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REVISED

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21st Century Skills Local Knowledge Cross Curricular Skill-Based Learning


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(NCF) 2023
Life Skills & Values Art Integration Experiential Learning
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SANSKRITI PRAKASHAN
(An imprint of S Chand Publishing)
A Division of S Chand And Company Limited
(An ISO 9001 Certified Company)
Website: www.schandpublishing.com 10SE001513
E-mail: helpdesk@schandpublishing.com
Customer care (toll free) No.: 1800-1031926 ` 80.00 Download myStudygear
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नवीन

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िशक्षक दिशर्का

परामशर् एवं संपादन


डॉ. अम्बषाशंकर नषागर डॉ. मीनषाक्ी अग्रिषाल डॉ. नन्द�कशोर कषाबरषा
एम.ए., पी.एच.िी., बी.एि. �ह�दी �वभाग एम.ए., पी.एच.िी., बी.एि.
मॉिन्थ स्कफूल, बाराखंभा रोि
नई ददलिी

(An imprint of S Chand Publishing)


SANSKRITI PRAKASHAN
(An imprint of S Chand Publishing)
A Division of S Chand And Company Limited
(An ISO 9001 Certified Company)
Head Office : D-92, Sector 2, Noida, Uttar Pradesh-201 301
Phone : 0120-468 2700, e-mail : info@schandpublishing.com
Registered Office : A-27, 2nd Floor, Mohan Co-operative Industrial Estate,
New Delhi–110 044
www.schandpublishing.com; e-mail : helpdesk@schandpublishing.com

Marketing Offices :
Chennai : Ph: 044-2363 2120, chennai@schandpublishing.com
Guwahati : Ph: 0361-406 6369, guwahati@schandpublishing.com
Hyderabad : Ph: 040-4018 6018, hyderabad@schandpublishing.com
Jalandhar : Ph: 0181-464 5630, jalandhar@schandpublishing.com
Kolkata : Ph: 033-2335 7458, kolkata@schandpublishing.com
Lucknow : Ph: 0522-400 3633, lucknow@schandpublishing.com
Mumbai : Ph: 022-2500 0297, mumbai@schandpublishing.com
Patna : Ph: 0612-226 0011, patna@schandpublishing.com

© S Chand And Company Limited, 2019

All rights reserved. No part of this publication may be reproduced or copied in any material form (including
photocopying or storing it in any medium in form of graphics, electronic or mechanical means and whether or
not transient or incidental to some other use of this publication) without written permission of the publisher. Any
breach of this will entail legal action and prosecution without further notice.
Jurisdiction : All disputes with respect to this publication shall be subject to the jurisdiction of the Courts,
Tribunals and Forums of New Delhi, India Only.

First Published in 2019


Revised Edition 2024

Code : 10SE001513 Product Code : SCS2NSB046HINAC24CBY

PRINTED IN INDIA
By Vikas Publishing House Private Limited, Plot 20/4, Site-IV, Industrial Area Sahibabad, Ghaziabad–201 010
and Published by S Chand And Company Limited, A-27, 2nd Floor, Mohan Co-operative Industrial Estate,
New Delhi–110 044.
अध्यषापक� से...
राष्टीय शशक्षा नीति (NEP) 2020 व राष्टीय पाठ्यचया्थ (NCF) 2023 के अनुरूप पररष्कृि-पररमाजजमिि
नवीन सुबोि भारिी हह�दी पािमाला की शशक्षक दशशमिकाएँ आपके हार्ों में दरेिरे हुए हम हष्थ का अनुभव
कर रहे हैं।
हह�दी के पिन-पािन को रोचक, मनोवैज्ञाननक एवं व्यावहाररक बनानरे वाली पाठ्यपुस्िकों के
सार्-सार् उनकी शशक्षक दशशमिकाएँ भी आवश्यक हैं। पाठ्यपुस्िकें कक्षा में पिन-पािन का सािन
हैं, िो शशक्षक दशशमिकाएँँ उस ज्ञान को परखनरे और जाँचनरे का। ववद्यार्थी जहाँ पाठ्यपुस्िकों में ददए
गए अभ्यासों और गतिववधियों के माध्यम सरे सहज रूप में रचनात्मक और प्रायोगगक ज्ञान प्राति कर
लरेिा है, वहीं शशक्षक दशशमिकाओं सरे शशक्षकों को उनके ज्ञान का स्िर जाँचनरे और मूल्यांकन करनरे में
सहायिा र्मलिी है। हह�दी के शशक्षण में दोनों का ही समान महत्त्व है।
इन शशक्षक दशशमिकाओं में नवीन सुबोि भारिी के पािों के अभ्यास के सार्-सार् व्याकरण भाग के
प्रश्नों के भी उत्िर ददए गए हैं। इसके सार् ही शशक्षकों के शशक्षण को सरल व सहज बनानरे के ललए
सहायक के रूप में प्रत्यरेक पाि की पाि योजना दी गई है। सार् में हर पाि की व्याकरण आिाररि
काय्थ-पत्रिका (उत्िर सहहि) दी गई है। इनके द्ारा शशक्षक/शशत्क्षका प्रत्यरेक ववद्यार्थी के शैत्क्षक
स्िर का आकलन कर सकिरे हैं।
आशा है कक यरे शशक्षक दशशमिकाएँ आपके ललए उपयोगी ससद्ध होंगी। इसके संदभ्थ में आपके रोचक
सुझावों का हम सहष्थ स्वागि करिरे हैं।
िन्यवाद
—प्रकषाशक
भिक्षक दभि्वका की संरर्ना
नई शशक्षा नीति 2020 िर्ा राष्टीय पाठ्यचया्थ (NCF) 2023 के अनुरूप... सजी-सँवरी पािमाला
नवीन सुबोि भारिी (1 सरे 8 िक) की सहायक सामग्ी के रूप में शशक्षक दशशमिका की मुख्य ववशरेषिाएँ
इस प्रकार हैं—

3 वन हैैं, तो हैम हैैं


�शक्र् सिषायक सषामग्री— शशक्षण को रुचचकर और
पाठ योजना

सरल बनानरे हेिु सहायक सामग्ी के ववकल्प ददए गए हैं|


कक्षा-4 विषय-हिंदी कषालषांश-4
शिक्षण सहैायक सामग्री
• ‘‘वन सुरक्षा’’ से संबंधित कहषानी यूट्यूब
के वीडियो-
 वन संरक्ण पर बनी नैततक कहषानी
 रषाम-सीतषा और लक्षमण के 14 वर््ष के वनवषास कषा दृश्य
वन महोत्सव के दृश्य

�शक्र् उद्देश्य— पाि को पढ़ेानरे के भावगि और




 पषाठ्यपुस्तक, श्यषामपट्ट, चॉक


शिक्षण उद्देश्य

भाषागि उद्रेश्यों का ननिा्थरण ककया गया है|


भषािगत
भषाषषागत
प्रकृतत के प्रतत लगषाव। कठिन शब््दोों कषा सही अर््ष बतषाते हुए नए वषाक्य बनषानषा
ससखषानषा।
प्रषाकृततक सौं्दोय्ष और प्रषाकृततक संतुलन की ओर हमें
कैसे वन्य संरक्ण के ललए आवषाज़ उिषानी चषाहहए, कैस
ध्यषान केंद्रित करवषानषा। े नषारे
बोलने, ललखने और स्वयं कल्पनषा करके ववचषार करनषा
ससखषानषा।
पेड़-पौिों की सुरक्षा कषा आभषास करवषानषा वन संरक्ण के महत्त्व के ववर्य में एकत्रित जषान
कषारी को
अनुच््छे्दो रूप ्दोेकर ललख पषाने में सक्म बनषानषा।

सीखने के प्रततफल— अपरेत्क्षि योग्यिाओं के


बच्चों को ऑक्सीजन, लकड़ी, फल-सत्ब्ज़यों
जैसी आवश्यकतों के प्रतत जषागरूकतषा कषा भषाव
जषागृत करनषा।

ववकास का ननिा्थरण ककया गया है|


सरीखनदे के प्रशतफल
विद् याव्थथियों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों कषा सही उच्चषारण एवं िषारषा
प्रवषाह पिन
• वनस्पततयों के संरक्ण की महत्तषा को उचचत
शब््दोों में कहनषा/बतषानषा/सुनषानषा
• प्रषाकृततक सौं्दोय्ष कषा मषार्ममिक शब््दोचचरि खीं
चनषा
• स्दोषाबहषार, पण्षपषाती, पव्षतीय, मैग्ोव, मरुस्र्लीय
वनों से संबंधित ववशेर् शब््दोषावली
19

पूर््वज्ञान
• समाचारोों द्ारोा प्ाप्त अमेज़न जंगल में लगी
आग से बहुत बड़ा औरो व््यापक नुकसान होने की जानकारोी
• वनों में होने वाले नुकसान के प्भाव से पररोचचत
है।
हैं।
पञाठ प्रर्ञाह
फ््ललो चार््ट

वन हैैं, तो हैम हैैं

• वनों का महत्त्व
• प्कृतत ही ईश्वरो का
• वन-ववभाग के का्य्य
• वन््य संरोक्षि के ललए
• वनों से ममलने
वाला लाभ
• ्याद रोखने ्योग््य
पूि्णज्षान— ववद्यार्र्मियों के पूव्थज्ञान का अनुमान
लगाया गया है।
बातें
वास्तववक स्वरूप जागरूकता • ववभभन्न • हमारोा नाता-
• पौरोाणिक कथाओं • पेड़ों की कटाई से लकणड़्यों, वनों, खेतों औरो
में वनों का जीवन होने वाले नुकसान पदाथथों का ज्ान पशुओं के साथ
• आध््यात्म, सुख की • वन-वृक्षों द्ारोा • वन-महोत्सव
प्ाप्प्त के ललए वनों तै्यारो औषधि्याँ पव्य

फ्लो चषाट�— मुख्य बबंदुओं द्ारा पाि को


की आवश््यकता

पञाठ योजनञा 1

समझाया गया है|


पाठ प्रवेश
• सव्यप्थम ‘आइए, शुरू करोें’ पढ़ेें।
• बताएँ, ्यह हमारोे वन््य प्कृतत परो आिाररोत
लेख है।
• प्कृतत जो हम सबके ललए माँ का स्वरूप
है, वह हमें पौरोाणिक काल से क््या-क््या देती है औरो
हमने उसे क््या

पषाठ योजनषा— पाि प्रवरेश के अंिग्थि आइए, शुरू


दद्या है आदद परो चचा्य ।
उच्ारण अभ््यास
• कठिन शब्दों का शुद्ध उच्ारोि करोें, अथ्य

कर� सरे पाि योजना का आरंभ ककया गया है, जजसमें


बताएँ।
• लेख के अंत मेंं ददए शब्दाथ्य के शब्दों को
स्व्यं बोलें, अथ्य बच्ों से बुलवाएँ।
पाठ पठन/वाचन

उच्चषारर् अभ्यषास और पषाठ पठन/िषाचन के संकिे


• पाि का आदश्य वाचन आरोंभ करोें।

ददए गए हैं|
20
गृहकार््य
• कविता का सुलेख
• मौखखक ललखखत प्रश््नोों की तैयारी

पाठ योजना-3
• मौखखक के उत्तर सु्नोें। कवितषा/दोि� कषा अथ्ण— कवविा/दोहों का अर््थ
संत्क्षति रूप में समझाया गया है|
• ललखखत के उत्तर ललख्नोे का न्नोर्देश र्ें एिं
उसमें मर्र् करें। कक्ा में ही करिाएँ।
• भाषा की बात के अभ्यास सु्नोें, घर से कर्नोे
का न्नोर्देश र्ें।
• रच्नोात्मक गततविधियों पर चचाचा कर्नोे के
न्नोर्देश र्ें।
कविता का अर््थ
प्रस्तुत कविता में कवि ्नोे समय तथा कमचा की महत्ता पर
प्रकाश डाला है। कवि के अ्नोुसार जो अिसर को व्यथचा
गँिा र्ेते हैं, िे जीि्नोभर रोते और पछताते हैं। समय सबको
समा्नो अिसर र्ेता है। सभी के घर जाकर र्रिाज़े
पर र्स्तक र्ेता है लेकक्नो जो न्नोराश और हताश होकर
भाग्य के सहारे बैठे रहते हैं, अन्नोर्चाय की स्स्थतत में रहते
हैं, जीि्नो में उन्हें कुछ प्राप्त ्नोहीं होता। इसके विपरीत
कमचािीर भाग्य और ककस्मत की बातें ्नोहीं करते। अप्नोे
कमचा पर विश्ास रख्नोे िाले ऐसे व्यस््तत अंिकार को
र्ूर करके प्रकाश फैला्नोे का सामर्यचा रखते हैं। जीि्नो
पथ पर आ्नोेिाली तमाम कठठ्नोाइयों का हँसकर साम्नोा के
करते हैं। मेह्नोत से ही िे अप्नोी उन््नोतत का मागचा प्रशस्त
करते हैं और िंश के कलंक को भगीरथ ब्नोकर िोते
हैं।

अभ््ययास
मौविक
1. अिसर खो र्े्नोे पर जीि्नोभर रो्नोा पड़ता है।

अभ्यषास— अभ्यास के अंिग्थि आनरे वालरे मौ�खक,


2. ्तयोंकक समय ककसी से भेर्भाि ्नोहीं करता; िह
सबको समा्नो अिसर र्ेता है।
विवित

�ल�खत, बहुविकल्पी प्रश्नों के उत्िर ददए गए हैं|


1. जो व्यस््तत घर में र्ो्नोों हाथाें से मस्तक थामे न्नोराश और
कमचाही्नो ब्नोकर बैठे रहते हैं।
2. जब व्यस््तत कमचा को छोड़कर भाग्य के सहारे बैठता है

3. स्ियं करें।
4. मेह्नोत के बल पर हम अंिकार को प्रकाश से भर सकते
हैं। जीि्नो में आ्नोे िाली तमाम कठठ्नोाइयों का साम्नोा
कर सकते हैं। मेह्नोत के बल पर ही हम उन््नोतत करके
शीषचा स्था्नो पा सकते हैं।
5. क. असमंजस में पड़कर िे ही
जीि्नो में सब कुछ खोते हैं।

73

बनाया
लि और सम्मेान देने कोे लिए यह राष्टीय युद् स्मेारको
3. अपने वीर शहीद सैननकोों कोी याद मेें, इन्हें श्रद्ाांज
गया। इस पर 25,942 वीरों कोे नामे अांककोत हैं। मेें िार
खूब मेन िगाकोर पढ़ेेंगे-लिखें ग े और दे श कोे यश
4. चित्ा और उसकोे सहपाठियों ने प्रण लिया कको हमे
िाँद िगाएँगे।
5. तीसरे ददन उन्हाेांने 26 जरवरी कोी परेड देखी।

भषाषषा की बषात— व्याकरण के प्रश्नों के उत्िर ददए बहुविकल््पपी


1. ख. सखखयाँ

गए हैं|
2. को. उनकोी सुांदरता-भव्यता कोो बनाए रखें
ख. उनकोे बारे मेें सबकोो बताएँ
3. को, ख, ग तीनों ववकोल्प सही हैं।
भाषा की बात
उष्ट ल्ल - बल्ला हल्ला
1. ष्ट - कोष्ट
ववस्मेय न्न - अन्न प्रसन्न
स्मे - स्मेरण
म्मे - अम्मेा िम्मेि
ख्य - व्याख्या ख्यातत
च्च - कोच्चा बच्चा
व्य - व्यक््तत व्यय
2. ववद्यार्थी स्वयां कोरें।
3. ववद्यार्थी स्वयां कोरें।
4. संज्ञा
वरदाययनी तममेिनाडु चित्ा
व्यक््ततवािको सांज्ा - मेहाबलिपुरमे
बावड़ी पत् सैननको
जाततवािको सांज्ा - प्रधानमेांत्ी
ननडरता आश्चय्य जोश
भाववािको सांज्ा - ववश्रामे
5. सुिेख कोरें।

1 अभिनंदन है ज़रा सोचकर बताइए


देशभक््तत, देशप्रेमे कोे भाव भररए।
कार््य-प​ित्रका रचनात््मक गतततितियाँ
प्रश्न 1 कोरने मेें सहायता कोरें।
1. दिए गए शब्िों के बहुवचन लिखिए— 2. ततरंगे कोा चित् अपनी देखरेख मेें बनवाएँ।
उमंग — ................................. प्रश्न 3, 4 कोरने मेें सहायता कोरें।
िता — .................................
दिशा — ................................. 46
भावना — .................................
2. सही पर्ायार्वाची छाँटकर लिखिए—
रात, सृष्टि, भवन, पंछी, कुिरत, कानन, रात्रि, ततममर,
गृह, नभचर, जंगि, अँधेरा

ज़रषा सोचकर बतषाइए व रचनषात्मक गततवि�धयषाँ


प्रकृतत — ................................. .................................
ननशा — ................................. .................................
— ................................. .................................

करानरे के आवश्यक ननददेश ददए गए हैं।


घर
िग — ................................. .................................
वन — ................................. .................................
अंधकार — ................................. .................................
3. इनके लिए सही शब्ि छाँटकर लिखिए—
बाररश — .................................
घंटा,
उमड़-घुमड़ — .................................
हवा, ररमझिम,
टनटन — .................................
बािि
सांर्-सांर् — .................................

