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05JAN24

16-02-78 माया और प्रकृति द्वारा सत्कार प्राप्त आत्मा ही सर्व श्रेष्ठ आत्मा है

आज बाप-दादा हरे क बच्चे के नयन ों से , मस्तक की लकीर ों से विशेष बात दे ख रहे हैं । एिर है ल्दी,
िै ल्दी और है प्पी यह तीन ों ही प्राप्ति िततमान समय की प्राप्ति के वहसाब से 21 जन्म करते ह । आज
बाप-दादा हरे क की प्राप्ति की लकीर मस्तक और नयन ों द्वारा दे ख रहे हैं । अब तक चै लेन्ज प्रमाण
सदा शब्द प्रे क्टीकल में कहााँ तक है ?

एर्र है ल्दी : नॉलेजफुल होने के कारण सेफ

 वसर्त है ल्दी िै ल्दी नही ों कहते ह लेवकन एिर है ल्दी िै ल्दी कहते ह । पहले िततमान और
िततमान के आधार पर भविष्य है । त सदा शब्द पर अन्डर-लाइन कर ।
 जैसे शारीररक व्यावध, मौसम के प्रभाि में , िायु मण्डल के प्रभाि में , या खान पान के प्रभाि
में , बीमारी के प्रभाि में आ जाते हैं । ऐसे मन की प्तथिवत पर प्रभाि पड़ता है । एिर है ल्दी के
बजाय र गी बन जाते।
 लेवकन एिर है ल्दी इन सब बात ों में नॉलेजर्ुल ह ने के कारण से र् रहते हैं । एिर है ल्दी,
अिात त्
 सदा सित शप्तिय ों के, सित गुण ों के खज़ान ों से , ज्ञान के खज़ाने से सम्पन्न ह ग
ों े।
 कभी भी ऐसे शप्तिय ों की वनधत नता के ब ल या सों कल्प नही ों कर सकते।
 स्वयों क भी सदा सम्पन्न मू र्त्त अनुभि करें गे और अन्य वनधत न आत्माएाँ भी सम्पन्नमू र्त्त
क दे ख उनकी भरपू रता की छत्रछाया में स्वयों भी उमों ग, उत्साहिान अनुभि करें गे।

एर्र है प्पी : सदा खु श

 कैसा भी दु :ख की लहर उत्पन्न करने िाला , नीरस , अप्राप्ति का अनुभि कराने िाला
िातािरण ह , ऐसे में भी सदा खु श और अपनी खु शी की झलक से दु :ख और उदासी के
िातािरण क ऐसे पररिततन करें जैसे सू यत अन्धकार क पररितत न कर दे ता है ।
 अन्धकार के बीच र शनी करना, अशाप्ति के अन्दर शाप्ति लाना,
 नीरस िातािरण में खु शी की झलक लाना इसक कहा जाता है एिर है प्पी।

हरे क के प्राप्तप्त की लकीर : सदाकाल और स्पष्ट है ?

 तीन ों ही प्राप्तियााँ जन्म ह ते अभी तक अखण्ड रही हैं िा बीच-बीच में खप्तण्डत ह ती है ?
बहुत काल रही है िा अल्पकाल? ररजल्ट में अखण्ड और स्पष्ट उसकी कमी दे खी।
 िततमान समय प्रमाण यह तीन ों ही प्राप्तियााँ मस्तक और नयन ों द्वारा सदाकाल और स्पष्ट
वदखाई दे नी चावहए। इन तीन ों प्राप्तिय ों के आधार पर ही विश्व कल्याणकारी का पार्त बजा
सकते ह ।
 आज सित आत्माओों क इन तीन ों प्राप्तिय ों की आिश्यकता है । आपका खु श नसीब सदा
खु श अिात त् हवषतत मु ख चेहरा दे ख उन्ी ों में मानि जीिन का जीना क्या ह ता है , उसकी
वहम्मत, उमों ग उत्साह आये गा।
 वजन्दा ह ते भी नाउम्मीदी की वचता पर बैठे हुए - ऐसी आत्माओों क मरजीिा बनाओ।
नये जीिन का दान द । अिात त् तीन ों प्राप्तिय ों से सम्पन्न बनाओ।
 सदा स्मृवत में रहे यह तीन ों प्राप्तियााँ हमारा जन्म-वसद्ध अवधकार हैं । तीन ों ही
प्रै क्टीकल धारणा के वलए डबल अण्डर लाइन लगाओ।
 प्रभाि डालने िाले बन । वकसी भी प्रकृवत िा िातािरण के परप्तथिवतय ों के प्रभाि के
िश नही ों बन । क ई भले न बना ह लेवकन आप बनकर वदखाओ।
 बाप क र्ाल कर नम्बरिन में एगज़ाम्पल बन वदखाऊोंगा। ऐसा लक्ष्य रख । लक्ष्य के
साि लक्षण धारण करते रह । इसमें पहले मैं । यह दृढ़ सों कल्प रख ।

पातटव योों से मु लाकाि

 सवित सएबल अिात त् हर सों कल्प, ब ल और कमत सवित स में साि-साि लगा हुआ ह । वत्रमू वतत
बाप के बच्चे ह ना त तीन ों ही सवित स सािसाि ह नी चावहए।
 मन्सा द्वारा आत्माओों क बाप से बु प्तद्धय ग लगाने की से िा,
 िाणी द्वारा बाप का पररचय दे ने की से िा और
 कमत द्वारा वदव्यगुण मू र्त्त बनाने की से िा।
 हर से केण्ड अगर पािरर्ुल सवित स करने िाले हैं त एक से केण्ड में मरजीिा बनने की स्टे म्प
लगा सकते ह । यही अप्तिम से िा का रूप है । इसी क ही िरदानी और महादानी की स्टे ज
कहा जाता है ।
 अभी वदव्य गुण ों का श्ृों गार और अवधक करना है । मयात दा की लकीर के अन्दर रहते हुए
मयात दा पु रूष र्त्म का र्ाइर्ल लेने का अर्े न्शन ह त यह ताज और वतलक अर्े न्शन दे कर
धारण करना।
 स्वयों ही स्वयों के साक्षी बन चैक कर वक ज पार्त बजाया िह यिाित ि मवहमा य ग्य, चररत्र
रूप में वकया। एक्टर बन एक्ट कर वर्र सािी बन चै क कर वक महान हुआ या साधारण।
 सों कल्प में ही चैवकोंग चावहए क्य वों क सों कल्प ही कमत में आता है । अगर सों कल्प क ही चै क
कर चे न्ज कर वदया त कमत महान ह ग
ों े।
 जैसे अभी खु शी में नाच रहे ह िै से सदा खु शी में नाचते रह । क ई भी परप्तथिवत आये त
परप्तथिवत के ऊपर भी नाचते रह ।

Sushma MalviyaNagar Jaipur

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