Professional Documents
Culture Documents
Test-5 Prelims 2024
Test-5 Prelims 2024
www.visionias.in
TEST BOOKLET
INSTRUCTIONS
1. IMMEDIATELY AFTER THE COMMENCEMENT OF THE EXAMINATION, YOU SHOULD CHECK THAT THIS BOOKLET
DOES NOT HAVE ANY UNPRINTED OR TURN OR MISSING PAGES OR ITEMS, ETC. IF SO, GET IT REPLACED BY A
COMPLETE TEST BOOKLET.
2. ENCODE CLEARLY THE TEST BOOKLET SERIES A, B, C OR D AS THE CASE MAY BE IN THE APPROPRIATE PLACE IN
THE ANSWER SHEET.
3. You have to enter your Roll Number on the Test Booklet in the Box
provided alongside. Do NOT write anything else on the Test Booklet.
4. This Test Booklet contains 100 items (Questions). Each item is printed in English & Hindi. Each item comprises
four responses (answers). You will select the response which you want to mark on the Answer Sheet. In case
you feel that there is more than one correct response with you consider the best. In any case, choose ONLY
ONE response for each item.
5. You have to mark all your responses ONLY on the separate Answer Sheet provided. See direction in the
answers sheet.
6. All items carry equal marks. Attempt all items. Your total marks will depend only on the number of correct
responses marked by you in the answer sheet. For every incorrect response 1/3rdof the allotted marks will be
deducted.
7. Before you proceed to mark in the Answer sheet the response to various items in the Test booklet, you have to
fill in some particulars in the answer sheets as per instruction sent to you with your Admission Certificate.
8. After you have completed filling in all responses on the answer sheet and the examination has concluded, you
should hand over to Invigilator only the answer sheet. You are permitted to take away with you the Test
Booklet.
9. Sheet for rough work are appended in the Test Booklet at the end.
(d) 1, 2 और 3
4. हहंदस्ु तािी िास्त्रीय संिीत की ध्रुपद िैिी के संदर्भ में,
गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिए:
1. ध्रुपद की िोकगप्रयता के गिए ग्िागियर के 7. उत्तर िैकदक काि के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों में
महारािा माि हसंह तोमर मुख्य रूप से
उत्तरदायी थे। से कौि-सा सही िहीं है?
2. तािसेि, िो अकबर के रािदरबार में थे, एक
(a) रािा के पास एक स्थायी सेिा थी।
महत्िपूर्भ ध्रुपद िायक थे।
(b) समाि चार िर्ों में गिर्क्त हो िया था।
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(a) के िि 1 (c) यज्ञ की दगक्षर्ा में र्ूगमदाि की प्रथा उत्तर िैकदक
(b) के िि 2 काि में प्रचगित िहीं हुई थी।
(c) 1 और 2 दोिों (d) देिताओं की आराधिा के रूप में यज्ञ एिं अिुष्ठाि
(d) ि तो 1, ि ही 2 प्रमुि हो िए।
10. िैि धमभ के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिए:
(a) के िि 1 (a) के िि 1 और 2
(b) के िि 1 और 2 (b) के िि 2 और 3
(c) के िि 1
(c) के िि 3
(d) 1, 2 और 3
(d) के िि 2 और 3
5 www.visionias.in ©Vision IAS
14. Consider the following statements with 17. In the context of ancient India, the terms
respect to the Ancient Monuments and
bhuktis, vishayas and vithis refer to
Archeological Sites and Remains (AMASR)
(a) coins
Act of 1958:
1. The act regulates the archeological (b) administrative divisions
excavation and looks into the (c) administrative officials
preservation of sculptures and carvings.
(d) books
2. According to the AMASR Act of 1958,
Archeological Site means any area
which contains ruins and relics of 18. With reference to the Mansabdari system
historical or archeological importance
during the Mughal rule, consider the
which have been in existence for not less
than 1000 years. following statements:
3. The recent Amendment to the act gives 1. It was established by Babur after his
state governments the power to extend
victory in the first battle of Panipat.
the area beyond 100 meters around
protected areas. 2. Under this system, the Mansabdars were
Which of the statements given above is/are supposed to maintain their own military
correct?
force.
(a) 1 only
(b) 2 only 3. The salaries of the Mansabdars were
context of:
16. Which one of the following philosophical
systems believes only in materialism? (a) BRICS
(a) Samkhya (b) World Bank
(b) Lokayata
(c) OECD
(c) Vaisesika
(d) Mimamsa (d) G20
6 www.visionias.in ©Vision IAS
14. 1958 के प्राचीि संस्मारक तथा पुरातत्िीय स्थि और 17. प्राचीि र्ारत के संदर्भ में, िब्द र्ुगक्त, गििय और
िाता था।
15. हड़प्पा सभ्यता के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर
गिचार कीगिएः उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
1. हड़प्पािासी दुिाभ, अंबा, कािी िैसी देगियों की
(a) के िि 1 और 2
पूिा करते थे।
2. हड़प्पािासी हिंि पूिा करते थे। (b) के िि 2 और 3
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(c) के िि 1 और 3
(a) के िि 1
(b) के िि 2 (d) के िि 2
(c) 1 और 2 दोिों
(d) ि तो 1, ि ही 2
19. “स्टाटभअप20 इं िि
े मेंट ग्रुप (SUMup)” प्रायः ककसके
16. गिम्नगिगित दािभगिक पद्धगतयों में से कौि-सी के िि संदर्भ में, सुर्िभयों में रहा है?
22. Consider the following statements regarding offenders. In this context, consider the
Rudradaman I: following statements:
1. He took measures to improve the 1. The term ‘fugitive economic offender’
Sudarsana lake in the semi-arid zone of
(FEO) is not defined under any statute in
Kathiawar.
India.
2. He issued the first-ever long inscription
2. The government of India can confiscate
in chaste Sanskrit.
3. It was during his reign that Saint the properties of economic offenders
Thomas is said to have come to India for who have left the country.
the propagation of Christianity. Which of the statements given above is/are
Which of the statements given above is/are
correct?
correct?
(a) 1 only
(a) 1 only
(b) 2 only
(b) 1 and 2 only
(c) 2 and 3 only (c) Both 1 and 2
(d) 1, 2 and 3 (d) Neither 1 nor 2
8 www.visionias.in ©Vision IAS
20. गििेि रूप से कमिोर िििातीय समूहों (PVTGs) 23. गिम्नगिगित युग्मों पर गिचार कीगिएः
(b) के िि 2 और 3
24. र्ारत के प्रािैगतहागसक काि के संदर्भ में, ितभ आिास
(c) के िि 1 और 3
मुख्य रूप से संबद्ध थे:
(d) 1, 2 और 3
(a) मास्की से
(b) बुिभहोम से
21. र्ारतीय इगतहास के संदर्भ में, "िुद-काश्त" और
(c) बुिकरों के गिए 25. हाि ही में, र्ारत िे िी-20 देिों से र्िोड़े आर्थभक
(d) ककसािों के गिए अपरागधयों के िीघ्र प्रत्यपभर् के गिए
बहुपक्षीय कारभ िाई अपिािे का आह्िाि ककया है।
22. रुद्रदामि प्रथम के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर
इस संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार
गिचार कीगिए:
कीगिएः
1. उसिे कारठयािाड़ के अधभ-िुष्क क्षेत्र में सुदिभि
झीि के पुिरुद्धार के गिए कायभ ककया। 1. 'र्िोड़ा आर्थभक अपराधी' (FEO) िब्द को
2. उसिे गििुद्ध संस्कृ त में पहिा िृहद गििािेि र्ारत में ककसी र्ी कािूि के तहत पररर्ागित
िारी ककया। िहीं ककया िया है।
3. कहा िाता है कक उसके िासिकाि के दौराि सेंट 2. र्ारत सरकार देि छोड़िे िािे आर्थभक
थॉमस ईसाई धमभ के प्रचार के गिए र्ारत आया अपरागधयों की संपगत्तयों को िब्त कर सकती है।
था।
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(a) के िि 1
(a) के िि 1
(b) के िि 2
(b) के िि 1 और 2
(d) 1, 2 और 3 (d) ि तो 1, ि ही 2
गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिए : के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिए:
1. इस अिगध के दौराि दीिािी एिं आपरागधक 1. एंटोगियो मोंसेरेट, एक पुतभिािी पादरी था गिसे
गिगधयों को स्पष्ट रूप से पररर्ागित और अकबर को ईसाई धमभ में पररिर्तभत करिे के गिए
मुिि दरबार में र्ेिा िया था।
सीमांककत ककया िया था।
2. फ्ांस्िा बर्िभयर एक फ्ांसीसी था, गिसिे
2. गिगधयां िर्भ र्ेद पर आधाररत थीं।
रािकु मार दारा गिकोह के गचककत्सक के रूप में
3. कारीिरों, व्यापाररयों की श्रेगर्यां स्िगिर्मभत सेिा की थी।
3. सर टॉमस रो एक अंग्रेि राििगयक था, िो
गिगधयों िारा िागसत होती थीं।
गब्ररटि ईस्ट इं गडया कं पिी के गिए व्यापाररक
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं? अगधकार प्राप्त करिे हेतु सम्राट िाहिहााँ के
दरबार में आया था।
(a) के िि 2 और 3
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(b) 1, 2 और 3
(a) के िि 1 और 3
(c) के िि 1 और 2 (b) के िि 2 और 3
(d) के िि 3 (c) के िि 2
(d) के िि 1 और 2
िािे िािी प्रथा है, गिसे के िि न्यायाधीिों िारा 30. मध्यकािीि र्ारत के संदर्भ में, करागचि अगर्याि
1. अमििुिार (d) के िि 1 और 3
2. बख्िी
3. फौिदार 44. र्ारत के सांस्कृ गतक इगतहास के संदर्भ में, 'अरबस्क'
4. िाककया-ििीस
था:
िीचे कदए िए कू ट का प्रयोि कर सही उत्तर चुगिए।
(a) किात्मक सिािट का एक रूप।
(a) के िि 1, 2 और 3
(b) सूफी संिीत का एक रूप।
(b) के िि 1 और 2
(c) मुिि काि के दौराि कु िीि मगहिाओं िारा
(c) के िि 2 और 4 पहिे िािे िािे आर्ूिर् का एक प्रकार।
(d) के िि 1, 3 और 4 (d) गििेि अिसरों के दौराि तैयार ककया िािे िािा
एक मुिि व्यंिि।
41. बीिापुर के िोि िुंबद के संदर्भ में, गिम्नगिगित
कथिों पर गिचार कीगिए: 45. गिम्नगिगित प्राचीि ग्रंथों में से ककसकी रचिा
1. यह मुहम्मद आकदि िाह का मकबरा है।
कागिदास िारा िहीं की िई है?
2. यह स्मारक दीिार गिहीि है तथा यह बाहर और
अंदर दोिों तरफ से िोिाकार है। (a) कु मारसंर्िम्
गिम्नगिगित कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं? (b) गिक्रमोिभिीयम्
(a) के िि 1 (c) गििुपाििधम्
(b) के िि 2 (d) अगर्ज्ञाििाकुं तिम
(c) 1 और 2 दोिों
(d) ि तो 1, ि ही 2
46. ऋग्िैकदक काि के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर
गिचार कीगिएः
42. ‘प्रोिेक्ट एिोरा’ के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर 1. रािा का पद सामान्यतः आिुिंगिक था।
गिचार कीगिए: 2. गिदथ और िर् की िैसे संिठि राििीगतक दृगष्ट
1. यह संस्कृ गत मंत्रािय की एक पहि है। से सिाभगधक महत्िपूर्भ थे।
2. इसका उद्देश्य 'दुिर्
भ ' र्ारतीय र्ािाओं को 3. ऋग्िेद में ककसी तरह के न्यागयक अगधकारी का
ऑििाइि उपिब्ध करािा और उन्हें संरगक्षत उल्िेि िहीं ककया िया है।
करिा है।
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही िहीं है/हैं?
(a) के िि 1
(a) के िि 1
(b) के िि 1 और 3
(b) के िि 2
(c) 1 और 2 दोिों (c) के िि 2 और 3
(d) ि तो 1, ि ही 2 (d) 1, 2 और 3
15 www.visionias.in ©Vision IAS
48. The art form deals with themes that narrate Pradesh only.
the social lifestyle and activities of village 3. The rulers of the empire had friendly ties
life in the Maharashtra region. Spiral with the sultan of Madurai.
formations of men and women and Which of the statements given above is/are
concentric circular designs in these paintings correct?
are symbolic of the Tarpa dance. They (a) 1 only
simply paint on mud and cow dung based
(b) 3 only
surface, coated with geru (red mud) first and
(c) 1 and 3 only
then with rice paste for the colour white.
(d) 1, 2 and 3
Salati grass or bamboo sticks are used in
place of brush for painting.
Which of the following is best described in 52. Consider the following statements with
the passage given above? respect to "Organ-on-a-chip" technology:
(a) Gond painting 1. It is an integrated circuit that simulates
(b) Santhal Painting the activities and physiological response
(c) Phad Painting
of an organ.
(d) Warli Painting
2. It is entirely artificial and does not
contain any human cells.
49. Consider the following pairs:
Painting school Region 3. It can be used to replace animals for the
1. Cherial Scroll Painting : Kerala testing of drugs.
2. Madhubani Painting : Bihar Which of the statements given above are
3. Patachitra Painting : Odisha correct?
4. Picchvai Painting : Rajasthan (a) 1 and 3 only
Which of the pairs given above are correct? (b) 1 and 2 only
(a) 1 and 3 only
(c) 2 and 3 only
(b) 2 and 4 only
(d) 1, 2, and 3
(c) 2, 3 and 4 only
(d) 1, 3 and 4 only
53. Krishnattam and Mudiyettu are theatres
50. Recently Salal-Haimana area was reported to associated with which of the following
have huge resources of Lithium. It is located states?
in which of the following regions of India? (a) Kerala
(a) Arunachal Pradesh (b) Tamil Nadu
(b) Bundelkhand
(c) Andhra Pradesh
(c) Hyderabad
(d) Karnataka
(d) Jammu and Kashmir
16 www.visionias.in ©Vision IAS
(b) के िि 2
(c) के िि 3
58. प्राथगमक कृ गि सहकारी साि सगमगतयों (PACS) के
(d) के िि 1 और 2
संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिए:
55. र्ारत में मुिि िासि के संदर्भ में, गिम्नगिगित 1. िे गिगर्न्न कृ गि और ककसािी िगतगिगधयों के
कथिों पर गिचार कीगिएः
गिए ककसािों को अल्पकागिक और मध्यम
1. दक्कि पर पहिा मुिि आक्रमर् अकबर के
अिगध के कृ गि ऋर् प्रदाि करते हैं।
िासिकाि के दौराि हुआ था।
2. िहांिीर के िासिकाि के दौराि महाबत िाि 2. िे राज्य सहकारी बैंकों (SCBs) और गििा
का गिद्रोह हुआ था, गिसके कारर् मुिि सम्राट
कें द्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs) सगहत तीि
की गिरफ्तारी हुई।
3. औरं ििेब के िासि काि में अहमदििर के स्तरों के सबसे गिचिे स्तर का िठि करते हैं।
गििाम िाही राज्य का अंत हो िया।
3. उन्हें र्ारतीय ररििभ बैंक िारा गिगियगमत ककया
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
िाता है।
(a) के िि 1
(b) के िि 1 और 2 उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(c) के िि 1 और 3 (a) के िि 1 और 2
(d) के िि 3
(b) के िि 2 और 3
68. छत्रपगत गििािी के अधीि मराठा प्रिासि के संदर्भ 71. कु गचपुड़ी िृत्य के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों में से
2. दबीर : गिदेि मामिे (b) प्रारंर् में के िि पुरुि िृत्य करते थे िेककि अब
were meant for Jain monks. 78. Consider the following passage :
Which of the statements given above is/are This school of philosophy's name literally
correct? means the art of reasoning and
interpretation. It provided reasoning for
(a) 1 only various Vedic rituals, and the attainment of
(b) 2 only salvation was made dependent on their
(c) Both 1 and 2 performance. According to this school, the
Vedas contain the eternal truth. The
(d) Neither 1 nor 2 principal object of this philosophy was to
acquire heaven and salvation. In order to
75. Which of the following is a campaign attain salvation this school strongly
recommended the performance of Vedic
initiated by UNICEF in Rajasthan, which sacrifices, which needed the services of the
aims to cover tankas, the traditional priests and legitimized the social distance
rainwater harvesting system, in order to between various varnas.
Which of the following schools of
reduce the incidents of suicides in the state? philosophy is being described in the passage
(a) Jal Jeevan Abhiyan given above?
(b) Anmol Jeevan Abhiyan (a) Sankhya
(b) Mimamsa
(c) Nirmal Jal Abhiyan (c) Vedanta
(d) Vidyut Jal Abhiyan (d) Lokayata
24 www.visionias.in ©Vision IAS
(b) के िि 2
77. सम्राट हिभिधभि के िासिकाि के संदर्भ में,
(c) 1 और 2 दोिों
गिम्नगिगित कथिों पर गिचार कीगिएः
(d) ि तो 1, ि ही 2 1. उसिे कन्नौि को अपिी रािधािी बिाया।
2. उसके िासिकाि में पुरोगहतों को र्ूगम अिुदाि
देिे की प्रथा पर रोक ििा दी ियी थी ।
74. उदयगिरर-िंडगिरर िुफाओं के संदर्भ में, गिम्नगिगित 3. ह्िेिसांि के अिुसार, उसके िासिकाि में गिगध
कथिों पर गिचार कीगिए: व्यिस्था अच्छी िहीं थी।
1. इि िुफाओं में पाि रािाओं के गििािेि हैं। उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(a) के िि 1
2. गििािेिों के अिुसार, ये िुफाएं िैि गर्क्षुओं के
(b) के िि 2 और 3
गिए थीं।
(c) के िि 1 और 3
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(d) 1, 2 और 3
(a) के िि 1
(a) It is a tax levied on an unforeseen or (a) religious sacrifices to the deities during
unexpectedly large profit. Mauryan period.
(b) It is a tax levied to limit tax exemptions (b) land grants to Brahmanas by royal
availed by companies. patronage.
(c) It is a type of transfer tax on money or (c) officials below district level during
property that one living person or Gupta period.
corporate entity gives to another. (d) type of idol casting method used during
(d) It is a tax levied on profit from the sale Post – mauryan period
of property or an investment.
84. With reference to medieval India, which of
81. With reference to Ulugh Khan or Balban, the following foreign travelers visited the
consider the following statements: Vijayanagar Empire?
1. He introduced the Chahalgani system.
1. Fernao Nuniz
2. He began an era of decentralized
2. Nicolo de Conti
government for the first time.
3. Abdur Razzak
3. He was the first who set up a separate
4. Ibn Battuta
ariz’s department in India.
Select the correct answer using the code
Which of the statements given above is/are
given below.
correct?
(a) 1 and 2 only
(a) 1 only
(b) 1 and 3 only
(b) 2 only
(c) 2, 3 and 4 only
(c) 1 and 3 only
(d) None (d) 1, 2, 3, and 4
26 www.visionias.in ©Vision IAS
3. उसिे िाद्यान्न की कमी के दौराि आपूर्तभ करिे के 2. र्ारत का ििर्ि 40% मैंग्रोि अके िे ओगडिा
गिए िोदामों की स्थापिा की। राज्य में पाया िाता है।
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं? उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
(a) के िि 1 (a) के िि 1
(b) के िि 2
(b) के िि 2
(c) के िि 1 और 3
(c) 1 और 2 दोिों
(d) के िि 2 और 3
(d) ि तो 1, ि ही 2
period, which of the following famous ports Which of the pairs given above are correctly
ककसािों और राज्य के बीच समाि रूप से उपयुभक्त युग्मों में से ककतिे सही सुमेगित हैं?
गिर्ागित ककया िाता था। (a) के िि एक युग्म
(c) 1 और 2 दोिों
89. गिम्नगिगित युग्मों पर गिचार कीगिएः
(d) ि तो 1, ि ही 2
क्षेत्रीय संिीत क्षेत्र
2. सोपारा (a) के िि 1 और 3
3. ताम्रगिगप्त (b) के िि 2, 3 और 4
4. अररकामेडु (c) के िि 1, 2 और 3
िीचे कदए िए कू ट का प्रयोि कर सही उत्तर चुगिए। (d) के िि 2 और 4
(a) के िि 1 और 2
correct?
96. Consider the following statements with
(a) 1 and 2 only
regard to Qutub Minar:
(b) 2 and 3 only
1. The construction of the Minar was
(c) 1 and 3 only
started by Qutubuddin Aibak and
(d) 1, 2 and 3
completed by Balban.
2. Alai Darwaza associated with Qutub
93. With reference to Indian history, Rekhapida,
Minar was constructed by Alauddin
Pidhadeul and Khakra are related to:
Khilji.
(a) Rich cuisine culture of Western India Which of the statements given above is/are
(b) Temple architecture in eastern India not correct?
(c) Geometric scales given in Surya (a) 1 only
Siddhanta (b) 2 only
(d) Revenue collection systems in various (c) Both 1 and 2
parts of India (d) Neither 1 nor 2
30 www.visionias.in ©Vision IAS
(a) के िि एक युग्म
उपयुभक्त युग्मों में से ककतिे सही सुमेगित हैं?
(b) के िि दो युग्म
(a) के िि एक युग्म
(c) के िि तीि युग्म
(b) के िि दो युग्म
(d) उपयुभक्त में से कोई िहीं
(c) के िि तीि युग्म
(d) सर्ी चारों युग्म 95. हड़प्पा व्यापार के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर
गिचार कीगिए:
1. हड़प्पािासी व्यापार में आहत गसक्कों का प्रयोि
92. धमभपाि के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर गिचार
करते थे।
कीगिएः
2. हड़प्पािागसयों के अफिागिस्ताि और ईराि के
1. िह पाि िंि का संस्थापक था।
साथ व्यापाररक संबंध थे।
2. उसिे गिक्रमगििा गिश्वगिद्यािय की स्थापिा उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही है/हैं?
की, िो िािंदा के बाद दूसरे सबसे गिख्यात
(a) के िि 1
गिश्वगिद्यािय के रूप में उर्रा।
(b) के िि 2
3. कन्नौि क्षेत्र पर दािे के कारर् प्रगतहार िासक
(c) 1 और 2 दोिों
ित्सराि के साथ उसका संघिभ हुआ।
उपयुभक्त कथिों में से कौि-से सही हैं? (d) ि तो 1, ि ही 2
(a) के िि 1 और 2
96. कु तुब मीिार के संदर्भ में, गिम्नगिगित कथिों पर
(b) के िि 2 और 3
गिचार कीगिए:
(c) के िि 1 और 3
1. मीिार का गिमाभर् कु तुबुद्दीि ऐबक िारा िुरू
(d) 1, 2 और 3 ककया िया था और बिबि िारा इसको पूरा
ककया िया था।
2. कु तुब मीिार से िुड़ा अिाई दरिािा अिाउद्दीि
93. र्ारतीय इगतहास के सन्दर्भ में, रे िापीड़ा, पीढ़ादेउि
गिििी िारा बििाया िया था।
और िािरा संबंगधत हैं:
उपयुभक्त कथिों में से कौि-सा/से सही िहीं है/हैं?
