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अथर्जाशास्त्र

E.
G
अथर्जाशास्त्र दो श दों से मलकर बना है :- अथर्जा और शास्त्र

D
LE
अथर्जा से तात्पयर्जा “धन” है , जब क शास्त्र का अथर्जा होता है “अध्ययन करना”

W
इस प्रकार अथर्जाशास्त्र का शाि दक अथर्जा है “धन संबं धत मामलों का अध्ययन”

O
KN
C
PS
G
C
अथर्जाशास्त्र को अंग्रेजी में “ ECONOMICS” कहते हैं

E.
G
इकोनॉ मक्स श द ग्रीक भाषा के श द “Oikonomia”

D
से लया गया है

LE
यह दो श दों से मलकर बना है “oikos” और

W
“nomos”

O
Oikos का अथर्जा होता है “घरे लू” , जब क nomos का

KN
अथर्जा “प्रबंधन संबं धत’’

इस प्रकार अथर्जा = “घरे लू आवश्यकताओं की पू तर्जा or


C
प्रबंधन है ”
PS
G
C
यूनानी दाशर्जा नक अरस्तु ने अथर्जाशास्त्र को घरे लू प्रबंधन का वज्ञान कहा

E.
है “Science of Household Management”

G
D
अथर्जाशास्त्र एक वज्ञान है जो मानव व्यवहार का अध्ययन उसकी

LE
आवश्यकता एवं उपल ध संसाधनों के वैकिल्पक प्रयोग के मध्य संबंध

W
का अध्ययन करता है .

O
KN
अथर्जाशास्त्र सामािजक वज्ञान की वह शाखा है िजसके अंतगर्जात वस्तुओं
और सेवाओं के उत्पादन , वतरण, व नमय और उपभोग का अध्ययन
कया जाता है
C
PS
G
C
E.
ब्रि टश अथर्जाशास्त्री अलफ्रेड माशर्जाल ने इसे -“मनुष्य जा त के रोजमरार्जा के
जीवन का अध्ययन बताया है .”

G
D
LE
उन्होंने बताया क प्रत्येक दे श के अथर्जाशास्त्र का उद्दे श्य उस दे श की
संप त्ति और शिक्त बढ़ाना है

W
O
KN
C
PS
G
C
E.
Other Definitions of Economics

G
असी मत आवश्यकताओं, इच्छाओं और सी मत संसाधनों के

D
बीच मनुष्य कैसे तालमेल बठाए, िजससे उसे अ धकतम

LE
संतुिष्ठ मले।

W
व्यिक्त, व्यवसाय, सरकार और राष्ट्र अपने संसाधनों का
कस तरह बेहतर आवंटन करें , ता क वह उन संसाधनों का

O
अपने हत या दे श हत में अ धकतम लाभ प्रा त कर संतुष्ट

KN
हो सके।
C
PS
वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन से लेकर व नमय, वतरण एवं
उपभोग का अध्ययन को अथर्जा-शास्त्र कहते हैं।
G
C
अथर्जाशास्त्री अल्फ्रेड माशर्जाल ने

E.
पुस्तकPrinciples of Economicsमें अथर्जाशास्त्र को कल्याण का वज्ञान(Science of Welfare) कहा।

G
D
LE
सैम्यूल्सन (Samuelson) ने

W
अथर्जाशास्त्र को वकास का शास्त्र (Science of Growth ) कहा है ।

O
KN
प्र सद्ध अथर्जाशास्त्री एडम िस्मथ ने 1776 में प्रका शत अपनी पुस्तक (An enquiry into the Nature
C
and the Causes of the Wealth of Nations ) में अथर्जाशास्त्र को धन का वज्ञान माना है ।
PS
G
C
लयोनेल रॉ बन्स ने उन्होंने 1932 में एक पुस्तक लखी, ‘‘An essay on the nature and signature of

E.
G
Economics Science”।

D
LE
इसमें उन्होंने बताया क अथर्जाशास्त्र वह वज्ञान है जो मानव व्यवहार का असी मत आवश्यकताओं और
दुलभ
र्जा साधनों के बीच संबंध के रूप में अध्ययन करता है , िजसका वैकिल्पक उपयोग है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
कुछ प्रमुख अथर्जाशािस्त्रयों के द्वारा इसकी नम्न प रभाषा दी गई है ,

E.
एडम िस्मथ के अनुसार, "धन के शास्त्र को अथर्जाशास्त्र कहते हैं।"

G
D
माशर्जाल के अनुसार , "अथर्जाशास्त्र, मनुष्य के व्यवहार का अध्ययन है ।"

LE
रो बंस के अनुसार, “अथर्जाशास्त्र एक वज्ञान है , जो मानव व्यवहार का अध्ययन उसकी आवश्यकताओं

W
(इच्छाओं) एवं उपल ध संसाधनों के वैकिल्पक प्रयोग के मध्य संबंध का अध्ययन करता है ।"

O
मुख्यत: कोई भी समाज तीन प्रकार की आ थर्जाक समस्याओं का सामना करता है :

KN
● क्या उत्पादन कया जाए?
● कतना उत्पादन कया जाए?

C
कसके लए उत्पादन कया जाए?
PS
G
C
E.
HISTORY OF ECONOMICS

G
अथर्जाशास्त्र का सबसे प्राचीन स्रोत कौ टल्य का ग्रंथ “अथर्जाशास्त्र” है , जो क

D
लगभग चौथी शता दी ईसा पूवर्जा लखा गया .

LE
कौ टल्य ने अपने ग्रंथ में अथर्जा का संदभर्जा धन से लया है .

W
आचायर्जा कौ टल्य चंद्रिगु त मौयर्जा के महामंत्री थे और उसका प्र सद्ध नाम

O
चाणक्य

KN
C
PS
G
C
E.
वास्तव में , यह अथर्जाव्यवस्था, राजव्यस्था, व ध व्यवस्था, समाज व्यवस्था
और धमर्जा व्यवस्था से संबं धत शास्त्र है ।

G
D
LE
कौ टल्य को भारत में अथर्जाशास्त्र के जनक के नाम से जाने जाते हैं.

W
अथर्जाशास्त्र के नी तयों और सद्धांतों को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करने का
प्रथम प्रयास स्कॉटलैंड के प्र सद्ध अथर्जाशास्त्री एडम िस्मथ ने सन ् 1776 में

O
प्रका शत अपनी पुस्तक “द वेल्थ ऑफ नेशंस” ( The Wealth Of Nations )

KN
में कया था।
C
PS
G
C
एडम िस्मथ का जन्म 5 जून 1723 में हु आ था, वे महान स्कॉ टश

E.
अथर्जाशास्त्री थे।

G
D
उन्होंने 1776 में एक पुस्तक लखी An inquiry into the nature and

LE
causes of wealth of nations इसमें उन्हें बताया क सभी आ थर्जाक

W
ग त व धयों का मुख्य उद्दे श्य धन अिजर्जात करना है ।

O
KN
एडम िस्मथ(Adam Smith) पहले अथर्जाशास्त्री थे, िजन्होंने अथर्जाशास्त्र को
सवर्जाप्रथम एक पृथक वज्ञान के रूप में वक सत कया , इसी लये इन्हें
C
Father of Economics भी कहा जाताहै ।
PS
G
C
एडम िस्मथ ने अथर्जाशास्त्र को धन का वज्ञान माना था, जब क चाणक्य ने पृथ्वी को प्रा त करने एवं

E.
उसकी रक्षा करने के उपायों के अध्ययन को अथर्जाशास्त्र माना था।

G
D
शास्त्रीय अथर्जाशास्त्र ( classical economics ) की शुरुआत इसी पुस्तक के द्वारा हु ई।

LE
Also known as father of capitalistic economy.

W
“पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था” श द एडम िस्मथ द्वारा दया गया है

O
KN
C
PS
G
C
अथर्जाव्यवस्था ( Economy )

E.
अथर्जाव्यवस्था ( Economy ) कसी वशेष क्षेत्र का अथर्जाशास्त्र होता है .

G
अथार्जात ् कसी वशेष क्षेत्र में अथर्जाशास्त्र की नी त और सद्धांत के

D
अध्ययन को उस वशेष क्षेत्र की अथर्जाव्यवस्था ( Economy ) कहते हैं.

LE
अथर्जाव्यवस्था वह संरचना है िजसके अंतगर्जात सभी आ थर्जाक

W
ग त व धयों का संचालन होता है

O
उत्पादन उपभोग व नवेश अथर्जाव्यवस्था की आधारभूत ग त व धयां

KN
है
C
उदाहरण:-
PS

वक सत अथर्जाव्यवस्था, वकासशील अथर्जाव्यवस्था, भारतीय


G

अथर्जाव्यवस्था, अमे रकी अथर्जाव्यवस्था आ द.


C
अथर्जाशास्त्र में वस्तु और सेवा

E.
वस्तु

G
अथर्जाशास्त्र में वस्तु को माल भी कहा जाता है , जो इंसान की जरूरत को पूरा करता है । इसे बेचने पर धन की

D
प्रा त हों।

LE
सेवा

W
अथर्जाशास्त्र में सेवा को, स वर्जास भी कहा जाता है । कोई भी मनुष्य या संस्था कसी दूसरे को कोई भी सेवा

O
उपल ध करा कर के, उस से धन की प्राि त करता है तो उसे सेवा कहते हैं।

KN
C
PS
G
C
व नमय

E.
G
कसी भी वस्तु एवं सेवा को खरीदने में हम जो धन दे ते (क्रिय व नमय) हैं। या कसी भी वस्तु या सेवा को
बेचने पर हमें जो धन की प्रा त ( वक्रिय व नमय) होता है , उसे व नमय कहते हैं।

D
LE
उपभोग

W
कोई भी उपभोक्ता अपने संतुिष्ट के लए वस्तुओं एवं सेवाओं उपयोग करता है । उसके बदले वह धन

O
चुकाता है , उस क्रिया को उपभोग कहा जाता है ।

KN
उपभोक्ता
C
एक व्यिक्त जो अपनी जरूरतों के लए वस्तुओं और सेवाओं का आनंद लेता है , उपभोक्ता कहलाता है
PS
G
C
रे गनर फ्र् रश ने 1933 में अथर्जाशास्त्र दो भागों में वभािजत कया था –

E.
आधु नक अथर्जाशास्त्र के सद्धांतों को मुख्यत:

G
व्यिष्ट अथर्जाशास्त्र – Micro Economics

D
LE
समिष्ट अथर्जाशास्त्र – Macro Economics

W
O
KN
C
PS
G
C
व्यिष्ट अथर्जाशास्त्र (Micro Economics)

E.
ग्रीक उपसगर्जा Micro का अथर्जा “छोटे ” से है िजसमें व्यिक्तयों और कंप नयों के बीच के संसाधनों के

G
आवंटन और व्यवहार का अध्ययन होता है ।

D
LE
कसी एक व्यिक्त द्वारा आ थर्जाक नणर्जाय व्यिष्ट अथर्जाशास्त्र के अन्तगर्जात आते हैं।

W
एक व्यिक्त के व्यवहार को क्रिेता और वक्रिेता के रूप में अध्ययन कया जाता है ।

O
यह अथर्जाशास्त्र एक व्यिक्त या एक फमर्जा के व्यवहार का अध्ययन करता है ।

KN
जैसे कसी वस्तु की कीमत घट या बढ़ गई तो उस वस्तु को खरीदने को लेकर क्या नणर्जाय रहे गे।
C
माइक्रिो अथर्जाशास्त्र यह समझाने की को शश करता है क अलग-अलग वस्तुओं का अलग-अलग मूल्य
PS

कैसे और क्यों होता है , कैसे व्यिक्त वत्तिीय नणर्जाय लेते हैं, और कैसे व्यिक्त एक दूसरे के साथ सबसे
अच्छा व्यापार, समन्वय और सहयोग करते हैं।
G
C
एकल कारकों और व्यिक्तगत नणर्जायों के प्रभाव से संबं धत अथर्जाशास्त्र को व्यिष्ट अथर्जाशास्त्र

E.

कहते हैं

G
❖ व्यिक्त

D
❖ प रवार

LE
❖ फमर्जा
❖ उद्योग

W
❖ वशेष वस्तु का मूल्य
मजदू रयों

O

आयों

KN

❖ वैयिक्तक उद्योगों, आ द।
C
PS
G
C
समिष्ट अथर्जाशास्त्र ( macro economics )

E.
G
D
जॉन मेयनाडर्जा कीन्स को समिष्ट-अथर्जाशास्त्र का जनक कहा जाता है । इस शाखा का जन्म कीन्स की पुस्तक

LE
'द जनरल थ्योरी ऑफ इम् लायमें ट, इंटरे स्ट एंड मनी, 1936' से हु आ है ।

W
संपूणर्जा अथर्जाव्यवस्था के स्तर पर लए गए नणर्जाय और नी तयों का अध्ययन कया जाता है .

O
ग्रीक उपसगर्जा Macro का अथर्जा ‘’ बड़ा’’ से है िजसमें संपूणर्जा अथर्जाव्यवस्था के प्रदशर्जान, संरचना, व्यवहार और

KN
नणर्जाय लेने से संबं धत है ।

इसमें क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैिश्वक अथर्जाव्यवस्था शा मल हैं।


C
PS
व शष्ट भौगो लक क्षेत्र, एक दे श, एक महाद्वीप या यहां तक क पूरी दु नया शा मल हो सकती है ।
G
C
वदे श व्यापार,

E.

G
❖ सरकारी राजकोषीय और मौ द्रिक नी त,

D
❖ बेरोजगारी दर,

LE
❖ मुद्रिास्फी त का स्तर और याज दरें ,

W
❖ सकल घरे लू उत्पाद (जीडीपी) में

O
KN
C
PS
G
C
व्यिष्ट और समिष्ट अथर्जाशास्त्र (Difference between Micro and Macro Economics)

E.
G
व्यिष्ट या सूक्ष्म अथर्जाशास्त्र जहां एक उपभोक्ता, एक फमर्जा के व्यवहार और उसकी नणर्जाय प्र क्रिया का

D
LE
अध्ययन करती है , वहीं व्यिष्ट या व्यापक अथर्जाशास्त्र पूरे समाज, दे श और उद्योग का अध्ययन करती है ।

W
इसे उदाहरण के रूप में इस तरह समझ सकते है क मान लीिजए एक व्यिक्त बाइक खरीदना चाहता है ,

O
तब उसकी मांग का अध्ययन व्यिष्ट अथर्जाशास्त्र में कया जाएगा, पूरे मोटरसाइ कल उद्योग या

KN
ऑटोमोबाइल उद्योग की मांग का अध्ययन समिष्ट अथर्जाशास्त्र में कया जाएगा। इसी तरह एक व्यिक्त
C
की आय के स्तर का अध्ययन व्यिष्ट में कया जाएगा तो पूरे दे श की आय का अध्ययन नेशनल इनकम के
PS

रूप में समिष्ट अथर्जाशास्त्र में कया जाएगा।


G
C
अथर्जाव्यवस्था के क्षेत्र ( Sectors of economy )

E.
अथर्जाव्यवस्था की आ थर्जाक ग त व धयों को तीन भागों में बांटा गया है ।

G
D
LE
W
O
KN
C
PS
G
C
प्राथ मक क्षेत्र ( Primary Sector )

E.
G
अथर्जाव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो प्रत्यक्ष रूप से पयार्जावरण पर नभर्जार होता है तथा जहां से प्राकृ तक संसाधनों
को एक उत्पाद के रूप में प्रा त कया जाता है , प्राथ मक क्षेत्र कहलाता है ।

D
LE
जैसे -: कृ ष, पशुपालन, मछली पालन, ख नज उत्खनन तथा इनसे संबं धत ग त व धयां आ द।

W
O
KN
C
PS
G
C
द् वतीयक क्षेत्र ( Secondary Sector )

E.
अथर्जाव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो प्राथ मक क्षेत्र के उत्पादों को एक नए उत्पाद के रूप में तैयार करता है ।

G
द् वतीयक क्षेत्र कहलाता है ।

D
इस क्षेत्र में व नमार्जाण कायर्जा होने के कारण ही इसे औद्यो गक क्षेत्र भी कहते हैं।

LE
जैसे -: वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉ नक्स, लोहा इस्पात उद्योग, वाहन उद्योग आ द।

W
O
KN
C
PS
G
C
तृतीयक क्षेत्र ( Tertiary Sector )

E.
अथर्जाव्यवस्था का वह क्षेत्र, जो सभी प्रकार की आ थर्जाक ग त व धयों में सेवाओं को प्रदान करता है । वह तृतीयक

G
क्षेत्र कहलाता है ।

D
इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है ।

LE
जैसे -: बैं कं ग, शक्षा, बीमा, च कत्सा आ द।

W
O
KN
C
PS
G
C
चतुथक
र्जा सेक्टर (Quaternary Sector)

E.
G
सूचना आधा रत तथा अनुसंधान व वकास आधा रत क्रियाकलापों को सिम्म लत कया जाता है ।

D
इनके अंतगर्जात सूचनाओं का संग्रहण, उत्पादन एवं प्रकीणर्जान अथवा सूचनाओं का उत्पादन आता है ।

LE
ये बहु त ही व शष्ट तथा ज टल प्रकार के क्रियाकलाप हैं िजनका सम्बन्ध ज्ञान से संबं धत क्रियाकलाप से है

W
जैसे – शक्षा , सूचना , शोध व वकास ।

O
चतुथक
र्जा श द से तात्पयर्जा उन उच्च बौद् धक व्यवसायों से है , िजनका दा यत्व चंतन , शोध तथा वकास के

KN
लए नए वचार दे ना है ।
C
PS
G
C
Quinary sector (पंचम सेक्टर)

E.
G
अथर्जाव्यवस्था एक ऐसी सेवा है , िजसमे उच्च कुशल, उच्च गुणवक्ता की जरूरत होती है ।

D
LE
इस क्षेत्र में नये वचारों का नमार्जाण, दक्षता पूणर्जा योजना, पुनव्यर्जावस्था, नए खोजा, अ वष्कार, व्याख्या, नये
और उन्नत प्रौद्यो ग कयों का उपयोग और मूल्यांकन इत्या द को शा मल कया जाता है ।

W
Quinary sector ग त व धया के अंतगर्जात उच्च वेतन, उच्च अ धकारी, क़ानूनी सलाहकार, बुद् धजीवी,

O
अनुंसधान करने वाले वैज्ञा नक, वत्तिीय सहलाकर, उच्च कौशल से युक्त व्यिक्त को शा मल कया जाता

KN
है ।

Quinary sector ग त व धया के कारण उन्नत अथर्जाव्यवस्थाओं की संरचना में मदद मलता है ।
C
PS
इस क्षेत्र में उच्च व ध नमार्जाण, उच्चतम नी त नमार्जाताओं, उच्चतम नणर्जाय लेना इत्या द को शा मल
कया जाता है ।
G

Quinary sector ग त व धया में काम करने वालों व्यिक्तयों को गोल्ड कॉलर प्रोफेशन के रूप में जाना
C
आ थर्जाक प्रणा लयों को मुख्यतः संसाधनों पर नयंत्रण के आधार पर

E.
G
अथर्जाव्यस्था को सबसे पहले उसके संसाधनों पर नयंत्रण के आधार पर बांटा गया है ।

D
LE
इसमें यह दे खा जाता है क संसाधनों पर सरकार का कतना नयंत्रण है ? बाजार का कतना नयंत्रण है ?

W
इस आधार पर वश्व के सारे दे शों की अथर्जाव्यवस्था को तीन भागों में बांटा जा सकता है ।

O
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था,

KN
समाजवादी अथर्जाव्यवस्था और
C
म श्रत अथर्जाव्यवस्था।
PS
G
C
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था (Capitalistic Economy)

E.
पूंजीवाद (Capitalism Economy) उस आ थर्जाक प्रणाली या तंत्र

G
को कहते हैं िजसमें उत्पादन के साधन पर नजी हाथों में

D
स्वा मत्व होता है ।

LE
W
O
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था के सद्धांत का स्त्रोत एडम िस्मथ की
सन ् 1776 में प्रका शत कताब ” द वेल्थ ऑफ नेशंस” को माना

KN
जाता है ।
C
PS

संयुक्त राज्य अमे रका, ब्रिटे न, फ्रांस, ऑस्ट्रे लया आ द दे शों में
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था का संचालन है ।
G
C
वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन उन सभी के लए होता है । जो उनके

E.
G
लए भुगतान कर सकें।

D
LE
केवल उन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है । जो उपभोक्ता

W
चाहते हैं।

O
KN
न्यूनतम प्र त इकाई लागत पर वस्तुओं की अ धकतम मात्रा का उत्पादन

होता है । C
PS
G
C
इस प्रकार की अथर्जाव्यवस्था की प्रमुख वशेषताएं नम्न ल खत हैं।

E.
G
a. सरकारी हस्तक्षेप का अभाव

D
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था में सरकार की भू मका सफर्जा बाजार व्यवस्था के स्वतंत्र व कुशल संचालन तक ही

LE
सी मत होती है ।

W
कीमतों के नधार्जारण में सरकारी हस्तक्षेप और सहायता की कोई भू मका नहीं होती है ।

O
b. नजी संप त्ति

KN
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था में प्रत्येक व्यिक्त को संप त्ति का स्वामी होने का अ धकार होता है ।

c.उद्यम की स्वतंत्रता
C
PS

इस अथर्जाव्यवस्था में सभी व्यिक्त अपना व्यवसाय चुनने को स्वतंत्र होते हैं। सरकार नाग रकों की उत्पादक
ग त व धयों में हस्तक्षेप नहीं करती है ।
G
C
d. लाभ का उद्दे श्य

E.
G
इस प्रकार की अथर्जाव्यवस्था में अं तम उद्दे श्य स्वयं का हत अथार्जात ् लाभ कमाना होता है ।

D
e. उपभोक्ता प्रभुत्व

LE
पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था में उपभोक्ता या न ग्राहक को राजा के समान माना जाता है ।

W
उपभोक्ता भी अपनी इच्छा अनुसार संतुिष्टदायक वस्तुओं और सेवाओं पर अपनी आय को खचर्जा करने के

O
लए स्वतंत्र होता है ।

KN
f. प्र तयो गता
C
प्र तयो गता पूंजीवादी अथर्जाव्यवस्था की प्रमुख वशेषता है । इसी वशेषता के कारण उपभोक्ता का शोषण से
PS
बचाव होता है ।
G
C
g. बाजारों और कीमतों का महत्व

E.
पूंजीवाद मूलतः बाजार आधा रत व्यवस्था है । िजसमें प्रत्येक वस्तु की कीमत होती है ।

G
D
समाजवादी अथर्जाव्यवस्था ( State Economy )

LE
समाजवादी अथर्जाव्यवस्था के सद्धांत को महान जमर्जान दाशर्जा नक कालर्जा माक्सर्जा ने दया था।

W
उस आ थर्जाक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं िजसमें उत्पादन के साधन पर समाज का नयन्त्रण होता है ।

O
KN
समाजवादी अथर्जाव्यवस्था में सरकार का एक केंद्रिीय नयोजन अ धकारी होता है । जो क्या उत्पादन करना
है ?, कैसे उत्पादन करना है ? तथा कसके लए उत्पादन करना है ? , का नणर्जाय लेता है ।
C
रूस और चीन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
PS
G
C
महात्मा गांधी जी समाजवादी अथर्जाव्यवस्था को भारतवषर्जा में दे खना चाहते थे । गांधी जी पूंजीवादी

E.
औद्योगीकरण के वरोध करते थे।

G
D
वे मानते थे क आ थर्जाक असमानता, अमीरों का गरीबों पर शोषण, बेरोज़गारी, राजनी तक तानाशाही आ द

LE
का कारण पूँजीवादी अथर्जाव्यवस्था है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
इसकी प्रमुख वशेषताएं नम्न ल खत हैं।

E.
a. आ थर्जाक नयोजन या केंद्रिीय नयोजन

G
D
आ थर्जाक नयोजन समाजवादी अथर्जाव्यवस्था की एक प्रमुख धारणा या व्यवस्था है ।

LE
सरकार ही वतर्जामान और भ वष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हु ए उत्पादन, उपभोग और नवेश

W
संबंधी सभी आ थर्जाक नणर्जाय लेती है

O
KN
b. वषमताओं में कमी

समाजवादी अथर्जाव्यवस्था आय की वषमताओं को कम करने में सहायक होती है ।


C
PS
G
C
c. समाज कल्याण

E.
G
सरकार का मुख्य उद्दे श्य समाज कल्याण होता है ।

D
LE
सरकार अपने सभी नणर्जाय नजी लाभ के लए नहीं बिल्क समाज कल्याण के उद्दे श्य से करती है ।

W
d. वगर्जा संघषर्जा की समाि त

O
समाजवाद में कसी प्रकार की कोई भी प्र तयो गता नहीं होती है ।

KN
सभी व्यिक्त श्र मक होते हैं. इस लए कोई वगर्जा संघषर्जा नहीं होता है ।
C
PS
G
C
म श्रत अथर्जाव्यवस्था ( Mixed Economy )

E.
ब्रि टश अथर्जाशास्त्री जॉन मेनाडर्जा केंस ने सन ् 1936 में प्रका शत कताब

G
D
” द जनरल थ्योरी ऑफ एम् लॉयमें ट, इंटरे स्ट और मनी ” में म श्रत

LE
अथर्जाव्यवस्था के सद्धांत को पहली बार प्र तपा दत कया।

W
पूंजीवादी और समाजवादी अथर्जाव्यवस्था की क मयों को दूर कर और

O
इन दोनों अथर्जाव्यवस्थाओं की अच्छाइयों को साथ लेकर म श्रत

KN
अथर्जाव्यवस्था ( Mixed Economy ) के सद्धांत को जन्म दया गया।

ब्रि टश अथर्जाशास्त्री जॉन मेनाडर्जा केंस ने सुझाव दया था, क पूंजीवादी


C
PS
अथर्जाव्यवस्था को समाजवादी अथर्जाव्यवस्था की ओर झुकना चा हए।
G
C
E.
FEATURES OF MIXED ECONOMY

a. कीमत प्रणाली -:

G
D
कीमतें संसाधन के आवंटन में अपनी महत्त्वपूणर्जा भू मका नभाती हैं। कुछ क्षेत्रों में नदर्दे शत कीमतें भी

LE
अपनाई जाती हैं। साथ ही सरकार भी लक्ष्य समूहों के लाभ के लए कीमतों में आ थर्जाक सहायता भी प्रदान
करती है ।

W
अतः एक म श्रत अथर्जाव्यवस्था में जन सामान्य तथा समाज के कमजोर वगर्षों के हत संवधर्जान में सरकार

O
द्वारा व्यिक्तगत स्वतंत्रता और सहायता दोनों ही उपल ध रहती हैं।

KN
b. आ थर्जाक नयोजन
C
सरकार अल्पका लक और दीघर्जाका लक योजनाओं का नमार्जाण करती है ।
PS

िजसकी वजह से वह अथर्जाव्यवस्था के वकास में नजी और सावर्जाज नक क्षेत्रों के कायर्जाक्षेत्रों, नमार्जाण और
दा यत्व का नधार्जारण करती है ।
G
C
c. नजी और सावर्जाज नक क्षेत्रों का सह अिस्तत्व

E.
नजी क्षेत्र में नजी स्वा मत्व की इकाईयां लाभ के उद्दे श्य से कायर्जा करती हैं।

G
D
सावर्जाज नक क्षेत्र में सरकार के स्वा मत्व वाली इकाईयां सामािजक कल्याण के लए कायर्जा करती हैं।

LE
म श्रत अथर्जाव्यवस्था में दोनों प्रकार की इकाईयों को पूणर्जा स्वतंत्रता होती है ।

W
d. व्यिक्तगत स्वतंत्रता -:

O
व्यिक्त अपनी आय को अ धकतम करने के लए आ थर्जाक क्रियाओं में संलग्न रहते हैं। वे अपना व्यवसाय

KN
और उपभोग चुनने के लए स्वतंत्र होते हैं।

परं तु उत्पादकों को श्र मकों और उपभोक्ताओं के शोषण करने का कोई अ धकार नहीं होता है ।
C
PS
जनकल्याण की दृिष्ट से सरकार इन पर कुछ नयंत्रण रखती है ।
G
C
वकास के आधार पर अथर्जाव्यवस्था के प्रकार

E.
G
❖ वक सत अथर्जाव्यवस्था ( Developed Economy )

D
❖ वकासशील अथर्जाव्यवस्था ( Developing Economy )

LE
❖ अल्प वक सत (UNDER DEVELOPED ECONOMY)

W
O
KN
C
PS
G
C
1. वक सत अथर्जाव्यवस्था ( Developed Economy )

E.
वक सत दे शों में राष्ट्रीय आय, प्र त व्यिक्त आय तथा पूंजी नमार्जाण ( बचत एवं नवेश ) उच्च होते हैं।

G
D
इन दे शों में मानवीय संसाधन अ धक श क्षत तथा कायर्जा कुशल होते हैं।

LE
इन दे शों में जन सु वधाएं, च कत्सा, शक्षा सु वधाएं बेहतर होती हैं।

W
वक सत दे शों में औद्यो गक तथा सामािजक आधा रत संरचना और पूंजी एवं वत्ति बाजार भी काफी

O
वक सत होते हैं।

KN
C
PS
G
C
2. वकासशील अथर्जाव्यवस्था ( Developing Economy )

E.
वकासशील दे शों में राष्ट्रीय आय और प्र त व्यिक्त आय कम होती है ।

G
कृ ष और उद्योग पछड़े हु ए होते हैं।

D
LE
बचत, नवेश एवं पूंजी नमार्जाण का स्तर नम्न होता है ।

W
नम्न जीवन स्तर, उच्च शशु मृत्यु दर, उच्च जन्म दर पायी जाती है ।

O
स्वास्थय, स्वच्छता प्रबंध तथा आधा रक संरचना का स्तर नम्न होता है ।

KN
प्रायः प्राथ मक एवं कृ ष उत्पाद नयार्जात कए जाते हैं।
C
PS
G
C
E.
3. UNDER DEVELOPED ECONOMY

अथर्जाव्यवस्था में प्राकृ तक व मानवीय संसाधनों की बहु लता के बावजूद इसके आ थर्जाक वकास की ग त बहु त

G
मन्द रहती है । example :- south african country

D
इनमें से प्रमुख वशेषतायें नम्न ल खत हैं

LE
1. नीची प्र त व्यिक्त आय
कृ ष पर आधा रत

W
2.
अ धक जनसंख्या

O
3.
4. संसाधनों का अकुशल प्रयोग

KN
5. नयार्जात में कृ ष वस्तुओं की प्रधानता
6. पूंजी की कमी
व्यापक बेरोजगारी
7.
C
तकनीकी पछड़ापन
PS
8.
9. आय वतरण में वषमता
अ शक्षा और अकुशलता
G

10.
C
जनता की कायर्जाशैली के आधार पर अथर्जाव्यवस्था के प्रकार

E.
1. कृ षक अथर्जाव्यवस्था ( Agrarian Economy )

G
D
कसी दे श की अथर्जाव्यवस्था के सकल घरे लू उत्पाद में प्राथ मक

LE
क्षेत्र का योगदान य द 50 % या इससे अ धक होता है । तो वह

W
दे श कृ षक अथर्जाव्यवस्था वाला दे श कहलाता है ।

O
भारत के स्वतंत्र होने के समय यह एक कृ षक अथर्जाव्यवस्था

KN
वाला दे श था।
C
ले कन आज के समय भारत के सकल घरे लू उत्पाद में
PS
प्राथ मक क्षेत्र का योगदान घटकर लगभग 18 % ही रह गया है ।
G
C
2. औद्यो गक अथर्जाव्यवस्था ( Industrial Economy )

E.
अगर कसी दे श की अथर्जाव्यवस्था के सकल घरे लू उत्पाद में द् वतीयक क्षेत्र का हस्सा 50 % या

G
इससे अ धक होता है ।

D
LE
तो वह दे श औद्यो गक अथर्जाव्यवस्था वाला दे श कहलाता है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
3. सेवा अथर्जाव्यवस्था ( Service Economy )

E.
अगर कसी दे श की अथर्जाव्यवस्था के सकल घरे लू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र का योगदान 50 % या इससे अ धक

G
होता है । तो वह सेवा अथर्जाव्यवस्था वाला दे श कहलाता है ।

D
LE
भारत में पछले कुछ दशकों में सकल घरे लू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र का योगदान काफी ज्यादा हु आ है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
वदे शी व नमय के आधार पर वगर्षीकरण(Classification based on foreign exchange)

E.
इस आधार पर खुली अथर्जाव्यवस्था और बंद अथर्जाव्यवस्था।

G
खुली अथर्जाव्यवस्था (Open Economy)

D
1.

LE
कसी ऐसे दे श की अथर्जाव्यवस्था जो अन्य दे शों से आयात नयार्जात का लेनदे न, उपहारों का आदान-
प्रदान तथा अन्य प्रकार के भुगतान ओं को संपन्न करती हैं । खुली अथर्जाव्यवस्था कहलाती है ।

W
वतर्जामान प रदृश्य में आज वश्व में कोई भी अथर्जाव्यवस्था बंद नहीं है । अथार्जात प्रत्येक अथर्जाव्यवस्था का

O
दूसरे दे शों या शेष वश्व से आ थर्जाक लेनदे न का संबंध है ।

KN
Benefits :-
C
PS
मुक्त रूप से व्यापार करने की, उन्न त करने की, पैसा कमाने कीआज़ादी

ऐसी अथर्जाव्यवस्था मे उद्योगों को बढावा दया जाता है तो ज़्यादा से ज़्यादा काखार्जानें और दफ्तर खुल्ते है ।
G
C
इस्से लोगों को ज़्यादा रोज़्गार के साधन मल्ते है ।

E.
नये उत्पाद बनते है । पुराने उत्पादों की गुणवत्तिा बेह्तर बनती है ।

G
ऐसा होने से लोगो की पचर्देिज़ंग पावर बढती है । लोगो के पास ज़्यादा पैसा आने से उनका रहन सहन बेह्तर

D
होता है ।

LE
खुली अथर्जाव्यवस्था से नयी तक्नीकों का वकास होता है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
2. बंद अथर्जाव्यवस्था(Closed Economy)

E.
िजस अथर्जाव्यवस्था में वदे श व्यापार नहीं होता.

G
एक "बंद अथर्जाव्यवस्था" एक ऐसी अथर्जाव्यवस्था है , िजसमें न तो नयार्जात होता है और न ही आयात होता है ।

D
LE
एक बंद अथर्जाव्यवस्था वह है िजसमें बाहरी अथर्जाव्यवस्थाओं के साथ कोई व्यापा रक ग त व ध नहीं है ।
इस लए बंद अथर्जाव्यवस्था पूरी तरह से आत्म नभर्जार है

W
O
बंद अथर्जाव्यवस्था लागू कर दी जाए तो बंद अथर्जाव्यवस्था के अंतगर्जात नम्न ल खत ग त व धयाँ पूणर्जा रूप से

KN
बंद कर दी जाती हैं -

(1) अन्तरार्जाष्ट्रीय व्यापार पूणत


C र्जा ः संबंध वच्छे द कर लया जाता है ।
(2) शेष वश्व से कोई भी शुद्ध साधन की आय प्रा त नहीं की जाती।
PS
(3) कोई भी वदे शी खाता नहीं रखा जाता है ।
(4) कसी भी दे श के साथ अनुदानों, उपहारों का आदान- प्रदान नहीं कया जाता है ।
G
C
C
G
PS
C
KN
O
W
LE
D
G
E.
रोजगार की िस्थ त के आधार पर इन्हें एक संग ठत और असंग ठत क्षेत्र के रूप में वगर्षीकृत कया जाता है ।

E.
G
संग ठत क्षेत्र(organised sector)

D
LE
वह क्षेत्र, िजसे सरकार के साथ पंजीकृ त कया जाता है , उसे एक संग ठत क्षेत्र कहा जाता है ।

W
यह एक ऐसा क्षेत्र होता है , िजसमें , लोगों को सु निश्चत काम दया जाता है , और इसमें रोजगार की शतर्चें

O
निश्चत और नय मत रखी जाती हैं।

KN
संग ठत क्षेत्र के अंतगर्जात आने वाले उद्यमों, स्कूलों और अस्पतालों पर कई अ ध नयम लागू कये जाते हैं।
C
य द इकाई के उ चत पंजीकरण की आवश्यकता होती है , तो संग ठत क्षेत्र में प्रवेश बहु त क ठन होता है
PS
G
C
संग ठत क्षेत्र के तहत काम करने वाले कमर्जाचा रयों को कई तरह के लाभ भी प्रदान कए जाते हैं जैसे –

E.
G
उन्हें नौकरी की सुरक्षा का लाभ प्रदान कया जाता है ,

D
व भन्न भत्तिे और अनुलाभ की तरह लाभ प्रदान प्रा त होता है ।

LE
उन्हें एक निश्चत मा सक भुगतान, काम के घंटे और नय मत अंतराल पर वेतन पर बढ़ोतरी भी दी जाती है

W
|

O
KN
C
PS
G
C
असंग ठत (UNORGANISED) क्षेत्र

E.
वह सेक्टर जो सरकार के साथ पंजीकृ त नहीं कया जाता है और िजसके रोजगार की शतर्चें भी नहीं तय की

G
जाती हैं, िजसे नय मत रूप से असंग ठत क्षेत्र मान लया जाता है ।

D
LE
यह एक ऐसा सेक्टर होता है , िजसमें कसी भी सरकारी नयम-कानून का पालन नहीं कया जाता है ।

W
O
ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करना बहु त ही आसान काम होता है , क्यों क इसके लए कसी संबद्धता या पंजीकरण की

KN
जरूरत नहीं पड़ती है ।

C
वही, सरकार असंग ठत क्षेत्र को व नय मत नहीं करती है , और इस लए इस पर कर नहीं लगाया जाता है ।
PS

इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से उन छोटे आकार के उद्यम, कायर्जाशालाएं शा मल कया जाता हैं जहां कम कौशल
और अनुत्पादक रोजगार पाया जाता है |
G
C
C
G
PS
C
KN
O
W
LE
D
G
E.
वश्व बैंक दु नया की अथर्जाव्यवस्थाओं को चार आय समूहों वगर्षीकरण

E.
G
वश्व बैंक दु नया के सभी दे शों के आ थर्जाक स्वास्थ्य का वश्लेषण करता है और प्रत्येक को अपनी

D
सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) प्र त व्यिक्त के आधार पर, नम्न आय से उच्च आय तक चार

LE
श्रे णयों में से एक में रखता है ।

W
O
GROUP INCOME IN DOLLAR

KN
LOW INCOME UPTO 1085 $

LOWER MIDDLE INCOME


C (1086-4255) $

UPPER MIDDLE INCOME (4256-13205) $


PS

HIGH INCOME > 13205 $


G
C
GNI एक मी ट्रक है जो अ नवायर्जा रूप से कसी दे श के नाग रकों की औसत आय को मापता है ,

E.
िजससे यह दे श के आ थर्जाक स्वास्थ्य के मूल्यांकन के लए एक बहु त ही उपयोगी उपकरण बन

G
जाता है ।

D
LE
❖ नम्न ( LOW INCOME COUNTRY)

W
❖ नम्न-मध्य(LOWER MIDDLE INCOME COUNTRY)

O
❖ उच्च-मध्यम (UPPER MIDDLE INCOME COUNTRY)

KN
❖ उच्च-आय (HIGH INCOME COUNTRY)
C
PS
G
C
नम्न आय वाले दे श ( LOW INCOME COUNTRY)

E.
G
For the current 2023 fiscal year, low-income economies are defined as those with a GNI per capita,

D
calculated using the World Bank Atlas method, of $1,085 or less .

LE
कम आय वाले दे श अक्सर अ वक सत दे शों के पयार्जायवाची होते हैं, िजन्हें वकासशील दे शों, उभरते बाजारों

W
या नए औद्यो गक दे शों के रूप में भी जाना जाता है ।

O
दु नया के सबसे गरीब दे शों के रूप में , कम आय वाले दे शों को संघषर्जारत या अ वक सत अथर्जाव्यवस्था से

KN
संबं धत संघषर्षों का सामना करना पड़ता है ।

औसत से कम जीवन प्रत्याशा, उच्च शशु मृत्यु दर, खराब शै क्षक प रणाम, घ टया बु नयादी ढांचा,
C
पयार्जावरण और जलवायु की खराब िस्थ त और नम्न स्वास्थ्य दे खभाल प्रणाली शा मल हैं।
PS
G
C
कई कम आय वाले दे शों में कुपोषण की उच्च दर, साथ ही स्वच्छ पानी की कमी, कम स्वच्छता स्तर,

E.
और गुणवत्तिापूणर्जा

G
D
EXAMPLE:- UGANDA, RWANDA, ETHIOPIA, GAMBIA, SUDAN, NORTH KORIA,

LE
SOMALIA, MOZAMBIQUE other south african countries.

W
वश्व बैंक एक व शष्ट तकनीक का उपयोग करके जीएनआई की गणना करता है , िजसे एटलस पद्ध त
के रूप में जाना जाता है ।

O
KN
एटलस पद्ध त प्रत्येक दे श के जीएनआई को यू.एस. डॉलर में प रव तर्जात करके सटीक और िस्थर तुलना
को सक्षम बनाती है . C
PS
G
C
E.
नम्न-मध्य आय वाले दे श (LOWER MIDDLE INCOME COUNTRY)

G
D
lower middle-income economies are those with a GNI per capita between $1,086 and

LE
$4,255;

W
Example:- India, Australia, China, Singapore, Cambodia, Malaysia, Thailand, Myanmar,

O
Indonesia Japan New Zealand

KN
C
PS
G
C
E.
उच्च-मध्यम आय वाले दे श (UPPER MIDDLE INCOME COUNTRY)

G
upper middle-income economies are those with a Gross National income per

D
capita between $4,256 and $13,205.

LE
Example:-

W
Germany
Finland

O
Monaco

KN
United Kingdom
France
Denmark
C
PS
Netherlands
Turkmenistan
G
C
E.
उच्च-आय आय वाले दे श (HIGH INCOME COUNTRY)

G
high-income economies are those with a GNI per capita of $13,205 or more

D
LE
Columbia
Argentina

W
Mexico
Jamaica

O
Barbados

KN
brazil

C
PS
G
C
जीडीपी (GDP)

E.
जीडीपी का फुल फॉमर्जा “Gross Domestic Product” होता है ,

G
िजसे हंदी श दों में ‘सकल घरे लू उत्पाद’ कहा जाता है |

D
LE
W
जीडीपी का इस्तेमाल सबसे पहले अमे रका के एक
अथर्जाशास्त्री साइमन ने 1935 -1944 के बीच कया था |

O
KN
कसी भी दे श मे एक लेखा वषर्जा (1 अप्रैल - 31 माचर्जा) के भीतर
C
बनने वाली वस्तुओ एवं सेवाओं का कुल मौ द्रिक मूल्य सकल
PS

घरे लू उत्पाद (GDP) कहलता है ।


G
C
एक लेखा वषर्जा मे दे श के सभी व्यापा रयों एवं उद्य मयों, चाहे वह दे श का नवासी हो अथवा न हो, द्वारा

E.
उत्पा दत वस्तुओं के मूल्य का योग सकल घरे लू उत्पाद (Gross Domestic Product) कहलाता है

G
D
LE
वदे शयों द्वारा भारत मे अिजर्जात की गयी आय तो GDP मे शा मल की जाती है परं तु य द कोई भारतीय
वदे श से भारत मे पैसा भेजता है तो उसे GDP मे शा मल नहीं कया जाता है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
य द जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है दे श की आ थर्जाक अथर्जाव्यवस्था सही है और य द जीडीपी कम हो

E.
रही है तो इसका मतलब है दे श की आ थर्जाक अथर्जाव्यवस्था कमजोर है ।

G
जीडीपी क्यों महवपूणर्जा है ?

D
LE
● जीडीपी से हम कसी भी दे श की आ थर्जाक वृद् ध का अनुमान लगा सकते है ।

W
● जीडीपी का उपयोग नवेशक कसी दे श मे नवेश करने से पहले करते है । ता क वो अच्छा मुनाफा

O
कमा सकें।

KN
● जीडीपी उत्पादन में हु ई वृद् ध को भी दशार्जाता है । िजससे हमें दे श मे रोजगार के बारे काफी जानकारी
C
प्रा त होती है ।
PS
G
C
E.
जीडीपी एक मानक है िजससे हमें रोजगार, उत्पादन, मांग के बारे काफी जानकारी प्रा त होती है ।

G

D
● जीडीपी का उपयोग दूसरे दे श की आ थर्जाक वृद् ध से तुलना करने के लए भी कया जाता है ।

LE
● इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है , ले कन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तमाही भी

W
आंका जाता है .

