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वैदिक उपासना पीठद्वारा प्रकादित

सोमवार, फाल्गुन कृ ष्ण पक्ष, अमावस्या, कदलयुग वर्व ५१२५ (८ अप्रैल, २०२४)

इस वृत्तपत्रको आप हमारे जालस्थल www.vedicupasanapeeth.org पर जाकर भी प्रदतदिन पढ सकते हैं ।

पिंचािंग
जयतु जयतु हिन्दरु ाष्ट्रं
८ अप्रैल २०२४ का वैहदक पंचांग
कहलयगु वर्ष – ५१२५ / हवक्रम संवत – २०८० / शकवर्ष -
१९४५..कलके पंचांगके सम्बन्धमें और जानकारी िेतु इस हलंकपर
जाएं…...https://vedicupasanapeeth.org/hn/panchang-
08042024

िेव स्तुदत
सववसुगदधिसल ु ेदपतदलिंगम् बुदिदवविवनकारणदलिंगम् ।
दसिसुरासुरवदधितदलिंगम् तत्प्प्रणमादम सिादिवदलिंगम् ॥
अथव : मैं भगवान सदाहशवके उस हलंगको प्रणाम करता िं, जो
सभी प्रकारके सगु हन्धत द्रव्योंसे हलप्त िै, अथवा सगु न्धयक्त

नाना द्रव्योंसे पूहजत िै और हजसका पूजन व भजन, बहु िके
हवकासमें एकमात्र कारण िै तथा हजसकी पूजा, हसि, देव व
दानव सदा करते िैं ।
श्रीगुरु उवाच

ध्यानके लाभ तथा कदमयािं


“ध्यानसे व्यहि साधना िोती िै; परन्तु समहि साधना
निीं िोती ।” - सदचचिानधि परब्रह्म डॉ. जयिंत आठवले,
सिंस्थापक, सनातन सिंस्था
साभार : मराठी िैदनक सनातन प्रभात
(https://sanatanprabhat.org)
िास्त्र वचन
दवना वेििं दवना गीतािं, दवना रामायणीं कथाम् ।
दवना कदव कादलिासिं, भारतिं भारतिं न दह ॥
अथव : वेदोंके हबना, हबना श्रीमद्भागवत गीताके , रामायणी
कथाके हबना, मिाकहव काहलदासके हबना भारत, वास्तवमें
भारत निीं िै ।
*************
दनधिधतु नीदतदनपण ु ााः यदि वा स्तवु धतु
लक्षमीाः समादवितु, गचछतु वा यथेष्टम् ।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगाधतरे वा
धयाय्यात्प्पथाः प्रदवचलदधत पििं न िीरााः ॥
अथव : धैयषशील मनष्ट्ु योंकी नीहतमें, कुशल हवद्वानोंके द्वारा हनन्दा
की जाए या प्रशंसा, इच्छानस ु ार सम्पहि आए अथवा न
आए, मत्ृ यु आज िी िो जाए या दूसरे यगु में अथाष त बिुत हदनोंके
पश्चात िो; परन्तु वे न्यायोहचत मागष से एक पग भी हवचहलत निीं
िोते िैं ।
िमविारा

१. सािनाके मापिण्ड
साधना करते समय, ‘िमारे दोर् न्यून िो रिे िैं क्या ?’,
‘िमारा अिं न्यून िो रिा िै क्या ?’, ‘िमारी आसहक्त घट रिी िै
क्या ?’ - इनका अत्यन्त सतकषतासे हनरीक्षण करना चाहिए,
अध्यात्ममें प्रगहतके यिी मापदण्ड िैं । जब हवर्मसे हवर्म
पररहस्थहतयोंमें भी मन समभावमें रिे, आनन्दी रिे, हवकल्प न
आए, गरुु या ईश्वरके प्रहत कृतज्ञताका भाव रिे, तो समझें हक
आपकी साधना िो रिी िै ।
*************
२. साधको ! कृतज्ञताके भावमें रिनेसे िमारी भावजाग्रहत एवं
भाववहृ िमें अत्यहधक सिायता हमलती िै; हकन्तु कृतज्ञता, मात्र
सकारात्मक प्रसङ् गोंके हलए िी न हकया करें; अहपतु जीवनमें
जो नकारात्मक प्रसङ् ग घहटत िुए िैं, उनके प्रहत भी
सकारात्मक दृहिकोण रखकर कृतज्ञता व्यक्त हकया करें । एक
उदािरण देती िं, जैसे हकसीकी सासने, बिके साथ अत्यहधक
बरु ा व्यविार हकया िो और अब उस सासकी मत्ृ यु िो गई
िो, तो उस साहधकाका अपने सासके प्रहत कै सा दृहिकोण
िोना चाहिए ?
