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IAS BABA

RAPID REVISION SERIES

8
High Probable
Topics for
UPSC Prelims 2021
(Current Affairs + Static Portion)

िह ंदी
Full Compilation
POLITY
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UPSC PRELIMS 2021)
IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes(Hindi)

DAY 1 - POLITY

#RaRebaba
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Day 01 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय किरे ज:

ऐतिहासिक पष्ृ ठभूसि: िूल बािें

कंपनी शािन (1773-1858)

1. रे गुलेट ग
ं एक्
2. वपट्ि इंडिया एक्
3. चा ट र एक्

क्राउन रूल/ शाही शािन (1858-1947)

4. भारि िरकार अधितनयि 1858


5. भारिीय पररषद अधितनयि
6. भारि िरकार अधितनयि
7. भारिीय स्ििंत्रिा अधितनयि
8. उद्दे श्य प्रस्िाि
9. विसभन्न िंवििान िे उिार ली गई िुख्य विशेषिाएं
10. िंवििान की अनुिधू चयां

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Day 01 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

ऐतिहासिक पष्ृ ठभूसि [िूल बािें ]

ब्रिट श भारि िें आए और ईस् इंडिया कंपनी (ईआईिी) के पाि विशुद्ि रूप िे व्यापार
1600

िंबंिी कायट थे।


1765 ईस् इंडिया कंपनी को 'दीिानी अधिकार' प्राप्ि हुआ।

ईस् इंडिया कंपनी के विरुद्ि बक्िर की लडाई हारने के बाद शाह आलि ने ये अधिकार टदए;
कंपनी शािन
1773 - 1858

1857 का विद्रोह या प्रथि स्ििंत्रिा िंग्राि या 'सिपाटहयों का विद्रोह'


1857

क्राउन रूल / शाही शािन


1858 - 1947

इन दो शािनों के अंिगटि 3 अधितनयिों को याद करने का प्रयाि करें :


कंपनी शािन (1773-1858) क्राउन रूल (1858-1947)
1. रे गुलेट ग
ं एक् 1. भारि िरकार अधितनयि
2. वपट्ि इंडिया एक् 2. भारिीय पररषद अधितनयि
3. चा ट र एक् / अधितनयि 3.भारिीय स्ििंत्रिा अधितनयि

विषय 1: 1773 का रे गुलेट ग


ं एक् / वितनयिन अधितनयि
िुख्य ब्रबंद:ु
1. यह भारि िें EIC के िािलों को तनयंब्रत्रि और वितनयसिि करने के सलए ब्रिट श िरकार द्िारा उठाया
गया पहला कदि था।
2. पहली बार, ब्रिट श िरकार ने EIC के राजनीतिक और प्रशाितनक कायों को िान्यिा दी।
3. ब्रिट श िरकार ने भारि िें केंद्रीय प्रशािन की नींि रखी।

अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इि अधितनयि द्िारा बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल के गिनटर-जनरल' के रूप िें नासिि ककया गया
और उनकी िहायिा के सलए चार िदस्यों की एक कायटकारी पररषद बनाई गयी।

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2. उन्होंने बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल के गिनटर-जनरल' के रूप िें नासिि ककया और उनकी िहायिा के
सलए चार िदस्यों की एक कायटकारी पररषद बनाई।
3. बंगाल के राज्यपाल को 'बंगाल का गिनटर-जनरल' बनाया गया और बंबई और िद्राि प्रेसििेंिी के गिनटरों
को उनका अिीनस्थ बनाया गया।
4. इि अधितनयि िें उच्चिि न्यायालय (1774) की स्थापना का प्राििान था।
5. इि अधितनयि ने EIC के किटचाररयों को ककिी भी तनजी व्यापार िें शासिल होने या िूल तनिािी िे
ररश्िि और उपहार स्िीकार करने िे प्रतिबंधिि कर टदया।
6. को ट ऑफ िायरे क् िट को िभी िािलों की ररपो ट ब्रिट श िरकार को दे नी दी।

विषय 2: वपट्ि इंडिया एक् 1784


अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इि अधितनयि िें EIC के िाणिज्ज्यक और राजनीतिक कायों को पथ
ृ क ककया।
2. को ट ऑफ िायरे क् िट को केिल िाणिज्ज्यक कायों की दे खभाल की ज्जम्िेदारी िौंपी गयी और एक नया
तनकाय, बोिट ऑफ कंट्रोल (बीओिी) राजनीतिक कायों का ध्यान रखने हे िु बनाया गया। ("दोहरी िरकार
की प्रिाली")
3. भारि िें कंपनी के क्षेत्रों को पहली बार 'भारि िें ब्रिट श िंपवि' कहा गया।
4. ब्रिट श िरकार को भारि िें कंपनी के िािलों और उिके प्रशािन पर ििोच्च तनयंत्रि टदया गया।

विषय 3: चा ट र अधितनयि
1833 के चा ट र अधितनयि की विशेषिाएं
1. यह अधितनयि ब्रिट श भारि िें केंद्रीकरि की टदशा िें अंतिि कदि था।
2. इिने बंगाल के गिनटर जनरल को भारि का गिनटर-जनरल बनाया और उििें िभी नागररक और िैन्य
शज्क्ियां तनटहि कर दी।
3. इि प्रकार, इि अधितनयि ने पहली बार भारि िरकार को भारि िें अंग्रेजों के पाि परू े प्रादे सशक क्षेत्र पर
अधिकार प्रदान ककया।
4. इि अधितनयि ने एक िाणिज्ज्यक तनकाय के रूप िें ईस् इंडिया कंपनी की िभी गतिविधियों को
ििाप्ि कर टदया।

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5. 1833 के चा ट र अधितनयि िें सिविल िेिकों (भारिीयों िटहि) के चयन के सलए खुली प्रतिस्पिाट की
प्रिाली शुरू करने का प्रयाि ककया गया। हालांकक इि प्राििान को नकार टदया गया।

1853 के चा ट र अधितनयि की विशेषिाएं


1. गिनटर-जनरल की पररषद के वििायी और कायटकारी कायों को पहली बार अलग ककया गया।
2. इिने एक अलग गिनटर-जनरल की वििान पररषद की स्थापना की ज्जिे भारिीय (केंद्रीय) वििान
पररषद के रूप िें जाना गया।
3. इिने पहली बार भारिीय (केंद्रीय) वििान पररषद िें स्थानीय प्रतितनधित्ि की शुरुआि की।
4. सिविल िेिकों के चयन और भिी की एक खुली प्रतियोधगिा प्रिाली शुरू की (भारिीयों के सलए भी खुली)
5. इिने कंपनी के शािन का विस्िार ककया और इिे ब्रिट श क्राउन के विश्िाि पर भारिीय क्षेत्रों का कब्जा
बनाए रखने की अनुिति प्रदान की।

विषय 4: भारि िरकार अधितनयि 1858 (या भारि िें अच्छी िरकार के सलए अधितनयि)
अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इि अधितनयि ने ईस् इंडिया कंपनी को ििाप्ि कर टदया, और िरकार, क्षेत्रों और राजस्ि की शज्क्ियों
को ब्रिट श क्राउन को हस्िांिररि कर टदया।
2. कंपनी शािन को 1858 िें ििाप्ि कर, क्राउन रूल / शाही शािन आरम्भ हुआ।
3. गिनटर जनरल GGI को बदलकर भारि का िायिराय (VOI) कर टदया गया।
4. इिने 'दोहरी िरकार की प्रिाली' को ििाप्ि कर, एक नया कायाटलय "भारि के राज्य िधचि" (SOS)
तनिाटि ककया।
5. इिने राज्य िधचि (SOS) की िहायिा हे िु 15 िदस्यीय भारिीय पररषद बनाई।
6. इिने भारि िें प्रचसलि िरकार की व्यिस्था िें ककिी भी िरह िे कोई िहत्िपूिट बदलाि नहीं ककया।

विषय 5: भारिीय पररषद अधितनयि 1861, 1892 और 1909


1861 के भारिीय पररषद अधितनयि की विशेषिाएं
1. इि अधितनयि ने प्रतितनधि िंस्थाओं की शुरुआि की - इिने भारिीयों को कानून बनाने की प्रकक्रया िे
जोडा।

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2. इि अधितनयि िें प्राििान ककया गया, कक िॉयिराय (VOI) को कुछ भारिीयों को अपनी विस्िाररि
वििान पररषद के गैर-आधिकाररक िदस्यों के रूप िें िनोनीि करना चाटहए।
3. विकेंद्रीकरि की प्रकक्रया शुरू की गई थी: बंबई और िद्राि प्रेसििेंिी की वििायी शज्क्ियां (वििायी
हस्िांिरि) बहाल कर दी गई थीं।
4. इि प्रकार इिने 1773 के रे गुलेट ग
ं एक् िे शुरू हुई केंद्रीकरि की प्रिवृ ि को उल टदया।
5. इिने बंगाल, उिर-पज्श्चिी िीिा प्रांि (NWFP) और पंजाब के सलए नई वििान पररषदों की स्थापना का
भी प्राििान ककया।
6. लॉिट कैतनंग द्िारा 'पो ट फोसलयो' प्रिाली की शुरुआि की गई - यानी भारिीय पररषद अधितनयि (ICA)
1861 ने िॉयिराय की कायटकारी पररषद को पो ट फोसलयो प्रिाली पर िंचासलि केब्रबने िें बदल टदया।
इिसलए कायटकारी पररषद िें 6 िदस्यों ने अलग-अलग विभागों का कायटभार िंभाला।
7. अध्यादे श बनाने की शज्क्ि: अधितनयि ने VOI को आपािकाल के दौरान अध्यादे श बनाने का अधिकार
टदया। हालांकक, ऐिे अध्यादे श की अिधि 6 िहीने थी।

1892 के भारिीय पररषद अधितनयि की विशेषिाएं


1. केंद्रीय और प्रांिीय वििान पररषदों िें अतिररक्ि भारिीय (गैर-िरकारी) िदस्यों की िंख्या िें िद्
ृ धि की
गई। हालााँकक अभी भी आधिकाररक बहुिि गैर-भारिीय थे।
2. वििान पररषदों के कायों िें िद्
ृ धि की गई और उन्हें बज पर चचाट करने और कायटपासलका को प्रश्नों को
िंबोधिि करने की शज्क्ि प्रदान की गई।
3. सिफाररश पर नािांकन: प्रांिों के राज्यपालों, विश्िविद्यालयों, जिींदारों और चें बिट के जैिे कुछ तनकाय
अब गैर-िरकारी िदस्यों के नािांकन के सलए भारिीयों की सिफाररश कर िकिे थे।
4. अधितनयि ने केंद्रीय और प्रांिीय वििान पररषदों दोनों िें कुछ गैर-िरकारी िी ों को भरने िें चुनाि के
उपयोग के सलए एक िीसिि और अप्रत्यक्ष प्राििान ककया। हालााँकक, "चुनाि" शब्द का प्रयोग
अधितनयि िें नहीं ककया गया था।

1909 के भारिीय पररषद अधितनयि की विशेषिाएं: (िॉले-सिं ो िुिार)


1. वििान पररषदों (केंद्रीय और प्रांिीय दोनों) का आकार 16 िे बढाकर 60 कर टदया गया।
2. इिने केंद्रीय वििान पररषद िें आधिकाररक बहुिि को बरकरार रखा लेककन प्रांिीय वििान पररषदों को
भारिीय गैर-िरकारी बहुिि की अनुिति दे दी।
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3. दोनों स्िरों पर वििान पररषदों के कायों िें िद्


ृ धि की गई। िदस्यों को अनुपूरक प्रश्न पूछने, बज पर
प्रस्िाि पेश करने आटद की अनुिति प्रदान की गई।
4. इिने िायिराय और राज्यपालों के "कायटकारी पररषदों के िाथ भारिीयों के जुडाि" का (पहली बार)
प्राििान प्रदान ककया।
5. ICA 1909 ने िुिलिानों के सलए िांप्रदातयक प्रतितनधित्ि की एक प्रिाली की शुरुआि की - 'पथ
ृ क
तनिाटचक िंिल' की अििारिा।

(लॉिट सिं ो को िांप्रदातयक तनिाटचन के जनक के रूप िें जाना जािा है ।)

विषय 6: भारि िरकार अधितनयि


भारि िरकार अधितनयि 1919 की विशेषिाएं (िों े गयु -चेम्िफोिट िुिार)
1. अलग-अलग केंद्रीय और प्रांिीय विषयों का िीिांकन: केंद्रीय और प्रांिीय वििातयकाएं अपने-अपने
विषयों की िूची िें कानून बना िकिी थी।
2. हस्िांिररि और आरक्षक्षि विषय: प्रांिीय विषयों को आगे दो भागों िें विभाज्जि ककया गया था -
स्थानांिररि और आरक्षक्षि विषयों।
o हस्िांिररि विषयों को राज्यपाल द्िारा वििान पररषद के प्रति उिरदायी िंब्रत्रयों की िहायिा िे
प्रशासिि ककया जाना था।
o दि
ू री ओर, आरक्षक्षि विषयों को राज्यपाल और उनकी कायटकारी पररषद द्िारा वििान पररषद के
प्रति उिरदायी हुए ब्रबना प्रशासिि ककया जाना था।
3. द्िैि शािन या दोहरा शािन: शािन की इि दोहरी योजना को 'द्िैि शािन' के रूप िें
जाना जािा था - ज्जिका अथट है दोहरा शािन।
4. उच्च िदन और तनचला िदन: दे श िें पहली बार द्वििदनीय और प्रत्यक्ष चुनाि की
शुरुआि हुई। (केिल केंद्र िें)
5. िायिराय की कायटकारी पररषद के छह िदस्यों िें िे िीन भारिीय होने चाटहए।
6. विस्िाररि िांप्रदातयक प्रतितनधित्ि अथिा सिखों, भारिीय ईिाइयों, एंग्लो-इंडियन और
यूरोपीय लोगों के सलए एक अलग तनिाटचक िंिल।
7. इिने िंपवि, कर या सशक्षा के आिार पर िीसिि िंख्या िें लोगों को फ्रेंचाइजी प्रदान की।

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8. इिने लंदन िें भारि के उच्चायुक्ि का एक नया कायाटलय बनाया और उन्हें भारि के सलए
राज्य िधचि द्िारा अब िक ककए गए कुछ कायों िें स्थानांिररि कर टदया।
9. इििें लोक िेिा आयोग की स्थापना का प्राििान ककया गया था (इिसलए, सिविल िेिकों
की भिी के सलए 1926 िें एक केंद्रीय लोक िेिा आयोग की स्थापना की गई थी।
10. इिने पहली बार प्रांिीय बज ों को केंद्रीय बज िे अलग ककया और प्रांिीय
वििानिभाओं को अपने बज को अधितनयसिि करने के सलए अधिकृि ककया।
11. इिने एक िैिातनक आयोग की तनयुज्क्ि का प्राििान ककया जो इिके लागू होने के
दि िषों के बाद इिके कािकाज की जांच और ररपो ट करे गा।

1935 के भारि िरकार अधितनयि की विशेषिाएं


1. इि अधितनयि का उद्दे श्य पूरी िरह िे उिरदायी िरकार को भारि िें लाना था।
2. इिने एक अणखल भारिीय िंघ की स्थापना का प्राििान ककया ज्जििें प्रांिों और ररयाििों को इकाइयों
के रूप िें शासिल ककया गया था। (हालांकक, िंघ कभी अज्स्ित्ि िें नहीं आया क्योंकक ररयाििें इििें
शासिल नहीं हुईं।)
3. अधितनयि िें शज्क्ियों का विभाजन - केंद्रीय िूची, प्रांिीय िूची और ििििी िूची; राज्यपाल को
अिसशष् शज्क्ियां।
4. प्रांिों िें 'द्िैि शािन' को ििाप्ि ककया और इिके स्थान पर 'प्रांिीय स्िायििा' की शुरुआि हुई।
5. अधितनयि ने प्रांिों िें उिरदायी िरकारों की शुरुआि की (अथाटि राज्यपाल को प्रांिीय वििातयका के
सलए उिरदायी िंब्रत्रयों की िलाह के िाथ कायट करना आिश्यक था) - यह केिल 1937-1939 िक ही लागू
रहा।
6. इिने केंद्र िें द्िैि शािन को अपनाने का प्राििान ककया - यानी िंघीय विषयों को 'स्थानांिररि' और
'आरक्षक्षि' िें विभाज्जि ककया गया - लेककन यह भी कभी भी लागू नहीं हुआ।
7. इिने ग्यारह प्रांिों िें िे छह िें द्वििदनात्िकिा की शुरुआि की।
8. दसलि िगों (अनि
ु धू चि जातियों), िटहलाओं और श्रसिकों (श्रसिकों) के सलए विस्िाररि पथ
ृ क तनिाटचक
िंिल।
9. भारिीय पररषद को ििाप्ि कर टदया (ज्जिे SOS की िहायिा के सलए भारि िरकार, 1958 िें स्थावपि
ककया गया था)। SOS को िलाहकारों की एक ीि प्रदान की गई थी।
10. दे श की िद्र
ु ा और िाख को तनयंब्रत्रि करने के सलए भारिीय ररजिट बैंक की स्थापना
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11. िंघीय PSC + प्रांिीय PSC (UPSC + SPSC की िजट पर)


12. एक िंघीय न्यायालय की स्थापना (1937 िें)

विषय 7: 1947 का भारिीय स्ििंत्रिा अधितनयि


अधितनयि की विशेषिाएं:
1. इिने भारि िें ब्रिट श शािन को ििाप्ि कर टदया और 15 अगस्ि, 1947 िे भारि को एक स्ििंत्र और
िंप्रभु राज्य घोवषि कर टदया।
2. इिने भारि के विभाजन का प्रस्िाि पेश ककया।
3. इिने िायिराय और SOS के पद को ििाप्ि कर टदया। भारि या पाककस्िान िरकार के िंबंि िें ब्रिट श
िरकार की कोई ज्जम्िेदारी नहीं होगी।
4. इिने िंवििान िभा को िंवििान को बनाने और अपनाने और ब्रिट श िंिद के ककिी भी अधितनयि को
तनरस्ि करने का अधिकार टदया, ज्जििें स्ििंत्रिा अधितनयि भी शासिल था।
5. इििें 15 अगस्ि, 1947 िे भारिीय ररयाििों और जनजािीय क्षेत्रों के िाथ िंधि िंबंिों पर ब्रिट श
ििोपररिा की ििाज्प्ि की घोषिा की।
6. इिने भारिीय ररयाििों को या िो भारि के िोसितनयन या पाककस्िान के िोसितनयन िें शासिल होने
या स्ििंत्र रहने की स्ििंत्रिा प्रदान की।
7. इिने भारि के गिनटर-जनरल और प्रांिीय गिनटरों को राज्यों के िंिैिातनक (नाििात्र) प्रिुखों के रूप िें
नासिि ककया। उन्हें िभी िािलों िें िंबंधिि िंब्रत्रपररषद की िलाह पर कायट करने के सलए कहा गया था।

विषय 8: उद्दे श्य िंकल्प/ प्रस्िाि:


• इिे 1946 िें जिाहर लाल नेहरू द्िारा प्रस्िुि ककया गया था।
• इिने िंवििान िभा के उद्दे श्यों को पररभावषि ककया।
• इि िंकल्प ने िंवििान के पीछे की आकांक्षाओं और िल्
ू यों को ििाटहि ककया।
• इि िंकल्प के आिार पर, हिारे िंवििान ने ििानिा, स्ििंत्रिा, लोकिंत्र, िंप्रभुिा और ििटदेशीय
पहचान, इन िूलभूि प्रतिबद्ििाओं को िंस्थागि असभव्यज्क्ि दी।
• भारिीय िंवििान की प्रस्िािना 'उद्दे श्य िंकल्प' पर आिाररि है , ज्जिे पंडिि नेहरू द्िारा िैयार और
प्रस्िाविि ककया गया था, और िंवििान िभा द्िारा अपनाया गया था।
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विषय 9: विसभन्न िंवििान िे उिार ली गई िुख्य विशेषिाएं:


भारि के िंवििान िें कई प्रिुख विशेषिाएं हैं जो अन्य दे शों के िंवििानों िे उिार ली गई हैं।

स्रोि उिार ली गई विशेषिाएं


1. भारि िरकार अधितनयि, िंघीय प्रिाली, राज्यपाल का कायाटलय, न्यायपासलका, लोक िेिा आयोग,
आपािकालीन प्राििान और प्रशाितनक प्राििान
1935

2. ब्रिट श िंवििान िंिदात्िक शािन-प्रिाली, एकल नागररकिा एिं विधि तनिाटि प्रकक्रया,
कैब्रबने प्रिाली, विशेषाधिकार रर , िंिदीय विशेषाधिकार,
द्वििदनीयिा
3. िंयुक्ि राज्य अिेररका िौसलक अधिकार, न्यातयक पुनरािलोकन, िंवििान की ििोच्चिा,
न्यायपासलका की स्ििंत्रिा, तनिाटधचि राष्ट्रपति एिं उि पर िहासभयोग,
उपराष्ट्रपति का कायाटलय, उच्चिि एिं उच्च न्यायालयों के न्यायािीशों
को ह ाने की विधि
4. आयरलैंि राज्य नीति के तनदे शक सिद्िांिों की अििारिा (आयरलैंि ने इिे स्पेन िे
उिार सलया था), राष्ट्रपति के तनिाटचन की पद्िति, राष्ट्रपति द्िारा राज्य
िभा िें िदस्यों का नािांकन
5. कनािा अिसशष्‍ शज्क्ियां केंद्र के पाि, िशक्ि केंद्र के िाथ िंघ, केंद्र द्िारा राज्य
के गिनटरों की तनयज्ु क्ि, उच्चिि न्यायालय का िलाहकारी क्षेत्राधिकार
6. ऑस्ट्रे सलया ििििी िूची, प्रस्िािना की भाषा, व्यापार, िाणिज्य और आिागिन के
िंदभट िें प्राििान, दोनों िदनों की िंयुक्ि बैठक
7. जिटनी (िाइिर) आपािकाल के दौरान िौसलक अधिकारों का तनलंबन
8. िोवियि रूि (यूएिएिआर) िौसलक किटव्य, पंचिषीय योजना, प्रस्िािना िें न्याय (िािाज्जक,
आधथटक और राजनीतिक) का विचार
9. फ्रांि प्रस्िािना िें गििंत्र िथा स्ििंत्रिा , ििानिा एिं बंिुत्ि के विचार
10. दक्षक्षि अफ्रीका िंवििान िंशोिन की प्रकक्रया प्राििान, राज्य िभा के िदस्य का चुनाि
11. जापान विधि द्िारा स्थावपि प्रकक्रया

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विषय 10: िंवििान की अनुिूधचयां


भारि के िंवििान िें तनम्नसलणखि अनुिूधचयां हैं:
पहली अनुिूची • राज्यों और उनके प्रादे सशक क्षेत्राधिकार के नाि।
• केंद्र शासिि प्रदे शों के नाि और उनकी िीिा।

दि
ू री अनि
ु च
ू ी • राष्ट्रपति, राज्यपालों, अध्यक्ष और चैयरिेन, ििोच्च न्यायालय और उच्च
न्यायालय के न्यायािीशों, तनयंत्रक और िहालेखा परीक्षक के िेिन और भिे।

िीिरी अनुिूची • शपथ या प्रतिज्ञान के रूप

चौथी अनि
ु ूची • राज्यों और केंद्र शासिि प्रदे शों को राज्यिभा िें िी ों का आिं न।

पांचिी अनुिूची • अनुिूधचि क्षेत्रों और जनजातियों का प्रशािन और तनयंत्रि।

छठी अनुिूची • अिि, िेघालय, ब्रत्रपुरा और सिजोरि राज्यों िें जनजािीय क्षेत्रों के प्रशािन िे
िंबंधिि प्राििान।

िाििीं अनुिूची • शज्क्ियों का विभाजन


o िंघ िूची (केंद्र िरकार के सलए) 97 विषय।
o राज्यों की िच
ू ी (राज्य िरकार के सलए) 59 विषय
o ििििी िूची (िंघ और राज्यों दोनों के सलए) 52 विषय।

आठिीं अनुिूची • िंवििान द्िारा िान्यिा प्राप्ि भारि की 22 भाषाओं की िूची


िो हैं:
1. अिसिया,
2. बंगाली,
3. बोिो,
4. िोगरी (िोंगरी),
5. गुजरािी,
6. टहंदी,
7. कन्नड,

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8. कश्िीरी,
9. कोंकिी,
10. िैधथली (िैधथली),
11. िलयालि,
12. िणिपुरी,
13. िराठी,
14. नेपाली,
15. उडडया,
16. पंजाबी,
17. िंस्कृि,
18. िंथाली,
19. सिंिी,
20. िसिल,
21. िेलुगु और
22. उदट।ू

सिंिी को 1967 के 21िें िंशोिन अधितनयि द्िारा जोडा गया था;


कोंकिी, िणिपुरी और नेपाली को 1992 के 71 िें िंशोिन अधितनयि द्िारा जोडा गया
था; और
बोिो, िोंगरी, िैधथली और िंथाली को 2003 के 92 िें िंशोिन अधितनयि द्िारा जोडा
गया था।
उडडया को 2011 के 96 िें िंशोिन अधितनयि द्िारा 'ओडिया' का नाि टदया गया था।
नौिीं अनि
ु च
ू ी • भसू ि िि
ु ारों िे िंबंधिि अधितनयिों और वितनयिों और जिींदारी प्रिाली को
ििाप्ि करना शासिल है ।
• िौसलक अधिकारों के उल्लंघन के आिार पर इििें शासिल कानूनों को
न्यातयक जांच िे बचाने के सलए इि अनुिूची को प्रथि िंशोिन (1951) द्िारा
जोडा गया था।

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• हालांकक, 2007 िें, िुप्रीि को ट ने फैिला िुनाया कक इि अनुिूची िें शासिल


कानून अब न्यातयक ििीक्षा के सलए खल
ु े हैं।

दििीं अनुिूची • 1985 िें 52िें िंशोिन द्िारा जोडा गया। दलबदल के आिार पर अयोग्यिा के
प्राििान शासिल हैं।

ग्यारहिीं अनि
ु च
ू ी • 1992 िें 73िें िंशोिन द्िारा। पंचायिी राज के प्राििान शासिल हैं।

बारहिीं अनुिूची • 1992 िें 74िें िंशोिन द्िारा। इििें नगर तनगि के प्राििान शासिल हैं।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes(Hindi)

DAY 2 - POLITY

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विषय किरेज:

11. प्रस्तावना के बारे में


12. प्रस्तावना में महत्वपर्ू ण मख्ु य शब्द
13. 42वाां सांववधान सांशोधन, 1976
14. मौविक अवधकार
15. मौविक अवधकार से सबां वां धत महत्वपर्ू ण सवोच्च न्यायािय के वनर्णय
16. अवधवास (Domicile) आधाररत आरक्षर्
17. 103वाां सांववधान सांशोधन अवधवनयम
18. मडां ि आयोग, रोवहर्ी आयोग और अनच्ु छे द 340
19. 102वाां सांववधान सांशोधन अवधवनयम
20. काननू व्यवस्था और सावणजवनक व्यवस्था के बीच अतां र

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ववषय 11: सांववधान की प्रस्तावना


प्रमख
ु वबांद:ु
1. प्रस्तावना सवां वधान के दशणन के बारे में एक अतां र्दणवि प्रदान करती है।
2. प्रस्तावना 'उद्देश्य प्रस्ताव' का सांशोवधत सस्ां करर् है वजसे जवाहरिाि नेहरू द्वारा प्रस्ततु वकया गया था।
3. बेरुबारी मामिा 1960 - सप्रु ीम कोर्ण ने कहा वक "प्रस्तावना सवां वधान का वहस्सा नहीं है"
4. के शवानदां भारती के स 1973 - सप्रु ीम कोर्ण ने फै सिा सनु ाया वक "प्रस्तावना सवां वधान का एक वहस्सा है और इसमें सश
ां ोधन वकया
जा सकता है"

दो महत्वपर्ू ण बातों पर ध्यान वदया जाना चावहए:


1. प्रस्तावना न तो ववधावयका की शवि का स्रोत है और न ही ववधावयका की शवियों पर रोक है।
2. यह गैर-न्यायोवचत (Non-justiciable) है, अथाणत इसके प्रावधान न्यायाियों में िागू नहीं वकए जा सकते हैं।

प्रस्तावना, सांक्षेप में, सांववधान के उद्देश्यों की दो तरह से व्याख्या करती है:

(i) एक, शासन की सांरचना के बारे में और


(ii) दसू रा, स्वतांत्र भारत में प्राप्त वकए जाने वािे आदशों के बारे में।

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ववषय 12: प्रस्तावना में महत्वपूर्ण मख्ु य शब्द

सांप्रभतु ा ● पर्ू ण स्वतत्रां ता।


● ऐसी सरकार जो वकसी अन्य शवि द्वारा वनयवां त्रत नहीं है।
● सांप्रभु हुए वबना वकसी देश का अपना सांववधान नहीं हो सकता।
समाजवादी ● मि ू प्रस्तावना में यह शब्द नहीं था।
● 42वें सांशोधन, द्वारा 1976 में प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धमणवनरपेक्ष' को शावमि
वकया गया।
● 'समाजवाद' शब्द का प्रयोग आवथणक वनयोजन के सांदभण में वकया गया है।
धमणवनरपेक्षता ● भारत में कोई 'राज्य' धमण नहीं होगा
● 'राज्य' सावणजवनक कोष से वकसी ववशेष धमण का समथणन नहीं करे गा।
● प्रत्येक व्यवि वकसी भी धमण में ववश्वास करने और उसका पािन करने के विए स्वतांत्र है।
● राज्य धमण के आधार पर वकसी भी व्यवि या समहू के साथ भेदभाव नहीं करे गा।
प्रजातावां त्रक ● "गर्राज्य" - िोगों द्वारा और िोगों के विए सरकार को इवां गत करता है।
गर्तांत्र ● सरकार जनता द्वारा चनु ी जाती है, यह जनता के प्रवत उत्तरदायी और जवाबदेह होती है
● प्रस्तावना भारत को एक गर्तांत्र घोवषत करती है - इसका अथण है वक राज्य का मुवखया
राष्ट्रपवत होगा जो अप्रत्यक्ष रूप से वनवाणवचत होता है और वह एक वश ां ानगु त शासक नहीं
होगा जैसा वक विवर्श सम्रार् के मामिे में होता है।

न्याय ● प्रस्तावना में न्याय का अथण है सामावजक, राजनीवतक और आवथणक न्याय से है।
● न्याय का वसद्ातां - सामावजक, आवथणक और राजनीवतक - रूसी क्ाांवत (1917) से विया
गया है।
स्वतत्रां ता ● स्वतांत्रता एक िोकताांवत्रक और स्वतांत्र समाज की अवनवायण आवश्यकता है।
● 'स्वतत्रां ता' शब्द का अथण है व्यवियों की गवतवववधयों पर सयां म का अभाव, और साथ ही,
व्यविगत व्यवित्व के ववकास के विए अवसर प्रदान करना।
● हमारी प्रस्तावना में स्वतांत्रता, समानता और बांधत्ु व के आदशों को फ्ाांसीसी क्ाांवत (1789-
1799) से विया गया है।
समानता ● प्रस्तावना भारत के सभी नागररकों को प्रवतष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करती है।
● इस प्रावधान में समानता के तीन आयाम शावमि हैं- नागररक, राजनीवतक और आवथणक।
बांधत्ु व ● बांधत्ु व का अथण भाईचारे की भावना है। (एकि नागररकता की प्रर्ािी द्वारा सवु नवित)
● प्रस्तावना में की गयी घोषर्ा के अनसु ार बांधत्ु व में दो बातों को सवु नवित करना होगा -
व्यवि की गररमा और राष्ट्र की एकता और अखडां ता।
● बांधत्ु व शब्द (शायद) मानव अवधकार 1948 की सावणभौवमक घोषर्ा के अनच्ु छे द 1 से
शावमि वकया गया है।

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नोर्: (प्रस्तावना, बांधत्ु व और समतावादी राज्य की अवधारर्ा अक्सर खबरों में रहती है - करांर् अफे यसण)
● बांधत्ु व की अवधारर्ा इस वषण की परीक्षा के विए महत्वपर्ू ण है। देश भर में कई CAA ववरोधी प्रदशणनों में सांववधान की प्रस्तावना को
सावणजवनक रूप से पढा गया और भाईचारे को बनाए रखने के विए आह्वान वकया गया।
● समतावादी राज्य: एक समतावादी राज्य से नागररकों के बीच असमानताओ ां को कम करने और सभी की न्यनू तम आवश्यकताओ ां
को परू ा करने की उम्मीद की जाती है। (महामारी प्रेररत वस्थवत के कारर्)
● जनभागीदारी का महत्व - "हम भारत के िोग.........इस सांववधान को अगां ीकृ त, अवधवनयवमत और आत्मावपणत करते हैं।"

ववषय 13: 42 वाां सांववधान सांशोधन, 1976


प्रस्तावना इसने प्रस्तावना में 3 नए शब्द जोडे:
1. समाजवादी
2. धमण वनरपेक्ष
3. अखांडता
मौविक कतणव्य ● भाग IV A को सांववधान में जोडा गया (अनच्ु छे द 51 A)
● स्वर्ण वसहां सवमवत की वसफाररश द्वारा।
राज्य के नीवत वनदेशक चार नए वनदेशक वसद्ाांत जोडे गए;
वसद्ाांत 1. बच्चों के स्वास््य ववकास के अवसरों को सरु वक्षत करना (अनुच्छे द 39)
2. वनिःशल्ु क वववधक सहायता उपिब्ध कराना (अनच्ु छे द 39A),
3. कारखानों में श्रवमकों की सरु क्षा (अनच्ु छे द 43A),
4. पयाणवरर् का सरां क्षर् तथा सवां धणन और वन तथा वन्यजीवों की रक्षा (अनच्ु छे द
48A)
42 वें सांशोधन अवधवनयम में वनदेशक तत्व की प्राथवमकता एवां सवोच्चता को मौविक
अवधकारों पर प्रभावी बनाया गया और सांसद द्वारा इस आशय के वकसी भी काननू को
न्यायािय द्वारा न्यावयक समीक्षा के दायरे से बाहर रखा गया।
ववधान-सभा िोकसभा और राज्य ववधानसभा का कायणकाि 5 से बढाकर 6 साि कर वदया गया।
न्यायपाविका सांवैधावनक सांशोधनों को न्यावयक समीक्षा से बाहर वकया गया।
उच्च न्यायाियों की न्यावयक समीक्षा शवि में कर्ौती की गयी।
सप्रु ीम कोर्ण को राज्य के काननू की सांवैधावनक वैधता पर ववचार करने की शवि से वांवचत
करने के विए अनच्ु छे द 32 A का सवम्मिन।
एक अन्य नए अनच्ु छे द 131A ने सवोच्च न्यायािय को कें द्रीय काननू की सवां ैधावनक
वैधता से सांबांवधत प्रश्नों को वनधाणररत करने के विए एक ववशेष क्षेत्रावधकार प्रदान वकया।
अवखि भारतीय वववधक सेवा के वनमाणर् की व्यवस्था।
कायणपाविका अनच्ु छे द 74(1) को जोडा गया, वजसने राष्ट्रपवत को मवां त्रपररषद की सिाह के विए बाध्य

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वकया।
िोकसभा के अध्यक्ष और प्रधान मांत्री को ववशेष भेदभावरवहत अवधकार प्रदान वकये गए।
(अनच्ु छे द 329A)
सांघ अनच्ु छे द 257A को सवम्मवित करना, तावक कें द्र वकसी भी राज्य में उत्पन्न होने वािी
काननू और व्यवस्था की वकसी भी गांभीर वस्थवत से वनपर्ने के विए सशस्त्र बिों को तैनात
कर सके ।
ससां द को राष्ट्र ववरोधी गवतवववधयों के सांबांध में कायणवाही करने के विए वववधयाां बनाने की
शवि प्रदान की गयी और ऐसी वववधयाां मौविक अवधकारों पर अवभभावी होंगी।
आपातकाि इसने राष्ट्रपवत को देश के वकसी भी वहस्से में आपातकाि घोवषत करने के विए अवधकृ त
वकया।
अनच्ु छे द 323 A और 323 पार्ण XIV-A को 'प्रशासवनक मामिों से सबां वां धत अवधकरर्' और 'अन्य मामिों के विए
B, भाग XIV-A X अवधकरर्' के रूप में जोडा गया।
समवती सचू ी के ववषय पाांच ववषयों को राज्य सचू ी से समवती सचू ी में स्थानान्तररत, जैसे,
1. वशक्षा,
2. वन,
3. भार और मापन,
4. वन्य जीवों एवां पवक्षयों का सरां क्षर्, और
5. न्याय का प्रशासन एवां उच्चतम न्यायािय और उच्च न्यायाियों को छोडकर
सभी न्यायाियों का गठन और सांगठन।

ववषय 14: मौविक अवधकार

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नोर्: इन ववभाजनों के अनसु ार याद करने का प्रयास करें । इनसे प्रश्न पछ


ू े गए हैं।

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ववषय 15: मौविक अवधकार से सांबांवधत महत्वपर्ू ण उच्चतम न्यायािय के वनर्णय


आरक्षर् का अवधकार • कोई अदाित राज्य सरकार को आरक्षर् देने के विए नहीं कह सकती है।
मौविक अवधकार नहीं है
ववरोध का अवधकार मौविक • वबना हवथयार के शाांवतपर्ू ण ढांग से ववरोध करने का अवधकार अनच्ु छे द 19 (1)
अवधकार है (B) के तहत मौविक अवधकार है।
• सावणजवनक स्थिों पर अवनवित काि तक प्रदशणनकाररयों द्वारा कब्जा नहीं वकया
जा सकता है।
इर्ां रनेर् का अवधकार मौविक ● सांववधान के अनच्ु छे द 19 के तहत
अवधकार है
● अनच्ु छे द 19 (1) (G) कोई भी वृवत, व्यापार या कारोबार करने का अवधकार।
● इर्ां रनेर् पर वनिबां न अवनवित अववध के विए नहीं होना चावहए और
आनपु ावतकता परीक्षर् का पािन करना चावहए।
● इसे मानव अवधकार की वस्थवत का दजाण नहीं वदया गया है।

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● भारत में, के रि 2017 में इर्ां रनेर् तक पहुचां को "एक बवु नयादी मानव अवधकार"
घोवषत करने वािा पहिा राज्य बन गया।
विव इन ररिेशनवशप का ● उच्चतम न्यायािय ने विव-इन सबां धां ों को मान्यता प्रदान की है, न्यायािय के
अवधकार एक मौविक अनसु ार व्यवियों को जीने की स्वतत्रां ता दी जानी चावहए क्योंवक वे सबसे अच्छा
अवधकार है
सोचते हैं।
● 'एक साथ रहना जीवन का अवधकार है' (अनच्ु छे द 21 के तहत)
सचू ना का अवधकार एक ● सचू ना का अवधकार अवधवनयम 2005 (आरर्ीआई अवधवनयम) के तहत प्रदान
मौविक अवधकार है वकया गया 'जानने का अवधकार' अनच्ु छे द 19 और 21 के तहत एक मौविक
अवधकार है।

अनच्ु छे द 30 के तहत • अनच्ु छे द 30 राज्य को अल्पसांख्यक सांस्थानों के प्रशासन को पारदशी बनाने के


पररभावषत अवधकार वनरपेक्ष विए उवचत वनयम िागू करने से नहीं रोकता है।
नहीं हैं।

ववषय 16: अवधवास आधाररत आरक्षर्


अनच्ु छे द 16(2) अनच्ु छे द 16(2) के अनसु ार, राज्य के अधीन वकसी भी पद के सांबांध में धमण, मि ू वांश, जावत,
विांग, उद्भव, जन्मस्थान, वनवास या इसमें से वकसी के आधार पर न तो कोई नागररक अपात्र होगा
और न उससे ववभेद वकया जाएगा।
अनच्ु छे द 16(3) अनच्ु छे द 16(3), वनवास (न वक जन्म स्थान) के आधार पर सरकारी वनयवु ियों में प्रावधान करने
की अनमु वत देता है।
अनच्ु छे द 16(4) सवां वधान के अनच्ु छे द 16(4) के अनसु ार, राज्य सरकारें अपने नागररकों के उन सभी वपछडे वगण
के पक्ष में वनयवु ियों या पदों के आरक्षर् हेतु प्रावधान कर सकती हैं, वजनका राज्य की राय में
राज्य के अधीन सेवाओ ां में पयाणप्त प्रवतवनवधत्व नहीं है।
अनच्ु छे द 371 कुछ राज्यों को अनुच्छे द 371 के तहत ववशेष सरु क्षा प्राप्त है।

धारा 371 (डी) के तहत आध्रां प्रदेश को वनवदणि क्षेत्रों में "स्थानीय सवां गण की सीधी भती" करने
का अवधकार है।

ववषय 17: 103वाां सांववधान सांशोधन अवधवनयम


मख्ु य सांकेत:
● यह अनारवक्षत श्रेर्ी में आवथणक रूप से कमजोर वगण के विए सरकारी नौकररयों और शैक्षवर्क सांस्थानों में 10% आरक्षर् प्रदान
करता है।
● यह अवधवनयम आवथणक वपछडेपन के आधार पर आरक्षर् प्रदान करने के विए अनच्ु छे द 15 और 16 में सांशोधन करता है।
इस अनच्ु छे द 15 और अनच्ु छे द 16 के प्रयोजनों के विए, "आवथणक रूप से कमजोर वगों" को राज्य द्वारा समय-समय पर पाररवाररक आय
और आवथणक नक ु सान के अन्य सांकेतकों के आधार पर अवधसूवचत वकया जाना है।
महत्वपर्ू ण वबदां :ु
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● अनच्ु छे द 15 का नया खडां (6) सरकार को समाज के आवथणक रूप से कमजोर वगों के विए वनजी सस्ां थानों सवहत उच्च वशक्षर्
सस्ां थानों में आरक्षर् देने की अनमु वत देता है, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त हों या नहीं। अल्पसख्ां यक वशक्षर् सस्ां थानों को छूर् दी
गई है।
● इसी तरह, अनच्ु छे द 16 में नया खडां (6) सरकारी सेवाओ ां में प्रारांवभक वनयवु ि में आवथणक रूप से ववां चत वगों के विए कोर्ा प्रदान
करता है।

इवां दरा साहनी के स (1992)


● नौ-न्यायाधीशों की बेंच ने 50% आरक्षर् की सीमा तय की।
● इस फै सिे ने भी वसफण आवथणक कसौर्ी पर आरक्षर् देने पर रोक िगाई।

क्या आप जानते हैं?


● अनच्ु छे द 46 सरकार को समाज के कमजोर वगों के शैवक्षक और आवथणक वहतों को बढावा देने के विए कहता है।

ववषय 18: मांडि आयोग, रोवहर्ी आयोग, और अनच्ु छे द 340


अनच्ु छे द 340 ● राष्ट्रपवत आदेश द्वारा एक आयोग वनयि
ु कर सकता है वजसमें ऐसे व्यवि शावमि होंगे
वजन्हें वह सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे वगों की वस्थवतयों की जाचां करने के
विए उपयि ु समझता है।
आयोग की भवू मका ● आयोग उन कदमों के बारे में वसफाररशें करे गा जो सांघ या वकसी राज्य द्वारा कवठनाइयों
को दरू करने और उनकी वस्थवत में सधु ार करने के विए उठाए जाने चावहए।
● आयोग को राष्ट्रपवत के सामने एक ररपोर्ण पेश करनी होगी।
● राष्ट्रपवत ऐसी ररपोर्ण ससां द के प्रत्येक सदन के समक्ष रखे जाने के विए उस पर की गई
कारण वाई को स्पि करते हुए एक ज्ञापन के साथ प्रस्ततु करे गा।
मडां ि आयोग ● भारत में 1 जनवरी 1979 को सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडा वगण आयोग
(SEBC) की स्थापना की गयी।
● यह सरकारी नौकररयों में अन्य वपछडा वगण (ओबीसी) के विए आरक्षर् से सांबांवधत है।
रोवहर्ी आयोग ● 2017 में, राष्ट्रपवत ने अन्य वपछडा वगण (ओबीसी) के उप-वगीकरर् के ववषय का पता
िगाने के विए 5 सदस्यीय आयोग (वदल्िी के पवू ण मख्ु य न्यायाधीश जी रोवहर्ी की
अध्यक्षता में) का गठन वकया।

ववषय 19: 102वाां सांववधान सांशोधन अवधवनयम


1. राष्ट्रीय वपछडा वगण आयोग को सांवैधावनक दजाण प्रदान वकया।
2. एनसीबीसी के पास सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे वगों के सांबांध में वशकायतों और कल्यार्कारी उपायों की जाांच करने का
अवधकार है।
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3. पहिे एनसीबीसी सामावजक न्याय और अवधकाररता मांत्रािय के तहत एक साांवववधक वनकाय था।
4. 1992 का इद्रां ा साहनी मामिा - सप्रु ीम कोर्ण ने सरकार को वनदेश वदया था वक वह िाभ और सांरक्षर् के उद्देश्य से वववभन्न वपछडे
वगों को शावमि करने, जाांच करने और उनके बवहष्ट्कार के विए एक स्थायी वनकाय बनाए।

एनसीबीसी की सांरचना
1. आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों सवहत पाचां सदस्य होते हैं, वजन्हें राष्ट्रपवत द्वारा उनके हस्ताक्षर और महु र
के तहत वारांर् द्वारा वनयि
ु वकया जाता है।
2. आयोग की सेवा और कायणकाि की शतें राष्ट्रपवत द्वारा वनधाणररत की जाती हैं।

सवां ैधावनक प्रावधान


अनच्ु छे द 340 यह "सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे वगों" की पहचान करने, उनके वपछडेपन की वस्थवतयों
को समझने और उनके सामने आने वािी कवठनाइयों को दरू करने के विए वसफाररशें करने की
आवश्यकता से सांबांवधत है।

102वाां सवां वधान नए अनच्ु छे द 338 B और 342 A सवम्मवित वकए गए।


सांशोधन

अनच्ु छे द 338 B यह एनसीबीसी को सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे वगों के सबां धां में वशकायतों और
कल्यार्कारी उपायों की जाांच करने का अवधकार प्रदान करता है।
अनच्ु छे द 342 A यह राष्ट्रपवत को वववभन्न राज्यों और कें द्र शावसत प्रदेशों में सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे
वगों को वनवदणि करने का अवधकार प्रदान करता है। वह सांबांवधत राज्य के राज्यपाि के परामशण से
ऐसा कर सकते हैं। तथावप, यवद वपछडे वगों की सचू ी में सांशोधन करना है तो सांसद द्वारा अवधवनयवमत
काननू की आवश्यकता होगी।

ववषय 20: काननू व्यवस्था और सावणजवनक व्यवस्था के बीच अतां र


● सवां वधान की सातवीं अनसु चू ी 'पवु िस' और 'सावणजवनक व्यवस्था' के बीच अतां र करती है।
● सप्रु ीम कोर्ण ने एक ववभेदन वकया है और इस बात पर जोर वदया है वक दो शब्द अतां िः पररवतणनीय नहीं हैं।

काननू और व्यवस्था में एक क्षेत्र की वस्थवत के पवु िस द्वारा वकए गए ववश्लेषर् और आपरावधक काननू के तहत कठोर कारण वाई और दडां के
प्रवत उनकी प्रवतबद्ता शावमि है।
सावणजवनक व्यवस्था वजिावधकारी पर यह आकिन करने के विए िगाया गया कतणव्य है वक क्या वहसां ा को फै िने से रोकने और तनाव को
कम करने के विए उस स्थान पर जाना आवश्यक है जहाां काननू और व्यवस्था का उल्िघां न वकया गया है।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 15 - POLITY

#RaRebaba
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Day 15 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय किरे ज:

101. कें द्र शावित प्रदेश जम्म-ू कश्मीर में प्रशािन के विए अवििवू ित नए वनयम (New rules for administration notified in
the UT of J&K)
102. 5िीं और 6िीं अनिु वू ियों के बीि अतं र (Difference between 5th and 6th Schedules)
103: स्िायत्त वजिा पररषद (एडीिी) और रें गमा जनजावत (Autonomous district councils (ADCs) and Rengma tribe)
104. भाषा और मंश ु ी-अयंगर िूत्र िे िंबंवित िंिैिावनक प्राििान (Constitutional provisions dealing with Languages
and Munshi-Ayyangar formula)
105. गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) अविवनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act)
106. गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act,
2019)
107. विरोि का अविकार तथा नागररक और राजनीवतक अविकारों पर अंतरााष्ट्रीय िािा/ वनयम (Right to Protest and
International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR)
108. राजद्रोह (Sedition)
109. राष्ट्रीय िरु क्षा अविवनयम (National Security Act)
110. नागररकता अविवनयम, 1955 में िारा 16 (Section 16 in the Citizenship Act, 1955)

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Day 15 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय 101: कें द्र शावित प्रदेश जम्म-ू कश्मीर में प्रशािन के विए अवििूवित नए वनयम (New rules for administration notified in
the UT of J&K)
मख्ु य वबदं :ु
कें द्र ने जम्मू-कश्मीर पनु गाठन अविवनयम, 2019 के तहत नए वनयम जारी वकए हैं।
नए वनयमों के अनुिार -
1. पवु िि, अविि भारतीय िेिाएं और भ्रष्टािार वनरोिक ब्यरू ो उपराज्यपाि (LG) के िीिे वनयत्रं ण में होंगे।
2. कोई भी मामिा जो कें द्र शावित प्रदेश की शांवत और िौहादा या वकिी अल्पिंख्यक िमदु ाय, एििी / एिटी और बीिी के वहत को
प्रभावित कर िकता है - कोई भी आदेश जारी करने िे पहिे मख्ु यमंत्री को िवू ित करते हुए मख्ु य िविि के माध्यम िे उपराज्यपाि
को प्रस्तुत वकया जाएगा।
3. मख्ु यमंत्री की अध्यक्षता में मंवत्रपररषद गैर-अविि भारतीय िेिा अविकाररयों के िेिा मामिों, नए करों को िागू करने के प्रस्तािों,
भवू म राजस्ि, वबक्री, अनुदान या िरकारी िंपवत्तयों के पट्टे, विभागों या कायााियों के पनु गाठन और मिौदा कानूनों पर फै ििा करे गी।
4. मंवत्रपररषद और उपराज्यपाि के बीि मतभेद की वस्थवत में जहां एक महीने तक कोई िमािान नहीं होता, िहां उपराज्यपाि का
फै ििा ही अंवतम माना जाएगा।
5. कें द्र शावित प्रदेश की िरकार में 39 विभाग होंगे।
6. प्रिान मंत्री और अन्य मंवत्रयों िवहत कें द्र िे प्राप्त िभी िंिार मख्ु य िविि, वििारािीन मामिे के प्रभारी मंत्री, मख्ु यमंत्री और िेवटटनेंट
गिनार को प्रस्तुत वकए जाएंगे।
7. कोई भी मामिा, वजिमे कें द्र या राज्य िरकार के िाथ कें द्र शावित प्रदेश की िरकार को वििाद में िाने की िंभािना है, वजतनी
जल्दी हो िके , िंबंवित िविि द्वारा मख्ु य िविि के माध्यम िे एिजी और मख्ु यमंत्री के ध्यान में िाया जाएगा।

विषय 102: 5िीं और 6िीं अनुिवू ियों के बीि अंतर (Difference between 5th and 6th Schedules)
िबर में क्यों?
• िेह में नेता कें द्र शावित प्रदेश िद्दाि के विए छठी अनुििू ी के तहत िंिैिावनक िरु क्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।

• अरुणािि प्रदेश वििानिभा ने राज्य को िंवििान की छठी अनुििू ी के दायरे में िाने का प्रस्ताि पाररत वकया है।

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अनुििू ी V अनुििू ी VI
किर वकया गया (अनुिवू ित क्षेत्र)
क्षेत्र अिम मेघािय वमजोरम वत्रपरु ा
अवििवू ित वजिे या उिके 10 उत्तरी कछार िािी वहल्ि, िकमा, वत्रपरु ा में
राज्यों के कुछ वहस्िे: पहाड़ी, आवदिा
जयंवतया मारा और िी क्षेत्र
1. वहमािि प्रदेश, काबी वहल्ि और
2. राजस्थान आगं िोंग िाई वजिे
3. गजु रात और गारो वहल्ि
4. महाराष्ट्र
बोडोिैंड
5. आंध्र प्रदेश,
प्रादेवशक
6. तेिंगाना, क्षेत्र
7. ओवडशा,
8. झारिंड, प्रत्येक स्िायत्त वजिे के विए एक अिग क्षेत्रीय पररषद है।
9. छत्तीिगढ़ और
10. मध्य प्रदेश

िवं ििान अनुच्छे द 244 अनुच्छे द 244A


अनच्ु छे द

इि अनुच्छे द के तहत, भारत के एक एक स्िायत्त राज्य का गठन वजिमें अिम के कुछ जनजातीय
क्षेत्र को राष्ट्रपवत द्वारा अनुिूवित क्षेत्र शावमि हैं और स्थानीय वििावयका या मंवत्रपररषद या दोनों
क्षेत्रों के रूप में घोवषत वकया जा का वनमााण है।
िकता है।

यह स्िायत्त वजिे के गठन के विए प्राििान (िंबंवित राज्य के


यह एक जनजावत ििाहकार पररषद कायाकारी प्राविकरण के तहत) िे िबं वं ित है।
के गठन के विए प्राििान िे
िंबंवित है।

राष्ट्रपवत/राज्य राज्यपाि के पाि िंिद और राज्य स्िायत्त वजिों के रूप में जनजातीय क्षेत्रों को व्यिवस्थत करने
पाि के काया वििावयका द्वारा पाररत कानूनों को और पनु गावठत करने की शवि राज्य के राज्यपाि के पाि है। िह
इि तरह िे अनुकूवित करने की ऐिे जनजातीय क्षेत्रों का नाम, िीमा में पररितान कर िकते है।
शवि है वक िह इन क्षेत्रों के अनुकूि
हो। एक स्िायत्त वजिे में विवभन्न जनजावतयााँ हो िकती हैं, वजन्हें
बेहतर प्रशािन के विए राज्यपाि द्वारा स्िायत्त क्षेत्रों में विभावजत
उिे अनिु वू ित क्षेत्रों के रूप में वकया जाता है।

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वनवदाष्ट क्षेत्रों में िंिद या राज्य


वििावयका द्वारा बनाए गए वकिी भी कें द्र और राज्य अविवनयम इन स्िायत्त और क्षेत्रीय पररषदों पर
काननू को िश ं ोवित करने, रद्द करने िागू नहीं होते हैं (जब तक वक िश
ं ोवित और स्िीकाया न हो)।
या िीवमत करने की शवि प्राप्त है।

(यह तय करने की शवि वक क्या


कोई कें द्रीय या राज्य वििान
अनुिवू ित क्षेत्रों िािे राज्य पर िागू
होता है, राज्यपाि के हाथों में
वनवहत है।)

यह राज्यपाि को क्षेत्र के विए


िश
ु ािन और शांवत के विए वनयमन
करने की शवि प्रदान करता है।

राज्यपाि अनुिवू ित क्षेत्रों िािे


राज्य के विए वकिी भी वनयम को
वनरस्त या िश ं ोवित भी कर िकते
हैं, िेवकन के िि भारत के राष्ट्रपवत
की िहमवत िे।

राज्य के राज्यपाि के परामशा िे


राष्ट्रपवत वकिी अनुिवू ित क्षेत्र की
िीमा में पररितान, िृवि, या कमी
कर िकता है।

विषय 103: स्िायत्त वजिा पररषद (एडीिी) और रें गमा जनजावत (Autonomous district councils (ADCs) and Rengma tribe)
िबरों में क्यों?
● काबी आंगिोंग स्िायत्त पररषद (KAAC) को एक क्षेत्रीय पररषद में उन्नत करने के कें द्र और राज्य िरकारों के फै ििे के बीि अिम
में रें गमा नागा एक स्िायत्त वजिा पररषद की मांग कर रहे हैं।
● रें गमा नागािैंड और अिम में पाई जाने िािी एक नागा जनजावत है।
स्िायत्त वजिा पररषदों (ADCs) के बारे में;
● िंवििान की छठी अनुििू ी जनजातीय आबादी की रक्षा करती है और स्िायत्त विकाि पररषदों के वनमााण के माध्यम िे िमदु ायों को
स्िायत्तता प्रदान करती है जो भवू म, िािाजवनक स्िास््य, कृ वष और अन्य पर कानून बना िकती हैं।

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● अभी तक अिम, मेघािय, वत्रपरु ा और वमजोरम में 10 स्िायत्त पररषदें मौजदू हैं। वनवदाष्ट जनजातीय क्षेत्र उत्तरी कछार वहल्ि, काबी
आगं िोंग और अिम में बोडोिैंड प्रादेवशक क्षेत्र हैं।

● ADC एक राज्य के भीतर वजिे का प्रवतवनवित्ि करने िािी एक कॉपोरे ट िंस्था है, वजिे िंवििान ने राज्य वििावयका के भीतर
स्िायत्तता का अिग-अिग स्तर प्रदान वकया है।

● ADC को नागररक और न्यावयक शवियां प्राप्त हैं। िे राज्यपाि की अनुमवत िे भवू म, िन, मत्स्य पािन, िामावजक िरु क्षा,
मवु िया/मवु िया की वनयवु ि, िामावजक रीवत-ररिाजों आवद जैिे मामिों पर भी कानून बना िकते हैं।

● छठी अनुििू ी के तहत पररषदों को देश के बाकी वहस्िों में 73 िें (पिं ायती प्रणािी) और 74 िें (नगरपाविकाओ)ं िश
ं ोिनों के तहत
स्थानीय िरकारों की तुिना में अविक अविकार वदए गए हैं।

विषय 104: भाषा और मंशु ी-अयंगर ित्रू िे िंबंवित िंिैिावनक प्राििान (Constitutional provisions dealing with Languages
and Munshi-Ayyangar formula)
िंिैिावनक प्राििान वििरण
आठिीं अनुििू ी ● भारत के िंवििान की आठिीं अनुििू ी में भारत गणराज्य की आविकाररक भाषाओ ं को
ििू ीबि वकया गया है।
● भारतीय िंवििान के अनुच्छे द 344(1) और 351 के अनुिार, आठिीं अनुििू ी में
वनम्नविवित 22 भाषाओ ं की मान्यता प्रदान की गयी है।
● इिका उद्देश्य वहदं ी के प्रगवतशीि उपयोग को बढ़ािा देना और इि भाषा के िंििान और
प्रिार करने के विए था।

अनुच्छे द 343 ● ितामान में, िंघ की आविकाररक भाषा देिनागरी विवप के िाथ अंग्रेजी और वहदं ी दोनों है।
(भाग XVII)
अनुच्छे द 344 ● िंवििान में वहन्दी भाषा के प्रगवतशीि प्रयोग की वनगरानी का भी प्राििान है।
● इिके विए िरकार द्वारा क्रमशः प्रत्येक 5 और 10 िषा में एक आयोग की वनयवु ि की जाती
है।
● इन विफाररशों की जािं के विए एक ििं दीय िवमवत का गठन वकया जाता है जो अपनी
ररपोटा राष्ट्रपवत को िौंपती है।

अनुच्छे द 351 ● िघं का यह कताव्य है वक िह वहदं ी भाषा के प्रिार को बढ़ािा दे तावक िह अवभव्यवि के
माध्यम के रूप में काम कर िके ।

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मंश
ु ी-अयंगर फॉमाि
ू ा ● इि ित्रू के अनुिार, अंग्रेजी को वहदं ी के िाथ-िाथ भारत की राजभाषा के रूप में पंद्रह िषों
की अिवि तक जारी रिना था, िेवकन िीमा िोिदार थी और विस्तार की शवि िंिद को
दी गई थी।

विषय 105: गैरकाननू ी गवतविवि (रोकथाम) अविवनयम (Unlawful Activities (Prevention) Act)
िबरों में क्यों?
● गृह मंत्रािय (MHA) के आंकड़ों के अनुिार 2015 में वकए गए िोगों के िंबंि में 2019 में कठोर गैरकानूनी गवतविवियां (रोकथाम)
अविवनयम (UAPA) के तहत की गई वगरटतारी की िंख्या में 72% की िृवि हुई है।
आक
ं ड़ों के मतु ावबक 2019 में-
UAPA के तहत िबिे ज्यादा मामिे दजा वकए गए 1. मवणपरु (306)
2. तवमिनाडु (270)
3. जम्मू और कश्मीर (255)
4. झारिंड (105) और
5. अिम (87)

UAPA के तहत िबिे ज्यादा वगरटताररयां 1. उत्तर प्रदेश (498)


2. मवणपरु (386)
3. तवमिनाडु (308)
4. जम्मू और कश्मीर (227) और
5. झारिंड (202)

गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) अविवनयम (UAPA) के बारे में


मख्ु य वबदं :ु
1. UAPA 1967 में पाररत हुआ था।
2. इिका उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गवतविवियों के िंघों की प्रभािी रोकथाम करना है।
3. अविवनयम कें द्र िरकार को पणू ा शवि प्रदान करता है। यवद कें द्र वकिी गवतविवि को गैरकानूनी मानता है तो िह ऐिा घोवषत कर
िकता है।
4. इिमें उच्ितम दडं के रूप में मृत्यदु डं और आजीिन कारािाि का प्राििान है।
5. UAPA के तहत, भारतीय और विदेशी दोनों नागररकों पर आरोप िगाए जा िकते हैं।
6. यह अपरावियों पर उिी तरह िागू होगा, भिे ही अपराि भारत के बाहर वकिी विदेशी भवू म पर वकया गया हो।
7. 2004 के िश ं ोिन ने आतक ं िादी गवतविवियों के विए िगं ठनों पर प्रवतबिं िगाने के विए अपरािों की ििू ी में एक आतक
ं िादी
अविवनयम जोड़ा, वजिके तहत 34 िगं ठनों पर प्रवतबिं िगा वदया गया।

विषय 106: गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 (Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act,
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2019)
अगस्त 2019 में, िंिद ने गैरकानूनी गवतविवि (रोकथाम) िंशोिन अविवनयम, 2019 पाररत वकया।
मख्ु य वबदं :ु
1. िंिद ने कई पररितान वकए और प्राथवमक पररितान हािांवक िौथी अनुििू ी को शावमि करना था और व्यवियों को आतंकिादी के
रूप में नावमत करना था यवद व्यवि आतंकिाद के कृ त्यों में भाग िेता है, आतंकिादी तैयार करता है, आतंकिाद को बढ़ािा देता है
या अन्यथा आतंकिाद में शावमि होता है।
2. यह अविवनयम राष्ट्रीय जांि एजेंिी (NIA) के महावनदेशक को उि एजेंिी द्वारा मामिे की जांि वकए जाने पर िंपवत्त की जब्ती या
कुकी की मंजरू ी देने का अविकार देता है।
3. यह अविवनयम राज्य में DSP या ACP या उििे ऊपर के रैं क के अविकारी द्वारा वकए गए मामिों के अिािा, इस्ं पेक्टर या उििे
ऊपर के रैं क के NIA के अविकाररयों को आतकं िाद के मामिों की जािं करने का अविकार देता है।

विषय 107: विरोि का अविकार और नागररक और राजनीवतक अविकारों पर अंतरााष्ट्रीय वाचा / नियम (Right to Protest and
International Covenant on Civil and Political Rights - ICCPR)
िबरों में:
● िप्रु ीम कोटा ने हाि ही में इि बात पर प्रकाश डािा है वक विरोि का अविकार एक मौविक अविकार है, हािांवक, विरोि के विए
िािाजवनक स्थानों पर कब्जा करना स्िीकाया नहीं है और इि तरह के स्थान पर अवनवित काि तक कब्जा नहीं वकया जा िकता है।
● प्रदशानकारी के अविकार को वनयवमत आने-जाने िािे के अविकार के िाथ ितं वु ित करना होगा। उन्हें आपिी िम्मान में िह-
अवस्तत्ि में रहना होगा ।
● पीठ ने यह भी कहा वक िािाजवनक स्थिों पर अवतक्रमण रोकने की परू ी वजम्मेदारी प्रशािन की है।

विरोि के अविकार के विए उपिब्ि िंिैिावनक िरु क्षा;


1. अनुच्छे द 19(1) (A) अवभव्यवि की स्ितंत्रता का अविकार।

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2. अनुच्छे द 19(1) (B) शांवतपिू ाक और वबना हवथयारों के इकट्ठा होने का अविकार


3. अनुच्छे द 19(2) एकत्र होने के अविकार और िाक् एिं अवभव्यवि की स्ितंत्रता पर प्रवतबंि।
4. अनुच्छे द 51A िािाजवनक िंपवत्त की रक्षा करना और विरोि प्रदशान के दौरान वहिं ा िे बिना।
5. रामिीिा मैदान घटना पर SC बनाम गृह िविि, भारत िंघ और अन्य (2012)
नागररक और राजनीवतक अविकारों पर अंतरााष्ट्रीय अनुबंि (ICCPR)
1. यह ियं िु राष्ट्र महािभा (UNGA) द्वारा अपनाई गई एक बहुपक्षीय िवं ि है।
2. ICCPR की वनगरानी ियं ि ु राष्ट्र मानिाविकार िवमवत करती है।
3. अनबु िं अपनी पावटायों को व्यवियों के नागररक और राजनीवतक अविकारों का िम्मान करने के विए प्रवतबि करती है, वजिमें
जीिन का अविकार, िमा की स्ितत्रं ता, भाषण की स्ितत्रं ता, िभा की स्ितत्रं ता, िनु ािी अविकार और उवित प्रवक्रया के अविकार
और वनष्ट्पक्ष जािं शावमि हैं।
4. ICCPR आवथाक, िामावजक और िास्ं कृ वतक अविकारों पर अतं रााष्ट्रीय िािा (ICESCR) और मानि अविकारों की िािाभौवमक
घोषणा (UDHR) के िाथ-िाथ अतं रााष्ट्रीय मानिाविकार वििेयक का वहस्िा है।
5. यह 1976 में प्रभािी हुआ।

