Professional Documents
Culture Documents
भारतीय संविधान का संघात्मक ढांचा एवं केंद्रीय राज्य संबंध
भारतीय संविधान का संघात्मक ढांचा एवं केंद्रीय राज्य संबंध
भारतीय संविधान का संघात्मक ढांचा एवं केंद्रीय राज्य संबंध
प्रस्तािना:
Main body
भारतीय संविधान का संघात्मक ढांचा सात अनुच्छेदों (Articles) में विभावजत है जो संविधान सभा िारा
तैयार वकए गए थे। इन सभी अनुच्छेदों में विवभन्न विषयों पर वनदे श वदए गए हैं।
1. प्रस्तावना (Preamble): इसमें संविधान के मुख्य उद्दे श्यों और मूल वसिांतों का सार है।
2. राज्यपत्रिका (Union and its Territory): इसमें भारत के संघ का वििरर् और राज्यों की
सीमाओं का वििरर् है।
3. नागररकता (Citizenship): इस अनुच्छेद में नागररकता के प्राद्धि और नागररकों के
अवधकारों का वििरर् है।
4. मौत्रिक अत्रिकार (Fundamental Rights): इसमें नागररकों के मौवलक अवधकारों का
सूचीबि है, जो सरकार िारा समाज में न्याय और समानता सुवनवित करने के वलए वदए गए हैं।
5. साववजत्रनक सेवा (Directive Principles of State Policy): इसमें सरकार को संविधान
के मुख्य उद्दे श्यों के प्रवत आत्मसमपार् का वििरर् है ।
6. राज्य संघ के संबंि में (Centre-State Relations): इसमें भारतीय संघ और राज्यों के बीच
संबंधों का वििरर् है।
7. समाचार एवं प्रसार (Amendment of the Constitution): इसमें संविधान की संशोधन
प्रविया का वििरर् है।
भारतीय संविधान का यह संरचना दे श के राजनीवतक और सामावजक संदभा को ध्यान में रखते हुए
तैयार वकया गया है तावक समाज में न्याय, समानता, और सामररक सुधार को प्रोत्सावहत वकया जा सके।
संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों का विशेष ध्यान वदया गया है तावक दे श में सामंजस्य और
एकविधता बनी रह सके। इसे बहुतंवत्रक भारतीय संघ नाम से भी जाना जाता है।
केंद्रीय राज्य संबंधों का सिोच्च वसिांत यह है वक भारत एक संघीय राज्य है वजसमें केंद्र और राज्य दोनों
होते हैं। इनके बीच संबंधों को स्पि रूप से विभावजत वकया गया है तावक राज्यों को अपनी अवधकारों
और कताव्ों का पूरा अवधकार हो सके और साथ ही केंद्र सरकार को भी अपने क्षेत्र में नेतृत्व वदखा
सके।
केंद्र और राज्यों के बीच विवभन्न संबंधों की व्ििा के वलए अनुसूची 7 में बताए गए समान भूवमका के
कारर् इसे एक संघीय राज्य कहा जाता है। इसके अनुसार, संघ राज्य सरकार और भौवतक दृवि से
राज्यों की सरकारों को वमलकर एक भूवमका वनभाते हैं।
भारतीय संविधान ने सािाभौवमक रूप से संरवचत भूतपूिा संस्कृवत, भूगोल, और सामावजक संरचना के
आधार पर केंद्र और राज्यों के संबंधों को वनधााररत वकया है। केंद्र और राज्यों के बीच संबंध भारतीय
संघ राज्य का वसरपरे च वनवमात करते हैं , वजसमें केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें सहयोगपूर्ा रूप से
काम करती हैं।
केंद्र राज्यों को सामावजक न्याय, आवथाक समृद्धि, और सामावजक सुरक्षा की सुवनविवत के वलए
वजम्मेदार बनाता है, जबवक राज्य स्वयं की स्वायत्तता और अपनी िानीय आिश्यकताओं के अनुसार
नीवतयों को वनधााररत करता है। इस प्रकार, संविधान ने केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन को बनाए रखने
का प्रयास वकया है तावक न केंद्रीय सरकार स्वयं सत्ता का उपयोग अत्यवधक करे और न ही राज्य स्वयं