(a) पगिमी र्ारत की समृद्ध व्यंिि संस्कृ गत से
(a) के िि 1
(b) पूिी र्ारत में मंकदर िास्तुकिा से
(b) के िि 2
(c) सूयभ गसद्धांत में कदए िए ज्यागमतीय पैमािे से
(d) र्ारत के गिगर्न्न गहस्सों में रािस्ि संग्रह प्रर्ािी (c) 1 और 2 दोिों
से (d) ि तो 1, ि ही 2
31 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 1.B
● हड़प्पा संस्कृ ति कांस्य युग से संबंतिि है। हड़प्पा के लोग पत्थर के अनेक औजारों और उपकरणों का प्रयोग करिे थे, लेककन वे
कांस्य के तनर्ााण और प्रयोग से भी भली-भांति पररतिि थे।
● सार्ान्यिः कांसा, िांबे र्ें रिन तर्लाकर िािुतितपपयों द्वारा बनाया जािा था। िंकक दोनों र्ें से कोई भी िािु हड़प्पाई लोगों
को आसानी से उपलब्ि नहीं थी, इसतलए हड़प्पा र्ें कांसे के औजार बहुिायि र्ें नहीं तर्लिे हैं।
● हड़प्पाई स्थलों से जो कांसे के औजार और हतथयार तर्ले हैं उनर्ें रिन की र्ात्रा बहुि कर् है। किर भी, हड़प्पावातसयों द्वारा
छोड़ी गई कांसे की वस्िुएं नगण्य नहीं हैं। इन वस्िुओं से संकेि तर्लिा है कक हड़प्पा सर्ाज र्ें तितपपयों र्ें कसेरों (कांस्य-
तितपपयों) के सर्ुदाय का र्हत्वपणा स्थान है। वे प्रतिर्ाओं और बिानों के साथ-साथ कई िरह के औजार और हतथयार भी बनािे
थे, जैस-े कु पहाड़ी, आरी, छु रा और बरछा। हालांकक यह सभ्यिा लौह युग से बहुि पहले की थी िथा हड़प्पा सभ्यिा र्ें लोहे का
संदभा और प्रयोग नहीं तर्लिा है। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● हड़प्पाई िहरों र्ें कई अन्य र्हत्वपणा तिपप भी प्रितलि थे। र्ोहनजोदड़ो से बुने हुए सिी कपडे का एक िुकड़ा तनकला है और
कई वस्िुओं पर कपड़े की छाप देखने र्ें आई है। किाई के तलए िकतलयों का इस्िेर्ाल होिा था। बुनकर 'ऊनी और सिी वस्त्र'
बुनिे थे। ईंिों की तविाल इर्ारिों से पिा िलिा है कक स्थापत्य (राजगीरी) एक र्हत्वपणा तिपप था। इससे राजगीरों
(स्थापतियों) के वगा के अतस्ित्व का भी आभास तर्लिा है।
● हड़प्पाई लोग नाव बनाने का काया भी करिे थे। तर्ट्टी की र्ुहरें बनाना और तर्ििी की र्र्िायां बनाना भी र्हत्वपणा तिपप थे।
स्वणाकार िांदी, सोना और बहुर्पय रत्नों के आभषण बनािे थे। सोना िांदी अिगातनस्िान से और रत्न दतिण भारि से आिे थे।
हड़प्पाई कारीगर र्तणयों के तनर्ााण र्ें भी तनपुण थे। इसतलए कथन 2 सही है।
● कु म्हार का िाक खब प्रिलन र्ें था और हड़प्पाई लोगों के र्ृद्ांडों की अपनी ख़ास तविेषिाएं थीं। ये भांडों को तिकना और
िर्कदार बनािे थे। इसतलए कथन 3 सही है।
Q 2.B
● र्दन्ना और अक्कन्ना दो ब्राह्मण भाई थे जो 17वीं ििाब्दी र्ें गोलकुं डा सपिनि के अंतिर् दो दिकों र्ें प्रर्ुखिा से उभरे ।
● उस सर्य गोलकुं डा का सुपिान अबुल हसन कु िुब िाह (1626-72 ई) था। उसने औरं गजेब के सबसे बड़े पुत्र राजकु र्ार
र्ुहम्र्द सुपिान को तनकाह हेिु अपनी पुत्री देकर 1657 ई. र्ें र्ुगलों के साथ िांति खरीदी थी। वह एक तिया था और उसने
अपने दो सिर् ब्राह्मण र्ंतत्रयों, र्दन्ना और अक्कन्ना को प्रिासन का काया सौंपा था।
● र्दन्ना और अक्कन्ना ने र्राठा सम्राि तिवाजी को बीजापुर, कनाािक र्ें एक अतभयान र्ें र्दद की थी। इसतलए तवकपप (b) सही
उत्तर है।
Q 3.D
● तवदेिी तववरणों को भारि के बारे र्ें देिी सातहत्य का अनुपरक बनाया जा सकिा है। पयािक बनकर या भारिीय िर्ा को
अपनाकर अनेक यनानी, रोर्न और िीनी यात्री भारि आए और अपनी आंखों देखे भारि के तववरण तलखकर छोड़ गए। ध्यान
देने योग्य बाि है कक भारिीय स्रोिों र्ें तसकं दर के आक्रर्ण की कोई जानकारी नहीं तर्लिी है। उसके भारिीय कारनार्ों के
इतिहास के पुनर्नार्ााण के तलए हर्ें पणािः यनानी स्रोिों पर आतिि रहना पड़िा है।
1 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 4.C
● ध्रुपद र्ुख्य रूप से जाप या पजा की एक िैली है जहां एक गायक नाद या ध्वतनयों के र्ाध्यर् से भगवान से प्राथाना करिा है।
ऐसा र्ाना जािा है कक यह प्रबंि संरिना का तवस्िार है। यद्यतप 14वीं सदी िक इसकी लोकतप्रयिा को बढ़ावा तर्ल सकिा था,
लेककन 15वीं सदी से लेकर 18वीं सदी िक की अवति र्ें इसका तवकास हुआ।
● इन ििातब्दयों के दौरान हर् इस िैली के सवाातिक सम्र्ातनि िथा सुप्रतसद्ध गायकों एवं संरिकों से पररतिि होिे हैं। इन
संरिकों र्ें ग्वातलयर के र्हाराजा र्ान ससंह िोर्र थे। ध्रुपद की व्यापक प्रतसतद्ध के तलए वे र्ुख्य रूप से उत्तरदायी थे। इसके
अलावा बैज, बिु और अन्य संरिक भी थे। वृद
ं ावन के एक सािु स्वार्ी हररदास न के वल एक ध्रुपकदया थे, बतपक भारि के
उत्तरी िेत्रों र्ें भति संप्रदाय की सवाातिक र्हत्वपणा तवभतियों र्ें से एक थे। परं परा के अनुसार, स्वार्ी हररदास िानसेन के
गुरु थे, जो ध्रुपद के ज्ञाि सवोत्तर् गायकों र्ें से एक थे और सम्राि अकबर के राजदरबार के नौ रत्नों र्ें से एक थे। इसतलए कथन
1 और 2 सही है।
● संरिना की दृति से ध्रुपद के दो भाग हैं, अतनबद्ध अनुभाग और संिारी र्ें ध्रुपद। गायकों का पहला र्ुि अलाप है। ध्रुपद
तविेषिः िार भागों र्ें गाया जाने वाला एक गीि है: स्थाई, अंिरा, संिारी और अभोग। ध्रुपद की अतनवाया तविेषिा इसका
गंभीरिा और और लय पर बल है।
● ध्रुपद गायन की िार िैतलयां या वातणयां थीं। गौहर वाणी र्ें राग या अलंकृि रागात्र्क आकृ तियों का तवकास है। डागर वाणी
र्ें रागात्र्क वक्रिाओं और िालीनिा पर बल कदया गया है। कं िार वाणी र्ें स्वरों के िीघ्र अलंकरण की तविेषिा है। नौहर
वाणी अपने व्यापक संगीिात्र्क लंघन (आकतस्र्क पररविानों) के तलए जानी जािी थी। ये वातणयां अब अदृश्य हो गई हैं।
● ध्रुपद का आज भी अत्यतिक सम्र्ान ककया जािा है और इसे संगीि-सर्ारोह के र्ंि पर िथा अतिकांििः उत्तर भारि के
र्ंकदरों र्ें सुना जा सकिा है। ध्रुपद िैली जनिा के बीि इिना लोकतप्रय नहीं रह गया है और कु छ हद िक पृष्ठभतर् र्ें िला गया
है। ध्रुपद से घतनि रूप से बीन और पखावज को भी आजकल अतिक संरिण या लोकतप्रयिा प्राप्त नहीं है।
Q 5.A
● वैिते षक दािातनक प्रणाली: ऐसा र्ाना जािा है कक संस्कृ ि दािातनक कणाद कश्यप ने इसके तसद्धांिों की व्याख्या की थी। उन्हें
इस दिान की स्थापना का िेय कदया जािा है।
● वैिते षक प्रणाली दुतनया का एक यथाथावादी, तवश्लेषणात्र्क और वस्िुतनष्ठ दिान है।
● यह दािातनक प्रणाली तवतभन्न प्रकार की र्ौतलक िीजों के बीि अंिर करने और सभी अवयवों को पांि ित्वों - पृथ्वी, जल,
वायु, अति और ईथर - र्ें वगीकृ ि करने का प्रयास करिी है, जो परर्ाणुओं, सर्य, स्थान, र्न और स्व के रूप र्ें र्ौजद होिे
हैं। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 6.B
● दक्कन और र्ध्य भारि र्ें र्ौयों के र्ल उत्तरातिकाररयों र्ें सबसे र्हत्वपणा सािवाहन थे। सािवाहन और पुराणों र्ें उतपलतखि
आंध्र एक ही र्ाने जािे थे। पुराणों र्ें के वल आंध्र-िासन का उपलेख है, सािवाहन िासन की नहीं।
○ दसरी ओर, सािवाहन अतभलेखों र्ें आंध्र नार् नहीं तर्लिा है। कु छ पुराणों के अनुसार आंध्रों ने 300 वषों िक िासन
ककया िथा लगभग पहली ििाब्दी ईसा पवा से लेकर िीसरी ििाब्दी की िुरुआि िक की अवति को सािवाहनों का
िासन-काल र्ाना जािा है।
● सािवाहनों ने ब्राह्मणों और बौद्ध तभिुओं को कर-र्ुि ग्रार्दान देने की प्रथा आरं भ की। जो आबाद भतर् और ग्रार् दान र्ें कदए
जािे थे उन्हें राजपुरुषों एवं सैतनकों और सभी प्रकार के राजकोषीय अतिकाररयों के हस्ििेप से र्ुि घोतषि कर कदया जािा
था। इसतलए दान ककए गए ऐसे िेत्र सािवाहन साम्राज्य के भीिर छोिे-छोिे स्विंत्र द्वीप जैसे बन गए। इसतलए कथन 1 सही
है।
● सािवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृ ि थी। सभी अतभलेख इसी भाषा र्ें और ब्राह्मी तलतप र्ें तलखे गए थे, जैसा कक हर् अिोक
काल र्ें देख िुके हैं। हो सकिा है कक कु छ सािवाहन राजाओं ने प्राकृ ि र्ें पुस्िकें भी तलखी हों। गाथासप्तसिी नार्क एक प्राकृ ि
ग्रंथ का िेय हाल नार्क सािवाहन राजा को कदया जािा है। इसतलए कथन 2 सही है।
● सािवाहनों ने स्वणा का उपयोग बहुर्पय िािु के रूप र्ें ककया होगा, क्योंकक उन्होंने कु षाणों की िरह सोने के तसक्के जारी नहीं
ककए थे। उन्होंने ज्यादािर सीसे के तसक्के जारी ककए, जो दक्कन र्ें पाए जािे हैं। उन्होंने पोिीन, िांबे और कांसे की र्ुद्राएं भी
जारी की थीं। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
Q 7.A
● उत्तर वैकदक काल र्ें ऋग्वैकदक जनिा वाली सभा-सतर्तियों का र्हत्व कर् हो गया और उनकी जगह पर राजकीय प्रभुत्व र्ें
वृतद्ध हुई। तवदथ नार्क संस्था पणािः सर्ाप्त हो गई। सभा और सतर्ति का अतस्ित्व बना रहा ककं िु उनकी प्रकृ ति र्े पररविान हो
गया था। इन संस्थाओं र्ें राजाओं और अतभजात्यों का बोलबाला हो गया। अब सभा र्ें तस्त्रयों का प्रवेि तनतषद्ध हो गया िथा
कु लीनों एवं ब्राह्मणों का प्राबपय हो गया।
○ राज्यों की आकार वृतद्ध से र्ुतखया या राजा अतिकातिक ितििाली होिा गया। सत्ता िीरे -िीरे जनजािीय से प्रादेतिक
होिी गई।
○ लेककन उत्तर वैकदक काल र्ें भी राजा के पास एक स्थायी सेना नहीं थी। युद्ध के सर्य कबीले के जवानों के दल भारिी कर
तलए जािे थे और कर्ाकांड के एक अनुष्ठान के अनुसार युद्ध र्ें तवजय प्रातप्त की कार्ना से राजा को एक ही थाली र्ें अपने
भाई-बंिओं
ु (तवि्) के साथ खाना पड़िा था।
● उत्तर वैकदक काल र्ें सर्ाज िार वणों र्ें तवभि था- ब्राह्मण, राजन्य या ितत्रय, वैश्य और िद्र। यज्ञ का अनुष्ठान अत्यतिक बढ़
गया था, तजससे ब्राह्मणों की िति र्ें अत्यतिक वृतद्ध हुई।
● उत्तर वैकदक काल र्ें यज्ञ र्ें दान के रूप र्ें गाय के साथ-साथ सोना, कपड़े, घोड़े भी कदए जािे थे। कभी कभी पुरोतहि दतिणा र्ें
राज्य का कु छ भाग भी र्ांग लेिे थे, ककं िु यज्ञ की दतिणा र्ें भतर्दान की प्रथा उत्तर वैकदक काल र्ें प्रितलि नहीं हुई थी।
● देविाओं की आरािना के जो भौतिक उद्देश्य पवा र्ें थे वे ही इस काल र्ें बने रहे। यद्यतप इस काल र्ें आरािना की रीति र्ें
र्हान अंिर आया।
○ स्िुतिपाठ पहले की िरह ही िलिे रहे, ककं िु ये देविाओं को प्रसन्न करने की प्रर्ुख रीति नहीं रहे। इस काल र्ें प्रत्युि यज्ञ
करना कहीं अतिक र्हत्वपणा हो गया। यज्ञ के सावाजतनक िथा घरे ल दोनों रूप प्रितलि हुए। सावाजतनक यज्ञ राजा अपनी
प्रजा के साथ करिा था और प्रजा र्ें अक्सर एक ही कबीले के लोग होिे थे।
● इसतलए तवकपप (a) सही है।
3 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 9.B
● हररषेण िौथी ििाब्दी के दौरान संस्कृ ि कतव और एक दरबारी अतिकारी थे। वे गुप्त सम्राि सर्ुद्रगुप्त के दरबार र्ें एक
र्हत्वपणा व्यति थे।
● उन्होंने 345 ईस्वी. र्ें प्रयाग प्रितस्ि की रिना की थी, तजसर्ें सर्ुद्रगुप्त की बहादुरी का वणान ककया गया है। कतव हररषेण ने
इसे इलाहाबाद स्िंभ के अतभलेख पर उत्कीर्णाि ककया है।
○ इस वृहद अतभलेख र्ें कतव सर्ुद्रगुप्त द्वारा तवतजि लोगों एवं राज्यों का वणान ककया गया है। यह प्रितस्ि उसी स्िम्भ पर
उत्कीणा है तजस पर िांतितप्रय िासक अिोक का इलाहाबाद अतभलेख है।
● अर्रससंह िंद्रगुप्त तद्विीय के दरबार र्ें संस्कृ ि के एक वैयाकरण और कतव थे।
○ उन्होंने संस्कृ ि व्याकरण पर अर्रकोष नार्क एक पुस्िक की रिना की थी।
● कातलदास िंद्रगुप्त तद्विीय के दरबार र्ें एक संस्कृ ि कतव और नािककार थे।
○ उनकी रिनाओं र्ें अतभज्ञानिाकुं िलर््, तवक्रर्ोविीयर्् और र्ालतवकातितर्त्रर्् के साथ-साथ र्हाकाव्य रघुवंि एवं
कु र्ारसंभव िथा खंडकाव्य “र्ेघदि” िातर्ल हैं।
● रतवकीर्िा, िालुक्य राजा पुलके तिन तद्विीय के दरबारी कतव थे। उन्होंने प्रतसद्ध एहोल अतभलेख उत्कीर्णाि ककया था।
● इसतलए तवकपप (b) सही है।
Q 10.C
● जैन िर्ा र्ें पांि तसद्धांिों का उपलेख ककया गया है:
○ सहंसा नहीं करना (असहंसा)।
○ झठ नहीं बोलना (सत्य)।
○ िोरी नहीं करना (अस्िेय)।
○ संपतत्त अर्जाि नहीं करना (अपररग्रह)।
○ आत्र्संयर् का पालन करना (ब्रह्मिया)।
▪ ऐसा कहा जािा है कक के वल पांिवां तसद्धांि र्हावीर स्वार्ी द्वारा जोड़ा गया था, अन्य िार तसद्धांि उनके द्वारा
पहले के िीथंकरों से तलए गए थे।
● जैन िर्ा र्ें देविाओं के अतस्ित्व को स्वीकार ककया गया है परं िु उनका स्थान तजन से नीिे रखा गया है। इसतलए कथन 1 सही
नहीं है।
4 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 11.A
● ऋग्वैकदक काल र्ें र्तहला दातसयों का प्रिलन था। उदाहरण के तलए, हर् वेदों र्ें पुरोतहिों को कदए जाने वाले दान र्ें गायों
और र्तहला दातसयों की ििाा सुनिे हैं और कभी भी भतर् दान कदए जाने का कोई प्रर्ाण प्राप्त नहीं होिा है।
○ ऋग्वेद र्ें पररवार (कु ल) पद का बहुि कर् उपलेख तर्लिा है। इसर्ें न के वल र्ािा, तपिा व पुत्र, बतपक दास भी िातर्ल
थे। इसतलए कथन 1 सही है।
● ऋग्वैकदक लोगों ने कदातिि भतर् के कु छ भागों को अतिकृ ि ककया होगा, ककं िु इस काल र्ें भतर् का सुस्थातपि तनजी संपतत्त के
रूप र्ें तवकास नहीं हुआ था। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● ऋग्वैकदक काल र्ें, तनयोग प्रथा एवं तविवा तववाह का प्रिलन था। इस काल र्ें बाल तववाह का कोई साक्ष्य नहीं तर्लिा है।
इस काल र्ें तववाह योग्य आयु लगभग 16 से 17 वषा थी। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
● वणा व्यवस्था के िहि िद्र वणा का उपलेख ऋग्वैकदक काल के अंि र्ें देखने को तर्लिा है| इसका उपलेख ऋग्वेद के दसवें र्ंडल र्ें
ककया गया है, जो सबसे नवीन है।
Q 12.C
● पवी सर्ुद्र िि पर बसा ओतडिा राज्य, ओतडसी नृत्य का घर है। यह भारिीय िास्त्रीय नृत्य के अनेक रूपों र्ें से एक है| ऐंकद्रय
और गीिात्र्क, ओतडसी नृत्य रूप दैव एवं र्ानव, उदात्त और लौकककिा को छिा प्रेर् व उत्साह का एक नृत्य है। नाट्य िास्त्र र्ें
अनेक प्रादेतिक तविेषिाओं का उपलेख ककया गया है, जैसे कक उिरा र्गि िैली के रूप र्ें तवख्याि दतिणी-पवी िैली को
विार्ान ओतडसी नृत्य के प्रािीन अग्रदि के रूप र्ें पहिाना जा सकिा है|
● इस नृत्य के दसरी ििाब्दी ईसा पवा के पुरािातत्वक साक्ष्य, भुवनेश्वर के पास उदयतगरर और खण्डतगरर र्ें पाए गए है| बाद र्ें
दसरी सदी ईसा पवा से दसवीं सदी ईस्वी िक, बुद्ध प्रतिर्ाओं के असंख्य उदाहरण, नृत्य करिी योतगतनयों की िांतत्रक आकृ तियााँ,
निराज िथा प्रािीन तिव र्ंकदरों के अन्य कदव्य संगीिकार एवं निाककयां, नृत्य की इस परंपरा का एक प्रर्ाण प्रस्िुि करिे हैं|
● ओतडसी एक उच्च िैली का नृत्य है और कु छ र्ात्रा र्ें यह िास्त्रीय नाट्य िास्त्र िथा अतभनय दपाण पर आिाररि है| वस्िुिः
जदुनाथ तसन्हा के अतभनय दपाण प्रकाि, राजर्तण पात्रा के अतभनय िंकद्रका और र्हेश्वर र्हापात्रा के अतभनय िंकद्रका से इस
कला ने बहुि कु छ प्राप्त ककया है।
● इसकी अतभव्यति की िकनीककयााँ दो आिारभि र्ुद्राओं िौक एवं तत्रभंग के सर्ान तनर्र्ाि होिी हैं| िौक एक वगााकार नृत्य
र्ुद्रा है। यह िरीर के भार के सर्ान संिुलन के साथ र्लिः एक पुरुषोतिि र्ुद्रा है। तत्रभंग र्ुख्यिः एक तस्त्रयोतिि र्ुद्रा है,
तजसर्ें िरीर गला, िड़ और घुिना िीनों जगह पर र्ुड़ा होिा है|
● िड़ संिालन ओतडसी नृत्य िैली का एक र्हत्वपणा और तवतिि अतभलिण है। इसर्ें िरीर का तनिला तहस्सा तस्थर रहिा है
और िरीर के ऊपरी तहस्से के कें द्र से होकर िड़ िुरी के सर्ानांिर एक ओर से दसरी ओर गति करिा है। इसके संिुलन के तलए
तवतिि प्रतििण की आवश्यकिा होिी है तजससे कं िों या तनिम्बों की ककसी गतितवति से बिा जा सकिा है। सर्िल पांव, पैरों
की उं गली या एड़ी के र्ेल के साथ तनतिि पद संिालन होिा है। यह जरिल संयोजनों की एक तवतवििा र्ें प्रयोग की जािी है।
यहााँ पैरों की गतितवतियों की बहुसंख्यक संभावनाएं भी होिी है। पैरों की अतिकांि गतितवतियां जर्ीन पर या हवा र्ें
सर्पालाकार या वृत्ताकार होिी हैं|
Q 13.A
● हातलया संदभा:
○ स्िारसलंक ने कई उपग्रहों को किा र्ें स्थातपि ककया है।
○ भारिी एयरिेल-सर्र्थाि उपग्रह ऑपरे िर, OneWeb, अपने सभी तनम्न-भ कनेतक्ितविी उपग्रहों को र्ािा 2023 िक
प्रिेतपि कर िुका है।
● अंिररि-आिाररि इं िरनेि का अथा डेिा भेजने और प्राप्त करने के तलए उपग्रहों का उपयोग करने की िर्िा है। यह अपेिाकृ ि
अतिक िीव्र होिा है और परे तवश्व र्ें काया करने र्ें सिर् है।
● सैिेलाइि-आिाररि इं िरनेि और सैिेलाइि िीवी (DTH) के बीि प्रर्ुख अंिर यह है कक, DTH के तवपरीि, सैिेलाइि इं िरनेि
एक दो-िरिा संिार है। इसतलए कथन 2 सही है।
● अतिकांि र्ौजदा अंिररि-आिाररि इं िरनेि प्रणातलयााँ भस्थैतिक किा र्ें तस्थि उपग्रहों का प्रयोग करिी हैं। हालांकक, कु छ
प्रणातलयााँ तनम्न भ किा (LEO) का प्रयोग भी करिी हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
● स्िारसलंक दुतनया का पहला और सबसे बड़ा उपग्रह सर्ह है जो स्रीसर्ंग, ऑनलाइन गेसर्ंग, वीतडयो कॉल और अन्य का सर्थान
करने र्ें सिर् ब्रॉडबैंड इं िरनेि प्रदान करने के तलए तनम्न भ किा का प्रयोग करिा है। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
● भस्थैतिक किा भर्ध्य रे खा के ठीक ऊपर पृथ्वी की सिह से लगभग 35,786 ककर्ी की ऊंिाई पर तस्थि है। लंबी दरी के
कारण, भस्थैतिक किा र्ें तस्थि उपग्रह से प्रसारण र्ें लगभग 600 तर्लीसेकंड का तवलंब होिा है। तनम्न भ किा की िुलना र्ें
भस्थैतिक किा की अतिक दरी के कारण अतिक तवलंबिा देखने को तर्लिी है|
● तनम्न भ किा र्ें अंिररि-आिाररि इं िरनेि: तनम्न भ तस्थर किा पृथ्वी की सिह से लगभग 2,000 कक.र्ी. ऊंिाई िक तवस्िृि
है। कर् ऊंिाई पर उपग्रहों की उपतस्थति आर् िौर पर पृथ्वी पर स्थातपि प्रणातलयों को डेिा स्थानांिररि करने र्ें लगने वाले
सर्य को 20-30 तर्लीसेकंड िक कर् रखने र्ें र्दद करिा है।
● तवषुवि रे खा के ऊपर भ-स्थैतिक किा र्ें तस्थि उपग्रह पृथ्वी की सर्ान गति से पृथ्वी के घणान का अनुपालन करिे हुए पतिर्
से पवा पररक्रर्ा करिे है। ये पृथ्वी का िक्कर लगाने र्ें पृथ्वी के घणान काल के लगभग बराबर 23 घंिे 56 तर्नि और 4 सेकंड का
सर्य लेिे हैं। इसतलए भ स्थैतिक किा र्ें तस्थि उपग्रह एक तनतिि स्थान पर तस्थर प्रिीि होिे हैं। पृथ्वी के घणान के साथ परी
िरह से र्ेल करने के तलए 35,786 ककर्ी की ऊाँिाई पर भ स्थैतिक किा र्ें तस्थि उपग्रहों की गति लगभग 3 ककर्ी प्रति सेकंड
