मुगलकाल मे समाज में स्त्रियों की दशा।

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मग

ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

प्रस्तावना

मग ु लकालीन समाज में स्त्रियों की स्थिति सम्मानपर्ण


ू नहीं
था। उन्हें केवल भोग - विलास एवं मनोरं जन का साधन
समझा जाता था , मस् ु लमान एवं हिन्द ु जाति के स्त्रियों
में अनेक प्रकार की कुप्रथा प्रचलित थी। इन बरु ी प्रथाओं
के कारण स्त्रियों का जीवन जानवरों से भी बत्तर था।
केवल उच्च वर्ग से संबंधित स्त्रियों को कुछ अधिकार
प्राप्त थे। लेकिन निम्न वर्ग की स्त्रियों की दशा
अत्यधिक दयनीय थी।

शाही वर्ग की महिलाओं की स्थिति

मगु लकालीन भारतीय समाज की उच्च वर्ग से संबधि ं त स्त्रियों


का समाज में सम्मान था। उनकी उचित शिक्षा की ओर विशेष
ध्यान दिया जाता था। मग ु ल बादशाह अपनी बेगमों का पर्ण ू
ध्यान रखते थे। उन्हें कुछ विशेष अधिकार भी दिए गए थे।
मग ु लकाल की राजनीति में , बाबर की मां , बहन , जहाँगीर की
पत्नी , शाहजहां की पत्नी , औरं गजैब की बहन आदि ने महत्वपर्ण ू
भमि ू का निभाई। उनके पास बड़ी - 2 जागीरें होती थी। उन्हें विशेष
अनद ु ान भी प्राप्त होते थे। इन स्त्रियों ने शिक्षा , व्यापार ,
चित्रकला , संगीत कला , नत्ृ य कला को प्रोत्साहन दे ने में
उल्लेखनीय योगदान दिया। इस वर्ग की स्त्रियां हृदय से उद्वार
एवं दयाल होती थी। वे महलो की सजावट की और भी विशेष
दिलचस्पी लेती थी। उनका जीवन स्तर बहुत अच्छा था। उनके
रहन - सहन , वस्त्र , आभषू ण उच्च कोटि के थे। इसलिए वे आराम
का जीवन व्यतीत करती थी।

1
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

बाबर के काल में महिलाओ की स्तिथि

मग
ु ल काल में सल्तनत काल की अपेक्षा स्त्रियों की स्तिथि अपेक्षाकृत अधिक
सन्तलि
ु त थी । बाबर ने तैमरू और चंगेज खाँ की परम्पराओं का अनस
ु रण
किया और अपनी स्त्रियों को राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए
प्रोत्साहित किया। परन्तु बाबर ने संप्रभत
ु ा का अधिकार उन्हें नहीं दिया।

जिस समय बाबर के पिता उमर शेख मिर्जा की मत्ृ यु हुई (1494) उसकी उम्र
11 वर्ष की थी । अपनी दादी एहसान दौलत बेगम के निर्देश से बाबर ने
प्रशासन का कार्य चलाया और अपनी स्थिति सदृ
ु ढ़ की।

बाबर की माँ कुतलकु निगार खानम सदै व यद्


ु धों में बाबर के साथ रही । बाबर
की पत्नी मासमू ा बेगम ने अपने पति की कठिनाइयों में सर्वदा उसका साथ
दिया। अपनी योग्यता के कारण राज्य में उसको अधिक सम्मान प्राप्त था
और बाबर के बगल में दिल्ली के तख्त के समीप बैठती थी। बाबर की मत्ृ यु के
2.5 वर्ष बाद तक वह राजनीति में भाग लेती रही ।

बाबर की दस
ू री पत्नी बीवी मब
ु ारिका यस
ू फ
ु जई कबीले की थी। यस
ू फ
ु जाई
कबीले के लोगों और बाबर के बीच उनसे समझौता कराने में योगदान दिया।
जिसके कारण बाबर का अधिकार अफगानिस्तान पर बना रह सका।

हुमायंू के काल में महिलाओं की स्थिति

2
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

हुमायूँ के शासनकाल में खानजादा बेगम ने जो बाबर की बड़ी बहन थी दरबार


में महत्वपर्ण
ू स्थान प्राप्त किया। मासम
ू ा बेगम की मत्ृ यु के बाद उसे 'पादशाह
बेगम' की उपाधि से विभषि
ू त किया गया। उसने हुमायूँ और उसके भाइयों के
बीच समझौता कराने का प्रयास किया, परन्तु वह असफल रही। हुमायूँ के
चचेरे भाई सल् ु तान मिर्जा की पत्नी हराम बेगम प्रशासकीय योग्यता के लिये
प्रसिद्ध थी । उसे 'वली नियामत' की उपाधि मिली थी ।

1549 ई० में जब हुमायूँ काबल


ु से बल्ख पर आक्रमण करने के लिये रवाना
हुआ तब उसने हराम बेगम से सहायता माँगी जो उसे तरु न्त दी गई । 1566
में हराम बेगम ने काबल
ु की राजनीति में बड़ी रुचि दिखलाई परन्तु वह काबल

पर अधिकार न कर सकी । उसने बदखसा के प्रशासन को सम्भाला । वह
महत्वाकांक्षी महिला थी। अभिजात वर्ग के लोग और राजकीय परिवार के
सदस्य उससे भयभीत रहते थे और उसका आदर करते थे।

चन
ु ार के अफगान गवर्नर ताजखां सारं गखानी की पत्नी लाड मलका अत्यन्त
सन्
ु दर और प्रखर बद्
ु धि की महिला थी। उसकी उदारता से मैनिक अधिकारी
और अभिजात वर्ग के लोग उसका समर्थन करते थे। अन्त में ताज खाँ की
मत्ृ यु के बाद शेरशाह ने उससे विवाह कर लिया और चन
ु ार पर अधिकार कर
लिया।

अकबर के काल में महिलाओं की स्थिति

अकबर के समय में उसकी सौतेली माँ माहचच


ु क बेगम का नाम उल्लेखनीय
है । वह एक महत्वाकांक्षी महिला थी। उसका बेटा मिर्जा मोहम्मद हकीम
काबल
ु का गवर्नर नियक्
ु त किया गया (1556)। माहम चच
ु क बेगम ने काबल

