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कक्षा 10 सामाजिक जिज्ञान नोट्स

इजिहास || History

Chapter 3 भूमंडलीकृि जिश्व का बनना


कक्षा 10 के सभी जिषयों के नोट्स आसान भाषा में पढ़ने हेिु यहा जललक करे
कक्षा 10 सभी जिषय के नोट्स 👈
आधनु िक यगु से पहले
वैश्वीकरण :-

• वैश्वीकरण एक आर्थिक प्रणाली है और व्यर्ियों सामानों और नौकररयों का एक देश से दसू रे देश तक के


स्थानाांतरण को वैश्वीकरण कहते हैं।
• वैर्श्वक दर्ु नया के र्नमािण को समझने के र्लए हमें व्यापार के इर्तहास, प्रवासन और लोगों को काम की
तलाश और राजधार्नयों की आवाजाही को समझना होगा।
भूमंडलीकरण :-
दर्ु नया भर में आर्थिक, साांस्कृ र्तक, राजनीर्तक, धार्मिक और सामार्जक प्रणार्लयों का एकीकरण। इसका मतलब
यह है र्क वस्तओ ु ां और सेवाओ,ां पांजू ी और श्रम का व्यापार दर्ु नया भर में र्कया जाता है, देशों के बीच सचू ना और
शोध के पररणाम आसानी से प्रवार्हत होते हैं।
प्राचीि काल :-

• यार्ियों, व्यापाररयों, पजु ाररयों और तीथियार्ियों ने जान, अवसर और आध्यार्ममक पर्ू ति के र्लए या
उमपीड़न से बचने के र्लए र्वशाल दरू ी तय की।
• वे अपने साथ सामान, पैसा, मूल्य, कौशल, र्वचार, आर्वष्कार और यहाां तक र्क रोगाणु और बीमाररयाां
भी ले गए।
• 3000 ईसा पवू ,ि एक सर्िय तटीय व्यापार ने र्सांधु घाटी की सभ्यताओ ां को वतिमान पर्िम एर्शया के साथ
जोड़ा।
• रे शम मागि ने चीन को पर्िम से जोड़ा।
• भोजन ने अमेररका से यरू ोप और एर्शया की यािा की।
• नडू ल्स चीन से इटली की यािा करते हुए स्पेगेटी बन गया।

1
• यरू ोपीय र्वजेता अमेररका में चेचक के रोगाणु ले गए। एक बार प्रस्ततु र्कए जाने के बाद, यह महादवीप में
गहरे फै ल गया।
रेशम मागग (नसल्क रूट) :-

• र्सल्क रूट (रे शम मागि) एक ऐर्तहार्सक व्यापार मागि था जो र्क दसू री शताब्दी ई० प०ू से 14 वीं शताब्दी
तक, यह चीन, भारत, फारस, अरब, ग्रीस और इटली को पीछे छोड़ते हुए एर्शया से भमू ध्यसागरीय तक
फै ला था। उस दौरान हुए भारी रे शम व्यापार के कारण इसे र्सल्क रूट करार र्दया गया था।
• नसल्क मागग :- ये मागि एर्शया को यरू ोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ – साथ र्वश्व को जमीन और समद्रु
मागि से जोड़ते थे।
रेशम मागग (नसल्क रूट) की नवशेषताएँ :-

• इस र्सल्क रूट से होकर चीन के बतिन दसू रे देशों तक जाते थे।


• इसी प्रकार यरू ोप से एर्शया तक सोना और चााँदी इसी र्सल्क रूट से आते थे।
• र्सल्क रूट के रास्ते ही ईसाई, इस्लाम और बौद्ध धमि दर्ु नया के र्वर्भन्न भागों में पहुचाँ पाए थे।
• रे शम मागों को दर्ु नया के सबसे दरू के र्हस्सों को जोड़ने वाला सबसे महमवपूणि मागि माना जाता था।
• र्िर्ियन यगु से पहले भी र्सल्क रूट अर्स्तमव में थे और 15 वीं शताब्दी तक र्वकर्सत हुए।
• रूट दर्ु नया के र्वर्भन्न र्हस्सों के बीच व्यापार और साांस्कृ र्तक सांबांधों का एक बड़ा स्रोत सार्बत हुआ।
भोजि की यात्रा (स्पैघेत्ती और आलू) :-
स्पैघेत्ती :-
नडू ल चीन की देन है जो वहााँ से दर्ु नया के दसू रे भागों तक पहुचाँ ा। भारत में हम इसके देशी सांस्करण सेर्वयों को वर्षों
से इस्तेमाल करते हैं। इसी नडू ल का इटैर्लयन रूप है स्पैघेत्ती।
आज के कई आम खाद्य पदाथि ; जैसे आल,ू र्मचि टमाटर, मक्का, सोया, मांगू फली और शकरकांद यरू ोप में तब आए
जब र्िस्टोफर कोलांबस ने गलती से अमेररकी महाद्वीपों को खोज र्नकाला।
आलू :-

• आलू के आने से यरू ोप के लोगों की र्जांदगी में भारी बदलाव आए। आलू के आने के बाद ही यरू ोप के लोग
इस र्स्थर्त में आ पाए र्क बेहतर खाना खा सकें और अर्धक र्दन तक जी सकें ।
• आयरलैंड के र्कसान आलू पर इतने र्नभिर हो चक
ु े थे र्क 1840 के दशक के मध्य में र्कसी बीमारी से
आलू की फसल तबाह हो गई तो कई लाख लोग भख ू से मर गए। उस अकाल को आइररस अकाल के
नाम से जाना जाता है।
नवजय, बीमारी और व्यापार :-