साहधकाको, जब भी सासके हवर्यमें नकारात्मक तथ्य
ध्यानमें आएं, तब गरुु को या अपने आराध्यको कृतज्ञता व्यक्त
करते िुए किना चाहिए, "िे प्रभु ! आपने मेरी सासके माध्यमसे
मेरे तीव्र प्रारब्धको नि हकया, इस िेतु िम आपके कृतज्ञ िैं ।
यहद आपने ऐसा निीं हकया िोता, तो मझ ु े साधनाकर इन
कमोंको नि करना पडता, हजससे मेरा समय व्यथष िोता ।
आपकी इस हवशेर् कृपाको मैं उस समय निीं समझ पाई, इस
िेतु मझ ु े क्षमा करें एवं मेरी सासके प्रहत, मेरे जो भी नकारात्मक
हवचार िैं, उन्िें आप नि करनेकी कृपा करें । इस िेतु मैं
स्वयंसूचना भी ले रिी िं, आप इसमें सातत्य रिने दें, ऐसी
आपसे प्राथष ना िै ।"
इसप्रकार प्रत्येक हदवस, एक सकारात्मक एवं एक
नकारात्मक प्रसङ् ग िेतु गरुु या अपने आराध्यके प्रहत कृतज्ञता
व्यक्त हकया करें । 'ईश्वरं यत करोहत, शोभनं करोहत', यि भाव
सतत अपने मनमें रिने दें । इससे आपका शीघ्र कल्याण िोगा ।
*************
३. सधतोंकी एविं सामाधय व्यदियोंकी दनद्रामें अधतर
स्थूल शरीरके हलए हनद्रा अहत आवश्यक िै । यि
मनष्ट्ु यके हलए िी निीं, प्रत्येक देिधारी जीवके हलए आवश्यक
िै । तभी तो शास्त्रोंमें किा गया िै हक हनद्रा, तन्द्रा, भय और
मैथुन - ये पशु और मनष्ट्ु यमें एक समान िोते िैं । मात्र धमष और
उसका पालन िी, मानवको मनष्ट्ु य बनाता िै, अन्यथा तो वि
एक देिधारी पशु िी िै ।
यद्यहप हनद्रा एक आवश्यक कृत्य िै; तथाहप हनद्राके
समय हनहष्ट्क्रयताके कारण, एक सामान्य व्यहक्तका तमोगणु बढ
जाता िै; इसहलए मध्याह्नमें निीं सोना चाहिए । इससे आयु क्षीण
िोती िै - ऐसा शास्त्र वचन िै । राहत्रमें सोनेके पश्चात, प्रातः िमें
स्नान अवश्य करना चाहिए । तभी हनद्राके कारण हनहमष त िुआ
तमोगणु दरू िोता िै ।
जिां सवष सामान्य व्यहक्तकी हनद्रा तमोगणु ी िोती िै, विीं
सन्तोंकी हनद्रा चैतन्ययक्तु िोती िै; क्योंहक उनकी हनद्रा, एक
प्रकारकी समाहध िोती िै; अतः उस समय भी उनकी साधना,
हनरन्तरतासे चलती रिती िै । सन्तोंके हनद्राकालमें, उनकी
कायष क्षमता १०० गणु ा अहधक बढ जाती िै एवं सूक्ष्म स्तरपर,
उनसे और अहधक प्रमाणमें कायष िोते िैं । वस्ततु ः ९०%
से अहधक स्तरके सन्तोंके कायष , सभी अवस्थाओंमें एक समान
िी चलते िैं । सन्तोंके हनद्राकालमें, उनके अहस्तत्वके
संरक्षणमें रिनेवाले साधकोंपर, सिज िी आध्याहत्मक उपचार
(हस्पररचअ ु ल िीहलंग) िोते िैं; क्योंहक समाहध लगनेके कारण,
उस हनद्रासे उत्पन्न िुई शहक्त, अनेक गणु ा बढ जाती िै; इसहलए
िम यहद सन्तोंके साहन्नध्यमें िैं और वे मौनमें िों अथवा हनद्रामें,
दोनों िी हस्थहतयोंमें उनके चैतन्यका लाभ साधकको प्राप्त िोता
िै, मात्र साधकोंमें सन्तोंके प्रहत भाव िोने चाहिए ।
- (पू.) तनुजा ठाकुर, सम्पािक
प्रेरक प्रसिंग
अहङ् कारी रावणका पतन
रामायणमें एक प्रसंग िै हक एक बार जब बाली
सन्ध्यावन्दनके हलए जा रिे थे, तो आकाशमागष से नारद महु न
जा रिे थे ।
बालीने नारद महु नका अहभवादनकर पूछा, "महु नवर !
