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- पाठ-2 डायरी का एक पन्ना (गद्य खंड) -स्पर्श-2
- पाठ-2 डायरी का एक पन्ना (गद्य खंड) -स्पर्श-2
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Chapter -2 Diary Ka Ek Panna (Sparsh-2) Notes
पाठ-1 डायर का एक प ना
(क) न न ल खत न के उ र (25-30 श द म) ल खए -
3. पु लस क म नर के नो टस और क सल के नो टस म या अंतर था?
उ र- प ु लस क म नर ने नो टस नकाला था क कोई भी जनसभा करना या जल ु स
ू नकालना कानन
ू के
खलाफ़ होगा। सभाओं म भाग लेने वाल को दोषी माना जाएगा। क सल ने नो टस नकाला था क मोनम
ु ट
के नीचे चार बजकर चौबीस मनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा वतं ता क त ा पढ़ जाएगी। इस कार
ये दोन नो टस एक दस ू रे के खलाफ़ थे।
5. डॉ. दासगु ता जल
ु सू म घायल लोग क दे ख-रे ख तो कर रहे थे, उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे। उन
लोग के फ़ोटो खींचने क या वजह हो सकती थी? प ट क िजए।
उ र- डॉ. दास गु ता लोग क फ़ोटो खचवा रहे थे। इससे अं ेज़ के ज़ु म का पदाफ़ाश कया जा सकता था,
दस
ू रा यह भी पता चल सकता था क बंगाल म वतं ता क लड़ाई म बहुत काम हो रहा है ।
उ र- सभ
ु ाष बाबू के जलु स
ू म ी समाज क मह वपण ू भू मका रह थी। भार पु लस यव था के बाद भी
जगह-जगह ी जलु स
ू के लए टो लयाँ बन गई थीं। मोनम
ु ट पर भी ि य ने नडर होकर झंडा फहराया,
अपनी गर ता रयाँ करवाई तथा उनपर ला ठयाँ बरसाई। इसके बाद भी ि याँ लाल बाज़ार तक आगे बढ़ती
ग ।
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Chapter -2 Diary Ka Ek Panna (Sparsh-2) Notes
2. जल
ु स
ू के लाल बाज़ार आने पर लोग क या दशा हुई?
उ र-जलु स
ू के लाल बाज़ार आने पर भीड़ बेकाबू हो गई। पु लस डंडे बरसा रह थी, लोग को लॉकअप म भेज
रह थी। ि याँ भी अपनी गरफ़तार दे रह थीं। दल के दल नारे लगा रहे थे। लोग का जोश बढ़ता ह जा रहा
था। लाठ चाज से लोग घायल हो गए थे। खन
ू बह रहा था। चीख-पक ु ार मची थी फर भी उ साह बना हुआ था।
3. 'जब से कानन
ू भंग का काम शु हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान म नह ं क
गई थी और यह सभा तो कहना चा हए क ओपन लड़ाई थी।' यहाँ पर कौन से और कसके वारा
लागू कए गए काननू को भंग करने क बात कह गई है ? या कानन
ू भंग करना उ चत था? पाठ के
संदभ म अपने वचार कट क िजए।
4. बहुत से लोग घायल हुए, बहुत को लॉकअप म रखा गया, बहुत-सी ि याँ जेल ग , फर भी इस दन
को अपवू बताया गया है । आपके वचार म यह सब अपव
ू य है ? अपने श द म ल खए।
उ र- स भ
ु ाष च बोस के नेत ृ व म कलक ा वा सय ने वतं ता दवस मनाने क तैयार ज़ोर-शोर से क
थी। पु लस क स ती, लाठ चाज, गरफ़ता रयाँ, इन सब के बाद भी लोग म जोश बना रहा। लोग झंडे
फहराते, वंदे मातरम ् बोलते हुए, खन
ू बहाते हुए भी जल
ु स
ू नकालने को त पर थे। जल
ु स
ू टूटता फर बन जाता।
कलक ा के इ तहास म इतने चंड प म लोग को पहले कभी नह ं दे खा गया था।
1. आज तो जो कुछ हुआ वह अपव ू हुआ है । बंगाल के नाम या कलक ा के नाम पर कलंक था क यहाँ
काम नह ं हो रहा है वह आज बहुत अंश म धल ु गया।
उ र- हजार ी पु ष ने जल
ु स
ू म भाग लया, आज़ाद क साल गरह मनाने के लए बना कसी डर के
दशन कया। पु लस के बनाए कानन ू क, जल ु स ू आ द गैर कानन
ू ी काय, आ द क भी परवाह नह ं क । पु लस
क लाठ चाज होने पर लोग घायल हो गए। खन ू बहने लगे पर तु लोग म जोश क कोई कमी नह ं थी। बंगाल
के लए कहा जाता था क वतं ता के लए बहुत यादा योगदान नह ं दया जा रहा है । आज क ि थ त को
दे खकर उन पर से यह कंलक मट गया।
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Chapter -2 Diary Ka Ek Panna (Sparsh-2) Notes
2. न न ल खत मह
ु ावर का वा य म योग क िजए −
रं ग दखाना
ठं डा पड़ना
टूट जाना
उ र-
रं ग दखाना- भाव या व प दखाना - त
म
ु रमेश को जैसा समझाते हो, वह वैसा नह ं है । जब वह अपना रं ग
दखाएगा तब तु ह समझ आएगा।
ठं डा पड़ना- ढ ला पड़ना - ओलि पक खेल आर भ होने वाले ह, अभी भी तैया रयाँ परू नह ं हुई ह। पता नह ं
सरकार इतनी ठं डी य पड़ी है ।
टूट जाना- बखर जाना - घर के मु य सद य के चले जाने से परू ा प रवार बखर गया।
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