2
• अमेररका की खोज तथा बहुमूल्य धातुएँ लािा :-
1. सोलहवीं सदी में यरू ोप के नार्वकों ने एर्शया और अमेररका के देशों के र्लए समद्रु ी मागि खोज
र्लया था। नए समद्रु ी मागि की खोज ने न र्सफि व्यापार को फै लाने में मदद की बर्ल्क र्वश्व के अन्य
भागों में यरू ोप की फतह की नींव भी रखी।
2. अमेररका के पास खर्नजों का अकूत भडां ार था और इस महाद्वीप में अनाज भी प्रचरु मािा में था।
अमेररका के अनाज और खर्नजों ने दर्ु नया के अन्य भाग के लोगों का जीवन परू ी तरह से बदल
र्दया।
• नवजेताओ ं द्वारा चेचक के नकटाणुओ ं का प्रयोग (नवजय के नलए)
1. सोलहवीं सदी के मध्य तक पतु िगाल और स्पेन द्वारा अमेररकी उपर्नवेशों की अहम शरुु आत हो
चक ु ी थी। लेर्कन यरू ोर्पयन की यह जीत र्कसी हर्थयार के कारण नहीं बर्ल्क एक बीमारी के
कारण सभां व हो पाई थी। यरू ोप के लोगों पर चेचक का आिमण पहले ही हो चक ु ा था इसर्लए
उन्होंने इस बीमारी के र्खलाफ प्रर्तरोधन क्षमता र्वकर्सत कर ली थी।
2. लेर्कन अमेररका तब तक दर्ु नया के अन्य भागों से अलग थलग था इसर्लए अमेररर्कयों के शरीर
में इस बीमारी से लड़ने के र्लए प्रर्तरोधन क्षमता नहीं थी। जब यरू ोप के लोग वहााँ पहुचाँ े तो वे
अपने साथ चेचक के जीवाणु भी ले गए। इस का पररणाम यह हुआ र्क चेचक ने अमेररका के
कुछ भागों की परू ी आबादी साफ कर दी। इस तरह यरू ोर्पयन आसानी से अमेररका पर जीत हार्सल
कर पाए।
• यरू ोप में समस्याएँ :- उन्नीसवीं सदी तक यरू ोप में कई समस्याएाँ थीं ; जैसे गरीबी, बीमारी और धार्मिक
टकराव। धमि के र्खलाफ बोलने वाले कई लोग सजा के डर से अमेररका भाग गए थे। उन्होंने अमेररका में
र्मलने वाले अवसरों का भरपरू इस्तेमाल र्कया और इससे उनकी काफी तरक्की हुई।
• अठारहवीं सदी तक भारत और चीि :- अठारहवीं सदी तक भारत और चीन दर्ु नया के सबसे धनी देश
हुआ करते थे। लेर्कन पद्रां हवीं सदी से ही चीन ने बाहरी सपां कि पर अक ां ु श लगाना शरुु र्कया था और दर्ु नया
के बाकी र्हस्सों से अलग थलग हो गया था। चीन के घटते प्रभाव और अमेररका के बढ़ते प्रभाव के कारण
र्वश्व के व्यापार का कें द्रर्बदां ु यरू ोप की तरफ र्शफ्ट कर रहा था।
उन्िीसवीं शताब्दी (1815 – 1914)
उन्िीसवीं सदी :-

• उन्नीसवीं सदी में दर्ु नया तेजी से बदल रही थी। इस अवर्ध में सामार्जक, राजनीर्तक, आर्थिक और
तकनीकी के क्षेि में बड़े जर्टल बदलाव हुए। उन बदलावों की वजह से र्वर्भन्न देशों के ररश्तों के समीकरण
में अभतू पवू ि बदलाव आए।
• अथिशास्त्री मानते हैं र्क आर्थिक आदान प्रदान तीन प्रकार के होते हैं जो र्नम्नर्लर्खत हैं :-
1. पहला प्रवाह :- व्यापार मुख्य रूप से वस्तओ ु ां जैसे कपड़ा या गेहां का।
2. श्रम का प्रवाह :- काम या रोजगार की तलाश में लोगों का यहाां से वहाां जाना।

3
3. पज
ूं ी का प्रवाह :- अल्प या दीघि अवर्ध के र्लए दरू – दराज के इलाकों में र्नवेश।
नवश्व अथगव्यवस्था का उदय :-

• आइए इन तीनों को समझने के र्लए र्िटेन की अथिव्यवस्था पर नजर डालें।


• 18 वीं सदी के आर्खरी दशक तक र्िटेन में “ कॉनि लॉ ” था।
कॉिग लॉ :- कानि ला वह कानून र्जसके सहारे सरकार ने मक्का के आयात पर पाबांदी लगा दी थी।

• कुछ र्दन बाद र्िटेन में जनसांख्या का बहुत ज्यादा बढ़ गई, जैसे ही जनसांख्या बढ़ी भोजन की माांग में वृर्द्ध
हो गई।
• भोजन की माांग बढ़ी तो कृ र्र्ष आधाररत सामानों में भी वृर्द्ध हो गई।
• इससे पहले की र्िटेन में भुखमरी आती, सरकार ने कॉनि लॉ को समाप्त कर र्दया।
• र्जस से अलग अलग देश के व्यापाररयों ने र्िटेन में भोजन का र्नयाित र्कया।
• भोजन की कमी में बदलाव आया और र्वकास होने लगा।
कॉिग लॉ के समय :-