विषय 108: राजद्रोह (Sedition)


मख्ु य वबंद:ु
1. इिे ित्ता में िरकार के वििाफ िोगों को उकिाने के अिैि कृ त्यों के रूप में पररभावषत वकया गया है।
2. IPC की िारा 124 A राजद्रोह को पररभावषत करती है।
3. राजद्रोह गैर जमानती अपराि है।
4. िारा 124A के तहत िजा तीन िाि तक की कै द िे िेकर आजीिन कारािाि तक है, वजिमें जुमााने को जोड़ा जा िकता है।
5. के दार नाथ विंह बनाम स्टेट ऑफ वबहार के ि-SC ने िारा 124A की िंिैिावनकता पर फै ििा वकया।
6. इि कानून का मिौदा मि ू रूप िे थॉमि मैकािे द्वारा तैयार वकया गया था।

विषय 109: राष्ट्रीय िरु क्षा अविवनयम (National Security Act)


मख्ु य वबंद:ु
1. NSA के तहत, वकिी व्यवि को "राज्य की िरु क्षा" या "िािाजवनक व्यिस्था के रिरिाि" के विए वकिी भी तरह के प्रवतकूि
काया करने िे रोकने के विए उिे वहराित में विया जाता है।
2. यह एक प्रशािवनक आदेश है वजिे या तो मंडिायि ु या वजिाविकारी द्वारा पाररत वकया जाता है। यह विवशष्ट आरोपों के आिार
पर पवु िि द्वारा आदेवशत नहीं वकया जाता या यह कानून के विवशष्ट उल्िंघन के विए नहीं है।
3. अगर कोई व्यवि पवु िि वहराित में है तो भी DM उिके वििाफ NSA िगा िकते हैं।
4. या, यवद वकिी व्यवि को वनििी अदाित द्वारा जमानत दे दी गई है, तो उिे NSA के तहत तुरंत वहराित में विया जा िकता है।
5. यवद व्यवि को न्यायािय द्वारा बरी कर वदया गया है, तो उिी व्यवि को NSA के तहत वहराित में विया जा िकता है।

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6. यह कानून एक व्यवि के िंिैिावनक अविकार को भी छीन िेता है वजिे 24 घंटे के भीतर मवजस्रेट के िमक्ष पेश वकया जाना है,
जैिा तब होता है जब आरोपी पुविि वहराित में होता है; वहराित में विए गए व्यवि को आपराविक अदाित के िमक्ष जमानत
याविका दायर करने का भी अविकार नहीं है।
7. िाथ ही, नजरबंदी आदेश पाररत करने िािे डीएम को अविवनयम के तहत िंरवक्षत वकया जाता है: आदेश देने िािे अविकारी के
वििाफ कोई मक ु दमा या कोई कानूनी कायािाही शरू ु नहीं की जा िकती है।
8. इिविए, बंदी प्रत्यक्षीकरण की ररट NSA के तहत िोगों को वहराित में िेने की अवनयंवत्रत राज्य शवि के वििाफ िंवििान के
तहत गारंटीकृ त एकमात्र िंरक्षण है।
9. NSA के तहत एक महत्िपणू ा प्रवक्रयात्मक िरु क्षा अनच्ु छे द 22 (5) के तहत प्रदान की जाती है, जहां वहराित में विए गए िभी
व्यवियों को एक स्ितत्रं ििाहकार बोडा के िमक्ष प्रभािी प्रवतवनवित्ि करने का अविकार है, वजिमें तीन िदस्य होते हैं; और बोडा
की अध्यक्षता एक ऐिे िदस्य द्वारा की जाती है जो उच्ि न्यायािय का न्यायािीश है या रहा हो।

विषय 110: नागररकता अविवनयम, 1955 में िारा 16 (Section 16 in the Citizenship Act, 1955)
िमािार: कें द्र ने मौजदू ा वनयमों के तहत गजु रात, छत्तीिगढ़, राजस्थान, हररयाणा और पंजाब के 13 वजिों के वजिा किेक्टरों को पावकस्तान,
अफगावनस्तान और बाग्ं िादेश के अल्पिख्ं यक िमदु ायों के िदस्यों के नागररकता आिेदनों को स्िीकार करने, ित्यावपत करने और मजं रू ी देने
की शवि प्रदान की है।
2019 में पाररत नागररकता (िंशोिन) अविवनयम (CAA) 31 वदिंबर, 2014 तक भारत आने िािे छह गैर-प्रिेवित िमदु ायों को भारतीय
नागररकता प्रदान करने का प्रयाि करता है।
मख्ु य वबंद:ु
1. नागररकता एक कें द्रीय विषय है और गृह मंत्रािय िमय-िमय पर नागररकता अविवनयम, 1955 की िारा 16 के तहत गजट
अविििू ना के माध्यम िे राज्यों को शवियां प्रदान करता है।
2. कें द्र िरकार, आदेश द्वारा, वनदेश दे िकती है वक उिे प्रदान की गई कोई भी शवि ऐिे अविकारी या प्राविकारी द्वारा भी प्रयोग की
जा िकती है जो इि प्रकार वनवदाष्ट हो।
3. भारतीय नागररकता आठ आिारों पर प्राप्त की जा िकती है - भारतीय मि ू के व्यवि द्वारा वकए गए पंजीकरण के आिार पर, वकिी
भारतीय िे वििावहत व्यवि द्वारा, नाबाविग बच्िे, वजिके माता-वपता भारत के नागररक के रूप में पंजीकृ त हैं, एक व्यवि द्वारा,
वजिके माता-वपता में िे कोई एक स्ितंत्र भारत का नागररक था, भारत के विदेशी नागररक, भारतीय िावणज्य दतू ािाि में एक बच्िे
के देशीयकरण और पंजीकरण द्वारा।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
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DAY 16 - POLITY

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Day 16 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय किरे ज:

111. पजू ा स्थल (विशेष प्रािधान) अवधवनयम, 1991 (The Place of Worship (Special Provisions) Act, 1991)
112. 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम (102nd Constitution Amendment Act)
113. SEBC का समािेश और बविष्करण (Inclusion and Exclusion of SEBC)
114. राष्रीय जनसांख्या रवजस्टर (National Population Register - NPR)
115. विश्व प्रेस स्ितांत्रता सचू काांक 2021 (2021 World Press Freedom Index)
116. आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 (Official Secrets Act 1923)
117. EIU के लोकतांत्र सचू काांक में भारत का 53 िाां स्थान। (India ranks 53rd in EIU’s Democracy Index)
118. जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (District Development Councils (DDCs) in J&K)
119. जी वकशन रे ड्डी सवमवत (G KISHAN REDDY COMMITTEE)
120. एक राष्र एक आिेदन: राष्रीय ई-विधान आिेदन (One Nation One Application: National e-Vidhan
Application (NeVA)

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विषय 111: पजू ा स्थल (विशेष प्रािधान) अवधवनयम, 1991 (The Place of Worship (Special Provisions) Act, 1991)
मख्ु य वबदां :ु
1. यि अवधवनयम 1991 में एक विशेष काननू के रूप में अवधवनयवमत वकया गया था तावक पजू ा स्थलों की 15 अगस्त, 1947 की
वस्थवत को वस्थर वकया जा सके ।
2. अवधवनयम घोवषत करता िै वक पजू ा स्थल का धावमिक चररत्र ििी रिेगा जो 15 अगस्त, 1947 को था।
3. इसमें किा गया िै वक कोई भी व्यवि वकसी भी धावमिक सांप्रदाय के पजू ा स्थल को अलग सांप्रदाय या िगि में पररिवतित निीं करे गा।
4. यि वकसी भी काननू ी कायििािी को प्रवतबांवधत करता िै और बशते वक सभी लांवबत मामले समाप्त िो जाएांगे, और आगे कोई
कायििािी दजि निीं की जा सकती िै ।
पजू ा स्थल अवधवनयम का उद्देश्य
1. वकसी भी पजू ा स्थल की वस्थवत को 15 अगस्त, 1947 के समान वस्थर करना।
2. वकसी भी पूजा स्थल की वपछली वस्थवत के बारे में वकसी भी समिू द्वारा नए दािों को रोकना।
3. सरां चनाओ ां या भवू म वजस पर िे खडे थे, को पनु ः प्राप्त करने के वकसी भी नए प्रयास को रोकना।
4. लांबे समय में साांप्रदावयक सद्भाि बनाए रखना।
1991 का अवधवनयम कुछ मामलों में लागू निीं िोगा -
1. यि प्राचीन और ऐवतिावसक स्मारकों और परु ातावविक स्थलों और अिशेषों पर लागू निीं िोगा जो प्राचीन स्मारकों और
परु ातावविक स्थलों और अिशेष अवधवनयम, 1958 द्वारा किर वकए गए िैं।
2. काननू ने अयोध्या में वििावदत ढाचां े को अपने दायरे से बािर रखा, मख्ु यतः क्योंवक यि लबां े समय तक मक
ु दमेबाजी का विषय
रिा था। इसका उद्देश्य सांभावित बातचीत से समाधान के वलए गजांु ाइश प्रदान करना भी था।

विषय 112: 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम (102nd Constitution Amendment Act)
मख्ु य वबांद:ु
1. इसने राष्रीय वपछडा िगि आयोग को सांिैधावनक दजाि प्रदान वकया (इसमें अनच्ु छे द 338 B जोडा गया)
2. पिले NCBC सामावजक न्याय और अवधकाररता मांत्रालय के तित एक िैधावनक वनकाय था।
3. 1992 का इद्रां ा सािनी मामला - सप्रु ीम कोटि ने सरकार को एक स्थायी वनकाय बनाने का वनदेश वदया था जो लाभ और सरु क्षा के
उद्देश्य से विवभन्न वपछडा िगि के चयन, जाांच और वसफाररश करने तथा शावमल करने और बविष्कृ त करने की वसफाररश करता
िै।
NCBC की सरां चना
1. आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्यों सवित पाच ां सदस्य िोते िैं वजन्िे राष्रपवत द्वारा उनके िस्ताक्षर और
मिु र के तित िारांट द्वारा वनयि
ु वकया जाता िैं।
2. आयोग की सेिा और कायिकाल की शतें राष्रपवत द्वारा वनधािररत की जाती िैं।
सिां ैधावनक प्रािधान
1. अनच्ु छे द 340 "सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों" की पिचान करने, उनके वपछडेपन की वस्थवतयों को समझने और
उनके सामने आने िाली कविनाइयों को दरू करने के वलए वसफाररशें करने की आिश्यकता से सबां वां धत िै।
2. 102 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम ने नए अनच्ु छे द 338 B और 342 A को सवम्मवलत वकया।
3. अनच्ु छे द 338 B NCBC को सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों के बारे में वशकायतों और कल्याणकारी उपायों की
जाांच करने का अवधकार प्रदान करता िै।
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4. अनच्ु छे द 342 A राष्रपवत को विवभन्न राज्यों और कें द्र शावसत प्रदेशों में सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों को वनवदिष्ट
करने का अवधकार देता िै। िि सबां वां धत राज्य के राज्यपाल के परामशि से ऐसा कर सकता िै। िालावां क, यवद वपछडे िगों की सूची
में सांशोधन करना िै तो सांसद द्वारा अवधवनयवमत काननू की आिश्यकता िोगी।

विषय 113: SEBC का समािेश और बविष्करण (Inclusion and Exclusion of SEBC)


मख्ु य वबांद:ु
1. सप्रु ीम कोटि की सांिैधावनक पीि ने फै सला सुनाया वक 2018 में 102िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम के पाररत िोने के बाद,
राज्यों के पास 'सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे' (SEBC) िगों की पिचान करने की कोई शवि निीं िै।
2. 102िें CAA के अनसु ार, प्रवयेक राज्य के सांबांध में के िल राष्रपवत िी वपछडे िगों की सचू ी प्रकावशत कर सकता िै और के िल
ससां द िी इसमें समािेश या बविष्करण कर सकती िै।
क्या आप जानते िैं?
102 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम के अनसु ार
1. NCBC के पास सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछडे िगों (SEBC) के बारे में वशकायतों और कल्याणकारी उपायों की जाच ां
करने का अवधकार िै।
2. यि वनधािररत वकया गया िै वक कें द्र और राज्य SEBC से सबां वां धत सभी नीवतगत मामलों पर आयोग से परामशि करें गे।
3. सांशोधन में अनच्ु छे द 342 A भी जोडा गया, वजसके तित राष्रपवत सांबांवधत राज्यों के राज्यपालों के परामशि से प्रवयेक राज्य
और कें द्र शावसत प्रदेश के सबां ांध में SEBC की एक सचू ी को अवधसवू चत करें गे।
4. एक बार जब यि 'कें द्रीय सचू ी' अवधसवू चत िो जाती िै, तो के िल सांसद िी काननू द्वारा सचू ी में समािेश या बविष्करण कर सकती
िै।
5. इसके अलािा, 'SEBC' की पररभाषा को सांविधान में जोडा गया — 'SEBC' का अथि िै "ऐसे वपछडे िगों को इस सांविधान के
उद्देश्यों के वलए अनच्ु छे द 342 A के तित समझा जाता िै"।

विषय 114: राष्रीय जनसांख्या रवजस्टर (National Population Register - NPR)


खबर में क्यों?
● कें द्र ने वनिावसयों को ऑनलाइन मोड के माध्यम से राष्रीय जनसख्ां या रवजस्टर (NPR) फॉमि में कॉलम भरने की अनमु वत देने का
वनणिय वलया िै।
राष्रीय जनसांख्या रवजस्टर (NPR) के बारे में;
1. उद्देश्य - देश के प्रवयेक सामान्य वनिासी का एक व्यापक पिचान डेटाबेस बनाना।
2. सामान्य वनिासी (नागररकता वनयम, 2003 में पररभावषत वकया गया िै) - सामान्य वनिासी को एक ऐसे व्यवि के रूप में पररभावषत
वकया जाता िै जो वपछले छि मिीने या उससे अवधक समय से स्थानीय क्षेत्र में रिता िै या िि व्यवि जो अगले छि मिीने या
उससे अवधक समय तक उस क्षेत्र में रिने का इरादा रखता िै।
3. डेटाबेस में जनसाांवख्यकीय के साथ-साथ बायोमेवरक वििरण भी शावमल िोंगे।
4. भारत के प्रवयेक सामान्य वनिासी के वलए NPR में पांजीकरण करना अवनिायि िै।
5. NRC के विपरीत, NPR में भारत में रिने िाले विदेशी भी शावमल िोंगे।
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6. NPR को 1955 के नागररकता अवधवनयम और 2003 में वनधािररत नागररकता वनयमों के वसद्ाांतों के तित विकवसत वकया जा
रिा िै।
7. NPR की परू ी किायद कें द्रीय गृि मांत्रालय के अधीन भारत के रवजस्रार जनरल (RGI) के कायािलय द्वारा की जाएगी।
क्या आप जानते िैं?
● NPR को पिली बार 2010 में एक साथ दशकीय जनगणना अभ्यास के साथ सक ां वलत वकया गया था और बाद में 2015 में
अपडेट वकया गया था। इसमें पिले से िी 119 करोड वनिावसयों का डेटाबेस िै।
किर करने के वलए विषय: NRC और NPR के बीच अांतर; NPR और जनगणना; अनच्ु छे द 5-11 (भाग 2); नागररकता अवधवनयम
1955 - नागररकता के अवधग्रिण और समावप्त के वलए विवभन्न तरीके

विषय 115: विश्व प्रेस स्ितत्रां ता सचू काकां 2021 (2021 World Press Freedom Index)
मख्ु य वबांद:ु
1. 2021 िल्डि प्रेस फ्रीडम इडां ेक्स एक फ्राांसीसी एनजीओ ररपोटिसि विदाउट बॉडिसि (RSF) द्वारा तैयार वकया गया िै।
2. इसने पनु ः 180 देशों में भारत को 142िें स्थान पर रखा िै।
3. 2016 में, भारत की रैं क 133 थी जो 2020 में लगातार वगरकर 142 िो गई िै।

RSF की ररपोटि के मतु ावबक-


1. पत्रकारों के वलए भारत दवु नया के सबसे खतरनाक देशों में से एक िै जो अपना काम िीक से करने की कोवशश कर रिे िै।
2. भारत ब्राजील, मैवक्सको और रूस के साथ "खराब" िगीकरण साझा करता िै।
3. निीनतम सचू काक ां में नॉिे वफर से शीषि पर रिा, वजसके बाद वफनलैंड और डेनमाकि का स्थान रिा, जबवक इररवरया का स्थान
अांवतम रिा।
4. चीन 177 िें स्थान पर िै, और 179 पर उत्तर कोररया और 178 पर तक ु ि मेवनस्तान िै।
5. दवक्षण एवशयाई इलाकों में नेपाल 106, श्रीलांका 127, म्याांमार (तख्तापलट से पिले) 140, पावकस्तान 145 और बाांग्लादेश
152 पर िै ।

विषय 116: आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 (Official Secrets Act 1923)
वदल्ली पवु लस ने एक रणनीवतक मामलों के विश्ले षक और दो अन्य को आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम (OSA) के तित वगरफ्तार
वकया िै।
मख्ु य वबांद:ु
1. आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम 1923 अवनिायि रूप से भारत का जाससू ी विरोधी काननू िै।
2. OSA की जडें वब्रवटश औपवनिेवशक यगु से जडु ी िैं। इसका मल ू सांस्करण भारतीय आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम, 1889
था।
3. इसका मख्ु य उद्देश्य वब्रवटश राज की नीवतयों का विरोध करने िाले अखबारों को दबाना और चपु कराना था।
4. भारत के िायसराय के रूप में लॉडि कजिन के कायिकाल के दौरान इसे भारतीय आवधकाररक गोपनीयता अवधवनयम, 1904 के
रूप में सांशोवधत और अवधक किोर बनाया गया था।
5. 1923 में, एक नया सस्ां करण अवधसवू चत वकया गया था ।
6. OSA 1923 मोटे तौर पर दो पिलओ ु ां से सांबांवधत िै -

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i. जाससू ी या गप्तु चयाि (और)


ii. सरकार की अन्य गप्तु सचू नाओ ां का खलु ासा
7. िालााँवक, OSA गप्तु जानकारी को पररभावषत निीं करता िै।
8. दोषी पाए जाने पर व्यवि को 14 साल तक की कै द, जमु ािना या दोनों िो सकते िैं। सचू ना का सांचार करने िाले व्यवि और सचू ना
प्राप्त करने िाले व्यवि दोनों को OSA के तित दवां डत वकया जा सकता िै।

विषय 117: EIU के लोकतांत्र सचू काांक में भारत का 53 िाां स्थान। (India ranks 53rd in EIU’s Democracy Index)
मख्ु य वबांद:ु
1. भारत 2020 लोकतत्रां सचू काक ां में 167 देशों में से दो स्थान नीचे वखसक कर 53 िें स्थान पर आ गया िै।
2. 0-10 के पैमाने पर सचू काांक में भारत का कुल स्कोर 6.61 िै।
3. भारत को एक 'त्रवु टपणू ि लोकतत्रां ' के रूप में िगीकृ त वकया गया िै।
4. डेमोक्रेसी इडां ेक्स द इकोनॉवमस्ट इटां ेवलजेंस यवू नट (EIU) द्वारा जारी की गई िैवश्वक रैं वकांग िै जो दवु नया भर में लोकतांत्र की ितिमान
वस्थवत का एक आशवु चत्र (Snapshot) प्रदान करती िै।

मख्ु य वनष्कषि:
● सचू काक ां में नॉिे शीषि पर िै।
● आइसलैंड, स्िीडन, न्यजू ीलैंड और कनाडा सचू ी में शीषि पाांच देश िैं।
● 167 देशों में से, लोकतांत्र सचू काांक ने 23 देशों को पणू ि लोकतांत्रों के रूप में, 52 को त्रवु टपणू ि लोकतांत्रों के रूप में, 35 को सक
ां र
शासन के रूप में और 57 को सत्तािादी शासन के रूप में िगीकृ त वकया िै।

विषय 118: जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (District Development Councils (DDCs) in J&K)
कें द्र ने जम्मू और कश्मीर में वजला विकास पररषद (DDC) की स्थापना की सवु िधा के वलए जम्मू और कश्मीर पच
ां ायती राज अवधवनयम,
1989 में सांशोधन वकया िै।
मख्ु य वबांद:ु
1. DDC जम्मू और कश्मीर में शासन की एक नई इकाई के रूप में कायि करे गा।

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2. इस सांरचना में एक DDC और एक वजला योजना सवमवत (DPC) शावमल िोगी।


3. यि प्रणाली सभी वजलों में वजला योजना एिां विकास बोडि की जगि लेगी।
4. यि वजला योजनाओ ां और पांजू ीगत व्यय को भी तैयार और अनमु ोवदत करे गा।
5. DDC का कायिकाल पाांच साल का िोगा ।
6. चनु ािी प्रवक्रया में अनसु वू चत जावत, अनसु वू चत जनजावत और मविलाओ ां को आरक्षण वदया जाएगा।
7. वजले के अवतररि वजला विकास आयि ु (या अवतररि DC) वजला विकास पररषद के मख्ु य कायिकारी अवधकारी िोंगे।

DDC की क्या भवू मका िै?


● डीडीसी अपने अवधकार के तित क्षेत्र के विकास कायिक्रम तैयार करने के वलए उत्तरदायी िोंगे।
● अब प्रवयेक DDC में वित्त, विकास, लोक वनमािण, स्िास््य एिां वशक्षा और कल्याण के वलए पाांच स्थायी सवमवतयाां गवित की
जाएांगी।

विषय 119: जी वकशन रे ड्डी सवमवत (G KISHAN REDDY COMMITTEE)


मख्ु य वबांद:ु
1. कें द्र ने लद्दाख की भाषा, सस्ां कृ वत और भवू म की रक्षा और कें द्र शावसत प्रदेश के विकास में नागररकों की भागीदारी सवु नवित करने
के वलए एक सवमवत बनाने का फै सला वकया िै।
2. इस सवमवत की अध्यक्षता गृि राज्य मत्रां ी जी वकशन रे ड्डी करें गे और इसमें लद्दाख, लद्दाख स्िायत्त पिाडी विकास पररषद, कें द्र
सरकार और लद्दाख प्रशासन के वनिािवचत प्रवतवनवध शावमल िोंगे।
3. सवमवत बनाने का फै सला कें द्रीय गृि मत्रां ी अवमत शाि ने लद्दाख के 10 सदस्यीय प्रवतवनवधमडां ल से मल ु ाकात के बाद वकया,
वजन्िोंने लद्दाख की अनिू ी साांस्कृ वतक पिचान की रक्षा करने की आिश्यकता के बारे में अपने विचार व्यि वकए।

विषय 120: एक राष्र एक आिेदन: राष्रीय ई-विधान आिेदन (One Nation One Application: National e-Vidhan
Application (NeVA)
मख्ु य वबांद:ु
1. 'ई-विधान' वडवजटल इवां डया कायिक्रम के तित 44 वमशन मोड पररयोजनाओ ां (MMP) में से एक िै।
2. इसके कायािन्ियन के वलए नोडल मांत्रालय: सांसदीय कायि मांत्रालय (MoPA)
3. NeVA की फांवडांग कें द्रीय प्रायोवजत योजना की तजि पर िै यानी 60:40; और उत्तर पूिि और पिाडी राज्यों के वलए 90:10 और
कें द्र शावसत प्रदेशों के वलए 100%।
4. ई-विधान के वलए वित्त पोषण MoPA द्वारा प्रदान वकया जाता िै।
5. तकनीकी सिायता: इलेक्रॉवनक्स और सचू ना प्रौद्योवगकी मांत्रालय (MeitY)।
क्या आप जानते िैं?

● पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली एक अिधारणा िै वजसमें असेंबली के काम को सुविधाजनक बनाने के वलए इलेक्रॉवनक
साधन शावमल िैं ।
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● यि सांपूणि काननू बनाने की प्रवक्रया के स्िचालन, वनणियों और दस्तािेजों की रैवकांग, सचू नाओ ां के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता
िै।
● NeVA का उद्देश्य: देश की सभी विधावयकाओ ां को एक साथ लाने के वलए, एक मच ां में वजससे कई अनप्रु योगों की जवटलता के
वबना एक बडे पैमाने पर डेटा वडपॉवजटरी का वनमािण िोता िै ।
● इसके अलािा, लोकसभा टीिी और राज्यसभा टीिी की लाइि िेबकावस्टांग भी इस एप्लीके शन पर उपलब्ध िै।
● दरू दशिन को राज्य विधानसभाओ ां के सबां धां में समान सवु िधाओ ां को शावमल करने के प्रािधान के साथ पिले िी सक्षम कर वदया
गया िै।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
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DAY 29 - POLITY

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विषय

201. प्रश्न काल (Question Hour)

202. इनर लाइन परमिट (Inner line Permit)

203. सिेमकत ऋण शोधन मनमध (Consolidated sinking fund)

204. राष्ट्रपमत के िहामियोग की तुलना (Comparison of Impeachment of president)

205. उच्चति न्यायालय के न्यायाधीश की पदिमु ि (Removal of Supreme court judge)

206. राज्यपाल की क्षिादान शमि (Pardoning power of governor)

207. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली (सश


ं ोधन) अमधमनयि, 2021 (GNCT of Delhi (Amendment) Act, 2021)
208. राजिाषा आयोग (Official Languages Commission)

209. लाि का पद (Office of Profit)

210. पररसीिन आयोग (Delimitation Commission)

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201. प्रश्न काल (Question Hour)

सिाचार िें: चल रहे COVID-19 िहािारी के िद्देनजर, लोकसिा और राज्यसिा ने संसद के मपछले िानसनू सत्र के दौरान प्रश्नकाल और मनजी
सदस्यों के कािकाज को मनलंमित कर मदया।

● 1962 (िारत-चीन यद्ध ु ), 1971 (पामकस्तान के साथ यद्ध ु ), 1975 (आपातकाल), 1976 (आपातकाल), 1991, 2004 और 2009 के
मपछले वषों िें िी मवमिन्न कारणों से प्रश्नकाल स्थमगत कर मदया गया था।

प्रश्न काल के िारे िें -


● प्रत्येक संसदीय िैठक के पहले घटं े को प्रश्नकाल कहा जाता है। इस दौरान सांसद िंमत्रयों से सवाल पछू ते हैं और उन्हें अपने ित्रं ालयों के
कािकाज के मलए जवािदेह ठहराते हैं।

● प्रश्न मनजी सदस्यों (सांसद जो ित्रं ी नहीं हैं) से िी पछू े जा सकते हैं।

● मवमनयिन: इसे ससं दीय मनयिों के अनसु ार मवमनयमित मकया जाता है। प्रश्नकाल के सचं ालन के सिं धं िें दोनों सदनों (राज्य सिा और लोकसिा)
के पीठासीन अमधकारी अंमति प्रामधकारी होते हैं।

● मनयमितता: प्रश्नकाल लोकसिा (1952 से) और राज्यसिा (1964 से) दोनों िें हर मदन आयोमजत मकया जाता है।

● सचू ना अवमध: संसद िें कोई प्रश्न पछू ने से पहले सदस्य को मनधााररत तरीके से सिापमत/स्पीकर को 15 मदन का नोमटस देना होता है। इस तरह
की अवमध को सिापमत/स्पीकर के मववेकामधकार पर कि मकया जा सकता है।

● प्रश्नों की सख्ं या की सीिा: प्रश्न के सिं धं िें अनिु ेय सीिा लोकसिा िें प्रमत सदस्य प्रमत मदन के वल पाचं और राज्यसिा िें प्रमत मदन सात है।

प्रश्नकाल के दौरान पछ
ू े गए प्रश्नों के प्रकार

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तारांमकत प्रश्न ये हरे रंग िें िमु ित होते ● ये एक तारांकन द्वारा प्रमतमित होते हैं।
(Starred हैं।
● इसके मलए िौमिक उत्तर की आवश्यकता होती है और इसमलए परू क
question) प्रश्न पछू े जा सकते हैं।
अतारांमकत प्रश्न ये सफे द रंग के होते हैं। ● इसके मलए एक मलमित उत्तर की आवश्यकता होती है और इसमलए,
(Unstarred परू क प्रश्न नहीं पछ
ू े जा सकते हैं।
questions)
अल्प सचू ना प्रश्न ये हल्के गल
ु ािी रंग के ● इस प्रकार के प्रश्नों के अंतगात सावाजमनक िहत्व और अत्यावश्यक
(Short notice होते हैं। प्रकृ मत के िािलों पर मवचार मकया जाता है।
questions) ● दस मदन से कि सिय का नोमटस देकर इनका उत्तर िांगा जाता है।
● इसका उत्तर िौमिक रूप से मदया जाता है।
मनजी सदस्यों से प्रश्न ये पीले रंग के होते हैं। ● इन प्रश्नों का उल्लेि लोकसिा िें प्रमिया और काया सचं ालन मनयिों
के मनयि 40 के तहत मकया जाता है।
● ऐसे प्रश्न को एक मनजी सदस्य को संिोमधत मकया जा सकता है यमद
प्रश्न की मवषय वस्तु मकसी मवधेयक, संकल्प से संिंमधत है मजसके
मलए वह सदस्य मजम्िेदार है।

शन्ू य काल
● शन्ू यकाल एक िारतीय संसदीय नवाचार है। संसदीय मनयि पमु स्तका िें इसका उल्लेि नहीं है।
● इसके तहत सांसद मिना मकसी पवू ा सचू ना के िािले को उठा सकते हैं।
● शन्ू य काल, प्रश्न काल के तरु ं त िाद शरू
ु होता है और ति तक रहता है जि तक मक मदन की कायासचू ी (अथाात् सदन का
मनयमित काया) शरू ु नहीं हो जाती।
● दसू रे शब्दों िें, प्रश्नकाल और कायासचू ी के िीच के सिय के अतं राल को शन्ू य काल के रूप िें जाना जाता है।

202. छठी अनसु चू ी और इनर लाइन परमिट (Sixth Schedule and Inner line Permit)
सिाचार िें: अरुणाचल प्रदेश मवधानसिा ने सवासम्िमत से परू े राज्य को संमवधान की छठी अनसु चू ी िें शामिल करने का प्रस्ताव पाररत मकया है।
● वतािान िें, अरुणाचल प्रदेश िें 1873 का िगं ाल ईस्टना फ्रंमटयर रे गल
ु ेशन (Bengal Eastern Frontier Regulation - BEFR Act
of 1873) अमधमनयि है जो िारत के सिी नागररकों को मिना वैध इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit) के अरुणाचल िें प्रवेश करने
से रोकता है।
छठी अनसु चू ी के िारे िें -

● समं वधान की छठी अनसु चू ी संमवधान के अनच्ु छे द 244(2) और 275(1) के प्रावधान के तहत असि, िेघालय, मत्रपरु ा और मिजोरि िें
जनजातीय क्षेत्रों का प्रशासन करने के मलए आमदवासी सिदु ायों को शमि प्रदान करती है।

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● अनच्ु छे द 244 'अनसु मू चत क्षेत्रों' और 'जनजातीय क्षेत्रों' के रूप िें नामित कुछ क्षेत्रों के मलए प्रशासन की मवशेष प्रणाली प्रदान करता है।

● अनच्ु छे द 275 िारत की संमचत मनमध पर प्रिाररत मकए जाने वाले सांमवमधक अनदु ानों का प्रावधान करता है। इस तरह के अनदु ानों िें अनसु मू चत
जनजामतयों के कल्याण को िढावा देने या राज्य िें अनसु मू चत क्षेत्रों के प्रशासन के स्तर को िढाने के मलए मवमशष्ट अनदु ान िी शामिल हैं।
इनर लाइन परमिट (Inner line Permit) के िारे िें -
● एक दस्तावेज जो एक िारतीय नागररक को ILP प्रणाली के तहत संरमक्षत राज्य का दौरा करने की अनिु मत देता है।
● यह िंगाल ईस्टना फ्रंमटयर रे गल
ु ेशन एक्ट, 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation Act, 1873) के तहत मिमटश यगु का
मनयिन है।
● अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरि इनर लाइन द्वारा संरमक्षत हैं, और हाल ही िें िमणपरु को िी इसिें जोडा गया है।
● िटू ान के नागररक को छोडकर प्रत्येक मवदेशी को सक्षि प्रामधकारी से संरमक्षत क्षेत्र परमिट प्राप्त करना होता है।

पाच
ं वी अनसु चू ी छठी अनसु चू ी
आध्रं प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ, महिाचल असि, िेघालय, मत्रपरु ा, मिजोरि।
प्रयोज्यता
प्रदेश, िध्य प्रदेश, झारिडं , िहाराष्ट्र,
ओमडशा, राजस्थान।
द्वारा मनमिात राज्य मवधानिंडल अमधमनयि छठी अनसु चू ी क्षेत्रों िें स्वायत्त मजला पररषदें संमवधान
द्वारा प्रदान की जाती हैं।
स्वायत्तता ● पेसा (अनस
ु मू चत क्षेत्र के मलए पचं ायत मवस्तार िृहत्तर स्वायत्तता
अमधमनयि, 1996) शमियों िें शामिल हैं -
● ग्राि सिाओ ं के िाध्यि से स्वशासन
● मवधान: कैं टर/राज्य के अमधमनयि को
● पांचवीं अनस ु चू ी जनजातीय सलाहकार राज्यपाल के अनिु ोदन से सीमित करने की
पररषदों के पास के वल सलाहकार शमियां हैं। शमि।
● कर राजस्व: कें ि से संग्रह और अनदु ान।
● मनयािक: स्कूल, औषधालय, िाजार,
सडक आमद।
● न्यामयक: आमदवासी िािलों की सनु वाई के
मलए ग्राि अदालतें, राज्यपाल द्वारा मनमदाष्ट
एचसी का अमधकार क्षेत्र।

क्या आप जानते हैं?


● अरुणाचल प्रदेश को छठी अनसु चू ी िें शामिल करने के मलए समं वधान सश ं ोधन (अनच्ु छे द 368 के िाहर) की आवश्यकता है।
● नागररकता सश ं ोधन अमधमनयि (CAA), 2019 छठी अनसु चू ी क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट क्षेत्रों को छूट देता है।
● राष्ट्रीय अनसु मू चत जनजामत आयोग (अनच्ु छे द 338ए) ने समं वधान की छठी अनसु चू ी के तहत कें ि शामसत प्रदेश लद्दाि को 'जनजातीय क्षेत्र'
घोमषत करने की मसफाररश की है।
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● 83 वें संवैधामनक संशोधन अमधमनयि 2000 ने अरुणाचल प्रदेश राज्य को अनसु मू चत जामतयों के मलए पचं ायतों िें सीटों के आरक्षण के
आवेदन से िि ु करने के मलए िारत के संमवधान के अनच्ु छे द 243 M की शरुु आत की है।
● अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है मजसिें परू ी तरह से स्वदेशी आमदवासी लोग रहते हैं। राज्य िें कोई अनसु मू चत जामत नहीं है। राज्य
मवधानसिा और राज्य सरकार की सेवाओ ं िें अनसु मू चत जामत के मलए सीटों का कोई आरक्षण नहीं मकया गया है। अरुणाचल प्रदेश
के जनजातीय सिाज की जामतमवहीन संरचना उपरोि संशोधन का आधार थी।

203. सिेमकत ऋण शोधन मनमध (Consolidated Sinking Fund - CSF)


सिाचार िें: राज्य चाहते है मक RBI CSF िें जिा धन का उपयोग करने के िारे िें िानदडं ों को मशमथल करे ।
इसके िारे िें
▪ CSF अपने ऋण दामयत्वों को िफर (Buffer) करने के मलए राज्यों द्वारा िनाई गई एक आरमक्षत मनमध है। इसका रिरिाव िारतीय
ररजवा िैंक द्वारा मकया जाता है।
▪ इस कोष को पहली िार दसवें मवत्त आयोग द्वारा प्रस्तामवत मकया गया था और राज्य सरकार द्वारा लािामन्वत िल
ु े िाजार ऋणों के
पररशोधन के मलए वषा 1999-2000 िें गमठत मकया गया था।
▪ ऋणिमु ि सिय के साथ मकए गए मनयमित िगु तान के साथ ऋण का िगु तान करने की प्रमिया है। मनमित िगु तान िाते
पर िल
ू धन और ब्याज दोनों को कवर करते हैं।
▪ राज्य सरकार CSF को अपनी वामषाक िकाया ऋण देनदाररयों का 1-3% योगदान दे सकता है।
▪ प्रारंि िें, 11 राज्यों ने मसमं कंग फण्ड (Sinking Fund) की स्थापना की। िाद िें, 12 वें मवत्त आयोग (2005-10) ने सिी राज्यों
की मसफाररश की।
सीएसएफ िनाने का िख्ु य उद्देश्य था
▪ सावाजमनक ऋण का पनु िागु तान समु नमित करना
▪ सिी देनदाररयों के पररशोधन के मलए गंज ु ाइश
▪ अच्छा राजकोषीय शासन समु नमित करना और उनके मवत्त को िजित ू करना
▪ इन राज्यों, मवशेष रूप से परु ाने राजस्व घाटे वाले राज्यों िें मवत्त के पन
ु गाठन की समु वधा प्रदान करना।
▪ राजकोषीय पररचालन और ऋण मस्थरता िें अमधक पारदमशाता पर मवशेष ध्यान मदया गया है।

▪ िारहवें मवत्त आयोग के सझु ावों के आलोक िें, िैंकों से ऋण, और राष्ट्रीय लघु िचत कोष के कारण देनदाररयों को िी ऋणों के पररशोधन िें
शामिल मकया जाना चामहए।
▪ मनमध को राज्यों के सिेमकत मनमध के िाहर मवत्तपोमषत मकया जाना चामहए और इसका उपयोग के वल ऋणों के िोचन के मलए मकया जाना
चामहए।
क्या आरिीआई राज्य की छूट की िांग पर सहित है?
● हां, आरिीआई ने CSF से मनकासी से संिंमधत मनयिों िें ढील देने का फै सला मकया, जिमक साथ ही यह समु नमित मकया मक फंड िैलेंस की
किी मववेकपणू ा तरीके से की जाए।

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● राज्यों को ये छूट लगिग 13,300 करोड रुपये की अमतररि रामश जारी करे गी जो राज्यों को CSF से मवत्तीय वषा िें होने वाले िाजार उधार
के िोचन का एक िडा महस्सा परू ा करने िें सक्षि करे गी।
204. राष्ट्रपमत के िहामियोग की तुलना (Comparison of Impeachment of president)
सिाचार िें: डोनाल्ड रम्प पहले अिेररकी राष्ट्रपमत िने है मजनके मिलाफ दो िार िहामियोग प्रस्ताव पाररत मकया गया है।

अिेररका िें िहामियोग िारत िें िहामियोग

आधार देशिोह ररश्वत या कोई अन्य उच्च संमवधान का उल्लंघन


अपराध

आरंि हाउस ऑफ रे प्रेसेंटेमटव संसद के मकसी िी सदन िें

पहले सदन िें साधारण िहुित से िहामियोग प्रस्ताव 1/4 सदस्य आरोपों को रे िांमकत
प्रमिया पाररत होने पर जांच शरू
ु मकया जाता करते हैं।
है। राष्ट्रपमत को 14 मदन का नोमटस
मदया जाता है।
सदन की कुल सदस्यता का 2/3
िहुित।

दसू रे सदन िें सीनेट िें जांच और परीक्षण। आरोपों की जांच।


प्रमिया सीनेट वोटों के 2/3 के साथ पाररत। सिान िहुित से पाररत।

205. उच्चति न्यायालय के न्यायाधीश की पदिमु ि (Removal of Supreme court judge)


सिाचार िें: उपराष्ट्रपमत ने िारत के िख्ु य न्यायाधीश दीपक मिश्रा (अि सेवामनवृत्त) के मिलाफ राज्यसिा के 71 मवपक्षी सांसदों द्वारा हस्ताक्षररत
िहामियोग नोमटस को िाररज कर मदया, मजसिें वररि न्यायाधीश की ओर से मकसी िी "मसद्ध दर्वु यावहार" या "अक्षिता" की अनपु मस्थमत का हवाला
मदया गया था।
िारत के िख्ु य न्यायाधीश पर िहामियोग कै से लगाया जा सकता है?
● िहामियोग के आधार: सामित दर्वु यावहार या अक्षिता
● न्यायाधीश (जांच) अमधमनयि, 1968 और न्यायाधीश (जाचं ) मनयि, 1969 के तहत, CJI या अनसु मू चत जामत न्यायाधीश के िहामियोग
का प्रस्ताव ससं द के दोनों सदनों िें पेश मकया जाना चामहए।
● लोकसिा िें 100 और राज्यसिा िें 50 सांसदों के हस्ताक्षर CJI / SC जज के मिलाफ िहामियोग प्रस्ताव लाने के मलए जरूरी हैं।
● प्रस्ताव पेश होने के िाद इसे लोकसिा के स्पीकर या राज्यसिा के सिापमत को स्वीकार करना होगा।

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● यमद प्रस्ताव स्वीकार कर मलया जाता है, तो आरोपों की जांच के मलए तीन सदस्यीय समिमत िनाई जाएगी, मजसिें अनसु मू चत जामत के एक
न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश और एक उल्लेिनीय न्यायमवद शामिल होंगे।
● यमद तीन सदस्यीय समिमत आगे प्रस्ताव का सिथान करने का फै सला करती है, तो इस िािले को सदन िें चचाा के मलए ले जाया जाएगा, जहां
इसे िल
ू रूप से पेश मकया गया था।
● िारतीय संमवधान के अनसु ार चाहे जो िी सदन प्रस्ताव पेश करे , उसे दसू रे सदन से िी पाररत होना होगा। दोनों सदनों (अनच्ु छे द 124 (4)) िें
दो मतहाई िहुित हामसल करने के िाद ही यह प्रस्ताव अतं िें िारत के राष्ट्रपमत के पास पहुचं ेगा।
● इस िािले िें यमद दोनों सदनों िें प्रस्ताव पाररत हो जाता है तो राष्ट्रपमत अंमति मनणाय करें गे।
सिं मं धत सिाचार: आध्रं प्रदेश के िख्ु यित्रं ी ने एक SC जज की ओर से कदाचार के िारे िें मशकायत करते हुए िारत के िख्ु य न्यायाधीश
को मलिा है।
इन वषों िें, कदाचार के िािलों की जांच के मलए तीन तत्रं मवकमसत हुए हैं, मजनिें न्यायाधीशों के मिलाफ यौन उत्पीडन, दर्वु यावहार या
अक्षिता के िािले शामिल हैं।
● इन-हाउस कायापद्धमत (1999)
● यौन उत्पीडन मदशामनदेश।
● मसद्ध दर्वु यावहार या अक्षिता के मलए िहामियोग (जैसा मक ऊपर चचाा की गई है)

SC की इन-हाउस प्रमिया 2013 SC यौन उत्पीडन मवमनयिन


कौन मशकायत दजा करा कोई िी र्वयमि मलमित मशकायत के मलए यौन उत्पीडन की
सकता है? मशकार िमहला।
मजन र्वयमियों को िारत के िख्ु य न्यायाधीश (CJI) या िारत के सप्रु ीि कोटा की लैंमगक संवेदीकरण और आतं ररक
मशकायत दजा की जानी राष्ट्रपमत मशकायत समिमत (GSICC)
चामहए
प्रारंमिक जांच ● CJI को यह मनधााररत करने की यमद GSICC संतुष्ट है मक मशकायत वास्तमवक
आवश्यकता है मक मशकायत या तो तुच्छ है या है, तो यह मशकायत िें जाचं करने के मलए तीन
गंिीर है। सदस्यीय आंतररक उप-समिमत का गठन करे गी।
● यमद CJI को पता चलता है मक
मशकायत िें गंिीर दर्वु यावहार या अमनयमितता
शामिल है, तो वह संिंमधत न्यायाधीश की
प्रमतमिया िांगगे ा।
● प्रमतमिया और सहायक सािमग्रयों के
आधार पर, यमद CJI पाता है मक मशकायत को
गहन जाच ं की आवश्यकता है, तो वह एक
जांच समिमत का गठन करे गा।
जांच समिमत की संरचना ● सप्रु ीि कोटा के न्यायाधीश और अन्य समिमत िें GCC के सदस्य या GSICC द्वारा
उच्च न्यायालयों के दो िख्ु य न्यायाधीश समहत नामित र्वयमि शामिल होंगे, मजसिें अमधकांश
तीन न्यायाधीश। सदस्य एक िमहला और एक िाहरी सदस्य होंगे।

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206. राज्यपाल की क्षिादान शमि (Pardoning power of governor)


सिाचार िें: राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी 'ए जी पेराररवलन' की सजा की िाफी तमिलनाडु के राज्यपाल के सिक्ष दो साल से अमधक सिय से लंमित
है।

राष्ट्रपमत की क्षिादान शमि अनच्ु छे द 72

क्षिा (Pardon) पणू ा दोषिमु ि

लघक
ु रण सजा की प्रकृ मत को कि करना। उदाहरण के मलए – कठोर कारावास को साधारण कारावास िें
(Commutation) िदलना।

मवराि (Respite) कुछ मवशेष पररमस्थमतयों की वजह से सजा को कि करना। जैसे- गिावती स्त्री के िृत्यदु डं को साधारण
कारावास िें िदलना।

प्रमवलंिन (Reprieve) प्रमवलंिन का तात्पया है‚ िौत की सजा का अस्थायी मनलंिन करना।

पररहार (Remission) सजा की प्रकृ मत को िदले िगैर उसकी अवमध को कि करना। उदाहरण के मलए – एक साल के
कारावास को कि करके 6 िाह कर देना।

अनच्ु छे द 161 के तहत राज्यपाल की क्षिादान शमि


● क्षिा (Pardon), लघक ु रण (Commutation), पररहार (Remission), मवराि (Respite), प्रमवलंिन (Reprieve) - राज्य के काननू ों के
मिलाफ दडं ।
● िौत की सजा को िाफ नहीं कर सकते।
● कोटा िाशाल द्वारा दी गई सजा को िाफ नहीं कर सकते।
● राज्यपाल के मलए कोई सिय सीिा मनधााररत नहीं है।
● Cr.P.C धारा 435- कें िीय एजेंमसयों द्वारा जांच मकए गए मकसी िी िािले के मलए कें ि से परािशा करना होगा।

207. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली (संशोधन) अमधमनयि, 2021 (GNCT of Delhi (Amendment) Act, 2021)
▪ सिाचार िें: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली (संशोधन) अमधमनयि, 2021 जो शहर िें मनवाामचत सरकार पर उपराज्यपाल (एल-जी) को प्रधानता
देता है, लागू हो गया है।
▪ GNCTD अमधमनयि 1991 िें अनच् ु छे द 239AA के संवैधामनक प्रावधान के परू क के मलए अमधमनयमित मकया गया था। यह
मदल्ली िें एक मनवाामचत सरकार की प्रमिया को सक्षि िनाता है।
संशोधन अमधमनयि के प्रिि ु प्रावधान
▪ 'सरकार' शब्द का अथा उपराज्यपाल है।
▪ यह अमधमनयि उन िािलों िें िी उपराज्यपाल को मववेकाधीन शमियां प्रदान करता है जहां मवधान सिा को काननू िनाने का अमधकार है।
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▪ सरकार के मलए सिी िािलों पर उपराज्यपाल की राय लेना अमनवाया िनाता है।
▪ संशोधन िें यह िी कहा गया है मक "मवधानसिा मदन-प्रमतमदन के प्रशासन के िािलों पर मवचार करने के मलए िदु को सक्षि करने के मलए
कोई मनयि नहीं िनाएगी"।
आलोचना:
▪ नवीनति संशोधन मदल्ली सरकार की दक्षता और सियिद्धता को िहुत कि कर देगा, मजससे मकसी तत्काल कारा वाई की िांग वाली मस्थमत
िें िी सरकार को उपराज्यपाल के साथ परािशा करना अमनवाया हो जाएगा।
▪ गौरतलि है मक उपराज्यपाल एक सिय सीिा के िीतर राज्य सरकार को अपनी राय देने के मलए िाध्य नहीं हैं।

69वां समं वधान सश


ं ोधन अमधमनयि, 1993
▪ इसिें दो नए अनच्ु छे द 239AA और 239AB जोडे गए मजसके तहत कें ि शामसत प्रदेश मदल्ली को एक मवशेष दजाा मदया गया है।
▪ अनच्ु छे द 239AA िें प्रावधान है मक कें ि शामसत प्रदेश मदल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मदल्ली कहा जाएगा और इसके प्रशासक को
उपराज्यपाल के रूप िें जाना जाएगा।
o यह मदल्ली के मलए एक मवधान सिा का िी प्रावधान करता है जो सावाजमनक र्वयवस्था, िमू ि और पमु लस को छोडकर राज्य
सचू ी और सिवती सचू ी के तहत मवषयों पर काननू िना सकता है।
o यह मदल्ली के मलए िमं त्रपररषद का िी प्रावधान करता है मजसिें मवधानसिा िें सदस्यों की कुल सख्ं या का 10% से अमधक
नहीं होना चामहए।
▪ अनच्ु छे द 239AB िें प्रावधान है मक राष्ट्रपमत आदेश द्वारा अनच्ु छे द 239AA के मकसी प्रावधान या उस अनच्ु छे द के अनसु रण िें िनाए
गए मकसी िी काननू के सिी या मकसी िी प्रावधान के संचालन को मनलंमित कर सकते हैं। यह प्रावधान अनच्ु छे द 356 (राष्ट्रपमत
शासन) जैसा है।

208. राजिाषा आयोग (Official Languages Commission)


सिाचार िें: हाल ही िें, िारत के िख्ु य न्यायाधीश ने राजिाषा अमधमनयि 1963 िें संशोधन करने की मसफाररश की, तामक शासन िें अमधक स्थानीय
िाषाओ ं को शामिल मकया जा सके , न मक इसे के वल महदं ी और अग्रं ेजी तक ही सीमित रिा जा सके ।
अनच्ु छे द 344 – राजिाषा आयोग
▪ आयोग िें आठवीं अनसु चू ी िें मनमदाष्ट मवमिन्न िाषाओ ं का प्रमतमनमधत्व करने वाले एक अध्यक्ष और सदस्य शामिल होंगे।
▪ काया:
o महदं ी िाषा के प्रगमतशील उपयोग के संिंध िें राष्ट्रपमत को मसफाररश करना।
o अंग्रेजी िाषा के प्रयोग पर प्रमतिंध के संिंध िें।
o मकसी िी अन्य िाषा का उपयोग।
o उपयोग मकए जाने वाले अंकों का रूप।
o राष्ट्रपमत द्वारा आयोग को िेजा गया कोई अन्य मवषय।

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● एक 30 सदस्यीय संसदीय समिमत (लोकसिा से 20 और राज्यसिा से 10) आयोग की मसफाररशों को देिने और राष्ट्रपमत को अपनी राय
देने के मलए।

राजिाषाओ ं से सिं मं धत िहत्वपणू ा सवं ैधामनक प्रावधान


● िारतीय समं वधान का िाग XVII अनच्ु छे द 343 से 351 िें आमधकाररक िाषाओ ं से संिंमधत है।
● संमवधान की आठवीं अनसु चू ी िें 22 िाषाएँ हैं।
● िारत के संमवधान का अनच्ु छे द 343(1), देवनागरी मलमप िें महदं ी संघ की राजिाषा होगी।
● अनच्ु छे द 343(3) ने 25 जनवरी 1965 के िाद िी अंग्रेजी को जारी रिने के मलए प्रावधान मकए तामक संसद को उस प्रिाव के मलए काननू
िनाने के मलए सशि िनाया जा सके ।
● अनच्ु छे द 344(1) संमवधान के प्रारंि होने से पांच वषा की सिामप्त पर राष्ट्रपमत द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
● िारत के संमवधान के अनच्ु छे द 348 (1) िें यह प्रावधान है मक सवोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय िें सिी कायावाही अंग्रेजी
िाषा िें होगी जि तक मक संसद काननू द्वारा अन्यथा प्रदान न करे ।
● अनच्ु छे द 351 िें महदं ी िाषा को मवकमसत करने के मलए प्रसार का प्रावधान है तामक यह िारत की सिग्र संस्कृ मत के सिी तत्वों के मलए
अमिर्वयमि के िाध्यि के रूप िें काि कर सके ।

209. लाि का पद (Office of Profit)


सिाचार िें: लाि के पद पर संसद की संयि ु समिमत ने लाि के पद की पररिाषा पर अस्पष्टता को दरू करने के मलए संमवधान िें संशोधन की लंिे सिय
से लंमित िागं पर कें ि की प्रमतमिया िांगी है।
लाि के पद को संमवधान िें या जनप्रमतमनमधत्व अमधमनयि (RPA), 1951 के तहत पररिामषत नहीं मकया गया है, लेमकन मवमिन्न अदालतों ने इसकी
र्वयाख्या कुछ ऐसे कतार्वयों के साथ की है जो सावाजमनक चररत्र के कि या ज्यादा हैं।
● इसके मलए मवधायकों को मिना मकसी िाध्यता के अपने कतार्वयों का मनवाहन मन: शल् ु क तरीके से करना होगा।
● लाि का पद कानन ू के वल संमवधान की एक िमु नयादी मवशेषता - मवधामयका और कायापामलका के िीच शमि के पृथक्करण का मसद्धांत, को
लागू करने का प्रयास करता है।
काननू ी प्रावधान:
● अनच्ु छे द 102 (1) और अनच्ु छे द 191 (1) के तहत, मकसी सांसद या मवधायक को कें ि या राज्य सरकार के तहत लाि का कोई पद धारण
करने से रोक मदया जाता है।

● इसके अलावा RPA 1951 के तहत, लाि का पद धारण करना अयोग्यता का आधार है।

● संसद (मनरहाता मनवारण) अमधमनयि, 1959 उन कायाालयों की संख्या को सचू ीिद्ध करता है मजन्हें अयोग्यता से छूट प्राप्त है।
पररिाषा: प्रद्यम्ु न िोरदोलोई िािले िें SC द्वारा
• सरकार मनयमु ि, हटाने पर मनयत्रं ण करती है या नहीं।
• क्या कायाालय के पास इससे जडु ा कोई पाररश्रमिक है।
• क्या मजस मनकाय िें पद है, उसके पास सरकारी शमियां हैं।
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Day 29 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

• क्या पद धारक को सरं क्षण के िाध्यि से प्रिामवत करने िें सक्षि िनाता है।

210. पररसीिन आयोग (Delimitation Commission)


सिाचार िें: लोकसिा अध्यक्ष ने पररसीिन आयोग (DC) की सहायता के मलए 15 सांसदों को िनोनीत मकया है।
पररसीिन देश िें क्षेत्रीय मनवााचन क्षेत्रों की सीिा/सीिा मनधााररत करने का काया है।

संवैधामनक जनादेश:
▪ अनच् ु छे द 82: संसद प्रत्येक जनगणना के िाद पररसीिन अमधमनयि अमधमनयमित करने के मलए एक पररसीिन आयोग का गठन करती है।
▪ अनच् ु छे द 170: कें ि और राज्यों को सिान किीशन।
▪ आयोग के आदेशों िें कानन ू का िल है।
▪ मपछला आयोग: 1952, 1963, 1973, 2002. 1981 और 1991 की जनगणना के िाद पररसीिन नहीं (जनसंख्या वृमद्ध को मनयमं त्रत करने
के मलए)
▪ 84 वें सव ं ैधामनक सशं ोधन अमधमनयि, 2002 ने 2026 तक के मलए पररसीिन पर रोक लगा दी।
रचना -
▪ पदेन सदस्य:
▪ सप्रु ीि कोटा के एक सेवामनवृत्त न्यायाधीश
▪ िख्ु य चनु ाव आयि ु
▪ राज्य चनु ाव आयि ु (संिंमधत राज्यों के )
काया:
▪ मनवााचन क्षेत्र का पररसीिन।
▪ सिी मनवााचन क्षेत्रों िें सिान जनसख्ं या िनाए रिना (र्वयावहाररक रूप से सिं व)
▪ आरमक्षत मनवााचन क्षेत्र की पहचान करना।
▪ पररसीिन के सिं धं िें जनता की राय लेना।
▪ पररवतानों को अपनाने के मलए।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 30 - POLITY

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Day 30 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय

211. वापस बुलाने का अधिकार (Right to Recall)


212. जीएसटी पररषद (GST Council)
213. मख्ु य सधिव (Chief Secretary)
214. 104वाां सांधविान सांशोिन अधिधनयम, 2020 (104th Constitutional Amendment Act, 2020)
215. धविान पररषद (Legislative Council)
216. नए धजलों का गठन कै से होता है? (How are new districts carved?)
217. सांधविान का अनच्ु छे द 244(ए). (Article 244 (A) of the constitution)
218. धवत्तीय आपातकाल - अनच्ु छे द 360 (Financial Emergency - Article 360)
219. अनच्ु छे द 356 (Article 356)
220. सांधविान का अनच्ु छे द 254(2) (Article 254 (2) of the Constitution)

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211. वापस बुलाने का अधिकार (Right to Recall)


समािार में: हररयाणा धविानसभा ने हररयाणा पांिायती राज (दसू रा सांशोिन) धविेयक, 2020 पाररत धकया, जो पांिायती राज सांस्थानों के
सदस्यों को वापस बलु ाने का अधिकार प्रदान करता है।
राइट टू ररकॉल (Right to Recall) के बारे में -
● राइट टू ररकॉल एक ऐसी प्रधिया है धजसके तहत मतदाताओ ां को धनवााधित अधिकाररयों को उनके कायाकाल की समाधि से पहले
हटाने की शधि होती है। यह प्रत्यक्ष लोकतांत्र के सािन का एक उदाहरण है।
● धविेयक ग्राम सरपांिों और ब्लॉक-स्तरीय और धजला-स्तरीय पांिायतों के सदस्यों को वापस बुलाने की अनमु धत देता है यधद वे
प्रदशान करने में धवफल रहते हैं।
● वापस बुलाने के धलए, एक वार्ा या ग्राम सभा के 50% सदस्यों को धलधित में देना होगा धक वे कायावाही शरूु करना िाहते हैं।
● इसके बाद एक गिु मतदान होगा, धजसमें उनके वापस बल ु ाने के धलए दो-धतहाई सदस्यों को उनके धिलाफ मतदान करना होगा।

प्रत्यक्ष लोकतांत्र का सािन


1 जनमत सांग्रह मतदाताओ ां को एक धवधशष्ट राजनीधतक, सांवैिाधनक या धविायी मद्दु े पर प्रत्यक्ष वोट देने की अनमु धत
(Referendum) देता है।
इसका पररणाम सरकार पर बाध्यकारी है।
2 नागररक पहल (Citizen एक मद्दु े पर मतदान जो पयााि सावाजधनक समथान इकट्ठा करता है।
Initiative)

3 जनमत सांग्रह आत्मधनणाय के अधिकार के धलए लोगों के एक वगा द्वारा मतदान।


(Plebiscite)
4 कायासिू ी (Agenda) धकसी प्राधिकरण के धविार के धलए एक एजेंर्ा रिता है।

212. जीएसटी पररषद (GST Council)


समािार में: महामारी के मद्देनजर जीएसटी पररषद की बैठक नहीं हुई है।

● GST पररषद अनच्ु छे द 279A के तहत एक सांवैिाधनक धनकाय है और इसे सांधविान (101 वाां सांशोिन) अधिधनयम, 2016
द्वारा पेश धकया गया था।
● यह वस्तु एवां सेवा कर से सांबांधित मद्दु ों पर कें द्र और राज्य सरकार को धसफाररशें करता है।

GST पररषद के सदस्य:


● कें द्रीय धवत्त मांत्री (पररषद के अध्यक्ष)

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● कें द्र के राजस्व या धवत्त प्रभारी राज्य मांत्री


● सभी राज्यों के राजस्व या धवत्त मांत्री।
GST पररषद के काया:
● कर दरों की धसफाररश करने के धलए।
● कर दरों में छूट की धसफाररश करने के धलए - कुछ राज्य, प्राकृ धतक आपदाएँ, आधद।
● कोरम - 50 प्रधतशत
● वोटों का भार - कें द्र के धलए 1/3 और राज्यों के धलए 2/3
● बहुमत - भाररत मतों का 3/4
● साथ ही, धववादों को सल ु झाने के धलए तांत्र स्थाधपत करने की शधि है।

101वाां सांधविान सांशोिन:

● अनच्ु छे द 246 A, अनच्ु छे द 269 A, और अनच्ु छे द 279 A नामक नए अनच्ु छे दों का सधममलन;

● कुछ प्रधवधष्टयों को हटाकर या सांशोधित करके सधां विान की सातवीं अनसु िू ी में धनधहत सघां सिू ी और राज्य सिू ी में सश
ां ोिन।
अनच्ु छे द 246 A:

● कें द्र और राज्य GST के धलए काननू बनाने के धलए सांघ और राज्य धविायी की शधि।

● जीएसटी पररषद की धसफाररश के अनसु ार।


अनच्ु छे द 269A:

● अांतर-राज्यीय व्यापार और वाधणज्य पर जीएसटी कें द्र द्वारा लगाया और एकत्र धकया जाएगा।
● और जीएसटी पररषद द्वारा अनुशांधसत कें द्र और राज्यों के बीि धवधनयोधजत।

213. मख्ु य सधिव (Chief Secretary)


समािार में: पधिम बगां ाल के मख्ु य सधिव एलन बदां ोपाध्याय ने इस्तीफा धदया है।
इसके बारे में -
● मख्ु य सधिव का पद भारत के राज्यों और कें द्र शाधसत प्रदेशों की धसधवल सेवाओ ां में सबसे वररष्ठ पद होता है।

1 धनयधु ि • मख्ु य सधिव को मख्ु यमांत्री द्वारा 'िनु ा जाता है'।

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• िांधू क मख्ु य सधिव की धनयुधि मख्ु यमांत्री की कायाकारी कारा वाई होती है, इसधलए
इसे राज्य के राज्यपाल के नाम पर धलया जाता है।
2 पद ● मख्ु य सधिव मधां त्रमर्ां ल के सभी मामलों में मख्ु यमत्रां ी के मख्ु य सलाहकार होते हैं ।
● राज्य के मख्ु य सधिव भारतीय प्रशासधनक सेवा के अधिकारी होते हैं जो आम तौर
पर भारत सरकार के सधिव के रैं क के बराबर होते हैं और उन्हें भारतीय प्राथधमकता
के िम में 23 वें स्थान पर रिा जाता है।
● कें द्र शाधसत प्रदेशों में, जो प्रशासकों द्वारा शाधसत होते हैं, मख्ु य सधिव अनपु धस्थत
होते हैं। इन क्षेत्रों में कें द्र सरकार द्वारा प्रशासक के सलाहकार की धनयुधि की जाती
है।
कायाकाल ● मख्ु य सधिव के कायाालय को कायाकाल प्रणाली के सांिालन से बाहर रिा गया है।
● इस पद के धलए कोई धनधित कायाकाल नहीं है।
काया ● मख्ु य सधिव राज्य मांधत्रमांर्ल के सधिव के रूप में काया करता है।
● ये सांकट प्रबांिन समूह का अध्यक्ष होता है।
● वह सांकट प्रशासक-इन-िीफ के रूप में काया करता है और वस्ततु ः राहत कायों से
सांबांधित सभी अधिकाररयों के धलए राज्य सरकार का प्रधतधनधित्व करता है।
● वह राज्य धसधवल सेवा बोर्ा के पदेन अध्यक्ष के रूप में काया करता है, जो राज्य में
अधिल भारतीय सेवाओ ां और राज्य धसधवल सेवाओ ां के अधिकाररयों के
स्थानाांतरण/पोधस्टांग की धसफाररश करता है।
● सधिव सामान्य प्रशासन धवभाग।
● वह कै धबनेट सधिवालय का प्रशासधनक प्रमि ु होता है और यधद आवश्यक हो तो
वह कै धबनेट और उसकी उप-सधमधतयों की बैठक में भाग लेता है।
● कै धबनेट की बैठकों के धलए एजेंर्ा तैयार करता है और इसकी कायावाही का ररकॉर्ा
रिता है।
● सभी राज्य धसधवल सेवकों के धलए धववेक-रक्षक होता है।
● वह राज्य प्रशासन का मख्ु य समन्वयक है। वह अांतर-धवभागीय समन्वय सधु नधित
करता है।
● वह अांतर-धवभागीय धववादों के धलए गधठत समन्वय सधमधतयों के अध्यक्ष होता है।
● वह अवधशष्ट धवरासत (Residuary Legatee) के रूप में काया करता है और उन
सभी मामलों को देिता है जो अन्य सधिवों के दायरे में नहीं आते हैं।
● वह राज्य सरकार के प्रविा के रूप में काया करता है।
● वह सांबांधित राज्य सरकार और कें द्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों के बीि सिां ार
का प्रमि ु माध्यम है।

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● सधिवालय भवन, मांधत्रयों से जुडे कमािाररयों, कें द्रीय अधभलेि शािा, सधिवालय
पस्ु तकालय, सधिवालय धवभागों के सरां क्षण और धनगरानी और वार्ा कमािाररयों
पर उनका प्रशासधनक धनयांत्रण होता है।