को विलीन द्धिवत में पाए।
हाल के िषों में, केंद्र और राज्यों के संबंधों में चुनौवतयां उत्पन्न हो रही हैं। अनेक बार, विवभन्न राज्यों में
अपनी विशेषता और आिश्यकताओं को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार के वनर्ायों का विरोध हो रहा है।
यह वििाद राज्यों के और केंद्र के बीच संतुलन को कमजोर कर सकता है और समृद्धि की प्रविया को
दीघाकावलक रूप से प्रभावित कर सकता है ।
केंद्र और राज्यों के बीच इस तरह की चुनौवतयों का सामना करना महत्वपूर्ा है तावक दोनों ही स्तरों की
सरकारें वमलकर नागररकों के वहत में काम कर सकें। यह सुवनवित करना आिश्यक है वक राज्यों की
विशेष आिश्यकताओं को समझकर उन्ें सही समथान प्रदान वकया जाए तावक उनका विकास हो सके
और रािर की समृद्धि में योगदान हो सके।
भारतीय संविधान में केंद्रीय राज्य सं बंधों का वििरर् इस प्रकार है :
1. केंद्रीय शक्तियां और राज्य सूची: राज्य सूची में केंद्रीय और राज्य सरकारों को
विवभन्न क्षेत्रों में संघवटत करने की शद्धक्तयां दी गई हैं , जो समृद्धि, न्याय, और सुरक्षा
के क्षेत्र में सहयोगी होती हैं ।
2. भारतीय समृक्ति और सामात्रजक सुरक्षा: यह सूची भारत की समृद्धि और
सामावजक सुरक्षा के क्षेत्र में राज्यों को संगवित रखने का कारर् है।
3. त्रवशेष रूप से त्रशक्षा: वशक्षा के क्षेत्र में राज्यों को स्वयं नीवतयों बनाने और लागू
करने का अवधकार है , वजससे वशक्षा में समानता बनी रह सकती है।
4. यातायात और संचार: राज्य सूची में यातायात और संचार के क्षेत्र में राज्यों को स्वयं
वनर्ाय लेने का अवधकार है , जो िानीय आिश्यकताओं को ध्यान में रखता है ।
5. गणराज्य नागररक के अत्रिकार: इसमें गर्राज्य नागररकों के अवधकार को
संरवचत करने का प्रािधान है, वजससे समाज में न्याय और समानता का समथान हो
सकता है।
संघ सूची राज्यों और केंद्र के बीच साकारात्मक और सहयोगी संबंध िावपत करने में मदद
करती है और विवभन्न क्षेत्रों में सहयोग और संगिन में महत्वपूर्ा भूवमका वनभाती है।
2. **संयुक्त सूची के उदाहरर्:** कुछ मुख्य संयुक्त सूची के विषयों में शावमल हैं जैसे वक
विदे शी मुद्रा, न्यावयक वनयम, व्ापार और उद्योग, पेटरोवलयम और प्राकृवतक गैस, और एडु केशन। इन
क्षेत्रों पर केंद्र और राज्यों दोनों को वनयमन करने का अवधकार है।
5. **सं युक्त सू ची क े संशोधन:** संयुक्त सूची में पररितान के वलए संविधान में संशोधन
की प्रविया को बताया गया है। संयुक्त सूची के संशोधन के वलए राज्य सभाओं और लोक सभाओं का
आपसी सहमवत आिश्यक होता है।
1. अन्यान्य त्रवषयों का संबंि: आवधकाररक सूची में ऐसे विषय शावमल हैं जो न तो संघ और न
ही राज्यों के अधीन हैं। यहां उन संदभों को शावमल वकया गया है वजनमें संघ और राज्यों के
बीच विभाजन हो सकता है ।
2. अत्रिकृत त्रवषयों का संबंि: आवधकाररक सूची में संघ और राज्यों के बीच अवधकृत विषयों
का संबंध है , जो अन्य सूवचयों में नहीं हैं। इसमें ऐसे क्षेत्रों की सूची है जो वकसी अन्य सूची में
नहीं शावमल हैं।
3. संघीय रूप से संबंत्रित त्रवषय: यह सूची उन विषयों को संज्ञान में लेती है जो संघीय रूप से
संबंवधत हो सकते हैं , और इसमें संघ और राज्यों के बीच सहमवत और समथान की आिश्यकता
हो सकती है।
4. संघ और राज्यों के बीच त्रववाद के क्षेि: आवधकाररक सूची में ऐसे विषयों का संबंध है जो
