्वारा जमींदारों को अधिक संरक्षण और समर्थन
● ताकि जमींदार वर्ग का प्रयोग राष्ट्रवादी आंदोलन में एक अवरोधक के रूप
K
में
● अतः जमींदार वर्ग का हिंद ू महासभा एवं मस्लि
ु म लीग जैसे दक्षिणपंथी
संगठनों की ओर झक
ु ाव
M
पंज
ू ीपति वर्ग की राष्ट्रवादी आंदोलन में भमि
ू का
● सद
ू खोर/महाजन
● व्यापारी वर्ग
● उद्योगपति
सद
ू खोर / महाजन
व्यापारी वर्ग
उद्योगपति
● पंज
ू ी का प्रबंधन
● तकनीक
E
● कुशल मानव संसाधन
● हित ब्रिटिश शासन के विरोधी
● इसके बावजद
V
● प्रारं भ में उद्योगपतियों का ब्रिटिश शासन से अंतर्विरोध
ू ब्रिटिश शासन का प्रत्यक्ष विरोध नहीं
● हालांकि उद्योगपतियों द्वारा राष्ट्रवादी आंदोलन को नैतिक समर्थन
LI
● स्वदे शी आंदोलन (1905), होमरूल आंदोलन (1915), असहयोग आंदोलन
(1920)
K
1930 तक पंज
ू ीपति वर्ग के अंतर्गत दो नवीन प्रवत्ति
ृ यों का उदय
मजदरू वर्ग
● भारत का मजदरू वर्ग यरू ोप के समान स्थाई वर्ग के रूप में नहीं
● अतः भारतीय मजदरू वर्ग में चेतना का अभाव
● परं तु कम्यनि
ु स्ट मजदरू आंदोलनों को जन क्रांति के रूप में विकसित नहीं
कर सके
● इस कारण मजदरू वर्ग में गांधीवादी आंदोलन अधिक महत्वपर्ण
ू रूप से
E
प्रकट
मक्
ु त व्यापार
● प्रशासन
V
LI
● न्याय
● सेना & पलि
ु स
● आधनि
ु क शिक्षा
K
आधनि
ु क शिक्षा
जातिवादी आंदोलन
जाति प्रथा हिंद ू धर्म में व्याप्त कुरीति थी जो न केवल अपमानजनक, अमानवीय
और जन्मजात असमानता के जनतंत्र विरोधी सिद्धांत पर आधारित थी बल्कि
सामाजिक विघटन का कारण भी थी।
उदय का मल
ू कारण
● ब्रिटिश शासन
● मिशनरी
● भारत में नगरीकरण की प्रवत्ति
ृ
● धर्म सध
ु ार आंदोलन (Already Done)
● पश्चिमी शिक्षा प्रणाली का प्रसार
● अंग्रेजों द्वारा एक समान दण्ड संहिता (IPC), 1861 तथा दण्ड प्रक्रिया
संहिता (CrPC), 1872 लागू किया जाना
● राष्ट्रीय जागरण का उदय
E
● समता पर आधारित आधनि
ु क राजनीतिक विचारों का प्रसार
● रे लों का विस्तार
● 19वीं सदी
V
LI
● सध
ु ारवादी
● गोपाल बाबा वलंगकर & ज्योतिबा फुले
● मल
ू नाम गोपाल कृष्ण
● एक समाज सध
ु ारक
M
ज्योतिबा फुले
19वीं सदी
● सध
ु ारवादी
● गोपाल बाबा वलंगकर & ज्योतिबा फुले
● आत्मसम्मान आंदोलन
E
● 1920 में दक्षिण भारत में प्रारम्भ
● हिन्द ू रूढ़िवादिता का खंडन
चेतना लाना
V
● आंदोलन का उद्दे श्य धर्म, जाति और परु ोहितवाद के विरुद्ध समाज में
टी.एम. नायकर
डॉ. अंबेडकर
E
समानता के तत्व
V
दोनों भविष्य के भारत तथा एक समतायक्
ु त समाज की संकल्पना करते हैं, ताकि
समाज के सबसे निचले पायदान के लोगों को गरिमामय जीवन प्रदान किया जा
सके।
LI
अंतर
E
वर्ण-व्यवस्था पर गांधी व अंबेडकर के मतभेद
है ।
● गांधी जी का मानना था कि छुआछूत का वर्ण-व्यवस्था से सीधा संबंध नहीं
है । छुआछूत वर्ण-व्यवस्था की अनिवार्य विकृति न होकर बाह्य विकृति है ,
M
निष्कर्ष
शिक्षा
E
● निर्भरता समाप्त करना
कानन
ू
सरु क्षा
कानन
ू
अधिकार
K
सामाजिक-धार्मिक सध
ु ार आंदोलन
उदय के कारण
E
● आधनि
ु क प्रेस एवं संचार से बद्
ु धिजीवियों के मध्य वैचारिक आदान-प्रदान
● यरू ोपीयन स्त्री आंदोलनों, दास आंदोलनों एवं लोकतांत्रिक आंदोलनों से
परिचय
V
● सामाजिक जागरूकता बढी + बद्
ु धिजीवी समाज सध
ु ारों की तरफ प्रेरित
● मिशनरियों के आगमन से भारतीय अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित
LI
हुए
प्रकृति (Nature)
● पाश्चात्यवादी
K
● पन
ु रुत्थानवादी
● यथास्थितिवादी
M
पाश्चात्यवादी
● आधनि
ु कता
● विज्ञानवाद
● तर्क वाद
● आधनि
ु क शिक्षा
● मानवतावाद & उदार लोकतंत्र
● विधि का शासन
विज्ञानवाद
मानवतावाद
E
● मानवतावाद से तात्पर्य है कि मनष्ु य जन्म से अपनी गरिमा का पात्र होता
है एवं उसके कुछ प्राकृतिक अधिकार होते हैं।
V
● अतः समाज में किसी भी प्रकार कृत्रिम भेदभाव को स्वीकार नहीं किया
जाना चाहिए।
LI
विषयवस्तु
● धर्म
● शिक्षा
K
● समद
ु ाय
● बहुदेववाद का विरोध
● मर्ति
ू पज ू ा का विरोध
● अंधविश्वास का खंडन
● विज्ञानवाद
● उच्च वर्ग के नियंत्रण को समाप्त करना
अंधविश्वास का खंडन
● प्राचीन श्रेष्ठता
● पश्चिमीकरण का विरोध
● अतीत का महिमामंडन
● मध्यकाल की बरु ाई (विशेषकर मग
ु ल काल की)
विषयवस्तु
● धर्म
● शिक्षा
E
● समद
ु ाय
पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन
V
● दयानंद सरस्वती और आर्य समाज
● दे वबंद आंदोलन
LI
● प्रार्थना समाज
पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन
● मख्
ु यतः पाश्चात्यवादी लेकिन अंशतः पर्न
ु त्थान
K
● अहमदिया आंदोलन
पन
ु रूत्थानवादी एवं यथास्थितिवाद के मध्य
ू , किंतु मख्
तीनों प्रकृति मौजद ु यतः पन
ु रूत्थानवादी
यथास्थितिवादी आंदोलन
● धर्म सभा
● दे व समाज
● फराजी आंदोलन
पन
ु रूत्थानवादी आंदोलन
E
● संस्थापक : दयानंद सरस्वती
● उद्दे श्य : सध
ु ार के माध्यम से हिंद ू धर्म को मजबत
ू करना
V
● हिंद ू धर्म में व्याप्त बरु ाइयों का विद्रोह
