Hindu Koee Dharm Nahin

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यह कविता हहन्दू में निहहत अच्छाईयो को दर्ााता है ।आम धमा में जो विलगाि ,भेद भाि आहद की बुराईयाां है

,िो हहन्दू में िह ां,िह विश्ि बांधत्ु ि और सिे भिन्तु सुखिि: का घोष करता है हहन्दू धमा िह ां ,िह पवित्र पािि
विचार है ,जजसमें सभी का सुि निहहत है । धरा और उसके प्राखियों के सांरक्षि का विचारधारा है ।यह सबके

ू रे धमों से प्रभावित लोगों की बात िह ां कह रह , जो हहन्दू होकर भी हहन्दू जैसा


सुि में सुि दे िता है ।मैं दस
काम िह ां करते। हहन्दू होिा सबकी परम आिश्यकता है । सभी हहन्दू हो जाय ,और कोई धमा की आिश्यकता
ह िह ां रहेगी जजसमें दया ,प्रेम ,करुिा ,त्याग ,समपाि की सुर सर बहती है ।

हहन्दू कोई धमा िह , यह तो िैनतकता है -


हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह तो जीिे र नत है –

हहन्दू कोई धमा िह ां,यह माििता की र त है –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,सबमे ईश्िर का दर्ाि है –

सबको आदर दे िे का हहन्दू ह र त सीिता है –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

बड़े भाई को आदर ,छोटों को सम्माि ससिाता है –

भ्रात ृ प्रेम में ससहासि ,ठुकरािा यह ससिलाता है –

मातु वपता का आज्ञा पालि ,करिे की र त हहन्दू है –

गुरु के हहत सिास्ि न्योछािर,करिे की र त हहन्दू है –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

पुरुषो में दे ि िार में यह दे िी रूप हदिाता है –

मािि ति में ब्रह्म का दर्ाि करिा ससिाता है –

लोभ लालच पाप कमा से ,दरू रहिा ससिलाता है –

परोपकार में प्राि न्योछािर ,हहन्दू ह ससिलाता है –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –


दे र् की रक्षा प्रजा का पालि ,हहन्दू ह ससिलाता है –

सारे विज्ञािों का ज्ञाि ,एक हहन्दू ह ससिलाता है –

ृ द पररभाषा ,हहन्दू ह बतलाता है –


कृतज्ञ की बह

मातु वपता गुरु और समाज ,सबके ऋिी हैं हम सब –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

प्रकृनत जस्ित पााँच तत्ि,जलार्य िक्ष


ृ लताएाँ है –

सबसे कुछ िा कुछ पाते ,पर्ु पक्षी है सहचर अपिे –

उि सबसे उर ि होिे की, व्यिस्िा र्ास्त्र बतलाता है –

हहन्दू िह वििर् करता ,ककसी का धमा पररिताि को –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

हहन्दू िह ां आघात करके ,ककसी का प्राि हरि करता –

ििा व्यिस्िा करके समाज में , र्ाांनत बिाता है हहन्दू –

आश्रम व्यिस्िा का नियम बिा ,जीिा ससिलाता है हहन्द-ू

सूत को व्यसासि पर बैठिा ससिलाता है हहन्दू –

हहन्दू कोई धमा िह ां ,यह मािि की पररभाषा है –

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