O
KN
● जीडीपी को नापने की िजम्मेदारी सांिख्यकी और कायर्जाक्रिम कायार्जान्वयन मंत्रालय के तहत आने

वाले केंद्रिीय सांिख्यकी कायार्जालय द्वारा मापन करके जारी की जाती है


C
PS
G
C
C
G
PS
C
KN
O
W
LE
D
G
E.
E.
GDP (सकल घरे लू उत्पाद) क मापन के लए अंतरार्जाष्ट्रीय मानक एक पुस्तक सस्टम ऑफ़ नेशनल
अकाउं ट्स (1993) में न हत हैं, िजसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रिा कोष, यूरोपीय संघ, आ थर्जाक सहयोग और वकास के

G
लए संगठन, सयुंक्त राष्ट्र और वश्व बैंक के प्र त न धयों के द्वारा तैयार कया गया।

D
LE
सकल घरे लू उत्पाद = नजी खपत + सकल नवेश + सरकारी नवेश + सरकारी खचर्जा + ( नयार्जात-आयात)

W
O
GDP (कुल घरे लू उत्पाद) = उपभोग (Consumption) + कुल नवेश

KN
GDP = C + I + G + (X − M)
C
PS
G
C
जीडीपी दो तरह की होती है

E.
1. वास्त वक जीडीपी ( Real GDP )

G
2. नॉ मनल जीडीपी ( Nominal GDP )

D
वास्त वक जीडीपी ( Real GDP )

LE
नॉ मनल जीडीपी की तुलना में वास्त वक जीडीपी को ज्यादा महत्व दया जाता है , क्यों क इससे हमें दे श

W
के आ थर्जाक वकास की सटीक जानकारी मलती है ।

O
वास्त वक जीडीपी में आधार वषर्जा ( Base Year ) की कीमतों को लेकर जीडीपी की गणना की जाती है ।

KN
C
PS
G
C
आधार वषर्जा

E.
G
D
❖ आधार वषर्जा एक प्रकार का बेंचमाकर्जा होता है िजसके संदभर्जा में राष्ट्रीय आँकड़े जैसे- सकल घरे लू उत्पाद

LE
(GDP), सकल घरे लू बचत और सकल पूंजी नमार्जाण आ द की गणना की जाती है ।

W
O
❖ आधार वषर्जा की कीमतें िस्थर मानी जाती हैं, जब क चालू वषर्जा की कीमतों में प रवतर्जान संभव होता है ।

KN

C
सामान्यतः आधार वषर्जा एक प्र त न ध वषर्जा होता है और उसके चुनाव के समय ध्यान रखा जाता है क
PS
उस वषर्जा में कोई बड़ी आ थर्जाक व प्राकृ तक घटना, जैसे- बाढ़, सूखा या भूकंप आ द न घ टत हु ई हो।
G
C
आधार वषर्जा का चुनाव करते समय यह भी ध्यान रखा जाता है वह चालू वषर्जा के नकट ही हो, ता क

E.

G
अथर्जाव्यवस्था की सही िस्थ त का आकलन कया जा सके।

D
❖ वतर्जामान में भारत 2011-12 को आधार वषर्जा के रूप में प्रयोग कर रहा है ।

LE
W
O
KN
C
PS
G
C
नॉ मनल GDP

E.
G
D
यह चालू कीमतों (वतर्जामान वषर्जा की प्रच लत कीमत) में व्यक्त सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को

LE
मापता है ।

W
O
जब एक वषर्जा में उत्पा दत वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की गणना बाजार मूल्यों (Market Price) या
करर्चें ट पर प्राइस की जाती है तो जो GDP की वैल्यू प्रा त होती है उसे नॉ मनल जीडीपी कहते हैं।

KN
नॉ मनल GDP में दे श की जीडीपी अ धक होती है क्यों क इसमें महं गाई की वैल्यू जुड़ी होती है ।
C
PS
G
C
शुद्ध घरे लू उत्पाद (Net Domestic Product)

E.
G
D
सकल घरे लू उत्पाद मे से य द मूल्य ह्वास को घटा दया जाये तो

LE
शुद्ध घरे लू उत्पाद (NDP) प्रा त होता है ।

W
O
यहाँ मूल्य ह्वास से आशय है उत्पादन इकाइयो मे उपभोग के

KN
कारण होने वाली क्ष त से उनके मूल्य मे होने वाली गरावट से है ।
C
PS
NDP ज्ञात करने का फॉमूल
र्जा ा (Net Domestic Product formula) -

NDP = GDP – मूल्य ह्वास


G
C
E.
Depreciation

G
Business की जो भी assets होती हैं Machinery, Furniture या कोई Equipment इन सबकी एक life होती

D
LE
है और उतने ही सालों तक हम उस assets को अच्छे से use कर सकते हैं, फर धीरे -धीरे उसमे खराबी या

W
क म आना शुरू हो जाती है ।

O
KN
Business के लए Depreciation एक Expense होता है जो खुद को ही charge कया जाता है , और भी बाकी

expenses की तरह इसे कसी को pay नहीं कया जाता है ।


C
PS
G
C
E.
GNP

G
दे श के नवा सयों द्वारा एक वषर्जा के भीतर दे श और वदे श मे उत्पा दत

D
कुल वस्तुओ और सेवाओं का कुल मौ द्रिक मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पाद

LE
(Gross National Product) कहलाता है ।

W
O
GNP को हम वदे श मे रह रहे भारतीयो द्वारा उत्पा दत वस्तुओ एवं

KN
सेवाओ के कुल मौ द्रिक मूल्य मे GDP को जोड़कर प्रा त करते है ।
C
PS
जब क इसमे हम वदे शयों द्वारा दे श के भीतर उत्पा दत की गयी
वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मौ द्रिक मूल्य को घटाते है ।
G
C
E.
ऐसा इस लए कया जाता है क्यों क वदे शी कंप नयाँ जो भारत मे कायर्जारत है वे कंप नयाँ जो भी लाभ

G
कमाती है उनसे हमारे दे श को लाभ नहीं होता क्यों क वे कमाये गए लाभ को अपने दे श मे भेजती है अथार्जात

D
वह लाभ दे श के बाहर चला जाता है जब क GDP मे हम दे श मे उत्पा दत वस्तुओ एवं सेवाओं के कुल

LE
मौ द्रिक मूल्य की गणना करते है चाहे वह दे शी अथवा वदे शी कंप नयों द्वारा क्यों न अिजर्जात कया गया हो ।

W
O
GNP = GDP + X–Y

KN
● X = वदे शों से आने वाली आय।
● Y = दे श से वदे श में जाने वाली आय।
C
PS

यानी X=Y होने पर GNP = GDP होगा। कसी अथर्जाव्यवस्था में आयात नयार्जात बंद होंगे तो X–Y = 0 होगा
यानी वहां पर GNP=GDP होगा।
G
C
NNP (NET NATIONAL PRODUCT) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद

E.
जीएनपी से लागत के मूल्य में होने वाले मूल्यह्रास को हटाने के बाद जो शेष बचता है , उसे “शुद्ध राष्ट्रीय

G
उत्पाद” या एनएनपी कहा जाता है |

D
LE
जैसे क कसी उत्पादन के लए कोई भी मशीन या यंत्र ख़रीदा जाता है , एक वषर्जा में उसकी कीमत में
िजतनी कमी आएगी वह (GNP) में घटाया जाता है |

W
O
सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से लागत घटा दे ने पर प्रा त आय को शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) कहते हैं।

KN
NNP से दे श के उपभोग, बचत, नवेश हे तु उपल ध रा श का बोध

NNP की करना की दो व धयां है –


C
PS
1. वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार कीमतों पर।
2. कुल उत्पादन की उत्पादन साधन लागत रूप में ।
G
C
E.
सकल राष्ट्रीय आय मे से मूल्य ह्वास को घटाने पर हमे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) प्रा त होती है ।

G
GDP मे मूल्य ह्वास को घटाकर व वदे शो से प्रा त होने वाली आय को जोड़कर भी हम NNP प्रा त कर

D
सकते है ।

LE
W
मूल्य ह्वास को हम इस प्रकार भी समझ सकते है क उत्पादन इकाइयों मे लगे यंत्रो मे उनके लगातार प्रयोग

O
से क्ष त के कारण उनके मूल्य मे गरावट आ जाती और िजतने की भी गरावट आती है उसे GNP मे से

KN
घटाकर हम NNP प्रा त करते है ।

C
या NNP = GDP + वदे शों से होने वाली आय - मूल्य ह्वास
PS
G
C
E.
राष्ट्रीय आय की गणना करने के लए शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष करों को घटा दया जाता है
साथ ही इसमें सरकार द्वारा दी गई सहायता रा श को जोड़ दया जाता है ।

G
D
इससे जो आय की प्राि त होती है उसे राष्ट्रीय आय कहा जाता है ।

LE
W
राष्ट्रीय आय = NNP - अप्रत्यक्ष कर + सि सडी

O
KN
NNP = Gross National Product – Depreciation

C
PS
G
C
राष्ट्रीय आय (National Income)

E.
G
NNP को अथर्जाव्यवस्था की राष्ट्रीय आय भी कहा जाता है ।

D
NNP को कसी भी दे श की आय को मापने का सबसे अच्छा तरीका

LE
समझा है और य द NNP को दे श की कुल जनसंख्या से भाग दया जाये

W
तो इससे उस दे श की प्र त व्यिक्त आय की गणना होती है ।

O
KN
दे श की राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रिीय सांिख्यकीय संगठन (CSO)
द्वारा की जाती है । C
PS
केन्द्रिीय सांख्यकी संगठन (Central Statistical Organization),
सं खयकी वभाग के अंतगर्जात काम करता है ।
G
C
राष्ट्रीय आय की माप का अनुमान 1868 में दादाभाई नौरोजी में

E.
प्रका शत कया।

G
D
इन्होंने अपनी पुस्तक 'The poverty and Un- British Rule in India'

LE
में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड रुपए और प्र त व्यिक्त आय ₹20
बताया था।

W
O
1911 में फण्डले शराज ने भारत की राष्ट्रीय आय 1,942 करोड़ रुपए

KN
और प्र त व्यिक्त आय ₹49 बताया था।
C
1913-14 मैं B.P. वा डया और M.N. जोशी ने लगभग 44.5 रुपए प्र त
PS
व्यिक्त आय का अनुमान लगाया।
G
C
दादा भाई नौरोजी और उसके बाद बहु त सारे अथर्जाशािस्त्रयों ने भारत की राष्ट्रीय आय की गणना कृ ष

E.
उत्पादन के आधार पर उन्होंने राष्ट्रीय आय की गणना कया था जो क आवैज्ञा न तरीका था

G
D
LE
राष्ट्रीय आय की गणना करने के लए शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष करों को घटा दया जाता है
साथ ही इसमें सरकार द्वारा दी गई सहायता रा श को जोड़ दया जाता है । इससे जो आय की प्राि त होती

W
है उसे राष्ट्रीय आय कहा जाता है ।

O
KN
C
PS
G
C
भारत में राष्ट्रीय आय की वैज्ञा नक गणना का श्रेय प्रोफेसर के आर वी

E.
राव को जाता है .

G
1931-32 में प्रोफेसर V.K.R.V. RAO ने राष्ट्रीय आय का अनुमान 1,689
करोड़ रुपए और प्र त व्यिक्त आय ₹44 बताया।

D
LE
उन्होंने अब अपनी पुस्तक NATIONAL INCOME IN BRITISH

W
INDIA में भारत की राष्ट्रीय आय का प्रथम वैज्ञा नक गणना प्रस्तुत

O
कया था .

KN
प्रोफेसर V.K.R.V. RAO राष्ट्रीय आय का अनुमान करने के लए
उत्पादन गणना प्रणाली तथा आय प्रणाली दोनों के सिम्मश्रण का प्रयोग
C
कया था
PS

उन्होंने 1931-32 में भारत की राष्ट्रीय आय को ₹44 प्र त व्यिक्त प्र त वषर्जा
G

आकलन कया था कं तु
C
E.
स्वतंत्रता प्राि त के पश्चात केंद्रिीय सरकार ने 4 अगस्त 1949 ईस्वी में एक
राष्ट्रीय आय स म त की नयुिक्त की और इसके अध्यक्ष प्रोफेसर पी सी

G
महालनो वस को नयुक्त कया।

D
स्वतंत्रता प्राि त के बाद 1949 में ग ठत राष्ट्रीय आय स म त ने प्र त

LE
व्यिक्त आय 246.9 रूपय का अनुमान लगाया।

W
O
प्रशान्त चन्द्रि महालनो बस प्र सद्ध भारतीय वैज्ञा नक एवं सांिख्यकी वद

KN
थे।

उन्हें दूसरी पंचवषर्षीय योजना के अपने मसौदे के कारण जाना जाता है ।


C
वे भारत की आज़ादी के पश्चात ् नवग ठत मं त्रमंडल के सांिख्यकी
PS

सलाहकार बने थे।


G
C
औद्यो गक उत्पादन की तीव्र बढ़ोतरी के ज रए बेरोज़गारी समा त करने के सरकार के प्रमुख उद्दे श्य को

E.
पूरा करने के लए उन्होंने योजनाएँ बनाई।

G
D
प्रशान्त चन्द्रि महालनो बस का जन्म दन 29 जून, हर वषर्जा भारत में ‘सांिख्यकी दवस’ के रूप में मनाया

LE
जाता है ।

W
राष्ट्रीय आय की गणना करने के लए शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से अप्रत्यक्ष करों को घटा दया जाता है साथ

O
ही इसमें सरकार द्वारा दी गई सहायता रा श को जोड़ दया जाता है । इससे जो आय की प्राि त होती है उसे

KN
राष्ट्रीय आय कहा जाता है ।

C
राष्ट्रीय आय = NNP - अप्रत्यक्ष कर + सि सडी
PS
G
C
राष्ट्रीय आय की गणना पहले िस्थर कीमत और चालू कीमत के आधार पर की जाती थी , पर अब यानी

E.
2011 से सफर्जा चालू कीमत पर की जाती है ।

G
भारत में राष्ट्रीय आय गणना का सवर्जामान्य प्रमा णत संस्था केंद्रिीय सांिख्यकी संगठन (CSO) है ।

D
LE
राष्ट्रीय आय की माप : राष्ट्रीय आय की माप की तीन व धयां है –

(i) आय गणना व ध : आय गणना व ध के अंतगर्जात व भन्न क्षेत्रों में कायर्जारत व्यिक्तयों के वेतन आ द के

W
रूप में प्रा त आय को सिम्म लत करते हैं।

O
KN
C
PS
G
C
(ii) उत्पादन गणना व ध

E.
उत्पादन गणना व ध को वस्तु सेवा व ध भी कहते हैं।

G
D
इस व ध के द्वारा एक वषर्जा में उत्पा दत अं तम वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को सिम्म लत करते हैं।

LE
इस व ध के अंतगर्जात उत्पादन, खनन, मत्स्य उद्योग, कृ ष, पशुपालन और वा नकी को सिम्म लत करते हैं

W

O
(iii) व्यय गणना व ध

KN
इस व ध को उपभोग बचत व ध भी कहा जाता है

इस व ध में कुल उपभोग और कुल बचत को सिम्म लत करते हैं।


C
वकासशील दे शों में राष्ट्रीय आय के अनुमान का सवर्जाश्रेष्ठ व ध आय गणना व ध है । क्यों क कृ ष क्षेत्र से
कम आय की प्राि त होती है ।
PS

नगम क्षेत्र से अ धक आय की प्राि त होने के कारण इस व ध का उपयोग कया जाता है । जब क भारत


G

जैसे वकासशील दे शों में आय गणना और उत्पादन गणना व ध दोनों का उपयोग कया जाता है ।
C
तीनों व धयों में सबसे उपयुक्त आय गणना व ध है । इसी व ध का सवार्जा धक उपयोग कया जाता है ।

E.
G
राष्ट्रीय आय स म त और केंद्रिीय सांिख्यकी संगठन ने आय और उत्पादन व ध को मान्यता प्रदान कया है ।

D
प्र त व्यिक्त आय (Per capita income - PCI)

LE
राष्ट्रीय आय में दे श की कुल जनसंख्या से भाग दे ने पर जो भाग फल आता है उसे प्र त व्यिक्त आय कहते हैं

W

O
प्र त व्यिक्त आय = राष्ट्रीय आय (National income) ÷ दे श की कुल जनसंख्या

KN
व्यिक्तगत आय (Personal income) - दे श की जनता द्वारा एक वत्तिीय वषर्जा में प्रा त आय को व्यिक्तगत
आय करते हैं। C
PS
G
C
वैयिक्तक प्रयोज्य आय (Personal Disposable Income)

E.
G
व्यिक्तयों अथवा प रवारों को प्रा त होने वाली व्यिक्तगत आय, व्यय करने योग्य रूप में उपल ध

D
नहीं होती । इसका कारण यह है क व्यिक्तगत आय का एक भाग व्यिक्तयों और प रवारों द्वारा

LE
व्यिक्तगत प्रत्यक्ष करों; जैसे – आय-कर, भवन-कर आ द के रूप में सरकार को चुकाना पड़ता है ।

W
इस प्रकार वैयिक्तक प्रयोज्य आय ज्ञात करने के लए वैयिक्तक आय में से प्रत्यक्ष कर तथा
सरकार की व वध प्राि तयों को घटाना होगा ।

O
KN
C
PS
G
C
केंद्रिीय सांिख्यकी संगठन (CSO)

E.
G
केंद्रिीय सांिख्यकी संगठन (CSO) की स्थापना 1951 में हु ई। इसका का मुख्यालय नई दल्ली में है ।

D
यह संगठन सांिख्यकी एवं कायर्जाक्रिम क्रियान्वयन मंत्रालय भारत सरकार के अंतगर्जात कायर्जा करता है ।

LE
उद्योग क्षेत्र में सवर्दे एवं सांिख्यकी कायर्षों हे तु इसकी एक इकाई कोलकाता में भी कायर्जारत है ।

W
CSO ने अपना पहला आकड़ा 1956 में प्रका शत कया।

O
KN
भारत सरकार को तीन क्षेत्रों से आय की प्राि त होती है –
प्राथ मक - प्राथ मक क्षेत्र के अंतगर्जात कृ ष, वन, मछली पालन, खनन आ द आते हैं।
C
PS
द् वतीय - द् वतीय क्षेत्र के अंतगर्जात उद्योग नमार्जाण कायर्जा बजली गैस और जल आपू तर्जा आ द आते हैं।
तृतीय - तृतीय क्षेत्र के अंतगर्जात प रवहन, संचार, व्यापार, बैं कं ग, सेवा क्षेत्र आ द क्षेत्र आते हैं।
G
C
आ थर्जाक संवद्
ृ ध (Economic growth)

E.
आ थर्जाक समृद् ध से अ भप्राय निश्चत समय अव ध में कसी अथर्जाव्यवस्था में होने वाली वास्त वक आय में

G
वृद् ध से है |

D
LE
निश्चत समयाव ध में कसी अथर्जाव्यवस्था में होने वाली वास्त वक आय की वृद् ध, आ थर्जाक समृद् ध है ।

W
O
यह एक भौ तक अवधारणा है । य द, राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरे लू उत्पाद तथा प्र त व्यिक्त आय में वृद् ध हो

KN
रही है , तो माना जाता है क आ थर्जाक संवद्
ृ ध हो रही है ।

आ थर्जाक संवद्
C
ृ ध से मतलब कसी समयाव ध में कसी अथर्जाव्यवस्था में होने वाली वास्त वक आय में वृद् ध
PS
से है . सामान्य रूप से य द कसी दे श की सकल घरे लू उत्पाद और प्र त व्यिक्त आय में वृद् ध होती है तो
कहा जाता है क उस दे श में आ थर्जाक संवद्
ृ ध हो रही है .
G
C
सामान्यतः य द सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरे लू उत्पाद तथा प्र त व्यिक्त आय में वृद् ध होती है तो हम

E.
कह सकते हैं क आ थर्जाक समृद् ध हो रही है |

G
D
आ थर्जाक संवद्
ृ ध = केवल प रमाणात्मक प रवतर्जान

LE
W
70 के दशक में आ थर्जाक समृद् ध को तथा आ थर्जाक वकास को एक ही माना जाता था, ले कन अब इसमें
अंतर कया जाता है |

O
KN
अब आ थर्जाक समृद् ध आ थर्जाक वकास के एक भाग के रूप में दे खी जाती है साधन लागत पर व्यक्त
वास्त वक घरे लू उत्पाद राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्र त व्यिक्त आय को हम सामान्यतः आ थर्जाक समृद् ध की
C
आय के रूप में स्वीकार करते हैं |
PS
G
C
आ थर्जाक वकास (Economic Development)

E.
आ थर्जाक संवद्
ृ ध उत्पादन की वृद् ध से संबं धत है , जब क आ थर्जाक वकास उत्पादन की वृद् ध के साथ-साथ,

G
सामािजक, सांस्कृ तक, आ थर्जाक गुणात्मक एवं प रणात्मक सभी प रवतर्जानों से सम्बिन्धत है ।

D
LE
इसकी माप में अनेक चारों को सिम्म लत कया जाता है जैसे-आ थर्जाक, राजनै तक तथा सामािजक संस्थाओं

W
के स्वरूप में प रवतर्जान, शक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवायें प्र त
व्यिक्त टकाऊ उपभोग वस्तु आ द।|

O
KN
आ थर्जाक वकास की प रभाषा आ थर्जाक संवद्
ृ ध से व्यापक होती है .
C
आ थर्जाक वकास कसी दे श के सामािजक सांस्कृ तक, आ थर्जाक, गुणात्मक एवं मात्रात्मक सभी प रवतर्जानों से
PS
सम्बं धत है .
G

इसका प्रमुख लक्ष्य कुपोषण बीमारी, नरक्षरता और बेरोजगारी को खत्म करना होता है .
C
E.
इस प्रकार आ थर्जाक संवद्
ृ ध एक मात्रात्मक संकल्पना है , जब क आ थर्जाक वकास एक गुणात्मक |

G
पहले का संबंध राष्ट्रीय आय एवं प्र त व्यिक्त आय की वृद् ध दर से जुड़ा है , जब क दूसरे का संबंध

D
राष्ट्रीय आय में मात्रात्मक वृद् ध के अलावा अथर्जाव्यवस्था के संरचनात्मक ढांचे में प रवतर्जान से होता है |

LE
W
अतः कहा जा सकता है क आ थर्जाक वकास एक व्यापक संकल्पना या प्र क्रिया है िजस में सकल राष्ट्रीय
उत्पाद में कृ ष का हस्सा लगातार गरता जाता है |

O
KN
C
PS
G
C
आ थर्जाक संवद्
ृ ध बनाम आ थर्जाक वकास (Economic growth versus economic development)

E.
आ थर्जाक समृद् ध को दो रूपों में प रभा षत कया जा सकता है –

G
सकल घरे लू उत्पाद में एक निश्चत अव ध में वास्त वक वृद् ध |

D
1.
2. एक निश्चत अव ध में प्र त व्यिक्त सकल घरे लू उत्पाद में वृद् ध |

LE
आ थर्जाक समृद् ध से आशय सकल घरे लू उत्पाद, (GDP) सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवम प्र त व्यिक्त आय में

W
नरं तर होने वाली वृद् ध से है | अथार्जात आ थर्जाक समृद् ध उत्पादन की वृद् ध से संबं धत है |

O
KN
आ थर्जाक समृद् ध में दे खा जाता है क राष्ट्रीय उत्पादन में सतत वृद् ध हो रही है अथवा नहीं| य द राष्ट्रीय
उत्पादन में लगातार वृद् ध हो रही है , तो इसे संवद्ृ ध की संज्ञा दी जाएगी |
C
PS
आ थर्जाक संवद्
ृ ध से पता चलता है , क अथर्जाव्यवस्था के व भन्न स्त्रोतों में मात्रात्मक रूप से कतनी वृद् ध
हो रही है |
G
C
E.
दे श के सकल घरे लू उत्पाद, प्र त व्यिक्त आय,में वृद् ध और गरीबों की जनसँख्या में कमी से होता है जब क
आ थर्जाक वकास से आशय कसी दे श की आधारभूत संरचना की मजबूती, सामािजक और सांस्कृ तक

G
प रवतर्जानों से होता है .

D
LE
आ थर्जाक संवद्ृ ध मूलतः उत्पादन की वृद् ध से सम्बं धत है जब क आ थर्जाक वकास का सम्बन्ध दे श के
संवांगीणर्जा वकास से सम्बं धत है .

W
O
आ थर्जाक वकास का सम्बन्ध वकासशील दे शों से माना जाता है जब क आ थर्जाक संवद्
ृ ध का सम्बन्ध

KN
वक सत दे शों से होता है .

आ थर्जाक संवद्
ृ ध में एक व्यिक्त वशेष के वकास या कसी एक इकाई के वकास की बात की जाती है जब क
C
आ थर्जाक वकास में सम्पूणर्जा दे श या समाज के वकास की बात की जाती है .
PS
G
C
E.
य द कोई दे श आ थर्जाक रूप से वक सत है तो यह कहा जा सकता है क वह आ थर्जाक रूप से संवद्
ृ ध भी है
परन्तु यह नही कहा जा सकता क य द कोई दे श आ थर्जाक रूप से संवद्
ृ ध हो तो वह आ थर्जाक रूप से

G
वक सत भी होगा.

D
LE
W
O
आ थर्जाक संवद्
ृ ध के मुख्य कारक इस प्रकार हैं: सकल घरे लू उत्पाद, प्र त व्यिक्त आय और ऐसे आ थर्जाक
चर िजनका मात्रात्मक माप संभव हो जब क आ थर्जाक वकास के कारकों में शक्षा, साक्षरता दर, जीवन

KN
प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएँ, खाने में पोषक तत्वों की उपल धता आ द है .
C
PS
आ थर्जाक वकास का संबंध लोगों के कल्याण से है , इसमें गरीबी बेरोजगारी तथा असमानता के में कमी
आती है , आ थर्जाक संवद्
ृ ध आ थर्जाक वकास की पूवर्जा शतर्जा है |
G
C
आ थर्जाक संवद्
ृ ध दर (Economic growth rate)

E.
G
● नबल राष्ट्रीय उत्पाद में प रवतर्जान की दर ‘आ थर्जाक संवद्
ृ ध दर’ कहलाती है इसको राष्ट्रीय

D
आय की वृद् ध दर भी कहा जाता है |
आ थर्जाक संवद्
ृ ध में सामान्य रूप से कसी दे श की प्र त व्यिक्त आय और सकल घरे लू उत्पाद

LE

में वृद् ध को गना जाता है

W
O
आ थर्जाक संवद्
ृ ध दर = गत वषर्जा की तुलना में वतर्जामान वषर्जा के एनएनपी में प रवतर्जान वृद् ध या कमी / गत

KN
वषर्जा का एनएनपी X 100

● भारत जैसे वकासशील दे शों में आ थर्जाक संवद्


C ृ ध दर, आ थर्जाक वकास दर की तुलना में कम
होती है |
PS
G
C
सतत ् वकास(Sustainable development)

E.
सतत ् वकास की अवधारणा 1987 में पयार्जावरण एवं वकास के

G
वश्व आयोग की रपोटर्जा में OUR COMMON FUTURE नाम से

D
LE
प्रका शत रपोटर्जा में सवर्जाप्रथम उभरकर आती है ।

W
िजसमें कहा गया है क-’’वह वकास जो वतर्जामान की जरूरतों को,

O
भावी पीढ़ी की अपनी जरूरतों की क्षमता से समझौता कए बना,

KN
पूरा करता है ।

1992 के रयो डी जेने रयो के पृथ्वी सम्मेलन में जहाँ इसके


C
महत्व को स्वीकार कया गया
PS
G
C
बैंक

E.
G
एक वत्तिीय संस्थान है , जहाँ पर जनता अपने पैसों को जमा करती है ता क जरुरत पड़ने पर वह उन

D
पैसों को नकाल सके.

LE
इसके अलावा बैंक जरूरतमंद जनता को लोन प्रदान करवाती है , िजस लोन को बाद में जनता बैंक को
याज स हत वापस चुकाती है .

W
O
KN
C
PS
G
C
कसी भी बैंक में पैसों की लेन –दे न के लए उस बैंक में एक अकाउं ट की जरुरत होती है िजसे क Bank

E.
Account कहते हैं.

G
D
ग्राहक बैंक अकाउं ट के द्वारा ही बैंक में पैसों की लेन – दे न कर सकते हैं. बैंक एक प्रणाली के अनुसार

LE
काम करता है िजसके अंतगर्जात वह जनता को वत्तिीय सेवाएँ प्रदान करवाता है िजसे क बैं कं ग सस्टम

W
कहते हैं.

O
बैंक का फुल फॉमर्जा Borrowing, Accepting, Negotiating, Keeping होता है .

KN
दे श में बैं कं ग प्रणाली में तीन प्राथ मक कायर्जा हैं:
C
● भुगतान प्रणाली के संचालन
PS
● जमाकतार्जा और लोगों की बचत का रक्षक
● व्यिक्त और कंप नयों को ऋण जारी करना
G
C
बैंक कैसे काम करता है (How Does Bank Work )

E.
G
कई सारे ऐसे जरूरतमंद लोग होते हैं िजन्हें अपने अनेक प्रकार के कायर्षों के लए लोन की जरुरत पड़ती है

D
िजसके लए वह बैंकों के पास जाते हैं.

LE
बैंक जनता के द्वारा जमा कये गए पैसों को कुछ प्र तशत याज दर पर जरूरतमंद लोगों को लोन में

W
दे ती है .

O
बैंक के द्वारा लया जाने वाला अ त रक्त याज ही बैंक का Profit होता है , इसी प्रकार से बैंक पैसे

KN
कमाते हैं.

बैंक याज का कुछ प्र तशत हस्सा जमाकतार्जा को भी दे ते हैं, िजससे बैंक में पैसे जमा करवाने वाले को
C
भी Profit होता है .
PS
G
C
बैंक के कायर्जा (Work of Bank )

E.
G
एक दे श की अथर्जाव्यवस्था को मजबूत बनाने के लए बैंक के अनेक प्रकार के कायर्जा होते हैं. बैंक के कुछ प्रमुख
कायर्षों का ववरण हमने आपको नीचे बताया है –

D
LE
बैंक जनता के पैसों को सुर क्षत Deposit या जमा करता है , और बाद में आवश्यकतानुसार लोग अपने द्वारा
जमा कये गए पैसों को बैंक से नकाल सकते हैं.

W
O
बैंक जरूरतमंद लोगों को एक निश्चत याज दर पर लोन प्रदान करता है .

KN
आप बैंक के द्वारा दुसरे दे श में बैठे अपने प रजनों को भी पैसे भेज सकते हैं. बैंक ग्राहकों को ऑनलाइन
C
बैं कं ग, चेक आ द की सु वधा प्रदान करवाता है दुसरे दे श में पैसे भेजने के लए.
PS
G
C
बैंक अपने ग्राहकों के लए अनेक प्रकार के बैंक खाते खोलता है . कोई भी व्यिक्त आवश्यकतानुसार कसी भी

E.
प्रकार का बैंक अकाउं ट बैंक में खुलवा सकता है .

G
D
बैंक अकाउं ट खुलवाने के साथ बैंक अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैं कं ग, डे बट काडर्जा और क्रिे डट काडर्जा,

LE

बैंक पासबुक, बैंक चेक, NEFT और RTGS आ द प्रकार की सु वधा प्रदान करता है जो ग्राहकों

W
को लेन – दे न में आसानी प्रदान करते हैं.

O
● बैंक अपने ग्राहकों को Lockers की सु वधा प्रदान करते हैं िजसमें ग्राहक अपने महत्वपूणर्जा

KN
दस्तावेज, कीमती सामान आ द को सुर क्षत रख सकते हैं.
● बैंक सरकार को लोन दे ते हैं, िजन पैसों को सरकार वकास के कायर्षों में लगाती है .
C
बैंक सरकार को वत्तिीय सलाह भी दे ते हैं और सरकार के कायर्षों में सहयोग प्रदान करते हैं.
PS

● बैंक UPI के माध्यम से कसी भी बैंक अकाउं ट में पैसा भेज सकते है वः भी बना कसी
G

अ त रक्त शुल्क के.


C
बैंक की वशेषताएँ

E.
G
● ये या तो Individual या फर Firm या कोई Company हो सकती है .

D
● यह एक profit और service oriented institution होता है .

LE
● यह एक connecting link के तोर पर काम करता है borrowers और lenders के बीच में .

W
● ये पैसों का कारबार करता है .

O
● यह public से deposit accept करता है .

KN
● यह Customers को Advances/Loans/Credit प्रदान करता है .
● यह Payment और Withdrawal facilities भी प्रदान करता है .

C
साथ में ये Agency और Utility Services भी प्रदान करता है .
PS
G
C
प्राचीन भारत में बैं कं ग प्रणाली व बैं कं ग का इ तहास (Banking system in ancient India or History)

E.
वेदों में कुसी दन नाम के पद का उल्लेख मलता है जो उस दौर में पैसों का प्रबंधन कया करता था.

G

इसका उल्लेख सूत्रों और जातकों तक में मलता है .

D
LE
● जातकों में सूद पर उधार दे ने का उल्लेख भी सामने आता है , उधार दए जाने के लए कए जाने वाले
करार को यहां ऋण पत्र या ऋण पन्ने की तरह उल्ले खत कया गया है .

W
● कौ टल्य अपनी कताब अथर्जाशास्त्र में भी इन ऋण पत्रों का उल्लेख करते हैं, वे इसे ऋण आलेख कह

O
कर संबो धत करते हैं.

KN
● मौयर्जा काल आते—आते राज्य सत्तिा बैं कं ग का काम करने लगती है , इसके प्रमाण सामने आते है .
उल्लेख मलता है क राज्य आदे श पत्र के माध्यम से व्यापा रयों को पैसा चुकाने के वादा पत्र दया
C
करता था.
PS
G
C
भारत में मध्यकाल के दौरान बैं कं ग का स्वरूप (Banking system in medieval India)

E.
G
● मौयर्जा काल में जो ऋण पत्र प्रचलन में आए वे मध्यकाल में खासकर मुगल काल तक यूं ही प्रचलन

D
में रहे और खूब उपयोग में लाए जाते रहे .

LE
मुगलकालीन दस्तावेजों में दो तरह के ऋणपत्रों का उल्लेख मलता है , दस्तावेज ए इन्दुतलाब को

W

O
मांग पर जारी कया जाता था जब क दस्तावेज ए मयादी एक खास समय के बाद ही कैश कया

KN
जा सकता था, यह उस दौर के फक्स डपॉिजट जैसा था.

ये दस्तावेज शाही खजाने से ही जारी कए जाते थे ले कन इसके समानान्तर एक और व्यवस्था ने



C
PS
जन्म ले लया था िजसे महाजनी भी कहा जाता था.
G
C
18 वीं शता दी में ईस्ट इं डया कंपनी ने मुंबई तथा कोलकाता में कुछ एजें सयां गृहों की स्थापना की एजेंसी

E.
गृह आधु नक बैंकों की भां त कायर्जा कया करते थे इन एजेंसी गृहों का वत्तिपोषण ईस्ट इं डया कंपनी के

G
अ धका रयों एवं कमर्जाचा रयों द्वारा कया जाता था |

D
LE
यूरो पय बैं कं ग पद्ध त पर आधा रत भारत का प्रथम बैंक वदे शी पूंजी के सहयोग से एलेक्जेंडर एंड कंपनी
द्वारा बैंक ऑफ हंदस् ु तान के नाम से वषर्जा 1770 में कोलकाता में स्था पत कया गया कं तु यह शीघ्र ही

W
असफल रहा |

O
KN
व्यापार के साथ उन्हें अपनी आय और मुद्रिा के प्रबंधन के लए बैंक की जरूरत पड़ी और ब्रि टश ईस्ट इं डया

कंपनी ने पहले पहल 3 बैंकों की नींव भारत में रखी.


C
PS

चुं क सबसे पहले अंग्रेजों का प्रभाव बंगाल में ही बढ़ा इस लए पहला बैंक बंगाल में ही 1806 बैंक आ◌ॅफ बंगाल
G

के नाम से खोला.
C
इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे प्रभाव वाले क्षेत्रों बॉम्बे और मद्रिास प्रसीडेंसी में 1840 में बैंक आ◌ॅफ बॉम्बे

E.
G
और 1843 में बैंक आ◌ॅफ मद्रिास की शुरूआत की.

D
LE
1857 की क्रिां त के बाद जब भारत में ईस्ट इं डया कंपनी को समा त कर दया गया और शासन सीधे

W
ब्रिटे न की महारानी के तहत आ गया तो इन तीन बैंकों का आपस में 1921में वलय करके इन्हें नया नाम

O
इंपी रयल बैंक दे दया गया.

KN
यह इंपी रयल बैंक ही आजादी के बाद भारत का प्रमुख बैंक बना िजसे 1955 में नाम प रव तर्जात करके
C
PS
भारतीय स्टे ट बैंक कर दया गया.
G
C
इलाहाबाद बैंक 1865

E.
एलाइंस ऑफ शमला 1881

G
सी मत दे यता के आधार पर वषर्जा 1881 में स्था पत ‘अवध कम शर्जायल बैंक’ भारतीयों द्वारा स्था पत

D
संचा लत पहला बैंक था

LE
पंजाब नेशनल बैंक 1894-पूणर्जा रूप से भारतीय दे श का पहला बैंक ‘पंजाब नेशनल बैंक’ था

W
बैंक ऑफ इं डया 1906

O
बैंक ऑफ़ बड़ोदरा 1908

KN
सेंट्रल बैंक ऑफ इं डया 1911
बैंक ऑफ मैसूर 1913 C
PS

भारतीय केंद्रिीय बैंक, आरबीआई हल्टन-यंग आयोग की सफा रश पर 1935 में स्था पत कया गया था
G
C
दे श के तौर पर बैं कं ग संस्थाओं को रे गुलेट करने और सरकारी मुद्रिा के प्रबंधन के लए भी भारत सरकार को

E.
एक संस्था की जरूरत महसूस हु ई तो 1949 में भारतीय रजवर्जा बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दया गया और

G
आजादी के बाद भी केिन्द्रिय बैंक के तौर पर इसकी भू मका को यथावत रखा गया.

D
रजवर्जा बैंक को भारत में बैं कं ग को रे गुलेट करने के सभी अ धकार भी दे दए गए.

LE
W
इसके बाद भारत के बैं कं ग क्षेत्र में बड़ा प रवतर्जान तब आया जब भारत सरकार ने 1959 में भारतीय स्टे ट
बैंक अ ध नयम के माध्यम से दे श के आठ क्षेत्रीय बैंकों का राष्ट्रीय करण कर दया और इन्हें भारतीय स्टे ट

O
बैंक का अनुषंगी बना दया.

KN
इसमें स्टे ट बैंक आ◌ॅफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टे ट बैंक आ◌ॅफ त्रावणकोर, स्टे ट बैंक आ◌ॅफ है दराबाद, स्टे ट
बैंक आ◌ॅफ इंदौर, स्टे ट बैंक आ◌ॅफ मैसूर, स्टे ट बैंक आ◌ॅफ इन्दौर और स्टे ट बैंक आ◌ॅफ प टयाला प्रमुख हैं.
C
PS
इस सफल राष्ट्रीयकरण से प्रे रत होकर भारत सरकार ने इसी तरह का एक बड़ा कदम 19 जुलाई 1969 को
उठाया और दे श के प्रमुख चौदह बैंकों का राष्ट्रीय करण कर दया.
G
C
राष्ट्रीयकरण अव ध (1969 से 1991)

E.
1969 में , भारत सरकार ने 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण कया िजनके जमा-पूंजी 50 करोड़ से अ धक

G
थी । नीचे बैंको की सूची प्रस्तुत है -

D
इलाहाबाद बैंक

LE
1.
2. बैंक ऑफ इं डया

W
3. पंजाब नेशनल बैंक

O
4. बैंक ऑफ बड़ौदा

KN
5. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
6. सेंट्रल बैंक ऑफ इं डया C
कैनरा बैंक
PS
7.
8. दे ना बैंक
G
C
9. इं डयन ओवरसीज बैंक

E.
10. इं डयन बैंक

G
11.संयुक्त बैंक

D
LE
12. सं डकेट बैंक
13.यू नयन बैंक ऑफ इं डया

W
14.यूको बैंक

O
KN
राष्ट्रीयकरण के बाद भारतीय बैं कं ग प्रणाली बेहद वक सत हु ई ले कन समाज के ग्रामीण, कमजोर वगर्जा
और कृ ष को अभी भी सस्टम के तहत कवर नहीं कया गया था
C
PS
G
C
E.
इन मुद्दों को हल करने के लए, 1974 में नर संहम स म त ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की
स्थापना की सफा रश की थी। 2 अक्टू बर 1975 को, आरआरबी को ग्रामीण और कृ ष वकास के लए ऋण

G
की मात्रा बढ़ाने के उद्दे श्य से स्था पत कया गया था।

D
LE
वषर्जा 1980 में छह और बैंकों को और अ धक राष्ट्रीयकृ त कया गया। राष्ट्रीयकरण की दूसरी लहर के साथ,
प्राथ मकता क्षेत्र ऋण दे ने का लक्ष्य भी 40% तक बढ़ाया गया।

W
O
1. आंध्र बैंक

KN
2. नगम बैंक
3. नई बैंक ऑफ इं डया
4.
C
ओ रएंटल बैंक ऑफ कॉमसर्जा
पंजाब एंड संध बैंक
PS
5.
6. वजया बैंक
G
C
उदारीकरण चरण (1990 से अब तक )

E.
सावर्जाज नक क्षेत्र के बैंकों की वत्तिीय िस्थरता और लाभप्रदता में सुधार के लए, भारत सरकार ने श्री एम

G
नर संहम की अध्यक्षता में एक स म त की स्थापना की।

D
एम नर समहम स म त ने दे श में बैं कं ग प्रणाली को सुधारने के लए कई सफा रश की। िजनमे से कुछ

LE
प्रमुख है -

W
सफा रशों का प्रमुख जोर बैंकों को प्र तस्पधर्षी और मजबूत बनाने और वत्तिीय प्रणाली की िस्थरता के

O

लए अनुकूल बनाना था।

KN
● स म त ने बैंकों के और अ धक राष्ट्रीयकरण न करने का सुझाव दया।

C
वदे शी बैंकों को भारत में या तो शाखाओं या सहायक कंप नयों के रूप में कायार्जालय खोलने की अनुम त
PS
दी गयी।
● बैंकों को अ धक प्र तस्पधर्षी बनाने के लए, स म त ने सुझाव दया क सावर्जाज नक क्षेत्र के बैंक और
G

नजी क्षेत्र के बैंकों को सरकार और भारतीय रजवर्जा बैंक द्वारा समान रूप से व्यवहार कया जाना
C
इस बात पर बल दया गया क बैंकों को बैं कं ग के रू ढ़वादी और पारं प रक प्रणाली को छोड़ने और

E.

G
मचर्चेंट बैं कं ग और अंडरराइ टंग, रटे ल बैं कं ग जैसे प्रग तशील कायर्षों को अपनाने के लए प्रोत्सा हत

D
कया जाना चा हए।

LE
● अब, वदे शी बैंकों और भारतीय बैंकों ने इन और अन्य नए प्रकार के वत्तिीय सेवाओं में संयुक्त

W
उद्यम स्था पत करने की अनुम त दी गयी ।

O
KN
● 10 प्राइवेट बैंकों को बैं कं ग क्षेत्र में प्रवेश करने के लए आरबीआई से लाइसेंस मला। ये ग्लोबल

ट्रस्ट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी एस बैंक, बैंक ऑफ पंजाब, इंडसइंड बैंक,
C
PS
सेंच्यु रयन बैंक, आईडीबीआई बैंक, टाइम्स बैंक और डेवलपमें ट क्रिे डट बैंक थे I
G
C
Scheduled Bank (अनुसू चत बैंक)

E.
अनुसू चत बैंक उन बैंकों को कहा जाता है िजनका नाम भारतीय रजवर्जा बैंक अ ध नयम, 1934 के दूसरी

G
अनुसूची में शा मल होता है .

D
LE
इस प्रकार के बैंकों की प्रदत पूंजी (Paid-Up-Capital) तथा संचयों (Reserve) का कुल मूल्य न्यूनतम 5
लाख रूपये होना चा हए और अनुसू चत बैंकों को RBI को संतुष्ट करवाना होता है क उनका कारोबार कसी

W
ऐसे तरीकों से नहीं चलाया जा रहा है जो जमाकतार्जा के हतों के वरुद्ध हो.

