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राष्ट्रीय शिक्षा नीशि की (नेप) 2020 की प्रमुख शििेषिाएँ : उच्चिर शिक्षा

1. नीशि के मूल शिद्ाांि:

 जानना और पहचानना, िैक्षशिक और गैर-िैक्षशिक दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक छात्र के


िमग्र शिकाि को बढािा देने के शलए शिक्षकों के िाथ-िाथ अशििािकों को िी
जागरूक करके प्रत्येक छात्र की अशििीय क्षमिाओं को बढािा देना।
 ग्रेड 3 िक के ििी छात्रों को मूलिूि िाक्षरिा और न्यूमेरिी प्राप्त करने के शलए
ििोच्च प्राथशमकिा प्रदान करना ।;
 लचीलापन, िाकक शिक्षार्थियों को उनके िीखने के प्रक्षेपिक्र और कायिक्रमों को चुनने
की क्षमिा हो, और इि िरह िे अपनी प्रशििा और रुशचयों के अनुिार जीिन में अपना
रास्िा चुन िकें ;
 कला और शिज्ञान के बीच कोई कठिन अलगाि नहीं, पाठ्यक्रम और पाठ्येिर
गशिशिशियों , व्याििाशयक और िैक्षशिक िाराओं और िीखने के शिशिन्न क्षेत्रों के
बीच हाशनकारक पदानुक्रम और बािाओं को िमाप्त करना
 बहुअनुिािशनक और िमग्र शिक्षा एक बहु-शिषयक दुशनया के शलए शिज्ञान,
िामाशजक शिज्ञान, कला, मानशिकी और खेल में ज्ञान की एकिा और अखांडिा को
िुशनशिि करना ;
 रटने और परीक्षा के शलए िीखने की अपेक्षा िैचाठरक िमझ पर जोर ;
 िार्कि क शनििय लेने और निाचार को प्रोत्िाशहि करने के शलए रचनात्मकिा और
महत्िपूिि िोच;
 नैशिकिा, मानि और िांिि
ै ाशनक मूल्य जैिे िहानुिूशि, दूिरों के शलए िम्मान,
स्िच्छिा, शिष्टाचार, लोकिाांशत्रक िािना, िेिा की िािना, िाििजशनक िांपशि के शलए
िम्मान, िैज्ञाशनक स्ििाि, स्ििांत्रिा, शजम्मेदारी, बहुलिाद, िमानिा और न्याय;
 शिक्षि और िीखने में बहुिाषािाद और िाषा की िशि को बढािा देना;
 जीिन कौिल जैिे िांचार, िहयोग, टीम िकि , और लचीलापन;
 िीखने के शलए शनयशमि रूप िे मूल्याांकन पर ध्यान कें किि करें योगात्मक आकलन के
बजाय जो आज की 'कोचचांग िांस्कृ शि' को प्रोत्िाशहि करिा है;
 शिक्षि और िीखने में प्रौद्योशगकी का व्यापक उपयोग, िाषा की बािाओं को दूर
करना, कदव्याांग छात्रों के शलए बढिी पहुांच और िैशक्षक योजना और प्रबांिन;
 शिशिििा के शलए िम्मान हमेिा यह ध्यान में रखिे हुए कक शिक्षा एक िमििी शिषय
है और ििी पाठ्यक्रमों, शिक्षािास्त्र और नीशि में स्थानीय िांदिि के शलए िम्मान;
 पूिि इकिटी और िमािेिन ििी िैक्षशिक शनिियों की आिारशिला के रूप में यह
िुशनशिि करना कक ििी छात्र शिक्षा प्रिाली के शिकाि में िक्षम हैं;
 बचपन की देखिाल और शिक्षा िे स्कू ल शिक्षा िक उच्च शिक्षा िक शिक्षा के ििी स्िरों
पर पाठ्यक्रम में िालमेल;
 शिक्षकों और िांकाय के िीखने की प्रकक्रया को पूिि मनोयोग िे अपनाने के रूप में -
उनकी ििी, शनरां िर पेिेिर शिकाि, िकारात्मक कायि िािािरि और िेिा की शस्थशि;
 स्िायििा, िुिािन और िििीकरि के माध्यम िे निाचार और आउट-ऑफ-द-बॉक्ि
शिचारों को प्रोत्िाशहि करिे हुए ऑशडट और िाििजशनक प्रकटीकरि के माध्यम िे
िैशक्षक प्रिाली की अखांडिा, पारदर्िििा और िांिािन दक्षिा िुशनशिि करने के शलए
एक 'हल्का लेककन िांग' शनयामक ढाांचा;
 उत्कृ ष्ट िोि उत्कृ ष्ट शिक्षा और शिकाि के शलए एक महत्िपूिि स्रोि के रूप में;
 शनरां िर िमीक्षा िैशक्षक शििेषज्ञों िारा शनरां िर अनुिांिान और शनयशमि मूल्याांकन के
आिार पर प्रगशि;
 िारि में एक जड़हीनिा और गिि, और इिकी िमृद्, शिशिि, प्राचीन और आिुशनक
िांस्कृ शि और ज्ञान प्रिाली और परां पराएां।
 शिक्षा एक िाििजशनक िेिा है; गुिििापूिि शिक्षा िक पहुँच प्रत्येक बच्चे का मूल
अशिकार माना जाना चाशहए;
 एक मजबूि, जीिांि िाििजशनक शिक्षा प्रिाली में पयािप्त शनिेि िाथ ही िच्चे परोपकारी
शनजी और िामुदाशयक िागीदारी को प्रोत्िाहन और िुशििा प्रदान करना।

2. नीशि का दििन

 एक शिक्षा प्रिाली जो िारिीय लोकाचार में शनशहि है जो िारि को बदलने में


िीिे योगदान देिी है, एक िमिामूलक और जीिांि ज्ञान िमाज में, ििी को उच्च-
गुिििा की शिक्षा प्रदान करके िारि को एक िैशिक ज्ञान महािशि बनाना है।

 हमारे िांस्थानों के पाठ्यक्रम और शिक्षािास्त्र में मौशलक कििव्यों और िांिैिाशनक


मूल्यों के प्रशि िम्मान, एक देि के िाथ िांबांि और एक बदलिी दुशनया में ककिी की
िूशमका और शजम्मेदाठरयों के बारे में जागरूकिा शिकशिि करनी चाशहए।

 िारिीय होने में एक गहन-गर्ििि गिि पैदा करने के शलए, न के िल शिचार में, बशल्क
आत्मा, बुशद् और कमों में, िाथ ही िाथ ज्ञान, कौिल, मूल्यों और प्रस्िािों को
शिकशिि करने के शलए, जो मानि अशिकारों, ठटकाऊ शिकाि और शजम्मेदार
प्रशिबद्िा का िमथिन करें । जीिांि और िैशिक कल्याि, शजििे िास्िि में िैशिक
नागठरक प्रशिचबांशबि होिा है।

