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झालावार

और सुनाओ

[संगीत]

मैं जय श्री कृ ष्ण जैसा कि आप सब लोग

जानते हैं कि मनुष्य को भगवान ने 10

इंद्रियां उपहार स्वरूप दिए हैं जिनमें से

अधिक एक भी इंद्री कार्य न करें उस इंसान

को अपाहिज कहा जाता है तो आज हम इंद्रियों

के विषय में जीवन में उपयोगिता होती है

इसके ऊपर जानकारी दे रहे हैं एक ऐसा गुण

ज्ञान एक ऐसा गुण रहस्य जिसको समझना बहुत

ही आवश्यक है इसे समझने में बड़े-बड़े

संतों के बड़े-बड़े महात्माओं ने भी गलती

की है इसे समझने में यह समझ ही नहीं पाई

कि इन 10 इंद्रियों का उपयोग कै से किया

जाए और यह जो इंद्रियां हैं

कि यह संसाधन की तरह कार्य करती है हमारे

जीवन में उपयोगी संसाधन का होना ही बड़ी

बात नहीं है बात होती उन संसाधनों का

उपयोग कै से किया जाए इंद्रियों का होना

बड़ी बात नहीं है सभी के पास है लेकिन

इनका उपयोग कै से किया जाए सदुपयोग करना

बड़ी बात होती है पहली होती है पांच

इंद्रियां ज्ञानेंद्रियां जैसे कि आंख नाक

कान तरफ की दिव्य और त्वचा इंक

ज्ञानेंद्रियां कहा जाता है और दूसरी पास

होती हैं हाथ-पैर आप की वाणी बोलने का

तरीका बुझाल जनेंद्रिय जिसका उपयोग हमारे

वंश को आगे बढ़ाने में करते हैं अब इन

इंद्रियों का मुख्य कार्य क्या होता है


ज्ञानेंद्रियों का जैसे कि नाक से आप सूंघ

कर अच्छी और बुरी दोनों को समझना कि जिस

भोजन कि आपको जो गंध है खुशबू है वह मधुर

लगती है वह खाने योग्य होता है और जिस

स्वस्ति कि आपको दुर्गंध आती है जैसे

मांसाहार है जिसकी दूर से दुर्गंध आती है

जिस क्षेत्र

तो बनता हो या पिता हो ऐसे अगर बाजार से

गुजर देवता को दुर्गंध आती है क्योंकि वह

खाने की योग्य नहीं है तो यह आपकी नाक

निर्णय करती है और अब यह आपको सोच विचार

कर निर्णय करना होता कि हमें दुर्गंध वाली

चीजों को खाना है या नहीं इसीलिए इन्हें

ज्ञानेंद्रियां कहते हैं जिनका ज्ञान

उपयोग करना जरूरी है काम तो करती है पर

ज्ञान सिंह का उपयोग करना जरूरी है एक

ज्ञान दिया है जो आपको अच्छे और गलत का

भेज बतलाती है इसके भगवान ने हमें

इंद्रियां दी हैं जैसे कि हम बुद्धिमान

फै लाएं इंद्रियों का सही उपयोग करें अब

बात करते हैं आंखों की तो आंखों का उपयोग

होता है प्रकृ ति में अच्छी और बुरी चीजों

को देखना समझना और अपने शरीर की रक्षा

करना अच्छी चीज़ों से तात्पर्य ग्रंथ

शास्त्र पुराण इनका चयन करना और अन्य

जीवों का व्यवहार देखकर उनसे सावधान रहना

और पेड़-पौधे वातावरण प्रकृ ति इन का आनंद

लेना कानूनों का कार्य होता है मधुर शब्द

सुना भजन मंत्र कीर्तन सुनना भाग्यश्री


बातों को सुनना और दूसरे लोगों की बातों

को सुनकर उसे ख्याल रखना वह अपने कानों

हुआ था यह दिव्य का काम होता है स्वाद

लेना भोजन का आनंद लेना और स्पर्श का जो

अंतिम गेंद रही होती है हमारी त्वचा जिस

समय स्पर्श का आनंद लेते हैं कि हमारे

बच्चे को छू सके वस्तुओं को छू सके पत्थर

का कै सा स्पर्श होता है लकड़ी का कै सा पर

होता है कौन सी वस्तु को छू ने पर कै सा

प्रभाव होता है यह सारी चीजें हम हमारी

त्वचा से करते हैं तो यह हमारी

ज्ञानेंद्रियों का कार होता है जल को छू ने