3
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

के प्रशासक को प्रभावित किया । अकबर की प्रमख


ु दाई महाम अनगा भी एक
प्रभावशाली महिला थी । उसके कारण बैरम खां का जो अकबर का संरक्षक था,
उसका पतन हुआ। (1560)

वह अकबर को प्रभावित करने में सफल हो सकी। दो वर्षों तक अकबर महल


की स्त्रियों के प्रभाव में रहा, जिसका नेतत्ृ व महाम अंगा कर रही थी । सन ्
1562 में अकबर ने इन स्त्रियों के प्रभाव से अपने को मक्
ु त कर लिया जब कि
महाम अंगा के पत्र
ु अधम खां को वजीर की हत्या के अपराध पर मत्ृ यु दण्ड
दिया गया। कुछ समय के बाद पत्र
ु शोक में महाम अंगा की मत्ृ यु हो गयी ।

अकबर की एक चचेरी बहन बरन्नन्नि


ु सा बेगम थी जिसका विवाह बदखाँ के
ख्वाजा हसन से हुआ था। काबल
ु के गवर्नर मिर्जा मह
ु म्मद हाकिम के विद्रोह
करने के बाद अकबर ने उसे काबल ु का गवर्नर नियक् ु त किया (1581) ।
अकबर के शामनकाल में उसकी मां मरियम मकानी और उसकी पत्नी सलीमा
बेगम राजनीति में अधिक रुचि लेती थीं। 1599 ई० में सलीम के विद्रोह करने
पर मरियम मकानी ने अपना प्रभाव पिता_पत्र
ु पर डालकर समझौता कराया।
1601 ई० में दस
ू री बार जब सलीम ने विद्रोह किया तो सलीमा बेगम और
गल
ु बदन बेगम ने सलीम को अकबर से क्षमादान दिलाया।

जहांगीर के काल में महिलाओं की स्थिति

जहाँगीर के गद्दी पर बैठने के एक वर्ष के बाद उसके पत्र


ु खसु रो ने मिर्जा
अजीज कोका के उकसाने पर विद्रोह कर दिया। जहाँगीर ने विशिष्ट अमीरों से
मंत्रणा की और निर्णय लिया कि मिर्जा को तरु न्त मत्ृ यु दण्ड दिया जाय,
जिसका विरोध खाँनेजहाँ लोदी ने किया। ठीक उसी समय सलीमा बेगम ने

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मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

जहाँगीर को पर्दे के. अन्दर से यह कहकर बल


ु वाया कि सम्राट तरु न्त
जनानखाने में आ जावें , नहीं तो स्त्रियाँ स्वयं उनके पास आवें गी। जहाँगोर को
विवश होकर जनानखाने में जाना पड़ा और स्त्रियों के कहने पर मिर्जा अजीज
कोका को क्षमा करना पड़ा। स्त्रियों के समझाने पर जहाँगीर ने खस
ु रो को
अपने पास आने दिया ।

जहाँगीर के शासनकाल में नरू जहाँ सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में अत्यन्त
प्रभावशाली रही। उसने प्रशासन का कार्य चलाने के लिये अपना एक दल
बनाया । उसने न केवल प्रशासनिक कार्य में बल्कि सैनिक क्षेत्र में भी अद्भत

कुशलता प्रदर्शित की जब उसने अपने पति जहाँगोर को महावत खां के चंगल ु
से छुड़वाया । नरू जहाँ ने सामाजिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया। उसने
निर्धन मस
ु लमानों को सरकार की ओर से अनद
ु ान दिया जिससे वे अपनी
पत्रि
ु यों का विवाह कर सकें। उसने नये-नये डिजाइनों के वस्त्रों का उपयोग
किया और नये फैशन चलाये । जहाँगोर की मत्ृ यु के बाद शाहजहाँ के गद्दी
पर बैठने के बाद उसने राजनीति से सन्यास ले लिया ।

शाहजहाँ के काल में महिलाओं की स्थिति

शाहजहाँ के शासन काल में मम


ु ताज महल ने राजनीति में अपना प्रभाव बनाये
रखा ।उसने गज
ु रात के गवर्नर सैफ खां को शाहजहाँ के क्रोध से बचा लिया
।मनच
ु ी के अनस
ु ार मम
ु ताजमहल ने पर्त
ु गालियों के विरुद्ध सैनिक अभियान
के लिये शाहजहाँ को प्रेरित किया । 1631 में मम
ु ताजमहल की मत्ृ यु के बाद
शाहजहाँ की पत्र
ु ी जहांनारा ने राजनीति में रुचि दिखलाई और अपना प्रभाव
स्थापित किया । जिस किसी को पदोन्नति के लिये सम्राट से प्रार्थना करनी
होती थी वह जहांआरा के द्वारा अपना कार्य करवाता था।

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मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

जहाँनारा ने मग़
ु ल परिवार के दःु खी सदस्यों को सांत्वना दी। उसके हो प्रभाव
के कारण शाहजहाँ ने औरं गजेब को कई बार क्षमा किया और उसको अपने पद
पर बने रहने दिया। 1656 में गोलकुण्डा के सल्
ु तान अब्दल्ु ला कुतब
ु शाह ने
जहाँआरा को पत्र लिखा कि वह सम्राट पर अपना प्रभाव डाले और औरं गजेब के
उसके राज्य पर आक्रमण को रोकने में सहायता करे । उत्तराधिकार के संबध
ं में
विजयी होने के बाद औरं गजेब ने अपने भाइयों को मरवा डाला और शाहजहाँ
को कैद कर लिया। ऐसे समयमें जहाँनारा निरं तर शाहजहाँ की सेवा करती रही
। जहाँनारा अपने मतृ भाइयों के बच्चों की दे खभाल करनी रही। औरं गजेब ने
भी सदै व जहाँआरा का सम्मान किया।

औरं गजेब के काल में महिलाओं की स्थिति

रोशनारा बेगम शाहजहाँ की दस


ू री पत्र
ु ी थी। उसने सदै व औरं गजेब का साथ
दिया । वह अपने बड़े भाई दारा की विरोधी थी और उसने दारा को मत्ृ यु दण्ड
दे ने के लिये दबाव डाला। औरं गजेब ने उसे 1669 ई० में 'शाह बेगम' को
उपाधि दो और 5 लाख रुपया दिया । औरं गजेब की दो पत्नियों, दिलरस बानू
वेगम और उदयपरु ी महल उस पर अपने प्रभाव बनाएं रखी । सन ् 1662 में
जब औरं गजेब बीमार पड़ा, रोशआरा वेगम ने शाही मोहर अपने अधिकार में
रखा और सम्राट की बीमारी को छिपाये रखा ।

