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UPSC Prelims 2021
(Current Affairs + Static Portion)
िह ंदी
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POLITY
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UPSC PRELIMS 2021)
IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes(Hindi)
DAY 1 - POLITY
#RaRebaba
www.rrs.iasbaba.com
Day 01 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय किरे ज:
1. रे गुलेट ग
ं एक्
2. वपट्ि इंडिया एक्
3. चा ट र एक्
ब्रिट श भारि िें आए और ईस् इंडिया कंपनी (ईआईिी) के पाि विशुद्ि रूप िे व्यापार
1600
ईस् इंडिया कंपनी के विरुद्ि बक्िर की लडाई हारने के बाद शाह आलि ने ये अधिकार टदए;
कंपनी शािन
1773 - 1858
अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इि अधितनयि द्िारा बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल के गिनटर-जनरल' के रूप िें नासिि ककया गया
और उनकी िहायिा के सलए चार िदस्यों की एक कायटकारी पररषद बनाई गयी।
2. उन्होंने बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल के गिनटर-जनरल' के रूप िें नासिि ककया और उनकी िहायिा के
सलए चार िदस्यों की एक कायटकारी पररषद बनाई।
3. बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल का गिनटर-जनरल' बनाया गया और बंबई और िद्राि प्रेसििेंिी के गिनटरों
को उनका अिीनस्थ बनाया गया।
4. इि अधितनयि िें उच्चिि न्यायालय (1774) की स्थापना का प्राििान था।
5. इि अधितनयि ने EIC के किटचाररयों को ककिी भी तनजी व्यापार िें शासिल होने या िूल तनिािी िे
ररश्िि और उपहार स्िीकार करने िे प्रतिबंधिि कर टदया।
6. को ट ऑफ िायरे क् िट को िभी िािलों की ररपो ट ब्रिट श िरकार को दे नी दी।
विषय 3: चा ट र अधितनयि
1833 के चा ट र अधितनयि की विशेषिाएं
1. यह अधितनयि ब्रिट श भारि िें केंद्रीकरि की टदशा िें अंतिि कदि था।
2. इिने बंगाल के गिनटर जनरल को भारि का गिनटर-जनरल बनाया और उििें िभी नागररक और िैन्य
शज्क्ियां तनटहि कर दी।
3. इि प्रकार, इि अधितनयि ने पहली बार भारि िरकार को भारि िें अंग्रेजों के पाि परू े प्रादे सशक क्षेत्र पर
अधिकार प्रदान ककया।
4. इि अधितनयि ने एक िाणिज्ज्यक तनकाय के रूप िें ईस् इंडिया कंपनी की िभी गतिविधियों को
ििाप्ि कर टदया।
5. 1833 के चा ट र अधितनयि िें सिविल िेिकों (भारिीयों िटहि) के चयन के सलए खुली प्रतिस्पिाट की
प्रिाली शुरू करने का प्रयाि ककया गया। हालांकक इि प्राििान को नकार टदया गया।
विषय 4: भारि िरकार अधितनयि 1858 (या भारि िें अच्छी िरकार के सलए अधितनयि)
अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इि अधितनयि ने ईस् इंडिया कंपनी को ििाप्ि कर टदया, और िरकार, क्षेत्रों और राजस्ि की शज्क्ियों
को ब्रिट श क्राउन को हस्िांिररि कर टदया।
2. कंपनी शािन को 1858 िें ििाप्ि कर, क्राउन रूल / शाही शािन आरम्भ हुआ।
3. गिनटर जनरल GGI को बदलकर भारि का िायिराय (VOI) कर टदया गया।
4. इिने 'दोहरी िरकार की प्रिाली' को ििाप्ि कर, एक नया कायाटलय "भारि के राज्य िधचि" (SOS)
तनिाटि ककया।
5. इिने राज्य िधचि (SOS) की िहायिा हे िु 15 िदस्यीय भारिीय पररषद बनाई।
6. इिने भारि िें प्रचसलि िरकार की व्यिस्था िें ककिी भी िरह िे कोई िहत्िपूिट बदलाि नहीं ककया।
2. इि अधितनयि िें प्राििान ककया गया, कक िॉयिराय (VOI) को कुछ भारिीयों को अपनी विस्िाररि
वििान पररषद के गैर-आधिकाररक िदस्यों के रूप िें िनोनीि करना चाटहए।
3. विकेंद्रीकरि की प्रकक्रया शुरू की गई थी: बंबई और िद्राि प्रेसििेंिी की वििायी शज्क्ियां (वििायी
हस्िांिरि) बहाल कर दी गई थीं।
4. इि प्रकार इिने 1773 के रे गुलेट ग
ं एक् िे शुरू हुई केंद्रीकरि की प्रिवृ ि को उल टदया।
5. इिने बंगाल, उिर-पज्श्चिी िीिा प्रांि (NWFP) और पंजाब के सलए नई वििान पररषदों की स्थापना का
भी प्राििान ककया।
6. लॉिट कैतनंग द्िारा 'पो ट फोसलयो' प्रिाली की शुरुआि की गई - यानी भारिीय पररषद अधितनयि (ICA)
1861 ने िॉयिराय की कायटकारी पररषद को पो ट फोसलयो प्रिाली पर िंचासलि केब्रबने िें बदल टदया।
इिसलए कायटकारी पररषद िें 6 िदस्यों ने अलग-अलग विभागों का कायटभार िंभाला।
7. अध्यादे श बनाने की शज्क्ि: अधितनयि ने VOI को आपािकाल के दौरान अध्यादे श बनाने का अधिकार
टदया। हालांकक, ऐिे अध्यादे श की अिधि 6 िहीने थी।
8. इिने लंदन िें भारि के उच्चायुक्ि का एक नया कायाटलय बनाया और उन्हें भारि के सलए
राज्य िधचि द्िारा अब िक ककए गए कुछ कायों िें स्थानांिररि कर टदया।
9. इििें लोक िेिा आयोग की स्थापना का प्राििान ककया गया था (इिसलए, सिविल िेिकों
की भिी के सलए 1926 िें एक केंद्रीय लोक िेिा आयोग की स्थापना की गई थी।
10. इिने पहली बार प्रांिीय बज ों को केंद्रीय बज िे अलग ककया और प्रांिीय
वििानिभाओं को अपने बज को अधितनयसिि करने के सलए अधिकृि ककया।
11. इिने एक िैिातनक आयोग की तनयुज्क्ि का प्राििान ककया जो इिके लागू होने के
दि िषों के बाद इिके कािकाज की जांच और ररपो ट करे गा।
2. ब्रिट श िंवििान िंिदात्िक शािन-प्रिाली, एकल नागररकिा एिं विधि तनिाटि प्रकक्रया,
कैब्रबने प्रिाली, विशेषाधिकार रर , िंिदीय विशेषाधिकार,
द्वििदनीयिा
3. िंयुक्ि राज्य अिेररका िौसलक अधिकार, न्यातयक पुनरािलोकन, िंवििान की ििोच्चिा,
न्यायपासलका की स्ििंत्रिा, तनिाटधचि राष्ट्रपति एिं उि पर िहासभयोग,
उपराष्ट्रपति का कायाटलय, उच्चिि एिं उच्च न्यायालयों के न्यायािीशों
को ह ाने की विधि
4. आयरलैंि राज्य नीति के तनदे शक सिद्िांिों की अििारिा (आयरलैंि ने इिे स्पेन िे
उिार सलया था), राष्ट्रपति के तनिाटचन की पद्िति, राष्ट्रपति द्िारा राज्य
िभा िें िदस्यों का नािांकन
5. कनािा अिसशष् शज्क्ियां केंद्र के पाि, िशक्ि केंद्र के िाथ िंघ, केंद्र द्िारा राज्य
के गिनटरों की तनयज्ु क्ि, उच्चिि न्यायालय का िलाहकारी क्षेत्राधिकार
6. ऑस्ट्रे सलया ििििी िूची, प्रस्िािना की भाषा, व्यापार, िाणिज्य और आिागिन के
िंदभट िें प्राििान, दोनों िदनों की िंयुक्ि बैठक
7. जिटनी (िाइिर) आपािकाल के दौरान िौसलक अधिकारों का तनलंबन
8. िोवियि रूि (यूएिएिआर) िौसलक किटव्य, पंचिषीय योजना, प्रस्िािना िें न्याय (िािाज्जक,
आधथटक और राजनीतिक) का विचार
9. फ्रांि प्रस्िािना िें गििंत्र िथा स्ििंत्रिा , ििानिा एिं बंिुत्ि के विचार
10. दक्षक्षि अफ्रीका िंवििान िंशोिन की प्रकक्रया प्राििान, राज्य िभा के िदस्य का चुनाि
11. जापान विधि द्िारा स्थावपि प्रकक्रया
दि
ू री अनि
ु च
ू ी • राष्ट्रपति, राज्यपालों, अध्यक्ष और चैयरिेन, ििोच्च न्यायालय और उच्च
न्यायालय के न्यायािीशों, तनयंत्रक और िहालेखा परीक्षक के िेिन और भिे।
चौथी अनि
ु ूची • राज्यों और केंद्र शासिि प्रदे शों को राज्यिभा िें िी ों का आिं न।
छठी अनुिूची • अिि, िेघालय, ब्रत्रपुरा और सिजोरि राज्यों िें जनजािीय क्षेत्रों के प्रशािन िे
िंबंधिि प्राििान।
8. कश्िीरी,
9. कोंकिी,
10. िैधथली (िैधथली),
11. िलयालि,
12. िणिपुरी,
13. िराठी,
14. नेपाली,
15. उडडया,
16. पंजाबी,
17. िंस्कृि,
18. िंथाली,
19. सिंिी,
20. िसिल,
21. िेलुगु और
22. उदट।ू
दििीं अनुिूची • 1985 िें 52िें िंशोिन द्िारा जोडा गया। दलबदल के आिार पर अयोग्यिा के
प्राििान शासिल हैं।
ग्यारहिीं अनि
ु च
ू ी • 1992 िें 73िें िंशोिन द्िारा। पंचायिी राज के प्राििान शासिल हैं।
बारहिीं अनुिूची • 1992 िें 74िें िंशोिन द्िारा। इििें नगर तनगि के प्राििान शासिल हैं।
DAY 2 - POLITY
#RaRebaba
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Day 02 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय किरेज:
न्याय ● प्रस्तावना में न्याय का अथण है सामावजक, राजनीवतक और आवथणक न्याय से है।
● न्याय का वसद्ातां - सामावजक, आवथणक और राजनीवतक - रूसी क्ाांवत (1917) से विया
गया है।
स्वतत्रां ता ● स्वतांत्रता एक िोकताांवत्रक और स्वतांत्र समाज की अवनवायण आवश्यकता है।
● 'स्वतत्रां ता' शब्द का अथण है व्यवियों की गवतवववधयों पर सयां म का अभाव, और साथ ही,
व्यविगत व्यवित्व के ववकास के विए अवसर प्रदान करना।
● हमारी प्रस्तावना में स्वतांत्रता, समानता और बांधत्ु व के आदशों को फ्ाांसीसी क्ाांवत (1789-
1799) से विया गया है।
समानता ● प्रस्तावना भारत के सभी नागररकों को प्रवतष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करती है।
● इस प्रावधान में समानता के तीन आयाम शावमि हैं- नागररक, राजनीवतक और आवथणक।
बांधत्ु व ● बांधत्ु व का अथण भाईचारे की भावना है। (एकि नागररकता की प्रर्ािी द्वारा सवु नवित)
● प्रस्तावना में की गयी घोषर्ा के अनसु ार बांधत्ु व में दो बातों को सवु नवित करना होगा -
व्यवि की गररमा और राष्ट्र की एकता और अखडां ता।
● बांधत्ु व शब्द (शायद) मानव अवधकार 1948 की सावणभौवमक घोषर्ा के अनच्ु छे द 1 से
शावमि वकया गया है।
नोर्: (प्रस्तावना, बांधत्ु व और समतावादी राज्य की अवधारर्ा अक्सर खबरों में रहती है - करांर् अफे यसण)
● बांधत्ु व की अवधारर्ा इस वषण की परीक्षा के विए महत्वपर्ू ण है। देश भर में कई CAA ववरोधी प्रदशणनों में सांववधान की प्रस्तावना को
सावणजवनक रूप से पढा गया और भाईचारे को बनाए रखने के विए आह्वान वकया गया।
● समतावादी राज्य: एक समतावादी राज्य से नागररकों के बीच असमानताओ ां को कम करने और सभी की न्यनू तम आवश्यकताओ ां
को परू ा करने की उम्मीद की जाती है। (महामारी प्रेररत वस्थवत के कारर्)
● जनभागीदारी का महत्व - "हम भारत के िोग.........इस सांववधान को अगां ीकृ त, अवधवनयवमत और आत्मावपणत करते हैं।"
वकया।
िोकसभा के अध्यक्ष और प्रधान मांत्री को ववशेष भेदभावरवहत अवधकार प्रदान वकये गए।
(अनच्ु छे द 329A)
सांघ अनच्ु छे द 257A को सवम्मवित करना, तावक कें द्र वकसी भी राज्य में उत्पन्न होने वािी
काननू और व्यवस्था की वकसी भी गांभीर वस्थवत से वनपर्ने के विए सशस्त्र बिों को तैनात
कर सके ।
ससां द को राष्ट्र ववरोधी गवतवववधयों के सांबांध में कायणवाही करने के विए वववधयाां बनाने की
शवि प्रदान की गयी और ऐसी वववधयाां मौविक अवधकारों पर अवभभावी होंगी।
आपातकाि इसने राष्ट्रपवत को देश के वकसी भी वहस्से में आपातकाि घोवषत करने के विए अवधकृ त
वकया।
अनच्ु छे द 323 A और 323 पार्ण XIV-A को 'प्रशासवनक मामिों से सबां वां धत अवधकरर्' और 'अन्य मामिों के विए
B, भाग XIV-A X अवधकरर्' के रूप में जोडा गया।
समवती सचू ी के ववषय पाांच ववषयों को राज्य सचू ी से समवती सचू ी में स्थानान्तररत, जैसे,
1. वशक्षा,
2. वन,
3. भार और मापन,
4. वन्य जीवों एवां पवक्षयों का सरां क्षर्, और
5. न्याय का प्रशासन एवां उच्चतम न्यायािय और उच्च न्यायाियों को छोडकर
सभी न्यायाियों का गठन और सांगठन।
● भारत में, के रि 2017 में इर्ां रनेर् तक पहुचां को "एक बवु नयादी मानव अवधकार"
घोवषत करने वािा पहिा राज्य बन गया।
विव इन ररिेशनवशप का ● उच्चतम न्यायािय ने विव-इन सबां धां ों को मान्यता प्रदान की है, न्यायािय के
अवधकार एक मौविक अनसु ार व्यवियों को जीने की स्वतत्रां ता दी जानी चावहए क्योंवक वे सबसे अच्छा
अवधकार है
सोचते हैं।
● 'एक साथ रहना जीवन का अवधकार है' (अनच्ु छे द 21 के तहत)
सचू ना का अवधकार एक ● सचू ना का अवधकार अवधवनयम 2005 (आरर्ीआई अवधवनयम) के तहत प्रदान
मौविक अवधकार है वकया गया 'जानने का अवधकार' अनच्ु छे द 19 और 21 के तहत एक मौविक
अवधकार है।
धारा 371 (डी) के तहत आध्रां प्रदेश को वनवदणि क्षेत्रों में "स्थानीय सवां गण की सीधी भती" करने
का अवधकार है।
● अनच्ु छे द 15 का नया खडां (6) सरकार को समाज के आवथणक रूप से कमजोर वगों के विए वनजी सस्ां थानों सवहत उच्च वशक्षर्
सस्ां थानों में आरक्षर् देने की अनमु वत देता है, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त हों या नहीं। अल्पसख्ां यक वशक्षर् सस्ां थानों को छूर् दी
गई है।
● इसी तरह, अनच्ु छे द 16 में नया खडां (6) सरकारी सेवाओ ां में प्रारांवभक वनयवु ि में आवथणक रूप से ववां चत वगों के विए कोर्ा प्रदान
करता है।
3. पहिे एनसीबीसी सामावजक न्याय और अवधकाररता मांत्रािय के तहत एक साांवववधक वनकाय था।
4. 1992 का इद्रां ा साहनी मामिा - सप्रु ीम कोर्ण ने सरकार को वनदेश वदया था वक वह िाभ और सांरक्षर् के उद्देश्य से वववभन्न वपछडे
वगों को शावमि करने, जाांच करने और उनके बवहष्ट्कार के विए एक स्थायी वनकाय बनाए।
एनसीबीसी की सांरचना
1. आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों सवहत पाचां सदस्य होते हैं, वजन्हें राष्ट्रपवत द्वारा उनके हस्ताक्षर और महु र
के तहत वारांर् द्वारा वनयि
ु वकया जाता है।
2. आयोग की सेवा और कायणकाि की शतें राष्ट्रपवत द्वारा वनधाणररत की जाती हैं।
अनच्ु छे द 338 B यह एनसीबीसी को सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे वगों के सबां धां में वशकायतों और
कल्यार्कारी उपायों की जाांच करने का अवधकार प्रदान करता है।
अनच्ु छे द 342 A यह राष्ट्रपवत को वववभन्न राज्यों और कें द्र शावसत प्रदेशों में सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे
वगों को वनवदणि करने का अवधकार प्रदान करता है। वह सांबांवधत राज्य के राज्यपाि के परामशण से
ऐसा कर सकते हैं। तथावप, यवद वपछडे वगों की सचू ी में सांशोधन करना है तो सांसद द्वारा अवधवनयवमत
काननू की आवश्यकता होगी।
काननू और व्यवस्था में एक क्षेत्र की वस्थवत के पवु िस द्वारा वकए गए ववश्लेषर् और आपरावधक काननू के तहत कठोर कारण वाई और दडां के
प्रवत उनकी प्रवतबद्ता शावमि है।
सावणजवनक व्यवस्था वजिावधकारी पर यह आकिन करने के विए िगाया गया कतणव्य है वक क्या वहसां ा को फै िने से रोकने और तनाव को
कम करने के विए उस स्थान पर जाना आवश्यक है जहाां काननू और व्यवस्था का उल्िघां न वकया गया है।
DAY 15 - POLITY
#RaRebaba
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Day 15 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय किरे ज:
101. कें द्र शावित प्रदेश जम्म-ू कश्मीर में प्रशािन के विए अवििवू ित नए वनयम (New rules for administration notified in
the UT of J&K)
102. 5िीं और 6िीं अनिु वू ियों के बीि अतं र (Difference between 5th and 6th Schedules)
103: स्िायत्त वजिा पररषद (एडीिी) और रें गमा जनजावत (Autonomous district councils (ADCs) and Rengma tribe)
104. भाषा और मंश ु ी-अयंगर िूत्र िे िंबंवित िंिैिावनक प्राििान (Constitutional provisions dealing with Languages
and Munshi-Ayyangar formula)
105. गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) अविवनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act)
106. गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act,
2019)
107. विरोि का अविकार तथा नागररक और राजनीवतक अविकारों पर अंतरााष्ट्रीय िािा/ वनयम (Right to Protest and
International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR)
108. राजद्रोह (Sedition)
109. राष्ट्रीय िरु क्षा अविवनयम (National Security Act)
110. नागररकता अविवनयम, 1955 में िारा 16 (Section 16 in the Citizenship Act, 1955)
विषय 101: कें द्र शावित प्रदेश जम्म-ू कश्मीर में प्रशािन के विए अवििूवित नए वनयम (New rules for administration notified in
the UT of J&K)
मख्ु य वबदं :ु
कें द्र ने जम्मू-कश्मीर पनु गाठन अविवनयम, 2019 के तहत नए वनयम जारी वकए हैं।
नए वनयमों के अनुिार -
1. पवु िि, अविि भारतीय िेिाएं और भ्रष्टािार वनरोिक ब्यरू ो उपराज्यपाि (LG) के िीिे वनयत्रं ण में होंगे।
2. कोई भी मामिा जो कें द्र शावित प्रदेश की शांवत और िौहादा या वकिी अल्पिंख्यक िमदु ाय, एििी / एिटी और बीिी के वहत को
प्रभावित कर िकता है - कोई भी आदेश जारी करने िे पहिे मख्ु यमंत्री को िवू ित करते हुए मख्ु य िविि के माध्यम िे उपराज्यपाि
को प्रस्तुत वकया जाएगा।
3. मख्ु यमंत्री की अध्यक्षता में मंवत्रपररषद गैर-अविि भारतीय िेिा अविकाररयों के िेिा मामिों, नए करों को िागू करने के प्रस्तािों,
भवू म राजस्ि, वबक्री, अनुदान या िरकारी िंपवत्तयों के पट्टे, विभागों या कायााियों के पनु गाठन और मिौदा कानूनों पर फै ििा करे गी।
4. मंवत्रपररषद और उपराज्यपाि के बीि मतभेद की वस्थवत में जहां एक महीने तक कोई िमािान नहीं होता, िहां उपराज्यपाि का
फै ििा ही अंवतम माना जाएगा।
5. कें द्र शावित प्रदेश की िरकार में 39 विभाग होंगे।
6. प्रिान मंत्री और अन्य मंवत्रयों िवहत कें द्र िे प्राप्त िभी िंिार मख्ु य िविि, वििारािीन मामिे के प्रभारी मंत्री, मख्ु यमंत्री और िेवटटनेंट
गिनार को प्रस्तुत वकए जाएंगे।
7. कोई भी मामिा, वजिमे कें द्र या राज्य िरकार के िाथ कें द्र शावित प्रदेश की िरकार को वििाद में िाने की िंभािना है, वजतनी
जल्दी हो िके , िंबंवित िविि द्वारा मख्ु य िविि के माध्यम िे एिजी और मख्ु यमंत्री के ध्यान में िाया जाएगा।
विषय 102: 5िीं और 6िीं अनुिवू ियों के बीि अंतर (Difference between 5th and 6th Schedules)
िबर में क्यों?
• िेह में नेता कें द्र शावित प्रदेश िद्दाि के विए छठी अनुििू ी के तहत िंिैिावनक िरु क्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।
• अरुणािि प्रदेश वििानिभा ने राज्य को िंवििान की छठी अनुििू ी के दायरे में िाने का प्रस्ताि पाररत वकया है।
अनुििू ी V अनुििू ी VI
किर वकया गया (अनुिवू ित क्षेत्र)
क्षेत्र अिम मेघािय वमजोरम वत्रपरु ा
अवििवू ित वजिे या उिके 10 उत्तरी कछार िािी वहल्ि, िकमा, वत्रपरु ा में
राज्यों के कुछ वहस्िे: पहाड़ी, आवदिा
जयंवतया मारा और िी क्षेत्र
1. वहमािि प्रदेश, काबी वहल्ि और
2. राजस्थान आगं िोंग िाई वजिे
3. गजु रात और गारो वहल्ि
4. महाराष्ट्र
बोडोिैंड
5. आंध्र प्रदेश,
प्रादेवशक
6. तेिंगाना, क्षेत्र
7. ओवडशा,
8. झारिंड, प्रत्येक स्िायत्त वजिे के विए एक अिग क्षेत्रीय पररषद है।
9. छत्तीिगढ़ और
10. मध्य प्रदेश
इि अनुच्छे द के तहत, भारत के एक एक स्िायत्त राज्य का गठन वजिमें अिम के कुछ जनजातीय
क्षेत्र को राष्ट्रपवत द्वारा अनुिूवित क्षेत्र शावमि हैं और स्थानीय वििावयका या मंवत्रपररषद या दोनों
क्षेत्रों के रूप में घोवषत वकया जा का वनमााण है।
िकता है।
राष्ट्रपवत/राज्य राज्यपाि के पाि िंिद और राज्य स्िायत्त वजिों के रूप में जनजातीय क्षेत्रों को व्यिवस्थत करने
पाि के काया वििावयका द्वारा पाररत कानूनों को और पनु गावठत करने की शवि राज्य के राज्यपाि के पाि है। िह
इि तरह िे अनुकूवित करने की ऐिे जनजातीय क्षेत्रों का नाम, िीमा में पररितान कर िकते है।
शवि है वक िह इन क्षेत्रों के अनुकूि
हो। एक स्िायत्त वजिे में विवभन्न जनजावतयााँ हो िकती हैं, वजन्हें
बेहतर प्रशािन के विए राज्यपाि द्वारा स्िायत्त क्षेत्रों में विभावजत
उिे अनिु वू ित क्षेत्रों के रूप में वकया जाता है।
विषय 103: स्िायत्त वजिा पररषद (एडीिी) और रें गमा जनजावत (Autonomous district councils (ADCs) and Rengma tribe)
िबरों में क्यों?
● काबी आंगिोंग स्िायत्त पररषद (KAAC) को एक क्षेत्रीय पररषद में उन्नत करने के कें द्र और राज्य िरकारों के फै ििे के बीि अिम
में रें गमा नागा एक स्िायत्त वजिा पररषद की मांग कर रहे हैं।
● रें गमा नागािैंड और अिम में पाई जाने िािी एक नागा जनजावत है।
स्िायत्त वजिा पररषदों (ADCs) के बारे में;
● िंवििान की छठी अनुििू ी जनजातीय आबादी की रक्षा करती है और स्िायत्त विकाि पररषदों के वनमााण के माध्यम िे िमदु ायों को
स्िायत्तता प्रदान करती है जो भवू म, िािाजवनक स्िास््य, कृ वष और अन्य पर कानून बना िकती हैं।
● अभी तक अिम, मेघािय, वत्रपरु ा और वमजोरम में 10 स्िायत्त पररषदें मौजदू हैं। वनवदाष्ट जनजातीय क्षेत्र उत्तरी कछार वहल्ि, काबी
आगं िोंग और अिम में बोडोिैंड प्रादेवशक क्षेत्र हैं।
● ADC एक राज्य के भीतर वजिे का प्रवतवनवित्ि करने िािी एक कॉपोरे ट िंस्था है, वजिे िंवििान ने राज्य वििावयका के भीतर
स्िायत्तता का अिग-अिग स्तर प्रदान वकया है।
● ADC को नागररक और न्यावयक शवियां प्राप्त हैं। िे राज्यपाि की अनुमवत िे भवू म, िन, मत्स्य पािन, िामावजक िरु क्षा,
मवु िया/मवु िया की वनयवु ि, िामावजक रीवत-ररिाजों आवद जैिे मामिों पर भी कानून बना िकते हैं।
● छठी अनुििू ी के तहत पररषदों को देश के बाकी वहस्िों में 73 िें (पिं ायती प्रणािी) और 74 िें (नगरपाविकाओ)ं िश
ं ोिनों के तहत
स्थानीय िरकारों की तुिना में अविक अविकार वदए गए हैं।
विषय 104: भाषा और मंशु ी-अयंगर ित्रू िे िंबंवित िंिैिावनक प्राििान (Constitutional provisions dealing with Languages
and Munshi-Ayyangar formula)
िंिैिावनक प्राििान वििरण
आठिीं अनुििू ी ● भारत के िंवििान की आठिीं अनुििू ी में भारत गणराज्य की आविकाररक भाषाओ ं को
ििू ीबि वकया गया है।
● भारतीय िंवििान के अनुच्छे द 344(1) और 351 के अनुिार, आठिीं अनुििू ी में
वनम्नविवित 22 भाषाओ ं की मान्यता प्रदान की गयी है।
● इिका उद्देश्य वहदं ी के प्रगवतशीि उपयोग को बढ़ािा देना और इि भाषा के िंििान और
प्रिार करने के विए था।
अनुच्छे द 343 ● ितामान में, िंघ की आविकाररक भाषा देिनागरी विवप के िाथ अंग्रेजी और वहदं ी दोनों है।
(भाग XVII)
अनुच्छे द 344 ● िंवििान में वहन्दी भाषा के प्रगवतशीि प्रयोग की वनगरानी का भी प्राििान है।
● इिके विए िरकार द्वारा क्रमशः प्रत्येक 5 और 10 िषा में एक आयोग की वनयवु ि की जाती
है।
● इन विफाररशों की जािं के विए एक ििं दीय िवमवत का गठन वकया जाता है जो अपनी
ररपोटा राष्ट्रपवत को िौंपती है।
अनुच्छे द 351 ● िघं का यह कताव्य है वक िह वहदं ी भाषा के प्रिार को बढ़ािा दे तावक िह अवभव्यवि के
माध्यम के रूप में काम कर िके ।
मंश
ु ी-अयंगर फॉमाि
ू ा ● इि ित्रू के अनुिार, अंग्रेजी को वहदं ी के िाथ-िाथ भारत की राजभाषा के रूप में पंद्रह िषों
की अिवि तक जारी रिना था, िेवकन िीमा िोिदार थी और विस्तार की शवि िंिद को
दी गई थी।
विषय 105: गैरकाननू ी गवतविवि (रोकथाम) अविवनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act)
िबरों में क्यों?
● गृह मंत्रािय (MHA) के आंकड़ों के अनुिार 2015 में वकए गए िोगों के िंबंि में 2019 में कठोर गैरकानूनी गवतविवियां (रोकथाम)
अविवनयम (UAPA) के तहत की गई वगरटतारी की िंख्या में 72% की िृवि हुई है।
आक
ं ड़ों के मतु ावबक 2019 में-
UAPA के तहत िबिे ज्यादा मामिे दजा वकए गए 1. मवणपरु (306)
2. तवमिनाडु (270)
3. जम्मू और कश्मीर (255)
4. झारिंड (105) और
5. अिम (87)
विषय 106: गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act,
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2019)
अगस्त 2019 में, िंिद ने गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 पाररत वकया।
मख्ु य वबदं :ु
1. िंिद ने कई पररितान वकए और प्राथवमक पररितान हािांवक िौथी अनुििू ी को शावमि करना था और व्यवियों को आतंकिादी के
रूप में नावमत करना था यवद व्यवि आतंकिाद के कृ त्यों में भाग िेता है, आतंकिादी तैयार करता है, आतंकिाद को बढ़ािा देता है
या अन्यथा आतंकिाद में शावमि होता है।
2. यह अविवनयम राष्ट्रीय जांि एजेंिी (NIA) के महावनदेशक को उि एजेंिी द्वारा मामिे की जांि वकए जाने पर िंपवत्त की जब्ती या
कुकी की मंजरू ी देने का अविकार देता है।
3. यह अविवनयम राज्य में DSP या ACP या उििे ऊपर के रैं क के अविकारी द्वारा वकए गए मामिों के अिािा, इस्ं पेक्टर या उििे
ऊपर के रैं क के NIA के अविकाररयों को आतकं िाद के मामिों की जािं करने का अविकार देता है।
विषय 107: विरोि का अविकार और नागररक और राजनीवतक अविकारों पर अंतरााष्ट्रीय वाचा / नियम (Right to Protest and
International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR)
िबरों में:
● िप्रु ीम कोटा ने हाि ही में इि बात पर प्रकाश डािा है वक विरोि का अविकार एक मौविक अविकार है, हािांवक, विरोि के विए
िािाजवनक स्थानों पर कब्जा करना स्िीकाया नहीं है और इि तरह के स्थान पर अवनवित काि तक कब्जा नहीं वकया जा िकता है।
● प्रदशानकारी के अविकार को वनयवमत आने-जाने िािे के अविकार के िाथ ितं वु ित करना होगा। उन्हें आपिी िम्मान में िह-
अवस्तत्ि में रहना होगा ।
● पीठ ने यह भी कहा वक िािाजवनक स्थिों पर अवतक्रमण रोकने की परू ी वजम्मेदारी प्रशािन की है।
6. यह कानून एक व्यवि के िंिैिावनक अविकार को भी छीन िेता है वजिे 24 घंटे के भीतर मवजस्रेट के िमक्ष पेश वकया जाना है,
जैिा तब होता है जब आरोपी पुविि वहराित में होता है; वहराित में विए गए व्यवि को आपराविक अदाित के िमक्ष जमानत
याविका दायर करने का भी अविकार नहीं है।
7. िाथ ही, नजरबंदी आदेश पाररत करने िािे डीएम को अविवनयम के तहत िंरवक्षत वकया जाता है: आदेश देने िािे अविकारी के
वििाफ कोई मक ु दमा या कोई कानूनी कायािाही शरू ु नहीं की जा िकती है।
8. इिविए, बंदी प्रत्यक्षीकरण की ररट NSA के तहत िोगों को वहराित में िेने की अवनयंवत्रत राज्य शवि के वििाफ िंवििान के
तहत गारंटीकृ त एकमात्र िंरक्षण है।
9. NSA के तहत एक महत्िपणू ा प्रवक्रयात्मक िरु क्षा अनच्ु छे द 22 (5) के तहत प्रदान की जाती है, जहां वहराित में विए गए िभी
व्यवियों को एक स्ितत्रं ििाहकार बोडा के िमक्ष प्रभािी प्रवतवनवित्ि करने का अविकार है, वजिमें तीन िदस्य होते हैं; और बोडा
की अध्यक्षता एक ऐिे िदस्य द्वारा की जाती है जो उच्ि न्यायािय का न्यायािीश है या रहा हो।
विषय 110: नागररकता अविवनयम, 1955 में िारा 16 (Section 16 in the Citizenship Act, 1955)
िमािार: कें द्र ने मौजदू ा वनयमों के तहत गजु रात, छत्तीिगढ़, राजस्थान, हररयाणा और पंजाब के 13 वजिों के वजिा किेक्टरों को पावकस्तान,
अफगावनस्तान और बाग्ं िादेश के अल्पिख्ं यक िमदु ायों के िदस्यों के नागररकता आिेदनों को स्िीकार करने, ित्यावपत करने और मजं रू ी देने
की शवि प्रदान की है।
2019 में पाररत नागररकता (िंशोिन) अविवनयम (CAA) 31 वदिंबर, 2014 तक भारत आने िािे छह गैर-प्रिेवित िमदु ायों को भारतीय
नागररकता प्रदान करने का प्रयाि करता है।
मख्ु य वबंद:ु
1. नागररकता एक कें द्रीय विषय है और गृह मंत्रािय िमय-िमय पर नागररकता अविवनयम, 1955 की िारा 16 के तहत गजट
अविििू ना के माध्यम िे राज्यों को शवियां प्रदान करता है।
2. कें द्र िरकार, आदेश द्वारा, वनदेश दे िकती है वक उिे प्रदान की गई कोई भी शवि ऐिे अविकारी या प्राविकारी द्वारा भी प्रयोग की
जा िकती है जो इि प्रकार वनवदाष्ट हो।
3. भारतीय नागररकता आठ आिारों पर प्राप्त की जा िकती है - भारतीय मि ू के व्यवि द्वारा वकए गए पंजीकरण के आिार पर, वकिी
भारतीय िे वििावहत व्यवि द्वारा, नाबाविग बच्िे, वजिके माता-वपता भारत के नागररक के रूप में पंजीकृ त हैं, एक व्यवि द्वारा,
वजिके माता-वपता में िे कोई एक स्ितंत्र भारत का नागररक था, भारत के विदेशी नागररक, भारतीय िावणज्य दतू ािाि में एक बच्िे
के देशीयकरण और पंजीकरण द्वारा।
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विषय किरे ज:
111. पजू ा स्थल (विशेष प्रािधान) अवधवनयम, 1991 (The Place of Worship (Special Provisions) Act, 1991)
112. 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम (102nd Constitution Amendment Act)
113. SEBC का समािेश और बविष्करण (Inclusion and Exclusion of SEBC)
114. राष्रीय जनसांख्या रवजस्टर (National Population Register - NPR)
115. विश्व प्रेस स्ितांत्रता सचू काांक 2021 (2021 World Press Freedom Index)
116. आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 (Official Secrets Act 1923)
117. EIU के लोकतांत्र सचू काांक में भारत का 53 िाां स्थान। (India ranks 53rd in EIU’s Democracy Index)
118. जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (District Development Councils (DDCs) in J&K)
119. जी वकशन रे ड्डी सवमवत (G KISHAN REDDY COMMITTEE)
120. एक राष्र एक आिेदन: राष्रीय ई-विधान आिेदन (One Nation One Application: National e-Vidhan
Application (NeVA)
विषय 111: पजू ा स्थल (विशेष प्रािधान) अवधवनयम, 1991 (The Place of Worship (Special Provisions) Act, 1991)
मख्ु य वबदां :ु
1. यि अवधवनयम 1991 में एक विशेष काननू के रूप में अवधवनयवमत वकया गया था तावक पजू ा स्थलों की 15 अगस्त, 1947 की
वस्थवत को वस्थर वकया जा सके ।
2. अवधवनयम घोवषत करता िै वक पजू ा स्थल का धावमिक चररत्र ििी रिेगा जो 15 अगस्त, 1947 को था।
3. इसमें किा गया िै वक कोई भी व्यवि वकसी भी धावमिक सांप्रदाय के पजू ा स्थल को अलग सांप्रदाय या िगि में पररिवतित निीं करे गा।
4. यि वकसी भी काननू ी कायििािी को प्रवतबांवधत करता िै और बशते वक सभी लांवबत मामले समाप्त िो जाएांगे, और आगे कोई
कायििािी दजि निीं की जा सकती िै ।
पजू ा स्थल अवधवनयम का उद्देश्य
1. वकसी भी पजू ा स्थल की वस्थवत को 15 अगस्त, 1947 के समान वस्थर करना।
2. वकसी भी पूजा स्थल की वपछली वस्थवत के बारे में वकसी भी समिू द्वारा नए दािों को रोकना।
3. सरां चनाओ ां या भवू म वजस पर िे खडे थे, को पनु ः प्राप्त करने के वकसी भी नए प्रयास को रोकना।
4. लांबे समय में साांप्रदावयक सद्भाि बनाए रखना।
1991 का अवधवनयम कुछ मामलों में लागू निीं िोगा -
1. यि प्राचीन और ऐवतिावसक स्मारकों और परु ातावविक स्थलों और अिशेषों पर लागू निीं िोगा जो प्राचीन स्मारकों और
परु ातावविक स्थलों और अिशेष अवधवनयम, 1958 द्वारा किर वकए गए िैं।
2. काननू ने अयोध्या में वििावदत ढाचां े को अपने दायरे से बािर रखा, मख्ु यतः क्योंवक यि लबां े समय तक मक
ु दमेबाजी का विषय
रिा था। इसका उद्देश्य सांभावित बातचीत से समाधान के वलए गजांु ाइश प्रदान करना भी था।
विषय 112: 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम (102nd Constitution Amendment Act)
मख्ु य वबांद:ु
1. इसने राष्रीय वपछडा िगि आयोग को सांिैधावनक दजाि प्रदान वकया (इसमें अनच्ु छे द 338 B जोडा गया)
2. पिले NCBC सामावजक न्याय और अवधकाररता मांत्रालय के तित एक िैधावनक वनकाय था।
3. 1992 का इद्रां ा सािनी मामला - सप्रु ीम कोटि ने सरकार को एक स्थायी वनकाय बनाने का वनदेश वदया था जो लाभ और सरु क्षा के
उद्देश्य से विवभन्न वपछडा िगि के चयन, जाांच और वसफाररश करने तथा शावमल करने और बविष्कृ त करने की वसफाररश करता
िै।
NCBC की सरां चना
1. आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों सवित पाच ां सदस्य िोते िैं वजन्िे राष्रपवत द्वारा उनके िस्ताक्षर और
मिु र के तित िारांट द्वारा वनयि
ु वकया जाता िैं।
2. आयोग की सेिा और कायिकाल की शतें राष्रपवत द्वारा वनधािररत की जाती िैं।
सिां ैधावनक प्रािधान
1. अनच्ु छे द 340 "सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों" की पिचान करने, उनके वपछडेपन की वस्थवतयों को समझने और
उनके सामने आने िाली कविनाइयों को दरू करने के वलए वसफाररशें करने की आिश्यकता से सबां वां धत िै।
2. 102 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम ने नए अनच्ु छे द 338 B और 342 A को सवम्मवलत वकया।
3. अनच्ु छे द 338 B NCBC को सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों के बारे में वशकायतों और कल्याणकारी उपायों की
जाांच करने का अवधकार प्रदान करता िै।
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4. अनच्ु छे द 342 A राष्रपवत को विवभन्न राज्यों और कें द्र शावसत प्रदेशों में सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों को वनवदिष्ट
करने का अवधकार देता िै। िि सबां वां धत राज्य के राज्यपाल के परामशि से ऐसा कर सकता िै। िालावां क, यवद वपछडे िगों की सूची
में सांशोधन करना िै तो सांसद द्वारा अवधवनयवमत काननू की आिश्यकता िोगी।
6. NPR को 1955 के नागररकता अवधवनयम और 2003 में वनधािररत नागररकता वनयमों के वसद्ाांतों के तित विकवसत वकया जा
रिा िै।
7. NPR की परू ी किायद कें द्रीय गृि मांत्रालय के अधीन भारत के रवजस्रार जनरल (RGI) के कायािलय द्वारा की जाएगी।
क्या आप जानते िैं?