संघ और राज्यों के बीच वििाद के क्षेत्र में आ सकते हैं और इसमें समथान और वििादवनिृवत्त
की प्रविया को तैयार करने का अवधकार है।
5. संघीय संरचना और संघीय आिाररत त्रवषय: इसमें संघीय संरचना और संघीय आधाररत
विषयों का संबंध है, जो संघ और राज्यों के बीच साझेदारी की भािना को प्रोत्सावहत करते हैं ।
आवधकाररक सूची भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ा अनुसूची है जो संघ और राज्यों के बीच संबंधों
को वििरर्ात्मक रूप से वनधााररत करती है और संघीय नीवतयों और विषयों के प्रबंधन में सहायक होती
है।
5. **सामिेत (Integrated):**
सामिेत सूची, भारतीय संविधान के निीनतम संशोधन के अनुसार बनाई गई है और इसे "सामिेत
(Integrated) सूची" भी कहा जाता है। इसमें विशेष जावतयों और आवदिासी समुदायों के लोगों के वलए
आरवक्षत नौ और सातों राज्यों के बीच समावहत वकए गए नौ विशेष राज्यों की सूची शावमल हैं। यहां
कुछ मुख्य बातें हैं जो सामिेत सूची को महत्वपूर्ा बनाती हैं :
1. सामवेत समुदाय: सामिेत सूची में शावमल विशेष जावतयों और आवदिासी समुदायों के लोगों
के वलए विवभन्न सामावजक, आवथाक, और शैवक्षक योजनाओं और आरक्षर्ों को संरवचत करने
का उद्दे श्य है।
2. नौ और सात राज्यों की समात्रित सूची: सामिेत सूची में नौ और सात राज्यों की सूची
शावमल है, वजनमें यह विशेष जावतयां और आवदिासी समुदाय हैं । इन राज्यों के बीच सामावहती
का माध्यवमक उद्दे श्य है सामवजक और आवथाक समानता को बढ़ािा दे ना।
3. आरत्रक्षत सीटें : सामिेत सूची में राज्यों को वनवदा ि सीटों पर आरवक्षत िानों की प्रदान की
जाती है, वजससे विशेष जावतयों और आवदिासी समुदायों का प्रवतवनवधत्व सुवनवित हो सकता
है।
4. सामात्रजक और आत्रर्वक त्रवकास: सामिेत सूची से जुडे राज्यों को सामावजक और आवथाक
विकास के वलए विशेष योजनाएं और प्रोजेक्ट्स वमलते हैं। इसका उद्दे श्य विशेष जावतयों और
आवदिासी समुदायों को समृद्धि की प्रविया में समावहत करना है।
5. सामवेती राज्यों का समृक्तिकरण: इस सूची के माध्यम से सामिेती राज्यों को विशेष रूप से
समृद्धिकरर् के वलए विवभन्न योजनाएं वमलती हैं , वजससे उनका सामावजक और आवथाक
विकास हो सकता है।
सामिेत सूची ने विशेष जावतयों और आवदिासी समुदायों को समृद्धि की प्रविया में सही समथान और
सुरक्षा प्रदान करने का माध्यम बनाया है, वजससे उन्ें समाज में समानता और न्याय वमल सके।
1. **आवथाक विकास:**
केंद्र और राज्य सरकारें एकसाथ काम करके आवथाक विकास को बढ़ािा दे ती हैं। आवथाक योजनाओं,
उद्यवमता, और बाजारी नीवतयों में समथान के माध्यम से दे श को मजबूत बनाने के वलए सहयोग वकया
जाता है।
केंद्र-राज्य संबंधों में आवथाक विकास को समथान करने के वलए कई कदम उिाए जा सकते हैं . यहां
कुछ विचार वदए गए हैं जो इस मुद्दे में मदद कर सकते हैं :
2. **राजनीवतक द्धिवत:**
केंद्र राज्य संबंधों के माध्यम से राजनीवतक द्धिवत को सुधारा जा सकता है । राज्यों को
उनके स्वतंत्रता के अनुसार काम करने का अवधकार होता है , लेवकन उन्ें रािर के साथ
वमलकर काम करने का भी अवधकार होता है ।
केंद्र और राज्य संबंध भारतीय संविधान के अंतगात व्िद्धित होते हैं और इनमें राजनीवतक द्धिवत का महत्वपूर्ा
िान है। यह संबंध राज्यों और केंद्र के बीच सहयोग और साझेदारी को सुवनवित करने का काया करते हैं , लेवकन
