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VisionIAS PT 365 December 2024 Polity and Governance
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1.1.1. वजला न्यायालयों की स्वतंत्रता: मूल ढांचा (Independence of District Judiciary: Basic Structure) ............. 6
1.2. अनुच्छेद 370 का वनरसन (Abrogation of Article 370).................................................................................. 7
1.3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ददल्ली सरकार (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Government of National Capital Territory of
Delhi (Amendment) Act 2023} ..................................................................................................................... 8
2. संसद, राज्य ववधान-मंिल/ स्थानीय सरकार की कायणिर्ाली (Functioning of Parliament, State Legislature/Local
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Government) ............................................................................................................................................. 17
2.1. अववश्वास िस्ताव (No-confidence Motion) ............................................................................................... 17
2.4. राष्ट्रपवत एवं राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शवि (Ordinance making power of President and Governor)
................................................................................................................................................................... 21
2.6. भारत में लोकतांवत्रक ववकें द्रीकरर् (Democratic Decentralisation in India) ................................................... 23
2.6.1. पंचायती राज संस्थानों की ववत्तीय वस्थवत {Finances of Panchayati Raj Institutions (PRIs)}................... 24
2.6.2. शहरी स्थानीय वनकायों का क्षमता वनमाणर् {Capacity Building of Urban Local Bodies (ULBs)} .............. 25
2.7. पंचायत उपबंध (अनुसूवचत क्षेत्रों पर ववस्तार) अवधवनयम, 1996 {Panchayats (Extension to the Scheduled
Areas) Act, 1996} ....................................................................................................................................... 27
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4.1.1. अविल भारतीय न्यावयक सेवा (All India Judicial Services: AIJS)......................................................... 39
4.2. कानूनी सहायता (Legal Aid)..................................................................................................................... 39
5.2. चुनाव िदिया और सुधार के पहलू (Aspects of Election Process and Reform) ........................................... 50
6.2. बहु-राज्य सहकारी सोसाइिी (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Multi-State Co-operative Societies (Amendment)
Act, 2023} ................................................................................................................................................... 58
6.5.1. भारतीय न्याय संवहता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) ......................................................... 64
6.5.2. भारतीय नागटरक सुरक्षा संवहता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) .......................... 65
6.5.3. भारतीय साक्ष्य अवधवनयम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023) ........................................... 65
6.6. जन्म और मृत्यु पंजीकरर् (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Registration of Birth and Death (Amendment) Act,
2023} .......................................................................................................................................................... 66
6.7. िेस और पत्र-पवत्रका पंजीकरर् अवधवनयम, 2023 {Press and Registration of Periodicals (PRP) Act, 2023} . 67
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7.4. कें द्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation: CBI) ........................................................................ 74
8.7. अनुसूवचत जनजावत और अन्य परं परागत वन वनवासी (वन अवधकारों की मान्यता) अवधवनयम, 2006 या वन अवधकार
अवधवनयम (FRA) {Scheduled Tribes and other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights)
Act, 2006 or Forest Right Act (FRA)}......................................................................................................... 87
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हाल ही में, ऐवतहावसक के शवानंद भारती वनर्णय (1973) के 50 वषण पूरे हुए हैं। गौरतलब है दक इस वाद से जुड़े वनर्णय में सुिीम कोिण द्वारा
मूल ढांचे के वसद्ांत को िवतपाददत दकया गया था।
• यह वाद के रल सरकार के ववरुद् दायर एक यावचका से संबंवधत था। के रल भूवम सुधार अवधवनयम, 1963 के तहत के रल सरकार द्वारा
जमींदारों और मठों के पास मौजूद भूवम का अवधग्रहर् करने का वनर्णय वलया गया था। राज्य सरकार के इस वनर्णय को “के शवानंद भारती
बनाम के रल राज्य” वाद में चुनौती
दी गई थी। इस यावचका में राज्य
सरकार पर भारतीय संववधान के
अनुच्छेद 25, 26 और 31 में वनवहत
मूल अवधकारों (FRs)1 के
अवतिमर् का आरोप लगाया गया
था।
• इस वाद की सुनवाई 13
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1 Fundamental Rights
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o अन्य वनर्णय: सुिीम कोिण ने न्यावयक समीक्षा की अपनी शवि को कम करने वाले वहस्सों को छोड़कर 25वें एवं 29वें संववधान संशोधन के
अन्य भाग की वैधता को बनाए रिा। साथ ही, यह भी कहा दक उद्देवशका (Preamble) संववधान का एक भाग है, इसवलए इसमें
संशोधन दकया जा सकता है।
मूल ढांचे के वसद्ांत के बारे में कु छ वसद्ांत, जो वतणमान में “मूल ढ़ांचे” का भाग हैं
• भारत की संिभुता,
• मूल ढांचे के वसद्ांत के अनुसार, संववधान में कु छ ऐसी मूलभूत ववशेषताएं
• नागटरकों की व्यविगत स्वतंत्रता की सुरक्षा,
ववद्यमान हैं, वजन्हें संववधान संशोधन के माध्यम से संसद द्वारा संशोवधत या
• कल्यार्कारी राज्य का वनमाणर्,
वनरस्त नहीं दकया जा सकता है।
• संववधान की सवोच्चता,
• भारत के संववधान में कहीं भी “मूल ढांचा” पद का उल्लेि नहीं दकया गया
है। • गर्तांवत्रक और लोकतांवत्रक सरकार,
• मूल ढांचे के वसद्ांत का महत्त्व: • संववधान का पंथवनरपेक्ष और संघीय स्वरूप,
o यह संववधान में संशोधन करने की संसद की शवि को उवचत रूप से • ववधावयका, कायणपावलका और न्यायपावलका के बीच
वनयंवत्रत करता है।
शवियों का पृथक्करर्,
o यह सुवनवित करता है दक संववधान एक जीवंत दस्तावेज बना रहे।
• राष्ट्र की एकता और अिंिता,
साथ ही, अपने मूलभूत मूल्यों और वसद्ांतों को संरवक्षत करते हुए
• न्यावयक समीक्षा का अवधकार,
समय के साथ बदलती पटरवस्थवतयों के अनुरूप कायण करता रहे।
• मौवलक अवधकारों और राज्य की नीवत के वनदेशक
o इसके तहत कानून का शासन, शवियों का पृथक्करर् जैसे कई वसद्ांतों
तत्वों के बीच सामंजस्य व संतुलन आदद।
को मूल ढांचे में शावमल दकया गया है। ये भारत में संवैधावनक कानून
का आधार बन गए हैं।
o यह सुवनवित करता है दक संववधान का संघीय ढांचा कमजोर न हो।
यह संववधान की व्याख्या करते समय भारतीय न्यायपावलका के दृविकोर् को ददशा देने में महत्वपूर्ण भूवमका वनभाता है।
1.1.1. वजला न्यायालयों की स्वतं त्र ता: मू ल ढां चा (Independence of District Judiciary: Basic Structure )
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• वजला न्यायाधीशों की वनयुवि, पदस्थापन (पोडस्िंग) और पदोन्नवत हाई कोिण के परामशण से राज्य का राज्यपाल करता है।
सुिीम कोिण की संववधान पीठ ने सवणसम्मवत से अनुच्छेद 370 को वनरस्त करने के कें द्र सरकार के फै सले को बरकरार रिा है। गौरतलब है दक
2019 में, कें द्र सरकार ने “अनुच्छे द 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की ववशेष दजे” की वस्थवत को समाप्त कर ददया था।
• 5 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपवत ने 'संववधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 2019' जारी दकया था। इस आदेश में कहा गया था दक
भारतीय संववधान के िावधान वबना दकसी अपवाद के जम्मू और कश्मीर राज्य में भी लागू होंगे।
o इसके अलावा संसद ने “जम्मू और कश्मीर पुनगणठन अवधवनयम 2019” को भी पाटरत कर लागू दकया था। इसके तहत जम्मू और
कश्मीर राज्य को वनम्नवलवित दो कें द्र शावसत िदेशों (UTs) में ववभावजत कर ददया गया- जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाि।
• यावचकाकताणओं ने संघ की इस कारण वाई की संवध
ै ावनकता को सुिीम कोिण में चुनौती दी थी।
• सुिीम कोिण ने अगस्त 2019 में जारी राष्ट्रपवत की उद्घोषर्ा को बरकरार रिते हुए, कहा है दक 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत में ववलय
के बाद उसकी स्वयं की कोई संिभुता नहीं रह गई थी।
• सुिीम कोिण ने कहा दक अनुच्छेद 370 संववधान में ‘एक अस्थायी व संिमर्कालीन िावधान’ था।
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• कोिण ने कहा दक संसद दकसी भी राज्य से उसका कोई राज्यक्षेत्र अलग करके उसे कें द्र शावसत िदेश बना सकती है।
o संसद कानून द्वारा दकसी भी राज्य से दकसी क्षेत्र को अलग करके या दो या दो से अवधक राज्यों या राज्यों के कु छ वहस्सों को आपस
में वमलाकर या दकसी भी राज्यक्षेत्र को दकसी भी राज्य के एक वहस्से में वमलाकर एक नया राज्य बना सकती है।
o संववधान के अनुच्छे द 3 के स्पिीकरर्-1 के अनुसार, अनुच्छेद 3(a) में ियुि शब्द “राज्य” में कें द्र शावसत िदेश भी शावमल हैं।
• सुिीम कोिण ने एस. आर. बोम्मई मामले पर ददए अपने फै सले को भी दोहराया। उसने कहा दक 'राज्य में आपातकाल या राष्ट्रपवत शासन
के दौरान राष्ट्रपवत की कारण वाई, न्यावयक समीक्षा के दायरे में आती हैं'।
• ववलय-पत्र (Instrument of Accession: IoA): अक्िूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर के अंवतम शासक महाराजा हटर डसंह ने IoA पर
हस्ताक्षर दकए थे। इस ववलय-पत्र के माध्यम से वह अपने राज्य को भारतीय राज्यक्षेत्र में शावमल करने के वलए सहमत हुए थे।
• जम्मू-कश्मीर के वलए अस्थायी िावधान: भारत का संववधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। तब अनुच्छेद 370 को संववधान के
भाग 21 में जोड़ा गया था। भाग 21 का शीषणक है- “अस्थायी, संिमर्कालीन और ववशेष उपबंध”।
• अनुच्छेद 370: रक्षा, ववदेश मामले, ववत्त और संचार को छोड़कर, अन्य सभी कानूनों को लागू करने के वलए संसद को राज्य सरकार की
सहमवत की आवश्यकता थी।
• भारतीय संववधान का अनुच्छेद 35A: यह अनुच्छे द 370 से ही उत्पन्न हुआ था। अनुच्छेद 35-A में जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी
वनवावसयों तथा उनके ववशेष अवधकारों और उन्हें वमलने वाली ववशेष सुववधाओं का िावधान दकया गया था।
अनुच्छेद 3
• यह िावधान करता है दक संसद कानून द्वारा नए राज्यों का वनमाणर् कर सकती है और मौजूदा राज्य के राज्यक्षेत्रों, सीमाओं या नाम में
पटरवतणन कर सकती है।
• अनुच्छेद के पहले वहस्से में कहा गया है दक उपयुि
ण कानून के वलए दकसी ववधेयक को:
o राष्ट्रपवत की वसफाटरश पर ही संसद के दकसी भी सदन में पेश दकया जाएगा।
o यदद ववधेयक दकसी राज्य के राज्यक्षेत्र, सीमा या नाम को िभाववत करता है, तो राष्ट्रपवत को ऐसे ववधेयक को संबवं धत राज्य ववधान-
मंिल के ववचार के वलए उसे भेजा जाना चावहए।
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1.3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ददल्ली सरकार (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Government of National Capital Territory of Delhi
(Amendment) Act 2023}
हाल ही में, संसद द्वारा पाटरत दकए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ददल्ली
सरकार (NCTD) (संशोधन) ववधेयक, 2023 को राष्ट्रपवत से अनुमोदन
िाप्त हो गया है। अब यह ववधेयक अवधवनयम बन गया है।
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अवधवनयम, 1991 द्वारा ददल्ली को ववशेष दजाण िदान दकया गया था। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ददल्ली (NCTD) के रूप में
नावमत दकया गया था।
o इस संशोधन द्वारा संववधान में अनुच्छेद 239AA को जोड़ा गया और ददल्ली को ववधान सभा एवं मंवत्रपटरषद से युि एक कें द्र
शावसत िदेश बनाया गया।
o उप-राज्यपाल (L-G) को ददल्ली के िशासक के रूप में नावमत दकया गया। वह ददल्ली सरकार की मंवत्रपटरषद की सहायता और
परामशण से कायण करता है।
• ददल्ली ववधान सभा की शवियां: ददल्ली ववधान सभा के पास पुवलस, लोक व्यवस्था और भूवम को छोड़कर राज्य सूची एवं समवती सूची
हाल ही में, सुिीम कोिण ने वनर्णय देते हुए कहा है दक विवेंटिव वििेंशन (वनवारक वनरोध) का के वल असाधारर् पटरवस्थवतयों में ही उपयोग
दकया जाना चावहए।
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• विवेंटिव वििेंशन का अथण है- अपराध करने से पहले ही दकसी ऐसे व्यवि को वहरासत में लेना जो कानून और व्यवस्था के समक्ष ितरा
उत्पन्न कर सकता है। ऐसा व्यवि अभी तक कोई अपराध नहीं दकया होता है, लेदकन िावधकाटरयों को लगता है दक वह ऐसा कर सकता
है। ऐसे में व्यवि द्वारा भववष्य में दकसी अपराध को अंजाम देने से रोकने हेतु उसे वििेन (वगर्तार) दकया जाता है।
o इसके तहत, व्यवि को वबना कोई मुकदमा चलाए वहरासत में रिा जाता है।
• भारत का संववधान अनुच्छे द 22(1) और 22(2) के तहत वगर्तारी तथा वहरासत से सुरक्षा िदान करता है।
o विवेंटिव वििेंशन कानूनों के तहत वगर्तार या वहरासत में वलए गए व्यवि पर संववधान के ये िावधान लागू नहीं होते {अनुच्छेद
22(3)}।
• संसद को भारत की रक्षा, ववदेशी मामलों और सुरक्षा से जुड़े मामलों के वलए विवेंटिव वििेंशन संबंधी कानून बनाने का अनन्य िावधकार
िाप्त है।
• राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था को बनाए रिने तथा आपूर्तण और सेवाओं के रि-रिाव से संबंवधत मामलों के वलए संसद के साथ-साथ
राज्य ववधान-मंिल भी कानून बना सकता है।
• वनम्नवलवित कु छ कानून हैं, वजनमें विवेंटिव वििेंशन के िावधान दकए गए हैं:
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हाल ही में, ददल्ली हाई कोिण ने बॉलीवुि के एक िवसद् अवभनेता के “व्यवित्व अवधकारों” को दकसी तीसरे पक्ष द्वारा दुरुपयोग दकए जाने से
संरक्षर् िदान दकया है।
व्यवित्व अवधकार के बारे में
• व्यवित्व अवधकार से तात्पयण दकसी व्यवि के “वनजता के अवधकार” या “संपवत्त के अवधकार” के तहत उसके व्यवित्व की रक्षा करने के
अवधकार से है।
o व्यवित्व अवधकार नाम, आवाज, हस्ताक्षर, छववयों या जनता द्वारा आसानी से पहचानी जाने वाली दकसी अन्य ववशेषता को व्यि
करते हैं, जो दकसी सेवलवििी आदद के व्यवित्व का ितीक हैं।
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• देश में व्यवित्व अवधकार या उसके संरक्षर् का दकसी भी कानून में स्पि रूप से उल्लेि नहीं दकया गया है। हालांदक, वनजता के अवधकार
और संपवत्त के अवधकार में इसके तत्व ववद्यमान हैं।
• भारत में “व्यवित्व अवधकार” में वनम्नवलवित दो िकार के अवधकार शावमल हैं:
o पवब्लवसिी का अवधकार (Right of Publicity): यह दकसी व्यवि की छवव एवं अन्य ववशेषताओं को वबना उसकी अनुमवत या
संववदात्मक मुआवजे के व्यावसावयक रूप से दुरुपयोग होने से बचाने के अवधकार से संबंवधत है।
▪ यह ट्े िमाक्सण अवधवनयम, 1999 और कॉपीराइि अवधवनयम, 1957 जैसे कानूनों द्वारा शावसत होता है।
o वनजता का अवधकार (Right to Privacy): इसमें दकसी व्यवि के व्यवित्व को वबना उसकी अनुमवत के सावणजवनक रूप से िदर्शणत
न करने का अवधकार शावमल है।
▪ वनजता का अवधकार मोिे तौर पर संववधान के अनुच्छे द 21 और न्यायमूर्तण के . एस. पुट्टास्वामी (सेवावनवृत्त) मामले (2018)
में सुिीम कोिण द्वारा ददए गए फै सले के तहत शावसत होता है।
• ितीक और नाम (अनुवचत उपयोग की रोकथाम) अवधवनयम, 19502: यह कानून इस अवधवनयम की अनुसूची में सूचीबद् कु छ गर्मान्य
व्यवियों के नामों और ितीकों के अनवधकृ त उपयोग पर रोक लगाता है।
• भारतीय दंि संवहता (IPC): यदद कोई व्यवि दकसी मृतक या उसके पटरवार की िवतष्ठा के विलाफ नकारात्मक टिप्पर्ी करता है या
अपमानजनक सामग्री िकावशत करता है, तो भारतीय दंि संवहता के तहत मानहावन का मुकदमा दायर दकया जा सकता है।
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हाल ही में, सुिीम कोिण ने वहतधारकों से हेि स्पीच की समस्या का स्थायी समाधान िोजने के वलए आपस में सहयोग करने की आवश्यकता पर
बल ददया।
• हेि स्पीच को भारत के दकसी भी कानून के अंतगणत पटरभावषत नहीं दकया गया है।
o हेि स्पीच आम तौर पर व्यवियों के एक समूह के विलाफ घृर्ा को बढ़ाने वाला विव्य होता है।
• हेि स्पीच को अवभव्यवि के वववभन्न रूपों में व्यि दकया जा सकता है। इन रूपों में वचत्र, कािूणन, मीम्स, वस्तुएं, हावभाव और ितीक
वचन्ह शावमल हैं। इसे ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों तरीकों से िसाटरत दकया जा सकता है।
• संवैधावनक िावधान: संववधान का अनुच्छेद 19(2) सभी नागटरकों को वाक् और अवभव्यवि की स्वतंत्रता का अवधकार िदान करता है।
हालांदक, इस अवधकार पर अन्य बातों के साथ-साथ 'लोक व्यवस्था, सदाचार या नैवतकता' के संरक्षर् हेतु 'युवियुि वनबंधन' लगाए गए
हैं।
• भारतीय न्याय संवहता, 2023:
o धारा 196(1) धमण, नस्ल, जन्म स्थान, वनवास, भाषा आदद के आधार पर ववववध समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने को दंवित
करती है।
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o धारा 299 दकसी भी वगण के धमण या धार्मणक ववश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मणक भावनाओं को ठे स पहुंचाने के इरादे से दकए
गए जानबूझकर और दुभाणवनापूर्ण कृ त्यों के वलए दंि को पटरभावषत करती है।
o धारा 353(1) और 353(2) वववभन्न वगों के बीच लोक हावन व शत्रुता, घृर्ा या दुभाणवना पैदा करने वाले दकसी भी कथन, अफवाह
या टरपोिण के िकाशन या िसार के कायण को दंवित करती है।
• लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951:
o अवधवनयम की धारा 8 ऐसे व्यवि को
चुनाव लड़ने से अयोग्य घोवषत करती है,