• भोजन की माांग बढ़ी


• जनसांख्या बढ़ी
• भोजन के दाम बढ़े
कॉिग लॉ हटािे के बाद :-

• व्यापार में वृर्द्ध


• र्वकास का तेज होना
• भोजन का अर्धक भांडार
तकिीक का योगदाि :-
इस दौरान र्वश्व की अथिव्यवस्था के भमू ांडलीकरण में टेकनॉलोजी ने एक अहम भर्ू मका र्नभाई। इस यगु के कुछ
मख्ु य तकनीकी खोज हैं रे लवे, स्टीम र्शप और टेर्लग्राफ।

• रे लवे ने बांदरगाहों और आांतररक भभू ागों को आपस में जोड़ र्दया।


• स्टीम र्शप के कारण माल को भारी मािा में अतलाांर्तक के पार ले जाना आसान हो गया।
• टेलीग्राफ की मदद से सांचार व्यवस्था में तेजी आई और इससे आर्थिक लेन देन बेहतर रूप से होने लगे।
उन्िीसवीं सदी के आनखर में उपनिवेशवाद :-

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• एक तरफ व्यापार के फै लने से यरू ोप के लोगों की र्जांदगी बेहतर हो गई तो दसू री तरफ उपर्नवेशों के लोगों
पर इसका बरु ा प्रभाव पड़ा।
• जब अर्फ्रका के आधर्ु नक नक्शे को गौर से देखेंगे तो आपको पता चलेगा र्क ज्यादातर देशों की सीमाएाँ
सीधी रे खा में हैं। ऐसा लगता है जैसे र्कसी छाि ने सीधी रे खाएाँ खींच दी हो।
• 1885 में यरू ोप की बड़ी शर्ियााँ बर्लिन में र्मलीं और अर्फ्रकी महादेश को आपस में बााँट र्लया। इस तरह
से अर्फ्रका के ज्यादातर देशों की सीमाएाँ सीधी रे खाओ ां में बन गई।ां
ररंडरपेस्ट या मवेशी प्लेग :-

• ररंडरपेस्ट :- ररांडरपेस्ट प्लेग की भााँर्त फै लने वाली मवेर्शयों की बीमारी थी। वह बीमारी 1890 ई० के
दशक में अफ्रीका में बड़ी तेजी से फै ली।
• ररंडरपेस्ट का प्रकोप :-
1. ररांडरपेस्ट का अर्फ्रका में आगमन 1880 के दशक के आर्खर में हुआ था। यह बीमारी उन घोड़ों के
साथ आई थी जो र्िर्टश एर्शया से लाए गए थे। ऐसा उन इटैर्लयन सैर्नकों की मदद के र्लए र्कया
गया था जो पवू ी अर्फ्रका में एररर्िया पर आिमण कर रहे थे।
2. ररांडरपेस्ट परू े अर्फ्रका में र्कसी जांगल की आग की तरह फै ल गई। 1892 आते आते यह बीमारी
अर्फ्रका के पर्िमी तट तक पहुचाँ चक ु ी थी। इस दौरान ररांडरपेस्ट ने अर्फ्रका के मवेर्शयों की आबादी
का 90 % र्हस्सा साफ कर र्दया।
3. अर्फ्रर्कयों के र्लए मवेर्शयों का नक ु सान होने का मतलब था रोजी रोटी पर खतरा। अब उनके पास
खानों और बागानों में मजदरू ी करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। इस तरह से मवेर्शयों की एक
बीमारी ने यरू ोर्पयन को अर्फ्रका में अपना उपर्नवेश फै लाने में मदद की।
भारत से अिबु नं धत श्रनमकों का जािा :-
बध ं आ
ु मजदूर :- वैसे मजदरू जो र्कसी खास मार्लक के र्लए खास अवर्ध के र्लए काम करने को प्रर्तबद्ध होते
हैं बधां आ
ु मजदरू कहलाते हैं।
• आधर्ु नक र्बहार, उत्तर प्रदेश, मध्य भारत और तार्मल नाडु के सख
ू ाग्रस्त इलाकों से कई गरीब लोग बधां आ

मजदरू बन गए। इन लोगों को मख्ु य रूप से कै रे र्बयन आइलैंड, मॉररशस और र्फजी भेजा गया। कई को
सीलोन और मलाया भी भेजा गया। भारत में कई बधां आ ु मजदरू ों को असम के चाय बागानों में भी काम
पर लगाया गया।
• एजेंट अक्सर झठू े वादे करते थे और इन मजदरू ों को ये भी पता नहीं होता था र्क वे कहााँ जा रहे हैं। इन
मजदरू ों के र्लए नई जगह पर बड़ी भयावह र्स्थर्त हुआ करती थी। उनके पास कोई काननू ी अर्धकार नहीं
होते थे और उन्हें कर्ठन पररर्स्थर्तयों में काम करना पड़ता था।
• 1900 के दशक से भारत के राष्िवादी लोग बधां आ
ु मजदरू के र्सस्टम का र्वरोध करने लगे थे। इस र्सस्टम
को 1921 में समाप्त कर र्दया गया।

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नवदेशों में भारतीय उघमी :-

• भारत के नामी बैंकर और व्यवसार्ययों में र्शकारीपरु ी श्रौफ और नटुकोट्टई चेरट्टयार का नाम आता है। वे
दर्क्षणी और कें द्रीय एर्शया में कृ र्र्ष र्नयाित में पाँजू ी लगाते थे। भारत में और र्वश्व के र्वर्भन्न भागों में पैसा
भेजने के र्लए उनका अपना ही एक पररष्कृ त र्सस्टम हुआ करता था।
• भारत के व्यवसायी और महाजन उपर्नवेशी शासकों के साथ अर्फ्रका भी पहुचां चकु े थे। हैदराबाद के र्सांधी
व्यवसायी तो यरू ोर्पयन उपर्नवेशों से भी आगे र्नकल गये थे। 1860 के दशक तक उन्होंने परू ी दर्ु नया के
महमवपणू ि बदां रगाहों फलते फूलते इपां ोररयम भी बना र्लये थे।
भारतीय व्यापार, उपनिवेश और वैनश्वक व्यवस्था :-