किां जा रिे िैं ?”
नारद महु नने बालीको बताया हक वे लंका जा रिे िैं । विां
लंकापहत रावणने, देवराज इन्द्रको परास्त करनेके उपलक्ष्यमें
भोजका आयोजन हकया िै ।
सवष ज्ञाता नारद महु नने, बालीसे चटु की लेते िुए किा,
"अब तो सम्पूणष ब्रह्माण्डमें के वल रावणका िी आहधपत्य िै और
सारे प्राणी, यिांतक हक देवतागण भी, उसे िी शीश नवाते िैं ।"
बालीने, नारद महु नसे किा, ”रावणने, अपने वरदान
और अपनी सेनाका प्रयोग लोगोंके उत्पीडनमें हकया िै, जो
हनबष ल िैं; हकन्तु मैं उनमेंसे निीं िं और आप यि बात रावणको
स्पि बता दें ।”
चञ्चल स्वभाव नारद महु नने यि बात जाकर रावणको
बता दी, हजसे सनु कर रावण क्रोहधत िो गया । अिङ् कारी
व्यहक्त, सदैव अपनी िी प्रशंसा करता िै ।
अन्य व्यहक्त चािे हकतने िी बडे क्यों न िों, वे उसे
अपनेसे बौने िी लगा करते िैं । इस प्रकार अिङ् कार, व्यहक्तके
अज्ञानता और मख ू ष ताका पररचायक िै ।
रावणने, अपनी सेनाको तैयार करनेके आदेश दे डाले ।
नारदजीने उससे भी चटु की लेते िुए किा, "एक वानरके हलए
यहद आप सम्पूणष सेना लेकर जाएंगे, तो आपके सम्मानके हलए
यि उहचत निीं िोगा ।”
अिङ् कारमें चूर रावण, शीघ्र मान गया और अपने पष्ट्ु पक
हवमानमें बैठकर हकहष्ट्कन्धा पिुंच गया, जिां बाली,
सन्ध्यावन्दन कर रिे थे ।
रावणके बार-बार ललकारनेसे, बालीकी पूजामें हवघ्न
उत्पन्न िो रिा था । बालीके प्रिररयोंने (पिरेदारोंने), रावणको
रोकनेके अथक प्रयास हकए; हकन्तु वि, बालीके पूजा-कक्षतक
पिुंच िी गया ।
विां, बालीकी स्वणष मयी काहन्त देखकर रावण
उहद्वग्न (घबडा) िो गया । उसने, बालीपर पीछे से वार करनेकी
चेिा की ।
यद्यहप शहक्तशाली बाली पूजामें तल्लीन था; तथाहप
उसने, राक्षसराज रावणको नन्िेंसे कीडेकी भांहत अपनी पूंछसे
पकडकर और उसका हसर अपने बगलमें दबा हदया ।
शहक्तशाली बालीने, रावणको छि माितक अपनी बगलमें
दबाए रखा । तत्पश्चात एक हखलौनेकी भांहत, क्रीडाके हलए अपने
पत्रु अंगदको दे हदया ।
अंगदने, रावणके गलेमें रस्सी बांधकर, उसे नगरमें
घमु ाना आरम्भ कर हदया । बालीपत्रु अंगदने ऐसा इसहलए हकया
हक सम्पूणष हवश्वके प्राणी, रावणको इस असिाय अवस्थामें देखें
और उनके मनसे, उसका भय हनकल जाए ।
अिङ् कार करनेसे देव, दानव अथवा मनष्ट्ु य, सभीका
नाश िोता िै ।
संसारको जीतनेवाले रावणकी यि दशा देखकर, नगरके
लोग उसपर िंसते िुए कटाक्ष करने लगे, ”तहनक देखो तो सिी,
यि हवश्व-हवजेता रावण, आज यवु राज अंगदके द्वारा मागोंमें
घमु ाया जा रिा िै ।"
नगरवाहसयोंकी बातें सनु कर, लहजजत िोकर रावण,