जो वाक् और अवभव्यवि की स्वतंत्रता के
अवधकार का गलत उपयोग करने का
दोषी पाया जाता है।
o धारा 123(3A) और धारा 125
वनवाणचन के संबंध में धमण, मूल वंश,
जावत, समुदाय या भाषा के आधार पर
शत्रुता फै लाने वाली गवतवववधयों को एक
भ्रि चुनावी आचरर् मानती है। साथ ही,
इन गवतवववधयों को िवतबंवधत भी करती
है।
• नागटरक अवधकार संरक्षर् अवधवनयम,
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1955:
o धारा 7 के तहत कहे गए या वलिे गए
शब्दों के माध्यम से या संकेतों या तस्वीरों द्वारा या अन्यथा अस्पृश्यता को उकसाने और उसे बढ़ावा देने के ववरुद् दंि का िावधान
करती है।
• धार्मणक संस्था (दुरूपयोग वनवारर्) अवधवनयम4, 1988:
o धारा 3(g) धार्मणक संस्थानों या उनके िबंधकों को ववववध धार्मणक समूहों के बीच वैमनस्य या नफरत को बढ़ावा देने के वलए
धार्मणक पटरसरों का उपयोग करने से रोकती है।
हाल ही में, सुिीम कोिण ने कहा है दक वह उपासना स्थल अवधवनयम के तहत वववाददत धार्मणक स्थलों से संबंवधत मामलों की सुनवाई करने से
अन्य अदालतों को रोकने का आदेश नहीं दे सकता।
• यह अवधवनयम घोवषत करता है दक दकसी भी उपासना स्थल का धार्मणक चटरत्र वही रहेगा, जो 15 अगस्त, 1947 को था।
• इसमें कहा गया है दक कोई भी व्यवि दकसी भी धार्मणक संिदाय के उपासना स्थल को दकसी अलग संिदाय या उसके दकसी दूसरे वगण में
पटरवर्तणत नहीं करे गा।
• यह अवधवनयम राज्य पर ित्येक उपासना स्थल के धार्मणक चटरत्र को बनाए रिने (जैसा दक स्वतंत्रता के समय मौजूद था) का
सकारात्मक दावयत्व भी िालता है।
• यह घोषर्ा करता है दक उपासना स्थल के स्वरूप को पटरवर्तणत करने के संबंध में सभी मुकदमे, अपील या कोई अन्य कायणवाही, जो 15
अगस्त, 1947 को दकसी भी अदालत या िावधकरर् के समक्ष लंवबत हैं, कानून लागू होते ही समाप्त हो जाएंगे।
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• इस अवधवनयम के अपवाद:
o अयोध्या में वववाददत स्थल को इस अवधवनयम से छू ि दी गई थी।
o इसके अलावा, यह अवधवनयम-
▪ िाचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अवधवनयम5, 1958 के अंतगणत आने वाले स्मारकों व पुरातत्वीय स्थलों पर
लागू नहीं होता,
▪ कोई भी वववाद वजसका अंवतम रूप से वनपिारा या वनस्तारर् हो गया हो,
▪ वे मामले भी इसमें शावमल नहीं हैं, जो पहले ही वनपि चुके हैं या सुलझ गए हैं, और
▪ ऐसे दकसी स्थल का कोई रूपांतरर्, वजसे पूवण रज़ामंदी से दकया गया हो। यह भी अवधवनयम के दायरे में नहीं आएगा।
• जुमाणना: अवधवनयम की धारा 6 में इसके िावधानों का उल्लंघन करने पर जुमाणने के साथ अवधकतम तीन साल की कै द की सजा का
िावधान दकया गया है।
संववधान की 9वीं • इसे िथम संववधान संशोधन (1951) द्वारा संववधान में शावमल दकया गया था। इसके वलए संववधान में अनुच्छेद 31B
अनुसच
ू ी को जोड़ा गया था।
• 9वीं अनुसूची में शावमल कें द्रीय और राज्य कानूनों को मौवलक अवधकारों के उल्लंघन के आधार पर अदालतों में चुनौती
नहीं दी जा सकती है।
• हालांदक, सुिीम कोिण ने आई.आर. कोएल्हो बनाम तवमलनािु राज्य (2007) मामले में फै सला सुनाया था दक 24
अिैल, 1973 के बाद इस अनुसूची में शावमल दकए गए कानूनों की न्यावयक समीक्षा (पुनर्वणलोकन) की जा सकती है।
o इस िकार के कानूनों को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती है, यदद वे संववधान के अनुच्छेद 14, 19 और
21 के तहत गारंिीकृ त मूल अवधकारों या संववधान के ‘मूल ढांच’े का उल्लंघन करते हैं।
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चुप रहने का • सुिीम कोिण ने स्पि दकया है दक सभी आरोवपयों को “चुप रहने का अवधकार” है और जांचकताण उन्हें बोलने या अपराध
अवधकार (Right to स्वीकार करने के वलए मजबूर नहीं कर सकते हैं।
Silence) • ‘चुप रहने का अवधकार’ अनुच्छेद 20(3) में वनवहत है। इस अनुच्छेद के अनुसार दकसी को भी अपने विलाफ साक्षी बनने
के वलए मजबूर नहीं दकया जा सकता है।
o हालांदक, यह संरक्षर् के वल आपरावधक कायणवाही तक ही सीवमत है।
o वजस व्यवि से सीमा शुल्क अवधवनयम, 1962 या ववदेशी मुद्रा िबंधन अवधवनयम, 1999 के तहत पूछताछ की जा
रही हो उसे यह अवधकार उपलब्ध नहीं है। इसका कारर् यह है दक वह व्यवि "दकसी अपराध का अवभयुि" नहीं
होता है और वह वकील रिने का हकदार भी नहीं है।
o नंददनी सत्पथी बनाम पी.एल दानी मामले में, सुिीम कोिण ने कहा था दक दकसी व्यवि को पुवलस स्िेशन की सीमा
के भीतर दकसी सवाल का जवाब देने के वलए मजबूर करना अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन हो सकता है।
वनजी क्षेत्रक में • पंजाब और हटरयार्ा हाई कोिण ने “हटरयार्ा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अवधवनयम, 2020” को रद्द दकया
स्थानीय लोगों के
o गौरतलब है दक इस अवधवनयम के तहत वनजी क्षेत्र में 30,000 रुपये से कम मावसक वेतन वाली नौकटरयों में
वलए आरक्षर्
हटरयार्ा के स्थानीय लोगों को 75% आरक्षर् ददया गया था।
• हाई कोिण ने इस अवधवनयम को असंवध
ै ावनक घोवषत दकया है। न्यायालय के अनुसार यह अवधवनयम भारत के संववधान
के भाग III (मौवलक अवधकार) का उल्लंघन करता है।
o कोिण ने अपने फै सले में यह भी कहा दक यह अवधवनयम संवध
ै ावनक नैवतकता का भी उल्लंघन करता है।
▪ संवध ै ावनक नैवतकता का तात्पयण संववधान के मौवलक वसद्ांतों के पालन से है।
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
o न्यायालय ने कहा दक एक राज्य इस तथ्य के आधार पर बाहरी व्यवियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता दक वे
उस राज्य से संबंवधत नहीं हैं। यह नकारात्मक भेदभाव है।
• आंध्र िदेश (2019) जैसे कु छ अन्य राज्यों ने भी इसी तरह के कानून बनाए थे।
अफरमेटिव एक्शन • अफरमेटिव एक्शन से तात्पयण सकारात्मक कारणवाई/ पक्षपात से है। इसे अमेटरका में कु छ ववशेष पहचान वाले व्यवियों
(Affirmative के विलाफ पक्षपात के ऐवतहावसक िवतरूप से वनपिने के वलए उपयोग में लाया गया था।
Action) o इसके तहत अमेटरका के कॉलेजों और ववश्वववद्यालयों में अश्वेत, वहस्पैवनक तथा अन्य अल्पसंख्यक छात्रों के
िवतवनवधत्व को बढ़ाया जाता है।
• भारत में ‘आरक्षर्’ अफरमेटिव एक्शन का एक उदाहरर् है। इसके माध्यम से ऐवतहावसक रूप से वंवचत समूहों का
वशक्षा, नौकटरयों, सरकारी योजनाओं, छात्रवृवत्त और राजनीवत में िवतवनवधत्व बढ़ाया जाता है।
o संववधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) सरकार को आरक्षर् से संबंवधत िावधान करने की अनुमवत देते हैं।
o सुिीम कोिण ने इं ददरा साहनी वाद में रोजगार एवं वशक्षा दोनों में OBC, SC और ST के वलए आरक्षर् पर 50%
की सीमा तय की थी।
कर देना चावहए। साथ ही, इसे अनुसूवचत जनजावतयों की तरह धमण-तिस्थ बनाया जाना चावहए।
o इसने इस्लाम और ईसाई धमण अपनाने वाले दवलतों को अनुसूवचत जावत का दजाण िाप्त करने की अनुमवत देने की
वसफाटरश की थी।
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अनुच्छेद 355 • अनुच्छेद 355 संववधान के भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360 तक) में वनवहत आपातकाल से संबंवधत िावधानों का
एक वहस्सा है।
o अनुच्छेद 355 के अनुसार, “संघ का यह कतणव्य होगा दक वह बाहरी आिमर् और आंतटरक अशांवत से ित्येक
राज्य की रक्षा करे । साथ ही संघ का यह भी कतणव्य है दक वह, ित्येक राज्य की सरकार का संववधान के उपबंधों के
अनुसार चलाया जाना सुवनवित करे।”
पैदल चलने का • पंजाब “पैदल चलने के अवधकार” को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
अवधकार (Right To • यह अवधकार NHAI6 सवहत सड़क-स्वावमत्व वाली सभी एजेंवसयों के वलए सड़क पर फु िपाथ और साइदकल ट्ैक की
Walk) सुववधा िदान करना अवनवायण बनाता है।
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संसद के मानसून सत्र में कें द्र सरकार के विलाफ अववश्वास िस्ताव लाया गया था।
• अववश्वास िस्ताव: यह एक ववधायी िस्ताव है। इसे के वल लोक सभा में ही पेश दकया जाता है। इसके द्वारा ववपक्ष सरकार के बहुमत और
शासन करने की क्षमता को चुनौती दे सकता है।
o संसदीय लोकतंत्र में, कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब उसके पास ित्यक्ष रूप से वनवाणवचत सदन अथाणत लोक सभा में
बहुमत हो। इसका अथण है दक यदद अववश्वास िस्ताव पाटरत हो जाता है, तो मौजूदा सरकार वगर जाती है।
o अववश्वास िस्ताव के वल लोक सभा में उस सदन के दकसी सांसद द्वारा ही लाया जा सकता है।
• संवैधावनक अनुच्छेद/ लोक सभा में कायण संचालन के वनयम:
o अनुच्छेद 75(3): भारतीय संववधान के इस अनुच्छेद में उल्लेि है दक मंवत्रपटरषद लोक सभा के िवत सामूवहक रूप से उत्तरदायी
होगी।
▪ इसी िकार, राज्य स्तर पर अनुच्छे द 164(2) में यह िावधान दकया गया है दक मंवत्रपटरषद सामूवहक रूप से राज्य ववधान
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
हाल ही में, सुिीम कोिण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात-न्यायाधीशों की एक संववधान पीठ का गठन दकया है। यह पीठ
पी.वी. नरवसम्हा राव वाद (1998) में पांच-न्यायाधीशों की संववधान पीठ द्वारा ददए गए वनर्णय पर पुनर्वणचार करे गी।
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• गौरतलब है दक पी.वी. नरवसम्हा राव वाद (1998) में सुिीम कोिण द्वारा ददया गया वनर्णय झारिंि मुवि मोचाण (JMM) टरश्वत मामले
(1993) से जुड़ा हुआ है। ज्ञातव्य है दक 1993 में नरवसम्हा राव सरकार ने अववश्वास िस्ताव से बचने के वलए कवथत तौर पर सभी दलों
के कई सांसदों को टरश्वत दी थी।
o वनर्णय के अनुसार, संववधान के अनुच्छेद 105(2) और
194(2) के तहत सांसद व ववधायक को िाप्त कानूनी
उन्मुवि संसद व ववधान-मंिल में दकसी भी भाषर् या
मत के वलए टरश्वत के आरोप में आपरावधक मुक़दमे से
भी संरक्षर् िदान करती है।
रूपरे िा का िावधान करता है। • मुख्य कायण: सदन के पीठासीन अवधकारी द्वारा इसे भेजे जाने वाले सदन
या सदस्यों के ववशेषावधकारों के उल्लंघन से जुड़े िश्नों की जांच करना।
o अनुच्छेद 105(2): इसमें िावधान दकया गया है दक
कोई भी सांसद संसद के दकसी भी सदन के िावधकार
के तहत िकावशत दकसी भी िवतवेदन, पत्र, मतपत्र या कायणवाही के संबंध में उत्तरदायी नहीं होगा।
▪ अनुच्छेद 194(2) के तहत राज्य के ववधान-मंिल के सदस्यों के वलए भी समान िावधान दकए गए हैं।
o संसद में बोलने की स्वतंत्रता: अनुच्छे द 105(2) के अनुसार, “संसद में या उसकी दकसी सवमवत में संसद के सदस्य द्वारा कही गई
दकसी बात या ददए गए दकसी मत के संबध
ं में उसके विलाफ दकसी न्यायालय में कोई कायणवाही नहीं की जाएगी।”
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▪ यह स्वतंत्रता संववधान के िावधानों तथा संसद के वनयमों और िदियाओं के अधीन है , जैसा दक संववधान के अनुच्छेद 118 में
वर्र्णत है। हालांदक, अनुच्छेद 121 सदस्यों को सुिीम कोिण और हाई कोिण के न्यायाधीशों के आचरर् पर चचाण करने से रोकता
है।
o अनुच्छेद 122: इस अनुच्छेद के अनुसार, न्यायपावलका िदिया की कवथत अवनयवमतता के आधार पर संसद की दकसी भी कायणवाही
की वैधता की जांच नहीं कर सकती है।
• संसद द्वारा बनाए गए कानून:
o वगर्तारी पर रोक: वसववल िदिया संवहता, 1908 में यह िावधान दकया गया है दक दकसी भी कानून वनमाणता को सदन के सत्र से
40 ददन पहले, सत्र के दौरान और सत्र के स्थगन से 40 ददन बाद तक वगर्तार नहीं दकया जाएगा।
▪ हालांदक, यह ववशेषावधकार दीवानी मामलों तक ही सीवमत है। दकसी संसद सदस्य को सत्र के दौरान या अन्यथा, दकसी
आपरावधक मामले में कारण वाई से कोई छू ि िाप्त नहीं है।
• दोनों सदनों के वनयम:
o िदिया के वनयमों और दृिांतों पर आधाटरत ववशेषावधकार: संसद को दकसी भी दंि योग्य आरोप या अपराध के वलए दकसी सदस्य
की वगर्तारी, वहरासत, दोषवसवद्, कारावास और टरहाई के संबंध में तत्काल जानकारी िाप्त करने का अवधकार है।
o अज्ञात व्यवियों को बाहर करने का अवधकार: सदन के सदस्यों को गैर-सदस्यों को सदन की कायणवाही से बाहर करने की शवि तथा
अवधकार िाप्त है। सदन में स्वतंत्र और वनष्पक्ष चचाण सुवनवित करने के वलए यह अवधकार आवश्यक है।
• अन्य स्रोत: संसदीय परं पराएं एवं न्यावयक व्याख्याएं।
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वनयम 373: यदद लोक सभा अध्यक्ष को यह लगता है दक दकसी सदस्य का व्यवहार वनयम 255: यह राज्य सभा के सभापवत को अव्यववस्थत
अव्यवस्थापूर्ण है, तो वह उस सदस्य को तत्काल सदन से बाहर चले जाने का वनदेश दे आचरर् के वलए दकसी भी सदस्य को तुरंत सदन से बाहर
जाने का वनदेश देने की अनुमवत देता है।
सकता है। वह सदस्य उस ददन की शेष बैठक के समय तक सदन से अनुपवस्थत रहेगा।
वनयम 374: अध्यक्ष जरूरी समझते हुए उस सदस्य का नाम ले सकता है, जो अध्यक्ष वनयम 256: यह वनयम सभापवत को अपने िावधकार की
के िावधकार की उपेक्षा कर रहा है, या जानबूझकर सदन के कायण में बाधा उत्पन्न कर उपेक्षा करने या सभा के वनयमों का उल्लंघन करने वाले
रहा है। इस तरह नाम वलए जाने पर अध्यक्ष उस सदस्य को सदन के शेष काल तक सदस्यों का नाम लेने की अनुमवत देता है। इसके बाद सदन
सदन से वनलंवबत करने के वलए एक िस्ताव िस्तुत करे गा। इसके बाद वह सदस्य तुरंत सदस्य को सत्र की शेष अववध के वलए वनलंवबत करने का
िस्ताव अपना सकता है।
सदन से बाहर चला जाएगा।
*वनयम 374A (2001 में लाया गया): यदद कोई सदस्य लोक सभा की कायणवाही में लोक सभा (वनयम 374A के तहत) के ववपरीत, राज्य सभा
• संववधान के अनुच्छेद 122 के िावधानों के अनुसार, न्यायपावलका िदिया की कवथत अवनयवमतता के आधार पर संसद की दकसी भी
कायणवाही की वैधता की जांच नहीं कर सकती है। हालांदक, न्यायालय ने कई मामलों में हस्तक्षेप दकया है, उदाहरर् के वलए-
o राजा रामपाल वाद (2007) में न्यायालय ने राजा रामपाल के वनष्कासन को बरकरार रिा था, लेदकन यह भी कहा था दक दकसी
भी अवैध आधार पर इस तरह कायणवावहयां न्यावयक जांच के दायरे में आती हैं।
• यह ध्यान रिने योग्य तथ्य है दक वनष्कासन और अयोग्यता एक समान नहीं हैं। भारतीय संववधान वनष्कासन और अयोग्यता दोनों का
िावधान करता है। अयोग्यता के तहत संसद का कोई सदस्य आगे चुनाव नहीं लड़ सकता, जबदक वनष्कासन के तहत वह चुनाव लड़
सकता है।
• संसद के दकसी भी सदन के सदस्यों की अयोग्यता:
o लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951: इस अवधवनयम की धारा 8(3A) के अनुसार दोषी ठहराए जाने वाले ववधावयका के दकसी भी
सदस्य को यदद दो वषण से अवधक के कारावास की सज़ा सुनाई जाती है, तो उसे दोषी ठहराए जाने की वतवथ से आयोग्य माना
जाएगा। ऐसे व्यवि को सज़ा पूरी दकए जाने की वतवथ से अगले 6 वषण तक चुनाव लड़ने के वलए अयोग्य माना जाएगा।
o दसवीं अनुसच
ू ी: यदद कोई व्यवि दसवीं अनुसच
ू ी के िावधानों के तहत दल-बदल के आधार पर अयोग्य ठहराया जाता है।
o संववधान का अनुच्छेद 102(1) और 191(1) वनम्नवलवित कु छ शतों के तहत सदस्यों की अयोग्यता का िावधान करता है-
▪ यदद वह कें द्र या राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारर् करता है;
▪ यदद वह मानवसक रूप से ववकृ त है और अदालत द्वारा ऐसा घोवषत दकया गया है;
▪ यदद वह अनुन्मोवचत ददवावलया (undischarged insolvent) है;
▪ यदद वह भारत का नागटरक नहीं है या उसने स्वेच्छा से दकसी अन्य देश की नागटरकता हावसल कर ली है या दकसी अन्य देश
के िवत वनष्ठावान है; तथा
▪ यदद वह संसद द्वारा बनाए गए दकसी कानून के तहत अयोग्य घोवषत दकया गया है।
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या मतदान से अनुपवस्थत रहता है और इस तरह के कृ त्य को उस दल द्वारा 15 ददनों के भीतर माफ नहीं दकया जाता है।
o यदद कोई वनदणलीय सदस्य चुनाव के बाद दकसी राजनीवतक दल में शावमल हो जाता है तो वह अयोग्य हो जाता है।
o कोई मनोनीत सदस्य यदद सीि ग्रहर् करने की तारीि से 6 महीने की समावप्त के बाद दकसी राजनीवतक दल में शावमल हो जाता है,
तो वह अयोग्य घोवषत हो जाता है।
• दल-बदल कानून के अपवाद: दल-बदल कानून दकसी राजनीवतक दल को दकसी अन्य दल में या उसके साथ ववलय करने की अनुमवत देता
है बशते दक उसके कम से कम दो-वतहाई ववधायक ववलय के पक्ष में हों।
o यदद कोई व्यवि लोक सभा अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापवत के रूप में चुना जाता है, तो वह अपने दल से इस्तीफा दे सकता है।
पद छोड़ने के बाद वह दफर से उस दल में शावमल हो सकता है।
• वतणमान में, पीठासीन अवधकाटरयों के वलए दल-बदल ववरोधी मामले पर वनर्णय लेने की समय-सीमा वनधाणटरत करने वाला कोई कानून
मौजूद नहीं है।
2.4. राष्ट्रपवत एवं राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शवि (Ordinance making power of President and Governor)
एक हावलया ववश्लेषर् से पता चला है दक 2019 के बाद से राष्ट्रपवत द्वारा जारी दकए जाने वाले अध्यादेशों की संख्या में वगरावि आई है।
2022 में कोई अध्यादेश जारी नहीं दकया गया था। वपछले 59 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है।
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• जब कें द्र या राज्य सरकारें , ववधावयका की स्वीकृ वत के वबना कोई कानून बनाती हैं तो उसे “अध्यादेश” कहा जाता है। संसद या राज्य
ववधान-मंिल के दोनों सदनों
में से दकसी एक के सत्र (जहां
के वल ववधान सभा है, वहां
के वल ववधान सभा का सत्र) में
नहीं होने पर “अध्यादेश”
जारी दकया जा सकता है।
दूसरे शब्दों में, अध्यादेश एक
अस्थायी िावधान है। यह तब
जारी दकया जा सकता है जब
संसद सत्र में नही होती है।
o अध्यादेश जारी करने का
िावधान भारतीय
पटरषद अवधवनयम,
1861; भारत शासन
अवधवनयम, 1909 और
भारत शासन
अवधवनयम, 1935 में भी था।
भारतीय संसद के गठन के 75 वषण पूरे हो चुके हैं। इस दौरान संसदीय सवचवालय दोनों सदनों (राज्य सभा और लोक सभा) की िदियाओं,
परं पराओं और ववधायी ज्ञान का संरक्षक रहा है।
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संवैधावनक िावधान
o वषण 1954 में दोनों सवचवालयों के नाम बदलकर िमशः राज्य सभा सवचवालय और लोक सभा सवचवालय कर ददया गया था।
• दोनों सदनों के सवचवालयों को कायाणत्मक आधार पर 10 सेवाओं में वगीकृ त दकया गया है। इन 10 सेवाओं में ववधायी, कायणकारी और
िशासवनक सेवाएं, शब्दशः (Verbatim) टरपोर्िंग सेवाएं आदद शावमल हैं।
• लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा सभापवत अपने-अपने सवचवालयों में नए पद सृवजत कर सकते हैं। हालांदक, श्रेर्ी I या श्रेर्ी II के पदों
के वलए कें द्रीय ववत्त मंत्रालय के साथ पूवण-परामशण करना अवनवायण है।
• दोनों सदनों के महासवचव का पद भारत सरकार के कै वबनेि सवचव के समकक्ष है।
o हालांदक, वरीयता सूची में कै वबनेि सवचव को 11वें स्थान पर रिा गया है, जबदक लोक सभा/ राज्य सभा के महासवचवों को 23वें
स्थान पर रिा गया है।
सवचवालयों की संरचना
• लोक सभा अध्यक्ष: लोक सभा सवचवालय लोक सभा अध्यक्ष के • राज्य सभा सभापवत: राज्य सभा सवचवालय सभापवत के िशासवनक
