10वीं अनुसूची CONSTITUTION OF INDIA-2019-UPLOAD-384-391

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1[दसवीं अनुसूची

[अनु छे द 102(2) और अनु छे द 191(2)]


दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर्ता के बारे म उपबंध
1. िनवर्चन – इस अनुसूची म, जब तक िक संदभर् से अ यथा अपेिक्षत न हो,—
(क) “सदन” से, संस का कोई सदन या िकसी रा य की, यथाि थित,
िवधान सभा या, िवधान-मंडल का कोई सदन अिभप्रेत है ;
(ख) सदन के िकसी ऐसे सद य के संबंध म जो, यथाि थित, पैरा 2 या
2
*** पैरा 4 के उपबंध के अनुसार िकसी राजनीितक दल का सद य है , “िवधान-
दल” से, उस सदन के ऐसे सभी सद य का समूह अिभप्रेत है जो उक्त उपबंध के
अनुसार त समय उस राजनीितक दल के सद य ह ;
(ग) सदन के िकसी सद य के संबंध म, “मल ू राजनीितक दल” से ऐसा
राजनीितक दल अिभप्रेत है िजसका वह पैरा 2 के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए
सद य है ;
(घ) “पैरा” से इस अनस
ु च
ू ी का पैरा अिभप्रेत है ।
2. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता – (1) 3[पैरा 4 और पैरा 5] के उपबंध
के अधीन रहते हुए, सदन का कोई सद य, जो िकसी राजनीितक दल का सद य है ,
सदन का सद य होने के िलए उस दशा म िनरिहर्त होगा िजसम–
(क) उसने ऐसे राजनीितक दल की अपनी सद यता वे छा से छोड़ दी है ;
या
(ख) वह ऐसे राजनीितक दल द्वारा िजसका वह सद य है अथवा उसके
द्वारा इस िनिम प्रािधकृत िकसी यिक्त या प्रािधकारी द्वारा िदए गए िकसी िनदे श
के िव द्ध, ऐसे राजनीितक दल, यिक्त या प्रािधकारी की पूवर् अनज्ञ
ु ा के िबना, ऐसे
सदन म मतदान करता है या मतदान करने से िवरत रहता है और ऐसे मतदान
या मतदान करने से िवरत रहने को ऐसे राजनीितक दल, यिक्त या प्रािधकारी ने
ऐसे मतदान या मतदान करने से िवरत रहने की तारीख से पंद्रह िदन के भीतर
माफ नहीं िकया है ।
प ीकरण – इस उप-पैरा के प्रयोजन के िलए, –
(क) सदन के िकसी िनवार्िचत सद य के बारे म यह समझा जाएगा िक
वह ऐसे राजनीितक दल का, यिद कोई हो, सद य है िजसने उसे ऐसे सद य के
प म िनवार्चन के िलए अ यथीर् के प म खड़ा िकया था;
(ख) सदन के िकसी नामिनदिशत सद य के बारे म, –

1. संिवधान (बावनवां संशोधन) अिधिनयम, 1985 की धारा 6 द्वारा (1-3-1985 से) जोड़ा गया ।
2. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा (1-1-2004 से) कितपय श द का लोप िकया
गया ।
3. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा "पैरा 3, 4, और 5" के थान प्रित थािपत ।