दीघष श्वास लेने लगा । बगलमें दबे रिनेसे, रावणका दम घटु ने
लगा था । उसका अिङ् कार चूर-चूर िो गया ।
उसने, अपने नाना पल ु स्त्य महु नको स्मरण हकया । अपने
दौहित्रकी दीन पक ु ार सनु कर पल ु स्त्य महु नको अचम्भा िुआ हक
रावणकी ऐसी दशा क्यों िुई ?
इसके पश्चात पल ु स्त्य ऋहर्के किनेपर, रावणने अपनी
पराजय स्वीकार की और बालीकी ओर मैत्रीका िाथ बढाया,
हजसे बालीने स्वीकार कर हलया ।
भहक्तमें अिङ् कार, भहक्तको तामसी कर देता िै । जो लोग
यि िठ करते िैं हक िम िी सिी िैं, ईश्वर उनको छोड देता िै;
क्योंहक भगवानको गवष -अिङ् कार कदाहप निीं सिु ाता िै ।
(सङ् कलन : श्री मिेन्द्र शमाष , देिली)

घरका वैद्य
मेथी (भाग-६)
'कोलेस्रॉल'को धयनू करनेके दलए : शोधके अनस ु ार, मेथीके
बीजमें 'कोलेस्रॉल' न्यून करनेकी क्षमता िोती िै, हवशेर्कर यि
िाहनकारक 'कोलेस्रॉल'को न्यून करता िै । मेथीके बीजमें
'नाररंगहे नन' नामक एक 'फ्लैवोनॉयड' तत्त्व िोता िै, जो उच्च
'कोलेस्रॉल'वाले लोगोंमें, वसाके स्तरको न्यून करता िै ।
इसमें हनहित घल ु नशील 'फाइबर', पचे िुए खानेके
हचपहचपेपनको बढाकर, शरीरमें 'कोलेस्रॉल'के स्तरको न्यून
करनेमें सिायता करता िै । िाहनकारक 'कोलेस्रॉल', रक्त-
धमहनयोंमें अवरोध उत्पन्न कर सकता िै और प्रभाहवत
व्यहक्तको, हृदयाघात िो सकता िै ।
उच्च 'कोलेस्रॉल'के स्तरको न्यनू करनेके हलए प्रहतहदन
मेथीके बीजोंका सेवन करना लाभकारी िै ।
मेथीके सूखे बीजोंको भनू लें और उन्िें पीसकर चूणष बना लें ।
इस चूणषका प्रयोग खानेपर हछडककर अथवा जलके साथ कर
सकते िैं ।
* हृियके स्वास््यके दलए : मेथीके बीजमें अच्छे 'एंटी-
ऑक्सीडेंट' एवं हृदय संरक्षणके गणु पाए जाते िैं, जो हृदयके
स्वास्थ्यमें सधु ार लानेके हलए लाभदायक िैं । यि रक्त प्रवािको
हनयहमतकर, रक्तके थक्कोंको जमनेसे बचाए रखते िैं । मेथी,
रक्तचापको भी सन्तहु लत करनेमें सिायता करती िै । इसके
अहतररक्त, रक्तके जम जानेके स्तरपर मेथी अपने सकारात्मक
प्रभाव हदखाती िै । यि हृदयरोगके दो प्रमखु कारणोंको, रक्त-
शकषरा और मोटापेपर हनयन्त्रणकर, हृदयरोगके सङ् कटको
बिुत सीमातक न्यून कर देती िै ।
उदत्तष्ठ कौधतेय
कमवचाररयोंकी असतकव ताके कारण पानीकी टिंकीमें दमले २०
बधिरोंके िव, अदिकाररयोंके दवरुि कायववाहीकी मािंग
तेलंगानाके ‘नालगोंडा’में ‘नगर पाहलका’ कमष चाररयोंकी
लापरवािीके कारण ‘हवजय हविार’में बनी एक पानीकी टङ् की
में लगभग ३० बन्दरोंके मरनेकी सूचनाने सबको आश्चयष चहकत