औरं गजेब की पत्रि


ु यों ने भी राजनीति में रुचि दिखलाई । जेबन्नि
ु सा बेगम ने
शाहनबाज खाँ को अपने पिता के हाथों दण्डित होने से बचा लिया। जेबन्नि
ु सा
ने अपने छोटे भाई मह
ु म्मद अकबर का साथ दिया जिससे अकबर के विद्रोह
करने पर और भागने पर उसे बन्दी बनाया गया। उसका वजीफा बन्द कर

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मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

दिया गया (1702) औरं गजेब ने अपनी दस


ू री पत्र
ु ी जीनतन्नि
ु सा बेगम को
मराठा कैदियों, शम्भज
ु ी की विधवा और शाहू की दे खभाल का कार्य सौंपा।

काबल
ु के गवर्नर अमीर खाँ की पत्नी साहिबजी प्रशासकीय मामलों में दक्ष थी
। वह राजनीति में भाग लेती थी। काबल
ु प्रान्त का वास्तविक गवर्नर उसे
समझा जाता था।

उत्तर मग
ु ल काल में महिलाओं की स्थिति

जहाँदार शाह के शासन काल में लाल कँु वर प्रशासकीय करती थी। उसके ही
कहने पर लोगों को जागीरें दो जाती थीं। मामलों में हस्तक्षेप उसके सगे
संबधि
ं यों को उसकी सिफारिश पर जागीरें दी गई। उसे शाही चिह्न प्रदान किये
गये।1712- 13 में फरुखसियर की मां ने राजनीति से फरुखसियर मग़
ु ल
सम्राट बनाया गया ।और सैयद भाइयों के समर्थन बाद में अपनी मां की
सिफारिश पर मह
ु म्मद मरु ाद कश्मीरी को विकालत खां की उपाधि और 1000
का मनसब दिया।

मह
ु म्मद शाह के समय में उसकी मां महत्वपर्ण
ू भमि
ू का अदा की । उसके
प्रयासों के उसके शासन काल में कोकी ज्यू ने राजनीति में मां नवाब कुरे सिया
को अपने ज्योतिष के ज्ञान से नवाब कुरे सिया बेगम ने राजनीति में कारण
सैयद भाइयों का पतन हुआ । सक्रिय भाग लिया। उसने सम्राट की प्रभावित
किया ।मह
ु म्मद शाह के सम्राट बनने के बाद कोकी ज्यू को शाही मोहर रखने
के लिये दिया ।बहुत से अमीरों ने ऊँची जागीरों के लिये उसके माध्यम से
सम्राट से संपर्क स्थापित किया और उन्हें सफलता मिली । इस प्रकार कोकी
ज्यू ने 'पेशकश' के रूप में बहुत-सा धन संग्रहीत किया ।

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मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

मग
ु ल काल में राजकीय परिवार की स्त्रियों को विविध उपाधियों से सम्मानित
किया जाता था, जैसे 'मरियम मकानी', 'मरियमस
ु जनानी', बिलकिस
मकानी, सबसे महत्वपर्ण
ू उपाधि 'नरू महल' और 'नरू जहाँ' जहाँगीर ने
मेहरुन्निसा को दी। उसे 'शाह- वेगम' भी कहा जाता था । शाहजहाँ ने अपनी
पत्नी अर्जुमन्दबानू बेगम को 'मम
ु ताज महल' की उपाधि दी और उसकी
स्मति
ृ में ताजमहल बनवाया ।

जहाँनारा को 'साहिबातु जजमानी' पादशाह बेगम की उपाधियां दी गई ।


औरं गजेब की पत्र
ु ी जीनतन्नि
ु सा बेगम को 'पादशाह बेगम' की उपाधि मिली ।

औरं गजेब ने अपनी पत्नियों को उन स्थानों के नाम की उपाधियाँ दीं जहाँ से वे


आई थीं, जैसे-'औरं गबादी महल' 'उदयपरु ी महल' जहाँदार शाह की प्रिय
बेगम लाल कँु अर को 'इमतियाज महल' की उपाधि मिली। इसी प्रकार
महु म्मद शाह की मां को 'हसरत बेगम' और 'मलिकाये जमानी' की उपाधियाँ
दी गईं ।इन स्त्रियों को व्यक्तिगत जागीरें और नकद धन शाही खजाने से
दिया जाता था । 2 करोड़ रु० वार्षिक अनद
ु ान लाल कँु अरी को जहाँदार शाह ने
दिया ।

ऐसा समझा जाता है कि राजकीय परिवार की कुछ महिलाओं ने निजी व्यापार


की रुचि दिखलाई और माल भेजने के लिए अपने-अपने अलग जहाजों की
व्यवस्था की जहाँगीर की मां का जहाज 1200 टन माल ले जाने की क्षमता
रखता था ।इसी प्रकार नरू जहाँ के पास कई जहाज थे। वह विदे शी व्यापार में
दिलचस्पी रखती थी । नरू जहाँ का मख्
ु य प्रतिनिधि उसका भाई आसफ खाँ
था। जहाँनारा भी अपना निजी व्यापार करती थी और उसके कई जहाज थे।

8
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

उसने अंग्रेज और हालैंड के व्यापारियों से सम्पर्क स्थापित किया और व्यापार


में अधिक लाभ प्राप्त किया ।

मग
ु ल सम्राटों ने अपने हरम के जनानखाने को सव्ु यवस्थित किया। स्त्रियों को
सरु क्षा के लिये अंगरक्षक (अहदीज) महल के चारों तरफ रखे जाते थे । महल
में नाजिर होता था जिसकी दे ख-रे ख में अंगरक्षक कार्य करते थे। इसके
अतिरिक्त मग
ु ल सम्राट महल के अन्दर, स्त्रियों की नियक्ति
ु करता था
जिनका कार्य हरम के विषय में प्रतिदिन विस्तत
ृ जानकारी सम्राट को दे ना था
। हरम में स्त्रियों को पर्दे में रखा जाता था। कोई बाहरी व्यक्ति अन्दर नहीं जा
सकता था ।