343
भारत का संिवधान 344

(i) उस दशा म, िजसम वह ऐसे सद य के प म अपने


नामिनदशन की तारीख को िकसी राजनीितक दल का सद य है , यह
समझा जाएगा िक वह ऐसे राजनीितक दल का सद य है ;
(ii) िकसी अ य दशा म, यह समझा जाएगा िक वह उस राजनीितक
दल का सद य है िजसका, यथाि थित, अनु छे द 99 या अनु छे द 188 की
अपेक्षाओं का अनुपालन करने के प ात ् अपना थान ग्रहण करने की तारीख
से छह मास की समाि के पव ू र् वह, यथाि थित, सद य बनता है या पहली
बार बनता है ।
(2) सदन का कोई िनवार्िचत सद य, जो िकसी राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए
गए अ यथीर् से िभ न प म सद य िनवार्िचत हुआ है , सदन का सद य होने के िलए
िनरिहर्त होगा यिद वह ऐसे िनवार्चन के प ात ् िकसी राजनीितक दल म सि मिलत हो
जाता है ।
(3) सदन का कोई नामिनदिशत सद य, सदन का सद य होने के िलए िनरिहर्त
होगा यिद वह, यथाि थित, अनु छे द 99 या अनु छे द 188 की अपेक्षाओं का अनुपालन
करने के प ात ् अपना थान ग्रहण करने की तारीख से छह मास की समाि के प ात ्
िकसी राजनीितक दल म सि मिलत हो जाता है ।
(4) इस पैरा के पूवग र् ामी उपबंध म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी ऐसे यिक्त
के बारे म जो, संिवधान (बावनवां संशोधन) अिधिनयम, 1985 के प्रारं भ पर, सदन का
सद य है (चाहे वह िनवार्िचत सद य हो या नामिनदिशत) –
(i) उस दशा म, िजसम वह ऐसे प्रारं भ से ठीक पहले िकसी राजनीितक
दल का सद य था वहां, इस पैरा के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए यह समझा
जाएगा िक वह ऐसे राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए गए अ यथीर् के प म ऐसे
सदन का सद य िनवार्िचत हुआ है ;
(ii) िकसी अ य दशा म, यथाि थित, इस पैरा के उप-पैरा (2) के प्रयोजन
के िलए, यह समझा जाएगा िक वह सदन का ऐसा िनवार्िचत सद य है जो िकसी
राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए गए अ यथीर् से िभ न प म सद य िनवार्िचत
हुआ है या, इस पैरा के उप-पैरा (3) के प्रयोजन के िलए, यह समझा जाएगा िक
वह सदन का नामिनदिशत सद य है ।
1
3* * * *
4. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता का िवलय की दशा म लागू न होना –
(1) सदन का कोई सद य पैरा 2 के उप-पैरा (1) के अधीन िनरिहर्त नहीं होगा यिद उसके
मूल राजनीितक दल का िकसी अ य राजनीितक दल म िवलय हो जाता है और वह यह
दावा करता है िक वह और उसके मल ू राजनीितक दल के अ य सद य –
(क) यथाि थित, ऐसे अ य राजनीितक दल के या ऐसे िवलय से बने नए
राजनीितक दल के सद य बन गए ह; या
(ख) उ ह ने िवलय वीकार नहीं िकया है और एक पथ ृ क् समूह के प म
कायर् करने का िविन य िकया है ,

1. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा (1-1-2004 से) पैरा 3 का लोप िकया गया ।
भारत का संिवधान 345

और ऐसे िवलय के समय से, यथाि थित, ऐसे अ य राजनीितक दल या नए राजनीितक


दल या समह ू के बारे म यह समझा जाएगा िक वह, पैरा 2 के उप-पैरा (1) के प्रयोजन
के िलए, ऐसा राजनीितक दल है िजसका वह सद य है और वह इस उप-पैरा के प्रयोजन
के िलए उसका मूल राजनीितक दल है ।
(2) इस पैरा के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए, सदन के िकसी सद य के मल