214. 104वाां सांधविान सांशोिन अधिधनयम, 2020 (104th Constitutional Amendment Act, 2020)
● 104 वाां CAA लोकसभा और राज्य धविान सभाओ ां में अनुसधू ित जाधतयों और अनसु धू ित जनजाधतयों के सदस्यों के धलए
सीटों के आरक्षण के धलए समाधि की समय सीमा को 10 वषा की अवधि तक बढाता है।
● यह अधिधनयम अनच्ु छे द 334 में सश
ां ोिन के पिात 25 जनवरी 2020 को लागू धकया गया था।
● अनसु धू ित जाधतयों और अनसु ूधित जनजाधतयों के धलए सीटों का आरक्षण 26 जनवरी 2020 को समाि होने वाला था, जैसा
धक 95 वें सांधविान सांशोिन अधिधनयम द्वारा अधनवाया धकया गया था, लेधकन इसे अगले 10 वषों के धलए 25 जनवरी, 2030
तक बढा धदया गया था।
● हालाधां क, 104 वाां CAA एांग्लो-इधां र्यन समुदाय के सदस्यों के धलए आरधक्षत 2 लोकसभा सीटों के आरक्षण की अवधि का
धवस्तार नहीं करता है।
o इस प्रकार भारत के प्रिान मांत्री की धसफाररश के तहत भारत के राष्ट्रपधत द्वारा एांग्लो-इधां र्यन समदु ाय के दो सदस्यों को
नाधमत करने की प्रथा को प्रभावी ढांग से समाि कर धदया गया।
सधां विान का अनच्ु छे द 334 लोकसभा और राज्यों की धविानसभाओ ां में नामाांकन द्वारा अनसु धू ित जाधत और अनसु धू ित जनजाधत के धलए
सीटों के आरक्षण और एग्ां लो-इधां र्यन समदु ाय के प्रधतधनधित्व का प्राविान करता है। यह 1960 तक के वल 10 वषों के धलए वैि था।
हालाँधक, बाद में हुए सांशोिनों ने इन आरक्षणों को बढा धदया है।

अनच्ु छे द 334 1960 तक वैि


8वाां सांवैिाधनक सांशोिन अधिधनयम, 1959 1970 तक बढाया गया।
23वाां सांधविान सांशोिन अधिधनयम, 1969 1980 तक बढाया गया।
45वाां सांवैिाधनक सांशोिन अधिधनयम, 1980 1990 तक बढाया गया।
62वाां सवां ैिाधनक सशां ोिन अधिधनयम, 1989 2000 तक बढाया गया।
79वाां सांवैिाधनक सांशोिन अधिधनयम, 1999 2010 तक बढाया गया।
95वाां सांवैिाधनक सांशोिन अधिधनयम, 2009 2020 तक बढाया गया।

215. धविान पररषद (Legislative Council)


समािार में: पधिम बांगाल मांधत्रमांर्ल ने धविान पररषद की स्थापना को मांजरू ी दी है।

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● धजस प्रकार सांसद के दो सदन होते हैं, उसी प्रकार सांधविान के अनच्ु छे द 169 के माध्यम से राज्यों में धविान सभा के अधतररि
एक धविान पररषद भी हो सकती है।

● राज्य सभा की तरह, धविान पररषद एक सतत सदन है, अथाात यह एक स्थायी धनकाय है जो धवघधटत नहीं होती है।

● धविान पररषद (MLC) के एक सदस्य का कायाकाल छह साल का होता है, धजसमें एक धतहाई सदस्य हर दो साल में सेवाधनवृत्त
होते हैं।

● सधां विान के अनच्ु छे द 169 के अनसु ार, राज्यों को धविानपररषद के गठन


अथवा धवघटन करने का अधिकार है, परांतु इसके धलये प्रस्ततु धविेयक
का धविानसभा में धवशेष बहुमत (2/3) से पाररत होना अधनवाया है।
अनच्ु छे द 169 -
धविानसभा के सझु ावों पर धविानपररषद के धनमााण व समाधि के सदां भा
धविान पररषद का धनमााण और में अांधतम धनणाय लेने का अधिकार सांसद के पास होता है।
उन्मल
ू न: ● जब एक धविान पररषद का गठन या समािी होती है, तो सांधविान भी
बदल जाता है। हालाँधक, धफर भी, इस प्रकार के कानून को अनच्ु छे द
368 के तहत सांधविान सांशोिन धविेयक नहीं माना जाता है।
● राज्य धविान पररषद बनाने और समाि करने के प्रस्ताव पर राष्ट्रपधत की
भी सहमधत होनी िाधहए।

धविान पररषदों की सदस्य ● धविान पररषद की अधिकतम सदस्य सांख्या राज्य धविानसभा की कुल
सख्
ं या -अनच्ु छे द 171 सदस्य सांख्या का एक धतहाई है।
● इसकी न्यनू तम सदस्य सांख्या 40 सदस्य है।
● एक धतहाई MLC राज्य के धविायकों द्वारा िनु े जाते हैं,
● एक और 1/3 एक धवशेष धनवाािक मांर्ल द्वारा धजसमें स्थानीय सरकारों
जैसे नगर पाधलकाओ ां और धजला बोर्ों के मौजूदा सदस्य शाधमल हैं,
धविान पररषद की सरां िना ● 1/12 धशक्षकों के धनवाािक मांर्ल द्वारा और दसू री 1/12 पांजीकृ त
स्नातकों द्वारा।
● शेष सदस्यों को राज्यपाल द्वारा साधहत्य, धवज्ञान, कला, सहकारी
आांदोलन और समाज सेवा जैसे धवधभन्न क्षेत्रों में धवधशष्ट सेवाओ ां के धलए
धनयिु धकया जाता है।
● भारतीय नागररक धजनकी उम्र कम से कम 30 वषा है;
पात्रता मापदर्ां ● एक व्यधि एक साथ सांसद और राज्य धविाधयका का सदस्य नहीं हो
सकता।

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अधतररि जानकारी
● धविान पररषद वाले छह राज्य: आांध्र प्रदेश, तेलांगाना, उत्तर प्रदेश, धबहार, महाराष्ट्र, कनााटक है।

● 1985 में सांसद ने आांध्र प्रदेश में धविान पररषद को समाि कर धदया, लेधकन मािा 2007 में इसे पनु ः बहाल कर धदया गया।
● 2020 में, आांध्र प्रदेश धविान सभा ने धविान पररषद को समाि करने का प्रस्ताव पाररत धकया। अांततः पररषद को समाि करने के
धलए भारत की सांसद द्वारा इस प्रस्ताव को मांजरू ी दी जानी बाकी है।
● 2019 में, जममू और कश्मीर पनु गाठन धविेयक, 2019 के माध्यम से जममू और कश्मीर धविान पररषद को समाि कर धदया गया,
धजसने जमम-ू कश्मीर राज्य को जमम-ू कश्मीर और लद्दाि के कें द्र शाधसत प्रदेशों में घटा धदया।
स्मरण रिें
● सधां विान में कई प्राविानों को अनच्ु छे द 368 के दायरे से बाहर ससां द के दोनों सदनों के सािारण बहुमत से सश
ां ोधित धकया जा
सकता है। इन प्राविानों में शाधमल हैं:
o नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।
o नए राज्यों का गठन।
o मौजदू ा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओ ां या नामों में पररवतान।
o राज्यों में धविान पररषदों का उन्मल ू न या धनमााण।
o नागररकता का अधिग्रहण और समाधि।

● लेधकन DPSP और FR में सश


ां ोिन करने के धलए ससां द के धवशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।

216. नए धजलों का गठन कै से होता है? (How are new districts carved?)
समािार में: पांजाब का एकमात्र मधु स्लम बहुल शहर मेलारकोटला राज्य का 23वाां धजला बन गया है।
धजलों को बदलने की प्रधिया
• नए धजले बनाने या मौजदू ा धजलों को बदलने या समाि करने की शधि राज्य सरकारों के पास है।
• यह या तो एक कायाकारी आदेश के माध्यम से या राज्य धविानसभा में एक काननू पाररत करके धकया जा सकता है।
• कई राज्य के वल आधिकाररक राजपत्र में अधिसिू ना जारी करके कायाकारी मागा को पसांद करते हैं।
• राज्यों का तका है धक छोटे धजले बेहतर प्रशासन और शासन की ओर ले जाते हैं।
• पररसीमन के दौरान धजले को बनाने की राज्य की शधि धनलांधबत होती है।
धजलों को बदलने या नए बनाने में कें द्र की कोई भधू मका नहीं है। राज्य धनणाय लेने के धलए स्वतांत्र हैं।
हालाांधक, कें द्रीय गृह मांत्रालय तब सामने आता है जब कोई राज्य धकसी धजले या रे लवे स्टेशन का नाम बदलना िाहता है। राज्य सरकार
के अनरु ोि को मजां रू ी लेने के धलए अन्य धवभागों को भेजा जाता है:
● पृथ्वी धवज्ञान मांत्रालय
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● इटां ेधलजेंस ब्यरू ो


● र्ाक धवभाग
● भारतीय भौगोधलक सवेक्षण
● रे ल मत्रां ालय
क्या आप जानते हैं?
• 2011 की जनगणना के अनसु ार देश में कुल 593 धजले थे। 2001-2011 के बीि राज्यों द्वारा 46 धजलों का धनमााण धकया गया।
• हालाधां क 2021 की जनगणना होना अभी बाकी है, लेधकन वतामान में देश में 718 धजले हैं। 2014 में आांध्र प्रदेश के आांध्र प्रदेश
और तेलांगाना में धवभाजन के कारण भी सांख्या में वृधि हुई है ।

217. सांधविान का अनच्ु छे द 244(A) (Article 244 (A) of the constitution)


समािार में: सांधविान के अनच्ु छे द 244 (A) के प्राविानों के तहत असम में समाज के कुछ वगों द्वारा असम के भीतर एक स्वायत्त राज्य
की माांग उठाई गई है।

अनच्ु छे द 244 A के बारे में:


● यह कुछ जनजातीय क्षेत्रों में असम के भीतर एक 'स्वायत्त राज्य' के धनमााण की अनम
ु धत देता है।
● यह स्थानीय प्रशासन को िलाने के धलए स्थानीय धविाधयका या मधां त्रपररषद या दोनों के धनमााण की भी पररकल्पना करता है।
● इसे 22वें सधां विान सांशोिन अधिधनयम, 1969 द्वारा सांधविान में सधममधलत धकया गया था।
● अनच्ु छे द 244 (A) में छठी अनसु िू ी की तल
ु ना में आधदवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्त शधियाां दी गई हैं। इनमें सबसे महत्वपणू ा
शधि कानून और व्यवस्था पर धनयांत्रण है।
○ छठी अनसु िू ी के तहत स्वायत्त पररषदों में, उनके पास कानून और व्यवस्था का क्षेत्राधिकार नहीं है।
एक सांधक्षि पृष्ठभधू म:

● 1950 के दशक में, अधवभाधजत असम की आधदवासी आबादी के कुछ वगों के आसपास एक अलग पहाडी राज्य की माांग उठी।
● मेघालय 2 अप्रैल 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अधस्तत्व में आया, धजसमें सयां ि
ु िासी और
जयांधतया धहल्स और गारो धहल्स धजले शाधमल थे।

● लांबे आांदोलन के बाद 1972 में मेघालय को राज्य का दजाा धमला।


● काबी आगां लोंग और उत्तरी कछार पहाधडयों के नेता भी इस आदां ोलन का धहस्सा थे। उन्हें असम में रहने या मेघालय में शाधमल
होने का धवकल्प धदया गया था।

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● वे पीछे रह गए क्योंधक कें द्र ने उन्हें अनच्ु छे द 244 (A) सधहत अधिक शधियों का वादा धकया था।

● 1980 के दशक में, अधिक शधि/स्वायत्तता की मागां ने धहसां ा का सहारा लेने वाले कई काबी समहू ों के साथ एक आदां ोलन का
रूप ले धलया। यह जल्द ही पूणा राज्य का दजाा देने की माांग करने वाला एक सशस्त्र अलगाववादी धवद्रोह बन गया।
स्मरण रिें
● सधां विान की छठी अनसु िू ी इन राज्यों में जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के धलए असम, मेघालय, धत्रपरु ा और धमजोरम
में आधदवासी क्षेत्रों के प्रशासन का प्राविान करती है। यह धवशेष प्राविान सांधविान के अनच्ु छे द 244 (2) और अनच्ु छे द 275
(1) के तहत प्रदान धकया गया है।

● असम में, दीमा हसाओ (Dima Hasao), काबी आांगलोंग (Karbi Anglong) और पधिम काबी और बोर्ो प्रादेधशक क्षेत्र के
पहाडी धजले छठी अनसु िू ी के प्राविान के तहत हैं।

218. धवत्तीय आपातकाल - अनच्ु छे द 360 (Financial Emergency - Article 360)


सांदभा: महामारी के मद्देनजर धवत्तीय सांकट ने धवत्तीय आपातकाल पर बहस को पुनजीधवत धकया है।
● अनच्ु छे द 360 राष्ट्रपधत को धवत्तीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार देता है यधद वह सांतष्टु है धक ऐसी धस्थधत उत्पन्न
हुई है धजसके कारण भारत या उसके क्षेत्र के धकसी धहस्से की धवत्तीय धस्थरता या िे धर्ट को ितरा है।

● धवत्तीय आपातकाल की घोषणा करने वाली उद्घोषणा को सांसद के दोनों सदनों द्वारा उसके जारी होने की तारीि से दो महीने के
भीतर अनमु ोधदत धकया जाना िाधहए।

● एक बार ससां द के दोनों सदनों द्वारा अनमु ोधदत होने के बाद, धवत्तीय आपातकाल अधनधित काल तक जारी रहता है जब तक धक
इसे रद्द नहीं धकया जाता।
धवत्तीय आपातकाल के प्रभाव
• राज्यों के धवत्तीय मामलों पर सांघ के कायाकारी अधिकार का धवस्तार। कें द्र सरकार धवत्तीय मामलों के सांबांि में राज्यों को धनदेश
दे सकती है।
• राष्ट्रपधत राज्यों को सरकारी सेवा में व्यधियों के वेतन और भत्तों को कम करने के धलए कह सकता है।
• राष्ट्रपधत राज्य धविानमांर्ल द्वारा पाररत धकए जाने के बाद राज्यों को ससां द के धविार के धलए सभी िन धविेयकों को आरधक्षत
करने के धलए कह सकते हैं।
• उच्ितम न्यायालय और उच्ि न्यायालयों के न्यायािीशों सधहत कें द्र सरकार के कमािाररयों के वेतन और भत्तों में कटौती।

219. अनच्ु छे द 356 - राष्ट्रपधत शासन (Article 356 - President's Rule)


● अनच्ु छे द 355 कें द्र पर एक कताव्य आरोधपत करता है धक वह यह सधु नधित करे धक हर राज्य की सरकार सांधविान के प्राविानों
के अनसु ार िल रही है।
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● यह वह कताव्य है धजसके प्रदशान में कें द्र एक राज्य में सांवैिाधनक तांत्र के धवफल होने की धस्थधत में अनच्ु छे द 356 के तहत राज्य
की सरकार को अपने हाथ में लेता है। इसे लोकधप्रय रूप से 'राष्ट्रपधत शासन' के रूप में जाना जाता है।
राष्ट्रपधत शासन लगाने के आिार

● यधद राष्ट्रपधत को राज्य के राज्यपाल से ररपोटा प्राि होती है या अन्यथा वह आश्वस्त होता है धक धकसी राज्य को सांधविान के
अनसु ार शाधसत नहीं धकया जा रहा है।

○ यधद कोई राज्य मामलों पर सांघ द्वारा धदए गए सभी धनदेशों का पालन करने में धवफल रहता है तो उसे यह अधिकार है।
तब राष्ट्रपधत के धलए यह मानना वैि होगा धक ऐसी धस्थधत उत्पन्न हो गई है धजसमें राज्य की सरकार सांधविान के
प्राविानों के अनसु ार नहीं िल सकती है।

● राष्ट्रपधत शासन लगाने की घोषणा को सांसद के दोनों सदनों द्वारा इसके जारी होने की तारीि से दो महीने के भीतर अनमु ोधदत
धकया जाना िाधहए।
○ राष्ट्रपधत शासन छह महीने की अवधि के धलए बना रहता है।

○ बाद में, इसे हर छह महीने में सांसदीय मजां रू ी के साथ तीन साल की अवधि के धलए बढाया जा सकता है।

○ 44वें CAA के अनसु ार भारत में राष्ट्रीय आपातकाल होने पर इसे 3 साल से आगे बढाया जा सकता है।
○ भारत का िनु ाव आयोग प्रमाधणत करता है धक राज्य में धविानसभा िनु ाव कराने में कधठनाइयों के कारण राज्य में
राष्ट्रपधत शासन जारी रिना आवश्यक है।

● राष्ट्रपधत शासन के पररणाम: जब धकसी राज्य में राष्ट्रपधत शासन लगाया जाता है तो राष्ट्रपधत को धनमनधलधित असािारण
शधियाां प्राि होती हैं:

○ वह राज्य सरकार के कायों और राज्यपाल या राज्य में धकसी अन्य कायाकारी प्राधिकरण में धनधहत शधियों को ले सकता
है।

○ वह घोषणा कर सकता है धक राज्य धविानमांर्ल की शधियों का प्रयोग सांसद द्वारा धकया जाना है।

○ जब ससां द का सत्र नहीं िल रहा हो, तो राष्ट्रपधत राज्य के प्रशासन के सबां ांि में अध्यादेश जारी कर सकता है।

○ वह राज्य में धकसी भी धनकाय या प्राधिकरण से सांबांधित सांवैिाधनक प्राविानों के धनलांबन सधहत अन्य सभी आवश्यक
कदम उठा सकता है।
● न्याधयक समीक्षा का दायरा:
o 1975 के 38वें सधां विान सशां ोिन अधिधनयम ने अनच्ु छे द 356 को अधां तम और धनणाायक लागू करने में राष्ट्रपधत को
सांतष्टु धकया, धजसे धकसी भी आिार पर धकसी भी अदालत में िनु ौती नहीं दी जाएगी।

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o लेधकन, इस प्राविान को बाद में 1978 के 44वें सांशोिन अधिधनयम द्वारा हटा धदया गया था, धजसका अथा था धक
राष्ट्रपधत की सांतधु ष्ट न्याधयक समीक्षा से परे नहीं है।
220. सांधविान का अनच्ु छे द 254(2) (Article 254 (2) of the Constitution)
समािार में: काांग्रेस ने अनच्ु छे द 254 (2) के माध्यम से नागररकता सांशोिन अधिधनयम और नए कृ धष अधिधनयमों का मक
ु ाबला करने पर
धविार धकया है।
● सधां विान का अनच्ु छे द 254 (2) अधनवाया रूप से एक राज्य के काननू को कुछ पररधस्थधतयों में एक परस्पर धवरोिी कें द्रीय काननू
पर हावी होने की अनमु धत देता है।

● राष्ट्रपधत, हालाांधक, मांधत्रपररषद की सहायता और सलाह पर काया करता है ।


● इसके अलावा, अनच्ु छे द 254 (2) के एक प्राविान में कहा गया है धक भले ही राष्ट्रपधत प्राविान के तहत पाररत राज्य कानून
को अपनी सहमधत देता है, सांसद बाद में कानून में सश
ां ोिन या धनरस्त कर सकती है।
● हालाांधक, अनच्ु छे द 254 (2) अपवाद का प्रधतधनधित्व करता है, आदशा का नहीं।
● सधां विान का अनच्ु छे द 254 (1) अधनवाया रूप से कहता है धक यधद सांसद द्वारा पाररत काननू ों और राज्य धविाधयका द्वारा पाररत
काननू ों के बीि कोई असांगधत है, तो पवू ा को प्रबल होना िाधहए।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 43 - POLITY

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विषय

301. सीएए और असम समझौता (CAA and Assam accord)


302. तदर्थ न्यायाधीश (Ad Hoc Judges)
303. राज्यों का सघं (Union of States)
304. अनुपरू क अनुदान (Supplementary Grants)
305. सहकाररता मत्रं ालय (Ministry of Cooperation)
306. नेता प्रवतपक्ष (Leader of Opposition)
307. राजनीवतक दल पजं ीकरण ट्रैवकंग प्रबधं न प्रणाली (Political Parties Registration Tracking Management System)
308. राष्ट्ट्रीय मानिावधकार आयोग (National Human Rights Commission of India - NHRC)
309. राज्यों की उधार लेने की शवि (Borrowing Power of States)
310. राज्यपाल (Governor)

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301. सीएए और असम समझौता (CAA and Assam accord)

● यह 1985 में भारत सरकार, असम राज्य सरकार और असम आदं ोलन के नेताओ ं के बीच हस्ताक्षररत एक वत्रपक्षीय समझौता र्ा।

● समझौते पर हस्ताक्षर करने से छह साल के आंदोलन का समापन हुआ, वजसे 1979 में ऑल असम स्टूडेंट्स यवू नयन (AASU) द्वारा शरू

वकया गया र्ा, वजसमें असम से अिैध अप्रिावसयों की पहचान और वनिाथसन की मांग की गई र्ी।

● समझौते में उल्लेख है वक अतं रराष्ट्ट्रीय सीमाओ ं को सील कर वदया जाएगा और 24 माचथ 1971 की मध्यरावत्र के बाद बाग्ं लादेश से पार करने
िाले सभी व्यवियों को वनिाथवसत वकया जाना है।

● समझौते के अनुसार 1966 से 1971 के बीच आने िाले बांग्लादेवशयों को दस साल के वलए मतदान से रोक वदया जाएगा।

भारत में नागररकता

● भारतीय सवं िधान परू े भारत के वलए एकल नागररकता का प्रािधान करता है।

● भारतीय सवं िधान के अनच्ु छे द 11 के तहत, ससं द को काननू द्वारा नागररकता के अवधकार को विवनयवमत करने की शवि है। तदनसु ार, ससं द
ने भारतीय नागररकता के अवधग्रहण और वनधाथरण के वलए 1955 का नागररकता अवधवनयम पाररत वकया र्ा।

● 1987 तक, भारतीय नागररकता हेतु पात्र होने के वलए, वकसी व्यवि का भारत में जन्म होना पयाथप्त र्ा। विर, बांग्लादेश से बडे पैमाने पर अिैध
प्रिासन का आरोप लगाने िाले लोकलभु ािन आंदोलनों से प्रेररत, नागररकता कानूनों में पहला संशोधन वकया गया तावक अवतररि रूप से
यह आिश्यक हो वक कम से कम माता-वपता में से एक भारतीय होना चावहए।

● 2004 में, कानून में और संशोधन वकया गया तावक यह वनधाथररत वकया जा सके वक के िल एक माता-वपता का भारतीय होना ही नहीं बवल्क
दसू रे को भी अिैध अप्रिासी नहीं होना चावहए।
भारत में एक अिैध प्रिासी कौन है?
अवधवनयम के तहत, एक अिैध प्रिासी एक विदेशी है जो:

● पासपोटथ और िीजा जैसे िैध यात्रा दस्तािेजों के वबना देश में प्रिेश करता है, या

● िैध दस्तािेजों के सार् प्रिेश करता है, लेवकन अनमु त समय अिवध से अवधक रहता है।
अिैध प्रिावसयों को विदेशी अवधवनयम, 1946 और पासपोटथ (भारत में प्रिेश) अवधवनयम, 1920 के तहत जेल हो सकती है या वनिाथवसत वकया जा
सकता है।

● मौजदू ा काननू ों के तहत, एक अिैध प्रिासी नागररकता प्राप्त करने हेतु आिेदन के वलए पात्र नहीं है। उन्हें पजं ीकरण या प्राकृ वतककरण के
माध्यम से भारतीय नागररक बनने से रोक वदया गया है।

● विदेशी अवधवनयम और पासपोटथ अवधवनयम ऐसे व्यवि को प्रवतबवं धत करता है और एक अिैध प्रिासी को जेल या वनिाथसन में डालने का
प्रािधान करता है।

नागररकता (संशोधन) अवधवनयम, 2019 के प्रमख


ु प्रािधान

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● इस अवधवनयम में प्रािधान है वक अिगावनस्तान, बाग्ं लादेश और पावकस्तान के वहदं ,ू वसख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, वजन्होंने 31 वदसबं र
2014 को या उससे पहले भारत में प्रिेश वकया र्ा, उन्हें अिैध प्रिासी नहीं माना जाएगा।
● व्यवियों के इन समहू ों के वलए, प्राकृ वतककरण द्वारा नागररकता के तहत 11 साल की आिश्यकता को घटाकर पांच िषथ कर वदया गया है।
● अवधवनयम में यह भी कहा गया है वक प्रिासी भारतीय नागररक (OCI) काडथ रखने िाले लोग – एक आव्रजन वस्र्वत जो भारतीय मल ू के
विदेशी नागररक को भारत में अवनवित काल तक रहने और काम करने की अनमु वत देता है – यवद िे बडे और छोटे अपराधों और उल्लंघनों
के वलए स्र्ानीय कानूनों का उल्लघं न करते हैं तो अपनी वस्र्वत खो सकते हैं।
अपिाद
● अिैध प्रिावसयों के वलए नागररकता संबंधी ये प्रािधान संविधान की छठी अनुसचू ी में शावमल असम, मेघालय, वमजोरम और वत्रपरु ा के
आवदिासी इलाकों पर लागू नहीं होंगे।
○ इन जनजातीय क्षेत्रों में काबी आग ं लोंग (असम में), गारो वहल्स (मेघालय में), चकमा वजला (वमजोरम में) और वत्रपरु ा जनजातीय
क्षेत्र वजला शावमल हैं ।
● इसके अलािा, यह बगं ाल ईस्टनथ फ्रंवटयर रे गल ु ेशन, 1873 के तहत अवधसवू चत "इनर लाइन" क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
○ ितथमान में, यह परवमट प्रणाली अरुणाचल प्रदेश, वमजोरम और नागालैंड पर लागू है।

संशोधन अवधवनयम के वखलाि वचंताएं

● यह 1985 के असम समझौते के विपरीत है, वजसमें कहा गया है वक 25 माचथ, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने िाले अिैध प्रिावसयों को धमथ
के बािजदू वनिाथवसत कर वदया जाएगा ।

● आलोचकों का तकथ है वक यह सवं िधान के अनच्ु छे द 14 (जो समानता के अवधकार की गारंटी देता है और नागररकों और विदेवशयों दोनों पर
लागू होता है) और संविधान की प्रस्तािना में वनवहत धमथवनरपेक्षता के वसद्धांत का उल्लंघन है।

● भारत में कई अन्य शरणार्ी हैं वजनमें श्रीलंका के तवमल और मयांमार के रोवहग्ं या शावमल हैं। िे अवधवनयम के दायरे में नहीं आते हैं।

● सरकार के वलए अिैध प्रिावसयों और सताए गए लोगों के बीच अंतर करना मवु श्कल होगा।

302. तदर्थ न्यायाधीश (Ad Hoc Judges)


समाचार में: हाल ही में, सप्रु ीम कोटथ ने उच्च न्यायालयों में लंवबत मामलों के वनपटान के वलए सेिावनिृत्त न्यायाधीशों की वनयवु ि पर जोर वदया।
उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की वनयवु ि से संबंवधत संविधान का अनुच्छे द 224 A, शायद ही कभी इस्तेमाल वकया जाता है।

● वकसी भी राज्य के उच्च न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश वकसी भी समय, राष्ट्ट्रपवत की पिू थ सहमवत से, वकसी ऐसे व्यवि से अनरु ोध कर सकते
हैं, वजसने उस न्यायालय या वकसी अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद धारण वकया हो और न्यायाधीश के रूप में कायथ करने का
अनुरोध करता हो।

● कायथिाहक सेिावनिृत्त न्यायाधीश ऐसे भत्तों के हकदार होंगे जो राष्ट्ट्रपवत आदेश द्वारा वनधाथररत कर सकते हैं और उनके पास सभी अवधकार
क्षेत्र, शवियां और विशेषावधकार होंगे, लेवकन उन्हें उस उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नहीं माना जाएगा।

● व्यवि को तदर्थ न्यायाधीश के रूप में तब तक वनयि


ु नहीं वकया जा सकता जब तक वक िह ऐसा करने के वलए सहमत न हो।
● यह अनुच्छे द भारत के सवं िधान, 1950 का वहस्सा नहीं र्ा। इसे सवं िधान (पद्रं हिां सश
ं ोधन) अवधवनयम, 1963 द्वारा जोडा गया र्ा।
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ध्यान दें वक अनच्ु छे द 224 (1) और 224 (2) अवतररि और कायथिाहक न्यायाधीशों की वनयवु ि से सबं वं धत है।
सप्रु ीम कोटथ ने मौवखक रूप से तदर्थ न्यायाधीश की वनयवु ि और कामकाज के वलए संभावित वदशावनदेशों को रेखांवकत वकया है।

● यवद वकसी विशेष क्षेत्रावधकार में, लमबन एक वनवित सीमा से अवधक हो जाता है, जैसे वक आठ या 10 िषथ, तो मख्ु य न्यायाधीश एक वनवित
[सेिावनिृत्त] न्यायाधीश को तदर्थ न्यायाधीश के रूप में वनयि
ु कर सकते हैं, जो काननू ों के उन क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं।

○ ऐसे जज का कायथकाल बढाया जा सकता है।

● तदर्थ न्यायाधीशों की वनयवु ि अन्य न्यायाधीशों की सेिाओ ं के वलए खतरा नहीं होगी क्योंवक तदर्थ न्यायाधीशों को सबसे कवनष्ठ माना जाएगा।

● सेिावनिृत्त न्यायाधीशों को वििाद के एक विशेष क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता के आधार पर चनु ा जाएगा और कानून के उस क्षेत्र में लंवबत मामलों
के वनपटान के बाद सेिावनिृत्त होने की अनुमवत प्रदान कर दी जाएगी।

● उच्चत्तम न्यायालय ने यह स्पष्ट वकया है वक तदर्थ न्यायाधीशों को न्यायाधीशों की स्िीकृ त सख्ं या से अवधक वनयि
ु वकया जा सकता है और
उन्हें के िल न्यावयक कायथ वदया जाना चावहए, न वक प्रशासवनक कायथ, हालावं क उनका िेतन और भत्ते स्र्ायी न्यायाधीशों के बराबर होने
चावहए।

303. राज्यों का संघ (Union of States)


समाचार में: तवमलनाडु सरकार ने अपने आवधकाररक संचार में 'कें द्र सरकार' शब्द के उपयोग को बंद करने और इसे 'संघ सरकार' से बदलने का वनणथय
वलया है।

● भारत के सवं िधान ने भारत को एक सघं के रूप में िवणथत नहीं वकया है। हालााँवक, भारतीय सवं िधान का अनच्ु छे द 1 भारत को ''राज्यों के सघं ''
के रूप में िवणथत करता है।

● इसका मतलब है वक भारत एक सघं है वजसमें विवभन्न राज्य शावमल हैं जो इसका एक अवभन्न अंग हैं। यहा,ं राज्य संघ से अलग नहीं हो
सकते।

● उनके पास संघ से अलग होने की शवि नहीं है। एक िास्तविक संघ में, गवठत इकाइयों या राज्यों को सघं से बाहर आने की स्ितत्रं ता होती है।

● भारत को "विनाशकारी राज्यों का अविनाशी संघ" कहा जाता है। भारत का संविधान वकसी राज्य के अवस्तत्ि की गारंटी नहीं देता है। अनुच्छे द
4 के तहत, यह संसद को नए राज्य बनाने और मौजदू ा राज्यों को बदलने का अवधकार देता है।
"संघ" नामािली का विकास (Evolution of “Union” nomenclature)

● कै वबनेट वमशन योजना ने बहुत सीवमत शवियों के सार् एक कें द्र सरकार पर विचार वकया जबवक प्रांतों के पास पयाथप्त स्िायत्तता र्ी।
● विभाजन प्रभाि: 1947 के विभाजन और कश्मीर में वहसं ा ने संविधान सभा को अपने दृवष्टकोण को संशोवधत करने के वलए मजबूर वकया और
यह एक मजबूत कें द्र के पक्ष में हल हुआ।
● अलगाि का डर: संघ से राज्यों के अलग होने की संभािना संविधान के प्रारूपकारों के वदमाग पर वटकी हुई र्ी इसवलए उन्होंने यह सवु नवित
वकया वक भारतीय संघ "अविनाशी" (Indestructible) रहे।
● अमेररकी महासघं से अतं र: सवं िधान सभा ने यह स्पष्ट वकया वक यद्यवप भारत को एक सघं होना र्ा, लेवकन यह एक समझौते का पररणाम नहीं
र्ा और इसवलए, वकसी भी राज्य को इससे अलग होने का अवधकार नहीं है।

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● सवं िधान में स्पष्ट राज्यों की वस्र्वत: अन्य लोगों द्वारा आलोचना करने पर वक 'राज्यों का संघ' शब्द 'गणतत्रं ' शब्द को अस्पष्ट करे गा, आंबेडकर
ने स्पष्ट वकया वक सघं और राज्य दोनों ही सवं िधान से अपने-अपने अवधकार प्राप्त करते हैं, ये एक दसू रे के अधीनस्र् नहीं है।
● सवं िधान में 'कें द्र सरकार' का कोई संदभथ नहीं: संविधान सभा के सदस्य संविधान में 'कें द्र' या 'कें द्र सरकार' शब्द का उपयोग नहीं करने से बहुत
सतकथ र्े क्योंवक उनका उद्देश्य एक इकाई में शवियों के कें द्रीकरण की प्रिृवत्त को दरू रखना र्ा।
● एकजटु करने का संदश
े : 'कें द्र सरकार' या 'भारत सरकार' का एक एकीकृ त प्रभाि है क्योंवक जो संदश
े वदया जाना है िह यह है वक सरकार सभी
की है।

304. अनुपरू क अनुदान (Supplementary Grants)


समाचार में: वित्त मंत्री ने इस वित्तीय िषथ के वलए अनुपरू क अनदु ान मांगों का पहला बैच लोकसभा में प्रस्तुत वकया।
अनुपरू क अनुदान
● यह तब प्रदान वकया जाता है जब ससं द द्वारा विवनयोग अवधवनयम के माध्यम से वकसी विशेष सेिा के वलए चालू वित्तीय िषथ के वलए अवधकृ त
रावश उस िषथ के वलए अपयाथप्त पाई जाती है।
● यह अवतररि या अवधक अनुदान (Additional or Excess Grants) के सार्, भारत के सवं िधान के अनुच्छे द 115 द्वारा वनवदथष्ट है।
एक वित्तीय िषथ के वलए आय और व्यय के सामान्य अनुमान िाले बजट के अलािा, संसद द्वारा असाधारण या विशेष पररवस्र्वतयों में कई अन्य अनुदान
वदए जाते हैं। अनपु रू क अनुदानों के अलािा, इनमें शावमल हैं:

अवतररि अनदु ान ● अवतररि अनदु ान उस समय प्रदान वकया जाता है जब सरकार को उस िषथ के वित्तीय वििरण में
(Additional Grant) पररकवल्पत/अनध्ु यात की गई सेिाओ ं के अवतररि वकसी नई सेिा के वलये धन की आिश्यकता होती है।

अवधक अनुदान ● यह उस समय प्रदान वकया जाता है जब वकसी सेिा पर उस वित्तीय िषथ में वनधाथररत (उस िषथ में संबंवधत
(Excess Grant) सेिा के वलये) या अनुदान वकये गए धन से अवधक व्यय हो जाता है।
● वित्तीय िषथ के बाद लोकसभा द्वारा इस पर मतदान वकया जाता है।
● मतदान के वलए लोकसभा में अवतररि अनुदान की मागं प्रस्ततु करने से पहले, उन्हें संसद की लोक लेखा
सवमवत द्वारा अनुमोवदत वकया जाना चावहए।
प्रत्यानुदान ● यवद वकसी सेिा की महत्ता या उसके अवनवित स्िरूप के कारण मांग को बजट में इस प्रकार नहीं रखा जा
(Vote of Credit) सकता वजस प्रकार सामान्यतया बजट में अन्य मागं ों को रखा जाता है, तो ऐसी मांगो की पवू तथ के वलये
प्रत्यानुदान वदया जाता है।
● यह लोक सभा द्वारा कायथपावलका को वदए गए ब्लैंक चेक के समान है।
अपिादानुदान ● यह एक विशेष उद्देश्य के वलए वदया जाता है और वकसी भी वित्तीय िषथ की ितथमान सेिा का वहस्सा नहीं
(Exceptional Grant) होता है।

टोकन अनुदान ● यह तब प्रदान वकया जाता है जब वकसी नई सेिा पर प्रस्तावित व्यय को परू ा करने के वलए धन पनु : उपयोग
(Token Grant) द्वारा उपलब्ध कराया जा सकता है।

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● एक टोकन रावश (रु 1) के अनुदान की मांग लोकसभा के मतदान के वलए प्रस्तुत की जाती है और यवद
सहमवत हो जाती है, तो धन उपलब्ध कराया जाता है।
● पनु विथवनयोग में एक मद से दसू रे मद में वनवधयों का अतं रण शावमल है। इसमें कोई अवतररि खचथ शावमल
नहीं है।

305. सहकाररता मत्रं ालय (Ministry of Cooperation)

● सहकार से समृवद्ध (सहकाररता के माध्यम से समृवद्ध) के दृवष्टकोण को साकार करने और सहकाररता आदं ोलन को एक नया बल देने के वलए
कें द्र सरकार द्वारा एक अलग 'सहकाररता मत्रं ालय' बनाया गया है।

● यह देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के वलए एक कें वद्रत प्रशासवनक, कानूनी और नीवतगत ढाचं ा प्रदान करे गा।

● यह सहकारी सवमवतयों के वलए 'व्यापार करने में आसानी' के वलए प्रवियाओ ं को सव्ु यिवस्र्त करने और बहु-राज्य सहकारी सवमवतयों (MSC)
के विकास को सक्षम करने के वलए काम करे गा।

● एक सहकारी सयं ि
ु रूप से स्िावमत्ि और लोकतावं त्रक रूप से वनयवं त्रत उद्यम के माध्यम से अपनी आम आवर्थक, सामावजक और सास्ं कृ वतक
जरूरतों और आकांक्षाओ ं को परू ा करने के वलए स्िेच्छा से एकजटु व्यवियों का एक स्िायत्त संघ है।

○ उदाहरण: उपभोिा सहकारी सवमवत, उत्पादक सहकारी सवमवत, ऋण सहकारी सवमवत, आिास सहकारी सवमवत और विपणन
सहकारी सवमवत।
सहकाररता का विकास (Evolution of Cooperatives)

● 1903 में बगं ाल सरकार के सहयोग से बैंवकंग में पहली िे वडट सहकारी सवमवत का गठन वकया गया र्ा। इसे विवटश सरकार के अनुकूल
सोसायटी अवधवनयम के तहत पंजीकृ त वकया गया र्ा।

● लेवकन सहकारी साख सवमवत अवधवनयम, 1904 के अवधवनयमन ने सहकाररता को एक वनवित संरचना और आकार प्रदान वकया।

● 1919 में, सहकाररता एक प्रातं ीय विषय बन गया और प्रातं ों को मोंटेग्य-ू चेमसिोडथ सधु ारों के तहत अपने स्ियं के सहकारी कानून बनाने के
वलए अवधकृ त वकया गया। भारत सरकार अवधवनयम, 1935 के आधार पर िगीकरण वकया गया।

● 1942 में, विवटश भारत सरकार ने एक से अवधक प्रातं ों की सदस्यता िाली सहकारी सवमवतयों को किर करने के वलए बहु-इकाई सहकारी
सवमवत अवधवनयम लागू वकया।

● स्ितंत्रता के बाद सहकाररता पंचिषीय योजनाओ ं का अवभन्न अंग बन गई।

● 1958 में, राष्ट्ट्रीय विकास पररषद (NDC) ने सहकारी सवमवतयों पर और कवमथयों के प्रवशक्षण और सहकारी विपणन सवमवतयों की स्र्ापना के
वलए एक राष्ट्ट्रीय नीवत की वसिाररश की र्ी।

● राष्ट्ट्रीय सहकारी विकास वनगम (NCDC), एक सावं िवधक वनगम, राष्ट्ट्रीय सहकारी विकास वनगम अवधवनयम, 1962 के तहत स्र्ावपत वकया
गया र्ा ।

● भारत सरकार ने 2002 में सहकाररता पर एक राष्ट्ट्रीय नीवत की घोषणा की।

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● संविधान (97िां संशोधन) अवधवनयम, 2011 में वनमनवलवखत पररितथन वकए गए

○ भारत में कायथरत सहकारी सवमवतयों के सबं धं में सवं िधान में एक नया भाग IX B जोडा गया। (भाग IX A नगर-पावलका से समबवं धत
है)

○ अनुच्छे द 19 (1) (C) में शब्द "सहकारी सवमवतयों" को "यवू नयनों और संघों" के बाद जोडा गया र्ा। यह सभी नागररकों को
नागररकों के मौवलक अवधकार का दजाथ देकर सहकारी सवमवतयां बनाने में सक्षम बनाता है।

○ राज्य के नीवत वनदेशक तत्िों (भाग IV) में "सहकारी सवमवतयों के सिं धथन" के संबंध में एक नया अनुच्छे द 43 B जोडा गया र्ा।

306. नेता प्रवतपक्ष (Leader of Opposition)

● यह ससं द अवधवनयम, 1977 में विपक्ष के नेताओ ं के िेतन और भत्ते में पररभावषत एक िैधावनक पद है।

● विपक्ष का नेता बनने के वलए, विपक्ष में सबसे बडे राजनीवतक दल के पास लोकसभा में कम से कम 10% सीटें होनी चावहए। ऐसी पाटी का
नेता विपक्ष के नेता के रूप में कायथ करता है।

● नेता प्रवतपक्ष सरकार की नीवतयों की संरचनात्मक आलोचना करता है। नेता प्रवतपक्ष नीवत और विधायी कायों में विपक्ष के कामकाज में
सामंजस्य और प्रभािशीलता लाने में भी महत्िपणू थ भवू मका वनभाता है।

● इसे कै वबनेट मत्रं ी के समान िेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं वजसका भगु तान सरकार द्वारा वकया जाता है।

● नेता प्रवतपक्ष जिाबदेही और पारदवशथता के संस्र्ानों – सीिीसी, सीबीआई, सीआईसी, लोकपाल, सीआईसी, एनएचआरसी में वनयवु ियों के
वलए वद्वदलीय और तटस्र्ता लाने में महत्िपणू थ भवू मका वनभाता है।

ितथमान व्यिस्र्ा के सार् वचतं ाएं

● समस्या तब उत्पन्न होती है जब विपक्ष में कोई भी दल 55 या अवधक सीटें प्राप्त नहीं करता है। ऐसी वस्र्वतयों में विपक्ष की सबसे बडी पाटी
को स्पीकर द्वारा विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त नेता का अवधकार होना चावहए।

● इसके अलािा, 10% सत्रू ीकरण 'ससं द अवधवनयम, 1977 में विपक्ष के नेताओ ं के िेतन और भत्ते' कानून के सार् असगं त है, जो के िल यह
कहता है वक सबसे बडे विपक्षी दल को पद वमलना चावहए।

307. राजनीवतक दल पजं ीकरण ट्रैवकंग प्रबधं न प्रणाली (Political Parties Registration Tracking Management System)
समाचार में: भारत के चनु ाि आयोग ने "राजनीवतक दल पंजीकरण ट्रैवकंग प्रबंधन प्रणाली (PPRTMS)" शरू
ु की है।
● PPRTMS में मख् ु य विशेषता यह है वक आिेदक, जो 1 जनिरी, 2020 से एक राजनीवतक दल के पजं ीकरण के वलए आिेदन कर रहा है,
अपने आिेदन की प्रगवत को ट्रैक करने में सक्षम होगा और एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से वस्र्वत अपडेट प्राप्त करे गा।
● राजनीवतक दलों का पंजीकरण लोक प्रवतवनवधत्ि अवधवनयम, 1951 की धारा 29 A के प्रािधानों द्वारा वनयंवत्रत होता है।

▪ उपयथि ु धारा के तहत पंजीकरण की मागं करने िाले एक संघ को अपने गठन की तारीख के बाद 30 वदनों की अिवध के भीतर
आयोग को एक आिेदन प्रस्ततु करना होगा।
पंजीकरण के लाभ
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● अपने आरवक्षत प्रतीक के अनन्य आिंटन के वलए पात्र।


● मान्यता प्राप्त' राज्य `और' राष्ट्ट्रीय ' दलों को नामांकन दावखल करने के वलए के िल एक प्रस्तािक की आिश्यकता होती है।
● वनिाथचक नामािली के दो सेट वन:शल्ु क प्राप्त करने का हकदार।
● उन्हें आकाशिाणी/दरू दशथन पर प्रसारण/प्रसारण की सवु िधा भी वमलती है।
● स्टार प्रचारकों के यात्रा खचथ को उनकी पाटी के उममीदिारों के चनु ािी खचथ के खातों में नहीं जोडा जाना चावहए।

308. राष्ट्ट्रीय मानिावधकार आयोग (National Human Rights Commission of India - NHRC)

● यह एक सांविधक (और संिैधावनक नहीं) वनकाय है वजसकी स्र्ापना 1993 में संसद द्वारा अवधवनयवमत एक कानून के तहत की गई र्ी,
अर्ाथत् मानिावधकार संरक्षण अवधवनयम, 1993

● आयोग देश में मानिावधकारों, अर्ाथत्, सवं िधान द्वारा गारंटीकृ त या अतं रराष्ट्ट्रीय िाचाओ ं में सवन्नवहत और भारत में न्यायालयों द्वारा
प्रितथनीय व्यवि के जीिन, स्ितत्रं ता, समानता और गररमा से सबं वं धत अवधकार का प्रहरी है।

● यह एक बहु-सदस्यीय वनकाय है, वजसमें एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं।


o अध्यक्ष एक सेिावनिृत्त CJI या सिोच्च न्यायालय का न्यायाधीश होना चावहए।
o सदस्य अनसु वू चत जावत के सेिारत या सेिावनिृत्त न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के सेिारत या सेिावनिृत्त मख्ु य न्यायाधीश होने
चावहए।
o मानि अवधकारों के सबं धं में ज्ञान या व्यािहाररक अनभु ि रखने िाले तीन व्यवि। (वजनमें से कम से कम एक मवहला होनी
चावहए)

● इन पणू थकावलक सदस्यों के अलािा, NHRC में सात पदेन सदस्य भी हैं
o राष्ट्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष
o अनसु वू चत जावत के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o अनसु वू चत जनजावतयों के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o राष्ट्ट्रीय मवहला आयोग के अध्यक्ष
o वपछडा िगथ के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o बाल अवधकारों के संरक्षण के वलए राष्ट्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष
o विकलागं व्यवियों के वलए मख्ु य आयि
ु ।

● अध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु ि राष्ट्ट्रपवत द्वारा छह सदस्यीय सवमवत की वसिाररशों पर की जाती है, वजसमें
o प्रधान मंत्री इसके प्रमख
ु के रूप में
o लोकसभा के अध्यक्ष
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o राज्यसभा के उपाध्यक्ष,
o संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता
o कें द्रीय गृह मंत्री।

● इसके अलािा, सिोच्च न्यायालय के एक मौजदू ा न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के एक मौजदू ा मख्ु य न्यायाधीश को भारत के मख्ु य न्यायाधीश
के परामशथ के बाद ही वनयि
ु वकया जा सकता है।

● अध्यक्ष और सदस्य तीन िषथ की अिवध के वलए या 70 िषथ की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।

● िे पनु वनथयवु ि के पात्र होते हैं।

● उनके कायथकाल के बाद, अध्यक्ष और सदस्य कें द्र या राज्य सरकार के तहत आगे के रोजगार के वलए पात्र नहीं होते हैं।

NHRC के कायथ

● यह अपनी प्रविया को विवनयवमत करने की शवि के सार् वनवहत है। इसमें वसविल कोटथ की सभी शवियां हैं और इसकी कायथिाही में न्यावयक
चररत्र है।

● मानिावधकार उल्लघं न की वशकायतों की जाचं के वलए आयोग के पास कमथचाररयों की जाचं का अपना कें द्र है।

● इसके अलािा, इसे कें द्र सरकार या वकसी राज्य सरकार के वकसी भी अवधकारी या जांच एजेंसी की सेिाओ ं का उपयोग करने का अवधकार
है।

● आयोग को उस वतवर् से एक िषथ की समावप्त के बाद वकसी भी मामले की जांच करने का अवधकार नहीं है वजस पर मानि संसाधन का उल्लंघन
करने का आरोप लगाया गया है।

● जांच के दौरान या उसके परू ा होने पर NHRC वनमनवलवखत में से कोई भी कदम उठा सकता है:

○ यह पीवडत को मआ
ु िजे या हजाथने का भगु तान करने के वलए सबं वं धत सरकार या प्रावधकरण को वसिाररश कर सकता है;
○ यह संबंवधत प्रावधकारी को अवभयोजन के वलए कायथिाही शरू
ु करने या दोषी लोक सेिक के वखलाि वकसी अन्य कारथ िाई की
वसिाररश कर सकता है;

○ यह पीवडत को तत्काल अंतररम राहत देने के वलए संबवं धत सरकार या प्रावधकरण को वसिाररश कर सकता है;

○ यह आिश्यक वनदेश, आदेश या ररट के वलए सिोच्च न्यायालय या सबं वं धत उच्च न्यायालय का दरिाजा खटखटा सकता है।
NHRC की सीमाएं
● नोट: आयोग के कायथ मख्ु यतः अनश
ु ंसात्मक प्रकृ वत के हैं। इसके पास मानिावधकारों के उल्लंघन करने िालों को दवं डत करने की शवि नहीं
है, और न ही पीवडत को आवर्थक राहत सवहत कोई राहत देने की शवि है।
● इसकी वसिाररशें सबं वं धत सरकार/प्रावधकरण पर बाध्यकारी नहीं हैं। लेवकन, इसकी वसिाररशों पर की गई कारथ िाई से एक माह के भीतर अिगत
कराया जाना चावहए।
● सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा मानिावधकारों के उल्लघं न के सबं धं में आयोग की सीवमत भवू मका, शवियां और अवधकार क्षेत्र हैं।
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● आयोग अपनी िावषथक या विशेष ररपोटथ कें द्र सरकार और संबंवधत राज्य सरकार को प्रस्तुत करता है। ये ररपोटथ संबंवधत विधानसभाओ ं के
समक्ष रखी जाती हैं।

309.राज्यों की उधार लेने की शवि (Borrowing Power of States)


समाचार में: हाल ही में कें द्र सरकार ने 2020-21 में राज्यों की उधार सीमा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 3% से बढाकर 5% कर वदया है।
राज्यों की उधार लेने की शवि (अनुच्छे द 292 और 293 के तहत िवणथत है)

● U/A 292, यह शवि राज्य विधानमंडल के अवधवनयम द्वारा सीवमत है

○ U/A 292, कें द्र सरकार के पास ससं द द्वारा वनधाथररत सीमा (FRBM Act) के अधीन उधार लेने की अप्रवतबवं धत शवि है।

● राज्य के िल घरेलू स्तर पर ही ऋण जटु ा सकते हैं।

○ राज्यों की तरह संघ के वलए कोई क्षेत्रीय अवधकार क्षेत्र नहीं है । कें द्र सरकार घरेलू और विदेश से भी उधार ले सकती है।

● राज्य के उधार पर प्रवतबंधों में शावमल हैं

○ राज्य की सवं चत वनवध की जमानत पर उधार ले सकते हैं।


○ सघं सरकार की अनुमवत के वबना ऋण नहीं उठा सकते हैं यवद संघ से वपछले ऋण की कोई रावश बकाया है।

310. राज्यपाल (Governor)


वनयवु ि: राष्ट्ट्रपवत अपने हस्ताक्षर और महु र के तहत िारंट द्वारा।
राज्यपाल के कायाथलय का कायथकाल: राष्ट्ट्रपवत के प्रसाद पयंत पद धारण करता है, कोई वनवित अिवध नहीं।
वनष्ट्कासन

● राष्ट्ट्रपवत द्वारा, संविधान में आधार वनधाथररत नहीं वकए गए हैं।


● राज्यपाल का तबादला और पनु वनथयवु ि भी हो सकती है।
● उच्च न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश को अस्र्ायी आधार पर राज्यपाल के रूप में भी वनयि
ु वकया जा सकता है।
योग्यता
● िह एक भारतीय नागररक होना चावहए।
● उसकी आयु 35 िषथ या उससे अवधक होनी चावहए।

राज्यपाल के कायाथलय की शतें

● िह लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य नहीं हो सकता। यवद िह वकसी सदन का सदस्य है तो उसे पहले अपने पद से त्यागपत्र देना होगा।

● िह लाभ का कोई पद धारण नहीं कर सकता।

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● संसद उनकी पररलवब्धयों को तय करती है।

● जब एक राज्यपाल दो या दो से अवधक राज्यों के वलए होता है, तो राज्यों द्वारा पररलवब्धयां साझा की जाती हैं।

● संसद अपने कायथकाल के दौरान उनका िेतन कम नहीं कर सकती।

● उसे वकसी भी आपरावधक कायथिाही से प्रवतरक्षा दी जाती है, यहां तक वक उसके व्यविगत कृ त्यों के सबं ंध में भी।

● उसके व्यविगत कृ त्यों के वलए दो माह की पिू थ सचू ना देकर वसविल कायथिाही प्रारंभ की जा सकती है।

राज्यपाल की कायथकारी शवियााँ

● प्रत्येक कायथकारी कारथ िाई उनके नाम पर की जाती है।

● िह व्यिसाय के लेन-देन को सरल बनाने के वलए वनयम बना सकता है।

● िह मख्ु यमत्रं ी, CoM, एडिोके ट जनरल की वनयवु ि करे गा।

● छत्तीसगढ, झारखडं , मध्य प्रदेश, ओवडशा जैसे राज्यों में आवदिासी कल्याण मत्रं ी वनयि
ु करना राज्यपाल की वजममेदारी है।

● राज्यपाल को राज्य में राष्ट्ट्रपवत शासन के दौरान राष्ट्ट्रपवत के एजेंट के रूप में व्यापक कायथकारी शवियां प्राप्त हैं।
राज्यपाल की विधायी शवियां

● विधावयका का सत्रािसान, समन और भगं करना उसकी शवि में है।

● िह हर साल के पहले सत्र को संबोवधत करता है

● सहमवत देना, राष्ट्ट्रपवत के वलए वबल को िापस भेजना या आरवक्षत करना।

● अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अनपु वस्र्त रहने पर सत्र की अध्यक्षता करने के वलए एक व्यवि की वनयवु ि करता है।

● नामाक
ं न शविया।ं

● अध्यादेश ला सकता हैं।

● विधानमंडल में SCF और SPSC की ररपोटथ को प्रस्तुत करता है।


राज्यपाल की वित्तीय शवियााँ

● िह राज्य के बजट को देखता है।

● धन विधेयक के वलए उनकी वसिाररश जरूरी है।

● िह अनुदान की मांग के वलए वसिाररश करता है जो अन्यर्ा नहीं वदया जा सकता।

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● राज्य की आकवस्मकता वनवध राज्यपाल के अधीन है।

● राज्य वित्त आयोग का गठन राज्यपाल द्वारा वकया जाता है।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 44 - POLITY

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विषय

311. संसदीय विशेषाविकार (Parliamentary Privileges)


312. कै विनेट सविवियां (Cabinet Committees)
313. भारि के िहान्यायिादी (Attorney General of India)
314. अध्यादेश (Ordinances)
315. सीिीआई (CBI)
316. अिं र राज्य पररषद (Inter State Council)
317. विशन किम योगी (Mission Karma yogi)
318. वनपणु भारि (NIPUN Bharat)
319. िािृ एिं वशशु सरु क्षा कार्म (Mother and Child Protection Card)
320. संसदीय सविवि- भाग I (Parliamentary Committee- Part I)

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311. ससं दीय विशेषाविकार (Parliamentary Privileges)


सिाचार िें: सप्रु ीि कोटम ने हाल ही िें िहाराष्ट्र के सीएि के विलाफ अपिानजनक वटप्पणी करने के वलए विशेषाविकार हनन िािले िें अनमि गोस्िािी
को राहि दी है।
संसदीय विशेषाविकारों के िारे िें

● ससं दीय विशेषाविकार उन अविकारों, उन्िवु ियों और छूटों को संदवभमि करिा है जो संसद को एक संस्था के रूप िें (संसदीय सविवियों सवहि)
और सांसदों को उनकी व्यविगि क्षििा िें प्राप्त होिी हैं, वजसके विना िे संवििान द्वारा उन्हें सौंपे गए कायों का वनिमहन नहीं कर सकिे हैं।

● संसदीय विशेषाविकार संसद सदस्यों की गररिा, अविकार और सम्िान िनाए रिने िें िदद करिे हैं।

● सवं ििान (अनच्ु छे द 105 और 194) िें दो विशेषाविकारों का उल्लेि है, अथामि ससं द िें िोलने की स्िित्रं िा और इसकी कायमिाही के
प्रकाशन का अविकार।

● लोकसभा वनयि पवु स्िका के अध्याय 20 िें वनयि संख्या 222 और राज्य सभा वनयि पवु स्िका के अध्याय 16 िें वनयि 187 के अनुरूप
विशेषाविकार को वनयंवत्रि करिा है।

● जि इनिें से वकसी भी अविकार और उन्िवु ि की अिहेलना की जािी है, िो अपराि को विशेषाविकार का उल्लंघन कहा जािा है और यह
संसद के कानून के िहि दर्ं नीय है।

● वकसी भी सदन के वकसी भी सदस्य द्वारा विशेषाविकार के उल्लंघन के दोषी पाए जाने िालों के विलाफ एक प्रस्िाि के रूप िें एक नोवटस
पेश वकया जािा है

● सािवू हक और व्यविगि विशेषाविकार (Refer Rare Video Day 43- Session 32)

भारि िें संसद के विशेषाविकारों की दो श्रेवणयां हैं


पहली श्रेणी ● ससं द के प्रत्येक सदन िें िोलने की स्ििंत्रिा।
वनवदमष्ट और प्रगवणि ● संसद या उसकी वकसी सविवि िें वकसी सदस्य द्वारा कही गई या दी गई वकसी भी िाि के
संिंि िें वकसी भी अदालि िें कायमिाही से प्रविरक्षा।
● संसद के वकसी भी सदन द्वारा या उसके प्राविकार के िहि वकसी भी ररपोटम, पेपर, िोट या
वकसी भी सदन की कायमिाही के प्रकाशन के संिंि िें दावयत्ि से िवु ि।
दसू री श्रेणी इसिें िे सभी विशेषाविकार शाविल हैं जो यनू ाइटेर् वकंगर्ि की ससं द के हाउस ऑफ कॉिन्स और
िान्यिा प्राप्त लेवकन विना पाररश्रविक के इसके सदस्यों और सविवियों द्वारा भारि के संवििान के प्रारंभ िें प्राप्त वकए गए थे और जि िक िे
कानून द्वारा संसद द्वारा संशोविि और पररभावषि नहीं वकए जािे, िि िक लागू रहेंगे।

विशेषाविकार के पाचं स्रोि हैं:


1. सिं ैिावनक प्राििान
2. ससं द द्वारा िनाए गए विवभन्न काननू
3. दोनों सदनों के वनयि
4. ससं दीय कन्िेन्शन
5. न्यावयक व्याख्याएं
अन्य िहत्िपणू म िथ्य
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● ससं द के संसदीय विशेषाविकारों (सदस्यों और सविवियों) से संिंविि प्राििानों को संसद के सािारण िहुिि का उपयोग करके संशोविि
वकया जा सकिा है ।

● राष्ट्रपवि ससं दीय विशेषाविकारों के हकदार नहीं हैं ।

● भारिीय राष्ट्रपवि के सिक्ष शपथ वलए विना, संसद के सदस्य को विशेषाविकार और प्रविरक्षा प्रदान नहीं की जािी है ।

● लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा सदस्यों के विशेषाविकारों और संसद के इस सदन की सविवियों का सरं क्षक होिा है ।

● संसदीय विशेषाविकार के उल्लंघन के वलए एक िंत्री को वनंदा करने के वलए 'विशेषाविकार प्रस्िाि' नाि का एक प्रस्िाि है।

● विशेषाविकार का प्रश्न उठाने के वलए स्थगन प्रस्िाि और सांकेविक कटौिी प्रस्िाि का उपयोग नहीं वकया जा सकिा है।

● संसद के पास विशेषाविकार के वकसी भी उल्लंघन के वलए सदन के सदस्यों या िाहरी व्यवि को दवं र्ि करने की न्यावयक शवि है।

● 'विशेषाविकार सविवि' नािक एक सविवि होिी है जो अिम-न्यावयक प्रकृ वि की होिी है। यह विशेषाविकारों के उल्लंघन की जाचं के वलए
वजम्िेदार है। लोकसभा की विशेषाविकार सविवि िें 15 सदस्य होिे हैं जिवक राज्यसभा िें एक ही सविवि के वलए 10 सदस्य होिे हैं।

● वजन व्यवियों को संसद के वकसी भी सदन की कायमिाही िें िोलने की अनुिवि है, िे भी संसद के विशेषाविकारों के हकदार हैं। उदाहरण -
भारि के िहान्यायिादी और कें द्रीय ित्रं ी।

312. कै विनेट सविवियां (Cabinet Committees)


● कै विनेट सविवियां िल
ू रूप िें गैर-संिैिावनक हैं यानी संवििान िें उनका उल्लेि नहीं है।
○ सरकार की िशीनरी पर एन गोपालस्िािी सविवि (1949) ने इन सविवियों के सवचिालय और अन्य अगं ों को उवचि रूप से िजििू
करने के साथ पररभावषि क्षेत्रों िें िवं त्रिर्ं ल की स्थायी सविवियों की स्थापना की वसफाररश की
● हालांवक, व्यिसाय के वनयि उनकी स्थापना प्रदान करिे हैं।
● प्रिान ित्रं ी इन सविवियों का गठन करिे हैं और उन्हें सौंपे गए विवशष्ट कायों को वनिामररि करिे हैं। िह सविवियों की संख्या और उनकी संरचना
को जोड़ या घटा सकिे हैं।
● ये दो प्रकार के होिी हैं-स्थायी और िदथम। पहली स्थायी है, जिवक दसू री अस्थायी है।
○ विशेष सिस्याओ ं से वनपटने के वलए सिय-सिय पर िदथम सविवियों का गठन वकया जािा है। उनका काि परू ा होने के िाद उन्हें
भंग कर वदया जािा है।
● िे कै विनेट के भारी कायमभार को कि करने के वलए एक संगठनात्िक उपकरण हैं। िे नीविगि िद्दु ों की गहन जाचं और प्रभािी सिन्िय की
सवु ििा प्रदान करिे हैं।
● िे श्रि विभाजन और प्रभािी प्रविवनवििंर्ल के वसद्ांिों पर आिाररि हैं।
● िे न के िल िद्दु ों को हल करिे हैं और कै विनेट के विचार के वलए प्रस्िािों को फ्रेि करिे हैं, िवल्क िे वनणमय भी लेिे हैं। िवं त्रिर्ं ल िेशक, उनके
फै सलों की सिीक्षा कर सकिा है।
कै विनेट सविवियों की सरं चना

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● उनकी सदस्यिा वनविि नहीं है और आििौर पर िीन से आठ िक वभन्न होिी है।


● इनिें आििौर पर के िल कै विनेट ित्रं ी शाविल होिे हैं। हालांवक, गैर-कै विनेट िंवत्रयों को भी सदस्य के रूप िें शाविल वकया जा सकिा है।
● शाविल विषयों के प्रभारी िंवत्रयों के अलािा अन्य िररष्ठ िंवत्रयों को भी सदस्य के रूप िें शाविल वकया जा सकिा है।
● ऐसी सविवियों की अध्यक्षिा आििौर पर प्रिानित्रं ी करिे हैं। कई िार गृह, वित्त आवद जैसे अन्य कै विनेट िंत्री भी अध्यक्ष हो सकिे हैं।
लेवकन, यवद प्रिानित्रं ी सविवि का सदस्य है, िो िह सविवि का प्रिि
ु होिा है।

ििमिान कै विनेट सविवियां


1. िंवत्रिंर्ल की वनयवु ि सविवि।
2. आिास पर कै विनेट सविवि।
3. आवथमक िािलों की कै विनेट सविवि।
4. ससं दीय िािलों की कै विनेट सविवि।
5. राजनीविक िािलों की कै विनेट सविवि।
6. कें द्रीय िवं त्रिर्ं ल की सरु क्षा सिं िं ी सविवि।
7. वनिेश और विकास पर कै विनेट सविवि।
8. रोजगार और कौशल विकास पर कै विनेट सविवि।

क्या आप जानिे हैं?