3. गुिििा की ििें और िांकलन: िारि के नागठरक शिक्षा प्रिाली के शलए एक नया और


आिुशनक दृशष्टकोि

 अच्छी शिचारिील, बहुआयामी और रचनात्मक दृशष्टकोि को शिकशिि करने के


शलए गुिििा पूिि उच्च शिक्षा का लक्ष्य होना चाशहए।

 एक व्यशि को एक या अशिक शिशिष्ट क्षेत्रों का अध्ययन करने में िक्षम बनाना


चाशहए गहन स्िर पर रुशच, और चाठरशत्रक, नैशिक और िांिैिाशनक मूल्यों, बौशद्क
शजज्ञािा, िैज्ञाशनक स्ििाि, रचनात्मकिा, िेिा की िािना, शिज्ञान, िामाशजक
शिज्ञान, कला, मानशिकी, िाषा िशहि शिषयों की एक िीमा िे परे िाथ ही पेिि
े र,
िकनीकी और व्याििाशयक शिषय को िाशमल करिे हुए 21 िीं िदी की क्षमिाओं
को शिकशिि करना है।

 उच्च गुिििा िाली शिक्षा के शलए व्यशिगि उपलशधि और ज्ञान, रचनात्मक


िाििजशनक िहिाशगिा और िमाजोपयोगी योगदान को िक्षम करना चाशहए।

 छात्रों को अशिक िाथिक और िांिोषजनक जीिन और कायि की िूशमकाओं के शलए


िैयार करना चाशहए और आर्थिक स्ििांत्रिा को िक्षम करना चाशहए।

 िारि में उच्च शिक्षा प्रिाली में िििमान में मौजूद कु छ प्रमुख िमस्याओं में िाशमल
हैं:

 गांिीर रूप िे खांशडि उच्च िैशक्षक पाठरशस्थशिकी िांत्र;


 िांज्ञानात्मक कौिल और िीखने के पठरिामों के शिकाि पर कम जोर;
 प्रारां शिक शििेषज्ञिा और अध्ययन के िांकीिि क्षेत्रों में छात्रों की स्रीचमांग
के िाथ शिषयों का एक कठिन शििाजन ;
 शििेष रूप िे िामाशजक-आर्थिक रूप िे िांशचि क्षेत्रों में िीशमि पहुांच,
कु छ उच्च िैक्षशिक िांस्थान जो स्थानीय िाषाओं में पढािे हैं
 िीशमि शिक्षक और िांस्थागि स्िायििा;
 योग्यिा आिाठरि कै ठरयर प्रबांिन और िांकाय और िांस्थागि नेिाओं की
प्रगशि के शलए अपयािप्त िांत्र;
 अशिकाांि शििशिद्यालयों और कॉलेजों में िोि पर कम जोर, और
शिषयों में प्रशिस्पिी िहकर्मियों की िमीक्षा िथा शिि पोषि की कमी;
 उच्च िैक्षशिक िांस्थानों का िािन और नेिाशगरी ;
 एक अप्रिािी शनयामक प्रिाली; िथा
 स्नािक शिक्षा के शनम्न मानकों के पठरिामस्िरूप बड़े िांबद्
शििशिद्यालय।
 यह नीशि िििमान प्रिाली में शनम्नशलशखि प्रमुख पठरिििनों को लागू करिी है:

o िारि िर में अशिक उच्च िैक्षशिक िांस्थानों के िाथ बहु-शिषयक


शििशिद्यालयों और कॉलेजों की ओर बढिे हुए, जो स्थानीय / िारिीय
िाषाओं में शिक्षा का माध्यम प्रदान करिे हैं;
एक अशिक बहु-शिषयक स्नािक शिक्षा की

ओर अग्रिर ;

o िांकाय और िांस्थागि स्िायििा की ओर अग्रिर


o पाठ्यक्रम, शिक्षािास्त्र, मूल्याांकन और छात्र िमथिन में िुिार
o िांकाय और िांस्थागि नेिृत्ि की शस्थशि की अखांडिा की पुशष्ट करना
o एक राष्ट्रीय अनुिांिान फाउां डेिन की स्थापना
o िैक्षशिक और प्रिािशनक स्िायििा िाले स्ििांत्र बोडों िारा उच्च
िैक्षशिक िांस्थानों पर िािन;
o "उच्च शिक्षा के शलए एकल शनयामक िारा हल्का लेककन िांग ”शिशनयमन;
o पहुांच, इकिटी और िमािेि को बढािा
o
4. इां स्टीट्यूिनल ठरजल्ट और कां िॉशलडेिन

 2040 िक, ििी उच्च शिक्षा िांस्थानों (HEI) को बहु-शिषयक िांस्थान बनना होगा,
शजनमें िे प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या अशिक छात्र होंगे।

 2030 िक, हर शजले में या उिके पाि कम िे कम एक बडा बहु-शिषयक उच्च


िैक्षशिक िांस्थान होगा।

 इिका उद्देश्य उच्च शिक्षा में िकल नामाांकन अनुपाि को 2035 िक व्याििाशयक
शिक्षा िशहि 26.3% (2018) िे बढाकर 50% करना होगा।
 शिकाि िाििजशनक और शनजी दोनों िांस्थानों में होगा, शजिमें बड़ी िांख्या में उत्कृ ष्ट
िाििजशनक िांस्थानों के शिकाि पर जोर होगा

 एक शििशिद्यालय का अथि उच्च शिक्षा का एक बहु-शिषयक िांस्थान होगा जो उच्च


गुिििा िाले शिक्षि, अनुिांिान और िामुदाशयक िहिाशगिा के िाथ स्नािक और
स्नािक कायिक्रम प्रदान करिा है।

 इि प्रकार शििशिद्यालय की पठरिाषा उन िांस्थानों के एक स्पेक्रम की अनुमशि


देगी जो शिक्षि और अनुिांिान यानी अनुिांिान-गहन शििशिद्यालयों पर िमान
जोर देिे हैं। जो शिक्षि पर अशिक जोर देिे हैं, लेककन कफर िी महत्िपूिि िोि
अथािि शिक्षि-गहन शििशिद्यालयों का िांचालन करिे हैं।

 स्िायि शडग्री-अनुदान देने िाला कॉलेज (एिी) एक बड़े बहु-शिषयक को िांदर्ििि


करे गा जो स्नािक की शडग्री प्रदान करिा है और प्राथशमक रूप िे स्नािक शिक्षि पर
कें किि है, हालाांकक यह उि िक िीशमि नहीं होगा।