अभिजात वर्ग की स्त्रियाँ बड़े ही शान शौकत से रहनी थीं। टे र्वानयर ने लिखा है
कि जफराँ की स्त्री बहुत उदारता से खर्च करती थी। उसने एक दावत में सम्राट
अकबर को भी आमंत्रित किया था ।

स्त्री शिक्षा: सल्तनत काल में स्त्री शिक्षा की विस्तत


ृ जानकारी नहीं मिलती।
ऐसा अनम
ु ान है कि सल्
ु तानों और अभिजात वर्ग के लोगों ने अपने परिवार की
लड़कियों को शिक्षा दे ने के लिये अलग से प्रबंध किया। इल्तत
ु मिश की पत्र
ु ो
रजिया अरबी और फारसी भाषाओं में पारं गत थी। उसे कुरान जवानो याद था।
यही नहीं, रजिया को • सैनिक शिक्षा भी दी गई थी। वह घड़ ु सवारी और
तलवार चलाने में प्रवीण थी । इससे पता चलता है कि सल्
ु तानों और अमीरों ने
अपने परिवार की स्त्रियों को शिक्षित करने की व्यापक व्यवस्था की होगी।
इल्तत
ु मिश की पत्नी शाहनर्क
ु न और जलालद्
ु दीन खिलजी को पत्नी,

9
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

मल्केजहाँ राज्य प्रशासन कार्य में दक्ष थीं। इससे अनम


ु ान लगाया जा सकता
है कि स्त्री शिक्षा की व्यवस्था सच
ु ारु रूप से की गई होगी ।

अकबर ने अपने महल की स्त्रियों को नियमित रूप से शिक्षित करने के लिये


व्यवस्था की थी। मांसरे ट ने अकबर को इस व्यवस्था का विस्तत
ृ विवरण
दिया है ।अकबर ने फतेहपरु सीकरी में लड़कियों के लिये एक स्कूल खोला।
मगु ल सम्राटों ने अपनी पत्रि
ु यों को फारसो पढ़ाने के लिये शिक्षित महिलाओं
की नियक्ति
ु की। शाहजहाँ और औरं गजेब ने अपनी पत्रि
ु यों के पढ़ाने के लिये
शिक्षित महिलाओं को रखा। पाठ्यक्रम में फारसी, अरबी, इतिहास आदि
विषयों की शिक्षा सम्मिलित थी।कुछ स्त्रियों ने कुरान का गहन अध्ययन
किया ।

मग
ु ल हरम में बाबर की पत्र
ु ी गल
ु बदन बेगम सबसे शिक्षित महिला थी। वह
फारसी और तर्की
ु भाषायें अच्छी तरह जानती थी। वह कवितायें भी करती थी।
उसकी बहुमल्
ू य कृति 'हुमायन
ूँ ामा' है । बाबर की दस
ू री पत्र
ु ी गल
ु रुख बेगम एक
कवयित्री थी। अकबर की पत्नी सलीमा सल् ु तान बेगम फारसी भाषा की
जानकार थी और कवितायें भी लिखती थी, उनका अपना एक ग्रन्थालय था ।

अब्दरु रहीम खानखाना की पत्र


ु ी जान बेगम ने कुरान पर एक टिप्पणी लिखी
और अकबर ने उसे 50,000 दीनार इनाम के रूप में दिये। नरू जहाँ फारसी
और अरबी में पारं गत थी, वह कवितायें करती थी। उसके ग्रन्थालय में
बहुमल्
ू य पस्
ु तकें थीं । मम
ु ताज महल फारसी में कवितायें लिखती थी। एक
संस्कृत के विद्वान वंशीधर मिश्र को मम
ु ताज महल ने संरक्षण प्रदान किया
था। नाजिर सतीउन्निसा फारसी की विद्वान थी। उसकी विद्वत्ता के कारण
उसे जहाँनारा बेगम की अध्यापिका नियक्
ु त किया गया। दारा की तरह

10
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

जहाँनारा ने भी अध्यात्मवाद पर रिसाले लिखे ।जहाँनारा ने फारसी में


कवितायें भी रचीं। उसने मइ
ु नद्
ु दीन चिश्ती और उसके उत्तराधिकारियों की
जीवनी लिखी ।

औरं गजेब ने अपनो पत्र


ु ी जेबन्नि
ु सा बेगम के पढ़ाने के लिये एक सशि
ु क्षित
फारसी महिला हफीजा मरियम और मल्
ु ला सइद अशरफी मजन्द्रानी की
नियक्ति
ु की जो एक फारसी का प्रमख
ु कवि था । जेबन्नि
ु सा को कुरान जबानी
याद था जिसके लिये औरं गजेब ने 30,000 सोने की मोहरें इनाम में दीं ।

उसने गणित और नक्षत्रशास्त्र का गहन अध्ययन किया। वह लेखनकला में भी


प्रवीण थी और शिकस्त, 'नस्तलीक’और 'नस्ख' शैलियों में लिख सकती थी।
उसने एक अनव ु ाद विभाग खोला और बहुत-सी सर्वोत्तम साहित्यिक पस्
ु तकों
का अनवु ाद कराया ।

कुछ मग़ु ल स्त्रियों ने शिक्षा के प्रसार के लिये स्कूल खोले । हुमायूँ को पत्नी
बेगा बेगम ने अपने पति के मकबरे के समीप स्कूल खोला । अकबर को दाई
महाम अंगा ने दिल्ली की खैरुलमंजिल मसजिद में एक स्कूल खल ु वाया।
जहाँनारा वेगन ने आगरे की जामा मसजिद में एक मदरसा खल
ु वाया। प्रान्तों
में भी बहुत सी शिक्षित मस्लि
ु म महिलाओं ने शिक्षा के प्रसार के लिये संस्थायें
खोलीं । जौनपरु के शर्की सल्ु तान महमदू शाह की पत्नी बीवी राजी ने एक
कालेज खल
ु वाया और विद्या- थियों और अध्यापकों के पठन पाठन के लिये
वजीफे दिये ।

कई मग़
ु ल स्त्रियों ने ललित कलाओं में रुचि दिखलाई और उनके विकास में
योगदान दिया। नरू जहाँ की रुचि चित्रकला में थी । सजावट की कला में

