You Can Heal Your Life in Hindi

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Aaple Vachnalay

यू कन हील योर लाइफ


लुइस एल. ह

आपले वाचनालय

Aaple Vachnalay
यह पु तक आपक अंतस
म थान पाते ए आपको
आ मश का ान
कराएगी, जो पिव
ेम तथा आ म- वीकित
क प म आपका िह सा ह।

आपले वाचनालय

Aaple Vachnalay
आभार
म स ता और आनंद से आभार य करती —
अपने िव ािथय तथा ाहक का, िज ह ने मुझे ब त कछ िसखाते ए, अपने िवचार को कागज पर
उतारने क िलए सव थम े रत िकया।
ह हाउस क मेर समिपत कमचारी का, जो आ या मक, भावना मक और शारी रक प से इस दुिनया का
उपचार करने म मदद करनेवाली पु तक , ऑिडयो और वीिडयो क चार- सार क मेर सपने म भागीदार ह।
अपने अ ुत पाठक और ोता का, िज ह ने मेर काय म अपना ेिहल सहयोग िदया और जो मेर िलए
ेरणा क ोत बने ए ह।
वे सभी—िजनक िदल िनयिमत खुलते जा रह ह, िजनक दय क उदारता ितिदन बढ़ती जा रही ह।
दुिनया भर म मौजूद मेर ि य िम , जो िकसी भी शत क िबना ेम, हा य और आनंद क साथ मेर आस-
पास िव मान ह।

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Aaple Vachnalay
आमुख
यिद मुझे एक िनजन ीप म छोड़ िदया जाए और िसफ एक पु तक साथ रखने क अनुमित हो, तो म
लुइस एल. ह क ‘यू कन हील योर लाइफ’ को चुनूँगी।
यह न कवल एक महा गु का सार ह, ब क एक महा मिहला का भावशाली और अ यंत य गत
कथन ह।
इस अ ुत पु तक क मा यम से लुइस अपने आ म-िवकास क या ा को पाठक क साथ बाँट रही ह।
उनक इस कहानी क िलए मेर मन म शंसा और क णा क जो भाव ह, मेरी नजर म शायद एक पूरी पु तक
क प म, काफ सं ेप म य ह; लेिकन वह अपने आपम एक प रपूण पु तक ह।
इसम सबकछ ह, जीवन, उसक मू य और अपने आप पर कसे वा याय कर। अपने बार म आपको जो
भी जानने क आव यकता ह, वह सब इसम ह। इसम रोग क संभािवत मानिसक कारण क संदभ
मागदिशका ह, जो वा तव म उ ेखनीय और अनूठी ह। िकसी िनजन ीप पर कोई य इस पांडिलिप
को एक बार पा जाए तो वह अपने जीवन को बेहतरीन बनाने क िलए जो भी जानना चाहता ह, वह सब
सीख-समझ सकता ह।
िनजन ीप हो या नह , यिद आप लुइस ह तक प च गए ह, संभवतः संयोगवश भी, तो आप सही रा ते
पर ह। लुइस क पु तक, उनक मह वपूण उपचार-टप और उनक ेरणादायी कायशालाएँ सम या से िघरी
दुिनया क िलए अ ुत उपहार ह।
ए स से पीि़डत लोग क साथ काम करने म मेरी गहरी िदलच पी ने मुझे लुइस से िमलने और उनक
उपचार क तरीक को अपनाने क िलए े रत िकया।
येक ए स-पीि़डत य , िजसक साथ मने काम िकया और िजसक िलए मने ‘ए स क ित
सकारा मक ि कोण’ नामक लुइस का टप बजाया, उसे पहली बार म ही लुइस का संदेश समझ म आ
गया, कइय ने तो इस टप को सुनना अपने दैिनक उपचार काय का अंग ही बना िलया। एं यू नामक एक
य ने मुझसे कहा, ‘‘म हर िदन लुइस का टप सुनते-सुनते सो जाता और सुबह उसक साथ ही जागता
।’’
जब मने अपने ि य ए स-पीि़डत लोग को अपने जीवन म प रवतन , अनुभव को समृ करते और शांित
व संपूणता क साथ जीवन िबताते देखा तो लुइस क ित मेरा स मान एवं ेम और बढ़ गया। जब से लुइस
उनक जीवन म आई, वे सब अब अपने िलए और हर िकसी क िलए अिधक ेम व मा का भाव रखने
लगे। अपने जीवन म मधुर अनुभव ा करने क िलए लुइस क ित मौन आदर दिशत करने लगे।
अपने जीवन म मुझे उपहार व प कई महा गु िमले, िजनम से कछ तो महा संत थे या शायद अवतार
भी। िफर भी, लुइस एक महा गु ह, िजनक साथ कोई भी बात कर सकता ह और समय िबता सकता ह;
य िक उनम सुनने क अपार मता ह और िबना शत ेम करने का अ ुत गुण ह। (िबलकल उसी तरह
जैसे एक और गु , िज ह म महा मानती , ब त बि़ढया आलू सलाद बनाती ह)। लुइस उदाहरण क
मा यम से िसखाती ह और जो िसखाती ह, उसे अपने जीवन म अपनाती भी ह।
इस पु तक को अपने जीवन का अंग बनाने क िलए आपको आमंि त करते ए म अ यंत गौरव महसूस
कर रही । आप इस पु तक क िलए और यह पु तक आपक िलए ह।
—डव ॉन
वचस इन से फ-फलिफलमट

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Aaple Vachnalay
डाना वॉइट, कलीफोिनया

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Aaple Vachnalay
अपने पाठक क िलए सलाह
ि य पाठको! म जो जानती तथा पढ़ाती , वही सब आपक साथ बाँटने क िलए मने यह पु तक िलखी ह।
इसम मेरी पु तक ‘हील योर बॉडी’ क कछ अंश शािमल ह, िजसे शरीर म रोग को ज म देनेवाली मानिसक
थितय पर एक आिधका रक पु तक क प म यापक लोकि यता िमली।
अपना कछ और ान आपक साथ बाँटने क िलए पाठक क मुझे सैकड़ प िमले। मेर ाहक क तौर पर
जुड़ कछ य य , यहाँ तथा िवदेश म मेरी कायशाला म शािमल ए लोग ने अनुरोध िकया िक म इस
पु तक को िलखने क िलए समय िनकालूँ।
मेरी इस पु तक का ा प उसी कार से ह, जो एक िनजी ाहक क प म आप मेरी िकसी कायशाला म
आकर पाते। यिद आप पु तक क मानुसार ये अ यास करगे तो पु तक क समा होने तक आप अपने
जीवन म प रवतन आना महसूस कर रह ह गे।
म आपको पूरी पु तक एक बार पढ़ने का सुझाव देती । िफर धीर-धीर उसे दुबारा पढ़ते ए हर अ यास
क गहराई से कर। हर अ यास को करने म कछ समय लगाएँ।
यिद संभव हो तो िकसी िम या प रवार क िकसी सद य क साथ इन अ यास को कर।
येक अ याय एक िन य क साथ आरभ होता ह। जब आप इससे संबंिधत जीवन क भाग पर काय
करते ह तो येक अ याय उपयोगी ह, येक अ याय क अ ययन और उस पर काम करने क िलए दो या
तीन िदन ल। अ याय से पहले अपने िन य एवं वीकित को िलखते रह।
सभी अ याय एक उपचार क साथ समा होते ह। यह चेतन को प रवितत करने क िलए तैयार
सकारा मक िवचार का वाह ह। इन उपचार को िदन म कई बार पढ़।
मने इस पु तक को अपनी कहानी क साथ समा िकया ह। म यह जानती िक आप चाह जहाँ से भी
आए ह या हमारा जीवन िकतना भी िन न तरीय रहा हो, हम अपने जीवन को पूरी तरह बदलकर उसे यादा
बेहतर बना सकते ह।
याद रह, जब आप इन िवचार क साथ काय करगे तब मेरा ेिहल सहयोग और शुभकामनाएँ आपक साथ
रहगी।
(लुइस एल. ह)

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Aaple Vachnalay
मेर दशन क कछ बात
हमम से येक अपने सभी अनुभव क िलए वयं िज मेदार होता ह।
हमारा येक िवचार हमारा भिव य बना रहा ह।
श का क हमेशा वतमान म होता ह।
हर कोई आ म- ेष और अपराध-बोध का िशकार होता ह।
हर िकसी क िलए आिखरी वा य होता ह, ‘म उतना अ छा नह ।’
यह मा एक िवचार ह और िवचार को हमेशा बदला जा सकता ह।
हम अपने शरीर म हर तथाकिथत रोग को वयं उ प करते ह।
ोध, आलोचना और अपराध-बोध सबसे नुकसानदायक िवचार ह।
ोध को बाहर िनकालने से कसर तक ठीक हो सकता ह।
हम अतीत को भुलाकर सभी को मा कर देना चािहए।
हमार भीतर वयं से ेम करने क इ छा चािहए।
वतमान म वयं को वीकार करक ही सकारा मक प रवतन ला सकते ह। जब हम वयं से सचमुच ेम
करने लगते ह तो जीवन म सबकछ ठीक होने लगता ह।

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Aaple Vachnalay
इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
िफर भी जीवन सदैव बदलता रहता ह।
यहाँ न कोई आरभ ह और न कोई अंत।
कवल अ त व और अनुभव का अनवरत च और पुनच ह।
जीवन कभी कता या ठहरता नह , न ही नीरस होता ह।
य िक हर ण होता ह सदैव नया और नूतन।
म उस श क साथ एकाकार , िजसने मुझे बनाया
और इस श ने मुझे अपनी प र थितय का सृजन करने क श दी।
म अपने इस ान से आनंिदत िक मेर पास अपनी इ छा अनुसार योग क िलए म त क क
श ह।
जीवन का हर ण एक नई शु आत ह
जैसे िक हम पुराने नए क तरफ बढ़ते ह।
यहाँ अभी, इसी ण मेर िलए आरभ करने को एक नया िबंदु ह
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
िजसम मुझे िव ास ह
‘बु और ान क ार हमेशा खुले होते ह।’

जीवन वा तव म ब त सरल ह। जो हम देते ह, वही हम वापस िमलता



जो कछ हम अपने िवषय म सोचते ह, वह हमार िलए सच हो जाता ह। म मानती िक हर य , िजनम
म भी शािमल , अपने जीवन म हर अ छी या बुरी चीज क िलए वयं िज मेदार ह। हमार म त क म
आनेवाला हर िवचार हमारा भिव य बनाता ह। हमम से हर य अपने िवचार और अपनी भावना ारा
अपने अनुभव को ज म देता ह। हमार िवचार, जो हम बोलते ह, वह सब हमारा अनुभव बन जाता ह।
हम खुद प र थितय को ज म देते ह और िफर अपनी कठा क िलए िकसी दूसर य को दोषी ठहराते
ए अपनी ऊजा न करते ह। कोई य , कोई थान और कोई चीज हमसे अिधक श शाली नह ह,
य िक अपने म त क म कवल ‘हम’ ही सोचते ह। जब हम अपने म त क म शांित, तालमेल और संतुलन
बना लेते ह तो यह सब हमार जीवन म भी आ जाता ह।
इनम से कौन सा कथन आपक िवचार से िमलता ह?
—लोग मेर पीछ पड़ ह।
—हर य हमेशा मेरी मदद करता ह।
इनम से येक िबलकल िभ अनुभव को ज म देगा। हम अपने बार म और जीवन क बार म जो भी
मानते ह, वह हमार िलए सच हो जाता ह।

हम जो भी सोचना या मानना चाहते ह, हर िवचार म ांड हमार


साथ होता ह
दूसर प म, हम जो भी वीकार करते ह, हमारा अवचेतन मन उसे वीकार कर लेता ह। इन दोन का
अथ ह िक म अपने और जीवन क बार म जो भी वीकारता , वह मेर िलए एक स ाई बन जाता ह। आप
अपने और जीवन क बार म जो भी सोचते ह, वह आपक िलए सच हो जाता ह। हमार पास सोचने क िलए
असीिमत िवक प होते ह।
जब हम यह जान जाते ह तो ‘लोग मेर पीछ पड़ ह’ क अपे ा ‘हर कोई हमेशा मेरी मदद करना चाहता
ह’ का िवक प चुनना सही होगा।

शा त श कभी हमारा मू यांकन या हमारी आलोचना नह करती


वह कवल हमार मू य पर हम वीकार करती ह। िफर वह हमार िवचार को हमार जीवन म ितिबंिबत
करती ह। यिद म यह मानना चाहती िक मेरा जीवन ब त एकाक ह और कोई मुझसे ेम नह करता, तो
मुझे दुिनया म यही िमलेगा।
लेिकन यिद म उस िवचार को छोड़ने क िलए तैयार और अपने िलए ढ़ता से यह क िक ‘ ेम हर
जगह ह और म ेम करने व ेम पाने यो य ,’ और इस नए िवचार पर कायम र तथा उसे बार-बार
वीकार क तो यह मेर िलए सच हो जाएगा। अब मुझसे ेम करनेवाले लोग मेर जीवन म आएँगे, पहले से
आपले वाचनालय

Aaple Vachnalay
मौजूद लोग मेर ित अिधक ेम रखगे और म दूसर क ित आसानी से ेम क अिभ य कर पाऊगी।

हमम से अिधकतर लोग ‘हम कौन ह’ क बार म मूखतापूण िवचार


रखते ह और जीवन जीने क िलए ब त से कठोर िनयम बनाते ह
यह हम दोषी ठहराने क िलए नह ह, य िक हमम से हर कोई इस ण म िजतना अ छा कर सकता ह,
कर रहा ह। यिद हम बेहतर जानते और हमार पास अिधक समझ एवं सजगता होती तो हम उसे अलग तरीक
से करते। कपया अपनी थित क िलए अपने आपको िनचले तर पर न रख। आपने यह पु तक उठाई और
मुझे खोज िनकाला, इसका अथ ह िक आप अपने जीवन म एक नया, सकारा मक प रवतन लाना चाहते ह।
इसक िलए अपने आपको ध यवाद द। ‘पु ष रोते नह !’ ‘मिहलाएँ पैसा नह सँभाल सकत !’ जीवन क िलए
िकतने संकिचत िवचार ह ये!

जब हम ब त छोट होते ह तो अपने तथा जीवन क बार म महसूस


करना हम अपने आस-पास क बड़ क िति या से सीखते ह
इस कार हम अपने तथा अपनी दुिनया क िवषय म सोचना सीखते ह। अब यिद आप ऐसे लोग क साथ
रह ह, जो ब त दुःखी, भयभीत, अपराध-बोध से त या थे तो आपने अपने बार म और अपनी दुिनया
क बार म ब त सी नकारा मक बात सीख ।
‘म कभी भी सही नह करता’, ‘यह मेरी गलती ह’, ‘यिद मुझे गु सा आता ह तो म एक बुरा य ’।
इस तरह क िवचार एक िनराशाजनक जीवन को ज म देते ह।

जब हम बड़ हो जाते ह तो अपनी वृि क अनुसार ारिभक जीवन क


भावना मक वातावरण का पुनःसजन करते ह
यह अ छा ह या बुरा, सही ह या गलत; यह वही होता ह, िजसे हम अपने अंदर ‘घर’ क प म जानते ह।
साथ ही, हम अपने य गत संबंध म उन संबंध को िफर से जीिवत करने का यास करते ह, जो संबंध
हमारा अपने माँ या िपता क साथ या उनक बीच था। सोिचए िक िकतनी बार आपका ेमी या बॉस िबलकल
आपक माँ या आपक िपता क तरह था।
हम अपने साथ वैसा ही यवहार करते ह, जो हमार माता-िपता हमार साथ करते थे। हम उसी तरीक से
वयं को डाँटते और सजा देते ह। जब आप सुनते ह तो लगभग उन श द को सुन सकते ह। एक ब े क
प म िजस तरह हम यार िदया गया था या ो सािहत िकया गया था, हम उसी तरीक से खुद को यार या
ो सािहत करते ह।
‘तुम कभी कछ ठीक नह करते।’ ‘यह सब तु हारी गलती ह।’ आपने वयं से िकतनी बार ऐसा कहा?
‘तुम लाजवाब हो।’ ‘म तु ह यार करता ।’ आप िकतनी बार खुद से ऐसा कहते ह?

िफर भी, इसक िलए हम अपने माता-िपता को दोषी नह ठहराएँगे


हम सभी पीि़डत ारा पीि़डत ह, और शायद वे हम कछ ऐसा नह िसखा पाते जो वे नह जानते थे। यिद
आपक माँ नह जानती थ िक अपने आपसे यार कसे करना ह या आपक िपता नह जानते थे िक वह अपने
आपसे यार कसे कर, तो उनक िलए आपको खुद से यार करना िसखाना असंभव था।

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Aaple Vachnalay
वे अपने बचपन म िमली िश ा क अनुसार सबकछ अ छा कर रह थे। यिद आप अपने माता-िपता को
अिधक समझना चाहते ह तो उ ह अपने बचपन क बार म बताने क िलए े रत क िजए और यिद आप
संवेदना क साथ सुन तो आपको पता चलेगा िक उनक शंकाएँ और स ती कहाँ से आई ह। िजन लोग ने
‘आपक साथ वह सब िकया’, वे आपक तरह ही भयभीत और सहमे ए थे।

म ऐसा मानती िक हम वयं अपने माता-िपता का चुनाव करते ह


हमम से हर कोई इस धरती पर एक सुिन त समय और थान पर ज म लेता ह। हम यहाँ एक िवशेष
पाठ पढ़ने क िलए आए ह, जो हम आ या मक िवकास क पथ पर आगे बढ़ाएगा। हम अपना िलंग, अपना
रग, अपना देश चुनते ह और िफर हम िकसी खास माता-िपता को खोजते ह, जो उस व प को ितिबंिबत
करगे, िजस पर हम इस जीवन म काम करना चाहते ह। िफर जब हम बड़ होते ह तो आम तौर पर अपने
माता-िपता पर उगली उठाते ह और र रयाते ए िशकायत करते ह, ‘आपने मेर साथ ऐसा िकया।’ लेिकन
वा तव म हमने उ ह इसिलए चुना, य िक वे हमार काय क िलए िबलकल उपयु थे।
हमार बचपन म ही हमारी आ थाएँ थािपत होती ह और िफर उ ह आ था का अनुभव करते ए जीवन
म आगे बढ़ते ह। अपने जीवन म पीछ क ओर देिखए और यान दीिजए िक िकतनी बार आप उसी अनुभव
से गुजर ह। मेरा मानना ह िक आपने उन अनुभव को एक क बाद एक वयं बनाया, य िक वे आपक अपने
िव ास को ितिबंिबत कर रह थे। यह कोई मायने नह रखता िक हम िकतने लंबे समय से कोई सम या थी,
या वह िकतनी बड़ी ह या वह हमार जीवन क िलए िकतनी घातक ह।

वतमान सबसे अिधक श शाली होता ह


आज तक जीवन म आपने िजन घटना का अनुभव िकया ह, वे सभी आपक अतीत से जुड़ िवचार और
आ था से बने ह। वे उन िवचार और श द से बने थे, िज ह आपने कल, िपछले स ाह, िपछले माह,
िपछले वष, आपक आयु क अनुसार 10, 20, 30, 40 या इससे अिधक वष क दौरान इ तेमाल िकया था।
िफर भी, वह आपका अतीत ह। वह बीत चुका ह। इस पल म मह वपूण यह ह िक आप अभी या
सोचना, िव ास करना व कहना चाहते ह, य िक ये िवचार और श द आपका भिव य िनधा रत करगे।
वतमान ण ही आपक ताकत ह और यही आपक कल, अगले स ाह, अगले माह, अगले वष और आगे
क अनुभव का आधार ह।
आप यान दे सकते ह िक इस ण म आप या सोच रह ह। वह नकारा मक ह या सकारा मक? या आप
चाहते ह िक यह िवचार आपका भिव य तय कर? बस यान द और सजग हो जाएँ।

हम कवल िवचार क साथ यवहार करते ह और िवचार बदले जा


सकते ह
इससे कोई फक नह पड़ता िक सम या या ह, हमार अनुभव अपने िवषय अंद नी िवचार क बाहरी
प रणाम ह। यहाँ तक िक अपने आपसे घृणा करना भी कवल अपने िवषय म ही िवचार से घृणा करना ह।
आपका यह िवचार ह िक ‘म एक बुरा य ।’ यह िवचार एक भावना को उ प करता ह और आप उस
भावना क वश म हो जाते ह। लेिकन यिद आपका यह िवचार न हो तो यह भावना भी नह होगी। िवचार को
बदला जा सकता ह। िवचार को बदल तो यह भावना समा हो जाएगी।
ये कवल यह दरशाने क िलए ह िक हम अपने ब त से िव ास कहाँ से ा करते ह। लेिकन इस

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Aaple Vachnalay
जानकारी को अपनी पीड़ा म डबे रहने क बहाने क प म इ तेमाल न कर। अतीत का हमार ऊपर कोई
भाव नह होता। यह मायने नह रखता िक हम िकतने लंबे समय से नकारा मक िवचार म डबे रह। श
का क िबंदु वतमान ण म ह। इसे महसूस करना िकतना अ ुत ह! हम इस ण म मु होना शु कर
सकते ह!

मानो या न मानो, हम वयं अपने िवचार को चुनते ह


हम आदत क अनुसार िकसी िवचार को बार-बार सोच सकते ह, तािक ऐसा न लगे िक हम वयं िवचार
को चुन रह ह। लेिकन पहली बार िवचार का चयन हमने ही िकया था। हम कछ खास िवचार को सोचने से
इनकार कर सकते ह। जरा यान दीिजए िक आपने िकतनी बार अपने बार म सकारा मक िवचार लाने से
इनकार कर िदया ह। तो िफर आप अपने बार म नकारा मक सोचने से भी इनकार कर सकते ह।
मुझे ऐसा लगता ह िक इस धरती पर िजस िकसी को म जानती या िजसक साथ काम िकया ह, वह
िकसी-न-िकसी तरह आ म-वंचना और अपराध-बोध से त ह। हम िजतनी यादा आ म-वंचना और
अपराध-बोध रखते ह, हमारा जीवन उतना ही बदतर होता ह। आ म-वंचना और अपराध-बोध िजतना कम
होता ह, हमारा जीवन—हर तर पर—उतना ही बेहतर होता ह।

मने िजन लोग क साथ काम िकया ह, उनक भीतर गहराई म यही
िव ास होता ह—‘म उतना अ छा नह !’
साथ ही हम हमेशा कहते ह, ‘और म अपेि त काय नह करता या ‘म इसक यो य नह ।’ या लगता ह
िक आप ऐसे ही ह?अकसर यही कहते, जोर देते या महसूस करते ह िक आप ‘बेहतर नह ह।’ लेिकन
िकसक िलए?और िकसक मानदंड क अनुसार?
यिद यह िवचार आपक अंदर अिडग ह, तो आप कसे एक ेममय, आनंददायक, खुशहाल और व थ
जीवन जी सकते थे? िकसी-न-िकसी तरह आपका भावी अवचेतन िवचार हमेशा उसका िवरोध करता ह।
िकसी-न-िकसी तरह सही तालमेल नह हो पाता, य िक कह -न-कह , कछ-न-कछ हमेशा गलत हो जाता।

मने पाया ह िक नाराजगी, आलोचना, अपराध-बोध और भय िकसी भी


अ य बात से अिधक सम याएँ उ प करते ह
ये चार बात हमार शरीर और हमार जीवन म बड़ी सम याएँ उ प करती ह। ये भावनाएँ दूसर पर
दोषारोपण करने और अपने अनुभव क िलए वयं को िज मेदार न ठहराने से आती ह। देिखए, यिद हम सभी
अपने जीवन म हर बात क िलए िज मेदार ह तो हम िकसी पर दोषारोपण नह कर सकते। बाहर जो भी घट
रहा ह, वह कवल हमार आंत रक िवचार का एक आईना ह। म दूसर लोग क बुर यवहार को नजरअंदाज
नह कर रही , लेिकन हमार िव ास ही लोग को हमसे िकसी कार का यवहार करने क िलए आमंि त
करते ह।
यिद आप खुद को यह कहता पाएँ, ‘हर कोई हमेशा मेर साथ ऐसा करता ह, मेरी आलोचना करता ह,
कभी मेरी मदद नह करता, मुझे पायदान क तरह इ तेमाल करता ह, मेर साथ दु यवहार करता ह,’ तो यह
आपक वृि ह। आपक अंदर ऐसे िवचार ह, जो ऐसा यवहार दिशत करने क िलए लोग को आकिषत
करते ह। जब आप उस तरह नह सोचते तो वे कह और जाकर, िकसी और क साथ ऐसा करगे। आप उ ह
आकिषत नह करगे।
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Aaple Vachnalay
कछ वृि य क नतीजे, जो शारी रक तर पर अिभ य होते ह, इस कार ह—लंबे समय से ठहरा
असंतोष शरीर को नुकसान प चाता ह और कसर जैसी बीमारी बन जाता ह। आलोचना, एक थायी आदत
क प म अपनाएँ तो यह शरीर म आथराइिटस को े रत कर सकता ह। अपराध-बोध हमेशा सजा क तलाश
करता ह और सजा से पीड़ा होती ह। (जब कोई ाहक मेर पास यादा पीड़ा क साथ आता ह तो म जानती
िक उसम ब त सारा अपराध-बोध ह।) भय और उसक कारण उ प होनेवाला तनाव गंजापन, अ सर और
यहाँ तक िक पैर म दद को ज म दे सकता ह।
मने पाया ह िक मा करने और असंतोष को बहा देने से कसर तक ठीक हो सकता ह। शायद मेरी बात
बड़ी सरल एवं अप रप लगती हो, लेिकन मने इसका भाव देखा और अनुभव िकया ह।

हम अतीत क ित अपना ि कोण बदल सकते ह


अतीत बीत कर समा हो गया ह। हम उसे बदल नह सकते। परतु हम अतीत क िवषय म अपने िवचार
को बदल सकते ह। यह िकतना मूखतापूण ह िक हम इसिलए वतमान म अपने आपको सजा देते ह, य िक
अतीत म काफ पहले िकसी ने हम पीड़ा प चाई थी।
गहर असंतोष क वृि य वाले लोग से म अकसर कहती , ‘कपया असंतोष को कम करना शु कर,
अब वह अपे ाकत आसान ह। िकसी सजन क छर क नीचे या मृ यु-श या तक प चने क खतर का इतजार
न कर, जब आपको डर से आमना-सामना करना पड़ सकता ह।’
जब हम घबराहट क थित म होते ह तो अपना िदमाग उपचार एवं सुधार पर कि त करना किठन होता
ह। हम पहले ही डर को समा करने पर समय लगाना होगा।
यिद हम यह िव ास चाहते ह िक हम असहाय-पीि़डत ह और अब कोई उ मीद नह ह तो ांड भी इस
िव ास म हमारा साथ देगा और हम बरबाद हो जाएँगे। बेहतर ह िक हम इन मूखतापूण, पुराने, नकारा मक
िवचार व िव ास को छोड़ द, जो हमारी मदद नह करते और िवकास क ओर नह ले जाते। यहाँ तक िक
ई र का ा प भी ऐसा होना चािहए, जो हमार िलए हो, हमार िखलाफ नह ।

अतीत को भूलने क िलए, हम मा करने क िलए त पर होना होगा


हम अतीत को छोड़ने और अपने सिहत हर िकसी को मा करने क िलए तैयार होने क ज रत ह। हो
सकता ह िक हम मा करना न आए और हो सकता ह िक हम मा न करना चाहते ह ; लेिकन हमारा यह
कहना िक हम मा करने को तैयार ह, व थ करने क ि या को आरभ कर देता ह। यह हमार अपने
वा य क िलए अिनवाय ह िक हम अतीत को छोड़ द और हर िकसी को मा कर द।
‘म तु ह िजस प म देखना चाहता था, वैसा प न होने क िलए म तु ह मा करता । म तु ह मा
करता और मु करता ।’
यह िन य हम मु कर देता ह।

सभी रोग मा न करने क कारण से उ प होते ह


जब भी हम बीमार होते ह, हम अपने िदल म झाँककर यह देखना चािहए िक हम िकसे माफ करने क
ज रत ह।
कोस इन िमरक स का कहना ह िक ‘सभी रोग मा न करने क एक थित से उभरते ह’ और ‘जब भी
हम बीमार होते ह, हम आस-पास यह देखना चािहए िक हम िकसे माफ करने क ज रत ह।’
म उस िवचार म यह जोड़ना चा गी िक िजस य को मा करना आपको सबसे किठन लगे, वही वह
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Aaple Vachnalay
य ह िजसे मा करने क ज रत आपको सबसे अिधक ह। मा करने का अथ ह—छोड़ देना, जाने
देना। इसका उस यवहार को मा करने से कोई लेना-देना नह ह। इसका मतलब ह िक बस उस पूरी घटना
को अनदेखा कर देना। हम यह जानने क ज रत नह ह िक कसे मा करना ह। हम बस मा करने क
िलए तैयार रहने क ज रत ह। ‘कसे करना ह’ क िचंता— ांड वयं कर लेगा।
हम अपनी पीड़ा को ब त अ छी तरह समझते ह। हमम से अिधकतर क िलए यह समझना िकतना किठन
ह िक िजन लोग को माफ करने क ब त अिधक आव यकता थी, वे भी पीड़ा म थे। हम यह समझने क
ज रत ह िक उनक पास उस समय जो समझ, जानकारी और ान था, उसक अनुसार वे सबसे अ छा कर
रह थे।
जब लोग मेर पास कोई सम या लेकर आते ह तो म यान नह देती िक वह या ह—खराब वा य, धन
का अभाव, असंतोषजनक संबंध या दिमत रचना मकता—म कवल एक चीज पर हमेशा यान देती और
वो ह खुद से ेम करना।
मने पाया ह िक जब हम अपने आपको ‘जैसे ह वैसे प’ म ेम करते और वीकार करते ह तो जीवन म
सबकछ ठीक होता ह। ऐसा, मानो हर जगह कछ छोट चम कार होते ह। हमारा वा य सुधर जाता ह, हमार
पास अिधक धन आता ह, हमार र ते अिधक संतोषजनक हो जाते ह और हम रचना मक प से, साथक
तरीक से खुद को अिभ य करना शु कर देते ह। ऐसा लगता ह िक यह सब हमार यास क बगैर हो रहा
ह।
खुद को ेम और उसे वीकार करना, सुरि त बनाना, भरोसा करना, यो य बनना तथा वीकार करना
आपक मन-म त क को यव थत करगा, आपक जीवन म अिधक ेिहल र त को ज म देगा, नए काय
और जीने का एक नया तथा बेहतर थान िदलाएगा, यहाँ तक िक आपक शरीर क वजन को भी सामा य कर
देगा। जो लोग खुद से और अपने शरीर से ेम करते ह, वे न तो अपने साथ और न ही दूसर का गलत करते
ह।
वतमान म आ म-अनुमोदन और आ म- वीकायता हमार जीवन क हर े म सकारा मक प रवतन क
मु य किजयाँ ह।
मेर िलए खुद से ेम करना िकसी भी चीज क िलए कभी भी खुद क आलोचना न करने से शु होता ह।
आलोचना हम उस यवहार म कद कर देती ह, िजसे हम बदलने क कोिशश कर रह ह। वयं को समझते
ए अपने साथ सौ य रहना हम उस कद से िनकलने म मदद करता ह। याद रिखए, आप वष से खुद क
आलोचना करते आ रह ह और इससे कोई लाभ नह आ। अपना अनुमोदन करने का यास क िजए और
देिखए िक या होता ह।
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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म ,
सब िबलकल ठीक, संपूण और प रपूण ह।
म अपने से कह अिधक बड़ी श म िव ास करता
जो ित पल ित ण मेर भीतर वािहत होती ह।
म खुद को अंत ान क िलए खोल देता
यह जानते ए िक इस ांड म कवल एक बु - ोत ह।
इस एक बु - ोत से सभी उ र, सभी समाधान,
सभी उपचार, सभी नई रचनाएँ आती ह।
म इस श और इस बु - ोत पर भरोसा करता
जानते ए िक जो भी मुझे जानना ह, वह मेर सामने कट होता ह
और जो भी मेरी ज रत ह, पूरी होती ह
सही समय, थान पर तथा सही म म
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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सम या या ह?
‘अपने भीतर झाँकना बेहतर होगा।’

मेरा शरीर सही ढग से काय नह करता


दद, र िनकलना, दुखना, टपकना, मरोड़, सूजन, जलन, बुढ़ापा, देखने म परशानी, सुनने म परशानी,
शरीर सड़ रहा ह—और ऐसी कई परशािनयाँ। इसक साथ आपक अपनी बनाई अ य परशािनयाँ। म सोचती
िक मने यह सब सुना ह।

मेर संबंध मेर प म नह


उनम घुटन ह, िकसी काम क नह ह ब त अपे ाएँ रखते ह, समथन नह देते, हमेशा आलोचना करते ह,
यार नह करते, कभी मुझे अकला नह छोड़ते, हर समय मुझे करदते रहते ह, मेर साथ परशान नह होना
चाहते, मुझे दबाते ह, कभी मेरी बात नह सुनते—और भी ऐसी ही कई बात। इसक अलावा और भी और भी
अवधारणाएँ। िबलकल, मने यह सब सुना ह।

मेरी आिथक यव था सही नह ह


आिथक थित बेकार ह, कभी-कभार ठीक होती ह, काफ नह , मेरी प च से बाहर, ब त यादा खच
होता ह। िबल अदा नह होते, पैसा हाथ से िनकल जाता ह और भी अ य बात। वयं आपक ारा उ प
और भी कई बात। िन त ही मने ये सब बात सुनी ह।

मेरा जीवन बेकार ह


म जो करना चाहता , वह कभी नह कर पाता। म िकसी को खुश नह कर पाता। म वयं नह जानता िक
म या करना चाहता । मेर पास अपने िलए कभी समय नह होता। मेरी ज रत और इ छा क पूित नह
होती। म कवल दूसर को खुश करने क िलए यह कर रहा । म बस एक पायदान क तरह । िकसी को
परवाह नह ह िक म या करना चाहता । मुझम कोई काबलीयत नह ह। म कछ भी सही नह कर सकता।
म बस टाल-मटोल करता । कोई भी चीज मेर काम नह आती—और भी ब त कछ। इसक साथ जो भी
आपने अपने िलए सोचा हो। मने ऐसा ब त कछ सुना ह।
जब भी म अपने नए ाहक से पूछती िक उसक जीवन म या चल रहा ह, तो आम तौर पर उपयु
जवाब म से कोई िमलता ह, या इन जवाब म से कई। उ ह वा तव म लगता ह िक वे सम या को जानते ह।
लेिकन म जानती िक ये िशकायत कवल आंत रक िवचार- ा प क बाहरी भाव ह। आंत रक िवचार-
ा प क सतह क नीचे एक और अिधक गहरा, अिधक मूलभूत ा प ह, जो सभी बाहरी भाव का
आधार ह।
जब म कछ मूलभूत न पूछती , तो उनक ारा इ तेमाल िकए गए श द पर यान देती —
आपक जीवन म या चल रहा ह?
आपका वा य कसा ह?
आप अपना िनवाह कसे करते ह?

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या आपको अपना काम पसंद ह?
आपक आिथक थित कसी ह?
आपका णय जीवन कसा ह?
िपछला र ता कसे समा आ था?
और उससे पहले का र ता िकस कार समा आ था?
अपने बचपन क बार म सं ेप म बताएँ।
म शरीर क मु ाएँ और चेहर क भाव-भंिगमाएँ देखती । लेिकन अिधकांशतः म उनक श द को सुनती
। िवचार और श द हमार भावी अनुभव को ज म देते ह। जब म उ ह बात करते ए सुनती तो म सहजता
से उनक सम या क कारण समझ जाती । हमार श द हमार अंद नी िवचार क बार म बताते ह। कभी-
कभार उनक श द उनक अनुभव से मेल नह खाते, िजनका वे वणन करते ह। िफर म समझ जाती िक या
तो वे वा तव म नह जानते िक या हो रहा ह या िफर वे मुझसे झूठ बोल रह ह। इनम से एक शु आती िबंदु
ह और हमारी बात शु होने क िलए आधार बनते ह।

अ यास : मुझे करना चािहए


अगली चीज जो म करती , वह ह उ ह एक पैड व एक कलम देना और िकसी कागज पर सबसे ऊपर
यह िलखने क िलए कहना—
मुझे यह करना चािहए
उ ह उपरो वा य को पूरा करने क पाँच या छह तरीक क एक सूची बनानी होती ह। कछ लोग को
शु आत करने म किठनाई होती ह और कछ क पास िलखने क िलए इतनी बात होती ह िक उ ह रोकना
मु कल होता ह।
इसक बाद म उ ह अपने सामने एक बार म एक सूची को पढ़ने क िलए कहती , िजसम हर वा य ‘मुझे
करना चािहए’ से शु होता हो। जब वे पढ़ते ह तो म पूछती , ‘ य ?’
जो जवाब िमलते ह, वे िदलच प और ब त कछ कट करते ह, जैसे—
मेरी माँ ने कहा िक मुझे करना चािहए।
य िक म यह करने से डरता नह ।
य िक मुझे प रपूण होना ह।
सभी को वह करना पड़ता ह।
य िक म काफ आलसी, काफ नाटा, काफ लंबा, काफ मोटा, काफ पतला, काफ बेवकफ, काफ
क प, बेकार ।
ये जवाब मुझे िदखाते ह िक वे अपने िव ास म कहाँ पर अटक ए ह और वे अपनी सीमा क बार म
या सोचते ह।
म उनक उ र पर कोई िट पिणयाँ नह करती। जब उनक सूची समा हो जाती ह तो म ‘चािहए’ श द
क बार म बात करती ।
देिखए, म मानती िक ‘चािहए’ श द हमारी भाषा क सबसे नुकसानदायक श द म से एक ह। हर बार
जब हम ‘चािहए’ का इ तेमाल करते ह, वा तव म हम ‘गलत’ कह रह होते ह। या तो हम गलत ह या हम
गलत थे या हम गलत होने वाले ह। मुझे नह लगता िक हमार जीवन म और गलितय क ज रत ह। हमार
पास चयन क यादा आजादी होनी चािहए। म ‘चािहए’ श द को हमेशा क िलए श दावली से िनकालना
चा गी। म उसक थान पर ‘सकता ’ रखना चा गी। ‘सकता ’ हम आजादी देता ह और हम कभी गलत
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नह होते।
इसक बाद म उ ह उस सूची को िफर से एक बार म एक बात पढ़ने क िलए कहती । मगर इस बार हर
वा य को ‘यिद म चाहता तो म कर सकता’ से शु करने क िलए कहती । यह इस िवषय पर एक नई
रोशनी डालता ह।
जब वे ऐसा करते ह तो म सौ यता से उनसे पूछती , ‘आपने ऐसा य नह िकया?’ अब अलग-अलग
उ र िमलते ह—
म नह करना चाहता।
म डरता ।
म नह जानता िक कसे करना चािहए।
य िक म उतना अ छा नह ।
और भी ब त कछ।
हम अकसर पाते ह िक वे बरस से खुद को िकसी ऐसे काय आिद क िलए कमजोर समझते रह ह, जो वे
कभी करना ही नह चाहते थे। या वे कछ ऐसा न करने क िलए अपनी आलोचना करते रह ह, िजसे करने का
उनका िवचार ही नह था। अकसर ऐसा था िक िकसी और ने कहा िक उ ह ‘करना चािहए’। जब वे उस
काय को देख तो उसे ‘चािहए’ क सूची से िनकाल सकते ह। िकतनी राहत क बात ह ये।
ऐसे लोग को देिखए, जो खुद को जबरद ती वष तक ऐसे क रयर म रखने क कोिशश करते ह, जो उ ह
नापसंद होता ह, िसफ इसिलए िक उनक माता-िपता ने कहा िक उ ह ‘डिट ट’ बनना चािहए या िश क
बनना चािहए। िकतनी बार हमने हीन भावना महसूस क , य िक हम कहा गया था िक हम िकसी अ य
र तेदार क तरह अिधक माट या अिधक अमीर या अिधक रचना मक होना चािहए।
आपक ‘चािहए’ क सूची म या ह, िजसे हटाकर आपको राहत महसूस होगी?
जब तक हम इस छोटी सी सूची का अ ययन करते ह, वे एक नए और िभ प म अपने जीवन को
देखना शु करते ह। वे यान देते ह िक ऐसे कई काय क बार म वे सोचते थे िक उ ह करने चािहए, वे ऐसे
काय थे, िज ह वे कभी नह करना चाहते थे और वे कवल दूसर लोग को खुश करना चाहते थे। कई बार
ऐसा इसिलए िक वे डरते ह या ऐसा महसूस करते ह िक वे उतने ितभाशाली नह ह।
अब सम या बदल रही ह। य िक वे िकसी और क मानदंड पर खर नह उतर रह थे। ऐसा सोचकर उनम
उ प ‘गलत होने’ क भावना को समा करने क ि या अंितम कर दी ह मने।
इसक बाद म उनको अपने जीवन का दशन समझाना शु करती , जैसा िक मने अ याय 1 म िकया। म
मानती िक जीवन वा तव म ब त सरल ह। जो हम देते ह, वही वापस पाते ह। हम जो भी सोचना चाहते ह
और करना चाहते ह, उसम यह ांड हम पूरी तरह सहयोग देता ह। जब हम छोट होते ह तो हम अपने
आस-पास क बड़-बुजुग क िति या से अपने और जीवन क बार म महसूस करना सीखते ह। ये िवचार
जो भी ह , वे हमार बड़ होने पर अनुभव क प म िफर से हमार सामने आएँगे। हालाँिक हम कवल िवचार-
ा प क साथ काय करते ह और ताकत का क हमेशा वतमान पल म होती ह। इस ण म प रवतन शु
हो सकते ह।

अपने आपसे यार करना


म यह समझाना जारी रखती िक चाह उनक सम या िदखने म जो भी हो, म िकसी क भी साथ कवल
एक बात पर काम करती और वह ह अपने आपसे यार करना। ेम चम कारी दवा ह। अपने आपसे यार
करना हमार जीवन म जादू क तरह काम करता ह।
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म अह या अकड़ या घमंड क बात नह कर रही, य िक वह ेम नह ह। वह कवल भय ह। म अपने
ित अिधक स मान और हमार शरीर व िदमाग क चम कार क िलए आभार क भावना क बात कर रही ।
मेर िलए ‘ ेम’ ऐसे तर तक सराहना ह िक मेरा िदल भर क छलकने लगता ह। यार िकसी भी िदशा म
जा सकता ह। म ेम को इस तरह महसूस कर सकती —
वयं जीवन क ि या,
जीिवत होने का आनंद,
जो स दय म देखती ,
अय य ।
ान,
िदमाग क ि या
हमार शरीर और िजस प म वे काम करते ह।
जानवर, प ी, मछली,
वन पित, अपने सभी प म।
ांड और िजस प म वह काय करता ह।
आप इस सूची म और या जोड़ सकते ह?
चिलए, देखते ह िक िकस तरह से हम अपने आपसे ेम नह करते—
हम लगातार खुद को फटकारते ह और आलोचना करते ह।
हम भोजन, शराब और नशीले पदाथ से अपने शरीर क साथ दु यवहार करते ह।
हम मान लेते ह िक हम ेम क यो य नह ह।
हम अपनी सेवा क िलए एक स मानजनक मू य माँगने से डरते ह।
हम अपने शरीर म बीमा रयाँ और पीड़ा उ प करते ह।
हम ऐसी चीज को टालते ह, िजनसे हम लाभ हो सकता ह।
हम अ यव था म रहते ह।
हम ऋण और बोझ अपने ऊपर ले लेते ह।
हम ऐसे ेिमय और सािथय को आकिषत करते ह, जो हमारी अवहलना करते ह।

आपक तरीक या ह?
यिद हम िकसी भी प म अपने िलए अ छी बात नकारते ह तो यह खुद से ेम न करने का एक तरीका
ह। मुझे अपनी एक ाहक याद ह, जो च मा पहनती थी। एक िदन हमने उसक बचपन का एक पुराना डर
िनकाला। अगले िदन जब वह सोकर उठी तो उसे लगा िक उसे अपने कांट ट लस पहनकर परशानी हो रही
ह। उसने आस-पास देखा और पाया िक उसक नजर िबलकल साफ थी।
िफर भी वह पूरा िदन कहती रही, ‘मुझे िव ास नह हो रहा। मुझे िव ास नह हो रहा।’ अगले िदन उसने
िफर से कांट ट लस पहन िलये। हमार अवचेतन िदमाग म िवनोद क कोई भावना नह होती। उसे यक न नह
आ िक उसने अपनी आँख पूरी तरह ठीक कर ली ह।
आ म-श का अभाव भी खुद से ेम न करने का एक और भाव ह।
टॉम एक ब त अ छा कलाकार था और उसक पास कछ अमीर ाहक थे, िज ह ने उसे अपने घर म
एक-दो दीवार सजाने को कहा। िफर भी वह अपने ही सही िबल पेश करने म ब त पीछ था। उसक ारा
पेश िकए गए मू य (रट) कभी काम को पूरा करने म लगे समय सही क मत नह थे। जो भी य कोई
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अलग सेवा दान करता ह या एक अ तीय उ पाद का सृजन करता ह, वह कोई भी मू य माँग सकता ह।
पैसेवाले लोग अपने िलए िकए गए काम क िलए अ छा भुगतान करना पसंद करते ह; वह उनक उ पाद को
और मू यवा बनाता ह। कछ और उदाहरण—
हमारा साथी थका आ और िचड़िचड़ा रहता ह। हम हरान ह िक हमने ऐसा या गलत िकया ह?
वह हम एक या दो बार बाहर ले जाता ह और िफर दुबारा फोन नह करता। हम लगता ह िक हमार र ते
म कछ तो गलत ह।
हमारी शादी ख म हो गई ह और िन त प से हम िवफल हो गए ह।
हम वेतन-वृ क िलए कहने म डरते ह।
हमारा शरीर ‘ज लमस ाटरली’ तथा ‘लोग’ नाम पि का म कािशत लोग से नह िमलती और हम हीन
भावना से त ह।
हम ‘िब नह कर पाते’ या ‘हािसल नह कर पाते’ और हम यक न ह िक हम ‘लायक नह ह’।
हम अंतरगता और िकसी क ब त पास आने से डरते ह, इसिलए हम अनाम यौन संबंध थािपत करते ह।
हम िनणय नह ले सकते, य िक हम यक न ह िक वे गलत ह गे।
आप अपनी आ म-श क अभाव क अिभ य िकस कार करगे?

िशशु क संपूणता
जब आप एक न ह िशशु थे तो आप िकतने संपूण थे। िशशु को संपूण बनने क िलए कछ करना नह
पड़ता; वे पहले से संपूण होते ह और वे ऐसा करते ह मानो वह सब जानते ह । वे जानते ह िक वे ांड का
क िबंदु ह। वे अपनी मनपसंद चीज माँगने से डरते नह ह। वे अपनी भावना को खुलकर अिभ य करते
ह। आपको पता ह जब कोई िशशु ोिधत होता ह तो वा तव म पूर पड़ोस को पता चल जाता ह। आप समझ
जाते ह, जब िशशु खुश होते ह, य िक उनक मुसकराहट कमर म उजाला कर देती ह। वे ेम से ओत- ोत
होते ह।
न ह िशशु को यिद ेम न िमले तो वे जीिवत नह रह सकते। जब हम बड़ हो जाते ह तो हम ेम क
िबना रहना सीख लेते ह, लेिकन िशशु इससे समझौता नह करते। िशशु अपने शरीर क हर अंग को भी यार
करते ह, यहाँ तक िक अपने मल को भी। उनम अिव सनीय साहस होता ह।
आप वैसे थे। हम सभी वैसे थे। िफर हमने अपने आस-पास क बड़-बुजुग क बात सुननी शु क जो
डरना सीख चुक थे और हमने अपनी ही ितभा को नकारना शु कर िदया।
जब ाहक मुझे िव ास िदलाने क कोिशश करते ह िक वे िकतने बुर ह या ेम करने यो य नह ह तो म
कभी उन पर िव ास नह करती। मेरा काम उ ह उस दौर म वापस लाना ह, जब वे जानते थे िक अपने
आपको िकस तरह यार करना ह।

अ यास : दपण
इसक बाद म ाहक को एक छोटा दपण उठाने, अपनी आँख म देखने और अपना नाम कहते ए यह
बोलने को कहती , ‘म तु ह उसी प म यार और वीकार करता , जैसे तुम हो।’
यह कई लोग क िलए ब त किठन होता ह। इस अ यास से आनंद उठाने क बात तो दूर, मुझे शायद ही
कभी इसक िलए सुखद िति या िमलती ह। कछ रोते ह या उनक आँख म पानी आ जाता ह, कछ हो
जाते ह, कछ अपने गुण या िवशेषता को मह व नह देते, कछ जोर देकर कहते ह िक वे ऐसा नह कर
सकते। एक य ने तो कमर म दपण को फककर भाग जाना चाहा। उसे दपण म अपने आपसे बात करना
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शु करने म कई महीने लग गए।
वष तक म दपण कवल उसम िदखनेवाले य क आलोचना करने क िलए देखती रही। अपने आपको
वीकाय बनाने क िलए अपनी भ ह को तराशते ए िबताए गए अंतहीन घंट को याद करक अब म चिकत
हो जाती । मुझे वयं याद ह िक मुझे वयं अपनी आँख म देखने म डर लगता था।
यह सरल अ यास मुझे ब त कछ िदखाता ह। एक घंट से भी कम समय म म बाहरी सम या क नीचे
मौजूद कछ मु य मु तक प चने म सफल हो जाती । यिद हम कवल सम या क तर तक काम कर तो
हम हर बारीक पर काम करने म ब त सारा समय लगा सकते ह; और िजस पल हम लगता ह िक हमने सब
ठीक कर िलया ह, वह कह और उभर जाता ह।

िदखनेवाली ‘सम या’ शायद ही असली सम या होती ह


बात एक ाहक क । वह अपने प को लेकर काफ सोचती थी, खासकर अपने दाँत को लेकर। वह
एक डिट ट से दूसर डिट ट क पास घूमती रही और महसूस करती रही िक हर िकसी ने उसक चेहर को और
भ ा बना िदया ह। उसने अपनी नाक ठीक कराई, पर डॉ टर ने ठीक से यह काम नह िकया। हर य
उसक इस िवचार को ितिबंिबत कर रहा था िक वह बदसूरत ह। उसक सम या उसका प नह था, ब क
उसका यह िव ास था िक उसक साथ कछ गड़बड़ ह।
एक और मिहला थी, िजसक साँस म दुगध थी। उसक आस-पास रहना असहज था। वह मं ी बनने क
िलए पढ़ाई कर रही थी और उसका बाहरी यवहार पिव और आ या मक था। उसक नीचे दबे ए गु से
और ई या क एक लहर थी, जो तब बाहर आती थी जब उसे लगता था िक कोई उसक पद क िलए खतरा
बन सकता ह। उसक अंद नी िवचार उसक साँस से अिभ य होते थे और ेिहल होने का िदखावा करते
समय भी वह आ ामक होती थी। उसे और िकसी से नह , ब क खुद से खतरा था।
वह िसफ पं ह वष का था, जब उसक माँ उसे मेर पास लाई। उसे हॉजिकस बीमारी (यकत बढ़ने का एक
रोग) थी और उसक पास िसफ तीन महीने थे। उसक माँ वाभािवक प से ब त ही परशान थी और उससे
बात करना मु कल था; लेिकन वह लड़का बु मान और चतुर था और जीिवत रहना चाहता था। वह मेरी
हर बात मानने को तैयार था, िजसम उसक सोचने और बोलने का तरीका बदलना भी शािमल था। उसक
माता-िपता अलग हो चुक थे और हमेशा बहस करते थे। उसक पास वाकई एक यव थत घरलू जीवन नह
था।
उसे अिभनेता बनने क ब त चाह थी। िस और िक मत क चाह म खुशी अनुभव करने क उसक
मता दब गई थी। उसे लगता था िक वह तभी वीकाय और मह वपूण बन सकता ह, जब उसक पास
िस हो। मने उसे खुद से यार और अपने आपको वीकार करना िसखाया—और वह व थ हो गया।
अब वह एक प रप य ह और िनयिमत प से ॉडवे पर नजर आता ह। जैसे ही उसने अपने अ त व
क खुशी को महसूस करना शु िकया, उसे नाटक म काम िमलना शु हो गया।
अिधक वजन एक और अ छा उदाहरण ह िक िकस कार हम एक ऐसी सम या को सुधारने म ब त सी
ऊजा यथ करते ह, जो असली सम या नह ह। लोग अकसर मोटापे से लड़ते ए वष गुजार देते ह और
िफर भी मोट होते ह। वे अपनी सभी सम या को वजन से जोड़कर देखते ह। अिधक वजन एक गहरी
अंद नी सम या का कवल एक बाहरी भाव ह। मेर िलए वह सम या हमेशा डर और सुर ा क
आव यकता ह। जब हम डर ए या असुरि त या ‘पया प से अ छ नह ’ महसूस करते ह तो हमम से
कई सुर ा क िलए अित र वजन एकि त कर लेते ह।
अिधक भारी होने क िलए अपने आपको कम आँकने म अपना समय िबताना; भोजन का वह हर ास जो
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हम खाते ह, उसक िलए अपराध-बोध महसूस करना, वजन बढ़ने पर अपने आपको कोसना कवल समय क
बरबादी ह। बीस वष बाद भी हम इसी थित म हो सकते ह, य िक हमने असली सम या से िनपटना शु
भी नह िकया ह। हमने बस यह िकया ह िक अपने आपको अिधक भयभीत और असुरि त बनाया ह, िफर
हम सुर ा क िलए अिधक वजन क ज रत पड़ती ह।
इसिलए म अिधक वजन या डाइट पर यान देने से इनकार कर देती , य िक डाइिटग काम नह करती।
एकमा डाइट जो काम करती ह वह ह मानिसक डाइट—नकारा मक िवचार से दूर रहना। म ाहक से
कहती , ‘चिलए, उस मु े को कछ समय क िलए एक ओर रख देते ह और पहले कछ अ य बात पर
काम करते ह।’
वे अकसर मुझे बताते ह िक वे अपने आपसे यार नह कर सकते, य िक वे इतने मोट ह, या जैसा िक
एक लड़क ने कहा, ‘िकनार पर अिधक गोल’ ह। म उ ह समझाती िक वे मोट इसिलए ह, य िक वे खुद
से यार नह करते। जब हम अपने आपसे ेम और वयं को वीकार करते ह तो हमार शरीर से
आ यजनक प से वजन कम होता ह।
कभी-कभी ाहक मुझसे नाराज भी हो जाते ह, जब म समझाती िक अपना जीवन बदलना उनक िलए
िकतना आसान ह। वे शायद ऐसा महसूस करते ह िक म उनक सम या को नह समझ पाती। एक मिहला
ब त िनराश हो गई और बोली, ‘म यहाँ लेखन-काय क िलए मदद लेने आई थी, खुद से यार करना सीखने
नह ।’ मेर िलए यह समझना मु कल नह था िक उसक मु य सम या अपने आपसे नफरत करना थी और
यह उसक जीवन क येक अंग म, यहाँ तक िक उसक लेखन म भी, या हो गई ह। वह िकसी भी चीज
म सफलता नह ा कर सकती थी, जब तक िक वह अपने आपको इतना अयो य महसूस करती।
उसने मेरी बात नह सुनी और रोती ई चली गई। िफर एक वष बाद उसी सम या क साथ और भी ब त
सी सम याएँ लेकर आई। कछ लोग तैयार नह होते और िनणय नह कर पाते। हम सभी अपने प रवतन सही
समय, सही थान और म म करना शु करते ह। मने चालीस क उ तक अपने जीवन म बदलाव लाना
शु भी नह िकया था।

असली सम या
तो एक ाहक ने अभी-अभी उस िनद ष छोट से दपण म देखा ह और वह दुःखी ह। म खुशी से मुसकराती
और कहती , ‘ब त बि़ढया! अब हम ‘असली सम या’ क ओर देख रह ह। अब हम आपक रा ते म
आनेवाली असली कावट को दूर करना शु कर सकते ह। म अपने आपसे ेम करने, उसक तरीक क बार
म और बात करती , य िक मेर िलए अपने आपसे ेम करना खुद को कभी भी िकसी भी बात क िलए दोष
न देने से शु होता ह।’
म उनक ओर देखते ए उनसे पूछती िक या तो अपनी आलोचना करते ह? उनक िति याएँ मुझे
ब त कछ बता देती ह—
हाँ, िबलकल।
हर समय।
उतना नह , िजतना म करता था।
म अपने अंदर बदलाव कसे लाऊगा, अगर म अपनी िनंदा न क ।
या हर कोई ऐसा ही नह करता?
म कहती , ‘हम हर िकसी क बार म बात नह कर रह; हम आपक बार म बात कर रह ह। आप अपनी
िनंदा य करते ह?आपम या कमी ह?’
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Aaple Vachnalay
जब वे बात करते ह तो म एक सूची बनाती । वे जो भी कहते ह, वह अकसर उनक ‘चािहए, सूची से
मेल खाता ह। उ ह लगता ह िक वे अिधक लंबे, अिधक नाट, अिधक मोट, अिधक पतले, अिधक मूख,
अिधक बूढ़, अिधक युवा, अिधक बदसूरत ह। (अकसर सबसे खूबसूरत य या मिहला यह कहती ह।)
या उ ह अिधक देर हो गई ह या अिधक ज दी ह, वे अिधक आलसी ह, और ऐसी ही कई बात। यान
दीिजए िक लगभग हमेशा सबकछ ‘अिधक’ होता ह। अंत म हम सम या क आधार पर प चते ह और वे
कहते ह, ‘म उतना बेहतर नह ।’
वाह, वाह! आिखरकार हमने असली सम या को खोज िलया ह। वे अपनी आलोचना करते ह, य िक
उ ह ने यह मान िलया ह िक वे ‘उतने अ छ नह ह।’ ाहक हमेशा चिकत होते ह िक हम िकतनी ज दी इस
मु े पर प च गए ह। अब हम िकसी दु भाव (साइड इफ ट) जैसे—शारी रक सम या , र त क
सम या , पैसे क सम या या रचना मकता क अभाव क बार म परशान होने क ज रत नह । हम
अपनी सारी ऊजा सारी सम या क जड़ ‘अपने आपको यार न करना’ क समाधान म लगा सकते ह।
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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
िद य श सदैव मुझे सुर ा देती ह और राह िदखाती ह
मुझे अपने अंदर झाँकने म कोई खतरा नह ह
मुझे अतीत क ओर देखने म कोई खतरा नह ह
मेर िलए जीवन क ित अपना ि कोण िव तृत करना सुरि त ह
म अपने य व—अतीत, वतमान या भिव य से कह अिधक
म अब अपने य व क सम या से ऊपर उठना चाहता
तािक अपने अ त व क मिहमा को जान सक
म पूरी तरह अपने आपसे यार करना सीखने को तैयार
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
कहाँ से आता ह यह िवचार?
‘अतीत का मुझ पर कोई भाव नह ।’
यह सही ह हमने कछ समझ िलया ह और हमार िवचार म जो असली सम या थी, उससे आगे बढ़ गए ह।
अब हम उस बात पर आ गए ह, जो मेर खयाल से असली सम या ह। हम महसूस करते ह िक हम उतने
बेहतर नह ह और हम अपने आपसे ेम नह करते। म जीवन क ित जो ि कोण रखती , यिद उसम
कोई सम या ह तो यह सच ह। इसिलए चिलए, देखते ह िक यह िवचार आया कहाँ से।
एक छोटा िशशु से जो अपने आप म और जीवन क ित संपूण होता ह, हम ऐसे य कसे बन जाते ह,
जो सम या से िघरा होता ह और िकसी-न-िकसी प म अपने आपको तु छ व ेम क अयो य समझता
ह? जो लोग पहले ही खुद से ेम करते ह, वे आगे भी खुद से कछ अिधक ेम कर सकते ह।
गुलाब क बार म सोिचए, जो पहले एक छोटी सी कली होती ह। वह पूण िवकिसत होकर फल बनता ह
और अंितम पँखुड़ी िगरने तक हमेशा खूबसूरत, हमेशा संपूण, हमेशा प रवतनशील होता ह। यही हमार साथ
होता ह। हम हमेशा संपूण, हमेशा खूबसूरत और सदैव प रवतनशील होते ह। हम अपनी समझ, जाग कता
और ान क साथ े काय कर रह ह। जैसे-जैसे हम और अिधक समझ, जाग कता व ान ा कर लगे
तो हम अपने काय को कछ अलग कार से करगे।