 श्रेिीबद् मान्यिा की एक पारदिी प्रिाली के माध्यम िे, कॉलेजों को ग्रेडड



स्िायििा देने के शलए एक मांच-िार िांत्र स्थाशपि ककया जाएगा । उच्च िैक्षशिक
िांस्थानों को अपनी योजनाओं, कायों और प्रिाििीलिा के आिार पर िीरे -िीरे एक
श्रेिी िे दूिरी श्रेिी में ले जाने की स्िायििा और स्ििांत्रिा होगी।

 ये िीन व्यापक प्रकार के िांस्थान ककिी िी प्राकृ शिक िरीके िे एक किोर, बशहष्कृ ि
िगीकरि नहीं हैं, लेककन एक शनरां िरिा के िाथ हैं।

 उच्च िैक्षशिक िांस्थान उनके शिकाि, िामुदाशयक िहिाशगिा और िेिा, अभ्याि के


शिशिन्न क्षेत्रों में योगदान, उच्च शिक्षा प्रिाली के शलए िांकाय शिकाि और स्कू ली
शिक्षा के िमथिन में अन्य उच्च िैक्षशिक िांस्थानों का िमथिन करें गे।

 िांस्थानों के पाि ओपन शडस्टेंि लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन कायिक्रम चलाने


का शिकल्प होगा, बििे उन्हें ऐिा करने के शलए मान्यिा प्राप्त हो।

 एकल-िारा उच्च िैक्षशिक िांस्थानों को िमय के िाथ चरिबद् ककया जाएगा, और


ििी जीिांि बहु-शिषयक िांस्थानों या जीिांि बहु-शिषयी उच्च िैक्षशिक िांस्थान
िमूहों के िाग बनने की ओर बढेंगे।
 'िांबद् कॉलेजों' की प्रिाली को क्रशमक स्िायििा की एक प्रिाली के माध्यम िे पांिह
िषों की अिशि में िीरे -िीरे चरिबद् ककया जाएगा, और यह कायि एक चुनौिी
मोड में ककया जाएगा।

 िमग्र उच्च शिक्षा क्षेत्र का उद्देश्य व्याििाशयक और व्याििाशयक शिक्षा िशहि


एकीकृ ि उच्च शिक्षा प्रिाली होगी।

 देि में उच्च िैक्षशिक िांस्थानों के िििमान जठटल नामकरि जैिे कक 'शििशिद्यालय
के रूप में िमझा जाने िाला', 'िांबद् शििशिद्यालय', 'िांबद् िकनीकी
शििशिद्यालय', 'एकात्मक शििशिद्यालय' आकद को मानदांडों को पूरा करने पर
बि 'शििशिद्यालय' िारा प्रशिस्थाशपि ककया जाएगा।

5. एक अशिक ऐशिहाशिक और बहुिाषी शिक्षा कायिक्रम

 एक िमग्र और बहुआयामी शिक्षा मानि के बौशद्क, िौंदयि, िामाशजक, िारीठरक,


िािनात्मक और नैशिक ििी क्षमिाओं को एकीकृ ि िरीके िे शिकशिि करने का
लक्ष्य रखेगी।

 इि िरह की िमग्र शिक्षा, पेिेिर, िकनीकी और व्याििाशयक शिषयों िशहि ििी


स्नािक कायिक्रमों के दृशष्टकोि के शलए लांबी अिशि में होगी।

 यहाां िक कक IIT जैिे इां जीशनयररां ग िांस्थान, अशिक कला और मानशिकी के िाथ
िमग्र और बहु-शिषयक शिक्षा की ओर बढेंगे। कला और मानशिकी के छात्र अशिक
शिज्ञान िीखने का लक्ष्य रखेंगे और ििी अशिक व्याििाशयक शिषयों और िॉफ्ट
शस्कल को िाशमल करने का प्रयाि करें गे।

 कल्पनािील और लचीली पाठ्यक्रम िांरचनाएां अध्ययन के शलए शिषयों के


रचनात्मक िांयोजनों को िक्षम करे गी, और कई प्रिेि और शनकाि चबांदओं
ु की
पेिकि करे गी।

 िाषा, िाशहत्य, िांगीि, दििन, कला, नृत्य, रां गमांच, शिक्षा, गशिि, िाांशख्यकी, िुद्
और अनुप्रयुि शिज्ञान, िमाजिास्त्र, अथििास्त्र, खेल, अनुिाद और व्याख्या आकद
शििागों को ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों में स्थाशपि और मजबूि ककया जाएगा।

 ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों के पाठ्यक्रम में िामुदाशयक िहिाशगिा और िेिा,


पयाििरि शिक्षा और मूल्य-आिाठरि शिक्षा के क्षेत्रों में क्रेशडट-आिाठरि पाठ्यक्रम
और पठरयोजनाएां िाशमल होंगी।
 स्नािक की शडग्री 3 या 4 िाल की अिशि की होगी, इि अिशि के िीिर कई
शनकाि शिकल्प के िाथ, उपयुि प्रमािपत्र के िाथ, उदाहरि के शलए, व्याििाशयक
या व्याििाशयक क्षेत्रों िशहि एक अनुिािन या क्षेत्र में 1 िषि पूरा करने के बाद एक
प्रमाि पत्र, या 2 के बाद एक शडप्लोमा अध्ययन के िषों, या एक 3 िाल के
कायिक्रम के बाद स्नािक की शडग्री। 4-िषीय बहु-शिषयक स्नािक कायिक्रम, पिांदीदा
शिकल्प होगा।

 एक अकादशमक बैंक ऑफ क्रेशडट (एबीिी) स्थाशपि ककया जाएगा जो शिशिन्न


मान्यिा प्राप्त उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िे अर्जिि िैक्षशिक क्रेशडट को शडशजटल रूप िे
िांग्रहीि करे गा िाकक उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िे प्राप्त शडग्री को अर्जिि क्रेशडट में ध्यान
में रखिे हुए िम्माशनि ककया जा िके ।

 यकद छात्र उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िारा शनर्दिष्ट अध्ययन के अपने प्रमुख क्षेत्र (ओं) में
एक किोर अनुिांिान पठरयोजना को पूरा करिा है, िो 4-िषीय कायिक्रम िी
'अनुिांिान के िाथ' एक शडग्री का नेिृत्ि कर िकिा है।

 िमग्र और बहु-शिषयक शिक्षा के शलए आदिि िाििजशनक शििशिद्यालय, IIT, IIM,


आकद के िाथ, शजन्हें MERUs (बहु-शिषयक शिक्षा और अनुिांिान शििशिद्यालय)
कहा जािा है, की स्थापना की जाएगी और गुिििा शिक्षा के उच्चिम िैशिक
मानकों को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा जाएगा ।

 उच्च िैक्षशिक िांस्थान, स्टाटि-अप इन्क्यूबेिन िेंटर, प्रौद्योशगकी शिकाि कें ि,


अनुिांिान के प्रमुख क्षेत्रों में कें ि, अशिक िे अशिक उद्योग-िैक्षशिक िांपकि और
मानशिकी और िामाशजक शिज्ञान अनुिांिान िशहि अांिःशिषय अनुिांिान की
स्थापना करके अनुिांिान और निाचार पर ध्यान कें किि करें गे ।

