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The Age of Industrialisation 10th Dec 2021
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औद्योगीकरण का युग
• आदि–औगीकरण — इंग्लैंड और यूरोप में फै क्ट्रियों की स्थापना से भी पहले ही अंतरााष्ट्रीय
बाजार के क्ट्लए बड़े पैमाने पर औद्योक्ट्गक उत्पािन होने लगा था क्ट्जसे आदि–
• औद्योगीकरण–
• इं ग्लैंड में औद्योगीकरण– क्ट्िश्व में औद्योगीकरण का शुभांरभ सबसे पहले इं ग्लैंड में उस
• कपड़ उद्योग–
✓ 1840 के िशक तक सूती िस्त्र उद्योग इंग्लैंड का सबसे बड़ा उद्यम था।
✓ जब इंग्लैंड में क्ट्स्पननंग जेनी मशीन का इस्तेमाल शुरु दकया गया तो हाथ से ऊन
• लोहा इस्पात– 1873 तक क्ट्िटेन के लोहा–इस्पात का क्ट्नयाात मूल्य लगभग 7.7 करोड़
बमाा, मध्य पूिा एिं पूिी अफ्रीका से व्यापार करने के कारण बहुत िन कमाया जो बाि
में उद्योगों के क्ट्नमााण में लगाया, ऐसे उद्योगपक्ट्तयों में जमशेिजी नुसरिानजी टाटा, सेठ
क्ट्शि नारायण क्ट्बड़ला सेठ हुकु मचंि, क्ट्डनशााँ पेरटट, द्वारका नाथ टैगोर प्रमुख थे।
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• औद्योक्ट्गकरण से संबक्ट्ं ित मुख्य तथ्य– मशीन उद्योगों के युग से पहले अंतरााष्ट्रीय कपड़ा
बाजार में भारत के रे शमी और सूती उत्पािों का ही िबिबा रहता था। बहुत सारे िेशों
में मोटा कपास पैिा होता था लेदकन भारत में पैिा होने िाला कपास महीन दकस्म का
था।
• 1811-12 ई. में सूती माल का क्ट्हस्सा कु ल क्ट्नयाात में 33 प्रक्ट्तशत था, 1850-51 ई. में
• इंग्लैंड में सबसे पहले 1730 ई. के िशक में खुले लेदकन उनकी संख्या में तेज़ी से इजाफा
• सूती िस्त्र उद्योग क्ट्िटेन के सबसे फलते–फू लते उद्योग थे। 1840 ई. के िशक तक
औद्योगीकरण के पहले चरण में यह उद्योग सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था। इसके बाि
• 1772 ई. में ईस्ट इंक्ट्डया कं पनी के अफसर हेनरी पतूलों ने कहा था दक भारतीय कपड़े
की मााँग कभी कम नहीं हो सकती रयोंदक िुक्ट्नया के दकसी और िेश में इतना अच्छा माल
नहीं बनता। उन्नीसिीं सिी की शुरुआत में भारत के कपड़ा क्ट्नयाात में क्ट्गरािट आने लगी
जो लंबे समय तक जारी रही। 1811-12 ई. में सूती माल का क्ट्हस्सा कु ल क्ट्नयाात में 33
• अठारहिीं सिी के आक्ट्खर में भारत में उत्पािों का क्ट्नयाात न के बराबर होता था। 1850
ई. तक आते–आते सूती िस्त्र का आयात भारतीय आयात में 31 प्रक्ट्तशत हो चुका था।
• बंबई में पहला कपड़ा क्ट्मल 1854 ई. में लगी और िो साल बाि उसमें उत्पािन होने
लगा। 1856 ई. तक िहााँ ऐसी चार क्ट्मलें काम कर रही थी। िेश की पहली जूट क्ट्मल
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1855 ई. में ररशरा (कलकत्ता के समीप) और िूसरी 1862 ई. में चालू हुई। उत्तरी भारत
में 1860 ई. के िशक में एक्ट्ल्गन क्ट्मल कानपुर में खुली। 1861 ई. में अहमिाबाि की
पहली कपड़ा क्ट्मल भी चालू हो गई। 1874 ई. में मद्रास में भी पहली कताई और बुनाई
• जमशेिजी नुसरिानजी टाटा जैसे पारक्ट्सयों नें आंक्ट्शक रूप से चीन को क्ट्नयाात करके और
आंक्ट्शक रूप से इं ग्लैंड को कच्ची कपास क्ट्नयाात करके पैसा कमा क्ट्लया था। 1917 ई. में
कलकत्ता में िेश की पहली जूट क्ट्मल लगाने िाले मारिाड़ी व्यिसायी सेठ हुकु मचंि ने भी
चीन के साथ व्यापार दकया था। यही काम प्रक्ट्सद्ध उद्योगपक्ट्त जी.डी. क्ट्बड़ला के क्ट्पता
और िािा ने भी दकया।
क्ट्नयंत्रण करती थीं। इनमें बडा हीगलसा एंड कं पनी, एंड्रयू यूल और जाडीन क्ट्स्कनर एण्ड
