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उत्तर-पूर्वी वर्वद्रोह के

लिए ककये गए उपाय

आं तररक सुरक्षा

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उत्तर-पूर्वी वर्वद्रोह के लिए ककये गए उपाय

वर्वद्रोह क्या है?


 एक वर्वद्रोह एक हहिं सक, सशस्त्र वर्वद्रोह है जो छोटे, हल्के सशस्त्र बैंडों द्वािा छे डे गए अधिकाि के खिलाफ है, जो मुख्य रूप से
ग्रामीण आिाि क्षेत्रों से गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास किते हैं।

 वर्वद्रोहहयों के ललए जनता का समर्थन मुख्य कािक है जो उन्हें आतंकर्वादी से अलग किता है। 1950 के दशक की शुरुआत में
नागालैंड की समस्याओ ं को वर्वद्रोह का एक उत्कृष्ट उदाहिण माना जा सकता है।

 वर्वद्रोह की प्रमुि र्वणथनात्मक वर्वशेषता इसकी वर्वषम प्रकृवत है: यानी वर्वद्रोही लोगों या ताकतों की कम संख्या िाष्ट्रों के खिलाफ
बडी, मजबूत, अनुशाधसत ताकतों से लड िही है।

 इस तथ्य के कािण, वर्वद्रोही सीिे युद्ध में सैन्य बलों के खिलाफ नहीं जाते हैं, बल्कल्क र्वे छापामाि िणनीवत का उपयोग किते हैं
औि स्थानीय लोगों की मदद से लडते हैं।

उत्तर पूर्वव
भाित के पूर्वोत्ति क्षेत्र में आठ िाज्य शावमल हैं।

 सात बहनें िाज्य -

 अरुणाचल प्रदेश

 असम

 मलणपुि

 मेघालय

 वमजोिम

 नगालैंड

 हत्रपुिा

 धसक्किम

स्रोत: भाित का नक्शा

आं तरिक सुिक्षा | उत्ति-पूर्वी वर्वद्रोह के उपाय ककए गए पृष्ठ 2


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 पूर्वोत्ति देश के 8 प्रवतशत भूभाग को कर्वर करता है और राष्ट्रीय जनसंख्या का 4 प्रवतशत है।

 इस क्षेत्र की 6,387 ककमी की सीमा का िगभग 99 प्रवतशत भूटान (699 ककमी), चीन (1,345 ककमी), म्ांमाि (1,643
ककमी), बांग्लादेश (2,700 ककमी) के सार् अं तिाथष्ट्रीय सीमा है।

 इस क्षेत्र की 68 प्रवतशत से अधिक आबादी असम राज्य में रहती है, उत्ति-पूर्वथ के इलाके में मुख्य रूप से असम को छोडकि सभी
िाज्यों में पहाडी है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में िहने र्वाली 84 प्रवतशत से अधिक आबादी के सार् मुख्य रूप से ग्रामीण है।

उत्तर पूर्वव वर्वद्रोह


 कई उत्ति-पूर्वी िाज्यों में सुिक्षा की ल्कस्थवत कई तरह के उग्रर्वादी संगठनों और उनकी कई मांगों के पररणामस्वरूप िंबे समय से
जकिि बनी हुई है। असम, प्रांत औि नागालैंड हमेश ा के ललए धचिं ता का वर्वषय िहे हैं।

 कनचिा असम और काबी आं गिोंग क्षेत्र जातीय औि सांप्रदावयक तनार्व के ललए अवतसंर्वेदनशील हैं।

 बोडो क्षेत्रों में आददर्वाधसयों और गैर-आददर्वाधसयों के बीच अवर्वश्वास बढ़ता जा िहा है। मेघािय में गारो का उदय जारी है
औि िाज्य में गैि मलणपुिी र्वगथ को उत्तिोत्ति ललक्षत ककया जा िहा है।

 दमजोरम और वत्रपुरा इसके आदशव उदाहरण हैं धजन्होंने उग्रर्वाद को प्रभार्वी ढंग से कनयंवत्रत ककया है औि अब र्वे काफी लंबे
समय से काफी हद तक शांवतपूणथ हैं।