● भारि िें कायमकारी भारि सरकार के व्यापार वनयिािली, 1961 (Government of India Transaction of Business Rules, 1961)
के िहि कायम करिा है।

● ये वनयि संवििान के अनुच्छे द 77(3) से वनकलिे हैं, वजसिें कहा गया है: "राष्ट्रपवि भारि सरकार के व्यिसाय के अविक सवु ििाजनक
लेनदेन के वलए और उि व्यिसाय के िंवत्रयों के िीच आिंटन के वलए वनयि िनाएगं े।"

िंवत्रपररषद (Council of Ministers - COM)

● COM एक संिैिावनक वनकाय है, वजसे संवििान के अनुच्छे द 74 और 75 द्वारा विस्िार से पेश वकया गया है।

● COM एक व्यापक वनकाय है वजसिें सभी िवं त्रयों की सभी 3 श्रेवणयां शाविल हैं, अथामि् कै विनेट ित्रं ी, राज्य ित्रं ी और उप ित्रं ी ।

● COM सभी शवियों के साथ वनवहि हैं लेवकन के िल वसद्ांि िें। यह कै विनेट द्वारा वलए गए वनणमयों को लागू करिा है जिवक
कै विनेट सविवियां वनणमय लेने िें कै विनेट की िदद करिी हैं।

● COM संसद के वनचले सदन के वलए सािवू हक रूप से उत्तरदायी हैं जिवक कै विनेट सविवियों के वलए ऐसा कोई िंर् नहीं है।

● 91 िें संिैिावनक संशोिन अविवनयि, 2003 के िहि, प्रिानिंत्री सवहि िंवत्रपररषद िें िंवत्रयों की कुल संख्या लोकसभा के कुल
सदस्यों के 15 प्रविशि (15% 543= 81) से अविक नहीं हो सकिी है।

313. भारि के िहान्यायिादी (Attorney General of India)

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सिाचार िें: कें द्र सरकार ने अटॉनी जनरल (AGI) के रूप िें के .के . िेणगु ोपाल के कायमकाल को एक और िषम के वलए विस्िाररि वकया है।

● यह दसू री िार है जि कें द्र ने उनका कायमकाल िढाया है। िेणगु ोपाल को अपने कायमकाल का पहला विस्िार 2020 िें विला था।

● िेणगु ोपाल को 2017 िें भारि का 15िां AGI वनयि


ु वकया गया था। उन्होंने िक
ु ु ल रोहिगी का स्थान वलया जो 2014-2017 िक AGI
थे।
भारि के िहान्यायिादी (AGI) के िारे िें

● AGI संघ की कायमकाररणी का वहस्सा है।

● AGI देश का सिोच्च काननू अविकारी है।

● सवं ििान के अनच्ु छे द 76 िें भारि के िहान्यायिादी के पद का प्राििान है।

● AG की वनयवु ि राष्ट्रपवि द्वारा सरकार की सलाह पर की जािी है।

● िह एक ऐसा व्यवि होना चावहए जो सिोच्च न्यायालय का न्यायािीश वनयि ु होने के योग्य हो, अथामि िह भारि का नागररक होना चावहए
और राष्ट्रपवि की राय िें पांच साल के वलए वकसी उच्च न्यायालय का न्यायािीश या दस साल के वलए वकसी उच्च न्यायालय का अविििा
या एक प्रख्याि न्यायविद होना चावहए ।

● इसके कायामलय की अिवि: संवििान द्वारा िय नहीं है।

● वनष्ट्कासन: AGI को हटाने के वलए प्रवियाएं और आिार सवं ििान िें नहीं ििाए गए हैं। AGI राष्ट्रपवि के प्रसादपयमन्ि अपना पद िारण
करिा है (वकसी भी सिय राष्ट्रपवि द्वारा हटाया जा सकिा है)।

● भारि के सॉवलवसटर जनरल और भारि के अविररि सॉवलवसटर जनरल आविकाररक वजम्िेदाररयों की पवू िम िें AG की सहायिा करिे हैं ।

● एर्िोके ट जनरल ऑफ स्टेट (िहाविििा) राज्यों िें संिंविि कायामलय है (अनुच्छे द 165)।
अविकार और सीिाए:ं
● AGI को संसद के दोनों सदनों या उनकी संयि ु िैठक और संसद की वकसी भी सविवि की कायमिाही िें िोलने और भाग लेने का अविकार
है, वजसिें िह सदस्य नाविि हो सकिा है, लेवकन ििदान के अविकार के विना।
● AGI को िे सभी विशेषाविकार और उन्िवु ियां प्राप्त हैं जो संसद सदस्य को उपलब्ि होिी हैं।
● AGI सरकारी किमचाररयों की श्रेणी िें नहीं आिा है ।
● AGI को वनजी विविक कायमिाही से िंवचि नहीं वकया गया है। हालााँवक, िह भारि सरकार के विलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर
सकिा है।
किमव्य और कायम:
● ऐसे काननू ी िािलों पर भारि सरकार को सलाह देना, जो राष्ट्रपवि द्वारा उसे संदवभमि वकए जािे हैं।
● कानूनी चररत्र के ऐसे अन्य किमव्यों का पालन करना जो उन्हें राष्ट्रपवि द्वारा सौंपे जािे हैं।

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● भारि सरकार की ओर से सभी िािलों िें सिोच्च न्यायालय िें या वकसी भी उच्च न्यायालय िें वकसी भी िािले िें, वजसिें भारि सरकार का
संिंि है, उपवस्थि होना।
● सवं ििान के अनुच्छे द 143 (सिोच्च न्यायालय से परािशम करने की राष्ट्रपवि की शवि) के िहि राष्ट्रपवि द्वारा सिोच्च न्यायालय िें वकए गए
वकसी भी संदभम िें भारि सरकार का प्रविवनवित्ि करना।
● संवििान या वकसी अन्य कानून द्वारा उसे प्रदत्त कायों का वनिमहन करना।

314. अध्यादेश (Ordinances)


● अध्यादेश एक कानून की िरह होिे हैं, लेवकन ये संसद द्वारा अविवनयविि नहीं होिे हैं, िवल्क लोकसभा और राज्यसभा या उनिें से वकसी के
भी सत्र िें न होने पर भारि के राष्ट्रपवि द्वारा प्रख्यावपि वकए जािे हैं।
● इन अध्यादेशों िें संसद के अविवनयि के सिान ही िल और प्रभाि होिे हैं लेवकन ये अस्थायी काननू ों की प्रकृ वि िें होिे हैं।
● अध्यादेश को प्रख्यावपि करने के वलए कें द्रीय कै विनेट की वसफाररश जरूरी है।अध्यादेशों का प्रयोग करिे हुए ित्काल वििायी कारम िाई की
जा सकिी है।
● अनुच्छे द 123 राष्ट्रपवि द्वारा अध्यादेश जारी करने की शवि से संिंविि है।
● अध्यादेश के िल उन्हीं विषयों पर पेश वकए जा सकिे हैं वजन पर भारिीय संसद कानून िना सकिी है।
● एक अध्यादेश संसद के एक अविवनयि के सिान संिैिावनक सीिाओ ं के अिीन है। इसवलए अध्यादेश वकसी भी िौवलक अविकार को कि
या सिाप्त नहीं सकिा है।
● जि भी वकसी अध्यादेश को िदलने की िागं करने िाला वििेयक सदन िें पेश वकया जािा है, िो उन पररवस्थवियों को स्पष्ट करने िाला एक
ियान भी सदन के सिक्ष रिा जाना चावहए, वजसके वलए अध्यादेश के िाध्यि से ित्काल काननू िनाना आिश्यक हो गया था।
● ससं द सत्रािसान की अिवि िें जारी वकया गया प्रत्येक अध्यादेश ससं द की पनु ः िैठक होने पर दोनों सदनों के सिक्ष प्रस्ििु वकया जाना
चावहए, यवद ससं द इस पर कोई कायमिाही नहीं करिी है िो ससं द की दोिारा िैठक के छह सप्ताह के पिाि् यह अध्यादेश सिाप्त हो जािा है।
● अध्यादेश के सिाप्त होने से पहले वकए गए इसके अिं गमि वकए गए कायम िैि और प्रभािी रहेगें।
● अध्यादेश लाने की राष्ट्रपवि की शवि दभु ामिना के आिार पर न्यायोवचि है
○ आर.सी. कूपर िनाि भारि संघ (1970) िें सिोच्च न्यायालय ने िाना वक राष्ट्रपवि के फै सले को इस आिार पर चनु ौिी दी जा
सकिी है वक 'ित्काल कारम िाई' की आिश्यकिा नहीं थी; और अध्यादेश िख्ु य रूप से वििावयका िें िहस और चचाम को दरवकनार
करने के वलए पाररि वकया गया था।
○ र्ी.सी. िाििा िनाि विहार राज्य (1987) िें यह िकम वदया गया था वक अध्यादेशों को प्रख्यावपि करने के वलए कायमपावलका की
वििायी शवि का उपयोग असािारण पररवस्थवियों िें वकया जाना है, न वक वििावयका की काननू िनाने की शवि के विकल्प के
रूप िें।
○ कृ ष्ट्ण कुिार वसंह िनाि विहार राज्य िें सिोच्च न्यायालय ने िाना वक अध्यादेश जारी करने का अविकार एक पणू म न होकर "संिुवष्ट
पर सशिम है वक ऐसी पररवस्थवियां उपवस्थि थी वजसके कारण ित्काल कारम िाई करना आिश्यक हो गया था"।

अनुच्छे द 213 राज्यपाल द्वारा अध्यादेशों के िाध्यि से काननू िनाने की शवि से संिंविि है। उसकी अध्यादेश िनाने की शवि काफी हद िक राष्ट्रपवि
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की शवि के सिान है। इन दोनों के अध्यादेश जारी करने के िीच िल ु ना नीचे दी गई है:
राष्ट्रपवि की अध्यादेश जारी करने की शवि राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शवि
जि लोकसभा या राज्य सभा सत्र िें न हो या दोनों सत्र िें न हों जि एक सदनीय वििावयका के िािले िें वििान सभा सत्र िें न हो या वद्वसदनीय
िो िह अध्यादेश जारी कर सकिा है। वििावयका के िािले िें वििान सभा और पररषद दोनों सत्र िें न हो, िो िह
अध्यादेश जारी कर सकिा है।
िह के िल उन िािलों के वलए एक अध्यादेश जारी कर सकिा िह के िल उन िािलों के वलए एक अध्यादेश को जारी कर सकिा है वजन पर
है वजन पर संसद (लोकसभा और राज्यसभा) कानून िना सकिी राज्य वििावयका काननू िना सकिी है।
है।
उनके अध्यादेशों का नीवियों पर िैसा ही प्रभाि पड़िा है वजिना उनके अध्यादेशों का नीवियों पर िैसा ही प्रभाि पड़िा है जैसा वक राज्य के
ससं द के कृ त्यों का होगा। अविवनयि का होगा। यवद अध्यादेश उन िािलों पर काननू िनािे हैं वजन पर
राज्य सरकार की कोई शवि नहीं है, िो अध्यादेश शन्ू य और अप्रभािी हो जािा
है।
उनके द्वारा पेश वकए गए अध्यादेश को कभी भी िापस वलया उनके द्वारा पेश वकए गए अध्यादेश को कभी भी िापस वलया जा सकिा है।
जा सकिा है।
अध्यादेश को प्रख्यावपि करने की उनकी शवि वििेकािीन अध्यादेश को प्रख्यावपि करने की उनकी शवि वििेकािीन शवि नहीं है।
शवि नहीं है। िवं त्रपररषद (प्रिानिंत्री की अध्यक्षिा िें) की िंवत्रपररषद (सीएि की अध्यक्षिा िें) की सलाह पिू म-अपेवक्षि है।
सलाह पिू म अपेवक्षि है।
जि कें द्र सरकार एक अध्यादेश प्रख्यावपि करिी है िो राष्ट्रपवि वनम्नवलविि िीन िािलों पर राष्ट्रपवि का वनदेश आिश्यक हैं:
द्वारा वकसी वनदेश की आिश्यकिा नहीं होिी है।
● यवद सिान प्राििानों िाले वकसी वििेयक को राज्य वििानिंर्ल िें
पेश करने के वलए राष्ट्रपवि की पिू म स्िीकृ वि की आिश्यकिा होिी है।

● यवद राज्यपाल राष्ट्रपवि के विचार के वलए सिान प्राििानों िाले विल


को आरवक्षि करना आिश्यक सिझिा है।

● यवद सिान प्राििानों िाले राज्य वििानिंर्ल का कोई अविवनयि


राष्ट्रपवि की सहिवि प्राप्त वकए विना अिान्य होिा है।

315. सीिीआई (CBI)

● इसकी स्थापना 1963 िें कें द्रीय गृह ित्रं ालय के एक प्रस्िाि द्वारा (सथं ानि सविवि की वसफाररस पर) की गयी थी।

● िाद िें, इसे काविमक ित्रं ालय िें स्थानािं ररि कर वदया गया और अि इसे एक संलग्न कायामलय का दजाम प्राप्त है।

● 1941 िें स्थावपि विशेष पवु लस प्रविष्ठान (जो सिकम िा िािलों को देििा था) को भी सीिीआई िें विला वदया गया था।

● कें द्रीय अन्िेषण ब्यरू ो (Central Bureau of Investigation-CBI) भारि की एक प्रिि


ु अन्िेषण एजेंसी है।
● यह भारि सरकार के काविमक, पेंशन िथा लोक वशकायि ित्रं ालय के काविमक विभाग [जो प्रिानित्रं ी कायामलय (Prime Minister’s Office-
PMO) के अिं गमि आिा है] के अिीक्षण िें कायम करिा है।

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● हालााँवक भ्रष्टाचार वनिारण अविवनयि (Prevention of Corruption Act) के िहि अपरािों के अन्िेषण के िािले िें इसका अिीक्षण
कें द्रीय सिकम िा आयोग (Central Vigilance Commission) के पास है।

● यह भारि की नोर्ल पवु लस एजेंसी भी है जो इटं रपोल की ओर से इसके सदस्य देशों िें अन्िेषण सिं िं ी सिन्िय करिी है।

● इसकी अपराि वसवद् दर (Conviction Rate) 65 से 70% िक है, अिः इसकी िुलना विश्व की सिमश्रष्ठे अन्िेषण एजेंवसयों से की जा सकिी
है।
एनआईए का गठन 2008 िें िंिु ई आिक ं िादी हिले के िाद िख्ु य रूप से
सीिीआई आिक ं िाद के अलािा भ्रष्टाचार, आवथमक अपराि और गभं ीर
आिंकिादी हिलों की घटनाओ,ं आिंकिाद के वित्तपोषण और अन्य
और संगवठि अपराि के अपराि की जाचं करिी है।
आिंकिाद से संिंविि अपरािों की जाचं के वलए वकया गया था।

● सीिीआई का नेित्ृ ि एक वनदेशक करिा है वजसे एक विशेष/अविररि वनदेशक द्वारा सहायिा प्रदान की जािी है। सीिीआई के वनदेशक को
CVC अविवनयि, 2003 द्वारा दो साल के कायमकाल की सरु क्षा प्रदान की गई है।

● कें द्र सरकार सीिीआई के वनदेशक की वनयवु ि िीन सदस्यीय सविवि की वसफाररश पर करिी है वजसिें

● अध्यक्ष के रूप िें प्रिान ित्रं ी


● लोकसभा िें विपक्ष के नेिा
● भारि के िख्ु य न्यायािीश या उनके द्वारा नाविि सिोच्च न्यायालय के न्यायािीश।
● यवद लोकसभा िें विपक्ष का कोई िान्यिा प्राप्त नेिा नहीं है, िो लोकसभा िें सिसे िड़े विपक्षी दल का नेिा उस सविवि का सदस्य होगा।

● सीिीआई अकादिी गावजयािाद, यपू ी िें वस्थि है इसने 1996 िें कायम करना शरू
ु वकया। इसके कोलकािा, िंिु ई और चेन्नई िें िीन क्षेत्रीय
प्रवशक्षण कें द्र भी हैं।
सीिीआई के कायम
● कें द्र सरकार के किमचाररयों के भ्रष्टाचार, ररश्वििोरी और कदाचार के िािलों की जाचं करना।

● राजकोषीय और आवथमक कानूनों के उल्लंघन से संिंविि िािलों की जांच करना।

● पेशेिर अपरावियों के सगं वठि वगरोहों द्वारा वकए गए राष्ट्रीय और अिं रराष्ट्रीय प्रभाि िाले गंभीर अपरािों की जााँच करना।

● भ्रष्टाचार वनरोिक एजेंवसयों और विवभन्न राज्य पवु लस िलों की गविविवियों का सिन्िय।

● राज्य सरकार के अनरु ोि पर सािमजवनक िहत्ि के वकसी भी िािले को जाचं के वलए उठाना।

● यह हत्या, अपहरण, िलात्कार आवद जैसे पारंपररक अपरािों की जांच करिा है, राज्य सरकारों के संदभम िें या सिोच्च न्यायालय / उच्च
न्यायालयों द्वारा वनदेवशि होने पर।

● अपराि के आंकड़ों को िनाए रिना और आपराविक जानकारी का प्रसार करना।

● सीिीआई भारि िें इटं रपोल के "राष्ट्रीय कें द्रीय ब्यरू ो" के रूप िें कायम करिी है।

● कें द्र सरकार सीिीआई को वकसी राज्य िें ऐसे अपराि की जाचं के वलए अविकृ ि कर सकिी है लेवकन के िल संिंविि राज्य सरकार की
सहिवि से।
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○ हाल ही िें आध्रं प्रदेश और पविि िंगाल जैसे राज्यों ने सहिवि िापस ले ली ।

● वदल्ली विशेष पवु लस स्थापना अविवनयि, 1946 की िारा 6 के अनसु ार, राज्य सरकारें दी गई सािान्य सहिवि को िापस ले सकिी हैं।

● सहिवि दो प्रकार की होिी है:

○ के स-विवशष्ट - राज्य सरकार के किमचाररयों या वकसी वदए गए राज्य िें वहसं क अपराि से जड़ु ा िािला-उस विशेष राज्य सरकार द्वारा
अपनी सहिवि देने के िाद ही।

○ सािान्य सहिवि - संिंविि राज्य िें कें द्र सरकार के किमचाररयों के विलाफ भ्रष्टाचार के िािलों िें सीिीआई को आसानी से अपनी
जाचं करने िें सहायिा करना। लगभग सभी राज्यों ने यह सािान्य सहिवि दी है।

316. अंिर राज्य पररषद (Inter State Council)

• भारि के सवं ििान के अनच्ु देद 263 के िहि राष्ट्रपवि के वदनाक ं 28.5.1990 के आदेश के िहि अिं र-राज्य पररषद का गठन वकया गया था।
• भारि के सवं ििान िें ऐसी शासन व्यिस्था का प्राििान वकया गया है वजसिें के न्द्र और राज्यों के िीच, उन्हें सौंपे गए क्षेत्रों का प्रयोग वकए
जाने के वलए प्राविकार के क्षेत्रों को स्पष्ट रूप से पररभावषि वकया गया है। इसके अनरू
ु प सवं ििान ने वििायी, प्रशासवनक और वित्तीय शवियों
के क्षेत्रों िें के न्द्र और राज्यों के िीच शवियों का विस्िृि वििरण वकया है।
• िदनसु ार, वििायी शवि का विषय सवं ििान की साििीं अनसु चू ी िें िीन सवू चयों – के न्द्रीय सचू ी (सचू ी ।), राज्य सचू ी (सचू ी ।।) और सिििी
सचू ी (सचू ी ।।।) िें िगीकृ ि वकया गया है।
• के न्द्र सरकार ने के न्द्र और राज्यों के िीच ििमिान व्यिस्थाओ ं के कायमकरण की सिीक्षा करने के वलए न्यायिवू िम आर.एस. सरकाररया की
अध्यक्षिा िें िषम 1988 िें आयोग का गठन वकया।
• सरकाररया आयोग ने भारि के सवं ििान के अनच्ु छे द 263 के अनसु ार सपु ररभावषि अविदेश के अनसु रण िें परािशम करने के वलए एक स्िित्रं
राष्ट्रीय फोरि के रूप िें अिं र-राज्य पररषद स्थावपि वकए जाने की िहत्िपणू म वसफाररश की थी।
• अिं रराज्यीय पररषद की िैठक साल िें िीन िार होनी प्रस्िाविि है ।
• िाजा िैठक वदल्ली िें 10 साल के अिं राल के िाद जल ु ाई 2016 िें आयोवजि की गई थी।
पररषद का ििमिान संगठन वनम्नानसु ार है:

● प्रिान िंत्री अध्यक्ष

● सभी राज्यों के िख्ु य ित्रं ी सदस्य

● वििान सभा िाले संघ राज्य क्षेत्रों के िख्ु य िंत्री और विना वििान सभा िाले संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक िथा राष्ट्रपवि शासन िाले राज्यों के
राज्यपाल (जम्िू और कश्िीर के िािले िें राज्यपाल का शासन) सदस्य

● के न्द्रीय िंवत्रपररषद िें कै विनेट रैं क के छ: िंवत्रयों को प्रिानिंत्री द्वारा सदस्य के रूप नाविि वकया जाना है।

● कै विनेट रैं क के चार िंत्री, सदस्यों के रूप िें स्थाई आिंवत्रिी।

317.विशन किम योगी (Mission Karma yogi)


विशन किमयोगी, वसविल सेिा क्षििा वनिामण के वलए राष्ट्रीय कायमिि, वसविल सेिकों के वलए एक नई क्षििा वनिामण योजना है वजसका उद्देश्य सभी
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स्िरों पर अविकाररयों और किमचाररयों के भिी के िाद के प्रवशक्षण ित्रं को उन्नि करना है।

विशन किमयोगी के वलए संस्थागि संरचना


1. प्रिानिंत्री ने िानि संसािन पररषद का नेित्ृ ि वकया

● इसिें राज्य के िख्ु यित्रं ी, कें द्रीय कै विनेट िंत्री और प्रख्याि राष्ट्रीय और िैवश्वक वशक्षाविद, विचारक नेिा, उद्योग जगि के नेिा भी शाविल
होंगे।
● यह पररषद वसविल सेिा क्षििा वनिामण कायमििों का अनुिोदन और सिीक्षा करे गी।
● पररषद के जनादेश िें शाविल हैं:
● शीषम वनकाय ड्राइविंग और कायमिि को रणनीविक वदशा प्रदान करना
● वसविल सेिा क्षििा वनिामण योजना को िंजरू ी और िॉवनटर करना
● क्षििा वनिामण आयोग द्वारा प्रस्िुि सिीक्षा ररपोटम
2. कै विनेट सवचि सिन्िय इकाई
● इसिें कै विनेट सवचि की अध्यक्षिा िें चवु नंदा सवचि और कै र्र वनयंत्रण प्राविकरण शाविल हैं।

● इस वनकाय का प्राथविक कायम प्रगवि और योजनाओ ं के वनष्ट्पादन की वनगरानी करना है।


3. क्षििा वनिामण आयोग: इसिें सिं ंविि क्षेत्रों के विशेषज्ञ और िैवश्वक पेशेिर शाविल होंगे। आयोग के आदेश हैं:

● िावषमक क्षििा वनिामण योजनाएाँ िैयार करना और प्रिानिंत्री िानि संसािन पररषद से अनिु ोदन प्राप्त करना।

● सरकार िें उपलब्ि िानि ससं ािनों का ऑवर्ट करना।

● प्रवशक्षण िानकों और क्षििा वनिामण िें सािंजस्य स्थावपि करना।

● साझा संकाय और संसािन िनाना।

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● सभी कें द्रीय प्रवशक्षण संस्थानों िें पयमिेक्षी भवू िका।

● सािान्य िध्य-कै ररयर प्रवशक्षण कायमििों के वलए िानदर्ं वनिामररि करना।

● iGOT-Karmayogi से र्ेटा का विश्लेषण करना।

● वसविल सेिाओ ं के स्िास्थ्य और लक्ष्य उपलवब्ियों पर िावषमक िानि संसािन ररपोटम िैयार करना।
4. पणू म स्िावित्ि िाले विशेष प्रयोजन िाहन (SPV)

● कानून: िारा 8 (कंपनी अविवनयि के ) के िहि कंपनी 100% सरकारी स्िावित्ि के साथ।

● वनदेशक िंर्ल: कायमिि िें भाग लेने िाली सभी संस्थाओ ं का प्रविवनवित्ि करना।

● राजस्ि िॉर्ल: आत्िवनभमर – प्रवि किमचारी 431 रुपये का िावषमक सदस्यिा शल्ु क।

● SPV के प्रिि
ु कायम हैं:

○ सरकार की ओर से ऑनलाइन प्लेटफॉिम, iGOT किमयोगी का स्िावित्ि और संचालन

○ एक िजििू सािग्री पाररवस्थविकी िंत्र का सचं ालन करना।

○ िल्ू यांकन और प्रिाणन इको-वसस्टि का प्रिंिन करना।

○ टेलीिेरी र्ेटा आिाररि स्कोररंग - वनगरानी और िल्ू याक


ं न।

○ प्रविविया िल्ू यांकन - आवटमवफवशयल इटं ेवलजेंस और विकवसि और स्के लेिल प्लेटफॉिम द्वारा संचावलि।

● अन्य देशों िें वसविल सेिकों की क्षििा वनिामण के वलए कायमिि िैयार करना और वििररि करना।

● इसिें भारि सरकार की ओर से सभी िौवद्क संपदा अविकार होंगे।

एकीकृ ि सरकारी ऑनलाइन प्रवशक्षण (iGOT) किमयोगी िचं

● किमयोगी कायमिि को iGOT किमयोगी प्लेटफॉिम के िाध्यि से वििररि वकया जाएगा।

● iGOT-किमयोगी एक वनरंिर ऑनलाइन प्रवशक्षण िचं है, जो सहायक सवचि से सवचि स्िर िक सभी सरकारी किमचाररयों को उनके प्राविकार
क्षेत्रों के आिार पर वनरंिर प्रवशक्षण से गजु रने की अनिु वि देगा।

● अविकाररयों को वकसी भी सिय उपयोग हेिु अंिरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यिि िंच पर उपलब्ि कराए जाएगं े।

● िचं से सािग्री के वलए एक जीििं और विश्व स्िरीय िाजार स्थान के रूप िें विकवसि होने की उम्िीद है जहां साििानीपिू मक वनरीवक्षक और
सत्यावपि वर्वजटल ई-लवनिंग सािग्री उपलब्ि कराई जाएगी।

● क्षििा वनिामण के अलािा, पररिीक्षा अिवि के िाद पवु ष्ट, िैनािी, कायम असाइनिेंट और ररवियों की अविसचू ना आवद जैसे सेिा िािलों को
अंििः प्रस्िाविि योग्यिा ढाचं े के साथ एकीकृ ि वकया जाएगा।
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िख्ु य िागमदशमक वसद्ािं या NPCSCB कायमिि का नीविगि ढाचं ा?


1. ऑनलाइन लवनिंग के साथ शारीररक क्षििा वनिामण दृवष्टकोण को परू ा करने के वलए
2. 'वनयि आिाररि' से 'भवू िका आिाररि' िानि संसािन प्रिंिन िें पररििमन का सिथमन करना। पद की आिश्यकिाओ ं के अनुरूप वसविल
सेिकों की दक्षिाओ ं का विलान करके कायम आिंटन को संरेविि करना।
3. वशक्षण सािग्री, संस्थानों और कविमयों सवहि साझा प्रवशक्षण िवु नयादी ढाचं े का एक पाररवस्थविकी ित्रं िनाना।
4. सभी वसविल सेिा पदों को भवू िकाओ,ं गविविवियों और दक्षिाओ ं (FRAC) दृवष्टकोण के ढांचे िें कै वलब्रेट करने के वलए और प्रत्येक सरकारी
इकाई िें पहचाने गए FRAC के वलए प्रासंवगक वशक्षण सािग्री िनाना और वििररि करना।
5. वर्वजटल प्लेटफॉिम, आवटमवफवशयल इटं ेवलजेंस, िशीन लवनिंग और र्ेटा एनावलवटक्स जैसे आिवु नक िकनीकी उपकरणों को अपनाने िें सक्षि
िनाना।

318. वनपणु भारि (NIPUN Bharat)

● वशक्षा िंत्रालय ने ‘िेहिर सिझ और संख्यात्िक ज्ञान के साथ पढाई िें प्रिीणिा के वलये राष्ट्रीय पहल- वनपणु ’ (National Initiative for
Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy- NIPUN) भारि विशन की शरुु आि की है।

● इसका उद्देश्य 3 से 9 िषम के आयु िगम के िच्चों की सीिने की जरूरिों को परू ा करना है। यह पहल NEP (राष्ट्रीय वशक्षा नीवि) 2020 के एक
भाग के रूप िें शरू
ु की जा रही है।
● सिग्र वशक्षा की कें द्र प्रायोवजि योजना के िहि सभी राज्यों और कें द्रशावसि प्रदेशों िें राष्ट्रीय, राज्य, विला, ब्लॉक, स्कूल स्िर पर एक पााँच
स्िरीय कायामन्ियन ित्रं स्थावपि वकया गया है।

○ 'सिग्र वशक्षा' कायमिि िीन िौजदू ा योजनाओ-ं सिम वशक्षा अवभयान (SSA), राष्ट्रीय िाध्यविक वशक्षा अवभयान (RMSA) और
वशक्षक वशक्षा (TE) को विलाकर शरू ु वकया गया था।

○ इस योजना का उद्देश्य पिू म-विद्यालय से िारहिीं कक्षा िक स्कूली वशक्षा को सिग्र रूप से सवु नविि करना है।

● NIPUN का उद्देश्य: िलू भिू साक्षरिा और संख्यात्िकिा (FLN) का सािमभौविक अविग्रहण सवु नविि करना िावक 2026-27 िक प्रत्येक
िच्चा कक्षा 3 के अंि िें और िाद िें कक्षा 5 के िाद पढने, वलिने और अंकगवणि िें िांवछि सीिने की क्षििा प्राप्त कर सके ।

○ िल
ू भिू भाषा और साक्षरिा िें िौविक भाषा, विकास, वलविि शब्दों को सिझना, प्रिाह पढना, पढने की सिझ और वलिना
शाविल है।

○ िल
ू भिू संख्यात्िकिा का अथम है दैवनक जीिन की सिस्या को हल करने िें सरल संख्यात्िक अििारणा को िकम करने और लागू
करने की क्षििा

● इस पर ध्यान वदया जाएगा

○ स्कूली वशक्षा के िल
ू भिू िषों िें िच्चों िक पहुचं प्रदान करना और उन्हें िनाए रिना;

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○ वशक्षक क्षििा वनिामण;

○ उच्च गणु ित्ता और विविि छात्र और वशक्षक संसािनों / वशक्षण सािग्री का विकास;

○ सीिने के पररणािों को प्राप्त करने िें प्रत्येक िच्चे की प्रगवि पर निर रिना।

● राष्ट्रीय-राज्य-वजला-ब्लॉक-स्कूल स्िर पर पांच स्िरीय कायामन्ियन ित्रं स्थावपि वकया जाएगा

● NISHTHA (राष्ट्रीय स्कूल प्रिि


ु ों और वशक्षकों की सिग्र उन्नवि के वलए पहल) के िहि िल
ू भिू साक्षरिा और सख्ं यात्िकिा (FLN) के
वलए विशेष पैकेज NCERT द्वारा विकवसि वकया जा रहा है।

○ NISHTHA "एकीकृ ि वशक्षक प्रवशक्षण के िाध्यि से स्कूली वशक्षा की गणु ित्ता िें सिु ार" के वलए एक क्षििा वनिामण कायमिि
है।

● भारिीय संवििान के भाग IV, राज्य के नीवि वनदेशक वसद्ािं ों (DPSP) के अनुच्छे द 45 और अनुच्छे द 39 (f) िें राज्य द्वारा वित्त पोवषि
होने के साथ-साथ सिान और सल ु भ वशक्षा का प्राििान है।
● 1976 िें 42िें CAA ने वशक्षा को राज्य से सिििी सचू ी िें स्थानािं ररि कर वदया।
● 2002 िें 86िें CAA ने वशक्षा को अनुच्छे द 21-A के िहि लागू करने योग्य अविकार िना वदया।
● वशक्षा का अविकार (RTE) अविवनयि, 2009 का उद्देश्य 6 से 14 िषम की आयु के सभी िच्चों को प्राथविक वशक्षा प्रदान करना और
वशक्षा को िौवलक अविकार के रूप िें लागू करना है।
○ यह गैर-अल्पसंख्यक वनजी गैर-सहायिा प्राप्त स्कूलों को अविक एकीकृ ि और सिािेशी स्कूली वशक्षा प्रणाली िनाने के वलए
िंवचि िगों के िच्चों के वलए अपनी प्रिेश स्िर की सीटों िें से कि से कि 25% सीटों को अलग रिने का आदेश देिा है।

319. िािृ एिं वशशु सरु क्षा कार्म (Mother and Child Protection Card)
यह गभमििी और प्रसिोत्तर िवहलाओ ं और पाच
ं साल से कि उम्र के िच्चों के वलए एक ररकॉवर्िंग सह परािशम कार्म है।

● यह िीरे -िीरे टीकाकरण कार्म की जगह लेगा।

● इसे UNICEF और NIPPCD के सिथमन से िवहला और िाल विकास िंत्रालय (MWCD), स्िास्थ्य और पररिार कल्याण िंत्रालय
(MHFW) द्वारा संयि
ु रूप से विकवसि वकया गया है।

● नेशनल इस्ं टीट्यटू ऑफ पवब्लक कोऑपरे शन एर्ं चाइल्र् र्ेिलपिेंट (NIPPCD) MWCD के िहि नई वदल्ली िें एक भारिीय सरकारी
एजेंसी है, जो भारि िें िवहला सशविकरण और िाल विकास के सिग्र क्षेत्र िें स्िैवच्छक कारम िाई अनुसिं ान, प्रवशक्षण और प्रलेिन को
िढािा देने का काि करिी है।

● इसे िल
ू रूप से कुछ राज्यों िें ICDS द्वारा उपयोग वकया जािा है, वजसे अि राष्ट्रीय ग्रािीण स्िास्थ्य विशन द्वारा अपनाया गया है।

● राज्य ने प्रविपणम (Counterfoil) जोड़ने जैसे कुछ िदलाि वकए हैं।

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कार्म की उपयोवगिा

● गभामिस्था, प्रसिोत्तर अिवि और िचपन के दौरान प्रदान की जाने िाली सेिाओ ं के ररकॉर्म रिने के वलए

● गभमििी िवहलाओ,ं यिु ा िािाओ ं और िच्चों के अच्छे स्िास्थ्य को प्राप्त करने के वलए सकारात्िक प्रथाओ ं को सीिने, सिझने और उनका
पालन करने के वलए पररिारों के वलए उपकरण।

● पररिारों को विवभन्न प्रकार की सेिाओ ं के िारे िें जानने िें िदद करिा है वजनकी उन्हें िवहलाओ ं और िच्चों के स्िास्थ्य और भलाई के वलए
उपयोग करने की आिश्यकिा होिी है।

● पररिारों को िेहिर स्िास्थ्य और पोषण की वस्थवि और छोटे िच्चों के विकास के वलए वनरंिर आिार पर वनणमय लेने के वलए सशि िनािा
है।
द्वारा प्रयि

● ग्राि सिहू ों/िवहलाओ ं (िवहला िंर्ल) सिहू ों-स्थानीय नीवियों को िनाने के वलए।

● सहायक नसम दाई (ANM)/ आगं निाड़ी कायमकिाम (AWW) – लक्ष्य सिहू को वशवक्षि करने के वलए ।

● ICDS पयमिेक्षकों-प्रविरक्षा पर नजर रिने के वलए।

320. संसदीय सविवि- भाग I (Parliamentary Committee- Part I)

लोक लेिा सविवि प्राक्कलन सविवि


(Public Accounts committee) (Estimates committee)

स्थापना 1921 िें भारि सरकार अविवनयि 1919 के िाद। 1950 के िाद जॉन िथाई की वसफाररश पर

सदस्य 22 - 15 LS से और 7 RS से 30 - सभी लोकसभा से

सदस्यों का चनु ाि ससं द द्वारा प्रत्येक िषम एक एकल हस्िांिरणीय मत के िाध्यि प्रत्येक िषम संसद द्वारा आनपु ाविक प्रविवनवित्ि
से आनुपाविक प्रविवनवित्ि के साथ। के साथ एकल हस्िािं रणीय िि के िाध्यि से
एक ित्रं ी को नहीं चनु ा जा सकिा। एक ित्रं ी नहीं चनु ा जा सकिा

कायामलय की अिवि एक साल एक साल

अध्यक्ष अध्यक्ष उसे सदस्यों िें से वनयि


ु करिा है। अध्यक्ष उसे सदस्यों िें से वनयि
ु करिा है।
1967 से वनरपिाद रूप से अध्यक्ष विपक्षी दल का होिा है। वनरपिाद रूप से अध्यक्ष सत्तािारी दल से होिा

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है।

कायम ● भारि के वनयत्रं क-िहालेिापरीक्षक (CAG) की िावषमक ● पिू म िजट आिंटन की वनगरानी करना।
लेिापरीक्षा ररपोटों की जाचं करना, जो राष्ट्रपवि द्वारा संसद
के सिक्ष रिी जािी हैं। ● िजट िें शाविल अनिु ानों की जाचं करना।

● विवनयोग, व्यय, पनु : विवनयोग और व्यय के औवचत्य का


वनरीक्षण करना।

● सािमजवनक वनगिों और अन्य स्िायत्त वनकायों के िािों की


जाच
ं करना।

● अविररि अनुदान स्िीकृ ि करना।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 57 - POLITY

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विषय

401. सािवजविक क्षेत्र के उपक्रमों पर सवमवि (Committee on Public Sector Undertakings)


402. अधीिस्थ विधाि और विभाग सबं वं धि स्थायी सवमवियों पर सवमवि (Committee on Subordinate Legislation and
Department Related Standing Committees)
403. उत्पादि संबद्ध प्रोत्साहि योजिा (Production Linked Incentive Scheme)
404. स्िावमत्ि (SVAMITVA)
405. आकाक्ष
ं ी वजला कायवक्रम (Aspirational districts program)
406. रैं क च्िाइस िोवटंग वसस्टम (Ranked Choice Voting System)
407. बोडोलैंड प्रादेविक पररषद (Bodoland Territorial Council)
408. काबी आंगलागं स्िायत्त पररषद (Karbi Anglong Autonomous Council)
409. लद्दाख स्िायत्त पहाडी विकास पररषद (Ladakh autonomous hill development council)
410. राइट टू ररकॉल (Right to Recall)
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401. सािवजविक क्षेत्र के उपक्रमों पर सवमवि (Committee on Public Sector Undertakings)

स्थापिा ● 1964 (कृ ष्णा मेिि सवमवि की वसफाररि पर)


● 15 सदस्य (लोकसभा से 10 और राज्य सभा से 5 सदस्य)।
सदस्य ● 22 (15 लोकसभा और 7 राज्य सभा)

सदस्यों का चिु ाि ● संसद द्वारा प्रत्येक िषव आिपु ाविक प्रविविवधत्ि के साथ एकल संक्रमणीय मि के माध्यम से।

कायावलय की अिवध ● एक िषव


● एक िषव के बाद, एक िया चिु ाि होिा है और सदस्यों को बदल वदया जािा है या वफर से वििाववचि वकया
जािा है।
अध्यक्ष ● लोकसभा अध्यक्ष के पास सवमवि के अध्यक्ष को वियक्त
ु करिे का अवधकार है।
● सािवजविक उपक्रमों की सवमवि के अध्यक्ष की वियवु क्त लोकसभा के सदस्यों में से की जािी है।
● राज्यसभा के सदस्य को अध्यक्ष के रूप में िहीं चिु ा जािा है।
कायव ● इस सवमवि के कायों का उल्लेख लोकसभा में प्रवक्रया और कायव सचं ालि वियमों की चौथी अिसु चू ी में
वकया गया है।
● सािवजविक क्षेत्र के उपक्रमों के लेखों, सीएजी की ररपोटव, िीविगि उपायों और प्रदिवि की जाचं करिा।
● सवमवि सािवजविक क्षेत्र के उपक्रमों के व्यिसाय की विश्वसिीयिा की जांच करिी है।
● यह सािवजविक उपक्रमों की दक्षिा और स्िायत्तिा की जााँच करिी है।
● यह सािवजविक क्षेत्र के उपक्रमों से संबंवधि उि कायों को करिी है जो इसे लोकसभा अध्यक्ष द्वारा वदए जािे
हैं।
कायों की सीमा ● सवमवि उि िीवियों से सबं वं धि सरकार की वकसी भी ररपोटव की जाचं िहीं कर सकिी है जो सािवजविक
उपक्रमों से सबं वं धि िहीं हैं।
● वदि-प्रविवदि के प्रिासि के मामलों में इसकी कोई भवू मका िहीं है।
● सवमवि ऐसे वकसी भी सािवजविक उपक्रम की ररपोटव िहीं ले सकिी है जो एक वििेष काििू द्वारा स्थावपि हैं
और वजसके वलए ररपोटव करिे के वलए कोई अन्य मिीिरी उत्तरदायी हो।
सवमवि की सीमा ● यह के िल ररपोटों की जाचं करिी है। सािवजविक उपक्रमों के कामकाज को िय करिे में इसकी कोई भवू मका
िहीं है। इसवलए इसका काम वसफव पोस्टमॉटवम जैसा है।
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● सवमवि सािवजविक उपक्रमों के वकसी भी िकिीकी मामले से संबंवधि िहीं है क्योंवक सवमवि के सदस्य के
रूप में कोई िकिीकी वििेषज्ञ िहीं हैं।
● सवमवि द्वारा दी गई सभी वसफाररिें सलाहकार हैं और मत्रं ी इिमें से वकसी से बाध्य िहीं हैं।

402. अधीिस्थ विधाि और विभाग संबंवधि स्थायी सवमवियों पर सवमवि (Committee on Subordinate Legislation and
Department Related Standing Committees)
● अधीिस्थ विधाि पर प्रत्येक सदि की अपिी सवमवि होिी है
● कायों की जाचं करिा और सदि को ररपोटव करिा है वक क्या ऐसे प्रविविवधमंडल के भीिर संविधाि द्वारा प्रदत्त या संसद द्वारा
प्रत्यायोवजि विवियम, वियम, उप-वियम, उप-वियम आवद बिािे की िवक्तयों का ठीक से प्रयोग वकया जा रहा है।
● सवमवि में पद्रं ह सदस्य होंगे वजन्हें लोकसभा के अध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवि द्वारा िावमि वकया जाएगा।
○ एक मत्रं ी को सवमवि का सदस्य िावमि िहीं वकया जाएगा।
● सवमवि के अध्यक्ष की वियवु क्त अध्यक्ष/सभापवि द्वारा सवमवि के सदस्यों में से की जाएगी:
○ बििे वक यवद राज्य सभा का उपाध्यक्ष सवमवि का सदस्य है, िो उसे सवमवि का अध्यक्ष वियक्त
ु वकया जाएगा।
● सवमवि के सदस्यों का कायवकाल एक िषव से अवधक िहीं होगा।
● सवमवि प्रत्येक सदि की प्रवक्रया और कायव संचालि के वियमों द्वारा िावसि होिी है।
● कोरम: सवमवि की बैठक गवठि करिे के वलए कोरम पाचं होगा।
○ सवमवि का अध्यक्ष पहली बार में मिदाि िहीं करेगा, लेवकि वकसी भी मामले में मिों की समाििा होिे पर, उसके
पास एक विणावयक िोट होगा वजसका िह प्रयोग करेगा।
● लोकसभा के अध्यक्ष/राज्य सभा के सभापवि ऐसे विदेि जारी कर सकिे हैं जो अधीिस्थ विधाि के वकसी भी प्रश्न पर सवमवि
या सदि में विचार करिे से संबवं धि सभी मामलों के संबंध में प्रवक्रया को विवियवमि करिे के वलए आिश्यक समझे जा सकिे
हैं।
● ररपोटव: यवद सवमवि की राय है वक वकसी भी आदेि को पणू व या आंविक रूप से रद्द कर वदया जािा चावहए, या वकसी भी िरह
से सि
ं ोवधि वकया जािा चावहए, िो िह उस राय और उसके आधारों को सदि को ररपोटव करे गी।
● सवमवि के प्रवििेदिों में विवहि वसफाररिों पर, सरकार को छह महीिे के भीिर कारव िाई करिे और प्रत्येक मामले में की गई या
की जािे के वलए प्रस्िाविि कारव िाई के बारे में सवमवि को सवू चि करिे की आिश्यकिा है।
○ सवमवि की वसफाररिों/वटप्पवणयों पर सरकार द्वारा की गई कारव िाई की जाचं की जािी है और की गई कारविाई ररपोटव
में िावमल की जािी है वजसे सदि में भी प्रस्ििु वकया जािा है।
विभाग संबंवधि स्थायी सवमवियााँ
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● उत्पवत्त: लोकसभा की वियम सवमवि की वसफाररि पर, 1993 में ससं द में 17 DRSC की स्थापिा की गई थी। 2004 में, ऐसी
साि और सवमवियों की स्थापिा की गई, इस प्रकार उिकी सख्ं या 17 से बढ़कर 24 हो गई।

● विभागीय स्थायी सवमवियााँ: 24 स्थायी सवमवियों में से 8 राज्य सभा के अधीि और 16 लोक सभा के अधीि कायव करिी हैं।

● प्रत्येक में 31 सदस्य होिे हैं - 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से।

● इि सदस्यों को क्रमिः लोकसभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापवि द्वारा िावमि वकया जािा है।

○ एक मत्रं ी वकसी भी स्थायी सवमवि के सदस्य के रूप में िावमि होिे के योग्य िहीं है।

● इि सवमवियों का कायवकाल एक िषव से अवधक िहीं होिा है।

● इि सवमवियों की सेिा या िो लोकसभा सवचिालय या राज्य सभा सवचिालय द्वारा की जािी है, जो इस बाि पर विभवर करिा
है वक उस सवमवि का अध्यक्ष वकसिे वियक्त
ु वकया है।
भवू मका:

● िे उि मामलों की परू ी िरह से और व्यिवस्थि रूप से जाचं करिे में ससं द की सहायिा करिे हैं वजि पर लंबे समय िक पटल
पर चचाव िहीं की जा सकिी थी।

● सवमवियां विधावयका को अपिे किवव्यों का वििवहि करिे और अपिे कायों को प्रभािी ढगं से, त्िररि और कुिलिा से
विवियवमि करिे में सहायिा करिी हैं।

● िे ससं द के प्रवि कायवपावलका की अवधक जिाबदेही सवु िविि करिे हैं।

● सवमवियां उि मामलों पर वििेषज्ञिा भी प्रदाि करिी हैं जो उन्हें संदवभवि वकए जािे हैं।

िए ड्राफ्ट वदिाविदेि:
● हाल ही में, राज्य सभा सवचिालय िे अपिी स्थायी सवमवियों के वलए िया मसौदा वदिाविदेि िैयार वकया। वदिाविदेिों की
अभी भी लोकसभा अध्यक्ष द्वारा समीक्षा की जा रही है। इसमें िावमल हो सकिे हैं:
● पैिल बैठक आयोवजि करिे से पहले एक विहाई सदस्यों द्वारा न्यि ू िम 15 वदिों का िोवटस और पवु ि।
● उिकी योग्यिा, रुवचयों और व्यिसायों के आधार पर सदस्यों का िामाक ं ि।
● साक्ष्य एकत्र करिे और ररपोटव अपिािे के दौराि कम से कम 50% उपवस्थवि।

403. उत्पादि सबं द्ध प्रोत्साहि योजिा (Production Linked Incentive Scheme)
● यह एक ऐसी योजिा है वजसका उद्देश्य कंपवियों को घरे लू इकाइयों में विवमवि उत्पादों से िृवद्धिील वबक्री पर प्रोत्साहि देिा है।
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● यह योजिा विदेिी कंपवियों को भारि में इकाइयााँ स्थावपि करिे के वलए आमंवत्रि करिी है, हालााँवक, इसका उद्देश्य स्थािीय
कंपवियों को मौजदू ा विविमावण इकाइयों की स्थापिा या विस्िार करिे और अवधक रोजगार उत्पन्ि करिे के वलए प्रोत्सावहि
करिा भी है।
● इसका उद्देश्य अन्य देिों से आयाि पर देि की विभवरिा को कम करिा है।
● इसे अप्रैल 2020 में बडे पैमािे पर इलेक्रॉविक्स विविमावण क्षेत्र के वलए लॉन्च वकया गया था, लेवकि बाद में 2020 के अंि में
इसे 10 अन्य क्षेत्रों के वलए पेि वकया गया था।
○ इसिे इलेक्रॉविक कंपवियों, मोबाइल फोि, रावं जस्टर, डायोड आवद जैसे इलेक्रॉविक घटकों का विमावण करिे के
वलए 4-6% का प्रोत्साहि वदया।
● यह योजिा भारि के आत्माविभवर भारि अवभयाि के अिुरूप िरू
ु की गई थी।
● सरकार का लक्ष्य भारि को िैवश्वक आपवू िव श्ृंखला का अवभन्ि अंग बिािा और वियावि में िृवद्ध करिा है।
● इस योजिा के वलए 1.97 लाख करोड रुपये वित्तीय िषव 2022 से आिंवटि वकए गए हैं।

इि 13 क्षेत्रों में िावमल हैं


• मोबाइल विविमावण और विवदवि इलेक्रॉविक घटक
• दिा मध्यस्थ और सवक्रय दिा सामग्री
• वचवकत्सा उपकरणों का विमावण
• ऑटोमोबाइल और ऑटो घटकों
• फामावस्यवू टकल्स ड्रग्स
• वििेष स्टील
• दरू सचं ार और िेटिवकिं ग उत्पाद
• इलेक्रॉविक / प्रौद्योवगकी उत्पाद
• सफे द उत्पाद (AC और LED)
• खाद्य उत्पाद
• िस्त्र उत्पाद और िकिीकी िस्त्र
• उच्च दक्षिा िाले सौर पीिी मॉड्यल

• उन्िि रसायि विज्ञाि सेल (ACC) बैटरी।
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सवक्रय दिा उद्योगों के वलए PLI योजिा का उदाहरण:


● 41 उत्पादों के वलए चयविि विमाविा जो सभी पहचािे गए 53 API को किर करिे हैं।

● वकण्िि आधाररि थोक दिाओ ं के वलए प्रोत्साहि की दर 20% होगी ।

● रासायविक संश्लेषण आधाररि थोक दिाओ ं के वलए 10%

● यह योजिा के िल ग्रीिफील्ड पररयोजिाओ ं के वलए लागू है ।

● आधार िषव (2019-20) में 6 िषव की अिवध के वलए िृवद्धिील वबक्री पर वित्तीय प्रोत्साहि वदया जाएगा।

● यह योजिा फामावस्यवु टकल विभाग द्वारा िावमि एक पररयोजिा प्रबंधि एजेंसी (PMA) के माध्यम से कायाववन्िि की जाएगी।

● योजिा का कायवकाल वित्त िषव 2020-21 से वित्त िषव 2029-30 िक है।

404. स्िामित्ि (SVAMITVA)


● समाचार में: 11 अक्टूबर,2021 को प्रधाि मत्र ं ी मोदी िे िीवडयो कॉन्रें वसगं के माध्यम से SVAMITVA योजिा के िहि सपं वत्त काडव के
वििरण का िभु ारंभ वकया।
SVAMITA का मिलब गािं ों के सिेक्षण और ग्राम क्षेत्रों में सधु ाररि प्रौद्योवगकी के साथ मािवचत्रण है।
● यह कें द्रीय क्षेत्र योजिा (कें द्र सरकार द्वारा 100%) कें द्रीय पच ं ायिीराज मत्रं ालय द्वारा कायाववन्िि है।
● इसका उद्देश्य गांिों में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में घर रखिे और संपवत्त मावलकों को संपवत्त काडव जारी करिे के वलए गांि के घर मावलकों (स्िवमििा
संपवत्त काडव) को 'अवधकारों का ररकॉडव' प्रदाि करिा है।
● सरकार का लक्ष्य देि भर के प्रत्येक गांि में अगले िीि से चार िषों में प्रत्येक पररिार को ऐसे सप ं वत्त काडव प्रदाि करिा है।
● ड्रोि का उपयोग करके सभी ग्रामीण संपवत्तयों का सिेक्षण करिे और प्रत्येक गांि के वलए GIS आधाररि मािवचत्र िैयार करिे की योजिा है।

SVAMITVA संपवत्त काडव कै से बििा है?


1. राज्यों के साथ समझौिा ज्ञापि: SVAMITVA योजिा के कायावन्ियि के वलए ढाचं ा एक संपवत्त काडव बिािे की एक बहु-चरणीय प्रवक्रया
प्रदाि करिा है, जो भारिीय सिेक्षण (SoI) और संबंवधि राज्य सरकारों के बीच एक समझौिा ज्ञापि पर हस्िाक्षर के साथ िरू
ु होिा है।
2. प्रौद्योवगकी का उपयोग: SoI प्रौद्योवगकी (ड्रोि, सैटेलाइट इमेज) का उपयोग करके सभी पैमािों पर राष्रीय स्थलाकृ विक डेटाबेस िैयार करिे
के वलए वजम्मेदार है।
3. िेटिकव की स्थापिा: एक बार MoU हो जािे के बाद, एक विरंिर संचालि संदभव प्रणाली (CORS) िेटिकव स्थावपि वकया जािा है जो जमीिी
वियंत्रण वबदं ओ
ु ं को स्थावपि करिे में सहायिा करिा है, जो सटीक भ-ू संदभव के वलए एक महत्िपणू व गविविवध है।
4. जि जागरूकिा: अगला कदम पायलट चरण के दौराि सिेक्षण वकए जािे िाले गािं ों की पहचाि करिा और लोगों को सपं वत्तयों की मैवपगं
की प्रवक्रया से अिगि करािा है।
5. GIS डेटाबेस िैयार करिा: गांि के अबादी क्षेत्र (आिासीय क्षेत्र) का सीमांकि वकया जािा है और प्रत्येक ग्रामीण संपवत्त को चिू ा पत्थर
(चिू ा) के साथ वचविि वकया जािा है। वफर, ड्रोि का उपयोग ग्रामीण अबादी क्षेत्रों की बडे पैमािे पर मैवपगं के वलए वकया जािा है। इि छवियों
के आधार पर, 1:500 पैमािे पर एक GIS डेटाबेस, और गांि के िक्िे — ग्राम मंवचि — िैयार वकए गए हैं।

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6. सत्यापि: िक्िों के विमावण के बाद, ड्रोि सिेक्षण टीमों द्वारा एक जमीिी सत्यापि प्रवक्रया का अिसु रण वकया जािा है, उसके आधार पर, यवद
कोई हो, िो सधु ार वकया जािा है। इस स्िर पर, पछ ू िाछ/आपवत्त प्रवक्रया-संघषव/वििाद समाधाि परू ा हो जािा है
7. सपं वत्त काडव जारी करिा: सत्यापि के बाद, अंविम सपं वत्त काडव / िीषवक विलेख या "संपवत्त पत्रक" उत्पन्ि होिे हैं। ये काडव वडवजटल प्लेटफॉमव
पर या गांि के घर के मावलकों को हाडव कॉपी के रूप में उपलब्ध होंगे।
SVAMITVA संपवत्त डेटा और िक्िे भविष्य में कै से अपडेट वकए जाएंगे?
● रूपरे खा में कहा गया है, "एक बार जब GIS डेटाबेस 6.62 लाख गाि ं ों में िैयार हो जािा है, िो राज्य सरकारें भविष्य के सिेक्षण करिे और
GIS डेटाबेस को अपडेट करिे के वलए वजम्मेदार होंगी।" िे पिु : सिेक्षण की अद्यिि आिृवत्त भी िय करें गे।
SVAMITVA डेटा का मावलक कौि होगा?
● रे मिकव के मिु ावबक ऑथोराइज्ड बेस मैप सिे ऑफ इवं डया, पचं ायिी राज मंत्रालय और राज्य सरकार के संयक्त
ु स्िावमत्ि में होगा। GIS डेटा
भी कें द्र और राज्य के संयक्त
ु स्िावमत्ि में होगा।
● हालावं क, सपं वत्त वििरण से सबं वं धि डेटा राज्य के राजस्ि विभाग के स्िावमत्ि में होगा क्योंवक इसमें ररकॉडव के अवधकार (ROR) को बदलिे
और िक्िे को अपडेट करिे का अवधकार है।
● इसवलए, राज्य राजस्ि विभाग इस डेटा का मावलक/मेजबाि होगा और अन्य को देखिे का अवधकार होगा।

405. आकाक्ष
ं ी वजला कायवक्रम (Aspirational districts program)
● आकांक्षी वजले भारि के िे वजले हैं, जो खराब सामावजक-आवथवक सक ं े िकों से प्रभाविि हैं। इस कायवक्रम का उद्देश्य इि वजलों को त्िररि और
प्रभािी ढंग से बदलिा है।
● ये इस संदभव में आकांक्षी हैं वक इि वजलों में सधु ार से भारि में मािि विकास में समग्र सधु ार हो सकिा है।
● 28 राज्यों से 115 वजलों की पहचाि की गई, प्रत्येक राज्य से कम से कम एक।
● भारि सरकार के स्िर पर यह कायवक्रम िीवि आयोग द्वारा संचावलि है। इसके अलािा अलग-अलग मत्रं ालयों िे वजलों की प्रगवि की वजम्मेदारी
संभाली है।
● कायवक्रम का उद्देश्य आकाक्ष
ं ी वजलों की िास्िविक समय की प्रगवि की विगरािी करिा है।
● एडीपी 5 पहचािे गए विषयगि क्षेत्रों के 49 संकेिकों पर आधाररि है, जो सधु ार करिे पर बारीकी से ध्याि कें वद्रि करिा है।
○ लोगों का स्िास््य और पोषण

○ विक्षा

○ कृ वष और जल संसाधि

○ वित्तीय समािेिि और कौिल विकास

○ बुवियादी ढांचा।

● राज्यों के मख्ु य चालक के रूप में, ADP प्रत्येक वजले की िवक्त पर ध्याि कें वद्रि करिा चाहिा है, ित्काल सधु ार के वलए विविि पहलओ ु ं
को वचवन्हि करिा, प्रगवि को मापिा और वजलों को रैं क करिा चाहिा है।
● वजलों को पहले अपिे राज्य के भीिर सबसे अच्छे वजले के साथ होिे के वलए प्रोत्सावहि वकया जािा है, और बाद में प्रविस्पधी और सहकारी
संघिाद की भाििा से प्रविस्पधाव करके और दसू रों से सीखकर देि में सिवश्ेष्ठ में से एक बििे की इच्छा रखिे हैं।
● कायवक्रम की व्यापक रूपरेखा इस प्रकार है:
○ अवभसरण (कें द्र और राज्य की योजिाओ ं का) जो सरकार के क्षैविज और ऊध्िावधर स्िरों को एक साथ लािा है।

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○ सहयोग (कें द्रीय, राज्य स्िर के 'प्रभारी' अवधकाररयों और वजला कलेक्टरों का) जो सरकार, बाजार और िागररक समाज के बीच
प्रभाििाली भागीदारी को सक्षम बिािा है।
○ जि आंदोलि की भाििा से प्रेररि वजलों के बीच प्रविस्पधाव, यह वजला सरकारों पर जिाबदेही को बढ़ािा देिी है।

● आकांक्षी वजला कायवक्रम (ADP) विश्व में पररणाम कें वद्रि िासि पर सबसे बडे प्रयोगों में से एक है।

406. रैं क च्िाइस िोवटंग वसस्टम (Ranked Choice Voting System)


संदभव: रैं क च्िाइस िोवटंग िे न्ययू ॉकव िहर के मेयर चिु ािों में अपिी िरुु आि की।
रैं क च्िाइस िोवटंग क्या है?

● के िल एक उम्मीदिार को चिु िे के बजाय, इस प्रणाली में मिदािाओ ं को िरीयिा के क्रम में कई रैं क वमलिे हैं

● प्रणाली एक सरल आधार पर आधाररि है: लोकिंत्र बेहिर िरीके से काम करिा है यवद लोगों को अपिे िोट के साथ सभी या कुछ िहीं का
चिु ाि करिे के वलए मजबूर िहीं वकया जािा है।

● विदेिों में लोकवप्रय: 20 िीं ििाब्दी की िरुु आि से इसका उपयोग ऑस्रेवलया, आयरलैंड और माल्टा द्वारा भी वकया जािा रहा है। उत्तरी
आयरलैंड, न्यजू ीलैंड और स्कॉटलैंड िे भी इसे अपिाया है।

● ऑस्कर भी 2009 से अपिी सिवश्ष्ठे वचत्र श्ेणी के वलए इसका उपयोग कर रहा है।
रैं क च्िाइस िोवटगं कै से काम करिी है?