O
अगर कोई बैंक RBI के इन नयमों का पालन नहीं करता है तो RBI उन्हें अपनी अनुसूची से हटा सकता है .

KN
अनुसू चत बैंकों को RBI बैंक की दरों में लोन प्रदान करवाता है .
C
PS
G
C
E.
अनुसू चत बैंक के प्रकार (Types Of Scheduled Bank)

G
1. नजी क्षेत्र के अनुसू चत बैंक

D
2. सावर्जाज नक क्षेत्र के अनुसू चत बैंक

LE
3. वदे शी क्षेत्र के अनुसू चत बैंक

W
O
KN
C
PS
G
C
गैर-अनुसू चत बैंक (Non Scheduled Bank)

E.
G
भारतीय रज़वर्जा बैंक अ ध नयम, 1934 के मुता बक भारत के बैं कं ग क्षेत्र को अनुसू चत और गैर-

D
अनुसू चत दो प्रमुख समूहों में वभािजत कया गया है

LE
W
बैंक जो भारतीय रज़वर्जा बैंक अ ध नयम, 1934 के द् वतीय अनुसूची में शा मल नही है और भारतीय रज़वर्जा
बैंक द्वारा नधार्जा रत मापदं डो का पालन नही करते है ऐसे बैंक गैर-अनुसू चत बैंक (Non Scheduled

O
Bank) कहलायें जाते है ।

KN
भारतीय रज़वर्जा बैंक एक्ट, 1934 के अनुसार अनुसू चत बैंकों में सावर्जाज नक क्षेत्र के बैंक, नजी क्षेत्र के बैंक,
C
ग्रामीण क्षेत्र के बैंक, वदे शी क्षेत्र के बैंक शा मल होते है एवं गैर-अनुसू चत बैंकों में सहकारी बैंक
PS

(Cooperative Bank) शा मल होतें है , जो क राज्य स्तर, िजला स्तर और प्राइमरी स्तर पर फैले होते हैं ।
G
C
गैर-अनुसू चत बैंकों के लस्ट (List Of Non-Scheduled Banks In India)

E.
भारत के 10 प्रमुख गैर-अनुसू चत बैंकों के नाम लस्ट नम्न ल खत प्रकार है -

G
D
1. Saraswat Cooperative Bank Ltd

LE
2. COSMOS Cooperative Bank Ltd

W
3. Shamrao Vithal Cooperative Bank

O
4. Abhyudaya Cooperative Bank Ltd

KN
5. Bharat Cooperative Bank
C
6. The Thane Janata Sahakari Bank
PS
7. Punjab & Maharashtra Co Operative Bank
G

8. Janata Cooperative Bank


C
अनुसू चत और गैर-अनुसू चत बैंक में अंतर - Difference Between Scheduled And Non-Scheduled

E.
G
Bank

D
अनुसू चत बैंक भारतीय रज़वर्जा बैंक अ ध नयम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शा मल हैं, जब क गैर-

LE
अनुसू चत बैंक रज़वर्जा बैंक की दूसरी अनुसूची में शा मल नही होतें हैं ।

W
अनुसू चत बैंकों को भारतीय रज़वर्जा बैंक से दन प्र त- दन की बैं कं ग ग त व धयों के लए धन उधार लेने

O
की अनुम त है जब क गैर-अनुसू चत बैंकों को अनुम त नहीं होती है ।

KN
अनुसू चत बैंक जमाकतार्जाओं के हतों का ध्यान रखतें है जब क गैर-अनुसू चत बैंक ऐसा नहीं करतें है
C
क्यों क वे भारतीय रज़वर्जा बैंक के दशा नदर्दे शों का पालन करने के लए बाध्य नही होतें हैं ।
PS
G
C
अनुसू चत बैंकों को “नकद आरक्षी अनुपात” की रकम भारतीय रज़वर्जा बैंक के पास जमा करना आवश्यक

E.
है जब क गैर-अनुसू चत बैंक बाध्य नही है “नकद आरक्षी अनुपात” की रा श अपने पास जमा रख सकते

G
हैं ।

D
LE
अनुसू चत बैंक चाहें तो क्लीय रंग हाउस का सदस्य बन सकते हैं जब क गैर अनुसू चत बैंक क्लीय रंग

W
हाउस का सदस्य नहीं बन सकते हैं ।

O
KN
C
PS
G
C
बैंक के प्रकार (Type of Bank )

E.
G
A. Commercial Bank (वा णज्य बैंक)

D
LE
Commercial Bank को हंदी में वा णज्य बैंक, व्यवसा यक बैंक या
व्यापा रक बैंक भी कहा जाता है . कम शर्जायल बैंकों को बैं कं ग

W
व नयमन अ ध नयम, 1949 के तहत व नय मत कया जाता है .

O
इस प्रकार के बैंकों को लाभ कमाने के उद्दे श्य से बनाया गया है . दे श

KN
के आ थर्जाक संगठन में Commercial Bank की भू मका बहु त
महत्वपूणर्जा होती है .
C
व्यापा रक बैंक भी जनता से जमाए स्वीकार करते हैं और साख का
PS
नमार्जाण कर उसे जनता को बेचकर लाभ कमाते है ।
G
C
व्यापा रक बैंक मुख्यतः नम्न ल खत कायर्जा करते है :

E.
नक्षेप स्वीकार करना (To Accept Deposits)

G
D
ये बैंक ग्राहकों के नक्षेप (जमा) स्वीकार करते है ।

LE
इन नक्षेपों की जमारा शयों को ग्राहकों को चुकाने का उत्तिरदा यत्व भी इसी पर होता है । व्यापा रक बैंक- (i)
चालू खाता, (ii) स्थायी जमा खाता, (iii) बचत खाता, (iv) ग्रह बचत खाता तथा (v) अ निश्चतकालीन खाता

W
आ द खोलकर उनमें ग्राहकों की रकम जमा करती है ।

O
KN
(II)ऋण एवं अ ग्रम प्रदान करना (To Provide Loans & Advance)
C
व्यापा रक बैंक ग्राहकों को – (i) साधारण और अ ग्रम ऋण, (ii) अ ध वकषर्जा एवं, (iii) नकद साख, (iv) वदे शी
PS

वपत्रों को भुनाकर ऋण प्रदान करता है ।


G
C
(III) अ भकतार्जा (Agent) संबंधी कायर्जा

E.
व्यापा रक बैंक अ भकतार्जा के रूप में धन का हस्तांतरण, ग्राहकों की ओर से भुगतान एवं उनके धन का संग्रह

G
आ द का कायर्जा करता है ।

D
(IV) अन्य कायर्जा (Other Function)

LE
व्यापा रक बैंक उक्त कायर्षों के साथ वदे शी व नमय का क्रिय- वक्रिय, सरकार के बैं कं ग संबंधी कायर्जा,

W
प्र शक्षण, साख की सु वधा आ द से संबं धत सेवाएं भी प्रदान करता है

O
KN
C
PS
G
C
Commercial Bank जनता के पैसों को जमा करते हैं और जनता तथा सरकार को ऋण दे ते हैं.

E.
Commercial Bank भी चार प्रकार के होते हैं. वहीँ Commercial banks को divide कया जाता है –

G
D
LE
● Public sector banks
● Private sector banks

W
● Foreign banks
● Regional Rural Banks (RRB)

O
KN
C
PS
G
C
a.Public Sector Bank (सावर्जाज नक क्षेत्र के बैंक)

E.
G
सावर्जाज नक क्षेत्र के बैंक उन बैंकों को कहा जाता है िजसमें अ धक प्र तशत हस्सेदारी सरकार की होती है ,
मतलब क ऐसे बैंकों में सरकार की हस्सेदारी 50 प्र तशत से अ धक की होती है और बाकीं की हस्सेदारी

D
शेयरधारकों की होती है .

LE
W
ये असल में nationalised banks होते हैं और हमारे दे श के करीब 75% से भी ज्यादा banking business के
लए उत्तिरदायी होते हैं.

O
KN
Volumes के terms में , SBI भारत का सबसे बड़ा public sector bank है . ये तब हु आ जब इसमें इसकी 5
associate banks शा मल हु ई. C
PS
भारत में total 12 nationalised banks िस्तथ हैं पुरे दे श भर में .
G
C
E.
List of Public Sector Banks

G
○ Punjab National Bank

D
○ Indian Bank

LE
State Bank of India
○ Canara Bank

W
○ Union Bank of India
○ Indian Overseas Bank

O
○ UCO Bank

KN
○ Bank Of Maharashtra
○ Punjab and Sind Bank
○ Bank of India C
○ Central Bank of India
PS
○ Bank Of Baroda
G
C
B.Private Sector Bank ( नजी क्षेत्र के बैंक) -Private Sector बैंक उन बैंकों को कहा जाता है िजसमें अ धक

E.
हस्सेदारी भारत सरकार की न होकर शेयर धारकों की होती है . इनके अंतगर्जात ऐसे banks आते हैं िजनमें

G
major stake या equity धारण करते हैं private shareholders. सभी banking rules और regulations जो की

D
RBI द्वारा तय कये जाते हैं वो सभी applicable होते हैं इन private sector banks में भी.

LE
W
O
KN
C
PS
G
C
LIST OF PRIVATE SECTOR BANKS

E.
G
1.Axis Bank 11. IDFC FIRST Bank

D
2. Bandhan Bank 12. Jammu & Kashmir Bank
3. CSB Bank 13. Karnataka Bank

LE
4. City Union BanK 14. Karur Vysya Bank

W
5. DCB Bank 15. Kotak Mahindra Bank
6. Dhanlaxmi Bank 16. IDBI Bank

O
7. Federal Bank 17. Nainital bank

KN
8. HDFC Bank 18. RBL Bank
9. ICICI Bank 19. South Indian Bank
10. IndusInd Bank C 20. Tamilnad Mercantile Bank
21. YES Bank
PS
G
C
C. Regional Rural Bank (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक)

E.
G
भारत में आपातकालीन घोषणा के उपरान्त 1 जुलाई, 1975 को स्वगर्षीय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इं दरा

D
गाँधी ने 20 सूत्रीय कायर्जाक्रिम दे श के समक्ष प्रस्तुत कया ।

LE
इस कायर्जाक्रिम के अन्तगर्जात ग्रामीण क्षेत्रों में आसान शतर्षों पर भू महीन कृ षकों, श्र मकों एवं अन्य गरीब वगर्जा के

W
लोगों को सस्ती याज दर पर ऋण उपल ध कराने की व्यवस्था थी ।

O
इस उद्दे श्य की पू तर्जा हे तु भारत सरकार ने समूचे दे श में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्था पत करने का नणर्जाय लया ।

KN
तदुपरान्त 26, दसम्बर, 1975 को राष्ट्रप त ने एक अध्यादे श- “The Rational Rural Bank Ordinance –
1975” जारी कया ।
C
अध्यादे श के अनुसार प्रत्येक ग्रामीण बैंक की पूँजी 1 करोड़ रु. रखी गई थी कन्तु जारी अथवा प्रदत्ति पूँजी
PS
(Issued or Paid-Up Capital) केवल 25 लाख रुपए ही थी ।
G
C
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की शेयर पूँजी नम्न प्रकार एकत्र की जाती थी:

E.
G
(अ) केन्द्रिीय सरकार : 50 प्र तशत

D
(ब) सम्बिन्धत राज्य सरकार : 15 प्र तशत

LE
स) प्रायोिजत व्यापा रक बैंक : 35 प्र तशत

W
O
KN
सभी प्रादे शक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रजवर्जा बैंक ऑफ इिण्डया एक्ट क दूसरी अनुसूची में
सम्म लत कया गया है । इसके साथ ही रजवर्जा बैंक ने इन्हें कुछ रयायते भी दी हैं ।

जैसे:
C
PS

(i) अन्य अनुसू चत बैंकों के अपनी कुल जमारा शयों का 38 प्र तशत तरल सम्प त्तियों के रूप में
G

रखना पड़ता है , जब क प्रादे शक ग्रामीण बैंक के लये यह प्र तशत केवल 25 ही है ।


C
E.
अनुसू चत बैंकों को अपनी कुल माँग एवं समय दे यताओं का 15 प्र तशत नकदी के रूप में रखना पड़ता है

G
जब क क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अपनी दे यताओं का केवल 3 प्र तशत भाग ही नकदी रखते है ।

D
LE
इसके साथ ही प्रादे शक ग्रामीण बैंकों द्वारा कमाये गए याज दर आय कर भी नहीं लगता ।

W
O
रजवर्जा बैंक इन बैंकों को पुन वर्जात सु वधाएँ भी दे ता है ।

KN
यह पूवर्जा वत्ति इन्हें रयायत दर अथार्जात बैंक दर से 3 प्र तशत कम की दर पर दया जाता है ।
C
PS
12 जुलाई, 1982 से इन बैंकों का नयंत्रण रजवर्जा बैंक से हस्तान्त रत होकर कृ ष एवं ग्रामीण वकास के

राष्ट्रीय बैंक (नाबाडर्जा – Nabard) के पास आ गया ।


G
C
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के प्रमुख उद्दे श्य दो है :

E.
G
(अ) कृ ष, व्यापार, वा णज्य, उद्योगों तथा अन्य उत्पादक कायर्षों के लए वत्ति व्यवस्था करके ग्रामीण

D
अथर्जाव्यवस्था का वकास करना, और

LE
(ब) छोटे -छोटे उद्य मयों, शल्पकारों, कृ ष श्र मकों तथा छोटे एवं सीमान्त कृ षकों के लए साख एवं अन्य
सु वधाएँ प्रदान कर उन्हें साहू कारों के चंगुल से बचाना ।

W
O
प्रत्येक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सरकार द्वारा नधार्जा रत स्थानीय सीमाओं के भीतर ही कायर्जा करता है । इसका
प्रबन्ध 9 सदस्यीय संचालक मण्डल द्वारा चलाया जाता है ।

KN
संचालक मण्डल का अध्यक्ष सरकार द्वारा नयुक्त कया जाता है ।
C
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रबन्धन संचालक मण्डत्न द्वारा व्यावसा यक सद्धांतों एवं समय-समय पर
PS

सरकार द्वारा दये गए आदे शों के अनुसार होता है ।


G
C
इन बैंकों को रजवर्जा बैंक ऑफ इिण्डया की दूसरी अनुसूची में सिम्म लत कया गया है िजससे

E.
इन्हें अनुसू चत व्यापा रक बैंकों की श्रेणी में रखा जाता तथा रजवर्जा बैंक का इन पर पूरा नयंत्रण

G
रहता है ।

D
सन ् 1982 से इनको नयं त्रत करने का दा यत्व ‘नाबाडर्जा’ को सौंप दया गया है । प्रारम्भ में (2

LE
अक्टू बर, 1975) केवल 5 क्षेत्रीय बैंकों की स्थापना की गई थी ।

W
O
KN
C
PS
G
C
दुसरे महत्वपूणर्जा functions िजन्हें की RRBs द्वारा कया जाता है

E.
G
1. Rural और Semi-urban areas में banking और financial services प्रदान करना.

D
2. Government की operations जैसे की MGNREGA श्र मकों को वेतन प्रदान करना, employees
को pension प्रदान करना.

LE
3. Para-Banking facilities जैसे की debit cards, credit cards और locker facilities.

W
O
KN
C
PS
G
C
D.Foreign Bank ( वदे शी बैंक)

E.
G
Foreign Bank उन बैंकों को कहा जाता है िजनका मुख्यालय दे श से बाहर होता है .

D
LE
वदे शी बैंक को RBI के साथ दुसरे दे श, जहाँ उनका मुख्यालय होता है , के नयमों का पालन भी करना
होता है . भारत में अभी के समय में 46 वदे शी बैंक हैं.

W
O
KN
C
PS
G
C
E.
एक foreign bank उसे कहते हैं िजसकी headquarters दूर वदे श में िस्तथ होता है ले कन ये भारत में एक
private entity के तोर पर operate हो रहा होता है .

G
D
इन banks को दोनों ही दे शों के rules को पालन करना होता है एक जहाँ से operate कर रहे हैं और दूसरा

LE
जहाँ इनकी headquarters िस्तथ होती है .

W
उदाहरण के लए Citibank, Standard Chartered Bank और HSBC भारत के कुछ leading foreign
banks हैं.

O
KN
C
PS
G
C
Co-Operative Bank (सहकारी बैंक)

E.
सहकारी बैंक का आशय उन छोटे वत्तिीय संस्थानों से है जो शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे

G

D
व्यवसायों को ऋण की सु वधा प्रदान करते हैं।

LE
● सहकारी बैंक आमतौर पर अपने सदस्यों को कई प्रकार की बैं कं ग और वत्तिीय सेवाएँ जैसे- ऋण दे ना,
पैसे जमा करना और बैंक खाता आ द प्रदान करते हैं।

W
सहकारी बैंक उनके संगठन, उद्दे श्यों, मूल्यों और शासन के आधार पर वा णिज्यक बैंकों से भन्न

O

KN
होते हैं।
● उल्लेखनीय है क सहकारी बैंक का प्राथ मक लक्ष्य अ धक-से-अ धक लाभ कमाना नहीं होता, बिल्क
C
अपने सदस्यों को सवर्वोत्तिम उत्पाद और सेवाएँ उपल ध कराना होता है ।
PS

● सहकारी बैंकों का स्वा मत्व और नयंत्रण सदस्यों द्वारा ही कया जाता है , जो लोकतां त्रक रूप से
G

नदे शक मंडल का चुनाव करते हैं।


C
सहकारी बैंक सहकारी स म त अ ध नयम के तहत पंजीकृ त

E.
कये जाते हैं।ये काम करते हैं

G
D
LE
no-profit no-loss basis पर और मुख्यरूप से serve करते हैं

W
entrepreneurs, small businesses, industries और

O
self-employment को urban areas में .

KN
वहीँ rural areas में , ये mainly finance करते हैं
C
agriculture-based activities जैसे की कृ ष, livestock और
PS
hatcheries को.
G
C
E.
G
सहकारी बैंक छोटे वत्तिीय संस्थान होते हैं, जो शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को ऋण
दे ने का सु वधा प्रदान करते हैं।

D
LE
यह Reserve Bank of India (RBI) के दे ख-रे ख में काम करता है । यह Banking Regulation Act, 1949
और Banking Laws Act, 1965 के अंतगर्जात आता है ।

W
O
सहका रता अपनी इच्छा से सिम्म लत हु ये व्यिक्तयों का कायर्जा है , िजससे वे अपनी शिक्त का उपयोग

KN
आपसी प्रबन्ध के अन्तगर्जात करते है ।

International Labor Organization के अनुसार “Cooperative Bank आ थर्जाक दृिष्ट से नबर्जाल


C
व्यिक्तयों का संगठन है िजसके अन्तगर्जात समान अ धकार व दा यत्व के आधार पर सदस्य लोग स्वेच्छा
PS
से कायर्जा करते है ।”
G
C
सहकारी बैंक के प्रकार (Types of Cooperative Bank)

E.
सहकारी बैंक मुख्यतः three प्रकार के होते है :-

G
D
1. Primary cooperative Bank

LE
2. Central cooperative Bank
3. Provincial cooperative Bank

W
O
प्राथ मक सहकारी साख स म त (Primary cooperative credit society)

KN
प्राथ मक सहकारी साख स म त इसे प्राथ मक सहकारी बैंक भी कहते है । िजसे एक गाँव, शहर या क्षेत्र के
कम-से-कम 10 व्यिक्त मलकर बना सकते है । सदस्यों की संख्या अ धक-से-अ धक 100 हो सकती है ।
C
स म त को सहकारी स म त के रिजस्ट्रार से पंजीकरण (Registration) कराना पड़ता है ।
PS

ये स म तयां कसी एक गाँव अथवा शहर के लए होती है और उसी क्षेत्र के रहने वाले लोग इसके सदस्य हो
G

सकते है ।
C
स म तयों की पूँजी सदस्यों से प्रवेश शुल्क लेकर, उनको अंश बेचकर अथवा उनसे रा श जमा लेकर,

E.
केन्द्रिीय तथा प्रान्तीय बैंकों और सरकार से ऋण लेकर प्रा त की जाती है ।

G
D
LE
केन्द्रिीय सहकारी बैंक (Central cooperative bank)

W
कसी तहसील, िजला या वशेष क्षेत्र की समस्त सहकारी स म तयों की आ थर्जाक व्यवस्था के लये एक

O
केन्द्रिीय सहकारी बैंक होता है ।

KN
ये बैक शहर में होते है । इन बैंकों के सदस्य प्राथ मक स म तयों तथा अन्य व्यिक्त होते है । इनका
दा यत्व Limited होता है ।C
यह बैंक व्यापा रक बैंकों का कायर्जा करता है , जैसे-जनता से रुपया जमा करना तथा ऋण दे ना, Cheque
PS

की धनरा श वसूल करना, प्र तभू तयों का क्रिय- वक्रिय करना, बहु मूल्य वस्तुओं को सुर क्षत रखना
इत्या द। परन्तु इन बैंकों का मुख्य उद्दे श्य प्राथ मक स म तयों को आ थर्जाक सहायता दे ना होता है ।
G
C
E.
राज्य सहकारी बैंक (state cooperative bank)

G
प्रांतीय सहकारी बैक कसी प्रांत या राज्य के सभी Central Banks का संगठन करता है ।

D
इसका मुख्य उद्दे श्य Central Banks को आवश्यकता पड़ने पर आ थर्जाक सहायता दे ना है ।

LE
इस बैक का सम्बन्ध Reserve Bank of India से होता है जो समय-समय पर आ थर्जाक सहायता दया

W
करता है ।

O
KN
ये बैक अपनी कायर्जाशील पूँजी को अंश वक्रिय से, जमा स्वीकार करके, व्यापा रक बैको या स्टे ट बैंक से
प्रा त करते है । इन बैंकों का गठन व भन्न राज्यों में अलग-अलग है ।
C
जैसे: मद्रिास और बहार में इन बैंकों की सदस्यता केवल केन्द्रिीय बैंको तक ही सी मत है , जब क बंगाल
PS
तथा पंजाब में इनकी सदस्यता व्यिक्तयों और सहकारी स म तयों दोनों के लये खुली है ।
G
C
भू म वकास बैंक

E.
सामान्यतः कृ षकों की अल्पकालीन एवं मध्यम अव ध के ऋणों की पू तर्जा प्राथ मक कृ ष-साख स म तयों

G
केन्द्रिीय सहकारी बैंकों एवं राज्यीय सहकारी बैंकों द्वारा की जाती है

D
LE
दीघर्जाकालीन ऋणों की व्यवस्था के लये सम्पूणर्जा दे श में भू म वकास बैंकों या भू म बन्धक बैंकों की स्थापना
की गई है ।

W
भू म वकास बैंकों की स्थापना का श्रीगणेश प्रारम्भ में मद्रिास प्रान्त में हु आ, जब क इस राज्य ने ऋण पत्रों

O
(Debentures) को जारी करने एवं राज्य के प्राथ मक बैंकों को समिन्वत करने के लये सन ् 1929 में केन्द्रिीय

KN
भू म बन्धक बैंक (Central Land Mortgage Bank) की स्थापना की ।

भू म वकास बैंकों का मुख्य कायर्जा कृ ष सम्प त्ति के आधार पर दीघर्जाकालीन ऋण दे ना है ।


C
PS
चूं क ये बैंक भू म-प रसम्प त्ति को रहन या बन्धक रखकर ऋण दे ते है , अतः प्र तभू त या रहन रखने
(Security) से सम्बिन्धत कठोर नयम बनाए गए हैं । साधारणतः ये बैंक प्र तभू त (Security) के मूल्य के
G

50 प्र तशत तक का ऋण दे ते हैं ।


C
भू म का मूल्य नधार्जा रत करते समय प्रदत्ति भू म-कर (Land Tax Paid), भू म का भाटक या लगान मूल्य

E.
(Rental Value of Land), भू म से सकल और शुद्ध आय (Gross and Net Income) तथा भू म का वक्रिय

G
मूल्य आ द बहु त सी बातें ही ध्यान में नहीं रखते इस बात का वचार भी करते है क ऋण लेने वाले व्यिक्त

D
में ऋण चुकाने की क्षमता कतनी है ।

LE
भू म वकास बैंक अनेक उद्दे श्यों के लए ऋण उपल ध कराते हैं, जैसे- भू म सुधार, पुराने ऋणों की

W
वापसी, महं गे कृ ष यंत्रों की खरीदी, कुएँ खुदवाने आ द ।

O
पुराने ऋणों का चुकाना या प रशोधन (Redemption of Old Debts) इन बैंकों का सबसे महत्वपूणर्जा और

KN
एक दृिष्ट से एक मात्र कायर्जा समझा जाता था, कन्तु वतर्जामान में कृ षक मुख्यतः भू म के सुधार और उन्न त
के लये ही भू म वकास बैंक से ऋण लेते है ।
C
एक सदस्य की उधार क्षमता आमतौर पर बैंक में रखे शेयरों की संख्या के अनुसार नधार्जा रत होती है ।भू म
PS

वकास बैंक द्वारा दी गई ऋण 20 से 30 वषर्षों के भीतर चुकाया जा सकता है । आम तौर पर, भू म के मूल्य
के 50% या राजस्व से 30 गुना तक ऋण दया जाता है ।
G
C
4.Development Bank ( वकास बैंक)

E.
इस प्रकार के बैंकों को कसी एक वशेष क्षेत्र में स्था पत कया जाता है .

G
D
इन बैंकों का मुख्य उद्दे श्य क्षेत्र में वकास करना होता है .

LE
वकास बैंक अपने क्षेत्र में लोगों को व्यवसायों के लए Long Term लोन प्रदान करवाते हैं िजससे क क्षेत्र

W
का वकास हो सके.

O
KN
C
PS
G
C
भारतीय औद्यो गक वकास बैंक

E.
भारतीय औद्यो गक वकास बैंक (IDBI) की स्थापना 1 जुलाई, 1964 को की गयी । 16 फरवरी, 1976 तक

G
यह रजवर्जा बैंक ऑफ इिण्डया की एक सहायक संस्था (Wholly-Owned Subsidiary) के रूप में कायर्जा करता

D
रहा ।

LE
औद्यो गक वकास बैंक की स्थापना का प्रमुख उद्दे श्य राष्ट्र के औद्योगीकरण के स्तर को उन्नत बनाना
तथा औद्यो गक वकास से संबं धत प रयोजनाओं की स्थापना में स क्रिय भाग लेना है ।

W
O
इस मूलभूत उद्दे श्य की पू तर्जा के साथ-साथ औद्यो गक वत्ति की पू तर्जा करना भी इस प्रकार के बैंक के लए
अ नवायर्जा हो जाता है , क्यों क वत्ति-पू तर्जा की समु चत व्यवस्था के बना औद्यो गक वकास संभव नहीं होता

KN
। अतः ये दोनों उद्दे श्य परस्पर अनुपूरक कहे जा सकते हैं ।
C
इसे कंपनी अ ध नयम,1956 की धारा 4 ए के प्रावधानों के अंतगर्जात एक सावर्जाज नक वत्तिीय संस्था का दज़ार्जा
PS
प्रा त हु आ.
G
C
सन ् 2004 तक यानी, 40 वषर्षों तक इसने वत्तिीय संस्था के रूप में कायर्जा कया और 2004 में इसका

E.
रूपांतरण एक बैंक के रूप में हो गया.

G
िजन दो उद्दे श्यों की पू तर्जा के लए सरकार द्वारा औद्यो गक वकास बैंक की स्थापना की गयी, वे इस

D
प्रकार हैं:

LE
(a)एक केन्द्रिीय संस्था के रूप में औद्यो गक वत्ति से संबं धत व भन्न वत्ति संस्थाओं की नी तयों एवं

W
उनके कायर्षों में समन्वय स्था पत करना तथा सुसंग ठत तरीके से औद्यो गक, वत्ति का वकास करने में

O
उन सबका नेतत्ृ व करना िजससे क प्रत्येक संस्था अपने-अपने क्षेत्र में कायर्जा करती हु ई भी समान उद्दे श्य

KN
की पू तर्जा में सहायक हो सके; और

(b) दे श के औद्यो गक असंतुलन को दूर करने के उद्दे श्य से कुछ वशेष उद्योगों के वकास को
C
प्रोत्सा हत करना, जैसे रासाय नक खाद, लौह म श्रत धातुएँ, वशेष इस्पात, पेट्रो-रसायन, आ द ।
PS

16 जनवरी, 1976 से औद्यो गक वकास बैंक (IDBI) को रजवर्जा बैंक के संगठन से पृथक् कर दया गया ।
G
C
भारतीय जीवन बीमा नगम ने 21 जनवरी, 2019 को 51% नयंत्रण हस्सेदारी का अ धग्रहण पूरा कर

E.
लया, िजससे वह आईडीबीआई बैंक का बहु मत शेयरधारक बन गया।

G
Reserve Bank of India ने 14 माचर्जा, 2019 को जारी एक प्रेस में स्पष्ट कया है क, आईडीबीआई बैंक 21

D
जनवरी, 2019 से नयामक उद्दे श्यों के लए नजी क्षेत्र के बैंक के रूप में पुन:वगर्षीकृत कया गया है ।

LE
W
O
KN
C
PS
G
C
SIDBI

E.
“Small Industrial Development Bank of India” है और इसकी शुरवात एक उद्योग बैंक के रूप में हु ई

G
थी।इसको हंदी में “भारतीय लघु उद्योग वकास बैंक” के नाम से जाना जाता है ।

D
SIDBI की स्थापना 2 अप्रैल 1990 को संसद के एक अ ध नयम और सेक्शन Industrial Development

LE
Bank of India (IDBI) एक्ट 1989 के अंतगर्जात हु ई।

W
यह एक ऐसा Bank है जो छोटे बड़े और मध्यम यानी MSME (Micro, Small And Medium Enterprises)
उद्योगों को वत्तिीय ऋण दे ता है

O
KN
सडबी के व्यापार क्षेत्र में माइक्रिो, स्माल और मझौले उद्यम (MSME) शा मल हैं, जो उत्पादन , रोजगार
और नयार्जात के मामले में राष्ट्रीय अथर्जाव्यवस्था में महत्वपूणर्जा योगदान दे ते हैं.
C
इसका मुख्यालय लखनऊ उत्तिर प्रदे श में िस्थत है और सारे दे श में SIDBI का कायार्जालय िस्थत है जहां से
PS

सारे कायर्षों का नवर्जाहन कराया जाता है ।


G
C
भारतीय State Bank of India यानी की SBI SIDBI का सबसे बड़ा शेयर धारक Bank है

E.
G
SIDBI के प्रमुख उद्दे श्य

D
LE
● SIDBI लघु उद्योगों को व्यापा रक बैंकों, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा राज्य

W
औद्यो गक वत्ति नगमों (Industrial finance corporations) के ज रये सहायता प्रदान करता है .

O
SIDBI की एक सहयोगी योजना िजसको (सीजीटीएमएसई) के नाम से भी जाना जाता है वह

KN

सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लए बनाई गई है जो की क्रिे डट की गारन्टी लेती है ।


C
एसवीसीएल ( सडबी वेंचर कै पटल ल मटे ड) और मुद्रिा (माइक्रिो यू नट डेवलपमें ट एंड
PS

रफाइनेंस एजेंसी) भी SIDBI की सहायक कंप नयां हैं।


G
C
भारतीय नयार्जात-आयात बैंक

E.
एिक्ज़म बैंक भारत के लये प्रमुख नयार्जात ऋण एजेंसी है ।

G
D
भारत सरकार द्वारा भारतीय नयार्जात-आयात बैंक अ ध नयम 1981 के अंतगर्जात हमारी स्थापना की गई।

LE
1982 में बैंक का प रचालन शुरू हु आ और वश्व की अन्य नयार्जात ऋण एजें सयों की भां त हमने एक शीषर्जा

W
नयार्जात ऋण एजेंसी के रूप में वत्ति प्रदान करना प्रारं भ कया।

O
वषर्जा 1981-82 के केंद्रिीय बजट में भारत में नयार्जात-आयात बैंक (Export-Import : Exim Bank) की स्थापना

KN
की घोषणा की गई थी तथा वषर्जा 1982 में इस बैंक का गठन कया गया। इसका उद्दे श्य नयार्जाताकों एवं
आयातकों को वत्तिीय सहायता प्रदान कर वदे शी व्यापार का संवधर्जान करना है ।
C
हमारी सेवाओं में टे क्नोलॉजी आयात, नयार्जात योग्य उत्पादों के वकास, नयार्जात उत्पादन, नयार्जात माकर्दे टंग,
PS
प्री शपमें ट-पोस्ट शपमें ट और वदे शों में नवेश के लए सहायता आ द सेवाएं शा मल हैं।

भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नवेश के संवद्र्जाधन में अहम भू मका अदा करते हैं।
G
C
एिक्ज़म बैंककी स्थापना एक संसदीय अ ध नयम (Act of Parliament) के तहत वषर्जा 1982 में

E.

भारत के अंतरार्जाष्ट्रीय व्यापार के वत्तिपोषण, इसे सु वधाजनक बनाने और बढ़ावा दे ने के लये शीषर्जा

G
वत्तिीय संस्थान के रूप में की गई थी।

D
LE
● यह बैंक मुख्यतः भारत से कये जाने वाले नयार्जात के लये ऋण उपल ध कराता है ।
भारत के वकासात्मक एवं बु नयादी ढाँचागत प रयोजनाओं, उपकरणों, वस्तुओं और सेवाओं के

W

नयार्जात के लये वदे शी खरीदारों और भारतीय आपू तर्जाकत्तिार्जाओं को आवश्यक सहायता दे ना भी

O
इसमें शा मल है ।

KN
● इसका नयमन भारतीय रज़वर्जा बैंक (RBI) द्वारा कया जाता है ।
C
PS
G
C
नाबाडर्जा (NABARD)

E.
यह बैंक कृ ष एवं ग्रामीण वकास हे तु पूंजी उपल ध कराने वाला शीषर्जा बैंक है l

G
इसका मुख्य उद्दे श्य ग्रामीण वकास हे तु कृ षको,लघु उद्य मयों, हस्त शल्पकारो को वत्तिीय सहायता

D
उपल ध कराना होता है .

LE
नाबाडर्जा की स्थापना 12 जुलाई 1982 " शवरामन स म त" की सफा रश पर 100 करोड़ रू की अ धकृ त पूंजी

W
के साथ हु ई .

O
इसमें भारत सरकार और रज़वर्जा बैंक का सामान योगदान था .

KN
नाबाडर्जा का मुख्यालय मुंबई में है .नाबाडर्जा के 28 क्षेत्रीय कायार्जालय दे श में कायर्जारत है .नाबाडर्जा का रज़वर्जा बैंक से
सीधा सम्बंध है .
C
नाबाडर्जा भारत सरकार, रज़वर्जा बैंक, वश्व बैंक और अन्य एजें सयो से ऋण प्रा त कर सकता है .
PS
नाबाडर्जा सहकारी बैंको, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको आ द को अल्पकालीन,मध्यकालीन और दीघर्जाकालीन ऋण प्रदान
करता है
G
C
नाबाडर्जा ने कसान क्रिे डट काडर्जा योजना का आरम्भ भी कया जो कृ ष क्षेत्र के लए अत्यंत लाभदायी सा बत हु आ

E.
इस बैंक की स्थापना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में ऊंचे याज पर ऋण दे ने वाले साहू कारों की संख्या बहु त तेजी से

G
कम हो गई है । ये साहू कार कसानों को बहु त ही ऊंची याज दर पर कजर्जा दे ते थे। नाबाडर्जा की स्थापना के बाद

D
LE
गरीब कसानों को बहु त राहत मली है । अब उनका शोषण बंद हो गया है ।

W
NABARD का प्रबंध 15 सदस्यों द्वारा कया जाता है िजसमें एक अध्यक्ष, एक प्रबंध नदे शक होता है ,

O
िजनका कायर्जाकाल अ धकतम 5 वषर्जा तथा अन्य संचालकों का कायर्जाकाल अ धकतम 3 वषर्जा हो सकता है ,

KN
संचालक मंडल में 4 संचालक राज्य सरकारों के ,3 संचालक रजवर्जा बेंक के ,3 केन्द्रिीय सरकार के ,1 व्यापा रक
बैंक के तथा 2 संचालक राज्य सहकारी बैंकों के हो सकते हैं |
C
NABARD कृ ष व ग्रामीण वकास से जुडी संस्थाओं को ऋण प्रदान करने वाली एक शीषर्जा संस्था है , ऋण दे ने
PS

के लए NABARD को भारत सरकार, वश्व बैंक और दूसरी अन्य एजेंसी से समय समय पर वत्ति उपल ध
G

करवाया जाता है .
C
NABARD दूसरे सरकारी बैंक व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को भी ऋण प्रदान करती है ता क ये बैंक कृ ष,लघु

E.
उद्योग,कुटीर एवं ग्रामोद्योग तथा हस्त शल्प आ द को ऋण उपल ध करा सके.

G
D
LE
NABARD के प्रमुख उद्दे श्य:

W
● NABARD कृ ष और ग्रामीण वकास क्षेत्र में ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने का काम करता
है ।

O
● यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, राज्य सरकारों को पुन वर्जात्ति सु वधा प्रदान करता है ।

KN
● इसका प्रमुख कायर्जा कृ ष और ग्रामीण वकास क्षेत्र में अनुसंधान एवं वकास को बढ़ावा दे ना है ।
● NABARD सहकारी बैंकों को ऋण दे कर ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को मजबूत बनता है ।
C
PS
G
C
ग्रामीण क्षेत्रों में संचाई, सड़कों और पुलों के नमार्जाण, स्वास्थ्य और शक्षा, मट्टी का संरक्षण, जल की

E.
प रयोजनाएं जैसे कामों के लए नाबाडर्जा बैंक ऋण उपल ध कराता है । इन कामों से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार

G
उपल ध होंगे। आजी वका कमाने के अन्य वकल्प भी खुलेंगे।

D
LE
W
O
KN
C
PS
G
C
भारतीय रज़वर्जा बैंक

E.
प्रत्येक दे शों में बैं कं ग की प्रणाली और दे श की अथर्जाव्यवस्था को नयं त्रत करने का कायर्जा एक सवर्वोच्च बैंक

G
करता है िजसे क सेंट्रल बैंक कहते हैं, इसी प्रकार से भारत का भी अपना एक सेंट्रल बैंक है िजसे क RBI

D
(Reserve Bank Of India) कहते हैं.

LE
भारत का केंद्रिीय बैंक है , 1 अप्रैल, 1 9 35 को ब्रि टश-राज के दौरान भारतीय रज़वर्जा बैंक अ ध नयम, 1 9 34

W
के प्रावधानों के अनुसार स्था पत कया गया था।

O
भारतीय रजवर्जा बैंक , हल्टन यंग कमीशन की सफा रशों पर स्था पत कया गया था । कमीशन ने वषर्जा 1

KN
926 में अपनी रपोटर्जा जमा की, हालां क बैंक नौ साल तक स्था पत नहीं हु आ था।

रजवर्जा बैंक का केंद्रिीय कायार्जालय प्रारं भ में कोलकाता, बंगाल में स्था पत कया गया था, ले कन इसे स्थायी
C
रूप से 1 9 37 में मुंबई में स्थानांत रत कर दया गया था।
PS

मूल रूप से नजी स्वा मत्व में , भारतीय रजवर्जा बैंक का स्वा मत्व 01.01.1 9 4 9 में राष्ट्रीयकरण के बाद से
पूरी तरह से कया गया था।
G
C
RBI

E.
भारत के सभी अन्य छोटे – बड़े बैंकों के लए नयामक के रूप में कायर्जा करती है और RBI की गाइडलाइन

G
का पालन करते हु ए अपने बैंक को संचा लत करती है .

D
LE
दे श की अथर्जाव्यवस्था को नयं त्रत करने का कायर्जा भी RBI का ही होता है , भारत की सारी मुद्रिा का हसाब
कताब RBI के द्वारा रखा जाता है .

W
O
RBI का मुख्यालय मुंबई में िस्थत है , मुख्यालय में ही RBI के गवर्जानर बैठते हैं.

KN
वतर्जामान समय में पूरे दे श में RBI के 31 क्षेत्रीय कायार्जालय मौजूद हैं. RBI के वतर्जामान गवनर्जार शिक्तकांत
दास जी हैं. C
PS
RBI की स्थापना में भारतीय अथर्जाशास्त्री डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर ने अहम ् भू मका नभाई थी. उनके
दशा नदर्दे शों के आधार पर ही RBI की स्थापना हो सकी.
G
C
Sir Osborne Smith RBI के पहले गवनर्जार बने.

E.
G
आजादी के बाद सीडी दे शमुख बने आरबीआई के गवनर्जार

D
वतर्जामान में शिक्तकांत दास आरबीआई के गवनर्जार हैं

LE
W
O
KN
C
PS
G
C
केंद्रिीय बोडर्जा

E.
रज़वर्जा बैंक का कामकाज केंद्रिीय नदे शक बोडर्जा द्वारा शा सत होता है । भारत सरकार भारतीय रज़वर्जा बैंक

G
अ ध नयम के अनुसार इस बोडर्जा को नयुक्त करती है ।

D
नयुिक्त/नामन चार वषर्जा के लए होता है

LE
सरकारी नदे शक पूण-र्जा का लक : गवनर्जार और अ धकतम चार उप गवनर्जार

W
गैर- सरकारी नदे शकसरकार द्वारा ना मत : व भन्न क्षेत्रों से दस नदे शक और दो सरकारी अ धकारी

O
अन्य : चार नदे शक - चार स्थानीय बोडर्षों से प्रत्येक से एक

KN
उप गवनर्जार :- Shri T. Rabi Sankar
Shri M. Rajeshwar Rao
C
PS
Dr. M.D. Patra
Shri M.K. Jain
G
C
स्थानीय बोडर्जा

E.
G
● पिश्चमी क्षेत्र, पूवर्षी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र और द क्षणी क्षेत्र के लए ग ठत।

D
● प्रत्येक में पांच सदस्य।

LE
● केंद्रि सरकार द्वारा सदस्य नयुक्त।
● सदस्य चार वषर्जा की अव ध के लए पद धारण करें गे।

W
कायर्जाः स्थानीय मामलों पर केंद्रिीय बोडर्जा को सलाह दे ना और स्थानीय सहकारी तथा घरे लू बैंकों की प्रादे शक

O
और अ थर्जाक आवश्यकताओं का प्र त न धत्व करना; केंद्रिीय बोडर्जा द्वारा समय-समय पर सौंपे गए ऐसे अन्य

KN
कायर्षों का नष्पादन।
C
PS
G
C
C
G
PS
C
KN
O
W
LE
D
G
E.
रजवर्जा बैंक के मौ लक कायर्जा

E.
G
1. नोट जारी करना

D
भारतीय रजवर्जा बैंक के पास दे श में नोटों को छापने का एका धकार है .

LE
एक रुपये के नोट को छापने और सक्कों के बनाने का अ धकार भारतीय रजवर्जा बैंक के पास नही है बिल्क

W
वत्ति मंत्रालय के पास है हालां क सभी नोटों और सक्कों को बाजार में भेजने का काम भारतीय रजवर्जा बैंक ही
करती है |

O
KN
बैंक नम्न ल खत संप्रदायों में नोट जारी करता है : रु। 2, 5, 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 बैंक की
िज़म्मेदारी न केवल मुद्रिा में , या प रसंचरण से इसे वापस लेना है बिल्क अन्य संप्रदायों में एक मूल्य के
नोट्स और सक्के का आदान-प्रदान करना है जनता की मांग के रूप में ।
C
PS

भारत में नोट मुद्दा मूल रूप से "आनुपा तक रजवर्जा सस्टम" पर आधा रत था। जब आनुपा तक रूप से
G

आर क्षत बनाए रखना मुिश्कल हो गया, तो इसे "न्यूनतम रजवर्जा सस्टम" द्वारा प्र तस्था पत कया गया।
C
नोटों को जारी करने/छपाई के लए रजवर्जा बैंक : न्यूनतम रजवर्जा प्रणाली (Minimum Reserve System)को

E.
अपनाता है .

G
इस प्रणाली के तहत 1957 से रजवर्जा बैंक सोने और वदे शी मुद्रिा भंडार के रूप में 200 करोड़ रूपए रजवर्जा रखता है

D
िजनमें से कम-से-कम 115 करोड़ रूपए सोने के रूप में और शेष वदे शी मुद्रिाओं के रूप में होनी चा हए. इस 200

LE
करोड़ की धनरा श को रखने के बाद रजवर्जा बैंक जरुरत के हसाब से कतनी भी मुद्रिा को छाप सकता है हालां क
उसे भारत सरकार से अनुम त लेनी पड़ती है .