कर हदया िै । बताया जा रिा िै हक इस टंकीका ढक्कन खल ु ा
िुआ रिता था, हजसके कारण यि घटना घटी ।
नगर पाहलकाके कमष चाररयोंका किना िै हक इस क्षेत्रमें
बन्दर रिते िैं और सम्भवतः वे पानी पीने आए िोंगे और ढक्कन
खल ु ा िोने कारण वे इसमें हगर गए और बािर निीं हनकल पाए;
हजसके कारण उनकी मत्ृ यु िो गई । उन्िोंने यि भी बताया हक
बन्दरोंकी मत्ृ यु १० हदवस पूवष िोनेकी सम्भावना िै ।
जब विांके हनवाहसयोंको इस बात की जानकारी िुई हक
बन्दरोंके शव उसी टंकीसे हमले िैं, हजसका उपयोग वे अपने
खाने-पीनेमें कर रिे िै थे ! इसके पश्चात सभी हनवासी अपने
स्वास्थ्यको लेकर हचहन्तत िो गए । उन्िें सन्देि िै हक बन्दरोंकी
मत्ृ यु १० हदवस पूवष िुई थी और विी पानी उन्िें पीनेके हलए
हदया गया था; अतः उन्िोंने ‘लापरवािी”के हलए नगर हनगम
अहधकाररयोंके हवरुि कायष वािीकी मांग की िै ।
सरकारी कमवचाररयोंकी अकमवण्यता समदष्टके दलए
एक अदभिाप है । स्वास््य सम्बधिी सेवाओिंमें भी अनपेदक्षत
लापरवाही होती है जो मूक जीवों एविं लोगोंके दलए घातक
हैं । इस सम्बधिमें सम्बदधित अदिकाररयोंको साववजदनक
स्तरपर कठोर िण्ड िेना अपेदक्षत है। (०४.०४.२०२४)
*************
अश्लीलताकी पराकाष्ठा, पधथकी बातें बताकर दकया यौन
िोर्ण : ‘मौलदवयों’के आखेट बने ‘पादकस्तानी’ मस ु लमान
सामाहजक प्रसार माध्यमपर २ अप्रैल २०२४ को एक
‘पाहकस्तानी’ व्यहक्त फै सल रफीने ‘मौलहवयों’को लेकर एक प्रश्न
हकया, हजसके उपरान्त उस लेखपर अनेक प्रहतहक्रयाएं आई ं।
वास्तहवकतामें, फै सल रफीने अपने 'ट् वीट'में लोगोंसे पूछा था,
“क्या कभी हकसी ‘मौलवी’ने उन्िें शारीररक रूपसे प्रताहडत
हकया िै या हफर कभी यौन-शोर्ण हकया िै ।” फै सलने इस
प्रश्नको पूछनेके उपरान्त पिले स्वयं इसका उिर हदया । उन्िोंने
किा, “ऐसा मेरे साथ िुआ िै; परन्तु घरमें, 'मदरसे'में निीं ।”
फै सलके इस उिरके उपरान्त प्रहतहक्रयाओंकी बाढ आ गई और
ये प्रहतहक्रयाएं वास्तहवकतामें आश्चयष चहकत करनेवाली थी । न
के वल स्त्रीभोक्ताओंने अपनी पीडा साझा की, अहपतु यवु कोंने भी
बताया हक उनके साथ ऐसा िुआ िै।
ज्ञात िो हक ‘मौलहवयों’द्वारा अवयस्कोंका शोर्ण
पाहकस्तानमें बिुत सामान्य सा लगता िै; परन्तु लंदनसे लेकर
अन्य देशोंमें रिनेवाले मसु लमान भी इस मध्य फै सलसे सिमत
िोते हदखे जो आश्चयष करनेवाला िै । भारतमें भी कई ऐसी
घटनाएं प्रहवि िैं, जिां ‘मौलहवयों’को यौन-शोर्णके अपराधमें
बन्दी बनाया गया िो । िमीरपरु में इस आरोपमें मंतु जीर आलम
बन्दी िुआ था । इसके उपरान्त जिानाबादके अल्बानत इकरा