6. छात्रों के शलए िैकशल्पक प्रशिक्षि पाठ्यक्रम और िमथिन

 िांस्थानों और फै कल्टी को पाठ्यक्रम, शिक्षािास्त्र, और उच्च शिक्षा शिक्षा के व्यापक


ढाांचे के िीिर मूल्याांकन के मामलों पर निाचार करने की स्िायििा होगी।

 ििी मूल्याांकन प्रिाशलयाँ िी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िारा िय की जाएांगी, शजनमें


अांशिम प्रमािन िी िाशमल है। च्िाइि बेस्ड क्रेशडट शिस्टम (CBCS) को इनोिेिन
और लचीलेपन के शलए िांिोशिि ककया जाएगा।
 उच्च िैक्षशिक िांस्थान एक मानदांड-आिाठरि ग्रेचडांग प्रिाली की ओर बढेगा जो
प्रत्येक कायिक्रम के शलए िीखने के लक्ष्यों के आिार पर छात्र की उपलशधि का
आकलन करिा है

 उच्च िैक्षशिक िांस्थान िी अशिक शनरां िर और व्यापक मूल्याांकन की कदिा में उच्च-
िनाि िाली परीक्षाओं िे दूरी बनाएँगे।

 प्रत्येक िांस्थान अपनी अकादशमक योजनाओं को पाठ्यक्रम िुिार िे लेकर कक्षा


लेनदेन की गुिििा िक - अपनी बड़ी िांस्थागि शिकाि योजना (IDP) में एकीकृ ि
करे गा।

 ििी छात्रों को उच्च गुिििा िाले िहायिा कें ि और पेिेिर िैक्षशिक और कै ठरयर
परामिि उपलधि कराए जाएांगे।

 ओडीएल के प्रिालीगि शिकाि, शिशनयमन, और मान्यिा के शलए मानदांड, मानक


और कदिाशनदेि िैयार ककए जाएांगे, और ओडीएल की गुिििा के शलए एक
रूपरे खा िैयार की जाएगी जो ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िारा िांस्िुि ।

 ििी कायिक्रमों, पाठ्यक्रमों और शिषयों में शिक्षािास्त्र, इन-क्लाि, ऑनलाइन, और


ओडीएल मोड में और िाथ ही छात्र िमथिन गुिििा के िैशिक मानकों को प्राप्त
करना होगा।

7. अांिरािष्ट्रीयकरि

 िारि में अध्ययन करने िाले अांिरािष्ट्रीय छात्रों की बड़ी िांख्या, और िारि में छात्रों
के शलए अशिक गशििीलिा, अध्ययन करना, क्रेशडट राांिफर करना, या शिदेिों में
िांस्थानों में िोि करना ।

 िारि को िस्िी कीमि पर प्रीशमयम शिक्षा प्रदान करने िाले िैशिक अध्ययन गांिव्य
के रूप में बढािा कदया जाएगा

 शिदेिी छात्रों की मेजबानी करने िाले प्रत्येक उच्च िैक्षशिक िांस्थान में एक
अांिरािष्ट्रीय छात्र कायािलय शिदेि िे आने िाले छात्रों के स्िागि और िमथिन िे
िांबांशिि ििी मामलों के िमन्िय के शलए स्थाशपि ककया जाएगा।

 उच्च गुिििा िाले शिदेिी िांस्थानों के िाथ अनुिांिान / शिक्षि िहयोग और िांकाय
/ छात्र आदान-प्रदान की िुशििा होगी
 उच्च प्रदििन करने िाले िारिीय शििशिद्यालयों को अन्य देिों में पठरिर स्थाशपि
करने के शलए प्रोत्िाशहि ककया जाएगा

 इिी िरह, चयशनि शििशिद्यालयों जैिे, दुशनया के िीषि 100 शििशिद्यालयों में िे
शजन्हें िारि में काम करने की िुशििा होगी।

 इि िरह की प्रशिशष्ट की िुशििा प्रदान करने िाले एक शििायी ढाांचे को रखा


जाएगा, और ऐिे शििशिद्यालयों को िारि के अन्य स्िायि िांस्थानों के िाथ
शनयामक, िािन, और िामग्री मानदांडों के बारे में शििेष जानकारी दी जाएगी।

8. छात्र की गशिशिशि और िागीदारी

 खेल, िांस्कृ शि / कला क्लबों, इको-क्लबों, गशिशिशि क्लबों, िामुदाशयक िेिा


पठरयोजनाओं आकद में िाग लेने के बहुि िारे अििर उपलधि कराए जाएांगे ।

 प्रत्येक शिक्षा िांस्थान में, िनाि और िािनात्मक िमायोजन िे शनपटने के शलए


परामिि प्रिाली होगी।

 आिश्यकिानुिार छात्रािाि की िुशििाएां बढाना।

 ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थान अपने िांस्थानों में ििी छात्रों के शलए गुिििापूिि
शचककत्िा िुशििाएां िुशनशिि करें गे।

9. छात्रों के शलए शििीय िमथिन

 एििी, एिटी, ओबीिी, और अन्य एिईडीजी िे िांबांशिि छात्रों की योग्यिा को


प्रोत्िाशहि करने का प्रयाि ककया जाएगा।

 शनजी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों को अपने छात्रों को बड़ी िांख्या में मुफ्ि हिाई यात्रा
और छात्रिृशि प्रदान करने के शलए प्रोत्िाशहि ककया जाएगा।

10. शनजी, अशिकृ ि, और योग्य िुशििा

 ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थान स्िच्छ पेयजल, स्िच्छ कायि िौचालय, धलैकबोडि,
कायािलय, शिक्षि आपूर्िि, पुस्िकालय, प्रयोगिाला और िुखद कक्षा स्थान और
पठरिरों िशहि बुशनयादी िुशििाओं और िुशििाओं िे लैि होंगे।

 हर कक्षा में निीनिम िैशक्षक प्रौद्योशगकी िक पहुँच होनी चाशहए जो िीखने के


बेहिर अनुििों को िक्षम बनािी है।
 िांकाय को अनुमोकदि ढाांचे के िीिर अपने स्ियां के पाठ्यक्रम और िैक्षशिक
दृशष्टकोिों को शडजाइन करने की स्ििांत्रिा दी जाएगी।

 उच्च िैक्षशिक िांस्थान में स्पष्ट रूप िे पठरिाशषि, स्ििांत्र और पारदिी प्रकक्रया और
िांकाय ििी के मानदांड होंगे।

11. शििु शिक्षा में योग्यिा और िमािेि

 उच्च शिक्षा के शलए शिशिष्ट कायि ििी िरकारों और उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िारा
अपनाए जाएांगे।