W
O
भारत सरकार 1, 2, और 5 के मूल्य में रुपये के सक्कों को जनता के लए जारी करती है ।

KN
इन सक्कों को आरबीआई अ ध नयम की धारा 38 के तहत केवल रजवर्जा बैंक के माध्यम से सावर्जाज नक रूप से
प्रसा रत करने की आवश्यकता है ।
C
PS

भारतीय रजवर्जा बैंक वतर्जामान में 10 रुपये और उससे अ धक के मूल्यों के नोट जारी करता है ।भारतीय सक्का
अ ध नयम, 1906 : मुद्रिा और सक्कों पर नयंत्रण
G
C
नोटों को जारी करने, व नमय करने तथा नष्ट करने के साथ साथ भारत सरकार द्वारा ढाले गए सक्कों को

E.
संचलन में लाना।

G
D
भारत सरकार का बैंक

LE
केंद्रि और राज्य सरकारों के लए व्यापारी बैंक की भू मका अदा करता है ; उनके बैंकर का कायर्जा भी करता है ।

W
भारतीय रजवर्जा बैंक का दूसरा महत्वपूणर्जा कायर्जा भारत सरकार और राज्यों के बैंक, एजेंट और सलाहकार के

O
रूप में कायर्जा करना है l

KN
यह राज्य और केन्द्रि सरकार के सभी बैं कं ग कायर्जा करता है और आ थर्जाक और मौ द्रिक नी त से संबं धत
मामलों पर सरकार को उपयोगी सलाह भी दे ता है l
यह सरकार के सावर्जाज नक ऋण का प्रबंधन भी करता है ।
C
सरकार से जमा स्वीकार करता है
PS
सरकारी खातों में जमा चेक और ड्रिाफ्ट एक त्रत करता है ।
सरकार को अल्पका लक ऋण प्रदान करता है
सरकार को वदे शी मुद्रिा संसाधन प्रदान करता है ।
G
C
बैंकों का बैंक

E.
G
रजवर्जा बैंक वा णिज्यक बैंकों के लए अ भभावक के रूप में कायर्जा करता है ।

D
LE
आरबीआई एक सवर्वोच्च मो नटरी संस्थान होने के नाते दे श में अन्य वा णिज्यक बैंकों को मागर्जादशर्जान,
सहायता और नदर्दे शत करने के लए अ नवायर्जा शिक्तयां हैं।

W
आरबीआई बैंक रजवर्जा की मात्रा को नयं त्रत कर सकता है और अन्य बैंकों को उस अनुपात में क्रिे डट बनाने

O
की इजाजत दे ता है ।

KN
प्रत्येक बैंक रजवर्जा बैंक के साथ न्यूनतम न्यूनतम नकद भंडार रखने के लए वैधा नक दा यत्व में है ।
C
PS
रज़वर्जा बैंक नधार्जा रत पात्रों को अनुमो दत प्र तभू तयों के खलाफ ऋण और अ ग्रम के माध्यम से नधार्जा रत
योग्य बैंकों को वत्तिीय सहायता प्रदान करता है ,
G
C
क्रिे डट का नयंत्रक

E.
G
भारतीय रजवर्जा बैंक वा णिज्यक बैंकों द्वारा उत्सिजर्जात क्रिे डट को नयं त्रत करने की िजम्मेदारी लेता है l

D
LE
इस उद्दे श्य को प्रा त करने के लए यह दे श में प्रभावी रूप से ऋण को नयं त्रत करने और व नयमन करने के

W
लए मात्रात्मक और गुणात्मक तकनीकों का व्यापक उपयोग करता है l

O
KN
जब भारतीय रजवर्जा बैंक दे खता है क अथर्जाव्यवस्था में पयार्जा त धन आपू तर्जा है और इससे दे श में मुद्रिास्फी त की
िस्थ त पैदा हो सकती है तो वह अपने कड़े मौ द्रिक नी त के माध्यम से बाजार में पैसे की आपू तर्जा में कमी करता
C
है और जब अथर्जाव्यवस्था में धन की आपू तर्जा में कमी हो जाती है तो वह बाजार में पैसे की आपू तर्जा को बढ़ा दे ता
PS

है l
G
C
वदे शी मुद्रिा भंडार का संरक्षक

E.
वदे श व्यापार और भुगतान को सु वधाजनक बनाना और भारत में वदे शी मुद्रिा बाजार का क्रि मक वकास

G
करना और उसे बनाए रखना वदे शी व नमय दर को िस्थर रखने के उद्दे श्य से भारतीय रजवर्जा बैंक वदे शी

D
मुद्रिाओं को खरीदता और बेचता है और दे श के वदे शी मुद्रिा भंडार की सुरक्षा भी करता है l

LE
वदे श व नमय बाज़ार में जब वदे शी मुद्रिा की आपू तर्जा कम हो जाती है तो भारतीय रजवर्जा बैंक इस बाजार में

W
वदे शी मुद्रिा बेचता है िजससे क इसकी आपूतर्षी बढाई जा सके और जब वदे शी मुद्रिा की आपू तर्जा अथर्जाव्यवस्था में
बढ़ जाती है तो RBI वदे शी मुद्रिा बाजार से वदे शी मुद्रिा को खरीदता है l

O
KN
अन्य कायर्जा
C
भारतीय रजवर्जा बैंक कई अन्य वकास कायर्षों को करता है । इन कायर्षों में कृ ष के लए ऋण का अनुमोदन और
PS
कायार्जान्वयन (जो क नाबाडर्जा को स्थानांत रत कया जाता है ), सरकारी प्र तभू त और व्यापा रक बलों की खरीद-
बक्रिी, सरकारी खरीद के लए ऋण दे ना और मूल्यवान वस्तुओं की बक्रिी आ द शा मल है l यह अंतरार्जाष्ट्रीय मुद्रिा
कोष (IMF) में भारत सरकार के प्र त न ध के रूप में भी कायर्जा करता है और भारत की सदस्यता का प्र त न धत्व
G

करता है ।
C
Monetary Policy(मौ द्रिक नी त)

E.
G
Monetary Policy एक राष्ट्र के मौ द्रिक प्रा धकरण द्वारा अपनाई गई नी त है जो या तो बहु त कम अव ध के

D
उधार या धन आपू तर्जा के लए दे य याज दर को नयं त्रत करने के लए, अक्सर कम करने के प्रयास के रूप मे

LE
मौ द्रिक नी त (Monetary Policy) एक आ थर्जाक नी त है जो कसी अथर्जाव्यवस्था में मुद्रिा आपू तर्जा के आकार और
वकास दर का प्रबंधन करती है ।

W
O
यह मुद्रिास्फी त और बेरोजगारी जैसे व्यापक आ थर्जाक चर को व नय मत करने का एक शिक्तशाली उपकरण

KN
है ।

इन नी तयों को व भन्न उपकरणों के माध्यम से लागू कया जाता है , िजसमें याज दरों का समायोजन,
C
सरकारी प्र तभू तयों की खरीद या बक्रिी, और अथर्जाव्यवस्था में चल रही नकदी की मात्रा को बदलना शा मल है ।
PS
G
C
मौ द्रिक नी त स म त के अध्यक्ष रजवर्जा बैंक का एक गवनर्जार होता है ।

E.
यह रवसर्जा बैंक ऑफ इं डया (RBI) का एक सरकार द्वारा ग ठत नकाय है , जो रे पो रे ट, रवसर्जा रे पो रे ट, बैंक

G
रे ट आ द जैसे टू ल का उपयोग करके दे श की मौ द्रिक नी त तैयार करने के लए िजम्मेदार है ।

D
LE
मौ द्रिक नी त स म त (MPC) का गठन वषर्जा 2016 में कया गया था, ता क दे श की मौ द्रिक नी त के लए
उ चत याज दरों और पॉ लसी रे ट में प रवतर्जान कए जा सकें।

W
एमपीसी में छह सदस्य हैं, तीन सरकार द्वारा ना मत और तीन आरबीआई के सदस्य हैं।

O
KN
आरबीआई गवनर्जार स म त के पदे न अध्यक्ष होते हैं। MPC अपनी बैठक हर तमाही पर आयोिजत करता है ।
एमपीसी आमतौर पर साल में छह बार मलती है और प्रत्येक सदस्य का कायर्जाकाल चार साल का होता है ।
C
एमपीसी के फैसले मतदान द्वारा लए जाते हैं, जहां एक साधारण बहु मत (6 में से 4) कसी नणर्जाय को
PS
पा रत करने के लए आवश्यक होता है ।

रवसर्जा बैंक ऑफ इं डया अ ध नयम, 1934 RBI को मौ द्रिक नी त नणर्जाय लेने का अ धकार दे ता है ।
G
C
मौ द्रिक नी त (Monetary Policy) केंद्रिीय बैंक द्वारा नधार्जा रत व्यापक आ थर्जाक नी त है ।

E.
G
इसमें मुद्रिा आपू तर्जा और याज दर का प्रबंधन शा मल है और यह दे श की सरकार द्वारा मुद्रिास्फी त, खपत,

D
वकास और तरलता जैसे व्यापक आ थर्जाक उद्दे श्यों को प्रा त करने के लए उपयोग की जाने वाली मांग पक्ष

LE
आ थर्जाक नी त है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
मौ द्रिक नी त के उद्दे श्य

E.
G
● मौ द्रिक नी त का मुख्य उद्दे श्य आ थर्जाक वृद् ध को ध्यान में रखते हु ए मूल्य िस्थरता बनाए रखना है ,

D
क्यों क मूल्य िस्थरता संधारणीय वकास की अ नवायर्जा शतर्जा है ।

LE
कसी अथर्जाव्यवस्था में मुद्रिास्फी त के अ धक होने का अथर्जा है आवश्यक चीज़ों के दामों में बढ़ोतरी। यह

W

O
इस बात का संकेतक होता है क महँगाई तेज़ी से बढ़ रही है ।

KN
● मुद्रिास्फी त में कमी लाने के लये मौ द्रिक नी त में सबसे महत्त्वपूणर्जा है रे पो रे ट । य द रज़वर्जा बैंक चाहता

है क बाज़ार में पैसे की आपू तर्जा और तरलता बढ़े तो वह बैंक रे ट को कम कर दे ता है ।


C
PS
● य द बाज़ार में पैसे की आपू तर्जा और तरलता कम करनी है तो वह रे पो रे ट को बढ़ा दे ता है । मुद्रिास्फी त
G

बढ़ने पर केंद्रिीय बैंक सामान्यतः रे पो रे ट बढ़ा दे ता है और मुद्रिास्फी त घटने पर कम कर दे ता है ।


C
कह सकते हैं क मौ द्रिक नी त एक प्रकार का अस्त्र है , िजसके आधार पर बाज़ार में मुद्रिा की आपू तर्जा को

E.
नयं त्रत कया जाता है । मौ द्रिक नी त ही यह तय करती है क रज़वर्जा बैंक कस दर पर बैंकों को क़ज़र्जा दे गा

G
और कस दर पर उन बैंकों से पैसा वापस लेगा।

D
LE
W
पहले मौ द्रिक नी त समीक्षा करने का अंतराल अ धक था, ले कन आ थर्जाक सुधारों के बाद जैसे-जैसे भारत

O
वैिश्वक अथर्जाव्यवस्था का हस्सा बनता गया, पहले इसे छह महीने और उसके बाद तीन महीने पर लाया

KN
गया और अब यह समीक्षा प्रत्येक दो महीने बाद की जाती है

C
मुद्रिास्फी त बढ़ने का सामान्य अथर्जा है वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में वृद् ध के कारण अ धक क्रिय
PS

शिक्त के बावजूद लोगों द्वारा पूवर्जा की तुलना में वतर्जामान में कम वस्तुओं एवं सेवाओं का उपभोग कर पाना।
G
C
मौ द्रिक नी त स म त क्या है ?

E.
G
केंद्रि सरकार द्वारा धारा 45ZB के तहत ग ठत मौ द्रिक नी त स म त (Monetary Policy

D

LE
Committee-MPC) मुद्रिास्फी त लक्ष्य को हा सल करने के लये आवश्यक नी तगत याज दर

W
नधार्जा रत करती है । पहले यह काम रज़वर्जा बैंक के गवनर्जार द्वारा कया जाता था।

O
● रज़वर्जा बैंक का मौ द्रिक नी त वभाग मौ द्रिक नी त नमार्जाण में इस स म त की सहायता करता है तथा

KN
अथर्जाव्यवस्था के सभी हतधारकों के वचारों और रज़वर्जा बैंक के वश्लेषणात्मक कायर्जा से नी तगत रे पो
C
दर पर नणर्जाय लेने की प्र क्रिया में योगदान करता है ।
PS
G
C
मौ द्रिक नी त के प्रमुख घटक

E.
G
रे पो दर (Repo Rate)

D
LE
वह याज दर िजस पर रज़वर्जा बैंक एक दन-एक रात की तात्का लक आवश्यकता के लये बैंकों को नकदी
उपल ध कराता है ।

W
O
कई बार अपने रोज़मरार्जा के कामकाज के लये बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है और

KN
ऐसी िस्थ त में वह दे श के केंद्रिीय बैंक से ऋण लेते हैं।

इस तरह के ओवरनाइट ऋण पर रज़वर्जा बैंक िजस दर से उनसे याज वसूल करता है , उसे रे पो रे ट कहते हैं।
C
PS
G
C
रवसर्जा रे पो दर (Reverse Repo Rate)

E.
G
यह रे पो रे ट से उलट होता है अथार्जात ् जब कभी बैंकों के पास दन-भर के कामकाज के बाद बड़ी धनरा श

D
बची रह जाती है , तो वे उसे रज़वर्जा बैंक में जमा कर दे ते हैं, िजस पर उन्हें याज दया जाता है ।

LE
रज़वर्जा बैंक इस ओवरनाइट रकम पर िजस दर से याज अदा करता है , उसे रवसर्जा रे पो रे ट कहते हैं।

W
O
KN
C
PS
G
C
नकद आर क्षत अनुपात (Cash Reserve Ratio-CRR)

E.
G
सभी अनु सूचत वा णिज्यक बैंको को अपनी समग्र जमाओं का एक निश्चत प्र तशत भारतीय रजवर्जा बैंक के
पास अ नवायर्जात: रखना पड़ता है , िजसे ‘नकद आर क्षत अनुपात’ कहा जाता है ।

D
LE
यह व ध साख नयन्त्रण की अ त महत्वपूणर्जा एवं नवीनतम व ध है ।

W
केन्द्रिीय बैंक को नकद आर क्षत अनुपात में आवश्यकतानुसार प रवतर्जान करने का अ धकार होता है ।

O
दे श में जब साख की मात्रा को कम करना होता है , तो भारतीय रजवर्जा बैंक नकद आर क्षत अनुपात को बढ़ा

KN
दे ता है , इस अनुपात के बढ़ने से बैंको को अ धक नकद कोष रजवर्जा बैंक के पास रखने पड़ते हैं तथा स्वयं उनके
पास नकद की मात्रा कम हो जाती है । इस प्रकार इन बैंको के साख नमार्जाण की मात्रा कम हो जाती है , िजससे ये
ग्राहकों को मँहगा एवं कम साख प्रदान करते हैं।
C
PS
इसके वपरीत नकद आर क्षत अनुपात में कमी होने से बैंकों को नकद कोष कम रखना पड़ता है िजससे साख
नमार्जाण की मात्रा में वृद् ध होती है । भारत में वैधा नक नकद कोष अनुपात (C.R.R) 3 से 15 प्र तशत के बीच
G

हो सकता है ।
C
यह ऐसा साधन है , िजसकी सहायता से रज़वर्जा बैंक बना रवसर्जा रे पो रे ट में बदलाव कये बाज़ार से नकदी

E.
की तरलता को कम कर सकता है , क्यों क CRR बढ़ाए जाने की िस्थ त में बैंकों को अपनी नकदी का

G
D
ज़्यादा बड़ा हस्सा रज़वर्जा बैंक के पास रखना होगा और उनके पास ऋण के रूप में दे ने के लये कम रकम

LE
रह जाएगी।

W
O
KN
C
PS
G
C
सां व धक चल न ध अनुपात (Statutory Liquidity Ratio-SLR)

E.
G
वा णिज्यक बैंकों के लये अपने प्र त दन के कारोबार के बाद नकद, सोना और सरकारी प्र तभू तयों में

D
नवेश के रूप में एक निश्चत धनरा श रज़वर्जा बैंक के पास रखना ज़रूरी होता है ।इसका इस्तेमाल कसी भी

LE
आपात दे नदारी को पूरा करने में कया जा सकता है ।

W
वह रे ट िजस पर बैंक यह पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे SLR कहते हैं। इसके तहत अपनी कुल दे नदारी

O
के अनुपात में सोना सरकारी अनुमो दत बांड्स के रूप में रज़वर्जा बैंक के पास रखना होता है ।

KN
C
PS
G
C
सीमांत स्थायी सु वधा (Marginal Standing Facility-MSF)

E.
G
सीमांत स्थायी सु वधा (एमएसएफ) बैंकों के लए आपातकालीन िस्थ त में भारतीय रजवर्जा बैंक से उधार

D
लेने के लए एक खड़की है जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से सूख जाती है ।

LE
बैंक तरलता समायोजन सु वधा या संक्षेप में एलएएफ के तहत रे पो दर से अ धक दर पर सरकारी

W
प्र तभू तयों को गरवी रखकर केंद्रिीय बैंक से उधार लेते हैं। एमएसएफ दर रे पो दर से एक प्र तशत अ धक

O
KN
आंकी गई है ।

एमएसएफ के तहत बैंक अपनी शुद्ध मांग और साव ध दे नदा रयों (एनडीटीएल) के एक प्र तशत तक धन
C
उधार ले सकते हैं।
PS
G
C
बैंक दर (Bank Rate)

E.
G
िजस सामान्य याज दर पर रज़वर्जा बैंक द्वारा अन्य बैंकों को पैसा उधार दया जाता है उसे बैंक दर कहते हैं।

D
LE
इसके द्वारा रज़वर्जा बैंक साख नयंत्रण (Credit Control) करने का काम करता है ।

W
कुछ दे शों में इसे ‘कटौती दर’ भी कहा जाता है ।

O
बैंक दर में प रवतर्जान के द्वारा अथर्जाव्यवस्था में साख की मात्रा में प रवतर्जान कया जाता है ।

KN
य द बैंक दर बढ़ाया जाता है तो व्यावसा यक बैंकों को केन्द्रिीय बैंक से प्रा त होने वाली ऋण मंहगा पड़ता है ,
C
प रणामस्वरूप व्यापा रक बैंक भी अपने ग्राहकों को मँहगा ऋण दें गे, िजससे व्यापारी या ग्राहक बैंक से ऋण
PS
कम लेंगे। अत: अथर्जाव्यवस्था में साख की मात्रा अपने आप कम हो जायेगी।
G

इसके वपरीत बैंक दर कम करने से साख की मात्रा में वृद् ध होगी।


C
खुले बाजार की क्रियाएँ (Open market operations)

E.
G
जब केन्द्रिीय बैंक यह समझता है क व्यावसा यक बैंकों के पास नकद कोष अ धक है तथा उनका प्रयोग साख

D
नमार्जाण के लए कया जा रहा है (िजस कारण मँहगाई बढ़ रही होती है ) तो साख नमार्जाण की मात्रा को कम

LE
करने के लए केन्द्रिीय बैंक सरकारी प्र तभू तयों का वक्रिय करना प्रारम्भ कर दे ता है , िजसे व्यावसा यक बैंकों
द्वारा क्रिय कर लया जाता है ।

W
इस प्रकार इन व्यावसा यक बैंकों का नगद कोष कम होकर केन्द्रिीय बैंक के पास पहु ँच जाता है । व्यावसा यक

O
बैंकों का नकद इसके वपरीत जब बैंक यह समझता है क दे श में साख की मात्रा कम (साख संकुचन) है तो

KN
वह इन बेची गयी प्र तभू तयों को क्रिय करना शुरू कर दे ता है । इन प्र तभू तयों के क्रिय के कारण अ धक
प्र तभू तयाँ केन्द्रिीय बैंक के पास आ जाती हैं तथा कोष व्यावसा यक बैंकों के पास पहु ँच जाता है ।
C
PS
इस प्रकार बैंकों के पास अ त रक्त कोष आ जाने से इनकी साख सृजन क्षमता में वृद् ध हो जाती है , िजससे
ये बैंक ग्राहकों को अ धक साख उपल ध कराने में समथर्जा होते हैं एवं इस प्रकार का वस्तार सम्भव होता है ।
G
C
नकद तरलता अनुपात (Cash liquidity ratio)

E.
समस्त वा णिज्यक बैंकों को अपनी समग्र जमा का एक निश्चत प्र तशत नकद के रूप में भारतीय रजवर्जा

G
बैंक के पास अ नवायर्जा रूप से रखना पड़ता है । अत: कुल जमा पर रजवर्जा बैंक द्वारा नधार्जा रत तरलता का

D
प्र तशत ही नकद तरलता अनुपात कहलाता है ।

LE
रजवर्जा बैंक की मौ द्रिक नी त के आधार पर इस अनुपात का नधार्जारण कया जाता है ।

W
य द दे श में साख का प्रसार करना होता है तो इस ‘नकद तरलता अनुपात’ में कमी कर दी जाती है । ऐसा

O
करने से व्यापा रक बैंकों को पूवर्जा की अपेक्षा कम तरल सिम्पत्ति ्◌ायों को भारतीय रजवर्जा बैंक के पास रखना

KN
पड़ता है तथा अ धक रा श साख के रूप में प्रयुक्त की जा सकती है ।

इसके वपरीत य द साख का संकुचन करना होता है , तो रजवर्जा बैंक नकद तरलता अनुपात में वृद् ध कर दे ता
C
है , इस वृद् ध के प रणामस्वरूप बैंकों को अपनी जमा का पहले की अपेक्षा अ धक नकद भारतीय रजवर्जा बैंक
के पास रखना पड़ता है तथा कम साख उपल ध हो पाता है । कम साख मलने पर ये व्यापा रक बैंक भी ग्राहकों
PS

को कम मात्रा में साख प्रदान करते हैं। इस प्रकार बैंकों से कम साख प्रा त होने के कारण लोगों की क्रिय शिक्त
में कमी आती है , िजससे मुद्रिा स्फी त बढ़ने नहीं पाती है ।
G
C
E.
गुणात्मक या प्रत्यक्ष साख नयन्त्रण

G
साख नयन्त्रण के ऐसे उपाय, जो कसी निश्चत क्षेत्र को प्रत्यक्ष रूप से प्रभा वत करने के उद्दे श्य से कये

D
जाते हैं, गुणात्मक साख नयन्त्रण कहलाता है ।

LE
यह उपाय तब कारगर एवं महत्वपूणर्जा होता है जब दे श के भीतर कुछ क्षेत्रों को अ धक एवं कुछ क्षेत्रों को कम
ऋण दे ना हत में होता है ।

W
O
गुणात्मक साख नयन्त्रण के मुख्य उद्दे श्य हैं-

KN
1. अथर्जाव्यवस्था के कसी एक या कुछ क्षेत्र को प्रभा वत करना,
2. दे श में साख की उत्पादक एवं अनुत्पादक आवश्यकतओं में अन्तर करना,
3. नयार्जात को प्रोत्सा हत एवं आयात को हतोत्सा हत करना,
C
लाभकारी क्षेत्र (उत्पादक) को अ धक ऋण तथा अलाभकारी (उपभोक्ता वस्तुओं) को कम ऋण दे ना।
PS
4.
G
C
गुणात्मक साख नयन्त्रण की प्रमुख व धयाँ या तरीके हैं-

E.
G
चय नत साख नयन्त्रण (Selective credit control)- जब दे श का केन्द्रिीय बैंक (भारत में रजवर्जा बैंक आफ
इिण्डया) यह अनुभव करता है , क सम्पूणर्जा अथर्जाव्यवस्था को सुचारू रूप से संचा लत करने के लए एक

D
समान साख नयन्त्रण नी त को अपनाना उ चत नहीं होगा, बिल्क कुछ क्षेत्रों में उदार साख नी त तथा

LE
अन्य क्षेत्रों में कम उदार या कठोर साख नी त उपयुक्त होगी, तो ऐसी अलग-अलग व्यवस्था ही

W
चयनात्मक साख नयन्त्रण कहलाती है । इस नी त के अन्तगर्जात अपनायी जाने वाली प्रमुख साख नयन्त्रण
की व धयाँ नम्न हैं-

O
KN
व भन्न कटौैती दरें (Various discount rates)- इस व ध के अन्तगर्जात दे श का केन्द्रिीय बैंक भन्न- भन्न
प्रकार के व नमय वपत्रों (bills of exchange) के लए व भन्न या अलग-अलग कटौती दर नधार्जा रत
करता है । इससे अथर्जाव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों को तो सुगम एवं सस्ता साख उपल ध हो जाता है , जब क अन्य
C
क्षेत्रों को क ठन शतर्षों पर महँगा साख उपल ध होता है । उदाहरण के लए, य द कृ ष क्षेत्र को वकास के लए
PS

अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अ धक प्रोत्साहन दे ना हो तो कृ ष वपत्रों तथा कृ ष नयार्जात वपत्रों के लए कम


कटौती दरें निश्चत की जाती है ।
G
C
नकद कोषों में रयायत (Concession in cash funds)- इस उपाय के अन्तगर्जात कसी वशेष क्षेत्र में नवेश

E.
करने वाले बैंकों को एक निश्चत रा श तक ‘नकद कोष’ रखने की छूट दी जाती है । प रणाम स्वरूप इन

G
वशेष क्षेत्रों में नवेश को प्रोत्साहन मलता है ।

D
पूवार्जानुम त द्वारा ऋण दे ना (Loan provided by pre-order)- कभी-कभी दे श का केन्द्रिीय बैंक,

LE
अथर्जाव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में साख वस्तार को सी मत करने के उद्दे श्य से, व्यापा रक बैंको पर यह
नयन्त्रण लगा दे ता है क एक निश्चत रा श से अ धक मात्रा में ऋण दे ने पर उसकी (केन्द्रिीय बैंक की)

W
अनुम त लेना अ नवायर्जा होगा। ऐसी दशा मे केन्द्रिीय बैंक ऋण की आवश्यकता एवं साख वस्तार के प्रभाव को

O
ध्यान में रखकर निश्चत सीमा से अ धक की रा श का नधार्जारण करता है ।

KN
ऋणो पर प्र तबन्ध (Restriction on loans)- दे श का कन ्◌े द्रिीय बैंक य द कुछ वस्तुओं की प्र तभू तयों पर
उपल ध साख की सु वधा पर रोक लगाना चाहता है , तो वह ऐसे ऋणों पर प्र त- बन्ध लगा दे ता है । उदाहरण
C
के लए, दे श में खाद्यान्न की कीमतों में वृद् ध को रोकने के लए रजवर्जा बैंक द्वारा व्यापा रक बैंकों को यह
PS

आदे श दया जा सकता है क वे अनाज संग्रह हे तु व्यापा रयों को ऋण न दे ।


G
C
उपभोक्ता साख का नयमन (Regulation of consumer’s credit)- इस प्रकार के साख नयमन का

E.
आशय टकाऊ व मूल्यवान वस्तुओं की खरीद हे तु दये जाने वाले साख नयन्त्रण से है । वतर्जामान में कई

G
दे शों में मोटरकार, टे ली वजन, मोटरसाइ कल, फ्रज आ द टकाऊ वस्तुएँ उधार या कश्तों के आधार पर
बेची जाती हैं। अथर्जाव्यवस्था में तेजी के दनों में उपभोक्ता साख का संकुचन कया जाता है , जब क मन्दी

D
के दनों में इसका वस्तार कया जाता है । इस उपाय के अन्तगर्जात केन्द्रिीय बैंक द्वारा उपभोक्ता साख पर

LE
कुछ नयन्त्रण लगा दये जाते हैं। इसमें साख की कुल रा श या मात्रा का नधार्जारण, कश्तों की संख्या,
भुगतान अव ध का नधार्जारण आ द उपाय मुख्य रूप से कये जाते हैं।

W
O
आयात पूवर्जा जमा (Deposit before import)- साख नयन्त्रण का यह उपाय दे श में आयात को कम करने

KN
या हतोत्सा हत करने के उद्दे श्य से कया जाता है । इस उपाय के अन्तगर्जात आयातकतार्जा को आयात
लाइसेंस दे ते समय ही आयात मूल्य का एक निश्चत प्र तशत केन्द्रिीय बैंक के पास जमा कराना पड़ता है ।
साख के वस्तार की दशा में इस आयात के लए जमा रा श में कमी कर दी जाती है , िजससे आयात में
C
वृद् ध होती है , इसके वपरीत साख संकुचन करने के लए केन्द्रिीय बैंक जमा रा श में वृद् ध कर दे ता है ।
PS
G
C
ऋणों की सीमान्त आवश्यकताओं में प रवतर्जान (Changes in marginal needs of loans)- इसके द्वारा

E.
कुछ वशेष उद्दे श्यों के लए दी जाने वाली साख की रा श को नयिन्त्रत कया जाता है । प्राय: बैंक

G
उपयुक्त जमानत (security) के आधार पर ऋण प्रदान करते हैं। बैंक जमानत के रूप में रखे गये माल की
वतर्जामान कीमत से कुछ कम रा श का ऋण दे ते हैं, िजतनी कम रा श का ऋण दया जाता है , उसे सीमान्त

D
आवश्यकता कहते हैं।

LE
जब कसी वस्तु वशेष के लए साख का संकुचन करना होता है , तो दे श का केन्द्रिीय बैंक उस वस्तु की
सीमान्त आवश्यकता को बढ़ा दे ता है । प रणामस्वरूप बैंक जमानत पर पहले की तुलना में कम मात्रा में

W
ऋण दे पाते हैं। इसके वपरीत जब साख का वस्तार करना होता है तो केन्द्रिीय बैंक उसकी सीमान्त

O
आवश्यकता को कम कर दे ता है , िजससे बैंकों द्वारा अ धक मात्रा में ऋण दया जाता है ।

KN
साख का समभाजन (Rationing of credit)- अिन्तम ऋणदाता के रूप में दे श का केन्द्रिीय बैंक अन्य
बैंकों की साख- नमार्जाण क्षमता को सी मत करने के लए साख का समभाजन भी कर सकता है । यह कई
C
व धयों या उपायों या उपायों द्वारा की जा सकती है । जैसे - कसी बैंक या कुछ बैंकों की पुनकर्जाटौती
PS

(Rediscounting) की सु वधा को समा त कर दे ना अथवा बैंको के लए साख के अभ्यंश (quota) निश्चत


कर दे ना, व भन्न बैंको द्वारा व भन्न व्यवसायों को दये जाने वाले ऋणों की सीमा अथवा अभ्यंश
G

निश्चत कर दे ना इत्या द।
C
अत: केन्द्रिीय बैंक साख का वस्तार करना चाहता है , तो पुनकर्जाटौती को लागू या बहाल कर दया जाता है तथा

E.
व भन्न व्यवसायों को दये जाने वाले ऋणों की सीमा में वृद् ध कर दी जाती है । इसके वपरीत साख संकुचन

G
के लए पुनकर्जाटौती की सु वधा को समा त कर दे ना या ऋणों की सीमा को कम कर दया जाता है ।

D
LE
W
O
KN
C
PS
G
C
मुद्रिास्फी त

E.
G
मुद्रिास्फी त (inflation) या महं गाई कसी अथर्जाव्यवस्था में समय के साथ व भन्न माल और सेवाओं की
कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य बढ़ौतरी को कहा जाता है ।

D
LE
जब सामान्य मूल्य बढ़ते हैं, तब मुद्रिा की हर ईकाई की क्रिय शिक्त (purchasing power) में कमी होती है ,
अथार्जात ् पैसे की कसी मात्रा से पहले िजतनी माल या सेवाओं की मात्रा आती थी, उसमें कमी हो जाती है ।

W
मुद्रिास्फी त के ऊँचे दर या अ तस्फी त की िस्थ त जनता के लए बहु त हा नकारक होती है और नधर्जानता

O
फैलाने का काम करती है ।

KN
अथर्जाशास्त्री मानते हैं क यह बुरी अवस्थाएँ मुद्रिा आपू तर्जा (money supply) के अ तशय से उत्पन्न होती है ,
या न अथर्जाव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अ धक पैसा छापने से ज्न्म लेती है ।
C
PS
मुद्रिास्फी त का वपरीत अपस्फी त (deflation) होता है , या न वह िस्थ त िजसमें समय के साथ-साथ माल
और सेवाओं की कीमतें गरती हैं
G
C
य द वस्तुओं के दाम लगातार लंबे समय तक बढ़ते चले जाएं| ऐसी िस्थ त में लोगों को वस्तुओं को

E.
खरीदने के लए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी| ऐसी िस्थ त को ही inflation (मुद्रिास्फी त) की िस्थ त

G
कहते हैं|

D
LE
मुद्रिास्फी त का अथर्जा: “मुद्रिास्फी त दो श दों मुद्रिा + स्फी त से मलकर बना है | यहाँ पर मुद्रिा का अथर्जा –

W
“मुद्रिा, धन, कैश, पैसे, रोकड़, नक़द धन” से है तथा स्फी त का अथर्जा: “वृद् ध, वस्तार, बढ़ती, अ धकता,

O
समृद् ध” से है | यानी क सीधे श दों में समझा जाए तो वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत बढ़ने को

KN
मुद्रिास्फी त कहते हैं|”

● जब वस्तु के सामान्य दामों में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है तब समझ लीिजए क inflation
C
(मुद्रिास्फी त) की बात हो रही है |
PS
● इसका प रणाम यह होता है क वस्तुओं को खरीदने के लए अ धक कीमत चुकानी पड़ती है , इस
कारण से लोगों की वस्तुओं को खरीदने की शिक्त घटती जाती है |
G
C
E.
● अथर्जाशािस्त्रयों के मुता बक वस्तुओं के दामों में 5% की वृद् ध जायज है | य द यह 5% की वृद् ध लंबे
समय तक भी चलती रहे गी तो उसे inflation (मुद्रिास्फी त) नहीं कहा जाएगा|

G
D
मुद्रिास्फी त के प्रकार (Types of inflation)

LE
W
O
● Demand-pull inflation (मांग मुद्रिास्फी त)

KN
● Cost-push inflation (मूल्य – बढ़ोत्तिरी मुद्रिास्फ़ी त)
● Stagflation (मुद्रिास्फी तज नत मंदी)
C
PS
G
C
Demand-pull inflation क्या होता है ?

E.
इसके पीछे का मुख्य कारण मांग (Demand) तथा आपू तर्जा (supply) में अंतर होना होता है |

G
D
कसी वस्तु की प्रोडक्शन कम होती है तथा उसको खरीदने वाले ज्यादा होते हैं, तो उस वस्तु के दाम बढ़ना

LE
तय है |

W
ऐसा इस लए होता है क्यों क बाजार से प्र तस्पधार्जा (Competition) खत्म हो जाती है | एक दुकानदार के पास

O
माल कम है तथा ग्राहक ज्यादा है तो निश्चत तौर पर ही वह उसको उच्च कीमत पर बेचेगा|

KN

C
बाजार में flow of money तथा flow of goods का एक दूसरे पर प्रभाव डालने के कारण है इसकी
PS
उत्प त्ति हु ई है |
G
C
जब वस्तु तथा सेवाओं की मांग अ धक होती है और उसकी आपू तर्जा में कमी होती है तो इसी वजह

E.

से मांग उसकी कीमतों को ऊपर चढ़ा दे ती है | इसे ही Demand-pull inflation कहते हैं|

G
● इस कारण से खचर्षों में बढ़ोतरी हो जाती है | लोग ज्यादा पैसे खचर्जा करने के लए तैयार होते हैं इसी

D
कारण से इसका नाम पड़ गया Demand-pull inflation

LE
यह बहु त ही मुख्य मुद्रिास्फी त का प्रकार (types of inflation) है

W
Cost-push inflation क्या होता है ?

O
KN
य द कसी एक वशेष प्रोडक्ट की कीमतों में वृद् ध हो जाती है तो, उस बढ़ी हु ई कीमत का प्रभाव उससे
बनने वाले सभी उत्पादों पर पड़ता है |
C
उदाहरण: य द लािस्टक का दाना जो क एक लािस्टक बनाने का कच्चा पदाथर्जा है , इसकी कीमतों में वृद् ध
PS
हो जाती है तो, लािस्टक से बनने वाले सभी उत्पादों की कीमत में वृद् ध होना निश्चत है |
G
C
जब कसी एक वशेष वस्तु के दाम बढ़ने से एक श्रृंखला अ भ क्रिया (chain reaction) होती है तो, यह कहा

E.
जाता है क Cost के कारण inflation हो रहा है |

G
यानी क Cost की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं| जब यह प्र क्रिया लगातार लंबे समय तक चलती रहती है तो,

D
कीमतों के कारण मुद्रिास्फी त में बढ़ोतरी का कारण मानते हैं|

LE
इसी वजह से इसे Cost-push inflation कहते हैं|

W
O
● कसी वशेष उत्पाद की कीमतों में वृद् ध होती है तथा इसके प्रभाव से इससे बनने वाले सभी वस्तुओं
की कीमतों में वृद् ध होती है |

KN
● Cost-push inflation का प रणाम यह होता है क उत्पादन के कारणों में वृद् ध होती चली जाती है |
जैसे: क कमर्जाचारी उत्पादन बढ़ाने के बजाय अपनी तनख्वा बढ़ाने की मांग करने लगे| यह बढ़ी हु ई
C
कीमत उत्पादन करता अपने प्रोडक्ट में जोड़ दे ता है | इस वजह से कीमतों में वृद् ध हो जाती है |
PS
G
C
● कसी इंडस्ट्री में य द एक प्रोडक्ट महं गा हो जाता है तो, निश्चत तौर पर ही इस इंडस्ट्री में श्रंखला

E.
अ भ क्रिया (chain reaction) जरूर होगी| इसके प रणाम स्वरुप यह निश्चत तौर पर दूसरे इंडस्ट्रीज

G
को भी प्रभा वत अवश्य करे गा|

D
● जब लोहे की कीमतों में वृद् ध हो जाती है तो इसके प रणाम स्वरूप जहां पर भी लोहे तथा लोहे से बनी

LE
कसी भी वस्तु का इस्तेमाल होता है , तो वहां पर कमत निश्चत तौर पर ही बढ़ जाएंगी, क्यों क
प रणाम स्वरूप सभी मशीनरी, ट्रक, इत्या द की कीमतों में भी वृद् ध हो जाएगी|

W
लोगों के घरे लू खचर्षों में भी बढ़ोतरी हो जाती है , िजस कारण से कमर्जाचारी फर से अपनी तनख्वा बढ़ाने

O

की डमांड करते हैं| अब! जा हर सी बात है क यह बढ़ी हु ई तनख्वाह कोई भी मा लक अपनी जेब से

KN
नहीं दे गा| वह फर से उत्पादों की कीमत में वृद् ध कर दे गा| िजसका नतीजा होगा की महं गाई और बढ़
जाएगी| C
अक्सर डमांड पुल इन्फ्लेशन, कॉस्ट पुश इन्फ्लेशन से पहले आ जाता है ।
PS

● जब डमांड पुल इन्फ्लेशन आता है तो यह व भन्न उत्पादक क्षेत्रों को प्रभा वत करता है , इसके
G

प रणाम स्वरूप कीमतों में वृद् ध हो जाती है |


C
मुद्रिास्फी त के कारण

E.
G
1. मांग पक्ष

D
मांग से अ भप्राय वस्तुओं के लए मुद्रिा की मांग से है । मुद्रिा की मांग में इन कारणों से वृद् ध होती है ।

LE
1. सावर्जाज नक व्यय में वृद् ध - जब भी दे श में सावर्जाज नक व्यय में वृद् ध होती है तो उससे दे श में क्रिय

W
शिक्त बढ़ जाती है । क्रिय शिक्त के बढ़ने से वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग भी बढ़ जाती है । यह िस्थ त पूणर्जा

O
रोजगार बंद ु के पूवर्जा भी हो सकती है । जब क अथर्जाव्यवस्था में कई अवरोधों के कारण उत्पादन बढ़ने की ग त

KN
धीमी हो जाती है ।

2. घाटे की वत्ति व्यवस्था - सरकार अपनी आय तथा खचर्जा के घाटे को पूरा करने के लए घाटे की वत्ति
C
व्यवस्था की नी त भी अपनाती है । घाटे की वत्ति व्यवस्था के फलस्वरूप लोगोंं की मौ द्रिक आय बढ़ जाती है ।
PS

परं तु उत्पादन उस सीमा तक नहीं बढ़ने पाता। इस कारण कीमत स्तर बढ़ जाता है । इस लए आजकल
भारत जैसे दे शों में मुद्रिास्फी त का मुख्य कारण घाटे की वत्ति व्यवस्था है ।
G
C
3. सस्ती मौ द्रिक नी त - सरकार की सस्ती मौ द्रिक तथा साख नी त के कारण मुद्रिा की पू तर्जा में वृद् ध हो

E.
जाती है िजससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है परन्तु उनकी पू तर्जा उस अनुपात में नहीं बढ़ने पाती

G
इस लए उनकी कीमतों में वृद् ध हो जाती है । िजससे मौ द्रिक आय बढ़ती है और इसके फलस्वरूप भी

D
कीमतों में वृद् ध हो होती है ।

LE
W
4. व्यय योग्य आय में वृद् ध - मुद्रिास्फी त का दूसरा कारण उपभोक्ता की व्यय योग्य आय में होने वाली
वृद् ध है । जब कुछ लोग अ धक वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग करके जीवन स्तर अपेक्षाकृ त ऊंचा कर

O
लेते हैं तो इसका प्रदशर्जान प्रभाव पड़ता है , दूसरे लोग भी उसका अनुसरण करते हैं इससे मांग बढ़ती है परं तु

KN
पू तर्जा में मांग की तुलना में वृद् ध कम होती है इस लए कीमतें बढ़ जाती हैं।
C
PS
5. काला धन - काला धन वह आय है िजसका सरकार को कोई हसाब नहीं दया जाता ता क आय पर लगाए
जाने वाले कर को बचाया जा सके। काले धन के स्वामी उस धन को वला सता की वस्तुओं तथा दखावे की
G

वस्तुओं पर खचर्जा करते हैं। इससे मांग में वृद् ध होती है तथा कीमतें बढ़ती हैं।
C
6. करों में कमी - कई बार सरकार जब करों में कमी कर दे ती है तो उससे लोगों की वास्त वक तथा मौ द्रिक

E.
आय में वृद् ध होने के कारण प्रभावपूणर्जा मांग में वृद् ध होती है । इस अ त रक्त क्रिय शिक्त के द्वारा लोग

G
अ धक वस्तुओं की मांग करते हैं। फलस्वरूप कीमतें बढ़ने लगती हैं। सट्टे बाजी की क्रियाएं बढ़ने के कारण

D
मांग बढ़ जाती है और वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में वृद् ध हो जाती है ।

LE
7. सावर्जाज नक ऋण में कमी - जब सरकार जनता से कम ऋण लेती या जनता के ऋण को वापस कर दे ती

W
है तो ऐसी दशा में जनता के पास अ धक क्रिय शिक्त बनी रहती है इससे भी वस्तुओं और सेवाओं की मांग
बढ़ती है । इसके फलस्वरूप कीमतें बढ़ने लगती हैं।

O
KN
8. जनसंख्या में वृद् ध - कसी भी दे श में जब जनसंख्या के बढ़ने की दर उत्पादन की दर से अ धक होती है
तो वस्तुओं तथा सेवाओं की मांग अ धक होने के कारण कीमतों में वृद् ध हो जाती है ।
C
9. नयार्जात में वृद् ध - जब दे श के नयार्जात में वृद् ध होती है तो इसके फलस्वरूप भी दो कारणों से कीमतों में
PS

वृद् ध हो सकती है एक तो नयार्जात में वृद् ध होने के कारण आय में वृद् ध होती है । दूसरे उपभोक्ता वस्तुओं
का अ धक नयार्जात होने के कारण दे श में उनकी पू तर्जा कम हो जाती है िजससे कीमतों में वृद् ध हो जाती है ।
G
C
2. पू तर्जा पक्ष

E.
पू तर्जा पक्ष से अ भप्राय वस्तुओं की वह उपलबध मात्रा है िजस पर लोग अपनी आय व्यय कर सकते हैं। इसके

G
फलस्वरूप अथर्जाव्यवस्था में असंतुलन आ जाता है । पू तर्जा पक्ष पर मुख्य रूप से इन तत्वों का प्रभाव पड़ता हैं

D
LE
1. उत्पादन में कमी - पू तर्जा में होने वाली कमी का सबसे मुख्य कारण उत्पादन में होने वाली कमी है ।
उत्पादन में कमी के कई कारण हो सकते है । जैसे - मजदूरी तथा मा लकों के झगड़े, प्राकृ त वप त्तियां आ द।