होनी िातहए। इसकी िुलना र्ें, तनम्न भ किा पृथ्वी की सिह के अपेिाकृ ि करीब (1000 कक.र्ी. से कर्) होिी है। पृथ्वी से
तनकििा के कारण यह उपग्रह इर्ेसजंग, अंिरााष्ट्रीय अंिररि स्िेिन (ISS) की स्थापना आकद कई उपायों के तलए अतिक
उपयोगी है। इस किा र्ें उपग्रहों की गति लगभग 7.8 कक.र्ी. प्रति सेकंड होिी है; इस गति से, एक उपग्रह को पृथ्वी का िक्कर
लगाने र्ें लगभग 90 तर्नि लगिे हैं, तजसका अथा है कक अंिरााष्ट्रीय अंिररि स्िेिन एक कदन र्ें लगभग 16 बार पृथ्वी की
पररक्रर्ा करिा है।
Q 14.A
● हातलया संदभा: प्रािीन संस्र्ारक िथा पुराित्वीय स्थल और अविेष संिोिन तविेयक को बजि सत्र र्ें पुनः प्रस्िुि ककया गया।
● पुरािातत्वक िथा ऐतिहातसक स्र्ारकों एवं स्थलों के संरिण और परररिण के उद्देश्य से संसद द्वारा 1958 र्ें प्रािीन संस्र्ारक
िथा पुराित्वीय स्थल और अविेष (AMASR) अतितनयर् पाररि ककया गया था। यह पुरािातत्वक उत्खनन के तवतनयर्न,
रूपकृ तियों एवं नक्कातियों और अन्य ऐसी वस्िुओं के संरिण के तलए भी प्राविान करिा है। इसलिए कथन 1 सही है।
● 1958 के र्ल अतितनयर् र्ें, "प्रािीन स्र्ारक" से कोई संरिना, रिना, या स्र्ारक, या कोई स्िप या दिनगाह, या कोई गुिा,
िैल-रूपकृ ति, उत्कीणा लेख या एकाश्र् जो ऐतिहातसक, पुरािातत्वक या कलात्र्क रुति का है और जो कर् से कर् एक सौ वषों
6 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 15.B
● हड़प्पाई लोग िरिी को उवारिा की देवी सर्झिे थे और इसकी पजा उसी िरह िरह करिे थे जैसे तर्स्र के लोग नील नदी की
देवी आइतसस की पजा करिे थे।
● कु छ वैकदक सिों र्ें पृथ्वी र्ािा की स्िुति है, ककं िु उसको कोई प्रर्ुखिा नहीं दी गई है। बहुि सर्य के बाद ही सहंद िर्ा र्ें इस
र्ािृदेवी को उच्च स्थान तर्ला है। ईसा की छठी सदी और उसके बाद से ही दुगाा, अम्बा, काली, िंडी आकद तवतवि र्ािृ-देतवयों
को पुराणों और िंत्रों र्ें आराध्य देतवयों का स्थान तर्ला। कालक्रर् र्ें प्रत्येक गांव की अपनी अलग-अलग देवी हो गई। इसलिए
कथन 1 सही नहीं है।
● पुरुष देविा को एक र्ुहर पर तितत्रि ककया गया है। इस देविा के तसर पर िीन सींग हैं। यह र्ुहर हर्ारे र्तस्िष्क र्ें पिुपति
र्हादेव की पारं पररक छतव का स्र्रण करािी है। देविा के िारों ओर, िार पिु पृथ्वी की िारों कदिाओं की ओर देखिे हैं।
o तिव की छतव के उपयोग के अतिररि, हर् सलंग पजा के प्रिलन को भी देखिे हैं, जो कालांिर र्ें तिव की पजा से गहन
रूप से जुड़ गई थी। हड़प्पा र्ें पत्थर पर बने सलंग और योतन के अनेकों प्रिीक तर्ले हैं।
o संभविः ये पजा के तलए बने थे। ऋग्वेद र्ें सलंग-पजक अनाया जातियों की ििाा है। सलंग पजा हड़प्पा काल र्ें िुरू हुई और
आगे िलकर सहंद सर्ाज र्ें पजा की तवतिि तवति र्ानी जाने लगी। इसलिए कथन 2 सही है।
● तसन्िु िेत्र के लोग वृिों की पजा भी करिे थे। एक र्ुहर (सील) पर पीपल की डालों के बीि तवराजर्ान देविा तितत्रि है। इस
वृि की पजा आज िक जारी है।
● हड़प्पा काल र्ें पिु-पजा का भी प्रिलन था, कई पिु र्ुहरों पर अंककि हैं। इनर्ें सबसे र्हत्व का कबड़ वाला सांड है।
● इसी प्रकार पिुपति र्हादेव के आस-पास के पिु इं तगि करिे हैं कक उनकी पजा की जािी थी।
● इन बािों से स्पि होिा है कक ससंिु प्रदेि के तनवासी वृि, पिु और र्ानव के स्वरूप र्ें देविाओं की पजा करिे थे। परं िु वे अपने
इन देविाओं को र्ंकदरों र्ें नहीं रखिे थे, जैसा कक प्रािीन तर्स्र और र्ेसोपोिातर्या र्ें होिा था, न ही हड़प्पा वातसयों की
तलतप को पढ़े तबना हर् उनके िार्र्ाक तवश्वासों के बारे र्ें कु छ कह सकिे हैं।
● िावीज बड़ी िादाद र्ें तर्ले हैं। संभविः हड़प्पावासी र्ानिे थे कक भि-प्रेि उनका अतनि कर सकिे हैं, और इसतलए उनसे बिने
के तलए िावीज पहनिे थे। अथवावेद र्ें, अनेकों िंत्र-र्ंत्र या जाद-िोने कदए गए हैं और रोगों को दर करने िथा भि-प्रेिों को
भगाने के तलए िावीज बिाए गए है।
Q 16.B
Q 17.B
● गुप्तों का अतिकारी वगा उिना बड़ा नहीं था तजिना र्ौयों का था। गुप्त साम्राज्य र्ें सबसे बड़े अतिकारी कु र्ारार्ात्य थे। उन्हें
राजा उनके प्रांिों र्ें ही तनयुि करिा था और िायद वे नकद वेिन पािे थे।
o िाँकक गुप्त संभविः वैश्य थे, इसतलए भिी के वल उच्च वणों िक ही सीतर्ि नहीं थी। परंिु अनेक पदों का प्रभार एक ही
व्यति के हाथ र्ें सौंपा जाने लगा और पद वंिानुगि हो गए। स्वभाविः राजकीय तनयंत्रण तितथल हो गया।
● गुप्तों ने प्रांिीय और स्थानीय िासन की पद्धति िलाई। राज्य कई भुतियों अथााि् प्रांिों र्ें तवभातजि था, और हर भुति एक
उपररक के प्रभार र्ें रहिी थी। भुतियों को तजलों (तवषयों) र्ें तवभातजि ककया गया था, तजन्हें तवषयपति के प्रभार र्ें रखा गया
था। पवी भारि र्ें, तवषयों को तवतथयों र्ें तवभातजि ककया गया था, जो किर से ग्रार्ों र्ें तवभातजि थीं।
● गुप्त काल र्ें गांव का र्ुतखया अतिक र्हत्वपणा हो गया। वह ग्रार्िेष्ठों की सहायिा से गााँव का कार्काज देखिा था। ग्रार्ों और
छोिे छोिे िहरों के प्रिासन से प्रर्ुख स्थानीय लोग जुड़े हुए थे। उनकी अनुर्ति के तबना जर्ीन की खरीद-तबक्री नहीं हो सकिी
थी।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 18.B
● र्नसबदारी व्यवस्था भारि र्ें र्ुगलों द्वारा तवकतसि एक अनठी प्रिासतनक व्यवस्था थी। इसे र्ुगल सम्राि अकबर ने अपने
िासन काल के उन्नीसवें वषा र्ें आरं भ ककया था। इसलिए कथन 1 सही नहीं है।
● र्नसबदार िब्द उस व्यति के तलए प्रयुि होिा है, तजन्हें कोई र्नसब यानी कोई सरकारी हैतसयि अथवा पद तर्लिा था। यह
र्ुगलों द्वारा िलाई गई िेणी प्रणाली थी तजसके जररए (क) जाि या रैंक; (ख) वेिन और सवार या सैन्य उत्तरदातयत्व तनिााररि
ककए जािे थे। र्नसबदार सैन्य कर्ांडर, उच्च नागररक और सैन्य अतिकारी थे।
● अहदी, र्ुगल िासकों द्वारा भिी ककए गए वीर घुड़सवार सैतनक थे। इनकी तनयुति सीिे सम्राि द्वारा की जािी थी, इसतलए ये
कािी भरोसेर्ंद होिे थे। इनका अपना सेनाध्यि होिा था। ये र्नसबदारों से संबद्ध नहीं थे। र्नसबदारों को अपना तनजी सैन्य
बल बनाए रखना पड़िा था। ककसी र्नसबदार का सवार रैंक या जाि उसके द्वारा रखे जाने वाले घुड़सवारों की संख्या का संकेि
करिा है। इसलिए कथन 2 सही है।
● यद्यतप र्नसबदारों का वेिन रुपयों र्ें तनतिि ककया जािा था, परं िु वास्िव र्ें उन्हें वेिन जागीर के रूप र्ें कदया जािा था।
र्नसबदार भी रुपयों के स्थान पर जागीर ही पसंद करिे क्योंकक रुपयों की आदायगी र्ें प्रायः देर हो जािी थी और इसर्ें कभी-
कभी बहुि परेिानी भी उठानी पड़िी थी। जागीरें वंिानुगि नहीं थीं और ककसी भी सर्य िासकों द्वारा स्थानांिररि कर दी
जािी थीं। इसलिए कथन 3 सही है।
Q 19. D
● हातलया संदभा: भारि ने हाल ही र्ें G20 सर्ह की अध्यििा ग्रहण की है। इसने स्िािाअप20 इं गज
े र्ेंि ग्रुप (SUMup) की
िुरुआि की तजसर्ें G20 सदस्यों र्ें क्रांति लाने की िर्िा है।
● यह एकर्ात्र नवगरठि सहभातगिा सर्ह है तजसके द्वारा G20 ने स्वयं को एक ऐसे उभयहस्ि-कु िल संस्थान र्ें पररवर्िाि कर
कदया है, जहां बड़े तनगर्ों और स्िािाअप दोनों को अथाव्यवस्थाओं को आगे ले जाने र्ें सर्ान अवसर कदया जाएगा।
● यद्यतप र्ौजदा B20 इं गज
े र्ेंि ग्रुप ने कॉपोरे िों पर अपना ध्यान कें कद्रि करना जारी रखा है, किर भी नई संरिना, स्िािाअप20,
दोनों सर्हों के बीि आवश्यक संबंिों के साथ वैतश्वक स्िािाअप इकोतसस्िर् से संबतं िि नीतिगि र्ुद्दों को उठाएगा।
● B20 इं गज
े र्ेंि ग्रुप-
o यह G20 देिों से अंिरााष्ट्रीय व्यापार जगि के अग्रणी व्यापाररयों के तलए एक र्ंि है।
o 2010 र्ें स्थातपि, यह G20 र्ें सबसे प्रर्ुख सहभातगिा सर्हों र्ें से एक है। कं पतनयां और व्यावसातयक संगठन इसके
भागीदार हैं।
o इसका उद्देश्य आर्थाक तवकास, व्यापार, तनवेि, तडतजिलीकरण, तस्थरिा और रोजगार सृजन जैसे र्ुद्दों पर G20 को
तसिाररिें करना है।
o भारिीय उद्योग पररसंघ (CII) को भारि की G20 अध्यििा के तलए B20 सतिवालय के रूप र्ें नातर्ि ककया गया है।
● स्िािाअप20-
o इसे भारि की G20 अध्यििा के िहि िुरू ककया गया।
o इसका उद्देश्य स्िािाअपों का सर्थान करने और स्िािाअपों, कॉपोरे िों, तनवेिकों, नवािार एजेंतसयों और अन्य प्रर्ुख
इकोतसस्िर् तहििारकों के बीि िालर्ेल को सिर् करने के तलए एक वैतश्वक आख्यान िैयार करना है।
o इं गेजर्ेंि ग्रुप र्ें िीन काया बल िातर्ल हैं, जहां प्रतितनति G20 देिों र्ें स्िािाअपों के स्के सलंग को बढ़ावा देने के तलए कु िल
नीतिगि ढांिे पर ििाा करने के तलए एक साथ आएंगे। ये काया बल हैं:
❖ िाउं डेिन और गठबंिन
❖ तवत्त,
❖ सर्ावेि और तस्थरिा
Q 20.B
● हातलया संदभा: “प्रिान र्ंत्री PVTG तवकास तर्िन” को 'रीसिंग द लास्ि र्ाइल' के तहस्से के रूप र्ें लॉन्ि ककया जाएगा।
● तविेष रूप से कर्जोर जनजािीय सर्हों (PVTGs) की सार्ातजक-आर्थाक तस्थतियों र्ें सुिार लाने के तलए प्रिान र्ंत्री
PVTG तवकास तर्िन िुरू ककया जाएगा। इसर्ें PVTGs पररवारों और पयाावासों को सुरतिि आवास, स्वच्छ पेयजल एवं
स्वच्छिा, तििा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सड़क िथा दरसंिार कनेतक्ितविी और संिारणीय आजीतवका के अवसरों जैसी बुतनयादी
सुतविाएं उपलब्ि कराई जाएंगी।
● अनुसतिि जनजातियों के तलए तवकास काया योजना के िहि अगले िीन वषों र्ें इस तर्िन को लाग करने के तलए 15,000
करोड़ रुपये की राति उपलब्ि कराई जाएगी।
● प्रिानर्ंत्री PVTGs तर्िन को 'रीसिंग द लास्ि र्ाइल' के तहस्से के रूप र्ें लॉन्ि ककया जाएगा। ध्यािव्य है कक रीसिंग द लास्ि
र्ाइल इस वषा के बजि र्ें सिीबद्ध साि सप्तऋतष प्राथतर्किाओं र्ें से एक है। भारि र्ें ऐसे 75 PVTGs सर्ह हैं, जो इस
योजना से लाभातन्वि होंगे।
● वषा 1973 र्ें, ढेबर आयोग ने एक अलग िेणी के रूप र्ें आकदर् जनजािीय सर्हों (PTGs) का तनर्ााण ककया। ये वे जनजािीय
सर्ह हैं जो अन्य जनजािीय सर्हों की अपेिा कर् तवकतसि हैं। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
9 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 21.D
● र्ुग़ल काल के भारिीय-िारसी स्रोि ककसान के तलए सार्ान्य िौर पर रै यि ( बहुविन, ररआया) या र्ुजररयान िब्द का
इस्िेर्ाल करिे थे। साथ ही, हर्ें ककसान या आसार्ी जैसे िब्द भी तर्लिे हैं।
● सत्रहवीं ििाब्दी के स्रोि दो प्रकार के ककसानों का उपलेख करिे हैं - खुद-काश्ि और पातह-काश्ि।
○ खुद-काश्ि वे ककसान थे जो उन्हीं गााँवों र्ें रहिे थे तजनर्ें उनकी जर्ीनें थीं। पातह-काश्ि वे कृ षक थे, जो दसरे गााँवों से ठे के
पर खेिी करने आिे थे।
○ लोग अपनी र्जी से भी पातह-काश्ि बनिे थे- (र्सलन, अगर करों की ििें ककसी दसरे गााँव र्ें बेहिर तर्लें) और र्जबरन
भी (जैसे कक, अकाल या भुखर्री के बाद आर्थाक परेिानी से)।
● उत्तर भारि के एक औसि ककसान के पास िायद ही कभी एक जोड़ी बैल और दो हल से ज्यादा कु छ होिा था; अतिकांि के
पास इससे भी कर् संसािन होिे थे।
● गुजराि र्ें तजन ककसानों के पास 6 एकड़ के करीब जर्ीन थी वे सर्ृद्ध र्ाने जािे थे; दसरी िरफ़ बंगाल र्ें एक औसि ककसान
की जर्ीन की ऊपरी सीर्ा 5 एकड़ थी 10 एकड़ जर्ीन वाले आसार्ी को अर्ीर सर्झा जािा था। खेिी व्यतिगि तर्तपकयि
के तसद्धांि पर आिाररि थी। ककसानों की जर्ीन उसी िरह खरीदी और बेिी जािी थी जैसे दसरे संपतत्त र्ातलकों की।
● इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 22.B
● यद्यतप िकों ने देि के तवतभन्न तहस्सों र्ें अपना िासन स्थातपि ककया था, लेककन के वल पतिर् भारि र्ें िासन करने वाले िक
ही लम्बे सर्य िक (लगभग िार ििातब्दयों िक) सत्तारूढ़ रहें। भारि र्ें सबसे प्रतसद्ध िक िासक रुद्रदार्न प्रथर् (130-150
ई.) था। उसने न के वल ससंि, कच्छ और गुजराि पर िासन ककया, बतपक सािवाहनों से कोंकण, नर्ादा घािी िेत्र, र्ालवा और
कारठयावाड़ को भी पुनः प्राप्त ककया था।
Q 23.D
● कौरिपय का अथािास्त्र, िासन कला की एक पुस्िक है तजसे र्ौया काल र्ें तलखा गया था। इस ग्रंथ को 15 अध्यायों र्ें तवभातजि
ककया गया है तजन्हें ‘अतिकरण’ कहा जािा है।
● अलग-अलग अतिकरणों र्ें राजनीति, अथाव्यवस्था और सर्ाज से संबंतिि तवतभन्न तवषयों की ििाा की गई है।
● ऐसा प्रिीि होिा है कक कौरिपय द्वारा, अथािास्त्र के अंतिर् संस्करण की रिना से पवा भी िौथी ििाब्दी ईसा पवा र्ें िासन
कला पर तलखने और पढ़ने की परं परा तवद्यर्ान थी, क्योंकक कौरिपय इस िेत्र र्ें अपने पवावर्िायों के ऋण को स्वीकार करिा है।
● तविाखदत्त द्वारा रतिि नािक र्ुद्रारािस र्ें भी सर्ाज और संस्कृ ति की झलक तर्लिी है।
● कातलदास की र्ालतवकातितर्त्रर् पुष्यतर्त्र िुंग के िासनकाल की कु छ घिनाओं पर आिाररि है, िुंग वंि, र्ौया वंि का
अनुविी था।
● भास और िद्रक अन्य कतव हैं तजन्होंने ऐतिहातसक घिनाओं पर आिाररि नािक तलखे हैं।
● बाणभट्ट का हषािररि कई ऐतिहातसक िथ्यों पर प्रकाि डालिा है तजनके बारे र्ें हर्ें ककसी अन्य स्रोि से जानकारी नहीं
तर्लिी है।
● वाकपति ने कन्नौज के िासक यिोवर्ान के कायों के आिार पर गौडवहो की रिना की थी।
● इसी प्रकार, तबपहण के तवक्रर्ांकदेविररि र्ें परविी िालुक्य राजा तवक्रर्ाकदत्य की तवजय का वणान है।
● इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 24.B
● नवपाषाण युग के लोग पॉतलि ककए हुए पत्थर के उपकरणों और औजारों का इस्िेर्ाल करिे थे। वे तविेष रूप से पत्थर की
कु पहातड़यों का इस्िेर्ाल करिे थे, जो देि के एक वृहद तहस्से र्ें बड़ी संख्या र्ें पाई गई हैं।
● बुजह
ा ोर् कश्र्ीर र्ें नवपाषाणकालीन एक र्हत्वपणा बस्िी है। नवपाषाण काल के लोग यहााँ एक पठार पर बने गिों र्ें तनवास
करिे थे। वे संभविः तिकार और र्छली पकड़ने का काया करिे थे।
● बुजाहोर् के लोग अपररष्कृ ि िसर र्ृदभांडों का उपयोग करिे थे। यह कदलिस्प है कक बुजाहोर् र्ें पालि कु त्तों को उनके र्ातलकों
के साथ उनकी कब्रों र्ें दिनाया जािा था। नवपाषाण काल की िरह गिा आवास और र्ातलकों की कब्रों र्ें पालि कु त्तों को
दफ़नाने की प्रथा भारि के ककसी अन्य भाग र्ें नहीं तर्लिी है। बुजह
ा ोर् का प्रारं तभक काल लगभग 2400 ई.प. है।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 25.B
● हातलया संदभा: भारि ने जी-20 देिों से भगोड़े आर्थाक अपरातियों के िीघ्र प्रत्यपाण के तलए बहुपिीय कारा वाई अपनाने का
आह्वान ककया है।
● भगोड़ा आर्थाक अपरािी अतितनयर् (Fugitive Economic Offenders Act) 2018:
Q 26.B
● पवा की िुलना र्ें गुप्तकाल की न्यातयक व्यवस्था अत्यतिक उन्नि थी। इस काल र्ें अनेक तवति-पुस्िकों का संकलन ककया गया।
● पहली बार दीवानी िथा आपरातिक तवतियों को स्पि रूप से पररभातषि और सीर्ांककि ककया गया। िोरी और व्यतभिार
आपरातिक न्याय तविान के अंिगाि आिे थे। तवतभन्न प्रकार की संपतत्तयों से संबंतिि तववाद दीवानी कानन के अंिगाि लाए
गए। उत्तरातिकार से संबंतिि तवस्िृि तनयर्ों की रिना इस युग र्ें की गई। इसतलए कथन 1 सही है।
● इस काल र्ें अनेक तवतियााँ वणाभद
े पर आिाररि थीं। राजा का किाव्य तवति की रिा करना था। राजा, ब्राह्मण पुजाररयों की
र्दद से र्ार्लों की सुनवाई करिा था। इसतलए कथन 2 सही है।
● कारीगरों, व्यापाररयों और अन्य लोगों की िेतणयां स्वतनर्र्ाि तवतियों द्वारा िातसि होिी थीं। वैिाली और इलाहाबाद के
तनकि भीिा से प्राप्त हुई गुप्तकालीन र्ुहरें इं तगि करिी हैं कक ये संघ बहुि अच्छी िरह से तवकतसि थे। इसतलए कथन 3 सही है।
Q 27.C
● हातलया संदभा: हाल ही र्ें, एक र्ार्ले र्ें भारि के र्ुख्य न्यायािीि (CJI) ने ‘सीलबंद तलिािे /कवर’ र्ें सिना स्वीकार करने
से इनकार कर कदया।
● यह सीलबंद कवर न्यायिास्त्र, उच्चिर् न्यायालय और कभी-कभी अिीनस्थ न्यायालयों द्वारा उपयोग र्ें लाई जाने वाली एक
प्रथा है। इसके िहि सरकारी एजेंतसयों से सीलबंद तलिािों र्ें सिना र्ांगी या स्वीकार की जािी है। इस सिना को के वल
न्यायािीिों द्वारा ही एक्सेस ककया जा सकिा है।
● यद्यतप कोई भी तवतिि कानन सीलबंद तलिािे के तसद्धांि को पररभातषि नहीं करिा है, परंिु उच्चिर् न्यायालय को उच्चिर्
न्यायालय के तनयर्ों के आदेि XIII के तनयर् 7 और भारिीय साक्ष्य अतितनयर् 1872 की िारा 123 के िहि इसका उपयोग
करने की िति प्राप्त है।
● उच्चिर् न्यायालय के तनयर्ों के आदेि XIII का तनयर् 7: इस तनयर् के अनुसार, यकद र्ुख्य न्यायािीि या न्यायालय कु छ
सिनाओं को सीलबंद तलिािे के िहि रखने का तनदेि देिे हैं या इसे गोपनीय प्रकृ ति का र्ानिे हैं, िो ककसी भी पि को ऐसी
सिना िक पहुंि की अनुर्ति नहीं दी जाएगी, तसवाय इसके कक र्ुख्य न्यायािीि स्वयं आदेि दें कक तवरोिी पि को इसकी
अनुर्ति दी जाए। इसर्ें यह भी उपलेख ककया गया है कक सिना को गोपनीय रखा जा सकिा है यकद उसका प्रकािन जनिा के
तहि र्ें नहीं र्ाना जािा है।
Q 28.D
● एंिोतनयो र्ोंसेरेि (1536-1600) एक पुिग
ा ाली पादरी थे। ये सम्राि अकबर (1542-1605; िासनकाल 1556-1605) के
दरबार र्ें पहले जेसइ
ु ि तर्िन पर दो अन्य पादररयों, िादर रोडोपिो एक्वातववा और िादर फ्ांतसस्को एनररके के साथ आए थे।
पुिागातलयों की अकबर को ईसाई िर्ा र्ें िर्ांिररि करने की उम्र्ीदों पर पानी किरने के उपरांि एक्वातववा और र्ोंसरे ि 1583
र्ें वापस लौि गए। इसतलए कथन 1 सही है।
● फ्ांस्वा बर्नायर, एक फ्ांसीसी तिककत्सक, राजनीतिक, दािातनक और इतिहासकार था। कई अन्य लोगों की िरह वह भी
अवसरों की िलाि र्ें र्ुगल साम्राज्य र्ें आया था। वह 1656 से 1668 िक बारह वषों के तलए भारि र्ें रहा था। वह बादिाह
िाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र राजकु र्ार दारा तिकोह के तिककत्सक के रूप र्ें र्ुगल दरबार से तनकििा से जुड़ा था।
● जहााँगीर र्ुगल बादिाह था तजसने 1605 से 1627 र्ें अपनी र्ृत्यु िक िासन ककया था। इस प्रकार, उसका िासनकाल फ्ांस्वा
बर्नायर के भारि आगर्न से पवा था। इसतलए कथन 2 सही है।
● सर िॉर्स रो एक अंग्रज
े राजनतयक था। वह र्ुगल बादिाह जहांगीर के दरबार र्ें आया था। 1615 र्ें, सर िॉर्स रो जहााँगीर
के दरबार र्ें जेम्स प्रथर् के र्ान्यिा प्राप्त राजदि के रूप र्ें आया था और िरवरी 1619 िक वहां रहा। सर िॉर्स रो ने ईस्ि