मागणदशणन और वनयंत्रर् में कायण करता है। वनयंत्रर् में कायण करता है।
• िशासवनक िमुि: लोक सभा महासवचव। • िशासवनक िमुि: महासवचव।
• भती और सेवा की शतें: ये लोक सभा सवचवालय (भती और • भती और सेवा की शतें: ये राज्य सभा सवचवालय (भती और सेवा की
सेवा की शतें) वनयम, 1955 द्वारा शावसत होती हैं। इन वनयमों शतें) वनयम, 1957 द्वारा शावसत होती हैं। इन वनयमों को राष्ट्रपवत ने
को राष्ट्रपवत ने लोक सभा अध्यक्ष के परामशण से िख्यावपत राज्य सभा सभापवत के परामशण से िख्यावपत (Promulgated)
(Promulgated) दकया था। दकया था।
वषण 2023 में भारतीय संववधान के 73वें और 74वें संशोधनों के 30 वषण पूरे हो गए। 73वें और 74वें संशोधन के पटरर्ामस्वरूप ग्रामीर् और
शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की स्थापना हुई थी।
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• भारत में लोकतांवत्रक ववकें द्रीकरर् का आशय कें द्र/राज्य सरकारों से स्थानीय सरकारों, जैस-े पंचायत और नगरपावलका को शवि,
संसाधनों तथा वनर्णय-वनमाणर् के अवधकार के हस्तांतरर् से है।
• संसद ने 73वें और 74वें संववधान संशोधन अवधवनयमों को 1992 में पाटरत दकया था। इन्हें 1993 में लागू दकया गया था। ये अत्यंत
महत्वपूर्ण संववधान संशोधन थे, वजन्होंने भारत में लोकतांवत्रक ववकें द्रीकरर् की शुरुआत की थी।
73वें और 74वें संववधान संशोधन अवधवनयमों के बारे में
73वां संववधान संशोधन अवधवनयम, 1992 74वां संववधान संशोधन अवधवनयम, 1992
• संसद में अवधवनयम के माध्यम से पंचायती राज संस्था को संवध
ै ावनक • शहरी स्थानीय सरकारों को संवध
ै ावनक दजाण िदान दकया
दजाण िदान दकया गया। गया।
• भारत के संववधान में एक नया भाग, भाग-IX को जोड़ा गया। साथ ही, • संववधान में भाग IX-A को जोड़ा गया। इसमें अनुच्छेद 243-
इस भाग में अनुच्छेद 243 से लेकर 243(O) तक िावधान शावमल हैं। P से लेकर 243-ZG तक िावधान शावमल हैं।
• संववधान में एक नई सूची 11वीं अनुसच
ू ी को जोड़ा गया। इस सूची में • संववधान में 12वीं अनुसच
ू ी को जोड़ा गया। इस सूची में नगर
पंचायतों के वलए 29 कायाणत्मक ववषय शावमल हैं। पावलकाओं के वलए 18 कायाणत्मक ववषय शावमल हैं।
भारत में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को मजबूत करने के वलए उठाए गए कदम
• राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान (RGSA): इसे स्थानीय ववकास की जरूरतों के िवत PRIs को अवधक उत्तरदायी बनाने तथा उनकी
क्षमताओं को ववकवसत और मजबूत करने हेतु शुरू दकया गया है।
• ई-ग्राम स्वराज: यह उपयोगकताण के अनुकूल एक वेब-आधाटरत पोिणल है।
2.6.1. पं चायती राज सं स्थानों की ववत्तीय वस्थवत {Finances of Panchayati Raj Institutions (PRIs)}
हाल ही में, भारतीय टरज़वण बैंक (RBI) ने “पंचायती राज संस्थानों की ववत्तीय वस्थवत” शीषणक से अपनी टरपोिण जारी की। इस
टरपोिण में 2020-21 से 2022-23 के वलए PRIs की ववत्तीय वस्थवत पर चचाण की गई है।
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• अनुच्छेद 243H: राज्य का ववधान-मंिल कानून पाटरत करके राज्य की संवचत वनवध से पंचायतों के वलए सहायता अनुदान का िावधान
कर सकता है।
o यह पंचायतों को कर, शुल्क, पथकर और फीस लगाने, एकत्र करने एवं आवंटित करने का अवधकार देता है।
• अनुच्छेद 243-I: पंचायतों की ववत्तीय वस्थवत की समीक्षा करने और उनकी ववत्तीय वस्थवत में सुधार के वलए वसफाटरशें करने हेतु हर 5
• अनुच्छेद 280(3)(bb): कें द्रीय ववत्त आयोग का कतणव्य है दक वह राज्य में पंचायतों के संसाधनों की पूर्तण के वलए राज्य की संवचत वनवध
राजस्व के आंतटरक/ स्वयं के स्रोत • कर राजस्व: भूवम (कृ वष भूवम के अलावा) या भवन अथवा दोनों पर सम्पवत्त कर, वनजी शौचालयों
पर कर, िकाश कर, पंचायत क्षेत्र में व्यवसाय या वृवत्त करने वाले व्यवियों पर कर।
• गैर कर राजस्व: पंचायत क्षेत्र में वविय के वलए बाहर से माल मंगाने वाले व्यवियों पर बाजार कर,
पंचायत क्षेत्र में पशुओं के वविय के पंजीयन पर शुल्क।
कें द्रीय ववत्त आयोग (CFC) और राज्य • शतों के तहत ददया गया अनुदान: स्वच्छता, वशक्षा आदद जैसे वववशि उद्देश्यों या क्षेत्रों के वलए
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जाती है।
अन्य स्रोत • मनरे गा, िधान मंत्री आवास योजना (ग्रामीर्), सांसद आदशण ग्राम योजना आदद जैसी वववभन्न
योजनाओं के तहत कें द्र सरकार और राज्य सरकार से अंतटरत वनवध।
• ववश्व बैंक आदद जैसे अंतराणष्ट्रीय वनकायों से ददए जाने वाले अनुदान।
2.6.2. शहरी स्थानीय वनकायों का क्षमता वनमाण र् {Capacity Building of Urban Local Bodies (ULBs)}
हाल ही में, क्षमता वनमाणर् आयोग (CBC)8 ने आवासन एवं शहरी कायण मंत्रालय (MoHUA) के सहयोग से शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs)
के क्षमता वनमाणर् पर एक राष्ट्रीय कायणशाला का आयोजन दकया। इसका उद्देश्य पूरे भारत में ULBs की क्षमता ववकास के वलए एकीकृ त
दृविकोर् को बढ़ावा देना है।
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o NIUA की स्थापना 1976 में हुई थी। यह शहरी ववकास एवं िबंधन हेतु अनुसध
ं ान, िवशक्षर् और सूचना िसार के वलए कायणरत एक
िमुि संस्थान है।
• म्युवनवसपल बॉण््स (Municipal Bonds): ये भारत में नगर वनगमों और अन्य संबद् वनकायों द्वारा धन जुिाने के वलए जारी दकए जाने वाले
ववत्तीय वलित (इंस्ूमेंट्स) होते हैं।
2.7. पंचायत उपबंध (अनुसवू चत क्षेत्रों पर ववस्तार) अवधवनयम, 1996 {Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act,
1996}
हाल ही में, झारिंि सरकार ने पेसा (PESA) अवधवनयम से जुड़े के वनयमों के ड्रा्ि को सावणजवनक परामशण के वलए जारी दकया है।
पंचायत उपबंध (अनुसवू चत क्षेत्रों पर ववस्तार) अवधवनयम
या पेसा (PESA) अवधवनयम, 1996 के बारे में
• पेसा अवधवनयम को वषण 1996 में अवधवनयवमत
दकया गया था। यह ददलीप डसंह भूटरया सवमवत की
वसफाटरशों पर आधाटरत था। इसका उद्देश्य
जनजातीय समुदायों का सशिीकरर् करना और
उन्हें मुख्यधारा में लाना था।
• यह पंचायतों से संबंवधत संववधान के भाग IX के
िावधानों का कु छ संशोधनों और अपवादों के साथ
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परंपरागत कानून के • पंचायतों के संबंध में राज्यों द्वारा बनाए गए कानून, परंपरागत कानून, सामावजक और धार्मणक िथाओं एवं समुदाय के
अनुरूप संसाधनों की परंपरागत िबंधन पद्वतयों के अनुरूप होंगे।
ग्राम सभा • ित्येक ग्राम की एक ग्राम सभा होगी। यह ऐसे व्यवियों से वमलकर बनेगी वजनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के वलए
वनवाणचक नामाववलयों में शावमल हैं।
ग्राम सभा की • ग्राम सभा गांव में सभी ववकास कायों को मंजरू ी देने, लाभार्थणयों की पहचान करने तथा धन के उपयोग संबंधी िमार्-
भूवमका एवं
पत्र जारी करती है। ग्राम सभा के पास सभी सामावजक क्षेत्रकों और स्थानीय योजनाओं से संबंवधत संस्थानों एवं
वजम्मेदारी
पदावधकाटरयों को वनयंवत्रत करने की शवि है।
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• ित्येक ग्राम सभा लोगों की परंपराओं और रूदढ़यों, उनकी सांस्कृ वतक पहचान, समुदाय के संसाधनों तथा वववाद
वनपिाने के रुदढ़जन्य ढंग का संरक्षर् और पटररक्षर् करने के वलए सक्षम होगी।
आरक्षर् • ित्येक पंचायत में अनुसूवचत जनजावतयों के वलए समुदाय की आबादी के अनुपात में (न्यूनतम 50%) सीिों का आरक्षर्
होगा, जो सभी स्तरों पर पंचायतों के अध्यक्ष के साथ उपबंवधत होगा।
राज्य सभा के उप-सभापवतयों का पैनल • राज्य सभा के सभापवत ने राज्य सभा में उप-सभापवतयों के एक पैनल का गठन दकया है।
इसकी ववशेषता यह है दक इसमें सभी सदस्य मवहलाएं हैं।
• राज्य सभा के वनयमों के तहत, सभापवत राज्य सभा सांसदों में से उप-सभापवतयों के
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संसद सत्र (Parliament Sessions) • भारत के संववधान में “ववशेष सत्र” शब्दावली का उल्लेि नहीं दकया गया है।
o यह शब्दावली कभी-कभी उन सत्रों के वलए उपयोग की जाती है, वजन्हें सरकार
ववशेष अवसरों के वलए आहूत करती है।
• संववधान के अनुच्छेद 85 में एक वषण में कम-से-कम दो बार संसद की बैठक का िावधान
दकया गया है। हालांदक, इन दो सत्रों के बीच छह माह से अवधक का अंतराल नहीं होना
चावहए।
o परं परा के अनुसार, संसद के एक वषण में तीन सत्र होते हैं।
o हालांदक, उपयुणि िावधान संसद को अवधक सत्र आहूत (बुलाने) करने से नहीं रोकता
है। इन्हीं अवतटरि सत्रों को 'ववशेष सत्र' कहा जाता है।
• संसदीय मामलों की मंवत्रमंिलीय सवमवत संसद के सत्रों की तारीि और अववध वनधाणटरत
करती है।
o इसके बाद राष्ट्रपवत सत्र के वलए सांसदों को आमंवत्रत करता है।
राष्ट्रपवत के वलए उन्मुवि (Immunity for • सुिीम कोिण ने कहा है दक सरकार के वल राष्ट्रपवत के नाम पर अनुबध
ं होने के कारर्
कानूनी िावधानों से छू ि का दावा नहीं कर सकती है।
President)
• कोिण ने कहा दक संववधान का अनुच्छेद 299 सरकार को वैधावनक कानून के उल्लंघन की
शवि नहीं देता है। संववधान का यह अनुच्छेद राष्ट्रपवत या राज्यपाल के नाम पर संघ या
राज्य द्वारा दकए गए अनुबध
ं से संबंवधत है।
• भारतीय संववधान का अनुच्छेद 361 देश के राष्ट्रपवत और राज्यपाल को उन्मुवि या
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वनयम 176 और वनयम 267 • राज्य सभा में िदिया और कायण संचालन वनयमों के अनुसार:
o वनयम 267: राज्य सभा सदस्य को सभापवत की मंजूरी से सदन के पूवण -वनधाणटरत
एजेंिे को वनलंवबत करने की ववशेष शवि िदान करता है।
o वनयम 176: दकसी ववशेष मुद्दे पर अल्पकावलक चचाण की अनुमवत देता है, जो ढाई
घंिे से अवधक नहीं होनी चावहए।
स्थगन िस्ताव (Adjournment • स्थगन िस्ताव को के वल लोक सभा में अववलंबनीय लोक महत्त्व के दकसी वनवित मामले
पर सदन का ध्यान आकर्षणत करने के वलए िस्तुत दकया जाता है। इस िस्ताव को सदन के
motion)
अध्यक्ष की सहमवत से ही पेश दकया जा सकता है।
• इसे स्वीकार करने के वलए 50 सदस्यों के समथणन की आवश्यकता होती है।
• इसमें सरकार के विलाफ डनंदा का तत्व शावमल होता है और इसवलए राज्य सभा को इस
साधन का उपयोग करने की अनुमवत नहीं है।
• दकसी स्थगन िस्ताव पर चचाण कम-से-कम दो घंिे तीस वमनि तक चलनी चावहए।
अधीनस्थ ववधान या ित्यायोवजत ववधान • राज्य सभा की अधीनस्थ ववधान संबंधी सवमवत ने ‘मंत्रालयों द्वारा वववभन्न अवधवनयमों के
तहत वनयम बनाने में देरी’ शीषणक से टरपोिण जारी की।
• ववधावयका के अधीनस्थ िावधकरर् द्वारा बनाए गए कानून को अधीनस्थ ववधान
(Subordinate legislation) कहते हैं।
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संसद की सुरक्षा में सेंध • हाल ही में संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई गई थी, जहां आरोपी वववजिर पास पर
लोकसभा में घुस गए। वहां पर उन्होंने नारे बाजी करते हुए पीला धुआं छोड़ने वाली गैस के
कै न फें के ।
सरपंच पवत • संसदीय स्थायी सवमवत ने कहा है दक वनवाणवचत मवहलाओं को िवशवक्षत करके या सशि
करके ‘सरपंच पवत या 'िधान पवत’ वाली व्यवस्था समाप्त की जानी चावहए
o यह व्यवस्था उस िथा को संदर्भणत करती है, वजसमें वनवाणवचत मवहलाओं के पवत
उनके वलए िॉक्सी के रूप में कायण करते हैं और वास्तववक राजनीवतक वनर्णय लेने की
शवियों का उपयोग करते हैं।
• पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) में मवहला आरक्षर्:
o 73वें संववधान संशोधन अवधवनयम 1992 के तहत िावधान: पंचायती राज
संस्थाओं में कु ल सीिों का एक वतहाई और पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों पर
अध्यक्ष के एक वतहाई पद (संववधान के भाग IX के तहत) मवहलाओं के वलए
आरवक्षत हैं। (अनुच्छेद 243D)
o कई राज्यों जैसे वबहार, के रल, महाराष्ट्र, ओविशा, राजस्थान आदद ने सदस्यों और
सरपंचों के स्तर पर मवहलाओं के वलए 50 िवतशत आरक्षर् का कानूनी िावधान
दकया है।
o भारत में मवहला और पुरुष टरपोिण, 2022 के अनुसार, 31.8 लाि से अवधक
वनवाणवचत िवतवनवधयों में से लगभग 46 िवतशत (14.5 लाि से अवधक) मवहलाएं
थीं।
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शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs) में वपछड़े वगों के • हटरयार्ा मंवत्रमंिल ने राज्य वपछड़ा वगण आयोग की टरपोिण को स्वीकार कर वलया है। यह
टरपोिण शहरी स्थानीय वनकायों में वपछड़ा वगण ब्लॉक-ए श्रेर्ी के वलए आरक्षर् के अनुपात
वलए आरक्षर् {Quota to Backward Classes
का उल्लेि करती है।
(A) in Urban Local Bodies (ULBs)}
• संववधान के अनुच्छेद 243T(6) के अनुसार, 'राज्य ववधान-मंिलों पर नागटरकों के वपछड़े
वगण के पक्ष में दकसी भी नगरपावलका में सीिों के आरक्षर् या नगरपावलकाओं में अध्यक्ष
पद के आरक्षर् के वलए िावधान करने से कोई रोक नहीं होगी'।
• के . कृ ष्र्मूर्तण बनाम भारत संघ वाद (2010) तथा गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य
वाद (2021) में सुिीम कोिण ने स्थानीय वनकायों में अन्य वपछड़े वगों के आरक्षर् को
अंवतम रूप देने के वलए टट्पल िेस्ि को रे िांदकत दकया था। इसमें शावमल हैं:
o स्थानीय वनकायों में वपछड़ेपन की िकृ वत और वनवहताथों की कठोर अनुभवजन्य
जांच करने के वलए एक समर्पणत आयोग का गठन करना;
o आयोग के िस्तावों के आलोक में स्थानीय वनकायों में आवश्यक आरक्षर् के अनुपात
को वनर्दणि करना; तथा
o यह सुवनवित करना दक अनुसूवचत जावतयों/ अनुसवू चत जनजावतयों/ अन्य वपछड़े
वगों के वलए आरक्षर् कु ल सीिों के 50 िवतशत से अवधक न हो।
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हाल ही में के रल, तवमलनािु और पंजाब ने लंवबत ववधेयकों को लेकर अपने-अपने राज्यपालों के विलाफ सुिीम कोिण का रुि दकया है।
• ववधेयकों के संबंध में ववकल्प: संववधान के अनुच्छेद 200 के तहत दकसी ववधेयक को कानून बनाने के वलए राज्यपाल से सहमवत लेना
अवनवायण है। इस संबंध में राज्यपाल को कु छ ववकल्प ददए गए हैं (तावलका देिें)।
राज्यपाल को िाप्त ववकल्प ववधेयक की वस्थवत
ववधेयक को सहमवत देना • ववधेयक कानून बन जाता है।
ववधेयक पर सहमवत रोकना • ववधेयक कानून नहीं बन पाता है।
वजतनी जल्दी हो सके • यदद ववधेयक को सदन या सदनों द्वारा संशोधन सवहत या उसके वबना दफर से पाटरत कर ददया जाता है
ववधेयक को पुनर्वणचार हेतु और राज्यपाल के समक्ष अनुमवत के वलए िस्तुत दकया जाता है, तो राज्यपाल अनुमवत देने के वलए बाध्य
ववधावयका को लौिा देना होता है।
• संववधान ऐसी कोई समय सीमा वनधाणटरत नहीं करता है, वजसके भीतर राज्यपाल को ववधेयक को
पुनर्वणचार के वलए वापस करना होता है। यह के वल ‘वजतनी जल्दी हो सके ’ पर जोर देता है।
ववधेयक को राष्ट्रपवत के
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• ववधेयक को राष्ट्रपवत के ववचार हेतु आरवक्षत करना (अनुच्छेद 201): राष्ट्रपवत या तो अपनी सहमवत दे सकता है या सहमवत रोक सकता
है।
o राष्ट्रपवत, राज्यपाल को अपने संदेश के साथ ववधेयक को राज्य ववधान-मंिल को वापस लौिाने का वनदेश दे सकता है। ऐसा
ववधेयक, यदद राज्य ववधान-मंिल द्वारा संशोधन के साथ या वबना संशोधन के दफर से पाटरत दकया जाता है , तो उसे राष्ट्रपवत के
समक्ष दफर से िस्तुत दकया जाता है।
हाल ही में, िधान मंत्री ने भारत में सहकारी संघवाद के महत्त्व को रे िांदकत दकया है।
• 7वीं अनुसच
ू ी- यह समनुषवं गता के वसद्ांत (Principle of Subsidiarity) के आधार पर संघ, राज्य और समवती सूवचयों का वनधाणरर्
करती है।
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• 14वें ववत्त आयोग की वसफाटरश के बाद कें द्रीय कर राजस्व में राज्यों का वहस्सा 32% से बढ़ाकर 42% कर ददया गया है।
• कें द्र िायोवजत योजनाओं का पुनगणठन दकया गया है।
• उज्ज्वल विस्कॉम एश्योरें स योजना (UDAY) के तहत ववत्तीय क्षेत्रक के बेलआउि संबंधी कायणिम को कायाणवन्वत दकया गया है।
• नीवत/NITI (नेशनल इं स्िीट्यूशन फॉर ट्ांसफॉर्मंग इं विया) आयोग भारत में सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के वलए एक मंच के रूप में
कायण करता है। नीवत आयोग द्वारा ववववध कदम उठाए गए हैं, जैस:े
o राष्ट्रीय महत्त्व के ववषयों पर मुख्यमंवत्रयों के उपसमूह का गठन करना;
o वपछड़े वजलों के ववकास के वलए आकांक्षी वजला कायणिम की शुरुआत करना;
o भूवम पट्टे पर देने और कृ वष ववपर्न सुधारों के वलए आदशण कानून तैयार करना।
o उत्तर-पूवी राज्यों, वहमालयी राज्यों और द्वीपीय राज्यक्षेत्रों के ववकास के वलए क्षेत्र-वववशि पहलें करना।
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असम और अरुर्ाचल िदेश ने दशकों से चल रहे अंतराणज्यीय सीमा वववाद को समाप्त करने के वलए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर
दकए हैं।
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• न्यावयक वनवारर्: सुिीम कोिण अपनी आरं वभक अवधकाटरता के तहत राज्यों के बीच वववादों का वनर्णय करता है। संववधान के अनुच्छे द
131 में यह िावधान है दक सुिीम कोिण को वनम्नवलवित वववादों में आरं वभक अवधकाटरता िाप्त होगी:
o भारत सरकार और एक या एक से अवधक राज्यों के बीच वववाद; या
o एक ओर भारत सरकार और दकसी राज्य या राज्यों तथा दूसरी ओर एक या अवधक अन्य राज्यों के बीच वववाद; या
o दो या दो से अवधक राज्यों के बीच वववाद।
• अंतराणज्यीय पटरषद (ISC): अनुच्छेद 263 राष्ट्रपवत को राज्यों के बीच वववादों का समाधान करने के वलए अंतराणज्यीय पटरषद गटठत
करने की शवि िदान करता है। पटरषद की पटरकल्पना राज्यों और कें द्र के बीच चचाण के वलए एक मंच के रूप में की गई है। इसके
वनम्नवलवित कतणव्य हैं:
o राज्यों के बीच जो वववाद उत्पन्न हो गए हैं, उनकी जांच करना और उन पर सलाह देना;
o कु छ या सभी राज्यों अथवा संघ और एक या एक से अवधक राज्यों के साझा वहत से संबंवधत ववषयों की जांच करना एवं उन पर
ववचार-ववमशण करना, या
o ऐसे दकसी ववषय पर वसफाटरश करना और ववशेषतः उस ववषय के संबंध में नीवत एवं कारण वाई के बेहतर समन्वय के वलए वसफाटरश
करना।
• क्षेत्रीय पटरषदें (Zonal Councils): ये राज्य पुनगणठन अवधवनयम, 1956 द्वारा गटठत वैधावनक वनकाय हैं। इनका उद्देश्य राज्यों, कें द्र
शावसत िदेशों तथा कें द्र के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देना है। ये के वल ववचार-ववमशी एवं सलाहकारी वनकाय हैं।
हाल ही में, कें द्रीय मंवत्रमंिल ने अंतराणज्यीय नदी जल वववाद (ISRWD)11 अवधवनयम, 1956 के तहत कृ ष्र्ा जल वववाद अवधकरर्-II
(KWDT-II) के ववचार के वलए कई ववषयों को मंजूरी दी है।
इसके अलावा, सुिीम कोिण ने सतलज-यमुना डलंक (SYL) नहर के वनमाणर् में धीमी िगवत के वलए पंजाब सरकार की आलोचना की।
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• अनुच्छेद 262: इस अनुच्छेद में उपबंध दकया गया है दक संसद कानून द्वारा दकसी अंतराणज्यीय नदी या नदी घािी के जल के उपयोग,