पर शीतलता महसूस होगी अग्नि को छोड़ में

पर जल सकते हैं यह सारी चीजें जो है त्वचा

से हमें पता चलती है यह ज्ञानेंद्रियों का

काम होता है यह सदुपयोग होता है तो उसका

सदुपयोग करना बहुत बड़ी बात होती जो लोग

नहीं कर पाते हैं इस बात को बहुत बारीकी

से समझना कि आगे दूसरी हमारी जो पांच

इंद्रियां होती होती कफन कर्मेंद्रियां

कहलाती हैं जिसमें हम हाथ-पैर वाणी

कि जिनेंद्र और गुड्डा का उपयोग करते हैं

मल-मूत्र त्यागने क्लिक करते हैं तो यह

सभी चीजें हमारे अंदर होती है लेकिन इंसान

करता क्या है कि जब वह साधना के क्षेत्र

में जाता है या साधक पर बनने का प्रयास

करता है यह मान लीजिए कि कोई ऐसा है जो

संत-महात्मा ही है इसी अध्यात्मिक जगत में

ही रहता है तो उसे सबसे बड़ी समस्या यह

होती है कि वह अपनी जीवनी पर भी नियंत्रण


कर लेता है कि वह खाने-पीने पर नियंत्रण

कर लेगा कि मुझे क्या खाना चाहिए क्या

नहीं खाना चाहिए वह अपने कानों पर भी

नियंत्रण कर लेता है कि मुझे वाद-विवाद

नहीं करना है ना गलत किसी को बोलना है ना

सुनना है अपनी वाणी पर नियंत्रण कर लेता

है इन चीजों पर बहुत आसानी से जो लोग होते

हैं अध्यात्ममें मैं वह नियंत्रण कर लेते

हैं लेकिन एक चीज ऐसी होती है जिसको

नियंत्रण नहीं कर पाते जिसे कहते हैं काम

कामवासना लोग यह कहते हैं कि हम जब साधना

करने का प्रयास करते हैं साधना के दिन में

चल रहे होते हैं तो हमारी जो काम वासना है

उस पर हम नियंत्रण नहीं कर पाते हैं तो हम

यह जो हमारी इंद्रियां हैं इन पर नियंत्रण

के

में वृद्धि के नियंत्रक करने का एक तरीका

होता है सबसे बड़ी बड़ी बात यह है कि जो

आपके जनरली होती है जिसका उपयोग संतान

प्राप्ति के लिए किया जाता है वंश को आगे

बढ़ाने के लिए किया जाता है लोग अपने अंदर

ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने के लिए अपना

पूरा ध्यान जो है वह अपनी जिनेंद्र इंच पर

लगाते हैं या फिर अपने इन्हीं चीजों पर

लगाते हैं कि मुझे इन को नियंत्रण में

रखना है तो मैं ब्रह्मचर्य का व्रत का

पालन कर पाऊं गा और मैं आगे बढ़ता हूं अब

मेरी साधना पूरी हो पाएगी और यह सिर्फ एक

के साथ समस्या नहीं बहुत बड़ी संख्या में


लोगों का ध्यान सीधे सीधे अपने निचले

अंगों पर जाता है जब भी वह ब्रह्मचर्य की

बात सोचते हैं कि मेरे मन में कोई गलत

भावना नहीं आना चाहिए पर वास्तविकता में

आपकी ज्यादातर जो इंद्रियां हैं उन पर

नियंत्रण आपकी आंखों का होता है आपकी

आंखों आपकी दृष्टि का ही सभी अन्य जो आपकी

इंद्रियां हैं उन पर नियंत्रण होता है

आपकी जो दृष्टि होती आंख होती है यह सब से

दाणा कह सकते हैं कि सबसे ज्यादा यह चंचल

होती है सबसे ज्यादा जो एक ऐसी अंधेरी है

वह आंखें हैं जिस पर लोग ध्यान नहीं देते

तो जब हम साधना के दिनों में होते हैं या

फिर जब जो लोग अध्यात्मिक क्षेत्र में

होते हैं उनको अपनी दृष्टि पर नियंत्रण

करना आवश्यक होता है जननेंद्रियों को नहीं

अपने निचले अंगों को अपने गुप्तांगों को

नियंत्रण करने का प्रयास नहीं करना होता

है उन पर तो जितना ध्यान दोगे उतना ही

ज्यादा डू बते जाओगे एक साधक को एक संत या

एक महात्मा को ध्यान देना चाहिए अपनी