● न्ययू ॉकव िहर के संस्करण में, मिदािाओ ं को अपिे मिपत्र पर, पहले से आवखरी िक, पांच उम्मीदिारों िक रैं क करिे का अिसर वमलिा है।

● पहली पसंद के िोटों की वगििी के बाद अगर वकसी को 50% प्लस मि वमलिा है, िो चिु ाि खत्म हो जािा है और िह उम्मीदिार जीि जािा
है।

● लेवकि अगर वकसी को 50% प्लस मि िहीं वमलिा है, िो यह राउंड 2 पर है।

● प्रथम स्थाि के िोटों की सबसे कम सख्ं या िाले व्यवक्त को हटा वदया जािा है, और उस उम्मीदिार के मिदािाओ ं की दसू री पसदं को अन्य
उम्मीदिारों के िोट के रूप में पिु विविररि वकया जािा है।

● िोटों का यह पिु विविरण िब िक चलिा है जब िक कोई 50% प्लस िक िहीं पहुचं जािा।
इस प्रणाली के गणु

● लोगों की आिाज की वगििी: भले ही वकसी मिदािा की िीषव पसदं के पास जीििे के वलए पयावप्त समथवि ि हो, वफर भी अन्य उम्मीदिारों की
उिकी रैं वकंग विजेिा का विधावरण करिे में एक भवू मका विभािी है।

● अवधक उदारिादी उम्मीदिार: व्यापक समथवि के वबिा वकसी के वलए इस प्रणाली के माध्यम से वििाववचि होिा कवठि है। एक पारंपररक चिु ाि
में, वरंज राजिीविक विचारों िाले वकसी व्यवक्त के वलए यह संभि है, वक िह जीि जाए, भले ही उन्हें बहुसंख्यक मिदािा िापसंद करिे हों।

● कम िकारात्मक प्रचार: िकव वदया जािा है वक उम्मीदिारों को उन्हें पसंद करिे के वलए (कम से कम अगले व्यवक्त से अवधक) मिदािाओ ं के
बहुमि की आिश्यकिा होिी है और व्यापक समहू को परू ा करिे के वलए, उम्मीदिार प्रचार के अपिे ध्रिु ीकरण की प्रकृ वि को िािं करिे हैं।

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● मिदाि प्रवििि बढ़िे की संभाििा: लोग अपिा िोट डालिे के बारे में अच्छा महससू कर सकिे हैं। उस एक विकल्प के वलए अपिी िाक
पकडिे के बजाय, मिदािा उस व्यवक्त के वलए कम से कम पहली पसदं व्यक्त कर सकिे हैं वजसे िे िास्िि में पसंद करिे हैं।
रैं क-पसंद मिदाि के दोष:
● यह जवटल है: इसके वलए मिदािाओ ं को बहुि अवधक िोध करिे की आिश्यकिा होिी है। यह दौड को कम अिम ु ाविि भी बिािा है।
● कुछ लोगों का िकव है वक यह कम लोकिांवत्रक है क्योंवक यह एक व्यवक्त, एक िोट के विचार के वखलाफ है।

● पारदविविा और विश्वास भी संभाविि समस्याएं हैं। आधवु िक रैं क च्िाइस वसस्टम के िहि िोटों के पि ु विविरण की प्रवक्रया कंप्यटू र द्वारा की
जािी है। बाहरी समहू ों को यह मल्ू यांकि करिे में कवठि समय होगा वक सॉफ़्टिेयर िे रैं क वकए गए िोटों को सही ढंग से क्रमबद्ध वकया है या
िहीं।
● बहुि से लोग सभी विकल्पों को िहीं भरिे हैं: यवद सभी लोग सभी विकल्पों को िहीं भर रहे हैं िो अवधकांि लोगों की सच्ची इच्छा को जाििा
मवु श्कल है।
● इससे खरीद-फरोख्ि को बढ़ािा वमल सकिा है: रैं क-च्िाइस िोवटंग उम्मीदिारों के वलए एक दस ू रे के साथ सौदा करिे के वलए दरिाजा खोल
सकिी है वक उिके मिदािाओ ं को दसू री पसंद के रूप में वकसके वलए जािा चावहए।
● यह जरूरी िहीं वक िकारात्मक प्रचार कम हो: िकारात्मक प्रचार का अवधकाि ं वहस्सा बाहरी समहू ों द्वारा वकया जािा है, और रैं क-पसंद
मिदाि में कुछ भी उि संस्थाओ ं को ऐसा करिे से रोकिा िहीं है।

407. बोडोलैंड प्रादेविक पररषद (Bodoland Territorial Council)


● बोडोलैंड प्रादेविक पररषद भारि के असम राज्य का एक स्िायत्त क्षेत्र है ।
● वद्विीय बोडो समझौिे, 2003 िे संविधाि की छठी अिुसचू ी के प्रािधािों के िहि बोडोलैंड प्रादेविक पररषद (BTC) का गठि वकया।
● बीटीसी क्षेत्रावधकार के िहि आिे िाले क्षेत्र को अब आवधकाररक िौर पर बोडोलैंड प्रादेविक क्षेत्र (BTR) कहा जािा है, वजसमें चार वजलों-
कोकराझार, वचरागं , उदलगरु ी और बस्का, ब्रह्मपत्रु िदी के उत्तरी िट पर, भटू ाि और अरुणाचल प्रदेि की िलहटी में 3,082 गांि िावमल हैं।
● BTC छठी अिुसचू ी के िहि संिधै ाविक प्रािधाि का अपिाद है।
○ चंवू क इसमें 46 सदस्य हो सकिे हैं वजिमें से 40 वििाववचि होिे हैं।

○ इि 40 सीटों में से 35 अिुसवू चि जिजावि और गैर-आवदिासी समदु ायों के वलए आरवक्षि हैं, पाच ं अिारवक्षि हैं और बाकी छह
बोडोलैंड प्रादेविक क्षेत्र वजले (BTAD) के कम प्रविविवधत्ि िाले समदु ायों से राज्यपाल द्वारा मिोिीि हैं।

■ असम में अवधसवू चि अिुसवू चि जिजावियों में बोडो सबसे बडा समदु ाय है।
■ बोडो बोडो-कछारी (Bodo-Kachari) का वहस्सा हैं और असम की आबादी का लगभग 5-6% हैं।
■ बोडो राज्य की पहली संगवठि मागं 1967-68 में आई थी।
■ 1985 के असम समझौिे िे बोडो आकाक्ष
ं ाओ ं को जन्म वदया और 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट्स यवू ियि (ABSU) िे बोडो राज्य
की मागं को पिु जीविि वकया।
■ उग्रिादी बोडो सरु क्षा बल जो 1986 में बोडो राज्य की मांग करिे िाले एक सिस्त्र समहू के रूप में उभरा, िे खदु को उग्रिादी िेििल
डेमोक्रेवटक रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) िाम वदया, और बाद में गटु ों में विभावजि हो गया।
■ 1993 में ABSU के साथ पहले बोडो समझौिे पर हस्िाक्षर वकए गए थे। इसिे कुछ सीवमि राजिीविक िवक्तयों के साथ बोडोलैंड
स्िायत्त पररषद (BAC) का विमावण वकया।

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■ 2003 में, चरमपंथी समहू बोडो वलबरे िि टाइगर फोसव (BLTF), कें द्र और राज्य द्वारा दसू रे बोडो समझौिे पर हस्िाक्षर वकए गए थे।

सवं िधाि की छठी अिसु चू ी:


● इसमें असम, मेघालय, वत्रपरु ा और वमजोरम राज्यों में जिजािीय क्षेत्रों के प्रिासि के प्रािधाि िावमल हैं।

● भारि के सवं िधाि की छठी अिस ु चू ी (अिच्ु छे द 244 (2) और 275 (1)) में पिू ोत्तर के कुछ वहस्सों में स्थािीय प्रथागि काििू ों के माध्यम से
विकें द्रीकृ ि स्ििासि और वििाद समाधाि का प्रािधाि है जो मख्ु य रूप से आवदिासी क्षेत्र हैं।
● 1949 में सवं िधाि सभा द्वारा पाररि, यह स्िायत्त वजला पररषदों (ADC) के गठि के माध्यम से आवदिासी आबादी के अवधकारों की रक्षा
करिा चाहिा है।
o कुल वमलाकर, पि ू ोत्तर में 10 क्षेत्र हैं जो स्िायत्त वजलों के रूप में पंजीकृ ि हैं - िीि असम, मेघालय और वमजोरम में और एक वत्रपरु ा
में।
● ADC एक वजले का प्रविविवधत्ि करिे िाली संस्थाएं हैं, वजन्हें संविधाि िे राज्य विधािमंडल के भीिर स्िायत्तिा की अलग-अलग वडग्री दी
है।
● इि राज्यों के राज्यपालों को जिजािीय क्षेत्रों की सीमाओ ं को पि ु गववठि करिे का अवधकार है।

408. काबी आंगलागं स्िायत्त पररषद (Karbi Anglong Autonomous Council)


● KAAC भारि के असम राज्य में एक स्िायत्त वजला पररषद है जो काबी आंगलोंग और पविम काबी आंगलोंग वजले में रहिे िाले आवदिावसयों
के विकास और संरक्षण के वलए है।
● पररषद का गठि भारि के संविधाि की छठी अिुसच ू ी के िहि वकया गया है और प्रिासविक रूप से असम सरकार के िहि कायव करिा है।
छठी अिुसचू ी के प्रािधािों के िहि, स्िायत्त वजला पररषदें विम्िवलवखि क्षेत्रों में कािूि, वियम और विवियम बिा सकिी हैं:
● भवू म प्रबंधि

● िि प्रबंधि

● जल संसाधि

● कृ वष और खेिी

● ग्राम पररषदों का गठि

● सािवजविक स्िास््य

● स्िच्छिा

● गांि और िहर स्िर की पवु लवसंग

● पारंपररक प्रमख ु ों और मवु खयाओ ं की वियवु क्त


● संपवत्त की विरासि

● वििाह और िलाक

● सामावजक रीवि-ररिाज

● धि उधार और व्यापार

● खिि और खविज

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न्यावयक िवक्तयां
● स्िायत्त वजला पररषदों के पास उि मामलों की सि
ु िाई के वलए अदालिें बिािे की िवक्तयां हैं जहां दोिों पक्ष अिुसवू चि जिजावि के सदस्य हैं
और अवधकिम जेल की सजा 5 साल से कम है।
कराधाि और राजस्ि
● स्िायत्त वजला पररषदों के पास कर, िल्ु क और टोल लगािे की िवक्तयां हैं; भिि और भवू म, पि,ु िाहि, िाि, क्षेत्र में माल का प्रिेि, सडक,
घाट, पल ु , रोजगार और आय और स्कूलों और सडकों के रखरखाि के वलए सामान्य कर।

409. लद्दाख स्िायत्त पहाडी विकास पररषद (Ladakh autonomous hill development council)
समाचार में: NTPC िे हाल ही में भारि की पहली ग्रीि हाइड्रोजि मोवबवलटी पररयोजिा स्थावपि करिे के वलए कें द्र िावसि प्रदेि लद्दाख और लद्दाख
स्िायत्त पहाडी विकास पररषद (LAHDC) के साथ एक समझौिा ज्ञापि पर हस्िाक्षर वकए।

● LAHDC, लेह एक स्िायत्त वजला पररषद है जो लद्दाख के लेह वजले का प्रिासि करिी है।

● पररषद को लद्दाख स्िायत्त पहाडी विकास पररषद अवधवियम 1995 के िहि बिाया गया था।

● LAHDC-लेह में कुल 30 सीटें हैं और सरकार द्वारा चार पाषवद मिोिीि वकए जािे हैं।

● पररषद की कायवकारी िाखा में एक मख्ु य कायवकारी पाषवद और चार अन्य कायवकारी पाषवदों से बिी एक कायवकारी सवमवि होिी है।

● स्िायत्त पहाडी पररषद आवथवक विकास, स्िास््य सेिा, विक्षा, भवू म उपयोग, कराधाि और स्थािीय िासि पर विणवय लेिे के वलए ग्राम
पचं ायिों के साथ काम करिी है, वजसकी समीक्षा मख्ु य कायवकारी पाषवद और कायवकारी पाषवदों की उपवस्थवि में ब्लॉक मख्ु यालय पर की जािी
है।

● कें द्र िावसि प्रदेि लद्दाख का प्रिासि वजलों में कािूि और व्यिस्था, संचार और उच्च विक्षा की देखभाल करिा है।

● लेह, जो लद्दाख का एक बौद्ध बहुल वजला है, िे जिसांवख्यकीय पररििवि और अवद्विीय सांस्कृ विक और आवदिासी पहचाि को कमजोर
पडिे से बचािे के वलए कें द्र िावसि प्रदेि के वलए छठी अिुसचू ी को लागू करिे की मागं की है।

● पररषद के लोकिांवत्रक संविधाि िे जमीिी स्िर पर लोगों की भागीदारी के साथ योजिा प्रवक्रया के लोकिावं त्रक विके न्द्रीकरण की िरुु आि की
है।

● पडोसी कारवगल वजले में भी एक स्िायत्त पहाडी पररषद स्थावपि की गई है। कारवगल में वहल काउंवसल जल
ु ाई 2003 में अवस्ित्ि में आई।

410. राराइट टू ररकॉल (Right to Recall)


● समाचार में: हाल ही में, हररयाणा विधािसभा िे हररयाणा पच ं ायिी राज (दसू रा सि
ं ोधि) विधेयक, 2020 पाररि वकया, जो पचं ायिी राज
संस्थािों के सदस्यों को िापस बुलािे का अवधकार प्रदाि करिा है।
वबल:

● पंचायिी राज संस्थाओ ं के वििाववचि सदस्यों को िापस बल


ु ािे का अवधकार प्रदाि करिा है।
● यह ग्रामीण विकायों में मवहलाओ ं को 50% आरक्षण का प्रािधाि करिा है।

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● वपछडे िगों के बीच "अवधक िंवचि" को 8% आरक्षण प्रदाि करिा है।

● ग्राम सरपचं ों और ब्लॉक-स्िरीय पचं ायि सवमवियों और वजला-स्िरीय वजला पररषदों के सदस्यों को िापस बल
ु ािे की अिमु वि देिा है यवद िे
प्रदिवि करिे में विफल रहिे हैं।
राइट टू ररकॉल के बारे में
● राइट टू ररकॉल एक ऐसी प्रवक्रया है वजसके िहि मिदािाओ ं को वििाववचि अवधकाररयों को उिके कायवकाल की समावप्त से पहले हटािे की
िवक्त होिी है।
● यह प्रत्यक्ष लोकिंत्र के साधि का एक उदाहरण है।

राइट टू ररकॉल के वलए अपिाई जािे िाली प्रवक्रया जैसा वक वबल में वदया गया है
● का उपयोग करिे के वलए, एक िाडव या ग्राम सभा के 50% सदस्यों को वलवखि में देिा होगा वक िे कायविाही िरू
ु करिा चाहिे हैं।
● इसके बाद एक गप्तु मिदाि होगा, वजसमें उिके िापस बल
ु ािे के वलए दो-विहाई सदस्यों को उिके वखलाफ मिदाि करिा होगा।

प्रत्यक्ष लोकित्रं

● प्रत्यक्ष लोकित्रं उि वियमों, संस्थाओ ं और प्रवक्रयाओ ं का िणवि करिा है जो जििा को प्रस्िाविि संिैधाविक संिोधि, काििू ,
संवध या िीविगि विणवय पर सीधे मिदाि करिे में सक्षम बिािी हैं।
प्रत्यक्ष लोकित्रं के विवभन्ि उपकरणों में िावमल हैं:

● जिमि संग्रह (Referendums)- मिदािाओ ं को एक विविि राजिीविक, संिैधाविक या विधायी मद्दु े पर प्रत्यक्ष िोट देिे की
अिुमवि देिा है। पररणाम सरकार पर बाध्यकारी है।

● िागररकों की पहल (Citizens’ initiatives)- मिदािाओ ं को लोगों द्वारा प्रस्िाविि संिैधाविक / विधायी उपाय पर मिदाि
करिे की अिमु वि देिा है यवद उपाय के प्रस्िािक इसका समथवि करिे के वलए पयावप्त हस्िाक्षर एकत्र करिे हैं।

● लोकमि-सग्रं ह (Plebiscite)- यह लोगों के िगव द्वारा प्राप्त आत्मविणवय के अवधकार के बल पर सरकार द्वारा आयोवजि एक
प्रकार का जिमि संग्रह है। यह बाध्यकारी हो भी सकिा है और िहीं भी।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 58 - POLITY

#RaRebaba
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Day 58 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय

411. अब्राहम समझौता (Abraham Accord)


412. ट्ाांस-पैवसविक पार्टनरविप (CPTPP) के विए व्यापक और प्रगवतिीि समझौता (Comprehensive and Progressive Agreement for
Trans-Pacific Partnership - CPTPP)
413. प्रत्यपटण (Extradition)
414. ईरान-परमाणु समझौता (Iran-Nuclear Agreement)
415. नई 'स्र्ार्ट' परमाणु हवियार सवां ि (New START Nuclear Arms Treaty)
416. वसांिु जि सांवि (Indus Water Treaty)
417. िरीयताओ ां की सामान्यीकृ त प्रणािी (Generalized System of Preferences)
418. USTR द्वारा वििेष 301 ररपोर्ट (Special 301 report by USTR)
419. आपवू तट श्ृख
ां िा िचीिापन पहि (Supply Chain Resilience initiative)
420. क्षेत्रीय सांगठन (Regional Organizations)

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411. अब्राहम समझौता (Abraham Accord)


● समाचार में: हाि ही में, इज़राइि, यएू ई और बहरीन ने अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर वकए, वजसका उद्देश्य देिों के बीच औपचाररक सांबिां
स्िावपत करना है।
● 'अब्राहम अकॉर्ट' कहे जाने िािे इस समझौते की पैरिी अमेररकी राष्ट्ट्पवत र्ोनाल्र् ट्ांप ने की िी।
इस समझौते के अनुच्छे द क्या हैं?
● इस समझौते में कहा गया है वक सांयक्त
ु अरब अमीरात इज़राइि राज्य को मान्यता देगा और इसके साि औपचाररक राजनवयक सांबांि स्िावपत
करे गा, जबवक इज़राइि विविस्तीनी िेस्र् बैंक के स्िावमत्ि की अपनी वििादास्पद योजना को रोक देगा।
● अगिे कुछ हफ्तों में, इजरायि और सांयक्त ु अरब अमीरात वद्वपक्षीय सबां ांिों को अांवतम रूप देंगे और सहयोग के अन्य क्षेत्रों के अिािा वनिेि,
पयटर्न, सरु क्षा, प्रौद्योवगकी, ऊजाट, पयाटिरण मद्दु ों और दतू ािासों की स्िापना के क्षेत्रों को किर करें गे ।
● सांयक्त
ु बयान में उल्िेख वकया गया है वक इजरायि और सांयक्त
ु अरब अमीरात को भी "िोगों के बीच िोगों के सांबांिों को मजबूत करने" होंगे।
● बयान में यह भी कहा गया है वक इजरायि अब अरब और मवु स्िम विश्व के अन्य देिों के साि सबां िां ों के विस्तार पर अपने प्रयासों पर ध्यान
कें वित करे गा, और यह वक अमेररका और सयां क्त
ु अरब अमीरात उस िक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करें गे।
क्या आप जानते हैं?
● जॉर्टन और वमस्र को छोड़कर, इजरायि के विविस्तीवनयों के साि िबां े समय से सघां षट के कारण खाड़ी अरब राज्यों के साि राजनवयक सबां िां
नहीं हैं।
● इजरायि ने 1979 में वमस्र के साि और 1994 में जॉर्टन के साि िाांवत समझौतों पर हस्ताक्षर वकए िे।
● हािाांवक, आविकाररक राजनवयक सांबांिों की अनुपवस्िवत के बािजदू , इजरायि व्यापार जैसे मद्दु ों के सांबिां में अपने पड़ोवसयों के साि सांिग्न
रहा है।
समझौते का महत्ि
● समझौते से पता चिता है वक कै से अरब देि िीरे -िीरे विविस्तीन के प्रश्न से खद ु को अिग कर रहे हैं।
● यह समझौता सांयक्त ु अरब अमीरात को अमेररका में बहुत सद्भािना प्रदान करता है, जहाां यमन यद्ध
ु में उसकी भागीदारी से उसकी छवि िवू मि
हुई है।
● ओमान जैसे क्षेत्र के अन्य खाड़ी राज्य समान प्रविया का पािन कर सकते हैं और इजरायि के साि इसी तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर
सकते हैं।
● UAE और बहरीन का इजरायि के साि कोई क्षेत्रीय वििाद नहीं है, न ही िे कभी इसके साि यद्ध ु में रहे हैं।
● यद्यवप औपचाररक रूप से एक अरब सिटसम्मवत (विविस्तीन के कारण के दो-राज्य सक ां ल्प) के विए प्रवतबद्ध है, सयां क्त
ु अरब अमीरात और
बहरीन हाि के िषों में इज़राइि के साि िास्तविक सबां िां रखने की वदिा में िगातार आगे बढे हैं।
● इसविए, सय ां क्त
ु अरब अमीरात और बहरीन के साि वकया गया 'अब्राहम समझौता' इजरायि द्वारा वबना वकसी भौवतक बदिे की भािना के
'िावां त के विए िावां त' समझौता हैं।

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412. ट्ासां -पैवसविक पार्टनरविप (CPTPP) के विए व्यापक और प्रगवतिीि समझौता (Comprehensive and Progressive Agreement
for Trans-Pacific Partnership - CPTPP)

● CPTPP प्रिाांत ररम के आसपास के 11 देिों के बीच एक मक्त


ु व्यापार समझौता (FTA) है जो हैं:
● कनार्ा, मैवक्सको, पेरू, वचिी, न्यजू ीिैंर्, ऑस्ट्ेविया, ब्रनु ेई, वसांगापरु , मिेविया, वियतनाम और जापान।
● अमेररका द्वारा ट्ाांस-पैवसविक पार्टनरविप (TPP) की िाताट से हर्ने के बाद, िेष 11 प्रवतभावगयों ने समझौते के पाठ में सांिोिन करने के विए
सांघषट वकया, और माचट 2018 में नए नावमत CPTPP पर हस्ताक्षर वकए गए।
● CPTPP िस्तुओ ां और सेिाओ ां पर 99% र्ैररि हर्ा देता है, ठीक िैसे ही जैसे मि
ू TPP ने वकया िा।
● CPTPP में माि और सेिाओ ां की एक विस्तृत श्ृांखिा िावमि है। इनमें वित्तीय सेिाए,ां दरू सचां ार और खाद्य सरु क्षा मानक िावमि हैं।
● सभी देि िन्यजीि तस्करी में कर्ौती करने पर सहमत हुए। इससे हावियों, गैंर्ों और समिु ी प्रजावतयों को सबसे ज्यादा मदद वमिती है।
● यह पयाटिरण के दरुु पयोग को रोकता है, जैसे वक अवस्िर िॉवगगां और मछिी पकड़ना। जो देि अनपु ािन नहीं करेंगे उन्हें व्यापार दर्ां का
सामना करना पड़ेगा।
● भारत का रुख: भारत CPTPP में िावमि नहीं हुआ क्योंवक यह अपने अन्य भागीदारों पर अविक श्म और पयाटिरण मानकों को रखने का
प्रयास करता है और CPTPP के मसौदे में वनिेि सरां क्षण के मानकों पर सकां ीणट रूप से विस्तृत योग्यताएां, मेजबान राज्य के विवनयमन के
अविकार की रक्षा के प्राििान, विस्तृत पारदविटता आिश्यकताओ ां को िागू करना िावमि है।
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413. प्रत्यपटण (Extradition)


● समाचार में: अप्रैि 2021 में, वब्रर्ेन के गृह विभाग ने 13,758 करोड़ रुपये के पांजाब नेिनि बैंक (पीएनबी) िोखािड़ी के सांबांि में एक हीरा
व्यापारी नीरि मोदी के भारत प्रत्यपटण को मांजरू ी दे दी है।
इसके बारे में:

● सिोच्च न्यायािय द्वारा दी गई प्रत्यपटण की पररभाषा के अनुसार, ‘प्रत्यपटण, एक देि (यहााँ यक


ू े ) द्वारा दसू रे देि (भारत) में वकये गए वकसी
अपराि में अवभयक्त ु (नीरि मोदी) अििा दोषी ठहराए गए व्यवक्त को सांबांवित देि को सौंपना है, बिते िह अपराि उस देि की अदाित
द्वारा न्यायोवचत हो।

○ यहाां नीरि मोदी पर अपराि का आरोप िगा है िेवकन िह भारत से भाग कर वब्रर्ेन में िरण िे चक ु ा है। इसविए भारतीय अविकाररयों
को नीरि मोदी को वब्रर्ेन से प्रत्यवपटत करना होगा तावक भारतीय न्यायाियों में मक
ु दमा चिाया जा सके ।

● सप्रु ीम कोर्ट ने प्रत्यपटण को एक राज्य की ओर से दसू रे राज्य में वर्िीिरी के रूप में पररभावषत वकया, वजनके विए िह उन अपरािों से वनपर्ने
के विए िावां छत है, वजनके विए उन्हें आरोपी या दोषी ठहराया गया है और दसू रे राज्य के न्यायाियों में न्यायोवचत हैं।

● प्रत्यपटण योग्य व्यवक्तयों में िे िोग िावमि हैं वजन पर अपराि का आरोप िगाया गया है, िेवकन अभी तक मक
ु दमा नहीं चिाया गया है, उन
िोगों को िावमि वकया गया है जो वहरासत से भाग गए हैं और उनकी अनुपवस्िवत में दोषी ठहराए गए हैं।

● प्रत्यपटण का आिार भारत और दसू रे देि के बीच एक सांवि हो सकती है।


भारत में, एक भगोड़े अपरािी का प्रत्यपटण भारतीय प्रत्यपटण अविवनयम, 1962 के तहत िावसत होता है।

● यह भारत और भारत से विदेिों में प्रत्यवपटत व्यवक्तयों दोनों के विए है।

● इसके अिािा, ितटमान में भारत में 40 से अविक देिों के साि प्रत्यपटण सांवि और 11 देिों के साि प्रत्यपटण समझौता है।
प्रत्यपटण सांवि में पािन वकए गए वसद्धाांत

● प्रत्यपटण के िि उन्हीं अपरािों पर िागू होता है वजनका उल्िेख सांवि में वकया गया है।

● यह दोहरी आपराविकता के वसद्धातां को िागू करता है वजसका अिट है वक अपराि अनरु ोि के साि-साि अनुरोवित देि के राष्ट्ट्ीय कानूनों में
अपराि होने की माांग करता है।

● अनरु ोवित देि को सतां ष्टु होना चावहए वक अपरािी के वखिाि प्रिम दृष्टया मामिा बनता है।

● प्रत्यपटण के िि उसी अपराि के विए वकया जाना चावहए वजसके विए प्रत्यपटण का अनुरोि वकया गया िा।

● आरोपी की वनष्ट्पक्ष सनु िाई होनी चावहए।

● नोर्ि प्राविकरण: विदेि मत्रां ािय का दतू ािास सांबांिी, पासपोर्ट और िीज़ा वर्िीजन, प्रत्यपटण अविवनयम का प्रिासन करता है और यह आने
िािे और बाहर जाने िािे प्रत्यपटण अनुरोिों को सांसावित करता है।
प्रत्यपटण पर कुछ आम रूकािर्:

● दोहरी आपराविकता को परू ा करने में विििता - यवद वजस कायट के विए अपरािी के प्रत्यपटण का अनरु ोि वकया गया है, िह अनरु ोवित राज्य
में अपराि नहीं है, तो राज्य प्रत्यपटण से इनकार कर सकता है।
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● राजनीवतक अपराि-अविकाांि राष्ट्ट् राजनीवतक आपराविक सांवदग्िों के प्रत्यपटण से इनकार करते हैं। इसमें आतांकिादी अपराि और वहसां क
अपराि िावमि नहीं हैं ।

● सजा के कुछ रूपों की सभां ािना – यवद अवभयक्त


ु को अनरु ोि करने िािे राज्य में मृत्यदु र्ां या यातना प्राप्त होने की सभां ािना है, तो अनरु ोवित
राज्य प्रत्यपटण से इनकार कर सकता है।

● अविकार क्षेत्र-वकसी अपराि पर अविकार क्षेत्र की कमी को प्रत्यपटण से इनकार करने के विए िागू वकया जा सकता है।

● प्रत्यपटण सांवि की अनुपवस्िवत।

● पविम एविया/खाड़ी देिों में अपराि करने के बाद भारत िौर्ने िािे भारतीय नागररकों को उन देिों में प्रत्यवपटत नहीं वकया जाता है। िे भारतीय
कानून के अनुसार भारत में मकु दमा चिाने के विए उत्तरदायी हैं। क्योंवक इन देिों के साि वद्वपक्षीय सवां ियााँ अपने नागररकों के प्रत्यपटण (ओमान
को छोड़कर) रोक िगाती हैं।

414. ईरान-परमाणु समझौता (Iran-Nuclear Agreement)


सांयक्त
ु व्यापक वियान्ियन योजना या परमाणु समझौता (Joint Comprehensive Plan of Action or Nuclear deal):
● JCPOA के तहत, ईरान मध्यम-समृद्ध यरू ेवनयम के अपने भांर्ार को खत्म करने, कम समृद्ध यरू े वनयम के अपने भांर्ार में 98% की कर्ौती
करने और 13 िषों के विए अपने गैस सेंट्ीफ्यजू की सांख्या को िगभग दो-वतहाई कम करने पर सहमत हुआ।

● अगिे 15 िषों के विए ईरान के िि 3.67% तक यरू े वनयम का सिां िटन करेगा।

● ईरान ने भी इसी अिवि के विए कोई नई भारी जि की सवु ििा नहीं वनवमटत करने पर सहमवत व्यक्त की है।

● यरू े वनयम-सांििटन गवतविवियाां 10 िषों के विए पहिी पीढी के सेंट्ीफ्यजू का उपयोग करके एकि सवु ििा तक सीवमत होंगी।

● प्रसार जोवखम से बचने के विए अन्य सवु ििाओ ां को पररिवतटत वकया जाएगा।

● समझौते के साि ईरान के अनपु ािन की वनगरानी और सत्यापन के विए, अतां राटष्ट्ट्ीय परमाणु ऊजाट एजेंसी (IAEA) के पास सभी ईरानी
परमाणु सवु ििाओ ां तक वनयवमत पहुचां होगी।
बदिे में ईरान को क्या वमिेगा?

● समझौते में प्राििान है वक अपनी प्रवतबद्धताओ ां का पािन करने के बदिे में, ईरान को अमेररका, यरू ोपीय सघां और UNSC परमाणु सबां वां ित
प्रवतबिां ों से राहत वमिेगी।

● इससे ईरान को विश्व अिटव्यिस्िा में अविक वनकर्ता से एकीकृ त करने और अपनी आविटक िृवद्ध को बढािा देने में मदद वमिेगी।
हािाांवक, अमेररकी राष्ट्ट्पवत र्ोनाल्र् ट्ांप इस समझौते से हर् गए और ईरान पर गांभीर प्रवतबांि िगा वदए।

● ईरान ने समझौते के अन्य सदस्यों के विए अमेररका को समझौते में विर से िावमि होने के विए मनाने की प्रतीक्षा की, िेवकन समझौते को
पनु जीवित नहीं कर सका। इस पृष्ठभवू म में, ईरान ने घोषणा की वक िह 2015 के परमाणु समझौते का पािन करने से इनकार करते हुए यरू ेवनयम
को समृद्ध करने की सीमाओ ां को छोड़ देगा, िेवकन सयां क्त
ु राष्ट्ट् के परमाणु प्रहरी के साि सहयोग करना जारी रखेगा।

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समयरे खा:

● ईरान ने 1970 में परमाणु अप्रसार सवां ि (NPT) की पवु ष्ट की, और अपनी परमाणु िवक्त का विस्तार करने की योजना बनाई।

● इस्िामी िाांवत के बाद, इन योजनाओ ां को बांद कर वदया गया िा, और 1980 के दिक के अांत में, ईरान ने AMAD नामक पररयोजना, एक
अघोवषत परमाणु हवियार कायटिम की स्िापना की।

● 2003 में, अांतरराष्ट्ट्ीय दबाि में, ईरान ने कायटिम को रोक वदया, और अपने NPT सरु क्षा उपायों के समझौते के विए एक अवतररक्त
प्रोर्ोकॉि पर हस्ताक्षर वकए, वजससे अांतराटष्ट्ट्ीय परमाणु ऊजाट एजेंसी (IAEA) को कायटिम को सत्यावपत करने में अविक िवक्तयाां प्रदान
की गई।ां

● 2006 में, अमेररका, रूस और चीन ने वब्रर्ेन, फ्ाांस और जमटनी के साि वमिकर राष्ट्ट्ों का P5+1 समहू बनाया, जो ईरान को अपने परमाणु
कायटिम पर अक ां ु ि िगाने के विए मनाने की कोविि कर रहा िा।

● 2009 में, राष्ट्ट्पवत बराक ओबामा के तहत, अमेररका ने ईरान के िीषट परमाणु िाताटकार के साि व्यापक आमने-सामने की बातचीत की।

● 2013 में, ईरान और छह िवक्तयों ने एक अांतररम समझौते की घोषणा की वजसने तेहरान के परमाणु कायटिम को अस्िायी रूप से रोक वदया
और कुछ ईरानी सपां वत्तयों को मक्त
ु कर वदया, एक व्यापक परमाणु समझौते पर विस्ताररत िाताट के विए मचां तैयार वकया।

● 2015 में, ईरान परमाणु समझौते (औपचाररक रूप से सांयक्तु व्यापक कायट योजना) पर ईरान और पी 5 (सांयक्त
ु राष्ट्ट् सरु क्षा पररषद के पाचां
स्िायी सदस्यों) और जमटनी और यरू ोपीय सांघ के बीच हस्ताक्षर वकए गए िे।

415. नई 'स्र्ार्ट' परमाणु हवियार सवां ि (New START Nuclear Arms Treaty)
● समाचार में: हाि ही में, रूस ने नई START सांवि के विस्तार को मांजरू ी दी। यह अांवतम िेष परमाणु रूस-यएू सए हवियार वनयत्रां ण सांवि है जो
िरिरी 2021 में समाप्त होने िािी िी।
नई स्र्ार्ट सवां ि:

● यह 5 िरिरी, 2011 को िागू हुई।

● यह सामररक आिामक हवियारों को और कम करने और सीवमत करने के उपायों पर सांयक्त


ु राज्य अमेररका और रूसी सांघ के बीच एक सांवि
है।

● 'रणनीवतक आिामक हवियार' िब्द सामररक परमाणु वितरण िाहनों ('‘SNDV') द्वारा तैनात परमाणु हवियार पर िागू होता है।

● SNDV अतां र-महाद्वीपीय बैविवस्र्क वमसाइि ('ICBM') हैं, वजनकी सीमा 5,500 वकिोमीर्र से अविक है, रणनीवतक बमिषटक, यद्ध
ु पोत
(रणनीवतक पनर्ुवब्बयों सवहत) और िूज वमसाइिें, वजनमें हिा और समिु से प्रक्षेवपत िूज वमसाइिें िावमि हैं।

● यह 1991 के START ढाांचे (िीत यद्ध


ु के अांत में) का उत्तराविकारी है जो दोनों पक्षों को 1,600 रणनीवतक वितरण िाहनों और 6,000
िॉरहेर् तक सीवमत करता है ।

● यह दोनों पक्षों को 700 रणनीवतक िाचां र और 1,550 िॉरहेर् तक सीवमत करके सांयक्त
ु राज्य अमेररका और रूसी रणनीवतक परमाणु िस्त्रागार
को कम करने की प्रविया को जारी रखता है।

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416. वसिां ु जि सवां ि (Indus Water Treaty)


● समाचार में: भारत और पावकस्तान के बीच वसांिु जि सांवि (IWT) 19 वसतांबर 2020 को अपनी 60िीं िषटगाांठ मना रही है।

इसके बारे में


● वसिां ु प्रणािी में मख्ु य वसांिु नदी, झेिम, वचनाब, रािी, ब्यास और सतिजु िावमि हैं। बेवसन मख्ु य रूप से भारत और पावकस्तान द्वारा चीन
और अिगावनस्तान के विए एक छोर्े से वहस्से के साि साझा वकया जाता है।
● 1960 में भारत और पावकस्तान के बीच हस्ताक्षररत सांवि के तहत, तीन नवदयों,अिाटत् रािी, सतिज और ब्यास (पिू ी नवदयों) के सभी जि
को वििेष उपयोग के विए भारत को आिांवर्त वकया गया िा।
● जबवक, सांवि में प्रदान वकए गए वनवदटष्ट घरेि,ू गैर-उपभोग्य और कृ वष उपयोग को छोड़कर पविमी नवदयों - वसांि,ु झेिम और वचनाब का पानी
पावकस्तान को आिांवर्त वकया गया िा।
● भारत को पविमी नवदयों पर नदी (ROR) पररयोजनाओ ां के माध्यम से जिविद्यतु उत्पन्न करने का अविकार भी वदया गया है, जो वर्जाइन
और सचां ािन के विए विविष्ट मानदर्ां ों के अिीन अप्रवतबवां ित है।
ितटमान विकास
भारत को अनन्य उपयोग के विए आिांवर्त की गई पिू ी नवदयों के पानी का उपयोग करने के विए, भारत ने वनम्नविवखत बाांिों का वनमाटण वकया है:
● सतिजु पर भाखड़ा बाांि।
● ब्यास पर पोंग और पर्ां ोह बािां और
● रवि पर िीन (रांजीत सागर) ।

● अन्य कायों जैसे ब्यास-सतिज विक ां , मािोपरु -ब्यास विांक, इवां दरा गािां ी नाहर पररयोजना आवद ने भारत को पिू ी नवदयों के पानी के िगभग
परू े वहस्से (95%) का उपयोग करने में मदद की है।

● हािााँवक, रािी से सािाना िगभग 2 वमवियन एकड़ िीर् (MAF) पानी अभी भी मािोपरु के नीचे पावकस्तान में अप्रयक्त
ु होने की सचू ना है।
● 2016 में, पावकस्तान ने भारत की वकिनगगां ा और रातिे जिविद्यतु पररयोजनाओ ां की वचतां ाओ ां को उठाते हुए विश्व बैंक से सपां कट वकया िा।
विश्व बैंक ने भारत को पररयोजनाओ ां के साि आगे बढने की अनुमवत दी।

● पावकस्तान द्वारा इस पर आपवत्त जताए जाने के बाद 1987 में ति ु बुि पररयोजना को वनिांवबत कर वदया गया िा। हाि ही में, सरकार ने
पावकस्तान के विरोि को ध्यान में रखते हुए इस वनिांबन की समीक्षा करने का वनणटय विया।

● पावकस्तान की िेफ्र् बैंक आउर्िॉि ड्रेन (LBOD) पररयोजना भारत के गजु रात में कच्छ के रण से होकर गजु रती है। भारत ने, भारत की
सहमवत के वबना वनमाटण का विरोि वकया क्योंवक इससे गजु रात में बाढ आ सकती है।

● भारत पर उरी हमिों के मद्देनजर, प्रिान मत्रां ी मोदी ने वर्प्पणी की वक रक्त और पानी एक साि नहीं बह सकते।

417. िरीयताओ ां की सामान्यीकृ त प्रणािी (Generalized System of Preferences)


● समाचार में: हाि ही में, यरू ोपीय सघां (EU) सांसद ने एक प्रस्ताि अपनाया है वजसमें यरू ोपीय सांघ के आयोग से श्ीिांका को वदए गए GSP+
वस्िवत को अस्िायी रूप से िापस िेने पर विचार करने का आग्रह वकया गया है।

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प्रािवमकता की सामान्यीकृ त प्रणािी (GSPs)के बारे में


● इसकी स्िापना 1971 में व्यापार एिं विकास पर सांयक्त
ु राष्ट्ट् सम्मेिन (UNCTAD) के तत्िाििान में की गई िी ।
● इसका उद्देश्य विकासिीि देिों के विए एक सक्षम व्यापाररक िातािरण बनाना है ।
● GSP िरीयता देने िािे देि ऑस्ट्ेविया, बेिारूस, कनार्ा, जापान, सांयक्त
ु राज्य अमेररका आवद हैं।
● कम से कम विकवसत देिों पर सांयक्त
ु राष्ट्ट् के चौिे सम्मेिन में अपनाई गई कारट िाई का इस्ताांबुि कायटिम, अविमान्य व्यापार के विए भी
प्रदान करता है।
यरू ोपीय सांघ की िरीयता की सामान्यीकृ त प्रणािी (GSPs)

● यह यरू ोपीय सघां के वनयमों का एक समहू है जो विकासिीि देिों के वनयाटतकों को यरू ोपीय सघां को अपने वनयाटत पर कम या कोई िल्ु क नहीं
देने की अनुमवत देता है।

● GSP के विए मानदर्ां

○ अमेररकी नागररकों या वनगमों के पक्ष में मध्यस्ि परु स्कारों का सम्मान करना।

○ बाि श्म का मक
ु ाबिा करना।

○ अतां रराष्ट्ट्ीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कायटकताट अविकारों का सम्मान करना।

○ पयाटप्त और प्रभािी बौवद्धक सांपदा सांरक्षण प्रदान करना।

○ अमेररका को न्यायसगां त और उवचत बाजार पहुचां प्रदान करना।

○ आविटक विकास से सांबांवित कारकों के आिार पर देिों को GSP कायटिम से भी स्नातक वकया जा सकता है।

418. USTR द्वारा वििेष 301 ररपोर्ट (Special 301 report by USTR)
● यह ररपोर्ट यनू ाइर्ेर् स्र्ेर््स ट्ेर् ररप्रेजेंर्ेवर्ि (United States Trade Representative -USTR) द्वारा प्रवतिषट जारी की जाती है।
● वििेष 301 ररपोर्ट उन व्यापाररक भागीदारों की पहचान करती है जो बौवद्धक सांपदा (IP) अविकारों की पयाटप्त रूप से या प्रभािी रूप से रक्षा
और प्रितटन न करें या
○ अन्यिा अमेररकी निप्रितटकों और रचनाकारों को बाजार पहुचां से िवां चत करते है जो अपने आईपी अविकारों की सरु क्षा पर भरोसा
करते हैं।
● दसू रे िब्दों में, यह अन्य देिों में बौवद्धक सांपदा काननू ों के कारण सांयक्त
ु राज्य की कांपवनयों और उत्पादों के विए व्यापार बािाओ ां की पहचान
करता है।
● ट्ेवर्ांग पार्टनर जो ितटमान में IP अविकारों के सांबांि में सबसे महत्िपणू ट वचतां ाओ ां को प्रस्तुत करते हैं उन्हें प्रािवमकता वनगरानी सचू ी या वनगरानी
सचू ी पर रखा जाता है।
○ अल्जीररया, अजेंर्ीना, वचिी, चीन, भारत, इर्ां ोनेविया, रूस, सऊदी अरब, यि
ू े न और िेनेजएु िा प्रािवमकता वनगरानी सचू ी में हैं।

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○ बारबार्ोस, बोिीविया, ब्राजीि, कनार्ा, कोिवां बया, र्ोवमवनकन गणराज्य, इक्िार्ोर, वमस्र, ग्िार्ेमािा, कुिैत, िेबनान, मैवक्सको,
पावकस्तान, पैराग्ि,े पेरू, रोमावनया, िाईिैंर्, वत्रवनदाद और र्ोबैगो, तक
ु ी, तुकटमेवनस्तान, सांयक्त
ु अरब अमीरात, उजबेवकस्तान और
वियतनाम वनगरानी सचू ी में हैं ।
पयाटप्त बौवद्धक सपां दा (IP) अविकारों के सरां क्षण और प्रितटन की कमी के कारण भारत 'प्रािवमकता वनगरानी सचू ी' पर बना हुआ है।
भारत के साि मद्दु े:
1. वििेष रूप से दिा क्षेत्र में पेर्ेंर् िागू करने में कवठनाई।
2. एक परु ाना व्यापार सांकोची ढाांचा।
3. वचवकत्सा उपकरणों और सचू ना और सचां ार प्रौद्योवगकी पर उच्च सीमा िल्ु क।
4. कोई कें िीकृ त IP प्रितटन एजेंसी नहीं।
5. 2019 में आविटक विकास और सहयोग सगां ठन (OECD) द्वारा नकिी सामानों के विए भारत को िीषट पाचां स्रोत अिटव्यिस्िाओ ां में स्िान
वदया गया िा।
6. ट्ेर्माकट प्राप्त करने में "अत्यविक देरी"।
7. सरकार के 2019 के मसौदे कॉपीराइर् सि
ां ोिन वनयमों ने रे वर्यो और र्ेिीविजन प्रसारण से िेकर ऑनिाइन प्रसारण तक अवनिायट िाइसेंवसगां
के दायरे को विस्तृत कर वदया है।

419. आपवू तट श्ृांखिा िचीिापन पहि (Supply Chain Resilience initiative)


● समाचार में: भारत, जापान और ऑस्ट्ेविया के व्यापार मांवत्रयों ने औपचाररक रूप से अप्रैि 2021 में आपवू तट श्ृांखिा िचीिापन पहि
(SCRI) िरू ु की है।
आपवू तट श्ृख
ां िा िचीिापन की अििारणा:
● यह एक ऐसा दृवष्टकोण है जो वकसी देि को यह सवु नवित करने में मदद करता है वक उसने के िि एक पर वनभटर होने के बजाय आपवू तट करने
िािे कुछ देिों में अपने आपवू तट जोवखम को विवििता प्रदान की है।
● कोई भी अप्रत्यावित घर्ना जो वकसी वििेष देि से आपवू तट को बावित करती है या व्यापार के विए जानबूझकर रोकती है, गांतव्य देि में
आविटक गवतविवि पर प्रवतकूि प्रभाि र्ाि सकती है। प्रवतकूिता को कम करने के विए, आपवू तट श्ृख
ां िा की विवििता की आिश्यकता है।

SCRI के बारे में

● SCRI, वजसे पहिे जापान द्वारा प्रस्तावित वकया गया िा, का उद्देश्य कोविर् -19 महामारी के बीच भारत-प्रिातां क्षेत्र में आपवू तट श्ृांखिाओ ां
के विर से िरू
ु होने की सभां ािना के बीच चीन पर वनभटरता को कम करना है।

○ कोविर् -19 महामारी का जीिन खो जाने, आजीविका और अिटव्यिस्िा प्रभावित होने के सांदभट में एक अभतू पिू ट प्रभाि पड़ रहा
िा, और यह वक महामारी ने विश्व स्तर पर (चीन कें वित) आपवू तट श्ृांखिा कमजोररयों का खि
ु ासा वकया िा।

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● प्रारांभ में, SCRI आपवू तट श्ृख


ां िा िचीिापन पर सिोत्तम प्रिाओ ां को साझा करने और वनिेि सांििटन कायटिमों और खरीदार-वििे ता वमिान
कायटिमों को आयोवजत करने पर ध्यान कें वित करे गा तावक वहतिारकों को उनकी आपवू तट श्ृांखिा के विवििीकरण की सभां ािना का पता
िगाने के अिसर प्रदान वकए जा सकें ।

● सांयक्त
ु उपायों में वर्वजर्ि प्रौद्योवगकी और व्यापार और वनिेि विवििीकरण के उन्नत उपयोग का समिटन करना िावमि हो सकता है।
SCRI का उद्देश्य:

● भारत-प्रिातां को आविटक महािवक्त में बदिने के विए प्रत्यक्ष विदेिी वनिेि को आकवषटत करना।

● मौजदू ा वद्वपक्षीय आपवू तट श्ृख


ां िा नेर्िकट पर वनमाटण करना।
● भारत और जापान के पास पहिे से ही एक इर्ां ो-जापान औद्योवगक प्रवतस्पिाटत्मक साझेदारी है जो भारत में जापानी िमों का पता िगाने से
सबां वां ित है।

● भारत, जापान और ऑस्ट्ेविया के बीच एक समझ उभरने के बाद, इस पहि को आवसयान देिों के विए भी खोिा जा सकता है।

420. क्षेत्रीय सांगठन (Regional Organizations)


िांकागां -मेकाांग सहयोग

● मेकागां नदी के तर्िती राज्यों के बीच सहयोग के विए चीन के नेतत्ृ ि में एक बहुपक्षीय पहि है। िक
ां ागां मेकागां का िह वहस्सा है जो चीन से
होकर बहती है।

● इस तांत्र के सदस्य देि कांबोवर्या, चीन, िाओस, म्यामां ार, िाईिैंर् और वियतनाम हैं।

● LMC की स्िापना चीन ने 2016 में मि


ू रूप से मेकाांग नदी के मद्दु ों पर खदु को आिाज देने के विए की िी।

● LMC का उद्देश्य छह सदस्य राज्यों के बीच अच्छे -पड़ोसी और व्यािहाररक सहयोग को गहरा करना है।

● अन्य िक्ष्यों में िावमि हैं:

○ LMC देिों के सामावजक-आविटक विकास के विए सामवू हक प्रयास करें ।

○ िोगों की भिाई में सिु ार करना और इसके सदस्यों के बीच विकास की खाई को कम करना।

○ आवसयान समदु ाय का समिटन करना।

○ अवग्रम दवक्षण-दवक्षण सहयोग

○ सांयक्त
ु राष्ट्ट् सतत विकास िक्ष्यों (SDG) के कायाटन्ियन में िृवद्ध।

● चीन भी इस तत्रां के माध्यम से अपने बेल्र् एांर् रोर् इवनविएवर्ि (BRI) को मजबूत करना चाहता है।
मेकागां गगां ा सहयोग (MGC)
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● सदस्यता: MGC, एक उप-क्षेत्रीय सहयोग सगां ठन है वजसमें भारत, कांबोवर्या, िाओस, म्यामां ार, िाईिैंर् और वियतनाम िावमि हैं।

● इवतहास: MGC को 2000 में िाओस की राजिानी वियनवतयाने में िॉन्च वकया गया िा।

● जनादेि: MGC का उद्देश्य पयटर्न, सांस्कृ वत, विक्षा, पररिहन और सचां ार में सहयोग बढाना है।
क्षेत्रीय सहयोग के विए दवक्षण एवियाई सांघ

● 1985 में ढाका, बाांग्िादेि में स्िावपत।

● 8 सदस्य देि - भारत, बाांग्िादेि, नेपाि, श्ीिांका, मािदीि, भर्ू ान, अिगावनस्तान, पावकस्तान।

● 9 पयटिेक्षक - ऑस्ट्ेविया, यरू ोपीय सांघ (ईय)ू , ईरान, जापान, मॉरीिस, दवक्षण कोररया, सांयक्त
ु राज्य अमेररका (यएू सए), चीन, म्याांमार

● साकट मख्ु यािय: काठमाांर्ू, नेपाि


बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आविटक सहयोग के विए बांगाि की खाड़ी पहि (वबम्सर्ेक)

● इसके सदस्य बांगाि की खाड़ी के तर्िती और वनकर्िती क्षेत्रों में वस्ित हैं, जो एक सवन्नवहत क्षेत्रीय एकता का वनमाटण करते हैं।

● यह उप-क्षेत्रीय सगां ठन 1997 में बैंकॉक घोषणापत्र के माध्यम से अवस्तत्ि में आया

● 7 सदस्यों में से,


○ पाचां दवक्षण एविया से हैं -
○ बाांग्िादेि
○ भर्ू ान
○ इवां र्या
○ नेपाि
○ श्ी िांका
दो दवक्षण पिू ट एविया से हैं -
○ म्याांमार
○ िाईिैंर्
वबम्सर्ेक न के िि दवक्षण और दवक्षण पिू ट एविया को जोड़ता है, बवल्क महान वहमािय और बगां ाि की खाड़ी की पाररवस्िवतकी को भी जोड़ता है।

● इसका मख्ु य उद्देश्य तीव्र आविटक विकास के विए एक सक्षम िातािरण बनाना, सामावजक प्रगवत में तेजी िाना और क्षेत्र में साझे वहत के
मामिों पर सहयोग को बढािा देना है।
दवक्षण पिू ट एवियाई राष्ट्ट् सांघ (आवसयान)
● आवसयान की स्िापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक, िाईिैंर् में हुई िी।

● बैंकॉक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साि।

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● पिू टिती सांगठन एसोवसएिन ऑि साउिईस्र् एविया (ASA) िा।

● बाद के िषों में पाचां अन्य राष्ट्ट् आवसयान में िावमि हो गए वजससे दस देिों की ितटमान सदस्यता हो गई।
आवसयान सदस्य
● िाईिैंर् (सांस्िापक सदस्य)

● वििीपींस (सांस्िापक सदस्य)

● मिेविया (सांस्िापक सदस्य)

● वसगां ापरु (सस्ां िापक सदस्य)

● इर्ां ोनेविया (सांस्िापक सदस्य)

● ब्रनु ेई (1984 में िावमि हुए)

● वियतनाम (1995 में िावमि हुए)

● िाओ पीर्ीआर (1997 में िावमि हुए)

● म्याांमार (1997 में िावमि हुए)

● कांबोवर्या (1999 में िावमि हुए)

● पापआ
ु न्यू वगनी और वतमोर िेस्ते (पिू ी वतमोर) नामक दो पयटिेक्षक राज्य हैं।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 71 - POLITY

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विषय

501. AI-आधारित पोर्टल: SUPACE (AI Portal SUPACE)


502. न्यायालय की अिमानना (Contempt of Court)
503. नाम बदलने का अवधकाि (Right to Change Name)
504. न्यायावधकिण सधु ाि (Tribunal Reforms)
505. श्रेया वसिंघल वनणटय (Shreya Singhal Judgement)
506. कॉलेवियम प्रणाली (Collegium System)
507. प्ली बार्गेवनिंर्ग औि क्लास एक्शन सर्ू (Plea bargaining and Class Action Suit)
508. रिर् याविकाएिं (Writ Petitions)
509. ग्राम न्यायालय अवधवनयम (Grama Nyayalayas Act)
510. एनसीएलएर्ी (NCLAT)

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501. AI-आधारित पोर्टल: SUPACE (AI Portal SUPACE)


● समािाि में: हाल ही में, भाित के मख्ु य न्यायाधीश (CJI) ने न्यावयक प्रणाली में एक आवर्टविवशयल इर्िं ेवलिेंस (AI) आधारित पोर्टल
'SUPACE' लॉन्ि वकया, विसका उद्देश्य न्यायाधीशों को काननू ी अनसु धिं ान में सहायता किना है।
● 'SUPACE' कोर्ट की दक्षता में सहायता के वलए सप्रु ीम कोर्ट पोर्टल (Supreme Court Portal for Assistance in Court’s
Efficiency) का शार्ट िॉमट है।
● यह एक ऐसा उपकिण है िो प्रासिंवर्गक तथ्यों औि कानूनों को एकत्र किता है औि उन्हें एक न्यायाधीश को उपलब्ध किाता है।
● इसे वनणटय लेने के वलए नहीं बनाया र्गया है, बवकक के िल तथ्यों को सिंसावधत किने औि वनणटय के वलए इनपर्ु की तलाश किने िाले न्यायाधीशों
को उपलब्ध किाने के वलए बनाया र्गया है।
● प्राििंभ में, इसका प्रयोर्ग प्रायोवर्गक आधाि पि बॉम्बे औि वदकली उच्ि न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वािा वकया िाएर्गा िो आपिावधक मामलों
से वनपर्ते हैं।
● महत्ि
o यह मामले की आिश्यकता औि न्यायाधीश के सोिने के तिीके के अनुसाि अनुकूवलत परिणाम देर्गा।
o इससे समय की बित होर्गी। इससे न्यायपावलका औि अदालत को मामलों की देिी औि पेंडेंसी को कम किने में मदद वमलेर्गी।
o AI न्याय तक पहििं के मौवलक अवधकाि के वलए एक अवधक सव्ु यिवथित, लार्गत प्रभािी औि समयबद्ध साधन पेश किे र्गा।

ई-कोर्ट परियोिना

● इसकी अिधािणा न्यायालयों की सिू ना औि सि


िं ाि प्रौद्योवर्गकी (ICT) द्वािा भाितीय न्यायपावलका को बदलने की दृवि से की र्गई िी।
● यह एक अविल भाितीय परियोिना है, िो देश भि के विला न्यायालयों के वलए न्याय विभार्ग, कानून औि न्याय मिंत्रालय द्वािा वनर्गिानी
औि वित्त पोवषत है।

502. न्यायालय की अिमानना (Contempt of Court)


● न्यायालय की अिमानना वकसी न्यायालय की र्गरिमा या अवधकाि के प्रवत अनादि वदिाने के अपिाध को सिंदवभटत किती है।
● अिमानना का उद्देश्य िनता के वहतों की िक्षा किना कहा िाता है यवद न्यायालय के अवधकाि को बदनाम वकया िाता है औि न्याय प्रशासन
में िनता का विश्वास कमिोि या क्षीण हो िाता है ।
● सिोच्ि न्यायालय औि उच्ि न्यायालयों को अपनी अिमानना शवियााँ सविं िधान से प्राप्त होती हैं।
● अदालत की अिमानना अवधवनयम, 1971, अिमानना के वलए िाििं औि सिा के सिंबिंध में प्रविया की रूपिे िा तैयाि किता है।
● सिोच्ि न्यायालय के मामले में, महान्यायिादी या सॉवलवसर्ि िनिल, औि उच्ि न्यायालयों के मामले में, महावधििा अिमानना का मामला
शरू
ु किने के वलए अदालत के समक्ष प्रथताि ला सकते हैं।
● हालााँवक, यवद प्रथताि वकसी अन्य व्यवि द्वािा लाया िाता है, तो अर्ॉनी िनिल या महावधििा की वलवित सहमवत आिश्यक है।
● मामले की शरुु आत के वलए वकए र्गए प्रथताि या सिंदभट में अिमानना का उकलेि किना होर्गा वक विस व्यवि पि आिोप लर्गाया र्गया है िह
दोषी है।
● इसके पीछे उद्देश्य कोर्ट का समय बिाना है।
● यवद AG सहमवत से इनकाि किते हैं, तो मामला ित्म हो िाता है।

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● हालााँवक, िब अदालत िदु अदालत की अिमानना का मामला शरू


ु किती है तो AG की सहमवत की आिश्यकता नहीं होती है।
● सिंविधान का अनुच्छे द 129 सिोच्ि न्यायालय को अिमानना के मामलों को थियिं शरू
ु किने की शवि देता है।

कोर्ट की अिमानना अवधवनयम, 1971 वसविल औि आपिावधक अिमानना में अिमानना को विभावित किता है।
● आपिावधक अिमानना में कोई भी कायट या प्रकाशन शावमल है िो:

○ कोर्ट को बदनाम किता है,

○ वकसी भी न्यावयक कायटिाही को पिू ाटग्रवहत किता है

○ वकसी अन्य तिीके से न्याय प्रशासन में हथतक्षेप किता है।

● 'न्यायालय को बदनाम किना' मोर्े तौि पि उन बयानों या प्रकाशनों को सिंदवभटत किता है िो न्यायपावलका में िनता के विश्वास को कम
किने का प्रभाि ििते हैं।

503. नाम बदलने का अवधकाि (Right to Change Name)


समािाि में: सप्रु ीम कोर्ट ने सेंट्रल बोडट ऑि सेकिंडिी एिक
ु े शन (CBSE) के उस वनयम को िारिि कि वदया, विसमें छात्रों को बोडट के सवर्टविके र् में
अपना नाम बदलने या सही किने से िोक वदया र्गया िा।

● CBSE के वनयम ने छात्रों को बोडट प्रमाणपत्रों पि अपना नाम बदलने या सही किने से िोक वदया िा, इस अनुमान के आधाि पि वक यह
"प्रशासवनक दक्षता" को प्रभावित किे र्गा।

● SC ने कहा वक उपिोि वनयम सामाविक िाथतविकताओ िं से दिू िा औि यहािं तक वक "बेतक


ु ा"भी िा। इसमें कहा र्गया है वक प्रशासवनक
दक्षता सीबीएसई की एकमात्र वितिं ा नहीं हो सकती।

● SC ने कहा वक “हि सिंथिान अपने कामकाि में दक्षता िाहता है। लेवकन इसका मतलब यह नहीं है वक उनके बुवनयादी कायों पि अिंकुश
लर्गाकि दक्षता हावसल की िाती है।

● कोर्ट ने थपि वकया वक कै से एक वकशोि कानून के साि सिंघषट में होने का आिोप लर्गाता है या यौन शोषण का वशकाि होता है, विसकी पहिान
मीवडया या िोिी वनकाय द्वािा िक ू के कािण प्रभावित हई है, िे अपने अवधकाि के प्रयोर्ग किते हए समाि में पनु िाटस की मािंर्ग किने के वलए
नाम बदलने पि वििाि कि सकते हैं। इसवलए, इसमें भल ू िाने का अवधकाि शावमल है।

● एक व्यवि को अपने नाम के पणू ट वनयिंत्रण में होना िावहए। कानून को उसे हि समय थितत्रिं रूप से इस तिह के वनयत्रिं ण को बनाए ििने के साि-
साि प्रयोर्ग किने में सक्षम बनाना िावहए। इस तिह के वनयिंत्रण में अवनिायट रूप से एक व्यवि की आकाक्ष
िं ा को एक उवित कािण के वलए एक
अलर्ग नाम से पहिाना िाना शावमल होर्गा। उदाहिण के वलए, 'वलर्गिं ' एक विकवसत अिधािणा है िो पहिान दथतािेिों में बदलाि की र्गाििंर्ी
दे सकती है।

● अदालत ने कहा वक वकसी का नाम पहिान का एक आिंतरिक तत्ि है। अपना नाम बदलने का अवधकाि िाक् औि अवभव्यवि की थितिंत्रता
के अवधकाि का वहथसा है।

● यह देिते हए वक सीबीएसई अपने सािटिवनक कायट के कािण सिंविधान में एक 'िाज्य' िा, औि िाज्य की सिंथिाओ िं को नार्गरिकों के अवधकािों
के प्रयोर्ग में सिंबल की भवू मका वनभानी िावहए।
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504. न्यायावधकिण सधु ाि (Tribunal Reforms)


समािाि में: वट्रब्यनू ल रििॉम्सट (यवु िकिण औि सेिा की शतें) विधेयक, 2021 को वित्त मत्रिं ी सश्रु ी वनमटला सीतािमण द्वािा 13 ििििी, 2021 को
लोकसभा में पेश वकया र्गया िा।
वबल के बािे में

● यह कुछ मौिदू ा अपीलीय वनकायों को भर्गिं किने औि अपने कायों (िैसे अपील के अवधवनणटय) को अन्य मौिदू ा न्यावयक वनकायों में
थिानातिं रित किने का प्रयास किता है ।

● वित्त अवधवनयम, 2017 ने कें द्र सिकाि को 19 न्यायावधकिणों (िैसे सीमा शकु क, उत्पाद शकु क औि सेिा कि अपीलीय न्यायावधकिण) के
वलए सदथयों की योग्यता, उनकी सेिा के वनयम औि शतों औि िोि-सह-ियन सवमवतयों की सिंििना पि वनयमों को सवू ित किने का अवधकाि
वदया।

● विधेयक 2017 अवधवनयम में सिंशोधन किता है तावक अवधवनयम में ही िोि-सह-ियन सवमवतयों की सििं िना औि सदथयों के कायटकाल से
सिंबिंवधत प्रािधानों को शावमल वकया िा सके ।

● िोि-सह-ियन सवमवतयााँ: वट्रब्यनू ल के अध्यक्ष औि सदथयों की वनयवु ि कें द्र सिकाि द्वािा एक िोि-सह-ियन सवमवत की वसिारिश पि की
िाएर्गी।

● सवमवत में शावमल होंर्गे

○ भाित के मख्ु य न्यायाधीश, या उनके द्वािा नावमत सिोच्ि न्यायालय के न्यायाधीश, अध्यक्ष के रूप में (मतदान के साि),

○ कें द्र सिकाि द्वािा नावमत दो सविि,

○ ितटमान या वनितटमान अध्यक्ष, या उच्ितम न्यायालय के सेिावनिृत्त न्यायाधीश, या उच्ि न्यायालय के सेिावनिृत्त मख्ु य न्यायाधीश,

○ मिंत्रालय का सविि विसके अधीन न्यायावधकिण का र्गठन वकया र्गया है (मतदान अवधकाि के वबना)।

● कायाटलय की अिवध: अवधकिण के अध्यक्ष के वलए पद की अिवध िाि िषट या सत्ति िषट की आयु प्राप्त किने तक, िो भी पहले हो, होर्गी।
अवधकिण के अन्य सदथयों के वलए, अिवध िाि िषट या साठ-सात िषट की आयु तक, िो भी पहले हो, होर्गी।

● विधेयक में वित्त अवधवनयम, 2017 के दायिे में उपभोिा सििं क्षण अवधवनयम, 2019 के तहत थिावपत िाष्ट्ट्रीय उपभोिा वििाद वनिािण
आयोर्ग शावमल है।
● Bill includes the National Consumer Disputes Redressal Commission established under the Consumer Protection
Act, 2019 within the purview of the Finance Act, 2017.
● वबल शावमल नहीं किता -
o भाितीय विमानपत्तन प्रावधकिण अवधवनयम, 1994 के तहत थिावपत हिाई अड्डा अपीलीय न्यायावधकिण,
o व्यापाि विह्न अवधवनयम, 1999 के तहत थिावपत अपीलीय बोडट,
o आयकि अवधवनयम, 1961 के तहत थिावपत उन्नत सत्तारूढ़ का अवधकाि, औि
o वसनेमैर्ोग्राि अवधवनयम, 1952 के तहत थिावपत विकम प्रमाणन अपीलीय प्रावधकिण, वित्त अवधवनयम, 2017 के दायिे से।

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विधेयक के तहत प्रथतावित प्रमि


ु अपीलीय वनकायों के कायों का थिानातिं िण

अवधवनयम अपीलीय वनकाय प्रथतावित इकाई

वसनेमैर्ोग्राि अवधवनयम, 1952 अपीलीय न्यायावधकिण उच्ि न्यायालय


व्यापाि विह्न अवधवनयम, 1999 अपीलीय बोडट उच्ि न्यायालय
कॉपीिाइर् अवधवनयम, 1957 अपीलीय बोडट िावणवज्यक न्यायालय या उच्ि न्यायालय का
िावणवज्यक प्रभार्ग
सीमा शकु क अवधवनयम, 1962 अवग्रम विवनणटयों के वलए प्रावधकिण उच्ि न्यायालय
पेर्ेंर् अवधवनयम, 1970 अपीलीय बोडट उच्ि न्यायालय
भाितीय विमानपत्तन प्रावधकिण हिाई अड्डा अपीलीय न्यायावधकिण कें द्र सिकाि, अनावधकृ त कब्िाधारियों द्वािा हिाईअड्डा
अवधवनयम, 1994 परिसि में छोडी र्गई सिंपवत्तयों के वनपर्ान से उत्पन्न होने
िाले वििादों के वलए।
बेदिली अवधकािी के आदेशों के विरुद्ध अपील के वलए
उच्ि न्यायालय।
िाष्ट्ट्रीय िािमार्गट वनयत्रिं ण (भवू म औि हिाई अड्डा अपीलीय न्यायावधकिण वसविल कोर्ट
यातायात) अवधवनयम, 2002
माल के भौर्गोवलक सिंकेत (पिंिीकिण अपीलीय बोडट उच्ि न्यायालय
औि सिंिक्षण) अवधवनयम, 1999

505. श्रेया वसिंघल वनणटय (Shreya Singhal Judgement)


समािाि में: कें द्रीय र्गृह मत्रिं ालय ने िाज्यों औि कें द्र शावसत प्रदेशों को सिू ना प्रौद्योवर्गकी अवधवनयम, 2000 की वनिथत धािा 66 ए के तहत दिट मामलों
को तिु िं त िापस लेने के वलए कहा है।

● हाल ही में, सप्रु ीम कोर्ट (एससी) ने आश्चयट व्यि वकया है वक प्रािधान अभी भी लोर्गों को बुक किने के वलए इथतेमाल वकया िा िहा िा,
हालािंवक उच्ितम न्यायलय ने इसे असिंिैधावनक औि श्रेया वसिंघल िै सले, 2015 में अवभव्यवि की थितिंत्रता का उकलिंघन माना।
श्रेया वसघिं ल िै सले के बािे में

● अवधवनयम की धािा 66 (ए) किंप्यर्ू ि या अन्य सििं ाि उपकिण के माध्यम से आपवत्तिनक सिंदश
े भेिने का अपिाधीकिण किती है।

● धािा 66 A पवु लस को वकसी भी "आपवत्तिनक" सिंदश े के वलए वर्गिफ्तािी किने के वलए मनमानी शवियािं देती है - एक पिू ी तिह से
व्यविपिक शब्द। इसमें असिंतोष को िोकने के वलए अवधकारियों द्वािा दरुु पयोर्ग वकए िाने की सिंभािना है।

● वपछले कुछ िषों में, वर्प्पवणयों से सिंबिंवधत घर्नाओ,िं सिू नाओ िं को साझा किने या इर्िं िनेर् पि वकसी व्यवि द्वािा व्यि वकए र्गए वििािों ने
धािा 66 (ए) के तहत आपिावधक दडिं को आकवषटत वकया है।

○ एक कार्ूटवनथर् असीम वत्रिेदी को िािनेताओ िं के ससिं दीय आििण की वथिवत पि थके ि बनाने के वलए इसी प्रािधान को लार्गू
किते हए वर्गिफ्ताि वकया र्गया िा औि उन पि देशद्रोह का आिोप लर्गाया र्गया िा।

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● श्रेया वसिंघल बनाम भाित सिंघ मामले में, पिू े प्रािधान को सिोच्ि न्यायालय ने िद्द कि वदया िा, विसे भाित में ऑनलाइन मि
ु भाषण के
वलए एक महत्िपणू ट क्षिण माना िाता है।

● िै सले में पाया र्गया वक धािा 66ए सिंविधान के अनुच्छे द 19 (भाषण की आिादी) औि अनुच्छे द 21 (िीिन का अवधकाि) दोनों के
विपिीत है।

● कानून को "अपनी सिंपणू टता में अथपि" बताते हए, सप्रु ीम कोर्ट ने कहा, यह िनता के िानने के अवधकाि का अवतिमण किता है।

● इसके अलािा, झिंझु लाहर्, असवु िधा, ितिे , आवद के कािण बनना या घोि आपवत्तिनक होना या ितिनाक िरित्र होना भाितीय दडिं सिंवहता
के तहत अपिाध नहीं है।

506. कॉलेवियम प्रणाली (Collegium System)


यह न्यायाधीशों की वनयवु ि औि थिानािंतिण की प्रणाली है िो उच्ितम न्यायालय के वनणटयों के माध्यम से विकवसत हई है, न वक सिंसद के अवधवनयम
या सिंविधान के प्रािधान द्वािा।
प्रणाली का विकास:
प्रिम न्यायाधीश मामला (1981):

● इसने घोषणा की वक न्यावयक वनयवु ियों औि तबादलों पि भाित के मख्ु य न्यायाधीश (CJI) की वसिारिश की "प्रािवमकता" को "र्गभिं ीि
कािणों" से अथिीकाि वकया िा सकता है।
● सत्तारूढ़ ने अर्गले 12 िषों के वलए न्यावयक वनयवु ियों में न्यायपावलका पि कायटपावलका को प्रािवमकता दी।
वद्वतीय न्यायाधीश मामला (1993):

● SC ने कॉलेवियम प्रणाली की शरुु आत की, यह मानते हए वक "पिामशट" का िाथतविक अिट "सहमवत" है।

● इसमें कहा र्गया है वक यह CJI की व्यविर्गत िाय नहीं है, बवकक SC में दो िरिष्ठतम न्यायाधीशों के पिामशट से र्गवठत एक सिंथिार्गत िाय है।
तीसिा न्यायाधीश मामला (1998):

● िाष्ट्ट्रपवत के सिंदभट में SC ने कॉलेवियम का विथताि पािंि सदथयीय वनकाय में कि वदया, विसमें CJI औि उनके िाि िरिष्ठतम सहयोर्गी शावमल
िे।
SC कॉलेवियम का नेतत्ृ ि CJI किते हैं औि इसमें अदालत के िाि अन्य िरिष्ठतम न्यायाधीश शावमल होते हैं।
एक HC कॉलेवियम का नेतत्ृ ि उसके मख्ु य न्यायाधीश औि उस अदालत के िाि अन्य िरिष्ठतम न्यायाधीश किते हैं।

● HC कॉलेवियम द्वािा वनयवु ि के वलए अनुशविं सत नाम CJI औि SC कॉलेवियम द्वािा अनुमोदन के बाद ही सिकाि तक पहििं ते हैं।

● उच्ि न्यायपावलका के न्यायाधीशों की वनयवु ि कॉलेवियम प्रणाली के माध्यम से ही की िाती है औि कॉलेवियम द्वािा नाम तय वकए िाने के
बाद ही सिकाि की भवू मका होती है।
o यवद वकसी िकील को उच्ि न्यायालय या सिोच्ि न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत वकया िाना है तो सिकाि की भवू मका
इर्िं ेवलिेंस ब्यिू ो (आईबी) द्वािा िाििं किाने तक सीवमत है।