● NPR को पिली बार 2010 में एक साथ दशकीय जनगणना अभ्यास के साथ सक ां वलत वकया गया था और बाद में 2015 में
अपडेट वकया गया था। इसमें पिले से िी 119 करोड वनिावसयों का डेटाबेस िै।
किर करने के वलए विषय: NRC और NPR के बीच अांतर; NPR और जनगणना; अनच्ु छे द 5-11 (भाग 2); नागररकता अवधवनयम
1955 - नागररकता के अवधग्रिण और समावप्त के वलए विवभन्न तरीके
विषय 115: विश्व प्रेस स्ितत्रां ता सचू काकां 2021 (2021 World Press Freedom Index)
मख्ु य वबांद:ु
1. 2021 िल्डि प्रेस फ्रीडम इडां ेक्स एक फ्राांसीसी एनजीओ ररपोटिसि विदाउट बॉडिसि (RSF) द्वारा तैयार वकया गया िै।
2. इसने पनु ः 180 देशों में भारत को 142िें स्थान पर रखा िै।
3. 2016 में, भारत की रैं क 133 थी जो 2020 में लगातार वगरकर 142 िो गई िै।
विषय 116: आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 (Official Secrets Act 1923)
वदल्ली पवु लस ने एक रणनीवतक मामलों के विश्ले षक और दो अन्य को आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम (OSA) के तित वगरफ्तार
वकया िै।
मख्ु य वबांद:ु
1. आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 अवनिायि रूप से भारत का जाससू ी विरोधी काननू िै।
2. OSA की जडें वब्रवटश औपवनिेवशक यगु से जडु ी िैं। इसका मल ू सांस्करण भारतीय आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम, 1889
था।
3. इसका मख्ु य उद्देश्य वब्रवटश राज की नीवतयों का विरोध करने िाले अखबारों को दबाना और चपु कराना था।
4. भारत के िायसराय के रूप में लॉडि कजिन के कायिकाल के दौरान इसे भारतीय आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम, 1904 के
रूप में सांशोवधत और अवधक किोर बनाया गया था।
5. 1923 में, एक नया सस्ां करण अवधसवू चत वकया गया था ।
6. OSA 1923 मोटे तौर पर दो पिलओ ु ां से सांबांवधत िै -
विषय 117: EIU के लोकतांत्र सचू काांक में भारत का 53 िाां स्थान। (India ranks 53rd in EIU’s Democracy Index)
मख्ु य वबांद:ु
1. भारत 2020 लोकतत्रां सचू काक ां में 167 देशों में से दो स्थान नीचे वखसक कर 53 िें स्थान पर आ गया िै।
2. 0-10 के पैमाने पर सचू काांक में भारत का कुल स्कोर 6.61 िै।
3. भारत को एक 'त्रवु टपणू ि लोकतत्रां ' के रूप में िगीकृ त वकया गया िै।
4. डेमोक्रेसी इडां ेक्स द इकोनॉवमस्ट इटां ेवलजेंस यवू नट (EIU) द्वारा जारी की गई िैवश्वक रैं वकांग िै जो दवु नया भर में लोकतांत्र की ितिमान
वस्थवत का एक आशवु चत्र (Snapshot) प्रदान करती िै।
मख्ु य वनष्कषि:
● सचू काक ां में नॉिे शीषि पर िै।
● आइसलैंड, स्िीडन, न्यजू ीलैंड और कनाडा सचू ी में शीषि पाांच देश िैं।
● 167 देशों में से, लोकतांत्र सचू काांक ने 23 देशों को पणू ि लोकतांत्रों के रूप में, 52 को त्रवु टपणू ि लोकतांत्रों के रूप में, 35 को सक
ां र
शासन के रूप में और 57 को सत्तािादी शासन के रूप में िगीकृ त वकया िै।
विषय 118: जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (District Development Councils (DDCs) in J&K)
कें द्र ने जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (DDC) की स्थापना की सवु िधा के वलए जम्मू और कश्मीर पच
ां ायती राज अवधवनयम,
1989 में सांशोधन वकया िै।
मख्ु य वबांद:ु
1. DDC जम्मू और कश्मीर में शासन की एक नई इकाई के रूप में कायि करे गा।
विषय 120: एक राष्र एक आिेदन: राष्रीय ई-विधान आिेदन (One Nation One Application: National e-Vidhan
Application (NeVA)
मख्ु य वबांद:ु
1. 'ई-विधान' वडवजटल इवां डया कायिक्रम के तित 44 वमशन मोड पररयोजनाओ ां (MMP) में से एक िै।
2. इसके कायािन्ियन के वलए नोडल मांत्रालय: सांसदीय कायि मांत्रालय (MoPA)
3. NeVA की फांवडांग कें द्रीय प्रायोवजत योजना की तजि पर िै यानी 60:40; और उत्तर पूिि और पिाडी राज्यों के वलए 90:10 और
कें द्र शावसत प्रदेशों के वलए 100%।
4. ई-विधान के वलए वित्त पोषण MoPA द्वारा प्रदान वकया जाता िै।
5. तकनीकी सिायता: इलेक्रॉवनक्स और सचू ना प्रौद्योवगकी मांत्रालय (MeitY)।
क्या आप जानते िैं?
● पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली एक अिधारणा िै वजसमें असेंबली के काम को सुविधाजनक बनाने के वलए इलेक्रॉवनक
साधन शावमल िैं ।
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● यि सांपूणि काननू बनाने की प्रवक्रया के स्िचालन, वनणियों और दस्तािेजों की रैवकांग, सचू नाओ ां के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता
िै।
● NeVA का उद्देश्य: देश की सभी विधावयकाओ ां को एक साथ लाने के वलए, एक मच ां में वजससे कई अनप्रु योगों की जवटलता के
वबना एक बडे पैमाने पर डेटा वडपॉवजटरी का वनमािण िोता िै ।
● इसके अलािा, लोकसभा टीिी और राज्यसभा टीिी की लाइि िेबकावस्टांग भी इस एप्लीके शन पर उपलब्ध िै।
● दरू दशिन को राज्य विधानसभाओ ां के सबां धां में समान सवु िधाओ ां को शावमल करने के प्रािधान के साथ पिले िी सक्षम कर वदया
गया िै।
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सिाचार िें: चल रहे COVID-19 िहािारी के िद्देनजर, लोकसिा और राज्यसिा ने संसद के मपछले िानसनू सत्र के दौरान प्रश्नकाल और मनजी
सदस्यों के कािकाज को मनलंमित कर मदया।
● 1962 (िारत-चीन यद्ध ु ), 1971 (पामकस्तान के साथ यद्ध ु ), 1975 (आपातकाल), 1976 (आपातकाल), 1991, 2004 और 2009 के
मपछले वषों िें िी मवमिन्न कारणों से प्रश्नकाल स्थमगत कर मदया गया था।
● प्रश्न मनजी सदस्यों (सांसद जो ित्रं ी नहीं हैं) से िी पछू े जा सकते हैं।
● मवमनयिन: इसे ससं दीय मनयिों के अनसु ार मवमनयमित मकया जाता है। प्रश्नकाल के सचं ालन के सिं धं िें दोनों सदनों (राज्य सिा और लोकसिा)
के पीठासीन अमधकारी अंमति प्रामधकारी होते हैं।
● मनयमितता: प्रश्नकाल लोकसिा (1952 से) और राज्यसिा (1964 से) दोनों िें हर मदन आयोमजत मकया जाता है।
● सचू ना अवमध: संसद िें कोई प्रश्न पछू ने से पहले सदस्य को मनधााररत तरीके से सिापमत/स्पीकर को 15 मदन का नोमटस देना होता है। इस तरह
की अवमध को सिापमत/स्पीकर के मववेकामधकार पर कि मकया जा सकता है।
● प्रश्नों की सख्ं या की सीिा: प्रश्न के सिं धं िें अनिु ेय सीिा लोकसिा िें प्रमत सदस्य प्रमत मदन के वल पाचं और राज्यसिा िें प्रमत मदन सात है।
प्रश्नकाल के दौरान पछ
ू े गए प्रश्नों के प्रकार
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तारांमकत प्रश्न ये हरे रंग िें िमु ित होते ● ये एक तारांकन द्वारा प्रमतमित होते हैं।
(Starred हैं।
● इसके मलए िौमिक उत्तर की आवश्यकता होती है और इसमलए परू क
question) प्रश्न पछू े जा सकते हैं।
अतारांमकत प्रश्न ये सफे द रंग के होते हैं। ● इसके मलए एक मलमित उत्तर की आवश्यकता होती है और इसमलए,
(Unstarred परू क प्रश्न नहीं पछ
ू े जा सकते हैं।
questions)
अल्प सचू ना प्रश्न ये हल्के गल
ु ािी रंग के ● इस प्रकार के प्रश्नों के अंतगात सावाजमनक िहत्व और अत्यावश्यक
(Short notice होते हैं। प्रकृ मत के िािलों पर मवचार मकया जाता है।
questions) ● दस मदन से कि सिय का नोमटस देकर इनका उत्तर िांगा जाता है।
● इसका उत्तर िौमिक रूप से मदया जाता है।
मनजी सदस्यों से प्रश्न ये पीले रंग के होते हैं। ● इन प्रश्नों का उल्लेि लोकसिा िें प्रमिया और काया सचं ालन मनयिों
के मनयि 40 के तहत मकया जाता है।
● ऐसे प्रश्न को एक मनजी सदस्य को संिोमधत मकया जा सकता है यमद
प्रश्न की मवषय वस्तु मकसी मवधेयक, संकल्प से संिंमधत है मजसके
मलए वह सदस्य मजम्िेदार है।
शन्ू य काल
● शन्ू यकाल एक िारतीय संसदीय नवाचार है। संसदीय मनयि पमु स्तका िें इसका उल्लेि नहीं है।
● इसके तहत सांसद मिना मकसी पवू ा सचू ना के िािले को उठा सकते हैं।
● शन्ू य काल, प्रश्न काल के तरु ं त िाद शरू
ु होता है और ति तक रहता है जि तक मक मदन की कायासचू ी (अथाात् सदन का
मनयमित काया) शरू ु नहीं हो जाती।
● दसू रे शब्दों िें, प्रश्नकाल और कायासचू ी के िीच के सिय के अतं राल को शन्ू य काल के रूप िें जाना जाता है।
202. छठी अनसु चू ी और इनर लाइन परमिट (Sixth Schedule and Inner line Permit)
सिाचार िें: अरुणाचल प्रदेश मवधानसिा ने सवासम्िमत से परू े राज्य को संमवधान की छठी अनसु चू ी िें शामिल करने का प्रस्ताव पाररत मकया है।
● वतािान िें, अरुणाचल प्रदेश िें 1873 का िगं ाल ईस्टना फ्रंमटयर रे गल
ु ेशन (Bengal Eastern Frontier Regulation - BEFR Act
of 1873) अमधमनयि है जो िारत के सिी नागररकों को मिना वैध इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit) के अरुणाचल िें प्रवेश करने
से रोकता है।
छठी अनसु चू ी के िारे िें -
● समं वधान की छठी अनसु चू ी संमवधान के अनच्ु छे द 244(2) और 275(1) के प्रावधान के तहत असि, िेघालय, मत्रपरु ा और मिजोरि िें
जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन करने के मलए आमदवासी सिदु ायों को शमि प्रदान करती है।
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● अनच्ु छे द 244 'अनसु मू चत क्षेत्रों' और 'जनजातीय क्षेत्रों' के रूप िें नामित कुछ क्षेत्रों के मलए प्रशासन की मवशेष प्रणाली प्रदान करता है।
● अनच्ु छे द 275 िारत की संमचत मनमध पर प्रिाररत मकए जाने वाले सांमवमधक अनदु ानों का प्रावधान करता है। इस तरह के अनदु ानों िें अनसु मू चत
जनजामतयों के कल्याण को िढावा देने या राज्य िें अनसु मू चत क्षेत्रों के प्रशासन के स्तर को िढाने के मलए मवमशष्ट अनदु ान िी शामिल हैं।
इनर लाइन परमिट (Inner line Permit) के िारे िें -
● एक दस्तावेज जो एक िारतीय नागररक को ILP प्रणाली के तहत संरमक्षत राज्य का दौरा करने की अनिु मत देता है।
● यह िंगाल ईस्टना फ्रंमटयर रे गल
ु ेशन एक्ट, 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation Act, 1873) के तहत मिमटश यगु का
मनयिन है।
● अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरि इनर लाइन द्वारा संरमक्षत हैं, और हाल ही िें िमणपरु को िी इसिें जोडा गया है।
● िटू ान के नागररक को छोडकर प्रत्येक मवदेशी को सक्षि प्रामधकारी से संरमक्षत क्षेत्र परमिट प्राप्त करना होता है।
पाच
ं वी अनसु चू ी छठी अनसु चू ी
आध्रं प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ, महिाचल असि, िेघालय, मत्रपरु ा, मिजोरि।
प्रयोज्यता
प्रदेश, िध्य प्रदेश, झारिडं , िहाराष्ट्र,
ओमडशा, राजस्थान।
द्वारा मनमिात राज्य मवधानिंडल अमधमनयि छठी अनसु चू ी क्षेत्रों िें स्वायत्त मजला पररषदें संमवधान
द्वारा प्रदान की जाती हैं।
स्वायत्तता ● पेसा (अनस
ु मू चत क्षेत्र के मलए पचं ायत मवस्तार िृहत्तर स्वायत्तता
अमधमनयि, 1996) शमियों िें शामिल हैं -
● ग्राि सिाओ ं के िाध्यि से स्वशासन
● मवधान: कैं टर/राज्य के अमधमनयि को
● पांचवीं अनस ु चू ी जनजातीय सलाहकार राज्यपाल के अनिु ोदन से सीमित करने की
पररषदों के पास के वल सलाहकार शमियां हैं। शमि।
● कर राजस्व: कें ि से संग्रह और अनदु ान।
● मनयािक: स्कूल, औषधालय, िाजार,
सडक आमद।
● न्यामयक: आमदवासी िािलों की सनु वाई के
मलए ग्राि अदालतें, राज्यपाल द्वारा मनमदाष्ट
एचसी का अमधकार क्षेत्र।
● 83 वें संवैधामनक संशोधन अमधमनयि 2000 ने अरुणाचल प्रदेश राज्य को अनसु मू चत जामतयों के मलए पचं ायतों िें सीटों के आरक्षण के
आवेदन से िि ु करने के मलए िारत के संमवधान के अनच्ु छे द 243 M की शरुु आत की है।
● अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है मजसिें परू ी तरह से स्वदेशी आमदवासी लोग रहते हैं। राज्य िें कोई अनसु मू चत जामत नहीं है। राज्य
मवधानसिा और राज्य सरकार की सेवाओ ं िें अनसु मू चत जामत के मलए सीटों का कोई आरक्षण नहीं मकया गया है। अरुणाचल प्रदेश
के जनजातीय सिाज की जामतमवहीन संरचना उपरोि संशोधन का आधार थी।
▪ िारहवें मवत्त आयोग के सझु ावों के आलोक िें, िैंकों से ऋण, और राष्ट्रीय लघु िचत कोष के कारण देनदाररयों को िी ऋणों के पररशोधन िें
शामिल मकया जाना चामहए।
▪ मनमध को राज्यों के सिेमकत मनमध के िाहर मवत्तपोमषत मकया जाना चामहए और इसका उपयोग के वल ऋणों के िोचन के मलए मकया जाना
चामहए।
क्या आरिीआई राज्य की छूट की िांग पर सहित है?
● हां, आरिीआई ने CSF से मनकासी से संिंमधत मनयिों िें ढील देने का फै सला मकया, जिमक साथ ही यह समु नमित मकया मक फंड िैलेंस की
किी मववेकपणू ा तरीके से की जाए।
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● राज्यों को ये छूट लगिग 13,300 करोड रुपये की अमतररि रामश जारी करे गी जो राज्यों को CSF से मवत्तीय वषा िें होने वाले िाजार उधार
के िोचन का एक िडा महस्सा परू ा करने िें सक्षि करे गी।
204. राष्ट्रपमत के िहामियोग की तुलना (Comparison of Impeachment of president)
सिाचार िें: डोनाल्ड रम्प पहले अिेररकी राष्ट्रपमत िने है मजनके मिलाफ दो िार िहामियोग प्रस्ताव पाररत मकया गया है।
पहले सदन िें साधारण िहुित से िहामियोग प्रस्ताव 1/4 सदस्य आरोपों को रे िांमकत
प्रमिया पाररत होने पर जांच शरू
ु मकया जाता करते हैं।
है। राष्ट्रपमत को 14 मदन का नोमटस
मदया जाता है।
सदन की कुल सदस्यता का 2/3
िहुित।
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● यमद प्रस्ताव स्वीकार कर मलया जाता है, तो आरोपों की जांच के मलए तीन सदस्यीय समिमत िनाई जाएगी, मजसिें अनसु मू चत जामत के एक
न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और एक उल्लेिनीय न्यायमवद शामिल होंगे।
● यमद तीन सदस्यीय समिमत आगे प्रस्ताव का सिथान करने का फै सला करती है, तो इस िािले को सदन िें चचाा के मलए ले जाया जाएगा, जहां
इसे िल
ू रूप से पेश मकया गया था।
● िारतीय संमवधान के अनसु ार चाहे जो िी सदन प्रस्ताव पेश करे , उसे दसू रे सदन से िी पाररत होना होगा। दोनों सदनों (अनच्ु छे द 124 (4)) िें
दो मतहाई िहुित हामसल करने के िाद ही यह प्रस्ताव अतं िें िारत के राष्ट्रपमत के पास पहुचं ेगा।
● इस िािले िें यमद दोनों सदनों िें प्रस्ताव पाररत हो जाता है तो राष्ट्रपमत अंमति मनणाय करें गे।
सिं मं धत सिाचार: आध्रं प्रदेश के िख्ु यित्रं ी ने एक SC जज की ओर से कदाचार के िारे िें मशकायत करते हुए िारत के िख्ु य न्यायाधीश
को मलिा है।
इन वषों िें, कदाचार के िािलों की जांच के मलए तीन तत्रं मवकमसत हुए हैं, मजनिें न्यायाधीशों के मिलाफ यौन उत्पीडन, दर्वु यावहार या
अक्षिता के िािले शामिल हैं।
● इन-हाउस कायापद्धमत (1999)
● यौन उत्पीडन मदशामनदेश।
● मसद्ध दर्वु यावहार या अक्षिता के मलए िहामियोग (जैसा मक ऊपर चचाा की गई है)
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लघक
ु रण सजा की प्रकृ मत को कि करना। उदाहरण के मलए – कठोर कारावास को साधारण कारावास िें
(Commutation) िदलना।
मवराि (Respite) कुछ मवशेष पररमस्थमतयों की वजह से सजा को कि करना। जैसे- गिावती स्त्री के िृत्यदु डं को साधारण
कारावास िें िदलना।
प्रमवलंिन (Reprieve) प्रमवलंिन का तात्पया है‚ िौत की सजा का अस्थायी मनलंिन करना।
पररहार (Remission) सजा की प्रकृ मत को िदले िगैर उसकी अवमध को कि करना। उदाहरण के मलए – एक साल के
कारावास को कि करके 6 िाह कर देना।
207. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली (संशोधन) अमधमनयि, 2021 (GNCT of Delhi (Amendment) Act, 2021)
▪ सिाचार िें: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली (संशोधन) अमधमनयि, 2021 जो शहर िें मनवाामचत सरकार पर उपराज्यपाल (एल-जी) को प्रधानता
देता है, लागू हो गया है।
▪ GNCTD अमधमनयि 1991 िें अनच् ु छे द 239AA के संवैधामनक प्रावधान के परू क के मलए अमधमनयमित मकया गया था। यह
मदल्ली िें एक मनवाामचत सरकार की प्रमिया को सक्षि िनाता है।
संशोधन अमधमनयि के प्रिि ु प्रावधान
▪ 'सरकार' शब्द का अथा उपराज्यपाल है।
▪ यह अमधमनयि उन िािलों िें िी उपराज्यपाल को मववेकाधीन शमियां प्रदान करता है जहां मवधान सिा को काननू िनाने का अमधकार है।
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▪ सरकार के मलए सिी िािलों पर उपराज्यपाल की राय लेना अमनवाया िनाता है।
▪ संशोधन िें यह िी कहा गया है मक "मवधानसिा मदन-प्रमतमदन के प्रशासन के िािलों पर मवचार करने के मलए िदु को सक्षि करने के मलए
कोई मनयि नहीं िनाएगी"।
आलोचना:
▪ नवीनति संशोधन मदल्ली सरकार की दक्षता और सियिद्धता को िहुत कि कर देगा, मजससे मकसी तत्काल कारा वाई की िांग वाली मस्थमत
िें िी सरकार को उपराज्यपाल के साथ परािशा करना अमनवाया हो जाएगा।
▪ गौरतलि है मक उपराज्यपाल एक सिय सीिा के िीतर राज्य सरकार को अपनी राय देने के मलए िाध्य नहीं हैं।
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● एक 30 सदस्यीय संसदीय समिमत (लोकसिा से 20 और राज्यसिा से 10) आयोग की मसफाररशों को देिने और राष्ट्रपमत को अपनी राय
देने के मलए।
● इसके अलावा RPA 1951 के तहत, लाि का पद धारण करना अयोग्यता का आधार है।
● संसद (मनरहाता मनवारण) अमधमनयि, 1959 उन कायाालयों की संख्या को सचू ीिद्ध करता है मजन्हें अयोग्यता से छूट प्राप्त है।
पररिाषा: प्रद्यम्ु न िोरदोलोई िािले िें SC द्वारा
• सरकार मनयमु ि, हटाने पर मनयत्रं ण करती है या नहीं।
• क्या कायाालय के पास इससे जडु ा कोई पाररश्रमिक है।
• क्या मजस मनकाय िें पद है, उसके पास सरकारी शमियां हैं।
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• क्या पद धारक को सरं क्षण के िाध्यि से प्रिामवत करने िें सक्षि िनाता है।
संवैधामनक जनादेश:
▪ अनच् ु छे द 82: संसद प्रत्येक जनगणना के िाद पररसीिन अमधमनयि अमधमनयमित करने के मलए एक पररसीिन आयोग का गठन करती है।
▪ अनच् ु छे द 170: कें ि और राज्यों को सिान किीशन।
▪ आयोग के आदेशों िें कानन ू का िल है।
▪ मपछला आयोग: 1952, 1963, 1973, 2002. 1981 और 1991 की जनगणना के िाद पररसीिन नहीं (जनसंख्या वृमद्ध को मनयमं त्रत करने
के मलए)
▪ 84 वें सव ं ैधामनक सशं ोधन अमधमनयि, 2002 ने 2026 तक के मलए पररसीिन पर रोक लगा दी।
रचना -
▪ पदेन सदस्य:
▪ सप्रु ीि कोटा के एक सेवामनवृत्त न्यायाधीश
▪ िख्ु य चनु ाव आयि ु
▪ राज्य चनु ाव आयि ु (संिंमधत राज्यों के )
काया:
▪ मनवााचन क्षेत्र का पररसीिन।
▪ सिी मनवााचन क्षेत्रों िें सिान जनसख्ं या िनाए रिना (र्वयावहाररक रूप से सिं व)
▪ आरमक्षत मनवााचन क्षेत्र की पहचान करना।
▪ पररसीिन के सिं धं िें जनता की राय लेना।
▪ पररवतानों को अपनाने के मलए।
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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi
DAY 30 - POLITY
#RaRebaba
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Day 30 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
● GST पररषद अनच्ु छे द 279A के तहत एक सांवैिाधनक धनकाय है और इसे सांधविान (101 वाां सांशोिन) अधिधनयम, 2016
द्वारा पेश धकया गया था।
● यह वस्तु एवां सेवा कर से सांबांधित मद्दु ों पर कें द्र और राज्य सरकार को धसफाररशें करता है।
● अनच्ु छे द 246 A, अनच्ु छे द 269 A, और अनच्ु छे द 279 A नामक नए अनच्ु छे दों का सधममलन;
● कुछ प्रधवधष्टयों को हटाकर या सांशोधित करके सधां विान की सातवीं अनसु िू ी में धनधहत सघां सिू ी और राज्य सिू ी में सश
ां ोिन।
अनच्ु छे द 246 A:
● कें द्र और राज्य GST के धलए काननू बनाने के धलए सांघ और राज्य धविायी की शधि।
● अांतर-राज्यीय व्यापार और वाधणज्य पर जीएसटी कें द्र द्वारा लगाया और एकत्र धकया जाएगा।
● और जीएसटी पररषद द्वारा अनुशांधसत कें द्र और राज्यों के बीि धवधनयोधजत।
• िांधू क मख्ु य सधिव की धनयुधि मख्ु यमांत्री की कायाकारी कारा वाई होती है, इसधलए
इसे राज्य के राज्यपाल के नाम पर धलया जाता है।
2 पद ● मख्ु य सधिव मधां त्रमर्ां ल के सभी मामलों में मख्ु यमत्रां ी के मख्ु य सलाहकार होते हैं ।
● राज्य के मख्ु य सधिव भारतीय प्रशासधनक सेवा के अधिकारी होते हैं जो आम तौर
पर भारत सरकार के सधिव के रैं क के बराबर होते हैं और उन्हें भारतीय प्राथधमकता
के िम में 23 वें स्थान पर रिा जाता है।
● कें द्र शाधसत प्रदेशों में, जो प्रशासकों द्वारा शाधसत होते हैं, मख्ु य सधिव अनपु धस्थत
होते हैं। इन क्षेत्रों में कें द्र सरकार द्वारा प्रशासक के सलाहकार की धनयुधि की जाती
है।
कायाकाल ● मख्ु य सधिव के कायाालय को कायाकाल प्रणाली के सांिालन से बाहर रिा गया है।
● इस पद के धलए कोई धनधित कायाकाल नहीं है।
काया ● मख्ु य सधिव राज्य मांधत्रमांर्ल के सधिव के रूप में काया करता है।
● ये सांकट प्रबांिन समूह का अध्यक्ष होता है।
● वह सांकट प्रशासक-इन-िीफ के रूप में काया करता है और वस्ततु ः राहत कायों से
सांबांधित सभी अधिकाररयों के धलए राज्य सरकार का प्रधतधनधित्व करता है।
● वह राज्य धसधवल सेवा बोर्ा के पदेन अध्यक्ष के रूप में काया करता है, जो राज्य में
अधिल भारतीय सेवाओ ां और राज्य धसधवल सेवाओ ां के अधिकाररयों के
स्थानाांतरण/पोधस्टांग की धसफाररश करता है।
● सधिव सामान्य प्रशासन धवभाग।
● वह कै धबनेट सधिवालय का प्रशासधनक प्रमि ु होता है और यधद आवश्यक हो तो
वह कै धबनेट और उसकी उप-सधमधतयों की बैठक में भाग लेता है।
● कै धबनेट की बैठकों के धलए एजेंर्ा तैयार करता है और इसकी कायावाही का ररकॉर्ा
रिता है।
● सभी राज्य धसधवल सेवकों के धलए धववेक-रक्षक होता है।
● वह राज्य प्रशासन का मख्ु य समन्वयक है। वह अांतर-धवभागीय समन्वय सधु नधित
करता है।
● वह अांतर-धवभागीय धववादों के धलए गधठत समन्वय सधमधतयों के अध्यक्ष होता है।
● वह अवधशष्ट धवरासत (Residuary Legatee) के रूप में काया करता है और उन
सभी मामलों को देिता है जो अन्य सधिवों के दायरे में नहीं आते हैं।
● वह राज्य सरकार के प्रविा के रूप में काया करता है।
● वह सांबांधित राज्य सरकार और कें द्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों के बीि सिां ार
का प्रमि ु माध्यम है।
● सधिवालय भवन, मांधत्रयों से जुडे कमािाररयों, कें द्रीय अधभलेि शािा, सधिवालय
पस्ु तकालय, सधिवालय धवभागों के सरां क्षण और धनगरानी और वार्ा कमािाररयों
पर उनका प्रशासधनक धनयांत्रण होता है।
214. 104वाां सांधविान सांशोिन अधिधनयम, 2020 (104th Constitutional Amendment Act, 2020)
● 104 वाां CAA लोकसभा और राज्य धविान सभाओ ां में अनुसधू ित जाधतयों और अनसु धू ित जनजाधतयों के सदस्यों के धलए
सीटों के आरक्षण के धलए समाधि की समय सीमा को 10 वषा की अवधि तक बढाता है।
● यह अधिधनयम अनच्ु छे द 334 में सश
ां ोिन के पिात 25 जनवरी 2020 को लागू धकया गया था।
● अनसु धू ित जाधतयों और अनसु ूधित जनजाधतयों के धलए सीटों का आरक्षण 26 जनवरी 2020 को समाि होने वाला था, जैसा
धक 95 वें सांधविान सांशोिन अधिधनयम द्वारा अधनवाया धकया गया था, लेधकन इसे अगले 10 वषों के धलए 25 जनवरी, 2030
तक बढा धदया गया था।
● हालाधां क, 104 वाां CAA एांग्लो-इधां र्यन समुदाय के सदस्यों के धलए आरधक्षत 2 लोकसभा सीटों के आरक्षण की अवधि का
धवस्तार नहीं करता है।
o इस प्रकार भारत के प्रिान मांत्री की धसफाररश के तहत भारत के राष्ट्रपधत द्वारा एांग्लो-इधां र्यन समदु ाय के दो सदस्यों को
नाधमत करने की प्रथा को प्रभावी ढांग से समाि कर धदया गया।
सधां विान का अनच्ु छे द 334 लोकसभा और राज्यों की धविानसभाओ ां में नामाांकन द्वारा अनसु धू ित जाधत और अनसु धू ित जनजाधत के धलए
सीटों के आरक्षण और एग्ां लो-इधां र्यन समदु ाय के प्रधतधनधित्व का प्राविान करता है। यह 1960 तक के वल 10 वषों के धलए वैि था।
हालाँधक, बाद में हुए सांशोिनों ने इन आरक्षणों को बढा धदया है।
● धजस प्रकार सांसद के दो सदन होते हैं, उसी प्रकार सांधविान के अनच्ु छे द 169 के माध्यम से राज्यों में धविान सभा के अधतररि
एक धविान पररषद भी हो सकती है।
● राज्य सभा की तरह, धविान पररषद एक सतत सदन है, अथाात यह एक स्थायी धनकाय है जो धवघधटत नहीं होती है।
● धविान पररषद (MLC) के एक सदस्य का कायाकाल छह साल का होता है, धजसमें एक धतहाई सदस्य हर दो साल में सेवाधनवृत्त
होते हैं।
धविान पररषदों की सदस्य ● धविान पररषद की अधिकतम सदस्य सांख्या राज्य धविानसभा की कुल
सख्
ं या -अनच्ु छे द 171 सदस्य सांख्या का एक धतहाई है।
● इसकी न्यनू तम सदस्य सांख्या 40 सदस्य है।
● एक धतहाई MLC राज्य के धविायकों द्वारा िनु े जाते हैं,
● एक और 1/3 एक धवशेष धनवाािक मांर्ल द्वारा धजसमें स्थानीय सरकारों
जैसे नगर पाधलकाओ ां और धजला बोर्ों के मौजूदा सदस्य शाधमल हैं,
धविान पररषद की सरां िना ● 1/12 धशक्षकों के धनवाािक मांर्ल द्वारा और दसू री 1/12 पांजीकृ त
स्नातकों द्वारा।
● शेष सदस्यों को राज्यपाल द्वारा साधहत्य, धवज्ञान, कला, सहकारी
आांदोलन और समाज सेवा जैसे धवधभन्न क्षेत्रों में धवधशष्ट सेवाओ ां के धलए
धनयिु धकया जाता है।
● भारतीय नागररक धजनकी उम्र कम से कम 30 वषा है;
पात्रता मापदर्ां ● एक व्यधि एक साथ सांसद और राज्य धविाधयका का सदस्य नहीं हो
सकता।
अधतररि जानकारी
● धविान पररषद वाले छह राज्य: आांध्र प्रदेश, तेलांगाना, उत्तर प्रदेश, धबहार, महाराष्ट्र, कनााटक है।
● 1985 में सांसद ने आांध्र प्रदेश में धविान पररषद को समाि कर धदया, लेधकन मािा 2007 में इसे पनु ः बहाल कर धदया गया।
● 2020 में, आांध्र प्रदेश धविान सभा ने धविान पररषद को समाि करने का प्रस्ताव पाररत धकया। अांततः पररषद को समाि करने के
धलए भारत की सांसद द्वारा इस प्रस्ताव को मांजरू ी दी जानी बाकी है।
● 2019 में, जममू और कश्मीर पनु गाठन धविेयक, 2019 के माध्यम से जममू और कश्मीर धविान पररषद को समाि कर धदया गया,
धजसने जमम-ू कश्मीर राज्य को जमम-ू कश्मीर और लद्दाि के कें द्र शाधसत प्रदेशों में घटा धदया।
स्मरण रिें
● सधां विान में कई प्राविानों को अनच्ु छे द 368 के दायरे से बाहर ससां द के दोनों सदनों के सािारण बहुमत से सश
ां ोधित धकया जा
सकता है। इन प्राविानों में शाधमल हैं:
o नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।
o नए राज्यों का गठन।
o मौजदू ा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओ ां या नामों में पररवतान।
o राज्यों में धविान पररषदों का उन्मल ू न या धनमााण।
o नागररकता का अधिग्रहण और समाधि।
216. नए धजलों का गठन कै से होता है? (How are new districts carved?)
समािार में: पांजाब का एकमात्र मधु स्लम बहुल शहर मेलारकोटला राज्य का 23वाां धजला बन गया है।
धजलों को बदलने की प्रधिया
• नए धजले बनाने या मौजदू ा धजलों को बदलने या समाि करने की शधि राज्य सरकारों के पास है।
• यह या तो एक कायाकारी आदेश के माध्यम से या राज्य धविानसभा में एक काननू पाररत करके धकया जा सकता है।
• कई राज्य के वल आधिकाररक राजपत्र में अधिसिू ना जारी करके कायाकारी मागा को पसांद करते हैं।
• राज्यों का तका है धक छोटे धजले बेहतर प्रशासन और शासन की ओर ले जाते हैं।
• पररसीमन के दौरान धजले को बनाने की राज्य की शधि धनलांधबत होती है।
धजलों को बदलने या नए बनाने में कें द्र की कोई भधू मका नहीं है। राज्य धनणाय लेने के धलए स्वतांत्र हैं।
हालाांधक, कें द्रीय गृह मांत्रालय तब सामने आता है जब कोई राज्य धकसी धजले या रे लवे स्टेशन का नाम बदलना िाहता है। राज्य सरकार
के अनरु ोि को मजां रू ी लेने के धलए अन्य धवभागों को भेजा जाता है:
● पृथ्वी धवज्ञान मांत्रालय
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Day 30 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● 1950 के दशक में, अधवभाधजत असम की आधदवासी आबादी के कुछ वगों के आसपास एक अलग पहाडी राज्य की माांग उठी।
● मेघालय 2 अप्रैल 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अधस्तत्व में आया, धजसमें सयां ि
ु िासी और
जयांधतया धहल्स और गारो धहल्स धजले शाधमल थे।
● वे पीछे रह गए क्योंधक कें द्र ने उन्हें अनच्ु छे द 244 (A) सधहत अधिक शधियों का वादा धकया था।
● 1980 के दशक में, अधिक शधि/स्वायत्तता की मागां ने धहसां ा का सहारा लेने वाले कई काबी समहू ों के साथ एक आदां ोलन का
रूप ले धलया। यह जल्द ही पूणा राज्य का दजाा देने की माांग करने वाला एक सशस्त्र अलगाववादी धवद्रोह बन गया।
स्मरण रिें
● सधां विान की छठी अनसु िू ी इन राज्यों में जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के धलए असम, मेघालय, धत्रपरु ा और धमजोरम
में आधदवासी क्षेत्रों के प्रशासन का प्राविान करती है। यह धवशेष प्राविान सांधविान के अनच्ु छे द 244 (2) और अनच्ु छे द 275
(1) के तहत प्रदान धकया गया है।
● असम में, दीमा हसाओ (Dima Hasao), काबी आांगलोंग (Karbi Anglong) और पधिम काबी और बोर्ो प्रादेधशक क्षेत्र के
पहाडी धजले छठी अनसु िू ी के प्राविान के तहत हैं।
● धवत्तीय आपातकाल की घोषणा करने वाली उद्घोषणा को सांसद के दोनों सदनों द्वारा उसके जारी होने की तारीि से दो महीने के
भीतर अनमु ोधदत धकया जाना िाधहए।
● एक बार ससां द के दोनों सदनों द्वारा अनमु ोधदत होने के बाद, धवत्तीय आपातकाल अधनधित काल तक जारी रहता है जब तक धक
इसे रद्द नहीं धकया जाता।
धवत्तीय आपातकाल के प्रभाव
• राज्यों के धवत्तीय मामलों पर सांघ के कायाकारी अधिकार का धवस्तार। कें द्र सरकार धवत्तीय मामलों के सांबांि में राज्यों को धनदेश
दे सकती है।
• राष्ट्रपधत राज्यों को सरकारी सेवा में व्यधियों के वेतन और भत्तों को कम करने के धलए कह सकता है।
• राष्ट्रपधत राज्य धविानमांर्ल द्वारा पाररत धकए जाने के बाद राज्यों को ससां द के धविार के धलए सभी िन धविेयकों को आरधक्षत
करने के धलए कह सकते हैं।
• उच्ितम न्यायालय और उच्ि न्यायालयों के न्यायािीशों सधहत कें द्र सरकार के कमािाररयों के वेतन और भत्तों में कटौती।
● यह वह कताव्य है धजसके प्रदशान में कें द्र एक राज्य में सांवैिाधनक तांत्र के धवफल होने की धस्थधत में अनच्ु छे द 356 के तहत राज्य
की सरकार को अपने हाथ में लेता है। इसे लोकधप्रय रूप से 'राष्ट्रपधत शासन' के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रपधत शासन लगाने के आिार
● यधद राष्ट्रपधत को राज्य के राज्यपाल से ररपोटा प्राि होती है या अन्यथा वह आश्वस्त होता है धक धकसी राज्य को सांधविान के
अनसु ार शाधसत नहीं धकया जा रहा है।
○ यधद कोई राज्य मामलों पर सांघ द्वारा धदए गए सभी धनदेशों का पालन करने में धवफल रहता है तो उसे यह अधिकार है।
तब राष्ट्रपधत के धलए यह मानना वैि होगा धक ऐसी धस्थधत उत्पन्न हो गई है धजसमें राज्य की सरकार सांधविान के
प्राविानों के अनसु ार नहीं िल सकती है।
● राष्ट्रपधत शासन लगाने की घोषणा को सांसद के दोनों सदनों द्वारा इसके जारी होने की तारीि से दो महीने के भीतर अनमु ोधदत
धकया जाना िाधहए।
○ राष्ट्रपधत शासन छह महीने की अवधि के धलए बना रहता है।
○ बाद में, इसे हर छह महीने में सांसदीय मजां रू ी के साथ तीन साल की अवधि के धलए बढाया जा सकता है।
○ 44वें CAA के अनसु ार भारत में राष्ट्रीय आपातकाल होने पर इसे 3 साल से आगे बढाया जा सकता है।
○ भारत का िनु ाव आयोग प्रमाधणत करता है धक राज्य में धविानसभा िनु ाव कराने में कधठनाइयों के कारण राज्य में
राष्ट्रपधत शासन जारी रिना आवश्यक है।
● राष्ट्रपधत शासन के पररणाम: जब धकसी राज्य में राष्ट्रपधत शासन लगाया जाता है तो राष्ट्रपधत को धनमनधलधित असािारण
शधियाां प्राि होती हैं:
○ वह राज्य सरकार के कायों और राज्यपाल या राज्य में धकसी अन्य कायाकारी प्राधिकरण में धनधहत शधियों को ले सकता
है।
○ वह घोषणा कर सकता है धक राज्य धविानमांर्ल की शधियों का प्रयोग सांसद द्वारा धकया जाना है।
○ जब ससां द का सत्र नहीं िल रहा हो, तो राष्ट्रपधत राज्य के प्रशासन के सबां ांि में अध्यादेश जारी कर सकता है।
○ वह राज्य में धकसी भी धनकाय या प्राधिकरण से सांबांधित सांवैिाधनक प्राविानों के धनलांबन सधहत अन्य सभी आवश्यक
कदम उठा सकता है।
● न्याधयक समीक्षा का दायरा:
o 1975 के 38वें सधां विान सशां ोिन अधिधनयम ने अनच्ु छे द 356 को अधां तम और धनणाायक लागू करने में राष्ट्रपधत को
सांतष्टु धकया, धजसे धकसी भी आिार पर धकसी भी अदालत में िनु ौती नहीं दी जाएगी।
o लेधकन, इस प्राविान को बाद में 1978 के 44वें सांशोिन अधिधनयम द्वारा हटा धदया गया था, धजसका अथा था धक
राष्ट्रपधत की सांतधु ष्ट न्याधयक समीक्षा से परे नहीं है।
220. सांधविान का अनच्ु छे द 254(2) (Article 254 (2) of the Constitution)
समािार में: काांग्रेस ने अनच्ु छे द 254 (2) के माध्यम से नागररकता सांशोिन अधिधनयम और नए कृ धष अधिधनयमों का मक
ु ाबला करने पर
धविार धकया है।
● सधां विान का अनच्ु छे द 254 (2) अधनवाया रूप से एक राज्य के काननू को कुछ पररधस्थधतयों में एक परस्पर धवरोिी कें द्रीय काननू
पर हावी होने की अनमु धत देता है।
DAY 43 - POLITY
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Day 43 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
● यह 1985 में भारत सरकार, असम राज्य सरकार और असम आदं ोलन के नेताओ ं के बीच हस्ताक्षररत एक वत्रपक्षीय समझौता र्ा।
● समझौते पर हस्ताक्षर करने से छह साल के आंदोलन का समापन हुआ, वजसे 1979 में ऑल असम स्टूडेंट्स यवू नयन (AASU) द्वारा शरू
ु
वकया गया र्ा, वजसमें असम से अिैध अप्रिावसयों की पहचान और वनिाथसन की मांग की गई र्ी।
● समझौते में उल्लेख है वक अतं रराष्ट्ट्रीय सीमाओ ं को सील कर वदया जाएगा और 24 माचथ 1971 की मध्यरावत्र के बाद बाग्ं लादेश से पार करने
िाले सभी व्यवियों को वनिाथवसत वकया जाना है।
● समझौते के अनुसार 1966 से 1971 के बीच आने िाले बांग्लादेवशयों को दस साल के वलए मतदान से रोक वदया जाएगा।
● भारतीय सवं िधान परू े भारत के वलए एकल नागररकता का प्रािधान करता है।
● भारतीय सवं िधान के अनच्ु छे द 11 के तहत, ससं द को काननू द्वारा नागररकता के अवधकार को विवनयवमत करने की शवि है। तदनसु ार, ससं द
ने भारतीय नागररकता के अवधग्रहण और वनधाथरण के वलए 1955 का नागररकता अवधवनयम पाररत वकया र्ा।
● 1987 तक, भारतीय नागररकता हेतु पात्र होने के वलए, वकसी व्यवि का भारत में जन्म होना पयाथप्त र्ा। विर, बांग्लादेश से बडे पैमाने पर अिैध
प्रिासन का आरोप लगाने िाले लोकलभु ािन आंदोलनों से प्रेररत, नागररकता कानूनों में पहला संशोधन वकया गया तावक अवतररि रूप से
यह आिश्यक हो वक कम से कम माता-वपता में से एक भारतीय होना चावहए।
● 2004 में, कानून में और संशोधन वकया गया तावक यह वनधाथररत वकया जा सके वक के िल एक माता-वपता का भारतीय होना ही नहीं बवल्क
दसू रे को भी अिैध अप्रिासी नहीं होना चावहए।
भारत में एक अिैध प्रिासी कौन है?