● वेदों की ओर लौट चलो का नारा
LI
● अस्पश्ृ यता, बाल विवाह, अर्थहीन रिवाजों, बहुदेववाद और मर्ति
ू पज ू ा का
विद्रोह
दे वबंद आंदोलन
K
● आंदोलन की शरु
ु आत वर्ष 1866 में सहारनपरु जिले (संयक्
ु त प्रांत) के
दारुल उलम
ू (इस्लामिक शैक्षणिक केंद्र), दे वबंद में मस्लि
ु म उलेमाओं
द्वारा
M
प्रार्थना समाज
चार सत्र
ू ी सामाजिक एजेंडा
E
● परु
ु षों और महिलाओं दोनों के लिये शादी की उम्र बढ़ाना
● विधवा पन
● पन
V
ु र्विवाह संघ और डेक्कन एजक
ू ा सार्वजनिक सभा की भी स्थापना
● धार्मिक सध
ु ार & सामाजिक सध
ु े शन सोसाइटी के संस्थापक
मख्
ु यतः पाश्चात्यवादी लेकिन अंशतः पर्न
ु त्थान
E
● हिंद ू समाज में सध
ु ारों के लिए कट्टरवादी आंदोलन
● आंदोलन के नेता इस कॉलेज के शिक्षक हे नरी विवियन डेरोजियो (पिता
पर्त
ु गाली और मां भारतीय)
● डेरोजियो के अनय
V
● डेरोजियो स्वतंत्रता, समानता और बंधत्ु व के विचारों से प्रभावित
ु ायियों : Derozians
LI
● छात्रों को तर्क संगत और स्वतंत्र रूप से सोचने, अधिकार, समता और
स्वतंत्रता के लिए प्रेरित
● धार्मिक संस्कारों और अनष्ु ठानों की निंदा
K
अलीगढ़ आंदोलन
E
अहमदिया आंदोलन
थे।
V
● इस संप्रदाय के नेता स्वयं को हजरत मह
ु म्मद ही तरह का अवतार मानते
LI
● अहमदिया आंदोलन की स्थापना 1889 में मिर्जा गुलाम अहमद
● उद्दे श्य : भारतीय मस
ु लमानों के बीच पश्चिमी शिक्षा का प्रसार
● आंदोलन ब्रह्म समाज के समान उदारवादी मल्
ू यों पर आधारित
K
● जिहाद (गैर-मस
ु लमानों के खिलाफ यद्
ु ध) का विरोध
● मस्जिद (धर्म) को राज्य से अलग करने के साथ मानवाधिकार और
सहिष्णत
ु ा में विश्वास
M
पन
ु रूत्थानवादी एवं यथास्थितिवाद के मध्य
E
अनस
ु ंधान करना
वहाबी आंदोलन
● 1830 में
● सैयद अहमद बरे लवी
V
● वलीउल्लाह आंदोलन के नाम से भी
LI
● आंदोलन कुरान और हदीस की शिक्षाओं पर आधारित
● आंदोलन का लक्ष्य इस्लाम में सध
ु ार लाना
● प्रारं भ में आंदोलन पंजाब में सिखों के खिलाफ निर्देशित
K
ू , किंतु मख्
तीनों प्रकृति मौजद ु यतः पन
ु रूत्थानवादी
रामकृष्ण मिशन
● स्वामी विवेकानंद
● स्थापना 1897 में अपने गरु
ु रामकृष्ण परमहं स की स्मति
ृ में
● भारतीय समाज की कुरीतियों को उपनिषदों के माध्यम से दरू करने का
E
प्रयास
● आर्य समाज की तरह रामकृष्ण आंदोलन स्वधर्म, स्वदे शी, स्वभाषा के
पक्षधर
● गुरुमख
ु ी, सिख शिक्षा और पंजाबी साहित्य को समग्र रूप से बढ़ावा
● 1920 के बाद जब पंजाब में अकाली आंदोलन का उदय सिख सध
ु ार
आंदोलन ने गति पकड़ी।
M
● अकालियों का मख्
ु य उद्दे श्य गुरुद्वारों के प्रबंधन में सध
ु ार करना जो
पज
ु ारियों या महं तों के नियंत्रण में थे
● मजदायसन सभा
● 1851 में बंबई में स्थापना
● नौरोजी फरदन
ु जी, दादाभाई नौरोजी और एस.एस. बंगाली द्वारा
यथास्थितिवादी आंदोलन
E
धर्म सभा
V
● स्थापना राजा राधाकांत दे व
● सती प्रथा के समर्थन में 1830 में
● इनका मानना कि ब्रिटिश भारतीयों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे
LI
हैं तथा भारतीय संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।
दे व समाज
K
फराजी आंदोलन
● हाजी शरीयतल्
ु ला द्वारा 1818 में स्थापना
● कार्यक्षेत्र : पर्वी
ू बंगाल
E
● दद
ू ू मियाँ ने अपने अनय
ु ायियों से लगान नहीं दे ने को कहा।
● संगठन ने अपनी खद
ु की कानन
ू ी अदालतें भी स्थापित की।
● 1847 में दद
V
ू ू मियाँ की गिरफ्तारी ने आंदोलन को कमजोर कर दिया।
LI
K
M
V E
LI
K
M
सन्यासी विद्रोह V
● आंदोलन का समय : 1770-1820
LI
● स्थान : बंगाल
● विद्रोहकारी : सन्यासी शंकराचार्य के अनय
ु ायी
● आंदोलन का कारण : हिन्द,ू नागा और गिरी के सशस्त्र सन्यासियों का
K
E
कमजोर हो गई
● शीघ्र ही ब्रिटिश शासन का आधिपत्य
V
गोरखपरु , बस्ती एवं बहराइच में नागरिक विद्रोह (1781)
गंजम एवं गम
ु सरु में विद्रोह (1800, 1835-37)
E
● गंजम जिले में गुमसरु के जमींदार श्रीकर भंज ने 1797 में राजस्व दे ने से
मना कर दिया।
● 1800 में श्रीकर ने खल
ु कर अंग्रेजों का विद्रोह किया
● श्रीकर भंज के पत्र V
ु धनंजय भंज ने भी अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया
● किंतु 1815 में उन्हें बंदी बना लिया गया।
LI
ु ः अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया किंतु अंग्रेजों ने इसे दबा
● धनंजय ने पन
दिया।
● 1835 में धनंजय की मत्ृ यु के फलस्वरूप विद्रोह समाप्त
K
E
● परं तु राजा ने संधि की शर्तों से असहमति व्यक्त करते हुए सहायक कर
दे ने में आनाकानी की, जिससे अंग्रेजों का व्यवहार कठोर हो गया।
● इस घटना ने मफ्
ु ती और पलि
ु स के पक्षकारों के बीच खन
ू ी संघर्ष को
प्रोत्साहित किया।
● अप्रैल 1816 में , उपद्रवियों ने बरे ली के प्रांतीय न्यायालय के न्यायाधीश
लीसेस्टर के पत्र
ु की हत्या कर दी।
● उपद्रव को भारी सैन्य बल तैनात करके दबाया जा सका।
कूका विद्रोह
● शरु
ु आत पंजाब में 1860-1870 ई. में 'भगत जवाहर मल' द्वारा