कषाय्ण-पित्रकषा— सार् में, हर पाि में व्याकरण संबंिी


4. स/श/सा/शा में से सही वर्या भरकर शब्ि बनाइए—
.........ब .........क
(श/स) (सा/शा)

काय्थ-पत्रिका उत्िर सहहि दी गई है।


.........बकी
(श/स) बर.........ते (सा/शा)
िु .........हाि (श/स)

12
भर्षय सूर्री
1. अिभनंदन ह� .................................................................................. 7
2. राजा क� जूते ................................................................................. 13
3. वन ह�, तो हम ह� ........................................................................... 19
4. पक्षी छोट�, काम बड़� ........................................................................25
5. अनमोल दोह� ................................................................................32
6. म� हू� साबरमती .............................................................................38
7. एक लंबा पत्र.................................................................................43
8. बालक क� कामना ........................................................................48
9. मजमेवाला ....................................................................................53
10. नह� करो बरबाद! .........................................................................59
11. जन्मिदन का खचर्.........................................................................65
12. जो अवसर खो देते ह�..................................................................... 71
• कायर्-पित्रका— उत्तरमाला .............................................................76
1 अभिनंदन है
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4

शिक्षण सहायक सामग्री


• प्रकृति के प्रति प्रेम से संबंधित कहानी यूट््ययूब के वीडियो-
 प्रकृति के रहस््य
 प्रकृति का महत््त््व
 पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
प्रकृति के प्रति लगाव पैदा करना। कठिन शब््दोों के सही अर््थ बताते हुए नए वाक््य बनाना सिखाना।
प्राकृतिक सौौंदर््य को महसूस करवाना। प्रकृति के संरक्षण के लिए आवाज़ उठाना नारे बोलने, लिखने
और स््वयं कल््पना करके विचार करना।
पेड़-पौधोों की सुरक्षा का आभास करवाना। प्रकृति के विषय मेें एकत्रित जानकारी को अनुच््छछेद रूप देकर
लिख पाने मेें सक्षम बनाना।
बच्चचों मेें पशुओं के प्रति मार््मक
मि भाव जागृत करना।

सीखने के प्रतिफल
विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों का सही उच्चारण एवं धाराप्रवाह पठन
• पर््ययावरण संरक्षण की महत््तता को उचित शब््दोों मेें कहना/बताना/सुनाना
• प्राकृतिक सौौंदर््य का मार््ममिक शब््दचित्र खीींचना
• ईश्वर के दिए हुए उपहार प्रकृति की स््वच््छता से संबंधित विशेष शब््ददावली

7
पूर््वज्ञान
• अपने माता-पिता, दादा-दादी द्वारा घर पर लगाए हुए पौधोों की जानकारी है।
• स््वच््छ भारत अभियान की जानकारी है।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

अभिनंदन है!

• प्रकृतिः माँ का स््वरूप • बादलोों का आगमन • स््वच््छ व ताज़ी • प्रकृति का


• कृतज्ञता का अनुभव • हर््ष से आनंदित मन हवा आभार
करते हुए प्रकृति का • बच्चे, पशु-पक्षी, • स््फफूर््तति का संसार • प्रकृति संरक्षण
स््ववागत फसलेें सबको सुख • प्राणियोों की, के लिए
• प्रकृति से जुड़ा सबका देते वन-वृक्षषों की जागरूकता
जीवन सहचारिणी
• सूर््य का धरती को
जगाना

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• बताएँ, यह हमारी प्रकृति पर आधारित कविता है।
• प्रकृति जो हम सबके लिए माँ का स््वरूप है, वह हमेें क््यया-क््यया देती है और हम उसे क््यया-क््यया देते हैैं आदि पर
चर््चचा।
उच्चारण अभ््ययास
• कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें, अर््थ बताएँ।
• कविता के अंत मेें दिए शब््ददार््थ के शब््दोों को स््वयं बोलेें, अर््थ बच्चचों से बुलवाएँ।
कविता पठन/वाचन
• कविता का आदर््श वाचन आरंभ करेें।
सब पर प््ययार (पृष्ठ 9) .............................................. सुख से भर जाता। (पृष्ठ 9)

8
• पहला पद््ययाांश स््वयं पढे़ें। श्वेत/श््ययामपट्ट पर चित्र/रेखाचित्र खीींचकर प्रकृति के स््वरूप के शब््दचित्र को स््पष्ट
करेें।
• अब बच्चचों से प्रभात-वेला के सुंदर शब््दचित्र खीींचने के लिए कहेें और श्वेत/श््ययामपट्ट पर स््वयं रेखा खीींचेें।
(यह एक गतिविधि हो सकती है।)
• बच्चचों से स््वच््छ पर््ययावरण का एक रंगीन चित्र उनकी उत््तर-पुस््ततिकओं मेें बनवाएँ, जो विषय-वस््ततु पृष्ठ तो
होगा ही और एक गतिविधि भी होगी।
• बताएँ, प्रकृति हमारे लिए कैसे महत््त््वपूर््ण है? हमेें इसकी सुरक्षा कैसे करनी चाहिए?
• पूछेें, हमारी प्रकृति हमेें जितना देती है क््यया हम भी उतना उसके लिए करते हैैं? बच्चचों से ही पूछते-पूछते उन््हेें
वास््तविकता बताएँ। प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना हेतु शब््ददावली को रेखांकित कीजिए।
• पर््ययावरण संरक्षण पर आधारित अभियानोों के उदाहरण दीजिए व उनपर बनी डॉक््ययुमेेंट्री फ़िल््म दिखा सकते हैैं।
(सुंदरलाल बहुगुणा के पेड़ोों के संरक्षण हेतु ‘चिपको आंदोलन’, ‘स््वच््छ भारत अभियान’, ‘गंगा बचाओं’
इत््ययादि।)
• कठिन शब््दोों को स््वयं बोलते हुए बच्चचों से दो बार दोहराने को कहेें और उन््हेें रेखांकित करवाएँ।
गृहकार््य
• पढ़ाए गए अंश का अभ््ययास
• अपने पसंदीदा स््थथान जैसे पहाड़ी क्षेत्र, नदियोों-समुद्ररों, रेगिस््ततान आदि का दृश््य A3 शीट पर उकेरेें।

पाठ योजना-2
बहती हवा (पृष्ठ 9) .............................................. खुशहाल बनाएँ। (पृष्ठ 10)
• पढ़ाए गए पद््ययाांशोों का पुनरावलोकन करते हुए प्रत््ययेक पंक््तति पढ़कर पूर््ववाधारित संबंध स््पष्टीकरण।
• सूर््य के प्रकाश से चमत््ककृत वातावरण, बदलती ऋतुएँ, वर््षषा का इंतज़ार, बादलोों के आगमन की खुशी, वर््षषा होने
से आनंदित पर््ययावरण, हर घर को राहत, जंगलोों मेें पशु-पक्षियोों के प्रफुल्लित हृदय, फलोों-फूलोों और फसलोों
सबके लिए खुशियोों का उपहार, ठंडी, ताज़़ी-शीतल हवा सभी के प्राणोों मेें स््फफूर््तति लाती, प्रत््ययेक जीव-जंतु,
वन-उपवन की सहचरी, हम सबके हृदयोों मेें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना को जगाना, प्रकृति का संरक्षण
कर सबका जीवन खुशहाल बनाना। वर््तमान मेें पर््ययावरण की स््थथिति बताते हुए छात्ररों को पर््ययावरण सुरक्षा के
लिए प्रेरित करते हुए कविता का अंत करेें।
गृहकार््य
• पुनः कविता-पठन, कविता से मिली सीख अपने परिवार-जन तथा पड़ोसी मित्ररों को देने का निर्देश देें।
• कविता पर आधारित कुछ अपेक्षित प्रश््न चिह््ननित करने के लिए कहेें।

पाठ योजना-3
• कविता के भावार््थ पर चर््चचा एवं भाषा ज्ञान

9
• कविता पर आधारित प्रश््नोों पर, उनके उत््तरोों पर चर््चचा, बच्चचों के उत््तर देने मेें सहायता
• उत््तर स््वयं श्वेत/श््ययामपट्ट पर लिखेें
• वर््तनी ध््ययानपूर््वक देखकर लिखने का निर्देश देें।

पाठ योजना-4
• चिंतन-मनन के लिए समय देें, सबके साथ मिलकर कविता के मूल भाव पर चर््चचा करेें, अपने-अपने विचार
प्रस््ततुत करने का अवसर देें।
• विषय संवर््धन गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और उचित निर्देश देें।

कविता का अर््थ
कवि कहते हैैं कि प्रकृति सब पर अपना स्नेह/प््ययार बरसाती है। बिना भेदभाव के सबको पालती-पोसती है। हम
सब तुम््हहारा स््ववागत करते हैैं, तुम््हेें धन््यवाद कहते हैैं। तुम हम सब पर अनगिन उपकार करती हो, तुम््हीीं से ही
हम सब इस पृथ््ववी पर ज़िंदा हैैं।
घने अंधकार को नष्ट कर सूरज हमेें सुबह जगाता है, चारोों ओर उजियाला फैलाता है; हर सुबह/दिन प्रत््ययेक
व््यक््तति को नव नवीन उमंगोों/इच््छछाओं/उत््ससाह से भर जाता है।
बादल उमड़-घुमड़कर घिरते हैैं और मीठा जल बरसाते हैैं। हर घर-आँगन, वन-बाग, खेत-सरोवर सब पर सुखोों
की वर््षषा करते हैैं।
हवा सबको प्राणवायु देती है। यह जब झूमकर बहती है, तब सबके मन-प्राण िखल जाते हैैं। मनुष््य, पक्षी, मृग,
वन, शाक-पत््तते और लताएँ ये सबकी चहेती बन जाती है।
आओ! हम सब मिलकर इसे धन््यवाद करेें। इसकी रक्षा करेें और अपने जीवन को प्रसन््नता से भर लेें।

अभ््ययास
मौिखक
1. कवि प्रकृति का अभिनंदन/स््ववागत इसलिए कर रहे हैैं क््योोंकि यह हम सब पर प््ययार लुटाती है और हमपर अनगिन
उपकार करती है।
2. हमारा कर््तव््य है कि हम प्रकृति का आभार जताएँ और इसकी रक्षा करेें।
3. कविता को सस््वर गाइए।
लििखत
1. सूरज हर दिन रात्रि का घना अंधकार हरता है।
2. बादल घर-आँगन, वन-बाग, खेत-सरोवर सब पर मीठा जल बरसाते हैैं और सुख पहुुँचाते हैैं।

10
3. हवा मनुष््योों, पक्षियोों, मृगोों (पशुओं) वन, शाक-पात, लताओं की चहेती है।
4. भावभरी पंक््तति
क. सघन निशा का अंधकार हर
हर दिन सूरज हमेें जगाता।
ख. बहती हवा झूमकर हर दिन
सबके प्राणोों को बल देती।
ग. बनती सबकी सहज चहेती।
घ. सब मिल करेें प्रकृति का रक्षण
जीवन को खुशहाल बनाएँ।
बहुविकल््पपी
1. ख. अंधकार
2. क. मिठास
3. ख. हवा से

भाषा की बात
1. स््वयं करेें।
2. तुकांत शब््द
अभिनंदन - जीवन बरसाते - लुटाते
हर - भर देती - चहेती
जगाता - जाता जताएँ - बनाएँ
ज़रा सोचकर बताइए
बच्चचों से इस विषय पर चर््चचा कीजिए।

रचनात््मक गतिवि​िधयाँ
बागवानी सिखाने के लिए हर बच्चे से एक-एक पौधा मँगवाया जा सकता है। इंटरनेट का प्रयोग सिखाएँ।

11
1 अभिनंदन है
कार््य-प​ित्रका

1. दिए गए शब््दोों के बहुवचन लिखिए—


उमंग — ................................. लता — .................................
दिशा — ................................. भावना — .................................
2. सही पर््ययायवाची छाँटकर लिखिए—
रात, सृष्टि, भवन, पंछी, कुदरत, कानन, रात्रि, तिमिर, गृह, नभचर, जंगल, अँधेरा

प्रकृति — ................................. .................................


निशा — ................................. .................................
घर — ................................. .................................
खग — ................................. .................................
वन — ................................. .................................
अंधकार — ................................. .................................
3. इनके लिए सही शब््द छाँटकर लिखिए—
बारिश — ................................. घंटा,
उमड़-घुमड़ — ................................. हवा, रिमझिम,
टनटन — ................................. बादल
सांय-सांय — .................................
4. स/श/सा/शा मेें से सही वर््ण भरकर शब््द बनाइए—
.........ब (श/स) .........क (सा/शा)
.........बकी (श/स) बर.........ते (सा/शा)
खु.........हाल (श/स)

12
2 राजा के जूते
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4

शिक्षण सहायक सामग्री


• ‘‘राजा की हास््य कथाओं’’ से संबंधित कहानी यूट््ययूब के वीडियो-
 मूर््ख राजा और चतुर ब्राह््मण
 तेनालीरामा और कृष््णदेव राय
 अकबर और बीरबल
 पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
राजाओं की रोचक कथाओं मेें रुचि जगाना कठिन शब््दोों का सही अर््थ और वाक््य बनाना सिखाना।
तर््कशक््तति जगाना ‘हर समस््यया का हल है’ विषय पर अपने शब््दोों मेें अनुच््छछेद
लिखने मेें सक्षम बनाना।
मुश््ककिलोों का सामना करना, उनका समाधान निकालना
केवल मेहनत से नहीीं वरन बुद््धधिमानी से भी काम करना

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों के सही उच्चारण एवं धाराप्रवाह पठन
• बुद््धधिमानी से अपने लक्षष्य प्राप्ति को उचित शब््दोों मेें कहना/बताना/सुनाना
• समस््यया से होने वाली आशा-निराशा का शब््दचित्र खीींचना
• बुद््धधिमान चरित्र से संबंधित विशेष शब््ददावली

13
पूर््वज्ञान
• सच्चे मित्र, परिवार-जन की उचित सलाह की जानकारी है।
• अपने प्रयासोों से मिली सफलताओं की जानकारी है।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

राजा के जूते

• राजसभा का दृश््य • गबूचंद की सूझ-बूझ • इक््ककीस लाख • मंत्रिमंडल की बैठक


• राजा हबूचंद और कारीगरोों की भिश््ततियोों द्वारा • धरती को चमड़े से
मंत्री गबूचंद राजदरबार मेें बैठक पानी का मढ़ने की सलाह
• साढ़े सत्रह लाख छिड़काव
• राजा की समस््यया • चर््मकारोों का पीछे हटना
झाडुओं का बंदोबस््त • नगर मेें पानी की
• मंत्री को ओदश • बूढ़े चर््मकार द्वारा
• राज््य मेें धूल का कमी
समझदारी से दिया गया
और भी बढ़ना • कीचड़-ही- उपाय/समाधान
• राजा की डाँट और कीचड़
• बूढ़े चर््मकार द्वारा
जेल की धमकी • राजा द्वारा सूली राजा को मिले चमड़े के
पर चढ़ाने की जूतोों से प्रसन््नता
धमकी
• गबूचंद की जान बचना

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• बताएँ, यह एक समस््यया से घिरे राजा की कहानी है।
• ‘यदि समस््यया है, तो समाधान भी है’ विषय पर चर््चचा।
उच्चारण अभ््ययास
• कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें, अर््थ बताएँ।
• श््ययामपट्ट पर लिखते हुए उच्चारण/अनुकरण वाचन।
• कहानी के अंत मेें दिए शब््ददार््थ के शब््दोों को स््वयं बोलेें, अर््थ बच्चचों से बुलवाएँ।

14
पाठ पठन/वाचन
• पाठ का आदर््श वाचन आरंभ करेें।
पुराने ज़माने की (पृष्ठ 15) .............................................. सूली पर चढ़ा दिए जाओगे।’’ (पृष्ठ 16)
• अब बच्चचों से परेशान राजा और सोच-विचार मेें डूबे मंत्री का शब््दचित्र खीींचने के लिए कहेें और स््वयं श्वेत/
श््ययामपट्ट पर रेखा खीींचेें। (यह एक गतिविधि हो सकती है)
• बच्चचों से उनकी कल््पना के अनुसार राजा के आदर््श नगर का एक रंगीन चित्र उनकी उत््तर-पुस््ततिकाओं मेें
बनवाएँ, जो विषय-वस््ततु पृष्ठ तो होगा ही और एक गतिविधि भी होगी।
• बताएँ, हर मुश््ककिल का समाधान कैसे निकाला जा सकता है? संयम रखते हुए कैसे बुद््धधिमानी से हल पर ध््ययान
देना चाहिए?
• पूछेें, क््यया समस््यया आसान भी होती है? बताएँ यदि आसान होगी तो समस््यया कैसे होगी? भय, क्रोध जैसी भावना
पर संयम रखते हुए हल की ओर ध््ययान केेंद्रित हेतु शब््ददावली को रेखांकित कीजिए।
• अकबर-बीरबल तार््ककिकता के उदाहरण दे सकते हैैं।
• कठिन शब््दोों को स््वयं बोलते हुए बच्चचों से दो बार दोहराने को कहेें और उन््हेें रेखांकित करवाएँ।
गृहकार््य
• पढ़ाए गए अंश का अभ््ययास

पाठ योजना-2
लाचार होकर (पृष्ठ 16) .............................................. चल निकली। (पृष्ठ 18)
• पढ़ाए गए अंश का पुनरावलोकन करते हुए प्रत््ययेक वाक््योों को पढ़कर पूर््ववाधारित संबंध स््पष्टीकरण।
• राजा की समस््यया का समाधान, राजा के डर से मंत्री की हवाइयाँ उड़ना, राजा को सुखी करने के लिए कारीगरोों
तथा मंत्रिमंडल के साथ बैठक, साढ़े सत्रह लाख झाड़ुओं के लगने से और समस््यया बढ़ना, इक््ककीस लाख
भिश््ततियोों के धूल पर पानी डालने से पानी का भारी नुकसान और कीचड़-ही-कीचड़, मंत्री मंडल द्वारा धरती
को चमड़े से मढ़वाने का उपाय निकालना, राज दरबार मेें चर््मकारोों की भीड़ इकठ्ठी होना, चर््मकारोों का पृथ््ववी
को चमड़े से ढकने के कार््य मेें पीछे हटना, बूढ़े चर््मकार द्वारा राजा को सलाह देने का निवेदन, राजा की डांट,
बूढ़े व चतुर चर््मकार द्वारा अपनी बुद््धधिमानी का प्रयोग कर झोले से राजा के पैरोों जितना चमड़ा निकाल कर
राजा के पैरोों मेें मढ़ना, राजा को उपाय पसंद आना, मंत्री की जान बचना बताते हुए प्रेरणा देते हुए (कि हर
समस््यया का हल अवश््य ही मिलता है) पाठ का अंत करेें।
गृहकार््य
• पुनः पाठ-पठन, कहानी को अपने परिवार-जन तथा पड़ोसी मित्ररों को सुनाना और कहानी से क््यया सीख मिलती
है उनके उत््तर जानने का निर्देश देें।
• कहानी पर आधारित कुछ अपेक्षित प्रश््न चिह््ननित करने के लिए कहेें।