ववतरर् या वनयंत्रर् के
संबंध में दकसी भी
वववाद या वशकायत के
न्यायवनर्णयन के वलए
िावधान कर सकती है।
अनुच्छेद 262 द्वारा
िदत्त शवि का उपयोग
करते हुए संसद ने
वनम्नवलवित दो कानून
बनाए हैं:
o अंतराणज्यीय जल
वववाद (ISWD)
अवधवनयम, 1956:
इस कानून के
अंतगणत, यदद एक
राज्य सरकार
वजसका दकसी अन्य
राज्य सरकार के
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o 1966 के हेलडसंकी वनयम ित्येक बेवसन राज्य द्वारा सामावजक-आर्थणक जरूरतों और संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रिते हुए
जल के समान/ न्यायसंगत उपयोग को मान्यता देते हैं।
o कैं वपयोन वनयमों के अनुसार बेवसन राज्य दकसी अंतराणष्ट्रीय जल अपवाह बेवसन के जल का िबंधन न्यायसंगत एवं उवचत तरीके से
करें गे।
के वलए कह रहा है। उसके अनुसार इस मांग के तहत कृ ष्र्ा नदी के जल का आवंिन तीन की बजाय चार राज्यों के बीच दकया जाना चावहए।
o हालांदक, महाराष्ट्र और कनाणिक का तकण था दक तेलंगाना का वनमाणर् आंध्र िदेश के ववभाजन के बाद हुआ है, इसवलए जल का आवंिन
आंध्र िदेश के वहस्से से होना चावहए। अवधकरर् ने दोनों राज्यों के तकण को स्वीकार कर वलया था।
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4. न्यायपावलका (Judiciary)
हाल ही में, न्यायाधीशों की वनयुवि में कें द्र द्वारा अत्यवधक देरी के विलाफ अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान सुिीम कोिण ने कहा दक
सरकार को या तो उन वनयुवियों को अवधसूवचत करना चावहए या वववशि आपवत्तयों का हवाला देते हुए उन्हें वापस भेजना चावहए।
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• सरकार कॉलेवजयम की पसंद के संबंध में आपवत्तयां उठा सकती है और स्पिीकरर् मांग सकती है।
o हालांदक, यदद कॉलेवजयम उन्हीं नामों को सरकार के पास दफर से भेजता है, तो सरकार उन्हें न्यायाधीश के रूप में वनयुि करने के
वलए बाध्य है।
हाल ही में, संववधान ददवस (26 नवंबर) समारोह के दौरान राष्ट्रपवत ने न्यायाधीशों की भती के वलए अविल भारतीय न्यावयक सेवा (AIJS)
की स्थापना का ववचार िस्तुत दकया।
AIJS सभी राज्यों के वलए अवतटरि वजला न्यायाधीशों और वजला न्यायाधीशों के स्तर पर न्यायाधीशों की भती को कें द्रीकृ त करने के वलए
एक सुधारात्मक ियास है।
• AIJS का गठन: कें द्रीय न्यावयक सेवा का ववचार पहली बार 14वें वववध आयोग, 1958 की ‘न्यावयक िशासन में सुधार पर टरपोिण ’ में
िस्तुत दकया गया था।
• संवैधावनक िावधान: 42वें संववधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 312(1) को संशोवधत दकया गया था। इस संशोधन के तहत संसद को AIJS
सवहत एक या एक से अवधक अविल भारतीय सेवाओं के गठन के वलए कानून बनाने का अवधकार ददया गया है।
• भारत के संववधान के अनुच्छेद 233 और 234 वजला न्यायाधीशों की वनयुवि से संबवं धत हैं, और ये वनयुवियां राज्य अवधकाटरता अंतगणत
आती हैं।
• चयन िदिया राज्य लोक सेवा आयोगों (SPSC) और संबवं धत हाई कोिण द्वारा संचावलत की जाती है, क्योंदक राज्य में अधीनस्थ न्यायपावलका
हाई कोिण के अवधकार क्षेत्र के अंतगणत होती हैं। हाई कोिण के न्यायाधीशों के पैनल परीक्षा के बाद उम्मीदवारों का साक्षात्कार करते हैं और
वनयुवि के वलए उनका चयन करते हैं।
• वनचली न्यायपावलका के वजला न्यायाधीश स्तर तक के सभी न्यायाधीशों का चयन िांतीय वसववल सेवा (न्यावयक) परीक्षा के माध्यम से दकया
जाता है। PCS (J) को आमतौर पर न्यावयक सेवा परीक्षा के रूप में जाना जाता है।
हाल ही में, कार्मणक, लोक वशकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी सवमवत ने “वववधक सेवा िावधकरर् अवधवनयम, 1987 के तहत
कानूनी सहायता की कायण-िर्ाली की समीक्षा” पर एक टरपोिण िस्तुत की।
कानूनी सहायता
• कानूनी सहायता का तात्पयण उन गरीब और जरूरतमंद लोगों को मु्त कानूनी सेवाएं िदान करना है, जो दकसी भी अदालत में अपने के स
को जारी रिने के वलए वकील की फीस का िचण वहन नहीं कर सकते।
• वववधक सेवा िावधकरर् अवधवनयम, 1987: यह भारत में कानूनी सहायता का एक वैधावनक ढांचा िदान करता है।
o इस अवधवनयम के तहत राष्ट्रीय, राज्य और वजला स्तरों पर िमश: राष्ट्रीय वववधक सेवा िावधकरर् (NALSA); राज्य वववधक सेवा
िावधकरर् (SALSA) तथा वजला वववधक सेवा िावधकरर् (DLSA) के गठन का िावधान दकया गया है।
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o वववधक सेवा िावधकरर् अवधवनयम, 1987 के तहत लोक अदालतों का आयोजन दकया जाता है। ये अदालतें वैकवल्पक वववाद
वनवारर् (ADR)12 तंत्र का वहस्सा हैं। इन
अदालतों में या मुकदमा-पूवण चरर् में लंवबत
वववादों को सौहादणपूर्ण ढंग से सुलझाया
जाता है।
o न्याय बंध:ु वनःशुल्क कानूनी सेवाएं िदान करने के वलए एक अविल भारतीय फ्रेमवकण तैयार करना।
o िे ली लॉ: सामान्य सेवा कें द्रों (CSCs)16 के माध्यम से ज़रूरतमंद और हावशये पर वस्थत लोगों को कानूनी सहायता के वलए वकीलों
के पैनल से जोड़ना।
o कानूनी साक्षरता और कानूनी जागरूकता कायणिम (LLLAP)17: समाज के कमजोर वगों को उनके कानूनी अवधकारों और हक के
बारे में जानकारी िाप्त करने में सक्षम बनाना।
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• न्याय वमत्र योजना: इसे 2017 में शुरू दकया गया। इसका उद्देश्य वाददयों को कानूनी सहायता िदान करके दस साल से अवधक पुराने
लंवबत अदालती मामलों का वनपिारा करने में वजला न्यायपावलका को सहायता िदान करना है।
• सुिीम कोिण मध्यम आय समूह कानूनी सहायता योजना 18: इस योजना को सुिीम कोिण ने शुरू दकया है। इसके तहत 60 हजार रुपये िवत
महीने या साढ़े सात लाि रुपये िवत वषण तक की आय वाले मध्यम-आय वगण के लोगों को कानूनी सहायता दी जाएगी।
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
भारत के राष्ट्रपवत ने हाल ही में पाटरत ‘मध्यस्थता ववधेयक, 2023” को अपनी मंजूरी दे दी है। अब यह ववधेयक कानून बन गया है। इसका
उद्देश्य भारत में मध्यस्थता को वैकवल्पक वववाद समाधान (ADR) के एक पसंदीदा तरीके के रूप में बढ़ावा देना है।
• ADR उन अलग-अलग तरीकों के बारे में बताता है, वजनका उपयोग करके लोग वबना दकसी सुनवाई के वववादों का समाधान कर सकते
हैं (इन्फोग्रादफक देि)ें ।
• भारत में ADR को बढ़ावा देने के वलए उठाए गए अन्य कदम:
o भारतीय मध्यस्थता पटरषद की स्थापना के वलए मध्यस्थता और सुलह अवधवनयम19, 1996 तथा मध्यस्थता और सुलह (संशोधन)
अवधवनयम20, 2019 पाटरत दकए गए हैं।
o वववधक सेवा िावधकरर् अवधवनयम, 1987 लागू दकया गया है।
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o संस्थागत मध्यस्थता की सुववधा हेतु NDIAC की स्थापना के वलए नई ददल्ली अंतराणष्ट्रीय मध्यस्थता कें द्र (NDIAC) अवधवनयम,
2019 पाटरत दकया गया है।
o वावर्वज्यक न्यायालय अवधवनयम, 2015 वावर्वज्यक वववादों के वनपिान के वलए वावर्वज्यक न्यायालयों का िावधान करता है।
• मध्यस्थता के पटरर्ामस्वरूप होने वाले अंतराणष्ट्रीय समाधान समझौतों के वलए मध्यस्थता पर डसंगापुर कन्वेंशन21 एक यूवनफॉमण और
सक्षम फ्रेमवकण है।
मध्यस्थता को • मध्यस्थता (मध्यकता) एक ऐसी िदिया होगी, वजसमें मध्यस्थता, मुकदमा-पूवण मध्यस्थता, ऑनलाइन मध्यस्थता,
पटरभावषत करता है
सामुदावयक मध्यस्थता, सुलह या समान अथण की कोई पदावली शावमल हो।
o इसके तहत, संबंवधत पक्ष तीसरे व्यवि की सहायता से अपने वववाद के सौहादणपर्
ू ण समाधान तक पहुंचने का
ियास करते हैं। इस तीसरे व्यवि को मध्यस्थ कहा जाता है।
मुकदमेबाजी से पहले • संबंवधत पक्षों से अपेक्षा की जाती है दक वे अपने वसववल या वावर्वज्यक वववादों का न्यायालय या दकसी अवधकरर् के
स्वैवच्छक मध्यस्थता पास जाने से पहले मध्यस्थता के जटरए समाधान करने का ियास करें ।
मध्यस्थता के वलए • कें द्र सरकार ऐसे वववादों की सूची में संशोधन कर सकती है। इस सूची में वनम्नवलवित वववाद शावमल हैं:
अनुपयुि वववाद o नाबावलगों या मानवसक रूप से अस्वस्थ लोगों से संबंवधत वववाद,
o दंिनीय (दिवमनल) अपराध के अवभयोजन से जुड़े वववाद,
o तीसरे पक्ष के अवधकारों को िभाववत करने वाले वववाद आदद।
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िादेवशक क्षेत्रावधकार • जब तक संबंवधत पक्ष दकसी अन्य तरीके से या ऑनलाइन मोि में मध्यस्थता के वलए सहमत न हों, तब तक मध्यस्थता,
संबंवधत क्षेत्रावधकार वाले न्यायालय या सक्षम क्षेत्रावधकार वाले अवधकरर् के तहत होगी।
मध्यस्थता दकए जाने • इसे 120 ददनों के भीतर पूरा दकया जाना चावहए। इसके अलावा, इस समय-सीमा को पक्षों की सहमवत से 60 ददनों
की समय-सीमा: तक बढ़ाया जा सकता है।
o एक पक्ष दो सत्रों के बाद मध्यस्थता से हि सकता है।
o न्यायालय से संबंवधत मध्यस्थता सुिीम कोिण या हाई कोट्सण द्वारा बनाए गए वनयमों के अनुसार की जानी
चावहए।
मध्यस्थता सेवा • यह मध्यस्थता सेवा िदाताओं को MCI द्वारा मध्यस्थता करने के वलए अवधकृ त वनकाय या संगठन के रूप में
िदाताओं को पटरभावषत करता है।
पटरभावषत करता है
o वववधक सेवा िावधकरर् अवधवनयम, 1987 के तहत गटठत िावधकरर् भी मध्यस्थता कर सकता है।
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
सामुदावयक मध्यस्थता • इसके तहत तीन मध्यस्थों के एक पैनल द्वारा दकसी क्षेत्र के वनवावसयों के बीच शांवत और सद्भाव को िभाववत करने
का आयोजन वाले वववादों का समाधान दकया जा सकता है।
लागू होना या • मध्यस्थता द्वारा दकए गए समझौते न्यायालय के वनर्णयों के समान ही बाध्यकारी और िवतणनीय होंगे।
िवतणनीयता o हालांदक, मध्यस्थता के फै सले को 90 ददनों के भीतर सक्षम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
(Enforceability) o मध्यस्थता द्वारा दकए गए समाधान को धोिाधड़ी, भ्रिाचार, छद्मरूपर् (Impersonation) और मध्यस्थता के
वलए अनुपयुि वववाद के आधार पर चुनौती दी जा सकती है।
o ADRM में पारं पटरक अदालती िर्ाली के बाहर वववादों को सुलझाने के ववववध तरीके शावमल हैं।
o इस तंत्र ने न्यायपावलका पर मुकदमों के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूवमका वनभाई है। साथ ही, वववादों को हल करने के वलए
o स्तर: इनका गठन अलग-अलग स्तरों पर दकया गया है, अथाणत् राष्ट्रीय लोक अदालत, राज्य िावधकरर् स्तर, उच्च न्यायालय स्तर,
वजला न्यायालय स्तर और तालुका स्तर।
▪ राष्ट्रीय स्तर की लोक अदालतें वनयवमत अंतराल पर आयोवजत की जाती हैं। इस स्तर पर एक ही ददन में पूरे देश में लोक
अदालतें आयोवजत की जाती हैं।
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कें द्र सरकार ने एक ववस्तृत मॉिल जेल अवधवनयम, 2023 तैयार दकया है। यह आजादी के पहले से लागू ‘जेल अवधवनयम, 1894’ का स्थान
लेगा।
• 1894 का जेल अवधवनयम, भारत में जेलों के िबंधन और उनके िशासन से संबंवधत पहला कानून था।
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• 1836 में लॉिण मैकाले द्वारा “जेल अनुशासन सवमवत23” का गठन दकया था। इस सवमवत की वसफाटरशों के आधार पर ही इस कानून को
पाटरत दकया गया था।
• इस कानून के अनुसार ‘जेल (Prison/ कारागार)’ वह स्थान है, वजसका उपयोग “कै ददयों को स्थायी या अस्थायी रूप से कै द में रिने के
वलए” दकया जाता है। इस पटरभाषा में पुवलस कस्ििी (यानी पुवलस थानों) और सहायक जेलों को शावमल नहीं दकया गया है।
• इसमें कै ददयों के वलए रोजगार, उनके स्वास्थ्य और उनसे वमलने हेतु आने वाले लोगों से जुड़े िावधान दकए गए हैं।
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
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• अनुच्छेद 142 ने सुिीम कोिण को अवधकार ददया है दक वह दो पक्षों के बीच ऐसी वस्थवत में ‘पूर्ण न्याय’ करे , जहां कभी-
कभी कानून या ववधान कोई समाधान नहीं दे सकता है।
• अनुच्छेद 142 के तहत िदत्त शवियां अपनी िकृ वत में व्यापक हैं। इस कारर् सुिीम कोिण ने अपने अलग-अलग वनर्णयों
के तहत इसके दायरे और सीमा को पटरभावषत दकया है।
वचन ववबंधन का • अविपथ योजना से संबवं धत एक सुनवाई में, वादी (वसववल कारण वाई में न्यायालय जाने वाले पक्ष) ने वचन ववबंधन के
वसद्ांत (Doctrine वसद्ांत का हवाला ददया है।
of Promissory • वचन ववबंधन एक अवधारर्ा है, जो संववदात्मक कानूनों (Contractual laws) के रूप में ववकवसत हुई है।
Estoppel) o यह वसद्ांत अवनवायण रूप से एक “वचनदाता (Promisor)” को इस आधार पर एक समझौते से पीछे हिने से
रोकता है दक ऐसा कोई “औपचाटरक फै सला (Consideration)” नहीं हुआ है।
o इसे एक वादी द्वारा समझौते के वनष्पादन को सुवनवित करने या समझौते को पूरा करने में ववफलता के वलए
मुआवजे की मांग हेतु लागू करवाया जाता है।
नाको एनावलवसस • हाल ही में, ददल्ली में िदशणन कर रहे पहलवानों ने सुिीम कोिण की वनगरानी में कवथत आरोपी का नाको िेस्ि कराने की
िेस्ि मांग की है।
• नाको िेस्ि में सोवियम पेंिोथल नामक दवा को संबंवधत व्यवि के शरीर में इं जेक्ि दकया जाता है। सोवियम पेंिोथल
को ‘ट्रुथ सीरम’ भी कहा जाता है।
• सेल्वी और अन्य बनाम कनाणिक राज्य और अन्य वाद (2010) में सुिीम कोिण ने यह वनर्णय ददया था दक दकसी भी
व्यवि का नाको एनावलवसस या िेन मैडपंग या पॉलीग्राफ िेस्ि उसकी सहमवत के वबना नहीं दकया जा सकता है।
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सुिीम कोिण की • AoR भारतीय वववधक िर्ाली में वकील/ अवधविा की अलग श्रेर्ी होती है। वे सुिीम कोिण में पंजीकृ त होते हैं और
एिवोके ि-ऑन-टरकॉिण उसमें ही वादी का िवतवनवधत्व करने के वलए सुिीम कोिण द्वारा ही अवधकृ त दकए जाते हैं।
(AoR) िर्ाली • अवधविा अवधवनयम के तहत दो िकार के अवधविाओं का िावधान दकया गया है: वटरष्ठ अवधविा और अवधविा।
• सुिीम कोिण ने संववधान के अनुच्छेद 145 द्वारा िदत्त “वनयम बनाने की शीषण न्यायालय की शवि” का ियोग करते हुए
AoR िर्ाली का िावधान दकया है।
• सुिीम कोिण की वनयमावली, 2013 में AoR के वलए पात्रता मानदंि वनधाणटरत दकए गए हैं।
o के वल AoR ही सुिीम कोिण के समक्ष कोई भी के स या दस्तावेज़ दाविल करने के वलए पात्र होते हैं।
o कोई वटरष्ठ अवधविा भी AoR के वबना सुिीम कोिण में िस्तुत होने का हकदार नहीं होता है।
फास्ि ट्ैक स्पेशल • कें द्रीय मंवत्रमंिल ने फास्ि ट्ैक स्पेशल कोट्सण (FTSCs) योजना को 31 माचण, 2026 तक जारी रिने की मंजूरी िदान
कोट्सण (FTSCs) की है।
योजना • FTSCs योजना एक कें द्र िायोवजत योजना है। इस योजना को 2019 में लॉन्च दकया गया था। इस योजना का
कायाणन्वयन कानून और न्याय मंत्रालय के तहत न्याय ववभाग करता है।
o इस योजना में कें द्र सरकार की वहस्सेदारी का ववत्त-पोषर् वनभणया फं ि से दकया जाता है। ज्ञातव्य है दक वनभणया
फं ि का उद्देश्य देश में मवहलाओं की सुरक्षा को बढ़ाना है।
• फास्ि ट्ैक कोट्सण (FTCs) और फास्ि ट्ैक स्पेशल कोट्सण (FTSCs) ववशेष मामलों के िवत समर्पणत अदालतें हैं। इनसे
त्वटरत न्याय सुवनवित करने की अपेक्षा की जाती है।
o दावण्िक वववध (संशोधन) अवधवनयम, 2018 FTSCs के गठन का आधार बना है। उल्लेिनीय है दक इस
अवधवनयम में बलात्कार के अपरावधयों के वलए मृत्युदि
ं सवहत कठोर दंिों का िावधान दकया गया है।
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नारी अदालत • नारी अदालत योजना, वमशन शवि के तहत संबल उप-योजना का एक वहस्सा है। यह मवहला और बाल ववकास
मंत्रालय के अधीन संचावलत है।
o वमशन शवि का लक्ष्य मवहलाओं की सुरक्षा, रक्षा और सशिीकरर् को मजबूत करना है।
• नारी अदालत ग्राम पंचायत स्तर पर मवहलाओं द्वारा सामना दकए जाने वाले कम जघन्य िकृ वत के मामलों (उत्पीड़न,
अवधकारों में किौती आदद) को हल करने के वलए मवहलाओं को एक वैकवल्पक वशकायत वनवारर् तंत्र िदान करती है।
• इस योजना का जागरूकता का िसार करने हेतु जनता से जुड़ने के वलए; योजनाओं में सुधार के वलए फीिबैक िाप्त
करने तथा लोगों के बीच सेवाओं के िभावी ववतरर् हेतु उपयोग दकया जाएगा।
न्याय ववकास पोिणल • कें द्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने एक न्याय ववकास पोिणल बनाया है। यह पोिणल “वजलों और अधीनस्थ
न्यायपावलका के वलए बुवनयादी सुववधाओं का ववकास” नामक एक कें द्र िायोवजत योजना (CSS) के कायाणन्वयन की
वनगरानी करे गा।
• न्याय ववकास के बारे में:
o कानून ववभाग 1993-94 से वजलों और अधीनस्थ न्यायपावलका के वलए बुवनयादी सुववधाओं का ववकास नामक
CSS का दियान्वयन कर रहा है।
o इसके तहत न्यावयक अवधकाटरयों/ वजला न्यायाधीशों आदद के वलए कोिण हॉल और आवासीय इकाइयों के वनमाणर्
हेतु राज्य सरकारों/ संघ राज्य क्षेत्र िशासनों को कें द्रीय सहायता िदान की जाती है।
o ववत्त पोषर्: पूवोत्तर और वहमालयी राज्य (90:10 के अनुपात में); कें द्र शावसत िदेश (100%), शेष राज्यों के
वलए (60:40 के अनुपात में)।
जवस्िस क्लॉक • यह एक इलेक्ट्ॉवनक साइनेज वसस्िम है। इसे हाई कोट्सण के न्यायालय-पटरसरों में स्थावपत दकया गया है।
• यह पहल वहतधारकों को न्यायालय से संबंवधत िमुि मापदंिों के बारे में जानकारी िदान करे गी। इसके अलावा, यह
न्यायालय से संबवं धत िेिा के बारे में पयाणप्त सूचना िदान करके लोगों को जागरूक करने का कायण भी करे गी।
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न्यायपावलका में • सुिीम कोिण ने वनचली अदालतों के टरकॉ्सण के विवजिलीकरर् को सुवनवित करने के वलए सभी हाई कोट्सण को वनदेश
िौद्योवगकी जारी दकए हैं।
• इस संबध
ं में शुरू की गई अन्य महत्वपूर्ण पहलें:
o ई-कोिण वमशन: यह न्यायपावलका के विवजिलीकरर् के वलए एक वमशन मोि पटरयोजना है।
o अदालत, पुवलस, जेल िशासन जैसे वहतधारकों के बीच िेिा और सूचना के वनबाणध हस्तांतरर् को सक्षम बनाने के
वलए इंिर-ऑपरेबल दिवमनल जवस्िस वसस्िम (ICJS) की शुरुआत की गई है।
o सुिीम कोिण ने फास्ि एंि वसक्योर ट्ांसवमशन ऑफ इलेक्ट्ॉवनक टरकॉ्सण (FASTER) लॉन्च दकया है। यह एक
सॉ्िवेयर है, जो इलेक्ट्ॉवनक मोि के माध्यम से सुरवक्षत रूप से न्यायालय के आदेशों को तेजी से िसाटरत करता
है।
o सुिीम कोिण वववधक अनुवाद सॉ्िवेयर (SUVAS/ सुवास) अंग्रेजी में ददए गए वनर्णयों का क्षेत्रीय भाषा में
अनुवाद करता है।
o e-SCR पोिणल :यह सुिीम कोिण के वनर्णयों को विवजिल रूप में उसी तरह िस्तुत करता है, जैसे वे आवधकाटरक
कानूनी टरपोिण में िस्तुत दकए जाते हैं।
इं विया जवस्िस टरपोिण • यह IJR का तीसरा संस्करर् है। इस टरपोिण को िािा ट्स्ि ने जारी दकया है। इसे सेंिर फॉर सोशल जवस्िस, दक्ष, वववध
सेंिर फॉर लीगल पॉवलसी जैसे कई नागटरक समाज संगठनों के िवतवनवधयों के सहयोग से जारी दकया गया है।
• यह टरपोिण ित्येक राज्य के िमुि न्याय ववतरर् तंत्रों (न्यायपावलका, पुवलस, जेल और वववधक सहायता) को
क्षमतावान बनाने में उनकी िगवत का आकलन करती है एवं उन्हें रैं क िदान करती है।
