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Hin 50 8th Brief Ans Term I
Hin 50 8th Brief Ans Term I
प्रश्न 1 गिरिजा कुमाि माथुि ने ‘हम होंिे कामयाब’ कविता के द्िािा क्या संदेश ददया?
उत्ति: कवि ‘श्री गिरिजा कुमाि माथुि’ अपनी कविता के माध्यम से विश्िास के महत्ि के
बािे में बता िहे हैं। अिि हम पिू े विश्िास के साथ काम किें िे तो हम ज़रूि उस काम में
सफल हो जायेंिे। हमें विश्िास है कक हमािे दे श में चािों ओि शांतत ज़रूि होिी । इस
प्रकाि की सन
ु हिी स्थथतत एक न एक ददन ज़रूि आयेिी। हमें विश्िास है कक हम सभी
लोि एक दस
ू िे के हाथ से हाथ ममलाकि साथ-साथ ममलकि चलेंिे। अथाात हम सभी लोि
भाई-भाई की तिह िहें िे | हम कई सालों तक िल
ु ामी में िह िहे थे । लेककन आज हम
बबना डि के आज़ादी से िह िहे हैं। हमें पिू ा विश्िास है कक एक न एक ददन हमािे लक्ष्य
को साकाि कि सकेंिे । अथाात हि जिह कामयाब होंिे औि दे श का नाम हमेशा ऊँचा
िखेंिे ।
उत्ति: एक बाि बाजीिाि पेशिा ने िाँि के बाहि डेिा डाला था। उहोने प्रमुख सिदाि को
भूखी प्यासी सेना के मलए भोजन प्रबंध का आदे श ददया । आदे श ममलते ही सिदाि
सैतनकों की एक टुकड़ी के साथ िाँि जा पहुंचे । िहाँ एक ककसान ददखा तो उन्होंने
उसे ककसी बड़े खेत पि ले जाने के मलए कहा । ककसान उन्हें िहाँ ले िया । खेत दे खते
ही सिदाि ने सैतनकों से फसल काटने का आदे श ददया । ककसान समझ िया कक
सैतनक अपनी भख
ू ममटाने के मलए फसल काटने आए हैं । उस ककसान ने सिदाि से
साथ िाले छोटे खेत की फसल काटने को का आग्रह ककया । सिदाि ने उससे इसका
कािण पूछा । तब ककसान ने शांत थिि मे कहा कक यह बड़ा खेत ककसी दस
ू िे व्यस्क्त
का है मैं अपने सामने उसका खेत कैसे कटिा सकता हूँ ? िह छोटा खेत मेिा है आप
उस खेत से फसल काट कि ले जा सकते हैं । मैं सहर्ा अनुमतत दे ता हूँ । ककसान की
बात सुनकि सिदाि आश्चया से भि उठा । तभी बाजीिाि पेड़ के पीछे से तनकल कि
आए औि ककसान को सीने से लिा मलया औि कहा “जब तक तुम जैसे दयालु ककसान
इस िाज्य में हैं तब तक कोई भी भख
ू ा नहीं सो सकता है । तम्
ु हािी भािना सबसे
पवित्र है ।“