W
O
2. कृ त्रम अभाव - मुद्रिास्फी त का एक कारण यह भी है क दे श में जमाखोर और मुनाफाखोर लोग वस्तुओं
को अपने पास जमा करके रख लेते हैं। उनकी खुले बाजार में पू तर्जा कम हो जाती है तथा वस्तुओं की कीमतें

KN
बढ़ जाती हैं।
3. सरकार की कर नी त - सरकार की कर नी त भी पू तर्जा को नरुत्सा हत करने के लए िजम्मेदार हो सकती
C
हैं। जब सरकार इस प्रकार के कर लगाती है जैसे ऊंची दर पर बक्रिी कर, उत्पादन कर, नगम कर, याज कर
PS
आ द िजससे उत्पादन नरुत्सा हत हो, तो उत्पादन की मांग िस्थर रहने पर भी वस्तुओं की कीमतों में
वृद् ध हो जाती है । इस प्रकार उत्पादन कम हो जाने से मुद्रिास्फी त की िस्थ त उत्पन्न हो जाती है ।
G
C
E.
4. खाद्यान्न में कमी - जब दे श में अनाज, दालों, खाने के तेल का उत्पादन कम होता है तो कीमतों में बहु त
अ धक वृद् ध होती है । खाद्यान्न में कमी कई कारणों से हो सकती है । जैसे - वषार्जा की कमी, खाद्यान्न

G
फसलों के स्थान पर व्यापा रक फसलों का अ धक उत्पादन आ द।

D
LE
5. औद्यो गक झगड़े ़ - कई बार उद्योगोंं में श्र मकों तथा मा लकों में झगड़ा होने के कारण कारखानों में
हड़ताल या तालाबंदी हो जाती है । इससे उत्पादन में कमी हो जाती है और कीमतों में वृद् ध।

W
O
6. तकनीकी प रवतर्जान - वज्ञान के इस प रवतर्जानशील युग में नए-नए अ वष्कार होते रहते हैं। तकनीकी

KN
प रवतर्जान में समय लगने के कारण कई बार उत्पादन कम हो जाता है । परं तु काम पर लगे हु ए श्र मकों तथा
तकनीकी वशेषज्ञों को वेतन दे ना ही पड़ता है । इसके फलस्वरूप उत्पादन लागत बढ़ती है तथा पू तर्जा कम होती
है । C
PS
7. कच्चे माल की कमी - जब उत्पादन को बढ़ाने के लए दे श में कच्चा माल उपल ध न हो और न ही वदे शों
से आयात करने की संभावना हो तो उत्पादन कम हो जाता है । इसके फलस्वरूप कीमतें बढ़ती हैं और
G

मुद्रिास्फी त की िस्थ त पैदा होती है ।


C
8. प्राकृ तक वप त्तियां - समय-समय पर दे श में प्राकृ तक वप त्तियां जैसे - भूकम्प, बाढ़, सूखा आ द आती

E.
रहती हैं िजसके कारण वशेष रूप से कृ ष उत्पादन में काफी कमी हो जाती हैं।

G
9. उत्पादन का ढांचा - कई बार दे श में उत्पादन का ढांचा इस प्रकार का बन जाता है क उत्पादक साधारण

D
उपभोग की वस्तुओं के स्थान पर वला सतापूणर्जा वस्तुओं या भारी तथा आधारभूत वस्तुएं अ धक बनाने

LE
लगते हैं क्यों क उनमें उन्हें अ धक लाभ मलता है । उनकी पू तर्जा कम हो जाने से कीमतें बढ़ जाती हैं।

W
10.युद्ध - युद्ध के समय में भी उपयोग वस्तुओं के उत्पादन में कमी हो जाती है क्यों क साधनों का प्रयोग

O
युद्ध साम्रग्री के उत्पादन में होने लगता है । इससे कीमतों में वृद् ध होने लगती है ।

KN
11. अन्तरार्जाष्ट्रीय कारण - आजकल व भन्न दे शों में एक दूसरे के साथ व्यापा रक सम्बन्ध होते हैं। इनमें से
कसी एक दे श में कीमतों में वृद् ध होने के कारण इसका सहानुभू तपूणर्जा प्रभाव अन्य दे शों की कीमतों पर भी
C
पड़ता है और दूसरे दे शों में भी कीमतें बढ़ने लगती हैं। इससे संसार के लगभग सभी दे शों में कीमत स्तर बढ़
PS

गये हैं।
G
C
E.
12. सरकार की औद्यो गक नी त - सरकार की औद्यो गक नी त का भी मुद्रिास्फी त पर प्रभाव पड़ता है ।
य द औद्यो गक नी त प्र तबंधात्मक है तो इसका पू तर्जा पर वपरीत प्रभाव पडेग
़ ा। य द सरकार का नए

G
उद्योगों की स्थापना पर कड़ा नयंत्रण हो या नए उद्योगों की स्थापना को हतोत्सा हत कया जाए तो

D
इसके कारण उत्पादन में मांग के अनुसार वृद् ध नहीं हो पाएगी तथा वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी।

LE
W
13. उत्पादन में ग तरोध - जब कसी दे श में बजली, कोयले आ द की पू तर्जा कम हो जाती है । यातायात के

O
साधनों की उपलि ध में कमी आ जाती है तो उत्पादन में ग तरोध उत्पन्न हो जाता है । इससे पू तर्जा कम
तथा कीमतें बढ़ जाती हैं।

KN
C
PS
G
C
मुद्रिास्फी त के प्रभाव (Effects of Inflation)

E.
G
नवेशकत्तिार्जाओं पर

D
LE
नवेशकत्तिार्जा दो प्रकार के होते है । पहले प्रकार के नवेशकत्तिार्जा वे होते है जो सरकारी प्र तभू तयों में नवेश

W
करते है । सरकारी प्र तभू तयों से निश्चत आय प्रा त होती है तथा दूसरे नवेशकत्तिार्जा वे होते है जो संयुक्त

O
पूंजी कंप नयों के हस्से खरीदते है । मुद्रिास्फी त से नवेशकत्तिार्जा के पहले वगर्जा को नुकसान तथा दूसरे वगर्जा

KN
को फायदा होगा।

C
निश्चत आय वगर्जा पर निश्चत आय वगर्जा में वे सब लोग आते हैं िजनकी आय निश्चत होती है जैसे-
PS

श्र मक, अध्यापक, बैंक कमर्जाचारी आ द। मुद्रिास्फी त के कारण वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें बढ़ती है
G

िजसका निश्चत आय वगर्जा पर प्र तकूल प्रभाव पड़ता है ।


C
ऋणी एवं ऋणदाता पर-जब ऋणदाता रुपए कसी को उधार दे ता है तो मुद्रिास्फी त के कारण उसके रुपए

E.
का मूल्य कम हो जाएगा। इस प्रकार ऋणदाता को मुद्रिास्फी त से हा न तथा ऋणी को लाभ होता है ।

G
D
LE
कृ षकों पर-मुद्रिास्फी त का कृ षक वगर्जा पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्यों क कृ षक वगर्जा उत्पादन करता है तथा
मुद्रिास्फी त के दौरान उत्पाद की कीमतें बढ़ती हैं। इस प्रकार मुद्रिास्फी त के दौरान कृ षक वगर्जा को लाभ

W
मलता है ।

O
KN
बचत पर-मुद्रिास्फी त का बचत पर प्र तकूल प्रभाव पड़ता है क्यों क मुद्रिास्फी त के कारण वस्तुओं पर कये
C
जाने वाले व्यय में वृद् ध होती है । इससे बचत की संभावना कम हो जाएगी। दूसरी ओर मुद्रिास्फी त से मुद्रिा
PS
के मूल्य में कमी होगी और लोग बचत करना नहीं चाहें गे।
G
C
भुगतान संतुलन-मुद्रिास्फी त के समय वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यों में वृद् ध होती है । इसके कारण

E.
हमारे नयार्जात महँगे हो जाएंगे तथा आयात सस्ते हो जाएंगे। नयातर्जा में कमी होगी तथा आयत में वृद् ध

G
होगी िजसके कारण भुगतान संतुलन प्र तकूल हो जाएगा।

D
LE
करों पर-मुद्रिास्फी त के कारण सरकार के सावर्जाज नक व्यय में बहु त अ धक वृद् ध होती है । सरकार

W
अपने व्यय की पू तर्जा के लये नए-नए कर लगाती है तथा पुराने करों में वृद् ध करती है । इस प्रकार

O
मुद्रिास्फी त के कारण करों के भार में वृद् ध होती है ।

KN
उत्पादकों पर-मुद्रिास्फी त के कारण उत्पादक तथा उद्यमी वगर्जा को लाभ होता है क्यों क उत्पादक िजन
C
वस्तुओं का उत्पादन करते हैं उनकी कीमतें बढ़ रही होती हैं तथा मज़दूरी में भी वृद् ध कीमतों की तुलना
PS

में कम होती है । इस प्रकार मुद्रिास्फी त से उद्यमी तथा उत्पादकों का फायदा होता है ।


G
C
मुद्रिास्फी त को नयं त्रत करने के उपाय

E.
मौ द्रिक उपाय: केंद्रिीय बैंक द्वारा अपनाए गए इन उपायों का उद्दे श्य मुद्रिा की आपू तर्जा को कम करना होता है ,

G
िजससे समग्र मांग में कमी तथा प रणामस्वरूप मूल्यों में गरावट होगी। मुद्रिास्फी त को नयं त्रत करने हे तु

D
नम्न ल खत उपाय अपनाए जाते हैं:

LE
W
● रे पो दर: यह वह दर है िजस पर भारतीय रजवर्जा बैंक अन्य बैंकों को अल्प अव धयों के लए ऋण
प्रदान करता है । रे पो दर में वृद् ध नकदी और धन के प्रवाह को कम कर दे ती है ।

O
● बैंक दर: बैंक दर में वृद् ध के प रणामस्वरूप बैंकों और ऋण लेने वालों के लए उधार प्रा त करने

KN
की लागत बढ़ जाती है । इससे वा णिज्यक बैंकों से ऋण प्राि त में कमी होती है ।
● आर क्षत कोष वषयक अ नवायर्जाताएं: नकद आर क्षत अनुपात/सां व धक तरलता अनुपात के
C
अंतगर्जात वद्र्जा धत आर क्षत कोष वषयक अ नवायर्जाताओं से वा णिज्यक बैंक की ऋण प्रदान करने
PS
की क्षमता कम हो जाती है । इससे जनता की ओर धन का प्रवाह कम हो जाता है ।
● खुले बाजार की सं क्रियाएँ: इनमें दीघर्जाका लक स्थायी तरलता वृद् ध करने और उसका अवशोषण
करने हे तु सरकारी प्र तभू तयों की एकमुश्त खरीद और बक्रिी, दोनों सिम्म लत होती हैं।
G
C
गुणात्मक साख नयन्त्रण की व धयाँ

E.
G
चय नत साख नयन्त्रण (Selective credit control)- जब दे श का केन्द्रिीय बैंक (भारत में रजवर्जा बैंक आफ

D
इिण्डया) यह अनुभव करता है , क सम्पूणर्जा अथर्जाव्यवस्था को सुचारू रूप से संचा लत करने के लए एक समान

LE
साख नयन्त्रण नी त को अपनाना उ चत नहीं होगा, बिल्क कुछ क्षेत्रों में उदार साख नी त तथा अन्य क्षेत्रों में
कम उदार या कठोर साख नी त उपयुक्त होगी, तो ऐसी अलग-अलग व्यवस्था ही चयनात्मक साख नयन्त्रण

W
कहलाती है । इस नी त के अन्तगर्जात अपनायी जाने वाली प्रमुख साख नयन्त्रण की व धयाँ नम्न हैं-

O
KN
व भन्न कटौैती दरें (Various discount rates)- इस व ध के अन्तगर्जात दे श का केन्द्रिीय बैंक भन्न- भन्न
प्रकार के व नमय वपत्रों (bills of exchange) के लए व भन्न या अलग-अलग कटौती दर नधार्जा रत करता
है । इससे अथर्जाव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों को तो सुगम एवं सस्ता साख उपल ध हो जाता है , जब क अन्य क्षेत्रों को
C
क ठन शतर्षों पर महँगा साख उपल ध होता है । उदाहरण के लए, य द कृ ष क्षेत्र को वकास के लए अन्य क्षेत्रों
PS

की अपेक्षा अ धक प्रोत्साहन दे ना हो तो कृ ष वपत्रों तथा कृ ष नयार्जात वपत्रों के लए कम कटौती दरें


निश्चत की जाती है ।
G
C
E.
नकद कोषों में रयायत (Concession in cash funds)- इस उपाय के अन्तगर्जात कसी वशेष क्षेत्र में नवेश
करने वाले बैंकों को एक निश्चत रा श तक ‘नकद कोष’ रखने की छूट दी जाती है । प रणाम स्वरूप इन

G
वशेष क्षेत्रों में नवेश को प्रोत्साहन मलता है ।

D
LE
पूवार्जानुम त द्वारा ऋण दे ना (Loan provided by pre-order)- कभी-कभी दे श का केन्द्रिीय बैंक,

W
अथर्जाव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में साख वस्तार को सी मत करने के उद्दे श्य से, व्यापा रक बैंको पर यह

O
नयन्त्रण लगा दे ता है क एक निश्चत रा श से अ धक मात्रा में ऋण दे ने पर उसकी (केन्द्रिीय बैंक की)

KN
अनुम त लेना अ नवायर्जा होगा। ऐसी दशा मे केन्द्रिीय बैंक ऋण की आवश्यकता एवं साख वस्तार के प्रभाव को
ध्यान में रखकर निश्चत सीमा से अ धक की रा श का नधार्जारण करता है ।
C
ऋणो पर प्र तबन्ध (Restriction on loans)- दे श का कन ्◌े द्रिीय बैंक य द कुछ वस्तुओं की प्र तभू तयों पर
PS
उपल ध साख की सु वधा पर रोक लगाना चाहता है , तो वह ऐसे ऋणों पर प्र त- बन्ध लगा दे ता है । उदाहरण
के लए, दे श में खाद्यान्न की कीमतों में वृद् ध को रोकने के लए रजवर्जा बैंक द्वारा व्यापा रक बैंकों को यह
G

आदे श दया जा सकता है क वे अनाज संग्रह हे तु व्यापा रयों को ऋण न दे ।


C
उपभोक्ता साख का नयमन (Regulation of consumer’s credit)- इस प्रकार के साख नयमन का

E.
आशय टकाऊ व मूल्यवान वस्तुओं की खरीद हे तु दये जाने वाले साख नयन्त्रण से है । वतर्जामान में कई

G
दे शों में मोटरकार, टे ली वजन, मोटरसाइ कल, फ्रज आ द टकाऊ वस्तुएँ उधार या कश्तों के आधार पर
बेची जाती हैं। अथर्जाव्यवस्था में तेजी के दनों में उपभोक्ता साख का संकुचन कया जाता है , जब क मन्दी

D
के दनों में इसका वस्तार कया जाता है । इस उपाय के अन्तगर्जात केन्द्रिीय बैंक द्वारा उपभोक्ता साख पर

LE
कुछ नयन्त्रण लगा दये जाते हैं। इसमें साख की कुल रा श या मात्रा का नधार्जारण, कश्तों की संख्या,
भुगतान अव ध का नधार्जारण आ द उपाय मुख्य रूप से कये जाते हैं।

W
O
KN
आयात पूवर्जा जमा (Deposit before import)- साख नयन्त्रण का यह उपाय दे श में आयात को कम करने
या हतोत्सा हत करने के उद्दे श्य से कया जाता है । इस उपाय के अन्तगर्जात आयातकतार्जा को आयात
लाइसेंस दे ते समय ही आयात मूल्य का एक निश्चत प्र तशत केन्द्रिीय बैंक के पास जमा कराना पड़ता है ।
C
साख के वस्तार की दशा में इस आयात के लए जमा रा श में कमी कर दी जाती है , िजससे आयात में
PS
वृद् ध होती है , इसके वपरीत साख संकुचन करने के लए केन्द्रिीय बैंक जमा रा श में वृद् ध कर दे ता है ।
G
C
ऋणों की सीमान्त आवश्यकताओं में प रवतर्जान (Changes in marginal needs of loans)- इसके द्वारा कुछ

E.
वशेष उद्दे श्यों के लए दी जाने वाली साख की रा श को नयिन्त्रत कया जाता है । प्राय: बैंक उपयुक्त

G
जमानत (security) के आधार पर ऋण प्रदान करते हैं। बैंक जमानत के रूप में रखे गये माल की वतर्जामान
कीमत से कुछ कम रा श का ऋण दे ते हैं, िजतनी कम रा श का ऋण दया जाता है , उसे सीमान्त आवश्यकता

D
कहते हैं।

LE
W
जब कसी वस्तु वशेष के लए साख का संकुचन करना होता है , तो दे श का केन्द्रिीय बैंक उस वस्तु की
सीमान्त आवश्यकता को बढ़ा दे ता है । प रणामस्वरूप बैंक जमानत पर पहले की तुलना में कम मात्रा में ऋण

O
दे पाते हैं। इसके वपरीत जब साख का वस्तार करना होता है तो केन्द्रिीय बैंक उसकी सीमान्त आवश्यकता

KN
को कम कर दे ता है , िजससे बैंकों द्वारा अ धक मात्रा में ऋण दया जाता है ।

साख का समभाजन (Rationing of credit)- अिन्तम ऋणदाता के रूप में दे श का केन्द्रिीय बैंक अन्य बैंकों
C
की साख- नमार्जाण क्षमता को सी मत करने के लए साख का समभाजन भी कर सकता है । यह कई व धयों या
PS

उपायों या उपायों द्वारा की जा सकती है । जैसे - कसी बैंक या कुछ बैंकों की पुनकर्जाटौती (Rediscounting) की
सु वधा को समा त कर दे ना अथवा बैंको के लए साख के अभ्यंश (quota) निश्चत कर दे ना, व भन्न बैंको
G

द्वारा व भन्न व्यवसायों को दये जाने वाले ऋणों की सीमा अथवा अभ्यंश निश्चत कर दे ना इत्या द।
C
अत: केन्द्रिीय बैंक साख का वस्तार करना चाहता है , तो पुनकर्जाटौती को लागू या बहाल कर दया जाता है

E.
तथा व भन्न व्यवसायों को दये जाने वाले ऋणों की सीमा में वृद् ध कर दी जाती है । इसके वपरीत साख

G
संकुचन के लए पुनकर्जाटौती की सु वधा को समा त कर दे ना या ऋणों की सीमा को कम कर दया जाता है ।

D
LE
प्रचार (Publicity)- वतर्जामान समय में केन्द्रिीय बैकं साख नयन्त्रण के लए वज्ञापन तथा प्रचार का भी

W
सहारा लेता है । यह नय मत रूप से दे श में मुद्रिा बाजार की िस्थ त, बैं कं ग व साख सम्बन्धी समस्याओं,

O
उद्योग व्यापार एवं व्यवसाय, वदे शी व्यापार आ द के सम्बन्ध में अपनी मा सक या वा षर्जाक पत्र-प त्रकाओं

KN
में आवश्यक आँकड़े एवं ववरण प्रका शत करता रहता है ।
इसके अ त रक्त दे श के केन्द्रिीय बैंक के अ धकारीगण, पत्रकार सम्मेलन, बैंकों की वचार गोष्ठी आ द में
बैंक की मुद्रिा व साख नी त पर प्रकाश डालते हैं। आधु नक समय में ‘प्रचार’ की व ध द्वारा अ धक सफलता
C
प्रा त की जा सकती है ।
PS
G
C
E.
प्रत्यक्ष कायर्जावाही (Direct action)- केन्द्रिीय बैंक साख नयन्त्रण सम्बन्धी कये गये उपायों के लए दये
गये नदर्दे शों का ठीक ढं ग से पालन न करने वाले बैंकों के वरुद्ध प्रत्यक्ष या सीधी कायर्जावाही कर सकता है ।

G
प्रत्यक्ष कायर्जावाही के अन्तगर्जात नम्न उपायों को शा मल कया जाता है -

D
बैंकों को पुनकर्जाटौती की सु वधा बन्द कर दे ना,

LE
1.
2. पुनकर्जाटौती की शतर्षों में प रवतर्जान करना,

W
3. ऋण दे ने से मना कर दे ना,
बैंकों पर मौ द्रिक दण्ड लगाना इत्या द।

O
4.

KN
केन्द्रिीय बैंक उपरोक्त प्रत्यक्ष कायर्जावाही करने से पहले सामान्यतया सम्बिन्धत बैंकों को नो टस या
चेतावनी दे ता है । व्यावहा रक रूप में साख नयन्त्रण की अनेक व्यवस्थाओं के कारण प्रत्यक्ष कायर्जावाही की
आवश्यकता पड़ने की सम्भावना न्यूनतम ही रहती है ।
C
PS
G
C
E.
राजकोषीय उपाय: व्यय को कम करने और आपू तर्जा प्रे रत मुद्रिास्फी त का प्रबंधन करने के लए सरकार
द्वारा अपनाए गए राजकोषीय उपायों में सिम्म लत हैं

G
D
LE
● व्यय में कमी: सरकार मुद्रिास्फी त के नयं त्रत होने तक गैर- वकासकात्मक ग त व धयों पर
अनावश्यक व्यय को कम कर सकती है , सावर्जाज नक ऋण की चुकौती को स्थ गत कर सकती है ,

W
आ द।
करों में वृद् ध: इससे अल्प प्रयोज्य आय के कारण व्यिक्तगत उपभोग व्यय में कटौती होती है ।

O

साथ ही इससे अथर्जाव्यवस्था में समग्र मांग को कम करने में भी सहायता प्रा त होती है ।

KN
● अ धशेष बजट: अ धशेष बजट का अथर्जा यह होता है क सरकार द्वारा व्ययों के माध्यम से धन की
आपू तर्जा की अपेक्षा करों के माध्यम से जनता के पास उपल ध अ धशेष तरलता में कमी अ धक
C
की गई है । इसके प रणामस्वरूप मांग कम हो जाती है ।
PS
● संरक्षणवादी उपाय: सरकार घरे लू खपत को सहायता प्रदान करने के लए दाल, तेल आ द
आवश्यक वस्तुओं के नयार्जात पर प्र तबंध अ धरो पत करके तथा शुल्कों को कम करके आयातों
G

को प्रोत्सा हत करने जैसे कुछ संरक्षणवादी उपाय अपना सकती है ।


C
थोक मूल्य सूचकांक (WPI):

E.
G
● यह थोक व्यवसायों द्वारा अन्य व्यवसायों को बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में बदलाव को

D
मापता है ।

LE
● इसे वा णज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आ थर्जाक

W
सलाहकार (Office of Economic Adviser) के कायार्जालय द्वारा प्रका शत कया जाता है ।

O
● यह भारत में सबसे अ धक इस्तेमाल कया जाने वाला मुद्रिास्फी त संकेतक (Inflation Indicator) है ।

KN
● इस सूचकांक की सबसे प्रमुख आलोचना यह की जाती है क आम जनता थोक मूल्य पर उत्पाद नहीं
खरीदती है । C
वषर्जा 2017 में भारत के लये WPI का आधार वषर्जा 2004-05 से संशो धत कर 2011-12 कर दया गया है
PS


G
C
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI):

E.
● यह खुदरा खरीदार के दृिष्टकोण से मूल्य में हु ए प रवतर्जान को मापता है तथा इसे राष्ट्रीय सांिख्यकी

G
कायार्जालय (National Statistical Office- NSO) द्वारा जारी कया जाता है ।

D
LE
● यह उन वस्तुओं और सेवाओं जैसे- भोजन, च कत्सा दे खभाल, शक्षा, इलेक्ट्रॉ नक्स आ द की
कीमत में अंतर की गणना करता है , िजन्हें भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लये खरीदते हैं।

W
● इसके कई उप-समूह हैं िजनमें खाद्य और पेय पदाथर्जा, ईंधन तथा प्रकाश, आवास एवं कपड़े, बस्तर

O
व जूते शा मल हैं।

KN
● इसके नम्न ल खत चार प्रकार हैं:

C
औद्यो गक श्र मकों (Industrial Workers- IW) के लये CPI
PS
○ कृ ष मज़दूर (Agricultural Labourer- AL) के लये CPI
ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer- RL) के लये CPI
G


CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)
C


इनमें से प्रथम तीन के आँकड़े श्रम और रोज़गार मंत्रालय में श्रम यूरो (Labor Bureau) द्वारा

E.

संक लत कये जाते हैं, जब क चौथे प्रकार की CPI को सांिख्यकी एवं कायर्जाक्रिम कायार्जान्वयन

G
D
मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतगर्जात केंद्रिीय

LE
सांिख्यकी संगठन (Central Statistical Organisation-CSO) द्वारा संक लत कया जाता है ।
CPI का आधार वषर्जा 2012 है ।

W

हाल ही में श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने आधार वषर्जा 2016 के साथ औद्यो गक श्र मकों के

O

KN
लये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) की नई शृंखला जारी की।
● मौ द्रिक नी त स म त (Monetary Policy Committee) मुद्रिास्फी त (रें ज 4+/-2% के भीतर) को
C
नयं त्रत करने के लये CPI डेटा का उपयोग करती है । भारतीय रज़वर्जा बैंक (RBI) ने अप्रैल 2014 में
PS

CPI को मुद्रिास्फी त के अपने प्रमुख उपाय के रूप में अपनाया था।


G
C
गरीबी

E.
गरीबी एक भौगो लक आयाम है । गरीबी उस समस्या को कहते हैं िजसमें व्यिक्त अपने जीवन की मूलभूत

G
आवश्यकताएँ यथा, रोटी, कपड़ा और मकान को पूरा करने में असमथर्जा होता है ।

D
LE
गरीबी (garibi) से अ भप्राय जीवन के लए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्राि त का ना होना है ।

W
O
य द कसी व्यिक्त या समूह को रोटी, कपङा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पू तर्जा नहीं होती

KN
तब उस व्यिक्त या वगर्जा समूह को गरीब कहें गे
C
सामान्य रूप से एक व्यिक्त को न्यूनतम जीवनस्तर को बनाये रखने के लए िजतनी आय की आवश्यकता
PS
है , उससे कम आय होने पर उसे गरीब माना जाता है , अथार्जात ् िजस व्यिक्त की आय अपनी न्यूनतम
आवश्यकताओं जैसे खाना, वस्त्र, मकान, च कत्सा आ द की पू तर्जा के लए पयार्जा त नहीं है , वह व्यिक्त गरीब
G

कहलाता है । इसका मुख्य कारण आय-सृजक सम्प त्तियों व रोजगार के अवसरों की कमी है ।
C
गरीबी क्षमाताओ का आभव है - अमत्यर्जा सेन

E.
G
एक व्यिक्त गरीब है , क्यूकी वाह गरीब है - ragnar nurkse

D
एक व्यिक्त िजस्की प्र त दन आय 1.90 अमरीकी DOLLAR से कम है , वाह गरीब है - world bank

LE
W
O
KN
C
PS
G
C
गरीबी न्यूनतम जीवन स्तर प्रा त करने की असमथर्जाता है , यानी जब

E.
न्यूनतम जीवन स्तर भी प्रा त नहीं कया जा सके तब इस िस्थ त को

G
गरीबी कहते हैं - world development report 1990

D
LE
गरीबी उन चीजें की पयार्जा त कमी है , जो व्यिक्त तथा उसके प रवार के
स्वास्थ्य या कुशलता को बनाये रखने,आवश्यक है .

W
21 शता दी के संदभर्जा में बात करे तो शक्षा , स्वास्थ्य सु वधायें , अवसर,

O
ग रमा पूणर्जा जीवन यापन का अभाव गरीबी के अंतरगत आता है

KN
C
वषर्जा 1878 में दादा भाई नौरोजी ने सबसे पहलेगरीबी का मापन कया था -
PS
16 से 35 रुपये प्र त व्यिक्त प्र त वषर्जा
G

book - poverty and unbritish rule in india


C
इसके बाद 1938 में सुभाष चंद्रि बोस द्वारा पं डत जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में राष्ट्रीय योजना स म त का

E.
गठन कया गया इस कमेटी ने मुख्यता कौशल के आधार पर गरीबी रे खा का नधार्जारण कया गया

G
D
इसके बाद 1944 में मुंबई लान का गठन हु आ , िजसमें ₹75 प्र त वषर्जा प्र त व्यिक्त आय को गरीबी का मानक

LE
नधार्जा रत करने का सुझाव दें दीया

W
स्वतंत्रता के बाद योजना आयोग ने 1965 में एक वशेष समूह का गठन कया इसे योजना आयोग वशेष समूह के

O
नाम से जाना जाता है

KN
इस वशेषज्ञ समूह में ग्रामीण क्षेत्र के लए ₹20 प्र त व्यिक्त प्र त वषर्जा जब क शहरी क्षेत्र के लए ₹25 प्र त व्यिक्त
प्र त वषर्जा गरीबी रे खा नधार्जारण करने का सुझाव दया
C
PS
G
C
वी .एम. दांडक
े र और N रथ फामूल
र्जा ा

E.
इनके फामूल
र्जा े के आधार पर स्वतंत्रता के बाद पहली बार 1971 में वैज्ञा नक तरीके से गरीबी रे खा का नधार्जारण कया

G
गया, िजसमें नेशनल सैंपल सवर्दे के उपभोग खचर्जा के आंकड़ों का इस्तेमाल कया गया वषर्जा 1961 पर आधा रत है

D
LE
वीएम दांडक
े र और इन रथ ने सुझाव दया गरीबी रे खा का नधार्जारण इतनी धनरा श होना चा हए िजतनी रा श

W
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में प्र त दन 2250 कैलोरी प्रा त करने के लए आवश्यक है

O
KN
वी .एम. दांडक
े र और N रथ ने इस प्रकार पहली बार भारत में गरीबी रे खा के नधार्जारण के लए EXPENDITURE
BASED POVERTY का प्र तपादन कया
C
PS
G
C
ALAGH COMMITTEE

E.
Y.K. ALAGH की अध्यक्षता में योजना आयोग द्वारा ग ठत टास्क फोसर्जा

G
ने पोषण संबंधी आवश्यकताओं और संबं धत खपत वह के आधार पर

D
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लए गरीबी रे खा का नधार्जारण कया

LE
W
1989 में अलग स म त ने गांव में ₹49 तथा शहरों में 56.64 रूपया प्र त
व्यिक्त मा सक को गरीबी रे खा माला माना

O
KN
साथ ही अलग स म त ने बाद के वषर्षों के लए गरीबी के अनुमानों की
CALCULATION मुद्रिास्फी त के लए मूल्य स्तर के आधार पर करने का
C
सुझाव दया
PS
G
C
लकड़ावाला स म त

E.
वषर्जा 1989 में योजना आयोग में की D T लकड़ावाला अध्यक्षता में पुणे एक कायर्जा दल का गठन कया गया

G
1993 में लकड़ावाला स म त ने गांव में ₹205 तथा शहरों में ₹281 प्र त व्यिक्त खचर्जा हो गरीबी रे खा माना

D
इस कायर्जा दल ने प्रत्येक राज्य के लए अलग-अलग नधर्जानता रे खा बनाई और इसके लए शहरी क्षेत्रों में

LE
औद्यो गक श्र मकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कृ ष श्र मकों के उपभोक्ता मूल्य

W
सूचकांक को आधार बनाया

O
KN
तें दल
ु कर स म त

सुरेश तें दल
ु कर क अध्यक्षता में ग ठत स म त
C
इस स म त ने कैलोरी के स्थान पर प्र त व्यिक्त मा सक उपभोग में को आधार बनाया स म त ने शहरी क्षेत्र में
PS
₹1000 प्र त व्यिक्त प्र त माह( ₹33 प्र त दन) और ग्रामीण क्षेत्र के लए ₹816 प्र त माह( ₹27 प्र त दन) से कम
खचर्जा करने वाले लोगों को गरीब बताया.
G
C
E.
C. RANGARAJAN COMMITTEE

2012 में योजना आयोग द्वारा ग ठत

G
D
इस स म त ने शहरी क्षेत्र में 1470 प्र त व्यिक्त प्र त माह (₹45 प्र त दन)

LE
और ग्रामीण क्षेत्र के लए ₹972 प्र त व्यिक्त प्र त माह (₹32 प्र त दन) से
कम खचर्जा करने वाले लोगों को गरीब माना

W
O
संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृ ष संगठन (FAO) के प्रथम नदे शक

KN
लाॅडर्जा बाॅयड ओर पहले व्यिक्त थे, िजन्होंने 1945 में गरीबी रे खा की
अवधारणा प्रस्तुत की थी।
C
उन्होंने 2300 कैलोरी प्र त व्यिक्त प्र त दन से कम उपभोग करने वाले
PS
व्यिक्त को गरीब माना।

a
G
C
सापेक्ष गरीबी

E.
आय में पाई जाने वाली असमानता को प्रकट करती है ।

G
D
सापेक्ष गरीबी अंतरार्जाष्ट्रीय आ थर्जाक असमानता अथवा क्षेत्रीय आ थर्जाक असमानता का बोध कराती है ।

LE
दूसरे श दों में , व भन्न वगर्षों व भन्न प्रदे शों अथवा व भन्न दे शों की तुलनात्मक आय का प्रदशर्जान सापेक्ष

W
गरीबी का बोध कराता है

O
य द कहा जाए क भारत में प्र त व्यिक्त आय अमे रका की प्र त व्यिक्त आय से कम है तब यह सापेक्ष गरीबी

KN
दशार्जाने वाला कथन है । सापेक्ष गरीबी का मापन वक सत दे शों में कया जाता है । सापेक्ष गरीबी को तुलनात्मक
गरीबी कहते है ।
C
सापेक्ष गरीबी का मापन दो व धयों से कया जाता है –
PS

● लाॅरेन्ज वक्रि व ध
G

● गनी गुणांक व ध।
C
नरपेक्ष गरीबी क्या है

E.
नरपेक्ष गरीबी (Nirpeksh Garibi) दे श की उस जनसंख्या को सू चत करती है जो न्यूनतम उपभोग स्तर नहीं

G
प्रा त कर पाती और गरीबी रे खा के नीचे जीवन यापन करती है ।

D
नरपेक्ष गरीबी का मापन कैलोरी के आधार, उपभोग व्यय के आधार पर या उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के

LE
आधार पर कया जा सकता है । नरपेक्ष गरीबी को संपूणर्जा गरीबी कहते है । वकासशील दे शों में नरपेक्ष गरीबी

W
होती है ।

O
भारत में नी त आयोग ने गरीबी की नरपेक्ष अवधारणा पर बल दया है ।

KN
भारत में नधर्जानता की सामान्य स्वीकृ त प रभाषाएँ उ चत जीवन स्तर की अपेक्षा न्यूनतम जीवन स्तर को
प्रा त करने पर बल दे ती है । योजना आयोग ने गरीबी रे खा का आधार कैलोरी ऊजार्जा को माना है ।
C
PS
G
C
गरीबी का मापन

E.
भारत में नधर्जानता के मापन के नम्न दो आधार नधार्जा रत कए गए हैं –

G
D
न्यूनतम कैलोरी उपभोग

LE
प्र त व्यिक्त प्र त माह उपभोग व्यय

W
O
न्यूनतम कैलौरी उपभोग

KN
नी त आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में प्र त व्यिक्त प्र त दन 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र में प्र त व्यिक्त
प्र त दन 2100 कैलोरी का पोषण प्रा त न कर सकने वाला व्यिक्त गरीबी की रे खा के नीचे अथार्जात ् गरीब माना
C
जाता है ।
PS

जुलाई, 2014 में जारी रं गराजन स म त की सफा रशों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में प्र तव्यिक्त प्र त दन 2155
G

कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र में 2090 कैलोरी का पोषण प्रा त न कर सकने वाला व्यिक्त नधर्जान माना गया है ।
C
प्र त व्यिक्त प्र त माह उपभोग व्यय

E.
NSSO के 68वें चक्रि तथा तें दल ु कर स म त की सफा रशों के अनुसार वषर्जा 2011-12 में अ खल भारत स्तर पर

G
ग्रामीण क्षेत्रों के लए 816 रु. व शहरी क्षेत्रों के लए 1000 रुपए मा सक प्र त व्यिक्त उपभोग व्यय को गरीबी

D
रे खा माना गया है ।

LE
इसके अनुसार वषर्जा 2011-12 में ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रे खा सवार्जा धक क्रिमशः पुडुच
ं ेरी (1309) व नागालैंड

W
(1302) में थी।

O
रं गराजन स म त की सफा रशों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के लए 972 रु. मा सक (32 रु. प्र त दन) तथा

KN
शहरी क्षेत्रों के लए 1407 रुपए मा सक (47 रु. प्र त दन) प्र त व्यिक्त उपभोग व्यय को गरीबी रे खा माना
गया है । C
PS
तें दल
ु कर स म त के अनुसार 2011-12 में दे श में नधर्जानता अनुपात 21.9 प्र तशत तथा नधर्जानों की संख्या
269.8 म लयन थी।
G
C
गरीबी के कारण

E.
(1) तीव्र ग त से बढ़ती जनसंख्या

G
D
भारत की जनसंख्या तीव्र ग त से बढ़ रही है इसका कारण पछले कई सालों में जन्म दर का कम तथा जन्म

LE
दर का िस्थर बने रहना है । जनसंख्या की वृद् ध दर का िस्थर बने रहना है । बढ़ती जनसंख्या गरीबी को
बढ़ावा दे ती है । िजस ग त से जीवन-यापन के लए साधनों और सु वधाओं में वृद् ध नहीं होती,

W
प रणामस्वरूप लोगों को बेरोजगारी तथा भूखमरी का सामना करना पङता है । माल्थस बढ़ती जनसंख्या के

O
लए गरीबी को उत्तिरदायी मानते है ।

KN
(2) कीमतों में वृद् ध
C
उत्पादन में कमी तथा जनसंख्या में वृद् ध होने के कारण भारत जैसे अल्प वक सत दे शों में कीमतों में
PS
वृद् ध हो जाती है । िजसके कारण गरीब व्यिक्त और गरीब हो जाता है ।
G
C
(3) बेरोजगारी

E.
G
भारत दे श में कई प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है जैसे – मौसम बेरोजगारी, शहरी बेरोजगारी, छपी

D
बेरोजगारी आ द ये सभी बेरोजगारी गरीबी को बढ़ावा दे ती है ।

LE
(4) वकास की धीमी ग त

W
पंचवषर्षीय योजनाओं की अव ध में औसत वा षर्जाक दर में वृद् ध बहु त कम रही GDP की वकास दर 4 प्र तशत

O
होने पर भी यह लोगों के जीवन स्तर में वृद् ध करने में असफल रही। जनसंख्या में 2 प्र तशत की वृद् ध होने

KN
पर प्र त व्यिक्त आय मात्र 2.4 प्र तशत रही। प्र त व्यिक्त आय में कमी गरीबी का मुख्य कारण है ।

(5) पूँजी की अपयार्जा तता


C
PS

धारणीय वकास के लए पूँजी का स्टाॅक तथा पूंजी नमार्जाण अभी भी कम है , नम्न पूंजी नमार्जाण का अथर्जा है
कम उत्पादन क्षमता और नधर्जानता से है ।
G
C
(6) राष्ट्रीय उत्पादन की धीमी वृद् ध

E.
भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पाद जनसंख्या की तुलना में काफी कम है । इस कारण भी प्र त व्यिक्त आय में

G
कमी के कारण गरीबी बढ़ी है ।

D
LE
(7) अ शक्षा

W
गरीबी का कारण व्यिक्तयों की अज्ञानता और अ शक्षा भी है , आज प्रत्येक कायर्जा के लए न्यूनतम शै क्षक

O
योग्यता आवश्यक है । कृ ष, यां त्रकी, उद्योग, अध्ययन, आयुवर्देद आ द सभी क्षेत्रों में प्र शक्षण को महत्त्व

KN
दया जाता है । अतः गरीबी का एक महत्त्वपूणर्जा कारण अ शक्षा भी है ।

(8) सामािजक कारण C


PS
इसमें जा त व्यवस्था, संयुक्त प रवार व्यवस्था, दहे ज प्रथा, मृत्युभोज अन्य प्रकार के भोज, सामािजक
कुरी तयाँ आ द भी गरीबी लाने में महत्त्वपूणर्जा भू मका नभाती है ।
G
C
E.
(9) औद्योगीकरण

G
उत्पादन के परं परागत साधनों का स्थान मशीनों ने लया तो फैक्ट्री प्रणाली अिस्तत्व में आई। बङे-बङे

D
उद्योग स्था पत हु ए, ग्रामीण कुटीर उद्योग प्रायः नष्ट हो गए। प रणामस्वरूप जो लोग कायर्जा करके

LE
आ थर्जाक उत्पादन कर रहे थे, उनके सामने संकट खङा हो गया।

W
(10) कृ ष का पछङापन

O
भारत में कृ ष मोटे तौर पर मानसून पर आधा रत है । कभी मानसून अ त स क्रिय तो अभी अ त

KN
निष्क्रिय होने पर कृ ष उत्पादन पर असर पङता है । कृ ष की गरी हु ई दशा, संसाधनों की कमी, उन्नत
खाद, बीजों तथा संचाई सु वधाओं के अभाव भी गरीबी को बढ़ाते हैं।
C
PS
G
C
E.
गरीबी के प रणाम

G
गरीबी समाज के लए एक अ भशाप है , िजसने प्रत्येक व्यिक्त को कसी ने कसी रूप में प्रभा वत कया है ।

D
गरीबी के प रणाम नम्न ल खत है -

LE
(1) शारी रक प्रभाव

W
● गरीबी शारी रक क मयों को जन्म दे ती है । क्षय रोग को गरीबों की बीमारी माना है । लम्बी बीमारी

O
और कायर्जा न करने की क्षमता भी लोगों को गरीब बनाती है और धन के अभाव में गरीब च कत्सा की

KN
सु वधा नहीं जुटा पाते। शरीर क्षीण होना, मृत्युदर का बढ़ना, कुपोषण आ द समस्याओं का सामना
करना पङता है ।
C
(2) मान सक प्रभाव
PS

● गरीबी कुपोषण व छूत के रोगों को जन्म दे ती है , िजनका मान सक िस्थ त पर प्रभाव पङता है ।
G

इससे बौद् धक स्तर नम्न रहता है ।


C
(3) सामािजक प्रभाव

E.
G
● गरीब व्यिक्त की सामािजक प्र तष्ठा व भू मका आ द को भी प्रभा वत करती है ।

D
LE
(4) अपराधों में वृद् ध

W
● गरीबी लोगों को अपराध की ओर उन्मुख करती है । अपराध व बाल अपराध के अध्ययन से
यह तथ्य सामने आए हैं क प्रायः गरीबी लोगों को चोरी, डकैती, व सैंधमारी से जोङती है ।

O
KN
(5) पा रवा रक वघटन

गरीबी के कारण प रवार के सभी सदस्यों को काम करना पङता है । माता- पता के काम पर

C
चले जाने से बच्चों पर नयंत्रण श थल हो जाता है । सदस्यों की आवश्यकताओं की पू तर्जा
PS

नहीं होने से परस्पर तनाव, मनमुटाव और संघषर्जा की िस्थ त उत्पन्न होती है ।


G
C
E.
(6) भक्षावृ त्ति

G
● गरीबी (Garibi) भक्षावृ त्ति के लए भी उत्तिरदायी है । पयार्जा त धन व साधन नहीं होने से आ थर्जाक

D
उत्पादन का एक मागर्जा भक्षावृ त्ति को भी अपना लेते हैं।

LE
(7) दुव्यर्जासनों में वृद् ध

W
गरीबी (Poverty) के कारण लोग मान सक चन्ता एवं नराशा से ग्रस्त हो जाते हैं। इससे मुिक्त

O

पाने के लए नशा लेना प्रारं भ करते हैं।

KN
(8) बाल अपराधों में वृद् ध
C
जो नधर्जान एवं अनाथ बच्चे वो अपना पेट भर के लए चैरी, डकैती जैसा कायर्जा करने लगते है ,
PS

िजससे बाल अपराधों में वृद् ध होती है ।
G
C
E.
(9) आत्महत्याओं में वृद् ध

G
जब व्यिक्त अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पाता है एवं प रवार का भार उस पर ज्यादा हो जाता है

D

तो वह व्यिक्त नराश होकर आत्महत्या कर लेता है । गरीबी के कारण अ धकांश लोग

LE
आत्महत्या जैसी प्रवृ त्ति को अपना रहे है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
गरीबी दूर करने के उपाय

E.
(1) जनसंख्या नयंत्रण

G
D
● भारत का अनुभव यह दखाता है क जनसंख्या में वृद् ध के कारण ही राष्ट्रीय आय में वृद् ध

LE
लोगों के अच्छे जीवन स्तर के रास्ते में रुकावट है । इसी के कारण प्र त व्यिक्त आय कम बनी हु ई
है । नधर्जानता को दूर करने के लए जनसंख्या वृद् ध को कम कया जाए ता क GDP में वृद् ध का

W
प्र त बंब प्र त व्यिक्त GDP में वृद् ध के रूप में दखलाई दे ।

O
(2) GDP में वृद् ध

KN
● गरीबी की समस्या के समाधान के लए GDP में वृद् ध करना एक मूलभूत उपाय है । जब GDP
C
में वृद् ध की ग त तीव्र होती है । तब रोजगार के नए अवसर बनते है । खेतो तथा कारखानों में
PS
अ धक से अ धक मजदूरों को रोजगार उपल ध होगा।
G
C
E.
(3) आय के वतरण में सुधार

G
● राजकोषीय उपाय – सरकार प्रग तशील कर संरचना को अपनाए। इससे हमारा मतलब है धनी

D
वगर्जा की आय पर कर की ऊँची दर का लगना और गरीब वगर्जा की आय पर को कर न लगना। गरीब

LE
वगर्जा द्वारा खरीदी जाने वाले वस्तुओं में आ थर्जाक सहायता दे ना चाा हए।
● कानूनी उपाय – यहाँ कानूनी उपाय से अ भप्राय न्यूनतम मजदूरी अ ध नयम से है । िजसके

W
अनुसार मा लकों के लए यह अ नवायर्जा है क वे अपने कमर्जाचा रयों को अनुबं धत न्यूनतम

O
मजदूरी दे ।

KN
(4) कृ ष का वकास


C
गरीबी को दूर करने के लए कृ ष का वकास करने का वशेष प्रयत्न कया जाना चा हए। उन्नत
PS
बीज, संचाई के साधनों को उपल ध करना चा हए। कम्पोस्ट खाद का वशेष प्रयोग कया जाना
चा हए। छोटे कसानों को उ चत प्रकार की वत्तिीय सहायता दी जानी चा हए। भू महीन कसानों
G

को भू म दी जानी चा हए।
C
(5) कीमत स्तर में िस्थरता

E.
G
● य द कीमतों में नरं तर वृद् ध होती रहे गी तो नधर्जान लोगों का जीवन स्तर और भी नीचा होता

D
जाएगा कीमतों में िस्थरता तभी लाई जा सकती है जब खाद्य तथा अन्य आम वस्तुओं का

LE
उत्पादन बढ़ाया जाएगा।

W
(6) गरीबों की न्यूनतम आवश्यकताओं का प्रावधान

O
● सरकार को गरीबों की न्यूनतम आवश्यकताओं जैसे – पीने का पानी, प्राथ मक च कत्सा,

KN
प्राथ मक शक्षा इन सभी को संतुष्ट करने की को शश करनी चा हए। इस उद्दे श्य के लए
सावर्जाज नक क्षेत्र में अ धक से अ धक व्यय करना चा हए।
C
PS
G
C
भारत में गरीबी उन्मूलन योजनाएँ

E.
अन्त्योदय योजना –

G
● अन्त्योदय योजना की शुरूआत 1977-78 ई. को हु ई।

D
● जनता पाटर्टी सरकार द्वारा राजस्थान में गरीबों में से भी नधर्जानतम लोगों के उत्थान के लए शुरू की

LE
गई।
● िजसमें उन्हें ऋण व अनुदान दे कर आय सृजक सम्प त्तियाँ उपल ध कराई गई।

W
O
इं दरा आवास योजना –

KN
ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों में नधर्जानतम लोगों की आवास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने हे तु मई, 1985 को
इं दरा आवास योजना चलाई गई।
C
यह योजना केन्द्रि व राज्य की 75ः25 की भागीदारी से शुरू की गई थी।
PS

● इस योजना का उद्दे श्य अनुसू चत जा त और जनजा त के नधर्जान प रवारों, मुक्त कए गए बंधुआ
मजदूरों और ग्रामीण इलाकों में गरीबी की रे खा से नीचे रह रहे अन्य व्यिक्तयों को भी मुफ्त आवास
G

इकाइयाँ प्रदान करना है ।


C
वतर्जामान समय में इस योजना के दौरान ग्रामीण प रवारों को मकान बनाने के लए 45 हजार की

E.