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“�ूज टुडे” डेली कर�ट अफेयसर् क� एक सं��� प्र�ु�त है। इस डॉ�ूम�ट क� मदद से �ूज-पेपर को पढ़ना
काफ� आसान हो जाता है और इससे अ�थ� दै�नक घटनाक्रम� के बारे म� अपडेट भी रहते ह�। इससे अ��थ� य�
को कई अ� तरह के लाभ भी �मलते ह�, जैसे:
�कसी भी �ूज़ से जुड़े �ूज पढ़ने का एक ऐसा नज�रया टे ��कल ट�र् और �ूज़ से
घटनाक्रम� के बारे मे बेहतर �वक�सत करने के �लए, �जससे अ�थ� जुड़े ज�टल कॉ�ेप्ट्स के बारे
समझ �वक�सत करने के �लए आसानी से समझ सक� ह� �क �ूज पेपसर् म� सरल समझ �वक�सत
म� से कौन-सी �ूज पढ़नी है करने के �लए
स्रोत: इसम� द �ह� दू, इं �डयन ए�प्रेस, PIB, �ूज़ ऑन प्रमुख सु�ख़� यां: इसम� �दन क� छह सबसे मह�पूणर् सु�ख़� य� को सं�ेप म� प्र�ुत
ए.आई.आर., इकोनॉ�मक टाइ�, �ह� दु�ान टाइ�, द �कया जाता है। इससे आप ए�ाम के दृ��कोण से मह�पूणर् �ूज को खोजने म�
�म� ट जैसे कई स्रोत� से �ूज को कवर �कया जाता है। आपना क�मती समय बबार्द �कए �बना मु� घटनाक्रम� को बेहतर तरीके से समझ
भाग: इसके तहत 4 पेज म� �दन-भर क� प्रमुख सु�ख़� य�, सकते ह�।
अ� सु�ख़� य� और सु�ख़� य� म� रहे �ल एवं ���� को सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसम� सु�ख़� य� म� रहे एक मह�पूणर् �ल या
कवर �कया जाता है। मशहूर ���� के बारे म� बताया जाता है।
प्रमुख सु�ख़� यां: इसके तहत लगभग 200 श�� म� पूरे �रणीय त�: इस भाग म� च�च� त �वषय� को सं�ेप म� कवर �कया जाता है, �जससे
�दन क� प्रमुख सु�ख़� य� को प्र�ुत �कया जाता है। इसम� आपको दु�नया भर के मौजूदा घटनाक्रम� क� जानकारी �मलती रहती है।
हा�लया घटनाक्रम को �व�ार से कवर �कया जाता है। प्र�ो�री: प्र�ेक �ूज टु डे वी�डयो बुले�टन के अंत म� MCQs भी �दए जाते ह�।
अ� सु�ख़� यां और सु�ख़� य� म� रहे �ल/ ����: इसके ज�रए हम �ूज पर आपक� पकड़ का परी�ण करते ह�। यह इं टरै��व चरण
इस भाग के तहत सु�ख़� य� म� रहे ����, मह�पूणर् आपक� ल�न� ग को �ानवधर्क के साथ-साथ मज़ेदार भी बनाता है। इससे आप
टमर्, संर��त �ेत्र और प्रजा�तय� आ�द को लगभग 90 घटनाक्रम� से जुड़े त�� आ�द को बेहतर तरीके से याद रख सकते ह�।
श�� म� प्र�ुत �कया जाता है। �रसोस�ज: वी�डयो के नीचे �ड��प्शन म� “�ूज़ टु डे” के PDF का �ल�क �दया जाता
है। �ूज़ टु डे का PDF डॉ�ूम�ट, �ूज टु डे वी�डयो के आपके अनुभव को और बेहतर
बनाता है। साथ ही, MCQs आधा�रत प्र�ो�री आपक� ल�न� ग को और मजबूत
बनाती है।
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5. चु नाव (Elections)
5.1. मुख्य चुनाव आयुि और अन्य चुनाव आयुि अवधवनयम, 2023 (Chief Election Commissioner and other Election
Commissioners Act, 2023)
राष्ट्रपवत ने मुख्य चुनाव आयुि और अन्य चुनाव आयुि (वनयुवि, सेवा शतें और पदाववध) ववधेयक, 2023 को अपनी मंजूरी दे दी है। यह
ववधेयक अब अवधवनयम बन चुका है।
वनयुवि • CEC और अन्य ECs की वनयुवि एक चयन सवमवत की वसफाटरश पर राष्ट्रपवत द्वारा की जाएगी।
पात्रता मानदंि • ऐसा व्यवि, जो भारत सरकार के सवचव के पद के समकक्ष रैंक पर है या ऐसे पद पर रह चुका है, और
• वह व्यवि ईमानदार होना चावहए। साथ ही, उसे चुनाव के िबंधन और संचालन का ज्ञान व अनुभव होना चावहए।
वेतन • CEC और अन्य ECs को सुिीम कोिण के न्यायाधीश के वेतन के समान वेतन ददया जाएगा।
पदाववध • CEC और अन्य ECs पद ग्रहर् करने की वतवथ से छह वषण की अववध के वलए या 65 वषण की आयु तक, जो भी पहले
हो, पद पर बने रहेंगे।
• CEC और अन्य ECs पुनर्नणयवु ि के वलए पात्र नहीं होंगे।
• यदद दकसी EC को CEC के रूप में वनयुि दकया जाता है, तो उसका कायणकाल EC और CEC के रूप में कु ल वमलाकर
छह वषण से अवधक नहीं होगा।
कायण संचालन • चुनाव आयोग के सभी कायण सवणसम्मवत से संचावलत दकए जाएंगे। दकसी मामले पर CEC और अन्य ECs के बीच
मतभेद की वस्थवत में, बहुमत के माध्यम से वनर्णय दकया जाएगा।
पद से हिाना और • CEC को हिाने की िदिया सुिीम कोिण के न्यायाधीशों को हिाने की िदिया के समान ही होगी।
त्याग-पत्र
o CEC की वसफाटरश के वबना अन्य ECs को पद से नहीं हिाया जा सकता।
o CEC और कोई भी EC राष्ट्रपवत को पत्र वलिकर दकसी भी समय इस्तीफा दे सकते हैं।
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5.2. चुनाव िदिया और सुधार के पहलू (Aspects of Election Process and Reform)
हाल ही में, कार्मणक, लोक वशकायत, वववध एवं न्याय ववभाग से संबवं धत संसदीय स्थायी सवमवत ने “चुनाव िदिया के वववशि पहलुओं और
एकल मतदाता सूची (Common Electoral Roll: • भारत में दो िकार की मतदाता सूवचयां तैयार की जाती हैं, अथाणत् सामान्य
CER) मतदाता सूची (General electoral rolls) और पृथक मतदाता सूची
(Separate electoral rolls)।
• संवध
ै ावनक एवं कानूनी सुरक्षा उपाय:
o अनुच्छेद 324(1): यह भारत के चुनाव आयोग को संसद और राज्य ववधान-
मंिलों तथा राष्ट्रपवत व उप-राष्ट्रपवत के सभी चुनावों के वलए मतदाता सूची
तैयार कराने तथा उन सभी चुनावों के संचालन की वनगरानी, वनदेशन एवं
वनयंत्रर् का अवधकार िदान करता है।
o अनुच्छेद 243K और 243ZA: ये अवधवनयम िमश: पंचायतों व शहरी
स्थानीय वनकायों के सभी चुनावों के वलए राज्य चुनाव आयोग को मतदाता
सूची तैयार कराने तथा उन सभी चुनावों के संचालन की वनगरानी, वनदेशन
एवं वनयंत्रर् का अवधकार िदान करते हैं।
o लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम, 1950: संसदीय और ववधान सभा वनवाणचन
क्षेत्रों के वलए मतदाता सूवचयों का वनमाणर् एवं संशोधन इस अवधवनयम के
भाग IIB की धारा 13D में वनवहत िावधानों के तहत शावसत होते हैं।
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अपराधों के वलए उनके विलाफ अदालत द्वारा तय दकए गए आरोपों के बारे में
जानकारी का िुलासा करने की आवश्यकता है, वजनके वलए-
o दो साल से अवधक की सजा (कारावास) हो सकती है; तथा
o दोष वसद् हो जाने पर एक वषण या अवधक की कै द हो सकती है।
• लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम, 1951 की धारा 125A: यह गलत जानकारी देने पर
दंि से संबंवधत है।
मतदान करने और चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु के बीच चुनाव लड़ने के वलए न्यूनतम आयु हेतु संवैधावनक सुरक्षा उपाय:
समानता स्थावपत करना (Establishing Parity • लोक सभा (अनुच्छेद 84) और ववधान सभा (अनुच्छेद 173) के वलए चुनाव लड़ने
Between Minimum Age of Voting and की न्यूनतम आयु 25 वषण है।
Contesting Elections) • राज्य सभा (अनुच्छेद 84) और ववधान पटरषद (अनुच्छेद 173) के वलए चुनाव
लड़ने की न्यूनतम आयु 30 वषण है।
सरकार ने भूतपूवण राष्ट्रपवत श्री रामनाथ कोडवंद के नेतृत्व में आठ सदस्यीय सवमवत का गठन दकया है। यह सवमवत “पूरे देश में एक साथ चुनाव
कराने एक राष्ट्र-एक चुनाव” की संभावनाओं की जांच करे गी
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हाल ही में “भारत के लोक सभा और राज्य सभा के वतणमान सांसदों का ववश्लेषर्25 2023” शीषणक से एक टरपोिण जारी की गई है।
25 Analysis of Sitting MPs from Lok Sabha and Rajya Sabha of India
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• इस टरपोिण को एसोवसएशन फॉर िेमोिे टिक टरफॉम्सण (ADR) और चुनाव सुधारों से संबवं धत अलग-अलग आयोग/ सवमवतयां:
नेशनल इलेक्शन वॉच ने जारी दकया है। • एन.एन. वोहरा सवमवत टरपोिण (1993): इस टरपोिण में राजनीवत
o 1999 में IIM26, अहमदाबाद के िोफे सरों के एक समूह ने के अपराधीकरर् पर यह तथ्य िकि दकया गया था दक देश के
ADR की स्थापना की थी। अलग-अलग वहस्सों में मौजूद आपरावधक गुिों, पुवलस,
नौकरशाहों और राजनेताओं के बीच सांठगांठ स्पि रूप से सामने
• के रल में ऐसे सांसदों की संख्या सबसे अवधक है, वजन पर
आई है।
आपरावधक मामले दजण हैं। इसके बाद वबहार और महाराष्ट्र का
• अन्य आयोग: संववधान के कामकाज की समीक्षा के वलए राष्ट्रीय
स्थान है।
आयोग (2001), दूसरा िशासवनक सुधार आयोग (2005)
• राजनीवत का अपराधीकरर् से आशय अपरावधयों, कानून तोड़ने
आदद।
वालों और भ्रि व्यवियों द्वारा राजनीवत में िवेश करने से है।
हाल ही में, सुिीम कोिण ने भारतीय वनवाणचन आयोग (ECI)27 से चुनावी बॉण्ि के जटरए राजनीवतक दलों को वमले धन का िेिा पेश करने का
वनदेश ददया है। इसके वलए 30 वसतंबर, 2023 तक का िेिा मांगा गया है।
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• 2019 में चुनावी बॉण्ि के विलाफ एसोवसएशन फॉर िेमोिे टिक टरफॉम्सण (ADR) की एक यावचका पर सुनवाई करते हुए, सुिीम कोिण ने
ECI को राजनीवतक दलों द्वारा िाप्त चुनावी बॉण्ि पर िेिा पेश करने का वनदेश ददया था।
o भारतीय स्िेि बैंक ने िुलासा दकया है दक के वल 25 राजनीवतक दलों ने ही चुनावी बॉण््स िाप्त करने के वलए आवश्यक बैंक िाते
िोले हैं।
चुनावी बॉण््स (Electoral Bonds)
• चुनावी बॉण््स वस्तुतः धारक को वमलने वाले ब्याज रवहत या ब्याज-मुि वलित28 होते हैं। इन्हें भारत का कोई नागटरक या भारत में वनगवमत
या स्थावपत कं पवनयां/ संस्थाएं िरीद सकते/ सकती हैं। के वल भारतीय स्िेि बैंक को ही चुनावी बॉण्ि बेचने के वलए अवधकृ त दकया गया है।
• चुनावी बॉण््स की शुरुआत 2017-18 में की गई थी।
• भारतीय स्िेि बैंक द्वारा इन्हें 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाि रुपये, 10 लाि रुपये और 1 करोड़ रुपये के रें ज में बेचा जाता है।
• चुनावी बॉण््स को KYC29 वनयमों के पालन में िोले गए िातों के जटरए ही िरीदा जा सकता है।
• कोई व्यवि या कं पनी दकतनी भी संख्या में चुनावी बॉण््स िरीद सकता/ सकती है।
• ये जनवरी, अिैल, जुलाई और अक्िू बर माह में 10 ददनों की अववध के वलए िरीद हेतु उपलब्ध रहते हैं।
• चुनावी बॉण््स के सभी लेन-देन चेक या विवजिल माध्यम से दकए जाते हैं।
• दानदाताओं की पहचान गोपनीय रिी जाती है। इससे उनके राजनीवतक जुड़ाव के बावजूद िवतशोध या धमकी का जोविम कम हो जाता
है।
राष्ट्रीय दल का दजाण • चुनाव वचह्न (आरक्षर् और आवंिन) आदेश, 1968 के तहत अब ECI द्वारा मान्यता िाप्त छह राष्ट्रीय राजनीवतक
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(National Party दल हैं। चुनाव वचह्न (आरक्षर् और आवंिन) आदेश, 1968 राष्ट्रीय या राज्य दल के रूप में मान्यता िदान करने के
Status) वलए मानदंि वनधाणटरत करता है।
o वतणमान में मान्यता िाप्त छह राष्ट्रीय दल हैं: भारतीय जनता पािी (BJP), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC),
बहुजन समाज पािी (BSP), भारतीय कम्युवनस्ि पािी (CPI) (माक्सणवादी), नेशनल पीपुल्स पािी (NPP)
o लोक सभा, राज्य ववधान सभा चुनावों में वोि: उस दल को लोक सभा या ववधान सभा चुनावों में चार या
अवधक राज्यों में कम से कम 6 िवतशत वोि िाप्त होने चावहए। इसके अलावा, लोक सभा में उस दल के कम से
कम चार सदस्य होने चावहए।
o लोक सभा में सीिें: उस दल को कु ल लोक सभा सीिों का कम से कम 2 िवतशत िाप्त होना चावहए और इन
सीिों के उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से होने चावहए।
o उसे कम-से-कम चार राज्यों में एक राज्य दल के रूप में मान्यता िाप्त होनी चावहए।
• राष्ट्रीय दल के दजाण के क्या लाभ हैं?
o पूरे भारत में इसके द्वारा िड़े दकए गए उम्मीदवारों को इसके आरवक्षत चुनाव वचह्न को अनन्य तौर पर
आवंटित दकया जाता है।
o दकसी उम्मीदवार के नाम का िस्ताव करने के वलए के वल एक व्यवि की आवश्यकता होती है, तादक वह
नामांकन दाविल कर सके ।
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स्िार िचारक • भारत के वनवाणचन आयोग (ECI) ने सभी स्िार िचारकों को एिवाइजरी को सलाह दी है दक वे आदशण आचार
संवहता (MCC) के िावधानों का पालन करें । साथ ही, वे कु छ भी ऐसा बोलने से बचें, जो चुनाव के माहौल को
िराब कर सकता है।
• स्िार िचारकों के बारे में
o स्िार िचारकों को राजनीवतक दल नावमत करते हैं। ये एक वनधाणटरत अववध के वलए कु छ ववशेष वनवाणचन क्षेत्रों
के वलए िचार करते हैं।
o स्िार िचारक दकसे बनाया जा सकता है और दकसे नहीं बनाया जा सकता है, इसे वनधाणटरत करने वाला कोई
कानून उपलब्ध नहीं है।
o लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम (RPA), 1951 की धारा 77(1) के तहत स्िार िचारकों की सूची मुख्य वनवाणचन
अवधकारी और भारत के वनवाणचन आयोग को अवनवायण रूप से भेजी जानी चावहए। ऐसा चुनाव की अवधसूचना
जारी होने की वतवथ से एक सप्ताह के भीतर दकया जाना चावहए।
o एक मान्यता िाप्त राजनीवतक दल में 40 स्िार िचारक हो सकते हैं। एक गैर-मान्यता िाप्त (लेदकन पंजीकृ त)
o चुनावी व्यय: RPA, 1951 की धारा 77(1) के अनुसार, दकसी राजनीवतक दल के िचार कायणिम के वलए
मु्त उपहार • मतदाताओं को लुभाने हेतु मु्त उपहार (Freebies), मु्त शराब जैसी गवतवववधयों पर अंकुश लगाने के वलए
(Freebies) कें द्रीय अित्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोिण (CBIC) ने मानक संचालन िदिया (SoP) जारी की है।
o चुनावी मु्त उपहार राजनीवतक दलों द्वारा चुनावी वादों के भाग के रूप में तकण हीन मु्त उपहारों की पेशकश/
ववतरर् है, जैस,े िेशर कु कर, वाडशंग मशीन, िेलीववजन सेि आदद का वनःशुल्क ववतरर्।
• इस SoP का उद्देश्य ववधान सभा और आम चुनावों के दौरान संददग्ध नकदी, अवैध शराब, नशीले पदाथण, मु्त
उपहार तथा तस्करी की वस्तुओं के इस्तेमाल को रोकना है।
• SoP के मुख्य डबंद:ु
o GST और सीमा शुल्क अवधकारी मतदाताओं को लुभाने के वलए कू पन आधाटरत या मु्त में ईंधन या नकदी के
ववतरर् की वनगरानी करेंग।े
o वाहनों की जांच करने और भंिारगृहों के सत्यापन के वलए ्लाइंग स्िायि व स्िैटिक सर्वणलांस िीम गटठत की
जाएगी।
o वनवाणचन क्षेत्र में उम्मीदवारों या राजनीवतक दल से संबंवधत साड़ी, शिण, दल से संबद् झंिों आदद को लाने ले
जाने व ववतरर् पर नजर रिना। यह कायण GST िीम ई-वे वबलों की जांच करके संपन्न करे गी। ई-वे वबल न
चुनावी िचण • हाल ही में, अलग-अलग राजनीवतक दलों ने ववधान सभा चुनाव की घोषर्ा से कु छ ह्तों पहले अपने उम्मीदवारों
के नामों की घोषर्ा की है। इस कदम ने वनवाणचन आयोग (EC) के चुनाव व्यय वनगरानी वनयमों की िावमयों को
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o ये वनयम उम्मीदवारों का नामांकन दाविल होने के बाद ही उनके व्यय के लेिांकन का िावधान करते हैं न दक
चुनाव की घोषर्ा होने की वतवथ से।
• लोक िवतवनवधत्व अवधवनयम (RPA), 1951 की धारा 77(1) के अनुसार, उम्मीदवारों से अपेक्षा की जाती है दक वे
नामांकन की तारीि से लेकर चुनाव पटरर्ाम घोवषत होने की तारीि तक अपने िचण का वहसाब रिें ।
o चुनाव िचण के वलए वनधाणटरत अवधकतम सीमा से अवधक िचण करना RPA, 1951 की धारा 123(6) के तहत
भ्रि आचरर् माना जाता है।
चुनावी साक्षरता • हाल ही में, भारतीय वनवाणचन आयोग (ECI) ने चुनावी साक्षरता को देशभर के स्कू लों तक ले जाने के वलए वशक्षा
(Electoral Literacy) मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर दकए हैं।
o इसका उद्देश्य सभी स्कू लों में कक्षा 6 से 12 तक के पाठ्यिम में मतदाता वशक्षा और चुनावी साक्षरता को
शावमल करना है।
• चुनावी साक्षरता को बढ़ावा देने के वलए शुरू की गई पहलें
o सुहयववस्थत मतदाता वशक्षा एवं वनवाणचक सहभावगता (SVEEP)30 कायणिम: यह ECI का एक िमुि
कायणिम है। इसका
उद्देश्य भारत में
मतदाता वशक्षा िदान
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करना, मतदाताओं के
बीच जागरूकता बढ़ाना
और मतदाता की
जानकारी को बढ़ावा
देना है।
o चुनावी साक्षरता क्लब
(ELCs): SVEEP
अवभयान के तहत ECI देश भर के संस्थानों के पटरसरों में ELCs स्थावपत कर रहा है।
▪ ELCs रुवचकर गवतवववधयों के जटरए स्कू ली छात्रों को चुनावी साक्षरता में शावमल करने का एक मंच है।
यह उन्हें उनके चुनावी अवधकारों के िवत संवेदनशील बनाएगा। साथ ही, उन्हें पंजीकरर् एवं मतदान की
चुनावी िदिया से पटरवचत कराएगा।
इनेबडलंग कम्युवनके शंस • भारतीय वनवाणचन आयोग (ECI) ने ‘एनकोर (ENCORE)’ के माध्यम से उम्मीदवारों एवं चुनाव से संबंवधत संपर्
ू ण
ऑन टरयल-िाइम िबंधन के वलए एक इन-हाउस सॉ्िवेयर विजाइन दकया है।
एनवायरनमेंि
o यह एक एंि-िू -एंि एप्लीके शन है। यह टरिर्नंग अवधकाटरयों को िाले गए वोिों को विवजिल रूप देने, राउं ि-
(ENCORE)
वार िेिा को सारर्ीबद् करने और दफर मतगर्ना की अलग-अलग वैधावनक टरपोिण िाप्त करने में सक्षम
बनाएगा।
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• एनकोर नोिल ऐप: इसके माध्यम से अविशमन, वशक्षा, पुवलस, पयाणवरर् जैसे ववभाग राजनीवतक दलों या
उम्मीदवारों को रैवलयां व रोि शो आयोवजत करने के वलए 'अनापवत्त' िमार्-पत्र देते हैं।
वोिर-वेटरदफएबल पेपर • ECI ने EVM-VVPAT िर्ाली का बचाव दकया है और िेिा के 100% िॉस वेटरदफके शन की मांग वाली एक
ऑविि ट्ेल (VVPAT) यावचका को पुरानी व्यवस्था की ओर जाने का ववचार बताया है।
• वनवाणचन संचालन वनयम, 1961 के वनयम 56D और 49MA, EVM-VVPAT वेटरदफके शन से संबंवधत मतदाता
• VVPAT मतदाताओं को 7 सेकंि के वलए एक डिंिेि वस्लप देिने की सुववधा देता है। इस वस्लप में चुने हुए
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हाल ही में, संसद ने संववधान (106वां संशोधन) अवधवनयम, 2023 पाटरत दकया है। इसका उद्देश्य लोक सभा, राज्य ववधान सभाओं और
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) ददल्ली की ववधान सभा में मवहलाओं को एक-वतहाई सीिों पर आरक्षर् िदान करना है।
• इस अवधवनयम के तहत
संववधान के वनम्नवलवित
अनुच्छेदों में संशोधन दकया गया
है:
o अनुच्छेद 239AA: ददल्ली
ववधान सभा में मवहलाओं
को आरक्षर् िदान करने के
वलए अनुच्छे द 239AA में
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6.2. बहु-राज्य सहकारी सोसाइिी (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Multi-State Co-operative Societies (Amendment) Act, 2023}
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6.3. वसनेमिै ोग्राफ (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Cinematograph (Amendment) Act, 2023}
ववशेषताएं वववरर्
आयु-आधाटरत • यह अवधवनयम ‘UA’ श्रेर्ी के तहत
िमार्-पत्र तीन आयु-आधाटरत िमार्-पत्र
िस्तुत करता है। ये िमार्-पत्र ‘UA
7+’, ‘UA 13+’ और ‘UA 16+’
हैं।
• ये आयु-आधाटरत मानक माता-
वपता या अवभभावकों के वलए
बनाए गए हैं। इनके माध्यम से वे
यह वनधाणटरत कर सकते हैं दक क्या
उनके बच्चों को ऐसी दफल्म देिनी
चावहए अथवा नहीं।
• ये के वल अनुशस
ं ात्मक हैं।
िेलीववजन/ अन्य • ‘A’ या ‘S’ िमार्-पत्र वाली दफल्मों को िेलीववजन या कें द्र सरकार द्वारा वनधाणटरत दकसी अन्य मीविया पर िदशणन के
मीविया के वलए वलए एक अलग िमार्-पत्र िाप्त करने की आवश्यकता होगी।
अलग िमार्-पत्र
ये िमार्-पत्र हमेशा • ये िमार्-पत्र 10 वषण की वतणमान वैधता के ववपरीत हमेशा के वलए वैध होंगे।