मानिसक शु ीकरण
अब अपने अतीत क बार म थोड़ा और परखने क ज रत ह, तािक हम उन सभी िव ास पर नजर डाल
सक, जो हम चला रह ह।
कछ लोग को सफाई ि या का यह िह सा ब त पीड़ादायक लगता ह, लेिकन ऐसा होना ज री नह ।
सफाई करने से पहले हम देखना चािहए िक अतीत म या ह?
यिद आप िकसी कमर को अ छी तरह साफ करना चाहते ह तो आप उसम मौजूद हर चीज को उठा-
उठाकर देखगे। कछ चीज को आप यार से देखगे और उसक सफाई करक तथा चमकाकर उसे एक नया
और सुंदर बनाएँगे। कछ चीज को िफर से नया प देने या मर मत क ज रत होगी और आप उ ह यान म
रख लगे। कछ चीज दोबारा कभी आपक काम नह आएँगी और उन चीज को हटाना ज री हो जाता ह।
पुरानी पि का और अखबार तथा गंदे पेपर लेट को िन ंत होकर कचर क िड बे म डाला जा सकता
ह। एक कमर क सफाई करने म ोिधत होने क कोई ज रत नह ह।
िबलकल ऐसे ही अपने मन-म त क क घर क सफाई करना ह। कवल इसिलए ोिधत होने क कोई
ज रत नह ह, य िक उसक कछ िव ास ख म करने यो य ह। उ ह उतनी ही आसानी से जाने द िजतनी
आसानी से आप भोजन करने क बाद बचे ए टकड़ को कड़दान म फक देते ह। या आप आज का भोजन
तैयार करने क िलए िपछले िदन क कड़दान म हाथ डालगे? या आप आनेवाले कल क अनुभव तैयार करने
क िलए पुराने मानिसक कड़ को करदते ह?
अगर कोई िवचार या िव ास आपक काम नह आता तो उसे जाने द। ऐसा कोई कानून नह ह िक कभी
आप िजस बात पर िव ास करते थे, उस पर हमेशा क िलए िव ास बनाए रखना ज री ह।
आपक कछ संकिचत िवचार पर नजर डालते ह और देखते ह िक वे आते कहाँ से ह?
िवचार : ‘म उतना अ छा नह ’
ोत : उसक बार-बार उसक िपता ने कहा िक वो मूख ह।
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Aaple Vachnalay
उसने कहा िक वह एक सफल य बनना चाहता था, तािक उसक िपता को उस पर गव हो। लेिकन
वह अपराध-बोध क भावना से भरा आ था िजसने उसक अंदर असंतोष उ प िकया और इसक कारण
उसे एक क बाद एक िवफलता िमली। िपता ने उसक िलए कई यवसाय क िलए पैसा लगाया, लेिकन वे
सब असफल हो गए। उसने बदला लेने क िलए िवफलता का इ तेमाल िकया। उसने अपने िपता को बार-
बार पैसे देने क िलए मजबूर िकया। िन त प से वह एक असफल य था।
िवचार : अपने आपसे ेम क कमी।
ोत : वह िपता क वीकित पाने क कोिशश कर रही थी।
वह अपने िपता क तरह िबलकल नह बनना चाहती थी। वे िकसी भी मु े पर सहमत नह होते थे और
उनक बीच हमेशा बहस होती थी। वह िसफ अपने िपता क वीकित चाहती थी, लेिकन उसक बजाय उसे
िसफ आलोचना िमली। उसक शरीर म पीड़ा भरी ई थी। उसक िपता क शरीर म भी उसी कार क पीड़ा
थी। वह समझ नह पा रही थी िक उसका रोष उसक दद क वजह ह, िजस कार उसक िपता का गु सा
उनक शरीर म दद उ प कर रहा था।
िवचार : जीवन खतरनाक ह।
ोत : एक डरा आ िपता।
एक ाहक को जीवन ब त दुःख से भरा और किठन नजर आता था। उसक िलए हसना मु कल था और
जब वह हसती थी तो इस बात से डर जाती थी िक कछ ‘बुरा’ हो जाएगा। उसे इस चेतावनी क साथ बड़ा
िकया गया था, ‘‘हसो मत, वरना ‘वे’ तु हारा बुरा करगे।’’
िवचार : म उतना अ छा नह ।
ोत : य और उपेि त होना।
उसक िलए बात करना ब त किठन था। उसक िलए चुप रहना जीवन जीने का एक तरीका बन गया था।
उसने अभी-अभी नशीले पदाथ व शराब से छोड़ी थी और उसे यक न हो गया था िक वह ब त बुरा ह। मने
पाया िक जब उसक माँ क मृ यु ई, तब वह ब त छोटा था और उसका पालन-पोषण उसक एक र तेदार
ने िकया था। वह र तेदार कवल कोई आदेश देते समय ही उससे बात करती थी और उसे चु पी म पाला गया
था। वह खाना भी चुपचाप अकले म खाता था और चुपचाप अपने कमर म पड़ा रहता था। उसका एक ेमी
था, वह भी एक चुपचाप रहनेवाला य था और वे अपना अिधकांश समय अकले म चुप रहकर िबताते
थे। ेमी क मृ यु हो गई और वह एक बार िफर अकला हो गया।

अ यास : नकारा मक संदेश


अगला अ यास यह ह िक आप एक कागज का बड़ा टकड़ा ल तथा एक सूची बनाएँ िक आपक माता-
िपता क अनुसार आपक अंदर कौन सी किमयाँ थ । आपने कौन से नकारा मक संदेश सुने? अपने आपको
पया समय द, तािक आप अिधक-से-अिधक बात याद कर सक। आधा घंटा आम तौर पर काफ होता ह।
उनका पैसे क बार म या कहना था?वे आपक शरीर क बार म या कहते थे?वे यार और र त क बार
म या कहते थे?उ ह ने आपक रचना मक ितभा क बार म या कहा?उ ह ने आपसे कौन सी
नकारा मक बात कह ?
यिद आप कर सक तो इन चीज पर व तुपरक ि से नजर डाल और अपने आप से कह, ‘तो वह िवचार
यहाँ से आया ह।’
अब एक नया कागज ल और थोड़ी गहराई से सोच। आपने बचपन म और कौन सी नकारा मक चीज सुनी
थ?
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र तेदार से...........................................
िश क से............................................
िम से................................................
मह वपूण लोग से...................................
धािमक थल से......................................
उन सबको िलख। पूरा समय ल। अपने शरीर म पनपनेवाली भावना पर नजर रख।
कागज क इन दोन टकड़ पर जो भी ह, वे ऐसे िवचार ह जो आपको अपने अंदर से हटाने ह। यही वे
िव ास ह, जो आपक भीतर ‘म उतना अ छा नह ’ जैसे िवचार पैदा कर रह ह।

अपने आपको एक बालक क प म देखना


यिद हम तीन वष क एक ब े को ल और उसे एक कमर क म य म डाल द। िफर आप और म उस
ब े पर िच ाना शु कर द और उससे कह िक वह िकतना बेवकफ ह, वह िकसी भी काम को ठीक से
नह कर सकता, कसे उसे यह करना चािहए और वह नह करना चािहए, उसक ारा क गई ‘अफरा-तफरी
पर नजर डाल’; साथ ही उसे एक-दो थ पड़ लगा द तो आिखरकार हमार सामने एक डरा आ छोटा सा
ब ा होगा, जो चुपचाप एक कोने म बैठा होगा या जो उस जगह को अ त- य त कर देगा। ब ा इन दोन
म से एक तरीका अपनाएगा, लेिकन हम उस ब े क मता को कभी नह जान पाएँगे।
अगर हम उसी छोट ब े को ले जाएँ और उससे कह िक हम उसे िकतना यार करते ह, हम उसक
िकतनी परवाह करते ह िक वह िकतना अ छा लगता ह और वह िकतना तेज और होिशयार ह, िक वह िजस
तरीक से काम करता ह, वह हम ब त अ छा लगता ह और वह गलितयाँ कर सकता ह, य िक उनसे वह
सीखता ह—और िक चाह कछ भी हो जाए, हम हमेशा उसक साथ ह—िफर उस ब े क मता को देखकर
आप दंग रह जाएँगे।
हमम से हर िकसी क अंदर तीन वष का एक ब ा ह और हम अपना अिधकांश समय अपने भीतर उस
ब े पर िच ाते ए िबताते ह। िफर हम सोचते ह िक हमारा जीवन इतना दुःखी य ह?
अगर आपका कोई िम था, जो हमेशा आपक आलोचना करता था तो या आप उस य क आस-
पास रहना चाहगे? शायद आपक साथ बचपन म ऐसा यवहार िकया गया था और यह दुःख क बात ह।
हालाँिक यह काफ पहले क बात ह, और यिद आप अब अपने साथ उसी कार का यवहार करना चाहते
ह तो यह और भी अिधक दुःख क बात ह।
तो अब, हमार सामने, नकारा मक संदेश क एक सूची ह जो हमने एक बालक क प म सुना था। यह
सूची आपक अनुसार आपक अंदर मौजूद किमय क सूची से िकस तरह मेल खाती ह? या वे लगभग समान
ह? शायद हाँ।
हमार जीवन क कहानी अपने शु आती संदेश पर आधा रत ह। हम सभी अ छ छोट ब े होते ह और
अ यंत आ ापूवक उन सभी बात को वीकार कर लेते ह, जो ‘वे’ हम स ाई क प म बताते ह। अपने
माता-िपता को दोषी ठहराना और अपने जीवन का बाक समय एक पीि़डत क प म िबताना हमार िलए
ब त आसान होगा। लेिकन यह कोई अ छी बात नह होगी और िन त प से यह हम इन बंिदश से नह
िनकालेगी।

अपने प रवार को दोषी ठहराना


दोष देना िकसी सम या म िटक रहने का एक िन त तरीका ह। दूसर को दोषी ठहराने म हम अपनी
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Aaple Vachnalay
श बरबाद करते ह। ‘समझना’ हम उस सम या से ऊपर उठने और अपने भिव य को िनयंि त करने म
मदद करती ह।
अतीत को बदला नह जा सकता। भिव य हमारी वतमान सोच से आकार लेता ह। हमारी आजादी क िलए
यह समझना अिनवाय ह िक हमार माता-िपता क पास जो समझ, जाग कता और ान था, उसक साथ वे
अपने िहसाब से े काम कर रह थे। जब हम िकसी और को दोषी ठहराते ह तो हम अपनी िज मेदारी नह
ले रह होते।
िजन लोग ने हमार साथ वो सब गलत िकया, वे वैसे ही डर ए और आशंिकत थे, िजतने आप ह। वे
उतना ही असहाय महसूस करते थे िजतना आप करते ह। वो आपको उतना ही िसखा सकते थे, िजतना उ ह
िसखाया गया था।
आप अपने माता-िपता क बचपन क बार म, खासकर दस वष क आयु से पहले उनक बचपन क बार म
िकतना जानते ह? यिद अब भी आपक िलए यह पता लगाना संभव ह तो उनसे पूिछए। यिद आप अपने माता-
िपता क बचपन क बार म पता कर पाते ह तो आप और अिधक आसानी से समझ पाएँगे िक उ ह ने जो
िकया, वह य िकया। यह समझ आपक अंदर संवेदना उ प करगी।
यिद आपको इस बार म पता नह ह और पता नह कर सकते तो क पना करने का यास कर िक उनका
बचपन कसा रहा होगा। िकस कार का बचपन उनक जैसा वय क तैयार कर सकता ह।
आपक अपनी आजादी क िलए इस ान क ज रत ह। आप जब तक उ ह मु नह करते, तब तक
आप खुद को मु नह कर सकते। आप तब तक अपने आपको माफ नह कर सकते, जब तक आप उ ह
माफ न कर। यिद आप उनसे पूणता क माँग करते ह तो आप खुद से भी पूणता क माँग करगे और िफर
अपनी पूरी िजंदगी दुःखी रहगे।

अपने माता-िपता को चुनना


म इस िस ांत से सहमत िक हम खुद अपने माता-िपता को चुनते ह। हम जो सबक सीखते ह, वे हमार
माता-िपता क ‘कमजो रय ’ से पूरी तरह मेल खाते तीत होते ह।
म मानती िक हम सभी एक अनंत सफर पर ह। हम इस धरती पर कछ खास सबक सीखने क िलए
आए ह, जो हमार आ या मक िवकास क िलए ज री ह। हम अपना िलंग, अपना रग, अपना देश चुनते ह
और िफर एक पूण (परफ ट) माता-िपता क तलाश करते ह जो हमार िवचार ा प को ितिबंिबत करते ह।
इस धरती पर हमारा आना कल जाने क समान ह। यिद आप यूटीिशयन बनना चाहते ह तो आप वैसे
सं थान म जाएँगे। यिद आप मेकिनक बनना चाहते ह तो आप मेकिन स कल म जाएँगे। यिद आप वक ल
बनना चाहते ह तो आप लॉ कल म जाएँगे। इस बार आपने िजन माता-िपता को चुना ह, वे उन बात म पूण
ह, जो चीज आप सीखना चाहते ह।
जब हम बड़ होते ह तो अकसर हम अपने माता-िपता क ओर उगिलयाँ उठाते ह और कहते ह, ‘आपने
मेर साथ ऐसा िकया!’ लेिकन मेरा मानना ह िक हमने वयं उ ह चुना ह।

दूसर क बात सुनना


जब हम छोट होते ह तो हमार बड़ भाई और बहन हमार िलए भगवा होते ह। यिद वे खुश नह थे तो
शायद उ ह ने वह नाराजगी शारी रक या शा दक प से हमार ऊपर िनकाली। शायद उ ह ने ऐसी बात कह

‘यह तु हारी गलती ह।’ (अपराध-बोध डालने क िलए)
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Aaple Vachnalay
‘तुम अभी ब े हो, तुम ऐसा नह कर सकते।’
‘तुम ब त बेवकफ हो, हमार साथ नह खेल सकते।’
कल म हमार िश क हम पर काफ भाव डालते ह। पाँचव क ा म एक िश क ने जोर देकर मुझसे
कहा िक म नृ य करने क िलए अिधक लंबी । मने उस पर िव ास िकया और नृ य करने क अपनी
इ छा को दबा िदया, जब तक िक म नृ य म अपना क रयर बनाने क अपनी आयु पार नह कर गई।
या आप समझते थे िक परी ाएँ और ेड कवल यह देखने क िलए थे िक आपको एक िन त समय पर
िकतना ान था या आप ऐसे बालक थे जो ऐसी परी ा और ेड क मदद से अपना साम य आँकते थे?
हमार शु आती िम जीवन क बार म अपनी गलत जानकारी हमार साथ बाँटते ह। कल क दूसर ब े हम
परशान कर सकते ह और हमेशा याद रहने वाली चोट दे सकते ह। जब म छोटी थी तो मेरा अंितम नाम ‘लुने’
था और ब े मुझे ‘लुनेिटक’ (पागल) कहते थे।
पड़ोिसय का भी हम पर भाव होता ह, न कवल अपनी िट पिणय क वजह से ब क इसिलए भी,
य िक हम यह कहा जाता था, ‘पड़ोसी या सोचगे?’
उन दूसर मह वपूण लोग क बार म सोिचए, िज ह ने आपक बचपन म आपको भािवत िकया था।
और िन त प से पि का म एवं टलीिवजन पर आनेवाले िव ापन म भी सश और े रत
करनेवाली बात होती थ । ब त सार उ पाद हम यह महसूस कराते ए बेचे जाते ह िक यिद हमने उनका
इ तेमाल नह िकया तो हम बेकार या गलत ह।
हम सब यहाँ पर अपनी शु आती संक णता से आगे बढ़ने क िलए ह, चाह वे जो भी रह ह । हम यहाँ
पर अपनी भ यता और िद यता को पहचानने क िलए ह, चाह ‘उ ह ने’ हमसे जो भी कहा हो। आपको अपने
नकारा मक िवचार पर काबू पाना ह और मुझे अपने नकारा मक िवचार पर काबू पाना ह।
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Aaple Vachnalay
इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
अतीत मुझसे अिधक श शाली नह ह
य िक म सीखना और बदलना चाहता ।
म अतीत को आव यक मानता , य िक वह मुझे आज म लाया ह।
म अभी से नई शु आत करने क िलए तैयार ,
तािक म अपने मन-म त क क कमर को साफ कर सक।
म जानता िक इस बात से कोई फक नह पड़ता िक म कहाँ से शु आत करता
इसिलए अब म सबसे छोट और सबसे आसान कमर से शु करता ।
और इस तरह से मुझे तुरत प रणाम िदखगे
म इस साहिसक काम क म य खड़ा होकर रोमांिचत ।
य िक म जानता िक म इस अनुभव से िफर कभी नह गुज गा
म वयं को मु करने क िलए तैयार
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
या यह सच ह?
‘सच मेरा कभी न बदलनेवाला िह सा ह।’
यह न िक ‘ या यह सच या वा तिवक ह?’ क दो उ र ह—‘हाँ’ और ‘नह ’। अगर आप इसे सच
मानना चाहते ह तो यह सच ह। अगर आप मानना चाहते ह िक यह सच नह ह तो वह सच नह ह। िगलास
आधा भरा भी ह और आधा खाली भी, यह आपक ि कोण पर िनभर करता ह। वा तव म ऐसे अरब िवचार
ह, जो हम सोच सकते ह।
हमम से अिधकतर लोग उसी कार से सोचते ह, िजस कार से हमार माता-िपता सोचते थे; लेिकन हम
ऐसा करते रहने क ज रत नह ह। ऐसा कोई िलिखत कानून नह ह, जो कहता हो िक हम कवल एक तरीक
से सोच सकते ह।
म जो भी िव ास करना चाहती , वह मेर िलए सच हो जाता ह। आप जो भी िव ास करना चाहते ह,
वह आपक िलए सच हो जाता ह। हमार िवचार पूरी तरह िभ हो सकते ह। हमार जीवन और अनुभव पूरी
तरह िभ ह।

अपने िवचार को जाँच


हम जो भी िव ास करते ह, वह हमार िलए सच हो जाता ह। अगर आपको अचानक एक आिथक संकट
का सामना करना पड़ता ह तो िकसी-न-िकसी प म आपको ऐसा लग सकता ह िक आप अमीर बनने क
लायक ही नह ह या आप कज और ऋण म यक न रखते ह। यिद आप यह मानते ह िक कोई भी अ छी
चीज हमेशा क िलए नह रहती, शायद आप यह मान ल िक िजंदगी आपक िलए मुसीबत पैदा कर रही ह, या
जैसा िक म अकसर सुनती , ‘म जीत ही नह सकता।’
अगर आप कोई र ता बनाने म सफल नह होते तो शायद आप यह मान सकते ह िक ‘कोई मुझे यार नह
करता’, या ‘म यार क लायक नह ’। शायद आप अपनी माँ क तरह दबने से डरते ह या शायद आप
सोचते ह, ‘लोग मुझे चोट प चाते ह।’
यिद आपक सेहत अ छी नह ह तो ऐसा सोच सकते ह िक ‘हमार प रवार म सब बीमार रहते ह।’ या
आप मौसम क िशकार ह। या शायद, ‘म दुःख उठाने क िलए ही पैदा आ ।’ या ‘एक क बाद एक
परशािनयाँ आती ह।’
या आप म कोई और िव ास हो सकता ह। हो सकता ह िक आपको खुद अपने िव ास क बार म पता न
हो। अिधकतर लोग वा तव म नह जानते िक उनक मन म या चल रहा ह। उ ह िसफ बाहरी प र थितयाँ
नजर आती ह। जब तक िक कोई आपको बाहरी अनुभव और अंद नी िवचार क बीच का संबंध न िदखाए,
तब तक जीवन म आप पीि़डत बने रहगे।
सम या : आिथक संकट
िवचार : म अमीर बनने यो य नह ।
सम या : कोई िम न होना
िवचार : कोई मुझे यार नह करता।
सम या : काम म सम याएँ
िवचार : म उतना अ छा नह ।
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Aaple Vachnalay
सम या : हमेशा दूसर को खुश करना
िवचार : म कभी सफल नह होता।
सम या जो भी हो, वह एक कार क िवचार से आती ह और िवचार को बदला जा सकता ह!
यह सच लग सकता ह। यह सच महसूस हो सकता ह, ये सभी सम याएँ, िजनसे हम अपने जीवन म जूझ
रह ह। हम चाह िकतनी भी किठन सम या क साथ जूझ रह ह , वह कवल एक अंद नी िवचार ा प का
एक बाहरी प रणाम ह।
यिद आप नह जानते िक कौन से िवचार आपक सम या का कारण ह, तो अब आप सही थान पर ह,
य िक यह पु तक इसीिलए तैयार क गई ह िक आप वह कारण खोज पाएँ। अपने जीवन क सम या पर
नजर डाल। अपने आपसे पूछ, ‘मेर कौन से िवचार इ ह ज म दे रह ह?’
यिद आप चुपचाप बैठकर अपने आपसे यह न पूछ तो आपक आंत रक बु आपको इसका उ र दे
देगी।

वह िसफ एक िव ास ह, जो आपने एक बालक क प म सीखा


कछ चीज, िजन पर हम िव ास करते ह, वे सकारा मक और पोषक होती ह। ये िवचार जीवन भर हमार
काम आते ह, जैसे—‘सड़क पार करने से पहले दोन ओर देख।’
कछ िवचार शु म ब त उपयोगी होते ह और जैसे-जैसे हम बड़ होते ह, वे उपयु नह रह जाते।
‘अजनिबय पर भरोसा मत करो’, यह एक छोट ब े क िलए अ छी सलाह हो सकती ह, लेिकन एक
वय क क िलए इस िव ास को जारी रखना कवल अलगाव और अकलेपन को ज म देगा।
हम य कभी-कभार बैठकर अपने आपसे पूछते ह, ‘ या यह वा तव म सच ह?’ जैसे, म ऐसी बात पर
िव ास य करता िक ‘मेर िलए यह चीज सीखना किठन ह।’
इससे बेहतर यह पूछना ह, ‘ या अब यह मेर िलए ठीक ह?यह िवचार आया कहाँ से? या म अब भी इस
पर यक न करता , कवल इसिलए िक पहली क ा क एक िश क ने बार-बार मुझसे यह कहा? या इस
िव ास को याग देना मेर िलए बेहतर होगा?’
‘लड़क रोते नह ’ और ‘लड़िकयाँ पेड़ पर नह चढ़त ’, ऐसे िवचार अपनी भावना को िछपानेवाले
पु ष और शारी रक मेहनत से डरनेवाली मिहला को ज म देते ह।
अगर बचपन म हम िसखाया गया था िक यह दुिनया ब त भयावह जगह ह तो हम उस िवचार से मेल
खानेवाली जो भी बात सुनते ह, उसे सच क प म वीकार कर लेते ह। यही बात ‘अजनिबय पर भरोसा मत
करो’, ‘रात म बाहर मत िनकलो’ या ‘लोग तु ह धोखा देते ह’ क िलए भी सच ह।
दूसरी ओर, अगर हम शु आत म ही यह िसखाया गया था िक दुिनया एक सुरि त जगह ह तो हमारी
आ थाएँ कछ और ह गी। हम आसानी से वीकार कर सकते ह िक ेम हर जगह ह और लोग इतने दो ताना
ह, और मुझे वह सब िमल जाता ह िजसक मुझे ज रत होती ह।
अगर आपको बचपन म यह िसखाया गया था िक ‘यह सब मेरी गलती ह’, तो आप हर समय अपराध-
बोध महसूस करगे, चाह जो भी हो। आपका िव ास आपको ऐसे य म बदल देगा जो हमेशा यह कहगा,
‘म शिमदा ।’
अगर आपने बचपन म यह मानना सीख िलया था िक ‘म िकसी िगनती म नह ’, तो यह िव ास हमेशा
अंत म रखेगा, चाह आप जहाँ भी ह । जैसे कक न िमलने का मेरा बचपन का अनुभव (अ याय 16 म मेरी
कहानी देख) िकसी िगनती म नह । कभी-कभी जब दूसर आप पर यान नह देते तो आपको लगता ह िक
आप अ य हो गए ह।
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Aaple Vachnalay
या आपक बचपन क प र थितयाँ आपको यह िव ास करने क िलए िववश करती ह, ‘कोई मुझे यार
नह करता।’ िफर आप िन त प से अकलापन महसूस करगे। अगर आप अपने जीवन म िकसी िम या
िकसी र ते को लाएँ तो भी वह कछ ही समय क िलए होगा।
या आपक प रवार ने आपको िसखाया था, ‘यह पया नह ह।’ तो मुझे यक न ह िक आपको अकसर
लगता होगा मानो अलमारी खाली ह, या आप हमेशा कज म डबे ह।
मेर एक ाहक का पालन-पोषण एक ऐसे प रवार म आ था, जहाँ यह माना जाता था िक सबकछ
गड़बड़ ह तथा थितयाँ और बदतर हो सकती ह। उसे टिनस खेलने म ब त खुशी होती थी, और िफर
उसका घुटना ज मी हो गया। वह ब त से डॉ टर क पास गया, लेिकन घुटना बदतर होता गया। आिखरकार
वह पूरी तरह से खेलने क अयो य हो गया।
एक और य एक उपदेशक क बेट क प म बड़ा आ था और जब वह ब ा था तो उसे िसखाया
गया था िक हर कोई खुद से पहले ह। उपदेशक का प रवार अंत म आता ह। आज वह बेहतरीन डील पाने म
अपने ाहक क मदद करने म मािहर ह, िफर भी आम तौर पर वह कजवान होता ह और उसक पास कम
पैसे होते ह। उसका िव ास अब भी उसे पं म सबसे पीछ कर देता ह।

अगर आप इस पर िव ास करते ह तो यह सच लगता ह


‘म ऐसा ही ’ या ‘वह बात ऐसी ही ह’। ये खास श द वा तव म यह कहते ह िक हम इस बात को अपने
िलए सच मानते ह। आम तौर पर हम जो मानते ह, वह िकसी और का मत होता ह िजसे हम अपनी
आ था म शािमल कर लेते ह। िन संदेह वह हमारी दूसरी आ था क साथ हमार भीतर उपयु बैठ
जाता ह।
या आप उन लोग म से एक ह जो िकसी िदन सुबह उठने पर बा रश का मौसम देखते ह तो कहते ह,
‘ओह, िकतना बेकार िदन ह!’
वह बेकार िदन नह होता, वह बस बा रश से गीला एक िदन होता ह। यिद हम उपयु कपड़ पहन और
अपना ि कोण बदल ल तो बा रश क िदन का मजा ले सकते ह। अगर हमार िदमाग म यह बसा आ ह
िक बा रश क िदन बेकार िदन होते ह तो िफर हम हमेशा सु त मन से बा रश का वागत करगे। उस पल म
जो हो रहा ह, उसक साथ बह जाने क बजाय हम उस िदन से संघष करगे।
यिद हम एक खुशनुमा जीवन चाहते ह तो हम अपने िवचार खुशनुमा बनाने चािहए। यिद हम एक संप
जीवन चाहते ह तो हम संप िवचार रखने चािहए। यिद हम ेम से भरा जीवन चाहते ह तो हम ेम क बार
म सोचना चािहए। हम मानिसक या शा दक प से जो भी अिभ य करते ह, वह उसी प म हमार पास
वापस आता ह।

हर ण एक नई शु आत ह
म िफर कहती । ताकत हमेशा वतमान ण म होती ह। आप कभी कते नह । इ ह ण म, यह पर
और इसी समय हमार अपने िदमाग म प रवतन होते ह! यह कोई मायने नह रखता िक हम िकतने लंबे समय
से नकारा मक िवचार म डबे रह ह या िकसी बीमारी या िकसी खराब र ते या आिथक संकट या आ म-िनंदा
से जूझ रह ह। हम आज ही इनम प रवतन लाना शु कर सकते ह।
अब आपक अपनी सम या को सच बने रहने क कोई ज रत नह ह। वह अब समा होते ए शू यता
तक प च सकती ह, जहाँ से वह आई थी। आप ऐसा कर सकते ह।
याद रिखए, आप ही वह य ह जो अपने िदमाग म सोचते ह। आप वयं अपनी दुिनया म ताकत और
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अिधकारी ह।
अतीत क आपक िवचार व िव ास ने इस ण को और इस ण तक हर ण को बनाया ह। अब आप
िव ास करने और सोचने क िलए जो भी चुनते ह, वह अगले ण को, अगले िदन को, अगले महीने को
और अगले साल को गढ़गा।
हाँ बंधु, तुम! म आपको सबसे उ दा सलाह दे सकती , जो मेर बरस क अनुभव से आई ह। अब भी
आप वही पुराने िवचार को सोच सकते ह, आप बदलने से इनकार कर सकते ह और अपनी सभी सम या
को बनाए रख सकते ह।
अपनी दुिनया म आप सबसे ताकतवर ह! आप जो भी सोचने क िलए चुनते ह, आपको वह िमलेगा।
यह ण नई ि या शु करता ह। हर ण एक नई शु आत ह और यह ण आपक िलए अभी और यह
एक नई शु आत ह! या यह जानना बड़ी बात नह ह? यह ण श का ण ह! इसी ण से प रवतन
शु होता ह।

या यह सच ह?
एक पल क िलए क और अपने िवचार को पकड़। आप इस समय या सोच रह ह?यिद यह सच ह िक
आपक िवचार आपक जीवन को आकार देते ह तो आप अभी जो भी सोच रह ह, या उसे अपने िलए सच
बनाना चाहगे?यिद वह िचंता या गु से या चोट या ितशोध या डर का िवचार ह तो आपको या लगता ह िक
यह िवचार िकस तरह आपक पास लौट कर आएगा?
हमेशा अपने िवचार को पकड़ना आसान नह होता ह, य िक वे ब त तेजी से आगे बढ़ते ह। िफर भी,
हम अभी से अपनी बात पर यान रखना और सुनना शु कर सकते ह। यिद आप खुद को िकसी कार क
नकारा मक श द बोलते ए सुनते ह तो बीच म ही क जाएँ। या तो उस वा य को बदल द या बस छोड़ द।
आप उ ह यह भी कह सकते ह, ‘बाहर िनकलो!’
खुद को िकसी कफट रया म पं म खड़ होने क क पना कर या िकसी शानदार होटल क जलपान गृह
(र टोरट) म, जहाँ भोजन क यंजन क बजाय िवचार क यंजन ह। आप िजन िवचार को चुनना चाह, उ ह
चुन सकते ह। ये िवचार आपक भिव य क अनुभव को उ प करगे।
अब, यिद आप ऐसे िवचार को चुनते ह जो सम याएँ और पीड़ा उ प करते ह, तो यह मूखता ह। यह
इसी तरह ह मानो आप हमेशा खुद को बीमार बनानेवाला भोजन चुनते ह। हम एक या दो बार ऐसा कर सकते
ह, लेिकन जैसे ही हम पता चल जाता ह िक कौन से खा पदाथ हमार शरीर क िलए नुकसानदेह होते ह,
हम उनसे दूर रहते ह। िवचार क साथ भी ऐसा ही ह। चिलए, ऐसे िवचार से दूर रह, जो सम याएँ और पीड़ा
उ प करते ह।
मेर आरिभक िश क म से एक डॉ. रमंड चा स बाकर बार-बार यह कहते थे, ‘जब कोई सम या होती ह
तो वहाँ कछ करने क नह ब क जानने क ज रत होती ह।’
हमारा िदमाग हमारा भिव य तय करता ह। जब हमार वतमान म कछ ऐसा होता ह, जो अवांिछत ह तो हम
उस थित को बदलने क िलए अपने िदमाग का योग करना चािहए। और हम उसी पल उसे बदलना शु
कर सकते ह।
यह मेरी गहरी इ छा ह िक ‘आपक िवचार कसे काम करते ह’ यह िवषय कल म पढ़ाया जानेवाला पहला
िवषय होना चािहए। मुझे कभी समझ नह आया िक ब को लड़ाई क ितिथयाँ याद कराने का या मह व
ह। यह अपनी मानिसक ऊजा न करने क तरह ह। इसक बजाय हम उ ह अिधक मह वपूण िवषय पढ़ा
सकते ह, जैसे—म त क कसे काम करता ह, पैसे को कसे सँभाल, आिथक सुर ा क िलए धन का िनवेश
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कसे कर, कसा अिभभावक बन, अ छ र ते कसे बनाएँ और आ म-स मान व आ म-गौरव कसे बनाएँ तथा
बरकरार रख।
या आप वय क क एक ऐसी पूरी पीढ़ी क क पना कर सकते ह, यिद उ ह कल म अपने िनयिमत
पा य म क साथ ये िवषय पढ़ाए जाएँ? सोिचए िक ये सच िकस कार अिभ य ह गे। हम यहाँ स
लोग ह गे, जो खुद क बार म अ छा महसूस करते ह। हमार पास ऐसे लोग ह गे जो आिथक प से संप
ह गे और जो बु म ा से अपने पैसे को िनवेश करते ए अथ यव था को समृ बनाएँगे। उनक हर िकसी
क साथ अ छ र ते ह गे और वे माता-िपता क भूिमका म सहज ह गे, िफर अपने बार म अ छा महसूस
करनेवाले ब क एक और पीढ़ी तैयार करगे। िफर भी इन सबक बीच हर य एक अलग य होगा,
जो अपनी अलग रचना मकता दिशत करगा।
यथ करने क िलए समय नह ह। चिलए, अपना काम जारी रख।
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इस जीवन क अनंतता म जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
म अब पुराने ितबंध और अभाव म िव ास नह करता
अब म खुद को देखना शु करना चाहता
जैसा िक ांड मुझे देखता ह—संपूण और प रपूण
मेर अ त व का सच यह ह िक मेरा सृजन आ
संपूण और प रपूण
म हमेशा संपूण और प रपूण र गा।
म अब इस समझ क साथ अपना जीवन जीना चाहता
म सही समय पर सही थान पर , सही काय कर रहा
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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अब हम या कर?
‘म अपने ि कोण को समझ रहा और प रवतन लाना चाहता ।’

बदलाव का िनणय
ब त से लोग इस थित म अपने जीवन क अ यव था से घबराकर हाथ खड़ कर देते ह और हार मान लेते
ह। कछ अ य अपने आप या जीवन पर ोिधत हो जाते ह और वे भी हार मान लेते ह।
हार मानने का अथ ह, यह िनणय लेना िक ‘अब कछ भी करना बेकार ह और िकसी भी कार का
प रवतन करना असंभव ह तो कोिशश य कर?’ बाक इस तरह ह, ‘जो चल रहा ह, वह चलने दो। कम-
से-कम तुम यह तो जानते हो िक उस पीड़ा को कसे सँभालना ह। आप यह सब पसंद नह करते, लेिकन इस
सबसे प रिचत ह और आप उ मीद करते ह िक वह और बदतर नह होगा।’
मेर िलए गु से का अ य त होने का अथ ह, मूख का ताज पहनकर एक कोने म बैठ रहना। या यह बात
आपको सही लग रही ह? कछ होता ह और आप ोिधत हो जाते ह। कछ और होता ह और िफर से गु से म
आ जाते ह। कछ और होता ह और आप िफर से ोिधत हो जाते ह। लेिकन आप कभी गु से से यादा कछ
नह करते।
इससे या लाभ होता ह? कवल गु से म आना अपने समय को बरबाद करनेवाली एक मूखतापूण
िति या ह। यह जीवन को एक नए और िभ प म देखने से इनकार करना भी ह।
अपने आपसे यह पूछना अिधक उपयोगी होगा िक आप इतनी थितयाँ िकस तरह उ प कर रह ह, िजन
पर आप ोिधत होते ह।
आपक खयाल म इन सभी कठा क पीछ आपक कौन से िव ास ह?आप ऐसा या कर रह ह, जो
दूसर लोग म आपको िखझाने क आव यकता को े रत करता ह?आपको ऐसा िव ास य ह िक अपने
रा ते पर चलने क िलए आपको ोध करने क ज रत ह?
आप जो भी बाहर देते ह, वह आपक पास वापस आ जाता ह। आप िजतना गु सा करते ह, उतना ही अपने
िलए ऐसी प र थितयाँ तैयार करते ह िजन पर आपको गु सा आता ह, जैसे मूख का ताज पहनकर एक कोने
म बैठ रहना और कछ न कर पाना।
या यह अनु छद आपक अंदर ोध क भावनाएँ उ प करता ह? बि़ढया! तीर िनशाने पर लगा ह। यह
ऐसी बात ह िजसे आप बदलने क इ छक हो सकते ह।

‘प रवतन का इ छक’ होने का फसला कर


यिद आप वा तव म जानना चाहते ह िक आप िकतने िज ी ह तो प रवतन का इ छक होने क िवचार पर
यान द। हम सभी अपने जीवन को प रवितत देखना चाहते ह, प र थितय को बेहतर और अिधक आसान
बनाना चाहते ह; लेिकन हम बदलना नह चाहते। हम चाहते ह िक वे बदल जाएँ। ऐसा करने क िलए हम
अंदर से बदलना होगा। हम सोचने का अपना तरीका बदलना होगा, बोलने का तरीका बदलना होगा, अपने
आपको अिभ य करने का तरीका बदलना होगा। तभी बाहरी प रवतन हो पाएँगे।
यह अगला कदम ह। अब हम इस बार म काफ प ह िक सम याएँ या ह और वे कहाँ से आई ह।
अब बदलने का इ छक होने का समय ह।
मेर अंदर हमेशा हठ क एक वृि रही ह। अब भी कभी-कभी जब म अपने जीवन म कोई बदलाव लाना
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चाहती तो यह हठ सामने आ सकता ह और अपनी सोच को बदलने क ित मेरा ितरोध सश होता ह।
थोड़ी देर क िलए म वाथ , ोिधत और परािजत हो सकती ।
जी हाँ, इतने वष तक मेहनत करने क बावजूद यह सब मेर अंदर अब भी चलता रहता ह। यह मेरा एक
सबक ह। लेिकन अब ऐसा जब भी होता ह, म जानती िक म प रवतन क एक मह वपूण िबंदु पर । हर
बार जब म अपने जीवन म कोई बदलाव लाने, कछ और छोड़ने का फसला करती , ऐसा करने क िलए म
अपने भीतर अिधक गहराई म जाती ।
हर पुराने िवचार क परत को नई सोच से बदला जाना चािहए। उसम से कछ आसान ह और कछ एक
पंख से च ान उठाने क तरह ह।
जब म कहती िक म प रवतन लाना चाहती , तो म पुराने िवचार को ढ़ता से पकड़ती और उतना ही
जानती िक उसे छोड़ना मेर िलए सबसे मह वपूण ह। इन चीज को सीखने क बाद ही म दूसर को िसखा
सकती ।
मेरी राय ह िक वा तव म कई अ छ िश क खुशहाल प रवार से नह होते, जहाँ सबकछ आसान होता ह।
वे अिधक पीड़ा व दुःख देखकर आते ह और वे उस थान तक कई परत को पार करक प चे होते ह, जहाँ
अब वे मु होने म दूसर क मदद कर सकते ह। अिधकतर अ छ िश क सीमा क गहरी परत को
हटाने क िलए और भी अिधक िवचार को छोड़ने पर लगातार काम करते रहते ह। यह एक जीवन भर का
यवसाय बन जाता ह।
पहले म आ था को छोड़ने क िवषय म िजस प म काम करती थी और आज िजस प म करती ,
उसम मुख अंतर यह ह िक अब मुझे ऐसा करने क िलए अपने ऊपर ोिधत नह होना पड़ता। अब म यह
नह मानती िक म कवल इसिलए एक बुरी इनसान िक मुझे अपने अंदर बदलाव क िलए कछ और िमलता
ह।

घर क सफाई
अब म अपने मन-म त क म जो काय करती , वह िकसी घर क सफाई करने जैसा ह। म अपने मन क
कमर से गुजरती और उनम मौजूद िवचार व आ था क जाँच करती । कछ को म पसंद करती ,
इसिलए उ ह झाड़-प छकर चमका देती तथा उ ह और भी उपयोगी बना देती । कछ को म हटाने या
मर मत क ज रत महसूस करती और उस काय म लग जाती । कछ िपछले िदन क अखबार, पुरानी
पि का या कपड़ क तरह होते ह, जो अब उपयु नह रह गए ह। उ ह म या तो छोड़ देती या
कड़दान म फक देती , साथ ही उ ह हमेशा क िलए जाने देती ।
मेर िलए ऐसा करने क ि या म ोिधत होना या वयं को एक बुरा य महसूस करना आव यक नह
ह।
अ यास : म बदलना चाहता
चिलए, इस ढ़ वचन का योग करते ह, ‘म बदलना चाहता ।’ इसे बार-बार दुहराएँ। ‘म बदलना
चाहता , म बदलना चाहता ।’ आप ऐसा कहते समय अपने गले को पश कर सकते ह। गला शरीर का
ऊजा क ह, जहाँ प रवतन होता ह। अपने गले को पश करते ए आप वीकार करते ह िक आप प रवतन
क ि या म ह।
जब आपक जीवन म प रवतन आएँ तो इ छा सिहत उ ह होने द। यह यान रख िक जहाँ पर आप ‘नह
बदलना चाहते’, वह वा तव म आपको बदलाव क सबसे अिधक आव यकता ह। ‘म बदलना चाहता ।’

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ांड क बु म ा हमेशा आपक िवचार और श द क ित िति याशील होती ह। जब आप ऐसी
बात कहते ह तो थितय म िन त प से बदलाव आना शु हो जाता ह।

बदलने क कई तरीक
मेर िवचार पर अमल करना, बदलने का एकमा तरीका नह ह। कई अ य तरीक और भी ह, जो काफ
कारगर ह। इस पु तक क अंितम भाग म मने उन कई रा त क एक सूची शािमल क ह, िजनसे आप अपनी
िवकास ि या क तरफ बढ़ सकते ह।
अभी कछ पर िवचार कर। यहाँ एक आ या मक ि कोण िव मान ह, मानिसक ि कोण ह और
भौितक ि कोण ह। संपूण उपचार म शरीर, मन और आ मा शािमल होते ह। आप इनम से िकसी एक से
शु आत कर सकते ह, यिद आप उसम यथा थित सभी को शािमल करते ह। कछ मानिसक ि कोण क
साथ शु आत करते ह और कायशालाएँ या थेरपी करते ह। कछ यान या ाथना क साथ आ या मक
ि कोण अपनाते ह।
जब आप अपने घर क सफाई शु करते ह तो यह मायने नह रखता िक आप िकस कमर से सफाई क
शु आत करते ह। आपको यादा आकिषत करनेवाली जगह से आप शु कर सकते ह। दूसरी जगह पर
सफाई खुद-ब-खुद हो जाएगी।
आ या मक तर पर शु आत करनेवाले लोग, जो जंक फड खाते ह, अकसर पाते ह िक वे पौि क
भोजन क ओर आक हो रह ह। वे िकसी िम से िमलते ह या कोई पु तक खोजते ह या िकसी ऐसी क ा
म जाते ह, जो उनक अंदर यह समझ उ प करती ह िक वे जो कछ भी खाते ह, उसका भारी असर इस बात
पर पड़ता ह िक वे कसा महसूस करते ह और कसा िदखते ह। एक तर हमेशा दूसर क ओर ले जाएगा,
जब तक िवकिसत होने और प रवतन क इ छा मौजूद रहगी।
म पोषण क बार म ब त कम सलाह देती , य िक मने पाया ह िक सभी यव थाएँ कछ लोग क िलए
उपयोगी होती ह। मेर पास होिल टक (संपूण) े म अ छ िचिक सक का एक थानीय तं मौजूद ह और
जब मुझे ाहक क िलए पोषण संबंधी जानकारी क आव यकता िदखती ह, तो म उ ह इनक पास भेज देती
। यह एक ऐसा े ह जहाँ आपको अपना रा ता वयं खोजना होगा या िकसी िवशेष क पास जाना होगा,
जो आपका परी ण कर सकता ह।
पोषण पर ब त सी पु तक ऐसे लोग ारा िलखी गई ह, जो काफ बीमार थे और उ ह ने अपने उपचार
क िलए एक यव था तैयार क । िफर उ ह ने अपने तरीक क बार म और लोग को बताने क िलए एक
पु तक िलखी। हालाँिक हर कोई एक जैसा नह होता।
जैसे—मै ोबायोिटक (जैिवक ि या से तैयार भोजन पदाथ) और ाकितक क े खा पदाथ क आहार
दो िबलकल िभ ि कोण ह। क ा भोजन खानेवाले लोग कभी िकसी पदाथ को पकाते नह ह, कभी-
कभार ही ेड या अनाज खाते ह और इस बात का यान रखते ह िक एक ही समय पर फल और स जी न
खाएँ। और वे कभी नमक का इ तेमाल नह करते। मै ोबायोिटक लोग लगभग सारा भोजन पकाते ह, खा
पदाथ को िमि त करने क िभ तरीक इ तेमाल करते ह और काफ नमक इ तेमाल करते ह। ये दोन
िविधयाँ कारगर ह। दोन शरीर को व थ बनाती ह। लेिकन इनम से कोई भी िविध, सभी क िलए ठीक नह
ह।
पोषण क संबंध म मेरा य गत ि कोण सरल ह। यिद वह बढ़ता ह तो उसे खाओ। यिद वह नह
बढ़ता तो उसे मत खाओ।
अपने भोजन क बार म सतक रहो। यह अपने िवचार पर यान देने क समान ह। हम अपने शरीर पर और
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जब हम िभ तरीक से खाते ह तो हम शरीर से जो संकत िमलते ह, उन पर यान देना भी सीख सकते ह।
जीवन भर नकारा मक मानिसक िवचार म िल रहने क बाद अपने मन-म त क क सफाई करना ऐसा
ही ह मानो जीवन भर जंक फड करने क बाद पौि क भोजन लेने क शु आत करना। ये दोन ही बीमा रय
क उपचार म सम याएँ पैदा कर सकते ह। जब आप अपना शारी रक आहार बदलना शु करते ह, तो शरीर
िवषैले त व क अपने भंडार को बाहर िनकालना शु करता ह और जब ऐसा होता ह तो आप एक-दो िदन
क िलए वयं म सड़न सी महसूस कर सकते ह। ऐसा ही होता ह जब आप अपनी मानिसक िवचार-
ि या को बदलने का िनणय लेते ह, आपको कछ समय क िलए प र थितयाँ बदतर महसूस ह गी।
एक पल क िलए िकसी ध यवादी (थ सिगिवंग) राि भोज क अंत को याद क िजए। भोजन समा हो
चुका ह और अब बरतन को साफ करने का समय ह। बरतन पूरी तरह जला आ और पपड़ीदार ह, इसिलए
आप उसम गरम पानी व साबुन डालते ह और उसम कछ समय क िलए डबा रहने देते ह। िफर आप उस
बरतन को रगड़ना शु करते ह। उस समय आपको यह बुरा लगता ह, जब बरतन और गंदा लगता ह,
लेिकन, अगर आप उसे रगड़ते रहते ह तो आपका बरतन नया-सा हो जाता ह।
यही थित सूखे ए पपड़ीदार मानिसक िवचार क साथ होती ह। जब हम उसे नए िवचार म डबाते ह तो
सारी गंदगी ऊपर आ जाती ह और िदखने लगती ह। बस नए िवचार पर ढ़ रह और ज द ही आप एक
पुराने संकिचत िवचार को पूरी तरह साफ कर दगे।

अ यास : बदलने क इ छा
तो हमने फसला िकया ह िक हम बदलने क इ छक ह और हम िकसी भी या उन सभी िविधय को
अपनाएँगे, जो हमार िलए उपयोगी ह गी। आइए, म एक िविध क बार म बताती , जो म अपने िलए और
दूसर क िलए इ तेमाल करती ।
पहला—दपण म अपना चेहरा देिखए और अपने आपसे कह, ‘म बदलना चाहता ।’
यान द िक आप कसा महसूस करते ह। यिद आप िहचिकचाहट या अिन छक महसूस करते ह या
प रवतन नह चाहते तो खुद से उसका कारण पूिछए। आप िकस पुराने िवचार पर अड़ ए ह? कपया अपने
आपको फटकार नह । िसफ यान दीिजए िक वह या ह। म शत लगा सकती िक वह िवचार या िव ास
आपक िलए ब त सी सम याएँ उ प कर रहा ह। म हरान िक वह कहाँ से आया। या आप जानते ह?
चाह हम यह जानते ह या नह िक वह कहाँ से आया, चिलए, उसे अभी ख म करने क िलए कछ कर।
िफर से दपण क सामने जाएँ और अपनी आँख म गहराई से देख, अपने कठ को पश कर और दस बार
जोर-जोर से कह, ‘म हर ितरोध को छोड़ना चाहता ।’
दपण काय ब त सश होता ह। एक ब े क प म हमने अपने अिधकांश नकारा मक िवचार दूसर
ारा अपनी आँख म देखते ए या शायद हम पर उगली उठाते ए हण िकए ह। आज हम जब भी दपण
म देखते ह, हमम से अिधकतर अपने आपसे कछ नकारा मक चीज कहगे। हम िकसी भी बात क िलए अपनी
आलोचना करते ह या अपना कम मू यांकन करते ह। सीधे अपनी आँख म देखना और अपने बार म एक
सकारा मक घोषणा करना, मेरी राय म, ढ़ िन य सिहत एक मजबूत समाधान का सबसे तेज तरीका ह।
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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
अब म शांित से और िन प ता से अपने पुराने िवचार को देखना चाहता
और म प रवतन करने क िलए तैयार
म सीखने यो य , म सीख सकता । म बदलने क िलए तैयार
म खेल-खेल म ऐसा करना चाहता
जब मुझे छोड़ने क िलए कछ िमल जाता ह
तो म यह जताना चाहता मानो मुझे कोई खजाना िमल गया हो
म खुद को हर ण बदलते देखता और महसूस करता
िक अब िवचार का मुझ पर कोई जोर नह ह
दुिनया म म सबसे श शाली । म मु होना चाहता
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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प रवतन का ितरोध
‘म सदैव प रवतनशील जीवन क लय और वाह म ।’

उपचार या प रवतन म पहला कदम ह सजगता


जब हमार अंदर कोई िवचार ब त गहर दबा होता ह तो अपनी थित को सुधारने क िलए हम उसक बार म
पता होना चािहए। शायद हम अपनी अव था का उ ेख करना, उसक बार म िशकायत करना या उसे दूसर
लोग म देखना शु कर देते ह। वह िकसी-न-िकसी प म हमारा यान आक करने क िलए ऊपर उभरता
ह और हम उससे संबंध थािपत करना शु करते ह। हम अकसर िकसी िश क, िकसी िम , कोई क ा या
कायशाला या िकसी पु तक से जुड़ते ह, जो हमार भीतर उस सम या को हल करने क िलए नए तरीक जा
कर सक।
मेरा उ ोधन एक िम क संयोगज य िट पणी से शु आ, िजसे एक बैठक क बार म बताया गया था।
मेरा िम वहाँ नह गया, लेिकन मेर अंदर िकसी बात ने मुझे े रत िकया और म चली गई। वह छोटी सी
बैठक मेरी जाग कता क माग का पहला कदम था। मने कछ समय बाद ही उसका मह व महसूस िकया।
अकसर इस पहले तर पर हमारी िति या यह होती ह िक यह रवैया बेवकफाना ह या इसका कोई
मतलब नह ह। शायद वह हमारी सोच क िलए अिधक सरल या अ वीकाय लगता ह। हम उसे नह करना
चाहते। हमारा ितरोध ब त सश होकर उभरता ह। हम उसे करने क िवचार से ोिधत तक हो जाते ह।
ऐसी िति या ब त अ छी ह, यिद हम समझ सक िक यह हमार ठीक होने क ि या म पहला कदम
ह।
म लोग से कहती िक वे जो भी िति या महसूस करते ह, वह उ ह यह िदखाने क िलए होती ह िक वे
उपचार क ि या म ह, हालाँिक िचिक सा पूरी तरह से समा नह ई ह। स ाई यह ह िक यह ि या
उसी पल शु हो जाती ह, िजस पल हम बदलाव लाने क बार म सोचना शु करते ह।
अधीरता ितरोध का िसफ एक दूसरा प ह। यह सीखने और बदलने क ित हमारा ितरोध ह। जब हम
यह माँग करते ह िक वह अभी हो जाए और तुरत पूरा हो जाए, तो हम अपने आपको अपने ारा उ प
सम या से जुड़ सबक को सीखने का समय नह देते।
यिद आप िकसी और कमर म जाना चाहते ह तो आपको उठकर उस िदशा म एक-एक कदम चलकर
जाना होगा। कवल अपनी करसी पर बैठकर यह सोचना िक आप दूसर कमर म प च जाएँ, संभव नह ह।
वह ऐसी ही बात ह। हम सभी चाहते ह िक हमारी सम या ख म हो जाए, लेिकन हम उन छोटी चीज को नह
करना चाहते जो उसक समाधान म मदद करती ह।
अब उस थित या अव था को उ प करने म अपनी िज मेदारी को वीकार करने का समय ह। म
आपको अपनी इस थित क िलए अपराध-बोध महसूस करने या ‘बुरा आदमी’ समझने क बात नह कर रही
। म ‘आपक अंदर मौजूद श ’ को आपक ारा वीकार करने क बात कर रही , जो हमार हर िवचार
को अनुभव म बदल देती ह। अतीत म हमने अनजाने म इस श को ऐसी थितयाँ उ प करने क िलए
इ तेमाल िकया, िजसे हम अनुभव नह करना चाहते थे। हम नह जानते थे िक हम या कर रह थे। अब
अपनी िज मेदारी को वीकार करते ए हम जाग क हो जाते ह और इस श को अपने लाभ क िलए
सकारा मक तरीक से इ तेमाल करना सीखते ह।
अकसर जब म ाहक को समाधान सुझाती —िकसी मामले को सुलझाने या िकसी य को माफ
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करने का एक नया तरीका—तो म देखती िक उसक जबड़ कस जाते ह, बाहर आ जाते ह, बाँह सीने पर
स ती से कस जाती ह। हो सकता ह, मु याँ भी बँध जाएँ। ितरोध उभर रहा होता ह और म जानती िक
हमने ठीक वही काम िकया ह, जो करने क आव यकता थी।
हम सबक पास सीखने क िलए सबक होते ह। कवल अपने िलए चुने गए सबक ही हमार िलए मु कल
होते ह। वो बात आसान होती ह, जो सबक नह होत , य िक वे बात हम पहले से जानते ह।

जाग क होने से सबक सीखे जा सकते ह


यिद आप िकसी ऐसी चीज क बार म सोचते ह, जो करना आपक िलए सबसे किठन ह और आप उसका
िकतना ितरोध करते ह तो आप उस पल क अपने सबसे बड़ सबक को देख रह ह। झुकना, ितरोध छोड़
देना और अपने आपको वह सीखने क िलए े रत करना, जो सीखना हमार िलए आव यक ह, अगले कदम
को और आसान बना देगा। अपने ितरोध को प रवतन करने से रोकने न द। हम दो तर पर काम कर सकते
ह—(1) ितरोध को देखना और—(2) िफर भी अपने मन-म त क म प रवतन लाना। खुद को परख, देख
िक आप कसे ितरोध करते ह और िफर आगे बढ़।
गैर-शा दक संकत
हमारी ि याएँ अकसर हमारा ितरोध य करती ह। उदाहरण क िलए—
िवषय बदलना
कमरा छोड़कर चले जाना
बाथ म जाना
देर से आना
बीमार हो जाना
िन निलिखत करते ए टाल-मटोल करना—
कछ और करने लग जाना
िकसी काय म य त हो जाना
समय यथ करना
अलग देखना या िखड़क क बाहर देखना
कोई पि का पलटना
यान न देना
खाना, पीना या िसगरट पीना
कोई र ता बनाना या तोड़ना
कछ चीज खराब होना—कार, उपकरण, लंिबंग आिद—

क पनाएँ
हम अकसर अपने ितरोध को उिचत ठहराने क िलए दूसर क बार म क पनाकरते ह। हम इस कार क
बात करते ह—
इससे कछ ठीक नह होगा।
मेरा पित/प नी नह समझेगा।
मुझे अपना पूरा य व बदलना होगा।
कवल पागल लोग (िचिक सक) थेरिप ट क पास जाते ह।
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वे मेरी सम या म मदद नह कर सक।
वे मेर गु से को सँभाल नह पाए।
मेरा मामला अलग ह।
म उ ह परशान नह करना चाहता।
यह काय वतः ही हो जाएगा।
कोई और ऐसा नह करता।

धारणाएँ
हम कछ ऐसी धारणा क साथ बड़ होते ह, जो बदलने म हमारा ितरोध बन जाती ह। हमारी कछ ऐसी
धारणाएँ ह—
ऐसा नह आ
यह िबलकल ही ठीक नह ह।
मेर िलए ऐसा करना सही नह ह।
वह आ या मक नह होगा।
आ या मक लोग गु सा नह करते।
पु ष/मिहलाएँ ऐसा नह करते
मेर प रवार ने कभी ऐसा नह िकया।
ेम मेर िलए नह ह।
गाड़ी चलाने क िलए यह दूरी ब त यादा ह।
यह काम ब त यादा ह।
यह काफ महगा ह।
इसम काफ समय लगेगा
म इसम िव ास नह करता
म उस कार का य नह ।

दूसर लोग
हम अपनी श दूसर को दे देते ह और उस बहाने को अपने बदलने क ित ितरोध क प म इ तेमाल
करते ह। हम इस कार क िवचार रखते ह—
भगवा ऐसा नह चाहता
म ह क अपने प म होने का इतजार कर रहा ।
यह सही वातावरण नह ह।
वे मुझे बदलने नह दगे।
मेर पास सही गु /पु तक/क ा/उपकरण नह ह।
मेरा डॉ टर नह चाहता िक म ऐसा क ।
मुझे काम से फरसत नह िमलती।
म उनक भाव म नह रहना चाहता।
यह सब उनक गलती ह।
पहले उ ह बदलना होगा।
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जैसे ही मुझे...िमलेगा, म कर लूँगा।
आप/वे नह समझते।
म उ ह चोट नह प चाना चाहता।
यह मेर सं कार , धम, दशन क िखलाफ ह।

अपने बार म धारणाएँ


हमार अंदर अपने बार म ऐसे िवचार होते ह, िज ह हम ितबंध या बदलने क ित अिन छा क प म
इ तेमाल करते ह। जैसे हम—
अिधक बड़
अिधक छोट
अिधक मोट
अिधक पतले
अिधक नाट
अिधक लंबे
अिधक आलसी
अिधक मजबूत
अिधक कमजोर
अिधक मूख
अिधक आकषक
अिधक गरीब
अिधक अयो य
अिधक तु छ
अिधक गंभीर
अिधक अव
शायद यह कछ अिधक ही ह।

देर करने क चाल


हमारा ितरोध अकसर देर करने क तरीक क प म खुद को अिभ य करता ह। हम ऐसे बहाने बनाते
ह—
म यह बाद म कर लूँगा
म अभी नह सोच सकता
मेर पास अभी समय नह ह
यह मेरी य तता म से काफ समय ले लेगा
हाँ, यह एक अ छा िवचार ह; म कभी और इसे कर लूँगा।
मेर पास करने क िलए ब त से दूसर काय ह।
म कल इसक बार म सोचूँगा
जैसे ही म...से िनवृ हो जाऊगा
जैसे ही म इस या ा से लौट आऊगा।
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यह समय सही नह ह।
ब त देर हो चुक ह, या ब त ज दी हो रहा ह।

इनकार
ितरोध का यह प िकसी कार क प रवतन को करने क आव यकता से इनकार को दिशत करता ह।
जैसे—
मेर साथ कछ भी गलत नह ह।
म इस सम या क बार म कछ नह कर सकता।
म िपछली बार िबलकल ठीक था।
बदलने से या अ छा हो जाएगा?
अगर म इसे अनदेखा कर दूँ तो शायद यह सम या ख म हो जाए।