नायक विद्रोह
● बंगाल में मिदनापरु जिले में हुआ यह विद्रोह उन रै यतों (नायक) ने किया
E
था, जिन पर कम्पनी बढ़ी हुई दर से लगान चक
ु ाने के लिए दबाव डाल रही
दी।
● 1806 ई. में कंपनी ने इन रै यतों की जमीन भी जब्त कर ली थी।
V
● नायकों ने इसके विरोध में कम्पनी के खिलाफ छापामार यद्
दिया, जो 1816 तक चला।
ु ध शरू
ु कर
LI
● विद्रोह का नेतत्ृ व अचल सिंह ने किया
1857 की क्रांति
E
वस्तत
ु ः इस संधि के दो प्रमख
ु उद्दे श्य थे
V
● भारत को नेपोलियन के हस्तक्षेप से सरु क्षित रखना
● भारत में साम्राज्य विस्तार करना
● सती-प्रथा उन्मल
ू न अधिनियम (1829)
● हिन्द-ू विधवा पन
ु र्विवाह अधिनियम (1856)
● धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम (1905) ⇒ धर्म परिवर्तन करने के कारण
किसी भी पत्र
ु को उसके पिता की संपत्ति से वंचित नहीं
E
● ब्रिटिश शासन ने ग्रामीण आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया।
● कृषि के वाणिज्यीकरण ने कृषक-वर्ग पर बोझ को बढ़ा दिया।
● मक्
V
ु त व्यापार नीति को अपनाने, उद्योगों की स्थापना को हतोत्साहित
करने और धन के बहिर्गमन आदि कारकों ने अर्थव्यवस्था को परू ी तरह से
नष्ट कर दिया।
LI
क्रांति का प्रारं भ
● चर्बीयक्
ु त कारतस
ू ों के प्रयोग से इंकार
● 29 मार्च 1857 ⇒ मंगल पांडे ने आदे श दे ने वाले अधिकारियों को गोली
मार दी
M
विद्रोह के प्रमख
ु केंद्र
● मग
ु ल सम्राट बहादरु शाह जफर द्वारा औपचारिक केंद्रीय नेतत्ृ व
● विद्रोह का वास्तविक नेतत्ृ व जनरल बख्त खां द्वारा
E
● हालांकि जन
ू , 1858 तक ग्वालियर पन
ु ः अंग्रेजों के हाथ में
● फर्रु खाबाद : नवाब तफज्जल
ु हुसन
ै
● सल्
V
ु तानपरु : शहीद हसन
● संबलपरु : सरु ें द्र साई
LI
● हरियाणा : राव तल
ु ाराम
● मथरु ा : दे वी सिंह
● मेरठ : कदम सिंह
● रायपरु : नारायण सिंह
K
शाह मल
M
नोट
विद्रोह का दमन
E
● जनरल एनसन द्वारा फिरोजपरु , जालंधर, फुलवर, अंबाला में विद्रोह का
दमन
कब्जा
अंग्रेज जनरल
V
● जनरल निकोलस के नेतत्ृ व में 20 सितंबर, 1857 को दिल्ली पर पन
ु ः
LI
● दिल्ली : लेफ्टिनेंट विलोबी, जॉन निकलसन & हडसन
● कानपरु : सर व्हीलर, कोलिन कैम्पबेल
K
सर कॉलिन कैम्पबेल
E
विद्रोह की प्रकृति
V
● जेड राबर्टस : सिपाही विद्रोह
● सर जॉन लारें स : गाय की चर्बी से उत्पन्न सैनिक असंतोष
● एडवर्ड थॉम्पसन एवं जी. टी. गैरेट : सिपाही विद्रोह अथवा अनधिकृत
LI
राजाओं तथा जमींदारों का अनियोजित प्रयत्न अथवा सीमित
किसान-यद्
ु ध
● विलियम हॉवर्ड रसेल : धार्मिक यद्
ु ध
K
विद्रोह के परिणाम
E
● भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन के पास
● भारत के लिए राजकीय सचिव की नियक्ति
ु
● सेना में यरू ोपियनों की संख्या में वद्
ृ धि
V
● भारतीय सैनिकों की जाति, समद
ु ाय तथा क्षेत्र के आधार पर रे जीमें ट
● सेना विलय योजना, 1861 ⇒ कंपनी के यरू ोपीय सैनिकों ब्रिटिश क्राउन
LI
के अधीन
● यरू ोपीय सेना का समय-समय पर दौरा करने की लिंक्ड बटालियन योजना
● फूट डालो और राज करो की नीति
K
घोषणा
● भ-ू पतियों, जमींदारों एवं राजकुमारों के संरक्षण की नीति का अनस
ु रण
● भमि
ू के लिए निर्धारित लगान और समय की गारं टी के लिए एक नवीन
कृषि नीति
● स्थानीय सरकारों को करारोपण की कुछ मदों को सौंपकर वित्तीय व्यवस्था
का विकेंद्रीकरण
● पाश्चात्य संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाली शिक्षा नीति का अनस
ु रण
E
निर्मित
कांग्रेस के पर्व
V
● 1857 की क्रांति के पश्चात ् स्थापित हुए संगठन
माध्यम से मांग
E
● आम जनता के हितों की रक्षा करना तथा बढ़ावा दे ना
● जमींदारी प्रथा की आलोचना
● 13 जल
ु ाई, 1852 को स्थापित
● ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की शाखा के रूप में
● मद्रास में गजल
ु ू लक्ष्मी नरसच
ु ेट्टी द्वारा स्थापित
● सी. वाई. मद
ु लियार अध्यक्ष और वी. रामानज
ु ाचारी सचिव
पन
ू ा सार्वजनिक सभा
E
इंडियन लीग
● मख्
V
● 1876 में इसी संस्था का स्थान इंडियन एसोसिएशन ने ले लिया
● कांग्रेस की पर्व
ू वर्ती संस्थाओं में एक
ु य नेतत्ृ वकर्ता सरु े न्द्रनाथ बनर्जी एवं आनंद मोहन बोस
LI
इंडियन एसोसिएशन
E
● फिरोजशाह मेहता, के.टी. तैलंग और बदरुद्दीन तैयबजी द्वारा
● आम जनता को राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना
● प्रशासन संबंधी सध
ु ार को याचनाओं के जरिये ब्रिटिश प्रशासन के सामने
रखना V
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
LI
● 1 मार्च, 1883 को ए.ओ. ह्यम
ू ने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों के
नाम एक पत्र लिखा → सबसे मिलजल
ु कर स्वाधीनता के लिए प्रयत्न
करने की अपील
K
E
● किंतु इसका यह तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि कांग्रेस ब्रिटिश
औपनिवेशिक हितों की पोषक अथवा समर्थक थी।
V
● दादाभाई नौरोजी, सरु ें द्रनाथ बनर्जी जैसे व्यक्तियों का समह
ू उस समय
