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INTRODUCTION

रक्ताल्पता (रक्त+अल्पता)(Anemia), का साधारण मतलब रक्त (खनू ) की कमी है। यह लाल रक्त कोशिका में पाए
जाने वाले एक पदाथथ (कण) रूधिर वधणिका याशन हीमोग्लोशबन की सख्ं या में कमी आने से होती है। हीमोग्लोशबन के
अणु में अनचाहे पररवतथन आने से भी रक्ताल्पता के लक्षण प्रकट होते हैं। हीमोग्लोशबन परू े िरीर मे ऑक्सीजन को
प्रवाशहत करता है और इसकी संख्या मे कमी आने से िरीर मे ऑक्सीजन की आपशू तथ मे भी कमी आती है शजसके
कारण व्यशक्त थकान और कमजोरी महससू कर सकता है। समान्यत हीमोग्लोशबन की मात्रा सभी मे 12.0-15.5 होनी
चाशहए।
कारण
 शयीय द्वाया रौह औय अन्म आहाय के उऩमोग भे सभस्मा।
 रौहतत्व मुक्त बोजन का अऩमााप्त सेवन।
 भुुंह, आहाय-नार, आभाशम मा आुंतों भे यक्तस्राव।
 मोननक यक्तस्राव मा बायी भाससक स्राव।
 एक वषा से कभ आमु के सशशुओुं द्वाया गाम मा फकयी के दध
ू का सेवन।
 सशशुओुं को ददमे जाने वारे खाद्म अनुकल्ऩ भे रौहतत्व की कभी।
लक्षण
 थकान मा कभजोयी अनुबव कयना।
 त्वचा, होठ, भसड
ू ों, आुंखों, नाखन

औय हथेसरमों का ऩीरा होना।
 स्ऩष्ट सोचने भे ऩये शानी मा भ्रभ
अनुबव कयना।
 चक्कय आना मा फेहोशी छाना।
 हाुंपना मा सीने भे ददा ।
 ददर की धडकनों का तेज होना।
 सशशओ
ु ुं औय फच्चों का धीभा ववकास।
समाधान
एनीसभमा योग जजसे दहुंदी भें खन
ू की कभी कहा जाता है । खन
ू की कभी होने से शयीय भें अनेको योग
होने रगते है । शयीय भें खन
ू की कभी को दयू कयने के सरए कुछ ननम्न घये रु उऩचाय है । योजाना
सुफह बीगे हुए फादाभ का सेवन कये ,इससे शयीय भें जल्दी यक्त की ववृ ि होगी। अऩने आहाय भें
अधधक भेथी की सब्जी शासभर कये , क्मोंकक भेथी भें फहुत से ववटासभन व खननज होते है । जो शयीय
भें हीभोग्रोबफन को फढाने भें सहामता कयते है । खून की कभी को दयू कयने के सरए सोमाफीन फहुत
भहत्वऩूर्ा है । इसका सेवन अधधक कये । परो भें सेफ फहुत अच्छा भाना जाता है । सेफ का सेवन
योजाना कये । एनीसभमा को दयू कयने के सरए तुरसी फहुत अच्छा औषधीम होता है । इसभें फहुत से
एुंटीऑक्सीडेंट जो यक्त की भात्रा फढने भें सहामता कयते है ।
 धचककत्सक की सराह अनस
ु ाय अऩने बोजन ऩय ववशेष ध्मान दे ना।
 हयी ऩत्तेदाय सजब्जमों, अुंडों, रार भाुंस, पर, दग्ु ध-उत्ऩाद, भेवों, पसरमों औय भछरी को अऩने
बोजन भे शासभर कयना।
 धचककत्सक की सराह अनस
ु ाय कोई रौह-ऩयू क (आमयन सप्रीभें ट) रेना।
 प्रनतददन ६-८ ग्रास तयर ऩदाथा रेना।
 कभ हुए रौहतत्व औय यक्त की ऩूनता के सरए यक्ताधान कयवाना।
 आमयन औय ऩूयक ववटासभन: मे आभतौय ऩय शयीय भें आमयन के स्तय की जस्थनत के
भूल्माुंकन के फाद डॉक्टय द्वाय ऩयाभशा ककमा जाता है । डॉक्टय के ऩयाभशा के अनुसाय
आमयन रेना भहत्वऩूर्ा है , क्मोंकक आवश्मकता से अधधक आमयन गुंबीयता से ववषाक्त हो
सकता है ।
 आमयन इुंजेक्शन औय यक्ताधान: अधधक गुंबीय भाभरों भें इुंजेक्शन मा यक्ताधान आमयन
के स्तय औय भौखखक धचककत्सा की सभस्माओुं के आधाय ऩय जरूयत हो सकती है ।
 एुंटीफामोदटक्स औय सुंक्रभर् का प्रफुंधन: सुंक्रभर् होने ऩय तुयुंत उऩचाय की आवश्मकता
सुननजश्चत कयने की आवश्मकता होती है
 ददा शाभक औषधध से फचना – मे दवामें जो यक्तस्राव भें मोगदान कयती है
 भाहवायी के दौयान गुंबीय यक्तस्राव जैसी सभस्माओुं के सरए सजायी कयने से, गुंबीय
यक्तसुंरामी यक्ताल्ऩता के भाभरों भें यक्तस्राव योकने की जरूयत होती है , प्रीहा को
ननकारा जा सकता है । मदद आऩको खडे होते ही चक्कय आते हैं मा आऩ हाुंपने रगते हैं
तो तुयुंत अऩने डॉक्टय से सुंऩका साधे।

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