अवधवनयम के तहत, एक अिैध प्रिासी एक विदेशी है जो:
● पासपोटथ और िीजा जैसे िैध यात्रा दस्तािेजों के वबना देश में प्रिेश करता है, या
● िैध दस्तािेजों के सार् प्रिेश करता है, लेवकन अनमु त समय अिवध से अवधक रहता है।
अिैध प्रिावसयों को विदेशी अवधवनयम, 1946 और पासपोटथ (भारत में प्रिेश) अवधवनयम, 1920 के तहत जेल हो सकती है या वनिाथवसत वकया जा
सकता है।
● मौजदू ा काननू ों के तहत, एक अिैध प्रिासी नागररकता प्राप्त करने हेतु आिेदन के वलए पात्र नहीं है। उन्हें पजं ीकरण या प्राकृ वतककरण के
माध्यम से भारतीय नागररक बनने से रोक वदया गया है।
● विदेशी अवधवनयम और पासपोटथ अवधवनयम ऐसे व्यवि को प्रवतबवं धत करता है और एक अिैध प्रिासी को जेल या वनिाथसन में डालने का
प्रािधान करता है।
● इस अवधवनयम में प्रािधान है वक अिगावनस्तान, बाग्ं लादेश और पावकस्तान के वहदं ,ू वसख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, वजन्होंने 31 वदसबं र
2014 को या उससे पहले भारत में प्रिेश वकया र्ा, उन्हें अिैध प्रिासी नहीं माना जाएगा।
● व्यवियों के इन समहू ों के वलए, प्राकृ वतककरण द्वारा नागररकता के तहत 11 साल की आिश्यकता को घटाकर पांच िषथ कर वदया गया है।
● अवधवनयम में यह भी कहा गया है वक प्रिासी भारतीय नागररक (OCI) काडथ रखने िाले लोग – एक आव्रजन वस्र्वत जो भारतीय मल ू के
विदेशी नागररक को भारत में अवनवित काल तक रहने और काम करने की अनमु वत देता है – यवद िे बडे और छोटे अपराधों और उल्लंघनों
के वलए स्र्ानीय कानूनों का उल्लघं न करते हैं तो अपनी वस्र्वत खो सकते हैं।
अपिाद
● अिैध प्रिावसयों के वलए नागररकता संबंधी ये प्रािधान संविधान की छठी अनुसचू ी में शावमल असम, मेघालय, वमजोरम और वत्रपरु ा के
आवदिासी इलाकों पर लागू नहीं होंगे।
○ इन जनजातीय क्षेत्रों में काबी आग ं लोंग (असम में), गारो वहल्स (मेघालय में), चकमा वजला (वमजोरम में) और वत्रपरु ा जनजातीय
क्षेत्र वजला शावमल हैं ।
● इसके अलािा, यह बगं ाल ईस्टनथ फ्रंवटयर रे गल ु ेशन, 1873 के तहत अवधसवू चत "इनर लाइन" क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
○ ितथमान में, यह परवमट प्रणाली अरुणाचल प्रदेश, वमजोरम और नागालैंड पर लागू है।
● यह 1985 के असम समझौते के विपरीत है, वजसमें कहा गया है वक 25 माचथ, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने िाले अिैध प्रिावसयों को धमथ
के बािजदू वनिाथवसत कर वदया जाएगा ।
● आलोचकों का तकथ है वक यह सवं िधान के अनच्ु छे द 14 (जो समानता के अवधकार की गारंटी देता है और नागररकों और विदेवशयों दोनों पर
लागू होता है) और संविधान की प्रस्तािना में वनवहत धमथवनरपेक्षता के वसद्धांत का उल्लंघन है।
● भारत में कई अन्य शरणार्ी हैं वजनमें श्रीलंका के तवमल और मयांमार के रोवहग्ं या शावमल हैं। िे अवधवनयम के दायरे में नहीं आते हैं।
● सरकार के वलए अिैध प्रिावसयों और सताए गए लोगों के बीच अंतर करना मवु श्कल होगा।
● वकसी भी राज्य के उच्च न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश वकसी भी समय, राष्ट्ट्रपवत की पिू थ सहमवत से, वकसी ऐसे व्यवि से अनरु ोध कर सकते
हैं, वजसने उस न्यायालय या वकसी अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण वकया हो और न्यायाधीश के रूप में कायथ करने का
अनुरोध करता हो।
● कायथिाहक सेिावनिृत्त न्यायाधीश ऐसे भत्तों के हकदार होंगे जो राष्ट्ट्रपवत आदेश द्वारा वनधाथररत कर सकते हैं और उनके पास सभी अवधकार
क्षेत्र, शवियां और विशेषावधकार होंगे, लेवकन उन्हें उस उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नहीं माना जाएगा।
ध्यान दें वक अनच्ु छे द 224 (1) और 224 (2) अवतररि और कायथिाहक न्यायाधीशों की वनयवु ि से सबं वं धत है।
सप्रु ीम कोटथ ने मौवखक रूप से तदर्थ न्यायाधीश की वनयवु ि और कामकाज के वलए संभावित वदशावनदेशों को रेखांवकत वकया है।
● यवद वकसी विशेष क्षेत्रावधकार में, लमबन एक वनवित सीमा से अवधक हो जाता है, जैसे वक आठ या 10 िषथ, तो मख्ु य न्यायाधीश एक वनवित
[सेिावनिृत्त] न्यायाधीश को तदर्थ न्यायाधीश के रूप में वनयि
ु कर सकते हैं, जो काननू ों के उन क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं।
● तदर्थ न्यायाधीशों की वनयवु ि अन्य न्यायाधीशों की सेिाओ ं के वलए खतरा नहीं होगी क्योंवक तदर्थ न्यायाधीशों को सबसे कवनष्ठ माना जाएगा।
● सेिावनिृत्त न्यायाधीशों को वििाद के एक विशेष क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता के आधार पर चनु ा जाएगा और कानून के उस क्षेत्र में लंवबत मामलों
के वनपटान के बाद सेिावनिृत्त होने की अनुमवत प्रदान कर दी जाएगी।
● उच्चत्तम न्यायालय ने यह स्पष्ट वकया है वक तदर्थ न्यायाधीशों को न्यायाधीशों की स्िीकृ त सख्ं या से अवधक वनयि
ु वकया जा सकता है और
उन्हें के िल न्यावयक कायथ वदया जाना चावहए, न वक प्रशासवनक कायथ, हालावं क उनका िेतन और भत्ते स्र्ायी न्यायाधीशों के बराबर होने
चावहए।
● भारत के सवं िधान ने भारत को एक सघं के रूप में िवणथत नहीं वकया है। हालााँवक, भारतीय सवं िधान का अनच्ु छे द 1 भारत को ''राज्यों के सघं ''
के रूप में िवणथत करता है।
● इसका मतलब है वक भारत एक सघं है वजसमें विवभन्न राज्य शावमल हैं जो इसका एक अवभन्न अंग हैं। यहा,ं राज्य संघ से अलग नहीं हो
सकते।
● उनके पास संघ से अलग होने की शवि नहीं है। एक िास्तविक संघ में, गवठत इकाइयों या राज्यों को सघं से बाहर आने की स्ितत्रं ता होती है।
● भारत को "विनाशकारी राज्यों का अविनाशी संघ" कहा जाता है। भारत का संविधान वकसी राज्य के अवस्तत्ि की गारंटी नहीं देता है। अनुच्छे द
4 के तहत, यह संसद को नए राज्य बनाने और मौजदू ा राज्यों को बदलने का अवधकार देता है।
"संघ" नामािली का विकास (Evolution of “Union” nomenclature)
● कै वबनेट वमशन योजना ने बहुत सीवमत शवियों के सार् एक कें द्र सरकार पर विचार वकया जबवक प्रांतों के पास पयाथप्त स्िायत्तता र्ी।
● विभाजन प्रभाि: 1947 के विभाजन और कश्मीर में वहसं ा ने संविधान सभा को अपने दृवष्टकोण को संशोवधत करने के वलए मजबूर वकया और
यह एक मजबूत कें द्र के पक्ष में हल हुआ।
● अलगाि का डर: संघ से राज्यों के अलग होने की संभािना संविधान के प्रारूपकारों के वदमाग पर वटकी हुई र्ी इसवलए उन्होंने यह सवु नवित
वकया वक भारतीय संघ "अविनाशी" (Indestructible) रहे।
● अमेररकी महासघं से अतं र: सवं िधान सभा ने यह स्पष्ट वकया वक यद्यवप भारत को एक सघं होना र्ा, लेवकन यह एक समझौते का पररणाम नहीं
र्ा और इसवलए, वकसी भी राज्य को इससे अलग होने का अवधकार नहीं है।
● सवं िधान में स्पष्ट राज्यों की वस्र्वत: अन्य लोगों द्वारा आलोचना करने पर वक 'राज्यों का संघ' शब्द 'गणतत्रं ' शब्द को अस्पष्ट करे गा, आंबेडकर
ने स्पष्ट वकया वक सघं और राज्य दोनों ही सवं िधान से अपने-अपने अवधकार प्राप्त करते हैं, ये एक दसू रे के अधीनस्र् नहीं है।
● सवं िधान में 'कें द्र सरकार' का कोई संदभथ नहीं: संविधान सभा के सदस्य संविधान में 'कें द्र' या 'कें द्र सरकार' शब्द का उपयोग नहीं करने से बहुत
सतकथ र्े क्योंवक उनका उद्देश्य एक इकाई में शवियों के कें द्रीकरण की प्रिृवत्त को दरू रखना र्ा।
● एकजटु करने का संदश
े : 'कें द्र सरकार' या 'भारत सरकार' का एक एकीकृ त प्रभाि है क्योंवक जो संदश
े वदया जाना है िह यह है वक सरकार सभी
की है।
अवतररि अनदु ान ● अवतररि अनदु ान उस समय प्रदान वकया जाता है जब सरकार को उस िषथ के वित्तीय वििरण में
(Additional Grant) पररकवल्पत/अनध्ु यात की गई सेिाओ ं के अवतररि वकसी नई सेिा के वलये धन की आिश्यकता होती है।
अवधक अनुदान ● यह उस समय प्रदान वकया जाता है जब वकसी सेिा पर उस वित्तीय िषथ में वनधाथररत (उस िषथ में संबंवधत
(Excess Grant) सेिा के वलये) या अनुदान वकये गए धन से अवधक व्यय हो जाता है।
● वित्तीय िषथ के बाद लोकसभा द्वारा इस पर मतदान वकया जाता है।
● मतदान के वलए लोकसभा में अवतररि अनुदान की मागं प्रस्ततु करने से पहले, उन्हें संसद की लोक लेखा
सवमवत द्वारा अनुमोवदत वकया जाना चावहए।
प्रत्यानुदान ● यवद वकसी सेिा की महत्ता या उसके अवनवित स्िरूप के कारण मांग को बजट में इस प्रकार नहीं रखा जा
(Vote of Credit) सकता वजस प्रकार सामान्यतया बजट में अन्य मागं ों को रखा जाता है, तो ऐसी मांगो की पवू तथ के वलये
प्रत्यानुदान वदया जाता है।
● यह लोक सभा द्वारा कायथपावलका को वदए गए ब्लैंक चेक के समान है।
अपिादानुदान ● यह एक विशेष उद्देश्य के वलए वदया जाता है और वकसी भी वित्तीय िषथ की ितथमान सेिा का वहस्सा नहीं
(Exceptional Grant) होता है।
टोकन अनुदान ● यह तब प्रदान वकया जाता है जब वकसी नई सेिा पर प्रस्तावित व्यय को परू ा करने के वलए धन पनु : उपयोग
(Token Grant) द्वारा उपलब्ध कराया जा सकता है।
● एक टोकन रावश (रु 1) के अनुदान की मांग लोकसभा के मतदान के वलए प्रस्तुत की जाती है और यवद
सहमवत हो जाती है, तो धन उपलब्ध कराया जाता है।
● पनु विथवनयोग में एक मद से दसू रे मद में वनवधयों का अतं रण शावमल है। इसमें कोई अवतररि खचथ शावमल
नहीं है।
● सहकार से समृवद्ध (सहकाररता के माध्यम से समृवद्ध) के दृवष्टकोण को साकार करने और सहकाररता आदं ोलन को एक नया बल देने के वलए
कें द्र सरकार द्वारा एक अलग 'सहकाररता मत्रं ालय' बनाया गया है।
● यह देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के वलए एक कें वद्रत प्रशासवनक, कानूनी और नीवतगत ढाचं ा प्रदान करे गा।
● यह सहकारी सवमवतयों के वलए 'व्यापार करने में आसानी' के वलए प्रवियाओ ं को सव्ु यिवस्र्त करने और बहु-राज्य सहकारी सवमवतयों (MSC)
के विकास को सक्षम करने के वलए काम करे गा।
● एक सहकारी सयं ि
ु रूप से स्िावमत्ि और लोकतावं त्रक रूप से वनयवं त्रत उद्यम के माध्यम से अपनी आम आवर्थक, सामावजक और सास्ं कृ वतक
जरूरतों और आकांक्षाओ ं को परू ा करने के वलए स्िेच्छा से एकजटु व्यवियों का एक स्िायत्त संघ है।
○ उदाहरण: उपभोिा सहकारी सवमवत, उत्पादक सहकारी सवमवत, ऋण सहकारी सवमवत, आिास सहकारी सवमवत और विपणन
सहकारी सवमवत।
सहकाररता का विकास (Evolution of Cooperatives)
● 1903 में बगं ाल सरकार के सहयोग से बैंवकंग में पहली िे वडट सहकारी सवमवत का गठन वकया गया र्ा। इसे विवटश सरकार के अनुकूल
सोसायटी अवधवनयम के तहत पंजीकृ त वकया गया र्ा।
● लेवकन सहकारी साख सवमवत अवधवनयम, 1904 के अवधवनयमन ने सहकाररता को एक वनवित संरचना और आकार प्रदान वकया।
● 1919 में, सहकाररता एक प्रातं ीय विषय बन गया और प्रातं ों को मोंटेग्य-ू चेमसिोडथ सधु ारों के तहत अपने स्ियं के सहकारी कानून बनाने के
वलए अवधकृ त वकया गया। भारत सरकार अवधवनयम, 1935 के आधार पर िगीकरण वकया गया।
● 1942 में, विवटश भारत सरकार ने एक से अवधक प्रातं ों की सदस्यता िाली सहकारी सवमवतयों को किर करने के वलए बहु-इकाई सहकारी
सवमवत अवधवनयम लागू वकया।
● 1958 में, राष्ट्ट्रीय विकास पररषद (NDC) ने सहकारी सवमवतयों पर और कवमथयों के प्रवशक्षण और सहकारी विपणन सवमवतयों की स्र्ापना के
वलए एक राष्ट्ट्रीय नीवत की वसिाररश की र्ी।
● राष्ट्ट्रीय सहकारी विकास वनगम (NCDC), एक सावं िवधक वनगम, राष्ट्ट्रीय सहकारी विकास वनगम अवधवनयम, 1962 के तहत स्र्ावपत वकया
गया र्ा ।
○ भारत में कायथरत सहकारी सवमवतयों के सबं धं में सवं िधान में एक नया भाग IX B जोडा गया। (भाग IX A नगर-पावलका से समबवं धत
है)
○ अनुच्छे द 19 (1) (C) में शब्द "सहकारी सवमवतयों" को "यवू नयनों और संघों" के बाद जोडा गया र्ा। यह सभी नागररकों को
नागररकों के मौवलक अवधकार का दजाथ देकर सहकारी सवमवतयां बनाने में सक्षम बनाता है।
○ राज्य के नीवत वनदेशक तत्िों (भाग IV) में "सहकारी सवमवतयों के सिं धथन" के संबंध में एक नया अनुच्छे द 43 B जोडा गया र्ा।
● यह ससं द अवधवनयम, 1977 में विपक्ष के नेताओ ं के िेतन और भत्ते में पररभावषत एक िैधावनक पद है।
● विपक्ष का नेता बनने के वलए, विपक्ष में सबसे बडे राजनीवतक दल के पास लोकसभा में कम से कम 10% सीटें होनी चावहए। ऐसी पाटी का
नेता विपक्ष के नेता के रूप में कायथ करता है।
● नेता प्रवतपक्ष सरकार की नीवतयों की संरचनात्मक आलोचना करता है। नेता प्रवतपक्ष नीवत और विधायी कायों में विपक्ष के कामकाज में
सामंजस्य और प्रभािशीलता लाने में भी महत्िपणू थ भवू मका वनभाता है।
● इसे कै वबनेट मत्रं ी के समान िेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं वजसका भगु तान सरकार द्वारा वकया जाता है।
● नेता प्रवतपक्ष जिाबदेही और पारदवशथता के संस्र्ानों – सीिीसी, सीबीआई, सीआईसी, लोकपाल, सीआईसी, एनएचआरसी में वनयवु ियों के
वलए वद्वदलीय और तटस्र्ता लाने में महत्िपणू थ भवू मका वनभाता है।
● समस्या तब उत्पन्न होती है जब विपक्ष में कोई भी दल 55 या अवधक सीटें प्राप्त नहीं करता है। ऐसी वस्र्वतयों में विपक्ष की सबसे बडी पाटी
को स्पीकर द्वारा विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त नेता का अवधकार होना चावहए।
● इसके अलािा, 10% सत्रू ीकरण 'ससं द अवधवनयम, 1977 में विपक्ष के नेताओ ं के िेतन और भत्ते' कानून के सार् असगं त है, जो के िल यह
कहता है वक सबसे बडे विपक्षी दल को पद वमलना चावहए।
307. राजनीवतक दल पजं ीकरण ट्रैवकंग प्रबधं न प्रणाली (Political Parties Registration Tracking Management System)
समाचार में: भारत के चनु ाि आयोग ने "राजनीवतक दल पंजीकरण ट्रैवकंग प्रबंधन प्रणाली (PPRTMS)" शरू
ु की है।
● PPRTMS में मख् ु य विशेषता यह है वक आिेदक, जो 1 जनिरी, 2020 से एक राजनीवतक दल के पजं ीकरण के वलए आिेदन कर रहा है,
अपने आिेदन की प्रगवत को ट्रैक करने में सक्षम होगा और एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से वस्र्वत अपडेट प्राप्त करे गा।
● राजनीवतक दलों का पंजीकरण लोक प्रवतवनवधत्ि अवधवनयम, 1951 की धारा 29 A के प्रािधानों द्वारा वनयंवत्रत होता है।
▪ उपयथि ु धारा के तहत पंजीकरण की मागं करने िाले एक संघ को अपने गठन की तारीख के बाद 30 वदनों की अिवध के भीतर
आयोग को एक आिेदन प्रस्ततु करना होगा।
पंजीकरण के लाभ
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308. राष्ट्ट्रीय मानिावधकार आयोग (National Human Rights Commission of India - NHRC)
● यह एक सांविधक (और संिैधावनक नहीं) वनकाय है वजसकी स्र्ापना 1993 में संसद द्वारा अवधवनयवमत एक कानून के तहत की गई र्ी,
अर्ाथत् मानिावधकार संरक्षण अवधवनयम, 1993
● आयोग देश में मानिावधकारों, अर्ाथत्, सवं िधान द्वारा गारंटीकृ त या अतं रराष्ट्ट्रीय िाचाओ ं में सवन्नवहत और भारत में न्यायालयों द्वारा
प्रितथनीय व्यवि के जीिन, स्ितत्रं ता, समानता और गररमा से सबं वं धत अवधकार का प्रहरी है।
● इन पणू थकावलक सदस्यों के अलािा, NHRC में सात पदेन सदस्य भी हैं
o राष्ट्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष
o अनसु वू चत जावत के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o अनसु वू चत जनजावतयों के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o राष्ट्ट्रीय मवहला आयोग के अध्यक्ष
o वपछडा िगथ के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o बाल अवधकारों के संरक्षण के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o विकलागं व्यवियों के वलए मख्ु य आयि
ु ।
● अध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु ि राष्ट्ट्रपवत द्वारा छह सदस्यीय सवमवत की वसिाररशों पर की जाती है, वजसमें
o प्रधान मंत्री इसके प्रमख
ु के रूप में
o लोकसभा के अध्यक्ष
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o राज्यसभा के उपाध्यक्ष,
o संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता
o कें द्रीय गृह मंत्री।
● इसके अलािा, सिोच्च न्यायालय के एक मौजदू ा न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के एक मौजदू ा मख्ु य न्यायाधीश को भारत के मख्ु य न्यायाधीश
के परामशथ के बाद ही वनयि
ु वकया जा सकता है।
● अध्यक्ष और सदस्य तीन िषथ की अिवध के वलए या 70 िषथ की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।
● उनके कायथकाल के बाद, अध्यक्ष और सदस्य कें द्र या राज्य सरकार के तहत आगे के रोजगार के वलए पात्र नहीं होते हैं।
NHRC के कायथ
● यह अपनी प्रविया को विवनयवमत करने की शवि के सार् वनवहत है। इसमें वसविल कोटथ की सभी शवियां हैं और इसकी कायथिाही में न्यावयक
चररत्र है।
● मानिावधकार उल्लघं न की वशकायतों की जाचं के वलए आयोग के पास कमथचाररयों की जाचं का अपना कें द्र है।
● इसके अलािा, इसे कें द्र सरकार या वकसी राज्य सरकार के वकसी भी अवधकारी या जांच एजेंसी की सेिाओ ं का उपयोग करने का अवधकार
है।
● आयोग को उस वतवर् से एक िषथ की समावप्त के बाद वकसी भी मामले की जांच करने का अवधकार नहीं है वजस पर मानि संसाधन का उल्लंघन
करने का आरोप लगाया गया है।
● जांच के दौरान या उसके परू ा होने पर NHRC वनमनवलवखत में से कोई भी कदम उठा सकता है:
○ यह पीवडत को मआ
ु िजे या हजाथने का भगु तान करने के वलए सबं वं धत सरकार या प्रावधकरण को वसिाररश कर सकता है;
○ यह संबंवधत प्रावधकारी को अवभयोजन के वलए कायथिाही शरू
ु करने या दोषी लोक सेिक के वखलाि वकसी अन्य कारथ िाई की
वसिाररश कर सकता है;
○ यह पीवडत को तत्काल अंतररम राहत देने के वलए संबवं धत सरकार या प्रावधकरण को वसिाररश कर सकता है;
○ यह आिश्यक वनदेश, आदेश या ररट के वलए सिोच्च न्यायालय या सबं वं धत उच्च न्यायालय का दरिाजा खटखटा सकता है।
NHRC की सीमाएं
● नोट: आयोग के कायथ मख्ु यतः अनश
ु ंसात्मक प्रकृ वत के हैं। इसके पास मानिावधकारों के उल्लंघन करने िालों को दवं डत करने की शवि नहीं
है, और न ही पीवडत को आवर्थक राहत सवहत कोई राहत देने की शवि है।
● इसकी वसिाररशें सबं वं धत सरकार/प्रावधकरण पर बाध्यकारी नहीं हैं। लेवकन, इसकी वसिाररशों पर की गई कारथ िाई से एक माह के भीतर अिगत
कराया जाना चावहए।
● सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानिावधकारों के उल्लघं न के सबं धं में आयोग की सीवमत भवू मका, शवियां और अवधकार क्षेत्र हैं।
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● आयोग अपनी िावषथक या विशेष ररपोटथ कें द्र सरकार और संबंवधत राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है। ये ररपोटथ संबंवधत विधानसभाओ ं के
समक्ष रखी जाती हैं।
○ U/A 292, कें द्र सरकार के पास ससं द द्वारा वनधाथररत सीमा (FRBM Act) के अधीन उधार लेने की अप्रवतबवं धत शवि है।
○ राज्यों की तरह संघ के वलए कोई क्षेत्रीय अवधकार क्षेत्र नहीं है । कें द्र सरकार घरेलू और विदेश से भी उधार ले सकती है।
● िह लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य नहीं हो सकता। यवद िह वकसी सदन का सदस्य है तो उसे पहले अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।
● जब एक राज्यपाल दो या दो से अवधक राज्यों के वलए होता है, तो राज्यों द्वारा पररलवब्धयां साझा की जाती हैं।
● उसे वकसी भी आपरावधक कायथिाही से प्रवतरक्षा दी जाती है, यहां तक वक उसके व्यविगत कृ त्यों के सबं ंध में भी।
● उसके व्यविगत कृ त्यों के वलए दो माह की पिू थ सचू ना देकर वसविल कायथिाही प्रारंभ की जा सकती है।
● छत्तीसगढ, झारखडं , मध्य प्रदेश, ओवडशा जैसे राज्यों में आवदिासी कल्याण मत्रं ी वनयि
ु करना राज्यपाल की वजममेदारी है।
● राज्यपाल को राज्य में राष्ट्ट्रपवत शासन के दौरान राष्ट्ट्रपवत के एजेंट के रूप में व्यापक कायथकारी शवियां प्राप्त हैं।
राज्यपाल की विधायी शवियां
● अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अनपु वस्र्त रहने पर सत्र की अध्यक्षता करने के वलए एक व्यवि की वनयवु ि करता है।
● नामाक
ं न शविया।ं
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विषय
● ससं दीय विशेषाविकार उन अविकारों, उन्िवु ियों और छूटों को संदवभमि करिा है जो संसद को एक संस्था के रूप िें (संसदीय सविवियों सवहि)
और सांसदों को उनकी व्यविगि क्षििा िें प्राप्त होिी हैं, वजसके विना िे संवििान द्वारा उन्हें सौंपे गए कायों का वनिमहन नहीं कर सकिे हैं।
● संसदीय विशेषाविकार संसद सदस्यों की गररिा, अविकार और सम्िान िनाए रिने िें िदद करिे हैं।
● सवं ििान (अनच्ु छे द 105 और 194) िें दो विशेषाविकारों का उल्लेि है, अथामि ससं द िें िोलने की स्िित्रं िा और इसकी कायमिाही के
प्रकाशन का अविकार।
● लोकसभा वनयि पवु स्िका के अध्याय 20 िें वनयि संख्या 222 और राज्य सभा वनयि पवु स्िका के अध्याय 16 िें वनयि 187 के अनुरूप
विशेषाविकार को वनयंवत्रि करिा है।
● जि इनिें से वकसी भी अविकार और उन्िवु ि की अिहेलना की जािी है, िो अपराि को विशेषाविकार का उल्लंघन कहा जािा है और यह
संसद के कानून के िहि दर्ं नीय है।
● वकसी भी सदन के वकसी भी सदस्य द्वारा विशेषाविकार के उल्लंघन के दोषी पाए जाने िालों के विलाफ एक प्रस्िाि के रूप िें एक नोवटस
पेश वकया जािा है
● सािवू हक और व्यविगि विशेषाविकार (Refer Rare Video Day 43- Session 32)
● ससं द के संसदीय विशेषाविकारों (सदस्यों और सविवियों) से संिंविि प्राििानों को संसद के सािारण िहुिि का उपयोग करके संशोविि
वकया जा सकिा है ।
● भारिीय राष्ट्रपवि के सिक्ष शपथ वलए विना, संसद के सदस्य को विशेषाविकार और प्रविरक्षा प्रदान नहीं की जािी है ।
● लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा सदस्यों के विशेषाविकारों और संसद के इस सदन की सविवियों का सरं क्षक होिा है ।
● संसदीय विशेषाविकार के उल्लंघन के वलए एक िंत्री को वनंदा करने के वलए 'विशेषाविकार प्रस्िाि' नाि का एक प्रस्िाि है।
● विशेषाविकार का प्रश्न उठाने के वलए स्थगन प्रस्िाि और सांकेविक कटौिी प्रस्िाि का उपयोग नहीं वकया जा सकिा है।
● संसद के पास विशेषाविकार के वकसी भी उल्लंघन के वलए सदन के सदस्यों या िाहरी व्यवि को दवं र्ि करने की न्यावयक शवि है।
● 'विशेषाविकार सविवि' नािक एक सविवि होिी है जो अिम-न्यावयक प्रकृ वि की होिी है। यह विशेषाविकारों के उल्लंघन की जाचं के वलए
वजम्िेदार है। लोकसभा की विशेषाविकार सविवि िें 15 सदस्य होिे हैं जिवक राज्यसभा िें एक ही सविवि के वलए 10 सदस्य होिे हैं।
● वजन व्यवियों को संसद के वकसी भी सदन की कायमिाही िें िोलने की अनुिवि है, िे भी संसद के विशेषाविकारों के हकदार हैं। उदाहरण -
भारि के िहान्यायिादी और कें द्रीय ित्रं ी।
● ये वनयि संवििान के अनुच्छे द 77(3) से वनकलिे हैं, वजसिें कहा गया है: "राष्ट्रपवि भारि सरकार के व्यिसाय के अविक सवु ििाजनक
लेनदेन के वलए और उि व्यिसाय के िंवत्रयों के िीच आिंटन के वलए वनयि िनाएगं े।"
● COM एक संिैिावनक वनकाय है, वजसे संवििान के अनुच्छे द 74 और 75 द्वारा विस्िार से पेश वकया गया है।
● COM एक व्यापक वनकाय है वजसिें सभी िवं त्रयों की सभी 3 श्रेवणयां शाविल हैं, अथामि् कै विनेट ित्रं ी, राज्य ित्रं ी और उप ित्रं ी ।
● COM सभी शवियों के साथ वनवहि हैं लेवकन के िल वसद्ांि िें। यह कै विनेट द्वारा वलए गए वनणमयों को लागू करिा है जिवक
कै विनेट सविवियां वनणमय लेने िें कै विनेट की िदद करिी हैं।
● COM संसद के वनचले सदन के वलए सािवू हक रूप से उत्तरदायी हैं जिवक कै विनेट सविवियों के वलए ऐसा कोई िंर् नहीं है।
● 91 िें संिैिावनक संशोिन अविवनयि, 2003 के िहि, प्रिानिंत्री सवहि िंवत्रपररषद िें िंवत्रयों की कुल संख्या लोकसभा के कुल
सदस्यों के 15 प्रविशि (15% 543= 81) से अविक नहीं हो सकिी है।
सिाचार िें: कें द्र सरकार ने अटॉनी जनरल (AGI) के रूप िें के .के . िेणगु ोपाल के कायमकाल को एक और िषम के वलए विस्िाररि वकया है।
● यह दसू री िार है जि कें द्र ने उनका कायमकाल िढाया है। िेणगु ोपाल को अपने कायमकाल का पहला विस्िार 2020 िें विला था।
● िह एक ऐसा व्यवि होना चावहए जो सिोच्च न्यायालय का न्यायािीश वनयि ु होने के योग्य हो, अथामि िह भारि का नागररक होना चावहए
और राष्ट्रपवि की राय िें पांच साल के वलए वकसी उच्च न्यायालय का न्यायािीश या दस साल के वलए वकसी उच्च न्यायालय का अविििा
या एक प्रख्याि न्यायविद होना चावहए ।
● वनष्ट्कासन: AGI को हटाने के वलए प्रवियाएं और आिार सवं ििान िें नहीं ििाए गए हैं। AGI राष्ट्रपवि के प्रसादपयमन्ि अपना पद िारण
करिा है (वकसी भी सिय राष्ट्रपवि द्वारा हटाया जा सकिा है)।
● भारि के सॉवलवसटर जनरल और भारि के अविररि सॉवलवसटर जनरल आविकाररक वजम्िेदाररयों की पवू िम िें AG की सहायिा करिे हैं ।
● एर्िोके ट जनरल ऑफ स्टेट (िहाविििा) राज्यों िें संिंविि कायामलय है (अनुच्छे द 165)।
अविकार और सीिाए:ं
● AGI को संसद के दोनों सदनों या उनकी संयि ु िैठक और संसद की वकसी भी सविवि की कायमिाही िें िोलने और भाग लेने का अविकार
है, वजसिें िह सदस्य नाविि हो सकिा है, लेवकन ििदान के अविकार के विना।
● AGI को िे सभी विशेषाविकार और उन्िवु ियां प्राप्त हैं जो संसद सदस्य को उपलब्ि होिी हैं।
● AGI सरकारी किमचाररयों की श्रेणी िें नहीं आिा है ।
● AGI को वनजी विविक कायमिाही से िंवचि नहीं वकया गया है। हालााँवक, िह भारि सरकार के विलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर
सकिा है।
किमव्य और कायम:
● ऐसे काननू ी िािलों पर भारि सरकार को सलाह देना, जो राष्ट्रपवि द्वारा उसे संदवभमि वकए जािे हैं।
● कानूनी चररत्र के ऐसे अन्य किमव्यों का पालन करना जो उन्हें राष्ट्रपवि द्वारा सौंपे जािे हैं।
● भारि सरकार की ओर से सभी िािलों िें सिोच्च न्यायालय िें या वकसी भी उच्च न्यायालय िें वकसी भी िािले िें, वजसिें भारि सरकार का
संिंि है, उपवस्थि होना।
● सवं ििान के अनुच्छे द 143 (सिोच्च न्यायालय से परािशम करने की राष्ट्रपवि की शवि) के िहि राष्ट्रपवि द्वारा सिोच्च न्यायालय िें वकए गए
वकसी भी संदभम िें भारि सरकार का प्रविवनवित्ि करना।
● संवििान या वकसी अन्य कानून द्वारा उसे प्रदत्त कायों का वनिमहन करना।
अनुच्छे द 213 राज्यपाल द्वारा अध्यादेशों के िाध्यि से काननू िनाने की शवि से संिंविि है। उसकी अध्यादेश िनाने की शवि काफी हद िक राष्ट्रपवि
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की शवि के सिान है। इन दोनों के अध्यादेश जारी करने के िीच िल ु ना नीचे दी गई है:
राष्ट्रपवि की अध्यादेश जारी करने की शवि राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शवि
जि लोकसभा या राज्य सभा सत्र िें न हो या दोनों सत्र िें न हों जि एक सदनीय वििावयका के िािले िें वििान सभा सत्र िें न हो या वद्वसदनीय
िो िह अध्यादेश जारी कर सकिा है। वििावयका के िािले िें वििान सभा और पररषद दोनों सत्र िें न हो, िो िह
अध्यादेश जारी कर सकिा है।
िह के िल उन िािलों के वलए एक अध्यादेश जारी कर सकिा िह के िल उन िािलों के वलए एक अध्यादेश को जारी कर सकिा है वजन पर
है वजन पर संसद (लोकसभा और राज्यसभा) कानून िना सकिी राज्य वििावयका काननू िना सकिी है।
है।
उनके अध्यादेशों का नीवियों पर िैसा ही प्रभाि पड़िा है वजिना उनके अध्यादेशों का नीवियों पर िैसा ही प्रभाि पड़िा है जैसा वक राज्य के
ससं द के कृ त्यों का होगा। अविवनयि का होगा। यवद अध्यादेश उन िािलों पर काननू िनािे हैं वजन पर
राज्य सरकार की कोई शवि नहीं है, िो अध्यादेश शन्ू य और अप्रभािी हो जािा
है।
उनके द्वारा पेश वकए गए अध्यादेश को कभी भी िापस वलया उनके द्वारा पेश वकए गए अध्यादेश को कभी भी िापस वलया जा सकिा है।
जा सकिा है।
अध्यादेश को प्रख्यावपि करने की उनकी शवि वििेकािीन अध्यादेश को प्रख्यावपि करने की उनकी शवि वििेकािीन शवि नहीं है।
शवि नहीं है। िवं त्रपररषद (प्रिानिंत्री की अध्यक्षिा िें) की िंवत्रपररषद (सीएि की अध्यक्षिा िें) की सलाह पिू म-अपेवक्षि है।
सलाह पिू म अपेवक्षि है।
जि कें द्र सरकार एक अध्यादेश प्रख्यावपि करिी है िो राष्ट्रपवि वनम्नवलविि िीन िािलों पर राष्ट्रपवि का वनदेश आिश्यक हैं:
द्वारा वकसी वनदेश की आिश्यकिा नहीं होिी है।
● यवद सिान प्राििानों िाले वकसी वििेयक को राज्य वििानिंर्ल िें
पेश करने के वलए राष्ट्रपवि की पिू म स्िीकृ वि की आिश्यकिा होिी है।
● इसकी स्थापना 1963 िें कें द्रीय गृह ित्रं ालय के एक प्रस्िाि द्वारा (सथं ानि सविवि की वसफाररस पर) की गयी थी।
● िाद िें, इसे काविमक ित्रं ालय िें स्थानािं ररि कर वदया गया और अि इसे एक संलग्न कायामलय का दजाम प्राप्त है।
● 1941 िें स्थावपि विशेष पवु लस प्रविष्ठान (जो सिकम िा िािलों को देििा था) को भी सीिीआई िें विला वदया गया था।
● हालााँवक भ्रष्टाचार वनिारण अविवनयि (Prevention of Corruption Act) के िहि अपरािों के अन्िेषण के िािले िें इसका अिीक्षण
कें द्रीय सिकम िा आयोग (Central Vigilance Commission) के पास है।
● यह भारि की नोर्ल पवु लस एजेंसी भी है जो इटं रपोल की ओर से इसके सदस्य देशों िें अन्िेषण सिं िं ी सिन्िय करिी है।
● इसकी अपराि वसवद् दर (Conviction Rate) 65 से 70% िक है, अिः इसकी िुलना विश्व की सिमश्रष्ठे अन्िेषण एजेंवसयों से की जा सकिी
है।
एनआईए का गठन 2008 िें िंिु ई आिक ं िादी हिले के िाद िख्ु य रूप से
सीिीआई आिक ं िाद के अलािा भ्रष्टाचार, आवथमक अपराि और गभं ीर
आिंकिादी हिलों की घटनाओ,ं आिंकिाद के वित्तपोषण और अन्य
और संगवठि अपराि के अपराि की जाचं करिी है।
आिंकिाद से संिंविि अपरािों की जाचं के वलए वकया गया था।
● सीिीआई का नेित्ृ ि एक वनदेशक करिा है वजसे एक विशेष/अविररि वनदेशक द्वारा सहायिा प्रदान की जािी है। सीिीआई के वनदेशक को
CVC अविवनयि, 2003 द्वारा दो साल के कायमकाल की सरु क्षा प्रदान की गई है।
● कें द्र सरकार सीिीआई के वनदेशक की वनयवु ि िीन सदस्यीय सविवि की वसफाररश पर करिी है वजसिें
● सीिीआई अकादिी गावजयािाद, यपू ी िें वस्थि है इसने 1996 िें कायम करना शरू
ु वकया। इसके कोलकािा, िंिु ई और चेन्नई िें िीन क्षेत्रीय
प्रवशक्षण कें द्र भी हैं।
सीिीआई के कायम
● कें द्र सरकार के किमचाररयों के भ्रष्टाचार, ररश्वििोरी और कदाचार के िािलों की जाचं करना।
● पेशेिर अपरावियों के सगं वठि वगरोहों द्वारा वकए गए राष्ट्रीय और अिं रराष्ट्रीय प्रभाि िाले गंभीर अपरािों की जााँच करना।
● राज्य सरकार के अनरु ोि पर सािमजवनक िहत्ि के वकसी भी िािले को जाचं के वलए उठाना।
● यह हत्या, अपहरण, िलात्कार आवद जैसे पारंपररक अपरािों की जांच करिा है, राज्य सरकारों के संदभम िें या सिोच्च न्यायालय / उच्च
न्यायालयों द्वारा वनदेवशि होने पर।
● सीिीआई भारि िें इटं रपोल के "राष्ट्रीय कें द्रीय ब्यरू ो" के रूप िें कायम करिी है।
● कें द्र सरकार सीिीआई को वकसी राज्य िें ऐसे अपराि की जाचं के वलए अविकृ ि कर सकिी है लेवकन के िल संिंविि राज्य सरकार की
सहिवि से।
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○ हाल ही िें आध्रं प्रदेश और पविि िंगाल जैसे राज्यों ने सहिवि िापस ले ली ।
● वदल्ली विशेष पवु लस स्थापना अविवनयि, 1946 की िारा 6 के अनसु ार, राज्य सरकारें दी गई सािान्य सहिवि को िापस ले सकिी हैं।
○ के स-विवशष्ट - राज्य सरकार के किमचाररयों या वकसी वदए गए राज्य िें वहसं क अपराि से जड़ु ा िािला-उस विशेष राज्य सरकार द्वारा
अपनी सहिवि देने के िाद ही।
○ सािान्य सहिवि - संिंविि राज्य िें कें द्र सरकार के किमचाररयों के विलाफ भ्रष्टाचार के िािलों िें सीिीआई को आसानी से अपनी
जाचं करने िें सहायिा करना। लगभग सभी राज्यों ने यह सािान्य सहिवि दी है।
• भारि के सवं ििान के अनच्ु देद 263 के िहि राष्ट्रपवि के वदनाक ं 28.5.1990 के आदेश के िहि अिं र-राज्य पररषद का गठन वकया गया था।
• भारि के सवं ििान िें ऐसी शासन व्यिस्था का प्राििान वकया गया है वजसिें के न्द्र और राज्यों के िीच, उन्हें सौंपे गए क्षेत्रों का प्रयोग वकए
जाने के वलए प्राविकार के क्षेत्रों को स्पष्ट रूप से पररभावषि वकया गया है। इसके अनरू
ु प सवं ििान ने वििायी, प्रशासवनक और वित्तीय शवियों
के क्षेत्रों िें के न्द्र और राज्यों के िीच शवियों का विस्िृि वििरण वकया है।
• िदनसु ार, वििायी शवि का विषय सवं ििान की साििीं अनसु चू ी िें िीन सवू चयों – के न्द्रीय सचू ी (सचू ी ।), राज्य सचू ी (सचू ी ।।) और सिििी
सचू ी (सचू ी ।।।) िें िगीकृ ि वकया गया है।
• के न्द्र सरकार ने के न्द्र और राज्यों के िीच ििमिान व्यिस्थाओ ं के कायमकरण की सिीक्षा करने के वलए न्यायिवू िम आर.एस. सरकाररया की
अध्यक्षिा िें िषम 1988 िें आयोग का गठन वकया।
• सरकाररया आयोग ने भारि के सवं ििान के अनच्ु छे द 263 के अनसु ार सपु ररभावषि अविदेश के अनसु रण िें परािशम करने के वलए एक स्िित्रं
राष्ट्रीय फोरि के रूप िें अिं र-राज्य पररषद स्थावपि वकए जाने की िहत्िपणू म वसफाररश की थी।
