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Ch 2 मीरा के पद
Ch 2 मीरा के पद
Ch 2 मीरा के पद
DOHA, QAtAR
March 2024-25
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पाठ -2पद
- मीराबाई
(क) ननलखत न का उर दिजए
5. वे ीक
ृण को पाने के लए या-या काय करने को तैयार ह?
उर
मीरा क
ृण को पाने के लए अनेक काय करने को तैयार ह । वह सेवक बन कर उनक सेवा कर
उनके साथ रहना चाहती ह, उनके वहार करने के लए बाग -बगीचे लगाना चाहती है । वंदृावन क
खड़कयाँ बनवाना चाहती
गलय म उनक ललाओं का गण ु गान करना चाहती ह, ऊँ चे-ऊँ चे महल म
ह ताक आसानी से क बी रं ग क साड़ी पहनकर आधी रात को क
ृण के दशन कर सक । कुसु ृण से
मलकर उनके दशन करना चाहती ह।
मीरा ने क ण के भत पर क
इस पद म ृ ृपा िट रखने वाले प का वणन कया है । वे कहती ह- "हे
हर ! िजस कार आपने अपने भतजन क पीड़ा हर है , मेर भी पीड़ा उसी कार दरू करो। िजस कार
ोपद का चीर बढ़ाकर, लाद के लए नरसहं प धारण कर आपने रा क, उसी कार मेर भी रा करो।"
राजथानी है । 'र' वन का बारबार योग ह
इसक भाषा ज मत ुआ है तथा 'हर' शद म लेष अलंकार है ।
2. बढ़
ू तो गजराज रायो, काट कुजर पीर।
दासी मीराँ लाल गरधर, हरो हार भीर।
उर
मीरा ने क
इन पंितय म ृण से अपने दख
ु दरू करने क ाथना क है । हे भत वसल
जैसे - डूबते गजराज को बचाया और उसक रा क वैसे ह आपक दासी मीरा ाथना करती है क
उसक पीड़ा दरू करो। इसम दाय भितरस है । भाषा ज मत राजथानी है । अनाु स अलंकार है , भाषा
सरल तथा सहज है ।