अकादनीसे ‘मौलवी’ अब्दल ु मनन बन्दी बनाया था। फक्रपरु से
‘मौलवी’ हदलशाद पकडा गया था ।
िमावधि यौन-सम्बधिोंको लेकर कुिंदठत दवचार के है,
यौन अपरािोंमें दकसी भी सीमातक जा सकते हैं, जहािं न वह
पीदडतकी आयु िेखते है और न ही उसका पधथ िेखते हैं ।
मात्र वासनाकी तृदि ही वासनधिोंका प्रमख ु ध्येय होता है ।
िमावधि ऐसे घदृ णत कायव करके मानवीय सम्बधिोंके ित्रु बन
गए हैं । (०४.०४.२०२४ )
*************
फे सबुकके 'वन-मेसेज'पर दहधिूिमवके िेवी-िेवताओिंके प्रेदर्त
दकये गए अश्लील दचत्र, लोगोंने प्रदवष्ट करवाई प्राथदमकी
एक ‘लॉ’की (अहधवक्ता हवभागकी हशक्षा ग्रिण
करनेवाली) एक छात्रा सपनाने २७ माचष को एक फे सबक ु पष्ठृ के
हवरूि पररवाद प्रहवि करवाया िै; हजसमे हिन्दू-देवी-देवताके
अश्लील हचत्र साझा हकये गए िैं । ‘वन-मेसेज' (One
Message) नामके 'फे सबक ु 'को प्रहतबहन्धत करवाने और
उसके सञ्चाहलत करनेवालोंपर कठोर कायष वािीकी मांग की
िै । इस पररवादमें आरोप िै हक यि 'पेज' समलैंहगक समूिोंको
भी 'प्रमोट' करता िै । इस बातकी जानकारी सपनाने इंदौर
‘पहु लस कहमश्नर’को दी थी, हजसे उन्िोनें यि प्रकरण अपराध
हवभागको कठोरतासे जांचके हलए सौंप हदया ।
छात्राने आरोप लगाया िै हक ‘one message’ ‘फे सबक ु
पेज’पर अयोध्यामें राम महन्दर और भगवा रंगको अश्लीलतासे
प्रस्ततु हकया गया िै । इस ‘पेज’पर महिलाओंको जन्मसे पापी
भी बताया गया िै । पररवादकताष ने इस दष्ट्ु कृहतको भारतमें
हिन्दधू मष की भावनाओंको ‘भडकाने’का र्ड् यन्त्र बताया िै । इस
‘पेज’पर हिन्दधू मष के देवी-देवताओंको अपमाहनत करनेकी
दृहिसे, समलैंहगक दृहिसे आपहिजनक आहलंगन, चम्ु बनवाले
अश्लील हचत्र डाले गए िैं । एक अधष नग्न महिलाके िाथमें बजरंग
बलीका ध्वज भी थमाया गया िै ।
यद्यहप ‘पहु लस’ने उन्िें कायष वािीका हवश्वास हदलाया िै;
हकन्तु अभीतक हववाहदत फे सबक ु पष्ठृ पर हिन्दहू वरोधी
गहतहवहधयोंपर कोई हनयन्त्रण निीं हकया गया िै ।
दहधिू िेवताओिंको लक्षय करना एक प्रथा-सी बन गई
है । हमारे दहधिुिमवका अपमान दकया जा रहा है । प्रदतदिन
हृियको ठेस पहचिं ानेवाले समाचार प्रेदर्त दकये जाते हैं ।
दहधिुओकिं े मदधिरमें मािंसके टुकडे फें कना, मदधिर ध्वस्त
करना, चलदचत्रोंमें अनुदचत ढिंगसे िेवी-िेवताओिंको प्रस्ततु
करना एविं अधतजावलपर आपदत्तजनक दचत्र डालकर,
कबतक ऐसे ही हमारे सनातन िमवका अपमान होता रहेगा ।
के धद्रिासनको इस ओर िीघ्रादतिीघ्र ध्यान िेना अपेदक्षत
है । (०४.०४.२०२४)