दृष्टि पर क्योंकि दृष्टि से जब तक वह

गंदी विचार कहां से आते हैं जबकि दृष्टि

से किस चीज को देखता है जो व्यक्ति अपनी

आंखों से किसी गाड़ी को बंग्ले को रूपए

पैसे को देखेगा नहीं उसके मन में कभी उनको

पाने की चाह नहीं आएगी जो आंखों से देखता

है कि यह चीज इतनी अच्छी है तभी उसके अंदर

उसको पाने की इच्छा होती है मान लीजिए


भोजन कर रहे हैं अब आपको बहुत ही कोई

सब्जी है या रोटी है कोई भोजन की कोई ऐसी

व्यवस्था जॉब भोजन एक विशेष प्रकार का

आपका पसंदीदा भोजन बना कि आपके सामने घर

के लोग रख दें और आपके

पट्टी बांधें और कहीं के विषय खा लो तो

विश्वास मानिए कि जब आप उसको बिना देखेंगे

तो आपको स्वाद अच्छा नहीं लगेगा आपको आनंद

नहीं आएगा आप कहेंगे कि बिना देखे खा रहा

हूं मुझे तो आनंद नहीं आ रहा जब तक आप उसे

देखेंगे तब तक आपको आनंद नहीं आएगा इसका

कहने का अर्थ यह है कि भोजन में भी यानि

कि भोजन का स्वाद लेने के लिए आप देखने की

बात कहेंगे कि मुझे देखना है बगैर देखे

मुझे आनंद नहीं आ रहा मतलब आपकी दृष्टि

वहां पर विजय आवश्यक होगी यानी कि अन्य जो

आपकी इंद्रियां हैं उनका आनंद लेने के लिए

आंखें आपको सबसे पहले आपको लगेगी देखिए जो

व्यक्ति देख नहीं सकता है उसे कभी भी काम

वासना नहीं रहती है इस बात का ध्यान रखना

ऐसा लोग जो रहते हैं इसलिए अपनी अलग

दुनिया में रहते हैं उन्हें अपनी दूसरी

इंद्रियों का ज्यादा उपयोग करते हुए से के

कान का उपयोग करते हैं वह सुनने का प्रयास

करते हैं दूषित उनमें क्षमता विकसित हो

जाती है पर दोनों आंखों से देखते हैं वह

आंखें ही दोष उत्पन्न करती है वहीं आपको

धन सुख धन सुख संपत्ति का लालच चिल्लाती

हुई इस्त्री सूट कला तिल आती जब तक अपनी


आंखों

है सूत्रों की तरफ देखेंगे नहीं तब तक

आपके अंदर काम वासना त्यागी ही नहीं एक

बात ध्यान रखना कभी भी आप जब किसी सड़क पर

जाते हैं आपको सौंफ कम से कम सौ फिट दूर

से 200 फीट दूर सीड जाएगा कि सामने रोड पर

कोई स्त्री आ रही है या कोई लड़की आ रही

है उसी समय आपको अपनी जो नजरें हैं अपने

जो आंखें जो दृष्टि है वह झुका लेना चाहिए

या अन्य दूसरी तरफ कर लेना चाहिए कि आपके

जो नजदीक आए आप के करीब आए आप के समीप आए

तब भी आपकी दृष्टि उस पर ना पड़े यह चीज

आपको प्रयास करना है कु छ दिन तीन से चार

दिन अगर आप ऐसा प्रयास करेंगे कि मेरी

दृष्टि में किसी भी सुंदर स्त्री पर यह

लड़की पर कन्या पर नहीं जाने दूंगा अगर

गलती से सामने आ जाती है तो एक दो सेकें ड

में मैं अपनी नजरों है अपनी दृष्टि है

दूसरी ओर घुमाऊं गा विश्वास मानिए तीन से

चार दिन में आपका इतना अच्छा नियंत्रण

जाएगा आपके शरीर पर कि आपको कामवासना

सताएगी ही नहीं यह बिल्कु ल यह समझ लीजिए

कि कई लोगों को यह चीज हमने बताई है

वीडियो के माध्यम से नहीं बताई पर

व्यक्तिगत व्हाट्सएप पर चैट में लोग बोलते

हैं कि हमें ऐसा हो रहा है तो उनको यह

कहते

है कि आप अपने गुप्तांगों पर ध्यान मत

दीजिए कि खुद के ब्रह्मचारी को नियंत्रण

करने के लिए अपने निचले अंगों पर ध्यान मत


दीजिए आप अपनी दृष्टि पर ध्यान दीजिए कि

आपकी दृष्टि ही जो है वहीं बीमारी का जड़

है दृष्टि ही आपकी कामवासना को बढ़ाती है