 िरकारों िारा उिाए जाने िाले कदम

(a) SEDGs की शिक्षा के शलए िषििार उपयुि िरकारी िन उपलधि


कराना

(b) SEDGs के शलए उच्च GER के शलए स्पष्ट लक्ष्य शनिािरि


(c) उच्च िैक्षशिक िांस्थानों में प्रिेि में लैंशगक िांिुलन बढाना
(d) अत्यशिक आिश्यकिा िाले शजलों और शििेष शिक्षा क्षेत्रों में अशिक उच्च
गुिििा िाले उच्च िैक्षशिक िांस्थानों की स्थापना करके पहुांच बढाना
(e) उच्च-गुिििा िाले उच्च िैक्षशिक िांस्थानों का शिकाि और िमथिन
करना जो स्थानीय / िारिीय िाषाओं में या शििाषी रूप िे शिखािे हैं
(f) SEDGs को िाििजशनक और शनजी दोनों उच्च िैक्षशिक िांस्थानों में
अशिक शििीय िहायिा और छात्रिृशि प्रदान करें
(g) SEDGs के बीच उच्च शिक्षा के अििरों और छात्रिृशि पर बढ चढकर
कायिक्रमों का िांचालन करना
(h) बेहिर िागीदारी और िीखने के पठरिामों के शलए प्रौद्योशगकी उपकरिों
का शिकाि और िमथिन करें ।

 ििी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों िारा उिाए जाने िाले कदम

(a) उच्च शिक्षा को आगे बढाने के शलए अििर लागि और िुल्क को कम करें
(b) अशिक शििीय िहायिा और छात्रिृशि प्रदान करें
(c) उच्च शिक्षा के अििरों और छात्रिृशि के आिार पर आचरि
(d) प्रिेि प्रकक्रयाओं को अशिक िमािेिी बनाएां
(e) पाठ्यक्रम को अशिक िमािेिी बनाएां
(f) उच्च शिक्षा कायिक्रमों की रोजगार क्षमिा में िृशद्
(g) िारिीय िाषाओं में और शििाषी रूप िे पढाए जाने िाले अशिक शडग्री
पाठ्यक्रम शिकशिि करना
(h) िुशनशिि करें कक ििी इमारिें और िुशििाएां व्हीलचेयर-िुलि और
अक्षम हैं
(i) िांशचि िैशक्षक पृष्ठिूशम िे आने िाले छात्रों के शलए िेिु पाठ्यक्रम
शिकशिि करना
(j) िामाशजक-िािनात्मक और िैक्षशिक िहायिा और िलाह प्रदान करें
(k) जेंडर-आइडेंठटटी इश्यू पर फै कल्टी, काउां िलर और छात्रों के िांिेदीकरि
को िुशनशिि करना और उच्च िैक्षशिक िांस्थानों के ििी पहलुओं में
िाशमल करना, शजिमें पाठ्यक्रम िाशमल हैं
(l) ििी गैर-िेदिाि और उत्पीड़न शिरोिी शनयमों को िख्िी िे लागू करें
(m) िांस्थागि शिकाि योजनाएां शिकशिि करें शजिमें SEDGs िे बढिी
िागीदारी पर कारि िाई की शिशिष्ट योजना हो।

12. राष्ट्रीय शिक्षा अशियान की िमीक्षा

 अगले दिक में व्याििाशयक शिक्षा को चरिबद् िरीके िे ििी स्कू ल और उच्च
शिक्षा िांस्थानों में एकीकृ ि ककया जाएगा।

 2025 िक, स्कू ल और उच्च शिक्षा प्रिाली के माध्यम िे कम िे कम 50%


शिक्षार्थियों को व्याििाशयक शिक्षा के शलए जोशखम लेना होगा, शजिके शलए लक्ष्य
और िमयिीमा के िाथ एक स्पष्ट कायि योजना शिकशिि की जाएगी।

 उच्च शिक्षा िांस्थान अपने स्रोि िे और गैर िरकारी िांगिनों के िाथ िाझेदारी में
व्याििाशयक शिक्षा प्रदान करें गे।

 बचलर ऑफ िोके िनल स्टडीज 2013 में िुरू की गई शडग्री मौजूद रहेगी, लेककन
अन्य ििी स्नािक शडग्री कायिक्रमों में नामाांककि छात्रों के शलए व्याििाशयक
पाठ्यक्रम िी उपलधि होंगे, शजिमें 4-िषीय बहु-शिषयक स्नािक कायिक्रम िाशमल
हैं।

 'लोक शिद्या, अथािि, िारि में शिकशिि महत्िपूिि व्याििाशयक ज्ञान, व्याििाशयक
शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरि के माध्यम िे छात्रों के शलए िुलि बनाया जाएगा।

 मुि और दूरििी शिक्षा के माध्यम िे व्याििाशयक पाठ्यक्रमों की पेिकि की


िांिािना का िी पिा लगाया जाएगा।
 मानि िांिािन शिकाि मांत्रालय इि प्रयाि की देखरे ख के शलए उद्योगों के िहयोग
िे व्याििाशयक शिक्षा के शििेषज्ञों और व्याििाशयक मांत्रालयों के प्रशिशनशियों िे
शमलकर एक राष्ट्रीय िशमशि का गिन करे गा ।

 उद्योगों के िाथ िाझेदारी में उच्च शिक्षा िांस्थानों में कें ि स्थाशपि ककए जाएांगे।

 िारिीय मानकों को अांिरािष्ट्रीय श्रम िांगिन िारा बनाए गए व्यििायों के


अांिरािष्ट्रीय मानक िगीकरि के िाथ जोड़ा जाएगा।

 क्रेशडट-आिाठरि फ्रेमिकि िी 'िामान्य' और व्याििाशयक शिक्षा में गशििीलिा की


िुशििा प्रदान करे गा।

13. ििी नए क्षेत्रों में गुिििा योग्यिा अनुिि


ां ान एक नया राष्ट्रीय िोि िांस्थान

 एक राष्ट्रीय अनुिांिान फाउां डेिन (NRF) की स्थापना।

 एनआरएफ का व्यापक लक्ष्य हमारे शििशिद्यालयों के माध्यम िे िोि की िांस्कृ शि


को िक्षम बनाना होगा।

 राष्ट्रीय अनुिांिान फाउां डेिन (NRF) स्ििांत्र रूप िे िरकार, एक घूििन बोडि ऑफ
गिनििि िारा िाशिि होगा, शजिमें शिशिन्न क्षेत्रों में बहुि ही बेहिरीन िोिकिाि
और निप्रिििक िाशमल होंगे।