के वलए वैध रहेंगे
कें द्र सरकार की • यह अवधवनयम भारत संघ बनाम के . एम. शंकरप्पा वाद, 2000 में सुिीम कोिण द्वारा ददए गए वनदेश के अनुरूप
पुनरीक्षर् शवियां
अवधवनयम की धारा 6(1) को वनरस्त करता है। इस वाद में सुिीम कोिण द्वारा यह वनर्णय ददया गया था दक कें द्र, CBFC
द्वारा पहले से िमावर्त दफल्मों पर पुनरीक्षर् शवियों का ियोग नहीं कर सकता है।
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दफल्मों की पायरेसी • यह अवधवनयम दफल्मों की अनवधकृ त टरकॉर्िंग और उनके अनवधकृ त िदशणन पर रोक लगाता है। साथ ही, इसे
को दंिनीय अपराध
कॉपीराइि अवधवनयम, 1957 के िावधानों के तहत दंिनीय अपराध बनाता है।
बनाना
अथणदि
ं • पायरे सी को एक आपरावधक अपराध के रूप में वगीकृ त दकया गया है, वजसमें तीन साल तक की कारागार की सजा,
दफल्म की उत्पादन लागत का पांच िवतशत जुमाणना या दोनों का िावधान है।
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o ऑनलाइन समाचार, OTT प्लेिफॉम्सण और विवजिल मीविया के वलए आचार संवहता: यह आचार संवहता OTT प्लेिफॉम्सण,
ऑनलाइन समाचार और विवजिल मीविया संस्थानों द्वारा अनुपालन दकए जाने वाले ददशा-वनदेशों को वनधाणटरत करती है।
o कं िेंि का स्व-वगीकरर्: OTT प्लेिफॉम्सण के कं िेंि को पांच आयु-आधाटरत श्रेवर्यों में स्व-वगीकृ त दकया जाएगा।
U (यूवनवसणल) U/A 7+ U/A 13+ U/A 16+ A (वयस्क)
o पेरेंिल लॉक: प्लेिफॉम्सण को U/A 13+ या उससे उच्च श्रेर्ी के रूप में वगीकृ त कं िेंि के
COTP35 दफल्म वनयम
वलए पेरेंिल लॉक लागू करना होगा। साथ ही, “A” के रूप में वगीकृ त कं िेंि के वलए
इन वनयमों के तहत, अब सभी OTT
उवचत या ववश्वसनीय आयु सत्यापन तंत्र ववकवसत करना होगा।
प्लेिफॉम्सण को तंबाकू के उपयोग के
o सह-वववनयमन दृविकोर्: OTT वववनयमन के वलए भारत के दृविकोर् को एक हल्के - दुष्िभावों पर स्पि मैसेज और ऑवियो-
फु ल्के ‘सह-वववनयमन’ मॉिल के रूप में माना जा सकता है। इसमें उद्योग स्तर पर ववजुअल अस्वीकरर् िदर्शणत करना होगा।
6.4. विवजिल व्यविगत िेिा संरक्षर् अवधवनयम, 2023 (Digital Personal Data Protection Act, 2023)
भारत के राष्ट्रपवत ने विवजिल व्यविगत िेिा संरक्षर् ववधेयक (DPDP)36, 2023 को मंजूरी दी है।
पृष्ठभूवम
• 2017 में, सुिीम कोिण ने के . एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ वाद में वनजता (Privacy) को मूल अवधकार के रूप में मान्यता दी थी।
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
• इसके बाद, न्यायमूर्तण श्रीकृ ष्र् की अध्यक्षता वाली सवमवत ने 2018 में व्यविगत िेिा संरक्षर् (PDP)37 ववधेयक का शुरूआती मसौदा
िस्तुत दकया था।
DPDP अवधवनयम, 2023 के बारे में
• DPDP अवधवनयम का मुख्य उद्देश्य विवजिल व्यविगत िेिा की िोसेडसंग को वववनयवमत करना है। इसमें व्यवियों के व्यविगत िेिा के
संरक्षर् के अवधकार को सुवनवित करने का िावधान दकया गया है।
• यह अवधवनयम वनम्नवलवित िावधानों के द्वारा विवजिल व्यविगत िेिा का संरक्षर् करता है:
o यह अवधवनयम िेिा िोसेडसंग (अथाणत् व्यविगत िेिा का संग्रहर्, भंिारर् या कोई और उपयोग) के वलए िेिा दफड्यूशरी पर कु छ
उत्तरदावयत्वों का वनधाणरर् करता है।
o यह िेिा डिंवसपल या िेिा स्वामी (अथाणत् वह व्यवि वजससे िेिा संबंवधत है) के अवधकार और कतणव्य भी वनधाणटरत करता है।
o साथ ही, यह अवधवनयम अवधकारों, कतणव्यों और दावयत्वों के उल्लंघन के वलए ववत्तीय दंि का भी िावधान करता है।
ववशेषताएं वववरर्
दकस पर लागू होगा • इसके िावधान भारत में विवजिल व्यविगत िेिा की ‘िोसेडसंग’ पर लागू होंगे, जहां:
(Applicability) o कोई िेिा, विवजिल (ऑनलाइन) रूप में एकत्र दकया गया हो, या
o कोई िेिा, गैर- विवजिल (ऑफलाइन) रूप में एकत्र दकया गया हो और बाद में उसे विवजिलीकृ त दकया गया
हो।
• इसके िावधान भारत के बाहर विवजिल व्यविगत िेिा की िोसेडसंग पर भी लागू होंगे, यदद उस िोसेडसंग का उद्देश्य
िेिा का उपयोग करके भारत में वस्तुओं या सेवाओं को उपलब्ध कराना है।
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o चुनावी लोकतंत्र और
o लोक-व्यवस्था पर िभाव पड़ने की संभावना है।
• SDF के पास िेिा सुरक्षा अवधकारी और एक स्वतंत्र िेिा ऑवििर वनयुि करने तथा िभाव आकलन करने जैसे कु छ
अवतटरि दावयत्व भी होंगे।
अवधवनयम के तहत दी • िेिा डिंवसपल के अवधकार और िेिा दफड्यूशरी के दावयत्व (िेिा सुरक्षा के अवतटरि) वनम्नवलवित मामलों में लागू
गई छू ि नहीं होंगे:
(Exemptions) o सुरक्षा, संिभुता, लोक व्यवस्था आदद के वहत में अवधसूवचत एजेंवसयां;
o अनुसध
ं ान, संग्रहर् या सांवख्यकीय उद्देश्यों के वलए;
o स्िािण-अप्स या िेिा दफड्यूशरी की अन्य अवधसूवचत श्रेवर्यों के वलए;
o कानूनी अवधकारों और दावों को लागू करने के वलए;
o न्यावयक या वववनयामक संबध
ं ी कायण करने के वलए;
o अपराधों को रोकना और उनकी जांच करने के वलए;
▪ ववदेशी अनुबंध के तहत गैर-वनवावसयों (Non-residents) के व्यविगत िेिा को भी भारत में िोसेस दकया
जाएगा।
• इसके अलावा, कें द्र सरकार देश की सुरक्षा और लोक व्यवस्था के वहत में कु छ गवतवववधयों को अवधवनयम के
िावधानों से छू ि दे सकती है।
बालकों के व्यविगत • दकसी बच्चे के व्यविगत िेिा की िोसेडसंग करते समय, िेिा दफड्यूशरी को वनम्नवलवित कायण नहीं करने चावहए:
िेिा की िोसेडसंग
o िोसेडसंग संबध
ं ी ऐसा कायण वजससे बच्चे के कल्यार् पर कोई हावनकारक िभाव पड़ने की संभावना हो, या
PT 365 - राजव्यवस्था और शासन
यूरोपीय संघ (EU) ने पुवि की है दक यूरोपीय संघ के विवजिल सर्वणसेज एक्ि (DSA) के तहत ऑनलाइन कं िेंि रे गुलेशन कु ल 19 प्लेिफॉम्सण
पर लागू दकए जाएंगे।
• DSA ववश्व स्तर पर अपनी तरह का पहला वववनयामकीय िू लबॉक्स है। यह ऑनलाइन मध्यवर्तणयों हेतु वववनयामकीय कायण िर्ाली के
वलए एक मानदंि वनधाणटरत करता है।
• 2020 में, DSA और विवजिल माके ि एक्ि के माध्यम से सुरवक्षत व अवधक वनष्पक्ष विवजिल स्पेस सुवनवित करने के वलए एक व्यापक
रूपरे िा का िस्ताव िस्तुत दकया गया था। यह फ्रेमवकण 2024 से लागू होगा।
o विवजिल माके ि एक्ि के चलते गूगल, अमेज़़ॅन और मेिा जैसे गेिकीपर प्लेिफॉम्सण अवधक िभाववत होंगे क्योंदक यह लवक्षत ववज्ञापन
के वलए व्यविगत िेिा की िॉसेडसंग से पहले उपयोगकताण की सहमवत को आवश्यक बनाता है ।
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भारतीय सूचना िौद्योवगकी वनयम, 2021 और यूरोपीय संघ के DSA के बीच अंतर
ववस्तार भारत में संचावलत सोशल मीविया मध्यवर्तणयों, विवजिल समाचार DSA ऑनलाइन प्लेिफॉमण की व्यापक श्रेर्ी पर लागू
िकाशकों और ओवर द िॉप (OTT) प्लेिफॉम्सण पर लागू होता है, भले ही होता है। इसमें यूरोपीय संघ में संचावलत सोशल
उनका उद्गम देश कोई भी हो। मीविया, ऑनलाइन माके िप्लेस और क्लाउि कं प्यूटिंग
सेवाएं भी शावमल हैं, भले ही उनका उद्गम देश कोई
भी हो।
कं िेंि का इन वनयमों के तहत सोशल मीविया मध्यवर्तणयों को एक वशकायत DSA कं िेंि वववनयमन उपायों, पारदर्शणता दावयत्वों
वववनयमन अवधकारी, एक नोिल अवधकारी और एक मुख्य अनुपालन अवधकारी और िेिा सुरक्षा आवश्यकताओं सवहत ऑनलाइन
वनयुि करना होता है। साथ ही, उपयोगकताणओं से वशकायतें िाप्त करने और प्लेिफॉमण के वलए अनुपालन आवश्यकताओं की एक
उनका समाधान करने हेतु एक तंत्र स्थावपत करने की आवश्यकता होती है। श्रृि
ं ला िस्ताववत करता है।
• दोनों रूल्स वनयमों के पालन की वनगरानी और वशकायत वनवारर् के वलए सोशल मीविया प्लेिफॉम्सण पर तार्कण क आवश्यकताओं, कं िेंि
के वववनयमन तथा एक सह-वववनयामकीय दृविकोर् के मामले में समान हैं।
6.5. आपरावधक कानून में सुधार से संबवं धत अवधवनयम (Criminal Law Reform Acts)
• भारतीय दंि संवहता (IPC), 1860 • छोिे-मोिे अपराधों के वलए दंि के रूप में पहली बार सामुदावयक सेवा कराने का िावधान दकया
से पहले: भारतीय दावण्िक कानूनों में गया है।
• इस संवहता में यह उपबंध दकया गया है दक यदद 16-18 वषण की आयु की नाबावलग से सामूवहक
संसदीय चािणर व अवधवनयम, ईस्ि
बलात्कार दकया जाता है, तो ऐसे कृ त्य के वलए आजीवन कारावास का दंि ददया जाएगा।
इंविया कं पनी के वववनयम, डहंदू
o इसमें छल-कपि/ धोिे से या झूठे वादे करके दकसी मवहला के साथ यौन संबध
ं बनाने को भी
वववध, मुवस्लम कानून, िथागत अपराध माना गया है।
कानून आदद से संबंवधत वनयम/ • राजद्रोह (Sedition): इस संवहता में राजद्रोह (IPC की धारा 124A) से जुड़े िावधान को हिा
कानून शावमल थे।
ददया गया है। इसके बजाय यह वनम्नवलवित हेतु दंि का िावधान करता है:
• थॉमस बैडबंगिन की अध्यक्षता में
o अलगाववादी गवतवववधयों, सशस्त्र ववद्रोह, या ववध्वंसक गवतवववधयों को बढ़ावा देना या
िथम भारतीय वववध आयोग ने
बढ़ावा देने का ियास करना,
1837 में भारतीय दंि संवहता (IPC)
o अलगाववादी गवतवववधयों से संबंवधत भावनाओं को िोत्सावहत करना, या
का एक मसौदा तैयार दकया था।
o भारत की संिभुता या एकता और अिंिता को ितरे में िालना।
• 1857 के सैन्य ववद्रोह का िभाव:
• संगटठत अपराध: यह संवहता संगटठत अपराध को वनम्नवलवित िकार से पटरभावषत करती है:
1860 में IPC को कानूनी रूप ददया o वनरं तर गैर-कानूनी गवतवववध, जैस-े अपहरर्, जबरन वसूली, कॉन्ट्ैक्ि लेकर हत्या करना,
गया।
भूवम पर कब्जा और साइबर अपराध;
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• IPC, 1860 के लागू होने के बाद: • दकसी समूह द्वारा कु छ आधारों पर हत्या करना या गंभीर चोि पहुंचाना: जब व्यवियों का समूह
o वववध आयोग की कई टरपोट्सण एक साथ वमलकर नस्ल, जावत या समुदाय, डलंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यविगत ववश्वास/ धमण या
में मवहलाओं के विलाफ इसी तरह के दकसी भी आधार पर हत्या करता है या गंभीर चोि पहुंचाता है, तो ऐसे समूह के
अपराधों, िाद्य पदाथों में ित्येक सदस्य को-
वमलावि, मृत्युदि
ं आदद ववषयों o हत्या के मामले में मृत्युदि
ं या आजीवन कारावास और जुमाणने से; तथा
पर IPC में संशोधन करने की o गंभीर चोि पहुंचाने की वस्थवत में सात वषण तक की अववध के वलए कारावास और जुमाणने से
वसफाटरश की गई थी। दंवित दकया जाएगा।
6.5.2. भारतीय नागटरक सु र क्षा सं वहता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 )
• भारतीय नागटरक सुरक्षा संवहता, 2023 से दंि िदिया संवहता (CrPC), 1973 को िवतस्थावपत दकया गया है। कई अवधवनयमों के तहत
वनधाणटरत अपराधों के वलए वगर्तारी (Arrest), अवभयोजन (Prosecution) और जमानत (Bail) की िदिया संबंधी िावधान दकए
गए थे।
• उत्पवत्त: CrPC को सवणिथम • ववचाराधीन कै ददयों की वहरासत: इसके तहत यदद पहली बार अपराध करने वाले दकसी व्यवि ने उस
अपराध के वलए वनधाणटरत अवधकतम कारावास अववध की एक-वतहाई अववध को वहरासत में वबता
विटिश शासन के अधीन 1861
वलया है, तो उसे जमानत पर टरहा दकया जाएगा।
में अवधवनयवमत दकया गया था।
o यदद दकसी आरोपी व्यवि ने जांच या सुनवाई के दौरान उस अपराध के वलए कारावास की
इसके बाद 1872 और 1882 में
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अवधकतम अववध का आधा वहस्सा वहरासत में वबता वलया है, तो उसे न्यायालय द्वारा जमानत
िवमक रूप से अवधवनयवमत नई
संवहताओं द्वारा इसे िवतस्थावपत पर टरहा कर ददया जाएगा।
दकया गया था। ▪ यह िावधान वनम्नवलवित पर लागू नहीं होता है।
o इसमें कई संशोधन दकए गए ✓ मृत्युदि
ं व आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों पर, और
हैं। सबसे महत्वपूर्ण संशोधन ✓ ऐसे व्यवि पर वजसके विलाफ एक से अवधक अपराधों में कायणवाही लंवबत है।
1898, 1923 और 1955 • मेविकल जांच: इसके अंतगणत कोई भी पुवलस अवधकारी ववशेष मामलों, जैस-े बलात्कार में आरोपी
में दकए गए थे। व्यवि की मेविकल जांच का अनुरोध कर सकता है।
• दंि िदिया संवहता (CrPC), • फॉरें वसक जांच: यह उन सभी अपराधों के वलए फॉरें वसक जांच को अवनवायण बनाती है, वजनके वलए
1973: भारत के वववध आयोग ने कम-से-कम सात वषण के कारावास के दंि का िावधान है।
अपनी 41वीं टरपोिण में, इस • नमूना या िवतरूप (Specimen): यह मवजस्ट्ेि को दकसी भी व्यवि को हस्ताक्षर का िवतरूप,
संवहता में व्यापक स्तर पर वलिावि के नमूने, उं गवलयों के वनशान और आवाज के नमूने िदान करने का आदेश देने का अवधकार
संशोधन करने हेतु वसफाटरश की देता है।
थी। इसके पटरर्ामस्वरूप • कायणवावहयों के वलए समय-सीमा: जैसे जांच अवधकारी को मेविकल टरपोिण सौंपना, वनर्णय देना,
CrPC, 1973 का वनमाणर् दकया पीवड़तों को जांच की िगवत के संबंध में सूवचत करना और आरोप तय करना आदद के वलए समय-सीमा
गया था। का वनधाणरर् करती है।
• भारतीय साक्ष्य • साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्ॉवनक या विवजिल टरकॉिण की स्वीकायणता: इसके अंतगणत यह िावधान दकया गया है दक
अवधवनयम को 1872 इलेक्ट्ॉवनक या विवजिल टरकॉिण का कानूनी िभाव कागजी टरकॉिण के समान ही होगा।
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में अवधवनयवमत दकया • मौविक साक्ष्य: मौविक साक्ष्य के अंतगणत जांच के दौरान दकसी तथ्य के संबंध में गवाहों द्वारा न्यायालय के समक्ष
गया था। इसका उद्देश्य ददए गए बयान शावमल हैं। इस अवधवनयम के तहत इलेक्ट्ॉवनक रूप से दी गई दकसी भी सूचना को मौविक
साक्ष्यों से संबवं धत साक्ष्य माना जाएगा।
कानूनों को समेदकत
• संयि
ु सुनवाई (Joint trials): संयुि सुनवाई का तात्पयण, एक ही अपराध के वलए एक से अवधक व्यवियों पर
करना था। इन साक्ष्यों
मुकदमा चलाने से है।
के आधार पर ही
न्यायालय दकसी o यदद कोई सुनवाई ऐसे अवभयुि की अनुपवस्थवत में की जाती है, जो भगौड़ा है या दंि िदिया संवहता के
वनष्कषण पर पहुंचता है अधीन जारी उद्घोषर्ा का अनुपालन करने में ववफल रहता है, तो ऐसी सुनवाई को संयुि सुनवाई माना
और वनर्णय सुनाता है। जाएगा।
6.6. जन्म और मृत्यु पंजीकरर् (संशोधन) अवधवनयम, 2023 {Registration of Birth and Death (Amendment) Act, 2023}
हाल ही में, जन्म और मृत्यु पंजीकरर् (संशोधन) अवधवनयम, 2023 पाटरत दकया गया है। यह जन्म और मृत्यु पंजीकरर् अवधवनयम, 1969
को संशोवधत करे गा।
पृष्ठभूवम
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• जन्म और मृत्यु का िेिाबेस: इस अवधवनयम में यह उपबंध दकया गया है दक भारत का रवजस्ट्ार जनरल (RGI) पंजीकृ त जन्म और मृत्यु
का एक राष्ट्रीय िेिाबेस बनाए रिेगा।
o पंजीकृ त जन्म एवं मृत्यु के आंकड़ों को राष्ट्रीय िेिाबेस के साथ साझा करने का दावयत्व मुख्य रवजस्ट्ार और रवजस्ट्ार को सौंपा गया
है।
o राज्य स्तर पर मुख्य रवजस्ट्ार भी एक ऐसा ही िेिाबेस बनाए रिेगा।
• इलेक्ट्ॉवनक िमार्-पत्र: अवधवनयम के तहत जन्म एवं मृत्यु के िमार्-पत्रों के विवजिल पंजीकरर् और इलेक्ट्ॉवनक ववतरर् का िावधान
दकया गया है।
• आधार से डलंक करना: जन्म पंजीकरर् के मामले में माता-वपता और सूचना देने वाले का आधार नंबर दजण दकया जाएगा।
• कनेडक्िंग िेिाबेस: अवधवनयम के तहत यह िावधान दकया गया है दक राष्ट्रीय िेिाबेस को जनसंख्या रवजस्िर, मतदाता सूची, राशन कािण
जैसे अन्य िेिाबेस तैयार करने या बनाए रिने वाले अन्य अवधकाटरयों को उपलब्ध कराया जा सकता है।
• अपील िदिया: रवजस्ट्ार या वजला रवजस्ट्ार द्वारा की गई दकसी भी कारण वाई या आदेश से असहमत कोई भी व्यवि 30 ददनों के भीतर
वजला रवजस्ट्ार या मुख्य रवजस्ट्ार के पास अपील कर सकता है।
6.7. िेस और पत्र-पवत्रका पंजीकरर् अवधवनयम, 2023 {Press and Registration of Periodicals (PRP) Act, 2023}
राष्ट्रपवत ने िेस और पत्र-पवत्रका पंजीकरर् (PRP) ववधेयक, 2023 को मंजरू ी दे दी है। यह ववधेयक अब कानून बन चुका है। इस कानून ने
औपवनवेवशक युग के िेस और पुस्तक पंजीकरर् (PRB) अवधवनयम, 1867 की जगह ली है।
िेस एवं पुस्तक पंजीकरर् अवधवनयम, 1867 से पहले पाटरत िेस अवधवनयमों का संवक्षप्त इवतहास
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पवत्रकाओं का पंजीकरर् • इसमें पवत्रकाओं में दकताबें या वैज्ञावनक और अकादवमक जनणल्स शावमल नहीं हैं। ये दकताबें अवधवनयम के दायरे से
बाहर हैं।
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ववदेशी पवत्रकाएं • दकसी भी ववदेशी पवत्रका की िवतकृ वत (Facsimile)* भारत में के वल कें द्र सरकार की पूवाणनम
ु वत से ही मुदद्रत की
जा सकती है।
o "िवतकृ वत" का अथण है मूल रचना की सिीक कॉपी।
डिंटिंग िेस के वलए • इस अवधवनयम में दकसी पवत्रका के िकाशक को िेस रवजस्ट्ार जनरल (PRG) और वनर्दणि स्थानीय िावधकरर् को
घोषर्ा-पत्र ऑनलाइन आवेदन करके पंजीकरर् िमार्-पत्र िाप्त करने का िावधान दकया गया है।
डिंटिंग िेस का पंजीकरर् • इस अवधवनयम में डिंटिंग िेस से संबवं धत जानकारी ऑनलाइन पोिणल के माध्यम से देने का िावधान दकया गया है।
दंि/ जुमाणना • इस अवधवनयम में पुराने अवधवनयम के तहत आने वाले सभी उल्लंघनों में से ज्यादातर को अपराध की श्रेर्ी से हिा
ददया गया है। इस िकार इस कानून की औपवनवेवशक ववरासत को समाप्त कर ददया गया है।
पंजीकरर् िमार्-पत्र • इस अवधवनयम में िेस रवजस्ट्ार जनरल को पंजीकरर् िमार्-पत्र को वनलंवबत/ रद्द करने का अवधकार ददया गया
वनलंवबत/ रद्द करना है।
• साथ ही, वजस व्यवि को दकसी आतंकवादी कृ त्य या गैर-कानूनी गवतवववध के वलए दोषी ठहराया गया हो या वजसने
देश की सुरक्षा के विलाफ कोई काम दकया हो, उसे पवत्रका िकावशत करने की अनुमवत नहीं दी जाएगी।
राष्ट्रपवत ने दूरसंचार ववधेयक, 2023 को अपनी मंजूरी िदान कर दी है। यह ववधेयक अब अवधवनयम बन चुका है। इस ववधेयक को 138 साल
• इस अवधवनयम ने भारतीय िे लीग्राफ अवधवनयम, 1885; भारतीय वायरलेस िे लीग्राफी अवधवनयम, 1933 और तारयंत्र संबंधी तार
(गैर-कानूनी कब्जा) अवधवनयम, 1950 का स्थान वलया है।
o इस अवधवनयम के माध्यम से भारतीय दूरसंचार वववनयामक िावधकरर् (TRAI) अवधवनयम, 1997 में भी संशोधन दकया गया है।
स्पेक्ट्म का आवंिन • स्पेक्ट्म का आवंिन नीलामी के माध्यम से दकया जाएगा। हालांदक, कु छ वनधाणटरत उपयोगों के वलए इसे िशासवनक
आधार पर आवंटित दकया जाएगा।
• वनधाणटरत उद्देश्यों में शावमल हैं
o राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा
o आपदा िबंधन
o मौसम संबंधी पूवाणनुमान
o पटरवहन
o उपग्रह सेवाएं
• पहली बार, सैिेलाइि िॉिबैंि सेवाओं के वलए स्पेक्ट्म का िशासवनक आवंि न दकया जाएगा। यह आवंिन वैवश्वक
मानदंिों के अनुरूप होगा।
TRAI में वनयुवियां • यह अध्यक्ष व सदस्यों के वलए कु छ पात्रता मानदंिों को वनधाणटरत करने हेतु TRAI अवधवनयम में संशोधन करता है:
o अध्यक्ष के रूप में सेवा करने के वलए कम-से-कम 30 वषण का पेशव
े र अनुभव होना चावहए, और
o सदस्यों के रूप में सेवा करने के वलए कम-से-कम 25 वषण का पेशव
े र अनुभव होना चावहए।
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न्याय वनर्णयन की िदिया • वसववल अपराधों के विलाफ जांच करने के वलए एक न्याय वनर्णयन अवधकारी की वनयुवि की जाएगी।