• भारत से उम्दा कॉटन के कपड़े वर्षों से यरू ोप र्नयाित होता रहे थे। लेर्कन इडां र्स्ियलाइजेशन के बाद स्थानीय
उमपादकों ने र्िर्टश सरकार को भारत से आने वाले कॉटन के कपड़ों पर प्रर्तबधां लगाने के र्लए बाध्य
र्कया।
• इससे र्िटेन में बने कपड़े भारत के बाजारों में भारी मािा में आने लगे। 1800 में भारत के र्नयाित में 30 %
र्हस्सा कॉटन के कपड़ों का था। 1815 में यह र्गरकर 15 % हो गया और 1870 आते आते यह 3 % ही
रह गया। लेर्कन 1812 से 1871 तक कच्चे कॉटन का र्नयाित 5 % से बढ़कर 35 % हो गया। इस दौरान
र्नयाित र्कए गए सामानों में नील (इर्ां डगो) में तेजी से बढ़ोतरी हुई। भारत से सबसे ज्यादा र्नयाित होने वाला
सामान था अफीम जो मख्ु य रूप से चीन जाता था।
• भारत से र्िटेन को कच्चे माल और अनाज का र्नयाित बढ़ने लगा और र्िटेन से तैयार माल का आयात
बढ़ने लगा। इससे एक ऐसी र्स्थर्त आ गई जब िेड सरप्लस र्िटेन के र्हत में हो गया। इस तरह से बैलेंस
ऑफ पेमेंट र्िटेन के फे वर में था। भारत के बाजार से जो आमदनी होती थी उसका इस्तेमाल र्िटेन अन्य
उपर्नवेशों की देखरे ख करने के र्लए करता था और भारत में रहने वाले अपने ऑर्फसर को ‘ होम चाजि ‘
देने के र्लए करता था। भारत के बाहरी कजे की भरपाई और ररटायर र्िर्टश ऑर्फसर (जो भारत में थे)
का पेंशन का खचाि भी होम चाजि के अदां र ही आता था।
महायुद्धों के बीच अथगव्यवस्था
• प्रथम र्वश्व यद्ध
ु मख्ु य रूप से यरू ोप में लड़ा गया था।
• इस समय के दौरान, दर्ु नया ने आर्थिक, राजनीर्तक अर्स्थरता और एक और दयनीय युद्ध का अनभु व
र्कया।
• प्रथम र्वश्व यद्ध
ु दो गटु ो के बीच लड़ा गया था। एक पर सहयोगी थे – र्िटान, फ्राांस, रूस और बाद में
अमेररका में शार्मल हो गए। और र्वपरीत र्दशा में – जमिनी, ऑर्स्िया, हगां री और ओटोमन और तकु ी।
• यह यद्ध
ु 4 वर्षों तक चला।
युद्धकालीि रूपांतरण :-

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• पहले र्वश्व यद्ध
ु ने परू ी दर्ु नया को कई मायनों में झकझोर कर रख र्दया था। लगभग 90 लाख लोग मारे गए
और 2 करोड़ लोग घायल हो गये।
• मरने वाले या अपार्हज होने वालों में ज्यादातर लोग उस उम्र के थे जब आदमी आर्थिक उमपादन करता
है। इससे यरू ोप में सक्षम शरीर वाले कामगारों की भारी कमी हो गई। पररवारों में कमाने वालों की सांख्या
कम हो जाने के कारण परू े यरू ोप में लोगों की आमदनी घट गई।
• ज्यादातर परुु र्षों को यद्ध
ु में शार्मल होने के र्लए बाध्य होना पड़ा र्लहाजा कारखानों में मर्हलाएां काम करने
लगीं। जो काम पारांपररक रूप से परुु र्षों के काम माने जाते थे उन्हें अब मर्हलाएाँ कर रहीं थीं।
• इस यद्ध
ु के बाद दर्ु नया की कई बड़ी आर्थिक शर्ियों के बीच के सांबांध टूट गये। र्िटेन को यद्ध
ु के खचे
उठाने के र्लए अमेररका से कजि लेना पड़ा। इस यद्ध
ु ने अमेररका को एक अांतरािष्िीय कजिदार से अांतरािष्िीय
साहकार बना र्दया। अब र्वदेशी सरकारों और लोगों की अमेररका में सांपर्त्त की तुलना मांअ अमेररकी
सरकार और उसके नागररकों की र्वदेशों में ज्यादा सांपर्त्त थी।
युद्धोत्तर सुधार :-

• जब र्िटेन यद्ध
ु में व्यस्त था तब जापान और भारत में उद्योग का र्वकास हुआ। यद्ध ु के बाद र्िटेन को
अपना परु ाना दबदबा कायम करने में परे शानी होने लगी। साथ ही र्िटेन अांतरािष्िीय स्तर पर जापान से
टक्कर लेने में अक्षम पड़ रहा था। यद्ध
ु के बाद र्िटेन पर अमेररका का भारी कजाि लद चक ु ा था।
• यद्ध
ु के समय र्िटेन में चीजों की मााँग में तेजी आई थी र्जससे वहााँ की अथिव्यवस्था फल फूल रही थी।
लेर्कन यद्ध
ु समाप्त होने के बाद मााँग में र्गरावट आई। यद्ध
ु के बाद र्िटेन के 20 % कामगारों को अपनी
नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
• यद्ध
ु के पहले पवू ी यरू ोप गेहाँ का मख्ु य र्नयाितक था। लेर्कन यद्ध
ु के दौरान पवू ी यरू ोप के यद्ध
ु में शार्मल
होने की वजह से कनाडा, अमेररका और ऑस्िेर्लया गेहाँ के मुख्य र्नयाितक के रूप में उभरे थे। जैसे ही यद्धु
खमम हुआ पवू ी यरू ोप ने र्फर से गेहाँ की सप्लाई शरुु कर दी। इसके कारण बाजार में गेहाँ की अर्धक खेप
आ गई और कीमतों में भारी र्गरावट हुई। इससे ग्रामीण अथिव्यवस्था में तबाही आ गई।
बडे पैमािे पर उत्पादि और उपभोग की शुरुआत :-