धनरा श दी जाती है ।

G
● यह योजना का लाभ उन्हीं के लए है जो BPL राशन काडर्जा प्रयोग करते है । यह धनरा श प रवार

D
की म हला के नाम पर दी जाती है ।

LE
प्रधानमंत्री रोजगार योजना – Pradhan Mantri Rojgar Yojana

W
● 2 अक्टू बर, 1993 को केन्द्रि सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार योजना प्रारम्भ की गई।

O
● इस योजना में 18-35 वषर्जा की आयु के 8 वीं कक्षा उत्तिीणर्जा युवाओं, िजनके प रवार की समस्त स्रोतों

KN
से आय 40000 रुपये वा षर्जाक से अ धक नहीं है तथा वह उस स्थान का 3 वषर्जा से स्थायी नवासी
हो, को स्वयं का व्यापार/उद्योग या सेवा स्था पत करने हे तु एक लाख/दो लाख रु. तक का ऋण
बना समानान्तर ऋण गारन्टी के उपल ध कराया जाता है ।
C
इसमें स्वीकृ त प्रोजेक्ट का 15 प्र तशत रा श (अ धकतम 7500 रुपये) का अनुदान दया जाता है ।
PS

● यह योजना केन्द्रि सरकार द्वारा िजला उद्योग केन्द्रिों के माध्यम से संचा लत की जा रही है ।
G
C
E.
स्वणर्जा जयंती शहरी रोजगार योजना – Swarna Jayanti Shahari Rozgar Yojana

G
● श्रम जयंती शहरी रोजगार योजना की शुरूआत 1 दसम्बर, 1997 को हु ई।

D
● इसमें नेहरू योजना, शहरी, गरीबों के लए मूलभूत कायर्जाक्रिम, प्रधानमंत्री का समिन्वत शहरी

LE
गरीबी उपशमन कायर्जाक्रिम का समावेश कया गया है ।
● इसका उद्दे श्य शहरी गरीबों के उन्नयन हे तु उन्हें रोजगार प्रदान करना है ।

W
● इस योजना में 75 प्र तशत भारत सरकार व 25 प्र तशत रा श राज्य सरकार द्वारा उपल ध
करायी जाती है । इसमें शहरी गरीबों के चय नत प रवारों की म हलाओं की त्रस्तरीय

O
सामुदा यक संरचना (पङौसी समूह, प रवेश स म त एवं सामुदा यक वकास स म त) के

KN
माध्यम से म हलाओं का सशिक्तकरण कर उनकी सहभा गता व सफा रशों के आधार पर
कायर्जा कराए जाते हैं।
C
PS
G
C
E.
इस योजना के 5 मुख्य भाग हैं –

G
● शहरी स्वरोजगार कायर्जाक्रिम।

D
● शहरी मजदूरी रोजगार कायर्जाक्रिम।

LE
● शहरी म हला स्वयं सहायता कायर्जाक्रिम।
● शहरी गरीबों में स्वरोजगार को बढ़ावा दे ने हे तु कौशल प्र शक्षण दे ना।

W
● शहरी समुदाय वकास नेटवकर्जा।

O
स्वणर्जा जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना – Swarnajayanti Gram Swarozgar Yojana

KN
● स्वणर्जाजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना की शुरूआत 1 अप्रैल, 1999 को हु ई।
इस योजना का कायर्जा ग्रामीण क्षेत्रों से नधर्जानता को दूर करना है ।

C
इस योजना के अन्तगर्जात गाँव में भारी संख्या में छोटे -छोटे उद्योगों की स्थापना की जाएगी।
PS

● इनकी स्थापना के लए इन्हें ऋण और आ थर्जाक सहायता दी जाएगी।
G
C
केन्द्रि व राज्य सरकार की 75: 25 भागीदारी की इस योजना का मुख्य उद्दे श्य गरीबी रे खा से नीचे

E.

चय नत प रवारों को साख और अनुदान द्वारा आय सृजक सम्प त्तियाँ उपल ध करवाकर उन्हें

G
गरीबी रे खा से ऊपर उठाना है ।

D
● इस योजना में सामान्य वगर्जा हे तु 30 प्र तशत, अजा/अजजा के लए 50 प्र तशत की समान दर पर

LE
अनुदान दे य है ।
● अनुदान की अ धकतम सीमा-सामान्य वगर्जा 7500, अजा/अजजा के लए 10,000 हैं।

W
इस योजना में गरीबी उन्मूलन के और कायर्जाक्रिम भी जोङे गए है , जैसे –

O
KN
● एकीकृ त ग्रामीण वकास कायर्जाक्रिम।
● ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार हे तु प्र शक्षण योजना।

C
ग्रामीण दस्तकारों को उन्नत औजार- कट आपू तर्जा योजना।
ग्रामीण क्षेत्रों में म हला एवं बाल वकास कायर्जाक्रिम।
PS

● गंगा कल्याण योजना।
दस लाख कुओं की योजना।
G


C
अन्नपूणार्जा योजना – Annapurna Yojana

E.
अन्नपूणार्जा योजना केन्द्रि सरकार द्वारा अप्रैल, 2000 से प्रारं भ की गई है ।

G

इसमें असहाय वृद्ध व्यिक्त, राष्ट्रीय/राज्य वृद्धावस्था के पात्र हैं ले कन दोनों में से कोई भी पें शन

D

नहीं मल रही है उन्हें प्र त वृद्ध प्र तमाह 10 कलो गेहूं नःशुल्क दया जाता है ।

LE
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana

W
प्रधानमंत्री ग्राम सङक योजना की शुरूआत 25 दसम्बर, 2000 को हु ई।

O

ये केन्द्रि सरकार की योजना है ।

KN

● िजसका मुख्य उद्दे श्य ग्रामीण इलाकों की ऐसी बिस्तयों को, जो सङकों से जुङी हु ई नहीं है ले कन
जुङने के लए पात्र हैं, हर मौसम से सङकों से जुङने की सु वधा प्रदान करना है ।
C
● इसका न धपोषण मुख्य रूप से केन्द्रिीय सङक न ध में डीजल उपकर की प्राि तयों से कया जाता
PS
है ।
G
C
E.
अन्त्योदय अन्न योजना – Antyodaya Anna Yojana

G
● अन्त्योदय अन्न योजना की शुरूआत 6 माचर्जा, 2001 को हु ई।

D
● इसमें गरीबी रे खा से नीचे जीवन यापन करने वाले प रवारों में से नधर्जानतम प रवारों का चयन कर

LE
प्र त प रवार 35 कलो अनाज (2 रुपये प्र त कलो गेहूं और 3 रुपये प्र त कलो चावल) उपल ध
कराये जाने का प्रावधान है ।

W
सम्पूणर्जा ग्रामीण रोज़गार योजना – Sampoorna Grameen Rozgar Yojana

O
KN
● सम्पूणर्जा ग्रामीण रोजगार योजना की शुरूआत 25 सतंबर 2001 को हु ई।
● इसमें जवाहर ग्राम समृद् ध योजना व सु निश्चत ग्राम योजना का समावेश कया गया।
यह भारत सरकार व राज्य की 75ः25 के अनुपात में भागीदारी की योजना है ।

C
1 अप्रैल, 2008 से नरे गा में जोङा गया है ।
PS

● इसका उद्दे श्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य के साथ-साथ दहाङी रोजगार के अवसर बढ़ाने के लए
स्थाई सामुदा यक प रसंप त्तियों का नमार्जाण करना है ।
G
C
● इसमें समाज के कमजोर वगर्जा, वशेषकर म हलाओं, अनुसू चत जा त, अनुसू चत जनजा तयों पर

E.
वशेष ध्यान दया गया।
इसमें समाज के सभी वगर्षों को रोजगार उपल ध करवाया जाता है ।

G

D
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मशन – Rashtriya Gramin Swasthya Mission

LE
● राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मशन की शुरूआत 12 अप्रैल 2005 को हु ई।

W
● नधर्जानतम प रवारों को सुलभ स्वास्थ्य उपल ध करवाना।

O
भारत नमार्जाण योजना – Bharat Nirman Yojana

KN
● भारत नमार्जाण योजना की शुरूआत 16 दसम्बर, 2005 को हु ई।
● इसका उद्दे श्य ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत सु वधाओं तथा ग्रामीण आधा रक संरचना को सुदृढ़
C
बनाना है । इसमें कुछ क्रियाओं को शा मल कया गया है । जैसे – संचाई, सङके, घर का नमार्जाण,
PS
पानी की सु वधा आ द।
● इस कायर्जाक्रिम के घटक – गाँवों में आवास, संचाई क्षमता, पेयजल, गाँवों में सङकें, वद्युतीकरण व
G

गाँवों टे लीफोन व्यवस्था।


C
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण कायर्जाक्रिम – Jawaharlal Nehru Rashtriya Shahari

E.
Navinikaran Mission

G
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण कायर्जाक्रिम की स्थापना 2005-06 में की गई।

D

● यह कायर्जाक्रिम 6 से 7 वषर्जा के लए प्रारम्भ कया गया है ।

LE
इसके दो मुख्य घटक हैं –

W
O
1. शहरी नधर्जानों को बु नयादी सेवाएँ (BSUP) कायर्जाक्रिम।
समे कत आवास और गंदी बस्ती वकास कायर्जाक्रिम (IHSDP)।

KN
2.

BSUP दे श के 65 चुनींदा शहरों में शहरी नधर्जानों के लए आवास और आधारभूत ढाँचे की सु वधाएँ शुरू करने में
C
सहायता प्रदान करने के लए शुरू कया गया था। गंदी बस्ती उन्नयन कायर्जाक्रिम आयोिजत कर रहा है ।
PS
G
C
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना – Rashtriya Swasthya Bima Yojana

E.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरूआत 1 अक्टू बर, 2007 को हु ई।

G

इसमें असंग ठत क्षेत्र के गरीबी रे खा से नीचे की श्रेणी के सभी कामगारों और उनके प रवारों को

D

इस योजना में शा मल कया गया है ।

LE
● इस योजना में लाभानुभो गयों को स्माटर्जा काडर्जा जारी करने का भी प्रावधान है िजससे वे उपचार
आ द के लए नकदी र हत लेन-दे न कर सकें।

W
● प्र त प रवार कुल बी मत रा श 30000 रुपए प्र तवषर्जा होगी िजसमें 750 रुपए की अनुमा नत

O
वा षर्जाक प्री मयम रा श में 75 प्र तशत केन्द्रि सरकार का अंशदान होगा।

KN
● स्माटर्जा काडर्जा की लागत भी केन्द्रि सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

इं दरा गांधी वृद्धा पें शन योजना – Indira Gandhi Vridha Pension Yojana
C
PS
● इिन्दरा गाँधी वृद्धा योजना की शुरूआत 19 नवम्बर, 2007 को हु ई।
● इस योजना के तहत 65 वषर्जा से अ धक आयु के गरीब वृद्ध को 400 रुपये डाकघर या बैंक के
G

माध्यम से दये जायेंगे।


केन्द्रि व राज्य का अनुपात – 50ः50 है ।
C


महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारं टी योजना (मनरे गा) – Mahatma Gandhi Rashtriy Gramin

E.
Rojgar Guarantee Yojana (Mgnrega)

G
ग्रामीण प रवार को प्रत्येक वत्तिीय वषर्जा में कुल 100 दवस का सु निश्चत रोजगार प्रदान करने की

D

केन्द्रि प्रव तर्जात योजना है , िजसका शुभारम्भ 2 फरवरी, 2006 को आंध्रप्रदे श के अनन्तपुर िजले के

LE
नरपाला मंडल की बंदलापल्ली ग्राम पंचायत में कया गया।
योजना के प्रथम चरण में 200 िजलों व द् वतीय चरण (1 अप्रैल 2007 से) में अन्य 130 िजलों में

W

लागू की गई है ।

O
● इस योजना को 1 अप्रैल, 2008 से पूरे दे श में लागू कर दया गया है ।

KN
● केन्द्रि व राज्य का अंशदान- 90:10 है ।
● इसका मूल उद्दे श्य – ग्रामीण क्षेत्रों के अकुशल श्रम करने के इच्छुक ’प्रत्येक प रवार’ के वयस्क
सदस्यों को एक वत्तिीय वषर्जा में न्यूनतम कुल 100 दवस का गारं टीशुदा रोजगार प्रदान करना।
C
इसका अन्य उद्दे श्य – सम्पदाओं का नमार्जाण, पयार्जावरण की रक्षा, ग्रामीण म हलाओं का
PS

G
C
सशिक्तकरण, गाँवों से शहरों की ओर पलायन को रोकना ग्रामीण क्षेत्रों में प रवारों की

E.

आजी वका सुरक्षा बढ़ाना तथा सामािजक समानता सु निश्चत करना।

G
● इस योजना के क्रियान्वयन हे तु केन्द्रि द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अ ध नयम,

D
(NREGA) 2005 लागू कया गया है ।

LE
● यह योजना ऐसी पहली वकास/रोजगार योजना है िजसे कानूनी आधार प्रदान कया गया है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
बेरोजगारी

E.
बेरोजगारी (Unemployment) उस समय वद्यमान कहीं जाती है ,जब कसी व्यिक्त में कायर्जा

G

करने की क्षमता होती है और आजी वका के लए काम पाने में असमथर्जा रहता है या इसे इस तरह से

D
LE
भी समझा जा सकता है क एक शारी रक व मान सक रूप से सक्षम व्यिक्त जो काम करने का
इच्छुक है , ले कन उसे काम या रोजगार नहीं मल पाता है ।

W
● वह व्यिक्त वतर्जामान मजदूरी दर पर काम करने को तैयार है , परन्तु उसे काम नहीं मल पाता है , तो

O
उसे बेरोजगारी (Berojgari) कहते है ।

KN
● बेरोजगारी (Berojgari) दे श की एक आ थर्जाक तथा सामािजक समस्या है । िजसके अन्तगर्जात
कायर्जाशील जनसंख्या का कोई भी समूह कायर्जा करना चाहता है , कन्तु उसे कायर्जा नहीं मल पाता है ।
C
जब दे श में कायर्जा करने वाली जनशिक्त अ धक होती है और काम करने पर राजी भी होती है , परं तु
PS

उन्हें प्रच लत मजदूरी दर पर कायर्जा नहीं मल पाता है , तो इसी अवस्था को बेरोजगारी (Berojgari)
G

कहते है ।
C
तकनीकी अथर्जा – कसी भी दे श के आयु परा मड में 0-14 साल, 15-64 एवं 65+ ऐसे तीन वगर्जा होते है , 15-65

E.
इस वगर्जा को उस दे श का श्रम बल कहते है ।

G
D
श्रम बल = कायर्जा करने के इच्छुक + कायर्जा करने में सक्षम।

LE
W
इस श्रम बल में िजतने लोगों को काम मल गया है , वह कायर्जा बल है ।

O
कसी दे श का वह श्रम बल , जो कायर्जा बल में बदल नहीं सका, बेरोजगार कहलाता है ।

KN
● बेरोजगारी = श्रमबल – कायर्जाबल
C
● पूणर्जा रोजगार = श्रमबल = कायर्जाबल
PS

जब कसी दे श का पूणर्जा श्रम बल कायर्जा बल में बदला जाये तो वह पूणर्जा रोजगार कहलाता है ।
G
C
श्रम बल – श्रम बल के अंतगर्जात हमारे दे श में 15 वषर्जा से 64 वषर्जा की आयु के लोग आते है ।

E.
G
इसमें 15-64 वषर्जा की आयु के लोग जो या तो रोजगार में लगे हु ए है या फर रोजगार की तलाश में है ।

D
LE
कायर्जा बल – श्रम बल में से वे लोग िजनको रोजगार अथवा कायर्जा मल जाता है , राष्ट्र का कायर्जा बल कहलाते हैं।

W
O
बेरोजगारी की संख्या = श्रम शिक्त – रोजगार लोगों की संख्या

KN
बेरोजगारी की दर = बेरोजगारों की संख्या/श्रम शिक्त X 100
C
PS
G
C
बेरोजगारी के प्रकार

E.
ऐिच्छक बेरोजगारी

G
D
जब कोई व्यिक्त प्रच लत मजदूरी पर काम ना करना चाहता है , अथार्जात जब कसी व्यिक्त को वतर्जामान

LE
मजदूरी दर पर काम मल रहा है ले कन वह अपनी इच्छा से काम नहीं करना चाहता है , तो इसे ऐिच्छक या
स्वैिच्छक बेरोजगारी कहते हैं।

W
O
अनैिच्छक बेरोजगारी

KN
यह बेरोजगारी का सबसे वीभत्स रूप है । य द अथर्जाव्यवस्था में मजदूर प्रच लत मजदूरी पर कायर्जा करने के
लए तैयार है ले कन फर भी उसे प्रच लत मजदूरी पर उन्हें कोई काम ना मले तो ऐसे लोगों को अनैिच्छक
C
बेरोजगार कहा जाता है । इसमें श्र मकों को बना काम कए ही रहना पङता है , उन्हें थोङा काम भी नहीं मल
PS
पाता है । इसे ’खुली बेरोजगारी’ भी कहते है । बेरोजगारी से हमारा अ भप्राय अनैिच्छक बेरोजगारी से ही है ।
G
C
संरचनात्मक बेरोजगारी

E.
औद्यो गक क्षेत्रों में संरनात्मक प रवतर्जान के कारण उत्पन्न होने वाले बेरोजगारी को संरचनात्मक

G
बेरोजगारी कहते हैं। जब कसी राष्ट्र में वत्तिीय, भौ तक, और मानवीय संरचना कमजोर होती है तो

D
रोजगारों का अभाव होता है तब उस बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी कहते हैं। यह बेरोजगारी लंबे

LE
समय तक रहती है । वकासशील दे शों में संरनात्मक बेरोजगारी पाई जाती है । भारत में इसी प्रकार की
बेरोजगारी अ धक पाई जाती है ।

W
O
घषर्जाणात्मक बेरोजगारी

KN
जब कोई व्यिक्त एक रोजगार को छोङकर अपनी इच्छा से दूसरे रोजगार की ओर जाता है तो इस समय
तक वह व्यिक्त बेरोजगार होता है यानी वह व्यिक्त कुछ दनों, कुछ स ताहों, कुछ महीनों तक बेरोजगार
C
रहे गा तो इस तरह की बेरोजगारी घषर्जाणात्मक बेरोजगारी कहलाती है ।
PS
G
C
बाजार की िस्थ तयों में प रवतर्जान आने से उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी घषर्जाणात्मक बेरोजगारी कहते हैं। इसके

E.
तहत मांग और पू तर्जा को शा मल कया जाता है । इस प्रकार की बेरोजगारी अ धकतर वक सत दे शों में पाई
जाती है ।

G
D
उदाहरणस्वरूप -द् वतीय वश्व युद्ध के पश्चात ् युद्धकालीन उद्योगों की मांग में कमी आने से उद्योग बंद

LE
कर दए गए थे, िजससे उसमें लगे सारे कामगार बेरोजगार हो गए।

W
O
छपी बेरोजगारी

KN
जब कसी कायर्जा को करने में आवश्यकता से अ धक श्र मक लगे होते हैं तब इन श्र मकों की सीमांत उत्पादकता
शून्य हो जाती है , इन श्र मकों को काम से नकाल दया जाये तो भी काम के उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं
पङता है ।यानी आवश्यकता कम लोगों की है ले कन अ धक व्यिक्त काम कर रहे है । आवश्यकता से अ धक
C
लोग जो अनावश्यक ही काम कर रहे है तो ऐसे लोगों की छपी हु ई बेरोजगारी है । इसका सवर्जाप्रथम
PS

अवधारणात्मक उल्लेख जान राॅ बंसन ने कया था, मुख्यतः भारतीय कृ ष क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी व्या त
है ।
G
C
उदाहरण के तौर पर य द कसी काम के लए 50 लोगों की आवश्यकता है और इसमें 60 लोग कायर्जा कर रहे

E.
हैं तो 10 लोग फालतू है तो 10 लोगों को छपा हु आ बेरोजगार माना जाएगा।

G
चक्रिीय बेरोजगारी

D
LE
इसमें बाजार की दशा में प रवतर्जान होता है । जब अथर्जाव्यवस्था में आ थर्जाक सुस्ती, आ थर्जाक मंदी, तेजी तथा
आ थर्जाक पुनरुत्थान होता है तो उस समय चक्रिीय बेरोजगारी दे खी जाती है । जब अथर्जाव्यवस्था के चक्रि में

W
मंदी आती है , तब मंदी के कारण उत्पादन कम हो जाता है और उत्पादन पर बुरा असर पङता है , जब

O
उत्पादन कम होगा या प्रभा वत होगा तो रोजगार भी प्रभा वत होता है और रोजगार में कमी आती है तो
रोजगार में लगे हु ए लोगों को रोजगार से हटा दया जायेगा, यही चक्रिीय बेरोजगारी होती है । च क्रिय

KN
बेरोजगारी मांग व उत्पादन के व्युत्क्रिमानुपाती होती है । चक्रिीय बेरोजगारी वक सत दे शों में पायी जाती है ।

शहरी बेरोजगारी
C
PS

य द कोई व्यिक्त शहर में काम करना चाहता ले कन उसे शहर में काम नहीं मल पाता है तो इसे ही शहरी
बेरोजगारी कहते है । शहरी क्षेत्र में मुख्य रूप से औद्यो गक बेरोजगारी और श क्षत बेरोजगारी पाई जाती
G

है ।
C
ग्रामीण बेरोजगारी

E.
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से कृ ष से संबं धत बेरोजगारी पाई जाती है । ग्रामीण क्षेत्रों में अ धकतर कृ ष ही

G
लोगों का रोजगार होता है और कृ ष का कायर्जा केवल सात-आठ महीने ही होता है , बाकी के महीनों में कृ षक

D
को कोई काम नहीं होता है , उन महीनों में कृ षक बेरोजगार होता है , तो इसे ही ग्रामीण बेरोजगारी कहते है ।

LE
W
मौसमी बेरोजगारी

O
मौसमी बेरोजगारी के अंतगर्जात कसी वशेष मौसम या अव ध में प्र त वषर्जा उत्पन्न होने वाली बेरोजगारी को

KN
शा मल कया जाता है । इस प्रकार की बेरोजगारी कृ ष क्षेत्र में पाई जाती है ।

कृ ष में लगे लोगों को कृ ष की जुताई, बुवाई, कटाई आ द कायर्षों के समय तो रोजगार मलता है , ले कन जैसे
C
ही कृ ष कायर्जा खत्म हो जाता है तो कृ ष में लगे लोग बेरोजगार हो जाते है , इसे ही मौसमी बेरोजगारी कहते है ।
PS
उदाहरण के तौर पर भारत में कृ ष में सामान्यतः सात आठ महीने ही काम चलता है । शेष महीनों में लोगों
को बेरोजगार बैठना पङता है ।
G
C
श क्षत बेरोजगारी

E.
श क्षत बेरोजगार ऐसे बेरोजगार हैं , िजन्हें श क्षत करने में काफी अ धक संसाधन खचर्जा करने पङते है । कं तु

G
जब इन श क्षत लोगों को उनकी योग्यता के अनुरूप काम नहीं मल पाता है तो इसे श क्षत बेरोजगारी कहते

D
हैं। अथार्जात ् जब कसी व्यिक्त को उसकी योग्यता के आधार पर काम ना मले या फर योग्यता से कम का

LE
काम करना पङे तो उसे श क्षत बेरोजगार या अल्प रोजगार कहा जाता है ।

W
O
औद्यो गक बेरोजगारी

KN
यह बेरोजगारी सफलता का प रणाम होती है बहु धा पूंजी की कमी को प्रबंध और तीव्र प्र तयो गता के कारण
उत्पादन बंद हो जाता है तथा उद्योगों में लगे हजारों श्र मक बेरोजगार हो जाते हैं कभी-कभी श्र मकों की
C
हङताल के कारण अथवा फैिक्ट्रयों में तालाबंदी हो जाने से भी इस तरह की बेरोजगारी करती है । इसे ही
PS
औद्यो गक बेरोजगारी कहते है ।
G
C
अक्षमता बेरोजगारी

E.
जब कोई व्यिक्त शारी रक अथवा मान सक रूप से काम करने में सक्षम नहीं होता है , तब ऐसी बेरोजगारी

G
अक्षमता बेरोजगारी कहलाती है ।

D
LE
अल्प बेरोजगारी

W
जब कसी व्यिक्त को उसकी कायर्जाक्षमता के अनुसार या सरकार द्वारा बनाये गये नयमों के अनुसार कायर्जा नहीं
मल पाता है , तो इस तरह की बेरोजगारी ’अल्प बेरोजगारी’ कहलाती है । अल्प बेरोजगारी अ वक सत दे शों में

O
दे खने को मलती है ।

KN
तकनीकी बेरोजगारी C
PS
तकनीकी बेरोजगारी वह बेरोजगारी जो तकनीकी प रवतर्जान के कारण उत्पन्न होती है । आधु नक तकनीक पूँजी
प्रधान तकनीक है , पूँजी प्रधान तकनीक में श्र मकों की जगह मशीनें ले रही है , इस कारण श्र मक बेरोजगार हो
G

रहे है । इसे ही तकनीकी बेरोजगारी कहते है ।


C
बेरोजगारी का मापन

E.
भगवती स म त – भारत में बेरोजगारी को मापने के लए वषर्जा 1973 में भगवती स म त का गठन कया गया

G
था। इसके आधार पर बेरोजगारी को मापन के लए तीन तरीके बताये गये –

D
दीघर्जाका लक बेरोजगारी

LE
य द कसी वत्तिीय वषर्जा में कसी व्यिक्त को 273 दन (8 घंटे प्र त दन) रोजगार नहीं मलता है , तो वह

W
व्यिक्त दीघर्जाका लक बेरोजगारी के अंतगर्जात आता है , यानी व्यिक्त को लम्बे समय से रोजगार नहीं मल रहा है

O
तो उसे दीघर्जाका लक बेरोजगारी कहते है ।

KN
सा ता हक बेरोजगारी

सा ता हक बेरोजगारीके अंतगर्जात कसी व्यिक्त को स ताह में 1 दन (8 घंटे) का काम नहीं मलता है ।
C
PS
दै नक बेरोजगारी

कसी व्यिक्त को य द प्र त दन आधे दन (4 घंटे) का काम नहीं मलता है , तो उसे दै नक बेरोजगारी कहते है ।
G
C
बेरोजगारी के कारण

E.
1. जनसंख्या में तीव्र वृद् ध – जनसंख्या में तीव्र वृद् ध होने से बेरोजगारी बढ़ रही है । िजस तरह जनसंख्या

G
में वृद् ध हो रही है उसी तरह रोजगार में तो वृद् ध नहीं होती है इस लए अ धकांश लोग बेरोजगार है । िजससे

D
दर से जनसंख्या बढ़ रही है उस दर से रोजगार नहीं मल रहा है । साथ ही मशीनीकरण के कारण उद्योगों में

LE
मशीनों का प्रयोग होने लगा है तो श्र मकों की जगह मशीनों ने ले ली है । िजससे अ धकतर श्र मक बेरोजगार
हो रहे है ।

W
O
KN
2. पूँजी नमार्जाण की धीमी ग त – जब पूँजी नमार्जाण की ग त धीमी होगी तो भी बेरोजगारी बढ़ती है । पूँजी
नमार्जाण की धीमी ग त के कारण उद्योगों व सेवाओं का वस्तार भी धीमी ग त से होता है । िजससे श्र मकों के
रोजगार में कम होगी िजससे श्र मक बेरोजगार हो जायेगे।
C
PS

3. नयोजन में दोष – िजस प्रकार का नयोजन का कायर्जा होना चा हए था , उस प्रकार का सरकार ने नयोजन
का कायर्जा नहीं कया िजससे भी बेरोजगारी बढ़ी है । नयोजन के त्रु टपूणर्जा होने से रोजगारमूलक नी त का
G

प्र तपादन नहीं हो रहा है ।


C
4. धीमा आ थर्जाक वकास – दे श में आ थर्जाक वकास की ग त धीमी होगी तो भी बेरोजगारी (Unemployment)

E.
बढ़े गी।

G
5. प्राकृ तक आपदाएं – प्राकृ तक आपदाएँ जैसे – अकाल, बाढ़ आ द के कारण कसानों की फसल खराब हो जाती

D
है िजससे उत्पादन में कमी होती है , अगर उत्पादन कम होगा तो उससे रोजगार भी प्रभा वत होता है । उत्पादन

LE
की कमी के कारण रोजगार में लगे हु ए लोगों को हटा दया जायेगा िजससे लोग बेरोजगार हो जायेगे।

W
6. कुटीर उद्योगों का अल्प वकास – अगर दे श में कुटीर उद्योगों का वकास नहीं होगा तो श्र मकों को रोजगार

O
नहीं मलेगा तो भी श्र मक बेरोजगार हो जाते है ।

KN
7. यन्त्रीकरण एवं अ भनवीकरण – वकासशील दे शों में यन्त्रीकरण एवं अ भनवीकरण बढ़ रहा है , दे श में
स्वचा लत मशीन लगाई जा रही है , कृ ष में यन्त्रीकरण का वस्तार हो रहा है , इनका प रणाम है क उत्पादन
C
प्र क्रिया में जनशिक्त का स्थान मशीनें ले रही है , कं तु रोजगार के वैकिल्पक अवसर उत्पन्न नहीं हो रहे है
PS
िजससे लोग बेरोजगार हो रहे है ।
G
C
भारत में कृ ष का इ तहास, महत्व, प्रमुख फसलें एवं वशेषताएँ

E.
भारतीय अथर्जाव्यवस्था में कृ ष का महत्व: फसल या सस्य कसी समय-चक्रि के अनुसार वनस्प तयों या वृक्षों

G
पर मानवों व पालतू पशुओं के उपभोग के लए उगाकर काटी या तोड़ी जाने वाली पैदावार को कहते हैं।

D
जब से कृ ष का आ वष्कार हु आ है बहु त से मानवों के जीवनक्रिम में फ़सलों का बड़ा महत्व रहा है ।

LE
कृ ष भारत की अथर्जाव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है । कृ ष क्षेत्रों में लगभग 64% श्र मकों को रोज़गार मला

W
हु आ है । 1950-51 में कुल घरे लू उत्पाद में कृ ष का हस्सा 59.2% था जो घटकर 1982-83 में 36.4% और
1990-91 में 34.9% तथा 2001-2002 में 25% रह गया। यह 2006-07 की अव ध के दौरान औसत आधार पर

O
घटकर 18.5% रह गया।

KN
C
PS
G
C
कृ ष राज्य सूची का वषय है

E.
G
स्वामीनाथन साहब का मानना है क कृ ष को समवतर्षी सूची के अधीन शा मल की जानी चा हए

D
भारत में कृ ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से 55% जनसंख्या नभर्जार है और

LE
W
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से 60 प्र तशत जनसंख्या कृ ष पर नभर्जार है अथार्जात कृ ष सबसे ज्यादा
रोजगार प्रदान करती है

O
KN
1951 में कृ ष का जीडीपी में योगदान 52% था कं तु वतर्जामान में इसका योगदान लगभग 18% के आसपास
मशीनीकरण का अभाव मानसून पर व्यापक नभर्जारता मानसून पर हो गया है
C
आयात नयार्जात में कृ ष का महत्वपूणर्जा योगदान है
PS

वतर्जामान में कृ ष का मशीनीकरण मात्र 40% का


G
C
भारतीय कृ ष का लगभग 45% से क्षेत्र सं चत है , जब क शेष क्षेत्रफल मानसून पर नभर्जार है

E.
G
खाद्यान्न फसलों का कुल उत्पादन में योगदान लगभग 60 से 65% है अथार्जात दो तहाई है , जब क नगदी

D
फसलों का कुल उत्पादन में योगदान मात्र 35 से 40%

LE
भारत सरकार कृ ष अनुसंधान और वकास में जीडीपी का केवल 0.4 0% खचर्जा करता है

W
O
भारत में व वध प्रकार की फसलें व वध ऋतुओं में उत्पा दत होती है । यहां मुख्यतया 3 फसली ऋतुएं

KN
मलती हैं:-

1. खरीफ की फ़सल C
2. रबी की फ़सल
PS
3. जायद की फ़सल
G
C
1. रबी की फ़सल

E.
शीत ऋतु की फसलें रबी कहलाती है । इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क

G
और गमर्जा वातावरण की आवश्यकता होती है ।

D
ये फसलें सामान्यतः अक्तूबर-नवम्बर के म हनों में बोई जाती हैं।

LE
● रबी फ़सल का पौधा लगाने का समयः अक्टू बर से दसम्बर।
● रबी फसल की कटाई का समयः फरवरी से अप्रैल।

W
● रबी की प्रमुख फसलें: गेहूं, जौ, जई, मटर, चना, सरसों, बरसीम, आलू, मसूरआ द।

O
2. ख़रीफ़ की फ़सल

KN
वषार्जा ऋतु की फसलें खरीफ कहलाती हैं। इन फसलों को बोते समय अ धक तापमान एवं आद्रिर्जा ता तथा पकते
समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है । उत्तिर भारत में इनको जून-जुलाई में बोते हैं और इन्हें अक्टू बर
के आसपास काटा जाता है ।
C
PS
● ख़रीफ़ फ़सल का पौधा लगाने का समयः मई से जुलाई
● खरीफ फसल की कटाई का समयः सतम्बर से अक्टू बर
G
C
● खरीफ की प्रमुख फसलें: ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, मूंग, सोयाबीन, लो बया, मूंगफली, कपास, जूट,

E.
गन्ना, तम्बाकू, आ द।

G
3. ज़ायद की फ़सल

D
LE
खरीफ और रबी की फसलों के बाद संपूणर्जा वषर्जा में कृ त्रम संचाई के माध्यम से कुछ क्षेत्रें में जायद की फसल
उगाई जाती है ।

W
O
इस वगर्जा की फसलों में तेज गमर्षी और शुष्क हवाएँ सहन करने की अच्छी क्षमता होती हैं।

KN
उत्तिर भारत में ये फसलें मूख्यतः माचर्जा-अप्रैल में बोई जाती हैं।इसे दो श्रेणी में रखा जाता है िजसे ता लका से
समझा जा सकता है ।जायद खरीफ: C
बीज लगाने का समयः अगस्त से सतम्बर
PS

● फसलों की कटाई का समयः दसंबर से जनवरी
प्रमुख फसलें: धान, ज्वार, रे सीड, कपास, तलहन, आ द।
G


C
E.
व्यापा रक फसलें - वे फसलें िजन्हें उगाने का मुख्य उद्दे श्य व्यापार करके धन अिजर्जात करना होता है ।

G
िजसे कसान या तो संपूणर्जा रूप से बेच दे ते हैं या फर आं शक रूप से उपयोग करते है तथा शेष बड़ा हस्सा बेच

D
दे ते हैं।

LE
W
O
मुख्य व्यापा रक फसलें इस प्रकार हैं:-

KN
● तलहन: मूंगफली, सरसों, तल, अलसी, अण्डी, सूयमर्जा ुखी।
● शकर्जारा वाली फसलें: गन्ना, चुकन्दर।
C
● रे शे वाली फसलें: जूट, मेस्टा, सनई और कपास।
PS
● उद्दीपक फसलें: तम्बाकू।
● पेय फसलें: चाय और कहवा।
G
C
E.
भारतीय कृ ष की वशेषताएँ

G
● भारतीय कृ ष का अ धकांश भाग सचाई के लए मानसून पर नभर्जार करता है ।

D
● भारतीय कृ ष की महत्त्वपूणर्जा वशेषता जोत इकाइयों की अ धकता एवं उनके आकार का कम होना है ।

LE
● भारतीय कृ ष में जोत के अन्तगर्जात कुल क्षेत्रफल खण्डों में वभक्त है तथा सभी खण्ड दूरी पर िस्थत हैं

W

O
● भू म पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जनसंख्या का अ धक भार है ।

KN
● कृ ष उत्पादन मुख्यतया प्रकृ त पर नभर्जार रहता है ।
● भारतीय कृ षक ग़रीबी के कारण खेती में पूँजी नवेश कम करता है ।
C
● खाद्यान्न उत्पादन को प्राथ मकता दी जाती है ।
PS

● कृ ष जी वकोपाजर्जान की साधन मानी जाती हें


भारतीय कृ ष में अ धकांश कृ ष कायर्जा पशुओं पर नभर्जार करता है ।
G


C
भारतीय कृ ष के समक्ष चुनौ तया

E.
सीमांत जोत

G

जोत का छोटा आकार

D

❖ बीजों का नम्न गुणवत्तिा

LE
❖ कीट और बीमा रयों का कम नयंत्रण
संचाई की अपयार्जा त सु वधा

W

❖ मानसून पर व्यापक नभर्जारता

O
❖ वपणन सु वधाओं का अभाव

KN
❖ बाजार पहुं च का अभाव
❖ सूचनाओं और मौसम पूवार्जानुमान तकनीकों की कमी
❖ कसानों की वत्ति एवं ऋण पहुं च का अभाव
C
❖ कसानों में शक्षा का अभाव
PS
❖ सरकारी नी तयों का प्रभाव हीन क्रियान्वयन
❖ कृ ष ऋण के क्षेत्रीय वतरण में भी असमानता
G

❖ जलवायु प रवतर्जान
C
“Subsistence Farming | नवार्जाह कृ ष’’

E.
G
इस प्रकार की कृ ष में , कसान केवल जी वत रहने के लए पयार्जा त भोजन उगाने के लए कड़ी मेहनत

D
करता हैं।और, इस प्रकार की खेती में उपज की खपत,मुख्य रूप से कसान और उसके प रवार द्वारा की

LE
जाती है ,इसी लए बाजार में बेचने के लए कसान के पास कोई अ धशेष नहीं होते है

W
O
KN
Mixed Cultivation | म श्रत खेती’’

C
कृ ष और दे हाती खेती के मश्रण को म श्रत खेती कहा जाता है और, इस प्रकार की खेती में , फसलों की
PS

खेती और जानवरों के पालन-पोषण,एक ही खेत में एक साथ कए जाते हैं।


G
C
Shifting Farming | स्थानांतरण की खेती”

E.
G
● यह कृ ष का एक आ दम रूप है , िजसमें कुछ वषर्षों के लए भू म की एक भूखंड में खेती की जाती है

D
और, फर उसे उजाड़ दया जाता है ।

LE
● खेती की इस स्थानांतरण तथा बनर्जा व ध प्र क्रिया को,भारत के उत्तिर-पूवर्षी हस्से के जंगलों में पाया

W
जाता है ।

O
● जहां पर खेती के लए भू म का एक भूखंड को साफ कया जाता है , और, उसमे खेती की जाती है ,

KN
● और, जैसे ही खेती की उपज के दो या तीन साल हो जाता है , तो उस भू म से खेती करने की
कायर्जाक्षमता कम हो जाती है ,िजसके कारन उस भूखंड को छोड़ दया जाता है , इसी लए इसे
C
स्थानांतरण की खेती कहा जाता है ।
PS
G
C
E.
वा णिज्यक कृ ष
● वा णिज्यक कृ ष का प्रचलन व्यापक पैमाने पर फसलों को दूसरे दे शों में

G
D
नयार्जात करने एवं दे श के वदे शी मुद्रिा भंडार को बढ़ाने की दृिष्ट से

LE
उत्पा दत करने हे तु कया जाता है ।

W
● इस प्रकार की खेती अ धकांशतः वरल आबादी वाले क्षेत्रों में की जाती है ।

O
● यह मुख्य रूप से गुजरात, पंजाब, ह रयाणा एवं महाराष्ट्र में प्रच लत है ।

KN
● उदाहरण: गेहूं, कपास, गन्ना, मक्का इत्या द।
C
PS
G
C
Intensive Cultivation | गहन कृ ष”

E.
G
● इस तरह की खेती प्रणाली में कृ षक अपेक्षाकृ त,छोटे क्षेत्र में बड़ी मात्रा में श्रम और पूंजी का उपयोग

D
करता है ।यह खेती उन दे शों में की जाती है ,जहां पर जनसंख्या का आकार बड़ा होता है ,ले कन, भू म की

LE
मात्रा कम होती है ,और, वहां पर ही इस प्रकार की खेती की जाती है ,िजसे गहन कृ ष कहा जाता है ।और,
जनसंख्या की बड़ते आकार के लए भोजन की मांग के कारन ही,