(Adjudication • न्याय वनर्णयन अवधकारी के आदेश के विलाफ अपील 30 ददनों के भीतर पदनावमत अपील सवमवत के समक्ष की जा
process) सकती है। इस अवधवनयम के िावधकार के दकसी वनयम व शतों के उल्लंघन के मामले में इस अपील सवमवत के आदेश
के विलाफ अपील 30 ददनों के भीतर दूरसंचार वववाद वनपिान और अपीलीय िावधकरर् (TDSAT) के समक्ष की
जा सकती है।
उपयोगकताणओं की सुरक्षा • कें द्र सरकार उपयोगकताणओं की सुरक्षा के वलए ववववध उपाय कर सकती है। उदाहरर् के वलए- वववनर्दणि संदेश
(Specified messages) िाप्त करने के वलए उपयोगकताण की पूवण सहमवत; ‘िू नॉि विस्िबण’ रवजस्िर तैयार करना;
उपयोगकताणओं को मैलवेयर या वववनर्दणि संदेशों की टरपोिण करने में सक्षम बनाना आदद।
राइि-ऑफ-वे • ऐसी संस्थाएं, जो दूरसंचार संबंधी अवसंरचनाओं का वनमाणर् करती हैं, वे सावणजवनक या वनजी संपवत्त में राइि-
ऑफ-वे की मांग कर सकती हैं।
o राइि-ऑफ-वे का आशय सावणजवनक या वनजी संपवत्त के उपयोग की सुववधा से है।
दूरसंचार से संबवं धत • नई दूरसंचार सेवाएं िदान करने तथा दूरसंचार नेिवकण की स्थापना, संचालन, रि-रिाव या ववस्तार करने एवं
गवतवववधयों के वलए रे वियो उपकरर् रिने के वलए कें द्र सरकार की पूवण अनुमवत आवश्यक है।
अनुमवत
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OTTs का वववनयमन • इस अवधवनयम के तहत OTT प्लेिफॉम्सण को वववनयवमत नहीं दकया जाएगा।
अन्य िावधान • विवजिल भारत वनवध: इस अवधवनयम के तहत “सावणभौवमक सेवा दावयत्व वनवध” का नाम बदलकर ‘विवजिल
भारत वनवध’ कर ददया गया है। साथ ही, दूरसंचार क्षेत्रक में अनुसंधान और ववकास के वलए इस वनवध के उपयोग
की अनुमवत दी गई है।
• ववश्वस्त स्रोत व्यवस्था: यह व्यवस्था 2020 में सीमा पर भारत-चीन के सैवनकों के बीच हुई झड़पों के बाद अवस्तत्व
में आई थी। इस व्यवस्था के तहत शत्रु देशों से दूरसंचार उपकरर्ों के आयात को कानूनी रूप से िवतबंवधत कर ददया
गया है।
एक टरपोिण के अनुसार ववरोध िदशणनों पर अंकुश लगाने के वलए वपछले 3 वषों में सबसे अवधक बार इं िरनेि शििाउन दकए गए हैं।
यह टरपोिण इं िरनेि फ्रीिम फाउं िेशन (IFF) और ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने जारी की है।
• इंिरनेि शििाउन के अंतगणत इं िरनेि तक पहुंच को पूरी तरह से वनवषद् करना, इं िरनेि-स्पीि को धीमा करना या दकसी ववशेष कं िेंि को
िवतबंवधत करना शावमल है।
• वतणमान में, दूरसंचार सेवाओं का वनलंबन (इंिरनेि शििाउन सवहत) दूरसंचार सेवा अस्थायी वनलंबन (लोक आपात और लोक सुरक्षा)
वनयम, 2017 द्वारा शावसत होता है। इन वनयमों को भारतीय िेलीग्राफ अवधवनयम, 1885 के तहत अवधसूवचत दकया गया है।
o 2017 के वनयम लोक आपातकाल के आधार पर दकसी क्षेत्र में दूरसंचार सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करने का िावधान करते हैं।
इसमें दूरसंचार सेवाओं को एक बार में के वल 15 ददनों तक ही बंद दकया जा सकता है।
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o यह कानून कें द्रीय गृह मंत्रालय तथा कें द्र एवं राज्य स्तर के वटरष्ठ नौकरशाहों को दूरसंचार सेवाओं को शििाउन करने का आदेश देने
का अवधकार देता है।
• अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ वाद (2010) में सुिीम कोिण द्वारा िस्ताववत िमुि ददशा-वनदेश:
o दूरसंचार सेवा अस्थायी वनलंबन (लोक आपात और लोक सुरक्षा) वनयम, 2017 के तहत इंिरनेि सेवाओं को अवनवित काल के वलए
वनलंवबत करने का आदेश अनुवचत है।
o वनलंबन का उपयोग के वल अस्थायी अववध के वलए ही दकया जा सकता है।
o वनलंबन वनयमों के तहत जारी दकए गए इं िरनेि को वनलंवबत करने वाले दकसी भी आदेश को ‘आनुपावतकता (Proportionality) के
वसद्ांत’ का पालन करना चावहए। साथ ही, इस वनलंबन को आवश्यक अववध से आगे नहीं बढ़ाया जाना चावहए।
o वनलंबन वनयमों के तहत इंिरनेि को वनलंवबत करने का कोई भी आदेश न्यावयक समीक्षा के अधीन है।
• इसके अवतटरि, न्यायालय ने यह भी कहा दक इं िरनेि के माध्यम से वाक् व अवभव्यवि की स्वतंत्रता और व्यापार एवं वावर्ज्य की
स्वतंत्रता िमश: अनुच्छेद 19(1)(A) तथा अनुच्छेद 19(1)(G) के तहत संवध
ै ावनक रूप से संरवक्षत अवधकार हैं।
के बल िेलीववजन • सूचना और िसारर् मंत्रालय ने के बल िेलीववजन नेिवकण वनयम, 1994 में सशोधनों को अवधसूवचत दकया है।
नेिवकण
o ये संशोधन के बल िेलीववजन नेिवकण (वववनयमन) अवधवनयम, 1995 के उन िावधानों के कायाणन्वयन के वलए
(वववनयमन)
कायाणत्मक तंत्र िदान करते हैं, वजनमें कु छ कृ त्यों को गैर-आपरावधक घोवषत दकया गया है।
अवधवनयम, 1995
• संशोधनों के उद्देश्य:
{Cable
o वषण 1995 के के बल िेलीववजन नेिवकण (वववनयमन) अवधवनयम को और अवधक व्यवसाय-अनुकूल बनाना,
Television
अवधविा • संसद में अवधविा (संशोधन) ववधेयक, 2023 को पाटरत कर ददया है । इस ववधेयक के जटरए 'िाउटिंग' के कृ त्य को
(संशोधन)
दंिनीय बनाया गया है। साथ ही, वववध व्यवसायी अवधवनयम, 1879 के कु छ अिचवलत िावधानों को वनरस्त करने के भी
ववधेयक, 2023
उपबंध दकए गए हैं।
{Advocates
• ववधेयक के िावधान:
(Amendment)
o ववधेयक में िावधान दकया गया है दक ित्येक हाई कोिण और वजला न्यायाधीश िाउट्स की सूची तैयार और िकावशत
Bill, 2023} कर सकते हैं।
o िाउट्स की सूची में नावमत ऐसे व्यवियों को न्यायालय पटरसर में िवेश करने से वर्जणत दकया जाएगा।
• िाउि एक िकार का िोकर होता है, जो क्लाइंि को भुगतान के बदले वकील उपलब्ध करवाता है।
जांच आयोग • कें द्र सरकार ने मवर्पुर में डहंसा की घिनाओं की जांच करने के वलए एक जांच आयोग के गठन संबंधी अवधसूचना जारी की
अवधवनयम, 1952 है। इसे जांच आयोग अवधवनयम, 1952 के अंतगणत गटठत दकया गया है।
(Commissions • यह अवधवनयम कें द्र और राज्य सरकारों को लोक महत्त्व के वनर्दणि मामलों की जांच करने हेतु जांच आयोग गटठत करने के
वलए अवधकृ त करता है।
of Inquiry Act,
o कें द्र सरकार संववधान की अनुसच
ू ी VII की सूची I और III में उवल्लवित दकसी भी िवववि से संबंवधत दकसी भी
1952)
मामले की जांच के वलए एक आयोग गटठत कर सकती है।
o राज्य सरकारें अनुसच
ू ी VII की सूची II या III में उवल्लवित िवववियों के वलए आयोग गटठत कर सकती हैं।
• जांच आयोग के पास वसववल कोिण के समान शवियां होती हैं।
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ववदेशी योगदान • गृह मंत्रालय ने FCRA के कवथत उल्लंघन के कारर् के यर इंविया का ववदेशी फं डिंग लाइसेंस वनलंवबत कर ददया है।
वववनयमन
• FCRA को 1976 में आपातकाल के दौरान व्यवियों और संगठनों को वमल रहे ववदेशी दान को वववनयवमत करने के वलए
अवधवनयम
अवधवनयवमत दकया गया था, तादक वे “एक संिभु लोकतांवत्रक गर्राज्य के मूल्यों के अनुरूप” कायण कर सकें ।
(Foreign
o ववदेशी फं ि के उपयोग के वलए FCRA कानून में 2010 में संशोधन दकया गया था। इससे यह कानून और मजबूत हो
Contribution
गया है। इस संशोधन का उद्देश्य राष्ट्रीय वहत के वलए हावनकारक दकसी भी गवतवववध हेतु ववदेशी फं ि के उपयोग पर
Regulation
‘िवतबंध’ लगाना है।
Act: FCRA)
• NGOs द्वारा ववदेशी फं ्स की िावप्त और उपयोग पर सख्त वनयंत्रर् एवं जांच के वलए 2020 में FCRA, 2010 में
संशोधन दकया गया था।
शत्रु संपवत्त • दकसी शत्रु व्यवि या शत्रु फमण की संपवत्त या उसकी ओर से धाटरत या िबंवधत संपवत्त को शत्रु संपवत्त कहते हैं।
(Enemy o शत्रु या शत्रु व्यवि या शत्रु फमण का आशय ऐसे व्यवि या देश से है, जो भारत रक्षा अवधवनयम, 1962; भारत रक्षा
properties) वनयम, 1962; भारत रक्षा अवधवनयम, 1971; तथा भारत रक्षा वनयम, 1971 के तहत शत्रु के रूप में वर्र्णत हैं।
o इन संपवत्तयों के िबंधन के वलए 1968 में शत्रु संपवत्त अवधवनयम बनाया गया था।
o इस कानून के तहत कस्िोवियन ऑफ एवनमी िॉपिी इन इंविया (CEPI) को शत्रु संपवत्तयों के िबंधन और संरक्षर् का
अवधकार ददया है। गौरतलब है दक CEPI कें द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कायण करता है।
• वषण 2017 में, शत्रु संपवत्त (संशोधन और सत्यापन) अवधवनयम लागू दकया गया। यह शत्रु संपवत्त को शत्रु से अन्य व्यवियों
को हस्तांतटरत करने की अनुमवत देता है।
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7. सु र्ख़ण यों में रहे महत्वपू र्ण सं वै धावनक/ सां वववधक/ कायण कारी वनकाय
(Important Constitutional/ Statutory/ Executive Bodies in News)
एक उच्च स्तरीय िोज सवमवत ने लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के पदों के वलए • संघ के लोकपाल के समान ही, राज्यों में
आवेदन िाप्त करने की तारीि बढ़ा दी है। लोकायुि की वनयुवि की जाती है
लोकपाल के बारे में o कु छ राज्यों ने पहले ही लोकायुिों का
गठन कर ददया गया है। उदाहरर् के वलए,
• भारत में एल. एम. डसंघवी ने “लोकपाल-लोकायुि” शब्दावली का इस्तेमाल
1971 में महाराष्ट्र और 1999 में के रल।
दकया था। हालांदक, देश में लोकपाल शब्द का पहली बार ियोग 1966 में • उनका अवधकार क्षेत्र मुख्यमंत्री, मंवत्रयों,
िशासवनक सुधार आयोग की एक टरपोिण में दकया गया था। ववधायकों, सभी राज्य सरकार के कमणचाटरयों
• लोकपाल का गठन लोकपाल और लोकायुि अवधवनयम, 2013 के तहत एक और कु छ वनजी संस्थाओं (धार्मणक संस्थानों
सांवववधक वनकाय के रूप में दकया गया था। यह अवधवनयम संघ के वलए लोकपाल सवहत) पर होगा।
और राज्यों के वलए लोकायुि के पद के सृजन का िावधान करता है। इसका उद्देश्य
लोक पदावधकाटरयों के ववरुद् भ्रिाचार के आरोपों की जांच करना है।
• अवधवनयम के अनुसार, एक जांच वनदेशक (Director of Inquiry) होगा, जो संयि
ु सवचव के पद से नीचे नहीं होगा। इसकी वनयुवि
ववशेषताएं वववरर्
संरचना • लोकपाल के तहत इसमें एक अध्यक्ष और अवधकतम आठ सदस्य शावमल होंगे। इनमें से 50% न्यावयक सदस्य होंगे
और 50% अनुसूवचत जावत / अनुसूवचत जनजावत / अन्य वपछड़ा वगण, अल्पसंख्यकों एवं मवहलाओं में से होंगे।
कायणकाल • अध्यक्ष और सदस्यों को पांच वषण की अववध या 70 वषण की आयु िाप्त करने तक (जो भी पहले हो) के वलए वनयुि
दकया जाता है।
चयन सवमवत • अध्यक्ष और सदस्यों को एक चयन सवमवत की वसफाटरशों पर राष्ट्रपवत द्वारा वनयुि दकया जाएगा।
o चयन सवमवत में िधान मंत्री (अध्यक्ष), लोक सभा अध्यक्ष, ववपक्ष का नेता, भारत का मुख्य न्यायाधीश (या
उसके द्वारा नावमत व्यवि) और िवतवष्ठत न्यायववद (सवमवत के अन्य सदस्यों की वसफाटरश के आधार पर
राष्ट्रपवत द्वारा नावमत) शावमल होंगे।
o 2013 के लोकपाल अवधवनयम के अनुसार, कार्मणक और िवशक्षर् ववभाग को उन उम्मीदवारों की सूची तैयार
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CBI के संबध
ं में शवि • लोकपाल को इस अवधवनयम के तहत उसके द्वारा जांच के वलए वनर्दणि दकए गए मामलों के संबंध में CBI पर
• लोकपाल द्वारा संदर्भणत मामलों की जांच कर रहे CBI के अवधकाटरयों के स्थानांतरर् के वलए लोकपाल की मंजूरी
की आवश्यकता होगी।
पद से हिाना • लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष को सुिीम कोिण की जांच के बाद राष्ट्रपवत द्वारा हिाया जा सकता है। इसके वलए,
संसद के कम से कम 100 सदस्यों (सांसदों) द्वारा एक यावचका पर हस्ताक्षर दकए जाने चावहए।
लोकपाल का • यह िधान मंत्री, मंवत्रयों, सांसदों, ग्रुप ए, बी, सी और िी अवधकाटरयों तथा कें द्र सरकार के अवधकाटरयों तक ववस्तृत
क्षेत्रावधकार
है।
• कोई भी संस्था या ट्स्ि या वनकाय जो 10 लाि रुपये से अवधक का ववदेशी योगदान िाप्त करता है।
हाल ही में, सुिीम कोिण ने िवतणन वनदेशालय के वनदेशक40 के कायणकाल में दकए गए ववस्तार (तीसरे सेवा ववस्तार) को अवै ध घोवषत कर ददया
है।
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सहमवत (General consent) को वापस ले वलया है। राज्य सरकार को आवेदन करना होता है।
• यदद वववशि सहमवत नहीं दी जाती है, तो CBI
CBI दकस तरह के मामलों की जांच करती है: अवधकाटरयों के पास संबंवधत राज्य में िवेश
करने पर पुवलस की शवि िाप्त नहीं होती है।
• भ्रिाचार ववरोधी: ऐसे मामले आमतौर पर लोक अवधकाटरयों, कें द्र सरकार के
• सामान्य सहमवत को वापस लेने से उन मामलों
कमणचाटरयों के ववरुद् पंजीकृ त होते हैं। पर कोई िभाव नहीं पड़ता है, वजनकी जांच
o भ्रिाचार वनवारर् अवधवनयम, 1988 के तहत अपराधों की जांच से संबंवधत पहले से ही चल रही हो।
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• आर्थणक अपराध: ववत्तीय कदाचार, बैंक धोिाधड़ी, धन शोधन (मनी लॉडन्ड्रंग), काले धन आदद से संबंवधत अपराध। हालांदक, CBI
आमतौर पर धन शोधन के मामलों को ED को
हस्तांतटरत कर देती है।
• स्वत: संज्ञान के आधार पर: CBI के वल कें द्र शावसत
िदेशों में अपराधों की स्वत:संज्ञान से जांच कर
सकती है।
o कें द्र सरकार संबवं धत राज्य की सहमवत के बाद
ही CBI को राज्य में दकसी अपराध की जांच
के वलए अवधकृ त कर सकती है।
o हालांदक, सुिीम कोिण और हाई कोिण CBI को
राज्य की सहमवत के वबना देश में कहीं भी
दकसी अपराध की जांच करने का आदेश दे
सकते हैं।
राष्ट्रीय कै िेि कोर (NCC) ववश्व का सबसे बड़ा वदीधारी युवा संगठन है। 2023 में इस संगठन की 75वीं वषणगांठ मनाई गई।
• NCC का गठन 1948 में राष्ट्रीय कै िेि कोर अवधवनयम, 1948 (संसद का अवधवनयम िमांक XXXI) के तहत दकया गया था।
o इससे पहले पंवित एच.एन. कुं जरू की अध्यक्षता वाली एक सवमवत ने राष्ट्रीय स्तर पर स्कू लों और कॉलेजों में एक कै िेि संगठन
स्थावपत करने की वसफाटरश की थी।
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• NCC के उद्देश्य: जीवन के सभी क्षेत्रों में नेतत्ृ व िदान करने और राष्ट्र की सेवा के वलए हमेशा उपलब्ध रहने के वलए संगटठत, िवशवक्षत व
उत्सावहत युवाओं का संगठन तैयार करना।
• यह एक वत्र-सेवा संगठन है वजसमें थल सेना, नौसेना और एयर डवंग शावमल होती है।
• मुख्यालय: नई ददल्ली।
• NCC वनदेशालय: राज्य स्तर पर NCC को 17 वनदेशालयों में ववभावजत दकया गया है। ये वनदेशालय एक राज्य या राज्यों या कें द्र
शावसत िदेशों के समूह को कवर करते हैं।
• NCC के कायणिम की िकृ वत: स्वैवच्छक।
o छात्रों पर सदिय सैन्य सेवा के वलए कोई दावयत्व नहीं होता है।
• NCC की अववध के आधार पर छात्रों को तीन िकार के िमार्-पत्र िदान दकए जाते हैं।
• यद्यवप ये दोनों ही िकृ वत में स्वैवच्छक हैं, दफर भी इनमें कु छ अंतर मौजूद हैं।
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भारतीय िवतस्पधाण आयोग • रवनीत कौर CCI के अध्यक्ष पद पर वनयुि होने वाली पहली मवहला हैं।
(Competition Commission of
India: CCI)
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राष्ट्रीय मानवावधकार संस्थानों के • इसकी स्थापना 1993 में राष्ट्रीय मानवावधकार संस्थानों की अंतराणष्ट्रीय समन्वय सवमवत (ICC) के रूप में
वैवश्वक गठबंधन (Global की गई थी। इसका उद्देश्य मानवावधकारों का िचार-िसार और संरक्षर् करना है।
Alliance of National Human
• महासभा, GANHRI की सवोच्च ववचार-ववमशण करने वाली संस्था है।
Rights Institutions: GANHRI)
• ब्यूरो GANHRI की कायणकारी सवमवत है। इसमें कु ल 16 सदस्य देश शावमल हैं। इनमें GANHRI के
क्षेत्रीय नेिवकण अफ्रीका, अमेटरका (उत्तर व दवक्षर्), एवशया-िशांत और यूरोप ित्येक से 4-4 सदस्य
शावमल हैं।
वनयुवि संबध
ं ी मंवत्रमंिलीय सवमवत • ACC ने स्पेशल िोिेक्शन ग्रुप (SPG) के वनदेशक पद पर वनयुवि को मंजरू ी िदान कर दी है। SPG
(Appointments Committee of िधान मंत्री की सुरक्षा के वलए वजम्मेदार है।
the Cabinet: ACC) • ACC के बारे में:
o ACC कें द्रीय सवचवालय, सावणजवनक उद्यमों, बैंकों और ववत्तीय संस्थानों के सभी उच्च स्तरीय पदों
पर वनयुवि से जुड़े वनर्णय लेती है।
o ACC की अध्यक्षता िधान मंत्री करते हैं।
o कें द्रीय गृह मंत्री भी ACC में एक सदस्य के रूप में शावमल होते हैं।
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पत्र सूचना कायाणलय (Press • हाल ही में, पत्र सूचना कायाणलय (PIB) की 100वीं वषणगांठ मनाई गई।
Information Bureau: PIB)
राष्ट्रीय जांच एजेंसी या राष्ट्रीय • NIA ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले में शावमल लोगों का पता लगाने के वलए अलग-अलग
अन्वेषर् अवभकरर् (National स्थानों पर तलाशी ली है।
Investigation Agency: NIA) • NIA का गठन 26/11 हमले के बाद NIA अवधवनयम 2008 द्वारा दकया गया था।
o यह एक संघीय आतंकवाद-रोधी एजेंसी है। यह भारत के दकसी भी वहस्से में आतंकवादी गवतवववध
का स्वत: संज्ञान ले सकती है।
o NIA (संशोधन) अवधवनयम, 2019 ने NIA को अंतराणष्ट्रीय संवधयों और अन्य देशों के घरे लू कानूनों
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के अधीन रहते हुए, भारत के बाहर दकए गए अनुसवू चत अपराधों की जांच करने का अवधकार ददया
है।
▪ वषण 2019 के अवधवनयम ने कें द्र को NIA द्वारा जांचों के वलए सत्र न्यायालय को ववशेष
अदालत के रूप में नावमत करने का अवधकार भी ददया है।
कै वबनेि सवचव (Cabinet • कै वबनेि सवचव को एक और साल के वलए सेवा ववस्तार ददया गया है।
• कै वबनेि सवचव पद के बारे में
Secretary)
o कै वबनेि सवचव की वनयुवि मंवत्रमंिल की वनयुवि सवमवत (ACC) द्वारा वटरष्ठता-सह-योग्यता के
आधार पर की जाती है.।
o कै वबनेि सवचव भारत सरकार (कायण आवंिन) वनयम, 1961 और भारत सरकार (कायण-संचालन)
वनयम, 1961 के िशासन के वलए वजम्मेदार है।
o कै वबनेि सवचव वसववल सेवा बोिण (CSB) का िमुि भी होता है।
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कमणयोगी िारं भ
• “कमणयोगी िारं भ” एक ऑनलाइन ओटरएंिेशन कायणिम है। इसे कार्मणक, लोक वशकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत शुरू दकया गया है।
• इस कायणिम का उद्देश्य ‘रोजगार मेलों’ से भती दकए गए सभी नए सरकारी कमणचाटरयों को सरकारी नीवतयों से संबवं धत सभी आवश्यक
जानकारी िदान करना है।
o कमणयोगी िारं भ कायणिम आठ पाठ्यिमों का एक सेि है, वजन्हें रोजगार मेले से भती दकए गए सभी कर्मणयों के वलए तैयार दकया गया है।
• कमणयोगी िारं भ मॉड्यूल, वमशन कमणयोगी का वहस्सा है।
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o धारा 7: इसके तहत PIOs द्वारा सूचना िदान करने के वलए अवधकतम समय-सीमा तय की गई है।
o धारा 8: इसके तहत कु छ मामलों में सूचना के िकिीकरर् से छू ि िदान की गई है।
• RTI अवधवनयम, 2005 के तहत छू ि:
o RTI अवधवनयम की धारा 24 में यह िावधान दकया गया है दक RTI कानून दूसरी अनुसच
ू ी में शावमल दकए गए आसूचना
(Intelligence) और सुरक्षा संगठनों पर लागू नहीं होगा।
▪ हालांदक, भ्रिाचार और मानवावधकार उल्लंघन के आरोपों से संबवं धत सूचना को इस उपधारा के तहत छू ि नहीं दी जाएगी।
o दूसरी अनुसूची में CERT-in, रॉ (RAW), IB जैसी आसूचना (िुदफया) और सुरक्षा एजेंवसयां शावमल हैं।
• RTI अवधवनयम, 2005 के तहत अन्य छू िों में शावमल हैं.