*************
इिर ‘टीएमसी’को ‘लॉटरी दकिं ग’ने ‘इलेक्टोरल बॉधड’से
दिया चिंिा, उिर ‘फ्यूचर गेदमिंग’के दवरुि कोलकाता
‘पुदलस’ने २ अदभयोग दकए बधि
‘लॉटरी हकं ग सैंहटयागो माहटष न’का व्यवसाय कई राजयोंमें
फै ला िै, हवशेर्कर के रल, तहमलनाडु, पहश्चम बंगाल, हसहक्कम
और हत्रपरु ामें। ‘द हप्रंट’के प्रहतवेदनके अनस ु ार, कोलकाता
‘पहु लस’ने सैंहटयागो माहटष नकी ‘कं पनी फ्यूचर गेहमंग’ और
‘िोटल सहवष सेज’के हवरुि दो प्रकरणोंको बन्ध कर हदया, वि
भी उस समय, जब ‘फ्यूचर गेहमंग’ने ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’के
माध्यमसे ‘टीएमसी’को अत्यहधक धन हदया था । ‘एसबीआई’की
ओरसे जब ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’का समूचा ‘डाटा’ सावष जहनक
हकया गया, तो सारे तार आपसमें जडु गए ।
‘इलेक्टोरल बॉन्ड’के ‘डाटा’के अनस
ु ार, ‘फ्यूचर गेहमंग’ने
अक्टूबर २०२० में ‘टीएमसी’को सबसे पिले १ कोहट रुपए
हदए, हफर जल ु ाई २०२१ में ३० कोहट, अक्टूबर २०२१ में ४६
कोहट और जनवरी २०२२ में ६० कोहट । विीं, कोलकाता
‘पहु लस’ने हदसम्बर २०२१ और जनवरी २०२२ में इस
‘कं पनी’के हवरुि चल रिे प्रकरणोंमें ‘क्लोजर ररपोटष ’ प्रहवि
करते िुए अहभयोगको बन्ध कर हदया । ‘ईडी’ने २८ मई २०२१
को ये अहभयोग प्रहवि हकया गया । इस प्रकरणमें प्रवतष न
हनदेशालयने (ईडीने) अप्रैल २०२२ को ४०९.९२ कोहटकी
सम्पहियां राजसात (जब्त) की थी ।
‘ईडी’ने न्यायालयको बताया िै हक ‘फ्यूचर गेहमंग
कं पनी’के हवरुि उसके पास अत्यहधक साक्ष्य िैं और इस
अहभयोगको आगे बढानेके पयाष प्त कारण िैं । ‘ईडी’ने अप्रैल
२०२२ में ‘लॉटरी हवहनयमन अहधहनयन १९९८’ की धारा
७(३) और ९ के अन्तगष त, ये कायष वािी की िै । यद्यहप, कलकिा
उच्च न्यायालयने इस अहभयोगकी आगामी सनु वाईकी हदनांक
अभी हनहश्चत निीं की िै । हवशेर् बात ये िै हक ‘फ्यूचर गेहमंग
टीएमसी’को अक्टूबर २०२० से जनवरी २०२४ तक कुल
५४२ कोहट रुपए ‘इलेक्टोरल बॉन्ड’के माध्यम से दे चक ु ी िै,
इस ‘कं पनी’ने तहमलनाडुकी सिाधारी पाटी ‘डीएमके ’को ५००
कोहटसे अहधक की राहश दी िै ।
कोलकातमें सत्ताका साम्राज्य कै से चल रहा है ? ये
उपयवि ु प्रकरणसे दवदित होता है; प्रवतवन दनिेिालयके पास
पयावि साक्षय है; अताः कोलकाता उचच धयायालय िीघ्र ही
आरोदपयोंके दवरुि कठोर कायववाही करे । जनता धयायालयसे
धयायकी अपेक्षा लगाए बैठी है । (०५.०४.१०२४)
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वैदिक उपासना पीठद्वारा कुछ आवश्यक सचू नाएिं
१. वैहदक उपासना पीठद्वारा बच्चोंको सस ु ंस्काररत करने िेतु
