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Nethaji Ka Chashma
Nethaji Ka Chashma
नेता जी का चश्मा
(स्वयं प्रकाश)
7)चश्मा कौन पहनाता था? अंत में सरकं डे का चश्मा किसने पहनाया था?
उत्तर:उस कस्बे में पानवाले के अनुसार चश्मा नेताजी को कै प्टन चश्मावाला पहनाता था। उसे नेताजी
की बगैर चश्मेवाली वाली मूर्ति बुरी लगती थी बल्कि आहत करती थी। जैसे चश्में के बिना नेताजी को
असुविधा हो रही थी। इसीलिए वह कै प्टन अपनी छोटी सी दुकान पर उपलब्ध गिने-चुने फे मों में से एक
नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देते थे। लेकिन जब कोई ग्राहक आता था और उसे फ्रे म की जरूरत होती
तो वह इसे निकालकर दूसरा लगा देता था। जब कै प्टन चश्मावाला मर गया तो शायद किसी बच्चे ने
सरपत का छोटा सा चश्मा बनाकर लगा दिया।
उद्देश्यः
'नेता जी का चश्मा' कहानी हमारे अन्दर देशभक्ति की भावना को जागृत करती है। यह कहानी हमें
बताती है कि देश इसमें रहने वाले सभी नागरिकों से बनता है। अतः देशभक्ति की भावना सभी लोगों में
होनी चाहिए। कहानी का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि देशभक्ति का जुनून रखने वाले लोगों का हमें
उपहास नहीं करना चाहिए। बल्कि उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए। नेताजी का चश्मा कहानी
कै प्टन चश्मेवाले के माध्यम से देश के उन करोड़ों गुमनाम नागरिकों के योगदान की ओर संके त करती है
जिसने स्वतन्त्रता सेनानियों के सम्मान को तथा उनके प्रति श्रद्धा को जीवित रखा है। अंत में यह कहानी
बच्चों द्वारा सरकं डे से बने चश्मे को नेता जी की मूर्ति को पहनाकर उनकी देशभक्ति का परिचय देती है।
शीर्षक की सार्थकताः
'नेताजी का चश्मा' शीर्षक जिज्ञासा से भरा हुआ है। शीर्षक पढ़ते ही हम सोचने लगते हैं कि कौन से
नेताजी का चश्मा है? नेता जी सुभाषचन्द्र बोस का अथवा आज के किसी प्रसिद्ध नेता का? हम पाठ
पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। पूरे पाठ का कलेवर ही नेता जी के चश्मे से परिपूर्ण है। चौराहे पर नेता
जी की मूर्ति का लगना उसमें चश्में का न होना, कै प्टन द्वारा चश्मा लगाना, यदाकदा लगे चश्मे की बिक्री
के बाद नया चश्मा लगाना, कै प्टन
की मृत्यु के बाद बच्चों द्वारा सरकं डे से बना चश्मा लगाकर नेता जी की मूर्ति को पहनाना एक ऐसी
देशभक्ति का प्रतीक है। जिससे हालदार साहब भावुक हो उठते हैं। कहानी का यह शीर्षक सार्थक,
उद्देश्यपूर्ण भी है। हमारे मन में देशभक्ति तथा स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों के प्रति आदर के भाव
जागृत करने सक्षम है।
चरित्र-चित्रण
हालदार साहब:
हालदार साहब स्वयं एक देशभक्त थे और सच्चे देश भक्तों का आदर करते थे ।ड्रॉइंग मास्टर मोतीलाल
जी के द्वारा बनाई गई नेता जी की संगमरमर की मूर्ति की सराहना करते हैं। उनके अनुसार छोटे से छोटा
और बड़े से बड़ा आदमी, स्त्री, बच्चा सभी अपने-अपने तरीके से देश के उत्थान के लिए योगदान दे
सकते हैं और असल में इस देश का उत्थान होगा भी तभी ही। वे पानवाले द्वारा कै प्टन का मजाक
उड़ाने पर अप्रसन्न होते हैं और कहते हैं कि हम देशभक्तों का आदर नहीं करते और स्वयं किसी छोटे से
लालच में देश और देशवासियों के हित के लिए तत्पर हो जाते हैं। उनकी सोच में देश के लिए पीड़ा है।
बच्चों द्वारा सरकं डे से बना चश्मा देखकर भावुक हो उठते हैं, उनकी आँखें भर आती है और मूर्ति के
ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े होकर मूर्ति के प्रति आदर का भाव प्रकट करते हैं।
पानवाला:
पानवाला एक काला, मोटा, खुशमिज़ाज व्यक्ति है। किसी के अच्छे काम का मूल्यांकन करने की
योग्यता उसमें नहीं है। यह सामान्य विचारों वाला आदमी है।
मूर्तिकार :
मोतीलाल स्कू ल के डॉइंग मास्टर हैं, जिन्होंने बड़ी सफाई से सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति निश्चित समय में
बनाई। मूर्ति के चेहरे पर वास्तविक भाव लाने में वे सफल हुए, तथा मूर्ति को फ़ौजी वर्दी में दिखाया।
एक मूर्तिकार न होते हुए भी उनका यह सफल और सराहनीय प्रयास था।
कै प्टनः
कै प्टन एक बूढ़ा चश्मे बेचने वाला व्यक्ति है। वह अच्छी सोच रखने वाला देशभक्त है। अपाहिज होते हुए
भी वह परिश्रम करके अपना जीवन निर्वाह करता है। नेता जी की प्रतिमा में जो कमी रह गई है, वह उसे
सहन नहीं कर सकता तथा अपनी ओर से पूरी करने का प्रयत्न करता है।
प्रश्न (क). पानवाला कौन था? वह किससे व क्यों बात कर रहा था?
उत्तर : पानवाले की कस्बे के चौराहे पर पान की दुकान थी। वह हालदार साहब से बात कर रहा था।
हालदार साहब कस्बे से गुजरते समय चौराहे पर रुककर पान खाया करते थे और चौराहे पर लगी नेता
सुभाषचन्द्र की मूर्ति को देखा करते थे।
वह नेताजी की मूर्ति पर लगे चश्मे के प्रति जिज्ञासु रहते थे। जब भी वे वहाँ आकर मूर्ति को निहारते तो
अक्सर उस मूर्ति का चश्मा बदल जाया करता था। उस चश्मे को कौन बदल दिया कर है, इस बात का
रहस्य वह पानवाले से पूछ रहे थे।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न १. हालदार साहब को उस कस्बे से क्यों गुजरना पड़ता था? प्रश्न २. कस्बे की क्या-क्या विशेषताएँ
थीं?
प्रश्न ३. कस्बे की नगरपालिका क्या-क्या काम करवाया करती थी?”
प्रश्न ४. नगर पालिका ने सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति बनाने का काम किसे सौंपा और क्यों?
प्रश्न ५. नेताजी की मूर्ति की क्या-क्या विशेषताएँ थीं?
प्रश्न ६. 'इस दृष्टि से यह सफल और सराहनीय प्रयास था' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
प्रश्न ७. मूर्तिकार ने नेताजी की मूर्ति के लिए चश्मा क्यों नहीं बनाया? हालदार साहब के मन में इस संबंध
में क्या-क्या विचार आए?
प्रश्न ८. सुभाषचंद्र बोस का परिचय दीजिए।?