डर
अब तक ितरोध का सबसे बड़ा वग ह डर—अ ात का डर। इ ह देिखए :
म अभी तैयार नह ।
म असफल हो सकता ।
वे मुझे मना कर दगे।
पड़ोसी या सोचगे?
म अपने पित/प नी को बताने से डरता/डरती ।
मुझे चोट लग सकती ह।
मुझे बदलना पड़ सकता ह।
इससे मेर पैसे खच हो सकते ह।
म पहले मर जाना पसंद क गा, या पहले तलाक ले लूँगा।
म नह चाहता िक िकसी को मेरी सम या क बार म पता चले।
म अपनी भावना को य करने से डरता ।
म इस बार म बात नह करना चाहता।
मेर पास इसक िलए ऊजा नह ह।
पता नह अंत म मेर साथ या हो?
म अपनी आजादी खो सकता ।
यह करना ब त किठन ह।
मेर पास अभी पया पैसे नह ह।
मेरी पीठ म चोट लग सकती ह।
म ठीक से नह कर पाऊगा
म अपने दो त को खो सकता ।
म िकसी पर भरोसा नह करता।
इससे मेरी छिव खराब हो सकती ह।
म उतना अ छा नह ।
इस सूची म और भी ब त कछ ह। या आपको लगता ह िक आप इनम से िकसी तरीक से अपना ितरोध
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जताते ह? इन उदाहरण म ितरोध देख।
एक ाहक मेर पास आई, य िक वह काफ पीड़ा से गुजर रही थी। तीन अलग-अलग सड़क दुघटना
म उसक पीठ, गरदन और उसका घुटना ित त हो चुका था। िफर भी वह लेट थी, खो गई और िफर
िफक म फस गई।
उसक िलए अपनी सम याएँ मुझे बताना आसान था, लेिकन िजस समय मने कहा, ‘थोड़ी देर मुझे कछ
कहने दो’, हर कार क परशानी शु हो गई। उसक कांट ट लस उसे तकलीफ देने लगे। वह िकसी और
करसी पर बैठना चाहती थी। उसे बाथ म जाना पड़ा। िफर उसे लस िनकालने पड़। स क शेष समय म वह
मुझ पर िबलकल यान नह दे पाई।
यह सब ितरोध था। वह अपनी सम या को समा करने और उपचार क िलए तैयार नह थी। मने पाया
िक उसक बहन क भी पीठ क ह ी दो बार टट चुक थी, साथ ही उसक माँ क भी।
एक और ाहक एक अिभनेता, एक कलाकार, ीट परफॉमर था और काफ द था। उसने शेखी बघारी
िक वह दूसर , खासकर सं थान को धोखा देने म िकतना चतुर ह। वह लगभग हर चीज उड़ाकर बचना
जानता था, और िफर भी वह ऐसा कछ नह कर पाया। वह हमेशा टटा रहता था। कम-से-कम एक महीने का
िकराया बकाया हमेशा उस पर रहता था, अकसर उसक पास टलीफोन नह होता था। उसक कपड़ फहड़ थे,
उसका काम ब त अ यव थत था, उसक शरीर म काफ पीड़ा थी और उसका जीवन ेममय नह था।
उसका िस ांत यह था िक वह तब तक धोखा देना बंद नह कर सकता, जब तक िक उसक जीवन म
कछ अ छा न हो। िन त प से वह दुिनया को जो दे रहा था, उसक जीवन म कछ अ छा नह हो सकता
था। उसे पहले धोखेबाजी बंद करनी थी।
उसका ितरोध यह था िक वह पुराने तरीक को छोड़ने क िलए तैयार नह था।

अपने िम को अकला छोड़ दो


अकसर अपने आप म प रवतन लाने क िलए मेहनत करने क बजाय हम यह सोचते ह िक हमार िकन
िम को बदलने क ज रत ह। यह भी ितरोध ह।
मेर काम क शु आती िदन म, मेर पास एक ाहक थी, जो मुझे अ पताल म पड़ अपने सभी िम क
पास भेज देती थी। उ ह फल भेजने क बजाय वह उनक सम या को हल करने क िलए मुझे भेजती थी।
म हाथ म टप रकॉडर लेकर वहाँ प चती थी और आम तौर पर िब तर पर िकसी ऐसे श स को पाती थी,
जो यह नह जानता था िक म वहाँ य या यह समझ नह पाता था िक म या कर रही । उस समय मने
यह नह सीखा था िक िकसी क अनुरोध करने पर ही उसका उपचार करना ह।
कभी-कभी ाहक इसिलए मेर पास आते ह, य िक उनका कोई िम उपहार क प म मेरा एक स देता
ह। आम तौर पर यह काम नह करता और वे शायद ही लौटकर वापस आते ह।
जब कोई चीज हमार िलए कारगर होती ह तो हम अकसर उसे दूसर क साथ बाँटना चाहते ह। लेिकन
शायद वे उस समय और उस जगह बदलाव क िलए तैयार न ह । जब हम प रवतन क िलए तैयार ह , उस
समय प रवतन करना काफ किठन होता ह; लेिकन िकसी और को बदलने क कोिशश करना, जब वह ऐसा
नह करना चाहता, असंभव ह और यह एक अ छी िम ता को ख म कर सकता ह। म अपने ाहक पर जोर
डालती , य िक वे मेर पास आते ह। म अपने िम को अकला छोड़ देती ।

दपण कारगर ह
दपण अपने बार म हमारी भावना को ितिबंिबत करता ह। यिद हम एक खुशहाल, संतोषजनक जीवन
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चाहते ह तो वह प प से प रवतन िकए जाने यो य चीज को िदखाता ह।
म लोग से कहती िक वे जब भी िकसी दपण क पास से िनकल तो हर बार अपनी आँख म देख और
अपने बार म कछ सकारा मक कह। कोई िन य करने का सबसे अ छा तरीका ह िकसी दपण म देखकर
उस िन य को जोर-जोर से कहना। आपको त काल ितरोध क बार म पता चल जाता ह तथा आप शी ता
से उससे िनपट सकते ह। इस पु तक को पढ़ते समय एक दपण अपने पास रखना अ छा ह। अकसर उसे
कोई ढ़ िन य करने क िलए इ तेमाल कर और जाँच िक आप कहाँ पर ितरोध कर रह ह और कहाँ पर
वतं व गितशील ह।
अब दपण म देिखए और अपने आपसे कह, ‘म बदलना चाहता ।’
यान दीिजए िक आप कसा महसूस कर रह ह। यिद आप िहचिकचाहट, अिन छा महसूस कर रह ह या
बस बदलना नह चाहते तो अपने आपसे उसका कारण पूछ। आप िकस पुरानी धारणा को पकड़ बैठ ह? यह
अपने आपको फटकारने का समय नह ह। बस यान दीिजए िक या हो रहा ह और कौन सा िवचार
उभरकर सामने आता ह। यही वह िवचार ह, जो आपक िलए सम याएँ उ प कर रहा ह। या आप पहचान
सकते ह िक वह कहाँ से आया?
जब हम ित ाएँ करते ह और वे सही नह लगत या कछ होता आ नजर नह आता तो यह कहना
आसान ह, ‘ओह, ये ित ाएँ काम नह करत ।’ ऐसा नह ह िक ित ाएँ काम नह करत , बस हम ित ाएँ
करना शु करने से पहले एक और काय करने क ज रत होती ह।

तरीक का दुहराव हम हमारी आव यकताएँ बताता ह


हमारी हर आदत क िलए हम बार-बार िजस अनुभव से गुजरते ह, हम िजन तरीक को दुहराते ह, उनक
हमार भीतर आव यकता होती ह। वह आव यकता हमारी िकसी धारणा क अनु प होती ह। यिद आव यकता
नह होती तो हम उसे नह अपनाएँगे, नह करगे या वैसे नह बनगे। हमार अंदर कछ ह, िजसे मोटापे क ,
खराब र त क , िवफलता क , िसगरट क , गु से क , गरीबी क , शोषण क या हमारी जो भी सम या
ह, उसक आव यकता ह।
हमने िकतनी बार यह कहा ह, ‘म कभी िफर ऐसा नह क गा!’ इसक बाद वह िदन बीतने से पहले हम
कक का वह टकड़ा खा लेते ह, िसगरट सुलगा लेते ह, अपने ि यजन से बुरी बात कहते ह इ यािद। िफर हम
अपने आपसे यह कहते ए पूरी सम या को और बढ़ा देते ह, ‘ओह, तु हार पास कोई इ छा-श नह ह,
कोई अनुशासन नह ह, तुम बस कमजोर हो।’ यह उस अपराध-बोध क बोझ को और बढ़ा देता ह, जो हम
पहले से ढो रह होते ह।

इसका इ छाश या अनुशासन से कोई लेना-देना नह ह


हम अपने जीवन म जो कछ भी छोड़ने का यास कर रह ह, वह कवल एक ल ण, बाहरी भाव ह।
कारण को समा करने का यास िकए िबना ल ण को समा करने का यास करना यथ ह। िजस पल
हम अपनी इ छा-श या अनुशासन को छोड़ते ह, उसी पल वह ल ण िफर से उभर जाता ह।

आव यकता को छोड़ने क इ छा
म ाहक से कहती , ‘आपक इस अव था क िलए आपक अंदर ज र कोई आव यकता ह, अ यथा
आपक साथ ऐसा नह होता। चिलए, एक कदम पीछ चल और उस आव यकता को छोड़ने क इ छा पर
काम कर। जब वह आव यकता समा हो जाती ह तो आपको िसगरट पीने या अिधक खाने या नकारा मक
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िवचार क कोई इ छा नह होगी।’
सबसे पहले यह ित ा करनी चािहए—‘म ितरोध या िसरदद या क ज या अ यिधक वजन या धन का
अभाव आिद क आव यकता को छोड़ने क िलए तैयार ।’ यह कह, ‘म...क आव यकता को छोड़ने क
िलए तैयार ।’ यिद आप इस समय ितरोध करते ह तो आपक दूसरी ित ाएँ काम नह कर सकत ।
हम अपने आसपास जो जाले बुनते ह, उ ह खोलने क आव यकता होती ह। यिद आपने कभी िकसी धागे
क गोले को खोलने क कोिशश क ह तो आप जानते ह गे िक ख चने तथा जोर देने से वह और उलझता ह।
आपको ब त सौ यता और धैय से गाँठ को खोलना पड़ता ह। जब आप अपने मन म लगी गाँठ को खोलते
ह तो आप अपने साथ सौ य और धैयवा रह। ज रत हो तो मदद ल। सबसे पहले इस ि या म अपने साथ
ेम रख। पुराने को याग देने क इ छा ही सबसे मह वपूण ह। यही इसका रह य ह।
जब म कहती , ‘सम या क आव यकता’, तो मेरा मतलब होता ह िक हमार कछ खास वैचा रक तरीक
क अनुसार हम कछ बाहरी भाव या अनुभव क ‘आव यकता’ होती ह। हर बाहरी भाव एक अंद नी
िवचार- ा प क वाभािवक अिभ य होता ह। कवल बाहरी भाव या ल ण से लड़ना अपनी ऊजा यथ
करना ह तथा अकसर इससे सम या और बढ़ जाती ह।

‘म काम का नह ’ से टाल-मटोल उ प होती ह


यिद मेरी एक अंद नी धारणा या िवचार यह ह िक ‘म िकसी काम का नह ’, तो मेरा एक बाहरी भाव
शायद टाल-मटोल करने क आदत होगा। आिखरकार हम जहाँ जाना चाहते ह, वहाँ जाने से रोकने का एक
तरीका ‘टाल-मटोल’ ह। टाल-मटोल करनेवाले अिधकतर लोग अपना काफ समय और ऊजा टाल-मटोल क
िलए खुद को दोषी ठहराते ए खच करते ह। वे खुद को आलसी कहगे और आम तौर पर अपने आपको
ऐसा महसूस करने क िलए े रत करगे िक वे ‘बुर’ ह।

िकसी और क सुखी होने का दुःख


मेर पास एक ाहक था, जो अपनी ओर यान ख चना पसंद करता था और आम तौर पर देर से क ा म
आता था, तािक वह कछ हलचल पैदा कर सक। वह 18 ब क बीच सबसे छोटा था और कोई भी चीज
सबसे बाद म उसे िमलती थी। जब वह ब ा था तो वह हर िकसी को कछ पाते देखता था, जबिक उसे
अपनी चीज क िलए इतजार करना पड़ता था। अब भी जब िकसी क िक मत अ छी होती थी, तो वह उसक
िलए खुश नह होता था। इसक बजाय वह कहता था, ‘ओह! काश, यह मुझे िमल पाता’ या ‘ओह! यह मुझे
य नह िमलता?’
उनक िक मत पर उसका दुःख उसक अपनी गित और प रवतन म बाधक था।

अपनी काबिलयत कई ार खोलता ह


79 वष य एक ाहक मेर पास आई। वह गाना िसखाती थी और उसक कई िव ाथ टलीिवजन िव ापन
बना रह थे। वह भी ऐसा करना चाहती थी, लेिकन डरती थी। मने उसे पूरा सहयोग िदया और समझाया,
‘आपक जैसा कोई नह ह। बस जैसे हो। वैसे रहो।’ मने कहा, ‘इसे मजे क िलए करो। वहाँ पर ऐसे लोग ह,
जो िबलकल उसी चीज क तलाश कर रह ह, जो आपक पास ह। उ ह बताओ िक आपका अ त व ह।’
उसने कई एजट और का टग िनदशक को बुलाया और कहा, ‘म एक सीिनयर , व र नाग रक और
म कमिशयल करना चाहती ।’ कछ ही समय बाद उसक पास एक कमिशयल था और तब से उसने काम
करना बंद नह िकया ह। म अकसर उसे टी.वी. और पि का म देखती । नए क रयर िकसी भी उ म
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शु हो सकते ह, खासकर जब आप मजे क िलए उ ह करते ह।

आ मिनंदा अपने ल य से भटकना ह


यह कवल टाल-मटोल और आल य को बढ़ाएगा। अपनी मानिसक ऊजा को पुराने िवचार को छोड़ने
और नए िवचार को अपनाने म लगाना चािहए।
कह, ‘म अयो य होने क आव यकता को छोड़ने क िलए तैयार । म जीवन म सव म ा करने का
हकदार , और अब म इसे वीकार करने क िलए यार से अपने आपको अनुमित देता ।’
‘जब म कछ िदन तक बार-बार यह शपथ लूँगा तो टाल-मटोल का मेरा बाहरी भाव वतः कम होना
शु हो जाएगा।’
‘जब म अपने भीतर आ म-यो यता का तरीका उ प कर लूँगा तो मुझे अपने भा य को टालने क कोई
आव यकता नह होगी।’
या आप देख रह ह िक यह िकस कार आपक जीवन क कछ नकारा मक िवचार या बाहरी भाव पर
लागू हो सकता ह? चिलए, अपना समय और ऊजा वयं को ऐसे काय क िलए कोसने म यथ करना बंद
कर, िज ह हम कछ आंत रक िवचार क कारण करना नह छोड़ सकते। उन िव ास को बदल।
चाह आप ऐसा िकसी भी कार से कर या हम िकसी भी िवषय म बात कर रह ह , हम कवल िवचार से
जूझ रह ह और िवचार को बदला जा सकता ह।
जब भी हम िकसी थित को बदलना चाहते ह, हम ऐसा कहने क आव यकता होती ह।
‘म अपने अंदर क उस ि कोण को छोड़ना चाहता , जो मेरी इस थित क िलए िज मेदार ह।’
आप जब भी अपनी बीमारी या सम या क बार म सोच तो बार-बार अपने आपसे यह बात कह सकते ह।
आप िजस पल यह कहते ह, आप पीि़डत वग से िनकल जाते ह। अब आप असहाय नह ह, आप अपनी
श को वीकार कर रह ह। आप कह रह ह, ‘म यह समझ रहा िक इस थित को मने ही उ प िकया
ह। अब म अपनी श वापस लेता । म इस पुराने िवचार को छोड़ना और उसे जाने देना चाहता ।’

आ मिनंदा
मेर पास एक ाहक ह, जो अपने नकारा मक िवचार को सहन न कर पाने पर ढर सारा म खन और अपने
सामने पड़नेवाली हर चीज खा लेती ह। अगले िदन वह शरीर म भारीपन क िलए ोिधत होती ह। जब वह
छोटी थी, वह िडनर टबल पर घूम-घूमकर सबका छोड़ा आ भोजन खाती थी और म खन का पूरा टक
खा जाती थी। उसक प रजन यह देखकर हसते थे और उ ह यह यारी लगती थी। उसे अपने प रवार से
िमलनेवाला यह लगभग इकलौता अनुमोदन था।
जब आप वयं को फटकारते ह, जब आप अपने आपको िन न तरीय देखते ह, जब आप अपने आप को
पीटते ह तो आप िकसक साथ इस कार का यवहार कर रह होते ह?
हमने अपने लगभग सभी ि कोण, चाह वह नकारा मक ह या सकारा मक, उस समय ही वीकार कर
िलये थे, जब हम तीन वष क थे। तब से हमार अनुभव उसी पर आधा रत रह ह जो हमने उस समय अपने
और जीवन क बार म वीकार और िव ास िकया था। जब हम ब त छोट थे तो हमार साथ िजस कार का
यवहार आ था, हम आम तौर पर अपने साथ वैसा ही यवहार करते ह। आप िजस य को फटकार रह
ह, वह आपक भीतर का तीन साल का ब ा ह।
यिद आप ऐसे य ह, जो डरने और आशंिकत होने क िलए अपने आप से ोिधत हो जाते ह तो अपने

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आपको तीन वष य एक ब े क प म देख। यिद आपक सामने एक छोटा तीन साल का भयभीत ब ा होता
तो आप या करते? या आप उस पर ोिधत होते या आप उसे अपनी बाँह म लेकर िदलासा देते, जब तक
िक वह सुरि त और सहज नह महसूस करने लगता? जब आप छोट थे तो आपक आस-पास मौजूद
वय क को यह नह मालूम रहा होगा िक उस समय आपको कसे िदलासा देना ह। अब अपने जीवन म आप
वय क ह और यिद आप अपने अंदर क ब े को िदलासा नह दे रह ह तो यह वा तव म ब त दुःखद ह।
अतीत म जो आ, वह हो चुका ह और अब वह समा हो चुका ह। लेिकन यह वतमान ह और अब
आपक पास अपने आपसे ऐसा यवहार करने का अवसर ह जैसा यवहार आप चाहते थे। एक डर ए ब े
को िदलासा देने क ज रत होती ह, न िक डाँटने क । अपने आपको डाँटना आपको और भयभीत करगा
और आप िकसी क ओर नह मुड़ सकते। जब आपक अंदर का ब ा असुरि त महसूस करता ह तो ब त
सी सम याएँ उ प हो जाती ह। याद क िजए िक जब आप छोट थे तो नीचा िदखाए जाने पर आपको कसा
महसूस होता था? अब आपक अंदर क ब े को वैसा ही महसूस होता ह।
अपने ित दयालू बन। अपने आपको यार करना और वीकार करना शु कर। उस छोट ब े को अपनी
उ तम मता म अपने आपको अिभ य करने क िलए इसी क आव यकता होती ह।
q

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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
म अपने भीतर िकसी कार क ितरोध को
ऐसी व तु क प म देखता िजसे छोड़ना ज री ह
उनका मुझ पर कोई जोर नह ह। अपनी दुिनया म म श शाली ।
म बहता अपने जीवन म हो रह प रवतन क साथ,
िजतना यादा-से- यादा हो सक
म अपने आपको और अपने प रवतन क तरीक को वीकार करता ,
जो कर सकता , सबसे बि़ढया कर रहा । हर िदन आसान होता जा रहा ह।
म खुश िक म अपने सदैव प रवतनशील जीवन क लय और वाह म
आज एक अ ुत िदन ह
म इसे ऐसा बनाना चाहता
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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प रवतन कसे लाएँ
‘म हसी-खुशी और आसानी से कावट को पार कर लेता ।’
म ‘कसे क ’ को पसंद करती । दुिनया क सार िस ांत बेकार ह, जब तक हम यह नह जानते िक उ ह
इ तेमाल कसे करना ह और प रवतन करने ह। म हमेशा से ब त यावहा रक रही और काय को कसे
करना ह, यह जानने क मुझम ब त उ सुकता एवं ज रत रही ह।
इस समय हम िजन िस ांत पर काम करगे, वे ह—
जाने देने क इ छा को िवकिसत करना
म त क को िनयंि त करना, और
यह सीखना िक िकस कार अपने आपको और दूसर को माफ करने से मु होते ह।

आव यकता को यागना
कभी-कभार जब हम िकसी सोच क ा प को छोड़ने का यास करते ह तो पूरी थित कछ समय क
िलए बदतर लगने लगती ह। यह बुरी चीज नह ह। यह इसका संकत ह िक थित म प रवतन आना शु हो
गया ह। हमारी ित ाएँ काम कर रही ह और हम आगे बढ़ने क आव यकता ह।

उदाहरण
हम समृ बढ़ाने का यास कर रह ह और हमारा बटआ खो जाता ह।
हम अपने संबंध को सुधारने क िदशा म काम कर रह ह और झगड़ा हो जाता ह।
हम व थ होने क िलए यास कर रह ह—और हम जुकाम लग जाता ह।
हम अपनी रचना मक ितभा और मता क अिभ य पर काय कर रह ह और हम नौकरी से
िनकाल िदया जाता ह।
कभी-कभार सम या एक िभ िदशा म चली जाती ह और हम अिधक देखना व समझना शु कर देते ह।
जैसे—मान लीिजए, आप िसगरट पीना छोड़ने क कोिशश कर रह ह और आप कह रह ह, ‘म िसगरट क
‘ज रत’ को छोड़ने क िलए तैयार ।’ जब आप यह करना जारी रखते ह तो आपको लगता ह िक आपक
र ते अिधक खराब हो रह ह।
िनराश न ह । यह इस बात का संकत ह िक वह तरीका कारगर हो रहा ह।
आप अपने आपसे इस कार क न पूछ सकते ह—‘ या म असहज र त से बाहर आना चाहता ?
या मेर िसगरट मुझे यह देखने नह दे रह थे िक ये र ते िकतने असहज ह?म ऐसे र ते य बना रहा ?’
आपको लगता ह िक िसगरट कवल एक ल ण ह, कारण नह । अब आपको अंत ि और ऐसी समझ
ा हो रही ह, जो आपको मु कर देगी।
आप यह कहना शु करते ह, ‘म असहज र त क ‘आव यकता’ को छोड़ने क िलए तैयार ।’
िफर आप यान देते ह िक आपक इतने असहज होने का कारण यह ह िक दूसर लोग हमेशा आपक
आलोचना करते ए िदखाई देते ह।
यह जानते ए िक हमेशा हम ही अपने सभी अनुभव को ज म देते ह, आप अब यह कहगे, ‘म आलोचना
का िशकार बनने क आव यकता को छोड़ने क िलए तैयार ।’
इसक बाद आप आलोचना क बार म सोचते ह और आपको एहसास होता ह िक बचपन म आपको काफ
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आलोचना सहनी पड़ती थी। आपक अंदर मौजूद छोटा ब ा तभी सहज महसूस करता ह, जब उसे आलोचना
िमलती ह। इससे िछपने का आपका तरीका एक ‘धुएँ का परदा’ तैयार करना था।
शायद आपको लगता ह िक अगला कदम यह ित ा ह, ‘म मा करने क िलए तैयार ।’
जब आप अपनी ित ाएँ करना जारी रखते ह, आपको यह लग सकता ह िक अब िसगरट आपको
आकिषत नह करती और आपक जीवन म मौजूद लोग अब आपक आलोचना नह करते। िफर आपको पता
चलता ह िक आपने अपनी आव यकता को याग िदया ह।
ऐसा करने म थोड़ा समय लगता ह। अगर आपक मन म आ ह ह और आप हर िदन अपने प रवतन क
ि या क बार म सोचने क िलए वयं को कछ एकांत ण देने क िलए तैयार ह तो आपको उ र िमल
जाएँगे। आपक अंदर क बु म ा वही ह िजसने इस पूरी दुिनया को बनाया। आप जो भी जानना चाहते ह,
वह अपने सामने लाने क िलए अपने आंत रक मागदशन पर भरोसा कर।

अ यास : आव यकता को छोड़ना


कायशाला म म आपको यह अ यास िकसी साथी क साथ करने को कहती। हालाँिक आप इसे दपण—
यिद संभव हो तो बड़ा दपण—क साथ भी कर सकते ह।
एक पल क िलए अपने जीवन क िकसी ऐसी चीज क बार म सोच, िजसे आप बदलना चाहते ह। दपण
क सामने जाएँ और अपनी आँख म देख और जोर से कह, ‘म अब जान गया िक मने इस थित को
उ प िकया ह और अब म अपनी चेतना म मौजूद उस व प को छोड़ना चाहता , जो इस थित क िलए
िज मेदार ह।’ इसे महसूस करते ए कई बार कह।
यिद आप एक साथी क साथ होते तो आपक साथी से कहलवाती िक या वो भी यही सोचता ह िक आप
वा तव म ऐसा करना चाहते ह। म चाहती िक आप अपने साथी को िव ास िदलाते।
अपने आपसे पूछ िक या आप सच म ऐसा चाहते ह? दपण म देखते ए अपने आपको िव ास िदलाएँ
िक इस बार आप अतीत क क जे से बाहर िनकलने क िलए तैयार ह।
इस िबंदु पर कई लोग डर जाते ह, य िक वे नह जानते िक यह ‘छोड़ना’ िकस कार कर। वे सभी उ र
जाने िबना अपने आपसे वादा करने से डरते ह। यह कवल यादा ितरोध ह। इससे आगे बढ़ जाएँ।
एक अ छी बात ये ह िक हम यह नह जानना ह िक ऐसा कसे करना ह। हम बस ऐसा करने क इ छा
रखनी ह। सावभौिमक बु म ा या आपका अवचेतन म त क इसे करने क तरीक खोज लेगा। आप जो
िवचार मन म लाते ह और जो श द बोलते ह, उनक बार म िति या होती ह और श इस पल म ह। आप
इस ण जो भी सोच रह ह और जो श द बोल रह ह, वे आपका भिव य बना रह ह।

आपका म त क एक मा यम ह
आप अपने म त क से कह ब त यादा ह। आप सोच सकते ह िक आपका म त क सबकछ संचािलत
कर रहा ह। लेिकन ऐसा इसिलए ह, य िक आपने अपने म त क को इस प म सोचना िसखाया ह। आप
अपने इस मा यम को ऐसा सोचने से रोक भी सकते ह और दो बारा सोचना िसखा भी सकते ह।
आपका म त क आपक िलए ऐसा मा यम ह, िजसे आप अपनी इ छानुसार िकसी भी प म इ तेमाल
कर सकते ह। आप अभी िजस प म अपने मन को इ तेमाल करते ह, वह कवल एक आदत ह और िकसी
भी कार क आदत बदली जा सकती ह, यिद हम ऐसा करना चाह या बस जान जाएँ िक ऐसा करना संभव
ह।
एक ण क िलए अपने िदमाग को मौन रख और गौर से इस िवचार क बार म सोच—आपका म त क
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एक मा यम ह। आप इसे अपनी इ छानुसार िकसी भी प म इ तेमाल कर सकते ह।
आप िजन िवचार को सोचने क िलए चुनते ह, वे आपक अनुभव को बनाते ह। यिद आप मानते ह िक
िकसी आदत या िवचार को बदलना किठन ह तो आपक पसंद का यह िवचार उसे आपक िलए सच बना
देगा। यिद आप ऐसा सोचना चाह, ‘मेर िलए बदलाव लाना आसान होता जा रहा ह’, तो इस िवचार का चयन
उसे आपक िलए सच बना देगा।

म त क को िनयंि त करना
आपक भीतर एक अिव सनीय श और बु म ा ह, जो आपक िवचार और श द का जवाब दे रही
ह। जब आप जाग कता सिहत िवचार चुनते ए अपने म त क को िनयंि त करना सीख जाते ह तो आप
वयं को इस श क साथ लयब कर लेते ह।
यह मत सोच िक आपका म त क िनयं ण म ह। आप म त क क िनयं ण म ह। आप अपने म त क
को इ तेमाल करते ह। आप उन पुराने िवचार को सोचना बंद कर सकते ह।
जब आपक पुरानी सोच वापस आकर कहने क कोिशश करती ह, ‘प रवतन करना ब त किठन ह’, तो
अपने मन-म त क को िनयंि त कर। अपने म त क से कह, ‘म अब यह मानना चाहता िक मेर िलए
प रवतन करना आसान होता जा रहा ह।’ आप अपने म त क क साथ यह वा ालाप कई बार कर सकते ह,
तािक उसे यह पता चल जाए िक आप िनयं क ह और आपक ही बात चलेगी।

आप िजस एकमा बात पर िनयं ण कर सकते ह, वह आपका वतमान


िवचार ह
आपक पुराने िवचार जा चुक ह, उनक संबंध म आप कछ नह कर सकते, बस उनक ारा उ प
अनुभव को जी सकते ह। आपका वतमान िवचार, िजसे आप अब सोच रह ह, आपक िनयं ण म ह।

उदाहरण
यिद आपक पास एक छोटा ब ा ह िजसे लंबे समय तक िजतना वह चाह, उतनी देर से सोने क अनुमित
दी गई हो और िफर आप फसला करते ह िक अब उस ब े को हर रात 8 बजे सो जाना चािहए, तो आपक
िवचार से वह पहली रात कसी होगी?
वह ब ा इस नए िनयम क िखलाफ िव ोह करगा और वह गु से म आ सकता ह, िच ा सकता ह और
न सोने क िलए अपना हर संभव यास कर सकता ह। यिद आप इस समय पीछ हट गए तो वह ब ा जीत
जाता ह और हमेशा क िलए आपको िनयंि त करने का यास करगा।
हालाँिक, यिद आप शांित से अपने फसले पर अड़ रहते ह और ढ़ता से कहते ह िक यह सोने का नया
समय ह, तो िव ोह कम हो जाएगा। दो या तीन रात क बाद नया िनयम थािपत हो जाएगा।
यही थित आपक मन-म त क क ह। िन त प से वह पहले िव ोह करगा। वह िनयंि त होना नह
चाहता। लेिकन आप उसक िनयं क ह और यिद आप एका व ढ़ रह तो ज दी ही नई िवचार-शैली
थािपत हो जाएगी। और आपको यह जानकर ब त अ छा लगेगा िक आप अपने ही िवचार क असहाय
िशकार नह , ब क अपने मन-म त क क वामी ह।

अ यास : जाने देना


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जब आप यह पढ़ रह ह , एक गहरी साँस ल और साँस छोड़ने क साथ अपने सभी तनाव को शरीर से
िनकलने द। अपने िसर और माथे व चेहर को आराम करने द। पढ़ने क िलए आपक म त क को तनाव म
आने क ज रत नह ह। अपनी जुबान, गले और कध को आराम करने द। आप आराम से भरी बाँह और
हाथ से पु तक पकड़ सकते ह। इसे अभी कर। अपनी पीठ, पेट और पे वस को आराम करने द। अपने पैर
को आराम देते ए अपनी साँस को सामा य रख।
िपछले अनु छद को शु करने क बाद से या आपक शरीर म कोई बड़ा प रवतन आया ह? यान द िक
आप िकतना कछ पकड़कर रखते ह। अगर आप अपने शरीर से यह कर रह ह तो आप अपने मन-म त क
से भी ऐसा कर रह ह।
इसी आरामदेह थित म अपने आप से कह, ‘म यह छोड़ने को तैयार । म छोड़ता । म यागता । म
सार तनाव छोड़ता । म सार भय छोड़ता । म सारा ोध छोड़ता । म सारा अपराध-बोध छोड़ता । म
सारी उदासी छोड़ता । म सभी पुरानी सीमा को छोड़ता । म छोड़ता और म ब त शांत । म अपने
साथ खुश । म जीवन क ि या सिहत शांत । म सुरि त ।’
इस अ यास को दो या तीन बार कर। छोड़ने क सहजता महसूस कर। जब भी आप आनेवाली किठनाई क
बार म महसूस कर तो उसे दुहराएँ। यह िनयम अपनाने क िलए थोड़ अ यास क ज रत होती ह। जब आप
पहले अपने आपको इस शांितपूण थित म डालते ह तो आपक अपनी ित ा ारा िनयं ण रखना
आसान हो जाता ह। आप खुल जाते ह और उ ह वीकार करने लग जाते ह। संघष करने या तनाव लेने
अथवा जोर डालने क कोई आव यकता नह ह। बस, आराम कर और उिचत िवचार को सोच। हाँ, यह
आसान ह।

शरीर से मु करना
कभी-कभी हम कछ शरीर से कछ िनकलने क अनुभव क ज रत होती ह। अनुभव और भावनाएँ शरीर म
कद हो सकती ह। कार म सभी िखड़िकयाँ बंद करक िच ाना ब त राहत देनेवाला हो सकता ह, यिद हम
अपनी शा दक अिभ य को दबाते रह ह । िब तर पर या तिकय को घूँसे मारना दबे ए गु से को
िनकालने का एक हािन-रिहत तरीका ह, इसी क िलए साथ टिनस खेलना या दौड़ना भी इसका एक अ छा
समाधान ह।
कछ समय पहले, मेर कधे म एक-दो िदन तक पीड़ा थी। मने उसे अनदेखा करने का यास िकया, लेिकन
वह ठीक नह हो रहा था। आिखरकार, म बैठ गई और अपने आपसे पूछा, ‘यहाँ या हो रहा ह?म या
महसूस कर रही ?’
मने महसूस िकया, ‘जलन महसूस हो रही ह। जलन...जलन...इसका अथ ह ोध। तुम िकस चीज से
ोिधत हो?’
म सोच नह पा रही थी िक म िकस बार म ोिधत , इसिलए मने कहा, ‘ठीक ह, चलो, देखते ह िक हम
यह खोज पाते ह या नह ।’ मने िब तर पर दो बड़ तिकये रखे और काफ ऊजा क साथ उ ह मारने लगी।
बारह चोट क बाद मुझे ठीक-ठीक पता चल गया िक म िकस बार म ोिधत । वह ब त प था।
इसिलए मने तिकय को और जोर से मारा तथा कछ शोर िकया और अपने शरीर से उन भावना को
िनकाल िदया। जब म यह कर चुक तो मने काफ बेहतर महसूस िकया और अगले िदन मेरा कधा ठीक था।

अतीत ारा हावी होकर आपको रोकना


कई लोग मेर पास आते ह और कहते ह िक वे अतीत म ई िकसी घटना क वजह से आज खुश नह हो
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सकते, य िक उ ह ने अतीत म कछ नह िकया या एक खास तरीक से नह िकया, वे आज एक खुशनुमा
जीवन नह जी सकते।... य िक उनक पास ऐसी कोई चीज नह ह, जो अतीत म उनक पास थी, वे आज को
नह जी सकते।... य िक अतीत म उ ह तकलीफ प ची थी, इसिलए वे अब ेम को वीकार नह
करगे।... य िक एक बार कछ करने पर कोई अि य घटना हो गई थी, उ ह यक न ह िक आज िफर से वैसा
ही होगा।... य िक कभी उ ह ने कछ ऐसा िकया था िजसक िलए वे शिमदा ह, उ ह यक न ह िक वे हमेशा
बुर य रहगे। य िक कभी िकसी ने उनक साथ कछ िकया था, तो यह सब उस दूसर य क गलती ह
िक उनका जीवन उनक इ छा क अनुसार नह चल रहा।... य िक अतीत म वे एक थित म ोिधत हो गए
थे, वे उस दंभ को बनाए रखगे।... य िक अतीत क िकसी बुर अनुभव क िवषय म जब उनसे बुरा यवहार
िकया गया था, वे कभी उनको माफ नह कर पाएँगे और भूल नह पाएँगे।
... य िक मुझे हाई कल ॉम (नृ य का काय म) म आमंि त नह िकया गया था, म आज जीवन का
आनंद नह उठा पा रहा।
य िक पहले ऑिडशन म मेरा दशन अ छा नह रहा था, म हमेशा ऑिडशन से डरता र गा।
... य िक अब म िववािहत नह , म जीवन को पूरी तरह नह जी सकता।
... य िक कभी िकसी िट पणी से मुझे दुःख आ था, म िफर कभी िकसी पर भरोसा नह कर सकता।
... य िक मने कभी कोई चीज चुराई थी, मुझे हमेशा अपने आपको सजा देनी चािहए।
... य िक बचपन म म गरीब था, म कभी तर नह कर सकता।
अकसर हम यह एहसास नह करना चाहते िक अतीत को पकड़कर रखना, भले ही वह िकतना भी दुःखद
य न रहा हो, कवल अपने आपको चोट प चाना ह। ‘उ ह’ कोई फक नह पड़ता। आम तौर पर ‘उ ह’
पता तक नह होता। हम बस इस पल को पूरा जीने से इनकार करते ए अपने आपको ही दुःखी करते ह।
अतीत गुजर चुका ह और उसे बदला नह जा सकता। हम कवल वतमान ण का अनुभव कर सकते ह।
अतीत क बार म दुःखी होते ए भी हम इस ण म उसक मरण का अनुभव कर रह ह और इस ि या म
इस ण क वा तिवक अनुभव को खो रह ह।
अ यास : याग देना
चिलए, अपने मन-म त क से अतीत को िमटा द। उसक ित भावना मक लगाव को याग द। याद को
िसफ याद रहने द।
यिद आप यह सोच िक तीसरी क ा म आप या पहना करते थे, तो आम तौर पर उससे कोई भावना मक
जुड़ाव नह होता। वह बस एक याद ह।
यह हमार जीवन क सभी पुरानी घटना क िलए भी सच हो सकता ह। जब हम िकसी चीज को छोड़ देते
ह तो हम अपनी सारी मानिसक ऊजा इस ण का आनंद उठाने और एक अ छा भिव य बनाने म इ तेमाल
करने क िलए वतं हो जाते ह।
उन सभी चीज क सूची बनाएँ, िज ह आप छोड़ने क इ छक ह। आप ऐसा करने क िकतने इ छक ह?
अपनी िति या पर यान द। इन चीज को छोड़ने क िलए आपको या करना पड़गा?आप ऐसा करने क
िलए िकतने इ छक ह?आपक ितरोध का तर या ह?

मा करना
अगला कदम ह मा करना। अपने आपको और दूसर को मा करना हम अतीत से मु करता ह। ‘द
कोस इन िमरक स’ म बार-बार कहा गया ह िक मा लगभग हर िकसी चीज का जवाब ह। म जानती िक
जब हम अ स होते ह तो आम तौर पर इसका अथ होता ह िक अभी और लोग को मा करना बाक ह।
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जब हम वतमान ण म जीवन क साथ वतं प से आगे नह बढ़ते तो आम तौर पर इसका मतलब यह
होता ह िक हम अतीत क िकसी ण को पकड़कर बैठ ह। वह पछतावा हो सकता ह; उदासी, दुःख, भय या
अपराध-बोध, दोषारोपण, ोध, नाराजगी और कभी-कभी ितशोध लेने क इ छा हो सकती ह। ऐसी हर
थित मा न करने, उ ह छोड़ने से इनकार करने और वयं को वतमान ण म न लाने से आती ह।
ेम हमेशा िकसी कार क उपचार का जवाब होता ह। और ेम का रा ता ह मा दान करना। मा
दान करने से नाराजगी ख म हो जाती ह। म कई प म ऐसा करती ।

अ यास : नाराजगी ख म करना


नाराजगी ख म करने क िलए एमेट फॉ स का एक पुराना अ यास ह, जो हमेशा कारगर होता ह। वह
िसफा रश करते ह िक आप मौन होकर बैठ, अपनी आँख बंद कर और अपने मन तथा शरीर को रलै स
करने द। िफर एक अँधेर िथएटर म अपनी क पना कर और आपक सामने एक छोटा सा मंच ह। उस मंच
पर उस य को िबठाएँ, िजससे आप सबसे अिधक नाराज ह। वह अतीत या वतमान का कोई य ,
जीिवत या मृत, हो सकता ह। जब आप उस य को प देखते ह तो उस य क िलए अ छी चीज
होती देख—ऐसी चीज जो उसक िलए मह वपूण ह । उसे मुसकराते और खुश देख।
कछ िमनट तक यह क पना कर, िफर उसे धीर-धीर गायब कर। म इसम एक कदम और जोड़ना चा गी।
जब वह य मंच से जाता ह तो अपने आपको वहाँ िबठाएँ। अपने बार म अ छी चीज होती देख। अपने
आपको मुसकराते ए और खुश देख। यह जान जाएँ िक ांड क संपदा हम सबक िलए उपल ध ह।
उपयु अ यास नाराजगी क उन काले बादल को हटा देता ह, जो हमम से अिधकतर लोग अपने मन म
रखते ह। यह करना ब त किठन होगा। हर बार जब आप ऐसा कर तो आप अलग-अलग लोग क क पना
कर सकते ह। इसे एक महीने तक रोज कर और यान द िक आप िकतने हलक हो गए ह।

अ यास : ितशोध
आ या मक माग पर चलनेवाले लोग मा करने क मह व को जानते ह। हमम से कछ क िलए, एक ऐसा
कदम ह, जो पूरी तरह मा करने से पहले हमार िलए आव यक ह। कभी-कभी हमार अंदर का छोटा ब ा
माफ करने क िलए वतं होने से पहले ितशोध लेने क िलए आतुर होता ह। उसक िलए यह अ यास ब त
मददगार ह।
अपनी आँख बंद कर, चुपचाप और शांित से बैठ। उन लोग क बार म सोच, िज ह मा करना सबसे
किठन ह। आप उनक साथ वा तव म या करना चाहगे?उ ह आपक मा क िलए या करना पड़गा?अभी
ही वैसा होने क क पना कर। बारीिकय म जाएँ। आप िकतने लंबे समय तक उ ह दुःखी या ाय करते
देखना चाहते ह?
जब आप संपूण महसूस कर तो समय को कम कर और इसे हमेशा क िलए जाने द। आम तौर पर इस
समय आप हलक महसूस करते ह और मा करने क बार म सोचना अिधक आसान होता ह। हर िदन ऐसा
अ यास करना आपक िलए अ छा नह होगा। एक बार ऐसा करना मु होने का एहसास दे सकता ह।

अ यास : मा
अब हम मा करने क िलए तैयार ह। यिद हो सक तो इस अ यास को एक साथी क साथ कर, या यिद
आप अकले ह तो जोर-जोर से बोलकर कर।
िफर से अपनी आँख बंद करक चुपचाप बैठ और कह, ‘मुझे...को मा करने क ज रत ह और म
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तु ह...क िलए मा करता ।’
इसे बार-बार कर। िकसी को मा करने क िलए आपक पास ब त सी चीज ह गी और दूसर को मा
करने क िलए एक या दो चीज। यिद आप साथी क साथ ह तो उसे यह कहने को कह, ‘ध यवाद, म अब
आपको मु करता ।’ यिद साथी नह ह तो क पना क िजए िक आप िजस य को मा कर रह ह, वह
आपसे यह बात कह रहा ह। ऐसा कम-से-कम पाँच या दस िमनट तक कर। िजन अ याय को आप अब भी
ढो रह ह, उनक िलए अपने दय म झाँक। िफर उ ह जाने द।
जब आप अभी क िलए पया सफाई कर चुक ह तो अपना यान वयं पर लगाएँ। अपने आपसे जोर से
कह, ‘म अपने आपको...क िलए माफ करता ।’ इसे और लगभग पाँच िमनट तक कर। ये श शाली
अ यास ह और िकसी बची ई गंदगी को साफ करने क िलए इ ह स ाह म कम-से-कम एक बार करना
अ छा ह। कछ अनुभव को भूलना आसान होता ह और कछ से छटकारा पाने म हम मेहनत करनी पड़ती ह।
जब तक अचानक चले नह जाते, ख म नह हो जाते।

अ यास : क पना करना


एक और अ छा अ यास। इसे िकसी से पढ़वाएँ या इसे टप म डालकर सुन।
अपने आपको पाँच या छह वष क एक ब े क प म देख। इस छोट ब े क आँख म गहराई से देख।
उसम मौजूद चाह को देख और एहसास कर िक यह छोटा ब ा आपसे कवल एक चीज चाहता ह, और वह
ह ेम। उसे यार और मृदुता से पकड़। उसे बताएँ िक आप उससे िकतना ेम करते ह, आप उसका िकतना
खयाल रखते ह। इस ब क हर चीज क सराहना कर और कह िक सीखने क दौरान गलितयाँ होना
सामा य बात ह। वादा कर िक आप हमेशा उसका साथ दगे, चाह जो भी हो। अब इस छोट ब े को ब त
छोटा होने द, जब तक िक वह आपक िदल म वेश करने लायक आकार का न हो जाए। उसे वहाँ रख,
तािक आप जब भी नीचे देख, आप इस छोट से चेहर को अपनी ओर देखता आ पाएँ और आप उसे ढर
सारा यार दे सक।
अब चार या पाँच वष क छोटी लड़क क प म अपनी माँ क क पना कर, जो डरी ई ह, ेम क
तलाश म ह और नह जानती ह िक वह उसे कहाँ िमलेगा। अपनी बाँह बढ़ाएँ और इस छोटी सी ब ी को
अपने पास लाएँ। उसे बताएँ िक आप उसे िकतना यार करते ह, आप उसका िकतना खयाल रखते ह। उसे
बताएँ िक वह आप पर भरोसा कर सकती ह िक आप हमेशा उसका साथ दगे, चाह जो भी हो। जब वह चुप
हो जाती ह और सुरि त महसूस करने लगती ह तो उसे ब त छोटा होने द, िजसका आकार आपक दय म
समा सक। उसे अपने छोट से ब े क साथ वहाँ रख। उन दोन को एक-दूसर को ढर सारा यार करने द।
अब तीन या चार वष क एक छोट बालक क प म अपने िपता क क पना कर, जो डरा आ ह, रो रहा
ह और यार चाहता ह। उसक न ह से चेहर पर आँसू लुढ़कते देख, जब वह नह जानता िक िकधर मुड़ना ह।
आप डर ए छोट ब को दुलारने म अ छ हो गए ह, इसिलए अपनी बाँह फलाकर उसक काँपते न ह
शरीर को पकड़, उसे दुलार। उसे महसूस कराएँ िक आप उसे िकतना यार करते ह। उसे महसूस करने द िक
आप हमेशा उसका साथ दगे।
जब उसक आँसू सूख जाएँ और आप उसक छोट से शरीर म यार तथा शांित महसूस कर तो उसे छोटा
होने द, जो आकार आपक दय म समा जाए। उसे वहाँ रख, तािक तीन छोट ब े एक-दूसर को ढर सारा
यार दे सक और आप उन सब को ेम कर सक।
आपक दय म इतना ेम ह िक आप पूरी पृ वी का उपचार कर सकते ह। लेिकन िफलहाल चलो इस ेम
को कवल आपको अपने उपचार क िलए इ तेमाल कर। अपने दय क क म एक गरमाहट, एक सौ यता,
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एक नरमी आते देख। इस भावना को अपने सोचने और बोलने क तरीक को बदलने द।
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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
प रवतन मेर जीवन का वाभािवक िनयम ह। म प रवतन का वागत करता ।
म बदलना चाहता । म अपनी सोच को बदलना चाहता ।
म उन श द को बदलना चाहता , िजनका म योग करता ।
म सहजता और खुशी क साथ पुराने से नए क ओर बढ़ना चाहता
मेर िलए मा करना उससे अिधक आसान ह, िजतना िक मने सोचा था,
मा करना मुझे वतं और हलका बनाता ह।
म खुशी क साथ खुद को अिधक-से-अिधक ेम करना सीखता ।
म िजतनी नाराजगी ख म करता , मेर पास य करने क िलए उतना ही यार होता ह।
अपने िवचार को बदलने से मुझे अ छा महसूस होता ह।
म आज को एक खुशनुमा अनुभव बनाना सीख रहा ।
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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नवीनता का िनमाण
‘मेर भीतर मौजूद उ र मुझे आसानी से समझ आ जाते ह।’
म मोटा नह होना चाहता।
म टटना नह चाहता।
म बूढ़ा नह होना चाहता।
म यहाँ नह रहना चाहता।
म इस र ते म नह रहना चाहता।
म अपनी माँ/िपता जैसा नह होना चाहता।
म इस नौकरी म नह रहना चाहता।
म यह बाल/नाक/शरीर नह चाहता।
म त हा नह होना चाहता।
म असंतु नह रहना चाहता।
म बीमार नह होना चाहता।

आप िजस चीज पर यान देते ह, वह और बढ़ती ह


ये चीज िदखाती ह िक हम िकस तरह नकारा मक चीज से मानिसक संघष करना िसखाया जाता ह—ऐसा
इसिलए िक यिद हम ऐसा करगे तो सकारा मक चीज वतः हमारी ओर आएँगी। लेिकन ऐसा नह होता।
आप जो नह चाहते, आपने िकतनी बार इस बार म रोना रोया ह? या इससे आपको वह चीज िमली ह, जो
आप वा तव म चाहते थे? यिद आप अपने जीवन म वा तव म प रवतन करना चाहते ह तो नकारा मकता से
लड़ना पूरी तरह समय को बरबाद करना ह। आप जो नह चाहते, उस पर आप िजतना अिधक जोर देते ह,
उतना ही आप उसे बढ़ाते ह। आपने अपने या अपने जीवन क बार म जो भी चीज हमेशा से नापसंद क ह, वे
शायद अब भी आपक साथ ह।
आप िजन चीज पर यान देते ह, वे और बढ़ती ह और आपक जीवन म थायी हो जाती ह। नकारा मकता
से दूर जाएँ और अपना यान वहाँ लगाएँ जो आप वा तव म चाहते ह या बनना चाहते ह। चिलए, उपयु
नकारा मक ित ा को सकारा मक ित ा म बदल—
म दुबला
म खुशहाल ।
म हमेशा युवा ।
म अब एक बेहतर थान पर जा रहा ।
म अब एक बि़ढया नए र ते म ।
मेरा अपना अ त व ह।
म अपने बाल /नाक/शरीर से यार करता ।
म यार और ेह से भरा आ ।
म आनंदमय, खुश और मु ।
म पूरी तरह व थ ।

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ित ाएँ
सकारा मक ढ़ता से सोचना सीख। कोई भी बात, जो आप बोलते ह, वह ित ा हो सकती ह। अकसर
हम नकारा मक ढ़ता क प म सोचते ह। नकारा मक ित ाएँ कवल उसे बढ़ा सकती ह, जो आप नह
चाहते। यह कहना िक ‘म अपनी नौकरी से नफरत करता ’, से आपको कोई लाभ नह होगा। यह घोषणा
करना िक ‘म अब एक शानदार नई नौकरी वीकार करता ’, से ऐसा करने क िलए आपक चेतन मन म
रा ते खुलगे।
लगातार सकारा मक बात कर िक आप अपना जीवन कसा चाहते ह। हालाँिक, इसम एक ब त मह वपूण
िबंदु ह। हमेशा अपना कथन वतमान काल म कह, जैसे ‘म ’ या ‘मेर पास ह’। आपका अवचेतन मन ऐसा
आ ाकारी सेवक ह िक यिद आप भिव य काल म घोिषत करते ह, ‘म चाहता ’ या ‘मेर पास होगा’, तो यह
चीज हमेशा वह रहगी—आपक प च से दूर भिव य म!

वयं से ेम करना
जैसा िक मने पहले कहा ह, चाह सम या जो भी हो, मु य बात अपने आप से यार करने का यास करना
ह। यह वह जादू क छड़ी ह, जो सम या को गायब कर देती ह। वह समय याद करो जब आपने अपने
बार म अ छा महसूस िकया था और आपका जीवन ब त अ छा चल रहा था। वह समय याद क िजए, जब
आप ेम म थे और उस समय को याद क िजए जब आपक सामने कोई सम या नह थी। अपने आपसे यार
करना आपक अंदर इतनी अ छी भावनाएँ उ प करगा और आपक िलए इतनी अ छी िक मत लाएगा िक
आपक पाँव जमीन पर नह पड़गे। अपने आपसे यार करना आपको अ छा महसूस कराता ह।
अपने आपसे वा तव म ेम करना असंभव ह, जब तक िक आप अपने अ त व को, अपने आपको
वीकार न कर। इसका अथ ह, िकसी भी थित म अपनी आलोचना न करना। म अभी से सभी कार क
आपि याँ सुन सकता ।
‘लेिकन मने हमेशा से अपनी आलोचना क ह।’
‘म अपने बार म इस बात को कसे पसंद कर सकता ।’
‘मेर माता-िपता/िश क/ ेमी ने हमेशा मेरी आलोचना क ह।’
‘म िकस कार े रत हो सकता ?’
‘लेिकन मेर िलए ऐसी चीज करना गलत ह।’
‘अगर म अपनी आलोचना नह क गा तो अपने आप म प रवतन कसे ला सकता ?’