कं पनी सबसे बड़ी कं पक्ट्नयााँ थीं। ये एजेंक्ट्सयााँ पूंजी जुटाती थीं, संयुक्त उद्यम कं पक्ट्नयााँ
लगाती थी और उनका प्रबंिन संभालती थीं। ज्यािातर मामलों में भारतीय फाइनेंसर
• 1901 ई. में भारतीय फै क्ट्रियों में 5,84,000 मजिूर काम करते थे। 1946 ई. तक यह
• भारत में औद्योक्ट्गक उत्पािन पर िचास्ि रखने िाली यूरोपीय प्रबंिकीय एजेंक्ट्सयों की
कु छ खास तरह के उत्पािों में ही दिलचस्पी थी। उन्होंने औपक्ट्निेक्ट्शक सरकार से सस्ती
कीमत पर जमीन लेकर चाय ि कॉफी के बाग़ान लगाए और खनन, नील ि जूट की
बोररयााँ, फौक्ट्जयों के क्ट्लए ििी के कपड़े, टेंट और चमड़े के जूते, घोड़े ि खच्चर की जीन
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• प्रथम क्ट्िश्व युद्ध के बाि फै रिी उद्योगों में लगातार इजाफा हुआ लेदकन अथाव्यिस्था में
क्ट्िशाल उद्योगों का क्ट्हस्सा बहुत छोटा था। उनमें से ज्यािातर 1911 ई. में 67 प्रक्ट्तशत
महत्िपूणा शब्िािली
• प्राच्य– भूमध्य सागर के पूिा में क्ट्स्थत िेश। आमतौर पर यह शब्ि एक्ट्शया के क्ट्लए
इस्तेमाल दकया जाता है। पक्ट्िमी नजररए में प्राच्य इलाके पूिा–आिुक्ट्नक, पारं पररक और
रहस्यमय थे।
अंतरााष्ट्रीय बाजार के क्ट्लए बड़े पैमाने पर औद्योक्ट्गक उत्पािन होने लगा था। यह उत्पािन
फै क्ट्रियों में नहीं होता था। बहुत सारे इक्ट्तहासकार इस चरण को आदि औद्योगीकरण
कहते हैं।
• फु लर– ऐसा व्यक्ट्क्त जो ‘फु ल’ करता है याक्ट्न चुन्नटों के सहारे कपड़े को समेटता हैं।
• कार्डिंग– िह प्रदिया क्ट्जसमें कपास या ऊन आदि रे शों को कताई के क्ट्लए तैयार दकया
जाता है।
• क्ट्स्पननंग जेनी– यह एक प्रकार की कताई की मशीन थी। इसे 1764 में जेम्स हरग्रीव्ज ने
बनाया था। इस मशीन ने कताई की प्रदिया को तेज कर क्ट्यिा और मजिूरों की मााँग घटा
िी। एक ही पक्ट्हया घुमाने िाला एक मजिूर बहुत सारी तकक्ट्लयों को घुमा िेता था और
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• गुमाश्ता– ईस्ट इंउया कं पनी ने बुनकरों पर क्ट्नगरानी रखने, माल इकट्ठा करने और कपड़ों
की गुणित्ता जााँचने के क्ट्लए िेतनभोगी कमाचारी तैनात कर दिए, क्ट्जन्हें गुमाश्ता कहा
जाता था।
• जॉबर– उद्योगपक्ट्त नए मज़िूरों की भती के क्ट्लए एक व्यक्ट्क्त को रखते थे, क्ट्जसे जॉबर
कहते थे। जॉबर पुराना ि क्ट्िश्वस्त कमाचारी होता था। िह अपने गााँि से लोगों को लाता
था, उन्हें काम का भरोसा िेता था और मुसीबत में पैसों की मिि करता था।
क्ट्जसका बुनाई के क्ट्लए इस्तेमाल दकया जाता है। यह क्षैक्ट्तज िागे को लंबित् िागे में
क्ट्परो िेती है। फ्लाई शटल के आक्ट्िष्कार से बुनकरों को बड़े करघे चलाना और चौड़े अरज़
• नप्रंटटंग प्रेस– िह स्थान जहााँ पर बड़ी संख्या में अखबार या पक्ट्त्रकाएाँ छापी जाती हैं।
• कारखना–िह स्थान जहााँ पर बड़ी संख्या में दकसी िस्तु का उत्पािन दकया जाता है।
• नौकरी व्यिस्था– िह व्यिस्था क्ट्जसमें व्यक्ट्क्त दकसी अन्य व्यक्ट्क्त या संस्थान के अिीन
रहकर काया करता है क्ट्जसके बिले उसे िेतन, क्ट्नक्ट्ित दिया जाता है।
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• नेटिका – दकसी काया को क्ट्िक्ट्भन्न स्थानों पर सुचारू रूप से करने के क्ट्लए बनाया गया
• लेबल– दकसी भी उत्पािन पर कं पनी द्वारा लगाया गया पत्र क्ट्जसमें उस चीज की गुणित्ता
महत्िपूणा घटनािम
िर्ा घटनाएाँ
• 1855 ई. – भारत में पहली जूट क्ट्मल ररशरा (कोलकत्ता) में लगी।
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