15
पाठ योजना-3
• कहानी के मूल उद्देश््य पर चर््चचा एवं भाषा ज्ञान
• कहानी पर आधारित प्रश््नोों पर, उनके उत््तरोों पर चर््चचा, बच्चचों के उत््तर देने मेें सहायता
• उत््तर स््वयं श्वेत/श््ययामपट्ट पर लिखेें।
• वर््तनी ध््ययानपूर््वक देखकर लिखने का निर्देश देें।

पाठ योजना-4
• चिंतन-मनन के लिए समय देें, सबके साथ मिलकर कहानी से मिली सीख पर चर््चचा करेें, अपने-अपने विचार
प्रस््ततुत करने का अवसर देें।
• विषय संवर््धन गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और उचित निर्देश देें।

अभ््ययास
मौिखक
1. राजा हबूचंद ने मंत्री गबूचंद को इसलिए बुलाया कि राज््य मेें घूमते समय उनके पैरोों मेें धूल लग गई थी। धूल
हटाने के इंतज़़ाम करने थे।
2. थर-थर काँपते गबूचंद ने कहा, “अन््नदाता, धूल आपके चरणोों को स््पर््श न करेगी, तो फिर हम लोगोों को
आपकी चरणधूलि कैसे मिलेगी?”
3. मंत्रियोों ने सलाह दी कि धूल से बचने के लिए सारी धरती को चमड़े से मढ़ देना चाहिए।
लििखत
1. झाड़ूओं की झाड़-फटकार से राज््य मेें इतनी धूल उड़ी कि सूरज का प्रकाश मंद हो गया। राजा और प्रजा
खाँसते-खाँसते हैरान-परेशान हो गए।
2. धूल पर जल-छिड़काव मेें इतना पानी खर््च हुआ कि कुएँ और तालाब सूख गए। राज््य के लोग प््ययासे मरने
लगे।
3. क््ययाेंकि चर््मकारोों के पास न तो धरती को मढ़ने के लायक चमड़ा था, न इतनी शक््तति।
4. बूढ़े चर््मकार ने अपनी झोली से थोड़ा-सा मुलायम चमड़ा निकाला और उसे काट-छाँटकर सिल दिया। फिर
उसे राजा के दोनोों पैरोों पर मढ़ दिया।
5. कथाक्रम— क. 4 ख. 3 ग. 1 घ. 2 ङ. 5
बहुविकल््पपी
1. ग. गबूचंद
2. क धूल को हटाया जाए
3. क. डाँट के कारण
16
भाषा की बात
1. वर््ण-विच््छछेद
एक - ए + क् + अ
आप - आ + प् + अ
दिए - द् + इ + ए
उसी - उ + स् + ई
2. सूची स््वयं बनाएँ।
3. अनुस््ववार कैसे-क््योों लगता है, समझेें।
4. वचन परिवर््तन
 दिशाएँ, प्रार््थनाएँ, प्रथाएँ, आशाएँ

 सूलियाँ, युक््ततियाँ, शक््ततियाँ, झोलियाँ

5. जातिवाचक संज्ञा
क. राजा मंत्री
ख. कारीगर और मंत्री
ग. कुएँ तालाब
घ. सिपाही दिशाओं
6. मुहावरे
क. हवाइयाँ उड़ने लगीीं।
ख. किसी के सामने घुटने नहीीं टेकते।
ग. सिर पर पैर रखकर भाग जाता है।
घ. जेल की हवा खानी पड़ेगी।
ङ. आँखोों के आगे अँधेरा छा गया।
ज़रा सोचकर बताइए
• कारण खोजने मेें मदद करेें।
• प्रशंसा करनी बताएँ

रचनात््मक गतिवि​िधयाँ
शिक्षक/शिक्षिका रचनात््मक गतिविधियोों मेें सहायता करेें।

17
2 राजा के जूते
कार््य-प​ित्रका

1. सही मिलान कीजिए—


थर-थर झाड़ना
हाथ धूलि
धूल काँपना
चरण जोड़ना
2. ये क््यया बनाते हैैं—
चर््मकार — .................................
सुनार — .................................
ठठेरा — .................................
जुलाहा — .................................
3. पाठ के आधार पर दिए गए वाक््योों को अर््थपूर््ण बनाकर लिखिए—
क. राजा और था एक था एक मंत्री उसका।
...................................................................................................
ख. ने एक को गबूचंद दिन बुलाया हबूचंद।
...................................................................................................
ग. नहीीं काम कुछ लोग तुम करते।
...................................................................................................
घ. है यह व््यवस््थथा तुम््हहारी गबूचंद, कैसी ?
...................................................................................................
ङ. प्रकाश गया का मंद पड़ सूरज ।
...................................................................................................

18
3 वन हैैं, तो हम हैैं
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4


शिक्षण सहायक सामग्री
• ‘‘वन सुरक्षा’’ से संबंधित कहानी यूट््ययूब के वीडियो-
 वन संरक्षण पर बनी नैतिक कहानी
 राम-सीता और लक्षष्मण के 14 वर््ष के वनवास का दृश््य
 वन महोत््सव के दृश््य
 पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक
शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
प्रकृति के प्रति लगाव। कठिन शब््दोों का सही अर््थ बताते हुए नए वाक््य बनाना सिखाना।
प्राकृतिक सौौंदर््य और प्राकृतिक संतुलन की ओर हमेें कैसे वन््य संरक्षण के लिए आवाज़ उठानी चाहिए, कैसे नारे
ध््ययान केेंद्रित करवाना। बोलने, लिखने और स््वयं कल््पना करके विचार करना सिखाना।
पेड़-पौधोों की सुरक्षा का आभास करवाना वन संरक्षण के महत््त््व के विषय मेें एकत्रित जानकारी को
अनुच््छछेद रूप देकर लिख पाने मेें सक्षम बनाना।
बच्चचों को ऑक््ससीजन, लकड़ी, फल-स​िब््ज़योों
जैसी आवश््यकतोों के प्रति जागरूकता का भाव
जागृत करना।

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों का सही उच्चारण एवं धाराप्रवाह पठन
• वनस््पतियोों के संरक्षण की महत््तता को उचित शब््दोों मेें कहना/बताना/सुनाना
• प्राकृतिक सौौंदर््य का मार््ममिक शब््दचित्र खीींचना
• सदाबहार, पर््णपाती, पर््वतीय, मैग्रोव, मरुस््थलीय वनोों से संबंधित विशेष शब््ददावली
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पूर््वज्ञान
• समाचारोों द्वारा प्राप्त अमेज़न जंगल मेें लगी आग से बहुत बड़ा और व््ययापक नुकसान होने की जानकारी है।
• वनोों मेें होने वाले नुकसान के प्रभाव से परिचित हैैं।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

वन हैैं, तो हम हैैं

• वनोों का महत््त््व • वन-विभाग के कार््य • वनोों से मिलने • याद रखने योग््य


• प्रकृति ही ईश्वर का • वन््य संरक्षण के लिए वाला लाभ बातेें
वास््तविक स््वरूप जागरूकता • विभिन््न • हमारा नाता-
• पौराणिक कथाओं • पेड़ोों की कटाई से लकड़ियोों, वनोों, खेतोों और
मेें वनोों का जीवन होने वाले नुकसान पदार्थथों का ज्ञान पशुओं के साथ
• आध््ययात््म, सुख की • वन-वृक्षषों द्वारा • वन-महोत््सव
प्राप्ति के लिए वनोों तैयार औषधियाँ पर््व
की आवश््यकता

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• बताएँ, यह हमारे वन््य प्रकृति पर आधारित लेख है।
• प्रकृति जो हम सबके लिए माँ का स््वरूप है, वह हमेें पौराणिक काल से क््यया-क््यया देती है और हमने उसे क््यया
दिया है आदि पर चर््चचा।
उच्चारण अभ््ययास
• कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें, अर््थ बताएँ।
• लेख के अंत मेेंं दिए शब््ददार््थ के शब््दोों को स््वयं बोलेें, अर््थ बच्चचों से बुलवाएँ।
पाठ पठन/वाचन
• पाठ का आदर््श वाचन आरंभ करेें।

20
वनोों का हमारे (पृष्ठ 23) .............................................. तरोताज़ा होकर लौटते हैैं। (पृष्ठ 24)
• पहला अंश स््वयं पढ़ेें। श्वेत/श््ययामपट्ट पर चित्र/रेखाचित्र खीींचकर वन््य वनस््पतियोों/जीवोों के स््वरूप के शब््दचित्र
को स््पष्ट करेें।
• अब बच्चचों से प्राकृतिक संतुलन पर सुंदर शब््दचित्र खीींचने के लिए कहेें और श्वेत श््ययामपट्ट पर स््वयं रेखा
खीींचे। (यह एक गतिविधि हो सकती है।)
• बच्चचों से उसकी कल््पना के आदर््श वन््य जीवन का एक रंगीन चित्र उनकी उत््तर-पुस््ततिकाओं मेें बनवाएँ, जो
विषय-वस््ततु पृष्ठ तो होगा ही और एक गतिविधि भी होगी।
• बताएँ, प्राकृतिक वनस््पतियाँ हमारे लिए कैसे महत््त््वपूर््ण हैैं? हमेें इसकी सुरक्षा कैसे करनी चाहिए?
• पूछेें, हमारी प्रकृति हमेें जितना देती है क््यया हम भी उतना उसके लिए करते हैैं? बच्चचों से ही पूछते-पूछते उन््हेें
वास््तविकता बताएँ। प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना हेतु शब््ददावली को रेखांकित कीजिए।
• हमारी पृथ््ववी और हमारे लिए वन के महत््त््व पर बल देते हुए संरक्षण आधारित अभियानोों के उदाहरण दीजिए
व उनपर बनी डॉक््ययुमेेंट्री फ़िल््म दिखा सकते हैैं। (सुंदरलाल बहुगुणा के पेड़ोों के संरक्षण हेतु ‘चिपको आंदोलन’,
‘स््वच््छ भारत अभियान’, ‘गंगा बचाओ’ इत््ययादि।)
• कठिन शब््दोों को स््वयं बोलते हुए बच्चचों से दो बार दोहराने को कहेें और उन््हेें रेखांकित करवाएँ।
गृहकार््य
• पढ़ाए गए अंश का अभ््ययास
• अपने पसंदीदा फल के वृक्ष या फूलोों के वृक्ष के दृश््य का A3 शीट पर रंगीन चित्र बनाएँ।

पाठ योजना-2
वन हमारे (पृष्ठ 24) .............................................. होने लगा है। (पृष्ठ 25)
• पढ़ाए गए अंशोों का पुनरावलोकन करते हुए प्रत््ययेक पंक््तति पढ़कर पूर््ववाधारित संबंध स््पष्टीकरण।
• प्राकृतिक वातावरण, वन््य-जीव, पौराणिक कथाओं मेें वर््णन, जंगलोों की देख-रेख, वन-विभाग द्वारा पेड़ोों की
कटाई से होने वाले पर््ययावरण का भारी नुकसान, जलवायु और प्रदूषण की सुरक्षा मेें वनोों का महत््त््व, जंगलोों मेें
मिलने वाली बहुमूल््य लकड़ियोों और अन््य पदार््थ, मध््य-प्रदेश मेें अखबारोों मेें प्रयोग होने वाले बाँस, वन््य-
वनस््पतियोों से बनने वाली औषधियाँ, प्रत््ययेक जीव-जंतु, वन-उपवन की सहचरी, हम सबके हृदयोों मेें प्रकृति के
प्रति कृतज्ञता की भावना को जगाते हुए वन-महोत््सव पर््व मनाना, प्रकृति का संरक्षण कर सबका जीवन खुशहाल
बनाना। वर््तमान मेें पर््ययावरण के प्रति प्रेम का अलख छात्ररों मेें जागते हुए हर महीने की पहली तारीख को एक
पेड़ लगाने जैसी सलाह से प्रेरित करते हुए लेख का अंत करेें।
गृहकार््य
• पुनः पाठ-पठन, पाठ से मिली सीख पर अपने मित्ररों से चर््चचा करने का निर्देश देें।
• पाठ पर आधारित कुछ अपेक्षित प्रश््न चिह््ननित करने के लिए कहेें।

21
पाठ योजना-3
• पाठ की मार््ममिकता पर चर््चचा एवं भाषा ज्ञान
• पाठ पर आधारित प्रश््नोों पर, उनके उत््तरोों पर चर््चचा, बच्चचों के उत््तर देने मेें सहायता
• उत््तर स््वयं श्वेत/श््ययामपट्ट पर लिखेें
• वर््तनी ध््ययानपूर््वक देखकर लिखने का निर्देश देें।

पाठ योजना-4
• चिंतन-मनन के लिए समय देें, सबके साथ मिलकर पाठ के मूल उद्देश््य पर चर््चचा करेें, अपने-अपने विचार
प्रस््ततुत करने का अवसर देें।
• विषय संवर््धन गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और उचित निर्देश देें।

अभ््ययास
मौखिक
1. हमारे पूर््वज जंगलोों के महत््त््व और उनकी उपयोगिता के बारे मेें जानते थे।
2. एक उम्र के बाद राजा वन प्रवेश करते थे और कुटी बनाकर वहाँ शांति से रहते थे।
3. प्रवास-पर््यटन के लिए हम प्रकृति की गोद मेें जाते हैैं और फिर तरोताज़ा होते हैैं।
लििखत
1. वनोों मेें झर-झर झरते झरने, कल-कल करती नदियाँ, फल-फूलोों से लदे वृक्ष, रंग-बिरंगे पक्षी, वन-पशु दिखाई
देते हैैं।
2. राजकुमार शिक्षा प्राप्त करने नगर से दूर गुरुकुल मेें जाते थे।
3. पेड़ोों की कटाई होने से वर््षषा मेें कमी आती है, खेती और पशु नष्ट हो जाते हैैं।
4. हमेें मिलता है—
 सागौन और शीशम से — मकान बनाने के लिए इमारती लकड़ियाँ मिलती हैैं।
 खैर के पेड़ से — पान पर लगाकर खाए जाने वाला कत््थथा मिलता है।
 बाँस के पेड़ से — टोकरियाँ, चटाइयाँ, चारपाइयाँ, कागज़ आदि बनाया जाता है।
5. कुल््हहाड़ी न केवल वनोों-जंगलोों को बल््ककि खेती, पशु और मनुष््य को भी हानि पहुुँचाती है।
6. सुलेख लििखए।
बहुविकल््पपी
1. ग. अद्भुत 2. ख. तरोताज़ा 3. ग. मुलायम

22
भाषा की बात
1. वर््ण विच््छछेद
घने - घ् + अ + न् + ए
पढ़ने - प् + अ + ढ़् + अ + न् + ए
वैसे - व् + ऐ + स् + ए
मेले - म् + ए + ल् + ए
खैर - ख् + ऐ + र् + अ
2. र के रूप - वर््ण विच््छछेद
व््यर््थ - व् + य् + अ + र् + थ् + अ
प्रवेश - प् + र् + अ + व् + ए + श् + अ
प्रकृति - प् + र् + अ + क् + र् + त् + इ
3. बहुवचन
 देवियाँ, कुटियाँ, लकड़ियाँ, तीलियाँ

 चटाइयाँ, चारपाइयाँ, दवाइयाँ, कुल््हहाड़ियाँ

4. पर््ययायवाची
माँ - जननी माता
वृक्ष - पादप तरु
फूल - पुष््प कुसुम
जंगल - कानन अरण््य
विद््ययालय - स््ककूल पाठशाला
ज़रा सोचकर बताइए
वन विभाग के अधिकार बताएँ।

रचनात््मक गतिवि​िधयाँ
रचनात््मक गतिविधियाँ करने के लिए प्रेरित करेें।

23
3 वन हैैं, तो हम हैैं
कार््य-प​ित्रका

1. शब््द बनाइए—
त््त — ................................. .................................
न््न — ................................. .................................
क््क — ................................. .................................
ष्ट — ................................. .................................
2. वन शब््द मेें अन््य शब््द लगाकर सार््थक शब््द बनाइए—
...................... ...................... ...................... ......................