• अमेररका की अथिव्यवस्था में यद्ध ु के बाद के झटकों से तेजी से र्नजात र्मलने लगी। 1920 के दशक में
बड़े पैमाने पर उमपादन अमेररकी अथिव्यवस्था की मख्ु य पहचान बन गई। फोडि मोटर के सांस्थापक हेनरी
फोडि मास प्रोडक्शन के जनक माने जाते हैं। बड़े पैमाने पर उमपादन करने से उमपादन क्षमता बढ़ी और कीमतें
घटीं। अमेररका के कामगार बेहतर कमाने लगे इसर्लए उनके पास खचि करने के र्लए ज्यादा पैसे थे। इससे
र्वर्भन्न उमपादों की मााँग तेजी से बढ़ी।
• कार का उमपादन 1919 में 20 लाख से बढ़कर 1929 में 50 लाख हो गया। इसी तरह से बजाजी सामानों
; जैसे रे र्फ्रजरे टर, वार्शांग मशीन, रे र्डयो, ग्रामोफोन, आर्द की मााँग भी तेजी बढ़ने लगी। अमेररका में घरों

7
की मााँग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। आसान र्कस्तों पर कजि की सर्ु वधा के कारण इस मााँग को और हवा
र्मली।
• इस तरह से अमेररकी अथिव्यवस्था खश ु हाल हो गई। 1923 में अमेररका ने दर्ु नया के अन्य र्हस्सों को पाँजू ी
र्नयाित करना शरुु र्कया और सबसे बड़ा र्वदेशी साहकार बन गया। इससे यरू ोप की अथिव्यवस्था को भी
सधु रने का मौका र्मला और परू ी दर्ु नया का व्यापार अगले छ : वर्षों तक वृर्द्ध र्दखाता रहा।
महामदं ी :-

• महामदां ी की शरू
ु आत 1929 से हुई और यह सक ां ट 30 के दशक के मध्य तक बना रहा। इस दौरान र्वश्व
के ज्यादातर र्हस्सों में उमपादन, रोजगार, आय और व्यापार में बहुत बड़ी र्गरावट दजि की गई।
• यद्ध
ु ोतर अथिव्यवस्था बहुत कमजोर हो गई थी। कीमतें र्गरीं तो र्कसानों की आय घटने लगी और आमदनी
बढ़ाने के र्लए र्कसान अर्धक मािा में उमपादन करने लगे।
• बहुत सारे देशों ने अमेररका से कजि र्लया।
• अमेररकी उद्योगपर्तयों ने मांदी की आशांका को देखते हुए यरू ोपीय देशों को कजि देना बन्द कर र्दया।
• हजारों बैंक र्दवार्लया हो गये।
भारत और महामंदी :-

• 1928 से 1934 के बीच देश का आयात र्नयाित घट कर आधा रह गया।


• अन्तरािष्िीय बाजार में कीमतें र्गरने से भारत में गेहाँ की कीमत 50 प्रर्तशत तक र्गर गई।
• र्कसानों और काश्तकारों को ज्यादा नक
ु सान हुआ।
• महामांदी शहरी जनता एवां अथिव्यवस्था के र्लए भी हार्नकारक।
• 1931 में मांदी चरम सीमा पर थी र्जसके कारण ग्रामीण भारत असांतोर्ष व उथल – पथु ल के दौर से गजु र
रहा था।
नवश्व अथगव्यवस्था का पुिनिगमागण : युद्धोत्तर काल
युद्ध के बाद के समझौते :-

• दसू रा र्वश्व यद्ध


ु पहले के यद्ध
ु ों की तल ु ना में र्बलकुल अलग था। इस यद्ध ु में आम नागररक अर्धक सांख्या
में मारे गये थे और कई महमवपणू ि शहर बरु ी तरह बरबाद हो चक ु े थे। दसू रे र्वश्व यद्ध
ु के बाद की र्स्थर्त में
सधु ार मख्ु य रूप से दो बातों से प्रभार्वत हुए थे।
1. पर्िम में अमेररका का एक प्रबल आर्थिक, राजनैर्तक और सामररक शर्ि के रूप में उदय।
2. सोर्वयत यर्ू नयन का एक कृ र्र्ष प्रधान अथिव्यवस्था से र्वश्व शर्ि के रूप में पररवतिन।
• र्वश्व के नेताओ ां की मीर्टांग हुई र्जसमें यद्ध
ु के बाद के सांभार्वत सधु ारों पर चचाि की गई। उन्होंने दो बातों
पर ज्यादा ध्यान र्दया र्जन्हें नीचे र्दया गया है।

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1. औद्योर्गक देशों में आर्थिक सांतल
ु न को बरकरार रखना और पणू ि रोजगार र्दलवाना।
2. पाँजू ी, सामान और कामगारों के प्रवाह पर बाहरी दर्ु नया के प्रभाव को र्नयर्ां ित करना।
ब्रेटि – वडु ् स समझौता :-