दृष्टि अगर आपके नियंत्रण में आ गई तो फिर

आपको बाकी के जितने भी इंद्रियां वहां पर

नियंत्रण में आ जाएगी जब तक वह आंखों से

किसी चीज को देखेंगे कि आपके अंदर उसकी

लिए जो है वह चीज उत्पन्न ही नहीं होगी

वासना जो होती है वह एक बार में पैदा हुए

एक बात ध्यान रखना जब तक आप मान लीजिए

किसी खूबसूरत स्त्री कि आप फोटो देख रहे

हैं मोबाइल में या वीडियो देख रहे हैं या

सामने किसी को देख रहे हैं जब तक कु छ

सेकं ड तक 10 सेकं ट से ज्यादा समय तक आप उस

पर घूरेंगे नहीं आपके अंदर कामवासना घर

नहीं करेगी और कामवासना एक ऐसी अग्नि है

जो बूंद-बूंद बूंद-बूंद इकट्ठी होती है कि

किसी भी इंसान के अंदर अगर आपकी दृष्टि

खराब है तो आपके अंदर कामवासना बूंद-बूंद

जुबा किसी स्त्री को देखेंगे आपके अंदर

उसके लिए कामवासना बढ़ती जाएगी बढ़ती

जाएगी बढ़ती जाएगी और आप दोष देंगे अपनी

जननेंद्रियों को आप अपने यौन अंगों को

दोस्त देंगे कि मुझे अपने पर

मिश्रण नहीं है आप कभी यानि नहीं जाएगा कि

मुख्य जो बीमारी है वह आंखों से है मुख्य

दोस्तों आंखों का है दृष्टि से आप देख रहे

हैं तभी वह काम वासना जो दृष्टि से आपके

अंदर प्रवेश कर रही है ज्यादातर जो चीज़ें


होती हैं बुरी चीज होती है वह दृष्टि से

प्रवेश करती है आंखों उसके मार्ग से

प्रवेश करती हैं यहां तक कि कई शक्तियां

भी होती है देवी देवता भी झुक आंखों के

मार्ग से भी प्रवेश कर जाते हैं तो आंखों

के मार्ग से ही कामवासना कामवासना भी

शक्ति होती है बुध नखरा यह चीज है जो है

यह कोई निर्जीव वस्तु नहीं है कामवासना यह

सारी चीजें जो व्यक्ति हैं जिन्हें इस

प्रकृ ति में रचयिता ने रचा गया है तो यह

अभी आपके दृष्टि से ही प्रवेश करती है तो

जब आप किसी सुंदर स्त्री को देख कर मन में

काम वासना वल्लभ लाओगे उसको गलत न गांव से

आप देखोगे तो उसी समय आपके अंदर वर्ष में

प्रवेश कर जाएगी और यह जो बलात्कारी लोग

होते हैं इनके साथ भी यह समस्या होती है

कि कई महीनों वर्षों के इनके अंदर

कामवासना 31 होती जाती है क्योंकि हर

स्त्री को गलत निगाहों से देखते हैं गलत

दृष्टिगत होती है सोच विचार गलत होते हैं

तो धीरे-धीरे निकालना कु छ बढ़ती जाती

लुट और इसी वजह से जुड़े संत-महात्मा होने

की जिन्होंने प्रयास किया कि हम जो

अध्यात्म के मार्ग पूरा जीवन बिता दिया

उनको ज्ञान तो बहुत था वास्तव में ज्ञान

था ऐसा नहीं कि अ ज्ञानी है ज्ञान तो बहुत

लेकिन वह यह नहीं समझ पाए कि हमें हमारी

जनेंद्रिय को नहीं नियंत्रण करना हमारी

दृष्टि को नियंत्रण करना है और आखिरकार

उनके जो जीवन का अंत है वह किसी ने किसी


स्त्री के चक्कर में नष्ट हुआ स्त्री के

चक्कर में उनकी मान-प्रतिष्ठा जो है किसी

ना किसी लड़की या किसी न किसी स्त्री की

वजह से मान-प्रतिष्ठा जीवन भर का जो

सम्मान था उस सब नष्ट हो गया क्योंकि वह

इस बात को नहीं समझ पाए कि हमने अपनी

दृष्टि पर जो नियंत्रण करना चाहिए तो

हमारी दूसरी जो इंद्रियां हैं वह वश में

रहेगी तो सबसे प्रमुख दृष्टि ही होती है

और यह बहुत आसान है एक बात ध्यान रखना जो

भी साधक कु छ दिन तक यह प्रयास करता है कि

किसी भी सुंदर स्त्री पर मेरी जो है