कई बार राजनीवतक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
यहां कुछ मुख्य कारर् और पररद्धिवतयां हैं जो केंद्र राज्य संबंधों में राजनीवतक द्धिवत को
प्रभावित कर सकती हैं :
1. **राजनीवतक दलों की द्धिवत:** केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों में राजनीवतक दलों की द्धिवत
बडा प्रभाि डाल सकती है । अगर केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच वकसी राजनीवतक विरोधीता की
द्धिवत है , तो सहयोग और साझेदारी में कविनाई हो सकती है ।
2. **राज्यों की राजनीवतक आवदत्यता:** विवभन्न राज्यों में विवभन्न राजनीवतक दल होते हैं जो
अपने-आप में विवभन्न प्राथवमकताओं और मुद्दों को लेकर विवभन्न दृविकोर् रख सकते हैं । इससे केंद्र-राज्य संबंधों
में समन्वय को बढ़ािा दे ना कविन हो सकता है ।
6. **संविदावनक प्रािधान:** संविधान में केंद्र और राज्य संबंधों के वलए विशेष प्रािधान हैं, जो संबंधों
को वनधाा ररत करने में मदद करते हैं ।
सद्धम्मवलत करते हुए, केंद्र राज्य संबंधों में राजनीवतक द्धिवत को सुधारने के वलए सभी प्रभािकारी कदम उिाने
चावहए तावक सहयोग, साझेदारी, और समन्वय की भािना बनी रहे और दे श का समृद्धि और समानता की वदशा में
बढ़ सके।
3. **सामावजक क्षेत्र:**
वशक्षा, स्वास्थ्य, और सामावजक क्षेत्रों में केंद्र राज्य संबंधों के माध्यम से सहयोग वकया
जा सकता है । राज्यों को अपनी आिश्यकताओं के अनुसार योजनाएं बनाने का अवधकार
होता है , लेवकन िे केंद्र से सहायता ले सकते हैं जब आिश्यक हो।
केंद्र राज्य संबंधों में सामावजक क्षेत्र महत्वपूर्ा है , क्ोंवक यह दोनों के बीच सहयोग, साझेदारी, और सामावजक
समृद्धि की वदशा में काम करता है । भारतीय संविधान ने केंद्र और राज्यों के बीच सामावजक क्षेत्र को वििेवचत करने
और सुधारने के वलए विवभन्न धाराओं में विशेष प्रािधान वकए हैं।
यहां कुछ मुख्य क्षेत्रों को दे खा जा सकता है जो केंद्र राज्य संबंधों में सामावजक क्षेत्र को समृद्धि की वदशा में प्रभावित
कर सकते हैं :
1. **वशक्षा:** वशक्षा एक महत्वपूर्ा क्षेत्र है वजसमें केंद्र और राज्य सरकारें वमलकर काम करती हैं । वशक्षा का
स्तर बढ़ाने, वशक्षा का पहुं चाि बढ़ाने, और सामावजक और आवथाक रूप से कमजोर िगों को वशक्षा प्राि करने में
सहायक होना चावहए।
3. **सामावजक सुरक्षा:** आवथाक रूप से कमजोर िगों और समाज के अशक्त सदस्यों के वलए
सामावजक सुरक्षा योजनाओं का समथान और संचालन महत्वपूर्ा है ।
4. **सामावजक न्याय:** समाज में समानता और न्याय की वदशा में केंद्र और राज्य सरकारों को
साझेदारी करनी चावहए। विवभन्न समृद्धि कायािमों के माध्यम से समाज के सभी िगों को बढ़ािा वमलना चावहए।
6. **सां स्कृवतक संरक्षर्:** सांस्कृवतक और भाषा संरक्षर् के वलए केंद्र और राज्यों को वमलकर काम
करना चावहए। समृद्धि के वलए अपनी भूवमका और भाषा सम्बंवधत कायों में सहयोग करना महत्वपूर्ा है ।
7. **समाज सेिा योजनाएं :** गरीबी रे खा के नीचे रहने िाले लोगों के वलए विशेष समाज सेिा
योजनाएं बनाए जाना चावहए वजनसे उन्ें आवथाक सहारा और समथान वमल सके।
8. **मवहला सशकवतकरर्:** मवहलाओं को समाज में समानता और सामावजक िान की वदशा में
समथान करने के वलए स्वतंत्रता, वशक्षा, और रोजगार के अिसरों को बढ़ािा दे ना चावहए।