• 1944 में अमेररका र्स्थत न्यू हैम्पशायर के िेटन वडु ् स नामक स्थान पर सयां ि
ु राष्ट मौर्द्रक एवां र्वत्तीय
सम्मेलन में सहमर्त बनी थी।
• अतां रािष्िीय मद्रु ा कोर्ष और र्वश्व बैंक की स्थापना हुई।
• िेटन वडु ् स व्यवस्था र्नर्ित र्वर्नमय दरों पर आधाररत होती थी।
िया अंतरागष्ट्रीय आनथगक आदेश – NIEO

• ज्यादातर र्वकासशील देशों को 1950 और 60 के दशक में पर्िमी अथिव्यवस्थाओ ां के तेज र्वकास से
लाभ नहीं हुआ।
• उन्होंने खदु को एक समहू के रूप में सांगर्ठत र्कया। नए अांतरािष्िीय आर्थिक आदेश (NIEO) की माांग के
र्लए 77 या G-77 का समहू ।
• यह एक ऐसी प्रणाली थी जो उन्हें अपने प्राकृ र्तक सांसाधनों पर अर्धक र्वकास सहायता, कच्चे माल के
र्लए उर्चत मल्ू य और र्वकर्सत देशों के बाजारों में उनके र्नर्मित सामानों के र्लए बेहतर पहुचां पर
वास्तर्वक र्नयांिण प्रदान करे गी।
चीि में िई आनथगक िीनत :-

• चीन जैसे देशों में मजदरू ी बहुत कम थी।


• चीनी अथिव्यवस्था की कम लागत वाली सांरचना ने इसके उमपादों को सस्ता कर र्दया।
• चीन बहुराष्िीय कांपर्नयों के र्लए र्नवेश का एक पसांदीदा स्थान बन गया।
• चीन की नई आर्थिक नीर्त र्वश्व अथिव्यवस्था की तह में लौट गई।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां :-

• बहुराष्िीय र्नगम बड़ी कांपर्नयाां हैं जो एक ही समय में कई देशों में काम करती हैं।
• एमएनसी का र्वश्व व्यापी प्रसार 1950 और 1960 के दशक में एक उल्लेखनीय र्वशेर्षता थी क्योंर्क
दर्ु नया भर में अमेररकी व्यापार का र्वस्तार हुआ था।
• र्वर्भन्न सरकारों द्वारा लगाए गए उच्च आयात शुल्क ने बहुराष्िीय कांपर्नयों को अपनी र्वर्नमािण इकाइयों
का पता लगाने के र्लए मजबरू र्कया।
वीटो :-
एक काननू या र्नकाय द्वारा र्कए गए प्रस्ताव को अस्वीकार करने का सांवैधार्नक अर्धकार।

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टैररफ :-
एक देश के आयात या र्नयाित पर दसू रे देश द्वारा लगाया जानेवाल कर। प्रवेश के र्बदां ु पर शल्ु क लगाया जाता है,
अथाित, सीमा या हवाई अड्डे पर।
नवनिमय दरें :-
वे अतां रािष्िीय व्यापार के प्रयोजनों के र्लए राष्िीय मद्रु ाओ ां को जोड़ती हैं। मोटे तौर पर दो प्रकार की र्वर्नमय दरें हैं
: र्नर्ित र्वर्नमय दर और अस्थायी र्वर्नमय दर।
निष्ट्कषग :-
र्पछले दो दशकों में, दर्ु नया की अथिव्यवस्था बहुत बदल गई है क्योंर्क चीन, भारत और िाजील जैसे देशों ने तेजी
से आर्थिक र्वकास हार्सल र्कया है।

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NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 सिहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीर्जए। एक उदाहरण एर्शया से और एक
उदाहरण अमेररकी महाद्वीपों के बारे में चनु ें।
उत्तर –
1. चीि: 15वीं शताब्दी तक बहुत सारे ‘र्सल्क मागि’ अर्स्तमव में आ चक ु े थे। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी
जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दर्क्षण-पवू ि एर्शया के कपड़े व मसाले दर्ु नया के दसू रे भागों में पहुचाँ ते
थे। वापसी में सोने-चााँदी जैसी कीमती धातएु ाँ यरू ोप से एर्शया पहुचाँ ती थीं।
2. अमेररका: सोलहवीं सदी में जब यरू ोपीय जहार्जयों ने एर्शया तक का समद्रु ी रास्ता खोज र्लया और वे
अमेररका तक जा पहुचाँ े तो अमेररका की र्वशाल भर्ू म और बेर्हसाब फसलें और खर्नज पदाथि हर र्दशा
में जीवन का रांग-रूप बदलने लगे। आज के पेरू और मैर्क्सको में मौजदू खानों से र्नकलने वाली कीमती
धातओ ु ,ां खासतौर से चााँदी, ने भी यरू ोप की सपां दा को बढ़ाया और पर्िम एर्शया के साथ होने वाले उसके
व्यापार को गर्त प्रदान की।
प्रश्न 2 बताएाँ र्क पवू -ि आधर्ु नक र्वश्व में बीमाररयों के वैर्श्वक प्रसार ने अमेररकी भभू ागों के उपर्नवेशीकरण में र्कस
प्रकार मदद दी।
उत्तर – पवू -ि आधर्ु नक दर्ु नया में बीमारी के वैर्श्वक प्रसार ने अमेररका के उपर्नवेशीकरण में मदद की क्योंर्क मल ू
र्नवार्सयों के पास यरू ोप से आने वाली इन बीमाररयों के र्खलाफ कोई प्रर्तरोध नहीं था। अमेररका की खोज से
पहले, लाखों साल से अमेररका का दर्ु नया से कोई सपां कि नहीं था।फलस्वरूप, इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक
सार्बत हुई। एक बार सि ां मण शरू ु होने के बाद तो यह बीमारी परू े महाद्वीप में फै ल गई। जहााँ यरू ोपीय लोग नहीं पहुचाँ े
थे वहााँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने परू े के परू े समदु ायों को खमम कर डाला और र्वजय के र्लए मागि
प्रशस्त र्कया।
प्रश्न 3 र्नम्नर्लर्खत के प्रभावों की व्याख्या करते हुए सांर्क्षप्त र्टप्पर्ण र्लखें-
1. कानि लॉ के समाप्त करने के बारे में र्िर्टश सरकार का फै सला।
2. अफ्रीका में ररांडरपेस्ट का आना।
3. र्वश्वयद्ध
ु के कारण यरू ोप में कामकाजी उम्र के परुु र्षों की मौत।
4. भारतीय अथिव्यवस्था पर महामांदी का प्रभाव।
5. बहुराष्िीय कांपर्नयों द्वारा अपने उमपादन को एर्शयाई देशों में स्थानाांतररत करने का फै सला।
उत्तर –
1. कॉनि लॉ के समाप्त करने के बारे में र्िर्टश सरकार का फै सला
अठारहवीं सदी के आर्खरी दशकों में र्िटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। पररणामस्वरूप देश में भोजन
की माांग भी बढ़ी। जैसे-जैसे शहरों और उद्योगों का र्वकास हुआ कृ र्र्ष उमपादों की माांग भी बढ़ने लगी। कृ र्र्ष