11
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

नरू जहाँ प्रवीण थो। उसने नये-नये डिजाइन वस्त्रों और गलीचों पर निकाले ।
बाबर की पत्र
ु ी गल
ु बदन बेगम और महीम बेगम भी सजावट की कला में दक्ष
थो । इन लोगों ने महलों और बागों को सन्
ु दर ढं ग से सजाया ।

अनेकानेक महिलायें नत्ृ य और संगीत में रुचि लेती थीं। कुछ स्त्रियाँ नाचने
गाने का पेशा भी अपनाती थीं अकबर इनको 'किञ्चनी' कहता था ।बनियर ने
उन्हें नर्तकी लिखा है । ऐसी स्त्रियाँ उत्सवों में नाचती थीं । कभी-कभी स्त्रियाँ
अखाड़े में भाग लेती थीं, जहाँ अभिजात वर्ग की नौकरानियों को गाना और
नाचना सिखाया जाता था। ऐसे अखाड़ों में विविध संगीत के वाद्य यंत्र उपयोग
में लाये जाते थे।

औरं गजेब ने दरबार में होने वाले संगीत के कार्यक्रमों पर प्रतिबन्ध लगा दिया
था फिर भी अपने परिवार की स्त्रियों के मनोरं जन के लिये उसने संगीत की
अनम
ु ति दी थो ।कभी-कभी राजकीय परिवारों की स्त्रियाँ स्वयं गाना गाती थीं
। नरू जहाँ और जेबन्नि
ु सा उच्चकोटि की गायिका थीं और समय-समय पर
कवितायें लिखती थीं ।अबल
ु फजल ने लिखा है कि विवाह और जन्मोत्सव के
समय कुछ स्त्रियाँ सोहल और ध्रप ु द को ताल बजाकर गाती थीं। ये स्त्रियाँ
प्रायः मालवा और गजु रात की होती थीं ।
मग
ु ल काल में प्रचलित प्रथाए

पर्दा प्रथा: भारत में प्राचीन समय में पर्दा-प्रथा का प्रचलन नहीं था।
लेकिन जब मध्‍यकाल में मस्लि
ु म आक्रमणकारी द्वारा भारत में सत्ता
प्राप्‍त की गई। तभी इस प्रथा का प्रचलन प्रांरभ हुआ था। इसी प्रकार
स्‍वाभाविक है कि मग ु लकाल में भी पर्दा-प्रथा का प्रचलन था।

12
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

मस्लि
ु म स्त्रियां बर्के
ु का प्रयोग करती थी। विशेष अवसरों पर ही
स्त्रियां घर से बाहर निकलती थी। मस्लि
ु म शासक वर्ग ने भी पर्दा
प्रथा का अनस
ु रण किया था लेकिन नरू जहां को उक्‍त का अपवाद कहा
जा सकता है । हिन्‍द ू भी इस प्रथा से प्रभावित हुए। जायसी तथा
विद्यापति ने उत्तर प्रदे श एंव बंगाल में हिन्‍द ू घरों में पर्दे के प्रचलन
की बात कही है । धीरे -धीरे राजपत ू ों में भी इस प्र‍
था का प्रसार हुआ।
कुलीन घराने की स्त्रियां घर से बाहर घंघ ू ट निकाल कर निकलती थीं।
निम्‍
न हिन्‍द ू वर्ग की स्त्रियां पर्दा नहीं करती थीं। दक्षिण भारत में पर्दा
प्रथा नहीं थी।

बहु-विवाह: कुरान मस्लि


ु म वर्ग के लोगों को चार पत्नियां रखने की
छूट दे ती है । किसी सीमा तक उच्‍च घरों में इस नियम को अपनाया
भी गया था, परन्‍तु निम्‍
न वर्ग के मस
ु लमानों में बहु-विवाह का
प्रचलन नहीं था। सर्वसाधारण एक पत्‍
नी व्रत का पालन करता था,
जिसका प्रमखु कारण आर्थिक असमर्थता थी। अकबर बहु-विवाह के
दोषों को पहचानाता था, इस पर उसने यह आज्ञा दे दी थीं कि यदि
प्रथम पत्‍
नी बांझ है तो परु
ु ष विवाह कर सकता है । इस कथन की
पष्टि
ु बदायंन
ू ी के कथन से भी होती है । परन्‍
तु व्‍
यवहार में क्‍या होता
था यह कहना कठिन है क्‍योकि अकबर की स्‍वंय 5,000 स्त्रियां थी।

विधवाओ की स्तिथि : समाज के पति का मत्ृ यु निःसंदेह उसकी


पत्नी के लिए सबसे बड़ा पीड़ादायक एवं शोक की घड़ी हुआ करता

13
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

था। हिन्द ू औरते या तो सन्यासी जीवन व्यतीत करती या फिर सती।


मस्लि
ु म महिलाओं को धार्मिक आधार पर दस
ू री शादी का अनम
ु ति
था और निम्न वर्ग के लोग जैसे- ग्वाला, घोबी, माली, मछुआरे इस
प्रथा को मानते थे। ३३ लेकिन अल्तेकर का मानना है कि हिन्दओ
ु ं में
तलाक की गज
ु ाईश ही नहीं थी चाहे पति चरित्रहीन हो या क्रूर।

मग
ु लकाल में मग
ु लों ने विधवा विवाह में प्रोत्साहित किया हॉलाकि
अकबर ने हिन्द ू रीति रिवाज के विरूद्ध जाकर इस प्रथा पर बल दे ते
हुए कानन
ु स्थापित किया। 35 औरं गजेब ने दारा शिकोह के
मरनोपरान्त उसकी बीबी राना-ए-दिल से शादी की इच्छा जताई पर
सफल नहीं हुआ। उसके बाद राना-ए-दिल को परू ी जिन्दगी एक
प्रतिष्ठा एवं सम्मान के साथ दे खा जाने लगा जिसकी वह हकदार थी।

मीना बाजार (Fancy Market): मग


ु ल बादशाहों ने हरम में रह रहे
शाही महिलाओं के मनोरं जन और आनन्द के लिए अपनी रूची
अनस
ु ार मेले, बाजार एवं उत्सव का आयोजन किया करते थे। उनके
मन बहलाव के लिए सप्ताह में किसी एक दिन को 'खश
ु रोज' मेला
का आयोजन महल के प्रांगन में होता था। इस 'खश
ु रोज' मेला के
संचालन का भार सिर्फ औरतों के जिम्मे होता था। बादशाह और ऊँचे
मनसब के दरबारी ही इस मेले में आकर आनन्द ले सकते थे। यह
सार्वजनिक बाजार नहीं होता।