3. पाठ के आधार पर वाक््य पूरे कीजिए—


क. प्रकृति का......................सच्चा रूप देखना हो तो वनोों मेें जाइए। (अच््छछा/ सच्चा)
ख. प्रकृति देवी की शोभा कितनी अद्भुत और......................है। (अपार/ साकार)
ग. यह बात......................मेें जाने पर ही समझ आती है। (बनोों/ वनोों)
घ. राजा-महाराजा वनोों मेें कुटी बनाकर वहाँ......................रहते थे। (शांति/ शांति से)
ङ. ......................मेें हमारे पूर््वज वन मेें रहते थे। (पुराकाल/ पूराकाल)
च. ......................को रोकने के लिए भी वन-संरक्षण आवश््यक है। (प्रदूषण/ प्रदुषण)
छ. बाँस से......................चटाइयाँ चारपाइयाँ आदि बनती हैैं। (कटोरियाँ/ टोकरियाँ)
4. पाठ के आधार पर सही मिलान कीजिए—
क. पशुओं का मंगल
ख. वनोों का अखबार का कागज़
ग. जंगल मेें नदियाँ
घ. बाँस से संरक्षण
ङ. कल-कल करतीीं चारा

24
4 पक्षी छोटे, काम बड़े
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4

शिक्षण सहायक सामग्री


• “परिश्रम” से संबंधित कहानी यूट््ययूब के वीडियो
 आलसी कौआ और परिश्रमी चिड़िया
 चीींटी और चिड़िया
 पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
परिश्रमी बनने के प्रति ध््ययान जागृत करवाना। कठिन शब््दोों के सही अर््थ बताते हुए नए वाक््य बनाना
सिखाना।
छोटे बच्चचों की मासूम जिज्ञासा की ओर ध््ययान केेंद्रित वनस््पतियोों की जानकारी एकत्रित करके अनुच््छदछे बनाकर
करवाना। लिख पाने मेें सक्षम बनना।
वनोों मेें पेड़-पौधोों की हरीतिमा के प्रति लगाव जागृत
करवाना।
बच्चचों मेें पशुओं के प्रति मार््ममिक भाव जागृत करना।

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों के सही उच्चारण एवं धाराप्रवाह पठन
• वन-उपवन, पेड़-पौधोों, पशु-पक्षियोों के बीच जीवन को उचित शब््दोों मेें कहना/बताना/सुनाना
• पेड़ोों-पौधोों की उपज पर शब््दचित्र खीींचना
• ईश्वर के दिए हुए उपहार प्रकृति के प्रति प्रेम से संबंधित विशेष शब््ददावली

25
पूर््वज्ञान
• अपने माता-पिता, दादी-दादा द्वारा घर पर लगाए हुए पौधोों की जानकारी है।
• बच्चचों को पृथ््ववी दिवस (Earth Day) पर लगाए जाने वाले पौधोों की जानकारी है।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

पक्षी छोटे, काम बड़े

• हाट का दृश््य • बालक का नादान मन • रामू के नादान • अनजाने मेें पक्षियोों के


• किसान और पुत्र • प्रकृति से मित्रता कर मन के प्रश््न दबाए बीजोों द्वारा
खेलना • पिता द्वारा पुत्र प्रकृति की उपज
• मार््ग मेें वर््षषा
• चिड़ियाँ की जानकारी को ज्ञान • पर््ययावरण की शुद्धता
• किसान की आँख
हेतु जिज्ञासा • पक्षियोों का खाना मेें भी पक्षियोों का
लगना
योगदान

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• बताएँ, यह कहानी पक्षियोों द्वारा पेड़-पौधोों की उपज पर आधारित है।
• पेड़-पौधोों, पशु-पक्षी, वायु-जल, वन-उपवन आदि कैसे एक-दूसरे पर आश्रित हैैं चर््चचा।
उच्चारण अभ््ययास
• कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें, अर््थ बताएँ।
• कहानी के अंत मेेंं दिए शब््ददार््थ के शब््दोों को स््वयं बोलेें, अर््थ बच्चचों से बुलवाएँ।
पाठ पठन/वाचन
• कहानी का आदर््श वाचन आरंभ करेें।
एक किसान (पृष्ठ 30) .............................................. उकताकर बैठ गया। (पृष्ठ 31)
• पहला अंश स््वयं पढ़ेें। श्वेत/श््ययामपट्ट पर चित्र/रेखाचित्र खीींचकर प्रकृति के स््वरूप के शब््दचित्र को स््पष्ट
करेें।

26
• अब बच्चचों से पक्षियोों द्वारा तिनकोों को मुख मेें दबाए घोोंसले बनाने हेतु परिश्रम पर शब््दचित्र खीींचने के लिए
कहेें और श्वेत/श््ययामपट्ट पर स््वयं रेखा खीींचेें। (यह एक गतिविधि हो सकती है।)
• बच्चचों को एक-सुंदर-स््वच््छ उपवन का एक रंगीन चित्र उनकी उत््तर-पुस््ततिकाओं मेें बनवाएँ, जो विषय-वस््ततु
पृष्ठ तो होगा ही और एक गतिविधि भी होगी।
• बताएँ, छोटा-सा पक्षी भी कितना सहायक है स््वच््छ पर््ययावरण के लिए। पूछेें, हमेें पर््ययावरण की सुरक्षा कैसे करनी
चाहिए?
• पूछेें, क््यया हमेें पशु-पक्षियोों को सुरक्षित रखना चाहिए? बच्चचों से ही पूछते-पूछते उन््हेें वास््तविकता बताएँ। पशु-
पक्षियोों के प्रति कृतज्ञता की भावना हेतु शब््ददावली को रेखांकित कीजिए।
• कठिन शब््दोों को स््वयं बोलते हुए बच्चचों से दो बार दोहराने को कहेें और उन््हेें रेखांकित करवाएँ।
गृहकार््य
• पढ़ाए गए अंश का अभ््ययास
• किन््हीीं दो प्रकार के पक्षियोों के घोसलोों के दृश््य को A3 शीट पर उकेरेें या मॉडल स््वरूप पत््तोों, घोोंस, लकड़ियोों
द्वारा बनाएँ।
पाठ योजना-2
किसान की आँखेें (पृष्ठ 31) .............................................. फुर््र से उड़ गईं। (पृष्ठ 32)
• पढ़ाए गए अंश का पुनरावलोकन करते हुए प्रत््ययेक पंक््तति पढ़कर पूर््ववाधारित संबंध स््पष्टीकरण।
• किसान का जागना और देखना पुत्र समीप ही एकटक पक्षियोों को देख रहा है और कुछ जानने का प्रयास कर
रहा है, रामू का संकेत पक्षी की ओर, रामू के प्रश््न, पिता द्वारा पुत्र को पक्षियोों के विषय मेें ज्ञान, रामू का एक
बात पर ही अड़ना, पिता का हँसकर समझाना, पक्षियोों के अनजाने मेें धरती मेें बीज दबाने से वृक्ष बनना, रामू
का आश्चर््यचकित रह जाना, धरती का स््वतंत्र स््वरूप, किसान का पुत्र के साथ घर लौटने तथा पक्षियोों का भी
फुर््र होना। वर््तमान मेें वृक्षषों की ओर ध््ययान केेंद्रित करते हुए छात्ररों को स््वस््थ पर््ययावरण बनाने के लिए प्रेरित करते
हुए कहानी का अंत करेें।
गृहकार््य
• पुनः पाठ-पठन, पाठ से मिली जानकारी को अपने परिवार-जन तथा पड़ोसी मित्ररों को देने का निर्देश देें।
• कहानी पर आधारित कुछ अपेक्षित प्रश््न चिह््ननित करने के लिए कहेें।

पाठ योजना-3
• कहानी के उद्देश््य पर चर््चचा एवं भाषा ज्ञान
• कहानी पर आधारित प्रश््नोों पर, उनके उत््तरोों पर चर््चचा, बच्चचों के उत््तर देने मेें सहायता।
• उत््तर स््वयं श्वेत/श््ययामपट्ट पर लिखेें।
• वर््तनी ध््ययानपूर््वक देखकर लिखने का निर्देश देें।

27
पाठ योजना-4
• चिंतन-मनन के लिए समय देें, सबके साथ मिलकर कहानी से सीख पर चर््चचा करेें, अपने-अपने विचार प्रस््ततुत
करने का अवसर देें।
• विषय संवर््धन गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और उचित निर्देश देें।

अभ््ययास
मौखिक
1. किसान अपने पुत्र के साथ शहर गया था।
2. वर््षषा होने के कारण किसान रास््तते मेें रुक गया।
3. अधिक दानोों को चिड़ियाँ ज़मीन मेें गड्ढा खोदकर छुपा देती हैैं।

लिखित
1. हाट मेें माल विक्रय से हुई अच््छछी कमाई के कारण किसान प्रसन््न था।
परिवार के लिए — खाने की वस््ततुएँ
बेटे के लिए — जलेबी
बेटी के लिए — गुड़िया
2. स््वयं करेें।
3. पिता के सोने पर रामू ने एक वृक्ष की टहनी तोड़ी, घोड़ा बनाकर खेला, जंगली फूल इकट्ठे किए।
4. रामू ध््ययानपूर््वक एक चिड़िया को अपनी चोोंच से ज़मीन खोदते देख रहा था।
5. छोटे पक्षी ज़मीन मेें दाने छुपाकर भूल जाते हैैं। वर््षषा होने पर उन दानोों से कोोंपलेें फूट जाती हैैं और वे वृक्ष बन
जाते हैैं। इस प्रकार छोटे पक्षी महान काम करते हैैं।

बहुविकल््पपी
1. ग. फसल
2. ग. जानकारी प्राप्त करने का

भाषा की बात
1. प् + ऋ — पृ स् + ऋ — सृ
म् + ऋ — मृ न् + ऋ — नृ
क् + ऋ — कृ ग् + ऋ — गृ

28
2. वर््ण-विच््छछेद
वृक्ष — व् + ऋ + क् + ष् + अ
क्षमा — ​क् + ष् + अ + म् + आ
श्री — श् + र् + ई
3. रु - रुकना, रुग््ण
रू - रूपवान, रूस
4. स््वयं पढ़ें।
5. वचन परिवर््तन
 दाने, खज़ाने, गड्ढे, चिड़ियाँ, गुड़ियाँ, बातेें कोोंपलेें
 जलेबियाँं, टहनियाँ, थैलियाँ, तालियाँ, डालियाँ, वस््ततुएँ मालाएँ
6. किसान — कृषक, खेतिहर
मार््ग — पथ, राह
वर््षषा — मेेंह, बरखा
7. विशेषण शब््द
जंगली चिड़ियाँ हरी कोोंपलेें
घने वृक्ष गहरा गड्ढा
अच््छछे दाने पतली टहनी
छोटी-सी थैली तेज़ वर््षषा
8. क. आई ख. है ग. बोला घ. के ङ. ये
9. विराम-चिह््न
क. आज किसान की अच््छछी कमाई हुई थी।
ख. ये चिड़ियाँ क््यया ढूँढ़ रही हैैं?
ग. बाबा! चिड़ियाँ धरती मेें दाने क््योों छिपाती हैैं?
घ. बाबा बोले, वृक्षषों के लिए।
ज़रा सोचकर बताइए
• पर््ययावरण प्रदूषण के बारे मेें चर््चचा करेें।
• रेफ्रिजरेटर, ए.सी. से निकलने वाली गैस के बारे मेें बताएँ।

29
रचनात््मक गतिविधियाँ
हं को कौ हु
सा र स ची य आ द
बु ल बु ल क हु
फ़ा ल ब बू द
ख््तता मु टे त मो
गि नि मै र तो
द् ध या ना ता

30
4 पक्षी छोटे, काम बड़े
कार््य-प​ित्रका

1. समान शब््द लिखिए—


प्रसन््न - .......................... पिता - ..........................
- ..........................
पक्षी वर््षषा - ..........................
बालक - .......................... टहनी - ..........................
ज़मीन - .......................... बादल - ..........................
2. पाठ मेें आए ‘कर लगे हुए छह क्रिया शब््द सोचकर लिखिए—
.......................... .......................... ..........................
.......................... .......................... ..........................

3. ज/ज़ मेें से सही वर््ण प्रयोग करके शब््द पूरे कीजिए—


.....मीन .....लेबी ख.....ाना बा.....ार .....ाकर

4. शब््दोों को उनके अर््थ से मिलाइए—


वस््ततु चीज़
घना ज़््ययादा
उकताकर ऊबकर
इकठ्ठा एक साथ
संकेत इशारा
5. सही जगह अनुनासिक (चंद्रबिंदु) लगाइए—
गाव वस््ततुए कहा आख पाव चिड़िया मुह हस ढूढ़

31
5 अनमोल दोहे
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4


शिक्षण सहायक सामग्री
• “सदाचार” से संबंधित कहानी यूट््ययूब के वीडियो-
 ‘समय का सदुपयोग’ पर लघु कथा
 ‘ईमानदारी का इनाम’ पर लघु कथा
 पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक
शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
दूसरोों के प्रति अच््छछे विचार रखना सिखाना। कठिन शब््दोों के सही अर््थ बताते हुए नए वाक््य बनाना
सिखाना।
अपने अच््छछे कर््म से एक आदर््श मनुष््य बनाना। अच््छछे विचारोों को बोलना, लिखना और बनाना आना।
सज्जन व््यक््तति बनने का भाव जागृत कराना। कर््मफल पर सोच-विचार कर अनुच््छछेद के रूप मेें लेख
लिख पाने मेें सक्षम बनाना।
बच्चचों मेें सद्भाव, उच्च-विचार रखने की प्रेरणा।

सीखने के प्रतिफल
विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों के सही उच्चारण एवं धाराप्रवाह पठन
• सद््वविचारोों को उचित शब््दोों मेें कहना/बताना/सुनाना
• सत््कर्मो के महत््त््व और आवश््यकता का मार््ममिक शब््दचित्र खीींचना
• अच््छछी आदतोों से संबंधित विशेष शब््ददावली

32
पूर््वज्ञान
• अपने परिवार व विद््ययालय मेें सिखाए सदाचार की जानकारी है।
• अच््छछे आचरण की जानकारी है।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

अनमोल दोहे

• सद्भाव से भाईचारा • भला इनसान ही होता • सदाचार-सत््कर््म • ज्ञानी ही


• मिलकर बढ़ते सभी सच्चा इनसान • जग मेें मान सर््वश्रेष्ठ
• सहज, सरल होती • विश्वसनीय पात्र • आपस मेें प््ययार • बरगद की छाँव
ज़िंदगी होना
• सारा होता एक
संसार

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• बताएँ, यह सत््कर््म, उच्च विचारोों, सद्भाव पर आधारित है।
• ये सत््कर््म, सद्भाव हमेें क््यया सिखाते हैैं, चर््चचा कीजिए।
उच्चारण अभ््ययास
• कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें, अर््थ बताएँ।
• दोहे के अंत मेें दिए शब््ददार््थ के शब््दोों को स््वयं बोलेें, अर््थ बच्चचों से बुलवाएँ।
पाठ पठन/वाचन
पाठ का आदर््श वाचन आरंभ करेें।
सद्भावोों से फैलता (पृष्ठ 40) .............................................. ऐसा नव अनुबंध।। (पृष्ठ 40)
• पहला दोहा स््वयं पढ़ेें। श्वेत/श््ययामपट्ट पर चित्र/रेखाचित्र खीींचकर भाईचारे के दृश््य स््वरूप के शब््दचित्र को
स््पष्ट करेें।

33
• अब बच्चचों से हमारे अंदर की भावनाओं, कर्ममों पर शब््दचित्र खीींचने के लिए कहेें और श्वेत/श््ययामपट्ट पर स््वयं
रेखा खीींचे। (यह एक गतिविधि हो सकती है।)
• बच्चचों से किसी प्रेरक का एक रंगीन चित्र उनकी उत््तर-पुस््ततिकाओं मेें बनवाएँ, जो विषय-वस््ततु पृष्ठ तो होगा
ही और एक गतिविधि भी होगी।
• बताएँ, सत््कर््म कैसे महत््त््वपूर््ण है? हमेें इसकी सुरक्षा कैसे करनी चाहिए?
• पूछेें, हमारी संस््ककृति हमेशा हमेें कैसे कर््म करना सिखाती है? बच्चचों से ही पूछते-पूछते उन््हेें वास््तविकता बताएँ।
• कठिन शब््दोों को स््वयं बोलते हुए बच्चचों से दो बार दोहराने को कहेें और उन््हेें रेखांकित करवाएँ।
गृहकार््य
• पढ़ाए गए अंश का अभ््ययास
• पढ़ाए गए पाठ मेें से अपने पसंदीदा कवि के दो दोहे A4 शीट पर रंगीन पेन से लिखेें और कवि का चित्र भी
लगाएँ।
पाठ योजना-2
ज्ञानी हो (पृष्ठ 41) .............................................. वह गाँव। (पृष्ठ 41)
• पढ़ाए गए अंशोों का पुनरावलोकन करते हुए प्रत््ययेक पंक््तति पढ़कर पूर््ववाधारित संबंध स््पष्टीकरण।
• ज्ञानी व््यक््तति वही जो..., दुर््जन-सर््प बनना, चार दिन जीने के लिए बहुत, बरगद का उदाहरण, जैसे बरगद भी
लुप्त हुआ है। वर््तमान मेें पर््ययावरण की स््थथिति बताते हुए छात्ररों को पर््ययावरण सुरक्षा के लिए प्रेरित करते हुए दोहे
का अंत करेें।
गृहकार््य
• पुनः पाठ-पठन, पाठ से मिली सीख जानकारी को अपने परिवार-जन तथा पड़ोसी मित्ररों को देने का निर्देश देें।
• पाठ पर आधारित कुछ अपेक्षित प्रश््न चिह््ननित करने के लिए कहेें।

पाठ योजना-3
• पाठ के भावार््थ पर चर््चचा एवं भाषा ज्ञान
• पाठ पर आधारित प्रश््नोों पर, उनके उत््तरोों पर चर््चचा, बच्चचों के उत््तर देने मेें सहायता
• उत््तर स््वयं श्वेत/श््ययामपट्ट पर लिखेें
• वर््तनी ध््ययानपूर््वक देखकर लिखने का निर्देश देें।

पाठ योजना-4
• चिंतन-मनन के लिए समय देें, सबके साथ मिलकर पाठ के मुख््य उद्देश््य पर चर््चचा करेें, अपने-अपने विचार
प्रस््ततुत करने का अवसर देें।
• विषय संवर््धन गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और उचित निर्देश देें।