W
इस प्रकार की खेती में सालाना दो या तीन फसलें ही उगाई जाती हैं।

O

KN
C
PS
G
C
भारत में कृ ष से सम्बं धत क्रिां त | Agriculture Revolutions In India

E.
ह रत क्रिां त (Green revolution)

G
कृ ष क्षेत्र में ह रत क्रिां त भारत की पहली क्रिां त हैं। आजादी के बाद 1960 में जब भारत में अकाल की िस्थ त हो

D
गई थी। इस समस्या से नपटने के लए दे श में कृ ष उत्पादन को बढ़ाने के लए एक नी त लागू की गई, िजसे

LE
‘ह रत क्रिां त’ कहा जाता है । इस क्रिां त में पारं प रक बीजों के स्थान पर उन्नत कस्म के बीजों के प्रयोग को
बढ़ावा दया गया।

W
ह रत क्रिां त (Green revolution) पर एक नजर

O
● डॉ. नॉरमन बोरलॉग ह रत क्रिां त के जनक

KN
● भारत में डॉ. एमएस स्वामीनाथ ह रत क्रिां त के जनक


C
खाद्यान्न उत्पादन से है ह रत क्रिां त का संबंध
PS

● हर त क्रिां त के कारण गेहूं और धान की पैदावार में अच्छी वृद् ध


G

● भारत में भुखमरी की समस्या को दूर करने हे तु ह रत क्रिां त शुरू की गई


C
Green Revolution की वशेषताएं

E.
G
● सभी की सबसे प्रभावी वशेषता भारतीय कृ ष में HYV बीजों की शुरुआत थी।

D
● धाराप्रवाह संचाई सु वधाओं वाले क्षेत्रों में बीज अत्य धक प्रभावी सा बत हु ए, इस प्रकार, पहला चरण

LE
पंजाब और त मलनाडु पर कें द्रित था।
● योजना के दूसरे चरण में , अन्य राज्यों को भी शा मल कया गया था और गेहूं के अलावा व भन्न फसलों

W
के लए बीज का उपयोग कया गया था।

O
● Green Revolution ने एक अंतदर्दे शीय संचाई प्रणाली का उपयोग शुरू कया क्यों क दे श केवल अपनी
पानी की जरूरतों के लए मानसून पर नभर्जार नहीं हो सकता है ।

KN
● योजना में मुख्य रूप से खाद्यान्न जैसे गेहूं, चावल आ द के उत्पादन पर ध्यान कें द्रित कया गया था
और जूट, कपास, तलहन आ द जैसे व्यावसा यक फसलों को योजना से प्र तबं धत कया गया था।
C
● इसने कसी भी तरह के प्राकृ तक नुकसान से बचने के लए कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों के
PS
उपयोग को सी मत करते हु ए उवर्जारकों और खादों के उपयोग को बढ़ावा दया।
● तकनीकी रूप से उन्नत मशीन जैसे ट्रै क्टर, ड्रिल, हावर्देस्टर आ द का उपयोग लागू कया गया।
G
C
श्वेत क्रिां त (white revolution)

E.
श्वेत क्रिां त को ‘दुग्ध क्रिां त’ के नाम से भी जाना जाता है । इसका उद्दे श्य दूध की कमी को दूर करना है ।

G
इसकी शुरुआत 1970 में की गई है । श्वेत क्रिां त के अंतगर्जात दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, खुदरा बक्रिी और

D
पशुधन के वकास पर काम कया जाता है ।

LE
भारत में ‘दुग्ध क्रिां त’ के जनक वगर्षीज कु रयन हैं। उन्होंने दूध की कमी से जूझने वाले दे श को दु नया का
सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला दे श बनाने में अहम भू मका नभाई है ।

W
श्वेत क्रिां त (white revolution) पर एक नजर

O
● ग्रामीण अथर्जाव्यवस्था को सुदृढ़ करने में कृ ष के बाद डेयरी उद्योग की प्रमुख भू मका

KN
● श्वेत क्रिां त का संबंध दुग्ध उत्पादन से है


C
दुग्ध क्रिां त को ‘ऑपरे शन फ्लड’ भी कहा जाता है
PS

● दूध उत्पादन में भारत का स्थान प्रथम है


G

● वश्व दुग्ध उत्पादन में भारत की 17 प्र तशत हस्सेदारी है


C
E.
पीली क्रिां त(yellow revolution)
‘पीली क्रिां त’ का संबंध तलहन उत्पादन है । इससे भारत में खाद्य तेलों और तलहन उत्पादन में काफी

G
बढ़ोतरी हु ई है ।

D
LE
W
पीली क्रिां त(yellow revolution) पर एक नजर
1980 के दशक में पीली क्रिां त की शुरूआत हु ई थी

O

KN
● पीली क्रिां त के फलस्वरुप भारत के तलहन उत्पादन में महत्वपूणर्जा उपलि ध प्रा त की है

● तलहन में सरसों,सोयाबीन,सूरजमुखी,अरण्डी,अलसी,कुसुम्ब,मूंगफली और तल शा मल है ।


C
PS
G
C
E.
नीली क्रिां त(blue revolution)
‘नीली क्रिां त’ कसानों की आय दुगुनी करने करने के लए मछली और समुद्रिी उत्पादों को पकड़ने के कामों को

G
प्रोत्सा हत करना है ।

D
इसकी शुरुआत सातवीं पंचवषर्षीय योजना में की गई थी। इस क्रिां त के तहत मत्स्य प्रजनन, पालन, वपणन

LE
और नयार्जात को बढ़ावा दया जाता है ।

W
O
नीली क्रिां त(blue revolution) पर एक नजर

KN
● भारत में इसकी शुरुआत सातवीं पंचवषर्षीय योजना से हु ई थी

नीली क्रिां त का उद्दे श्य भारत के अंतक्षर्देत्र में मछली उत्पादन को बढ़ाना है

C
PS
● मत्स्यपालन उद्योग प्र तवषर्जा औसतन 9 प्र तशत की दर से बढ़ रहा है
G
C
भूरी क्रिां त (brown revolution)

E.
‘भूरी क्रिां त’ का संबंध उवर्जारक से है । इसके अलावा इसका संबंध मट्टी की गुणवत्तिा और उवर्जारता बढ़ाने से है ।

G
D
लाल क्रिां त(red revolution)

LE
‘लाल क्रिां त’ का संबंध टमाटर और मांस उत्पादन से है । इसका मुख्य उद्दे श्य कम जमीन वाले छोटे कसानों

W
को आजी वका प्रदान करना है ।

O
गुलाबी क्रिां त (pink revolution)

KN
झींगा मछली उत्पादन में वृद् ध के लए ‘गुलाबी क्रिां त’ शुरू की गई है । भारत वश्व का सबसे बड़ा झींगा
मछली नयार्जातक दे श है ।
C
PS
गोल क्रिां त (gol kraanti)
G

‘गोल क्रिां त’ का संबंध आलू उत्पादन से है । भारत वश्व का सबसे बड़ा उत्पादक दे श है । इसमें दे श में आलू के
उत्पादन, वपणन और संवधर्जान जैसे वषय शा मल है ।
C
सुनहरी क्रिां त (golden revolution)

E.
G
‘सुनहरी क्रिां त’ का संबंध फल उत्पादन से है ।

D
राष्ट्रीय बागवानी मशन 2005-06 में फलों के बगीचे, बीजों के वकास के लए शुरू कया गया था।

LE
इस क्रिां त के फलस्वरूप दे श में फलों के उत्पादन में काफी वृद् ध दे खने को मली है ।

W
O
KN
C
PS
G
C
भारत में व भन्न क्रिां तयों के जनक इस प्रकार है -

E.
1. भारत में ह रत क्रिां त का जनक: M.S. स्वामीनाथन

G
2. वश्व में ह रत क्रिां त का पता: नामर्जान बोरलोग

D
3. भारत में नीली क्रिां त जनक: अरुण कृ ष्णन

LE
4. भारत में श्वेत क्रिां त का जनक: डॉ वगर्षीज कु रयन

W
5. भारत में गुलाबी क्रिां त का जनक: दुगर्देश पटे ल

O
7. भारत में स्व णर्जाम क्रिां त का जनक: नपर्जाख तुतज

KN
8. भारत में लाल क्रिां त का जनक: वशाल तवारी
9. भारत में सल्वर क्रिां त का जनक: इं दरा गाँधी
C
PS
G
C
जोतो के प्रकार

E.
G
D
सीमांत जोत - 1 हे क्टे यर से कम भू म ( 67% कसानों के पास )

LE
छोटे जोत - 1 से 2 हे क्टे यर की भू म ( कुल 18% कसानों के पास )

W
अधर्जा माध्यम जोत - 2 से 4 हे क्टे यर कृ ष भू म - ( लगभग 10.12% कसानों के पास )

O
KN
मध्यम जोत- 4 से 10 हे क्टे यर कृ ष भू म ( लगभग 4.25% कसानों के पास )
C
बड़े जोत - 10 हे क्टे यर से अ धक कृ ष भू म ( 0.73 प्र तशत कसानों के पास )
PS
G
C
भारतीय कृ ष का महत्व (Importance of Indian agriculture)

E.
भारतीय अथर्जाव्यवस्था में कृ ष के महत्व और योगदान को नम्न ल खत तथ्यों के माध्यम से समझा जा

G
सकता है .

D
LE
राष्ट्रीय आय में योगदान-

भारतीय कृ ष हमेशा से ही राष्ट्रीय आय का बहु त बड़ा भाग रही है .

W
O
केन्द्रिीय सांिख्यकी संगठन द्वारा जारी कये गये आंकड़ो के अनुसार वषर्जा 1950-51 में कृ ष एवं उसकी सहायक

KN
क्रियाओं जैसे वा नकी, लकड़ी काटना, पशुपालन, मछली पालन, खनन, मुगर्षी पालन आ द का राष्ट्रीय आय में
योगदान 59.2 प्र तशत था.
C
जो सन 2012-13 में घटकर (2004-05 के िस्थर मूल्यों पर) 13.7 प्र तशत हो गया. फर भी अन्य वक सत
PS
दे शों के मुकाबले आज भी कृ ष, जीडीपी में काफी अ धक योगदान दे रही है .
G
C
रोजगार उपल ध करवाना

E.
भारतीय कायर्जाकारी जनसंख्या का बहु त बड़ा भाग आज भी कृ ष और उसकी सहायक क्रियाओं पर आ श्रत है .

G
D
कृ ष प्रत्यक्ष रूप से खेती करना, फसल कटाई, छटाई, संचाई कायर्जा आ द में रोजगार तथा पशुपालन, मत्स्य

LE
पालन, मुगर्षीपालन, वा नकी, खाद्य प्रसंस्करण, फल सि जयों को बक्रिी हे तु तैयार करना, पशुचारा तैयार
करना, खली तैयार करना आ द कायर्षों में अनेक गैर कृ ष लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करती है

W
O
KN
C
PS
G
C
E.
अंतरार्जाष्ट्रीय व्यापार में योगदान

G
कृ ष का वदे शी व्यापार की दृिष्ट से भी काफी महत्व है . हम कई प्रकार के कृ षगत पदाथर्षों के आयात एवं

D
नयार्जात करते है .

LE
भारत से नयार्जात की जाने वाली वस्तुओं में चाय, गमर्जा मसालें, कॉफी, चावल, कपास, तम्बाकू, काजू, फल,

W
सि जयाँ, फलों का रस, सामु द्रिक पदाथर्जा, चीनी तथा माँस और माँस से बने हु ए पदाथर्जा मुख्य कृ षगत वस्तुएँ
है .

O
KN
वतर्जामान में कुल नयार्जात में कृ ष तथा उसके सम्बन्ध क्षेत्र का योगदान लगभग 12.5 प्र तशत है .

C
PS
G
C
औद्यो गक वकास में योगदान–

E.
औद्यो गक वकास में कृ ष का योगदान दो तरह से होता है .

G
D
1. पहला कृ ष हमारे प्रमुख उद्योगों के लए कच्चा माल उपल ध करवाती है . जैसे सूती वस्त्र उद्योग

LE
के लए कपास, पटसन उद्योग के लए जूट, चीनी उद्योग के लए गन्ना व चुकंदर, बागानी
उद्योगों के लए फल, सि जयां, वनस्प त तेल उद्योगों के लए तलहन आ द. कुछ दवाइयों के

W
लए भी कृ ष उत्पाद काम में लए जाते है और आयुवर्दे दक औष धयाँ तो अ धकांशतः कृ ष उत्पादों
पर ही नभर्जार होती है .

O
दूसरा उद्योगों द्वारा न मर्जात माल के लए कृ ष बाजार उपल ध करवाती है , जैसे ट्रे क्टर-ट्राली

KN
2.
उद्योग, कृ ष उपकरण उद्योग, रासाय नक उवर्जारक उद्योग, कीटनाशक दवाई उद्योग, बीज
उद्योग, पौधशाला आ द सभी वस्तुएं बेचने के लए कृ ष पर ही नभर्जार है .
C
PS
G
C
खाद्यान्न व चारा आपू तर्जा में योगदान

E.
G
दे श की जनसंख्या एवं पशुओं के लए खाद्यान्न एवं चारे की व्यवस्था कृ ष के माध्यम से ही होती है .

D
नधर्जानता उन्मूलन में योगदान

LE
दे श की बढ़ती जनसंख्या के लए रोजगार एवं आय की व्यवस्था, कृ ष एवं उसकी सहायक क्रियाओं में

W
सुधार करके सरलता से की जा सकती है और दे श में नधर्जानता के प्रसार को रोका जा सकता है .

O
KN
C
PS
G
C
भारत में भू म/कृ ष सुधार कायर्जाक्रिम (land reform programmes in india)

E.
कृ षगत उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने तथा कसानों की आ थर्जाक दशा सुधारने के लए स्वतंत्रता प्राि त

G
के पश्चात भू म सुधार कायर्जाक्रिमों पर बल दया गया. िजसके अ त रक्त नम्न भू सुधार कायर्षों का भी

D
क्रियान्वयन कया गया.

LE
● मध्यस्थों की समाि त

W
● लगान नयमन

O
● भू धारण की सुरक्षा
काश्तकारों को भू स्वामी बनने का अ धकार दलाना

KN

● जोतों की सीमा का नधार्जारण
● चकबंदी C
● सहकारी खेती
PS
● भू महीन मजदूरों को भू म वतरण
● अनुसू चत जा त तथा जनजा त के काश्तकारों की भू म को अन्य जा तयों के हस्तान्तरण पर रोक.
G
C
भारतीय कृ ष में संचाई की व्यवस्था (Types of Irrigation Systems in India)

E.
भारतीय कृ ष को मानसून का जुआ कहा जाता है . वषार्जा पर नभर्जार रहने के कारण कृ ष में सदै व अ निश्चनता

G
तथा अिस्थरता बनी रहती है . िजसे ध्यान में रखकर स्वतंत्रता प्राि त के पश्चात से ही भारत में संचाई

D
सु वधाओं के वस्तार पर वशेष ध्यान दया गया. भारत में संचाई के प्रमुख स्रोत नहर, कँु ए, चड़स व

LE
तालाब आ द है .

W
भारत सरकार द्वारा योजनाकाल में संचाई सु वधाओं के लए व भन्न प रयोजनाओं का क्रियान्वयन

O
कया गया है . संचाई प रयोजना को तीन भागों में बांटा गया है .

KN
1. लघु संचाई प रयोजनाएँ (Small irrigation projects)– ये 2000 है क्टे यर तक कृ ष योग्य कमांड
क्षेत्र वाली प रयोजनाएँ होती है .
C
2. मध्यम संचाई प रयोजनाएं (Medium irrigation projects)-ये 2,000 है क्टे यर से अ धक कन्तु
PS
10,000 है क्टे यर तक कृ ष योग्य कमांड क्षेत्र वाली प रयोजनाएँ है .
3. वृहत संचाई प रयोजनाएँ (Large irrigation projects)-ये 10,000 है क्टे यर से अ धक कृ ष योग्य
G

कमांड क्षेत्र वाली प रयोजनाएँ होती है .


C
भारतीय कृ ष जोतों का पुनगर्जाठन (land reforms in Indian Agriculture )

E.
भारत में जोतों का आकार बहु त छोटा है , साथ ही जोते दूर दूर तथा बखरी हु ई है . इसका मुख्य कारण

G
उतरा धकारी नयम के अनुसार पैतक ृ भू म का बंटवारा है , िजसे उप वभाजन कहा जाता है .

D
LE
इससें खेतों का आकार छोटा होता जाता है . दूसरा प्रत्येक कसान के अधीन आने वाकई जोते एक स्थान पर न
होकर दूर दूर तक बखरी हु ई है . िजसे अपखंडन कहा जाता है , क्यों क प्रत्येक उतरा धकारी भू म की प्रत्येक

W
कस्म में से हस्सा प्रा त करता है .

O
भारत में प्रथम कृ षगत संगणना के अनुसार वषर्जा 1970-71 में कृ ष जोत का आकार 2.28 है क्टे यर था जो

KN
2000-01 में घटकर 1.33 हो गया है . कृ ष जोतों को आकार के आधार पर पांच भागों में बांटा गया है .

सीमान्त जोत – 1 है क्टे यर से कम


1.
C
लघु जोत- 1 से 2 है क्टे यर
PS
2.
3. अद्र्जाध मध्यम जोत- 2 से 4 है क्टे यर
मध्यम जोत- 4 से 10 है क्टे यर
G

4.
दीघर्जा जोत- 10 व उससे अ धक है क्टे यर
C

5.
भारत में कृ ष की समस्या Agriculture Problems In India )

E.
भारत एक कृ ष प्रधान दे श है . दे श की अ धकाश जनसंख्या के रोजगार तथा आय का मुख्य स्रोत कृ ष है .

G
दे श में कृ ष अथर्जाव्यवस्था का मुख्य आधार स्तम्भ है . इसके बावजूद भारत में कृ ष की दशा सन्तोषजनक

D
नही है . आज कृ ष के क्षेत्र में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है . कसानों की समस्या और

LE
समाधान उनकी दशा के बारे में सरकार कुछ कदम उठाकर भारत में कृ ष की दशा को सुधार सकती है .

W
प्राकृ तक आपदाएं (natural disasters)

O
भारतीय कृ ष मानसून का जुआ है . वषार्जा की अ नय मतता तथा अ निश्चनता सदै व बनी रहती है . कृ ष को

KN
सूखा, बाढ़, पाला, चक्रिवात, तेज आँ धयों का सदै व भय बना रहता है .

इसके अ त रक्त मृदा अपरदन, मरुस्थल प्रसार, भू म की उवर्जारकता की क्ष त, सेम की समस्या, क्षारीयता,
C
कीड़ो का प्रकोप, बीमा रयों आ द से भी कृ ष क्षेत्र में भारी हा न होती है .
PS
G
C
जोतो का छोटा आकार

E.
भारतीय कृ ष में पछड़ेपन का मुख्य कारण जोतो का छोटा आकार है . इस कारण इन पर उन्नत कृ ष तकनीक

G
का प्रयोग कर पाना संभव नही है .

D
LE
दूसरा जोतों बखरी हु ई होने के कारण उसका बहु त बड़ा भाग मेडबंदी में चला जाता है और प्रत्येक जोत पर कृ षक
उ चत ध्यान व तकनीक उपयोग में नही ला पाता है इससे उत्पादकता में कमी आती है .

W
O
कृ ष वत्ति का अभाव

KN
फसल बोने से काटकर बाजार में बेचने तक कसानों को कृ ष कायर्जा तथा जीवन नवार्जाह हे तु वत्ति की अत्यंत
आवश्यकता होती है . खाद बीज, कीटनाशक, उपकरण बजली का बल, मजदूरी का भुगतान करने के लए
C
कसानों को स्थानीय साहु कारो, महाजनों तथा व्यापा रयों से उधार लेना पड़ता है .
PS

जो उनसे ऊँची याज दरे वसूल करते है . तथा कसानो को अपनी उपज जबरन उसे बेचने के लए बाध्य करते है
तथा उपज का उ चत मूल्य भी नही दे ते है . इस लए कृ षक सदै व अभाव में ही जीवन यापन करता है . इससे कृ ष
G

की उत्पादकता प्रभा वत होती है .


C
कृ ष आगतों का अभाव

E.
कसानों के पास उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक अच्छे औजार आ द की अपयार्जा तता एवं अभाव बना रहता है .

G
अच्छे बीजों एवं तकनीक के अभाव में उत्पादन कम हो पाता है . खाद तथा कीटनाशकों के अभाव में फसल

D
खराब हो जाती है .

LE
संचाई सु वधाओं का अभाव

W
भारतीय कृ ष सचाई के लए वषार्जा पर नभर्जार है क्यो कं यहाँ कृ त्रम संचाई सु वधाओं का अभाव है तथा जो

O
उपल ध है , उनमे भारी क्षेत्रीय असंतुलन पाया जाता है .

KN
तालाबों बाव रयों पोखरों जोहड़ो आ द का अ नयोिजत वदोहन तथा रख रखाव के अभाव में धीरे धीरे
अनुपयोगी होते चले गये है .िजनकी जगह ट्यूबवेल व नलकूपों के अत्य धक प्रयोग के कारण भूजल स्तर बहु त
C
नीचे चला गया है . संचाई के अभाव में य द वषार्जा समय पर नही हो पाती है तो फसलों को भारी नुकसान होता है .
PS
G
C
भू म की उवर्जारा शिक्त का हास

E.
G
रासाय नक उवर्जारकों के बढ़ते प्रयोग के कारण भू म का उवर्जारा शिक्त लगातार कम हो रही है . िजससे

D
उत्पादकता में गरावट आती है .

LE
कृ ष वपणन की समस्या

W
भारतीय कसानों की एक महत्वपूणर्जा समस्या यह है क उसे अपनी फसल बेचने के लए िजन मं डयों तक

O
जाना पड़ता है वे काफी दूर होती है . यातायात की उ चत व्यवस्था नही होने के कारण वहां तक पहु चना क ठन

KN
होता है .

इन मं डयों में भंडारण की उ चत व्यवस्था नही होने के कारण वषार्जा, कीड़े, चूहों आ द के कारण कसानों की
C
फसलें खराब हो जाती है . कभी कभी उन्हें अपनी उपज मजबूरीवश गाँव में ही साहु कारो या बचो लयों को कम
PS
मूल्य पर भी बेचना पड़ता है .
G
C
कसानो की रु ढवा दता

E.
G
आज भी अ धकाश भारतीय कसान रु ढ़वादी परम्पराओं से जकड़े हु ए है . वे कृ ष कायर्षों में व्यय की तुलना में
शादी, म्रत्युभोज एवं अन्य सामािजक परम्पराओं के नवार्जाह करने में अ धक व्यय करते है .

D
LE
इन कायर्षों के लए वे कजर्जा भी लेते है . वही दूसरी ओर भाग्यवा दता के कारण अपनी गरीबी को कस्मत का लेख
मानकर उससे बाहर नकलने का प्रयास ही नही करते है .

W
O
कसानों में शक्षा

KN
आज भी भारत में कसानों की अ शक्षा अ धक पाई जाती है , िजससे वे न तो कृ ष की उन्नत एवं उ चत तकनीक
को समझ पाते है न ही प्रयोग में ला पाते है . इसी अ शक्षा के कारण उ चत मूल्य पर अपनी उपज बेचने का
C
प्रयास करते है .
PS
G
C
न्यूनतम समथर्जान मूल्य क्या हैं What Is MSP Formula

E.
MSP अथार्जात न्यूनतम समथर्जान मूल्य यानी वह न्यूनतम कीमत िजस पर कसी फसल की सरकारी खरीद होती है

G

D
LE
एमएसपी का मसौदा भारत सरकार के द्वारा सन 1964 में तैयार कया गया ले कन 1966-67 में सबसे पहले गेहूं
के लए एमएसपी की व्यवस्था लागू की गई । उस समय ₹54 प्र त िक्वंटल गेहूं के लए एमएसपी रखी गई।

W
शुरुआत क्यों हु ई भारत सरकार के द्वारा खाद्य सुरक्षा को सु निश्चत करने के लए एमएसपी की शुरुआत की

O
गई ता क खाद्यान्न की फसलें ज्यादा उत्पा दत की जाए और कसानों को भी प्रोत्साहन मले।

KN
C
PS
G
C
E.
एमएसपी का नधार्जारण CACP क मशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज के द्वारा एमएसपी का
नधार्जारण कया जाता है इसके लए 3 व्यंजनों का इस्तेमाल कया जाता है ।

G
D
1. A2 इसके अंतगर्जात नगद खचर्दे को जोड़ा जाता है अथार्जात फसल की बुवाई के लए बीज, रसायन और

LE
संचाई आ द के खचर्जा शा मल कए जाते हैं।
2. दूसरा A2 + FL इसमें A2 के अलावा फै मली लेबर को भी शा मल कया जाता है ।

W
O
3. C2 एमएसपी के नधार्जारण की प्र क्रिया में यह सबसे महत्वपूणर्जा होता है क्यों क इस के अंतगर्जात जमीन का

KN
कराया और फसल के लए कए गए खचर्जा का याज भी इसमें शा मल कया जाता है जो क उपरोक्त दोनों
से कहीं अ धक बैठता है । C
PS
G
C
एनएसपी के नधार्जारण के लए कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेज CACP ग ठत की गई अथार्जात

E.
सीएसीपी के द्वारा एमएसपी का नधार्जारण कया जाता है ।

G
D
इसकी रपोटर्जा सीसीईए अथार्जात के बनेट कमीशन ऑन इकोना मक अफेयसर्जा को सौंपी जाती है । यह इसके सभी

LE
पहलुओं पर गौर करके एमएसपी का अं तम रूप से नधार्जारण करती है

W
एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग साल 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में कसानों की आ थर्जाक
दशा को सुधारने और अनाज की पैदावार बढ़ाने के लए नेशनल क मशन ऑन फामर्जार स म त का गठन कया

O
गया िजसके अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन थे।

KN
इस स म त को ही स्वामीनाथन आयोग के नाम से जाना जाता है । साल 2006 की अपनी फाइनल रपोटर्जा में
प्रस्ता वत इसकी कई सारी सफा रशों में एक सफा रश एमएसपी को एक नए फामूल र्जा े से लागू करने की थी
C
िजसके अंतगर्जात एमएसपी औसत लागत से 50% ज्यादा दे ने की बात कही गई थी।
PS
G
C
भारत में एमएसपी की वतर्जामान िस्थ त Current status of MSP in India

E.
एमएसपी की वतर्जामान िस्थ त भारत सरकार के द्वारा दे श कमो डटीज को एमएसपी के अंतगर्जात शा मल

G
कया गया है िजसमें

D
LE
● 7 अनाज संबंधी हैं -धान गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी
● 5 कमो डटीज दालें हैं– चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर

W
● 7 तलहन हैं– मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, तल, सूरजमुखी, कुसुम, राम तल
4 कम शर्जायल फसलें हैं– कोपरा, गन्ना, कपास और कच्चा जूट

O

KN
हालां क कई बार सरकारी दावा कया गया है की स्वामीनाथन आयोग की सफा रश के तहत एमएसपी
लागत से 50% अ धक दी जा रही है ले कन धरातलीय रूप से यह सही नहीं है क्यों क सरकार के द्वारा जो
C
डेढ़ गुना एमएसपी दी जा रही है उस एमएसपी में C 2 को शा मल नहीं कया गया है िजसमें जमीन का
PS

कराया और फसल के खचर्जा संबं धत याज भी शा मल कए गए थे।


G
C
E.
धरातल पर एमएसपी की सच्चाई प्रस्ता वत 23 कमो डटीज में से एमएसपी पर मात्र कुछ ही फसलों की
सरकारी खरीद हो पाती है िजन फसलों की सरकारी खरीद होती है उनमें भी 50% से अ धक कसी भी फसल

G
की सरकारी खरीद नहीं है ।

D
LE
W
भारत में अ धकतर कृ ष मानसूनी वषार्जा पर आधा रत हैं. कृ ष क्षेत्रफल के बड़े भाग पर कृ त्रम तरीकों से
फसलों को पानी दे कर फसल उगाने का कायर्जा कया जाता हैं.

O
KN
सूखे तथा जल की कमी वाले क्षेत्रों में कँु ए, तालाब, नहर एवं ट्यूबवेल के ज रये कृ ष में जल की आवश्यकता
को पूरा कया जाता हैं. C
PS
जो कृ ष अपनी जल आवश्यकताओं के लए पूरी तरह वषार्जा पर नभर्जार करती है उसे वषार्जा-आधा रत कृ ष कहा
जाता हैं.
G
C
E.
संचाई पद्ध त से की जाने वाली खेती को कृ त्रम अथवा संचाई आधा रत कृ ष कहा जाता हैं.

G
संचाई का महत्व व आवश्यकता (Importance and requirement of irrigation)

D
LE
जी वत रहने के लए प्रत्येक जीव को जल की आवश्यकता होती हैं. पौधों के फूल, फल एवं बीज की वृद् ध एवं
प रवधर्जान के लए जल का वशेष महत्व हैं.

W
पौधों की जड़ों द्वारा जल का अवशोषण होता हैं. पौधों में लगभग 90% जल होता हैं. जल आवश्यक हैं,

O
क्यों क बीजों का अंकुरण शुष्क स्थ त में नही हो सकता.

KN
जल में घुले हु ए पोषकों का स्थानातरण पौधे के प्रत्येक भाग में होता हैं. यह फसल की पाले एवं गमर्जा हवा से
रक्षा करता हैं. स्वस्थ फसल की वृद् ध के लए खेत में नय मत रूप से जल दे ना आवश्यक हैं.
C
PS
G
C
व भन्न अंतराल पर खेत में जल दे ना संचाई कहलाता हैं. संचाई का समय एवं बारम्बारता फसलों, मट्टी

E.
एवं ऋतु के अनुसार भन्न भन्न होती हैं. गमर्षी में पानी दे ने की बारम्बारता अपेक्षाकृ त अ धक होती हैं.

G
D
संचाई के स्रोत (Sources of irrigation)

LE
कँु ए, नलकूप, तालाब, झील, न दयाँ, बाँध, नहर आ द जल के स्रोत हैं. कुओं, झीलों एवं नहरों में उपल ध जल
को खेतों तक पहु चाने के तरीके भन्न क्षेत्रों में भन्न भन्न हैं.

W
O
इन व धयों में मवेशी अथवा मजदूर कए जाते हैं. ये सस्ते हैं, परन्तु काम में दक्ष हैं. व भन्न पारम्प रक

KN
तरीके (Traditional methods) नम्न हैं.

● मोट ( घरनी) C
● चैन पम्प
PS
● ढे कली
● रहट (उतोलक)
G
C
जल को ऊपर खीचने के लए सामान्यत पम्प का उपयोग कया जाता हैं. पम्प चलाने के लए डीजल,

E.
बायोगैस, वद्युत ् एवं सौर ऊजार्जा का उपयोग कया जाता हैं.

G
D
संचाई के तरीके व साधन- Methods Of Irrigation

LE
पुराने जमाने से आज तक लगातार कृ ष क्षेत्र की संचाई के साधन और उनकी व धयों में मूलभूत बदलाव

W
आ चूका हैं. आ द से िजन परम्परागत साधनों से फसलों की संचाई की जाती थी, वे आज के कसानों के
लए काफी मुिश्कल भरे और ज टल बन चुके हैं.

O
KN
पहले रहट, कुए बेडी और ढे कुली की मदद से खेतों में पशुओं को जोतकर पानी दया जाता था. वही आज
तरीके काफी उन्नत हो गये ट्यूबवेल, सौलर पम्प की मदद से कसान आसानी से खेतों की संचाई कर पाते
C
हैं. भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 करोड़ है क्टे यर भू म क्षेत्र हैं.
PS
G
C
इसका महज 51 प्र तशत भाग यानी करीब 16.2 करोड़ हे क्टे यर क्षेत्र कृ ष योग्य हैं.

E.
उपल ध आंकड़ों के अनुसार दे श में कुल कृ ष भू म के 28 प्र तशत हस्से यानी करीब 4.5 करोड़ हे क्टे यर भू म

G
क्षेत्र पर संचाई की सु वधा उपल ध हैं.

D
LE
इस प्रकार शेष 72 प्र तशत कृ ष भू म की संचाई का एकमात्र साधन मानसून आधा रत वषार्जा ही हैं.

W
संचाई की आधु नक व धयों द्वारा हम जल का उपयोग मतव्ययता से कर सकते हैं, ये व धयाँ नम्न हैं.

O
छड़काव तंत्र (Sprinkler System)– इस व ध का उपयोग असमतल भू म के लए कया जाता हैं.

KN
जहाँ पर जल कम मात्रा में उपल ध होता हैं. उधवर्जा पाइपों के उपरी सरों पर घूमने वाले नोजल लगे होते हैं. ये
C
पाइप निश्चत दूरी पर एक मुख्य पाइप से जुड़े होते हैं
PS
G

जब पाइप की सहायता से जल उपरी पाइप में भेजा जाता हैं तो वह घूमते हु ए नोजल से बाहर नकालता हैं.
C

इसका छड़काव पौधों पर इस प्रकार होता हैं, जैसे वषार्जा हो रही हो.
ड्रिप तंत्र (Drip System)- इस व ध में जल बूंद बूंद कर पौधों की जड़ों में गरता हैं.

E.
G
अतः इसे ड्रिप तंत्र कहते हैं. फलीदार पौधों, बगीचों एवं वृक्षों को पानी दे ने का यह सवर्वोत्तिम तरीका हैं.

D
LE
इससे पौधों को बूंद बूंद करके जल प्रा त होता हैं. इस व ध से जल व्यथर्जा नही होता हैं. अतः यह जल की कमी

W
वाले क्षेत्रों के लए एक वरदान हैं.

O
KN
कटवाँ या तोड़ व ध (Cut or break method)- यह संचाई का परम्परागत तरीका हैं, इसमें नहर अथवा
तलाब के जल को खेत में एक नाले के द्वारा जोड़ा जाता हैं.
C
PS

मुख्य रूप से धान की फसलों में इस व ध का अ धक उपयोग कया जाता हैं. इस पद्ध त में प्रवा हत जल
अबा धत रूप से ढ़लान के अनुसार बहकर चला जाता हैं. इस व ध से जल का अपव्यय अ धक मात्रा में होता
G

हैं.
C
थाला व ध (Lease method)- यह भी परम्परागत व ध हैं, िजसमें मुख्य से बागवानी अथवा वृक्षों को

E.
पानी दे ने के लए इसका उपयोग कया जाता हैं.

G
D
पेड़ के चारों ओर गोल अथवा चोकोर आकृ त का घेरा (गड्डा) बनाया जाता हैं. उस गड्डे में जल को प्रवा हत

LE
कर भर दया जाता हैं. जब पेड़ छोटा होता हैं तो गड्डा भी छोटे आकार का बनाया जाता हैं, पेड़ के बढ़ने के
साथ साथ इस गड्डे के आकार को भी बढ़ा दया जाता हैं.

W
O
नहर से संचाई– दे श में अंग्रेजी काल और उससे पहले राजाओं के दौर से नहरें बनाई जाती थी. आज भी

KN
नहरों की मदद से दे श के बड़े भूभाग में संचाई की जाती हैं. करीब चालीस प्र तशत कृ ष भू म को नहरों की
मदद से सींचा जाता हैं. C
PS

दे श के उत्तिरी, मैदानी और डेल्टा क्षेत्रों में नहरों का बाहु ल्य हैं. समतल भू म और नरं तर जलापू तर्जा संचाई के
G

इस माध्यम को अ धक कारगर बनाते हैं.


C
कुएं एवं नलकूप- चकनी बलुई मट्टी वाले क्षेत्र जहाँ वषार्जा जल रसकर धरातल में चला जाता है वहां

E.
वशेषकर कँु ए और नलकूपों की मदद से संचाई की जाती हैं.

G
D
भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और यूपी में कुल संचाई के 50 प्र तशत भाग की पू तर्जा कँु ए

LE
और ट्यूबवेल करते हैं.

W
O
ह रयाणा, बहार, त मलनाडु , आन्ध्र प्रदे श तथा कनार्जाटक में भी बड़े स्तर पर नलकूपों से संचाई होती हैं.

KN
आजादी के समय दे श में ट्यूबवेल की संख्या तीन हजार के करीब थी जो अब 60 लाख से अ धक हो गई है
C
सवार्जा धक संख्या उत्तिर प्रदे श में हैं.
PS
G
C
भारतीय राष्ट्रीय कृ ष सहकारी वपणन संघ (नैफेड) NAFED

E.
कृ ष उपज के लए वपणन सहकारी स म तयों का एक संगठन है ।इसकी स्थापना 2 अक्टू बर 1958 को

G
मल्टी के तहत की गई थी।

D
LE
नैफेड का मुख्यालय नई दल्ली में है और क्षेत्रीय कायार्जालय दल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में हैं।

W
यह राज्यों और अन्य महत्वपूणर्जा शहरों की राजधा नयों में 28 क्षेत्रीय कायार्जालय भी संचा लत करता है ।

O
कृ ष सहकारी वपणन संघ की स्थापना कृ ष उत्पादों के वपणन के लए राष्ट्रीय स्तर पर सहकारी क्षेत्र में

KN
की गई है ।

कृ ष और वनोपज के वपणन और भंडारण को व्यविस्थत करना, बढ़ावा दे ना और वक सत करना।कृ ष


C
उत्पादन में तकनीकी सलाह के लए सहायता।
PS

बाजार की सु वधा, समन्वय और संवधर्जान


G
C
भारतीय जनजातीय सहकारी वपणन वकास प रसंघ (TRIFED)

E.
G
भारतीय जनजातीय सहकारी वपणन वकास प रसंघ (TRIFED) की स्थापना वषर्जा 1987 में हु ई।

D
LE
यह राष्ट्रीय स्तर का एक शीषर्जा संगठन है जो जनजातीय कायर्जा मंत्रालय के प्रशासकीय नयंत्रण के अधीन

W
कायर्जा करता है ।

O
KN
ट्राइफेड का मुख्यालय दल्ली में है और इसके 13 क्षेत्रीय कायार्जालय हैं जो दे श के व भन्न स्थानों में िस्थत हैं।

C
ट्राइफेड का प्रमुख उद्दे श्य जनजातीय उत्पादों, जैसे- धातु कला, जनजातीय टे क्सटाइल, कुम्हारी,
PS
जनजातीय पें टंग, िजन पर जनजातीय लोग अपनी आय के एक बड़े भाग हे तु बहु त अ धक नभर्जार हैं, के
वपणन वकास द्वारा दे श में जनजातीय लोगों का सामािजक-आ थर्जाक वकास करना है ।
G
C
भारतीय खाद्य नगम (FCI)

E.
G
FCI की फुल फॉमर्जा “Food Corporation of India” होती है , FCI का हंदी में मतलब “भारतीय खाद्य
नगम” होता है .

D
LE
भारतीय खाद्य नगम (FCI) कसानों के लए चावल का समथर्जान प्रदान करने के लए 14 जनवरी 1965

W
को बनाया गया एक संगठन है , और राष्ट्रीय खाद्यान्न सुरक्षा सु निश्चत करने के लए खाद्यान्नों के
पयार्जा त सावर्जाज नक वतरण और खाद्यान्न के प रचालन और बफर स्टॉक के संतोषजनक स्तर को बनाए

O
रखता है .

KN
भारतीय खाद्य नगम (FCI) भारत में एक सरकारी संस्था है जो पूरे दे श में खाद्यान्नों की खरीद, बक्रिी
और वतरण के साथ काम करती है
C
PS

भारतीय खाद्य नगम खाद्य नगम अ ध नयम के तहत यह कसानों के लए चावल का समथर्जान प्रदान
करता है , और खाद्यान्न का सावर्जाज नक वतरण सु निश्चत करता है , और खाद्यान्न के संतोषजनक
G

बफर स्टॉक को बनाए रखता है ।


C
सावर्जाज नक वतरण प्रणाली (Public distribution system)

E.
कुछ आवश्यक वस्तुओं (गेहूं, चावल, खाद्य तेल, चीनी आ द) को उ चत कीमत की दुकानों के माध्यम से

G
उपभोक्ताओं में वतरण करने वाली प्रणाली को सावर्जाज नक वतरण प्रणाली कहा जाता है |

D
LE
इस प्रणाली का मुख्य उद्दे श्य उपभोक्ताओं वशेषकर कमजोर वगर्जा के उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर वस्तुएं
उपल ध कराना है इससे कमजोर वगर्जा के उपभोक्ताओं को कीमतों के उतार-चढ़ाव पर सुरक्षा मलती है |

W
O
इनके अलावा इस प्रणाली का उद्दे श्य दे श के वशाल जनसंख्या के न्यूनतम पोषण स्तर को कायम रखना है |

KN
सावर्जाज नक वतरण प्रणाली को और अ धक प्रभावी बनाने के उद्दे श्य से वषर्जा 1997 में ल क्षत सावर्जाज नक
C
वतरण प्रणाली (TPDS) की शुरुआत की गई |
PS

इसमें मूल्य नधार्जारण के लए जनसंख्या को दो भागों में बांटने की नी त अपनाई गई है – गरीबी रे खा से नीचे
G

BPL गरीबी रे खा से ऊपर (APL)|


C
बजट का अथर्जा व प रभाष◌ा

E.
बजट यह श द फ्रेंच भाषा के बुजट श द से नकाला गया है . इसका अथर्जा चमड़े का थैला होता है

G
बजट सरकार के एक वषर्जा के समस्त आय और व्यय के ववरण को कहते हैं। सरकार के समस्त वतीय

D
संसाधनों को सावर्जाज नक वत्ति कहते हैं। सावर्जाज नक वत्ति के अन्तगर्जात केन्द्रि सरकार की समस्त आय एवं व्यय

LE
के मदों को सिम्म लत कया जाता है । इसी सावर्जाज नक वत्ति के बजटीय प्रबंधन क्रिो सावर्जाज नक बजट कहते हैं।

W
1773 में ब्रि टश वत्ति मंत्री सर रॉबटर्जा वाल अपने वत्तिीय प्रस्तावों से संबं धत कागज संसद के सामने पेश कए
और उसे पेश करने के लए एक चमड़े के थैले में से नकाला तो उनका मजाक उड़ाया और बजट खोला गया तो

O
बजट नामक एक पुस्तक प्रका शत की गई, उसी समय से बजट श द का प्रयोग सरकार की वा षर्जाक आय व्यय

KN
के वतरण के लए कया जाने लगाई था

भारत में सबसे पहले ब्रि टश शासन काल में 1807 में आम बजट प्रस्तुत कया गया था , बजट बनाने और प्रेस
C
करने का श्रेय फाइनेंस में बर james wilson को जाता है , िजन्होंने 18 फरवरी 1860 को वयसराय की प रषद में
PS

पहली बार बजट पेश कया था


G
C
भारत में 1 अप्रैल से 31 माचर्जा तक चलने वाला वत्तिीय वषर्जा 1868 से शुरू हु आ, इससे पहले 1 मई से 30 अप्रैल

E.
तक का वत्तिीय वषर्जा होता था

G
बजट लै टन श द bougette से बना है , िजसका अथर्जा होता है चमड़े का थैला

D
LE
मध्यकाल में पिश्चमी दे शों के व्यापारी पैसे रखने के लए चमड़े के थैले का प्रयोग करते थे

W
बाद में आए हु ए काबरा बजट भी सदन में पेश करने के लए बैग में ही रह कर लाया जाने लगा

O
KN
आजादी से पहले अंत रम सरकार का बजट ऑल इं डया muslim league के लयाकत अली खान 9 अक्टू बर
1946 से लेकर 14 अगस्त 1947 तक के लए पेश कया था
C
आजाद भारत का पहला अंत रम बजट 26 नवंबर 1947 को प्रस्तुत कया था, िजसे आरके संमुखम चेट्टी के
PS

द्वारा कया गया था .