राजनीितक दल का िवलय हुआ तभी समझा जाएगा जब संबंिधत िवधान-दल के कम से
कम दो-ितहाई सद य ऐसे िवलय के िलए सहमत हो गए ह ।
5. छूट – इस अनुसच ू ी म िकसी बात के होते हुए भी, कोई यिक्त, जो लोक सभा
के अ यक्ष या उपा यक्ष अथवा रा य सभा के उपसभापित अथवा िकसी रा य की िवधान
पिरष के सभापित या उपसभापित अथवा िकसी रा य की िवधान सभा के अ यक्ष या
उपा यक्ष के पद पर िनवार्िचत हुआ है , इस अनुसूची के अधीन िनरिहर्त नहीं होगा, –
(क) यिद वह, ऐसे पद पर अपने िनवार्चन के कारण ऐसे राजनीितक दल
की िजसका वह ऐसे िनवार्चन से ठीक पहले सद य था, अपनी सद यता वे छा
से छोड़ दे ता है और उसके प ात ् जब तक वह पद धारण िकए रहता है तब तक,
उस राजनीितक दल म पन ु ः सि मिलत नहीं होता है या िकसी दस
ू रे राजनीितक
दल का सद य नहीं बनता है ; या
(ख) यिद वह, ऐसे पद पर अपने िनवार्चन के कारण, ऐसे राजनीितक दल
की िजसका वह ऐसे िनवार्चन से ठीक पहले सद य था, अपनी सद यता छोड़
दे ता है और ऐसे पद पर न रह जाने के प ात ् ऐसे राजनीितक दल म पुनः
सि मिलत हो जाता है ।
6. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता के बारे म प्र का िविन य – (1) यिद
यह प्र उठता है िक सदन का कोई सद य इस अनुसूची के अधीन िनरहर्ता से ग्र त हो
गया है या नहीं तो वह प्र , ऐसे सदन के, यथाि थित, सभापित या अ यक्ष के िविन य
के िलए िनदिशत िकया जाएगा और उसका िविन य अंितम होगा :
परं तु जहां यह प्र उठता है िक सदन का सभापित या अ यक्ष िनरहर्ता से ग्र त
हो गया है या नहीं वहां वह प्र सदन के ऐसे सद य के िविन य के िलए िनदिशत
िकया जाएगा िजसे वह सदन इस िनिम िनवार्िचत करे और उसका िविन य अंितम
होगा ।
(2) इस अनुसूची के अधीन सदन के िकसी सद य की िनरहर्ता के बारे म िकसी
प्र के संबंध म इस पैरा के उप-पैरा (1) के अधीन सभी कायर्वािहय के बारे म यह
समझा जाएगा िक वे, यथाि थित, अनु छे द 122 के अथर् म संस की कायर्वािहयां ह या
अनु छे द 212 के अथर् म रा य के िवधान-मंडल की कायर्वािहयां ह ।
भारत का संिवधान 346


7. यायालय की अिधकािरता का वजर्न – इस संिवधान म िकसी बात के होते
हुए भी, िकसी यायालय को इस अनुसूची के अधीन सदन के िकसी सद य की िनरहर् ता
से संबंिधत िकसी िवषय के बारे म कोई अिधकािरता नहीं होगी ।
8. िनयम – (1) इस पैरा के उप-पैरा (2) के उपबंध के अधीन रहते हुए, सदन
का सभापित या अ यक्ष, इस अनुसूची के उपबंध को कायार्ि वत करने के िलए िनयम
बना सकेगा तथा िविश तया और पूवग र् ामी शिक्त की यापकता पर प्रितकूल प्रभाव डाले
िबना, ऐसे िनयम म िन निलिखत के िलए उपबंध िकया जा सकेगा, अथार्त ् : –
(क) सदन के िविभ न सद य िजन राजनीितक दल के सद य ह, उनके
बारे म रिज टर या अ य अिभलेख रखना ;
(ख) ऐसा प्रितवेदन जो सदन के िकसी सद य के संबंध म िवधान-दल का
नेता, उस सद य की बाबत पैरा 2 के उप-पैरा (1) के खंड (ख) म िनिदर् प्रकृित
की माफी के संबंध म दे गा, वह समय िजसके भीतर और वह प्रािधकारी िजसको
ऐसा प्रितवेदन िदया जाएगा ;
(ग) ऐसे प्रितवेदन िज ह कोई राजनीितक दल सदन के िकसी सद य को
ऐसे राजनीितक दल म प्रिव करने के संबंध म दे गा और सदन का ऐसा
अिधकारी िजसको ऐसे प्रितवेदन िदए जाएंगे ; और
(घ) पैरा 6 के उप-पैरा (1) म िनिदर् िकसी प्र का िविन य करने की
प्रिक्रया िजसके अंतगर्त ऐसी जांच की प्रिक्रया है , जो ऐसे प्र का िविन य करने
के प्रयोजन के िलए की जाए ।
(2) सदन के सभापित या अ यक्ष द्वारा इस पैरा के उप-पैरा (1) के अधीन बनाए
गए िनयम, बनाए जाने के प ात ् यथाशीघ्र, सदन के समक्ष, कुल तीस िदन की अविध
के िलए रखे जाएंगे । यह अविध एक सत्र म अथवा दो या अिधक आनुक्रिमक सत्र म
परू ी हो सकेगी । वे िनयम तीस िदन की उक्त अविध की समाि पर प्रभावी ह गे जब
तक िक उनका सदन द्वारा पिरवतर्न सिहत या उनके िबना पहले ही अनुमोदन या
अननुमोदन नहीं कर िदया जाता है । यिद वे िनयम इस प्रकार अनुमोिदत कर िदए जाते
ह तो वे, यथाि थित, ऐसे प म िजसम वे रखे गए थे या ऐसे पिरवितर्त प म ही
प्रभावी ह गे । यिद िनयम इस प्रकार अननुमोिदत कर िदए जाते ह तो वे िन प्रभाव हो
जाएंगे ।
(3) सदन का सभापित या अ यक्ष, यथाि थित, अनु छे द 105 या अनु छे द 194
के उपबंध पर और िकसी ऐसी अ य शिक्त पर जो उसे इस संिवधान के अधीन प्रा है ,
प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, यह िनदे श दे सकेगा िक इस पैरा के अधीन बनाए गए
िनयम के िकसी यिक्त द्वारा जानबूझकर िकए गए िकसी उ लंघन के बारे म उसी रीित
से कारर् वाई की जाए िजस रीित से सदन के िवशेषािधकार के भंग के बारे म की जाती है
।]