इं तडया कं पनी के तलए पयााप्त व्यापाररक अतिकार और तविेषातिकार प्राप्त ककए। िदनुसार, अंग्रेजों ने आगरा, अहर्दाबाद और
भड़ौि र्ें व्यापाररक कें द्र स्थातपि ककए। िीरे -िीरे तब्ररिि ईस्ि इं तडया कं पनी अपने व्यापार के िेत्र का तवस्िार करने र्ें सिल
हुई। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
● इससे पवा, अप्रैल 1609 र्ें कप्तान हॉककन्स भी जहांगीर के दरबार र्ें आया था। हालांकक सरि र्ें एक कारखाना स्थातपि करने
का उसका तर्िन पुिागातलयों के तवरोि के कारण सिल नहीं हुआ और हॉककन्स नवंबर 1611 र्ें आगरा से लौि गया था।
Q 29.C
● कनाािक र्ें बारहवीं ििाब्दी के दौरान वीरिैव परं परा का उदय हुआ। बसवन्ना (1106-68) को इस वीरिैव परं परा का
संस्थापक र्ाना जािा है। वह एक कलिुरी राजा के दरबार र्ें र्ंत्री थे। इनके अनुयातययों को वीरिैव (तिव के वीर) या
सलंगायि (सलंग िारण करने वाले) कहा जािा था।
● िेख तनजार्ुद्दीन औतलया (1238 से 1325) तिश्िी संप्रदाय के एक सिी संि थे। इस प्रकार वह िेरहवीं और िौदहवीं ििाब्दी
ईस्वी के थे और वह बसवन्ना के सर्कालीन नहीं थे। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● सलंगायिों का र्ानना है कक र्ृत्यु के बाद भि तिव र्ें तवलीन हो जाएंगे िथा वे इस संसार र्ें पुनः नहीं लौिेंग।े अिः वे पुनजान्र्
के तसद्धांि को नहीं र्ानिे हैं। इसतलए वे िर्ािास्त्रों र्ें बिाए गए िाद्ध संस्कार (जैसे दाह संस्कार) का पालन नहीं करिे हैं और
र्ृिकों को तवतिपवाक दिनािे हैं। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● वीरिैव आंदोलन का अध्ययन करने के तलए, विन (िातब्दक रूप से कहावि) र्हत्वपणा हैं। विन, कन्नड़ भाषा र्ें उन स्त्री और
पुरुषों द्वारा रिे गए थे जो इस आंदोलन र्ें िातर्ल हुए थे।
● वीरिैववाद ने र्र्िा पजा और अनेक देवी-देविाओं की पजा का सर्थान नहीं ककया। इसने के वल एक ईश्वर अथााि् भगवान तिव
की पजा पर जोर कदया। उनके अनुसार तिव एकर्ात्र सवोच्च देविा हैं तजनकी पजा सलंग के रूप र्ें की जानी िातहए। इसतलए
कथन 3 सही है।
Q 31.A
● वैकदक सातहत्य
o वेदों की उतिि सर्झ के तलए छह वेदांग (वेदों के अंग) तवकतसि ककए गए थे।
o इनर्ें तििा (उच्चारण की तवति), कपप (कर्ाकांड िथा आिार या अनुष्ठान), व्याकरण (िब्दों की व्युत्पतत्त), तनरुि (वैकदक
िब्दों का तनवािन या व्याख्या), छंद (अिरों की गणना के आिार पर पद्यात्र्क र्न्त्रों के स्वरूप का तनिाारण िथा
नार्करण या र्ैररक्स) और ज्योतिष (खगोल तवज्ञान/यज्ञ के सर्य का तनरूपण) िातर्ल हैं।
o प्रत्येक वेदांग ने अपना एक तवश्वसनीय सातहत्य तवकतसि ककया है जो सत्र के रूप र्ें अथााि उपदेिों रूप र्ें हैं।
o यह गद्यात्र्क अतभव्यति का एक अत्यंि सिीक स्वरूप है तजसे प्रािीन भारिीयों द्वारा तवकतसि ककया गया था।
o पातणतन की अिाध्यायी व्याकरण पर तलखा गया एक र्हत्वपणा ग्रन्थ है। यह सत्र (उपदेिात्र्क िैली) र्ें लेखन की उत्कृ ि
कला की अंतिर् पररणति है। इसर्ें आठ अध्याय िातर्ल है और प्रत्येक अध्याय आपस र्ें सिीक रूप से जुड़ा हुआ है।
o वेदों के अलावा ब्राह्मण, आरण्यक और उपतनषद भी वैकदक सातहत्य र्ें िातर्ल हैं िथा ये उत्तर वैकदक सातहत्य के रूप र्ें
जाने जािे हैं।
● इसतलए तवकपप (a) सही उत्तर है।
Q 32.B
● स्र्ृतियों ने तवगि दो हजार वषों के दौरान सहंद जीवन िैली र्ें अत्यंि र्हत्वपणा भतर्का तनभाई है।
● ये स्र्ृतियां िार्र्ाक किाव्यों, प्रथाओं, काननों और सार्ातजक रीति-ररवाजों को पररभातषि करिी हैं। सार्ान्य िौर पर, स्र्ृतियों
को िर्ासत्रों के तवस्िाररि और सर्कालीन संस्करण के रूप र्ें र्ाना जा सकिा है। िर्ासत्रों र्ें छठी ििाब्दी ई. प. से िीसरी
ििाब्दी ई. प. िक के घिनाक्रर् िातर्ल हैं।
● इसके ित्काल बाद ही स्र्ृतियों की रिना आरं भ हो गई थी िथा रिना का यह काया लगभग आठ सौ वषा या उससे भी अतिक
सर्य िक जारी रहा।
● र्ानव िर्ािास्त्र या र्नुस्र्ृति न के वल इस वगा की सबसे प्रािीन कृ ति है बतपक सबसे प्रतसद्ध भी है और आज भी परे भारि र्ें
इसका अनुसरण ककया जािा है।
● इसकी रिना लगभग पहली ििाब्दी ई. प. र्ें हुई थी। इसके अलावा, कु छ अन्य र्हत्वपणा स्र्ृतियों र्ें नारदस्र्ृति, तवष्णुस्र्ृति,
याज्ञवपक्यस्र्ृति, बृहस्पतिस्र्ृति और कात्यायनस्र्ृति िातर्ल हैं।
● ये सभी सर्कालीन सर्ाज के कानन और सार्ातजक रीति-ररवाजों की जानकारी प्रदान करने वाले अत्यंि र्हत्वपणा स्रोि हैं।
इन स्र्ृतियों को दैवीय उत्पतत्त का घोतषि ककया गया था।
● दसरी ििाब्दी ई. प. र्ें पिंजतल द्वारा रतिि ‘र्हाभाष्य’ व्याकरण के िेत्र र्ें सबसे उत्कृ ि कृ ति है, यह पातणतन की अिाध्यायी
पर तलखी गई एक रिप्पणी है। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● पिंजतल के बाद, संस्कृ ि व्याकरण का तििण कें द्र दक्कन र्ें स्थानांिररि हो गया, जहां पहली ििाब्दी ईस्वी र्ें कािंत्र
तविारिारा तवकतसि हुई।
14 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 33.A
● हातलया संदभा: जलवायु पररविान पर अंिर सरकारी पैनल (IPCC) ने 20 र्ािा, 2023 को अपनी संश्लष
े ण ररपोिा (ससंथते सस
ररपोिा: SYR) प्रकातिि की। इसर्ें IPCC के छठे आकलन िक्र के दौरान जारी तनम्नतलतखि ररपोिों के तनष्कषों के सारांि कदए
गए हैं -
o 2018 की 1.5°C ररपोिा,
o 2019 की भतर् और र्हासागरों पर तविेष ररपोिा और
o 2021 और 2022 के बीि प्रकातिि िीन आकलन ररपोिा।
● SYR को कोतवड-19 र्हार्ारी, यक्रेन पर रूसी आक्रर्ण और उसके बाद के वैतश्वक ऊजाा संकि द्वारा उत्पन्न प्रर्ुख वैतश्वक
अतस्थरिा के र्द्देनजर प्रस्िुि ककया गया है।
● ररपोिा के प्रर्ुख तनष्कषा:
o वैतश्वक िापर्ान र्ें 1.5°C से 2°C की वृतद्ध होने पर सहंद र्हासागर के सिही िापर्ान र्ें 1°C से 2°C िक बढ़ने की
संभावना है।
o इस ररपोिा र्ें, वैज्ञातनकों ने दिााया है कक पतिर्ी सहंद र्हासागररय िेत्र र्ें सर्ुद्री उष्र्ीय िरं गों (MHW) की घिनाओं र्ें
सवाातिक वृतद्ध हुई है जो प्रति दिक लगभग 1.5 घिनाओं की दर से बढ़ी हैं। इसके बाद उत्तरी बंगाल की खाड़ी र्ें प्रति
दिक 0.5 घिनाओं की दर से इसर्ें वृतद्ध हुई है। तपछले िार दिकों र्ें 1982 और 2018 के बीि पतिर्ी सहंद र्हासागर
ने 66 घिनाएं घरिि हुई हैं, जबकक बंगाल की खाड़ी र्ें 94 घिनाएं घरिि हुई हैं।
o िापर्ान 1.5°C की सीर्ा को पार करने वाला है: विार्ान औसि िापर्ान र्ें पहले ही पवा-औद्योतगक काल के िापर्ान से
1.1°C (इसर्ें लगभग 1.07°C का योगदान र्ानव गतितवतियों का रहा है) की वृतद्ध हो िुकी है।
o 2030 िक इस बाि की 50% संभावना है कक ककसी एक वषा र्ें वैतश्वक सिही िापर्ान 1.5 °C से अतिक हो सकिा है।
o तवश्व अभी भी वैतश्वक िापर्ान र्ें 1.5 °C की सीर्ा से से अतिक की वृतद्ध को रोकने के तलए पयााप्त प्रयास नहीं कर रहा
है। हालांकक, ऐसा करने हेिु कई व्यवहाया और प्रभावी तवकपप उपलब्ि हैं।
o िापर्ान 1.5°C से अतिक बढ़ने के पररणार्स्वरूप ध्रुवीय, पवािीय, ििीय पाररतस्थतिकी िंत्र आकद पर अपररविानीय
प्रतिकल प्रभाव पड़ेगा।
o िापर्ान को 1.5°C की सीर्ा के भीिर रखने हेि,ु उत्सजान को 2019 के स्िर की िुलना र्ें 2030 िक कर् से कर् 43%
और 2035 िक कर् से कर् 60% कर् करने की आवश्यकिा है। ऐसा करने के तलए विार्ान दिक एक तनणाायक दिक है।
Q 34.A
● उत्तर भारि र्ें र्ंकदर स्थापत्य/वास्िुकला की जो िैली लोकतप्रय हुई उसे नागर िैली कहा जािा है। इस िैली की एक सार्ान्य
तविेषिा यह है कक संपणा र्ंकदर एक तविाल िबिरे (वेदी) पर बनाया जािा है और उस िक पहुंिने के तलए सीकढ़यां तनर्र्ाि
होिी हैं। इसके अतिररि इन र्कदंरों र्ें, दतिण भारिीय या द्रतवड़ िैली के तवपरीि, कोई िहारदीवारी या दरवाजे नहीं होिे
हैं। हालांकक, आरं तभक र्ंकदरों र्ें तसिा एक र्ीनार या तिखर तनर्र्ाि थे जबकक बाद के र्ंकदरों र्ें कई तिखर तनर्र्ाि ककए जाने
लगे। र्ंकदर का गभागह
ृ हर्ेिा सबसे ऊाँिे तिखर के ठीक नीिे बनाया जािा है।
● नागर र्ंकदर के तवपरीि, द्रतवड़ र्कदंर िारों ओर एक िहारदीवारी से तघरा होिा है। इस िहारदीवारी के बीि र्ें प्रवेि द्वार
तनर्र्ाि होिे हैं तजन्हें गोपरर्ु कहा जािा है। र्कदंर के गम्बुद का रूप तजसे ितर्लनाडु र्ें तवर्ान कहा जािा है, र्ुख्यिः: एक
सीढ़ीदार तपरातर्ड की िरह होिा है जो ऊपर की ओर ज्यातर्िीय रूप से उठा होिा है, न कक उत्तर भारि के र्कदंरों की िरह
र्ोड़दार तिखर के रूप र्ें।
15 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 35.C
● भवाई गुजराि की एक पारं पररक नाट्य िैली है।
● इस िैली के र्ुख्य कें द्र कच्छ और कारठयावाड़ हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
● भवाई र्ें उपयोग ककए जाने वाले वाद्ययंत्रों र्ें तनम्न िातर्ल होिे हैं:
o भुग
ं ल,
o िबला,
o बांसरु ी,
o पखावज,
o रबाब,
o सारं गी, र्ंजीरा, आकद। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● भवाई र्ें भति और रूर्ानी भावनाओं का दुलभ
ा सर्न्वय देखने को तर्लिा है। इसतलए कथन 3 सही है।
Q 36.D
● गुजरा -प्रतिहार राजवंि ने 8वीं ििाब्दी के र्ध्य से 11वीं ििाब्दी िक उत्तरी भारि के अतिकांि तहस्सों पर िासन ककया था।
उन्होंने सवाप्रथर् उज्जैन और किर कन्नौज पर िासन ककया। राजवंिीय संघषा से गुजरा -प्रतिहार वंि की िति कर्जोर हो गई
थी। राष्ट्रकि िासक इं द्र िृिीय के नेित्ृ व र्ें एक ितििाली आक्रर्ण के पररणार्स्वरूप इनकी िति और भी कर्जोर हो गई।
इं द्र िृिीय ने 916 र्ें कन्नौज को लुि तलया था। साथ ही, अप्रभावी िासकों के उत्तरातिकार के कारण, राजवंि अपने पवा प्रभाव
को कभी पुनः प्राप्त नहीं कर पाया।
● प्रतिहार, कई राजपि राज्यों र्ें खंतडि हो गए। इनर्ें से एक कन्नौज का गढ़वाल वंि था। यह 11वीं और 12वीं ििाब्दी के
दौरान विार्ान उत्तर प्रदेि और तबहार के कु छ तहस्सों पर िासन करने वाला एक प्रर्ुख राजपि राजवंि था। उनकी राजिानी
गंगा के र्ैदानों र्ें बनारस र्ें तस्थि थी। उन्होंने कु छ सर्य के तलए कन्नौज पर भी िासन ककया था।
● परर्ार 9वीं और 14वीं ििाब्दी के बीि र्ालवा िेत्र पर िासन करने वाला एक अन्य प्रर्ुख राजपि राजवंि था।
● कदपली और अजर्ेर के िौहान भी राजपि राजवंि थे, तजन्हें िाकं भरी के िाहर्ानों के रूप र्ें भी जाना जािा है। उन्होंने
आिुतनक राजस्थान और आस-पास के िेत्रों पर िासन ककया था।
● कलिुरर राजवंि ने 10-12वीं ििाब्दी के बीि िासन ककया था। जेजाकभुति का िंदल
े वंि र्ध्य भारि के िेत्रों पर िासन
करने वाला एक अन्य राजपि राजवंि था। िंदल
े ों ने 9वीं और 13वीं ििाब्दी के बीि बुंदेलखंड िेत्र (ित्कालीन जेजाकभुति)
पर िासन ककया था।
● इसतलए तवकपप (D) सही उत्तर है।
Q 38.A
● राष्ट्रकि राजवंि एक सहंद िाही पररवार था तजसने भारि के दक्कन िेत्र िथा आस-पास के िेत्रों पर िासन ककया था। इस वंि
का िासनकाल लगभग 755 और 975 ई. के बीि था। इस साम्राज्य की स्थापना दंतिदुगा ने की थी। इन्होने आिुतनक िोलापुर
के पास र्ान्यखेि या र्लखेड र्ें अपनी राजिानी स्थातपि की।
● गोसवंद िृिीय (793-814) और अर्ोघवषा (814-878) र्हान राष्ट्रकि िासक थे। अर्ोघवषा ने 68 वषों िक िासन ककया। वह
एक र्हान तनर्ााणकिाा था और उसने अपने राजिानी नगर र्ान्यखेि का भव्य तनर्ााण ककया िाकक यह इं द्र के नगर से भी
उत्कृ ि कदखाई दे।
● अल-र्सदी ने 914 से 928 ई. के दौरान भारि का दौरा ककया िब राष्ट्रकि साम्राज्य पर इं द्र-िृिीय नार्क िासक का िासन
था। अल-र्सदी के अनुसार, राष्ट्रकि िासक बपहारा या वपलभराज भारि का सबसे र्हान िासक था। साथ ही, अतिकांि
भारिीय िासकों ने उसकी अिीनिा स्वीकार कर ली थी और वे वपलभराज के दि का सम्र्ान करिे थे।
● कै लाि िैलकृ ि र्ंकदर का तनर्ााण 756 और 773 ईस्वी के बीि राष्ट्रकि राजा कृ ष्ण प्रथर् द्वारा ककया गया था, उसने 8वीं
ििाब्दी के दौरान िासन ककया था। यह प्रतसद्ध र्ंकदर एलोरा र्ें तस्थि है।
● इसलिए तवकपप (a) सही उत्तर है।
Q 39.B
● प्रािीन भारि र्ें करािान प्रणाली की दृति से र्ौया काल एक र्हत्वपणा काल था। कौरिपय ने ककसानों, तितपपयों और
व्यापाररयों से वसल ककए जाने वाले अनेक करों का उपलेख ककया है। इन सभी करों के तनिाारण, वसली और संग्रह के तलए एक
दृढ़ और दि संगठन की आवश्यकिा थी।
● र्ौया िासन के दौरान कर के संग्रहण और वसली से अतिक र्हत्व उसके तनिाारण को कदया गया था।
● सर्ाहिाा कर तनिाारण हेिु सवोच्च प्रभारी अतिकारी था और सतन्निािा राजकीय कोषागार और खजाने का र्ुख्य संरिक था।
● सर्ाहिाा द्वारा राज्य को पहुंिाया गया नुकसान सतन्निािा द्वारा पहुंिाए गए नुकसान से अतिक गंभीर र्ाना जािा था। वास्िव
र्ें, कर तनिाारण का ऐसा तविद िंत्र सवाप्रथर् र्ौयाकाल र्ें ही देखा जािा है।
● अथािास्त्र र्ें करों की लंबी सिी का उपलेख ककया गया है, यकद वास्िव र्ें इन सभी करों की वसली की जािी थी िो प्रजा के
पास तनवााह के तलए नार्र्ात्र की बिि ही िेष रहिी होगी।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 40.C
● अकबर ने 1580 र्ें अपने साम्राज्य को बारह प्रांिों र्ें तवभातजि ककया तजसे सबा कहा जािा था। ये बारह प्रांि बंगाल, तबहार,
इलाहाबाद, अवि, आगरा, कदपली, लाहौर, र्ुपिान, काबुल, अजर्ेर, र्ालवा और गुजराि थे। प्रत्येक प्रांि र्ें एक सबेदार, एक
दीवान, एक बख्िी, एक सद्र, एक काजी और एक वाककया-नवीस की तनयुति की गयी। इस प्रकार, प्रांिों र्ें तनयंत्रण और
संिल
ु न के तसद्धांि पर आिाररि एक व्यवतस्थि प्रिासन का गठन ककया गया। इसतलए तवकपप 2 और 4 सही हैं।
Q 41.A
● गोल गुब
ं द:
○ यह कनाािक के बीजापुर तजले र्ें तस्थि है।
○ यह बीजापुर के आकदल िाही राजवंि (1489-1686 ई.) के सािवें सुपिान र्ुहम्र्द आकदल िाह (1626-1656 ई.) का
र्कबरा है।
○ इसे स्वयं सुपिान ने अपने जीवन काल र्ें ही बनवाना िुरू कर कदया था। इसका कार् परा न होने के बावजद यह एक
िानदार इर्ारि है। इसतलए कथन 1 सही है।
○ र्कबरे र्ें कई छोिी-बड़ी इर्ारिें हैं, जैसे- अंदर आने के तलए तविाल दरवाजा, एक नक्कारखाना, एक र्तस्जद और एक
सराय जो दीवारों से तघरे एक बड़े बाग के भीिर तस्थि हैं।
○ गुम्बद एक तविाल वगााकार भवन है तजस पर एक गोलाकार ड्रर् तनर्र्ाि है और इस ड्रर् पर एक िानदार गुम्बद रिका
हुआ है तजसके कारण उसे यह नार् कदया गया है। इसकी एक बाहरी दीवार है (जो आकार र्ें वगााकार है)। इसतलए कथन 2
सही नहीं है।
○ यह गहरे स्लेिी रं ग के बेसापि पत्थर से तनर्र्ाि है और इसे प्लास्िर से संवारा गया है। गुम्बद की इर्ारि की प्रत्येक दीवार
135 िु ि लंबी, 110 िु ि ऊंिी और 10 िु ि र्ोिी है।
○ ड्रर् और गुम्बद दोनों को तर्लाकर इस इर्ारि की ऊंिाई 200 िु ि से भी अतिक हो जािी है।
○ र्कबरे र्ें के वल एक वगााकार बड़ा कि और 125 िु ि व्यास वाला गुम्बद है।
○ यह र्कबरा 18,337 वगा िु ि र्ें िै ला हुआ है और दुतनया का दसरा सबसे बड़ा र्कबरा है।
Q 43.A
● र्ौयों के उत्कषा के पवा की दो सकदयों र्ें र्गि साम्राज्य के तवकास का दौर सर्कालीन ईरानी साम्राज्य के दौर के सार्ान रहा।
● इस अवति र्ें भारि र्ें सबसे तविाल राज्य की स्थापना सबंतबसार, अजािित्रु और र्हापद्म नंद जैसे कई साहसी एवं
र्हत्वाकांिी िासकों के प्रयासों से हुई थी। इन्होंने अपने साम्राज्य का तवस्िार करने और अपने िासन को र्जबि करने के तलए,
उतिि और अनुतिि, सभी सािनों का प्रयोग ककया। हालांकक, र्गि के तवस्िार का यही एकर्ात्र कारण नहीं था।
● लौह युग र्ें र्गि को इसकी भौगोतलक तस्थति का लाभ तर्ला क्योंकक लोहे के सर्ृद्ध भंडार राजगीर के सर्ीपविी िेत्रों र्ें ही
तस्थि थे। राजगीर र्गि की प्रारं तभक राजिानी थी।
○ सर्ृद्ध लौह खतनज भंडार र्गि के सर्ीप ही उपलब्ि होने के कारण र्गि के िासक स्वयं को प्रभाविाली हतथयार से
सुसतज्जि करने र्ें सिर् थे। ये संसािन इनके प्रतिद्वंतद्वयों को आसानी से उपलब्ि नहीं थे।
● र्गि के तलए कु छ अन्य अनुकल पररतस्थतियां भी उपलब्ि थी। र्गि की दोनों राजिातनयां, प्रथर् राजगीर और तद्विीय
पाितलपुत्र, सार्ररक दृति से अत्यंि र्हत्वपणा स्थलों पर तस्थि थी। राजगीर पांि पहातड़यों से तघरा हुआ था इसतलए
ित्कालीन पररतस्थतियों र्ें यह एक अभेद्य स्थल था।
● र्गि, र्ध्य गंगा के र्ैदान के कें द्र र्ें तस्थि था। यहां से वनों को साि करने के पिाि् जलोढ़ र्ृदा से युि एक तविाल उपजाऊ
िेत्र की प्रातप्त हुई।
● सैन्य संगठन के र्ार्ले र्ें र्गि को तविेष लाभ प्राप्त था, हालांकक भारिीय राज्य घोड़ों और रथों के उपयोग र्ें अभ्यस्ि थे,
ककन्िु र्गि अपने पड़ोसी राज्यों के तवरुद्ध युद्धों र्ें हातथयों का वृहद पैर्ाने पर प्रयोग करने वाला पहला राज्य था। र्गि के
िासकों को देि के पवी भाग से हातथयों की आपर्िा की जािी थी। ग्रीक स्रोिों से ज्ञाि होिा है कक नंद वंि की सेना र्ें 6000
हाथी थे।
● र्गि का सर्ाज गैर-रूकढ़वादी था। रूकढ़वादी ब्राह्मणों द्वारा यहााँ बसे ककराि और र्गि लोगो को तनम्न कोरि का सर्झा जािा
था।
○ हालांकक, वैकदक अथवा आया लोगों के आगर्न से यहां जातियों का सुखद नस्लीय तर्िण हुआ। िकं क यह राज्य हाल ही र्ें
आयीकृ ि (Aryanized) हुआ था, इसतलए कािी सर्य पहले वैकदक प्रभाव र्ें आने वाले राज्यों की अपेिा र्गि र्ें
तवस्िार के तलए अतिक उत्साह था। इन सभी कारणों से र्गि को अन्य राज्यों को परातजि करने और भारि र्ें प्रथर्
साम्राज्य की स्थापना करने र्ें सिलिा तर्ली।
● इसतलए तवकपप (a) सही उत्तर है।
Q 45.C
● गद्यात्र्क सातहत्य के िेत्र कातलदास (380 ई. से 415 ई. के बीि) सवाातिक उत्कृ ि सातहत्यकार है।
● उन्होंने कु र्ारसंभवर्् (कु र्ार का जन्र्) और रघुवंिर्् (रघुओं का वंि) नार्क दो र्हान र्हाकाव्यों की रिना की।
● काव्य परं परा र्ें, संरिना जैसे कक िैली, अलंकार, कपपना, तववरण आकद पर अतिक ध्यान कदया जािा है िथा कथा के तवषय
को पृष्ठभतर् र्ें रखा जािा है।
● इस िरह की गद्यात्र्क रिना का सर्ग्र उद्देश्य तबना ककसी नैतिक र्ानदंडों का उपलंघन ककए एक िार्र्ाक और सांस्कृ तिक
जीवन िैली की प्रभावकाररिा को सार्ने लाना है।
● अन्य प्रतितष्ठि कतवयों, जैसे भारतव (550 ई.) ने ककरािाजुन
ा ीयर्् (ककराि और अजुन
ा की कथा) और र्ाघ (65-700 ई.) ने
तििुपालविर्् (तििुपाल की हत्या) की रिना की।