G

जॉन मथाई आजाद भारत के दुसरे वत्ति मंत्री थे िजन्होंने १९४९-१९५० में बजट प्रस्तुत कया
C
फरवरी के अं तम कायर्जा दवस को संसद में पेश कया जाता है , िजसे भारत के वत्ति मंत्री द्वारा प्रस्तुत कया

E.
जाता है ,ले कन दे श के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ऐसे प्रधानमंत्री थे, िजन्होंने संसद में बजट भी पेश
कया था

G
D
बजट को लागू करने से पहले इसे संसद द्वारा पास करना आवश्यक होता है

LE
W
पं डत जवाहरलाल नेहरू दे श के पहले प्रधानमंत्री हैं , िजन्होंने बजट को संसद में प्रस्तुत कया

O
KN
मोरारजी दे साई ने अपने 8 साल के कायर्जाकाल में सवार्जा धक 10 बार संसद में बजट प्रस्तुत कए

मोरारजी दे साई जवाहरलाल नेहरू के कायर्जाकाल में 5 साल की इं दरा गांधी के कायर्जाकाल में 3 साल दे श के वत्ति
C
मंत्री रहे 1964 और 1968 में मोरारजी दे साई ने आम बजट जन्म दन के अवसर पर प्रस्तुत कया था
PS

ऐसे करने वाले एकमात्र वत्तिमंत्री ह◌ै


G
C
मोरारजी दे साई ने 4 मई को प्रधानमंत्री रहते हु ए बजट के इस्तीफा दे ने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इं दरा

E.
गांधी ने वत्ति मंत्रालय का पदभार संभाला था.

G
संसद में बजट प्रस्तुत करने वाले एकमात्र म हला इं दरा गांधी है िजन्होंने 1970 में बजट पेश कया था

D
इं दरा गांधी वत्ति मंत्री का पद संभालने वाली एकमात्र म हला है .

LE
चौधरी चरण संह, मोरारजी दे साई के नेतत्ृ व वाली सरकार में एक बजट पेश कया.

W
O
वषर्जा 2000 तक अंग्रेजी परं परा से अनुसार बजट शाम को 5:00 बजे प्रस्तुत कया जाता था , ले कन 2001 में

KN
एनडीए सरकार ने इस परं परा को तोड़ते हु ए शाम की बजाय सुबह 11:00 बजे संसद में बजट पेश कया

वत्ति मंत्री यशवंत सन्हा ने पहली बार शाम के बजाय सुबह के वक्त बजट प्रस्तुत कया तब से लेकर हर
C
साल सुबह के ही वक्त बजट पेश कया जाता है .
PS
G
C
सामान्य िस्थ त में बजट नमार्जाण की प्र क्रिया सतंबर से शुरू हो जाती है
मोरारजी दे साई के बाद पी चदं बरम दूसरे ऐसे वत्ति मंत्री हैं िजन्होंने सबसे ज्यादा बार बजट पेश कया है

E.
बजट के लए सभी मंत्रालयों वभागों और स्वायत्ति नकायों को सकुर्जालर भेजा जाता है , िजसके जवाब में

G
ववरण के साथ मलने आगामी वत्तिीय वषर्जा के अपने-अपने खचर्जा वशेष प रयोजनाओं का यौरा की

D
आवश्यकता की जानकारी दे नी होती है

LE
बजट रूपरे खा के लए आवश्यक कदम बजट को सावर्जाज नक करने से पहले , इसे बेहद ही गु त रखा जाता है

W
O
बजट बनाने के दौरान वत्ति मंत्रालय के सभी अ धकारी वशेषज्ञ , टे क्नी शयन , स्टे नोग्राफसर्जा नाथर्जा लाक में

KN
एक तरह से कहते हैं

बजट को संसद में पेश करने से पहले 7 दनों तक से जुड़े अ धकारी बाहरी दु नया से दूर रखे जाते हैं.
C
PS
१९५५-५६ से बजट हंदी में प्रक शत कया जा रहा है , उसके पहले अंग्रेजी में होता था
G

बजट पेपर राष्ट्रप त भवन में प्रका शत की जाती थी , ले कन बजट पेपर का १९५० में लक हो जाने के बाद
सक्यू रटी प्रेस में प्रका शत की जाती है , १९८० से बजट पेपर नाथर्जा लाक से होने लगा.
C
बजट के प्रकार

E.
बजटीय प्र क्रिया के दौरान व भन्न सरकारी हस्तक्षेप, सरकार के कल्याणकारी स्वरूप, दे श हत आ द के

G
आधार पर बजट के अनेक रूप होते हैं, जो क उल्ले खत हैं।

D
आम बजट

LE
यह एक सामान्य कस्म का बजट है िजसमे समस्त आय और व्यय का लेखा-जोखा रहता है । बजट का यह

W
स्वरूप अत्यन्त पारस्प रक होता है , इस बजट में वस्तुओं या मद का महत्त्व उद्दे श्य की अपेक्षा अ धक होता है

O
। इसे पारस्प रक बजट भी कहते हैं।

KN
बदलते स्वरूप को दे खते हु ए बजट की यह प्रणाली भारत की समस्याओँ को सुलझाने एवं इसकी
महत्वाकांक्षाओं क्रिो प्रा त करने में असफल रही। अत: बजट को इस रूप के स्थान पर नष्पादन बजट की
C
आवश्यकता महसूस की गई।
PS
G
C
नष्पादन बजट

E.
बजट का वह स्वरूप िजसका नमार्जाण प रणामों को ध्यान में रखकर कया जाता है वह नष्पादन बजट कहा

G
जाता है ।

D
LE
नष्पादन बजट (Performance Budget) मैं सरकार उपलि धयों पर ध्यान रखते हु ए प्रस्ता वत कायर्जाक्रिमों की
रूपरे खा एवं उन पर खचर्जा कए जाने वाले सभी मदों का मूल्यांकन आ द कया जाता है ।

W
O
इसे उपलि ध बजट भी कहा जाता है , बजट के प्रकार.

KN
नष्पादन बजट का सवर्जाप्रथम प्रयोग संयुक्त राज्य अमे रका में कया गया।
C
भारतीय संसद मैं पहली बार 25 अगस्त, 2005 को नष्पादन बजट वत्ति मंत्री पी. चदम्बरम द्वारा प्रस्तुत
PS
कया गया।
G
C
आउटकम बजट

E.
आउटकम बजट एक नए प्रकार का बजट है ।

G
D
इसके अन्तगर्जात साधनों के साथ-साथ उन लक्ष्यों को भी नधार्जा रत कर दया जाता है , िजन्हें प्रा त करना

LE
आवश्यक माना जाता है ।

W
इस बजट के अन्तगर्जात एक वत्तिीय बषर्जा के लए कसी मंत्रालय अथवा वभाग को आबं टत कए गए बजट मैं
मूल्यांकन कए जा सकने चाले भौ तक लक्ष्यों का नधार्जारण इस उद्दे श्य से कया जाता है , िजससे बजट के

O
क्रियान्वयन को परखा जा सके।

KN
आउटकम बजट सामान्य बजट की तुलना में एक ज टल प्र क्रिया हैं, िजसमे वत्तिीय प्रावधानों को प रणामों
C
के सन्दभर्जा में दे खा जाना होता है ।
PS

भारत में इसकी शुरूआत वत्तिमंत्री पी. चदम्बरम ने वषर्जा 2005 में की थी
G
C
सन्तु लत बजट

E.
यह एक आदशर्जा बजट है , िजसे व्यवहार में लाना अत्यंत क ठन है , सन्तु लत बजट में व भन्न क्षेत्रों का

G
समान अनुपात में आबंटन कया जाता है तथा इसमें व्यय एवं प्राि त का अन्तराल सी मत होता है , िजसके

D
प रणामस्वरूप बजट के अनुमा नत घाटे एवं वास्त वक घाटे में भी अन्तर नहीं होता।

LE
लैं गक बजट

W
वह बजट जो म हला और शशु कल्याण को ध्यान मई रखकर बनाया जाता है उसे लैं गक बजट कहा जाता

O
है . यह बजट म हला वकाश और सशिक्तकरण के योजनाओं के लए रा श सु निश्चत करता है .

KN
शुन्य आधा रत बजट
C
यह बजट गत वषर्षों के आंकड़ों को आधार न मानकर शुन्य को अधर मानते हु ए बनाया जाता है . इस बजट
PS
को तब अपनाया जाता है जब आम बजट घाटे मई चलने लगता है . यह बढ़ते घटे को अंकुश लगाने मई
सहायक होता है .
G
C
राजस्व प्राि तयां (REVENUE RECEIPTS)

E.
राजस्व प्राि तयां सरकार द्वारा वसूल कए गए सभी प्रकार के शुल्क, नवेशों पर प्रा त आय और लाभांश होती
है . इसे सरकार की चालू आय भी कहते हैं, िजनसे न तो दे नदारी उत्पन्न होती है और न ही सरकार की

G
प रसंप त्तियों में कमी आती है .

D
LE
इन प्राि तयों को कर राजस्व और गैर कर राजस्व में वभक्त कया जाता है .

W
परं परागत रूप से करों से प्रा त राजस्व ही सरकार की आय का सबसे प्रमुख स्रोत है .

O
राजस्व प्राि त

KN
❖ टै क्स रे वेन्यू
❖ डायरे क्ट टै क्स C
❖ अप्रत्यक्ष कर
गैर-कर राजस्व
PS

❖ शुल्क
❖ लाइसेंस और पर मट
G

❖ जुमार्जाना और दं ड, आ द
C
राजस्व व्यय (REVENUE EXPENDITURE)

E.
राजस्व व्यय वह सरकारी खचर्जा है , िजसे सरकार सरकारी कमर्जाचा रयों के वेतन, पें शन व याज के भुगतान

G
समेत रख-रखाव और मरम्मत जैसे रूटीन कायर्षों पर खचर्जा करती है . इसमें प्रशास नक व्यय भी शा मल होता है .

D
इसके अ त रक्त इसमें कराए के भुगतान, कर और अन्य स्थापना संबंधी व्यय जैसे ऊपरी खचर्दे बी शा मल

LE
होते हैं.

W
राजस्व व्यय

O
यह एक आवतर्षी व्यय है :

KN

❖ याज का भुगतान
❖ रक्षा व्यय
केंद्रि सरकार के कमर्जाचा रयों को वेतन आ द

C
PS
G
C
पूंजी प्राि तयां (CAPITAL RECEIPTS)

E.
पूंजी प्राि तयां वो रा श हैं िजसे गैर ऑपरे टंग स्रोत से हा सल कया जाता है .

G
D
इसके तहत बाजार से लए गए ऋण, रजवर्जा बैंक और अन्य संस्थाओं से ली गई उधार रा श, नेशनल स्मॉल
से वंग फंड को जारी की गई वशेष प्र तभू तयां से प्रा त रा श और स्वयं के ऋणों की वसूली एवं सावर्जाज नक क्षेत्र

LE
के उपक्रिमों के नवेश से प्रा त होने वाली धनरा श भी शा मल होती है .

W
O
पूंजीगत प्राि त

KN
❖ ऋण वसूली
❖ व नवेश
उधार और अन्य दे नदा रयां

C
PS
G
C
पूंजी व्यय (CAPITAL EXPENDITURE)

E.
पूंजी व्यय ऐसा खचर्जा होता है िजसका लाभ एक वषर्जा में ही न मलकर भ वष्य में कई सालों तक मलता रहता

G
है .

D
इसके तहत उन सभी खचर्षों को शा मल कया जाता है , जो कसी स्थाई संप त्ति को प्रा त करने के लए कया

LE
जाता है .

W
यानी पूंजी व्यय कर स्थायी प रसमंप त्तियों का नमार्जाण कया जाता है .

O
इसके तहत भू म, भवन, संयंत्र और मशीनरी तथा अन्य भौ तक अवसंरचनाओं के वकास पर व्यय कया

KN
जाता है .
पूंजी व्यय में लोक ऋण और व भन्न संस्थाओं को दए गए ऋण और उसकी अ ग्रम अदायगी भी शा मल
होती है . C
PS
पूंजीगत व्यय

यह एक गैर-आवतर्षी व्यय है
G


❖ ऋण की अदायगी
C
राजस्व घाटा (REVENUE DEFICIT)

E.
राजस्व व्यय और राजस्व प्राि तयों के बीच के अंतर को राजस्व घाटा कहा जाता है .

G
D
जब सरकार अपनी कमाई से अ धक खचर्जा करना शुरू कर दे ती है तो इसका प रणाम राजस्व घाटा होता है .

LE
राजस्व घाटा में वे लेनदे न भी शा मल होते हैं जो सरकार की वतर्जामान आय और व्यय पर सीधा प्रभाव डालते हैं.

W
राजस्व घाटा यह दशार्जाता है क सरकार की खुद की कमाई अपने वभागों के दन-प्र त दन के कायर्षों को पूरा

O
करने के लए पयार्जा त नहीं है . बाद में राजस्व घाटा उधार में बदल जाता है .

KN
कई बार सरकार को घाटा पाटने के लए बाहरी उधार भी लेना पड़ता है .
C
राजस्व घाटा = कुल राजस्व व्यय – कुल राजस्व प्राि तयां
PS
G
C
बजट घाटा (BUDGET DEFICIT)

E.
बजट घाटा कुल व्यय और राजस्व प्राि तयों, ऋणों और अ ग्रमों तथा अन्य गैर ऋण पूंजीगत प्राि तयों की वसूली

G
के बीच का अंतर होता है .

D
जब सरकार का कुल खचर्जा , कुल आमदनी से ज्यादा होता है तो इसे बजट घाटा कहते हैं.

LE
यह कसी दे श की वत्तिीय िस्थ त को दशार्जाता है . मौद्रिीकरण के अनुपिस्थ त में यह जीरो होता है .

W
O
KN
राजकोषीय घाटा (FISCAL DEFICIT)
सरकार का कुल व्यय (पूंजी व्यय और राजस्व व्यय) और सरकार की कुल आय (राजस्व प्राि तयां और ऋणों
C
और अ ग्रमों समेत पूंजीगत प्राि तयाों) के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है .
PS

राजकोषीय घाटा सरकार के खचर्जा की तुलना में उसकी आय में कमी को दशार्जाता है . िजस सरकार का राजकोषीय
G

घाटा अ धक होता है , वह अपने साधनों से ज्यादा खचर्जा करती है . इसकी गणना जीडीपी के आधार पर की जाती है .
C
पंचवषर्षीय योजना

E.
पंचवषर्षीय योजना हर 5 वषर्जा के लए केंद्रि सरकार द्वारा दे श के लोगो के आ थर्जाक और सामािजक वकास के लए

G
शुरू की जाती है ।

D
पंचवषर्षीय योजनायें केंद्रिीकृ त और एकीकृ त राष्ट्रीय आ थर्जाक कायर्जाक्रिम हैं।

LE
1947 से 2017 तक, भारतीय अथर्जाव्यवस्था का नयोजन की अवधारणा का यह आधार था।

W
O
इसे योजना आयोग (1951-2014) और नी त आयोग (2015-2017) द्वारा वक सत, नष्पा दत और

KN
कायार्जािन्वत की गई पंचवषर्षीय योजनाओं के माध्यम से कया गया था।

C
पदे न अध्यक्ष के रूप में प्रधान मंत्री के साथ, आयोग के पास एक मनोनीत उपाध्यक्ष भी होता था, िजसका पद
PS
एक कै बनेट मंत्री के बराबर होता था
2014 में नवार्जा चत नरें द्रि मोदी के नेतत्ृ व वाली नई सरकार ने योजना आयोग के वघटन की घोषणा की थी.
G
C
इसे नी त आयोग (अंग्रेज़ी में पूरा नाम "नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉ मर्मिंग इं डया" है ) द्वारा

E.
प्र तस्था पत कया गया था।

G
D
पंचवषर्षीय योजनाएं केंद्रिीकृ त और एकीकृ त राष्ट्रीय आ थर्जाक कायर्जाक्रिम हैं।

LE
जोसेफ स्टा लन ने 1928 में सो वयत संघ में पहली पंचवषर्षीय योजना को लागू कया। अ धकांश कम्यु नस्ट

W
राज्यों और कई पूंजीवादी दे शों ने बाद में उन्हें अपनाया।

O
भारत ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समाजवादी प्रभाव के तहत स्वतंत्रता के तुरंत बाद 1951 में

KN
अपनी पहली पंचवषर्षीय योजना शुरू की.

C
PS
G
C
भारत का योजना आयोग

E.
भारत सरकार की एक संस्था थी िजसका प्रमुख कायर्जा पंचवषर्षीय योजनायें बनाना था।

G
D
LE
प्रधानमंत्री नरें द्रि मोदी ने 2014 में अपने पहले स्वतंत्र दवस के भाषण में यह कहा क उनका इरादा योजना
कमीशन को भंग करना है ।

W
O
2014 में इस संस्था का नाम बदलकर नी त आयोग (राष्ट्रीय भारत प रवतर्जान संस्थान) कया गया।

KN
भारत में योजना आयोग के संबंध में कोई संवैधा नक प्रावधान नहीं है ।

C
15 माचर्जा 1950 को केंद्रिीय मं त्रमंडल द्वारा पा रत प्रस्ताव के द्वारा योजना की स्थापना की गई थी।
PS

योजना आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है । 13 अगस्त 2014 को योजना आयोग खत्म कर दया गया
G

और इसके जगह पर नी त आयोग का गठन हु आ।


C
नी त आयोग भारत सरकार की एक थंक टैंक है । योजना आयोग का हे ड क्वाटर्जा र योजना भवन के नाम से

E.
जाना जाता था। यह नई दल्ली में है ।इसके अ त रक्त इसके अन्य कायर्जा हैं: -

G
● दे श के संसाधनों का आकलन करना।
इन संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लए पंचवषर्षीय योजनाओं का नमार्जाण करना।

D

प्राथ मकताओं का नधार्जारण और योजनाओं के लए संसाधनों का आवंटन करना।

LE

● योजनाओं के सफल कायार्जान्वयन के लए आवश्यक मशीनरी का नधार्जारण करना।

W
● योजनाओं की प्रग त का आव धक मूल्यांकन करना।
दे श के संसाधनों का सबसे प्रभावी और संतु लत ढं ग से उपयोग करने के लए योजनाओं का नमार्जाण

O

करना।

KN
● आ थर्जाक वकास को बा धत करने वाले कारकों की पहचान करना।
● योजना के प्रत्येक चरण के सफल क्रियान्वयन के लए आवश्यक मशीनरी का नधार्जारण करना।
C
PS
२०१४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरें द्रि मोदी ने इसे भंग करने की घोषणा कर दी तथा २०१५ जनवरी में इसके
स्थान पर नी त आयोग के गठन कया गया।[1]
G
C
नी त आयोग (राष्ट्रीय भारत प रवतर्जान संस्थान)

E.
G
भारत सरकार द्वारा ग ठत एक नया संस्थान है िजसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है ।

D
LE
1 जनवरी 2015 को इस नए संस्थान के सम्बन्ध में जानकारी दे ने वाला मिन्त्रमण्डल का प्रस्ताव जारी कया
गया।

W
यह संस्थान सरकार के थंक टैंक के रूप में सेवाएँ प्रदान करे गा और उसे नदर्दे शात्मक एवं नी तगत

O
ग तशीलता प्रदान करे गा।

KN
नी त आयोग, केन्द्रि और राज्य स्तरों पर सरकार को नी त के प्रमुख कारकों के सम्बन्ध में प्रासं गक
C
महत्वपूणर्जा एवं तकनीकी परामशर्जा उपल ध कराएगा।
PS
G
C
इसमें आ थर्जाक मोचर्दे पर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय आयात, दे श के भीतर, साथ ही साथ अन्य दे शों की

E.
बेहतरीन पद्ध तयों का प्रसार नए नी तगत वचारों का समावेश और व शष्ट वषयों पर आधा रत समथर्जान से
सम्बिन्धत मामले शा मल होंगे

G
D
LE
योजना आयोग और नी त आयोग में मूलभूत अन्तर है क इससे केन्द्रि से राज्यों की तरफ चलने वाले एक
पक्षीय नी तगत क्रिम को एक महत्वपूणर्जा वकासवादी प रवतर्जान के रूप में राज्यों की वास्त वक और सतत

W
भागीदारी से बदल दया जाएगा।

O
नी त आयोग ग्राम स्तर पर वश्वसनीय योजना तैयार करने के लए तन्त्र वक सत करे गा और इसे उत्तिरोत्तिर
उच्च स्तर तक पहु ँचायेगा।

KN
आयोग राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय वशेषज्ञों, प्रैिक्टशनरों तथा अन्य हतधारकों के सहयोगात्मक समुदाय
C
के ज रए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाएगा।
PS
G

इसके अ त रक्त आयोग कायर्जाक्रिमों और नी तयों के क्रियान्वयन के लए प्रौद्यो गकी उन्नयन और क्षमता
नमार्जाण पर बल दे गा।
C
राष्ट्रीय वकास प रषद ( National Development Council - NDC)

E.
1946 में के सी नयोगी की अध्यक्षता में ग ठत परामशर्जादात्री नयोजन मंडल का नाम बदलकर 6 अगस्त

G
1952 को राष्ट्रीय वकास प रषद (National Development Council - NDC) कर दया गया। योजना

D
आयोग की तरह एनडीसी भी एक सलाहकारी संस्था है । प्रधानमंत्री NDC के पदे न अध्यक्ष होते हैं। NDC में

LE
सिम्म लत है -
प्रधानमंत्री

W
योजना आयोग के सभी सदस्य

O
1.

KN
2. राज्यों के मुख्यमंत्री

3. केंद्रि शा सत प्रदे श के प्रशासक


C
4. केंद्रिीय मंत्रीप रषद के सभी सदस्य
PS

इसके कायर्जा- वस्तार को दे खते हु ऐ 1954 में सदस्यों की संख्या में कमी की गई। 9 राज्यों के मुख्यमंत्री और
G

योजना आयोग की सभी सदस्यों को सिम्म लत कया गया।


C
E.
साथर्जाक प रणाम ना पाकर 1967 में प्रशास नक सुधार आयोग की सफा रश पर पुनः सभी राज्यों के

G
मुख्यमंत्री को इस में सिम्म लत कया गया।

D
NDC का मुख्य उद्दे श्य राज्य सरकार और योजना आयोग के बीच सहयोग को स्था पत करना है ।

LE
योजना आयोग के स चवालय के अंतगर्जात इसका कायर्जा संचालन होता है ।

W
सामान्यतः वषर्जा में दो बार इसका बैठक होता है ले कन नयम का उल्लेख नहीं है ।

O
KN
योजना आयोग योजना बनाती है परं तु योजना को अं तम स्वीकृ त राष्ट्रीय वकास प रषद (National
Development Council - NDC) दे ती है तत्पश्चात सदन के पटल पर रखा जाता है ।
C
सरका रया आयोग ने सफा रश कया था क NDC को सशक्त बनाया जाए पर अभी तक इस पर कायर्जा नहीं
PS
कयागया
G
C
पहली पंचवषर्षीय योजना, 1651-56 (First five year plan, 1951-56)

E.
● पहली पंचवषर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1951 से प्रारं भ की गई।

G
● यह योजना डोमर संवद्
ृ ध मॉडल पर आधा रत थी।

D
● इस योजना के मुख्य उद्दे श्यों में युद्ध एवं वभाजन से उत्पन्न असंतुलन को दूर करता, खाद्यान्न

LE
आत्म नभर्जारता प्रा त करना, स्फी तकारक प्रवृ त्तियों को रोकना था।

W
● इस योजना के तहत-

O
○ कृ ष एवं संचाई को प्राथ मकता दी गई।

KN
○ इसी योजना में 1952 में सामुदा यक वकास कायर्जाक्रिम एवं 1953 में राष्ट्रीय प्रसार सेवा को
प्रारं भ कया गया था। ध्यातव्य है क भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी एवं हीराकंु ड जैसी
C
बहू द्दे शीय प रयोजनाएँ इसी योजना की दे न थी।इस योजना का प्राि त लक्ष्य से अ धक था।
PS

इसके साथ ही कृ ष संचाई और सामुदा यक वकास के क्षेत्र में महत्वपूणर्जा सफलता प्रा त हु ई

G
C
द् वतीय पंचवषर्षीय योजना, 1656-61 (Second five year plan, 1956-61)

E.
● यह योजना पी.सी. महालनो बस मॉडल पर आधा रत थी।

G
● इस योजना में भारी उद्योगों की स्थापना पर जोर दया गया था।
इस योजना के मुख्य उद्येश्यों में समाजवादी समाज की स्थापना, राष्◌्रीय आय में 25 प्र तशत की

D

वृद् ध, तीव्र ग त से औद्योगीकरण एवं पूंजी नवेश की दर को 11 प्र तशत करने का लक्ष्य था।

LE
● इस योजना के दौरान राउरकेला, भालाई तथा दुगार्जापुर में लौह-इस्पात संयंत्र स्था पत कये गये।

W
चतरं जन लोकोमो टव एवं संदरी उवर्जारक कारखाना भी इसी योजना की दे न हैं।

O
KN
मूल्यांकन

इस योजना में कृ ष के स्थान पर उद्योगों को प्राथ मकता दे ने के प रणामस्वरूप खाद्यान्न तथा अन्य कृ ष
C
उत्पादों में भारी कमी हु ई।
PS

सावर्जाज नक क्षेत्र, औद्यो गक क्षेत्र में उत्प्रेरक के रूप में उभरा। प रवहन एवं ऊजार्जा क्षेत्र में वस्तार हु आ। प्र त
G

व्यिक्त आय की वृद् ध दर 1.9 प्र तशत रही।


C
तृतीय पंचवषर्षीय योजना, 1661-66 (Third five year plan, 1961-66)

E.
● तृतीय योजना में कृ ष एवं उद्योगों पर बल दया गया था। इस योजना का मुख्य उद्दे श्य भारतीय

G
अथर्जाव्यवस्था को आत्म नभर्जार व स्वत:स्फूतर्जा बनाना था।

D
● भारत-चीन युद्ध (1962), भारत-पाक युद्ध (1965) और 1965-66 के दौरान सूखा पड़ जाने से तीसरी

LE
योजना पूरी तरह असफल रही।
● रूस के सहयोग से बोकारो (झारखण्ड) में बोकारो ऑयरन एवं स्टील इंडस्ट्री की स्थापना की गई।

W
● दे श की श्रम शिक्त का अ धकतम उपयोग तथा रोजगार के अवसरों में वृद् ध करना।

O
KN
मूल्यांकन
C
खाद्यान्न अत्पादन में 6 प्र तशत की औसत वा षर्जाक वृद् ध के स्थान पर 2 प्र तशत की वृद् ध प्रा त की जा
सकी तथा औद्यो गक उत्पादन में 14 प्र तशत वा षर्जाक वृद् ध की जगह यह बहु त कम प्रा त हु ई। राष्ट्रीय आय
PS

की वृद् ध दर 5.6 प्र तशत के वरुद्ध 2.4 प्र तशत रही, प्र त व्यिक्त आय की व्द् ध दर मात्र 0.2 प्र तशत ही
रही।
G
C
तीन वा षर्जाक योजनाएँ/योजना अवकाश, 1966-69 (Three Annual plans/plan leave, 1966-69)

E.
G
● गाड गल स म त की सफा रश पर 1969 में लीड बैंक योजना की शुश्रुआत की गई।

D
● चीन से परािजत होने के बाद दे श का मनोबल थोड़ा कमजोर हु आ िजसका प्रभाव यह हु आ िजसका

LE
प्रभाव यह हु आ क 1966-67 के लये एक वषर्षीय योजना का नणर्जाय लया गया। सरकार ने
आगामी दो वषर्षों में इसी योजना नी त को अपनाया।

W
रुपये का अवमूल्यन दूसरी बार 1966 में कया गया।

O

नयार्जात वस्तुओं की मांग की लोच में कमी के कारण अवमूल्यन का कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा।

KN

● इस प्रकार इस दौरान कोई नय मत नयोजन नहीं कया गया, इस लये इसे योजनावकाश कहा
जाता है ।
C
PS
G
C
चतुथर्जा पंचवषर्षीय योजना, 1969-74 (Fourth five year plan, 1969-74)

E.
● चतुथर्जा पंचवषर्षीय योजना का प्रमुख उद्दे श्य िस्थरता के साथ आ थर्जाक वकास, आत्म नभर्जारता की

G
अ धका धक प्राि त, अथर्जाव्यवस्था का न्यायपूणर्जा वकास तथा संतु लत क्षेत्रीय वकास करना था।

D
LE
● इस योजना का प्रारूप योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी.आर.गाड गल द्वारा तैयार कया गया था।

W
● इस योजना के अंतगर्जात जुलाई 1969 में 14 वा णिज्यक बैंकों का राष्ट्रीयकरण कया गया।

O
● अथर्जाव्यवस्था में (राष्ट्रीय आय में ) 5.7 प्र तशत की दर से आ थर्जाक वकास।

KN
● नयार्जात में 7 प्र तशत की वा षर्जाक वृद् ध दर प्रा त करना व सावर्जाज नक क्षेत्र का वकास करना।


C
मूल्य स्तर में स्था यत्व प्रा त करने के उद्दे श्य को प्रोत्सा हत करना।
PS

● कृ ष उत्पादन में वृद् ध की ओर ध्यान दया गया और बफर स्टॉक का नमार्जाण कया गया ता क कृ ष
G

पदाथर्जा की नरं तर आपू तर्जा सु निश्चत की जा सके।


C
E.
जनसंख्या वृद् ध पर नयंत्रण लगाने तथा जीवन स्तर में सुधार लाने के लये प रवार नयोजन के
कायर्जाक्रिमोंको लागू करना।

G
D
LE
सूखा प्रवण क्षेत्र कायर्जाक्रिम की 1973-74 में प्रारं भ कया गया।

W
इस योजना में वकास दर लक्ष्य 5.7 प्र तशत रखा गया, जब क वास्त वक प्राि त केवल 3.3 प्र तशत ही रही

O
। प्र त व्यिक्त आय में 1.1 प्र तशत की वृद् ध दजर्जा की गई।

KN
औद्यो गक उत्पादन 4 प्र तशत की दर से ही बढ़ा जो नधार्जा रत लक्ष्य से कम थी।
C
PS
G
C
पाँचवी पंचवषर्षीय योजना, 1974-79 (Fifth five year plan, 1974-79)

E.
● इस योजना का मुख्य उद्दे श्य गरीबी उन्मूलन के साथ आत्म नभर्जारता प्रा त करना था।

G
इस योजना को डी.पी. धर मॉडल के आधार पर तैयार करना था।

D

इस योजना में न्यूनतम आवश्यकता कायर्जाक्रिम की शुरुआत की गई।

LE

● 2 अक्टू बर, 1975 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की गई।

W
● वषर्जा 1975 में 20-सूत्री कायर्जाक्रिम की शुरुआत हु ई।

O
● काम के बदले अनाज कायर्जाक्रिम इसी योजना में प्रारं भ कया गया।

KN
● उत्पादन व रोजगार के अवसरों का वस्तार करना एवं सामािजक न्याय का वस्तृत कायर्जाक्रिम बनाना।
● प्राथ मक शक्षा, पेयजल, ग्रामीण सेवाएँ, पोषण, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, ग्रामीण
C
वद्युतीकरण जैसे कायर्जाक्रिमों पर वशेष ध्यान दया गया।
PS
G
C
● आयात प्र तस्थापन एवं नयार्जात संबद्र्जाधन की ओर ध्यान कें द्रित।

E.
● अनावश्यक उपभोग पर रोक लगा दी गई।

G
● न्यायपूणर्जा मज़दूरी कीमत नी त की व्यवस्था।

D
● सामािजक, आ थर्जाक एवं क्षेत्रीय असमानता को कम करना।

LE
● खाद्यान्न भंडार एवं सावर्जाज नक वतरण प्रणाली को बढ़ावा दया गया।

W
● जनता सरकार के सत्ता में आने के बाद इस योजना को एक वषर्जा पहले 1978 में ही बंद कर दी गई।

O
KN
मूल्यांकन
C
खाद्यान्न और सूती वस्त्र के क्षेत्र में उत्पादन में तो संतोषजनक वृद् ध हु ई कं तु अन्य लक्ष्यों को प्रा त करने में
PS

यह योजना सफल नहीं हु ई। सकल घरे लू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) में 4.9 प्र तशत की वृद् ध
G

हु ई जब क प्र तव्यिक्त आय में 0.75 प्र तशत की वृद् ध रही। सरकार द्वारा इस योजना को एक वषर्जा पूवर्जा ही
C

(1977-78 में ) समा त घो षत कर दया गया।


अनवरत योजना, 1978-80 (Rolling plan, 1978-80)

E.
● जनता पाटर्टी द्वारा पाँचवी पंचवषर्षीय योजना को एक वषर्जा पहहले समा त करके एक नई योजना

G
को 1 अप्रैल, 1978 में प्रारं भ कया गया, िजसे ‘अनवरत योजना’ की संज्ञा दी गई। अनवरत

D
योजना का प्र तपादन गुन्नार मडर्जाल ने कया था तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय डी.टी.

LE
लकड़ावाला को जाता है ।

W
● 1979 में ग्रामीण युवा स्वरोज़गार प्र शक्षण कायर्जाक्रिम (ट्रायसेम) की शुरुआत की गई, िजसे 1999

O
में स्वणर्जा जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना में शा मल कया गया।

KN
● काले धन की मात्रा को कम करने के लये उच्च मूल्य की मुद्रिाओं (1000 के नोट) की वैधता
समा त कर दी गई। C
● पूरे दे श में श्राब के उत्पादन, व्यापार, वक्रिय एवं उपभाग पर पाबंदी लगा दी गई।
PS

● सावर्जाज नक बीमा योजना शुरू की गई।


G
C
छठी पंचवषर्षीय योजना, 1980-85 (Sixth five year plan, 1980-85)

E.
● 1 अप्रैल 1979 से 31 माचर्जा 1980 तक को भारत में योजनावकाश माना जाता है । छठी योजना में

G
गरीबी नवारण तथा रोज़गार सृजन पर बल दया गया।

D
● इस योजना का मुख्य लक्ष्य गरीबी नवार, आ थर्जाक वकास, आधु नकीकरण, आत्म नभर्जारता तथा
सामािजक न्याय स्था पत करना था।

LE
● घरे लू ऊजार्जा क्षेत्रों का तेजी से वकास करना तथा ऊजार्जा संरक्षण (Conservation of energy) के कुशल

W
उपयोग पर बल दया गया।
योजना आयोग के कायर्जादल द्वारा ‘गरीबी नदर्दे शंक’ अथार्जात ् ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी

O

क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्र त दन उपभोग गरीबी रे खा के रूप में प रभा षत कया गया।

KN
● इसी योजना में 1980 में 6 वैंकों का राष्ट्रीयकरण कया गया, 12 जुलाई, 1982 को नाबाडर्जा की
स्थापना, 1982 में ही एिक्जम बैंक स्था पत कया गया।मूल्यांकन
C
PS

इस योजना में 5.2 प्र तशत वृद् ध दर पर लक्ष्य नधार्जा रत कया गया था, जब क वास्त वक उपलद् ध 5.7
प्र तशत रही। मुद्रिास्फी त की दर 16.7 प्र तशत से घटकर 5 प्र तशत रह गई। प्र त व्यिक्त आय में 3 प्र तशत
G

वृद् ध हु ई।
C
सातवी पंचवषर्षीय योजना, 1985-90 (Seventh five year plan, 1985-90)

E.
सातवीं योजना का मुख्य उद्दे श्य आ थर्जाक वृद् ध (Economic growth) आधु नकीकरण,

G

आत्म नभर्जारता और सामािजक न्याय पर बल दया गया। इस लक्ष्य को पूरा करने के लये

D
LE
खाद्यान्न उत्पादन में वृद् ध, उत्पादकता व रोज़गार अवसरों में वृद् ध पर वशेष ध्यान दया गया।
● इस योजना में इं दरा आवास योजना (1985-86), जवाहर रोज़गार योजना (1989) और नेहरू रोज़गार

W
योजना (1989) को लागू कया गया।

O
● इस योजना में 1986 में स्पीड पोस्ट व्यवस्था, 1986 में नई दल्ली में ‘कपाटर्जा ’ की स्थापना की गई।

KN
● प्रो. राजकृ ष्णा ने सातवीं योजना को हन्दू वृद् ध दर के रूप में व णर्जात कया है ।
● इस योजना का लक्ष्य 5 प्र तशत वा षर्जाक वकास दर प्रा त करना तथा खाद्यान्नों के उत्पादन में
C
पयार्जा त वृद् ध करना है ।
PS
G
C
सातवीं योजना में सकल घरे लू उत्पाद (GDP) में वृद् ध का लक्ष्य 5 प्र तशत था, जब क वास्त वक वृद् ध 6

E.
प्र तशत रही। प्र तव्यिक्त आय में भी 3.6 प्र तशत की वृद् ध हु ई।

G
D
वा षर्जाक योजनाएँ, 1990-92 (Annual plans, 1990-92)

LE
● राजनी तक अिस्थरता के कारण वषर्जा 1990-92 में दो वा षर्जाक योजनाएँ चलाई गई।

W
● इसी दौरान 1991 में नई आ थर्जाक सुधार की घोषणा की गई।
सरकार ने नघु उद्योंगो के वकास के लये वषर्जा 1990 में सडवी (SIDBI) की स्थापना की।

O

● आठवी पंचवषर्षीय योजना, 1992-97 (Eighth five year plan, 1992-97)

KN
● इस योजना में सवर्वोच्च प्राथ मकता ‘मानव संसाधन का वकास’ अथार्जात ् रोज़गार, शक्षा व
जनस्वास्थ्य को दया गया।
C
● यह योजना उदारीकरण के बाद लागू की गई थी।
PS
● इस योजना में जॉन ड ल्यू मुलर मॉडल को स्वीकार कया गया।
● इस योजना में ल क्षत वकास दर 5.6 प्र तशत की तुलना में वास्त वक उपलि ध 6.8 प्र तशत दजर्जा
G

की गई।
C
प्रारं भक शक्षा को सवर्जाव्यापक बनाना तथा 15 और 35 वषर्जा की आयु के लोगों में नरक्षरता को पूणत
र्जा :

E.
समा त करना।

G
D
LE
वकास प्र क्रिया को स्थायी आधार पर समथर्जान दे ने के लये आधार भूत ढाँचे, ऊजार्जा, प रवहन, संचार, संचाई
आ द को मज़बूत करना।

W
O
मूल्यांकन

KN
इस योजना में भी ऊजार्जा क्षेत्र को प्राथ मकता दी गई तथा सावर्जाज नक प रव्यय का 26.6 प्र तशत इस मद में
C
उपल ध कराया गया।
PS

कृ ष क्षेद्ध में भी लक्ष्य 3.1 प्र तशत से अ धक वृद् ध दर (3.6 प्र तशत) प्रा त की गई। औद्यो गक क्षेत्र में
वा षर्जाक वृद् ध इर 8.1 प्र तशत जो नधार्जा रत लक्ष्य 8.5 प्र तशत से कम रही।
G
C
नौवीं पंचवषर्षीय योजना, 1997-2002 (Ninth five year plan, 1997-2002)

E.
नौवी पंचवषर्षीय योजना का मुख्य उद्दे श्य सामािजक न्याय और समानता के साथ आ थर्जाक संवद्
ृ ध था

G

। इस लक्ष्य को पूरा करने के लये जीवन स्तर, रोज़गार सृजन, आत्म नभर्जारता और क्षेत्रीय संतुलन

D
LE
जैसे क्षेत्रों पर वशेष बल दया गया।
● मूल्य िस्थरता को बनाये रखते हु ए आ थर्जाक वकास की ग त को तेज़ करना।

W
● पंचायती राज संस्थाओं, सहका रताओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को बढ़ावा दे ना।

O
● स्वच्छ पेयजल, प्राथ मक स्वास्थ्य दे ख-रे ख सु वधाएँ, सावर्जाभौ मक प्राथ मक शक्षा एवं आवास जैसी

KN
मूलभूत न्यूनतम सेवाओं की उपल धता सु निश्चत करना।
● इस योजना में ‘स्वणर्जा जयंती शहरी रोजगार योजना, जवाहर ग्राम समृद् ध योजना, स्वणर्जा जयंती ग्राम
C
स्वरोज़गार योजना, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना’ को शा मल कया गया।
PS
G
C
भुगतान संतुलन की िस्थ त को सु निश्चत करना।

E.

● वदे शी ऋण भार को बढ़ने से रोकना तथा उसमें कमी लाना।

G
खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म नभर्जारता प्रा त करना।

D

प्राकृ तक संसाधनों का समु चत उपयोग तथा संरक्षण करना।

LE

W
मूल्यांकन

O
KN
प्रारं भ में इस योजना के लये वा षर्जाक वकास दर 7 प्र तशत नधार्जा रत की गई, कं तु बाद में इसे संशो धत
करके 6.5 प्र तशत कर दया गया; जब क वास्त वक वृद् ध दर 5.5 प्र तशत रही। कृ ष क्षेत्र में 3.9 प्र तशत,
C
उद्योग क्षेत्र में 8.5 प्र तशत, खनन क्षेत्र में 7.2 प्र तशत, व नमार्जाण क्षेत्र में 8.2 प्र तशत, वद्युत क्षेत्र में 9.3
PS

प्र तशत तथा सेवा क्षेत्र में 6.5 प्र तशत वा षर्जाक वृद् ध प्रा त करने का लक्ष्य नधार्जा रत कया गया।
G
C
दसवीं पंचवषर्षीय योजना, 2002-07 (Tenth five year plan, 2002-07)

E.
● यह योजना व्यापक आगत- नगर्जात मॉडल पर आधा रत थी।

G
● इस योजना में कृ ष पर सवार्जा धक बल दया गया जब क सवार्जा धक व्यय ऊजार्जा पर कया गया।
मौ द्रिक तथा राजकोषीय नी त को और लचीला बनाने पर ज़ोर दया गया।

D

सामािजक क्षेत्र एवं आधा रक संरचना पर बल दया गया।

LE

● दे श में क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के उद्दे श्य से राज्य स्तर पर वशेष लक्ष्य नधार्जा रत कये गए।

W
● उन क्षेत्रों में तेज़ी से वकास कया जाना, िजनमें रोज़गार प्रदान करने की संभावनाएँ हैं। इनमें कृ ष,
नमार्जाण, पयर्जाटन, लघु उद्योग, खुदरा, सूचना प्रौद्यो गकी और संचार क्षेत्र में संबं धत सेवाएँ आ द हैं

O

KN
मूल्यांकन
C
PS

इस योजना में ल क्षत वकास दर 8 प्र तशत थी, जब क वास्त वक उपलि ध लगभग 7.6 प्र तशत रही, जो
क लक्ष्य के काफी नज़दीक रही। इस योजना में नवेश की दर सकल घरे लू उत्पाद का 32.1 प्र तशत रही है ,
G

जब क लक्ष्य 28.41 प्र तशत का था। सकल घरे लू बचत जी.डी.पी. का 23.31 प्र तशत रखने का लक्ष्य था,
C
यारहवी पंचवषर्षीय योजना, 2007-12 (Eleventh five year plan, 2007-12)

E.
G
● ग्यारहवीं पंचवषर्षीय योजना का उद्दे श्य वकास को और अ धक पूणत
र्जा ा बढ़ाते हु ए इसकी तीव्र ग त

D
प्रा त करना है । इसका मुख्य उद्दे श्य तीव्रतर और अ धक समावेशी वकास करना है ।

LE
● 7 वषर्जा से अ धक आयु वगर्जा में साक्षरता दर को 80 प्र तशत करना।
मातृत्व मृत्यु दर को घटाकर 1 प्र त हज़ार जी वत जन्म के स्तर पर लाना।

W

कुल प्रजनन दर को 2.1 प्र तशत तक नीचे लाना।

O

ग्रामीण क्षेत्र में नधर्जानता रे खा से नीचे रहने वाले सभी प रवारों तक बजली की पहु ँच सु निश्चत

KN

करना।
कृ ष क्षेत्र में औसत वृद् ध दर 3.6 प्र तशत (लक्ष्य 4.0 प्र तशत) प्र तवषर्जा। इसके अ त रक्त कृ ष

C
PS
क्षेत्र में लगभग 58.2 प्र तशत लोगों को रोज़गार प्रा त हु आ।
● योजना लक्ष्य 9.0 प्र तशत नधार्जा रत कया गया था, बाद में इसे 8.1 कर दया गया कं तु
G

वास्त वक प्राि त 8 प्र तशत दजर्जा की गई।


C
E.
बारहवीं पंचवषर्षीय योजना, 2012-17 (Twelth five year plan,2012-17)

G
● 12वीं पंचवषर्षीय योजना का मुख्य उद्दे श्य तीव्र धारणीय एवं अ धक समावेशी वकास था।
इस योजना में ऊजार्जा एवं सामािजक क्षेत्र को प्राथ मकता दी गई।

D

12वीं पंचवषर्षीय योजना के आ थर्जाक क्षेत्रक में कृ ष, उद्योग, ऊजार्जा, प रवहन, संचार, ग्रामीण वकास

LE

एवं शहरी वकास को शा मल कया गया तथा सामािजक क्षेत्रक में स्वास्थ्य, शक्षा, रोज़गार और
कौशल वकास, म हला अ भकरण, बाल अ धकार एवं सामािजक समावेशन को शा मल कया

W
गया। िजसकी व्याख्या नम्न ल खत है

O
KN
C
PS
G
C
C
G
PS
C
KN
O
W
LE
D
G
E.

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