 पैरा 7 को िकहोतो होलोहन बनाम जेिच हु और अ य ए.आई.आर. 1993, एस.सी. 412 म बहुमत की राय के अनुसार
अनु छे द 368 के खंड (2) के परं तुक के अनुसार अनुसमथर्न के अभाव म अिविधमा य घोिषत िकया गया ।
1[दसवीं अनुसूची
[अनु छे द 102(2) और अनु छे द 191(2)]
दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर्ता के बारे म उपबंध
1. िनवर्चन – इस अनुसूची म, जब तक िक संदभर् से अ यथा अपेिक्षत न हो,—
(क) “सदन” से, संस का कोई सदन या िकसी रा य की, यथाि थित,
िवधान सभा या, िवधान-मंडल का कोई सदन अिभप्रेत है ;
(ख) सदन के िकसी ऐसे सद य के संबंध म जो, यथाि थित, पैरा 2 या
2
*** पैरा 4 के उपबंध के अनुसार िकसी राजनीितक दल का सद य है , “िवधान-
दल” से, उस सदन के ऐसे सभी सद य का समूह अिभप्रेत है जो उक्त उपबंध के
अनुसार त समय उस राजनीितक दल के सद य ह ;
(ग) सदन के िकसी सद य के संबंध म, “मल ू राजनीितक दल” से ऐसा
राजनीितक दल अिभप्रेत है िजसका वह पैरा 2 के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए
सद य है ;
(घ) “पैरा” से इस अनस
ु च
ू ी का पैरा अिभप्रेत है ।
2. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता – (1) 3[पैरा 4 और पैरा 5] के उपबंध
के अधीन रहते हुए, सदन का कोई सद य, जो िकसी राजनीितक दल का सद य है ,
सदन का सद य होने के िलए उस दशा म िनरिहर्त होगा िजसम–
(क) उसने ऐसे राजनीितक दल की अपनी सद यता वे छा से छोड़ दी है ;
या
(ख) वह ऐसे राजनीितक दल द्वारा िजसका वह सद य है अथवा उसके
द्वारा इस िनिम प्रािधकृत िकसी यिक्त या प्रािधकारी द्वारा िदए गए िकसी िनदे श
के िव द्ध, ऐसे राजनीितक दल, यिक्त या प्रािधकारी की पूवर् अनज्ञ
ु ा के िबना, ऐसे
सदन म मतदान करता है या मतदान करने से िवरत रहता है और ऐसे मतदान
या मतदान करने से िवरत रहने को ऐसे राजनीितक दल, यिक्त या प्रािधकारी ने
ऐसे मतदान या मतदान करने से िवरत रहने की तारीख से पंद्रह िदन के भीतर
माफ नहीं िकया है ।
प ीकरण – इस उप-पैरा के प्रयोजन के िलए, –
(क) सदन के िकसी िनवार्िचत सद य के बारे म यह समझा जाएगा िक
वह ऐसे राजनीितक दल का, यिद कोई हो, सद य है िजसने उसे ऐसे सद य के
प म िनवार्चन के िलए अ यथीर् के प म खड़ा िकया था;
(ख) सदन के िकसी नामिनदिशत सद य के बारे म, –