स्वयं चाहता था कि इस प्रकार के एक राष्ट्रीय स्तर के संगठन की स्थापना
की जाए, जो परू े भारतीयों की मांगों को ब्रिटिश सरकार के समक्ष प्रभावी
LI
ढं ग से प्रस्तत
ु कर सके।
● कांग्रेस के प्रारं भिक नेता इस बात से भलीभांति परिचित थे कि क्षेत्रीय
संगठनों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार से अपनी मांगे नहीं मनवाई जा
K
सकती हैं।
● पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त होने के कारण यह नेता अखिल स्तर पर राजनीतिक
M
E
व्योमेश चन्द्र बनर्जी, सरु े न्द्र नाथ बनर्जी, रास बिहारी बोस, पंडित
मदनमोहन मालवीय
विचारधारा
V
● ब्रिटिश शासन प्रगतिशील शासन
LI
● लोकतांत्रिक शासन
● जनसहभागिता का तत्व
● विधि का शासन & नागरिक अधिकार
K
E
● भारत से धन का ब्रिटे न की तरफ एकरे खीय रूप से प्रवाहित होना
● दादाभाई नौरोजी : ‘Poverty and Un-British Rule in India’ (1901)
गोखले
V
● आर. सी. दत्त, महादे व गोविन्द रानाडे, सब्र
ु मण्यम अय्यर, गोपाल कृष्ण
LI
धन निर्गमन के स्त्रोत
नरम दल की कार्यप्रणाली
E
● ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग में विश्वास
● 1888 में व्योमेश चंद्र बनर्जी को कांग्रेस के एजेंट के रूप में लंदन में भेजा
गया
V
● 1888 में ही लंदन में ‘ब्रिटिश काॅमनवेल्थ ऑफ इंडियन एसोसिएशन’ की
स्थापना ⇒ अध्यक्ष विलियम एवं सचिव डिग्वी
LI
● संगठन का उद्दे श्य भारतीय मांगों को ब्रिटिश जनता एवं ब्रिटिश
पार्लियामें ट के समक्ष प्रस्तत
ु करना
● प्रार्थना-पत्र, याचिका एवं निवेदन के माध्यम से भारत सरकार के समक्ष
K
संवध
ै ानिक सध
ु ारों की मांग
● दस
ू री तरफ ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर भारतीय समाज को आधनि
ु क
बनाने का सक्रिय प्रयास
M
ब्रिटिश प्रतिक्रिया
E
1905 का बंगाल विभाजन
1. बंगाल एक बड़ा प्रांत → कुशल एवं प्रभावी प्रशासन संचालित करने में
कठिनाई
M
प्रतिरोध’
● विदे शी वस्त्रों की होली
● 1906 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की स्थापना
M
● कांग्रेस में खल
ु कर मतभेद
● नरमपंथी चाहते थे कि बंगाल विभाजन के विरूद्ध चलाए जा रहे आंदोलन
को सिर्फ बंगाल तक ही सीमित रखा जाए,
अहरार आंदोलन
E
● 1906 में बंगाल के राष्ट्रवादी मस
ु लमानों द्वारा प्रारं भ
● संस्थापक : मौलाना हबीब
● लक्ष्य : मस
● प्रमख
V
ु लमानों को राष्ट्रवादी आंदोलन से जोड़ना
ु नेता: मौलाना मोहम्मद अली, हकीम अजमल खां, मौलाना जफर
अली खान, इसन इमाम
LI
कांग्रेस का विभाजन
विभाजन का मख्
ु य आधार : वैचारिक अंतराल
K
विभाजन का क्रियान्वयन
E
द्वारा नरमपंथियों को अधिक महत्व दिया जाना
उदय के कारण V
● आंतरिक परिस्थितियाँ
LI
○ तात्कालिक कारण
● बाह्य परिस्थितियाँ
तात्कालिक कारण
K
E
● सहकारिता समिति अधिनियम ⇒ ग्रामीण जनता के लिए प्राथमिक ऋण
की व्यवस्था
● रे लवे, यातायात तथा संचार साधनों का सबसे तीव्र गति से विकास
उदय के कारण
● आंतरिक परिस्थितियाँ
V
LI
○ तात्कालिक कारण
● बाह्य परिस्थितियाँ
● अंग्रेजों की अजेयता की अवधारणा खंडित
K
● आयरलैंड, तर्की
ु तथा दक्षिण अफ्रीका के बोअर यद्
ु ध में साम्राज्यवादी
शक्तियों के विरूद्ध सफलता
M
आंदोलन की विचारधारा
● स्वराज
स्वराज
● स्वशासन
● सांस्कृतिक स्वराज
● धार्मिक स्वराज
E
● राजनीतिक स्वराज
V
● भारत को राष्ट्र के रूप में संगठित करना
● भारत को आत्मनिर्भर बनाना
LI
2. सांस्कृतिक स्वराज
3. धार्मिक स्वराज
K
ईसाइयत से मक्ति
ु
4. राजनीतिक स्वराज
M
स्वराज ⇒ स्वधर्म
● शक्ति की आराधना
● गीता का निष्काम कर्म
● भारतीय भमि
ू का मानवीकरण
शक्ति की आराधना
भारतीय भमि
ू का मानवीकरण
क्रांतिकारी राष्ट्रवाद
E
● उदय
● विचारधारा एवं रणनीति
उदय
● यव
V
ु ा वर्ग की नरमपंथियों पर आस्था नहीं
LI
● ब्रिटिश दमनकारी नीतियों से आक्रोश
● आयरलैंड के क्रांतिकारियों से प्रेरणा
● जापान द्वारा रूस को हराए जाने से ‘गोरों’ की अपराजेयता की अवधारणा
खंडित
K
● यव
ु ा वर्ग ने क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का मार्ग चन
ु ा
● दीर्घकालिक रणनीति
● अल्पकालिक रणनीति
दीर्घकालिक रणनीति
अल्पकालिक रणनीति
ब्रिटिश प्रतिक्रिया
E
लार्ड मार्ले (भारत सचिव)
V
● नरमपंथियों के प्रति समझौते की नीति (1909 का अधिनियम)
● क्रांतिकारियों के प्रति उन्मल
ू न की नीति
LI
लार्ड मार्ले (भारत सचिव)
लार्ड मिंटो-II
M
लार्ड मिंटो-II
प्रतिदोलक सिद्धांत
चरमपंथियों का मल्
ू यांकन
E
● किंतु गरमपंथियों का सांप्रदायिकता का प्रसार करना उद्दे श्य नहीं था
बल्कि वह भारत की प्राचीन गौरवमयी सभ्यता एवं संस्कृति के माध्यम से
दे शवासियों को ब्रिटिश शासन के विरूद्ध संगठित करना चाहते थे। इस
V
क्रम में उन्हें सफलता भी मिली।
● किंतु यह कहना अनचि
ु त है कि गरमपंथियों की नीतियों एवं कार्यपद्धति
LI
के कारण मस्लि
ु म वर्ग राष्ट्रवादी आंदोलन से दरू रहा।
● दरअसल, यह अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की कुटिल नीति का