मन-म त क को िशि त करना


उपयु कार से अपनी आलोचना करना बस मन क पुरानी बात क साथ िचपक रहना ह। देिखए िक
आपने िकस कार अपने आपको नीचा िदखाने और प रवतन से इनकार करने क िलए अपने मन को
िशि त िकया ह। उन िवचार को अनदेखा कर और अभी जो मह वपूण काम ह, उसे कर।
उस अ यास पर वापस चलते ह, जो हमने पहले िकया था। िफर से दपण म देख और कह, ‘म अपने
आपसे ेम करता और जैसा वैसा वीकार करता ।’
अब कसा महसूस हो रहा ह? या हमने मा करने का जो काय िकया ह, उसक बाद कछ आसानी हो गई
ह? यह अब भी मु य मु ा ह। आ म-अनुमोदन और आ म- वीकित सकारा मक प रवतन क किजयाँ ह।
िजन िदन मेरी अपनी आ म-वंचना ब त सश थी, म कभी-कभी अपने चेहर पर थ पड़ मारती थी। म

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आ म- वीकित का अथ नह जानती थी। अपने अभाव और सीमा म मेरा भरोसा इतना सश था िक म
इसक िवपरीत िकसी बात को नह मानती थी। यिद कोई कहता था िक वह मुझे यार करता ह तो मेरी व रत
िति या यह होती थी, ‘ य , िकसी को मुझम या िदखता ह?’ या वही पुराना िवचार, ‘अगर उ ह बस पता
चल जाए िक म अंदर से कसी , तो वे मुझे यार नह करगे।’
म नह जानती थी िक सभी अ छी चीज अपने अ त व को वीकार करने और अपने अ त व से ेम
करने से शु होती ह। मुझे अपने साथ एक शांितपूण, ेममय संबंध िवकिसत करने म कछ समय लगा।
पहले म अपने बार म छोटी-छोटी चीज क तलाश करती थी िज ह म ‘अ छ गुण’ मानती थी। इससे भी
मदद िमली और मेरा अपना वा य सुधरना शु हो गया। अ छा वा य अपने आपसे ेम करने क साथ
शु होता ह। इसी कार संप ता और ेम तथा रचना मक आ मािभ य शु होती ह। बाद म मने अपनी
सभी चीज से ेम करना और उ ह वीकार करना सीखा, यहाँ तक िक अपने उन गुण को भी, जो मेर िवचार
म ‘उतने अ छ नह ’ थे। तभी मुझम सुधार आना शु आ।

अ यास : म खुद को पसंद करता


मने यह अ यास सैकड़ लोग को िदया ह और इसक प रणाम उ ेखनीय रह ह। अगले माह क िलए,
अपने आपसे बार-बार कह, ‘म खुद को पसंद करता ।’
इसे िदन म कम-से-कम तीन या चार सौ बार कह। नह , यह अिधक नह ह। जब आप िचंता म ह तो
कम-से-कम इतनी ही बार आप अपनी सम या क बार म सोचते ह। चिलए, ‘म खुद को पसंद करता ’, को
एक थायी मं बना ल, िजसे आप लगभग िबना क अपने आपसे बार-बार कह।
यह कहना िक ‘म खुद को पसंद करता ’, आपक अवचेतन मन म दबी हर िवरोधी बात को ऊपर लाने
का गारटीशुदा तरीका ह।
जब नकारा मक िवचार सामने आते ह, जैसे, ‘म अपने आपको कसे पसंद कर सकता , जब म मोटा ’
या ‘यह सोचना बेवकफाना ह िक इससे कछ अ छा हो सकता ह’ या ‘म अ छा नह ’ या जो भी आपका
नकारा मक िवचार हो, यह मानिसक िनयं ण का समय ह। इन िवचार को कोई मह व न द। सौ यता से इन
िवचार से कह, ‘म तु ह जाने देता । म अपने आपको पसंद करता ।’
इस अ यास को करने क बार म सोचना ही काफ बात को सामने ला सकता ह, जैसे, ‘यह बेवकफाना
ह’, ‘यह सच नह लगता’, ‘यह झूठ ह’, ‘यह बेकार लगता ह’ या ‘म कसे अपने आपको पसंद कर सकता
, जब म वो सब करता ।’
इन िवचार को िनकलने द। ये िसफ ितरोधक िवचार ह। उनका आपक ऊपर कोई जोर नह ह, जब तक
िक आप उन पर िव ास न करना चाह।
‘म खुद को पसंद करता । म खुद को पसंद करता । म खुद को पसंद करता ’। चाह जो भी हो, चाह
कोई आपसे जो कछ भी कह, चाह कोई आपक साथ कछ भी कर, बस इसे जारी रहने द। वा तव म जब
आप कोई आपक साथ ऐसा कछ कर रहा हो, जो आपको पसंद नह ह, और तब आप खुद से ऐसी बात कह
सकते ह तो आपको पता चल जाएगा िक आप िवकिसत हो रह ह और बदल रह ह।
िवचार का हम पर कोई बस नह ह, जब तक िक हम उनक बस म न हो जाएँ। िवचार कवल श द का
एक सं ह ह। उनका कोई अथ नह होता। िसफ हम उसे अथ देते ह। चिलए, ऐसे िवचार को चुन, जो हम
िवकास क ओर ले जाएँ।
आ म- वीकित का एक भाग ह, दूसर लोग क राय को छोड़ देना। अगर म आपक साथ होती और
आपको बार-बार कहती, ‘तुम एक बगनी सूअर हो, तुम एक बगनी सूअर हो’, तो आप या तो मुझ पर हसते
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या मुझसे िचढ़ जाते और समझते िक म पागल । यह असंभव ह िक आप इसे सच समझते। इसी तरह हम
अपने बार म िजन चीज पर िव ास करते ह, उनम से ब त सी चीज गलत और झूठी होती ह। यह मान लेना
िक आपका मह व आपक शरीर क आकार पर िनभर करता ह, तो जैसे आप िव ास करते ह िक आप एक
बगनी सूअर ह।
अकसर जो हम सोचते ह िक ये चीज हमार साथ गलत ह, वे िसफ हमारी वैय कता क अिभ य
होती ह। यह हमारा अनूठापन और हमारी िवशेषता होती ह। कित कभी खुद को दुहराती नह ह। जब से इस
पृ वी पर जीवन आरभ आ ह, तब से बफ क कोई दो टकड़ या बा रश क कोई दो बूँद समान नह रही ह।
और हर डजी का फल दूसर डजी क फल से अलग होता ह। हमारी उगिलय क िनशान िभ होते ह और
हम िभ होते ह। हम अलग-अलग ही होना था। जब हम इस बात को वीकार कर सकते ह तो कोई
ित पधा और कोई तुलना नह ह। िकसी दूसर क तरह बनने का यास करना अपनी आ मा को चोट
प चाना ह। हम इस पृ वी पर अपने आपको अिभ य करने क िलए आए ह।
म यह भी नह जानती थी िक म या थी, जब तक िक मने अपने आपको इसी प म यार करना नह
सीखा।

अपनी जाग कता को अ यास म प रवितत कर


ऐसे िवचार को सोच, जो आपको स कर। ऐसे काय कर, जो आपको अ छा महसूस कराएँ। ऐसे
लोग क साथ रह, जो आपको अ छा महसूस कराएँ। ऐसी चीज खाएँ, जो आपक शरीर को अ छा महसूस
कराएँ। ऐसे थान पर जाएँ, जहाँ आपको अ छा महसूस हो।

बीज बोना
एक ण क िलए टमाटर क एक पौधे क बार म सोच। एक व थ पौधे पर सैकड़ टमाटर लगे ह गे।
टमाटर क उस पौधे, िजसपर इतने टमाटर हो, को ा करने क िलए हम एक छोट से सूखे ए बीज क
साथ शु करना होगा। वह बीज टमाटर जैसा नह िदखता। उसका वाद टमाटर क पौधे जैसा नह ह। यिद
आप अ छी तरह नह जानते तो आप कभी नह मानते िक वह टमाटर का पौधा हो सकता ह। चिलए, मान
लेते ह िक आप इस बीज को उपजाऊ िम ी म डाल देते ह और उसम पानी देते ह, साथ ही उसे सूय क
रोशनी िमलती ह।
जब पहली छोटी सी क पल िनकलती ह, तो आप यह नह कहते िक यह टमाटर का पौधा नह ह। ब क
आप उसे देखते ह और कहते ह, ‘अहा, यह तो िनकल गया।’ और आप खुशी से उसको बढ़ते देखते ह। इस
बीच यिद आप उसे पानी और धूप देना जारी रखते ह और झाड़-झंखाड़ को उखाड़ फकते ह तो आपको
सैकड़ रसीले टमाटर वाला पौधा िमल सकता ह। यह सब उस न ह से बीज क साथ शु आ था।
अपने िलए एक नया अनुभव बनाना िबलकल ऐसा ही ह। िजस िम ी म आप बीज डालते ह, वह आपका
अवचेतन मन-म त क ह। बीज नई ित ा ह। यह सारा नया अनुभव इस छोट से बीज म ह। आप उसे ढ़ता
से स चते ह। आप उस पर सकारा मक िवचार क धूप पड़ने देते ह। आप वहाँ उगनेवाले नकारा मक िवचार
क झाड़-झंखाड़ को उखाड़ते ह। और जब आप सबसे पहले न ह से माण को देखते ह तो आप यह नह
कहते िक यह काफ नह ह। इसक बजाय आप इस पहली सफलता को देखते ह और खुशी से उछलकर
कहते ह, ‘वाह! आिखर यह हो गया। यह काम कर रहा ह।’
इसक बाद आप उसे बढ़ते और अपनी इ छा क अिभ य क प म देखते ह।

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अ यास : नए प रवतन लाएँ
अब आप अपनी किमय क सूची बनाएँ और उ ह सकारा मक ित ा म बदल। या िफर आप उन
बदलाव क सूची बना सकते ह, जो आप करना और लाना चाहते ह। इसक बाद इस सूची म से तीन चुन
और उ ह सकारा मक संक प म बदल।
मान लीिजए, आपक नकारा मक सूची कछ इस कार ह—
मेरा जीवन अ त- य त ह।
मुझे वजन कम करना चािहए।
कोई मुझे यार नह करता।
म आगे बढ़ना चाहता ।
म अपनी नौकरी से नफरत करता ।
मुझे यव थत होना चािहए।
म उतना काम नह करता।
म उतना अ छा नह ।
आप इ ह कछ ऐसे वा य म बदल सकते ह—
म अपने अंदर क उन िवचार- व प को छोड़ना चाहता , िज ह ने इन थितय को ज म िदया।
म सकारा मक प रवतन क ि या म ।
मेरा शरीर स , छरहरा ह।
म जहाँ भी जाता , मुझे यार िमलता ह।
मेर पास रहने का उपयु थान ह।
म अब अपने िलए एक अ छी नौकरी ढढ़ लेता ।
म अब सु यव थत ।
मुझे अपने सभी काम पसंद ह।
म अपने आपको यार और वीकार करता ।
मुझे भरोसा ह िक जीवन म मुझे बेहतरीन चीज िमलगी।
म सव म चीज क लायक और म अब इसे वीकार करता ।
इन ढ़ िन य क समूह म वे सभी चीज ह गी, जो आप अपनी सूची म बदलना चाहते ह। अपने आपको
यार और वीकार करना, एक सुरि त थान बनाना, िव ास करना, यो य बनाना और वीकार करना
आपक शरीर क वजन को सामा य बनाएगा। ये आपक म त क को यव थत करगे, आपक जीवन म ेम
से भर र ते लाएँगे, एक नई नौकरी और एक नए मकान को आक करगे। टमाटर क पौधे क बढ़ने क
ि या चम का रक ह। हम अपनी इ छा को िजस प म दिशत कर सकते ह, वह चम का रक ह।

उ म चीज क यो य होना
या आपको िव ास ह िक आप इस यो य ह िक आपक इ छा पूरी हो सक। यिद नह तो आप कभी
अपनी इ छा को पूरी नह होने दगे। आपक िनयं ण से पर ऐसी प र थितयाँ उ प ह गी, जो आपको परशान
करगी।

अ यास : म यो य
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िफर से अपने दपण म देख और कह, ‘म...पाने या बनने क यो य ...और म अब इसे वीकार करता
।’ इसे दो या तीन बार कह।
आप कसा महसूस कर रह ह?हमेशा आपक भावना और आपक शरीर म या चल रहा ह, उस पर
यान द। या यह सच लगता ह या आप अब भी खुद को अयो य मानते ह?
यिद आपक शरीर म िकसी कार क नकारा मक भावनाएँ ह तो िफर से ढ़ िन य ल, ‘म अपनी चेतना
म मौजूद उन िवचार व प को छोड़ता , जो मुझे अ छी चीज पाने से रोक रह ह।’ ‘म...क यो य ।’
इसे बार-बार दुहराएँ, जब तक िक आपक अंदर िव ास क भावना उ प न हो जाए, चाह आपको
लगातार कई िदन तक यह करना पड़।

संपूणवादी दशन
नवीनता क िनमाण क हमारी ि या म हम एक संपूणवादी ि कोण अपनाना चाहते ह। संपूणवादी दशन
संपूण अ त व—शरीर, मन और आ मा को िवकिसत और पोिषत करना ह। यिद हम इनम से िकसी को भी
उपेि त करते ह तो हम अपूण ह; हमार अंदर संपूणता का अभाव ह। यह मायने नह रखता िक हम कहाँ से
शु आत करते ह, अगर हम उसक बाद दूसर े को भी शािमल करते ह।
अगर हम शरीर से शु आत करते ह तो हम पोषण क बार म सोचना चाहगे, खा व पेय पदाथ क हमार
चयन और हमारी भावना पर उनक भाव क बीच क संबंध को समझना चाहगे। हम अपने शरीर क िलए
बेहतरीन चयन करना चाहते ह। इसक िलए जड़ी-बूिटयाँ और िवटािमन ह, होिमयोपैथी और बैक लावर
रमेडी ह। हम िविभ संभावना को खँगाल सकते ह।
हम इस कार क कसरत क बार म पता करना चाहगे, जो हमार अनुकल ह । कसरत हमारी ह य को
मजबूत बनाता ह और हमार शरीर को युवा बनाए रखता ह। खेल और तैराक क अलावा नृ य, ताई-ची,
माशल आ स और योग को भी अपनाया जा सकता ह। मुझे अपना पोलीन ब त पसंद ह और रोज उसे
इ तेमाल करती । मेरा लट (ितरछा) बोड मुझे आराम प चाता ह।
हम िकसी कार क शारी रक मेहनत जैसे रो फग, हलर वक या गर कर सकते ह। मािलश, फट
र ले सोलॉजी, ए यूपंचर या िचरो ै टक काय—ये सब भी लाभदायक ह। साथ ही एले जडर मेथड,
बायोएनजिट स, फ डन ाइ, पश और रक भी शारी रक सि यता को े रत करते ह।
मन-म त क क िलए हम िवजुअलाइजेशन टकनीक, गाइडड इमेजरी और ित ा को अपना सकते ह।
ब त सी मनोवै ािनक तकनीक ह, जैसे—गे टा ट, िहपनोिसस, रीबिथग, साइको ामा, पा ट लाइफ र ेशंस,
आट थरपी और ीम वक।
यान िकसी भी प म मन को शांत करने और अपने ान को ऊपर आने क िलए े रत करने का अ ुत
तरीका ह। म आम तौर पर बस आँख को बंद करक बैठती और कहती , ‘मुझे या जानने क ज रत
ह।’ और िफर म मौन होकर उ र क ती ा करती । यिद उ र िमलता ह तो ठीक, यिद नह िमलता ह तो
भी ठीक। वह िकसी और िदन िमल जाएगा।
ब त सी ऐसी सं थाएँ ह, जो यान आिद से संब कायशालाएँ आयोिजत करती ह जैसे िक अंतः
िनरी ण, ेम संबंध िश ण, कन-वी.एस. ुप आिद। इनम से कई स ाहांत कायशालाएँ आयोिजत करती
ह। ये स ाहांत आपको जीवन क बार म एक िबलकल नया ि कोण अपनाने का अवसर देते ह। कोई भी
कायशाला आपक सभी सम या को पूरी तरह हमेशा क िलए समा नह कर सकती। लेिकन वे आपक
जीवन को बदलने म अभी क अभी आपक मदद कर सकते ह।
आ या मक े म ाथना, यान और ई र क साथ जुड़ना होता ह। मेर िलए मा दान करना और
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िबना शत यार करना आ या मक काय ह। कई आ या मक समूह भी ह।
म चाहती िक आप जान िक आपक सामने िकतने रा ते खुले ह आप िकतना कछ कर सकते ह। अगर
एक रा ता आपक िलए उपयोगी िस नह होता तो दूसर को आजमाएँ। ये सभी रा ते लाभदायक िस होते
ह। म यह नह कह सकती िक आपक िलए कौन सा रा ता सही होगा। यह आपको अपने िलए खुद खोजना
ह। िकसी एक िविध या एक य या एक समूह क पास हर िकसी क िलए सभी उ र नह हो सकते। मेर
पास सभी क िलए सभी उ र नह ह। म बस संपूण वा य क ल य म एक साधन भर ।
जीवन क अनंतता म, जहाँ म सब संपूण और प रपूण ह
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मेरा जीवन सदा नवीन ह
मेर जीवन का येक ण नया, ताजा और सजीव ह।
म अपनी इ छा पूरी करने क िलए अपनी ित ा का इ तेमाल करता ।
यह एक नया िदन ह, म एक नया य ।
म अलग सोचता , म अलग बोलता , म अलग करता ।
दूसर मुझसे अलग यवहार करते ह।
मेरी नई दुिनया मेरी नई सोच का ितिबंब ह।
नए बीज बोना एक खुशी और हष ह।
म जानता िक ये बीज मेर नए अनुभव बनगे
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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दैिनक काय
‘मुझे अपने नए मानिसक काय का अ यास करने म आनंद आता ह।’

यिद ब े पहली बार िगर कर चलना छोड़ देते, तो वे कभी चलना नह


सीख पाते
जैसे आप कोई भी नई चीज सीख रह ह तो उसे अपने जीवन का िह सा बनाने क िलए अ यास करना होता
ह, समय लगता ह। पहले काफ एका ता क आव यकता होती ह, हमम से कई लोग ‘कड़ी मेहनत’ करने
का फसला करते ह। म इसे कड़ी मेहनत नह ब क सीखने क िलए कछ नया मानना चाहती ।
सीखने क ि या हमेशा वही होती ह चाह िवषय कछ भी हो—चाह आप एक कार चलाना सीख रह ह
या टाइिपंग या टिनस खेलना या सकारा मक सोचना। पहले हम िवफल होते ह, य िक हमारा अवचेतन मन
कोिशश करते ए सीखता ह, िफर भी हर बार जब हम वापस अ यास करते ह तो वह हमार िलए कछ
आसान हो जाता ह और हम उसे कछ बेहतर ढग से कर पाते ह। िन त प से, आप पहले ही िदन प रपूण
नह ह गे। आप उतना करगे िजतना कर पाएँगे। शु आत क िलए यह काफ ह।
अपने आपसे अकसर कह, ‘म िजतना अ छा कर सकता , वह कर रहा ।’

हमेशा खुद को सहारा द


मुझे अपना पहला भाषण अ छी तरह याद ह। जब म मंच से नीचे उतरी, तो मने त काल अपने आपसे
कहा, ‘लुइस, तुम अ ुत हो। पहली बार म तुमने शानदार काम िकया। पाँच या छह बार करने पर तुम िनपुण
हो जाओगी।’
कछ घंट बाद मने अपने आप से कहा, ‘मुझे लगता ह, हम कछ चीज बदल सकते ह। चलो, इसे ठीक
कर। चलो, उसे ठीक कर।’ मने िकसी भी प म अपनी िनंदा करने से इनकार कर िदया।
अगर म मंच से उतरते ही अपने आपको कमजोर मानना शु कर देती, ‘ओह, तुमने िकतना खराब काम
िकया। तुमने यह गलती क , तुमने वह गलती क ।’ तो िफर म अपना दूसरा भाषण देने म डरती। और मेरा
दूसरा भाषण पहले से बेहतर था, और छठ भाषण तक म सव म महसूस कर रही थी।

अपने आस-पास िस ांत को कारगर होते देखना


इस पु तक को िलखना शु करने से पहले मने अपने िलए एक वड ोसेसर/क यूटर खरीदा। मने उसे
‘मैिजक लेडी’ का नाम िदया। यह एक नई चीज थी िजसे मने सीखने का फसला िकया। मने पाया िक
क यूटर सीखना आ या मक िस ांत को सीखने जैसा ह। जब मने क यूटर क िस ांत को सीख िलया तो
उसने वा तव म मेर िलए ‘चम कार’ िकया। जब म उसक िस ांत का पूरी तरह पालन नह करती थी तो या
तो कछ नह होता था या उस तरह काम नह करता था, जैसा म चाहती थी। म परशान हो सकती थी जबिक
वह धैय से ती ा कर रही थी िक म उसक िस ांत सीख लूँ, और िफर उसने मेर िलए चम कार िकया।
इसक िलए अ यास क आव यकता पड़ी।
यही होता ह जब आप कछ नया सीखना शु करते ह। आपको आ या मक िस ांत को सीखना चािहए
और उनका पूरी तरह पालन करना चािहए। आप उ ह अपनी पुरानी िवचारधारा क ओर नह मोड़ सकते।

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आपको नई भाषा सीखनी चािहए और उसका पालन करना चािहए, िफर आपक जीवन म ‘चम कार’
िदखेगा।

अपने ‘सीखने’ क आदत को बल बनाएँ


आप िजतने प म अपनी ‘सीखने’ क आदत को बल बना सकते ह उतना ही बेहतर ह। म आपको
कछ सुझाव देना चा गी—
आभार य करना।
ित ा को िलखना।
यान करना।
अ यास का आनंद उठाना।
अ छा पोषण लेना।
जोर-जोर से ित ाएँ करना।
ित ा को गाना।
रले सेशन अ यास क िलए समय िनकालना
मानसदशन (िवजुअलाइजेशन) का इ तेमाल करना, मानिसक िच ण
पाठन और अ ययन।

मेरा दैिनक काय म


मेरा अपना दैिनक काय म कछ इस कार ह—
जगने पर मेर पहले िवचार अपनी आँख खोलने से पहले, जहाँ तक म सोच सकती , उस हर चीज क
िलए आभारी होने क होते ह।
ान क बाद म लगभग आधे घंट तक यान करती और अपनी शपथ तथा ाथनाएँ करती ।
िफर पोलीन पर लगभग 15 िमनट क कसरत क बाद म कभी-कभी टलीिवजन पर सुबह 6 बजे क
ऐरोिबक काय म क साथ कसरत करती ।
इसक बाद म ना ते क िलए तैयार होती , िजसम फल, फल क रस और हबल चाय होती ह। म यह
भोजन दान करने क िलए धरती माँ का ध यवाद करती और मुझको पोषण दान करने म अपना जीवन
समिपत कर देने क िलए भोजन का ध यवाद करती ।
दोपहर क भोजन से पहले म दपण क सामने जाकर जोर-जोर से कछ ित ाएँ करना पसंद करती । म
कभी-कभी उ ह गाती भी , जैसे—
लुइस, तुम अ ुत हो और म तु ह यार करती ।
यह तु हार जीवन क बेहतरीन िदन म से एक ह।
तु हार सव म लाभ क िलए हर चीज काम कर रही ह।
तुम जो भी जानना चाहती ह, वह तु हार सामने ह।
तु ह िजस चीज क भी आव यकता ह, वह तु हार पास आती ह।
सब अ छा ह।
दोपहर का भोजन अकसर सलाद का एक बड़ा िह सा होता ह। िफर से उस भोजन का आशीवाद और
उसका ध यवाद िदया जाता ह।
देर दुपहरी म म अपने लट ितरछ बोड पर कछ पल िबताती और अपने शरीर को कछ गहरी िव ांित
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अनुभव करने क अनुमित देती । म कभी-कभार इस समय टप भी सुनती ।
रात क भोजन म भाप म पक स जयाँ और एक अनाज होता ह। कभी-कभार म मछली या िचकन खाती
। मेरा शरीर साधारण भोजन पर बेहतरीन काम करता ह। म दूसर क साथ राि भोज म शािमल होना पसंद
करती और हम भोजन क साथ-साथ एक-दूसर को भी आशीवाद देते ह।
कभी-कभार शाम म म पढ़ने और अ ययन करने क िलए कछ समय िनकालती । सीखने क िलए हमेशा
कछ-न-कछ होता ह। इस समय म कभी-कभी अपनी वतमान ित ा को 10 या 20 बार िलखती ।
जब म िब तर पर जाती तो अपने िवचार को एकि त करती । म िदन क घटना क बार म सोचती
और हर गितिविध क िलए कत होती । म ढ़ िन य करती िक म गहरी व अ छी न द सोऊगी और
सुबह स ता और ताजगी क साथ तथा नए िदन का वागत करते ए उठगी।
यह अिभभूत करनेवाला लगता ह, ह न? शु आत म ऐसा लगता ह िक ब त मेहनत करनी पड़गी, लेिकन
कछ ही समय बाद आपक नई िवचार-शैली ान या दाँत क सफाई क तरह आपक जीवन का एक िह सा
बन जाएगी। आप इसे वतः और आसानी से करगे।
िकसी प रवार क िलए सुबह म इनम से कछ चीज साथ करना ब त अ छा रहगा। सुबह एक साथ
िमलकर यान करते ए िदन क शु आत करना या रात क भोजन से पहले साथ यान करना सबक जीवन म
शांित और स ावना लाएगा। यिद आपको लगता ह िक आपक पास समय नह ह तो आप आधे घंट पहले
उठ सकते ह। इसक लाभ आपक कोिशश को साथक कर दगे।

आप अपने िदन क शु आत कसे करते ह?


आप जगने क बाद सुबह म पहली कौन सी बात कहते ह। हमार पास कछ-न-कछ बात होती ह य िक
हम लगभग ितिदन कछ-न-कछ कहते ह। वह सकारा मक होता ह या नकारा मक? मुझे याद ह िक जब
सुबह म म जगती थी तो एक आह क साथ कहती थी, ‘ओह, एक और िदन।’ और िफर मेरा िदन वैसा ही
गुजरता था, एक क बाद एक गलत होता था। अब जब म जगती तो अपनी आँख खोलने से पहले म
अ छी न द क िलए िब तर को ध यवाद देती । आिखरकार हमने एक साथ आराम करते ए पूरी रात गुजारी
ह। िफर बंद आँख क साथ ही म लगभग दस िमनट तक अपने जीवन क सभी अ छी चीज क िलए
ध यवाद देती । म थोड़ा सा िदन का काय म बनाती और सोचती िक सबकछ अ छा होगा और म
उसका पूरा आनंद उठाऊगी। िब तर से उठने और सुबह का यान या ाथना से पहले म यह करती ।

यान
येक िदन मौन होकर यान म बैठने क िलए कछ समय िनकाल। यिद यान आपक िलए नई बात ह तो
पाँच िमनट से शु कर। चुपचाप बैठ, अपनी साँस पर यान द और िवचार को आराम से अपने मन-
म त क से िनकलने द। उ ह कोई मह व न द और वे आगे चले जाएँगे। मन-म त क का काम ह सोचना,
इसिलए िवचार से छटकारा पाने का यास न कर।
यान करने क तरीक पता करने क िलए आप ब त सी क ा और पु तक का सहारा ले सकते ह। चाह
आप कसे भी और कह भी शु कर, अंत म आप अपने िलए बेहतरीन िविध खोज लगे। म आम तौर पर
बस चुपचाप बैठती और पूछती , ‘म या जानना चाहती ?’ म उ र आने देती , यिद वह चाह; यिद
नह तो म जानती िक वह उ र मुझे बाद म िमल जाएगा। यान करने का कोई सही या गलत तरीका नह
ह।
यान का एक और प ह चुपचाप बैठकर अपनी साँस पर यान देना िक वह शरीर म कसे जाती और
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आती ह। जब आप साँस लेते ह तो एक िगन और साँस छोड़ने क साथ दो िगन। िगनती जारी रख, जब तक
िक आप 10 पर नह प च जाते, िफर 1 से शु कर। यिद आपको लगता ह िक आपक िगनती आपको 25
क आस-पास ले गई ह तो िफर से 1 पर वापस चले जाएँ।
एक ाहक थी, जो मुझे काफ बु मान और तेज लगती थी। उसका म त क असाधारण प से चतुर व
तेज था और वह काफ िवनोदि य थी। िफर भी वह सफल नह हो पाती थी। उसका वजन अिधक था। वह
टटी ई, अपने क रयर म किठत और कई वष तक अपने जीवन म रोमांस से वंिचत थी। वह सभी गूढ़
अवधारणाएँ तेजी से सीख सकती थी, वे उसक िलए काफ मह वपूण थे। िफर भी वह अिधक चतुर, अिधक
तेज थी। वह िजन िवचार को इतनी तेजी से िणक आधार पर हण कर लेती थी, उनका पया समय तक
अ यास करने क िलए अपनी गित कम करना उसक िलए किठन था।
दैिनक यान ने उसक काफ मदद क । हमने िसफ 5 िमनट ितिदन से शु िकया और धीर-धीर 15-20
िमनट तक प चे।

अ यास : दैिनक ित ाएँ


एक या दो ित ाएँ लेकर उ ह िदन म 10 या 20 बार िलख। उ ह उ साह क साथ जोर से पढ़। अपनी
शपथ का गीत बनाएँ और उ ह खुश होकर गाएँ। अपने मन-म त क को िदन भर इन ित ा पर जाने द।
लगातार इ तेमाल क जानेवाली ित ाएँ िव ास बन जाती ह और वे हमेशा लाभदायक होती ह। कभी-
कभी तो ऐसे प म प रणाम िदखाती ह, िजसक हम क पना भी नह कर सकते।
मेरा एक िव ास यह ह िक मेर हमेशा अपने मकान मािलक क साथ अ छ र ते रहते ह। यूयाक िसटी म
मेरा िपछला मकान मािलक एक ऐसा य था, जो अ यंत स त माना जाता था और सभी िकराएदार उसक
िशकायत करते थे। िजन पाँच वष म म वहाँ रही, मने उसे िसफ तीन बार देखा। जब मने किलफोिनया जाने
का फसला िकया तो म अपना सारा सामान बेचना चाहती थी और नए िसर से, अतीत से िकसी जुड़ाव क
िबना, शु करना चाहती थी। मने इस कार क ित ाएँ करनी शु क —
‘मेरा सारा सामान आसानी से और ज दी िबक जाएगा।’
‘यह काम ब त आसान ह।’
‘सबकछ िबलकल ठीक चल रहा ह।’
‘सब कशल ह।’
मने इस बार म नह सोचा िक चीज को बेचना िकतना मु कल होगा या आिखरी कछ रात म कहाँ सोऊगी
या कोई भी ऐसा नकारा मक िवचार। मने बस अपनी ित ाएँ जारी रख । मेर ाहक और िव ािथय ने तुरत
सारा छोटा-मोटा सामान और अिधकांश पु तक खरीद ल । मने अपने मकान मािलक को प िलखा िक म
अपने लीज का नवीनीकरण नह क गी और मुझे आ य आ, जब उसने मुझे फोन करक मेर जाने पर
िनराशा य क । उसने किलफोिनया म मेर नए मकान मािलक को िसफा रशी प िलखने का भी ताव
िकया और पूछा िक या वह उसका फन चर खरीद सकता ह, य िक उसने वह अपाटमट सुस त करक
िकराए पर लगाने का फसला िकया था।
मेरी चेतना ने दो िव ास को इस कार से साथ ला िदया था, िजसक म क पना भी नह कर सकती थी
—‘मेर र ते अपने मकान मािलक से हमेशा अ छ रहगे’ और ‘सबकछ आसानी से और ज दी िबक
जाएगा’। दूसर िकराएदार हरान थे िक म अंत तक एक आरामदेह सुस त अपाटमट म अपने िब तर पर ही
सोती थी और साथ ही मुझे उसक िलए पैसे भी िमले! म वहाँ से कछ कपड़ , अपने जूसर, लडर, हयर
ायर एवं टाइपराइटर और साथ ही एक बड़ चेक क साथ िनकली और आराम से लॉस एंजेिलस क न
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पकड़ी।

सीमा म िव ास न कर
किलफोिनया प चने पर मेर िलए एक कार खरीदना ज री था। पहले कोई कार न होने और पहले कोई भी
बड़ी खरीद न करने क कारण मेरी कोई थािपत साख नह थी। बक मुझे ऋण देने को तैयार नह थे। एक
मिहला और व-रोजगार शुदा होना मेर िकसी काम नह आया। म अपनी सारी बचत एक नई कार खरीदने म
खच करने क िलए तैयार नह थी। साख बनाना एक बड़ी चुनौती बन गई।
मने प र थित या बक क बार म कोई नकारा मक िवचार मन म लाने से इनकार कर िदया। मने एक कार
िकराए पर ली और यह ित ा करती रही, ‘मेर पास एक खूबसूरत नई कार ह और वह आसानी से मुझे िमल
गई ह।’
साथ ही मने िमलनेवाले हर िकसी से कहा िक म एक नई कार खरीदना चाहती और अब तक साख
बनाने म सफल नह हो पाई । लगभग तीन महीने म म एक िबजनेस वुमन से िमली, जो तुरत मुझे पसंद
करने लगी। जब मने उसे कार क बार म अपनी कहानी बताई तो उसने कहा, ‘चलो, यह काम म कर दूँगी।’
उसने बक क अपनी एक िम को बुलाया िजसक उसने कभी मदद क थी और उससे कहा िक म एक
‘पुरानी’ िम और मेरी मजबूत िसफा रश क । तीन िदन क भीतर म एक खूबसूरत कार क मालिकन थी।
म उतनी उ सािहत नह थी, िजतनी इस ि या को देखकर भ चक थी। म मानती िक कार लेने म तीन
महीने का समय मुझे इसिलए लगा, य िक मने इससे पहले कभी मािसक िक त क िलए खुद को तैयार नह
िकया था और मेर अंदर का छोटा ब ा डरा आ था, उसे यह कदम उठाने का साहस बटोरने क िलए समय
चािहए था।

अ यास : म वयं को यार करता


म अनुमान लगा रही िक आप पहले से ‘म अपने आपको वीकार करता ’ लगभग िबना क बोल रह
ह गे। यह एक श शाली आधार ह। इसे कम-से-कम एक महीने तक कर।
अब एक कागज ल और सबसे ऊपर िलख—‘म वयं को यार करता , इसिलए...’
इस वा य को िजतने प म पूरा कर सकते ह , कर। जैसे-जैसे नई बात सोच, इसम जोड़।
अगर आप िकसी साथी क साथ यह कर सकते ह तो कर। हाथ पकड़ और बारी-बारी से कह, ‘म खुद
को यार करती , इसिलए...’ यह अ यास करने का सबसे बड़ा लाभ यह ह िक आप यह सीख जाते ह िक
जब आप यह वा य कहते ह, तो अपने आपको नीचा िदखाना लगभग असंभव होता ह।

अ यास : नए का दावा कर
अपने आपको वह चीज करते या होते या पाते सोच या क पना कर िजसक िलए आप मेहनत कर रह ह।
सभी िववरण भर। महसूस कर, देख, चख, पश कर, सुन। अपनी नई थित पर दूसर लोग क िति या
पर यान द। चाह उनक िति याएँ जो भी ह , कह िक आपक िलए सब ठीक ह।

अ यास : अपने ान को बढ़ाएँ


मन-म त क क काय क बार म अपनी जाग कता और समझ को बढ़ाने क िलए जो भी पढ़ सकते ह,
वह सब पढ़। आपक िलए काफ कछ ान उपल ध ह। यह पु तक आपक माग म कवल एक और कदम

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ह। दूसर ि कोण भी तलाश। लोग को िभ प म यह सब कहते सुन। ुप म अ ययन कर, जब तक
आप उनसे आगे न बढ़ जाएँ।
यह जीवनपयत चलनेवाला काम ह। आप िजतना सीखते ह, िजतना ान ा करते ह, िजतना अ यास
और इ तेमाल करते ह उतना बेहतर महसूस करते ह और आपका जीवन उतना ही उ म होगा। यह काम
करना आपको अ छा महसूस कराएगा।

प रणाम दिशत होना


इनम से आप िजतनी िविधय का अ यास कर सकते ह, उनक अ यास करक आप इस काय क अपने
प रणाम को दिशत करना शु कर दगे। आप अपने जीवन म छोट-छोट चम कार होते देखगे। िजन चीज
को आप दूर करने क िलए तैयार ह, वे अपने आप चली जाएँगी। िजन चीज और घटना को आप चाहते
ह, वे अचानक आपक जीवन म कह से उभर आएँगी। आपको ऐसे पुर कार िमलगे िजनक आपने क पना
भी नह क होगी।
म ब त चिकत और खुश ई थी, जब कछ महीने तक मानिसक अ यास करने क बाद म युवा िदखने
लगी थी। आज म दस वष पहले क मुकाबले दस वष युवा िदखती !
अपने अ त व और आप जो करते ह, उसे पसंद कर। अपने आप और जीवन पर हस और कोई भी चीज
आपको पश नह कर सकती। यह सब अ थायी ह। अगले जीवन म आप इसे अलग कार से करगे तो
अभी इसे अलग कार से य न कर।
आप नॉरमन किजंस क एक पु तक पढ़ सकते ह। उ ह ने हा य का इ तेमाल करक एक घातक बीमारी से
छटकारा पाया। दुभा यवश, उ ह ने उन मानिसक ि कोण को नह बदला, िजसने उस बीमारी को उ प
िकया था, इसिलए दूसरी बीमारी को उ प कर िलया। हालाँिक उ ह ने उस बीमारी से भी हसते ए मु पा
ली।
आप कई प म अपना उपचार कर सकते ह। उन सभी को आजमाएँ और िफर उसका इ तेमाल कर, जो
आपको सबसे अिधक आकिषत करता ह।
जब आप रात को सोने जाते ह तो अपनी आँख बंद कर और िफर से अपने जीवन क सभी अ छी बात क
िलए आभार जताएँ। इससे और भी अ छी बात ह गी।
कपया रात म सोने से ठीक पहले खबर न तो सुन और न ही टलीिवजन पर देख। खबर कवल िवपदा
क एक सूची होती ह और आप उ ह अपने व न तक नह ले जाना चाहगे। व न क अव था म काफ
सफाई का काम होता ह और आप अपने सपन को िकसी भी ऐसी बात म मदद करने क िलए े रत कर
सकते ह, िजस पर आप काम कर रह ह। अकसर आपको सुबह तक उ र िमल जाएगा।
शांित से सोने जाएँ। भरोसा रख िक जीवन क ि या आपक प म ह और वह आपक बेहतरी तथा
खुिशय का यान रख रही ह।
आप जो कर रह ह, उस पर जोर डालने क कोई आव यकता नह ह। वह मनोरजन हो सकता ह। वह
खेल हो सकता ह, वह खुशी हो सकती ह। यह आपक ऊपर ह! यहाँ तक िक मा दान करना और
नाराजगी को छोड़ना भी मनोरजन हो सकता ह। यिद आप उसे ऐसा बनाना चाहते ह। िफर से उस य या
थित क बार म एक छोटा सा गीत बनाएँ, िजसे छोड़ना अिधक मु कल हो। जब आप कोई गीत गाते ह तो
वह पूरी ि या को हलका बना देता ह। जब म िनजी प से अपने ाहक क साथ काम करती तो िजतनी
ज दी हो सक, उस ि या म हा य ले आती । हम िजतनी ज दी पूरी थित पर हस सकते ह, उसे छोड़ना
उतना ही आसान होता ह।
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अगर आप नील िसमोन क िकसी नाटक म मंच पर अपनी सम या को देखते तो आप हसते-हसते
लोटपोट हो जाते। ासदी और कॉमेडी एक ही चीज ह। यह कवल आपक ि कोण पर िनभर करता ह।
‘ओह, हम मनु य िकतने बेवकफ हो सकते ह।’
अपने कायाक प को मनोरजन और खुशी क बात बनाने क िलए आप जो भी कर सकते ह , वह कर।
मजे क िजए!
जीवन क अनंतता म, जहाँ म ,
सबकछ संपूण और प रपूण ह
q

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म खुद को सहारा देता और जीवन मुझे सहारा देता ह।
म अपने चार ओर और अपने जीवन क हर े म
िस ांत को काम करते देखता ।
म उसे बिलत करता िजसे म आनंद क साथ सीखता ।
मेरा िदन आभार और खुशी क साथ शु होता ह।
म िदन क रोमांच क ओर उ साह से देखता ।
यह जानते ए िक मेर जीवन म ‘सब अ छा ह’
म अपने आपको और अपने सभी काय को पसंद करता ।
म जीवन क जीवंत, ेममय, आनंदमय अिभ य
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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र ते
‘मेर सभी र ते स ावनापूण ह।’
ऐसा लगता ह िक सारा जीवन र त पर आधा रत ह। हर िकसी चीज क साथ हमारा र ता होता ह। अभी
आपका इस पु तक क साथ भी र ता ह िजसे आप पढ़ रह ह, और साथ ही मुझसे और मेरी अवधारणा क
साथ भी।
आपका व तु , भोजन, मौसम, प रवहन और लोग क साथ जैसे र ते होते ह, वह उस र ते को
ितिबंिबत करता ह जो आपका अपने साथ होता ह। अपने साथ आपका जो र ता ह, वह उन र त से
अ यंत भािवत होता ह, जो आपका बचपन म अपने आस-पास मौजूद वय क से था। उस समय वय क ने
हमार साथ जो यवहार िकया था, अकसर हम अपने साथ अब वैसा ही यवहार करते ह, चाह वह
सकारा मक हो या नकारा मक।
जब आप अपने आपको फटकार रह ह तो एक पल क िलए अपने श द पर यान द। या वे वही श द
नह ह, जो आपक माता-िपता आपको डाँटते समय इ तेमाल करते थे?वे आपक शंसा करते समय कौन से
श द इ तेमाल करते थे? मुझे यक न ह िक आप अपनी शंसा क िलए वही श द इ तेमाल करते ह गे।
शायद वे कभी आपक शंसा नह करते थे, इसिलए आपको यह पता नह ह िक अपनी शंसा कसे करनी
ह और शायद आप सोचते ह िक आपम शंसा क लायक कछ भी नह ह। म आपक माता-िपता को दोषी
नह ठहरा रही , य िक हम सभी पीि़डत क पीि़डत ह। शायद वे आपको कछ ऐसी िश ा नह दे सकते थे
िजसक जानकारी उ ह वयं न हो।
स ा र, िज ह ने र त क ऊपर काफ काम िकया ह दावा करती ह िक हमारा हर बड़ा र ता उस र ते
का ितिबंब होता ह जो हमारा अपने िकसी अिभभावक क साथ रहा था। वह यह दावा भी करती ह िक जब
तक हम उस पहले र ते से बाहर नह िनकलते, हम कभी भी वह करने क िलए वतं नह हो सकते, जो
हम अपने र त म चाहते ह।
र ते हमारा ितिबंब होते ह। हम जो भी आकिषत करते ह, वह हमेशा हमार गुण या उन आ था का
ितिबंब होता ह जो हम र त क बार म रखते ह। यह बॉस, सहकम , िकसी कमचारी, िकसी िम , ेमी,
जीवनसाथी या ब े क बार म भी सच होता ह। इन लोग म आपको जो चीज पसंद नह होती, वह या तो
आप वयं करते ह या जो नह करगे या जो आप मानते ह। आप उ ह आकिषत नह कर सकते थे या उ ह
अपने जीवन म नह पा सकते थे, यिद उनक िवशेषताएँ िकसी-न-िकसी प म आपक अपने जीवन को
अनुपू रत न करती ह ।

अ यास : हम बनाम वे
एक पल क िलए अपने जीवन क िकसी उस य पर यान द, जो आपको परशान करता ह। उस य
क तीन आदत का वणन कर जो आपको पसंद नह ह, जो आप चाहते ह िक वह बदल ले।
अब अपने अंदर गहराई म देख और अपने आपसे पूछ, ‘म कहाँ पर उस जैसा और कब म वही चीज
करता ?’
अपनी आँख बंद कर और अपने आपको यह करने का समय द।
िफर अपने आपसे पूछ िक या आप बदलना चाहते ह? जब आप इन िवचार , आदत और धारणा को
अपनी सोच और यवहार से िनकाल देते ह, तो या तो वह दूसरा य बदल जाएगा या वह आपक जीवन
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से चला जाएगा।
यिद आपका बॉस सबक आलोचना करनेवाला ह और उसे खुश करना असंभव ह तो अपने अंदर देख। या
तो आप िकसी-न-िकसी समय वैसा करते ह या आपक यह धारणा ह िक ‘बॉस हमेशा आलोचना करते ह
और उ ह खुश करना असंभव होता ह।’
यिद आपका कोई कमचारी ऐसा ह, जो आदेश का पालन नह करता या अनुसरण नह करता तो देिखए
िक कहाँ पर आप इस तरह का यवहार करते ह और उसे याग द। िकसी को नौकरी से िनकाल देना काफ
आसान ह; वह आपक ि कोण को ठीक नह करता।
यिद आपका कोई सहकम सहयोग नह देता या टीम का िह सा नह बनता तो देिखए िक आपने िकस प
म इसे आकिषत िकया ह। आप कहाँ पर सहयोग नह करते?
यिद आपका कोई िम भरोसे क लायक नह ह और आपको िनराश करता ह, तो अपने भीतर झाँक। आप
अपने जीवन म कहाँ पर िव ास क यो य नह ह और आप कब दूसर को िनराश करते ह? या यह आपक
धारणा ह?
यिद आपका ेमी उदासीन ह और ेिहल नह ह तो यह देख िक या आपक अंदर ऐसी धारणा ह, जो
बचपन म अपने माता-िपता को देखने से आई हो और कहती हो, ‘ ेम उदासीन और दशन न करने यो य
होता ह।’
यिद आपका जीवनसाथी हमेशा तंग करता ह और सहयोग नह देता तो िफर से अपने बचपन क धारणा
क ओर देख। या आपक माता-िपता म से कोई तंग करनेवाला और सहयोग न करनेवाला था? या आप
उनक तरह ह?
यिद आपक ब े म ऐसी आदत ह, जो आपको परशान करती ह तो म गारटी देती िक वे आपक अपनी
आदत ह। ब े अपने आस-पास क वय क क नकल करक ही सीखते ह। अपने अंदर इस आदत को साफ
कर और आप पाएँगे िक वे खुद-ब-खुद बदल जाएँगे।
यह दूसर को बदलने का एकमा तरीका ह—पहले अपने आपको बदल, अपने ि कोण को बदल और
आप पाएँगे िक ‘वे’ भी िभ थे।
दोष देना यथ ह। दोषारोपण कवल हमारी ऊजा न करता ह। अपनी ऊजा अपने पास रख। ऊजा क
िबना हम प रवतन नह ला सकते। असहाय पीि़डत अपना समाधान नह खोज सकता।

ेम का आ ान
मे उस समय आता ह, जब हम उसक उ मीद नह होती, जब हम उसक तलाश म नह होते। ेम क
पीछ पड़ने से हम कभी सही साथी नह िमलता। यह कवल चाह और असंतोष उ प करता ह। ेम कभी
हमार बाहर नह होता; ेम हमार भीतर ह।
इस बात पर जोर न द िक ेम त काल आ जाए। शायद आप उसक िलए तैयार नह ह, या आप अपने
यार को आक करने क िलए पया िवकिसत नह हो पाए ह।
‘िकसी को पाना ह’, िसफ इसिलए िकसी से र ता न बनाएँ, समझौता न कर, अपने मानदंड थािपत कर।
आप िकस कार का ेम चाहते ह? अपने गुण क सूची बनाएँ और आप ऐसे य को आक करगे
िजसम वे गुण ह गे।
आप इस बात क जाँच कर सकते ह िक कौन सी चीज ेम को दूर रख रही ह। या वह आलोचना हो
सकती ह?अयो य होने क भावनाएँ?अनुपयु मानदंड?िसनेमा टार क छिव?अंतरगता का भय?ऐसी धारणा
िक आप ेम क यो य नह ह?
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जब ेम आए तो उसक िलए तैयार रह। आधार तैयार कर और ेम को पोिषत करने क िलए तैयार हो
जाएँ। खुद ेम कर और आपको ेम िमलेगा। ेम क ित मन खुला रख और उसका वागत कर।
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जीवन क अनंतता म जहाँ म सबकछ संपूण और प रपूण ह
म उस हर िकसी क साथ स ावना और संतुलन रखता , िजसे म जानता
मेर अ त व क क क गहराई म ेम का एक अनंत कप ह।
म अब इस ेम को बाहर आने क इजाजत देता
यह मेर दय, मेर शरीर, मेर मन, मेरी चेतना, मेर अपने अ त व म भरा आ ह।
और मेर अंदर से सभी िदशा म फलता ह
और कई गुना होकर मुझ तक लौटता ह
म िजतना अिधक ेम अपनाता और देता , उतना ही अिधक देने को होता ह
इसक आपूित अनंत ह।
ेम को अपनाना मुझे अ छा महसूस कराता ह
वह मेरी आंत रक खुशी क एक अिभ य ह। म खुद से ेम करता ।
इसिलए, म यार से अपने शरीर क देखभाल करता
म यार से उसे पोषणकारी भोजन और पेय देता
म यार से उसे सजाता व सँवारता और मेरा शरीर
वा य और ऊजा क साथ मुझे िति या देता ह।
म खुद से ेम करता ; इसिलए म खुद को एक आरामदेह घर देता
जो मेरी सभी ज रत को पूरा करता ह और उसम रहना खुशी क बात होती ह
म ेम क पंदन से सभी कमर को भरता
तािक इसम आनेवाला हर कोई, म भी, इस ेम को महसूस कर सक
और उससे पोिषत हो सक।
म खुद से ेम करता , इसिलए म ऐसी नौकरी करता
िजसे करते ए मुझे खुशी होती ह।
जो मेरी रचना मक ितभा और मता का इ तेमाल करता ह
उन लोग क साथ और उनक िलए काम करना चाहता , िज ह म ेम करता
और जो मुझे ेम करते ह और एक अ छी आय अिजत करते ए म खुश ।
म खुद से ेम करता ; इसिलए म यार से सोचता और सभी से ेम से यवहार करता
य िक म जानता िक म जो देता , वह कई गुना होकर मेर पास लौटता ह।
म अपनी दुिनया म कवल ेिहल लोग का आ ान करता ।
य िक वे मेरा एक ितिबंब ही ह।
म खुद से ेम करता ; इसिलए म पूरी तरह से आज म जीता
हर ण को अ छा महसूस करते ए और यह जानते ए
िक मेरा भिव य उ ल और आनंदमय और सुरि त ह
म िव का एक यारा ब ा
और िव यार से अभी और हमेशा मेरी देखभाल करता ह
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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काय
‘म जो भी करता , उससे पूरी तरह संतु ।’
या आप उपयु िन य को अपने िलए सच होते नह देखना चाहते? संभवतः आप कछ ऐसे िवचार
को मन म लाते ए अपने आपको संकिचत करते रह ह—
म यह नौकरी नह कर सकता।
म अपने बॉस को नापसंद करता ।
म पया पैसे नह कमाता।
मेर काम क कोई क नह होती।
म अपने सहकिमय से अ छ र ते नह बना पाता।
म नह जानता िक म या करना चाहता ।
यह नकारा मक, बचाववादी सोच ह। आप या सोचते ह िक यह आपको िकस अ छी थित म ला
सकता ह? यह गलत िसर से िवषय तक प चना ह।
यिद आप ऐसी नौकरी म ह, िजसक आपको परवाह नह ह, यिद आप अपनी थित को बदलना चाहते
ह, यिद आपको काम म सम याएँ आ रही ह या यिद आपक पास काम नह ह तो उससे िनपटने का बेहतरीन
तरीका यह ह—
सबसे पहले अपनी वतमान थित को ेम से अपनाएँ। महसूस कर िक यह आपक माग पर एक कदम ह।
आप अपनी ही सोच क वजह से इस थित म ह। यिद ‘वे’ आपक साथ वैसा यवहार नह कर रह ह, जैसा
आप चाहते ह तो आपक चेतना म ऐसा ि कोण ह जो ऐसे यवहार को आकिषत कर रहा ह। इसिलए
अपने मन म, अपनी वतमान नौकरी या पुरानी नौकरी पर गौर कर और हर चीज को यार से देख—भवन,
एिलवेटर या सीि़ढय , कमर , फन चर और सामान, िजन लोग क िलए आप काम करते थे और िजन लोग
क साथ आप काम करते थे—और येक ाहक को।
अपने िलए यह ित ा करना शु कर, ‘म हमेशा सबसे बि़ढया बॉस क साथ काम करता ।’ ‘मेरा बॉस
हमेशा मुझसे स मान और िश ता से पेश आता ह’ और ‘मेरा बॉस ब त उदार ह और उसक साथ काम
करना ब त आसान ह’। यह िवचार सारा जीवन आपक साथ रहगा और जब आप बॉस बनगे तो आप भी
वैसे ही ह गे।
एक युवक एक नई नौकरी शु करनेवाला था और आशंिकत था। मुझे याद ह, मने कहा, ‘आप अ छा
य नह करगे? िन त प से आप सफल ह गे। अपना िदल खुला रख और आपक ितभाएँ बाहर
आएँगी। उस ित ान, िजन लोग क साथ आप काम करते ह और िजन लोग क िलए आप काम करते ह
और हर ाहक को ेम से अपनाएँ और सबकछ अ छा होगा।’
उसने ठीक ऐसा ही िकया और काफ सफलता ा क ।
यिद आप अपनी नौकरी छोड़ना चाहते ह तो यह ित ा करना शु कर िक आप यार से अपनी वतमान
नौकरी अगले य क िलए छोड़ दगे, िजसे यह नौकरी पाकर खुशी होगी। यह जान लीिजए िक ऐसे लोग ह
जो उसी चीज क तलाश कर रह ह, जो आपक पास ह और आप दोन को अब भी जीवन क चेकरबोड पर
एक साथ लाया जा रहा ह।

काय क िलए ित ा
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Aaple Vachnalay
‘म एक बि़ढया नए पद क िलए पूरी तरह तैयार और हणशील , जो मेरी सभी यो यता व मता
का इ तेमाल कर और मुझे अपने िलए संतोषजनक प म रचना मकता क अिभ य करने दे। म अ छी
जगह पर और अ छ पैसे कमाते ए ऐसे लोग क साथ और ऐसे लोग क िलए काम करता , िज ह म यार
करता और जो मुझे यार और मेरा स मान करते ह।’
यिद काम क जगह पर कोई आपको परशान करता ह तो िफर उनक बार म सोचते समय हर बार यार से
उ ह याद कर। हमम से हर िकसी क पास हर गुण ह। हालाँिक हम ऐसा करने क िलए नह चुनते, लेिकन
हम सभी िहटलर या मदर टरसा बनने म स म ह। यिद वह य आलोचना करता ह तो यह कहना शु
कर िक वह ेम और शंसा से भरा आ ह। यिद वह िचड़िचड़ा ह तो यह कह िक वह य खुशिमजाज
और मनोरजक ह। यिद वह र ह तो यह कह िक वह य सौ य और दयालु ह। यिद आप उस य म
िसफ स ुण देखगे तो वह अपने वही गुण आपक सामने दिशत करगा, चाह दूसर क ित उसका यवहार
जो भी हो।

उदाहरण
उस य क नई नौकरी एक ब म िपयानो बजाने क थी, जहाँ का बॉस िनदय और घिटया माना
जाता था। उसक कमचारी उसक पीछ उसे ‘िम.डथ’ बुलाते थे। मुझसे पूछा गया िक इस थित को कसे
सँभाला जाए?
मने उ र िदया, ‘हर य क भीतर सभी अ छ गुण होते ह। चाह दूसर लोग उसक ित जो भी िवचार
रखते ह , उसका आपसे कोई लेना-देना नह ह। आप जब भी इस य क बार म सोच, यार से कत ता
वय कर। अपने िलए यह कहते रह, ‘म हमेशा अ छ लोग क िलए काम करता ।’ ऐसा बार-बार कर।’
उसने मेरी सलाह सुनी और ऐसा ही िकया। मेर ाहक का गमजोशी से वागत आ और बॉस ने ज दी ही
उसे पुर कार देना शु िकया और उसे कई अ य ब म िपयानो बजाने का काम दे िदया। दूसर कमचारी,
जो बॉस को नकारा मक िवचार ेिषत कर रह थे, उनसे अब भी बुरा यवहार िकया जा रहा था।
यिद आपको अपनी नौकरी पसंद ह, लेिकन आपको ऐसा लगता ह िक आपको पया पैसे नह िमल रह ह
तो अपने वतमान वेतन को यार से याद करना शु कर। हमार पास पहले से जो ह, उसक िलए आभार
य करने से वह और बढ़ता ह। ित ा ल िक आप अब अपनी चेतना क ार अिधक समृ क िलए
खोल रह ह और उस समृ का एक िह सा बढ़ा आ वेतन ह। ढ़ता से कह िक आप वेतन बढ़ने क यो य
ह—नकारा मक कारण से नह , ब क इसिलए िक आप कपनी क िलए अमू य ह और उसक मािलक
अपने लाभ आपक साथ बाँटना चाहते ह। हमेशा नौकरी म अपना बेहतरीन योगदान द और िफर, पूरा ांड
जान जाएगा िक आप अपनी वतमान थित से अगले और बेहतर थान पर जाने क िलए तैयार ह।
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Aaple Vachnalay
जीवन क अनंतता म, जहाँ म
सब संपूण एवं प रपूण ह।
मेरी अ तीय रचना मक ितभाएँ और मताएँ मेर ारा वािहत होती ह
और अ यंत संतोषजनक प म अिभ य होती ह
ऐसे लोग ह िज ह मेरी सेवा क ज रत ह
मेरी माँग हमेशा होती ह और म चुन सकता िक म या करना चाहता
म अपने आपको संतु करते ए अ छ पैसे कमाता
मुझे काम करते ए खुशी और स ता होती ह
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
सफलता
‘हर अनुभव एक सफलता ह।’
आिखर ‘िवफलता’ का अथ या ह? या इसका अथ यह ह िक कोई काम आपक इ छा या उ मीद क
अनुसार नह आ? अनुभव का िनयम हमेशा सटीक होता ह। हम अपने आंत रक िवचार और आ था को
िबलकल सही ढग से बाहर दिशत करते ह। आपने अव य कोई कमी छोड़ी होगी या आपक मन म िकसी
िव ास ने आपको बताया होगा िक आप यह पाने क यो य नह ह या आपने अयो य महसूस िकया होगा।
ऐसा ही होता ह, जब म अपने क यूटर पर काम करती । यिद कोई गलती होती ह तो वह हमेशा मेरी होती
ह। मने कोई ऐसा काम िकया होता ह, जो क यूटर क िनयम क अनुकल नह होता। इसका अथ िसफ यह
होता ह िक मुझे कछ और भी सीखना ह।
यह पुरानी कहावत िबलकल सच ह, ‘यिद आप पहली बार म सफल न हो पाएँ तो िफर से कोिशश करना
जारी रख।’ इसका अथ यह नह ह िक खुद को ताि़डत कर और वही पुराना तरीका िफर से आजमाएँ।
इसका अथ ह िक अपनी ुिट को पहचान और कोई और समाधान आजमाएँ—जब तक िक आप उसे ठीक-
ठीक न कर पाएँ।
मुझे लगता ह िक पूर जीवन सफलता से सफलता तक जाना हमारा वाभािवक ज मिस अिधकार ह।
यिद हम यह नह कर पा रह ह तो या तो हम अपनी अंद नी मता से तालमेल नह िबठा रह या हम नह
मानते िक यह हमार िलए सच हो सकता ह, या हम अपनी सफलता को पहचान नह पाते।
जब हम ऐसे मानक िनधा रत करते ह, जो हमारी वतमान थित से ब त अिधक ऊचे होते ह, ऐसे मानक
जो संभवतः अभी हम ा नह कर सकते तो हम हमेशा िवफल ह गे।
जब एक छोटा ब ा चलना या बोलना सीख रहा होता ह तो हम उसे ो सािहत करते ह और उसक हर
छोट-से-छोट यास क िलए उसक शंसा करते ह। वह ब ा उ सािहत होता ह और त परता से बेहतर करने
क कोिशश करता ह। जब आप कछ नया सीख रह होते ह तो या आप इसी प म अपने आपको ो सािहत
करते ह? या आप सीखना यादा किठन बना देते ह, य िक आप अपने आपको कहते ह िक तुम मूख हो या
अनाड़ी हो या ‘िवफल’ हो?
कई अिभनेि याँ और अिभनेता यह महसूस करते ह िक उ ह पहली रहसल पर ही सबसे अ छा दशन
करना चािहए। म उ ह याद िदलाती िक रहसल का उ े य सीखना होता ह। रहसल गलितयाँ करने, नए
तरीक आजमाने और सीखने का समय होता ह। बस बार-बार अ यास करक ही हम कछ नया सीख सकते ह
और उसे अपना एक वाभािवक अंग बना सकते ह। जब आप िकसी े म िनपुण िकसी ोफशनल को
देखते ह तो आप असं य घंट क अ यास को देख रह होते ह।
वह न कर जो म िकया करती थी—म कछ भी नया करने से इनकार कर देती थी, य िक म नह जानती
थी िक उसे कसे करना ह और म बेवकफ नह िदखना चाहती थी। सीखने का अथ ह गलितयाँ करना, जब
तक िक हमारा अवचेतन मन िबलकल सही तसवीर एक साथ म म नह रख पाता।
यह मायने नह रखता िक आप िकतने लंबे समय से खुद को एक नाकाम य क प म देखते रह ह;
आप अब ‘सफलता’ का व प बनाना शु कर सकते ह। यह मायने नह रखता िक आप िकस-िकस े
म काम करना चाहते ह। सबम िस ांत वही ह। हम सफलता क बीज को बोने क ज रत होती ह। इन
बीज से बाद म अ छी फसल तैयार होगी।
आप सफलता संबंधी इन ित ा का इ तेमाल कर सकते ह—
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Aaple Vachnalay
• िद य ान मुझे वे सभी िवचार देता ह, जो म इ तेमाल कर सकता
• म िजसे पश करता , वह ह
• मेर िलए और हर िकसी क िलए ब त कछ उपल ध ह
• मेरी सेवा क ब त से उपभो ा ह
• म सफलता क एक नई जाग कता थािपत करता
• म िवजय च म आ गया
• म िद य सफलता क िलए एक चुंबक
• म अपने बेहतरीन सपन से यादा भा यवा
• हर कार क समृ मुझ तक आती ह
• हर जगह मेर िलए सुनहर अवसर ह।
उपयु िन य म से एक चुन और कई िदन तक उसे दुहराएँ। िफर एक और िन य चुन और ऐसा ही
कर। इन िवचार को अपनी चेतना म बसने द। इस बार म िचंता न कर िक इ ह कसे पूरा कर; अवसर वयं
आपक पास आएँगे। अपने मागदशन और ेरणा क िलए अपने भीतर क ान पर भरोसा कर। आप अपने
जीवन क येक े म सफल होने क हकदार ह।
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Aaple Vachnalay
जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
म अपने सृि कता क साथ एकाकार
मेर अंदर सफलता क सभी त व ह
म अब सफलता क फॉमूले को मुझसे होकर वािहत होने
और मेरी दुिनया म य होने क इजाजत देता ।
मुझे जो भी करने को कहा जाएगा, वह एक सफलता होगी
म येक अनुभव से सीखता ।
म एक सफलता से दूसरी सफलता और गौरव से गौरव तक जाता
मेरा माग बड़ी दर बड़ी
सफलता क तरफ ले जानेवाले
कदम रखनेवाले प थर का म ह
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
समृ
‘म सव म चीज पाने क यो य और अब से म सव म को वीकार करता ।’
यिद आप उपयु िन य को अपने िलए सच बनाना चाहते ह तो आप इनम से िकसी कथन पर िव ास
नह करना चाहगे—
पैसे पेड़ पर नह उगते
पैसा खराब और गंदी चीज होती ह
पैसा बुराई ह
म गरीब , लेिकन व छ (या अ छा)
अमीर लोग धूत होते ह
म पैसे कमाना और अिभमानी बनना नह चाहता
मुझे कभी एक अ छी नौकरी नह िमलेगी
म कभी पैसे नह कमाऊगा
पैसे िजतनी ज दी आते ह, उससे ज दी चले जाते ह
म हमेशा कज म डबा रहता
गरीब लोग कभी नीचे से ऊपर नह आ पाते
मेर माता-िपता गरीब थे और म भी गरीब र गा
कलाकार को संघष करना पड़ता ह
धोखेबाजी करनेवाले लोग क पास ही धन होता ह।
दूसरा हर कोई पहले ह
ओह, म अपने काम क इतने पैसे नह माँग सकता।
म इस यो य नह
म पैसे कमाने क िलए पया चतुर नह
िकसी को मत बताओ िक बक म मेर पास िकतना ह
कभी िकसी को उधार मत दो।
एक पैसे क बचत एक पैसे कमाना होता ह।
मुसीबत क समय क िलए बचत करो।
िनराशा कभी भी आ सकती ह
मुझे दूसर क पैसे देखकर असंतोष होता ह
पैसे कवल मेहनत से कमाए जाते ह।
इनम से िकतने िवचार आपक ह? या आप वा तव म यह सोचते ह िक इनम से िकसी पर िव ास करने
से आप समृ हो सकते ह?
यह पुरानी व संक ण सोच ह। शायद आपका प रवार पैसे क बार म इसी तरह सोचता था; य िक
पा रवा रक आ थाएँ हमार साथ रहती ह, जब तक िक हम सोच-समझकर उ ह छोड़ न द। वे जहाँ से भी
आए ह , उसे आपक चेतना से जाना चािहए यिद आप समृ होना चाहते ह।
मेर िलए समृ अपने बार म अ छा महसूस करने से शु होती ह। यह वो करने क आजादी भी ह, जो
आप करना चाहते ह, जब आप उसे करना चाहते ह। वह पैसे क बात नह ह, वह मानिसक अव था ह।
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Aaple Vachnalay
समृ या उसका अभाव आपक िदमाग म भर ए िवचार क बाहरी अिभ य ह।

यो य बनना
यिद हम इस िवचार को वीकार नह करते िक हम समृ बनने क ‘यो य’ ह तो धन हमार ऊपर बरस भी
रहा हो तो हम िकसी-न-िकसी कार उसे अपनाने से इनकार कर दगे। इस उदाहरण को देख—
मेरी क ा का एक िव ाथ अपनी आय बढ़ाने पर काम कर रहा था। वह एक रात उ सािहत होकर क ा म
आया, य िक उसने अभी-अभी 500 डॉलर जीते थे। वह बार-बार कहता रहा, ‘मुझे यक न नह हो रहा! मने
कभी कछ नह जीता।’ हम जानते थे िक वह उसक बदलती चेतना का एक ितिबंब था। वह अब भी यह
महसूस करता था िक वह वा तव म इसक यो य नह ह। अगले स ाह वह क ा म नह आ पाया, य िक
उसने अपना पैर तोड़ िलया था। डॉ टर का िबल 500 डॉलर का आया।
वह एक नई ‘समृ ’ िदशा म ‘आगे बढ़ने’ से डर रहा था और अयो य महसूस करता था, इसिलए उसने
इस प म खुद को सजा दी।
हम िजस चीज पर यान कि त करते ह, वह बढ़ती ह, इसिलए िबल पर यान कि त न कर। यिद आप
अभाव और ऋण पर यान कि त करते ह तो आपको अिधक अभाव और ऋण का सामना करना पड़गा।
इस दुिनया म लगातार आपूित होती रहती ह। उसक ित सजग होना शु कर। एक व छ शाम म तार
को िगन, या मु ी म रत क कण को, िकसी पेड़ क एक शाखा क पि य को, िखड़क क शीशे पर पड़ी
ओस क बूँद को, एक टमाटर म मौजूद बीज को िगनने का समय िनकाल। हर बीज एक पूरी बेल को ज म
देने म स म ह, िजस पर अनिगनत टमाटर लग सकते ह। आपक पास जो कछ ह, उसक िलए आभार य
कर, और आप उसे बढ़ता आ पाएँगे। म अपने जीवन म वतमान म मौजूद चीज क ित ेम से कत ता
कट करती —अपने घर, गरमी, पानी, रोशनी, टलीफोन, फन चर, लंिबंग, उपकरण, कपड़, वाहन,
नौक रयाँ—और जो पैसा मेर पास ह, िम , देखने व महसूस करने और चखने और पश करने तथा चलने
एवं इस अ ुत पृ वी का आनंद उठाने क अपनी मता क ित।
अभाव और सीमा म हमारा अपना िव ास हम रोकता ह। कौन सा िवचार आपको रोक रहा ह?
या आप िसफ दूसर क मदद क िलए पैसा कमाना चाहते ह? िफर आप यह कह रह ह िक आप अयो य
ह।
यह सुिन त कर िक आप अब समृ को अ वीकार नह कर रह ह। यिद कोई िम आपको दोपहर क
भोजन या राि भोज पर आमंि त करता ह तो उसे खुशी और उ साह से वीकार कर। यह महसूस न कर िक
आप िसफ लोग क साथ ‘सौदा’ कर रह ह। यिद आपको कोई उपहार िमलता ह तो उसे ग रमा से वीकार
कर। यिद आप उस उपहार का इ तेमाल नह कर सकते तो उसे िकसी और को दे द। चीज को अपने से
होकर आगे बढ़ने द। बस मुसकराकर ‘ध यवाद’ कह। इस प म आप ांड को यह बताते ह िक आप
िजन अ छी चीज क हकदार ह, उ ह ा करने क िलए तैयार ह।

