करक चतुर्थी कथा

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!ी गण%शाय नमः
करक चत0थ2 (करवा चौथ)
का#तक मास ' क()णप, की चत/थ1 करक चथ/थ1 (करवा चौथ) कहलाती 7। यह च:;ोदय>या?पनी (अथBत च:;मा ' उदय
' समय चत/थ1 आ जाF पर) करनी चा?हए। य?द चH;मा ' उदय ' समय दो ?दन चत/थ1 हो तो पहली I Jत करना चा?हए।
कत56य
इस ?दन Lान कर श/N पOPवी पर गाय ' गोबर S लीपकर Tपडोल िमWी S पोतना, ?फर उस पर बड़ ' Zड़ की िच[
िलखना। उस' नी] ^ी महा_वजी, ^ी पाव`तीजी ओर bवामी का#त'य एवH गणcश (अथBत िशव प?रवार) की मd#त बनाना
और उनका ?व?धपdव`क पdजन कर' ?नgनिलिखत hाथ`ना करनी चा?हए -
नमः िशवायj शवBयj सौभाlयH स:तTत श/भम् ।
hयnछ भिpत य/pतानq नारीणq हर वrलs ।।
तद:तर च:;मा ' उदय होF पर कtए I गHध, अ,त, प/)प आ?द डालकर च:;_व को अuय` _ना, वायना ?नकालना, वायF
को अपF मा:य _कर उनS सौभाlय िbथ?त तथा ऎwयB?द की वOिN का आशीवBद गह`ण करना चा?हए।
कारण

यह Jत सौभाlयवती िxयy ' िलए 7। इसI च:;_व की उपासना की जाती 7। ^ी च:;_व की क(पा S िxयy ' सौभाlय ,

धन और स:तान आ?द की hािzत होती 7। इसी {त/ यह Jत सकाम ?कया जाता 7। कtए ' |ारा ^ी च:;_व को अuय` _F S

इसका नाम करक चत/थ1 }आ।

कथा

करक चत/थ1 की कथा वामन प/राण I इस hकार व~णत 7 :-

िजस समय वीर िशरोमिण अज/`न इ:;लोक नामक पव`त पर तपbया करF ' िलए च• गए, तब सती ;ौपदी िख:न मन

होकर सोचF लगी ?क वीरा€णी अज/`न बड़ी उ€ तपbया कर र{ •, उन' इस काय` I बाधा डालF वा• ब}त •। अतः उन'

कrयाण ' िलए म/झc भी कोई hय„न आव…य करनी चा?हए। hय„न pया हो? यह † भगवान क()ण S पdछd‡गी। एक ?दन ;ौपदी

F उिचत समय जानकर भगवान ' समीप जाकर hाथ`ना की -{ hभो! भगवन! महाबली अज/`न आपको बड़c ?hय •। अतः

क(पा कर' एक ऐसा उ‰म उपाय बतलाइए िजस' करF S Š‹ प?त ' सब ?वuन Œर हो और उनका कrयाण हो।

!!!!!भगवान F महारानी S कहा की { _वी, त/म जो बात कह रही हो, यही बात पdव`काल I पाव`तीजी F ^ी महा_वजी S

पdछा था। तब ^ी शHकरजी F कहा ?क करक चत/थ1 का Jत प?त ' समbत ?वuनy को Œर करता 7 एवH कrयाण कारक 7। ^ी

पाव`तीजी F कहा - भगवन्! यह Jत क•सा 7 ? तथा पहला Jत ?कसF ?कया था? इस पर ^ी महा_वजी F कहा -

!!!!!इ:;hbथ नामक एक स/Hदर गा‡व I ŽदधमB नाम का एक ?व|ान •ा•ण रह‘ ’। उनकी xी का नाम लीलावती था।

उन' बड़c ‘जbवी सात प/[ और स/ल,ण वीरावती नाम की क:या }ई।

!!!!!क:या ' ?ववाह योlय हो जाF पर ŽदधमB F एक स/योlय ?व|ान और सदाचारी •ा•ण क“मार S उसका पािण€हण

सHbकार कर ?दया।
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इस' बाद उसF अपF ?पता ' घर I ?व?धपdव`क करक चत/थ1 का Jत ?कया। वह वीरावती क:या, Jत I भdख, zयास S