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o इसमें आपवत्तयािं भी उठाई िा सकती हैं औि कॉलेवियम की पसिंद के बािे में थपिीकिण मार्गिं ा िा सकता है, लेवकन अर्गि कॉलेवियम
एक ही नाम दोहिाता है तो सिकाि सिंविधान पीठ के िै सले के तहत उन्हें िि के रूप में वनयि ु किने के वलए बाध्य है।

विवभन्न न्यावयक वनयवु ियों के वलए प्रविया:


CJI के वलए:
● भाित के िाष्ट्ट्रपवत CJI औि अन्य SC न्यायाधीशों की वनयवु ि किते हैं।
● िहािं तक CJI का सिाल है, वनितटमान CJI अपने उत्तिावधकािी की वसिारिश किते हैं।
● व्यिहाि में, यह 1970 के दशक के अवधिमण वििाद के बाद से िरिष्ठता से सख्ती से िहा है।
SC न्यायाधीशों के वलए:
● SC के अन्य न्यायाधीशों के वलए, प्रथताि CJI द्वािा शरू
ु वकया िाता है।
● CJI कॉलेवियम के बाकी सदथयों के साि-साि उस उच्ि न्यायालय के िरिष्ठतम न्यायाधीश से पिामशट किता है, विसमें अनुशिंवसत व्यवि
सिंबिंवधत है।
● पिामशटदाताओ िं को अपनी िाय वलवित रूप में दिट किनी िावहए औि इसे िाइल का वहथसा बनाना िावहए।
● कॉलेवियम काननू मत्रिं ी को वसिारिश भेिता है, िो इसे िाष्ट्ट्रपवत को सलाह देने के वलए प्रधानमत्रिं ी को भेिता है।
उच्ि न्यायालयों के मख्ु य न्यायाधीश के वलए:
● उच्ि न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश की वनयवु ि सिंबिंवधत िाज्यों के बाहि से मख्ु य न्यायाधीश होने की नीवत के अनुसाि की िाती है।
● कॉलेवियम पदोन्नवत पि िनु ता है।
● हाईकोर्ट के ििों की वसिारिश सीिेआई औि दो सीवनयि ििों िाले कॉलेवियम द्वािा की िाती है।
● प्रथताि, हालाविं क, सबिं विं धत उच्ि न्यायालय के वनितटमान मख्ु य न्यायाधीश द्वािा दो िरिष्ठतम सहयोवर्गयों के पिामशट से शरू
ु वकया िाता है।
● वसिारिश मख्ु यमत्रिं ी को भेिी िाती है, िो िाज्यपाल को कें द्रीय काननू मिंत्री को प्रथताि भेिने की सलाह देते हैं।

507. प्ली बार्गेवनर्गिं औि क्लास एक्शन सर्ू (Plea bargaining and Class Action Suit)
समािाि में: हाल ही में ONGC बािट आपदा िैसी घर्नाएिं भाित में प्रभािी क्लास एक्शन मक़
ु दमे की अनपु वथिवत को िेिाविं कत किती हैं।
क्लास एक्शन सर्ू के बािे में
● यह एक काननू ी कािट िाई या दािा है िो एक या कई िादी को समान वहतों िाले लोर्गों के समहू के वलए िाइल किने औि पेश होने की अनमु वत
देता है। ऐसा समहू एक "िर्गट" बनाता है।

● एक िर्गट कािट िाई, विसे िर्गट-कािट िाई मकु दमा, िर्गट सर्ू या प्रवतवनवध कािट िाई के रूप में भी िाना िाता है, एक प्रकाि का मक
ु दमा है िहािं
पावर्टयों में से एक ऐसे लोर्गों का समहू होता है िो सामवू हक रूप से प्रवतवनवधत्ि किते हैं।

● एक शविशाली वििोधी के विलाि आम व्यवि को न्याय सवु नवश्चत किने के वलए प्रवतवनवध मक
ु दमेबािी से एक िर्गट कािट िाई मक़
ु दमा प्राप्त
होता है।

● इन्हें औपिारिक रूप से सिंयि


ु िाज्य अमेरिका में 1938 में नार्गरिक प्रविया के सिंघीय वनयमों के तहत कानून में शावमल वकया र्गया िा।

● भाित में उदाहिण-भोपाल र्गैस त्रासदी मामला, सत्यम किंप्यर्ू ि मामला आवद।
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दलील सौदा:
● यहािं एक आपिावधक अपिाध का आिोप लर्गाया र्गया व्यवि अवभयोिन पक्ष के साि बातिीत किता है।
● िह दोषी मानते हए कम सिा की मािंर्ग किता है।
● इसमें मख्ु य रूप से अवभयि ु औि अवभयोिक के बीि पिू ट-पिीक्षण िाताट शावमल है।
● इसमें आिोप पि या सिा की मात्रा में सौदेबािी शावमल हो सकती है।
● भाित में इसे CrPC में सिंशोधन के एक सेर् के वहथसे के रूप में 2006 में पेश वकया र्गया िा।
○ वकसी अवभयि ु को पणू ट मक
ु दमे के अवधकाि का दािा किने के बिाय 'दोषी' की िकालत किने के वलए दडिं प्रविया सिंवहता में
हमेशा एक प्रािधान िहा है, लेवकन यह दलील सौदेबािी के समान नहीं है।

○ भाितीय विवध आयोर्ग ने अपनी 142िीं रिपोर्ट में अपनी मिी से दोषी ठहिाए िाने िालों के "रियायती इलाि" के वििाि को
िारिि कि वदया।

○ लेवकन इस बात को िे िािंवकत वकया वक इसमें अवभयोिन पक्ष के साि कोई दलील सौदेबािी या "सौदेबािी" शावमल नहीं होर्गी।

508. रिर् याविकाएिं (Writ Petitions)

● रिर् सप्रु ीम कोर्ट या उच्ि न्यायालय का एक वलवित आदेश है िो भाितीय नार्गरिकों को उनके मौवलक अवधकािों के उकलघिं न के विलाि
सििं ैधावनक उपिाि का आदेश देता है।

● भाितीय सिंविधान में अनुच्छे द 32 सिंिैधावनक उपायों से सिंबिंवधत है िो एक भाितीय नार्गरिक अपने मौवलक अवधकािों के उकलिंघन के विलाि
सिोच्ि न्यायालय औि उच्ि न्यायालय से मार्गिं सकता है।

● िही लेि सिोच्ि न्यायालय को अवधकािों के प्रितटन के वलए रिर् िािी किने की शवि देता है िबवक उच्ि न्यायालय के पास अनुच्छे द 226
के तहत समान शवि है।

● रिर्- बदिं ी प्रत्यक्षीकिण (Habeas Corpus), पिमादेश रिर् (Mandamus), प्रवतषेध रिर् (Prohibition), उत्प्रेषण लेि (Writ of
Certaiorari), अवधकाि पृच्छा (Quo Warranto)

बिंदी प्रत्यक्षीकिण (HABEAS CORPUS)

● सिोच्ि न्यायालय या उच्ि न्यायालय वनिी औि सािटिवनक दोनों प्रावधकिणों के विलाि यह रिर् िािी कि सकता है।
● बदिं ी प्रत्यक्षीकिण वनम्नवलवित मामलों में िािी नहीं वकया िा सकता है:
○ िब वहिासत िैध है।
○ िब कायटिाही वकसी विधावयका या न्यायालय की अिमानना के वलए हो।
○ नििबिंदी एक सक्षम अदालत द्वािा वकया िाता है।
○ नििबदिं ी कोर्ट के अवधकाि क्षेत्र से बाहि है।
पिमादेश रिर् (Mandamus)

● इस रिर् का उपयोर्ग अदालत द्वािा उस सिकािी अवधकािी को आदेश देने के वलए वकया िाता है िो अपने कतटव्य का पालन किने में वििल
िहा है या अपना कतटव्य किने से इनकाि कि वदया है।

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● बिंदी प्रत्यक्षीकिण के विपिीत, वकसी वनिी व्यवि के विरुद्ध पिमादेश िािी नहीं वकया िा सकता है।

● विभार्गीय वनदेश को लार्गू किने के वलए विसमें िैधावनक बल नहीं है।

● वकसी को काम किने का आदेश देना िब काम का प्रकाि वििेकाधीन हो औि अवनिायट न हो।

● एक सिंविदात्मक दावयत्ि को लार्गू किने के वलए।

● भाितीय िाष्ट्ट्रपवत या िाज्य के िाज्यपालों के विलाि पिमादेश िािी नहीं वकया िा सकता है।

● न्यावयक क्षमता में कायट किने िाले उच्ि न्यायालय के मख्ु य न्यायाधीश के विलाि।

● वनििंति पिमादेश या सििं िनात्मक वनषेधाज्ञा या सिंििनात्मक वनषेधाज्ञा एक लिंबी अिवध में िल िहे आदेशों की एक श्रृिंिला के माध्यम से
कानून की अदालत द्वािा दी र्गई िाहत है।
प्रवतषेध रिर् (Prohibition)
● वनिली अदालत को अपने अवधकाि क्षेत्र से बाहि िाने से मना किना।

● प्रवतषेध रिर् के िल न्यावयक औि अधट-न्यावयक अवधकारियों के विलाि िािी वकया िा सकता है।

● इसे प्रशासवनक अवधकारियों, विधायी वनकायों औि वनिी व्यवियों या वनकायों के विलाि िािी नहीं वकया िा सकता है।
उत्प्रेषण लेि (Writ of Certaiorari)
● 'प्रमावणत होना' या 'सवू ित वकया िाना'। यह रिर् एक उच्ि न्यायालय द्वािा वनिली अदालत को वकसी भी मामले में उनके आदेश को िद्द
किने के वलए िािी वकया िाता है।

● 1991 से पहले: उत्प्रेषण रिर् के िल न्यावयक औि अधट-न्यावयक अवधकारियों के विलाि िािी की िाती िी प्रशासवनक अवधकारियों के
विलाि नहीं

● 1991 के बाद: सप्रु ीम कोर्ट ने िै सला सनु ाया वक व्यवियों के अवधकािों को प्रभावित किने िाले प्रशासवनक अवधकारियों के विलाि भी
उत्प्रेषण िािी वकया िा सकता है।

● इसे विधायी वनकायों औि वनिी व्यवियों या वनकायों के विरुद्ध िािी नहीं वकया िा सकता है।
अवधकाि पृच्छा (Quo Warranto)
● 'वकस अवधकाि या िाििंर् द्वािा' यह वकसी व्यवि द्वािा वकसी सािटिवनक कायाटलय के अिैध उपयोर्ग को िोकने के वलए िािी वकया िाता है।

● अवधकाि पृच्छा तभी िािी वकया िा सकता है िब वकसी क़ानून या सिंविधान द्वािा बनाए र्गए थिायी िरित्र का मल
ू सािटिवनक कायाटलय
शावमल हो।

● इसे वनिी या मविं त्रथतिीय कायाटलय के विलाि िािी नहीं वकया िा सकता है।

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509. ग्राम न्यायालय अवधवनयम (Grama Nyayalayas Act)

● ये ग्राम न्यायालय भाित के ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्रणाली की त्िरित औि आसान पहिाँ के वलए ग्राम न्यायालय अवधवनयम, 2008 के तहत
थिावपत वकए र्गए हैं।

● सिंबिंवधत उच्ि न्यायालय के पिामशट से िाज्य सिकाि द्वािा अवधसिू ना द्वािा वनवदटि क्षेत्र पि ग्राम न्यायालय का अवधकाि क्षेत्र होता है।

● न्यायालय इस सबिं धिं में व्यापक प्रिाि किने के बाद, ऐसे ग्राम न्यायालय के अवधकाि क्षेत्र में वकसी भी थिान पि एक मोबाइल अदालत के रूप
में कायट कि सकता है।

● अपिाधों पि उनके पास नार्गरिक औि आपिावधक दोनों क्षेत्रावधकाि हैं।

● आपिावधक मामलों में सत्र न्यायालय औि दीिानी मामलों में विला न्यायालय में अपील।

● न्यायालयों का आविटक क्षेत्रावधकाि - सबिं विं धत उच्ि न्यायालयों द्वािा वनधाटरित।

● GN की अध्यक्षता एक न्यायावधकािी द्वािा की िाती है, विसके पास समान शवि होर्गी, प्रिम श्रेणी के न्यावयक मविथट्रेर् के समान िेतन औि
लाभ प्राप्त होंर्गे।

● ऐसे न्यायावधकािी की वनयवु ि िाज्य सिकाि द्वािा सिंबिंवधत उच्ि न्यायालय के पिामशट से की िानी है।

● दीिानी िादों को वदन-प्रवतवदन के आधाि पि सीवमत थिर्गनों के साि आर्गे बढ़ाया िाता है औि िाद की थिापना की तािीि से छह महीने की
अिवध के भीति वनपर्ािा वकया िाता है।

● वडिी के वनष्ट्पादन में, न्यायालय प्राकृ वतक न्याय के वनयमों का पालन किते हए विशेष प्रवियाओ िं की अनुमवत दे सकता है।

● ग्राम न्यायालय पहली बाि में वििाद के समाधान औि उसी के वनपर्ािे की अनमु वत देते हैं।

● ग्राम न्यायालयों को कुछ साक्ष्यों को थिीकाि किने की शवि दी र्गई है िो अन्यिा भाितीय साक्ष्य अवधवनयम के तहत थिीकायट नहीं होंर्गे।

● ग्राम न्यायालय पोर्टल लार्गू किने िाले िाज्यों द्वािा ग्राम न्यायालयों के कामकाि की ऑनलाइन वनर्गिानी में मदद किता है।

● हालााँवक, अवधवनयम को ठीक से लार्गू नहीं वकया र्गया है, देश में 5000 ऐसी अदालतों के लक्ष्य के विलाि के िल 208 कायाटत्मक ग्राम
न्यायालय (वसतिंबि 2019) है।

● र्गैि-प्रितटन के पीछे प्रमि


ु कािणों में वित्तीय बाधाए,िं िकीलों, पवु लस औि अन्य सिकािी अवधकारियों की अवनच्छा शावमल है।

510. िाष्ट्ट्रीय किंपनी कानून अपीलीय न्यायावधकिण (National Company Law Appellate Tribunal - NCLAT)
● समािाि में: एथसाि मामला, साइिस वमस्त्री मामला, आवद।
NCLAT किंपनी अवधवनयम, 2013 के तहत र्गवठत एक िैधावनक वनकाय है।
कायट:
● यह वनम्नवलवित के आदेशों के विलाि अपील सनु ता है:

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● वदिाला औि वदिावलयापन सिंवहता, 2016 (IBC) की धािा 61 के तहत NCLT.


● IBC की धािा 202 औि धािा 211 के तहत भाितीय वदिाला औि वदिावलयापन बोडट।
● भाितीय प्रवतथपधाट आयोर्ग (CCI)
सिंििना:
● वट्रब्यनू ल के अध्यक्ष औि अपीलीय वट्रब्यनू ल के अध्यक्ष औि न्यावयक सदथयों की वनयवु ि भाित के मख्ु य न्यायाधीश के पिामशट के बाद की
िाएर्गी।
● वट्रब्यनू ल के सदथयों औि तकनीकी सदथयों को एक ियन सवमवत की वसिारिश पि वनयि ु वकया िाएर्गा विसमें शावमल हैं:
○ भाित के मख्ु य न्यायाधीश या उनके नावमत-अध्यक्ष।
○ सिोच्ि न्यायालय का एक िरिष्ठ न्यायाधीश या उच्ि न्यायालय का एक मख्ु य न्यायाधीश— सदथय।
○ कॉपोिे र् मामलों के मिंत्रालय में सविि-सदथय।
○ कानून औि न्याय मत्रिं ालय में सविि-सदथय।
○ वित्त मत्रिं ालय में वित्तीय सेिा विभार्ग में सविि-सदथय।
पात्रता:
● अध्यक्ष-सिोच्ि न्यायालय का न्यायाधीश होना िावहए या उच्ि न्यायालय का मख्ु य न्यायाधीश होना िावहए।
● न्यावयक सदथय-उच्ि न्यायालय का न्यायाधीश है / िहा है या 5 िषट या उससे अवधक समय तक न्यायावधकिण का न्यावयक सदथय है।
● तकनीकी सदथय- वसद्ध क्षमता, सत्यवनष्ठा औि 25 िषट या उससे अवधक (वनवदटि क्षेत्रों में) का विशेष ज्ञान औि अनुभि ििने िाला व्यवि।
अिवध:
● अध्यक्ष औि सदथयों का कायटकाल 5 िषट है औि उन्हें अवतरिि 5 िषों के वलए विि से वनयि
ु वकया िा सकता है।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 72 - POLITY

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विषय

511. वैकल्पिक ल्ववाद समाधान (Alternate Dispute Resolution)


512. भारतीय ल्वल्ध आयोग (Law Commission of India)
513. ल्सर्फ नागररकों के ल्िए उििब्ध अल्धकार (Rights available only to Citizens)
514. न्याय बंधु ऐि (Nyaya Bandhu App)
515. ल्वचाराधीन कै दी (Under Trails)
516. अनुच्छे द 29 और 30 (Article 29 & 30)
517. ई-न्यायािय (e-Courts)
518. अल्िि भारतीय न्याल्यक सेवा (All India Judicial Service)
519. मास्टर ऑर् रोस्टर (Master of Roster)
520. समीक्षा याल्चका, दया याल्चका और उिचारात्मक याल्चका (Review Petition, Mercy Petition and Curative Petition)

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511. िैकवपिक वििाद समाधान (Alternate Dispute Resolution)


नई वदपली में: नई ल्दपिी अंतराफष्ट्रीय मध्यस्थता कें द्र अल्धल्नयम (NDIAC), 2019 िाररत ल्कया गया।

● यह NDIAC की स्थािना का प्रावधान करता है।


● इसने NDIAC को राष्ट्रीय महत्ि की सस्ं था के रूि में िररकल्पित ल्कया।
● अध्यादेश मौजदू ा ICADR (िैकवपिक वििाद समाधान के वलए अंतरााष्ट्रीय
● कें द्र) को कें द्र सरकार को हस्तांतररत करना चाहता है।
● ICADR में सभी अल्धकार, शीर्फक और ल्हत NDIAC को हस्तातं ररत कर ल्दए जाएगं े।
ADR वाताफ और चचाफओ ं के माध्यम से एक उत्तरदायी ल्निटान िर िहचं कर िाल्टफयों के बीच ल्ववादों और असहमल्त को हि करने की एक तकनीक है।
यह ल्ववाद समाधान के िारंिररक तरीकों के अिावा एक वैकल्पिक तत्रं स्थाल्ित करने का प्रयास है।
● ADR ल्ववाद समाधान का एक तत्रं है जो गैर प्रल्तकूि है, अथाफत सभी के ल्िए सवोत्तम समाधान तक िहचं ने के ल्िए एक साथ ल्मिकर काम
करना।

● ADR अदाितों िर मक ु दमेबाजी के बोझ को कम करने में महत्विर्ू फ भल्ू मका ल्नभा सकता है, जबल्क इसमें शाल्मि िक्षों के ल्िए एक िर्ू फ
और सतं ोर्जनक अनभु व प्रदान ल्कया जा सकता है।
ल्वल्भन्न वैकल्पिक ल्ववाद समाधान तत्रं ों को इस प्रकार वगीकृ त ल्कया जा सकता है:
● मध्यस्थता - प्रल्िया ल्जसमें एक तटस्थ तृतीय िक्ष या िक्ष मामिे की योग्यता के आधार िर वनर्ाय देते हैं। मध्यस्थ िक्षों िर एक बाध्यकारी
िरु स्कार प्रदान करता है।

● मध्यस्थता - इसका उद्देश्य ल्ववाल्दत िक्षों द्वारा सहमवत से समाधान के ल्वकास को सगु म बनाना है। इसकी देिरेि एक गैर-िक्षिाती तृतीय
िक्ष (मध्यस्थ) द्वारा की जाती है।

● सल
ु ह - प्रल्िया ल्जसके द्वारा ल्ववादों का समाधान समझौता या स्वैल्च्छक समझौते द्वारा प्राप्त ल्कया जाता है। मध्यस्थता के ल्विरीत, संयोजक
एक बाध्यकारी िरु स्कार प्रदान नहीं करता है। िाल्टफयां प्रदान ल्कए गए िरु स्कार को स्वीकार या अस्वीकार करने के ल्िए स्वतत्रं हैं।

● लोक अदालतें: ल्ववाद ल्निटान प्रर्ािी में तेजी िाने के ल्िए काननू ी सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम 1987 के साथ ल्ववाद ल्निटान प्रर्ािी
की िोक अदाित प्रर्ािी की स्थािना की गई। िोक अदाितों में प्री-ल्िल्टगेशन चरर् में ल्ववादों को सौहादफिर्ू फ तरीके से ल्निटाया जा सकता
है।

● सवं धिाताा: यह एक गैर-बाध्यकारी प्रल्िया है ल्जसमें ल्कसी तीसरे िक्ष के हस्तक्षेि के ल्बना िक्षों के बीच ल्ववाद के समझौते िर िहचं ने के
उद्देश्य से चचाफ शरू
ु की जाती है। व्यािार, गैर-िाभकारी संगठनों, सरकारी शािाओ,ं काननू ी कायफवाही, राष्ट्रों के बीच और व्यल्िगत ल्स्थल्तयों
जैसे ल्ववाह, तिाक, िािन-िोर्र् और रोजमराफ की ल्जंदगी में बातचीत होती है।
भारत में ADR
● काननू ी सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम 1987 में अदाित के बाहर ल्निटान को प्रोत्साल्हत करने के ल्िए िाररत ल्कया गया था, और नया
मध्यस्थता और सि ु ह अल्धल्नयम 1996 में अल्धल्नयल्मत ल्कया गया था।

● प्िी-सौदेबाजी की प्रल्िया को 2005 में दडं प्रल्िया संल्हता में शाल्मि ल्कया गया था। {याल्चका-सौदेबाजी को "अल्भयि
ु और
अल्भयोजन िक्ष के बीच िवू फ-िरीक्षर् वाताफ के रूि में सबसे अच्छा वल्र्फत ल्कया गया है, ल्जसके दौरान अल्भयि
ु अल्भयोजन द्वारा कुछ
ररयायतों के बदिे में दोर्ी होने के ल्िए सहमत होता है।"}

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● िोक अदाित या "िोगों की अदाित" में एक अनौिचाररक सेल्टगं शाल्मि है जो न्याल्यक अल्धकारी की उिल्स्थल्त में बातचीत की
सल्ु वधा प्रदान करती है ल्जसमें काननू ी तकनीकी िर अनल्ु चत जोर ल्दए ल्बना मामिों को ल्निटाया जाता है। िोक-अदाित का आदेश
अल्ं तम और िाल्टफयों िर बाध्यकारी है, और काननू की अदाित में अिीि करने योग्य नहीं है।

512. भारतीय विवध आयोग (Law Commission of India)


समाचार में: हाि ही में, कें द्रीय मंल्त्रमंडि ने तीन साि की अवल्ध के ल्िए भारत के 22वें ल्वल्ध आयोग के गठन को मंजरू ी दी है।
● ल्वल्ध आयोग एक कायाकारी वनकाय है ल्जसे सरकार द्वारा एक ल्नल्ित कायफकाि के ल्िए स्थाल्ित ल्कया जाता है। यह कानून मंत्रािय के
सिाहकार ल्नकाय के रूि में कायफ करता है।

● ल्वल्ध आयोग न तो एक वैधाल्नक और न ही एक संवैधाल्नक ल्नकाय है।

● यह काननू और न्याय मत्रं ालय के सलाहकार वनकाय के रूि में काम करता है।

● ल्वल्ध आयोग कानून में अनुसंधान करता है और भारत में मौजदू ा काननू ों की समीक्षा करता है ताल्क उसमें सधु ार ल्कया जा सके और कें द्र
सरकार या स्व-प्रेरर्ा द्वारा इसके सदं भफ में नए कानून बनाए जा सकें ।

● भारत में िहिे ल्वल्ध आयोग का गठन 1955 में तीन साि के कायफकाि के ल्िए ल्कया गया था, ल्जसके अध्यक्ष भारत के तत्कािीन
अटॉनी-जनरि एम.सी. सेतलिाड़ थे।

○ िहला विवध आयोग 1834 में ल्िल्टश राज काि के दौरान 1833 के चार्ार अवधवनयम द्वारा स्थाल्ित ल्कया गया था और
इसकी अध्यक्षता लॉर्ा मैकाले ने की थी।
विवध आयोग के सदस्य
● आयोग में काननू ी और न्याल्यक ल्वशेर्ज्ञ शाल्मि हैं ।
● 1 स्थायी सदस्य, 1 सदस्य सल्चव, 2 अश ं काल्िक सदस्य, 2 िदेन सदस्य।
● आयोग में एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य होते हैं ।
● ल्वल्ध सल्चव और ल्वल्ध मत्रं ािय के अधीन सल्चव (ल्वधायी) िदेन सदस्य होते हैं ।

ल्वल्ध आयोग के अन्य कायों में शाल्मि हैं:


● उन काननू ों की िहचान जो अब प्रासंल्गक नहीं हैं और अप्रचल्ित और अनावश्यक अल्धल्नयमों को ल्नरस्त करने की ल्सर्ाररश करते हैं।

● उन काननू ों की जांच करना जो गरीबों को प्रभाल्वत करते हैं और सामाल्जक-आल्थफक कानूनों के ल्िए िोस्ट-ऑल्डट करते हैं।

● वनदेशक वसद्ांतों को लागू करने और संविधान की प्रस्तािना में वनधााररत उद्देश्यों को प्राप्त करने के ल्िए नए कानून के अल्धल्नयमन
का सझु ाव देना आवश्यक हो सकता है।

● कानून और न्याल्यक प्रशासन से संबंल्धत ल्कसी भी ल्वर्य िर सरकार के ल्वचारों को ध्यान में रिते हए और सदं शे देते हए, ल्जसे सरकार
द्वारा विवध और न्याय मंत्रालय (कानूनी कायफ ल्वभाग) के माध्यम से ल्वशेर् रूि से संदल्भफत ल्कया जा सकता है।

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● काननू और न्याय मत्रं ािय (काननू ी मामिों के ल्वभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा ल्कसी भी ल्वदेशी देश को अनसु धं ान प्रदान करने के
अनरु ोधों िर ल्वचार करना।

● लैंवगक समानता को बढावा देने और उसमें संशोधन का सझु ाव देने की दृल्ि से मौजदू ा काननू ों का िरीक्षर् करें ।

● िाद्य सरु क्षा, बेरोजगारी िर िैश्वीकरर् के प्रभाि की जाचं करें और हाल्शए िर िडे िोगों के ल्हतों की सरु क्षा के उिायों की ल्सर्ाररश करें ।

● कें द्र सरकार को समय-समय िर सभी मुद्दों, मामलों, अध्ययनों और अनुसंधान िर ररिोर्ा तैयार करना और प्रस्तुत करना और ऐसी
ररिोटों में संघ या ल्कसी राज्य द्वारा ल्कए जाने वािे प्रभावी उिायों के ल्िए ल्सर्ाररश करना।

● ऐसे अन्य कायफ करना जो कें द्र सरकार द्वारा समय-समय िर उसे सौंिे जाए।ं

● अिनी ल्सर्ाररशों को ठोस बनाने से िहिे, आयोग नोडि मत्रं ािय/ल्वभागों और इस तरह, अन्य ल्हतधारकों को आयोग के उद्देश्य के ल्िए
आवश्यक समझा जा सकता है।

513. वसर्ा नागररकों के वलए उिलब्ध अवधकार (Rights available only to Citizens)
समाचार में: हाि ही में, मोहम्मद सिीमपु िाह बनाम भारत सघं में अिने आदेश में, सप्रु ीम कोटफ ने रोल्हग्ं या शरर्ाल्थफयों के म्यामं ार ल्नवाफसन िर रोक
िगाने के ल्िए एक आवेदन को िाररज कर ल्दया।
मुख्य तका :

● SC ने 23 जनवरी, 2020 के अंतरााष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के एक र्ै सिे िर याल्चकाकताफओ ं की ल्नभफरता का उपिेि ल्कया, ल्जसमें
नरसहं ार की ल्स्थल्त दजफ की गई थी, ल्जसके िररर्ामस्वरूि 7.75 िाि रोल्हग्ं या बाग्ं िादेश और भारत में शरर् िेने के ल्िए मजबरू हो गए।

● SC ने सरकार के इस शब्द िर भरोसा ल्कया ल्क शरर्ाथी के जीवन को ितरे में डािने वािी जगह िर गैर-प्रल्तशोध, या जबरन प्रत्यावतफन का
ल्सद्ांत के िल 1951 या उसके 1967 प्रोर्ोकॉल के संयुक्त राष्ट्र के शरर्ाथी सम्मेलन में हस्ताक्षरकतााओ ं िर लागू होता है।

● यह कहा जाना चाल्हए ल्क संयि ु राष्ट्र के ल्वशेर् प्रल्तवेदक को नहीं सनु ा गया था, क्योंल्क अदाित ने महससू ल्कया ल्क उसके हस्तक्षेि िर
गंभीर आिल्त्तयां उठाई गई थीं।

● SC ने स्वीकार ल्कया ल्क ल्नवाफल्सत न होने का अल्धकार अनुच्छे द 21 के तहत जीिन और स्ितंत्रता के अवधकार से सम्बंवधत नहीं है,
जो सभी मनुष्ट्यों िर लागू होता है, बल्पक अनुच्छे द 19(1)(g) के तहत भारत में रहने और बसने के अल्धकार से सम्बंल्धत है, जो के वि
भारतीय नागररकों िर िागू होता है।
ल्नम्नल्िल्ित मौल्िक अल्धकारों की सचू ी है जो के िल नागररकों के वलए उिलब्ध हैं (ल्वदेल्शयों के ल्िए नहीं):

● जाल्त, धमफ, जाल्त, ल्िगं या जन्म स्थान के आधार िर भेदभाव का ल्नर्ेध (अनुच्छे द 15).

● सावफजल्नक रोजगार के मामिों में अवसर की समानता (अनुच्छे द 16).

● स्वतत्रं ता का सरं क्षर्: (अनच्ु छे द 19)

○ भार्र् और अल्भव्यल्ि
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○ एसोल्सएशन

○ ल्वधानसभा

○ आंदोिन

○ ल्नवास

○ िेशा

● अपिसख्ं यकों की सस्ं कृ ल्त, भार्ा और ल्िल्ि का सरं क्षर् (अनच्ु छे द 29)

● शैल्क्षक संस्थानों की स्थािना और प्रशासन के ल्िए अपिसंख्यकों का अल्धकार (अनुच्छे द 30)

514. न्याय बध
ं ु ऐि (Nyaya Bandhu App)
समाचार में: न्याय ल्वभाग ने उमंग प्िेटर्ॉमफ (MeitY) िर न्याय बंधु एल्प्िके शन का iOS संस्करर् िॉन्च ल्कया।

● न्याय बंधु मोबाइि ऐि मुफ्त कानूनी सेिाओ ं के प्रािधान की सुविधा प्रदान करता है।

● ऐि का उद्देश्य जरूरतमदं िावदयों को ऐसे िकीलों से जोड़ना है जो इस तरह की वन:शुपक सेिाओ ं की िेशकश करना चाहते हैं। मफ्ु त
काननू ी सेवाएं देने के इच्छुक वकीि ऐि के साथ अिना िजं ीयन करा सकते हैं।

● इस प्रकार जरूरतमदं वादी एि के माध्यम से मफ्ु त कानूनी सिाह प्राप्त कर सकते हैं।

● ल्न: स्वाथफ सेवा देने के ल्िए स्वेच्छा से वकीिों का एक डेटाबेस बनाए रिते हए, ल्वभाग कानूनी क्षेत्र में एक ल्न: शपु क संस्कृ ल्त को ल्वकल्सत
करने की उम्मीद करता है।

● इसे CSC ई-गिनेंस सविासेज इवं र्या वलवमर्ेर् के सहयोग से ल्वकल्सत ल्कया गया है और यह ल्हदं ी और अंग्रेजी में उििब्ध है।
वन: शुपक कानूनी सेिा:
● प्रो बोनो िैल्टन अल्भव्यल्ि "प्रो बोनो िवब्लको" से आया है ल्जसका अथा है "जनता की भलाई के वलए"।

● कई वकीि ल्बना ल्कसी िेशेवर शपु क के गरीब और वंल्चत ग्राहकों को मपू यवान कानूनी सिाह और सहायता प्रदान करते हैं।
न्याय बध
ं ु कायाक्रम के बारे में
● प्रो बोनो िीगि सल्वफसेज प्रोग्राम को अप्रैल 2017 में कानून और न्याय मंत्री द्वारा िॉन्च ल्कया गया था।

● यह सल्ु नल्ित करेगा ल्क इस सावफजल्नक सेवा के ल्िए अिना बहमपू य समय और सेवा देने वािे वकीिों को उनके योगदान के ल्िए ल्वल्धवत
मान्यता दी जाए।
िात्र लाभाथी:
● ल्वल्धक सेवा प्राल्धकरर् अल्धल्नयम की धारा 12 के अनुसार 1987. इनमें शाल्मि हैं:

○ अनुसल्ू चत जाल्त के सदस्य


○ अनसु ल्ू चत जनजाल्त के सदस्य
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○ सल्ं वधान के अनुच्छे द 23 में उल्पिल्ित मानव या बीगर में तस्करी का ल्शकार
○ मल्हिा या बच्चा
○ ल्वकिागं व्यल्ि
○ ल्हरासत में व्यल्ि
○ एक औद्योल्गक कायफकत्ताफ
○ सामल्ू हक आिदा, जातीय ल्हसं ा, जाल्तगत अत्याचार, बाढ, सि ू ा, भक
ू ं ि या औद्योल्गक आिदा का ल्शकार
○ कानून के तहत ल्नल्दफि से कम वाल्र्फक आय वािे व्यल्ि

515. विचाराधीन कै दी (Under Trails)


समाचार में : के रि यल्ू नयन ऑर् वल्किं ग जनफल्िस्ट्स बनाम यल्ू नयन ऑर् इल्ं डया: के रि के ित्रकार ल्सद्दीक कप्िन की ररहाई की मांग वािी याल्चका
िर र्ै सिा करते हए, सप्रु ीम कोटफ ने माना ल्क जीवन का मौल्िक अल्धकार ल्वचाराधीन कै ल्दयों के ल्िए भी उििब्ध है।

● रायि के तहत एक ऐसे व्यल्ि को संदल्भफत करता है ल्जसे ल्हरासत (जेि) में रिा जा रहा है जो ल्कसी अिराध के मक
ु दमे की प्रतीक्षा कर रहा
है यानी न्यायािय द्वारा अंल्तम ल्नर्फय की प्रतीक्षा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ा के वनदेश:
● 2013 में जेलों की अमानिीय वस्थवतयों िर एक ऐल्तहाल्सक ल्नर्फय में SC द्वारा जारी ल्दशा-ल्नदेश। (असम राज्य बनाम 1382 जेिों में
िनु ः अमानवीय ल्स्थल्त)

● प्रत्येक ल्जिे में गल्ठत की जाने वािी विचाराधीन समीक्षा सवमवत की प्रत्येक वतमाही में बैठक होनी चाल्हए।

● अडं र रायि ररव्यू कमेटी को ल्वशेर् रूि से CrPC की धारा 436 (गैर-जमानती अिराधों को छोडकर जमानत िर ररहा ल्कए जाने वािे कै दी)
और CrPC की धारा 436 ए के प्रभावी कायाफन्वयन से संबंल्धत िहिओ ु ं िर गौर करना चाल्हए ताल्क ल्वचाराधीन कै ल्दयों को जपद से जपद
ररहा ल्कया जा सके ।

● प्रत्येक राज्य के राज्य विवधक सेिा प्रावधकरर् को यह सल्ु नल्ित करना चाल्हए ल्क ल्वचाराधीन कै ल्दयों और दोल्र्यों, ल्वशेर् रूि से गरीब
और ल्नधफन िोगों की सहायता के ल्िए ियाफप्त सख्ं या में सक्षम वकीि उििब्ध कराए जाए।ं

● वजला विवधक सेिा सवमवत को कंिाउंडेबि अिराधों में ल्वचाराधीन कै ल्दयों की ररहाई के मद्दु े िर भी गौर करना चाल्हए।
सरकार के कदम:

● ल्वचाराधीन कै ल्दयों से जडु े मामिों के समाधान में तेजी िाने के ल्िए र्ास्र् रै क अदालतों की स्थािना।

● न्याय और कानूनी सुधारों की वर्लीिरी के वलए वमशन मोर् प्रोग्राम- अंडररायि प्रोग्राम: इसका उद्देश्य 2010 तक सभी ल्वचाराधीन
मामिों में से 2/3 को हि करना और जेिों में भीडभाड को कम करना है।

● CrPC की धारा 265 के माध्यम से दलील सौदेबाजी की अिधारर्ा का िररचय:

● CrPC की धारा 436 A का सल्म्मिन- इसमें कहा गया है ल्क यल्द ल्कसी आरोिी को अिराध से जडु े कारावास की अल्धकतम अवल्ध के
आधे से अल्धक समय तक ल्हरासत में रिा जाता है, तो उसे व्यल्िगत बांड की प्रस्तुल्त िर ररहा होने का अल्धकार है।

● NALSA के कानूनी सेवा क्िील्नकों द्वारा सभी ल्वचाराधीन कै ल्दयों को वन:शुपक कानूनी सेिाएं प्रदान की जाती हैं।
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516. अनुच्छे द 29 और 30 (Article 29 & 30)


● समाचार में: VHP ने अनच्ु छे द 29 और 30 में सश
ं ोधन की मागं की ताल्क सभी ल्शक्षर् सस्ं थानों के साथ समान व्यवहार ल्कया जा सके ।
● ल्िल्ियन मेल्डकि कॉिेज वेपिोर एसोल्सएशन बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ा - धाल्मफक और भार्ाई अपिसंख्यकों को ल्दए गए अल्धकार
िूर्ा अवधकार नहीं हैं और राज्य के ल्वल्नयमन से मि
ु नहीं हैं।
● अनुच्छे द 30 राज्य को अपिसंख्यक संस्थानों के प्रशासन को िारदशी बनाने के ल्िए उल्चत ल्नयम िागू करने से नहीं रोकता है।
अनुच्छे द 29 – अपिसंख्यकों के वहतों का संरक्षर्
● अनच्ु छे द 29(1): भारत में रहने वािे सभी नागररक समहू ों की एक ल्वल्शि संस्कृ ल्त, भार्ा और ल्िल्ि है, उन्हें अिनी संस्कृ ल्त और भार्ा के
संरक्षर् का अल्धकार है। यह अल्धकार िर्ू फ है और यहां आम जनता के ल्हत में कोई 'उवचत प्रवतबंध' नहीं हैं।
● अनच्ु छे द 29(2): राज्य अिने द्वारा चिाए जा रहे शैक्षल्र्क संस्थानों में या उनसे सहायता प्राप्त करने वािे ल्कसी भी व्यल्ि को जाल्त, धमफ,
भार्ा आल्द के आधार िर प्रवेश देने से इनकार नहीं करे गा। यह अल्धकार व्यल्ियों को ल्दया जाता है, न ल्क ल्कसी समदु ाय को।

अनुच्छे द 30-शैवक्षक संस्थानों की स्थािना और प्रशासन के वलए अपिसंख्यकों का अवधकार

● अनच्ु छे द 30(1): सभी धाल्मफक और भार्ाई अपिसख्ं यकों को अिनी िसदं के शैक्षल्र्क सस्ं थानों की स्थािना और प्रशासन का अल्धकार है

● अनच्ु छे द 30(2): राज्य को शैल्क्षक संस्थानों को सहायता प्रदान करते समय, ल्कसी भी शैक्षल्र्क संस्थान के ल्ििार् इस आधार िर भेदभाव
नहीं करना चाल्हए ल्क यह अपिसख्ं यक के प्रबंधन के तहत है, चाहे वह धमफ या भार्ा िर आधाररत हो।

517. ई-न्यायालय (e-Courts)


● समाचार में: िंजाब और हररयार्ा उच्च न्यायािय र्रीदाबाद में अिना िहला िचाुअल कोर्ा (ई-कोर्ा) शरू
ु करेगा।
ई-कोर्ा िररयोजना
● ई-कोटफ िररयोजना की अवधारर्ा ई-सल्मल्त, सप्रु ीम कोटफ द्वारा प्रस्ततु "भारतीय न्यायिावलका में सच
ू ना और सच
ं ार प्रौद्योवगकी (ICT)
के कायाफन्वयन के ल्िए राष्ट्रीय नीवत और काया योजना - 2005" के आधार िर की गई थी।
● ई-कोटफ ल्मशन मोड िररयोजना, एक अविल भारतीय िररयोजना है, जो देश भर के ल्जिा न्यायाियों के ल्िए न्याय विभाग, विवध और
न्याय मत्रं ालय, भारत सरकार द्वारा वनगरानी और वित्त िोवषत है।
िररयोजना की िररकपिना है:
● आभासी अदाितों.
● न्यायाियों में ल्नर्फय समथफन प्रर्ािी ल्वकल्सत करना, स्थाल्ित करना और कायाफल्न्वत करना।
● अिने ल्हतधारकों को सचू ना प्रकटीकरर् की प्रल्ियाओ ं को स्वचाल्ित करना।
● न्याल्यक उत्िादकता बढाने के ल्िए।
ई-सवमवत
● न्यायिाल्िका में आईटी और प्रशासल्नक सधु ारों के उियोग के ल्िए एक गाइड मैि प्रदान करने के ल्िए 2004 में ई-सल्मल्त की स्थािना की
गई थी।

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● ई-सल्मल्त के कामकाज के संबंध में सभी व्यय भारत के सवोच्च न्यायािय के स्वीकृ त बजट से वहन ल्कए जाते हैं।

518. अविल भारतीय न्यावयक सेिा (All India Judicial Service - AIJS)
समाचार में: हाि ही में कानून मंत्री ने अल्िि भारतीय न्याल्यक सेवा के ल्नमाफर् के माध्यम से न्याल्यक सेवा में अनुसल्ू चत जाल्त / अनुसल्ू चत जनजाल्त
को अल्धक प्रल्तल्नल्धत्व देने की ल्सर्ाररश की।
AIJS के बारे में:
● AIJS न्यावयक अवधकाररयों का एक प्रस्तावित सिं गा है ल्जसे ल्नचिे स्तरों (उच्च न्यायाियों के नीचे) िर न्यायिाल्िका के ल्िए भती
ल्कया जाना है।

● उन्हें ल्सल्वि सेवा िरीक्षा की तजफ िर आयोल्जत एक िि


ु ी प्रल्तयोगी राष्ट्रीय स्तर की िरीक्षा के माध्यम से भती ल्कया जाना है।

● अनुच्छे द 312 के तहत इसे अविल भारतीय सेिा घोल्र्त ल्कया गया है।

● UPSC की तजफ िर काम कर रहे AIJS की देिरे ि के ल्िए राष्ट्रीय न्याल्यक आयोग का भी गठन ल्कया जाएगा।

● वतफमान में, ल्नचिे स्तर के न्याल्यक अल्धकाररयों की भती संबंल्धत राज्य सरकारों द्वारा राज्य उच्च न्यायालयों के अनुरूि की जाती है।
एक संवक्षप्त इवतहास:
● अनुच्छे द 235 ल्नचिी न्यायिाल्िका को उच्च न्यायािय के ल्नयंत्रर् में रिता है।

● AIJS के गठन का ल्वचार िहिी बार 1958 में भारत के ल्वल्ध आयोग द्वारा एक प्रस्ताव के रूि में सामने आया।

● 1976 में स्िर्ा वसहं सवमवत की ल्सर्ाररशों के बाद, अनच्ु छे द 312 को न्याल्यक सेवाओ ं को शाल्मि करने के ल्िए सश
ं ोल्धत ल्कया गया था,
िेल्कन इसमें ल्जिा न्यायाधीश के िद से नीचे के ल्कसी भी व्यल्ि को शाल्मि नहीं ल्कया गया था।

● 1961, 1963 और 1965 में मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेिनों ने AIJS के ल्नमाफर् का समथफन ल्कया।

● िेल्कन कुछ राज्यों और उच्च न्यायालयों द्वारा इसका विरोध करने के बाद प्रस्ताव को स्थल्गत करना िडा, क्योंल्क यह ल्नचिे स्तर की
न्यायिाल्िका की भती के ल्िए उनकी शल्ियों को छीन िेता है।

● भारत सरकार ने अविल भारतीय न्यावयक सेिाओ ं के वनमाार् िर श्वेत ित्र जारी वकया है।

519. मास्र्र ऑर् रोस्र्र (Master of Roster)


● 'मास्र्र ऑर् रोस्र्र' मामिों की सनु वाई के ल्िए बेंच गल्ठत करने के ल्िए मख्ु य न्यायाधीश के ल्वशेर्ाल्धकार को संदल्भफत करता है।
● इसमें न्यायाधीश के समक्ष मामिों का आवटं न भी शाल्मि है।
● CJI को संिेदनशील मामलों को विवशष्ट िीठों को वचवित करने का भी अल्धकार है।
मुद्दे:
● िहिा, क्या चीर् जल्स्टस सनु वाई का ल्हस्सा हो सकते हैं, एक घोर्ाला जो कवथत तौर िर उन्हें र्ंसाता है ।

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Day 72 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

● दसू रा, क्या वतफमान प्रल्िया का उपिंघन करते हए मख्ु य न्यायाधीश द्वारा संल्वधान िीठ का गठन ल्कया जा सकता है ल्जसके माध्यम से ऐसी
बेंच का गठन ल्कया जाता है?

● जल्स्टस चेिमेश्वर का सवं ैधाल्नक िीठ गल्ठत करने का आदेश।

● तीसरा, यह कानून के मि ू ल्सद्ातं का उपिंघन करता है: वनमो जुर्ेक्स इन कौसा सुआ (Nemo Judex In Causa Sua), ल्क कोई
भी अिने ही मामिे में न्यायाधीश नहीं होना चाल्हए।
काननू ी आधार:
● सप्रु ीम कोटफ हैंर्बुक ऑन प्रैवक्र्स एर्ं प्रोसीजर एर्ं ऑवर्स प्रोसीजर (अध्याय VI - रोस्र्र) ल्नयम 29: रल्जस्रार भारत के मख्ु य
न्यायाधीश के ल्नदेशों के तहत रोस्टर तैयार करेगा, और ऐसी सभी शल्ियां, भारत के मख्ु य न्यायाधीश के सामान्य आदेशों के अधीन हैं।

● राजस्थान राज्य बनाम प्रकाश चंद: उच्च न्यायािय के मामिों के सबं धं में, मख्ु य न्यायाधीश रोस्टर के मास्टर है।
520. समीक्षा यावचका, दया यावचका और उिचारात्मक यावचका (Review Petition, Mercy Petition and Curative Petition)
समीक्षा यावचका:

● अनुच्छे द 137 के तहत, सवोच्च न्यायािय को अिने ल्कसी भी ल्नर्फय या आदेश की समीक्षा करने की शल्ि है।

● समीक्षा की गुंजाइश:

○ मामिे का ताजा जायजा िेने के ल्िए नहीं, बल्पक उन गंभीर त्रुवर्यों को ठीक करने के वलए, वजनके िररर्ामस्िरूि न्याय में
चूक हुई है।

○ 1975 के एक र्ै सिे में, न्यायमवू ता कृष्ट्र् अय्यर ने कहा ल्क एक समीक्षा को "के वि तभी स्वीकार ल्कया जा सकता है जब एक
स्िि चक
ू या िेटेंट गिती या गभं ीर त्रल्ु ट जैसी गभं ीर त्रल्ु ट िहिे न्याल्यक ल्गरावट से सामने आई हो"।
दया यावचका:
● एक दोर्ी द्वारा अिनी सजा को कम सजा में बदिने के ल्िए दया याल्चका दायर की जाती है।

● दया यावचका का दायरा:


○ सत्र न्यायािय द्वारा मौत की सजा की िल्ु ि उच्च न्यायािय द्वारा की जानी चाल्हए।

○ दोर्ी सुप्रीम कोर्ा में अिीि कर सकता है।

○ यल्द सप्रु ीम कोटफ अिीि सनु ने से इनकार करता है या मौत की सजा को बरकरार रिता है ।

○ भारतीय संल्वधान के अनुच्छे द 72 के तहत भारत के राष्ट्रिल्त को या भारतीय संल्वधान के अनच्ु छे द 161 के तहत राज्य के
राज्यिाि को दया याल्चका प्रस्तुत की जा सकती है।
उिचारात्मक यावचका

● एक क्यरू े ल्टव ल्िटीशन एक याल्चका है जो अदाित से एक समीक्षा याल्चका िाररज होने के बाद भी अिने र्ै सिे की समीक्षा करने का अनुरोध
करती है।

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● वनभाया के स के दौरान जब दया और समीक्षा याल्चका िाररज होने के बाद दो दोल्र्यों ने सप्रु ीम कोटफ के र्ै सिे के ल्ििार् एक ही याल्चका
दायर की थी।

● एक उिचारात्मक यावचका की प्रवक्रया

○ एक उिचारात्मक याल्चका भारत के संल्वधान के अनच्ु छे द 137 द्वारा समल्थफत है ।

○ ल्नर्फय िाररत होने की तारीि से 30 वदनों के भीतर एक क्यरू े ल्टव याल्चका दायर की जानी चाल्हए ।

○ समीक्षा यावचका िाररज होने िर ही याल्चकाकताफ क्यरू े ल्टव याल्चका दायर कर सकता है ।

○ एक उिचारात्मक याल्चका िर ल्वचार तभी ल्कया जाता है जब यह स्थाल्ित हो ल्क प्राकृवतक न्याय के वसद्ांतों का उपलघं न
ल्कया गया है।

○ याल्चका िर ल्वचार करने का अल्तररि आधार यह है ल्क र्ै सिा सनु ाते समय अदालत ने उसकी बात नहीं सुनी।

○ यल्द याल्चका में उल्चत ल्वचार के ल्िए कोई आधार नहीं है तो अदाित याल्चकाकताफ िर "अनुकरर्ीय लागत" िगा सकती है।
विशेष अनुमवत यावचका:

● अनच्ु छे द 136 के तहत, भारत का संल्वधान सवोच्च न्यायािय को भारत में ल्कसी भी ल्नचिी अदाितों या ल्रब्यनू ि में िाररत आदेश के
ल्ििार् अिीि करने के ल्िए एक िील्डत िक्ष को ल्वशेर् अनमु ल्त या छोडने की शल्ि प्रदान करता है।

● अिील के वििरीत अिील का उच्च न्यायालय के ल्वरुद् होना आवश्यक नहीं है।

● यल्द काननू का कोई महत्ििर्


ू ा सिं ैधावनक प्रश्न शावमल है, या घोर अन्याय ल्कया गया है, तो इसका उियोग ल्कया जाना है।
● यह भारत के सवोच्च न्यायािय में ल्नल्हत एक ल्ववेकाधीन शल्ि है और न्यायािय अिने वििेक से अिील करने की अनुमवत देने से इक
ं ार
कर सकता है।

● िील्डत िक्ष अनुच्छे द 136 के तहत अिीि करने के अल्धकार के रूि में ल्वशेर् अनुमल्त का दावा नहीं कर सकता है, िेल्कन यह भारत के
सवोच्च न्यायािय में ल्नल्हत ल्वशेर्ाल्धकार है ल्क वह अिीि करने की अनुमल्त दे या न दे।

● अनुमल्त याल्चका तब दायर की जा सकती है जब कोई उच्च न्यायालय सिोच्च न्यायालय में अिील करने के वलए वर्र्नेस का प्रमार्
ित्र देने से इनकार करता है।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 85 - POLITY

#RaRebaba
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Day 85 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

विषय

601. एमसीक्यू (MCQs)


602. एमसीक्यू (MCQs)
603. कें द्रीय सचू ना आयोग (Central Information Commission)
604. चनु ाि आयोग (Election Commission)
605. नीवि आयोग (NITI Aayog)
606. लोक सेिा आयोग: सघं और राज्य (Public Service Commissions: Union and State)
607. एफएसएसएआई - भारिीय खाद्य सरु क्षा और मानक प्राविकरण (FSSAI – Food Safety and Standards Authority of India)
608. राष्ट्रीय उपभोक्ता वििाद वनिारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission)
609. भारिीय विक्षा बोर्ड (Bharatiya Shiksha board)
610. चयन सवमवियों की िल
ु ना (Comparison of selection committees)

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Day 85 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

601. और 602. एमसीक्यू (601. & 602. MCQs)


Q.1) काबडन नैनोट्यबू के संदभड में, वनम्नवलवखि कथनों पर विचार करें :
1. उनका उपयोग मानि िरीर में दिाओ ं और एंटीजन के िाहक के रूप में वकया जा सकिा है।
2. उन्हें मानि िरीर के घायल वहस्से के वलए कृ विम रक्त के विकाओ ं में बनाया जा सकिा है।
3. उनका उपयोग जैि रासायवनक सेंसर में वकया जा सकिा है।
4. काबडन नैनोट्यबू बायोवर्ग्रेर्ेबल होिे हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2, 3 और 4
c) के िल 1, 3 और 4
d) 1, 2, 3 और 4

Answer: (d)
● काबडन नैनोट्यब ू (CNTs) बेलनाकार बडे अणु होिे हैं वजनमें संकररि काबडन परमाणओ ु ं की एक षट्कोणीय व्यिस्था होिी है, जो ग्राफीन की
एक िीट (एकल-दीिार िाले काबडन नैनोट्यबू , SWCNTs) को रोल करके या ग्रेफीन की कई िीटों को रोल करके बन सकिी है(मल्टीिॉल्र्
काबडन नैनोट्यबू , MWCNTs)। इसवलए सरं चनात्मक रूप से, काबडन नैनोट्यबू (CNTs) को ग्राफीन िीट से वलपटे हुए देखा जा सकिा है।
कथन 1 कथन 2 कथन 3 कथन 4
CNT का एक बडा सिह क्षेि है जो उन्हें जैविक पदाथों की नासा ने बायोसेंसर के रूप में काबडन काबडन नैनोट्यबू को उनकी कठोर
एक विस्िृि श्ृख ं ला को सल ं ग्न करने की अनमु वि देिा है। नैनोट्यबू सरवणयों के उपयोग का और उत्तम रासायवनक सरं चना के
इसके अलािा, CNT कोविका विल्ली, के विकाओ ं के प्रदिडन वकया है। कारण रासायवनक क्षवि के वलए
माध्यम से प्रिेि करने में सक्षम हैं, और कोविकाओ ं और प्रविरोिी माना जािा था, वजसने उन्हें
ऊिकों में जमा होिे हैं। अि: विकल्प 3 सही है। बायोवर्ग्रेर्ेिन के वलए प्रविरक्षा
प्रदान की। हालावं क, पेरोक्सीर्ेज जैसे
यह उम्मीद की जािी है वक सक्षम प्रौद्योवगकी इन रक्त-संगि एंजाइम काबडन नैनोट्यबू के
नैनोमटेररयल्स का उपयोग करके बायोमेवर्कल अनुप्रयोगों बायोवर्ग्रेर्ेिन की प्रविया में
जैसे वक संरचनात्मक ऊिक प्रविस्थापन, यानी कृ विम रक्त महत्िपणू ड भवू मका वनभािे पाए गए।
िावहकाओ,ं या दिा वििरण मैवरक्स जैसे कायाडत्मक अिः विकल्प 4 सही है।
उपकरणों सवहि कृ विम प्रत्यारोपण के वलए वबवल्र्ंग ब्लॉक
के रूप में नैनोवर्िाइस बनाने की सवु ििा प्रदान करेगी।

अिः कथन 1 और 2 सही हैं।

Q.2) वनम्नवलवखि गविविवियों पर विचार करें :


1. एक फसल क्षेि पर कीटनािकों का विडकाि
2. सविय ज्िालामवु खयों के िे टरों का वनरीक्षण करना
3. र्ीएनए विश्लेषण के वलए स्पोवटंग व्हेल से सांस के नमनू े एकि करना ।

प्रौद्योवगकी के ििडमान स्िर पर, ड्रोन का उपयोग करके उपरोक्त में से कौन सी गविविवियों को सफलिापिू डक वकया जा सकिा है?
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
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d) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)

रक्षा संगठनों द्वारा ड्रोन िकनीक का उपयोग काफी समय से वकया जा रहा है । हालावं क, इस िकनीक का लाभ इन क्षेिों से परे अच्िी िरह से फै ला
हुआ है जैसे आपािकालीन प्रविविया, मानिीय राहि, स्िास््य सेिा, रोग वनयंिण, मौसम पिू ाडनुमान आवद ।

कथन 1 कथन 2 कथन 3


हाल ही में (िेलंगाना में) कीटनािकों का सविय ज्िालामवु खयों के गर््ढों का हाल ही में, ऑस्रेवलयाई िैज्ञावनकों ने अपने स्िास््य की
विडकाि करने के वलए ड्रोन का उपयोग अध्ययन करने के वलए ड्रोन का उपयोग जांच करने के वलए अपने पानी के स्प्रे से व्हेल के बलगम
चचाड में था। इसे भारि में अिैि माना उनकी हाल की गविविवियों के बारे में को इकट्ठा करने के वलए ड्रोन (जो व्हेल के ब्लोहोल से
जािा है। लेवकन अमेररका में यह कई जानने के वलए भी वकया गया है, एक ऐसी 200 मीटर ऊपर उडिे थे) का इस्िेमाल वकया। ड्रोन द्वारा
राज्यों में कानूनी रूप से प्रचवलि है। अि: जगह जहां मनुष्ट्य सीिे पहुचं नहीं सकिा एकि वकए गए व्हेल स्प्रे में र्ीएनए, प्रोटीन, वलवपर् और
विकल्प 1 सही है। है। अिः विकल्प 2 सही है। बैक्टीररया के प्रकार होिे हैं। अि: विकल्प 3 सही है।

Q.3) यह प्रयोग एक समबाहु विभजु के आकार में उडने िाले अंिररक्ष यान की विकडी को वनयोवजि करे गा, वजसकी भजु ाएँ दस लाख वकलोमीटर
लंबी हैं,
वजसमें लेज़र विल्प के बीच चमकिे हैं । "प्रश्न में प्रयोग को सदं वभडि करिा है।
a) िोएजर - 2 (Voyager - 2)
b) नए वक्षविज (New Horizons)
c) वलसा पाथफाइर्ं र (LISA Pathfinder)
d) विकवसि वलसा (Evolved LISA)

उत्तर: (D)
LIGO वर्टेक्टर द्वारा गरुु त्िाकषडण िरंगों की दसू री खोज के बाद गरुु त्िाकषडण िरंगों का उपयोग करिे हुए ब्लैक होल पर प्रायोवगक अनुसंिान का
विस्िार हुआ।

वलसा पाथफाइर्ं र प्रयोग की सफलिा के बाद, विकवसि लेजर इटं रफे रोमीटर स्पेस
एंटीना (eLISA) पररयोजना अंिररक्ष में िीन अंिररक्ष यान, एक माँ और दो बेटी
अंिररक्ष यान स्थावपि करने की एक योजना है, जो पृ्िी को अपनी कक्षा में पीिे
िोडिे हुए एक विकोणीय गठन में सयू ड के चारों ओर अपनी कक्षा में 50 वमवलयन वकमी
से अविक की दरू ी पर उडान भरे गी।

काल्पवनक विभजु की प्रत्येक भजु ा, माँ से लेकर प्रत्येक बेटी अंिररक्ष यान िक, लगभग
एक वमवलयन वकमी की दरू ी िय करे गी। इन अंिररक्ष यान के अंदर "स्ििंि रूप से वगरने
िाले" परीक्षण द्रव्यमान िैरेंगे - लगभग 46 वममी मापने िाले पक्षों िाले क्यब्ू स। लेजर
इटं रफे रोमीटर इन क्यब्ू स के बीच की दरू ी में बदलाि को सटीक रूप से मापेगा। यवद िे
गरुु त्िाकषडण िरंग से प्रभाविि हों, िो इस दरू ी में वमनट पररििडन को इटं रफे रोमीटर द्वारा मापा जािा है।
इसवलए विकल्प (D) सही उत्तर है।
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Q.4) वनम्नवलवखि कथनों पर विचार करें :


1. आनुिंविक पररििडन उन कोविकाओ ं में पेि वकए जा सकिे हैं जो एक संभाविि मािा-वपिा के अंर्े या िि ु ाणु का उत्पादन करिे हैं।
2. एक व्यवक्त के जीनोम को प्रारंवभक भ्रणू अिस्था में जन्म से पहले संपावदि वकया जा सकिा है।
3. मानि प्रेररि प्लरु रपोटेंट स्टेम कोविकाओ ं को एक सअु र के भ्रणू में इजं क्े ट वकया जा सकिा है ।
ऊपर वदए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
a) के िल 1
b) के िल 2 और 3
c) के िल 2
d) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)

कथन 1 कथन 2 कथन 3


जमडलाइन जीन थेरेपी प्रजनन कोविकाओ ं यद्यवप जमडलाइन जीन थेरेपी अिैि है, मानि-पिु वचमेरा मानि कोविकाओ ं और अंगों को
को लवक्षि करिी है, वजसका अथड है वक भ्रणू आनिु वं िक सपं ादन इससे अलग है प्रभाविि करने िाले जानिर हैं । िे प्रारंवभक मानि
DNA में वकए गए वकसी भी पररििडन को और कुि बीमाररयों और वचवकत्सा विकास और बीमारी की िरुु आि में अिं र्दडवि प्रदान करिे
अगली पीढी को पाररि वकया जाएगा। वस्थवियों के ऊध्िाडिर स्थानािं रण हैं और एक यथाथडिादी दिा-परीक्षण मचं प्रदान करिे हैं।
निीजिन, अभ्यास ने नाटकीय रूप से (विरासि के माध्यम से) को समाप्त करने िोिकिाडओ ं ने सअ ु र के भ्रणू में मानि स्टेम कोविकाओ ं
राय को विभावजि वकया है। जमडलाइन के वलए जीनोम पररििडन करना सभं ि है। के कई अलग-अलग रूपों को इजं ेक्ट करके प्रयोग वकया
जीन थेरेपी िब होिी है जब DNA को अिः कथन 2 सही है। है िावक यह देखा जा सके वक कौन सा सेल-प्रकार सबसे
कोविकाओ ं में स्थानांिररि वकया जािा है अच्िा जीविि रहेगा। कोविकाएं जो सबसे लंबे समय
जो िरीर में प्रजनन कोविकाओ,ं अंर्े या िक जीविि रहीं और विकवसि करने के वलए जारी रखने
ििु ाणु का उत्पादन करिे हैं। की सबसे अविक क्षमिा वदखािी हैं, िे मध्यििी मानि
अि: कथन 1 सही है। प्लरु रपोटेंट स्टेम कोविकाएं थीं। अिः कथन 3 सही है।

Q.5) भारि में न्यमू ोकोकल संयग्ु म टीकों का उपयोग करने का क्या महत्ि है?
1. ये टीके वनमोवनया के साथ-साथ मेवनन्जाइवटस और सेवप्सस के वखलाफ प्रभािी हैं।
2. एंटीबायोवटक दिाओ ं पर वनभडरिा जो दिा प्रविरोिी बैक्टीररया के वखलाफ प्रभािी नहीं हैं, उन्हें कम वकया जा सकिा है।
3. इन टीकों का कोई साइर् इफे क्ट नहीं होिा है और न ही कोई एलजी होिी है।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीवजये:
a) के िल 1
b) के िल 1 और 2
c) के िल 3
d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)
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एक संयग्ु म िैक्सीन एक प्रकार का टीका है जो एक कमजोर एंटीजन को एक िाहक के रूप में एक मजबिू एंटीजन के साथ जोडिी है िावक प्रविरक्षा
प्रणाली को कमजोर एंटीजन के वलए एक मजबूि प्रविविया हो ।

कथन 1 कथन 2 कथन 3


एक न्यमू ोकोकल संयग्ु म िैक्सीन (PCV) एक जबवक टीकों का उद्देश्य एंटीबायोवटक दिाओ ं को न्यमू ोकोकल संयग्ु म टीके में बुखार,
न्यमू ोकोकल िैक्सीन है जो न्यमू ोकोकल रोगों के प्रविस्थावपि करना नहीं है, िे जीिाणु रोगों और भख ू न लगना से लेकर वसरददड, चक्कर
वखलाफ रोकथाम देिा है, जो स्रेप्टोकोकस उनके संचरण को रोकने (प्रविरोिी) और आना जैसे दष्ट्ु प्रभाि हो सकिे हैं। अिः
न्यमू ोवनया या न्यमू ोकोकस नामक बैक्टीररया के एंटीबायोवटक उपयोग और दरुु पयोग को कम कथन 3 सही नहीं है।
कारण होने िाले संिमण हैं। न्यमू ोकोकल संिमण करके AMR (रोगाणरु ोिी प्रविरोि या दिा
कान और साइनस संिमण से लेकर वनमोवनया और प्रविरोि) को कम करने में योगदान दे सकिे हैं।
रक्तप्रिाह संिमण िक हो सकिा है। एक न्यमू ोकोकोस के वलए PCV संभाविि रूप से प्रवि
न्यमू ोकोकल िैक्सीन को आमिौर पर वनमोवनया िषड लगभग पचास प्रवििि िक एटं ीबायोवटक
िैक्सीन भी कहा जािा है और सेवप्टसीवमया (एक दिाओ ं पर वनभडरिा को कम कर सकिे हैं। अिः
प्रकार का रक्त विषाक्तिा, वजसे सेवप्सस भी कहा कथन 2 सही है।
जािा है) और मेवनन्जाइवटस को रोक सकिा है।
अिः कथन 1 सही है।

603. कें द्रीय सचू ना आयोग (Central Information Commission)


खबरों में क्यों: हाल ही में, सप्रु ीम कोटड ने कें द्र सरकार से कें द्रीय सचू ना आयोग (CIC) में लंवबि मामलों के बारे में वििरण देने को कहा है।