दृष्टि ना पड़े मोबाइल में आप अगर अच्छे

अगर मोबाइल चलाते हैं आप YouTube देखते

हैं जब अच्छे वीडियो देख हैं धार्मिक

वीडियो देखते हैं तो यह जो है वह अपने आप

जानता है कि आप जो है किस

आपके वीडियो देखते हैं तो आपके सामने कभी

गलत मलिन जो वीडियो है वह अभी आपके सामने

लेकर नहीं आता जो सजेशन आता है वीडियो का

वह जैसे वीडियो आप देखते हैं वैसे ही

वीडियो के सामने आएंगे आप ऐसे वीडियो देखी

ना जिसमें स्त्रियां यह लड़कियों कोई नाच

रही है कोई गा रही है कोई कु छ बता रही है

ऐसी चीज देखे ही ना वह अभी आपके सामने

नहीं आएंगे यह कु छ दिन तक प्रेस कीजिए

इसके बाद आप कहीं भी टीवी में या कहीं भी

किसी भी स्त्री के समय की तरफ मत देखिए वह

ऐसी कोई भावना मन में ना है अगर कोई भी


सुंदर इसकी आपके सामने आती है तो आप अपने

जो दृष्टि दूसरी तरफ कर लीजिए सड़क पर

चलते चलते भी आपके दृष्टि दूसरी तरफ कर

लीजिए कु छ दिनों में आपके साथ यह हालत हो

जाएगी कि आपके सामने से कोई खूबसूरत

स्त्री निकल भी जाएगी तो आपकी दृष्टि पर

पड़ेगी नहीं अगर आप गाड़ी से जा रहे पीछे

आपका मित्र बैठा हुआ है और कोई खूबसूरत

इससे आपके सामने से निकलेगी थोड़ी दूर

जाकर वह बोलेगा कि देखा कितनी सुंदर

स्त्री निकलकर तो आप कहेंगे कहां मेहनत

यानि दिया आपका ध्यान जाएगा ही नहीं वह

चीज जो है आपकी जो आत्मा है उसको अनदेखा

करना शुरू कर देगी आपकी जो दृष्टि है वह

खुद दो

अजय को अनदेखा करना शुरू कर देगी क्योंकि

आपने व्यास कि आपने कोशिश की कि मुझे किसी

स्त्री के तरफ नहीं देखना है क्योंकि अगर

देखूंगा तो 10:00 मेरी दृष्टि है उसमें

दोस्त उत्पन्न हो जाएगा वासना का काम का

उद्धोष में अंदर प्रवेश कर जाएगा और देखने

से उसका भी मिले लेकिन एक बात ध्यान रखना

कि दुनिया के 99% जो लोग हैं अपने अंदर

कामवासना को बहुत ज्यादा बड़ा लेते हैं

उससे दूसरी स्त्रियों को देख देखकर बड़ा

लेते हैं पर वास्तविकता यह है कि देखने से

इसकी जो आपको कभी नहीं मिलेगी और जो लोग

प्रयास करते हैं या तो वह जेल में होते

हैं या फिर उनके उनके मान-सम्मान सब खत्म

हो जाता है क्योंकि वह कोई ना कोई सी गलती


कर देते हरकत कर देते हैं कि फिर जिस तरह

हैं उनके खिलाफ किसी ने किसी प्रकार की

कार्रवाई में उनकी मान-सम्मान सब बर्बाद

हो जाता नष्ट हो जाता है तो एक बात ध्यान

रखना कि स्त्रियों को देखने जो आपको नहीं

मिलेंगी आप सिर्फ और सिर्फ अपना सत्यानाश

करते हैं सिर्फ और सिर्फ अपनी कामवासना को

बढ़ा लेते हैं सिर्फ और सिर्फ अपने अंदर

की जो तक उबालें उसको उत्सर्जित कर देते

हैं एक बात ध्यान रखना जब भी आप किसी

सुंदर स्त्री को देखते हैं और आपके मन में

काम भावना आ जाती है एक बात याद रखना कि

10 से 15 सके

जरा अपने मन में गलत विचार लायक उसी समय

आपके अंदर इसकी जो ऊर्जा है जो तक उबालें

जो ऊर्जा है वह आपके शरीर से उत्सर्जित हो

जाती है दिखाई नहीं देंगे आपको पर आपके

शरीर से बाहर हो जाती है आपके चारों ओर एक

आवरण बनाती है कामवासना का आपने सुना होगा

कि स्त्रियां होती हैं उनकी छठी इंद्रिय

मिक्स है सुकर बहुत ज्यादा तीव्र होता है

तो अगर कोई भी पुरुष उनके आसपास में आता

है जिसके मन में काम भाव चल रहे हो जिसके