1. संिवधान (बावनवां संशोधन) अिधिनयम, 1985 की धारा 6 द्वारा (1-3-1985 से) जोड़ा गया ।
2. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा (1-1-2004 से) कितपय श द का लोप िकया
गया ।
3. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा "पैरा 3, 4, और 5" के थान प्रित थािपत ।

343
भारत का संिवधान 344

(i) उस दशा म, िजसम वह ऐसे सद य के प म अपने


नामिनदशन की तारीख को िकसी राजनीितक दल का सद य है , यह
समझा जाएगा िक वह ऐसे राजनीितक दल का सद य है ;
(ii) िकसी अ य दशा म, यह समझा जाएगा िक वह उस राजनीितक
दल का सद य है िजसका, यथाि थित, अनु छे द 99 या अनु छे द 188 की
अपेक्षाओं का अनुपालन करने के प ात ् अपना थान ग्रहण करने की तारीख
से छह मास की समाि के पव ू र् वह, यथाि थित, सद य बनता है या पहली
बार बनता है ।
(2) सदन का कोई िनवार्िचत सद य, जो िकसी राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए
गए अ यथीर् से िभ न प म सद य िनवार्िचत हुआ है , सदन का सद य होने के िलए
िनरिहर्त होगा यिद वह ऐसे िनवार्चन के प ात ् िकसी राजनीितक दल म सि मिलत हो
जाता है ।
(3) सदन का कोई नामिनदिशत सद य, सदन का सद य होने के िलए िनरिहर्त
होगा यिद वह, यथाि थित, अनु छे द 99 या अनु छे द 188 की अपेक्षाओं का अनुपालन
करने के प ात ् अपना थान ग्रहण करने की तारीख से छह मास की समाि के प ात ्
िकसी राजनीितक दल म सि मिलत हो जाता है ।
(4) इस पैरा के पूवग र् ामी उपबंध म िकसी बात के होते हुए भी, िकसी ऐसे यिक्त
के बारे म जो, संिवधान (बावनवां संशोधन) अिधिनयम, 1985 के प्रारं भ पर, सदन का
सद य है (चाहे वह िनवार्िचत सद य हो या नामिनदिशत) –
(i) उस दशा म, िजसम वह ऐसे प्रारं भ से ठीक पहले िकसी राजनीितक
दल का सद य था वहां, इस पैरा के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए यह समझा
जाएगा िक वह ऐसे राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए गए अ यथीर् के प म ऐसे
सदन का सद य िनवार्िचत हुआ है ;
(ii) िकसी अ य दशा म, यथाि थित, इस पैरा के उप-पैरा (2) के प्रयोजन
के िलए, यह समझा जाएगा िक वह सदन का ऐसा िनवार्िचत सद य है जो िकसी
राजनीितक दल द्वारा खड़े िकए गए अ यथीर् से िभ न प म सद य िनवार्िचत
हुआ है या, इस पैरा के उप-पैरा (3) के प्रयोजन के िलए, यह समझा जाएगा िक
वह सदन का नामिनदिशत सद य है ।
1
3* * * *
4. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता का िवलय की दशा म लागू न होना –
(1) सदन का कोई सद य पैरा 2 के उप-पैरा (1) के अधीन िनरिहर्त नहीं होगा यिद उसके
मूल राजनीितक दल का िकसी अ य राजनीितक दल म िवलय हो जाता है और वह यह
दावा करता है िक वह और उसके मल ू राजनीितक दल के अ य सद य –
(क) यथाि थित, ऐसे अ य राजनीितक दल के या ऐसे िवलय से बने नए
राजनीितक दल के सद य बन गए ह; या
(ख) उ ह ने िवलय वीकार नहीं िकया है और एक पथ ृ क् समूह के प म
कायर् करने का िविन य िकया है ,