● इनके अतिररि, इस परंपरा र्ें िीहषा और भट्टी जैसे कई अन्य बहुप्रतिभावान कतवयों के नार् भी िातर्ल हैं।
● काव्य या नािक का र्ुख्य उद्देश्य पाठक या दिाक को एक तभन्न दृतिकोण प्रदान करना या उसका र्नोरंजन (लोकरंजन) करना
है। साथ ही, इनका उद्देश्य पाठक या दिाक की भावनाओं को भी उत्तेतजि करके अंििः उसे जीवन के प्रति अपने दृतिकोण को
स्पि करने हेिु एक र्ागा प्रदान करना है।
● इसतलए नािक कतविाओं और गद्यात्र्क रूप र्ें िैलीबद्ध और पररपणा होिे हैं। यह लौककक के एक स्िर के साथ-साथ
पारलौककक के भी अन्य स्िर पर आगे बढ़िा है।
● भरि (पहली ििाब्दी ईसा पवा-पहली ििाब्दी ईस्वी के र्ध्य) द्वारा नाट्यिास्त्र नार्क ग्रंथ की रिना की गई थी। यह नाट्य
कला पर रतिि प्रथर् ग्रंथ है। इसर्ें नाट्य कला से संबंतिि प्रदिान, रं गर्ंि, अतभनय, भाव-भंतगर्ा, रस और र्ंि तनदेिन के
बारे र्ें सभी तनयर् और तनदेि वर्णाि ककए गए हैं।
● कातलदास को सवोत्कृ ि नािककार र्ाना जािा है। इनके िीन नािकों र्ालतवकातितर्त्रर् (र्ालतवका और अतितर्त्र),
तवक्रर्ोवािीयर्् (तवक्रर् और उवािी) और अतभज्ञान िाकुं िलर् या अतभज्ञानिाकुं िलर्् (राजा दुष्यंि िथा िकुं िला के
पुनर्र्ालन की कथा) र्ें प्रेर् रस की सभी संभातवि अतभव्यतियों का अतद्विीय वणान ककया गया है।
● वे प्रेर् और सौंदया रस के कतव हैं और जीवन की अतभपुति र्ें तवश्वास करिे हैं। इनके अनुसार जीवन का आनंद िुद्ध, पतवत्र और
व्यापक स्वरूप वाले प्रेर् र्ें है।
● इसतलए तवकपप (C) सही उत्तर है।
Q 46.B
● ऋग्वैकदक काल र्ें आयों का प्रिासन िंत्र कबीले के प्रिान द्वारा संिातलि ककया जािा था, क्योंकक वह युद्ध का नेिृत्व भी करिा
था। उसे राजन कहा जािा था। ऐसा प्रिीि होिा है कक ऋग्वैकदक काल र्ें राजा का पद आनुवतं िक हो िुका था।
● राजा के पास असीतर्ि अतिकार नहीं थे क्योंकक उसे कबीलायी संगठनों से सलाह लेनी पड़िी थी। यद्यतप राजा का पद
आनुवांतिक था ककं िु कबीले की सतर्ति नार्क जन सभा द्वारा राजा के िुनाव के भी प्रर्ाण तर्ले हैं। राजा को अपने कबीले का
रिक कहा जािा था। वह कबीले के र्वेतियों की रिा करिा था, युद्ध र्ें नेिृत्व करिा था और कबीले की ओर से देविाओं से
प्राथाना करिा था। इसतलए कथन 1 सही है।
20 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 47.D
● भारिीय संगीि के तवकास के दौरान तहन्दुस्िानी और कनाािक संगीि के रूप र्ें दो तभन्न उप-िैतलयां तवकतसि हुई। 14वीं
ििाब्दी ईस्वी र्ें हरपाल द्वारा रतिि “संगीि सुिाकर” नार्क रिना र्ें कनाािक और तहन्दुस्िानी िैली िब्दों का पहली बार
प्रयोग ककया गया। तहन्दुस्िानी और कनाािक की दो तभन्न िैतलयां र्ुतस्लर्ों के आगर्न के बाद, तविेष रूप से कदपली के र्ुगल
िासकों के दौरान प्रिलन र्ें आई।
● संगीि की दोनों ही िैतलयां एक सर्ान र्ल स्त्रोि से तवकतसि हुई थीं। भारि के उत्तरी भाग र्ें प्रितलि भारिीय संगीि ने
कदपली के र्ुगल िासकों के दरबारों र्ें सुिोतभि िारसी और अरबी संगीिकारों के संगीि की कु छ तविेषिाओं को आत्र्साि
कर तलया जबकक दतिण का संगीि अपने र्ल स्रोि के अनुसार तवकतसि होिा रहा। हालांकक, उत्तर और दतिण की दोनों
िैतलयों के र्लभि पहल सर्ान ही रहे। कनाािक संगीि के र्हत्वपणा रूप तनम्नतलतखि हैं;
● गीिर्: गीिर् इस संगीि की सरलिर् िैली है। इसे संगीि के प्रारं तभक छात्रों को तसखाया जािा है िथा इसकी संरिना
अत्यतिक सरल और संगीि प्रवाह अत्यतिक सहज एवं र्ोहक है। संगीि का यह स्वरूप उस राग का एक सरल एवं र्िुर
तवस्िार है तजसर्ें इसकी रिना की जािी है। इसकी गति एक सर्ान होिी है। इसर्ें कोई खण्ड नहीं होिा है, जो गीि के एक
भाग को दसरे से अलग करे । इसे िुरू से लेकर अंि िक तबना दोहराए गाया जािा है। संगीि र्ें कोई जरिल तभन्निाएं नहीं है।
संगीि का तवषय सार्ान्यिः भतिपणा होिा है। गणेि, र्हेश्वर और तवष्णु की स्िुति र्ें पुरंदरदास की प्रारं तभक गीिों, तजन्हें
सार्तहक रूप से तपपलरी गीि कहा जािा है, संगीि के छात्रों को पढ़ाए जाने वाले गीिों का पहला सेि है।
● सुलादी: सुलादी संगीि संरिना और व्यवस्था र्ें लगभग गीिर् के ही सर्ान है हालांकक, ये गीिर् की िुलना र्ें उच्च स्िर के हैं।
सुलादी एक िालर्तलका है, तजसर्ें खण्ड तभन्न-तभन्न िालों र्ें होिे हैं। सातहत्य अिर, गीिों की िुलना र्ें कर् होिे हैं िथा स्वर
तवस्िारों का सर्ह होिा है। इनका तवषय सार्ान्यिः भति होिा है। सुलादी की रिना तभन्न-तभन्न गीिों र्ें की जािी है, जैसे
तवलंतबि, र्ध्य और द्रुि। पुरंदरदास ने अनेक सुलाकदयों की रिना की है।
● स्वराजाति: इसे गीिर् र्ें पाठ्यक्रर् के बाद तसखाया जािा है। यह गीिों से अतिक जरिल होिा है और वणार्ों के अध्ययन के
तलए र्ागा प्रिस्ि करिा है। इसके अंिगाि िीन खण्ड िातर्ल हैं तजन्हें पपलवी, अनुपपलवी और िरणर् कहा जािा है। इसका
तवषय भति, साहस अथवा प्रेर् से संबंतिि होिा है। इसकी उत्पतत्त जाति के साथ (िाल, सोपिा अिरों, जैसे िका िारी ककिा
नाका िातिन तगना िार्) एक नृत्य के रूप र्ें हुई।
● जातिस्वरर्: इसकी संगीि संरिना स्वराजाति के सर्ान ही है। जातिस्वरर् का कोई सातहत्य या िब्दावली नहीं है। खंडों को
के वल सोपिा अिरों के साथ गाया जािा है। यह अपनी लयबद्ध उत्कृ ििा और इसर्ें प्रयुि जाति पैिना के तलए तवख्याि है। यह
नृत्य संगीि के िेत्र से संबंतिि एक संगीि िैली है। कु छ जातिस्वरर्ों र्ें पपलवी और अनुपपलवी को जाति के अनुरूप गाया
जािा है िथा स्वर और जाति को तर्लाने के तलए िारण गाए जािे हैं। रागर्तलका जातिस्वरर् भी प्रितलि हैं।
● पद: पद, िेलुगु और ितर्ल र्ें तवद्विापणा रिनाएं हैं। यद्यतप ये र्ुख्यिः नृत्य रूपों र्ें रतिि होिी हैं िथातप ये संगीि कायाक्रर्ों
र्ें भी गायी जािी हैं। इसके कारण संगीि र्ें उत्कृ ििा और र्िुरिा उत्पन्न होिी है। पद र्ें भी खण्ड, पपलवी, अनुपपलवी और
िरण होिे हैं। संगीि िीर्ा और उत्कृ ि होिा है। संगीि का प्रवाह स्वाभातवक होिा है िथा परे प्रदिान के दौरान िब्दों और
संगीि के बीि सिि संिुलन बनाए रखा जािा है। इसका तवषय र्िुर भति होिा है तजसे बाह्य िृंगार िथा अंिरभति िृंगार के
साथ पदों र्ें गाया जािा है|
21 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 48.D
● वली तित्रकला कथात्र्क तित्रकाररयां हैं तजनर्ें िेहरे की अतभव्यति की बहुि कर् गुज
ं ाइि के साथ भाव-भंतगर्ा और लय की
आवश्यकिा होिी है। इसर्ें अतिकांि पात्र एक-दसरे के साथ संवाद र्ें होिे हैं। यह कला रूप वली की सार्ातजक जीवन िैली
और कक्रयाकलापों जैसे तिकार करना, र्छली पकड़ना, खेिी, वन गतितवतियों और ग्रार्ीण जीवन आकद तवषयों से संबतं िि है।
तवतभन्न िसलों के र्ौसर्, तववाह और जन्र् के दौरान इनके घरों को तित्रों से अलंकृि ककया जािा है। वली र्ुख्य रूप से कृ षक
हैं तजनका जीवन र्ानसन िक्र द्वारा तनयंतत्रि होिा है। िंकक उनका जीवन प्रकृ ति से तनकििा से जुड़ा हुआ होिा है, अिः वे
इसकी सया और िंद्रर्ा, वज्र, तबजली, हवा, बाररि और अनेक अन्य देविाओं के रूप र्ें पजा करिे हैं। देविाओं की पजा ऋिुओं
के अनुसार की जािी है। पुरुषों और र्तहलाओं को िसल की किाई र्ें संलि दृश्य, भतर् पर खेिी करिे हुए और तिकार और कई
अन्य दैतनक कक्रयाकलापों र्ें दिााया जािा है। वली तित्रों र्ें पुरुषों और र्तहलाओं की सर्पाल संरिनाएं और संकेंकद्रि गोलाकार
तडजाइन िारपा नृत्य के प्रिीक हैं।
● वली तित्रकला िररत्र र्ें सरल है तजसर्ें तत्रभुजाकार रूप र्ें र्ानव आकृ तियां बनाई जािी हैं िथा हाथ और पैर छड़ी की भांति
होिे हैं। साथ ही ज्यातर्िीय आकृ तियों र्ें तवतभन्न प्रकार की वनस्पतियों एवं जीवों के तित्र बनाए जािे हैं। इस तित्रकला का
अभ्यास पीढ़ी दर पीढ़ी ककया जािा है और कलाकारों को कोई औपिाररक प्रतििण नहीं कदया जािा है।
● इन तित्रों को सािारणिः तर्ट्टी और गोबर आिाररि सिह पर तितत्रि ककया जािा है। सबसे पहले गेरू (लाल तर्ट्टी) से लेप
ककया जािा है और किर सिे द रंग के तलए िावल के पेस्ि का लेप ककया जािा है|। ये तित्र सािारण होिे हैं लेककन जीवन से
भरपर होिे हैं। इस तित्रकला के तलए ब्रि के स्थान पर सालिी घास या बांस की छतड़यों का उपयोग ककया जािा है।
● वली, र्ुंबई के उत्तरी बाहरी इलाके र्ें, पतिर्ी भारि र्ें पाई जाने वाली र्ुख्य जनजाति है, तजसका तवस्िार गुजराि सीर्ा िक
है। वली िस से तनर्र्ाि तर्ट्टी की झोपतड़यों के छोिे गांवों र्ें रहिे हैं, जो इस िरह से बनाए गए हैं कक वे सभी एक कें द्रीय िुरी
के िारों ओर तवस्िृि प्रिीि होिे हैं। इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 49.C
● िेररयल स्क्रॉल पेंटिंग िेलग
ं ाना से संबतं िि है। वारं गल तजले र्ें तस्थि िेररयल इस कला का पारं पररक कें द्र है। सजंगोर, र्ुिी और
र्ेरा के पारं पररक जाति-आिाररि सर्ह तजन्हें नक्काि के नार् से जाना जािा है, इन तित्रों को तितत्रि करिे हैं। इस िरह के
स्क्रॉल का उपयोग संगीिकारों के साथ कहानीकारों द्वारा नाररयल के खोल से बनी गुतड़या और र्ुखौिे के साथ ककया जािा था।
जबकक बड़े स्क्रॉल बुरादे और लकड़ी से बने होिे हैं, तजसे िेला पुनीकी कहा जािा है। इसे इर्ली के बीज के पेस्ि के साथ लेपा
जािा है। इस पेंटिंग के सार्ान्य तवषय कृ ष्ण लीला, रार्ायण, र्हाभारि, तिव पुराण, र्ाकं डेय पुराण से संबंतिि होिे हैं, जो
गौड़ा, र्तडगा आकद जैसे सर्ुदायों के गाथागीिों और लोक कथाओं से पररपररि होिे हैं। ककसी भी तवषय वस्िु के बावजद,
िेररयल पेंटिंग भगवान गणेि की पेंटिंग से िुरू होिी है, तजन्हें तवघ्नहिाा कहा जािा है और उसके पिाि तवद्या की देवी
सरस्विी की पेंटिंग होिी है। इसतलए युग्र् 1 सही सुर्ते लि नहीं है।
● र्िुबनी तबहार के तर्तथलांिल िेत्र र्ें तस्थि एक तजला है। र्िुबनी तित्रकला की उत्पतत्त 'तर्तथलांिल' नार्क िेत्र र्ें हुई, जहां
राजा जनक ने िासन ककया था। इसे सीिा का जन्र् स्थल र्ाना जािा है। इस कला रूप की उत्पतत्त का प्रर्ाण र्हाकाव्य
रार्ायण र्ें भी देखा जा सकिा है। िुलसीदास, रार् के साथ सीिा के तववाह र्ें तर्तथलांिल को तर्तथला तित्रों से अलंकृि ककए
जाने का एक ज्वलंि तववरण देिे हैं। ये तित्र बच्चे के जन्र्, ब्राह्मणों के पतवत्र-सत्र सर्ारोह आकद जैसे िुभ अवसरों पर तितत्रि
ककए जािे हैं। इनर्ें िातर्ल हैं; सथुदी- गभाावस्था के सािवें और नौवें र्हीने के दौरान र्नाया जाने वाला एक अनुष्ठान;
22 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 50.D
● हातलया संदभा: भारिीय भवैज्ञातनक सवेिण ने पहली बार कें द्र िातसि प्रदेि जम्र् और कश्र्ीर के सलाल-हैर्ाना िेत्र र्ें 5.9
तर्तलयन िन के तलतथयर् के ‘अनुर्ातनि’ भंडार (G3) की खोज की है। हाल ही र्ें हुई तलतथयर् भंडार की यह खोज एक
र्हत्वपणा तवकासक्रर् है तजसर्ें इलेतक्रक वाहनों (ईवी) और इलेक्रॉतनक्स सतहि तवतभन्न उद्योगों र्ें क्रांति लाने की िर्िा है।
● तलतथयर् एक दुलभ
ा और र्पयवान खतनज है। इसे 'ऊजाा भंडारण प्रौद्योतगकी के सिे द सोने' के रूप र्ें जाना जािा है। साथ ही
यह इलेतक्रक बैिरी र्ें उपयोग ककए जाने वाले प्रर्ुख घिकों र्ें से एक है। ईवी के अतिररि, तलतथयर्-आिाररि अिािालक
राष्ट्रीय सुरिा, परर्ाणु तिककत्सा और अन्य वैज्ञातनक अनुसंिान के िेत्रों र्ें भी र्हत्वपणा भतर्का तनभा रहे हैं।
● अभी िक पयााप्त संसािनों की कर्ी के कारण, भारि अपनी तलतथयर् आवश्यकिाओं को परा करने के तलए आयाि पर बहुि
अतिक तनभार रहा है। इसकी 80% से अतिक तलतथयर् आवश्यकिाओं की पर्िा िीन, अजेंिीना और तिली जैसे देिों से आयाि
के र्ाध्यर् से होिी है।
● भारि र्ें तलतथयर् भंडार की खोज देि को इसके आयाि पर तनभारिा कर् करने, तलतथयर्-आयन बैिरी के उत्पादन र्ें
आत्र्तनभार बनने और तलतथयर्-आयन बैिरी के वैतश्वक बाजार र्ें एक प्रर्ुख अतभकिाा के रूप र्ें स्वयं को स्थातपि करने का
अवसर प्रदान करिी है।
● विार्ान खोज से भारि तवश्व र्ें तलतथयर् भंडार के र्ार्ले र्ें सािवें स्थान पर पहुंि गया है।
● इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 51.A
● तवजयनगर साम्राज्य, तवजयनगर (विार्ान हम्पी, कनाािक) िहर र्ें तस्थि एक दतिण भारिीय साम्राज्य था। इसने 14वीं
ििाब्दी से लेकर 17वीं ििाब्दी िक िासन ककया था। तवजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी. र्ें हुई थी। इसकी
स्थापना का िेय संगर् वंि के दो भाइयों हररहर I और बुक्का राय I को कदया जािा है। ये दोनों यादव वंि के एक िरवाहे
सर्ुदाय से संबतं िि थे। इसतलए कथन 1 सही है।
23 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 52.A
● हातलया संदभा: US-FDA ने नई दवाओं के परीिण हेिु जानवरों के तलए कं प्यिर आिाररि और प्रयोगात्र्क तवकपपों को
र्ंजरी प्रदान की है। इस कदर् से "ऑगान ऑन ए तिप" के अनुसि
ं ान और तवकास को बढ़ावा तर्लने की संभावना है। इसतलए
कथन 3 सही है।
● ऑगान-ऑन-ए-तिप एक र्ाइक्रोफ्लुइतडक उपकरण है। इसका उद्देश्य इन तवरो र्ें तवतिि र्ानव अंगों या ऊिकों की संरिना
और कायाप्रणाली का अनुकरण करना है। यह एक र्पिी-िैनल 3-D र्ाइक्रोफ्लुइतडक सेल कपिर, इं िीग्रेिेड सर्का ि (तिप) है जो
परे अंग या अंग िंत्र की गतितवतियों, यांतत्रकी और िारीररक अनुकक्रया का अनुकरण करिा है। यह र्हत्वपणा बायोर्ेतडकल
इं जीतनयटरं ग अनुसंिान की तवषय वस्िु का गठन करिा है। इसतलए कथन 1 सही है।
● यह एक छोिी, पारदिी तिप है जो तसतलकॉन, कांि, या पॉतलर्र जैसे जैव संगि पदथों से बनी होिी है और इसर्ें जीतवि
कोतिकाओं के साथ पंतिबद्ध छोिे िैनल होिे हैं। इन जीतवि कोतिकाओं को र्ानव ऊिकों से प्राप्त ककया जािा है और र्ॉडल
ककए जा रहे तवतिि अंग के सक्ष्र् वािावरण को दोहराने के तलए कपिर ककया जा सकिा है। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● िंत्र- प्रत्येक ऑगान-ऑन-ए-तिप र्ें र्ाइक्रोफ्लुइतडक िैनलों और किों का एक जरिल नेिवका होिा है। यह ककसी तवतिि अंग के
यांतत्रक और रासायतनक वािावरण का अनुकरण कर सकिा है। यह रि और वायु के प्रवाह का अनुकरण कर सकिा है, जबकक
जीतवि कोतिकाएं दवा परीिण और रोग र्ॉडसलंग के तलए एक यथाथावादी वािावरण प्रदान करिी हैं।
● संभातवि अनुप्रयोग-
o दवा तवकास, रोग र्ॉडसलंग और तवषाििा परीिण सतहि इसके बहुि से संभातवि अनुप्रयोग हैं।
o र्ानव अंगों की संरिना और कायों की प्रतिकृ ति के द्वारा िोिकिाा यह अध्ययन कर सकिे हैं कक अंग, दवाओं और अन्य
यौतगकों के साथ कै से अन्िर्क्राया करिे हैं।
o इससे तवतभन्न प्रकार के रोगों के तलए अतिक प्रभावी और व्यतिगि उपिार का तवकास हो सकिा है।
o यह पिु परीिण पर तनभारिा को कर् करिे हुए दवाओं और अन्य यौतगकों के परीिण के तलए अतिक नैतिक और प्रभावी
दृतिकोण प्रदान करिा है।
Q 53.A
● कृ ष्णाट्टर् के रल का लोकनाट्य है। यह 17वीं ििाब्दी के र्ध्य कालीकि के र्हाराज र्नवेदा के िासन के अिीन अतस्ित्व र्ें
आया।
● कृ ष्णाट्टर् आठ नािकों का वृत्त है, जो क्रर्ागि रूप र्ें आठ कदन प्रस्िुि ककया जािा है। ये नािक हैं- अविारर््, कातलयर्दान,
रासक्रीड़ा, कं सविार्् स्वयंवरर््, वाणयुद्धर््, तवतवितविर््, स्वगाारोहण।
● वृत्तांि भगवान कृ ष्ण की थीर् पर आिाररि हैं - िीकृ ष्ण जन्र्, बापयकाल िथा बुराई पर अच्छाई की तवजय को तितत्रि करिे
हुए तवतवि काया।
● र्ुतडयेट्िु के रल का पारं पररक लोकनाट्य है। इसका उत्सव वृतिकर्् (नवम्बर-कदसम्बर) र्ास र्ें र्नाया जािा है।
● यह प्रायः: देवी के सम्र्ान र्ें के रल के के वल काली र्ंकदरों र्ें ही प्रदर्िाि ककया जािा है। इसतलए तवकपप (a) सही उत्तर है।
● यह असुर दाररका पर देवी भद्रकाली की तवजय को तितत्रि करिा है। गहरे साज-ससंगार के आिार पर साि िररत्रों का तनरूपण
होिा है- तिव, नारद, दाररका, दानवेन्द्र, भद्रकाली, कतल, कोइतम्बदार (नंकदके श्वर)।
24 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 55.B
● दक्कन पर पहला र्ुगल आक्रर्ण अकबर के िासनकाल (1556-1605) के दौरान हुआ था। 1591 ई. र्ें अकबर ने एक
किनीतिक र्ुतहर् छेड़ी। उसने सभी दक्कन के राज्यों को अपने दि-र्ंडल भेजकर उन्हें र्ुग़ल अिीनिा स्वीकार करने के तलए
'आर्ंतत्रि' ककया। हालांकक, खानदेि को छोड़कर ककसी भी राज्य ने र्ुगलों के इस प्रस्िाव को स्वीकार नहीं ककया।
● अहर्दनगर र्ें अतस्थरिा ने र्ुगलों को दक्कन र्ें हस्ििेप करने का अवसर प्रदान ककया। र्ुगल आक्रर्ण का नेिृत्व गुजराि के
सबेदार िहजादा र्ुराद और अब्दुर रहीर् खान-ए-खाना ने ककया।
● हर्लावर र्ुगल सेना के तवरुद्ध लड़ाई का नेिृत्व िांद बीबी ने ककया था। हालांकक, दक्कनी ितियों र्ें गुिबंदी उनकी पराजय का
कारण बनी। सन् 1596 र्ें एक संति पर हस्िािर ककए गए तजसके िहि बरार को र्ुगलों को सौंप कदया गया और र्ुगल
आतिपत्य को अहर्दनगर द्वारा भी र्ान्यिा दे दी गई। बदले र्ें र्ुगल बहादुर को राजा के रूप र्ें र्ान्यिा देने पर राजी हो गए।
इसतलए कथन 1 सही है।
● जहांगीर के िासनकाल के दौरान 1626 र्ें र्हाबि खान का िख्िापलि हुआ था। र्हाबि खान जहांगीर के सबसे सिर्
सेनापतियों र्ें से एक था। वह ससंहासन के प्रति विादार था, लेककन वह उन अर्ीरों र्ें से एक था, जो राज्य के प्रिासन र्ें
नरजहााँ के बढ़िे प्रभाव को पसंद नहीं करिे थे।
Q 56.D
● र्ौया राज्य लगभग सारे आर्थाक कायाकलापों को तनयंतत्रि करिा था। राज्य ने खेतिहरों और िद्र र्जदरों की सहायिा से परिी
भतर् को िोड़कर कृ तष-िेत्र को बढ़ाया।
● कृ तष-िेत्र बढ़ने से राज्य को अच्छी खासी आय होने लगी, क्योंकक उस पर नए-नए बसाए गए ककसानों से अच्छा राजस्व आने
लगा।
● ऐसा लगिा है कक ककसानों से वसले जाने वाले कर उनकी उपज के एक-िौथाई से लेकर छठे तहस्से िक होिे थे। तजन ककसानों
को राज्य द्वारा ससंिाई की सुतविा प्रदान की जािी थी, उनसे ससंिाई-कर वसला जािा था।
● इसके अतिररि आपािकाल के सर्य र्ें ककसानों को अतिक उपजाने के तलए बाध्य ककया जािा था। नगरों र्ें तबक्री के तलए जो
र्ाल लाए जािे थे उन पर प्रवेिद्वार पर ही िुंगी ले ली जािी थी।
● इसके अलावा, खान, र्कदरा की तबक्री, हतथयारों के तनर्ााण आकद पर भी राज्य का एकातिकार था। इन सभी से अवश्य ही
राज्य कोष सर्ृद्ध होिा था।
● इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 57.B
