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कक्षा दसवीं िहं दी पिरयोजना

िलिखत - भाषा
प्रश्न २ लगभग ३०० से ४०० शब्दों में िनम्निलिखत िवषयों पर संिक्षप्त लेख िलिखए| िवषय से
सम्बंिधत िचत्र िचपकाना आवश्यक है|
1. “आजकल की भागदौड़ भरी िज़न्दगी में िरश्ते-नातों की अहिमयत ख़त्म होती जा रही
है”- इसके क्या कारण हैं | आप इन िरश्तों को संजोने के िलए क्या करेंगे ?
[प्रस्तावना – काव्यांश, सूिक्तयाँ - आजकल की भागदौड़ भरी िज़न्दगी
- िरश्ते- नातों की अहिमयत - िरश्ते-नातों की अहिमयत ख़त्म होने के
कारण- आप इन िरश्तों को संजोने के िलए क्या करेंगे ? - उपसंहार]
2. एक मौिलक कहानी िलिखए िजसका आधार िनम्निलिखत आरंिभक वाक्य हो :
“अचानक ज़ोर-ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आई और ......... |”

[उद्देश्य - भाषाशैली – साहिसक, सनसनीखेज (रोमांचक), जासूसी कहानी, हास्य-


िवनोद पूणर् - कथावस्तु - पात्र और चिरत्र िचत्रण - संवाद - शीषर्क ]
3. नीचे िदए गए िचत्र को ध्यान से देिखए। इस िचत्र को आधार बनाकर यथोिचत वणर्न
कीिजए अथवा कहानी िलिखए िजसका सीधा व स्पष्ट संबंध िचत्र से होना चािहए।

[ प्रस्तावना (जो िदखाई दे रहा है उसका वणर्न करना) - िचत्र को देखकर


जो िवचार उठते हैं उसका वणर्न- कहानी/प्रस्ताव - उपसंहार – सन्देश /
सीख ]
िलिखत - सािहत्य
प्रश्न ३. िनम्निलिखत प्रश्नों के उत्तर लगभग २०० शब्दों में िलिखए :
1. बात अठन्नी की - सारांश लेखन
2. काकी- श्यामू और िवश्वेश्वर का चिरत्र िचत्रण
3. महायज्ञ का पुरस्कार- यशपाल जी की जीवनी (लगभग ३०० शब्दों में िलिखए)
िनम्निलिखत मुद्दों पर जीवनी िलिखए -
• जन्म
• िशक्षा
• कायर्क्षेत्र
• रचनाएँ
• उपलिब्धयाँ
• भाषाशैली
• मृत्यु
• िचत्र
श्यामू
श्यामू इस कहानी का मुख्य पात्र है जो एक अबोध बालक है | वह अपनी माँ के प्रित असीम
स्नेह रखता है तथा मातृिवयोग से अत्यंत दुखी रहता है इसिलए वह अपनी माँ से िमलने का
अथक प्रयास करता है| वह इतना अबोध है िक जब उसकी माँ का मृत शरीर एक कपडे से ढँ का
हुआ भूिम पर रखा हुआ था, वह यह समझ नहीं पाया िक उसकी माँ की मृत्यु हो चुकी है| घर के
लोगों को रोते-िबलखते देखकर भी उसकी समझ में कुछ नहीं आया| इसीिलए जब लोग उसकी
माँ के शव को श्मशान ले जाने लगे, तो उसने बहुत उपद्रव मचाया और कहा, ‘काकी सो रही है,
उन्हें इस तरह उठाकर कहाँ िलए जा रहे हो? लोगों ने जब उसे बताया िक उसकी काकी राम के
यहाँ गई हुई है, तो उसने िवश्वास कर िलया| एक िदन उसने एक पतंग के द्वारा अपनी माँ को
राम के यहाँ से बुलाने की योजना बने| उसे पूरा करने के िलए उसने अपने िपता के कोट से पैसे
भी चुराए| श्यामू अत्यंत संवेदनशील बालक है|
िवश्वेश्वर
िवश्वेश्वर श्यामू के िपता हैं, जो भावुक ह्रदय के होने के कारण अपनी पत्नी की असामियक
मृत्यु से अन्यमनस्क रहते हैं| एक िदन जब उन्होंने देखा िक उनके कोट से कुछ पैसे गायब हैं, तो
उन्हें क्रोध आ गया और अपना िववेक खोकर उसकी िपटाई कर दी| जब भोला ने सारी बातें उन्हें
बता दी तो क्रोध में आकर उन्होंने पतंग पर ‘काकी’ िलखा देखा, तो उनका क्रोध काफूर हो गया
और उसका स्थान पीड़ा ने ले िलया | जब उन्हें श्यामू के मातृ-स्नेह का पता चलता है तो वे सन्न
रह जाते हैं और उन्हें भूल का पता चलता है|
प्रस्तावना तथा उपसंहार के िलए काव्यांश POETIC LINES और सूिक्तयाँ QUOTES
िलिखए

िरश्ते नाते
गुड़-शक़्कर से होते है िरश्ते-नाते,
िमठास िबन रहता सब फीका-फीका।
पिरवार की बुिनयाद इन्हीं से जुड़ी,
िरश्ते-नाते बताते िज़ं दगी का सलीक़ा।

िरश्ते सब प्रेम-भाव की बेजोड़ संिध है,


रीित-िरवाज़ो से संबंध सब है जुड़े।
हो अगर िन:स्वाथर् मन िरश्तों के िबच,
तो कोई ना रूठे व ना कोई िसकुड़े।

िरश्ते िटके िवश्वास की गहरी नींव पर,


इस नींव पर बने अनेक सुन्दर मकान।
दादा-दादी िरश्तेदारों के बने मुिखया,
मुिखया से जुड़े हमसे िरश्ते अनजान।

अनबन से अरसों के नाते ना तोिड़ये,


िरश्तों के िबना कहा बचेगी िलहाज़।
िजन्होंने सच्चे िदल से सँजोए नाते,
वो बंदा जानता समाज और लाज़।
………………………………………………………………………….
िरश्ते नाते
हम बैठ यहां ख़ामोशी से
चुप चुप देखा करते,
कोई थोड़ा, कोई ज्यादा
अपने अपने िहस्से का
हर कोई मुझ को छलते.........

हम खुिशयां आपने िदल की


िजन पर भी वारा करते,
वहीं िदल तोड़ते, गम देते
िफर हम से िकनारा करते......

सारे िरश्ते नाते हम


सर माथे पे रखा करते
उनकी आं खों में हम खुद को
बेगाना सा देखा करते....

अश्कों भरी नज़रों से िफर


खुद से पूछा करते,
ऐ िदल बता क्या ,
हम भी, िकसी के कुछ लगते...

आईना िजसमें हम िरश्तों को संवारा करते ,


अक्सर ,वो ही िकरचें बन कर,
हमे चुभ जाते, िफर भी
इन्हें हम िदल से िनभाया करते..

सहते, टू टते, िफर जुड़ जाते


ना िकसी िशकवा करते,
िक रब का फैसला है ये तो
सर झुका के मान िलया करते.....
……………………….
https://www.livehindustan.com/news/article1-story-152956.html

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