• अिं रराज्यीय पररषद की िैठक साल िें िीन िार होनी प्रस्िाविि है ।
• िाजा िैठक वदल्ली िें 10 साल के अिं राल के िाद जल ु ाई 2016 िें आयोवजि की गई थी।
पररषद का ििमिान संगठन वनम्नानसु ार है:
● वििान सभा िाले संघ राज्य क्षेत्रों के िख्ु य िंत्री और विना वििान सभा िाले संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक िथा राष्ट्रपवि शासन िाले राज्यों के
राज्यपाल (जम्िू और कश्िीर के िािले िें राज्यपाल का शासन) सदस्य
● के न्द्रीय िंवत्रपररषद िें कै विनेट रैं क के छ: िंवत्रयों को प्रिानिंत्री द्वारा सदस्य के रूप नाविि वकया जाना है।
स्िरों पर अविकाररयों और किमचाररयों के भिी के िाद के प्रवशक्षण ित्रं को उन्नि करना है।
● इसिें राज्य के िख्ु यित्रं ी, कें द्रीय कै विनेट िंत्री और प्रख्याि राष्ट्रीय और िैवश्वक वशक्षाविद, विचारक नेिा, उद्योग जगि के नेिा भी शाविल
होंगे।
● यह पररषद वसविल सेिा क्षििा वनिामण कायमििों का अनुिोदन और सिीक्षा करे गी।
● पररषद के जनादेश िें शाविल हैं:
● शीषम वनकाय ड्राइविंग और कायमिि को रणनीविक वदशा प्रदान करना
● वसविल सेिा क्षििा वनिामण योजना को िंजरू ी और िॉवनटर करना
● क्षििा वनिामण आयोग द्वारा प्रस्िुि सिीक्षा ररपोटम
2. कै विनेट सवचि सिन्िय इकाई
● इसिें कै विनेट सवचि की अध्यक्षिा िें चवु नंदा सवचि और कै र्र वनयंत्रण प्राविकरण शाविल हैं।
● िावषमक क्षििा वनिामण योजनाएाँ िैयार करना और प्रिानिंत्री िानि संसािन पररषद से अनिु ोदन प्राप्त करना।
● वसविल सेिाओ ं के स्िास्थ्य और लक्ष्य उपलवब्ियों पर िावषमक िानि संसािन ररपोटम िैयार करना।
4. पणू म स्िावित्ि िाले विशेष प्रयोजन िाहन (SPV)
● कानून: िारा 8 (कंपनी अविवनयि के ) के िहि कंपनी 100% सरकारी स्िावित्ि के साथ।
● वनदेशक िंर्ल: कायमिि िें भाग लेने िाली सभी संस्थाओ ं का प्रविवनवित्ि करना।
● राजस्ि िॉर्ल: आत्िवनभमर – प्रवि किमचारी 431 रुपये का िावषमक सदस्यिा शल्ु क।
● SPV के प्रिि
ु कायम हैं:
○ प्रविविया िल्ू यांकन - आवटमवफवशयल इटं ेवलजेंस और विकवसि और स्के लेिल प्लेटफॉिम द्वारा संचावलि।
● अन्य देशों िें वसविल सेिकों की क्षििा वनिामण के वलए कायमिि िैयार करना और वििररि करना।
● iGOT-किमयोगी एक वनरंिर ऑनलाइन प्रवशक्षण िचं है, जो सहायक सवचि से सवचि स्िर िक सभी सरकारी किमचाररयों को उनके प्राविकार
क्षेत्रों के आिार पर वनरंिर प्रवशक्षण से गजु रने की अनिु वि देगा।
● अविकाररयों को वकसी भी सिय उपयोग हेिु अंिरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यिि िंच पर उपलब्ि कराए जाएगं े।
● िचं से सािग्री के वलए एक जीििं और विश्व स्िरीय िाजार स्थान के रूप िें विकवसि होने की उम्िीद है जहां साििानीपिू मक वनरीवक्षक और
सत्यावपि वर्वजटल ई-लवनिंग सािग्री उपलब्ि कराई जाएगी।
● क्षििा वनिामण के अलािा, पररिीक्षा अिवि के िाद पवु ष्ट, िैनािी, कायम असाइनिेंट और ररवियों की अविसचू ना आवद जैसे सेिा िािलों को
अंििः प्रस्िाविि योग्यिा ढाचं े के साथ एकीकृ ि वकया जाएगा।
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Day 44 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● वशक्षा िंत्रालय ने ‘िेहिर सिझ और संख्यात्िक ज्ञान के साथ पढाई िें प्रिीणिा के वलये राष्ट्रीय पहल- वनपणु ’ (National Initiative for
Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy- NIPUN) भारि विशन की शरुु आि की है।
● इसका उद्देश्य 3 से 9 िषम के आयु िगम के िच्चों की सीिने की जरूरिों को परू ा करना है। यह पहल NEP (राष्ट्रीय वशक्षा नीवि) 2020 के एक
भाग के रूप िें शरू
ु की जा रही है।
● सिग्र वशक्षा की कें द्र प्रायोवजि योजना के िहि सभी राज्यों और कें द्रशावसि प्रदेशों िें राष्ट्रीय, राज्य, विला, ब्लॉक, स्कूल स्िर पर एक पााँच
स्िरीय कायामन्ियन ित्रं स्थावपि वकया गया है।
○ 'सिग्र वशक्षा' कायमिि िीन िौजदू ा योजनाओ-ं सिम वशक्षा अवभयान (SSA), राष्ट्रीय िाध्यविक वशक्षा अवभयान (RMSA) और
वशक्षक वशक्षा (TE) को विलाकर शरू ु वकया गया था।
○ इस योजना का उद्देश्य पिू म-विद्यालय से िारहिीं कक्षा िक स्कूली वशक्षा को सिग्र रूप से सवु नविि करना है।
● NIPUN का उद्देश्य: िलू भिू साक्षरिा और संख्यात्िकिा (FLN) का सािमभौविक अविग्रहण सवु नविि करना िावक 2026-27 िक प्रत्येक
िच्चा कक्षा 3 के अंि िें और िाद िें कक्षा 5 के िाद पढने, वलिने और अंकगवणि िें िांवछि सीिने की क्षििा प्राप्त कर सके ।
○ िल
ू भिू भाषा और साक्षरिा िें िौविक भाषा, विकास, वलविि शब्दों को सिझना, प्रिाह पढना, पढने की सिझ और वलिना
शाविल है।
○ िल
ू भिू संख्यात्िकिा का अथम है दैवनक जीिन की सिस्या को हल करने िें सरल संख्यात्िक अििारणा को िकम करने और लागू
करने की क्षििा
○ स्कूली वशक्षा के िल
ू भिू िषों िें िच्चों िक पहुचं प्रदान करना और उन्हें िनाए रिना;
○ उच्च गणु ित्ता और विविि छात्र और वशक्षक संसािनों / वशक्षण सािग्री का विकास;
○ सीिने के पररणािों को प्राप्त करने िें प्रत्येक िच्चे की प्रगवि पर निर रिना।
○ NISHTHA "एकीकृ ि वशक्षक प्रवशक्षण के िाध्यि से स्कूली वशक्षा की गणु ित्ता िें सिु ार" के वलए एक क्षििा वनिामण कायमिि
है।
● भारिीय संवििान के भाग IV, राज्य के नीवि वनदेशक वसद्ािं ों (DPSP) के अनुच्छे द 45 और अनुच्छे द 39 (f) िें राज्य द्वारा वित्त पोवषि
होने के साथ-साथ सिान और सल ु भ वशक्षा का प्राििान है।
● 1976 िें 42िें CAA ने वशक्षा को राज्य से सिििी सचू ी िें स्थानािं ररि कर वदया।
● 2002 िें 86िें CAA ने वशक्षा को अनुच्छे द 21-A के िहि लागू करने योग्य अविकार िना वदया।
● वशक्षा का अविकार (RTE) अविवनयि, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 िषम की आयु के सभी िच्चों को प्राथविक वशक्षा प्रदान करना और
वशक्षा को िौवलक अविकार के रूप िें लागू करना है।
○ यह गैर-अल्पसंख्यक वनजी गैर-सहायिा प्राप्त स्कूलों को अविक एकीकृ ि और सिािेशी स्कूली वशक्षा प्रणाली िनाने के वलए
िंवचि िगों के िच्चों के वलए अपनी प्रिेश स्िर की सीटों िें से कि से कि 25% सीटों को अलग रिने का आदेश देिा है।
319. िािृ एिं वशशु सरु क्षा कार्म (Mother and Child Protection Card)
यह गभमििी और प्रसिोत्तर िवहलाओ ं और पाच
ं साल से कि उम्र के िच्चों के वलए एक ररकॉवर्िंग सह परािशम कार्म है।
● इसे UNICEF और NIPPCD के सिथमन से िवहला और िाल विकास िंत्रालय (MWCD), स्िास्थ्य और पररिार कल्याण िंत्रालय
(MHFW) द्वारा संयि
ु रूप से विकवसि वकया गया है।
● नेशनल इस्ं टीट्यटू ऑफ पवब्लक कोऑपरे शन एर्ं चाइल्र् र्ेिलपिेंट (NIPPCD) MWCD के िहि नई वदल्ली िें एक भारिीय सरकारी
एजेंसी है, जो भारि िें िवहला सशविकरण और िाल विकास के सिग्र क्षेत्र िें स्िैवच्छक कारम िाई अनुसिं ान, प्रवशक्षण और प्रलेिन को
िढािा देने का काि करिी है।
● इसे िल
ू रूप से कुछ राज्यों िें ICDS द्वारा उपयोग वकया जािा है, वजसे अि राष्ट्रीय ग्रािीण स्िास्थ्य विशन द्वारा अपनाया गया है।
कार्म की उपयोवगिा
● गभामिस्था, प्रसिोत्तर अिवि और िचपन के दौरान प्रदान की जाने िाली सेिाओ ं के ररकॉर्म रिने के वलए
● गभमििी िवहलाओ,ं यिु ा िािाओ ं और िच्चों के अच्छे स्िास्थ्य को प्राप्त करने के वलए सकारात्िक प्रथाओ ं को सीिने, सिझने और उनका
पालन करने के वलए पररिारों के वलए उपकरण।
● पररिारों को विवभन्न प्रकार की सेिाओ ं के िारे िें जानने िें िदद करिा है वजनकी उन्हें िवहलाओ ं और िच्चों के स्िास्थ्य और भलाई के वलए
उपयोग करने की आिश्यकिा होिी है।
● पररिारों को िेहिर स्िास्थ्य और पोषण की वस्थवि और छोटे िच्चों के विकास के वलए वनरंिर आिार पर वनणमय लेने के वलए सशि िनािा
है।
द्वारा प्रयि
ु
● ग्राि सिहू ों/िवहलाओ ं (िवहला िंर्ल) सिहू ों-स्थानीय नीवियों को िनाने के वलए।
● सहायक नसम दाई (ANM)/ आगं निाड़ी कायमकिाम (AWW) – लक्ष्य सिहू को वशवक्षि करने के वलए ।
स्थापना 1921 िें भारि सरकार अविवनयि 1919 के िाद। 1950 के िाद जॉन िथाई की वसफाररश पर
सदस्यों का चनु ाि ससं द द्वारा प्रत्येक िषम एक एकल हस्िांिरणीय मत के िाध्यि प्रत्येक िषम संसद द्वारा आनपु ाविक प्रविवनवित्ि
से आनुपाविक प्रविवनवित्ि के साथ। के साथ एकल हस्िािं रणीय िि के िाध्यि से
एक ित्रं ी को नहीं चनु ा जा सकिा। एक ित्रं ी नहीं चनु ा जा सकिा
है।
कायम ● भारि के वनयत्रं क-िहालेिापरीक्षक (CAG) की िावषमक ● पिू म िजट आिंटन की वनगरानी करना।
लेिापरीक्षा ररपोटों की जाचं करना, जो राष्ट्रपवि द्वारा संसद
के सिक्ष रिी जािी हैं। ● िजट िें शाविल अनिु ानों की जाचं करना।
DAY 57 - POLITY
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Day 57 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
सदस्यों का चिु ाि ● संसद द्वारा प्रत्येक िषव आिपु ाविक प्रविविवधत्ि के साथ एकल संक्रमणीय मि के माध्यम से।
● सवमवि सािवजविक उपक्रमों के वकसी भी िकिीकी मामले से संबंवधि िहीं है क्योंवक सवमवि के सदस्य के
रूप में कोई िकिीकी वििेषज्ञ िहीं हैं।
● सवमवि द्वारा दी गई सभी वसफाररिें सलाहकार हैं और मत्रं ी इिमें से वकसी से बाध्य िहीं हैं।
402. अधीिस्थ विधाि और विभाग संबंवधि स्थायी सवमवियों पर सवमवि (Committee on Subordinate Legislation and
Department Related Standing Committees)
● अधीिस्थ विधाि पर प्रत्येक सदि की अपिी सवमवि होिी है
● कायों की जाचं करिा और सदि को ररपोटव करिा है वक क्या ऐसे प्रविविवधमंडल के भीिर संविधाि द्वारा प्रदत्त या संसद द्वारा
प्रत्यायोवजि विवियम, वियम, उप-वियम, उप-वियम आवद बिािे की िवक्तयों का ठीक से प्रयोग वकया जा रहा है।
● सवमवि में पद्रं ह सदस्य होंगे वजन्हें लोकसभा के अध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवि द्वारा िावमि वकया जाएगा।
○ एक मत्रं ी को सवमवि का सदस्य िावमि िहीं वकया जाएगा।
● सवमवि के अध्यक्ष की वियवु क्त अध्यक्ष/सभापवि द्वारा सवमवि के सदस्यों में से की जाएगी:
○ बििे वक यवद राज्य सभा का उपाध्यक्ष सवमवि का सदस्य है, िो उसे सवमवि का अध्यक्ष वियक्त
ु वकया जाएगा।
● सवमवि के सदस्यों का कायवकाल एक िषव से अवधक िहीं होगा।
● सवमवि प्रत्येक सदि की प्रवक्रया और कायव संचालि के वियमों द्वारा िावसि होिी है।
● कोरम: सवमवि की बैठक गवठि करिे के वलए कोरम पाचं होगा।
○ सवमवि का अध्यक्ष पहली बार में मिदाि िहीं करेगा, लेवकि वकसी भी मामले में मिों की समाििा होिे पर, उसके
पास एक विणावयक िोट होगा वजसका िह प्रयोग करेगा।
● लोकसभा के अध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवि ऐसे विदेि जारी कर सकिे हैं जो अधीिस्थ विधाि के वकसी भी प्रश्न पर सवमवि
या सदि में विचार करिे से संबवं धि सभी मामलों के संबंध में प्रवक्रया को विवियवमि करिे के वलए आिश्यक समझे जा सकिे
हैं।
● ररपोटव: यवद सवमवि की राय है वक वकसी भी आदेि को पणू व या आंविक रूप से रद्द कर वदया जािा चावहए, या वकसी भी िरह
से सि
ं ोवधि वकया जािा चावहए, िो िह उस राय और उसके आधारों को सदि को ररपोटव करे गी।
● सवमवि के प्रवििेदिों में विवहि वसफाररिों पर, सरकार को छह महीिे के भीिर कारव िाई करिे और प्रत्येक मामले में की गई या
की जािे के वलए प्रस्िाविि कारव िाई के बारे में सवमवि को सवू चि करिे की आिश्यकिा है।
○ सवमवि की वसफाररिों/वटप्पवणयों पर सरकार द्वारा की गई कारव िाई की जाचं की जािी है और की गई कारविाई ररपोटव
में िावमल की जािी है वजसे सदि में भी प्रस्ििु वकया जािा है।
विभाग संबंवधि स्थायी सवमवियााँ
Day 57 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● उत्पवत्त: लोकसभा की वियम सवमवि की वसफाररि पर, 1993 में ससं द में 17 DRSC की स्थापिा की गई थी। 2004 में, ऐसी
साि और सवमवियों की स्थापिा की गई, इस प्रकार उिकी सख्ं या 17 से बढ़कर 24 हो गई।
● विभागीय स्थायी सवमवियााँ: 24 स्थायी सवमवियों में से 8 राज्य सभा के अधीि और 16 लोक सभा के अधीि कायव करिी हैं।
● इि सदस्यों को क्रमिः लोकसभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापवि द्वारा िावमि वकया जािा है।
○ एक मत्रं ी वकसी भी स्थायी सवमवि के सदस्य के रूप में िावमि होिे के योग्य िहीं है।
● इि सवमवियों की सेिा या िो लोकसभा सवचिालय या राज्य सभा सवचिालय द्वारा की जािी है, जो इस बाि पर विभवर करिा
है वक उस सवमवि का अध्यक्ष वकसिे वियक्त
ु वकया है।
भवू मका:
● िे उि मामलों की परू ी िरह से और व्यिवस्थि रूप से जाचं करिे में ससं द की सहायिा करिे हैं वजि पर लंबे समय िक पटल
पर चचाव िहीं की जा सकिी थी।
● सवमवियां विधावयका को अपिे किवव्यों का वििवहि करिे और अपिे कायों को प्रभािी ढगं से, त्िररि और कुिलिा से
विवियवमि करिे में सहायिा करिी हैं।
● सवमवियां उि मामलों पर वििेषज्ञिा भी प्रदाि करिी हैं जो उन्हें संदवभवि वकए जािे हैं।
िए ड्राफ्ट वदिाविदेि:
● हाल ही में, राज्य सभा सवचिालय िे अपिी स्थायी सवमवियों के वलए िया मसौदा वदिाविदेि िैयार वकया। वदिाविदेिों की
अभी भी लोकसभा अध्यक्ष द्वारा समीक्षा की जा रही है। इसमें िावमल हो सकिे हैं:
● पैिल बैठक आयोवजि करिे से पहले एक विहाई सदस्यों द्वारा न्यि ू िम 15 वदिों का िोवटस और पवु ि।
● उिकी योग्यिा, रुवचयों और व्यिसायों के आधार पर सदस्यों का िामाक ं ि।
● साक्ष्य एकत्र करिे और ररपोटव अपिािे के दौराि कम से कम 50% उपवस्थवि।
403. उत्पादि सबं द्ध प्रोत्साहि योजिा (Production Linked Incentive Scheme)
● यह एक ऐसी योजिा है वजसका उद्देश्य कंपवियों को घरे लू इकाइयों में विवमवि उत्पादों से िृवद्धिील वबक्री पर प्रोत्साहि देिा है।
Day 57 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● यह योजिा विदेिी कंपवियों को भारि में इकाइयााँ स्थावपि करिे के वलए आमंवत्रि करिी है, हालााँवक, इसका उद्देश्य स्थािीय
कंपवियों को मौजदू ा विविमावण इकाइयों की स्थापिा या विस्िार करिे और अवधक रोजगार उत्पन्ि करिे के वलए प्रोत्सावहि
करिा भी है।
● इसका उद्देश्य अन्य देिों से आयाि पर देि की विभवरिा को कम करिा है।
● इसे अप्रैल 2020 में बडे पैमािे पर इलेक्रॉविक्स विविमावण क्षेत्र के वलए लॉन्च वकया गया था, लेवकि बाद में 2020 के अंि में
इसे 10 अन्य क्षेत्रों के वलए पेि वकया गया था।
○ इसिे इलेक्रॉविक कंपवियों, मोबाइल फोि, रावं जस्टर, डायोड आवद जैसे इलेक्रॉविक घटकों का विमावण करिे के
वलए 4-6% का प्रोत्साहि वदया।
● यह योजिा भारि के आत्माविभवर भारि अवभयाि के अिुरूप िरू
ु की गई थी।
● सरकार का लक्ष्य भारि को िैवश्वक आपवू िव श्ृंखला का अवभन्ि अंग बिािा और वियावि में िृवद्ध करिा है।
● इस योजिा के वलए 1.97 लाख करोड रुपये वित्तीय िषव 2022 से आिंवटि वकए गए हैं।
● आधार िषव (2019-20) में 6 िषव की अिवध के वलए िृवद्धिील वबक्री पर वित्तीय प्रोत्साहि वदया जाएगा।
● यह योजिा फामावस्यवु टकल विभाग द्वारा िावमि एक पररयोजिा प्रबंधि एजेंसी (PMA) के माध्यम से कायाववन्िि की जाएगी।
6. सत्यापि: िक्िों के विमावण के बाद, ड्रोि सिेक्षण टीमों द्वारा एक जमीिी सत्यापि प्रवक्रया का अिसु रण वकया जािा है, उसके आधार पर, यवद
कोई हो, िो सधु ार वकया जािा है। इस स्िर पर, पछ ू िाछ/आपवत्त प्रवक्रया-संघषव/वििाद समाधाि परू ा हो जािा है
7. सपं वत्त काडव जारी करिा: सत्यापि के बाद, अंविम सपं वत्त काडव / िीषवक विलेख या "संपवत्त पत्रक" उत्पन्ि होिे हैं। ये काडव वडवजटल प्लेटफॉमव
पर या गांि के घर के मावलकों को हाडव कॉपी के रूप में उपलब्ध होंगे।
SVAMITVA संपवत्त डेटा और िक्िे भविष्य में कै से अपडेट वकए जाएंगे?
● रूपरे खा में कहा गया है, "एक बार जब GIS डेटाबेस 6.62 लाख गाि ं ों में िैयार हो जािा है, िो राज्य सरकारें भविष्य के सिेक्षण करिे और
GIS डेटाबेस को अपडेट करिे के वलए वजम्मेदार होंगी।" िे पिु : सिेक्षण की अद्यिि आिृवत्त भी िय करें गे।
SVAMITVA डेटा का मावलक कौि होगा?
● रे मिकव के मिु ावबक ऑथोराइज्ड बेस मैप सिे ऑफ इवं डया, पचं ायिी राज मंत्रालय और राज्य सरकार के संयक्त
ु स्िावमत्ि में होगा। GIS डेटा
भी कें द्र और राज्य के संयक्त
ु स्िावमत्ि में होगा।
● हालावं क, सपं वत्त वििरण से सबं वं धि डेटा राज्य के राजस्ि विभाग के स्िावमत्ि में होगा क्योंवक इसमें ररकॉडव के अवधकार (ROR) को बदलिे
और िक्िे को अपडेट करिे का अवधकार है।
● इसवलए, राज्य राजस्ि विभाग इस डेटा का मावलक/मेजबाि होगा और अन्य को देखिे का अवधकार होगा।
405. आकाक्ष
ं ी वजला कायवक्रम (Aspirational districts program)
● आकांक्षी वजले भारि के िे वजले हैं, जो खराब सामावजक-आवथवक सक ं े िकों से प्रभाविि हैं। इस कायवक्रम का उद्देश्य इि वजलों को त्िररि और
प्रभािी ढंग से बदलिा है।
● ये इस संदभव में आकांक्षी हैं वक इि वजलों में सधु ार से भारि में मािि विकास में समग्र सधु ार हो सकिा है।
● 28 राज्यों से 115 वजलों की पहचाि की गई, प्रत्येक राज्य से कम से कम एक।
● भारि सरकार के स्िर पर यह कायवक्रम िीवि आयोग द्वारा संचावलि है। इसके अलािा अलग-अलग मत्रं ालयों िे वजलों की प्रगवि की वजम्मेदारी
संभाली है।
● कायवक्रम का उद्देश्य आकाक्ष
ं ी वजलों की िास्िविक समय की प्रगवि की विगरािी करिा है।
● एडीपी 5 पहचािे गए विषयगि क्षेत्रों के 49 संकेिकों पर आधाररि है, जो सधु ार करिे पर बारीकी से ध्याि कें वद्रि करिा है।
○ लोगों का स्िास््य और पोषण
○ विक्षा
○ कृ वष और जल संसाधि
○ बुवियादी ढांचा।
● राज्यों के मख्ु य चालक के रूप में, ADP प्रत्येक वजले की िवक्त पर ध्याि कें वद्रि करिा चाहिा है, ित्काल सधु ार के वलए विविि पहलओ ु ं
को वचवन्हि करिा, प्रगवि को मापिा और वजलों को रैं क करिा चाहिा है।
● वजलों को पहले अपिे राज्य के भीिर सबसे अच्छे वजले के साथ होिे के वलए प्रोत्सावहि वकया जािा है, और बाद में प्रविस्पधी और सहकारी
संघिाद की भाििा से प्रविस्पधाव करके और दसू रों से सीखकर देि में सिवश्ेष्ठ में से एक बििे की इच्छा रखिे हैं।
● कायवक्रम की व्यापक रूपरेखा इस प्रकार है:
○ अवभसरण (कें द्र और राज्य की योजिाओ ं का) जो सरकार के क्षैविज और ऊध्िावधर स्िरों को एक साथ लािा है।
○ सहयोग (कें द्रीय, राज्य स्िर के 'प्रभारी' अवधकाररयों और वजला कलेक्टरों का) जो सरकार, बाजार और िागररक समाज के बीच
प्रभाििाली भागीदारी को सक्षम बिािा है।
○ जि आंदोलि की भाििा से प्रेररि वजलों के बीच प्रविस्पधाव, यह वजला सरकारों पर जिाबदेही को बढ़ािा देिी है।
● आकांक्षी वजला कायवक्रम (ADP) विश्व में पररणाम कें वद्रि िासि पर सबसे बडे प्रयोगों में से एक है।
● के िल एक उम्मीदिार को चिु िे के बजाय, इस प्रणाली में मिदािाओ ं को िरीयिा के क्रम में कई रैं क वमलिे हैं
● प्रणाली एक सरल आधार पर आधाररि है: लोकिंत्र बेहिर िरीके से काम करिा है यवद लोगों को अपिे िोट के साथ सभी या कुछ िहीं का
चिु ाि करिे के वलए मजबूर िहीं वकया जािा है।
● विदेिों में लोकवप्रय: 20 िीं ििाब्दी की िरुु आि से इसका उपयोग ऑस्रेवलया, आयरलैंड और माल्टा द्वारा भी वकया जािा रहा है। उत्तरी
आयरलैंड, न्यजू ीलैंड और स्कॉटलैंड िे भी इसे अपिाया है।
● ऑस्कर भी 2009 से अपिी सिवश्ष्ठे वचत्र श्ेणी के वलए इसका उपयोग कर रहा है।
रैं क च्िाइस िोवटगं कै से काम करिी है?
● न्ययू ॉकव िहर के संस्करण में, मिदािाओ ं को अपिे मिपत्र पर, पहले से आवखरी िक, पांच उम्मीदिारों िक रैं क करिे का अिसर वमलिा है।
● पहली पसंद के िोटों की वगििी के बाद अगर वकसी को 50% प्लस मि वमलिा है, िो चिु ाि खत्म हो जािा है और िह उम्मीदिार जीि जािा
है।
● लेवकि अगर वकसी को 50% प्लस मि िहीं वमलिा है, िो यह राउंड 2 पर है।
● प्रथम स्थाि के िोटों की सबसे कम सख्ं या िाले व्यवक्त को हटा वदया जािा है, और उस उम्मीदिार के मिदािाओ ं की दसू री पसदं को अन्य
उम्मीदिारों के िोट के रूप में पिु विविररि वकया जािा है।
● िोटों का यह पिु विविरण िब िक चलिा है जब िक कोई 50% प्लस िक िहीं पहुचं जािा।
इस प्रणाली के गणु
● लोगों की आिाज की वगििी: भले ही वकसी मिदािा की िीषव पसदं के पास जीििे के वलए पयावप्त समथवि ि हो, वफर भी अन्य उम्मीदिारों की
उिकी रैं वकंग विजेिा का विधावरण करिे में एक भवू मका विभािी है।
● अवधक उदारिादी उम्मीदिार: व्यापक समथवि के वबिा वकसी के वलए इस प्रणाली के माध्यम से वििाववचि होिा कवठि है। एक पारंपररक चिु ाि
में, वरंज राजिीविक विचारों िाले वकसी व्यवक्त के वलए यह संभि है, वक िह जीि जाए, भले ही उन्हें बहुसंख्यक मिदािा िापसंद करिे हों।
● कम िकारात्मक प्रचार: िकव वदया जािा है वक उम्मीदिारों को उन्हें पसंद करिे के वलए (कम से कम अगले व्यवक्त से अवधक) मिदािाओ ं के
बहुमि की आिश्यकिा होिी है और व्यापक समहू को परू ा करिे के वलए, उम्मीदिार प्रचार के अपिे ध्रिु ीकरण की प्रकृ वि को िािं करिे हैं।
● मिदाि प्रवििि बढ़िे की संभाििा: लोग अपिा िोट डालिे के बारे में अच्छा महससू कर सकिे हैं। उस एक विकल्प के वलए अपिी िाक
पकडिे के बजाय, मिदािा उस व्यवक्त के वलए कम से कम पहली पसदं व्यक्त कर सकिे हैं वजसे िे िास्िि में पसंद करिे हैं।
रैं क-पसंद मिदाि के दोष:
● यह जवटल है: इसके वलए मिदािाओ ं को बहुि अवधक िोध करिे की आिश्यकिा होिी है। यह दौड को कम अिम ु ाविि भी बिािा है।
● कुछ लोगों का िकव है वक यह कम लोकिांवत्रक है क्योंवक यह एक व्यवक्त, एक िोट के विचार के वखलाफ है।
● पारदविविा और विश्वास भी संभाविि समस्याएं हैं। आधवु िक रैं क च्िाइस वसस्टम के िहि िोटों के पि ु विविरण की प्रवक्रया कंप्यटू र द्वारा की
जािी है। बाहरी समहू ों को यह मल्ू यांकि करिे में कवठि समय होगा वक सॉफ़्टिेयर िे रैं क वकए गए िोटों को सही ढंग से क्रमबद्ध वकया है या
िहीं।
● बहुि से लोग सभी विकल्पों को िहीं भरिे हैं: यवद सभी लोग सभी विकल्पों को िहीं भर रहे हैं िो अवधकांि लोगों की सच्ची इच्छा को जाििा
मवु श्कल है।
● इससे खरीद-फरोख्ि को बढ़ािा वमल सकिा है: रैं क-च्िाइस िोवटंग उम्मीदिारों के वलए एक दस ू रे के साथ सौदा करिे के वलए दरिाजा खोल
सकिी है वक उिके मिदािाओ ं को दसू री पसंद के रूप में वकसके वलए जािा चावहए।
● यह जरूरी िहीं वक िकारात्मक प्रचार कम हो: िकारात्मक प्रचार का अवधकाि ं वहस्सा बाहरी समहू ों द्वारा वकया जािा है, और रैं क-पसंद
मिदाि में कुछ भी उि संस्थाओ ं को ऐसा करिे से रोकिा िहीं है।
○ इि 40 सीटों में से 35 अिुसवू चि जिजावि और गैर-आवदिासी समदु ायों के वलए आरवक्षि हैं, पाच ं अिारवक्षि हैं और बाकी छह
बोडोलैंड प्रादेविक क्षेत्र वजले (BTAD) के कम प्रविविवधत्ि िाले समदु ायों से राज्यपाल द्वारा मिोिीि हैं।
■ असम में अवधसवू चि अिुसवू चि जिजावियों में बोडो सबसे बडा समदु ाय है।
■ बोडो बोडो-कछारी (Bodo-Kachari) का वहस्सा हैं और असम की आबादी का लगभग 5-6% हैं।
■ बोडो राज्य की पहली संगवठि मागं 1967-68 में आई थी।
■ 1985 के असम समझौिे िे बोडो आकाक्ष
ं ाओ ं को जन्म वदया और 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यवू ियि (ABSU) िे बोडो राज्य
की मागं को पिु जीविि वकया।
■ उग्रिादी बोडो सरु क्षा बल जो 1986 में बोडो राज्य की मांग करिे िाले एक सिस्त्र समहू के रूप में उभरा, िे खदु को उग्रिादी िेििल
डेमोक्रेवटक रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) िाम वदया, और बाद में गटु ों में विभावजि हो गया।
■ 1993 में ABSU के साथ पहले बोडो समझौिे पर हस्िाक्षर वकए गए थे। इसिे कुछ सीवमि राजिीविक िवक्तयों के साथ बोडोलैंड
स्िायत्त पररषद (BAC) का विमावण वकया।
■ 2003 में, चरमपंथी समहू बोडो वलबरे िि टाइगर फोसव (BLTF), कें द्र और राज्य द्वारा दसू रे बोडो समझौिे पर हस्िाक्षर वकए गए थे।
● भारि के सवं िधाि की छठी अिस ु चू ी (अिच्ु छे द 244 (2) और 275 (1)) में पिू ोत्तर के कुछ वहस्सों में स्थािीय प्रथागि काििू ों के माध्यम से
विकें द्रीकृ ि स्ििासि और वििाद समाधाि का प्रािधाि है जो मख्ु य रूप से आवदिासी क्षेत्र हैं।
● 1949 में सवं िधाि सभा द्वारा पाररि, यह स्िायत्त वजला पररषदों (ADC) के गठि के माध्यम से आवदिासी आबादी के अवधकारों की रक्षा
करिा चाहिा है।
o कुल वमलाकर, पि ू ोत्तर में 10 क्षेत्र हैं जो स्िायत्त वजलों के रूप में पंजीकृ ि हैं - िीि असम, मेघालय और वमजोरम में और एक वत्रपरु ा
में।
● ADC एक वजले का प्रविविवधत्ि करिे िाली संस्थाएं हैं, वजन्हें संविधाि िे राज्य विधािमंडल के भीिर स्िायत्तिा की अलग-अलग वडग्री दी
है।
● इि राज्यों के राज्यपालों को जिजािीय क्षेत्रों की सीमाओ ं को पि ु गववठि करिे का अवधकार है।
● िि प्रबंधि
● जल संसाधि
● कृ वष और खेिी
● सािवजविक स्िास््य
● स्िच्छिा
● वििाह और िलाक
● सामावजक रीवि-ररिाज
● धि उधार और व्यापार
● खिि और खविज
न्यावयक िवक्तयां
● स्िायत्त वजला पररषदों के पास उि मामलों की सि
ु िाई के वलए अदालिें बिािे की िवक्तयां हैं जहां दोिों पक्ष अिुसवू चि जिजावि के सदस्य हैं
और अवधकिम जेल की सजा 5 साल से कम है।
कराधाि और राजस्ि
● स्िायत्त वजला पररषदों के पास कर, िल्ु क और टोल लगािे की िवक्तयां हैं; भिि और भवू म, पि,ु िाहि, िाि, क्षेत्र में माल का प्रिेि, सडक,
घाट, पल ु , रोजगार और आय और स्कूलों और सडकों के रखरखाि के वलए सामान्य कर।
409. लद्दाख स्िायत्त पहाडी विकास पररषद (Ladakh autonomous hill development council)
समाचार में: NTPC िे हाल ही में भारि की पहली ग्रीि हाइड्रोजि मोवबवलटी पररयोजिा स्थावपि करिे के वलए कें द्र िावसि प्रदेि लद्दाख और लद्दाख
स्िायत्त पहाडी विकास पररषद (LAHDC) के साथ एक समझौिा ज्ञापि पर हस्िाक्षर वकए।
● LAHDC, लेह एक स्िायत्त वजला पररषद है जो लद्दाख के लेह वजले का प्रिासि करिी है।
● पररषद को लद्दाख स्िायत्त पहाडी विकास पररषद अवधवियम 1995 के िहि बिाया गया था।
● LAHDC-लेह में कुल 30 सीटें हैं और सरकार द्वारा चार पाषवद मिोिीि वकए जािे हैं।
● पररषद की कायवकारी िाखा में एक मख्ु य कायवकारी पाषवद और चार अन्य कायवकारी पाषवदों से बिी एक कायवकारी सवमवि होिी है।
● स्िायत्त पहाडी पररषद आवथवक विकास, स्िास््य सेिा, विक्षा, भवू म उपयोग, कराधाि और स्थािीय िासि पर विणवय लेिे के वलए ग्राम
पचं ायिों के साथ काम करिी है, वजसकी समीक्षा मख्ु य कायवकारी पाषवद और कायवकारी पाषवदों की उपवस्थवि में ब्लॉक मख्ु यालय पर की जािी
है।
● कें द्र िावसि प्रदेि लद्दाख का प्रिासि वजलों में कािूि और व्यिस्था, संचार और उच्च विक्षा की देखभाल करिा है।
● लेह, जो लद्दाख का एक बौद्ध बहुल वजला है, िे जिसांवख्यकीय पररििवि और अवद्विीय सांस्कृ विक और आवदिासी पहचाि को कमजोर
पडिे से बचािे के वलए कें द्र िावसि प्रदेि के वलए छठी अिुसचू ी को लागू करिे की मागं की है।
● पररषद के लोकिांवत्रक संविधाि िे जमीिी स्िर पर लोगों की भागीदारी के साथ योजिा प्रवक्रया के लोकिावं त्रक विके न्द्रीकरण की िरुु आि की
है।
● पडोसी कारवगल वजले में भी एक स्िायत्त पहाडी पररषद स्थावपि की गई है। कारवगल में वहल काउंवसल जल
ु ाई 2003 में अवस्ित्ि में आई।
● ग्राम सरपचं ों और ब्लॉक-स्िरीय पचं ायि सवमवियों और वजला-स्िरीय वजला पररषदों के सदस्यों को िापस बल
ु ािे की अिमु वि देिा है यवद िे
प्रदिवि करिे में विफल रहिे हैं।
राइट टू ररकॉल के बारे में
● राइट टू ररकॉल एक ऐसी प्रवक्रया है वजसके िहि मिदािाओ ं को वििाववचि अवधकाररयों को उिके कायवकाल की समावप्त से पहले हटािे की
िवक्त होिी है।
● यह प्रत्यक्ष लोकिंत्र के साधि का एक उदाहरण है।
राइट टू ररकॉल के वलए अपिाई जािे िाली प्रवक्रया जैसा वक वबल में वदया गया है
● का उपयोग करिे के वलए, एक िाडव या ग्राम सभा के 50% सदस्यों को वलवखि में देिा होगा वक िे कायविाही िरू
ु करिा चाहिे हैं।
● इसके बाद एक गप्तु मिदाि होगा, वजसमें उिके िापस बल
ु ािे के वलए दो-विहाई सदस्यों को उिके वखलाफ मिदाि करिा होगा।
प्रत्यक्ष लोकित्रं
● प्रत्यक्ष लोकित्रं उि वियमों, संस्थाओ ं और प्रवक्रयाओ ं का िणवि करिा है जो जििा को प्रस्िाविि संिैधाविक संिोधि, काििू ,
संवध या िीविगि विणवय पर सीधे मिदाि करिे में सक्षम बिािी हैं।
प्रत्यक्ष लोकित्रं के विवभन्ि उपकरणों में िावमल हैं:
● जिमि संग्रह (Referendums)- मिदािाओ ं को एक विविि राजिीविक, संिैधाविक या विधायी मद्दु े पर प्रत्यक्ष िोट देिे की
अिुमवि देिा है। पररणाम सरकार पर बाध्यकारी है।
● िागररकों की पहल (Citizens’ initiatives)- मिदािाओ ं को लोगों द्वारा प्रस्िाविि संिैधाविक / विधायी उपाय पर मिदाि
करिे की अिमु वि देिा है यवद उपाय के प्रस्िािक इसका समथवि करिे के वलए पयावप्त हस्िाक्षर एकत्र करिे हैं।
● लोकमि-सग्रं ह (Plebiscite)- यह लोगों के िगव द्वारा प्राप्त आत्मविणवय के अवधकार के बल पर सरकार द्वारा आयोवजि एक
प्रकार का जिमि संग्रह है। यह बाध्यकारी हो भी सकिा है और िहीं भी।
DAY 58 - POLITY
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Day 58 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
412. ट्ासां -पैवसविक पार्टनरविप (CPTPP) के विए व्यापक और प्रगवतिीि समझौता (Comprehensive and Progressive Agreement
for Trans-Pacific Partnership - CPTPP)
○ यहाां नीरि मोदी पर अपराि का आरोप िगा है िेवकन िह भारत से भाग कर वब्रर्ेन में िरण िे चक ु ा है। इसविए भारतीय अविकाररयों
को नीरि मोदी को वब्रर्ेन से प्रत्यवपटत करना होगा तावक भारतीय न्यायाियों में मक
ु दमा चिाया जा सके ।
● सप्रु ीम कोर्ट ने प्रत्यपटण को एक राज्य की ओर से दसू रे राज्य में वर्िीिरी के रूप में पररभावषत वकया, वजनके विए िह उन अपरािों से वनपर्ने
के विए िावां छत है, वजनके विए उन्हें आरोपी या दोषी ठहराया गया है और दसू रे राज्य के न्यायाियों में न्यायोवचत हैं।
● प्रत्यपटण योग्य व्यवक्तयों में िे िोग िावमि हैं वजन पर अपराि का आरोप िगाया गया है, िेवकन अभी तक मक
ु दमा नहीं चिाया गया है, उन
िोगों को िावमि वकया गया है जो वहरासत से भाग गए हैं और उनकी अनुपवस्िवत में दोषी ठहराए गए हैं।
● इसके अिािा, ितटमान में भारत में 40 से अविक देिों के साि प्रत्यपटण सांवि और 11 देिों के साि प्रत्यपटण समझौता है।
प्रत्यपटण सांवि में पािन वकए गए वसद्धाांत
● प्रत्यपटण के िि उन्हीं अपरािों पर िागू होता है वजनका उल्िेख सांवि में वकया गया है।
● यह दोहरी आपराविकता के वसद्धातां को िागू करता है वजसका अिट है वक अपराि अनरु ोि के साि-साि अनुरोवित देि के राष्ट्ट्ीय कानूनों में
अपराि होने की माांग करता है।
● अनरु ोवित देि को सतां ष्टु होना चावहए वक अपरािी के वखिाि प्रिम दृष्टया मामिा बनता है।
● प्रत्यपटण के िि उसी अपराि के विए वकया जाना चावहए वजसके विए प्रत्यपटण का अनुरोि वकया गया िा।
● नोर्ि प्राविकरण: विदेि मत्रां ािय का दतू ािास सांबांिी, पासपोर्ट और िीज़ा वर्िीजन, प्रत्यपटण अविवनयम का प्रिासन करता है और यह आने
िािे और बाहर जाने िािे प्रत्यपटण अनुरोिों को सांसावित करता है।
प्रत्यपटण पर कुछ आम रूकािर्:
● दोहरी आपराविकता को परू ा करने में विििता - यवद वजस कायट के विए अपरािी के प्रत्यपटण का अनरु ोि वकया गया है, िह अनरु ोवित राज्य
में अपराि नहीं है, तो राज्य प्रत्यपटण से इनकार कर सकता है।
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Day 58 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● राजनीवतक अपराि-अविकाांि राष्ट्ट् राजनीवतक आपराविक सांवदग्िों के प्रत्यपटण से इनकार करते हैं। इसमें आतांकिादी अपराि और वहसां क
अपराि िावमि नहीं हैं ।
● अविकार क्षेत्र-वकसी अपराि पर अविकार क्षेत्र की कमी को प्रत्यपटण से इनकार करने के विए िागू वकया जा सकता है।
● पविम एविया/खाड़ी देिों में अपराि करने के बाद भारत िौर्ने िािे भारतीय नागररकों को उन देिों में प्रत्यवपटत नहीं वकया जाता है। िे भारतीय
कानून के अनुसार भारत में मकु दमा चिाने के विए उत्तरदायी हैं। क्योंवक इन देिों के साि वद्वपक्षीय सवां ियााँ अपने नागररकों के प्रत्यपटण (ओमान
को छोड़कर) रोक िगाती हैं।
● अगिे 15 िषों के विए ईरान के िि 3.67% तक यरू े वनयम का सिां िटन करेगा।
● ईरान ने भी इसी अिवि के विए कोई नई भारी जि की सवु ििा नहीं वनवमटत करने पर सहमवत व्यक्त की है।
● यरू े वनयम-सांििटन गवतविवियाां 10 िषों के विए पहिी पीढी के सेंट्ीफ्यजू का उपयोग करके एकि सवु ििा तक सीवमत होंगी।
● प्रसार जोवखम से बचने के विए अन्य सवु ििाओ ां को पररिवतटत वकया जाएगा।
● समझौते के साि ईरान के अनपु ािन की वनगरानी और सत्यापन के विए, अतां राटष्ट्ट्ीय परमाणु ऊजाट एजेंसी (IAEA) के पास सभी ईरानी
परमाणु सवु ििाओ ां तक वनयवमत पहुचां होगी।
बदिे में ईरान को क्या वमिेगा?