मन में गलत विचार चल रहे हो तो वह आप जाती

है यह कै से भाग जाती है वह इसीलिए वह जाती

है क्योंकि उसके शरीर से कामवासना का

उत्सर्जन होता है पुरूष के शरीर से तो

उसका तपोबल भी कम होता है ऐसे जो पुरुष

होते हैं उनका चेहरा जो होता है वह भी


आकर्षक नहीं होता उनका जो चेहरा होता है

वह उदय सिंह सा लगता है कोई जाति नहीं

होती चेहरे पर ऐसे लोगों का आकर्षण शक्ति

बिल्कु ल खत्म होती है सम्मोहन चकली

बिल्कु ल ऐसे लोगों में नहीं होती है जिनकी

दृष्टि में 20 इसीलिए अपनी दृष्टि को साफ

रखना है उसी से आपका ब्रह्मचर्य का पालन

होगा दृष्टि ही एक मात्र साधन है कारण है

जिससे आपके अन्य इंद्रियां यंत्र

कि आएगी इस बात का ध्यान रखना दृष्टि को

नियंत्रण करना बहुत जरूरी है तीन चार दिन

अगर आप अभ्यास करेंगे स्त्रियों के तरफ से

अपना मन हटाएंगे तो आपको कभी भी नहीं का

मान जाएगी तथा गांव से आया शहर में घूमने

के लिए पांच रुपए लेकर आया खेती में काम

करता था वह मजदूरी करता था फसल बोई फसल

हुई तो उसने खट्टा उसको भी मजबूरी थी

छह-सात महीने की 5,000 को मिल गई गांव में

ज्यादा मजदूरी आज भी नहीं है 5,000 उसको

मिल गए उसने अपना मित्र के पास के पास

मिलने के लिए शहर आ गया शहर में पांच या

लेकर आया बताया कि मैं पास है लेकर आया

हूं मैं जूते लूंगा नए कपड़े लूंगा और

वापिस चला जाऊं गा दो दिन के बाद वह आया

₹5000 लेकर शहर में घूमता शहर में जब

उसमें घूमा तो देखा कि इतनी सुंदर सुंदर

स्त्रियां शहर में रहती है इतनी सुंदर

सुंदर स्त्रियां दुकानों पर झाड़ू पोछा

लगाने वाली लड़कियां भी इतनी सुंदर है जो

हमारे गांव की अच्छे-अच्छे ही झूम खेती


किसानी वाले धनवान व्यक्ति की लड़की से

सुंदर लड़कियां पोछा लगाती है अरे वाह

इतनी सुंदर स्त्रियां होती इस दुनिया में

वह व्यक्ति लौटकर गांव गया ही नहीं वहीं

पर उसने किराए से कि

कै मरा ले लिया मित्रों से बोलकर की कमरा

दिला दो में ही काम करूं गा यह रहूंगा गांव

में मजदूरी करता हूं मुझे तालाब नहीं होता

वह वहीं बस गया शहर में उस चकाचौंध को

लेकर उदास गया 19 स्त्रियों को देखकर बस

गया लेकिन उसके बाद भी उनको उसको वह इसलिए

मिली नहीं क्योंकि वह सिर्फ तय देखने वाली

बात होगी कि अपने अमृत काम वासना एक

आकर्षण पैदा करने वाली चीज होती है कि

इसका मतलब यह नहीं है कि आपको मिल जाएगी

वह लड़का जो था 3 साल चार साल शहर में रहा

उसको कभी वैसी स्त्रियां जो है कभी उसको

नहीं मिली और जब उसके अंत में शादी हुई तो

गांव की उनकी समाधि की जो एक साधारण सी

लड़की थी उसी से उसकी शादी हुई और उसको तब

बहुत अफ़सोस हुआ कि मैं अपना गांव का काम

छोड़ कर आ गया यहां शहर में खर्चे थे कि

कु छ नहीं जुड़ा और आखिरकार फिर अपनी पत्नी

को लेकर वापस गांव में जाकर रहने लगा जहां

उसके खर्चे कम थे शहर के खर्चे वह नहीं

उठा पाया तो क्या होता है आकर्षण होता है

सिर्फ वह चीज मिलती नहीं है स्त्रियों को

देखने ऐप अभी कु छ लोगों की देखें वीडियो

देखें कु छ लोग यह सवाल किए सवाल की ओर


भोपाल से संबंधित वीडियो भेजो कु छ

संत-महात्माओं के लंबी लंबी दाढ़ी बिल्कु ल

सफे द लंबी लंबी दाढ़ी तिलक लगाया हुआ बहुत