परिणाम था, जिसका अनप
ु ालन वह अन्य औपनिवेशिक दे शों में भी कर
K
चक
ु े थे।
● हालांकि गरमपंथियों ने अंग्रेजों के समक्ष यह कमजोर कड़ी अवश्य
उपस्थित कर दी।
M
● इसके बावजद
ू राष्ट्रवादी आंदोलन में गरमपंथियों की महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
रही। उन्होंने बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा, स्वदे शी जैसे माध्यमों से ब्रिटिश
शासन पर दबाव बनाया।
● गरमपंथियों की कार्यप्रणाली की ही विशेषता थी कि बंग-भंग आंदोलन में
पहली बार महिलायें भी खल
ु कर शामिल हुई जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश
सरकार को 1911 में बंगाल के विभाजन की योजना को वापिस लेना पड़ा।
मस्लि
ु म लीग की स्थापना एवं प्रथम विश्वयद्
ु ध की रणनीति
E
भारतीय प्रतिक्रिया
● शर्त-रहित समर्थन
● शर्त-सहित समर्थन
V
● अवसर का लाभ उठाना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष प्रारं भ करना
LI
लखनऊ समझौता (1916)
● कांग्रेस का एकीकरण
● कांग्रेस और मस्लि
ु म लीग समझौता
K
● नरमपंथी महसस
ू कर रहे थे कि कांग्रेस धीरे -धीरे एक निष्क्रिय संगठन में
बदल रही है और उसका जनाधार संकुचित होता जा रहा है । तत्कालीन
परिस्थितियों में उन्हें यद्
ु ध के बाद नई संवध
ै ानिक रियायतें मिलने की
उम्मीद थी।
● ऐसे में होमरूल आंदोलन के रूप में वे एक वैधानिक आंदोलन में शामिल
होकर ब्रिटिश सरकार से और अधिक रियायतें प्राप्त कर सकते थे। साथ ही
इस समय गरमपंथियों के सबसे विरोधी नेता फिरोजशाह मेहता की भी
मत्ृ यु हो चक
ु ी थी।
E
गरमपंथी समझौता क्यों चाहते थे ?
V
गरमपंथी जानते थे कि कांग्रेस जनांदोलन का प्रतीक बन चक
बड़े आंदोलन को चलाने के लिए संगठन बहुत अधिक महत्वपर्ण
इससे ब्रिटिश दमन से भी बचा जा सकेगा।
ु ी है । अतः किसी भी
ू होता है और
LI
ब्रिटिश सरकार की घोषणा
● यद्
ु ध के बाद भारतीयों को आत्मनिर्णयन का अधिकार दिया जाएगा
● क्योंकि ब्रिटिश सरकार भारतीयों का यद्
ु ध में सहयोग प्राप्त करना चाहती
थी
M
● इसी क्रम में 1915 में बाल गंगाधर तिलक और एनीबीसेंट के द्वारा
होमरूल आंदोलन प्रारं भ
होमरूल लीग
Note
E
● 'मद्रास होमरूल लीग' की स्थापना ⇒ एनी बेसट
ें
● तिलक तथा एनी बेसट
ें ने आपसी टकराव की संभावना को दरू करने के
लिये पथ
ृ क-पथ
ृ क लीग स्थापित करने का निर्णय लिया
बेसट
ें की होमरूल लीग
M
परिणाम
● जन
ू 1917 में एनी बेसट
ें एवं उनके सहयोगी बी.पी. वाडिया एवं जार्ज
अरुं डेल गिरफ्तार
● सर एस. सब्र
ु ह्मण्यम अय्यर ⇒ अपनी 'सर' की उपाधि त्याग दी
E
● तिलक ⇒ सरकारी दमन के विरोध में अहिंसात्मक प्रतिरोध कार्यक्रम
प्रारम्भ करने की वकालत
● 20 अगस्त 1917 को भारत सचिव मांटेग्यू के माध्यम से ब्रिटिश सरकार
ने की घोषणा ⇒ यद्V
ु ध के बाद भारत में स्वायत्त संस्थाओं के क्रमिक
विकास की प्रक्रिया प्रारम्भ की जायेगी।
LI
आंदोलन धीमा पड़ने के कारण
ही संतष्ु ट
● बेसट
ें द्वारा आंदोलन को योग्य नेतत्ृ व प्रदान कर पाने की अक्षमता
M
● गांधीजी 1915 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण
E
गोखले के आमंत्रण पर 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे ।
● इससे पर्व
ू गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों की नस्लवादी नीति के
खिलाफ कुछ सफल आंदोलन कर चक
ु े थे।
V
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी
E
● अहमदाबाद मिल आंदोलन (1918)
● खेडा आंदोलन (1918)
V
चंपारण का सत्याग्रह (1917)
● सत्याग्रह का पहला बड़ा प्रयोग बिहार के चंपारण जिले में 1917 में
LI
● ज़मीन के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना : तिनकाठिया
पद्धति
● 19वीं सदी के अंत में जर्मनी में रासायनिक रं गों (डाई) का विकास हो गया,
K
खिलाफत आंदोलन
V E
LI
● तर्की
ु का सल्
ु तान मस
ु लमानों का धार्मिक गुरू
● प्रथम विश्वयद्
ु ध में तर्की
ु द्वारा जर्मनी का साथ
K
● किंतु यद्
ु ध के बाद वर्साय की संधि (1919) द्वारा तर्की
ु का विभाजन
● मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली द्वारा अखिल भारतीय खिलाफत
समिति का गठन
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
● गांधीजी कांग्रेस को मस
ु लमानों का समर्थन करना चाहिए
● क्योंकि खिलाफत के मद्
ु दे पर हिंद-ू मस्लि
ु म एकता
● किंतु तिलक इसके विरूद्ध
E
● तर्की
ु एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित
● अतः खलीफा का मद्
ु दा अप्रासंगिक
खिलाफत आंदोलन
सकारात्मक पक्ष
V
LI
● व्यापक जनभागीदारी
● हिंद-ू मस्लि
ु म एकता का प्रदर्शन
नकारात्मक पक्ष
K
● 6 अप्रैल 1919
● अमत
ृ सर के लोकप्रिय नेताओं डॉ. सत्यपाल और डॉ. किचलू की गिरफ्तारी
तथा रौलट एक्ट के विरोध शांतिपर्ण
ू आंदोलन
E
● जनरल डायर
● अंग्रेजी सरकार द्वारा हं टर कमेटी का गठन
V
● रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी 'नाइट' की उपाधि लौटा दी