नए क िलए जगह बनाएँ


नए क िलए जगह बनाएँ। अपना रि जरटर साफ कर, फॉयल म िलपटी छोटी-छोटी चीज को फक द।
अपनी अलमा रय को साफ कर। िपछले लगभग छह महीने म आपने िजन चीज को इ तेमाल नह िकया ह,
उनसे छटकारा पा ल। यिद आपने उसे साल भर से इ तेमाल नह िकया ह तो ज र उसे अपने घर से बाहर
फक द। उसे बेच द, िकसी को दे द या जला द।
अ यव थत अलमा रय का अथ ह, अ यव थत मन-म त क। जब आप अलमा रयाँ साफ कर रह ह ,
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Aaple Vachnalay
अपने आप से कह, ‘म अपने मन-म त क क अलमा रयाँ साफ कर रहा ।’ ांड तीका मक संकत
को पसंद करता ह।
जब मने पहली बार यह अवधारणा सुनी िक ‘हर िकसी को ांड क चीज चुर मा ा म ा ह’, तो
मने इसे हा या पद समझा।
मने अपने आपसे कहा, ‘सभी गरीब लोग को देखो। अपनी ही ख म न होनेवाली गरीबी को देखो।’ यह
सुनकर मुझे ोध आता था िक ‘तु हारी गरीबी कवल तु हारी आ मा का एक िव ास ह।’ मुझे यह महसूस
करने और वीकार करने म कई वष लग गए िक धन क अभाव क िलए म वयं िज मेदार । मेरी इस
धारणा िक म ‘अयो य’ और ‘धन क हकदार नह ’ िक ‘पैसा कमाना किठन ह’ और िक ‘मुझम वैसी
ितभा और मता नह ह’ ने मुझे ‘अभाव’ क मानिसक यव था म अटकाए रखा।
धन का दशन सबसे आसान ह! इस कथन क ित आपक या िति या ह? या आप इसे मानते ह? या
आपको ोध आ रहा ह? या आप उदासीन ह? या आप इस पु तक को कमर म दूसरी तरफ फकने को
तैयार ह? यिद आपक िति या इनम से एक ह तो अ छा ह! मने आपक भीतर कछ छ िलया ह, जो स ाई
क ितरोध का िबंदु ह। इसी जगह यान देने क आव यकता ह। यह आपक िलए धन और सभी अ छी
चीज को अपनी ओर वािहत करने क मता क ित अपने आपको खोलने का समय ह।

अपने िबल से यार कर


यह ज री ह िक हम पैसे क बार म िचंता करना छोड़ द और अपने िबल को देखकर नाराजगी य
करना बंद कर द। कई लोग िबल को, यिद संभव हो तो टालनेवाली सजा क प म देखते ह। िबल हमारी
भुगतान करने क मता क एक वीकित ह। ऋणदाता मानता ह िक आप पया संप ह और वह आपको
वह सेवा या उ पाद देता ह। म अपने घर पर आनेवाले हर िबल को यार से लेती । म िलखे जानेवाले हर
चेक को यार से देखती और उसे यार से चूमती । यिद आप नाराजगी क साथ भुगतान करते ह तो पैसा
आपक पास वापस आने म िहचिकचाहट िदखाता ह। यिद आप यार और खुशी से भुगतान करते ह तो आप
अपनी ओर धन का मु वाह खोल देते ह। अपने पैसे को अपना िम मान, न िक कोई ऐसी चीज जो आप
अपनी जेब म ठस लेते ह।
आपक सुर ा आपक नौकरी या आपका बक खाता, या आपक िनवेश, या आपका जीवनसाथी या
आपक माता-िपता नह ह। आपक सुर ा उस परम श से जुड़ने क आपक मता ह, िजसने इस दुिनया
को बनाया ह।
म यह सोचना पसंद करती िक मेर अंदर क वह श जो मुझे जीवन देती ह, वही श ह जो मुझे वह
सबकछ देती ह िजसक मुझे आव यकता होती ह, और वह भी ब त आसानी और सरलता से। ांड ब त
उदार और धनवा ह और अपनी आव यकता क हर चीज ा करना हमारा ज मिस अिधकार ह। जब
तक हम इसक िवपरीत न िव ास कर।
म िजतनी बार अपना टलीफोन इ तेमाल करती , उसक ित कत ता कट करती और अकसर यह
कहती िक वह मेर िलए िसफ संप ता और ेम क अिभ य याँ लाता ह। म ऐसा ही अपने मेल बॉ स
क साथ करती और हर िदन धन और िम व ाइट और मेरी पु तक क सुदूर पाठक क ेम प से
भरा होता ह। म आनेवाले िबल को देखकर खुश होती और कपिनय को मेरी भुगतान करने क मता पर
भरोसा करने क िलए ध यवाद देती । म अपने दरवाजे क घंटी और बाहरी दरवाजे का आभार मानती ,
य िक कवल अ छी चीज मेर घर म आती ह। म अपने जीवन क बेहतर और सुखी होने क उ मीद करती
, और ऐसा ही होता ह।
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Aaple Vachnalay
ये िवचार हर िकसी क िलए ह
वह य एक कर था और अपना यवसाय बढ़ाना चाहता था, इसिलए वह संप ता क एक स क
िलए मेर पास आया। उसने महसूस िकया िक वह अपने यवसाय म द ह और वह वष म 1,00,000 डॉलर
कमाना चाहता था। मने उसे वही उपाय बताए, जो म आपको बता रही , और ज दी ही उसक पास काफ
धन हो गया। उसने घर पर काफ समय िबताना शु कर िदया। वह अपने सदा बढ़ते िनवेश का आनंद
उठाना चाहता था।

दूसर क सौभा य पर खुशी कट कर


इस बात पर नाराज होकर या ई यालु होकर अपनी समृ को और न टाल िक िकसी क पास आपसे
अिधक धन ह। इस बात क आलोचना न कर िक वे अपने धन को िकस कार खच करना चाहते ह। आपका
इससे कोई मतलब नह ह।
हर य अपनी चेतना क िनयम क अधीन होता ह। बस अपने िवचार का यान रख। िकसी और क
सौभा य को सराह और यह याद रख िक दुिनया म सभी क िलए चुर धन ह।
या आप कजूसी से िटप देते ह? या आप वॉश म क कमचा रय क सामने दंभपूण बात कहते ह? या
आप ि समस क समय अपने कायालय या अपाटमट भवन म किलय को उपेि त करते ह? या आप
ज रत न होने पर भी पैसे बचाते ह और पुरानी स जयाँ या ेड खरीदते ह? या आप हमेशा िकसी स ती
दुकान म खरीदारी करते ह, या या आप हमेशा मेनू क सबसे स ते यंजन का ऑडर देते ह?
दुिनया म ‘माँग और आपूित’ का िनयम होता ह। माँग पहले आता ह। धन क जहाँ आव यकता होती ह,
वह वहाँ प च जाता ह। गरीब-से-गरीब प रवार लगभग हमेशा िकसी क अंितम सं कार क िलए पैसे जुटा
लेता ह।

क पना—धन का समु
समृ क ित आपक चेतना पैसे पर िनभर नह ह; आपक तरफ पैसे का वाह आपक समृ क ित
चेतना पर िनभर ह।
जैसे आप अिधक क बार म सोच सकते ह और आपक जीवन म और अिधक आएगा।
मुझे समु -तट पर खड़ होकर िवशाल समु को देखते ए यह क पना करना ब त पसंद ह, यह जानना
िक समु अनंत का ढर ह, जो मुझे उपल ध ह। अपने हाथ क ओर देख और देख िक आपने िकस कार
का बरतन पकड़ रखा ह। वह चाय का च मच ह, वह कोई िछ वाला छ ा ह, पेपर कप ह, िगलास ह,
बालटी ह या वॉश टब या शायद आपक पास एक पाइपलाइन ह, जो अनंत समु से जुड़ा आ ह। अपने
आस-पास देख और देख िक चाह वहाँ िकतने भी लोग ह और चाह उनक पास िकसी कार का बरतन हो,
हर िकसी क िलए चुर मा ा म चीज ह। आप दूसर से छीन नह सकते, और वे आपसे छीन नह सकते।
और िकसी प म आप समु को सुखा नह सकते। आपका बरतन आपक चेतना ह और उसे हमेशा एक
बड़ बरतन से बदला जा सकता ह। िव तार और असीिमत आपूित क भावना क िलए इस अ यास को
अकसर कर।

अपनी बाँह को खोल


म िदन म कम-से-कम एक बार अपनी बाँह दोन ओर फलाती और यह कहती , ‘म ांड क सभी

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अ छी चीज और चुरता को वीकार करने क िलए तैयार ।’ यह मुझे िव तार का एहसास देता ह।
ांड कवल वह मुझे िवत रत कर सकता ह,जो पहले से मेरी चेतना म ह और म हमेशा अपनी चेतना म
अिधक उ प कर सकता । वह एक ांडीय बक क तरह होता ह। म उ प करने क अपनी मता
क ित जाग कता बढ़ाते ए मानिसक जमा करती । यान, उपचार और ित ाएँ मानिसक जमा-पूँजी ह।
चिलए, दैिनक जमा करने क आदत बनाएँ।
कवल अिधक धन होना पया नह ह। हम उस पैसे का आनंद लेना चाहते ह। या आप खुद को पैसे से
आनंद उठाने क इजाजत देते ह?यिद नह , तो य ?आप जो भी अिजत करते ह, उसका एक िह सा िसफ
आनंद क िलए इ तेमाल िकया जा सकता ह। या आपने िपछले स ाह अपने पैसे को मनोरजन पर खच
िकया था? य नह ?कौन सी पुरानी धारणा आपको रोक रही ह? उसे जाने द।
पैसे का आपक जीवन म एक गंभीर िवषय होना ज री नह ह। उसे अपने ि कोण म डाल द। पैसा
िविनमय का एक मा यम ह। बस इतना ही ह। यिद आपको पैसे क आव यकता न हो तो आप या करगे
और आपक पास या होगा?
हम पैसे क बार म अपनी धारणा को िहलाने क ज रत ह। मने पैसे क बजाय से सुअिलटी पर
सेिमनार को संब िधत करना आसान पाया ह। लोग ब त हो जाते ह, जब पैसे क बार म उनक धारणा
को चुनौती िमलती ह। यहाँ तक िक अपने जीवन म अिधक धन कमाने क ती इ छा लेकर सेिमनार म आने
वाले लोग भी पागल हो जाते ह, जब म उनक संकिचत धारणा को बदलने का यास करती ।
‘म बदलना चाहता ।’ ‘म पुरानी नकारा मक धारणा को छोड़ना चाहता ।’ कभी-कभी हम समृ
उ प करने क िलए जगह बनाने हतु इन दो ढ़ िन य क साथ ब त काम करना पड़ता ह।
हम ‘ थर आय’ क मानिसकता को छोड़ना चाहते ह। यह कहते ए ांड को सीिमत न कर िक
आपका कवल एक िन त वेतन या आय ह। वह वेतन या आय एक मा यम ह, वह आपका ोत नह ह।
आपक आपूित एक ोत से आती ह, वयं ांड से।
मा यम क अनिगनत सं या ह। हम अपने आपको उनक िलए खोल देना चािहए। हम अपनी चेतना म यह
वीकार कर लेना चािहए िक आपूित कह से भी और हर जगह से आ सकती ह। िफर जब हम सड़क पर
चलते ह और हम एक पैसा िमलता ह तो हम ोत को ‘ध यवाद’ कहते ह। वह छोटा हो सकता ह, लेिकन
नए मा यम खुलना शु हो जाते ह।
‘मेर दय क ार खुले ह और म आय क नए मा यम को वागत करता ।’
‘अब म यािशत और अ यािशत ोत से अपना हक ा करता ।’
‘म एक असीिमत ाणी , जो एक असीिमत प म एक असीिमत ोत से कछ वीकार कर रहा ।’

छोटी नई शु आत म आनंद उठाएँ


जब हम समृ बढ़ाने क िलए काम करते ह तो हम अपनी यो यता क बार म अपनी धारणा क
अनुसार ही लाभ ा करते ह। एक लेिखका अपनी आय को बढ़ाने पर काम कर रही थी। उसका एक
िन य था, ‘म एक लेिखका होने क नाते अ छ पैसे कमा रही ।’ तीन िदन बाद, वह एक कॉफ शॉप म
गई, जहाँ वह अकसर ना ता करती थी। वह एक बूथ म बैठी और वहाँ कछ कागज को िनकालकर रखा,
िजन पर वह काम कर रही थी। मैनेजर उसक पास आया और पूछा, ‘आप एक लेिखका ह, ह न? या आप
मेर िलए कछ िलख दगी?’
इसक बाद वह कई छोट खाली टट साइन लाया और पूछा िक या वह हर काड पर ऐसा िलख देगी,
‘टक लंिचयोन पेशल, 3.95 डॉलर’। इसक बदले उसने लेिखका को मु त ना ता देने का ताव रखा।
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Aaple Vachnalay
इस छोटी सी घटना ने उसक चेतना म प रवतन क शु आत को दरशाया और बाद म उसने अपनी कितयाँ
बेच ।

संप ता को पहचान
हर जगह समृ को पहचानना शु कर और उसम आनंद ल। यूयाक िसटी क िस इवजेिल ट
रवरड आईक को याद ह िक एक गरीब धम पदेशक क प म वह अ छ र तराँ और घर तथा
ऑटोमोबाइल व कपड़ क फ ट रय क पास से गुजरते थे और जोर-जोर से कहते थे, ‘वह मेर िलए ह, वह
मेर िलए ह।’ अ छ घर और बक तथा हर तरह क िलए बि़ढया टोर व शो म और नौका को आपक
िलए खुशी दान करने क अनुमित द। यह पहचान िक यह सब आपक संपि का िह सा ह और यिद आप
चाह तो आप इन चीज का साझीदार बनने क िलए अपनी चेतना को िव तृत कर रह ह। यिद आप सुस त
लोग को देखते ह तो यह सोच, ‘ या यह बि़ढया नह ह िक उनक पास इतनी संपि ह? हम सबक िलए
काफ कछ ह।’
हम िकसी और क उ ित नह चाहते। हम अपनी समृ चाहते ह।
और िफर भी हमार पास कछ नह होता। हम कवल चीज को एक िन त समयाविध क िलए इ तेमाल
करते ह, जब तक िक वे िकसी और क पास नह चली जात । कभी-कभार कोई चीज एक प रवार म कई
पीि़ढय तक रह सकती ह लेिकन आिखरकार वह आगे चली जाएगी। जीवन क एक ाकितक लय और
वाह ह। चीज आती ह और जाती ह। म मानती िक जब कोई चीज जाती ह तो वह कवल कछ नए और
बेहतर क िलए जगह बनाने क िलए होता ह।

शंसा को वीकार कर
ब त से लोग अमीर बनना चाहते ह, िफर भी वे शंसा को वीकार नह करते। मने कई उभरते नायक
और नाियका को देखा ह, जो ‘ टार’ बनना चाहते थे, िफर भी जब कोई उनक शंसा करता था तो वे
असहज हो जाते थे।
शंसा समृ का उपहार ह। उसे ग रमापूण प से वीकार करना सीख। मेरी माँ ने शु आत म ही मुझे
सराहना या उपहार पाने पर मुसकराकर ‘ध यवाद’ कहना िसखाया। यह सलाह मेर पूर जीवन म एक अमू य
संपि रही ह।
सराहना वीकार करक उसे लौटा देना और भी बेहतर होता ह, य िक इससे सराहना करनेवाले को ऐसा
महसूस होता ह मानो उसे कोई उपहार िदया गया हो। यह स ावना का वाह बनाए रखना ह।
लगातार हर सुबह उठने और एक नया िदन देखने म स म होने का आनंद उठाएँ। जीिवत होने, व थ
रहने, िम क होने, रचना मकता िदखाने, जीवन क उ ास का एक जीवंत उदाहरण होने पर स ह ।
अपनी सव जाग कता क तर तक जीएँ। अपनी पांतरण ि या का आनंद ल।
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Aaple Vachnalay
जीवन क अनंतता म, जहाँ म ,
सब संपूण और प रपूण ह
म अपने सृि कता क साथ एकाकार ।
म इस ांड से िमलनेवाले समृ क चुर वाह क िलए
पूरी तरह तैयार और हणशील
मेरी सभी आव यकताएँ और इ छाएँ मेर कहने से पहले पूण हो जाती ह
िद य श मेरा मागदशन और सुर ा करती ह।
और म ऐसे िवक प चुनता , जो मेर िलए लाभदायक ह
म दूसर क सफलता से खुश होता
जानते ए िक हम सबक िलए ब त कछ ह
म लगातार चुरता का अपना सजग ान बढ़ा रहा
और यह मेरी लगातार बढ़ती आय म ितिबंिबत हो रहा ह
मेरा लाभ हर कह और हर िकसी से आ रहा ह
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
हमारा शरीर
‘म अपने शरीर क संदेश को यार से सुनती ।’
म मानती िक हम खुद अपने शरीर म हर तथाकिथत रोग को उ प करते ह। जीवन म बाक हर िकसी
चीज क तरह शरीर हमार आंत रक िवचार और धारणा का दपण ह। शरीर हमेशा हमसे बात करता ह,
यिद हम उसे सुनने का समय िनकाल। आपक शरीर क हर कोिशका आपक सोचे गए हर िवचार और बोले
गए हर श द क ित िति या य करती ह।
सोचने और बोलने क अनवरत ि याएँ शरीर क यवहार व मु ा को े रत करती ह और शरीर को
रोगमु या रोगयु करती ह। िजस य क यो रयाँ हमेशा चढ़ी रहती ह, उसक मन म उ ासमय,
ेिहल िवचार नह रहते। बुजुग लोग क चेहर और शरीर प प से जीवन भर क िवचार ि या को
दरशाते ह। आप बुजुग होने पर कसे िदखगे?
म इस अ याय म संभािवत मानिसक ा प क अपनी सूची को शािमल कर रही , जो शरीर म बीमा रय
को उ प करती ह, साथ ही वा य बनाने क िलए इ तेमाल िकए जानेवाले नए िवचार- ा प या कथन
को भी इसम शािमल कर रही । वे मेरी पु तक ‘हील योर बॉडी’ म ह। इन छोटी सूिचय क अलावा, म कछ
सामा य थितय का पता लगाऊगी, जो आपको इस बात का संकत दगे िक हम इन सम या को कसे
उ प करते ह।
हर मानिसक कारण हर िकसी क िलए 100 ितशत सही नह होता। हालाँिक वह रोग क कारण क हमारी
तलाश को शु करने क िलए हम एक संदभ िबंदु दे देता ह। वैक पक उपचार प ितय म काम करनेवाले
कई लोग अपने ाहक क साथ हर समय ‘हील योर बॉडी’ का इ तेमाल करते ह और पाते ह िक मानिसक
कारण 90 से 95 ितशत तक सही होते ह।
म त क हमारा ितिनिध व करता ह। थे वो ह दुिनया को िदखाते ह। आम तौर पर हम इसी तरह पहचाना
जाता ह। जब म त क म कछ गलत होता ह तो इसका सामा य तौर पर यह मतलब होता ह िक हम यह
महसूस करते ह िक हमार साथ कछ गलत ह।
बाल श का ितिनिध व करते ह। जब हम तनाव म और भयभीत होते ह तो हम अकसर स त प याँ
उ प करते ह, जो कधे क मांसपेिशय म ज म लेती ह और िसर क ऊपर तक और कभी-कभार नीचे
आँख तक प चते ह। हयर शै ट हयर फॉिलकल क रा ते से बढ़ते ह। जब खोपड़ी म ब त तनाव होता ह
तो हयर शै ट इतनी स ती से कस सकते ह िक बाल साँस नह ले पाते और वे मरकर िगरने लगते ह। यिद
यह तनाव जारी रह और खोपड़ी को आराम नह िमला तो फॉिलकल इतने कस जाते ह िक नए बाल आ नह
पाते। इसका प रणाम होता ह—गंजापन।
जब से मिहलाएँ ‘ यवसाय क दुिनया’ म वेश करक तनाव और कठा क िशकार ई ह, तब से
मिहला क गंजेपन म काफ वृ ई ह। हम मिहला म गंजेपन क बार म नह जान पाते, य िक
मिहला क बनावटी बाल ब त वाभािवक और सुंदर होते ह। दुभा यवश, अिधकतर पु ष क कि म बाल
दूर से ही पता चल जाते ह।
तनाव का मतलब मजबूत होना नह ह। तनाव कमजोरी ह। सहज, एका व शांितपूण रहना वा तव म
मजबूत और सुरि त होना ह। अपने शरीर को अिधक तनावमु करना हमार िलए बेहतर होगा और हमम से
ब त को अपनी खोपड़ी को आराम देने क भी ज रत होती ह।
इसे अभी आजमाएँ। अपनी खोपड़ी को रलै स करने को कह और अंतर महसूस कर। यिद आपको लगता
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Aaple Vachnalay
ह िक आपक खोपड़ी प प से आराम करती ह तो म आपको यह छोटा सा अ यास अकसर करने का
सुझाव दूँगी।
कान सुनने क मता का ितिनिध व करते ह। जब कान म सम या आती ह तो इसका आम तौर पर यह
अथ होता ह िक कछ ऐसा हो रहा ह, जो आप सुनना नह चाहते। जब सुनी जा रही बात क बार म ोध मन
म होता ह तो कान म दद होता ह।
कान दद क बीमारी ब म आम ह। अकसर उ ह घर म होनेवाली उन बात को सुनना पड़ता ह, जो वे
वा तव म सुनना नह चाहते। घर क िनयम अकसर ब े को गु से क अिभ य करने से रोकते ह और
बात को बदलने म ब े क असमथता उसक कान दद को ज म देते ह।
बहरापन िकसी क लंबे समय तक बात सुनने से इनकार करने क अिभ य ह। यान दीिजए िक जब
पित-प नी म से िकसी एक को सुनने क सम या होती ह तो दूसरा अकसर ब त बात करता ह।
आँख देखने क मता का ितिनिध व करती ह। जब आँख म कोई सम या होती ह तो इसका आम तौर
पर यह मतलब होता ह िक अपने बार म या जीवन क बार म अतीत, वतमान या भिव य म कोई ऐसी चीज ह
िजसे हम नह देखना चाहते।
जब भी म छोट ब को च मा पहने देखती तो म जानती िक उनक घर म कछ ऐसा चल रहा ह,
िजसे वे देखना नह चाहते। यिद वे उस अनुभव को नह बदल सकते तो वे ि को फला देते ह, तािक उ ह
वह उतने प प म न देखना पड़।
जब कछ लोग अतीत क ओर लौटने और च मा लगने से एक या दो वष पहले क समय म वे या नह
देखना चाहते थे, उसक सफाई करने क इ छक ए तो उ ह वा य लाभ क जबरद त अनुभव ए।
अभी जो हो रहा ह, या आप उसे नकार रह ह?आप िकस चीज का सामना नह करना चाहते? या आप
वतमान को या िफर भिव य को देखने से डर रह ह?यिद आप प देख पाते तो आप या देखते, जो आप
अभी नह देख रह ह? या आप देख सकते ह िक आप अपने साथ या कर रह ह?

ये न िदलच प ह
िसरदद अपने अ त व को नकारने से आते ह। अगली बार जब आपको िसरदद हो तो ककर अपने आप
से पूछ िक आपने अभी-अभी कहाँ और कसे अपने आपको गलत िस िकया ह। खुद को माफ कर द। उसे
जाने द और िसरदद उस शू य म िवलीन हो जाएगा, जहाँ से वह आया था। माइ ेन िसरदद उन लोग ारा
उ प िकए जाते ह, जो पूण (परफ ट) होना चाहते ह और अपने आप पर काफ दबाव डालते ह। इसम
ब त सा दिमत गु सा शािमल होता ह।
सीधे चेहर पर और नाक क पास महसूस होनेवाली साइनस सम याएँ जीवन म िकसी नजदीक य क
ारा परशान िकए जाने का ितिनिध व करती ह। आप यह भी महसूस कर सकते ह िक वे आप पर दबाव
डाल रह ह।
हम भूल जाते ह िक हम थितयाँ उ प करते ह, िफर अपनी कठा क िलए दूसर य पर दोषारोपण
करते ए अपनी ऊजा न करते ह। कोई य , कोई थान और कोई चीज हमसे अिधक श शाली नह
ह, य िक अपने मन म िसफ हम सोच पाते ह। हम अपने अनुभव, अपनी वा तिवकता और उसम हर िकसी
को उ प करते ह। जब हम अपने मन म शांित, स ावना और संतुलन थािपत करते ह तो हम अपने
जीवन म भी वही सब पाएँगे।
गरदन और गला आ यचिकत म करनेवाले होते ह, य िक वहाँ ब त कछ चलता रहता ह। गरदन अपने
िवचार म लचीले होने, िकसी न क दूसर प को देखने और दूसर य क ि कोण को समझने क
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Aaple Vachnalay
मता का ितिनिध व करता ह। जब गरदन म कोई सम या होती ह तो इसका अथ यह होता ह िक हम िकसी
थित क अपनी अवधारणा क बार म िज ी हो रह ह।
जब भी म िकसी य को गरदन क ‘कॉलर’ पहने देखती तो म जान जाती िक वह य िकसी
बात क दूसर प को न देखते ए अ यंत दंभी और हठी ह।
ितभाशाली फिमली थेरिप ट वज िनया साितर ने कहा िक उ ह ने कछ ‘मूखतापूव शोध’ िकए और पाया
िक बरतन क धोने क 250 िविभ तरीक ह, जो इस बात पर िनभर करता ह िक धो कौन रहा ह और उसम
कौन से त व इ तेमाल िकए गए ह। यिद हम इस िव ास म अटक जाते ह िक कवल एक तरीका या एक
ि कोण ह तो हम जीवन क अिधकांश िह से को यथ कर देते ह।
गला अपने िलए ‘बोलने’, ‘जो चाहते ह, वह माँगने’, ‘म ’ आिद कहने क हमारी मता का ितिनिध
ह। जब हम गले से संबंिधत परशािनयाँ होती ह, उसका मतलब यह होता ह िक हम महसूस करते ह िक हम
ये सब चीज करने का कोई अिधकार नह ह। हम अपने िलए खड़ होने क मता महसूस नह करते।
गला खराब होना हमेशा गु से का तीक होता ह। यिद उसक साथ सद -जुकाम भी ह तो गु से क साथ
मानिसक म भी होता ह। ले रजाइिटस का मतलब होता ह िक आप इतने गु से म ह िक बोल तक नह
सकते।
गला शरीर म रचना मक वाह का भी ितिनिध व करता ह। यह पर हम अपनी रचना मकता को
अिभ य करते ह और जब हमारी रचना मकता अकड़ जाती ह और किठत होती ह तो अकसर हम गले क
सम याएँ होती ह। हम सभी ब त से लोग को जानते ह, जो अपना पूरा जीवन दूसर क िलए जीते ह। उ ह
एक बार भी वह करने का मौका नह िमलता, जो वे करना चाहते ह। वे हमेशा माँ/िपता/जीवनसाथी/ ेमी/
बॉस को खुश करते रहते ह। टॉ सलाइिटस और थायरॉइड सम याएँ कवल किठत रचना मकता होती ह, जो
अपनी इ छानुसार काम न करने से होती ह।
गले का ऊजा क , जो पाँचवाँ च होता ह, शरीर का ऐसा भाग ह जहाँ प रवतन होता ह। जब हम
प रवतन का ितरोध करते ह या बदलाव क म य म होते ह या बदलाव करने का यास कर रह होते ह तो
हमार गले म काफ कछ हो रहा होता ह। जब आपको खाँसी हो रही होती ह, या िकसी और को खाँसी हो
रही होती ह तो यान दीिजए िक अभी-अभी या कहा गया था? हम िकस बात क ित िति या य कर
रह ह?यह ितरोध और िजद ह या प रवतन क ि या चल रही ह? िकसी कायशाला म म खाँसी को वयं
क खोज क एक मा यम क प म इ तेमाल करती । हर बार जब कोई खाँसता ह तो म उस य को
अपना गला छने और जोर से यह कहने को कहती , ‘म बदलना चाहता ’ या ‘म बदल रहा ।’
बाँह जीवन क अनुभव को गले लगाने क हमारी मता और यो यता को दरशाती ह। बाँह क ऊपरी भाग
का हमारी मता से और िनचले भाग का हमारी यो यता से संबंध होता ह। हम पुरानी भावना को
अपने जोड़ म बंद करक रखते ह और कहिनयाँ िदशा प रवतन म हमार लचीलेपन को िदखाती ह। या आप
अपने जीवन म िदशा प रवतन क बार म लचीले ह या पुरानी भावनाएँ आपको एक जगह पर अटकाए ए
ह?
हाथ हण करते ह, हाथ पकड़ते ह, हाथ जकड़ते ह। हम चीज को अपनी उगिलय से िफसलने देते ह।
कभी-कभी हम ब त लंबे समय तक िकसी चीज को पकड़कर बैठ जाते ह। हम सहज सुलभ, मु ी
बाँधनेवाले, खुले हाथवाले, पैसे पकड़नेवाले, पैसे खच करनेवाले हो सकते ह। हम अपने आपको सँभाल
सकते ह, या ऐसा लगता ह िक हम िकसी भी चीज को सँभाल नह पा रह।
हम िकसी चीज पर हाथ रख देते ह। अपने हाथ नीचे कर लेते ह। अपने हाथ हटा लेते ह, चालबाजी करते
ह। हम िकसी क ओर मदद का हाथ बढ़ाते ह। हाथ म हाथ रखते ह, कोई चीज पकड़ म या पकड़ क बाहर
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Aaple Vachnalay
होती ह। हमार पास मदद क िलए हाथ होते ह।
हाथ सौ य हो सकते ह या स त हो सकते ह, अिधक सोचने से उगिलय क पोर मुड़ जाते ह या आलोचना
से टढ़-मेढ़ होते ह। हाथ को जकड़ना भय से आता ह—खोने का भय, कभी अिधक पैसे न कमाने का भय,
भय िक हलक से पकड़ने पर वह चीज हाथ से चली जाएगी।
िकसी र ते को जोर से जकड़कर रखने से साथी िनराश होकर दूर चला जाता ह। स ती से भ चे हाथ
िकसी नई चीज को हण नह कर सकते। हाथ को कलाई से वतं प से िहलाना ढीलेपन और खुलेपन
का एहसास देता ह।
जो आपका ह, वह आपसे कोई नह ले सकता, इसिलए सहज रह।
हर उगली का एक अथ होता ह। उगिलय म सम याएँ िदखाती ह िक आपको कहाँ पर आराम करने और
जाने देने क ज रत ह। यिद आप अपनी तजनी को काट लेते ह तो शायद िकसी वतमान थित म आपक
अंदर गु सा और भय ह जो आपक अह से संबंिधत ह। अँगूठा मानिसक ितिनिध ह और िचंता को दिशत
करता ह। तजनी अह और भय ह। म यमा का से स और गु से से संबंध ह। जब आप गु से म होते ह तो
अपनी म यमा उगली पकड़ और गु से को ख म होते देख। यिद आपका गु सा िकसी पु ष पर ह तो दाई
उगली और यिद िकसी मिहला पर ह तो बाई उगली पकड़। अनािमका मेल और दुःख दोन क िलए होती ह।
किन ा का संबंध प रवार और िदखावे से होता ह।
पीठ हमार सहार क यव था का ितिनिध ह। पीठ क सम या का आम तौर पर यह अथ होता ह िक
हम खुद को बेसहारा महसूस करते ह। हम अकसर यह सोचते ह िक हम कवल अपनी नौकरी या हमार
प रवार या जीवनसाथी का सहारा ह। वा तव म यह पूरा ांड, वयं जीवन हम पूरी तरह सहयोग देता ह।
पीठ क ऊपरी िह से का संबंध भावना मक सहयोग क अभाव क भावना से ह। मेरा पित/प नी/ ेमी/िम /
बॉस मुझे समझता नह या सहयोग नह करता।
पीठ क म य िह से का अपराध-बोध से संबंध ह। वह सारी भावना हमारी पीठ म होती ह। या आप पीछ
क ओर देखने से डरते ह या आप उसे िछपा रह ह? या आपको लगता ह िक आपक पीठ म छरा भ का
गया ह?
या आप वा तव म परशानी महसूस कर रह ह? या आपक आिथक थित अ त- य त ह, या या आप
उनक बार म कछ यादा िचंितत ह? िफर आपक पीठ का िनचला िह सा आपको परशान कर रहा ह। पैसे
का अभाव या पैसे का डर इसे उ प करता ह। आपक पास जो रािश ह, उसका इससे कोई लेना-देना नह
ह।
हमम से कई लोग महसूस करते ह िक पैसा हमार जीवन म सबसे मह वपूण ह और हम उसक िबना रह
नह सकते। यह सच नह ह। हमार िलए अिधक मह वपूण व ब मू य कछ और ह, िजसक िबना हम नह
जी सकते। वह ह हमारी साँस।
हमारी साँस हमार जीवन म सबसे ब मू य चीज ह और िफर भी साँस छोड़ते समय हम बेिफ रहते ह िक
अगली साँस ज र आएगी। यिद हम उसक बाद साँस न ल तो हम तीन िमनट भी जीिवत नह रह पाएँगे। जब
हम ज म देने वाली श ने हम इतनी साँस दी ह िक हम जब तक जीिवत रह, तब तक साँस ले सकते ह तो
या हम इतना भरोसा नह कर सकते िक हमारी आव यकता क और भी चीज हम ज र िमलगी?
फफड़ जीवन को अपनाने और जीवन छोड़ने क हमारी मता को दिशत करते ह। फफड़ म सम या
का आम तौर पर यह अथ होता ह िक हम जीवन को अपनाने से डरते ह या संभवतः हम ऐसा महसूस करते
ह िक हम पूण प से जीवन जीने का कोई अिधकार नह ह।
मिहलाएँ पारप रक प से ब त उथली साँस लेनेवाली होती ह और अकसर खुद को तीय ेणी का
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Aaple Vachnalay
नाग रक मानती ह। आज, यह सब बदल रहा ह। आज मिहलाएँ समाज क मह वपूण सद य ह और पूरी
तरह व गहरी साँस ले रही ह।
मुझे मिहला को खेल म देखना अ छा लगता ह। मिहला ने खेत म हमेशा काम िकया ह, लेिकन
इितहास म पहली बार मिहलाएँ खेल म उतरी ह। उनक शानदार शरीर को देखकर ब त अ छा लगता ह।
ऐ फाइसीमा और भारी धू पान जीवन को नकारने क तरीक ह। उनम अपने अ त व को िबलकल ही यथ
समझने क गहरी भावना होती ह। डाँटने से धू पान क आदत नह बदल सकती। सबसे पहले उसक िलए
िज मेदार भावना को बदलने क ज रत ह।
तन पालन-पोषण क िस ांत को दिशत करते ह। जब तन म सम या होती ह तो उसका अथ ह िक
हम िकसी य , थान, चीज या िकसी अनुभव को अिधक पाल रह ह।
पालन-पोषण क ि या का एक िह सा ह ब े को ‘बड़ होने’ देना। हम यह जान लेना चािहए िक कब
उ ह वतं कर देना चािहए, कब उनक लगाम छोड़ देनी ह और उ ह अपने बल पर आगे बढ़ने देना
चािहए। अिधक खयाल रखने से दूसरा य अपना अनुभव खुद सँभालने क िलए तैयार नह हो पाता।
कभी-कभी िकसी थित म अिधक रोब िदखाने क वृि पूरी तरह पोषण को समा कर देती ह।
यिद कसर होता ह तो उसका भी मतलब गहरी नाराजगी ह। डर को याग द और जान ल िक ांड का
ान हम सब म िव मान ह।
हमारा िदल, जी हाँ, यार का ितिनिध ह, जबिक र खुशी का तीक ह। हमारा िदल यार से हमार शरीर
म खुशी भरता ह। जब हम खुशी और ेम को अपनाने से इनकार कर देते ह तो दय िसकड़ जाता ह और
ठडा हो जाता ह। इसक वजह से र धीमा हो जाता ह और हम एनीिमया, एंजाइना व दयाघात क ओर
बढ़ने लगते ह।
दय हम पर आघात नह करता। हम अपने ही उ प िकए ए सोप ओपेरा और नाटक म इतने फस
जाते ह िक अकसर उन छोटी-छोटी खुिशय पर यान देना भूल जाते ह जो हमार आस-पास होती ह। हम
बरस तक अपने िदल से सारी खुिशय को िनचोड़ते रहते ह और अंत म वह पीड़ा से कराहने लगता ह। िजन
लोग को दयाघात होता ह, वे कभी खुश नह रहते। यिद वे समय रहते जीवन क खुिशय को अपना नह
लेते तो उ ह दूसरा दयाघात हो सकता ह।
सोने का िदल, ठडा िदल, खुला िदल, काला िदल, ेिहल िदल, गमजोशी भरा िदल—इनम आपका िदल
कहाँ ह?
पेट हमार सभी नए िवचार और अनुभव को पचा लेता ह। आप िकसे या या नह पचा सकते? आप
अपनी आँत म या भाव महसूस करते ह।
जब पेट से संबंिधत बीमा रयाँ होती ह तो इसका आम तौर पर यह मतलब होता ह िक हम नए अनुभव को
पचा नह पा रह। हम डरते ह।
हमम से ब त को याद होगा, जब कमिशयल वायुयान पहले-पहल लोकि य ए थे; यह नया िवचार
पचाना मु कल था िक हम धातु क एक बड़ यूब म बैठ कर सुरि त वायु माग से जा सकते ह।
हर सीट पर ो अप बैग (उलिटयाँ करनेवाले बैग) थे और हमम से अिधकतर लोग उनका इ तेमाल करते
थे। हम यथासंभव सावधानी से अपने बैग म उलिटयाँ करते थे और उ ह बंद करक प रचा रका को पकड़ा
देते थे, जो उ ह एकि त करने म अपना काफ समय खच करती थी।
अब ब त वष बीत चुक ह और हालाँिक बैग अब भी हर सीट पर होते ह, उ ह शायद ही इ तेमाल म
लाया जाता ह। हमने उड़ने क िवचार को हण कर िलया ह।
अ सर भय क अित र कछ नह ह—‘पया प से अ छा न होने’ का भारी भय। हम माता-िपता क
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आशा पर, बॉस क उ मीद पर खर न उतरने से डरते ह। हम अपने अ त व को पचा नह सकते। हम
दूसर को खुश करने क कोिशश म अपनी पूरी जान लगा देते ह। चाह हमारा काम िकतना भी मह वपूण हो,
हमारा आ मिव ास ब त कम होता ह। हम डरते ह िक उ ह हमार बार म पता चल जाएगा।
जननांग िकसी ी क सबसे योिचत भाग, उसक नारी व; िकसी पु ष क सबसे पु षोिचत अंग, उसक
मदानगी, हमार पु ष संबंधी िस ांत या हमार ी संबंधी िस ांत को दिशत करते ह।
जब हम अपने पु ष या मिहला होने से सहज नह होते, जब हम अपनी से सुअिलटी को ितिबंिबत करते
ह, जब हम अपने शरीर को गंदे या पापमय क प म मानकर अ वीकार कर देते ह, तो हम अकसर
जननांग म सम याएँ होती ह।
मने शायद ही िकसी ऐसे य को देखा ह जो ऐसे घर म पला हो जहाँ जननांग और उनक काय को
उनक सही नाम से बुलाया जाता हो। हम सब एक या दूसर तीक क भाषा क साथ बड़ होते ह। आपक
प रवार म कौन सा नाम इ तेमाल िकया जाता था? वह ‘वहाँ नीचे’ िजतना हलका हो सकता ह, साथ ही ऐसे
नाम हो सकते ह, जो महसूस कराते ह िक आपक जननांग गंदे और घृिणत ह। हाँ, हम सब इस िव ास क
साथ बड़ होते ह िक हमारी टाँग क बीच क वह जगह कछ सही नह ह।
हालाँिक जैसा रोजालैम ट, सै फ क यूिनकशन क सं थापक ने कहा, ‘माँ का भगवा ’ क िवषय म, हमम
से कछ ने ज र सोचा। आपक माँ ने तीन वष क आयु म आपको ई र क बार म जो भी बताया, वह अब
भी आपक अवचेतन मन म मौजूद ह, जब तक िक आपने उसे छोड़ने क िलए जान-बूझकर कछ यास न
िकए ह । वह ई र या ोध म आनेवाला या बदला लेनेवाला भगवा था? वह ई र से स क बार म या
महसूस करता था? यिद हम अब भी अपनी से सुअिलटी और अपने शरीर क बार म अपराध-बोध क उन
आरिभक भावना को ढो रह ह तो हम िन त प से अपने आपको सजा देने जा रह ह।
मू ाशय सम याएँ, मलाशय सम याएँ, वेिजनाइिटस और ो टट तथा िलंग संबंधी सम याएँ एक ही वग म
आती ह। वे हमार शरीर और उनक सही काय क औिच य क बार म िवकत धारणा से उभरते ह।
हमार शरीर का हर अंग अपने िवशेष काय क साथ जीवन क एक उ क अिभ य ह। हम अपने
लीवर या अपनी आँख को गंदा या पापमय नह मानते। तो हम अपने जननांग को वैसा य मानते ह?
मल ार उतना ही खूबसूरत ह िजतने कान। अपने मल ार क िबना हमार पास उन चीज को यागने का
कोई रा ता नह होगा, िजनक अब हम कोई आव यकता नह ह और हम त काल मृ यु को ा हो जाएँगे।
हमार शरीर का हर अंग और हमार शरीर का हर काय िबलकल सही और सामा य, ाकितक और खूबसूरत
ह।
म से सुअल सम या क साथ आनेवाले ाहक को अपने गुदा, िलंग या योिन क साथ उनक स दय क
िलए ेम सिहत संबंध थािपत करने को कहती । यिद आप यह पढ़ते ए ु ध हो रह ह, तो अपने आपसे
उसका कारण पूछ। िकसने आपको अपने शरीर क िकसी अंग को अ वीकत करने क िलए कहा? िन त
प से ई र ने तो नह । हमार यौनांग हम आनंद दान करने क िलए हमार शरीर क सबसे आनंददायक
अंग क प म सृिजत िकए गए। इसे नकारना पीड़ा तथा कठा उ प करना ह। से स िसफ सही ही नह
ब क गौरवपूण तथा अ ुत ह। हमार िलए से स उतना ही सामा य ह िजतना हमार िलए साँस लेना या
भोजन करना ह।
बस, एक पल क िलए इस ांड क िवशालता क क पना करने का यास कर। यह हमारी क पना से
पर ह। अपने नवीनतम उपकरण क साथ हमार बड़-से-बड़ वै ािनक भी उसक आकार को माप नह सकते।
इस ांड क भीतर कई आकाश गंगाएँ ह।
इनम से एक छोटी आकाश गंगा क एक सुदूर कोने म एक छोटा सा सूय ह। इस सूय क चार ओर कछ
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िबंदु च र लगाते ह, िजनम से एक को पृ वी ह कहते ह।
मेर िलए यह िव ास करना मु कल ह िक वह िव तृत एवं बु म ा, िजसने इस पूर ांड को ज म
िदया, वह पृ वी क ऊपर बादल म बैठा कवल एक वृ आदमी ह...मेर यौन अंग को देख रहा ह। जबिक
बचपन म हमम से ब त को यही बात िसखाई गई।
यह ज री ह िक हम उन मूखतापूव, पुराने िवचार को छोड़ द, जो हमार िकसी काम क नह होते और
हमारा िवकास नह करते। म ढ़ता से यह महसूस करती िक ई र क संबंध म हमारी अवधारणा हमार
िलए होनी चािहए, हमार िखलाफ नह । चुनने तथा िनणय क िलए यहाँ कई धम ह। यिद आपका धम यह
बताता ह िक आप अपराधी और गंदे क ड़ ह तो दूसर धम क तरफ यान द।
म इस बात का समथन नह कर रही िक हर कोई हर समय चार ओर व छद से स संबंध थािपत
करते िफर। म बस यह कह रही िक हमार कछ िनयम िफजूल ह, इसिलए ब त से लोग उ ह तोड़ते ह और
पाखंडी बन जाते ह।
जब हम लोग क मन से से स क संबंध म अपराध-बोध क भावना दूर कर देते ह और उ ह खुद से ेम
तथा अपना स मान करना िसखाते ह तो वे खुद अपने और दूसर क साथ ऐसा यवहार करगे, जो उनक
सव िहत म और महानतम खुशी दान करने वाला होगा। अब से सुअिलटी को लेकर इतनी सम याएँ
इसिलए होती ह, य िक हमम से ब त से लोग अपने आप से नफरत और घृणा करते ह, और इसिलए हम
अपने आप और दूसर से बुरा यवहार करते ह।
ब को कल म से सुअिलटी क ि या- णाली ही समझाना पया नह ह। ब को यह याद िदलाने
क अ यंत आव यकता ह िक उनक शरीर, जननांग और से सुअिलटी खुशी का िवषय ह। म िदल से मानती
िक जो लोग अपने आप और अपने शरीर से ेम करते ह, वे खुद या दूसर को नुकसान नह प चाते।
म पाती िक मू ाशय से संबंिधत अिधकांश बीमा रयाँ, सामा यतः िकसी साथी ारा, अ वीकार िकए
जाने से आती ह। हमार ी व या पु ष व से संबंिधत कोई चीज हम ोिधत करती ह। मू ाशय से संबंिधत
बीमा रयाँ पु ष क अपे ा य म अिधक होती ह, य िक उनम अपने दुःख को िछपाने क वृि अिधक
होती ह। वेजीनाइिटस का संबंध ेम म िकसी साथी से आहत होने क भावना से होता ह। पु ष म ो टट क
सम याएँ आ म-स मान म कमी क कारण और यह मानने से होता ह िक आयु क अिधक होने क साथ उसक
पु ष व म कमी आ रही ह। नपुंसकता भय लाता ह और कभी-कभी िकसी िपछले साथी क िखलाफ गु से से
संबंिधत होता ह। ठडापन इस डर या इस धारणा क कारण होता ह िक शरीर से आनंद उठाना गलत ह। यह
खुद से घृणा करने क कारण भी होता ह और संवेदनहीन साथी क कारण यह रोग बढ़ सकता ह।
ी म अल िसं ोम, जो अब काफ चिलत हो चुका ह, मीिडया िव ापन क वजह से और बढ़ा ह। ये
िव ापन लगातार इस िवचार को पु करते ह िक ी शरीर को थोड़ा सा वीकाय बनाने क िलए भी सुगंध ,
पाउडर और अ य स दय साधन का योग िकया जाना चािहए। जबिक मिहला को अब समान प से
स मान िदया जा रहा ह, उनम यह नकारा मक िवचार भी भर जा रह ह िक योिचत ि याएँ वीकाय नह
ह। इसक साथ आज चीनी का उपयोग अिधक िकया जाना ी म अल िसं ोम क िलए एक उवर धरातल
तैयार कर देता ह।
मािसक धम और रजोिनवृि सिहत सभी योिचत ि याएँ वाभािवक, ाकितक ि याएँ ह। हम उ ह
इसी प म वीकार करना चािहए। हमारा शरीर खूबसूरत, शानदार और अ ुत ह।
मेरी यह धारणा ह िक यौन सम याएँ लगभग हमेशा से सुअल अपराध-बोध से संबंिधत होती ह। यह इस
भावना, जो िक अकसर हमार अवचेतन मन म होती ह, से आती ह िक से सुअल अिभ य सही नह ह।
यौन रोग क वाहक क कई साथी हो सकते ह, लेिकन कवल वही इससे भािवत होते ह, िजनक मानिसक
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और शारी रक ितर ा णाली कमजोर होती ह। हाल क वष म िवपरीत लिगक जनसं या म हरपीज क
मामल म वृ ई ह। यह एक ऐसा रोग ह, जो हमारी इस धारणा िक ‘हम बुर ह’ क िलए बार-बार ‘हम
सजा देने क िलए’ लौटकर आता ह। जब हम भावना मक प से िनराश होते ह तो हरपीज बढ़ता ह। यह हम
ब त कछ बता देता ह।
अब उसी िस ांत को समिलंगी समुदाय पर लागू करते ह। जहाँ उनक पास अ य लोग जैसी सारी
सम याएँ तो होती ही ह, साथ ही समाज का एक बड़ा िह सा उनक ओर उगिलयाँ उठाकर उ ह ‘बुरा’ कहता
ह। आम तौर पर उनक अपने माँ-बाप भी कहते ह, ‘तुम बुर हो।’ यह बोझ ढोने क िलए ब त भारी ह और
इन प र थितय म अपने आपसे यार करना किठन ह। यह कोई आ य क बात नह ह िक समिलंगी संबंध
वाले पु ष सबसे पहले ए स नामक भयावह रोग से पीि़डत ए थे।
ह ोसे सुअल सोसाइटी म, युवाव था क मिहमामंडन क वजह से ब त सी मिहलाएँ बूढ़ी होने से डरती ह।
यह पु ष क िलए उतना किठन नह होता, य िक वे कछ बाल सफद होने पर िविश हो जाते ह। अकसर
बुजुग पु ष को स मान िमलता ह और लोग उनसे सलाह भी लेते ह।
ऐसा अिधकतर समिलंगी पु ष क साथ नह होता, य िक उ ह ने एक ऐसी सं कित बनाई ह जो यौवन
और स दय पर काफ जोर डालता ह। हालाँिक हर कोई शु म युवा होता ह, लेिकन कछ ही लोग स दय क
मानदंड पर खर उतरते ह। शरीर क बाहरी स दय पर इतना अिधक जोर िदया गया ह िक उसक अंदर क
भावना को पूरी तरह उपेि त कर िदया गया ह। यिद आप युवा और सुंदर नह ह तो जैसे आप कोई मह व
नह रखते। वह य मह वपूण नह ह, कवल शरीर मह वपूण ह।
यह िवचार-शैली संपूण सं कित क िलए ल ाजनक ह। यह ऐसा कहने का एक और तरीका ह िक
‘समिलंगी पु ष अ छ नह होते।’
समिलंगी पु ष दूसर समिलंिगय से जैसा यवहार करते ह, उससे कई समिलंगी पु ष क िलए बूढ़ होने
का भयावह अनुभव होता ह। बूढ़ होने से बेहतर ह मर जाना। और ए स ऐसी बीमारी ह जो अकसर मार
डालती ह।
समिलंगी पु ष अकसर यह महसूस करते ह िक जब वे अिधक आयु क हो जाएँगे तो वे अनुपयोगी और
अवांिछत हो जाएँगे। इससे बेहतर पहले खुद को न कर लेना ह, और ब त से लोग ने वयं को न
करनेवाली जीवन-शैली अपना ली ह। कछ धारणाएँ और वृि याँ, जो समिलंगी जीवन-शैली का अंग होती ह
—भयावह होती ह। और ए स एक भयावह रोग ह।
इस कार का ि कोण और यवहार बस मन क गहराई म अपराध-बोध को उ प कर सकता ह, चाह
हम िकतना भी कप कर। किपंग मनोरजक होने क साथ ही अ यंत िव वंसक भी हो सकती ह, देनेवाल क
िलए भी और ा करने वाल क िलए भी। यह नजदीक और अंतरगता को टालने का एक और तरीका ह।
म िकसी भी प म िकसी क मन म अपराध-बोध उ प करने का यास नह कर रही । परतु हम ऐसी
चीज पर यान देने क ज रत ह िज ह म म बदलने क आव यकता ह, तािक हमारा पूरा जीवन ेम,
खुशी और स मान क साथ गुजर सक। पचास वष पहले, लगभग सभी समिलंगी पु ष अलग-थलग होते थे,
अब वे समाज म ऐसे समूह बनाने म सफल हो गए ह जहाँ वे अपे ाकत खुले होते ह। मुझे यह दुभा यपूण
लगता ह िक उ ह ने जो कछ भी बनाया ह, वह उनक समिलंगी भाइय क िलए काफ पीड़ादायक ह।
हालाँिक सामा य लोग समिलंिगय से जैसा यवहार करते ह, वह खेदजनक ह, लेिकन समिलंगी पु ष अ य
समिलंिगय से जैसा यवहार करते ह, वह दुःखद ह।
पारप रक प से मिहला क मुकाबले पु ष क अिधक यौन साथी रह ह और जब पु ष एक साथ
िमलते ह तो िन त प से से स अिधक होगा। यह ठीक ह। बाथहाउस एक अ ुत आव यकता क पूित
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करते ह, जब तक िक हम गलत कारण क िलए अपनी से सुअिलटी का इ तेमाल न कर रह ह । कछ पु ष
आनंद क िलए नह , ब क आ मस मान क अपनी आव यकता को संतु करने क िलए अिधक साथी
रखते ह। मुझे अिधक साथी होने क बात गलत नह लगती और कभी-कभार शराब और कछ दवा का
इ तेमाल भी ठीक ह। यिद हम हर रात अपने िनयं ण से बाहर जाते ह और जब हम कवल अपना मह व
सािबत करने क िलए हर िदन कई सािथय क आव यकता पड़ तो हम िवकास क पथ पर नह जा रह। हम
कछ मानिसक प रवतन करने क ज रत ह।
यह उपचार का समय ह, पूण होने क िलए, िनंदा का नह । हम अतीत क ितबंध से िनकलना चािहए।
हम सभी े ह। जीवन क अ ुत अिभ य । चलो हम इसक माँग कर।
कोलोन (आँत) कछ बाहर िनकालने क हमारी काबिलयत का ितिनिध व करती ह तो िनकालने क ,
िजसक अब ज रत नह ह।
जीवन क सही लय व वाह म रहते ए शरीर को हण करने, समािहत करने और हटाने म संतुलन क
आव यकता होती ह। कवल हमारा डर पुराने को छोड़ने नह देता।
यिद क ज से पीि़डत लोग वा तव म कजूस न भी ह तो वे आम तौर पर यह भरोसा नह करते िक उनक
पास कभी पया धन होगा। वे पुराने र त को पकड़कर रखते ह, िजनसे उ ह पीड़ा िमलती ह। वे वष से
अलमारी म पड़ कपड़ को फकने म डरते ह, य िक उ ह लगता ह िक वे कभी काम आ सकते ह। वे दम
घ टनेवाली नौक रयाँ करते ह या कभी खुद को खुशी नह देते, य िक उ ह संकट क समय क िलए बचत
करनी होती ह। हम आज का भोजन पाने क िलए िपछले रात क कड़ को नह खँगालते। यह भरोसा करना
सीख िक जीवन क ि या हमारी आव यकता क हर चीज उपल ध कराएगी।
हमार पैर हम जीवन म आगे क ओर ले जाते ह। पैर क सम याएँ अकसर आगे क ओर बढ़ने से डरने
या िकसी खास िदशा म आगे जाने म िहचिकचाहट का संकत देती ह। हम अपने पैर से दौड़ते ह, हम अपने
पैर िघसटते ह, हम मुड़ ए घुटन वाले होते ह, कबूतर जैसे पैरवाले होते ह और हमारी बड़ी, मोटी, गु से से
भरी जाँघ होती ह जो बचपन क नाराजिगय से भरी होती ह। कछ न करने क इ छा से पैर म छोटी-मोटी
सम याएँ होती ह। वेरीकोज नस िकसी ऐसी नौकरी या थान म रहने से होती ह, िजससे हम नफरत करते ह।
नस खुशी ले जाने क अपनी मता को खो देती ह।

या आप अपनी मनपसंद िदशा म जा रह ह?