34
दोहोों का अर््थ
• सद्भावोों से आपसी भाईचारा और प््ययार बढ़ता है, बिलकुल इस दिशा मेें प्रयास करने की ज़रूरत है, सभी
लोग तैयार हैैं।
• जीवन सहज-सरल और सादगीपूर््ण हो, लेकिन विचार उच्च होने चाहिए। ऐसा होने पर संपूर््ण संसार मुट्ठी
मेें आ जाएगा।
• जो सदा लोगोों की भलाई और परोपकार मेें संलग््न रहता है, वही सच्चा इनसान है। इस प्रकृति के लोगोों का
मार््ग स््वयं भगवान प्रशस््त करते हैैं।
• जो व््यक््तति उत््तम आचार और सत््कर््म का पालन करते हैैं, उन््हेें ही सज्जन पुरुष कहा जाता है; दुनिया मेें
मान-सम््ममान उन््हीीं को प्राप्त होता है।
• भाई-भाई के बीच परस््पर प््ययार, स्नेहपूर््ण संबंध कायम हो; आइए, मिल-जुलकर हम ऐसा सिलसिला शुरू
करेें।
• ज्ञानवान व््यक््तति हो, फिर भी दुष्ट व््यक््तति के साथ नहीीं रहना चाहिए। साँप जहरीला ही होगा, चाहेें उसके
पास मणि क््योों न हो।
• मानव जीवन की अवधि सीमित होती है तथापि हम इस प्रकार जीवन को जिएँ कि प्रत््ययेक दिन हजार दिन
के बराबर बन जाए।
• विशालकाय वटवृक्ष के गिरने से उसकी छाया से गाँववासी वंचित हो गए। अब पूरा गाँव अनाथ की तरह
लगता है, क््योोंकि गाँव की पहचान बन चुका वटवृक्ष अब नहीीं है।

अभ््ययास
मौखिक
1. सभी लोग सद्भाव फैलाने के लिए तैयार हैैं।
2. भगवान सच्चे इनसान का पथ आलोकित करते हैैं।
3. स््वयं करेें।
लिखित
1. सद्भावोों से भाईचारा और प््ययार फैलता है।
2. सहज-सरल ​िज़दगी होने और मन मेें उच्च विचार होने पर यह संसार मुट्ठी मेें हो जाता है।
3. पाठ के आधार पर वाक््य स््वयं पूरे करेें।
4. क. ज्ञानी हो फिर भी..... भले ही मणि हो उसके पास!
ख. जीने को हमको मिलेें..... इस तरह हर दिन बने हजार!
ग. जब से वह बरगद गिरा..... अनाथ-सा सबका सब वह गाँव!
35
बहुविकल््पपी
1. ग. हानि पहुुँचाता है
2. क. खुशदिल थे

भाषा की बात
1. वर््ण सम््ममेलन
सर््प, कर््म
2. सार््थक शब््द निर््ममाण
तरह — तर तह रत रह हत हर
सहज — सह सज हज जस
3. विद््ययार्थी स््वयं करेें।
4. शब््द 
 कमाई भलाई चढ़ाई पुताई मिठाई कढ़ाई पिराई चटाई
 चबाई छँटाई जमाई जलाई तराई ठंडाई दवाई बड़ाई
5. विशेषण
सरल ​ज़िदगी नव अनुबंध
उच्च विचार दुर््जन सर््प
सारा संसार दो-चार दिन
सच्चा इनसान अनाथ गाँव
ज़रा सोचकर बताइए
ज्ञान-समझ को विस््ततार देें।

रचनात््मक गतिविधियाँ
सुलेख लिखने और चित्र बनाने मेें सहायक बनेें।

36
5 अनमोल दोहे
कार््य-प​ित्रका

1. सही मात्रा लगाकर शब््द पूरे कीजिए—


व््यवहारक (इ/ ई)
सद्भव (अ/आ)
आलोकित (इ/ ई)
तैयार (ए/ऐ)
सुगंध (उ/ ऊ)
अनुबंध (उ/ ऊ)
2. सही जगह हल् चिह््न ( ् ) का प्रयोग करके सही शब््द बनाइए—
मुटठी सदभाव भटटी यदयपि
3. सही शब््द भरकर दोहे पूरे कीजिए—
क. कदम .................... देख लो, लोग सभी तैयार। (बढ़ाकर/ बचाकर)
ख. सहज- .................... हो ज़िंदगी मन मेें उच्च विचार।  (सरल/ आसान)
ग. .................... मेें हो जाएगा, यह सारा संसार। (कैद/ मुट्ठी)
घ. करे .................... जो सदा, वह .................... इनसान। (सच्चा/भलाई)
ङ. आलोकित करते सदा उसका .................... भगवान। (जीवन/पथ)
च. .................... हो फिर भी न कर .................... संग निवास। (सुजन/दुर््जन/ ज्ञानी/अज्ञानी)
छ. लगता एक अनाथ-सा सबका सब वह ....................। (गाँव/ गांव)

37
6 मैैं हूूँ साबरमती
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-3


शिक्षण सहायक सामग्री
• पाठ््यपुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• नदी का वीडियो
• साबरमती आश्रम का वीडियो

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
नाम का महत््त््व प्रत््ययेक नाम का अर््थ होता है, बताना कठिन शब््दोों का उच्चारण सिखाना
नदियोों का महत््त््व बताना धारा प्रवाह पठन सिखाना
नदी के अवतरण की कहानी जानना भाषा आत््मकथानात््मक रूप से परिचय करवाना
ऋषियोों के बारे मेें बताना

सीखने के प्रतिफल
विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• कठिन शब््दोों के अर््थ, उच्चारण एवं प्रयोग
• धारा प्रवाह पठन
• नामकरण के आधार एवं महत््त््व
• नदियोों, ऋषियोों के प्र​ित श्रद्धा

पूर््वज्ञान
• बच्चे नामोों की रचना प्रक्रिया से अवगत हैैं।

38
पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

मैैं हूूँ सावरमती

• यात्री द्वारा नदी को • कश््यप मुनि की चिंता • तटपर तप करने • यात्री द्वारा
प्रणाम • महादेव से प्रार््थना वाले ऋषि धन््यवाद देना
• नदी का संवाद • नदी का अवतरण • दधीचि का त््ययाग
• नाम की कहानी • नदी के कार््य • स््वतंत्रता की
सुनाना अलख जगाना

पाठ योजना 1
• ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें, परिचय देें।
• कठिन शब््दोों को पढ़ेें, बोर््ड पर बोलते-बोलते लिखेें।
• पाठ के शब््ददार््थ पढ़े-पढ़वाएँ, अर््थ बताएँ, प्रयोग करेें-करवाएँ
पाठ पठन
वर््षषा के दिन (पृष्ठ 45) .............................................. साबरमती है। (पृष्ठ 46)
• पाठ का एक-एक गद््ययाांश पढ़ेें।
• कठिन शब््द श््ययामपट्ट पर लिखते जाएँ अर््थ बताते चलेें।
• श्रद्धा से प्रणाम करना, भक््ततिभाव, अंजलि देना, नाम का अर््थ आदि।
• स््पष्ट करते चलेें।
• मौन पठन का निर्देश देें।
गृहकार््य
• माता-पिता को पाठ पढ़कर सुनाने का निर्देश देें।

पाठ योजना 2
इधर (पृष्ठ 46) .............................................. प्रसन््नता फैला गई (पृष्ठ 47)
• पूर््व पंक््तति का पुनरावलोकन।
• शुद्ध उच्चारण के साथ पढ़ना प्रारंभ करेें। कठिन शब््द श््ययामपट्ट पर लिखेें और उच्चारण करवाएँ।

39
• नाम रखने की प्रथा, अकाल, कश््यप मुनि की प्रार््थना नदियोों के नाम, दधीचि की कहानी, साबरमती आश्रम के
विषय मेें बताएँ।
• भारत के नक््शशे मेें नदियाँ दिखाएँ।
गृहकार््य
• पाठ को माता-पिता के सामने ज़ोर-ज़ोर से पढ़ने का निर्देश देें।
• प्रश््नोोंत््तरोों पर निशान लगाने (उत््तर ढूँढ़ने) के लिए कहेें।

पाठ योजना 3
• मौखिक प्रश््नोों के उत््तर सुनेें।
• लिखित प्रश््नोों के उत््तर दोहराएँ और लिखने का निर्देश देें।
• श्रुतलेख के लिए तैयारी का निर्देश देें।
• भाषा अभ््ययास स््वयं करने का निर्देश देें।
• श््ययामपट्ट पर हल लिखेें।
• अपेक्षित रचनात््मक गतिविधियाँ करवाएँ

अभ््ययास
मौखिक
1. श्रद्धा से प्रणाम करने और जल की अंजलि देने के कारण नदी यात्री से प्रसन््न हुई।
2. यह नदी सदा भटकती रही है इसलिए इसका नाम ‘सा भ्रमति’ पड़ा है।
3. एक बार गुजरात मेें अकाल पड़ने पर कश््यप मुनि भगवान शंकर के पास गए। उनकी प्रार््थना स््ववीकार करके
भगवान शंकर ने गंगा की एक धारा अरावली पहाड़ के उस पार बहा दी, जिससे साबरमती नदी धरती पर आई।
लिखित
1. गुजरात की लोकभाषा मेें ‘साबर’ या ‘साँबर’ हिरण को कहते हैैं। इस नदी के तट पर साबर खूब पाए जाते हैैं,
इसलिए लोग इस नदी को साबरमती कहते हैैं।
2. गोदावरी नदी के तट पर गायोों की संख््यया अधिक होने के कारण इसका नाम गाय से गोदावरी तथा बाघमती नदी
के तट पर बाघ खूब पाए जाने के कारण इसका नाम बाघमती पड़ा।
3. गुजरात मेें नर््मदा, ताप्ती, मही-चंद्रभागा, साबरमती आदि नदियाँ बहती हैैं।
4. साबरमती नदी के तट पर कश््यप, वशिष्ठ, वामदेव, गौतम, मांगेय, दधीचि जैसे ऋषियोों ने तपस््यया की।
5. क. बनारस ख. साबर ग. शंकर घ. मार््ग ङ. प्रणाम

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बहुविकल््पपी
1. ग. साबरमती
2. ग. कश््यप अाश्रम

भाषा की बात
1. वर््ण-विच््छछेद— स् + ई + ढ़् + इ + य् + आँ
क् + अ + ह् + आँ
ब् + ऊँ + द् + अ
ह् + ऐं
2. र — पराधीन, रथ  र् ( र् ) — हर््ष, सर््वदा र ( ्र) — प्रयत््न, श्रमिक र ( ) — ट्रक, मेट्रो
3. बहुवचन—
 सीढ़ियाँ नदियाँ कहानियाँ गरमियाँ

 कुएँ प्रार््थनाएँ कथाएँ

4. 5. 6. स््वयं पढ़ेें।
ज़रा सोचकर बताइए
नाम के अर््थ समझाएँ।

रचनात््मक गतिविधियाँ

सा स गं गा
गो ब त ड
न दा र ल क
र््म व म ज
दा का वे री ती

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6 मैैं हूूँ साबरमती
कार््य-प​ित्रका

1. दिए गए शब््दोों पर सही जगह अनुस््ववार लगाइए—


अजलि भयकर शकर गगा गागेय स््वतत्रता चद्रभागा
2. पाठ के आधार पर सही जोड़े बनाइए—
पेड़ दधीचि
भक््तति पर््वत
भगवान नदी
ऋषि पौधे
चंद्रभागा शंकर
अरावली भाव
3. सही संज्ञा शब््द भरकर वाक््य पूरे कीजिए—
क. .................... इनका मार््ग है, .................... नहीीं। (घर/गुजरात)
ख. .................... अपनी .................... की रक्षा नहीीं कर पाए। (प्रजा/ राजा)
ग. एक .................... .................... के लोगोों से कह रहे थे। (पंडित जी/ आश्रम)
घ. मैैं तुम््हहारे .................... से .................... हूूँ। (प्रसन््न/भक््ततिभाव)
ङ. .................... दौड़े-दौड़े .................... के पास गए। (भगवन शंकर/ कश््यप मुनि)
4. शब््दोों को सही अर््थ से मिलाइए—
श्रद्धा सूखा
अंजलि धरती पर आना
अवतरण ओक
अकाल आदर

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7 एक लंबा पत्र
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-3


शिक्षण सहायक सामग्री
• पाठ््य पुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• पत्र का प्रारूप
• दिल्ली के दर््शनीय स््थलोों की PPT

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
हस््तलिखित पत्ररों का महत््त््व बताना पत्र का प्रारूप सिखाना
पत्ररों को लिखने और पाने का आनंद बताना पत्र की भाषा शैली पर ध््ययानाकर््षषित करना
पत्ररों मेें छिपी सुनहरी यादोों को जीने का सुख पत्र लिखना सिखाना
आधुनिक पत्र, ईमेल बताना

सीखने ​के प्रतिफल


विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• सही प्रारूप के साथ पत्र लिखना
• पत्र का महत््त््व जाना

पूर््वज्ञान
• बच्चे पत्र के विषय मेें जानते हैैं।

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पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

एक लंबा पत्र

• चित्र द्वारा वरदायिनी को • चित्रा का दिल्ली भ्रमण • मुख््य इमारतोों पर


पत्र • खांडवप्रस््थ, इंद्रप्रस््थ रोशनी
• वरदायिनी द्वारा तमिलनाडु • अग्रेसन की बावड़ी • सभी को प्रणाम
के महाबलिपुरम का भ्रमण
• राष्ट्रीय युद्धस््ममारक
• 26 जनवरी कर््तव््यपथ पर परेड

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• सर््वप्रथम ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• पत्र विधा के बारे मेें जानकारी देें। पत्र लिखना-पढ़ना।
• पत्र का प्रारूप बताएँ।
उच्चारण अभ््ययास
• मुख््य शब््दोों का शुद्ध उच्चारण करेें। अर््थ बताएँ। पाठ के अंत मेें दिए शब््दोों को एक-एक पढ़ेें और बच्चचों से
अर््थ बुलवाएँ। यह इसलिए कि बच्चे कठिन शब््दोों के अर््थ पहले जान लेेंगे तो पाठ पढ़ते समय अर््थ ग्रहण मेें
आसानी होगी।
पत्र वाचन/पठन
A-42 मधुर निकुंज (पृष्ठ 52) .............................................. सुंदर बावड़ी (पृष्ठ 53)
• पाठ का आदर््श वाचन करेें।
• एक-एक गद््ययाांश पढ़ते जाएँ और दर््शनीय स््थलोों के चित्र दिखाकर स््पष्ट करते चलेें।
• बच्चचों से उनकी यात्रा/देशाटन के विषय मेें जानकारी लेें।
गृहकार््य
• पाठ को ज़़ोर से पढ़ना, कठिन शब््दोों को रेखांकित करना
• माता-पिता से चर््चचा

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पाठ योजना 2
वह भी घने (पृष्ठ 53) .............................................. तुम््हहारी सखी चित्रा (पृष्ठ 55)
• एक-एक गद््ययाांश पढ़कर स््पष्ट करते चलेें।
• पाठ समाप्ति पर मौन पठन का आदेश देें।
गृहकार््य
• मौन पठन का निर्देश देें।
• ‘मेरी प्रिय यात्रा’ अनुच््छछेद लिखने के लिए देें।

पाठ योजना 3
• अभ््ययास आरंभ करेें।
• मौखिक लिखित प्रश््नोों के उत््तरोों पर चर््चचा करेें।
• भाषा की बात बच्चचों की सहायता से श््ययामपट्ट पर हल करेें।
• भाषा की बात पुस््तक मेें ही करने का निर्देश देें।
• पत्र बच्चाें की सहायता से / स््वयं बोलकर लिखवाएँ।
• विषय संवर््धन गतिविधियाँ करने का निर्देश देें।
गृहकार््य
गृहकार््य हेतु बचा हुआ कार््य देें।

अभ््ययास
मौिखक
1. यह पत्र चित्रा ने वरदायिनी को लिखा।
2. दिल्ली को पहले खांडवप्रस््थ, इंद्रप्रस््थ के नाम से पुकारा जाता था।
3. गणतंत्र दिवस की परेड मेें मार््च करते सैनिक, थलसेना, जलसेना और वायुसेना के सिपाहियोों ने भाग लिया, टैैंक
और तोपोों का प्रदर््शन किया गया। अलग-अलग राज््योों की झाँकियाँ निकाली गई, विद््ययार््थथियोों की टोलियोों का
नृत््य गीत प्रस््ततुत किया गया।
लििखत
1. चित्रा ने दिल्ली जाकर अग्रसेन की बावड़ी, राष्ट्रीय युद्धस््ममारक, 26 जनवरी की ‘कर््तव््यपथ’ पर निकली परेड,
भवनोों की रोशनी और चाँदनी चौक आदि देखे।
2. धरती के अंदर का पानी जनसंख््यया बढ़ने और ग््ललोबल वार््मििंग के कारण सूखता जा रहा है।

45
3. अपने वीर शहीद सैनिकोों की याद मेें, इन््हेें श्रद््धाांजलि और सम््ममान देने के लिए यह राष्ट्रीय युद्ध स््ममारक बनाया
गया। इस पर 25,942 वीरोों के नाम अंकित हैैं।
4. चित्रा और उसके सहपाठियोों ने प्रण लिया कि हम खूब मन लगाकर पढ़ेेंगे-लिखेेंगे और देश के यश मेें चार
चाँद लगाएँगे।
5. तीसरे दिन उन््हहाेंने 26 जरवरी की परेड देखी।
बहुविकल््पपी
1. ख. सखियाँ
2. क. उनकी सुंदरता-भव््यता को बनाए रखेें
ख. उनके बारे मेें सबको बताएँ
3. क, ख, ग तीनोों विकल््प सही हैैं।

भाषा की बात
1. ष्ट - कष्ट उष्ट्र ल्ल - बल्ला हल्ला
स््म - स््मरण विस््मय न््न - अन््न प्रसन््न
ख््य - व््ययाख््यया ख््ययाति म््म - अम््ममा चम््मच
व््य - व््यक््तति व््यय च्च - कच्चा बच्चा
2. विद््ययार्थी स््वयं करेें।
3. विद््ययार्थी स््वयं करेें।
4. संज्ञा
व््यक््ततिवाचक संज्ञा - महाबलिपुरम वरदायिनी तमिलनाडु चित्रा
जातिवाचक संज्ञा - प्रधानमंत्री बावड़ी पत्र सैनिक
भाववाचक संज्ञा - विश्राम निडरता आश्चर््य जोश
5. सुलेख करेें।
ज़रा सोचकर बताइए
देशभक््तति, देशप्रेम के भाव भरिए।

रचनात््मक गतिविधियाँ
प्रश््न 1 करने मेें सहायता करेें।
2. तिरंगे का चित्र अपनी देखरेख मेें बनवाएँ।
प्रश््न 3, 4 करने मेें सहायता करेें।

46
7 एक लंबा पत्र
कार््य-प​ित्रका

1. शब््दोों का वर््ण-विच््छछेद कीजिए—


वरदायिनी - ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + .....
राजधानी - ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + .....
बावड़ी - ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + .....
विशाल - ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + .....
सम््ममान - ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + ..... + .....
2. ड़/ढ़ मेें से सही वर््ण भरकर सही शब््द बनाओ—
रेलगाड़ी बावड़ी सीढ़ियाँ तोड़ पढ़ेेंगे बूढ़े
3. वाक््ययाांश के लिए एक शब््द लिखिए—
क. इतिहास से संबंधित - .............................