अच्छी जानकारी देने का उसमें लिखा हुआ था

है टाइटल में की बहुत अच्छी है इस विषय

में ज्ञान वह देंगे लेकिन जब उन्होंने

बोलना शुरू किया तो उनके 20 मिनट का

वीडियो देखा हमने तो 20 मिनट के वीडियो

में कम से कम 10 बार वह स्त्रियों के भूल

का उदाहरण बार-बार देते बार-बार इसके लिए

को बीच में ले जाते बार-बार इस फिल्म की

बात करते हैं तो हमें यह देखकर समझ में

आया कि इस व्यक्ति के भले ही यह संतोष

कु शवाहा समाज में जुड़ा हुआ है भले ही

प्रवचन देता पर इसके मन में इस्त्री के

प्रतीक कामवासना ही बसी हुई है नाम नहीं

ले सकते हैं लेकिन हमें देखा उनके कई

वीडियो देख कर हर वीडियो में हर 5 मिनट

में किसने किसी स्त्री का उदाहरण देना

उनका नाम लेना अलग-अलग स्त्रियों के नाम

लेना उन्हें का उदाहरण देना उन्हीं के साथ

सजा के विषय में बात करना कि स्त्री ऐसे

सजती है एक जाती है तो समझ में आ रहा था

कि उनके अन

का काम वासना भरी पूर्ति है यह बात तो

करते हैं ज्ञान की लेकिन के अंदर काम

वासना भरी पड़ती है तो यह ऐसा नहीं है कि

सभी ऐसे है पर कु छ लोग ऐसे हैं जिनको यह

बात समझ में नहीं आती है कि अगर आपको अपने

अंदर कामवासना का नियंत्रण करना है अपने


ब्रह्मचर्य का नियंत्रण करना है तो वह

शरीर के निचले अंगों से नहीं होता है वह

आपकी दृष्टि से नियंत्रण होता आप अपनी

दृष्टि सुधारनी पड़ेगी वह इस बात को समझना

पड़ेगा बैठ कर सोचना पड़ेगा कि क्या किसी

खूबसूरत स्त्री को देखने से मेरा कु छ भला

है या कोई भला होगा मैं देख लूंगा 10 मिनट

तो क्या मेरे को इस्त्री मिल जाएगी क्या

उसमें कु छ भला होगा यह मेरा नुकसान हो तो

आपका प्रेम का यह निष्कर्ष निकलेगा कि हां

इससे मेरा स्वयं का नुकसान होगा मेरे खुद

का ब्रह्मचर्य व्रत जो बार-बार टू टेगा

क्योंकि मेरे अंदर से यौन ऊर्जा जो है वह

निष्कासित हो जाएगी उससे मेरा ही ब्रह्म

है टू टेगा मेरे नुकसान होगा किसी भी

स्त्री को देखने तो आपको कभी नहीं मिलेगी

ना अभी न भविष्य में सिर्फ और सिर्फ आपका

काम वासना बढ़ेगी आपका जो शरीर है वह

दुर्बल होता जाएगा जितना ज्यादा

और दूसरी स्त्रियों को घूरते हैं एक बात

ध्यान रखना जो पुरुष होते हैं जो जितना

ज्यादा दूसरी स्त्रियों को घूरते हैं उतने

ही ज्यादा उनको शरीर कमजोर होता है उतना

ही ज्यादा उनके शरीर में यौन शक्ति कम

होती है क्योंकि बार-बार उनका योन शक्ति

जो यौन ऊर्जा जो उत्सर्जित होती रहती है

भले शरीर से बाहर कु छ ना आपके बनी प्रतिमा

आपको दिखाई न दे के पसीने के मार्ग से वह

निकल पर पूरे शरीर से आपकी और है जो ऊर्जा


होती है वह बाहर होती है आपके सर के बालों

से आपके पसीने के साथ आपकी सांसों के

साथ-साथ वह चीज बाहर होती आपको दिखती नहीं

है पर आपके उर्जा कम होती जाती है तो इससे

सिर्फ और सिर्फ आपका नुकसान होता है तो

ध्यान रखना कि ज्ञानेंद्रियां थी हमारी

आंखें नाग हमारी जेब या कान इनका उपयोग

सात्विक चीज इस शब्दों को याद कर लीजिए

सात्विक चीजों के लिए करना चाहिए इसलिए

ज्ञान इंद्रियां हैं कि इनका उपयोग सिर्फ

और सिर्फ ज्ञान अर्जन करने के लिए करें

ज्ञान के साथ उपयोग करें सोच-विचार के

करें गलत चीज मनी करें ध्यान रखना अब बात