 सिकाि ने इस क्षेत्र के अधिकांश वर्वद्रोही समूहों के साथ संघर्व वर्वराम और संचािन के कनिंबन (एसओओ) पर हस्ताक्षर ककए हैं।

 सिकाि ने ककसी भी संगठन के साथ बातचीत और बातचीत की नीवत को िगातार आगे बढाया है जो हहिं सा का िास्ता छोडने औि
भाित के संर्वैिाकनक ढांचे के भीति शांवत र्वाताथ के ललए आगे आने के ललए सहमत है।

 सामान्य तौि पि, दपछिे पांच र्वर्ों के दौरान अधिकांश उत्तर-पूर्वी राज्यों में सुरक्षा की स्थिवत में काफी सुिार हुआ है।

स्रोत: अहभपीकडया
आं तरिक सुिक्षा | उत्ति-पूर्वी वर्वद्रोह के उपाय ककए गए पृष्ठ 3
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उत्तर पूर्वव के लिए ककये गए उपाय


 पूर्वोत्तर में केंद्र द्वारा एक समग्र रणनीवत का पािन ककया जा रहा है। इसमें उन लोगों के सार् शांवत र्वाताथ किना शाहमल है
जो दहिं सा को त्याग देते हैं और दहिं सक गवतवर्ववियों से सख्ती से कनपिते हैं।

 केंद्र ने इस क्षेत्र में अधिकांश वर्वद्रोही समूहों (संख्या 17-18) के सार् संघर्व वर्वराम और संचािन के कनिंबन (SOO) पर हस्ताक्षर
ककए हैं।

 केंद्र ने ककसी भी संगठन के साथ बातचीत की नीवत को िगातार आगे बढाया है, जो दहिं सा का रास्ता छोड़ने और भारत के
संर्वैिाकनक ढांचे के भीतर शांवत र्वाताव के ललए आगे आने के ललए सहमत है।

 सिकाि के बुकनयादी मागथदशथक धसद्धांत िहे हैं

 पूर्वोत्ति के वर्वकास के ललए वर्वशेर् योजनाएं ।

 पूर्वोत्ति के ढांचागत वर्वकास के ललए वर्वशेष पैकेज।

 आनुपावतक बि प्रयोग।

 संर्वाद औि र्वाताथ।

 िाजनीवतक स्वायत्तता देने के ललए संरचनात्मक पररर्वतवन

 जनजातीय अधिकािों का वर्वकेंद्रीकरण और संरक्षण

 पूिे क्षेत्र में सड़क और रेि संपकव में सुिार

 उत्ति-पूर्वी प्रदशथकनयों औि सेवमनािों में कनर्वेश आकवषि त किने के ललए िुक ईस्ट पॉलिसी के साथ-साथ नॉथव-ईस्ट
वबजनेस सदमि।

 केंद्र ने र्वषथ 1998-99 से पूर्वोत्तर राज्यों और धसस्थिम के लिए संसािनों का गैर-व्यपगत केंद्रीय पूि बनाने का कनणथय ललया
र्ा।

 पूर्वोत्तर क्षेत्र वर्वकास वर्वभाग (DoNER) 2001 में बनाया गया र्ा औि मई 2004 में इसे एक पूणथ मंत्र ालय का दजाथ हदया
गया र्ा। मंत्रालय मुख्य रूप से भाित, उत्ति-पूर्वी के आधथि क वर्वकास के लिए बुकनयादी ढांचे के कनमावण से संबंधित है।

 11र्वीं योजना के बाद से वर्वशेर् श्रेणी का दजाव वर्वत्तीय संसािन जुिाने के लिए, पूर्वोत्तर राज्यों के वर्वकास के लिए केंद्रीय
मंत्राियों/वर्वभागों के योजना बजि (बजिों) का कम से कम 10% कनिावररत करने के ललए एक नीवतगत कनणथय ललया गया
र्ा। औि पूर्वोत्ति िाज्यों के ललए सकल बजटीय समर्थन (GBS) का कम से कम 10% कनिाथरित किें।

 एलशयाई वर्वकास बैंक ने उत्ति पूर्वथ िाज्य सडक कनर्वेश कायथक्र म औि वर्वश्व बैंक की सहायता से उत्ति पूर्वथ ग्रामीण आजीवर्वका
परियोजना (NERLP) की सहायता की।