इन सामावजक क्षेत्रों में सहयोग और साझेदारी से, केंद्र और राज्य सरकारें सामावजक समृद्धि और सामावजक न्याय
की वदशा में सकारात्मक पररर्ाम प्राि कर सकती हैं ।
4. **रािरीय सुरक्षा:**
केंद्र और राज्य सरकारें एकसाथ काम करके रािरीय सुरक्षा को मजबूती दे ने के वलए
सहयोग कर सकती हैं । आतंकिाद, सीमा सुरक्षा, और रािरीय सुरक्षा के क्षेत्र में एकमत
िावपत करने के वलए उच्च स्तरीय समथान आिश्यक है ।
केंद्र राज्य संबंधों में रािरीय सुरक्षा का प्रबंधन एक महत्वपूर्ा और ज़रूरी क्षेत्र है । यह सुवनवित करने का काया
करता है वक दे श में सुरवक्षत और द्धिरता से रहा जा सके, और उच्च स्तर पर रािरीय सुरक्षा के वलए कारगर रूप से
संचालन हो सके।
यहां कुछ मुख्य क्षेत्रों को दे खा जा सकता है जो केंद्र राज्य संबंधों में रािरीय सुरक्षा के प्रबंधन में महत्वपूर्ा हो सकते
हैं :
1. **सीमा सुरक्षा:** दे श की सीमाओं की सुरक्षा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और साझेदारी
की आिश्यकता को बताती है । सीमा सुरक्षा उच्च तंवत्रका सुरक्षा, सीमा सुरक्षा बल, और सीमा सुरक्षा तंत्रों के
माध्यम से सुवनवित की जाती है।
3. **सामररक शद्धक्त:** समररक शद्धक्त एक रािरीय सुरक्षा के पहलुओं में से एक है। केंद्र सरकार को
समररक शद्धक्त को मजबूत रखने, निीनतम सैन्य तंत्रों को अपनाने, और सुरक्षा क्षमता को बढ़ाने के वलए सहयोग
करना चावहए।
4. **साइबर सुरक्षा:** वडवजटल युग में साइबर हमलों का खतरा बढ़ रहा है, इसवलए साइबर सुरक्षा का
प्रबंधन बहुतंत्री स्तर पर करना चावहए, वजसमें केंद्र और राज्य सरकारें सहयोग कर सकती है
ंं ।
5. **सरकारी संिाएं :** सुरक्षा से संबंवधत सरकारी संिाएं , जैसे वक रािरीय सुरक्षा सलाहकार पररषद,
रक्षा उत्पाद और विकास संगिन, सेना, और िायु सेना, को सहयोगी रूप से काम करना चावहए।
6. **जनसं ख्या सुरक्षा:** बडी जनसंख्या के साथ जीने िाले दे श को जनसंख्या सुरक्षा के वलए सािधान
रहना चावहए, तावक रािरीय संतुलन बना रह सके और सुरक्षा पर बुरा असर न हो।
7. **सं प्रभु ता का संरक्षर्:** संप्रभुता को सुरवक्षत रखने के वलए समथान और सहायता प्रदान करना
चावहए, तावक दे श का संप्रभुता और स्वायत्ता सुरवक्षत रहे ।
केंद्र राज्य संबंधों में रािरीय सुरक्षा का प्रबंधन केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच सहयोगपूर्ा एिं समथानपूर्ा होना
चावहए तावक दे श अंतराािरीय स्तर पर भी सुरवक्षत रह सके और उसका समृद्धि का मागा पुनः प्रशस्त हो सके।
5. **प्रशासवनक न्याय:**
राज्यों को आपसी समस्याओं और वििादों के समाधान के वलए केंद्र से मदद प्राि करने
का अवधकार होता है । केंद्र राज्य संबंधों के माध्यम से यह सुवनवित वकया जा सकता है वक
न्यायपावलका का सुशासन बना रहे और वििादों का सही समाधान हो।
केंद्र और राज्य संबंधों में प्रशासवनक न्याय का सुथरा प्रबंधन दे श की सुशासन और सुरक्षा के वलए महत्वपूर्ा है ।
इसका मुख्य उद्दे श्य सुवनवित करना है वक न्यायप्रर्ाली और प्रशासवनक प्रवियाएाँ संविधान और कानूनों के
अनुसार समथानयोग्य हैं और न्यावयक तंत्र वनष्पक्ष, उदार, और सुदृढ़ हैं ।
4. **प्रशासवनक सुधार:** प्रशासवनक प्रवियाओं में सुधार के वलए सहयोग और समन्वय की आिश्यकता