● समझौते में प्राििान है वक अपनी प्रवतबद्धताओ ां का पािन करने के बदिे में, ईरान को अमेररका, यरू ोपीय सघां और UNSC परमाणु सबां वां ित
प्रवतबिां ों से राहत वमिेगी।
● इससे ईरान को विश्व अिटव्यिस्िा में अविक वनकर्ता से एकीकृ त करने और अपनी आविटक िृवद्ध को बढािा देने में मदद वमिेगी।
हािाांवक, अमेररकी राष्ट्ट्पवत र्ोनाल्र् ट्ांप इस समझौते से हर् गए और ईरान पर गांभीर प्रवतबांि िगा वदए।
● ईरान ने समझौते के अन्य सदस्यों के विए अमेररका को समझौते में विर से िावमि होने के विए मनाने की प्रतीक्षा की, िेवकन समझौते को
पनु जीवित नहीं कर सका। इस पृष्ठभवू म में, ईरान ने घोषणा की वक िह 2015 के परमाणु समझौते का पािन करने से इनकार करते हुए यरू ेवनयम
को समृद्ध करने की सीमाओ ां को छोड़ देगा, िेवकन सयां क्त
ु राष्ट्ट् के परमाणु प्रहरी के साि सहयोग करना जारी रखेगा।
समयरे खा:
● ईरान ने 1970 में परमाणु अप्रसार सवां ि (NPT) की पवु ष्ट की, और अपनी परमाणु िवक्त का विस्तार करने की योजना बनाई।
● इस्िामी िाांवत के बाद, इन योजनाओ ां को बांद कर वदया गया िा, और 1980 के दिक के अांत में, ईरान ने AMAD नामक पररयोजना, एक
अघोवषत परमाणु हवियार कायटिम की स्िापना की।
● 2003 में, अांतरराष्ट्ट्ीय दबाि में, ईरान ने कायटिम को रोक वदया, और अपने NPT सरु क्षा उपायों के समझौते के विए एक अवतररक्त
प्रोर्ोकॉि पर हस्ताक्षर वकए, वजससे अांतराटष्ट्ट्ीय परमाणु ऊजाट एजेंसी (IAEA) को कायटिम को सत्यावपत करने में अविक िवक्तयाां प्रदान
की गई।ां
● 2006 में, अमेररका, रूस और चीन ने वब्रर्ेन, फ्ाांस और जमटनी के साि वमिकर राष्ट्ट्ों का P5+1 समहू बनाया, जो ईरान को अपने परमाणु
कायटिम पर अक ां ु ि िगाने के विए मनाने की कोविि कर रहा िा।
● 2009 में, राष्ट्ट्पवत बराक ओबामा के तहत, अमेररका ने ईरान के िीषट परमाणु िाताटकार के साि व्यापक आमने-सामने की बातचीत की।
● 2013 में, ईरान और छह िवक्तयों ने एक अांतररम समझौते की घोषणा की वजसने तेहरान के परमाणु कायटिम को अस्िायी रूप से रोक वदया
और कुछ ईरानी सपां वत्तयों को मक्त
ु कर वदया, एक व्यापक परमाणु समझौते पर विस्ताररत िाताट के विए मचां तैयार वकया।
● 2015 में, ईरान परमाणु समझौते (औपचाररक रूप से सांयक्तु व्यापक कायट योजना) पर ईरान और पी 5 (सांयक्त
ु राष्ट्ट् सरु क्षा पररषद के पाचां
स्िायी सदस्यों) और जमटनी और यरू ोपीय सांघ के बीच हस्ताक्षर वकए गए िे।
415. नई 'स्र्ार्ट' परमाणु हवियार सवां ि (New START Nuclear Arms Treaty)
● समाचार में: हाि ही में, रूस ने नई START सांवि के विस्तार को मांजरू ी दी। यह अांवतम िेष परमाणु रूस-यएू सए हवियार वनयत्रां ण सांवि है जो
िरिरी 2021 में समाप्त होने िािी िी।
नई स्र्ार्ट सवां ि:
● 'रणनीवतक आिामक हवियार' िब्द सामररक परमाणु वितरण िाहनों ('‘SNDV') द्वारा तैनात परमाणु हवियार पर िागू होता है।
● SNDV अतां र-महाद्वीपीय बैविवस्र्क वमसाइि ('ICBM') हैं, वजनकी सीमा 5,500 वकिोमीर्र से अविक है, रणनीवतक बमिषटक, यद्ध
ु पोत
(रणनीवतक पनर्ुवब्बयों सवहत) और िूज वमसाइिें, वजनमें हिा और समिु से प्रक्षेवपत िूज वमसाइिें िावमि हैं।
● यह दोनों पक्षों को 700 रणनीवतक िाचां र और 1,550 िॉरहेर् तक सीवमत करके सांयक्त
ु राज्य अमेररका और रूसी रणनीवतक परमाणु िस्त्रागार
को कम करने की प्रविया को जारी रखता है।
● अन्य कायों जैसे ब्यास-सतिज विक ां , मािोपरु -ब्यास विांक, इवां दरा गािां ी नाहर पररयोजना आवद ने भारत को पिू ी नवदयों के पानी के िगभग
परू े वहस्से (95%) का उपयोग करने में मदद की है।
● हािााँवक, रािी से सािाना िगभग 2 वमवियन एकड़ िीर् (MAF) पानी अभी भी मािोपरु के नीचे पावकस्तान में अप्रयक्त
ु होने की सचू ना है।
● 2016 में, पावकस्तान ने भारत की वकिनगगां ा और रातिे जिविद्यतु पररयोजनाओ ां की वचतां ाओ ां को उठाते हुए विश्व बैंक से सपां कट वकया िा।
विश्व बैंक ने भारत को पररयोजनाओ ां के साि आगे बढने की अनुमवत दी।
● पावकस्तान द्वारा इस पर आपवत्त जताए जाने के बाद 1987 में ति ु बुि पररयोजना को वनिांवबत कर वदया गया िा। हाि ही में, सरकार ने
पावकस्तान के विरोि को ध्यान में रखते हुए इस वनिांबन की समीक्षा करने का वनणटय विया।
● पावकस्तान की िेफ्र् बैंक आउर्िॉि ड्रेन (LBOD) पररयोजना भारत के गजु रात में कच्छ के रण से होकर गजु रती है। भारत ने, भारत की
सहमवत के वबना वनमाटण का विरोि वकया क्योंवक इससे गजु रात में बाढ आ सकती है।
● भारत पर उरी हमिों के मद्देनजर, प्रिान मत्रां ी मोदी ने वर्प्पणी की वक रक्त और पानी एक साि नहीं बह सकते।
● यह यरू ोपीय सघां के वनयमों का एक समहू है जो विकासिीि देिों के वनयाटतकों को यरू ोपीय सघां को अपने वनयाटत पर कम या कोई िल्ु क नहीं
देने की अनुमवत देता है।
○ अमेररकी नागररकों या वनगमों के पक्ष में मध्यस्ि परु स्कारों का सम्मान करना।
○ बाि श्म का मक
ु ाबिा करना।
○ आविटक विकास से सांबांवित कारकों के आिार पर देिों को GSP कायटिम से भी स्नातक वकया जा सकता है।
418. USTR द्वारा वििेष 301 ररपोर्ट (Special 301 report by USTR)
● यह ररपोर्ट यनू ाइर्ेर् स्र्ेर््स ट्ेर् ररप्रेजेंर्ेवर्ि (United States Trade Representative -USTR) द्वारा प्रवतिषट जारी की जाती है।
● वििेष 301 ररपोर्ट उन व्यापाररक भागीदारों की पहचान करती है जो बौवद्धक सांपदा (IP) अविकारों की पयाटप्त रूप से या प्रभािी रूप से रक्षा
और प्रितटन न करें या
○ अन्यिा अमेररकी निप्रितटकों और रचनाकारों को बाजार पहुचां से िवां चत करते है जो अपने आईपी अविकारों की सरु क्षा पर भरोसा
करते हैं।
● दसू रे िब्दों में, यह अन्य देिों में बौवद्धक सांपदा काननू ों के कारण सांयक्त
ु राज्य की कांपवनयों और उत्पादों के विए व्यापार बािाओ ां की पहचान
करता है।
● ट्ेवर्ांग पार्टनर जो ितटमान में IP अविकारों के सांबांि में सबसे महत्िपणू ट वचतां ाओ ां को प्रस्तुत करते हैं उन्हें प्रािवमकता वनगरानी सचू ी या वनगरानी
सचू ी पर रखा जाता है।
○ अल्जीररया, अजेंर्ीना, वचिी, चीन, भारत, इर्ां ोनेविया, रूस, सऊदी अरब, यि
ू े न और िेनेजएु िा प्रािवमकता वनगरानी सचू ी में हैं।
○ बारबार्ोस, बोिीविया, ब्राजीि, कनार्ा, कोिवां बया, र्ोवमवनकन गणराज्य, इक्िार्ोर, वमस्र, ग्िार्ेमािा, कुिैत, िेबनान, मैवक्सको,
पावकस्तान, पैराग्ि,े पेरू, रोमावनया, िाईिैंर्, वत्रवनदाद और र्ोबैगो, तक
ु ी, तुकटमेवनस्तान, सांयक्त
ु अरब अमीरात, उजबेवकस्तान और
वियतनाम वनगरानी सचू ी में हैं ।
पयाटप्त बौवद्धक सपां दा (IP) अविकारों के सरां क्षण और प्रितटन की कमी के कारण भारत 'प्रािवमकता वनगरानी सचू ी' पर बना हुआ है।
भारत के साि मद्दु े:
1. वििेष रूप से दिा क्षेत्र में पेर्ेंर् िागू करने में कवठनाई।
2. एक परु ाना व्यापार सांकोची ढाांचा।
3. वचवकत्सा उपकरणों और सचू ना और सचां ार प्रौद्योवगकी पर उच्च सीमा िल्ु क।
4. कोई कें िीकृ त IP प्रितटन एजेंसी नहीं।
5. 2019 में आविटक विकास और सहयोग सगां ठन (OECD) द्वारा नकिी सामानों के विए भारत को िीषट पाचां स्रोत अिटव्यिस्िाओ ां में स्िान
वदया गया िा।
6. ट्ेर्माकट प्राप्त करने में "अत्यविक देरी"।
7. सरकार के 2019 के मसौदे कॉपीराइर् सि
ां ोिन वनयमों ने रे वर्यो और र्ेिीविजन प्रसारण से िेकर ऑनिाइन प्रसारण तक अवनिायट िाइसेंवसगां
के दायरे को विस्तृत कर वदया है।
● SCRI, वजसे पहिे जापान द्वारा प्रस्तावित वकया गया िा, का उद्देश्य कोविर् -19 महामारी के बीच भारत-प्रिातां क्षेत्र में आपवू तट श्ृांखिाओ ां
के विर से िरू
ु होने की सभां ािना के बीच चीन पर वनभटरता को कम करना है।
○ कोविर् -19 महामारी का जीिन खो जाने, आजीविका और अिटव्यिस्िा प्रभावित होने के सांदभट में एक अभतू पिू ट प्रभाि पड़ रहा
िा, और यह वक महामारी ने विश्व स्तर पर (चीन कें वित) आपवू तट श्ृांखिा कमजोररयों का खि
ु ासा वकया िा।
● सांयक्त
ु उपायों में वर्वजर्ि प्रौद्योवगकी और व्यापार और वनिेि विवििीकरण के उन्नत उपयोग का समिटन करना िावमि हो सकता है।
SCRI का उद्देश्य:
● भारत-प्रिातां को आविटक महािवक्त में बदिने के विए प्रत्यक्ष विदेिी वनिेि को आकवषटत करना।
● भारत, जापान और ऑस्ट्ेविया के बीच एक समझ उभरने के बाद, इस पहि को आवसयान देिों के विए भी खोिा जा सकता है।
● मेकागां नदी के तर्िती राज्यों के बीच सहयोग के विए चीन के नेतत्ृ ि में एक बहुपक्षीय पहि है। िक
ां ागां मेकागां का िह वहस्सा है जो चीन से
होकर बहती है।
● इस तांत्र के सदस्य देि कांबोवर्या, चीन, िाओस, म्यामां ार, िाईिैंर् और वियतनाम हैं।
● LMC का उद्देश्य छह सदस्य राज्यों के बीच अच्छे -पड़ोसी और व्यािहाररक सहयोग को गहरा करना है।
○ िोगों की भिाई में सिु ार करना और इसके सदस्यों के बीच विकास की खाई को कम करना।
○ सांयक्त
ु राष्ट्ट् सतत विकास िक्ष्यों (SDG) के कायाटन्ियन में िृवद्ध।
● चीन भी इस तत्रां के माध्यम से अपने बेल्र् एांर् रोर् इवनविएवर्ि (BRI) को मजबूत करना चाहता है।
मेकागां गगां ा सहयोग (MGC)
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Day 58 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
● सदस्यता: MGC, एक उप-क्षेत्रीय सहयोग सगां ठन है वजसमें भारत, कांबोवर्या, िाओस, म्यामां ार, िाईिैंर् और वियतनाम िावमि हैं।
● इवतहास: MGC को 2000 में िाओस की राजिानी वियनवतयाने में िॉन्च वकया गया िा।
● जनादेि: MGC का उद्देश्य पयटर्न, सांस्कृ वत, विक्षा, पररिहन और सचां ार में सहयोग बढाना है।
क्षेत्रीय सहयोग के विए दवक्षण एवियाई सांघ
● 8 सदस्य देि - भारत, बाांग्िादेि, नेपाि, श्ीिांका, मािदीि, भर्ू ान, अिगावनस्तान, पावकस्तान।
● 9 पयटिेक्षक - ऑस्ट्ेविया, यरू ोपीय सांघ (ईय)ू , ईरान, जापान, मॉरीिस, दवक्षण कोररया, सांयक्त
ु राज्य अमेररका (यएू सए), चीन, म्याांमार
● इसके सदस्य बांगाि की खाड़ी के तर्िती और वनकर्िती क्षेत्रों में वस्ित हैं, जो एक सवन्नवहत क्षेत्रीय एकता का वनमाटण करते हैं।
● यह उप-क्षेत्रीय सगां ठन 1997 में बैंकॉक घोषणापत्र के माध्यम से अवस्तत्ि में आया
● इसका मख्ु य उद्देश्य तीव्र आविटक विकास के विए एक सक्षम िातािरण बनाना, सामावजक प्रगवत में तेजी िाना और क्षेत्र में साझे वहत के
मामिों पर सहयोग को बढािा देना है।
दवक्षण पिू ट एवियाई राष्ट्ट् सांघ (आवसयान)
● आवसयान की स्िापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक, िाईिैंर् में हुई िी।
● बाद के िषों में पाचां अन्य राष्ट्ट् आवसयान में िावमि हो गए वजससे दस देिों की ितटमान सदस्यता हो गई।
आवसयान सदस्य
● िाईिैंर् (सांस्िापक सदस्य)
● पापआ
ु न्यू वगनी और वतमोर िेस्ते (पिू ी वतमोर) नामक दो पयटिेक्षक राज्य हैं।
DAY 71 - POLITY
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Day 71 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
ई-कोर्ट परियोिना
कोर्ट की अिमानना अवधवनयम, 1971 वसविल औि आपिावधक अिमानना में अिमानना को विभावित किता है।
● आपिावधक अिमानना में कोई भी कायट या प्रकाशन शावमल है िो:
● 'न्यायालय को बदनाम किना' मोर्े तौि पि उन बयानों या प्रकाशनों को सिंदवभटत किता है िो न्यायपावलका में िनता के विश्वास को कम
किने का प्रभाि ििते हैं।
● CBSE के वनयम ने छात्रों को बोडट प्रमाणपत्रों पि अपना नाम बदलने या सही किने से िोक वदया िा, इस अनुमान के आधाि पि वक यह
"प्रशासवनक दक्षता" को प्रभावित किे र्गा।
● SC ने कहा वक “हि सिंथिान अपने कामकाि में दक्षता िाहता है। लेवकन इसका मतलब यह नहीं है वक उनके बुवनयादी कायों पि अिंकुश
लर्गाकि दक्षता हावसल की िाती है।
● कोर्ट ने थपि वकया वक कै से एक वकशोि कानून के साि सिंघषट में होने का आिोप लर्गाता है या यौन शोषण का वशकाि होता है, विसकी पहिान
मीवडया या िोिी वनकाय द्वािा िक ू के कािण प्रभावित हई है, िे अपने अवधकाि के प्रयोर्ग किते हए समाि में पनु िाटस की मािंर्ग किने के वलए
नाम बदलने पि वििाि कि सकते हैं। इसवलए, इसमें भल ू िाने का अवधकाि शावमल है।
● एक व्यवि को अपने नाम के पणू ट वनयिंत्रण में होना िावहए। कानून को उसे हि समय थितत्रिं रूप से इस तिह के वनयत्रिं ण को बनाए ििने के साि-
साि प्रयोर्ग किने में सक्षम बनाना िावहए। इस तिह के वनयिंत्रण में अवनिायट रूप से एक व्यवि की आकाक्ष
िं ा को एक उवित कािण के वलए एक
अलर्ग नाम से पहिाना िाना शावमल होर्गा। उदाहिण के वलए, 'वलर्गिं ' एक विकवसत अिधािणा है िो पहिान दथतािेिों में बदलाि की र्गाििंर्ी
दे सकती है।
● अदालत ने कहा वक वकसी का नाम पहिान का एक आिंतरिक तत्ि है। अपना नाम बदलने का अवधकाि िाक् औि अवभव्यवि की थितिंत्रता
के अवधकाि का वहथसा है।
● यह देिते हए वक सीबीएसई अपने सािटिवनक कायट के कािण सिंविधान में एक 'िाज्य' िा, औि िाज्य की सिंथिाओ िं को नार्गरिकों के अवधकािों
के प्रयोर्ग में सिंबल की भवू मका वनभानी िावहए।
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● यह कुछ मौिदू ा अपीलीय वनकायों को भर्गिं किने औि अपने कायों (िैसे अपील के अवधवनणटय) को अन्य मौिदू ा न्यावयक वनकायों में
थिानातिं रित किने का प्रयास किता है ।
● वित्त अवधवनयम, 2017 ने कें द्र सिकाि को 19 न्यायावधकिणों (िैसे सीमा शकु क, उत्पाद शकु क औि सेिा कि अपीलीय न्यायावधकिण) के
वलए सदथयों की योग्यता, उनकी सेिा के वनयम औि शतों औि िोि-सह-ियन सवमवतयों की सिंििना पि वनयमों को सवू ित किने का अवधकाि
वदया।
● विधेयक 2017 अवधवनयम में सिंशोधन किता है तावक अवधवनयम में ही िोि-सह-ियन सवमवतयों की सििं िना औि सदथयों के कायटकाल से
सिंबिंवधत प्रािधानों को शावमल वकया िा सके ।
● िोि-सह-ियन सवमवतयााँ: वट्रब्यनू ल के अध्यक्ष औि सदथयों की वनयवु ि कें द्र सिकाि द्वािा एक िोि-सह-ियन सवमवत की वसिारिश पि की
िाएर्गी।
○ भाित के मख्ु य न्यायाधीश, या उनके द्वािा नावमत सिोच्ि न्यायालय के न्यायाधीश, अध्यक्ष के रूप में (मतदान के साि),
○ ितटमान या वनितटमान अध्यक्ष, या उच्ितम न्यायालय के सेिावनिृत्त न्यायाधीश, या उच्ि न्यायालय के सेिावनिृत्त मख्ु य न्यायाधीश,
○ मिंत्रालय का सविि विसके अधीन न्यायावधकिण का र्गठन वकया र्गया है (मतदान अवधकाि के वबना)।
● कायाटलय की अिवध: अवधकिण के अध्यक्ष के वलए पद की अिवध िाि िषट या सत्ति िषट की आयु प्राप्त किने तक, िो भी पहले हो, होर्गी।
अवधकिण के अन्य सदथयों के वलए, अिवध िाि िषट या साठ-सात िषट की आयु तक, िो भी पहले हो, होर्गी।
● विधेयक में वित्त अवधवनयम, 2017 के दायिे में उपभोिा सििं क्षण अवधवनयम, 2019 के तहत थिावपत िाष्ट्ट्रीय उपभोिा वििाद वनिािण
आयोर्ग शावमल है।
● Bill includes the National Consumer Disputes Redressal Commission established under the Consumer Protection
Act, 2019 within the purview of the Finance Act, 2017.
● वबल शावमल नहीं किता -
o भाितीय विमानपत्तन प्रावधकिण अवधवनयम, 1994 के तहत थिावपत हिाई अड्डा अपीलीय न्यायावधकिण,
o व्यापाि विह्न अवधवनयम, 1999 के तहत थिावपत अपीलीय बोडट,
o आयकि अवधवनयम, 1961 के तहत थिावपत उन्नत सत्तारूढ़ का अवधकाि, औि
o वसनेमैर्ोग्राि अवधवनयम, 1952 के तहत थिावपत विकम प्रमाणन अपीलीय प्रावधकिण, वित्त अवधवनयम, 2017 के दायिे से।
● हाल ही में, सप्रु ीम कोर्ट (एससी) ने आश्चयट व्यि वकया है वक प्रािधान अभी भी लोर्गों को बुक किने के वलए इथतेमाल वकया िा िहा िा,
हालािंवक उच्ितम न्यायलय ने इसे असिंिैधावनक औि श्रेया वसिंघल िै सले, 2015 में अवभव्यवि की थितिंत्रता का उकलिंघन माना।
श्रेया वसघिं ल िै सले के बािे में
● अवधवनयम की धािा 66 (ए) किंप्यर्ू ि या अन्य सििं ाि उपकिण के माध्यम से आपवत्तिनक सिंदश
े भेिने का अपिाधीकिण किती है।
● धािा 66 A पवु लस को वकसी भी "आपवत्तिनक" सिंदश े के वलए वर्गिफ्तािी किने के वलए मनमानी शवियािं देती है - एक पिू ी तिह से
व्यविपिक शब्द। इसमें असिंतोष को िोकने के वलए अवधकारियों द्वािा दरुु पयोर्ग वकए िाने की सिंभािना है।
● वपछले कुछ िषों में, वर्प्पवणयों से सिंबिंवधत घर्नाओ,िं सिू नाओ िं को साझा किने या इर्िं िनेर् पि वकसी व्यवि द्वािा व्यि वकए र्गए वििािों ने
धािा 66 (ए) के तहत आपिावधक दडिं को आकवषटत वकया है।
○ एक कार्ूटवनथर् असीम वत्रिेदी को िािनेताओ िं के ससिं दीय आििण की वथिवत पि थके ि बनाने के वलए इसी प्रािधान को लार्गू
किते हए वर्गिफ्ताि वकया र्गया िा औि उन पि देशद्रोह का आिोप लर्गाया र्गया िा।
● श्रेया वसिंघल बनाम भाित सिंघ मामले में, पिू े प्रािधान को सिोच्ि न्यायालय ने िद्द कि वदया िा, विसे भाित में ऑनलाइन मि
ु भाषण के
वलए एक महत्िपणू ट क्षिण माना िाता है।
● िै सले में पाया र्गया वक धािा 66ए सिंविधान के अनुच्छे द 19 (भाषण की आिादी) औि अनुच्छे द 21 (िीिन का अवधकाि) दोनों के
विपिीत है।
● कानून को "अपनी सिंपणू टता में अथपि" बताते हए, सप्रु ीम कोर्ट ने कहा, यह िनता के िानने के अवधकाि का अवतिमण किता है।
● इसके अलािा, झिंझु लाहर्, असवु िधा, ितिे , आवद के कािण बनना या घोि आपवत्तिनक होना या ितिनाक िरित्र होना भाितीय दडिं सिंवहता
के तहत अपिाध नहीं है।
● इसने घोषणा की वक न्यावयक वनयवु ियों औि तबादलों पि भाित के मख्ु य न्यायाधीश (CJI) की वसिारिश की "प्रािवमकता" को "र्गभिं ीि
कािणों" से अथिीकाि वकया िा सकता है।
● सत्तारूढ़ ने अर्गले 12 िषों के वलए न्यावयक वनयवु ियों में न्यायपावलका पि कायटपावलका को प्रािवमकता दी।
वद्वतीय न्यायाधीश मामला (1993):
● SC ने कॉलेवियम प्रणाली की शरुु आत की, यह मानते हए वक "पिामशट" का िाथतविक अिट "सहमवत" है।
● इसमें कहा र्गया है वक यह CJI की व्यविर्गत िाय नहीं है, बवकक SC में दो िरिष्ठतम न्यायाधीशों के पिामशट से र्गवठत एक सिंथिार्गत िाय है।
तीसिा न्यायाधीश मामला (1998):
● िाष्ट्ट्रपवत के सिंदभट में SC ने कॉलेवियम का विथताि पािंि सदथयीय वनकाय में कि वदया, विसमें CJI औि उनके िाि िरिष्ठतम सहयोर्गी शावमल
िे।
SC कॉलेवियम का नेतत्ृ ि CJI किते हैं औि इसमें अदालत के िाि अन्य िरिष्ठतम न्यायाधीश शावमल होते हैं।
एक HC कॉलेवियम का नेतत्ृ ि उसके मख्ु य न्यायाधीश औि उस अदालत के िाि अन्य िरिष्ठतम न्यायाधीश किते हैं।
● HC कॉलेवियम द्वािा वनयवु ि के वलए अनुशविं सत नाम CJI औि SC कॉलेवियम द्वािा अनुमोदन के बाद ही सिकाि तक पहििं ते हैं।
● उच्ि न्यायपावलका के न्यायाधीशों की वनयवु ि कॉलेवियम प्रणाली के माध्यम से ही की िाती है औि कॉलेवियम द्वािा नाम तय वकए िाने के
बाद ही सिकाि की भवू मका होती है।
o यवद वकसी िकील को उच्ि न्यायालय या सिोच्ि न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत वकया िाना है तो सिकाि की भवू मका
इर्िं ेवलिेंस ब्यिू ो (आईबी) द्वािा िाििं किाने तक सीवमत है।
o इसमें आपवत्तयािं भी उठाई िा सकती हैं औि कॉलेवियम की पसिंद के बािे में थपिीकिण मार्गिं ा िा सकता है, लेवकन अर्गि कॉलेवियम
एक ही नाम दोहिाता है तो सिकाि सिंविधान पीठ के िै सले के तहत उन्हें िि के रूप में वनयि ु किने के वलए बाध्य है।
507. प्ली बार्गेवनर्गिं औि क्लास एक्शन सर्ू (Plea bargaining and Class Action Suit)
समािाि में: हाल ही में ONGC बािट आपदा िैसी घर्नाएिं भाित में प्रभािी क्लास एक्शन मक़
ु दमे की अनपु वथिवत को िेिाविं कत किती हैं।
क्लास एक्शन सर्ू के बािे में
● यह एक काननू ी कािट िाई या दािा है िो एक या कई िादी को समान वहतों िाले लोर्गों के समहू के वलए िाइल किने औि पेश होने की अनमु वत
देता है। ऐसा समहू एक "िर्गट" बनाता है।
● एक िर्गट कािट िाई, विसे िर्गट-कािट िाई मकु दमा, िर्गट सर्ू या प्रवतवनवध कािट िाई के रूप में भी िाना िाता है, एक प्रकाि का मक
ु दमा है िहािं
पावर्टयों में से एक ऐसे लोर्गों का समहू होता है िो सामवू हक रूप से प्रवतवनवधत्ि किते हैं।
● एक शविशाली वििोधी के विलाि आम व्यवि को न्याय सवु नवश्चत किने के वलए प्रवतवनवध मक
ु दमेबािी से एक िर्गट कािट िाई मक़
ु दमा प्राप्त
होता है।
● भाित में उदाहिण-भोपाल र्गैस त्रासदी मामला, सत्यम किंप्यर्ू ि मामला आवद।
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दलील सौदा:
● यहािं एक आपिावधक अपिाध का आिोप लर्गाया र्गया व्यवि अवभयोिन पक्ष के साि बातिीत किता है।
● िह दोषी मानते हए कम सिा की मािंर्ग किता है।
● इसमें मख्ु य रूप से अवभयि ु औि अवभयोिक के बीि पिू ट-पिीक्षण िाताट शावमल है।
● इसमें आिोप पि या सिा की मात्रा में सौदेबािी शावमल हो सकती है।
● भाित में इसे CrPC में सिंशोधन के एक सेर् के वहथसे के रूप में 2006 में पेश वकया र्गया िा।
○ वकसी अवभयि ु को पणू ट मक
ु दमे के अवधकाि का दािा किने के बिाय 'दोषी' की िकालत किने के वलए दडिं प्रविया सिंवहता में
हमेशा एक प्रािधान िहा है, लेवकन यह दलील सौदेबािी के समान नहीं है।
○ भाितीय विवध आयोर्ग ने अपनी 142िीं रिपोर्ट में अपनी मिी से दोषी ठहिाए िाने िालों के "रियायती इलाि" के वििाि को
िारिि कि वदया।
○ लेवकन इस बात को िे िािंवकत वकया वक इसमें अवभयोिन पक्ष के साि कोई दलील सौदेबािी या "सौदेबािी" शावमल नहीं होर्गी।
● रिर् सप्रु ीम कोर्ट या उच्ि न्यायालय का एक वलवित आदेश है िो भाितीय नार्गरिकों को उनके मौवलक अवधकािों के उकलघिं न के विलाि
सििं ैधावनक उपिाि का आदेश देता है।
● भाितीय सिंविधान में अनुच्छे द 32 सिंिैधावनक उपायों से सिंबिंवधत है िो एक भाितीय नार्गरिक अपने मौवलक अवधकािों के उकलिंघन के विलाि
सिोच्ि न्यायालय औि उच्ि न्यायालय से मार्गिं सकता है।
● िही लेि सिोच्ि न्यायालय को अवधकािों के प्रितटन के वलए रिर् िािी किने की शवि देता है िबवक उच्ि न्यायालय के पास अनुच्छे द 226
के तहत समान शवि है।
● रिर्- बदिं ी प्रत्यक्षीकिण (Habeas Corpus), पिमादेश रिर् (Mandamus), प्रवतषेध रिर् (Prohibition), उत्प्रेषण लेि (Writ of
Certaiorari), अवधकाि पृच्छा (Quo Warranto)
● सिोच्ि न्यायालय या उच्ि न्यायालय वनिी औि सािटिवनक दोनों प्रावधकिणों के विलाि यह रिर् िािी कि सकता है।
● बदिं ी प्रत्यक्षीकिण वनम्नवलवित मामलों में िािी नहीं वकया िा सकता है:
○ िब वहिासत िैध है।
○ िब कायटिाही वकसी विधावयका या न्यायालय की अिमानना के वलए हो।
○ नििबिंदी एक सक्षम अदालत द्वािा वकया िाता है।
○ नििबदिं ी कोर्ट के अवधकाि क्षेत्र से बाहि है।
पिमादेश रिर् (Mandamus)
● इस रिर् का उपयोर्ग अदालत द्वािा उस सिकािी अवधकािी को आदेश देने के वलए वकया िाता है िो अपने कतटव्य का पालन किने में वििल
िहा है या अपना कतटव्य किने से इनकाि कि वदया है।
● बिंदी प्रत्यक्षीकिण के विपिीत, वकसी वनिी व्यवि के विरुद्ध पिमादेश िािी नहीं वकया िा सकता है।
● वकसी को काम किने का आदेश देना िब काम का प्रकाि वििेकाधीन हो औि अवनिायट न हो।
● भाितीय िाष्ट्ट्रपवत या िाज्य के िाज्यपालों के विलाि पिमादेश िािी नहीं वकया िा सकता है।
● न्यावयक क्षमता में कायट किने िाले उच्ि न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश के विलाि।
● वनििंति पिमादेश या सििं िनात्मक वनषेधाज्ञा या सिंििनात्मक वनषेधाज्ञा एक लिंबी अिवध में िल िहे आदेशों की एक श्रृिंिला के माध्यम से
कानून की अदालत द्वािा दी र्गई िाहत है।
प्रवतषेध रिर् (Prohibition)
● वनिली अदालत को अपने अवधकाि क्षेत्र से बाहि िाने से मना किना।
● प्रवतषेध रिर् के िल न्यावयक औि अधट-न्यावयक अवधकारियों के विलाि िािी वकया िा सकता है।
● इसे प्रशासवनक अवधकारियों, विधायी वनकायों औि वनिी व्यवियों या वनकायों के विलाि िािी नहीं वकया िा सकता है।
उत्प्रेषण लेि (Writ of Certaiorari)
● 'प्रमावणत होना' या 'सवू ित वकया िाना'। यह रिर् एक उच्ि न्यायालय द्वािा वनिली अदालत को वकसी भी मामले में उनके आदेश को िद्द
किने के वलए िािी वकया िाता है।
● 1991 से पहले: उत्प्रेषण रिर् के िल न्यावयक औि अधट-न्यावयक अवधकारियों के विलाि िािी की िाती िी प्रशासवनक अवधकारियों के
विलाि नहीं
● 1991 के बाद: सप्रु ीम कोर्ट ने िै सला सनु ाया वक व्यवियों के अवधकािों को प्रभावित किने िाले प्रशासवनक अवधकारियों के विलाि भी
उत्प्रेषण िािी वकया िा सकता है।
● इसे विधायी वनकायों औि वनिी व्यवियों या वनकायों के विरुद्ध िािी नहीं वकया िा सकता है।
अवधकाि पृच्छा (Quo Warranto)
● 'वकस अवधकाि या िाििंर् द्वािा' यह वकसी व्यवि द्वािा वकसी सािटिवनक कायाटलय के अिैध उपयोर्ग को िोकने के वलए िािी वकया िाता है।
● अवधकाि पृच्छा तभी िािी वकया िा सकता है िब वकसी क़ानून या सिंविधान द्वािा बनाए र्गए थिायी िरित्र का मल