आती कर्मेंद्रियों की तो आपके हाथ पैर

इससे आप कर्म

कि सिर्फ और सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरी

करने के लिए और वह इच्छा क्या होती है घर

गाड़ी बंगला मकान इस्त्री खूबसूरत स्त्री

घर में हो सारी संपत्ति और सब कु छ हो यह

सारी चीजें कहां से आती हैं यह आपके अंदर

पैदा होती हैं आपकी दृष्टि के द्वारा आपकी

ज्ञानेंद्रिय आपकी आंख आपकी आंखें आपके

दुश्मन होती है जो आपके अंदर यह सब चीजें

लेकर आती है अगर आप अपनी दृष्टि को शुद्ध

नहीं रखते तो अपनी दृष्टि को शुद्ध रखना

सबसे आवश्यक काम है दृष्टि को सुधारना

बहुत जरूरी है अगर दृष्टि पर नियंत्रण हो

गया तो समझ लीजिए कि आपकी बाकी की जो नॉर

एनी हैं वह आपके वश में हो जाएगी आप

बोलेंगे कि मुझे उपवास रखना 15 दिन का 15


दिन उपवास रख सकते हैं वह आपको नहीं

सताएगी आप सोचेंगे कि कोई मुझे गाली देगा

मैं इसको पलट की गाली नहीं दूंगा मुझे

अपनी जेब अपनी वाणिज्य खराब नहीं करनी आप

नहीं देंगे वहां पर नियंत्रण में हो जाएगा

आप कहेंगे कि मुझे कोई भी गलत चीज को नहीं

सोंग बना है ऐसी जगह पर नहीं जाना है जहां

पर कोई भी गलत चीज आए भगवान आपकी सहायता

करेगा आपके इस जगह पर जाएं

है यानी अगर आपने अपनी दृष्टि को नियंत्रण

में कर लिया तो बाकी जो नो इंद्रियां हैं

विचार ज्ञानेंद्रियां बच्ची और पांच आपकी

कर्मेंद्रियां बच्ची यह सब आपके वश में हो

जाएगी इस बात का ध्यान देना आपके दृष्टि

बहुत महत्वपूर्ण कें द्र है इस शरीर में

वही सबसे पहले आपको नियंत्रण में करना

आवश्यक है जो पूछते हैं साधक कि

ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कै से करें व्रत

विचार आते हैं गलत विचार तभी आते हैं जब

दृष्टि के सामने गलत चीज जाती हैं दृष्टि

के सामने कभी भी किसी भी स्त्री को गलत मन

से दलित भाइयों से नागपुर है ध्यान रखना

कि गलत भावना ज्योति वह परिवार की

स्त्रियों को लेकर नहीं आती है तो नहीं

देखने का मतलब यह नहीं है कि माता बहनों

को भी अपना देखें देखें जो पराई स्त्री या

होती है सड़क पर चलते हुए आप देख रहे हैं

किसी ऑफिस में जाकर मिलना हुआ यह टकराना

हुआ या फिर मोबाइल में वीडियो देखते हैं


मत देखिए अगर आप साधक हैं तो मत देखिए अगर

आप अपने आप को नियंत्रण में रखना चाहते तो

मत देखिए क्योंकि वह देखने से आपको कभी फल

नहीं मिलने वाला उसका कभी कोई लाभ नहीं

मिलने वाला सिवाय आपकी दृष्टि के दोष के

हेलो दोस्तों उत्पन्न होगा उसे कभी कोई

लाभ नहीं होगा को इस बात का ध्यान रखना

हैं तो यह थी जानकारी आज के वीडियो के

द्वारा आपके शरीर की इंद्रियों के ऊपर कि

कौन सी एनी सबसे महत्वपूर्ण है और कौन सी

अधिक नियंत्रण में करना चाहिए आशा है कि

आपको जानकारी अच्छी लगी होगी और आप इस

वीडियो को शेयर भी करें अपने अन्य हिंदू

भाइयों में जिससे कि उन्हें भी हिंदू धर्म

की जानकारी मिले और सब्सक्राइब करने के

लिए का यह से हमें यह पता चलता रहा है

चलते रहे कि हां आप लोग इस अ जो वीडियो

में दे रहे हैं कि जो उद्देश्य है कि

लोगों तक जानकारी पहुंचे वह पूरा हो रहा

है अभी तक के लिए उतने ही जय श्री कृ ष्णा

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