o धारा 8(1): सभी छू िों की सूची (िेबल देिें):
ऐसी सूचना, वजसे िकि करने से भारत की संिभुता और अिण्िता, ऐसी सूचना, जो वावर्वज्यक गोपनीयता, ट्ेि सीिे ि या बौवद्क
राज्य की सुरक्षा, रर्नीवत, वैज्ञावनक या आर्थणक वहत, अन्य देशों के संपदा से जुड़ी हुई हो, वजसे िकि करने से दकसी तीसरे पक्ष की
साथ संबध
ं ों पर िवतकू ल िभाव पड़ता हो या दकसी अपराध को िवतयोगी वस्थवत को नुकसान होता हो; यदद सक्षम िावधकारी
बढ़ावा वमलता हो; इस बात से संतुि हो जाए दक ऐसी जानकारी का िुलासा करना
व्यापक जनवहत के वलए जरूरी है तो उसे िकि करना होगा।
ऐसी सूचना, वजसे िकि करने से न्यायालय की अवमानना होती हो; ऐसी सूचना, वजसे िकि करने से दकसी व्यवि का जीवन या
शारीटरक सुरक्षा ितरे में पड़ सकता/ सकती हो;
दकसी ववदेशी सरकार से ववश्वास पर िाप्त सूचना; मंवत्रमंिल के दस्तावेज, वजसमें मंवत्रपटरषद, सवचवों और अन्य
अवधकाटरयों के ववचार-ववमशण के दस्तावेज शावमल होते हैं;
दकसी व्यवि को उसकी वैश्वावसक संबद्ता (Fiduciary ऐसी सूचना जो दकसी की व्यविगत सूचना से संबंवधत हो, वजसे
relationship) से संबवं धत सूचना के मामले में; यदद सक्षम िकि करने का दकसी सावणजवनक दियाकलाप या वहत से कोई
िावधकारी इस बात से संतुि हो जाए दक ऐसी जानकारी का िुलासा संबंध न हो, या वजससे वनजता का अनावश्यक उल्लंघन होता
करना व्यापक जनवहत के वलए जरूरी है तो उसे िकि करना होगा। हो।
o धारा 8(2) में कहा गया है दक यदद सूचना के िकिीकरर् के कारर् लोक वहत को होने वाला लाभ संरवक्षत वहत के नुकसान से
अवधक है, तो RTI अवधवनयम की धारा 8(1) और ऑदफवसयल सीिे ि एक्ि, 1923 के तहत छू ि िाप्त जानकारी का िुलासा दकया
जा सकता है।
इलेक्ट्ॉवनक्स और सूचना िौद्योवगकी मंत्रालय (MeitY) ने सरकारी मंत्रालयों एवं ववभागों के अलावा अन्य संस्थाओं को भी आधार
िमार्ीकरर् के ियोग में सक्षम बनाने हेतु वनयमों को िस्ताववत दकया है। इसका िस्ताव नागटरकों को िदान की जाने वाली सेवाओं के
ववतरर् को और अवधक बेहतर बनाने के वलए दकया गया है।
• वतणमान में, मंत्रालयों और ववभागों को 2020 के वनयमों के तहत आधार िमार्ीकरर् को लागू करने की अनुमवत दी गई है।
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o यह अनुमवत सुशासन के वहत में, सावणजवनक धन के टरसाव को रोकने, नवाचार को सक्षम बनाने तथा ज्ञान का िसार करने जैसे
उद्देश्यों की पूर्तण हेतु दी गई है।
आधार की िमुि ववशेषताएं
• इसके अवतटरि, 2019 के संशोधन में उपबंध दकया गया
• वववशिता: आधार 12 अंकों की एक वववशि संख्या है। दकसी भी नागटरक
है दक यदद UIDAI बैंकों और दूरसंचार कं पवनयों जैसी
के पास इसकी िु वप्लके ि संख्या नहीं हो सकती है क्योंदक यह उनके
संस्थाओं द्वारा गोपनीयता एवं सुरक्षा संबध
ं ी मानकों के व्यविगत बायोमेटट्क्स से जुड़ी होती है।
अनुपालन से संतुि हो जाता है, तो इन संस्थाओं को भी • िमरवहत संख्या: आधार नामांकन िदिया में जावत, धमण, आय, स्वास्थ्य,
िमार्ीकरर् करने की अनुमवत दी जा सकती है। भूगोल आदद जैसे वववरर् शावमल नहीं हैं।
• अब, यह िस्ताववत दकया गया है दक मंत्रालय या ववभाग • व्यापक िौद्योवगकी अवसंरचना: UID की अवसंरचना ओपन और
के अलावा कोई भी संस्था, जो आधार िमार्ीकरर् का स्के लेबल है। इसमें नागटरक का िेिा कें द्रीय रूप से भंिाटरत दकया जाता
उपयोग करना चाहती है, उसे कें द्र या राज्य स्तर पर है। इसे देश में कहीं से भी ऑनलाइन िमावर्त दकया जा सकता है।
संबवं धत मंत्रालय/ववभाग को अपना िस्ताव िस्तुत करना • लवक्षत विलीवरी: आयकर टरिनण दाविल करने और सरकारी सवब्सिी या
होगा। लाभ िाप्त करने के वलए आधार अवनवायण है। गैर-आधार धारकों को
सवब्सिी हेतु पहचान के वैकवल्पक साधनों की पेशकश की जाएगी।
िमुि-िौद्योवगकी ववशेषताएं
• पते और पहचान का िमार्: यह भारत के वनवावसयों के वलए पहचान
• बायोमेटट्क्स आधाटरत िी-िु प्लीके शन: वतणमान में और पते के िमार् के रूप में कायण करता है। हालांदक, आधार नागटरकता
बायोमेटट्क सेवा िदाता (Biometric Service का िमार् नहीं है।
Providers: BSPs) िी-िु प्लीके शन के वलए 10 • इलेक्ट्ॉवनक लाभ अंतरर्: UID से जुड़े बैंक िातों का नेिवकण वनवावसयों
कफं गरडिंि और दो आइटरस (Iris) के साथ-साथ अन्य को सीधे लाभ पहुंचाने के वलए एक सुरवक्षत और कम लागत वाला मंच
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हाल ही में, इलेक्ट्ॉवनक्स और सूचना िौद्योवगकी मंत्रालय (MeiTY) ने आई.िी. वनयम अथवा सूचना िौद्योवगकी (मध्यवती ददशा-वनदेश और
विवजिल मीविया आचार संवहता) वनयम, 2021 में संशोधन दकया है।
• इन संशोधनों का उद्देश्य ऑनलाइन गेम और सरकारी कायण से संबंवधत नकली या झूठी भ्रामक जानकारी के संबंध में ऑनलाइन गेडमंग
और सोशल मीविया मध्यवर्तणयों द्वारा अवधक व्यापक स्तर पर उवचत सूचनाओं का िसार करना है।
• आई.िी. वनयम, 2021 और इसके संशोधनों को सूचना िौद्योवगकी अवधवनयम, 2000 की धारा 87 के तहत लाया गया है।
• सोशल मीविया मध्यवर्तणयों को वववनयवमत करने के वलए आई.िी. वनयम, 2021 को लागू दकया गया था।
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• OGI पर अवतटरि दावयत्व: संशोवधत वनयमों के तहत OGI को टरयल मनी के लेन-देन से जुड़े ऑनलाइन गेम के संबध
ं में अवतटरि
दावयत्व सौंपे गए हैं। इनमें वनम्नवलवित शावमल हैं:
o ऐसे गेम्स पर स्व-वववनयामक वनकाय द्वारा सत्यापन वचन्ह िदर्शणत करना;
o अपने उपयोगकताणओं को जमा धन वनकालने या भुगतान के वलए नीवत के बारे में सूवचत करना;
o उपयोगकताणओं के KYC वववरर् िाप्त करना; और
o तृतीय पक्षों द्वारा उपयोगकताणओं को िे विि नहीं देना या उनका ववत्त-पोषर् नहीं करना।
• एक से अवधक SRBs: ऑनलाइन गेम को अनुमत के रूप में सत्यावपत करने के उद्देश्य से MeiTY कई SRBs को अवधसूवचत कर सकता
है। एक SRB को वनम्नवलवित मानदंिों को पूरा करना चावहए:
o उसे कं पनी अवधवनयम 2013 की धारा 8 (गैर-लाभकारी संस्था) के तहत पंजीकृ त कं पनी के रूप में होना चावहए।
o वह ऑनलाइन गेडमंग उद्योग के िवतवनवध के रूप में हो और वजम्मेदार तरीके से ऑनलाइन गेम को बढ़ावा दे रहा हो।
o उसके द्वारा वशकायत वनवारर्, आम्सण लेंथ डिंवसपल, िकिीकरर् और टरपोर्िंग से संबंवधत िावधानों को शावमल दकया गया हो।
साथ ही, सदस्यता के वलए स्पि मानदंि वनधाणटरत दकए गए हों।
▪ आम्सण लेंथ डिंवसपल: एक व्यापाटरक सौदा, वजसमें िरीदार और वविे ता एक-दूसरे पक्ष को िभाववत दकए वबना स्वतंत्र रूप से
कायण करते हैं।
• SRBs का िावधकार: SRB दकसी भी िेल को अनुमत िेल के रूप में वगीकृ त कर सकता है, यदद वह संतुि है दक:
o ऑनलाइन गेम में दकसी नतीजे पर दांव लगाना शावमल नहीं है,
o OGI और गेम संबवं धत वनयमों तथा एक अनुबध
ं (वतणमान में 18 वषण) में िवेश करने के वलए कानून के तहत वनधाणटरत अपेक्षाओं का
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o यह इलेक्ट्ॉवनक माध्यमों से या िेलीशॉडपंग अथवा िायरे क्ि सेडलंग या मल्िीलेवल माके टिंग के जटरए ख़रीदे गए/ िाप्त ऑफलाइन
और ऑनलाइन दोनों तरह के लेन-देन पर लागू होता है।
• हालांदक, यदद कोई व्यवि वस्तुओं को पुनः बेचने के वलए या उसका वावर्वज्यक उपयोग करने के वलए िरीदता है या सेवाओं का लाभ
उठाता है, तो उसे उपभोिा नहीं माना जाता है। साथ ही, वह CPA, 2019 के दायरे में भी नहीं आता है।
• CPA, 2019: यह कें द्रीय उपभोिा संरक्षर् िावधकरर् (CCPA)47 की स्थापना का िावधान करता है।
• उपभोिा संरक्षर् (वजला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के अवधकार क्षेत्र) वनयम48, 2021: उपभोिा वववादों का सरल,
शीघ्र और वहनीय समाधान िदान करने के वलए CPA, 2019 में राष्ट्रीय, राज्य और वजला स्तर पर 3-स्तरीय अधण-न्यावयक तंत्र के गठन
का िावधान दकया गया है।
• कॉन्फोनेि िोजेक्ि (ConfoNet Project): इसे देश में उपभोिा मंचों का कम्प्यूिरीकरर् करने और कं प्यूिर नेिवर्कं ग के वलए शुरू
दकया गया है। इसे CPA, 1986 की पृष्ठभूवम में लागू दकया गया है।
o इसका उद्देश्य उपभोिा संरक्षर् से जुड़े न्यावयक िशासन के काम-काज में दक्षता, समन्वय, पहुंच और गवत में सुधार करना है। साथ
ही, इसके जटरए पूरे देश में उपभोिा वशकायत वनवारर् आयोगों में ICT संबध
ं ी अवसंरचना की स्थापना की गई है।
• एकीकृ त वशकायत वनवारर् तंत्र (INGRAM)49 पोिणल: इसे उपभोिा मामलों के ववभाग के तत्वावधान में जागरूकता पैदा करने, सलाह
देने और उपभोिा संबध
ं ी वशकायतों का वनवारर् करने हेतु ववकवसत दकया गया है। इसके अवतटरि, यह उपभोिा संबंधी वशकायतों को
दजण करने के वलए एक कें द्रीय रवजस्ट्ी के रूप में भी कायण करता है।
• ई-दाविल पोिणल: यह उपभोिाओं को संबंवधत उपभोिा फोरम से आसानी से संपकण करने के वलए परे शानी रवहत, त्वटरत और
हाल ही में, भारतीय ववज्ञापन मानक पटरषद (ASCI)50 ने विवजिल मीविया में इन््लुएंससण द्वारा दकए जाने वाले ववज्ञापनों हेतु व्यापक
ददशा-वनदेश जारी दकए हैं।
• ये ददशा-वनदेश ‘भ्रामक ववज्ञापनों और भ्रामक ववज्ञापनों के समथणन की रोकथाम ददशा-वनदेश, 2022’ का ववस्तार हैं।
• उपभोिा मामलों का ववभाग सदिय रूप से इन ददशा-वनदेशों की वनगरानी और कायाणन्वयन करे गा। यह ववभाग उपभोिा मामले, िाद्य
और सावणजवनक ववतरर् मंत्रालय के अधीन है।
• नए ददशा-वनदेशों का उल्लंघन करने पर इन््लुएंससण को उपभोिा संरक्षर् अवधवनयम, 2019 के तहत दंवित दकया जा सकता है।
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8.7. अनुसवू चत जनजावत और अन्य परं परागत वन वनवासी (वन अवधकारों की मान्यता) अवधवनयम, 2006 या वन अवधकार अवधवनयम
(FRA) {Scheduled Tribes and other Traditional Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006 or
Forest Right Act (FRA)}
हाल की एक टरपोिण के अनुसार, राज्यों ने वन अवधकार अवधवनयम (FRA) के तहत वन भूवम संबंधी लगभग 40% दावों को िाटरज कर ददया
है।
वन अवधकार अवधवनयम (FRA), 2006 के बारे में
• वन में वनवास करने वाले जनजातीय समुदायों (FDSTs)51 और अन्य परं परागत वनवावसयों (OTFDs)52 को वनवास के वलए या
जीववका के वलए वन संसाधनों के अवधकारों को मान्यता देता है।
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कॉपोरेि कायण मंत्रालय • कें द्र सरकार ने विवजिल बाजारों पर वववनयमन के दोहराव की संभावना को दूर करने के वलए दोनों मंत्रालयों
(MCA) और सूचना की भूवमका का सीमांकन दकया है।
िौद्योवगकी मंत्रालय o यह अनुमान व्यि दकया गया है दक भारत का विवजिल बाजार 2025-26 तक 1 टट्वलयन िॉलर तक
(MeitY) की भूवमकाओं का पहुंच सकता है।
• कॉपोरे ि मामलों का मंत्रालय (MCA) विवजिल बाजार में सभी िवतस्पधाणत्मक मुद्दों का समाधान करने के
सीमांकन (Demarcation
वलए नोिल मंत्रालय होगा।
of Roles of MCA And
• MeitY, क्षेत्रक ववशेष से जुड़े मामलों को देिेगा।
Meity) • कें द्र सरकार भारत में विवजिल बाजार के ववववध पहलुओं को वववनयवमत करने के वलए विवजिल इंविया
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अवधवनयम और विवजिल िवतस्पधाण कानून सवहत अन्य कानून लाने की ददशा में काम कर रही है।
पंचायत ववकास सूचकांक • इसे कें द्रीय पंचायती राज मंत्रालय जारी करता है।
(Panchayat o यह सूचकांक पंचायतों द्वारा िाप्त अंकों के माध्यम से पंचायतों की िगवत की वनगरानी और उनका
मूल्यांकन करने के वलए एक मैटट्क्स िदान करता है।
Development Index:
o यह स्कोर के आधार पर पंचायतों को रैंककं ग िदान करता है। साथ ही, उन्हें चार श्रेवर्यों में वगीकृ त
PDI)
करता है।
o इन श्रेवर्यों में A (75 से 90%), B (60-75%), C (40-60%) और D (40% से कम) शावमल हैं।
सरकारी सेवकों द्वारा कार्मणक और िवशक्षर् ववभाग ने सरकारी सेवकों द्वारा पुरस्कारों को स्वीकार करने के संबंध में ददशा-वनदेश जारी
पुरस्कारों की स्वीकृ वत पर दकए।
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संववधान का अनुच्छेद • हाल ही में, जम्मू और कश्मीर सरकार ने “राज्य की सुरक्षा के वलए ितरा” बताकर अनुच्छेद 311(2)(c) के
311(2)(c) तहत चार सरकारी कमणचाटरयों को बिाणस्त कर ददया है।
• अनुच्छेद 311(1): इसमें िावधान दकया गया है दक संघ या राज्य के अधीन दकसी भी वसववल सेवक को उसे
वनयुि करने वाले िावधकारी के अधीनस्थ िावधकारी द्वारा बिाणस्त या पद से नहीं हिाया जाएगा।
• अनुच्छेद 311(2): यह िावधान करता है दक दकसी भी वसववल सेवक को तभी बिाणस्त दकया जाएगा या पद
से हिाया जाएगा या उसके रैं क में कमी की जाएगी, जब
o जांच के बाद, उसे उसके विलाफ लगे आरोपों के बारे में सूचना दे दी गई हो; तथा
o सुनवाई का उवचत अवसर ददया गया हो।
• अनुच्छे द 311(2)(c): यह सरकार को संबंवधत कमणचाटरयों के विलाफ जांच का आदेश ददए वबना या उन्हें
अपनी वस्थवत स्पि करने का अवसर ददए वबना उन्हें बिाणस्त करने की अनुमवत देता है। यह िावधान तभी
लागू होता है, जब
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कर�ट अफेयसर् क� बेहतर
Frida
y, Augu
st 25,
2023
तैयारी कैसे कर�?
Eco nom ic Survey
Friday, August 25, 2023
कर�ट अफेयसर् �स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी क� आधार�शला है, जो प्री�ल�, मे� और इं टर�ू तीन� चरण� म� जरूरी होता है। परी�ा के प्र�
डायने�मक स्रोत� से तैयार �कए जा रहे ह�। ये प्र� सीधे वतर्मान क� घटनाओ ं से जुड़े होते ह� या �ै �टक कंट� ट तथा वतर्मान क� घटनाओ ं, दोन�
से जुड़े होते ह�। इस संदभर् म�, कर�ट अफेयसर् से अपडेट रहना अ�थ� को �स�वल सेवा परी�ा के नए ट्र� ड को समझने म�
स�म बनाता है। सही �रसोस�ज और एक रणनी�तक दृ��कोण के ज�रए अ�थ� इस �वशाल से�न को अपना
सकारा�क प� बना सकते ह�।
अपनी फाउं डेशन को मजबूत करना तैयारी और �र�वजन म� महारत हा�सल करना
�ूज़पेपर पढ़ना: फाउं डेशन वीकली फोकस: फाउं डेशन को मजबूत करना
वै��क और रा�ीय घटनाओ ं क� �ापक समझ हेतु �ूज़पेपर पढ़ने �कसी टॉ�पक के बारे म� अपनी समझ को मजबूत करने के �लए
के �लए प्र�त�दन एक घंटा सम�प� त करना चा�हए। वीकली फोकस का संदभर् ली�जए। इसम� �कसी प्रमुख मु�े के
�व�भ� पहलु ओ ं और आयाम� के साथ-साथ �े �टक तथा
�ूज़ टुडे: संदभर् क� सरल प्र�ु�त डायने�मक घटक� को शा�मल �कया जाता है।
�ूज़पेपर पढ़ने के साथ-साथ, �ूज़ टु डे भी प�ढ़ए, �जसम� लगभग आ�थ� क सव��ण और बजट के हाईलाइट्स तथा सारांश
200 या 90 श�� म� कर�ट अफेयसर् का सारांश प्र�ुत �कया जाता है।
इसम� आसानी से समझ के �लए ज�टल जानकारी को एक कॉ�ै�
यह �रसोसर् अ��थ� य� को मह�पूणर् �ूज़ क� पहचान करने,
प्रारूप म� प्र�ुत �कया जाता है। आ�थ� क सव��ण और क�द्रीय बजट के
तकनीक� श�� और घटनाओ ं को समझने म� मदद करता है।
सारांश डा�ूम�ट्स से आप मह�पूणर् जानकारी प्रा� कर सकते ह�।
मा�सक समसाम�यक� मैगजीन: गहन �व�े षण PT 365 और Mains 365: परी�ा म� प्रदशर्न बढ़ाना
�ापक कवरेज और घटनाओ ं के �व�ृत �व�े षण के �लए मा�सक पूरे वषर् के कर�ट अफेयसर् क� तैयारी के �लए PT 365 और Mains
समसाम�यक� मैगजीन आपक� जरूरत पूरी कर सकती है। इससे 365 का उपयोग क��जए। इससे प्री�ल� और मे�, दोन� के �लए
अलग-अलग �ेत्र� म� �व�भ� घटनाओ ं के संदभर्, मह� और �र�वजन म� भी मदद �मले गी।
�न�हताथर् को समझने म� सु�वधा होती है।
Vision IAS का त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट उन छात्र� के �लए उपयोगी �रसोसर् है, जो 2-3 महीन� से मंथली
अपडेट पढ़ने से चूक गए ह�। यह प्रमुख घटनाक्रम� का सारांश प्रदान करके ल�न� ग म� �नरंतर सहायता प्रदान
ब्रोशर पढ़ने के �लए �दए गए
करता है। QR कोड को �ैन क��जए
“याद र�खए, कर�ट अफेयसर् को केवल याद ही नह� रखना होता है, ब�� घटनाओ ं के �ापक �न�हताथ� और अंतस�बंध� को समझना भी होता है।
�ज�ासा के साथ आगे ब�ढ़ए; समय के साथ, यह बोझ कम होता जाएगा और यह एक �ानवधर्क अनुभव बन जाएगा।”
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
समसाम�यक�
�ैमा�सक
011010
100101
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी करने वाले अ��थ� य� क� पृ�भू�म, आयु, व�क�ग शे�ूल और पा�रवा�रक �ज�ेदा�रयां अलग-अलग होती ह�।
इसे �ान म� रखते हुए हमने समसाम�यक�: त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को तैयार �कया है। इससे उन अ��थ� य� को तैयारी म� काफ� सहायता
�मले गी, �जनका शे�ूल अ�धक �� होता है, �ज�� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन को पढ़ने व �रवीजन करने के �लए कम समय �मलता है और
�सले बस के बारे म� बु�नयादी एवं थोड़ी बहुत समझ होती है।
त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट को काफ� सावधानीपूवर्क और बारीक� से तैयार �कया गया है। इससे आपको �स�वल
सेवा परी�ा क� तैयारी के �लए आव�क ल�न� ग एवं �रवीजन के �लए मजबूत आधार �मले गा।
इस डॉ�ूम�ट म� हमने �वगत तीन माह क� मा�सक समसाम�यक� मैगजीन से सभी मह�पूणर् आ�ट�क� को कवर
�कया है। इससे मह�पूणर् टॉ�प� का �रवीजन करने के �लए आपको एक समग्र और सटीक �रसोसर् �मले गा।
सं��� पृ�भू�म: प्र�ेक आ�ट�कल से �व�े षण और मह�पूणर् त�: इससे आपको �� एवं सं��� जानकारी: इसम�
संबं�धत एक सं��� पृ�भू�म दी गई है, मह�पूणर् नज़�रए और अलग-अलग पहलु ओ ं इ�ॉम�शन को सु�व��त तरीके से
�जससे आपको संबं�धत आ�ट�कल को से जुड़ी जानकारी तथा त�� के बारे म� पता प्र�ुत �कया गया है, �जससे ��क और
समझने और उसका �व�े षण करने के चले गा। इफे��व �रवीजन म� मदद �मले गी।
�लए एक मजबूत आधार �मले गा।
हम� पूरी उ�ीद है �क यह त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट समसाम�यक� घटनाक्रम� के �लए काफ� फायदेमंद होगा। PT 365 और
Mains 365 डा�ूम�ट्स के साथ-साथ इसे पढ़कर UPSC CSE क� तैयारी क� राह म� आपका आ��व�ास काफ� बढ़ जाएगा।
�ाटर् तरीके से तैयारी क��जए। “त्रैमा�सक �रवीजन डॉ�ूम�ट” कुशल, टाग�टेड और प्रभावी �रवीजन के �लए सबसे बेहतर
साथी है। इसक� मदद से अपनी �स�वल सेवा परी�ा क� तैयारी क� राह म� आगे ब�ढ़ए।
अहमदाबाद | ब�गलू रु | भोपाल | चंडीगढ़ | �द�ी | गुवाहाटी | हैदराबाद | जयपुर | जोधपुर | लखनऊ | प्रयागराज | पुणे | रांची
सरकारी योजनाएं
त्रैमा�सक
�रवीजन
�स�वल सेवा परी�ा म� आपके �ान, एना�ल�टकल ��ल और सरकारी नी�तय� तथा पहल� क� ग�तशील प्रकृ�त के साथ अपडेटेड रहने क�
�मता को जांचा जाता है। इस�लए इस चुनौतीपूणर् परी�ा के �लए एक �ापक और सु�नयो�जत दृ��कोण काफ� आव�क हो जाता है।
“सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �र�वजन” डॉ�ूम�ट के साथ �स�वल सेवा परी�ा म� सफलता क� अपनी यात्रा शुरू क��जए। यह �वशेष
पेशकश आपको परी�ा क� तैयारी म� एक प�रवतर्नकारी अनुभव प्रदान करेगी। सावधानीपूवर्क तैयार �कया गया हमारा यह डॉ�ूम�ट न
केवल आपक� सीखने क� प्र�क्रया को आगे बढ़ाने के �लए ब�� टाइम मैनेजम�ट और याद रखने क� �मता को बढ़ाने के �लए भी �डज़ाइन
�कया गया है। इस डॉ�ूम�ट को त्रैमा�सक आधार पर तैयार �कया जाता है। यह डॉ�ूम�ट फाइनल परी�ा के �लए �नरंतर सुधार और तनाव
मु� तैयारी हेतु अ��थ� य� के �लए एक आधार के रूप म� कायर् करेगा।
यह सीखने क� प्र�क्रया को बाधार�हत और आसान यात्रा म� बदल देता है। इसके प�रणाम�रूप, आप परी�ा क�
तैयारी के साथ-साथ सरकारी योजनाओ ं, नी�तय� और उनके �न�हताथ� क� गहरी समझ �वक�सत करने म�
सफल होते ह�।
‘सरकारी योजनाएं त्रैमा�सक �रवीजन’ एक डॉ�ूम�ट मात्र नह� है; ब�� यह आपक� परी�ा क� तैयारी म� एक रणनी�तक साथी भी है। यह आपक�
ल�न� ग एप्रोच म� बदलाव लाता है, �जससे यह एक सतत और कुशल प्र�क्रया बन जाती है। परी�ा क� तैयारी के आ�खरी चरण� म� आने वाले तनाव को
अल�वदा क�हए, प्रोए��व ल�न� ग ए�पी�रयंस को आपनाइए और आ��व�ास के साथ सफलता क� ओर आगे ब�ढ़ए।
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