1. संिवधान (इक्यानवेवां संशोधन) अिधिनयम, 2003 की धारा 5 द्वारा (1-1-2004 से) पैरा 3 का लोप िकया गया ।
भारत का संिवधान 345

और ऐसे िवलय के समय से, यथाि थित, ऐसे अ य राजनीितक दल या नए राजनीितक


दल या समह ू के बारे म यह समझा जाएगा िक वह, पैरा 2 के उप-पैरा (1) के प्रयोजन
के िलए, ऐसा राजनीितक दल है िजसका वह सद य है और वह इस उप-पैरा के प्रयोजन
के िलए उसका मूल राजनीितक दल है ।
(2) इस पैरा के उप-पैरा (1) के प्रयोजन के िलए, सदन के िकसी सद य के मल

राजनीितक दल का िवलय हुआ तभी समझा जाएगा जब संबंिधत िवधान-दल के कम से
कम दो-ितहाई सद य ऐसे िवलय के िलए सहमत हो गए ह ।
5. छूट – इस अनुसच ू ी म िकसी बात के होते हुए भी, कोई यिक्त, जो लोक सभा
के अ यक्ष या उपा यक्ष अथवा रा य सभा के उपसभापित अथवा िकसी रा य की िवधान
पिरष के सभापित या उपसभापित अथवा िकसी रा य की िवधान सभा के अ यक्ष या
उपा यक्ष के पद पर िनवार्िचत हुआ है , इस अनुसूची के अधीन िनरिहर्त नहीं होगा, –
(क) यिद वह, ऐसे पद पर अपने िनवार्चन के कारण ऐसे राजनीितक दल
की िजसका वह ऐसे िनवार्चन से ठीक पहले सद य था, अपनी सद यता वे छा
से छोड़ दे ता है और उसके प ात ् जब तक वह पद धारण िकए रहता है तब तक,
उस राजनीितक दल म पन ु ः सि मिलत नहीं होता है या िकसी दस
ू रे राजनीितक
दल का सद य नहीं बनता है ; या
(ख) यिद वह, ऐसे पद पर अपने िनवार्चन के कारण, ऐसे राजनीितक दल
की िजसका वह ऐसे िनवार्चन से ठीक पहले सद य था, अपनी सद यता छोड़
दे ता है और ऐसे पद पर न रह जाने के प ात ् ऐसे राजनीितक दल म पुनः
सि मिलत हो जाता है ।
6. दल पिरवतर्न के आधार पर िनरहर् ता के बारे म प्र का िविन य – (1) यिद
यह प्र उठता है िक सदन का कोई सद य इस अनुसूची के अधीन िनरहर्ता से ग्र त हो
गया है या नहीं तो वह प्र , ऐसे सदन के, यथाि थित, सभापित या अ यक्ष के िविन य
के िलए िनदिशत िकया जाएगा और उसका िविन य अंितम होगा :
परं तु जहां यह प्र उठता है िक सदन का सभापित या अ यक्ष िनरहर्ता से ग्र त
हो गया है या नहीं वहां वह प्र सदन के ऐसे सद य के िविन य के िलए िनदिशत
िकया जाएगा िजसे वह सदन इस िनिम िनवार्िचत करे और उसका िविन य अंितम
होगा ।
(2) इस अनुसूची के अधीन सदन के िकसी सद य की िनरहर्ता के बारे म िकसी
प्र के संबंध म इस पैरा के उप-पैरा (1) के अधीन सभी कायर्वािहय के बारे म यह
समझा जाएगा िक वे, यथाि थित, अनु छे द 122 के अथर् म संस की कायर्वािहयां ह या
अनु छे द 212 के अथर् म रा य के िवधान-मंडल की कायर्वािहयां ह ।
भारत का संिवधान 346