14
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

मीना बाजार मल
ू रूप से शाही महिलाएँ, शाहजादियाँ और रईस
दरवारियों के लिए आयोजित होता था। इसमें व्यापारियोंआ की भी
पत्नियाँ एवं बेटियों द्वारा अलग-अलग वस्तओ
ु ं के अलग-अलग
दक
ु ान लगाया जाता था। कपड़े, जेबरात, हस्तशिल्प, फल-फूल एवं
खाने-पीने का सामान मख्
ु य रूप से होता। इसलिए सोनार, बनिया एवं
वस्त्र व्यापारियों की पत्नियाँ इसका संचालन करती।

यह फैन्सी मीना बाजार जोधाबाई महल से लेकर मीना मस्जिद


फतेहपरु तक फैला होता। सभी शाही महिलाएँ एवं राजपत
ू घराने की
महिलाएँ भी इस बाजार से लफ्
ु त उठाती और अपना मन बहलाती।
बाजार का प्रारं भ सबसे पहले भारत में हुमायूँ ने किया। जहाँगीर ने तो
इस बाजार में रौशनी का प्रबन्ध कराने का आदे श दिया। बादशाह यहाँ
नत्ृ य एवं संगीत का भी आनन्द लेते थे। नत्ृ की को कंचनी कहा जाता
था। शाहजहाँ ने इसे और भी शानदार बना दिया। अकबर काल में यह
आये दिनों आयोजन होता था, जिसमें खान-पान, मनोरं जन,
गीत-संगीत के साथ नत्ृ य की भी आनन्द लिया जाता था।

शैतानपरू ा : मग
ु ल बादशाहों ने विशेष रूप से अकबर और औरं गजैब
की वैश्याओं के विरूद्ध कड़ा कदम उठाया। शहर के बाहरी छोर पर
अकबर ने वैश्याओं के लिए क्षेत्र अंकित किया जिसे "शैतानपरू ा" कहा
जाता था ताकि बाकी शहरी वैश्यालयों और नग्नता से दरू रहे । इसका

15
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

संचालन के लिए रक्षक एवं सचिव की नियक्ति


ु होती थी। वैश्याओं के
हरकत पर कड़ा नजर रखता था। आदे श पालन न करने पर कड़ा सजा
भी दी जाती थी।

मग
ु ल काल की प्रमख
ु महिलाएं

गल
ु बदन बेगम :गल
ु बदन बेगम मग
ु ल काल में एक महत्वपर्ण
ू स्थान
रखती है । यह बाबर की पत्र
ु ी और हुमांयू की बहन थी। कहा जाता है
कि माहम बेगम ने हिन्दाल और गुलबदन बेगम को गोद लिया था।
गुलबदन बेगम की प्रारम्भिक शिक्षा महाम बेगम की दे खरे ख में शरू

हुयी। गुलबदन की शादी ख्वाजा खान से कर की गयी। हुमांयू अपनी
बहन से बहुत प्यार करता था। गल ु बदन शिक्षित होने के कारण
अपना अधिकतर समय ज्ञान अर्जित करने में लगाती थी। यह फ़ारसी
और तर्की
ु भाषा की अच्छी जानकर थी। उसके अंदर हमेशा कुछ न
कुछ सीखने की लालसा रहती थी । अकबर उसका बहुत आदर करता
था तथा उसका तम्बू हमेशा अपने शाही तम्बू के पास ही लगवाता था
जिसके कारण गल
ु बदनम राजनितिक और प्रशासनिक ज्ञान प्राप्त
कर पाती । गल
ु बदन कई भाषाओ की जानकार थी। कहा जाता है कि
वह अपना खाली समय कविताये लिख कर बिताती थी।

गुलबदन बेगम ने अकबर के कहने पर हुमांयन ु ामा लिखा था। इस


ग्रंथ से हुमायु के शासनकाल की सामाजिक राजनितिक आदि स्थिति

16
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

का पता चलता है । हुमांयन


ु ामा की रचना ने गल
ु बदन को इतिहास में
एक महत्वपर्ण
ू स्थान प्रदान किया है । इस ग्रंथ में गुलबदन ने
साधारण भाषा का प्रयोग किया है । यह शोध करने वाले विधार्थियो के
लिए एक महत्वपर्ण
ू सामग्री है । गुलबदन बेगम ने अपनी पस्
ु तक में
बेगमो आदि को क्या क्या मिला जब बाबर ने उनके लिए उपहार भेजे
थे, उसका परू ा विवरण दिया है । ८० वर्ष की आयु में गुलबदन बेगम
का दे हांत हो गया ।

हमीदा बानो बेगम : हमीदा बानो बेगम हुमायु के भाई हिन्दाल के


गरु
ु मीर बाबा दोस्त की पत्र
ु ी थी। यह संद
ु र एवं उच्च शिक्षित महिला
थी। कहा जाता है की यह बातचीत करने की कला में माहिर थी।
अकबर का जन्म हमीदा के गर्भ से ही हुआ। गुलबदन बेगम के
अनस
ु ार जैसे ही बादशाह हुमायु की नजर हमीदा पर पड़ी हुमांयू बेचन

हो गया और पछ
ू बैठा कि ये कौन है तो जैसा एक शिक्षित व
संस्कारित को बादशाह की उपस्थिति में व्यवहार करना चाहिए
बिलकुल वैसा ही व्यवहार हमीदा ने दर्शाया।

हमीदा एक शक्तिशाली चरित्र की महिला थी। पहले तो उसने हुमांयू


के शादी के प्रस्ताव को साफ़ इंकार कर दिया था और कहा था कि यह
असमान जोड़ी होगी। हुमायु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि
मीरबाबा दोस्त की पत्र
ु ी उसके पैगाम को ठुकरा दे गी। किन्तु दिलदार
बेगम के चालीस दिनों तक हमीदा को समझाने बाद हुमांयू ने मीर

17
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

अबल
ु बका को शादी की रस्मो को परू ा करने के लिए बल
ु ाया। हमीदा
मग
ु ल काल की एक प्रभावशाली महिला थी ।