ख. जहाँ घूमने जाते हैैं - .............................

ग. साथ पढ़नेवाला - .............................

घ. जो विद््ययालय मेें पढ़ाता है - .............................

4. दिए गए द््ववित््व वर्णणों से दो-दो शब््द लिखिए—


ब््ब - ............................. .............................
म््म - ............................. .............................
ल्ल - ............................. .............................
च्च - ............................. .............................
न््न - ............................. .............................

47
8 बालक की कामना
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-3


शिक्षण सहायक सामग्री
• पाठ््यपुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• पाठ का एनिमेशन

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
विविध कौशलोों से परिचय करवाना कठिन शब््दोों का शुद्ध उच्चारण सिखाना
पल-पल नया कौशल सीखने की प्रेरणा लय ताल मेें कविता पढ़ना
समाज-देश के लिए कार््य करने की सीख कविता याद करके लिखना
दया, करुणा, प्रेम, परोपकार जैसे भावोों का विकास
सूक्षष्म अवलोकन के विषय मेें बताना

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• लय सुर मेें पठन/गायन
• सूक्षष्म अवलोकन
• बड़े होकर करने वाले परहित के कार््य
• आत््मतुष्टि, प्रसन््नता दया, करुणा जैसे भावोों की अनुभूति

पूर््वज्ञान
• बच्चे मेहनत, दया, करुणा के भावोों से अवगत हैैं।

48
पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

बालक की कामना

• स््वतंत्र भारत का नागरिक • अन््न और कपास • ईमानदारी से


• संसार मेें देश का नाम उगाना और लोगोों सरकारी नौकरी
करना को अन््न-वस्तत्र देना करना

• गोपालक बनना • शहर मेें बसना • अस्तत्र-शस्तत्र संचालन


• भारत के लोगोों को • कला-कौशल सीखना सीखना
हृष्ट-पुष्ट करना • नए यंत्र गाँव मेें भेजना • देश सेवा मेें अर््पपित होना

पाठ योजना 1
• ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• उच्चारण अभ््ययास मेें दिए गए शब््दोों को श््ययामपट्ट पर लिखकर बोलेें और बच्चचों से ज़़ोर-ज़़ोर से सही उच्चारण
मेें बोलने-दोहराने के लिए कहेें।
कविता पठन
मैैं स््वतंत्र (पृष्ठ 62) .............................................. प्राण सभी (पृष्ठ 63)
• पूरी कविता का एक बार मेें उचित सुर-लय मेें आदर््श वाचन करेें।
• अब एक पंक््तति अध््ययापक गाएँ, एक बच्चे।
• अब पहली पंक््तति (अध््ययापक द्वारा गाई गई) बच्चे पढ़ेें, अगली अध््ययापक पढ़ेें।
• अच््छछे कार््य करना, ऋषियोों की पुण््य मही, गोपालन करना, दूध-दही की गंगा उमड़ना, हृष्ट-पुष्ट होना- अर््थ
बताते हुए व््ययाख््यया बताएँ।
गृहकार््य
• ज़़ोर-ज़़ोर से लय मेें पठन
• सुलेख

पाठ योजना 2
और अन््न (पृष्ठ 62) .............................................. प्राण सभी (पृष्ठ 63)
• कविता का आदर््श वाचन करेें।

49
• कपास क््यया है (यूट््ययूब से वीडियो दिखाएँ) भूखा-दूखा होना, विविध कला कौशल सीखना, कला-कौशल क््यया
हैैं (स््पष्ट करेें) गाँवोों मेें यंत्र भेजना (क््योों भेजना चाहते हैैं) स््पष्ट करेें।
• सरकारी नौकरी की इच््छछा क््योों हैैं? (देश को आगे बढ़ाने वाले कामोों मेें सहभागिता के कारण), चोर बाज़़ारी
सभी कार््य सीखना, अस्तत्र-शस्तत्र संचालन क््योों सीखना चाहते हैैं। भारत की सेवा मेें तन, मन प्राण अर््पण करने
की इच््छछा सभी का विस््ततार मेें वर््णन करेें।
• एक-एक कर सभी को अनुकरण वाचन का आदेश देें।
• एक बार पुनः अध््ययापक पूरी कविता पढ़ेें और फिर छात्ररों को मौन पठन का आदेश देें।

पाठ योजना 3
• शब््ददार््थ के अर््थ और वाक््य बनवाएँ।
• मौखिक प्रश््न पढ़ेें, उत््तर निकलवाएँ।
• लिखित प्रश््नोों पर चर््चचा करेें। लिखने का निर्देश देें।
• भाषा की बात स््वयं करने का निर्देश देें। बाद मेें श््ययामपट्ट पर लिखेें ताकि बच्चे अपनी गलती सुधारकर लिखेें।

कविता का अर््थ
• कवि श्रीनाथ सिंह कहते हैैं कि मैैं भारत का निवासी हूूँ। मैैं अपने जीवन मेें वही काम करूूँगा, जिससे ऋषियोों
की पुण््यभूमि भारत सदा सम््ममानित हो।
• मेरे मन मेें बहुत दिनोों से यह भी इच््छछा जन््म ले रही है कि मैैं गाँव मेें ही रहकर गोपालन करूूँ। इससे दूध-
दही की बहुतायत होगी और भारत हृष्ट-पुष्ट होगा।
• मैैं इतना अन््न उपजाऊँ और इतनी कपास पैदा करूूँ कि कोई भी न तो भूखा रहे और न ही वस्तत्रविहीन।
• यदि मुझे बाहर बसना पड़े तोे मैैं वहाँ अनेक प्रकार की कलाएँ और योग््यताएँ-कुशलताएँ सीखूँ। नए-नए
यंत्र और नए हल बना-बनाकर गाँव मेें भेजूँ।
• यदि मैैं सरकारी नौकरी करूूँ तो ध््ययान से हर काम करूूँगा। कभी भी कोई गलत काम नहीीं करूूँगा।
• सभी काम सीखूँगा। हथियार चलाना भी सीखूँगा। भारत माँ की सेवा मेें अपना तन-मन और प्राण सभी लगा
दूँगा।

अभ््ययास
मौिखक
1. कवि स््वतंत्र भारत के वासी हैैं।
2. वे विविध कला कौशल सीखना चाहते हैैं ताकि वे नए यंत्र और हल बना सकेें क््योोंकि गाँव को बढ़िया बनाने
के लिए नई-नई चीज़ाें की आवश््यकता है।

50
लििखत
1. कवि गाँव मेें रहकर गाय पालना चाहते हैैं, अन््न पैदा करना, कपास उगाना चाहते हैैं।
2. नए यंत्ररों और नूतन हलोों से गाँव की तरक््ककी होगी। अधिक अन््न पैदा होगा। अधिक आसानी होगी। लोगोों का
काम करने मेें मन लगेगा। उन््नति होगी। धन प्राप्त होगा। काम कम समय मेें कम श्रम मेें हो जाएगा। अधिक
आमदनी होगी।
3. कवि गलत आचरण, गलत व््यवहार नहीीं करेेंगे, न ऐसा करने वालोों के पास जाएँगे। चोर बाज़ारी यानी चोरी
नहीीं करेेंगे, झूठ नहीीं बोलेेंगे।
4. क. कवि सभी कामोों के साथ-साथ अस्तत्र-शस्तत्र चलाना भी सीखना चाहते हैैं ताकि समय पड़ने पर देश की
सेवा कर सकेें। दुश््मनोों को मार सकेें।
ख. वे भारत की सेवा मेें अपना सब कुछ अर््पण करना चाहते हैैं। तन, मन और प्राण भी।
5. अर््थ-भाववाली पंक््ततियाँ
क. मन मेें तो है यहीीं गाँव मेें
बसूँ, करूूँ मैैं गोपालन
ख. दूध-दही की गंगा उमड़े
हृष्ट-पुष्ट हो भारत जन
बहुविकल््पपी
1. ख. मही 2. ग. दोनोों

भाषा की बात
1. तुकांत शब््द
वही - मही भूखा - दूखा
पालन - जन सही - नहीीं
कपास - लिबास तन - मन
2. तत््सम शब््द
 कर््म गौ दुग््ध
 दधि ग्राम नव
ज़रा सोचकर बताइए
शिक्षक/शिक्षिका विद््ययार््थथियोों की कल््पना को पंख देें।

रचनात््मक गतिविधियाँ
रचनात््मक गतिविधियाँ करवाने मेें सहायता करेें।
51
8 बालक की कामना
कार््य-प​ित्रका

1. विलोम शब््द लिखिए—


सम््ममान – .............................
उपजाऊ – .............................
पुण््य - .............................
नूतन - .............................
2. कविता के आधार पर सही मिलान कीजिए—
दूध मन
हृष्ट कौशल
भूखा दही
कला पुष्ट
तन दूखा
3. शब््द पूरे कीजिए—
यं..... नू.....न विवि..... सर.....री .....पास .....हर

गो.....ल..... पै..... को..... ध््यया..... .....ज़ारी .....ऊँ

4. इ/ई की मात्रा लगाकर सही शब््द बनाइए—


मह ऋषयोों लबास सभ
नौकर इतन शक््त वास

52
9 मजमेवाला
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4


शिक्षण सहायक सामग्री
• पाठ््यपुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• पाठ का एनिमेशन
• तरह-तरह के मजमे/तमाशे की यूट््ययूब वीडियो

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
हँसी बाँटने वालोों के जीवन मेें झाँकने का प्रयत््न कठिन शब््दोों से परिचय, उच्चारण अर््थ एवं धाराप्रवाह
पठन
विभिन््न लोक कलाओं, तमाशे, मजमे, नौटंकी से और
उसके उद्देश््योों से परिचय।
मुसीबत मेें पड़े इनसानोों की मदद करना
मन के विभिन््न भावोों-प्रेम, जिज्ञासा, आक्रोश, दुख,
पछतावा आदि की जानकारी और उनके प्रकटीकरण की
अनिवार््यता पर बल

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• दूसरोों की भावनाएँ समझना
• नैतिकता का भाव
• संवेदनशीलता का भाव

53
पूर््वज्ञान
• खेल-तमाशोों के बारे मेें पहले से ही जानते हैैं|

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

मजमेवाला

• मज़दूर, बच्चे और • मजमेवाले का गायब होना • राधेश््ययाम का • मजमेवाले की


मजमा चालीस वर््ष • बच्चचों द्वारा खोजना मजमा लगाना मदद हेतु उसके
का मजमेवाला • तीन रुपए घर जाना
• उसके घर जाकर बात
• आकर््षक व््यक््ततित््व करना इकट्ठे करना • मृत््ययु की खबर
• बच्चचों की जादू सुनकर हतबुद््धधि
• उसके घर की साफ़-सफ़ाई
सीखने की चाह हो सिक््कके कुएँ
• पोहा मँगवाना मेें फेेंकना
• मंजन बेचने की
• खाने का आग्रह करना
बात
• मंजन बेचने की शपथ लेना

पाठ योजना 1
• ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें।
• कठिन वर््तनी वाले शब््दोों का उच्चारण। श््ययामपट्ट पर लेखन के साथ पुनः उच्चारण
पाठ पठन/वाचन
हमारे स््ककूल के (पृष्ठ 70) .............................................. जादू दो चार खेल सीख लेें। (पृष्ठ 71)
• प्रत््ययेक गद््ययाांश पढ़कर अर््थ-भाव समझाएँ।
• रास््तते मेें मजमा लगाना, अधिक दर््शकोों का आना, मजमेवाले का रेखाचित्र साफ़-सुथरा व््यक््तति सभी को पसंद
आता है, जादूगर खेल, जादू सीखने की चाह, रोजी-रोटी कमाने का साधन, उस प्रकार कलाकारोों की मदद....
इनको स््पष्ट करेें।
पाठ योजना 2
एक बार (पृष्ठ 71) .............................................. इशारा करके पढ़े हैैं। (पृष्ठ 72)
• प््ललो चार््ट द्वारा कहानी के इस भाग को समझाएँ।

54
• प्रत््ययेक गद््ययाांश का आदर््श वाचन करेें। अर््थ-भाव समझाएँ।
• अनुकरण वाचन करवाएँ।

पाठ योजना 3
मुन््ननू गया और (पृष्ठ 74) .............................................. फेेंक दिए।
• प्रत््ययेक गद््ययाांश का आदर््श वाचन करते हुए एक-एक पंक््तति का अर््थ समझाएँ।
गृहकार््य
• इन गद््ययाांशोों से बनाए गए प्रश््ननाें के उत््तरोों पर निशान लगाने का निर्देश देें।

पाठ योजना 4
• मौखिक लिखित प्रश््न करवाएँ। चर््चचा करेें। लिखने का निर्देश देें।
• भाषा अभ््ययास कार््य स््वयं करने का निर्देश देें। कुछ समय पश्चात स््वयं श््ययामपट्ट पर बच्चचों की ही मदद से
हल करेें और उन््हेें उनका काम सुधारने का निर्देश देें।
गृहकार््य
• गृहकार््य मेें अभ््ययास और भाषा ज्ञान का काम करने का निर्देश देें।
• रचनात््मक कार््य मेें दिए गए कार््य को करने का निर्देश देें।

अभ््ययास
मौिखक
1. मजमेवाला चालीस साल का एक दुबला-पतला आदमी था। वह साफ़-सुथरे कपड़े और चमचमाते जूते पहनता
था
2. वह तमाशे मेें हाथ की सफ़़ाई दिखाता था। सिक््कके गायब करना, ताश का खेल, पानी के गिलास के करतब।

लििखत
1. बच्चे मजमवाले के करतबोों-जादूगरी से हैरान थे। वे ये सब दो-चार खेल सीखना चाहते थे इसलिए उससे दोस््तती
करना चाहते थे।
2. मजनेवाला आर््य होटल के पीछे छप््पर वाली एक कोठरी मेें रहता था।
3. उसे देखने दोस््तोों की पूरी टोली गई थी। राधेश््ययाम, मज्जू, मुन््ननू, जक््ककू, बालकिशन और लेखक।
4. मजमेवाले ने पोहे इन बच्चचों के लिए मँगवाए थे, जो आज उसके घर उसे देखने आए थे।

55
5. इस वाक््य से पता चलता है कि वह इतना बढ़िया जादू दिखाता था कि सब ठगे से खड़े रह जाते थे। शायद
इसलिए भी कि वे जानना चाहते थे कि मजमेवाला यह कैसे करता है।
6. बालकिशन ने मेहनत से ये सिक््कके मजमेवाले के इलाज के लिए कमाए थे। मजमेवाला अब जिंदा नहीीं रहा।
अत््ययाधिक दुख और निराशा मेें उसने तीन सिक््कके कुएँ मेें फेेंक दिए।
7. किसने, क््यया काम किया?
बालकिशन मजमा लगाया
मुन््ननू झाड़ू से फ़र््श साफ़ किया, जाले छुड़ाए
जक््ककू मटकी धोकर पानी लाया
राधेश््ययाम चौथाई पेजभर पोहे लाया
बहुविकल््पपी
1. ख. मजमेवाले का बीमार होना
2. ख. मजमा जमा नहीीं
3. ग. निराशा और दुख से

भाषा की बात
1. मात्रा प्रयोग
खुशबू — उ और ऊ
भीतर — ई
आई — आ
2. वर््ण-विच््छछेद
क् + ओ + ठ् + अ + र् + ई
ल् + औ + ट् + अ + न् + आ
द् + औ + र् + आ + न् + अ
औ + र् + अ
3. नुकता
तरफ़ मज़दूर हफ़््तता मज़़ा सफ़़ाई
आवाज़ नज़र फ़र््श ज़रुर बाज़़ार
4. विद््ययार्थी उच्चारण करेें और लिखेें।

56
5. सर््वनाम शब््द
क. हमने, वह
ख. उसे
ग. आपको, उसे
घ. अपने
ङ. मेें, हम
ज़रा सोचकर बताइए
शिक्षक/शिक्षिका विद््ययार््थथियोों की कल््पना को पंख देें।

रचनात््मक गतिविधियाँ
रचनात््मक गतिविधियाँ करवाने मेें सहायता करेें।

57
9 मजमेवाला
कार््य-प​ित्रका

1. ज/ज़ मेें से सही वर््ण का प्रयोग करके सही शब््द बनाइए—


म.....दूरी म.....मा .....दू मं.....न म.. ..े दार
दरवा.....ा आवा..... कमी..... स.....ध..... प््यया.....
..ाे..र .. ..े ब न.....र
2. फ/फ़ मेें से सही वर््ण का प्रयोग करके सही शब््द बनाइए—
सा..... तर..... स....ाई .. ..ु स.. ..ु साकर
.....र््श .. ..े र ​ि.....र .. ..ें क

3. उदहारण के अनुसार लिखिए—


मजमा - मजमेवाला
होटल - .............................
चाय - .............................
पान - .............................
सब््ज़ज़ी - .............................
फल - .............................
4. वचन बदलकर लिखिए—
सिक््कका - .............................
- .............................
कुआँ
तकिया – .............................
आँख - .............................
जूता - .............................
हफ़््तता - .............................