घुटन का—गरदन क तरह—लचीलेपन से संबंध होता ह। वे झुकना और गव, अह और िजद को
अिभ य करते ह। अकसर आगे क ओर बढ़ते समय हम झुकने से डरते ह और हम अन य हो जाते ह।
यह जोड़ को अकड़ा देता ह। हम आगे क ओर बढ़ना चाहते ह, लेिकन अपने तरीक नह बदलना चाहते।
इसी वजह से घुटने ठीक होने म अिधक समय लेते ह, य िक इसम हमारा अह शािमल होता ह। घुटने लंबा
समय लेते ह, य िक हम अपने गव और अपने दंभ को उसम स मिलत कर देते ह।
अगली बार जब आपको घुटन क सम या हो, खुद से पूछ िक आप कहाँ पर दंभी हो रह ह, आप कहाँ
पर झुकने से इनकार कर रह ह। अपनी िजद छोड़ द और िपछली बात भूल जाएँ। जीवन वाह ह, जीवन गित
ह और सहज होने क िलए हम लचीला होना चािहए और उसक साथ आगे बढ़ना चािहए। बत का पेड़
झुकता ह, लहराता ह और हवा क साथ िहलता ह और हमेशा ग रमामय व जीवन क साथ सहज होता ह।
हमार पाँव हमारी समझ, अपने बार म और जीवन—अतीत, वतमान और भिव य क बार म हमारी समझ
से संबंिधत होते ह।
ब त से बूढ़ लोग को चलने म किठनाई होती ह। उनक समझ बािधत हो जाती ह और वे अकसर महसूस
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करते ह िक वे कह नह जा सकते। छोट ब े खुशनुमा, नृ य करते करते ए चलते ह। बुजुग लोग अकसर
िघसटकर चलते ह, जैसे िक आगे बढ़ने म िहचिकचाहट हो रही हो।
हमारी वचा हमारी वैय कता िदखाती ह। आम तौर पर वचा रोग का मतलब हम यह महसूस होना होता
ह िक हमारी वैय कता को िकसी कार से खतरा ह। हम महसूस करते ह िक दूसर हम पर हावी ह। हम
कोमल होते ह। चीज हमारी चमड़ी म घुसती ई महसूस होती ह, हमारी तंि काएँ हमारी चमड़ी क ठीक नीचे
होती ह।
वचा संबंधी सम या क उपचार का सबसे अ छा तरीका ह अपने मन म िदन म सौ बार यह कहते ए
िक ‘म अपने आपको वीकार करता ’, अपनी श को वािपस ल।
दुघटनाएँ दुघटना नह होत । अपने जीवन म दूसरी चीज क तरह हम वयं उ ह ज म देते ह। ऐसा नह ह
िक हम ज री ही ये कहते ह, ‘म चाहता िक मेरी दुघटना हो जाए।’ लेिकन हमार मानिसक िवचार ऐसे
होते ह, जो हमारी ओर दुघटना को आक करते ह। कछ लोग क साथ अिधक दुघटनाएँ होती ह और कछ
को जीवन भर एक खर च तक नह लगती।
दुघटनाएँ ोध क अिभ य होती ह। वे अंदर भरी ई कठा का संकत देती ह, जो अपने िलए न बोल
पाने क मजबूरी महसूस करने से आती ह। दुघटनाएँ िकसी क शासन क िखलाफ िव ोह का भी संकत होती
ह। हम इतने पागल हो जाते ह िक लोग को चोट प चाना चाहते ह, लेिकन उसक बजाय हम चोट लग जाती
ह।
जब हम अपने आप पर ोिधत होते ह, जब हम अपराध-बोध महसूस करते ह, जब हम सजा क
आव यकता महसूस करते ह, उसका यान रखने क िलए दुघटना एक अ ुत तरीका ह।
ऐसा लगता ह िक मानो दुघटना म हमारी गलती नह होती, िक हम िनयित क असहाय िशकार होते ह।
दुघटना क वजह से हम सहानुभूित और यान क िलए दूसर क ओर मुड़ते ह। हमार घाव धोए जाते ह और
उनका उपचार िकया जाता ह। हम अकसर िब तर पर आराम करते ह, कभी-कभी लंबे समय क िलए और
हम पीड़ा िमलती ह।
यह पीड़ा शरीर म जहाँ होती ह, वह इस बात का संकत देती ह िक हम जीवन क िकस े म अपराध-
बोध महसूस कर रह ह। शारी रक ित क सीमा हम यह बताती ह िक हम िकतनी गंभीरता से सजा पाने क
आव यकता महसूस कर रह थे और वह सजा िकतनी लंबी होनी चािहए।
एनोर सया-बु मया अपने जीवन को नकारना ह, जो आ म-घृणा का चरम प ह।
भोजन सबसे मूलभूत तर पर पोषण ह। आप अपने आपको पोषण से वंिचत य करगे?आप मरना य
चाहते ह? आपक जीवन म इतना दुःख या ह िक आप पूरी तरह अपने जीवन को छोड़ना चाहते ह।
आ म-घृणा बस अपने बार म िकसी िवचार से घृणा करना ह। िवचार को बदला जा सकता ह।
आपम इतना बुरा या ह? या आपका पालन-पोषण ऐसे प रवार म आ जो हमेशा आलोचना करता था?
या आपक िश क आलोचना करते थे? या आपक आरिभक धािमक िश ा ने आपको यह बताया िक आप
इस प म ‘उतने अ छ नह ’ ह? हम अकसर कारण जानने क कोिशश करते ह, जो हमार िलए अथपूण
होता ह िक हम जैसा का तैसा यार और वीकार य नह िकया गया।
फशन उ ोग म दुबलेपन क ित दीवानगी क वजह से कई मिहलाएँ, जो ऐसा सोचती ह, ‘म उतनी बेहतर
नह ; म बेकार ’, अपने शरीर को आ म-घृणा क िलए क ीय िबंदु क प म इ तेमाल करती ह। एक
तर पर वे कहती ह, ‘यिद म बस पया दुबली भी होती तो वे मुझे यार करते।’ लेिकन इससे कछ नह
होता।
कोई भी चीज बाहर से काम नह करती। आ मानुमोदन और आ म- वीकायता इसक कजी ह।
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आथराइिटस ऐसी बीमारी ह, जो लगातार आलोचना से आती ह। सबसे पहले अपनी आलोचना, िफर दूसर
क आलोचना। आथराइिटस से पीि़डत लोग अपनी ओर काफ आलोचना को े रत करते ह, य िक
आलोचना उनक अपने ि कोण म ह। वे ‘परफ टिन म’, यानी हर थित म हर समय िबलकल सही होने
क आव यकता से पीि़डत होते ह।
या आप इस पृ वी पर िकसी ऐसे य को जानते ह, जो परफ ट ह?म नह जानती। हम ऐसे मानक
य िनधा रत करते ह, जो कहते ह िक हम िसफ वीकाय बनने क िलए ‘महामानव’ होना होगा? यह ‘उतना
अ छा न होने’ क एक सश अिभ य ह और ढोने क िलए ब त भारी बोझ ह।
दमा को हम ेम को दबानेवाला मानते ह। ऐसी भावना होती ह िक आपको अपने िलए साँस लेने का
अिधकार नह ह। दमा से पीि़डत ब े अकसर ‘अितिवकिसत िववेक’ से त होते ह। उनक वातावरण म जो
गलत लगता ह, वे उसक िलए अपराध-बोध से त हो जाते ह। वे खुद को ‘बेकार’ महसूस करते ह और
इसिलए अपराध-बोध से पीि़डत हो जाते ह और उ ह सजा क आव यकता होती ह।
दमा म कभी-कभी भौगोिलक उपचार काम आते ह, खासकर यिद प रवार साथ नह होता।
आम तौर पर दमा से पीि़डत ब े बड़ होकर अपनी बीमारी से बाहर आ जाते ह। इसका मतलब िक वे
कल चले जाते ह, शादी कर लेते ह या घर छोड़ देते ह और रोग गायब हो जाता ह। अकसर जीवन म कभी
कोई अनुभव उनक अंदर एक पुरानी भावना को जगा देता ह तथा उ ह एक और अटक आ जाता ह। जब
ऐसा होता ह तो वे वा तव म वतमान प र थितय क ित िति या य नह कर रह होते ह ब क उनक
बचपन म जो होता था, उसक िति या म ऐसा करते ह।
फोड़-फिसयाँ, खर च, बुखार, ज म, पीड़ा और सूजन—ये सब शरीर म ोध क अिभ य याँ ह। ोध
अिभ य होने का रा ता खोज लेती ह, चाह हम उसे दबाने का िकतना भी यास कर। अंदर भरा धुआँ
िनकालना ब त ज री ह। हम अपने गु से से डरते ह िक हम अपनी दुिनया को न न कर द, लेिकन ोध
को बस यह कहते ए बाहर िनकाला जा सकता ह िक ‘म इस बार म ोिधत ।’ सच ह, हम अपने बॉस
को हमेशा ऐसा नह कह सकते। लेिकन हम िब तर को घूँसे मार सकते ह या कार म िच ा सकते ह या
टिनस खेल सकते ह। ये शारी रक प से गु से को बाहर िनकालने क हािन-रिहत तरीक ह।
आ या मक लोग अकसर यह मानते ह िक उ ह ोिधत नह होना चािहए। सच ह, हम सब ऐसे समय क
िलए यास कर रह ह, जब हम अपनी भावना क िलए दूसर को दोषी न ठहराएँ; लेिकन जब तक हम
वहाँ प च, तब तक इस पल म हम जो महसूस कर रह ह, उसे वीकार करना व थ आदत ह।
कसर ऐसा रोग ह, जो लंबे समय तक िकसी गहरी नाराजगी ारा उ प होता ह, जब तक िक वह पूरी
तरह शरीर को न नह कर देता। बचपन म कछ ऐसा होता ह जो िव ास क भावना को न कर देता ह।
वह अनुभव कभी भुलाया नह जाता और वह य आ म-दया क भावना क साथ जीता ह और थायी,
अथपूण संबंध िवकिसत करना और बरकरार रखना किठन पाता ह। उन िव ास क वजह से जीवन
िनराशा का म लगता ह। िनराशा, असहायता व ित क भावना सोच म या हो जाती ह और अपनी
सभी सम या क िलए दूसर को दोषी ठहराना आसान हो जाता ह। कसर से पीि़डत लोग अपनी आलोचना
भी ब त करते ह। मेर िलए अपने आपसे ेम करना और खुद को वीकार करना कसर क उपचार क िलए
सबसे मह वपूण ह।
मोटापा सुर ा क आव यकता का ितिनिध व करता ह। हम दुःख , कमजो रय , आलोचना, दु यवहार,
से सुअिलटी और छड़छाड़ से सुर ा चाहते ह; सामा य तौर पर और िवशेष प से भी जीवन क डर से।
म मोटी नह , िफर भी मने इन वष म सीखा ह िक जब म असुरि त महसूस कर रही होती और सहज
नह होती तो मेरा वजन कछ बढ़ जाता ह। जब यह असुर ा चली जाती ह तो अित र वजन अपने आप
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कम हो जाता ह।
मोटापे से लड़ना समय और ऊजा क बरबादी ह। डाइिटग से कोई लाभ नह होता। आप जैसे वह रोकते
ह, वजन वापस आ जाता ह। अपने आपसे यार और अपने आपको वीकार करना, जीवन क ि या पर
िव ास करना और सुरि त महसूस करना य िक आप अपने मन क श को पहचानते ह, सबसे बड़ी
डाइिटग ह। नकारा मक िवचार को छोड़ द, आपका वजन अपने आप ठीक हो जाएगा।
कई माता-िपता ब े क मुँह म खाना ठसते ह, चाह सम या जो भी हो। ये ब े बड़ होकर, जब भी उनक
सामने कोई सम या आती ह, एक खुले रि जरटर क सामने खड़ होते ह और यह कहते ह, ‘म नह जानता
िक म या चाहता ।’
मेर िलए िकसी भी कार क पीड़ा अपराध-बोध का संकत ह। अपराध-बोध हमेशा सजा माँगता ह और
सजा से पीड़ा होती ह। थायी पीड़ा थायी अपराध-बोध से आती ह, जो अकसर इतनी गहरी दबी होती ह िक
हम अब उसक बार म पता भी नह होता।
अपराध-बोध एक पूरी तरह बेकार भावना ह। वह कभी िकसी को अ छा नह महसूस कराता, न ही िकसी
प र थित को बदल सकता ह।
आपक सजा अब समा हो चुक ह, इसिलए अपने आपको जेल से िनकाल। मा करना कवल छोड़
देना और जाने देना होता ह।
ोक खून क थ होते ह; म त क म र - वाह म संकचन जो म त क को र क आपूित रोक देता
ह।
म त क शरीर का क यूटर ह। र खुशी ह। िशराएँ और धमिनयाँ खुशी क माग ह। सबकछ ेम क
िनयम तथा ि या क अंतगत काम करता ह। इस ांड क बु म ा क हर कण म ेम ह। ेम और खुशी
को अनुभव िकए िबना ठीक से काम करना असंभव ह।
नकारा मक सोच म त क को अव कर देता ह और ेम तथा खुशी को मु व खुले प से वािहत
होने का अवसर नह िमलता।
हा य को यिद मु और मूखतापूण होने न िदया जाए तो वह खुलकर वािहत नह हो सकता। यही बात
ेम और खुशी क साथ ह। जीवन दुःखमय नह ह जब तक िक हम उसे ऐसा न बनाएँ, जब तक िक हम उसे
इस प म देखना न चाह। हम छोट से दुःख म भारी िवपदा तलाश सकते ह और हम बड़ी-से-बड़ी ासदी म
थोड़ी सी खुशी ढढ़ सकते ह। यह हमार ऊपर ह।
कभी-कभी हम अपने जीवन को एक खास िदशा म जाने क िलए िववश करते ह, जब वह हमार िहत म
नह होता। कभी-कभी हम िबलकल िभ िदशा म जाने क िलए अपने आपको िववश करने क िलए, अपनी
जीवन-शैली का पुनमू यांकन करने क िलए दवाब उ प करते ह।
शरीर क अकड़न मन-म त क क अकड़न होती ह। डर हम पुराने तरीक से िचपक रहने क िलए े रत
करता ह और हम लचीला होना किठन लगता ह। यिद हम मानते ह िक कछ करने क िलए ‘कवल एक
रा ता’ ह तो हम अकसर खुद को स त बनता आ देखते ह। हम हमेशा कछ करने क िलए दूसरा रा ता
िमल सकता ह। वज िनया सािटर और बरतन धोने क उनक 250 तरीक याद क िजए।
यान दीिजए िक शरीर म अकड़न कहाँ पर ह, मानिसक ि कोण क मेरी सूची म उसे देख और वह
बताएगा िक अपने मन म आप कहाँ पर स त और अि़डयल ह।
सजरी का अपना थान ह। वह टटी ह य और दुघटना तथा ऐसी थितय क िलए अ छी ह। इन
थितय म ऑपरशन आसान हो सकता ह और सारा मानिसक उपचार काय इस बात का यान रखने म
कि त िकया जा सकता ह िक वह थित िफर से उ प न हो।
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Aaple Vachnalay
िचिक सा जग म हर िदन अिधक-से-अिधक असाधारण लोग आ रह ह जो मानवता क सेवा करने म पूण
प से समिपत ह। अिधक-से-अिधक िचिक सक उपचार क होिल टक (संपूण) तरीक क ओर मुड़ रह ह,
यानी वे पूर य का इलाज करते ह। िफर भी अिधकतर डॉ टर िकसी बीमारी क कारण पर यान नह देते;
वे िसफ ल ण , भाव का उपचार करते ह।
वे ऐसा दो प म से एक म करते ह—वे जहर देते ह या काटते ह। सजन काटते ह और यिद आप सजन
क पास जाते ह, वे सामा यतः काटने क िसफा रश करते ह। हालाँिक, यिद सजरी का फसला िकया गया ह
तो खुद को उस अनुभव क िलए तैयार कर, तािक वह यथासंभव आसानी से हो सक और आप यथासंभव
तेजी से ठीक हो सक।
सजन और टाफ को इसम अपनी मदद करने को कह। ऑपरशन क म सजन और उनका टाफ
अकसर इस बात से अनजान होता ह िक हालाँिक रोगी अचेत ह, पर वह अवचेतन तर पर, कही जा रही हर
बात सुन और समझ सकता ह।
मने एक आधुिनक नेता को यह कहते सुना िक उ ह िकसी आपातकालीन सजरी क आव यकता थी और
ऑपरशन से पहले उ ह ने सजन तथा एने थीिसयोलॉिज ट से बात क । उ ह ने उ ह ऑपरशन क दौरान सुगम
संगीत बजाने को और लगतार उनसे तथा एक-दूसर से सकारा मक बात करने को कहा। उ ह ने रकवरी क
म नस से ऐसा ही करने को कहा, इसिलए ऑपरशन आसानी से हो गया और उसक रकवरी तेज और सहज
थी।
अपने ाहक को म हमेशा सुझाव देती िक वे ऐसी ित ा कर, ‘अ पताल म मुझे पश करनेवाला हर
हाथ मेरा उपचार करता ह और िसफ ेम अिभ य करता ह’ और ‘ऑपरशन तेजी से, आसानी से और
िबलकल सही ढग से होता ह।’ एक और शपथ यह ह, ‘म हर समय पूरी तरह सहज ।’
सजरी क बाद िजतना संभव हो, कछ सौ य और खुशनुमा संगीत बजने द और अपने आपको आ त
कर, ‘म तेजी से, सहज प म और सही ढग से ठीक हो रहा ’। अपने आपसे कह, ‘हर िदन म और बेहतर
महसूस कर रहा ।’
यिद कर सक तो अपने िलए सकारा मक िन य क ंखला का एक टप तैयार कर। अ पताल म अपना
टप रकॉडर ले जाएँ और आराम करने और ठीक होने क ि या क दौरान उसे बार-बार सुन। पीड़ा पर
नह , अनुभूितय पर यान द। अपने दय से ेम को अपनी बाँह और हाथ से होकर वािहत होने क
क पना कर। िजस अंग का उपचार हो रहा ह, उस पर हाथ रख और उस थान से कह, ‘म तु ह ेम करता
और म तु ह अ छा होने म मदद कर रहा ।’
शरीर म सूजन भावना मक िवचार म अव होने और ठहराव को दरशाता ह। हम ऐसी प र थितयाँ
उ प करते ह, िजनम हम चोट प चती ह और हम उन याद से िचपक रहते ह। सूजन अकसर दबे ए
आँसु , अव और फसा आ महसूस करने या अपने ितबंध क िलए दूसर को दोषी ठहराने से होता
ह।
अतीत को छोड़ द, उसे धुल जाने द। अपनी श वापस ल। जो आप नह चाहते, उस पर िनभर होना बंद
कर द। आप जो चाहते ह, उसे उ प करने क िलए अपने म त क का इ तेमाल कर। अपने आपको जीवन
क लहर क साथ आगे बढ़ने द।
यूमर झूठा िवकास ह। एक सीप रत का एक छोटा सा कण लेती ह और अपने आपको सुरि त करने क
िलए उसक आस-पास एक कठोर और चमक ली परत िवकिसत कर देती ह। हम उसे मोती कहते ह और
उसे ब त खूबसूरत मानते ह।
हम िकसी पुरानी चोट को अपना लेते ह और उसका पालन-पोषण करते ह और उससे पपड़ी उतारते रहते
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ह, समय आने पर हम यूमर हो जाता ह।
म इसे पुरानी िफ म चलाना कहती । मेरा मानना ह िक मिहला म गभाशय म ब त सार यूमर होने
का कारण यह ह िक वे िकसी भावना मक चोट, अपने ी व पर ए हार को अपना लेती ह और उसे
पालती-पोसती ह। म इसे ‘उसने मेर साथ बुरा िकया’ िसं ोम कहती ।
िसफ िकसी र ते क ख म हो जाने का मतलब यह नह ह िक हमार साथ कछ गलत ह, न ही वह हमारा
मह व कम कर देता ह।
या आ, यह मह वपूण नह ह; हम उसक ित कसी िति या य कर रह ह, वह मायने रखता ह।
हम सब अपने सभी अनुभव क िलए वयं िज मेदार ह। अपनी ओर अिधक ेम भर यवहार को आकिषत
करने क िलए आपको अपने बार म िकन धारणा को बदलने क ज रत ह?
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इस जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।
म अपने शरीर को एक अ छा िम मानता ।
मेर शरीर क हर कोिशका म िद य ान ह।
म सुनता , जो वह मुझे बताता ह और जानता िक उसक सलाह सही ह
म हमेशा सुरि त और िद य श ारा सुरि त और े रत
म व थ और मु रहना चाहता
मेरी दुिनया म सबकछ अ छा ह।

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Aaple Vachnalay
सूची क बार म
इस सूची म िपछला बड़ा संशोधन वष 1988 म आ था। मुझे अब भी नई बीमा रय , जैसे फाइ ोमाइ जया क िलए मानिसक ि कोण क बार
म पूछने वाले मेल आते ह। हालाँिक, मुझे और ि कोण जोड़ने क कोई आव यकता नह लगती।
मने यह सीखा ह िक रोग को उ प करनेवाले िसफ दो मानिसक ा प ह—भय और ोध। ोध अधीरता, िचढ़, कठा, आलोचना,
नाराजगी, ई या या कड़वाहट क प म दिशत होता ह। ये सब िवचार शरीर को िवषैला बनाते ह। जब हम इस बोझ को छोड़ते ह तो हमार शरीर
क सभी अंग ठीक से काय करना शु कर देते ह। भय िकसी कार का तनाव, याकलता, बेचैनी, िचंता, संदेह, असुर ा, पया अ छा महसूस
न करना या अयो य महसूस करना होता ह। या आप इनम से कोई िवचार रखते ह? यिद हम व थ होना चाहते ह तो हम भय क बदले िव ास
को लाना चािहए।
िकस चीज म िव ास? जीवन म िव ास म मानती िक हम एक ‘सकारा मक’ ांड म रहते ह। चाह हम जो भी मानना या सोचना चाह,
ांड हम हमेशा ‘हाँ’ कहता ह। यिद हम गरीबी क बार म सोचते ह तो ांड उसे ‘हाँ’ कहता ह। यिद हम संप ता क बार म सोचते ह तो
ांड उसे ‘हाँ’ कहता ह। इसिलए हम यह सोचना और मानना चाहते ह िक हम व थ रहने का अिधकार ह िक वा य हमार िलए वाभािवक
बात ह। ांड हमारा समथन करगा और इस धारणा को ‘हाँ’ कहगा। ‘हाँ कहनेवाला य ’ बन और जान जाएँ िक आप एक ‘हाँ’ कहनेवाली
दुिनया म रहते ह और ांड भी हाँ कह रहा ह।
यिद आपको कोई ऐसी बीमारी ह, जो यहाँ पर सूचीब नह ह तो खुद अपनी जाँच कर और उपचार कर। खुद से पूछ, ‘ या यह भय का
एक प ह, या यह ोध का एक प ह? या आप उन िवचार को छोड़ने क िलए तैयार ह? या आप इन िवचार क बदले सकारा मक िन य
करना चाहते ह? अपने आपसे यार करने से भी आप अपने शरीर क उपचार म ब त योगदान दे सकते ह, य िक ेम उपचार करता ह।
तो आप अपने आपसे िकस कार ेम करते ह? सबसे पहले और सबसे मह वपूण बात यह ह िक अपनी और दूसर क हर कार क
आलोचना करना छोड़ द। आप जैसे ह, उसी प म अपने आपको वीकार कर। अपनी िजतनी शंसा कर सक, कर। आलोचना अंद नी उ साह
को तोड़ देता ह; शंसा उसे बनाता ह। अकसर दपण म खुद को देख और बस यह कह, ‘म तु ह ेम करता , म वा तव म तु ह ेम करता ।’
यह शु म किठन लग सकता ह, लेिकन अ यास करते रह और ज दी ही आपको यही लगेगा और आप अपने श द को महसूस करने लगगे।
अपने आपको यथासंभव ेम कर और जीवन इस ेम को आपको वापस कर देगा।
वैसे, फाइ ोमाइ जया एक कार का भय ह, जो तनाव क कारण अ यिधक दबाव क प म दिशत होता ह।
—लुइस ह
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सूची
‘म व थ, संपूण और प रपूण ।’
जैसे-जैसे आप मेरी पु तक ‘हील योर बॉडी’ से ली गई िन निलिखत सूची को पढ़ तो देिखए िक आपको जो
बीमा रयाँ रही ह या अभी ह और मने जो संभािवत कारण बताए ह, उनक बीच आप कोई संबंध पाते ह या
नह ।
जब भी आपको कोई शारी रक सम या हो तो इस सूची को इ तेमाल करने का एक अ छा तरीका ह—
1. मानिसक कारण को देख। देख िक वह आपक िलए सच हो सकता ह। यिद नह तो चुपचाप बैठ और
अपने आपसे पूछ, ‘मेर कौन से िवचार ह, िज ह ने इस कारण को ज म िदया?’
2. अपने आपसे दुहराएँ, ‘म अपनी चेतना म इस ि कोण को छोड़ना चाहता , िजसने इस थित को
उ प िकया ह।’
3. नई िवचार- ि या को अपने सामने कई बार दुहराएँ।
4. क पना क िजए िक आप उपचार क ि या म ह।
जब भी आप अपनी थित क बार म सोच, इस ि या को दुहराएँ।
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सम या : पेट म मरोड़
संभािवत कारण : भय। ि या को रोकना।
नई िवचार ि या : म जीवन क ि या म िव ास करता । म सुरि त ।

सम या : फोड़
संभािवत कारण : चोट , अपमान और ितशोध क भावनाएँ िवकिसत करना।
नई िवचार ि या : म अपने िवचार को वतं करना चाहता । अतीत गुजर चुका ह। म अब शांत ।

सम या : दुघटनाएँ
संभािवत कारण : अपने िलए बोलने म असमथता। अिधका रय क िखलाफ िव ोह। िहसा म िव ास।
नई िवचार ि या : म इसे उ प करनेवाले अपने िवचार को छोड़ता । म शांत । म मह वपूण ।

सम या : दद
संभािवत कारण : ेम क चाह। बाँह म िलये जाने क चाह।
नई िवचार ि या : म अपने आपको यार और वीकार करता । म दूसर से ेम करता और ेम िकए जाने यो य ।

सम या : मुहाँसे
संभािवत कारण : अपने आपको वीकार न करना। खुद को पसंद न करना।
नई िवचार ि या : म जीवन क िद य अिभ य । म जहाँ और जैसा वयं को ेम और वीकार करता । क यो य ।

सम या : लत
संभािवत कारण : अपने आपसे भागना। भय। खुद से ेम करने का तरीका पता न होना।
नई िवचार ि या : म अब जान गया िक म िकतना अ छा । म अपने आप से यार करता और आनंद उठाना चाहता ।

सम या : एिडसंस रोग देिखए : एि नल संबंधी सम याएँ


संभािवत कारण : गंभीर भावना मक कपोषण। अपने आप पर ोध।
नई िवचार ि या : म यार से अपने शरीर, अपने मन और अपनी भावना का खयाल रखता ।

सम या : कठ शूल
संभािवत कारण : प रवार म अनबन, बहस, ब े को अवांिछत महसूस होना।
नई िवचार ि या : यह ब ा वांछनीय ह और हम इसे गहराई से ेम करते ह।

सम या : एि नल संबंधी सम याएँ। देख : एिडसंस रोग, किशंग रोग


संभािवत कारण : हार मान लेना। अपना खयाल न करना। बेचैनी।
नई िवचार ि या : म वयं को ेम और वीकार करता । मेर िलए अपना खयाल रखना सुरि त ह।

सम या : बढ़ती उ क सम याएँ
संभािवत कारण : सामािजक आ थाएँ। पुरानी सोच। अपना य व दरशाने से भय। वतमान को नकारना।
नई िवचार ि या : म हर आयु म खुद से ेम और अपने आपको वीकार करता । जीवन का हर ण िबलकल पूण ह।

सम या : ए स
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संभािवत कारण : असहाय और िनराश महसूस करना। कोई खयाल नह रखता। अ छा न होने क सश धारणा। अपने आपको नकारना। यौन
संबंधी अपराध-बोध।
नई िवचार ि या : म ांड का एक िह सा । म मह वपूण और जीवन मुझे यार करता ह। म श शाली और स म । म अपने आप
को पूरी तरह से ेम और अपनी सराहना करता ।

सम या : शराबखोरी
संभािवत कारण : म बेकार । िनरथकता, अपराध-बोध, अपया ता, अपने आपको खा रज करने क भावना।
नई िवचार ि या : म वतमान म जीता । हर ण नया ह। म अपना मह व देखना चाहता । म अपने आपको ेम और वीकार करता ।

सम या : एलज —देख : परागज


संभािवत कारण : आपको िकस चीज से एलज ह? अपनी
नई िवचार ि या : दुिनया सुरि त और िम व ह। म सुरि त । म जीवन क साथ

सम या : र (ह फ वर)
संभािवत कारण : श से इनकार करना।
नई िवचार ि या : शांितपूण ।

सम या : अ जाइमर रोग देख : मनो ंश, बुढ़ापा


संभािवत कारण : दुिनया से उसक वा तिवक प म से इनकार। िनराशा और असहायता। ोध। यवहार रखने
नई िवचार ि या : जीवन का अनुभव करने क िलए मेर पास हमेशा एक नया और बेहतर रा ता ह। म अतीत को माफ करता और छोड़ता
। म खुशी क ओर बढ़ता ।

सम या : मािसक ावरोध देख : ी रोग, मािसक धम संबंधी सम याएँ


संभािवत कारण : ी होने म अ िच। अपने आपको पसंद न करना।
नई िवचार ि या : म अपने अ त व से खुश । म जीवन क एक खूबसूरत अिभ य , जो हमेशा उपयु प से वािहत होती ह।

सम या : मृित-लोप
संभािवत कारण : भय। जीवन से भागना। अपने िलए खड़ होने म असमथता।
नई िवचार ि या : बु म ा, साहस और आ मिव ास हमेशा मेर साथ होते ह। जीिवत रहना सुरि त ह।

सम या : एिमयो ोिफक लेटरल कलेरोिसस (लो गैह र स रोग)


संभािवत कारण : अपने मह व को वीकार करने म अिन छा। सफलता को नकारना।
नई िवचार ि या : म जानता िक म मह वपूण । मेर िलए सफल होना सुरि त ह। जीवन को मुझसे ेम ह।

सम या : एनीिमया (र ा पता)
संभािवत कारण : ‘हाँ, लेिकन’ वाला रवैया। खुशी का अभाव, जीवन का डर, अ छा महसूस न करना।
नई िवचार ि या : मेर िलए जीवन क येक े म खुशी का अनुभव करना सुरि त ह। म जीवन से ेम करता ।

सम या : टखना
संभािवत कारण : लचीलेपन का अभाव और अपराध-बोध। टखने खुशी ा करने क मता को दरशाते ह।
नई िवचार ि या : म जीवन म खुश होने का हकदार । म जीवन क हर खुशी को वीकार करता ।

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सम या : एनोर टल लीिडग (हीमेटोचीिजया)
संभािवत कारण : ोध और कठा।
नई िवचार ि या : मुझे जीवन क ि या पर िव ास ह। मेर जीवन म िसफ सही और अ छी चीज हो रही ह।

सम या : एनोर सया देख : ुधा का अभाव


संभािवत कारण : अपने आपको नकारना। अ यंत भय। आ म-घृणा और अ वीकित।
नई िवचार ि या : अपना अ त व सुरि त ह। म इस प म अ ुत । म जीिवत रहना चाहता/चाहती । म खुशी और आ म- वीकायता
को चुनता/चुनती ।

सम या : गुदा देख : बवासीर फोड़ लीिडग देख : एनोर टल लीिडग नासूर


संभािवत कारण : िनकलने का िबंदु, कड़ा डालने का थान। आप जो चीज नह छोड़ना चाहते, उसक संबंध म ोध। बेकार चीज को पूरी तरह
न यागना। अतीत क गंदगी को पकड़ रहना।
नई िवचार ि या : म आसानी और सहजता से वह सब छोड़ता , िजसक अब मुझे जीवन म आव यकता नह ह।अतीत को भूल जाना
सुरि त ह। मुझे िजस चीज क आव यकता नह ह, बस वह मेर शरीर से जा रहा ह। म यार से अतीत को छोड़ता । म मु । म ेम ।

सम या : खुजली दद
संभािवत कारण : अतीत को लेकर अपराध-बोध। पछतावा अपराध-बोध। सजा क इ छा। अ छा महसूस न करना।
नई िवचार ि या : म यार से अपने आपको मा करता । म मु । अतीत बीत चुका ह। म अपने आपको वतमान म यार और वीकार
करना चाहता ।

सम या : िचंता
संभािवत कारण : जीवन क वाह और ि या पर िव ास न होना।
नई िवचार ि या : म खुद से ेम और अपने आपको वीकार करता तथा जीवन क ि या पर िव ास करता । म सुरि त ।

सम या : उदासीनता
संभािवत कारण : भावना का िवरोध। िन य हो जाना। भय।
नई िवचार ि या : महसूस करना सुरि त ह। म जीवन क ित खुला ि कोण रखता । म जीवन का अनुभव करने का इ छक ।

सम या : अपिडसाइिटस
संभािवत कारण : भय। जीवन का भय। अ छाई क वाह को अव करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म आराम महसूस करता और जीवन को खुशी से आगे बढ़ने देता ।

सम या : भूख अिधक भूख लगना


संभािवत कारण : भय। सुर ा क आव यकता महसूस करना। भावना को िनयंि त करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । भावनाएँ महसूस करना सुरि त ह। मेरी भावनाएँ सामा य और वीकाय ह।

सम या : भूख क कमी देख : एनोर सया


संभािवत कारण : भय। अपने आपको सुरि त करना। जीवन पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म वयं से ेम और अपने अ त व को वीकार करता । म सुरि त । जीवन सुरि त और खुशहाल ह।

सम या : बाँह (ह)

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संभािवत कारण : जीवन क अनुभव को हण करने क मता को दरशाती ह।
नई िवचार ि या : म सहजता व खुशी से ेमपूवक अपने अनुभव को हण और वीकार करता ।

सम या : धमिनयाँ
संभािवत कारण : जीवन क खुिशय को वहन करती ह।
नई िवचार ि या : म स ता से भरा आ । वह मेर िदल क हर धड़कन क साथ मेर अंदर वािहत होता ह।

सम या : धमनी कािठ य (आिट रयो ेरोिसस)


संभािवत कारण : ितरोध, तनाव, स त संक णता, उ म को देखने से इनकार करना।
नई िवचार ि या : म जीवन और खुशी को अपनाने क िलए पूण प से तैयार । म ेम से देखना चाहता ।

सम या : आथ रिटक िफगस
संभािवत कारण : सजा देने क इ छा, दोषारोपण, खुद को पीि़डत मानना।
नई िवचार ि या : म ेम और समझ क साथ देखता । म अपने सभी अनुभव को ेम क रोशनी म रखता ।

सम या : संिधशोथ (आथराइिटस) देख : जोड़


संभािवत कारण : यह महसूस होना िक कोई यार नह करता। आलोचना, नाराजगी।
नई िवचार ि या : म ेम । म अब खुद को ेम और वीकार करता । म दूसर को ेम से देखता ।

सम या : ासावरोध देख : साँस लेने संबंधी सम याएँ, हाइपरविटलेशन


संभािवत कारण : भय। जीवन क ि या पर िव ास न करना। बचपन म अटक रहना।
नई िवचार ि या : बड़ होने म कोई डर नह ह। दुिनया सुरि त ह। म सुरि त ।

सम या : दमा िशशु वब म
संभािवत कारण : ेम को दबाना। अपने अ त व क िलए साँस लेने म असमथता। दम घुटना। आँसु को दबाना।
नई िवचार ि या : अब अपने जीवन का भार लेना मेर िलए सुरि त ह। म मु होना चाहता

सम या : एथली स फट
संभािवत कारण : वीकार न िकए जाने पर कठा। सहजता से आगे बढ़ने म असमथता।
नई िवचार ि या : म खुद को ेम और वीकार करता । म अपने आपको आगे जाने क अनुमित देता । आगे बढ़ने म कोई भय नह ह।

सम या : पीठ
संभािवत कारण : जीवन क समथन का ितिनिध व करता ह।
नई िवचार ि या : म जानता िक जीवन हमेशा मेरा समथन करता ह।

सम या : पीठ संबंधी सम याएँ िनचला भाग, म य भाग, ऊपरी भाग


संभािवत कारण : पैसे का डर। िव ीय सहयोग का अभाव। अपराध-बोध। अतीत म अटक रहना। ‘मेरी पीठ से उतरो’। आिथक सहयोग का
अभाव। यह महसूस न करना िक कोई यार नह करता। ेम को दबाकर रखना।
नई िवचार ि या : म जीवन क ि या पर भरोसा करता । मेरी हर आव यकता क पूित होती ह। म सुरि त । म अतीत को छोड़ता । म
अपने िदल म यार लेकर आगे बढ़ने क िलए वतं । म खुद को ेम और वीकार करता । जीवन मुझे समथन और यार देता ह।

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Aaple Vachnalay
सम या : साँस क दुगध देख : हिलटोिसस
संभािवत कारण : ोध और ितशोध क िवचार। अनुभव ारा पीछा करना।
नई िवचार ि या : म ेम क साथ अतीत को छोड़ता । म िसफ यार य करना चाहता ।

सम या : संतुलन खो देना
संभािवत कारण : िबखर ए िवचार। एका ता का अभाव।
नई िवचार ि या : म सुर ा म यान कि त करता और अपने जीवन क संपूणता को वीकार करता । सब कशल ह।

सम या : गंजापन
संभािवत कारण : भय। तनाव। सबकछ को िनयंि त करने का यास करना। जीवन क ि या पर िव ास न करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म खुद को ेम और वीकार करता । म जीवन पर िव ास करता ।

सम या : िब तर गीला करना (ऐनूरिसस)


संभािवत कारण : माता-िपता, आमतौर पर िपता का भय।
नई िवचार ि या : इस ब े को क णा और समझदारी क साथ ेम क ज रत ह। सब कशल ह।

सम या : डकार
संभािवत कारण : भय। जीवन को अिधक तेजी से िनगलना।
नई िवचार ि या : म जो भी करना चाहता , उसक िलए काफ समय और थान ह। म सहज ।

सम या : बे स पा सी देख : पा सी, लकवा


संभािवत कारण : ोध पर अित िनयं ण। भावना को य करने क अिन छा।
नई िवचार ि या : मुझे भावनाएँ य करने म कोई डर नह ह। म अपने आपको माफ करता ।

सम या : ज म
संभािवत कारण : जीवन क चलिच क इस भाग म वेश का ितिनिध।
नई िवचार ि या : यह िशशु अब एक खुशहाल और अ ुत नया जीवन शु कर रहा ह। सब कशल ह।

सम या : िवकार
संभािवत कारण : कािमक। आपने इस प म आना चुना ह। हम अपने माता-िपता और अपने ब को चुनते ह। अपूण काय।
नई िवचार ि या : हमारी िवकास- ि या क िलए हर अनुभव िबलकल उपयु ह। म जहाँ , वहाँ म शांित से ।

सम या : दंश, पशु, क ड़ा
संभािवत कारण : भय। हर मामूली चीज क िलए तैयार। ोध का अंदर क ओर मुड़ना। सजा क ज रत छोटी चीज पर अपराध-बोध।
नई िवचार ि या : म खुद को माफ करता और अब खुद को अिधक ेम करता । म मु । म सभी क िचड़िचड़पन से मु । सब
कशल ह।

सम या : लैकहड
संभािवत कारण : ोध क छोट आवेग।
नई िवचार ि या : म अपने िवचार को शांत करता और म शांत ।

आपले वाचनालय

Aaple Vachnalay
सम या : लाडर संबंधी सम याएँ (िस टाइिटस)
संभािवत कारण : बेचैनी। पुराने िवचार को न छोड़ना। धारणा को छोड़ने म भय।
नई िवचार ि या : म सहज प से तथा आसानी से पुराने िवचार को छोड़ता और अपने जीवन म नवीन िवचार का वागत करता । म
सुरि त ।

सम या : र ाव
संभािवत कारण : समा होती खुशी। ोध। लेिकन कहाँ?
नई िवचार ि या : म लयब पम य और ा करता जीवन क खुशी ।

सम या : मसूड़ से खून आना


संभािवत कारण : जीवन म िकए गए िनणय पर स ता का अभाव
नई िवचार ि या : म मानता िक मेर जीवन म हमेशा सही चीज हो रही ह। म शांत ।

सम या : फफोले
संभािवत कारण : ितरोध। भावना मक सुर ा का अभाव।
नई िवचार ि या : म सहजता से जीवन क वाह और हर नए अनुभव क साथ आगे बढ़ता । सब कशल ह।

सम या : र
संभािवत कारण : शरीर म मु प से वािहत होती स ता का ितिनिध व करता ह।
नई िवचार ि या : म य और ा जीवन क खुशी ।

सम या : र चाप, उ , (हाइपरटशन), िन न
संभािवत कारण : लंबे समय से जारी भावना मक सम या, िजसका समाधान नह आ। बचपन म ेम का अभाव। हार मानना। ‘लाभ या ह?
जो भी हो, यह काम नह होगा।’
नई िवचार ि या : म खुशी से अतीत को छोड़ता । म शांत । म अब खुशहाल वतमान म रहना चाहता । मेरा जीवन एक खुशी ह।

सम या : र संबंधी सम याएँ देख : यूक िमया


संभािवत कारण : खुशी का अभाव। िवचार क प रसंचरण का अभाव।
नई िवचार ि या : नए स िवचार मेर भीतर वतं प से संच रत हो रह ह।

सम या : र क कमी, देख : एनीिमया थ बनना


संभािवत कारण : खुशी क वाह को बंद करना।
नई िवचार ि या : म अपने अंदर नए जीवन को जगा रहा । म वािहत हो रहा ।

सम या : शरीर क दुगध
संभािवत कारण : भय। अपने आपको नापसंद करना। दूसर का भय
नई िवचार ि या : म खुद को ेम और वीकार करता । म सुरि त ।

सम या : फोड़ा (फिसयाँ)
संभािवत कारण : ोध। उबल जाना। खौलना।
नई िवचार ि या : म ेम व खुशी को अिभ य करता और म शांत ।
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सम या : ह याँ देख : ककाल
संभािवत कारण : ांड क संरचना का ितिनिध व करती ह।
नई िवचार ि या : मेरी संरचना िबलकल सही ह और म संतुिलत ।

सम या : अ थ-म ा (बोन मैरो)


संभािवत कारण : अपने बार म सबसे गहरी धारणा को दरशाता ह। आप अपना समथन और देखभाल कसे करते ह।
नई िवचार ि या : िद य भावना मेर जीवन क संरचना ह। म सुरि त , सब मुझे ेम करते ह और पूरी तरह समथन देते ह।

सम या : ह य क सम याएँ टटना/ र
संभािवत कारण : भु व क िखलाफ िव ोह।
नई िवचार ि या : मेरी दुिनया म, मेरा अपना भु व ह, य िक म ही , जो अपने म त क से सोचता ।

सम या : िवकित देख : ऑ टयोमाइलाइिटस, ऑ टयोपोरोिसस


संभािवत कारण : मानिसक दबाव और स ती। मांसपेिशयाँ फल नह सकत । मानिसक गितशीलता का अभाव।
नई िवचार ि या : म जीवन म अ छी तरह साँस लेता । म आराम से और जीवन क वाह तथा ि या पर िव ास करता ।

सम या : मल-सम याएँ
संभािवत कारण : यथ व तु क याग को दिशत करता ह। पुरानी और अब अनाव यक हो चुक चीज को छोड़ने का भय।
नई िवचार ि या : जाने देना आसान ह। म मु प से तथा आसानी से पुरानी चीज को छोड़ता और खुशी से नए का वागत करता ।

सम या : म त क
संभािवत कारण : क यूटर, वच बोड जैसा ह।
नई िवचार ि या : म अपने म त क को ेम से संचािलत करता ।

सम या : यूमर
संभािवत कारण : गलत क यूटराइ ड धारणाएँ। िजद। पुराने िवचार को बदलने से इनकार करना।
नई िवचार ि या : मेर िलए अपने म त क क क यूटर को िफर से ो ाम करना आसान ह। पूरा जीवन प रवतन ह और मेरा म त क िचर
नवीन ह।

सम या : तन
संभािवत कारण : ममता और पालन-पोषण तथा पोषण को दरशाता ह।
नई िवचार ि या : म पूण संतुलन म पोषण लेता और देता ।

सम या : तन संबंधी सम याएँ िस ट, गाँठ, दद


संभािवत कारण : अपने आपको पोषण देने से इनकार। हर िकसी को अपने से पहले मानना। अिधक ममता देना। अितसंर ण। भावी होने क
वृि ।
नई िवचार ि या : म मह वपूण । म िगनती म । म अब ेम व खुशी से अपनी देखभाल करती और अपना पोषण करती । म दूसर को
उनक आजादी से काम करने देती । हम सब सुरि त और वतं ह।

सम या : साँस
संभािवत कारण : जीवन म हण करने क मता को दिशत करता ह।

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नई िवचार ि या : म जीवन से ेम करता । जीने म कोई भय नह ह।

सम या : ास संबंधी सम याएँ देख : ासावरोध, हाइपरविटलेशन


संभािवत कारण : पूण प से जीवन जीने से भय या इनकार। जगह घेरने या यहाँ तक िक अपने अ त व क अिधकार को न मानना।
नई िवचार ि या : पूण प से जीवन जीना मेरा ज मिस अिधकार ह। म ेम िकए जाने यो य । म अब जीवन को पूरी तरह जीना चाहता

सम या : ाइ स रोग देख : ने ाइिटस


संभािवत कारण : उस ब े क तरह महसूस करना, जो कोई काम ठीक नह कर सकता और ितभाशाली नह ह। िवफल होने क , ित क
भावना।
नई िवचार ि या : म खुद को ेम करता और पसंद करता । म अपना खयाल रखता । म हर समय पूण ।

सम या : काइिटस देख : सन रोग


संभािवत कारण : प रवार का दूिषत माहौल। बहस और िच ाना। कभी-कभार मौन।
नई िवचार ि या : मेर अंदर और मेर आस-पास शांित व स ावना ह। सब कशल ह।

सम या : खर च (एक मोसेस)
संभािवत कारण : जीवन म छोट-मोट ध खाना। खुद को सजा देना।
नई िवचार ि या : म खुद को यार करता और अपना स मान करता । म वयं क ित दयालु और सौ य । सब कशल ह।

सम या : ुधाितशय (बुलीिमया)
संभािवत कारण : िनराशामय भय। लगातार अपने ित नफरत का भाव ठसना और शु ीकरण।
नई िवचार ि या : म वयं जीवन ारा ेम, पोषण और सहयोग ा कर रहा । मेर िलए जीिवत रहना सुरि त ह।

सम या : गोख
संभािवत कारण : जीवन क अनुभव का सामना करने म खुशी का अभाव।
नई िवचार ि या : म जीवन क अ ुत अनुभव का वागत करने क िलए खुशी से आगे क ओर दौड़ता ।

सम या : जलन
संभािवत कारण : ोध। गु से से जलना, कढ़ना।
नई िवचार ि या : म अपने अंदर और अपने वातावरण म कवल शांित और स ाव उ प करता । म अ छा महसूस करने क यो य ।

सम या : बसाइिटस
संभािवत कारण : दबाया आ गु सा। िकसी को पीटने क इ छा।
नई िवचार ि या : ेम सभी कार क अवांिछत चीज को समा कर देता ह।

सम या : िनतंब
संभािवत कारण : श को दिशत करता ह। ढीले िनतंब का अथ होता ह श क ित।
नई िवचार ि या : म अपनी श को बु म ा से इ तेमाल करता । म मजबूत , म सुरि त । सब कशल ह।

सम या : कठोरता

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संभािवत कारण : स त हो गई अवधारणाएँ और िवचार। भय का मजबूत होना।
नई िवचार ि या : नए िवचार और नए तरीक को देखना और महसूस करना सुरि त ह। म हर अ छी चीज को अपनाना चाहता ।

सम या : कसर
संभािवत कारण : गहरी चोट। लंबे समय से िदल म रखी नाराजगी। कोई गहरा राज या दुःख खाए जा रहा हो। िकसी क ित घृणा को मन म
रखना। ‘फायदा या ह?’
नई िवचार ि या : म ेम से सार अतीत को माफ करता और छोड़ता । म अपनी दुिनया को खुशी से भरना चाहता । म खुद को ेम
और पसंद करता ।

सम या : किडडा (किडडाइिसस) देख : मुँह क छाले, यी ट सं मण


संभािवत कारण : िबखरा आ महसूस करना। कठा और ोध से भरा आ। र त से ब त अपे ाएँ रखना और भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म अपने आपको वह हर कछ करने क इजाजत देता , जो म कर सकता और म जीवन क बेहतरीन चीज पाने क
यो य । म अपने आपको और दूसर को ेम करता तथा उनक सराहना करता ।

सम या : नासूर (ककर सोर)


संभािवत कारण : कट श द को ह ठ म रोक लेना। दोषारोपण।
नई िवचार ि या : म अपने ेम क दुिनया म कवल खुशहाल अनुभव उ प करता ।

सम या : कार िसकनेस देख : मोशन िसकनेस


संभािवत कारण : भय। बंधन। फसे होने क भावना।
नई िवचार ि या : म समय और थान से सहजता से आगे बढ़ रहा । मेर आस-पास कवल ेम ह।

सम या : फोड़
संभािवत कारण : य गत अ याय क बार म िवषैला ोध।
नई िवचार ि या : म अतीत को छोड़ता और अपने जीवन क हर े को ठीक होने का समय देता ।

सम या : कारपल-टनल िसं ोम देख : कलाई


संभािवत कारण : जीवन क अ याय पर ोध और कठा।
नई िवचार ि या : म अब ऐसा जीवन बनाना चाहता , जो खुशहाल और चुर हो। म सहज ।

सम या : मोितयािबंद
संभािवत कारण : खुशी क साथ आगे देखने म अ मता। अँधेरा भिव य।
नई िवचार ि या : जीवन शा त ह और खुिशय से भरपूर ह। म हर पल क ती ा करता ।

सम या : सेलुलाइट
संभािवत कारण : जमा िकया आ गु सा और अपने आपको सजा देना।
नई िवचार ि या : म दूसर को माफ करता । म अपने आपको माफ करता । म ेम करने और जीवन का आनंद उठाने क िलए वतं ।

सम या : सेर ल पा सी देख : पा सी
संभािवत कारण : पूर प रवार को ेम म बाँधने क आव यकता।
नई िवचार ि या : म एक एकजुट, ेिहल और शांितमय पा रवा रक जीवन म योगदान करता । सब कशल ह।

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सम या : सेर ोवे कलर दुघटना देख : ोक
संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : बचपन क रोग
संभािवत कारण : तारीख व सामािजक धारणा और झूठ कानून म भरोसा। ब क आस-पास रहनेवाले बड़ म बचकाना यवहार।
नई िवचार ि या : यह ब ा िद य श ारा सुरि त और ेम से िघरा आ ह। हम मानिसक ितर ा का अिधकार ह।

सम या : कपकपी
संभािवत कारण : मानिसक संकचन, जो बार-बार अंदर-बाहर ख चता ह। पीछ हटने क इ छा। ‘मुझे अकला छोड़ दो।’
नई िवचार ि या : म हर समय सुरि त । ेम मेर चार ओर ह और मेरी सुर ा करता ह। सब कशल ह।

सम या : कोलेिलिथएिसस देख : गाल टोन


संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : कोले टरॉल (एिथरो ीरोिसस)


संभािवत कारण : स ता क रा त को अव करना। खुशी वीकार करने से डरना।
नई िवचार ि या : म जीवन से ेम करता । मेरी खुशी क रा ते पूरी तरह खुले ए ह। ा करना सुरि त ह।

सम या : पुराने रोग
संभािवत कारण : बदलने से इनकार। भिव य का भय। सुरि त महसूस न करना।
नई िवचार ि या : म बदलना और बढ़ना चाहता । म अब एक सुरि त व नया भिव य बनाता ।

सम या : प रसंचरण (सकलेशन)
संभािवत कारण : भावना को महसूस करने और सकारा मक प म भावना को अिभ य करने का तीक।
नई िवचार ि या : म अपनी दुिनया क हर िह से म ेम और खुशी को संच रत करने क िलए वतं । म जीवन से ेम करता ।

सम या : ठड फोड़ ( र से होनेवाले फफोले देख : हरपीज िसं ले स


संभािवत कारण : ोधपूण श द को दबाकर रखना और उ ह अिभ य करने से डरना।
नई िवचार ि या : म िसफ शांितपूण अनुभव को उ प करता , य िक म खुद से ेम करता । सब कशल ह।

सम या : सद -जुकाम (ऊपरी सन रोग) देख : सन रोग


संभािवत कारण : एक साथ ब त कछ होना। मानिसक म, िवकार। छोटी चोट। ‘मुझे हर सद म तीन बार सद -जुकाम लगता ह’, इस कार
क धारणा।
नई िवचार ि या : म अपने म त क को आराम करने और शांित महसूस कर–ने क इजाजत देता । मेर अंदर और मेर चार ओर प ता व
एक पता ह। सब कशल ह।

सम या : पेट दद
संभािवत कारण : िचढ़, अधीरता, माहौल से परशान होना।

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नई िवचार ि या : यह ब ा कवल ेम और ेमपूण िवचार का जवाब देता ह। सब शांितमय ह।

सम या : वृहदां (कोलन)
संभािवत कारण : जोड़ देने का भय। अतीत को पकड़कर रखना
नई िवचार ि या : म आसानी से उन चीज को छोड़ता , िजनक अब मुझे आव यकता नह ह। अतीत बीत चुका ह और म मु ।

सम या : वृहदां शोथ (कोलाइिटस) देख : वृहदां , आँत, यूकस कोलन, पा टक कोलाइिटस


संभािवत कारण : असुर ा क भावना। जो बीत चुका ह, उसे भूलने क सहजता को दरशाता ह।
नई िवचार ि या : म जीवन क सही लय व वाह का िह सा । सबकछ िद य प म सही हो रहा ह।

सम या : कोमा
संभािवत कारण : भय। िकसी चीज या िकसी य से बचना।
नई िवचार ि या : हम सुर ा और यार क साथ आपको घेर ए ह। हम आपक उपचार क िलए जगह बनाते ह। आपसे सब ेम करते ह।

सम या : कोमडोन
संभािवत कारण : गु से का थोड़ा-थोड़ा बाहर आना।
नई िवचार ि या : म अपने िवचार को शांत करता और म शांत ।

सम या : संकलन देख : काइिटस, सद -जुकाम, इ लुएंजा

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : कज टवाइिटस देख : गुलाबी आँख


संभािवत कारण : जीवन म आपको जो िदख रहा ह, उस पर ोध और कठा।
नई िवचार ि या : म ेम क आँख से देखता । इसका स ावपूण समाधान ह और म अब उसे वीकार करता ।

सम या : क ज
संभािवत कारण : पुराने िवचार को छोड़ने से इनकार। अतीत म अटक रहना। कभी-कभार कजूसी।
नई िवचार ि या : जब म अतीत को भूलता तो नई और मह वपूण चीज मेरी दुिनया म वेश करती ह। म जीवन को अपने अंदर वािहत
होने देता ।

सम या : कॉनज
संभािवत कारण : िवचार क स ती—अतीत क दद को िजद म पकड़ रहना।
नई िवचार ि या : म आगे बढ़ता , अतीत से मु होता । म सुरि त , वतं ।

सम या : कोरोनरी बोिसस देख : दयाघात


संभािवत कारण : अकलापन और डरा आ महसूस करना। ‘म उतना अ छा नह । म उतना काम नह कर पाता। म कभी सफल नह हो
पाऊगा।’
नई िवचार ि या : म जीवन क साथ एकाकार । यह ांड पूरी तरह मेरा समथन करता ह। सब कशल ह।

सम या : खाँसी

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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : दुिनया पर चीखने क इ छा। ‘मुझे देखो,
नई िवचार ि या : मुझे सबसे सकारा मक प म देखा और सराहा जाता ह। मुझे यार

सम या : देख : साँस क सम याएँ


संभािवत कारण : मेरी बात सुनो।’
नई िवचार ि या : िमलता ह।

सम या : मरोड़
संभािवत कारण : तनाव। भय। अतीत को पकड़ रहना।
नई िवचार ि या : म िव ाम करता और अपने िदमाग को शांित देता ।

सम या : सुखंडी देख : काइिटस


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : रोना
संभािवत कारण : आँसू जीवन क नदी ह, जो खुशी क साथ दुःख और भय म भी िनकलते ह।
नई िवचार ि या : म अपनी सभी भावना क साथ शांितमय । म खुद को ेम और पसंद करता ।

सम या : किशंग िडजीज देख : एि नल सम याएँ


संभािवत कारण : मानिसक असंतुलन। दूसर को परा त करने क िवचार का अिधक उ प होना। परािजत होने क भावना।
नई िवचार ि या : म यार से अपने मन और शरीर को संतुिलत करता । म अब ऐसे िवचार को चुनता , जो मुझे अ छा महसूस कराते ह।

सम या : कटना देख : चोट, ज म


संभािवत कारण : अपने िनयम का पालन न करने क िलए सजा।
नई िवचार ि या : म अपना जीवन पुर कार से भरपूर बनाता ।

सम या : िस ट
संभािवत कारण : पुराना दद भरा चलिच चलना। उपचार करने से दद होता ह। झूठी वृ ।
नई िवचार ि या : मेर िदमाग क चलिच खूबसूरत ह, य िक म उ ह ऐसा बनाना चाहता । म खुद से ेम करता ।

सम या : िस टक फाइ ोिसस
संभािवत कारण : एक सश धारणा िक जीवन म आपक िलए कछ भी नह ह। ‘बेचारा म’
नई िवचार ि या : जीवन को मुझसे और मुझे जीवन से ेम ह। म अब पूरी तरह और मु प से जीवन को जीना चाहता ।

सम या : िस टाइिटस देख : लाडर सम याएँ

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : बहरापन

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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : नकारना। िजद, अलग-थलग पड़ना। आप या नह सुनना चाहते? ‘मुझे परशान मत करो।’
नई िवचार ि या : म िद य श क बात सुनता और म जो भी सुनने म समथ , उससे खुश होता । म सबक साथ एकाकार ।

सम या : मृ यु
संभािवत कारण : जीवन क चलिच को छोड़कर जाने का तीक।
नई िवचार ि या : म खुशी से अनुभव क नए तर क ओर बढ़ता । सब कशल ह।

सम या : मनो ंश देख : अ जाइमर रोग, बुढ़ापा


संभािवत कारण : दुिनया जैसी ह, वैसे प म उसक साथ यवहार करने से इनकार। िनराशा और ोध।
नई िवचार ि या : म अपनी उपयु जगह म और म हर समय सुरि त ।

सम या : अवसाद
संभािवत कारण : ोध। आपको महसूस होता ह िक आपको इस चीज का अिधकार नह ह। िनराशा।
नई िवचार ि या : म अब दूसर लोग क भय और सीमा से आगे जाता । म अपना जीवन बनाता ।

सम या : मधुमेह (हाइपर लाइसीिमया, मेिलटस)


संभािवत कारण : जो शायद रहा ह, उसक चाह। िनयं ण क अिधक आव यकता। गहरा दुःख। कोई िमठास बाक नह ।
नई िवचार ि या : यह ण खुशी से भरा ह। म अब आज क िमठास का अनुभव करना चाहता ।

सम या : अितसार
संभािवत कारण : भय। ठकराना। भागना।
नई िवचार ि या : मेर वीकार करने, हण करने और िनकालने क यव था िबलकल उपयु ह। मेर जीवन म शांित ह।

सम या : च र आना (वरहीगो)
संभािवत कारण : चंचल, िबखर िवचार। देखने से इनकार।
नई िवचार ि या : म जीवन म अ यंत एका और शांितमय । मुझे जीिवत होने और खुश रहने म सुरि त ।

सम या : आँख क खु क
संभािवत कारण : ोिधत आँख। यार क साथ देखने से इनकार। माफ करने क बजाय मरना पसंद। ेषपूण होना।
नई िवचार ि या : म अपनी इ छा से मा करता । म अपनी आँख म जीवन फकता और क णा तथा समझ से देखता ।

सम या : पेिचश
संभािवत कारण : भय और ती ोध।
नई िवचार ि या : म अपने मन म शांित उ प करता और मेरा शरीर उसे ितिबंिबत करता ह।

सम या : —अमीिबक
संभािवत कारण : यह मानना िक वे आपको पकड़ने क िलए आपक पीछ पड़ ह।
नई िवचार ि या : अपनी दुिनया म म सबसे श शाली और अिधकार- ा । म शांित से ।

सम या : —बैसीलरी
संभािवत कारण : कठोरता और िनराशा।
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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : म जीवन और ऊजा तथा जीने क उ साह से भरा आ ।

सम या : िड मेनो रया देख : ी रोग, मािसक धम संबंधी रोग


संभािवत कारण : अपने आप पर ोध। ी शरीर से या ी से घृणा।
नई िवचार ि या : म अपने शरीर से ेम करती । म अपने आपसे ेम करती । म अपने सभी मािसक च से ेम करती । सब कशल
ह।

सम या : कान
संभािवत कारण : सुनने क मता का ितिनिध।
नई िवचार ि या : म ेम से सुनता ।

सम या : कान दद (ओटीिटस : बा /ईयर कनाल मीिडया/इनर इयर)


संभािवत कारण : ोध। सुनने क इ छा न होना। ब त अशांित। माता-िपता का झगड़ना।
नई िवचार ि या : मेर चार ओर सामंज य ह। म अ छी और खुशनुमा चीज को ेम से सुनता । म ेम का क ।

सम या : एक मोसेस (देख : खर चे)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : ए जीमा
संभािवत कारण : भारी श ुता। मानिसक उ ार।
नई िवचार ि या : मेर आस-पास और मेर अंदर समरसता व शांित, ेम व खुशी समािहत ह। म सुरि त ।

सम या : एडीमा (देख : व जमा होना, सूजन)


संभािवत कारण : आप िकस चीज या िकस य को जाने नह देना चाहते?
नई िवचार ि या : म अपनी इ छा से अतीत को छोड़ता । मेर िलए भूलना सुरि त ह। म अब मु ।

सम या : कहनी (देख : जोड़)


संभािवत कारण : िदशाएँ बदलना तथा नए अनुभव को वीकार करना।
नई िवचार ि या : म सहजता से नए अनुभव , नई िदशा और नए बदलाव क साथ वािहत होता ।

सम या : वात फ ित (एंफाइसीमा)
संभािवत कारण : जीवन म हण करने से भय। ‘जीने क यो य नह ’ क भावना।
नई िवचार ि या : जीवन को संपूण और मु प म जीना मेरा ज मिस अिधकार ह। म जीवन से ेम करता । म अपने आप से ेम
करता ।

सम या : एंडोमीि योिसस
संभािवत कारण : असुर ा, िनराशा और कठा। खुद से ेम क थान पर चीनी को इ तेमाल करना। दोष देनेवाला।
नई िवचार ि या : म श शाली और ि य । ी होना एक अ ुत बात ह। म खुद से ेम करती और म संतोष से भरी ।

सम या : ए यूरिसस (देख : िब तर गीला करना)

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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : िमग
संभािवत कारण : सताए जाने क भावना। जीवन को अ वीकार करना। संघष क भावना। आ म-िहसा।
नई िवचार ि या : म जीवन को शा त और खुशनुमा मानता । म शा त और खुशिमजाज व शांत ।

सम या : एप टाइन बार वायरस


संभािवत कारण : अपने आपको अपनी सीमा से अिधक ख चना। बेहतर न होने का भय। सभी अंद नी सहयोग का सूखना। तनाव का
वायरस।
नई िवचार ि या : म शांत और अपना मह व पहचानता । म काफ बेहतर । जीवन आसान और खुशनुमा ह।

सम या : ए सो ोिपया (देख : ने रोग)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : आँख
संभािवत कारण : प प से देखने क मता का तीक—अतीत, वतमान और भिव य।
नई िवचार ि या : म ेम और खुशी से देखता ।

सम या : ने रोग
संभािवत कारण : आप अपने जीवन म जो देखते ह, उसे पसंद न करना।
नई िवचार ि या : म ऐसा जीवन बनाता , जैसा जीवन देखने म मुझे खुशी होती ह।

सम या : — ि -िवषमता
संभािवत कारण : ‘म’ क सम या। अपने आपको वा तिवकता म देखने से भय।
नई िवचार ि या : म अब अपना स दय और अपनी भ यता को देखना चाहता ।