● उधम सिंह (अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद) ⇒ लेफ्टिनेंट गवर्नर
माइकल ओ डायर की हत्या ⇒ 1940 में फांसी
LI
हं टर आयोग / डिस ्ऑर्डर इंक्वायरी कमेटी
● 14 अक्टूबर, 1919
K
असहयोग आंदोलन
E
● गांधीजी एवं अली बंधओ
ु ं (मौलाना शौकत अली & मौलाना मोहम्मद अली)
द्वारा राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान
● विदे शी कपड़े एवं प्रिंस ऑफ वेल्स के आगमन का बहिष्कार
● ताड़ी की दक V
ु ान पर धरना
● तिलक स्वराज कोष ⇒ 1 करोड़ से भी अधिक धन इकठ्ठा
LI
चौरी-चौरा कांड (4 फरवरी 1922)
स्वराज दल
साइमन कमीशन
E
● तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टे नली बाल्डविन (कंजर्वेटिव पार्टी)
● सभी सदस्य अंग्रेज
● लाहौर ⇒ लाला लाजपत राय ⇒ लाठीचार्ज
V
● भगत सिंह, चंद्रशेखर जैसे क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की
हत्या
LI
साइमन कमीशन का विरोध करने वाले संगठन
कांग्रेस, किसान मजदरू पार्टी, लिबरल फेडरे शन, हिंद ू महासभा, मस्लि
ु म लीग
K
● जन
ू , 1930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित
● भारत में संघीय व्यवस्था
M
E
● तात्कालिक रूप से भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाए।
● केंद्र एवं प्रांतों में पर्ण
ू उत्तरदायी सरकार की स्थापना की जाए।
V
● गवर्नर जनरल तथा गवर्नरों की कार्यकारिणी (वर्तमान कार्यपालिका) को
विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी बनाया जाए।
● भारत में संघीय व्यवस्था लागू की जाए और संघीय आधार पर शक्तियों
LI
का केंद्र और प्रांतों में विभाजन किया जाए।
● अवशिष्ट शक्तियां केंद्र सरकार को सौंपी जाए।
● अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक हितों की रक्षा के लिए गारं टी प्रदान की जाए
K
(एक प्रकार से मल
ू अधिकार)
● केंद्रीय विधानमंडल के रूप में संसद का गठन किया जाए, जिसमें ब्रिटे न
M
E
पर्ण
ू स्वाधीनता का प्रस्ताव
सामने 11 मांगे
2. नशीली वस्तओ
ु ं के विक्रय पर पर्ण
ू रोक
विशिष्ट बर्जु
ु आ वर्ग की मांगें
8. रक्षात्मक शल्
ु क लगाए जाए तथा विदे शी कपड़ों का आयात नियंत्रित
E
9. तटीय यातायात रक्षा विधेयक पास किया जाए
किसानों से संबंधित
आंदोलन का कार्यक्रम
आंदोलन की प्रगति
E
● सरोजिनी नायडू द्वारा बंबई से धरसना पर 2,500 लोगों का नेतत्ृ व
● अमेरिकी वेब मिलर द्वारा घटना का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन
● तमिलनाडु में सी. राजगोपालाचारी द्वारा नमक यात्रा
V
● मालाबार में के. केलप्पड़ द्वारा नमक यात्रा
● उड़ीसा में गोपचंद्र बंधु चौधरी के नेतत्ृ व में बालासोर, कटक और परु ी में
LI
आंदोलन
● खान अब्दल
ु खां के नेतत्ृ व में गठित खद
ु ाई खिदमतगार या लाल कुर्ती
आंदोलन
K
गांधी-इरविन समझौता
M
● 5 मार्च 1931 को
● तेज बहादरु सप्रू तथा एम. आर. जयकर की महत्वपर्ण
ू भमि
ू का
● लंदन द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के पर्व
ू
● महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन के बीच
● एक राजनैतिक समझौता
समझौते के प्रमख
ु बिंद ु
E
प्रथम गोलमेज सम्मेलन
● (नवंबर 1930 - जनवरी 1931) पहली ऐसी वार्ता, जिसमें ब्रिटिश शासकों
बहिष्कार; मस्लि
लिया
ु
V
द्वारा भारतीयों को बराबर का दर्जा; कांग्रेस द्वारा सम्मेलन का
म लीग, हिन्द ू मह्रासभातथा भारतीय रजवाड़ों ने में भाग
LI
● सम्मेलन में सम्मिलित सभी दलों के प्रतिनिधि केवल अपने व्यक्तिगत
हितों के पोषण में प्रयासरत ⇒ प्रथम गोलमेज सम्मेलन निरर्थक
K
दस
ू रा गोलमेज सम्मेलन
सम्मेलन भी निरर्थक
● सम्मेलन में सम्मिलित सभी दलों के प्रतिनिधि केवल अपने व्यक्तिगत
हितों के पोषण में प्रयासरत ⇒ प्रथम गोलमेज सम्मेलन निरर्थक
तत
ृ ीय गोलमेज सम्मेलन
E
● अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान
● लिखित रूप से केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन
V
● प्रांतों में द्वैध शासन की समाप्ति
● प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना
LI
● प्रांतों में द्विसदनीय विधायिका
● 16 अगस्त, 1932
● साम्प्रदायिक निर्णय
M
● दलितों के लिए पथ
ृ क निर्वाचन का प्रावधान
● गांधीजी द्वारा पन
ू ा की यरवदा जेल से आमरण अनशन प्रारं भ
पन
ू ा समझौता, 1932
● 26 सितम्बर, 1932
● गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के मध्य
E
● 17 अक्टूबर 1940 को विनोबा भावे पहले सत्याग्रही; जवाहरलाल नेहरू
दस
ू रे
● इसी बीच 1942 में क्रिप्स मिशन भारत भेजा
● पर्ण
ू स्वराज्य के स्थान पर डोमिनियन स्ट्टे स
● मस्लि
ु म लीग द्वारा भी अस्वीकार, क्योंकि अलग दे श के गठन की मांग
अस्वीकृत
● गांधीजी ⇒ क्रिप्स प्रस्ताव पोस्ट डेटड चैक
एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको दे ता हूँ। इसे आप अपने ह्रदय में अंकित कर लें