58
10 नहीीं करो बरबाद!
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4


शिक्षण सहायक सामग्री
• किसान का अन््न उपजाना (वीडियो)
• उत््सवोों मेें खाना बरबाद करते लोग (वीडियो)
• पाठ््यपुस््तक, श््ययामपट्ट, चॉक

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
अन््न उपजाने मेें लगने वाले श्रम समय, ऊर््जजा और काव््य-गद््य पंक््ततियाँ पढ़ने मेें अंतर सिखाना
प्राकृतिक संसाधनोों की सहायता के विषय मेें बताना
भोजन बचना भी श्रमसाध््य कार््य है, प्रतीति कराना नाटिका का अभिनयात््मक पठन सिखाना
सभ््य-असभ््य का फ़र््क बताना कठिन शब््द एवं अर््थ एवं उसके प्रयोग सिखाना
उत््सव समारोह मेें मनुष््ययोचित व््यवहार करना सिखाना
भोजन वेस््ट न करना सिखाना

सीखने के प्रतिफल
विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• सभ््य व््यवहार करना
• भूख और रुचि अनुसार व््ययंजन लेना
• किसान और रसोइए की मेहनत समझना
• प्राकृतिक संसाधनोों की इज़्ज़त करना
• भावानुरूप पठन

पूर््वज्ञान
• बच्चे अन््न की बरबादी के विषय मेें जानते हैैं।
59
पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

नहीीं करो बरबाद!

• सूत्रधार द्वारा विवाह • सूत्रधार द्वारा • रोटी की आपत््तति • सूत्रधार द्वारा


परिचय चिंता • पूड़ी चावल की सूत्र वाक््य
• भोज की सूचना • बारातियोों द्वारा आपत््तति
• तीन बारातियोों द्वारा भोजन न खा पाना • बारातियोों द्वारा
प्रसन््नता • वेस््टबिन मेें फेेंकना क्षमायाचना
• व््ययंजनोों के नाम, गिनती • अन््नदेवता से
• प््ललेटोों मेें ढेर सारा भोजन क्षमायाचना

पाठ योजना 1
पाठ प्रवेश
• ‘आइए शुरू करेें’ पढ़ेें। प्रस््ततुत भाव-विचार स््पष्ट करेें। केवल समारोह-उत््सवोों मेें ही नहीीं, रोजमर््ररा जीवन मेें भी
उतना ही परोसेें, जितना आवश््यक हो।
• उच्चारण अभ््ययास मेें दिए शब््दोों को श््ययामपट्ट पर उच्चरित करते हुए लिखेें और कक्षा से बुलवाएँ।
• इसी समय शब््ददार््थ पठन का उद्देश््य है कि बच्चे पाठ से पूर््व पाठ मेें आने वाले शब््दोों और उनके अर्थथों से
परिचित हो जाएँ।
• अध््ययापक शब््द पढ़ेें और बच्चे अर््थ पढ़ेेंगे-बोलेेंगे।
पाठ पठन/वाचन
• दो प्रकार से किया जा सकता है। या तो अध््ययापक आदर््श वाचन करेें या बच्चचों से कक्षा मेें अभिनयात््मक पठन
करवाएँ।
पात्र परिचय (पृष्ठ 79) .............................................. बहुत भूख लग आई। (पृष्ठ 81)
• बताएँ सूत्रधार अपने हाथोों मेें नाटक के सभी सूत्र रखता है। वही नाटक शुरू करता है, कथा को आगे बढ़ाता
है और समाप्त करता है।
• सूत्रधार का कथन, बरातियोों का बड़े स््टटॉल को, व््ययंजनोों को देखना, सुस््ववादु व््ययंजनोों को प््ललेट मेें रखना, सभी
बिंदुओं पर चर््चचा करेें।

60
गृहकार््य
• पुनः पठन का निर्देश देें।
• घर के सदस््योों से इस कथा को सुनाने का निर्देश देें।
• नाटक मेें आए व््ययंजनोों की सूची बनाने के लिए कहेें।

पाठ योजना 2
सूत्रधार-भरी लबालब (पृष्ठ 81) .............................................. करते तुम अपमान। (पृष्ठ 83)
• सूत्रधार द्वारा चिंता, रोटी, पूड़ी, चावल, दाल की आपत््तति को स््पष्ट रूप से समझाएँ।
• बच्चे स््वयं आदर््श वाचन करेें।
गृहकार््य
• नाटक के काव््यमय कथन को लय मेें पढ़ने का निर्देश देें।

पाठ योजना 3
सभी बाराती - हमेें क्षमा करो (पृष्ठ 83) .............................................. हम हैैं खा सकते। (पृष्ठ 84)
• अध््ययापक द्वारा आदर््श वाचन।
• बरातियोों द्वारा क्षमायाचना, सूत्रधार द्वारा नाटक का समापन।
• नाटक को एक निर््णणायक बिंदु के साथ समाप्त करेें कि हमेें अपनी प््ललेट मेें उतना ही भोजन परोसना चाहिए,
जितना हमारे पेट मेें आए।
• किसान की मेहनत, समय, धन तथा साथ ही प्राकृतिक संसाधनोों का दुरूपयोग न हो, ध््ययानाकर््षषित करेें।
• शब््ददार््थ पुनः पढ़ेें-पढ़वाएँ।
गृहकार््य
• शब््ददार््थ लिखने का निर्देश देें।
• मौखिक-लिखित प्रश््नोों के उत््तरोों के निशान लगाने के लिए कहेें।
• श्रुतलेख की तैयारी

पाठ योजना 4
• मौखिक प्रश््न पूछेें, उत््तर सुनेें।
• लिखित प्रश््नोों पर चर््चचा करेें। उत््तरोों पर निशान लगवाएँ।
• बहुविकल््पपी प्रश््न करवाएँ।
गृहकार््य
• प्रश््नोों के उत््तर लिखने का निर्देश देें।

61
पाठ योजना 5
• भाषा की बात स््वयं करने का निर्देश देें।
• अध््ययापक श््ययामपट्ट पर सभी अभ््ययास हल करेें।
• पुस््तक मेें अपने उत््तरोों को सही करके पुनः लिखने का निर्देश देें।
• रचनात््मक गतिविधियाँ करने का निर्देश देें।

अभ््ययास
मौिखक
1. गटरूमल की शादी मेें बहुत से बाराती थे। पाठ मेें तीन।
व््ययंजन अनेक थे - जलेबी, चमचम, चाट-पकौड़ी, आलू-छोले, लस््ससी और बरफ़ के गोले, सलाद, रोटियाँ,
दाल, पनीर, छोले-चावल, मसालेदार पापड़, पूड़ियाँ, दही, खीर, मटर-मलाई, चमचम, रसगुल्ला, गाजर का
हलवा, भजिए थे।
2. क््योोंकि उनका पेट बहुत भर गया था। उन््होोंने बहुत सारा खाना ले लिया था।
3. विद््ययार्थी स््वयं करेें।
लििखत
1. सुस््ववादु भोजन देखकर उनके मन मेें लड्डू फूटने लगे। वह खुशी के मारे शायरी करने लगा।
2. सूत्रधार ने चिंता जताई कि इतना खाना क््यया ये सब खा पाएँगे? क््यया उनका पेट रबड़ का थैला है?
3. नीचे गिरी रोटी ने बराती को समझाना चाहा कि बहुत से लोग भूख से मर जाते हैैं। तुम््हेें इस तरह खाना नहीीं।
फेेंकना चाहिए।
4. रोटी-दाल और पूड़ी चावल ने बरातियोों को पकड़कर कहा कि अब हम शोर मचाकर कहेेंगे कि तुम सब अन््न
बरबाद कर रहे हो। किसान कठोर परिश्रम कर खेतोों मेें अन््न उपजाते हैैं। इस सब मेें भूमि हवा, उर््वरक और
पानी का भी योगदान होता है। सबका त््ययाग और तपस््यया का तुम््हेें ज़रा भी ज्ञान होता, तो तुम अन््न का अपमान
कभी न करते।
5. थाली मेें उतना ही लेना
जितना हम हैैं खा सकते।
बहुविकल््पपी
1. ग. सीख देते हुए कहानी आगे बढ़ा रहा था।
2. क. काव््य रस से भरा है।

62
भाषा की बात
1. स््वयं करेें।
2. स््वयं करेें।
3. शब््द निर््ममाण
 सुस््ववादु, सुमधुर, सुविचार, सुवचन, सुकार््य, सुवर््ण, सुगंध

4. प्रत््यय युक््त शब््द


 कामवाला, सब््ज़़ीवाला, दूधवाला, फलवाला, कढ़ाईवाला, तेलवाला

 शानदार, जानदार, धमाकेदार, कढ़ाईदार, बेलबूटेदार, जमादार, जमीींदार, ठेकेदार

5. शब््द
यातायात का एक वाहन वर््णमाला के व््ययंजन
बस व््ययंजन
रुकना, खत््म होना खाद्ध पदार््थ
6. है/हैैं का सही प्रयोग
क. है ख. हैैं ग. हैैं घ. हैैं ङ. है च. हैैं
7. विद््ययार्थी स््वयं करेें।
8. भाषा सौौंदर््य प्रयोग
क. सिर््फ़ एक सब््ज़़ी से मैैं खाना खा लूँगा।
ख. अरे! तुम््हहारी दुकान मेें बिक्री खूब हो रही है।
ग. यह बात सब कर रहे हैैं कि तुमने खाना फेेंका है।
ज़रा सोचकर बताइए
बच्चचों को शब््द देें। उनका शब््दभंडार बढ़ाएँ।

रचनात््मक गतिविधियाँ
रचनात््मक गतिविधियाँ करने मेें सहायता करेें।

63
10 नहीीं करो बरबाद!
कार््य-प​ित्रका

1. दिए गए शब््ददाांश को जोड़कर कर नए शब््द बनाइए—


सु + योग््य - .............................
सु+ अवसर - .............................
सु + पुत्र - .............................
सु + यश - .............................
2. दिए गए शब््दोों मेें से संज्ञा शब््द छाँटकर अलग कीजिए—
मैैं चमचम आलू खुशी भी गरम बंगाल क््यया
बरफ़ रोटियाँ लिए मटर भरो चावल इतना खाया
3. मुहावरोों को उनके अर््थ से मिलाइए—
मुँह मेें पानी आना बहुत खुश होना
हाथ साफ़ करना होश आना
मन मेें लड्डू फूटना जी ललचाना
आँखेें खुलना चोरी करना /गायब करना
4. सही शब््द भरकर वाक््य पूरे कीजिए—
क. अरे! अरे! ये क््यया ........................ हो? (करते/ करता)
ख. मुझको ऐसे ........................ रहे हो! (फैैंक/ फेेंक)
ग. कितने लोग ........................ से मरते (भूख/ भूखे)
घ. नहीीं ज़रा ये देख ........................ हो? (रहा/ रहे)

64
11 जन््मदिन का खर््च
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-4

शिक्षण सहायक सामग्री


• पाठ््यपुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• जन््मदिन संबंधी यूट््ययूब वीडियो

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
इकलौता और लाडला होने पर भी मेधावी होने को कठिन शब््दोों के अर््थ एवं प्रयोग सिखाना
रेखांकित करना
उपहार मेें कहानियोों की पुस््तकेें देने के लिए प्रेरित करना धाराप्रवाह पठन मेें योग््यता हासिल करना
अपने जन््मदिन को विशेष रूप से मनाने की दिशा दिखाना कारण और परिणाम स््पष्ट करना
सभी पढ़ेें, सभी बढ़ेें की प्रेरणा देना
धन को यूँ ही उड़ाने की जगह सार््थक कार््य मेें लगाना

सीखने के प्रतिफल
विद्यार््थथियोों ने सीखा...
• जन््मदिन मनाने का सही तरीका
• राजेश और बुलू के जन््मदिन से उत््सवोों मेें अंतर की पहचान
• सही गलत का निर््णय लेने की क्षमता
• पिता द्वारा किए गए कार््य के लिए धन््यवाद का भाव
• समाज के लिए कार््य करने का संकल््प लेना

65
पूर््वज्ञान
• जन््मदिन मनाने की विधियाँ/तरीके जानते हैैं।
• समाज के उत््थथान के लिए कार््य किए जाएँ, समझते हैैं।

पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

जन््मदिन का खर््च

• बुलू का परिचय • पिता का सच्ची कहानी सुनाना • सच्चाई जानना


• राजेश का जन््मदिन • कहानी सुनकर बुलू का निर््णय • बुलू का गला
• बुलू द्वारा पुस््तकेें लेकर जाना • मानसिंह बाबू की मुसकराहट भर आना
• समारोह की भव््यता • पासबुक और कागज़ देखना • रोना-सिसकना

• बुलू की जन््मदिन मनाने की • एक रहस््य का खुलना • पिता का प््ययार


चाह • जन््मदिन के पैसोों का फ़ीस फ़ंड
• पिता से अनुरोध मेें भेजना

पाठ योजना 1
• ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें। पाठ की पूर््व रूपरेखा बताएँ। बच्चचों को पाठ से जोड़ेें। पूछेें, अपने जन््मदिन पर कौन
क््यया करता है? कैसे मनाता है? परहित-परोपकार के कार््य पर बात करेें।
• उच्चारण अभ््ययास हेतु दिए शब््दोों का उच्चारण करेें। फिर पुनः आदर््श अनुकरण वाचन। श््ययामपट्ट पर लिखते
हुए बोलेें और बुलवाएँ। (3 बार) अनुनासिक चिह््न के लेखन और उच्चारण पर ध््ययान देें/ज़़ोर देें।
पाठ पठन/वाचन
बुलू मानसिंह बुलू (पृष्ठ 90) .............................................. धूम धाम से मनाएगा (पृष्ठ 91)
• आदर््श वाचन करेें। एक-एक वाक््य पढ़ते हुए अर््थ-भाव स््पष्ट करेें। मेधावी होना, खूब चाहना, उपहार मेें पुस््तकेें
देना, जन््मदिन धूमधाम से मनाना, जी खोल कर खर््च करना, मौज-मस््तती, आनंद से झूमना, उपहारोों का ढेर—
सभी को स््पष्ट करेें। बच्चचों के अपने जन््मदिन से जोड़ेें।
गृहकार््य
उच्च स््वर मेें पठन/वाचन का निर्देश देें।

66
पाठ योजना 2
बुलू वहाँ से (पृष्ठ 91) .............................................. जमा करता रहा। (पृष्ठ 92)
• पहले पढ़े गए पाठ की पुनरावृत््तति करेें। छोटे-छोटे प्रश््न पूछेें।
• नए गद््ययाांश का आदर््श वचान करेें। अर््थ भाव स््पष्ट करते चलेें।
• बिस््तर पर लेटकर सोचना, आने वाली स््थथिति के लिए स््वयं को तैयार करना, जन््मदिन मनाने की योजना और
प्रसन््नता, जमीींदार के पुत्र द्वारा फ़ीस फंड मेें पैसे जमा करवाना, हेडमास््टर साहब की खुशी-सभी का अर््थ-
भाव स््पष्ट करेें।
• बच्चाें को मौन पठन का निर्देश देें।
गृहकार््य
• अब तक पढ़ाए गए पाठ का ज़़ोर-ज़़ोर से पढ़ने का निर्देश देें।
• मौखिक प्रश््नोों की तैयारी के लिए कहेें।

पाठ योजना 3
जानता है, (पृष्ठ 92) .............................................. हाथ फेरने लगे (पृष्ठ 94)
• पूर््व पढ़ाए गए पाठ की पुनरावलोकन एवं पुनरावृत््तति
• एक-एक गद््ययाांश का पठन एवं अर््थ-भाव स््पष्टीकरण।
• पिता द्वारा पूछे गए प्रश््न पर आलोचनात््मक चिंतन एवं निर््णय, अपने जन््मदिन के रुपयोों का परहित मेें खर््च
करना, बुलू का पिता की ओर एकटक देखना आदि घटनाओं को स््पष्ट करेें।
• ज़मीींदार द्वारा बनाए गए फ़ीस फ़ंड से खुद के पढ़ाई करने का रहस््य उजागर करना, बुलु का हृदय भर आना
आदि सुंदर भावोों को स््पष्ट करेें।
गृहकार््य
• पाठ पठन/वाचन का निर्देश देें।
• मौखिक-लिखित प्रश््नोों के उत््तरोों को ढूँढ़ने निशान लगाने के लिए कहेें।
• कहानी पर विचार करने के लिए कहेें कि क््यया बुलू के पिता ने ठीक किया?