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उमपाद की कीमतें बढ़ने लगीं। इसके बाद बड़े भस्ू वार्मयों के दबाव में सरकार ने कॉनि के आयात पर पाबदां ी
लगा दी थी। र्जन काननू ों के द्वारा सरकार ने यह पाबदां ी लगाई थी, उन्हें 'कॉनि लॉ' कहा जाता था।
खाद्य पदाथों की ऊाँ ची िीमतों से परे शान उद्योगपर्तयों और शहरी लोगों ने सरकार को मजबरू कर र्दया र्क
वह कॉनि ला को फौरन समाप्त कर र्दया। कॉनि लॉ के समाप्त होने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदाथों का
आयात र्कया जाने लगा।
आयार्तत खाद्य पदाथों की लागत र्िटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदाथों से भी कम थी। र्िर्टश र्कसानों की
हालत र्बगड़ने लगी क्योंर्क वे आयार्तत माल की कीमत का मक ु ाबला नहीं कर सकते थे। र्वशाल भभू ागों पर
खेती बदां हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गााँवों को छोड़कर वे या तो शहरों में या दसू रे देशों में जाने लगे।
2. अफ्रीका में ररांडरपेस्ट का आना।
• अफ्रीका में 1890 के दशक में ररांडरपेस्ट नामक बीमारी बहुत तेजी से फै ल गई।
• मवेर्शयों में प्लेग की तरह फै लने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीर्वका और स्थानीय
अथिव्यवस्था पर गहरी असर पड़ा।
• उस समय पवू ी अफ्रीका में एररर्िया पर हमला कर रहे इतालवी सैर्नकों का पेट भरने के र्लए एर्शयाई
देशों से जानवर लाए जाते थे।
• यह बीमारी र्िर्टश आर्धपमय वाले एर्शयाई देशों से आए जानवरों के जररए यहााँ पहुचाँ ी थी।
• अफ्रीका के पवू ी र्हस्से से महाद्वीप में दार्खल होने वाली यह बीमारी जांगल की आग की तरह पर्िमी
अफ्रीका की तरफ बढ़ने लगी।
• 1892 में यह अफ्रीका के अटलाांर्टक तट तक जा पहुचाँ ी।
• ररांडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रर्तशत मवेर्शयों को मौत की नींद सल
ु ा र्दया। पशओ
ु ां के
खमम हो जाने से अफ्रीर्कयों के रोजी-रोटी के साधन समाप्त हो गए।
3. र्वश्वयद्ध
ु के कारण यरू ोप में कामकाजी उम्र के परुु र्षों की मौत।
• प्रथम र्वश्व यद्ध
ु 1914 में शरू
ु हुआ था और 1919 में समाप्त हुआ।
• इस यद्ध
ु में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों और रासायर्नक हर्थयारों को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल
र्कया गया।
• इस यद्ध
ु में 90 लाख से अर्धक लोग मारे गए तथा 2 करोड़ लोग घायल हुए।
• मृतकों और घायलों में ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे।
• इस महार्वनाश के कारण यरू ोप में कामकाज के लायक लोगों की सांख्या बहुत कम रह गई।
• पररवार के सदस्य घट जाने से यद्ध
ु के बाद पररवारों की आय भी र्गर गई।
4. भारतीय अथिव्यवस्था पर महामांदी का प्रभाव।