● र्ौयोत्तर काल के दौरान, तवदेिी िासकों ने संस्कृ ि सातहत्य का संरिण और संविान ककया। सबसे पहले काव्य िैली का नर्ना
कारठयावाड़ के रुद्रदार्न के तिलालेख र्ें लगभग 150 ई. का तर्लिा है। उसके बाद से तिलालेखों की रिना िुद्ध संस्कृ ि र्ें की
जाने लगी थी। हालांकक तिलालेखों की रिना र्ें प्राकृ ि का प्रयोग िौथी ििाब्दी ईस्वी िक और उसके बाद भी जारी रहा।
● ऐसा लगिा है कक अश्वघोष जैसे कु छ र्हान रिनाकारों ने कु षाणों के संरिण का लाभ उठाया। अश्वघोष ने बुद्धिररि तलखा,
जो बुद्ध की जीवनी है। उन्होंने ही सौन्दरानंद की रिना भी की, जो संस्कृ ि काव्य का एक बेहिरीन उदाहरण है।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 58.D
● हातलया संदभा: बजि र्ें 63000 से अतिक प्राथतर्क कृ तष ऋण सतर्तियों (PACS) के कम्प्यिरीकरण की घोषणा की गई है।
भारि र्ें PACS एक र्ल इकाई और सबसे छोिी सहकारी ऋण संस्था है। यह जर्ीनी स्िर (ग्रार् पंिायि और ग्रार् स्िर) पर
काया करिा है।
● PACSs राज्य स्िर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCBs) की अध्यििा वाली तत्रस्िरीय सहकारी ऋण संरिना र्ें अंतिर् कड़ी के
रूप र्ें काया करिे हैं। इसतलए कथन 2 सही है।
Q 59.C
● िौदहवीं ििाब्दी के दौरान भारि र्ें संिार की एक अनठी प्रणाली थी। इब्नबििा ने अपनी पुस्िक 'ररहला' र्ें भारि की संिार
की अनठी प्रणाली की व्याख्या की, तजसने उसे बहुि प्रभातवि ककया।
● भारि र्ें दो प्रकार की डाक व्यवस्था थी। अश्व डाक व्यवस्था तजसे उलक कहा जािा है, हर िार र्ील की दरी पर िैनाि
राजकीय घोड़ों द्वारा िातलि था। पैदल डाक व्यवस्था र्ें प्रति र्ील पर िीन रठकाने होिे हैं। एक र्ील के िीसरे तहस्से को दावा
कहा जािा है।
● एक र्ील के हर िीसरे भाग पर एक घनी आबादी वाला गााँव होिा है, तजसके बाहर िीन र्ण्डप होिे हैं तजनर्ें पुरुष कर्र
कसकर कार् करने के तलए िैयार बैठे रहिे हैं। यह पैदल डाक व्यवस्था अश्व डाक व्यवस्था से अतिक िीव्र थी और अक्सर इसका
उपयोग खुरासान के िलों के पररवहन के तलए ककया जािा था। इन िलों को भारि र्ें बहुि पसंद ककया जािा हैं। इससे
व्यापाररयों के तलए न के वल लंबी दरी िक सिना भेजना और उिार प्रेतषि करना संभव हुआ बतपक अपप सिना पर आवश्यक
र्ॉल भेजना भी संभव हुआ।
● इसलिए तवकपप (c) सही उत्तर हैं।
Q 60.C
● भारिीय र्र्िाकारों ने पकी तर्ट्टी की र्र्िायां (Terracotta) बनाने और पत्थर िरािने-उके रने र्ें तजिनी कु िलिा प्राप्त कर
रखी थी, उिनी ही प्रवीणिा उन्होंने कांसे को तपघलाने, ढालने और उससे र्र्िायां आकद बनाने के काया र्ें भी प्राप्त कर ली थी।
उन्होंने ससंिु घािी की सभ्यिा के अति प्रािीन काल र्ें ही ढलाई के सीरे -पेडुा या 'लुप्त - र्ोर्' की प्रकक्रया सीख ली थी। इसके
साथ ही िांबा, जस्िा और रिन को तर्लाकर िािुओं की तर्ििािु बनाने की प्रकक्रया की भी खोज की थी, तजसे कांसा कहा
जािा है। इसलिए कथन 2 सही नहीं है।
● िोिनार, र्हाराष्ट्र से प्राप्त बुद्ध की वाकािक कालीन कांस्य प्रतिर्ाएाँ, गुप्त कालीन कांस्य प्रतिर्ाओं के सर्कालीन हैं। उनर्ें ईसा
की िीसरी ििाब्दी र्ें प्रितलि आंध्र प्रदेि की अर्राविी िैली का प्रभाव दृतिगोिर होिा है और साथ ही उनर्ें तभिुओं के वस्त्र
पहनने की िैली र्ें भी कािी पररविान आया कदखाई देिा है। बुद्ध का दातहना हाथ अभय र्ुद्रा र्ें स्विंत्र है इसतलए वस्त्र िरीर
के दातहने तहस्से से लिका हुआ कदखाई देिा हैं तजसके िलस्वरूप प्रतिर्ा के इस तहस्से पर सिि प्रवाही रे खा कदखाई देिी हैं।
बुद्ध की आकृ ति के िखनों के स्िर पर लिका हुआ वस्त्र स्पििः वक्ररे खीय र्ोड़ बनािा हैं जब वह बाएं हाथ से पकड़ा हुआ
कदखाई देिा हैं। इसलिए कथन 1 सही नहीं है।
● गुप्त और वाकािक कालीन कांस्य प्रतिर्ाओं की एक अतिररि तविेषिा यह है कक वे सुवाह्य थीं और बौद्ध तभिुक उन्हें व्यतिगि
रूप से पजा के उद्देश्य से या बौद्ध तवहारों र्ें स्थातपि करने के तलए कहीं भी ले जा सकिे थे। इस प्रकार, पररष्कृ ि पुरानी िैली
का प्रभाव भारि के अनेक भागों र्ें और भारि से बाहर भी एतियाई देिों र्ें िै ल गया। इसलिए कथन 3 सही है।
Q 62. A
● दतिण भारि र्ें ितर्लनाडु का भरिनाट्यर् निाककयों द्वारा र्ंकदरों को सर्र्पाि कला के रूप र्ें तवकतसि हुआ है और इसे पहले
साकदर या दासी अट्टर् के नार् से जाना जािा था। यह भारि के पारं पररक नृत्यों र्ें से पहला नृत्य है तजसे तथएिर कला के रूप
र्ें किर से िैयार ककया गया है और इसे देि और तवदेि दोनों र्ें व्यापक रूप से प्रदर्िाि ककया जाना है। इसलिए तवकपप (a)
सही उत्तर है।
● भरिनाट्यर्, भरि र्ुतन के नाट्यिास्त्र जैसे उत्कृ ि ग्रंथ र्ें स्थातपि प्रदिान और सौंदयािास्त्र के तसद्धांिों पर आिाररि है। इसर्ें
िेलुगु, ितर्ल और संस्कृ ि र्ें गीिों की सर्ृद्ध प्रदिान सिी (Repertoire) है। भरिनाट्यर् प्रस्िुति का विार्ान प्रारूप, साथ ही
साथ इसकी संगीि रिनाओं का एक र्हत्वपणा तहस्सा, उन्नीसवीं ििाब्दी के प्रतसद्ध 'िंजौर िौकड़ी' द्वारा रतिि है। 'िंजौर
िौकड़ी' र्ें िार भाई पोन्नैया, तिन्नैय्याह, तिवानंदर् और वतडवेलु िातर्ल थे।
● भरिनाट्यर् प्रस्िुति की िुरुआि अलाररप्प से होिी है जो एक प्रकार का नृत्य है। अलाररप्प को कभी-कभी िोडायर्ंगलर्् या
पुष्पांजतल नार्क एक स्िुति गान से पहले प्रस्िुि ककया जािा है। िोडायर्ंगलर्् अक्सर "कौिवर्" नार्क एक प्रदिान के बाद
नहीं होिा है।
● तिपलाना एक िुद्ध नृत्ि है तजसे भरिनाट्यर् पाठ के प्रस्िुिीकरण के सर्ापन के रूप र्ें प्रस्िुि ककया जािा है।
28 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 63.C
● हातलया प्रसंग: तवश्व बैंक ने "र्तहला, व्यवसाय और कानन 2023 ररपोिा" जारी की है।
● र्तहला, व्यवसाय िथा कानन ररपोिा 2023, 190 अथाव्यवस्थाओं र्ें र्तहलाओं के आर्थाक अवसर को प्रभातवि करने वाले
काननों और तवतनयर्ों का तवश्लेषण करने वाले वार्षाक अध्ययनों की िृंखला र्ें नौवां संस्करण है। इसर्ें 1971 से 2023 िक की
अवति के तलए डेिा उपलब्ि है।
● यह ररपोिा आठ संकेिकों पर आिाररि हैं- जंगर्िा (Mobility), कायास्थल, वेिन, तववाह, अतभभावकिा(Parenthood),
उद्यतर्िा, संपतत्त और पेंिन।
● इस डेिा का उपयोग, काननी लैंतगक सर्ानिा और र्तहलाओं की उद्यतर्िा और रोजगार के बीि संबि
ं ों के साक्ष्य बनाने के
तलए ककया जा सकिा है।
● ररपोिा के तनष्कषा क्या हैं?
o तवश्व स्िर पर:
✓ के वल 14 देिों ने परा 100 स्कोर ककया है: बेतपजयर्, कनाडा, डेनर्ाका , फ्ांस, जर्ानी, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड,
लाितवया, लक्सर्बगा, नीदरलैंड, पुिागाल, स्पेन और स्वीडन।
✓ 2022 र्ें, वैतश्वक औसि स्कोर 100 र्ें से 76.5 है।
✓ सुिार की र्ौजदा गति से, हर जगह काननी लैंतगक सर्ानिा िक पहुंिने र्ें कर् से कर् 50 साल लगेंग।े
● भारि
✓ भारि का स्कोर 100 र्ें से 74.4 है।
✓ भारि के तलए सर्ग्र स्कोर दतिण एतिया (63.7) के िेत्रीय औसि से अतिक है। दतिण एतिया िेत्र के भीिर,
अतिकिर् स्कोर 80.6 (नेपाल) का है।
✓ ररपोिा र्ें र्ुब
ं ई र्ें लाग काननों और तवतनयर्ों पर डेिा का उपयोग ककया गया।
✓ भारि को आने-जाने की स्विंत्रिा, र्तहलाओं के कार् के िै सले और िादी की बािाओं से संबतं िि काननों के तलए एक
पणा (perfect) स्कोर प्राप्त हुआ।
✓ भारि र्ें, एक संपन्न नागररक सर्ाज ने भी अंिरालों की पहिान करने, कानन का र्सौदा िैयार करने और
अतभयानों, ििााओं और तवरोिों के र्ाध्यर् से जनर्ि को संगरठि करने र्ें योगदान कदया। इसके पररणार्स्वरूप
2005 घरे ल सहंसा अतितनयर् लाग हुआ।
● अन्य जानकारी: कार्काजी र्तहलाओं के जीवन िक्र पर तवश्व बैंक सिकांक (World Bank Index on the Life Cycle of
Working Women)- यह र्तहलाओं की आर्थाक भागीदारी और उनके जीवनकाल र्ें अवसरों की प्रगति को र्ापने और रैक
करने के तलए तवश्व बैंक द्वारा तवकतसि एक उपाय है। यह संकेिकों के एक सेि पर आिाररि है जो र्तहलाओं के रोजगार को
प्रभातवि करने वाले काननों और तवतनयर्ों, तवत्त िक पहुंि और कायास्थल पर लैंतगक सहंसा और उत्पीड़न जैसे कारकों को
र्ापिा है।
29 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 64.D
● संि िंकरदेव असर् र्ें पंद्रहवीं ििाब्दी के अंि र्ें एक प्रर्ुख वैष्णव भति संि के रूप र्ें उभरे । उनकी तििाओं को प्रायः
भगविी िर्ा के रूप र्ें जाना जािा है। यह िीर्द्गवद्गीिा और भागवि पुराण पर आिाररि थीं तजसके अंिगाि इि देव यथा
तवष्णु के प्रति पणा सर्पाण का आह्वान ककया गया था।
● उन्होंने नार् कीिान, सत्संग या पतवत्र भिों की र्ंडली र्ें भगवान के नार्ों के पाठ करने की आवश्यकिा पर बल कदया। उन्होंने
आध्यातत्र्क ज्ञान और नार् घर या प्राथाना किों के प्रसारण के तलए सत्र या र्ठों की स्थापना को भी प्रोत्सातहि ककया। इनर्ें से
कई संस्थाएं और प्रथाएं इस िेत्र र्ें िल-िल रही हैं। उनकी प्रर्ुख रिनाओं र्ें कीिान-घोष िातर्ल है।
● इसतलए, तवकपप (d) सही उत्तर है।
Q 65.B
● अला-उद-दीन हसन बहर्न िाह बहर्नी सपिनि का संस्थापक था। उसे हसन गंग के नार् से भी जाना जािा है उसने सपिनि
पर 1347 ई. से 1358 ई. िक िासन ककया। बहर्नी राजवंि की राजिानी गुलबगाा (हसनबाद) थी। हसन गंग ने अपने सैन्य
जीवन की िुरुआि सुपिान र्ोहम्र्द तबन िुगलक के सेनापति के रूप र्ें की थी। उसे दौलिाबाद का राज्यपाल बनाया गया था।
अपना साम्राज्य स्थातपि करने के बाद उसने अपने बड़े बेिे को साम्राज्य सौंप कदया।
● अलाउद्दीन हसन अिगान का एक साहतसक व्यति था।
● बहर्नी साम्राज्य की स्थापना 1347 ई. र्ें अला-उद-दीन बहर्न िाह या अलाउद्दीन हसन ने की थी।
● गंगा नार् के एक ब्राह्मण र्ातलक की सेवा र्ें रहने के कारण इसका अभ्युदय हुआ और इसतलए उन्हें हसन गंग के नार् से जाना
जािा है। अपने राज्यातभषेक के उपरांि इसने अलाउद्दीन हसन बहर्न िाह की उपाति िारण की थी।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 66.D
● िुग
ं भद्रा दोआब दतिण भारि र्ें तस्थि एक िेत्र है। यह तविेष रूप से कनाािक और आंध्र प्रदेि राज्यों र्ें तस्थि है। यह िेत्र
िुग
ं भद्रा और कृ ष्णा नकदयों के बीि तस्थि है। भारि र्ें र्ध्यकाल के दौरान, िुंगभद्रा दोआब िेत्र ने दक्कन पठार के इतिहास और
राजनीति र्ें र्हत्वपणा भतर्का तनभाई थी। इस िेत्र पर तवतभन्न राजवंिों द्वारा िासन ककया गया; तजनर्ें िालुक्य, राष्ट्रकि,
होयसल और तवजयनगर साम्राज्य िातर्ल है। इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
● 992 ई. से 1120 ई. िक, िोल साम्राज्य और पतिर्ी िालुक्य साम्राज्य के बीि कई संघषा हुए, तजसे विार्ान भारि के दतिणी
िेत्र र्ें िोल-िालुक्य युद्ध के नार् से जाना जािा है। ये युद्ध दो र्ोिों पर लड़े गए: पहला पतिर्ी र्ोिाा, जहां र्ान्यखेि और
कपयाणी पर अतिकार करना िोलों का उद्देश्य था, और दसरा पवी र्ोिाा, जहां दोनों के तलए रणनीतिक रूप से र्हत्वपणा
स्थान, वेंगी, के आस-पास के िेत्रों के तलए दोनों संघषारि थे।
● िुंगभद्रा दोआब िेत्र पर तनयंत्रण को लेकर यादवों और होयसलों के बीि भी संघषा के कई उदाहरण तर्लिे हैं।
● िुंगभद्रा दोआब िेत्र पर तनयंत्रण को लेकर तवजयनगर और बहर्नी साम्राज्यों के बीि तनरंिर और भीषण संघषा हुए थे।
बहर्नी सपिनि ने इस िेत्र पर अतिकार करने के तलए तवजयनगर साम्राज्य के तवरुद्ध कई अतभयान ककए। हालांकक तवजयनगर
साम्राज्य इन हर्लों का प्रतिरोि करने और िेत्र पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने र्ें सिर् था।
Q 67.A
● अजंिा और एलोरा की गुिाएं प्रािीन भारि र्ें गुिा वास्िुकला के उत्कृ ि उदाहरण हैं। जहां अजंिा गुिाओं का संबंि बौद्ध िर्ा
के तवषयों पर बने सुंदर तित्रों से है, वहीं एलोरा गुिाओं का संबंि उस सर्य के दौरान देि र्ें प्रितलि िीन अलग-अलग िर्ों
(बौद्ध िर्ा, सहंद िर्ा और जैन िर्ा) से संबंतिि र्र्िाकला और वास्िुकला से है।
● अजंिा तवतभन्न आकारों की 30 गुिाओं का एक सर्ह है, जो वाघोरा नार्क संकरी िारा के सम्र्ुख पहाड़ को घोड़े की नाल के
आकार र्ें कािकर बनाई गई हैं। प्रत्येक गुिा सीकढयों के र्ाध्यर् से नदी से जुड़ी हुई थी, जो अब ध्वस्ि हो गई हैं और विार्ान र्ें
इसके कु छ अविेष ही प्राप्त होिे हैं। इन गुिाओं का तनर्ााण दो िरणों र्ें ककया गया था - पहले िरण की गुफ़ाएं दसरी ििाब्दी
ईसा पवा के आसपास तनर्र्ाि की गई थीं, जबकक तद्विीय िरण की गुिाओं का तनर्ााण 400-650 ईस्वी के दौरान ककया गया
था।जहां अजंिा र्ें दो र्ंतजली गुिाएं हैं, वहीं एलोरा र्ें िीन र्ंतजली गुिाएं एक अनठी उपलतब्ि है। इसतलए कथन 1 सही है।
● अजंिा और एलोरा दोनों र्ें अलंकृि बौद्ध तित्र एवं प्रतिर्ाएं हैं। अजंिा र्ें, तित्रों एवं प्रतिर्ाओं के तवषयवस्िु बुद्ध की जीवन
की घिनाएं, जािक और अवदान हैं। ससंहल अवदान, र्हाजनक जािक और तवदुर पंतड़ि जािक के प्रसंगों से गुिा की परी
दीवार ढकी हुई हैं। यह उपलेखनीय है कक छद्दंि जािक की कथा आरं तभक काल की गुिा संख्या 10 पर तवस्िारपवाक तितत्रि की
गई है और तभन्न-तभन्न घिनाओं को अनेक भौगोतलक स्थलों के अनुसार एक साथ रखा गया है। इन दृश्यों र्ें जंगल र्ें घरिि
घिनाओं को राजर्हल र्ें घरिि घिनाओं से अलग कदखाया गया है। पद्मपातण और वज्रपातण की प्रतिर्ाएं गुिा संख्या 1 र्ें
सवोत्तर् रीति से सुरतिि हैं।
● एलोरा िैलीगि संकलनवाद अथााि एक ही स्थान पर अनेक िैतलयों के संगर् की दृति से भी बेजोड़ है। एलोरा और औरं गाबाद
की गुिाएं दो िर्ों- बौद्ध िर्ा और ब्राह्मण िर्ा के बीि िल रहे अंिर को दिाािी हैं। इसर्ें बारह बौद्ध गुिाएं हैं जहां बौद्ध िर्ा
के वज्रयान संप्रदाय से संबतं िि िारा, र्हार्यरी, अिोभ्य, अवलोककिेश्वर, र्ैत्रय
े , अतर्िाभ, आकद की अनेक प्रतिर्ाएं स्थातपि
की गई हैं। बौद्ध गुिाएाँ आकार की दृति से कािी बड़ी हैं और एक, दो और यहां िक कक िीन र्ंतजले हैं। उनके स्िंभ तविालकाय
हैं। अतिष्ठािा बुद्ध की प्रतिर्ाएाँ आकार र्ें बड़ी हैं और पद्मपातण और वज्रपातण की प्रतिर्ाएं सार्ान्यिौर पर उनके अंगरिक के
रूप र्ें बनाई गई हैं। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 68.B
● तिवाजी के अिीन र्राठा प्रिासन को आठ र्ंतत्रपररषदों र्ें संगरठि ककया गया था तजन्हें अिप्रिान कहा जािा था।
● सबसे प्रर्ुख र्ंत्री पेिवा था जो अथाव्यवस्था और राज्य के सार्ान्य प्रिासन की देखभाल करिा था। सर-ए-नौबि (सेनापति)
सेना का अध्यि होिा था और एक सम्र्ातनि पद था और ककसी प्रर्ुख र्राठा सरदार को दी जािी थी। इसतलए युग्र् 1
सुर्ते लि नहीं है।
● अिप्रिान के अन्य र्हत्वपणा सदस्य र्जर्दार, िुरुनवीस या तििनीस, दबीर या सुर्ि
ं , न्यायािीि और पंतडि राव या सदर
आकद थे।
● र्जर्दार लेखाकार था, जबकक वाकया-नवीस गुप्तिर तवभाग और घरे ल र्ार्लों र्ें सहयोग करिा था।
● िुरुनवीस अथवा तिितनस राजा के पत्र-व्यवहार र्ें उसकी र्दद करिे थे।
● सेनापति प्रर्ुख कर्ांडर होिा था।
● दबीर या सुर्न्ि (तवदेि र्ंत्री) तवदेिों से आए राजदिों का स्वागि करिा था और तवदेिी र्ार्लों र्ें राजा की सहायिा करिा
था। न्यायािीि और पंतडिराव न्याय और िर्ााथा अनुदान के प्रभारी थे। इसतलए युग्र् 2 सुर्ते लि है।
● र्राठा साम्राज्य र्ें तर्रासदारों को वंिानुगि भ-अतिकार प्राप्त थे। वे ग्रार्ीण सर्ाज के संपन्न िबके से िापलुक रखिे थे।
● र्राठा सेना र्ें हवलदारों के अिीन रखे गए घुड़सवारों के अस्थायी / अतनयतर्ि सहायक दल को 'तसलहदार' कहा जािा था।
उन्हें तनतिि वेिन तर्लिा था। इसतलए युग्र् 3 सुर्ते लि नहीं है।
Q 70.B
● िोल साम्राज्य को िोलर्ंडलर् या कोरोर्ंडल कहा जािा था। यह पांड्य राज्य के उत्तर-पवा र्ें पेन्नार और वेलर नकदयों के बीि
तस्थि था। हर्ें िोलों के राजनीतिक इतिहास के बारे जो कु छ ज्ञाि है, उसके अनुसार इनकी राजनीतिक सत्ता का प्रर्ुख कें द्र एवं
राजिानी उरै यर थी, जो कपास के व्यापार के तलए प्रतसद्ध थी।
○ ऐसा प्रिीि होिा है कक दसरी ििाब्दी ईसा पवा के र्ध्य र्ें एलारा नार्क िोल राजा ने िीलंका पर तवजय प्राप्त की और
लगभग 50 वषों िक उस पर िासन ककया।
○ िोलों का सुदढ़ृ इतिहास, दसरी ििाब्दी ईस्वी र्ें प्रतसद्ध िासक कररकाल से िुरू होिा है, तजसने 100 ईस्वी के लगभग
िासन ककया। उसने पुहार की स्थापना की और कावेरी नदी के ककनारे 160 ककलोर्ीिर लंबे ििबंि का तनर्ााण करवाया।
इसतलए युग्र् 1 सुर्ते लि नहीं है।
○ इस ििबंि के तनर्ााण र्ें 12,000 दासों का उपयोग ककया गया था, तजन्हें िीलंका से बंदी बनाकर लाया गया था। पुहार,
कावेरीपट्टनर् के सर्ान ही एक प्रतसद्ध नगर था, कावेरीपट्टनर् िोल साम्राज्य की राजिानी थी। यह व्यापार और वातणज्य
का एक प्रर्ुख कें द्र था। खुदाई से पिा िलिा है कक यहां एक बड़ा बंदरगाह था।
● िेर या के रल देि पांड्य राज्य के पतिर् एवं उत्तर र्ें तस्थि था। इसर्ें सर्ुद्र और पहाड़ों के बीि की भतर् की संकरी पट्टी और
आिुतनक के रल राज्य का एक भाग िातर्ल था।
○ ईस्वी सन् के प्रारं तभक ििातब्दयों र्ें िेर देि, िोल और पांड्य देि तजिना ही र्हत्वपणा था। यह रोर्नों के साथ अपने
व्यापार के कारण एक र्हत्वपणा एवं सर्ृद्ध राज्य था। रोर्नों ने अपने तहिों की रिा के तलए र्ुतजररस (आिुतनक कोतच्च के
पास) र्ें िेर देि के क्रांगानोर के सर्ान ही दो रे तजर्ेंि स्थातपि ककए थे। ऐसी र्ान्यिा है कक उन्होंने वहां ऑगस्िस का एक
र्ंकदर भी बनवाया था।
○ िेर कतवयों के अनुसार सबसे प्रतसद्ध सम्राि सेनगुट्िु वन था, तजसे लाल िेर भी कहा जािा है, उसने अपने प्रतिद्वंतद्वयों को
परातजि ककया और अपने ििेरे भाई को वहााँ का िासक बनाया। इसतलए युग्र् 2 सुर्ते लि नहीं है।
● िालुक्यों ने छठी ििाब्दी ईस्वी की िुरुआि र्ें पतिर्ी दक्कन र्ें अपना राज्य स्थातपि ककया था। उन्होंने वािापी को अपनी
राजिानी बनाई, तजसे विार्ान र्ें आिुतनक बादार्ी नार् से जाना जािा है यह कनाािक राज्य के बीजापुर तजले र्ें तस्थि है।
Q 71.D
● कु तिपुड़ी नार् का उद्व भारि के आंध्र प्रदेि के कु िेलपुरर् गांव से हुआ है। नृत्य, नािक और संगीि की िास्त्रीय िैली के रूप र्ें
कु तिपुड़ी का भारिीय िास्त्रीय कला की अतभव्यति र्ें एक अतद्विीय स्थान है। कु तिपुड़ी का सबसे अतिक तवकास सािवीं सदी
ईस्वी र्ें िुरू हुए भति आंदोलन के प्रतििल के रूप र्ें हुआ। हालांकक, 14वीं ििाब्दी र्ें िपस्वी तसद्धेंद्र योगी ने कु तिपुड़ी को