 राष्ट्रीय अनुिांिान फाउां डेिन की प्राथशमक गशिशिशियाां शनम्नशलशखि होंगी:


o ििी प्रकार के और ििी शिषयों में फां ड प्रशिस्पिी, िहकमी-िमीक्षा अनुदान
प्रस्िाि;
o िैक्षशिक िांस्थानों में अनुिांिान के शलए बीज, शिकाि और िुशििा
o िोिकिािओं और िरकार की प्रािांशगक िाखाओं के िाथ-िाथ उद्योग के बीच
िांपकि के रूप में कायि करना; िाकक िफलिाओं को नीशि और / या
कायािन्ियन में बेहिर रूप िे लाया जा िके ; िथा
o बकाया अनुिांिान और प्रगशि को पहचानना

14. शििु िांिििन की शनयामक प्रिाली का स्थानाांिरि


 उच्च शिक्षा की शनयामक प्रिाली यह िुशनशिि करे गी कक शिशनयमन, प्रत्यायन, शिि
पोषि और िैक्षशिक मानक िेरटांग के अलग-अलग कायि अलग-अलग, स्ििांत्र और
ििि शनकायों िारा ककए जाएांगे।
 इन चार िांरचनाओं को एक शनयांत्रक िांस्था, िारिीय उच्चिर शिक्षा आयोग
(HECI) के िीिर चार स्ििांत्र ऊध्िाििर के रूप में स्थाशपि ककया जाएगा।
o िारिीय उच्चिर शिक्षा आयोग (HECI) की पहली ऊध्िाििर राष्ट्रीय उच्चिर
शिक्षा शनयामक पठरषद (NHERC) होगी। यह शिक्षक शिक्षा और शचककत्िा
और कानूनी शिक्षा को छोड़कर उच्च शिक्षा क्षेत्र के शलए िामान्य, एकल चबांदु
शनयामक के रूप में कायि करे गा।
o िारिीय उच्चिर शिक्षा आयोग (HECI) की दूिरी ऊध्िाििर, एक 'मेटा-
मान्यिा प्राप्त शनकाय' होगी, शजिे राष्ट्रीय प्रत्यायन पठरषद (NAC) कहा
जािा है। िांस्थानों का प्रत्यायन मुख्य रूप िे बुशनयादी मानदांडों, िाििजशनक
स्ि-प्रकटीकरि, िुिािन, और पठरिामों पर आिाठरि होगा, और इिे नैक
िारा शनगरानी और देखरे ख करने िाले मान्यिा प्राप्त िांस्थानों के एक स्ििांत्र
पाठरशस्थशिकी िांत्र िारा ककया जाएगा।
o िारिीय उच्चिर शिक्षा आयोग (HECI)का िीिरा ऊध्िाििर उच्च शिक्षा
अनुदान पठरषद (एचईजीिी) होगा, जो पारदिी मानदांडों के आिार पर उच्च
शिक्षा के शििपोषि और शििपोषि का कायि करे गा।

o िारिीय उच्चिर शिक्षा आयोग (HECI) का चौथा िर्टिकल जनरल एजुकेिन


काउां शिल (GEC) होगा, जो उच्च शिक्षा कायिक्रमों के शलए अपेशक्षि िीखने के
पठरिामों को फ्रेम करे गा, शजिे 'स्नािक शििेषिाओं' के रूप में िी जाना
जािा है। GEC िारा एक राष्ट्रीय उच्चिर शिक्षा योग्यिा फ्रेमिकि
(NHEQF) िैयार ककया जाएगा।
 शिशनयमन (NHERC), प्रत्यायन (NAC), शनशिकरि (HEGC), और िैक्षशिक
मानक िेरटांग (GEC) और ओिररचचांग ऑटोनॉमि शनयांत्रक बॉडी (HECI) के
शलए ििी स्ििांत्र िर्टिकल का कामकाज स्ियां पारदिी िाििजशनक प्रकटीकरि पर
आिाठरि होगा, और इिका उपयोग करना होगा। प्रौद्योशगकी बड़े पैमाने पर मानि
इां टरफे ि को कम करने के शलए उनके काम में दक्षिा और पारदर्िििा िुशनशिि करने
के शलए।
 इां शडयन काउां शिल फॉर एग्रीकल्चरल ठरिचि (ICAR), िेटरनरी काउां शिल ऑफ
इां शडया (VCI), नेिनल काउां शिल फॉर टीचर एजुकेिन (NCTE), काउां शिल ऑफ
आर्कि टेक्चर (CoA), नेिनल काउां शिल फॉर िोके िनल एजुकेिन एांड रेचनांग
(NCVET) जैिी व्याििाशयक पठरषदें आकद, व्याििाशयक मानक िेरटांग शनकायों
(PSSBs) के रूप में कायि करे गा।
 कायों के पृथक्करि का अथि होगा कक एचईिीआई के िीिर प्रत्येक ऊध्िाििर एक नई,
एकल िूशमका पर ले जाएगा जो नई शनयामक योजना में प्रािांशगक, िाथिक और
महत्िपूिि है।

15. शिक्षा का पाठ्यक्रम िुरू करना

 ििी शिक्षा िांस्थानों को ऑशडट और प्रकटीकरि के िमान मानकों के शलए एक के


शलए लाि की इकाई नहीं के रूप में रखा जाएगा । यकद कोई हो, िो िरप्लि को
िैशक्षक क्षेत्र पुनर्निशमि ककया जाएगा।

 इन ििी शििीय मामलों का पारदिी िाििजशनक प्रकटीकरि होगा, शजिमें आम


जनिा के शलए शिकायि-शनिारि िांत्र का िहारा शलया जाएगा।

 NAC िारा शिकशिि मान्यिा प्रिाली इि प्रिाली पर एक पूरक जाँच प्रदान


करे गी, और NHERC इिे अपने शनयामक उद्देश्य के प्रमुख आयामों में िे एक के रूप
में मानेगा।

 शनजी उच्च िैक्षशिक िांस्थानों (HEI) िारा शनिािठरि ििी िुल्क और िुल्क पारदिी
रूप िे और पूरी िरह िे बिाए जाएांगे, और ककिी िी छात्र के नामाांकन की अिशि
के दौरान इन फीि / िुल्कों में कोई मनमानी िृशद् नहीं होगी। यह िुल्क शनिािरि
िांत्र, यह िुशनशिि करिे हुए लागि की उशचि ििूली िुशनशिि करे गा कक उच्च
िैक्षशिक िांस्थान (HEI) अपने िामाशजक दाशयत्िों का शनििहन करिा है।