सलीमा सल्
ु ताना: सलीमा सल्
ु ताना मग
ु ल काल की एक शिक्षित
महिला थी, सलीमा बेगम का निकाह बैरम खान से हुआ लेकिन कुछ
ही समय बाद बैरम खान की मत्ृ यु के बाद उसका अकबर के साथ
विवाह हो गया। कहा जाता है कि वह पढ़ने लिखने की शौकीन थी ।
फ़ारसी भाषा की अच्छी जानकार होने से उसने फ़ारसी भाषा में बहुत
सी कविताओं की रचना की। फ़ारसी साहित्य में उसकी कविताओं का
संग्रह दीवान नाम से प्रसिद्ध है । पस्
ु तके पढ़ना उसे अच्छा लगता
था। कहा जाता है कि उसके पास एक पस्
ु तकालय था। वह अकबर के
पस्
ु तकालय का भी प्रयोग करती 4f * t ^ 10 ।

नरू जहाँ: नरू जहाँ मिर्ज़ा गयासद्


ु दीन बेग की पत्र
ु ी थी। इसके बचपन
का नाम मेहरुनिशा था जिसका अर्थ महिलाओ का सर्य
ू । आगे
चलकर यह मग़
ु ल बादशाह जहांगीर की प्रिय पत्नी बन गयी। अल्पायु
से ही इसकी अच्छी तरह दे खभाल की गयी जिससे वह ज्ञान के
विभिन्न क्षेत्रो में श्रेष्ठ हो गयी। नरू जहाँ संगीत, नत्ृ य , चित्रकला,
घड़
ु सवारी आदि कलाओ में पारं गत हो गयी थी । १७ साल की आयु में
इसका विवाह अली कुली से हुआ जिसे शेर अफगान भी कहा जाता है ।
यह बंगाल का गवर्नर था । शेर अफगान की मत्ृ यु के बाद १६११ ईस्वी
में जहांगीर ने नरू जहां से विवाह किया तथा उसे नरू महल अर्थात

18
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

महल की रोशनी तथा नरू जहां अर्थात संसार का प्रकाश नाम दिया" ।
नरू जहां एक उच्च शिक्षित महिला थी ।

मम
ु ताज महल: मम
ु ताज महल का नाम अर्जुमंद बानो बेगम था।
यह बादशाह शाहजहाँ की प्रिय बेगम थी। यह नरू जहां की भतीजी थी।
इसके पिता का नाम असरफ खान था। मम
ु ताज एक उच्च शिक्षित
महिला थी । इसे संगीत एवं चित्रकारी से बड़ा लगाव था। यह अरबी
और फ़ारसी भाषा की अच्छी जानकार थी । यह फ़ारसी भाषा में
लेखन कार्य भी करती थी। यह अपनी सन्तानो की शिक्षा के लिए भी
सचेत थी । मम
ु ताज के पास एक महिला नाजिर भी थी जो मम
ु ताज
से गरीब छात्रों के लिए अनद
ु ान की सिफारिश करती थी । मम
ु ताज
उच्च शिक्षित महिला होने के साथ साथ राजनितिक एवं प्रशासनिक
कार्यों में भाग लेती थी । शाहजहां इसे बहुत प्यार करता था ।

जहाँआरा बेगम: जहाँआरा शाहजहां की बड़ी लड़की थी। इसका जन्म


अप्रैल १६१४ ईस्वी में हुआ था। शिक्षा ग्रहण करने में इसकी रूचि थी ।
इसकी शिक्षक सतीउन्न - निशा थी जो स्वयं अच्छी शिक्षित महिला
थी। फ़ारसी भाषा का उसने अध्ययन किया था। इसने दो प्रसिद्ध
ग्रंथो की रचना की मन
ु ीश उल अरवाह जिसमे सफ
ू ी संत मई
ु नद्
ु दीन
चिश्ती की जीवनी है तथा दस
ू रा शबिया जिसमे उसके धार्मिक गरु

मल्
ु ला शाह बदखशी की जीवनी है । इसने आगरा में जामी मस्जिद के

19
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

पास एक मदरसा तथा कश्मीर में मल्


ु ला बदख्शानि मस्जिद का
निर्माण करवाया ।

जैबन
ु निशा: यह औरं गजेब की बड़ी पत्र
ु ी थी। इसकी रूचि बचपन से
ही पढ़ाई में थी। इसकी पहली शिक्षिका रोशनआरा बेगम थी ।
औरं गजेब ने हाफीजा मरियम को जेबनि
ु सा का शिक्षक नियक्
ु त किया
था जो स्वयं सशि
ु क्षित महिला थी । छोटी उम्र में ही इसने अरबी भाषा
पर अपनी अच्छी पकड़ बना ली थी । अन्य शिक्षकों के निर्देशन में
उसे अरबी एवं फ़ारसी दोनों भाषाओ की अच्छी जानकारी हो गयी थी
। सैय्यद असरफ के निर्देशन में वह एक योग्य कवयित्री बन गयी थी।
जेबनि
ु सा ने एक साहित्यिक संस्था तथा एक पस्
ु तकालय का निर्माण
विद्यार्थियो के लिए कराया था जिसमे विभिन्न विषयो की अनेक
पस्
ु तके थी । यह अपना अधिकतर समय पस्
ु तके पढ़ने में बिताती थी

जन - साधारण वर्ग में स्त्रियों की स्थिति :

मग
ु लकालीन भारतीय समाज में जन साधारण वर्ग की स्त्रियों की
स्थिति दयनीय थी। समाज ने जो अधिकार परू
ु षों को दिए थे स्त्रियों
को उनसे वंचित रखा गया था। समाज में स्त्रियों की स्थिति परू
ु षों के

20
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

जत
ू ों के समान समझी जाती थी। उन्हें केवल भोग विलास की वस्तु
समझा जाता था। बादशाह एवं अमीर वर्ग के लोगों ने बड़े बड़े हरम
बनाए हुए थे। इन हरमों में हजारों की संख्या में अत्यन्त सन् ु दर
स्त्रियां रखी जाती थीं। वे अपनी अदाओं नत्ृ य एवं संगीत द्वारा परू
ु षों
का मनोरं जन करती थी। प्रसन्न होने पर बादशाह व अन्य अमीर
उन्हें बहुमल्
ू य उपहार भें ट करते थे। वे अपनी यौवनावस्था तक हरम
में रह सकती थी। उसके पश्चात ् उन्हें वहां से निकाल दिया जाता था।
शेष जीवन में वे दर दर की ठोकरें खाने के लिए बाध्य हो जाती थी।
उस समाज में प्रचलित निम्नलिखित कुप्रथाओं ने उनकी स्थिति को
नरक के समान बना दिया था।