और अपनी हर सांस में उसे अभिव्यक्त करें । यह मंत्र है - ‘करो या मरो’। अपने
इस प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करें गे या फिर जान दे दें गे।
E
● भारत पर जापान के आक्रमण का भय
● सिंगापरु तथा बर्मा में ब्रिटे न की पराजय
● द्वितीय विश्वयद् V
● भारतीय शरणार्थियों से अंग्रेजों द्वारा प्रजातीय भेदभाव
ु ध के कारण मध्यम वर्ग में असंतोष
● 14 जल
ु ाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा प्रस्ताव पारित
● 8 अगस्त 1942 को बंबई बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पारित
● इसलिए भारत छोड़ो आंदोलन का अन्य नाम: अगस्त प्रस्ताव
M
● आंदोलन से पर्व
ू ही बड़े कांग्रेसी नेता गिरफ्तार
● इसलिए आंदोलन की सस्
ु पष्ट रूपरे खा और कार्यक्रम नहीं
● हालांकि स्वाभाविक रूप से आंदोलन एक जनांदोलन
● कांग्रेस को छोड़कर किसी दल की हिस्सेदारी नहीं
E
आंदोलन की सबसे बडी उपलब्धि थी।
V
● 1943 में भारत का वायसराय वेवल
● 1945 में वेवल द्वारा एक योजना प्रस्तत
ु : वेवल योजना
○ सभी प्रांतों में उत्तरदायी सरकारें स्थापित की जाएगी
LI
○ भारत का संविधान स्वंय भारतीय बनाएंगे
भारतीय द्वारा
● मस्लि
ु म लीग द्वारा योजना अस्वीकार क्योंकि पाकिस्तान के गठन का
उल्लेख नहीं
सैनिक विद्रोह
E
● अर्थात ् नौसैनिक अपने कार्यों को धीरे -धीरे परू ा करें गे
V
● तीन सदस्य पैथिक लारे न्स, सर स्टे फोर्ड क्रिप्स तथा एलेक्जेण्डर
○ भारत में संवध
ै ानिक सध
ु ारों की रूपरे खा निर्मित करना
○ केन्द्र में एक अस्थायी सरकार की स्थापना करना
LI
कैबिनेट मिशन योजना की प्रमख
ु बातें
● प्रांतों को पर्ण
ू स्वायत्तता
● विदे शी मामले, प्रतिरक्षा तथा संचार केन्द्रीय सरकार के अधीन
● अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित
M
● मस्लि
ु म लीग के प्रतिनिधि : लियाकत अली (वित्त मंत्री)
● किंतु लीग और कांग्रेस में मतभेद
● अतः 16 अगस्त, 1946 लीग द्वारा सीधी कार्यवाही का निश्चय
E
● ताकि पाकिस्तान के गठन की मांग को स्वीकृत करवाया जा सके
● बंगाल में लीग के मख्
ु यमंत्री सह
ु ारवर्दी द्वारा इस दिन छुट्टी घोषित
● ब्रिटिश सरकार द्वारा लीग को अप्रत्यक्ष सहयोग और समर्थन
● जन
ू 1948 तक ब्रिटिश सरकार भारत को आजाद कर दे गी।
E
● वायसराय केंद्र का जबकि राज्यों के गवर्नरों को राज्य का संवध
ै ानिक
प्रमख
ु घोषित
● संवध
ै ानिक प्रमख
करें गे
V
ु मंत्रिपरिषद की सहायता एवं सलाह के अनस
V E
LI
K
M
E
जन-गण-मन का गायन
● 1916 का लखनऊ अधिवेशन, अध्यक्ष ए. सी. मजम
ू दार, कांग्रेस तथा लीग
एकीकरण
V
● 1917 का कलकत्ता अधिवेशन, पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसट
ें
LI
● 1924 का बेलगाम अधिवेश, गांधीजी की अध्यक्षता में एकमात्र अधिवेशन
● 1925 का कानपरु अधिवेशन, पहली भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी
नायडु
● 1937 का फैजपरु अधिवेशन, गांव में होने वाला पहला अधिवेशन, अध्यक्ष
K
उत्तेजना का दौर
● 1946 का मेरठ अधिवेशन, अध्यक्ष जे. बी. कृपलानी, स्वतंत्रता से पर्व
ू का
अंतिम अधिवेशन
● सत्य के प्रयोग
V
ु पस्
ु तकें
LI
● रामनाम
● मेरे सपनों का भारत
● दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
● गीता बोध
K
● हिंद स्वराज
● Songs from Prisons
M
● मल
ू नायक (साप्ताहिक)
● बहिष्कृत भारत (साप्ताहिक)
● भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
● भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
● ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
● रुपये की समस्या: उद्भव और समाधान
● ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्यद
ु य
E
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रमख
ु पस्
ु तकें
नेता जी सभ
ु ाष चंद्र बोस
K
E
● वर्ष 1939 में त्रिपरु ी (Tripuri) में उन्होंने गांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि
सीतारमैय्या (Pattabhi Sitaramayya) के खिलाफ फिर से अध्यक्ष पद
का चन
ु ाव जीता।
V
● उन्होंने एक नई पार्टी 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की।
LI
● इसका उद्दे श्य अपने गह
ृ राज्य बंगाल में राजनीतिक वामपंथ और प्रमख
ु
समर्थन आधार को मज़बत
ू करना था।
● भारतीय राष्ट्रीय सेना
● बोस ने पेशावर और अफगानिस्तान के रास्ते बर्लिन भागने का प्रबंध
K
किया।
● वह जापान से बर्मा पहुँचे और वहाँ भारतीय राष्ट्रीय सेना को संगठित
M
E
● गांधीजी 1915 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण
गोखले के आमंत्रण पर 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे ।
● इससे पर्व V
ू गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों की नस्लवादी नीति के
खिलाफ कुछ सफल आंदोलन कर चक
ु े थे।
LI
दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी
E
● 9 जनवरी, 1915 → महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदे श वापस आये