एक नई पररभाषा और कदिा प्रदान की।
● कु तिपुड़ी र्ल रूप से एक पुरुष नृत्य परं परा थी। पुरुषों का सर्ह सहंद पौरातणक ग्रंथों की कहातनयों को प्रदर्िाि करने के तलए
गांव-गांव की यात्रा करिा था। जैसे एतलजाबेथन तथएिर र्ें पुरुषों द्वारा र्तहलाओं की भतर्का भी तनभाई जािी थी। तपछले 9
या 10 दिकों से ही र्तहलाओं को इस कला र्ें प्रस्िुि ककया जा रहा है। कु तिपुड़ी अपने विार्ान स्वरूप र्ें वेम्पति तिन्ना सत्यर्
और स्वगीय वेदांिर्् लक्ष्र्ीनारायण िास्त्री जैसे कदग्गजों की दृति का पररणार् है। इसर्ें पुरुष और र्तहला कलाकार दोनों
िातर्ल हैं।
● कु िीपुड़ी नृत्य-प्रस्िुति, एक प्राथानार्यी प्रस्िुति से आरंभ होिी है, जैसा कक अन्य िास्त्रीय नृत्य िैतलयों र्ें होिा है। पहले
प्राथाना या आह्वान के वल गणेि वंदना िक ही सीतर्ि था। अब अन्य देविाओं का भी आह्वान ककया जािा है। ित्पश्िाि्
अवणानात्र्क िथा कापपतनक नृत्य अथााि् नृत्ि प्रस्िुति होिी है। अक्सर जतिस्वरर्् को नृत्ि के ही रूप र्ें प्रस्िुि ककया जािा है।
इसके बाद िब्दर्् नार्क वणानात्र्क प्रस्िुति की जािी है। परं परागि लोकतप्रय िब्दर्् प्रस्िुति र्ें से एक है- दिाविार। िब्दर््
के बाद नाट्य-प्रस्िुति स्वरूप कलापर्् प्रस्िुि ककया जािा है। अनेक परंपरागि निाक कलाकार, भार्ाकलापर्् नार् परंपरागि
नृत्य नािक से सत्यभार्ा पात्र-प्रवेि को प्रस्िुि करना पसंद करिे है। ‘भार्णे, सत्यभार्णे’ गीि िथा परं परागि प्रवेि दारू
(िररत्र तविेष के प्रवेि के सर्य प्रस्िुि ककया जाने वाला गीि) इिना सुरीला व िुतिर्िुर होिा है कक उसका आका षण, व्यापक
और सदाबहार प्रिीि होिा है। इसी अनुक्रर् र्ें, ित्पश्िाि् पदर््, जावली, श्लोकर्् आकद सातहतत्यक व संगीि स्वरूपों पर
आिाररि तविुद्ध नृत्यातभनय-प्रस्िुति की जािी है। ऐसी प्रस्िुति र्ें गाए गए प्रत्येक िब्द को नृत्य की र्ुद्राओं द्वारा प्रस्िुि ककया
जािा है। इस प्रकार के नृत्य को उपयुक्िि: दृश्य-कतवत्ि (दृश्य-काव्य) कहा जा सकिा है। सार्ान्यि: कु िीपुड़ी नृत्य-प्रस्िुति को
िरं गर्् प्रस्िुति के पश्िाि् सर्ाप्ि ककया जािा है। इस प्रस्िुति के साथ कृ ष्ण-लीला-िरं तगणी के उद्धरण गाए जािे हैं। इसर्ें
अक्सर निाक कलाकार िकि-वदनर्् पाद र्ुद्रा र्ें पीिल की थाली पर पांवों को रखकर खड़ा रहिा है और अत्यंि कु िलिापवाक
लयात्र्क रूप से थाली को घुर्ािा है।
o रुतक्र्णी देवी अरुं डल
े भरिनाट्यर् नृत्यांगना थीं। इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
● नृत्य प्रस्िुति के साथ संगि रूप र्ें कनाािक संगीि की िास्त्रीय िैली सतहि पररविानीय आह्लादक प्रस्िुति की जािी है। गायकों
के अतिररक्ि, अन्य संगि कलाकार भी होिे हैं। िाल संगीि प्रस्िुि करने हेिु एक र्ृदग
ं र््-वादक, सुरीला वाद्यात्र्क संगीि
प्रदान करने हेिु एक वायतलन अथवा वीणा-वादक या दोनों, एक र्ंजीरा-वादक, जो अक्सर वाद्य वृद
ं का संिालन करिा है और
सोपलुकट्िु (स्र्रणोपकारी िाल के बोल) का उच्चारण करिा है।
Q 73.A
● छत्रपति तिवाजी ने अपने पड़ोसी र्ुगल राज्यों से कर की वसली करके अपनी आय र्ें वृतद्ध की। यह कर भ-राजस्व का िौथा
तहस्सा होिा था तजसे िौथाई या िौथ कहा जािा था।
● िौथ उन िेत्रों से वसले जाने वाला भ-राजस्व कर होिा था, जो र्राठों द्वारा प्रत्यि रूप से तनयंतत्रि नहीं थे। र्राठा हर्लों से
बिने के तलए र्राठा साम्राज्य के आस-पास/बाह्य िासकों द्वारा र्राठों को भुगिान ककए जाने वाला यह भ राजस्व का पच्चीस
प्रतििि कर होिा था। इसतलए कथन 1 सही है।
● यह तिवाजी द्वारा, उनके अपने आतिपत्य (स्वराज) वाले िेत्र र्ें राज्य के वंिानुगि सरदेिर्ुख (जर्ींदार) के बिौर उनके दावे
के आिार पर लगाया गया था। इस प्रकार इस पर तिवाजी का दावा िौथ से तभन्न एक अतिकार के रूप र्ें ककया जािा था। यह
कु ल राजस्व का 10 प्रतििि होिा था। इस प्रकार, यह कर जर्ींदारों पर था न कक ककसानों पर। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 74.B
● ओतडिा र्ें भी िट्टान कािकर गुिा बनाने की परं परा रही। खंडतगरर-उदयतगरर इसके सबसे आरं तभक उदाहरण हैं। ये भुवनेश्वर
के सर्ीप तस्थि हैं। ये गुफ़ाएाँ िै ली हुई हैं तजनर्ें खारवेल राजाओं के तिलालेख पाए गए हैं। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● तिलालेखों के अनुसार, ये गुिाएाँ जैन र्ुतनयों के तलए थीं। इनर्ें से कई र्ात्र एक कि की बनी हैं। कु छ गुिाओं को बड़ी िट्टानों
को पिु का आकार देकर बनाया गया है। बड़ी गुिाओं र्ें आगे स्िंभों की कड़ी बनाकर बरार्दे के तपछले भाग र्ें किों का
तनर्ााण ककया गया है। इसतलए कथन 2 सही है।
● इन किों के प्रवेि का ऊपरी भाग िैत्य िोरणों और आज भी प्रितलि स्थानीय लोक गाथाओं के संदभा से तवभतषि है। इस गुिा
र्ें आकृ तियां तविालकाय हैं, जो तित्र स्थान र्ें स्विंत्र रूप से िलिी हैं और ये गुणात्र्क नक्कािी का एक उत्कृ ि उदाहरण हैं।
इस पररसर र्ें कु छ गुिाओं की खुदाई आठवीं-नौवीं ििाब्दी ईस्वी र्ें कभी की गई थी।
Q 75.B
● हातलया संदभा: राजस्थान के बाड़र्ेर र्ें ‘अनर्ोल जीवन अतभयान’ नार्क हातलया पहल ने ग्रार् पंिायिों और गृह स्वातर्यों
को गांव से 10 कक.र्ी. दर िांका (स्थानीय देविाओं से संबद्ध) या पतवत्र वन उपवनों र्ें नलकपों और लॉक कवर जोड़ने के तलए
प्रेररि ककया है।
● िाइबर से बने कर् वजन के नलकप दोहरे उद्देश्य की पर्िा करिे हैं-
o दुघिा नाओं और आत्र्हत्याओं को रोकना (तपछले वषा आत्र्हत्या के 171 र्ार्ले सार्ने आए)
o िंकी से जल तनकालना।
34 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 76.C
● ब्राह्मणों को बड़े पैर्ाने पर ग्रार्-अनुदान तर्लना इस बाि का द्योिक है कक ब्राह्मणों की िेष्ठिा गुप्त काल र्ें र्जबि हुई। ब्राह्मण
गुप्त वंि के िासकों को ितत्रय र्ानने लगे जबकक वे र्लिः वैश्य थे। ब्राह्मणों ने गुप्त राजाओं को देविाओं के गुणों से अलंकृि रूप
र्ें प्रस्िुि ककया। इससे गुप्त राजाओं की हैतसयि िर्ा िास्त्र सम्र्ि हो गई और वे ब्राह्मण-प्रिान वणा व्यवस्था के परर् सर्थाक हो
गए।
● जातियां कई उप-जातियों र्ें बंि गई और जातियों का कोई सर्ेकन नहीं था। यह दो कारकों के पररणार्स्वरूप हुआ - एक ओर,
बड़ी संख्या र्ें तवदेतियों को भारिीय सर्ाज र्ें आत्र्साि कर तलया गया था और तवदेतियों के प्रत्येक सर्ह को एक प्रकार की
सहंद जाति र्ाना जािा था। इसतलए कथन 2 सही है।
o िंकक तवदेिी र्ुख्य रूप से तवजेिा के रूप र्ें आए थे इसतलए उन्हें सर्ाज र्ें ितत्रय का स्थान तर्ला। हूण लोग पांिवी सदी
का अंि होिे-होिे भारि आए और अंििः राजपिों के छत्तीस कु लों र्ें से एक कु ल के र्ान तलए गए।
● जातियों की संख्या र्ें वृतद्ध का दसरा कारण भतर् अनुदान के र्ाध्यर् से अनेक जनजािीय लोगों का ब्राह्मणवादी सर्ाज र्ें
सर्ातहि होना था। जनजातियों के सरदार प्रर्ुखों को उच्च कु ल का र्ाना जाने लगा। हालांकक उनके सार्ान्य स्वजनों को नीि
कु ल का र्ाना गया और प्रत्येक जनजाति अब सहंद सर्ाज र्ें ककसी न ककसी प्रकार की जाति के रूप र्ें अविीणा हुई।
● कु छ र्ायनों र्ें, इस काल र्ें िद्रों और तस्त्रयों की तस्थति र्ें सुिार हुआ। अब उन्हें रार्ायण, र्हाभारि और पुराण सुनने का
अतिकार तर्ल गया। वे अब कृ ष्ण नार्क देविा की पजा भी कर सकिे थे।
o सािवीं सदी के बाद से िद्रों की पहिान र्ुख्यिः कृ षक के रूप र्ें होने लगी, जबकक पवाकाल र्ें उनका तित्रण के वल अपने
ऊपर के िीनों वणों के तलए कार् करने वाले सेवक, दास और खेतिहर र्जदर के रूप र्ें ही होिा था।
● इस काल र्ें अछिों की संख्या र्ें वृतद्ध हुई, तविेषकर िांडालों की संख्या र्ें। सर्ाज र्ें िांडाल बहुि ही पहले ईसा पवा पांिवीं
सदी से ही कदखाई देिे हैं। इसतलए कथन 1 सही है।
o पांिवीं ििाब्दी ईस्वी र्ें आकर उनकी संख्या इिनी बढ़ गई थी और उनकी अपात्रिाएं इिनी प्रखर हो गईं कक इसने िीनी
िीथायात्री िाह्यान का ध्यान आकर्षाि ककया। िाह्यान ने तलखा है कक िांडाल गांव के बाहर ही बसिे थे और र्ांस का
व्यापार करिे थे।
Q 77.C
● गुप्त वंि ने तबहार और उत्तर प्रदेि तस्थि अपनी सत्ता-कें द्र से उत्तर और पतिर् भारि पर ईसा की छठी सदी के र्ध्य िक
लगभग 160 वषा राज्य ककया। उसके बाद उत्तर भारि किर अनेक राज्यों र्ें बंि गया। गोरे हूणों ने लगभग 500 ई० से कश्र्ीर,
पंजाब और पतिर्ी भारि पर अपना प्रभुत्व स्थातपि कर तलया। उत्तरी और पतिर्ी भारि लगभग आिे दजान सार्ंि राजाओं
के हाथ र्ें िला गया, तजन्होंने गुप्त साम्राज्य को आपस र्ें बााँि तलया।
● इनर्ें से एक, जो हररयाणा तस्थि थानेसर का िासक था, ने िीरे-िीरे अपनी प्रभुिा अन्य सभी सार्ंिों पर कायर् कर ली। यह
िासक था हषाविान (606-647 ई०)।
35 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 78.B
● र्ीर्ांसा का र्ल अथा है िका करने और अथा लगाने की कला। लेककन इसर्ें िका का प्रयोग तवतवि वैकदक कर्ों के अनुष्ठानों का
औतित्य तसद्ध करने र्ें ककया गया है, और इसके अनुसार र्ोि इन्हीं वेद-तवतहि कर्ों के अनुष्ठान से प्राप्त होिा है।
● र्ीर्ांसा के अनुसार वेद र्ें कही गई बािें सदा सत्य हैं। इस दिान का र्ुख्य लक्ष्य स्वगा और र्ोि की प्रातप्त है।
● र्नुष्य िब िक स्वगा-सुख पािा रहिा है जब िक उसका संतिि पुण्य िेष रहिा है। जब वह पुण्य सर्ाप्त हो जािा है िब वह
किर िरिी पर आ तगरिा है। परंिु यकद वह र्ोि पा लेिा है िो वह सांसाररक जन्र्-र्ृत्यु के िक्र से सदा के तलए र्ुि हो जािा
है।
● र्ीर्ांसा र्ें यह दृढ़िापवाक वर्णाि है कक र्ोि पाने के तलए यज्ञ करना िातहए। ऐसे यज्ञों र्ें पुरोतहिों को दान-दतिणा का लाभ
तर्लिा था और तवतवि वगों के बीि सार्ातजक स्िर भेद को र्ान्यिा तर्लिी थी।
● र्ीर्ांसा का प्रिार करके ब्राह्मण लोग िार्र्ाक कृ त्यों पर अपना प्रभुत्व कायर् रखना और ब्राह्मण प्रिान बहुस्िरीय सार्ातजक
व्यवस्था को बनाए रखना िाहिे थे।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 79.C
● अलाउद्दीन तखलजी (1296-1316) ने बाजार नीति की िुरुआि की थी। यह एक र्हत्वपणा और तवतिि उपाय था तजसर्ें घरे ल
िथा अंिरााष्ट्रीय दोनों इतिहासकारों ने रुति कदखाई।
● 14वीं ििाब्दी की िुरुआि र्ें, अलाउद्दीन तखलजी ने संपणा साम्राज्य र्ें र्पय तनयंत्रण सतहि कई सुिारों को लाग ककया था।
इसर्ें अनाज, कपड़ा, दास और पिुओं जैसी कर्ोतडिी की एक तवस्िृि िृख
ं ला के तलए तनतिि र्पय तनिााररि ककया गया था।
इसतलए कथन 1 सही है।
● अलाउद्दीन ने जर्ाखोरी और अनुतिि रूप से अतिक खरीद पर भी रोक लगा दी थी। तनयर्ों को लाग करने के तलए तनरीिक
और जासस तनयुि ककए गए थे और अवज्ञा करने वालों पर कठोर दंड लगाया जािा था।
● बरनी के अनुसार, अलाउद्दीन ने कदपली र्ें िीन बाजार स्थातपि ककए, पहला खाद्यान्नों के तलए, दसरा कपड़े और र्हंगी वस्िुओं
जैसे िीनी, घी, िेल, सखे र्ेवे आकद के तलए एवं िीसरा बाजार घोड़ों, दासों और र्वेतियों के तलए। इसतलए कथन 2 सही नहीं
है।
Q 80.A
● हातलया संदभा: भारि सरकार द्वारा कच्चे िेल पर सवंडिॉल िैक्स (Windfall tax) र्ें किौिी की गई है।
● जब आर्थाक तस्थति के कारण उद्योगों को औसि से अतिक लाभ प्राप्त होिा है िो सरकार द्वारा कु छ उद्योगों पर कर लगाया
जािा है तजसे सवंडिॉल िैक्स (अप्रत्यातिि कर) से संदर्भाि ककया गया है। इस प्रकार की आर्थाक पररतस्थतियां एक तनतिि
व्यवसाय या उद्योग के तलए अिानक अप्रत्यातिि लाभ उत्पन्न करिी हैं, सार्ान्य िौर पर ऐसा लाभ भ-राजनीतिक व्यविान,
प्राकृ तिक आपदा, या युद्ध के पररणार्स्वरूप र्ांग या आपर्िा र्ें रुकावि के कारण असार्ान्य वृतद्ध से उत्पन्न होिा है। इसका एक
अच्छा उदाहरण रूस और यक्रेन के बीि का िकराव है।
● इस कर को उस सर्य भी लगाया जािा है जब एक ही सर्य र्ें सावाजतनक व्यय र्ें अस्थायी उछाल की िीव्र आवश्यकिा होिी
है।
● सवंडिॉल िैक्स लगाने के तलए दुतनया भर की सरकारों ने तभन्न-तभन्न िका कदए हैं-
○ यह अप्रत्यातिि लाभ का पुनर्वािरण है जब उच्च कीर्िें उपभोिाओं की कीर्ि पर उत्पादकों को लाभ पहुंिािी हैं।
○ सार्ातजक कपयाण योजनाओं का तवत्तपोषण, और
○ सरकार के तलए परक राजस्व प्रवाह।
● सवंडिॉल िैक्स को पवाव्यापी कर के रूप से लगाया जािा है, सार्ान्य करों के अतिररि एकर्ुश्ि कर प्रायः अप्रत्यातिि घिनाओं
से प्रभातवि होिे हैं। ये भतवष्य के करों के बारे र्ें बाजार र्ें अतनतिििा उत्पन्न कर सकिे हैं।
● अंिरााष्ट्रीय र्ुद्रा कोष (IMF) का कहना है कक र्पय वृतद्ध की प्रतिकक्रया र्ें ये कर अपनी सर्ीिीन और राजनीतिक प्रकृ ति को
देखिे हुए तडजाइन की सर्स्याओं से ग्रस्ि हो सकिे हैं। साथ ही इसने यह भी कहा कक एक अस्थायी सवंडिॉल प्रॉकिि िैक्स िुरू
करने से भतवष्य के तनवेि र्ें कर्ी आएगी क्योंकक संभातवि तनवेिक तनवेि संबंिी तनणाय करिे सर्य संभातवि करों की
संभावना को आंिररक रूप से सर्ातहि करें गे।
● एक अन्य र्ुद्दा यह है कक इस कर को ककस पर लगाया जाना िातहए। क्या इसे के वल बड़ी कं पतनयों पर लगाना िातहए जो उच्च
र्पय वाली वृहद तबक्री करिी है या छोिी कं पतनयों पर भी।
Q 81.D
● इतिहास र्ें उलुग खान को बाद र्ें बलबन के नार् से जाना गया। वह 1265 र्ें ससंहासन पर बैठा था। बलबन की बढ़िी सत्ता ने
कई िुका अर्ीरों को अलग-थलग कर कदया था। इन अर्ीरों ने नसीरुद्दीन र्हर्द के युवा और अनुभवहीन होने के बाद से सरकार
के र्ार्लों र्ें अपनी पहले जैसी िति और प्रभाव को जारी रखने की उम्र्ीद की थी।
● इपिुितर्ि को व्यापक रूप से गुलार् वंि का वास्ितवक संस्थापक र्ाना जािा है। उसने 'िालीसा', िुका-ए-िहलगानी िथा
िहलगानी व्यवस्था की स्थापना की थी। इस व्यवस्था र्ें 40 अर्ीरों का एक सर्ह िातर्ल था, तजन्होंने कदपली सपिनि के
िासन र्ें र्हत्वपणा भतर्का तनभाई थी। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● पवा अवति के दौरान, बलबन ने नसीरुद्दीन र्हर्द के नायब या तडप्िी का पद संभाला था। नसीरूद्दीन को बलबन ने 1246 र्ें
ससंहासन हातसल करने र्ें र्दद की थी।
● कें द्रीकृ ि सरकार का युग पहली बार िुरू हुआ था। बलबन ने लगािार राजिाही की प्रतिष्ठा और िति को बढ़ाने की कोतिि
की, क्योंकक वह आश्वस्ि था कक उसके सार्ने आने वाले आंिररक और बाहरी खिरों का सार्ना करने का यही एकर्ात्र िरीका
था। उसने ककसी ऐसे व्यति के तलए र्हत्वपणा सरकारी पदों पर तविार करने से इनकार कर कदया जो एक कु लीन पररवार से
संबंतिि नहीं था। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
● उसने सैन्य तवभाग (दीवान-ए-अजा) को पुनगारठि ककया और उन सैतनकों और अश्वारोही सैतनकों को पेंिन दी जो अब सेवा के
योग्य नहीं थे। जबकक अलाउद्दीन तखलजी ने सवाप्रथर् एक पृथक आररज तवभाग स्थातपि ककया। इसतलए कथन 3 सही नहीं है।
37 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 83.B
● ईसवी की आरं तभक ििातब्दयों से ही भतर्दान के प्रर्ाण भी तर्लिे हैं। इनर्ें से कई का उपलेख अतभलेखों र्ें ककया गया है।
● इनर्ें से कु छ अतभलेख पत्थरों पर तलखे गए थे जबकक अतिकांि िाम्र पत्रों पर खुदे होिे थे तजन्हें संभविः भतर्दान प्राप्त करने
वाले लोगों को प्रर्ाण रूप र्ें कदया जािा था। भतर्दान के जो प्रर्ाण तर्ले हैं वे सािारण िौर पर िार्र्ाक संस्थाओं या ब्राह्मणों
को कदए गए थे।
● अग्रहार िाही संरिण या अन्य द्वारा ब्राह्मणों को दान र्ें कदए गए भभाग को कहा जािा था। ब्राह्मणों से भतर्कर या अन्य प्रकार
के कर नहीं वसले जािे थे। ब्राह्मणों को स्वयं स्थानीय लोगों से कर वसलने का अतिकार था। इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 84.D
● िनााओ नतनज (Fernao Nuniz) यहूदी र्ल का एक पुिागाली यात्री, इतिहासकार और घोड़ों का व्यापारी था। यह अच्युि राय
के िासनकाल के दौरान भारि आया और िीन वषों की अवति (1535 से 1537 िक) के तलए तवजयनगर साम्राज्य की
राजिानी अथााि तवजयनगर िहर र्ें रहा।
● तनकोलो डी कोंिी (Nicolo de Conti) वेतनस का रहने वाला एक व्यापारी था। इसने 1414 और 1438 के बीि पवी भतर् के
रास्िे से होिे हुए भारि की यात्रा की। उसके गंिव्यों स्थलों र्ें तवजयनगर साम्राज्य भी िातर्ल था। उसने देवराय तद्विीय के
िासन काल र्ें तवजयनगर साम्राज्य की यात्रा की। अपने वृिांि र्ें, उसने िहर की ककलेबंदी और िासकों की सेना र्ें सेवारि
सैतनकों की तविाल संख्या का वणान ककया है।
38 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 85.B
● 1580 र्ें, अकबर ने दहसाला नार्क एक नई भ-राजस्व प्रणाली की िुरुआि की। यह प्रणाली भ-राजस्व की जब्िी प्रणाली का
संिोतिि रूप थी। जब्िी प्रणाली र्ृदा की उत्पादकिा के आिार पर र्ाप और र्पयांकन की एक प्रणाली थी। यह िेरिाह की
भ-राजस्व प्रणाली से प्रभातवि थी।
● अकबर ने इस प्रणाली को लाहौर से इलाहाबाद िक और र्ालवा िथा गुजराि र्ें लाग ककया। हालांकक, जब्िी प्रणाली र्ें
स्थानीय कीर्िों और उत्पादन पर ध्यान नहीं कदया जािा था।
● काननगो, जो वंिानुगि भतर्िर थे िथा अन्य स्थानीय अतिकारी जो स्थानीय पररतस्थतियों से पररतिि होिे थे, अक्सर कई
र्ार्लों र्ें वास्ितवक उत्पादन को छु पा लेिे थे। इसतलए प्रणाली र्ें सुिार के तलए अकबर ने करोड़ी नार्क अतिकाररयों को
तनयुि ककया तजन्होंने राज्य को सही कीर्िों की सिना दी। इन्हीं तनष्कषों के आिार पर दहसाला प्रणाली की िुरुआि की गई
थी। इसतलए कथन 1 सही है।
● भ-राजस्व की दहसाला प्रणाली के िहि, अलग-अलग िसलों के तपछले दस (दह) वषों का उत्पादन और इसी अवति र्ें उनकी
कीर्िों का औसि तनकाला जािा था। इस औसि उपज का एक तिहाई तहस्सा राजस्व के रूप र्ें राज्य को देना होिा था।
हालांकक, राज्य द्वारा नकद र्ें राजस्व भुगिान की र्ांग की जािी थी। उपज के र्पय का नकद र्ें यह पररविान तपछले दस वषों
की कीर्िों के औसि पर आिाररि ककया जािा था। इस प्रकार बीघा भतर् के उत्पादन से राजस्व को र्न (Maunds) र्ें
तनिााररि ककया जािा था। हालांकक, कीर्िों के औसि के आिार पर राज्य की र्ांग को रुपये प्रति बीघा र्ें पररवर्िाि कर कदया
जािा था।
● इसके साथ ही, र्ुगल िासन के दौरान दहसाला प्रणाली के अलावा अन्य प्रणातलयां भी प्रितलि थीं। बिाई या गपलाबख्िी ऐसी