कन्या वधः हिन्द ू समाज में उस समय लड़कियों के जन्म को


अपशकुन माना जाता था। समाज में प्रचलित रीति रिवाज के अनस
ु ार
लड़की के विवाह पर बहुत खर्च होता था। समाज का अद्यिकोश वर्ग
निर्धन था और वह इतना भारी खर्च नहीं कर सकता था। लड़की का
विवाह न होना धर्म और समाज के विरुद्ध समझा जाता था। इसके
अतिरिक्त मस
ु लमान हिन्दओ
ु ं की जवान लड़कियों को बलपर्व
ू क
उठाकर ले जाते थे। इसलिए बहुत से हिन्द ु लड़की के जन्म लेते ही
उसे मार दे ते थे।

21
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

उस समय समाज में प्रचलित रीति रिवाजों के अनस


ु ार लड़कियों का
विवाह बहुत ही छोटी आयु भाव 6 से 8 वर्ष के भीतर कर दिया जाता
था। परिणामस्वरूप उनकी शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता
था। छोटी आयु में विवाह होने के कारन उन्हें गह ृ स्थी की सभी
जिम्मेदारियां उठानी पड़ती थी। कम उम्र में सन्तान पैदा होने के
कारण उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता था।

सती - प्रथा : माना जाता है कि भारत में सती एक प्राचीन प्रथा और


रिवाज रहा है । सती का अर्थ "निश्चित रूप से पती का मत्ृ योपरान्त
पति से पन
ु ः मिलना या पनु ःमिलन। इस पन ु ःमिलन की प्रक्रिया में
एक विधवा को अपने पति के साथ चिता में जिन्दा ही जल जाना
पड़ता था। ऐसा न करने पर उसे परू ी जीवन पारिवारिक सदस्यों
द्वारा उसे हीन लक्षण और घण
ृ ा की चन
ु ौती से गुजरना पड़ता था।
इसलिए पति के चिता में उन्हें जबरण ढकेला जाता ताकि जिन्दा
जलते हुए अपने पति के साथ स्वर्गलोक सिधार लें।

अकबर बादशाह ने एक आदे श पारित किया कि अगर कोई पत्नी


अपने पति के चिता पर जलना चाहती है , तो उसे न रोका जाए लेकिन
उसपर किसी प्रकार का बाहरी दबाब या बल का प्रयोग न हो।

जहाँगीर और औरं गजैब ने किसी भी औरत को अपने पति के चिता में


जलने के परू ा विरोध करते हुए आदे श पारित किया था।

22
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

विधवा पन
ु ः विवाह पर रोक : उस समय समाज में विधवा का
जीवन नरक के समान था। समाज द्वारा विधवा पन
ु र्विवाह की आज्ञा
नहीं थी। विधवा के बाल काट दिए जाते थे। उसके हार श्रंग ृ ार पर
पाबन्दी लगाई जाती थी। उसे घरे लू खश
ु ी तथा त्यौहारों के अवसरों पर
सम्मिलित होने की आज्ञा नहीं थी। विधवा का सभी निरादर करते थे।
समाज में उनका जीवन अछुत के समान था।
जौहर: बहादरू और साहसी राजपत
ू ों में जौहार की प्रथा का प्रचलन
था। जब राजपत
ू के सेनापति को यह ज्ञात हो जाता कि हम सैन्य
यद्
ु ध में हार जाएँगे तो अपने परिवार और बच्चों को किले के अन्दर
या कियी गुफा में बंद कर आग लगा दे त।े इस परम्परा को जौहर कहा
जाता था।

राजपत
ु यद्
ु ध के मैदान में समर्पित करना नहीं जानते उनका विश्वास
या तो जीत में था या फिर वीरगति प्राप्त करने में । जौहार प्रथा को
अपनाने के पीछे मल
ू भावना था कि वह अपने महिलाओं और बच्चों
को दश्ु मनों के हाथों प्रताड़ित होते नहीं दे खना चाहते थे।

अबल
ू फजल ने चितौड़ में जौहर का वर्णन करते लिखा है कि "जब
यद्
ु ध में कोई अटल मस
ु ीबत या खतरा या हार सामने आता दिखे तो
एक पिठी चन्दन के लकड़ी की बनाई जाती जो बहुत बड़ा होता, उस
पर सख
ू ी लकड़ी और तेल डाल दिया जाता। जिससे महिलाएँ व बच्चे

23
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

जलकर राख हो जाए। इस प्रकार अपनी शान और औरतों की प्रतिष्ठा


और गरिमा को बचाने के लिए राजपत
ू ों ने इस प्रथा को अपनाए रखा।

निष्कर्ष

मगु लकालीन समय में स्त्रियों की दशा तथा जीवन बहुत


दयनीय था। समाज में परू ु षों के समान अधिकार प्राप्त
नहीं थे। उनको सभी स्वतंत्रता तथा खश ु ीयों और तो और
त्योहार से भी दरू रखा जाता था। राजा - महाराजाओं की
परिवार तथा रिश्तेदारों के घरों में महिलाएं की वो स्थिति
नहीं थी जो साधारण परिवारों के घरों की स्त्रियों की
थी। हरम शाही महिलाओं के रहने का एक अलग स्थान
होता था। हरम अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है
छिपा हुआ स्थान। समय के साथ - साथ इसका प्रयोग
महिला कक्ष के लिए होने लगा। परसियन भाषा में इस
स्थान के लिए जनाना हिन्दी में महल - सरा तथा
संस्कृत में अन्तापरु ा शब्द का प्रयोग हुआ है ।

संदर्भ - सच
ू ीः

● डॉ. झारखण्डे चौबे, डॉ. कन्है या लाल श्रीवास्तव , मध्ययग


ु ीन
भारतीय समाज एवं संस्कृति प०ृ संख्या 97

24
मग
ु लकाल में स्त्रियों की दशा।

● समि
ु त सरकार , भारत का इतिहास ,प०ृ संख्या 111

● एल पी शर्मा, मध्यकालीन भारत का इतिहास

● सौरभ चौबे, मध्यकालीन भारत

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