ू सािटिवनक कायाटलय
शावमल हो।
● इसे वनिी या मविं त्रथतिीय कायाटलय के विलाि िािी नहीं वकया िा सकता है।
● ये ग्राम न्यायालय भाित के ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्रणाली की त्िरित औि आसान पहिाँ के वलए ग्राम न्यायालय अवधवनयम, 2008 के तहत
थिावपत वकए र्गए हैं।
● सिंबिंवधत उच्ि न्यायालय के पिामशट से िाज्य सिकाि द्वािा अवधसिू ना द्वािा वनवदटि क्षेत्र पि ग्राम न्यायालय का अवधकाि क्षेत्र होता है।
● न्यायालय इस सबिं धिं में व्यापक प्रिाि किने के बाद, ऐसे ग्राम न्यायालय के अवधकाि क्षेत्र में वकसी भी थिान पि एक मोबाइल अदालत के रूप
में कायट कि सकता है।
● आपिावधक मामलों में सत्र न्यायालय औि दीिानी मामलों में विला न्यायालय में अपील।
● GN की अध्यक्षता एक न्यायावधकािी द्वािा की िाती है, विसके पास समान शवि होर्गी, प्रिम श्रेणी के न्यावयक मविथट्रेर् के समान िेतन औि
लाभ प्राप्त होंर्गे।
● ऐसे न्यायावधकािी की वनयवु ि िाज्य सिकाि द्वािा सिंबिंवधत उच्ि न्यायालय के पिामशट से की िानी है।
● दीिानी िादों को वदन-प्रवतवदन के आधाि पि सीवमत थिर्गनों के साि आर्गे बढ़ाया िाता है औि िाद की थिापना की तािीि से छह महीने की
अिवध के भीति वनपर्ािा वकया िाता है।
● वडिी के वनष्ट्पादन में, न्यायालय प्राकृ वतक न्याय के वनयमों का पालन किते हए विशेष प्रवियाओ िं की अनुमवत दे सकता है।
● ग्राम न्यायालय पहली बाि में वििाद के समाधान औि उसी के वनपर्ािे की अनमु वत देते हैं।
● ग्राम न्यायालयों को कुछ साक्ष्यों को थिीकाि किने की शवि दी र्गई है िो अन्यिा भाितीय साक्ष्य अवधवनयम के तहत थिीकायट नहीं होंर्गे।
● ग्राम न्यायालय पोर्टल लार्गू किने िाले िाज्यों द्वािा ग्राम न्यायालयों के कामकाि की ऑनलाइन वनर्गिानी में मदद किता है।
● हालााँवक, अवधवनयम को ठीक से लार्गू नहीं वकया र्गया है, देश में 5000 ऐसी अदालतों के लक्ष्य के विलाि के िल 208 कायाटत्मक ग्राम
न्यायालय (वसतिंबि 2019) है।
510. िाष्ट्ट्रीय किंपनी कानून अपीलीय न्यायावधकिण (National Company Law Appellate Tribunal - NCLAT)
● समािाि में: एथसाि मामला, साइिस वमस्त्री मामला, आवद।
NCLAT किंपनी अवधवनयम, 2013 के तहत र्गवठत एक िैधावनक वनकाय है।
कायट:
● यह वनम्नवलवित के आदेशों के विलाि अपील सनु ता है:
DAY 72 - POLITY
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विषय
● ADR अदाितों िर मक ु दमेबाजी के बोझ को कम करने में महत्विर्ू फ भल्ू मका ल्नभा सकता है, जबल्क इसमें शाल्मि िक्षों के ल्िए एक िर्ू फ
और सतं ोर्जनक अनभु व प्रदान ल्कया जा सकता है।
ल्वल्भन्न वैकल्पिक ल्ववाद समाधान तत्रं ों को इस प्रकार वगीकृ त ल्कया जा सकता है:
● मध्यस्थता - प्रल्िया ल्जसमें एक तटस्थ तृतीय िक्ष या िक्ष मामिे की योग्यता के आधार िर वनर्ाय देते हैं। मध्यस्थ िक्षों िर एक बाध्यकारी
िरु स्कार प्रदान करता है।
● मध्यस्थता - इसका उद्देश्य ल्ववाल्दत िक्षों द्वारा सहमवत से समाधान के ल्वकास को सगु म बनाना है। इसकी देिरेि एक गैर-िक्षिाती तृतीय
िक्ष (मध्यस्थ) द्वारा की जाती है।
● सल
ु ह - प्रल्िया ल्जसके द्वारा ल्ववादों का समाधान समझौता या स्वैल्च्छक समझौते द्वारा प्राप्त ल्कया जाता है। मध्यस्थता के ल्विरीत, संयोजक
एक बाध्यकारी िरु स्कार प्रदान नहीं करता है। िाल्टफयां प्रदान ल्कए गए िरु स्कार को स्वीकार या अस्वीकार करने के ल्िए स्वतत्रं हैं।
● लोक अदालतें: ल्ववाद ल्निटान प्रर्ािी में तेजी िाने के ल्िए काननू ी सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम 1987 के साथ ल्ववाद ल्निटान प्रर्ािी
की िोक अदाित प्रर्ािी की स्थािना की गई। िोक अदाितों में प्री-ल्िल्टगेशन चरर् में ल्ववादों को सौहादफिर्ू फ तरीके से ल्निटाया जा सकता
है।
● सवं धिाताा: यह एक गैर-बाध्यकारी प्रल्िया है ल्जसमें ल्कसी तीसरे िक्ष के हस्तक्षेि के ल्बना िक्षों के बीच ल्ववाद के समझौते िर िहचं ने के
उद्देश्य से चचाफ शरू
ु की जाती है। व्यािार, गैर-िाभकारी संगठनों, सरकारी शािाओ,ं काननू ी कायफवाही, राष्ट्रों के बीच और व्यल्िगत ल्स्थल्तयों
जैसे ल्ववाह, तिाक, िािन-िोर्र् और रोजमराफ की ल्जंदगी में बातचीत होती है।
भारत में ADR
● काननू ी सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम 1987 में अदाित के बाहर ल्निटान को प्रोत्साल्हत करने के ल्िए िाररत ल्कया गया था, और नया
मध्यस्थता और सि ु ह अल्धल्नयम 1996 में अल्धल्नयल्मत ल्कया गया था।
● प्िी-सौदेबाजी की प्रल्िया को 2005 में दडं प्रल्िया संल्हता में शाल्मि ल्कया गया था। {याल्चका-सौदेबाजी को "अल्भयि
ु और
अल्भयोजन िक्ष के बीच िवू फ-िरीक्षर् वाताफ के रूि में सबसे अच्छा वल्र्फत ल्कया गया है, ल्जसके दौरान अल्भयि
ु अल्भयोजन द्वारा कुछ
ररयायतों के बदिे में दोर्ी होने के ल्िए सहमत होता है।"}
● िोक अदाित या "िोगों की अदाित" में एक अनौिचाररक सेल्टगं शाल्मि है जो न्याल्यक अल्धकारी की उिल्स्थल्त में बातचीत की
सल्ु वधा प्रदान करती है ल्जसमें काननू ी तकनीकी िर अनल्ु चत जोर ल्दए ल्बना मामिों को ल्निटाया जाता है। िोक-अदाित का आदेश
अल्ं तम और िाल्टफयों िर बाध्यकारी है, और काननू की अदाित में अिीि करने योग्य नहीं है।
● यह काननू और न्याय मत्रं ालय के सलाहकार वनकाय के रूि में काम करता है।
● ल्वल्ध आयोग कानून में अनुसंधान करता है और भारत में मौजदू ा काननू ों की समीक्षा करता है ताल्क उसमें सधु ार ल्कया जा सके और कें द्र
सरकार या स्व-प्रेरर्ा द्वारा इसके सदं भफ में नए कानून बनाए जा सकें ।
● भारत में िहिे ल्वल्ध आयोग का गठन 1955 में तीन साि के कायफकाि के ल्िए ल्कया गया था, ल्जसके अध्यक्ष भारत के तत्कािीन
अटॉनी-जनरि एम.सी. सेतलिाड़ थे।
○ िहला विवध आयोग 1834 में ल्िल्टश राज काि के दौरान 1833 के चार्ार अवधवनयम द्वारा स्थाल्ित ल्कया गया था और
इसकी अध्यक्षता लॉर्ा मैकाले ने की थी।
विवध आयोग के सदस्य
● आयोग में काननू ी और न्याल्यक ल्वशेर्ज्ञ शाल्मि हैं ।
● 1 स्थायी सदस्य, 1 सदस्य सल्चव, 2 अश ं काल्िक सदस्य, 2 िदेन सदस्य।
● आयोग में एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य होते हैं ।
● ल्वल्ध सल्चव और ल्वल्ध मत्रं ािय के अधीन सल्चव (ल्वधायी) िदेन सदस्य होते हैं ।
● उन काननू ों की जांच करना जो गरीबों को प्रभाल्वत करते हैं और सामाल्जक-आल्थफक कानूनों के ल्िए िोस्ट-ऑल्डट करते हैं।
● वनदेशक वसद्ांतों को लागू करने और संविधान की प्रस्तािना में वनधााररत उद्देश्यों को प्राप्त करने के ल्िए नए कानून के अल्धल्नयमन
का सझु ाव देना आवश्यक हो सकता है।
● कानून और न्याल्यक प्रशासन से संबंल्धत ल्कसी भी ल्वर्य िर सरकार के ल्वचारों को ध्यान में रिते हए और सदं शे देते हए, ल्जसे सरकार
द्वारा विवध और न्याय मंत्रालय (कानूनी कायफ ल्वभाग) के माध्यम से ल्वशेर् रूि से संदल्भफत ल्कया जा सकता है।
● काननू और न्याय मत्रं ािय (काननू ी मामिों के ल्वभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा ल्कसी भी ल्वदेशी देश को अनसु धं ान प्रदान करने के
अनरु ोधों िर ल्वचार करना।
● लैंवगक समानता को बढावा देने और उसमें संशोधन का सझु ाव देने की दृल्ि से मौजदू ा काननू ों का िरीक्षर् करें ।
● िाद्य सरु क्षा, बेरोजगारी िर िैश्वीकरर् के प्रभाि की जाचं करें और हाल्शए िर िडे िोगों के ल्हतों की सरु क्षा के उिायों की ल्सर्ाररश करें ।
● कें द्र सरकार को समय-समय िर सभी मुद्दों, मामलों, अध्ययनों और अनुसंधान िर ररिोर्ा तैयार करना और प्रस्तुत करना और ऐसी
ररिोटों में संघ या ल्कसी राज्य द्वारा ल्कए जाने वािे प्रभावी उिायों के ल्िए ल्सर्ाररश करना।
● ऐसे अन्य कायफ करना जो कें द्र सरकार द्वारा समय-समय िर उसे सौंिे जाए।ं
● अिनी ल्सर्ाररशों को ठोस बनाने से िहिे, आयोग नोडि मत्रं ािय/ल्वभागों और इस तरह, अन्य ल्हतधारकों को आयोग के उद्देश्य के ल्िए
आवश्यक समझा जा सकता है।
513. वसर्ा नागररकों के वलए उिलब्ध अवधकार (Rights available only to Citizens)
समाचार में: हाि ही में, मोहम्मद सिीमपु िाह बनाम भारत सघं में अिने आदेश में, सप्रु ीम कोटफ ने रोल्हग्ं या शरर्ाल्थफयों के म्यामं ार ल्नवाफसन िर रोक
िगाने के ल्िए एक आवेदन को िाररज कर ल्दया।
मुख्य तका :
● SC ने 23 जनवरी, 2020 के अंतरााष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के एक र्ै सिे िर याल्चकाकताफओ ं की ल्नभफरता का उपिेि ल्कया, ल्जसमें
नरसहं ार की ल्स्थल्त दजफ की गई थी, ल्जसके िररर्ामस्वरूि 7.75 िाि रोल्हग्ं या बाग्ं िादेश और भारत में शरर् िेने के ल्िए मजबरू हो गए।
● SC ने सरकार के इस शब्द िर भरोसा ल्कया ल्क शरर्ाथी के जीवन को ितरे में डािने वािी जगह िर गैर-प्रल्तशोध, या जबरन प्रत्यावतफन का
ल्सद्ांत के िल 1951 या उसके 1967 प्रोर्ोकॉल के संयुक्त राष्ट्र के शरर्ाथी सम्मेलन में हस्ताक्षरकतााओ ं िर लागू होता है।
● यह कहा जाना चाल्हए ल्क संयि ु राष्ट्र के ल्वशेर् प्रल्तवेदक को नहीं सनु ा गया था, क्योंल्क अदाित ने महससू ल्कया ल्क उसके हस्तक्षेि िर
गंभीर आिल्त्तयां उठाई गई थीं।
● SC ने स्वीकार ल्कया ल्क ल्नवाफल्सत न होने का अल्धकार अनुच्छे द 21 के तहत जीिन और स्ितंत्रता के अवधकार से सम्बंवधत नहीं है,
जो सभी मनुष्ट्यों िर लागू होता है, बल्पक अनुच्छे द 19(1)(g) के तहत भारत में रहने और बसने के अल्धकार से सम्बंल्धत है, जो के वि
भारतीय नागररकों िर िागू होता है।
ल्नम्नल्िल्ित मौल्िक अल्धकारों की सचू ी है जो के िल नागररकों के वलए उिलब्ध हैं (ल्वदेल्शयों के ल्िए नहीं):
● जाल्त, धमफ, जाल्त, ल्िगं या जन्म स्थान के आधार िर भेदभाव का ल्नर्ेध (अनुच्छे द 15).
○ भार्र् और अल्भव्यल्ि
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○ एसोल्सएशन
○ ल्वधानसभा
○ आंदोिन
○ ल्नवास
○ िेशा
● अपिसख्ं यकों की सस्ं कृ ल्त, भार्ा और ल्िल्ि का सरं क्षर् (अनच्ु छे द 29)
514. न्याय बध
ं ु ऐि (Nyaya Bandhu App)
समाचार में: न्याय ल्वभाग ने उमंग प्िेटर्ॉमफ (MeitY) िर न्याय बंधु एल्प्िके शन का iOS संस्करर् िॉन्च ल्कया।
● न्याय बंधु मोबाइि ऐि मुफ्त कानूनी सेिाओ ं के प्रािधान की सुविधा प्रदान करता है।
● ऐि का उद्देश्य जरूरतमदं िावदयों को ऐसे िकीलों से जोड़ना है जो इस तरह की वन:शुपक सेिाओ ं की िेशकश करना चाहते हैं। मफ्ु त
काननू ी सेवाएं देने के इच्छुक वकीि ऐि के साथ अिना िजं ीयन करा सकते हैं।
● इस प्रकार जरूरतमदं वादी एि के माध्यम से मफ्ु त कानूनी सिाह प्राप्त कर सकते हैं।
● ल्न: स्वाथफ सेवा देने के ल्िए स्वेच्छा से वकीिों का एक डेटाबेस बनाए रिते हए, ल्वभाग कानूनी क्षेत्र में एक ल्न: शपु क संस्कृ ल्त को ल्वकल्सत
करने की उम्मीद करता है।
● इसे CSC ई-गिनेंस सविासेज इवं र्या वलवमर्ेर् के सहयोग से ल्वकल्सत ल्कया गया है और यह ल्हदं ी और अंग्रेजी में उििब्ध है।
वन: शुपक कानूनी सेिा:
● प्रो बोनो िैल्टन अल्भव्यल्ि "प्रो बोनो िवब्लको" से आया है ल्जसका अथा है "जनता की भलाई के वलए"।
● कई वकीि ल्बना ल्कसी िेशेवर शपु क के गरीब और वंल्चत ग्राहकों को मपू यवान कानूनी सिाह और सहायता प्रदान करते हैं।
न्याय बध
ं ु कायाक्रम के बारे में
● प्रो बोनो िीगि सल्वफसेज प्रोग्राम को अप्रैल 2017 में कानून और न्याय मंत्री द्वारा िॉन्च ल्कया गया था।
● यह सल्ु नल्ित करेगा ल्क इस सावफजल्नक सेवा के ल्िए अिना बहमपू य समय और सेवा देने वािे वकीिों को उनके योगदान के ल्िए ल्वल्धवत
मान्यता दी जाए।
िात्र लाभाथी:
● ल्वल्धक सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम की धारा 12 के अनुसार 1987. इनमें शाल्मि हैं:
○ सल्ं वधान के अनुच्छे द 23 में उल्पिल्ित मानव या बीगर में तस्करी का ल्शकार
○ मल्हिा या बच्चा
○ ल्वकिागं व्यल्ि
○ ल्हरासत में व्यल्ि
○ एक औद्योल्गक कायफकत्ताफ
○ सामल्ू हक आिदा, जातीय ल्हसं ा, जाल्तगत अत्याचार, बाढ, सि ू ा, भक
ू ं ि या औद्योल्गक आिदा का ल्शकार
○ कानून के तहत ल्नल्दफि से कम वाल्र्फक आय वािे व्यल्ि
● रायि के तहत एक ऐसे व्यल्ि को संदल्भफत करता है ल्जसे ल्हरासत (जेि) में रिा जा रहा है जो ल्कसी अिराध के मक
ु दमे की प्रतीक्षा कर रहा
है यानी न्यायािय द्वारा अंल्तम ल्नर्फय की प्रतीक्षा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ा के वनदेश:
● 2013 में जेलों की अमानिीय वस्थवतयों िर एक ऐल्तहाल्सक ल्नर्फय में SC द्वारा जारी ल्दशा-ल्नदेश। (असम राज्य बनाम 1382 जेिों में
िनु ः अमानवीय ल्स्थल्त)
● प्रत्येक ल्जिे में गल्ठत की जाने वािी विचाराधीन समीक्षा सवमवत की प्रत्येक वतमाही में बैठक होनी चाल्हए।
● अडं र रायि ररव्यू कमेटी को ल्वशेर् रूि से CrPC की धारा 436 (गैर-जमानती अिराधों को छोडकर जमानत िर ररहा ल्कए जाने वािे कै दी)
और CrPC की धारा 436 ए के प्रभावी कायाफन्वयन से संबंल्धत िहिओ ु ं िर गौर करना चाल्हए ताल्क ल्वचाराधीन कै ल्दयों को जपद से जपद
ररहा ल्कया जा सके ।
● प्रत्येक राज्य के राज्य विवधक सेिा प्रावधकरर् को यह सल्ु नल्ित करना चाल्हए ल्क ल्वचाराधीन कै ल्दयों और दोल्र्यों, ल्वशेर् रूि से गरीब
और ल्नधफन िोगों की सहायता के ल्िए ियाफप्त सख्ं या में सक्षम वकीि उििब्ध कराए जाए।ं
● वजला विवधक सेिा सवमवत को कंिाउंडेबि अिराधों में ल्वचाराधीन कै ल्दयों की ररहाई के मद्दु े िर भी गौर करना चाल्हए।
सरकार के कदम:
● ल्वचाराधीन कै ल्दयों से जडु े मामिों के समाधान में तेजी िाने के ल्िए र्ास्र् रै क अदालतों की स्थािना।
● न्याय और कानूनी सुधारों की वर्लीिरी के वलए वमशन मोर् प्रोग्राम- अंडररायि प्रोग्राम: इसका उद्देश्य 2010 तक सभी ल्वचाराधीन
मामिों में से 2/3 को हि करना और जेिों में भीडभाड को कम करना है।
● CrPC की धारा 436 A का सल्म्मिन- इसमें कहा गया है ल्क यल्द ल्कसी आरोिी को अिराध से जडु े कारावास की अल्धकतम अवल्ध के
आधे से अल्धक समय तक ल्हरासत में रिा जाता है, तो उसे व्यल्िगत बांड की प्रस्तुल्त िर ररहा होने का अल्धकार है।
● NALSA के कानूनी सेवा क्िील्नकों द्वारा सभी ल्वचाराधीन कै ल्दयों को वन:शुपक कानूनी सेिाएं प्रदान की जाती हैं।
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● अनच्ु छे द 30(1): सभी धाल्मफक और भार्ाई अपिसख्ं यकों को अिनी िसदं के शैक्षल्र्क सस्ं थानों की स्थािना और प्रशासन का अल्धकार है
।
● अनच्ु छे द 30(2): राज्य को शैल्क्षक संस्थानों को सहायता प्रदान करते समय, ल्कसी भी शैक्षल्र्क संस्थान के ल्ििार् इस आधार िर भेदभाव
नहीं करना चाल्हए ल्क यह अपिसख्ं यक के प्रबंधन के तहत है, चाहे वह धमफ या भार्ा िर आधाररत हो।
● ई-सल्मल्त के कामकाज के संबंध में सभी व्यय भारत के सवोच्च न्यायािय के स्वीकृ त बजट से वहन ल्कए जाते हैं।
518. अविल भारतीय न्यावयक सेिा (All India Judicial Service - AIJS)
समाचार में: हाि ही में कानून मंत्री ने अल्िि भारतीय न्याल्यक सेवा के ल्नमाफर् के माध्यम से न्याल्यक सेवा में अनुसल्ू चत जाल्त / अनुसल्ू चत जनजाल्त
को अल्धक प्रल्तल्नल्धत्व देने की ल्सर्ाररश की।
AIJS के बारे में:
● AIJS न्यावयक अवधकाररयों का एक प्रस्तावित सिं गा है ल्जसे ल्नचिे स्तरों (उच्च न्यायाियों के नीचे) िर न्यायिाल्िका के ल्िए भती
ल्कया जाना है।
● अनुच्छे द 312 के तहत इसे अविल भारतीय सेिा घोल्र्त ल्कया गया है।
● UPSC की तजफ िर काम कर रहे AIJS की देिरे ि के ल्िए राष्ट्रीय न्याल्यक आयोग का भी गठन ल्कया जाएगा।
● वतफमान में, ल्नचिे स्तर के न्याल्यक अल्धकाररयों की भती संबंल्धत राज्य सरकारों द्वारा राज्य उच्च न्यायालयों के अनुरूि की जाती है।
एक संवक्षप्त इवतहास:
● अनुच्छे द 235 ल्नचिी न्यायिाल्िका को उच्च न्यायािय के ल्नयंत्रर् में रिता है।
● AIJS के गठन का ल्वचार िहिी बार 1958 में भारत के ल्वल्ध आयोग द्वारा एक प्रस्ताव के रूि में सामने आया।
● 1976 में स्िर्ा वसहं सवमवत की ल्सर्ाररशों के बाद, अनच्ु छे द 312 को न्याल्यक सेवाओ ं को शाल्मि करने के ल्िए सश
ं ोल्धत ल्कया गया था,
िेल्कन इसमें ल्जिा न्यायाधीश के िद से नीचे के ल्कसी भी व्यल्ि को शाल्मि नहीं ल्कया गया था।
● 1961, 1963 और 1965 में मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेिनों ने AIJS के ल्नमाफर् का समथफन ल्कया।
● िेल्कन कुछ राज्यों और उच्च न्यायालयों द्वारा इसका विरोध करने के बाद प्रस्ताव को स्थल्गत करना िडा, क्योंल्क यह ल्नचिे स्तर की
न्यायिाल्िका की भती के ल्िए उनकी शल्ियों को छीन िेता है।
● भारत सरकार ने अविल भारतीय न्यावयक सेिाओ ं के वनमाार् िर श्वेत ित्र जारी वकया है।
● दसू रा, क्या वतफमान प्रल्िया का उपिंघन करते हए मख्ु य न्यायाधीश द्वारा संल्वधान िीठ का गठन ल्कया जा सकता है ल्जसके माध्यम से ऐसी
बेंच का गठन ल्कया जाता है?
● तीसरा, यह कानून के मि ू ल्सद्ातं का उपिंघन करता है: वनमो जुर्ेक्स इन कौसा सुआ (Nemo Judex In Causa Sua), ल्क कोई
भी अिने ही मामिे में न्यायाधीश नहीं होना चाल्हए।
काननू ी आधार:
● सप्रु ीम कोटफ हैंर्बुक ऑन प्रैवक्र्स एर्ं प्रोसीजर एर्ं ऑवर्स प्रोसीजर (अध्याय VI - रोस्र्र) ल्नयम 29: रल्जस्रार भारत के मख्ु य
न्यायाधीश के ल्नदेशों के तहत रोस्टर तैयार करेगा, और ऐसी सभी शल्ियां, भारत के मख्ु य न्यायाधीश के सामान्य आदेशों के अधीन हैं।
● राजस्थान राज्य बनाम प्रकाश चंद: उच्च न्यायािय के मामिों के सबं धं में, मख्ु य न्यायाधीश रोस्टर के मास्टर है।
520. समीक्षा यावचका, दया यावचका और उिचारात्मक यावचका (Review Petition, Mercy Petition and Curative Petition)
समीक्षा यावचका:
● अनुच्छे द 137 के तहत, सवोच्च न्यायािय को अिने ल्कसी भी ल्नर्फय या आदेश की समीक्षा करने की शल्ि है।
● समीक्षा की गुंजाइश:
○ मामिे का ताजा जायजा िेने के ल्िए नहीं, बल्पक उन गंभीर त्रुवर्यों को ठीक करने के वलए, वजनके िररर्ामस्िरूि न्याय में
चूक हुई है।
○ 1975 के एक र्ै सिे में, न्यायमवू ता कृष्ट्र् अय्यर ने कहा ल्क एक समीक्षा को "के वि तभी स्वीकार ल्कया जा सकता है जब एक
स्िि चक
ू या िेटेंट गिती या गभं ीर त्रल्ु ट जैसी गभं ीर त्रल्ु ट िहिे न्याल्यक ल्गरावट से सामने आई हो"।
दया यावचका:
● एक दोर्ी द्वारा अिनी सजा को कम सजा में बदिने के ल्िए दया याल्चका दायर की जाती है।
○ यल्द सप्रु ीम कोटफ अिीि सनु ने से इनकार करता है या मौत की सजा को बरकरार रिता है ।
○ भारतीय संल्वधान के अनुच्छे द 72 के तहत भारत के राष्ट्रिल्त को या भारतीय संल्वधान के अनच्ु छे द 161 के तहत राज्य के
राज्यिाि को दया याल्चका प्रस्तुत की जा सकती है।
उिचारात्मक यावचका
● एक क्यरू े ल्टव ल्िटीशन एक याल्चका है जो अदाित से एक समीक्षा याल्चका िाररज होने के बाद भी अिने र्ै सिे की समीक्षा करने का अनुरोध
करती है।
● वनभाया के स के दौरान जब दया और समीक्षा याल्चका िाररज होने के बाद दो दोल्र्यों ने सप्रु ीम कोटफ के र्ै सिे के ल्ििार् एक ही याल्चका
दायर की थी।
○ ल्नर्फय िाररत होने की तारीि से 30 वदनों के भीतर एक क्यरू े ल्टव याल्चका दायर की जानी चाल्हए ।
○ समीक्षा यावचका िाररज होने िर ही याल्चकाकताफ क्यरू े ल्टव याल्चका दायर कर सकता है ।
○ एक उिचारात्मक याल्चका िर ल्वचार तभी ल्कया जाता है जब यह स्थाल्ित हो ल्क प्राकृवतक न्याय के वसद्ांतों का उपलघं न
ल्कया गया है।
○ याल्चका िर ल्वचार करने का अल्तररि आधार यह है ल्क र्ै सिा सनु ाते समय अदालत ने उसकी बात नहीं सुनी।
○ यल्द याल्चका में उल्चत ल्वचार के ल्िए कोई आधार नहीं है तो अदाित याल्चकाकताफ िर "अनुकरर्ीय लागत" िगा सकती है।
विशेष अनुमवत यावचका:
● अनच्ु छे द 136 के तहत, भारत का संल्वधान सवोच्च न्यायािय को भारत में ल्कसी भी ल्नचिी अदाितों या ल्रब्यनू ि में िाररत आदेश के
ल्ििार् अिीि करने के ल्िए एक िील्डत िक्ष को ल्वशेर् अनमु ल्त या छोडने की शल्ि प्रदान करता है।
● अिील के वििरीत अिील का उच्च न्यायालय के ल्वरुद् होना आवश्यक नहीं है।
● िील्डत िक्ष अनुच्छे द 136 के तहत अिीि करने के अल्धकार के रूि में ल्वशेर् अनुमल्त का दावा नहीं कर सकता है, िेल्कन यह भारत के
सवोच्च न्यायािय में ल्नल्हत ल्वशेर्ाल्धकार है ल्क वह अिीि करने की अनुमल्त दे या न दे।
● अनुमल्त याल्चका तब दायर की जा सकती है जब कोई उच्च न्यायालय सिोच्च न्यायालय में अिील करने के वलए वर्र्नेस का प्रमार्
ित्र देने से इनकार करता है।
DAY 85 - POLITY
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Day 85 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
Answer: (d)
● काबडन नैनोट्यब ू (CNTs) बेलनाकार बडे अणु होिे हैं वजनमें संकररि काबडन परमाणओ ु ं की एक षट्कोणीय व्यिस्था होिी है, जो ग्राफीन की
एक िीट (एकल-दीिार िाले काबडन नैनोट्यबू , SWCNTs) को रोल करके या ग्रेफीन की कई िीटों को रोल करके बन सकिी है(मल्टीिॉल्र्
काबडन नैनोट्यबू , MWCNTs)। इसवलए सरं चनात्मक रूप से, काबडन नैनोट्यबू (CNTs) को ग्राफीन िीट से वलपटे हुए देखा जा सकिा है।
कथन 1 कथन 2 कथन 3 कथन 4
CNT का एक बडा सिह क्षेि है जो उन्हें जैविक पदाथों की नासा ने बायोसेंसर के रूप में काबडन काबडन नैनोट्यबू को उनकी कठोर
एक विस्िृि श्ृख ं ला को सल ं ग्न करने की अनमु वि देिा है। नैनोट्यबू सरवणयों के उपयोग का और उत्तम रासायवनक सरं चना के
इसके अलािा, CNT कोविका विल्ली, के विकाओ ं के प्रदिडन वकया है। कारण रासायवनक क्षवि के वलए
माध्यम से प्रिेि करने में सक्षम हैं, और कोविकाओ ं और प्रविरोिी माना जािा था, वजसने उन्हें
ऊिकों में जमा होिे हैं। अि: विकल्प 3 सही है। बायोवर्ग्रेर्ेिन के वलए प्रविरक्षा
प्रदान की। हालावं क, पेरोक्सीर्ेज जैसे
यह उम्मीद की जािी है वक सक्षम प्रौद्योवगकी इन रक्त-संगि एंजाइम काबडन नैनोट्यबू के
नैनोमटेररयल्स का उपयोग करके बायोमेवर्कल अनुप्रयोगों बायोवर्ग्रेर्ेिन की प्रविया में
जैसे वक संरचनात्मक ऊिक प्रविस्थापन, यानी कृ विम रक्त महत्िपणू ड भवू मका वनभािे पाए गए।
िावहकाओ,ं या दिा वििरण मैवरक्स जैसे कायाडत्मक अिः विकल्प 4 सही है।
उपकरणों सवहि कृ विम प्रत्यारोपण के वलए वबवल्र्ंग ब्लॉक
के रूप में नैनोवर्िाइस बनाने की सवु ििा प्रदान करेगी।
प्रौद्योवगकी के ििडमान स्िर पर, ड्रोन का उपयोग करके उपरोक्त में से कौन सी गविविवियों को सफलिापिू डक वकया जा सकिा है?
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
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d) 1, 2 और 3
उत्तर: (D)
रक्षा संगठनों द्वारा ड्रोन िकनीक का उपयोग काफी समय से वकया जा रहा है । हालावं क, इस िकनीक का लाभ इन क्षेिों से परे अच्िी िरह से फै ला
हुआ है जैसे आपािकालीन प्रविविया, मानिीय राहि, स्िास््य सेिा, रोग वनयंिण, मौसम पिू ाडनुमान आवद ।
Q.3) यह प्रयोग एक समबाहु विभजु के आकार में उडने िाले अंिररक्ष यान की विकडी को वनयोवजि करे गा, वजसकी भजु ाएँ दस लाख वकलोमीटर
लंबी हैं,
वजसमें लेज़र विल्प के बीच चमकिे हैं । "प्रश्न में प्रयोग को सदं वभडि करिा है।
a) िोएजर - 2 (Voyager - 2)
b) नए वक्षविज (New Horizons)
c) वलसा पाथफाइर्ं र (LISA Pathfinder)
d) विकवसि वलसा (Evolved LISA)
उत्तर: (D)
LIGO वर्टेक्टर द्वारा गरुु त्िाकषडण िरंगों की दसू री खोज के बाद गरुु त्िाकषडण िरंगों का उपयोग करिे हुए ब्लैक होल पर प्रायोवगक अनुसंिान का
विस्िार हुआ।
वलसा पाथफाइर्ं र प्रयोग की सफलिा के बाद, विकवसि लेजर इटं रफे रोमीटर स्पेस
एंटीना (eLISA) पररयोजना अंिररक्ष में िीन अंिररक्ष यान, एक माँ और दो बेटी
अंिररक्ष यान स्थावपि करने की एक योजना है, जो पृ्िी को अपनी कक्षा में पीिे
िोडिे हुए एक विकोणीय गठन में सयू ड के चारों ओर अपनी कक्षा में 50 वमवलयन वकमी
से अविक की दरू ी पर उडान भरे गी।
काल्पवनक विभजु की प्रत्येक भजु ा, माँ से लेकर प्रत्येक बेटी अंिररक्ष यान िक, लगभग
एक वमवलयन वकमी की दरू ी िय करे गी। इन अंिररक्ष यान के अंदर "स्ििंि रूप से वगरने
िाले" परीक्षण द्रव्यमान िैरेंगे - लगभग 46 वममी मापने िाले पक्षों िाले क्यब्ू स। लेजर
इटं रफे रोमीटर इन क्यब्ू स के बीच की दरू ी में बदलाि को सटीक रूप से मापेगा। यवद िे
गरुु त्िाकषडण िरंग से प्रभाविि हों, िो इस दरू ी में वमनट पररििडन को इटं रफे रोमीटर द्वारा मापा जािा है।
इसवलए विकल्प (D) सही उत्तर है।
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उत्तर: (D)
Q.5) भारि में न्यमू ोकोकल संयग्ु म टीकों का उपयोग करने का क्या महत्ि है?