है , तावक न्यावयक प्रवियाएं तेजी से और सुधाररत रूप से हो सकें।
5. **जन न्याय:** न्यावयक तंत्र को जन न्याय के वसिांतों का पालन करना चावहए, वजससे न्याय का दृविकोर्
और सुदृढ़ हो सके।
6. **सं बंवधत कानूनी मुद्दे:** केंद्र और राज्यों के बीच संबंवधत कानूनी मुद्दों में सहयोग और समन्वय का
माध्यम बनाए रखना चावहए, तावक न्यावयक प्रवियाएं वििादों को सुलझाने में मदद कर सकें।
9. **न्यावयक प्रवशक्षर्:** न्यावयक तंत्र के सदस्यों को न्यावयक प्रवशक्षर् के माध्यम से उनकी योग्यता को
बढ़ाने के वलए सहयोग करना चावहए।
10. **आम जन के प्रवत सेिा:** न्यावयक तंत्र को आम जन के प्रवत सेिा का दृविकोर् बनाए रखना
चावहए, तावक न्याय प्रर्ाली विश्वास जता सके।
केंद्र और राज्य संबंधों में प्रशासवनक न्याय की मजबूती से दे श में सुशासन और न्याय की भािना को बनाए रखना
हमारे समृद्धि और समृद्धि की वदशा में महत्वपूर्ा योगदान कर सकता है ।
राज्यों के बीच सूची की िापना की गई है , वजससे यह स्पि होता है वक कौन-कौन से क्षेत्र केंद्र और राज्यों के वलए
हैं ।
इन अनुच्छेदों के माध्यम से, भारतीय संविधान ने संघात्मक ढांचा और केंद्रीय राज्य संबंधों को सुरवक्षत करने का
प्रयास वकया है । इसके आलािा, अन्य अनुच्छेद और अनुशासन भी हैं जो इस मुद्दे पर प्रदान करते हैं ।
4. **समथा न
और विकास आयोग (Support and Development
Commission):** इस आयोग का काया विकास क्षेत्र में नीवतयों की समीक्षा करना है, और उच्चतम स्तर पर
उत्पन्न हो रहे समस्याओं के समाधान के वलए सुझाि दे ना है ।
5. **वशक्षा आयोग (Education Commission):** इस आयोग का उद्दे श्य वशक्षा के क्षेत्र में
नीवतयों की समीक्षा करना है और वशक्षा के क्षेत्र में सुधार के वलए सुझाि दे ना है ।
ये आयोग और सवमवतयां संविधानीय संघात्मक ढां चे के बेहतर विकास और केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार के वलए
अच्छी नीवतयों की रूपरे खा तय करने में मदद करती हैं ।
भारतीय संविधान का संघात्मक ढां चा एिं केंद्रीय राज्य संबंध में
महत्वपूर्ा केस कानून
भारतीय संविधान के संघात्मक ढांचा और केंद्र-राज्य संबंधों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ा मुकदमे (case
laws) हैं जो न्यावयक प्रविया के माध्यम से िावपत हुए हैं। ये मुकदमे ने संविधानीय प्रािधानों की
समझ को स्पि करने और इसके महत्वपूर्ा वसिांतों को व्ाख्यान करने में मदद की हैं । यहां कुछ ऐसे
मुकदमे हैं जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ा हैं :
ये मुकदमे वसफा एक कुछ उदाहरर् हैं और संविधानीय क्षेत्र में और भी कई महत्वपूर्ा मुकदमे हैं जो
न्यावयक प्रविया के माध्यम से िावपत हुए हैं।
समाद्धि:
केंद्र और राज्य संबंधों का संघात्मक ढांचा भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ा विशेषता है जो दे श को
संघीय राज्य के रूप में संगवित करता है। इसमें यह सुवनवित वकया गया है वक राज्यों को अपने
आपवत्तयों के अनुसार कारा िाई करने का अवधकार होता है लेवकन साथ ही केंद्र सरकार को भी दे श की
समृद्धि और एकता के प्रवत उत्सावहत करता है। संविधान ने इसे सुरवक्षत रखने के वलए उच्चतम न्यायालय
की सहायता और संविधान संसद के माध्यम से सम्बोवधत वकया है तावक दे श का उत्कृि चलन सुवनवित
वकया जा सके।
reference book