KOSTH & ASHAY Presentation - 20240116 - 183332 - 0000

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KosthA

Evam
Ashay
•Presented by:-
Aashruti Bhardwaj
•Presented to -
B.A.M.S.- 2023 Batch
Dr. Anil Kumar Varshney
Roll No.:- 01
Subject :- Anatomy Dr. Alka Kuldeep Gupta
Contents:-
१- Introduction to Kostha
२- कोष्ठ की परिभाषा
३– कोष्ठांग की संख्या
४– आशय शरीर
५– आशय की संख्या
६– importance of kosth and ashay
७– Conclusion
Introduction to Kostha
•व्युत्पत्ति : कु ष धातु से
•पर्याय : १)महास्रोतास(Alimentary canal)
२) शरीर मध्य(Thoraco- abdominal cavity)
३)महानिन्न.
४)पकवशय(Intestine).

•आचार्य चरक के अनुसार :


कोष्ठ पुनरुच्यते महास्रोत शरीरमाध्य महानिम्न
आम पकवाशयेश्चेति ।
•The word Koshtha is used for the vast and empty
place where the things can be kept in a lot.
•In our thoracic abdominal cavity, a lot of vacant place
is available where all the organs are arranged
properly.
परिभाषा:–– •कोष्ठ का अर्थ संदूक या पेटी होता है।
•कोष्ठ में शरीर अवयव पाए जाते हैं
According to Modern:- Trunk, Alimentary canal,
Thoraco-Abdominal Cavity , Body Cavity.

•आचार्य सुश्रुत के अनुसार कोष्ठ की संख्या :— ०८

स्थानन्याम अग्नि पकवानां मुत्रस्य रुधिर अस्य च।


हृदय उण्डुक फु सफु श्च कोष्ठ इति अभिधीयते।। (सु २/१२)

अर्थात: अमाशय, अग्नाशय, पकवाशय, मूत्राशय, रक्ताशय, हृदय,


उण्डुक और फु सफु स
ये सभी अवयव जिस स्थान पर सुरक्षित रहते हैं, वह कोष्ठ कहलाता है।
कोष्ठांग
•परिभाषा:– कोष्ठ में स्थित अवयव को कोष्ठंग कहते हैं।
•संख्या :–
∆ आचार्य सुश्रुत के अनुसार– ८
∆ आचार्य वागभट के अनुसार –११
∆ आचार्य कश्यप के अनुसार – १४
∆ आचार्य चरक के अनुसार – १५
•कोष्ठांगों की संख्या आचार्य चरक के अनुसार:–१५
नाभि, हृदय , क्लोम, यकृ त,प्लीहा,वृक्क , वस्ति, पुरीशाधार, आमाशय,
पकवाशय , उत्तरगुद, अधरगुद, क्षुद्रांत, स्थूलांत्र, और वपावहन।

•कोष्ठांगो की संख्या आचार्य सुश्रुत के अनुसार :–०८


आमाशय, अग्नाशय, पक्वाशय, मूत्राशय,
रक्ताषय,हृदय, उण्डुक, फु सफु स।

∆•आचार्य चरक ने फु सफु स को कोष्ठांगों में नही माना है।


∆•अष्टांग संग्रह के अनुसार :– ०७
हृदय, फु सफु स,उण्डुक, वृक्क, यकृ त , आंत्र, प्लीहा

•आचार्य वागभट के अनुसार :– ११


हृदय, फु सफु स,उण्डुक, वृक्क, यकृ त , आंत्र, प्लीहा,
वस्ति, डिंब, नाभि, वृहद्रांत्र
•आचार्य काश्यप के अनुसार कोष्ठांग की संख्या:– १४
नाभि, हृदय, क्लोम, यकृ त, प्लीहा, बस्ति, वृक्क,
वपावहन, गुद (उत्तर गुद, अधर गुद), आमाशय,
पक्वाशय, क्षुद्रांत्र , वृहद्रांत्र, पुरीशाधान
आशय शरीर
•आशय का अर्थ = अधिष्ठान

•जिसमे कोई द्रव्य विशेष या वस्तु आश्रय लेकर रहता हो उसे आशय कहते हैं।
• जो अवकाश युक्त अवयव हो, उन्हें आशय कहा जाता है।
• शरीर के वे स्थान जो दोष, धातु एवं मलमूत्र आदि का आधार हो, उन्हें आशय कहते हैं।

∆ अशेते द्रव्यमान्ति इत्याशय: ।


शरीर में आशयों की संख्या:–
•आचार्य सुश्रुत, आचार्य वागभट और आचार्य काश्यप के अनुसार –
पुरुष में – ०७
स्त्री में – ०७+ ०१(गर्भाशय) = ०८
•आचार्य शारंगधर के अनुसार –
पुरुष में – ०७
स्त्री में – ०७+ ०१(गर्भाशय) + ०२(स्तन्याशय) = १०
वाताशय, पित्ताशय, श्लेष्माशय, रक्ताशय,
आमाशय, पकवाशय, मूत्राशय, •गर्भाशय, • २– स्तन्याशय
आचार्य शारंगधर के अनुसार आशयों के स्थान :–
१) उर स्थल में श्लेष्माशय (फु सफु स)
२) उर के मध्य – आमाशय
३)आमाशय के नीचे – अग्नाशय
४)अग्नाशय के नीचे – पकवाशय
५)पक्वाशय के नीचे – मलाशय
६)मलाशय के नीचे – मूत्राशय
७)उरोगुहा में – रक्ताशय।
•आचार्य काश्यप के अनुसार आशय की संख्या:–
पुरुष –०७
स्त्री – ०७+ ०१ (गर्भाशय)
∆ आचार्य काश्यप के अनुसार "कृ मि आशय" का विशिष्ट वर्णन किया गया है।
विडाशय, मूत्राशय , कृ मिआशय, पक्वाशय,
आमाशय, कफाशय पित्ताशय।
•स्त्रियों में आठवां गर्भाशय होता है।
•आचार्य सुश्रुत, आचार्य वागभट और आचार्य काश्यप के अनुसार
स्त्रियों में आशय की संख्या:– ०८
वाताशय, पित्ताशय, श्लेष्माशय, रक्ताशय,
आमाशय, पकवाशय, मूत्राशय, •गर्भाशय ।
•आशयों की संख्या आचार्य गणनाथ सेन के अनुसार:–
१)सगर्भाशय – जिसमे शून्य स्थान हो ।
• माहागर्भाशय –– आमाशय, मूत्राशय
•अल्पगर्भाशय ––वृक्क , मस्तिष्क
२)अगरभाशय – जिसमे शून्य स्थान न हो।
•यकृ त, प्लीहा, ठोस अवयव ।
Importance of Koshth and Ashay :-

•हमारे शरीर के अत्याधिक अंग कोष्ठ में स्थित होते हैं।

•शरीर की अत्यधिक आंतरिक क्रियाओं (internal physiology) के ठीक


प्रकार से कार्य करने के लिए जरूरी है की हमारा Alimentary Tract एवं
सभी अवयव स्वस्थ रहे।
Conclusion
We should keep our body organs healthy in order to stay
away from diseases.

ƥHow to keep your body and its organs healthy?

1- Wake up early in the morning.


2- Have freshly prepared food.
3-Do not mix cooked and uncooked food.
4-No coffee or tea on empty stomach or just before a
meal.
5-According to Ayurveda Digestion works in
accordance with the Sun
6- Include seasonal fruits and vegetables in you diet.
8- Do not eat during late hours.
Thank You

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