16. उच्च शिक्षा िांस्थानों के शलए प्रिािी िािन और नेित्ृ ि

 श्रेिीबद् मान्यिा और श्रेिीबद् स्िायििा की एक उपयुि प्रिाली के माध्यम िे,


और 15 िषों की अिशि में चरिबद् िरीके िे, िारि के ििी उच्च शिक्षा िांस्थानों
(HEI) का उद्देश्य निप्रिििन और उत्कृ ष्टिा का अनुिरि करने िाले स्ििांत्र स्ििािी
िांस्थान बनना होगा।
 इि िरह के कदम के शलए िैयार िांस्थान को उपयुि ग्रेडड
े मान्यिा प्राप्त करने पर,
बोडि ऑफ गिनििि (BoG) की स्थापना की जाएगी। िदस्यों का चयन करिे िमय
इकिटी के शिचारों का िी ध्यान रखा जाएगा।

 ककिी िांस्था का बोडि ऑफ गिनििि (BoG) ककिी िी बाहरी हस्िक्षेप िे मुि िांस्था
को िांचाशलि करने के शलए ििि होगा। इि बाि की पठरकल्पना की गई है कक इि
प्रकक्रया के दौरान ििी उच्च शिक्षा िांस्थानों (HEI) को प्रोत्िाहन, िमथिन और
िलाह दी जाएगी, और इिका उद्देश्य स्िायि बनना होगा और 2035 िक ऐिे
ििि बोडि ऑफ गिनििि (BoG) होंगे।

 बोडि ऑफ गिनििि (BoG) ििी प्रािांशगक ठरकॉडि के पारदिी स्ि-खुलािे के माध्यम


िे शहििारकों के शलए शजम्मेदार और जिाबदेह होगा। यह राष्ट्रीय उच्च शिक्षा
शनयामक पठरषद (NHERC) के माध्यम िे HECI िारा अशनिायि ििी शनयामक
कदिाशनदेिों को पूरा करने के शलए शजम्मेदार होगा।

17. व्याििाशयक शिक्षा

 के िल कृ शष शििशिद्यालयों, कानूनी शििशिद्यालयों, स्िास््य शिज्ञान


शििशिद्यालयों, िकनीकी शििशिद्यालयों और अन्य क्षेत्रों में स्टैंड-अलोन िांस्थानों
का उद्देश्य िमग्र और बहु-शिषयक शिक्षा प्रदान करने िाले बहु-शिषयक िांस्थान
बनना होगा।

 ििी िांस्थान जो पेिेिर या िामान्य शिक्षा प्रदान करिे हैं, का उद्देश्य व्यिशस्थि
रूप िे उन िांस्थानों / िमूहों में शिकशिि होना होगा जो दोनों को मूल रूप िे और
2030 िक एकीकृ ि िरीके िे पेि करें गे।

 कृ शष और िांबद् शिषयों की क्षमिा और गुिििा दोनों में िुिार ककया जाना चाशहए
िाकक प्रौद्योशगककयों और प्रथाओं िे जुड़े बेहिर कु िल स्नािकों और िकनीशियनों,
निीन अनुिांिान और बाजार-आिाठरि शिस्िार के माध्यम िे कृ शष उत्पादकिा में
िृशद् हो िके ।

 कृ शष शिक्षा प्रदान करने िाले िांस्थानों को िीिे स्थानीय िमुदाय को लािाशन्िि


करना चाशहए; प्रौद्योशगकी ऊष्मायन और प्रिार को बढािा देने और ठटकाऊ िरीकों
को बढािा देने के शलए कृ शष प्रौद्योशगकी पाकि स्थाशपि करने के शलए एक दृशष्टकोि
हो िकिा है।

 न्याशयक शिक्षा को शिि स्िर पर प्रशिस्पिी बनाने, ििोिम प्रथाओं को अपनाने


और न्याय िक व्यापक पहुांच के शलए नई िकनीकों को अपनाने और िमय पर
शििरि की आिश्यकिा है।

 हेल्थके यर शिक्षा को कफर िे लागू करने की आिश्यकिा है िाकक िैशक्षक कायिक्रमों


की अिशि, िांरचना और शडजाइन की िूशमका आिश्यकिाओं िे मेल खा िके ।

 यह देखिे हुए कक लोग स्िास््य िेिा में बहुलिादी शिकल्पों का उपयोग करिे हैं,
हमारी स्िास््य शिक्षा प्रिाली का अशिन्न अथि होना चाशहए, िाकक एलोपैशथक
शचककत्िा शिक्षा के ििी छात्रों को आयुिेद, योग और प्राकृ शिक शचककत्िा, यूनानी,
शिद् और होम्योपैथी (आयुष) और इिके शिपरीि की बुशनयादी िमझ हो। ।

 स्िास््य देखिाल - शिक्षा के ििी रूपों में शनिारक स्िास््य देखिाल और


िामुदाशयक शचककत्िा पर अशिक जोर कदया जाएगा।

 िकनीकी शिक्षा का उद्देश्य बहु-शिषयक शिक्षि िांस्थानों और कायिक्रमों के िीिर


पेि ककया जाना है और इन शिषयों के िाथ गहराई िे जुड़ने के अििरों पर नए शिरे
िे ध्यान कें किि करना है।

 िारि को अत्यािुशनक क्षेत्रों में पेिेिरों को िैयार करने में िी अग्रिी होना चाशहए,
जो कक जीनोशमक अध्ययन, जैि प्रौद्योशगकी, नैनो के अलािा आर्टिकफशियल
इां टेशलजेंि (एआई), 3-डी मिीचनांग, बड़े डेटा शिश्लेषि और मिीन लर्निंग, िांशत्रका
शिज्ञान, स्िास््य, पयाििरि और ठटकाऊ जीिन के शलए महत्िपूिि अनुप्रयोगों के
िाथ जो युिाओं की रोजगार क्षमिा बढाने के शलए स्नािक शिक्षा जैिे क्षेत्रों में
प्रमुखिा प्राप्त कर िकें ।

18. िारिीय िाषा, कला, और िांस्कृ शि का प्रचार

 िारिीय कला और िांस्कृ शि का प्रचार न के िल राष्ट्र के शलए बशल्क व्यशि के शलए


िी महत्िपूिि है। िाांस्कृ शिक जागरूकिा और अशिव्यशि बच्चों में शिकशिि करने के
शलए महत्िपूिि मानी जाने िाली प्रमुख दक्षिाओं में िे एक हैं, िाकक उन्हें शिशिन्न
िांस्कृ शियों और पहचान प्रदान की जा िके ।

 बचपन िे देखिाल और शिक्षा के िाथ िुरू होने िाली ििी प्रकार की िारिीय
कलाओं को शिक्षा के ििी स्िरों पर छात्रों के िमक्ष प्रस्िुि ककया जाना चाशहए।
 िारिीय िाषाओं के शिक्षि और िीखने को हर स्िर पर स्कू ल और उच्च शिक्षा के
िाथ एकीकृ ि करने की आिश्यकिा है।