सम या : —मोितयािबंद
संभािवत कारण : खुशी से आगे क ओर देखने म असमथता। अँधेरा भिव य।
नई िवचार ि या : जीवन शा त और खुशी से भरपूर ह।

सम या : —ब म
संभािवत कारण : प रवार म जो चल रहा ह, उसे देखने क इ छा नह ।
नई िवचार ि या : अब समरसता और खुशी तथा स दय और सुर ा इस ब े क चार ओर ह।

सम या : —ितरछापन देख : कराटाइिटस


संभािवत कारण : वहाँ या ह, उसे न देखने क इ छा। िवरोधाभासी उ े य।
नई िवचार ि या : मेर िलए देखना सुरि त ह। म शांत ।

सम या : —दूर- ि दोष (हाइपरोिपया)

आपले वाचनालय

Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : वतमान का भय।
नई िवचार ि या : म वतमान म सुरि त । म इस चीज को प देख सकता ।

सम या : — लूकोमा
संभािवत कारण : मा न करने क िजद। पुरानी चोट से दबाव। उससे अिभभूत।
नई िवचार ि या : म ेम और कोमलता से देखता ।

सम या : —िनकट- ि दोष (मायोिपया)


संभािवत कारण : भिव य का भय।
नई िवचार ि या : म ई रीय मागदशन को वीकार करता और हमेशा सुरि त ।

सम या : —ए सो ोिपया (जड़ ि )
संभािवत कारण : वतमान क ओर देखने का भय, यह पर।
नई िवचार ि या : म अभी से खुद को ेम और वीकार करता ।

सम या : चेहरा
संभािवत कारण : हम दुिनया को जो िदखाते ह, उसका तीक।
नई िवचार ि या : अपने अ त व को दिशत करना सुरि त ह। म अपने आपको अिभ य करता ।

सम या : अचेत होना (वेसोवेगल अटक)


संभािवत कारण : भय। सामना न कर पाना। चेतनाशू य हो जाना।
नई िवचार ि या : मुझम अपने जीवन म होनेवाली हर घटना का सामना करने क ताकत और बु म ा ह।

सम या : मोटापा (देख : वजन अिधक होना)


संभािवत कारण : अितसंवेदनशीलता। अकसर भय और सुर ा क आव यकता को दरशाता ह। भय िछपे ए गु से और मा करने से इनकार
का आवरण हो सकता ह।
नई िवचार ि या : म िद य ेम से सुरि त । म हमेशा सुरि त । म बड़ा होना और अपने जीवन क िलए िज मेदारी लेना चाहता । म
दूसर को मा करता और अब म अपनी इ छा क अनुसार अपना जीवन बनाता । म सुरि त ।

सम या : —बाँह
संभािवत कारण : ेम से वंिचत िकए जाने पर ोध।
नई िवचार ि या : मेर िलए अपनी इ छा से ेम का सृजन सुरि त ह।

सम या : —पेट
संभािवत कारण : पोषण से वंिचत िकए जाने पर ोध।
नई िवचार ि या : म आ या मक भोजन से अपने आपको पोिषत करता और संतु तथा मु ।

सम या : —िनतंब
संभािवत कारण : माता-िपता पर स त ोध का ढर।
नई िवचार ि या : म अतीत को भूलना चाहता । मुझे अपने माता-िपता क सीमा से आगे जाने म कोई भय नह ह।

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Aaple Vachnalay
सम या : —जाँघ
संभािवत कारण : बचपन का दबा आ गु सा। अकसर िपता पर ोध।
नई िवचार ि या : म अपने िपता को एक ेम-िवहीन ब क प म देखता और म आसानी से मा कर देता । हम दोन मु ह।

सम या : कमजोरी
संभािवत कारण : ितरोध, बो रयत, अपने ारा िकए जानेवाले काय क िलए ेम का अभाव।
नई िवचार ि या : म जीवन क बार म उ सािहत और ऊजा तथा उ साह से भरा आ ।

सम या : पैर
संभािवत कारण : अपने, जीवन और दूसर क बार म हमारी समझ को दिशत करता ह।
नई िवचार ि या : मेरी समझ प ह और म समय क साथ बदलना चाहता । म सुरि त ।

सम या : ी रोग (देख : एमीनो रया, िड मेनो रया,


संभािवत कारण : अपने आपको नकारना। ी व को खा रज करना। ी व क िस ांत को खा रज करना।
नई िवचार ि या : म अपने ी व म खुश । मुझे अपने ी होने क एहसास से ेम ह। म अपने शरीर को ेम करती ।

सम या : फाय ायड यूमर, यूको रया, मािसक ाव संबंधी सम याएँ, वेिजनाइिटस


संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : र
संभािवत कारण : ोध। गु से से जलना।
नई िवचार ि या : म शांित और ेम क शांत अिभ य ।

सम या : र से होनेवाले फफोले (देख : ठड घाव, हरपीज िसं ले स)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : फाइ ायड यूमर और िस ट (देख : ी रोग)


संभािवत कारण : िकसी साथी से िमली चोट से जूझना। ी व क अह पर वाह।
नई िवचार ि या : म अपने उस ि कोण को छोड़ती , िजसने इस अनुभव को ज म िदया। म अपने जीवन म कवल अ छी चीज चाहती ।

सम या : उगिलयाँ
संभािवत कारण : जीवन का योरा बताती ह।
नई िवचार ि या : म जीवन क योर क साथ सहज ।

सम या : —अँगूठा
संभािवत कारण : बु म ा और िचंता का तीक।
नई िवचार ि या : मेरा मन शांत ह।

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Aaple Vachnalay
सम या : —तजनी
संभािवत कारण : अह और भय का तीक।
नई िवचार ि या : म सुरि त ।

सम या : —म यमा
संभािवत कारण : ोध और से सुअिलटी का तीक।
नई िवचार ि या : म अपने से सुअिलटी क साथ सहज ।

सम या : —अनािमका
संभािवत कारण : एकता और दुःख का तीक।
नई िवचार ि या : म शांितपूवक ेम करता ।

सम या : —किन ा
संभािवत कारण : प रवार और िदखावे को दिशत करती ह।
नई िवचार ि या : म जीवन क प रवार क साथ अपने वा तिवक प म ।

सम या : नासूर
संभािवत कारण : भय। भूल जाने क ि या म अवरोध।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म जीवन क ि या म पूण प से िव ास करता । जीवन मेर िलए ह।

सम या : उदर वायु (देख : गैस का दद)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : लू देख : इ लुएंजा

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : भोजन िवषा ता
संभािवत कारण : दूसर को िनयं ण लेने देना। असहाय महसूस करना।
नई िवचार ि या : मेर पास उन सबको आ मसा करने क ताकत, श और द ता ह, जो मेरी राह म आता ह।

सम या : पैर क सम याएँ
संभािवत कारण : भिव य का भय और जीवन म आगे न बढ़ने का भय।
नई िवचार ि या : म खुशी और सहजता से जीवन म आगे क ओर बढ़ता ।

सम या : र (देख : ह य क सम याएँ

संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

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Aaple Vachnalay
सम या : ठडापन
संभािवत कारण : भय। आनंद को नकारना। यह धारणा िक से स बुरी बात ह। संवेदनहीन साथी। िपता का भय।
नई िवचार ि या : अपने शरीर का आनंद उठाने म मुझे कोई भय नह ह। मुझे एक ी होने क खुशी ह।

सम या : फगस
संभािवत कारण : धारणा म ठहराव। अतीत को छोड़ने से इनकार। अतीत को आज पर हावी होने देना।
नई िवचार ि या : म खुशी से और वतं होकर वतमान म जीता ।

सम या : गॉल टोन (कोलेिलिथएिसस)


संभािवत कारण : कड़वाहट। कड़ िवचार। िनंदा करना। घमंड
नई िवचार ि या : म अतीत को खुशी से छोड़ता । जीवन मधुर ह और म भी।

सम या : ग ीन
संभािवत कारण : मानिसक णता। हािनकारक िवचार से खुशी को समा करना।
नई िवचार ि या : म अब स ावपूण िवचार को चुनता और खुशी को उ मु प से अपने अंदर वािहत होने देता ।

सम या : गैस का दद (उदर वायु)


संभािवत कारण : मरोड़। भय। अप रप िवचार।
नई िवचार ि या : म शांत और जीवन को सहजता से अपने से वािहत होने देता ।

सम या : गै ाइिटस (देख : पेट क सम याएँ)


संभािवत कारण : लगातार अिन तता। दुभा य क भावना।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और पसंद करता । म सुरि त ।

सम या : जननांग—संबंिधत सम याएँ
संभािवत कारण : पु षोिचत और योिचत िस ांत का तीक उतना बेहतर न होने क िचंता।
नई िवचार ि या : जैसा/जैसी म , सुरि त ।म जीवन क अपनी अिभ य से खुश । म जैसा/जैसी , संपूण । म अपने आपको ेम
और वीकार करता/करती ।

सम या : ंिथ
संभािवत कारण : चीज को पकड़ रहना। वयं ारा आरभ ि या।
नई िवचार ि या : अपनी दुिनया म म ही रचना मक श ।

सम या : ंथीय र (देख : मोनो यू ीयोिसस


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : ंथीय सम याएँ
संभािवत कारण : ‘उठो और िनकलो’ िवचार का ठीक से िवतरण न होना। अपने आपको पीछ ख चना।
नई िवचार ि या : मेर पास वे सभी िद य िवचार और ि याएँ ह, िजनक मुझे आव यकता ह। म अभी आगे क ओर बढ़ता ।

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Aaple Vachnalay
सम या : लोबस िह टी रकस (देख : गले म सूजन)
संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : घघा देख : थायरॉइड


संभािवत कारण : पीि़डत होने क नफरत भी भावना। जीवन म परािजत महसूस करना। असंतु ।
नई िवचार ि या : अपने जीवन म म श और अिधकार रखता । म अपने जैसा होने क िलए वतं ।

सम या : सूजाक (देख : यौन रोग)


संभािवत कारण : बुरा य होने क िलए सजा क आव यकता।
नई िवचार ि या : म अपने शरीर से ेम करता । म अपनी से सुअिलटी से ेम करता । म अपने आपसे ेम करता ।

सम या : गिठया
संभािवत कारण : भु व िदखाने क आव यकता। अधीरता। ोध।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म अपने आप और दूसर क साथ शांितमय ।

सम या : सफद बाल
संभािवत कारण : तनाव। दबाव और तनाव म िव ास।
नई िवचार ि या : म अपने जीवन क हर े म शांत और सहज । म मजबूत और स म ।

सम या : वृ
संभािवत कारण : पुरानी चोट को पालना। नाराजिगयाँ रखना।
नई िवचार ि या : म आसानी से मा कर देता । म अपने आपको ेम करता और शंसा क िवचार से खुद को पुर कत क गा।

सम या : मसूड़ क सम याएँ
संभािवत कारण : िनणय पर अड़ रहने क असमथता। जीवन क बार म िनरथकता का एहसास।
नई िवचार ि या : म िनणय लेनेवाला य । म काम को आगे बढ़ाता और ेम से अपना समथन करता ।

सम या : हलीटोिसस (देख : साँस क दुगध)


संभािवत कारण : ि कोण का सड़ जाना, बेकार क गपशप, गलत सोच।
नई िवचार ि या : म भ ता और ेम से बोलता । म कवल अ छाई बाहर िनकालता ।

सम या : हाथ
संभािवत कारण : पकड़ और सँभालना। जकड़ तथा िनयं ण। हण करना और िनकालना। दुलारना। सताना। अनुभव से िनपटने क सभी कार
क तरीक।
नई िवचार ि या : म अपने सभी अनुभव को ेम और खुशी तथा सहजता से सँभालना चाहता ।

सम या : ह फ वर (देख : एलज )
संभािवत कारण : भावना मक संकचन। कलडर का भय। सजा म िव ास। अपराध-बोध।
नई िवचार ि या : म संपूण जीवन क साथ एकाकार । म हर समय सुरि त ।

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Aaple Vachnalay
सम या : िसरदद (देख : माइ ेन)
संभािवत कारण : अपने आपको अमा य करना। अपनी आलोचना। भय।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म अपने आपको और अपने सभी काय को ेम क ि से देखता । म
सुरि त ।

सम या : दय (देख : र )
संभािवत कारण : ेम का क और सुर ा को दरशाता ह।
नई िवचार ि या : मेरा दय ेम क लय पर धड़कता ह।

सम या : —अटक (एमआई/मायोकॉिडयल इ फाकशन) (देख : कोरोनरी


संभािवत कारण : पैसे या पद आिद क िलए िदल क सारी खुिशय को िनचोड़ना।
नई िवचार ि या : म खुशी को अपने दय म वापस लाता । म सभी क िलए ेम अिभ य करता ।

सम या : बोिसस) —सम याएँ


संभािवत कारण : लंबे समय से चली आ रही भावना मक सम याएँ। खुशी का अभाव। िदल का स त हो जाना। तनाव और दबाव म िव ास।
नई िवचार ि या : खुशी। खुशी। खुशी। म ेम से खुशी को अपने मन और शरीर तथा अनुभव म वािहत होने क इजाजत देता ।

सम या : अ लशूल (देख : पे टक अ सर, पेट क सम याएँ, अ सर)


संभािवत कारण : भय। जकड़नेवाला भय।
नई िवचार ि या : म पूरी तरह और वतं होकर साँस लेता । म सुरि त । म जीवन क ि या पर िव ास करता ।

सम या : हीमैटोचेिजया (देख : एनोर टल लीिडग)

संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : बवासीर (देख : गुदा)


संभािवत कारण : डडलाइन का भय। अतीत का गु सा। जाने देने से भय। बोझ महसूस करना।
नई िवचार ि या : म ेम क िवरोधी सारी बात को छोड़ता । म जो भी करना चाहता , उसक िलए समय और गुंजाइश ह।

सम या : हपेटाइिटस (देख : लीवर सम याएँ)


संभािवत कारण : बदलने से इनकार। भय, गु सा, घृणा। लीवर ोध और रोष का थान ह।
नई िवचार ि या : मेरा मन व छ और वतं ह। म अतीत को छोड़ता और नवीन म वेश करता । सब कशल ह।

सम या : हिनया
संभािवत कारण : कलहपूण र ते। तनाव, बोझ, अनुिचत रचना मक अिभ य ।
नई िवचार ि या : मेरा मन सौ य और स ावपूण ह। म अपने आपको ेम और वीकार करता । म अपने जैसा होने क िलए वतं ।

सम या : हरपीज (हरपीज जेिनटलीस) (देख : यौन रोग)


संभािवत कारण : से स क बार म अपराध-बोध और सजा क आव यकता म िव ास। सावजिनक ल ा। सजा देनेवाले ई र म िव ास।
जननांग को खा रज करना।

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : ई र क मेरी अवधारणा मेरा समथन करती ह। म सहज और वाभािवक । म अपनी से सुअिलटी और अपने शरीर का
आनंद उठाता । म अ ुत ।

सम या : हरपीज िसं ले स (हरपीज लेिबयािलस) (देख : ठड छाले)


संभािवत कारण : ोध म जलना। कड़वे श द मन म दबाकर रखना।
नई िवचार ि या : म िसफ ेम क बार म सोचता और ेम क श द बोलता । म जीवन क साथ सहज ।

सम या : िनतंब
संभािवत कारण : शरीर को सही संतुलन म रखता ह। आगे क ओर बढ़ने म मु य जोर।
नई िवचार ि या : िहप-िहप र—हर िदन खुशी का िदन ह। म संतुिलत और वतं ।

सम या : िनतंब संबंधी सम याएँ


संभािवत कारण : बड़ फसल म आगे बढ़ने का भय। कोई ल य नह ।
नई िवचार ि या : म उपयु संतुलन म । म हर उ म सहजता और खुशी से आगे बढ़ता ।

सम या : अिधरोमता िहरसूिट म
संभािवत कारण : ोध पर आवरण, जो सामा यतः भय का होता ह। िकसी को दोष देने क इ छा। अकसर अपने िवकास क अिन छक होते
ह।
नई िवचार ि या : म अपने िलए एक ेिहल अिभभावक । म ेम और वीकित से आ छािदत । मेर िलए अपना अ त व दिशत करना
सुरि त ह।

सम या : िप ी (युरटीक रया) (देख : दरोरा)


संभािवत कारण : छोट, िछपे ए भय। राई का पहाड़ बनाना।
नई िवचार ि या : म अपने जीवन क येक कोने म शांित लाता ।

सम या : हॉजिकस रोग
संभािवत कारण : दोषारोपण और बेहतर न होने का भय। अपने आपको सािबत करने क होड़, जब तक िक र म उसे समथन देने क िलए
कोई ताकत न बचे। वीकायता क दौड़ म जीवन क खुिशय को भूल जाना।
नई िवचार ि या : म अपने जैसा होकर ब त खुश । म जैसा , ब त अ छा । म खुद से ेम और अपने आपको वीकार करता । म
खुशी अिभ य और ा करता ।

सम या : व का जमा होना (देख : एडीमा, सूजन)


संभािवत कारण : आप या खोने से डर रह ह?
नई िवचार ि या : म अपनी इ छा आनंद सिहत छोड़ता ।

सम या : हनिटगटन िडजीज
संभािवत कारण : दूसर को न बदल पाने पर असंतोष। िनराशा।
नई िवचार ि या : म सारा िनयं ण ांड को देता । म अपने साथ और जीवन क साथ सहज ।

सम या : अित सि यता
संभािवत कारण : भय। दबाव म और य ता महसूस करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । सारा तनाव समा हो गया ह। म पया बेहतर ।

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Aaple Vachnalay
सम या : हाइपर लाइक िमया
संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : हाइपरोिपया (देख : ने रोग)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

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Aaple Vachnalay
सम या : उ र चाप (देख : र सम याएँ)
संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : हाइपरथायरॉइिड म (देख : थायरॉइड)


संभािवत कारण : छोड़ िदए जाने पर रोष।
नई िवचार ि या : म जीवन क क म और अपने आपको तथा जो देखता , उसे वीकार करता ।

सम या : हाइपरविटलेशन (देख : ासावरोध, सन रोग)


संभािवत कारण : भय। प रवतन का ितरोध। ि या पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म ांड म हर कह सुरि त । म अपने आपको ेम करता और जीवन क ि या पर भरोसा करता ।

सम या : हाइपो लाइक िमया


संभािवत कारण : जीवन क बोझ से दब जाना। ‘जीने का या फायदा ह?’
नई िवचार ि या : म अब अपने जीवन को हलका व आसान और खुशनुमा बनाना चाहता ।

सम या : हाइपोथायरॉइिड म
संभािवत कारण : छोड़ देना। िनराशाजनक प से अ यंत दबा आ महसूस करना।
नई िवचार ि या : म एक नया जीवन बनाता , िजसम पूरी तरह मुझे समथन देनेवाले िनयम ह ।

सम या : इलाइिटस ( ा स रोग, थानीय आं शोथ)


संभािवत कारण : भय। िचंता। अपने आपको पया बेहतर न महसूस करना।
नई िवचार ि या : म खुद से ेम और अपने आपको वीकार करता । म िजतना बेहतरीन कर सकता , वह कर रहा । म अ ुत । म
शांत ।

सम या : नपुंसकता
संभािवत कारण : यौन दबाव, तनाव, अपराध-बोध। सामािजक धारणाएँ। िपछले साथी क िखलाफ ेष। माँ का भय।
नई िवचार ि या : म अब अपने यौन िस ांत क समूची श को सहजता और आनंद क साथ संचािलत होने क इजाजत देता ।

सम या : असंयम
संभािवत कारण : भावना मक आिध य। भावना को वष तक िनयंि त करना।
नई िवचार ि या : म महसूस करना चाहता । मेर िलए अपनी भावना को य करना सुरि त ह। म अपने आपको ेम करता ।

सम या : असा य
संभािवत कारण : इस समय बाहरी उपाय से इसका उपचार नह हो सकता। हम उपचार क िलए भीतर जाना होगा। यह शू य से आया ह और
शू य म वापस चला जाएगा।
नई िवचार ि या : हर िदन चम कार होते ह। म इस थित को उ प करनेवाले ि कोण को समा करने क िलए अपने अंदर जाता और
अब एक िद य उपचार को वीकार करता । िबलकल ऐसा ही ह।

सम या : अपच, बदहजमी
संभािवत कारण : अ यिधक भय, आतंक, िचंता। जकड़ती और घुड़घुड़ाती।

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : म सभी नए अनुभव को शांित और खुशी से आ मसा और हण करता ।

सम या : सं मण (देख : वायरल सं मण)


संभािवत कारण : िचड़िचड़ाहट, गु सा, िचढ़।
नई िवचार ि या : म शांितमय और स ावपूण होना चुनता ।

सम या : सूजन (देख : आइिटस)


संभािवत कारण : भय। लाल रग देखना। उ ेजक िवचार।
नई िवचार ि या : मेरी सोच शांितपूण, स ावपूण और एका ह।

सम या : इ लुएंजा (देख :
संभािवत कारण : सामूिहक नकारा मकता और धारणा क
नई िवचार ि या : म सामूिहक धारणा या कलडर क पर । म सभी संकलन और

सम या : सन रोग)
संभािवत कारण : िति या। आँकड़ म िव ास।
नई िवचार ि या : भाव से मु ।

सम या : पैर क उगली का अंतविधत नाखून


संभािवत कारण : आगे बढ़ने क अिधकार क बार म िचंता और अपराध-बोध।
नई िवचार ि या : जीवन म अपनी िदशा िनधा रत करना मेरा िद य अिधकार ह। म सुरि त । म वतं ।

सम या : चोट (देख : काट, घाव)


संभािवत कारण : अपने आप पर गु सा। अपराध-बोध महसूस करना।
नई िवचार ि या : म अब सकारा मक प म गु से को िनकालता । म अपने आपको ेम करता और सराहता ।

सम या : पागलपन (मनोवै ािनक रोग)


संभािवत कारण : प रवार से भागना। पलायनवाद। पीछ हटना। जीवन से िहसक अलगाव।
नई िवचार ि या : यह म त क अपनी सही पहचान और िद य अिभ य का अपना रचना मक िबंदु जानता ह।

सम या : अिन ा रोग
संभािवत कारण : भय। जीवन क ि या पर िव ास न करना। अपराध-बोध।
नई िवचार ि या : म ेम से िदन को यागकर शांितपूण िन ा म जाता । मुझे पता ह िक कल का िदन अपना यान वयं रख लेगा।

सम या : आँत
संभािवत कारण : समावेशन। अवशोषण। सहजता से िनकास।
नई िवचार ि या : म जो भी जानना चाहता , उसे आसानी से हण और आ मसा कर लेता और अतीत को खुशी से छोड़ देता ।

सम या : खुजली ( ूराइिटस)
संभािवत कारण : कित क िखलाफ जानेवाली इ छाएँ। असंतु । पछतावा। वहाँ से िनकलने क खुजली।
नई िवचार ि या : म जहाँ , वहाँ खुश । म अपने िह से क अ छी चीज को वीकार करता और जानता िक मेरी सभी आव यकताएँ
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Aaple Vachnalay
और इ छाएँ पूरी ह गी।

सम या : आइिटस (देख : सूजन)


संभािवत कारण : अपने जीवन क थितय क बार म ोध और कठा।
नई िवचार ि या : म आलोचना क सभी ि कोण को बदलने का इ छक । म अपने आपसे ेम और खुद को वीकार करता ।

सम या : पीिलया (देख : लीवर सम याएँ)


संभािवत कारण : आंत रक और बा पूव ह। असंतुिलत कारण।
नई िवचार ि या : म अपने सिहत सभी लोग क िलए सिह णुता और क णा तथा ेम महसूस करता ।

सम या : जबड़ क सम याएँ(टपोरोमिडबुलर जोड़, टीएमजे िसं ोम)


संभािवत कारण : ोध। नाराजगी। बदले क इ छा।
नई िवचार ि या : म इस थित को उ प करनेवाले अपने िवचार को बदलने का इ छक । म खुद को ेम और वीकार करता । म
सुरि त ।

सम या : जोड़ (देख : आथराइिटस, कहनी, घुटना, कधे)


संभािवत कारण : जीवन क िदशा म प रवतन और इन घटना क सहजता को दरशाता ह।
नई िवचार ि या : म आसानी से प रवतन क साथ वािहत होता । मेर जीवन म िद य श का मागदशन ह और म हमेशा बेहतरीन िदशा म
जाता ।

सम या : कराटाइिटस (देख : ने रोग)


संभािवत कारण : अ यिधक ोध। उन लोग या जो आप देखते ह, उसे चोट प चाने क इ छा।
नई िवचार ि या : म जो भी देखता , उसक उपचार क िलए वयं अपने िदल से ेम को इजाजत देता । म शांित को चुनता । मेरी दुिनया
म सब कशल ह।

सम या : िकडनी सम याएँ
संभािवत कारण : आलोचना, िनराशा, िवफलता। शम, छोट ब े क तरह यवहार करना।
नई िवचार ि या : मेर जीवन म हमेशा िद य और सही चीज होती ह। हर अनुभव से िसफ अ छा प रणाम िमलता ह। बड़ा होना सुरि त ह।

सम या : िकडनी म पथरी
संभािवत कारण : पूरी तरह समा न ए गु से क गाँठ।
नई िवचार ि या : म िपछली सारी सम या को सहजता से समा करता ।

सम या : घुटना (देख : जोड़)


संभािवत कारण : गव और अह को दिशत करता ह।
नई िवचार ि या : म लचीला और वाहमान ।

सम या : घुटने क सम याएँ
संभािवत कारण : िज ी अहकार और गव। झुकने से इनकार। भय। जड़ता। हार न मानना।
नई िवचार ि या : मा करना। समझना। क णा। म आसानी से झुकता और वािहत होता । सब कशल ह।

सम या : वर यं शोथ (ले रजाइिटस)

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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : इतना पागलपन िक आप बोल नह सकते। बोलने से भय। अिधकार िदखाने से नाराजगी।
नई िवचार ि या : म जो चाहता , उसे माँगने क िलए वतं । मेर िलए अपने आप को अिभ य करना सुरि त ह। म शांत ।

सम या : शरीर का बायाँ भाग


संभािवत कारण : हणशीलता, अपनाना, ी संबंधी ऊजा, मिहलाएँ, माँ का तीक।
नई िवचार ि या : मेरी योिचत ऊजा उपयु संतुलन म ह।

सम या : पैर
संभािवत कारण : हम जीवन म आगे क ओर ले जाते ह।
नई िवचार ि या : जीवन मेर िलए ह।

सम या : पैर क सम याएँ —िनचला भाग


संभािवत कारण : भिव य का भय। आगे बढ़ने क ित अिन छा।
नई िवचार ि या : म आ मिव ास और खुशी से आगे बढ़ता । जानता िक मेर भिव य म सब अ छा ह।

सम या : क रोग
संभािवत कारण : जीवन को सँभालने म अ मता। उतना अ छा न होने या उतना व छ न होने क पुरानी धारणा।
नई िवचार ि या : म सभी ितबंध से ऊपर उठता । िद य श मुझे मागदशन और ेरणा दान करती ह। ेम जीवन का उपचार करती ह।

सम या : यूक िमया) देख : र संबंधी सम याएँ)


संभािवत कारण : रता से ेरणा क ह या। ‘ या लाभ ह जीवन का?’
नई िवचार ि या : म अतीत क सीमा से वतमान क आजादी क ओर बढ़ता । मेर िलए अपने जैसा होना सुरि त ह।

सम या : यूको रया (देख : ी रोग, वेिजनाइिटस


संभािवत कारण : यह धारणा िक मिहलाएँ िवपरीत िलंग क मुकाबले कमजोर होती ह। िकसी साथी पर ोध।
नई िवचार ि या : म अपने सभी अनुभव सृिजत करती । म श । म अपने ी व म खुश । म मु ।

सम या : लीवर
संभािवत कारण : ोध और आिदम भावना का थान।
नई िवचार ि या : म िसफ ेम, शांित और खुशी को जानता ।

सम या : लीवर सम याएँ (देख : हपेटाइिटस, पीिलया


संभािवत कारण : लगातार िशकायत करना। अपने आपको छलने क िलए अपने अंदर दोष ढढ़ने को उिचत ठहराना। बुरा महसूस करना।
नई िवचार ि या : म अपने खुले िदल क साथ रहना पसंद करता । म ेम क तलाश करता और वह मुझे हर जगह िमल जाता ह।

सम या : लॉकजॉ (देख : टटनस) (जबड़ का िभंचना)


संभािवत कारण : ोध। िनयं ण क इ छा। भावनाएँ अिभ य करने से इनकार।
नई िवचार ि या : म जीवन क ि या पर िव ास करता । म आसानी से अपनी मनपसंद चीज माँग सकता । जीवन मेरा समथन करता
ह।

सम या : लू गेह रग िडजीज

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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : (देख : एिमयो ोिफक लेटरल ीरोिसस)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : गले म गाँठ ( लोबस िह ट रकस)


संभािवत कारण : भय। जीवन क ि या पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म मानता िक जीवन मेर साथ ह। म वतं प से और खुशी से अपने आपको अिभ य करता ।

सम या : फफड़—सम याएँ (देख : यूमोिनया)


संभािवत कारण : जीवन म हण करने क मता। अवसाद। दुःख। जीवन म हण करने से भय। खुद क जीवन को पूरी तरह जीने क लायक
न समझना।
नई िवचार ि या : म सही संतुलन म जीवन को हण करता । मुझम जीवन को पूणता म हण करने क मता ह। म ेम से जीवन को
पूणता से जीता ।

सम या : चमय मा (ए रिथमेटोसस)
संभािवत कारण : हार मान लेना। अपने िलए खड़ होने से बेहतर ह मर जाना। ोध तथा सजा।
नई िवचार ि या : म वतं होकर और आसानी से अपने िलए बोलता । म अपनी श हण करता । म अपने आपको ेम और वीकार
करता । म मु और सुरि त ।

सम या : लसीका संबंधी सम याएँ


संभािवत कारण : एक चेतावनी िक मन-म त क को जीवन क अिनवाय चीज पर िफर से कि त करने क आव यकता ह। ेम और खुशी।
नई िवचार ि या : म अब ेम और जीिवत होने क खुशी म पूण प से कि त । म जीवन क साथ वािहत होता । मेरा मन शांत ह।

सम या : मले रया
संभािवत कारण : कित और जीवन क साथ असंतुिलत होना।
नई िवचार ि या : म जीवन क साथ जुड़ा और संतुिलत । म सुरि त ।

सम या : तन शोथ (देख : तन सम याएँ)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : मै टोयडीिटस
संभािवत कारण : ोध और कठा। जो चल रहा ह, उसे न सुनने क इ छा। सामा यतः ब म होती ह। भय से समझ का भािवत होना।
नई िवचार ि या : िद य शांित और स ावना मुझे घेर ए ह और मेर अंदर थत ह। म शांित, ेम और खुशी का म ीप । मेरी दुिनया म
सब कशल ह।

सम या : मेलीटस (देख : मधुमेह) रजोिनवृि संबंधी


संभािवत कारण : —

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : —

सम या : सम याएँ
संभािवत कारण : भय िक अब कोई नह चाहता। उ बढ़ने का भय। वयं को नकारना। वयं म अ छा महसूस न करना।
नई िवचार ि या : अपने आपको खा रज करना। अ छा महसूस न करना। म मािसक च क सभी प रवतन म संतुिलत और शांितपूण
और म अपने शरीर को ेम से सराहती ।

सम या : मािसक ाव संबंधी सम याएँ (देख : एमेनो रया, िड मेनो रया, ी रोग)


संभािवत कारण : अपने ी व को खा रज करना। अपराध-बोध। भय। यह िव ास िक जननांग पापमय या गंदे ह।
नई िवचार ि या : म एक ी क प म अपनी पूण श को वीकार करती और अपने शरीर क सभी ि या को सामा य व
ाकितक प म वीकार करती । म अपने आपको ेम और वीकार करती ।

सम या : माइ ेन का िसरदद (देख : िसरदद)


संभािवत कारण : बा य िकए जाने को नापसंद करना। जीवन क वाह का ितरोध करना। यौन भय। (आमतौर पर ह तमैथुन ारा आराम
िमलता ह।)
नई िवचार ि या : म जीवन क वाह म खुश और मुझे िजन चीज क आव यकता होती ह, म वह आसानी व सहजता से जीवन से ले
लेता । जीवन मेर िलए ह।

सम या : गभपात (अबॉशन, वतः)


संभािवत कारण : भय। भिव य का भय। ‘अभी नह , बाद म’। गलत समय।
नई िवचार ि या : मेर जीवन म िद य काय होते रहते ह। म अपने आपको ेम और वीकार करता । सब कशल ह।

सम या : मोनो, मोनो यू ीयोिसस


संभािवत कारण : ेम और सराहना न िमलने पर ोध। अपना
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और अपनी सराहना करता तथा अपना

सम या : (फफस िडजीज, लडलर फ वर)


संभािवत कारण : खयाल न रखना।
नई िवचार ि या : खयाल रखता । म काफ अ छा ।

सम या : मोशन िसकनेस (देख : कार िसकनेस, सी िसकनेस)


संभािवत कारण : भय। िनयं ण म न होने का भय।
नई िवचार ि या : म हमेशा अपने िवचार क िनयं ण म रहता । म सुरि त । म अपने आपको ेम और वीकार करता ।

सम या : मुँह—संबंिधत सम याएँ
संभािवत कारण : नए िवचार और पोषण को हण करने का तीक। थािपत िवचार। बंद िदमाग। नए िवचार को हण करने क अ मता।
नई िवचार ि या : म ेम से अपना पोषण करता । म नए िवचार और नई अवधारणा का वागत करता और उ ह हण करने तथा
आ मसा करने क िलए तैयार करता ।

सम या : यूकस कोलन (देख : कोलाइिटस, कोलन, आँत, पे टक कोलाइिटस)


संभािवत कारण : पुराने, िमत िवचार क परत िन कासन क मा यम को अव कर देती ह। अतीत क क चड़ म लोटना।
नई िवचार ि या : म अतीत को छोड़ता और समा करता । म एक प िवचारक । म अब शांित और खुशी म रहता ।

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Aaple Vachnalay
सम या : म टीपल ीरोिसस
संभािवत कारण : मानिसक ढ़ता, पाषाण दय, लौह इ छा-श , लचीलेपन का अभाव, भय।
नई िवचार ि या : ेम और खुशी क िवचार को चुनते ए, म एक ेिहल, खुशहाल दुिनया बनाता । म सुरि त और वतं ।

सम या : मांसपेिशयाँ
संभािवत कारण : नए अनुभव का ितरोध। मांसपेिशयाँ जीवन म चलने क हमारी योगयता का ितिनिध व करती ह।
नई िवचार ि या : म जीवन को खुशी क नृ य क प म अनुभव करता ।

सम या : म कलर डाइ ोफ
संभािवत कारण : ‘बड़ा होना बेकार ह।’
नई िवचार ि या : म अपने माता-िपता क सीमा से आगे जाता । म सव म प म सामने आने क िलए वतं ।

सम या : मायालिजक ऐनसेफलोमायलीिटस (देख : ए सटीन बार वायरस)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : मायोकािडयल इ फाकशन (देख : दयाघात)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : मायोिपया (देख : ने रोग)


संभािवत कारण : भिव य का भय। आगे जो ह, उस पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म जीवन क ि या पर भरोसा करता । म सुरि त ।

सम या : नाखून
संभािवत कारण : सुर ा को दिशत करते ह।
नई िवचार ि या : म सुरि त बाहर प चता ।

सम या : नाखून चबाना
संभािवत कारण : कठा। अपने ऊपर गु सा। एक अिभभावक से मन-मुटाव।
नई िवचार ि या : मेर िलए बड़ा होना सुरि त ह। म अब खुशी और सहजता से अपने जीवन को सँभालता ।

सम या : िन ा रोग
संभािवत कारण : किठनाइय का सामना न कर पाना। अ यिधक
नई िवचार ि या : म हर समय अपनी सुर ा क िलए िद य ान और मागदशन पर

सम या : (नारकोले सी)
संभािवत कारण : भय। इस सबसे िनकलने क इ छा। यहाँ रहने क इ छा नह ।
नई िवचार ि या : िनभर करता । म सुरि त ।

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Aaple Vachnalay
सम या : िमतली
संभािवत कारण : भय। िकसी िवचार या अनुभव को खा रज करना।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म िव ास करता िक जीवन क ि या मेर िलए िसफ अ छी चीज लाएगी।

सम या : िनकट ि दोष (देख : ने रोग, मायोिपया)

संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : गरदन (सवाइकल पाइन)


संभािवत कारण : लचीलेपन को दिशत करता ह। पीछ क ओर देखने क मता।
नई िवचार ि या : मेरा जीवन से अ छा प रचय ह।

सम या : गरदन क सम याएँ
संभािवत कारण : िकसी सम या क दूसर प को देखने से इनकार करना। िजद, लचीलेपन का अभाव।
नई िवचार ि या : म लचीलेपन और आसानी से िकसी सम या क सभी प को देख सकता । चीज को करने और देखने क अंतहीन
तरीक ह। म सुरि त ।

सम या : ने ाइिटस (देख : ाइ स रोग)


संभािवत कारण : िनराशा और िवफलता क ित अित िति या।
नई िवचार ि या : मेर जीवन म िसफ सही चीज हो रही ह। म पुराने को यागता और नए का वागत करता । सब कशल ह।

सम या : तंि काएँ
संभािवत कारण : सं यवहार का तीक। हणशील ितवेदक।
नई िवचार ि या : म आसानी और खुशी से पार प रक यवहार करता ।

सम या : नवस ेकडाउन
संभािवत कारण : आ म-क ता। संचार क मा यम को अव करना।
नई िवचार ि या : म अपना दय खोलता और कवल ेिहल वा ालाप करता । म सुरि त । म कशल ।

सम या : य ता
संभािवत कारण : भय, य ता, संघष, ज दबाजी, जीवन क ि या पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म दीघकाल से एक अनंत या ा पर और मेर पास ब त सारा समय ह। म अपने िदल से सं यवहार करता । सब कशल
ह।

सम या : तंि काित
संभािवत कारण : अपराध-बोध क िलए सजा। सं यवहार पर ोभ।
नई िवचार ि या : म अपने आपको मा करता । म अपने आपको ेम और वीकार करता । म ेम से सं यवहार करता ।

सम या : ंिथका
संभािवत कारण : नाराजगी व कठा और क रयर म अह पर चोट।

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : म अपने भीतर िवलंब क ि कोण को यागता और अब सफलता को अपनाना चाहता ।

सम या : नाक
संभािवत कारण : अपनी पहचान का ितिनिध व करता ह।
नई िवचार ि या : म अपनी आंत रक मता को पहचानता ।

सम या : —र ाव
संभािवत कारण : पहचान क ज रत। यह महसूस करना
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म अपना स ा

सम या : —
संभािवत कारण : िक कोई पहचान नह देता और यान नह देता। ेम क िलए रोना।
नई िवचार ि या : मह व पहचानता । म अ ुत ।

सम या : —बहना
संभािवत कारण : मदद माँगना। आंत रक रोना।
नई िवचार ि या : म अपने आपको खुशी देनेवाले प म खुद को यार और दुलार देता ।

सम या : —बंद होना
संभािवत कारण : अपने मह व को न पहचानना।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम करता और सराहता ।

सम या : सु पड़ना (अपसंवेदन) (पै रसथीिसया)


संभािवत कारण : ेम और सहानुभूित को न जताना। मानिसक प से जड़ हो जाना।
नई िवचार ि या : म अपनी भावना और अपने ेम को बाँटता । म हर िकसी क ेम का जवाब देता ।

सम या : ऑ टयोमाइलाइिटस (देख : ह ी रोग)


संभािवत कारण : जीवन क संरचना पर ोध और कठा। समथन का अभाव महसूस करना।
नई िवचार ि या : मुझे जीवन क ित शांत और उसक ि या पर भरोसा करता । म सुरि त ।

सम या : ऑ टयोपोरोिसस (देख : ह ी रोग)


संभािवत कारण : यह महसूस करना िक जीवन म कोई समथन शेष नह ह।
नई िवचार ि या : म अपने िलए खड़ा होता और जीवन अ यािशत, यार प म मुझे समथन देता ह।

सम या : िडब ंिथ
संभािवत कारण : रचना क िबंदु का तीक। रचना मकता।
नई िवचार ि या : म अपने रचना मक वाह म संतुिलत ।

सम या : मोटापा (ओवरवेट)
संभािवत कारण : भय। सुर ा क आव यकता। भावना से भागना। असुर ा, अपने आपको नकारना।
नई िवचार ि या : म अपनी भावना क साथ सहज । म जहाँ वहाँ सुरि त । म अपनी सुर ा तैयार करता । म अपने आपको ेम
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Aaple Vachnalay
और वीकार करता ।

सम या : पगे स रोग
संभािवत कारण : महसूस करना िक िनमाण क िलए अब कोई आधार नह ह। ‘िकसी को परवाह नह ह।’
नई िवचार ि या : म जानता िक जीवन मुझे भ य और ग रमामय प म समथन देता ह। जीवन को मुझसे ेम ह और वह मेरा खयाल
रखता ह।

सम या : दद
संभािवत कारण : अपराध-बोध। अपराध-बोध हमेशा सजा माँगता ह।
नई िवचार ि या : म यार से अतीत को यागता । वे मु ह और म मु । मेर िदल म अब सब ठीक ह।

सम या : प ाघात (देख : बे स पा सी, सेर ल पा सी, पािकसंस रोग)


संभािवत कारण : अश कर देनेवाले िवचार। अव हो जाना।
नई िवचार ि या : एक वतं िवचारक और मुझे सहजता व खुशी से अ ुत अनुभव होते ह।

सम या : अ याशय
संभािवत कारण : जीवन क िमठास का तीक।
नई िवचार ि या : मेरा जीवन मधुर ह।

सम या : अ याशय रोग
संभािवत कारण : ठकराया जाना। ोध और कठा, य िक ऐसा लगता ह िक जीवन ने अपनी िमठास खो दी ह।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता और म ही अपने जीवन म िमठास और खुशी लाता ।

सम या : फािलज (देख : प ाघात)


संभािवत कारण : भय। आतंक। िकसी प र थित या य से बचना। ितरोध।
नई िवचार ि या : म सार जीवन क साथ एकाकार । म सभी थितय क िलए पूरी तरह उपयु ।

सम या : परजीवी
संभािवत कारण : दूसर को श देना, उ ह हावी होने देना।
नई िवचार ि या : म ेम से अपनी श वापस लेता और सभी ह त ेप को समा करता ।

सम या : पर थीिसया (देख : सु पड़ना)

संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : पािकसंस िडजीज (देख : प ाघात)


संभािवत कारण : भय और सबकछ तथा हर िकसी को िनयंि त करने क ती इ छा।
नई िवचार ि या : मुझे यह जानकर राहत िमलती ह िक म सुरि त । जीवन मेर िलए ह और म जीवन क ि या पर भरोसा करती ।

सम या : पे टक अ सर (देख : अ लशूल, पेट क


संभािवत कारण : भय। यह िव ास िक आप उतने अ छ नह ह। खुश करने क िलए य ता।

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म अपने साथ सहज । म अ ुत ।

सम या : सम याएँ, अ सर)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : पे रयोड टाइिटस (देख : पाइ रया)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : पेिटट माल (देख : िमग )

संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : फफस रोग (देख : मोनो यू ीयोिसस)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : िशराशोथ ( लेिबिटस)
संभािवत कारण : ोध और कठा। जीवन म ितबंध और खुशी क अभाव क िलए दूसर को दोषी ठहराना।
नई िवचार ि या : अब खुशी वतं प से मेर भीतर बहती ह और मुझे जीवन से कोई िशकायत नह ह।

सम या : बवासीर (देख : हमोरॉय स)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : मुहाँसे (देख : लैकह स, हाइटह स)


संभािवत कारण : ोध क छोट दौर।
नई िवचार ि या : म अपने िवचार को शांत करता और िबलकल शांत ।

सम या : िपंक आई (देख : कज टवाइिटस)


संभािवत कारण : ोध और कठा। देखने क इ छा न होना।
नई िवचार ि या : म सही होने क आव यकता को यागता । म शांत । म अपने आपको ेम और वीकार करता ।

सम या : पीयूष ंिथ
संभािवत कारण : िनयं ण क को दिशत करता ह।
नई िवचार ि या : मेरा मन और शरीर उपयु संतुलन म ह।

सम या : लांटर वाट
संभािवत कारण : अपनी समझ क मूलभूत आधार पर ोध। भिव य क बार म कठा फलाना।

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Aaple Vachnalay
नई िवचार ि या : म आ मिव ास और सहजता से आगे क ओर बढ़ता । म जीवन क ि या पर भरोसा करता और उसक साथ
वािहत होता ।

सम या : यूमोिनया (देख :
संभािवत कारण : िनराशा। जीवन से थक जाना। भावना मक चोट,
नई िवचार ि या : म वतं प से िद य िवचार हण करता , िजनम जीवन क साँस

सम या : फफड़ क सम याएँ)
संभािवत कारण : िज ह ठीक नह होने िदया जाता।
नई िवचार ि या : और ान भर ह। यह एक नया ण ह।

सम या : पॉयजन इवाए
संभािवत कारण : असहाय और आ मण करने क िलए वतं महसूस करना।
नई िवचार ि या : म श शाली, सुरि त । सब ठीक ह।

सम या : पॉयजन ओक (देख : पॉयजन एवाए)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : पोिलयो
संभािवत कारण : अश कर देनेवाली ई या। िकसी को रोकने क इ छा।
नई िवचार ि या : हर िकसी क िलए पया ह। म ेम भर िवचार क साथ अपनी बेहतरी और आजादी बनाता ।

सम या : पो ट नेजल ि प
संभािवत कारण : अंदर से रोना। बचकाने आँसू। पीि़डत महसूस करना।
नई िवचार ि या : म मानता और वीकार करता िक मेरी दुिनया म म ही रचना मक श । म अब अपने जीवन का आनंद उठाना
चाहता ।

सम या : मािसक ाव पूव सम याएँ (पी.एम.एस.) ( ीमस अल िसंडरोम)


संभािवत कारण : म को भावी होने देना। बाहरी भाव को अपनी श दे देना। योिचत ि या को नकारना।
नई िवचार ि या : म अब अपने मन और अपने जीवन का भार लेती । म एक श शाली, ओज वी ी । मेर शरीर का हर अंग सही
कार से काम कर रहा ह। म खुद से ेम करती ।

सम या : ो टट
संभािवत कारण : पु षोिचत िस ांत का तीक।
नई िवचार ि या : म अपने पु ष व को वीकार करता और उसम खुश ।

सम या : ो टट सम याएँ
संभािवत कारण : मानिसक भय पु ष व को कमजोर कर देते ह। छोड़ देना। यौन दबाव और अपराध-बोध। उ दराज होने का िव ास।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म अपनी श को वीकार करता । म भावना से िचर युवा ।

सम या : ूराइिटस (देख : खुजली)


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Aaple Vachnalay
संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : —

सम या : ूराइिटस एनी (देख : गुदा)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : सोराइिसस (देख : वचा रोग)


संभािवत कारण : चोट पाने का भय। अपनी भावना को संवेदनशू य करना। अपनी भावना क िलए िज मेदारी लेने से इनकार करना।
नई िवचार ि या : म जीवन क खुिशय म जीवंत । म जीवन म बेहतरीन चीज क यो य और उ ह वीकार करता । म अपने आपको
ेम और वीकार करता ।

सम या : मानिसक रोग (देख : पागलपन)


संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : यूिबक बोन
संभािवत कारण : जननांग क सुर ा का तीक।
नई िवचार ि या : मेरी से सुअिलटी सुरि त ह।

सम या : पाइलोनने ाइिटस (देख : मू सं मण)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : पाय रया (पे रयोड टाइिटस)


संभािवत कारण : िनणय लेने म अ मता पर ोध। बक-बक करनेवाले लोग।
नई िवचार ि या : म अपने आपको वीकार करता और मेर िनणय मेर िलए हमेशा सटीक होते ह।

सम या : ंसी (पेरीट सीलर एबसेस) (देख : गले म ज म, ट िसलाइिटस)


संभािवत कारण : एक सश धारणा िक आप अपने िलए नह बोल सकते और अपनी आव यकता क पूित क माँग नह कर सकते।
नई िवचार ि या : अपनी आव यकताएँ पूरी करना मेरा ज मिस अिधकार ह। म जो चाहता , अब उसे ेम और सहजता से माँग सकता

सम या : रबीज
संभािवत कारण : ोध। यह धारणा िक िहसा ही जवाब ह।
नई िवचार ि या : शांित मेर चार ओर और मेर अंदर ह।

सम या : दरोर (देख : िप ी)
संभािवत कारण : िवलंब पर िचढ़। यान पाने का बचकाना तरीका।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म जीवन क ि या क साथ सहज ।

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Aaple Vachnalay
सम या : मलाशय (देख : गुदा)
संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : सन रोग (देख : काइिटस, सद -जुकाम, खाँसी, इ लुएंजा)


संभािवत कारण : जीवन को पूण प से हण करने का भय।
नई िवचार ि या : म सुरि त । म अपने जीवन से ेम करता ।

सम या : गिठया
संभािवत कारण : पीि़डत महसूस करना। ेम का अभाव। थायी कड़वापन। नाराजगी।
नई िवचार ि या : म अपने अनुभव उ प करता । जैसे-जैसे म अपने आपसे और दूसर से ेम और वीकार करता , मेर अनुभव और
अिधक बेहतर होते जाते ह।

सम या : गिठया संबंधी आथराइिटस


संभािवत कारण : अिधकार जताने क गहरी आलोचना। अपने ऊपर दबाव महसूस करना।
नई िवचार ि या : म अपने ऊपर अिधकार रखता । म अपने आपको ेम और वीकार करता । जीवन अ छा ह।

सम या : रक स
संभािवत कारण : भावना मक कपोषण। ेम और सुर ा का अभाव।
नई िवचार ि या : म सुरि त और वयं ांड क ेम से पोिषत ।

सम या : शरीर का दायाँ भाग


संभािवत कारण : देना, भूल जाना, पु षोिचत ऊजा। पु ष, िपता।
नई िवचार ि या : म आसानी और सहजता से अपनी पु षोिचत ऊजा को संतुिलत करता ।

सम या : दाद
संभािवत कारण : दूसर को अपनी वचा म घुसने देना। पया अ छा या व छ न महसूस करना।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । िकसी य , थान या चीज का मेर ऊपर अिधकार नह ह। म वतं ।

सम या : ट कनाल (देख : दाँत)


संभािवत कारण : िकसी चीज को और नह हण कर सकना। मूलभूत धारणाएँ व त होना।
नई िवचार ि या : म अपने िलए और मेर जीवन क िलए मजबूत बुिनयाद बनाता । म खुशी से अपना समथन करनेवाली धारणाएँ चुनता ।

सम या : गोल कधे (देख : कधे, पाइनल कवचर)


संभािवत कारण : जीवन क बोझ को ढोना। असहाय और िनराश।
नई िवचार ि या : म ऊचा और वतं । म अपने आपको ेम और वीकार करता । मेरा जीवन हर िदन और बेहतर हो रहा ह।

सम या : झु रयाँ
संभािवत कारण : चेहर पर झु रयाँ मन म बूढ़ होते िवचार से आती ह। जीवन से नाराजगी।
नई िवचार ि या : म जीवन क खुशी को अिभ य करता और अपने आपको पूरी तरह हर िदन क हर पल का आनंद उठाने क इजाजत

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देता । म िफर से युवा हो रहा ।

सम या : खाज
संभािवत कारण : सं िमत िवचार। दूसर को अपनी वचा म घुसने देना।
नई िवचार ि या : म जीवन क जीवंत, ेिहल, आनंददायक अिभ य । मेरा य व िबलकल अलग ह।

सम या : साइिटका
संभािवत कारण : पाखंडी होना। पैसे और भिव य का भय।
नई िवचार ि या : म अपनी बेहतरी क ओर बढ़ता । मेरी बेहतरी हर कह ह और म सुरि त ।

सम या : कलरोडमा
संभािवत कारण : अपने आपको जीवन से बचाना। दुिनया म अपने होने और अपना यान रख पाने क िलए खुद पर भरोसा न करना।
नई िवचार ि या : म पूरी तरह सहज , य िक अब म जानता िक म सुरि त । म जीवन पर भरोसा करता और अपने आप पर भरोसा
करता ।

सम या : कोिलयोिसस (पा -क जता) (देख : गोल कधे, पाइनल कवचर)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : खर च
संभािवत कारण : यह महसूस करना िक जीवन आपक िलए अ छा नह ह िक जीवन अ त- य त ह, िक आपको चीरा-फाड़ा जा रहा ह।
नई िवचार ि या : म अपने ित जीवन क उदारता क िलए आभारी । म भा यशाली ।

सम या : सी िसकनेस (देख : मोशन िसकनेस)


संभािवत कारण : भय। मृ यु का भय। िनयं ण का अभाव।
नई िवचार ि या : म इस दुिनया म पूरी तरह सुरि त । म हर कह सहज । मुझे जीवन पर िव ास ह।

सम या : दौरा
संभािवत कारण : प रवार से, अपने आपसे या जीवन से भागना।
नई िवचार ि या : म इस दुिनया म सहज । म सुरि त और सब मुझे समझते ह।

सम या : पागलपन (देख : अ जाइमस िडजीज)


संभािवत कारण : बचपन क तथाकिथत सुर ा क ओर लौटना। यान और देखभाल माँगना। अपने आस-पास क लोग पर एक कार का
िनयं ण। पलायनवाद
नई िवचार ि या : िद य सुर ा। सुर ा। शांित। ांड का ान जीवन क हर तर पर काय करता ह।

सम या : िशन
संभािवत कारण : आदश को तोड़ना। िशन जीवन- तर का तीक ह।
नई िवचार ि या : म ेम और खुशी से अपने उ तम मानदंड तक जीता ।

सम या : क ी दाद (वेरीसेला)

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संभािवत कारण : य ता। भय और तनाव। अ यंत संवेदनशील।
नई िवचार ि या : म सहज और शांत , य िक म जीवन क ि या पर भरोसा करता । मेरी दुिनया म सब कशल ह।

सम या : कधे (देख : जोड़, गोल कधे)


संभािवत कारण : जीवन म आनंदपूवक अपने अनुभव को ा करने क हमारी मता का तीक। हम अपने ि कोण से जीवन को एक
बोझ बना देते ह।
नई िवचार ि या : म अपने सभी अनुभव को आनंददायक और ेमपूण होने क इजाजत देता ।

सम या : िसकल सेल एनीिमया


संभािवत कारण : यह धारणा िक म उतना अ छा नह , जो जीवन क खुशी को न कर देता ह।
नई िवचार ि या : यह ब ा जीवन क खुशी को जीता ह और ेम ारा पोिषत ह। ई र हर िदन चम कार करता ह।

सम या : साइनस सम याएँ (साइनुसाइिटस)


संभािवत कारण : िकसी य , िकसी नजदीक य से िचढ़।
नई िवचार ि या : म घोिषत करता िक शांित और स ावना हर समय मेर अंदर ह और मुझे घेर ए ह। सब कशल ह।

सम या : ककाल (देख : ह याँ)


संभािवत कारण : ढाँचे का ढहना। ह याँ आपक जीवन क ढाँचे का तीक ह।
नई िवचार ि या : म मजबूत और व थ । मेरी संरचना ब त अ छी ह।

सम या : वचा
संभािवत कारण : हमारी वैय कता को सुरि त करती ह। संवेदना महसूस करनेवाला अंग।
नई िवचार ि या : म अपने जैसा होकर सुरि त महसूस करता ।

सम या : वचा रोग (देख : िप ी, सोराइिसस, दरोरा)


संभािवत कारण : िचंता, भय। पुराना, दबा आ रोष। मुझे डराया जा रहा ह।
नई िवचार ि या : म ेमपूवक खुशी और शांित क िवचार से अपने आपको सुरि त करता । अतीत को मा कर िदया गया ह और भुला
िदया गया ह। इस समय म मु ।

सम या : ल ड िड क
संभािवत कारण : जीवन ारा पूरी तरह अकला छोड़ िदया गया। महसूस करना। िनणय न कर पाना।
नई िवचार ि या : जीवन मेर सभी िवचार का समथन करता ह, इसिलए म अपने आप को ेम और वीकार करता और सब कशल ह।

सम या : खराट
संभािवत कारण : िजद म आकर पुराने िवचार को यागने से इनकार।
नई िवचार ि या : म अपने मन म ेम और खुशी क अलावा सभी िवचार को िनकालना चाहता । म अतीत से नए तथा मह वपूण क ओर
मुड़ती ।

सम या : सोलर ले सस
संभािवत कारण : साहिसक िति याएँ। हमारी अंत ान श का क ।
नई िवचार ि या : म अपने अंदर क आवाज पर भरोसा करता । म मजबूत, बु मा और श शाली ।

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सम या : गले म ज म (देख : ंसी, गला, ट िसलाइिटस)
संभािवत कारण : ोध क श द को दबाकर रखना। अपने आप को अिभ य करने म असमथ महसूस करना।
नई िवचार ि या : म सभी सीमा को छोड़ता और अपने जैसा होने क िलए वतं ।

सम या : ज म
संभािवत कारण : अिभ य न हो पाया ोध, जो अंदर रह जाता ह।
नई िवचार ि या : म आनंदपूण, सकारा मक प म अपनी भावना को अिभ य करता ।

सम या : ऐंठन
संभािवत कारण : भय से हमार िवचार का जकड़ना।
नई िवचार ि या : म यागता , म सहज और म भूलता । म जीवन म सुरि त ।

सम या : पे टक कोलाइिटस
संभािवत कारण : छटने का भय। असुर ा।
नई िवचार ि या : मेर िलए जीिवत रहना सुरि त ह। जीवन हमेशा मेरी आव यकता

सम या : (देख : कोलाइिटस, कोलन, आँत, यूकस कोलन)


संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : क पूित करगा। सब कशल ह।

सम या : पाइनल कवचर ( कोिलयोिसस काइफोिसस) (देख : गोल कधे)


संभािवत कारण : जीवन क समथन क साथ वािहत होने क असमथता। भय और पुराने िवचार को जकड़ने क कोिशश करना। जीवन पर
भरोसा न करना। सम ता का अभाव। भूल वीकार करने का साहस न होना।
नई िवचार ि या : म हर कार क भय को यागता । म अब जीवन क ि या पर भरोसा करता । म जानता िक जीवन मेर िलए ह। म
ेम क साथ आ मिव ास से भरपूर ।

सम या : पाइनल मेिनंजाइिटस
संभािवत कारण : उ ेिजत सोच और जीवन पर ोध।
नई िवचार ि या : म दोषारोपण को छोड़ता और जीवन क शांित व खुशी को वीकार करता ।

सम या : रीढ़
संभािवत कारण : जीवन का लचीला सहयोग।
नई िवचार ि या : मुझे जीवन का समथन ा ह।

सम या : लीहा
संभािवत कारण : दीवानगी। चीज क बार म दीवानगी।
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म भरोसा करता िक जीवन क ि या मेर िलए ह। म सुरि त । सब
कशल ह।

सम या : मोच
संभािवत कारण : ोध और ितरोध। जीवन म एक खास िदशा म जाने क अिन छा।

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नई िवचार ि या : म भरोसा करता िक जीवन क ि या मुझे मेरी सव म उपल ध तक ले जाएगी। म सहज ।

सम या : बाँझपन
संभािवत कारण : जीवन क ि या से भय और ितरोध। या अिभभावक बनने क अनुभव से गुजरने क आव यकता महसूस न करना।
नई िवचार ि या : म जीवन क ि या पर भरोसा करता । म हमेशा सही जगह पर सही समय पर सही काम करता । म अपने आपको
ेम और वीकार करता ।

सम या : गरदन म अकड़न (देख : गरदन क सम याएँ)


संभािवत कारण : न झुकनेवाला हठीलापन।
नई िवचार ि या : दूसर लोग क ि कोण को देखना सुरि त ह।

सम या : अकड़न
संभािवत कारण : हठीली, स त सोच।
नई िवचार ि या : म पया सुरि त , इसिलए अपने मन-म त क म लचीला हो सकता ।

सम या : पेट
संभािवत कारण : पोषण का तीक। िवचार को पचाता ह।
नई िवचार ि या : म सहजता से जीवन को हण करता ।

सम या : पेट क सम याएँ (देख : गै ाइिटस, अ लशूल, पे टक अ सर, अ सर)


संभािवत कारण : डर। नए का भय। नए को आ मसा करने म असमथता।
नई िवचार ि या : जीवन मेर साथ सहमत ह। म हर िदन क हर नए ण को आ मसा करता । सब कशल ह।

सम या : आघात (सेर ोवे कलर ए सीडट/सी.वी.ए.)


