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ऐतिहासिक अ व लो कन
:
प्राचीन काल से ही पृथ्वी को गोलाकार रूप में देखा गया है। यूनानियों सहित कई प्राचीन सभ्यताओं
ने इसे साबित करने के लिए प्रयोग किए हैं। सबसे प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक 240 ईसा पूर्व
के आसपास एराटोस्थनीज द्वारा किया गया एक प्रयोग है। एक ही दिन के एक ही समय में दो
अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग छवियों का उपयोग करके , एराटोस्थनीज पृथ्वी की
परिधि को काफी सटीक रूप से मापने में कामयाब रहे। इस प्रयोग से पता चलता है कि पृथ्वी
चपटी नहीं बल्कि वक्र है।
2. खगोलीय प्रेक्षण:
अंतरिक्ष से पृथ्वी एक गेंद के रूप में स्पष्ट दिखाई देती है। उपग्रहों और अपोलो जैसे
अंतरिक्ष अभियानों द्वारा ली गई अंतरिक्ष से पृथ्वी की तस्वीरें लगातार पृथ्वी को एक
घू म ती हुई गेंद के रूप में दिखाती हैं। इस सिद्धांत का समर्थन करने के लिए कोई फ़ोटो या
अवलोकन नहीं हैं कि पृथ्वी चपटी है।
4. प्राकृतिक घटना:
दिन और रात जैसी प्राकृतिक घटनाएं भी गोल पृथ्वी के सिद्धांत का समर्थन करती हैं। क्योंकि
पृथ्वी गोलाकार है और अपनी धुरी पर घूमती है, ग्रह के विभिन्न हिस्से अलग-अलग समय पर
सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं, जिससे दिन और रात का एक चक्र बनता है। यदि पृथ्वी
चपटी होती तो सभी क्षेत्रों को एक साथ सूर्य का प्रकाश मिलना चाहिए।
5. नौवहन और विमानन:
निष्कर्ष में, ऐतिहासिक अवलोकनों, खगोलीय साक्ष्यों, आधुनिक भौतिकी की समझ, प्राकृतिक
घटनाओं और विमानन और नौवहन प्रथाओं के आधार पर, यह बहुत स्पष्ट है कि पृथ्वी गोल है।
सनी
यह सिर्फ एक सिद्धांत नहीं है बल्कि एक वास्तविकता है जो सुसंगत और विवसनीययश्ववैज्ञानिक
प्रमाणों के कई रूपों द्वारा समर्थित है।