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महामदां ी ने भारतीय व्यापार को फ़ौरन प्रभार्वत र्कया| 1928 से 1934 के बीच देश के आयात-र्नयाित घट
कर लगभग आधे रह गए थे। जब अतां रािष्िीय बाजार में कीमतें र्गरने लगीं तो यहााँ भी कीमतें नीचे आ गई।ां
1928 से 1934 के बीच भारत में गेहां की कीमत 50 प्रर्तशत र्गर गई। शहरी र्नवार्सयों के मक ु ाबले
र्कसानों और काश्तकारों को ज्यादा नक ु सान हुआ। परू े देश में काश्तकार पहले से भी ज्यादा कजि में डूब
गए। खचि परू े करने के चक्कर में उनकी बचत खमम हो चक ु ी थी, जमीन सदू खोरों के पास र्गरवी पड़ी थी,
घर में जो भी गहने-जेवर थे र्बक चक ु े थे। मदां ी के इन्हीं सालों में भारत कीमती धातओ ु ,ां खासतौर से सोने
का र्नयाित करने लगा।
5. बहुराष्िीय कांपर्नयों द्वारा अपने उमपादन को एर्शयाई देशों में स्थानातां ररत करने का फै सला-
• प्रारांभ में बहुराष्िीय कांपर्नयों की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी। सत्तर के दशक के मध्य
से अतां रािष्िीय र्वत्तीय सस्ां थानों में भी काफी पररवतिन आया। र्वकासशील देश कजि और र्वकास
सबां धां ी सहायता के र्लए अतां रािष्िीय सस्ां थानों से सहायता ले सकते थे।
• बहुराष्िीय कांपर्नयों का र्वश्वव्यापी प्रसार मख्ु य रूप से पचास और साठ के दशक की एक
र्वशेर्षता थी। इसका मख्ु य कारण यह था र्क अर्धकतर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर
भारी आयात शल्ु क वसल ू करती थीं। अत: बड़ी कांपर्नयों को अपने सयां िां उन्हीं देशों में लगाना
पड़ता था जहााँ वे अपने उमपाद बेचना चाहते थे और उन्हें घरे लू उमपादकों के रूप में काम करना
पड़ता था।
• सत्तर के दशक के बीच में बेरोजगारी बढ़ने लगी। इस समय बहुराष्िीय कांपर्नयों ने एर्शया के ऐसे
देशों में उमपादन कें र्द्रत र्कया जहााँ वेतन कम र्दया जाता था। चीन में वेतन अन्य देशों की तल
ु ना
में कम था। र्वदेशी बहुरािष्िीय कांपर्नयों ने यहााँ खबू र्नवेश र्कया।
इसका प्रभाव चीनी अथिव्यवस्था पर देखा जा सकता है जहााँ अल्प लागत अथिव्यवस्था तथा वहााँ के कम
वेतन के द्वारा अथिव्यवस्था में भारी बदलाव लाया गया और दर्ु नया का आर्थिक भगू ोल परू ी तरह बदल
गया।
प्रश्न 4 खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दशािने के र्लए इर्तहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर – 1890 तक वैर्श्वक अथिव्यवस्था सामने आ चक
ु ी थी। इससे तकनीक में भी बदलाव आ चक
ु े थे। खाद्य
उपलब्धता पर भी तकनीक का प्रभाव पड़ने लगा जो इस प्रकार था।

• रे लवे का र्वकास-अब भोजन र्कसी आस-पास के गााँव या कस्बे से नहीं बर्ल्क हजारों मील दरू से आने
लगा था। खाद्य-पदाथों को एक जगह से दसू री जगह पहुचाँ ाने के र्लए रे लवे का इस्तेमाल र्कया जाता था।
पानी के जहाजों से इसे दसू रे देशों में पहुचाँ ाया जाता था।
• नहरों का र्वकास-खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव का बहुत अच्छा उदाहरण हम पजां ाब में देखते
हैं। यहााँ र्िर्टश भारतीय सरकार ने अद्धि-रे र्गस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के र्लए नहरों का जाल
र्बछा र्दया तार्क र्नयाित के र्लए गेहां की खेती की जा सके । इससे पांजाब में गेहां का उमपादन कई गनु ा बढ़
गया और गेहाँ को बाहर बेचा। जाने लगा।

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• रे र्फ्रजरे शन तकनीक का र्वकास-1870 के दशक तक अमेररका से यरू ोप को माांस का र्नयाित नहीं र्कया
जाता था। उस समय र्जांदा जानवर ही भेजे जाते थे, र्जन्हें यरू ोप ले जाकर काटा जाता था। लेर्कन र्जांदा
जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे लबां े सफर में मर जाते थे। बहुतों का वजन र्गर जाता था या
वे खाने लायक नहीं रहते थे। इसर्लए मासां खाना एक महाँगा सौदा था। नई तकनीक के आने पर यह र्स्थर्त
बदल गई। पानी के जहाजों में रेर्फ्रजरे शन की तकनीक स्थार्पत कर दी गई, र्जससे जल्दी खराब होने वाली
चीजों को भी लबां ी यािाओ ां पर ले जाया। जा सकता था। अब अमेररका, ऑस्िेर्लया, न्यजू ीलैंड सब जगह
से जानवरों की बजाए उनका मासां ही यरू ोप भेजा जाने लगा। इससे न के वल समद्रु ी यािा में आने वाला
खचाि कम हो गया बर्ल्क यरू ोप में मासां के दाम भी र्गर गए। अब बहुत सारे लोगों के भोजन में मासां ाहार
शार्मल हो गया।
प्रश्न 5 िेटन वडु ् स समझौते का क्या अथि है?
उत्तर – िेटन वडु ् स समझौते पर जल ु ाई 1944 में अमेररका र्स्थत न्यू हैम्पशर में िेटन वडु ् स में र्वश्व शर्ियों के
बीच हस्ताक्षर र्कए गए थे। इसने अांतरािष्िीय मद्रु ा कोर्ष (आईएमएफ) की स्थापना बाहरी अर्धशेर्षों और अपने
सदस्य देशों के घाटे से र्नपटने के र्लए की और अांतरािष्िीय पनु र्निमािण एवां र्वकास बैंक की स्थापना यद्ध ु ोत्तर
पनु र्निमािण के र्लए पैसे का इतां जाम करने के र्लए की गई थी।

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