संभािवत कारण : हार मान लेना। ितरोध। ‘बदलने क बजाय मरना पसंद करना’। जीवन को नकारना।
नई िवचार ि या : जीवन प रवतन का नाम ह और म आसानी से नए क अनुकल बन जाता । म जीवन को उसक अतीत, वतमान और
भिव य प म वीकार करता ।

सम या : हकलाना
संभािवत कारण : असुर ा। आ मािभ य का अभाव। रोने क इजाजत न िमलना।
नई िवचार ि या : म अब अपने िलए बोलने क िलए वतं । म अब अपनी अिभ य म सुरि त । म कवल यार से सं यवहार करता

सम या : टाइ देख : आँख क सम याएँ


संभािवत कारण : ोिधत आँख से जीवन क ओर देखना। िकसी पर ोध।
नई िवचार ि या : म हर िकसी और हर चीज को खुशी व ेम से देखना चाहता ।

सम या : आ मघात
संभािवत कारण : जीवन को कवल ेत- याम म देखना। िकसी और समाधान को देखने से इनकार।
नई िवचार ि या : म संभावना क पूणता म जीता । हमेशा कोई-न-कोई और रा ता होता ह। म सुरि त ।

सम या : सूजन (देख : एडीमा, व का जमा होना)

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संभािवत कारण : सोच म अटका आ। अव , पीड़ादायक िवचार।
नई िवचार ि या : मेर िवचार आजादी और आसानी से वािहत होते ह। म सहजता से िवचार से आगे बढ़ जाता ।

सम या : िसफिलस (देख : यौन रोग)


संभािवत कारण : अपनी ताकत और भावशीलता याग देना।
नई िवचार ि या : म अपने जैसा होने का फसला करता । म जैसा , अपने आपको वीकार करता ।

सम या : फ ता किम
संभािवत कारण : पीि़डत होने और अ व छ होने क सश धारणा। दूसर क ि कोण क सामने असहाय।
नई िवचार ि या : म अपने बार म जो अ छी भावनाएँ रखता , दूसर लोग िसफ उ ह ितिबंिबत करते ह। म जो भी , उसे ेम और
वीकार करता ।

सम या : दाँत
संभािवत कारण : िनणय का तीक।

नई िवचार ि या : —

सम या : —संबंिधत सम याएँ (देख : ट कनाल)


संभािवत कारण : दीघ थायी अिनणायकता। िनणय क िलए िवचार क िव ेषण क असमथता।
नई िवचार ि या : म स ाई क िस ांत क आधार पर अपने िनणय लेता और म यह जानते ए सुरि त महसूस कर रहा िक मेर जीवन
म िसफ सही काय हो रहा ह।

सम या : टपोरोमिडबुलर वाइट (देख : जबड़ क सम याएँ)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : वृषण
संभािवत कारण : पु षोिचत िस ांत। पु ष व।
नई िवचार ि या : पु ष होना सुरि त ह।

सम या : टटनस (देख : लॉकजॉ)


संभािवत कारण : ोध िनकालने क आव यकता, कटतापूण िवचार।
नई िवचार ि या : म अपने दय क ेम को अपने अंदर से बहने और मेर शरीर क हर अंग तथा मेरी भावना को व छ व व थ बनाने
क इजाजत देता ।

सम या : गला—सम याएँ (देख : गले म ज म)


संभािवत कारण : अिभ य का माग। रचना मकता का मा यम। अपने िलए बोलने म असमथता। िनगला आ गु सा। अव रचना मकता।
बदलने से इनकार।
नई िवचार ि या : म अपने िदल को खोलता और जीवन क खुिशय क गीत गाता । शोर करने म कोई बुराई नह ह। म वतं प से
और खुशी से अपने आपको अिभ य करता । म सहजता से अपने िलए

सम या : —

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संभािवत कारण : —
नई िवचार ि या : बोलता । म अपनी रचना मकता को अिभ य करता । म बदलना चाहता ।

सम या : मुखपाक (देख : किडडा, मुँह, यी ट सं मण)


संभािवत कारण : गलत िनणय करने पर ोध।
नई िवचार ि या : म ेमपूवक अपने िनणय को वीकार करता और जानता िक म बदलने क िलए वतं । म सुरि त ।

सम या : थाइमस
संभािवत कारण : ितरोधक णाली क मुख ंिथ। जीवन ारा आ मण महसूस करना। वे मेर पीछ पड़ ह।
नई िवचार ि या : मेर ेमपूण िवचार मेरी ितरोधक णाली को मजबूत रखते ह। म अंदर व बाहर से सुरि त । म ेमपूवक अपने आपको
सुनता ।

सम या : थायरॉयड (देख : घघा, हाइपरथायरॉइिड म, हाइपोथायरॉइिड म


संभािवत कारण : अपमािनत होने क भावना। ‘म जो करना चाहता , कभी नह कर पाता। मेरी बारी कब आएगी?’
नई िवचार ि या : म पुराने ितबंध से पर जाता और अब अपने आपको वतं तथा रचना मक प से अिभ य होने क इजाजत देता

सम या : पेिशय का िखंचाव, ऐंठन


संभािवत कारण : भय। दूसर ारा देखे जाने क भावना।
नई िवचार ि या : म जीवन ारा अनुमोिदत । सब कशल ह। म सुरि त ।

सम या : िट ीटस
संभािवत कारण : सुनने से इनकार। अंदर क आवाज न सुनना। िजद।
नई िवचार ि या : म अपने उ गुण पर िव ास करता । म ेम से अपने अंदर क आवाज को सुनता । म ेम पूण यवहार क अलावा
सबकछ यागता ।

सम या : पैर क उगिलयाँ
संभािवत कारण : भिव य क छोटी-छोटी घटना का तीक।
नई िवचार ि या : सभी घटनाएँ वयं अपना खयाल रखती ह।

सम या : जीभ
संभािवत कारण : खुशी क साथ जीवन क सुख का मजा लेने क मता का तीक।
नई िवचार ि या : म अपने जीवन क उदारता म खुश ।

सम या : ट िसलाइिटस (देख : ंसी, गले म ज म)


संभािवत कारण : भय। दिमत भावनाएँ। अव रचना मकता।
नई िवचार ि या : मेरी अ छाइयाँ अब वतं प से वािहत होती ह। िद य िवचार मुझसे होकर अिभ य होते ह। म शांत ।

सम या : तपेिदक
संभािवत कारण : वाथ से अपने आपको बरबाद करना। सनक । र िवचार। ितशोध।
नई िवचार ि या : जैसे म अपने आपको ेम और वीकार करता , इसिलए म रहने क िलए एक आनंददायक व शांितपूण दुिनया बनाता ।

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सम या : यूमर
संभािवत कारण : पुरानी चोट और आघात का उपचार करना। पछतावा िवकिसत करना।
नई िवचार ि या : म ेमपूवक अतीत को छोड़ता और अपना यान इस नए िदन क ओर लगाता । सब कशल ह।

सम या : अ सर (देख : अ लशूल, पे टक अ सर, पेट क सम याएँ)


संभािवत कारण : भय। एक सश धारणा िक आप पया बेहतर नह ह। आपको या चीज खाए जा रही ह?
नई िवचार ि या : म अपने आपको ेम और वीकार करता । म सहज । म शांत । सब कशल ह।

सम या : यूर ाइिटस
संभािवत कारण : ोध क भावनाएँ। अपमािनत िकया जाना। दोषारोपण।
नई िवचार ि या : म अपने जीवन म कवल खुशनुमा अनुभव बनाता ।

सम या : मू सं मण (िस टाइिटस, पाइलोन ाइिटस)


संभािवत कारण : अपमािनत िकया जाना। सामा यत : िवपरीत िलंग या ेमी पर। दूसर पर दोषारोपण।
नई िवचार ि या : म अपनी चेतना म उस ि कोण को यागता , िजसने इस थित को उ प िकया। म बदलना चाहता । म अपने
आपको ेम और वीकार करता ।

सम या : यूरटीक रया (िप ी) देख : हाइ ज (दरोरा)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : गभाशय
संभािवत कारण : रचना मकता क क का तीक।
नई िवचार ि या : म अपने शरीर क साथ सहज ।

सम या : वेिजनाइिटस (देख : ी रोग, यूको रया)


संभािवत कारण : िकसी साथी पर ोध। यौन अपराध-बोध। अपने आपको सजा देना।
नई िवचार ि या : दूसर लोग उस ेम और आ मानुमोदन को ितिबंिबत करते ह जो म अपने िलए रखता । म अपनी से सुअिलटी म खुश

सम या : वेरीसेला (देख : क ी दाद)

संभािवत कारण : —

नई िवचार ि या : —

सम या : वेरीकोज धमिनयाँ
संभािवत कारण : ऐसी थित म होना, िजससे आप नफरत करते ह। हतो सािहत होना। अिधक दबाव और बोझ से दबा महसूस करना।
नई िवचार ि या : म स ाई क साथ खड़ा और खुशी से रहता व आगे बढ़ता । म जीवन से ेम करता और मु प से ेम बाँटता

सम या : वेसोवेगल अटक (देख : अचेत होना)

संभािवत कारण : —
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नई िवचार ि या : —

सम या : यौन रोग (देख : ए स, गोनो रया, हरपीज, िसफिलस)


संभािवत कारण : यौन अपराध-बोध। सजा क आव यकता। यह धारणा िक जननांग पापमय या गंदे ह। दूसर का शोषण।
नई िवचार ि या : म ेमपूवक और खुशी से अपनी से सुअिलटी और उसक अिभ य को वीकार करता । म कवल उ ह िवचार को
वीकार करता , जो मेरा समथन करते ह और मुझे अ छा महसूस कराते ह।

सम या : वायरल सं मण (देख : सं मण)


संभािवत कारण : जीवन म खुशी का अभाव। कड़वापन।
नई िवचार ि या : म ेमपूवक खुशी को मु प से अपने जीवन म वािहत होने देता । म अपने आपसे ेम करता ।

सम या : िविटिलगो
संभािवत कारण : पूरी तरह अलग-थलग महसूस करना। समूह का िह सा नह ।
नई िवचार ि या : म जीवन क क म और पूरी तरह ेम से संब ।

सम या : वमन
संभािवत कारण : िवचार क िहसक अ वीकित। नए का भय।
नई िवचार ि या : म सुरि त प से और खुशी से जीवन को आ मसा करता । कवल अ छाई मुझ तक और मेर से होकर आती ह।

सम या : व वा
संभािवत कारण : संवेदनशीलता दरशाता ह।
नई िवचार ि या : संवेदनशील होना सुरि त ह।

सम या : म सा
संभािवत कारण : घृणा क छोटी अिभ य याँ। क पता म िव ास।
नई िवचार ि या : म पूण अिभ य म जीवन का स दय और ेम ।

सम या : कमजोरी
संभािवत कारण : मानिसक िव ाम क ज रत।
नई िवचार ि या : म अपने मन को एक आनंदपूण अवकाश देता ।

सम या : हाइटह स (देख : मुहाँसे)


संभािवत कारण : क पता िछपाना।
नई िवचार ि या : म खुद को खूबसूरत और ेम िकए जाने यो य वीकार करता ।

सम या : अ दाढ़
संभािवत कारण : एक ढ़ आधार तैयार करने क िलए अपने मन को गुंजाइश न देना।
नई िवचार ि या : म अपनी चेतना को जीवन क िव तार क ित खोलता । मेर बढ़ने और बदलने क िलए ब त सारी जगह ह।

सम या : घाव (देख : कटना, चोट)


संभािवत कारण : अपने आप पर ोध और अपराध-बोध।

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नई िवचार ि या : म अपने आपको मा करता और खुद से ेम करना चाहता ।

सम या : कलाई
संभािवत कारण : गितशीलता और सहजता का तीक।
नई िवचार ि या : म अपने सभी अनुभव को बु म ा, ेम और सहजता से सँभालता ।

सम या : यी ट सं मण (देख : किडडा, मुखपाक)


संभािवत कारण : अपनी आव यकता से इनकार करना। अपने आपको सहयोग न देना।
नई िवचार ि या : म अब ेमपूण, आनंदपूण प म अपना समथन करना चाहता ।

जीवन क अनंतता म, जहाँ म , सब संपूण और प रपूण ह।


म वा य को अपनी ाकितक थित क प म वीकार करता ।
म अब जान-बूझकर अपने अंदर क उन मानिसक ा प को यागता ,
जो िकसी कार से रोग क प म अिभ य हो सकता ह।
म अपने आपको ेम और वीकार करता ।
म अपने शरीर को ेम और वीकार करता ।
म उसे पोषणकारी भोजन और पेय पदाथ देता ।
म उससे मजेदार प म यायाम करता ।
म अपने शरीर को एक अ ुत और े मशीन क प म देखता
और म उसम रहकर अपने को भा यशाली मानता ।
म काफ ऊजा पसंद करता ।
मेरी दुिनया म सब कशल ह।

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मेरी कहानी
‘हम सब एक ह।’
‘ या आप मुझे सं ेप म अपने बचपन क बार म कछ बताएँगे?’ यह वह न ह जो मने ब त सार
ाहक से पूछा ह। ऐसा नह ह िक मुझे सबकछ सुनने क आव यकता होती ह, लेिकन म इस बार म एक
सामा य ा प ा करना चाहती िक वे कहाँ से आ रह ह। यिद उनक साथ अभी सम याएँ ह तो जो उ ह
उ प करनेवाले िवचार ह, लंबे समय पहले शु हो गए थे।
जब म 18 महीने क छोटी सी ब ी थी तो मने अपने माता-िपता का तलाक होते देखा। मुझे ऐसा याद नह
ह िक वह ब त बुरा अनुभव था। मुझे भय क साथ वे िदन याद आते ह, जब मेरी माँ एक घर म घरलू
नौकरानी क प म काम करने गई और मुझे बाहर भेज िदया। कहानी यह ह िक म तीन स ाह तक िबना
क रोती रही। मेरी देखभाल कर रह लोग थित को सँभाल नह पाए और मेरी माँ को मुझे वापस ले जाने
और कोई और यव था करने क िलए मजबूर होना पड़ा। उ ह ने एक अकले अिभभावक क प म यह सब
कसे सँभाला, उस चीज क आज म सराहना करती । लेिकन उस समय म बस यह जानती थी िक मुझे वह
सारा यार नह िमल रहा ह, जो कभी मुझे िमलता था।
म कभी यह नह जान पाई िक मेरी माँ मेर सौतेले िपता से ेम करती थ या उ ह ने िसफ हम एक घर
िदलाने क िलए उनसे शादी क । लेिकन वह कोई अ छा कदम नह था। वह य यूरोप म जमनी क एक
प रवार म काफ रता क साथ पला-बढ़ा था और उसे प रवार चलाने का कोई दूसरा तरीका नह आता
था। मेरी बहन मेरी माँ क गभ म आ गई और िफर 1930 क दशक का अवसाद हमार ऊपर आ गया और
हमने खुद को एक िहसक घर म मजबूर पाया। म उस समय पाँच वष क थी।
इस थित को और बदतर बनाते ए लगभग इसी समय एक पड़ोसी ने मेर साथ बला कार िकया। डॉ टर
क जाँच अब भी मेर िदमाग म ताजा ह, उतना ही अदालत का वह कस िजसम म मु य गवाह थी। उस
य को पं ह वष क कारावास क सजा ई। मुझे बार-बार यह कहा गया िक ‘यह तु हारी गलती थी’,
इसिलए मने कई वष इस डर म गुजार िक जब वह जेल से छटगा तो मेर पास आएगा और मुझसे अपने जेल
जाने का बदला लेगा।
मेरा अिधकांश बचपन शारी रक और यौन दु यवहार को झेलते बीता, साथ ही ब त किठन काम भी करना
पड़ता था। मेरी छिव अपनी नजर म िगरती और िगरती गई और लगता था िक मेर िलए कछ भी सही नह हो
रहा ह। मने इस ि कोण को बाहरी दुिनया म अिभ य करना शु कर िदया।
चौथी क ा म मेर साथ ऐसा वाकया आ, जो िबलकल मेरी िजंदगी जैसी थी, कछ वैसा था। एक िदन
हमार कल म पाट हो रही थी और वहाँ ब त से कक आए थे। मुझे छोड़कर उस कल क अिधकतर ब े
अ छ म यवग य प रवार क थे। म ब त खराब कपड़ पहने ए थी और बाल भी अजीब तरीक से कट ए
थे, और म ऊचे काले जूते पहनती थी, साथ ही मुझसे लहसुन क गंध आती थी, जो मुझे ‘पेट क क ड़ मारने’
क िलए रोज खाना पड़ता था। हमने कभी कक नह खाया था। हम उसे खरीद नह सकते थे। एक बूढ़ी
पड़ोसी मिहला मुझे हर स ाह दस सट और मेर ज मिदन तथा ि समस पर एक डॉलर देती थी। वे दस सट
प रवार क बजट म चले जाते थे और डॉलर से डाइम टोर से वष भर क िलए मेर अंतव खरीदे जाते थे।
तो उस िदन कल म पाट थी और वहाँ इतने सार कक थे िक जब वे काट जा रह थे तो कछ ब को,
जो लगभग हर िदन कक खा सकते थे, दो या तीन पीस िमल रह थे। आिखरकार जब टीचर मेर पास आई
(जी हाँ, म आिखरी थी) तो कक समा हो चुका था। एक भी पीस नह बचा था।
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अब म प प से देख सकती िक वह मेरी ‘पहले से पु धारणा’ थी िक म बेकार और कछ भी
पाने यो य नह , िजसने मुझे पं म सबसे आिखर म खड़ा िकया और मुझे कक नह िमला। वह मेरा
ि कोण था। वे बस मेरी धारणा को दिशत कर रह थे।
जब म पं ह वष क थी तो म यौन शोषण और सहन नह कर पाई और घर तथा कल से भाग गई। एक
डाइनर म मुझे वेटरस क जो नौकरी िमली, वह उन भारी काम से काफ आसान लगी, जो मुझे घर म करने
पड़ते थे।
ेम और ेह से वंिचत होने और वािभमान क रसातल म होने क वजह से मने अपनी इ छा से हर उस
य को अपना शरीर स प िदया, िजसने मेर साथ अ छा यवहार िकया और अपने सोलहव ज मिदन क
ठीक बाद मने एक ब ी को ज म िदया। मुझे लगा िक उसे पालना असंभव था। िकसी तरह मुझे उसक िलए
एक अ छा, ेम भरा घर िमल गया। मुझे एक िन संतान दंपती िमले, िज ह एक ब े क चाह थी। म अंितम
चार महीने उनक साथ रही और जब म अ पताल गई तो मने उनक नाम पर ब े को ज म िदया।
ऐसी प र थितय म मने कभी मातृ व क खुिशय का अनुभव नह िकया, बस ित और अपराध-बोध तथा
शिमदगी क भावना महसूस क । उस समय वह बस एक ल ाजनक समय था, िजससे िजतनी ज दी हो
सक, िनकलना था। मुझे बस उसक पैर क बड़ी-बड़ी उगिलयाँ याद ह, जो मेरी तरह असाधारण थ । अगर
हम कभी िमले तो म उसक पैर क उगिलयाँ देखकर पहचान जाऊगी। जब ब ी पाँच िदन क थी, तभी म
वहाँ से चली आई।
म तुरत घर लौट आई और अपनी माँ, जो अब भी पीि़डत थी, से कहा, ‘चलो, अब तु ह यह सब सहने क
कोई ज रत नह ह। म तु ह यहाँ से िनकालूँगी।’ वह मेरी दस वष या बहन को अपने िपता क साथ रहने क
िलए छोड़कर मेर साथ चली आई। मेरी बहन हमेशा अपने िपता क ि य रही थी।
अपनी माँ को एक छोट से होटल म नौकरानी क नौकरी िदलाने और उसे ऐसे अपाटमट म रखने, जहाँ
वह वतं और सहज थी, क बाद मुझे लगा िक मेर कत य पूर हो गए। म अपनी एक मिहला िम क साथ
एक महीने रहने क िलए िशकागो चली गई और तीस वष तक नह लौटी।
उन शु आती िदन म मने एक ब े क प म जो िहसा सही और उसक साथ मने मह वहीन होने क जो
भावना िवकिसत क , उसने मेर जीवन म ऐसे पु ष को आक िकया, िज ह ने मेर साथ दु यवहार िकया
और अकसर मुझे मारा-पीटा। म अपना शेष जीवन पु ष को नीचा देखते ए िबता सकती थी और मुझे
शायद वही अनुभव होते। लेिकन धीर-धीर सकारा मक अनुभव से मेरा आ मिव ास बढ़ा और उस कार क
लोग मेर जीवन से जाने लगे। अब वे मेर पुराने िवचार से मेल नह खाते थे, जब म अवचेतन मन म यह
मानती थी िक म दु यवहार क यो य । म उसक यवहार को सही नह ठहरा रही; लेिकन यिद मेरा सोचने
का तरीका वैसा नह होता तो वे मेर ित आक नह होते। अब मिहला से दु यवहार करनेवाले िकसी
य को मेर अ त व क बार म पता भी नह ह। हमार ि कोण अब मेल नह खाते।
कछ वष तक िशकागो म छोटा-मोटा काम करने क बाद म यूयॉक चली गई और सौभा यवश एक बड़ी
फशन मॉडल बन गई। िफर भी, बड़ िडजाइनर क िलए मॉडिलंग करने से भी मेरा आ मिव ास अिधक नह
बढ़ा। उसने मुझे अपने अंदर दोष ढढ़ने क और तरीक ही िदए। मने अपने ही स दय को पहचानने से इनकार
कर िदया था।
म कई वष तक फशन उ ोग म रही। मने एक अ छ, िशि त अं ेज स न से िववाह िकया। हमने दुिनया
क सैर क , बड़ लोग से िमले और हाइट हाउस म िडनर तक िकया। हालाँिक म एक मॉडल थी और मेर
पास एक बि़ढया पित था, मेरा आ मिव ास तब भी कम रहा, जब तक िक कई वष बाद मने आ या मक
काम नह शु िकया।
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चौदह वष क शादी क बाद एक िदन मेर पित ने िकसी और से िववाह करने क इ छा जताई, एकदम
उसी समय जब म यह यक न करना शु ही कर रही थी िक अ छी चीज थायी हो सकती ह। हाँ, म टट
गई। लेिकन समय बीतता ह और म िजंदगी जीती रही। म अपने जीवन को बदलता देख सकती थी और वसंत
म एक िदन एक अंक योितषी ने मुझे बताया िक पतझड़ म एक छोटी सी घटना मेरा जीवन बदल देगी।
वह इतनी छोटी घटना थी िक म कई महीन बाद उस पर यान दे पाई। संयोगवश म यूयॉक िसटी म
रलीजस साइस क चच क एक बैठक म गई थी। हालाँिक उनका संदेश मेर िलए नया था, मेर अंदर िकसी
चीज ने कहा, ‘ यान से सुनो।’ मने वैसा ही िकया। म न कवल संड सिवसेज म गई ब क उनक सा ािहक
क ाएँ भी लेना शु कर िदया। स दय और फशन क दुिनया से मेरी िदलच पी समा होती जा रही थी। म
कब तक अपनी कमर क नाप या अपनी भ ह क आकार को लेकर िचंितत रह सकती थी? हाई कल
ॉपआउट, िजसने कभी कछ नह पढ़ा, से अब म एक मेहनती छा ा बन गई थी, जो त व-िव ान
(मेटािफिज स) और उपचार से जुड़ी हर बात को उ सुकता से हण करती थी।
रलीिजयस साइस का चच मेर िलए एक नया घर बन गया। हालाँिक मेरा अिधकांश जीवन पहले क तरह
चल रहा था, इस नए पा य म ने मेरा अिधक-से-अिधक समय लेना शु कर िदया। तीन वष बाद म चच
क लाइससशुदा ै टशनर का आवेदन देने क यो य हो गई। मने वह परी ा पास कर ली और कई वष पहले
यह से मने एक चच काउसलर क प म शु आत क ।
वह एक छोटी शु आत थी। उस समय तक म एक इि यातीत यानी बन गई। अब मने अपने िलए कछ
और िवशेष करने का फसला िकया। म फयरफ ड, लोवा म छह महीन क िलए यूिनविसटी गई।
उस समय वह मेर िलए िबलकल सही जगह थी। पहले वष, हर सोमवार सुबह को हम एक नया िवषय
शु करते थे, िजन चीज क बार म मने िसफ सुना था, जैसे जीव-िव ान, रसायन-िव ान और यहाँ तक िक
सापे ता का िस ांत। हर शिनवार क सुबह परी ा होती थी। रिववार अवकाश होता था और सोमवार सुबह
हम एक नई शु आत करते थे।
यूयॉक िसटी म मेर जीवन म कोई बाधा नह रह जैसे िक पहले होती थ । रात क भोजन क प ा हम
सभी अपने-अपने कमर म पढ़ाई क िलए चले जाते थी। म कपस म सबसे बड़ी उ क छा ा थी और मने
उसक येक ण का आनंद उठाया। वहाँ धू पान, शराब या नशीले पदाथ पर ितबंध था और हम िदन म
चार बार यान करते थे। िजस िदन म वहाँ से िनकली, हवाई अ पर िसगरट क धुएँ से मुझे ऐसा लगा िक
म बेहोश हो जाऊगी।
वापस यूयॉक म म अपने जीवन म िफर से लौट आई। ज दी ही मने िश ण काय म करना शु िकया।
म तमाम सामािजक गितिविधय म ब त सि य हो गई। मने उनक दोपहर क बैठक म भाषण देना और
ाहक को देखना शु कर िदया। यह तेजी से एक पूणकािलक क रयर क प म बदल गया। म जो काम
कर रही थी, उसे एक छोटी सी पु तक ‘हील योर बॉडी’ क प म संकिलत करने क िलए े रत ई, िजसक
आरभ म शरीर क बीमा रय क िलए त व-िव ान संबंधी कारण क एक सरल सूची ह। मने ले र देना,
या ाएँ करना तथा छोटी क ाएँ लेना शु कर िदया।
इसक बाद एक िदन मुझे बताया गया िक मुझे कसर ह।
पाँच वष क आयु म बला कार क िशकार और दु यवहार पीि़डत ब े क मेरी पृ भूिम क साथ यह कोई
आ य क बात नह थी िक मुझे योिन क पास कसर आ।
हर िकसी क तरह अपनी बीमारी क बार म सुनकर म पूरी तरह घबरा गई। िफर भी ाहक क साथ इतने
िदन तक काम करने क बाद म जानती थी िक मानिसक उपचार कारगर होता ह और मुझे अपने आपको यह
सािबत करने का अवसर िमल रहा था। आिखरकार मने मानिसक ा प पर एक पु तक िलखी थी और म
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जानती थी िक कसर लंबे समय तक रखी गई नाराजगी का रोग ह, जब तक वह अंततः शरीर को खा न जाए।
म अपने बचपन म ‘उनक’ ित सार गु से और नाराजगी को समा करने से इनकार कर रही थी। यथ
करने क िलए समय नह था, मेर पास करने को ब त कछ था।
‘असा य’ श द, जो ब त से लोग क िलए इतना डरावना ह, मेर िलए यह अथ रखता ह िक इस थित
को िकसी भी बाहरी उपाय ारा ठीक नह िकया जा सकता ह और हम उसका उपचार करने क िलए अपने
अंदर जाना चािहए। यिद कसर से छटकारा पाने क िलए मेरा ऑपरशन होता और म उसे उ प करनेवाले
मानिसक िवचार से छटकारा नह पाती तो डॉ टर बस लुइस को काटते रहते, जब तक िक उसम कछ न
बचता। मुझे वह िवचार पसंद नह आया।
यिद म कसर क वृ को समा करने क िलए ऑपरशन करवाती और साथ ही कसर क िलए िज मेदार
मानिसक िवचार को भी साफ कर देती तो वह लौटकर नह आ सकता था। यिद कसर या कोई अ य बीमारी
लौटकर आती ह तो म नह मानती िक यह उसक पूरी तरह ठीक न होने क कारण होता ह, ब क इसिलए
िक रोगी कोई मानिसक प रवतन नह करता। वह बस उसी बीमारी को िफर से उ प कर लेता ह, शायद
शरीर क िकसी और अंग म।
म यह भी मानती िक यिद म कसर को उ प करनेवाले मानिसक ि कोण को ठीक कर पाऊ तो मुझे
ऑपरशन क ज रत भी नह पड़गी। इसिलए मने डॉ टर से समय माँगा और डॉ टर ने अिन छा से मुझे
तीन महीने िदए, जब मने उनसे कहा िक मेर पास पैसे नह ह।
मने त काल अपने उपचार क िज मेदारी ली। मने अपनी उपचार- ि या म मदद क िलए वैक पक तरीक
खोजने का हर संभव यास िकया, िजतना म पढ़ या ढढ़ सकती थी।
म कई ह थ फड टोर म गई और कसर क िवषय पर उनक पास मौजूद पु तक खरीद । म पु तकालय
गई और खूब पढ़ा। मने फट र ले सोलॉजी और कॉलन थेरपी क बार म पढ़ा और मुझे लगा िक ये दोन मेर
िलए लाभदायक ह गे। ऐसा लग रहा था िक म िबलकल सही लोग क पास जा रही । फट र ले सोलॉजी
क बार म पढ़ने क बाद म एक ै टशनर खोजना चाहती थी। मने एक ले र सुना और जबिक म आम तौर
पर पहली पं म बैठती थी, उस रात मुझे पीछ बैठना पड़ा। एक िमनट क अंदर एक य आया और मेरी
बगल म बैठ गया और सोिचए िक या आ? वह एक फट र ले सोलॉिज ट था। वह दो महीन तक एक
स ाह म तीन बार मेर पास आया और उससे काफ मदद िमली।
म जानती थी िक मुझे अपने आपसे और अिधक ेम करना होगा। मेर बचपन म ब त कम ेम था और
िकसी ने मुझे अपने बार म अ छा महसूस नह करने िदया। मने लगातार मुझे िनशाना बनाने और मेरी
आलोचना करने क ‘उनक’ यवहार को अपना िलया था, जो मेरी दूसरी कित बन गई थी।
मने िश ण काय करते समय यह अहसास िकया था िक मेर िलए अपने आपसे ेम करना और अपने
आपको वीकार करना ठीक था और यहाँ तक िक अिनवाय था। िफर भी म उसे अनदेखा करती रही—जैसे
आप यह कहते ह िक आप कल से डाइिटग शु कर लगे। लेिकन अब म उसक उपे ा नह कर सकती थी।
सबसे पहले मेर िलए ऐसी चीज करना ब त किठन था, जैसे दपण क सामने खड़ होकर ऐसी चीज कहना,
‘लुइस, म तु ह यार करती । म वा तव म तु ह यार करती ।’ लेिकन जब म ऐसा करती रही तो मने
पाया िक मेर जीवन म ऐसी कई प र थितयाँ आई िजसम अतीत म म खुद को मह वहीन समझने लगती और
अब दपण क अ यास और दूसर अ यास क वजह से म वैसा नह कर रही थी। म कछ गित कर रही थी।
म जानती थी िक मुझे उन नाराजिगय को ख म करना ह, जो म बचपन से ढोए आ रही थी। मेर िलए उस
दोषारोपण को भूल जाना ब त ज री था।
हाँ, मेरा बचपन ब त किठन था, िजसम मेर साथ काफ मानिसक, शारी रक और यौन दु यवहार आ था।
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लेिकन वह कई वष पहले क बात थी और आज मेर ारा अपने साथ उस कार का यवहार करने का
अब तो कोई बहाना नह था। म कसर क वृ क साथ अपने शरीर को खा रही थी, य िक मने मा नह
िकया था।
मेर िलए अब उन घटना से पर जाने और यह समझना शु करने का समय था िक िकस कार क
अनुभव ने वैसे लोग को उ प िकया होगा, जो एक ब े से उस प म यवहार करते ह।
एक अ छ थेरिप ट क मदद से मने तिकय को पीटते ए और ोध से िच ाते ए सार पुराने व दबे ए
गु से को बाहर िनकाला। इसक बाद मने उन कहािनय क टकड़ को जोड़ना शु िकया, जो मेर माता-िपता
ने अपने अपने बचपन क बार म सुनाई थ । मने उनक जीवन क एक बृह तसवीर देखनी शु क । मेरी
बढ़ती समझ और एक वय क ि कोण से मेर अंदर उनक पीड़ा क िलए दया उ प होने लगी और
िशकायत धीर-धीर समा होने लगी।
इसक अलावा, मने इतने वष म जो जंक फड खाए थे, उनसे अपने शरीर क शु ीकरण और उसे िवष-
मु करने म मदद करने क िलए मने एक अ छ पोषण िवशेष क तलाश क । मुझे पता चला िक जंक
फड शरीर म जमा होकर िवषैले त व उ प करते ह। जंक िवचार मन म जमा होकर िवषैली प र थितयाँ
उ प करते ह। मुझे खूब हरी स जय क साथ एक नपा-तुला आहार िदया गया।
मेरा ऑपरशन नह आ, लेिकन इन सभी यापक मानिसक और शारी रक शु ीकरण क फल व प मेर
डाय नोिसस क छह महीने बाद िचिक सा-शा को भी उस बात से सहमत होना पड़ा, जो म पहले से जानती
थी—िक मेर अंदर कसर का नामोिनशान नह था! अब म अपने य गत अनुभव से जानती थी िक यिद हम
अपने सोचने, मानने और करने क तरीक को बदलने क इ छक ह तो रोग ठीक हो सकता ह।
कभी-कभी जो हम एक बड़ी ासदी लगती ह, वह हमार जीवन क सबसे अ छी बात होती ह। मने उस
अनुभव से ब त कछ सीखा और म एक नए प म अपने जीवन को मह व देने लगी। म यह देखने लगी िक
मेर िलए वा तव म या मह वपूण ह और मने आिखरकार ह रयाली िवहीन यूयॉक शहर और उसक उ
मौसम को छोड़कर जाने का फसला िकया। मेर कछ ाहक ने कहा िक यिद म उ ह छोड़कर गई तो वे मर
जाएँगे, और मने उ ह आ त िकया िक म उनक गित देखने क िलए वष म दो बार वहाँ आऊगी, िफर
टलीफोन से हम कह भी प च सकते ह। इसिलए मने अपना यवसाय समेटा और किलफोिनया क रलगाड़ी
पकड़ ली, मने लॉस एंिजिलस को आरिभक िबंदु क प म इ तेमाल करने का फसला िकया।
हालाँिक ब त वष पहले म यह जनमी थी, म अपनी माँ और बहन क अलावा वहाँ िकसी को नह जानती
थी। वे दोन अब शहर क बाहरी िह से म लगभग एक घंट क दूरी पर रहती थ । हम कभी एक करीबी
प रवार या खुले प रवार क प म नह रह थे, लेिकन िफर भी मुझे यह जानकर दुःख भरा आ य आ िक
कई वष से मेरी माँ क आँख क रोशनी चली गई थी और िकसी ने मुझे बताना ज री नह समझा था। मेरी
बहन इतनी ‘ य त’ थी िक मुझसे िमल नह पाई, इसिलए मने उसे य त छोड़ िदया और अपना नया जीवन
शु करने म जुट गई।
मेरी छोटी सी पु तक ‘हील योर बॉडी’ ने मेर िलए ब त से दरवाजे खोल िदए थे। म हर आधुिनक कार
क बैठक म जाने लगी। म अपना प रचय देती और जब उपयु होता तो उस पु तक क एक ित पकड़ा
देती। पहले छह महीने तक म समंदर क िकनार खूब जाती थी, य िक मुझे पता था िक जब म य त हो
जाऊगी, तो मेर पास ऐसे आनंद उठाने क िलए कम समय होगा। धीर-धीर ाहक आने लगे। मुझे कई जगह
भाषण देने क िलए िनमं ण िमले और थितयाँ सुधरने लग , लॉस एंिजिलस ने मेरा वागत िकया। कछ ही
वष म म एक यार से घर म चली आई।
लॉस एंिजिलस म मेरी नई जीवन-शैली मेर शु आती जीवन से िबलकल िवपरीत और जाग कता पूण थी।
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वाकई सबकछ सही चल रहा था। हमारा जीवन िकतनी तेजी से पूरी तरह बदल सकता ह।
एक रात को मेर पास बहन का फोन आया, दो वष म पहला फोन। उसने मुझे बताया िक अंधी और
लगभग बहरी हो चुक हमारी माँ, जो अब न बे वष क हो चुक थ , िगर गई ह और उनक कमर टट गई ह।
एक पल म मेरी माँ एक मजबूत वतं मिहला से पीड़ा म कराहती एक असहाय ब ी म बदल गई थ ।
उनक पीठ टट गई और साथ ही मेरी बहन क चार ओर गोपनीयता क दीवार भी तोड़ दी। आिखरकार
हमारी बातचीत शु ई। मने पाया िक मेरी बहन को भी कमर क गंभीर सम या ह, िजससे उसे बैठने और
चलने म परशानी होती थी और िजसक वजह से उसे काफ पीड़ा थी। वह चुपचाप सहती थी, लेिकन उसक
पित को पता नह था िक वह बीमार ह।
अ पताल म एक महीना िबताने क बाद मेरी माँ घर जाने क िलए तैयार थ । लेिकन वह िकसी भी कार
अपनी देखभाल नह कर सकती थ , इसिलए वह मेर साथ रहने चली आई।
य िप जीवन क ि या पर भरोसा करती थी, लेिकन म नह जानती थी िक म यह सब कसे सँभाल
पाऊगी, इसिलए मने ई र से कहा, ‘ठीक ह, म उनक देखभाल क गी; लेिकन आपको मेरी मदद करनी
होगी और आपको मुझे धन देना होगा।’
वह हम दोन क िलए एक समझौता था। वह एक शिनवार को आई और अगले शु वार को मुझे चार िदन
क िलए सैन ांिस को जाना था। म उ ह अकला नह छोड़ सकती थी और मेरा जाना ज री था। मने कहा,
‘ई र, आप इसे सँभालो। मुझे जाने से पहले हमारी मदद क िलए सही य चािहए।’
अगले गु वार को वह सही य कट आ और मेरी माँ और मेर िलए मेर घर को यव थत करने आ
गया। वह मेरी एक मूल धारणा क एक और पुि थी—‘म जो भी जानना चाहती , वह मेर सामने आ जाता
ह और मुझे जो भी ज रत होती ह, वह िद य प से सही यव था म मेर पास आ जाता ह।’
मुझे अहसास आ िक वह एक बार िफर मेर िलए सबक सीखने का समय था। यहाँ पर बचपन क ब त
सारी गंदगी साफ करने का एक अवसर था।
जब म ब ी थी तो मेरी माँ मुझे सुर ा दान करने म सफल नह हो पाई थी। लेिकन, अब म उनक
देखभाल कर सकती और क गी। मेरी माँ और मेरी बहन क बीच एक पूरा नया दौर शु हो गया था।
मेरी बहन ने मुझसे जो मदद माँगी, उसे देना एक और चुनौती थी। मने जाना िक जब ब त वष पहले मने
अपनी माँ को बचाया था तो मेर सौतेले िपता ने अपना गु सा और दद मेरी बहन क िखलाफ िनकाला, िफर
उसने िपता क रता सही।
मने पाया िक जो परशानी शारी रक सम या क प म शु ई थी, वह बाद म भय और तनाव से ब त
बढ़ गई, साथ म यह धारणा भी थी िक कोई उसक मदद नह कर सकता। तो यहाँ पर लुइस थी, जो र क
नह बनना चाहती थी और िफर भी अपनी बहन को उसक जीवन क इस मोड़ पर वा य चुनने का एक
अवसर देना चाहती थी।
धीर-धीर उलझन सुलझने लगी और अब तक जारी ह। हम एक-एक कदम आगे बढ़ रह ह, जैसे-जैसे म
सुर ा का माहौल दान करती , साथ ही वा य क कई रा ते खोजे।
दूसरी ओर, मेरी माँ ब त अ छी कार से िति या देती ह। वह िदन म चार बार साम य अनुसार यायाम
करती ह। उनका शरीर मजबूत और अिधक लचीला होता जा रहा ह। मने उ ह एक हीय रग ऐंड िदलाई और
उनक जीवन म िदलच पी बढ़ गई। मने उनक एक आँख से मोितयािबंद िनकलवाने क िलए उन पर जोर
डाला। उनक िलए िफर से देखना शु करना और हमार िलए उनक आँख से दुिनया देखना िकतना
आनंददायक ह। वह िफर से पढ़ पाने पर खुश ह।
मेरी माँ1 और मने बैठकर एक-दूसर से बात करने का समय िनकालना शु िकया, जैसा हमने पहले कभी
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नह िकया था। हमार बीच एक नई समझ िवकिसत ई। आज हम दोन अिधक मु हो गए ह, य िक हम
साथ-साथ रोते, हसते और गले लगते ह। कभी-कभी मुझे लगता ह िक मेर पास साफ करने को अभी और भी
कछ ह।
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उपसंहार
िव ास नह होता िक पहली बार ‘यू कन हील योर लाइफ’ िलखने क बाद से बीस वष गुजर चुक ह। उस
समय इस पु तक को 29 अलग-अलग भाषा मे अनूिदत िकया गया था, यह 35 से अिधक देश म
उपल ध ह और दुिनया भर म इसक 3 करोड़ से अिधक ितयाँ िबक चुक ह।
जब मने पहली बार यह पु तक िलखी तो मेरा मूल सपना मेरी कायशाला म आनेवाले छा से पर
जाकर और भी ब त से लोग क मदद करना और उनक जीवन को बेहतर बनाना था। म यह नह जानती थी
िक ांड िकस कार इस सपने को पूण करगा या िकतने लोग को वाकई मदद िमल पाएगी। इस पु तक
क िलखे जाने क समय लगा िक जीवन ने कहा, ‘यह पु तक बाहर जानी चािहए। इसे दुिनया भर म उपल ध
होना चािहए।’ मुझे लगता ह िक ‘यू कन हील योर लाइफ’ क सफलता का कारण यह ह िक मुझम लोग को
बदलने म मदद करने और उ ह अपराध-बोध महसूस कराए िबना अपने आपसे ेम करना िसखाने क मता
ह।
लॉस एंिजिलस क ड बुक फयर (बुक ए सपो अमे रका 2003) म म एक य से िमली, िजसने
बताया िक काठमांड (नेपाल) म उनक बुक टोर म सबसे अिधक िबकनेवाली एक लेिखका । म उनक
िबजनेस काड को हर जगह लोग से अपने असाधारण संपक का मरण िदलानेवाली व तु क प म अपनी
ड क पर रखती । और आज इटरनेट से मुझे हर माह दुिनया भर से ढर मेल आते ह। इनम से ब त से प
युवा क होते ह, जो मेर संदेश को उतना ही मह वपूण और उपचारक पाते ह िजतना उसे बीस वष पहले
पढ़नेवाले लोग पाते थे।
इन वष म ब त कछ आ ह, साढ़ छह वष तक मने ए स-पीि़डत क साथ काम करते ए समय
िबताया। यह मेर िलिवंग म म एक शाम को छह लोग क साथ शु आ; कछ ही वष म यह बढ़कर 800
से अिधक लोग क सा ािहक बैठक तक प च गया। हमने इसे हराइड का नाम िदया। वह मेर िलए िवकास
का एक ऐसा समय था—मेरा िदल लगातार िव तृत हो रहा था। म उन अनुभव को अपने पूर जीवन याद
रखूँगी। हराइड सपोट ुप अब भी प मी हॉलीवुड म िव मान ह, हालाँिक म अब उससे जुड़ी ई नह ,
य िक म कछ वष पहले शहर से बाहर आ गई।
इस पु तक क िलखे जाने क कछ समय बाद कई हराइड लोग मेर साथ ए स क बार म सकारा मक
संदेश फलाने क िलए ओपरा शो पर गए। उसी स ाह म डॉ. बन सीगल क साथ डोना इ पर पेश ई। ‘यू
कन हील योर लाइफ’ सवािधक िबकनेवाली पु तक क सूची म शािमल हो गई और 13 स ाह तक उस पर
रही। म िव मत थी िक जीवन मुझे िकतनी सारी िदशा म ले जा रहा ह। म लंबे समय तक िदन म दस घंट,
स ाह म सात िदन काम करती थी।
जीवन च म चलता ह। कछ करने का एक समय होता ह और िफर आगे बढ़ जाने का समय होता ह।
िपछले दस वष म मुझे अपना अिधकांश समय अपने बगीचे म खाद बनाते, धरती को उवर बनाते और
अपने भोजन का अिधकांश िह सा उगाते ए िबताने का आनंद ा आ ह। अगले कछ महीन म म
छतवाले एक नए आवास म चली जाऊगी। अब मेरी बागबानी िभ होगी, लेिकन म िम ी क साथ काम
ज र क गी।
लंबे समय से पिटग मेर शौक क सूची म रही ह और इन वष म मने थोड़ा-ब त हाथ आजमाया ह और
कछ क ा म शािमल ई । कछ वष पहले मुझे एक ब त अ छी कला िशि का िमल , िज ह ने मुझे
अपनी एकमा िव ाथ क प म वीकार िकया। मुझे आ य आ िक उनका नाम मेर नाम से ब त
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िमलता-जुलता ह—िलन हज। िलन ने मुझे उससे कह आगे प चा िदया, िजतनी म पिटग म अपनी मता
समझती थी, और वह मुझे कछ छोटी िच कारी करने क इजाजत नह देती थ । अब म इन िदन बड़ पैमाने
पर ऑयल पिटग कर रही और काफ संतु महसूस कर रही ।
िपछले बीस वष म मने ब त से पशु को छटकारा िदलाया ह। मने हर िकसी को कहा, ‘म तु हार अतीत
क बार म कछ नह कर सकती; लेिकन म वादा करती िक तुम अपने शेष िदन म ेम और खुशी से जीवन
यतीत करोगे।’ वे सब अपनी पूरी िजंदगी िजए और अब आगे बढ़ गए ह। मेरा अंत ान मुझे िफलहाल और
पशु न रखने क सलाह देता ह, य िक मुझे पूरी दुिनया म और अिधक घूमने क िलए वतं होने क
आव यकता ह।
शु आती िदन म मेरी तरह का काम करनेवाले ब त कम लोग थे और म हर कह होने, लगातार िश ा देने
क आव यकता महसूस करती थी। अब यहाँ ब त अ छ िश क ह और म अब य गत प से हर िकसी
को बचाने का दबाव नह महसूस करती। मने 20 से अिधक पु तक िलखी ह और असं य ऑिडयो और
वीिडयो बनाए ह। मेरी सलाह क कॉलम, ‘आ क लुइस’ और ‘िडयर लुइस’ 50 से अिधक िविभ नई
पि का (साथ ही मेर अपने मािसक यूजलेटर) म कािशत होते ह। लोग क अ ययन क िलए ब त
सारी साम ी ह। मने अपने भाषण क काय म को लगभग ख म कर िदया ह। अब म परदे क पीछ से काम
करती , नए लेखक और ितभाशाली िश क को समथन देती ।
म भा यशाली िक ह हाउस चलाने क िलए मेर पास ब त ही अ छ लोग ह। ेसीडट और सी.ई.ओ.
रीड सी और वाइस ेसीडट रॉन िटिलंगे ट मेर िलए अमू य ह, उतनी ही मह वपूण मेरी य गत सहाियका
शेली एंडरसन ह। म संपादक य, कला िवभाग, िव ापन, ाहक सेवा, माकिटग, िब , एकाउिटग और
गोदाम म काम करनेवाले सभी लोग से यार करती । वे सब िमलकर ह हाउस क अ ुत पा रवा रक
सद य ह, जो हम सबको इतनी कामयाबी िदलाते ह। म मानती िक हम लंबे समय तक संपक म आनेवाले
सभी लोग को आशीवाद देते ए और खुशहाल बनाते ए दुिनया क सामने अपना ान लाना जारी रखगे।
जब मने पहली बार ‘यू कन हील योर लाइफ’ कािशत क , तो म ह हाउस इसिलए आरभ िकया तािक म
अपनी पु तक को वयं कािशत कर सक, य िक उस समय म यह मानती थी िक उस समय कोई दूसरी
कपनी इसे कािशत नह करती। तब इन िवचार को अितवादी माना जाता था। उस समय बुक टोर म एक
भी से फ-ह प से शन नह आ करता था। आज, यूयाक टाइ स क आधे से अिधक बे टसेलर से फ-ह प
िकताब ह। लोग क सजगता िकतनी बदल गई ह! यह जानकर अ छा लगता ह िक म इस संदेश को
फलानेवाले शु आती लोग म थी िक हम सबक अंदर अपने जीवन को बेहतर बनाने क मता होती ह।
तब से ह हाउस से फ-ह प और मन/शरीर/आ मा े म दुिनया क सबसे बड़ काशक म से एक बन
गया ह। अब हमार कायालय िसडनी, ऑ िलया; लंदन, इ लड; जोहा सबग, दि ण अ का; वकवर,
कनाडा और हांगकांग म भी ह। इन प रवतन क बार म मने कभी सपने म भी नह सोचा था। आरभ म मेरा
उ े य उन लोग क मदद करना था, िजनसे म य गत प से नह िमल सकती थी। म िदल से मानती
िक ह हाउस क गित म वयं ांड ारा सहयोग िदया गया ह—जब हम िकसी नई पु तक को काशन
क िलए चुनते ह, उसम कछ ऐसा होता ह, जो दूसर को अपने आप म सुधार लाने म मदद करता ह। म
ेमपूवक ऐसे लेखक को सहायता देना पसंद करती जो दूसर का जीवन बदलने म सहायता दे रह ह।
एक बार एक योितषी ने मुझसे कहा िक जब म पैदा ई थी तो मेर चाट म एक ऐसा गुण था जो दरशाता
था िक म ब त से लोग क य प से मदद क गी। िन त प से, 77 वष पहले टप रकॉडर का
आिव कार नह आ था, इसिलए वह गुण असंभव-सा तीत होता था। लेिकन ौ ोिगक क चम कार से टप
पर (और अब सी.डी. पर) मेरी आवाज क विन हर रात सोते समय हजार लोग क साथ रहती ह। मेरी
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आवाज िकसी को सुला सकती ह!
इसक कारण, िजन लोग से म कभी नह िमली, वे भी महसूस करते ह िक वे मुझे जानते ह, य िक हम
इतने सार अंतरग पल साथ िबताते ह। म जो करती , उसक साथ एक अ छी बात यह ह िक म जहाँ भी
जाती , लोग ेम से मेरा अिभवादन करते ह। लोग महसूस करते ह िक म एक पुरानी िम िजसने ब त
मु कल पल म उनक मदद क ह।
चाह हम िकसी भी उ क ह , हम हमेशा कछ और कड़ को हटा सकते ह और एक नई बाधा को समा
कर सकते ह। म अपनी नई सफलता आपक साथ बाँटना चाहती ।
जब म 76 वष क ई तो मने कछ ऐसा करने का फसला िकया जो मने पहले कभी न िकया था, िजससे
म हमेशा डरती रही : मने बॉल म डांिसंग शु क । म बचपन से डांस करना चाहती थी, लेिकन म कभी
भी साहस नह जुटा पाई। कई वष तक मने कहा, ‘अगले जीवन म म एक डांसर बनूँगी। अब वह करने क
िलए काफ देर हो चुक ह।’ यह एक नकारा मक िवचार था।
एक िदन म एक डांस टिडयो क पास से गुजरी, िजसका िव ापन था— ‘हम आपको एक बार म एक
टप डांस िसखाते ह’। और मने सोचा, एक बार म एक टप, शायद म यह कर पाऊ। म अगले जीवन क
िलए य इतजार कर रही ? और इस तरह मेर िलए एक नया युग शु आ।
पहले दो महीने नरक क तरह थे। म हर बुधवार क दोपहर क सबक क िलए डरते-डरते जाती थी, लेिकन
मुझे पता था िक मुझे वह करना ह। मुझे लगता ह िक मने पहले सबक क दौरान अपनी साँस रोककर रखी।
मने जो बचपन का कड़ा अपने अंदर सँभालकर रखा आ था, वह सामने आ गया : शिमदगी, अपमान, शम
—वह मेर शरीर म वािहत हो रहा था। मुझे उसका उपचार करने क िलए कोई ढ़ िन य तक नह करना
पड़ा।
एक िदन मेर िश क ने आिखरकार कहा, ‘लुइस, मुझे आपक आँख म भय िदखाई दे रहा ह। वह कहाँ
से आया ह?’ म उस समय उस न का उ र नह दे सक । लेिकन उस रात को मने ईमानदारी से उसक बार
म सोचा और उसका उ र था िक मेर एक िह से को यक न था िक यिद मने उसे ‘गलत’ िकया तो मेर चेहर
पर थ पड़ पड़गा। यह मेर िलए एक वा तिवकता उजागर ई। मेर अंदर का छोटा ब ा थ पड़ खाने से डर
रहा था, और म 76 वष क थी।
अगले सबक म मने जब िश क को अपना उ र बताया तो उनक आँख आँसु से भर गई। और वह मेर
िलए एक सफलता थी। वे सभी भावनाएँ समा होने लग और म अपने कदम पर यान कि त कर सकती
थी। अब करीब एक साल क बाद म स ाह म तीन पाठ तथा चार समूह पाठ लेती । यह मेर िलए मजे से
पूण बन चुका ह। इसिलए यिद म कर सकती , तो आप भी कर सकते ह। कछ नया सीखने क िलए कभी
देर नह होती।
मेरी उ िजतनी बढ़ती जा रही ह, मेर िलए मेरा वा य उतना ही मह वपूण होता जा रहा ह। म साधारण
भोजन करती — ोटीन, स जयाँ और कछ फल। म अब शाकाहारी नह , हालाँिक म पहले शाकाहारी
थी; िफर भी म ढर सारी स जयाँ खाती । म अब गे , दु ध उ पाद, चीनी, कॉन, ख फल, बी स या
कालीन नह लेती, अ यंत िवरल अवसर को छोड़कर। म पहले से अिधक यायाम भी करती । 75 वष क
आयु म मने योग शु िकया और म उसे स ाह म तीन बार करती । म अब बचपन से अिधक फरतीली ।
इसक अलावा, म पाइले स क क ाएँ लेती और स ाह म तीन बार एक घंट तक टहलती । यह सब
मेर शरीर को अ छ आकार म रखने म मदद करते ह।
कौन जानता ह िक अगले बीस वष म मेर िलए या ह? मेर पास कछ िवचार ह; लेिकन जीवन मुझसे
कह अिधक जानता ह। म जो िवषय आगे पढ़ाना चा गी, उनम से एक ह िक मृ यु को एक आनंददायक
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अनुभव िकस कार बनाया जाए। हम मृ यु क बार म िकतनी नकारा मक धारणाएँ रखते ह, लेिकन वह एक
वाभािवक और ाकितक ि या ह। हम सब ज म लेते ह और मरते ह। हम मृ यु से इतना य डरते ह?
हम ज म लेने से तो नह डरते थे। िफलहाल मेरी भावनाएँ यह ह िक यिद हम एक आनंदमय जीवन जीना
सीखते ह, तो हमारी मृ यु वतः आनंददायक होगी। म इसका और अिधक अ ययन क गी और िफर अपने
िन कष आपक साथ बाँटगी।
सब कशल ह। जीवन ब त अ छा चल रहा ह।
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नई िवचार ि याएँ
चेहरा : म अभी जहाँ , अपने आपको ेम और वीकार करता । म अ ुत ।

म त क : पूरा जीवन प रवतन ह। मेरी िवकास ि याएँ सदा नवीन ह।

साइनस : म पूर जीवन क साथ एकाकार । जब तक म न चा , िकसी क पास मुझे परशान करने क श नह ह। शांित, स ावना। म
कलडर म कोई िव ास नह रखता।

आँख : म मु । म वतं ता से आगे देखता , य िक जीवन शा त ह और खुशी से भरपूर ह। म ेम क आँख से देखता । कोई कभी
मुझे नुकसान नह प चा सकता।

गला : म अपने िलए बोल सकता । म आजादी से अपने आपको अिभ य करता । म रचना मक । म ेम से बोलता ।

फफड़ : जीवन क साँस आसानी से मेर अंदर वािहत होती ह। ( काइिटस) : शांित। कोई मुझे परशान नह कर सकता। (दमा) : म अपने
जीवन का भार लेने क िलए वतं ।

दय : खुशी, ेम, शांित। म आनंदपूवक जीवन को वीकार करता ।

लीवर : म हर उस चीज को जाने देता , िजसक अब मुझे आव यकता नह ह। मेरी चेतना अब व छ ह और मेर िवचार ताजे, नए व जीवंत
ह।

बड़ी आँत : म मु । म अतीत को यागता । जीवन आसानी से मेर अंदर वािहत होता ह। (बवासीर) : म सभी दबाव व बोझ को यागता
। म आनंदमय वतमान म जीता ।

जननांग (नपुंसकता) : श । म अपने यौन िस ांत क पूण मता को सहजता और आनंद क साथ काम करने देता । म ेमपूवक और
आनंदपूवक अपनी से सुअिलटी को वीकार करता । कोई अपराध-बोध और सजा नह ह।

घुटना : मा, सिह णुता, क णा। म िहचिहचाहट क िबना आगे क ओर बढ़ता ।

वचा : म सकारा मक प म यान आक करता । म सुरि त । कोई मेरी वैय कता क िलए खतरा नह ह। यह दुिनया सुरि त और
िम व ह। म सारा ोध और नाराजगी छोड़ता । मुझे िजस चीज क भी आव यकता होती ह, वह हमेशा यहाँ होगी। म अपराध-बोध क िबना
अपना हक वीकार करता । म जीवन म सभी छोटी चीज क साथ सहज ।

पीठ : जीवन वयं मुझे समथन देता ह। म ांड पर भरोसा करता । म वतं प से ेम और िव ास देता । पीठ का िनचला िह सा : म
ांड पर भरोसा करता । म साहसी और वतं ।

िसर : शांित, ेम, खुशी, आराम। म जीवन क वाह म आराम से और जीवन को सहजता से अपने अंदर वािहत होने देता ।

कान : म ई र क बात सुनता । म जीवन क खुिशय को सुनता । म जीवन का एक िह सा । म ेम से सुनता ।

मुँह : म िनणय लेने वाला य । म नए िवचार और नई अवधारणा का वागत करता ।

गरदन : म लचीला । म दूसर ि कोण का वागत करता ।

कधे : म हािन-रिहत प म ोध को िनकालता । ेम छोड़ता ह और आराम देता ह। जीवन आनंदपूण और वतं ह। म जो भी वीकार करता
, वह अ छा ह।

हाथ : म सभी िवचार को ेम और सहजता से सँभालता ।

उगिलयाँ : म सहज , जानते ए िक जीवन का ान सभी चीज का यान रखता ह।

पेट : म नए िवचार को आसानी से आ मसा कर लेता । जीवन मुझसे सहमत ह; कोई चीज मुझे परशान नह कर सकती। म शांत ।

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िकडनी : म हर कह कवल अ छाई माँगता । जीवन म सब सही हो रहा ह। म संतु ।

लैडर : म पुराने को यागता और नए का वागत करता ।

पे वस (वेिजनाइिटस) : कार और मा यम बदल सकते ह, लेिकन ेम कभी समा नह होता। (मािसक ाव संबंधी) : म च क सभी
प रवतन म संतुिलत । म ेम से अपने शरीर को सराहती । मेर शरीर क सभी अंग खूबसूरत ह।

िनतंब : म जीवन क श से समथन और पोषण पाकर आनंदपूवक आगे क ओर बढ़ता । म अपनी बेहतरी क ओर बढ़ता । म सुरि त ।
(आथराइिटस) : ेम। मा। म दूसर को उनक जैसा रहने देता और म मु ।

ंिथयाँ : म पूरी तरह संतुिलत । मेरी णाली यव थत ह। म जीवन को ेम करता और वतं प से गितशील ।

पैर : म स ाई म खड़ा । म आनंद से आगे क ओर बढ़ता । मेर पास आ या मक समझ ह।

नई िवचार ि याएँ (सकारा मक ढ़ िन य) आपक शरीर का उपचार कर सकती ह और उसे िव ाम प चा सकती ह।

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Notes
[←1]
मेरी माँ ने कई वष पहले दुिनया छोड़ दी। म उ ह याद करती और उ ह ेम करती । हम जो भी साथ कर सकते थे, हमने िकया
और अब हम दोन मु ह।

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