 िाषाओं के प्रािांशगक और जीिांि बने रहने के शलए, इन िाषाओं में पाठ्यपुस्िकों,


कायिपुशस्िकाओं, िीशडयो, नाटकों, कशििाओं, उपन्यािों, पशत्रकाओं, आकद िशहि
उच्च गुिििा िाली िीखने और चप्रांट िामग्री की एक शस्थर िारा होनी चाशहए।

 िाषाओं को व्यापक रूप िे प्रिाठरि ककए जाने िाले अपने िधदकोषों और


िधदकोिों में लगािार आशिकाठरक अपडेट होना चाशहए, िाकक इन िाषाओं में
िबिे मौजूदा मुद्दों और अििारिाओं पर प्रिािी ढांग िे चचाि की जा िके ।

 स्कू ली बच्चों में िाषा, कला और िांस्कृ शि को बढािा देने के शलए कई पहल- स्कू ल के
ििी स्िरों पर िांगीि, कला और शिल्प पर अशिक जोर; बहुिाषािाद को बढािा
देने के शलए िीन-िाषा िूत्र का प्रारां शिक कायािन्ियन; जहाां िांिि हो घर / स्थानीय
िाषा में शिक्षि; अशिक अनुििात्मक िाषा िीखने का िांचालन करना; मास्टर
प्रशिक्षकों के रूप में उत्कृ ष्ट स्थानीय कलाकारों, लेखकों, शिल्पकारों और अन्य
शििेषज्ञों की ििी; मानशिकी, शिज्ञान, कला, शिल्प और स्पोर्टिििेट में आकदिािी
और अन्य स्थानीय ज्ञान िशहि पारां पठरक िारिीय ज्ञान को पाठ्यक्रम में िाशमल
करना।

 िारिीय िाषाओं में मजबूि शििाग और कायिक्रम, िुलनात्मक िाशहत्य, रचनात्मक


लेखन, कला, िांगीि, दििन, आकद देि िर में लॉन्च और शिकशिि ककए जाएांगे, और
4 िषीय बी.एड. इन शिषयों में दोहरी शडग्री शिकशिि की जाएगी।

 प्रत्येक उच्च शिक्षा िांस्थान और यहाां िक कक प्रत्येक स्कू ल या स्कू ल पठरिर में कला,
रचनात्मकिा, और क्षेत्र / देि के िमृद् खजाने के शलए छात्रों को उजागर करने के
शलए कलाकार (ओं) का होंगे ।

 उच्च शिक्षा में अशिक उच्च िैक्षशिक िांस्थान (HEI), और अशिक कायिक्रम,
मािृिाषा / स्थानीय िाषा का उपयोग अनुदि
े के माध्यम के रूप में करें गे, और / या
शििाषी कायिक्रमों की पेिकि करें गे।
 उच्च गुिििा िाले कायिक्रम और अनुिाद और व्याख्या, कला और िांग्रहालय
प्रिािन, पुराित्ि, पुराित्ि िांरक्षि, ग्राकफक शडजाइन और उच्च शिक्षा प्रिाली के
िीिर िेब शडजाइन में शडग्री िी बनाई जाएांगी ।

 उच्च िैक्षशिक िांस्थानों (HEI) के छात्रों िारा देि के शिशिन्न शहस्िों में यात्रा
करना, जो न के िल पयिटन को बढािा देगा, बशल्क िारि के शिशिन्न शहस्िों की
शिशिििा, िांस्कृ शि, परां पराओं और ज्ञान की िमझ और प्रिांिा का कारि बनेगा।

 िारिीय अनुिाद और व्याख्या िांस्थान (IITI) की स्थापना की जाएगी। IITI अपने


अनुिाद और व्याख्या प्रयािों में िहायिा के शलए प्रौद्योशगकी का व्यापक उपयोग
करे गा।

 िांस्कृ ि को स्कू ल में मजबूि प्रस्िाि के िाथ मुख्यिारा में लाया जाएगा - शजिमें
िीन-िाषा िूत्र में िाषा के शिकल्पों में िे एक के िाथ-िाथ उच्च शिक्षा िी िाशमल
है। िांस्कृ ि शििशिद्यालय िी उच्च शिक्षा के बड़े बहु-शिषयक िांस्थान बनने की ओर
अग्रिर होंगे।

 िारि इिी िरह ििी िास्त्रीय िाषाओं और िाशहत्य का अध्ययन करने िाले अपने
िांस्थानों और शििशिद्यालयों का शिस्िार करे गा, शजिमें उन हजारों पाांडुशलशपयों
को इकट्ठा करने, िांरशक्षि करने, अनुिाद करने और उनका अध्ययन करने के मजबूि
प्रयाि हैं, शजन पर अिी िक उनका ध्यान नहीं गया है।

 पूरे देि में िांस्कृ ि और ििी िारिीय िाषा िांस्थानों और शििागों को काफी मजबूि
ककया जाएगा

 िास्त्रीय िाषा िांस्थानों का उद्देश्य शििशिद्यालयों के िाथ शिलय करना होगा,


जबकक उनकी स्िायििा बनाए रखेंग,े िाकक िांकाय काम कर िकें , और छात्रों को
िी मजबूि और किोर बहु-शिषयक कायिक्रमों के शहस्िे के रूप में प्रशिशक्षि ककया जा
िके ।

 िाषाओं को िमर्पिि शििशिद्यालय बहु-शिषयक बन जाएांगे

 पाली, फारिी और प्राकृ ि के शलए राष्ट्रीय िांस्थान (या िांस्था) िी एक


शििशिद्यालय पठरिर के िीिर स्थाशपि ककए जाएांगे।
 िारि के िांशििान की आििीं अनुिूची में उशल्लशखि प्रत्येक िाषा के शलए,
अकादशमयों की स्थापना कु छ महान शििानों और मूल ििाओं िे की जाएगी।
आििीं अनुिूची िाषाओं के शलए ये अकादशमयाां कें ि िरकार िारा राज्य िरकारों के
परामिि या िहयोग िे स्थाशपि की जाएांगी। अन्य अत्यशिक बोली जाने ि िारिीय
िाषाओं के शलए अकादशमयाँ िी इिी िरह कें ि और / या राज्यों िारा स्थाशपि की
जा िकिी हैं।

 िारि में ििी िाषाओं, और उनकी िांबांशिि कला और िांस्कृ शि को एक िेब-


आिाठरि प्लेटफॉमि / पोटिल / शिकी के माध्यम िे प्रलेशखि ककया जाएगा, िाकक
लुप्तप्राय और ििी िारिीय िाषाओं और उनके िांबांशिि िमृद् स्थानीय कला और
िांस्कृ शि को िांरशक्षि ककया जा िके ।

 स्थानीय मास्टिि और / या उच्च शिक्षा प्रिाली के िाथ िारिीय िाषाओं, कला और


िांस्कृ शि का अध्ययन करने के शलए ििी उम्र के लोगों के शलए छात्रिृशि की स्थापना
की जाएगी।

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