थे।
V
● भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया
जाता है ।
LI
● गांधीजी जब अफ्रीका से भारत वापिस आए थे तो नरमपंथियों एवं
गरमपंथियों के मध्य वैचारिक अंतराल व्यापत था और राष्ट्रवादी आंदोलन
नेतत्ृ व के संकट से गुजर रहा था।
K
● इस क्रम में गांधीजी द्वारा तीन सफल सत्याग्रह आंदोलन किए जाते हैं,
जिससे भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में गांधीवादी चरण की शरू
ु आत होती
है , जिसकी चर्चा में हम पर्व
ू में कर चक
ु े हैं।
● गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका फीनिक्स आश्रम की स्थापना की थी, जहां
रहकर वे आंदोलन का संचालन करते थे। उनके साथ जो लोग थे, वे
सादगीपर्ण
ू तरीके से जीवन-यापन करते थे।
● 1910 में गांधीजी ने जोहानिसबर्ग में टॉलस्टॉय फॉर्म की स्थापना की।
साबरमती आश्रम
E
भितिहरवा आश्रम
V
पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांव में स्थापित किया गया। भितिहरवा के मठ के
बाबा रामनारायण दास ने गांधी को आश्रम के लिए जमीन उपलब्ध कराई।
LI
सेवाग्राम आश्रम
कराई थी। आश्रम 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन और उसके बाद अंग्रेजी दासता
से मक्ति
ु का प्रमख
ु अहिंसात्मक केंद्र रहा।
क्रांतिकारी आंदोलन
M
● यव
ु ाओं में राष्ट्रवाद → दे शवासियों में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने में
योगदान दे ने वाला सबसे महत्वपर्ण
ू कारक ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों
का 'आर्थिक शोषण' और बंगाल का विभाजन था।
● उदारवादी और उग्रवादी कांग्रेस की विफलता → स्वदे शी और बहिष्कार
आंदोलन का पतन तात्कालिक कारण
● यव
ु ाओं की क्रांतिकारी ऊर्जा का दोहन करने में नेतत्ृ व की विफलता
क्रान्तिकारियों की कार्य-प्रणाली
E
● चन्दा, दान तथा क्रांतिकारी डकैतियों द्वारा व्यय के लिए धन का प्रबंध
करना
V
महाराष्ट्र में क्रान्तिकारी अभियान
E
● बाद में सरकार की दमनात्मक नीति एवं धन की कमी के कारण महाराष्ट्र
में क्रांतिकारी आन्दोलन शांत हो गया
V
बंगाल में क्रांतिकारी आन्दोलन
● विदे शों में क्रांतिकारी आन्दोलन के प्रसार का श्रेय श्यामजी कृष्ण वर्मा →
लंदन में इन्होंने 1905 में ‘इंडिया होमरूल सोसाइटी’ की स्थापना
● इंडियन सोशियोलॉजिस्ट नामक पत्र निकालकर भारत में स्वराज्य प्राप्ति
को अपना उद्दे श्य बताया
● लंदन में ‘इंडिया हाउस’ की भी स्थापना की जो क्रांतिकारी गतिविधियों का
E
केन्द्र था
● जल
ु ाई 1909 ई. में लंदन में ही मदन लाल ढींगरा ने भारत सचिव के
ए.डी.सी., कनर्ल सर विलियम कर्जन वाइली को गोली मार दी, ढ़ींगरा को
फाँसी दे दी गयी
गदर आंदोलन
V
LI
● स्थापना : 1913 में सेन फ्रांसिस्को में लाला हरदयाल के प्रयासों से
● अमेरिका और कनाडा के भारतीय
● यह पार्टी ‘हिन्दस्
ु तान ग़दर’ नामक पत्र भी निकालती थी जो उर्दू और
K
दिलाना
● यद्यपि गदर आंदोलन अपने उद्दे श्यों की प्राप्ति में पर्ण
ू तः सफल नहीं
माना जाता तथापि यह समतावादी एवं जनतंत्रवादी मल्
ू यों पर आधारित
था।
क्रांतिकारी आन्दोलन का दस
ू रा चरण
E
● इस अखिल भारतीय सम्मेलन के परिणामस्वरूप ‘भारत गणतंत्र समिति
या सेना’ (Hindustan Republican Association or Army) का जन्म
हुआ
V
● इसकी शाखाएं बिहार, य.ू पी., दिल्ली, पंजाब, मद्रास आदि जगहों पर
LI
स्थापित
● इस दल के तीन प्रमख
ु आदर्श
● भारतीय जनता में गांधीजी की अहिंसावाद की नीतियों की निरर्थकता के
प्रति जागति
ृ उत्पन्न करना
K
● पर्ण
ू स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष कार्यवाही तथा लोगों को क्रांति के
लिए तैयार करना
M
E
● अप्रैल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में केन्द्रीय विधान
सभा में बम फेंका, जिसका उद्दे श्य था ‘बहरी सरकार को आवाज सन
ु ाना
V
● बम फेंकने के बाद दोनों ने ही अपनी गिरफ्तारी दी
● भगत सिंह, राजगुरु और सख
ु दे व को 23 मार्च, 1931 को फाँसी
LI
● 1930 में सर्य
ू सेन ने चटगांव के शस्त्रागार पर आक्रमण कर अनेक अंग्रेज
अधिकारियों की हत्या कर दी
● इस अभियान में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया
● सर्य
ू सेन ने चटगांव में ही अपने आप को प्रांतीय स्वतंत्र भारत सरकार का
K
दे शी रियासतों का एकीकरण
बटलर समिति
E
● दे शी रियासतों व ब्रिटिश सरकार के मध्य जो विवाद हैं, उनकी जांच के
लिए विशेष समितियां नियक्ति
ु की जाए।
V
स्वतंत्रता के समय की रियासतों की स्थिति
● 5 जल
ु ाई, 1947 को अंतरिम सरकार के गह
ृ मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटे ल
के निर्देशन में राज्य मंत्रालय की स्थापना की गई और उन्हें भारत की ओर
M
V E
LI
K
जन
ू ागढ़ का भारत में विलय
E
में बदलाव करते हुए जम्म-ू कश्मीर को प्रदान विशिष्ट राज्य का दर्जा का
समाप्त करते हुए इसे एक केंद्र-शासित प्रदे श बना दिया गया है ।
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