>यक“ल होकर पOPवी I अ]त होकर ?गर पड़ी। तब उस' सब भाई अपF बहन की ऐसी िbथ?त को _खकर रोF ल• और

उ:हyF उसकी पH– S हवा की, तथा जल S उसका म/ख धोया तो उसको ]तना }ई। वीरावती का एक भाई अपनी बहन की

>याक“लता को _खकर एक जलती }ई मशाल •कर बड़ ' Zड़ पर चढ़ गया और उS बनावटी च:;मा का दश`न कराया।

वीरावती F उS च:;मा समझकर ?व?धपdव`क अuय` hदान कर भोजन पाया।

!!!!!इस दोष ' क“छ समय बाद ही उसका प?त मरणास:न हो गया। इस आकिbमक और आकिrपत घटना को _खकर वह

समझ गई ?क म/झS आव…य ही ?कसी _वता का महान अपराध }आ 7। यह जानकर उसF _वराज इ:; की राणी इH;ाणी को

hस:न करF ' िलए ?नज`ल Jत ?कया।उसकी उ€ तपbया šपी Jत S ख/श होकर इH;ाणी दा?सयy स?हत पधारी और उसS

वर मा‡गF को कहा। तब वीरावती F कहा ?क - { _वी! य?द आप म/झS ख/श • तो Š‹ प?त की मरणास:न दशा का कारण

बताइए और क(पा दOि› कर' उनको जीवन दान hदान कीिजए।

भगवती इH;ाणी F कहा- { स/भ•! त/मF करक चत/थ1 का Jत कर‘ ^ी च:;_व ' उदय होF S पdव` अuय` _कर भोजन पा

िलया था। इस {त/ S त/gहारा प?त मरणास:न दशा को hाzत हो गया 7। यह कहकर महाराणी इH;ाणी F उस' प?त को

जीवन hदान ?कया और ?फर अ:तœयBन हो गई। उसी समय S वीरावती सौभाlय ' ?निम‰ h?तवष` करक चत/रथी का Jत

करF लगी। सती ;ौपदी F भगवान ^ी क()ण S इस Jत का माहा„gय स/नकर सौभाlयवOिN ' िलए Jत ?कया। इस Jत '

hभाव S पqड़वy ' महाभारत ' महाय/N I गौरवाि:वत ?वजय hािzत }ई।

7व8ान

िxयy ' िलए सौभाlय ही सव•‰म ऐwय` 7 और वह सौभाlय प?त पर ?नभ`र 7। अतःएव xी को अपF सौभाlय की िbथ?त

तथा वOिN ' िलए सव`दा Jत, उपासना, hाथ`ना करना और अपF मा:य xी प/tषy ' आशीवBद hाzत करF का hय„न कर‘

रहना चा?हए। xी ' Jत करF S उस' प?त की आय/वOिN होती 7, ऐS शाxy I व~णत 7। प„नी जो भी श/भाश/भ काय`

क‹गी उसका फल प?त को और प?त ' ?कए }ए कम` का फल प„नी को भी िमलता 7। pयy?क वj?दक मH[y ' |ारा

पािण€हण सHbकार I प?त एवH प„नी का आ?वnछ:न सHबHध bथा?पत ?कया जाता 7 तब िजसS प?त और प„नी का

पारbप?रक hcम, F[, वाणी, हbत आ?द |ारा एक Œस‹ की ?वž/त शिpत, एक Œस‹ ' शरीर I hŽश करती 7। xी '

धा~मक काय` करF S दjवी शिpत उपलŸध होती 7। दj?वक शिpत ' hाzत होF S सौभाlयवOिN आव…य होती 7, और ?वuन,

बाधा और सHकट भी Œर हो‘ •।

िश:ा

इस Jत की कथा S प?तJत धम` पालन की तथा ?कसी ' धा~मक काय` I बाधा न डालF आ?द की िश,ाए‡ hाzत होती •।

pयy?क धम` काय` I बाधा डालF का भयHकर प?रणाम होता 7 तथा वह अपF िलए भी ^cयbकर नह 7।

सव< स0िखनः भव?त0।

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