एवं धमष व साधना सम्बहन्धत बातें सरल भार्ामें बताने
िेतु 'ऑनलाइन' बालसंस्कारवगष का लाभ उठा सकते िैं । यि
वगष प्रत्येक रहववार, त्योिारोंको एवं पाठशालाके अवकाशके
हदन, प्रातः १० से १०:४५ तक िोता िै । इस वगष में ७ वर्ष से
१५ वर्ष की आयतु कके बच्चे सिभागी िो सकते िैं । यहद आप
अपने बच्चोंको इसमें सहम्महलत करने िेतु इच्छुक िैं तो
पञ्जीकरण िेतु कृपया 9717492523, 9999670915 के
'व्िाट् सऐप्प'पर सन्देशद्वारा सम्पकष करें ।
२. वैहदक उपासना पीठके माध्यमसे जो भी हजज्ञासु या साधक
साधना करनेको इच्छुक िैं, वे िमारे 'whatsapp' गटु
'साधना'से जडु सकते िैं । इसमें आपको अपनी व्यहि साधनासे
सम्बन्धी प्रश्न, अडचनें एवं साधनाके चरणोंके प्रवासके हवर्यमें
मागष दशष न हदया जाएगा । इस िेतु मझ ु े 'साधना' गटु में जोडें, इस
सन्देशके साथ अपना नाम और आप किां रिते िैं ? (अपने
जनपदका अथाष त हडहस्रक्टका नाम) यि हलखकर भेजें । इसके
माध्यमसे आप घरमें रिकर िी अपनी साधना कर सकते िैं ।
३. आदरणीय श्रोताओं एवं पाठको, जैसा हक आपको ज्ञात िी
िै हक वैहदक उपासना पीठद्वारा श्री िररिर गरुु कुलंका शभु ारम्भ
हकया जा चक ु ा िै; एवं इस हनहमि िम हवद्याहथष योंको कुछ हवर्य
ऑनलाइन हसखा रिे िैं, यहद आप भी ऐसे हवर्य सीखने िेतु
इच्छुक िैं तो अपना नाम व आपके जनपद अथाष त हजलेका नाम
एवं कौन सा हवर्य सीखना चािते िैं, यि हलखकर व्िाट् सएप्प
क्रमांक ९९९९ ६७०९१५ (9999670915) पर भेजें ।
वैहदक उपासना पीठके हवद्या दानका सभी उप्रकम
हन:शल्ु क िी िोता िै; अतः ये हवर्य भी आप घर बैठे हन:शल्ु क
सीख सकते िैं ।
१. रामचररतमानस – प्रातः, प्रत्येक हदवस, ११:०० से
११:३०
२. संगीत – मंगलवार, गरुु वार एवं शहनवार, सन्ध्या ७:२५ से
८:००
३. प्राकृहतक हचहकत्सा – प्रत्येक हदवस राहत्र ८:४५ से ९:००
४. अध्यात्मशास्त्र – शहनवार, मंगलवार एवं गरुु वार मध्याह्न
(दोपिर) – ३:०० से ३:३०
५. साधना – प्रातः ६:०० – ७:००, राहत्र ८:३० – ९:३०
६. वास्तशु ास्त्र – रहववार, मध्याह्न (दोपिर) – ३:०० से ३:३०
िमने सोचा हक जो हवद्याहथष योंको हसखाया जा रिा िै,
उसका लाभ समाज भी क्यों न ले; आशा करते िैं िमारे इस
प्रयाससे आप भी हनहश्चत िी लाभाहन्वत िो पाएंगे ।
- दवश्वस्त वैदिक उपासना पीठ
प्रकािक : Vedic Upasana Peeth
जालस्थल : www.vedicupasanapeeth.org
ईमेल : upasanawsp@gmail.com
सम्पकव : + 91 9717492523 / 9999670915

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