पाठ योजना 4
• मौखिक और लिखित प्रश््नोों पर चर््चचा एवं लिखने का निर्देश देें।
• भाषा की बात अभ््ययास मेें दिए गए प्रश््नोों को स््वयं हल करने के लिए कहेें। तत््पश्चात श््ययामपट्ट पर हल करेें
और सुधारने के लिए कहेें।
• ज़रा सोचकर बताइए के प्रश््नोों के उत््तर सुनेें।
• रचनात््मक गतिविधियोों पर चर््चचा करेें और कुछ गतिविधियाँ करने का निर्देश देें।

67
अभ््ययास
मौिखक
1. बुलू मानसिंह बाबू का इकलौता लड़का था।
2. जमीींदार के लड़के ने तीन सौ रुपए फ़़ीस फ़़ंड मेें जमा करा दिए, जिससे गरीब छात्ररों की पढ़ाई जारी रह सके।
3. सारी बातेें जानकर बुलू का गला भर आया, आँखेें डबडबा आईं। वह पिता जी की छाती मेें मुँह छिपाकर सिसकने
लगा।

लििखत
1. बुलू ने राजेश को उपहार मेें सुंदर और अच््छछी कहानियोों की किताबेें दीीं।
2. बुलू अपने पिता जी से चाहता था कि वे उसका जन््मदिन भी धूमधाम से मनाएँ।
3. जन््मदिन से अगले दिन परीक्षा थी इसलिए जमीींदार का लड़का जन््मदिन मनाने गाँव नहीीं जा पाया।
4. बुलू के पिता ने फ़़ीस फ़़ंड के पैसोों से अपनी पढ़ाई की थी।
5. बुलू के लिए यह हैरानी भरी बात थी कि उसके पिता जी चुपचाप उसके जन््मदिन पर इतना अच््छछा काम कर
रहे हैैं। हर वर््ष तीन सौ रुपये जमा करके छात्ररों को पढ़ा रहे हैैं।
6. वाक््यपूर््तति
क. प्रश््न, उत््तर
ख. ज़मीींदार, लड़के, फ़़ंड, पैसे
ग. मैैं, तीन सौ
घ. तू, मैैंने

बहुविकल््पपी
1. ग. विद््ययालय के हेडमास््टर का
2. क. पढ़ने वाले बच्चचों के
3. ख. प्रेम के

भाषा की बात
1. सर््वनाम शब््द
क. मैैंने, मुझे ख. तुमने, तुम््हेें ग. मैैं, मेरा घ. हमने, हम

68
2. रेखा द्वारा मिलान
छटवीीं → कक्षा
मेधावी → छात्र
सच्ची → कहानी
एक → ज़मीींदार
तीन → सौ रुपये
दो → तारीख
3. क्रिया कैसे हो रही है?
क. चुपचाप ख. टुकुर-टुकुर ग. ध््ययानपूर््वक घ. ठाठ-बाट से
4. प्रश््न निर््ममाण
क. किसने राजेश के जन््मदिन का उत््सव मनाया?
ख. कौन पढ़ने के लिए शहर चला गया?
लड़का पढ़ने के लिए कहाँ चला गया।
ग. फ़़ीस फ़़ंड मेें क््यया जमा करवाया गया?
रुपया कहाँ जमा करवाया गया?
ज़रा सोचकर बताइए
विद््ययार््थथियोों को उत््तर देने मेें सहायता करेें।

रचनात््मक गतिविधियाँ
रचनात््मक गतिविधियाँ करने मेें सहायता करेें।

69
11 जन््मदिन का खर््च
कार््य-प​ित्रका

1. बहुवचन लिखिए—
किताब - ..............................
कहानी - ..............................
बात - ..............................
चीज़ - ..............................
चिट्ठी - ..............................
2. संज्ञा शब््द पर गोला लगाइए—
क. वह शहर जा रहा है।
ख. बुल्लू अपने पिता से पूछता है।
ग. ज़मीींदार के लड़के ने पैसा दिया।
घ. लड़के को एक चिट्ठी मिली।
3. वाक््य शुद्ध करके लिखिए—
क. मानसिंह था लड़का बुलु बाबू का इकलौता ।
ख. क्लास अधिकतर मेें बैठते दोनोों साथ थे।
ग. पिता आदमी धनी राजेश के जी शहर के थे।
घ. क््यया-क््यया पिता जी से कहेगा?
4. युग््म शब््द छाँटकर अलग लिखिए—
सुबह-सुबह नाचना-गाना आया-आता खाना-पीना
उठाना बैठना ठाठ-बाट अपना-पराया आ मत
जिस दिन लिखना-पढ़ना निर््णय लिया चला गया

70
12 जो अवसर खो देते हैैं
पाठ योजना

कक्षा-4 विषय-हिंदी कालांश-3-4 (आवश््यकतानुसार)


शिक्षण सहायक सामग्री
• पाठ््यपुस््तक
• श््ययामपट्ट, चॉक
• कविता का एनिमेशन

शिक्षण उद्देश््य
भावगत भाषागत
अवसर की पहचान करना और उसका सदुपयोग करना कविता को लय-सुर मेें पढ़ना
समय का पालन करना जानना उचित अनुतान-वितान लेना
कर््मनिष्ठा के विषय मेें बताना भावानुरूप पढ़ना
मेहनत ही सब मुश््ककिलेें हल करने का साधन है-बताना सही उच्चारण के साथ पढ़ना

सीखने के प्रतिफल
विद् यार््थथियोों ने सीखा...
• उचित लय-सुर मेें शुद्धता के साथ पढ़ना
• समय पर अपना काम करना, अवसर को पहचानना
पूर््वज्ञान
• अपना कार््य समय पर करना चाहिए, बच्चे यह जानते हैैं।

71
पाठ प्रवाह
फ््ललो चार््ट

जो अवसर खो देते हैैं

• अवसर को खोना और • कर््मठ बनना • मेहनत से कठिनाइयोों पर


जीवन भर रोना • उजाला फैलाकर विजय पाना
• सबको अवसर मिलना अंधकार मिटाना • उन््नति करना
• निष्ठा से कार््य करना • कुल को भगीरथ बनाना

पाठ योजना 1
• ‘आइए, शुरू करेें’ पढ़ेें। उस पर चर््चचा करेें।
• उच्चारण अभ््ययास मेें दिए गए शब््दोों का आदर््श वाचन करेें। श््ययामपट्ट पर लिखेें और अनुकरण वाचन करवाएँ।
पाठ पठन/वाचन
जो अवसर .............................................. धोते हैैं।
• लय-सुर मेें पूरी कविता एक बार पढ़ेें। आदर््श वाचन।
• एक लाइन स््वयं पढ़ेें, एक बच्चे समवेत।
• फिर बच्चे आपकी लाइन पढ़ेें, आप बच्चचों की।
• पूरी कविता एक बार बच्चे समवेत पढ़ेें।
जो अवसर .............................................. खोते हैैं।
• पुनः पढ़ेें और एक-एक लाइन का अर््थभाव स््पष्ट करेें।
गृहकार््य
कविता का यह अंश याद करने के लिए देें।
पाठ योजना-2
भाग््य और .............................................. धोते हैैं।
• पूरा काव््ययाांश पढ़ेें और अर््थभाव स््पष्ट करेें।
• भाग््य/किस््मत क््यया है, कर््मठ को अर््थ, कर्ममों से प्रकाश कैसे फैलता है, अँधियारा हरना, फसलेें बोना-काटना
• जीवन पथ क््यया है, कुल के कलंक से अभिप्राय, भगीरथ की कथा स््पष्ट करेें।
• शब््ददार््थ एवं अर््थ पढ़ेें-पढ़वाएँ।

72
गृहकार््य
• कविता का सुलेख
• मौखिक लिखित प्रश््नोों की तैयारी

पाठ योजना-3
• मौखिक के उत््तर सुनेें।
• लिखित के उत््तर लिखने का निर्देश देें एवं उसमेें मदद करेें। कक्षा मेें ही करवाएँ।
• भाषा की बात के अभ््ययास सुनेें, घर से करने का निर्देश देें।
• रचनात््मक गतिविधियोों पर चर््चचा करने के निर्देश देें।

कविता का अर््थ
प्रस््ततुत कविता मेें कवि ने समय तथा कर््म की महत््तता पर प्रकाश डाला है। कवि के अनुसार जो अवसर को व््यर््थ
गँवा देते हैैं, वे जीवनभर रोते और पछताते हैैं। समय सबको समान अवसर देता है। सभी के घर जाकर दरवाज़े
पर दस््तक देता है लेकिन जो निराश और हताश होकर भाग््य के सहारे बैठे रहते हैैं, अनिर््णय की स््थथिति मेें रहते
हैैं, जीवन मेें उन््हेें कुछ प्राप्त नहीीं होता। इसके विपरीत कर््मवीर भाग््य और किस््मत की बातेें नहीीं करते। अपने
कर््म पर विश्वास रखने वाले ऐसे व््यक््तति अंधकार को दूर करके प्रकाश फैलाने का सामर््थ््य रखते हैैं। जीवन के
पथ पर आनेवाली तमाम कठिनाइयोों का हँसकर सामना करते हैैं। मेहनत से ही वे अपनी उन््नति का मार््ग प्रशस््त
करते हैैं और वंश के कलंक को भगीरथ बनकर धोते हैैं।

अभ््ययास
मौखिक
1. अवसर खो देने पर जीवनभर रोना पड़ता है।
2. क््योोंकि समय किसी से भेदभाव नहीीं करता; वह सबको समान अवसर देता है।
लिखित
1. जो व््यक््तति घर मेें दोनोों हाथाें से मस््तक थामे निराश और कर््महीन बनकर बैठे रहते हैैं।
2. जब व््यक््तति कर््म को छोड़कर भाग््य के सहारे बैठता है।
3. स््वयं करेें।
4. मेहनत के बल पर हम अंधकार को प्रकाश से भर सकते हैैं। जीवन मेें आने वाली तमाम कठिनाइयोों का सामना
कर सकते हैैं। मेहनत के बल पर ही हम उन््नति करके शीर््ष स््थथान पा सकते हैैं।
5. क. असमंजस मेें पड़कर वे ही
जीवन मेें सब कुछ खोते हैैं।
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ख. भाग््य और किस््मत की बातेें
कर््मठ नहीीं किया करते हैैं।
ग. कुल के सभी कलंक, भगीरथ
बनकर बच्चे ही धोते हैैं।
बहुविकल््पपी
1. ग. सभी को
2. क. आलसी
3. ख. दुख-निराशा हटाना

भाषा की बात
1. वर््ण-विच््छछेद
को - क् + ओ
देते - द् + ए + त् + ए
भाग््य - भ् + आ + ग् + य् + अ
कुल - क् + उ + ल् + अ
2. देते - रोते दस््तक - मस््तक करते - बोते लड़ना - चढ़ना
3. ठीक से पढ़ें।
4. पर््ययायवाची शब््द
घर - आलय, गृह दरवाज़ा - किवाड़, पट पथ - मार््ग, राह
5. विलोम शब््द
क. हँसना
ख. ज्ञानी, प्रकाश
ग. आलसी, अवनति
6. पढ़़िए और स््वयं कीजिए।
ज़रा सोचकर बताइए
छात्ररों की उत््तर देने मेें सहायता करेें।

रचनात््मक गतिविधियाँ
रचनात््मक गतिविधियोों हेतु उचित निर्देश देें।

74
12 जो अवसर खो देते हैैं
कार््य-प​ित्रका

1. पर््ययायवाची का मिलान कीजिए—


जीवन अँधेरा, तिमिर
भाग््य बालक, शिशु
अँधियारा जिंदगी, प्राण
पथ किस््मत, नसीब
बच्चा राह, मार््ग
2. सही शब््द छाँटकर कविता की पंक््ततियाँ पूरी कीजिए—
क. .............................. सभी के घर जाता है। (काल/ समय)
ख. .............................. नहीीं किया करते हैैं। (कर््मठ/ कर््मशील)
ग. .............................. वे ही कटा करते हैैं। (फ़सले/ फसलेें)
घ. ठीक समय पर जो .............................. हैैं। (बोते/ खोते)
3. सही कारक छाँटकर लिखिए—
क. जो अवसर .............. खो देते हैैं। (को/ पर)
ख. दरवाज़े .............. देता दस््तक। (से/ पर)
ग. भाग््य और किस््मत .............. बातेें। (मेें/ की)
घ. अपने कर््म .............. प्रकाश से। (मेें/ के)
4. तत््सम शब््दोों को उनके तद्भव शब््दोों से मिलाइए—
कर््म माथा
हस््त गाँव
मस््तक काम
ग्राम हाथ

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कार््य-पत्रिका— उत््तरमाला
1 अभिनंदन है
1. उमंगेें   लताएँ   दिशाएँ   भावनाएँ
2. प्रकृति — सृष्टि कुदरत
निशा — रात रात्रि
घर — गृह भवन
खग — पंछी नभचर
वन — कानन जंगल
अंधकार — अँधेरा तिमिर
3. बारिश — रिमझिम
उमड़-घुमड़ — बादल
टनटन — घंटा
सांय-सांय — हवा
4. सब, शाक, सबकी, बरसाते, खुशहाल

2 राजा के जूते
1. थर-थर काँपना
हाथ जोड़ना
धूल झाड़ना
चरण धूलि
2. चर््मकार - जूते, सुनार - गहने, ठठेरा - बरतन, जुलाहा - कपड़ा
3. क. एक था राजा और एक था उसका मंत्री।
ख. एक दिन हबूचंद ने गबूचंद को बुलाया।
ग. तुम लोग कुछ काम नहीीं करते।
घ. गबूचंद, यह कैसी व््यवस््थथा है तुम््हहारी?
ङ. सूरज का प्रकाश मंद पड़ गया।

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3  वन हैैं, तो हम हैैं
1. त््त — संपत््तति उत््पत््तति
न््न — अन््न उत््पन््न
क््क — पक््कका टक््कर
ष्ट — नष्ट भ्रष्ट
2. वन-विभाग   वन संरक्षण   वन अधिकारी   वन-महोत््सव
3. क. सच्चा ख. अपार ग. वनोों घ. शांति से
ङ. पुराकाल च. प्रदूषण छ. टोकरियाँ
4. क. पशुओं का चारा
ख. वनोों का संरक्षण
ग. जंगल मेें मंगल
घ. बाँस से अखबार का कागज़
ङ. कल-कल करतीीं नदियाँ

4 पक्षी छोटे, काम बड़े


1. प्रसन््न – खुश पिता - तात
पक्षी - पंछी वर््षषा – बारिश
बालक - शिशु टहनी - शाखा
ज़मीन – धरती बादल - मेघ
2. खोदकर भूलकर रखकर
बजाकर उठकर हँसकर
3. ज़मीन जलेबी खज़ाना बाज़ार बजाकर
4. वस््ततु - चीज़ घना - ज़््ययादा उकताकर - ऊबकर
इकठ्ठा - एक साथ संकेत - इशारा
5. गाँव वस््ततुएँ कहाँ आँख पाँव चिड़ियाँ मुँह हँस ढूँढ़

5 अनमोल दोहे
1. व््यवहारिक सद्भाव आलोकित तैयार सुगंध अनुबंध
2. मुट्ठी सद्भाव भट्टी यद््यपि

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3. क. बढ़ाकर ख. सरल ग. मुट्ठी घ. भलाई/सच्चा
ङ. पथ च. ज्ञानी/दुर््जन छ. गाँव
6  मैैं हूूँ साबरमती
1. अंजलि भयंकर शंकर गंगा गांगेय स््वतंत्रता चंद्रभागा
2. पेड़ - पौधे भक््तति - भाव भगवान - शंकर
ऋषि - दधीचि चंद्रभागा - नदी अरावली - पर््वत
3. क. गुजरात/घर ख. राजा/प्रजा ग. पंडित जी/आश्रम
घ. भक््ततिभाव/प्रसन््न ङ. कश््यप मुनि/भगवन शंकर
4. श्रद्धा - आदर अंजलि - ओक
अवतरण - धरती पर आना अकाल - सूखा
7 एक लंबा पत्र
1. वरदायिनी
राजधानी - र् + आ + ज् + अ + ध् + आ + न् + ई
बावड़ी - ब् + आ + व् + अ + ड़् + ई
विशाल - व् + इ + श् + आ + ल् + अ
सम््ममान - स् + अ + म् + म् + आ + न् + अ
2. रेलगाड़ी बावड़ी सीढ़ियाँ तोड़ पढ़ेेंगे बूढ़े
3. क. ऐतिहासिक ख. दर््शनीय स््थल ग. सहपाठी घ. अध््ययापक
4. ब््ब - गुब््बबारे छब््बबीस
म््म - सम््ममान चम््मच
ल्ल - दिल्ली बिल्ली
च्च - बच्चा सच्चा
न््न - प्रसन््न अन््न
8 बालक की कामना
1. सम््ममान – अपमान
उपजाऊ – बंजर
पुण््य - पाप
नूतन - प्राचीन
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2. दूध - दही
हृष्ट - पुष्ट
भूखा - दूखा
कला - कौशल
तन - मन
3. यंत्र नूतन विविध सरकारी कपास शहर
गोपालन पैदा कोई ध््ययान बाज़ारी जाऊँ
4. मही ऋषियोों लिबास सभी
नौकरी इतनी शक््त वासी
9 मजमेवाला
1. मज़दूरी मजमा जादू मंजन मज़ेदार
दरवाज़ा आवाज़ कमीज़ सज-धज प््ययाज़
ज़ोर जेब नज़र
2. साफ़ तरफ़ सफ़ाई फ़ुसफ़ुसाकर
फ़र््श फेर फिर फेेंक
3. होटलवाला चायवाला पानवाला सब््ज़ज़ीवाला फलवाला
4. सिक््कका - सिक््कके
कुआँ - कुएँ
तकिया – तकिये
आँख - आँखेें
जूता - जूते
हफ़््तता - हफ़््तते
10 नहीीं करो बरबाद!
1. सुयोग््य सुअवसर सुपुत्र सुयश
2. चमचम आलू खुशी बंगाल
बरफ़ रोटियाँ मटर चावल
3. मुँह मेें पानी आना जी ललचाना
हाथ साफ़ करना चोरी करना /गायब करना
मन मेें लड्डू फूटना बहुत खुश होना
आँखेें खुलना होश आना
4. क. करते ख. फेेंक ग. भूख घ. रहे
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11 जन््मदिन का खर््च
1. किताबेें कहानियाँ बातेें चीज़ेें चिट््ठठियाँ
2. क. वह शहर जा रहा है।
ख. बुल्लू अपने पिता से पूछता है।
ग. ज़मीींदार के लड़के ने पैसा दिया।
घ. लड़के को एक चिट्ठी मिली।
3. क. बुलु मानसिंह बाबू का इकलौता लड़का था।
ख. क्लास मेें दोनोों अधिकतर साथ बैठते थे।
ग. राजेश के पिता जी शहर के धनी आदमी थे।
घ. पिता जी से क््यया-क््यया कहेगा?
4. सुबह-सुबह नाचना-गाना खाना-पीना
उठाना-बैठना ठाठ-बाट अपना-पराया
लिखना-पढ़ना
12 जो अवसर खो देते हैैं
1. जीवन - जिंदगी, प्राण
भाग््य - किस््मत, नसीब
अँधियारा - अँधेरा, तिमिर
पथ - राह, मार््ग
बच्चा - बालक, शिशु
2. क. समय ख. कर््मठ ग. फसलेें घ. बोते
3. क. को ख. पर ग. की घ. के
4. कर््म - काम
हस््त - हाथ
मस््तक – माथा
ग्राम - गाँव

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REVISED
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