1. ये टीके वनमोवनया के साथ-साथ मेवनन्जाइवटस और सेवप्सस के वखलाफ प्रभािी हैं।
2. एंटीबायोवटक दिाओ ं पर वनभडरिा जो दिा प्रविरोिी बैक्टीररया के वखलाफ प्रभािी नहीं हैं, उन्हें कम वकया जा सकिा है।
3. इन टीकों का कोई साइर् इफे क्ट नहीं होिा है और न ही कोई एलजी होिी है।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीवजये:
a) के िल 1
b) के िल 1 और 2
c) के िल 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: (B)
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एक संयग्ु म िैक्सीन एक प्रकार का टीका है जो एक कमजोर एंटीजन को एक िाहक के रूप में एक मजबिू एंटीजन के साथ जोडिी है िावक प्रविरक्षा
प्रणाली को कमजोर एंटीजन के वलए एक मजबूि प्रविविया हो ।
● CIC और IC कें द्र सरकार (2019 संिोिन अविवनयम) द्वारा वनिाडररि अिवि के वलए या 65 िषड की आयु प्राप्त करने िक, जो भी पहले
हो, पद पर रहेंगे।
● िे पनु वनडयवु क्त के पाि नहीं हैं
● राष्ट्रपवि वनम्नवलवखि पररवस्थवियों में CIC या वकसी IC को कायाडलय से हटा सकिे हैं:
● अगर उसे वदिावलया घोवषि वकया जािा है; या
● यवद उसे वकसी ऐसे अपराि के वलए दोषी ठहराया गया है वजसमें (राष्ट्रपवि की राय में) नैविक अिमिा िावमल है;
● यवद िह अपने पद के कायडकाल के दौरान अपने कायाडलय के किडव्यों के बाहर वकसी भी भगु िान िाले रोजगार में संलग्न है; या
● यवद िह (राष्ट्रपवि की राय में) मानवसक या िरीर की दबु ल
ड िा के कारण पद पर बने रहने के वलए अयोग्य है; या
● यवद उसने ऐसा वित्तीय या अन्य वहि अवजडि वकया है वजससे उसके आविकाररक कायों पर प्रविकूल प्रभाि पडने की सभं ािना है।
● इनके अलािा, राष्ट्रपवि सावबि दव्ु यडिहार या अक्षमिा के आिार पर भी हटा सकिे हैं (एससी को संदवभडि करना चावहए)
● CIC और IC के िेिन, भत्ते और सेिा की ििें कें द्र सरकार द्वारा वनिाडररि की जाएंगी (सेिा के दौरान उनके नुकसान के वलए वभन्न नहीं हो
सकिी हैं)
िवक्तयां और कायड
● आयोग के पास सािडजवनक प्राविकरण से अपने वनणडयों के अनुपालन को सरु वक्षि करने की िवक्त है। वजनमें से कुि में िावमल हैं:
● वकसी वििेष रूप में जानकारी िक पहुचं प्रदान करना;
● सचू ना या सचू ना की श्ेवणयां प्रकाविि करना;
● जहां कोई मौजदू नहीं है िहां लोक सचू ना अविकारी वनयक्त ु करने के वलए लोक प्राविकरण को वनदेि देना;
● इस अविवनयम के िहि दर्ं लगाना
● आिेदन को खाररज करना।
● उवचि आिार होने पर आयोग वकसी भी मामले में जाचं का आदेि दे सकिा है (स्ि-प्रेरणा िवक्त)।
● पि ू िाि करिे समय, आयोग के पास एक वसविल कोटड की िवक्तयां होिी हैं।
● आयोग RTI अविवनयम के प्राििानों के कायाडन्ियन पर कें द्र सरकार को एक िावषडक ररपोटड प्रस्ििु करिा है। कें द्र सरकार इस ररपोटड को
संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखिी है ।
● जब कोई सािडजवनक प्राविकरण अविवनयम के प्राििानों के अनुरूप नहीं होिा है, िो आयोग (प्राविकरण को) ऐसे कदमों की वसफाररि कर
सकिा है जो इस िरह की अनरू ु पिा को बढािा देने के वलए उठाए जाने चावहए।
नए वनयम:
● अब कोई राजनीविक दल वििानसभा क्षेि के वकसी भी बूथ के वलए मिदान एजेंट को नावमि कर सकिा है वजसमें िह व्यवक्त मिदािा है।
● इससे पहले, मिदान एजेंट को उस बथू या उसके आस-पास के बथू का मिदािा होना था, वजस पर िह काम कर रहा है।
● यह वकसी भी राजनीविक दल को COVID-19 महामारी के बीच एक मिदान एजेंट वनयक्त ु करने में मदद करेगा क्योंवक इस समय एक एजेंट
प्राप्त करना मवु श्कल हो सकिा है।
मिदान एजेंट
● मिदान एजेंट िह व्यवक्त होिा है वजसे वकसी राजनीविक दल के प्रविवनवि के रूप में वनयक्त ु वकया जािा है।
● चंवू क चनु ाि के वदन प्रत्येक मिदान कें द्र पर एक उम्मीदिार का िारीररक रूप से उपवस्थि होना संभि नहीं है।
● इसवलए, चनु ाि आयोग एक उम्मीदिार को एक मिदान एजेंट वनयक्त ु करने की अनमु वि देिा है जो मिदान प्रविया पर नजर रखिा है।
चनु ाि आयोग - मख्ु य वनिाडचन अविकारी - चनु ाि पयडिेक्षक - ररटवनिंग अविकारी - पीठासीन अविकारी - मिदान अविकारी
606. लोक सेिा आयोग: संघ और राज्य (Public Service Commissions: Union and State)
● संवििान के भाग XIV में अनुच्िे द 315 से 323 संघ लोक सेिा आयोग से संबवं िि है
● यह भारि में कें द्रीय भिी एजेंसी है।
● संरचना: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की वनयवु क्त राष्ट्रपवि द्वारा की जािी है (आयोग की िवक्त राष्ट्रपवि के वििेक पर िोड दी जािी है)
● आयोग की सदस्यिा के वलए कोई योग्यिा वनिाडररि नहीं है, वसिाय इसके वक आयोग के आिे सदस्य ऐसे व्यवक्त होने चावहए वजन्होंने कें द्र या
राज्य सरकार के अिीन कम से कम दस िषों िक पद िारण वकया हो।
● संवििान राष्ट्रपवि को आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेिा की ििों को वनिाडररि करने के वलए भी अविकृ ि करिा है।
● िह िषड या जब िक िे 65 िषड की आयु प्राप्त नहीं कर लेिे
● वनष्ट्कासन: वनम्नवलवखि पररवस्थवियों में राष्ट्रपवि द्वारा
● अगर उसे वदिावलया घोवषि वकया जािा है।
● यवद िह कायाडलय के बाहर सिैिवनक रोजगार में संलग्न है।
● यवद िह, राष्ट्रपवि की राय में, मानवसक या िरीर की दब ु ल
ड िा के कारण पद पर बने रहने के वलए अयोग्य है।
● इनके अलािा, राष्ट्रपवि यपू ीएससी के अध्यक्ष या वकसी अन्य सदस्य को दव्ु यडिहार के वलए भी हटा सकिे हैं (सिोच्च न्यायालय को संदवभडि
वकया जाना है, राष्ट्रपवि पर बाध्यकारी)
● इस संदभड में 'दव्ु यडिहार' िब्द को पररभावषि करिे हुए, संवििान में कहा गया है वक यपू ीएससी के अध्यक्ष या वकसी अन्य सदस्य को दव्ु यडिहार
का दोषी माना जािा है यवद िह (ए) भारि सरकार द्वारा वकए गए वकसी अनुबंि या समिौिे से संबंविि या रुवच रखिा है। या वकसी राज्य की
सरकार, या (बी) ऐसे अनुबंि या समिौिे के लाभ में वकसी भी िरह से भाग लेिा है।
सघं लोक सेिा आयोग ● अध्यक्ष या सदस्य की सेिा की ििें, हालांवक राष्ट्रपवि द्वारा वनिाडररि की जािी हैं, उनकी वनयवु क्त के बाद
की स्ििंििा उनके नुकसान के वलए विविि नहीं हो सकिी हैं।
● CFI द्वारा उनका परू ा खचड वनिडहन वकयिा जािा है।
● संघ लोक सेिा आयोग का अध्यक्ष उस पद पर पनु वनडयवु क्त के वलए पाि नहीं है (दसू रे कायडकाल के वलए
पाि नहीं)
● सघं लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष (पद िारण करने के वलए बदं करने पर) भारि सरकार या एक राज्य में
आगे रोजगार के वलए पाि नहीं है।
● यपू ीएससी के सदस्य (पद पर बने रहने पर) यपू ीएससी या राज्य लोक सेिा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष के
रूप में वनयवु क्त के वलए पाि हैं, लेवकन भारि सरकार या राज्य में वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
कायड ● यह अवखल भारिीय सेिाओ,ं कें द्रीय सेिाओ ं और कें द्र िावसि प्रदेिों की सािडजवनक सेिाओ ं में
वनयवु क्तयों के वलए परीक्षा आयोवजि करिा है।
● संघ की सेिाओ ं से संबंविि अविररक्त कायड संसद द्वारा संघ लोक सेिा आयोग को प्रदत्त वकए जा सकिे हैं।
● कावमडक प्रबंिन से संबंविि वनम्नवलवखि मामलों पर परामिड वकया जािा है:
● सेिाओ ं और पदों पर वनयवु क्तयाँ करने और पदोन्नवि और स्थानान्िरण करने में पालन वकए जाने िाले
वसद्ांि
● वसविल सेिा और पदों पर वनयवु क्तयों के वलए उम्मीदिारों की उपयक्त ु िा; एक सेिा से दसू री सेिा में
पदोन्नवि और स्थानान्िरण के वलए
● भारि सरकार के अिीन सेिारि व्यवक्त को प्रभाविि करने िाले सभी अनुिासनात्मक मामले।
● एक िषड से अविक अिवि के वलए अस्थायी वनयवु क्तयों के मामले और वनयवु क्तयों के वनयवमिीकरण के
मामले।
यपू ीएससी की वस्थवि ● SC ने माना है वक यवद सरकार मामलों (ऊपर उवल्लवखि) में UPSC से परामिड करने में विफल रहिी है,
िो पीवडि लोक सेिक के पास अदालि में कोई उपाय नहीं है (प्राििान वनदेविका है और अवनिायड नहीं है)
● इसी िरह, अदालि ने माना वक यपू ीएससी द्वारा चयन उम्मीदिार को पद का कोई अविकार नहीं देिा है।
हालांवक, सरकार को वनष्ट्पक्ष और वबना मनमानी के कायड करना है।
● राष्ट्रपवि को िावषडक ररपोटड प्रस्िुि करना जो इसे LS और RS दोनों के समक्ष रखिा है। ररपोटड में उन
मामलों का स्पिीकरण िावमल है जहां आयोग की सलाह को स्िीकार नहीं वकया गया था और इस िरह
की गैर-स्िीकृ वि के कारण।
● सवं ििान के लेखों का एक ही सेट (अथाडि, भाग XIV में 315 से 323) भी SPSC से संबंविि है।
● SPSC राज्य सेिाओ ं के सबं िं में उन सभी कायों को करिा है जैसे यपू ीएससी कें द्रीय सेिाओ ं के सबं िं में करिा है।
● कायडकाल: िह िषड या 62 िषड िक (यपू ीएससी के मामले में यह 65 िषड है)
● वनष्ट्कासन, स्ििंििा, कायड और सीमा यपू ीएससी के समान है (राष्ट्रपवि और संसद के स्थान पर राज्यपाल और राज्य वििानमंर्ल)
SPSC के संबंि में अविररक्त वबदं ु हैं
● SPSC का अध्यक्ष (पद िारण करने के वलए) संघ लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में या वकसी अन्य SPSC के अध्यक्ष के
रूप में वनयवु क्त के वलए पाि है, लेवकन भारि सरकार या वकसी राज्य के िहि वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
● SPSC का सदस्य (पद िारण करने के वलए) संघ लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में, या उस SPSC या वकसी अन्य SPSC
के अध्यक्ष के रूप में वनयवु क्त के वलए पाि है, लेवकन भारि सरकार या वकसी राज्य के िहि वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
● SPSC का अध्यक्ष या सदस्य (अपना पहला कायडकाल परू ा करने के बाद) उस कायाडलय में पनु वनडयवु क्त के वलए पाि नहीं है (यानी, दसू रे
कायडकाल के वलए पाि नहीं है)।
संयक्त
ु राज्य लोक सेिा आयोग (JSPSC)
● संवििान दो या दो से अविक राज्यों के वलए एक संयक्त ु राज्य लोक सेिा आयोग (JSPSC) की स्थापना का प्राििान करिा है।
● जबवक यपू ीएससी और एसपीएससी सीिे संवििान द्वारा बनाए गए हैं, एक JSPSC को संबंविि राज्य वििानसभाओ ं के अनरु ोि पर संसद
के एक अविवनयम द्वारा बनाया जा सकिा है।
● इस प्रकार, एक JSPSC एक सांविविक वनकाय है न वक एक संिैिावनक वनकाय
● JSPSC के अध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु क्त राष्ट्रपवि द्वारा की जािी है।
● िह साल की अिवि या जब िक िे 62 िषड की आयु प्राप्त नहीं कर लेि,े जो भी पहले हो।
● JSPSC के सदस्यों की संख्या और उनकी सेिा की ििें राष्ट्रपवि द्वारा वनिाडररि की जािी हैं
● एक JSPSC प्रत्येक संबंविि राज्य के राज्यपाल को अपनी िावषडक प्रदिडन ररपोटड प्रस्िुि करिा है। प्रत्येक राज्यपाल राज्य वििावयका के
समक्ष ररपोटड रखिा है।
● यपू ीएससी राज्य के राज्यपाल के अनरु ोि पर और राष्ट्रपवि के अनमु ोदन से राज्य की जरूरिों को भी परू ा कर सकिा है।
607. एफएसएसएआई - भारिीय खाद्य सरु क्षा और मानक प्राविकरण (FSSAI – Food Safety and Standards Authority of India)
● भारिीय खाद्य सरु क्षा और मानक प्राविकरण (FSSAI) खाद्य सरु क्षा और मानक अविवनयम, 2006 (FSS अविवनयम) के िहि स्थावपि
एक स्िायत्त िैिावनक वनकाय है।
● स्िास््य और पररिार कल्याण मि ं ालय, भारि सरकार FSSAI का प्रिासवनक मिं ालय है।
● मख्
ु यालय: वदल्ली।
● FSS अविवनयम, 2006 विवभन्न अविवनयमों और आदेिों को समेवकि करिा है जो पहले विवभन्न मिं ालयों और विभागों में खाद्य सबं िं ी
मद्दु ों को संभालिे थे, जैस-े
▪ खाद्य अपवमश्ण वनिारण अविवनयम, 1954
▪ फल उत्पाद आदेि, 1955
▪ मांस खाद्य उत्पाद आदेि, 1973
▪ िनस्पवि िेल उत्पाद (वनयि ं ण) आदेि, 1947
▪ खाद्य िेल पैकेवजंग (विवनयमन) आदेि 1988
▪ दि ू और दग्ु ि उत्पाद आदेि, 1992
▪ FSS अविवनयम, 2006 के प्रारंभ होने के बाद इन्हें वनरस्ि कर वदया गया था।
● FSS की स्थापना 2008 में हुई थी, लेवकन इसके वनयमों और महत्िपणू ड वनयमों को अविसवू चि करने के बाद 2011 में खाद्य प्राविकरण के
भीिर काम प्रभािी ढगं से िरू ु हुआ।
● इसने एक बहु-स्िर से वनयिं ण की एकल पवं क्त में एक बदलाि को वचविि वकया वजसमें िद्
ु वनयामक व्यिस्था के बजाय स्ि-अनपु ालन पर
ध्यान कें वद्रि वकया गया था।
FSSAI की संरचना
FSSAI के कायड
● स्िच्ििा और खाद्य सरु क्षा को ध्यान में रखिे हुए सभी खाद्य वनमाडण कंपवनयों के वलए वनयम और वदिावनदेि वनिाडररि करना।
● वकसी भी खाद्य सबं वं िि व्यिसाय को आगे बढाने के वलए लाइसेंस प्रदान करना।
● भोजन के मानक का परीक्षण।
● मानकों को वदिा-वनदेिों के अनुरूप सवु नविि करने के वलए खाद्य-उत्पादक और वनमाडण कंपवनयों के वलए उवचि वनरीक्षण वकया जािा है।
● खाद्य सरु क्षा जागरूकिा फै लाना।
● सभी पजं ीकृ ि सगं ठनों के ररकॉर्ड और र्ेटा बनाए रखना।
● सरकार को अद्यिन रखना - वकसी भी खाद्य सरु क्षा से संबंविि खिरे को आगे की कारड िाई के वलए सरकारी अविकाररयों को सवू चि वकया
जाना चावहए।
● खाद्य मानक नीवियां बनाने में सरकार की सहायिा करना।
FSSAI की पहल
● हाटड अटैक ररिाइर्
ं - यह FSSAI का पहला मास मीवर्या अवभयान है। इसका उद्देश्य िषड 2022 िक भारि में रांस फै ट को खत्म करने के
FSSAI के लक्ष्य का समथडन करना है।
● FSSAI-CHIFSS - यह खाद्य सरु क्षा के वलए उद्योग, िैज्ञावनक समद
ु ाय, विक्षाविदों के बीच सहयोग को बढािा देने के वलए खाद्य सरु क्षा
विज्ञान पर FSSAI और CII-HUL पहल के बीच सहयोग है।
● स्िस्थ भारि यािा - यह एक अवखल भारिीय साइवकल आदं ोलन है वजसे 'ईट राइट इवं र्या' कहा जािा है वजसका उद्देश्य सरु वक्षि और
पौविक भोजन खाने के बारे में उपभोक्ता जागरूकिा पैदा करना है।
608. राष्ट्रीय उपभोक्ता वििाद वनिारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission)
● 1988 में स्थावपि, यह उपभोक्ता संरक्षण अविवनयम, 1986 के प्राििानों के अनुसार स्थावपि एक अिड-न्यावयक आयोग है।
● NCDRC का नेित्ृ ि सिोच्च न्यायालय के सेिावनिृत्त या ििडमान न्यायािीि करिे हैं।
● ििडमान में, NCDRC का नेित्ृ ि एससी के एक पि ू ड न्यायािीि करिे हैं और इसमें साि अन्य सदस्य िावमल हैं।
● NCDRC िीषड पर है जबवक इसके अिीन 35 राज्य आयोग और 629 वजला मच ं हैं।
NCDRC क्षेिाविकार
● 2019 संिोिन अविवनयम के अनसु ार, NCDRC 10 करोड रुपये से अविक की विकायिों पर विचार करे गा।
● साथ ही, आयोग ने राज्य उपभोक्ता वििाद वनिारण आयोगों और वजला मचं ों के आदेिों से अपीलीय और साथ ही सि ं ोविि क्षेिाविकार
भी प्राप्त वकए हैं ।
● कोई भी व्यवक्त जो NCDRC के आदेि से व्यवथि है, िह 30 वदनों की अिवि के भीिर सप्रु ीम कोटड में आदेि के वखलाफ अपील कर
सकिा है।
● राज्य आयोग 1 करोड से 10 करोड रुपये के बीच मामलों का विचार करेगा।
● वजला फोरम रु. 1 करोड।
● विकायिकिाड उस स्थान पर विकायि कर सकिा है जहां िह काम करिा है या रहिा, न वक जहां विरोिी पक्ष रहिा है।
● BSB की कल्पना "भारिीय पारंपररक ज्ञान" को मानकीकृ ि करने और "इसे आिवु नक विक्षा के साथ वमवश्ि करने" के वलए की गई थी, जो
पाठ्यिम का मसौदा िैयार करने, स्कूलों को संबद् करने, परीक्षा आयोवजि करने और प्रमाण पि जारी करने के माध्यम से वकया गया था।
● BSB को रामदेि के आचायडकुलम, विद्या भारिी स्कूल (आरएसएस द्वारा संचावलि) और आयड समाज द्वारा संचावलि गरुु कुल से संबद् होने
की संभािना है।
लोकपाल चयन सवमवि लोकपाल के वलए चयन सवमवि में वनम्न िावमल होंगे :
● प्रिानमिं ी,
● वनचले सदन के अध्यक्ष (लोकसभा)
● वनचले सदन के विपक्ष के नेिा,
● भारि के मख्ु य न्यायािीि या उनके द्वारा नावमि सिोच्च न्यायालय के न्यायािीि, और
● राष्ट्रपवि (गिनडर) द्वारा नावमि एक प्रख्याि विवििेत्ता।
CIC ● प्रिानमिं ी, जो सवमवि के अध्यक्ष होंगे।
● लोकसभा में विपक्ष के नेिा।
● प्रिान मंिी द्वारा नावमि एक कें द्रीय कै वबनेट मिं ी।
राष्ट्रीय मानिाविकार आयोग चयन सवमवि में िावमल हैं:
● प्रिान मंिी (अध्यक्ष)
● लोकसभा अध्यक्ष
● कें द्रीय गृह मिं ी
● राज्यसभा के उपसभापवि
● संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेिा
CVC ● प्रिान मंिी (अध्यक्ष),
● गृह मिं ी (सदस्य)
● लोकसभा में विपक्ष के नेिा।
CBI ● प्रिान मंिी - अध्यक्ष
● लोकसभा के प्रविपक्ष का नेिा या लोकसभा में सबसे बडे विपक्षी दल का नेिा, यवद पिू ड में लोकसभा
में अवनिायड िवक्त की कमी के कारण मौजदू नहीं है – एक सदस्य ।
● भारि के मख्ु य न्यायािीि या सिोच्च न्यायालय के न्यायािीि की वसफाररि मख्ु य न्यायािीि-
सदस्य द्वारा की जािी है।
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विषय
उत्तर: (A)
पवलिक की इन्फ्रास्रक्चर (Public Key Infrastructure - PKI) वर्वजटि दवु नया में उपयोगकिाडओ ं और उपकरणों को प्रमावणि करने के विए एक
िकनीक है। मि ू विचार यह है वक एक या एक से अविक विश्वसनीय पक्ष वर्वजटि रूप से दस्िािेजों पर हस्िाक्षर करिे हैं जो प्रमावणि करिे हैं वक एक
विशेष विप्टोग्राविक कंु जी वकसी विशेष उपयोगकिाड या वर्िाइस से संबंविि है।
Q.2) बेंजीन प्रदषू ण के सपं कड में आने के वनम्नविवखि में से कौन से कारण/कारक हैं?
1. ऑटोमोबाइि वनकास
2. िम्बाकू का िआ ु ँ
3. िकडी जिना
4. िावनडश िकडी के िनीचर का उपयोग करना
5. पॉिीयरु े थेन से बने उत्पादों का उपयोग करना
● बेंजीन एक रसायन है जो कमरे के िापमान पर रंगहीन या हल्का पीिा िरि होिा है। इसमें एक मीठी गंि होिी है और यह अत्यविक
ज्ििनशीि होिी है।
● इसका िाष्ट्प हिा से भारी होिा है और वनचिे इिाकों में र्ूब सकिा है।
● कुछ उद्योग बेंजीन का उपयोग अन्फ्य रसायनों को बनाने के विए करिे हैं वजनका उपयोग प्िावस्टक, रेवजन और नायिॉन और वसंथेवटक
िाइबर बनाने के विए वकया जािा है। बेंजीन का उपयोग कुछ प्रकार के स्नेहक, वघसने िािे, रंजक, वर्टजेंट, दिाएं और कीटनाशक बनाने
के विए भी वकया जािा है।
● िकडी की विवनवशगं में विवभन्फ्न रसायन हो सकिे हैं और उनका उत्सजडन हो सकिा है। उदाहरण के विए, पेंट और कुछ िकडी के उपचार में
िॉमडिार्ेहाइर्, एसीटोन, टोल्यवू न या लयटू ेनॉि हो सकिे हैं।
● िकडी के रंगों में शावमि हो सकिे हैं: नॉनन, र्ेकेन, अंर्ेकेन, र्ाइवमथाइिोक्टेन (Dimethyloctane), र्ाइवमथाइिनोनेन
(Dimethylnonane), राइमेवथिनोनेन (Trimethylnonane), राइमेवथिबेनजीन (Trimethylbenzene)।
● आग के दौरान, पॉिीयरू े थेन िोम िेजी से जििे हैं और घना िआ ु ,ं जहरीिी गैसें और िीव्र गमी पैदा करिे हैं। काबडन मोनोऑक्साइर् सबसे
आम है, िेवकन िएु ं में बेंजीन, टोल्यवू न, नाइरोजन ऑक्साइर् और हाइड्रोजन साइनाइर् भी होिे हैं।
Q.3) पौिे और पशु कोवशकाओ ं के बीच सामान्फ्य अंिर के संबंि में वनम्नविवखि में से कौन सा कथन सही है?
1. पादप कोवशकाओ ं में सेल्यि
ू ोज कोवशका वभवत्त होिी है जबवक जिं ु कोवशकाओ ं में नहीं होिी है।
2. जिं ु कोवशकाओ ं के विपरीि पादप कोवशकाओ ं में प्िाज्मा विल्िी नहीं होिी है।
3. पररपक्ि पादप कोवशका में एक बडी ररविका होिी है जबवक जन्फ्िु कोवशका में कई छोटी ररविकाएँ होिी हैं।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:
a) के िि 1 और 2
b) के िि 2 और 3
c) के िि 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: (c)
उत्तर: (A)
Q.5) यवद आप आपके बैंक में आपके मागं जमा खािे से नकद में 1,00,000, रुपये वनकाििे हैं। िो अथडव्यिस्था में कुि मद्रु ा आपवू िड पर ित्काि
प्रभाि होगा।
a) इसमें 1,00,000 रुपये से कमी होगी।
b) इसमें 1,00,000 रुपये से िृवद्ध होगी।
c) इसमें 1,00,000 रुपये से अविक की िृवद्ध होगी।
d) यह अपररिविडि रहेगी।
उत्तर: (D)
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अब, वदए गए मामिे में, जब 'DD' 1,00,000, घटक रुपये से वगर जाएगा। 'C' घटक में 1,00,000 रुपये की िृवद्ध होगी। वजससे मद्रु ा आपवू िड
अपररिविडि रहिी है। इसविए विकल्प (D) सही उत्तर है।
613. संबद्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों के विए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Allied and Healthcare Professions)
सदं भड: भारिीय ससं द ने राष्ट्रीय सबं द्ध और स्िास््य सेिा पेशा आयोग वििेयक, 2020 पाररि वकया।
● वििेयक संबद्ध और स्िास््य पेशेिरों की वशक्षा और अभ्यास को विवनयवमि और मानकीकृ ि करने का प्रयास करिा है
● यह वबि नेशनि कमीशन िॉर एिाइर् एंर् हेल्थके यर प्रोिे शनल्स के विए स्थावपि वकया गया है।
आयोग में शावमि हैं
● अध्यक्ष
● उपाध्यक्ष
● कें द्र सरकार के विवभन्फ्न विभागों/मिं ाियों का प्रविवनवित्ि करने िािे पाचं सदस्य (संयि
ु सवचि के स्िर पर), स्िास््य सेिा महावनदेशािय
का एक प्रविवनवि
● एम्स, वदल्िी और एआईआईपीएमआर, मंबु ई सवहि वचवकत्सा संस्थानों में से िीन उप वनदेशक या वचवकत्सा अिीक्षक एक घणू ी आिार पर
वनयिु ।
● राज्य पररषदों का प्रविवनवित्ि करने िािे 12 अंशकाविक सदस्य।
आयोग के कायड
● वशक्षा और अभ्यास को विवनयवमि करने के विए नीवियों और मानकों को िैयार करना।
● सभी पजं ीकृ ि पेशेिरों का एक ऑनिाइन कें द्रीय रवजस्टर बनाना और बनाए रखना।
● वशक्षा के बवु नयादी मानकों, पाठ्यिम, स्टाि योग्यिा, परीक्षा, प्रवशक्षण, विवभन्फ्न श्रेवणयों के विए देय अविकिम शल्ु क प्रदान करना।
● एक समान प्रिेश और वनकास परीक्षा प्रदान करना।
राज्य पररषदें: ▪ वििेयक के पाररि होने से छह महीने के भीिर राज्य सरकारें राज्य संबद्ध और स्िास््य पररषदों का
गठन करें गी।
राज्य पररषदों में शावमि होंगे:
1. अध्यक्ष (संबद्ध और स्िास््य विज्ञान के क्षेि में कम से कम 25 िषड का अनुभि),
2. राज्य सरकार में वचवकत्सा विज्ञान का प्रविवनवित्ि करने िािे एक सदस्य,
3. राज्य के मेवर्कि कॉिेजों का प्रविवनवित्ि करने िािे दो सदस्य,
4. िमाडथड संस्थानों का प्रविवनवित्ि करने िािे दो सदस्य, और
5. संबद्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों की प्रत्येक मान्फ्यिा प्राप्त श्रेवणयों में से दो सदस्य, वजन्फ्हें राज्य
सरकार द्वारा नावमि वकया गया है।
राज्य पररषदें:
I. संबद्ध स्िास््य देखभाि पेशेिरों द्वारा देखे जाने िािे पेशेिर आचरण और आचार सवं हिा को िागू
करना,
II. सबं वं िि राज्य रवजस्टर बनाए रखें,
III. सबं द्ध और स्िास््य सस्ं थानों का वनरीक्षण,
IV. एक समान प्रिेश और वनकास परीक्षा सवु नविि करना।
614. कें द्रीय विल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board For Film Certification)
खबरों में क्यों: ओटीटी प्िेटिॉमड को सेंसर करने के संदभड में।
कें द्रीय विल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के बारे में
● इसे वसनेमैटोग्राि अविवनयम 1952 के प्राििानों के िहि विल्मों के सािडजवनक प्रदशडन को विवनयवमि करने का काम सौंपा गया है।
● वसनेमाघरों और टेिीविजन पर वदखाई जाने िािी विल्मों को बोर्ड द्वारा प्रमाणन के बाद ही भारि में सािडजवनक रूप से प्रदवशडि वकया जा
सकिा है।
● संरचना: CBFC में गैर-आविकाररक सदस्य और एक अध्यक्ष होिे हैं, वजनकी वनयवु ि कें द्र सरकार द्वारा की जािी है।
● क्षेिीय कायाडिय: इसके नौ क्षेिीय कायाडिय हैं, वजनमें से प्रत्येक में मबंु ई, कोिकािा, चेन्फ्नई, बैंगिोर, विरुिनंिपरु म, हैदराबाद, नई वदल्िी,
कटक और गिु ाहाटी में एक-एक कायाडिय हैं।
○ क्षेिीय कायाडियों को सिाहकार पैनि द्वारा विल्मों की जांच में सहायिा प्रदान की जािी है।
○ पैनि के सदस्यों को कें द्र सरकार द्वारा 2 साि की अिवि के विए विवभन्फ्न क्षेिों के िोगों को आकवषडि करके नावमि वकया जािा
है।
● आवटडविवशयि इटं ेविजेंस: स्माटड मोवबविटी और रांसपोटेशन सवहि स्िास््य सेिा, वशक्षा, कृ वष, स्माटड वसटी और इर
ं ास्रक्चर में सिु ार।
● राष्ट्रीय जैि विविििा वमशन: भारि में सभी जीिन रूपों की सचू ी बनाना और उनका मानवचिण करना।
● इिेवक्रक िाहन: इिेवक्रक िाहन (ईिी) को आवथडक रूप से व्यिहायड और स्के िेबि बनाना।
● मानि स्िास््य के विए जैि विज्ञान: जीनोम के व्यापक सदं भड मानवचिों का वनमाडण करना।
● र्ीप ओशन एक्सप्िोरे शन: लिू रंवटयर के बारे में हमारी समि में सिु ार।
● AGNIi (इवग्नवटंग आइवर्याज): उद्योग, व्यवियों और जमीनी स्िर पर निोन्फ्मेषकों को बाजार से जोडना; और अवभनि समािानों के
व्यािसायीकरण में मदद करना।
616. व्यापार उपचार महावनदेशािय (र्ीजीटीआर) (Directorate General of Trade Remedies - DGTR)
● यह र्ंवपगं रोिी, प्रविकारी शल्ु क और सरु क्षा उपायों सवहि सभी व्यापार उपचारात्मक उपायों को प्रशावसि करने के विए िावणज्य और
उद्योग मंिािय के िहि सिोच्च राष्ट्रीय प्राविकरण है।
● इससे पहिे, र्वं पगं रोिी और सबं द्ध शल्ु क महावनदेशािय (DGAD) र्ंवपगं रोिी और सीिीर्ी मामिों से वनपटिे थे, सरु क्षा महावनदेशािय
(DGS) सरु क्षा उपायों से वनपटिे थे और र्ीजीएिटी मािात्मक प्रविबिं (QR) सरु क्षा उपायों से वनपटिे थे। र्ीजीटीआर र्ीजीएिटी के
र्ीजीएर्ी, र्ीजीएस, और सेिगार््डस (QR) कायों को एक ही राष्ट्रीय इकाई में वििय करके अपने पािे में िािा है।
संगठन कायड
एंटी र्ंवपगं और संबद्ध किडव्यों के महावनदेशािय [Directorate एंटी-र्ंवपंग और CVD मामिों से वनपटना
General of Anti Dumping and Allied Duties - DGAD]
महावनदेशािय सरु क्षा उपाय [DGS] सरु क्षा उपायों से वनपटना
विदेश व्यापार महावनदेशािय [DGFT] - सरु क्षा उपायों का कायड मािात्मक प्रविबंि सरु क्षा उपायों से वनपटना
● अब, DGTR एक पेशेिर रूप से एकीकृ ि संगठन है वजसके पास विवभन्फ्न सेिाओ ं और विशेषज्ञिाओ ं से प्राप्त अविकाररयों से वनकिने िािे
मल्टी-स्पेक्रम कौशि सेट हैं। इसके कायों को वनम्नानुसार सचू ीबद्ध वकया जा सकिा है:
o र्ंवपंग रोिी, सीिीर्ी और रक्षोपाय उपायों से वनपटना।
o भारिीय घरे िू उद्योग और वनयाडिकों को विदेशी देशों द्वारा उनके वखिाि स्थावपि व्यापार उपचार जाचं के बढिे मामिों से
वनपटने के विए व्यापार रक्षा सहायिा प्रदान करना।
o अनवु चि व्यापार प्रथाओ ं के प्रविकूि प्रभािों के वखिाि देश के घरेिू उद्योगों को एक समान अिसर प्रदान करना। इसके द्वारा
कायाडवन्फ्िि वकया जािा है:
▪ विश्व व्यापार सगं ठन (WTO) ढांचे द्वारा प्रदान की जाने िािी व्यापार उपचारात्मक विवियों का उपयोग करना।
▪ सीमा शल्ु क शल्ु क अविवनयम और वनयमों और अन्फ्य काननू ों और मामिे से संबंविि अंिराडष्ट्रीय समिौिों का उपयोग
करना।
▪ यह सब पारदशी और समयबद्ध िरीके से उपिलि कराना।
● अन्फ्य कायड:
o एंटी-र्ंवपंग, एंटी-सवलसर्ी/सीिीर्ी का आयोजन करना और भारि सरकार को सरु क्षा जाचं और वसिाररश करना।
o CEST (सीमा शल्ु क, उत्पाद शल्ु क और सेिा कर अपीिीय न्फ्यायाविकरण), उच्च न्फ्यायाियों और भारि के सिोच्च न्फ्यायािय
के समक्ष मक
ु दमेबाजी के मामिों को सभं ािना।
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o िैचाररक जागरूकिा पैदा करने और िै िाने के विए आउटरीच कायडिम का आयोजन करना और DGTR के कामकाज की
व्याख्या करना।
o विश्व व्यापार सगं ठन के साथ सचू ना का आदान-प्रदान।
617. पेरोवियम और प्राकृ विक गैस वनयामक बोर्ड (Petroleum and Natural Gas Regulatory Board)
● PNGRB पेरोवियम और प्राकृ विक गैस मंिािय के िहि काम करिा है।
● इसका गठन पेरोवियम और प्राकृ विक गैस वनयामक बोर्ड अविवनयम, 2006 के िहि वकया गया था।
● इसका उद्देश्य पेरोवियम, पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस से सबं ंविि विवशष्ट गविविवियों में िगे उपभोिाओ ं और संस्थाओ ं के वहिों
की रक्षा करना और पेरोवियम क्षेि में प्रविस्पिी बाजारों को बढािा देना है।
● यह पेरोवियम, पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस के शोिन, प्रसंस्करण, भंर्ारण, पररिहन, वििरण, विपणन और वबिी को भी वनयंविि
करिा है; कच्चे िेि और प्राकृ विक गैस के उत्पादन को छोडकर।
● इसका उद्देश्य देश के सभी वहस्सों में पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस की वनबाडि और पयाडप्त आपवू िड सवु नविि करना है।
● PNGRB CGD (वसटी गैस वर्स्रीलयश ू न) नेटिकड , प्राकृ विक गैस और पेरोवियम उत्पाद पाइपिाइनों को अविकृ ि करिा है, टैररि
वनिाडररि करिा है, िकनीकी और सरु क्षा मानकों आवद को वनिाडररि करिा है।
● एक सचड कमेटी अध्यक्ष और HECI के सदस्यों के पद के विए कें द्र सरकार को नामों की वसिाररश करेगी।
● सचड कमेटी में कै वबनेट सवचि (अध्यक्ष), उच्च वशक्षा सवचि और िीन प्रविविि वशक्षाविदों सवहि पाचं सदस्य होंगे।
● HECI के उपाध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु ि के विए सचड कमेटी में HECI के अध्यक्ष भी शावमि होंगे।
● सदस्य बनने के विए एक व्यवि को कम से कम दस िषों के विए प्रोिे सर होना चावहए, या संस्थान वनमाडण के विए वसद्ध क्षमिा िािे
प्रख्याि प्रशासक होना चावहए।
HECI के सदस्यों में शावमि हैं:
● अध्यक्ष,
● उपाध्यक्ष,
● कें द्र सरकार के िीन सवचि,
● अवखि भारिीय िकनीकी वशक्षा पररषद और राष्ट्रीय वशक्षक वशक्षा पररषद के अध्यक्ष,
● वकसी भी दो मान्फ्यिा वनकायों के अध्यक्ष,
● अकादवमक उत्कृ ष्टिा के विश्वविद्याियों के दो कुिपवि,
● विश्वविद्याियों के दो सेिारि प्रोिे सर, और
● उद्योग से एक अनुभिी व्यवि।
● अकादमी प्रदशडन किा के क्षेि में राष्ट्रीय महत्ि के संस्थानों और पररयोजनाओ ं की स्थापना और देखभाि करिी है। कुछ महत्िपणू ड हैं:
o नेशनि स्कूि ऑि ड्रामा, नई वदल्िी की स्थापना 1959 में हुई थी,
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● सगं ीि नाटक अकादमी परु स्कार अभ्यास करने िािे किाकारों को प्रदान की जाने िािी सिोच्च राष्ट्रीय मान्फ्यिा है। अकादमी सगं ीि, नृत्य
और नाटक के प्रख्याि किाकारों और विद्वानों को िे िोवशप भी प्रदान करिी है। अकादमी की िै िोवशप (अकादमी रत्न) में 3,00,000
रुपये और अकादमी परु स्कार (अकादमी परु स्कार) में 1,00,000 रुपये प्राप्त होिा है।
● 2006 में, अकादमी ने यिु ा किाकारों - उस्िाद वबवस्मल्िाह खान यिु ा परु स्कार के विए िावषडक परु स्कार भी स्थावपि वकए। इन परु स्कारों में
25,000 रुपये प्रदान वकये जािे है।
● भारिीय पशु कल्याण बोर्ड पशु कल्याण कानूनों पर एक िैिावनक सिाहकार वनकाय है और देश में पशु कल्याण को बढािा देिा है।
● पशु िूरिा वनिारण अविवनयम, 1960 (1960 की संख्या 59) की िारा 4 के िहि 1962 में स्थावपि, भारिीय पशु कल्याण बोर्ड स्िगीय
श्रीमिी रुवक्मणी देिी अरुंर्ेि, प्रवसद्ध मानििािादी के नेित्ृ ि में शरू
ु वकया गया था।
● बोर्ड में 28 सदस्य होिे हैं। सदस्यों का कायडकाि 3 िषड की अिवि के विए होिा है।
● जनादेश: जानिरों के प्रवि िूरिा की रोकथाम (PCA) अविवनयम, 1960 के प्राििानों के अनसु ार, जानिरों पर अनािश्यक ददड या पीडा को
रोकने के विए।
DAY 99 - POLITY
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Day 99 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
विषय
701. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
702. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
703. 127िाां सवां िधान ससां ोधन वबल (127th CA Bill)
704. वनिारक वनरोध (Preventive detention)
705. अनच्ु छे द 371 (Article 371)
706. अनुच्छे द 371 (Article 371)
707. राष्ट्रीय मवहला आयोग (एनसीडब्लल्य)ू (National Commission for Women - NCW)
708. उज्जज्जिला 2.0 (Ujjwala 2.0)
709. गरीब कल्याण रोजगार अवियान (जीके आरए)(Garib Kalyan Rozgar Abhiyan - GKRA)
710. तपस पहल (TAPAS Initiative)
Q.1) स्ितांत्रता सांग्राम के दौरान सखाराम गणेश देउस्कर द्वारा वलवखत पस्ु तक "देशेर कथेर" के सांदिभ में, वनम्नवलवखत कथन पर विचार करें:
1. इसने औपवनिेवशक राज्जयों के मन की कृ वत्रम वनद्रािस्था की विजय के वखलाफ चेतािनी दी।
2. इसने स्िदेशी नुक्कड़ नाटकों और लोक गीतों के प्रदशभन को प्रेररत वकया।
3. देउस्कर द्वारा' देश ' का उपयोग बगां ाल के क्षेत्र के विवशष्ट सांदिभ में वकया गया था।
ऊपर वदए गए कथनों में से कौन सा सही हैं?
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
Answer: (a)
सखाराम गणेश देउस्कर (1869-1912) श्री अरवबदां ो के करीबी सहयोगी, एक मराठा ब्राह्मण जो बगां ाल में बस गया था, सखाराम का जन्म देिघर में
हुआ था। उन्होंने देिघर स्कूल में पढाई की और बाद में िहाां वशक्षक बने। उन्होंने देशरे कथा नामक एक पस्ु तक प्रकावशत की वजसमें िारत के वब्रवटश
िावणवज्जयक और औद्योवगक शोषण का विस्तृत वििरण वदया गया था।
इसने एक लोकवप्रय महु ािरे में एमजी रानाडे और डी. नौरोजी के काम को सक्ष ां ेप में प्रस्तुत वकया और औपवनिेवशक राज्जय की "मन की कृ वत्रम
वनद्रािस्था की विजय" के वखलाफ अपने अांवतम अध्याय में चेतािनी दी।
इस पस्ु तक का बगां ाल में बहुत बड़ा प्रिाि पड़ा, इसने यिु ा बांगाल के वदमाग पर कब्लजा कर वलया और स्िदेशी आदां ोलन की तैयारी में वकसी और चीज
से ज्जयादा मदद की। जनू 1904 में पहली बार प्रकावशत हुई, देशेर कथा ने िषभ के िीतर चार सस्ां करणों में दस हजार प्रवतयाां बेचीं। पाचां िाां सस्ां करण 1905
में सामने आया। बगां ाल सरकार ने 1910 में इस पस्ु तक पर प्रवतबधां लगा वदया और सिी प्रवतयाां जब्लत कर लीं। देउस्कर सबसे पहले स्िराज का नाम
लेकर आए, और श्री अरवबदां ो ने सबसे पहले इसे इसके अग्रां ेजी समकक्ष, 'स्ितत्रां ता' के साथ सपां न्न वकया। राष्ट्रिावदयों ने इस शब्लद को अपनाया, और
स्िराज चौगनु ी राष्ट्रिादी कायभक्रम की मख्ु य िस्तु बन गई।
औपवनिेवशक राज्जय ने 1910 में इस पाठ को प्रवतबवां धत कर वदया था, लेवकन तब तक इसकी 15,000 से अवधक प्रवतयाां वबक चक ु ी थीं, स्िदेशी
नक्ु कड़ नाटकों और लोक गीतों की जानकारी दी थी, और स्िदेशी कायभकताभओ ां की एक परू ी पीढी के वलए अवनिायभ पठन की वस्थवत ग्रहण कर ली थी।
Solution (b)
प्रस्तावित शतें:
● िारतीय राष्ट्रीय काग्रां ेस द्वारा नमक माचभ की समावि।
● िारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस की गवतविवधयों पर प्रवतबांध लगाने िाले िारत सरकार द्वारा जारी सिी अध्यादेशों को िापस लेना।
● नमक माचभ में िाग लेने के आरोप में वगरफ्तार कै वदयों की ररहाई।
● नमक पर कर को हटाना, वजसने िारतीयों को कानूनी रूप से और अपने वनजी उपयोग के वलए नमक का उत्पादन, व्यापार और वबक्री करने
की अनुमवत दी।
करार
● सिी अध्यादेश िापस लें और मक
ु दमों को समाि करें ।
● समद्रु तट के पास के व्यवियों द्वारा नमक के वन: शल्ु क सांग्रह या वनमाभण की अनमु वत।
Q.3) अछूत लोगों को लवक्षत दशभकों के रूप में रखने िाली पहली मावसक पवत्रका िाइटल-विधिांशक वकसके द्वारा प्रकावशत की गई थी।
a) गोपाल बाबा िालगां कर
b) ज्जयोवतबा फुले
c) मोहनदास करमचदां गाांधी
d) िीमराि रामजी अम्बेडकर
Solution (a)
गोपाल बाबा िालगां कर, वजन्हें गोपाल कृ ष्ट्ण के नाम से िी जाना जाता है, (1840-1900) िारत के अछूत लोगों को उनके ऐवतहावसक सामावजक-
आवथभक उत्पीड़न से मि
ु करने के वलए काम करने िाले एक कायभकताभ का एक प्रारांविक उदाहरण है, और आमतौर पर उस आांदोलन का अग्रणी माना
जाता है। उन्होंने उत्पीड़न की व्याख्या करने के वलए एक नस्लीय वसद्ाांत विकवसत वकया और अछूत लोगों पर लवक्षत पहली पवत्रका िी प्रकावशत की।
1888 में, गोपाल बाबा िालगां कर ने महत्िपणू भ-विधिांशक (ब्राह्मणिादी या औपचाररक प्रदषू ण का विनाशक) नामक मावसक पवत्रका प्रकावशत करना
शरू
ु वकया, जो पहले अछूत लोगों को अपने लवक्षत दशभकों के रूप में रखता था।
उन्होंने सधु ारक और दीनबांधु जैसे मराठी िाषा के समाचार पत्रों के वलए लेख िी वलखे, साथ ही मराठी में दोहे िी वलखे वजनका उद्देश्य लोगों को प्रेररत
करना था।
Q.4) िारत के इवतहास के सांदिभ में, "कुल्यािापा" और "द्रोणािापा" शब्लद वनरूवपत करते हैं
a) िवू म का मापन
b) विविन्न मौवद्रक मल्ू य के वसक्के
c) शहरी िवू म का िगीकरण
d) धावमभक अनुष्ठान
Answer: (a)
गिु काल के ग्रांथों और वशलालेखों में विविन्न िवू म माप शब्लदों का उल्लेख है
● अांगल
ु ा (शायद 3⁄4 इचां ) सबसे छोटा माप था।
● हस्त (हाथ) कोहनी की नोक और मध्यमा (18 इचां ) के बीच की मानकीकृ त दरू ी थी।
● माप की बड़ी इकाइयों में धनु / डांडा और नाला शावमल थे।
पिू ी िारत में उपयोग वकए जाने िाले िवू म उपायों में अधिपा (3/8–1/2 एकड़), द्रोणिपा (11⁄2–2 एकड़), और कुल्यिपा (12-16 एकड़) शावमल
हैं। ये िे क्षेत्र थे जहााँ क्रमशः एक अधक, द्रोण और कुल्य अनाज बोने के वलए आिश्यक थे। पटाका एक अन्य िवू म उपाय था, और ऐसा लगता है वक
यह 60-80 एकड़ के बराबर है।
अन्य शब्लदों में प्रितभिप (यह कुल्यिपा से बहुत छोटा था), पदितभ (1 फीट से अवधक), और िवू म शावमल थे।
बड़ी सांख्या में िवू म माप शतों से सक ां े त वमलता है वक माप का एक िी मानक सेट नहीं था और विविन्न क्षेत्रों में विविन्न उपाय चालू थे।
अतः सही उत्तर है (A)
Q.5) िारत के डेजटभ नेशनल पाकभ के सदां िभ में, वनम्नवलवखत में से कौन सा कथन सही है?
