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एडिटोरियल (01 Jan, 2024)
एडिटोरियल (01 Jan, 2024)
एडिटोरियल (01 Jan, 2024)
मेन्स के लिये :
भारत-रूस संबंधों का रणनीतिक महत्त्व, प्रमुख मुद्दे और आगे की राह।
भारत के विदेश मंत्री की हालिया मास्को यात्रा भारत-रूस संबंधों के ढाँचे में व्यापक रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो दोनों देशों के बीच
पहले से स्थापित विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त भागीदारी को और आगे ले जाती है। उभरते वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में
दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों और द्विपक्षीय मामलों पर उच्च स्तर की राजनीतिक भागीदारी अपेक्षित है।
हालाँकि, ऐतिहासिक रूप से भारत द्वारा आयातित हथियारों में उसकी हिस्सेदारी 65% तक रही थी।
भारत की थल सेना में T-72 एवं T-90 जैसे रूसी टैंकों और इसके ज़मीनी हमलावर विमान बेड़े में MiG-21, Su-30 और
MiG-29 विमानों के विभिन्न वेरिएंट महत्त्वपूर्ण भूमिका रखते हैं।
भारत का ब्रह्मोस मिसाइल रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
अक्टूबर 2018 में भारत ने S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली के लिये रूस के साथ 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर के
समझौते पर हस्ताक्षर किये।
भारत की आधी से अधिक पारंपरिक पनडुब्बियाँ सोवियत डिज़ाइन की हैं।
भारत-रूस संबंधों में विद्यमान प्रमुख मुद्दे कौन-से हैं ?
आगे की राह:
निष्कर्ष
वैश्विक बदलावों के बीच भारत-रूस संबंध प्रत्यास्थी बना रहा है जो भरोसे और साझा हितों पर आधारित है। इन गतिशीलताओं के
बीच प्रत्यास्थता का संपोषण, खुला संचार और वैश्विक शांति के लिये साझा प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना आने वाले वर्षों में भारत-रूस
संबंधों की सफलता को निर्धारित करेगा। भारतीय विदेश मंत्री ने उपयुक्त ही कहा है कि “भू-राजनीति और रणनीतिक अभिसरण
भारत-रूस संबंधों को सदैव सकारात्मक पथ पर बनाए रखेगा।”
अभ्यास प्रश्न: उभरता हुआ वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य भारत-रूस संबंधों की गतिशीलता को कै से प्रभावित कर रहा है? इन
द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर सकारात्मक प्रक्षेपपथ को सुनिश्चित करने के लिये उपाय सुझाइये।
उत्तर: B
मेन्स:
प्रश्न1. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत
महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)