के न्द्रीय सचू ना आयोग के बारे में


● इसकी स्थापना कें द्र सरकार ने 2005 में की थी ।
● इसका गठन सचू ना का अविकार अविवनयम (2005) के प्राििानों के िहि एक आविकाररक राजपि अविसचू ना के माध्यम से वकया गया
था।
रचना
● आयोग में मख्ु य सचू ना आयक्त ु (CIC) होिे हैं और दस से अविक सचू ना आयक्त
ु (ICS)नहीं होिे हैं।
● एक सवमवि की वसफाररि पर राष्ट्रपवि द्वारा वनयक्त ु
● अध्यक्ष के रूप में प्रिान मिं ी
● लोकसभा में विपक्ष के नेिा
● प्रिानमिं ी द्वारा नावमि कें द्रीय कै वबनेट मंिी
● िे कानून, विज्ञान और प्रौद्योवगकी, समाज सेिा, प्रबंिन, पिकाररिा, मास मीवर्या या प्रिासन और िासन में व्यापक ज्ञान और अनभु ि के
साथ सािडजवनक जीिन में प्रविविि व्यवक्त होना चावहए।
● िे सासं द या वििायक नहीं होने चावहए।
● उन्हें कोई अन्य लाभ का पद िारण नहीं करना चावहए या वकसी राजनीविक दल से जडु ा नहीं होना चावहए या कोई व्यिसाय नहीं करना
चावहए या कोई पेिा नहीं करना चावहए।

कायडकाल और सेिा ििड

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● CIC और IC कें द्र सरकार (2019 संिोिन अविवनयम) द्वारा वनिाडररि अिवि के वलए या 65 िषड की आयु प्राप्त करने िक, जो भी पहले
हो, पद पर रहेंगे।
● िे पनु वनडयवु क्त के पाि नहीं हैं
● राष्ट्रपवि वनम्नवलवखि पररवस्थवियों में CIC या वकसी IC को कायाडलय से हटा सकिे हैं:
● अगर उसे वदिावलया घोवषि वकया जािा है; या
● यवद उसे वकसी ऐसे अपराि के वलए दोषी ठहराया गया है वजसमें (राष्ट्रपवि की राय में) नैविक अिमिा िावमल है;
● यवद िह अपने पद के कायडकाल के दौरान अपने कायाडलय के किडव्यों के बाहर वकसी भी भगु िान िाले रोजगार में संलग्न है; या
● यवद िह (राष्ट्रपवि की राय में) मानवसक या िरीर की दबु ल
ड िा के कारण पद पर बने रहने के वलए अयोग्य है; या
● यवद उसने ऐसा वित्तीय या अन्य वहि अवजडि वकया है वजससे उसके आविकाररक कायों पर प्रविकूल प्रभाि पडने की सभं ािना है।
● इनके अलािा, राष्ट्रपवि सावबि दव्ु यडिहार या अक्षमिा के आिार पर भी हटा सकिे हैं (एससी को संदवभडि करना चावहए)
● CIC और IC के िेिन, भत्ते और सेिा की ििें कें द्र सरकार द्वारा वनिाडररि की जाएंगी (सेिा के दौरान उनके नुकसान के वलए वभन्न नहीं हो
सकिी हैं)

िवक्तयां और कायड
● आयोग के पास सािडजवनक प्राविकरण से अपने वनणडयों के अनुपालन को सरु वक्षि करने की िवक्त है। वजनमें से कुि में िावमल हैं:
● वकसी वििेष रूप में जानकारी िक पहुचं प्रदान करना;
● सचू ना या सचू ना की श्ेवणयां प्रकाविि करना;
● जहां कोई मौजदू नहीं है िहां लोक सचू ना अविकारी वनयक्त ु करने के वलए लोक प्राविकरण को वनदेि देना;
● इस अविवनयम के िहि दर्ं लगाना
● आिेदन को खाररज करना।
● उवचि आिार होने पर आयोग वकसी भी मामले में जाचं का आदेि दे सकिा है (स्ि-प्रेरणा िवक्त)।
● पि ू िाि करिे समय, आयोग के पास एक वसविल कोटड की िवक्तयां होिी हैं।
● आयोग RTI अविवनयम के प्राििानों के कायाडन्ियन पर कें द्र सरकार को एक िावषडक ररपोटड प्रस्ििु करिा है। कें द्र सरकार इस ररपोटड को
संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखिी है ।
● जब कोई सािडजवनक प्राविकरण अविवनयम के प्राििानों के अनुरूप नहीं होिा है, िो आयोग (प्राविकरण को) ऐसे कदमों की वसफाररि कर
सकिा है जो इस िरह की अनरू ु पिा को बढािा देने के वलए उठाए जाने चावहए।

604. चनु ाि आयोग (Election Commission)


खबरों में क्यों: हाल ही में, भारि के चनु ाि आयोग ने मिदान एजेंटों के संबंि में अपने वनयमों को संिोविि वकया है।

नए वनयम:
● अब कोई राजनीविक दल वििानसभा क्षेि के वकसी भी बूथ के वलए मिदान एजेंट को नावमि कर सकिा है वजसमें िह व्यवक्त मिदािा है।
● इससे पहले, मिदान एजेंट को उस बथू या उसके आस-पास के बथू का मिदािा होना था, वजस पर िह काम कर रहा है।
● यह वकसी भी राजनीविक दल को COVID-19 महामारी के बीच एक मिदान एजेंट वनयक्त ु करने में मदद करेगा क्योंवक इस समय एक एजेंट
प्राप्त करना मवु श्कल हो सकिा है।
मिदान एजेंट

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● मिदान एजेंट िह व्यवक्त होिा है वजसे वकसी राजनीविक दल के प्रविवनवि के रूप में वनयक्त ु वकया जािा है।
● चंवू क चनु ाि के वदन प्रत्येक मिदान कें द्र पर एक उम्मीदिार का िारीररक रूप से उपवस्थि होना संभि नहीं है।
● इसवलए, चनु ाि आयोग एक उम्मीदिार को एक मिदान एजेंट वनयक्त ु करने की अनमु वि देिा है जो मिदान प्रविया पर नजर रखिा है।

पोवलंग एजेंट की भवू मका


● एक पोवलंग एजेंट को EVM और VVPAT आवद का उपयोग करके चन ु ाि कराने के वनयमों और प्रवियाओ ं से पररवचि होना चावहए।
● सरकारी पदों पर बैठे लोगों और मंवियों सवहि वजन्हें राज्य के खचड पर सरु क्षा किर वदया गया है, उन्हें मिदान एजेंट बनने की अनम
ु वि नहीं है।
● पोवलंग एजेंट मिदान अविकारी द्वारा आयोवजि प्रदिडनों में भाग लेिा है, जहां इन मिीनों के कामकाज और सच ं ालन को समिाया जािा है।
● यवद पोवलंग एजेंट ईमानदारी से अपने किडव्यों का वनिडहन करिे हैं िो मिदान कें द्र पर पीठासीन अविकारी और मिदान अविकाररयों का
कायड आसान और सगु म हो जाएगा ।

चनु ाि आयोग - मख्ु य वनिाडचन अविकारी - चनु ाि पयडिेक्षक - ररटवनिंग अविकारी - पीठासीन अविकारी - मिदान अविकारी

605. नीवि आयोग (NITI Aayog)


नीवि आयोग

● भारि के प्रिान मंिी अध्यक्ष हैं


● िासी पररषद में भारि में सभी राज्यों के मख्ु यमिं ी और कें द्र िावसि प्रदेिों के उपराज्यपाल िावमल हैं।
● एक से अविक राज्यों को प्रभाविि करने िाले वििेष मद्दु ों और संभािनाओ ं के समािान के वलए क्षेिीय पररषदें बनाई जाएंगी।
● इनका गठन एक वनविि अिवि के वलए वकया जाएगा।
● इसे प्रिानमिं ी द्वारा िलब वकया जाएगा। इसमें राज्यों के मख्ु यमंिी और कें द्र िावसि प्रदेिों के उपराज्यपाल िावमल होंगे। इसकी अध्यक्षिा
नीवि आयोग के अध्यक्ष या उनके प्रत्यािी करें गे।
● वििेष आमवं िि: प्रख्याि वििेषज्ञ, प्रासवं गक र्ोमेन ज्ञान िाले वििेषज्ञ, वजन्हें प्रिान मिं ी द्वारा नावमि वकया जािा है।
पणू डकावलक संगठनात्मक ढांचे में प्रिान मंिी के अलािा अध्यक्ष के रूप में िावमल होंगे:
● उपाध्यक्ष (प्रिानमिं ी द्वारा वनयक्त
ु )
● सदस्य:
● पणू डकावलक सदस्य: सेिावनिृत्त नौकरिाह।
● अंिकावलक सदस्य: पिू ड-पदेन क्षमिा में अग्रणी विश्वविद्यालयों, अग्रणी अनुसंिान सगं ठनों और अन्य निीन सगं ठनों के अविकिम 2
सदस्य । अंिकावलक सदस्य घणू ी आिार पर होंगे।
● पदेन सदस्य: मंविपररषद के अविकिम 4 सदस्य वजन्हें प्रिान मंिी द्वारा नावमि वकया जाना है।
● मख्ु य कायडकारी अविकारी: सीईओ को प्रिानमिं ी द्वारा एक वनविि कायडकाल के वलए वनयक्त ु वकया जाएगा। िे भारि सरकार के सवचि के
पद पर होंगे।

606. लोक सेिा आयोग: संघ और राज्य (Public Service Commissions: Union and State)
● संवििान के भाग XIV में अनुच्िे द 315 से 323 संघ लोक सेिा आयोग से संबवं िि है
● यह भारि में कें द्रीय भिी एजेंसी है।
● संरचना: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की वनयवु क्त राष्ट्रपवि द्वारा की जािी है (आयोग की िवक्त राष्ट्रपवि के वििेक पर िोड दी जािी है)

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● आयोग की सदस्यिा के वलए कोई योग्यिा वनिाडररि नहीं है, वसिाय इसके वक आयोग के आिे सदस्य ऐसे व्यवक्त होने चावहए वजन्होंने कें द्र या
राज्य सरकार के अिीन कम से कम दस िषों िक पद िारण वकया हो।
● संवििान राष्ट्रपवि को आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेिा की ििों को वनिाडररि करने के वलए भी अविकृ ि करिा है।
● िह िषड या जब िक िे 65 िषड की आयु प्राप्त नहीं कर लेिे
● वनष्ट्कासन: वनम्नवलवखि पररवस्थवियों में राष्ट्रपवि द्वारा
● अगर उसे वदिावलया घोवषि वकया जािा है।
● यवद िह कायाडलय के बाहर सिैिवनक रोजगार में संलग्न है।
● यवद िह, राष्ट्रपवि की राय में, मानवसक या िरीर की दब ु ल
ड िा के कारण पद पर बने रहने के वलए अयोग्य है।
● इनके अलािा, राष्ट्रपवि यपू ीएससी के अध्यक्ष या वकसी अन्य सदस्य को दव्ु यडिहार के वलए भी हटा सकिे हैं (सिोच्च न्यायालय को संदवभडि
वकया जाना है, राष्ट्रपवि पर बाध्यकारी)
● इस संदभड में 'दव्ु यडिहार' िब्द को पररभावषि करिे हुए, संवििान में कहा गया है वक यपू ीएससी के अध्यक्ष या वकसी अन्य सदस्य को दव्ु यडिहार
का दोषी माना जािा है यवद िह (ए) भारि सरकार द्वारा वकए गए वकसी अनुबंि या समिौिे से संबंविि या रुवच रखिा है। या वकसी राज्य की
सरकार, या (बी) ऐसे अनुबंि या समिौिे के लाभ में वकसी भी िरह से भाग लेिा है।

सघं लोक सेिा आयोग ● अध्यक्ष या सदस्य की सेिा की ििें, हालांवक राष्ट्रपवि द्वारा वनिाडररि की जािी हैं, उनकी वनयवु क्त के बाद
की स्ििंििा उनके नुकसान के वलए विविि नहीं हो सकिी हैं।
● CFI द्वारा उनका परू ा खचड वनिडहन वकयिा जािा है।
● संघ लोक सेिा आयोग का अध्यक्ष उस पद पर पनु वनडयवु क्त के वलए पाि नहीं है (दसू रे कायडकाल के वलए
पाि नहीं)
● सघं लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष (पद िारण करने के वलए बदं करने पर) भारि सरकार या एक राज्य में
आगे रोजगार के वलए पाि नहीं है।
● यपू ीएससी के सदस्य (पद पर बने रहने पर) यपू ीएससी या राज्य लोक सेिा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष के
रूप में वनयवु क्त के वलए पाि हैं, लेवकन भारि सरकार या राज्य में वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
कायड ● यह अवखल भारिीय सेिाओ,ं कें द्रीय सेिाओ ं और कें द्र िावसि प्रदेिों की सािडजवनक सेिाओ ं में
वनयवु क्तयों के वलए परीक्षा आयोवजि करिा है।
● संघ की सेिाओ ं से संबंविि अविररक्त कायड संसद द्वारा संघ लोक सेिा आयोग को प्रदत्त वकए जा सकिे हैं।
● कावमडक प्रबंिन से संबंविि वनम्नवलवखि मामलों पर परामिड वकया जािा है:
● सेिाओ ं और पदों पर वनयवु क्तयाँ करने और पदोन्नवि और स्थानान्िरण करने में पालन वकए जाने िाले
वसद्ांि
● वसविल सेिा और पदों पर वनयवु क्तयों के वलए उम्मीदिारों की उपयक्त ु िा; एक सेिा से दसू री सेिा में
पदोन्नवि और स्थानान्िरण के वलए
● भारि सरकार के अिीन सेिारि व्यवक्त को प्रभाविि करने िाले सभी अनुिासनात्मक मामले।
● एक िषड से अविक अिवि के वलए अस्थायी वनयवु क्तयों के मामले और वनयवु क्तयों के वनयवमिीकरण के
मामले।
यपू ीएससी की वस्थवि ● SC ने माना है वक यवद सरकार मामलों (ऊपर उवल्लवखि) में UPSC से परामिड करने में विफल रहिी है,
िो पीवडि लोक सेिक के पास अदालि में कोई उपाय नहीं है (प्राििान वनदेविका है और अवनिायड नहीं है)
● इसी िरह, अदालि ने माना वक यपू ीएससी द्वारा चयन उम्मीदिार को पद का कोई अविकार नहीं देिा है।
हालांवक, सरकार को वनष्ट्पक्ष और वबना मनमानी के कायड करना है।
● राष्ट्रपवि को िावषडक ररपोटड प्रस्िुि करना जो इसे LS और RS दोनों के समक्ष रखिा है। ररपोटड में उन
मामलों का स्पिीकरण िावमल है जहां आयोग की सलाह को स्िीकार नहीं वकया गया था और इस िरह
की गैर-स्िीकृ वि के कारण।

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राज्य लोक सेिा आयोग (SPSC)

● सवं ििान के लेखों का एक ही सेट (अथाडि, भाग XIV में 315 से 323) भी SPSC से संबंविि है।
● SPSC राज्य सेिाओ ं के सबं िं में उन सभी कायों को करिा है जैसे यपू ीएससी कें द्रीय सेिाओ ं के सबं िं में करिा है।
● कायडकाल: िह िषड या 62 िषड िक (यपू ीएससी के मामले में यह 65 िषड है)
● वनष्ट्कासन, स्ििंििा, कायड और सीमा यपू ीएससी के समान है (राष्ट्रपवि और संसद के स्थान पर राज्यपाल और राज्य वििानमंर्ल)
SPSC के संबंि में अविररक्त वबदं ु हैं

● SPSC का अध्यक्ष (पद िारण करने के वलए) संघ लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में या वकसी अन्य SPSC के अध्यक्ष के
रूप में वनयवु क्त के वलए पाि है, लेवकन भारि सरकार या वकसी राज्य के िहि वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
● SPSC का सदस्य (पद िारण करने के वलए) संघ लोक सेिा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में, या उस SPSC या वकसी अन्य SPSC
के अध्यक्ष के रूप में वनयवु क्त के वलए पाि है, लेवकन भारि सरकार या वकसी राज्य के िहि वकसी अन्य रोजगार के वलए नहीं।
● SPSC का अध्यक्ष या सदस्य (अपना पहला कायडकाल परू ा करने के बाद) उस कायाडलय में पनु वनडयवु क्त के वलए पाि नहीं है (यानी, दसू रे
कायडकाल के वलए पाि नहीं है)।
संयक्त
ु राज्य लोक सेिा आयोग (JSPSC)

● संवििान दो या दो से अविक राज्यों के वलए एक संयक्त ु राज्य लोक सेिा आयोग (JSPSC) की स्थापना का प्राििान करिा है।
● जबवक यपू ीएससी और एसपीएससी सीिे संवििान द्वारा बनाए गए हैं, एक JSPSC को संबंविि राज्य वििानसभाओ ं के अनरु ोि पर संसद
के एक अविवनयम द्वारा बनाया जा सकिा है।
● इस प्रकार, एक JSPSC एक सांविविक वनकाय है न वक एक संिैिावनक वनकाय
● JSPSC के अध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु क्त राष्ट्रपवि द्वारा की जािी है।
● िह साल की अिवि या जब िक िे 62 िषड की आयु प्राप्त नहीं कर लेि,े जो भी पहले हो।
● JSPSC के सदस्यों की संख्या और उनकी सेिा की ििें राष्ट्रपवि द्वारा वनिाडररि की जािी हैं
● एक JSPSC प्रत्येक संबंविि राज्य के राज्यपाल को अपनी िावषडक प्रदिडन ररपोटड प्रस्िुि करिा है। प्रत्येक राज्यपाल राज्य वििावयका के
समक्ष ररपोटड रखिा है।
● यपू ीएससी राज्य के राज्यपाल के अनरु ोि पर और राष्ट्रपवि के अनमु ोदन से राज्य की जरूरिों को भी परू ा कर सकिा है।

क्या आप जानिे हैं?


● जैसा वक 1919 के भारि सरकार अविवनयम द्वारा प्रदान वकया गया था, 1926 में एक कें द्रीय लोक सेिा आयोग की स्थापना की गई थी और
इसे वसविल सेिकों की भिी का कायड सौंपा गया था।
● 1935 के भारि सरकार अविवनयम में न के िल एक संघीय लोक सेिा आयोग बवल्क एक प्रािं ीय लोक सेिा आयोग और संयक्त ु लोक सेिा
आयोग की स्थापना का प्राििान वकया गया था।

607. एफएसएसएआई - भारिीय खाद्य सरु क्षा और मानक प्राविकरण (FSSAI – Food Safety and Standards Authority of India)
● भारिीय खाद्य सरु क्षा और मानक प्राविकरण (FSSAI) खाद्य सरु क्षा और मानक अविवनयम, 2006 (FSS अविवनयम) के िहि स्थावपि
एक स्िायत्त िैिावनक वनकाय है।
● स्िास््य और पररिार कल्याण मि ं ालय, भारि सरकार FSSAI का प्रिासवनक मिं ालय है।
● मख्
ु यालय: वदल्ली।

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● FSS अविवनयम, 2006 विवभन्न अविवनयमों और आदेिों को समेवकि करिा है जो पहले विवभन्न मिं ालयों और विभागों में खाद्य सबं िं ी
मद्दु ों को संभालिे थे, जैस-े
▪ खाद्य अपवमश्ण वनिारण अविवनयम, 1954
▪ फल उत्पाद आदेि, 1955
▪ मांस खाद्य उत्पाद आदेि, 1973
▪ िनस्पवि िेल उत्पाद (वनयि ं ण) आदेि, 1947
▪ खाद्य िेल पैकेवजंग (विवनयमन) आदेि 1988
▪ दि ू और दग्ु ि उत्पाद आदेि, 1992
▪ FSS अविवनयम, 2006 के प्रारंभ होने के बाद इन्हें वनरस्ि कर वदया गया था।

● FSS की स्थापना 2008 में हुई थी, लेवकन इसके वनयमों और महत्िपणू ड वनयमों को अविसवू चि करने के बाद 2011 में खाद्य प्राविकरण के
भीिर काम प्रभािी ढगं से िरू ु हुआ।
● इसने एक बहु-स्िर से वनयिं ण की एकल पवं क्त में एक बदलाि को वचविि वकया वजसमें िद्
ु वनयामक व्यिस्था के बजाय स्ि-अनपु ालन पर
ध्यान कें वद्रि वकया गया था।
FSSAI की संरचना

● अध्यक्ष – कें द्र सरकार द्वारा वनयक्त



● 22 अन्य सदस्य, वजनमें एक विहाई मवहलाएं होनी चावहए।
● खाद्य गणु ित्ता के परीक्षण के वलए िैज्ञावनकों और िोिकिाडओ ं की एक मजबिू टीम।
● िैज्ञावनक पृिभवू म िाले वििेषज्ञों की अलग सवमविया।ं

FSSAI के कायड

● स्िच्ििा और खाद्य सरु क्षा को ध्यान में रखिे हुए सभी खाद्य वनमाडण कंपवनयों के वलए वनयम और वदिावनदेि वनिाडररि करना।
● वकसी भी खाद्य सबं वं िि व्यिसाय को आगे बढाने के वलए लाइसेंस प्रदान करना।
● भोजन के मानक का परीक्षण।
● मानकों को वदिा-वनदेिों के अनुरूप सवु नविि करने के वलए खाद्य-उत्पादक और वनमाडण कंपवनयों के वलए उवचि वनरीक्षण वकया जािा है।
● खाद्य सरु क्षा जागरूकिा फै लाना।
● सभी पजं ीकृ ि सगं ठनों के ररकॉर्ड और र्ेटा बनाए रखना।
● सरकार को अद्यिन रखना - वकसी भी खाद्य सरु क्षा से संबंविि खिरे को आगे की कारड िाई के वलए सरकारी अविकाररयों को सवू चि वकया
जाना चावहए।
● खाद्य मानक नीवियां बनाने में सरकार की सहायिा करना।

FSSAI की पहल
● हाटड अटैक ररिाइर्
ं - यह FSSAI का पहला मास मीवर्या अवभयान है। इसका उद्देश्य िषड 2022 िक भारि में रांस फै ट को खत्म करने के
FSSAI के लक्ष्य का समथडन करना है।
● FSSAI-CHIFSS - यह खाद्य सरु क्षा के वलए उद्योग, िैज्ञावनक समद
ु ाय, विक्षाविदों के बीच सहयोग को बढािा देने के वलए खाद्य सरु क्षा
विज्ञान पर FSSAI और CII-HUL पहल के बीच सहयोग है।

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● स्िस्थ भारि यािा - यह एक अवखल भारिीय साइवकल आदं ोलन है वजसे 'ईट राइट इवं र्या' कहा जािा है वजसका उद्देश्य सरु वक्षि और
पौविक भोजन खाने के बारे में उपभोक्ता जागरूकिा पैदा करना है।

608. राष्ट्रीय उपभोक्ता वििाद वनिारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission)
● 1988 में स्थावपि, यह उपभोक्ता संरक्षण अविवनयम, 1986 के प्राििानों के अनुसार स्थावपि एक अिड-न्यावयक आयोग है।
● NCDRC का नेित्ृ ि सिोच्च न्यायालय के सेिावनिृत्त या ििडमान न्यायािीि करिे हैं।
● ििडमान में, NCDRC का नेित्ृ ि एससी के एक पि ू ड न्यायािीि करिे हैं और इसमें साि अन्य सदस्य िावमल हैं।
● NCDRC िीषड पर है जबवक इसके अिीन 35 राज्य आयोग और 629 वजला मच ं हैं।

NCDRC क्षेिाविकार
● 2019 संिोिन अविवनयम के अनसु ार, NCDRC 10 करोड रुपये से अविक की विकायिों पर विचार करे गा।
● साथ ही, आयोग ने राज्य उपभोक्ता वििाद वनिारण आयोगों और वजला मचं ों के आदेिों से अपीलीय और साथ ही सि ं ोविि क्षेिाविकार
भी प्राप्त वकए हैं ।
● कोई भी व्यवक्त जो NCDRC के आदेि से व्यवथि है, िह 30 वदनों की अिवि के भीिर सप्रु ीम कोटड में आदेि के वखलाफ अपील कर
सकिा है।
● राज्य आयोग 1 करोड से 10 करोड रुपये के बीच मामलों का विचार करेगा।
● वजला फोरम रु. 1 करोड।
● विकायिकिाड उस स्थान पर विकायि कर सकिा है जहां िह काम करिा है या रहिा, न वक जहां विरोिी पक्ष रहिा है।

609. भारिीय विक्षा बोर्ड (Bharatiya Shiksha board)


खबरों में क्यों: हाल ही में, कें द्र सरकार ने बाबा रामदेि के पिंजवल योगपीठ रस्ट को भारिीय विक्षा बोर्ड (BSB) की स्थापना के वलए अपनी मंजरू ी दे
दी।

भारिीय विक्षा बोर्ड (BSB) के बारे में


● विक्षा के "स्िदेिीकरण (स्िदेिीकरण)" के वलए एक नया राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड स्थावपि करने का विचार सबसे पहले रामदेि ने रखा था।
● BSB को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृ ि वकया गया है और हररद्वार में एक कायाडलय स्थावपि वकया गया है।
● इसके बैंक खािे में कॉपडस फंर् और विकास वनवि के रूप में 71 करोड रुपये की रावि जमा की गई है और BSB के कायडकारी बोर्ड का भी
गठन वकया गया है।
● BSB, सीबीएसई की िजड पर िैवदक विक्षा पर एक राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड स्थावपि वकया जाएगा।
कायड:

● BSB की कल्पना "भारिीय पारंपररक ज्ञान" को मानकीकृ ि करने और "इसे आिवु नक विक्षा के साथ वमवश्ि करने" के वलए की गई थी, जो
पाठ्यिम का मसौदा िैयार करने, स्कूलों को संबद् करने, परीक्षा आयोवजि करने और प्रमाण पि जारी करने के माध्यम से वकया गया था।

● BSB को रामदेि के आचायडकुलम, विद्या भारिी स्कूल (आरएसएस द्वारा संचावलि) और आयड समाज द्वारा संचावलि गरुु कुल से संबद् होने
की संभािना है।

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610. चयन सवमवियों की िल


ु ना (Comparison of selection committees)

लोकपाल चयन सवमवि लोकपाल के वलए चयन सवमवि में वनम्न िावमल होंगे :
● प्रिानमिं ी,
● वनचले सदन के अध्यक्ष (लोकसभा)
● वनचले सदन के विपक्ष के नेिा,
● भारि के मख्ु य न्यायािीि या उनके द्वारा नावमि सिोच्च न्यायालय के न्यायािीि, और
● राष्ट्रपवि (गिनडर) द्वारा नावमि एक प्रख्याि विवििेत्ता।
CIC ● प्रिानमिं ी, जो सवमवि के अध्यक्ष होंगे।
● लोकसभा में विपक्ष के नेिा।
● प्रिान मंिी द्वारा नावमि एक कें द्रीय कै वबनेट मिं ी।
राष्ट्रीय मानिाविकार आयोग चयन सवमवि में िावमल हैं:
● प्रिान मंिी (अध्यक्ष)
● लोकसभा अध्यक्ष
● कें द्रीय गृह मिं ी
● राज्यसभा के उपसभापवि
● संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेिा
CVC ● प्रिान मंिी (अध्यक्ष),
● गृह मिं ी (सदस्य)
● लोकसभा में विपक्ष के नेिा।
CBI ● प्रिान मंिी - अध्यक्ष
● लोकसभा के प्रविपक्ष का नेिा या लोकसभा में सबसे बडे विपक्षी दल का नेिा, यवद पिू ड में लोकसभा
में अवनिायड िवक्त की कमी के कारण मौजदू नहीं है – एक सदस्य ।
● भारि के मख्ु य न्यायािीि या सिोच्च न्यायालय के न्यायािीि की वसफाररि मख्ु य न्यायािीि-
सदस्य द्वारा की जािी है।

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RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 86 - POLITY

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विषय

611. एमसीक्यू (MCQs)


612. एमसीक्यू (MCQs)
613. सबं द्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों के विए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Allied and Healthcare Professions)
614. कें द्रीय विल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board For Film Certification)
615. पीएम-एसटीआईएसी (PM-STIAC)
616. व्यापार उपचार महावनदेशािय (र्ीजीटीआर) (Directorate General of Trade Remedies - DGTR)
617. पेरोवियम और प्राकृ विक गैस वनयामक बोर्ड (Petroleum and Natural Gas Regulatory Board)
618. भारि का उच्च वशक्षा आयोग (Higher Education Commission of India)
619. संगीि नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi)
620. भारिीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board Of India)

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Day 86 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

611. & 612. एमसीक्यू (MCQs)


Q.1) भारि में, "पवलिक की इन्फ्रास्रक्चर (Public Key Infrastructure - PKI)" शलद का प्रयोग वकस संदभड में वकया जािा है?
a) वर्वजटि सरु क्षा अिसंरचना
b) खाद्य सरु क्षा अिसंरचना
c) स्िास््य देखभाि और वशक्षा का बुवनयादी ढांचा
d) दरू संचार और पररिहन अिसंरचना

उत्तर: (A)
पवलिक की इन्फ्रास्रक्चर (Public Key Infrastructure - PKI) वर्वजटि दवु नया में उपयोगकिाडओ ं और उपकरणों को प्रमावणि करने के विए एक
िकनीक है। मि ू विचार यह है वक एक या एक से अविक विश्वसनीय पक्ष वर्वजटि रूप से दस्िािेजों पर हस्िाक्षर करिे हैं जो प्रमावणि करिे हैं वक एक
विशेष विप्टोग्राविक कंु जी वकसी विशेष उपयोगकिाड या वर्िाइस से संबंविि है।

Q.2) बेंजीन प्रदषू ण के सपं कड में आने के वनम्नविवखि में से कौन से कारण/कारक हैं?
1. ऑटोमोबाइि वनकास
2. िम्बाकू का िआ ु ँ
3. िकडी जिना
4. िावनडश िकडी के िनीचर का उपयोग करना
5. पॉिीयरु े थेन से बने उत्पादों का उपयोग करना

नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:


a) के िि 1, 2 और 3
b) के िि 2 और 4
c) के िि 1, 3 और 4
d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: (D)

● बेंजीन एक रसायन है जो कमरे के िापमान पर रंगहीन या हल्का पीिा िरि होिा है। इसमें एक मीठी गंि होिी है और यह अत्यविक
ज्ििनशीि होिी है।

● बेंजीन बहुि जल्दी हिा में िावष्ट्पि हो जािा है।

● इसका िाष्ट्प हिा से भारी होिा है और वनचिे इिाकों में र्ूब सकिा है।

● बेंजीन पानी में थोडा ही घि


ु िा है और पानी के ऊपर िैरिा रहेगा।

● बेंजीन प्राकृ विक प्रवियाओ ं और मानिीय गविविवियों दोनों से बनिा है।

● बेंजीन के प्राकृ विक स्रोिों में ज्िािामख


ु ी और जगं ि की आग शावमि हैं।
● बेंजीन कच्चे िेि, गैसोिीन और वसगरे ट के िएु ं का एक स्िाभाविक वहस्सा भी है।

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● कुछ उद्योग बेंजीन का उपयोग अन्फ्य रसायनों को बनाने के विए करिे हैं वजनका उपयोग प्िावस्टक, रेवजन और नायिॉन और वसंथेवटक
िाइबर बनाने के विए वकया जािा है। बेंजीन का उपयोग कुछ प्रकार के स्नेहक, वघसने िािे, रंजक, वर्टजेंट, दिाएं और कीटनाशक बनाने
के विए भी वकया जािा है।

● िकडी की विवनवशगं में विवभन्फ्न रसायन हो सकिे हैं और उनका उत्सजडन हो सकिा है। उदाहरण के विए, पेंट और कुछ िकडी के उपचार में
िॉमडिार्ेहाइर्, एसीटोन, टोल्यवू न या लयटू ेनॉि हो सकिे हैं।

● िकडी के रंगों में शावमि हो सकिे हैं: नॉनन, र्ेकेन, अंर्ेकेन, र्ाइवमथाइिोक्टेन (Dimethyloctane), र्ाइवमथाइिनोनेन
(Dimethylnonane), राइमेवथिनोनेन (Trimethylnonane), राइमेवथिबेनजीन (Trimethylbenzene)।

● आग के दौरान, पॉिीयरू े थेन िोम िेजी से जििे हैं और घना िआ ु ,ं जहरीिी गैसें और िीव्र गमी पैदा करिे हैं। काबडन मोनोऑक्साइर् सबसे
आम है, िेवकन िएु ं में बेंजीन, टोल्यवू न, नाइरोजन ऑक्साइर् और हाइड्रोजन साइनाइर् भी होिे हैं।

Q.3) पौिे और पशु कोवशकाओ ं के बीच सामान्फ्य अंिर के संबंि में वनम्नविवखि में से कौन सा कथन सही है?
1. पादप कोवशकाओ ं में सेल्यि
ू ोज कोवशका वभवत्त होिी है जबवक जिं ु कोवशकाओ ं में नहीं होिी है।
2. जिं ु कोवशकाओ ं के विपरीि पादप कोवशकाओ ं में प्िाज्मा विल्िी नहीं होिी है।
3. पररपक्ि पादप कोवशका में एक बडी ररविका होिी है जबवक जन्फ्िु कोवशका में कई छोटी ररविकाएँ होिी हैं।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:
a) के िि 1 और 2
b) के िि 2 और 3
c) के िि 1 और 3
d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

कथन 1 कथन 2 कथन 3


एक पादप कोवशका और एक पशु कोवशका के बीच सबसे महत्िपणू ड अंिर पादप कोवशकाओ ं में एक बडा कें द्रीय ररविका होिा है जो
यह है वक पिू ड में एक कोवशका वभवत्त होिी है । कोवशका के आयिन का 90% िक कलजा कर सकिा है। पशु
कोवशका वभवत्त पादप कोवशका को यांविक सहारा देिी है। कोवशकाओ ं में कई छोटी ररविकाएँ हो सकिी हैं, जो पादप
कोवशका से बहुि छोटी होिी हैं।
पशु कोवशकाओ ं में कोवशका वभवत्त नहीं होिी है। कोवशका वभवत्त सभी पादप
कोवशकाओ ं की सिह पर पाई जाने िािी एक कठोर विल्िी मैवरक्स है, अिः कथन 3 सही है।
वजसकी प्राथवमक भवू मका कोवशका और उसकी सामग्री की रक्षा करना है।

पौिों में एक कोवशका वभवत्त दोनों होिी है जो कोवशका विल्िी (प्िाज्मा


विल्िी) और सेल्यिू ोज से बनी होिी है।

अिः कथन 1 सही है और कथन 2 सही नहीं है।

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Q.4) यवद वनकट भविष्ट्य में एक और िैवश्वक वित्तीय सक


ं ट आिा है, िो वनम्नविवखि में से कौन सी कारड िाई/नीवियों द्वारा भारि को कुछ प्रविरक्षा प्राप्त
होने की सबसे अविक संभािना है?
1. अल्पकाविक विदेशी उिार पर वनभडर नहीं
2. अविक विदेशी बैंकों को खोिना
3. पणू ड पंजू ी खािा पररििडनीयिा बनाए रखना
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:
a) के िि 1
b) के िि 1 और 2
c) के िि 3
d) 1, 2 और 3

उत्तर: (A)

कथन 1 कथन 2 कथन 3


अल्पकाविक उिारों से ऋण का भगु िान अविक विदेशी बैंकों के खि ु ने से िैवश्वक मद्रु ा पररििडनीयिा एक ऐसी वस्थवि को संदवभडि करिी
करने का बोि बढेगा, और इसके अथडव्यिस्था में िृवद्ध होगी, और इसविए है वजसमें एक मद्रु ा को विदेशी मद्रु ा में पररिविडि वकया
पररणामस्िरूप उिार िेने िािी जोवखम बढ जाएगा। जा सकिा है, और इसके विपरीि वबना वकसी सरकारी
अथडव्यिस्था/ भारि के विए िनािपणू ड अिः विकल्प 2 सही नहीं है। हस्िक्षेप के प्रचविि विवनमय दर पर।
वस्थवि हो सकिी है। भारि में, हम रुपये को परू ी िरह से र्ॉिर में नहीं बदि
इसविए, इस पर वनभडर नहीं होने से सकिे- इस पर प्रविबिं हैं।
भविष्ट्य के िैवश्वक वित्तीय सक
ं ट में भारि अब, पजंू ी खािा पररििडनीयिा घरेिू मद्रु ा को विदेशी
के विए कुछ प्रविरक्षा होगी। मद्रु ा में बदिने की स्िििं िा है, और इसके विपरीि
भगु िान संिुिन खािों का पंजू ी खािा िेनदेन है।

यह अविक जोवखम भरा है, क्योंवक विदेशी वनिेशक


अपना सारा पैसा एक ही बार में वनकाि सकिे हैं
वजसे पंजू ी उडान कहा जािा है। अि: विकल्प 3 सही
नहीं है।

Q.5) यवद आप आपके बैंक में आपके मागं जमा खािे से नकद में 1,00,000, रुपये वनकाििे हैं। िो अथडव्यिस्था में कुि मद्रु ा आपवू िड पर ित्काि
प्रभाि होगा।
a) इसमें 1,00,000 रुपये से कमी होगी।
b) इसमें 1,00,000 रुपये से िृवद्ध होगी।
c) इसमें 1,00,000 रुपये से अविक की िृवद्ध होगी।
d) यह अपररिविडि रहेगी।

उत्तर: (D)
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मद्रु ा आपवू िड की 4 अििारणाएँ हैं: M1, M2, M3 और M4


1) M1 = C + DD + OD
● C- जनिा के पास मद्रु ा है। (सािडजवनक िन का अथड है िह िन जो सरकार और बैंकों के अिािा अन्फ्य सभी के पास है। इसमें कंपवनया,ं
सामान्फ्य सगं ठन, घर शावमि हैं। इसमें बैंकों में अिं र-बैंक या सरकारी जमा शावमि नहीं है)
● DD- का अथड है बैंकों के पास शद्ध
ु मागं जमा। यहां 'नेट' बैंकों में के िि जनिा की जमा रावश को दशाडिा है।
● OD- का अथड है अन्फ्य जमा। ये आरबीआई के पास जमा रावश हैं, कुछ व्यवियों और संस्थानों द्वारा आयोवजि व्यवि - आरबीआई के पिू ड
गिनडर की िरह • संस्थान- जैसे आईएमएि जमा।
2) M3 = M1 + TD = C + DD + OD + TD (ब्रॉर् मनी)
● 'TD' का अथड है सािवि जमा
● M3 अथडव्यिस्था में कुि िय शवि को दशाडिा है। इसविए, जब हम सामान्फ्य रूप से मद्रु ा आपवू िड कहिे हैं, िो इसका अथड M3 है। आम
िौर पर, समाचार पिों आवद में जब मद्रु ा आपवू िड शलद का उपयोग वकया जािा है, िो इसका मििब M3 (कभी-कभी, M1 का भी उपयोग
वकया जािा है- मििब 100% िरि िन- िेवकन समग्र PP M3 द्वारा वदखाया जािा है)

अब, वदए गए मामिे में, जब 'DD' 1,00,000, घटक रुपये से वगर जाएगा। 'C' घटक में 1,00,000 रुपये की िृवद्ध होगी। वजससे मद्रु ा आपवू िड
अपररिविडि रहिी है। इसविए विकल्प (D) सही उत्तर है।

613. संबद्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों के विए राष्ट्रीय आयोग (National Commission for Allied and Healthcare Professions)
सदं भड: भारिीय ससं द ने राष्ट्रीय सबं द्ध और स्िास््य सेिा पेशा आयोग वििेयक, 2020 पाररि वकया।
● वििेयक संबद्ध और स्िास््य पेशेिरों की वशक्षा और अभ्यास को विवनयवमि और मानकीकृ ि करने का प्रयास करिा है
● यह वबि नेशनि कमीशन िॉर एिाइर् एंर् हेल्थके यर प्रोिे शनल्स के विए स्थावपि वकया गया है।
आयोग में शावमि हैं
● अध्यक्ष
● उपाध्यक्ष
● कें द्र सरकार के विवभन्फ्न विभागों/मिं ाियों का प्रविवनवित्ि करने िािे पाचं सदस्य (संयि
ु सवचि के स्िर पर), स्िास््य सेिा महावनदेशािय
का एक प्रविवनवि
● एम्स, वदल्िी और एआईआईपीएमआर, मंबु ई सवहि वचवकत्सा संस्थानों में से िीन उप वनदेशक या वचवकत्सा अिीक्षक एक घणू ी आिार पर
वनयिु ।
● राज्य पररषदों का प्रविवनवित्ि करने िािे 12 अंशकाविक सदस्य।
आयोग के कायड
● वशक्षा और अभ्यास को विवनयवमि करने के विए नीवियों और मानकों को िैयार करना।
● सभी पजं ीकृ ि पेशेिरों का एक ऑनिाइन कें द्रीय रवजस्टर बनाना और बनाए रखना।
● वशक्षा के बवु नयादी मानकों, पाठ्यिम, स्टाि योग्यिा, परीक्षा, प्रवशक्षण, विवभन्फ्न श्रेवणयों के विए देय अविकिम शल्ु क प्रदान करना।
● एक समान प्रिेश और वनकास परीक्षा प्रदान करना।

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वबि की कुछ प्रमख ु विशेषिाएं


हेल्थके यर पेशेिर ▪ इसमें एक िैज्ञावनक, वचवकत्सक, या कोई अन्फ्य पेशेिर शावमि है जो अध्ययन, सिाह, शोि,
पयडिेक्षण, या वनिारक, उपचारात्मक, पनु िाडस, वचवकत्सीय, या प्रचार स्िास््य सेिाएं प्रदान करिा
है।
▪ ऐसे पेशेिर को इस वििेयक के िहि वर्ग्री प्राप्त करनी चावहए और वर्ग्री की अिवि कम से कम
3,600 घंटे (िीन से छह साि की अिवि में) होनी चावहए।
संबद्ध स्िास््य पेशेिर ▪ वकसी भी बीमारी, बीमारी, चोट, या हावन के वनदान और उपचार का समथडन करने के विए प्रवशवक्षि
एक सहयोगी, िकनीवशयन, या प्रौद्योवगकीविद् के रूप में 'संबद्ध स्िास््य पेशेिर' को पररभावषि
करिा है।
▪ एिाइर् हेल्थ प्रोिे शनि को इस वबि के िहि वर्प्िोमा या वर्ग्री प्राप्त करनी चावहए और
वर्ग्री/वर्प्िोमा की अिवि कम से कम 2,000 घंटे (दो से चार साि की अिवि में) होनी चावहए।
सबं द्ध और स्िास््य सेिा ▪ वबि मान्फ्यिा प्राप्त श्रेवणयों के रूप में संबद्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों की कुछ श्रेवणयों को वनवदडष्ट
व्यिसाय करिा है।
▪ इनका उल्िेख वििेयक की अनस ु चू ी में वकया गया है और इसमें जीिन विज्ञान पेशेिर, रॉमा और
बनड के यर पेशेिर, सवजडकि और एनेस्थीवसया से सबं वं िि प्रौद्योवगकी पेशेिर, विवजयोथेरेवपस्ट और
पोषण विज्ञान पेशेिर शावमि हैं।
▪ कें द्र सरकार सब ं द्ध और स्िास््य सेिा व्यिसाय के विए राष्ट्रीय आयोग के परामशड के बाद इस
अनसु चू ी में सशं ोिन कर सकिी है।
व्यािसावयक पररषदें: ▪ आयोग संबद्ध और स्िास््य देखभाि व्यिसायों की हर मान्फ्यिा प्राप्त श्रेणी के विए एक पेशेिर
पररषद का गठन करे गा ।
▪ व्यािसावयक पररषद में एक अध्यक्ष और चार से 24 सदस्य शावमि होंगे, जो मान्फ्यिा प्राप्त श्रेणी में
प्रत्येक पेशे का प्रविवनवित्ि करेंगे ।
▪ आयोग अपने वकसी भी कायड को इस पररषद को सौंप सकिा है।

राज्य पररषदें: ▪ वििेयक के पाररि होने से छह महीने के भीिर राज्य सरकारें राज्य संबद्ध और स्िास््य पररषदों का
गठन करें गी।
राज्य पररषदों में शावमि होंगे:
1. अध्यक्ष (संबद्ध और स्िास््य विज्ञान के क्षेि में कम से कम 25 िषड का अनुभि),
2. राज्य सरकार में वचवकत्सा विज्ञान का प्रविवनवित्ि करने िािे एक सदस्य,
3. राज्य के मेवर्कि कॉिेजों का प्रविवनवित्ि करने िािे दो सदस्य,
4. िमाडथड संस्थानों का प्रविवनवित्ि करने िािे दो सदस्य, और
5. संबद्ध और स्िास््य सेिा व्यिसायों की प्रत्येक मान्फ्यिा प्राप्त श्रेवणयों में से दो सदस्य, वजन्फ्हें राज्य
सरकार द्वारा नावमि वकया गया है।
राज्य पररषदें:
I. संबद्ध स्िास््य देखभाि पेशेिरों द्वारा देखे जाने िािे पेशेिर आचरण और आचार सवं हिा को िागू
करना,
II. सबं वं िि राज्य रवजस्टर बनाए रखें,
III. सबं द्ध और स्िास््य सस्ं थानों का वनरीक्षण,
IV. एक समान प्रिेश और वनकास परीक्षा सवु नविि करना।

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614. कें द्रीय विल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board For Film Certification)
खबरों में क्यों: ओटीटी प्िेटिॉमड को सेंसर करने के संदभड में।
कें द्रीय विल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के बारे में

● CBFC सचू ना और प्रसारण मंिािय में एक िैिावनक विल्म-प्रमाणन वनकाय है

● इसे वसनेमैटोग्राि अविवनयम 1952 के प्राििानों के िहि विल्मों के सािडजवनक प्रदशडन को विवनयवमि करने का काम सौंपा गया है।

● वसनेमाघरों और टेिीविजन पर वदखाई जाने िािी विल्मों को बोर्ड द्वारा प्रमाणन के बाद ही भारि में सािडजवनक रूप से प्रदवशडि वकया जा
सकिा है।

● संरचना: CBFC में गैर-आविकाररक सदस्य और एक अध्यक्ष होिे हैं, वजनकी वनयवु ि कें द्र सरकार द्वारा की जािी है।

● क्षेिीय कायाडिय: इसके नौ क्षेिीय कायाडिय हैं, वजनमें से प्रत्येक में मबंु ई, कोिकािा, चेन्फ्नई, बैंगिोर, विरुिनंिपरु म, हैदराबाद, नई वदल्िी,
कटक और गिु ाहाटी में एक-एक कायाडिय हैं।

○ क्षेिीय कायाडियों को सिाहकार पैनि द्वारा विल्मों की जांच में सहायिा प्रदान की जािी है।

○ पैनि के सदस्यों को कें द्र सरकार द्वारा 2 साि की अिवि के विए विवभन्फ्न क्षेिों के िोगों को आकवषडि करके नावमि वकया जािा
है।

615. प्रिान मिं ी विज्ञान, प्रौद्योवगकी और निाचार सिाहकार पररषद (PM-STIAC)


● यह एक व्यापक पररषद है जो प्रमख ु िैज्ञावनक सिाहकार कायाडिय को विवशष्ट विज्ञान और प्रौद्योवगकी र्ोमेन में वस्थवि का आकिन करने,
हाथ में चनु ौवियों को समिने, विवशष्ट हस्िक्षेप िैयार करने, भविष्ट्य का रोर्मैप विकवसि करने और िदनसु ार प्रिान मिं ी को सिाह देने की
सवु ििा प्रदान करिी है।
● यह विज्ञान, प्रौद्योवगकी और निाचार पर 21 सदस्यीय सिाहकार पैनि है।
● इसकी अध्यक्षिा सरकार के प्रिान िैज्ञावनक सिाहकार करेंगे।
● यह प्रिानमंिी के िैज्ञावनक दृवष्टकोण के कायाडन्फ्ियन का समन्फ्िय करेगा।
● यह सरकार को शहर आिाररि अनुसंिान एिं विकास समहू ों सवहि विज्ञान में 'उत्कृ ष्टिा के समहू ' विकवसि करने पर भी सिाह देगा।
● यह अकादवमक और सस्ं थानों से िेकर ऐसे कें द्रों या शहरों के पास के उद्योगों िक सभी विज्ञान और प्रौद्योवगकी भागीदारों को एक साथ िाने
का काम करेगा।
PMSTIAC के िहि नौ वमशन
● प्राकृ विक भाषा अनुिाद: वशक्षण सामग्री को वद्वभाषी यानी अंग्रेजी और वकसी की मि
ू भारिीय भाषा में एक्सेस करने में सक्षम बनाएगा।

● क्िाटं म रंवटयर: क्िाटं म मैकेवनकि वसस्टम में काम शरू


ु करने का िक्ष्य है।

● आवटडविवशयि इटं ेविजेंस: स्माटड मोवबविटी और रांसपोटेशन सवहि स्िास््य सेिा, वशक्षा, कृ वष, स्माटड वसटी और इर
ं ास्रक्चर में सिु ार।
● राष्ट्रीय जैि विविििा वमशन: भारि में सभी जीिन रूपों की सचू ी बनाना और उनका मानवचिण करना।

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● इिेवक्रक िाहन: इिेवक्रक िाहन (ईिी) को आवथडक रूप से व्यिहायड और स्के िेबि बनाना।

● मानि स्िास््य के विए जैि विज्ञान: जीनोम के व्यापक सदं भड मानवचिों का वनमाडण करना।

● िेस्ट टू िेल्थ: कचरे के उपचार के विए प्रौद्योवगवकयों को िैनाि करना।

● र्ीप ओशन एक्सप्िोरे शन: लिू रंवटयर के बारे में हमारी समि में सिु ार।

● AGNIi (इवग्नवटंग आइवर्याज): उद्योग, व्यवियों और जमीनी स्िर पर निोन्फ्मेषकों को बाजार से जोडना; और अवभनि समािानों के
व्यािसायीकरण में मदद करना।

616. व्यापार उपचार महावनदेशािय (र्ीजीटीआर) (Directorate General of Trade Remedies - DGTR)
● यह र्ंवपगं रोिी, प्रविकारी शल्ु क और सरु क्षा उपायों सवहि सभी व्यापार उपचारात्मक उपायों को प्रशावसि करने के विए िावणज्य और
उद्योग मंिािय के िहि सिोच्च राष्ट्रीय प्राविकरण है।
● इससे पहिे, र्वं पगं रोिी और सबं द्ध शल्ु क महावनदेशािय (DGAD) र्ंवपगं रोिी और सीिीर्ी मामिों से वनपटिे थे, सरु क्षा महावनदेशािय
(DGS) सरु क्षा उपायों से वनपटिे थे और र्ीजीएिटी मािात्मक प्रविबिं (QR) सरु क्षा उपायों से वनपटिे थे। र्ीजीटीआर र्ीजीएिटी के
र्ीजीएर्ी, र्ीजीएस, और सेिगार््डस (QR) कायों को एक ही राष्ट्रीय इकाई में वििय करके अपने पािे में िािा है।
संगठन कायड
एंटी र्ंवपगं और संबद्ध किडव्यों के महावनदेशािय [Directorate एंटी-र्ंवपंग और CVD मामिों से वनपटना
General of Anti Dumping and Allied Duties - DGAD]
महावनदेशािय सरु क्षा उपाय [DGS] सरु क्षा उपायों से वनपटना
विदेश व्यापार महावनदेशािय [DGFT] - सरु क्षा उपायों का कायड मािात्मक प्रविबंि सरु क्षा उपायों से वनपटना
● अब, DGTR एक पेशेिर रूप से एकीकृ ि संगठन है वजसके पास विवभन्फ्न सेिाओ ं और विशेषज्ञिाओ ं से प्राप्त अविकाररयों से वनकिने िािे
मल्टी-स्पेक्रम कौशि सेट हैं। इसके कायों को वनम्नानुसार सचू ीबद्ध वकया जा सकिा है:
o र्ंवपंग रोिी, सीिीर्ी और रक्षोपाय उपायों से वनपटना।
o भारिीय घरे िू उद्योग और वनयाडिकों को विदेशी देशों द्वारा उनके वखिाि स्थावपि व्यापार उपचार जाचं के बढिे मामिों से
वनपटने के विए व्यापार रक्षा सहायिा प्रदान करना।
o अनवु चि व्यापार प्रथाओ ं के प्रविकूि प्रभािों के वखिाि देश के घरेिू उद्योगों को एक समान अिसर प्रदान करना। इसके द्वारा
कायाडवन्फ्िि वकया जािा है:
▪ विश्व व्यापार सगं ठन (WTO) ढांचे द्वारा प्रदान की जाने िािी व्यापार उपचारात्मक विवियों का उपयोग करना।
▪ सीमा शल्ु क शल्ु क अविवनयम और वनयमों और अन्फ्य काननू ों और मामिे से संबंविि अंिराडष्ट्रीय समिौिों का उपयोग
करना।
▪ यह सब पारदशी और समयबद्ध िरीके से उपिलि कराना।
● अन्फ्य कायड:
o एंटी-र्ंवपंग, एंटी-सवलसर्ी/सीिीर्ी का आयोजन करना और भारि सरकार को सरु क्षा जाचं और वसिाररश करना।
o CEST (सीमा शल्ु क, उत्पाद शल्ु क और सेिा कर अपीिीय न्फ्यायाविकरण), उच्च न्फ्यायाियों और भारि के सिोच्च न्फ्यायािय
के समक्ष मक
ु दमेबाजी के मामिों को सभं ािना।
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o िैचाररक जागरूकिा पैदा करने और िै िाने के विए आउटरीच कायडिम का आयोजन करना और DGTR के कामकाज की
व्याख्या करना।
o विश्व व्यापार सगं ठन के साथ सचू ना का आदान-प्रदान।

617. पेरोवियम और प्राकृ विक गैस वनयामक बोर्ड (Petroleum and Natural Gas Regulatory Board)
● PNGRB पेरोवियम और प्राकृ विक गैस मंिािय के िहि काम करिा है।
● इसका गठन पेरोवियम और प्राकृ विक गैस वनयामक बोर्ड अविवनयम, 2006 के िहि वकया गया था।
● इसका उद्देश्य पेरोवियम, पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस से सबं ंविि विवशष्ट गविविवियों में िगे उपभोिाओ ं और संस्थाओ ं के वहिों
की रक्षा करना और पेरोवियम क्षेि में प्रविस्पिी बाजारों को बढािा देना है।
● यह पेरोवियम, पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस के शोिन, प्रसंस्करण, भंर्ारण, पररिहन, वििरण, विपणन और वबिी को भी वनयंविि
करिा है; कच्चे िेि और प्राकृ विक गैस के उत्पादन को छोडकर।
● इसका उद्देश्य देश के सभी वहस्सों में पेरोवियम उत्पादों और प्राकृ विक गैस की वनबाडि और पयाडप्त आपवू िड सवु नविि करना है।
● PNGRB CGD (वसटी गैस वर्स्रीलयश ू न) नेटिकड , प्राकृ विक गैस और पेरोवियम उत्पाद पाइपिाइनों को अविकृ ि करिा है, टैररि
वनिाडररि करिा है, िकनीकी और सरु क्षा मानकों आवद को वनिाडररि करिा है।

618. भारि का उच्च वशक्षा आयोग (Higher Education Commission of India)


सदं भड: वशक्षा मिं ािय भारि के उच्च वशक्षा आयोग (HECI) की स्थापना के विए एक वििेयक को कै वबनेट में िे जाने की िैयारी कर रहा है - जो
भारि में विदेशी विश्वविद्याियों को अनमु वि देने के विए एक खर्ं के साथ आएगा।
HECI के कायड
● HECI उच्च वशक्षण संस्थानों की स्िायत्तिा को बढािा देने और उच्च वशक्षा में शैक्षवणक मानकों का रखरखाि सवु नविि करने के िरीकों
की वसिाररश करे गा ।
● यह इसके विए मानदर्ं वनवदडष्ट करेगा:
○ पाठ्यिमों के विए सीखने के पररणाम
○ वशक्षण और अनसु िं ान के मानक
○ संस्थानों के िावषडक शैक्षवणक प्रदशडन को मापने के विए मल्ू यांकन प्रविया,
○ संस्थानों की मान्फ्यिा
○ संस्थानों को बंद करने का आदेश।

● इसके अिािा, HECI इसके विए मानदर्ं वनवदडष्ट कर सकिा है:


○ शैक्षवणक सचं ािन शरू ु करने के विए संस्थानों को प्राविकरण प्रदान करना, वर्ग्री या वर्प्िोमा प्रदान करना।
○ विश्वविद्याियों के साथ सस्ं थानों की सबं द्धिा,
○ स्िायत्तिा और श्रेणीबद्ध स्िायत्तिा का अनदु ान
○ कुिपवियों की वनयवु ि के विए पाििा मानदर्ं
○ संस्थानों की स्थापना और समापन और
○ शल्ु क विवनयमन।
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HECI की सरं चना

● HECI में 14 सदस्य होंगे।

● एक सचड कमेटी अध्यक्ष और HECI के सदस्यों के पद के विए कें द्र सरकार को नामों की वसिाररश करेगी।

● सचड कमेटी में कै वबनेट सवचि (अध्यक्ष), उच्च वशक्षा सवचि और िीन प्रविविि वशक्षाविदों सवहि पाचं सदस्य होंगे।

● HECI के उपाध्यक्ष और सदस्यों की वनयवु ि के विए सचड कमेटी में HECI के अध्यक्ष भी शावमि होंगे।

● सदस्य बनने के विए एक व्यवि को कम से कम दस िषों के विए प्रोिे सर होना चावहए, या संस्थान वनमाडण के विए वसद्ध क्षमिा िािे
प्रख्याि प्रशासक होना चावहए।
HECI के सदस्यों में शावमि हैं:
● अध्यक्ष,
● उपाध्यक्ष,
● कें द्र सरकार के िीन सवचि,
● अवखि भारिीय िकनीकी वशक्षा पररषद और राष्ट्रीय वशक्षक वशक्षा पररषद के अध्यक्ष,
● वकसी भी दो मान्फ्यिा वनकायों के अध्यक्ष,
● अकादवमक उत्कृ ष्टिा के विश्वविद्याियों के दो कुिपवि,
● विश्वविद्याियों के दो सेिारि प्रोिे सर, और
● उद्योग से एक अनुभिी व्यवि।

619. संगीि नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi)


● संगीि नाटक अकादमी-भारि की राष्ट्रीय संगीि, नृत्य और नाटक अकादमी-भारि में किा की पहिी राष्ट्रीय अकादमी है।
● यह 1952 में (ित्कािीन) वशक्षा मिं ािय, भारि सरकार के एक प्रस्िाि द्वारा बनाया गया था।
● बाद में, संगीि नाटक अकादमी को सरकार द्वारा एक सोसायटी के रूप में पनु गडवठि वकया गया और 1860 के सोसायटी पंजीकरण
अविवनयम के िहि पजं ीकृ ि वकया गया।
● सगं ीि नाटक अकादमी ििडमान में संस्कृ वि मिं ािय, भारि सरकार का एक स्िायत्त वनकाय है और इसकी योजनाओ ं और कायडिमों के
कायाडन्फ्ियन के विए सरकार द्वारा परू ी िरह से वित्त पोवषि है।
● यह राष्ट्रीय स्िर पर कायड करिा है:
o भारिीय सगं ीि, नृत्य और नाटक का प्रचार और विकास।
o प्रदशडन किाओ ं में प्रवशक्षण के मानकों का रखरखाि।
o संगीि, नृत्य और नाटक के विवभन्फ्न रूपों से संबंविि सामवग्रयों के साथ-साथ उपकरणों का पनु रुद्धार, सरं क्षण, प्रिेखन और प्रसार।
o उत्कृ ष्ट किाकारों की पहचान।

● अकादमी प्रदशडन किा के क्षेि में राष्ट्रीय महत्ि के संस्थानों और पररयोजनाओ ं की स्थापना और देखभाि करिी है। कुछ महत्िपणू ड हैं:
o नेशनि स्कूि ऑि ड्रामा, नई वदल्िी की स्थापना 1959 में हुई थी,
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o इम्िाि में जिाहरिाि नेहरू मवणपरु नृत्य अकादमी - 1954,


o कथक के न्फ्द्र (राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान) नई वदल्िी में - 1964.
o कुवटयाट्टम (के रि का संस्कृ ि रंगमचं ), पिू ी भारि के छऊ नृत्य, असम की सावत्िक परंपराएं आवद को समथडन की राष्ट्रीय
पररयोजनाएं।

● अकादमी के कुछ कायड इस प्रकार हैं:


o सगं ीि, नृत्य या रंगमच
ं के वशक्षण, प्रदशडन या प्रचार में िगे सस्ं थानों के काम को सवलसर्ी देिा है;
o प्रदशडन किाओ ं में अनुसंिान, प्रिेखन और प्रकाशन के विए सहायिा अनुदान देिा है
o विषय विशेषज्ञों के सेवमनार और सम्मेिनों का आयोजन और अनुदान;
o दस्िािेज और इसके ऑवर्यो-विजअ ु ि सग्रं ह के विए प्रदशडन किा ररकॉर्ड करिा है।

● सगं ीि नाटक अकादमी परु स्कार अभ्यास करने िािे किाकारों को प्रदान की जाने िािी सिोच्च राष्ट्रीय मान्फ्यिा है। अकादमी सगं ीि, नृत्य
और नाटक के प्रख्याि किाकारों और विद्वानों को िे िोवशप भी प्रदान करिी है। अकादमी की िै िोवशप (अकादमी रत्न) में 3,00,000
रुपये और अकादमी परु स्कार (अकादमी परु स्कार) में 1,00,000 रुपये प्राप्त होिा है।
● 2006 में, अकादमी ने यिु ा किाकारों - उस्िाद वबवस्मल्िाह खान यिु ा परु स्कार के विए िावषडक परु स्कार भी स्थावपि वकए। इन परु स्कारों में
25,000 रुपये प्रदान वकये जािे है।

620. भारिीय पशु कल्याण बोर्ड (Animal Welfare Board Of India)

● भारिीय पशु कल्याण बोर्ड पशु कल्याण कानूनों पर एक िैिावनक सिाहकार वनकाय है और देश में पशु कल्याण को बढािा देिा है।

● पशु िूरिा वनिारण अविवनयम, 1960 (1960 की संख्या 59) की िारा 4 के िहि 1962 में स्थावपि, भारिीय पशु कल्याण बोर्ड स्िगीय
श्रीमिी रुवक्मणी देिी अरुंर्ेि, प्रवसद्ध मानििािादी के नेित्ृ ि में शरू
ु वकया गया था।

● बोर्ड में 28 सदस्य होिे हैं। सदस्यों का कायडकाि 3 िषड की अिवि के विए होिा है।

● जनादेश: जानिरों के प्रवि िूरिा की रोकथाम (PCA) अविवनयम, 1960 के प्राििानों के अनसु ार, जानिरों पर अनािश्यक ददड या पीडा को
रोकने के विए।

● भारिीय पशु कल्याण बोर्ड के कायड:


o पशओ
ु ं के प्रवि रोकथाम और िूरिा अविवनयम का अध्ययन करना और वकए जाने िािे संशोिनों पर सरकार को सिाह देना।
o िाहनों के वर्जाइन में सिु ार करके , ड्राफ्ट जानिरों के बोि को कम करना।
o जानिरों को कै द या कारािास में या पररिहन के दौरान ददड या पीडा को रोकने के विए।
o िि गृह के वर्जाइन और इसके सिु ार में सरकार को सिाह देना िावक पिू ड िि चरण में अनािश्यक ददड या पीडा समाप्त हो जाए।
o आश्रय गृह, बचाि गृह, वपंजरापोि, अभयारण्य और पशु कल्याण सगं ठनों की स्थापना के विए वित्तीय सहायिा।
o पशु अस्पिाि को सहायिा प्रदान करना और ऐसे मामिों में कें द्र सरकार को सिाह देना।
o पशु कल्याण और पशु संरक्षण के बारे में जागरूकिा और वशक्षा देना।
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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 99 - POLITY

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विषय
701. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
702. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
703. 127िाां सवां िधान ससां ोधन वबल (127th CA Bill)
704. वनिारक वनरोध (Preventive detention)
705. अनच्ु छे द 371 (Article 371)
706. अनुच्छे द 371 (Article 371)
707. राष्ट्रीय मवहला आयोग (एनसीडब्लल्य)ू (National Commission for Women - NCW)
708. उज्जज्जिला 2.0 (Ujjwala 2.0)
709. गरीब कल्याण रोजगार अवियान (जीके आरए)(Garib Kalyan Rozgar Abhiyan - GKRA)
710. तपस पहल (TAPAS Initiative)

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701.और 702. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

Q.1) स्ितांत्रता सांग्राम के दौरान सखाराम गणेश देउस्कर द्वारा वलवखत पस्ु तक "देशेर कथेर" के सांदिभ में, वनम्नवलवखत कथन पर विचार करें:
1. इसने औपवनिेवशक राज्जयों के मन की कृ वत्रम वनद्रािस्था की विजय के वखलाफ चेतािनी दी।
2. इसने स्िदेशी नुक्कड़ नाटकों और लोक गीतों के प्रदशभन को प्रेररत वकया।
3. देउस्कर द्वारा' देश ' का उपयोग बगां ाल के क्षेत्र के विवशष्ट सांदिभ में वकया गया था।
ऊपर वदए गए कथनों में से कौन सा सही हैं?
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
d) 1, 2 और 3

Answer: (a)
सखाराम गणेश देउस्कर (1869-1912) श्री अरवबदां ो के करीबी सहयोगी, एक मराठा ब्राह्मण जो बगां ाल में बस गया था, सखाराम का जन्म देिघर में
हुआ था। उन्होंने देिघर स्कूल में पढाई की और बाद में िहाां वशक्षक बने। उन्होंने देशरे कथा नामक एक पस्ु तक प्रकावशत की वजसमें िारत के वब्रवटश
िावणवज्जयक और औद्योवगक शोषण का विस्तृत वििरण वदया गया था।
इसने एक लोकवप्रय महु ािरे में एमजी रानाडे और डी. नौरोजी के काम को सक्ष ां ेप में प्रस्तुत वकया और औपवनिेवशक राज्जय की "मन की कृ वत्रम
वनद्रािस्था की विजय" के वखलाफ अपने अांवतम अध्याय में चेतािनी दी।
इस पस्ु तक का बगां ाल में बहुत बड़ा प्रिाि पड़ा, इसने यिु ा बांगाल के वदमाग पर कब्लजा कर वलया और स्िदेशी आदां ोलन की तैयारी में वकसी और चीज
से ज्जयादा मदद की। जनू 1904 में पहली बार प्रकावशत हुई, देशेर कथा ने िषभ के िीतर चार सस्ां करणों में दस हजार प्रवतयाां बेचीं। पाचां िाां सस्ां करण 1905
में सामने आया। बगां ाल सरकार ने 1910 में इस पस्ु तक पर प्रवतबधां लगा वदया और सिी प्रवतयाां जब्लत कर लीं। देउस्कर सबसे पहले स्िराज का नाम
लेकर आए, और श्री अरवबदां ो ने सबसे पहले इसे इसके अग्रां ेजी समकक्ष, 'स्ितत्रां ता' के साथ सपां न्न वकया। राष्ट्रिावदयों ने इस शब्लद को अपनाया, और
स्िराज चौगनु ी राष्ट्रिादी कायभक्रम की मख्ु य िस्तु बन गई।
औपवनिेवशक राज्जय ने 1910 में इस पाठ को प्रवतबवां धत कर वदया था, लेवकन तब तक इसकी 15,000 से अवधक प्रवतयाां वबक चक ु ी थीं, स्िदेशी
नक्ु कड़ नाटकों और लोक गीतों की जानकारी दी थी, और स्िदेशी कायभकताभओ ां की एक परू ी पीढी के वलए अवनिायभ पठन की वस्थवत ग्रहण कर ली थी।

Q.2) गाांधी-इरविन समझौते में वनम्नवलवखत में से क्या शावमल था?