 उत्ति पूर्वथ औद्योवगक कनर्वेश औि संर्विथन नीवत, 2007।

आं तरिक सुिक्षा | उत्ति-पूर्वी वर्वद्रोह के उपाय ककए गए पृष्ठ 4


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 सीमा क्षेत्र वर्वकास पररयोजना (BADP)।

 पूर्वोत्तर में पहाड़ी क्षेत्र वर्वकास कायवक्रम।

एक्ट ईस्ट नीवत


 भाित की एक्ट ईस्ट नीवत पररयोजनाओं को जोड़ने, अं तररक्ष में सहयोग, वर्वज्ञान और प्रौद्योवगकी और िोगों से िोगों के आदान-
प्रदान पर केंदद्रत है जो आधथि क सहयोग, सांस्क ृवतक संबंिों को बढ़ार्वा देन े औि देश ों के सार् िणनीवतक संबंिों को
वर्वकधसत किके इस नीवत के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण और समृलि के लिए एक स्प्रिंगबोडव के रूप में एधशया-प्रशांत क्षेत्र में
कायव करेगी।

 पूर्वोत्तर न केर्वि दलक्षण-पूर्वव एलशया का प्रर्वेश द्वार है बल्कि भारत के वर्वकास, प्रगवत और समृलि के लिए एक वर्वस्ताररत
गलियारा है।

 पूर्वोत्तर, वर्वशेर् रूप से मलणपुर, भारत के AEP का एक भौवतक और रणनीवतक भागीदार है, जबकक कनेक्कक्टवर्वटी के
गललयािों को आधर्ि क सहयोग के गललयािों में बदलने के ललए भूवम, र्वायु औि समुद्र द्वािा कनेल्कक्टवर्वटी को बढ़ाता है।

 कुछ प्रमुि परियोजनाओ ं में किादान मल्टी-मोडि ट्ांधजि ट्ांसपोिव प्रोजेक्ट, भारत-म्ांमार-थाईिैंड वत्रपक्षीय राजमागव
पररयोजना, री-किद्दीम रोड प्रोजेक्ट, बॉडवर हाि आदद शादमि हैं।

 सभ्यता के मोचे पि, लोगों के बीच नए संपकथ औि संपकथ वर्वकधसत किने के ललए बौि और दहिं दू संबंिों को सहक्रय ककया जा
सकता है।

 सामरिक मुद्दों पि, भाित का हद्वपक्षीय औि बहुपक्षीय दोनों स्वरूपों में प्रमुख भागीदारों के साथ सुरक्षा दहतों पर अदभसरण बढ रहा
है।

स्रोत: इं कडया न्यूज नेटर्वकथ

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आगे का रास्ता
उत्ति पूर्वथ उग्रर्वाद से कनपटने के ललए एक बहुआयामी दृदिकोण की आर्वश्यकता है। कनम्नललखित में से कुछ भवर्वष्य के उपाय हैं धजन्हें
सिकाि को समस्या के ललए किने की आर्वश्यकता है।

 संचार और कनेस्थक्टवर्विी।

 बुकनयादी ढांचे में सुिार।

 उग्रर्वादी गुटों से बातचीत

 केंद्रीय बिों और राज्य बिों के बीच समन्वय के पररणामस्वरूप बेहति सामरिक प्रवतहक्रया होती है।

 आतंकर्वादी हमले के मामलों के त्वरित कनपटान के ललए सख्त कानून और तेज आपराधिक न्याय प्रणािी

 हहिं सा के प्रवत जीरो िॉिरेंस की नीवत।

 देश के बाकी हहस्सों के सार् अधिक से अधिक सांस्कृवतक संपकव।

 सामाधजक-आधर्ि क वर्वकास धजसमें समग्र समार्वेशी वर्वकास शावमल है

 सतकथता के सार् वर्वकेंद्रीकरण।

 प्रशासकनक दक्षता में सुिार।

 जनहहतैषी शासन।

 मलणपुि, मेघालय औि हत्रपुिा में उच्च न्यायाियों की िापना।

 क्षेत्रीय आकांक्षाओ ं को पूिा किना।

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