7. यायालय की अिधकािरता का वजर्न – इस संिवधान म िकसी बात के होते
हुए भी, िकसी यायालय को इस अनुसूची के अधीन सदन के िकसी सद य की िनरहर् ता
से संबंिधत िकसी िवषय के बारे म कोई अिधकािरता नहीं होगी ।
8. िनयम – (1) इस पैरा के उप-पैरा (2) के उपबंध के अधीन रहते हुए, सदन
का सभापित या अ यक्ष, इस अनुसूची के उपबंध को कायार्ि वत करने के िलए िनयम
बना सकेगा तथा िविश तया और पूवग र् ामी शिक्त की यापकता पर प्रितकूल प्रभाव डाले
िबना, ऐसे िनयम म िन निलिखत के िलए उपबंध िकया जा सकेगा, अथार्त ् : –
(क) सदन के िविभ न सद य िजन राजनीितक दल के सद य ह, उनके
बारे म रिज टर या अ य अिभलेख रखना ;
(ख) ऐसा प्रितवेदन जो सदन के िकसी सद य के संबंध म िवधान-दल का
नेता, उस सद य की बाबत पैरा 2 के उप-पैरा (1) के खंड (ख) म िनिदर् प्रकृित
की माफी के संबंध म दे गा, वह समय िजसके भीतर और वह प्रािधकारी िजसको
ऐसा प्रितवेदन िदया जाएगा ;
(ग) ऐसे प्रितवेदन िज ह कोई राजनीितक दल सदन के िकसी सद य को
ऐसे राजनीितक दल म प्रिव करने के संबंध म दे गा और सदन का ऐसा
अिधकारी िजसको ऐसे प्रितवेदन िदए जाएंगे ; और
(घ) पैरा 6 के उप-पैरा (1) म िनिदर् िकसी प्र का िविन य करने की
प्रिक्रया िजसके अंतगर्त ऐसी जांच की प्रिक्रया है , जो ऐसे प्र का िविन य करने
के प्रयोजन के िलए की जाए ।
(2) सदन के सभापित या अ यक्ष द्वारा इस पैरा के उप-पैरा (1) के अधीन बनाए
गए िनयम, बनाए जाने के प ात ् यथाशीघ्र, सदन के समक्ष, कुल तीस िदन की अविध
के िलए रखे जाएंगे । यह अविध एक सत्र म अथवा दो या अिधक आनुक्रिमक सत्र म
परू ी हो सकेगी । वे िनयम तीस िदन की उक्त अविध की समाि पर प्रभावी ह गे जब
तक िक उनका सदन द्वारा पिरवतर्न सिहत या उनके िबना पहले ही अनुमोदन या
अननुमोदन नहीं कर िदया जाता है । यिद वे िनयम इस प्रकार अनुमोिदत कर िदए जाते
ह तो वे, यथाि थित, ऐसे प म िजसम वे रखे गए थे या ऐसे पिरवितर्त प म ही
प्रभावी ह गे । यिद िनयम इस प्रकार अननुमोिदत कर िदए जाते ह तो वे िन प्रभाव हो
जाएंगे ।
(3) सदन का सभापित या अ यक्ष, यथाि थित, अनु छे द 105 या अनु छे द 194
के उपबंध पर और िकसी ऐसी अ य शिक्त पर जो उसे इस संिवधान के अधीन प्रा है ,
प्रितकूल प्रभाव डाले िबना, यह िनदे श दे सकेगा िक इस पैरा के अधीन बनाए गए
िनयम के िकसी यिक्त द्वारा जानबूझकर िकए गए िकसी उ लंघन के बारे म उसी रीित
से कारर् वाई की जाए िजस रीित से सदन के िवशेषािधकार के भंग के बारे म की जाती है
।]

 पैरा 7 को िकहोतो होलोहन बनाम जेिच हु और अ य ए.आई.आर. 1993, एस.सी. 412 म बहुमत की राय के अनुसार
अनु छे द 368 के खंड (2) के परं तुक के अनुसार अनुसमथर्न के अभाव म अिविधमा य घोिषत िकया गया ।

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