1. गोलमेज सम्मेलन में िाग लेने के वलए काांग्रेस को वनमत्रां ण।
2. सविनय अिज्ञा आांदोलन के सांबांध में प्रख्यावपत अध्यादेशों को िापस लेना।
3. पवु लस ज्जयादवतयों की जाचां के वलए गाांधीजी के सझु ाि को स्िीकार करना।
4. के िल उन कै वदयों की ररहाई वजन पर वहसां ा का आरोप नहीं लगाया गया था।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीवजये:
a) के िल 1
b) के िल 1, 2 और 4
c) के िल 3
d) के िल 2, 3 और 4

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Solution (b)
प्रस्तावित शतें:
● िारतीय राष्ट्रीय काग्रां ेस द्वारा नमक माचभ की समावि।

● वद्वतीय गोलमेज सम्मेलन में िारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस की िागीदारी।

● िारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस की गवतविवधयों पर प्रवतबांध लगाने िाले िारत सरकार द्वारा जारी सिी अध्यादेशों को िापस लेना।

● वहसां ा से जड़ु े अपराधों को छोड़कर कई प्रकार के अपराधों से सांबांवधत सिी मक


ु दमों को िापस लेना।

● नमक माचभ में िाग लेने के आरोप में वगरफ्तार कै वदयों की ररहाई।

● नमक पर कर को हटाना, वजसने िारतीयों को कानूनी रूप से और अपने वनजी उपयोग के वलए नमक का उत्पादन, व्यापार और वबक्री करने
की अनुमवत दी।
करार
● सिी अध्यादेश िापस लें और मक
ु दमों को समाि करें ।

● वहसां ा के दोषी लोगों को छोड़कर सिी राजनीवतक कै वदयों को ररहाई।

● शराब और विदेशी कपड़ा दक


ु ानों के शावां तपणू भ धरना की अनमु वत।
● सत्याग्रवहयों की जब्लत सपां वत्तयों को बहाली।

● समद्रु तट के पास के व्यवियों द्वारा नमक के वन: शल्ु क सांग्रह या वनमाभण की अनमु वत।

● काांग्रेस पर प्रवतबांध हटा दें।


िायसराय ने गाांधीजी की दो माांगों को ठुकरा वदया

● पवु लस ज्जयादवतयों की सािभजवनक जाांच।

● िगत वसहां और उनके सावथयों की मौत की सजा को उम्रकै द में बदलना।

Q.3) अछूत लोगों को लवक्षत दशभकों के रूप में रखने िाली पहली मावसक पवत्रका िाइटल-विधिांशक वकसके द्वारा प्रकावशत की गई थी।
a) गोपाल बाबा िालगां कर
b) ज्जयोवतबा फुले
c) मोहनदास करमचदां गाांधी
d) िीमराि रामजी अम्बेडकर

Solution (a)
गोपाल बाबा िालगां कर, वजन्हें गोपाल कृ ष्ट्ण के नाम से िी जाना जाता है, (1840-1900) िारत के अछूत लोगों को उनके ऐवतहावसक सामावजक-
आवथभक उत्पीड़न से मि
ु करने के वलए काम करने िाले एक कायभकताभ का एक प्रारांविक उदाहरण है, और आमतौर पर उस आांदोलन का अग्रणी माना

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जाता है। उन्होंने उत्पीड़न की व्याख्या करने के वलए एक नस्लीय वसद्ाांत विकवसत वकया और अछूत लोगों पर लवक्षत पहली पवत्रका िी प्रकावशत की।
1888 में, गोपाल बाबा िालगां कर ने महत्िपणू भ-विधिांशक (ब्राह्मणिादी या औपचाररक प्रदषू ण का विनाशक) नामक मावसक पवत्रका प्रकावशत करना
शरू
ु वकया, जो पहले अछूत लोगों को अपने लवक्षत दशभकों के रूप में रखता था।
उन्होंने सधु ारक और दीनबांधु जैसे मराठी िाषा के समाचार पत्रों के वलए लेख िी वलखे, साथ ही मराठी में दोहे िी वलखे वजनका उद्देश्य लोगों को प्रेररत
करना था।

Q.4) िारत के इवतहास के सांदिभ में, "कुल्यािापा" और "द्रोणािापा" शब्लद वनरूवपत करते हैं
a) िवू म का मापन
b) विविन्न मौवद्रक मल्ू य के वसक्के
c) शहरी िवू म का िगीकरण
d) धावमभक अनुष्ठान

Answer: (a)
गिु काल के ग्रांथों और वशलालेखों में विविन्न िवू म माप शब्लदों का उल्लेख है
● अांगल
ु ा (शायद 3⁄4 इचां ) सबसे छोटा माप था।
● हस्त (हाथ) कोहनी की नोक और मध्यमा (18 इचां ) के बीच की मानकीकृ त दरू ी थी।
● माप की बड़ी इकाइयों में धनु / डांडा और नाला शावमल थे।
पिू ी िारत में उपयोग वकए जाने िाले िवू म उपायों में अधिपा (3/8–1/2 एकड़), द्रोणिपा (11⁄2–2 एकड़), और कुल्यिपा (12-16 एकड़) शावमल
हैं। ये िे क्षेत्र थे जहााँ क्रमशः एक अधक, द्रोण और कुल्य अनाज बोने के वलए आिश्यक थे। पटाका एक अन्य िवू म उपाय था, और ऐसा लगता है वक
यह 60-80 एकड़ के बराबर है।
अन्य शब्लदों में प्रितभिप (यह कुल्यिपा से बहुत छोटा था), पदितभ (1 फीट से अवधक), और िवू म शावमल थे।
बड़ी सांख्या में िवू म माप शतों से सक ां े त वमलता है वक माप का एक िी मानक सेट नहीं था और विविन्न क्षेत्रों में विविन्न उपाय चालू थे।
अतः सही उत्तर है (A)

Q.5) िारत के डेजटभ नेशनल पाकभ के सदां िभ में, वनम्नवलवखत में से कौन सा कथन सही है?
1. यह दो वजलों में फै ला हुआ है।
2. पाकभ के अदां र कोई मानि वनिास नहीं है।
3. यह ग्रेट इवां डयन बस्टडभ के प्राकृ वतक आिासों में से एक है।
नीचे वदए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चवु नए:
a) के िल 1 और 2
b) के िल 2 और 3
c) के िल 1 और 3
d) 1, 2 और 3

Solution (c)
व्याख्या:
डेजटभ नेशनल पाकभ , राजस्थान, िारतीय राज्जय राजस्थान में जैसलमेर और बाड़मेर शहरों के पास वस्थत है।
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लिु प्राय ग्रेट इवां डयन बस्टडभ अपेक्षाकृ त उवचत सांख्या में पाया जाने िाला एक शानदार पक्षी है।
राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन में लोग और जानिर सह-अवस्तत्ि में रह सकते हैं अतः कथन 2 गलत है।

703. 127िाां सांविधान सांसोधन वबल (127th CA Bill)


समाचार में: वपछड़े िगों की पहचान करने के वलए राज्जयों की शवि को बहाल करने के वलए कें द्र सरकार 102 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम
(CAA) में कुछ प्रािधानों को स्पष्ट करने के वलए सांसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है।
● िारत में, कें द्र और सांबवां धत प्रत्येक राज्जय द्वारा अलग-अलग ओबीसी सवू चयाां तैयार की जाती हैं। अनुच्छे द 15(4), 15(5) और 16(4) ने
स्पष्ट रूप से राज्जय को सामावजक और शैक्षवणक रूप से वपछड़े िगों की सचू ी की पहचान करने और घोवषत करने की शवि प्रदान की है।

● मराठा आरक्षण के फै सले में सप्रु ीम कोटभ द्वारा 102 िें CAA को बरकरार रखने के बाद सांशोधन की आिश्यकता थी, लेवकन कहा गया वक
राष्ट्रपवत, राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग (NCBC) की वसफाररशों के आधार पर यह वनधाभररत करेंगे वक राज्जय ओबीसी सचू ी में कौन से समदु ाय
शावमल होंगे।
2018 का 102िाां सांविधान सांशोधन अवधवनयम क्या है?
● इसमें अनुच्छे द 338B और अनुच्छे द 342A (दो खांडों के साथ) को अनुच्छे द 342 के बाद शावमल वकया गया।
● अनच्ु छे द 338B राष्ट्रीय वपछड़ा िगभ आयोग की सरां चना, कतभव्यों और शवियों से सबां वां धत है।
● अनच्ु छे द 342A कहता है वक राष्ट्रपवत, राज्जयपाल के परामशभ से, सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछड़े िगों को वनवदभष्ट करें गे।
सांिैधावनक (127 िाां) सांशोधन विधेयक, 2021 के बारे में:
● यह अनच्ु छे द 342A के खडां 1 और 2 में सश ां ोधन करे गा और एक नया खडां 3 िी पेश करे गा।
● यह विधेयक अनुच्छे द 366 (26c) और 338B (9) में िी सांशोधन करे गा।
● यह स्पष्ट करने के वलए वडजाइन वकया गया है वक राज्जय ओबीसी की "राज्जय सचू ी" को बनाए रख सकते हैं जैसा वक सप्रु ीम कोटभ के फै सले से
पहले की व्यिस्था थी।
● अनुच्छे द 366 (26c) सामावजक और शैवक्षक रूप से वपछड़े िगों को पररिावषत करता है।
● "राज्जय सचू ी" को परू ी तरह से राष्ट्रपवत के दायरे से बाहर कर वदया जाएगा और राज्जय विधानसिा द्वारा अवधसवू चत वकया जाएगा।
सांविधान में वनधाभररत प्रवक्रया के अनुसार, सांविधान सांशोधन विधेयक तीन प्रकार के हो सकते हैं।
● प्रत्येक सदन में पाररत होने के वलए साधारण बहुमत की आिश्यकता होती है।

● प्रत्येक सदन में पाररत होने के वलए एक विशेष बहुमत की आिश्यकता होती है, अथाभत वकसी सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उस
सदन के उपवस्थत और मतदान करने िाले सदस्यों के कम से कम दो-वतहाई बहुमत से (अनुच्छे द 368)।

● उनके पाररत होने के वलए विशेष बहुमत की आिश्यकता होती है और उन विधानमांडलों द्वारा पाररत सांकल्पों द्वारा कम से कम आधे राज्जयों के
विधानमांडलों द्वारा अनुसमथभन की आिश्यकता होती है (अनुच्छे द 368 का खांड (2))।

● अनुच्छे द 368 के तहत एक सांविधान सांशोधन विधेयक सांसद के वकसी िी सदन में पेश वकया जा सकता है और प्रत्येक सदन द्वारा विशेष
बहुमत से पाररत वकया जाना है।

● धन विधेयक या सांविधान सांशोधन विधेयक पर सांयि


ु बैठक का कोई प्रािधान नहीं है।

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704. वनिारक वनरोध (Preventive detention)


समाचार में: हाल ही में, सप्रु ीम कोटभ (SC) ने फै सला सनु ाया वक एक वनिारक वनरोध आदेश के िल तिी पाररत वकया जा सकता है जब बदां ी से
सािभजवनक व्यिस्था के रखरखाि पर प्रवतकूल प्रिाि पड़ने की सांिािना हो।
● यह फै सला तेलगां ाना वप्रिेंशन ऑफ डेंजरस एवक्टविटीज एक्ट के तहत एक व्यवि की पत्नी द्वारा दायर अपील में आया है, वजसके तरु ां त बाद
उसे एक धोखाधड़ी के मामले में जमानत दी गई थी।
वनिारक वनरोध (Preventive Detention) क्या है?
● मकु दमे से पहले अवियिु व्यवियों को इस धारणा पर वहरासत में लेने की प्रथा है वक उनकी ररहाई समाज के सिोत्तम वहत में नहीं होगी-
विशेष रूप से, अगर उन्हें ररहा वकया गया तो उनके अवतररि अपराध करने की सिां ािना होगी।

● एक 'वगरफ्तारी' तब की जाती है जब वकसी व्यवि पर अपराध का आरोप लगाया जाता है। वगरफ्तार व्यवि को अगले 24 घांटों के िीतर
मवजस्रेट के सामने पेश वकया जाता है।

● वनिारक वनरोध के मामले में, एक व्यवि को वहरासत में वलया जाता है क्योंवक उसे के िल कुछ ऐसा करने से प्रवतबांवधत वकया जाता है जो
कानून और व्यिस्था की वस्थवत को खराब कर सकता है।
सप्रु ीम कोटभ के फै सले और वनदेश
● अदालत को यह सवु नवित करना चावहए वक उसके सामने लाए गए तथ्य सीधे और अवनिायभ रूप से
○ एक नुकसान,
○ खतरा या अलामभ
○ या आम जनता में असरु क्षा की िािना, से जड़ु े हैं।

● वनिारक वनरोध का वनणभय करते समय न्यायालय को यह पछ ू ना चावहए वक क्या: वस्थवत से वनपटने के वलए देश का सामान्य कानून पयाभि
था? यवद उत्तर सकारात्मक है, तो वनरोध आदेश अिैध होगा।

● वकसी के वखलाफ सािभजवनक नजरबांदी कानून लागू करने के वलए, यह पयाभि नहीं है वक उसके कायों से कानून और व्यिस्था को खतरा हो,
लेवकन सािभजवनक व्यिस्था को प्रिावित करना चावहए।

● वनिारक वनरोध अनुच्छे द 21 (काननू की वनयत प्रवक्रया) के ढाचां े के िीतर होना चावहए अनुच्छे द 22 (मनमानी वगरफ्तारी और वहरासत के
वखलाफ सरु क्षा उपाय) और विचाराधीन काननू के साथ पढा गया।

● इसने राज्जय को वनदेश वदया वक उसे सिी और विविध "काननू और व्यिस्था" समस्याओ ां से वनपटने के वलए मनमाने ढगां से "वनिारक
वनरोध" का सहारा नहीं लेना चावहए, वजससे देश के सामान्य कानूनों से वनपटा जा सके ।
सांिैधावनक प्रािधान:
● अनुच्छे द 22 वगरफ्तार या वहरासत में वलए गए व्यवियों को सरु क्षा प्रदान करता है। वनरोध दो प्रकार का होता है, दडां ात्मक और वनिारक।
o दडां ात्मक वनरोध वकसी व्यवि को उसके द्वारा वकए गए अपराध के वलए अदालत में मक
ु दमे और दोषवसवद् के बाद दवां डत करना
है।
o दसू री ओर, वनिारक वनरोध का अथभ है वकसी व्यवि को वबना वकसी मक ु दमे और अदालत द्वारा दोषवसवद् के वहरासत में रखना।

● अनच्ु छे द 22 के दो िाग हैं- पहला िाग साधारण काननू के मामलों से सबां वां धत है और दसू रा िाग वनिारक वनरोध काननू के मामलों से
सबां वां धत है।

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दडां ात्मक वहरासत के तहत वदए अवधकार वनिारक वनरोध के तहत वदए गए अवधकार

वगरफ्तारी के आधार के बारे में सवू चत करने का अवधकार। वकसी व्यवि की नजरबांदी तीन महीने से अवधक नहीं हो सकती जब तक वक एक
सलाहकार बोडभ विस्ताररत नजरबांदी के वलए पयाभि कारण की ररपोटभ नहीं करता है।
बोडभ में एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शावमल होते हैं।
एक िकील से परामशभ करने और बचाि करने का नजरबांदी के आधारों को नजरबांद को सवू चत वकया जाना चावहए।
अवधकार।
तथावप, जनवहत के विरुद् माने जाने िाले तथ्यों को प्रकट करने की आिश्यकता
नहीं है।
यात्रा के समय को छोड़कर 24 घटां े के िीतर मवजस्रेट के वहरासत में वलए गए व्यवि को वनरोध आदेश के वखलाफ अभ्यािेदन देने का अिसर
समक्ष पेश होने का अवधकार। वदया जाना चावहए।
24 घांटे के बाद ररहा होने का अवधकार जब तक वक
मवजस्रेट आगे की वहरासत को अवधकृ त नहीं करता।
ये सरु क्षा उपाय विदेशी शत्रु के वलए उपलब्लध नहीं हैं। यह सरु क्षा नागररकों के साथ-साथ बाहरी दोनों के वलए उपलब्लध है।

िारत में वनिारक वनरोध कानूनों से सांबांवधत मद्दु े:


▪ दवु नया के वकसी िी लोकतावां त्रक देश ने वनिारक वनरोध को सांविधान के अविन्न अांग के रूप में नहीं बनाया है जैसा वक िारत में वकया गया
है।
▪ सरकारें किी-किी ऐसे कानूनों का उपयोग एक अवतररि-न्यावयक शवि में करती हैं। इसके अलािा मनमानी का डर बना रहता है।

▪ 1978 के 44िें सांशोधन अवधवनयम ने एक सलाहकार बोडभ की राय प्राि वकए वबना नजरबांदी की अिवध को तीन से घटाकर दो महीने कर
वदया है। हालााँवक, यह प्रािधान अिी तक लागू नहीं वकया गया है, इसवलए, तीन महीने की मल
ू अिवध अिी िी जारी है।

सांसद द्वारा बनाए गए वनिारक वनरोध काननू हैं:


✔ वनिारक वनरोध अवधवनयम, 1950, 1969 में समाि हो गया।
✔ आांतररक सरु क्षा का अनुरक्षण अवधवनयम (MISA)1971, 1978 में वनरस्त कर वदया।
✔ विदेशी मद्रु ा का सरां क्षण और तस्करी गवतविवधयों की रोकथाम अवधवनयम (COFEPOSA), 1974
✔ राष्ट्रीय सरु क्षा अवधवनयम (NSA), 1980.
✔ ब्ललैकमाके वटांग रोकथाम और आिश्यक िस्तुओ ां की आपवू तभ का रखरखाि अवधवनयम (PBMSECA), 1980
✔ आतांकिादी और विघटनकारी गवतविवधयााँ (रोकथाम) अवधवनयम (TADA), 1985 1995 में वनरस्त कर वदया।
✔ नारकोवटक ड्रग्स एांड साइकोरोवपक सब्लसटेंस एक्ट (PITNDPSA), 1988 में अिैध यातायात की रोकथाम।
✔ आतक ां िाद वनरोधक अवधवनयम (POTA), 2002. 2004 में वनरस्त वकया गया।

705. और 706. अनुच्छे द 371 (Article 371)


सांदिभ: िारत के पिू ोत्तर राज्जयों ने आशांका व्यि की है वक अनुच्छे द 370 को वनरस्त करने के साथ, सरकार इसी तरह अनुच्छे द 371 को वनरस्त या
कमजोर कर सकती है।
● हालाांवक, सरकार ने स्पष्ट वकया है वक उसका सांविधान के अनुच्छे द 371 को हटाने का कोई इरादा नहीं है।
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इसके बारे में


● अनच्ु छे द 369 से 392 'अस्थायी, सक्र ां मणकालीन और विशेष प्रािधान' शीषभक से सवां िधान के िाग में वदखाई देता है।
● सांविधान के अनुच्छे द 371 में पिू ोत्तर के छह राज्जयों सवहत 11 राज्जयों के वलए "विशेष प्रािधान" शावमल हैं।
● सवां िधान के अनुच्छे द 371 में पिू ोत्तर के छह राज्जयों सवहत 11 राज्जयों के वलए "विशेष प्रािधान" शावमल हैं। अनुच्छे द 370 और 371, 26
जनिरी 1950 को इसके प्रारांि होने के समय सांविधान का वहस्सा थे; अनुच्छे द 371A के माध्यम से 371J को बाद में शावमल वकया गया
था।

अनुच्छे द 371 महाराष्ट्र और गजु रात: ● विदिभ, मराठिाड़ा और शेष महाराष्ट्र + कच्छ और शेष गजु रात के वलए अलग विकास बोडों
की स्थापना।
● राज्जय सेिाओ ां में तकनीकी वशक्षा, व्यािसावयक प्रवशक्षण और रोजगार के पयाभि अिसर के
वलए पयाभि सवु िधाएां प्रदान करने िाली समान व्यिस्था।
अनच्ु छे द 371A नगालैंड ● 13िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1962 द्वारा पेश वकया गया।
● 1960 में कें द्र और नागा पीपल्ु स कन्िेंशन के बीच 16-सत्रू ीय समझौते के बाद जोड़ा गया,
वजसके कारण 1963 में नागालैंड का वनमाभण हुआ।
● सांसद नागा धमभ या सामावजक प्रथाओ,ां नागा प्रथागत कानून और प्रवक्रया, नागररक और
आपरावधक न्याय के प्रशासन में नागा प्रथागत कानून के अनुसार वनणभय, और राज्जय
विधानसिा की सहमवत के वबना िवू म के स्िावमत्ि और हस्ताांतरण के मामलों में कानून नहीं
बना सकती है।
● यह नागालैंड पर तिी लागू होगा जब राज्जय विधानसिा ऐसा करने के वलए एक प्रस्ताि पाररत
करे गी।
● राज्जय में जमीन और उसके सांसाधन लोगों के हैं न वक सरकार के ।
अनुच्छे द 371B असम ● 22िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1969 द्वारा पेश वकया गया।
● जनजावतयों को स्िायत्तता और आिाज देना।
● राष्ट्रपवत राज्जय के आवदिासी क्षेत्रों से चनु े गए सदस्यों से वमलकर विधानसिा (आवदिासी
कल्याण सवमवतयों) की एक सवमवत के गठन और कायों के वलए प्रदान कर सकता है।
अनुच्छे द 371C मवणपरु ● 27 िें सांिैधावनक सांशोधन अवधवनयम, 1971 द्वारा पेश वकया गया ।
● राष्ट्रपवत विधानसिा में पहाड़ी क्षेत्रों से वनिाभवचत सदस्यों की एक सवमवत के गठन के वलए
प्रदान कर सकते हैं, और इसके समवु चत कायभ को सवु नवित करने के वलए राज्जयपाल को
"विशेष वजम्मेदारी" सौंप सकते हैं।
● राज्जयपाल को पिभतीय क्षेत्रों के प्रशासन के सांबांध में िावषभक प्रवतिेदन प्रस्तुत करना होगा।
अनच्ु छे द 371D आध्रां प्रदेश और ● 32 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1973 द्वारा डाला गया; आध्रां प्रदेश पनु गभठन अवधवनयम,
तेलगां ाना: 2014 द्वारा प्रवतस्थावपत
● राष्ट्रपवत को "सािभजवनक रोजगार और राज्जय के विविन्न वहस्सों के लोगों को वशक्षा" में
"समान अिसर और सवु िधाएां" सवु नवित करनी चावहए।

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● िह राज्जय सरकार को "राज्जय के विविन्न वहस्सों के वलए अलग-अलग स्थानीय सांिगों में, राज्जय
के तहत वसविल सेिा में वकसी िी िगभ या िगों के पदों, या वकसी िी िगभ या वसविल पदों के
िगों" को व्यिवस्थत करने की आिश्यकता हो सकती है।
● उसके पास शैक्षवणक सस्ां थानों में प्रिेश के समान अवधकार हैं।
अनुच्छे द 371E आांध्र प्रदेश ● ससां द के एक काननू द्वारा आध्रां प्रदेश में एक विश्वविद्यालय की स्थापना के वलए अनमु वत देता
है। लेवकन इस िाग के अन्य लोगों के अथभ में यह "विशेष प्रािधान" नहीं है।
अनुच्छे द 371F वसवक्कम ● 36िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1975 द्वारा पेश वकया गया।
● वसवक्कम राज्जय की विधान सिा में कम से कम तीस सदस्य होंगे;
● जब तक सांसद द्वारा काननू द्वारा अन्य प्रािधान नहीं वकए जाते हैं, तब तक वसवक्कम राज्जय को
लोक सिा में एक सीट आिांवटत की जाएगी और वसवक्कम राज्जय वसवक्कम के वलए सांसदीय
वनिाभचन क्षेत्र कहे जाने िाले एक सांसदीय वनिाभचन क्षेत्र का गठन करेगा;
● वसवक्कम की आबादी के विविन्न िगों के अवधकारों और वहतों की रक्षा के वलए, ससां द
विधानसिा में सीटों की सांख्या प्रदान कर सकती है, जो के िल उन िगों के उम्मीदिारों द्वारा
िरी जा सकती हैं।
● अनच्ु छे द 371F वसवक्कम सरकार को राज्जय में सिी िवू म के स्िावमत्ि का अवधकार देता है,
िले ही िह िारत में राज्जय के विलय से पहले वनजी व्यवियों के स्िावमत्ि में हो।
● राष्ट्रपवत, सािभजवनक अवधसचू ना द्वारा, इस तरह के प्रवतबांधों या सांशोधनों के साथ विस्तार कर
सकते हैं, जैसा वक िह वसवक्कम राज्जय के वलए उपयि ु समझते हैं, जो वक अवधसचू ना की
तारीख में िारत के वकसी राज्जय में लागू है;
अनुच्छे द 371G वमजोरम ● 53िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1986 द्वारा सवम्मवलत।
● वमजो की धावमभक या सामावजक प्रथाओ,ां वमजो प्रथागत काननू , स्िावमत्ि और िवू म और
उसके ससां ाधनों के हस्तातां रण से सबां वां धत मामलों में ससां द का एक अवधवनयम वमजोरम पर
लागू नहीं होगा।
अनुच्छे द 371H अरुणाचल प्रदेश ● 55 िें सांविधान सांशोधन अवधवनयम, 1986 द्वारा जोड़ा गया।
● राज्जयपाल के पास राज्जय की काननू व्यिस्था की वस्थवत पर विशेष अवधकार हैं
● और इस प्रािधान के आधार पर मख्ु यमांत्री के फै सले को पलट सकते हैं।
अनुच्छे द 371I गोिा ● गोिा राज्जय की विधान सिा में कम से कम 30 सदस्य होने चावहए।
अनुच्छे द 371J कनाभटक ● 98 िें सांिैधावनक सांशोधन अवधवनयम, 2012 द्वारा सवम्मवलत वकया गया।
● अनुच्छे द 371 J हैदराबाद-कनाभटक क्षेत्र के छह वपछड़े वजलों को विशेष दजाभ देता है।
● इन क्षेत्रों के वलए एक अलग विकास बोडभ की स्थापना की जाए।
● और वशक्षा और सरकारी नौकररयों में स्थानीय आरक्षण सवु नवित करता है।

707. राष्ट्रीय मवहला आयोग (एनसीडब्लल्य)ू (National Commission for Women - NCW)
सांदिभ: राष्ट्रीय मवहला आयोग (NCW) ने वलांग आधाररत वहसां ा में दो गनु ा से अवधक िृवद् दजभ की है।

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● यह तकभ वदया गया है वक राष्ट्रीय लॉकडाउन ने कई लोगों को बेरोजगार, िेतन को लेकर अवनवित, मजबरू अलगाि और तनािग्रस्त घरों में
छोड़ वदया है, वजसके पररणामस्िरूप मवहलाओ ां के वखलाफ वहसां ा में तेजी से िृवद् हुई है।
NCW के बारे में
● इसे जनिरी 1992 में NCW अवधवनयम, 1990 के तहत एक िैधावनक वनकाय के रूप में स्थावपत वकया गया था।

● इसका वमशन उपयि ु नीवत वनमाभण, विधायी उपायों आवद के माध्यम से मवहलाओ ां को उनके उवचत अवधकारों को सरु वक्षत करके जीिन के
सिी क्षेत्रों में समानता और समान िागीदारी प्राि करने में सक्षम बनाने की वदशा में प्रयास करना है।

● रचना:
○ आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य सवचि और पाचां अन्य सदस्य होते हैं।
○ NCW के अध्यक्ष को कें द्र सरकार द्वारा नावमत वकया जाता है।
○ कें द्र सरकार सदस्य सवचि को िी मनोनीत करती है।
○ कें द्र सरकार द्वारा मनोनीत पाचां सदस्यों को कानून, काननू , प्रबांधन, मवहला स्िैवच्छक सगां ठन, आवथभक सामावजक विकास आवद में
अनुिि होना चावहए।
NCW के कायभ हैं:
○ मवहलाओ ां के वलए सांिैधावनक और कानूनी सरु क्षा उपायों की समीक्षा।
○ उपचारात्मक विधायी उपायों की वसफाररश करना।
○ वशकायतों के वनिारण को सगु म बनाना।
○ मवहलाओ ां को प्रिावित करने िाले सिी नीवतगत मामलों पर सरकार को सलाह देना।
NCW की शवियाां:
○ दस्तािेजों और गिाहों के परीक्षण के वलए समन जारी करना।
○ हलफनामे पर साक्ष्य प्राि करना।
○ दस्तािेजों की खोज और उत्पादन।

708. उज्जज्जिला 2.0 (Ujjwala 2.0)


समाचार में: पीएम मोदी ने 10 अगस्त, 2021 को महोबा उत्तर प्रदेश में एलपीजी कनेक्शन सौंपकर उज्जज्जिला 2.0 (प्रधानमत्रां ी उज्जज्जिला योजना -
PMUY) का शिु ारांि वकया।
उज्जज्जिला 1.0 से उज्जजिला 2.0 तक का सफर
उज्जज्जिला 1.0
● यह कें द्रीय पेरोवलयम और प्राकृ वतक गैस मांत्रालय द्वारा कायाभवन्ित वकया जाता है
● उज्जज्जिला 1.0 को 2016 में लॉन्च वकया गया था, वजसके दौरान बीपीएल पररिारों की 5 करोड़ मवहला सदस्यों को जमा-मि
ु एलपीजी
कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था।
○ आिेदकों (के िल मवहला) की आयु 18 िषभ होनी चावहए।
● इसके बाद, योजना का विस्तार अप्रैल 2018 में सात और श्रेवणयों (एससी / एसटी, PMAY, AAY, सबसे वपछड़ा िगभ, चाय बागान,
िनिासी आवद) से मवहला लािावथभयों को शावमल करने के वलए वकया गया था।
● स्टोि और रीवफल लागत (ब्लयाज मि ु ऋण) के वलए EMI की सवु िधा दी जाएगी।
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● यह योजना प्रधान मत्रां ी के 'वगि इट अप कैं पेन' की परू क है, वजसके माध्यम से बड़ी सख्ां या में मध्यम िगीय पररिारों ने स्िेच्छा से अपनी
रसोई गैस सवब्लसडी छोड़ दी है।
● लक्ष्य को सांशोवधत कर 8 करोड़ एलपीजी कनेक्शन कर वदया गया और लक्ष्य की तारीख से सात महीने पहले अगस्त 2019 में यह लक्ष्य
हावसल कर वलया गया।
उज्जज्जिला 2.0

● वित्तीय िषभ 21-22 के वलए कें द्रीय बजट में PMUY योजना के तहत एक करोड़ अवतररि एलपीजी कनेक्शन के प्रािधान की घोषणा की
गई थी।
● इस एक करोड़ अवतररि PMUY कनेक्शन (उज्जज्जिला 2.0 के तहत) का उद्देश्य उन कम आय िाले पररिारों को जमा-मि ु एलपीजी
कनेक्शन प्रदान करना है, वजन्हें PMUY के पहले चरण के तहत किर नहीं वकया जा सकता था।
● वन: शल्ु क एलपीजी कनेक्शन के साथ-साथ उज्जज्जिला 2.0 लािावथभयों को पहला ररवफल और हॉटप्लेट (स्टोि) मफ्ु त प्रदान करे गी।
● इसके अलािा, नामाक ां न प्रवक्रया के वलए न्यनू तम कागजी कारभ िाई की आिश्यकता होगी।
● उज्जज्जिला 2.0 में प्रिावसयों को राशन काडभ या एड्रेस प्रफ ू जमा करने की आिश्यकता नहीं होगी।
● 'पाररिाररक घोषणा' और 'पते के प्रमाण' दोनों के वलए एक स्ि-घोषणा पयाभि होगी। उज्जज्जिला 2.0 एलपीजी तक सािभिौवमक पहुचां के
प्रधानमत्रां ी के दृवष्टकोण को प्राि करने में मदद करे गी ।

709. गरीब कल्याण रोजगार अवियान (जीके आरए)(Garib Kalyan Rozgar Abhiyan - GKRA)
िारत सरकार ने छह राज्जयों वबहार, झारखांड, मध्य प्रदेश, ओवडशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में GKRA की शरुु आत की थी।
● गरीब कल्याण रोजगार अवियान 'िारत सरकार की एक विशाल ग्रामीण लोक वनमाभण योजना है, जो प्रिासी कामगारों और ग्रामीण नागररकों
को सशि बनाने और आजीविका के अिसर प्रदान करने के वलए है।

● अवियान का शिु ारांि 20 जनू , 2020 को वबहार के खगवड़या वजले के ग्राम – तेवलहार, ब्ललॉक - बेलदौर से वकया गया था।
GKRA के बारे में
● उद्देश्य: उन प्रिासी मजदरू ों को लािकारी रोजगार प्रदान करना जो COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण अपने पैतक ृ गााँि लौट आए
थे।
● पांचायती राज मांत्रालय ने दो गवतविवधयों की सवु िधा प्रदान की,
○ ग्राम पचां ायत ििन का वनमाभण और
○ 'कें द्रीय वित्त आयोग अनुदान के तहत काम।
● 116 GKRA वजलों में पच ां ायतों को ग्रामीण क्षेत्रों में 'वित्त आयोग अनदु ान के तहत कायभ' करने के वलए 9554.97 करोड़ रुपये की धनरावश
का प्रािधान वकया गया था।

710. तापस पहल (TAPAS Initiative)


सांदिभ: हाल ही में, सामावजक न्याय और अवधकाररता मांत्रालय ने एक ऑनलाइन पोटभल TAPAS (उत्पादकता और सेिाओ ां को बढाने के वलए
प्रवशक्षण) लॉन्च वकया है।
● TAPAS के विचार की अिधारणा ऐसे समय में की गई थी जब काम और वशक्षा के वलए ऑनलाइन माध्यम की खोज करना कोविड 19
महामारी के प्रकोप के कारण अवनिायभ हो गया था।
पहल के बारे में

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● यह राष्ट्रीय सामावजक सरु क्षा सस्ां थान (NISD) की एक पहल है वजसके तहत वहतधारकों की क्षमता वनमाभण के वलए सामावजक रक्षा के क्षेत्र
में विविन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश की जाती है।

● उद्देश्य: प्रवतिावगयों के क्षमता वनमाभण के वलए प्रवशक्षण प्रदान करना और ज्ञान और कौशल को बढाना।

● यह एक मानक MOOC (मैवसि ओपन ऑनलाइन कोसभ) प्लेटफॉमभ है वजसमें वफल्माए गए व्याख्यान और ई-अध्ययन सामग्री जैसी
पाठ्यक्रम सामग्री है।

● MOOC एक मफ्ु त िेब-आधाररत दरू स्थ वशक्षा कायभक्रम है वजसे बड़ी सख्ां या में िौगोवलक रूप से वबखरे हुए छात्रों की िागीदारी के वलए
वडजाइन वकया गया है।

● इसमें छात्रों और पाठ्यक्रम समन्ियकों के बीच बातचीत का समथभन करने और प्रोत्सावहत करने के वलए चचाभ मचां िी शावमल हैं।

● यह विषय विशेषज्ञों, अध्ययन सामग्री और अवधक के व्याख्यान तक पहुचां प्रदान करेगा, लेवकन इस तरह से यह वशक्षण की गणु ित्ता से
समझौता वकए वबना िौवतक कक्षा को परू क बनाता है।

● इसे कोई िी ले सकता है जो विषयों पर अपने ज्ञान को बढाना चाहता है और इसमें शावमल होने के वलए कोई शल्ु क नहीं है।

● मांच को चतुिभजु दृवष्टकोण के साथ बनाया गया है, जो है: िीवडयो, पाठ, स्ि-मल्ू याांकन और चचाभ।

● पाठ्यक्रम: पाांच बुवनयादी पाठ्यक्रम ड्रग (पदाथभ) दरुु पयोग की रोकथाम, जरावचवकत्सा/बुजगु भ देखिाल, मनोभ्रांश की देखिाल और प्रबांधन,
राांसजेंडर मद्दु ों और सामावजक रक्षा मद्दु ों पर व्यापक पाठ्यक्रम पर हैं।

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IASBA BA'S
RAPID REVISION (RaRe)
SERIES - UPSC 2021
RaRe Notes Hindi

DAY 100 - POLITY

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विषय

711. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)


712. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
713. असम-वमजोरम सीमा वििाद (Assam-Mizoram Border Dispute)
714. आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर (Model Panchayat Citizens Charter)
715. अनुच्छे द 240 (2) (Article 240 - 2)
716. एनसीसी अविवनयम में प्रस्तावित संर्ोिन (Amendment to NCC Act proposed)
717. मेरा गांि मेरा गौरि (Mera Gaon Mera Gaurav)
718. ARISE-ANIC पहल (ARISE-ANIC Initiative)
719. वमर्न पिू ोदय (Mission Purvodaya)
720. UNATI अर्ल जय अनुसिं ान वमर्न (UNATI Atal Jai Anusandhan Mission)

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Day 100 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

711 & 712. बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)


Q.1) वसयावचन ग्लेवर्यर वस्ित है
a) अक्साई चीन के पिू श
b) लेह के पिू श
c) वगलवगत के उत्तर
d) नुब्रा घार्ी के उत्तर

Answer: (d)

व्याख्या:
वसयावचन ग्लेवर्यर दवु नया के सबसे लंबे पिशतीय ग्लवे र्यरों में से एक है, जो भारत-पावकस्तान सीमा के पास कश्मीर के काराकोरम रें ज वसस्र्म में वस्ित
है, जो उत्तर-उत्तर-पविम से दविण-दविण-पिू श तक 70 वकमी तक फै ला हुआ है।
यह 50 मील लंबी नुब्रा नदी का स्रोत है, जो श्योक की एक सहायक नदी है, जो वसंिु नदी प्रणाली का वहस्सा है। वसयावचन ग्लेवर्यर नुब्रा घार्ी के उत्तर
में वस्ित है। अतः विकल्प (D) सही है।

Q.2) भारत के इवतहास के संदभश में वनम्नवलवित यग्ु मों पर विचार कीवजएः
प्रवसद्ध स्िान ितशमान राज्य
1. भीलसा : मध्य प्रदेर्
2. द्वारसमद्रु : महाराष्ट्र
3. वगररनगर : गजु रात
4. स्िानेश्वर : उत्तर प्रदेर्
ऊपर वदए गए यग्ु मों में से कौन-सा सही समु ेवलत है?
a) के िल 1 और 3
b) के िल 1 और 4
c) के िल 2 और 3
d) के िल 2 और 4

Answer: (a)
विवदर्ा (वजसे पहले भीलसा के नाम से जाना जाता िा) भारत के मध्य प्रदेर् राज्य का एक र्हर है। यह एक परु ातावविक रूप से महविपणू श स्िल है जो
भारत के प्राचीन इवतहास के बारे में वर्लालेिों के वलए जाना जाता है। सल्ु तान जलालद्दु ीन के एक सेनापवत के रूप में, अलाउद्दीन विलजी ने 1293
सीई में परमार र्हर भीलसा पर छापा मारा। अत: यग्ु म 1 सही समु वे लत है।
हलेवबदु (वजसे द्वारसमद्रु कहा जाता िा) 12िीं र्ताब्दी में होयसल साम्राज्य की र्ाही राजिानी िी। यह कनाशर्क के हासन वजले में वस्ित है। 1310 के
अतं में, वदल्ली सल्तनत के र्ासक अलाउद्दीन विलजी ने अपने सेनापवत मवलक काफूर को भारत के दविणी िेत्रों में एक अवभयान पर भेजा। 1311 में,
मवलक काफूर ने होयसल राजिानी द्वारसमद्रु को घेर वलया, और बचाि करने िाले र्ासक िीरा बल्लाला III ने वबना वकसी प्रवतरोि के आवमसमपशण
कर वदया। अत: यग्ु म 2 सही समु ेवलत नहीं है।
वगरनार या वगररनगर गजु रात के जनू ागढ़ वजले में पहाडों का एक समहू है। यह स्िान जैवनयों के वलए पवित्र है क्योंवक यह िह स्िान है जहााँ भगिान
वनवमनाि (22िें जैन तीिंकर) मोि प्राप्त करने गए िे। यह अर्ोक के प्रमि
ु रॉक वर्लालेि XIV के वलए भी जाना जाता है, जो लगभग 250 ईसा पिू श
के हैं। अत: यग्ु म 3 सही समु ेवलत है।
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स्िानेश्वर स्िल हररयाणा के कुरुिेत्र वजले के आिवु नक िानेसर में वस्ित है। यह एक ऐवतहावसक र्हर और सरस्िती नदी के तर् पर एक महविपणू श वहदं ू
तीिशस्िल है। इसे भी बिाशस्त कर वदया गया िा और इसके कई मवं दरों को गजनी के महमदू ने नष्ट कर वदया िा। अत: यग्ु म 4 समु ेवलत नहीं है।

Q.3) वनम्नवलवित किनों पर विचार करें :


1. भारत के 36 प्रवतर्त वजलों को कें द्रीय भजू ल प्राविकरण (CGWA) द्वारा "अवतर्ोवषत" या "गंभीर" के रूप में िगीकृ त वकया गया है।
2. CGWA का गठन पयाशिरण (संरिण) अविवनयम के तहत वकया गया िा।
3. भारत में दवु नया में भजू ल वसंचाई के तहत सबसे बडा िेत्र है।
ऊपर वदए गए किनों में से कौन-सा सही है?
a) के िल 1
b) के िल 2 और 3
c) के िल 2
d) के िल 1 और 3

Answer: (b)
व्याख्या :
देर् में भजू ल संसािनों के विकास और प्रबंिन को विवनयवमत और वनयंवत्रत करने के वलए पयाशिरण (संरिण) अविवनयम, 1986 की िारा 3 (3) के
तहत कें द्रीय भजू ल प्राविकरण (CGWA) का गठन वकया गया है। अत: किन 2 सही है।
भारत की वसचं ाई ज्यादातर भजू ल अच्छी तरह से आिाररत है। 39 वमवलयन हेक्र्ेयर (इसकी कुल वसंचाई का 67%) पर, भारत के पास दवु नया की सबसे
बडी भजू ल अच्छी तरह से ससु वज्जत वसचं ाई प्रणाली है (19 MHA के साि चीन दसू रे स्िान पर है, 17 MHA के साि संयक्त
ु राज्य अमेररका तीसरे
स्िान पर है)। अतः किन 3 सही है।

Q.4) वनम्नवलवित किनों पर विचार करें :


1. जेर् िाराएं के िल उत्तरी गोलािश में होती हैं।
2. के िल कुछ चक्रिात एक आि ं विकवसत करते हैं।
3. चक्रिात की आंि के अंदर का तापमान पररिेर् की तल ु ना में लगभग 10°C कम होता है।
ऊपर वदए गए किनों में से कौन-सा सही है?
a) के िल 1
b) के िल 2 और 3
c) के िल 2
d) के िल 1 और 3

Solution (c)
व्याख्या :
किन 1 गलत है - जेर् िाराएाँ दोनों गोलाद्धों में प्रिावहत होती हैं।
किन 2 सही है - आंि मजबतू उष्ट्णकवर्बंिीय चक्रिातों के कें द्र में ज्यादातर र्ातं मौसम का िेत्र है। यह समर्ीतोष्ट्ण चक्रिातों से संबवं ित नहीं है।
किन 3 गलत है-आि ं कम दबाि और उच्च तापमान का एक िेत्र है।

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Q.5) वनम्नवलवित र्ाइगर ररजिश में से "महविपणू श बाघ आिास"के अंतगशत सबसे बडा िेत्र कौन सा है?
a) कॉबेर्
b) रणिंभौर
c) नागाजशनु सागर-श्रीर्ैलम
d) संदु रबन

Answer: (c)
व्याख्या
कोर/वक्रवर्कल र्ाइगर हैवबर्ेर् का िेत्रफल (िगश वकमी
वर्यर ररजिश
में)
कॉबेर् 821.99
रणिभं ौर 1113.364
नागाजशनु सागर-श्रीर्ैलम 2595.72
संदु रबन 1699.62

713. असम-वमजोरम सीमा वििाद (Assam-Mizoram Border Dispute)


समाचार में: असम और वमजोरम के मख्ु यमवं त्रयों ने अपने लोगों और सरु िा बलों के बीच तनाि को कम करने का प्रयास वकया।
वििाद का इवतहास
● 1875 और 1933 में सीमा सीमाक
ं न, विर्ेष रूप से दसू रा, वििाद के कें द्र में हैं।

● 1875 का सीमांकन, बगं ाल ईस्र्नश फ्रंवर्यर रे गल


ु ेर्न (बीईएफआर) अविवनयम, 1873 से वलया गया।
● इसने लर्
ु ाई पहावडयों को असम की बराक घार्ी में कछार के मैदानी इलाकों से अलग वकया।

● यह वमजो प्रमि
ु ों के परामर्श से वकया गया िा।
● और यह दो साल बाद गजर् में इनर लाइन ररजिश फॉरे स्र् सीमाक
ं न का आिार बना।

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● 1933 का सीमाक
ं न लर्
ु ाई वहल्स और मवणपरु के बीच की सीमा को वचवित करता है।
● वमजो लोग इस सीमाक
ं न को इस आिार पर स्िीकार नहीं करते वक इस बार उनके प्रमि
ु ों से सलाह नहीं ली गई िी।
● वििावदत सीमा वबंदु लैलापरु पर राज्यों के पवु लस बलों के बीच झडप के बाद तनाि चरम पर है।

714. आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर (Model Panchayat Citizens Charter)
समाचार में: कें द्रीय ग्रामीण विकास और पचं ायती राज मत्रं ी ने हाल ही में एक मॉडल पचं ायत नागररक चार्शर जारी वकया
● इसे राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पचं ायती राज संस्िान (NIRDPR) के सहयोग से तैयार वकया गया िा।
○ NIRDPR कें द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत एक स्िायत्त संगठन है।
आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर के बारे में

● लक्ष्य तिा उद्देश्य

○ लोगों को समयबद्ध तरीके से सेिाएं प्रदान करना, उनकी वर्कायतों का वनिारण करना और उनके जीिन में सिु ार करना।

○ सािशजवनक सेिाओ ं के संबंि में नागररकों को सर्क्त बनाना।

● 29 िेत्रों में सेिाओ ं के वितरण के वलए एक आदर्श पचं ायत नागररक चार्शर/ढाचं ा, स्िानीय सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के साि कायों को
सरं े वित करना।

● चार्शर पारदर्ी समािेर्ी और जिाबदेह स्िानीय स्ि सरकारों को सवु नवित करे गा।

● यह उम्मीद की जाती है वक पंचायतें इस ढाचं े का उपयोग करें गी, और ग्राम सभा के उवचत अनुमोदन के साि, नागररक चार्शर तैयार करेंगी।

● यह एक तरफ नागररकों को उनके अविकारों के प्रवत जागरूक करने में मदद करेगा, और दसू री तरफ पंचायतों और उनके वनिाशवचत प्रवतवनवियों
को सीिे लोगों के प्रवत जिाबदेह बनाने में मदद करे गा।

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वसर्ीजन चार्शर क्या है?


● यह एक स्िैवच्छक और वलवित दस्तािेज है जो सेिा प्रदाता के नागररकों/ग्राहकों की जरूरतों को परू ा करने की प्रवतबद्धता पर ध्यान कें वद्रत करने
के वलए वकए गए प्रयासों को बताता है।

○ यह सेिा प्रदाता और नागररकों/उपयोगकताशओ ं के बीच विश्वास को बरकरार रिता है।

○ इसमें िह र्ावमल है जो नागररक सेिा प्रदाता से उम्मीद कर सकते हैं।

○ इसमें यह भी र्ावमल है वक नागररक वकसी भी वर्कायत का वनिारण कै से कर सकते हैं।

● इस अििारणा को पहली बार यनू ाइर्ेड वकंगडम में जॉन मेजर की कंजिेवर्ि सरकार द्वारा 1991 में एक राष्ट्रीय कायशक्रम के रूप में व्यक्त और
कायाशववित वकया गया िा।

● नागररक चार्शर काननू ी रूप से लागू करने योग्य दस्तािेज नहीं हैं। िे नागररकों को सेिा वितरण बढ़ाने के वलए वसफश वदर्ावनदेर् हैं।

● मल
ू रूप से तैयार वकए गए वसद्धातं :

○ गणु ित्ता-सेिा की गणु ित्ता में सिु ार ।

○ विकल्प - जहां भी संभि हो ।

○ मानक - विर्ेष रूप से उल्लेि करें वक मानकों को परू ा नहीं वकया जाता है तो क्या करना है और कै से जाना है ।

○ मल्ू य-करदाताओ ं के पैसे के वलए ।

○ जिाबदेही-व्यवक्त और सगं ठन के स्तर पर ।

○ पारदवर्शता –वनयमों/योजनाओ/ं प्रवक्रयाओ/ं वर्कायतों में।

715. अनुच्छे द 240 (2) (Article 240 - 2)


दादरा और नगर हिेली और दमन और दीि को भारत के संवििान के अनुच्छे द 240 (2) के आिार पर भारत के कें द्र र्ावसत प्रदेर् के रूप में प्रर्ावसत
वकया जाता है।
भारत के राष्ट्रपवत भारत की कें द्र सरकार की ओर से िेत्र का प्रर्ासन करने के वलए एक प्रर्ासक की वनयवु क्त करते हैं।
दादरा और नगर हिेली और दमन और दीि (कें द्र र्ावसत प्रदेर्ों का विलय) वििेयक, 2019
● वििेयक ने दो कें द्र र्ावसत प्रदेर्ों के िेत्रों को मजश करने के वलए पहली अनुसचू ी में संर्ोिन वकया:
○ दादरा और नगर हिेली।
○ दमन और दीि।

● लोक प्रवतवनविवि अविवनयम, 1950 की पहली अनसु चू ी दो कें द्र र्ावसत प्रदेर्ों में से प्रवयेक को लोकसभा में एक सीर् प्रदान करती है।

● वििेयक में विलय के बाद कें द्र र्ावसत प्रदेर् को दो लोकसभा सीर्ें आिंवर्त करने के वलए अनुसचू ी में संर्ोिन करने का प्रयास वकया गया
है।

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● वििेयक में प्राििान है वक बबं ई उच्च वयायालय का िेत्राविकार विलय वकए गए कें द्र र्ावसत प्रदेर् तक जारी रहेगा।

• The First Schedule to the Representation of the People Act, 1950 provides one seat in Lok Sabha to each of the
two UTs.
• The Bill seeks to amend the Schedule to allocate two Lok Sabha seats to the merged UT
• The Bill provides that the jurisdiction of the High Court of Bombay will continue to extend to the merged UT.
दादरा और नगर हिेली और दमन और दीि का इवतहास

● दमन और दीि 1500 से 1961 तक पतु शगाली प्रर्ासन के अिीन िे।

● दादरा और नगर हिेली 1818 से 1961 तक पतु शगाली प्रर्ासन के अिीन िे।

● दादरा और नगर हिेली को 1961 में कें द्र र्ावसत प्रदेर् बनने से पहले एक िास्तविक राज्य, मक्त
ु दादरा और नगर हिेली के रूप में प्रर्ावसत
वकया गया िा।

● दमन और दीि को 1962 से 1987 के बीच गोिा, दमन और दीि के कें द्र र्ावसत प्रदेर् के वहस्से के रूप में प्रर्ावसत वकया गया िा।

● 1987 में, जब गोिा को राज्य का दजाश वदया गया िा, तब एक अलग कें द्र र्ावसत प्रदेर् बन गया।

716. एनसीसी अविवनयम में प्रस्तावित संर्ोिन (Amendment to NCC Act proposed)
समाचार में: हाल ही में, के रल के उच्च वयायालय ने राष्ट्रीय कै डेर् कोर (NCC) को अपने अविवनयम में संर्ोिन करने के वलए कहा तावक रांसजेंडर
व्यवक्तयों को NCC में नामांकन के वलए आिेदन करने की अनमु वत वमल सके ।
पृष्ठभवू म:
● 2020 में एक छात्र द्वारा अपने वलगं (रासं जेंडर) के आिार पर कॉलेज में NCC इकाई से बवहष्ट्करण का विरोि करते हुए एक ररर् यावचका
दायर की गई िी।

● यावचका में NCC अविवनयम, 6 की िारा 1948 को चनु ौती दी गई िी, वजसमें के िल 'परुु ष' या 'मवहला' कै डेर््स को अनमु वत दी गई िी।

● कें द्र सरकार ने तकश वदया वक रांसजेंडर व्यवक्तयों को NCC में नहीं जाने वदया जा सकता क्योंवक इसके वलए कोई प्राििान नहीं है।
राष्ट्रीय कै डेर् कोर (NCC)
● इसका पता 'विश्वविद्यालय कोर' से लगाया जा सकता है, वजसे भारतीय रिा अविवनयम 1917 के तहत बनाया गया िा।

● राष्ट्रीय कै डेर् कोर अविवनयम 1948 के तहत राष्ट्रीय कै डेर् कोर अवस्तवि में आया।

● 1949 में, गल्सश वडिीजन का गठन वकया गया िा।

● एनसीसी स्िैवच्छक आिार पर स्कूलों और कॉलेजों के सभी वनयवमत छात्रों के वलए िल


ु ा है।
○ NCC कै डेर् विवभवन स्तरों पर बुवनयादी सैवय प्रवर्िण प्राप्त करते हैं और सर्स्त्र बलों और उनके कामकाज से संबंवित र्ैिवणक
पाठ्यक्रम की मल
ू बातें भी रिते हैं।
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○ विवभवन प्रवर्िण वर्विर, साहवसक गवतविवियााँ और सैवय प्रवर्िण वर्विर एनसीसी प्रवर्िण का एक महविपणू श पहलू हैं।

● सवक्रय सैवय सेिा के वलए छात्रों का कोई दावयवि नहीं है।

● 1965 के भारत-पावकस्तान यद्ध


ु और 1971 के बांग्लादेर्-पावकस्तान यद्ध
ु के दौरान, एनसीसी कै डेर् रिा की दसू री पंवक्त िे।
NCC का नेतवृ ि महावनदेर्क (डीजी) करते हैं, जो थ्री-स्र्ार रैं क का अविकारी होता है।
● वनदेर्ालय - एक मेजर जनरल की अध्यिता में।
● वडिीजन/रे वजमेंर्ल कोर - प्रमि ु लेवटर्नेंर् जनरल।
● वब्रगेवडयर के नेतवृ ि में समहू ।
● बर्ावलयन- कनशल/लेवटर्नेंर् कनशल की कमान।
● कंपनी - प्रमिु द्वारा वनदेवर्त।

717. मेरा गांि मेरा गौरि (Mera Gaon Mera Gaurav)


समाचार में: कृ वष और ग्रामीण उद्योग मत्रं ालय ने मेरा गांि, मेरा गौरि कायशक्रम के तहत स्िच्छता अवभयान चलाया है।
मेरा गांि, मेरा गौरि के बारे में
● यह भारतीय कृ वष अनुसंिान पररषद (ICAR) की राष्ट्रीय अवभनि पहल है और कई गांिों में चालू है।

● यह एक कृ वष-कें वद्रत वमर्न है जो वकसान के दरिाजे पर ज्ञान का अनिु ाद करता है तावक उसके िेत-उवमि
ु को संबोवित वकया जा सके ।
● ICAR संस्िानों और विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी पडती है क्योंवक इसके पास अलग से बजर् नहीं होता है।

● इसने वकसानों को निीनतम तकनीक से समृद्ध वकया है।


इस योजना के उद्देश्य
● गांिों को गोद लेकर वनयवमत आिार पर वकसानों को आिश्यक जानकारी, ज्ञान और सलाह प्रदान करना।

● वकसानों के साि िैज्ञावनकों के प्रवयि संपकश को बढ़ािा देना।

● संगठनों और उनके कायशक्रम के बारे में वकसानों के बीच जागरूकता पैदा करना।
गांि का चयन:
● प्रवयेक सस्ं िान/विश्वविद्यालय में 4 िैज्ञावनकों के समहू अपने कायशस्िल से 50-100 वकमी के दायरे में गािं ों को गोद लेंगे।

● KVK, पंचायत और अवय संबंवित विभाग चयवनत गांिों में स्िानीय स्तर पर िैज्ञावनकों को आिश्यक सहयोग प्रदान कर सकते हैं।

भारतीय कृ वष अनुसंिान पररषद (ICAR)

● ICAR की स्िापना 16 जल
ु ाई 1929 को सोसायर्ी पंजीकरण अविवनयम, 1860 के तहत एक पंजीकृ त सोसायर्ी के रूप में की गई िी।

● यह कृ वष अनुसंिान और वर्िा विभाग (DARE), कृ वष और वकसान कल्याण मत्रं ालय, भारत सरकार के तहत एक स्िायत्त सगं ठन है।

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● इसका मख्ु यालय नई वदल्ली में है। देर् भर में फै ले 102 ICAR सस्ं िानों और 71 कृ वष विश्वविद्यालयों के साि यह दवु नया की सबसे बडी
राष्ट्रीय कृ वष प्रणावलयों में से एक है।

● यह परू े देर् में बागिानी, मवस्य पालन और पर्ु विज्ञान सवहत कृ वष में अनुसंिान और वर्िा के समविय, मागशदर्शन और प्रबंिन के वलए
र्ीषश वनकाय है।

● ICAR ने अपने अनुसंिान और प्रौद्योवगकी विकास के माध्यम से भारत में हररत क्रावं त और कृ वष में उसके बाद के विकास की र्रुु आत
करने में अग्रणी भवू मका वनभाई है।

718. ARISE-ANIC पहल (ARISE-ANIC Initiative)


सरकार द्वारा र्रू
ु वकया गया आवमावनभशर भारत ARISE-अर्ल वयू इवं डया चैलेंज (ANIC) कायशक्रम, अनुसंिान और निाचार को बढ़ािा देने और
भारतीय स्र्ार्शअप और सक्ष्ू म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रवतस्पिाशवमकता बढ़ाने के वलए एक राष्ट्रीय पहल है।
मख्ु य वबदं ु

● उद्देश्य: अनुसंिान, निाचार को उवप्रेररत करने और िेत्रीय समस्याओ ं के वलए अवभनि समािान की सवु ििा के वलए मत्रं ालयों और संबद्ध
उद्योगों के साि लगातार सहयोग करना ।

○ इसका उद्देश्य निीन उवपादों और समािानों की एक वस्िर िारा प्रदान करना है जहां कें द्र सरकार के मत्रं ालय/विभाग सभं ावित पहले
िरीदार बन जाएगं े ।

● यह पहल अर्ल इनोिेर्न वमर्न ((AIM- नीवत आयोग की एक पहल) के तहत की जाएगी ।

● कायशक्रम भारतीय अंतररि अनुसंिान संगठन (इसरो) और चार मंत्रालयों द्वारा संचावलत है—
• रिा मत्रं ालय
• िाद्य प्रसस्ं करण उद्योग मत्रं ालय
• स्िास््य और पररिार कल्याण मंत्रालय
• आिास और र्हरी मामलों के मंत्रालय
● यह अनुसंिान और निाचार को बढ़ािा देने और भारतीय स्र्ार्शअप और MSME की प्रवतस्पिाशवमकता बढ़ाने के वलए एक राष्ट्रीय पहल है।
● यह 50 लाि रुपये तक की फंवडंग सहायता प्रदान करके योग्य अनप्रु यक्त
ु अनसु िं ान-आिाररत निाचारों का समिशन करता है।
● इसका उद्देश्य अनुसंिान, निाचार को उवप्रेररत करने के वलए सम्मावनत मत्रं ालयों और संबद्ध उद्योगों के साि सवक्रय रूप से सहयोग करना है।
● अवभनि उवपादों की एक वस्िर िारा प्रदान करने के वलए जहां कें द्र सरकार के मंत्रालय/विभाग संभावित पहले िरीदार बन जाएगं े।

719. वमर्न पिू ोदय (Mission Purvodaya)


समाचार में: हाल ही में, कें द्रीय इस्पात मत्रं ी ने पिू ी भारत के विकास को बढ़ािा देने के वलए वमर्न पिू ोदय में सेल के इस्पात संयंत्रों की भवू मका पर जोर
वदया है।
वमर्न पिू ोदय

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● इसे 2020 में कोलकाता, पविम बगं ाल में एक एकीकृ त स्र्ील हब की स्िापना के माध्यम से पिू ी भारत के विररत विकास के वलए लॉवच
वकया गया िा।

● फोकस भारत के पिू ी राज्यों (ओवडर्ा, झारिंड, छत्तीसगढ़, पविम बंगाल) और आध्रं प्रदेर् के उत्तरी वहस्से पर होगा।

○ िे सामवू हक रूप से देर् के लौह अयस्क का ~80%, ~100% कोवकंग कोयला रिते हैं।

○ क्रोमाइर्, बॉक्साइर् और डोलोमाइर् भंडार का महविपणू श वहस्सा भी पाया जाता है ।

● इस हब का उद्देश्य लागत और गणु ित्ता दोनों के वलहाज से तेजी से िमता िृवद्ध और इस्पात उवपादकों की समग्र प्रवतस्पिाश में सिु ार करना
होगा।
एकीकृ त स्र्ील हब 3 प्रमि
ु तविों पर ध्यान कें वद्रत करेगा:
● ग्रीनफील्ड इस्पात संयंत्रों की स्िापना को आसान बनाना।
● मागं के वद्रों के वनकर् इस्पात समहू ों का विकास।
● रसद और उपयोवगताओ ं के बुवनयादी ढांचे का पररितशन।
राष्ट्रीय इस्पात नीवत 2017
● वित्त िषश 2031 तक घरेलू इस्पात िमता को दोगनु ा से अविक 300 MTPA करना।
● 2030-31 तक कच्चे इस्पात के उवपादन को बढ़ाने के वलए ₹10 लाि करोड का वनिेर्।
● 2031 तक हर साल 1.2 करोड र्न (MT) की नई िमता स्िावपत करना।

720. UNATI अर्ल जय अनुसिं ान वमर्न (UNATI Atal Jai Anusandhan Mission)
समाचार में: अगले 5 िषों के दौरान स्िास््य, कृ वष और ऊजाश िेत्रों में बदलाि की उम्मीद है।
अर्ल जय अनुसंिान बायोर्ेक वमर्न के बारे में
● जैि प्रौद्योवगकी विभाग (DBT), विज्ञान और प्रौद्योवगकी मत्रं ालय द्वारा कायाशववित।

● यह अगले 5 िषों के दौरान स्िास््य, कृ वष और ऊजाश िेत्रों को बदलने की उम्मीद है।


इस वमर्न में र्ावमल हैं:
● GARBH-ini (जवम पररणामों में उवनत अनुसंिान के वलए अतं ःविषय समहू - DBT भारत पहल)

○ अध्ययन का उद्देश्य समय पर रे फरल और जवम देिभाल की सवु ििा प्रदान करना है।

● Ind-CEPI वमर्न
o DBT का एक भारत कें वद्रत सहयोगी वमर्न है जो CEPI (महामारी की तैयारी निाचारों का गठबंिन) की िैवश्वक पहल से जडु ा है।
o अर्ल जय अनुसंिान बायोर्ेक वमर्न के बारे में
o जैि प्रौद्योवगकी विभाग (डीबीर्ी), विज्ञान और प्रौद्योवगकी मत्रं ालय द्वारा कायाशववित।
o यह अगले 5 िषों के दौरान स्िास््य, कृ वष और ऊजाश िेत्रों को बदलने की उम्मीद है ।
o तेजी से िैक्सीन विकास के माध्यम से महामारी की तैयारी।

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Day 100 IASBaba’s Rapid Revision Series (RaRe)

o पडोसी देर्ों में नैदावनक परीिण अनुसंिान िमता को सदृु ढ़ बनाना।

● दृढ़ गेहं के पोषण में सिु ार


o सक्ष्ू म पोषक कुपोषण की समस्याओ ं को दरू करना और प्रगवतर्ील वकसानों को बेहतर गेहं उगाने में मदद करना।

● स्िच्छ भारत के वलए UNATI वमर्न स्िच्छ प्रौद्योवगकी


o जैि-मेिनेर्न, वनवमशत आद्रशभवू म, जैि-र्ौचालय, रासायवनक और वझल्ली मक्त
ु जल र्ोिन आवद को बढ़ािा देना।

● िैवश्वक रोगाणरु ोिी प्रवतरोि अनुसिं ान और विकास कें द्र


o िैवश्वक AMR अनुसंिान एिं विकास में समविय और सहयोग में सिु ार के वलए कायश करना।

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