1. यह दो वजलों में फै ला हुआ है।
2. पाकभ के अदां र कोई मानि वनिास नहीं है।
3. यह ग्रेट इवां डयन बस्टडभ के प्राकृ वतक आिासों में से एक है।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
Solution (c)
व्याख्या:
डेजटभ नेशनल पाकभ , राजस्थान, िारतीय राज्जय राजस्थान में जैसलमेर और बाड़मेर शहरों के पास वस्थत है।
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Day 99 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)
लिु प्राय ग्रेट इवां डयन बस्टडभ अपेक्षाकृ त उवचत सांख्या में पाया जाने िाला एक शानदार पक्षी है।
राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में लोग और जानिर सह-अवस्तत्ि में रह सकते हैं अतः कथन 2 गलत है।
● मराठा आरक्षण के फै सले में सप्रु ीम कोटभ द्वारा 102 िें CAA को बरकरार रखने के बाद सांशोधन की आिश्यकता थी, लेवकन कहा गया वक
राष्ट्रपवत, राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग (NCBC) की वसफाररशों के आधार पर यह वनधाभररत करेंगे वक राज्जय ओबीसी सचू ी में कौन से समदु ाय
शावमल होंगे।
2018 का 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम क्या है?
● इसमें अनुच्छे द 338B और अनुच्छे द 342A (दो खांडों के साथ) को अनुच्छे द 342 के बाद शावमल वकया गया।
● अनच्ु छे द 338B राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग की सरां चना, कतभव्यों और शवियों से सबां वां धत है।
● अनच्ु छे द 342A कहता है वक राष्ट्रपवत, राज्जयपाल के परामशभ से, सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछड़े िगों को वनवदभष्ट करें गे।
सांिैधावनक (127 िाां) सांशोधन विधेयक, 2021 के बारे में:
● यह अनच्ु छे द 342A के खडां 1 और 2 में सश ां ोधन करे गा और एक नया खडां 3 िी पेश करे गा।
● यह विधेयक अनुच्छे द 366 (26c) और 338B (9) में िी सांशोधन करे गा।
● यह स्पष्ट करने के वलए वडजाइन वकया गया है वक राज्जय ओबीसी की "राज्जय सचू ी" को बनाए रख सकते हैं जैसा वक सप्रु ीम कोटभ के फै सले से
पहले की व्यिस्था थी।
● अनुच्छे द 366 (26c) सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछड़े िगों को पररिावषत करता है।
● "राज्जय सचू ी" को परू ी तरह से राष्ट्रपवत के दायरे से बाहर कर वदया जाएगा और राज्जय विधानसिा द्वारा अवधसवू चत वकया जाएगा।
सांविधान में वनधाभररत प्रवक्रया के अनुसार, सांविधान सांशोधन विधेयक तीन प्रकार के हो सकते हैं।
● प्रत्येक सदन में पाररत होने के वलए साधारण बहुमत की आिश्यकता होती है।
● प्रत्येक सदन में पाररत होने के वलए एक विशेष बहुमत की आिश्यकता होती है, अथाभत वकसी सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उस
सदन के उपवस्थत और मतदान करने िाले सदस्यों के कम से कम दो-वतहाई बहुमत से (अनुच्छे द 368)।
● उनके पाररत होने के वलए विशेष बहुमत की आिश्यकता होती है और उन विधानमांडलों द्वारा पाररत सांकल्पों द्वारा कम से कम आधे राज्जयों के
विधानमांडलों द्वारा अनुसमथभन की आिश्यकता होती है (अनुच्छे द 368 का खांड (2))।
● अनुच्छे द 368 के तहत एक सांविधान सांशोधन विधेयक सांसद के वकसी िी सदन में पेश वकया जा सकता है और प्रत्येक सदन द्वारा विशेष
बहुमत से पाररत वकया जाना है।
● एक 'वगरफ्तारी' तब की जाती है जब वकसी व्यवि पर अपराध का आरोप लगाया जाता है। वगरफ्तार व्यवि को अगले 24 घांटों के िीतर
मवजस्रेट के सामने पेश वकया जाता है।
● वनिारक वनरोध के मामले में, एक व्यवि को वहरासत में वलया जाता है क्योंवक उसे के िल कुछ ऐसा करने से प्रवतबांवधत वकया जाता है जो
कानून और व्यिस्था की वस्थवत को खराब कर सकता है।
सप्रु ीम कोटभ के फै सले और वनदेश
● अदालत को यह सवु नवित करना चावहए वक उसके सामने लाए गए तथ्य सीधे और अवनिायभ रूप से
○ एक नुकसान,
○ खतरा या अलामभ
○ या आम जनता में असरु क्षा की िािना, से जड़ु े हैं।
● वनिारक वनरोध का वनणभय करते समय न्यायालय को यह पछ ू ना चावहए वक क्या: वस्थवत से वनपटने के वलए देश का सामान्य कानून पयाभि
था? यवद उत्तर सकारात्मक है, तो वनरोध आदेश अिैध होगा।
● वकसी के वखलाफ सािभजवनक नजरबांदी कानून लागू करने के वलए, यह पयाभि नहीं है वक उसके कायों से कानून और व्यिस्था को खतरा हो,
लेवकन सािभजवनक व्यिस्था को प्रिावित करना चावहए।
● वनिारक वनरोध अनुच्छे द 21 (काननू की वनयत प्रवक्रया) के ढाचां े के िीतर होना चावहए अनुच्छे द 22 (मनमानी वगरफ्तारी और वहरासत के
वखलाफ सरु क्षा उपाय) और विचाराधीन काननू के साथ पढा गया।
● इसने राज्जय को वनदेश वदया वक उसे सिी और विविध "काननू और व्यिस्था" समस्याओ ां से वनपटने के वलए मनमाने ढगां से "वनिारक
वनरोध" का सहारा नहीं लेना चावहए, वजससे देश के सामान्य कानूनों से वनपटा जा सके ।
सांिैधावनक प्रािधान:
● अनुच्छे द 22 वगरफ्तार या वहरासत में वलए गए व्यवियों को सरु क्षा प्रदान करता है। वनरोध दो प्रकार का होता है, दडां ात्मक और वनिारक।
o दडां ात्मक वनरोध वकसी व्यवि को उसके द्वारा वकए गए अपराध के वलए अदालत में मक
ु दमे और दोषवसवद् के बाद दवां डत करना
है।
o दसू री ओर, वनिारक वनरोध का अथभ है वकसी व्यवि को वबना वकसी मक ु दमे और अदालत द्वारा दोषवसवद् के वहरासत में रखना।
● अनच्ु छे द 22 के दो िाग हैं- पहला िाग साधारण काननू के मामलों से सबां वां धत है और दसू रा िाग वनिारक वनरोध काननू के मामलों से
सबां वां धत है।
दडां ात्मक वहरासत के तहत वदए अवधकार वनिारक वनरोध के तहत वदए गए अवधकार
वगरफ्तारी के आधार के बारे में सवू चत करने का अवधकार। वकसी व्यवि की नजरबांदी तीन महीने से अवधक नहीं हो सकती जब तक वक एक
सलाहकार बोडभ विस्ताररत नजरबांदी के वलए पयाभि कारण की ररपोटभ नहीं करता है।
बोडभ में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शावमल होते हैं।
एक िकील से परामशभ करने और बचाि करने का नजरबांदी के आधारों को नजरबांद को सवू चत वकया जाना चावहए।
अवधकार।
तथावप, जनवहत के विरुद् माने जाने िाले तथ्यों को प्रकट करने की आिश्यकता
नहीं है।
यात्रा के समय को छोड़कर 24 घटां े के िीतर मवजस्रेट के वहरासत में वलए गए व्यवि को वनरोध आदेश के वखलाफ अभ्यािेदन देने का अिसर
समक्ष पेश होने का अवधकार। वदया जाना चावहए।
24 घांटे के बाद ररहा होने का अवधकार जब तक वक
मवजस्रेट आगे की वहरासत को अवधकृ त नहीं करता।
ये सरु क्षा उपाय विदेशी शत्रु के वलए उपलब्लध नहीं हैं। यह सरु क्षा नागररकों के साथ-साथ बाहरी दोनों के वलए उपलब्लध है।
▪ 1978 के 44िें सांशोधन अवधवनयम ने एक सलाहकार बोडभ की राय प्राि वकए वबना नजरबांदी की अिवध को तीन से घटाकर दो महीने कर
वदया है। हालााँवक, यह प्रािधान अिी तक लागू नहीं वकया गया है, इसवलए, तीन महीने की मल
ू अिवध अिी िी जारी है।
अनुच्छे द 371 महाराष्ट्र और गजु रात: ● विदिभ, मराठिाड़ा और शेष महाराष्ट्र + कच्छ और शेष गजु रात के वलए अलग विकास बोडों
की स्थापना।
● राज्जय सेिाओ ां में तकनीकी वशक्षा, व्यािसावयक प्रवशक्षण और रोजगार के पयाभि अिसर के
वलए पयाभि सवु िधाएां प्रदान करने िाली समान व्यिस्था।
अनच्ु छे द 371A नगालैंड ● 13िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1962 द्वारा पेश वकया गया।
● 1960 में कें द्र और नागा पीपल्ु स कन्िेंशन के बीच 16-सत्रू ीय समझौते के बाद जोड़ा गया,
वजसके कारण 1963 में नागालैंड का वनमाभण हुआ।
● सांसद नागा धमभ या सामावजक प्रथाओ,ां नागा प्रथागत कानून और प्रवक्रया, नागररक और
आपरावधक न्याय के प्रशासन में नागा प्रथागत कानून के अनुसार वनणभय, और राज्जय
विधानसिा की सहमवत के वबना िवू म के स्िावमत्ि और हस्ताांतरण के मामलों में कानून नहीं
बना सकती है।
● यह नागालैंड पर तिी लागू होगा जब राज्जय विधानसिा ऐसा करने के वलए एक प्रस्ताि पाररत
करे गी।
● राज्जय में जमीन और उसके सांसाधन लोगों के हैं न वक सरकार के ।
अनुच्छे द 371B असम ● 22िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1969 द्वारा पेश वकया गया।
● जनजावतयों को स्िायत्तता और आिाज देना।
● राष्ट्रपवत राज्जय के आवदिासी क्षेत्रों से चनु े गए सदस्यों से वमलकर विधानसिा (आवदिासी
कल्याण सवमवतयों) की एक सवमवत के गठन और कायों के वलए प्रदान कर सकता है।
अनुच्छे द 371C मवणपरु ● 27 िें सांिैधावनक सांशोधन अवधवनयम, 1971 द्वारा पेश वकया गया ।
● राष्ट्रपवत विधानसिा में पहाड़ी क्षेत्रों से वनिाभवचत सदस्यों की एक सवमवत के गठन के वलए
प्रदान कर सकते हैं, और इसके समवु चत कायभ को सवु नवित करने के वलए राज्जयपाल को
"विशेष वजम्मेदारी" सौंप सकते हैं।
● राज्जयपाल को पिभतीय क्षेत्रों के प्रशासन के सांबांध में िावषभक प्रवतिेदन प्रस्तुत करना होगा।
अनच्ु छे द 371D आध्रां प्रदेश और ● 32 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1973 द्वारा डाला गया; आध्रां प्रदेश पनु गभठन अवधवनयम,
तेलगां ाना: 2014 द्वारा प्रवतस्थावपत
● राष्ट्रपवत को "सािभजवनक रोजगार और राज्जय के विविन्न वहस्सों के लोगों को वशक्षा" में
"समान अिसर और सवु िधाएां" सवु नवित करनी चावहए।
● िह राज्जय सरकार को "राज्जय के विविन्न वहस्सों के वलए अलग-अलग स्थानीय सांिगों में, राज्जय
के तहत वसविल सेिा में वकसी िी िगभ या िगों के पदों, या वकसी िी िगभ या वसविल पदों के
िगों" को व्यिवस्थत करने की आिश्यकता हो सकती है।
● उसके पास शैक्षवणक सस्ां थानों में प्रिेश के समान अवधकार हैं।
अनुच्छे द 371E आांध्र प्रदेश ● ससां द के एक काननू द्वारा आध्रां प्रदेश में एक विश्वविद्यालय की स्थापना के वलए अनमु वत देता
है। लेवकन इस िाग के अन्य लोगों के अथभ में यह "विशेष प्रािधान" नहीं है।
अनुच्छे द 371F वसवक्कम ● 36िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1975 द्वारा पेश वकया गया।
● वसवक्कम राज्जय की विधान सिा में कम से कम तीस सदस्य होंगे;
● जब तक सांसद द्वारा काननू द्वारा अन्य प्रािधान नहीं वकए जाते हैं, तब तक वसवक्कम राज्जय को
लोक सिा में एक सीट आिांवटत की जाएगी और वसवक्कम राज्जय वसवक्कम के वलए सांसदीय
वनिाभचन क्षेत्र कहे जाने िाले एक सांसदीय वनिाभचन क्षेत्र का गठन करेगा;
● वसवक्कम की आबादी के विविन्न िगों के अवधकारों और वहतों की रक्षा के वलए, ससां द
विधानसिा में सीटों की सांख्या प्रदान कर सकती है, जो के िल उन िगों के उम्मीदिारों द्वारा
िरी जा सकती हैं।
● अनच्ु छे द 371F वसवक्कम सरकार को राज्जय में सिी िवू म के स्िावमत्ि का अवधकार देता है,
िले ही िह िारत में राज्जय के विलय से पहले वनजी व्यवियों के स्िावमत्ि में हो।
● राष्ट्रपवत, सािभजवनक अवधसचू ना द्वारा, इस तरह के प्रवतबांधों या सांशोधनों के साथ विस्तार कर
सकते हैं, जैसा वक िह वसवक्कम राज्जय के वलए उपयि ु समझते हैं, जो वक अवधसचू ना की
तारीख में िारत के वकसी राज्जय में लागू है;
अनुच्छे द 371G वमजोरम ● 53िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1986 द्वारा सवम्मवलत।
● वमजो की धावमभक या सामावजक प्रथाओ,ां वमजो प्रथागत काननू , स्िावमत्ि और िवू म और
उसके ससां ाधनों के हस्तातां रण से सबां वां धत मामलों में ससां द का एक अवधवनयम वमजोरम पर
लागू नहीं होगा।
अनुच्छे द 371H अरुणाचल प्रदेश ● 55 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1986 द्वारा जोड़ा गया।
● राज्जयपाल के पास राज्जय की काननू व्यिस्था की वस्थवत पर विशेष अवधकार हैं
● और इस प्रािधान के आधार पर मख्ु यमांत्री के फै सले को पलट सकते हैं।
अनुच्छे द 371I गोिा ● गोिा राज्जय की विधान सिा में कम से कम 30 सदस्य होने चावहए।
अनुच्छे द 371J कनाभटक ● 98 िें सांिैधावनक सांशोधन अवधवनयम, 2012 द्वारा सवम्मवलत वकया गया।
● अनुच्छे द 371 J हैदराबाद-कनाभटक क्षेत्र के छह वपछड़े वजलों को विशेष दजाभ देता है।
● इन क्षेत्रों के वलए एक अलग विकास बोडभ की स्थापना की जाए।
● और वशक्षा और सरकारी नौकररयों में स्थानीय आरक्षण सवु नवित करता है।
707. राष्ट्रीय मवहला आयोग (एनसीडब्लल्य)ू (National Commission for Women - NCW)
सांदिभ: राष्ट्रीय मवहला आयोग (NCW) ने वलांग आधाररत वहसां ा में दो गनु ा से अवधक िृवद् दजभ की है।
● यह तकभ वदया गया है वक राष्ट्रीय लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार, िेतन को लेकर अवनवित, मजबरू अलगाि और तनािग्रस्त घरों में
छोड़ वदया है, वजसके पररणामस्िरूप मवहलाओ ां के वखलाफ वहसां ा में तेजी से िृवद् हुई है।
NCW के बारे में
● इसे जनिरी 1992 में NCW अवधवनयम, 1990 के तहत एक िैधावनक वनकाय के रूप में स्थावपत वकया गया था।
● इसका वमशन उपयि ु नीवत वनमाभण, विधायी उपायों आवद के माध्यम से मवहलाओ ां को उनके उवचत अवधकारों को सरु वक्षत करके जीिन के
सिी क्षेत्रों में समानता और समान िागीदारी प्राि करने में सक्षम बनाने की वदशा में प्रयास करना है।
● रचना:
○ आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य सवचि और पाचां अन्य सदस्य होते हैं।
○ NCW के अध्यक्ष को कें द्र सरकार द्वारा नावमत वकया जाता है।
○ कें द्र सरकार सदस्य सवचि को िी मनोनीत करती है।
○ कें द्र सरकार द्वारा मनोनीत पाचां सदस्यों को कानून, काननू , प्रबांधन, मवहला स्िैवच्छक सगां ठन, आवथभक सामावजक विकास आवद में
अनुिि होना चावहए।
NCW के कायभ हैं:
○ मवहलाओ ां के वलए सांिैधावनक और कानूनी सरु क्षा उपायों की समीक्षा।
○ उपचारात्मक विधायी उपायों की वसफाररश करना।
○ वशकायतों के वनिारण को सगु म बनाना।
○ मवहलाओ ां को प्रिावित करने िाले सिी नीवतगत मामलों पर सरकार को सलाह देना।
NCW की शवियाां:
○ दस्तािेजों और गिाहों के परीक्षण के वलए समन जारी करना।
○ हलफनामे पर साक्ष्य प्राि करना।
○ दस्तािेजों की खोज और उत्पादन।
● यह योजना प्रधान मत्रां ी के 'वगि इट अप कैं पेन' की परू क है, वजसके माध्यम से बड़ी सख्ां या में मध्यम िगीय पररिारों ने स्िेच्छा से अपनी
रसोई गैस सवब्लसडी छोड़ दी है।
● लक्ष्य को सांशोवधत कर 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन कर वदया गया और लक्ष्य की तारीख से सात महीने पहले अगस्त 2019 में यह लक्ष्य
हावसल कर वलया गया।
उज्जज्जिला 2.0
● वित्तीय िषभ 21-22 के वलए कें द्रीय बजट में PMUY योजना के तहत एक करोड़ अवतररि एलपीजी कनेक्शन के प्रािधान की घोषणा की
गई थी।
● इस एक करोड़ अवतररि PMUY कनेक्शन (उज्जज्जिला 2.0 के तहत) का उद्देश्य उन कम आय िाले पररिारों को जमा-मि ु एलपीजी
कनेक्शन प्रदान करना है, वजन्हें PMUY के पहले चरण के तहत किर नहीं वकया जा सकता था।
● वन: शल्ु क एलपीजी कनेक्शन के साथ-साथ उज्जज्जिला 2.0 लािावथभयों को पहला ररवफल और हॉटप्लेट (स्टोि) मफ्ु त प्रदान करे गी।
● इसके अलािा, नामाक ां न प्रवक्रया के वलए न्यनू तम कागजी कारभ िाई की आिश्यकता होगी।
● उज्जज्जिला 2.0 में प्रिावसयों को राशन काडभ या एड्रेस प्रफ ू जमा करने की आिश्यकता नहीं होगी।
● 'पाररिाररक घोषणा' और 'पते के प्रमाण' दोनों के वलए एक स्ि-घोषणा पयाभि होगी। उज्जज्जिला 2.0 एलपीजी तक सािभिौवमक पहुचां के
प्रधानमत्रां ी के दृवष्टकोण को प्राि करने में मदद करे गी ।
709. गरीब कल्याण रोजगार अवियान (जीके आरए)(Garib Kalyan Rozgar Abhiyan - GKRA)
िारत सरकार ने छह राज्जयों वबहार, झारखांड, मध्य प्रदेश, ओवडशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में GKRA की शरुु आत की थी।
● गरीब कल्याण रोजगार अवियान 'िारत सरकार की एक विशाल ग्रामीण लोक वनमाभण योजना है, जो प्रिासी कामगारों और ग्रामीण नागररकों
को सशि बनाने और आजीविका के अिसर प्रदान करने के वलए है।
● अवियान का शिु ारांि 20 जनू , 2020 को वबहार के खगवड़या वजले के ग्राम – तेवलहार, ब्ललॉक - बेलदौर से वकया गया था।
GKRA के बारे में
● उद्देश्य: उन प्रिासी मजदरू ों को लािकारी रोजगार प्रदान करना जो COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण अपने पैतक ृ गााँि लौट आए
थे।
● पांचायती राज मांत्रालय ने दो गवतविवधयों की सवु िधा प्रदान की,
○ ग्राम पचां ायत ििन का वनमाभण और
○ 'कें द्रीय वित्त आयोग अनुदान के तहत काम।
● 116 GKRA वजलों में पच ां ायतों को ग्रामीण क्षेत्रों में 'वित्त आयोग अनदु ान के तहत कायभ' करने के वलए 9554.97 करोड़ रुपये की धनरावश
का प्रािधान वकया गया था।
● यह राष्ट्रीय सामावजक सरु क्षा सस्ां थान (NISD) की एक पहल है वजसके तहत वहतधारकों की क्षमता वनमाभण के वलए सामावजक रक्षा के क्षेत्र
में विविन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है।
● उद्देश्य: प्रवतिावगयों के क्षमता वनमाभण के वलए प्रवशक्षण प्रदान करना और ज्ञान और कौशल को बढाना।
● यह एक मानक MOOC (मैवसि ओपन ऑनलाइन कोसभ) प्लेटफॉमभ है वजसमें वफल्माए गए व्याख्यान और ई-अध्ययन सामग्री जैसी
पाठ्यक्रम सामग्री है।
● MOOC एक मफ्ु त िेब-आधाररत दरू स्थ वशक्षा कायभक्रम है वजसे बड़ी सख्ां या में िौगोवलक रूप से वबखरे हुए छात्रों की िागीदारी के वलए
वडजाइन वकया गया है।
● इसमें छात्रों और पाठ्यक्रम समन्ियकों के बीच बातचीत का समथभन करने और प्रोत्सावहत करने के वलए चचाभ मचां िी शावमल हैं।
● यह विषय विशेषज्ञों, अध्ययन सामग्री और अवधक के व्याख्यान तक पहुचां प्रदान करेगा, लेवकन इस तरह से यह वशक्षण की गणु ित्ता से
समझौता वकए वबना िौवतक कक्षा को परू क बनाता है।
● इसे कोई िी ले सकता है जो विषयों पर अपने ज्ञान को बढाना चाहता है और इसमें शावमल होने के वलए कोई शल्ु क नहीं है।
● मांच को चतुिभजु दृवष्टकोण के साथ बनाया गया है, जो है: िीवडयो, पाठ, स्ि-मल्ू याांकन और चचाभ।
● पाठ्यक्रम: पाांच बुवनयादी पाठ्यक्रम ड्रग (पदाथभ) दरुु पयोग की रोकथाम, जरावचवकत्सा/बुजगु भ देखिाल, मनोभ्रांश की देखिाल और प्रबांधन,
राांसजेंडर मद्दु ों और सामावजक रक्षा मद्दु ों पर व्यापक पाठ्यक्रम पर हैं।
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विषय
Answer: (d)
व्याख्या:
वसयावचन ग्लेवर्यर दवु नया के सबसे लंबे पिशतीय ग्लवे र्यरों में से एक है, जो भारत-पावकस्तान सीमा के पास कश्मीर के काराकोरम रें ज वसस्र्म में वस्ित
है, जो उत्तर-उत्तर-पविम से दविण-दविण-पिू श तक 70 वकमी तक फै ला हुआ है।
यह 50 मील लंबी नुब्रा नदी का स्रोत है, जो श्योक की एक सहायक नदी है, जो वसंिु नदी प्रणाली का वहस्सा है। वसयावचन ग्लेवर्यर नुब्रा घार्ी के उत्तर
में वस्ित है। अतः विकल्प (D) सही है।
Q.2) भारत के इवतहास के संदभश में वनम्नवलवित यग्ु मों पर विचार कीवजएः
प्रवसद्ध स्िान ितशमान राज्य
1. भीलसा : मध्य प्रदेर्
2. द्वारसमद्रु : महाराष्ट्र
3. वगररनगर : गजु रात
4. स्िानेश्वर : उत्तर प्रदेर्
ऊपर वदए गए यग्ु मों में से कौन-सा सही समु ेवलत है?
a) के िल 1 और 3
b) के िल 1 और 4
c) के िल 2 और 3
d) के िल 2 और 4
Answer: (a)
विवदर्ा (वजसे पहले भीलसा के नाम से जाना जाता िा) भारत के मध्य प्रदेर् राज्य का एक र्हर है। यह एक परु ातावविक रूप से महविपणू श स्िल है जो
भारत के प्राचीन इवतहास के बारे में वर्लालेिों के वलए जाना जाता है। सल्ु तान जलालद्दु ीन के एक सेनापवत के रूप में, अलाउद्दीन विलजी ने 1293
सीई में परमार र्हर भीलसा पर छापा मारा। अत: यग्ु म 1 सही समु वे लत है।
हलेवबदु (वजसे द्वारसमद्रु कहा जाता िा) 12िीं र्ताब्दी में होयसल साम्राज्य की र्ाही राजिानी िी। यह कनाशर्क के हासन वजले में वस्ित है। 1310 के
अतं में, वदल्ली सल्तनत के र्ासक अलाउद्दीन विलजी ने अपने सेनापवत मवलक काफूर को भारत के दविणी िेत्रों में एक अवभयान पर भेजा। 1311 में,
मवलक काफूर ने होयसल राजिानी द्वारसमद्रु को घेर वलया, और बचाि करने िाले र्ासक िीरा बल्लाला III ने वबना वकसी प्रवतरोि के आवमसमपशण
कर वदया। अत: यग्ु म 2 सही समु ेवलत नहीं है।
वगरनार या वगररनगर गजु रात के जनू ागढ़ वजले में पहाडों का एक समहू है। यह स्िान जैवनयों के वलए पवित्र है क्योंवक यह िह स्िान है जहााँ भगिान
वनवमनाि (22िें जैन तीिंकर) मोि प्राप्त करने गए िे। यह अर्ोक के प्रमि
ु रॉक वर्लालेि XIV के वलए भी जाना जाता है, जो लगभग 250 ईसा पिू श
के हैं। अत: यग्ु म 3 सही समु ेवलत है।
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स्िानेश्वर स्िल हररयाणा के कुरुिेत्र वजले के आिवु नक िानेसर में वस्ित है। यह एक ऐवतहावसक र्हर और सरस्िती नदी के तर् पर एक महविपणू श वहदं ू
तीिशस्िल है। इसे भी बिाशस्त कर वदया गया िा और इसके कई मवं दरों को गजनी के महमदू ने नष्ट कर वदया िा। अत: यग्ु म 4 समु ेवलत नहीं है।
Answer: (b)
व्याख्या :
देर् में भजू ल संसािनों के विकास और प्रबंिन को विवनयवमत और वनयंवत्रत करने के वलए पयाशिरण (संरिण) अविवनयम, 1986 की िारा 3 (3) के
तहत कें द्रीय भजू ल प्राविकरण (CGWA) का गठन वकया गया है। अत: किन 2 सही है।
भारत की वसचं ाई ज्यादातर भजू ल अच्छी तरह से आिाररत है। 39 वमवलयन हेक्र्ेयर (इसकी कुल वसंचाई का 67%) पर, भारत के पास दवु नया की सबसे
बडी भजू ल अच्छी तरह से ससु वज्जत वसचं ाई प्रणाली है (19 MHA के साि चीन दसू रे स्िान पर है, 17 MHA के साि संयक्त
ु राज्य अमेररका तीसरे
स्िान पर है)। अतः किन 3 सही है।
Solution (c)
व्याख्या :
किन 1 गलत है - जेर् िाराएाँ दोनों गोलाद्धों में प्रिावहत होती हैं।
किन 2 सही है - आंि मजबतू उष्ट्णकवर्बंिीय चक्रिातों के कें द्र में ज्यादातर र्ातं मौसम का िेत्र है। यह समर्ीतोष्ट्ण चक्रिातों से संबवं ित नहीं है।
किन 3 गलत है-आि ं कम दबाि और उच्च तापमान का एक िेत्र है।
Q.5) वनम्नवलवित र्ाइगर ररजिश में से "महविपणू श बाघ आिास"के अंतगशत सबसे बडा िेत्र कौन सा है?
a) कॉबेर्
b) रणिंभौर
c) नागाजशनु सागर-श्रीर्ैलम
d) संदु रबन
Answer: (c)
व्याख्या
कोर/वक्रवर्कल र्ाइगर हैवबर्ेर् का िेत्रफल (िगश वकमी
वर्यर ररजिश
में)
कॉबेर् 821.99
रणिभं ौर 1113.364
नागाजशनु सागर-श्रीर्ैलम 2595.72
संदु रबन 1699.62
● यह वमजो प्रमि
ु ों के परामर्श से वकया गया िा।
● और यह दो साल बाद गजर् में इनर लाइन ररजिश फॉरे स्र् सीमाक
ं न का आिार बना।
● 1933 का सीमाक
ं न लर्
ु ाई वहल्स और मवणपरु के बीच की सीमा को वचवित करता है।
● वमजो लोग इस सीमाक
ं न को इस आिार पर स्िीकार नहीं करते वक इस बार उनके प्रमि
ु ों से सलाह नहीं ली गई िी।
● वििावदत सीमा वबंदु लैलापरु पर राज्यों के पवु लस बलों के बीच झडप के बाद तनाि चरम पर है।
714. आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर (Model Panchayat Citizens Charter)
समाचार में: कें द्रीय ग्रामीण विकास और पचं ायती राज मत्रं ी ने हाल ही में एक मॉडल पचं ायत नागररक चार्शर जारी वकया
● इसे राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पचं ायती राज संस्िान (NIRDPR) के सहयोग से तैयार वकया गया िा।
○ NIRDPR कें द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक स्िायत्त संगठन है।
आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर के बारे में
○ लोगों को समयबद्ध तरीके से सेिाएं प्रदान करना, उनकी वर्कायतों का वनिारण करना और उनके जीिन में सिु ार करना।
● 29 िेत्रों में सेिाओ ं के वितरण के वलए एक आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर/ढाचं ा, स्िानीय सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के साि कायों को
सरं े वित करना।
● चार्शर पारदर्ी समािेर्ी और जिाबदेह स्िानीय स्ि सरकारों को सवु नवित करे गा।
● यह उम्मीद की जाती है वक पंचायतें इस ढाचं े का उपयोग करें गी, और ग्राम सभा के उवचत अनुमोदन के साि, नागररक चार्शर तैयार करेंगी।
● यह एक तरफ नागररकों को उनके अविकारों के प्रवत जागरूक करने में मदद करेगा, और दसू री तरफ पंचायतों और उनके वनिाशवचत प्रवतवनवियों
को सीिे लोगों के प्रवत जिाबदेह बनाने में मदद करे गा।
● इस अििारणा को पहली बार यनू ाइर्ेड वकंगडम में जॉन मेजर की कंजिेवर्ि सरकार द्वारा 1991 में एक राष्ट्रीय कायशक्रम के रूप में व्यक्त और
कायाशववित वकया गया िा।
● नागररक चार्शर काननू ी रूप से लागू करने योग्य दस्तािेज नहीं हैं। िे नागररकों को सेिा वितरण बढ़ाने के वलए वसफश वदर्ावनदेर् हैं।
● मल
ू रूप से तैयार वकए गए वसद्धातं :
○ मानक - विर्ेष रूप से उल्लेि करें वक मानकों को परू ा नहीं वकया जाता है तो क्या करना है और कै से जाना है ।
● लोक प्रवतवनविवि अविवनयम, 1950 की पहली अनसु चू ी दो कें द्र र्ावसत प्रदेर्ों में से प्रवयेक को लोकसभा में एक सीर् प्रदान करती है।
● वििेयक में विलय के बाद कें द्र र्ावसत प्रदेर् को दो लोकसभा सीर्ें आिंवर्त करने के वलए अनुसचू ी में संर्ोिन करने का प्रयास वकया गया
है।
● वििेयक में प्राििान है वक बबं ई उच्च वयायालय का िेत्राविकार विलय वकए गए कें द्र र्ावसत प्रदेर् तक जारी रहेगा।
• The First Schedule to the Representation of the People Act, 1950 provides one seat in Lok Sabha to each of the
two UTs.
• The Bill seeks to amend the Schedule to allocate two Lok Sabha seats to the merged UT
• The Bill provides that the jurisdiction of the High Court of Bombay will continue to extend to the merged UT.
दादरा और नगर हिेली और दमन और दीि का इवतहास
● दादरा और नगर हिेली 1818 से 1961 तक पतु शगाली प्रर्ासन के अिीन िे।
● दादरा और नगर हिेली को 1961 में कें द्र र्ावसत प्रदेर् बनने से पहले एक िास्तविक राज्य, मक्त
ु दादरा और नगर हिेली के रूप में प्रर्ावसत
वकया गया िा।
● दमन और दीि को 1962 से 1987 के बीच गोिा, दमन और दीि के कें द्र र्ावसत प्रदेर् के वहस्से के रूप में प्रर्ावसत वकया गया िा।
● 1987 में, जब गोिा को राज्य का दजाश वदया गया िा, तब एक अलग कें द्र र्ावसत प्रदेर् बन गया।
716. एनसीसी अविवनयम में प्रस्तावित संर्ोिन (Amendment to NCC Act proposed)
समाचार में: हाल ही में, के रल के उच्च वयायालय ने राष्ट्रीय कै डेर् कोर (NCC) को अपने अविवनयम में संर्ोिन करने के वलए कहा तावक रांसजेंडर
व्यवक्तयों को NCC में नामांकन के वलए आिेदन करने की अनमु वत वमल सके ।
पृष्ठभवू म:
● 2020 में एक छात्र द्वारा अपने वलगं (रासं जेंडर) के आिार पर कॉलेज में NCC इकाई से बवहष्ट्करण का विरोि करते हुए एक ररर् यावचका
दायर की गई िी।
● यावचका में NCC अविवनयम, 6 की िारा 1948 को चनु ौती दी गई िी, वजसमें के िल 'परुु ष' या 'मवहला' कै डेर््स को अनमु वत दी गई िी।
● कें द्र सरकार ने तकश वदया वक रांसजेंडर व्यवक्तयों को NCC में नहीं जाने वदया जा सकता क्योंवक इसके वलए कोई प्राििान नहीं है।
राष्ट्रीय कै डेर् कोर (NCC)
● इसका पता 'विश्वविद्यालय कोर' से लगाया जा सकता है, वजसे भारतीय रिा अविवनयम 1917 के तहत बनाया गया िा।
● राष्ट्रीय कै डेर् कोर अविवनयम 1948 के तहत राष्ट्रीय कै डेर् कोर अवस्तवि में आया।
○ विवभवन प्रवर्िण वर्विर, साहवसक गवतविवियााँ और सैवय प्रवर्िण वर्विर एनसीसी प्रवर्िण का एक महविपणू श पहलू हैं।
● यह एक कृ वष-कें वद्रत वमर्न है जो वकसान के दरिाजे पर ज्ञान का अनिु ाद करता है तावक उसके िेत-उवमि
ु को संबोवित वकया जा सके ।
● ICAR संस्िानों और विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी पडती है क्योंवक इसके पास अलग से बजर् नहीं होता है।
● संगठनों और उनके कायशक्रम के बारे में वकसानों के बीच जागरूकता पैदा करना।
गांि का चयन:
● प्रवयेक सस्ं िान/विश्वविद्यालय में 4 िैज्ञावनकों के समहू अपने कायशस्िल से 50-100 वकमी के दायरे में गािं ों को गोद लेंगे।
● KVK, पंचायत और अवय संबंवित विभाग चयवनत गांिों में स्िानीय स्तर पर िैज्ञावनकों को आिश्यक सहयोग प्रदान कर सकते हैं।
● ICAR की स्िापना 16 जल
ु ाई 1929 को सोसायर्ी पंजीकरण अविवनयम, 1860 के तहत एक पंजीकृ त सोसायर्ी के रूप में की गई िी।
● यह कृ वष अनुसंिान और वर्िा विभाग (DARE), कृ वष और वकसान कल्याण मत्रं ालय, भारत सरकार के तहत एक स्िायत्त सगं ठन है।
● इसका मख्ु यालय नई वदल्ली में है। देर् भर में फै ले 102 ICAR सस्ं िानों और 71 कृ वष विश्वविद्यालयों के साि यह दवु नया की सबसे बडी
राष्ट्रीय कृ वष प्रणावलयों में से एक है।
● यह परू े देर् में बागिानी, मवस्य पालन और पर्ु विज्ञान सवहत कृ वष में अनुसंिान और वर्िा के समविय, मागशदर्शन और प्रबंिन के वलए
र्ीषश वनकाय है।
● ICAR ने अपने अनुसंिान और प्रौद्योवगकी विकास के माध्यम से भारत में हररत क्रावं त और कृ वष में उसके बाद के विकास की र्रुु आत
करने में अग्रणी भवू मका वनभाई है।
● उद्देश्य: अनुसंिान, निाचार को उवप्रेररत करने और िेत्रीय समस्याओ ं के वलए अवभनि समािान की सवु ििा के वलए मत्रं ालयों और संबद्ध
उद्योगों के साि लगातार सहयोग करना ।
○ इसका उद्देश्य निीन उवपादों और समािानों की एक वस्िर िारा प्रदान करना है जहां कें द्र सरकार के मत्रं ालय/विभाग सभं ावित पहले
िरीदार बन जाएगं े ।
● यह पहल अर्ल इनोिेर्न वमर्न ((AIM- नीवत आयोग की एक पहल) के तहत की जाएगी ।
● कायशक्रम भारतीय अंतररि अनुसंिान संगठन (इसरो) और चार मंत्रालयों द्वारा संचावलत है—
• रिा मत्रं ालय
• िाद्य प्रसस्ं करण उद्योग मत्रं ालय
• स्िास््य और पररिार कल्याण मंत्रालय
• आिास और र्हरी मामलों के मंत्रालय
● यह अनुसंिान और निाचार को बढ़ािा देने और भारतीय स्र्ार्शअप और MSME की प्रवतस्पिाशवमकता बढ़ाने के वलए एक राष्ट्रीय पहल है।
● यह 50 लाि रुपये तक की फंवडंग सहायता प्रदान करके योग्य अनप्रु यक्त
ु अनसु िं ान-आिाररत निाचारों का समिशन करता है।
● इसका उद्देश्य अनुसंिान, निाचार को उवप्रेररत करने के वलए सम्मावनत मत्रं ालयों और संबद्ध उद्योगों के साि सवक्रय रूप से सहयोग करना है।
● अवभनि उवपादों की एक वस्िर िारा प्रदान करने के वलए जहां कें द्र सरकार के मंत्रालय/विभाग संभावित पहले िरीदार बन जाएगं े।
● इसे 2020 में कोलकाता, पविम बगं ाल में एक एकीकृ त स्र्ील हब की स्िापना के माध्यम से पिू ी भारत के विररत विकास के वलए लॉवच
वकया गया िा।
● फोकस भारत के पिू ी राज्यों (ओवडर्ा, झारिंड, छत्तीसगढ़, पविम बंगाल) और आध्रं प्रदेर् के उत्तरी वहस्से पर होगा।
○ िे सामवू हक रूप से देर् के लौह अयस्क का ~80%, ~100% कोवकंग कोयला रिते हैं।
● इस हब का उद्देश्य लागत और गणु ित्ता दोनों के वलहाज से तेजी से िमता िृवद्ध और इस्पात उवपादकों की समग्र प्रवतस्पिाश में सिु ार करना
होगा।
एकीकृ त स्र्ील हब 3 प्रमि
ु तविों पर ध्यान कें वद्रत करेगा:
● ग्रीनफील्ड इस्पात संयंत्रों की स्िापना को आसान बनाना।
● मागं के वद्रों के वनकर् इस्पात समहू ों का विकास।
● रसद और उपयोवगताओ ं के बुवनयादी ढांचे का पररितशन।
राष्ट्रीय इस्पात नीवत 2017
● वित्त िषश 2031 तक घरेलू इस्पात िमता को दोगनु ा से अविक 300 MTPA करना।
● 2030-31 तक कच्चे इस्पात के उवपादन को बढ़ाने के वलए ₹10 लाि करोड का वनिेर्।
● 2031 तक हर साल 1.2 करोड र्न (MT) की नई िमता स्िावपत करना।
720. UNATI अर्ल जय अनुसिं ान वमर्न (UNATI Atal Jai Anusandhan Mission)
समाचार में: अगले 5 िषों के दौरान स्िास््य, कृ वष और ऊजाश िेत्रों में बदलाि की उम्मीद है।
अर्ल जय अनुसंिान बायोर्ेक वमर्न के बारे में
● जैि प्रौद्योवगकी विभाग (DBT), विज्ञान और प्रौद्योवगकी मत्रं ालय द्वारा कायाशववित।
○ अध्ययन का उद्देश्य समय पर रे फरल और जवम देिभाल की सवु ििा प्रदान करना है।
● Ind-CEPI वमर्न
o DBT का एक भारत कें वद्रत सहयोगी वमर्न है जो CEPI (महामारी की तैयारी निाचारों का गठबंिन) की िैवश्वक पहल से जडु ा है।
o अर्ल जय अनुसंिान बायोर्ेक वमर्न के बारे में
o जैि प्रौद्योवगकी विभाग (डीबीर्ी), विज्ञान और प्रौद्योवगकी मत्रं ालय द्वारा कायाशववित।
o यह अगले 5 िषों के दौरान स्िास््य, कृ वष और ऊजाश िेत्रों को बदलने की उम्मीद है ।
o तेजी से िैक्सीन विकास के माध्यम से महामारी की तैयारी।