ही प्रणाली थी। इस प्रणाली र्ें उपज (गपले) को ककसानों और राज्य के बीि एक तनतिि अनुपाि र्ें बांि कदया जािा था। उपज
या िसल को कढ़ाई या उसकी किाई और गट्ठर र्ें बांिने के पिाि् अथवा किाई से पवा कभी भी तवभातजि कर कदया जािा था।
यह प्रणाली एक सरल और तनष्पि प्रणाली थी, लेककन इसके तलए कािी बड़ी संख्या र्ें ईर्ानदार कर्ािाररयों की आवश्यकिा
थी, तजन्हें िसल पकाई और किाई के सर्य खेिों र्ें उपतस्थि रहना पड़िा था। कु छ पररतस्थतियों र्ें ककसानों को जब्िी और
बिाई प्रणाली र्ें से एक का ियन करने की छि होिी थी। इसतलए कथन 2 सही नहीं है।
Q 86.D
● इस काल सवाप्रर्ुख आर्थाक घिनाक्रर् भारि और पवी रोर्न साम्राज्य के बीि िलिा-िलिा व्यापार था। आरं भ र्ें इस व्यापार
का अतिकांि भाग स्थल र्ागा से ककया जािा था। हालांकक, ईसा पवा पहली सदी से िकों, पार्थायनों और कु षाणों के आक्रर्णों के
कारण स्थल र्ागा से व्यापार बातिि हो गया था।
● यद्यतप ईरान के पार्थायन लोग भारि से लोहा और इस्पाि का तनयााि करिे थे िथातप उन्होंने ईरान से और पतिर्ी िेत्रों के
साथ भारि के व्यापार को बातिि ककया। हालांकक, ईसा की पहली सदी से व्यापार र्ुख्यि: सर्ुद्री र्ागा से होने लगा।
● संभविः ईसवी सन् के आरंभ र्ें र्ानसन की पररघिना का ज्ञान हो गया था। इसके िलस्वरूप नातवक अरब सागर के पवी ििों
से उसके पतिर्ी ििों िक का सिर कािी कर् सर्य र्ें कर सकिे थे।
● वे तवतभन्न बंदरगाहों जैसे कक- भारि के पतिर्ी िि पर तस्थि भड़ौि और सोपारा और पवी िि पर तस्थि अररकार्ेडु और
िाम्रतलतप्त िक आसानी से पहुंि सकिे थे।
39 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 87.C
● सबंतबसार के िासनकाल र्ें र्गि ने एक तवतिि स्थान प्राप्त ककया। सबंतबसार हयाक वंि से संबंतिि था िथा र्हात्र्ा बुद्ध का
सर्कालीन था। उसके द्वारा तवजय और तवस्िार की नीति िुरू की गई िथा यह नीति अिोक के कसलंग तवजय के साथ सर्ाप्त
हुई।
● अवंिी के साथ र्गि की प्रबल ित्रुिा थी। अवंिी की राजिानी उज्जैन थी। अवंिी के राजा िंडप्रद्योि र्हासेन और सबंतबसार के
र्ध्य युद्ध हुआ ककन्िु दोनों ने अंि र्ें इस ित्रुिा को सर्ाप्त करना ही उपयुि सर्झा। बाद र्ें, राजा प्रद्योि के पीतलया से ग्रतसि
होने की तस्थति र्ें सबंतबसार ने अवंिी के राजा के अनुरोि पर अपने राजवैद्य जीवक को उज्जैन भेजा था।
● र्गि पर तििुनाग वंि के बाद नंद वंि ने िासन ककया। ये र्गि के सबसे ितििाली िासक तसद्ध हुए। उनका िासन इिना
ितििाली था कक तसकं दर भी पंजाब पर आक्रर्ण करने के बाद पवा की ओर बढ़ने का साहस नहीं कर सका।
● ये सभी घिनाएं र्हापद्म नंद के िासनकाल र्ें घरिि हुई। उसने अपने को एकराि की उपाति प्रदान की। एकराि वह िासक
होिा है तजसने अन्य सभी िासकों को परातजि ककया हो।
● ऐसा प्रिीि होिा है कक उसने न के वल कसलंग पर कब्जा ककया, बतपक उसके तखलाि तवद्रोह करने वाले कोिल को भी हतथया
तलया।
● इसतलए तवकपप (c) सही उत्तर है।
Q 89.B
● देि के तवतभन्न िेत्रों र्ें प्रितलि सांस्कृ तिक परम्पराएं भारि के प्रादेतिक िेत्रीय संगीि की सर्ृद्ध तवतवििा को पररलतिि
करिी हैं। प्रत्येक िेत्र की अपनी तविेष िैली है। जनजािीय और लोक संगीि उस िरीके से नहीं तसखाया जािा है तजस िरीके से
भारिीय िास्त्रीय संगीि तसखाया जािा है। प्रतििण की ऐसी कोई औपिाररक अवति तनिााररि नहीं है और छात्र को अपना
परा जीवन संगीि सीखने र्े सर्र्पाि करने र्ें सिर् होने की आवश्यकिा होिी है। हालांकक, ग्रार्ीण जीवन का अथािास्त्र इस
बाि की अनुर्ति नहीं देिा है। संगीि अभ्यासकिााओं को तिकार करने, कृ तष करने अथवा अपने िुने हुए ककसी भी प्रकार के
जीतवका उपाजान काया को करने की अनुर्ति होिी है। कु छ प्रर्ुख िेत्रीय संगीि िैतलयों का वणान तनम्नानुसार है:
● रतसया गीि, उत्तर प्रदेि: ब्रज, रतसया गीि गायन की सर्ृद्ध परं परा के तलए प्रतसद्ध है। यह आकदकाल से भगवान कृ ष्ण की
र्नोहारी लीलाओं की पतवत्र भतर् रही है। यह गायन ककसी तविेष त्योहार िक सीतर्ि नहीं है, बतपक लोगों के दैतनक जीवन
और कदन-प्रतिकदन के कार्काज र्ें भी रिा-बसा है। ‘रतसया’ िब्द रास (भावावेि) िब्द से तलया गया है क्योंकक रतसया का अथा
रास अथवा भावावेि से पररपणा है। यह गायक के व्यतित्व के साथ ही गीि की प्रकृ ति को भी पररलतिि करिा है।
● लोरिया, राजस्थान: यह ‘लोरिया’ त्योहार के दौरान िैत्र र्ास र्ें गाया जािा है। तस्त्रयां, िालाबों और कु ओं से पानी से भरे लोिे
(पानी भरने का एक पात्र) और कलि (पजा के दौरान पानी भरने के तलए िुभ सर्झा जाने वाला एक पात्र) लािी हैं। वे उन्हें
िलों से सजािी हैं। इसतलए युग्र् 1 सही सुर्ते लि नहीं है।
● पंडवानी, छत्तीसगढ़: इसर्ें र्हाभारि से एक या दो घिनाओं को िुनकर कथा िैली र्ें तनष्पाकदि ककया जािा है। र्ुख्य गायक
परे तनष्पादन के दौरान सिि रूप से बैठ रहिा है और सिि गायन व सांकेतिक भंतगर्ाओं के साथ एक के बाद एक सभी
िररत्रों की भाव-भंतगर्ाओं का अतभनय करिा है। इसतलए युग्र् 4 सही सुर्ते लि है।
● आपहा, उत्तर प्रदेि: बुंदल
े खंड की एक तवतिि गाथा, आपहा िैली र्ें देखने को तर्लिी है। इसर्ें आपहा और ऊदल दो बहादुर
भाइयों के साहतसक कारनार्ों का उपलेख ककया जािा है। इन भाइयों ने र्होबा के राजा परर्ल के सर्य र्ें सेवा प्रदान की थी।
यह न के वल बुद
ं ेलखंड का एक सवाातिक लोकतप्रय संगीि है बतपक देि के अन्य भागों र्ें भी लोकतप्रय है।
Q 90.B
● सुतषर वाद्यों र्ें एक खोखली नतलका र्ें हवा भर कर (अथााि िाँ क र्ारकर) ध्वतन उत्पन्न की जािी है। हवा के र्ागा को तनयंतत्रि
करके स्वर की ऊंिाई सुतनतिि की जािी है और वाद्यों र्े बने छेदों को उं गतलयों की सहायिा से क्रर्िः खोलकर और बंद करके
राग को बजाया जािा है। इस सभी वाद्यों र्ें सबसे सािारण वाद्य यंत्र बााँसरु ी है। आर् िौर पर बााँसरु रयााँ बांस अथवा लकड़ी से
बनी होिी है। भारिीय संगीिकार लकड़ी िथा बांस की बााँसरु ी को इनकी संगीिात्र्क िथा स्वर-संबि
ं ी तविेषिाओं के कारण
पसंद करिे हैं। हालांकक लाल िंदन की लकड़ी, काली लकड़ी, बेंि, हाथी दांि, पीिल, कांस,े िांदी और सोने की बनी बााँसरु रयों
का भी उपलेख तर्लिा है। इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
● अवनद्ध वाद्यों (िाल वाद्य) र्ें पिु की खाल पर आघाि करके ध्वतन उत्पन्न की जािी है। इसे तर्ट्टी, िािु के बिान या किर लकड़ी
के ढोल या ढांिे के ऊपर खींि कर लगाया जािा है। ऐसे वाद्यों का प्रािीनिर् उपलेख वेदों र्े ककया गया है। वेदों र्ें भतर् दुदंभ
ु ी
का उपलेख है। यह भतर् पर खुदा हुआ एक खोखला गढ़ा होिा है, तजसे बैल या भैंस की खाल से खींि कर ढंका जािा है। इस गढ़े
के खाल ढंके तहस्से पर पिु की पछ
ं से आघाि करके ध्वतन उत्पन्न की जािी थी।
● र्नुष्य द्वारा आतवष्कृ ि सबसे प्रािीन वाद्ययंत्र को घन वाद्य यंत्र कहा जािा है। इन वाद्य यंत्रों के तनर्ााण के बाद इन्हें बजाने के
सर्य कभी भी तविेष सुर र्ें तर्लाने की आवश्यकिा नहीं होिी है। प्रािीन काल र्ें यह वाद्ययंत्र र्ानव िरीर के तवस्िार जैसे
डंतडयों, िालों िथा छतड़यों आकद के रूप र्ें सार्ने आए और ये दैतनक जीवन र्ें प्रयोग र्ें लाई जाने वाली वस्िुओं, जैसे पात्र
(बिान), कड़ाही, झांझ, िालर् आकद के साथ बहुि गहरे जुड़े हुए थे। र्लिः यह वस्िुएं लय प्रदान करिी हैं िथा लोक और
आकदवासी अंिल के संगीि एवं नृत्य के साथ संगि प्रदान करने के तलए सवाातिक उपयुि हैं।
● िि वाद्य, वाद्यों का ऐसा वगा है, तजनर्ें िार अथवा िंत्रों के कं पन से ध्वतन उत्पन्न की जािी है। यह कं पन िार पर उं गली छेड़ने
या किर िार पर गज िलाने से उत्पन्न होिी है। कं तपि होने वाले िार की लंबाई िथा उसको कसे जाने की िर्िा स्वर की
ऊंिाई (स्वरर्ान) तनतिि करिी है।
Q 91.C
● कलंदर, र्दारी, र्लंग और हैदरी सिी संि थे। उन्होंने वैराग्य के िरर् रूपों का पालन ककया। उन्होंने सिी तसद्धांिों की र्ौतलक
व्याख्या के आिार पर नवीन आंदोलनों की नींव रखी। उन्होंने िरीयि के काननों की अवहेलना की। इसतलए, उन्हें अक्सर बा-
िररया सकियों (िररया का पालन करने वाले) के तवपरीि बे-िररया कहा जािा था। इसतलए युग्र् 1 सही सुर्ते लि नहीं है।
● तजयारि, सिीवाद र्ें सिी संि की दरगाह की िीथा यात्रा को संदर्भाि करिा है। इस िरह की िीथा यात्राएं तविेष रूप से उनकी
बरसी या उसा (अथवा तववाह, अथााि् पीर की आत्र्ा के ईश्वर से तर्लन) पर की जािी थीं। इसतलए युग्र् 2 सही सुर्ते लि है।
● खलीिा स्वयं संि द्वारा तनयुि सिी संि का वाररस था। सिी संिों को अलग-अलग नार्ों से जाना जािा था, जैसे िेख (अरबी
र्ें), पीर या र्ुर्िाद (िारसी र्ें)। वे आध्यातत्र्क व्यवहार के तनयर् तनिााररि करने के अलावा खानकाह र्ें रहने वालों के बीि के
संबंि और िेख व जनसार्ान्य के बीि के ररश्िों की सीर्ा भी तनयि करिे थे। वे अनुयातययों (र्ुरीदों) की भिी करिे थे और
अपने वाररस (खलीिा) की तनयुति करिे थे। इसतलए युग्र् 3 सही सुर्ते लि है।
Q 92.B
● पाल राजवंि एक ितििाली भारिीय राजवंि था। इस राजवंि ने 8वीं ििाब्दी ईस्वी से लेकर 12वीं ििाब्दी ईस्वी िक पवी
भारि के कु छ तहस्सों पर िासन ककया था। पाल साम्राज्य की स्थापना संभवि: 750 ईस्वी र्ें गोपाल ने की थी। 770 ईस्वी र्ें
उसकी र्ृत्यु के पिाि् उसका पुत्र िर्ापाल उत्तरातिकारी बना। िर्ापाल ने 810 ईस्वी िक िासन ककया। िर्ापाल को राष्ट्रकि
राजा ध्रुव से परातजि होना पड़ा। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● पाल िासक बौद्ध ज्ञान-तवज्ञान और िर्ा के र्हान संरिक थे। िर्ापाल ने नालंदा तवश्वतवद्यालय का पुनरुद्धार ककया और
तवक्रर्तिला तवश्वतवद्यालय की स्थापना की जो नालंदा के बाद दसरे सबसे तवख्याि तवश्वतवद्यालय के रूप र्ें उभरा। इसतलए
कथन 2 सही है।
● कन्नौज तववाद के पररणार्स्वरूप िर्ापाल और प्रतिहार राजा वत्सराज के बीि संघषा हुआ। बाद र्ें, िर्ापाल ने कन्नौज पर
पुनः कब्जा कर तलया और अपने जागीरदार िक्रायुि को िासक के रूप र्ें तनयुि ककया। इसतलए कथन 3 सही है।
● इस कदर् ने उत्तरी भारि र्ें सबसे प्रर्ुख नेिा के रूप र्ें िर्ापाल की तस्थति को र्जबि ककया। उसने स्वयं को उत्तरापथ स्वार्ी
अथवा "उत्तरी भारि के भगवान" के रूप र्ें घोतषि ककया।
Q 93.B
● ओतडिा र्ंकदर वास्िुकला के तलए प्रतसद्ध है िथा र्ंकदरों की तवतवििा के साथ वास्िुकला की कसलंग िैली अपने सुतवकतसि
रूपों को प्रस्िुि करिी है। तिपप िास्त्रों के अनुसार, कसलंग िैली र्ें िीन अलग-अलग प्रकार के र्ंकदर पाए जािे हैं। ये हैं 'रे खा',
'भद्रा' या 'पीढ़ा' और 'खाखरा'। इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
● रे खा र्ंकदर या तवर्ान की तविेषिा वक्र रे खीय अतिरिना है। इसे िार भागों र्ें तवभातजि ककया जा सकिा है। िार भाग हैं-
तपस्िा, बाड़ा, गंडी और तसरा या र्स्िक। नीिे से लेकर कलि िक, र्ंकदर के प्रत्येक भाग का एक अलग नार् होिा है। उड़ीसा
के तिपपकारों ने र्ंकदर को ब्रह्मांडीय प्राणी के िरीर के रूप र्ें र्ाना। इसतलए र्ंकदर के तवतभन्न भागों के नार् िरीर के अंगों के
नार् पर रखे गए हैं। तजस प्रकार एक र्ानव िरीर के तवतभन्न अंग एक दसरे से व्यवतस्थि रूप से जुड़े हुए हैं, उसी प्रकार र्ंकदर
के तवतभन्न खंड एक दसरे के साथ एक र्हत्वपणा संबंि रखिे हैं और एक कलात्र्क रिना र्ें एकीकृ ि होिे हैं।
● खाखरा र्ंकदर अपनी िैली र्ें बहुि ही अनठा होिा है। इस प्रकार के र्ंकदर ओतडिा र्ें बहुि सीतर्ि र्ात्रा र्ें पाए जािे हैं। यह
िैली तविेष रूप से िति पजा से संबंतिि है। खाखरा की गंडी को र्ार्ली अंिर के साथ या िो एक रे खा की िरह या एक पीढ़ा
की िरह बनाया जािा है। देउला की योजना आयिाकार होिी है और इसके र्स्िक को इसकी लंबी बेलनाकार गुंबदनुर्ा छि से
पहिाना जािा है तजसे काखरू या वोइिा काखरू की अस्पि सर्ानिा के कारण खाखरा कहा जािा है। खाखरा के ऊपर या िो
लघु आर्लक या कलि रखा जािा है, तजसके पाश्वा भाग र्ें िेर होिे हैं।
● बाड़ा के प्रबंिन के संदभा र्ें रे खा र्ंकदर और पीढ़ा र्ंकदर के बीि र्ें कोई अंिर नहीं है, लेककन वे गंडी की प्रकृ ति र्ें तभन्न हैं।
जगर्ोहन की गंडी तपरातर्डनुर्ा है। इसे कई पीढों या िैतिज प्लेििार्ों से तनर्र्ाि ककया गया है, जो तपरातर्ड के रूप र्ें हैं।
पीढ़े का आकार नीिे से ऊपर की ओर िेजी से कर् होिा जािा है। यह कर्ी िब िक जारी रहिी है जब िक कक सबसे ऊपरी
पीढ़े का आकार सबसे तनिले तहस्से के आकार से आिा न हो जाए। पीढ़ों को उनके बीि खड़ी दीवार की र्ध्यर् ऊंिाई के साथ
एक या दो स्िरों र्ें व्यवतस्थि ककया जा सकिा है। इनर्ें से प्रत्येक स्िर को पोिाला कहा जािा है। गंडी के ककसी भी सबंदु पर
अनुप्रस्थ काि वगााकार होिी है। गंडी के ऊपर र्स्िक होिा है, जो कई ित्वों से तनर्र्ाि होिा है तजनकी अनुप्रस्थ काि गोलाकार
होिी हैं। सबसे पहले बेकी आिी है, किर घंिा आिा है, जो घंिी के आकार की एक तविाल िारीदार संरिना होिी है। घंिा के
िीषा पर रे खा की िरह बेकी, आर्लक, खपुरी और कलि का क्रर् होिा है।
Q 95.B
● हड़प्पाई लोग तजन वस्िुओं का उत्पादन करिे थे उनके तलए अपेतिि कच्चा र्ाल उनके नगरों र्ें उपलब्ि नहीं था। वे िािु के
तसक्कों का प्रयोग नहीं करिे थे। हर्ें उनकी र्ुद्रा के बारे र्ें कोई जानकारी नहीं है। संभविः वे सारे आदान-प्रदान वस्िु तवतनर्य
द्वारा करिे हों। इसतलए कथन 1 सही नहीं है।
● अपने िैयार र्ाल और संभविः अनाज भी नावों और बैलगातड़यों पर लादकर पड़ोस के इलाकों र्ें ले जािे और उन वस्िुओं के
बदलें िािुएं ले आिे। वे अरब सागर के िि पर जहाजरानी करिे थे।
● वे पतहए से पररतिि थे और हड़प्पा र्ें ठोस पतहयों वाली गातड़यां प्रितलि थीं। ऐसा भी प्रिीि होिा है कक हड़प्पावासी ककसी-
न-ककसी प्रकार के आज के इक्का का प्रयोग करिे थे।
● हड़प्पावातसयों के राजस्थान, अिगातनस्िान और ईरान के साथ व्यापाररक संबि
ं थे। उनके नगरों का व्यापार दजला-िराि
प्रदेि के नगरों के साथ िलिा था। र्ेसोपोिातर्या र्ें कई हड़प्पा र्ुहरों की खोज की गई है और ऐसा प्रिीि होिा है कक
हड़प्पावातसयों ने र्ेसोपोिातर्या के िहरी लोगों द्वारा उपयोग ककए जाने वाले कई सौंदया प्रसािनों का अनुकरण ककया।
इसतलए कथन 2 सही है।
● लगभग 2350 ई.प. के आस पास और उसके आगे के र्ेसोपोिातर्याई अतभलेखों र्ें र्ेलह
ु ा के साथ व्यापाररक संबंिों की ििाा
की गई है; र्ेलुहा ससंिु िेत्र का प्रािीन नार् था। र्ेसोपोिातर्या के पुरालेखों र्ें दो र्ध्यविी व्यापाररक कें द्रों का उपलेख तर्लिा
है- कदलर्न और र्कन। कदलर्न की पहिान िायद फ़ारस की खाड़ी के बहरैन से की जा सकिी है।
44 www.visionias.in ©Vision IAS
Q 97.D
● हाल ही र्ें, OpenAI ने ChatGPT नार्क एक नया िैिबॉि पेि ककया। जो एक 'संवादात्र्क' आर्िाकितियल इं िेतलजेंस (AI)
है और र्ानव की िरह ही प्रश्नों का उत्तर सकिा है। ChatGPT "अनुविी प्रश्नों" का उत्तर दे सकिा है। इसके साथ ही यह
"अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकिा है, गलि िारणाओं को िुनौिी दे सकिा है और अनुतिि अनुरोिों को अस्वीकार कर
सकिा है।" इसतलए तवकपप (d) सही उत्तर है।
● यहां, GPT का िात्पया जनरे रिव प्री-रेन्ड रांसिॉर्ार 3 है और इसकी प्रासंतगकिा इस िथ्य से ली गई है कक इसे ररइं िोसार्िें
लर्नंग फ्ॉर् ह्यर्न िीडबैक (RLHF) का उपयोग करके प्रतितिि ककया गया था।
● अनुप्रयोग: कोसडंग से लेकर ककसी तप्रयजन के तलए व्यतिगि संदि
े का र्सौदा िैयार करने िक इसके अत्यतिक उपयोग हैं।
Q 98.B
● हातलया संदभा: उत्तरी आयरलैंड प्रोिोकॉल को "सवंडसर फ्े र्वका " द्वारा प्रतिस्थातपि ककया जाएगा।
● यरोपीय आयोग और यनाइिेड ककं गडर् द्वारा उत्तरी आयरलैंड प्रोिोकॉल की कायाप्रणाली को बदलने के तलए एक नए सर्झौिे
की घोषणा की गई। यह प्रोिोकॉल जनवरी 2021 र्ें लाग हुआ और िब से, यरोपीय संघ और यनाइिेड ककं गडर् दो वषा से
वािाालाप कर रहे हैं।
● सवंडसर फ्े र्वका के अनुसार, उत्तरी आयरलैंड यरोपीय संघ के एकल बाजार और सीर्ा िुपक संघ का तहस्सा बना रह सकिा है।
यह पहले ब्रेतक्जि सर्झौिे के तहस्से के रूप र्ें तब्ररिि र्ुख्य भतर् से आने वाले उत्पादों पर आरोतपि की गई कई कठोर
प्रकक्रयाओं को सर्ाप्त कर देगा।
● इस नई व्यवस्था के साथ, ग्रेि तब्रिेन से उत्तरी आयरलैंड जाने वाली वस्िुओं और यरोपीय संघ र्ें जारी रहने वाली वस्िुओं को
"हरी" और "लाल" लेन र्ें तवभातजि ककया जाएगा।
● र्हत्व- सवंडसर फ्े र्वका अभी भी यरोपीय संघ को उत्तरी आयरलैंड पर कु छ प्रभाव प्रदान करे गा। कई उद्योग यरोपीय संघ के
कानन के अिीन बने रहेंगे, तविेष रूप से ऐसे उद्योग जो खाद्य और पिु उत्पादों से संबंतिि हैं। साथ ही यरोपीय न्यायालय इन
र्ार्लों र्ें तनणाायक तनकाय बना रहेगा।
● इसतलए तवकपप (b) सही उत्तर है।
Q 100.D
● हातलया संदभा: सार्ान्य पात्रिा परीिा (CET) भारि र्ें आयोतजि की जाएगी। इसका उद्देश्य प्रत्येक वषा तवज्ञातपि सरकारी
नौकररयों र्ें ियन के तलए तवतभन्न भिी एजेंतसयों द्वारा आयोतजि की जाने वाली कई परीिाओं को एकल ऑनलाइन परीिा से
प्रतिस्थातपि करना है।
● विार्ान र्ें, सरकारी नौकरी के इच्छु क उम्र्ीदवारों को तवतभन्न पदों के तलए कई भिी एजेंतसयों द्वारा संिातलि की जाने वाली
तभन्न-तभन्न परीिाओं र्ें सतम्र्तलि होना पड़िा है। सार्ान्य पात्रिा परीिा (CET) का उद्देश्य प्रत्येक वषा तवज्ञातपि सरकारी
नौकररयों र्ें ियन के तलए तवतभन्न भिी एजेंतसयों द्वारा आयोतजि की जाने वाली कई परीिाओं को एकल ऑनलाइन परीिा से
प्रतिस्थातपि करना है।
● कें द्रीय र्ंतत्रर्ंडल ने सरकारी नौकररयों के तलए परीिा आयोतजि करने हेिु एक स्विंत्र तनकाय, राष्ट्रीय भिी एजेंसी (NRA) के
गठन को र्ंजरी दे दी है। यह 1860 के सोसायिी पंजीकरण अतितनयर् के िहि पंजीकृ ि एक सोसायिी होगी। इसतलए कथन 2
सही है।
● प्रारंभ र्ें, यह सर्ह ख और ग (गैर-िकनीकी) पदों के तलए उम्र्ीदवारों की स्क्रीसनंग/िॉिातलस्ि करने हेिु एक सार्ान्य पात्रिा
परीिा (CET) आयोतजि करे गा, तजसे विार्ान र्ें कर्ािारी ियन आयोग (SSC), रे लवे भिी बोडा (RRBs) और बैंककं ग
कार्र्ाक ियन संस्थान (IBPS) द्वारा आयोतजि ककया जा रहा है। बाद र्ें इसके अंिगाि और भी परीिाओं को लाया जा सकिा
है। इसतलए कथन 1 सही है।